Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

गानौ (गहना)

[27/02, 8:00 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुन्देली दोहे
प्रदत्त शब्द:-गानौ
गानौ गुरिया बिक ग‌ओ,पट्टें धरी जमीन।
फिर भी लरका नै पढ़ौ,सालैं हो ग‌इॅं तीन।।

टोड़र लच्छा पैजना,बोंटा बाजूबंद।
डोरा और खगोरिया,जौ गानौ भव बंद।।

रबादार कगना हनें कानन में कनफूल।
गरें तिदानौ नाक नथ,जौ‌ गानौ ग‌व भूल।।

गोप गुंज अरु लल्लरी, मुहरें बेंदा रूल।
फुलिया मुंदरी झूमका,जौ गानौ तौ मूल।।

गानौ बिक कें आ ग‌ओ,लोहे कौ सामान।
फिल्मी गाना याद हैं, भूल गये रामान।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
[27/02, 10:17 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀  बुंदेली दोहा 🥀
        ( विषय- गाँनों )

गाँनों- गुस्तौ पैरकें,
     हो गइँ जब तइयार।
सरस धना नें तौ दई,
     चन्दा की झकमार।।

कांनन कुन्डल मुरकियाँ,
        गरें गुन्ज औ गोप।
सेरन सोंनें सें बनों,
       गाँनों हो गव लोप।।

कितउँ मजूरी नें मिलै,
     कैसें होय निबाव।
गाँनों- गुरिया बाइ कौ,
   सब गाँनें धर खाव।।

घिसीं पनैयाँ पाँव कीं,
      गोड़े रगड़े खूब।
साव न मानें! ब्याज में,
     गाँनों गव सब डूब।।

दद्दा बाई पौर में,
    परे पिछौरा तान।
गाँनों गुरिया लै उड़ो,
    लरका बेईमान।। 

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[27/02, 10:26 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय- गानौ (गहना)*

*1*
गानौ   गुरिया धाँद  कै , धना  भौत  मुसकात |
चलत गैल #राना तकैं, लचक खात इठलात ||

*2*
गानौ जब  गानै   धरैं , धना   रुआँसी  होत | 
मजबूरी जानत  बलम , #राना मन में रोत ||

*3*
गानौ   चढ़ै   चढ़ाय  में , तकतइ    रिस्तेदार |
#राना समदी ल्याय है , चुरियाँ   कंगन हार ||

*4*
दद्दा  जू  भी   साव  है , परखइयाँ   दमदार |
#राना गानौ   है   रखत , डब्बल  देत उधार ||

*5*
#राना गानौ  जानियौ, है  तिरियन कौ प्यार  |
सबइँ   बलम के   नाम पै, करती   है शृंगार ||
                  ***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[27/02, 10:50 AM] R. K. Prajapati Jatara: नमन मंच
प्रदत्त शब्द-गानों
विधा-दोहा छन्द
*******************************
गानों ई संसार कौ, आपस कौ सद भाव।
जुरमिल कें रानें सबै, छोड़ें  सबइ  दुराव।।

लज्जा गानों नारि कौ, पुरुषन को गम्भीर।
मरजादा सें जो सजै,  सुबरन  लगै  शरीर।।

गानों है  साहित्य  कौ, लय गति और विधान।
इनके बिन फीको लगै, जिमि कौआ को गान।।

विद्या गानों शिष्य को,गुरु को समरस ध्यान।
सन्तन को जप तप सरस, गानों उत्तम जान।।

         एक हास्य

करिया या गोरौ रहै, या हो लाल लँगूट।
गानों  पैरें  सें  जचै,  रेगिस्तानी   ऊँट।।

                      आर. के.प्रजापति "साथी"
                  जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
[27/02, 10:54 AM] Subhash Singhai Jatara: बुंदेली दोहा दिवस , विषय - गानों 

लाज शरम गानौ हतौ , कभउँ  नारि को अंग |
अब मरयादें गइँ बिखर , तकत सबइ भदरंग ||

गानों  तिरियाँ गात   ती , बन्नों   बेंदी   हार |
अब गाती है ब्याय में , फिलमी चढ़ी खुमार ||

