Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

कुकात बुंदेली दोहा संकलन

[06/02, 8:10 AM] Jai Hind Singh Palera: #कुकात पर दोहे#

                    #१#
बैसें पौवारा परें,मौज करें दिन रात।
हो जाबें दिन दूबरे,चेंथी तब‌इ कुकात।।

                    #२#
करम फूट जब जांय तो,फिरत रात भिर्रात।
सूदे दिन फिर आंय तो,गदिया रोज कुकात।।

                    #३#
कूर कूर कुत्ता करै,कर्री करें कुकात।
क्यांय घसीटै आंग खों,भारी जब रुरयात।।

                    #४#
पूरौ आंग कुकात जो,रूला पारै आंग।
नजर बचाकें खुजा लो,काय उगारौ जांग।।

                    #५#
अपनी अपनी देखबें,की की कौंन कुकात।
काम सटें दुख दूर हो,भूल जात औकात।।

                    #६#
चन्द्र बदन मृग लोचनी,कौ जब आंग कुकात।
चैन परै ना तौ उनें,जग जग काटें रात।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[06/02, 8:16 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *दोहा बिषय... कुकात*
06-02-2023
*प्रदीप खरे, मंजुल*
^^^^^^%^^^^^^^%^^^^^^
1-
मौरौ मन बेचैन है,
 धरै जिया नहिं धीर।
तन कुकात जब हूँक कैं,
हिया उठत ती पीर।।
2-
औराती करयाइ जब,
तन जौ सै नहिं पाय।
बेजा मौय कुकात जब,
कुका लाल पर जाय।।
3-
कुकात बढ़ी जा खाज तौ,
कछु नहिं मन खौ भाय।
कमर घिसौ दीवार सैं,
सो राहत मिल जाय।
4-
खुजली जब मौढ़ा भयी,
भारी करौ इलाज।
कुकात चैन न परत ती,
बढ़ी बुरइ जा खाज।
5-
कुकात गाय दीवार सैं,
पंजा मारै स्वान।
बंदरा सोइ कुकात है,
मरौ जात इंसान।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[06/02, 9:55 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: विषय ,,कुकात,,बुंदेली दोहा 
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दाद मुहांसें सेउवा , जब "प्रमोद" हो जात ।
रौरयात रत खाज तब , दिन ना रात कुकात ।।
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मूंढ़ जुआँ लीखें फरीं , चीला उपजे आँग।
तब "प्रमोद" नौ हर चलें , फुल कुकात धर माँग।।
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कड़ो पसीना आँग सें , सूकों भौत कुकात।
नों विष लगे "प्रमोद" तब , खतिया चिट हो जात ।।
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मुण्डन में मौजा कसें , धुबें ना फरवा मींड़।
तबइ "प्रमोद" कुकात रत, अद सूकेँ से सींड़।।
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हारेँ हते "प्रमोद" जब , उड़कें लगी करेज ।
अब कुकात सब चामरों , गोबर पानी भेज ।।
************************************
सपरें नहीं अदाल ती , धरें साँतरी डार।
बेइ कुकात "प्रमोद" फुल , छबों मैल सबयार 
*************************************
             ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
             ,, स्वरचित मौलिक,,
[06/02, 10:26 AM] Subhash Singhai Jatara: बुंदेली दोहा , विषय - कुकात 

करजा खरचा खाज हो , या   सूजा-सी  बात |
चारउँ में जब एक हौ , साँसउँ  आँग  कुकात ||

घाम घलै   जब   पीठ पै ,  तबइँ  पसीना आत |
चिपचिप सूकै जित जगाँ , भौतइ  उतै कुकात ||

सबा शेर जब शेर खौ , फाँकत में  मिल  जात |
दबा   पूँछ   पंचात   में ,  बैठौ   रात  कुकात ||

जरुआ - भरुआ जौन है  , सबखौं खूब दिखात |
टेड़ौ   मेड़ौ  मौं   करें ,  अपनी    नाक  कुकात ||

मन   में   रखबै   गंदगी , तन भी  दिखै भिड़ात |
जीवन भर बौ आदमी  ,  फिरतइ  पाँव कुकात ||

सुभाष सिंघई
[06/02, 11:43 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुंदेली दोहा
विषय:-कुकात
कौआ बैठ मुड़ेर पै,काॅंव-काॅंव जब कात।
समदी आ रय है लगत ,गदिया ऐंन कुकात।।

