Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

दरुआ बुन्देली दोहा संकलन

102वी बुन्देली दोहा प्रतियोगिता-102
दिनांक-25/02/23 " दरुआ " बुन्देली दोहा
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*                         

    दरुआ नरदा पै डरो, कुत्ता रय मौं चाट ।
    भूंकै  मौड़ा सो  गये,    हेर-हेर कैं बाट ।।
***
-स्वामी प्रसाद श्रीवास्तव, छतरपुर
*2*
दरुआ में दुरगुन भरे,दर दर ठोकर खात।
ठौर ठिकानों मिटा लव,मांगत भीख दिखात।।
***
-रामानंद पाठक, नैगुवां
*3*
सौ सज्जन पै एक ही, दरुआ भारी होय।
डरे नहीं वो काल से,जब भी आपा खोय।।
***
        -आर. के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़
*4*

दारू पी औंदौ ड़रौ,कुत्ता मूतैं रोज ।
तन पै नइँया चीथरा ,इनखों चानैं डोज ।।
***
शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*5*
दरुआ की न बिरादरी,बोतल ऊकी जात।
असली दरुआ जो मिलै,देखे बिना दिखात।।
***
#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द,पलेरा जिला  टीकमगढ़ 
*6*
दरुआ दैरय दौंदरा , गारी दैबैं छाँट।
जीमें हिम्मत होय सो, आव पटालो राँट ।।
***
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
*7*

शादी बरसी जन्मदिन, मौका तकें हरेक।
दरुआ खों चाने परत, कोउ बहानो एक।।
***
             अमर सिंह राय, नौगांव
*8*
धरम छोड़ अधरम करै,पर तिरिया सँग वास।
जी  के  घर  दरुआ  पजौ,ऊ कौ  सत्यानाश।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*9*
जरुआ,दरुआ ,कनभरा , चापलूस  कंजूस।
छोड़त नइॅंयाॅं बाप खौं ,चोर कुटिल जासूस ।।


आशाराम वर्मा " नादान " पृथ्वीपुर
*10*
तेरइँ होबै बाप की,चाय लली कौ ब्याव।
दरुआ मुड़या लेत है,हर मौका पै न्याव।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी बुड़ेरा
*11*

नरदा में दरुआ डरो,पीतइ दारू रोज।
गानो गुरिया गउ गड़ी,मिट गव घर को खोज।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*12*

गाँव- गाँव दरुआ बढे़, पियें और गर्रात।
नशा नाश जीवन करे, समझ न आवै बात।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*13*
      
देखौ दरुआ आ गऔ ,दारू पीकें आज।
पैरें बस चड्डी छिती, उयै न तनकउ लाज।।
***
रामसेवक पाठक "हरिकिंकर,  ललितपुर
*14*
   दरुआ नाली में गिरो,लेंड़ी मों ग‌इ चाट।
उठत- गिरत पोंचों घरै,कै र‌ओ मुर्गा काट।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा
*15*
दरुआ अरुआ सौ लगै , तनकइ  नईं    पुसात  |
गाँइँ बकत झूमत निगत, जितै  चाय गिर जात ||
***
सुभाष सिंघई , जतारा
*16*

दरुआ दारु मांग कर, पीते सीना जोर ।
अगर मांगकर नहि मिली, बन जाते हैं चोर ।
 ***
 डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान " छतरपुर।
*17*
दरुआ नाली में डरौ, बकबक करत दिखात । 
डींगें हाँके बो बड़ीं,  फिर-फिर  लोटत जात ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*18*

दरुआ  दै  दै  दौदरा ,  दाँदर  दै  दर्रात।
दरुआ ओछे कर्म सै,बिना मौत मर जात।।

     एस आर सरल, टीकमगढ़
*19*
दरुआ खों दारू बिना,लगै जगत रसहीन।     
छिन-छिन तलफत हींड़बै, ज्यों पानी बिन मीन।।
    ***
    - संजय श्रीवास्तव, मवई  😊दिल्ली
*20*
बुंदेली दोहा
 झूटी पै झूटी कबै,दिन में सौ सौ दार।
दरुआ की तौ जिन्दगी, हो जाबै बेकार।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी बड़ा मलेहरा
[25/02, 12:00 PM] R. K. Prajapati Jatara: अप्रतियोगी दोहे
प्रदत्त शब्द-दरुआ
*************************

