(दोहा संग्रह)
- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
प्रकाशन-
म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़ (म.प्र.)
के लिए
सर्वाधिकार: लेखकाधीन
प्रथम संस्करण: 2024
सहयोग राशि: 1000.00(एक हजार रुपए)
शब्द टंकण: आकांक्षा कम्प्यूटर्स
प्रो.राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ (म.प्र.)472001 मोबाइलः09893520965
पुस्तक प्राप्ति का स्थान:
म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़ (म.प्र.)
कार्यालय: नई चर्च के पीछे,शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़(म.प्र.)-472001,
मोबाइल: 09893520965
समर्पण :-
जिनकी छत्र छाया में, मैं पला-पुसा, बड़ा हुआ और जिनके आशीर्वाद से मैं इस मुकाम पर पहुँचा हूँ। उन्हीं माताजी -पिताजी के श्री चरणों में नमन करता हुआ यह कृति उन्हें समर्पित करता हूँ।
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
***
कवि की कलम से.............
बुन्देली बोली का क्षेत्र अब बुन्देलखंड तक ही समीति रहा आज बुन्देली’देशभर में अपना स्थान बना रही है अनेक फिल्मों एवं टी.व्ही. सीरियल का निर्माण बुन्देली में हो रहा है सोषल मीडिया पर तो हमारी बुन्देली धूम मचा रही है। हमने भी अपनी मातृभाषा को विश्व पटल पर लाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए है।
मेरे ब्लाग में हिन्दी के साथ-साथ बुन्देली रचनाओं को 87 देश में पोने दो लाख पाठक व्यू मिल चुके है। इसी उद्देश्य से हमने यह बुन्देली में दोहा संग्रह प्रकाशित किया है जिसमें बुन्देली के अति प्राचीन शब्दों कों चुनकर उनपर दोहे रखें है ताकि वर्तमान युवा पीड़ी उस शब्दों को जान सके
इस बुन्देली दोहा संग्रह में मेरे द्वारा विगत दो-तीन साल में लिखे गए बुन्देली के विलुप्त होते शब्दों को केन्द्रित करके दोहे लिखने की कोशिश की है।
अब कहाँ तक हम सफल हुए यह आप सुधी पाठकों पर निर्भर करता है। आपको यह पुस्तक कैसी लगी, आपकी समीक्षा प्रतिक्रियाओं का हमें बड़ी बेसब्री से इंतजार रहेगा।
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लेखक-
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
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अनुक्रमणिका:-
01-विषय- श्री गनेश जी (पर्यायबाची शब्द)
02-विषय - सरसुती -11
03-अठबाइ दिनांक-1 मई 2023 -12
04- विषय-राम -13
05-विषय-लच्छमी’ -43
06-विषय-लुकत -15
07-बिषय -कक्का -16
08-बिषय -ठट्ठ 20-5-2023 -17
09-बिषय:-दो हजार के नोट पर -18
10-बिषय- ‘भटिया’ 22-5-23 -18
11-बिषय- नौ तपा 27-़5-2023 -19
12-बिषय- गरई दिनांक 29-5-2023 -20
13-बिषय सिंदुरिया-3-6-2023 शनिवार -21
14-‘नानो’ दिनांक-5-6-2023 -22
15-बिषय - बेर बेर (बार-बार) -23
16-विषय- जुगाड़’ -24
17-काँलौ (कब तक) -19-6-2023 -25
18-बुंदेली दोहा विषय - भड़का -26
19 इक्कर (एक तरफा) -27
20- फुकला(सार हीन छिलका)
21-बिषय- डाँड़ (जुर्माना)
22-बर्रोटी (स्वप्न देखना) -30
23- डेंगुर’ -31
24- ‘ठेंटा’
25- नीचट’
26-कक्का- -34
27- विषय - तकौ (देखना)
28- विषय -उरानौ’
29- विषय-तँगत (चिड़ना)’
30-विषय - ‘पन्नी’ 38
31-‘गदिया’ (हथेली)
32-विषय - चिलकत (चमकता) 40
33- विषय - ‘ठूँसा’ (मुक्का)
34-बिषय -‘कानात’ (कहावत) 42
35-विषय-पैचान (पहचान) 43
36-विषय - ‘उजड्ड’ 44
37-ताठी दिनांक- 24-4-2023 -45
38-विषय-धिंगानों (लड़ाई झगड़ा) -46
39-विषय-इत्ती-सी (थोड़ी-सी,तनक-सी) -47
40-विषय-‘शिक्षक’ -48
41- विषय- ‘कूका’ -49
42-विषय-‘चैंथी’ -50
43-विषय-‘टिया’ (अवधि) -51
44-अस्नान दिनांक- 29-4-2023 -52
45-विषय-ठाँड़े बैठे (बिना काम के,बेवजह)
46-तरी (भेद,रहस्य,गहराई) -54
47- विषय -‘कागौर’ -55
48-विषय - ‘बिर्रा’ -56
49-विषय - ठगिया (ठगने वाला) -57
50-विषय-गरे गौं’
51- विषय-टूँका( टुकड़ा)
52-विषय-उल्टौ (विपरीत)
53-विषय-दच्च
54-विषय-मइया पूजैं
55 विषय-न्योरे-(झुककर)
56-विषय- डाँड़ (जुर्माना)
57-विषय-नब्दा (रौब गाँठना)
58 -नटवा -(छोटा बैल)
59-गों में (मन में) -67
60-विषय-मौनिया’
61-दाँद (बहुत गर्मी)
62-विषय-बिरमा (ब्रम्हा)
63- इंदर (इंद्र)
64-विषय-भोले (भोला,शंकर जी)
65- विषय- ‘बैठका’
66-विषय-गौंड़ बब्बा
67- विषय-ऊपर वाला (ऊपर वाले)
68- विषय-गुनताड़ौ (उधेड़बुन ) -72
69- विषय-पुटैया
70-विषय-लच्छन (लक्षण)
71- विषय-उदना (उस दिन) -77
72- अनमने (उदास )
73--नाँय (इधर)
74 -‘खटका’
75-नऔ (नया)
76-गुलगुलो (मुलायम)’
77-विषय-कोते (बदले)
78- बिषय- नँईं /नँइँ( नहीं)
79- बिषय -सला (सलाह)’
80-बिषय- निन्नै -86
81-कुजाने (पता नहीं)
82- विषय -ततोस (गुस्सा) जोश
83-विषय- ‘भन्नाने /भुन्नाने (क्रोधित)
84 - बुरव (बुरा) -90
85- बिषय- लुगया’
86-विषय-दुता (चुगलखोर)
87- विषय-फँदकत ( रूठना)
88- विषय-गत (हालत)
89-विषय-फदाली
90-खुद्दरौ
91-विषय-बीदे (फँसे)’
92-बेथा(हथेली में अँगूठे से लेकर छिंगरी तक का माप)
93 विषय-कूत (पता चलना )
94-टोंचना’
95-टेसू (पलाश)
96-फगवारी/ फगवारे
97-पैलाँ/पैलें (प्रथम)
98-बेर-बेर (बार-बार)
99-विषय-उँगइयाँ (उँगलियाँ)
100-विषय-चैतुआ’
101-चिनार (पहचान)
102-पुसात (पसंद)
103-‘रमतूला’
104-‘चपिया’
105-नदारौ(निर्वाह)
106 -बखेड़ा (झगड़ा करना)
107-सुड़ी (इल्ली)
108 -पखा
109-’पलका’
110-छला (सादा अँगूठी )
111-किवरिया (किवरियाँ)
112-किरा (कीड़ा लगा हुआ)
113-कीचर (कीचड़)
114-गउ (गइया)
115-गर्राट (अशालीन व्यवहार)
116-गुनताड़ों/गुनतारों (हिसाब, उपाय)
117-गुम्मा (ईंट)
118-दाऊ (बड़े भाई का संबोधन)
119- गुलेंदौ (महुआ का फल)
120- भड़का
121- इक्कर (एक तरफा)
122- छरक (अरुचि, घृणा)
123- मटिया चूले
124- झिर
125-खाँगे (विकलांग)
126-फतूम (किसान की बनियान)
127-गुचूक (छोटी सी)
128-‘तिगैला’
129-‘धुकधुकी’
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1-विषय- श्री गनेश जी (पर्यायबाची शब्द)
करैं थराई आप लौ, गौरी नंदन आज।
आन बिराजौ मोय घर,‘राना’ रख लौ लाज।।
गनपति बप्पा आप खौं, सब कातइ विघ्नेश।
‘राना’ राखन चात है, अपने अबइँ हृदेश।।
विनतुआइ ‘राना’ करै, बड़ी सूड़ महराज।
जय बुंदेली जौ पटल, रखियौ ईकी लाज।।
मंगल मूरत है अपुन, काटौ ‘राना’ कष्ट।
संगै भारत राष्ट्र कै, विघन करौ सब नष्ट।।
गनपति बप्पा आपकौ, सजौ रयै दरबार।
‘राना’ मुड़िया खौं झुका, चाबै बेड़ा पार।।
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2-विषय - सरसुती
‘राना’ कातइ सरसुती, सबकी मैया आँय।
बीना लैकें हात में, ग्यान हमें सिखलाँय।।
बैठ हंस बीना लयै,धुतिया फक्क सपेत।
पौथी थामै सरसुती, ‘राना’ अक्कल देत।।
‘राना’ करतइ कामना, दैव सरसुती ग्यान।
बुंदेली भाषा करैं, मिल जुरकैं उत्थान।।
ब्रम्हा की बिटिया बनी, ब्रम्हपुरी में वास।
नाम सुरसती जानतइ,‘राना’ तकत उजास।।
जय बुंदेली है पटल, दैव सरसुती ध्यान।
जुड़ौ नाम साहित्य है, ‘राना’ करतइ गान।।
रयी सरसुती की कृपा, जुर गय ‘राना’ मित्र।
बुंदेली भाषा बनै, सब भाषन में इत्र।।
‘राना’ भी मेनत करत, दैत सबइ है संग।
माइ सरसुती भी भरैं, सबखौं नयी उमंग।।
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3-बिषय-‘अठबाइ’ -1 मई 2023
धना बना अठबाइ खौं, गौरी पूजन जाय।
‘राना’ श्रद्धा भाव से, जौरत हाथ चढ़ाय।।
छोटी-छोटी हौत हैं, जो बनती अठबाइ।
‘राना’ मैदा या कनक, की होती उसनाइ।।
‘राना’ चुरतीं तेल घी, खिलती चंदा नाइ।
पूजा की थरिया सजै, धरै धना अठबाइ।।
देवी भी अठबाइ खौं, करती है स्वीकार।
प्रेम भाव ‘राना’ तकैं, करती सबसे प्यार।।
सभी अठबाइ है बनी, देबै उम्दा भोग।
घर में सुख साता रयै,‘राना’ रयै न रोग।।
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4- विषय-राम
(आज दिनांक-22जनवरी सन् 2024ई.को रामलला की जन्मभूमि पर प्राण प्रतिष्ठा हुई)
‘राना’ शुभ दिन आज है, करौ राम कौ जाप।
जन्मभूमि खौं पूज लौ, मिटा सबइ संताप।।
रामलला मंदिर बनौ, ‘राना’ आलीशान।
मिलजुर कै पूजन करौ, और गाव प्रभु गान।।
बीत काल गय पाँच सौ, ‘राना’ को संज्ञान।
रामलला अब बैठ रय, जन्मभूमि पै आन।।
राम सदा आदर्श है, राम इतै प्रादर्श।
‘राना’ जानत जन्म सै, राम नाम उत्कर्ष।।
राम लला के नाम पर, बनौ आज इतिहास।
सोने कौ यह दिन बनौ,‘राना’ जाने खास।।
‘राना’ लिखतइ आज है, यह दिनांक बाईस।
माह जनवरी राम की, दो हजार चैबीस।।
’’’
--000--
5- नसेनी (सीढ़ी)
राम नसेनी नाम की, ‘राना’ ले लौ थाम।
सक्ती से भक्ती करत, पौचैं उनकै धाम।।
बौइ नसेनी पै चढ़ै, पौंचै जित हैं राम।
‘राना’ ई संसार में, जीकै साजै काम।।
तकत नसेनी राम की, साहस ना कर पाँय।
जीकै मन में पाप है, ‘राना’ पास न जाँय।।
राम नसेनी छौड़कैं, जौ भी करै प्रलाप।
‘राना’ ऊखौं नइँ मिलत, प्रभू नाम की छाप।।
येक नसेनी पर परै, सब जातइँ शमशान।
राम नाम ही सत्य है ‘राना’सुनतइ गान।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,लगी नसेनी पौर।
डिसटेम्पर खौ पौत दौ, साजौ कर लौ ठौर।।
--000--
6-विषय-लच्छमी’
ऊकै घर रत लच्छमी, हौतइ खानागान।
‘राना’ साजी हो नियत, जीखौं कत ईमान।।
दौलत से कत लच्छमी, मौरे घर में आइ।
मुड़िया ‘राना’ लै छुबा, कत है जय हो माइ।।
बिस्नु प्रिया है लच्छमी ‘राना’ माता कात।
माता भी पुतरा समझ, आशीषें बरसात।।
दीवारी खौ लच्छमी, घर-घर पूजीं जात।
‘राना’घर के चैक में, मुलकन दिया जलात।।
घर में आयें लच्छमी, दीवारी की रात।
दिया जरै सबकै घरै,‘राना’ भी मुस्कात।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, जाँदा ना इतराव।
हम घर की है लच्छमी, नगदी सब धर जाव।। -000--
7- बिषय- लुकत 8-5-2023
भड़या सबरै है लुकत, पुलिस देख भग जात।
जैसै जुगनू दिन उगै, ‘राना’ नईं दिखात।।
लेनदार खौं देख कै, देनदार भग जात।
‘राना’ सामैं से डरै, लुकत फिरत दिन-रात।।
लुकत लडैयाँ वन फिरै, शेर जितै दिख जाय।
जैसे ‘राना’ बर्र भी, बिच्छू से घबराय।।
लुकत फिरत माते गयै, छिप गय देख पियाँर।
बनी कहावत यैई पै, ‘राना’ कात सवाँर।।
लुकत फिरैं संसार में, हौय न ऐसे काम।
‘राना’ छाती ठौक कै, सबइ भजौ हरि नाम।।
काय लुकत ‘राना’ कहै, तनक सामने आव।
प्रतिभा जो ईसुर दई, खुलकै सबइ सुनाव।।
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7-बिषय -कक्का
‘राना’ कक्का जो बनत, घर से मिलतइ मान।
गाँव भरे में फैलतइ, फिर ऊकी पहचान।।
कक्का हुक्का पी रयै, बैठे ठलुआ चार।
राजनीति में बन रयै, ‘राना’ लम्बरदार।।
आऔ कक्का बैठ लौ, ‘राना’ मीठे बोल।
बुंदेली तासीर के, शब्द बड़े अनमोल।।
कक्का की सबरै सुनत, गुनत सबइ है बात।
‘राना’ इनखौ जानियौ, घर में हैं सौगात।।
कक्का सबरै जानतइ, ‘राना’ जितने पेंच।
खैचें जितै लकीर खौ, तनिक मिले रेंच ।।
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8-बिषय -ठट्ठ (दिनांक -20-5-2023)
ठट्ट लगौ की बात कौ, ‘राना’ तनिक बताव।
ठलुआ ठाड़ै काय है, का कर रय बतकाव।।
ठट्ट लगौ नेता जुरै, ‘राना’ आव चुनाव।
पुटया रय बातें करैं, दै रय सबखौं भाव।।
गुड़ी मुड़ी पुड़िया खुली, धना बिदै गइ गट्ट।
दो हजार के नोट लय, ‘राना’ घुस रय ठट्ट।।
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9-बिषय:-दो हजार के नोट पर
बैंक खुलत ही घुस गयौ, ‘राना’ भारी ठट्ट।
दो हजार कै नोट खौं, भजवाँ रय सब चट्ट।।
लाल नोट भजवाँउनै, ‘राना’ है आबाज।
हाथन लय लहरात सब, ठट्ट बैंक में आज।।
--000--
10-बिषय-‘भटिया’(दिनांक-22-5-2023)
पैलउँ भटिया है जलत, जीपै चढ़त कढाव।
बनतइ सब पकवान हैं, ‘राना’घर में ब्याव।।
मइना लगतइ जून कौ, जैसे भटिया हौय।
‘राना’ लू की आँच से, जीव बचै ना कौय।।
पैलउँ भटिया थी खुदत, अब लोहे की आत।
गैस सिलेन्डर है लगौ , जल्दी से जल जात।।
लपट उठै भटिया जलै, चढै करइयाँ आन।
कुशल अगर ‘राना’ हुआ, उम्दा हौ पकवान।।
धना अगर भटिया बनै, मौं से काड़ै झार।
‘राना’ सरल उपाय है, करौ नई तकरार।।
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11-बिषय- नौ तपा 27-5-2023
‘राना’ लगतइ नौ तपा, आसमान से आग।
चैकत ठाड़ौ है बदन, पैर ततूरी दाग।।
अच्छे तप लैं नौ तपा,‘राना’ अच्छौ होत।
कात सयाने चूँ उठैं, तब बसकारौ रोत।।
‘राना’ कातइ आपसे, चले तपा की थाप।
बाँध मुड़ी से तौलिया, घर में बैठौ आप।।
सन्नाटो खिच जात है, ‘राना’ दुपहर होत।
आँग चैकतइ नौ तपा, बदन पसीना ढोत।।
‘राना’ जौरत हाथ है, मन के द्वारे खोल।
अच्छे तप लैं नौ तपा, हौ बारिस कौ डोल।।
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12-बिषय- गरई दिनांक 29-5-2023
गरई कहत न बात है, बने फिरत सरपंच।
‘राना’ फाँकत वह दिखै, गाड़ें अपनौ मंच।।
गरई हती न कछु उतै, कौनउँ ‘राना’ बात।
बेमतलब पंगा हतौ, जीपै जुरी जमात।।
गरइ बात जब-जब दिखै, लोग देंय सम्मान।
लिपी पुती उतरात है, ‘राना’ सब इस्थान।।
गरइ बात भी संत जी, कहे सदा अनमोल।
ईसुर चाने हौंय तौ, मन के दौरे खौल।।
गरइ गड़इ ‘राना’ मिली, भव तौ मोरौ ब्याव।
दातुन कुल्ला खौ करन, पानी भरकैं आव।।
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13-बिषय सिंदुरिया -3-6-2023 शनिवार
‘राना’ गानौ सब धरौ, सिंदुकिया लइ चाप।
चली धना है मायकै, भरै खुशी की थाप।।
सिंदुकिया हर घर मिलै, रखतीं धनाँ समार।
गानौ गुरिया सब धरै,‘राना’ करै निहार।।
सिंदुकिया में भी धना, धरतीं जूड़ा हार।
बखत परै ‘राना’ करैं, तन कौ बें श्रृंगार।।
सिंदुकिया भी सेठ कै, बड़े काम में आत।
‘राना’ सौदा बैचतइ, पइसा डारत जात।।
सिंदुकिया चापै फिरै, नउवाँ मिल गव हाट।
‘राना’ बाल कटाय लौ, रव माथै खौ चाट।।
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14-‘नानो’ दिनांक-5-6-2023
चकिया यह संसार है, ‘राना’ समझो बात।
जीवन भी नानो घुरत, पाट बनै दिन रात।।
समझों नानो है जगत, घूमत रत सब गोल।
तितर-बितर ‘राना’ सबइ, लुकबेें खोजत पोल।।
नानो नोनी सब सुनो, का चल रव बतकाव।
फिर तुम सोच विचार कैं,‘राना’रखियौ भाव।।
‘राना’ नानो नोन हौ, करत गुचू सौ काम।
यैसइ हौतइ संत है, करैं ऊजरौ नाम।।
नानी नातिन से कहै, सुन लौ मौरे भाव।
नानो नोनों जो मिलै,‘राना’हृदय बसाव।।
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15-दोहा बिषय - बेर बेर (बार-बार)
‘राना’ मन की टेर से, प्रभु जी लेते।
बेर-बेर तब का कनै, सुन लो अपकी बेर।।
बेर-बेर ‘राना’ कहै, करियौ नौनें काम।
ऊपर बारौ खुश रयै दैवें अपनौ धाम।।
बेर-बेर जब टोकतइ,‘राना’ गुस्सा आत।
सामौ बारौ आदमी, खिजौ-खिजौ सौ रात।।
बेर-बेर ना जाइयौ,‘राना’ तुम ससुरार।
इज्जत अपनी राखियौ, पानै को सत्कार।।
बेर-बेर काती धना, करने तीरथ धाम।
‘राना’ बीदै है जगत, भुन्सारे से शाम।।
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16-’बुंदेली दोहा विषय-जुगाड़’ दिनांक-17.6.2023
लोग सयानैं हौ गयै, सौचें भली जुगाड़।
हर्र लगे ना फिटकरी, ‘राना’ लैकें आड़।।
‘राना’ देखत रात है, अच्छी भलीं पछाड़।
आधे से जादाँ मिलैं, जीमें हौत जुगाड़।।
भारत कौ हर आदमी, जानत भौत जुगाड़।
दुनिया बारे देखकैं, सकै न ‘राना’ ताड।।
राजनीति साहित्य में, ‘राना’ घुसी जुगाड़।
पावै खौं सम्मान अब, लौकत उनकी दाड़।।
मूषक भी करने लगै, ‘राना’ खूब जुगाड़।
घंटी बिल्ली कै गलै, बाँद करैं खिलबाड़।।
‘राना’ से कहती धना, सीखौ तनिक जुगाड़।
अच्छै लै दौ पैजना, थौड़े पइसा काड।।
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17-बिषय-काँलौ (कब तक) दिनांक-19.6.2023
‘राना’ काँलौ हम सहै, उनकी सूदी घात।
थौरें में जाँदा कहैं, समझ मोरी बात।।
‘राना’ काँलौ हम लिखै, बजरंगी कौ खेल।
लंका जारी पूँछ से, लगौ न घर कौ तेल।।
‘राना’ काँलौ हम कहै, चिपक गौंच से रात।
पाबै खौं सम्मान बै, जगन तगन गिगयात।।
कैकइ से कत मंथरा, काँलौ तुमै बताँय।
भुन्सारे ‘राना’ सुनौ, रामय राज्य खौं पाँय।।
सूपनखा कत भाइ जी, काँलौ कैवें बात।
‘राना’ सीता सुंदरी, वन में रत इठलात।।
धना कात ‘राना’ सुनो, काँलौ अब समझाँय।
टउका सीखौ चार ठौ, जौ हम अब बतलाँय।।
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18- भड़का -24.6.23
अच्छौ अब भड़का परौ, चुअत पसीना आँग।
‘राना’ भी घर में घुसै, धरत न बाहर टाँग।।
रिसयानों भड़का लगत, बेंचैनी है आज।
‘राना’ उन्ना भीज तन, भिनकातइ सब काज।।
गय सब भड़का पै भड़क, ‘राना’ रय है कोस।
चुअत पसीना पौंछ रय, दें मौसम खौं दोस।।
तपन न धरती की बुझी, नईं गिरी जलधार।
ईसै भड़का है परौ, ‘राना’ करत विचार।।
धना कात भड़का परौ, बाहर फिक रइ आग।
‘राना’ घर में राइयौ, छीलत रइयौ साग।।
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19 - इक्कर (एक तरफा)
‘राना’ इक्कर हौत है, जिनके तुनिक मिजाज।
खट्टौ खातइ एक दिन, भिनकत पूरै काज।।
संग छौड़ इक्कर चलैं, मानैं नइँ बै बात।
पसरत है बै गैल में, ‘राना’ साँसी कात।।
चार दिना सूदै चलैं, फिर लैं इक्कर मोड़।
‘राना’ औधै बै गिरैं, टाँगे लेतइ तोड़।।
चार जनन कै बीच मैं, मिलकै रइयौ आप।
‘राना’ इक्कर जौ चलै, बिगरै ऊकौ नाप।।
दोहा ना इक्कर लिखौ, राखौ सही विधान।
‘राना’ लिख कै बाँच लौ, त्रुटि हौजे पहचान।।
धना कात इक्कर चलै, घर में मोरौ राज।
सब्जी तौ हम लै बना, पर तुम छीलौ प्याज।।
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20- फुकला(सार हीन छिलका)
फुकला हटबै धान से, चंदा-सौ खिल जात।
नाम बदल चाँउर रखें, ‘राना’ मन मुस्कात।
फुकला खौं यदि छीलकै, दाना लेव निकाल।
मोती-सी लगती मटर, ‘राना’ स्वाद कमाल।।
फुकला जीखौं कात है, ‘राना’ कर लै नाम।
खड़ी खेत में हौ फसल, करतइ रक्छा काम।।
बखत-बखत की बात है, कभी आत जौ काम।
‘राना’ फुकला कात भय ,रखत न ऊकौ दाम।।
‘राना’ अब फुकला कहैं, ढूड़ौ हमनै ठौर।
हमें डार सानी बनै, खाबै सबरै ढौर।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, बनौ न लम्बरदार।
फुकला छीलौ अब मटर, धरौ यैइ में सार।।
--000--
21-बिषय- डाँड़ (जुर्माना)
डाँड़ लेत सरकार है, समय निकर जब जात।
‘राना’ बाकी हौ चढ़ी, नईं जमा जब पात।।
नईं डाँड़ से बच सकत, ‘राना’ जानत ग्यान।
बिजली बिल चूकैं जितै, लगतइ उतै निशान।।
धौकें मैं गलती अगर, फिर भी लगतइ डाँड़।
गंगा में इस्नान खौ, ‘राना’ जातइ हाँड़।।
डाँड़ लगातइ पंच है, ‘राना’ दैत न छूट।
कत समाज कै है नियम, इतै चलै ना लूट।।
ईसुर सै करतइ विनय, डाँड़ हौय उपचार।
तब चरणन में डारकै,‘राना’ दइयौ प्यार।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, बनै न बातन माँड़।
बस सोने की लल्लरी, आज प्यार कौ डाँड़।।
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22-बर्रोटी (स्वप्न देखना)
बर्रोटी में आत हैं, जैसे हौत विचार।
‘राना’ मनसा से बनैं, ऊकै कई प्रकार।।
बर्रोटी में जौ दिखै, भुन्सारै की पार।
साँसी भी हौ जात है,‘राना’शगुन विचार।।
सौबे की बैरा सुनौ, झूठैं परै ना कौय।
बर्रोटी जब आय तौ, ‘राना’ अच्छौ हौय।।
बर्रोटी में जौ दबौ, परौ-परौ चिचयाय।
जानौ घर में अब बला,‘राना’ जल्दी आय।।
बर्रोटी मन की दशा, लैतइ है आकार।
‘राना’ इसके फल सदा, करबैं लोग निहार।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, बर्रोटी है आइ।
सौने की चुरियाँ गजब, तुमनै मौय लिबाइ।।
लै दौ चुरियाँ आज ही, बर्रोटी सच हौय।
‘राना’ जाने मायकै, रक्छा बंधन मौय।।
--000--
23- डेंगुर’
डेंगुर में गुर है बहुत, सूदे चलतइ ढोर।
नाँय माँय उचकत नईं, ‘राना’ हौत न शोर।।
बाँद गरै में दंड खौं, डेंगुर दे दव नाम।
चड़ी बीदतइ पाँव में ‘राना’ छिलतइ चाम।।
‘राना’ डेंगुर डार कै, सोचत सबइ किसान।
नइँ उजार अब जै करै, लैतइँ ऐसौ मान।।
कात मताई अब फिरै, ई आसौं की साल।
लरकै डेंगुर डारनै,‘राना’ ब्याब धमाल।।
धना कात ‘राना’ सुनो, भूल न जइयौ छाप।
मैं डेंगुर तुमरै गरै, करियौ नईं प्रलाप।।
--000--
24- ‘ठेंटा’
‘राना’ ठेंटा है करत, लग कै साजौ काम।
