कलइ (पोल खुलना) (बुंदेली संकलन) ई-बुक
संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की 132वी प्रस्तुति
संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 कलई💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 132वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 25-3-2023
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
06-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
07--गोविंद सिंह गिदवाहा, मड़ाबरा (उ.प्र.)
08-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
09-एस आर सरल,टीकमगढ़
10-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
11-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
12- जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
13-बृजभूषण दुबे बृज, (बक्सवाहा)
14- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)
15-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी (उ.प्र.)
16- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा (म.प्र.)
17-सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
18-डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा
19-डां.आर.बी.पटेल, छतरपुर
20- अरविन्द श्रीवास्तव ,भोपाल
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*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'कलइ' ( 132वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 132 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 84 देश के लगभग 106000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 132वीं ई-बुक 'कलइ' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है।
ये सभी दोहे पटल के साथियों ने शनिवार दिनांक-25-3-2023 को बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-106 में दिये गये बिषय 'कलइ' पर दिनांक- 25-3-2023 को पटल पोस्ट किये गये थे।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-25-3-2023 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)
**बुंदेली दोहा बिषय -कलइ*
घूमत उजरा ढौर से , चुगला अब दिन रात |
#राना खुलतइ जब कलइ , कुररू तुरत लगात ||
चरपट्टौ चमचा दयैं, कलइ ढाँक कै रात |
#राना कत इनसे बचौ , सबखौं सला सुनात ||
लरका दय तो दौंदरा , करत हतौ खरयाट |
कलइ खुली #राना जितै, उल्टी हो गइ खाट ||
कलइ ढाँक नेता फिरै , #राना माँगत वोट |
लगुयारै संगे लगै , बाँट रयै है नोट ||
जिनकी अब खुल गइ कलइ , मूँछैं नैचें रात |
अब काऊँ से वह नईं , #राना गटा मिलात ||
*एक हास्य दोहा*
गोरी की खुल गइ कलइ , #राना भइ बरसात |
प़ुतौ पावडर वह गयौ , लाली चिपचिप कात ||
**** दिनांक-25-3-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
कलइ खुलि कुआँरें पिता , भय नारायन दत्त।
गड़ों पोतला फूट गव , आव उखरकें सत्त।।
***
-प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
बुंदेली दोहा दिवस , विषय कलइ
उनकी खुलतइ है कलइ , दौइ तरफ दें हात |
नौन मिरच भुरकै जितै , भड़काबें कयँ बात ||
कलइ न अपनी खोलियौ , बाँदे रहियौ गाँठ |
जौन दिना पसरे जितै , हौजे बारा बाँट ||
कलइ उतर गइ झूठ की , कालनेमि पछताय |
मुगदर दव हनुमान ने, भागौ प्रान बचाय ||
कलइ दार लोटा हतौ , भारी चमकत राय |
किरकउवाँ से जब मजौं , उतरौ मुख दिखलाय ||
कलइ चढ़ौ उनकौ रहन , पानी में धुव जात |
बेर- बेर बै पौत के , फूटौ मड़ चमकात ||
कलइ राम तुम खौलियौ ,चार जनन के बीच |
जो जूठै संसार में , मचा रयै हौं कीच ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
***
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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
कलइ खोल दइ राम नें,रावन भओ हतास ।
सूपनखा नकटी भई ,पोल खोल दइ खास ।।
***
देश हितैसी काज हो ,खुल नइँ जावै पोल ।
"दाँगी" ऊपर से दिखैं ,भीतर से सब खोल ।।
कब तक झूटी बात रै,जांदा नइँ चल पात ।
"दाँगी" सच बोलौ सदाँ ,इक दिन पोल दिखात ।।
सतीअनुइया सैं खुली , इन देवों की पोल ।
तीन देवियों के पती ,बोलैं बालक बोल ।।
बानी ऐसी बोलिऐ ,"दाँगी" खुले न पोल ।
कौनउ दिनउतराव गे,कलइ तुमाई
खोल ।।
बब्बा की सब खुल गई ,कलइ आज की रात ।
"दाँगी" के ई ब्याव में ,बउ कितनी उकतात ।।
शान तुमाई ऐइ में ,"दाँगी" देखत रात ।
पोल खुलेगी जी दिनां ,घर भर सब घबड़ात ।।
***
मौलिक रचना
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
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6-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
औरन की जिन खोलियौ, कलइ कभउँ सरकार।
कौनउँ तुमरी खोल दै,हो जैहै तकरार।।
***
--प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
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07- गोविंद सिंह गिदवाहा, मड़ाबरा (उ.प्र.)
कारी रात करो तका,नइतर भड़या आत।
भौंकें कुत्ता जब कभी, कलइ चोर खुल जात।।
***
गोविंद सिंह गिदवाहा, मड़ाबरा (उ.प्र.)
