Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 28 सितंबर 2022

गरबा (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़

      गरबा (हिंदी दोहा संकलन) ई-बुक

संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
                 
  
                💐😊 गरबा  💐😊
             (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 123वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 28-09-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎊       
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
04-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-जनक कुमारी, (भोपाल)         
07-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी,बुढेरा)
08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
10-परमलाल तिवारी, खजुराहो
11-प्रभुदयाल श्रीवास्तव,टीकमगढ़
12-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
13-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
14-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
15-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
16-डॉ.प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
17-आशाराम वर्मा "नादान"पृथ्वीपुर
18*-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
19- आशा रिछारिया, निबाडी
20-समीक्षा-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
 
##############################
        

संपादकीय


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के  एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक गरबा ( 123वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 123 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 82 देश के लगभग 83000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  123वीं ई-बुक गरबा'  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने मंगलवार दिनांक-24 -9-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय 'गरबा पर दिनांक- 24-9-2022 को पटल पोस्ट किये गये थे।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
            ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-28-09-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)



***हिन्दी दोहे बिषय -गरबा*
*1*
#राना गरबा धूम  है , माता   रानी   द्वार |
आरति   वंदन से करें , नवदुर्गा  सत्कार  ||

*2*
क्वांर माह के हैं लगे , नवराते  सुख  धाम  |
#राना गरबा खिल रहा ,लगे सुहानी शाम ||

*3*

गरबा   खेल  सहेलियाँ , मचा रहीं है धूम |
माता के पंडाल में , रहीं  भक्ति  से   झूम ||

*4*

माता सुख दिन दीजिए , #राना की अरदास |
करते   गरबा  आरती ,  आकर  तेरे   पास ||
***

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
                        
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)

मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
विषय, गरबा,
***************************
गरबा से गर्वित भए, रासबिहारी श्याम
नृत्य करें बृज नारियाँ, लजा रहो लख काम
****************************
गरबा खेलन शिव गए, नारी रूप महेश
मधुसूदन हंसने लगे, छिपते गंगा शेष
****************************
आम धारणा नृत्य की , प्रचलित प्रेम प्रसंग
गरबा भक्ती साधना , व्यायाम प्रति अंग 
*****************************
परंपरागत रूप से , गरबा मतलब गर्भ 
नृत्य नारियाँ कर उठी ,देवी मां संदर्भ 
*****************************
महिलाओं का नृत्य यह , गरबा नाम प्रसिद्ध 
कर प्रमोद निशि जागरण,अम्बा होती सिद्ध 
*******************************
देवी पूजा की प्रथा, परंपरा गुजरात
नृत्य घूम ताली बजा ,भर प्रमोद सब रात
********************************
     
       -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
           स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

*हिंदी दोहे
विषय:- गरवा

गरवा है गुजरात का,बुॅंदेखंड की राइ
है पंजाबी भांगड़ा,हिल -मिल नाचों भाइ।।

गरवा खेलत जब सखीं,टोली बनती गोल।
चार चांद लग जात हैं,बाज उठें जब ढोल।।

माता रानी बन सखी  गरवा खेलन जांय।
भोले की डमरु बजत,नारद मन हरसांय।।

गरवा की टोली चली, पहुॅंची माता द्वार।
शैल सुता ब्रह्मचारिणी, सजी खड़ीं तैयार।।

नाचत में बेंदी गिरी,गरवा खेलत हार।
उगरिन कीं बिछियां गिरी, चुरियां फूटी चार।।

             ###

✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   4*-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़

हिंदी दोहा दिवस , विषय - गरबा

करते सब है  आरती ,  मैया के दरबार  |
गरबा   खेले नारियाँ, कर  सुंदर शृंगार ||

गरबा  पूजा आरती , यह   सब  मंगल काम |
जगराता  करते  भजन , लेकर   माता  नाम ||

दीप जलाकर मध्य में, नाचें   देकर   ताल |
माँ  बहिने  गरबा करें ,  देवी   के    पंडाल   ||

***
        -सुभाष सिंघई,जतारा

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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


 हिन्दी दोहे - गरबा (नृत्य)

गरबा है गुजरात का,  लोकनृत्य  मशहूर।
है प्रतीक सौभाग्य का, ये विख्यात सुदूर।

गर्भ शब्द गरबा बना, खिलता माँ दरबार।
नारिकेल तांबूल घट, रखकर बीच मझार।

गरबा खेलें नारि नर, गोला  बना  सटीक।
घेरा  जीवन  चक्र  है, ऐसा  मान  प्रतीक।

गरबा  नृत्यों  की  मचे,  नवरात्रों  में  धूम।
विस्तारित अब देश में,नाचें सब मिल घूम।