तरल हौय जब चीज तौ, लैतइ ऊखौ थाम।।
ठेंटा कसकै बाँदना, दैतइ सबइ सलाह।
‘राना’ ढीलौ हौय तो, कारज लापरवाह।।
‘राना’ ठेंटा हौत है, छोटे बड़े मजोल।
सिसियाँ में छोटे लगे, कितउँ लगत ज्यों ढोल।।
खुलतइ ठेंटा जब जितै, सब देतइ हैं ध्यान।
बैतुक कौ जब भी खुलै, ‘राना’ हौ नुकसान।।
मुख कौ ठेंटा है बड़ौ, ‘राना’ है कैनात।
बरसा दै कउँ फूल हैं, कितउँ चला दै लात।।
धना कात ‘राना’ सुनो, मौं कौ ठेंटा खोल।
आज हमें बतलाय दौ,अपनी सबरीं पोल।।
--000--
25- ‘नीचट’
‘राना’ नीचट सब करौ, ठौक बजा कै काम।
और कितउँ मत चूकियौ, भली करेंगें राम।।
लेखन भी नीचट लिखौ, ‘राना’ दिखबै सार।
पढ़बै बारन खौ लगै, यह हमखौं उपहार।।
सोच समझ के बोलियौ, नीचट दैव जुवान।
कैकें बात निभाइयौ,‘राना’ रखियौ शान।।
अपने मन की सब करौ, नीचट रखौ उमंग।
पर ‘राना’ हर काम कौ चैखौ रखियौ रंग।।
नीचट बातें भी करइँ, कभउँ-कभउँ लग जात।
फिर भी ‘राना’ बे सदा, बन जाती सौगात।।
नीचट कै गइ है धना, ‘राना’ रव तैयार।
जानै मौखों मायकै, नयी लिबा दौ कार।।
--000--
26-कक्का-
कक्का हुक्का पी रयै, कै रय नीचट बात।
‘राना’ लिखकैं जाँचनें,करनै नईं उलात।।
कक्कौ कक्का से कहै, ‘राना’ नीचट बात।
पढ़बै खौं अब जौ पटल, जय बुंदेली भात।।
नीचट है लेखक सबइ, ‘राना’ सब लिख लैत।
अच्छे-अच्छे भाव खौ, लिखकै सबखौं दैत।।
हौ विधान में चूक तौ, नीचट है कछु मित्र।
‘राना’ बै संकेत कौ, छिड़कत रातइ इत्र।।
कोउ बुरव ना मानबै, सीखत रख उत्साह।
‘राना’ नीचट बात यह, मिलै सभी खौं चाह।।
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27- विषय - तकौ (देखना)
‘राना’ उनखौं नइँ तकौ, भरैं रात जो यैंड़।
मनसा रत उनकै लिगाँ, सबरै भरबैं पैंड़।।
दुनिया में आकैं तकौ, ‘राना’नौनें काम।
औनें पौने ना करौ, बनो नईं बदनाम।।
‘राना’ ईसुर खौं तकौ, मानौ उनकी बात।
सब जीवन पै हौ दया,करौ नईं आघात।।
राजनीति नौनीं तकौ, जौ भी नौनों होय।
दैकै वोट जिताउनै,‘राना’ अपनौ ओय।।
ईसुर भी जा कात है, करौ दया कौ दान।
‘राना’ तकौ गरीब खौं, और करौ कल्यान।।
पुरस्कार की जब सुनी, कहैं मित्र शुभ योग।
‘राना’ तब विनती करे,लिखो तकौ सब लोग।।
कक्का नें तक्का तकौ, ‘राना’ गय खिसयाय।
चिलम तमाकू है नईं, रय सबखौं बतलाय।।
--000--
28- विषय -उरानौ’
कौन उरानौ है सुनत,‘राना’ सौचत रात।
कुरसी पै जौ भी जमत, सबखौं चींथें खात।।
दैंय उरानौ हम अगर, मौं तब फूलौ जात।
‘राना’ नेतन के लिगाँ, पइसा काँसै आत।।
हौय उरानौ साँच कौ, रात दिना कुल्लात।
‘राना’ रै-रै याद हौ, तकुआ टेड़ौ रात।।
मिलै उरानौ सामने, नीचट हौबे बात।
सुनबै बारौ मौं झुका,‘राना’ मुड़ी कुकात।।
नहीं उरानौ हौ सहन, तब लरबैं आ जात।
‘राना’ उनसे का कहैं, जौ बेशरमी लात।।
दैत उरानौ गोपियाँ, जसुदा तोरौ लाल।
‘राना’ माखन खौं चुरा, सबइ बिगारें ग्वाल।।
नहीं उरानौ अब सुनै,बनीं हुईं सरकार।
‘राना’ बस उनकै सुनो, भाषन लच्छेदार।।
देत उरानौ है धना, तकौ परौसन पैर।
बैसइ पायल लान दौ, तब ही ‘राना’ खैर।।
नहीं उरानौ साथियौ, ‘राना’ सूदी सच्च।
सीखों और सिखाइयौ, जितै दिखत हौ गच्च।।
--000--
29- विषय - तँगत ( चिड़ना )
तँगत रात ‘राना’ तकत, औछे रखत विचार।
देख तरक्की काउँ की, जौ खातइ हैं खार।।
‘राना’ लामै सींग रख, मरका बैला हौत।
तनिक छिया पै बै तँगत, यैसइ नर है भौत।।
कछु पुजारी है तँगत, सुनकै राधे श्याम।
‘राना’ भक्ती रूप कौ, यै भी एक मुकाम।।
धीनक धीना हौत है, ‘राना’ नईं आराम।
घर में तिरिया है तँगत, मन के ना हौ काम।।
नौनों मोरा मायका, ‘राना’ हाँ-हाँ हौय।
तनिक बुराई पर तँगत, धना रिसा जै सौय।।
तिरिया से तिरिया तँगत ‘राना’ हौतइ रार।
जब दो में से काउ कौ, अच्छौ हौ सिंगार।।
--000--
30-विषय - ‘पन्नी’
पन्नी फेंकत बायरैं, ढ़ोर बछेरू खात।
‘राना’ हजम न कर सकैं, बिना मौत मर जात।।
थैला खौ भूलै सबइ, पन्नी भइ अनुकूल।
इतै उतै सब डार दें, ‘राना’ करबैं भूल।।
पन्नी भी गलती नईं, ‘राना’ बिखरी रात।
बातावरण बिगारतइ, सरकारें समझात।।
सबइँ जनै अब छौड़ दौ, पन्नी कौ उपयोग।
‘राना’ यह तौ हौ गई,अब समाज खौ रोग।।
थैला लैकैं निग चलौ, लैनें हौ सामान।
‘राना’ का कैबौ इतै, सबइ दीजियौं ध्यान।।
पन्नी कक्का कात है, पन्नी ना तुम ल्याव।
पैक तमाकू काय में, आबै हमें बताव।।
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31- ‘गदिया’ (हथेली)
गदिया पै फरतइ नहीं,‘राना’ कौनउँ आम।
झट्ट पट्ट में सट्ट सै, बिगर जात सब काम।।
‘राना’ गदिया मीड़तइ, छूट जाँय जब काम।
पछताबौ हौतइ बहुत, चूँस न पायै आम।।
पढ़त लकीरें लोग है, ‘राना’ गदिया थाम।
पर किस्मत खौं कौ पढ़ै, जौ लिखतइँ है राम।।
नौनें हौबें जब करम,टूटै नहीं लकीर।
‘राना’ गदिया में बसै, न्याय धरम कौ नीर।।
गदिया उतै लगाइयौ, ‘राना’ हौ शुभ छाप।
जितै हौत थौरौ गलत, छूना लइयौ आप।।
धना कात ‘राना’ सुनो, गदिया आज खुजात।
जैसै रुपया तुम अबइँ, दैबैं हमखौ आत।।
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32-विषय - चिलकत (चमकता)
भारत भी चिलकत रयै, ‘राना’ मंशा आज।
सब लौगन के काम से, आय राम कौ राज।।
चिलकत ‘राना’ आदमी, नियत रखै जो साफ।
खौटोंपन उतरात है, कोउ करत ना माफ।।
नेता चिलकत से लगैं, जीतैं अगर चुनाव।
हारे करिया से लगत,‘राना’ मिलत न भाव।।
चिलकत मन उनकौ सदा, भजन सदा जो गाँय।
‘राना’ रातइ मस्त हैं, फल भी नौनों पाँय।।
चिलकत रहियौ सब इतै, लिखियौ अक्छर चार।
हिलै-मिलै ‘राना’ रयैं, करैं पटल सिंगार।।
हम तुम सब चिलकत रयैं, हृदय भाव मजबूत।
‘राना’ नौनों लिख चलैं, बनें शारदा पूत।।
धना आज चिलकत दिखी, ‘राना’ कर सिंगार।
बोली जा रय मायकै, तुम तकियौ घर द्वार।।
--000--
(नोट-इसका उच्चारण मात्रा भार ( चिल़कत=दो ़दो है, इस शब्द से यति और पदांत नहीं हो सकता है, अतरू ऐसे शब्दों का प्रयोग प्रारंभ और मध्य में किया जाता है।)
--000--
33- विषय - ‘ठूँसा’ (मुक्का)
हल्कौ ठूँसा मित्र जब, बैठ बगल में देत।
‘राना’ गड़बड़ हो रयी, करतइ उतै सचेत।।
दुश्मन ठूँसा मार दे, भौत अखर तब जात।
चार जनन के बीच में,‘राना’ बौ कुल्लात।।
पत्नी ठूँसा गुच्च कै, अपनौ प्रेम जतात।
‘राना’ इतनौ जानतइ, मन सबकौ मुस्कात।।
बातें भी खोटीं खरीं, ठूँसा-सी लग जात।
भौत आसतीं भीतरै, राना’ कैं ना पात।।
ठूँसा हूँका कौ घलै, थुथरी चपटी हौत।
बिन मतलब की जौ बकै,‘राना’ गारी भौत।।
साली ठूँसा तानरइ, ‘राना’ से नाराज।
जिज्जी काम करात है, दै दैकैं आबाज।।
मुस्की दे ठूँसा दिखा, धना गई है हेर।
‘राना’ मंजन कर खुपड़, समझ न पा रय फेर।।
--000--
34-बिषय -‘कानात’ (कहावत)
सुन ‘राना’ कानात खौं, हो गय भौत सचेत।
कितनउँ कौलू में पिरै, तेल न देबै रेत।।
‘राना’ कयँ कानात खौं, सुन लौ भइया मोय।
अनजानौ फल ना चखौ, चाय मुफ्त कौ होय।।
कमरा-कमरा गाँठ कौ, ‘राना’ हौत न खेल।
साँसी यह कानात है, हौत न इनमें मेल।।
बेर-बेर कौ टौंचना, कभउँ न पालौ आँग।
‘राना’ यै कानात है, रखौ बचाकर जाँग।।
टेड़ौ हौबै आदमी, जब करबै बतकाव।
कैबें तब कनात है, ‘राना’ करौ बचाव।।
धना कात कानात खौं, ‘राना’ सुन रय ग्यान।
घर में खाबै होय तौ, सौव पिछौरा तान।।
--000--
35-विषय-‘पैचान’(पहचान)
‘राना’ कौनउँ बात से, जुरत कितउँ है ठट्ट।
नेता तब पैचान खौं, घुस आतइ हैं झट्ट।।
जिनकै ऐंगर हौत है, बातन कौ भंडार।
‘राना’ बौ पैचान रख, बनतइ लम्मरदार।।
प्रभु के चरनन हम रयैं, ‘राना’ सरल उपाय।
दीन दुखी पैचान कै, उनकै बनौ सहाय।।
ऐंगर हरदम ही रयै, ‘राना’ श्री हनुमान।
राम प्रभू के खास है, जग में यह पैचान।।
बड़ी अगर पैचान हौ, कभउँ न राखौ दम्भ।
वरना ‘राना’ एक दिन, चित्त पटा हौं खम्भ।।
उँगुली से कत है धना, ‘राना’ रव चुपचाप।
गुइयाँ है पैचान की, घर से खिसकौ आप।।
--000--
36-विषय - ‘उजड्ड’
जब उजड्ड ‘राना’ मिलै, निगौं बरक कै आप।
बैमतलब की खाज है, लै ना बैठौ छाप।।
सुदरै नईं उजड्ड भी, लरबै ठाड़ौ रात।
पतौ न ‘राना’ चल सकै, कब दै बैठै घात।।
कत उजड्ड खौं कौउ भी, तनक न समझा पात।
उठा लैत है लठ्ठ खौं, ‘राना’ गुस्सा खात।।
हौ उजड्ड जब सामनें, करौ नईं बतकाव।
‘राना’ मंजन हौ खुपड़, मन कै बिगरैं भाव।।
ढौरन में गिनती करौ, ‘राना’ जितै उजड्ड।
गटा सींग से है लगत, लरबै बनतइ मुड्ड।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, बजे शकल पै तीन।
बिखरै बाल उजड्ड-से, कौउ न पा रव चीन।।
--000--
37-बिषय:- ताठी
टाठी तकी गरीब की, देखो उनकौ नाज।
‘राना’ कैसौ खात है, कातन आबें लाज।।
घौरत सतुआ नाम पै, बें बिरचुन कौ ढ़ेर।
‘राना’ टाठी में धरै, लडुआँ उसले बेर।।
टाठी में सब खात है, टाठी करें न भेद।
कछू जनै पत्तल समझ, करतइ ‘राना’ छेद।।
टाठी भरके ईश खौ, सबइ लगातइ भोग।
‘राना’करतइ कामना,मिटै जगत से रोग।।
‘राना’ टाठी हौ भरी, रखियौ ईसुर लाज।
दीन दुखी सब देखियौ, करियौ उनके काज।।
--000--
38-विषय-धिंगानों(लड़ाई झगड़ा)(शब्द भार-6)
अब धिंगानों कछु जनै, करकैं टारै काम।
मन की धन ‘राना’ करैं, तबइँ मिलै आराम।।
संसद में ‘राना’ तकैं, जब धिंगानों होय।
कीसें कौ अब कात है, समझ न आबैं मोय।।
सरकारी पइसा बँटौ, है धिंगानों यैन।
छौटन कौ पायैं बड़े, सौ ‘राना’ बैचैन।।
इक धिंगानों हम कयै,‘राना’ तकी बरात।
किलकिल हुई दहेज पै, चल गय जूता लात।।
कल धिंगानों मच गयौ, ‘राना’ गय पंच्यात।
मुड़ियाँ जब फूटन लगीं, भगै सबइ चिल्लात।।
अब धिंगानों हौय ना, करौ प्रेम से बात।
खेंचातानी से सदा, काज बिगर सब जात।।
तुम धिंगानों नइँ करत, धना प्रेम से कात।
सौ ‘राना’ हम साड़ियाँ, लायै आज बिलात।।
--000--
39-विषय-इत्ती-सी (थोड़ी-सी,तनक-सी)
इत्ती-सी ‘राना’ कयैं, जुरै इतै जौ पंच।
मिल जुरकै ऊँचै करौ, जय बुंदेली मंच।।
इत्ती-सी ‘राना’ सुनौ, चिमाँ जाँव सुन बात।
सामैं बारौ भाग जै, जौन खुपड़िया खात।।
बस इत्ती-सी बात थी, धजी बना दवँ साँप।
‘राना’ लरबै बें फिरै, लठ्ठ काँखरी चाँप।।
इत्ती-सी धर माँउदी, पूरौ पुरा बुलाँव।
‘राना’रच लौ हात खौ, कोउ नईं सकुचाँव।।
इत्ती-सी जब बात है, आगैं काय बढ़ात।
कुठिया में गुर फौर लौ,‘राना’ भी समझात।।
इत्ती-सी मिरचैं हतीं, दइँ चटनी में हूँक।
फिर ‘राना’ से कत धना, काय काड़ रय फूँक।।
--000--
40-विषय-‘शिक्षक’
शिक्षक देते है सदा, ‘राना’ वह सौगात।
जिससे जीवन में सदा, रहे ज्ञान बरसात।।
शिक्षक का सम्मान भी, करिए देव समान।
‘राना’ कहता पूज्यवर, पाकर उनसे ज्ञान।।
जीवन भी रहता सरल, रहते उच्च विचार।
‘राना’ शिक्षक का सदा, मत भूलें उपकार।।
पाँच सितम्बर है दिवस,अब शिक्षक के नाम।
‘राना’ करता है यहाँ, सादर उन्हें प्रणाम।।
राधा कृष्णन हो गये, भारत प्रमुख प्रधान।
‘राना’ जिनके नाम से, शिक्षक दिवस महान।।
पति-पत्नी ‘राना’युगल, है शिक्षक हर हाल।
गले मिले सम्मान से, माला भी दी डाल।।
--000--
41- विषय- ‘कूका’
भुन्सारे से शाम तक, जो कूका ही देत।
‘राना’ ठलुआ जानियौ,चैन सबइ हर लेत।।
‘राना’ कूका बै दयै, फारै डारत कान।
बनकै जिंदा भूत अब, खातइ नेता प्रान।।
छाती पै कूका दयैं, लोग कात जा बात।
‘राना’ मतलब जानियौ, ऊदम नईं पुसात।।
चार दिना ना आन भय, बउँ दै रइ खरयाट।
‘राना’ कूका सब सुनै, नकै बड़ेरै ठाट।।
कूका दैके ताँस रइ, ‘राना’ घर कै मौन।
कौ अब बउँ कै मौ लगै, दिखत तमासे जौन।।
कूका दे रय काय खौ, धना कात यह आन।
जौ चानै सौ ढूँड़ लौ,‘राना’ खाव न प्रान।।
--000--
42-विषय-‘चैंथी’
जिनसे करकै दोसती, बचैं न चैंथी बार।
‘राना’ रानें दूर है, करकैं उनै जुहार।।
उरजट्टन से बीदबौ,‘राना’ कीखौं भात।
आबड़ में जब बीदतइ, चैंथी उतइँ कुकात।।
चैंथी कौलत काय खौं, ‘राना’ कोई कात।
बकबक करबै जो लगै, बै भी चुप हौ जात।।
चैंथी पूरी चिथ गई, बचै न येकउँ बार।
‘राना’ ऐंगर बैठकैं, रय असुआँ बै ढार।।
चैंथी पै ना दो चढ़न, ‘राना’ कौनउँ घात।
हातन से निपटाय दो, बढ़ै न आगैं बात।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, चैंथी लैउ बचाव।
ठलुआँ ठाडैं बायरै, करबै खौ बतकाव।।
--000--
43-विषय-‘टिया’ (अवधि)
टिया चूक गवँ साव कौ, ‘राना’ बढ़नै ब्याज।
मौ खौं फिरत दुकात है, आ रइ उनखौं लाज।।
टिया काउ खौं दैव जब, दइयौ सोच विचार।
पूरौ बचन निभाउनै,‘राना’ रवँ तैयार।।
लोग बाग ‘राना’ कहत, जितै टिया में चूक।
सुनकै बातें चार ठौ, परै गुटकने थूक।।
नईं टिया पै हौत जब,‘राना’ कौनउँ काम।
लोग-बाग झल्लात है, भुन्सारे से शाम।।
‘राना’ दैके भी टिया, लोग भूल जब जात।
मिलत उरानें हूँक कै, कत हैं कर दइ घात।।
--000--
दुमदार दोहा:-
धना गई है मायकै, दे गइ टिया बुलाँय।
हरदी खिलबै ब्याव में, ‘राना’ तुमै पुजाँय।।
पतौ ना कैसौ पुजने।
बता दौ भइया अपने ।।
--000--
44-बिषय-अस्नान दिनांक- 29-4-2023
करत सबइ अस्नान है, फिर पूजा खौ जात।
ईसुर के दरसन करत, ‘राना’ भोग लगात।।
जातइ है जब मरगटा, मुरदा जितै जलात।
करत लौट अस्नान है, फिर घर ‘राना’ आत।।
गंगा में अस्नान से, सबइ पाप कट जात।
पुन्य मिलत ‘राना’ कहत, पौथीं यै बतलात।
बुड़की के अस्नान में, तिली बदन चिपकात।
रगड़-रगड़ ‘राना’सबइ,तन कौ मैल छुटात।।
मन की गंगा है बड़ी, चंग करौ अस्नान।
‘राना’ रखियौ साफ पर, करबैं खौं कल्यान।।
--000--
45-विषय-ठाँड़े बैठे (बिना काम के,बेवजह)
ठाँड़े बैठे ना करौ, कौनउँ घटिया काम।
‘राना’ कौ कैबौ इतै, नइँ हौने बदनाम।।
ठाड़ै बैठें गट्ट लइ,‘राना’करौ न ध्यान।
उनै बुला कै आय घर, जौ कौलत है कान।।
ठाँड़े बैठे हर जगाँ, भजौ राम कौ नाम।
‘राना’ लग जै लाग भी, पाने हरि कौ धाम।।
खात दुलल्ती बै सदा,‘राना’ बिगरत मूँछ।
ठाँड़े बैठे ले पकर, जो गर्दभ की पूँछ।।
ठाँड़े बैठे लग गई, उनके हाथ बटेर।
अब ‘राना’ उनखौं तकत,यैड़त देर सबेर।।
ठाँड़े बैठें कत धना, ‘राना’ कर लौ काम।
चलौ नाक की सूद में, हाथ हमारे थाम।।
--000--
46-तरी (भेद,रहस्य,गहराई)
तरी लैन बै आयतै, भुन्सारे से आज।
‘राना’ है कीकी तरफ, कितै समारै काज।।
लैबें खौ ‘राना’ तरी, आ गय माते दोर।
किते वोट तुम डार रय, जा रय किसकी ओर।।
बातें रयै मठोल है, घौटन हमखौं चात।
तरी हमारी जानबें,‘राना’बै पुटयात।।
तरी जौन की खुल गई, ‘राना’ बौ हकलात।
मुंडी खौं नैचें करै, धरती रत कुलयात।।
‘राना’ कौ कैबौ इतै, तरी रखौ मजबूत।
टुकलौ भी ना कर सकै, आकै कौनउँ पूत।।
धना कात मोरी तरी, गुइयाँ लैबै आँइँ।
‘राना’ उल्टौ हौ गयो, दैकें गइँ परछाँइँ।।
--000--
47- विषय -‘कागौर’
‘राना’ कउवाँ खौं इतै, कैसें कयैं अछूत।
खाबें जब कागौर बौ, है पुरखन कौ दूत।।
‘राना’ पुरखा है पुजत, श्राद्ध पखा हर भौर।
भोज बना के है रखत, छत पै सब कागौर।।
नौनीं सब यह लीक है, बनी रयै आबाद।
‘राना’ रख कागौर खौं, पुरखा करतइ याद।।
मालपुआ ‘राना’ लुचइँ, खीर बनत है भौर।
पुरखा आबें काग बन, खूब चखत कागौर।।
कउवाँ है यमराज का, जानों यहाँ प्रतीक।
खाकर वह कागौर खौं, पुरखन तक दे लीक।।
धना गई छत पै धरन, पत्तल में कागौर।
काँव-काँव पुरखा करैं, काँबैं कम है कौर।।
--000--
48-विषय-‘बिर्रा’
बिर्रा रोटी खाय जौ, सई हाजमा रात।
जठर अग्नि भी तेज हो,‘राना’ सबसे कात।।
चना मिलत जब गेउँ में, ‘राना’ ताकत देत।
ईकी यह तासीर है, उदर रोग हर लेत।।
बिर्रा रोटी जब बनें, मन से जो भी खात।
स्वाद महक साजौ लगे, ‘राना’ साँसी कात।।
बिर्रा रोटी जब बने, और भटा की साग।
‘राना’ कैंथा हो बँटौ, थरिया लगत पराग।।
‘राना’ बिर्रा नाज की, रख लो मन में छाप।
औसर पै खाबै मिले, नईं चूकियौ आप।।
धना कात ‘राना’ सुनो, कऔ येक-सी बात।
बिर्रा से बतकाव से, काय मूड़ तुम खात।।
--000--
49-विषय-ठगिया (ठगने वाला)
ठगिया जब आबड़ बिदै, करतइ भौत थराइ।
‘राना’ सबरै देखतइ, ऊँकी जगत हँसाइ।।
ठगिया भी ‘राना’ तकैं, हौतइ फितरत बाज।
हाथ साफ यैसौ करैं, चपौ रात है राज।।
ठगिया की भी गैल से, ‘राना’ निकर न पात।
गुरयाई-सी बौलकैं, सबखौ खुदइँ बुलात।।
ठगिया से हो दौसती,‘राना’ भौत डरात।
छींटा ऊपै बाद में, पैंलाँ हम पै आत।।
दमदौरा भारी दयै,‘राना’ कै नइँ पात।
ठगिया से भैरौ परैं, अकल न कामै आत।।
‘राना’ तुम ठगिया लगत, धना हमारी कात।
अपनी बातन से सदा, हमखौं खूब ठगात।।
--000--
50-विषय-गरे गौं’
आज गरे गौं पर गई, जिनै तनिक पुटयाव।
घर में आकै कात है, ‘राना’ खाबै लाव।।
लिपट गरे गौं तास रइ, उनकी अब पंच्यात।
कैसें हौबें फैसला,‘राना’ मुड़ी पिरात।।
उनकौ मौं चउँअर चलौ, खूब दऔ खरयाट।
ब्याद गरे गौं पर गई, ‘राना’ जुर गइ हाट।।
ब्याद गरे गौं जानियौ, कभउँ न साजी होय।
‘राना’ जीखौं है लगत, मुड़िया पकरै रोय।।
चमचा देखे येक दिन, परत गरे गौं यैन।
सबरै काम नसात है, हौत भौंत है ठैन।।
धना कात ‘राना’ सुनो, बिदी गरे गौं आन।
झूट कयी नइँ जाव जू, सो रुक गय मैमान।।
--000--
51- विषय-टूँका( टुकड़ा)
टूँका रावन के भयै, ‘राना’ गिरकै अंग।
लंका जरकै खाक भइ, फीके पर गय रंग।।
गटा भले ही दो दिखें, नजर एक पर रात।
‘राना’ देखत पारखी, कत टूँका में बात।।
टूँका-टूँका देश कै, करबें की जौ कात।
उनखौं ‘राना’ दो सबक, जो भी हाथ उठात।।
टूँका-टूँका जब जुरै, मिलकै कछु बनात।
‘राना’ उनखौं देख कै, मन सबकौ मुस्कात।।
घर कै टूँका जौ करै, करत प्रेम पै घात।
‘राना’ साता दूर रत, फिरत दिखैं भैरात।।
टूँका उन्ना हौतनन, धना उनै गुड़यात।
साफ सफाई जब चलै,‘राना’ खौ पकरात।।
--000--
52-विषय-उल्टौ (विपरीत)
उल्टौ चलकै जौ सदा, ‘राना’ करतइ काज।
एक दिना घर बैठतइ, और खुजातइ खाज।।
उल्टौ देत जवाब जौ, सुनकै सूदी बात।
‘राना’ उनकी देखतइ, भिनकत है पंच्चात।।
‘राना’ उतै न जाइये, लैकें कछू सलाह।
उल्टौ बिच्छू हो चढ़त, रत हौ लापरवाह।।
सबइ जनै अब दूर रयँ, जिनकौ उल्टौ काम।
‘राना’ उनसै भूल कै, करियौ नईं सलाम।।
उल्टौ चढ़ रवँ भूत है, ‘राना’ पढ़बै मंत्र।
जिंदा में जौ चाँट गवँ, नेता बन गणतंत्र।।
दुमदार दोहा:-
धना कात ‘राना’ सुनो, उल्टौ ना चिचयाव।
मौइ मताई आ रयी, तुम सूदै हौ जाव।।
यैड सब भीतर रखियौ।
सास लौ हाँ हाँ कहियौ।।
--000--
53-विषय-दच्च
‘राना’ बचियौ दच्च सैं, करौ सवँर कै काम।
भलै बुरै सब चीनियौ, लैकें प्रभु कौ नाम।।
दच्च लगत ‘राना’ जितै, भौत अखर भी जात।
आँसत है वह रात दिन, नईं धरौ रख पात।।
संगत के आधार पै, दच्च मिलै या दाम।
‘राना’ दुख-सुख जैइ है, भुन्सारे से शाम।।
दच्च हमेशा खात है, ‘राना’ पाकिस्तान।
भारत से जब भी लरत, बनतइ बुदुआँ आन।।
दच्च लगै से लौ सवँर, ‘राना’ सबसैं कात।
जौ सवँरै ना चोट खा, बौ फिर खट्टौ खात।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, दच्च नईं लग पाय।
साफ सफाई खुद करैं, दीवाली जब आय।।
--000--
54-विषय-मइया पूजैं
मइया पूजैं सब जनै, नवदुरगा जब आँय।
बुबत जबारै दिन प्रथम,‘राना’ मन खौ भाँय।।
मइया पूजैं कर हवन, अठबाई का भोग।
जाकै सबइ चढ़ात है, ‘राना’ नौनें योग।।
मइया पूजै नारियाँ, करती गरबा आन।
और खिलत है डाँडिया, ‘राना’ गाबै गान।।
मइया पूजै लोग भी, झंडा लाल चढ़ात।
‘राना’ फौरत नारियल, खूब प्रसादी पात।।
अंतिम पूजा हौ नमै, नवदुरगा त्यौहार।
मइया पूजैं सब जनै,‘राना’ हो जयकार।।
--000--
55 विषय-न्योरे-(झुककर)
‘राना’ न्योरे हम गयै, जितै हतै तै संत।
प्यारी बानी सै लगै, हमखौं तौ भगवंत।।
गुनी मुनी सच्चै मिलैं, और वीर विद्वान।
न्योरे ‘राना’ तब रयैं, देखत खेत किसान।।
उननौ न्योरे ना करौ,‘राना’ जितै घमंड।
यैसन सै मौं फैर कै, उनै दैव सब दंड।।
न्योरे भी साजै लगै, हौय भलै की बात।
पर लम्पा की यैड़ नौ, रुकौ न ‘राना’ कात।।
करौ निहारौ खूब सब,न्योरे करते जाव।
पर यैड़ा कुंठित रयै, तुम कितनउँ पुटयाव।।
न्योरे ‘राना’ येक दिन, गयै धना पुटयान।
ज्यौं पुटयाबै प्रेम सै, त्यौं डिड़याबै आन।।
--000--
56-विषय- डाँड़ (जुर्माना)
जिनखौ लग गवँ डाँड़ है,‘राना’ जाऔ चेत।
कछू गलत हमसे भयौ, कारौ और सपेत।।
दै आयै जौ डाँड़ है, कट गवँ है चालान।
‘राना’ उनसे कात है, आगें दौ अब ध्यान।।
गलती पै गलती करै, लगे डाँड़ पै डाँड़।
‘राना’ उनखौ जानियौ, बिना नाथ कौ साँड़।।
डाँड़ भरै से हौ शरम, करौ न ऐसे काम।
