Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

बुंदेलखंड के त्यौहार -राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़

शोध आलेख- बुन्देलखण्ड के प्रमुख तीज-त्यौहार
                     --राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ 

भारत कौ त्यौहारन कौ देस कइ जात हैं सो हमाव बुंदेलखण्ड सोउ ईसें अछूतो नइ रव इतै सोउ भौत सारे तीज-त्यौहार मनाये जात है। साल के हर मइना में दो-चार त्यौहार तो मनाये जातई है कैउ बडे त्यौहार जैसे दिवारी, दसरय,होरी, राखी, रामनौमी, श्री किसन जन्माष्टमी  तौ सारे देस में मनाई जात है पै बुन्देलखण्ड में कछु त्यौहार विशेष रूप से मनाये जात है। जी कंे बारे में हम तनक-तनक शब्दन में इतै बता रय हैं- 
इतै हम हिन्दी मास अरू तिथि के अनुसार जोन तीज-त्योहार पैला आत है ओइ के अनुसार लिख रय है-
1-गुडी पडवा (चैत्र नवरात्र)- 
गुडी पड़वा चैत्र शुक्ल के पैला दिना मनाव जात है ई दिना से हिन्दी नव वर्ष मानों जात है। चैटी चाँद भी ई दिना मनाव जात है। चैत्र की नव रात भी ई दिना से शुरू होत है। जीमें माँ दुर्गा जी की पूजा करी जात है।
2-राम नवमी- 
गुडी पड़वा चैत्र शुक्ल की नमें को श्री राम नवमी मनाइ्र जात है। श्री राम की पूजा करी जात है अरू जवारे कौ विसरजन करौ जात है। राम चरित मानस जयंती भी ई दिना मनाइ जात है।
3-बरा बरसात- 
जो त्यौहार साल एक बेर ‘ज्येष्ट माह की अमावस’ कौ मनाओ जात है ईमें सुहागिनी औरतें ई वृत कौ रखती है। उनकी औली में सात पुआ धरे जाते है कउ-कउ मालपुआ धरे जात है। ये सात रंग बन्न-बन्न के सात रंगन के प्रतीक माने जात है। कैउ जने विदमान इन सात पुअन कौे शांति, उत्तेजना, क्रूरता, मैत्री, अस्मिता, विलासिता अरू परिश्रम कौ प्रतीक रूप सोउ मानत है। ई वृत राखवे कौ मूल उद्देश्य औरतन में पतिवृत धर्म कौ पालन करवौ है।
4-कुनघुसी पूनौ- 
कुनघुसी त्यौहार असाढ मास की पूनौं कौ मनाओ जात है ईमें घर की भीतर-बायरे सफाई करी जात है अरू भीत पै घर की सबसें बूढी जनी औरत या सास या सबसें बड़ी बउ की प्रतीक स्वरूप चित्र बनाव जात है।उ की पूजा करी जात है बाद में वो अपने से उमर में छोटी बहुओं को कछु उपहार सोउ देत है। जौ त्यौहार मूल रूप से घर की सबसे बूढी महिला के मान-सम्मान के लाने मनाव जात है। उने खुस रखो जात है अरू जा सोसी जात है कै इन्हीं की कृपा-आशीर्वाद से हमारा घर-आँगन हरो-भरो रय, खुसियाँ अरू शांति बनी रय।
5-हरी ज्योति- 
हरी ज्योति त्यौहार श्रावण कृष्ण अमावस्या कौ मनाओ जात है। ईमें तनक-तनक सी बिटियन की पूजा करी जात हैं। ई पर्व में मौडियन कौ देवी स्वरूप मान कै उनके चित्र-आकृतियाँ भीत माहुर से बनाकर पूजा करी जात है फिर अपने घर की छोटी मोड़ियन की पूजा-वंदना करी जात है उनै मीठे पकवान बनाकर खिलाये जात है। हरी ज्योति कौ मतलब होत है हरि मने विष्नु, अरू ज्योति मने शक्ति अर्थात भगवान विष्णु की शक्ति का प्रतीक इन बिटियन कौ मानौ जात है अरू शक्ति के रूप में इनकी पूजा करी जात है। उने मान सम्मान दव जात है।
6-नाग पंचमी- 
नाग पंचमी सारे बुन्देलखण्ड में श्रावण शुक्ला पंचमी कौ मनाइ जात है। ईमें नागों की पूजा करी जात है। घर के बायरे की भीत पै साँपन के चित्र बनाये जात है उनकी पूजा करी जात है अरू प्रार्थना करी जात है कि हे नागदेवता हमारे परिवार की रक्षा करै रइयो अरू हमाये परिवार के लोगन कौ कभउ ना काटियों।
7-हरछठ- 
हरछठ पूरै बुन्देलखण्ड बडे उल्लास से मनाव जात है जौ त्यौहार भाद्र पक्ष की षष्ठी कौ मनाइ जात है। ईमें भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम जी कै जनम दिवस के रूप मंें मनाव जात है। ई त्यौहार में स्त्रियाँ उस दिन हल से जुते हुए खेत से उत्पन्न भइ चीजै खासकर अन्न कौ नइ खाव जात है। ई दिना सात तरां के अन्नन की पूजा करी जात है।
8-संतान सातें- 
संतान सातें पर्व त्यौहार भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी कौ मनाव जात है। औरते ई वृत कौ रख्ती है। ई पर्व में भगवान भोले नाथ अरू पार्वती जू की पूजा करी जात है। संतान की कामना एवं उनकी रक्षा के लाने ई वृत कौ रखौं जात है जीमें औरतें शिव-पार्वती का षोडषोपचार द्वारा पूजन करकें भगवान कौं खुस करती है। 
9-अखती- 
जौ त्यौहार बैशाख सुदी तृतीया को पूरे बुन्देलखण्ड में भौतइ धूमधाम सें मनाव जात है। किशोरिया ई दिना अपने हात से गुड््डे-गुडिया बनाती है फिर उनकौ पूजन करती है। ऐसौं मानों जात है कै इ दिना जो भी कार्य करो जात है वा अक्षय होत है।
10-राखी-
राखी कौै त्यौहार बुन्देलखण्ड में भौतइ धूमधाम सें मनाव जात है। जौ त्यौहार सावन के महीने के आखिरी दिना पूने कौ मनाव जात है। ई दिना बैन अपने भइयन कौं राखी बांधती है अरू तिलक लगाकर उनकी लंबधी आयं की कामना करती हैं भैया भी बैनन कै पाँव पर कैं उनै उपहार देत है अरू उनकी रक्षा करके की शपथ लेत है। जो त्याौहार भैया-बहिनन में अनूठे प्रैम कौ प्रतीक है। जो कि राखी की डोरी से बधों रत है।
11- बाबू की दोज-
जौ पर्व भादो मास में शुक्ल पक्ष की दोज कौ मनाव जात है। ई दिना कैउ घर में कुल देवता की पूजा करी जात है पूरे घर की सफाई करी जात है। कुल देवतन कौ पूजौ जात है उनें बिशेष प्रकार के व्यंजन बना कै उनकौ  भोग लगाव जात है। ईजीमें बरा, मेर कि गुलेरी, अठवाई, चाँवर की कालोनी, आदि बनाकर कर पूजा करी जात है। ई को गाँवन में बड़ी पूजा भी कई जात है बाबू कि दोज कैउ घरों में सबसे बड़ी पूजा मानी जात है। ई दिना घर के अपने कुल देवतन को खुस करो जात है।
12- तीजा -
जौ पर्व भादो मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया कौ मनाव जात है। ई दिना कै घर में तीजा सजाई जात हैं जौ वृत भौत कठन होत है। ईमैं पानू तक नई पीने परत हैं निराहार बिना पानी के वृत रहना पड़ता है। महिलाएँ ई वृत को रत है।
13- गणेश चतुर्थी-
जौ पर्व भादो मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी कौ मनाव जात है। ई दिना गनेस जू की पूरा करी जात है। जौ उत्सव पूरे देश भरे में मनाव जात है। ई खों ‘‘गनेसउत्सव’’ कई जात है। ई दिना से नौ दिना तक गनेस जू रखे जात है उनै पंड़ाल में धर के उनकी झांकी सजाई जात है।सामूहिक भुंसरा अरू राते में पुरा परौस के जनी-मांस मिलजुर कै आरती करत है।
14-ऋषि पंचमी-
जौ पर्व भादो मास में शुक्ल पक्ष की पंचर्मी कौ मनाव जात है। 
15-मोरयाई छठ-
जौ पर्व भादो मास में शुक्ल पक्ष की छठै कौ मनाव जात है। ई दिना विशेष रूप से जिस घरे में व्याव भओ हो तो नये विहाहितांे के ‘मोर’ कौ नदयिन अरू तला में पूजा करके सिरा दव जात है।

