मगौरा
(बुंदेली दोहा संकलन) ई_बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मगौरा
(बुंदेली दोहा संकलन) ई_बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 26-07-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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अनुक्रमणिका-
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
03- हरि राम तिवारी 'हरि',खरगापुर,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
05-राज गोस्वामी,दतिया (मप्र)
06-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़,(म.प्र.)
07-संजय श्रीवास्तव, दिल्ली (मबई)
08-श्याम मोहन नामदेव,देरी, टीकमगढ़(म.प्र.)
09-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
10- कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
11- एस. आर. 'सरल', टीकमगढ़ (मप्र)
12- सुसंस्कृति सिंह, भोपाल (मप्र)
13- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
14-सीताराम तिवारी 'दद्दा', टीकमगढ़,(म.प्र.)
15-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा टीकमगढ़
16- रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़ मप्र
17-अवधेश तिवारी,छिन्दवाड़ा,(म.प्र.)
18- मनोज कुमार सोनी ,रामटोरिया
19- डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा
20- डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
21-राजेन्द्र यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा
22-परम लाल तिवारी,खजुराहो
23-रामानंद पाठक 'नंद', नैगुवा
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1-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
**राना बुंदेली दोहावली बिषय-मगौरा*
*1*
मूंग मगौरा भात है,
बसकारे में ऐन।
चटनी संगे खात है।
सूटे दिन अरु रैन।।
***
*2*
डढेलया फिर तेल के,
मिलत बजारे खूब।
बेइ मगौरा धर दये,
नहीं बिके दिन डूब।।
**26-7-2021
*@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मेरी उपरोक्त रचना मौलिक एवं स्वरचित है।)
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2-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)
##दोहे#
#मगौरा#
#1#
गयीं मगौरा छानबे,गौरा शिव के संग।
गौरा खाबें मगौरा,शिव जी छानें भंग।।
#2#
बनत मगौरा मूंग सें, हो सरसों का तेल।
फूली दार पिसाय कें,करौ मसाले मेल।।
#3#
पैलौ अक्षर काट दो,गौरा बनें सुजान।
मध्य अक्षर खों मार दौ,मर होबै बेजान।।
#4#
खांय मगौरा मगन रँय, बूढ़े वारे ज्वान।
बरा संग में बुझा दो,हो खासी पहचान।।
#5#
होंय मगौरा चिटपिटे,खूब मसाले दार।
फिर फटकारौ पेट भर,नौनी चटनी डार।।
###
-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)
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3-- हरि राम तिवारी 'हरि',खरगापुर, टीकमगढ़ (म.प्र)
दोहे बुंदेली शब्द, "मगौरा"
१.
रिमझिम रस बुदियां परे, चढ़ी करैया तेल।
मूंग मगौरा कुरकुरे,चटनी संगें मेल।।
२.
मांग और दो और दो, कर रए सबई पुकार।
लगें मगौरा चटपटे, खावें असुंआ डार।।
३.
बब्बा बैठे खाट पे, उनकें नइयां दांत।
खांय मगौरा कुचर कें,एक पांत में भांत।।
४.
