संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 शेर 💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 121वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 22-09-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
04-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-राजकुमार चौहान,शिवपुरी मप्र
07-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी,बुढेरा)
08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
10-प्रेमलता खरे, टीकमगढ़
11-एस आर सरल,टीकमगढ़ (म.प्र.)
12-डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
13-प्रभुदयाल श्रीवास्तव,टीकमगढ़
14-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
15--जनक कुमारी सिंह बघेल, भोपाल
16-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
17-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
19-रामसेवक पाठक 'हरिकिंकर', ललितपुर
20-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
21-रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश', कर्वी
22-डॉ.प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
23--जयवीर सिंह अत्री,गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
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संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'ससुरार ( 121वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 121 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 82 देश के लगभग 82000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 121वीं ई-बुक शेर' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने मंगलवार दिनांक-20 -9-2022 को हिन्दी दोहा लेखन में बिषय-'शेर पर दिनांक-20-9-2022 को पटल पोस्ट किये गये थे।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-21-09-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)
***हिन्दी बिषय- शेर*
*1*
#राना होते शेर दिल, भारत वीर जवान |
दुश्मन आकर सामने , बन जाता है श्वान ||
*2*
#राना देखे शेर को , रखे सजगता पास |
निज मस्ती में घूमता, होता नहीं उदास ||
*3*
करो शेर सा सामना , #राना सब आसान |
गीदड़ भभकी से नहीं , मत डरना श्रीमान ||
*4*
तेवर रखना शेर-से , दुश्मन दल को देख |
पन्ने हो इतिहास के , #राना खीचों रेख ||
*5*
शेर जहाँ पर पग रखे , बनते वहाँ निशान |
#राना अब तो शेर का , है चिंह्रो तक मान ||
**
(विश्व में शेर किसी न किसी संगठन का प्रतीक चिंह्र मिल जाता है )
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
विषय,,शेर,
****************************
शेर सवारी कर चली,जब भारत की मात
लिए तिरंगा हाथ में, करती दिव्य प्रभात
******************************
जगत जननि मां शेर पर ,जब होती असवार
शोभित शोभा कनक मय,लिए खड़ग तलवार
********************************
सिंह भरत के युद्ध का , रोचक सुना प्रसंग
बीरभूम भारत प्रबल, देता ह्रदय उमंग
********************************
शेर गए बलिदान कर ,निभा राष्ट्र का धर्म
कर वंदन पिरमोद अब , श्रेष्ठ धरा पर कर्म
*******************************
छैँ सौ चुहत्तर हि बचे, अब भारत में शेर
जलवायू कानन हने , कर प्रमोद अंधेर
******************************
गिरि कानन में शेर जब , भरते हैं हुंकार
वन मंडल स्तब्ध हो , सुने प्रमोद पुकार
*****************************
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
हिन्दी दोहा दिवस
विषय:-शेर
शेर गुफा में सो रहे, गीदड़ कर रय राज।
ऊठा टेक मंत्री बने,भई कोढ़ में खाज।।
दुर्दिन आबे जोन दिन,लगत तनक ना देर।
मकर जाल में फसत है,बड़े बब्बरी शेर।।
🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
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4*-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
हिंदी दोहा दिवस , विषय - शेर
शेर हमेशा शेर है , बदले नहीं सुभाव |
गुर्राता है जोर से , सहे पिंजरा घाव ||
शेर उसी को जानिए , छोड़े नहीं दहाड़ |
दुश्मन आए सामने , देवें उसे पछाड़ ||
वन का राजा जानिए , ताकत रखता शेर |
सदा चुनौती मानता , करता सबको ढ़ेर ||
शेर घास खाता नहीं , करता स्वयं शिकार |
मरा हुआ या दूसरा , करता नहीं निहार ||
रखो हौसला शेर सम , रखकर हाथी चाल |
श्वान सदा ही भौकते, मत होना बेहाल ||
***
-सुभाष सिंघई,जतारा
