Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

बालहठ (हिंदी दोहा संकलन)

[07/02, 7:27 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: मंगलवार दि०७-०२-२०३ विषय -बालहठ(१२३)विधा-हिन्दी दोहा।
पाॅंच माह के गुरु रहे, करें बाल हठ रोज।
घुटरुन चल गच पर फिरें,लेहिं खिलौना खोज।।१।।
नाबदान से एक दिन, आया काला नाग।
दिख लाई निज बाल हठ, पहुॅंचे उस ढिंग भाग।।२।।
उसको डोरी समझकर, पकड़ लिया फन जाय।
जिह्वा अंगुली से पकड़,तोड़ी जो गह पाय।।३।।
उसी समय इक नेवला, आया तहॅं तत्काल।
भि़ड़े परस्पर  दोउ वे, छोड़ी हठ तब बाल।।४।।
रक्षक भक्षक की कथा, सुन भय होता आज।
हठ बालक की है अजब,ईश सुधारत काज।।५।।
"हरिकिंकर" भारतश्री, छंदाचार्य
[07/02, 8:15 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (म प्र)०७/०२/०२३
बिषय-"बालहठ"हिन्दी
दोहा = (१२३)
१=जब कन्हैया ने किये,कई बालहठ काम ।
माँ से रूठे मचल गए ,चंदा मागें श्याम  ।।

२="दाँगी"छोटे जब रहे ,किये बालहठ  काम ।
गज माँगें घनश्याम जु ,अटपट काम तमाम ।।

३=कौशिल्या समझा रहीं ,अँगना खेलत राम ।
ठुमक ठुमक "दाँगी" चलें,करें बालहठ काम  ।।

४=लेटे प्रभु जी पालना ,पाँव पसारें  ऐंन ।
बार बार  उठ बैठते ,यही बालहठ लैन ।।

५=करें बालहठ राम जी ,खेल हमें दिखलाव ।
डमरु  बजरही द्वार में ,"दाँगी" दर्शन
पाव ।।
 मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[07/02, 9:01 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (म प्र)०७/०२/०२३
बिषय-"बालहठ"हिन्दी
दोहा = (१२३)
१=जब कन्हैया ने किये,कई बालहठ काम ।
माँ से रूठे मचल गए ,चंदा मागें श्याम  ।।

२="दाँगी"छोटे जब रहे ,किये बालहठ  काम ।
गज माँगें घनश्याम जु ,अटपट काम तमाम ।।

३=कौशिल्या समझा रहीं ,अँगना खेलत राम ।
ठुमक ठुमक "दाँगी" चलें,करें बालहठ काम  ।।

४=लेटे प्रभु जी पालना ,पाँव पसारें  ऐंन ।
बार बार  उठ बैठते ,यही बालहठ लैन ।।

५=करें बालहठ राम जी ,खेल हमें दिखलाव ।
डमरु  बजरही द्वार में ,"दाँगी" दर्शन
पाव ।।
 मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[07/02, 9:21 AM] Jai Hind Singh Palera: #बालहठ पर दोहे#

                    #१#
नटखट मेरा बाल है,लगा बालहठ रोग।
कान्हा तो नित मांगता,माखन मिसरी भोग।।

                    #२#
माइ यशोदा सोचतीं,करे बालहठ लाल।
कान्हा जिद भूले सभी,चलतीं ऐसी चाल।।

                    #३#
चंदा मामा चाहिये, करे बालहठ बाल।
थाली में चंदा दिखा, निकला हल तत्काल ।।

                    #४#
हाथी काटूंगा  अभी,बोला ले तलवार ।
मां बेसन गज काटके,दयी बालहठ मार।।

                    #५#
बालक को बिलमाइये,अगर बालहठ होय।
ऐसा जतन जनाइये,जिद भूले ना रोय।।

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[07/02, 9:29 AM] Vidhaya Chohan Faridabad: हिंदी दोहे
~~~~~~~
विषय- बालहठ
~~~~~~~~~
१)
समझ नहीं संसार की, बालक मन नादान।
बड़े करें जो बालहठ, तो जग को नुकसान।।

२)
आज  सूर्य  का बालहठ, खोलूँगा  ना द्वार।
छुट्टी चाहूँ एक दिन, मुझको  भी अधिकार।।

