Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021

अनुश्रुति (बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका) अक्टूवर-दिसंबर-2021 वर्ष -1अंक-1प्रवेशांक


           अनुश्रुति
     (बुंदेली त्रैमासिक ई- पत्रिका) 

संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'     

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
 ई पत्रिका प्रकाशन दिनांक 24-10-2021
 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड, भारत-472001
    मोबाइल-9893520965
           😄😄😄 



 

       कितै को है और कितै का है-
संपादकीय
✍ राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
बंदना दोहा
✍ राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
भजन
✍ भजन लाल लोधी ,फुटेर,टीकमगढ़
कविताई
✍ -डॉ.संध्या श्रीवास्तव,इंदरगढ़,ज़िला-दतिया(मप्र)
✍ मनोज कुमार,गोंडा (उत्तर प्रदेश)
✍ प्रदीप खरे, मंजुल,टीकमगढ़
✍ रश्मि शुक्ला टीकमगढ़)
✍ रविन्द्र यादव(पलेरा) हाल-जबलपुर (मप्र)

दोहा
✍गोकुल प्रसाद यादव,नन्हीं टेहरी 
चौकड़िया-
✍ - प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
✍️गोकुल यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा) टीकमगढ़
✍ -प्रमोद कुमार गुप्ता "मृदुल",टीकमगढ   
पंचकडिय़ां
✍ *प्रदीप खरे, मंजुल', टीकमगढ़
कुण्डलिया
✍ - कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर
गीत-लोकगीत
✍ भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
✍ डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
✍ अमर सिंह राय छतरपुर (म.प्र.)
✍ सरस कुमार, ग्राम-दोह, तहसील खरगापुर 
✍ जयहिन्द सिंह जयहिंंद,पलेरा
ग़ज़ल
✍ एस आर सरल,टीकमगढ़
✍ अशोक पटसारिया'नादान',लिधौरा,टीकमगढ़(मप्र)
 किसा-कानिया-
✍ संजय श्रीवास्तव, मवई
व्यंग्य
✍ विजय कुमार मेहरा,होशंगाबाद (हाल टीकमगढ़)
आलेख/यात्रा संस्मरण
रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ (म.प्र.)

साहित्यिक समाचार
✍स्व.पन्नालाल जी नामदेव स्मृति आठवाँ साहित्यिक समारोह और  विराट कवि सम्मेलन रपट

पोथी समीक्षा/ पठनीय पोथियां-
✍ लुक लुक की बीमारी (बुंदेली व्यंग्य संग्रह)
✍ नोनी लगे बुंदेली (बुंदेली हाइकु संग्रह)
✍ 'आकांक्षा' पत्रिका-2021 (प्रेम बिशेषांक)


          💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
              संपादकीय-

                    ✍ -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 
       सबई जनन खौ हात जोर कै हमाई राम- राम पौच जाय। अपुन नै बुंदेली खों विश्व पटल पै लावे के लाने और बुंदेली खों बढावा देवे के लाने "अनुश्रुति" नाव से एक त्रैमासिक ई-पोथी निकारवो शुरु करो है।
          कछु जने जै कै सकत है कै बुंदेली की पोथी अरु ईकौ नाव हिंदी में काय? सो हम उने बताव चाहत कै ई पोथी कौ नाव मैंने अपनी छोटी बच्ची 'अनुश्रुति' के नाव पै धरौ है। मेरी बड़ी मोडी कौ नाव "आकांक्षा" है सो ऊकै नाव से हिन्दी में 'आकांक्षा' पोथी हम सन् -2006 से हर साल छापत है और बुंदेली पोथी हलकी मोडी के नाव उये समर्पित करी है। काय सें कै मोरी दोइ मोड़ी मेरी शान है। जेइ हमाई सब कछु है।
       हमने ई पोथी में जादां से जादां बुंदेली के शब्दन कों परयोग करों है। कछु कमी सोउ हुइए उने हम अगाऊ के अंकन में दूर करवे की कोसिस करहे।
     अबे तो हमने शुरुआत करी है। ई में हरां हरा सुदार आत जैहे।


बुंदेली के जनवन से हात जोर कै बिनती है कै ई पोथी  की सकारात्मक समीचछा करे, और ई में का का सुदार हो सकत उने बताये।
     ई पोथी को निकारवे को एक उद्देश्य जो सोउ है कै बुंदेली में नऔ रचो भऔ साहित्य पढ़वे वारन के अगाई लाओ जाय। नये कवियन खां एक साजो मंच दव जाये जीसें उनकी प्रतिभा को बढ़ावा मिले और वे अगाउ बढ़ सके।
ई पोथी में जी जी की कविताई अपुन कों नोनी लगी होय उनकी जरुर बढवाई करें हमें व्हाट्स ऐप पर लिख के भेजे हम आपके पत्र पोथी में छापेंगे।
         अंत में सभई साथियन खां एवं पाठकन कौं मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कै आपने अपनी बुंदेली रचना 'अनुश्रुति'  में छपवे के लाने भेजी और को अपनौ अमूल्य टैम नयी कविताई लिखमे में दे कै बुंदेली साहित्य कौ भंडार भरो है।
     हमाई जा कोशिश कैसी लगी जरूर मोबाइल पै बतावे कौ कष्ट करो जाय। अपनी जा नई नवेली ई-पत्रिका को पैलो अंक आपको कैसी लगो कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करवे कौ कष्ट अवश्य करियो, ताकि हम दूने उत्साह से अपनौ नवसृजन कर सके।
        जै राम जी की  
       धन्यवाद, आभार
         ***
दिनांक-24-10-2021टीकमगढ़(मप्र) 
      बुंदेलखंड (भारत)

 -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
 मोबाइल-9893520965

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐



    दोहा बंदना      
 बिषय- गनेस जू
पैला पूजा होत है, जै गनेस माराज।
कष्ट हरत सुख देत हो,पूरन होवे काज।।

