Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 11 अगस्त 2020

मुरलीधर मेरे घनश्याम (दोहा संकलन) राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

मुरलीधर मेरे घनश्याम
      (दोहा संकलन)
संपादक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
प्रस्तुति- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
            एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
कापीराइट राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
प्रकाशन तारीख-11-8-2020
पता- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़ (मप्र) भारत मोबाइल- 91+9893520965
मुरलीधर मेरे घनश्याम
      (दोहा संकलन)
संपादक -राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
प्रस्तुति- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
            एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़

1-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़

राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़

माधव,कान्हा, श्याम जू,
नटवर नंद किशोर।
राधा के दिल में बसे,
मुरलीधर चितचोर।।

जमुना तट पै  है रची,
गोप-गोपिका रास।
सुद-बुद अपनी गइ बिसर,
श्याम मिलन की आस।।
       *- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
              *टीकमगढ़ (म.प्र.)*
           मोबाइल-9893520965
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2-रामगोपाल रैकवार टीकमग
काली कमली ओढ़ कें,
गए चराउन धेनु।
जमुना तट पै बज रई,
कान्हा जू की बेनु।।

श्याम सलौने, बाँसुरी,
श्यामा धौरी गाय।
श्यामा रीझी श्याम पै,
कदम तरें सुख पाय।।

-रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़ 
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3-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
1-तरसे बरसे से गिरत,नैनन नीर अधीर ।।
नटवर नन्द किशोर जे,कडे हिदय वैपीर ।।

2-पीर हमाई को कहै,दे काना विश्वास ।।
रो,रो भीजी चोनरी ,कोन सोत घर बास ।। 

3-श्याम शाम की कैगये,होरये मईना आठ ।।
किशन किशोरी को दगा,नैन कन्हैया बाट 

-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा, टीकमगढ़
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4-रामेश्वर राय परदेशी
1ब्रज नन्दन ब्रज ईसुरी
         ब्रज गोपिन के  संग
सुंदर छवि श्री श्याम  की
        लाजत कोटि  अनंग
2मुरलीधर माधव मदन
        मोहन बाल  मुकुन्द
जय गिरधर गोपाल जू
       ग्वाल सखा  गोविन्द
-रामेश्वर राय परदेशी,टीकमगढ़ मप्र
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5-संजय श्रीवास्तव , मवई,
                 -१-
श्याम मनोहर अंग सें,
धन्य भओ रंग श्याम। 
अँदयारो सबको हरें,
सूरज से घनश्याम ।।

               -२-
श्याम बजा रय बाँसुरी,
बैठे यमुना तीर ।
हवा, गगन झूमे धरा,
नचे आग उर नीर ।।
 
              -३-
राग, प्रेम सबरीं कला,
योग, ध्यान में सिद्ध।
लीला नटवर श्याम की,
है दुनिया मे प्रसिद्द ।।

     -संजय श्रीवास्तव, मवई,
     मौलिक व स्वरचित, ११/८/२०, दिल्ली ।
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6-*राजेंद्र यादव "कुँवर"* 
       (1)
बढता देखो भूमि पे, 
            अधरम अत्याचार।
जनम लओ यदुवंश में,
              मोहन मदन मुरार।।
            (2)
गोकुल में छाई खुशी,
               जन जन भाव विभोर।
यशोदा नें लल्ला जनों,
               नटवर नवल किशोर।।
 *राजेंद्र यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा*
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7-अशोक पटसारिया नादान, भोपाल
मनमोहन मधुसूदना, माधव मदन गुपाल।
मुरलीधर माखन चखत,हरसत गोपी ग्वाल।।
🍁
नटवर नागर नटखटी, नदनंदन चितचोर।
बसन विहीना गोपियाँ,देखत तुमरी ओर।।
🍁
बृजरज सर माथे रखें, बृजनंदन बृजराज।
संत भक्त अरु गोपियाँ,राह चलत गजराज।।
🍁
प्रेम विवश गोपाल के, गैयाँ गोपी ग्वाल।
राधा की सो का कबें, मोरें भईं बेहाल।।
🍁
वंशी की ताने सुनत, दौड़ी आवैं गाय।
गोपी ग्वाला राधिका,मोर हिरन बनराय।।
-अशोक पटसारिया नादान, भोपाल
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8-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष, टीकमगढ़
श्याम सलोंनीं सी घटा,उड़त पवन के संग।
जा रस भरी फुहार तौ,करत श्याम बिन तंग।।