लगत  रुपया ऑंऊने, गदिया भोत कुकात।
आज‌इ उखरी खोंड़िया,साव गम्य न‌इॅं खात।।


रगदा में लोटे गदा,चार‌इ पाॅंव उठात।
ढेंचूॅं ढेंचूॅं बोलबै,जब -जब पींठ कुकात।।

आगी ऐंगर बैठ कें, मालपुआ से खात।
अनुरागी साॅंसी कहें, जब-जब खाज कुकात।।

चीलर खटमल उर जुआं,पिसुआ बगदर डाॅंस।
काटत ऑंग कुकात है, इनकी होबै नास।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
[06/02, 11:44 AM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे (संशोधित)
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विषय- कुकात ( खुजाना)
~~~~~~~~~~~~~~~
१)
डारौ  नींव  कुकात  की,  बनै  इमारत  दाद।
मौ  पै  कसो  लगाम खौं, रय है टरो विवाद।।

२)
टाँग अड़ाउत काज में, लुगवा फिरत कुकात।
दूरी   उनसे   राखियो,  बूढ़े   कै   गय   बात।।

३)
मैया  जोरू  दो  तरफ, की  कौं  पकरें  हात।
कुइयाँ   खाई  बीच  में,  ठाँड़े  मूड़  कुकात।।

४)
एक  तना  कै  लाभ  दो, देत  शल्लकी  छाल।
गज कुकात जब पेड़ सें, निकरत मादक राल।।

५)
तन कुकात जब रात दिन, व्याधि बने ना चर्म।
रोज  सपरियो  ध्यान  सें, लें  कें  पानी  गर्म।।

~विद्या चौहान
[06/02, 12:36 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *सोमबारी दोहे*

विषय - *कुकात*

*१*
मन नइँ मानत जब तलक,
        दोहा नइँ बन जात ।
भेजा खों कर भौंरिया,
      सोचत मुड़ी कुकात ।।

*२*
मगरमच्छ अरु भेड़िया,
         कपटी, जग कुख्यात।
जनता अंधी भक्त है,
      इनकी पीठ कुकात।।

*३*
बिना कूत जो लर परै,
      करबै उलटी बात।
कुत्ता लौं नइँ पूँछबै,
     फिरबै मूड कुकात।।

*४*
काम परे पै आदमी,
     चक्कर कैऊ लगात ।
कोउ काउ की पींट खौं,
       ऐसइ नोइँ कुकात।।

*५*
कौआ होय मुंडेर पे,
       आबैं रिश्तेदार ।
गदिया अगर कुकाय तो,
      आबैं पैसा चार ।।

    संजय श्रीवास्तव, मवई 
     ६-२-२३ 😊 दिल्ली
[06/02, 1:14 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय:- कुकात*
*1*
#राना तकतइ हाल है ,    किस्सा  सुनत  बिलात |
जीकौ   परतइ  काम  है , फिरतइ कमर  कुकात ||
*2*
#राना  नेतन  कै  घरै , चमचा  मुड़ी    हिलात |
तनक इशारौ जब मिलै , तुरतइँ  पूँछ   कुकात ||
*3*
#राना कातइ  लोग   है  ,  चानैं   नइँ  खैरात |
जौ आयैं हम  तोय घर , अपनौ हाथ  कुकात ||
*4*
परत  मुसीबत घेर कै ,   औलन   सी   बरसात |
जनै -जनीं #राना  तबइँ , फिरतइ मुड़ी  कुकात ||
*5*
समय भलौ जीकौ रयै , #राना   बौ  हँस जात |
नाँतर  देखौ आदमी , रत   है   घिची   कुकात ||
***
*नायक नायिका परिहास संवाद दोहे -* 
*6*
चुपकै   से   छोरा   कहै , अपनौ   गाल कुकात |
गोरी   तोसै  कछु  कनै , तै   मोखौं  अब  भात ||
*7*
गोरी   हँस   कै   बोलती , अपने   कान कुकात |
तुम  बोलौ  कछु  जौर से   , मोखौं   नईं  सुनात ||😂🙏

*** दिनांक-6-2-2023

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[06/02, 2:35 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: बुन्देली दोहे, विषय-कुकात🌹
************************
सरपंची  में  जीत कें, 
             बड़ गइ ऐंन बिसात।
होंन लगे साजे सगुन,
            गदिया रोज कुकात।।
************************
चीलर के काटें कभउँ,
              ऐसी  जगाँ  कुकात।
जाँ   पै   डेरौ-दाँयनों,
              हाँत पोंच नइँ पात।।
************************
तनक न परबै चैंन जब,
