संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 कउवा 💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 122वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-09-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
04-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06--वीरेंद्र चंसौरिया ,टीकमगढ़
07-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी,बुढेरा)
08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
10-डा आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर
11-एस आर सरल,टीकमगढ़ (म.प्र.)
12-बाबूलाल द्विवेदी,छिल्ला
13-प्रभुदयाल श्रीवास्तव,टीकमगढ़
14-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
15-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
16-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
17-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
18-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
19-डॉ.प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
20-आशाराम वर्मा "नादान"पृथ्वीपुर
21-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र)
22-आर वी सुमन,सतना (मध्य प्रदेश)
23- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
24-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
25-डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
26-संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली
27-अरविन्द श्रीवास्तव*,भोपाल
28-गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)
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संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'कउआ ( 122वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 122 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 82 देश के लगभग 83000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 122वीं ई-बुक कउआ' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने शनिवार दिनांक-24 -9-2022 को बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-88 में दिये गये बिषय 'कउआ पर दिनांक- 24-9-2022 को पटल पोस्ट किये गये थे।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-21-09-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)
***बुंदेली दोहा बिषय-कउआ*
*1*
कउवा माह कुआर में , छत पै है मड़रात |
#राना परसी खीर खौं , मालपुआ सँग खात ||
*2*
यैठैं कउवा क्वाँर में , अपनी चौंच भिड़ात |
#राना ताजौ जित मिलै , उतइँ तुरत उड़ जात ||
*3*
बनौ सगुनियाँ घूमतइ , कउवा माह कुआर |
#राना छत्तन डौलतइ , बुचकत है दीवार ||
*4*
कत #राना सब बात में , कछु नोंनीं है बात |
पशु पक्छिन कौ ख्याल रख, करने नइयाँ घात ||
*5*
*एक हास्य दोहा*
कउवा आकै हेरतइ , धना गई मुस्काय |
पति से #राना कै उठी , दद्दा जू है आय ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
कउआ चोंच चहोर गव,सिया चरन में आन
आँख फोर दइ राम ने,चित्त कूट भगवान।।
***
शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय , कउआ,
*********************************
तोता मोर चकोर को , निवतो कउआ ल्याव
मैना के घर मायनों, तुमें प्रमोद बुलाव
******************************
आँख मारकें भग लगो, कउआ वैर बिसात
गुस्सानो अरुवा फिरो , ढूंढ़त सबरी रात
*******************************
कउआ कोयल सौं कहत,करता तुमसे प्यार
कोयल ने अंडा दिये, कर बच्चे तैयार
*******************************
मंगरें कउआ बोल गव,कर रय सगुन विचार
अब प्रमोद घर आँव ने , नाते रिश्तेदार
******************************
कउआ छप्पन भोग खा , कोलत ससरो मैल
नइ प्रमोद छोड़त कभौं , जात आपनी गैल
*******************************
कउआ कउअन लर परें, नीलकंठ घर आव
हतो महूको पैल सें ,अब प्रमोद खिसयाव
