Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

गुट्ट (बुंदेली दोहा संकलन) ई-बुक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'


                      💐😊गुट्ट 😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 30-12-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
06-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
07-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा, जिला छतरपुर
09-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
10-एस आर सरल,  टीकमगढ़
11-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
 12-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
13-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
14-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
15-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
16-परम लाल तिवारी,खजुराहो (मप्र)
17- रामानंद पाठक 'नंद' नैगुवां, निबाड़ी
18-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक गुट्ट 83वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 83 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह गुट्ट 83वीं बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने दिये गये बुंदेली दोहा लेखन बिषय- गुट्ट 83वीं पर सोमवारवार दिंनांक-27-12-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-30-12-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)


*बिषय-गट्ट*

गट्ट  गरे में गड़ गयी,
गुटकत बन नइ पात।
गुरू गुरीरे गुम गये,
चेला शक्कर खात।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐

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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)

बिषय..गट्ट
27.12.2021
*प्रदीप खरे, मंजुल*
*********************
मँहगाई की मार है, 
बिद गइ सबखौ गट्ट। 
कैऊ भूखन मरत हैं,
कैऊ लै रय झट्ट।।
2-
किस्मत रूठी होय तौ,
आफत आबै झट्ट।।
ठाड़ैं बैठें द्वार पै, 
बीद जात है गट्ट।।
3-
भौरइ सैं लइ है ठटा,
द्वारें जुर गऔ ठट्ट।।
उछरत उल्टी खून की,
बिदै लयी है गट्ट।।
4-
ओलम तक सीकी नहीं,
तोइ होत रय पास।।
गट्ट बीद गइ आज तौ,
घरै खोद रय घास।।
5-
दान करत रहियौ सदां,
लइयौ नहीं दहेज।।
गट्ट बुरइ बीदै सुनौ,
मिलै जेल की सेज।।
***
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔

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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


 👌😊(((((गट्ट)))))😊👌
    
गौचर बेंड़ी जिनन नें,
                उनने गट्ट बिदाइ।
गौ माता है कष्ट में,
          जो हम सबकी माइ।।

धीरें धीरें निपट जै,
            जा जीवन की जंग।
गट्टें तौ शमशान तक,
               नई छोड़तीं संग।।

जीवन में गटटें बिकट,
              आतीं हैं कइ बार।
उनें कभउं नइ ऑसती,
            जी के मित्र हजार।।

गट्ट हमारे साथ है,
             बिना गट्ट ना कोय।
जी के लठिया हांत में,
             जां मर्जी मां सोय।।

धीरें धीरें निपट गइ,
              गटटें हतीं बिलात।
अब ईसुर की कृपा सें,
             अच्छे भय हालात।।

एक गट्ट रै गइ बड़े,
              लहर तीसरी जाय।
ईसुर करबै काउ खों,
           अब खरोंच ना आय।।
           *!!*!!@!!*!!*ट
                   
              *!&!&!&!*
😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)


🙏🙏बुन्देली दोहे 🙏 विषय-गट्ट🙏🙏
*********************************

बेइ  बिदै बें  गिट्ट  फिर, बेइ   निनुरवा  देत।
गिट्ट  बिदै  गट्टा  बना,अपने  बस  कर लेत।

चित्त उनइं की आजकल,और उनइं की पट्ट।
साँसी  काबै  जो  अगर,  बिदै  देत   हैं  गट्ट।

 चल बाँडी़  लइये अरौ, सुनत उठी  बा झट्ट।
 पूँच  अबै   आदी  बची,  चलौ  बिदैबूँ   गट्ट।

 भीतर  पिड़ गय  झट्ट सें, बे कत रै गइं  हट्ट।
 दोरें  जुर  गव  ठट्ट सो, बिद गइ   कर्री  गट्ट।

बिना करें  बिद जात है, काउ काउ खाँ गिट्ट।
सहन  होय ना  जौन सें, उडा़  देत  बौ  पिट्ट।
**********************************

✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)

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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