              दाद-खाज    रौरात।
परमानंदी  सी  मिलत,
           जब हो मगन कुकात।।
************************
खा  कें  कर्री  मात अब,
              बैठे   मूँड़   कुकात।
इनकी  तरा  चुनाव  में,
              कैउ   जनें   भैरात।।
************************
घर के भैया खाँ कभउँ,
              बाँटत   नइंयाँ    मैर।
पींट  कुका रय  गैर की,
               जो  करवा रय बैर।।
************************
चाबी छिंगरी सींक सें,
            कइयक कान कुकात।
ई  आदत  के  कारनें,
             बैरा  लौ   हो  जात।।
************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
[06/02, 3:04 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (म प्र)०६/०२/०२३
बिषय--"कुकात"(खुजाना) बुंदेली दोहा (१५१)
१=नारज जू बैठे रहै ,भौतइँ रय उक्तात ।
डारी नैं "दाँगी" गरैं ,रै गय मुड़ी कुकात ।।

२=साजैं साजैं जो रवै ,खुशी न घरै समात ।
"दाँगी" ऐंठत काय पैं, ऊसउ चैंच कुकात ।।
 
३=फोरा फुँनसी आँग में ,खुजली सी हो जात ।
"दाँगी" दिन भर देखवै ,बैठे आँग कुकात ।।

पांव कुकावैं भोर सैं ,चाए कुकावैं रात ।
 रिश्ते में कउँ बात है ,"दाँगी" सोइ कुकात ।।

४=दाद खाज खुजली जिऐ, उनैं न बात पुसात ।
"दाँगी" मन उनकौ लगौ ,केवल आँग कुकात ।।

५=मौड़ा कौ भव व्याव सो ,पइसा मिलै बिलात ।
हाँत मलत बा रै गई ,"दाँगी" मुड़ी कुकात  ।।

६=हतौ शौंक सरपंच कौ ,फूँके नोट बिलात ।
"दाँगी" एमएनऐस में ,बैठे मुड़ी कुकात ।।

७=अब एमएनएस कौ नियम ,सरपंचन खों खात ।
"दाँगी" नैं पेपर पढ़ौ ,रै गए हाँत कुकात ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[06/02, 3:27 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे  विषय  कुकात ( खुजलाना)

रोज‌उँ आंग  कुकात है,  ई सें  हौ  हैरान।
मल मल मैल  छुटाइयौ, कर लिइयौ अस्नान।।

ठिठुरे जा रय ठंड सें, जौ  जाड़ौ जड़यात।
सपरो न‌इँ सकराँत सें, खूब‌इ  आंग  कुकात।।

जितै न पोंचत हांत सो, उत‌इ और  रौरात।
उठो खुजौरा पींठ में ,कैसें  उतै  कुकात।।

कभ‌उँ ठिठुर कें ठंड सें,खूब‌इ  आंग  कुकात।
कभ‌उँ पसीना आय सो,खुजा  खुजा  रै जात।।

बगदर बैरी आंन कें ,मसक‌उँ चुटयाजात।
लाल लाल छपका परें, ऐंन‌इँ  ऐंन  कुकात।।

          प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[06/02, 3:45 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *दोहा बिषय... कुकात*
संशोधित
06-02-2023
*प्रदीप खरे, मंजुल*
^^^^^^%^^^^^^^%^^^^^^
1-
मौरौ मन बेचैन है,
 धरै जिया नहिं धीर।
तन कुकात जब हूँक कैं,
हिया उठत ती पीर।।
2-
रौराती करयाइ जब,
तन जौ सै नहिं पाय।
बेजा मौय कुकात जब,
कुका लाल पर जाय।।
3-
 खाज कुकाबै भौत जा,
कछू नहीं मन भाय।
कमर घिसौ दीवार सैं,
सो राहत मिल जाय।
4-
खुजली जब मौढ़ा भयी,
भारी करौ इलाज।
चैन कुकाये बिन नहीं,
बढ़ी बुरइ जा खाज।
5-
पीठ गऊ पेड़न घिसैं,
पंजा मारै स्वान।
बानर सोइ कुकात है,
मरौ जात इंसान।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[06/02, 4:03 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुन्देली दोहे
"कुकात"
दिनांक -06-02-23

वे तौ लैकें मर भगे,मौंड़ा कर्ज चुकात।
दै ना पाबै टेंम पै, फिरवै  चैंथ कुकात।।

खाज पिलक वै तान कें, कैसें बनै कुकात।
निखरारी खटिया घिसै, ऊकौ लोउ चुचात।।

कछू जनें बदमाश हैं, सबसें बात छुपात।