नारी कौ गानों लुटै ,    जियै  कात  है  लाज |
जगाँ- जगाँ पर भेडिया , घात लगायैं  आज ||

कवियन कौ गानों रयै , कलम भाव को मेल |
कविता दिखबें  ऊजरी, टपकत  है  रस तेल ||

गीत सदा गानौ  रऔ ,   गायक  राग  सुनात |
नोनौं  सुनकै सब जनै , तन्मय भी  हो जात ||

सुभाष सिंघई
[27/02, 1:59 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस 
            विषय  ,, गानौ,,
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लरका की भाँवर परी , गानौ ल्याय उधार ।
ब्यौरो बड़ो "प्रमोद" जब , बिकी जमी घर द्वार ।।
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गानौ सब गानेँ घरों , बिकी भैंसिया बैल ।
हिल्लो बिलुर "प्रमोद" गव, चली उबाँड़ी गैल ।।
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गानौ लीलो साव ने , लव अड़बंगो ब्याज । 
माँगो पढ़ो "प्रमोद" ने , सस्तो बेंच अनाज ।। 
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गानौ चुलिया टारकें ,राते भगी लुगाइ ।
लगवारन ने दुरगती , करी "प्रमोद" हमाइ।।
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नगया धरों लुगान सें , गानौ उतरत चैत ।
करो कखइयाकैन सब , मार "प्रमोद" डकैत ।। 
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गानौ तानौ बहू ने , लरका झटकी भूँम ।
अब "प्रमोद" भूंकेँ डटे , बाप मतारी लूँम ।।
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           ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
           ,, स्वरचित मौलिक,,
[27/02, 2:04 PM] Asha Richhariya Niwari: प्रदत्त शब्द**गानो
🌹
गानो गुरिया पैर कैं,कर सोलउ श्रंगार।
मनमोहन घनश्याम को, ढ़ूंढ़ रहीं बृजनार।।
🌹
चुन चुन कलियां श्याम जू,गजरा खूब बनाय।
फूलन कौ गानौ पहन,राधा रईं इतराय।।
🌹
छला मुॅंदरियां पायलें, गानों नओ गड़ाव।
चॅंद्रहार पैराय कें, मोय लुआ लै जाव।।
🌹
सोने को गानो बने,हरदम आवे काम।
विपत परे पे बेंच कें,करतइ सूदे दाम।।
,🌹
लज्जा गानो नारि को,इये सॅंवारो आप।
लाज गयी सब सून है, जीवन है अभिशाप।।
,🌹
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏🏻🌹
[27/02, 2:43 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दि०२७-०२-२०२३ बुन्देली दोहा।
प्रदत्त शब्द-गानौं
गानौं  ऊखौं मानिये, सुन कैं  सब खुश हो जायॅं।
कत मीठी बोली ऊयै, आदर लै बैठायॅं।।१।।
गानौं पैरें ढेर भर, कउआ सी किकयात।
ऐसी औरत काउ सें, कभउॅं न आदर पात।।२।।
अब तौ गानों व्याव में पैरत दिखें लुगाई।
भर दुपरै कछु छीनतइ,करतइ खूब धुनाई।।३।।
गानौं जो पैलउॅं हतौ, पैरत नइयाॅं कोउ।
पाॅंच सेर की गूजरीं, स्वप्न बनीं  अब सोउ।।४।।
दस तोला की बिचौली, कीके इतै दिखात।
अब तौ पतरी चैन इक,हम खरीद नइं पात।।५।।
मौलिक,स्वरचित
हरिकिंकर
[27/02, 2:52 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे  शब्द  गाँनों (गहने)

पैरें  गाँनों  लाज  कौ , कड़ ग‌इँ  घूंघट  घाल।
पायलिया छमकाउतीं, चलें  मरोरा चाल।।

बिटिया  गाँनों  सें  लदी,  तगड़ी  है  ससुरार।
मनवारौ समदी  मिलो,  खूब‌इ  चल्तेदार।।