लडुवा भाउत है तुमै,दूबा से खुस होत।
खूब सजौ दरवार है,जगमग हो रइ जोत‌‌ ।।

खूब जतन करकै थके,श्री गनेस सें आस।
कोरोना पाछें परो,कर दौ ई कौ नास।।
मां
मां की झांकी है,सजी, देखो तो चहु ओर।
माता की आराधना,करत हो गयी भोर।।
श्री राममय दोहे
हिम्मत कभउ न हारियों,सुमिरत रइयों राम।
धैर्य धरौं धीरज धरौ,भली करेंगे राम।।
राम नाव महिमा बड़ी,करदे बेड़ा पार।
राम नाव जपते रहो,खुशियां मिलें अपार।।
कष्ट हरे,सुख पात है,जो ध्यावै श्री राम।
परम धाम पावै वहीं,मिलता है आराम।।
😄😄😄
✍ -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संपादक-'आकांक्षा' पत्रिका
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐

सर्व देव बंदना लोक भजन-       

नेंवते सब द ई  देवता अइयौ ।
गोरी के लाल गणेश जू अइयौ,
कारज सुफल बन इयौ ।।०।।
चंदा जू अइयौ सूरज जू अइयौ,
जगमग जोत जग इयौ ।।०।।
अंजनि सुत हनुमान जू अइयौ,
दोरे पै चौकस र इयौ ।।०।।
लाला बुन्देला हरदौल जू अइयौ,
मंडवा तरें दर्शन  द इयौ ।।०।।
सबरौ बजन तुमयीं पै धर द औ,
भजन तौल सब ल इयौ ।।०।।
नेवते सब द ई देवता अइयौ।।
😄😄😄
✍ भजन लाल लोधी,फुटेर,टीकमगढ़

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐

बुंदेली कविता-  मोड़ी-घर की रौनक
  
मोड़ी है मोड़ा के जितनी,
समझौ ना कमजोर।
मोड़ी तौ है घर की रौनक
धरम की है सिरमौर।।
अँधियारे को दूर भगाउत,
मोड़ी लगती सूरज।
सारे घर की देखभाल कर,
करती सारे कारज।।
फिर भी छोटा मान रहा क्यों,
मोड़ी को यह दौर।
मोड़ी तौ है घर की रौनक
धरम की है सिरमौर।।
लोकलाज कौ ध्यान रखत है,
करत नीति पे गौर।
मोड़ी में जो हैं अनगिन गुण,
उनको ओर न छोर।।
मोड़ी से ही सिरजन घर कौ,
शुभ लगती है पौर।
मोड़ी तौ देवी सी लगती,
आमों पे है बौर।
मोड़ी तौ है घर की रौनक
धरम की है सिरमौर।।
😄😄😄
   ✍ -डॉ.संध्या श्रीवास्तव,इंदरगढ़,दतिया(मप्र)
           
💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
कविता- पहली बार जब तुझे देखा   

पहली बार जब तुझे देखा।
मुझे कुछ- कुछ होने लगा।
इजहार न कर पाया तुझे अपनी बाते।
दिल जोरो से धड़कने लगा।।
आंखे बंद हो गई तेरी चमक से।
छा गई खुमारी मुझे।
पहले देखा न था तुझे कभी।
सपनो में तेरी जैसी परछाई मुझे।।

अंदाज तेरी निराली और थोड़ा शर्मीली।
जब पहली बार देखा था तुझे।
जैसे लग रहा हो मुझसे प्यार हो गया हो।
जब तू मिली थी चौराहे पर मुझे।।

कुछ अंगड़ाई लेती थी मोहब्बत।
कि तू एक बार स्वीकार कर लो।
अगर झूठा नहीं इस सफर में।
तो सच तो सही मुझसे प्यार कर लो।।

तुझे देखने पर मुझे ऐसा लगा।
जैसे तेरे सिवा कोई नहीं।
देखता रहा तुझे एक ही नजर से।
जैसे मेरी नज़रे चुरा गई कहीं।।
😄😄😄
✍ कवि- मनोज कुमार,गोंडा जिला उत्तर प्रदेश

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
पिरामिड कविता-    

    जा
    जांगा
    जगत
   भर जानी।
  बुंदेली बोली,
 बहुत मिठोली।
 बोलत है सबयी,
प्रेमहिं रस में घोली।
अमर जग में कहानी है।
आग हमाय तै कौ पानी है।। 

✍ प्रदीप खरे, मंजुल,टीकमगढ़

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
कविता-      

जो का करो मोदी जी तुम ने
का करो मोदी सरकार
हम घरनियन की माटी कूट दयी
सबरी चतुरई दयी निकार
जो का करो.....
कछु जेसें-तेंसे जोरे हमने
कछु करे ते "इनके" पार 
कुछ दबे धरे ये धुतियन के नेचे
कछु गल्ले में दये ये दाब
ऐसी पारी खेली मोदी जी ने
सबकी भडयायी दयी उगार
सबको रायतो दओ बगार
जो का करो..........
मोडा-मोडी हंसी उडा रये
"जे" देख रये आंखें काड
छूटो घूंघट फिर से डारो
कैसे सहें प्रसनन की मार
जो का करो मोदी जी तुमने
का करो मोदी सरकार।।
(नोट-ये कोई राजनीति से प्रेरित रचना नहीं है,,,जब नोटबंदी हुई थी तब महिलाओं की तरफ से मीठा सा उलाहना दिया था)
😄😄😄
✍ रश्मि शुक्ला, (टीकमगढ़)

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
           


कविता --भैया कैसो जमानो आ रओ 

भैया कैसो जमानो आ रओ !
कोऊ समझ नई पा रओ !!
१. भीतर सें तो कछु और है !
     बाहर कछू,  दिखा रओ !!.. भैया
२. उये तो कोऊ पूँछत नइयां !
     जो सच्चाई बता रओ !!.. भैया
३. जी ने खुद खों समझो नइयां !
    वो सबखों समझा रओ !!
४. जी ने कैलईं , उल्टी सूदीं !
     कुर्सी पै मुस्कारओ !  भैया...
५. जी ने सांसी सांसी कैदई !
    बैठो कान खुजारओ ! .. भैया...
✍ "रविन्द्र यादव "पलेरा हाल-जबलपुर (मप्र)

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐

!🙏🙏बुन्देली दोहे🙏🙏 !