बब्बा से बऊ कै रई,मीठी लप्सी लेव।
लड़का बिटियां मांग रए,हमें मगौरा देव।।
५
लडुआ मांगे गणपती, शंकर मांगे भांग।
मां गौरा से षटबदन, करें मगौरन मांग।।😃😃
###
जय जय सियाराम
-हरि राम तिवारी 'हरि'
खरगापुर, जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
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4-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
बिषय..मगौरा
1-
दार दरे पीसें उये, लैबें नौन मिलाय।
मिरची धनियां डार कें, सेंक मगौरा खाय।
2-
लागी लत मगौरा की, मैया लियौ बनाय।
चटनी नौनी पीसियौ,ओई संगे खाय।
3-
प्याज कटी चटनी मिरच,संग मगौरा होय।
तबियत सें सब खायकें, तान पिछौरा सोय।
4-
हरि मगौरा बेंचबें,अरु चिप्पे की चाट।
मथुरा की टिकियाँ भली, दोना लैबें चाट ।
5-
पानी बरसो हूक कें, लगत मगोरा खाय।
डार दार मां फूलबे, लइयौ आज बनाय।
-***
-प्रदीप खरे मंजुल,टीकमगढ़ (म.प्र.)💐
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5--राज गोस्वामी,दतिया (मप्र)
खट्टी मीठी चाट संग खाबे कौ आनंद ।
बने मगोरा खाय के चंगे हम सानंद ।।
दाल भात संग मीड के मिला मगोरा खाय ।
ताजे फुलका संग मे सब रस लगै समाय ।।
होत मगोरा नुनखुरे रूखे ही खब जात ।
संग मे शक्कर हो डरी अजब मजा है आत ।। ***
-राज गोस्वामी,दतिया
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6-प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय मंगौरा
दरबटना सें दरदरी, बांट मूंग की दार।
बैठ मंगौरा सेंक रई,नई नबेली नार ।।
माटी की तइया चड़ी,भर सरसों कौ तेल।
सिकत मंगौरा मूंग के,खालो करौ न झेल।।
बने मंगौरा प्याज की,बास फैल रइ ऐंन।
संगै चटनी कैंत की ,कर रइ मन बेचैंन।।
जीजा जू जे जे लियौ,मोय मंगौरा आज।
मन सें सेंके अपुन खों ,कै रइ नइ साराज।।
सिके मंगौरा कुरकुरे ,डर गव चड़तौ नोंन।
खाती बेरां पेट की ,खबर राखबै कोंन।।
***
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
7- संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)
*बुंदेली दोहा*
विषय - *मगौरा*
हास रस की चटनी सँग,
ताजे दोहा पाव।
रुच-रुच कें पढ़, मजा लो,
इनमें मन के भाव।।
*१*
ताते-ताते मगौरा,
देख जिया ललचाय।
पेट भरत,मन नइं भरत,
मन खों को समझाय।।
*२*
खाय मगौरा सूँट कें,
दारू पी गय नीट।
उठे, चले, फिर गिर परे,
टेड़ी हो गइ पींट।।
*३*
नाक मगौरा सी धरी,
मौं पे चेचक दाग।
नार सुघड़ सुंदर मिली,
ई खों कत सौभाग।।
*४*
खाय मगौरा चिरपरे,
बरा, ठडूला, चाट।
ब्याव,विदा न देख पाय,
फूफा पकरें खाट।।
*५*
रैबे, खाबे तरस रय,
मर रय भूँखन पेट।
लुचइं, मगौरा,रसगुल्ला,
घर में खा रय सेट।।
संजय श्रीवास्तव, मवई
२६-७-२१😊दिल्ली
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8-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
😊 मगौरा 😊
जीजा आज रुको घरै,
तुमें हमाओ कौल।
दार मंगौरन की डरी,
आजई कौ है डॉल।।
बनें मंगौरा कुरकुरे,
चटनी संगै खाव।
रात काट लो तुम इतै,
फिर भुनसारें जाव।।
स्वाद जीब कौ बनों रै,
बार बार फिर आव।
पानी बरसत में लला,
तनक मगौरा खाव।।
हरी मिर्च होबे तली,
भुरकउअल हो नोंन।
खाव मगौरा सूँट कें,
आगे पाछें कौन।।
बेरा पानू बूंद की,
भींज जैव जजमान।
बनें मगौरा कुरकुरे,
परवे डरौ मचान।।
***
-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
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बरा - मगौरा नाव सुन , मौं में पानी आय ।
कोंरे - कोंरे होत हैं , ओंठन लेव मुराय ।।
उर्द - मूँग की दार के , बनतइ जे पकवान ।
बरा - मगौरा दइ-बरा , त्यौहारन की शान ।।
पूजा होवै मैर की , शुभ दिवाइ देवठान ।
