बुंदेलखंड की नदियाँ
बुंदेलखंड की नदियाँ आलेख संग्रह
संपादक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
प्रकाशक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ
प्रकाशन -7-8-2020
कापीराइट - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
पता-नई चर्च के पीछे शिवनगर कालोनी टीकमगढ़)मप्र) भारत
मोबाइल -9893520965
1- *मध्य प्रदेश की नदियों के किनारे बसे प्रमुख नगर एवं शहर*
राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
*नर्मदा नदी*- नर्मदा नदी के किनारे पर अमरकंटक, होशंगाबाद, नेमावर, पुनासा, महेश्वर, जबलपुर,नरसिंहपुर, हंडिया, ओमकारेश्वर, बड़वानी, निमाड,मंडला. बड़वाह, मंडलेश्वर ,झाबुआ. धार,निमाड़, शहर बसे हुए हैं !
*चंबल नदी*- चंबल नदी के किनारे पर महू, शिवपुर, रतलाम, मुरैना, शहर बसे हुए हैं !
*बेतवा नदी*- बेतवा नदी के किनारे पर ओरछा, सांची, विदिशा, गुना, आदि नगर बसे हुए हैं !
*तापी नदी*- ताप्ती नदी के किनारे पर मुलताई बुरहानपुर शहर बसे हुए हैं !
*पार्वती नदी* पार्वती नदी के किनारे पर शाजापुर, आषटा, राजगढ़, सीहोर शहर बसे हुए हैं !
*सिंध नदी*- सिंधु नदी के किनारे पर शिवपूरी दतिया नगर बसे हुए हैं!
*काली सिंध*- नदी कालीसिंध नदी के किनारे पर बागली,देवास, सोनकच्छ नगर बसे हुए हैं !
*क्षिप्रा नदी* -शिप्रा नदी के किनारे पर महाकाल की नगरी उज्जैन शहर बसा हुआ है !
*खान नदी* खान नदी के तट पर इंदौर शहर बसा हुआ है !
*माही नदी*- माही नदी के तट पर कुक्षी,धार शहर बसे हुए हैं !
*तवा नदी* तवा नदी के किनारे तवानगर ,पचमढ़ी शहर बसे हुए हैं !
*बेनगंगा नदी*- वैनगंगा नदी के किनारे पर बालाघाट जिला स्थित है !
*बिछिया नदी*- बिछिया नदी के किनारे पर रीवा शहर बसा हुआ है !
*शिवना नदी*- शिवना नदी के किनारे पर मंदसौर जिला बसा हुआ है !
-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
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*टोंस नदी :-*
टोंस नदी का एक दूसरा नाम *तमसा* भी है। टोंस नदी के ही *बुंदेलखंड की सीमा का निर्धारण* किया गया है।
टोंस नदी का उद्गम स्थान मध्यप्रदेश के सतना जिले के कैमोर श्रेणी में स्थित सुप्रसिद्ध स्थान मैहर के समीप *तमसा कुंड* जलाशय है वहां से टोंस नदी निकलकर उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है और आगे चलकर सतना नदी में मिलती है। टोंस नदी पर एक सुंदर सा *जलप्रपात* भी है।
पुरबा के समीप यह मैदान में उतरती है और यह इलाहाबाद के पास मेजा तहसील सिरसा नामक स्थान पर पवित्र नदी गंगा में मिल जाती है।
टोंस नदी की कुल लंबाई 265 किलोमीटर है।
इस नदी के किनारे *आजमगढ* एवं *मऊ* (मऊ नाथ भंजन) शहर बसे है।
*-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"*, टीकमगढ़ (म.प्र.)