जौंन  घरै  दरुआ  रहै,  वौ  घर   सत्यानाश।
खोज मिटै धन बल घटै,लगतइ जिन्दा लाश।।

दरुआ अपने आप को,समझे बब्बर शेर।
नकुअन में दम गॉंव की,करवे देर सबेर।।

मोड़ी-मोड़ा भूख सें, बिलबिलात दिन रात।
गाने गुरिया बेंच कें,   दरुआ  मौज  उड़ात।।

हंगामा रोजइ करें,  दरुआ बन शैतान।
थोरे दिन कौ ही रहै,दुनिया में महमान।।

जब दरुआ सें बात हो,  रखो लबुदिया पास।
या फिर सौ गज दूर रव,मन्त्र जान लो खास।।

                            आर. के.प्रजापति "साथी"
                       जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
[25/02, 12:07 PM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: ।।अप्रतियोगी दोहे।।
पानी पी पी कोस रव,ऊखों तौ घर गाँव।
ई दरुआ नें  दव डुबै,सब जेठन कौ नाँव।।

रोज उपद्रे करत है, दरुआ है तौ धूत।
बातन सें नें मानहै,जौ लातन कौ भूत।।

घर में इज्जत नें बची, गाँव सुनें नें बात।
दरुआ पीकें रोज कौ,फिरत रात छुछयात।।

दरुआ की संगत करें,लगत नसा कौ रोग।
हीरा सें पथरा बनें,देखे कित्ते लोग।।

दरुआ के औगुन सुनों,भैया जे कछु खास।
लबरा,दोंदा होत जौ, किलकिलया, बदमास।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[25/02, 12:29 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुंदेली दोहा दिवस 
         विषय , दरुआ,,
*****************************
दरुआ धरों कड़ोरकें  , दइ "प्रमोद"इक ठोल।
केउदार समझात रय, दुष्ट बुरयँ जिन बोल ।।
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दरुआ पररव पाँयतन , लरी घरैनी ऐन ।
ठठरी सो जा नायँ खाँ , अबइ फूट गय नैन ।।
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दरुआ नरदा लौ डरों, अल्ल बल्ल बतयात। 
लिख "प्रमोद" थूतर मिटी , कुत्ता मूतत जात ।।
**********************************
दरुआ दौरें गांव कें ,वोटन बटीं शराब ।
दोरन खोरन उछर रय, बने "प्रमोद" रुआब ।।
**********************************
धुतिया फटी लुगाइ की , बच्चा भूंकें रोंयँ ।
दरुआ भौँक उरेंन हो , लार चुचाकें सोंयँ 
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घरवारी ने खूँत लव , दरुआ चप्पल मार ।
कड़ों अधर्मी बेशरम , पियत बेंचकें दार ।।
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        ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
        ,, स्वरचित मौलिक,,
[25/02, 12:40 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुंदेली दोहा
विषय:-दरुआ
कच्ची पक्की जौ‌ मिलै,दरुआ सब पी जात।
आवर - जावर रोज कौ,पिसी बेंच कें खात।।

पैसा धैला एक लौ, नहीं खलींता रात।
दरुआ जब दारू हनें,सो कुबेर बन जात।।

घरवारी सें ऐंड़ कें,दरुआ बोलत बैन।
अब तौ मरने है हमें,जी में नैंयां चैन।।

कोउ काउ की न‌इॅं सुनत,दरुआ जब पी लेत।
तन मन धन छिन जात सब, फिरत दौंदरा देत।।

मिलै निछक्कौ जौन दिन,कुची ढ़ूड़ कें राय।
न‌इॅंतर तारो टोरकें,दरुआ झट पी आय।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
[25/02, 1:03 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: अप्रतियोगी दोहे- दरुआ.

ऊने घर परिवार की, धरी ताख में लाज/
अच्छो खासो वो भओ, जब से दरुआ बाज//1.