*******************************
कउआ लैंगव लोंचिया , बकटो भर रइ बाज
हँसे प्रमोद करन जुआ , विदे ससुर जू आज
*******************************
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
*अप्रतियोगी दोहा*
विषय:-कउआ
कउआ बोलें निग दओ,अपने खेत किसान।
लयें परेना हाॅंत में,झोरा चून पिसान।।
कउआ पंछिन में चतुर,पल में परखत बात।
लबरउॅं लोड़ उठाइयो,इक पल में उड़ जात।।
कउआ गीदा भग गये,नजर भोत कम आंय।
मानुष उसके भोज खों, लगा किबरिया खांय।।
इमरत की झर सी लगी,कोयल गाबै राग।।
काॅंव-काॅंव कौआ करै,उगले मों सें आग।।
लोंचत कौआ सें बिकट, गओ आदमी भूल।
बुरय करम करबै दतौ,लगो कमाबै कूल।।
###
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
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4*-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
दोहे - विषय - कउवा
माखन रोटी खा गयौ , हरि हाथन से छीन |
रैमन कवि तब लिख गयै , कउवा रऔ न दीन ||
***
काँव-काँव कउवा करै , भुंसारे की बेर |
समजौ आ रय पावने , बैठौ कात मुड़ेर ||
मुड़ी-हाथ कउवा छुयै , मम्मै चिठ्ठी दैत |
बिन्ना तोरी मर गई , रौकें फैरौ लैत ||
कउवा आकै जुड्ड में , करवै छत पै शौर |
कछु असुगन है आवनै, करबै घर में ठौर ||
उड़तै कउवा चौंच में , रोटी जब दिख जाय |
बूड़े बुजरग कै गयै , कछु सगुन घर आय ||
कउवा खौदें जब जिमी , जानौ धन कछु होय |
सगुन शास्त्र हमने सुनो, पतौ चलौ तब मोय ||
***
विशेष निवेदन - यह सब सगुन शास्त्र की बातें बूड़े बुजुर्गों द्वारा सुनी है , मान्य अमान्य , विश्वास अविश्वास अपने विवेक पर है , वर्तमान विज्ञान युग में किसी को अंधविश्वासी बनाने का भाव नहीं है |
सादर
***
-सुभाष सिंघई,जतारा
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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
करय दिनन कउआ पुजै,पुरखा उनखां मान।
जिन्दा में पूंछो नहीं, अब रख रय पकवान।।
***
अप्रतियोगी दोहे - कउआ
कउआ की औसत उमर,दस बरस तक होय।
केऊ काक समान नहिं, बुद्धिमान है कोय।।
कउआ सर पर बैठ गव,तो अपसगुन कहाय।
कहत होय धन की कमी, फटेहाल हो जाय।।
कउआ चोंच दबाय भय, दिखवे रोटी मांस।
रगड़ चोंच गउ पीठ पर,बने काम कुछ खास।
कम पानी घट देखकर, कउआ युक्ति लगाय।
कांकर-पाथर डार कर, लइ ती प्यास बुझाय।
कोयल कउआ की कभउँ, मिले नहीं सुरताल।
कउआ ध्वनि कर्कस लगे,कोकिल करे कमाल।
***
मौलिक/
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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6-वीरेंद्र चंसौरिया ,टीकमगढ़
कोयल की वाणी मधुर , सबके मन खों भाय।
कउआ की करकस लगै ,बिलकुल नहीं सुहाय।।
***
वीरेंद्र चंसौरिया ,टीकमगढ़
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07-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी)
कउआ सौ टांँसत ससुर,
काशमीर कौ राग।
जैसें ऊके बाप कौ,
होबै ऊमें भाग।।
*******
🌹अप्रतियोगी दोहे-कउआ🌹
*************************
कउआ बोलत बाद में,
पैलें जगत किसान।
जिनकी मेंनत सें बनों,
भारत देश महान।।
*************************
देश द्रोहियन की इतै,
गल नैं पाबै दाल।
कउआ-छउअन की तराँ,
परखौ चाल कुचाल।।
*************************
कउआ के कोसें सुनत,
कभउँ न मरतइ ढोर।
तौ जरुआ कोसत रहत,
रूलत ऐंन पड़ोर।।
*************************
कउआ-सी हो एकता,
कोयल-से हों बोल।
समझौ बौइ समाज है,
धरती पै अनमोल।।
*************************
इक कउआ की मौत पै,
सौ-सौ कउआ रोंयँ।
ऊ बेराँ ऐसें लगत,
साँसउँ पुरखा होंयँ।।
**************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
कउआ की सांसी लगै, भुनसारे की काँव।
भैना मन फुदकौ फिरै, बीरन आबै गाँव।।
***
अप्रतियोगी बुंदेली दोहे (24/09/2022)
विषय:- कउआ
***********************************
*मंगरा पै बोलन लगौ, भैना कउआ काँव।*
*मौर लिबौआ आतियें, फरकत डेड़ो पाँव।।*