चनिया-चोली केडिया,पहन विविध परिधान।
खेलें  गरबा  डांडिया,  ताली  पर  दे  ध्यान।।

मौलिक /
                           
                 ***                    
             -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         

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6-जनक कुमारी सिंह बघेल (भोपाल)     
माई के दरवार में , गरवा करते लोग ।
पान , सुपाड़ी नारियल , लगता मां को भोग ।।

लंगुरा - लंगुरी नाचते , गा कर मां का गीत ।
गरवा में मिलते सभी , बढ़ती है मन प्रीत ।।
***
-जनक कुमारी सिंह बघेल, भोपाल
     


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07-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी)



🌹🌹हिन्दी दोहे, विषय-गरबा🌹🌹
*********************************
लोक नृत्य  इस देश में, गरबा हो या अन्य।
संस्कृति बतलाते हमें,भारत कितना धन्य।।
*********************************
लाते  अपने  देश  में,  वरन-वरन  त्योहार।
गरबा  जैसे  सैकड़ों,  नृत्यों  की  भरमार।।
*********************************
अब गरबा गुजरात से,फैल चुका चहुँ ओर।
संस्कृतियों का सम्मिलन,देता बन्धन टोर।।
*********************************
बनी अपर्णा तब मिला,माँ को वर अनुकूल।
हम गरबा से चाहते,वांछित वर फल फूल।।
*********************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुड़ेरा)
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08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम


हिन्दी दोहा दिवस (27/09/2022)
विषय:- गरवा

*नवराते उपवास के, उर उमंग उत्साह।*
*जस गरबा जगरात से, पूजन अर्चन चाह।।*
************************************

*घघरा चोली चूनरी, पहने मन हरसाय।*
*फिरकी सी थिरके अली, गरबा खेलन आय।।*
*************************************

*गरबा तन की साधना, मन संयम आधार।*
*दीप कलश ले झूमते, मैया के दरबार।।*
************************************

*जप तप संयम साधना, पूजा भक्ति रास।*
*गरबा खेले कोइ तो, कोई करे उपास।।*
************************************

*लोकरंग रग रग बसै, गौरवशाली देश।*
*गरबा चल गुजरात से, घूमै देश विदेश।।*
*************************************
(मौलिक व स्वरचित)

-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
           ***
            
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09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



 १=
गरबा खूब मनाइये , गुजराती है खेल।
रंग  बिरंगी  पहनिये , पोशाक रखे मेल।।

२=
गरबा प्रचलन  में  चले , नाच गान चहुँओर ।
 हिलमिल खेलें ये सभी , प्रेम की बाढे  डोर।।

३=
नव दुरगा नौ दिना के, गरबा  खेलें   दोर ।
गरभ करो न  गरबा कौ ,खेलत मइया भोर।।

४=
गरबा  खेलन को गये , शिव शंकर  भगवान।
डमरू  डम डम हाथ में ,  निर्णयलें हनुमान।।

५= 
जमुना तट गोपाल भी ,गरबा रास रचांय।
गवाल  बाल सग  में  नचैं , मोहन ढोल बजांय।।
***
मौलिक रचना 

                 -शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

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*10*-परमलाल तिवारी, खजुराहो
1
गरवा गुजराती करें, नृत्य बड़े ही झूम।
नवरात्रि पर सब जगह, मचती  उसकी धूम।।

2
गरवा पर गलती  करें, कुछ  उच्छंकल  लोग।
नृत्य करें जंह बालिका, वहाँ ढूंढ़ते  भोग।।

3
गरवा के आनंद  का, को कर सके बखान।
प्रमुदित हो नांचे  सभी, करें मधुर स्वर गान।।

4
देवी की आराधना, औ गरवा का साथ।
मुंह माँगा सब कुछ  मिले, रहे न जीव  अनाथ।।

5
मन में अतिहि उमंग हो, तन में जोश अपार।
नाचो गरवा झूम के,माता के दरवार।।
***
-परम लाल तिवारी,खजुराहो

                            
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11- -प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़


हिन्दी दोहे    विषय  गरबा

द्वापर में श्री कृष्ण ने, रचा सखी सँग रास।
गरबा में उस नृत्य का , मिलता है आभास।।

