Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 24 अप्रैल 2022

बाबा (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)

      बाबा (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 
संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)

                 
  
              💐😊 महावीर💐😊
        (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
                
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 110वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 24-04-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
08-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
09-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
11-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
12- डां मोहन सिंह, वानपुर
13-गोकुल यादव,बुढेरा, टीकमगढ़
14-रामानंद पाठक ,नैगुवा
15-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
16-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
17--संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली
18-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़
19- सरस कुमार दोह, खरगापुर जिला टीकमगढ़
20- सियाराम अहिरवार टीकमगढ़          
21- गीता देवी, औरैया (उप्र.)

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'बाबा ( 110वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 110 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  110वीं ई-बुक 'बाबा'   लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-23-4-2022 को बुंदेली दोहा लेखन  प्रतियोगिता-58 में दिये गये बिषय 'बाबा'  पर दिनांक-23-4-2022 को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-24-04-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



*अप्रतियोगी दोहा बिषय- बाबा*
*
ऐसे बाबा आज के,
        नेतन संगे मेल।
                 नौटंकी ऐनई करे,
                         जनता संगे खेल।।
                                      ***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


 ,शनिवार बुंदेली दोहा दिवस,
                  ,,विषय ,बाबा,
     
      बाबा बनकें राम गय ,बाबा  रावन आय
      इक बाबा मिरगा बनो ,बाबा सिया पठाय
      ,,,,,
      बाबन बाबन वीद गइ ,भय बाबा हनुमान
      कालनेम बाबा बने , खोय अखारत प्रान
      ,,,,,,
      बाबा वानर सुग्रीवहि , छूटी सम्पत नार
      इक बाबा के श्राप सें , बालि न चढ़त पहार
      ,,,,
      बाबा तुलसी दास भय ,चित्रकूट रए आन
      राघव के दरशन मिले ,तोता मुख हनुमान
      ,,,,,
      बाबा जू राजेंद्र  भय , गउअन हित चित लाय
      रविशंकर रावत पुरा , आशिर वाद सुनाय
      ,,,,,,
      बाबा देवराहा अभि, वनदन करत प्रमोद
      गंगा जिने पखारती , रखती अपनी गोद 
      ,,,,,,
      बाबा बागेश्वर रहत , श्री सन्यासी नाम 
      संत महंत मुनीष को ,करत प्रमोद प्रणाम 
      ,,,,,,
      योगी योग सिखाउतइ ,मानुष रहत निरोग
      बाबा गौंड़ घटोरिया , सब प्रमोद संयोग 
      ***
   -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

दिन में बांचें भागवत, 
रातन खोटे काम।
ढ़ोगी बाबा जेल में,
 मर हैं तोताराम।।
***

✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


हानि धरम की होत जब, 
मनुज देह प्रभु लेत।
 शंकर जी बाबा बनत, 
प्रभु दरशन के हेत।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


 बाबा  बने  बनावटी, बन्न - बन्न  धर  रूप।
धरम भेष की आड़ में,करम करैं अवरूप।
***
बाबा  कइयक  जेल  में, जैसे  आशाराम।
निर्मल, राम-रहीम ने, करो भेष  बदनाम।

बेशर्मी चोरी हवश, करैं  घृणित कइ काम।
व्यभिचारी बाबा बहुत, जप रय सीताराम।

बहुत  बड़े  बहरूपिया, बनवैं बाबा सन्त।
बेधरमी कुकरम करैं, नहिं डरायँ भगवंत।

बाबा  रखवें  सेविका, दाढ़ी बाल व मूँछ।
भक्ति भाव रखते नहीं, अंदर बाहर छूँछ।

सच्चे बाबा नहिं मिलैं, बे रत सबसे दूर।
आडंबर करते नहीं, करैं भजन भरपूर।।
***
मौलिक/-            
              -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         

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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

1-
बाबा औगढदानि, चिलम लगातइ जांय ।
सूटैं गांजा भांग तौ, पार्वती घबरांय ।।
**
2- 
बाबा बैरागी कछू,जग खां ढोंग बतांय ।
लूटत रचना काढकैं, अपनौं काम सटांय ।।
3- 
बाबा आसाराम जी,ढौंगी रामरहीम ।
हते जलेबी बाबा जु, जेलै पौंची टीम ।।
4- 
ढौगी बाबा आजकल, लूट रये दिन रैन ।
जां देखो तां सुनत रत,चींथौ देसै ऐन ।।

✍️-शोभाराम दाँगी 'इंदु' ,नंदनवारा

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07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 


जटा जूट माथे तिलक,वसन गेरुआ धार।
कपटी बाबा भेस धर,ठगत रहत संसार।।
***
बाबा बो ही जानिये, जो समाज हितकारि।
धर्म करम ज्ञाता रहे, जैसे शिव त्रिपुरारि।।
🌹
जो बाबा धर्मात्मा,बड़ो तपस्वी होत।
सदाचरण प्रवचन करें,जले धरम की जोत।।
🌹
ऊपर सीता राम हैं,मन में कपट कुचक्र।
कलयुग में घूमत फिरत, बाबा ढोंगी बक्र।।
🌹
-आशा रिछारिया, जिला निवाड़ी 

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08-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


