संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 निंबुआ💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 109वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 18-04-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
05- डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
08-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
09-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
10-गीता देवी, औरैया (उत्तरप्रदेश)
11-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
12-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
13-गोकुल यादव,बुढेरा, टीकमगढ़
14-रामानंद पाठक ,नैगुवा
15-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
16-अमर सिंह राय,नौगांव
17- संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)
18-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'निंबुआ ( 109वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 109 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 109वीं ई-बुक 'निंबुआ' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है।
ये सभी दोहे पटल के साथियों ने सोमवार दिनांक-18-4-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय 'निंबुआ' पर दिनांक-18-4-2022 को पटल पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-18-04-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*बुंदेली दोहा बिषय-निबुआ*
*1*
निबुआ नोंनो वो लगे,
पतरौ पीरौ होय।
निन्ने जो रस पी लिया,
कैउ रोग नइ होय।।
***
*2*
निबुआ में गुन होत है,
रोग,तंत्र मिट जात।
शर्वत बना- बना पियो,
पूजा में चढ़ जात।।
***18-4-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
,विषय निबुआ,
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निबुआ निनने घोरकें ,ताजे जल पी जाव।
रोग दोग व्यापे नही , चरबी सें सुख पाव।।
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नोन मेंच मैंथी कलत ,निबुआ उर अजवान।
चिकनइ संगे कलौजी , भइ अचार की शान।।
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देवि देवतन खों चढ़त ,निबुआ खुपटन फार।
भूत भुतइआ पूजवे ,निबुआ धरत अगार।।
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निबुआ रस लासुन मिरच ,अदरक संगे नोन।
मजेदार चटनी बनत , खाव साद कें मोन ।।
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निबुआ रस शक्कर मिला ,काली मिरचा घोर।
मिजमानी जल बोंड़ दो , मेंमानन की ओर।।
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गुर पानी में घोरकेँ ,रस निबुआ को डार।
एक गड़इ पिरमोद पी , औगुन हरत हजार।।
,,,,,,,,
नजर लगे नइ टोटका करते निबुआ काट।
साढ़ू भय पिटरोल कें ,बढ़े भाव उर ठाट।।
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-प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
*निबुआ पर बुन्देली दोहे*
निबुआ माता खों चढ़त, निबुआ नजर बचाय।
सूट जाव सरवत बना ,गरमी अगर झॅंजाय।।
निबुआ कौ रस काड़ कें,कागद पै लिख दैव।
आंच दिखाओ तनक सी, फिर सबरो पढ़ लैव।।
निबुआ कौ मिरचन डरौ,थानो जो मिल जाय।
तातीं लुचइं कलेउ में,ओरी परस न पाय।।
निबुआ सौ चोखें फिरत,नाइं करत है साव।
बिटिया स्यानी है घरै,कैसें हो रव ब्याव।।
अब बे निबुआ कागदी,क्यांऊ नजर न आंय।
"अनुरागी" अटका परें,फिरें नाय कें मांय।।
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
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04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
बुंदेली दोहे
विषय -निबुआ
दिनांक -18 04 2022
*********************
बिना सींग की सास है,जैसें मरका बैल।
निबुआ सौ मोय निचो दव, है पक्की चूडैल।।
जीजाजू सौ कीमती, हो गव निबुआ आज।
ज्यों जीजा ससरार में,त्यों निबुआ कौ राज।।
पौदीना औ प्याज की,चटनी लेव बनाय।
निबुआ कौ रस मिला लो,गजब स्वाद आ जाय।।
नोंन मिर्च अजवायन सें, जी कौ बनत अचार।
ऊ निबुआ कौ नाव सुन,चड़ रव सबै बुखार।।
निबुआ मिर्चें टांग कें,सबने भूत भगाय।
