#पुस्तक_समीक्षा-1
पुस्तक का नाम - #बुंदेलखण्ड_के_आधुनिक_कवि
सम्पादक - श्री #राजीव_नामदेव ‘#राना_लिधौरी’
प्रकाशक - सरस्वती साहित्य संस्थान प्रयागराज द्वारा
म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ के लिए
मूल्य - 300/रू.सजिल्द पेज-174
आइ्रएसबीएन - 978-93-83107-55-1
समीक्षक- श्री #विजय_कुमार_मेहरा
#लाइब्रेरियन-शासकीय जिला पुस्तकालय टीकमगढ़
मन के आवेग,विचार और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य की विभिन्न विधाओं द्वारा होती है। कविता उन सभी सर्जनाओं में सर्वोपरी है जो मन के भावों को संगठित करके सर्जित की जाती है। ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ बुन्देलखण्ड अंचल के युवा कवियों की रचनाओं से सुसज्जित काव्य कृति है। ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ पुस्तक में विशेषकर युवाओं की रचनाओं को प्रकाश में लाने का काम भाई राजीव नामदेव का प्रयास प्रशंसनीय है।
श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ युवाओं को साहित्य के क्षेत्र में क्रियशील रखने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते रहते है इसी उद्देश्य से वे अपनी साहित्य संस्थाएँ म.प्र. लेखक संघ एवं वनमाली सृजन पीठ के माश्यम से युवाओं को मंच भी प्रदान करते है। बुन्देलखण्ड के ऐसे युवा कवि जो यदा-कदा ही पत्र-पत्रिकाओं में छपते है औ रजिनकी अभी तक कोई कृति प्रकाशित नहीं हुई हे ऐसे नवांकुर कवियों की रचनाओं को एकत्रित कर उन्हें प्रकाशित करने का बीड़ा सम्मानीय श्री राजीव नामदेव जी ने उठाया है जो कि उनकी साहित्य साधना की प्रबल अभिव्यक्ति है। वैसे श्री राजीव नामदेव जी द्वारा 8 पुस्तकों का प्रकाशन और 11 का सम्पादन अब तक किया जा चुका हैं। किंतु यह पुस्तक उनके सम्पादन में युवाओं को साहित्य के क्षेत्र में प्रकाश में लाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
इसके पूर्व में भी श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी के अथक प्रयास से म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़ द्वारा सन्- 2003 में एक काव्य संकलन ‘अभी लंबा है सफ़र’ प्रकाशित हो चुका है जिसमें टीकमगढ़ जिले से 22 कवियों के रचनाएँ 110 पेजों में प्रकाशित की गयी थी। अब 19 साल बाद फिर एक काव्य संकलन प्रकाशित किया गया है जिमें इस बार टीकमगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे बुन्देलखण्ड के कवियों की रचनाओं को शामिल किया है बुन्देलखएड के आधनिक कवियों में बुन्देलखण्ड के 61 आधुनिक कवि एवं 10 पुराने कवियों इस प्रकार से कुल 71 कवियों की रचनओं को 174 पेजों में प्रकाशित किया है।
यह काव्य कृति कविता के मापदंड या पिंगल शास्त्र को ध्यान में रखकर सम्पादित नही की गई है बल्कि इसमें वस्तुतः नयी कविता विद्या,गीत,मुकतक,दोहा,गज़ल आदि को शामिल किया गया है यह युवाकवियो की काव्य अभिव्यक्ति है।
174 पृष्टों की इस हार्ड कवर पुस्तक पर युवाओं कवियों की छवियों का सुंदर छायांकन है। पुस्तक में कवियों की रचनाओं को कवियों की जन्म तिथि अनुसार बढ़ते क्रम में स्थान दिया गया है इससे पुस्तक में बिल्कुल युवा कवियों की कविताओं को अग्रस्थान मिला है। कवि की रचनासे पहले कवि का संक्षिप्त परिचय भी इस काव्य संग्रह में प्राप्त होता है।