खाज फैल गइ आँग में,उन्ना ओड़ कुकात।।

 लोटत किल्ली सौ फिरै,जी की खाज कुकात।
कछू जनें खउआ बड़े,दिन भर फिरें भुकात।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[06/02, 4:15 PM] Asha Richhariya Niwari: प्रदत्त शब्द कुकात
,🌹
दाद खाज ओ एग्जिमा,जी खों भी हो जात।
दिन हो चाहे रात हो,अपनी देह कुकात।।
🌹
बुंदेली कानात है, गदिया तबइ कुकात।
जब लक्षमी जू प्रेम सें,धन की दें सौगात।।
🌹
को जाने मोरी बिथा,चैन नहीं दिन रात।
हात न पाछें पोंचतइ,ऐनइ पीठ कुकात।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏🏻
[06/02, 4:20 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय कुकात

1  नेता जू गद्दार हैं, 
   जनता भोरी जान। 
   पीठ कुकारै सब जने, 
   झूठी बन रई शान।। 
  
2 झूठा लबरा मसखरा, 
    सबकी पीठ कुकात।। 
    मोपे बोलें जो कछू, 
    सांसी कबउं न कात।। 
   
3 गदिया जबइ कुकात है, 
   जब धन दौलत आत।
   तनक चूम के राखिओ, 
   धन की हो बरसात।। 
  
4  खाज खजैला होत जो, 
     सांसउ फिरै कुकात। 
     कबउं दवाई ना करैं, 
     कुत्तन  घांई खुजात।। 

                     डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल 
                     सादर समीक्षार्थ 
                     स्वरचित मौलिक
[06/02, 4:23 PM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे- कुकात

जब जब खुजरी होत है,हाथ गम्म नइँ खात।
डार जेब में हाथ दुइ, हलके हाथ  कुकात।।

फिरत  रात  कुत्ता  किरा, ई ऊ घरै  छुछात।
ऐसइ ठलुआ घूम रय, इत उत मूड़  कुकात।

कुत्ता अध-उधरे दिखैं, घूमत फिरत कुकात।
घाव न माछी  बैठवै, दौर  घरन  घुस जात।।

उन्ना  कितनउँ पैर लो, ऊपर  सें  दिख  जात।
नइँ कुकात देखत भलइँ,मों में असर दिखात।

फरत जुआँ जब मूड़ पर,चलत फिरत सोरात।
जब लौ जे कढ़ जाँय नइँ, बेजाँ मूड़ कुकात।।

जब खुजरी तन में उठै, जी भर खूब कुकात।
केवल मन ऊ में रमैं, फिर नइँ कछू  सुहात।।

दाद  खाज  बहुतइ  बुरी, दिन देखै नइँ रात।
चाहै  कौनउँ  हो खड़ो, रोगी रात  कुकात ।।

                         अमर सिंह राय
[06/02, 5:22 PM] Sr Saral Sir: बुन्देली दोहा  विषय  कुकात 
***********************
जबतक जीखौ नइँ बिदी,
                तब तक फाँकत रात।
जब चोखी बिद जात सो,
                 फिरतइ  मुड़ी कुकात।।
**************************
साँड़  गरीबन  खौ  बनें,
                   बता  रये  औकात।
जितें जबर बिद जात सो,
                   फिरतइ पौद कुकात।।
***********************-****
अंडौलौ  खर्चा  करें,
                   मुर्गा  रोजउँ खात।
अब  पैसा ना गाँठ में,
                   डाड़ी  फिरें कुकात।।
***************************
गंठयान  बीदत  जिनें,
                   कुल्ल  कुल्ल कुल्लात।
अक्क तक्क भूली फिरत,
                   फिरतइ मूड़ कुकात।।
*********************-******
बिदी गुच्च निपटाय क़ो,
                        खूब  करे  उत्पात।
सरल गट्ट बीदी फिरें,
                      फिर रय आँग कुकात।।
*********************--*******
    एस आर सरल
        टीकमगढ़
[06/02, 5:38 PM] Sr Saral Sir: बुन्देली दोहा  विषय  कुकात 
***********************
जबतक जीखौ नइँ बिदी,
                तब तक फाँकत रात।
जब चोखी बिद जात सो,
                 फिरतइ  मुड़ी कुकात।।
**************************
साँड़  गरीबन  खौ  बनें,