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08-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
ब्रह्मा बिष्णु महेश पै , दय जब छींटा डार ।
खुल गइ तींनउॅं की कलइ,गये सती सैं हार ।।
***
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 17/01/2023
***
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09-एस आर सरल,टीकमगढ़
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*10*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
कालनेम की खुल गई,छिन में कलइ तमाम।
हनूमान नै हन दओ,पौंच गओ सुर धाम।।
***
बगला चंदन पोतकें,बैठो हंसों बीच।
खुली ससुर की जब कलइ,रै गओ आंखें मींच।।
***
आज लाडली बहिन में,बिदैं -बिदैं भइ रात।
दोहे लिख नइॅं पाय सो,सांसी -सासी कात।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", रजपुरा हटा दमोह
***"
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*11*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
चड़ो मुलम्मा झूंट को,खूब रहे इतराय।
कलइ खुली ओंधे गिरे,आदर मान गॅंवाय।।
**
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
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12-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा
कूटनीत गुन चातुरी, इनखों राखौ कैद।
कलइ खुलें जे ना रहें,राजा पंडित बैद।।
***
#अप्रतियोगी दोहे#बिषय---कलइ#
#१#
कलइ खुलै परिवार की,संयम होय न पास।
बिगरे बातावरन सें,हुइयै सत्यानाश।।
#२#
तिरिया हो परिवार की,राखै चरित मलीन।
खुलजै कलइ समाज में,होय आवरू हीन।।
#३#
इतनी कभउं न हाकियौ,ऊपर उतरा जाय।
कलइ खुलै औकात की,नैची सदा बतांय।।
#४#
डींगें देत समाज में,उनकी खुलवै पोल।
कलइ खुले पै होत हैं,उनके बिस्तर गोल।।
#५#
कलइ खुले पै जे मिलें,पंडित लंपट चोर।
राखौ मान समाज में,लगा नेह की डोर।
***
-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा जिला टीकमगढ़
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13-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा
1-करी कला खुल गइ कलइ,कर नइ पाव कमाल।
कौआ कब तक हंस की ,चल पावे बृज चाल।।
2-रव सिगाड़ आटा बुरव,कइयक भय बीमार।
कलइ खुले अब जांच में,कारण का भव आर।।
3-राहू इमरत पी गओ,लुक छिपकें हुशयार।
पतो परो खुल गइ कलइ,मच गव हाहाकार।।
4-कलइ नई जब लो खुली,तब लो चलत फदाल।
बृजभूषण खुलतन कलइ,बुरो होत फिर हाल।।
5-खुली वीरता की कलइ,सब राजा गये हार।
धनुष उठा नइ पाय जब,बैठे बृज झकमार।।
- बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा
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14- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)
अप्रतियोगी दोहे, विषय-कलइ🌹
*************************
चपिया सौ मौं काड़ कें,
दयें रात तीं दाँय।
कलइ खुलें भौजी फिरत,
मुइँयाँ पनी लुकाँय।।
*************************
भारत कौ कानून तौ,
सबपै कसत नकेल।
जिन-जिन की खुल रइ कलइ,
पोंचत जा रय जेल।।
*************************
कलइ खुले पै नइँ चलत,
तंत मंत कै जंत।
पिड़े दिखा रय जेल में,
कैउ बनउअल संत।।
*************************
कलइ खोलबें आजकल,
करें जौन की तौन।
बन्न-बन्न के कैमरा,
जेबन में के फौन।।
*************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी,बुडेरा
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*15*-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
अप्रतियोगी दोहा.
उनने देखो नइं इतै, कबऊं अपनौ टैंट।
कलइ खुली उनकी जरा, बे गय भारी चैंट।।
कलइ उतर गइ आजकल, कर चतुरा व्यवहार।
उतरौ- उतरौ मौं लयें,फिर रय बीच बजार।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
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*16*- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
कलइ रोज खाँ खुल रई,
सब बाबन की आज।
करियो जिन बिसवास तुम,
बिगरैं सबरे काज।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
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*17*सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
कलइ ज़ब कभऊ खुलजे, है का हुइये हाल।
हमें सभर के,बोलने, भासा की हो ढाल।।
***
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
***
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*18-*डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा
मकरी नें खोली कलइ,समज गये हनुमान।
कालनेम के फिर उतै,बचे न कैसउँ प्रान।।
कलइ खुली दरवार में, बे चूके जब दाव।
सोंने सें माँगे हते,गय फिर माटी भाव।।
ढकी- मुदी नें रात है,छल की लाग लपेट।
कलइ खुले पै रामधइ,बिदत बड़ी अरसेट।।
एक दूसरे खों सबइ,नेता दै रय खोर।
कलइ खुलत जी की सरस,ओइ कडत है चोर।।
ग्याँनीं बनकें साँन सें,ऐंठत रय जो मूँछ।
खुली कलइ जब ग्याँन की,परे हला रय पूँछ।।
कैंकइ की मति फेरकें,बन खों भेजे राम।
कलइ खुले पै देवता, लौ हो गय बदनाम।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ामलहरा (छतरपुर)
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*19-डॉक्टर आर. बी. पटेल "अनजान",छतरपुर
नेता नगरी नाग सम,
सकल जगत को खांय ।
कलइ खुले जब आपकी ,
नंगे नाग दिखांय।।
***
डॉक्टर आर. बी. पटेल "अनजान",छतरपुर
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*20-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
अपने मौं मिट्ठू बनौ, चाय पीट लो ढोल,
धुल जानै सबरी कलइ, जिदना खुल जै पोल ।
***
-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
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संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
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💐😊 कलइ' 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 132वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
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टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
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