गलत काम ‘राना’ सदा, करत भौत बदनाम।।
डाँड़ भरै से है लगत, भयौ गलत कछु काम।
इज्जत में बट्टा लगत,चर्चा हौत तमाम।।
डाँड़ धना अब दैत है, कत जाऔ इसटैन्ड।
बाई मौरी आ रयी, ‘राना’ करौ अटैन्ड।।
--000--
57-विषय-नब्दा (रौब गाँठना)
‘राना’ नब्दा पैलबौ, भौत सरल है बात।
करौ सदा उपकार खौ, दौ सबखौ सौगात।।
नब्दा पैलन जब चलै, भइया मूसर लाल।
उल्टौ उदरौ चामरौ,‘राना’ फूलै गाल।।
नब्दा उनके है गठत, मानत उनकी बात।
जिनकी ‘राना’ है सरल, पूरी भलमनसात।।
नब्दा भारत कौ दिखै, घूमौ जरा विदेश।
‘राना’ सब सम्मान दै, दिखतइ नईं किलेश।।
नब्दा उनपै है चलत, दबै चपै जौ हौंय।
दाँत निपौरैं सब जगाँ,‘राना’ बैठैं रौंय।।
‘राना’ नब्दा पैलतइ, धना रात नाराज।
कत टैरे पै नइँ सुनत, तुम मेरी आबाज।।
--000--
58 -नटवा -(छोटा बैल)
लरका ज्वानी दैख कै, ‘राना’ घर कै कात।
ई नटवा खौं नाथ दौ, डारौ फेरे सात।।
कूदै नटवा सार में, घर कै सब मुस्कात।
बौ भी थुतरी दै रगड़, ‘राना’ नाक खुजात।।
नटवा घर में हौय दो, ‘राना’ कतइ किसान।
बैलन की जोड़ी बनै, खेतन कै मैदान।।
नटवा अपनै सींग खौ, भौतइ रात खिलात।
‘राना’ पेंच लड़ान खौ, अपने सींग फसात।।
नटवा की ‘राना’ कयैं, हौय जितै दो चार।
लरका हौ या बैलबाँ, दैतइ भौत दिमार।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, नटवा जीकौ पूत।
बौ तौ जा कै ब्याब की, लैबै कितउँ भभूत।।
--000--
59-बिषय-गों में (मन में)
जिनने गों में दे लई, कौनउँ सुन कै बात।
‘राना’ जब अटकौ परै, पूरी गुर्र भजात।।
गों में आकै हैं भरत, कौनउँ चुभते बोल।
‘राना’ बनत गुड़ैल बैं, हौत रार को डोल।।
शूपनखा की नाक ने, गों में दे लइ बात।
कान भरे रावण लिगाँ, ‘राना’ भव आघात।।
गों में ठानै लोग भी, बनतइ करिया नाग।
दुसमन खौं डसबै फिरै,‘राना’ लैकें झाग।।
तिरिया गों में देत जब, आ जातइ तूफान।
‘राना’ उगलत देर से, हिलतइ सबइ मचान।।
गों में दैकें है धना, फुला रयी है गाल।
‘राना’ जौरे हाथ है, उगलत नईं सवाल।।
--000--
60- विषय-मौनिया’
बुंदेली दल मौनिया, है भौतइ मशहूर।
खेलत ‘राना’ लै डड़ा, जोश भरें भरपूर।।
किशन सखा सबरै बनै, मौर पंख लैं धार।
कम्मर ‘राना’ गलगली, बनें मौनिया यार।।
कथा मिलत ‘राना’ सुनत, जब गइयाँ छिप जाँय।
किशन हौत तै मौनिया, ग्वाले खौजन आँय।।
खेलत बनकै मौनिया, ‘राना’ भक्ती रूप।
परमा हो गइ पुन्य है, सबखौ लगत अनूप।।
बारह बरसौ मौनिया,जौन युवक बन जात।
गोवर्धन ही पूजकै, ‘राना’ डड़ा सिरात।।
--000--
61-दाँद (बहुत गर्मी)
‘राना’ हौतइ दाँद जब, टंटे तक लौ जात।
कौउ काउ की ना सुनै, उड़ी धूर है खात।।
दाँद मचाबौ है सरल, शांत करत ना कोउ।
‘राना’ सब उकसात है, लरबै बारे दौउ।।
माते जानौ है प्रथम, दैत गाँठ खौं बाँद।
‘राना’ फिर उसकार कै, खूब मचातइ दाँद।।
दाँद मचत है जब जितै,‘राना’ हौत न शांत।
कौउँ सुनत ना काउँ की, धरै रहत दृष्टांत।।
दैत दाँद अरु दौदरा, दारू खौरा यैन।
‘राना’ अब उनकै घरै, कौउ न जातइ कैन।।
धना मचा रइ दाँद है, ‘राना’ मुड़ी कुकात।
समझ न आ रइ बात है, कायै पै झल्लात।।
--000--
62-विषय-बिरमा (ब्रम्हा)
मुड़ी झुका ब्रम्हा परम, ‘राना’ करत प्रणाम।
कात पितामा भी उनै, आदर से लै नाम।।
सबइ प्रजापति देव है, ब्रम्हा जू के पुत्र।
‘राना’ रचना विश्व की, जिनने करी पवित्र।।
चार मुखी ब्रम्हा बनै, सबइ दिशा खौ देख।
‘राना’ वेद पुरान में,यैसौ मिलतइ लेख।।
तीन प्रमुख भगवान है, ब्रम्हा विस्नु महेश।
‘राना’ इनखौ जो भजत, हटतइ सबइ किलेश।।
दिखतइ बुजरक वेश में, ब्रम्हा जू है नाम।
बिटिया उनकी शारदे,‘राना’ करत प्रणाम।।
बाकी सबरै देवता, नाती है कैलात।
‘राना’ ब्रम्हा पूज कै, सबइ पितामह कात।।
धना कात राना सुनौ, तुमै काम नइँ आत।
घर के बस ब्रम्हा बनै, सबपै हुकम जमात।।
--000--
63- इंदर (इंद्र)
देवराज इंदर बड़े, ‘राना’ जानत नाम।
असुर सदा इनसे जरत, और करत संग्राम।।
‘राना’ सुख बगरौ रहत, इंद्र करैं ना योग।
सुरग लोक में बैंठ कै, भोगत सबरै भोग।।
बृषपति इंद्रन में सुने ‘राना’ गुरु मराज।
इंद्र बिगारत हाल जब, यैइ समारत काज।।
पानू जब बरसाव तौ, इंद्र देव ने आन।
गौवर्धन से श्याम ने ‘राना’ टौरौ मान।।
मानी हौकैं इंद्र जब, ‘राना’ करतइ हान।
तब त्रिदेव चेतात हैं, भंग करत सब मान।।
‘राना’ से कातइ धना, इंद्र सनम तुम आव।
खैप धरी खाली घरै, ऊमै जल बरसाव।।
--000--
64 -विषय-भोले (भोला,शंकर जी)
‘राना’ पौतें राख हैं, लयै हात तिरशूल।
गरै डरै रुद्राक्ष हैं ,जैसे हौ बै फूल।।
‘राना’ धूनी है जमी, भोले रत कैलाश।
जटा जूट में गंग है, चंदा भरत उजास।।
भोले जाबै खौ कितउँ, रखैं नादिया बैल।
भूत भुतैयाँ मंडली, साफ करत है गैल।।
धरती पै ‘राना’ दिखैं, बारा ज्यौतिरलिंग।
महिमा भोले की उतै, बगराती नव रंग।।
डमरू भौले कौ बजै, नृत्य तानडव हौय।
कछू हुई अब बात है, ‘राना’ लगतइ मौय।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, तुम भोले के भक्त।
भंग चढ़ा मम सामने, काय लगा रय गस्त।।
--000--
65- विषय- ‘बैठका’
जितै बैठका में सदा, बैठक लोग लगात।
चाय पान चलतइ रहत,‘राना’ करतइ बात।।
कौन बैठका में भई, चार जनन की बात।
‘राना’ निरनय का भयौ, सुनबौ सारै चात।।
सरपंचन कै बैठका, सदा रात गुलजार।
‘राना’ सबखौ है लगत, जैसै हौ दरबार।।
पुजतइ ‘राना’ बैठका, जितै न्याय की बात।
पंचायत करवान खौ, दौइ दलन कै आत।।
लौंग लायची पान भी, मिलै तमाकू चिल्म।
‘राना’ दैखत बैठका, राखत स्वागत इल्म।।
पुज रवँ तुमरौ बैठका, धना गई मुस्काय।
‘राना’ स्वागत सूँट कै, कविता रयै सुनाय।।
--000--
66-विषय-गौंड़ बब्बा
कात गौंड़ बब्बा सबइ, परतइ उनकै पाँव।
‘राना’ हौतइ चैतरा, बुंदेली हर गाँव।।
दैत गौंड़ बब्बा जितै, अपनी चरन भभूत।
‘राना’ मातायै कहत, सुखी रात तब पूत।।
धनी गौंड़ बब्बा सबइ, ‘राना’ मिलत प्रभाव।
समझें इनखौं गाँव कै, यह है राजा राव।।
इनकी पूजा जौ करै, ‘राना’ परकैं पाँव।
कृपा गौंड़ बब्बा मिलै, सुखी रात है गाँव।।
भरै गौंड़ बब्बा जियै, उयै घौलना कात।
गाँवन गाँवन चैतरा, ‘राना’ मुड़ी नवात।।
--000--
67- विषय-ऊपर वाला (ऊपर वाले)
ऊपर वाला जानता, ‘राना’सबके कर्म।
किसके कैसे आचरण, कैसा करता धर्म।।
नैन भले ही दो रखो, रहे दृष्टि पर एक।
ऊपर वाला मानिए, ‘राना’ जो है नेक।।
ऊपर वाले की सदा, लीला अपरम्पार।
‘राना’करता न्याय है, और उचित व्यौहार।।
ऊपर वाले ने यहाँ, ‘राना’दिया प्रकाश।
पर मानव करता सदा, अपना स्वयं विनाश।।
ऊपर वाले पर सदा, ‘राना’ रख विश्वास।
कर्म सभी अच्छे करो,मन में रखो उजास।।
--000--
68-विषय-गुनताड़ौ(उधेड़बुन)
गुनताड़ौ सब गवँ निपुर, ‘राना’दैखत हाल।
तनबै बारन की दिखत, अब लूली है चाल।।
गुनताड़ौ जाँदा करै ,बौइ हौत है फेल।
बैठौ मुड़ी खुजात रत, ‘राना’ छूटत रेल।।
गुनताड़ौ अच्छौ करौ, पर ना करियौ देर।
नाँतर सिंघा छौड़ कै,‘राना’मिलै बटेर।।
गुनताड़ौ भी सब करत,‘राना’ जानत बात।
पर इतनी भी ना करौ, जितनी नइँ औकात।।
दौइ पलीतन देत है, ‘राना’जौ भी तेल।
गुनताड़ौ खट्टौ रयै, बिगरत सबरौ खेल।।
धना कात ‘राना’सुनौ, गुनताड़ौ सब छौड़।
आटौ चक्की पै धरौ, लै आऔ तुम दौड़।।
--000--
69- विषय-पुटैया
जितै पुटैया ज्ञान की, ‘राना’ खुलबै रोज।
संत रात जानौ उतै, बाँटैं भक्ती ओज।।
बँदी पुटैया लाख की, खुली धूर के मोल।
‘राना’रखियौ चाप कै,खुलन न दइयौ पोल।।
जितै पुटैया में दिखैं, गाँठ लगी दौ चार।
‘राना’ जानौ है कछू, गानौं या कलदार।।
लोग पुटैया बाँद कै, ‘राना’ मुस्की लात।
सबरै सौचत माल है, चार जगाँ बै कात।।
कत है दद्दा साव जू, ‘राना’ नँईं उधार।
ल्याव पुटैया नाज की,या घर से कलदार।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, लैव पुटैया बाँद।
चलै चलौ ससुरार तुम, नौनें उन्ना धाँद।।
--000--
70-विषय-लच्छन (लक्षण)
‘राना’ लच्छन सीख लौ, साजै हौ दौ-चार।
मन की खलती में रखौ, करौ खूब उपकार।।
तकुआँ टेड़ौ हौय ना, यैसी करियौ बात।
‘राना’ लच्छन सइ रयैं,तब सब नौनों कात।।
‘राना’ हम पढ़बै गयै, सीखै लच्छन चार।
जीवन की गदबद तकी, जैइ लगै तब सार।।
‘राना’ लच्छन काम दैं, साजै जब बै हौंय।
बिगरै काम सँमार कै, दुक्ख दर्द सब खौंय।।
लच्छन की पूजा दिखत, बिगरै दैतइ घात।
‘राना’ ई संसार में, जैइ सुनी है बात।।
मटक कँदैला है निगत, गोरी अपनी गैल।
कातइ लच्छन है बुरय, ‘राना’ के मन मैल।।
--000--
71- विषय-उदना (उस दिन)
‘राना’ उदना भी तुमै, कौउ न दै लै हाथ।
जिदना जानै राम घर, निज करमन के साथ।।
उदना‘राना’ बैठ कै, हौजै सई हिसाब।
ऊकै पैलउँ बाँच लौ, नौनीं राम किताब।।
उदना की जिद ना करौ, उदना कभउँ न आय।
अबइँ सबइ निपटाय लौ, ‘राना’ कै कै जाय।।
उदना देखौ कौन नें, कौन घरी कब आय।
आज हमें साजी दिखै, ‘राना’ सइ बतलाय।।
उदना कर लै काम हम, जौ ‘राना’ यह कात।
ऊकै जीते जी कभउँ, उदना कभउँ न आत।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, तुम हमसे का चात।
उदना की बातें करत, हँस-हँस के मुस्कात।।
--000--
72- अनमने (उदास)
‘राना’ रत जौ अनमने, कितउँ आत ना जात।
कौनउँ नौनों काम भी, उनखौं नँईं पुसात।।
सब पाकैं भी अनमने, जौ मुख खौं लटकात।
‘राना’ उनकी सब कथा, भिनकी-भिनकी रात।।
राम कथा में अनमने, ‘राना’ जिनकै भाव।
उनकै जीवन में सदा, औंदै परतइ दाव।।
हुयै देव सब अनमने, ‘राना’ बढ़ गय पाप।
विस्नु सै सबरै कयैं, लेव जनम अब आप।।
गोकुल कै भय अनमने, इंद्र भयौ नाराज।
‘राना’ तब पर्वत उठा, कृष्ण समारैं काज।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, हौतइ काय अधीर।
नइँ रानै है अनमने, आज पकी है खीर।।
--000--
73-नाँय (इधर)
नाँय माँय ‘राना’ तकै, दैखत सबकै हाल।
गदा हिरानै से फिरैं, बैढंगी कर चाल।।
अक्कल पै पथरा परे, पर गइ मोटी खाल।
नाँय माँय उनकी दिखत,‘राना’टिड़ुआ चाल।।
इतै नाँय बै लूट गय, माँय पकर गवँ माल।
‘राना’ बिदी गुचैद है, भड़या भयै हलाल।।
नाँय माँय से जब चलै, लैजौरा की फौज।
‘राना’ मुड़ी कुकात तब, नँईं सूझतइ औज।।
बंदरा घर में पालकै,‘राना’ अब हैरान।
नाँय जौरतइ हम इतै, माँय फिकत सामान।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, नाँय धरौ ना पैर।
बाइ माँय मौरी खड़ी, उनकी लै लौ खैर।।
--000--
74 -‘खटका’
खटका भी का चीज है, ‘राना’ सब डर जात।
जब अँधयारी गैल हौ, सबखौं भौत सतात।।
नँईं शेर से डर लगै, पर टपका कौ हौत।
‘राना’ खटका मन उठै, सुनत कहावत भौत।।
छत पै खटका हौत जब, ‘राना’ मन अकुलात।
कारण पूरौ जानबै, घर कै दैखन जात।।
‘राना’ समधी बायरै, कुंडी रयै बजाय।
खुड़कौ सुन खटका भयौ, समदन दौरी आय।।
सटका पौनी सब चलै,अटका भी निपटात।
पर ‘राना’ इतनौ कयैं, खटका कौ डर रात।।
धना कयै खटका पिड़ौ, ‘राना’ आधी रात।
कीसै बर्रोटी दबै, तुम कर रयँ तै बात।।
--000--
75-नऔ (नया)
नऔ साल सबखौं रबै, सुख साता से पूर।
‘राना’ करतइ कामना, अपुन बनै सब नूर।।
जय बुंदेली साहित्य कौ, पटल बनें विश्वास।
नऔ लिखैं सब मित्रगण,‘राना’ मिलकैं खास।।
नऔय पुरानौ हौत है,‘राना’ ईसुर लेख।
ई सै कत रवँ एक सै, आज समय खौं देख।।
हार पहिन ‘राना’ नऔ, गोरी गरौ दिखात।
नइ पिसनारी पीसतन, चुरियाँ खूब बजात।।
‘राना’ जीकौ व्याह हो, नऔ पहिनतइ कोट।
नव हौबैं बंदूकची, लैत कभउँ ना ओट।।
‘राना’ लेखक हौ नऔ, तनिक गलत लिख जात।
मिलत उयै संकेत तौ,तुरत सुदारन आत।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,नऔ पाल लवँ शौंक।
जितै मिलत मौका तुमै, दैतइ कविता छौंक।।
जिनकै घर वाहन नऔ, फुर्र-फुर्र दौड़ात।
‘राना’ पकरै हैनडिल, पीं-पीं करतइ जात।।
--000--
76-गुलगुलो (मुलायम)
‘राना’ को मन गुलगुलो, सबकै लानै रात।
सौचत सब नौनों लिखैं, लैकैं कलम दवात।।
शब्द पढ़ैं जब गुलगुलो,‘राना’ मन मुस्कात।
यैसौ भीतर है लगत, जैसे हौ बरसात।।
लगत गुलगुलो गाय कौ, छोटौ बछड़ा मौय।
‘राना’ पकरै हात से, उयै खिलाबैं सौय।।
हौत गुलगुला गुलगुलो, गुड़ व्यंजन में नाम।
‘राना’ खाकैं देखियौ, सुबह दुपरिया शाम।।
लगै हात में गुलगुलो, छोटौ-सौ खरगोश।
‘राना’ जानै लाड़ बौ, रखतइ इतनौ होश।।
धना कात‘राना’ सुनौ, करौ गुलगुलो काम।
हरी मटर यह छील दो, फिर कर लौ आराम।।
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77-विषय-कोते (बदले)
पूजा जितै पसारबैं, करैं ईश खौं याद।
‘राना’ कोते में मिलत, पत्ता पै परसाद।।
वोटन कै कोते नँईं, कभउँ लीजियौ दाम।
‘राना’ यह अधिकार है, समझौ जौ पैगाम।।
झूठ गवाही छौड़ दौ, ‘राना’ गातइ गान।
कोते में रुपया तजौ, राखौ सब ईमान।।
गइया कै कोते नगद, जौन दैत है दान।
पुन्य उनै कम है लगत, यैसी कत विद्वान।।
काजर कै कोते सुनौ, लुअर न लइयौ आँझ।
गटा चटक जै रामधइ, दिखै सुबह कौ साँझ।।
‘राना’ इस्कूटर मिलै, हती व्याव में आस।
कौते में सूटर लयै, समदी आयै पास।।
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78- बिषय- नँईं /नँइँ( नहीं)
नँइँ में ‘राना’ का धरौ, हऔ कयै में सार।
जितनी बसकी कर सकौ, करौ खूब उपकार।।
नँईं बोल कै चात जौ, फिर सै मौका आय।
‘राना’ मूरख चंद वह, कभउँ न लड्डू पाय।।
नँईं बोलकै हाँ कयैं, मिलतइ इतै तमाम।
‘राना’ यैसै लोग सब, सबइ बिगारत काम।।
नँईं कयी तौ है नँईं, हऔ कयी तो मान।
हाँ ना में जौ झूलतइ,‘राना’ बै नादान।।
नँईं-नँईं माते करत, पाछै हाँ जू कात।
कुठिया में गुर फोर कै, मसकउँ ‘राना’ खात।।
धना कहै ‘राना’ सुनौ, नँइँ सुनने अब बात।
जा रय रैबै मायकै, रानै दिनन बिलात।।
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79- बिषय -सला (सलाह)’
सला सूद अब जा भई, चलौ अजुदया धाम।
जब ‘राना’ बाईस खौं, लला बिराजें राम।।
‘राना’ दे रय सब सला, औसर नौनों आज।
रामलला हम आ रयै, दैव सबइ आबाज।।
दैबै बारै है मुलक, नँईं खौजबै जाव।
‘राना’ सबकी तुम सला, आज उपत के पाव।।
सला दैन में सब निपुड़ ,राम आज है नाम।
‘राना’ दैखत हाल है, बनौ यैकजौ काम।।
‘राना’ नौनीं है सला, जय बोलत श्रीराम।
पीरी डारौ तौलिया, चलो अजुदया धाम।।
सला सूद नौनीं बनै, चार जनन कौ गान।
‘राना’ मिलबै से मिलत, सबखौं भारी ज्ञान।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, सला हमारी मान।
सास तुमारी आ रयी, आज पैलबै ज्ञान।।
--000--
80-बिषय - निन्नै 15-5-2023
निन्ने कभउँ न जाइये, गरमी कौ हो घाम।
झकर चले से लू लगै, ‘राना’ झुलसे चाम।।
निन्ने पेट न जात है, ‘राना’ खेत किसान।
करत कलेवा पैल है, फिर करतइ प्रस्थान।।
निन्ने पेट न हौत है, करौ भजन गौपाल।
बनी कहावत खूब है, ‘राना’ जानत हाल।।
निन्ने चक्कर आत है,‘राना’ हौवें रोग।
खा पीकै लेना दवा लिखै डाक्टर योग।।
निन्ने कभउँ न जाइये,‘राना’ बाहर आप।
चार ठौल फटकार कै, भरौ पेट को नाप।।
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81-कुजाने (पता नहीं)
उतै कुजाने लोग सब,‘राना’ दौरत जात।
पइसा दैं दारू पियै, टेड़े निग के आत।।
लोग कुजाने कायँ खौ, बिछा लैत है फट्ट।
बिना पतै की खाज हो,‘राना’ बीदे गट्ट।।
आय कुजाने कायँ खौ, समदी यैठत मूँछ।
बातन से फटकार रय, ‘राना’ अपनी पूँछ।।
उतै कुजाने खाइ क्यों, ‘राना’ धरी मिठाइ।
फिर रय घिची दबात अब, भर रय बैठ उकाइ।।
फिरत कुजाने काय है, माते कक्का आज।
‘राना’गुनतारौ करैं, का है ईकौ राज।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, भीड़ कुजाने आइ।
लगत गट्ट है लइ बिदा, तुमने अपनी धाइ।।
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82- विषय-ततोस (गुस्सा) जोश
है ततोस ‘राना’ बुरव, कभउँ न मन में ल्याव।
आ जाबै तौ सौच कै, तुरतइँ उयै भगाव।।
‘राना’ देखत है सदा, हौबे बुरव ततोस।
काम बिगारत बौ सबइ, दूर रात सब हौस।।
जौ भी रयै ततोस में, पाँव कुलैया मार।
बकतइ ऊटपटांग है,‘राना’ खाकै खार।।
चढ़ गय ऊपर झाड़ पै, भरकैं खूब ततोस।
औधै मौं नैचैं गिरैं, ‘राना’खौतइ हौस।।
नयौ खून लरके रयै, मन में भरै ततोस।
हर कारज बौ कर सुफल‘राना’ राखत जोस।।
धना कात ‘राना’ सुनौ ,रखियौ नँईं ततोस।
लाद पुटइया पीठ पै, चलनै है दौ कोस।।
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83-विषय- ‘भन्नाने /भुन्नाने (क्रोधित)
बै भन्नाने अब लगें,‘राना’ की सुन बात।
माते के संगे फिरत, का कर रयँ तै रात।।
भन्नाने घर बैठ गय, थुतरी खौं लटकाँय।
‘राना’बिगरी काय है, माते ना बतलाँय।।
भुन्नानी गइ मायकै ‘राना’ बउँ धन काल।
भुन्नाने समदी लगैं, आये करन वबाल।।
पतौ न ‘राना’ है परत, सौचत चटकत मूड़।
भुन्नाने सरपंच हैं, नाक लगत है सूड़।।
करौ प्रेम बतकाव तौ, ‘राना’ झुकतइ माथ।
भुन्नाने जो सामने, कौउ न दैतइ साथ।।
भुन्नाने तेवर दिखें, धना रयी चिल्लाय।
‘राना’ जौरे हाथ है, समझ न कारण आय।।
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84 - बुरव (बुरा)
‘राना’ बुरव विचारकैं, लोग करत हैं बात।
औसर पै चूकैं नँईं, दै बैठत कटु घात।।
बुरय करै से हौत का, यदि संगै भगवान।
‘राना’ कातइ लोग सब, जीतत है ईमान।।
बुरव करै से हौ बुरव, ‘राना’ सुन परिणाम।
पर जौ करतइ सब बुरव, ऊकी जानत राम।।
बुरव मिलै जब आदमी ‘राना’ रइयौ दूर।
घिचिया अपनी भी झुकै, होकर कै मजबूर।।
अपने खोटे कर्म से, बुरव करत खुद लोग।
दोष दैत भगवान खौ,‘राना’ पालैं रोग।।
कौन दूध कौ है धुलौ,‘राना’ करतइ खोज।
खुद खौं देखे आदमी, बुरव हौत कुछ रोज।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, बुरव न सौचै आज।
सास तुमारी आ रई, नँईं समझियौ खाज।।
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85- बिषय- लुगया’
लुगया खौ सब चीन लै, सुन उनकौ बतकाव।
‘राना’ कथा लुगान-सी, और दैख कैं भाव।।
एक बात ‘राना’ तकी, लुगया करै न शर्म।
जौन लुगाई दै बता, कर लै हँसकै कर्म।।
लुगया खौ लुगया कितउँ,‘राना’ नँईं पुसात।
जुरै लुगाई चार जब, निपट अकेलौ आत।।
हाँ में हाँ करतइ रयै, सुन लुगान की बात।
चुगली डंडे खिल्लियाँ, ‘राना’ उये पुसात।।
लूअर दैबे जोग है, लुगया की हर बात।
मूड़चटो ‘राना’ लगे, करत तीन के सात।।
लुगया बनो लुगाइ कै ‘राना’ अपनी हौय।
कुठिया में गुर फोर कै, खाँव मजै से दौय।।
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86-विषय-दुता (चुगलखोर)
कौन दुता कब का करै,‘राना’ समझ न आय।
टंटौ जब बड़याव हौ, इनकौ करौ दिखाय।।
एक दुता हौ गाँव में,आगी-सी परचात।
देखत ‘राना’ सब जगाँ, झंडा-सौ फैरात।।
किलकिल ‘राना’ हौत है, जितै दुता को हाथ।
लरत भिरत सब लोग तब, फौर गुली-सो माथ।।
बचै दुता सै सब जनै, लौ इनखौं पहचान।
‘राना’ फूँकत कान जै, अपनौ पैलत ज्ञान।।
दुता-दुता जब दौ जुरै, अपनौ करत बखान।
सला गोट में रात है, ‘राना’ इनकौ गान।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, नँईं दुता कौ दोष।
खुद खौ रखना चाहियै, भलै बुरय कौ हौश।।
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87- विषय-फँदकत ( रूठना)
‘राना’ फँदकत औइ लौ, जौ अपनौ ही हौत।।
राखत पूरौ ख्याल है,सबइ तरा से भौत।।
फँदकत कौउँ न ऊ जगाँ, जितै नँईं पैचान।
चिमाँ जात‘राना’ सबइ, करत नँईं हैरान।।
फँदकत लरका जब दिखै, अगर सयानों होय।
‘राना’ जानें बाप सब, व्याव कराबे रोय।।
जीजा फँदकत नेग में, कुँवर कलेऊ हौत।
फटफटिया है चाउनै ‘राना’ लेत न औत।।
घरवारी फँदकत घरै,‘राना’ उयै मनाव।
बढ़तइ ईसै प्रेम है, ईकौ भी सुख पाव।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, हम फँदकत है नाँय।
पर सोने की लल्लरी, तुमसे आज मगाँय।।
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88- विषय-गत (हालत)
‘राना’ गत खौं जानियौ, है करमन कौ खेल।
जौ भी घानी में डरै, बैसइ निकरै तेल।।
रावन की गत देखकर, बोले थे श्रीराम।
तौरी आई दुरदशा, आज युद्ध की शाम।।
अंतिम गत में राम जी, ‘राना’ जीखौं याद।
धन्य सफल बौ जीव है, नँई जनम बरवाद।।
गत सबकी नौनीं रयै,‘राना’ करत विचार।
आकैं ई संसार में, लैबे दैबे प्यार।।
अब ‘राना’ का सौचनें, गत है अपने हात।
साजे को फल है मधुर, बुरव देत है घात।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, गत नौनीं है आज।