1=
अंट-संट कामी करै,बीदत ऊखां गटट ।
जैसे आशाराम जी,जेल में पौचे झटट ।।
2=
 करौ धरम के नाम पै,भौतइं अत्याचार ।
गुटट बीदगइ पकर गय,खुले पाप भंडार ।।
3= 
गुटट बीदतइ तनक पै, चलें जो उल्टी गैल ।
मानतनइं समझाय सैं,मनमें भरौरत मैल ।।
4= 
करौ भजन तुम राम कौ,सूखी रोटी खाव ।
गुटट कभउं नै आयगी, चैन से रोटी पाव ।।
5=
चोर उचक्का होत जो, बीदत उनखों गटट ।
नैबारत निबरत नही,लटट घलट हैं पटट।।
6=
कउं न गलती कीजिए,हस कैं  रव दिल खोल ।
कौनउ गटट न बीद पै,जौ जीवन अनमोल ।।

***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़

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06-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
      
     
*सोमवारी बुंदेली दोहे*
        विषय - *गट्ट*
*१*
गट्टन की काँलों कबें,
      छिन-छिन पे हैं गट्ट।
एक निनुरतन देर नईं,
     चार टपकती झट्ट।।
*२*
कुटिया के बाहर लगो,
     जनी मांस को ठट्ट।
सुखिया मर गव भूख सें,
           पेट बड़ी है गट्ट।।

*३*
गुट्टा भर गट्टें दईं,
     पिरिया भर दइ पीर।
गरे गरीबी बाँद दइ,
       काँलों धरबें धीर।।
*४*
किस्मत में गट्टें परीं,
       गदियन बीचाँ बट्ट।
किसान अरु मजदूर के,
         गरे फँसी रत गट्ट।।
    ***    
    
      -संजय श्रीवास्तव, मवई,१३/११/२१😊दिल्ली

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7-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
विषय बुंदेली ,,गट्ट,,
,,
विद गइ गट्ट चुनाव की
दव अतफर में टांग 
छपे वोट घर में धरें
गरें हना रय सांग 
,,,
झट्ट पट्ट मैं गट्ट भइ
अट्ट सट्ट दइ ठूंस
चट्ट फट्ट पिरमोद गए
खटा खट्ट लइ घूंस 
,,
मउवा को पउवा ठटो
जा रय लेन उजट्ट
मौ समार बोले नहि
आय विदे कें गट्ट
,,
खट्ट पट्ट घर में मची
गइ घरवारी झट्ट
कव प्रमोद केसी विदी
गरें गांगरें गट्ट 
,,
पैल गुटक कें रोंथ रय
भड़या कुरता छाप
गट्ट हुमस गइ तरे की
सूंघत बैठे भाप 

***
              -प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
                   
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08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर



दोहा- 1-
हनुमान ने तको जब ,
        आओ निशाचर गुट्ट ।
        मार मार कें बिछा दये ,
        कछु भागे कछु सुट्ट ।
       2- 
भूप अबैलो जगे ने ,
        रोजउ उठतते झट्ट ।
       नर नारी सब सोचबें ,
       बनी कौन सी गट्ट ।
      3-
भये जो एकजुट असुर सुर,
         ऐंसी बनी सलाय ।
        करें समुद मंथन अपन ,
        गट्ट न कोऊ बिदाय ।
     4-
अपने हाथन बिदा लई , 
         अपने जी खों गट्ट ।
       अगर होय सुख चाउने,
      तौ सिया पठा दो झट्ट।
     5
अपन एकजुट बने रयें ,
       फेर फुट्ट ने  होंय ।
      बिदै खट्ट तो सुरज है ,
       सुरजाबे नें रोंय ।

***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

9-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", दमोह
 


नैनन की निदिया ग‌ई,भूख लगे ना प्यास।
गुट्ट बिदी है कर्ज की,करें कोन की आस।।

पर्चा छपबे खों डरे, कछु‌ के बट गये झट्ट।
अब चुनाव होने नहीं ,बिद कें रै ग‌ई गट्ट।।

