Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021

झाँकी (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)- सं.राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'


                                झाँकी
                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की 69वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 13-10-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
चित्र-ऊपर दिगौड़ा किले की देवी जी

😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
03- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
04-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
05-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़ (म.प्र.)
06-गोकुल यादव,बुढेरा (म.प्र.)
07-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा, निवाडी (म.प्र.)
08- संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़ (म.प्र.)
09-डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया
10- एस आर सरल,टीकमगढ़
11-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा
12-प्रो.डां.शरद नारायण खरे,मंडला
13-परम लाल तिवारी,खजुराहो
14-कल्याण दास साहू "पोषक, पृथ्वीपुर(निवाडी़)
15-हरिराम तिवारी, खरगापुर
16-भजन लाल लोधी फुटेर टीकमगढ़ 
17-सरस कुमार ,दोह खरगापुर
18-प्रमोद कुमार गुप्ता "मृदुल" टीकमगढ
19- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
20-डां. आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर (म प्र)

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयाय से आज यह ई-बुक *झाँकी* 69वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 69 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 73 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 69वीं ई-बुक "झाँकी" लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 30-द्वारा  दिये गये बिषय  "झाँकी" पर शनिवार दिंनांक-09-10-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  अपना आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-13-10-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-9893520965

😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



**सप्लीमेंट्री दोहा/ अप्रतियोगी-*

**बिषय- झाँकी*

मां की झाँकी है,सजी, 
देखो तो चहु ओर।
माता की आराधना,
करत हो गयी भोर।।
***
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संपादक-'आकांक्षा' पत्रिका
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मेरी उपरोक्त रचना मौलिक एवं स्वरचित है।)

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2-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)


झाँकी झाँकी श्याम की,
         भव मन भाव बिभोर ।
                 आली जौ लौ आयकें,
                          श्याम गयो झकझोर।।
                                       ***

-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

03- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)


झांकी सुंदर शारदे,
         माई का दरबार।
                  भक्त करें नित आरती,
                            पूजन जै जै कार।।
                                     ***

झांकी देखन मैं गई, 
          रही झरोखा झांख।
                    मइया मूरत देख के, 
                              खुली रही फिर आंख।।

                                          ****

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)

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4-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 

👌😊 झांसी😊👌

 
गोपीं सब जल में घुसीं, 
कपड़े दिए उतार।             
झाँकी बाँके ने लखी,  
बैठ कदम की डार।।
***
जींस पैर चश्मा चढ़ा,
बन रय सबके बाप।
झांकी सोरा पास की,
धरे अंगूठा छाप।।
***
कारे कजरारे चपल,
देख नशीले नैन।
झांकी दिल में खस गई,
परत न दिल खों चैन।।
        
           ***
       -अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄            
          
05-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़ (म.प्र.)


10*
सज गव झांकी सें शहर,
सुनदरता चहुँ ओर।
देवी जी समिती बनीं,
 चन्दा पै है जोर।।
-वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़
***
   -वीरेन्द चंसौरिया ,टीकमगढ़

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06-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)


दरशन खाँ बाँकी सजी, 
माँ की झाँकी आज।
कउं गौरा कउं कालका,
कउं दुरगा हिंगलाज।
***
🙏अप्रतियोगी दोहे,विषय-झाँकी🙏
******************************
माता की झाँकी सजी,
दरश करें नर नार।
नौं दिन मैया ब्राजकें, 
खूब लुटातीं  प्यार।

बांकी झांकी श्यामकी,
हिरदें बीच बसांय।
राधा मीरा  सूर सौ, 
परम अमर पद पांय।

बांकी झांकी श्याम की,
झांकी राधा आज।
कांकी सुदबुद काउकी,
नांकी सबरी लाज।

ऊ झाँकी की का कनें,
 सपरें  चीर उतार।
चीर लुका जो साँवरे,
तकें कदम की डार।

झाँकी, झाँकी राधका,
झाँकी, झाँकी श्याम।
कान्हा मय भइं राधका,
,राधा मय घनश्याम।
*********************************
✍️  -गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
               
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7-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा,निवाडी (म.प्र.)