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2-बुन्देलखण्ड की नदियाँ -
-रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़
बुन्देलखण्ड खों नदियन कौ मायकौ कऔ जा सकत है। मध्य भारत की जादाँतर नदियाँ इतै सें निकरी हैं ।बुन्देलखण्ड की हद नदियन सेंईं बनी है।
इत जमुना उत नरबदा,
इत चंबल उत टोंस।
छत्रसाल सें लड़न की,
रही न काहू होंस।।
इनन के अलावा बेतवा, धसान, केन, काली सिंध, पार्वती और जामनी (जामनेर) बुन्देलखण्ड की दस नामी नदियन में गिनी जात हैं। इन बड़ी नदियन में मिलबेबारी बीना, पहूज, काठन, सुनार, हिरन, बेरमा, कुँवारी, मंदाकिनी, सुखनई, जमड़ार, उर (उर्मिल) आदि कैऊ नदियाँ हैं। जे नदियाँ गंगा-जमुना सें जेठी हैं।
सिंध, पहूज, बेतवा, धसान, मंदाकिनी, सुनार, बेरमा, उर्मिल, केन और किलकिला इन दस नदियन के अर्ण या जल सें पूरित जा भूम दशार्ण के नाव सें पुरानन में बखानी गई है। एक मानबौ जौ है कै इतै की दस नदियाँ जमुना, मंदाकिनी, बेतवा, चंबल, पहूज, धसान, केन, काली सिंध, कुँवारी और तमसा (टोंस)
आँय जिनै दशार्ण कत ते। धसान नदी के बारे में गोइल जू नै पुरानन कौ उल्लेख करत भौत कछु बता दऔ है । एक कथा भर मैं जोरन चाउत।
एक बेर श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न दशार्ण क्षेत्र में पधारे। उननै इतै के राजा शुभांग सें पूछी कै ई देस कौ नाव दशार्ण काय है? राजा ने ऊतर दऔ कै पैले ई कौ नाव मंगलायतन तीरथ हतो। सतजुग में हिरनाकस्सप के पुत्र प्रह्लाद ने नृसिंह भगवान सें बिनती करी कै वे मात-पिता की सेवा नइं कर पाय सो उनके रिन सें कैसें उरिन हुइयै । जा बात सुन कें भगवान प्रह्लाद खों इतै लुआ ल्याय और कई कै जौ मंगलायतन सरोवर हमाय अँसुअन सें बनो है । ई में अस्नान करबे सें तुम मात- पिता, गुरु, देवता, बामुन, रिसी, पुरखन, सरनागत, जोरू, लरका इन दस रिन (ऋण) सें उरिन हो जौ। प्रह्लाद जू इतै अस्नान करकें दस ऋणों सें मुक्त हो गय। तबइ सें ई क्षेत्र कौ नाव दशार्ण पर गऔ और इतै की नदियाँ दशार्ण बजन लगीं ।
भांड़ेर, उर, सुखनई, काठन नदियाँ ई की बड़ी सहायक नदियाँ हैं । चंदवारी में जितै धसान बेतवा सें मिलत है उतै राजा जसरथ और अंदरा -अंदरी के मंदिर हैं । ऐसी कइ जात कै इतइं सरवन कुमार खों राजा जसरथ नै बान मारो तो।
धामौनी कौ नामी किलौ धसान की कगार पै बनो है। बड़ागाँव धसान में हनुमान जू और फलाहोडी जैन मंदिर प्रसिद्ध हैं । ककरवाहा में ऊमरी का सूर्य मंदिर, दूबदेई में जगदंबा माई, पचेर कौ किलौ धसान के किनारें अपने जिला में हैं ।धसान पै और भौत- सी बातें कैबे खों रै गईं हैं पै वे फिर कभऊँ के लानै रन दो।
रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़
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3-
आलेख बुन्दैली बुन्देलखण्ड की नदी
-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
जय बुन्दैली साहित्य समूह के साहित्यकारों खो हमाई राम राम पौचे बुन्देलखण्ड की नदीया भोत है चम्बल धसान कैयान वेतवा जामने सजनाम आपन खो हम एक छोटे सी नदी जोन जिला टीकमगढ़ के पठा ब सर्मरा के बीच से उत्पति भ ई है उको नाव है उरमिल नदी उरमिल नदी पै राजा बीर सिंह जू ने एक तला बनवाओ हतो उको नाव है सुधासागर जो ताल रमन्ना उखो मधुवन कत है इते एक भोत नोनी कोटी राजा ने बनबाई हती आज इते टीकमगढ़ के भोत लोग देखबै खो जात ब पिकनक मनाउत है उरमिल नदी बडमाडेई लखौरा धजरई पपावनी करमासन घाट रानी पुरा मडगर मजना लार पिपरट होते