Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 19 सितंबर 2022

मुंडा (जूता) (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़

      मुंडा (जूता) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक

संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
                 
  
                💐😊 मुंडा (जूता) 💐😊
             (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 119वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 19-09-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎊       
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
04-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-अभिनंदन गोइल, इंदौर
07-वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
10-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
11-एस आर सरल,टीकमगढ़ (म.प्र.)
12-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बड़ामलहरा छतरपुर
13-हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य, ललितपुर
14-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
15-संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली
 16-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.  
17-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
19-डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान "छतरपुर
20*-डॉ.सुनील त्रिपाठी निराला,भिण्ड मप्र
21-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
22*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
23*गीता देवी औरैया, उत्तर प्रदेश
24-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी

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संपादकीय


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के  एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'मुंडा (जूता)' ( 119वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 119 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 82 देश के लगभग 82000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  119वीं ई-बुक 'मुंडा' (जूता)  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-17-9-2022 को बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-79  में दिये गये बिषय-'मुंडा (जूता)  पर दिनांक-19-9-2022 को पटल पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
            ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-19-09-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



**अप्रतियोगी दोहा-*
बिषय- मुंडा (जूता)

मारत  मुंडा  मूँड  पै ,  #राना  लख  मर  जाय।
माटी में इज्जत मिलत ,  मूरख समझ न पाय।।
 ***
मुंडा   कौ   भी नेग   है ,  #राना‌  लेतइ  मान  |
साली  डब्वल लै झटक , मुस्की  देवैं    आन ||
***
अपनौ मुंडा पूत  खौं , जब भी फिट हो जाय |
लरका बड्डौ हौ गयौ  , #राना  अक्कल आय ||
***
कनपुरिया- बाटा सुनै , कछु  देशी भी नाम |
#राना मिरगी आय जब , मुंडा करतइ काम ||
***
#राना    मुंडा   जानियौं ,  हौतइ   बड़े  महान |
चमचा  सब पालिस करत, रखतइ उनकौ ध्यान ||
              ***
 
© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐

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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


मुंडा मारो फेंक कें ,
नेता रैगव हेर।
बच गव मौं में घलत सें, 
तनकइ रव तो फेर।।
             ***
       
       -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
           स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

मुंडा बाहर छोड़कें, दर्शन करबे जात।
तनक नजर भगवान पै,तनक बायरें रात।।
             ***
मुंडा समझ खड़ाउॅं के,बल पै कीन्हो राज।
धन्य भरत के त्याग खों,करौ राम कौ काज।।

अनगिनत काॅंटे ठटें,जाड़ो औ बरसात।
 नाईं मुंडा नै करें,होबै दिन या रात।।

मुंडा सें कुचरो अगर, झट्ट अकल आ जात।
ज्ञानी मानत ज्ञान सें, गदा मगाबै लात।।

तेल बसेला डार कें, जीजा गये ससुरार।
झौरा में मुंडा धरें,देख हॅंसें नग नार।।
        🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   4*-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़

का कै दैं ई जीभ की , ठाँटौ  जब  बक जात |
भीतर  घुसतइ जब  चलैं  , मुंडा  घूँसा  लात ||
                         ***                      
मुंडा की मैमाँ  सुनौ , पुलिस  लैत  है  काम |
गुंडन की मुड़िया घलै ,  धुनकै रुइ-सो चाम ||

मुंडा रहै ना पैर  तक , अब बन गय  औजार |
लोकसभा तक चल गयै  , बनकर कै हत्यार ||

खुद के   मुंडा सिर पड़ैं  ,   दद्दा  हौं   नाराज |
टौ  डारत  है चामरो ,  नहीं  सुनत   आबाज ||

कुत्ता  मुंडा  सूँघ  कै , करत   चौर   पैचान |
मुंडन की मैमाँ बहुत ,   काँ लौं करें बखान ||

मुंडा   बोलौ एक दिन , सुन लै बात सुभाष |
हमै छौड़ उपनय गयै , काँटे   लैय  किलाश ||

              ***
        -सुभाष सिंघई,जतारा

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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