३)
बचपन का स्वर बालहठ, तरुणाई स्वच्छंद।
स्वस्थ  बुढ़ापा  दे मधुर, जीवन  का आनंद।।

४)
करे  मातु  से  बालहठ, कहे  यशोदा लाल।
ला  दे  मैया चाँद  को, कर  दे मुझे निहाल।।

५)
दुर्योधन  का  बालहठ, शकुनि  रचे षड्यंत्र।
इंद्रप्रस्थ  पर  चल  गया, कूटनीति का मंत्र।।

६)
अभी न  मेरा  मन भरा, करे  बालहठ  शीत।
फागुन  होरी फाग  से, अब  के लागी  प्रीत।।

~विद्या चौहान
[07/02, 11:05 AM] Subhash Singhai Jatara: सभी दोहे , विधान और भाव से लजवाब है 👌👌
आदरणीय बहिन आपके दोहे , मैं  उस मुकाम पर देखता हूँ कि  , जहाँ खड़ी हिंदी के मानक माप दंड पर परखे जा सकते है  , आप निश्चित कुछ खड़ी हिंदी के पटलों पर लिखती होगी |
खड़ी हिंदी में ना नहिं गर होय मोय तोय इत्यादि देशज शब्द  निषेध रहते है , 
दूसरे दोहे के दूसरे चरण में - 
खोलूँगा ना द्वार
को"  "मत खोलूँगा द्वार " 
या " नहीं खोलना द्वार " 
लिखकर परफेक्ट खड़ी हिंदी का अनुपालन कर सकती है |
स्वस्थ / स्वस्थ्य √ - मात्रा भार यथावत  ही रहेगा |
एक बड़े भाई का सकारात्मक भाव से परामर्श लेने का आग्रह है 
सादर
[07/02, 11:55 AM] Subhash Singhai Jatara: हिंदी दोहा दिवस , विषय बालहठ 

हठयोगी  का  देखते,  हठ  विलम्ब से  पूर्ण  |
पर जब आता बालहठ, कर उठते सब तूर्ण  ||(तूर्ण =शीघ्रता)

लगता   सुंदर   बालहठ , तुतली जहाँ जुबान |
पूरण   करने   दौड़ते , घर  के  सभी सुजान ||

चंद्र खिलौना   बालहठ , कान्हा दें   आवाज |
मात् यशोदा तब करें  ,  जल  थाली से काज ||

पूरा   होता   बालहठ , बालक तब मुस्काय |
माँ की ममता   धन्य हो , रोम-रोम   हरषाय ||

बचपन में था बालहठ , अब   हठ हैं कुछ भोग |
आगे    के  हठ   हैं   व्यसन , जो  लाएगे   रोग ||

सुभाष सिंघई

यदि कहीं कोई त्रुटि हो तो अवश्य संकेत करें , स्वीकार होगी , क्योंकि स्वयं की त्रुटि नहीं पकड़ पाते है 
सादर
[07/02, 12:34 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: हिंदी दोहे (संशोधित)
~~~~~~~
विषय- बालहठ
~~~~~~~~~
१)
समझ नहीं संसार की, बालक मन नादान।
बड़े करें जो बालहठ, तो जग को नुकसान।।

२)
ठान लिया रवि बालहठ, आज न  खोलूँ  द्वार।
छुट्टी चाहूँ एक दिन, मुझको  भी अधिकार।।

३)
बचपन का स्वर बालहठ, तरुणाई स्वच्छंद।
स्वस्थ  बुढ़ापा  दे मधुर, जीवन  का आनंद।।

४)
करे  मातु  से  बालहठ, कहे  यशोदा लाल।
ला  दे  मैया चाँद  को, कर  दे मुझे निहाल।।

५)
दुर्योधन  का  बालहठ, शकुनि  रचे षड्यंत्र।
इंद्रप्रस्थ  पर  चल  गया, कूटनीति का मंत्र।।

६)
अभी न  मेरा  मन भरा, करे  बालहठ  शीत।
फागुन  होरी फाग  से, अब  के लागी  प्रीत।।