************************************
*साधु संत जोगी जती, कागन भाग सरात।*
*दरस परस नित ही करै, कुचिया माखन खात।।*
***********************************
*जस करनी तस करम गत, कउआ नाँई जान।*
*हरि हातन नेंनू चखै, इक जयंत सम बान।।*
***********************************
*स्याँनों कउआ जौं चलौ, हंसा केरी चाल।*
*ओंधौ डरो धड़ाम सों, चौंच पांख बेहाल।।**************************************
*पैलै सीखौ बोलबौ, बौलन पदवी पाय।*
*कानन पिक रस घोरियें, कउआ कान खुजाय।।*
***********************************
*कउआ कागभुसुंडि जू, रीछराज जंबान।*
*गीध जटायु के बिना, सूनी लगै रमान।।*
***********************************
(मौलिक व स्वरचित)
-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
***
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09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
*
कउआ है इक आँख कौ , करत भौत उतपात ।
चौंच चरन सिय मारकैं ,भगवै जान बचात।।
***
१==
अटा अटारी बैठकैं ,कउआ बोलै भोर ।
असगुन ईकौ मानवैं ,करवै कउआ शोर।।
२==
कउआ कउआ जोरकैं ,हल्ला करवैं ऐन।
कउआ ऐठी होत है ,परै न ऊखौं चैन।।
३==
कउआ कैसी चेषठा ,रखता है जो कोइ।
कभउ न भूँखन वो मरे , घरै कमी न होइ ।।
४==
कउआ सैं पुरखा कवै , टेरत है हर रोज।
पंदर दिन के करय दिन , कउआ करवै भोज।।
५=
मधुर कोलिला बोलती , कोयल मीठे बोल।
कउआ करकस बोलता, अप्रिय बजैं जो ढोल।।
***
मौलिक रचना
कउआ कोयल एक से, बानी फरक बताय।
काँव काँव कउआ करें, कोयल रस बर्षाय।।
***
- एस आर सरल,टीकमगढ़
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
12-बाबूलाल द्विवेदी,छिल्ला
कउअन की पंच्यात भइ- गिने न बाप मताइ।
कनागतन में ऊ घरै दइयो नहीं दिखाइ॥
***
-बाबूलाल द्विवेदी,छिल्ला (ललितपुर)
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13- -प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
अप्रतियोगी दोहे विषय कउआ
कउआ बने जयंत ने ,मारी सिय पग चोंच।
राम बांन पाछें लगो , पुत गइ मुख कारोंच।।
अपने बुद्धि विवेक सें , काय न करत निदान।
कउआ लै गव कान जा, बिन देखें लइ मान।।
कउआ सी हेरन रबै , बगुला सौ हो ध्यान।
कुत्ता जैसी नींद हो, सई पढ़ैया जान।।
मगरे ऊपर बैठ कें , कउआ कर रव सोर।
परदेसी घर लौटहें , मन में उठी हिलोर।।
कांव कांव कउआ करें ,कोइल सादें मोंन।
जे दिन तौ हैं इनइँ के , हमें पूंछहै कोंन।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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14-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
मीन माँस सब भगत है,नाहक जीवन खोय।।
मानव ई कलिकाल में,कउआ के सम होय।।
***
दानें खौं तरसत रहे,जियत न भय सत्कार।
कउआ में पुरखा दिखें, धरें सजा कैं थार।।
2-
कउआ कानौ कालिया, न बोली नहीं रूप।
काक नजर ही तेज है,रहत छाँव अरु धूप।।
3-
कउआ बढ़ भागी हतो, खेलो कान्हा संग।
रोटी छीनत हाथ सैं, लख लीला सब दंग।।
4-
कउआ से कारे धरे, कलुआ जीकौ नाव।
मौरे करमन जे बदे, हँसबै सबरौ गाँव।।
5-
कउआ बैठो नीम पै,भुनसारें रव टेर।
गुइयाँ जानें मायकें,करियौ नईं अबेर।।
****
*प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़
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15-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
जिंदा में नइँ देत हैं, रोटी पानी आप।
करय दिनन में देख लो,कउआ बन गव बाप।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
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16--जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
कोयल मीठी बोलबै,सबखों बोल सुहात।
कउआ पुरखा मानके,घर घर पूजो जात।।
***
#अप्रतियोगी दोहे#
#बिषय...कउआ#
#१#
कांव कांव कउआ करै,बैठ बड़ैरें बोल।
घर में आबें पावनें,देत सदेशौ खोल।।
#२#
लगें करय दिन क्वांर में,घर घर पूजा होय।
कउआ बड़भागी बनें,पुरखा मानें तोय।।