विभिन्न रसो को समेटे यह काव्य संकलन वास्तव में पहले से स्थापित कवियों को तथा नवांकुर कवियों को एक स्थान पर एकत्र करके बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवियों की एक श्रृखंला बनाने का एक बेहतरीन प्रयास हैं ।‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ काव्य संकलन में सभी गीत,ग़ज़ल,कविताएँ, दोहा पठनीय है अधिकांश रचनाएँ मेरे ह्नदय तल में पहुँचने में सफल हुई है।
पुस्तक की प्रथम कविता श्री स्वप्निल तिवारी द्वारा किताबों के ऊपर अभिव्यक्ति की गई है। किताबों की तुलना समुद्र से की गई है कविता का मूल है कि जिस तरह समुद्र अपने अंदर न जाने कितने आश्चर्य छुपाये हुए है उसी तरह किताबें भी अपने अंदर अनगिनत आश्चर्य और ज्ञान छुपाए हुए है।
युवा कवि श्री रविन्द्र यादव की कविता ‘माँ’ को समर्पित है इनकी कविता माँ को जीवनदायिनी और प्राणवाहिनी जैसे अलंकरण से अलंकृत है। वे लिखते है-
हर सांस मेरी तुम हो, हर आसस है तुम्हीं से।
धरती पै स्वर्ग होता, अहसास है तुम्हीं से।
डॉ. मीनाक्षी पटेरिया नौगाँव की ग़ज़ल-
मेरे सूने जीवन में हलचल भरत देते हो तुम।
जैसे हर अधियारे का जगमग कर देते हो तुम।।
जीवन को उत्साहित, प्रोत्साहित और ऊर्जावान बनाएँ रखने के लिए अवचेतन मन से चेतन्य भावों की सुंदर अभिव्यक्ति है।
युवा कवि कमलेश सेन की ग़ज़ल-
क्यों मुझे इतना तू सताती है ज़िन्दगी।
क्यों नहीं मंजिल का पता बताती है ज़िन्दगी।
सामाजिक ताने-बाने में उलझी जीवन राह का सजीव चित्रण करती है।
श्रीमती रजनी तिवारी की बेटियों को समर्पित कविता-
बाबुल के धर आँगन की किलकारी है बेटिया।
बेटियों के होने का शाश्वत सुंदर चित्रण अभिव्यक्त करती है।
कवि श्री अमर सिंह राय के नीतिगत दोहे वर्तमान परिपेक्ष्य में बिल्कुल सटीक बैठते है-
निर्णय देता है समय बिना गवाह सबूत।
समय वसूली खुद करे, मूल, ब्याज संग सूत।।
श्री संजय श्रीवास्तव की ग़ज़ल-‘सवाल’ ज्वलंत सवालों को खड़ा करती है। उनकी ग़ज़ल वर्तमान समय में समाज में व्याप्त राजनैतिक समाजिक उन्माद पर एक जोरदार कटाक्ष है।
कवयित्री रश्मि शुक्ला की कविता अनाथाश्रम वृद्धाश्रम की चौखट पर खड़े एक बूढ़े हताश पिता की वेदना व्यक्त करती है।
कवि श्री शीलचन्द्र जैन शास्त्री की प्रफुल्लित कविता त्यौहार खुशी के परिवार में त्यौहारों के महत्व और एहसास को प्रदर्शित करती हैं।
कवि और वरिष्ठ ग़ज़लकार उमाशंकर मिश्र जी की
ग़ज़ल-तन्हाइयों की मुझको आदत सी हो गई है।
रुसबाइयों की मुझके आदत सी हो गई है।।
व्यथित ह्नदय की रचना प्रतीत होती है। यद्यपि सर्जित ग़ज़ल के मानकों पर खरी उतरती है।
गरीब की बेटी और दहेज पर रचित श्री मोहन लाल कोरी की काव्य रचना मर्मस्पर्शी है उन्होंने लिखा है-
वो गरीब की लली, जो दहेज में जली।
वरिष्ठ व्यंग्यकार रामगोपाल रैकवार जी ने व्यंग्य कविता नागपूजा में समाज के श्वेतपोशों पर व्यंग्य बाण चलाया है। वे व्यंग्य कविता के माध्यम से समाज के ऐसे आदर्श पुरुषों का चीर हरण कर रहे है। जो समाज में रहकर समाज को ही अंदर से खोखला करने पर आतुर है।
वरिष्ठ कवि श्री अशोक पटसारिया जी की रचना ‘चलो अपने घर चले’ आध्यात्मिकता से प्रेरित है और यर्थात का चित्रण प्रस्तुत करती है। वे लिखते है-
दुनियाँ के तमाशे में, उलझे हुए है लोग।
हैरत तो है इस बात की, सुलझे हुए है लोग।।
