Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 10 अप्रैल 2022

बलबूजा (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

         बलबूजा (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 
संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)




                 
  
                      💐😊 बलबूजा💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 106वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 10-04-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
07-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
08-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
09-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
10-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
11-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
12-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
13-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
14-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
15-काका ललितपुरी, ललितपुर (उप्र)

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'बलबूजा  106वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 106 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  106वीं ई-बुक 'बलबूजा  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-09-4-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-56 में दिये गये बिषय 'बलबूजा  पर दिनांक-09-4-2022 को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-10-04-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)




***अप्रतियोगी दोहा-*

*बिषय:-बलबूजा*

*1-
बलबूजा बेहद उठे,
बेइ कुंड के पास
बुरई बसांद आत है,
फिर भी पानी खास।।
***
*2*
बलबूजा दिल में उठे,
फिर नइ कछू सुझाय।
सावन के है आंधरे,
हरोइ हरो दिखाय।।
***दिनांक-9-4-2022

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



प्रतियोगिता नं0-56,बिषय-

"बलबूजा"(पानी का बुलबुला)

1-
पानूँ  कैसौ बुलबुला,जौ तन अपनौं सोइ ।
तनक ढका के लगतनइ,पतौ न चलवै कोइ ।।
2- 
जल भीतर फैकौं कछू,पौचै धरती अंग ।
तुरतइं  बनवैं  बुलबुला, ऊपर दिखत उमंग ।।
     ***
3-
पानुँ में जब कुछ डारौ,बलबूजा उठ आत ।
नीचैं जाकैं  जगां  करे,उतनौं बनकैं आत ।।
4- 
जौ तन पानुँ बलबूजा ,बनत मिटत जे रात ।
ऐसइ है जा देहिया ,पार कोउ नै पात ।।
5- 
पानूँ केरा बुलबुला,बनैं झटय मिट जात ।
पार न पावै कोउ जन,बनत मिटत जे रात ।।
6- 
फुँकना घाँइ बलबूजा, जामें बैर समाय ।
बनत मिटत जल भीतरै ,जो कछु धरती जाय ।।
7- 
जल भीतर फैकौं कछू,पौचै धरती अंग ।
तुरतइं  बनवैं  बुलबुला, ऊपर दिखत उमंग ।।
***
✍️-शोभाराम दाँगी 'इंदु' ,नंदनवारा

     ***

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03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)

      
बलबूजा है आदमी,जीवन के दिन चार।      
सत्य प्रेम की गैल चल,जीमें साँचो सार।।
      ***
   -संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
    
      
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4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


 शनिवार बुंदेली दोहा
          विषय ,बलबूजा,
,,,,
बुलकत बलबूजा मुलक , बुरव बसैला नीर।
कुलबुलात सौ दिख परत , बनतइ हवा शरीर ।।
,,,,,,,  
बलबूजा बल पवन का ,पानी बुलकत रात।
बुलबुलात आता निकल ,जल बाहर मिट जात।। 
,,,,,
बलबूजा सौ प्रेम भव , ज्वानी भर इठलात।
स्वारथ के कारण उठत , कड़तन सब मिट जात ।।
,,,
कुंवा बेर में पियन गय , खुबया पानी घूंट।
छिड़ियन पे बैठे तकत , रय बलबूजा फूट।।
,,,,
धरती से कड़ रइ हवा ,पानी में हुन आइ।
कीचड़ सरवै तरी में , बलबूजा इठलाइ ।।
,,,,,
कड़ी दार उर भात गर , भांड़े में सर जात।
तन तन बजबूजा उठत ,नाक फटोंय बसात।।
,,,,,
बजबूजा को बान जब ,पानी फारत आत।
तक प्रमोद इस जगत में , जनम लेत मर जात।।

                       ***
        
   -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 


रे मन मूरख चेतजा,बिरथां करत गुमान।
जीवन  बलबूजा मनौ,तनौ न रबड़ समान।।
***
*अप्रतियोगी दोहे*
बलबूजा (पानी का बुलबुला)

अटपट शबद बलबूजा,जिये बजूंना कांय।
हिन्दी में है बुलबुला, पानी में उतरांय।।

नर तन बरया कें मिलों, फिरत काय उतरात।
जूना से नै  ऐंड़ियो ,फूट बजूंना जात।।

आंखन छित बनबै मिटै, बलबूजा बड़े भाई।
सदा मौत खों याद रख, राम नाम सुखदाई।।

मानुष तन अनमोल है, तरसत देवी ‌देव।
फूट बुलबुला जायगा, अबै भजन ‌कर लैव।।

इतै आन कें भूल गव, धर कांटौं की गैल।
बलबूजा वैहर लगें फूटत ‌समय सें फैल।।
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹

✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


मानव तन अनमोल है,भज लो सीताराम।
बलबूजा सौ फुट जै, जरै आग में चाम।।
***
अछरू माता कुंड में, बलबूजा नित आयँ ।
 जी कौ जैसौ भाग है, सो तैसौ फल पाय।

 पानी में जो डूबबै, सो बलबूजा आयँ।
 जानकार जल्दी करें, डूबत मनुज बचाएं।।

 बलबूजा मैदा उठें, तौ खमीर बन जात।
उम्दा बनबें जलेबीं, भौत मजा आ जात।।
***

-अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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07-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


क्षणभंगुर जा जिन्दगी, बलबूजा सी राय।
नइँ जानैं कोऊ कबै, पानी सो फिर जाय।                  
       ***
              -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
                             

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08-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


काया के जंजाल में, बीदो बारामास।
जौ बलबूजा नीर कौ,ई कौ का बिसवास।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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09-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 


जौ जग जल को बलबुजा,तौऊ नर इतराय।
हेरा फेरी में मगन,दनकउ गम्म न खाय।।
***
🌹
नाशवान बलबुजा सी,जा मानुष की देह।
मूरख जनम सुधार लो,लगा प्रभु से नेह।।
🌹
उठे तनक जो बलबूजा,तुरतहिं हाथ बढा़व।
अछरु माता कुण्ड सें, इच्छित वर पा जाव।।
🌹

-आशा रिछारिया, जिला निवाड़ी 

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10-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


नेह प्रभू सैं राखियौ, तन कौ नाहिं मोल। 
बलबूजा सौ फूट जै, बोल समर कैं बोल।।
***
✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़


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11- एस आर सरल, टीकमगढ़

खप्पर  लेंकें भक्त जन, अछरू माता जाँय।
दर्शन  करतन  कुण्ड के, बलबूजा  से आँय।।
***  

बलबूजा  सें  प्रान  हैं, जानें  कब मिटजाँय।
ईसे  सब  मिलजुर  रहें, प्यार  सदा बरषाँय।।

बलबूजा  सी  देइया,  कब काँ कितें  नशाय।
दीन  हीन  की  बद्दुआ, झराँ  मूड़  लें  जाय।।

बलबूजा  सी  सांस  है, चलतइ आठउ  याम।
हाँउ  हाँउ  में उलझकें, करत  न नौने  काम।

हित अनहित कों धन जुरों,कछू न आवै काम।
जब  बलबूजा  सौ  बुजें, कोउ  न पावें थाम।।
     ***
        -एस आर सरल, टीकमगढ़

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12-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)


जल को बलबूला भयो, इत जन्मे उत जात।
जग में जीवन जीव को,बनो फिरे सौगात।।
***
अप्रतियोगी दोहे.

पिया मिलन को रात दिन,सजनी हुई अधीर।
बलबूला सी हिय उठे, रै- रै हर पल पीर।।

बुंदेली कवि काव्य में, भाव इतै बिखरांय।
बलबूला से हिय उठे, जहं तहं रये दिखांय।।

अछरू दर्शन खों गये, देख कुंड भय दंग।
माई ने परसाद दव, बलबूला के संग।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी (उप्र.)

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*13-*वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़

पानी में गर चीज गइ ,गैरे तक बा डूब।
तनक देर में आत हैं ,बलबूजा भइ  खूब।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़

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14-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा


पानी जैसो बलबूजा है ,
बनत मिटट हरदार ।
जो जीवन है भँवरजार में ,
जान परत नई यार ।

बलबलात बलबूजा जैसो ,
करत ना सोच बिचार । 
 राम भजन कर ले रे मानो ,
जगद में साचो सार ।

***
-बृजभूषण दुबे "बृज", बकस्वाहा

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15-श्रीराम नामदेव काका ललितपुरी

बलबूजा सी जिन्दगी, 
जानै कब मिट जाय ।
जितने में रंग भरे हैं,  
ऐसे ही दिख जाय ।। 

***
-श्रीराम नामदेव काका ललितपुरी


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                       ‌       बलबूजा
                       (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 106वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 10-04-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         


2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर अनंत शुभकामनाओं सहित हार्दिक हार्दिक बधाई।जय बुन्देली।

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

धन्यवाद