आज कोउ जौ कर धरै,उयै गश्त आ जाय।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
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05-- डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
दोहे विषय 'निबुआ'
1 निबुआ में गुन भोत हैं,
गरमी बड़ो पुसात।
बना शिकंजी सब पियें,
मैया को जो भात।।
2 कोरोना के काल में,
सब भै डांवाडोल।
निबुआ जैसे निचुर गए,
खुली सबइ की पोल।।
3 कंकाली मज्जा खड़ीं,
निबुआ की बलि देत।
सबके संकट टारतीं,
बस वे निबुआ लेत।।
***
- डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
बिषय - "निबुआ" (नींबू)बुंदेली दोहा (109)
1-
देवी खों निबुआ चढें, जय जगदंबा माइ ।
बोलत हौंम लगाउं में,चरनन डरौ तुमांइ ।।
2-
निबुआ की बलि देत जो,माई होत प्रसन्न ।
मातु भवानी कालिका,जग खां देवै अन्न ।।
3-
निबुआ में गुन भौत हैं,सुनतन मौ पनयाय ।
नौन मसालों डारकैं,बना अचारइ खाय ।।
4-
निबुआ की ठंडायाइ, बना-बना पी जाव ।
कितनउ गरमी परी हो. तन-मन ठंडौं पाव ।।
5-
भोजन की थाली सजी,नींबू कलियाँ होय ।
खावे के ऊ स्वाद कौ, वरनन करवै कोय ।।
मौलिक रचना
***
✍️-शोभाराम दाँगी 'इंदु' ,नंदनवारा
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07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
बुंदेली दोहा दिवस दिनांक18.4.2022
बिषय। निबुआ
🌹
निबुआ घांइ निचुर गये ,कोरोना की मार।
ऊ पे मंहगाई बड़ी,मच रओ हाहाकार।।
🌹
पन्दरा के दो बिक रहे,कभऊं बेई न आंये।
गरमी दै रई दोंदरा, निबुआ नहीं दिखांय।।
🌹
निबुआ की बलि मात खों, सबसे अधिक सुहाय।
कालन की कलि कालिका,जय जय जय हो माय।।
🌹
निबुआ गुनकारी बड़ो, सब तन रहे निरोग।
पानी शक्कर संग घुरे,शरबत मीठो भोग।।
🌹
***
-आशा रिछारिया, जिला निवाड़ी
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08-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़
दोहा..बिषय-निबुआ
18.04.2022
*प्रदीप खरे, मंजुल
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
जब सें धनिया आ गई,
मुश्किल जीबौ होय।
निबुआ से निचुरे धरे,
लेत खबर नहिं कोय।।
2-
निबुआ सौ मसकत फिरे,
रन में हनुमत लाल।
रावन दल हाहा करै,
मचल रऔ है काल।
3-
निबुआ माइ चढ़ा दियौ,
झंडा दियौ लगाय।
पान बताशा धर दियौ,
माता लियौ मनाय।।
4-
निबुआ में गुन हैं भरे,
पियत न आबै रोग।
गरमी सें राहत मिलै,
सुखी रहें सब लोग।।
5-
तपत दुपरिया में कजन,
घरै कोउ आ जाय।
निबुआ शक्कर फैंटकैं,
शर्बत दियौ पिलाय।।
***
✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़
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09- एस आर सरल, टीकमगढ़
बुन्देली दोहा# निबुआ #
जौन घरें निबुआ लगों, बों घर रहत निरोग।
निबुआ बड़ी दवाइ है, जा कत बूढ़े लोग।।
निबुआ जैसे निचुर गय,कै रइ बलम हमाय।।
सात बन्न कों खात हैं, चेतत नइयाँ काय।।
निबुआ पौदीना हरों, शक्कर लेत मिलाय।
लाल दुपरिया में इनें, रोजउँ रये पिलाय।।
इंतजाम सबरे करें, लपट नईं लग जाय।
निबुआ पानी रय पिया,उर रय पनों लगाय।।
***
-एस आर सरल, टीकमगढ़
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10-गीता देवी, औरैया (उत्तरप्रदेश)
निबुआ
निबुआ कौ शरबत पिओ, लोगों भौत अघाय।
देंह ताजगी सों भरै, गरमी देत भगाय।।
सरक पैं निबुआ पड़ौ, चलिओ तनिक सँभाल।
पाँय धरौ यदि आपने, मिलै न कोनउँ ढाल।।
शोभत माता कै गरै, निबुआ वाली माल।
भौत खुशी माँ कौं मिलै, निकट न आबै काल।।
उदघाटन करिओ जबहि, सुन लैहौं इक बात।
निबुआ मिर्ची हों बँधे, नजरैं बुरी भगात।।
नोनों निबुआ कौ लगै, खाबौ तनिक अचार।
एक बैर जो खात हय, दिनभर खाबै यार।।
-गीता देवी, औरैया (उत्तरप्रदेश)
**
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11-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
1-
लपट झकर को डर नहीं,
निबुआ जब मिल जाय।
निबुआ रस तन तन पियो,
जब जब जी मचलाय।।
2-
निबुआ गुन भरपूर रत,
तन मन करे स्वस्थ्य।
निबुआ रस शरबत बना,
पीवे सब -ई अवश्य।
***
-बृजभूषण दुबे "बृज", बकस्वाहा
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12-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