बुन्देलखण्ड के आधुनित कवि में सर्वश्री प्रभुदयाल की बुन्देली रचना महुआ पढ़कर मन हर्षित होता है। उन्होंने बुंदेली में महुआ के वृ़क्ष को ग्रामीणों के चैतन्य मन में रचा बसा दिया है वे लिखते है-
आन लगो मधुमास सखि, फलन लगे मधूक।
रैं रैं कें मन में उठैं, पिया मिलन की हूक।।
इस सभी के अतिरिक्त बहुत सारे कवियों की रचनाएँ उल्लेखनीय है समस्त काव्य रचनाओं का पूर्ण आनंद पुस्तक को पढ़कर ही उठाया जा सकता है।
इस तकनीकी युग में बुन्देलखण्ड के कवियों द्वारा क्या लिखा और परोसा जा रहा है यह जानने के लिए यह एक ही पुस्तक पर्याप्त होगी।
पेपर की गुणवत्ता, कुल पृष्ठ और सम्पादक की मेहनत को देखते हुए इस पुस्तक का मूल्य कम ही कहा जाएगा। एक बार फिर श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ को जी बधाई और शुभकामनाएँ उन्होंने इस पुस्तक का संपादन कर बुन्देलखण्ड के साहित्य जगत में नई पौध का पालन पोषण सरल कर दिया है।
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- विजय कुमार मेहरा
पुस्तकालय अध्यक्ष
शासकीय जिला पुस्तकालय टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) पिन-472001
मोबाइल-9893997657
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पुस्तक समीक्षा-2
पुस्तक का नाम - बुंदेलखण्ड के आधुनिक कवि
सम्पादक - श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
प्रकाशक - सरस्वती साहित्य संस्थान प्रयागराज द्वारा
म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ के लिए
मूल्य - 300/रू.सजिन्द
आइ्रएसबीएन - 978-93-83107-55-1
समीक्षक - श्री हरिविष्णु जी अवस्थी (टीकमगढ़)
कविता, निबंध, व्यंग्य,हाइकु,दोहा आदि विभिन्न विद्याओं में क्रियाशील अनेक पुस्तकों के रचियता, म.प्र. की प्रतिष्ठित संस्था मध्यप्रदेश लेखक संघ भोपाल की जिला इकाई टीकमगढ़ का निष्ठापूर्वक विगत 23 वर्षो से कुशलता पूर्वक संचालन कर रहे श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा संकलित एवं सम्पादित कृति ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ की समीक्षा लिखते हुए, ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे हिन्दी भाषा के ज्ञान यज्ञ मे मुझे भी आहुति देने का सुयोग अकस्मात प्रात हो गया है।
‘बुन्देलखण्ड की उर्वरा पावन भूमि को पाषाण रत्नों के साथ ही साथ नर रत्नों को भी जन्म देने का गौरव प्राप्त है। देश के साहित्य मनीषी स्मृति शेष श्री लाला भगवानदीन ने लिखा है कि -‘इस पवित्र भूमि जिसे अब ‘बुन्देलखण्ड कहते हैं कविता की जन्म भूमि है और आदि से यहाँ उत्तम कवि होते आये हैं, वर्तमान में हैं और आगे भी होते रहेगें।’’
इसी ‘बुन्देलखण्ड भूमि में नर रत्न हिन्दी भाषा के प्रथमाचार्य श्री केशवदास मिश्र ओरछा एवं राजापुर बांदा में जन्में संत प्रवर गोस्वामी तुलसीदास जी सैंकड़ों वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी हिन्दी साहित्यकाश के उज्ज्व नक्षत्र के रूप में स्थापित रहकर विश्व के साहित्य जगत केा आलोकित कर रहे है। कविवर पद्माकर महाराजा छत्रसाल, कवयित्री राय प्रवीण, महारानी वृषभान कुँवरि जैसी अनेक प्रतिभाओं ने हिन्दी साहित्य संसार में बुन्देलखण्ड की कीर्ति पताका फहराई है।