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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
हिन्दी दोहे, विषय - शेर
-------
रखता अपना ध्यान है, जंगल राजा शेर।
साहस उसका देखकर, होता दुश्मन ढेर।
दरवाजे में स्वान भी, बन जाता है शेर।
सवासेर को मानता, तीतर और बटेर।
सिखलाता है शेर भी, रखिए शक्ति अपार।
पूरी क्षमता से करो, निज दुश्मन पर वार।।
मदकल का दल देखकर,रहे शेर भयभीत।
संघ-संगठन शक्ति से, होती निश्चय जीत।।
खुला जिए पंद्रह बरस, और कैद में बीस।
वन का राजा शेर है, माने सभी अधीश।।
शेर सफेदों के लिए, रीवा रहा प्रसिद्ध।
आज नष्ट सब हो रहे, जैसे होते गिद्ध।
मौलिक/
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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6-राजकुमार चौहान,शिवपुरी मप्र
दो दोहे:-
कहने को तो गढ़ लिए,कई गजल अरु शेर।
वन में देखा शेर जब, बचे होत हम ढेर ।।
जंगलात में ढेर हैं, हाथी हिरना मोर।
सबको राजा शेर है, करता अत का शोर।।
***
*-राजकुमार चौहान,शिवपुरी मप्र
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07-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी)
🌹हिन्दी दोहे, विषय-शेर🌹
************************
जाग उठा है शेर अब,
माता भी तैयार।
निकल पड़ीं कैलाश से,
अमित लुटाने प्यार।।
************************
भली भांति सब जानते,
बलशाली अति शेर।
कई कथाओं में किया,
बुधि ने बल को ढेर।।
************************
हाथी को कब छेड़ता,
वन का राजा शेर।
साहूकारों से यथा,
नृप रखता हो मेर।।
************************
राजा होता शेर ही,
क्यों कि वही सरताज।
फिर मानव बदनाम क्यों,
करता जंगल राज।।
************************
जो भी होगा शेर दिल,
वही करेगा राज।
बँधा मगर जनतंत्र में,
कई गधों को ताज।।
************************
नर शेरों की वीरता,
आवेशीय दहाड़।
लखकर सुनकर ही सहज,
देते मार्ग पहाड़।।
************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
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08-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
हिन्दी दोहा दिवस (20/09/2022)
विषय:- शेर
************************************
जंगल में डंका बजा, होंगे आम चुनाव।
लिए कटोरा घूमते, बंदर शेर बिलाव।।
************************************
शेर साब की घोषणा, हिंसा दहशत बंद।
एक घाट पानी पिओ, जंगल फिरो स्वछंद।।
************************************
बकरी शेर सियार मिल, बैठ पेड़ की छांव।
हँसी-खुशी बातें करें, जंगल खड़ा चुनांव।।
*************************************
गीदड़ भी दम ठोंकता, ओढ़ शेर की खाल।
सबको परखा आपने, हमको भी इस साल।।
************************************
सबकी अपनी ढोलकी, अपना-अपना राग।
कहे मेमना शेर से, पांव हमारे लाग।।
*************************************
मगरमच्छ मैदान में, तिलक जनेऊ डार।
पानी में हम शेर हैं, देना वोट विचार।।
************************************
(मौलिक व स्वरचित)
-मनोज साहू 'निडर', नर्मदापुरम
***
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09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
खड़े देश की रक्षा में ,हिन्दुस्तानी शेर।
कर सके नहि बराबरी , पाकिसतानी चेर ।।
प्रशन वाचक दोहा
2
जीते जी छू नहि सको,बतलाओ दो कौन ।
छूनें पर खा जायगा , भसम करेगी जौन ।।
उत्तर ==
3==
नहि छू सकता शेर की ,मूँछ जिये तक कोइ।
पतिवृता इक नारि की ,वाँह न पावे सोइ।।
4==
घनें जंगलौं में बसें , शेर होत दमदार।
करन गऐ गर शैर जो ,पल में करें शिकार ।।
5==
बली देश के शेर हैं , थरराये यो चीन ।
खड़े सिपाही देश के ,दुश्मन होऐं हीन।।
6==
इक दूजे पर शेर हैं , जो होते दमदार।
अपना रौब जमाय वै ,जीव जंतु नरनार।।
मौलिक रचना
***
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
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*10*-प्रेमलता खरे* टीकमगढ़
सत्य घटना
शाकाहारी.. शेर
*
जयपुर की है यह कथा,सुनियौ चित्त लगाय।
हिंसा छोड़ी शेर नें,अहिंसा ली अपनाय।।
*
अमरचंद दीवान का,सजा जहाँ दरवार।
तहाँ शेर सम्मुख खड़ा, भोजन की दरकार।।
*
सेठ कहे जहँ शेर से, सुनियौ विनय हमार।
माँसाहारी छोड़ के,करिये शुद्ध अहार।।
*
अमरचंद भर लाय थे,खूब जलेबी थार।
शेर सामने रख कहें,करें भोज सरकार।।
*
आँख मूँद भोजन बनें,सेठ स्वयं दरवार।
दूजी ओर जाके रखा,शेर ढिंग वह थार।।