#३#
कउआ तोखों टेरकें,दुनियां पुरखा कात।
क्वांर करय दिन जो लगें,जे सबके घर खात।।
#४#
कउआ मारी जानकी,चोंच पांव में जाय।
तबसें ई संसार में,तें जयंत कहलाय।।
#५#
लगें कनागत क्वांर में,कउआ तोय बुलांय।
पन्द्रह दिन पूजा करें,पुरखन बिदा करांय।।
#६#
माखन रोटी तानकें,लगा श्याम पै दाव।
ई सें कउआ हो गओ,जग में तोरौ नाव।।
***
#मौलिक एवम् स्वरचित #
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
17-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
कउआ मोंका के परें,होत अछूत पुजाय।
पितृपक्ष के आये सें, सब जग टेर खुआय।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
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*18*-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
बाठ हेर हैरान है , हूक हिये में होय।
मगरें कउआ देख कें,मन के मोंतीं पोय।।
***
मौलिक, स्वरचित - अभिनन्दन गोइल, इंदौर
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
19-डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
कउआ ओढ़े चूनरी, जाकौ कारौ रंग।
चौंचें मारै हाथ में,रय कान्हा के संग।।
****
डॉ प्रीति सिह परमार, टीकमगढ़
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
20-आशाराम वर्मा "नादान"पृथ्वीपुर
काॅंव -काॅंव कउआ करै, काऊ खौं न सुहाय ।
कोयलिया जब बोलबै,सबके मन खौं भाय ।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान"पृथ्वीपुर
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*21*रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र
पुरखन में पूजे गये, कउआ पुरखा मान।
फिर कोसें कारो लखे,मन को कारो जान।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
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*22*-आर वी सुमन,सतना (मध्य प्रदेश)
ग्यारा महिना कढ़ गवो,
एकउ लाग न लाग।
पितर -पक्ष में जग गवो,
कउआ तोरो भाग।।
***
-आर. वी. सुमन,सतना (मध्य प्रदेश)
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23- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
कउआ को धर रूप जे,पुरखा भरें उड़ान ।
करय दिनन में पूजते, माने इने महान ।।
7999062830
अप्रतियोगी बुंदेली-दोहे
बिषय- ' कउआ '
कारो तन है मन कुटिल, इने अपावन जान ।
कउआ कोयल एक से, दो दिखें समान ।।
करय दिनन में है मजा,कउआ खावैं खीर ।
अब पुरखा जे पुज रए, जिंदन बहवै नीर ।।
मात-पिता खों पूजिओ, धरती पे भगवान ।
मरकें कउआ जब बने, तब मिलवैं पकवान ।।
खात गंदगी सब दिना, करे जगा जो साफ ।
यातें कउआ पुज रओ, आज बुराई माफ ।।
कउआ होय न ऊजरो, रोज सपरवै गंग।
गटा घुमाकें देखवै, अपनो कारो रंग ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
24-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
कउआ बैठ मुंडेर पे, कांव कांव चिल्लाय।
पई पाउने आउत हैं, जो संदेश दै जाय।।
***
🌹
,कोयल कछू न देत है,कउआ कछू न लेत।
इक बोली में रस भरो,इक कानन दुख देत।।
🌹
कउआ घर घर में पुजे, काकभुशुण्डि रूप।
दूर दृष्टि विद्वान हैं,भगवतभक्ति अनूप।।
🌹
कउआ रुप जयन्त ने,इक अनहोनी कीन्ह।
घाव जानकी पांव दै,एक आंख खो दीन्ह।।
🌹🙏
आशा रिछारिया ,जिला निवाड़ी
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
*25*डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा,
जात बड़ी नें पद बडौ,सदगुन बडौ बनाय।
कउआ सें हरि की कथा,गरुड सुनीं चितलाय।।
***
🥀
कोयलिया सोसन परी,सब कउआ जुर आय।
काँव काँव में अब कियै,मीठे बोल सुनाय।।
धन- डेरा बड जाय तौ,करियौ जस के काम।
कउआ लौ बैठै नहीं,सूख जात जब आम।।
बगला उपकारी भये,गउवें पालें सेर।
कउआ करें पुआस अब,दयें लडैया टेर।।
बनीं बिगरबै बात तौ,है करमन खों खोर।
कउआ के कोसें सरस,कबै मरे हैं ढोर।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