इतै छाय घन सांवरे,श्याम सांवरे अंत।
सांउन सूके बीत गय,कबै परै फिर पंत।।

श्याम घटा झूमन लगी,झूलत श्यामा श्याम।
श्यामा दृग मिचकन लगे,मिचकी दै रय श्याम।।

-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष, टीकमगढ़
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9- राजगोस्वामी,दतिया
छोड़े बैठी राधिका,
दो दिन सें जलपान ।
कान्हा की बंशी 
बजी लैन लगी मुस्कान ।।
       कान्हा कम रसिया नहीं
        सब को रोत हंसात ।
       कहु दिन में छुप जात हैं
        रात कबहु मिल जात ।।
राधा रानी की कृपा
भयेे अनेक न काज ।
बाकी काज निवारवे
हरि मोहन महराज ।।
-राजगोस्वामी,दतिया
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10-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बडा मलहरा,छतरपुर
  छलनी सी छाती भई
      छल छल छलकें नैन    
श्याम विरह में गोपियां
     तलफ रहीं दिन रैन     
            (  2)
  घर घर मैंना पालकें
      गोपीं मन समजायँ
 नटवर नंदकिशोर कौ
       प्यारौ नांव रटायँ
 
 डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस, बडा मलहरा, छतरपुर
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11--सीताराम राय टीकमगढ
छैल छबीले सांवरे, छलिया जुगलकिशोर ।
चित्त चुरा चित में बसे, मनमोहन चितचोर ।।

राधे राधे रटत हैं ,निशदिन राधेश्याम ।
कहां गई गजगामिनी, ढूंढत हैं घनश्याम ।।

राधे जू को जो भजे, निशदिन आठोयाम ।
सांची सुनलो सरल जू, मिल जायें घनश्याम ।।
       -सीताराम राय टीकमगढ
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12-बृजभूषण खरे*, *नई दिल्ली*
सुरत  बिसारन  बांसुरी,  बांकी सी   मुस्कान I
गैल निहारूं दिवस निशि, ह्रदय विराजो आन II

मुकुट मोर  सिर पर  धरें, धरें  धरनि को भार I
हाथ   गहो  मोरो   प्रभू,  नैया   है    मझधार II

पाप  गठरिया  पीठ लयं,  मुख  में  झूठे  बैन I
मो  से  दीन अनाथ  पे, कर   दो  तिरछे  नैन II

-स्वरचित *बृजभूषण खरे*, *नई दिल्ली*
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13-शोभारामदाँगी नंदनवारा, टीकमगढ़
मथुरा जनमे किशन कन्हैया नटवर श्याम किशोर ।
भादौं मास के किशन पछ में हती घटा घनघोर ।।

नटवर छलिया श्याम नें कर दव मालामाल ।
देख सकैं ऩइ मित्र की दसा गरीबी हाल।।

मित्र सुदामा कि जैसें लेत खबर घनश्याम ।
पीर हरें जग की सदां गिरधर पल पल श्याम ।।
-ग्राम-नंदनवारा जिला-टीकमगढ एम पी     
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14- अभिनन्दन गोइल , इंदौर मप्र
     
प्रेम दिवानी राधिका, सुन वंशी की तान।
मुरलीधर खों प्रिय लगै,राधा की मुस्कान।।

मोहन मोहन जप रही, राधा चारों याम।
साँस साँस में साँवरे, हिये विराजे श्याम।।

राधारानी  जपे  सें, दौरे  आवें   श्याम।
एक बेर जो आ गए, सुख वरसै निज धाम।।

-अभिनन्दन गोइल , इंदौर मप्र
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14- एस.आर. सरल, टीकमगढ़
 
कब  काँ कितै श्याम जू, कूँद काँद कै जात।
खात मगन माँखन मिलत,मनहि मनहि मुस्कात।।

दही खात घर घर फिरत,होतन रोजउ भौर।
देत उरानौ ग्वालनै, पिड़ गव माखन चोर।।

कहत कन्हाइ कब कितै, कौन कौन कै जात।
हम ऐसी चोरी करत, कभउ न पकरे जात।।
-एस.आर. सरल, टीकमगढ़
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15-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
कृष्ण-राधिका नें रचो, जमुना-तट पै रास, 
जियै नेह में डूबनैं, करौ बिरज में वास ।