#सोमवार#दिनाँक18.04.2022#
#बुन्देली दोहा लेखन#निबुआ#
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
#1#
दिल्ली में दस कौ मिलै,लेव आगरा आठ।
ग्यारा कौ गुजरात में,पड़लो निबुआ। पाठ।।
#2#
नीबू काट निचोरिये,मों में पानी आय।
बारे के न्यारे करै,जो अचार डर जाय।।
#3#
पीरौ निबुआ रस भरो,करिये रोजउ पान।
मिलत विटामिन सी सदा,भोजन में रस खान।।
#4#
दो दो बूँदा नाक में,निबुआ रस टपकाय।
कौरौना सें ना मरै,कछू बिगर ना पाय।।
#5#
पीरे लड़ुआ पेड़ के,दुर्गा जू खों भाँय।
फूलै फरबै साल भर,निबुआ में फल पाँय।।
**
#मौलिक ए्वम् स्वरचित#
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
#मो0 6260886596#
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13-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
🙏बुन्देली दोहे,विषय-निबुआ🙏
**************************
निबुआ में गुन भौत हैं,
औगुन एकइ रात।
'ए' चोंखै निबुआ अगर,
'बी' कौ मों पनयात।
**************************
नीबू पानी होत है,
सबसें सस्तौ पेय।
अब निबुआ मँहगौ भयौ,
का गरीब पी लेय।
**************************
बरसन सरहज कान कौ,
काड़त रऔ कनेउ।
निबुआ नोंन चटा गऔ,
सारे खाँ बैंनेउ।
**************************
पनौ कलींदौ चीमरी,
बिरचुन सत्तू छाँच।
निबुआ रस लस्सी पिऔ,
रहै न तन में आँच।
***************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
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14-रामानंद पाठक ,नैगुवा
दोहा निबुआ
1
निबुआ कौ पानी पियौ,खाली होवै पेट।
रय काया स्वस्थ सदा,निगै न लठिया टेक।
2
भौतइ बजन सरीर कौ,निबुआ पानी पीउ।
काया खों सुन्दर करै,नौनों रैबै जीउ।
3
निबुआ कौ रस काड कें,पानी में दो डार।
शक्कर वा में मिला लियौ,सरवत बनबै यार।
4
निबुआ पेड़ लगाइयौ,घर के आबै काम।
अथानों सलाद बना,करियौ ऊके दाम।
5
बली रुप निबुआ चढै,माता के दरबार।
विगरी सबइ बनाइयौ,मांगत हाथ पसार।
***
-रामानंद पाठक ,नैगुवा
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*15-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय निबुआ
पियत सिकंजी सोंक सें,चालू पुरजा जोंन।
चोंखत रय हम तौ सदां,निसदिन निमुआं नोंन।।
गुड़गुड़ाय जब पेट जौ, खट्टी आय डकार।
निमुआं अजवाइन नमक,करबें दूर बिकार।।
देबी जू निमुआं बिना, होबें नइंँ प्रसन्न।
भारी मीठे फलन पै , धन्न धन्न तें धन्न।।
***
- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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16-अमर सिंह राय,नौगांव
चाटत निबुआ नोन सो,
हम रै गय हैं आज।
गवालियर हम आ गए,
हतो जरूरी काज।
🙏 अमर सिंह राय,नौगांव
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17- संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)
*सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय - *निबुआ*
*१*
भूत प्रेत खुश हो रहे,
सुनकें निबुआ भाव।
मंहगाई डायन बनी,
कैसें भोग लगाव।।
*२*
निबुआ बोलो आम सें,
पीरी पर गइ खाल।
उमर सें पैलां पक गय,
घाम तेज ई साल।।
*३*
निबुअन की बगिया फरी,
निबुआ लगे हजार।
बेदरदी सें टोरकेँ,
करन लगे व्यापार।।
*४*
निबुआ पतरी खाल को,
होत भौत रसदार।
चाय घोर सरबत पियो,
डारो चाय अचार।।
*५*
अदरक निबुआ आंवला,
जीवन भर सुखदाइ।
सेहत खों चौकस रखे,
मानो इने दवाइ।।
***
संजय श्रीवास्तव, मवई
१८-४-२२ 😊 दिल्ली
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18-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
दो दोहे.
निबुआ.
निबुआ गुणकारी बहुत, बढ़ी सबई में मांग।
निबुआ में मैंगाइ की,आसों लग गइ आग।।
निबुआ के रस से बने, शर्बत कैउ प्रकार।
पीवे बारन के हरें, औगुन इतै हजार।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
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संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
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संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
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