म.प्र.लेखक संघ की ‘नई कविता’ पर केन्द्रित 197वीं गोष्ठी हुई-
टीकमगढ़//‘ म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 197वीं गोष्ठी ‘नई कविता’ पर केन्द्रित गायत्री शक्ति पीठ बानपुर दरवाजा में आयोजित की गयी, जिसके मुख्य अतिथि कवियत्री सुश्री सीमा श्रीवास्तव रहीं व व अध्यक्षता अवध विहारी श्रीवास्तव ‘दाऊ’ ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में बल्देवगढ से पधारे साहित्यकाऱ श्री कोमल चन्द्र बजाज रहे। सर्वप्रथम सभी ने प्रार्थना गीत - हे प्रभु अपनी कृपा की छाँव में ले लीजिए। कर दृर खोटी बुद्धि सबको नेक नियति दीजिए गया तथा पाँच मिनिट की मौन साधना की। तत्पश्चात-
हरेन्द्र पाल सिंह ने कविता सुनायी- मेरे घर आँगन में गमलों में लगी नागफनी पर जब उग आये थे दो फूल।
संघ के सचिव रामगोपाल रैकवार ने पढ़ा-प्रदर्शन प्रबल हुआ सत्य गया नेपत्थ्य। व्यक्ति पूजा मुख्य है,थोथे सारे कथ्य।।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने नई कविता सुनायी-
मेरी ‘आंकाक्षा’ थी कि मेरी कोई आकांक्षा न हो, लेकिन ईश्वर ने दी मुझे एक सुंदर सी आकांक्षा।।
कवियत्री गीतिका वेदिका ने पढ़ा-हे कला के देश हमारी अस्थियाँ लौह के विशाल भाले से ढाँप देना कहीं वबंडर न मचा दे। सियाराम अहिरवार ने कविता सुनायी-जिस पहनावा को लोग जंगली मानकर अनदेखा कर दिया करते थे।
आज उसी फैशन को लोग फैशन के रूप में अपनाने लगे है।।
सीताराम राय ने पढा-तेरे ही कर्मो का फल औलाद ने चकाया। कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया नादान समझना पाया।
उमाशंकर मिश्र तन्हा’ ने कविता सुनायी- ये दुनिया है घड़ी जिसमें,तीन सुईयो की तरह तीन तरह के हैं आदमी।
हाजी ज़फ़र उल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने पढा-भूपंक के झटकों से कहर देख रहा हँू। बरवादियों से उजड़ा चमन देख रहा हूँ
ग्राम लखौरा से पधारे कवि गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ ने पढ़ा- ईश्वर की गत अब जा काउने न जानी,
माटी में मिला दई किसान की किसानी।
चाँद मोहम्मद आखिर ने पढा-हिन्दू में बुराई हैे न मुस्लिम में बुराई है,नेता ने खोदी बीच में दोनों के खाई है।।
भान सिंह श्रीवास्तव ने कविता पढी-आइना देखकर खुद वा खुद शरमाई है जन्नत से हूर जमीं पर उतर आई है।।
दीनदयाल तिवारी ने पढा-खक्ष से सदा दूर ही रइऔ बैर सोउ जिन करियो।
आर.एस. शर्मा ने पढा-नए युग के नवाचार शिक्षा का नवाचार।
शांति कुमार जैन ने पढा -अतीत कभी नष्ट नहीं होता,अतीत ही नवजीवन का सुजन करता है।
पूरनचन्द्र गुप्ता ने पढा -आती जाती हे सरकारें बनी सरकार नई है ये, साफ सफाई गंगापावन इनकी नीति नई है ये।
भारत विजय बगेरिया ने पढा -मेरी जिन्दगी कुछ इस तरह गुजर गई जैसे सुबह ही धूप दिन में पसर गई।।
हाजी अनवर ने ग़ज़ल पढ़ी-हुस्न को न छुपा अपने रूख के आँचल में,हुस्न खुद वो हीरा है जो रात दिन चमकता है।।
शकीन खान ने ग़ज़ल पढ़ी- माँ किसी की दब गई बेटा किसी का खो गया।
कुछ ही पल में देखते ही देखते क्या हो गया।।
महेन्द्र यादव ने कविता पढी- कुछ तो शर्म करो। इनके अलावा कोमलचन्द्र बजाज बल्देवगढ़, अवध विहारी श्रीवास्तव,डाॅ.एम.पी. गुप्ता,सुरेश नारायण श्रीवास्तव,वेद प्रताप पस्तोर,महेन्द्र यादव,गिरजा शंकर यादव,रमीश खरे,साकेत राज पस्तोर ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी संचालन उमा शंकर मिश्र ने किया एवं सभी का आभार प्रदर्शन सचिव रामगोपाल रैकवार’ ने किया।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965,
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