हुई दसान मे मिल जात है एमे भोत कछु गांवन की छोटे नाले सोउ मिले है रिगोरा ताल को नरवा लखौरा सिद्वखाद को नरवा अहार क्षेत्र को सोरदो लार की नदी उरमिल पै बुडकी खो कैउ जागा लोग बुडकी लेत ब मेला भरत है जेसे मउदार लखौरा करमासन घाट पपावनी रानी पुरा कप्तान को मजरा मडगर बैसा मजना के पास भेलोनी मजना बम्होरी कमलपुर बनयानी मझगवां ब लार दुनातृर पे क्षेत्र भर के भोत से बुडकी के टेम पे गांव बारे जुरत है उरमिल नदी जतारा होत भये हरपाल पुर के पास दसान मैं मिल जात है धसान नदी छतरपुर ब टीकमगढ़ के बाढर पै होन है हमें आपने जिला की छोटी नदी की पतो होबो जरूरत है कोन गांव कोन नदी से जुडे है
-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
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4-बुंदेलखंड की नदी- दशार्ण मैया
लेखक- अभिनन्दन गोइल
बुंदेलखंड के असफेर खों हरौ-भरौ करकें ,पालवे-पोषवे बारीं नदियन में 'धसान नदी' कौ सोऊ बडौ़ महत्त है। जा नदिया प्राचीन काल में दशार्ण नदी के नाव सें जानी जात रई।एई कारन आज कौ बुंदेलखंड तबै दशार्ण कहाउत रऔ। धीरें-धीरें मुख सुख के कारन दशार्ण नदी कौ नाव बिगर कें 'धसान ' हो गऔ।
महाभारत युद्ध के पैलें जौ बुंदेलखंड ' चेदि ' नाव सें जानों जात रऔ। महाभारत के विराट पर्व में बरनन है कै ई दशार्ण नदी के असफेर के चेदि राज्य खों सूरवीर नकुल नें जीत कें दशार्ण नाव कौ नऔ राज्य थापित करो तो। ई बात कौ प्रमान नैचें दऔ जौ महाभारत कौ श्लोक है-
पांचालश्चेदिमत्स्याश्च शूरसेना पटचराः।
दशार्ण नवराष्ट्रं च मल्लाः शल्वा युगंधरा।।
बुंदेलखंड कौ दशार्ण नाऔ ईसा की13वीं सदी लों चलत रऔ। चंदेल राजा परमार्दिदेव(1165-1203) खों 'दशार्णाधिपति' नाव सें जानों जात रऔ।
रायसेन जिला के जसरथ परवत सें निकरी धसान नदी बुंदेलखंड के भीतरै बैउत भई 352 कि. मी. की यात्रा पूरी करकें झांसी,हमीरपुर और जालौन जिलन के मिलन स्थल सें नैंचें पौंच कें बेतवा मैया की ओली में समा जात। (ई बींचा भौतई नौनें नगर, गाँव बसे , तीरथ हैं, रमनीक स्थल हैं,सिंचाई योजनाएँ हैं जिनें हमन बुंदेलखंडी जानतई हैं। सो विस्तार भय से उनकौ बरनन नईं कर रए )
धसान नदी के असफेर में धरम औ संस्कृति खूब पनपी। बावन पुरान में तौ धसान(दशार्ण)खों भौतई शुभ बताऔ गऔ। ई के असफेर में पवित्र हिन्दू और जैन तीरथ कल्यानकारी हैं । जौ श्लोक देखौ -
महाबोधिः पाटलश्च नामतीर्थमवन्तिका।
महारुद्रौ महालिंगा दशार्णा च नदी शुभा।।
दशार्ण(धसान) नदी प्राचीन काल सें बुंदेलखंड की पालनहारी औ सुख-साता दाता बनीहै। मार्कण्डेय पुराण में ई खों महिमावान् नदियन में गिनो गऔ है। जौ श्लोक गुनौ-
शोणोमहानदश्चात्र नर्मदा सुरसरि क्रिया।
मंदाकिनी दशार्णा च चित्रकूटस्थैव च।।
दशार्ण(धसान) के असफेर की प्राकृतिक छटा तौ बरहमेस अनूठी रई आई। महाकवि कालिदास तौ दशार्ण के असफेर पै इकाऊ रीझे ते। उनके रचे ' मेघदूत ' कौ जौ काव्य तौ प्रकृति प्रेमियन कौ मन मोह लेत -
पाण्डुच्छायोपवनचृतयः केतकैः सूचिभिन्नै।
नींडारम्भैर्गृहबलिभुजाभाकुल ग्राम चैत्याः।।
त्वायासन्ने परिणतफलश्याम जम्बूवनानान्ता।
सम्पत्स्यन्ते कतिपदिनस्थायि हंसा दशार्णा।।
( अर्थात्- बसकारौ लग गऔ है। दशार्ण के असफेर के बगीचन में केवड़े की कलियाँ चटक रईं हैं, जीसें उनकीं बालें पीरीं पीरीं सीं लग रईं हैं।गाँवन-गाँवन बरिया के विरछन पै कौअन के घोंसला बनाबे कौ ऐरौ-चारौ हो रऔ है।जामुनन के पकवे सें डाँग करिया सी दिखा रईं है। उड़त भए हंसा ऐसे लगत कै मानसरोवर की यात्रा पै जा रए होंएँ। )
