rajeev namdeo rana lidhoriराना लिधौरी के ग़ज़ल संग्रह ‘राना का नज़राना’का हुआ विमोचन
(आर.एस.शर्मा को मिला पं.घनश्याम दास तिवारी स्मृति सम्मान)
(म.प्र.लेखक संघ ने 201वीं राजभाषा हिन्दी पर केद्रित गोष्ठी हुई)
टीकमगढ़//परमेश्वरीदास तिवारी के निवास पर, अद्धवर्यु मंंिदर के पास म.प्र.लेखक संघ’ टीकमगढ़ ने अपनी 201वीं गोष्ठी ‘राज भाषा हिन्दी’ पर केन्द्रित आयोजित कि जिसमें म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी की चैथी पुस्तक ‘राना का नज़राना’ का विमोचन किया गया। जिसकी समीक्षा पढ़ते हुए उमाशंकर मिश्र ने कहा कि राना लिधौरी साहित्य के क्षेत्र में आलरांडर है उन्होनें कविता,ग़ज़ल,दोहे,हाइकु,व्यंग्य,लघुकथाएँ आदि सभी प्रमुख विद्या पर अपनी कलम चलायी है पढ़ी इतनी कम उम्र उम्र में उन्होने से राष्टीªय स्तर पर बहुत ख्याति प्राप्त की है, राना लिधौरी कि दो ग़ज़लों की संगीतमय प्रस्तुति गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया द्वारा दी गयी। कार्यक्रम में, मुख्य अतिथि तंजीम बज़्में अदब के सदर जनाब इकबाल ‘फ़जा’ रहे व अध्यक्षता प.हरिविष्णु अवस्थी ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में होमोपैथी के प्रसिद्ध डाॅ.नरेन्द्र कुमार जैन उपस्थित रहे। इस अवसर पर यात्रा संस्मरण व गद्य लेखन के लिए साहित्यकार आर.एस.शर्मा को ‘म.प्र. लेखक संघ’ द्वारा प.घनश्याम दास स्मृति सम्मान 2015 से सम्मानित किया गया एवं सभी संगीकारों का भी सम्मान शाल श्रीफल द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम प.मनमोहन पाण्डेय ने सरस्वती वंदना‘ की और गीत सुनाया-
बंदर के हाथ में आ गया है बम,बच के रहना बचके रहना तुम।
परमेश्वरीदास तिवारी ने कविता पढी- सबक सीख लो तासकंद से भूल न फिर होने पाये,
जीता हिस्सा हारे थे,कष्मीर नहीं जाने पाये।।
ग्राम नदनवारा से पधारे गीतकार शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ ने गीत पढ़ा- देवकी माई नंद बाबा घर प्यारौ लल्ला हो गब।
गाँव में हल्ला हो गब, गाँव में हल्ला हो गब,।।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे कोमल चन्द्र बजाज ने पढ़ा- आदिनाथ के मुख से निकली यही हिन्दी भाषा है,
ऊँ नमःसिद्धेम्यः से पूजित आदि ब्राम्ह्नी ही भाषा है।।
ग्राम लखौरा से पधारे कवि गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ ने पढ़ा- हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की जासे हिन्द महान है।
हिन्दी भाषा राष्ट्र बना दो हम सबकी जा जान है।।
लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने हिन्दी पर कविता सुनायी
हमारी शान है हिन्दी,हमारी जान है,हमारे देश की यही तो पहचान है हिन्दी।
हम हिन्दू है हमारा देश हिन्दुस्तान है हिन्दी।।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे युवाकवि जय हिन्द ‘स्वतंत्र’ ने पढ़ा-चीखें गूंज रही क्रंदन हर ओर सुनाई देता है।
चलो पार्थ गाण्डीव घार,फिर कौरव दल का नाश लिखें।
मुख्य अतिथि शायर इकवाल फ़जा ने कमाल पढ़ा- शहीदों के लहु का रंग है ये,बुलंदी पर जो परचम हो गया है।।
उमाशंकर मिश्र तन्हा’ ने पढा-था प्यार अगर मुझसे इकबार तो कह देते,जज़्बात कभी दिल के मेरे यार तो कह देते।
अमिताभ गोस्वामी ने सुनाया-नेक राहों पे बस चला कीजिए,दुश्मनों से भी न जला जाए।।
दीनदयाल तिवारी ने कविता पढी-हिन्दी कर भाषा की बनी एक ही जानी मानी।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा-जिसकी अभिव्यक्ति में सौन्दर्यबोध का होता है,जिसके शब्द भंडार का निरंतर शोध होता है।
संगीतकार भान सिंह श्रीवास्तव ने पढ़ा-श्याम बिन मोहें न आवैं चैंन।
विजय मेहरा ने-‘भारत माता की जय’ व्यंग्य पढ़ा। सीताराम राय ने पढ़ी-हिन्दुस्तान की जीवन रेखा,हिन्दी भूल ना जईयो।
इनके आलावा प.हरिविष्णु अवस्थी,वीरेन्द्र बहादुर खरे,डाॅ.अनिता गोस्वामी,शांतिकुमार जैन,अभिनंदन गोइल,आर.एस.शर्मा, पूरनचन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र चंसोरिया,बी.एल.जैन, हरेन्द्रपाल सिंह,हाजी अनवर,मास्टर उम्मेद खां,सत्यम श्रीवास्तव,देशरत्न भट्ट,अवध बिहारी श्रीवास्तव,रघुवीर आनंद,अजीत श्रीवास्तव,लालजी सहाय श्रीवास्तव, आदि ने आलेख व रचनाएँ पढ़ी। गोष्ठी संचालन उमाशंकर मिश्र’ ने किया एवं सभी का आभार प्रदर्शन परमेश्वरीदास तिवारी ने किया।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,मोबाइल-9893520965,
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