🏵 बुन्देलखण्ड की महिमा🏵

ई बुन्देली भुमि कौ, है भारी विस्तार।                
कउँ जंगल कउँ टौरियाँ,कउँ सोंसर कउँ पार।।           
कल कल कल नदियाँ बहें,जिनकौ निरमल नीर।           
बुन्देली  पानी  करै, बज्र समान शरीर।।
              
ऊँची नेंची भूमि में, बनें सैकरन ताल।
जो बुन्देली भूमि खाँ,बना रहे खुशहाल।।              
पावन मंदिर कइ किले,कुआ बावरी कुण्ड।              
बुन्देली के बनन में,जानबरन के झुण्ड।।
             
चंदन  सी  माटी  इतै, गोकुल से इंसान।
मैंपर  सी  बोली  इतै,हीरन की है खान।                 
सबकी आफत काटतइ,जा बुन्देली भूम।
लंका ढायी राम नें, जइ माटी खाँ चूम।
               
बन बन भटके पन्डवा, इतइ मिलो तो ठौर।
कैउ निसानी छोड़ गय,जो जग में सिरमौर।              
इतै गवत हैं साल भर,भाँत भाँत बहु रीत।
राइ  दिवारी  रावला,फागें  गारीं  गीत।                  
डुबरी मुरका दूद दइ,बिरचुन सतुवा खाव।
बरा बरी के स्वाद की,बराबरी  काँ  पाव।।                 
मोक्ष न दइयौ मोय है,बुन्देली सें प्यार।
बना भेजियौ राम जी, पथरा चाय जनार।।
        😄😄😄                       
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हीं टेहरी(बुडे़रा)-टीकमगढ़ (म.प्र.)     
💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
   चौकड़िया-1

धर ल‌इ गैल बैद घर  बारी,जंची न बात तुम्हारी।            
तीन‌इं दोस  दूर करबै जो, घरै सुभग सुकमारी।।          
उनके उन उरजन सें उरजन, वात नसाउंन हारी।             
मधुर अधर रस पित्त दोस में,होत भौत गुन कारी।
काम किलोरन की कसरत सो,कफ नाशक हैभारी ।।              
चौकड़िया-2

इक दिन जैव सजन संग अपने,सांचे हुइयें सपने‌
निवते में सौभाग्य कांक्षिणी, नाम तुम्हारौ छपने।
       
देरी  टींक जैव ई घर की,उतै मैर में थपने ।           
हरदीले हांतन में भर-भर,खोबन खिचरी नपने।
          
उन्हें देख  मन शीतल हुइयै, देह तबा सी तपने।        
कजरारीं अखियन की पलकें,पलभर खों न‌इं झपने।        
            😄😄😄
     ✍- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐

🌹🌹🌹कछू बुन्देली चौकडियाँ🌹🌹🌹
रावण खाँ  हर सालै मारत, लगा पलीता बारत।
पै बौ मरो आज लौ नइंयाँ,मेंनत जात अखारत।
दूनी तागत लै कें  उपजत, हैरानी में डारत।
गोकुल मैल ढूँड़तइ ऊपर, भीतर कौ नइं झारत।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सबखाँ मन सें गले लगइयौ,बीती सबइ भुलइयौ।
बिगरी  होय  जौन सें ऊ के, घरै  जरूरइ जइयौ।
गोकुल मनसें ऊकी सुनियौ ,अपनी उयै सुनइयौ।
करकें नेंग आज दशरयकौ,काल भुला ना दइयौ।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सबखाँ  राम राम करजोरी,  बुद्धी  समझौ  भोरी।
आदी उमर गुजर गइ हँसकें,और बची अब थोरी।।
भूल चूक तौ भइअइ हुइयै, कउँ  थोरी में थोरी।
करियौ माफ आज दशरयखाँ,जा विनती है मोरी।।
 🌺🌺🌺🌺
✍️गोकुल यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा) टीकमगढ़       

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
   🌹बुन्देली चौकडिया🌹

मातन की भयी आज विदाई,
खुशी-खुशी वे जा रयी,
खूब मची रयी धूम नगर में, 
आँखेभर-भर आ रयी ।
अगले साले फिरसे अइयो,
दया बनाये रखियो
हो गयी हो गर भूल हमन से,
मन मे माँ न धरियो ।।
😄😄😄
-प्रमोद कुमार गुप्ता "मृदुल",टीकमगढ   

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
*पचकड़ियां*  
मुइयां, लगत देखतन प्यारी,
छवि राधिका बारी। ....
लटकत लट नागिन के जैसी,
पटियां फुंदना बारी। ....
लचकत कमर मटक कै चलबै,
निरख निरख बलिहारी।...
मौं में निसरी सी बा घोरे,
मौ पै मोहनी डारी।।...
येसी सबयी देऔ विधाता,
जैसी मौरी नारी।।....
😄😄😄
✍ *प्रदीप खरे, मंजुल', टीकमगढ़

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐

  कुण्डलिया     
गणपति वप्पा मोरिया , करो  कृपा की  कोर ।
अमन चैन उर शान्ति सुख , बिखरे चारों ओर ।।
बिखरे  चारों  ओर , जगत्तर  में हरियाली ।
प्रेमभाव  सद्भाव , होय डग-डग खुशहाली ।।
हर्ष और उल्लास , रहे घर-घर हे ! जगपति ।
रिद्धि-सिद्धि शुभ-लाभ,सहित दर्शन दो!गणपति।