 झांकी झांकत झुकत हैं,
देखत ही तसवीर ।
नैनन सें निरखत रहों,
छवी युगल रघुवीर।
***
-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा,निवाडी (म.प्र.)

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8- संजय श्रीवास्तव, मवई


माता की झाँकी सजी,  
खूब सजो दरबार    
नौ दिन की महिमा बड़ी,  
नौ नौने अवतार।।    
      ***
     - संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली
     
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄

09-डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया



झाँकी से का होत है,
मन में भरो विकार।
मन में सत्,तप,प्रेम है,
तो समझो उजियार।।            
***  
     -डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया,मप्र

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10-एस आर सरल,टीकमगढ़

  
झक झकात झाँकी सजी,
अजब गजब हैं नूर।
नौ दुर्गन की झाकियां,
 दुनिया में मसहूर।।
    
***      
-एस आर सरल,टीकमगढ़

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***
*11*-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा


 झांकी तौ बांकी बनी, 
सोभा कही न जाय।            
बिन्दबासनी माइ कौ,
झन्डा जग फैराय।।
***
               -  डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा

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*12*  -प्रो.शरद नारायण खरे, मंडला


तोरो मन वीरान यदि,
तो सब कुछ बेकार।
मन की तू झांकी सजा,
चमकेगा संसार।।
     -
                  -प्रो.शरद नारायण खरे, मंडला
    #####@@@@@#######

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄

13-परम लाल तिवारी,खजुराहो

पंडालों में सज रहीं,
झांकी विविध प्रकार।
करहिं आरती मुदित मन,
भक्ति सहित नर नार।।
-परम लाल तिवारी,खजुराहो
***
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14-कल्याण दास साहू "पोषक, पृथ्वीपुर 
झांकी  कूँडा़देव की , 
सजी कुण्ड के तीर ।
बुड़की पै मेला भरत , 
जुरत गजब की भीर ।।
   ---- 
-कल्याण दास साहू "पोषक, पृथ्वीपुर (निवाडी़)(मप्र)
         ***
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*15*-हरिराम तिवारी, खरगापुर
"बांकी झांकी मात की, 
जब सें झांकी आज।
ॲंखियन में ऐसी बसी,
और न कछू सुजात।।
                      -हरिराम तिवारी, खरगापुर
***
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*16*-भजन लाल लोधी फुटेर टीकमगढ़ 

झलकत  झिलमिल झालरें,
झुलनी झूंमर झूम ।
झांकी झांकत लगत कै,
दिन रवौ होबै ऊंम ।।
                       -भजन लाल लोधी फुटेर टीकमगढ़ 

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   17-सरस कुमार ,दोह खरगापुर
माता की झांकी तनी,
 नौ देबै त्यौहार ।
सुर नर मुनि बरसा रहे, 
फूला खुशबूदार ।।
-सरस कुमार ,दोह खरगापुर
***          
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*18*- प्रमोद कुमार गुप्ता "मृदुल" टीकमगढ

मैया को दरबार सजो,
दरश पांय नर नार ।
खूब जयकार होत है,
भीर परी हि अपार ।।
-प्रमोद कुमार गुप्ता "मृदुल" टीकमगढ
***
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄

19-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
बांकी झांकी माइ की, 
देखत मन हरसाय। 
नौ देवी आईं सबहिं, 
सुमन रहे बरसाय।। 
***
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ मप्र

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄

20--डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर म प्र
दोहा
विषय- झांकी
01
झांकी बांकी देखकर,
मैया के दरबार ।
मन ऐसा पागल हुआ,
मां को रहा पुकार ।।
         02
मन की तू झांकी सजा,
मन में लेव निहार ।
मन ही मन सुमिरन करो,
मन का ही ब्यौहार ।।
          03
मन मंदिर में झांक लो,
झांकी झलक दिखाय ।
झांकी बांकी लख सुनो,
सकल विध्न मिट जांय ।
            04
झांकी मां की देखकर,
ममता भरा दुलार ।
सारे दुख मिट जात हैं,
ऐसा मां का द्वार ।
          05
नव रस से झांकी भरी,
सकल रसो की खान ।
घट घट में हैं बस रहीं,
हम सबकी हैं जान ।
***
-डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर म प्र

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄

                               झाँकी
                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की 69वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 13-10-2021


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