नुकी धरी पिसिया घरै, पिसबा लाओ नाज।।
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89-विषय-फदाली
नँईं फदाली हैं करत, कौनउँ साँसी बात।
उनखौं तौ आतइ मजा,‘राना’ जित हो घात।।
स्वाँग फदाली दें रचा, पैड़ें मन में खोट।
‘राना’ मौका ताक कै, सूदी मारै चोट।।
साँसी ‘राना’ हो कितउँ,उतै फदाली आन।
करै बिलोरा खूब वह, बात रबड़-सी तान।।
खुटखुट भीतर पैड़ दे, मन खौं करै खराब।
करम फदाली कौ गिनै,‘राना’ नँईं हिसाब।।
‘राना’ इतनौ जानतइ, जितै फदाली हौंय।
अच्छे साजै लोग भी, मुड़िया धर कै रौंय।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, नँई फदाली बात।
अपने में तुम मस्त रत, बाई मौरी कात।।
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90-खुद्दरौ
‘राना’ लैकैं खुद्दरौ, घरै चिमा जौ जात।
औदी परतइ चाल जब, मुड़िया बैठ कुकात।।
बिना पतै कौ खुद्दरौ,‘राना’ जौ लै आत।
अरौ बिदैतइ है गरै, सबखौ फिरत सुनात।।
आदत जिनकी हौत है, कभउँ न सुदरै आन।
‘राना’ लैकें खुद्दरौ, खाली भाँजत म्यान।।
कुंठित जौ भी लोग है, अकल अजीरण रात।
करत रात है खुद्दरौ, ‘राना’ सबसे कात।।
लैवँ तनिक सौ खुद्दरौ, बढ़ कै टंटौ हौत।
‘राना’ देखत हाल है, धर कै मुड़िया रौत।।
धना आज लयँ खुद्दरौ, ‘राना’ घर में आवँ।
देरी धरौ न पाँव तुम,पैल पैजना लावँ।।
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91-विषय -बीदे (फँसे)
‘राना’ ऊकै घर चलौ, जितै मिलत हो ज्ञान।
बीदे जौन बुराइ में, बचै सबइ गुनवान।।
ऊकै घरै न जाइयौ, लबरयाट हौ बात।
मौका तनकउँ देख के,‘राना’ मिलबै घात।।
‘राना’ रइयौ दूर सब, ऊकै लच्छन देख।
बीदे रत जौ आदमी, टिडुवाँ खेंचत रेख।।
ऊकी सबरी चाल भी, ‘राना’ तुरत नसात।
बीदे करतइ काम जौ, पसरातइ है भात।।
‘राना’ गर ईमान है, ऊकै अच्छे काम।
बीदे लंका लै जनम, भजै विभीषण राम।।
‘राना’ बीदे काय में, धना देख मुस्कात।
आओ तुमै निनौर दें,धौलें चार जमात।।
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92- बेथा
(हथेली में अँगूठे से लेकर छिंगरी तक का माप)
बेथा-उँगरी से बँटै, ‘राना’ जितै जमीन।
न्याव धरी रत सामने, हौत उतै तौहीन।।
माल मुफत कौ दैख कै, जीभ दैत है डार।
बेथा भर ‘राना’दिखे, देखत सब संसार।।
बेथा भर की बात थी, गम्म नँईं जब खाइ।
मुड़फूटा ‘राना’ भयौ ,जग में भई हँसाइ।।
आँगन पूरौ चाप कै, कत बेथा भर भूम।
‘राना’ जब समझान गय, लर बैठे तब झूम।।
बेथा भर उन्ना फटै, जब गरीब लै लेत।
बदन ढाँक ‘राना’ सबइ, आशीषे भी देत।।
‘राना’ बेथा नाप था, समय रओ प्राचीन।
हाथ-डगइयाँ-पोर भी, गिनती में रइँ लीन।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, बेथा भर पंच्यात।
जाकै टाँग बचाइयौ, अइयौ नँईं लुलात।।
--000--
93 विषय-कूत (पता चलना )
‘राना’ पर गवँ कूत है, बै हैं कितनै हूँड़।
हर कामन में दैं घुसा,बना हाथ खौं सूँड़।।
परै कूत पाछै सदा,काम बिगर जब जात।
‘राना’ मूरखताइ सै, अक्कल जौन चरात।।
आबड़ में बै जब बिदै, ‘राना’ पर गवँ कूत।
सामै बारौ शेर है, जीकी कठिन भभूत।।
गंदे कर दय चैतरा,अब पर रवँ है कूत।
कौउ न उनखौ दे रऔ ‘राना’ तनिक भभूत।।
कूत परत है मूर्ख खौं,टौर लेत जब टाँग।
‘राना’ छियत करेज खौ,और कुकातइ आँग।।
धना कात ‘राना’सुनौ,नँईं काड़ियौ खूत।
बाई मौरी आ रयी, पर जै तुमखौं कूत।।
--000--
94- टोंचना’
‘राना’ सुनकै टोंचना, लोग जात है खीज।
पर चुप सब रै जात है, अहसानों में भीज।।
सबके सामै टोंचना, कछू लोग जब देत।
ऊ बैरा ‘राना’ लगै, प्रान इतइँ जौ लेत।।
लगत सुई-सौ टोंचना, ‘राना’ गुच्चै जात।
दिखे कसाई सामने, प्रान लैन जौ आत।।
पैलउँ करतइ हैं मदद, बाद टोंचना देत।
चार जनन के बीच में, इज्जत ‘राना’ लेत।।
टैर-टैर कै टोंचना,‘राना’ टुच्चत लोग।
इज्जत कौ नामा बनत, धुआँ उड़त-सो भोग।।
धना मार रइ टोंचना,‘राना’ सुन कै जाव।
मौय काम खौ भूल गय,आ रवँ मौखों ताव।।
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95-विषय-टेसू (पलाश)
‘राना’ टेसू लाल हैं, तकत आज गोपाल।
बैठे जमुना तीर पै, राधा आ रइ ख्याल।।
टेसू जमुना में गिरे, पानी हो गवँ लाल।
ठहरौ राधा के लिए,‘राना’ कत गोपाल।।
‘राना’ भौंरा उड़ रओ, टेसू सूँग सुगंध।
सौचत मिलबै चींखबै, ईकौ कछु मकरंद।।
फसल काटियो बाद में, कत टेसू के फूल।
पैलाँ ‘राना’ खेल लो, होरी की जा धूल।।
गुइयाँ टेसू फूल खौं, ‘राना’ लाईं टौर।
घौरें फिर रइँ बाल्टी, कर रइँ भारी शौर।।
टेसू कौ बरनन मिलत, ‘राना’ गातइ गान।
लाल रंग खुश्बू मधुर, अद्भुत ईकी शान।।
धना कात ‘राना’ सुनो, काय रयै हो कूल।
होरी हमखौ खेलवे, टौरो टेसू फूल।।
--000--
96- फगवारी/ फगवारे
फगवारे थे गोकुली, लयँ तै लाल गुलाल।
‘राना’सबरै ढूड़ रय, कित राधा-गोपाल।।
फगवारे रसिया लगे, रय हैं सबखौ छेड़।
फगवारीं जब आ गई, ‘राना’ निपुरी येड़।।
फगवारी की फाग ने, येसौ करौ धमाल।
‘राना’ गदबद दै रयै, लठ्ठ रयीं सब घाल।।
फगवारे दयँ दौंदरा, ‘राना’गोरी दोर।
भर पिचकारी मार रय, सबरै ऊँकी ओर।।
जय बुंदेली साहित्य पै,‘राना’ खेलो फाग।
सब फगवारे गाव जू, होरी के सब राग।।
धना कात ‘राना’ सुनो, मैं फगवारी आज।
होरी खेलूँ पर तुमै, करने घर के काज।।
--000--
97- पैलाँ/पैलें (प्रथम)
पैलाँ पूजत सब जनैं, लम्बोदर महराज।
‘राना’ जिनकी पा कृपा,सबइ समरतइ काज।।
पैलाँ पत्री कुंडली, पंडित करत मिलान।
मोड़ी देखन जात फिर,‘राना’ मूँछें तान।।
पैलाँ जाँचे हौत अब, पाछें करत इलाज।
‘राना’ बैद न दिख रयै, नाड़ी कै अब आज।।
पैलाँ अलफी परदनी, पैरत ते सब मान्स।
शर्ट पेंट अब पैर कै, ‘राना’करतइ डान्स।।
भुन्सारे ‘राना’ उठो, पैलाँ बोलो राम।
कूरा मन कौ झार कै,आगे करियौ काम।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, पैलाँ कर लौ काम।
उन्ना लत्ता लौ बिछा, फिर करियौ आराम।।
--000--
98 -बेर-बेर (बार-बार)
बेर-बेर कौ फेर सब, टौ डारौ जू राम।
मिल जायै ई बेर में ‘राना’ तुमरौ धाम।।
बेर-बेर जीके घरै,उपत-उपत के जात।
‘राना’ बौ भी एक दिन,शकल देख उकतात।।
बेर-बेर लपसी मिले, जो भी करतइ लोभ।
‘राना’ ऊखौं एक दिन,मिलत हृदय में क्षोभ।।
‘राना’ मिले गुलेदरौ, बेर-बेर के फेर।
चित्त लोमड़ी हो गई, उतइँ पेड़ लौ ढ़ेर।।
बेर-बेर समझात सब ,जुरी सभा के बीच।
दुरयोधन नइँ मानबें, शकुनी कर रवँ कीच।।
धना कात राना सुनौ ,बेर-बेर नइँ काँय।
सूदै बनकै अब रहौ ,देवँ न घर में दाँय।।
--000--
99-विषय-उँगइयाँ (उँगलियाँ)
रयैं उँगइयाँ जब चलत,कर लेतीं सब काम।
‘राना’ इन बिन सून है, तन में लागौ चाम।।
इनमें उठती एक जब, तकौ उँगइयाँ तीन।
‘राना’ पीछे बल रहे, इनकी कला प्रवीन।।
सभी उँगइयाँ घी तकैं,पर जाती है एक।
काड़ लैत है बायरैं, ‘राना’ कितनौ नेक।।
उठै उँगइयाँ पैल है, हौबे कौनउँ काम।
यह दुनिया की रीत है,‘राना’ बातें आम।।
सबइ उँगइयाँ आपकी, ईसुर अच्छी राँय।
करम करें साजे सदा, ‘राना’ सब हरषाँय।।
दिखा उँगइयाँ कत धना, ‘राना’ सुन लो आज।
हमें रची है माउदी, तुम भाड़ै लौ माज।।
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100- विषय-चैतुआ
डेरा डंगा धर मुड़ी,हँसिया में रख धार।
परदेशे गय चैतुआ, ‘राना’ लयँ परिवार।।
चैत काटबै चैतुआ, बाँकै बनत मजूर।
‘राना’ करतइ खूब हैं, मैनत सब भरपूर।।
बड़े-बड़े भी जौन हैं, ‘राना’ना तकत किसान।
उनके खैतन चैतुआ,काटत पिसिया आन।।
चैत मास में चेत कैं,बनैं चैतुआ लोग।
‘राना’ जौरत नाज हैं,समय करत उपयोग।।
चैत साल में बार इक ‘राना’ मौका आत।
बनत सबइ है चैतुआ,नाज जौर घर लात।।
धना कात है चैतुआ, ‘राना’ के सब यार।
साल भरै के नाज कौ ,जौरत घर भंडार।।
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101- चिनार (पहचान)
‘राना’ अच्छी हौत है, गैरी हौय चिनार।
दरस परस नौनीं बनत, साजै सुनत विचार।।
जब चिनार हो जायँ तौ, उचित रखौ व्यवहार।
हिलो मिलो जब हो समय,‘राना’ सुनौ विचार।।
जब चिनार हौ काउँ सै,‘राना’ परखौ पैल।
हौ जाबै विश्वास तब, आगै चलियौ गैल।।
चले गयै हनुमान जी, लंका के कुछ द्वार।
मिले विभीषन भक्त जब, ‘राना’ बनी चिनार।।
सूपनखा श्री राम लौ, ‘राना’ करै चिनार।
नाक धुनक कै तब लखन,रकत लगादइ धार।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, ठाड़ै अपने द्वार।
बनै नंद ननदैउवा, काढ़ै फिरत चिनार।।
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102-पुसात (पसंद)
‘राना’ कातइ रामधइ, नँइँ पुसात बै काम।
चार जजन के बीच में, हौं जिनसें बदनाम।।
बै पुसात है आदमी, जौ हौतइ गुनवान।
जिनकै संगें बैठकैं, मिलतइ ‘राना’ ज्ञान।।
अच्छे ‘राना’ मित्र हौं, सबखौं खूब पुसात।
कंुठित हौतइ जौन है, कंडी से उतरात।।
सबइ बुलातइ पास है, ‘राना’ सबखौं चात।
पर यैडन से दूर रत, तनकउँ नँईं पुसात।।
‘राना’ भटकत बैइ है,जिनै अजीरण रोग।
नँइँ पुसात गुनियाँ उनै,हौबैं कितनउँ जोग।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,तुमरै मित्र बिलात।।
जौन बिड़ी खौं धौकतइ, घर में नँइँ पुसात।।
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103-‘रमतूला
‘राना’ रमतूला सुनौ, बुंदेलन की शान।
सदा बजत शुभ काज में, करकैं तूँ तूँ गान।।
‘राना’ रमतूला बजै, जानत सबरौ गाँवं
लग गइ सुनौ बरात है, सबरै मिलकै आँव।।
आगें रमतूला बजै, पाछै चलत बरात।
दिलदिल घोड़ी भी नचत,‘राना’ भौत सुहात।।
वाद्ययंत्र यह जानियौ, बुंदेली मशहूर।
तूँ-तूँ की आबाज़ भी, ‘राना’जातइ दूर।।
दूला रमतूला सुनै, मन में बौ मुस्कात।
चढ़नें घोड़ा पै अबइँ,‘राना’ लगै बरात।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,जब तुम ब्हाअन आयँ।
रमतूला तुम काय नँइँ, पैठाई में लायँ।।
--000--
104 - ‘चपिया’
‘राना’ चपिया हर घरै, दिखै हमें दो चार।
दूद दही घिउँ भी रखै,ऊ में दाने दार।।
कलौ अथानों नारियाँ, चपिया में धर जायँ।
सौदीं खुश्बू है लगत, ‘राना’ जब भी खायँ।।
चपिया में घिउँ जौर कै, धना भौत मुस्कात।
‘राना’ औसर जब परै, बन जै लुचइँ बिलात।।
मटकी की लघु बैन है, जानौ चपिया बाइ।
मटका की साली लगी,‘राना’ किसा बनाइ।।
लैकै चपिया राधिका, गयी श्याम के पास।
माखन जीमै थौ भरौ,खाबै खौ कछु खास।।
धना कहै ‘राना’ सुनो, दद्दा चपिया लायँ।
रसगुल्ला अब भेजने,भरकैं मौखौ मायँ।।
--000--
105-नदारौ (निर्वाह)
सास बहू सँग नंद में, नँईं नदारौ हौय।
मुखिया रुराना ऊ घरै,मुड़िया धर कै रौय।।
नंद भुजाई लर परै, कठिन नदारौ हौय।
‘राना’ भी पंच्चात में, आकै परत न कौय।।
छोटी बउँ दय दौंदरा, बड़ी चिमानी रात।
कठिन नदारौ लग रऔ, ‘राना’ सबसें कात।।
नद गइँ घर में नंद है, भौत बड़ी है बात।
खूब नदारौ चल रऔ,‘राना’ सब मुस्कात।।
केन्द्र राज्य में जब कभउँ, नँईं नदारौ हौय।
खेंचातानी सी मचै,‘राना’लरबै दौय।।
धना कात ‘राना’ सुनो, नँईं नदारौ होय।
चपिया भर भी दूध अब, लगत तनिक सौ मोय।।
--000--
106-बखेड़ा (झगड़ा करना)
खूब बखेड़ा गाँव में, हौतइ दिन्ना रात।
हौय तनिक-सी कानियाँ,‘राना’ बड़ी बतात।।
उतै बखेड़ा भी सुनत, जितै डरत हैं वोट।
वोटर खौं पुटयात हैं,‘राना’ दैकें नोट।।
घर की हैंसा बाँट में,बीदै जितै लुगाइ।
उतै बखेड़ा की सुनौ,‘राना’ रै परछाइ।।
हँसी ठठ्ठा भी कभउँ,करत बखेड़ा आन।
तुमने यैसी काय कइ,‘राना’ करौ बखान।।
करैं बखेड़ा यैड़ कै ,यैड़ा जितने हौत।
‘राना’ बै मानत नँईं,और भरत नँइँ कौत।।
धना कात ‘राना’ सुनो,उतै बखेड़ा हौय।
जौन घरै नँइँ नंद की, चुटिया बाँधे कोय।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, उतै बखेड़ा खाट।
सास बहू के न्याव नें ,दई बीच से काट।।
--000--
््््््
107-सुड़ी (इल्ली)
‘राना’ देखत है सुड़ी, बन्न-बन्न की हौत।
पर सब लगती है बुरइँ,तकत न उनकी कौत।।
एक सुड़ी पर जाय तौ,‘राना’ लगे कतार।
छान-छान हैरान रत,फटकत सब नर नार।।
सुड़ी समझ लौ कीट है,अन्न करत बरबाद।
जितै लगै ‘राना’ उतइँ, बढ़तइ रत तादाद।
‘राना’ अपने देश में,पड़ी सुड़ी है भौत।
खाकै अपने देश कौ,पाकिस्ता खौं रौत।।
‘राना’ रइयौ चेत कै,है चुनाव अब आज।
सबइँ सुड़ी फटकार दो,उमदा राखौ राज।।
धना कात ‘राना’ सुनौ ,कैसौ लायै चून।
उतरा रइँ मुलकन सुड़ी,का दै सबखौ भून।।
--000--
108-पखा
बैरागी ‘राना’ तकै, पखा रखा लै खूब।
भजन करत भगवान कौ,गान तान में डूब।।
बूड़ै बुजरक भी कभउँ,पखा रखा कै रात।
मूँछें डूबें चाय में,‘राना’ उनै पुसात।।
दाउ साब भी गाँव में,पखा रखा के रात।
नबदा पैलत भी मिलें,‘राना’ हमें दिखात।।
पखा रखाबौ है सरल ,पर सेवा भी भौत।
साफ करौ ऊछौं उनै,‘राना’ आफत हौत।।
जीनै रक्खे है पखा, बैइ जानतइ हाल।
‘राना’ फेरत हात है,कितने लामै बाल।।
धना कात रुराना सुनो, समदी अच्छे आय।
तेल पखा में पोत लवँ, सिसिया दइ मिटाय।।
--000--
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109-’पलका’
‘राना’ पलका रत बिछौ,खाट देत सरकाय।
सबल और निर्बल इतै,अंतर कुछ दिखलाय।।
पलका मिलत ब्याव में,जब नक्काशी दार।
चार जनै ‘राना’ उयै,आ देखें हर बार।।
पलका सोफासेट अब,बात हुई है आम।
सबइ घरै ‘राना’ मिलत,जिनके ऊँचे दाम।।
नीम सगौना आम कै,पलका रत मजबूत।
गुंज छेवला के सड़ै,‘राना’ जानत कूत।।
पलका महलन के सुनै,जड़ै स्वर्ण से रात।
जिन पर सोती रानियाँ,अपने भाग्य मनात।।
धना कात ‘राना’ सुनो,पलका नव अब लावँ।
वर्ना टूटी खाट है,जीखौं दुगइ बिछावँ।।
--000--
110-छला (सादा अँगूठी)
बन्न-बन्न कै अब छला,दिखबै में आ जात।
सबइ धात कै है मिलत,‘राना’खूब पुसात।।
लैकै गय मुँदरी छला,वीर बली हनुमान।
‘राना’ सौपौं माइ खौं,करकै प्रभु गुनगान।।
पंच नखा पैरें छला,वीर शिवा महराज।
चीर पाय तब तन मुगल,‘राना’ बनकैं बाज।।
छला अँगूठा में पुवा,कैउ ढुलकिया आत।
लकड़ी ठोलक खोल पै,‘राना’ चट्ट बजात।।
पैर अँगुरियन में छला,तिरियाँ पैरैं खूब।
‘राना’ चुकटी सब कहै,चिन्ह बनें महबूब।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,छला लुवा दो आज।
बस सोने कै पाँच ठौ,करे अँगुरियन राज।।
--000-- दिनांक-13-5-24
111-किवरिया (किवरियाँ)
खोल किवरियाँ गेह से, गोरी करे निहार।
नँईं कलेवा कर गयै ,‘राना’ अब भरतार।।
खोल किवरियाँ झाँक लै ,गोरी आकैं द्वार।
बालम आए क्यों नहीं, ‘राना’ अब इस बार।।
जितै किवरियाँ लइँ लगा,तनिक साँस नँइँ हौय।
अँदयारौ भीतर रयै, मन भी व्याकुल रौय।।
सबइँ किवरियाँ बंदकर, सोता है इंसान।
‘राना’ भय के भूत से, राबै जग हैरान।।
एक किवरिया प्रेम की ,दैबे हवा पिछोर।
सजनी काबै शाम खौं,लगबै ‘राना’ भोर।।
धना कात ‘राना’सुनौ ,जड़ौ किवरियाँ आज।
आगी बरसे बायरै,घरै नुकाऔ नाज ।।
--000--दिनांक-18.5.2024
112-किरा (कीड़ा लगा हुआ)
‘राना’ कौनउँ चीज में ,पंखी जब मड़रात।
देखत में लगबै किरा ,खाबौ नँईं पुसात।।
फल अंदर से हो किरा, ‘राना’ रत पर बंद।
लोग इतइँ ठग जात है ,सड़ौ चाट गुलकंद।।
नेता भी ‘राना’ किरा,टाँड़ी से उतराँय।
देश कौल रय बैठ कै ,शहर नगर अरु गाँव।।
अफसर शाही भी किरा, दिखती है अब आज।
रिश्वत का ‘राना’ चलन, कोइ न करता लाज।।
अब विचार लगते किरा ,दिखें छली अब कर्म।
‘राना’ बैठा सोचता ,कहाँ छुपा अब धर्म।।
धना कहै ‘राना’ सुनौ ,कीखौं देदें वोट।
किरा भटा सबरै लगत ,जिनके मन में खोट।।
--000-- दिनांक-20-5-2024
113-कीचर (कीचड़)
‘राना’ गंदौ आदमी,कीचर खौं फैलात।
मन अपनौ गंदौ रखत,खौटे करम पुसात।।
कीचर जब लैबे उचट,तन कौ लेत हिसाब।
तन उन्ना धुल जात हैं,पर मन हौत खराब।।
‘राना’ दामन पै नँईं ,अब तक कीचर दाग।
इसीलिए कुछ साजिशें,लगीं जलाने आग।।
‘राना’ देखत आदमी,कीचर रयौ उछाल।
गिरतइ मौं पै लौटकै,हौत बैइ बेहाल।।
कीचर गंदौ खुद रयै ,गंदी राखै सोच।
‘राना’ दैतइ कष्ट है, ऊपर से रख लोच।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, मौरी बाइ बुलाव।
टारा टूरी बात कौ,कीचर नँइँ फैलाव।।
--000-- दिनांक-12-6-2024
114-विषय-गउ (गइया)
‘राना’ गउ खौं मानियौ, पूजन के है योग्य।
अपनी कोशिश से हमें, दैतइ है आरोग्य।।
सुबह शाम गउ दूद दे, गौबर दैत बिलात।
दही मठा घी सब बनत ‘राना’ तब मुस्कात।।
बसते गउ में देवता, कोटि तैतीस गान।
‘राना’ भारत दे सदा, माता-सो सम्मान।।
बड़ै भाग्य सब मानियौ, जी घर गउ है मात।
‘राना’ कत यह गेह में, हौतइ नवल प्रभात।।
गउ कै बछबाँ हौ बड़े, बनै बैल दै काम।
‘राना’ जौतें खेत खौं,भुन्सारे से शाम।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, मौरी तुम बडबाइ।
गउ कत ती भोरी हमें सबसैं सुनौ मताइ।।
--000-- दिनांक-1-6-2024
115-गर्राट (अशालीन व्यवहार)
नयी उमर को जान लौ, ‘राना’ अब गर्राट।
पानू जैसो हौत है,उठत हिलौरा घाट।।
पइसा पाकै मद भरै, बनबै साहब लाट।
ऊकै चालू हौत है, ‘राना’ तब गर्राट।।
‘राना’ पद पइसा जुरै,मन करबै खरयाट।
चार पंच तब कै उठै,इयै चढ़ौ गर्राट।।
गोरी खौ जब देखकैं ,लरका दें खरयाट।
‘राना’ डुकरा कै उठै ,काय चढ़ौ गर्राट।।
कछू जगाँ ‘राना’ लगै,नँईं बात में सार।
औइ जगाँ गर्राट खौ ,लोग दैत उसकार।।
धना कात ‘राना’ सुनौ ,करै घाम गर्राट।
छत कै उन्ना चैंक रय ,पैरत में रय काट।।
चैराहन पै देख लो, ‘राना’ कैसी हाट।
सब चुनाव के पोल पै,नेता दयँ गर्राट।।
--000-- दिनांक-3.6.2024
116-गुनताड़ों/गुनतारों (हिसाब, उपाय)
गुनताड़ों ‘राना’ करो, जीमें हौं उपकार।
चार जनै तब आपकै,माने सबइ विचार।।
मन निर्मल जीकौ रयै,गुनताड़ों फल देत।
‘राना’ ऊ कै बोल भी,सबको दुख हर लेत।।
बाप मताई जब करें, गुनताड़ों सुत हेत।
‘राना’ आशीसन झोलियाँ,सबसैं पैला देत।।
दुख जब आबै सामने,हिम्मत कभउँ न हार।
गुनताड़ों पूरा लगा, दूर करो अँधियार।।
गुनताड़ों यैसौ करौ, पीठ ठोक दे लोग।
‘राना’ तुमरै साथ कौ, लेत रयैं सहयोग।।
धना कात ‘राना’ सुनो,गुनताड़ों बेकार।
छुट्टी काँटन आ गयै,घर में रिश्तेदार।।
--000-- दिनांक-8-6-2024
117-गुम्मा (ईंट)
‘राना’ गुम्मा जब बनै,जुरत सबइ घरवार।
माटी खौदें पाथवें, देबें मैनत डार।।
कच्ची माटी जब पकै,तप जैसौ लौ मान।
गुम्मा तब ही दै सकै, ‘राना’ निज पहचान।।
जीनै मन खौ ताप सै,अच्छौ लिया पकाय।
‘राना’ गुम्मा तन बनै,जग कै कामै आय।।
माटी से गुम्मा बने,पककर कीमत हौय।
काम करे निर्माण का,‘राना’ जानौ सौय।।
राजा हौ या रंक हौ,जितै बनै दीवाल।
‘राना’ गुम्मा हर जगाँ,देतइ अपनी ताल।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,आय भिड़ाने काय।
गुम्मा पाथे या कितउँ,टंटौ करकै आय।।
--000-- दिनांक-10-6-2024
118-दाऊ (बड़े भाई का संबोधन)
मिलबै दाऊ कौ सदा,घर में बड़ौ खिताब।
‘राना’ राखैं बे सबइ ,पाई-पाइ हिसाब।।
घर सैं इज्जत जब मिलत ,बाहर तब सब दैत।
दाऊ-भइया सब कहै,नाम न ‘राना’ लैत।।
रखत बडकपन बे सदा ,रत ‘राना’ गम्भीर।
दाऊ बाँटत प्रेम हैं, हरत सबइ की पीर।।
दाऊ की पगड़ी जियै, बौ राखत है प्रीत।
‘राना’ सोचत रात है, रयै उनइँ की जीत।।
ठसकीले कछु लोग है,दाऊ सुनबौ चात।
‘राना’ लच्छन देख कै,कौउँ न नेंगर आत।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,दाऊ जौ भी हौत।
घरबारी खौं जौरबे,रुपया दैतइ भौत।।
--000--दिनांक-15-6-2024
119- गुलेंदौ (महुआ का फल)
लपक गुलेंदौ की परी,बेर-बेर जौ आय।
सुनी कहावत एक है, ‘राना’ पकरौ जाय।।
लालच बुरी बलाय है,आदत ना लौ डाल।
नँईं गुलंेदौ हर जगाँ, ‘राना’ खाबै माल।।
लगो गुलेंदौ जब पकै,अच्छौ कड़तइ तेल।
‘राना’ कात किसान है,हम सब राखैं मेल।।
एक पेड़ दे दो फसल,‘राना’ आतइ काम।
हरा गुलेंदौ फल कहे,पीरौ महुआ चाम।।
खाँय गुलेंदौ ढौर सब, जैसैं हौं बादाम।
‘राना’ लैतइ स्वाद बें,मिल गयँ ज्यों है आम।।
--000-- दिनांक-17-6-2024
120- भड़का
अच्छौ अब भड़का परौ, चुअत पसीना आँग।
‘राना’ भी घर में घुसै, धरत न बाहर टाँग।।
रिसयानों भड़का लगत, बेंचैनी है आज।
‘राना’ उन्ना भीज तन, भिनकातइ सब काज।।
गय सब भड़का पै भड़क,‘राना’ रय है कोस।
चुअत पसीना पौंछ रय, दें मौसम खौं दोस।।
तपन न धरती की बुझी, नईं गिरी जलधार।
ईसै भड़का है परौ, ‘राना’ करत विचार।।