जय गणपति शंकर सुवन,गौरी सुत गणराज ।
मंशा  पूरण  कीजियो , रखो  विरद की लाज ।।
रखो विरद की लाज , नाथ विनती सुन लीजे ।
जियरा  है  बेचैन , दिलासा दिल को दीजे ।।
होय भगति में लीन , भटकना छोडे़ मन-मति ।
पद-कमलों में ध्यान , भक्त का हो जय गणपति ।।
😄😄😄
 ✍  -- कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर 

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐  

    
बुंदेली नशा निषेध गीत   

टेक-बलम गांजौ ना पियौ,
हेरौ तनक हम तांईं।
१-गांजौ रोज पियत इक तोला,
     हो गयै गोला गाल चपोला,
  ज्वानींपन में आय बुढापौ,
   हमें भोगनें परै रडापौ ,
उ-तनक तुम ध्यान दियौ,हेरौ...
२-सैंयां मानुष तन पाये कौ,
   देखौ कछु धरती आते कौ
   घट गयी सब मर्दाना सक्ती,
  सुख सें ग्यास पुजी ना अक्ती,
बात मोरी मान लियौ, हेरौ.....
३-देखौ अस्पताल में जाकें,
   खुल जेंहैं तब तुमरी आंखें,
छोडौ नशा प्रतिज्ञा कर लो,
सैंयां ध्यान राम कौ धर लो,
भजन सौ साल जियौ, हेरौ......
😄😄😄
✍ भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐         
 
"निरक्षरता गीत"- "गारी"    
                 
निरक्षर उनको मानो रे,
     जिनने पढना न जानो रे ।
"क"से कमल पढ़ो न जिनने,
                न ज्ञ से ज्ञानी ।
हृदय कमल उनके न खिलते,
           कदर न उनकीजानी।
जिन कापी पेन जानो रे ।।
निरक्षर उनको मानो रे। ।।
कर्जा  लेवे ऊंठा टेक,
    लेन देन न करें विवेक ।
आठ के अठारा दे विन व्रेक,
      पाई पाई देवें फेंक ।
व मूरख कहलानो रे ।
निरक्षर उनको मानो रे ।।
बाल विवाह करत हैं अडके,
  तन तन में तुरतई भड़कें ।
काम करत हैं लड़ लडके,
   गुस्सा में अंग अंग फड़के ।
इनको ऐसे पहचानो रे ।
निरक्षर उनको जानो रे ।।
सुनो अनजान" निरक्षर साथी,
  विन अंकुश को जैसे हाथी ।
ये मानो ईश्वर की थाती,
   ईसे बची न एकऊ जाती । 
कोऊ न देव उरानो रे ।
निरक्षर उनको मानो रे,
जिनने पढना न जानो रे ।।
😄😄😄
डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर

 💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
लोकगीत- बिटिया भई सयानी*    

उचट जात अब नींद हमाई, आधी रात दरम्यानी।
पतो चलो न दिखतइ देखत, बिटिया भई सयानी।
                            (1)
बिटिया लता बेल की जैसी, हराँ-हराँ बढ़ जावे।
समय बीततन देर लगै न, जल्दी से कढ़ जावे।
भई किशोर सुकन्या घर में, गई उमर नादानी।....
पतो चलो न दिखतइ देखत,बिटिया भई सयानी।
                           (2)
बढ़ जातई है जिम्मेदारी, बिटियन के बापन की।
समय खराब समय से शादी,यही चाह आपन की।
जब तक शादी सुध न जावे, पचे न पेट को पानी।.
पतो चलो न दिखतइ देखत, बिटिया भई सयानी।
                           (3)
लरका वारे सूधे मुँह से, बात  तलक  न  करवें।
शादी की शर्तें अजीब सी, माँग पहाड़ सी धरवें।
सूधी-सच्ची बात करैं न, करते आनाकानी।.....
पतो चलो न दिखतइ देखत,बिटिया भई सयानी।
                           (4)
वर की अन्धी होत  ढूढ़ाई, किस्मत है  मोड़ी की।
या तो बनवे स्वर्ग जिन्दगी, या फिर दो कौंड़ी की।
ससुरा बड़े दहेज लोभी, करत बड़ी मनमानी।.....
पतो चलो न दिखतइ देखत, बिटिया भई सयानी।
 😄😄😄
          ✍️अमर सिंह राय छतरपुर (म.प्र.)
  💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐

 रचना ( लोकगीत )
तर्ज - बिटिया दईयो तो धन दियो राम.. 

टेक - राजा छोड़ चले री परदेस, 
         तुम्हारे बिना जी ना लगे 

         दिन नई चैन रात नई निंदिया 
         तड़पत है माँथे की बिंदिया 
         सिसक रई पायल, करधनिया
         कंगन, कुण्डल करत कलेश
         तुम्हारे बिना जी ना लगे 

         मैं बिटिया निर्धन की जाई 
         छोड़ गई बचपन में माई 
         बाबुल ने मुश्किल से ब्याही
         सो पिया भेजो कोनउ संदेश
         तुम्हारे बिना जी ना लगे 

          भड़क उठी चुनर चटकीली 
          अबे हथेली है मोरी पीली 
          सरस छोड़ गए काय अकेली 
          मैं तो धर लऔ विरहन को भेष 
          तुम्हारे बिना जी ना लगे 
    😄😄😄
सरस कुमार, ग्राम-दोह, तहसील खरगापुर 