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26-संजय श्रीवास्तव* मवई, (दिल्ली)
कौआ छत पे भोर सें,
बैठो है चुपचाप।
पुरखन को पूजन करो,
भोजन भेजो आप।।
*संजय श्रीवास्तव* मवई, दिल्ली
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27-अरविन्द श्रीवास्तव*,भोपाल
कौआ तौ इक जीव है,
ऊखौं काँ जौ भान,
हमनें अपने हेत में,
भलौ-बुरव लव मान ।
***
*अरविन्द श्रीवास्तव*,भोपाल
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*28-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश
कउआ बैठो डार पैं,
काँउ काँउ चिल्लात।
कोऊ घर मा आयगो,
बात पते की कात।।
***
गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)
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समीक्षा -प्रतियोगी दोहो की समीक्षा
दिनांक 24 सितम्बर 2022 ,विषय - कउवा
समीक्षा में प्रयुक्त -"#बरवैं_छंद "(12 -7 मात्रा ) का प्रयोग किया है
बरवैं छंद 12- 7 मात्रा , 12 की यति चौकल से व पदांत ( तगण 221 उत्तम ) व ( जगण 121 लगाल ) से सर्वोत्तम | यह अर्ध्दसम मात्रिक छंद है
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*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-60*
समीक्षा लिखने के बाद , अभी हाल में ही आदरणीय राना जी से प्राप्त सूची अनुसार दोहों के साथ दोहाकार का नाम संलग्न कर दिया है | समीक्षा में कवि के भाव कथ्य को बरवैं छंद में लिखा है , यदि कहीं त्रुटि हो तो परिमार्जित भावना से स्वीकार करें
सादर
सुभाष सिंघई जतारा
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*1*श्री शोभाराम दाँगी जी
कउआ है इक आँख कौ , करत भौत उतपात ।
चौंच चरन सिय मारकैं ,भगवै जान बचात।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
लिया कथानक सुंदर , अनुपम बात |
पर नारी छूने से , मिलती घात ||
आपने चित्रकूट घाट का सुंदर प्रसंग लिया है ,
आपका संदेश - अविवेकी होकर अनावश्यक पराई स्त्री को छूना स्वयं के लिए बहुत बड़ा घातक होता है
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*2* श्री आशाराम वर्मा नादान जी
काॅंव -काॅंव कउआ करै, काऊ खौं न सुहाय ।
कोयलिया जब बोलबै,सबके मन खौं भाय ।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
कउवा की आबाजें , नहीं पसंद |
मीठी लगती कोयल , गाती छंद ||
आपका संदेश - संसार में कर्कषता कोई पसंद नहीं करता है , मीठे वचन का सदैव सम्मान होता है व प्रिय लगती है
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*3*श्री मनोज साहू निडर जी
कउआ की सांसी लगै, भुनसारे की काँव।
भैना मन फुदकौ फिरै, बीरन आबै गाँव।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
काँव -काँव से करता , नजर उतार |
कागा दे संदेशा , जिसमें प्यार ||
आपका संदेश - काला सदैव अपशगुन नहीं करता , नजर उतारकर शुभ संदेश भी देता है
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*4*श्री रामेश्वर गुप्ता इंदु जी
पुरखन में पूजे गये, कउआ पुरखा मान।
फिर कोसें कारो लखे,मन को कारो जान।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
सभी रंग भी पुरखे , करें पसंद |
सभी जगत के पक्षी , दे आनंद ||
आपका संदेश - हमारे पूर्वज सभी पशु पक्षी जीव जंतु को अहार मिलता रहे ,यह चाहते है , उनकी व्यवस्था में अपना अंश समाहित किए हुए है
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*5* श्री अमरसिंह राय जी
करय दिनन कउआ पुजै,पुरखा उनखां मान।
जिन्दा में पूंछो नहीं, अब रख रय पकवान।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
कहे पूर्वज सबके , जब अवकाश |
अपने कुल में भरना , सदा प्रकाश ||
आपका संदेश - संसार में सभी जीव कार्यो में व्यस्त रहते है , पर साल में अवकाश लेकर कुछ दिन पूर्वजों को भी याद करने को देना चाहिए
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*6*श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी
कोयल मीठी बोलबै,सबखों बोल सुहात।
कउआ पुरखा मानके,घर घर पूजो जात।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मीठी जानो कोयल , कड़वा काग |
फिर भी दिखते सबके , अपने राग ||
आपका संदेश - संसार में कोई भी - रंग रस - हीन नहीं है ,सबका अपना उपयोग है
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*7*श्री एस आर सरल जी
कउआ कोयल एक से, बानी फरक बताय।
काँव काँव कउआ करें, कोयल रस बर्षाय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
दुनिया है अब मेला , कर पहचान |
बोली भी करती है , कुछ रस दान ||
आपका संदेश - संसार में बोली बानी कर्म से अपनी- अपनी पहचान होती रहती है
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*8*श्री प्रमोद मिश्रा जी
कउआ चोंच चहोर गव,सिया चरन में आन
आँख फोर दइ राम ने,चित्त कूट भगवान।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
सदा कर्म का फल भी , देता ईश |
सभी देखते जग में , फल जगदीश ||
आपका संदेश - ईश्वर संसार में सभी को कर्म फल प्रदान करता है
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*9*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी
कोयल की वाणी मधुर , सबके मन खों भाय।
कउआ की करकस लगै ,बिलकुल नहीं सुहाय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मीठी बोली के सज्जन , दे पहचान |
करकस जिनकी बोली , रखे न मान ||
आपका संदेश - मधुर वचन प्रिय होते है , करकर्षता कोई पसंद नहीं करता है
************
*10* सुभाष सिंघई
माखन रोटी खा गयौ , हरि हाथन से छीन |
रैमन कवि तब लिख गयै , कउवा रऔ न दीन ||
बरवैं_छंद में समीक्षा
माखन रोटी खाता , हाथन छीन |
कउवा रहिमन कहते , अब ना दीन |
संदेश - प्रभु का प्रसाद भाग्यकारी होता है , काग के भाग बड़े सजनी बाला छंद आप सभी ने सुना ही है
*********** ***
*11* आद० डा० प्रीति सिंह परमार जी
कउआ ओढ़े चूनरी, जाकौ कारौ रंग।
चौंचें मारै हाथ में,रय कान्हा के संग।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
भगवन देते सबको , अपना प्रेम |
नहीं फर्क वह करते , देते क्षेम ||
आपका संदेश - प्रभु से जो भी प्रेम करता है , वह उसको अपना सानिध्य देते है
**************
*12* श्री प्रदीप खरे मंजुल जी
मीन माँस सब भगत है,नाहक जीवन खोय।।
मानव ई कलिकाल में,कउआ के सम होय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मांसाहारी होते , जग जंजाल |
जीवन खोते रहते , अब हर हाल ||
आपका संदेश - मांसाहारी जीवन पशुवत व निरर्थक है
********** ***
*13* श्री आर बी सुमन जी
ग्यारा महिना कढ़ गवो, एकउ लाग न लाग।
पितर - पक्ष में जग गवो, कउआ तोरो भाग।।
एक बर्ष में भगवन , मौका देत |
पितर पक्ष में सबकौ , परखौ लेत ||
बरवैं_छंद में समीक्षा
आपका संदेश - ईश्वर हर साल सभी को एक अवसर प्रदान करता है कि सँभलकर रहो , , अच्छा काम करो | पशु पंछी मानव सबके भोज की व्यवस्था ईश्वर करता है
**********
*14*श्री बाबूलाल द्विवेदी जी
कउअन की पंच्यात भइ- गिने न बाप मताइ।
कनागतन में ऊ घरै दइयो नहीं दिखाइ॥
बरवैं_छंद में समीक्षा
खल होते जो जग में , छोड़े मान |
बाप मताइ न गिने , करें न दान ||
आपका संदेश- संसार के खल किसी रिश्ते को नहीं मानते है
़*"****" ***
*15* श्री श्यामराव धर्मपुरीकर जी
कउआ को धर रूप जे,पुरखा भरें उड़ान ।
करय दिनन में पूजते, माने इने महान ।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
ईसुर कहते पुरखे , करना याद |
कई रुपों में उनकी , है तादाद ||
आपका संदेश - हमारे पुरखे किसी भी रुप- अंश में हमारे पास आ सकते है
******,***
*16*श्री रामानंद जी पाठक
कउआ मोंका के परें,होत अछूत पुजाय।
पितृपक्ष के आये सें, सब जग टेर खुआय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
आता कउवा अवसर , पर है काम |
नहीं अछूता कोई , मायाराम ||
आपका संदेश - संसार में कोई अछूत नहीं है , सबके अपने निर्धारित कर्म है