‘बुन्देलखण्ड के कवियों को प्रकाश में लाने का श्रेयस कार्य ‘बुन्देलखण्ड में सर्वप्रथम पं. गौरी शंकर जी द्विवेदी ‘शंकर’ झाँसी ने ‘बुन्देलखण्ड वैभव’ नामक कृति की तीन खण्डों में रचनाकर किया था। सन् 1930 ई. में आरंभ किये गये इस कार्य में बाद में अनेक साहित्यकारों ने विभिन्न नामों से कवियों व लेखकों के परिचय संबंधी ग्रंथों का प्रणयन किया जो कि निंरतर चलता आ रहा है।
इसी क्रम में श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ कृति का संकलन,समपादन एवं प्रकाशन कर प्रसंसनीय कार्य किया है।
इस प्रकार के कार्य को करने का मुझे भी 5-6 वर्ष पूर्व अवसर मिला था। यह कार्य कितना समय एवं श्रम साध्य तथा ऊबाऊ है। मैं यह भलीभांत जानता हूँ। मुझे ‘बुन्देलखण्ड की कवियत्रियाँ’ कृति के संकलन एवं सम्पादन संबंधी कार्य में तीन-चार वर्ष का समय लग गया था। तब कही मेरा श्रम पुस्तक का आकार ग्रहण कर सका था। श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के श्रम का आंकलन मैं भलीभांति कर सकता हूँ।
कवि अपने जीवन मे आए विभिन्न अवसरों पर जो देखता,सुनता एवं अनुभव करता है उसे वह दूसरों को भी बाँटना चाहता है। यह अनुभव खट्टे,मीठे कषाय आदि विभिन्न स्वादों के होते है जिन्हें वह शब्द सुमनों का सुंदर स्वरूप प्रदान कर काव्य रूपी धागे में पिरोकर माला के आकर्षक रूप में जन सामान्य के समक्ष प्रस्तुत करता है। यह प्रक्रिया की काव्य की जननी है।
अपनी रचनाओं को जनसामान्य तक तक पहुँचाने हेतु उसकी लालसा बढ़ना आरंभ होकर तीव्रतर होती जाती है। उपयुक्त मंच प्राप्त होने पर वह गुनगुनाते हुए अपनी पूरी शक्ति केाथ रचना के प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है कहते है न कि- कविता नोनी लगत है, होय कैबे को ढंग। यहाँ से आरंभ हुई उसकी क्षुधा,प्रकाशन के पश्चात ही शांत होती है। श्री राजीव नामदेव कवियों को मंच तो पूर्व से ही प्रदान करते रहे है अब की बार उन्होंने कवियों की कविताओं के संकलन, सम्पादन के साथ प्रकाशन का भार भी अपने कंधांे पर लेकर नवोदित पीढ़ी के साथ बहुत उपकार का कार्य किया है।
प्रस्तुत कृति में इकसठ नये-पुराने कवियों को और दस बहुत पुराने कवियों के संक्षिप्त जीवन परिचय के साथ बानगी के रूप में उनकी रचनाओं को भी दिया है। कृति का अनुक्रम कनिष्ठतम के आधार पर किया गया है। रचनाओं में समाज के बदलते स्वरूप, उत्पन्न हो रही विकृतियाँ,धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय भावनाओं से ओत प्रोत अनके कविताएँ हैं। इसके साथ ही लोकरंजक संबंधी रचनाओं का रसास्वादन कुछ कविताओं में किया जा सकता है।समयाभाव के कारण संकलित कवियों की काव्य गत विशेषताओं का मूल्याकंन उन पर प्रकाश डालना संभव नहीं है।
संकलित कृति में कुछ रचनओं की काव्य की बानगी का उल्लेख करना समीनीच होगा। 23 वर्षीय युवा कवि स्वप्निल तिवारी की रचना अंधेरे से क्या डरना काव्य क्षेत्र में उनके बढ़ते क़दमों की साक्षी है। श्री रविन्द्र यादव की प्रतिभा उनकी रचना ‘मातृ बंदना’ में स्पष्ट झलकती है। सीमा श्रीवास्तव की रचना ‘सूर घनाक्षरी’ सामाजिक संबंधों में मिठास घोलने का सफल प्रयास है। श्री रामानंद पाठक की रचना ‘बिटिया’ बेटी बचाओं, बेटी पढाओ के राष्ट्रीय आवह्ान की पूर्ति में सहायक है।