~विद्या चौहान
[07/02, 12:35 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *हिन्दी दोहा बिषय- बालहठ*
*1*
तिरिया  हठ   तो  है अडिग , जिसमें  नहीं   सुधार |
#राना  जब हो बालहठ,  काम  करे   पुचकार ||
*2*
#राना   आता   राजहठ   , उठे खीज की  धार |
पर सम्मुख हो  बालहठ , उमड़े  उस  पर  प्यार ||
*3*
अपनी हठ सब छोड़ता , पिता  समय को लेख  |
सम्मुख   आती   बालहठ , #राना हँस ले  देख ||
*4*
चिंतित योगी  के  करें , #राना   कुछ   हठयोग |
जब  रटना  हो   बालहठ , लगें  खुशी के  भोग ||
*5*
चंदा  मामा   बालहठ,  #राना   सबको    याद |
यह लीला थी  श्याम की , अब  तक है आबाद ||
**** दिनांक-7-2-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[07/02, 1:18 PM] Arvind Shrivastava Bpl: *बालहठ*

त्रियाहठ औ' राजहठ, हैं जग में मशहूर,
इनसे ऊपर बालहठ, कर देता मजबूर ।

बचपन सोहे बालहठ, सुखी करे पितु-मात,
जो स्याने हठ पर अड़े, हुआ लोक पर घात ।

निभ जाता है बालहठ, मात-पिता की गोद,
जो अनाथ लाचार हैं, उन्हें कहाँ हठ-बोध ।

*अरविन्द श्रीवास्तव*
मौलिक-स्वरचित
भोपाल
[07/02, 1:27 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: हिंदी दोहा दिवस विषय -बालहठ
(१)
भूप नारि अरु  बालहठ , हैं जी  के जंजाल।
समझाना इनको कठिन, तीनों करें बबाल।।
(२)
पूरी करना  बालहठ , है  मुश्किल  का काम ।
रोदन  करते  मातु  से , चाॅंद  मागते  श्याम ।।
(३)
आज  याद आती  हमैं , आपस  की  तकरार।
बचपन की निज बालहठ,मात पिता का प्यार।।
(४)
बचपन घर परिवार  में , सबके मन  को भाय ।
पांच वर्ष तक बालहठ , आगे  जिद कहलाय ।।
(५)
बचपन  में  बालक  करे , अगर नहीं  उत्पात ।
बिना बालहठ के कभी , आंगन  नहीं सुहात ।।

***********************************
दादी  के  सॅंग  बैठकर  ,  करतीं  हैं  संवाद ।
मुझको  मेरा  बालहठ , बुआ  करतीं  याद ।।
***********************************
     आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
       ( स्वरचित ) 07/02/2023




***********************************
[07/02, 1:34 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: मंगलवार विषय ,बालहठ,, हिन्दी दोहा
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बालक ध्रुव की बालहठ , पाई प्रभु की गोद ।
लिए आस विश्वास हिय,करें प्रयास"प्रमोद" ।।
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प्रबल बालहठ जग विदित ,दानव सुत प्रहलाद ।
केवल सत्य "प्रमोद" प्रभु ,सकल जीव उत्पाद ।।
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नन्द नदन की बालहठ , चँद खिलौना पाऊँ ।
शिव की तरह "प्रमोद" धर , शशि शीश चमकाऊँ ।।
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बचपन कीन्ही बालहठ , लाय पिता जी गाँव । 
हर्षित हुआ प्रमोद मन , छूकर माँ के पाँव ।।
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लिए बालहठ रो दिया , माँ देती झट मार ।
तब प्रमोद दिलवाइ थी , दादा जी नइ कार ।।
***********************************
अटल बालहठ आजकी , जाऊँ नहि स्कूल । 
माँ "प्रमोद" क्रोधित भई , क्षमा चाहती भूल ।।
**********************************
         ,,प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़ ,,
         ,, स्वरचित मौलिक ,,
[07/02, 1:36 PM] Amar Singh Rai Nowgang: हिंदी दोहे, विषय- बाल हठ