धना कात भड़का परौ, बाहर फिक रइ आग।
‘राना’घर में राइयौ, छीलत रइयौ साग।।
---000---24.6.23
121- इक्कर (एक तरफा)
‘राना’ इक्कर हौत है, जिनके तुनिक मिजाज।
खट्टौ खातइ एक दिन, भिनकत पूरै काज।।
संग छौड़ इक्कर चलैं, मानैं नइँ बै बात।
पसरत है बै गैल में, ‘राना’साँसी कात।।
चार दिना सूदै चलैं, फिर लैं इक्कर मोड़।
‘राना’ औधै बै गिरैं, टाँगे लेतइ तोड़।।
चार जनन कै बीच मैं, मिलकै रइयौ आप।
‘राना’ इक्कर जौ चलै, बिगरै ऊकौ नाप।।
दोहा ना इक्कर लिखौ, राखौ सही विधान ।
‘राना’ लिख कै बाँच लौ, त्रुटि हौजे पहचान।।
धना कात इक्कर चलै, घर में मोरौ राज।
सब्जी तौ हम लै बना, पर तुम छीलौ प्याज।।
--000-- दिनांक-26.6.2023
122- छरक (अरुचि, घृणा)
‘राना’ राखौ तुम छरक ,लबरा जितै दिखाँय।
चुगलन जैसे काम कर ,सबरन खौं भरमाँय।।
‘राना’ मोरी बात खौं ,तनिक समझियौ आप।
बिच्छू सैं लैतइ छरक, कौन लैत है चाप।।
उनसे भी हौतइ छरक, संगत गलत दिखाय।
‘राना’ विष की बेल भी,सिर पै कौन चढ़ाय।।
‘राना’ काँतक लै छरक, दुष्ट सामने आय।
वेश बदलकर सामने, बातन से भरमाय।।
छू लैतइ है गंदगी, ‘राना’ लापरवाह।
चलैं छरक कर जौ यहाँ, सुथरी ऊकी राह।।
धना कात ‘राना’ सुनौ, काय छरक रय आज।
घर कौ करो उसार तुम, करौ न कौनउँ लाज।।
--000--दिनांक-29.6.2024
123- मटिया चूले’
मटिया चूले हौ घरै,मटिया कयलौ सौय।
‘राना’ रोटी जौ बनै,स्वाद अलग ही हौय।।
मटिया चूले में जले,लकड़ी कंडा आन।
‘राना’ धुआँ बिगार दे,थोरो भौत मकान।।
मटिया चूले हर घरै,देहातन में होत।
‘राना’ कंडा बारबै,मिल जातइ हर कोत।।
मटिया चूले जब जलै,अँगरा भी हौं लाल।
सिकत गकइयाँ है खरीं,‘राना’ हौत निहाल।।
मटिया चूले की जगाँ,अब चल गइ है गैस।
‘राना’ अब तो गाँव में,बदल रयै परिबेस।।
धना कात ‘राना’ सुनौ ,इतै न डारौ डोर।
मटिया चूले आज ही ,हम नें दयँ है फोर।।
--000-- दिनांक-1.7.24
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124-‘झिर’
बदरा पानू ल्याय कै,ऊपर से बगरात।
सूरज ऊँगौ नँइँ दिखै, ‘राना’ झिर सब कात।।
तीन दिना से झिर लगी, गोरी है हैरान।
टपका खपरन से लगौ, ‘राना’ है नुकसान।।
लग गइ झिर बरसात की,भरीं तलइया ताल।
लरका बिटियाँ रयँ सपर,‘राना’ बन नदलाल।।
गइयाँ टपरा में खड़ी,‘राना’ करैं उसार।
पानू की झिर ना रुकै,किच्च-पिच्च भरमार।।
करिया बदरा झिर लगा,पानू खौं बरसात।
प्यास बुझत है भूम की, मन सबके मुस्कात।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,फुरसत में हौ आज।
झिर दिख रइ है बायरै ,नुका कुछू लौ नाज।।
--000-- दिनांक- 6-7-2024
125-खाँगे (विकलांग)
खाँगे हौ गय युद्ध में, ‘राना’ सुने कमाल।
दुश्मन छाती चीर कै, सैनिक आये हाल।।
बिना बिचारै निग गयै, गैल देख नँइँ पाइ।
खाँगे हौ गय पाँव सै,‘राना’ तकी न खाइ।।
डरपोका खाँगे बनै, सबरै हँसी उड़ात।
पूँछत लूलै क्यें बनै,‘राना’ सब मुस्कात।।
कर्म न यैसे कीजिए, जौ खाँगे हौ जावँ।
‘राना’ रखकै हौसला, काज सफल कर आवँ।।
जौन काम लौ हात में, खाँगे नँइँ बै होयँ ।
विनती करियौ राम से,‘राना’ सार निचोयँ।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,खाँगे काय दिखात।
चप्पल टूटी हात लय, फिर रय आज लुलात।।
--000-- दिनांक-8.7.2024
126-फतूम (किसान की बनियान)
‘राना’ तकी फतूम है,पैरै रात मजूर।
गिरत पसीना ओइ पै,अजब मिलत दस्तूर।।
जौ गरीब गुरवाँ रयै ,जुरबै अगर फतूम।
उयै धाँद खुश हौत हैं ,‘राना’ लैतइ चूम।।
खेत किसानी में दिखी ,पैरै सबइ फतूम।
‘राना’ हँसकै काम खौं,करै दिसन में घूम।।
जब फतूम गंदी दिखे,‘राना’ लैतइ फींच।
रगड़त पथरा पै उयै,दो हातन से खींच।।
बुंदेली बनियान है, ‘राना’ कात फतूम।
पैरत मुंसेलू इतै, नाचै गाँबैं झूम।।
धना कात ‘राना’ सुनौ,घलीं मुगरियाँ चार।
फट गइ आज फतूम है,हो गइ टोकेदार।।
--000--दिनांक-15-7-2024
127-गुचू-सी/गुचूक (छोटी सी)
ब्रज की काती गोपियाँ,गुचकू से गोपाल।
काम बड़न कै हैं करत,‘राना’ संग वबाल।।
लोग गुचू-सी बात पै,रुराना मन में ठान।
लठिया लै झगड़ा करैं,डटै रात मैदान।।
संत गुचू-सी बात में,कै दैतइ है सार।
समझ जात ‘राना’ सबइ,रबै बात में भार।।
गुचू-गुचू-सी बात पै,‘राना’ तकत लराइ।
तनिक चींख लौ गुर जितै,लगा दैत भड़याइ।।
जनम गुचू सौ लवँ हतौ,अब बड्डौ है पूत।
समय निकरतन का लगत,रुराना परत न कूत।।
धना कात रुराना सुनौ, नँईं गुचू-सी बात।
बैरा बनकै नँइँ सुनत,जब कछु तुमसे कात।।
--000-- दिनांक- 22-7-2024
128-‘तिगैला’
जितै तिगैला जब मिलै,‘राना’ कर ठहराव।
दुर्घटना भी नँइँ घटै,अपनौ करौ बचाव।।
वाहन दौरत आजकल,‘राना’ सूँटै जात।
नँईं तिगैला देखतइ,आपस में टकरात।।
मिलै तिगैला अब जितै,‘राना’ है आदेश।
धीमी गति का राखियौ,चलने का परिवेश।।
चाय पान गुमटी खुली,जितै तिगैला हौंय।
‘राना’ उत सब बैठकें,सुखड़ा-दुखडा रौंय।।
हलचल ‘राना’ अब रयै,मिले खूब अब दोड़।
चउवर दिखतइ आदमी,जितै तिगैला मोड़।।
धना कहै ‘राना’ सुनो,अबइँ तिगैला जावँ।
दद्दा पिटिया लयँ खड़े,उनै लिवा कै आवँ।।
--000-- दिनांक-27-7-2024
129-‘धुक धुकी’
’1’
हो रइ मन में धुक धुकी, का हुइए परनाम।
कछु करोे नईं साल भर, पार लगा दो राम।।
--000-- दिनांक-3-8-2024
’✍️ राजीव नामदेवष्राना लिधौरीष्’
संपादक ष्आकांक्षाष् पत्रिका
संपादक- श्अनुश्रुतिश् त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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म्उंपस - तंदंसपकीवतप/हउंपस.बवउ
✍-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ हिंदी पत्रिका
संपादक-‘अनुश्रुति’त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
म्उंपस - तंदंसपकीवतप/हउंपस.बवउ
14
बुंदेली दोहे- "फ़ूल"
बगिया तो महके सदा,
जौ फ़ूलन कौ काम।
मधुप प्रेम करत ऊये,
होत काय बदनाम।।
15
फूल और कांटे सदा,
रय रूख के पास।
फूल फूल सबनें चुने,
कांटे रये उदास।।
16
बिषय -बदरा
कारे बदरा छा गये,
बरसा कौ अनुमान।
खूब झमाझम बरसियो,
हो रय खुशी किसान।।
***
17
*बिषय -नीम*
द्वारे की सोभा बड़ी,
हिलें नीम की डार। जै
दातुन, हवा, दवा मिलै,
झूले झूला नार।।
***
18
बग़ैर लाकडाउन के,
पोजीटिव थे चार।
अब मिलते हैं रोज ही,
सत्रह-चौबिस यार।।
***
19
आज का बिषय-पंछी
पंछी आकें डार पै,
खाबें गदरा आम।
मिट्ठू बैठे पौर में,
बोलें सीताराम ।।
20
पंछी चहके आंगना,
द्वारे गाय रमाय।
किलकोटी बारे करें,,
वो घर स्वर्ग कहाय।।
###
21
बिषय - किसान
सबखों खाबे देत है,
खुद भूकौ रै जात।
करजा में डूबो सदा,
माल दूसरे खात।।
22
हाड तोड मेनत करै,
तबइ उपज मिल पाय।
करजा कर कारज करे,
बोज तरे दब जाय।।
23
-
कारोना की मार है,
सूका सें हैरान।
बैठे हांतन-हांत धर,
का करिए भगवान।।
24
बीज बोय ते मेन्त सें,
कर बरखा की आस।
पानी तौ बरसौ नईं,
होत किसान निराश।।
25
टप-टप अंसुवा गिरत है,
कैसो है जो साल।
साउन सूकौ कड़ गऔ,
है किसान निराश।।
*************
26
दोहा बिषय- मोर
जौ राष्ट्रीय प्रतीक है,
सबकौ प्यारौ मोर।
नचत फिरत है डांग में,
मेह देख घनघोर।।
--27-7-2020
27
*दोहा बिषय- उजियारा*
एक दिया द्वारे धरे,
तब उजियारा होय।
मन में दीप जलाइये,
तन उजला फिर होय।।
--28-7-2020
28
आज कौ बिषय- परिवार
काम सबइ नौने करौ,
सुखी रयै परिवार।
आपुस में हंस बोल लो,
छाबै खुसी अपार।।
29
जै बुन्देली पटल है,
इक सांचौ परवार।
नित्य नियम सें है इतै,
लगबै कवि दरबार।।
20-8-2020
-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
30
*दोहा बिषय- श्याम*
माधव,कान्हा, श्याम जू,
नटवर नंद किशोर।
राधा के दिल में बसे,
मुरलीधर चितचोर।।
31
जमुना तट पै है रची,
गोप-गोपिका रास।
सुद-बुद अपनी बिसर कें,
श्माम मिलन की आस।।
--11-8-2020
32
*दोहा बिषय- गनेस जू*
पैला पूजा होत है,
जै गनेस माराज।
कष्ट हरत सुख देत हो,
पूरन होवे काज।।
33
लडुवा भाउत है तुमै,
दूबा से खुस होत।
खूब सजौ दरवार है,
जगमग हो रइ जोत ।।
34
खूब जतन करकै थके,
श्री गनेस सें आस।
कोरोना पाछें परो,
कर दौ ई कौ नास।।
दिनांक-18-8-2020
*दोहा बिषय- छमा*
35
छमा मांगवे से कभी,
घटत नई सम्मान।
जो जन करवे है छमा,
बेई बनत महान।।
36
छमा लराई रोकती,
गम्म खाय है सार।
विपटा टरत है सभी,
बाकी सब बेकार।।
दिनांक-24-8-2020
*दोहा बिषय- करम*
*37
करम करो ऐसे करौ
बन जाबे प्रमान।
यश कीरत अरु धन बढै,
ऐन मिलै सनमान।।
*38*
पुन्न करम हरदम करौ,
जीसें, सब सुग पाय।
सरग नसैनी फिर मिलै,
जीव मुक्त हो जाय।।
दिनांक-25-8-2020
दोहा बिषय- बलिदान*
*39*
वीरन के बलिदान कौ,
काँ लौं करें बखान।
उनके सत्करमन बनी,
भारत की पैचान।।
*40
करज चुका कें भूम कौ,
बन गय वीर महान।
कोटिन उनै प्रनाम है,
धन्य धन्य बलिदान।।
दिनांक-31-8-2020
दोहा बिषय- पुरखन*
*41*
पुरखन के आशीष से,
वंश बेल बढ़ जात।
रहते हम सुख चैंन से,
दुःख विपदा टर जात।।
*42*
पितृपक्ष में श्राद्ध करे,
रखते है कागौर।
धरम पुन्न करकै उने,
जल ढारत है भोर।।
दिनांक-1-9-2020
दोहा बिषय- सिस्य*
*43*
सिस बेइ नोने लगे,
रखत गुरु कौ ध्यान।
तन मन से सेवा करें,
जे धरती भगवान।।
*44
सिस्य बनो ऐसे बनो,
गुरु कौ बढ़े मान।
उनके ही आशीष सें,
बनती है पैचान।।
दोहा बिषय- जिनगानी*
*45*
जिनगानी ऐसे जियो,
बन जाए इतिहास।
यश कीरत अरु धन बढ़े,
कभऊ न रय उदास।।
*46
जिनगानी है मोम सी,
गल कें रोज नसात।
करम लेख जो पास है,
वे नईं मेटे जात।।
*दिनांक-15-9-2020
दोहा बिषय- जुंदैया*
*47
चकवा-चकवी चांद खों,,
तकें जुन्दैया रात।
चंदा लै कें आ गऔ,
तारन की बारात।।
*48*
रात दमकती हीर सी,
होत जुंदैया रात।
गैलारे भटके नईं,
अपने घर खों जात।।
*दिनांक-21-9-2020
दोहा बिषय- सरद रितु*
*49*
सरद रितु के आतइनंइ
छाउन लगौ खुमार।
पटरे कमरा लोइ सें,
होन लगौ है प्यार।।
*50*
हौन लगौ दिन दूबरौ,
मुटा गई है रात।
पानी अब काटन लगो,
सीतल रितु है आत।।
*दिनांक-28-9-2020
दोहा बिषय- धरती*
*51*
धरती में बढ़ने लगौ,
ऐनई अत्याचार।
जनी मांस हैरान है,
अब लो प्रभु अवतार।।
*52*
ईसुर ने भी कर दऔ,
धरती में बदलाव।
करनी कौ फल भोगिए,
काय आत है ताव।।
*दिनांक-5-10-2020
*बिषय- आगी, अग्नि*
*53*
प्रेम अगन न बुझाइयो,
रखियो हिरदय पास।
पूरन हुइयै काऊ दिन,
पीय मिलन की आस।।
*54*
प्रेम अगन को जोत में,
यूं न दिल तुम जलाव।
दोई तरफ समान हो,
तभइ चैंन तुम पाव।।
55
प्रेम हृदय प्रतिबिंब है,
मन के भाव जगाय।
आग लगी है भीतरे,
कैसै जे बुझ पाय।।
*दिनांक-12-10-2020
*56 नवराते*
नवराते में कर रये,
पूजा है दिन-रात।
उपास रय सारे दिना,
गरबा खेले रात।।
*बिषय- दसरय*
57
दसरय कि जै राम जी,
बब्बन खौं सम्मान।
मातन खौं परनाम है।।
सखा खौं चले पान।
58
दसरय आज मनाइये,
मन कौ रावन मार।
तन कै बारे का हुऐ,
भीतर नइ बैठार।।
दिनांक 26-10-2020
बिषय-डांग
59
डांग हमाय होत है,
जीवै कौ आधार।
इनसें ही सिंगार है,
धरती मां कौ प्यार।।
60
डांग अब तो बचे नहीं,
कर दय सब बरवाद।
विरछा ऐन लगाइयो,
फिर से हो आबाद।।
दिनांक-9-11-2020
बिषय-गैल
61
सूदी गैल चलो सदा,
मिले भौत सम्मान।
जो तुम टेढे़ होत हो,
परे कष्ट में जान।।
62
गैल-गैल में मच रओ,
होरी कौं हुरदंग।
कोऊ रंग डार रओ,
कोऊ पी रव भंग।।
दिनांक 16-11-2020
बिषय-कतकारी
63
कतकारी ढूंढ़त फिरै,
कितै मिले भगवान।
कान्हा तो भीतर पिंडे,
दिल में बैठे जान।।
64
कतकारी गाती फिरे,
मधुर स्वर में गान।
प्रभु करत लीला भली,
हो रइ वे हेंरान।।
दिनांक-30-11-2020
बिषय- जाडौं
65
जाडें के आतनइं,
छाउन लगौ खुमार।
पल्ली, कमरा, लोइ सें,
होन लगौ है प्यार।।
66
लगतइ नौनो घाम है,
जाड़े के दिन आत।
दिन तनकइ से होत है,
बड्डी होती रात।।
बिषय-हार
67
बहा पसीना हार में,
पानी घाइं किसान।
हीरा से दमकन लगै,
हार खेत खरयान।।
68
मैनत में पाछै नहीं,
रितु कोनउ हो चाय।
सूखा या बरसात भी,
तोउ नईं घबराय।।
*14-12-2020
बिषय-कूंडों
69
संजा बैरा होत ही,
रय कूंडें में ताप।।
दद्दा कक्का हांकते,
सुन रय सब चुपचाप।।
70
कैउ मांस बचात है,
कूंडों जब जल जात।
जाडौ भगतइ दूरसें,
कठन रात कड जात।।
दिनांक 21-12-2020
*बब्बा*
71
बब्बा-बाई को करो,
रोजउ तुम परनाम।
इनकी सेवा से मिलै,
परम पुण्य है धाम।।
72
बब्बा बैठे तापते,
कूंडे के है पास।
बीते सालन की किसा,
बतिया रय है खास।।
दिनांक 28-12-2020
*बिषय अफरा*
73
अफरा ऐन चढ़ो उनै,
लिखवै ऊंटपटांग।
छंद तनक नइ जानते,
लिख रय हैं वे रांग।।
74
रोजउ सोशल मीडिया,
डारत कविता चार।
खुदइ खों बडौ मानते,
बाकी सब बेकार।।
75
कौनउ की पढ़त नइयां,
अपनी सूटें जात।
कालजयी कैसे लिखें,
वे नईं समज पात।।
दिनांक 4-1-2021
*बुडकी*
76-
बुडकी आतइ खूबई,
हो लडुवन कौ दाव।
तिल,गुड के लडुवा बने,
सपर खौर के खाव।।
77
बुडकी पे एनई परी,
जाड़े कौ है तोर।
सूरज बदरा में दुकौ,
हवा करत है सोर।।
****11-1-2021
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस
78
इक अकेले सुभाष ने,
बना लईती फौज।
डरत हते उनसें सभी,
देखो कितनौ ओज।।
79
नेता तो बस एकई,
सुभाष वीर महान।
उनकें साहस कौ सदा,
माने सकल जहान।।
80
नमन करे सबई जने
उनकौ बारम्बार।
नेता सुभाष जू इते
लेवैं फिर अवतार।।
**25-1-2021
बिषय- मुरका
81
मुरका में गुन भौत है,
मिलै शक्ति भरपूर।
जाड़े में खाओ मुरा,
कैउ रोग हो दूर।।
82
मुरका खाव मुरा मुरा,
मनकौ खूबइ भात।
गांवन में मिल जात है,
जो देखे ललचात।।
**1-2-2021
बिषय- बिन्नू (मोंडी)
83
मोंडा़-मोंड़ी एक है,
करो न ईमें भेद।
पूजौ देवी मान कें,
कै रय सबरे वेद।।
84
बिन्नू घर की शान है,
बिन्नू घर की लाज।
दोउ घरन सोभा बढ़े,
करवै सारे काज।।
85
काम करे रोटी बनैं,
बिन्नू की पैचान।
दोई कुल रोसन करै,
होती ईस समान।।
***
सं.-*बसंती दोहा*
86
मात सरसुती कौ करौ,
बसंत पंचमी गान।
उनकेई आसीस सें
होबै जग कल्यान।।
87
बिखरौ परो बसंत है,
देखौ अपने पास।
मन की आँखन देखिए,
छाऔ है मधुमास।।
88
रितु बसंत कौ आगमन,
धरनी कौ सिंगार।
तकत बाट आकास की,
प्रेम लेय आकार।।
15-2-2021
बिषम- कलेबा
89-
करो कलेवा भोर से,
मटा,महेरी साथ।
रोटी डुबरी दूद सें,
सूटे दोनो हात।।
90
कुंवर कलेवा नेंग खौ,
पूरौ कर दो आज।
सोने की इक चैन खौ,
मचल गये माराज।।
*22-2-2021
बिषम- गदा
91
ईमानदार है गदा,
करत सदा है काम।
रंग रूप कौ देखकै,
काय करत बदनाम।।
92
सूदो सादो है गदा,
कामचोर नइ होत।
जितना भी धर दो वज़न,
खुसी खुसी से ढोत।।
6-3-2021
बिषय-पाउने
93-
दो दिन तक रै कैं गये,
भले पाउने मान।
दस दिना जो घरे धरे,
आफ़त में है जान।।
94
देव होत है पाउने,
उनकौं हो सम्मान।
खुस हो दे आसीस तो,
होत भौत कल्यान।।
* 7-3-2021
*बिषय- 'पनिहारी'*
95
पनिहारिन पानी भरे,
कमर रई लचकाय।
हिरनी सी कूंदत फिरे।
दिल घायल हो जाय।।
96
पनिहारिन गगरी धरै,
पानी छलकत जाय।
तीर चलाय नैनन सें,
दिल जौ मचलत जाय।।
दिनांक 15-3-2021
97- अदरक
दऔ मेंक है चींक कैं,
कर दव है बर्वाद।।
बंदरा तौ जाने नई,
का अदरक कौ स्वाद।।
21-3-2021
बिषय-दमकत
98-
इतै-उतै बमकत फिरै,
करवै घर के काम।
बिजुरी सी दमकत कभी,
बिगर जाय जब काम।।
99-
नारी तो हीरा सदा,
दमकत रय भगवान।
इनकी मेंनत सैं भये,
घर कौ है कल्यान।।
*22-3-2021
100-
दोहा- ततूरी
लगे ततूरी तान के, तापर जौ है घाम।
ताती ताती लू चले,का करवे हे राम।।
*27-3-2021
बिषय बुंदेली दोहे -होरी
101
होरी ऐसी खेलियौ,
ज्यौ राधा गोपाल।
मन से मन हैं रंग गऔ,
गालन लगी गुलाल।।
102
होरी सी तौ नंहि लगै,
गाल होय ना लाल।
कारै,पीरे या हरे,
या फिर लगे गुलाल।।
103
रओ न होरी कौ मजा,
न लगतई त्यौहार।
कोविड सें बचने अगर,
घर बैठो सब यार।।
104*बुंदेली दोहा- मूसल
घरन घरन में रय सदा
जौ घातक हथियार।
मूसर -मूसर से धुने ,
महिला कौ अधिकार।।
*3-4-2021
बिषय- बरा
105
बरा दई में लोर कें,
गोरों सों कडयात।
नोन,मिरच सें खाइये,
तबियत खुस हो जात।।
106-
कच्ची पंगत बरा बिना,
होत अधूरी पाय।
सबई खौं नोने लगे,
एनइ मसके जाय।।
**5-4-2021
* सप्लीमेंट्री-*
१०७
किलकोटी करवे लगै, इक दूजे को लोग।
व्यंग करत चूकत नहीं, जौ कैसों है रोग।।
१०८
*हाल - बेहाल*
मौ फुलाय वे फिर रये, दे दो कछु तो ज्ञान।
कौनउ की मानत नहीं,का होगा भगवान।।
*11-4-2021
१०९
बिषय- पुतरिया
हम सब हैं कठपुतलियां,
डोर रखे वो हात।
जब चाये, तब तान ले,
रये न सांसें सात।।
*१२-४-२०२१
बिषय-ठलुआ
११०
ठलुआई करते रये,
जै ठलुअन कौं काम।
लगुआ-भगुआ संग है,
साथ आलसीराम।।
१११
ठलुआ बैठे पास में,
करवैं टाइमपास।
देवे बारौं राम है,
करवे वे तौ आस।।
***१९-४-२०२१
श्री राममय दोहे
११२
हिम्मत कभउ न हारियों,
सुमिरत रइयों राम।
धैर्य धरौं धीरज धरौ,
भली करेंगे राम।।
११३
राम नाव महिमा बड़ी,
करदे बेड़ा पार।
राम नाव जपते रहो,
खुशियां मिलें अपार।।
११४
कष्ट हरे,सुख पात है,
जो ध्यावै श्री राम।
परम धाम पावै वहीं,
मिलता है आराम।।
***२१-४-२०२१
११५
बिषय- सिर्री
नौने सिर्री जै मिले,
सबइ खौ देत मात।
सिर्री के सिरमौर है,
जय हो मेरे भ्रात।।
116
बिषय- चंट
चपल चंचला नार हो,
चंट चतुर चालाक।
चौतरफा चमकत रये,
करदे सीना चाक।।
**
दो बुंदेली-दोहे
117
ब्यां-बरात सुपने भईं,
पंगत नईं नसीब।
फिर भी बउ घर आ गई,
होत वो खुशनसीब।।
118
काम बंद खाबै नईं,
फूटइ गऔ नसीब।
दोउ पाट के बीच में,
पिस रऔ है गरीब।।
*28-4-2021
बिषय- कुलाट
119
नेता अरु बदरा सभी,
खात रहत कुलाट।
जीने चना,टका दये,
ऊकी टोरत खात।।
120
कोरोना है काल सौ,
खड़ी कर रओं खाट।
का करे कछु न कै सकें,
लोग खा रय कुलाट।।
*** 3-5-2021
121-
बिषय- *कुतका*
कुतका बेइ दिखात है,
जो भूलत ऐसान।
ऐसे धोखेबाज की,
करलो तुम पैचान।।
***9-5-2021
बिषय-कुलांट
122
परै करौंटा लेट है,
मिलै न तनकउ चैंन।
नींद अबै आतीं नहीं,
जागे सारी रैन।।
123-
टैम करौंटा लेट है,
सो कुलाट खा जात।
राजा, रंक, फकीर भी,
पल में बदलत जात।।
** दिनांक-10-5-21
****
बिषय- खरयाट
124
अब तो खूबइ हो रऔ,
दम सें है खरयाट।
अस्पताल बन माफिया,
टोरे दे रय खाट।।
125
बनके ये यमदूत तो,
कर रय है खरयाट।
नकली दवाइ बेचके,
मौत रये है बांट।।
**17-5-2021
सप्लीमेंट्री दोहा-
बिषय- तिडी- बिडी
126
तिड़ी-बिड़ी कर देत है,
सबके जै अनुमान।
जाने की के भाग सें,
मिलवें जो सम्मान।।
**22-5-2021
बिषय-नैंनू
127
नैंनू भौतइ नैक है,
खाऔ चाय लगाव।
नैनू से कड़ जात है।
भीतर के भी भाव।।
128
नैनू जैसो रूप है,
नैनन में बस जात।
नैनू खौं नटराज तो,
नखरे नाच दिखात।।
**24-5-2021
129
दये दौंदरा देत है,
कोराना है आज।
लूट मची चहुं ओर है,
हो रव गुंडाराज।।
**29-5-2021
बिषय- छैल-छबीली
130
छैल छबीली छोरियां,
करती हैं छल,छंद।
छोरे छलतइ जात हैं,
छमिया करती दंद।।
*31-5-2021
****
बिषय-पथरा
*131*
पथरा से सिर मारते,
सिर फूटो वे रोय।
उको कछू बिगरै नई,
तुमाई हानि होय।।
***
132
पथरा से वे हो गये,
नइ पिघले वे जात।
जितनइ प्यार दऔ उनै,
उतनइ वे गर्रात।।
**7-6-2021
*133*
जनी मांस तो हो गये,
पथरा के हैं आज।
कौनउ कौ अब भय नहीं,
कर रय निर्भय राज।।
***7-6-2021
*134*
बिषय- पैजनिया-
पैजनिया झंकार तो,
करतइ दिल पै वार।
मधुर ध्वनि सुनते जितै,
झूमत मन के तार।।
***12-6-2021
*बिषय-पंगत*
*135*
पंगत में तो सूटिये,
खीर,बरा अरु भात।
सन्नाटे के साथ में,
पुड़ी मींड के खात।।
***
*136*
पंगत बैठी हो रई,
बैठे सौ-पचास।
एक संगे सब जीमते,
खाते हर्सोल्लास।।
***12-7-2021***
*बुंदेली दोहा बिषय- तलैया*
*137*
ताल-तलैया खो गये,
अतिक्रमण कि चपेट।
कागज में ही बन गये,
अफसर भरते पेट।।
****
*138*
तलैया में सपरतते,
ढोर,जनी अरु मांस।
अब तो सूखी है डरी,
उत ठाडी है कांस।।
**19-7-2021**
*बिषय-मगौरा*
*139*
मूंग मगौरा भात है,
बसकारे में ऐन।
चटनी संगे खात है।
सूटे दिन अरु रैन।।
***
*140*
डढयाने फिर तेल के,
मिलत बजारे खूब।
बेइ मगौरा धर दये,
नहीं बिके दिन डूब।।
**26-7-2021
*सप्लीमेंट्री/अप्रतियोगी*
141
*बिषय- बिजुरी*
बिजुरी सी चमकत फिरें,
ऊकी मुइयां गोल।
मुस्काके जब बोलतीं,