 पितु की आज्ञा मान कैं, तपसिन धरो शरीर।
बिन मुंडा वैभव बिना, गय बन खां रघुवीर।।
                  ***                    
             -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         

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6-अभिनंदन गोइल, इंदौर


धुन नय-नय मुण्डा पैरकें, मटकत बाल-गुपाल।
देख किलकवौ लाल कौ,मैया भई निहाल।।
              ***
                -अभिनंदन गोइल, इंदौर

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07-वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
करिया मुंडा पैर कें , जीजा चले बरात।
जम रव जीजा आज तौ , सबइ बराती कात।।
                  ***
                     -वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
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08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम


अप्रतियोगी बुंदेली दोहे
बिषय :-मुंडा (जूता)

भगती भूँकी भाव की, जात करम नैं खास।
चदरा बुनत कबीरजू, मुंडा खों रैदास।।

मुंडा में गुन भौत हैं, मान-पान, हतियार।
खूना-खूनी के बिना, देबै ठसक उतार।।

पियत पियत में हो परी, बेबड़ियों में रार।।
गुत्थमगुत्था होय कै, दै मुंडा की मार।।

धरी पुटरिया मूँड़ पै, मुंडा धरै उतार।
बब्बा निंगे बजार खों, नदिया पैलै पार।।


मुंडा कैत खड़ाऊँ सों, दादू  सुनियो बात।
तुम तो सर माथे धरै, हम में ठूँसे लात।।

तीन रेंपटा हान दब, मुंडा घलो हजार।
जे नकटन की जात खों, कभु नैं लगै बघार।।
***********************************
मौलिक व स्वरचित
-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
           ***
            
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09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा


बिन  मुुंडा  निग न  पारय,  लगत पांव  में  सूल ।
पाउन  की  रकछा करें , चढे पाव नै धूल  ।।
                  ***
नए-नए मुंडा पैर कैं , गये कुँवर ससुराल ।
सारी आव भगत करे , भग नै जइयो काल ।।

सज धज कैं जीजा चले , मुंडा पैरें लाल ।
मुँह में वीरा  पान कौ ,दवा गये ससुराल।।

कुँवर कलेऊ होत में , साली रइ बतयाय।
जीजा मुंडा मांग वै , सारी नैंग मगाय।।

सखियन  सग  सारी  करे ,जीजा सैं बतकाव।
मुंडा हमनों है नहीं ,पैलें नैंग चुकाव।।

कुँवर कलेवा  में सखी ,मारें  अपनौं  हाँत।
मुंडा खूब दुकाउती , समजैं अपनी  धाँक।।
                 -शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

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*10*-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर


पंचन में पापी करै ,निज गलती स्वीकार ।
मुंडा  धरबै  मूॅंड़  पै ,  पगड़ी  धरै  उतार ।।
           ***
                 -आशाराम वर्मा 'नादान' पृथ्वीपुर

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11-एस आर सरल,टीकमगढ़



 कुँअर कलेवा खौ चले,सखियाँ मन हर्षायँ।
जनक पुरी  में  राम  के, मुंडा  धरै दुकायँ।।

सइयाँ मुंडा पैर के, करबे चले बजार।
ऐठत मूंछै  ताव दें , कंघी  करें  समार।।

गलर दएँ हैं गैल में, ठानत फिरबें रार।
दरुअन खौ दारू चढ़ी, मांगे मुंडा चार।।

मोजा मुंडा पैर के, भैया  गय ससरार।
सारी सै यारी करी,घर में ठन गइ रार।।

बाटा  के  मुंडा  जडें, फटफटिया हुर्रायँ।
चार जनन खौ देख कै,तुर्रा खूब बतायँ।।

समदी  मुंडा  पैर  कै, चले घुटन्ना  डार।
समदन देखें ढूंक कै,नैनन झलकें प्यार।।
             -  एस आर 'सरल'
                   टीकमगढ़
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12-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बड़ामलहरा छतरपुर
चरन सरन प्रभु राखलो,ओर कितै मैं  जैवँ।
मुन्डा मालक आपके,रुच- रुच पोंछत रेंवँ।।
            ***
बुंदेली के ज्वान जे, का मूछें तर्रायँ।
जरी जड़े मुन्डा डटें,चर्र- चर्र चर्रायँ।।