बरा - मगौरा सें पुजें , सबरे देइ - दिमान ।।
घी चुपरी रोटी गरम , कढी़ - भात मन भाय ।
बरा - मगौरा के बिना , पंगत नहीं सुहाय ।।
नाते - रिश्तेदार कौ , जे - जे कें मन मोय ।
खातिरदारी में कजन , बरा - मगौरा होय ।।
काढ़ मगौरा तेल में , रय में बोरे जात ।
फूल जात जब खूब ही , मजा खाय में आत ।।
***
-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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10-एस. आर. सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
बुन्देली दोहा #मगौरा#
बनै मगौरा मूँग के,खा बैठे गरसैट।
अफरा चढ गव रात मे,परी पेट मे ऐठ।।
बनत मगौरा स्वादले,खातइ लै लै स्वाद।
चढी करइयाँ हर घरै,ठंडन उर बरषाद।।
गरम मगौरा चिटपिटे,बुन्देली पकवान।
दोस्त यार सब लंच पै,रये मगोरा छान।।
गरम मगौरा देख कै,मों में पानी आय।
चटनी संगै डार कै,गरम मगोरा खाय।।
गरम मगौरा सूट कै,'सरल' दोस्त सँग खात।
अपने अपने हाल सब,आपस में बतरात।।
###
-एस आर सरल,टीकमगढ़
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11-कविता नेमा,सिवनी (मप्र)््
कविता नेमा , सिवनी
1
भौतई भौत सुन लई ,ज मंगौरों की बात ।
अब तो चैन परे नहीं मन बहुतै ललचात।।
2
मंगाई दाल मूंग की , फूलन डारी आज ।
सिलबट्टे पे बांट ल ई छोडे सारे काज ।
3
रखी कड़ाही तेल की , सेक लए अतकार।
संग चटनी टमाटर की सब खाएं चटकार ।।
-कविता नेमा , सिवनी
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13-रामेश्वर प्रसाद गुप्त, बड़ागांव, झांसी
जय बुंदेली साहित्य समूह.
26/7/2021.
बुंदेली पांच दोहे-मगौरा.
आये रिस्तेदार कुछ, गव सूरज जब डूब।
खातिरदारी में घरे,बने मगौरा खूब।।
चटनी तीन प्रकार की, बनी चटपटी दार।
खरे मगौरा कुरकुरे, दे रय स्वाद अपार।।
घरे मगौरा जब बनें, खावे में खवजात।
देख बजारे फिर उने, फिरत रहे लिलयात।।
मौसम बन रव रोज ही, कबे मगौरा खांय।
भाव तेल के देख कें, मन मारे रै जांय।।
मैगाई ने छीन लये, सबके मन के स्वाद।
बनें मगौरा अब नहीं, की सें कंय फरियाद।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)
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14-सीता राम तिवारी दद्दा टीकमगढ़(मप्र)
1-
देख मगौरा दार के,
मौं में पानी आत।
खाबें जो कउं सामनें,
देखत अपन ललात।।
2-
भुनसारे सें खाइयौ,
चाय-मगौरा रोज।
बिना मगौरा नहिं मनें,
घरे दिवारी दोज।।
***
-सीताराम तिवारी 'दद्दा', टीकमगढ़
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15-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)
🌹🦚बुन्देली 🦚
बिषय-मगौरा
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
सिल बट्टा से पिसओ,फुली मूँग की दार ।
बने मगौरा सान के,तेज मशालें डार ।।
2
प्याज बड़ों सो काट के,धना खड़ो दो डार ।
कड़े मगौरा कड़क से,मेंथी तेल बगार।।
3
इमली की चटनी बने ,थोरो सो गुर डार।
छुवा मगौरा खाईये ,गर्म होये ततार ।।
4
टेर बुलाव पावने,चलो मगौरा खाये।
करो नाश्ता आनके ,फिर सपरन खो जाये।।
5
दददा जात बाजार खो,मोड़ा जे पछ याव।
बेटा घर खो लोटवो ,तुमे मगौरा लाव ।।
***
गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा( टीकमगढ़)
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16- रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़ मप्र
दतिया में पीताम्बरा ,
धूमा माँ दरबार।
भोग मँगौरा कौ लगत
खाय न सधवा नार।।
बनै मँगौरा मूँग सें
भजिया भाजी डार।
खट्टी चटनी कैंथ की,
खाऔ बारम्बार।।
कवी मँगौरा चटपटे,
ऐंन सेंक रय आज।
खाव भाव की खटमिठू,
चटनी सँग माराज।।
***
रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