श्री प्रदीप खरे ‘मंजुल’ वरिष्ठ पत्रकार की रचना ‘गर्भ में बेटी की पुकार’ भी बेटी बचाओं का आवह्न करती है। श्री वीरेन्द्र चंसौरिया तो ‘प्रभु स्मरण’ संबंधी रचनाओं में महारत रखते हैं। रचना को गायन द्वारा प्रभावाी बनाने में वह निपुण हैं। श्री गुलाब सिंह ‘भाऊ’ ने सटीक रूप में टीकमगढ़ नगर के गौरव को रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया है। श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ की बुन्देली रचनओं की कोई सानी नहीं है। श्री शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ का ागीत ‘बेइ मिट्टी बेई खान’ सुंदर बन पड़ा है।
श्री जयहिन्द सिंह ‘जयहिंद’ की रचना गीत-‘नदिया’ बहु प्रशंसित गीत का आकार ले चुका है। श्री कोमलचंद ‘बजाज’ प्रार्थना हे माँ शारदे,माँ वीणापाणि को रिझाने-मनाने हेतु पर्याप्त शक्ति रखती है। श्री बाबू लाल जी जैन संकलन में सबसे वरिष्ठ कवि है उनकी रचना ‘बसंत का रूपक’ प्रभावी है।
श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, डाॅ. राज गोस्वामी,श्री अवध बिहारी श्रीवास्तव, श्री कल्याण दास साहू ‘पोषक’ श्री सीताराम तिवारी ‘दद्दा’ के दोहे अच्छे बन पड़े है। श्री दीनदयाल तिवारी तो अपनी कृति:बुन्देलजी चैकड़ियाँ’ पर म.प्र. साहित्य अकादमी का इक्यावन हजार का ‘छत्रसाल पुरस्कार’ प्राप्त कर चुके है। श्री विजय मेहरा एवं श्री रामगोपाल रैकवार की व्यंग्य रचनाये चुटीली है। वरिष्ठ शायर जनाब जफ़रउल्ला खा ‘ज़फ़र’, श्री अभिनंदन गोइल, उमाशंकर मिश्रा जी, संजय श्रीवास्तव की ग़ज़लों में पैनापन स्पष्ट छलकता है।
संकलन के अंत में ‘धरोहर’ शीर्षक के अंतर्गत ध्यकालीन साहित्य के पुरोधाओं में संत प्रवर गोस्वामी तुलसीदास जी, पं.केशवदास जी,मिश्र का, राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त बुन्देली के सशक्त हस्ताक्षर ईसुरी, गंगाधर व्यास, संतोष सिंह बुंदेला क अतिरिक्त स्व. श्री बटुक चतुर्वेदी, पं. कपिलदेव तैलंग और अंत में चंदेलकाल में आल्हा महाकाव्य के रचियता जगनिक का संक्षिप्त परिचय एवं उनके सृजन की बानगी दी गई है।
निष्कर्ष रूप में कहा जाता सकता है कि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने प्रस्तुत कृति के संकलन, सम्पादन एवं प्रकाशन में गुरुतर भार को निष्ठापूर्वक सम्पन्न कर आधुनिक रचनाकारों की प्रतिभा को प्रकाश में लाने का सराहनीय कार्य किया है। इस कार्य हेतु वह प्रशंसा के अधिकारी हैं।
कृति का मुद्रण त्ऱुटि रहित है। आवरण पृष्ठ पर लगभग सभी कवियों के चित्र देकर उसको आकर्षक बनाने का यत्न सफल रहा है।
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समीक्षक- हरिविष्णु अवस्थी (टीकमगढ़)
अध्यक्ष- श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद् टीकमगढ़
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#वनमाली_सृजन_केन्द्र_टीकमगढ़ की ‘पुस्तक समीक्षा गोष्ठी’ हुई
*(‘बुन्देलखण्ड_के_आधुनिक_कवि’’ ग्रंथ की समीक्षा)*
*टीकमगढ़*// रविन्द्रनाथ टैगोर विष्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विष्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्र,टीकमगढ़ द्वारा ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’’ ग्रंथ की पुस्तक समीक्षा गोष्ठी, आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़ में दिनांक 15-5-2022 को आयोजित की गयी।
गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार वरिष्ठ साहित्यकार पं. श्री हरिविष्णु जी अवस्थी’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्यकार श्री अजीत श्रीवास्तव जी रहे एवं विषिष्ट अतिथि के रूप के साहित्यकार श्री एस.आर.‘सरल’ जी रहे। माँ सरस्वती के पूजन के पश्चात वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती वंदना पढ़ी। तत्पष्चात् पहले दौर में पुस्तक समीक्षा पढ़ी गयी। दूसरे दौर में काव्य पाठ किया गया।
लाइबे्ररियन श्री विजय कुमार मेहरा जी ने ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’’ गं्रथ समीक्षा पढ़ते हुए कहा कि-मन के आवेग,विचार और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य की विभिन्न विधाओं द्वारा होती है। कविता उन सभी सर्जनाओं में सर्वोपरी है जो मन के भावों को संगठित करके सर्जित की जाती है। ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ बुन्देलखण्ड अंचल के युवा कवियों की रचनाओं से सुसज्जित काव्य कृति है। ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ पुस्तक में विशेषकर युवाओं की रचनाओं को प्रकाश में लाने का काम भाई राजीव नामदेव का प्रयास प्रशंसनीय है। यह पुस्तक निश्चित ही बुन्देलखण्ड के साहित्य जगत में मील का पत्थर साबित होगी।
श्री रामगोपाल जी रैकवार ने समीक्षा करते हुए कहा कि-पुस्तक के पेपर की गुणवत्ता, कुल पृष्ठ और सम्पादक की मेहनत को देखते हुए 174 पेज की इस पुस्तक का मूल्य 300रू. कम ही कहा जाएगा। श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ को जी बधाई और शुभकामनाएँ उन्होंने इस पुस्तक का संपादन कर बुन्देलखण्ड के साहित्य जगत में नई पौध का पालन-पोषण सरल कर दिया है।
पं. श्री हरिविष्णु अवस्थी जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि- कविता, निबंध, व्यंग्य,हाइकु,दोहा आदि विभिन्न विद्याओं में क्रियाशील अनेक पुस्तकों के रचियता, म.प्र. की प्रतिष्ठित संस्था मध्यप्रदेश लेखक संघ भोपाल की जिला इकाई टीकमगढ़ का निष्ठापूर्वक विगत 23 वर्षो से कुशलता पूर्वक संचालन कर रहे श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा संकलित एवं सम्पादित कृति ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ की समीक्षा लिखते हुए, ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे हिन्दी भाषा के ज्ञान यज्ञ मे मुझे भी आहुति देने का सुयोग अकस्मात प्रात हो गया है। निष्कर्ष रूप में कहा जाता सकता है कि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने प्रस्तुत कृति के संकलन, सम्पादन एवं प्रकाशन में गुरुतर भार को निष्ठापूर्वक सम्पन्न कर आधुनिक रचनाकारों की प्रतिभा को प्रकाश में लाने का सराहनीय कार्य किया है। इस कार्य हेतु वह प्रशंसा के अधिकारी हैं। कृति का मुद्रण त्रुटि रहित है। आवरण पृष्ठ पर लगभग सभी कवियों के चित्र देकर उसको आकर्षक बनाने का यत्न सफल रहा है।
डाॅ. प्रीति सिंह जी परमार ने समीक्षा करते हुए कहा कि- संपादक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ जी ने इस पुस्तक में 61 नये कवियों को एवं 10 पुराने कवियों को स्थान दिया है इस पुस्तक में कविता ,दोहा, ग़ज़ल, हाइकु बुन्देली गीत, घनाक्षरी, मुक्तक व्यंग्य आदि पद्य की लगभग सभी विद्याएँं समाहित है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें ‘हमारी धरोहर’ भाग में बानगी के तौर पर बुन्देलखण्ड के 10 प्रसिद्ध बहुत पुराने कवियों की रचनाएँ सपरिचय दी गयी है। ताकि वर्तमान पीढ़ी उनके साहित्य को पढ़कर कुछ सीख सके। ‘राना लिधौरी’ ने बुन्देलखण्ड के कवियों को एक माला के पिरोने का स्तुत्य कार्य किया है।