उठत भोर से ही खडो,अडो कलारी द्वार/
दरूआ खों दारू चढो, दिनभर रये बुखार//2.

मिटी गिरस्ती घर भओ, पूरो ही बरबाद/
लेकिन दरूआ खौ तनक, खबर न कौनउ याद//3.

नशा नाश करता सदा, जीवन घर परिवार/
पर दरुआ का तो कभी, बदले न बैहार//4.

दरूआ दारू पी बने, खुद में हरदम शेर/
आंय बांय बकता फिरे, जूता पडते ढेर//5.

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[25/02, 1:13 PM] Amar Singh Rai Nowgang: अप्रतियोगी दोहे विषय: दरुआ

जैसइ फैलो बेशरम, इत-उत देश-विदेश।
ऐसइ दरुआ हर तरफ, मिलैं बनाए भेष।

दरुआ दारू चौंख कैं, खूबइ  दांय  मचांयँ।
बिघन डारवैँ काम में,नाहक नाक कटांयँ।।

कछु दारू की आड़ में,दरुआ करत कुटाल।
कनबूजे में जाय घल, तुरत थथोलत गाल।।

जरुआ  से  दरुआ  भलो, गैर  होंश  बर्रात।
कोसत जरुआ रात दिन,उऐ देख नइँ जात।

रँडुआ दरुआ हो बुरौ, पी कैं करत बवाल।
नाथ न आंगे रय पगइ, नईं करैया ख्याल।।

दो दरुआ मिल एक सो, जैसे  पैग  बनात।
ऐसइ हींसा बांट हो, कभउँ न बिगरै बात।।

                        अमर सिंह राय
                           नौगाँव
[25/02, 1:37 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय-दरुआ* 
*1*
दरुआ से दरुआ मिलैं   , करैं    इशारैं   बात |
लगा अँगूठा औठ पै , #राना  जात    बतात  ||
*2*
खोज कलारी लेत हैं , आन  गाँव   जब जात |
दरुआ की #राना  कहैं ,  इनखौं भौत सुँगात  ||
*3*
दरुआ से ना बोलियौ, अकल  न करियौ पेश |
नाँतर  #राना   चार  ठौ , मिल  जैहैं  उपदेश ||
*4*
दरुआ कारण कात  है  ,#राना  सुनतइ सार |
पियत खुशी में सब जनैं  ,गम में जात डकार ||
*5*
दरुआ की दुनिया अलग , #राना तकतइ रात |
पीकै अपनी  फाँकतइ , घुरबा   चड़कैं   आत ||
*6*
दरुआ की पंचात में , नईं   घुसेड़ौ   हाथ |
चिपकै #राना खाज है , फूटै अपनौ माथ ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[25/02, 2:08 PM] Subhash Singhai Jatara: अप्रतियोगी दोहे - विषय दरुआ 

दरुआ की आदत बुरइ , पइसा जइँ से पात |
बेरा  कभउँ  न  देखतइ , दौर कलारी जात ||

दरुआ -दरुआ जब जुरैं , गजब करत बतकाव |
दौनउँ  मिल कै एक सो , अपनो करत  सुभाव ||

दरुआ अपने गुनन  से , खुद  हौतइ   बरबाद |
घर  में   टंटौ  रोप कैं   , बाहर  करत  फसाद ||

दरुआ हौतइ दो तरा   , एक  चिमा  के  रात |
एक तनक सी डार कै , सबखौं  गाँइँ  सुनात ||

दरुआ की   हालत  सुनौ  , पीकैं  घर में  आत |
खटिया पै औधों डरौ , लदर  फदर   सौ जात ||

दरुआ देतइ दौदरा ,   छरकत सब  है  रात  |
मूरखता कौ  काम  है  , इनसे  करबौ बात ||

सुभाष सिंघई
[25/02, 2:39 PM] Jai Hind Singh Palera: #अप्रतियोगी  दोहे#

#बिषय--दरुआ(दारू पीने बाला)#
####################
                    #१#
दरुआ खों दारू मिलै,मिले लगै भगवान ।
दारू बिना सुहांय ना,ऊखों अपनें प्रान।।