एक द्रौपदी लाज तौ, बचा दई श्रीमान,
पूँछें लुटतीं बेटियाँ, कहाँ गये भगवान ।

कर्म-चयन है हाथ में, फल खौं हैं मजबूर,
जा गीता के ज्ञान सें, लै लो सीख जरूर ।
                  -अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
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16-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर(निवाड़ी)
 
जै बृजनंदन श्याम जू , राधारमन गुपाल ।
दीनन पै करियो कृपा , माँ जसुदा के लाल ।।

राधावल्लभ  सांवरे , द्वारिकेश घनश्याम ।
ऐसी किरपा कीजिओ , सुमरों आठों याम ।।

जै मधुसूदन चक्रधर , मुरलीधर नँदलाल ।
किशन कन्हैया कृष्ण जू , माधव नटवर ग्वाल ।।

  - कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी 
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17-वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
चार दिना कि ये जिंदगी,भज लो राधेश्याम
ना जाने कब आखिरी,हो जीवन की शाम

नाम निराला श्याम का,सबके मन खों भाय
जिसने मन से जप लिया,भव सागर तर जाय

रोज प्रेम सें आरती, करतइ दीप जलाय
अपने मन में श्याम खों,हम तौ लेत बसाय

            -वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
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18-के०के०पाठक ,ललितपुर(उ.प्र.)

कालयवन खों तारवे ,नाम धरो  रनछोर ।
गोपी-सुख दैवे बने, नटवर माखन-चोर ।।
॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
टेड़न खों टेड़े बड़े, नाव त्रिभंगी लाल ।
सन्तन खों तौ सन्त  हैं, दुष्टन खों हैं काल ।।
•॰•॰•॰•॰•॰•॰•
-के०के०पाठक ,ललितपुर(उ.प्र.)
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20-सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल',
कान्हा-कान्हा सब कहें, 
 सबके हैं मन मीत।
                 दरसन अंखियाऺॅ बावरी,
                  बड़ी अनोखी प्रीत।
ब्रज तीरथ पावन बड़ौ,
 जनमें नवल किशोर।
                 ताल नदी वन वाटिका,
                 विचरत माखन चोर।।
मनमोहन मन राधिका,
राधा के मन श्याम।
                 जब देखौ तब रटत हैं,
                   इक दूजौ कौ नाम।।

               -सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल', टीकमगढ़
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21-सियाराम सर ,टीकमगढ 
बंशीवारे श्याम नें ,दिखा बृज में रास ।
सबको मनमोहित करो ,बन राधा के खास ।।

ओ कनईया श्याम रे ,कां लुक गय ते भोर ।
मैं बिरहन बनबावरी,ढूँढ रइ चऊँ ओर ।।

गोवर्धन घनश्याम नें,मटकी डारी फोर ।
चूनर गीली हो गई, कैसौ है चितचोर ।।
           -सियाराम सर ,टीकमगढ 
#################

22-रघु़वीर  आनंदद  ,टीकमगढ
सुदँर छबि घनश्याम  की  
देख राधु मुसकाय  ।
लेत हिरदै हिलोरे ,
मुख  सोँ  कही  न  जाय।। 

मुरली  बाजै  श्याम  की, 
दौरी  श्यामा  गाय। 
देख गोपी गुआलिने,
मन  ही  मन हरषाय  ।।

अनुपम  पिरान  सँजीवनी,  
तुम  सम  जीवन  मूल। 
श्याम  नाम  अमोल  हैं ,
ना कोऊ समकूल   ।।

-रघु़वीर  आनँद , टीकमगढ
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समीक्षक- श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़

मुरलीधर मेरे घनश्याम
      (दोहा संकलन)
संपादक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
प्रस्तुति- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
            एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
कापीराइट राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
प्रकाशन तारीख-11-8-2020
पता- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़ (मप्र) भारत मोबाइल- 91+9893520965
                 जय श्री कृष्ण, राधे राधे
प्रस्तुति- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
            एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़

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