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐

#काव्य की छाँव में#
#बिधा...सिंगार गीत बुन्देली#
#प्रयोग... अनुप्रास अलंकार #
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पाई प्यारी पलकन पै,
पुट पैलै पैलै प्यार में।
बनी बनक बर बेर बेर,
बेला बुलयात बहार में।।
               #1#
हेरन हँसन हिली हिरदे,
हर हुलक हमारी हारी।
बेर बेर बतयात बात बर,
बनी बनक बलिहारी।।
निहारै नगर निगन निकरन,
नौनी नक्कासी नार मे।
बनी बनक...........
               #2#
नग नग निकरी नक्कासी ने,
नैनन नेह निकारो।
ममता मेर महक महकाई,
मोय मरोरन मारो।।
परसत प्रेम प्यास प्रिया,
प्यारी प्यारी पुचकार में।
बनी बनक.........
               #3#
छैल छबीली छतियन छर,
छुटकारी छटा छटा की।
घोर घोर घनघोर घुमड़ती,
घुमड़न घटत घटा की।।
चमचमात चितचोर चुनरिया,
चन्द्र चलत चमकार में।
बनी बनक..........
                #4#
कुसुम कली की कोरन कोरन,
कजरा किरन कुरानी।
रग रग रँगत रंग रँगनारी
रचत रँगीली रानी।।
जयहिन्द जोड़ जलेबी जैसे,
ज्योति जली जयकार में।
बनी बनक........
***

✍ जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
*बुन्देली  गजल*    

*छम छम छमक रई  बुन्देली।*

छम छम छमक रई बुंदेली।
जैसी छमकत फिरत नवेली।।

बुंदेली सज धज भइ ठाँड़ी।
उर हिन्दी खौ बनय सहेली।।

बुन्देलन की  विकट लाड़ली।
किलकत फिरै बनी अनवेली।।

बुन्देली खौ कवी सजा रय।
कर सिंगार पटल पै खेली।।

जा है बुन्देलन की  बोली।
प्यार मुहब्बत रंग उड़ेली।.

जैसी  आ  गइ सामी सूदी।
कवियन नें कविता में पैली।।

अब सारे  बुन्देलखण्ड  में।
अँगरेजी बन गइ सौतेली।।
😄😄😄
  ✍  एस आर सरल,टीकमगढ़

 💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐     


😊💐ग़ज़ल💐😊    
        
हमनें थूंकन सतुआ सानों।
जानें कैसौ आव जमानों।।

मेंगाई में लुअर ठुकत है।
उनकें नथो धरौ तैखानों।।

प्रेम हतौ आरक्षण खा गव।
मानों चाय एक नई मानों।।

नोंकरया पिटभरना हो गय।
नेतन की पौ बारा जानों।।

है गरीब पै साढ़े साती।
सदा पुलिस खों बेउ डरानों।।

जौ किसान आफत कौ मारौ।
धर रव अपनों गुरिया गानों।।

रेत माफिया कौ कद बढ़ गव।
छुट भैयन कौ बंद गव थानों।।

अब सरपंच कड़ोरन गिन रव।
और सचिव अंधन में कानों।।

नोट सालभर के दंय बैठो।
पटवारी कें मचौ धिगानों।।

अब चुनाव की बेरा आ गई।
सबरे बुन रय तानों बानों।।

में नादान देखतई रै गव।
जोनों दै गव नोट फलानों।।
***-
 ✍-अशोक पटसारिया'नादानम,लिधौरा,टीकमगढ़(मप्र)

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐
     
        
                  
बुंदेली कहानी      

अपने चरन घर मे रखो*                  
         
भोपाल सें आज भुंसरा- भुंसरा  दामोदर अपनी घरवारी और पाँच साल के मोड़ा खों लैकें अपने गाँव आ तो गओ, मनो बस सें नैचें उतर तनई सब की आँखन में खटकन लगो। आदमी होय चाय जनानी, इन औरन खों देखतनई घूर-घूर कें दूर भग- भग जाएं। दामोदर खों लगो जैसें वो कौनऊ बेजां अपराध करकें गाँव लौटो होय। चलत -चलत सोचत जाबे ...इन गाँव बारन खों लगरओ कै हम भोपाल सें अपने संगे कोरोना ले आए। और मज़े की बात देखो कै,जितेक जने हमें मौं सिकोड़- सिकोड़ कें घूर रय एक ने मौं पे मास्क नई बांदो जबकि हम, हमाई घरवारी और मोड़ा मास्क लगाएं । बेज्जती के कड़वे घूँट पियत अपने पुरा-मुहल्ला में पौंचो सो उते भी जोई हाल देखो। जोन मुहल्ला में उठत-बैठत, हँसत-खेलत बड़े भय उते आज कोऊ हाल-चाल पूँछबे बारो नई मिलो। चलो इते तक तो ठीक है पै जब घर के दौरे पे पौंचे सो छोटे भैया कैलाश को सुई व्यौहार बदलो मिलो, पासइ नई आओ न जादाँ बात करी। दामोदर खों जा बात भौत आँस गयी। कैलाश ने झट्टई अपनी घरवारी और मोड़ी- मोडन खों सोऊ समझा दओ कै दूरी बनाके रखने। भीतर बैठी मताई खों पतो चलो सो दौर कें बेटा और नाती खों गरे सें चिपका लओ, जो देखकें कैलाश खों मताई पे बेजां गुस्सा आई पे उतईं दाँत पीस कें रेगओ। हालांकि दामोदर की समझदारी के बारे में तो आदमी पीठ पीछें भी बतकाव करत मिल जातते, पर अबे हालत कछु और हते।  दामोदर ने पूरी स्थिती खों अच्छे सें भांप लओ और घरबारी खों भी समझा दओ, "देखो ई कोरोना की वजह सें गाँव-घर में कौऊ-काऊ के पास नई आउंन चाऊत ।और जा हत्यारी बीमारी भी रहस्यभरी है, कीके भीतर कितेक दिनन में अपनों प्रभाव दिखाबे कै नई सकत। सो अपन खों पिछाऊँ बेड़ा में, जोन  वा गईंयन की टपरिया बनाई ती,ओइ में साफ़ सफाई करके रने ।उतई खाना-पीना हुइये ठीक है।"
घरवारी सब मे राजी हती सो बोली -" हमाई तरपन से कौनऊ दिक्कत  नइयां, पर बाई ने तुमें गरे लगा लओ। ऊने सुई अपने पास रखलो, नई तो उनकी कुगत होजे।" दामोदर घरवारी की बात सें खुशी खुशी सहमत हो गओ।
 दामोदर ने अपने परिवार के संगे टपरिया में घुसे-घुसे पूरे बीस दिन हँसी-खुशी काड दय। शहर में रैकें जित्ती जानकारी मिलीती ऊ हिसाब सें कोरोना काल के सबरे नियमन को पालन भी करो। पर कैलाश खों बीड़ी-तम्बाखू की लत हती सो जब-जब तलब लगबे सो घर सें बाहर निकर भगबे।अब भव का के कैलाश खों एक दिना ताप चढ़ आयी और हाड़-पसुरियाँ पिराबें सो अलग। कैलाश रातभर तो खटिया पे कूलत रओ पै भुंसारे  जैसई दामोदर खों पतो परो सो झट्ट देनी एक सौ आठ नम्बर पे फोन करकें एम्बुलेंस बुलालई । तुरतईं टपरिया पे डरी बरसाती खों निकारकें जुगाड़ भिड़ाकें पीपी किट बना लई ।और मौं पे मास्क बाँद कें कैलाश के इत्ते लिंगा पौंच गओ कै छः गज की दूरी बनी रबे ।ऊये समझा-बुझाकें, ढांढ़स बँदाकें अस्पताल चलबे के लाबें मनाओ। अस्पताल जाबे सें पैले घर में की खों कैसे रने जो भी सबखों समझा दओ।
अस्पताल की जाँच में कैलाश कोरोना सें ग्रसित पाय गय।बड़े भैया दामोदर की वजह सें सही समय पे सई इलाज हो गओ। कैलाश जब नौने होकें अपने घर लौटे सो सबसे पैलां बड़े भैया के लिंगा जाके चरनन पे गिर परे। दामोदर ने तुरत कैलाश खों उठाओ और गरे सें लगाकें कई कै हमाय चरन छोड़ो , *अपने चरन घर मे रखो* । एई में सबको फायदा है। घर मे रैहो सो जा बीड़ी-तम्बाखू की लत भी छूट जै, जोन तुमें भीतर-भीतर घोरत जारई  । कैलाश नैचें मौं करें चुपचाप सब सुनत रय , का सई है का गलत है मनई मन गुनत रय।  
बाढ़ई ने बनाई टिकती, किसा हती सो निपटी।।