                   बता  रये  औकात।
जितें जबर बिद जात सो,
                   फिरतइ पौद कुकात।।
***********************-****
अंडौलौ  खर्चा  करें,
                   मुर्गा  रोजउँ खात।
अब ना पैसा गाँठ में,
                   डाड़ी  फिरें कुकात।।
***************************
गंठयान  बीदत  जिनें,
                   कुल्ल  कुल्ल कुल्लात।
अक्क तक्क भूली फिरत,
                   फिरतइ मूड़ कुकात।।
*********************-******
बिदी गुच्च निपटाय क़ो,
                        खूब  करे  उत्पात।
सरल गट्ट बीदी फिरें,
                      फिर रय आँग कुकात।।
*********************--*******
    एस आर सरल
        टीकमगढ़
[06/02, 6:17 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: विषय - कुकात
दोहे
1-कुका कुका कें हार गय,
जगरय सब सब रात।
बृजभूषण का करें अब,
भारी खाज कुकात।
2-हर दिन की किलकिल बनी,
तन तन पे चिचयात,
खाज खुजाबे उपतकें,
अपनी दार चिमात।
3 - समझा रय मानत नही,
लग रव पींठ कुकात।
बृजभूषण कत काय खों,
टारें जात सियात।
4-जी भर गव उकता गये,
कछू बनत नइ कात।
पर गई खाज कुसांगरे,
जब कब विकट कुकात।
5-अनजाने में जब कबऊं ,
तन करेंच लग जात।
बृजकिशोर लोटे फिरत,
सबरी आंग कुकात।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[06/02, 6:17 PM] Rama Nand Ji Pathak Negua: दोहा कुकात
                   1
जिठा दोंगरे जब परे,कुरोंउ सारे अंग।
कुकात हम हैरान भय,नींद भई 
सब भंग।
                    2
कथरी सौ सब आंग भव,भोजन नींद नसाइ।
खाट खपइया घिसत रय,रात कुकात बताइ।
                     3
कुरौंउ कुकात बंद हों,वरसा भांदों भींज।
परत फुआरें आंग पै,कुरोंउ गइ सब सीज।
                      4
वारी के ऐंगर गये, सारौ आंग कुकात।
जब करेज कसकें लगौ, गोबर फिरे लगात।
                       5
चादर ओछी होय जब,गोडे बाहर जात।
आमद सें खर्चा अधिक, पांछें मूँड कुकात।
रामानन्द पाठक नन्द
[06/02, 7:07 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दि०६-०२-२०२३ प्रदत्त शब्द -कुकात।
गदिया मोइ कुकात है, धन कौ बनतइ योग।
जोशी भी तौ गउ बता,है धन कौ संयोग।।१
जा कुतिया खौं दो भगा,फिर रइ खाज कुकात।
चुपके सें भीतर घुसत,कौने में दुक जात।।२
जुॅंवा परे का मूॅंड़ में, दिखतइ रोज कुकात।
घुटवा लो अब मूॅंड़ तुम,बउतइ लोउ दिखात।।३
फिररउ मूॅंड़ कुकात तें, मोय ढिंडा जिन बैठ।
तें काये नइं मानतइ, की सें  तोरी  पैठ।।४
जानें का हो गव हमें, रोजउ पीठ कुकात।
कीरा जैसे काटतइ, रातै सो नइं पात।।५
[06/02, 8:22 PM] Rama Nand Ji Pathak Negua: दोहा कुकात (संशोधित)
                   1
जिठा दोंगरे जब परें, होत कुरोंऊँ अंग।
सब कुकात हैरान रत,नींद रहत है भंग।।
                    2
कथरी-सौ सब आंँग भव, भोजन नींद नसाइ।
खाट खपइया घिसत रय,भइ कुकात अँदयाइ।।
                     3
सिजै  कुरौंऊँ  देत  है, भादों  की  बरसात।
परत फुआरें आंँग पै,तनक न आँग कुकात।।
                      4
वारी के ऐंगर गये, सारौ आंँग कुकात।
जब करेज कसकें लगौ,गोबर फिरे लगात।।
                       5
चादर ओछी होय जब, गोड़े  बाहर  जात।
आमद सें खर्चा अधिक, पाछें मूँड़ कुकात।।
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रामानन्द पाठक नन्द

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