सो बुन्देलखण्ड के असफेर खों ऐसी नौनीं 'प्राकृतिक सुषमा' दैवे बारी, धरम और संस्कृति के संगै 'श्री-संपन्नता' बढ़ावे में मददगार ई ' दशार्ण मैया ' खों नमन करत भए विराम लेत हों।
लेखक- अभिनन्दन गोइल
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5-जय बेतवा मैय्या
-रामेश्वर राय परदेशी,टीकमगढ़ मप्र
बेतवा नदी का उद्गम झिरी गाँव में झिरी बहेड़ा नामक स्थान है जो रायसेन जिले में भोपाल से 15 किमी की दूरी पर स्थित है । और विदिशा सें होके बउत बउत उत्तर प्रदेश के ललितपुर और झाँसी जिले से होत भई ओरछे पौचीं और हमीरपुर के ऐंगर जमुना मैया में जा मिलीं राहतगढ़ के ऐंगर भौत ऊँचे सें पानू की धार गिरत सो देखवे में भोत नोनो लगत
साँची और अशोक नगर सोउ बेतवा मैया के करकें बसे हैं इन को पुरानन को नाव वेत्रवती है इनके पानू खों रोक कें राजघाट बन्दा परीछा बन्दाऔर माता टीला बन्दा बने हैं जी सें बिजली बनाई जात और किसानन की खेती खों सीस वे के लाने पानू दव जात जात एक बात और कने ती के बेतवा मैया के करके ओरछा में अजुदया जू के राजा भगवान राम राजा सरकार विराजे हैं और अपने बुंदेल
खंड की अजुदया ओरछा खो कव जात है
-रामेश्वर राय परदेशी,टीकमगढ़ मप्र
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6-
विषय -बुन्देल खण्ड की नदी-बेतवा
-सियाराम अहिरवार ।
बेतवा नदी भारत के हिय कौ हार मध्यप्रदेश की वीरन की धरती बुन्देलखण्ड में होकें बउत भई उत्तरप्रदेश के जनपद हमीरपुर के ऐंगर यमुना नदी में जाकें मिल जात ।
बताउत कै जा नदी रायसेन जिला के कुम्हारा गाँव से निकर कें भोपाल ,विदिशा, ललितपुर ,झाँसी में होकें बउत है ।ईके ऊँचे इस्थानन में कैऊ झरना हैं ।लेकिन झाँसी के ऐंगर कांप माटी होवे सें मद्दी बउन लगत ।ईकी पूरी लम्बाई 590 किलोमीटर है जा बुन्देलखण्ड की सबसें लम्बी नदी है ।
ऐई के करकें साँची ,औ विदिशा के प्रसिद्ध नगर बसे ।ई नदी पै राजघाट ,माताटीला,पारीछा ,सुकवां ढुकवां आदि बुन्देल खण्ड के बड़े-बड़े बांद बंधे ।जिनसें सिंचाई के संगै बिजली उत्पादन औ मछलीपालन सोऊ होत ।ईके करकें बसे ओड़छा कौ भौतेई धार्मिक महत्त है ।कायसें कै इतै भगवान राम साक्षात् बिराजमान हैं ।जा नदी बुन्देलखण्ड की जीवन रेखा कुआउत ।ईके कई घाटन पै विशाल मेला लगत ,जिनकौ अलग ही महत्त
है ।
-सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ़
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7- जमड़ार नदी
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़जमड़ार और जामनें अपने असफेर की भौतइ मनमोहक नदियां हैं।इनकौ पुरानन में जम्बुला और यमदंष्ट्रा नाव बताव गव। आज हम जमड़ार नदी के बारे में कछू चरचा करन चाउत।
जमड़ार नदी है तौ छोटी सी पै ई के किनारें कुंडेसुर जैसौ धाम शोभायमान हो रऔ।
जमड़ार नदी ललितपुर जिले के मड़ावरा के पास एक तला सें निकर कें धुरवारा उल्दना और बारौन होत अपने टीकमगढ़ जिले के गांव घाट खिरिया,धनवाहा अस्तौन नचनवारा और नीमखेरा होत कुंडेसुर आ पोंची।
कुंडेसुर में तौ ई की मनमोहनी झांकी देखतइ रै जात।
कूंड़ादेव बाबा कौ अभिषेक करकें,खैराई की डांग की प्यास बुजाउत,अपनी छबीली छटा छिटकाउत दो तीन मील और चलकें अपनी बड़ी बैंन जामनें सें मिल जात, और ऐसीं मिलीं कै उनइं में लीन हो गईं।
बोलौ जमड़ार मैया की जै।
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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8- बुंदेलखंड में नदी और नारे सबरे हाँर देखबे खों मिल जात ,काय कै -