** ✍ -संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली💐

 💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 

एक व्यंग्य - सरकारी तर्क.    

  इस्क्यूस मी इतै का हो रओ है। पत्रकार ने पूछी ?
बाबू जी ने कैइ - इतै पुराने रूख खौं काटकै मैदान बनाओ जा रओ है ताकि काल मंत्री जू इतै पै आकै वृक्षारोपण कर सके। 
पै हरे भरे रूखन कौ काटवो कितै की बुद्वधिमत्ता है-पत्रकार ने पूछी।
तुमाओ मतलब वृक्षारोपण करवो बुद्वधिमत्ता नइंयां। अरे भाई विकास कौ धरातल पै लावे के लाने पुराना कौ शहीद तो होन इ पडत है,और फिर हमे रिकार्ड सोउ दर्शाने है कै कितेक भूम पै वृक्षारोपण करो गओ न कै कितेक भूम पै रूखन कौ काटौ गओ। पुराने रूख लावारिस होत है अव्यवस्था जादां फैलात है और देत केवल फल है नये पौधे लगावै पै उ पै नाव लिखौ जात है उके लाने खाद पानी रक्षा आदी कौ बजट बनाओ जात है जो पास भी हो जाता है।
पत्रकार बोले-अरे भाई पुराने रूख तो ऐतिहासिक सोउ होत उनसें यादे जुरु होत है। वो प्रत्यक्ष तो केवल फल देत है लेकिन अप्रत्यक्ष भौत कछु देत है। 
भाई का देत है का लेत है मोय नइ पतौ मोय तो उपर से आदेश मिलौ है जीकौ पालन करवा रऔ हू।
पत्रकार महोदय सीदे मंत्री जू के लिगां पौंचे।
       मंत्री जू जितै अपुन वृक्षारोपण करेहें उतै पैला सेंइ रूख लगे है और उने काटौ जा रओ है काय?
-कायसें कै बडे रूख हलकन खां पनपन नइं देत इसें। 
मंत्री जू उतै वृक्षारोपण काय नइ करो जात जितै रूख होइ न। 
जितै रूख है ई नइयां उतै वे रूख हो भी नइ सकत समझे। पत्रकार के सबरे तर्क कुतर्क की श्रेणी मे आ गये ।
        मंत्री जू बोले रूखन खौं लगावे से लेके उके बडे होवे तक कौ टैम सरकार कौ होत है रूखन कौ पालवो पोषवो उकी देखभाल करवो सब सरकारी नितियो द्वारा ही होत है। रूख बडौ होवे पै बेलगाम और हो जात है और उये पालवे की आवश्यकता नइं परत और न ही पोषण की उपर से उकी रक्षा सोउ करने परत कै कउ कोउ काट कर न ले जाए बजट भी जेइ कत है।
अप्रत्यक्ष लाभ मिल रओ हो तो प्रयास करे प्रत्यक्ष लाभ मिल सके।
       छह मइना बाद वृक्षारोपण स्थल पै जै बंद रूख अपनी जिंदगी के आखरी दिन गिन रयते और पिंजरे पै तख्ती मे लिखै नाव से पूछ रयतै हमसे का भूल हुइ जो ये सजा हमको मिली....।
                 ***                                                                -विजय कुमार मेहरा, होशंगाबाद (टीकमगढ़)