तिरिया राजा बालहठ हठ के तीन प्रकार।
इन  तीनों  में है  रमा, यह  सारा  संसार।।

चंद्र  खिलौना  के  लिए, रूठे  नंदकिशोर।
कभी कभी तो बालहठ,करता भावविभोर। 

कौतूहल  के  प्रश्न  कर, देते  स्वयं  जवाब।
सभी हठों में बाल हठ, होता बड़ा जनाब।।

दादा जी  घोड़ा  बने, शिशु की  बातें  मान।
ये  ही  होती  बालहठ, अश्व  बना  इंसान।।

होती निश्छल बालहठ, हठ में झलके प्यार।
झुक जाते सब प्रेम में, प्रेम जगत का सार।। 

करें  दूर  हम  बालहठ, बच्चे  को  समझाय।
ज़िद करना अच्छा नहीं, समझा दें बहलाय।।

नहीं ठीक हठ कोइ भी, बतलाऊँ निज शोध।
पर  इनमें  से  बालहठ, होती  बड़ी  अबोध।।

मौलिक/
                           अमर सिंह राय
                        नौगांव, मध्य प्रदेश
[07/02, 2:04 PM] Asha Richhariya Niwari: 🌹 प्रदत्त शब्द/बालहठ🌹

🌹राज बाल ओ त्रिया  हठ, तीनों ही गंभीर।
किंतु बाल हठ में चलें,अजब बेतुके तीर।।
🌹
जग जाहिर है बाल हठ,करती अजब सबाल।
हाथी लोटे में घुसे,चंदा आबे थाल।।
🌹
श्री दामा की बालहठ,गेंद हमारी लाव।
चाहे यमुना में घुसो,चाहे नाग नचाव।।
🌹
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🌹🙏🌹
[07/02, 2:06 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: विषय बालहठ
दोहे
1-चर्चित हो बृज बालहट,
पर्चित सब संसार।
रूठे बाल गोपाल को,
डाटें मत ललकार।
2-बार बार बतलाइए,
डाटें मत ललकार।
बृज अलबेली बालहट,
अवलोकें कर प्यार।
3-जब जब करते बालहठ,
मानत नही समझांय।
तरह तरह के यतन कर,
बालक अवस रिझांय।
4-लखी नही बृज बालहठ,
जीवन का क्या अर्थ,
बृजभूषण अजमाइए,
जितनी हो सामर्थ।
5-मन अनुरूप न काम हो,
जैसा बाल रूझान।
बृज बालक हट पकड़ना,
वही बालहठ मान।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[07/02, 3:20 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय बालहठ

1  सूरज को मुँह में रखा, 
   देख बालहठ जान।
   विनती करते देवता, 
   बजरंगी बलवान।। 

2  चाँद खिलौना चाहिए, 
    करें बालहठ रात।
    थाली में चंदा बुला, 
    दिखा जशोदा मात।। 

3 वृद्ध बालहठ एक सी, 
    मानें ये सब लोग ।
    युवा वर्ग का बीच में, 
    नहीं बना संयोग।। 
   
4 करे बालहठ रोज ये, 
   बालक है नादान। 
   मात पिता पूरी करें, 
   बालक की जिद मान।। 


                  डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल 
                  सादर समीक्षार्थ 
                  स्वरचित मौलिक
[07/02, 4:33 PM] Saras Kumar (Doh, Kargapur): 😅😅बालहठ 🥹🥹

बैठा हुआ दुकान पर, मोना बालक आज
मुझे पिलाओं पेपसी, पीता सकल समाज

रील बनाने के लिए, ढूंढ रहा है फोन
सारा घर सिर पर उठा, बना हुआ है डोन

दूध - दही मत दीजिए, मत देना पकवान
पीजा - बरगर चाहिए, बालक है नादान 

©️सरस कुमार
🇮🇳दोह खरगापुर
जिला टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
[07/02, 4:46 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी दोहे    विषय  बाल हठ

सुरुचि विमाता ने किया, जब ध्रुव का अपमान।
प्रभु पाने की बाल हठ, पूर्ण करी भगवान।।

करी राम ने बाल हठ,  जा   कैकेयी  पास ।
चौदह वर्षों का मुझे , दिलवाना वन वास।।

करने लगते बाल हठ, कठिन मनाना  होय।
मात पिता के सामने, आपा  देते  खोय।।

न‌ए खिलोनों के लिए ,मचले बाल गुपाल।
पूरी कर दी बाल हठ, मँगा दि‌ए  तत्काल।।

चन्द्र खिलोंना के लिए ,  किए  बाल हठ श्याम।
चंदा से  प्यारी बहू , लाऊं   लली  ललाम।।