आ ग‌इ  गाँनों  पैर कें, न‌ई  नबेली  नार।
ककना चूरा हांत में ,  गरें  अरै लव  हार।।

आ ग‌इँ न‌इँ  न्यौतारनीं,  गाँनों  दमकत  ऐंन।
घूंघट में  सें  झांकबें  ,  बड़े  लगनियां  नैंन।।


गाँनों सब  गाँने  धरो ,  धरती  धर द‌इ  पट्ठ।
अब कौरन खों हो चले,  खूब बजतरव लट्ठ।।

           प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[27/02, 4:14 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: गानौ (गहना) पर बुंदेली दोहे
1.

"गरीब गानौ लेत हैं,     गान रखो हे हार 
 सादी के बाद,सोच कें, चुकाने है उधार."

2.

"खेती गिरवी,है पडी,          कैसे मिलत उधार,
हम गानौ को, बेच कें,         कर्जा दे हैं उतार." 

3.

"बहू पेर के आ गई,       ज़ब गानौ को हार,
उजारो सो दिखन लगो,   मानो भई  सकार."

4.

"साहू के घर में लगो,      गानौ को भंडार,
सूद कबउ  नइ,छोडते,   टपकात रेत लार."

5.

"हम जा साले सोच रय, लेहें न कुछ उधार,
गानौ न बेच,हैं कबउ ,    खा कें, रोटी  चार."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे 
भोपाल
27.02.2023
[27/02, 5:51 PM] Jai Hind Singh Palera: #गानों पर दोहे#

                    #१#
गानों पैरें राधिका,कर सोर‌उ सिंगार।
पकरें बैंया श्याम  जू,मधुवन करें बिहार।।

                    #२#
बटवा लो गानों पिया,मानों मोरी बात ।
अब न्यारौ होनें हमें,खदन न दैहों रात।।

                    #३#,
सोंनें चांदी सें बनौ,गानों  रंगतदार।
सुगर सुनार गड़ाइयौ,बिंदिया मोय लिलार।।

                    #४#
सारी होबै रेशमी,गानों गुरियादार।
नगद होंय तौ ल्याइयौ,ज‌इयौ अब‌इ बजार।।

                    #५#
गानों जानों ओ पिया,छानों सब‌इ बजार।।
आनाकानी  जो करौ,तौ ठानौ तकरार।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़ #
#मो०--६२६०८८६५९६
[27/02, 6:10 PM] Rama Nand Ji Pathak Negua: दोहा
गानों है हर मांस कौ,गुन सुभाव वेवार।
परहित करत धर्म रत,जीवन के आधार।
                        2
गानों गुरिया सब गुथी,चिकनों धरवै गाड़।
काम न आवै काउ के,अंत लगत है आड।
                         3
कंत के आगें कामिनी,सजतीं गानों धार।
सिंगरती सोरउ तरां,पाय पति कौ प्यार।
                          4
गानों लदौ शरीर भर,नौनीं मुइयां पाइ।
बानी करकस कडै जब,कुल्टा जगत कहाइ।

                           5
गानों गुरिया गांठ में,जब कब आवै काम।
चंगौ मन रैवै सदा,कभउँ करा लो दाम।
रामानन्द पाठक नन्द
[27/02, 6:24 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहे
विषय-गानौ
1-बड़ी गनीमत मान रय,
घर जमीन बरकाव।
गानौ गुस्तौ पसेरन,
खेलत जुआ मिटाव।
2-सैया पर गय शराबी,
मानत नैया बात।
गानौ गुरिया बचो नही,
बनबाबो को कात।
3-मौका चौका पे मिलत,
जब कउ रिश्तेदार।
मन मानो गानौ हनो,
हम लो नइ सबयार।
4-लाज सरम नइ रतीभर,
नाओ धरत सब मोय।
बृजभूषण गानौ बिको,
अब कव कैसो होय।
5-लगत जमानो बदल गओ,
गानौ किये पुसात।
बृजभूषण बचबो कठन।
जी भारी घबरात।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[27/02, 6:54 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: तन खों भूषन-बसन सें , गोरी भले सजात ।
लेकिन!गाँनौं लाज कौ,सोभा अधिक बढा़त ।।