                     #२#
 दरुआ खों दारू मिलै,देख होय सिरमौर ।
कैस‌उ उयै भगाइयौ,छोड़ै ना बौ ठौर।।

                    #३#
दारू कौ ठेका मिलै ,बौ दरुआ कौ धाम।
तीन‌उं लोक दिखात हैं,जाम देत आराम।।

                    #४#
दरुआ जांय बरात में,बिन मिलांय मिल जांय।
बेर बेर कसमें करें,सांसे दरुआ आंय।।

                    #५#
दरुआ बात न मानबै,मारौ जूता तान।
तुरत‌इ बातें मानकें,कात तुमइ भगवान।।

                    #६#
दरुआ की बातें सदां,कभ‌उं धरौ ना ध्यान।
उतरै ऊकौ जो नशा,सुनों लगा कें कान।।

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द #
#पलेरा जिला  टीकमगढ़ #
#मो०--६२६०८८६५९६#
[25/02, 2:51 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दरुआ ने तौ कर दऔ, अपनौ घर कौ नाश।
भूके मौड़ी मौड़ा फिरत, कानों करें उपास।।१
जाॅंगा पेलै बैंच दइ,अबतौ घर रव बैंच।
सीदी भौत लुगाइ है,रोजउ होतइ चेंच।।२
भग्गइती वा मायकें, कल्ल खचोरत आव।
गारीं दै रव मार रव,तब सें हो रइ न्याव।।३
नन्ना की तौ टोर दई, ऊ दरुआ नें टाॅंग।
मारे ऐसे लगोदरा, सूजौ पूरौ ऑंग।।४
ओरी खौं तौ एक दिन , छत सें दवतौ फेंक। 
ओइ दिना हैं खचुरई,मउवन सें रइ सेंक।।
मौलिक,स्वरचित
"हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
[25/02, 3:06 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: बुंदेली दोहे:-विषय दरुआ

1.

"जिस ब्याव में,होत हे, दरुआ की भरमार,
सभी यही फिर,सोचते, केसे निपटें यार."

2.

"दरुआ से नइ होत हे,  कोनउ घर को काम,
इनखो पीने,चाहिये,   मिटात घर को  नाम."

3.

"ज़ब इने नई,मिलत हे, कोनउ  दिना शराब,
गाली बकते रेत हैं,     करत सब दिन खराब."

4.

"दरुआ ज़ब पी लेत हे, भूत इने चढ जात,
अंग्रेजी नई,जानते,      कछू भी केत रात"

5

"दरुआ ज़ब पीले इने,   देइओ फिर इनाम,
लात घून्सा ज़ब पडेँ,    तबइ  छूट हे जाम."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे 
भोपाल
25.02.2023
[25/02, 4:40 PM] Shobha Ram Dandi 2: अप्रतियोगी दोहा 
बिषय--"दरुआ"(दारू पीने वाला)
१=दरुआ कौ मौ चाटवैं ,कुत्ता  कुतिया रोज ।
मान पान सब खो दओ, लै रय "दाँगी" पोज ।।

२=नाली में दरुआ डरे, पी कैं दारू एैंन ।
घरवारी खों पीट वै ,"दाँगी" परै न चैंन ।।

३=घरै लुगाई रोत है , लरका बिटिया रोत ।
दरुआ मोरे भाग में ,"दाँगी" ऐसो होत ।।

४=कूरा कचरा में डरो , रत दारू में घुत्त ।
"दाँगी" सइँयाँ जे मिले ,उठतन होवैं भुत्त ।।

५=दरुआ की कछु बात कौ,नइँयाँ कौनउ ठौर ।
कां जानें काँ पौचवैं , "दाँगी" सो रय पौर ।।

६=जुआ में हारे सो पियें ,हिय में लागी चोट ।
बन गए दरुआ गांव के ,"दाँगी" करें सपोट ।।

७=गानों गुरिया बैचकें ,कछू बचौं नइँ भुंट ।
बिटिया स्यानी हो गई ,"दाँगी" करवैं हुंट ।।
८=कइयक घर वर्बाद हैं ,कर दरुअन कौ संग ।
"दाँगी"सदा बचे रहे ,धरम करम नइँ भंग  ।।