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 


आलेख/यात्रा संस्मरण    

झूमरनाथ धाम, ग्राम पारौन-रजपुरा, तहसील बार ललितपुर दिनांक 20/08/2021-

भुंसरां के 10:00 बज चुके हते। मन कऊ जावे के लाने बेचैन हतो सो ऐंगरे के इ  दर्शनीय स्थलों में से एक झूमर नाथ धाम देखवे की कैउ दिनन से इच्छा हो रइती । कौनउ सात न मिलवे से अभी लो नइ जा पाओ तो। विजय मेहरा जू अपने घरे गएते । अंकुर भी व्यस्त हते, 
            आखिर प्रदीप जू खौं फोन लगाऔ तो वे चलवे के लाने तैयार हो गए। 12:15 बजे हम दोइ जने झूमर नाथ धाम जावे के लाने निकर पड़े। उतै जावे की गैल वाया बानपुर कैलगुवाँ- बार होके है पे एक गैल नयाखेरा मोगान होके सोउ है जो बानपुर कैलगुवाँ मार्ग से मिल जात है मोंगान पौचवे के पैलेइ एक कच्ची  गैल से निकलवे में भौत परेशानी भई और जैसेइ उ रास्ते को पार करो,  बैसइ तेजी से पानी बरसने लगौ। हम लोग मोगान के पैले एक टीन शैड में पानी रुकने कौ इंतजार करन लगे। लगभग 1 घंटे की बारिश के बाद पानी रुको। मोगान के तला पै करिया मिट्टी के कारण बड़ी मुश्किल से बांध के ऊपर से निकले। अगाउ जाके बानपुर कैलपुरा मार्ग मिल गओ पै कछू ही दूर चलवे पै पतौ चलौ के नओ गोला बनाने के लाने उये पूरी तरां से उखाड़ दओ गओ है। गिट्टी और उखड़े भए डामर के बीच फटफटिया चलावो काफी कठन हतो। बारिश के कारण बगल में डाली भई माटी भी भौत फिसलन भरी हती। जैसे तैसे कैलगुवाँ पौंचके उते से बार वाली सड़क पै आए। बीच-बीच में लगातार पानी बरस रओ हतो बादल इतेक गैरे छाए थे कि लग रओ तो के शाम हो चुकी है। 
                    वैसे अबै हम टीकमगढ़ से लगभग 30-35 किलोमीटर दूरइ आए हते पै रास्ते में रुकने ,खराब रास्ता और बरसात के कारण ऐसो लग रओ हतो जैसे हम दिन भर से चल रय हों। बार पौचत-पौचत 4:00 बज गयते। मंदिर के बारे पूछो तो लोगन ने बताऔ कै बार के बस स्टैंड से दाएं ओर लड़वारी ग्राम(6 किमी) जाके अगाउ से एक रास्ता बायीं ओर पारौन के लाने गओ है जिते से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पै झूमर नाथ धाम स्थित है। रास्ता ठीक है। हम लोग बिना झेल करे भए  चल दए। लड़वारी पोंचके बायीं ओर 5 किलोमीटर की दूरी पै ग्राम पारौन  है उतइ से 2 किलोमीटर दूर झूमर नाथ धाम के लिए मोहनगढ़ रोड पै बायीं ओर एक रास्ता गओ है जी पै फिर बायीं ओर एक छोटा-सा रास्ता झूमर नाथ धाम के लिए है। 
              झूमर नाथ धाम पौंच के देखो के एक बड़े-से मैदान में स्कूल के लिंगां ही मंदिर परिसर है जीमें कछू विशाल शिलाएँ स्थित हैं।  मध्य में स्थित बड़ी शिला के नैंचे कछू गुफा नुमा स्थान है। गुफा में कछू अंदर जाकर दो  चट्टानों की सँकरी जगा के बीच स्वयंभू शिवलिंग है। इये बुंदेलखंड का अमरनाथ भी कओ जात है। कैई सौ साल पैला इ स्थान की खोज पारौन के एक ब्राह्मण परिवार के मुखिया ने की थी और तभी से उ परिवार के लोग इतै की पूजा कर रय हैं। कओ जात है कै इतै प्रार्थना करने पै संतान प्राप्ति होत है। कौनउ समय बानपुर के राजा की मनोकामना पूर्ण होवे पै उनै इतै पै झूमर चढ़ाव था ईसे बाद  में इ स्थान का नाव झूमर नाथ धाम पड़ गओतो। दस-बारा जीना चढ़वे के बाद एक चौरस स्थान में 20-25 फीट लंबी चौड़ी  विशाल चट्टान के तरे एक गुफा नुमा जगा में 10 -15 फ़ीट अंदर प्राकृतिक शिवलिंग  हैं।
               कैइ जात है कै पैला इ गुफा में झुक कर भीतर जातते और बांस की छडी में लोटा बांधके जल ढ़ारते हते। हरां-हरां जौ स्थान विकसित होत गओ। वर्तमान में गुफा की ऊंचाई इतैक है कै आराम से खड़े होके अंदर जा सकत हैं। बगल में ही एक सुरंगनुमा गुफा है जिये परिक्रमा गुफा कत हैं। एक तनक सी गुफा में मां पार्वती और गणेश जी की स्थापना करी गई है। सीढ़ियों के बगल में एक नओ भवन बन रओ है। सामने श्री रामचरित मानस कौ पाठ चल रओ है। आवश्यक सुविधाओं की कमी है। 
              कोरोना काल से मेलों का आयोजन बंद है। आसपास के ग्रामन में बाबा झूमर नाथ धाम की भौत मान्यता है और इये सिद्ध स्थान मानो जात है। देव एकादशी और महा शिवरात्रि पै विशाल मेला लगत है। रास्ते में मोड़न पै कोई सूचनापट न होवो अखरत है।  5:00 बज चुके हते, मौसम अभी भी भारी हतो। पुजारी जू सें पतौ चला कै मोहनगढ़ इतै सें लगभग 14 -15 किलोमीटर की दूरी पै है हमने तय  करो कै मोहनगढ़ के रास्ते से ही लौटवों नोनो रैहे,कायसें कै जी गैल  से हम आयते वा तो भौतइ खराब गैल हती। मंदिर से लौटकै हम पारौन न जाकै उत्तर की ओर मोहनगढ़ चल पड़े। एक चरवाहे के द्वारा बताए गए रास्ते पै एक गांव के बाद एक बड़ौ नालो हतो, जीसें  करीब डेढ़-दो फुट पानी रपटे पै बह रओतो था। गनीमत थी कि बहाव तेज नइ हतो। कायसै कि रपटे से पैले एक स्टाप डेम बनौतो  नाले तक की गैल भी भौत उतार भरी और फिसलने वारी हती। आखिर जैसे तैसे मैंने मोटरसाइकिल को डेढ़-दो फुट गहरे पानी में  उतारकर नालो पार करो । प्रदीप जू ने भी डरत डरत पैदल नाले को पार करो।
        अगाइ जाके हमें फिर पक्की सड़क मिल गई और हम लगभग 6:00 बजे मोहनगढ़ पौंच गए उतै कछु स्वल्पाहार कर हम लोग टीकमगढ़ के लाने चल पड़े जो कै मोहनगढ़ से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पै है। गोर के पास बने एक बांध के कारण बनाए नए रास्ते पर भी काफी कीचड़ और उस फिसलन हती उये जैसे तैसे पार करके हम लोग अंततः 7:00 बजे लो टीकमगढ़ आ गए। आज की घुमक्कड़ी कठिनाई भरी तो रही पै जौ सोउ  पतौ गऔ कै मन अभी बूढ़ो नइं भओ है।
✍ - रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ (मप्र)