मीठे लागे बोल।।
***30-7-2021
बुंदेली दोहा-
बिषय-चौमासा
142
चौमासों कैसे कड़े,
ठलुआ बैठे आज।
काम सबइ चौपट भये,
कैसे होवे काज।।
***
143
धरती कर सिंगार है,
चौमासे के आत।
हरियाली छाती वहां,
पानी बरसो जात।।
****दिनांक-2-8-2021
अप्रतियोगी/सप्लीमेंट्री दोहा
144
उरवतिया नौनी लगे,
मोती कैसी धार।
मन मोरों मझधार में,
कैसे लगवे पार।।
**7-8-2021
बिषय-आदिवासी
145
आदिवासी समाज है,
भौतइ पिछड़ौं आज।
अफसर,नेता लूटते,
करते उनपै राज।।
***
146
आदिवासी जंगल में,
दुनिया से है दूर।
रहत वे तंगहाल है।
शौषण कौ मजबूर।।
***
9-8-2021
147
*बिषय- झंडा*
झंडा देश कि शान है,
है हमाव अभिमान।
सौ दार नमन आपको,
वीर शहीद जवान।।
***14-8-2021
*148*
*बिषम-पठौनी*
पाप पठौनी बांद के,
ऊपर जाते लोग।
कर्मो का फल पात है,
बुढ़ापौं रये भोग।।
***
-149*
लात पठौनी कैसई,
टका नई है पास।
बिटिया ल्यावे जान है,
रतई भौत उदास।।
***
बिषय-साउनी
*150*
सावन सुंदर साउनी,
समदी लै कें आय।
पाती कितै दुकी धरी,
समदन खोजत राय।।
***
*151*
समदी लै के आ गये,
सजी साउनी आज।
दौर दौर समदन करे,
घर भीतर के काज।।
*** 23-8-2021
*बिषय-नंद*
*153*
आनंद मिले नंद खो,
भये जो नंदलाल।
खुशियां मिलतइ खूब है,
कर लीला गोपाल।।
***
*154*
नंद के जैइ लाडले,
कहाय माखन चोर।
उल्हाना देती सखी,
पाछे दुके किशोर।।
***30-8-2021
*सप्लीमेंट्री दोहा/अप्रतियोगी*
155
*बिषय- कँइँया*
कँइँया लेके लाल कौ,
काम करत मजदूर।
जनी-मांस दोऊ लगे,
पइसा सें मजबूर।।
***
*बिषय-मास्साब*
*156*
मास्साब की सेवा करो,
मिलतई नंबर ऐन।
उनके फिर आसीस सें,
सुखी रये दिन-रैन।।
***
*157*
पढ़ावो धरम भूल कै,
ओरई करत काम।
इस्कूल जातई नई,
घरै करत आराम।।
***6-9-2021
*बिषय-छमाबानी*
*158*
रोजउ पाप कमा रये,
इक दिन जोरे हात।
का इक दिन ही मांगवे,
छमादान मिल जात।।
***
*159*
काम ऐसे करो नहीं,
छमा मांगते आज।
सच के संग चलो सदा,
करो दिलों पै राज।।
***13-9-2021
*बुंदेली दोहे बिषय- गडेलू*
160
खाय गडेलू रोजऊ,
रोग लिगा नहिं आय।
तुरतइ वजन घटात है,
काया कल्प दिखाय।।
***
161
नोनी सब्जी होत है,
सस्ती में मिल जात।
खाय गडेलू प्रेम सें,
कैउ रोग मिट जात।।
***27.9.2021
-बिषय-चुगला*
162-
चुगला खों चुगले बिना ,
मिलवे तनक न चैन।
बना चौगुना देत है,
काटे कटे न रैन।।
*2*10-2021
बुंदेली दोहा-163
*बिषय-कागौर*
जीते जी पूछी नहीं
मरे रखत कागौर।।
शान दिखावे ऐन है,
भरी दिखा रइ पोर।।
***
164
साल भरे धूरा चढी,
तस्वीरों पे आज।
रख कागौर कछू जने,
फूल चढ़ा रय आज।।
***4.10.2021
165
*बिषय-झा़की*
मां की झांकी है,सजी,
देखो तो चहु ओर।
माता की आराधना,
करत हो गयी भोर।।
***
*166*
बुंदेली दोहा-मिलौनी
है मिलौनी सभी कछू
दिल नइ सके मिलाय।
जो दिल उनसे मिल गया,
सबइ काम बन जाय।।
***
*167*
लीद मिलौनी है धना,
दूद यूरिया पाय।
चाय में बुरादा मिला
घ्यू डालडा मिलाय।
***
अप्रतियोगी-
बुंदेली दोहा - दसरय
168
सबइ जनन खों पोंचवे,
दसरय कौ प्रणाम।
एसई प्रेम बनो रये,
बनो रये सम्मान।।
****
*169*
रावन बरतइ देख कै,
सोचो तो श्रीमान।
पाप करे कौ फल मिलो,
भुगतइ सब इंसान।।
***16-10-2021
*बुंदेली दोहे- बिषय-करौंटा*
*170*
टैम करौंटा लेत है,
न तुम रऔ उकलात।
बुरे दिना कड़ जात है,
नोने दिन फिर आत।।
***
*171*
आज करौटा लेत है,
पल-पल में इंसान।
कछु भरोसा नईं रओ,
कब मिल जै शैतान।।
***
*172*
सोउत में जब डर लगे,
लेय करौंटा सोय।
बर्रौटी आवे नईं,
तान पिछौरा सोय।।
***18-10-2021
बुंदेली दोहा बिषय- करवाचौथ
*173*
करवाचौथ मना रईं,
कर सोला सिंगार।
चांद देख शरमा रओ,
गौरी मुस्की मार।।
***
*174*
चांद परीक्षा लेत है,
पत्नी रहत उपास।
बादर में दुक जात है,
जैसै खेलत रास।।
***24-10-2021
बुंदेली दोहा बिषय-गतरा (टुकड़ा)
*175*
गतरा गतरा कर दये,
देश के सबइ भाग।
वोट खौं वे अलापते,
पने बेसुरे राग।।
***
*176*
टुकड़े-टुकड़े गैंग ने,
कर लय सबइ उपाय।
बार न बाकौ कर सके,
गतरा-गतरा पाय।।
***25-10-2021
*
बुंदेली दोहा सभी-2 दिनांक- 10-2023
बिषय ताठी ,24-4-2023
टाठी तकी गरीब की , देखो उनकौ नाज |
#राना कैसौ खात है , कातन। आबें लाज ||
घौरत सतुआ नाम पै , बें बिरचुन कौ ढ़ेर |
#राना टाठी में धरै , लडुआँ उसले बेर ||
टाठी में सब खात है , टाठी करें न भेद |
कछू जनै पत्तल समझ ,करतइ #राना छेद ||
टाठी भरके ईश खौ , सबइ लगातइ भोग |
#राना करतइ कामना , मिटै जगत से रोग ||हो
#राना टाठी हौ भरी , रखियौ ईसुर लाज |
दीन दुखी सब देखियौ , करियौ उनके काज ||
***
बिषय - अस्नान दिनांक- 29-4-2023
करत सबइ अस्नान है , फिर पूजा खौ जात |
ईसुर के दरसन करत , #राना भोग लगात ||
जातइ है जब मरगटा , मुरदा जितै जलात |
करत लौट अस्नान है , फिर घर #राना आत ||
गंगा में अस्नान से , सबइ पाप कट जात |
पुन्य मिलत #राना कहत , पौथीं यै बतलात ||
बुड़की के अस्नान में , तिली बदन चिपकात |
रगड़- रगड़ #राना सबइ , तन कौ मैल छुटात ||
मन की गंगा है बड़ी , चंग करौ अस्नान |
#राना रखियौ साफ पर , करबैं खौं कल्यान ||
1म ई 2023 बिषय-अठबाइ
धना बना अठबाइ खौं , गौरी पूजन जाय |
#राना श्रद्धा भाव से , जौरत हाथ चढ़ाय ||
छोटी -छोटी हौत हैं , जो बनती अठबाइ |
#राना मैदा या कनक , की होती उसनाइ ||
#राना चुरतीं तेल घी , खिलती चंदा नाइ |
पूजा की थरिया सजै , धरै धना अठबाइ ||
देवी भी अठबाइ खौं , करती है स्वीकार |
प्रेम भाव #राना तकैं , करती सबसे प्यार ||
सभी अठबाइ है बनी , देबै उम्दा भोग |
घर में सुख साता रयै , #राना रयै न रोग ||
***
बिषय -गों में (मन में) दिनांक 6-5-2023
जिनने गों में दे लई , कौनउँ सुन कै बात |
#राना जब अटकौ परै , पूरी गुर्र भजात ||
गों में आकै हैं भरत , कौनउँ चुभते बोल |
#राना बनत गुड़ैल बैं , हौत रार को डोल ||
शूपनखा की नाक ने , गों में दे लइ बात |
कान भरे रावण लिगाँ , #राना भव आघात ||
गों में ठानै लोग भी , बनतइ करिया नाग |
दुशमन खौं डसबै फिरै , #राना लैकें झाग ||
तिरिया गों में देत जब , आ जातइ तूफान |
#राना उगलत देर से , हिलतइ सबइ मचान ||
एक हास्य दोहा-
गों में दैकें है धना , फुला रयी है गाल |
#राना जौरे हाथ है , उगलत नईं सवाल ||
***
8-5-2023 बिषय- लुकत
भड़या सबरै है लुकत , पुलिस देख भग जात |
जैसै जुगनू दिन उगै , #राना नईं दिखात ||
लेनदार खौं देख कै , देनदार भग जात |
#राना सामैं से डरै , लुकत फिरत दिन रात ||
लुकत लडैयाँ वन फिरै , शेर जितै दिख जाय |
जैसे #राना बर्र भी , बिच्छू से घबराय ||
लुकत फिरत माते गयै , छिप गय देख पियाँर |
बनी कहावत यैई पै , #राना कात सवाँर ||
लुकत फिरैं संसार में , हौय न ऐसे काम |
#राना छाती ठौक कै , सबइ भजौ हरि नाम ||
काय लुकत #राना कहै , तनक सामने आव |
प्रतिभा जो ईसुर दई , खुलकै सबइ सुनाव ||
***
13-5-2023 बिषय -कक्का
#राना कक्का जो बनत , घर से मिलतइ मान |
गाँव भरे में फैलतइ , फिर ऊकी पहचान ||
कक्का हुक्का पी रयै , बैठे ठलुआ चार |
राजनीति में बन रयै , #राना लम्बरदार ||
आऔ कक्का बैठ लौ , #राना मीठे बोल |
बुंदेली तासीर के , शब्द बड़े अनमोल ||
कक्का की सबरै सुनत , गुनत सबइ है बात |
#राना इनखौ जानियौ , घर में हैं सौगात ||
कक्का सबरै जानतइ , #राना जितने पेंच |
खैचें जितै लकीर खौ , तनिक मिले ना रेंच ||
***
बिषय - निन्नै 15-5-2023
निन्ने कभउँ न जाइये ,गरमी कौ हो घाम |
झकर चले से लू लगै , #राना झुलसे चाम ||
निन्ने पेट न जात है , #राना खेत किसान |
करत कलेवा पैल है , फिर करतइ प्रस्थान ||
निन्ने पेट न हौत है , करौ भजन गौपाल |
बनी कहावत खूब है ,#राना जानत हाल ||
निन्ने चक्कर आत है , #राना हौवें रोग |
खा पीकै लेना दवा , लिखै डाक्टर योग ||
निन्ने कभउँ न जाइये , #राना बाहर आप |
चार ठौल फटकार कै , भरौ पेट को नाप ||
***
बिषय -ठट्ठ 20-5-2023
ठट्ट लगौ की बात कौ , #राना तनिक बताव |
ठलुआ ठाड़ै काय है , का कर रय बतकाव ||
ठट्ट लगौ नेता जुरै , #राना आव चुनाव |
पुटया रय बातें करैं, दै रय सबखौं भाव ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब तीन दोहे , कल रात से चर्चा में आए दो हजार के नोट की
बैंक खुलत ही घुस गयौ , #राना भारी ठट्ट |
दो हजार कै नोट खौं , भजवाँ रय सब चट्ट ||
लाल नोट भजवाँउनै , #राना है आबाज |
हाथन लय लहरात सब , ठट्ट बैंक में आज ||
एक हास्य 😇🙏
गुड़ी मुड़ी पुड़िया खुली , धना बिदै गइ गट्ट |
दो हजार के नोट लय , #राना घुस रय ठट्ट ||
***
बिषय भटिया* 22-5-23
पैलउँ भटिया है जलत , जीपै चढ़त कढाव |
बनतइ सब पकवान हैं , #राना घर में ब्याव ||
मइना लगतइ जून कौ , जैसे भटिया हौय |
#राना लू की आँच से , जीव बचै ना कौय ||
पैलउँ भटिया थी खुदत , अब लोहे की आत |
गैस सिलेन्डर है लगौ , जल्दी से जल जात ||
लपट उठै भटिया जलै , चढै करइयाँ आन |
कुशल अगर #राना हुआ , उम्दा हौ पकवान ||
धना अगर भटिया बनै , मौं से काड़ै झार |
#राना सरल उपाय है , करौ नई तकरार ||😇🙏
***
बिषय- नौ तपा 27+5-2023
#राना लगतइ नौ तपा , आसमान से आग |
चैकत ठाड़ौ है बदन , पैर ततूरी दाग ||
अच्छे तप लैं नौ तपा , #राना अच्छौ होत |
कात सयाने चूँ उठैं , तब बसकारौ रोत ||
#राना कातइ आपसे , चले तपा की थाप |
बाँध मुड़ी से तौलिया , घर में बैठौ आप ||
सन्नाटो खिच जात है , #राना दुपहर होत |
आँग चैकतइ नौ तपा , बदन पसीना ढोत ||
#राना जौरत हाथ है , मन के द्वारे खोल |
अच्छे तप लैं नौ तपा , हौ बारिस कौ डोल |
***
बिषय- गर ई दिनांक 29-5-2023
गरई कहत न बात है , बने फिरत सरपंच |
#राना फाँकत वह दिखै , गाड़ें अपनौ मंच ||
गरई हती न कछु उतै , कौनउँ #राना बात |
बेमतलब पंगा हतौ , जीपै जुरी जमात ||
गरइ बात जब -जब दिखै , लोग देंय सम्मान |
लिपी पुती उतरात है , #राना सब इस्थान ||
गरइ बात भी संत जी , कहे सदा अनमोल |
ईसुर चाने हौंय तौ , मन के दौरे खौल ||
एक हास्य
गरइ गड़इ #राना मिली , भव तौ मोरौ ब्याव |
दातुन कुल्ला खौ करन , पानी भरकैं आव ||
***
बिषय सिंदुरिया -3-6-2023 शनिवार
#राना गानौ सब धरौ , सिंदुकिया लइ चाप |
चली धना है मायकै , भरै खुशी की थाप ||
सिंदुकिया हर घर मिलै , रखतीं धनाँ समार |
गानौ गुरिया सब धरै , #राना करै निहार ||
सिंदुकिया में भी धना , धरतीं जूड़ा हार |
बखत परै #राना करैं , तन कौ बें श्रृंगार ||
सिंदुकिया भी सेठ कै , बड़े काम में आत |
#राना सौदा बैचतइ , पइसा डारत जात ||
एक हास्य दोहा
सिंदुकिया चापै फिरै , नउवाँ मिल गव हाट |
#राना बाल कटाय लौ , रव माथै खौ चाट ||
***
नानो दिनांक-5-6-2023
चकिया यह संसार है , #राना समझो बात |
जीवन भी नानो घुरत , पाट बनै दिन रात ||
समझों नानो है जगत , घूमत रत सब गोल |
तितर -बितर #राना सबइ , लुकबेें खोजत पोल ||
नानो नोनी सब सुनो , का चल रव बतकाव |
फिर तुम सोच विचार कैं , #राना रखियौ भाव ||
#राना नानो नोन हौ , करत गुचू सौ काम |
यैसइ हौतइ संत है , करैं ऊजरौ नाम ||
नानी नातिन से कहै , सुन लौ मौरे भाव |
नानो नोनों जो मिलै , #राना हृदय बसाव ||
**
बुंदेली दोहा बिषय - बेर बेर (बार-बार)
#राना मन की टेर से , प्रभु जी लेते हेर |
बेर-बेर तब का कनै , सुन लो अपकी बेर ||
बेर-बेर #राना कहै , करियौ नौनें काम |
ऊपर बारौ खुश रयै दैवें अपनौ धाम ||
बेर - बेर जब टोकतइ , #राना गुस्सा आत |
सामौ बारौ आदमी , खिजौ -खिजौ सौ रात ||
बेर- बेर ना जाइयौ , #राना तुम ससुरार |
इज्जत अपनी राखियौ , पानै को सत्कार ||
बेर-बेर काती धना , करने तीरथ धाम |
#राना बीदै है जगत , भुन्सारे से शाम ||
***
*बुंदेली दोहा विषय- जुगाड़*
लोग सयानैं हौ गयै , सौचें भली जुगाड़ |
हर्र लगे ना फिटकरी , #राना लैकें आड़ ||
#राना देखत रात है , अच्छी भलीं पछाड़ |
आधे से जादाँ मिलैं , जीमें हौत जुगाड़ ||
भारत कौ हर आदमी , जानत भौत जुगाड़ |
दुनिया बारे देखकैं , सकै न #राना ताड़ ||
राजनीति साहित्य में , #राना घुसी जुगाड़ |
पावै खौं सम्मान अब , लौकत उनकी दाड़ ||
मूषक भी करने लगै , #राना खूब जुगाड़ |
घंटी बिल्ली कै गलै , बाँद करैं खिलबाड़ ||
*एक हास्य -*
#राना से कहती धना , सीखौ तनिक जुगाड़ |
अच्छै लै दौ पैजना , थौड़े पइसा काड़ ||
*** दिनांक-17-6-2023
बुंदेली दोहा बिषय-काँलौ (कब तक)
राना काँलौ हम सहै , उनकी सूदी घात |
थौरें में जाँदा कहैं , समझों मोरी बात ||
#राना काँलौ हम लिखै , बजरंगी कौ खेल |
लंका जारी पूँछ से , लगौ न घर कौ तेल ||
#राना काँलौ हम कहै , चिपक गौंच से रात |
पाबै खौं सम्मान बै , जगन तगन गिगयात ||
कैकइ से कत मंथरा , काँलौ तुमै बताँय |
भुन्सारे #राना सुनौ , राम; राज्य खौं पाँय ||
सूपनखा कत भाइ जी , काँलौ कैवें बात |
#राना सीता सुंदरी , वन में रत इठलात ||
एक हास्य -
धना कात #राना सुनो , काँलौ अब समझाँय |
टउका सीखौ चार ठौ, जौ हम अब बतलाँय ||
***दिनांक-19-6-2023
बुंदेली दोहा विषय - भड़का
अच्छौ अब भड़का परौ , चुअत पसीना आँग |
#राना भी घर में घुसै , धरत न बाहर टाँग ||
रिसयानों भड़का लगत , बेंचैनी है आज |
#राना उन्ना भीज तन , भिनकातइ सब काज ||
गय सब भड़का पै भड़क , #राना रय है कोस |
चुअत पसीना पौंछ रय , दें मौसम खौं दोस ||
तपन न धरती की बुझी , नईं गिरी जलधार |
ईसै भड़का है परौ , #राना करत विचार ||
एक हास्य दोहा -
धना कात भड़का परौ , बाहर फिक रइ आग |
#राना घर में राइयौ , छीलत रइयौ साग ||😇
**24.6.23
बुंदेली दोहा प्रदत्त शबद- इक्कर (एक तरफा)
#राना इक्कर हौत है , जिनके तुनिक मिजाज |
खट्टौ खातइ एक दिन , भिनकत पूरै काज ||
संग छौड़ इक्कर चलैं , मानैं नइँ बै बात |
पसरत है बै गैल में , #राना साँसी कात ||
चार दिना सूदै चलैं , फिर लैं इक्कर मोड़ |
#राना औधै बै गिरैं , टाँगे लेतइ तोड़ ||
चार जनन कै बीच मैं , मिलकै रइयौ आप |
#राना इक्कर जौ चलै , बिगरै ऊकौ नाप ||
दोहा ना इक्कर लिखौ , राखौ सही विधान |
#राना लिख कै बाँच लौ , त्रुटि हौजे पहचान ||
एक हास्य दोहा -
धना कात इक्कर चलै , घर में मोरौ राज |
सब्जी तौ हम लै बना , पर तुम छीलौ प्याज || 🙏😇
*** दिनांक-26.6.2023
बुंदेली दोहा
प्रदत्त शब्द- फुकला(सार हीन छिलका)
फुकला हटबै धान से , चंदा -सौ खिल जात |
नाम बदल चाँउर रखें , #राना मन मुस्कात ||
फुकला खौं यदि छीलकै , दाना लेव निकाल |
मोती -सी लगती मटर , #राना स्वाद कमाल ||
फुकला जीखौं कात है , #राना कर लै नाम |
खड़ी खेत में हौ फसल , करतइ रक्छा काम ||
बखत-बखत की बात है , कभी आत जौ काम |
#राना फुकला कात भय , रखत न ऊकौ दाम ||
#राना अब फुकला कहैं , ढूड़ौ हमनै ठौर |
हमें डार सानी बनै , खाबै सबरै ढौर ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , बनौ न लम्बरदार |
फुकला छीलौ अब मटर, धरौ यैइ में सार ||😂🙏
***दिनांक-3.7.2023
बिषय :- डाँड़ (जुर्माना)
डाँड़ लेत सरकार है , समय निकर जब जात |
#राना बाकी हौ चढ़ी , नईं जमा जब पात ||
नईं डाँड़ से बच सकत , #राना जानत ग्यान |
बिजली बिल चूकैं जितै , लगतइ उतै निशान ||
धौकें मैं गलती अगर , फिर भी लगतइ डाँड़ |
गंगा में इस्नान खौ , #राना जातइ हाँड़ ||
डाँड़ लगातइ पंच है , #राना दैत न छूट |
कत समाज कै है नियम , इतै चलै ना लूट ||
ईसुर सै करतइ विनय , डाँड़ हौय उपचार |
तब चरणन में डारकै , #राना दइयौ प्यार ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , बनै न बातन माँड़ |
बस सोने की लल्लरी , आज प्यार कौ डाँड़ || 😉
*** दिनांक-8-7-2023
*बुंदेली दोहा लेखन कार्यशाला दिनांक-10-7-2023*
*जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
एडमिन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*प्रदत्त शब्द- बर्रोटी (स्वप्न देखना)
बर्रोटी में आत हैं , जैसे हौत विचार |
#राना मनसा से बनैं , ऊकै कई प्रकार ||
बर्रोटी में जौ दिखै , भुन्सारै की पार |
साँसी भी हौ जात है , #राना शगुन विचार ||
सौबे की बैरा सुनौ , झूठैं परै ना कौय |
बर्रोटी जब आय तौ , #राना अच्छौ हौय ||
बर्रोटी में जौ दबौ , परौ-परौ चिचयाय |
जानौ घर में अब बला , #राना जल्दी आय ||
बर्रोटी मन की दशा , लैतइ है आकार |
#राना इसके फल सदा , करबैं लोग निहार ||
*दौ हास्य दोहे*
धना कात #राना सुनौ , बर्रोटी है आइ |
सौने की चुरियाँ गजब, तुमनै मौय लिबाइ || 😉
लै दौ चुरियाँ आज ही , बर्रोटी सच हौय |
#राना जाने मायकै , रक्छा बंधन मौय || 😂
***
*बुंदेली दोहा प्रदत्त शब्द- डेंगुर/ ठेंगुर*
डेंगुर में गुर है बहुत , सूदे चलतइ ढोर |
नाँय माँय उचकत नईं , #राना हौत न शोर ||
बाँद गरै में दंड खौं , डेंगुर दे दव नाम |
चड़ी बीदतइ पाँव में ,#राना छिलतइ चाम ||
#राना डेंगुर डार कै , सोचत सबइ किसान |
नइँ उजार अब जै करै , लैतइँ ऐसौ मान ||
कात मताई अब फिरै , ई आसौं की साल |
लरकै डेंगुर डारनै , #राना ब्याब धमाल ||
*एक हास्य दोहा*
धना कात #राना सुनो , भूल न जइयौ छाप ||
मैं डेंगुर तुमरै गरै , करियौ नईं प्रलाप || 😉😇
**** दिनांक-15-7-2023
*बुंदेली दोहा- #ठेंटा*
#राना ठेंटा है करत , लग कै साजौ काम |
तरल हौय जब चीज तौ , लैतइ ऊखौ थाम ||
ठेंटा कसकै बाँदना , दैतइ सबइ सलाह |
#राना ढीलौ हौय तो , कारज लापरवाह ||
#राना ठेंटा हौत है , छोटे बड़े मजोल |
सिसियाँ में छोटे लगे, कितउँ लगत ज्यों ढोल ||
खुलतइ ठेंटा जब जितै , सब देतइ हैं ध्यान |
बैतुक कौ जब भी खुलै , #राना हौ नुकसान ||
मुख कौ ठेंटा है बड़ौ , #राना है कैनात |
बरसा दै कउँ फूल हैं , कितउँ चला दै लात ||
*एक हास्य दोहा -*
धना कात #राना सुनो , मौं कौ ठेंटा खोल |
आज हमें बतलाय दौ ,अपनी सबरीं पोल ||😉😇
*** दिनांक-17-7-2023
*बुंदेली दोहा विषय - नीचट*
#राना नीचट सब करौ , ठौक बजा कै काम |
और कितउँ मत चूकियौ , भली करेंगें राम ||
लेखन भी नीचट लिखौ , #राना दिखबै सार |
पढ़बै बारन खौ लगै , यह हमखौं उपहार ||
सोच समझ के बोलियौ , नीचट दैव जुवान |
कैकें बात निभाइयौ , #राना रखियौ शान ||
अपने मन की सब करौ , नीचट रखौ उमंग |
पर #राना हर काम कौ , चौखौ रखियौ रंग ||
नीचट बातें भी करइँ , कभउँ -कभउँ लग जात |
फिर भी #राना बे सदा , बन जाती सौगात ||
*एक हास्य दोहा 😂*
नीचट कै गइ है धना , #राना रव तैयार |
जानै मौखों मायकै , नयी लिबा दौ कार ||😉😇
🌻🌻*कुछ विशेष दोहे* - 🌻🌻
कक्का हुक्का पी रयै , कै रय नीचट बात |
#राना लिखकैं जाँचनें ,करनै नईं उलात ||🙆♂️
कक्कौ कक्का से कहै , #राना नीचट बात |
पढ़बै खौं अब जौ पटल , जय बुंदेली भात ||🧑🎤🙋
नीचट है लेखक सबइ , #राना सब लिख लैत |
अच्छे - अच्छे भाव खौ , लिखकै सबखौं दैत || 👌
हौ विधान में चूक तौ , नीचट है कछु मित्र |
#राना बै संकेत कौ ,छिड़कत रातइ इत्र || 👌🌹
कोउ बुरव ना मानबै , सीखत रख उत्साह |
#राना नीचट बात यह , मिलै सभी खौं चाह || 👨🎤🙋
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*बुंदेली दोहा विषय - तकौ (देखना )*
#राना उनखौं नइँ तकौ , भरैं रात जो यैंड़ |
मनसा रत उनकै लिगाँ , सबरै भरबैं पैंड़ ||
दुनिया में आकैं तकौ, #राना नौनें काम |
औनें पौने ना करौ , बनो नईं बदनाम ||
#राना ईसुर खौं तकौ , मानौ उनकी बात |
सब जीवन पै हौ दया , करौ नईं आघात ||
राजनीति नौनीं तकौ , जौ भी नौनों होय |
दैकै वोट जिताउनै , #राना अपनौ ओय ||
ईसुर भी जा कात है , करौ दया कौ दान |
#राना तकौ गरीब खौं , और करौ कल्यान ||
***
*एक विशेष -*
पुरस्कार की जब सुनी , कहैं मित्र शुभ योग |
#राना तब विनती करे ,लिखो तकौ सब लोग ||🙏🌹
*एक हास्य दोहा*
कक्का नें तक्का तकौ , #राना गय खिसयाय |
चिलम तमाकू है नईं , रय सबखौं बतलाय ||🙏😂
*** दिनांक-24-7-2023
दिनांक-22-7-2023
*बुंदेली दोहा विषय -उरानौ*
कौन उरानौ है सुनत , #राना सौचत रात |
कुरसी पै जौ भी जमत , सबखौं चींथें खात ||
दैंय उरानौ हम अगर , मौं तब फूलौ जात |
#राना नेतन के लिगाँ , पइसा काँसै आत ||?