९=दरुआ बैठौ हो जितै ,भारी आफत मोय ।
"दाँगी" बातै ना सुनैं ,बुरव लगै चय तोय ।।

१०=सुरा सुंदरी लेत हैं ,राकछसों का पेय ।
दारू ले दरुआ बनें ,"दाँगी" करैै न गेह  ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी 
क्षमा करना एडमिन जी 
आज जितनै लिखे सब पटल पर ड़ाल दिये ।
शोभारामदाँगी
[25/02, 5:05 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *अप्रतियोगी दोहे*

विषय -  *दरुआ*

*१*
दारू की लत पर गई,
      भय दरुआ विख्यात ।
तन,मन,धन सें टूट गय,
     घरी-घरी पछतात ।।

*२*
दरुआ चलबै ऐंड़कै,
   अकड़ अलग दिखलाय।
तनक जोर सें फूँक दो,
     झमा खाय गिर जाय।।

*३*
दारू फूँके तन-बदन,
       धन को करबै नास।
रिश्ते-नाते टोरबै,
     कित्तउ होबै खास।।

*४*
अल्ल-बल्ल बकबै लगो,
           नाहर सौ नर्राय।
पीकेँ,दरुआ पुरा की,
      गलन-गलन गर्राय।

*५*
दरुआ निकरै जी गली,
      झौंका छोड़त जात।
मौं पै माँछीं भिनकतीं,
    कुत्ता भौंकत जात।।

  *संजय श्रीवास्तव* मवई
   २५-२-२३ 😊 दिल्ली
[25/02, 5:18 PM] Sr Saral Sir: बुंदेली  दोहा  विषय   दरुआ 

आँगे पाँछे  की कछू, दरुआ सोचत नाइँ।
देत फिरत घर बायरै, बे  लजौनयाँ  गाइँ।।

दरुआ  देवें  दौदरा,  कर  कर अत्याचार।
बे  दारू  पी  पी  करें, घर  कौ  बंटाढार।।

दरुआ  खौ दारू चढ़त, ठानत  भारी रार।
घर बारे  डाटत  फिरै , बौ  भरवें ललकार।।

दरुअन सै बचकें रऔ,जे हैं बिन औकात।
जियै चाय जे चाय जाँ, चले जात गरयात।

दरुअन की सबनें सुनी,भौत बुरइ गत होत।
ठुकत पिटत इज्जत धुबत,उर घरवाई रोत।।

     एस आर सरल
        टीकमगढ़
[25/02, 5:21 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: अप्रतियोगी दोहे विषय-दरुआ🌹
**************************
दरुआ खाँ जब जो बिदत,
               बेंचत  हो  तल्लीन।
बाप  मरें  बेंचन  लगत,
                नामें आइ जमीन।।
*************************
दरुआ सें तौ जानवर,
              साजे  होत  बिलात।
खात जानवर और खों,
           जे अपनन खों खात।।
*************************
कौरौना  सें  दोइ  गज,
               दूरी  में  बच  जात।
सौ गज  दूरी  राख कें,
              दरुआ सें बच पात।।
*************************
एक दिना खाँ भी बनें,
              दरुअन की सरकार।
बन  जैहै  मदपान भी,
         नव मौलिक अधिकार।।
*************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[25/02, 7:11 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: विषय-दरुआ
1-दरुआ अरुआ से तकत,
लड़खड़ात कड़ जात।
बृजभूषण जो कउ रुकत,
तो दुर्गति भइ जात।
2-अट्ट सट्ट दरुआ बकत,
चाय जिये गरयात।
जब लातें घूँसा घलत,
मौसी सी मर जात।
3-दरुआ द्वारे से कड़त,
बर्बरात कछू कात।
बृजभूषण देखत रहत,
भारी कला बतात।
4-दरुआ दय रत दोंदरा,
कोउ कछु नइ कात।
जैसी धुन बंध जात है,
बाइ बात घुरयात।
5-दरुआ दारु पियत रत,
तन मन धन बेकार।
समझाये मानत नही,
बनी जात तकरार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

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