मुन्डा घिस गय पाँवके,गोडे टोरे खूब।
माते नें झटका दओ,आसा में गय डूब।।

जिनकौ लवतौ आसरौ, प्रान खायँ बे लेत।
मुन्डा से मारें कभउँ,मौं पै गारीं देत।।

रोज उपद्रे करत रत,जिदनां पकरो जात।
मुन्डा धरकें मूड़ पै,पंचन में गिगयात।।

-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बड़ामलहरा छतरपुर

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13-हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य, ललितपुर

*मुंडा जब सें टूट गये, जा नइं पाउत हाट।
उत सें मूॅज लियावनें , सबई टूट गईं खाट।।१
मोरे मुंडा खो गये, एड़ी फट गइं खूब।
पिसा नइयाॅं जेब में, जाउॅं बावरी डूब।।२
जब सें मुंडा टूट गय, पउनई न  जा पात।
नेवते  ढेरन आउत  हैं, खावे खौं ललचात।।३
मौड़ा उपनव फिरता है, मुंडा नइं लै पाउत।
हो गउ इतनौं ढीट लौ, पढ़वे खौं नईं जाउत।। ४

-"हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य, ललितपुर


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-14-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

मुंडा मनके पैरियौ, तनक न हलके होंय। 
कसके पैरत जौन तौ,मुढ़ी पकर कें रोंय।।
              ***
मुंडा महिमा है बढ़ी,जाकौ भौतइ मोल।
सूंगत सैं मिरगी भगै,मारैं कढ़ै न बोल।।
*
मुंडा मारौ फेंक कैं,लिगाँ न जइयौ कोय।
कजन पकर में आ गयौ,घलै कुचर कै तोय।।

                -प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़


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15-संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली

परहित में जीवन कटे,  पाँवन मुंडा धाम।    
काँटे, कीचड़ सब सहे,पियत जेठ को घाम।।
           ***
   
संसद में मुंडा चलेँ, चलबैं घूँसा-लात।
गाली, झगड़ा, तनातनी, रोजीना की बात।।

*२*
भलो आदमी हर जगा, मान शान सें पात ।
छलिया,कपटी,काइयाँ, मुंडा खात दिखात ।।

*३*
मुंडा के जलबे बड़े,पाँवन में इठलाय।
गुस्सा में गर हाँत हों, देख पसीना आय।।

*४*
मुंडा पैरें जा घुसो, मुन्ना चूले पास।
बाई ने पूजा करी, मुंडा घले पचास।।
***
     संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली

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  16-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
निगत गये वे गैल में, सज धज कें तैयार।
कीचड़ में मुंडा सने, पहुंचे जब ससुरार।।

मंदिर द्वारे में रखे, मुंडा देख ललात/
मौका लगते बेइ फिर, उनखों मिले चुरात//

चाल चलन घटिया जितै, लवरा बनो गवांर/
गली -गली मुंडा मिले, उनको जो व्यवहार//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.               
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17--जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
पियें डरे चाये जितै,आदत सें लाचार।
पीवे बारे जो मिलें,मुंडा मारौ चार।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़

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18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा


पा मुन्डा गुन्डा भगैं,नई समाजै ठौर।
अधोगती जा जगत में,जीवन करत न गौर।।
                ***
                    -रामानन्द पाठक,नैगुवां
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19-डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान "छतरपुर
पंगत लागी पौर में, जान लगत सब लोग ।
माते मुंडा पहन कर ,बैठ लगाए भोग ।
               ***
- डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान "छतरपुर

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*20*-डॉ.सुनील त्रिपाठी निराला,भिण्ड मप्र
कौंड़ काट रए रोज़ जे, गलियन में भैमार।
मुंडा हन दे चांद पै, उतरै इश्क़बुखार।।
       ***
         -डॉ.सुनील त्रिपाठी निराला,भिण्ड मप्र

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21-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
मुंडा मोरे घिस गए, मिलत चाकरी नाय। 
अरजीं दे-दे का भओ, सबरी उमर नसाय ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.