हौय उरानौ साँच कौ , रात दिना कुल्लात |
#राना रै- रै याद हौ , तकुआ टेड़ौ रात ||
मिलै उरानौ सामने , नीचट हौबे बात |
सुनबै बारौ मौं झुका ,#राना मुड़ी कुकात ||
नहीं उरानौ हौ सहन , तब लरबैं आ जात |
#राना उनसे का कहैं , जौ बेशरमी लात ||
दैत उरानौ गोपियाँ , जसुदा तोरौ लाल |
#राना माखन खौं चुरा , सबइ बिगारें ग्वाल ||
नहीं उरानौ अब सुनै ,बनीं हुईं सरकार |
#राना बस उनकै सुनो , भाषन लच्छेदार ||
*एक हास्य दोहा -*
देत उरानौ है धना , तकौ परौसन पैर |
बैसइ पायल लान दौ , तब ही #राना खैर || 😉😂
*एक बिनतुआइ दोहा -*
नहीं उरानौ साथियौ , #राना सूदी सच्च |
सीखों और सिखाइयौ , जितै दिखत हौ गच्च ||🙏
*** दिनांक-29-7-2023
*बुंदेली दोहे , विषय - तँगत ( चिड़ना )*
तँगत रात #राना तकत , औछे रखत विचार |
देख तरक्की काउँ की , जौ खातइ हैं खार ||
#राना लामै सींग रख , मरका बैला हौत |
तनिक छिया पै बै तँगत, यैसइ नर है भौत ||
कछु पुजारी है तँगत , सुनकै राधे श्याम |
#राना भक्ती रूप कौ , यै भी एक मुकाम ||
धीनक धीना हौत है , #राना नईं आराम |
घर में तिरिया है तँगत , मन के ना हौ काम ||
*दो हास्य दोहे -*
नौनों मोरा मायका , #राना हाँ - हाँ हौय |
तनिक बुराई पर तँगत , धना रिसा जै सौय ||🙆♂️
तिरिया से तिरिया तँगत ,#राना हौतइ रार |
जब दो में से काउ कौ , अच्छौ हौ सिंगार ||😉😂
***दिनांक-31-7-2023
*बुंदेली दोहा विषय - पन्नी*
पन्नी फेंकत बायरैं , ढ़ोर बछेरू खात |
#राना हजम न कर सकैं , बिना मौत मर जात ||🙆♂️
थैला खौ भूलै सबइ , पन्नी भइ अनुकूल |
इतै उतै सब डार दें , #राना करबैं भूल || 🧑
पन्नी भी गलती नईं , #राना बिखरी रात |
बातावरण बिगारतइ , सरकारें समझात || 🙋
सबइँ जनै अब छौड़ दौ , पन्नी कौ उपयोग |
#राना यह तौ हौ गई ,अब समाज खौ रोग ||🙆♂️
थैला लैकैं निग चलौ , लैनें हौ सामान |
#राना का कैबौ इतै , सबइ दीजियौं ध्यान || 🙏
*एक हास्य दोहा -*
पन्नी कक्का कात है , पन्नी ना तुम ल्याव |
पैक तमाकू काय में , आबै हमें बताव ||😉🙏
***दिनांक-5-8-2023
*बुंदेली दोहा विषय - गदिया (हथेली)*
गदिया पै फरतइ नहीं , #राना कौनउँ आम |
झट्ट पट्ट में सट्ट सै , बिगर जात सब काम ||
#राना गदिया मीड़तइ , छूट जाँय जब काम |
पछताबौ हौतइ बहुत , चूँस न पायै आम ||
पढ़त लकीरें लोग है , #राना गदिया थाम |
पर किस्मत खौं कौ पढ़ै , जौ लिखतइँ है राम ||
नौनें हौबें जब करम , टूटै नहीं लकीर |
#राना गदिया में बसै , न्याय धरम कौ नीर ||
गदिया उतै लगाइयौ , #राना हौ शुभ छाप |
जितै हौत थौरौ गलत , छू ना लइयौ आप ||
*एक हास्य दोहा*
धना कात #राना सुनो , गदिया आज खुजात |
जैसै रुपया तुम अबइँ , दैबैं हमखौ आत || 😉🙋
***दिनांक-7-6-2023
विषय - चिलकत (चमकता)
इसका उच्चारण मात्रा भार ( चिल+कत = दो +दो है , इस शब्द से यति और पदांत नहीं हो सकता है , अत: ऐसे शब्दों का प्रयोग प्रारंभ और मध्य में किया जाता है
सादर
भारत भी चिलकत रयै , #राना मंशा आज |
सब लौगन के काम से , आय राम कौ राज ||
चिलकत #राना आदमी , नियत रखै जो साफ |
खौटोंपन उतरात है , कोउ करत ना माफ ||
नेता चिलकत से लगैं , जीतैं अगर चुनाव |
हारे करिया से लगत , #राना मिलत न भाव ||
चिलकत मन उनकौ सदा , भजन सदा जो गाँय |
#राना रातइ मस्त हैं , फल भी नौनों पाँय ||
चिलकत रहियौ सब इतै , लिखियौ अक्छर चार |
हिलै - मिलै #राना रयैं , करैं पटल सिंगार ||
हम तुम सब चिलकत रयैं , हृदय भाव मजबूत |
#राना नौनों लिख चलैं , बनें शारदा पूत ||
एक हास्य दोहा -
धना आज चिलकत दिखी , #राना कर सिंगार |
बोली जा रय मायकै , तुम तकियौ घर द्वार || 😉🙋
*-** दिनांक-12-8-2023
*बुंदेली दोहा दिवस , सोमवार , विषय - ठूँसा (मुक्का)*
हल्कौ ठूँसा मित्र जब , बैठ बगल में देत |
#राना गड़बड़ हो रयी , करतइ उतै सचेत ||
दुश्मन ठूँसा मार दे , भौत अखर तब जात |
चार जनन के बीच में , #राना बौ कुल्लात ||
पत्नी ठूँसा गुच्च कै , अपनौ प्रेम जतात |
#राना इतनौ जानतइ , मन सबकौ मुस्कात ||
बातें भी खोटीं खरीं , ठूँसा-सी लग जात |
भौत आसतीं भीतरै , #राना कैं ना पात ||
ठूँसा हूँका कौ घलै , थुथरी चपटी हौत |
बिन मतलब की जौ बकै, #राना गारी भौत ||
*दो हास्य दोहे*
साली ठूँसा तानरइ , #राना से नाराज |
जिज्जी काम करात है , दै दैकैं आबाज ||🧑🙆♂️
मुस्की दे ठूँसा दिखा , धना गई है हेर |
#राना मंजन कर खुपड़ , समझ न पा रय फेर ||
***14-8-2023
*बिषय -कानात (कहावत)*
सुन #राना कानात खौं , हो गय भौत सचेत |
कितनउँ कौलू में पिरै , तेल न देबै रेत ||
#राना कयँ कानात खौं , सुन लौ भइया मोय |
अनजानौ फल ना चखौ , चाय मुफ्त कौ होय ||
कमरा-कमरा गाँठ कौ , #राना हौत न खेल |
साँसी यह कानात है , हौत न इनमें मेल ||
बेर- बेर कौ टौंचना , कभउँ न पालौ आँग |
#राना यै कानात है , रखौ बचाकर जाँग ||
टेड़ौ हौबै आदमी , जब करबै बतकाव |
कैबें तब कनात है , #राना करौ बचाव ||
एक हास्य दोहा -
धना कात कानात खौं , #राना सुन रय ग्यान |
घर में खाबै होय तौ , सौव पिछौरा तान ||
*** दिनांक-19-8-23
*बुंदेली दोहा विषय - पैचान ( पहचान )*
#राना कौनउँ बात से , जुरत कितउँ है ठट्ट |
नेता तब पैचान खौं , घुस आतइ हैं झट्ट ||
जिनकै ऐंगर हौत है , बातन कौ भंडार |
#राना बौ पैचान रख , बनतइ लम्मरदार ||
प्रभु के चरनन हम रयैं , #राना सरल उपाय |
दीन दुखी पैचान कै , उनकै बनौ सहाय ||
ऐंगर हरदम ही रयै , #राना श्री हनुमान |
राम प्रभू के खास है , जग में यह पैचान ||
बड़ी अगर पैचान हौ , कभउँ न राखौ दम्भ |
वरना #राना एक दिन , चित्त पटा हौं खम्भ ||
*एक हास्य दोहा -*
उँगुली से कत है धना , #राना रव चुपचाप |
गुइयाँ है पैचान की , घर से खिसकौ आप ||🙆
*** दिनांक-21-8-23
*बुंदेली दोहा विषय - उजड्ड*
जब उजड्ड #राना मिलै , निगौं बरक कै आप |
बैमतलब की खाज है , लै ना बैठौ छाप ||
सुदरै नईं उजड्ड भी , लरबै ठाड़ौ रात |
पतौ न #राना चल सकै , कब दै बैठै घात ||
कत उजड्ड खौं कौउ भी , तनक न समझा पात |
उठा लैत है लठ्ठ खौं , #राना गुस्सा खात ||
हौ उजड्ड जब सामनें , करौ नईं बतकाव |
#राना मंजन हौ खुपड़ , मन कै बिगरैं भाव ||
ढौरन में गिनती करौ , #राना जितै उजड्ड |
गटा सींग से है लगत , लरबै बनतइ मुड्ड ||
*एक हास्य दोहा*
धना कात #राना सुनौ , बजे शकल पै तीन |
बिखरै बाल उजड्ड-से , कौउ न पा रव चीन ||
*** दिनांक-26-8-2023
सोमवार , बुंदेली दोहा दिवस
विषय - सरसुती
#राना कातइ सरसुती , सबकी मैया आँय |
बीना लैकें हात में , ग्यान हमें सिखलाँय ||
बैठ हंस बीना लयै ,धुतिया फक्क सपेत |
पौथी थामै सरसुती , #राना अक्कल देत ||
#राना करतइ कामना , दैव सरसुती ग्यान |
बुंदेली भाषा करैं , मिल जुरकैं उत्थान ||
ब्रम्हा की बिटिया बनी , ब्रम्हपुरी में वास |
नाम सुरसती जानतइ ,#राना तकत उजास ||
जय बुंदेली है पटल , दैव सरसुती ध्यान |
जुड़ौ नाम साहित्य है , #राना करतइ गान ||
रयी सरसुती की कृपा , जुर गय #राना मित्र |
बुंदेली भाषा बनै , सब भाषन में इत्र ||
#राना भी मेनत करत , दैत सबइ है संग |
माइ सरसुती भी भरैं , सबखौं नयी उमंग ||
***दिनांक-28-8-2023
बुंदेली दोहा विषय - धिंगानों = लड़ाई झगड़ा ( (शब्द भार 6 )
अब धिंगानों कछु जनै , करकैं टारै काम |
मन की धन #राना करैं , तबइँ मिलै आराम |
संसद में #राना तकैं , जब धिंगानों होय |
कीसें कौ अब कात है , समझ न आबैं मोय ||
सरकारी पइसा बँटौ , है धिंगानों यैन |
छौटन कौ पायैं बड़े , सौ #राना बैचैन ||
इक धिंगानों हम कयै , #राना तकी बरात |
किलकिल हुई दहेज पै , चल गय जूता लात ||
कल धिंगानों मच गयौ , #राना गय पंच्यात |
मुड़ियाँ जब फूटन लगीं, भगै सबइ चिल्लात ||
अब धिंगानों हौय ना , करौ प्रेम से बात |
खेंचातानी से सदा , काज बिगर सब जात ||
*एक हास्य दोहा -*
तुम धिंगानों नइँ करत , धना प्रेम से कात |
सौ #राना हम साड़ियाँ , लायै आज बिलात || 🙏
*** दिनांक-2.9.2023
विषय - इत्ती-सी ( थोड़ी- सी / तनक- सी )
इत्ती-सी #राना कयैं , जुरै इतै जौ पंच |
मिल जुरकै ऊँचौ करौ , जय बुंदेली मंच ||
इत्ती- सी #राना सुनौ , चिमाँ जाँव सुन बात |
सामैं बारौ भाग जै , जौन खुपड़िया खात ||
बस इत्ती -सी बात थी , धजी बना दवँ साँप |
#राना लरबै बें फिरै , लठ्ठ काँखरी चाँप ||
इत्ती- सी धर माँउदी , पूरौ पुरा बुलाँव |
#राना रच लौ हात खौ , कोउ नईं सकुचाँव ||
इत्ती-सी जब बात है , आगैं काय बढ़ात |
कुठिया में गुर फौर लौ , #राना भी समझात ||
एक हास्य दोहा
इत्ती- सी मिरचैं हतीं , दइँ चटनी में हूँक |
फिर #राना से कत धना, काय काड़ रय फूँक ||🙆♂️
***दिनांक-3-9-2023
*हिंदी दोहा दिवस , विषय - शिक्षक*
🌹"शिक्षक दिवस पर , आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 🌹
शिक्षक देते है सदा , #राना वह सौगात |
जिससे जीवन में सदा , रहे ज्ञान बरसात ||
शिक्षक का सम्मान भी , करिए देव समान |
#राना कहता पूज्यवर , पाकर उनसे ज्ञान ||
जीवन भी रहता सरल , रहते उच्च विचार |
#राना शिक्षक का सदा , मत भूलें उपकार ||
पाँच सितम्बर है दिवस,अब शिक्षक के नाम |
#राना करता है यहाँ , सादर उन्हें प्रणाम ||
राधा कृष्णन हो गये , भारत प्रमुख प्रधान |
#राना जिनके नाम से , शिक्षक दिवस महान ||
एक हास्य दोहा
पति - पत्नी #राना युगल , है शिक्षक हर हाल |
गले मिले सम्मान से , माला भी दी डाल ||
🙏😇🌷💐🌹
***दिनांक-5-9-2023
*बुंदेली अप्रतियोगी दोहे विषय- कूका*
भुन्सारे से शाम तक, जो कूका ही देत |
#राना ठलुआ जानियौ ,चैन सबइ हर लेत ||
#राना कूका बै दयै , फारै डारत कान |
बनकै जिंदा भूत अब , खातइ नेता प्रान ||
छाती पै कूका दयैं , लोग कात जा बात |
#राना मतलब जानियौ , ऊदम नईं पुसात ||
चार दिना ना आन भय, बउँ दै रइ खरयाट |
#राना कूका सब सुनै , नकै बड़ेरै ठाट ||
कूका दैके ताँस रइ , #राना घर कै मौन |
कौ अब बउँ कै मौ लगै, दिखत तमासे जौन ||
*एक हास्य दोहा -*
कूका दे रय काय खौ , धना कात यह आन |
जौ चानै सौ ढूँड़ लौ , #राना खाव न प्रान || 🙆♂️😉
***दिनांक-9-9-2023
बुंदेली दोहा दिवस - विष़य - चैंथी
जिनसे करकै दोसती , बचैं न चैंथी बार |
#राना रानें दूर है , करकैं उनै जुहार ||
उरजट्टन से बीदबौ, #राना कीखौं भात |
आबड़ में जब बीदतइ, चैंथी उतइँ कुकात ||
चैंथी कौलत काय खौं, #राना कोई कात |
बकबक करबै जो लगै , बै भी चुप हौ जात ||
चैंथी पूरी चिथ गई , बचै न येकउँ बार |
#राना ऐंगर बैठकैं , रय असुआँ बै ढार ||
चैंथी पै ना दो चढ़न , #राना कौनउँ घात |
हातन से निपटाय दो , बढ़ै न आगैं बात ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , चैंथी लैउ बचाव |
ठलुआँ ठाडैं बायरै , करबै खौ बतकाव ||
***दिनांक-11-9-2023
*बुंदेली दोहा विषय - टिया (अवधि)*
टिया चूक गवँ साव कौ , #राना बढ़नै ब्याज |
मौ खौं फिरत दुकात है , आ रइ उनखौं लाज ||
टिया काउ खौं दैव जब , दइयौ सोच विचार |
पूरौ बचन निभाउनै , #राना रवँ तैयार ||
लोग बाग #राना कहत , जितै टिया में चूक |
सुनकै बातें चार ठौ , परै गुटकने थूक ||
नईं टिया पै हौत जब , #राना कौनउँ काम |
लोग - बाग झल्लात है , भुन्सारे से शाम ||
#राना दैके भी टिया , लोग भूल जब जात |
मिलत उरानें हूँक कै , कत हैं कर दइ घात ||
*एक हास्य दुमदार दोहा -*
धना गई है मायकै , दे गइ टिया बुलाँय |
हरदी खिलबै ब्याव में, #राना तुमै पुजाँय ||
पतौ ना कैसौ पुजने |
बता दौ भइया अपने || 🙆♂️🙋
***दिनांक-16.9.2023
श्री गणेशोत्सव की आप सभी को हार्दिक बधाई , शुभकामनाएँ
💐💐🌹🌹🌹🌹🌹💐💐
बुंदेली दोहा दिवस पर विशेष
विषय - श्री गनेश जी के पर्यायबाची शब्द प्रयुक्त दोहे
करैं थराई आप लौ , गौरी नंदन आज |
आन बिराजौ मोय घर , #राना रख लौ लाज ||
गनपति बप्पा आप खौं , सब कातइ विघ्नेश |
#राना राखन चात है , अपने अबइँ हृदेश ||
विनतुआइ #राना करै , बड़़ी सूड़ महराज |
जय बुंदेली जौ पटल , रखियौ ईकी लाज ||
मंगल मूरत है अपुन , काटौ #राना कष्ट |
संगै भारत राष्ट्र कै , विघन करौ सब नष्ट ||
गनपति बप्पा आपकौ , सजौ रयै दरबार |
#राना मुड़िया खौं झुका , चाबै बेड़ा पार ||
***दिनांक-17-9-2023
*बुंदेली दोहा विषय - ठाँड़े बैठे (बिना काम के , बेवजह )*
ठाँड़े बैठे ना करौ , कौनउँ घटिया काम |
#राना कौ कैबौ इतै , नइँ हौने बदनाम ||
ठाड़ै बैठें गट्ट लइ , #राना करौ न ध्यान |
उनै बुला कै आय घर , जौ कौलत है कान ||
ठाँड़े बैठे हर जगाँ , भजौ राम कौ नाम |
#राना लग जै लाग भी , पाने हरि कौ धाम ||
खात दुलल्ती बै सदा , #राना बिगरत मूँछ |
ठाँड़े बैठे ले पकर , जो गर्दभ की पूँछ ||
ठाँड़े बैठे लग गई , उनके हाथ बटेर |
अब #राना उनखौं तकत ,यैड़त देर सबेर ||
*एक हास्य दोहा -*
ठाँड़े बैठें कत धना , #राना कर लौ काम |
चलौ नाक की सूद में , हाथ हमारे थाम ||
*** दिनांक-23-9-2023
तरी (भेद रहस्य / गहराई / )
बुंदेली दोहा विषय - तरी*
तरी लैन बै आयतै , भुन्सारे से आज |
#राना है कीकी तरफ, कितै समारै काज ||
लैबें खौ #राना तरी , आ गय माते दोर |
किते वोट तुम डार रय , जा रय किसकी ओर ||
बातें रयै मठोल है , घौटन हमखौं चात |
तरी हमारी जानबें , #राना बै पुटयात ||
तरी जौन की खुल गई , #राना बौ हकलात |
मुंडी खौं नैचें करै , धरती रत कुलयात ||
#राना कौ कैबौ इतै , तरी रखौ मजबूत |
टुकलौ भी ना कर सकै , आकै कौनउँ पूत ||
*एक हास्य दोहा -*
धना कात मोरी तरी , गुइयाँ लैबै आँइँ |
#राना उल्टौ हौ गयो, दैकें गइँ परछाँइँ ||
*** दिनांक-25.9-2023
बुंदेली दोहा विषय - कागौर
#राना कउवाँ खौं इतै , कैसें कयैं अछूत |
खाबें जब कागौर बौ, है पुरखन कौ दूत ||
#राना पुरखा है पुजत ,श्राद्ध पखा हर भौर |
भोज बना के है रखत, छत पै सब कागौर ||
नौनीं सब यह लीक है , बनी रयै आबाद |
#राना रख कागौर खौं , पुरखा करतइ याद ||
मालपुआ #राना लुचइँ , खीर बनत है भौर |
पुरखा आबें काग बन , खूब चखत कागौर ||
कउवाँ है यमराज का , जानों यहाँ प्रतीक |
खाकर वह कागौर खौं , पुरखन तक दे लीक ||
*एक हास्य*
धना गई छत पै धरन , पत्तल में कागौर |
काँव -काँव पुरखा करैं , काँबैं कम है कौर || 🙏😇
***दिनांक-30.9.2023
*-बुंदेली दोहा विषय - बिर्रा*
बिर्रा रोटी खाय जौ , सई हाजमा रात |
जठर अग्नि भी तेज हो, #राना सबसे कात ||
चना मिलत जब गेउँ में, #राना ताकत देत |
ईकी यह तासीर है , उदर रोग हर लेत ||
बिर्रा रोटी जब बनें , मन से जो भी खात |
स्वाद महक साजौ लगे , #राना साँसी कात ||
बिर्रा रोटी जब बने , और भटा की साग |
#राना कैंथा हो बँटौ ,थरिया लगत पराग ||
#राना बिर्रा नाज की, रख लो मन में छाप |
औसर पै खाबै मिले , नईं चूकियौ आप ||
*एक हास्य दोहा*
धना कात #राना सुनो , कऔ येक- सी बात |
बिर्रा से बतकाव से , काय मूड़ तुम खात ||
***दिनांक-1-10-2023
बुंदेली दोहा विषय - ठगिया (ठगने वाला)
ठगिया जब आबड़ बिदै , करतइ भौत थराइ |
#राना सबरै देखतइ , ऊँकी जगत हँसाइ ||
ठगिया भी #राना तकैं , हौतइ फितरत बाज |
हाथ साफ यैसौ करैं , चपौ रात है राज ||
ठगिया की भी गैल से , #राना निकर न पात |
गुरयाई-सी बौलकैं , सबखौ खुदइँ बुलात ||
ठगिया से हो दौसती , #राना भौत डरात |
छींटा ऊपै बाद में , पैंलाँ हम पै आत ||
दमदौरा भारी दयै , #राना कै नइँ पात |
ठगिया से भैरौ परैं , अकल न कामै आत ||
*एक हास्य दोहा -*
#राना तुम ठगिया लगत , धना हमारी कात |
अपनी बातन से सदा , हमखौं खूब ठगात |||
*** दिनांक-7-10-2023
*बुंदेली दोहा विषय - गरे गौं*
आज गरे गौं पर गई , जिनै तनिक पुटयाव |
घर में आकै कात है , #राना खाबै लाव ||
लिपट गरे गौं तास रइ , उनकी अब पंच्यात |
कैसें हौबें फैसला , #राना मुड़ी पिरात ||
उनकौ मौं चउँअर चलौ , खूब दऔ खरयाट |
ब्याद गरे गौं पर गई , #राना जुर गइ हाट ||
ब्याद गरे गौं जानियौ, कभउँ न साजी होय |
#राना जीखौं है लगत , मुड़िया पकरै रोय ||
चमचा देखे येक दिन , परत गरे गौं यैन |
सबरै काम नसात है , हौत भौंत है ठैन ||
*एक हास्य दोहा -*
धना कात #राना सुनो , बिदी गरे गौं आन |
झूट कयी नइँ जाव जू, सो रुक गय मैमान ||
***दिनांक-9.10.2023
बुंदेली दोहा विषय - टूँका( टुकड़ा)
टूँका रावन के भयै , #राना गिरकै अंग |
लंका जरकै खाक भइ , फीके पर गय रंग ||
गटा भले ही दो दिखें , नजर एक पर रात |
#राना देखत पारखी , कत टूँका में बात ||
टूँका -टूँका देश कै , करबें की जौ कात |
उनखौं #राना दो सबक , जो भी हाथ उठात ||
टूँका -टूँका जब जुरै , मिलकै कछु बनात |
#राना उनखौं देख कै, मन सबकौ मुस्कात ||
घर कै टूँका जौ करै , करत प्रेम पै घात |
#राना साता दूर रत, फिरत दिखैं भैरात ||
एक हास्य -
टूँका उन्ना हौतनन , धना उनै गुड़यात |
साफ सफाई जब चलै , #राना खौ पकरात ।।
***दिनांक-14-10-2023
*बुंदेली दोहा विषय - उल्टौ ( विपरीत )*
उल्टौ चलकै जौ सदा , #राना करतइ काज |
एक दिना घर बैठतइ , और खुजातइ खाज ||
उल्टौ देत जवाब जौ , सुनकै सूदी बात |
#राना उनकी देखतइ , भिनकत है पंच्चात ||
#राना उतै न जाइये , लैकें कछू सलाह |
उल्टौ बिच्छू हो चढ़त , रत हौ लापरवाह ||
सबइ जनै अब दूर रयँ , जिनकौ उल्टौ काम |
#राना उनसै भूल कै , करियौ नईं सलाम ||
उल्टौ चढ़ रवँ भूत है , #राना पढ़बै मंत्र |
जिंदा में जौ चाँट गवँ , नेता बन गणतंत्र ||
*एक हास्य दुमदार दोहा*
धना कात #राना सुनो , उल्टौ ना चिचयाव |
मौइ मताई आ रयी , तुम सूदै हौ जाव ||
यैड सब भीतर रखियौ |
सास लौ हाँ हाँ कहियौ |।
*** दिनांक-16.10.2023
बुंदेली दोहा विषय- दच्च
#राना बचियौ दच्च सैं , करौ सवँर कै काम |
भलै बुरै सब चीनियौ , लैकें प्रभु कौ नाम ||
दच्च लगत #राना जितै , भौत अखर भी जात |
आँसत है वह रात दिन , नईं धरौ रख पात ||
संगत के आधार पै , दच्च मिलै या दाम |
#राना दुख -सुख जैइ है , भुन्सारे से शाम ||
दच्च हमेशा खात है , #राना पाकिस्तान |
भारत से जब भी लरत , बनतइ बुदुआँ आन ||
दच्च लगै से लौ सवँर , #राना सबसैं कात |
जौ सवँरै ना चोट खा , बौ फिर खट्टौ खात ||
एक संदेश दोहा -
धना कात #राना सुनौ , दच्च नईं लग पाय |
साफ सफाई खुद करैं , दीवाली जब आय ||
***दिनांक-21-10-2823
आज नवदुर्गा नवमी की सभी को हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ
माता रानी आप सबकी मनोकामनाएँ पूरीं करैं |
आइयै आज हम सभी ", मइया पूजैं " विषय से दोहा काव्य में , मइ़या पूजा करें |
सादर
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
बुंदेली दोहा दिवस , विषय - मइया पूजैं
मइ़या पूजैं सब जनै , नवदुरगा जब आँय |
बुबत जबारै दिन प्रथम , #राना मन खौ भाँय ||
मइया पूजैं कर हवन , अठबाई का भोग |
जाकै सबइ चढ़ात है , #राना नौनें योग ||
मइया पूजै नारियाँ , करती गरबा आन |
और खिलत है डाँडिया , #राना गाबै गान ||
मइया पूजै लोग भी , झंडा लाल. चढ़ात |
#राना फौरत नारियल , खूब प्रसादी पात ||
अंतिम पूजा हौ नमै , नवदुरगा त्यौहार |
मइ़या पूजैं सब जनै , #राना हो जयकार ||
***दिनांक-23-10-23
******
*बुंदेली दोहा विषय - न्योरे - (झुककर )*
#राना न्योरे हम गयै , जितै हतै तै संत |
प्यारी बानी सै लगै , हमखौं तौ भगवंत ||
गुनी मुनी सच्चै मिलैं , और वीर विद्वान |
न्योरे #राना तब रयैं , देखत खेत किसान ||
उननौ न्योरे ना करौ , #राना जितै घमंड |
यैसन सै मौं फैर कै , उनै दैव सब दंड ||
न्योरे भी साजै लगै , हौय भलै की बात |
पर लम्पा की यैड़ नौ , रुकौ न #राना कात ||
करौ निहारौ खूब सब , न्योरे करते जाव |
पर यैड़ा कुंठित रयै , तुम कितनउँ पुटयाव ||
एक हास्य दोहा -
न्योरे #राना येक दिन , गयै धना पुटयान |
ज्यौं पुटयाबै प्रेम सै, त्यौं डिड़याबै आन ||🙏😇
*** दिनांक-28-10-23
*बुंदेली दोहा विषय - डाँड़ (जुर्माना)*
जिनखौ लग गवँ डाँड़ है , #राना जाऔ चेत |
कछू गलत हमसे भयौ , कारौ और सपेत ||
दै आयै जौ डाँड़़ है , कट गवँ है चालान |
#राना उनसे कात है , आगें दौ अब ध्यान ||
गलती पै गलती करै , लगे डाँड़ पै डाँड़ |
#राना उनखौ जानियौ , बिना नाथ कौ साँड़ ||
डाँड़ भरै से हौ शरम , करौ न ऐसे काम |
गलत काम #राना सदा , करत भौत बदनाम ||
डाँड़ भरै से है लगत , भयौ गलत कछु काम |
इज्जत में बट्टा लगत , चर्चा हौत तमाम ||
*एक हास्य दोहा -*
डाँड़ धना अब दैत है , कत जाऔ इसटैन्ड |
बाई मौरी आ रयी , #राना करौ अटैन्ड ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~
दिनांक-30-10-2023
***
विषय - नब्दा (रौब गांठना)
#राना नब्दा पैलबौ , भौत सरल है बात |
करौ सदा उपकार खौ , दौ सबखौ सौगात ||
नब्दा पैलन जब चलै , भइया मूसर लाल |
उल्टौ उदरौ चामरौ , #राना फूलै गाल ||
नब्दा उनके है गठत , मानत उनकी बात |
जिनकी #राना है सरल , पूरी भलमनसात ||
नब्दा भारत कौ दिखै , घूमौ जरा विदेश |
#राना सब सम्मान दै , दिखतइ नईं किलेश ||
नब्दा उनपै है चलत , दबै चपै जौ हौंय |
दाँत निपौरैं सब जगाँ, #राना बैठैं रौंय ||
एक हास्य दोहा -
#राना नब्दा पैलतइ , धना रात नाराज |
कत टैरे पै नइँ सुनत , तुम मेरी आबाज ||
*** दिनांक-4-11-2023
*बुंदेली दोहा -नटवा -(छोटा बैल)*
लरका ज्वानी दैख कै , #राना घर कै कात |
ई नटवा खौं नाथ दौ , डारौ फेरे सात ||
कूदै नटवा सार में , घर कै सब मुस्कात |
