चुगला
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 68वीं ई-बुक
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 3-10-2021
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
03-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
04- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
05-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
06-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा टीकमगढ़
07-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़ (म.प्र.)
08-गोकुल यादव,बुढेरा (म.प्र.)
09- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
10-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा, निवाडी (म.प्र.)
11- संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़ (म.प्र.)
12-डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया
13- एस आर सरल,टीकमगढ़
14-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस, बड़ामलहरा
15-एस.आर.तिवारी (टीकमगढ़)
16-डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
17-ब्रज भूषण दुवे, बक्सवाहा
18-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
19-श्याम मोहन नामदेव,देरी (टीकमगढ़)
20- प्रो.शरद नारायण खरे, मंडला
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक का और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयाय से आज यह ई-बुक *बचुगला* 68वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 65 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 73 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 67वीं ई-बुक "चुगला लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों ने बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 30-द्वारा दिये गये बिषय "चुगला" पर शनिवार दिंनांक-02-10-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं। अपना आशीर्वाद दीजिए।
अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-3-10-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-9893520965
😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
**सप्लीमेंट्री दोहा/ अप्रतियोगी-*
*बिषय-चुगला*
चुगला खों चुगले बिना ,
मिलवे तनक न चैन।
बना चौगुना देत है,
काटे कटे न रैन।।
***
*@ राजीव नामदेव राना लिधौरी,टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मेरी उपरोक्त रचना मौलिक एवं स्वरचित है।)
😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
2-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)
***
-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)
😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
3-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
1
चुगला बिन चुगली करे,
चैन कहाँ है पाय।
चुगलखोर जब अति करे,
घर- घर जूता खाय।।
-2
चुगला चुगली बिन करे,
चैन कहां है पाय।
चुगलखोर जब अति करे,
घर- घर जूता खाय।।
3-
घैरा घूसा जो करै,
सो चुगला कहलाय।
मठा डारबै जरन में,
घर में बैर कराय।।
4-
पेट में रोटी न पचै,
जब लौ नहीं भिड़ाय।
मजा जबइ चुगला करै,
दो खौं लेय लड़ाय।।
5-
चुगला जब चुगली करै,
दंगम दंगा होय।
जूता जब सिर पै परैं,
मुढ़ी पकरकें रोय।।
6-
बुरइ बात चुगली सुनौ,
करौ न चुगली कोय।
चुगली कर चुगला बनैं,
गत नौनी नहिं होय।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल,टीकमगढ़ (म.प्र.)💐
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
04- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
5-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
👌😊चुगलखोर😊👌
बात इतै की सुन उतै,
करतइ ज़ोन कसाइ।।
चुगला खबरी उर दुता,
तींनउ साढ़ू भाइ।।
बात इतै की सुन उतै,
करतइ जोंन कसाइ।
चुगला खबरी उर दुता,
तींनउ साढ़ू भाइ।।
झूँठी साँची जुझाबै,
पचै न एकउ बात।
नांदा यैसे जीव खों,
हम सब चुगला कात।।
चुगला देखौ दूर सें,
भय सबरे बेहाल।
कानाफूसी भई शुरू,
आ गव खबरी लाल।।
जोंन बात दुश्मन ढिंगा,
जो पौंचाने होय।
चुगला सें कै दो तनक,
और न कइयो कोय।।
डंडे चुगली जो करै,
करै दुतइ कौ काम।
आग लगा ठंडक परै,
ऐसे चुगल तमाम।।
बात पेट में नइ पचत,
कय सें कटतइ पाप।
जा चुगला की खासियत,
सबइ दुतन कौ बाप।।
चुगला खों हम सब कतइ,
चलत फिरत अखबार।
बात इतै की सुन उतै,
करबै डंडे चार।।
चुगला ने चुगली करी,
बेंडी खिली लताइ।
जिउ में ठण्डक पर गई,
चुगलखोर के भाइ।।
चुगलखोर चुगला दुता,
सबकौ एकइ काम।
सुनी इतै कै दइ उतै,
तबइ परौ आराम।।
!!$!!$!!$!!
***
-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
06-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)
***
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
07-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़ (म.प्र.)