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17--अवधेश तिवारी,छिन्दवाड़ा
बरा मँगोरा गुलगुला,
भटा भात बन जाँय।
टाठी परसी हो धरी,(तो)
का छोडें का खाँय।।
कल्लूके दद्दा
-अवधेश तिवारी,छिन्दवाड़ा
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18-मनोज कुमार सोनी, रामटौरिया
पिच गई उंगू बाई की,बाँटत बाँटत दार,
बने मगौरा बाद में,पैल घली मोय मार।
***********************
चडी़ करैया तेल की,लगे मगौरा ढेर,
थर्रू लयें फिरबें सबइ,घेरा दयें लडे़र।
***********************
आज मगौरा बन रहे,गव पडौ़सी ताड़,
दोरें आबै उपत उपत,कैसऊ लगै जुगाड़।
*************************
बने मगौरा चिटपिटे,दाऊ ने खा लय यैन,
दिनभर लोटा लयें फिरे,जी में नइयाँ चैन।
***********************
मौलिक एवं स्वरचित
-मनोज कुमार सोनी रामटौरिया
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19-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा
मँगोरा
बरा मँगोंडों में दही ,उर चटनी दइ डार
जाको सुंदर स्वाद है बाकी सब बेकार
मूँग फुलो दर दर करी ,सिलबट्टा पे पीस।
चटनी मिर्ची डार के ,बने मँगोड़ा तीस।
माँग मँगोंडों की बहुत ,बड़ो खास पकवान।
जेहे उम्दा ने लगें ,भोतइ बो नादान।
बारे बूढ़े माँगते ,तले मँगोड़ा रोज।
बाहे शत शत है नमन,करी जौन ने खोज।
***
-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा
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20-डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
दोहे विषय' मगौरा'
✍️✍️✍️✍️✍️
1 भर बसकारे में बने,
जबई मगौरा खाव।
ताते ताते मसक लो,
भूल बेयारी जाव।।
2 कोरोना के काल में,
ऐसी विपदा आइ।
बरा मगौरा भूल गै,
गोली दवा दिखाइ।।
3 दाल फुलै दो मूंग की,
मिक्सी देव चलाय।
प्याज मिरच अब काट के,
बनै मगौरा खाय।।
4 ठरूला की ठसक में ,
नन्ना दिनभर रांय।
गरम मगौरा देख कें,
मन मन में पछतांय।।
5 मोड़ी मोड़ा आज के,
मैगी बरगर खांय ।
बरा मगौरा देख कें,
नायं मायं खुर्यांय।।
****
डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
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21-राजेन्द्र यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा
समदी लाये सावनी, राखी को त्योहार।
बरा मगौंरन सें करो, समदी को सत्कार।।
कडी मगौंरा औ बरा, बुंदेली पकवान।
घुटीं दबा कें खात हैं, बूढ़े बारे ज्वान।।
***
-राजेन्द्र यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा
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22--परम लाल तिवारी,खजुराहो
1
जलेबी और मगौरा,थे येई पकवान।
तुला तुला कै खात ते,बूढे़ वारे ज्वान।।
2
हतो भरोसा नाम को,मिठया इक होशियार।
बना मगौरा रखत तो,बेंचे भरके थार।।
3
बने मगौरा खूब हैं,खाओ भरकर पेट।
फिर फेतन में जाय कै,करो काम चरपेट।।
4
कहत बनें नहि स्वाद कछु,बने मगौरा नीक।
छक कै खाओ डर नहीं,पेट रहत है ठीक।।
5
पैले पीसो दार बहु,भरो कड़ाही तेल।
गरमागरम निकार कै,खाओ जम कै ढेल।।
**
-परम लाल तिवारी,खजुराहो
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
23-रामानंद पाठक 'नंद', नैगुवा
मगोरा पर दोहा
1
बनत मगौरा दार के,पिसा मसाले लेव।
बैठ पालथी मार कें,घर में सब जन जेव।
2
दार मूंग के मगौरा,होतइ पाचक ऐंन ।
चाय जितेक तुम ख लियो,छिनें न पल भर चेंन।
3
दिन डूबत आ पावनें,रात करें विश्राम।
बना मगौरा भोर सें,खाकें कर आराम।
4
रिम झिम टिमकवै पानी,मौसम में बदलाव।
दार फुला पीसौ उयै,बना मगौरा खाव।
5
बुन्देली ब्यंजन में,रत ऊमें आनंद।
जिस विधी बनें मगौरा,बता दये हैं नंद।।
**
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