हिरनी जैसे नैन और, मुइयां चंदा जोत।
गुट्ट बिदी कै पांय ना,भीतर हलचल होत।।

राहर मरी तुषार में, घर में  मरो बिलार।
बिदी गट्ट कैसो करें,चुखरन सें गये‌ हार।।

माला जप कें का करें, भीतर मन में खोंट।
गुट्ट बिदत हसकें करत,नैनन सें‌ जब चोट।।
🙏🙏🌹🌹

स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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*10-एस आर सरल,  टीकमगढ़


बुन्देली  दोहे # गुट्ट #
गुट्ट न बीदे काउ खौ, गुट्ट बीदतइ ठाइ।
जीखों बीदत गुट्ट सो, निबरत नइँ निबराइ।।

गुट्ट बिदी रुजगार की, नौकरियाँ हैं ठप्प।
चला रये सरकार हैं ,ठोक ठोक कै गप्प।।

गुट्ट फसी ई साल में, भये भौत हैरान।
कोरोना सै हो गई,जान माल की हान।।

बीदी गुट्ट गरीब खौ, कैसे गुजर चलात ।
ताने झुग्गी झोपडी, ठिठुरत साड़ी रात।।

जानबूझ सरकार नें,फसाइ कर्री गुट्ट।
लग गइ रोक चुनाव पै,सबरे रै गय सुट्ट।।

'सरल' गुट्ट बीदें जितें, उतइ रुकत रफ़्तार।
सोच समझ आगे बढ़त, मानत नइयां हार।।
       
***
    एस आर सरल,  टीकमगढ़

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*11*-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा



🥀 बुंदेली दोहा (विषय गुट्ट)🥀

मुखिया अपने गांव के,
              चल रय यैंसे दाव।
गुट्ट बिदैबें बे खुदइं ,
            लेंयं और कौ नाव।।

पैलाँ तौ सोसी नहींं,
          दूला बन गय पट्ट।
अब गदियाँ मीडत फिरें,
          गरें बिदी जब गट्ट।।

हंस हंस बोलें प्रेम सें,
          पैटे गुड़ी दबायँ।
गुट्ट बिदैबें जांन कें,
          उनसें राम बचायँ।।

परधन देखें जर मरै,
           करै गट्ट कौ पट्ट।
यैंसे जरुआ खों बिदै,
         बिना पते की गट्ट।।
***
डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा, छतरपुर

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*12-* प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

बुंदेली दोहे  विषय  गट्ट

कोउ न जनबा अपुन सौ,आ ज‌इयौ जू झट्ट।
अबकी  बेर   निनोर दो,बिद ग‌इ कर्री गट्ट।।

हंसी उड़ाबे  बांन कौ ,जुरो  दिखारव ठट्ट।
कोउ न ऐसौ जो बिदी, निनवारै जा गट्ट।।

हम  तौ  गय ते  छोलबे , काल नीम की खट्ट।
हंसिया घल गव हांत में, बिद ग‌इ ऐसी गट्ट।।

उन के मन की होन दो, चित्त  होय कै पट्ट।
अट्ट  सट्ट में  का  धरो , सुरजालो  जा गट्ट।।

जब तक जीवन  जोरिया, राम नाम  लो रट्ट।
बेइ    गट्ट    निनवारहें  , खुलें  किबरियां झट्ट।।
***
            - प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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13-जयहिन्द सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा

#गुट्ट बिषय पर दोहे#
                    #1#
सीता खों हरकें बिदी,दसकंधर खों गट्ट।
वार न झेलो राम कौ,रन में हो गव पट्ट।।
                    #2#
लछमन खों शक्ति लगी,गुट्ट फसी श्री राम।
ल्याये बैद सुखेंन खों,भये तुरत आराम।।
                    #3#
गुट्ट बिदी सो घास की ,रोटी खाइ प्रताप।
स्वाभिमान रय बनाकें,राणा अपने आप।।
                    #4#
टर ग इ घरी चुनाव की,मारी गै सब शान।
कैउ पौंच रय अदालत, लैबै खों नुकसान।।
                    #5#
गुटबाजी में गुट्ट है,दुसमन करै उलात।
तौ दिमाग सें काम ले,निपटालो हालात।।