योगा कर कर, कर दिये,सब चौपट रुजगार।
बाबा की चतुराइ सैं,बाबा बनें हजार।।
***
1-
बाबा नागा देख लो, करें तपस्या रोज।
ओघड़ बाबा से भले, देखौ उनकौ ओज।।
2-
गांवन गांवन चौतरा,पूजत है सब लोग।
बाबा लाला सब कहें,भाग जात हैं रोग।
3-
बाबा आगी बीच में,तप रयै बैठे आज।
जप करें बिन कछू पियें,हमखौं जिन पै नाज। 
4-
धारकुंडी नाम सुनौ, बाबा कौ है धाम।
जहाँ विराजे हैं गुरू,साक्षात जो राम।।
5-
बाबा मोरे राम है,बाबा ही घन श्याम। 
दरश करें पापी तरें,खाटू जिनकौ धाम।

***
✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़

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09- एस आर सरल, टीकमगढ़


बाबा हो  गय  मौशमी, बदलत अपनें  रंग।
कउँ बाबा बिच्छू बनें, कउँ कउँ बनें भुजंग।।
***
     अप्रतियोगी बुन्देली दोहा #बाबा#
***†***************************** 
बाबा धाबा बोल रय, खूब  मूत  रय अत्त।
सबइ दंद  बाबा नदें , छोड़ धरम उर सत्त।।

बाबा  हैं  बहुरूपिया, है  छलियन की  टीम।
कछुअक आशाराम हैं,कछुअक राम रहीम।।

ममता माया मोह तज, निर्विकार मन चित्त।
त्यागी बाबा कर भजन, बनें हरी के  मित्त।।

भोले  बाबा  रट  रये,  शाँतिर  बाबा  आज।
ओछ काम करतन उनें,तनक न आबें लाज।।

राजनीति  की  ओट  में, बाबा  मालामाल।
लुटिया डूबी न्याय की, जनता भइ कंगाल।।

बाबा   चोला  पैर  के , हो  रय  धंधेबाज।
बचों न कौनउँ काम जो,बाबा करें न आज।।
**********************************
        -एस आर सरल, टीकमगढ़

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10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)


बाबा मठ में बैठ कें, साध राग बैराग।
भजते हरि के मंत्र कों, बिषयों का कर त्याग।।
***
अप्रतियोगी तीन दोहे.

बाबा बैठे द्वार पे, मांग- मांग कें खांय।
सबको चायें वे भलो, ईसुर के गुण गांय।।

बाबा व्यापारी बने, बाबा नेता होंय।
बाबा अपने भक्त खों, तरा-तरा सें दोंय।।

बाबा हर इक बात में, दाबा धरें दबाब।
कुछ केवल ढाबा भये, भरकें पेट जनाब।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु',बडागांव, झांसी (उप्र.)

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11-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा


बाग बगीचा बना लय,बाबा बन मारीच।
कपटी कपट बनावटी,माया रूपी नीच।।
-***
-बृजभूषण दुबे "बृज", बकस्वाहा

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12- डां मोहन सिंह, वानपुर
अमर हते सो मर गए, धनपति मांगे भीक. ।
लछ्मी कंडा बीनती, तासै बाबा ठीक।।
***
-डां मोहन सिंह, वानपुर

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13-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी

नकली परखत नोट उर,परखत गगन जमीन।
नकली  बाबा  परखबे, काय न  बनी  मशीन।।
****

✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी

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14-रामानंद पाठक ,नैगुवा
तजवें माया मोह सब,जपें निरंतर राम।
संत दरस ब्याधि हरै,चरन हैं चारों धाम।।
***          
-रामानंद पाठक ,नैगुवां

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*15-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
बाबा कौ दाबा मिलै,सुख, सम्पति औ पूत।
इंक्याँअन कौ दान कर,खालो तनक भबूत।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा

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*16-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
तन सें बाबा बन रये, झूंट माट के आज।
कर रय जे बदनाम हैं,साधु सन्त समाज।।
               ****
वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
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17-संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली

बाबा तोरे राज में, बुलडोजर की धाक।      
अपराधी सब जेल में,संपत्ति भई खाक।।
***     
*१*
मन में भोले नाथ हैं,तन पे चढ़ी भभूत।     
भाँग-धतूरा में रमे,नच रय भोला दूत।।
     
*२* 
जी के निर्मल मन,करम,जी की निर्मल बात।         
प्रेम सदा झर-झर झरे,बाबा वही कहात।।
       
*३*
काया-माया में फँसे,महिमा बड़ी महान।    
लोभ मोह मद में गसे,बाबा बाँटें ज्ञान।।
       
*४*
बाबा की बातें बड़ी,बड़े-बड़े व्यापार।    
कथनी करनी अलग है,अलग-थलग संसार।।
     
***
-संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली


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18-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़

बाबा तीनई भेष के,पेट चपेट लपेट।
बे बाबा मन मोज है,ईशर को रये भेट ।।
***
-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़

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*19-सरस कुमार दोह, खरगापुरजिला टीकमगढ़

बाबा बैठों गेल में, जला रहौ छल जोत।
विघन करे हनुमत गली, जो बाबा न‌इ होत।।
***
-सरस कुमार दोह, खरगापुरजिला टीकमगढ़

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20-  सियाराम अहिरवार टीकमगढ़          


बहुरुपिया घूम रये ,भारत में चहुँ ओर ।                          
कइयक बाबा संत हैं, कइ घूम रये चोर ।      
***
              -  सियाराम अहिरवार टीकमगढ़          

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21-गीता देवी, औरैया


तामस कबहुँ न जो करैं, रहैं लोभ सों दूर। 
बाबा हो सच्चे वही, ज्यों कबीर, रस, सूर।।
***
-गीता देवी, औरैया (उप्र.)

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                            संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

      
         



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                       ‌     बाबा
                  (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 110वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 24-04-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
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