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 


साहित्यिक समाचार-

स्व.पन्नालाल जी नामदेव स्मृति आठवाँ साहित्यिक समारोह और  विराट कवि सम्मेलन भऔ-

टीकमगढ़//प्रख्यात साहित्यकार राजीव नामदेव राना लिधौरी के दादा जी एवं दानी जी की पूण्य स्मृति में आयोजित स्व.पन्नालाल जी नामदेव स्मृति आठवाँ सम्मान समारोह व साहित्यिक संस्था म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ के ‘वार्षिक उत्सव’ व कवि सम्मेलन रविवार दिनांक 19 सितम्बर 2021 समय दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,चर्च के पीछे,शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ में होकर सम्पन्न भऔ है। जीमें अध्यक्षता सम्मान्य हाजी जफ़रउल्ला खाँ ‘ज़फ़र’(टीकमगढ़) शायर। मुख्य अतिथि मान. श्री राकेश जी गिरी (विधायक जी टीकमगढ़) विशिष्ट अतिथि सम्मान्य श्री गोकुल जी सोनी,(भोपाल) कवि हतेे‌।
             कार्यक्रम के संयोजक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने बताऔ के ई अवसर पै एक कवि सम्मेलन सोउ आयोजित करो गओ तो जीमें आमंत्रित कवि के रूप में 1-श्री गोकुल सोनी (भोपाल) 2-श्री संजय श्रीवास्वत,(दिल्ली), 3-श्री कुशलेन्द्र श्रीवास्तव(गाडरवाड़ा), 4-श्री जयहिंद सिंह‘जयहिंद'(पलेरा), 5-श्री शोभाराम दांगी (नदनवारा ), 6-श्री महेन्द्र चैधरी (जतारा), 7-डाॅ. मीनाक्षी पटेरिया (नौगाँव),8-श्री यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़), 9-श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्त (ईशानगर),10-श्री बृजभूषण दुवे (बक्स्वाहा)11. रामानंद पाठक (नैगुवाँ),12-श्री गुलाबसिंह ‘भाऊ’ (लखौरा), व स्थानीय कवियन नेअपनी रचनाएँ सुुुनाई।
     ई मौके पे स्व.पन्नालाल नामदेव सातवाँ स्मृति साहित्य सम्मान-2020 का श्री गोकुल सोनी भोपाल को उनकी ‘कृति कठघरे में हम सब’ के लाने प्रदान करो गओ  सन् 2021 कौ आठवांा स्मृति सम्मान श्री कुशलेन्द्र श्रीवास्तव गाडरवाड़ा को उनकी कृति ‘‘सरयू के तट पर’’ पे प्रदान करो गओ द्वय सम्मानितों को सम्मान निधी 1100रू नगद,शाल,श्रीफल, एवं आकर्षक स्मृति चिह्न व सम्मान पत्र से अतिथियों द्वारा सम्मानित करो गओ।
स्व.रूपाबाई नामदेव स्मृति साहित्य सम्मान-2020 श्री अनवर खान‘साहिल’(टीकमगढ़) को उनके ग़ज़ल के क्षेत्र में एवं सन् 2021 का सम्मान श्री संजय श्रीवास्वत (मबई/दिल्ली) को साहित्य लेखन एवं रंगमंच के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान करो गओ।
          इ मौक़ा  पै लेखक-यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) की कृति ‘करम अभागा’ (उपन्यास)  एवं लेखक-डी.पी.शुक्ला (टीकमगढ़) ‘धरातल और धरोहर’ (आलेख संग्रह)  एवं ‘आकांक्षा’ पत्रिका-2021 संपादन-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’) का विमोचित करो गओ।
***
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
  अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
पूर्व महामंत्री-अ.भा.बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद
  शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
  पिनः472001 मोबाइल-9893520965
     
💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 

पोथी समीक्षा/पठनीय पोथियां-
लुक लुक की बीमारी (बुंदेली गद्य व्यंग्य)

व्यंग्यकार-राजीव नामदेव'राना लिधौरी',टीकमगढ़

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 

नोनी लगे बुंदेली (बुंदेली हाइकु संग्रह)
💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 

✍ 'आकांक्षा' पत्रिका-2021 (प्रेम विशेषांक)

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 

💐अनुश्रुति(अंक-1)अक्टूवर-दिसम्वर-2021💐 

4 टिप्‍पणियां:

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

Was very nice book

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

Was very nice book

चोवा राम "बादल" ने कहा…

बेहतरीन अंक।

भगवत नारायण रामायणी जी ने कहा…
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