16-महालछमी-
जौ पर्व  कुवांर मास में शुक्ल पक्ष  की अष्टमी करय दिना मेें मनाव जात है। ई दिना विशेष रूप से माटी के बने भए हाथी अरु लछमी जू की पूजा करी जात है।
17-दुर्गा अष्टमी-
     जौ पर्व आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की आठै कौ मनाव जात है। ई दिना माँ दुर्गा की विशेष पूजा करी जात है।
18- दसहरा-
जौ पर्व आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दसें कौ मनाव जात है। जिये विजय दशमी कव जात है ई दिना नीलकंठ कै दरसन करवौ भौत सुभ मानों जात है।समी के पत्ता अरू सोन मछरिया को देखवों भी सुभ होत है। एक-दूसरे कौं पान खुबाब जात है।
19- दिवारी-
  कातिक मास की अमावस कौं दिवारी मनाई जात है जौ त्यौहार बुन्देलखण्ड कौ सबसे बड़ों त्यौहार मानो जात है। दिवाली पे तो दिना तो पाँच दिना तक रोजइ त्यौहार मनाये जात है। पूरे घर कौ दिया अरू झालरन सें सजाव  जात है। घरे की साफ-सफाई अरू पुताई करी जात है।
20- ग्यारस-
 कार्तिक मास की एकादशी को ग्यारस मनाइ जात है। दिवाली ग्यारह दिना बाद ग्यारस मानयी जात है। ईये छोटी दिवारी कत है। दिये देवउइावनी ग्यार सोउ कइ जात है। ऐसो मानों जात है कि ई दिना देव जाग जात है अरू ई दिना के बाद से शादी-व्याह होन-चलन लगत है।
21- सोमवती अमावस-
जो पर्व सोमवार कौ अमावस परवै पर मनाव जात है ई दिना पवित्र नदियान में इस्नान करौं जात है।

और भी कैउ त्यौहार है जो बुन्देलखण्ड में मनाय जात है। कछु क्षेत्र विशेष में मनाये जात है। जो कछु सबरे देश के संगे मनाये जात है। कुछ मिला कै जै बसरे त्यौहार मनाने को मूल उद्देश्य जौ है कि हमारी संस्कृति बची रय अरू आपस में मिलजरके प्रेम से सबइ जने रय। अरू एक-दूसरे के संगे सुख-दुश बाँटे।  ईसें तो कैइ जात है कै हमाव देस धर्मअरू संस्कृति कौ नौनो देश है।
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राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
   अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
   जिलाध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
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