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*22*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
मुंडा जूता पनहियां,मतलब एकई आय।
कीरा कांटे धूर सें, मुंडा हमें बचाय।।
***
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

*23*गीता देवी औरैया, उत्तर प्रदेश
मुंडा कम नहि आँकियो, पैर पिनै अति सोय।
और खुपड़िया पै परै, याददाश्त सब खोय।।
     ***
          -गीता देवी औरैया, उत्तर प्रदेश
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

*24-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी

गयते  मेला  देखवे, पौंचे  बीच बजार।
तनक नैन मटका धरे,मुंडा घले हजार।।
                ***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
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🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

समीक्षक - सुभाष सिंघई जतारा
प्रतियोगी दोहों के भाव व कथ्य आशय पर आधारित 
#चौपाई_छंद_में_समीक्षा 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
समीक्षा लिखने के बाद , अभी हाल में ही  आदरणीय राना जी से प्राप्त सूची अनुसार , दोहा के साथ , दोहा लेखक का नाम , संलग्न कर दिया गया है  , व जिस पर चौपाई छंद से भाव समीक्षा की है | कहीं त्रुटि हो तब परिमार्जित भावना से स्वीकार करें 
सादर 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-79*
*बिषय-  मुंडा दिनांक-17-9-2022*
*प्राप्त प्रविष्टियां:--*

*1* श्री अमरसिंह राय जी

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

पितु आज्ञा मस्तक पर धारो |
सही गलत भी  नहीं विचारो ||
कवि का कहना पितु ही देवा |
आज्ञा पालन  उनकी   सेवा ||

आपने श्रीराम के माध्यम से पिता की आज्ञा मानने का सटीक संदेश दिया है
                  ****************
             
*2* श्री एस आर सरल जी

कुँअर कलेवा खौ चले,सखियाँ मन हर्षायँ।
जनक पुरी  में  राम  के, मुंडा  धरै दुकायँ।|

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

नेग चार सब   होय    विवाहा |
साली सखियाँ   करती चाहा ||
जनकपुरी में कवि मन रमता  |
मन भी हँसता जितनी क्षमता  ||

आपने जनकपुरी के माध्यम से अपने दोहे में विवाह की सामाजिक परम्परा का बखूबी चित्रण किया है
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*3* सुभाष सिंघई

का कै दैं ई जीभ की , ठाँटौ  जब  बक जात |
भीतर  घुसतइ जब  चलैं  , मुंडा  घूँसा  लात ||

दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

लगती कवि को जीभ सयानी |
बिना सोच   जब   बोले  वानी ||
चल   उठती   है , घूँसा  लातें |
चार   तरह   की    चारों   बातें

जीभ की बेलगाम बात का परिणाम बतलाया है
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*4* श्री डा० आर बी पटेल जी‌

पंगत लागी पौर में, जान लगत सब लोग ।
माते मुंडा पहन कर ,बैठ लगाए भोग ।|

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

बड़ा आदमी   इज्जत   पाता |
उँगली उस पर  कौन उठाता ||
कवि कहता है , आज जमाना |
गलती   करता   आज सयाना ||

आपने बड़े आदमी की गुस्ताखी पर संकेत किया है
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*5*श्री डा० सुनील त्रिपाठी जी

कौंड़ काट रय रोज़ जे, गलियन में भैमार।
मुंडा हन दे चांद पै, उतरै  इश्क़     बुखार।।
(टंकण त्रुटि परिमार्जित)

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

रहें घूमते   गाँव   गली में |
छैला बनकर रहें छली में ||
मिलते  मुंडा जब यह  फँसते  |
कवि कहता है , तब सब हँसते ||

आपने तथाकथित  आशिकों  पर सटीक  प्रहार किया है
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*6*श्री आशाराम वर्मा नादान जी

पंचन में पापी करै ,निज गलती स्वीकार ।
मुंडा  धरबै  मूॅंड़  पै ,  पगड़ी  धरै  उतार ।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

गलती जो भी नर कर जाता |
पंचायत  में   शीष   झुकाता ||
चार   जनों  में   पगड़ी उछले |
गाँव   भरे  में  बातें   छिछले ||