-कल्याण दास साहू साहू "पोषक"
बुंदेलखंड को जादाँतर भू-भाग पार-टोरियन सें सजौ है । ऊबड़-खाबड़ धरती है । पथरन कीं बडी़-बडी़ चटानें देखबे खों मिलतीं हैं । पार-टोरियन में झिन्ना फूट कड़त । जेइ झिन्ना आँगें चलकें नारे में बदल जात । फिर जेइ नरवा-नारे छोटी नदी कौ रूप धारन कर लेत ।
बुंदेलखंड में बडी़-बडी़ नदियाँ तौ बैइ रइं जिनें सब जनें जाँनत । लेकिन हल्कीं-हल्की नदियाँ सोउ बैरइं । जे हल्कीं नदियाँ बडी़ नदियन से मिल जातीं ।
ऐसइ निवाडी़ जिला की एक हल्की सी नदी है , जी कौ नाव " बरूआ नाला " पुरखन ने धरदव सो बेउ चलौ आरओ । अकेंलें ई हल्की नदी के नाव पै एक नगर बरूआसागर बसौ है ।
तौ जा नदी पिरथीपुर तैसील के विरौरा पार सें निकरी । जा नदिया बीस-पच्चीस मील की दूरी तै करत ।
पिरथीपुर से एक मील पूरब दिशा ताँय येइ नदी पै बाँध बनगव , जियै सत्ती बाँध कत । जो बाँध अबईं चार-पाँच साल पैलाँ बनों ।
आँगें जा नदिया दुमदमा के ऐंगर होत राजापुर गाँव लौं पौंचत । इतै भी ई पै नओ बाँध बनाव गव । राजापुर भाटे सें निकर कें जा नदिया जुगयाऊ होत बरूआसागर के भाटे में पौंचत । इतै भौत पुरानों बाँध येइ नदी खों छेंक कें बनाव हुइयै । इतइं सें फिर झिरना कौ रूप धारन कर आँगें बढ़त । इतै झिन्नन पै भौत सुन्दर लगत । झिन्नन सें आँगें निकर कें जा हल्की सी नदिया बडी़ नदी बेतवा में मिल कें बिलीन हो जात ।
--- कल्याण दास साहू साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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9-किलकिला नदी
-सीताराम राय टीकमगढ
किलकिला नदी बुन्देलखण्ड के पन्ना जिले के बसेरा गांव के निकट छापर टेक पहाडी सें नौकरी है जा नदी पन्ना में फली फूली है और आगे जाकर केन नदी में मिल गई किलकिला नदी पूर्व सें पश्चिम की ओर बहती है
लेखक :- सीताराम राय टीकमगढ
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10-
बुंदेलखंड नदी! वारगीनंदनवारा पर छोटी सी झलक
बुंदेलखंड की वारगी नदी
-शोभारामदाँगी नंदनवारा
नंदनवारा तला में जा मिली जो मजगवाँ गाँव सैं निकरकैं बिगा नादिया होत भइ हाइआ काँईंटोरन आउतफै नदनवारे तला में जा मिलकै गनेस बंदा नांव भव ऊतइं पटटी पै किवारन पै हो पानु कडकैं खरबमौरी खाकरौन लौरगुवाँ हतेई होत भइ जमुना नदी में मिल गइ
ई नदिया के करकै जौंन गांव बसे बे हैं टौरिया मिडौरौ विजराउन राजनगर बिदाँईनदनवाव केसरीगंज बुदररा बमोइखेरा खाकरौन लौरगुवाँ हतेई होकैं जामुनै नदिया जा मिली जो ओरछे के नौटघाट मैआ जामिली
सो हमाव कैवे कौ मतलव जा वारगी नदिया मजगुवाँ सैंसुरू होकै जामनै मिलत भइ बेतवा ओरछैं पौंची
इ वारगी नदिया की धार को राजा सारंग नंइ रोक पाय सो राजा नें कसम खाइ कि तूँ नदी वारंग औ में राजा सारंग बीच धाय में पलंग डारकै पर रय सो वारंग नदिया राजा के कौल कौ मान करत ओए जंगाँ हो निकर गइ
जै राम जी।
-शोभारामदाँगी, नदनवारा
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बुंदेलखंड की नदियाँ
आलेख संग्रह
संपादक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
प्रकाशक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ
प्रकाशन -7-8-2020
कापीराइट - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
पता-नई चर्च के पीछे शिवनगर कालोनी टीकमगढ़)मप्र) भारत
मोबाइल -9893520965
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