*
अहिंसा में बलहिं बढ़ा,जान गये नर-नार।
शेर जलेबी खा रहा,देख रहा संसार।
***
*प्रेमलता खरे* टीकमगढ़
***
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11-एस आर सरल,टीकमगढ़
हिंदी दोहा विषय # शेर #
******************************
शेर बनें हर क्षेत्र में, बनना नहीं सियार।
करो गर्जना सिंह सी, दुश्मन मानें हार।।
धैर्य शक्ति विश्वास है, गर्व चतुर्थ सरीक ।
चार शेर चारों दिशा,हैं सदधम्म प्रतीक।।
सत्कर्मों के शेर ही, करते सदा दहाड़।
झूठ दिखावा जो करें,उनको देत उखाड़।।
शाक्यसिंह नरसिंह हैं, शेर बुद्ध पर्याय।
बुद्ध धम्म उपदेश हैं, पाली में दर्शाय।।
शेर कैद होते नहीं, रहते हैं आजाद।
सिंह स्वभाव न छोड़ते,करत गर्जना नाद।।
*******-********-****************
- एस आर 'सरल'
टीकमगढ़
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🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
12-डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
दोहे - विषय - 'शेर'
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 शेर शेर सा दिल रखे, जंगल में है राज।
शेरो दिल बन जाय जो माने सकल समाज।।
2 शेर पसेरी तौल थी, सस्ता था बाजार।
लीटर मीटर चल गये, कैसे बेड़ा पार।।
3 पराधीन जो होत है, हाँ हजूर कर जोड़।
सरकस में तो शेर भी, खड़ा रहे कर जोड़।।
4 छोटा कभी न जानिये, काम सभी तो आये।
फसा शेर जब जाल में, चूहा जाल कटाये।।
5 शेर शायरी सुन सभी, ताली रोज बजाय।
सुनकर अपना नाम भी, शेर खड़ा मुसकाय।।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
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13- -प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
हिन्दी दोहे विषय शेर
सजे भव्य पंडाल में , झांकी सुखद सुहाइ।
बैठी बब्बर शेर पै , आईं अंबे माइ।।
सारनाथ के शेर हैं , राष्ट्रीय प्रतीक ।
सुन्दर सुखद सुहावने, शुभकारी अरु नीक।।
जब भी शेर दहाड़ता, वन्य जीव थर्रात।
देख सामने शेरनी , अपनी पूंछ डुलात।।
भोजन करता है तभी, कर ले स्वयं शिकार।
और किसी का छीनना, उसे नहीं स्वीकार।।
अपनी गलियों में सभी,बन जाते हैं शेर।
सवा शेर मिल जाय तो, होने लगते ढेर।।
***
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
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-14-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
1
शेर जान अपना लियौ,निकरौ है डरपौक।
पिल्ला पूँछ दबात है,पैलाँ रव तौ दौक।।
2
शेर मुखौटा पैर कैं,आ गव जंगल बीच।
शेरइ सैं फिर चिथ गये,आई शरम न नीच।।
3
लाल भाल टीका करें,कहें शेर सम होय।
गीदड़ सैं बदतर कढ़ै,मुढ़ी पकर कैं रोय।।
4-
शेर बन शिवजी गये,देखौ बछड़ा पास।
लैन परीक्षा गाय की,बछड़ा निकरो खास।।
5-
जंगल का समझा जिसे,सरकस का है शेर।
कठपुतली है हाथ की,हो गइ भारी देर।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
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15-जनक कुमारी सिंह बघेल, भोपाल
*विषय शेर*
करता शेर दहाड़ जब , वन प्रांतर कप जाय।
दमक धरा भी जाय तब , दहल -दहल दिल जाय।।
तीन शेर प्रतीक है , सिंह कि हम औलाद।
सीना चौड़ा हिंद का, तन मन में फौलाद।।
जंगल का नृप शेर है , वन प्रांतर की शान।
निकले वह जिस क्षेत्र से , बन जाती पहचान।।
हरा भरा बन प्रांत हो , विचर रहा हो शेर ।
लागे प्रकृति सुहावनी , पक्षी करें बसेर।।
मतवाली तव चाल हो, साहस हो भरपूर।
शेर सदृश बलवान हो , करुणा बसे न दूर।।
***
जनक कुमारी सिंह बघेल, भोपाल
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16-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
हिंदी- दोहे दिनांक- 20 09 2022
दिन- मंगलवार विषय- शेर
**********
स्वयं बनाते राह को, नहीं लीक पर जायँ।
ताकतवर ऐसे मनुज, सदा शेर कहलायँ।।
जब अभिमानी शेर को,सवा शेर मिल जाय।
धूमिल होती हेकड़ी, झाड़ी में छुप जाय।।
वे मिट्टी के शेर हैं, दिखते जैसे भूप।
सच्चाई उनकी यही, सह न पाते धूप।।
ओढ़ लबादा शेर का, गधा राह में जाय।
अपनी बोली बोल कर, जमकर लाठी खाय।।
दुनिया में विख्यात हैं, हिंदुस्तानी शेर।
जिससे होता सामना, करें उसी को ढेर।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
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17--जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
##१#
बंधन में हो वीरता,समय समय का फेर।
हन्टर से नाचा करे,ज्यों सर्कस का शेर।।