          प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[07/02, 5:32 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: हिंदी दोहे
विषय:-बालहट
तिरिया कागा बालहट,और राजहट योग।
ये पांचों बेकार हट, कहते गुणि जन लोग।।

लवकुश ने की बालहट,लिया अश्व को थाम।
छोड़ेंगे तब तक नहीं,आ ना जायें राम।।

चंदा माॅंगत खेलने,कृष्ण बालहट कीन्ह।
थाली में भर नीर को,कहा लाल ले चीन्ह।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा
[07/02, 5:55 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: समीक्षार्थ 🙏
हिन्दी दोहे विषय-बालहठ🌹
***********************
सभी तरह का बालहठ,
                देता अति आनंद।
बसें बालमन में स्वयं,
             जग के आनँदकंद।।
***********************
कैकेयी     राधारमण,
                दुर्योधन-युवराज।
त्रिया-बालहठ-राजहठ,
            इनके चर्चित आज।।
***********************
उपजाता है बालहठ,
          हिय में अतिशय स्नेह।
मगर त्रियाहठ से लगे,
          नर्क सदृश निज गेह।।
***********************
करते हैं नर बालहठ,
            बचपन के दिन चार।
त्रिया-राजहठ की सभी,
              पुनि खाते हैं मार।।
***********************
अश्व-पिता की पीठ पर, 
               बेटा  करे  विहार।
वार बालहठ ने किया,
            माँ भी हो असवार।।
***********************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[07/02, 6:09 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: ध्रुव सपूत की बालहठ , बनी अमर इतिहास ।
इसी तरह प्रहलाद की , अजर अमर है खास ।।

पवन तनय की बालहठ , अतिशय विस्मयशील ।
उदित सूर्य को फल समझ , लिया समूचा लील ।।

लवकुश की सुन बालहठ , बोले गुरु निष्काम ।
पिता  तुम्हारे  राम  हैं , अवधपुरी  है  धाम ।।

लीलाधर की बालहठ , सुन जसुमति सकुचाय ।
चंदा  के  प्रतिबिम्ब  को , बर्तन  में  दिखलाय ।।

एकलव्य  की  बालहठ , बना  धनुर्धर  श्रेष्ठ ।
अर्पित की गुरु द्रोण को , सीखी कला यथेष्ठ ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
[07/02, 6:18 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: बालहठ पर हिन्दी में दोहे एक प्रयास.

बालहठ पर दोहे
1.

"ज़ब होता है बालहठ,हर्ष होता अपार,
बचपन भी तो,फिर कभी,लौटता नहीं यार.

2.

"हर बचपन की,बाल हठ, होती है पहचान,
उम्र ज़ब बढती,फिर उसे,कहाँ रहता ध्यान."

3

"हर पिता चाहते करें,हर बालहठ पूरी,
धन के अभाव,में नहीं,होती इच्छा पूरी."

4.

"हर बालक होता नहीं, जन्म से ही सुजान,
कभी कभी तो बालहठ,बनें एक  पहचान."

5.

"बालक की रहती,नहीं,बालहठ आसान,
समझदार है,वो पिता,जो करे  समाधान."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे 
भोपाल
07.02.2023
[07/02, 6:23 PM] Sr Saral Sir: हिन्दी दोहा विषय  बालहठ 
*******************************
सब  करते हैं  बालहठ, करते  सब हैरान।
बचपन में होता नहीं,सही गलत का ज्ञान।।

सरल न होती बालहठ,होता हठी स्वभाव।
बेचैनी होती अधिक ,होता अधिक तनाव।।

किया बालहठ भीम ने,सहा नहीं अपमान ।
करके दृढ़ संकल्प को,बदला देश विधान।।

करें भीम जी  बालहठ, पूँछें  माँ से नित्य।
छुआछूत का देश में, माता क्या औचित्य।।

देख बालहठ भीम की, मातु समाया खेद।
किस काले कानून ने, किया परस्पर भेद।।
******************************
         एस आर सरल
            टीकमगढ़

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