गरबा है गुजरात की ,  सांस्कृतिक  पहचान।
इन सब से ही तो बना, भारत देश महान।।

गरबा के सजने लगे  ,  गरिमा मय पंडाल।
नाच रहीं हैं युवतियां, चनिया चुनरी  डाल।।

गरबा के पंडाल का ,  मिला  मनोहर  ठांव।
नूपुर को झंकारते  ,  थिरक रहे हैं पांव।।

चनिया चोली घाघरा , सिर पर चुनरी डाल।
गरबा  खेलें  गर्व से ,  करते कदम कमाल।।

          ***

            प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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12-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
बिषय..गरबा
*27.09.2022*

^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
1-
माता आई द्वार पै,करै खूब सिंगार।
गरबा कर नाचन लगै,खुशी भयै नर-नार। 
2-
लाल चुनरियाँ ओढ़ती,करें खूब सिंगार।
बिटियाँ गरबा करत हैं,माता के दरवार।
3-
माता मौरी सुन लियौ,विनय करौ कर जोर।
गरबा कर नाचत फिरूँ,धरौ जबारे तोर।।
4-
बाँझन खौं लालन दियौ,करौ मुशीबत दूर। 
गरबा कर पूजा करें, रयै मस्ती में चूर।।
5-
हिये बसीं मां शारदा,नौ दिन करौ उपास।
नित सामूं गरबा करूं, मन में भरी हुलास।।

****
*प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़

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  13-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी

"गरबा"
            **********

 माता  के दरबार  में,  है गरबा  की धूम।
 सखी सहेली नाचतीं, रहीं घाघरा झूम।।

 माता  का  श्रंगार  कर, करें मंगलाचार।
 कन्यायें  गरबा करें, करके शगुन विचार।।
             ***

-अंजनी कुमार चतुर्वेदी 'श्रीकांत' ,निवाड़ी
  
   
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14-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़

#गरबा पर दोहे#

                    #१#
गरबा करते गर्व से,छोटे बड़े समर्थ।
मिट्टी भीतर जो रखा,दीपक जिसका अर्थ।।

                    #२#
नवदुर्गा गरबा करें,नर नारी सब संग।
नाचें बाल युवा सभी,भर उत्साह उमंग।।

                    #३#
गरबा है गुजरात की,नवदुर्गा की शान।
नर नारी बच्चे युवा,करें सभी सम्मान।।

                    #४#
चार दीप मटका धरें,चांदी सिक्का डाल।
गरबा में गरिमा भरें,गुजराती हर साल।।

                    #५#
बृजबासी कर डाड़िया,गरबा हो गुजरात।
बुन्देली की राइ में,नचे बेड़नी रात।।

***

#मौलिक एवम् स्वरचित #

-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़

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15-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा


दोहा गरवा
                      1
है गरवा गुजरात में, नृत्य अति विख्यात।
घेर बना बहु सुन्दरी, गीत कि धुन थिरकात।
          ‌‌            2
स्तर गरवा बढ़ गया,देश सर्वत्र ब्याप्त।
खर्चीला श्रिन्गार है,दीन देख हर्षात।
                       3
गरवा है गुजरात में,नृत्य डांडिया नाम।
बुन्देलखण्ड में मौनियां,मन रंजन विन दाम।
                      4
माता के नवरात्र में, गरवा समय विशेष।
नृत्य करत बहु नारियां, चिन्ता ना लवलेश।
                        5
गरवा नृत्य विशेष है,छोटे शहरन नाहि।
बड़े शहर आयोजन हुएंँ,सज धज सब मिल जाहि।

***
           -रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां

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16-डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़


1-
गरबादेवी के पंडाल में,पूजत परमा दोज ।
 उपास सभी नौ दिन करें,गरबा नाचैं रोज। 
2
ओढे़ लाली चूनरी,माता का दरबार।
गरबा करतीं सुंदरी,झूमत है संसार।

स्वरचित मौलिक 
****
डॉ प्रीति सिह परमार, टीकमगढ़

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17-आशाराम वर्मा "नादान"पृथ्वीपुर