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
08-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)
चतुर-सुगर जुग बाँदकें,एक-सार कर लेत।
चुगला जुगफोरा जुरें,सब रनबन कर देत।
***
चुगली की चोखी कला,है ईशुर की देंन।
चुगला चापत मंत्र सी,ई सें फुरबै येंन।
******
चुगला दुतया भेदिया,जुगफोरा औ ढीट।
आठ देव रक्षा करें, खबरी मुरा बसीट।
चुगलन की ही चाल सें,भव तो देश गुलाम।
मुक्ती बापू नें दयी, शत शत उन्हें प्रणाम।।
अपने अपने करम में, चूक जात सब ताव।
चुगला चुगली कौ कभउँ,चूकत नइंयाँ दाव।
चुगला चुगली खाँ चुनें,सबसें कच्चौ कान।
जहर गुरीरौ घोर कें, लै कें छोड़त प्रान।।
चुगला जब कानें लगै, मन्सामरव करात।
मानुष की गिनती कितै,ईशुर लौ फस जात।
चुगलन नें चुगली करी,जहर खाव हरदौल।
रानी रो रो हार गइँ, चलो न एकउ कौल।
चुगला कच्चे कान में, मीठौ बिष भर देत।
जुगन-जुगन के जुगन खों,रनबन कौ कर देत।
*****
✍️ -गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
09- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
चुगलन नै गजबइ करौ,
कित्ते नाव गिनांय ।
चुगरी करी जुझार सैं,
हरदौलें मरवांय।।
-
-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नंदनवारा
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
10-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा, निवाडी (म.प्र.)
चुगलखोर चुगली करै,
बनीं बिगारै बात।
दाव कभऊं न चूकवै,
मसकां करवै घात।
***
-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा,निवाडी (म.प्र.)
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄
11- संजय श्रीवास्तव, मवई
चुगला अपने गुनन सें,
सबके मन सें जाय।
बात पचै ना पेट में,
दो की चार भिड़ाय।।
***
- संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली
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12-डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया
चुगला चुगली ना करै,
फूलत बाको पेट।
अपनौ को ही देत है,
चिगली कर अलसेट।।
***
-डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया,मप्र
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13-एस आर सरल,टीकमगढ़
चुगला खौ चुगली बिना,
परै न तनकइ चैन।
कब कीकी का का कनै,
घोकत रत दिन रैन।।
***
-एस आर सरल,टीकमगढ़
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄
***
*14*-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस, बड़ामलहरा
चुगला मिलकें देय जो,
दोइ पलीतन तेल।
तौ अच्छे अच्छे नचें,
दुनिया देखै खेल।।
***
- डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस, बड़ामलहरा
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄
*15*एस आर तिवारी, दद्दा,टीकमगढ़
15*
चुगला ने चुगली करी,
भरे जुझारहिं कान।
रस में बिष वह डारकें,
लय लाला के प्रान।।
***
-एस आर तिवारी, दद्दा,टीकमगढ़
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄
16*डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
चुगला भैया फोड़ दे,
घरनाशी ये होय ।
जन समाज सब नष्ट कर,
नींद चैन की सोय ।
***
डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
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*17*ब्रज भूषण दुवे, बक्सवाहा
चुगला ने चुगली करी ,डारो ऐसों डौल।
दिवबा जहर जुझार सिंह, मरवा दय हरदौल।।
-ब्रज भूषण दुवे, बक्सवाहा
***
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄
*18*-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
जब तक भेद न खोल दे, रहे न तन मन चैन ।
चुगला तो चुगली करै, दिवस होय या रैन ।।
-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
***
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*19*-श्याम मोहन नामदेव,देरी
चूकें न चुगला कभऊं,
करबें चुगली बात।
कर लेते विश्वास जो,
उन को काम नसात।।
✍️ श्याम मोहन नामदेव,देरी
****
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*20* -प्रो.शरद नारायण खरे, मंडला
चुगला भौतई हो गये,
इनसैं बचियो आप।
वे समाज के कोढ़ हैं,
मानवता के शाप।।
-प्रो.शरद नारायण खरे, मंडला
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(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 68वीं ई-बुक
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 3-10-2021
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Very funny
मजेदार है
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