#२#
सवा सेर मिल जाय जो,उल्टी चलत बयार।
फस जाता जब जाल में,बनता शेर सियार।।
#३#
बिषधर मणि मिलती नहीं,देत न जीवन फेर।
मूंछ काट पाते नहीं,जो जिन्दा है शेर।।
#४#
शेर तजे ना वीरता,जब तक घट में प्राण।
लेता जान शिकार की,ज्यों तरकश का😭 बाण।।
#५#
कर छोड़े राजा तभी,भरे होंय भण्डार।
पेट भरे पर शेर भी,करता नहीं शिकार।।
#मौलिक एवम् स्वरचित #
##
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
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18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
दोहा -शेर
१
शेर शक्ति प्रतीक है,माता वाहिन सोह।
जल अर्पण सेवा करी, जग दर्शाये मोह।
२
शेर शक्ति उपमा जगत,वीर क शेर वखान।
है आदर्श समाज का, जग पावत है मान।
३
लोग वीर तो शेर हैं, जनी शेरनी होय।
सवा शेर जिसको मिले,आगें आय तोय।
४
शेर पूंछ ऊंची रहै,नीचा श्वान होय।
सहमा डरता जो रहत,मान जगत में खोय।
५
हिन्द वीर वे शेर हैं,लड़कर बलि हो जांय।
देश सुरक्षित उन्हीं से,मान मरें भी पांय।
***
-रामानन्द पाठक,नैगुवां
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19-रामसेवक पाठक 'हरिकिंकर',ललितपुर
मानव से डरते सभी, हाथी हो या शेर।
चाबुक पड़ते काॅंपता, तथा लगाता टेर।।
जंगल का राजा भले, छिपे माॅंद में जाय।
गर्जन सुनकर तोप की, कह प्रभु देहु बचाय।।
बस्ती से नित दूर रह, रहता जंगल बीच।
शीत उष्ण सब झेलता, आतप बर्षा कीच।।
कहलाता वह शेर वह, पर जीना बेकार।
उदर पूर्ति हित सदा, करें जीव संहार।।
***
-रामसेवक पाठक 'हरिकिंकर', ललितपुर
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
*20*अभिनन्दन गोइल, इंदौर
हिन्दी दोहा, विषय - 'शेर'
शेर सरीखा वो लड़ा, हुआ खून फौलाद।
निर्भय होकर जब डटा, हुआ देश आजाद।।
जान निछावर कर चला, जन्मा था वो शेर।
रुतवा मिला शहीद का,दुश्मन को कर ढेर।।
आज फिजाएँ गा रहीं, गाथाएँ अविराम।
कीर्ति उन्हीं की है अमर,जो थे शेर जवान।।
जिसकी स्वयं मृगेन्द्रता, नहीं कथन अतिरेक।
जंगल में वनराज का, कौन करे अभिषेक।।
***
मौलिक, स्वरचित - अभिनन्दन गोइल, इंदौर
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
21-रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश', कर्वी
🌷 विषय- शेर 🌷
छंद- दोहा
घरनी सामने दुम दबा, नीची रखते मूंछ।
पड़े सामने शेरनी, शेर हिलाता पूंछ।1
अपना रास्ता खुद चुनो, शंकित चलते लीक।
शायर सिंह सपूत ही, चलें लगे जो ठीक।2
निर्भय गर्जन चाल ही, चिन्ह बताते शेर।
साहस भरा अदम्य है, करें लक्ष्य को ढेर।3
रखें जिगर जो शेर - सा, उसके बंधता ताज।
नहीं लड़ा हक के लिए, उसको कहां अनाज।4
भारत माता शेर में, लिए तिरंगा हाथ।
बरसाती शुभ आशिषें, सबको करें सनाथ।5
***
स्वरचित एवं मौलिक
-रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश', कर्वी
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
22-डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
पटल को नमन🙏
मंत्री को राजा कहें,बे जनता पर शेर।
घर में बिल्ली बे रहें,समय -समय का फेर।।
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माँस बिना नहिं रह सके,कभी न माने हार।.
शेर देर करता नहीं,देखत करे शिकार।।
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जंगल का राजा कहें,कह कोई वनराज।
मद में डूबा रह सदाँ,है बिरला अंदाज।।
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डॉ. प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇
23-जयवीर सिंह अत्री,गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
*नमन जय बुंदेली साहित्य समूह*
तिथि- 20-09-2022
*शब्द-शेर*
अधिकारी रहते सदा, कामगार पर शेर।
घर पत्नी यदि डाँट दे, हो जाते हैं ढेर।।
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-जयवीर सिंह अत्री,गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
साभार- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पेज बुक पेज से
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संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
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(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 121वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 22-09-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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