कुछ दोहे- 'ईद मुबारक'
रोज़े रखने से यहां,
खुश होते भगवान ।
अमन,चैंन व प्रेम जहां,
वह है हिन्दुस्तान ।।
लाती घर में ईद है,
खुशियों का पैगाम ।
सबको गले लगाइए,
मिल जाए आराम ।।
मीठे ये पकवान से,
महके है घर-द्वार ।
नये कपड़ों को पहिन के,
खुशियां मिले अपार ।।
ईदी पाने के लिए,
पड़े बड़ों के पांव।
बच्चें फिर अपने अपने,
लगा रहे है दाब ।।
ईदी पाकर खुश हुए,
बच्चे करें सलाम।
अब तक अटके जो रहे,
पूरे होंगे काम।।
#786#
-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र)मोबाइल-9893520965
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