बौ भी थुतरी दै रगड़ ,#राना नाक खुजात ||
नटवा घर में हौय दो , #राना कतइ किसान |
बैलन की जोड़ी बनै , खेतन कै मैदान ||
नटवा अपनै सींग खौ , भौतइ रात खिलात |
#राना पेंच लड़ान खौ, अपने सींग फसात ||
नटवा की #राना कयैं , हौय जितै दो चार |
लरका हौ या बैलबाँ , दैतइ भौत दिमार ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , नटवा जीकौ पूत |
बौ तौ जा कै ब्याब की , लैबै कितउँ भभूत ||🙏
***दिनांक-6.11.2023
*बुंदेली दोहा विषय - लच्छमी*
ऊकै घर रत लच्छमी , हौतइ खानागान |
#राना साजी हो नियत, जीखौं कत ईमान ||
दौलत से कत लच्छमी, मौरे घर में आइ |
मुड़िया #राना लै छुबा , कत है जय हो माइ ||
बिस्नु प्रिया है लच्छमी ,#राना माता कात |
माता भी पुतरा समझ , आशीषें बरसात ||
दीवारी खौ लच्छमी , घर - घर पूजीं जात |
#राना घर के चौक में , मुलकन दिया जलात ||
घर में आयें लच्छमी , दीवारी की रात |
दिया जरै सबकै घरै , #राना भी मुस्कात ||
*एक हास्य दोहा*
धना कात #राना सुनौ , जाँदा ना इतराव |
हम घर की है लच्छमी , नगदी सब धर जाव ||
*** दिनांक -11-11-23
*बुंदेली दोहा विषय - मौनिया*
बुंदेली दल मौनिया , है भौतइ मशहूर |
खेलत #राना लै डड़ा , जोश भरें भरपूर ||
किशन सखा सबरै बनै , मौर पंख लैं धार |
कम्मर #राना गलगली, बनें मौनिया यार ||
कथा मिलत #राना सुनत , जब गइयाँ छिप जाँय |
किशन हौत तै मौनिया , ग्वाले खौजन आँय ||
खेलत बनकै मौनिया , #राना भक्ती रूप |
परमा हो गइ पुन्य है , सबखौ लगत अनूप ||
बारह बरसौ मौनिया , जौन युवक बन जात |
गोवर्धन ही पूजकै , #राना डड़ा सिरात ||
***दिनांक-13-11-2023
बुंदेली दोहा-दाँद ( बहुत गर्मी)
#राना हौतइ दाँद जब , टंटे तक लौ जात |
कौउ काउ की ना सुनै , उड़ी धूर है खात ||
दाँद मचाबौ है सरल , शांत करत ना कोउ |
#राना सब उकसात है , लरबै बारे दौउ ||
माते जानौ है प्रथम , दैत गाँठ खौं बाँद |
#राना फिर उसकार कै , खूब मचातइ दाँद ||
दाँद मचत है जब जितै , #राना हौत न शांत |
कौउँ सुनत ना काउँ की, धरै रहत दृष्टांत ||
दैत दाँद अरु दौदरा , दारू खौरा यैन |
#राना अब उनकै घरै , कौउ न जातइ कैन ||
एक हास्य दोहा -
धना मचा रइ दाँद है , #राना मुड़ी कुकात |
समझ न आ रइ बात है , कायै पै झल्लात ||
****दिनांक-18.11.2023
बुंदेली दोहा दिवस , विषय - ब्रम्हा /बिरमा
मुड़ी झुका ब्रम्हा परम , #राना करत प्रणाम |
कात पितामा भी उनै , आदर से लै नाम ||
सबइ प्रजापति देव है , ब्रम्हा जू के पुत्र |
#राना रचना विश्व की , जिनने करी पवित्र ||
चार मुखी ब्रम्हा बनै , सबइ दिशा खौ देख |
#राना वेद पुरान में ,यैसौ मिलतइ लेख ||
तीन प्रमुख भगवान है , ब्रम्हा विस्नु महेश |
#राना इनखौ जो भजत , हटतइ सबइ किलेश ||
दिखतइ बुजरक वेश में , ब्रम्हा जू है नाम |
बिटिया उनकी शारदे , #राना करत प्रणाम ||
बाकी सबरै देवता , नाती है कैलात |
#राना ब्रम्हा पूज कै , सबइ पितामह कात ||
एक हास्य दोहा -
धना कात राना सुनौ , तुमै काम नइँ आत |
घर के बस ब्रम्हा बनै , सबपै हुकम जमात || 🙆♂️🙋
***20.11.2023
बुंदेली अप्रतियोगी - इंद्र/ इंदर
देवराज इंदर बड़े , #राना जानत नाम |
असुर सदा इनसे जरत, और करत संग्राम ||
#राना सुख बगरौ रहत, इंद्र करैं ना योग |
सुरग लोक में बैंठ कै , भोगत सबरै भोग ||
बृषपति इंद्रन में सुने #राना गुरू मराज |
इंद्र बिगारत हाल जब , यैइ समारत काज ||
पानू जब बरसाव तौ , इंद्र देव ने आन |
गौवर्धन से श्याम ने ,#राना टौरौ मान ||
मानी हौकैं इंद्र जब , #राना करतइ हान |
तब त्रिदेव चेतात हैं , भंग करत सब मान ||
एक हास्य दोहा -
#राना से कातइ धना ,इंद्र सनम तुम आव |
खैप धरी खाली घरै , ऊमै जल बरसाव ||
***दिनांक-25-11-23
*बुंदेली दोहे विषय - भोले / भोला (शंकर जी)"
#राना पौतें राख हैं , लयै हात तिरशूल |
गरै डरै रुद्राक्ष हैं ,जैसे हौ बै फूल ||
#राना धूनी है जमी , भोले रत कैलाश |
जटा जूट में गंग है , चंदा भरत उजास ||
भोले जाबै खौ कितउँ , रखैं नादिया बैल |
भूत भुतैयाँ मंडली , साफ करत है गैल ||
धरती पै #राना दिखैं , बारा ज्यौतिरलिंग |
महिमा भोले की उतै , बगराती नव रंग ||
डमरू भौले कौ बजै , नृत्य तानडव हौय |
कछू हुई अब बात है , #राना लगतइ मौय ||
*एक हास्स दोहा -*
धना कात #राना सुनौ , तुम भोले के भक्त |
भंग चढ़ा मम सामने , काय लगा रय गस्त || 😇
***
*बुंदेली दोहा विषय- बैठका*
जितै बैठका में सदा, बैठक लोग लगात |
चाय पान चलतइ रहत , #राना करतइ बात ||
कौन बैठका में भई , चार जनन की बात |
#राना निरनय का भयौ , सुनबौ सारै चात ||
सरपंचन कै बैठका , सदा रात गुलजार |
#राना सबखौ है लगत , जैसै हौ दरबार ||
पुजतइ #राना बैठका, जितै न्याय की बात |
पंचायत करवान खौ , दौइ दलन कै आत ||
लौंग लायची पान भी , मिलै तमाकू चिल्म |
#राना दैखत बैठका , राखत स्वागत इल्म ||
*एक हास्य दोहा -*
पुज रवँ तुमरौ बैठका, धना गई मुस्काय |
#राना स्वागत सूँट कै , कविता रयै सुनाय || 🙏😉
*** दिनांक - 2-12-2023
बुंदेली दिवस - विषय - गौंड़ बब्बा
कात गौंड़ बब्बा सबइ , परतइ उनकै पाँव |
#राना हौतइ चौतरा , बुंदेली हर गाँव ||
दैत गौंड़ बब्बा जितै , अपनी चरन भभूत |
#राना मातायै कहत , सुखी रात तब पूत ||
धनी गौंड़ बब्बा सबइ , #राना मिलत प्रभाव |
समझें इनखौं गाँव कै , यह है राजा राव ||
इनकी पूजा जौ करै , #राना परकैं पाँव |
कृपा गौंड़ बब्बा मिलै , सुखी रात है गाँव ||
भरै गौंड़ बब्बा जियै , उयै घौलना कात |
गाँवन गाँवन चौतरा , #राना मुड़ी नवात |
***दिनांक-4-12-23
*हिन्दी दोहे विषय - ऊपर वाला / ऊपर वाले*
ऊपर वाला जानता , #राना सबके कर्म |
किसके कैसे आचरण , कैसा करता धर्म ||
नैन भले ही दो रखो , रहे दृष्टि पर एक |
ऊपर वाला मानिए , #राना जो है नेक ||
ऊपर वाले की सदा , लीला अपरम्पार |
#राना करता न्याय है , और उचित व्यौहार ||
ऊपर वाले ने यहाँ , #राना दिया प्रकाश |
पर मानव करता सदा , अपना स्वयं विनाश ||
ऊपर वाले पर सदा , #राना रख विश्वास |
कर्म सभी अच्छे करो, , मन में रखो उजास ||
***दिनांक-5-12-2023
बुंदेली दोहा विषय - गुनताड़ौ (उधेड़बुन )
गुनताड़ौ सब गवँ निपुर , #राना दैखत हाल |
तनबै बारन की दिखत , अब लूली है चाल ||
गुनताड़ौ जाँदा करै , बौइ हौत है फेल |
बैठौ मुड़ी खुजात रत , #राना छूटत रेल ||
गुनताड़ौ अच्छौ करौ , पर ना करियौ देर |
नाँतर सिंघा छौड़ कै , #राना मिलै बटेर ||
गुनताड़ौ भी सब करत , #राना जानत बात |
पर इतनी भी ना करौ , जितनी नइँ औकात ||
दौइ पलीतन देत है , #राना जौ भी तेल |
गुनताड़ौ खट्टौ रयै , बिगरत सबरौ खेल ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , गुनताड़ौ सब छौड़ |
आटौ चक्की पै धरौ , लै आऔ तुम दौड़ ||
***दिनांक 9-12-1 2023
बुंदेली दोहा विषय-पुटैया
जितै पुटैया ज्ञान की , #राना खुलबै रोज |
संत रात जानौ उतै , बाँटैं भक्ती ओज ||
बँदी पुटैया लाख की , खुली धूर के मोल |
#राना रखियौ चाप कै , खुलन न दइयौ पोल ||
जितै पुटैया में दिखैं , गाँठ लगी दौ चार |
#राना जानौ है कछू, गानौं या कलदार ||
लोग पुटैया बाँद कै, #राना मुस्की लात |
सबरै सौचत माल है , चार जगाँ बै कात ||
कत है दद्दा साव जू , #राना नँईं उधार |
ल्याव पुटैया नाज की , या घर से कलदार ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , लैव पुटैया बाँद |
चलै चलौ ससुरार तुम , नौनें उन्ना धाँद ||🤑
***11.12.2823
*बुंदेली दोहा विषय - लच्छन ( लक्षण )*
#राना लच्छन सीख लौ , साजै हौ दौ-चार |
मन की खलती में रखौ , करौ खूब उपकार ||
तकुआँ टेड़ौ हौय ना , यैसी करियौ बात |
#राना लच्छन सइ रयैं ,तब सब नौनों कात ||
#राना हम पढ़बै गयै , सीखै लच्छन चार |
जीवन की गदबद तकी , जैइ लगै तब सार ||
#राना लच्छन काम दैं , साजै जब बै हौंय |
बिगरै काम सँमार कै , दुक्ख दर्द सब खौंय ||
लच्छन की पूजा दिखत, बिगरै दैतइ घात |
#राना ई संसार में ,जैइ सुनी है बात ||
हास्य दोहा
मटक कँदैला है निगत , गोरी अपनी गैल |
कातइ लच्छन है बुरय , #राना के मन मैल ||
***दिनांक-16.12.23
*बुंदेली दोहा दिवस , विषय - उदना (उस दिन )*
#राना उदना भी तुमै , कौउ न दै लै हाथ |
जिदना जानै राम घर , निज करमन के साथ ||
उदना #राना बैठ कै , हौजै सई हिसाब |
ऊकै पैलउँ बाँच लौ ,नौनीं राम किताब ||
उदना की जिद ना करौ , उदना कभउँ न आय |
अबइँ सबइ निपटाय लौ , #राना कै कै जाय ||
उदना देखौ कौन नें , कौन घरी कब आय |
आज हमें साजी दिखै , #राना सइ बतलाय ||
उदना कर लै काम हम , जौ #राना यह कात |
ऊकै जीते जी कभउँ , उदना कभउँ न आत ||
*एक हास्य दोहा -*
धना कात #राना सुनौ , तुम हमसे का चात |
उदना की बातें करत , हँस-हँस के मुस्कात ||
****दिनांक-18-12-2023
बुंदेली दोहे- अनमने (उदास )
#राना रत जौ अनमने , कितउँ आत ना जात |
कौनउँ नौनों काम भी , उनखौं नँईं पुसात ||
सब पाकैं भी अनमने, जौ मुख खौं लटकात |
#राना उनकी सब कथा , भिनकी-भिनकी रात ||
राम कथा में अनमने , #राना जिनकै भाव |
उनकै जीवन में सदा , औंदै परतइ दाव ||
हुयै देव सब अनमने , #राना बढ़ गय पाप |
विस्नु सै सबरै कयैं , लेव जनम अब आप ||
गोकुल कै भय अनमने , इंद्र भयौ नाराज |
#राना तब पर्वत उठा , कृष्ण समारैं काज ||
*एक हास्य दोहा -*
धना कात #राना सुनौ , हौतइ काय अधीर |
नइँ रानै है अनमने , आज पकी है खीर ||🙋
***दिनांक-23-12-2023
बुंदेली दोहा-नाँय (इधर)
नाँय माँय #राना तकै , दैखत सबकै हाल |
गदा हिरानै से फिरैं , बैढंगी कर चाल ||
अक्कल पै पथरा परे , पर गइ मोटी खाल |
नाँय माँय उनकी दिखत, #राना टिड़ुआ चाल ||
इतै नाँय बै लूट गय , माँय पकर गवँ माल |
#राना बिदी गुचैद है , भड़या भयै हलाल ||
नाँय माँय से जब चलै , लैजौरा की फौज |
#राना मुड़ी कुकात तब , नँईं सूझतइ औज ||
बंदरा घर में पालकै , #राना अब हैरान |
नाँय जौरतइ हम इतै , माँय फिकत सामान ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , नाँय धरौ ना पैर |
बाइ माँय मौरी खड़ी , उनकी लै लौ खैर || 😇🙆♂️🙋
***25.22.2024
*बुंदेली दोहा -"खटका"*
खटका भी का चीज है , #राना सब डर जात |
जब अँधयारी गैल हौ ,सबखौं भौत सतात ||
नँईं शेर से डर लगै , पर टपका कौ हौत |
#राना खटका मन उठै , सुनत कहावत भौत ||
छत पै खटका हौत जब , #राना मन अकुलात |
कारण पूरौ जानबै , घर कै दैखन जात ||
#राना समधी बायरै , कुंडी रयै बजाय |
खुड़कौ सुन खटका भयौ ,समदन दौरी आय ||
सटका पौनी सब चलै , अटका भी निपटात |
पर #राना इतनौ कयैं , खटका कौ डर रात ||
*एक हल्का हास्य दोहा -*
धना कयै खटका पिड़ौ , #राना आधी रात |
कीसै बर्रोटी दबै , तुम कर रयँ तै बात ||
***
बुंदेली दोहा-नऔ (नया)
नऔ साल सबखौं रबै , सुख साता से पूर |
#राना करतइ कामना , अपुन बनै सब नूर ||
जय बुंदेली साहित्य कौ , पटल बनें विश्वास |
नऔ लिखैं सब मित्रगण ,#राना मिलकैं खास ||
नऔ; पुरानौ हौत है , #राना ईसुर लेख |
ई सै कत रवँ एक सै , आज समय खौं देख ||
हार पहिन #राना नऔ , गोरी गरौ दिखात |
नइ पिसनारी पीसतन , चुरियाँ खूब बजात ||
#राना जीकौ व्याह हो , नऔ पहिनतइ कोट |
नव हौबैं बंदूकची , लैत कभउँ ना ओट ||
#राना लेखक हौ नऔ , तनिक गलत लिख जात |
मिलत उयै संकेत तौ , तुरत सुदारन आत ||
*दो हास्य दोहे -*
धना कात #राना सुनौ , नऔ पाल लवँ शौंक |
जितै मिलत मौका तुमै , दैतइ कविता छौंक || 🙏🙆♂️
जिनकै घर वाहन नऔ , फुर्र -फुर्र दौड़ात |
#राना पकरै हैनडिल , पीं पीं करतइ जात ||
***1.1.2024
*बुंदेली-गुलगुलो (मुलायम)*
#राना को मन गुलगुलो , सबकै लानै रात |
सौचत सब नौनों लिखैं , लैकैं कलम दवात ||
शब्द पढ़ैं जब गुलगुलो , #राना मन मुस्कात |
यैसौ भीतर है लगत , जैसे हौ बरसात ||
लगत गुलगुलो गाय कौ , छोटौ बछड़ा मौय |
#राना पकरै हात से , उयै खिलाबैं सौय ||
हौत गुलगुला गुलगुलो , गुड़ व्यंजन में नाम |
#राना खाकैं देखियौ , सुबह दुपरिया शाम ||
लगै हात में गुलगुलो , छोटौ- सौ खरगोश |
#राना जानै लाड़ बौ, रखतइ इतनौ होश ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , करौ गुलगुलो काम |
हरी मटर यह छील दो , फिर कर लौ आराम ||
***6-1-2024
~~~~~~~~~~~~~~~~
बुंदेली दोहे विषय - कोते
पूजा जितै पसारबैं ,करैं ईश खौं याद |
#राना कोते में मिलत , पत्ता पै परसाद ||
वोटन कै कोते नँईं , कभउँ लीजियौ दाम |
#राना यह अधिकार है , समझौ जौ पैगाम ||
झूठ गवाही छौड़ दौ , #राना गातइ गान |
कोते में रुपया तजौ , राखौ सब ईमान ||
गइया कै कोते नगद , जौन दैत है दान |
पुन्य उनै कम है लगत , यैसी कत विद्वान ||
दो हास्य दोहे -
काजर कै कोते सुनौ , लुअर न लइयौ आँझ |
गटा चटक जै रामधइ , दिखै सुबह कौ साँझ || 🙏😁
#राना इस्कूटर मिलै , हती व्याव में आस |
कौते में सूटर लयै , समदी आयै पास || 🙆♂️🙋😉
*** दिनांक-8-1-2024
बुंदेली- दोहा बिषय नँईं /नँइँ( नहीं)
नँइँ में #राना का धरौ , हऔ कयै में सार |
जितनी बसकी कर सकौ ,करौ खूब उपकार ||
नँईं बोल कै चात जौ , फिर सै मौका आय |
#राना मूरख चंद वह , कभउँ न लड्डू पाय ||
नँईं बोलकै हाँ कयैं , मिलतइ इतै तमाम |
#राना यैसै लोग सब, सबइ बिगारत काम ||
नँईंं कयी तौ है नँईं , हऔ कयी तो मान |
हाँ ना में जौ झूलतइ , #राना बै नादान ||
नँईं-नँईं माते करत , पाछै हाँ जू कात |
कुठिया में गुर फोर कै , मसकउँ #राना खात ||
एक हास्य दोहा -
धना कहै #राना सुनौ , नँइँ सुनने अब बात |
जा रय रैबै मायकै , रानै दिनन बिलात ||
***दिनांक-13-1-2024
*बुंदेली- दोहा बिषय -सला (सलाह)*
सला सूद अब जा भई , चलौ अजुदया धाम |
जब #राना बाईस खौं , लला बिराजें राम ||
#राना दे रय सब सला , औसर नौनों आज |
रामलला हम आ रयै , दैव सबइ आबाज ||
दैबै बारै है मुलक , नँईं खौजबै जाव |
#राना सबकी तुम सला , आज उपत के पाव ||
सला दैन में सब निपुड़ ,राम आज है नाम |
#राना दैखत हाल है , बनौ यैक जौ काम ||
#राना नौनीं है सला , जय बोलत श्रीराम |
पीरी डारौ तौलिया , चलो अजुदया धाम ||
सला सूद नौनीं बनै , चार जनन कौ गान |
#राना मिलबै से मिलत , सबखौं भारी ज्ञान ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , सला हमारी मान |
सास तुमारी आ रयी , आज पैलबै ज्ञान ||
***दिनांक-15-1-2024
*बुंदेली दोहे- नसेनी (सीढ़ी)*
राम नसेनी नाम की , #राना ले लौ थाम |
सक्ती से भक्ती करत, पौचौं उनकै धाम ||
बौइ नसेनी पै चढ़ै , पौंचै जित हैं राम |
#राना ई संसार में , जीकै साजै काम ||
तकत नसेनी राम की , साहस ना कर पाँय |
जीकै मन में पाप है, #राना पास न जाँय ||
राम नसेनी छौड़कैं , जौ भी करै प्रलाप |
#राना ऊखौं नइँ मिलत , प्रभू नाम की छाप ||
येक नसेनी पर परै ,सब जातइँ शमशान |
राम नाम ही सत्य है ,#राना सुनतइ गान ||
*एक हास्य दोहा -*
धना कात #राना सुनौ , लगी नसेनी पौर |
डिसटेम्पर खौ पौत दौ , साजौ कर लौ ठौर ||
*** दिनांक-20-1-2024
आज रामलला की जन्मभूमि पर प्राण प्रतिष्ठा हो रही है , सभी मित्रों को बधाई शुभकामनाएँ 🌹🌹🌹🌹🌹
बुंदेली दोहा दिवस सोमबार , विषय - राम
#राना शुभ दिन आज है , करौ राम कौ जाप |
जन्मभूमि खौं पूज लौ, मिटा सबइ संताप ||
रामलला मंदिर बनौ , #राना आलीशान |
मिलजुर कै पूजन करौ , और गाव प्रभु गान ||
बीत काल गय पाँच सौ , #राना को संज्ञान |
रामलला अब बैठ रय , जन्मभूमि पै आन ||
राम सदा आदर्श है , राम इतै प्रादर्श |
#राना जानत जन्म सै , राम नाम उत्कर्ष ||
राम लला के नाम पर , बनौ आज इतिहास |
सोने कौ यह दिन बनौ , #राना जाने खास ||
#राना लिखतइ आज है , यह दिनांक बाईस |
माह जनवरी राम की , दो हजार चौबीस ||
***
*बुंदेली दोहा-कुजाने (पता नहीं)
उतै कुजाने लोग सब , #राना दौरत जात |
पइसा दैं दारू पियै , टेड़े निग के आत ||
लोग कुजाने कायँ खौ , बिछा लैत है फट्ट |
बिना पतै की खाज हो , #राना बीदे गट्ट ||
आय कुजाने कायँ खौ , समदी यैठत मूँछ |
बातन से फटकार रय, #राना अपनी पूँछ ||
उतै कुजाने खाइ क्यों , #राना धरी मिठाइ |
फिर रय घिची दबात अब , भर रय बैठ उकाइ ||
फिरत कुजाने काय है , माते कक्का आज |
#राना गुनतारौ करैं , का है ईकौ राज ||
*एक हास्य दोहा -*
धना कात #राना सुनौ , भीड़ कुजाने आइ |
लगत गट्ट है लइ बिदा , तुमने अपनी धाइ ||
***दिनांक-27-1-2024
बुंदेली दिवस विषय -ततोस (गुस्सा) जोश
है ततोस #राना बुरव , कभउँ न मन में ल्याव |
आ जाबै तौ सौच कै , तुरतइँ उयै भगाव ||
#राना देखत है सदा , हौबे बुरव ततोस |
काम बिगारत बौ सबइ , दूर रात सब हौस ||
जौ भी रयै ततोस में , पाँव कुलैया मार |
बकतइ ऊटपटांग है , #राना खाकै खार ||
चढ़ गय ऊपर झाड़ पै ,भरकैं खूब ततोस |
औधै मौं नैचैं गिरैं , #राना खौतइ हौस ||
नयौ खून लरके रयै , मन में भरै ततोस |
हर कारज बौ कर सुफल ,#राना राखत जोस ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ ,रखियौ नँईं ततोस |
लाद पुटइया पीठ पै , चलनै है दौ कोस ||
*** दिनांक-29.1.2024
विषय भन्नाने/भुन्नाने/ (क्रोधित)
बै भन्नाने अब लगें ,#राना की सुन बात |
माते के संगे फिरत , का कर रयँ तै रात ||
भन्नाने घर बैठ गय , थुतरी खौं लटकाँय |
#राना बिगरी काय है , माते ना बतलाँय ||
भुन्नानी गइ मायकै ,#राना बउँ धन काल |
भुन्नाने समदी लगैं , आये करन वबाल ||
पतौ न #राना है परत , सौचत चटकत मूड़ |
भुन्नाने सरपंच हैं , नाक लगत है सूड़ ||
करौ प्रेम बतकाव तौ , #राना झुकतइ माथ |
भुन्नाने जो सामने , कौउ न दैतइ साथ ||
एक हास्य दोहा -
भुन्नाने तेवर दिखें , धना रयी चिल्लाय |
#राना जौरे हाथ है, समझ न कारण आय |।
***दिनांक*3-2-2024
*बुंदेली दोहा - बुरव (बुरा)*
#राना बुरव विचारकैं , लोग करत हैं बात |
औसर पै चूकैं नँईं , दै बैठत कटु घात ||
बुरय करै से हौत का , यदि संगै भगवान |
#राना कातइ लोग सब , जीतत है ईमान ||
बुरव करै से हौ बुरव , #राना सुन परिणाम |
पर जौ करतइ सब बुरव , ऊकी जानत राम ||
बुरव मिलै जब आदमी ,#राना रइयौ दूर |
घिचिया अपनी भी झुकै, होकर कै मजबूर ||
अपने खोटे कर्म से , बुरव करत खुद लोग |
दोष दैत भगवान खौ, #राना पालैं रोग ||
कौन दूध कौ है धुलौ , #राना करतइ खोज |
खुद खौं देखे आदमी , बुरव हौत कुछ रोज |
एक हास्य दोहा -
धना कात राना सुनौ , बुरव न सौचौ आज |
सास तुमारी आ रई , नँईं समझियौ खाज || 😉🙆♂️🙋
*** दिनांक-5-2-2024
*बुंदेली दोहा बिषय- लुगया*
लुगया खौ सब चीन लै , सुन उनकौ बतकाव |
#राना कथा लुगान -सी , और दैख कैं भाव ||
एक बात #राना तकी , लुगया करै न शर्म |
जौन लुगाई दै बता , कर लै हँसकै कर्म ||
लुगया खौ लुगया कितउँ , #राना नँईं पुसात |
जुरै लुगाई चार जब , निपट अकेलौ आत ||
हाँ में हाँ करतइ रयै , सुन लुगान की बात |
चुगली डंडे खिल्लियाँ , #राना उये पुसात ||
लूअर दैबे जोग है , लुगया की हर बात |
मूड़चटो #राना लगे , करत तीन के सात ||
एक हास्य दोहा -
लुगया बनो लुगाइ कै ,#राना अपनी हौय |
कुठिया में गुर फोर कै , खाँव मजै से दौय ||🤭🙏
*** दिनांक-10.2.2024
बुंदेली दोहा विषय - दुता ( चुगलखोर )
कौन दुता कब का करै , #राना समझ न आय |
टंटौ जब बड़याव हौ , इनकौ करौ दिखाय ||
एक दुता हौ गाँव में , आगी - सी परचात |
देखत #राना सब जगाँ , झंडा- सौ फैरात ||
किलकिल #राना हौत है , जितै दुता को हाथ |
लरत भिरत सब लोग तब , फौर गुली-सो माथ ||
बचौ दुता सै सब जनै , लौ इनखौं पहचान |
#राना फूँकत कान जै , अपनौ पैलत ज्ञान ||
दुता -दुता जब दौ जुरै , अपनौ करत बखान |
सला गोट में रात है , #राना इनकौ गान ||
धना का एक संदेश दोहा -
धना कात #राना सुनौ , नँईं दुता कौ दोष |
खुद खौ रखना चाहियै , भलै बुरय कौ हौश ||
***12-2-2024
बुंदेली दोहा विषय -फँदकत ( रूठना)
#राना फँदकत औइ लौ , जौ अपनौ ही हौत |
राखत पूरौ ख्याल है , सबइ तरा से भौत ||
फँदकत कौउँ न ऊ जगाँ , जितै नँईं पैचान |
चिमाँ जात #राना सबइ , करत नँईं हैरान ||
फँदकत लरका जब दिखै , अगर सयानों होय |
#राना जानें बाप सब , व्याव कराबे रोय ||
जीजा फँदकत नेग में , कुँवर कलेऊ हौत |
फटफटिया है चाउनै ,#राना लेत न औत ||
घरवारी फँदकत घरै , #राना उयै मनाव |
बढ़तइ ईसै प्रेम है , ईकौ भी सुख पाव ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , हम फँदकत है नाँय |
पर सोने की लल्लरी , तुमसे आज मगाँय ||
***दिनांक-17-2-2024
बुंदेली दोहा विषय - गत (हालत )
#राना गत खौं जानियौ , है करमन कौ खेल |
जौ भी घानी में डरै , बैसइ निकरै तेल ||
रावन की गत देखकर , बोले थे श्रीराम |
तौरी आई दुरदशा , आज युद्ध की शाम ||
अंतिम गत में राम जी , #राना जीखौं याद |
धन्य सफल बौ जीव है , नँई जनम बरवाद ||
गत सबकी नौनीं रयै , #राना करत विचार |
आकैं ई संसार में , लैबे दैबे प्यार ||
अब #राना का सौचनें , गत है अपने हात |
साजे को फल है मधुर , बुरव देत है घात ||
एक हास्य दोहा -
धना कात #राना सुनौ , गत नौनीं है आज |
नुकी धरी पिसिया घरै , पिसबा लाओ नाज || 🙆♂️🙋
***19-2-2024
*✍️ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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(मौलिक एवं स्वरचित)
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