आपने गलती करने का परिणाम अवगत कराया है कि किस तरह शर्मिंदगी उठानी पड़ती है
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*7*श्री प्रमोद मिश्रा जी

मुंडा मारो फेंक कें ,नेता रैगव हेर।
बच गव मौं में घलत सें, तनकइ रव तो फेर।।
(तीसरे चरण की यति परिमार्जित) ‌‌‌‌‌‌

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

सभी   देखते  फिकते  मुंडा |
राजनीति बन    जाती गुंडा ||
कवि कहता कैसा अब मेला |
मुंडा बनता   है अब   खेला ||

आपने वर्तमान राजनीति पर जूता प्रचलन पर सटीक तंज संकेत किया है
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*8* श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी

निगत गये वे गैल में, सज धज कें तैयार।
कीचड़ में मुंडा सने, पहुंचे जब ससुरार।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

जहाँ गंदगी  फैली रहती |
चोटें तन पर पड़नी सहती ||
जहाँ- जहाँ पर जाना होता |
कवि मन कहता होना रोता ||

आपने गाँव गली की कीचड़ भरी गलियो पर सटीक तंज किया है , हास्य के साथ
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*9* श्री अभिनंदन गोइल जी

नय-नय मुण्डा पैरकें, मटकत बाल-गुपाल।
देख किलकवौ लाल कौ,मैया भई निहाल।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

चरण    पादुका   माता   लाती |
बालक को वह   खुद पहनाती ||
खुश होती वह मुख को लखकर |
कवि मन कहता ,यह पल सुखकर ||

आपने माता के वात्सल्य रुप  का अद्भुत रुप  निरुपण किया है
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*10*श्री प्रदीप खरे मंजुल जी

मुंडा मनके पैरियौ, तनक न हलके होंय।
कसके पैरत जौन तौ,मुढ़ी पकर कें रोंय।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

खाना पीना मन का होता |
बेमन का सब लगता रोता |
ढ़ीला कसता  काम  बिगारे |
सच्ची  बातें  कवि  उच्चारे ||

आपने  मुंडा के माध्यम से संकेत किया है कि सभी काम सटीक होना चाहिए , घट बढ़ काम कष्टदायी होता है

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*11* श्री बीरेन्द्र चंसौरिया जी

करिया मुंडा पैर कें , जीजा चले बरात।
जम रव जीजा आज तौ , सबइ बराती कात।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

जीजा यहाँ   प्रतीक बना है |
कहने का कुछ भाव घना है ||
रखना सदा लिवास सुहाना |
कहता सबसे आज जमाना ||

आपने सामाजिक परिवेश में जीजा को प्रतीक बनाकर उचित पहनावें व रहन सहन पर बल दिया है

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*12* श्री डा० देवदत्त द्विवेदी जी

चरन सरन प्रभु राखलो,ओर कितै मैं  जैवँ।
मुन्डा मालक आपके,रुच- रुच पोंछत रेंवँ।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

कवि मन प्रभु का दास सुहाना |
भक्ति   अपनी   करे   बखाना ||
चरण शरण की इक्छा रखता |
भाव भावना ,  पावन  चखता ||

आपने भक्ति की पराकाष्ठा पर पहुँचकर , भगवान के चरणों में रहने का वरदान माँगा है
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*13* श्री श्यामराव धर्मपुरीकर जी

मुंडा मोरे घिस गए, मिलत चाकरी नाय।
अरजीं दे-दे का भओ, सबरी उमर नसाय ।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

बड़ी समस्या आज दिखाती |
नहीं नौकरी अब मिल पाती ||
कवि कहता है देकर अरजी |
कभी न होती मन की मरजी ||

आपने वर्तमान वेरोजगारी पर सटीक तंज किया है
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*14* श्री शोभाराम दांगी जी

बिन  मुुंडा  जब हम निगत ,  लगत पांव  में  सूल ।
पाउन  की  रकछा करें , चढे पाव नै धूल  ।।
(पहला चरण परिमार्जित )

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

कवि कहता खुद रक्षा कीजे |
नहीं वदन  पर संकट   लीजे ||
रखो ध्यान अब लगे न काँटे |
शूल     हमेशा   होते    चाँटे ||