नारी  गाँनौं  प्रेम  कौ , पैरत  उर  पैरात ।
जीवन भर हर रूप में,घर खों स्वर्ग बनात ।।

सबसें  जादाँ  कीमती , गाँनौं  है  मुस्कान ।
धारन-वितरन कर सकत,समझदार इंसान ।।

गाँनौं धीरज धरम कौ , जी नें लव है पैर ।
कटत जिन्दगी चैंन सें , बनी रहत है खैर ।।

गाँनौं गुरिया ग्यान कौ , सदाँ आत है काम ।
कोउ छुडा़ नइँ पात है , गुनियौ आठों याम ।।

गाँनौं विनय विवेक कौ , पैरें रइओ यार ।
कृपा करें भगवान जी , होजै नैया पार ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

          ( मौलिक एवं स्वरचित )
[27/02, 7:16 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय - गानौ ( गहना)
(१)
गानौ  शील स्वभाव कौ , जो नर लेबै  धार।
उयै मिलत संसार में ,जन मानस कौ प्यार।।
(२)
गानौ  गुरिया  छोड़  कैं , छोड़े  सब  सिंगार ।
मीरा  ने घनश्याम  पै , तन मन  दीनों  बार ।।
(३)
गानौ  गुरिया  पैर  कैं  ,  गोरी   गई  बजार ।
हार भीड़  में गिर  गऔ  , रोबै असुआ डार ।।
(४)
गानौ  गुरिया  बैंच  कैं  , लरका  हतौ पड़ाव ।
हो ग ईं आंखें चार सो , हो गव आज पराव ।।
(५)
गानौ  पैरौ  लाज  कौ , चलौ  धरम  के संग ।
कहता कवि "नादान "है , सदा रहे मन चंग ।।

आशाराम वर्मा " नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 27/02/2023
[27/02, 7:59 PM] Sr Saral Sir: बुंदेली दोहा  विषय  गानों 

झकझकात बेला चली,कर सोलउ सिंगार।
फेसन  कौ  गानों  जड़ें , पायल रोना दार।।

चली छमक छल्लो गली,मटक नौ लखा हार।
अंग अंग गानों  जड़ें , किलक चली गइ नार।।

चंदा- सी  मुइयाँ  लगें, लगै  हिरन से  नैन।
अजब  गजब  गानों जड़ें, देखें  परें  न चैन।।


        एस आर सरल
          टीकमगढ़
[27/02, 8:25 PM] Ramlal Duvedi Karbi, Chitrakut: बुंदेली दोहे
विषय  गानों (गहना)

 गहना गुरिया लाद कै, पायलिया छनकात।

चली देखावत गैल भर, खुश हुइ मेला जात।


नथ बेसर झुमका डरे, गहनो करधन डार।

मंगल माला हार गर, जरत देख पर नार।

रामलाल द्विवेदी प्राणेश
कर्वी चित्रकूट
[27/02, 8:45 PM] Dr R B Patel Chaterpur: दोहा गानो

सोना चांदी पहिर के, कर पूरो श्रंगार ।
 गानो सबसे कीमती , मानव स व्यवहार ।
             02

गानों गुरिया पहिर के, भई धना तइयार ।
 मेला देखन जा रहीं, हो गाड़ी असवार ।
                 03

गानों तिरिया गात को , कोमल भाव विचार ।
तन मन नोनो लगत जब, गावे मंगलचार । 
               04
बिटिया केरे ब्याव में , गानों लिओ उधार ।
 गइया झिरिया बिक गई ,पटिया लगी पगार ।
               05
तिरिया गानों तीन गुन,सुत वित से घर भरै।
जब गावै मंगलचार,अपनापन सब धरै ।
स्वरचित
 डॉक्टर बी पटेल "अनजान "
छतरपुर मध्य प्रदेश।

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