हिंदी दोहे विषय - गरबा

(1)
घूमर राजस्थान में,अरु गरबा गुजरात।
बुंदेली की राइ भी ,है जग में विख्यात।।
(२)
गरबा और बधाइ हैं,नाच बड़े शालीन ।
नर्तक दर्शक होत हैं,तन मन से तल्लीन।।
(३)
गरबा साधन भक्ति का,आज बना व्यापार।
मर्यादायें  तोड़  कर, नाच  रहे  नर नार।।
(४)
झूम-झूम कर नाचते, गरबा  बाला बाल।
खुश होतीं जगदंबिका,सुन ताली की ताल।।
(५)
वृन्दावन में डांडिया,खेलैं युगल किशोर।
नवराते  में  धूम  है, गरबा की चहुॅं ओर ।।
***
आशाराम वर्मा "नादान"पृथ्वीपुर
(स्वरचित)27/09/2022
***


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*18*-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
दोहा-विषय गरबा
1-
नव दुर्गा उत्सव परम,मिलजुल सभी मनांय।
झाँकी बाँकी निरखकर,गरबा धूम मचांय।।
2-
जगदम्बा अम्बा सहज,दया दृष्टि दर्शाय।
बृजप्रेमी माँ भक्तजन,गरबा नाचे गाए।।

3-
नरनारी दर्शन करत,मन ही मन हर्षात।
करत नित्य पूजन भजन,बृज गरबा जग रात।।

-बृजभूषण दुबे 'बृज' ,बकस्वाहा

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19-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 


विषय****गरबा🌹

🌹धरा झूमती दिख रही,गुंजित है आकाश।
गरबा करतीं लड़कियां,मन में है उल्लास।।
🌹
धरती उतरीं अप्सरा, करतीं गरबा झूम।
चनिया चूनर घाघरा,है सतरंगी धूम।।
🌹
गरबा का घेरा बना,  मातु करें प्रणाम।
नाचें छम छम सब सखीं,पूरन कर दो काम।।
🌹
गरबा है गुजरात का,अनुपम मंगल नृत्य।
गब्बर की आराधना,देवी पूजा कृत्य।।
🌹
चनिया चोली पहन ली,ओढ़ी चूनर खास।
सजीं धजीं कन्यां चलीं,अंतस भरा हुलास।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🌹🙏

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

20- समीक्षक - सुभाष सिंघई, जतारा


दिनांक- 27 सितम्बर 2022 , विषय - गरबा 

यह समीक्षा नहीं लिखी है , आज‌‌ सभी ने गरबा पर बहुत ही सुंदर लिखा है , जिन मित्रों ने आज पटल पर लिखा है , बस उनके नाम को दोहा छंद में समाहित करने का प्रयास किया है , यदि समीक्षा की कहें तब आज सभी के दोहो के  कथ्य भक्ति भावना से भरे थे , सभी के भावों व सृजन को नमन है 
जय माता दी 💐💐

गरबा पर लिख डाले , सबने   दोहा छंद |
दीप जला जयहिंद जी , शुरु करें आनंद ||

अमरसिंह गरबा लिखें , पहुँच गये गुजरात |
साहू श्री  मनोज   कहें  , है  गरबा  सौगात ||

गरबा से गर्वित भए , मिश्रा श्री   प्रमोद |
राना कहते भक्ति है , गरबा नहीं विनोद ||

दीप आरती लिख रहे , सेवक यहाँ सुभाष |
मंजुल श्री प्रदीप जी  , मन में  भरें  हुलाश ||

परमलाल  गरबा  लिखें , देख  रहें   है   धूम |
अनुरागी  गरबा रचें  , मन  दिखता   है झूम ||

आशा जी  गरबा लिखेंं  , गुंजित है आकाश |
वर्मा आशाराम जी ,   लिए  आज  उल्लास ||

प्रीतिसिंह   की   लेखनी , देवी   माँ    पंडाल |
गोकुल जू के भाव सब , करते आज कमाल ||

प्रभुदयाल भी लिख चले , पाकर कुछ आभाष |
बृजभूषण गरबा कहें , यह   है   दिव्य  प्रकाश ||

दांगी शोभाराम जी , गान   करें   चहुँ   ओर |
बहिन सुनीता लिख रहीं , नील कंठ का जोर ||

जनक कुमारी दे रहीं , पान सुपाड़ी भोग |
कहते   रामानंद जी , गरबा   सुंदर  योग ||

शरण अंजनी आ गये , मैया   के दरबार |
कन्यायें गरबा करें , लिखते शगुन विचार ||

पुन: 
जय माता दी 
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                     समीक्षक - सुभाष सिंघई, जतारा

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

                          संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

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                  💐😊 गरबा💐😊
             (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) 
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 123वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 28-09-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965

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