*********** **
*17*आद० आशा रिछारिया जी
कउआ बैठ मुँडेर पे, कांव कांव चिल्लाय।
पई पाउने आत हैं, संदेशा दै जाय।।(परिमार्जित )
बरवैं_छंद में समीक्षा
दे संकेत सुहाने , कउवा भोर |
पई पावने आते , करता शोर ||
आपका संदेश - जिनका हम मूल्य नहीं समझते है , वह बहुत अमूल्य संकेत करते देखे गये है
************ ***
*18* डा० देवदत्त द्विवेदी जी
जात बड़ी नें पद बडौ,सदगुन बडौ बनाय।
कउआ सें हरि की कथा,गरुड सुनीं चितलाय।।
जात पात से उठकर , सुनना बोल |
बड़े काम का जीवन, है अनमोल ||
आपका संदेश - हरि कथा पर सभी का अधिकार है , किसी विशेष जातियों का नहीं है
़******** ***
*19* श्री अभिनंदन गोइल जी
बाठ हेर हैरान है , हूक हिये में होय।
मगरें कउआ देख कें,मन के मोंतीं पोय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
अशुभ जिन्हे हम माने , खोट विचार |
कभी वही है करते , जन उपकार ||
आपका संदेश - कभी उनको भी देखकर हर्ष होता है , जिन्हें हम पसंद नहीं करते है
********* ***
*20*श्री आर बी पटेल जी
कउआ जग बदनाम है,बुरों कहत सब लोग ।
करय दिनन भोजन मिले,बोली को संजोग ।
बरवैं_छंद में समीक्षा
बुरा जिन्हें हम कहते , दे आराम |
अवसर पाकर देखों , आते काम ||
आपका संदेश - हमेशा बदनाम आदमी को खराब नहीं समझना चाहिए
*********
*21* श्री गोकुल प्रसाद यादव जी कर्मयोगी
कउआ सौ टांँसत ससुर,काशमीर कौ राग।
जैसें ऊके बाप कौ, होबै ऊमें भाग।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
दुश्मन कउवा मानो , दो दुत्कार |
अपने आगे बनता , जो हुश्यार ||
आपका संदेश - दुश्मन को हमेशा कउवा ही समझना चाहिए , जो कपट को भरे रहता है
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*22*श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
जिंदा में नइँ देत हैं, रोटी पानी आप।
करय दिनन में देख लो,कउआ बन गव बाप।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मात- पिता की सेवा , करना यार |
रहे देवता जग में , है सत्कार ||
आपका संदेश -जिंदा माता पिता घर में देवता स्वरुप मानकर सेवा करना चाहिए
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*23* श्री संजय श्रीवास्तव जी
कौआ छत पे भोर सें,बैठो है चुपचाप।
पुरखन को पूजन करो,भोजन भेजो आप।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
पुरखा सबके जग में , रखते चाह |
कुल के पूजा करके , लेय पनाह ||
आपका संदेश - सभी के पुरखे चाहते है कि परिवार उन्हें याद करें व वह उन्हें संरक्षण देते रहें
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*24* श्री अरविंद श्रीवास्तव जी
कौआ तौ इक जीव है, ऊखौं काँ जौ भान,
हमनें अपने हेत में, भलौ-बुरव लव मान ।
बरवैं_छंद में समीक्षा
कागा भी इक प्राणी , रखता भान |
लोग यहाँ पर कैसा , दे सम्मान ||
आपका संदेश - जग में हर प्राणी यह ज्ञान रखता कि उसे साथ क्या व्यवहार किया जा रहा है
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*25* आद० गीता देवी जी
कउआ बैठो डार पैं, काँउ काँउ चिल्लात।
कोऊ घर मा आयगो, बात पते की कात।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
करते अपनी बोली , से बतकाव |
पंछी तक बतलाते , अपना भाव ||
आपका संदेश - संसार में हर प्राणी अपनी भाषा बोली में जो उसको समझ में आता है , भाव व्यक्त कर देता है
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समीक्षक - सुभाष सिंघई, जतारा
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
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(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 122वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-09-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
2 टिप्पणियां:
बहुत-बहुत बधाई सर।।🌷🌷🙏🙏
अनूठा संकलन।।
धन्यवाद जी
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