आपने स्वयं की रक्षा व ध्यान रखने का‌ संकेत किया है

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*15* आदरणीया आशा रिछारिया जी

मुंडा जूता पनहियां,मतलब एकई आय।
कीरा कांटे धूर सें, मुंडा हमें बचाय।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

दिखे आपदा जग में जितनी |
कोन यहाँ   पर जाने कितनी ||
लेकर साधन खुद ही चलना |
कंटक   काँटे सबसे   बचना ||

आपने आपदाओं से सजग रहने का संकेत दिया है
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*16* आदरणीया गीता देवी जी

मुंडा कम नहि आँकियो, पैर पिनै अति सोय।
और खुपड़िया पै परै, याददाश्त सब खोय।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

जिसका जैसा काम सयाना |
जगह देखकर ही अजमाना ||
मुंडा    पैरों   में   ही   साजे |
सिर पर आकर नहीं विराजे ||

आपने जगत में सभी को सही आंकलन व उपयोग का संकेत दिया है
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*17* श्री मनोज साहू निडर जी

भगती भूँकी भाव की, जात करम नैं खास।
चदरा बुनत कबीरजू, मुंडा खों रैदास।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

नहीं काम  में  शरम  न लाना |
मिहनत को   दीजें  पहचाना ||
कर्म  न   कोई   होता  खोटा‌ |
सच का  बाना रहता   मोटा ||

आपने किसी भी न्याय नीति कर्म से लोक जीवन निर्वहन को छोटा नहीं समझने का संकेत दिया है
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*18* श्री संजय श्रीवास्तव जी‌

परहित में जीवन कटे,  पाँवन मुंडा धाम।   
काँटे, कीचड़ सब सहे,पियत जेठ को घाम।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

परहित जीवन सुखद बताया |
काँटे कीचड़ सब  बिसराया ||
मुंडा तक   भी   रक्षा   करते |
धूल    पाँव से , दूरी    भरते ||

आपने परहित को श्रेष्ठ श्रेणी में रखा है
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*19* श्री जयहिंद सिंह जी जयहिंद

पियें डरे चाये जितै,आदत सें लाचार।
पीवे बारे जो मिलें,मुंडा मारौ चार।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

दुर्गुण  जिनको आ जाते है |
कवि हालत तब‌ बतलाते है ||
इज्जत उनकी धुल जाती है |
मुंडा  सिर  पर धुन गाती है ||

आपने दुर्गुणी आदमी की हालत पर संकेत किया है
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*20* श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी

गयते  मेला  देखवे, पौंचे  बीच बजार।
तनक नैन मटका धरे,मुंडा घले हजार।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

विषय विकार जहाँ पर रहते |
कवि यहाँ पर  सीधा कहते ||
नैन कहें तब सब  परिभाषा |
मिलते मुंडा   जितनी आशा ||

आपने आशिक मिजाज लोगों की हालत पर तंज किया है
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*21*श्री रामानंद पाठक जी

पा मुन्डा गुन्डा भगैं,   नई समाजै ठौर |
अधोगती जा है जगत ,जीवन करत न गौर।।
(तीसरा चरण की यति परिमार्जित)

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

गुंडा भी भय अब खाते है |
ठौर जगत में  नहिं पाते है ||
मिले न इज्जत नहीं समाजी  |
करे  अधोगति उसको राजी ||

आपने गुंडों  की अधोगति पर सटीक बात कही है

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*22*श्री भगवान सिंह अनुरागी जी

मुंडा बाहर छोड़कें, दर्शन करबे जात।
तनक नजर भगवान पै,तनक बायरें रात।।

आपके‌ दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇

मंदिर में  अब होती चोरी |
करते  रहते  मुंडा  खोरी ||
पाप पुण्य नहिं वह अब जाने |
कवि कहता सब काम नसाने ||

आपने मंदिर तक पहुँच गये चोरों पर सटीक तंज किया है

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समीक्षक - सुभाष सिंघई जतारा


🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
                          संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

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                      💐😊 मुंडा (जूता) 💐😊
             (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 119वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 19-09-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965

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