व्यंग्यकार श्री अजीत श्रीवास्तव जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि-श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा संपादित यह ग्रंथ ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ भविष्य के शोध के लिए बहुत काम आयेगा। वर्तमान में कैसा साहित्य लिखा जा रहा है इसकी झलक इस पुस्तक में देखने को मिल जाती है। युवा पीढ़ी को इस पुस्तक को एक वार जरूर पढ़ना चाहिए बेहतरीन ढंग से सम्पादित यह पुस्तक संग्रहणीय है।
कवि श्री डी.पी. शुक्ला जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि-श्री राजीव नामदेव द्वारा बेहतरीन ढंग से सम्पादित पुस्तक ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ के माध्यम से उन्होंने नवोदितो एवं खासकर ग्रामीण अँचलों में रहने वाले कवियों को ढूँढकर जिनकी रचनाएँ केवल वहीं तक सीमित थी, उनकी रचनाओं को एकत्रित कर उन्हें संपादित करके इस पुस्तक में स्थान दिया जो कि बहुत ही प्रशंसनीय एवं वंदनीय कार्य है।
नवोदित कवि श्री कमलेस सेन जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि-श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा मुझ जैसे अनेक गुमनाम नवोदित को एक सशक्त मंच प्रदान करते हुए हमारी काव्य प्रतिभा को सबके सामने लाने एवं उन्हें प्रकाशित करने का जो बीड़ा उठाया है उसकी जितनी प्रशंसा की जाये उनती कम है। यह पुस्तक हमारे लिए एक अनमोल धरोहर है।
गीतकार श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने करते हुए कहा कि- आज राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ साहित्य के क्षेत्र में स्वयं नित नया सृजन कर ही रहे है वहीं दूसरों को भी हमेशा प्रोत्साहित करते रहते हैं काव्य गोष्ठियाँ म.प्र.लेखक संघ, वनमाली सृजन केन्द्र एवं जय बुन्देली साहित्य समूह के माध्यम के हर माह तो करते ही रहते है इसके अलावा वे कवियों की रचनाओं का सांझा प्रकाशन भी समय-समय पर करते रहते है ‘अभी लंबा है सफर’,‘जज़्बात’, काव्य संकलन के बाद हाल ही में ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ का प्रकाशन करके ‘राना लिधौरी’ जी ने बुन्देलखण्ड के साहित्य जगत में धूम मचा दी है। आज कल यह पुस्तक बहुत चर्चित हो रही है।
वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ के जिलाध्यक्ष व पुस्तक के संपादक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि- हमने इस पुस्तक में बुन्देलखण्ड के अधिक से अधिक कवियों को शामिल करने का प्रयास किया था उनसे संपर्क भी किया था किन्तु अनेक लोगों ने रचनाएँ हमें प्राप्त नहीं हो पायी। अधिक बिलंब न हो जाये इसीलिए ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ (भाग-1) के रूप में इसे प्रकाशित किया है भविष्य में इसके दूसरे भाग में जो कवि शेष रह गये है उन्हें शामिल किया जायेगा।
अंत में सभी का आभार वनमाली सृजन केन्द्र केे जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने माना।
#रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष एवं संयोजन-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
टीकमगढ़ मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
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