***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़

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   14-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


           गट्ट/गुट्ट पर पाँच दोहे (बुंदेली)
*************************

अगर बात कर्री विदै, उयै गुटौ कइ जात।
गट्ट गुट्ट कइ जात जब,छोटी होवै बात।।

घरवारी नइं बोल रइ, विद गइ कर्री गट्ट।
हम खों जानें मायकें,ऊनें पकरी रट्ट।।

काना सें काना कतन, हमें वीद गइ गट्ट।
लट्ठ उठा कें छुटा दइ, ऊनें सबरी खट्ट।।

जियत- जियत की बात का, विदै मरे पै गट्ट।
जिनके लरका वायरें, तपना लगै ना झट्ट।।

आवे बारी साल में,कभउं विदै ना गट्ट।
सब पै किरपा राखियौ,खुशी रवै सब ठट्ट।।

-***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       
***

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15-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)


दोहा    गट्टे
गट्ट  झट्ट निनुरत न ईं
   जो जी खों बिद जाय।
ठट्ट जुरत है दोर में
कत मन कीं जो चाय।।

गट्ट निनोरत राम जी
मन राखो विसबास।
आस न टोरत काउ की
होय आम या खास।।
***
स्वरचित एवम मौलिक
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र

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16--परम लाल तिवारी,खजुराहो


"गट्ट"
1
गट्ट कहूँ विद जाय नइं,ईसे धारो मौन।
चापलूस भड़या बढ़े,जाव गली में जौन।।
2
गट्ट पड़ोसी से विदी,करत भौत अनरीत।
पुरखन की जो बनी ती,टोर दई वा भीत।।
3
विदने है विद जाय अब,चाय जौन से गट्ट।
चलन न दैवी काऊ की,दोऊ चित ओ पट्ट।।
4
बातन में विद जात है,बड़ी बड़ी लो गट्ट।
होत उतारूं मारवे,लेके डंडा झट्ट।।
5
मूरख अपनी चाल से,विदा लेत हैं गट्ट।
सुरझावे में लगत दिन,सुरझत नईंया झट्ट।।
***
परम लाल तिवारी,खजुराहो


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17-रामानन्द पाठक नन्द, नैगुवां

दोहा गुटट 
देखत लगवै चैन सब,जीवन गुटट हजार।
एक समारे आंय कइ,न पावै कोउ पार।।
                       2
अबकें गुटट किसान खों,सासन सें भइ खींच।
खाद बीज के फेर में,परौ सडक के बीच।।
                        3
घर में बिटिया सियानी,करज साव सें लेत।
गरैं गरीवै गुटट भइ,तीन क तेरा देत।
                          4
निगवै ना बौ समर कें,अंटक टौंटी चाल।
जब गुटटैं आडै परी, विगर जात सब हाल।।
                          5
कौरोंना के काल सें,टूटी घर की डोर।
निनरै कैसें गुटट जा,हलके रोवै भोर।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां

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18-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश

अच्छो करन कुँ हम चलें, बिगरें कारज झट्ट।
 रार कोऊ सें नहि करत,फिररुँ हौ रइ गट्ट।। 

बहुत चाँत हम सास कौं, उनसैं होवत खट्ट। 
जतन करत हम रोजइं, झट्ट होत हैं गट्ट।। 

दुई मूं खौं मनइं बुरो, हमखौं कतइ न भात। 
गट्ट झट्ट सें होत है, देखत नहीं सुआत।। 

कमइं बोलत बैन हम, तोंउँ होत है खट्ट। 
जौं अति बोलत हम रये, बहुत होय फिर गट्ट।। 

दुआ करत भगवान सों, कबूँ न होवे गट्ट। 
सबइँ लोग होवें सुखी, मिटैं रोग सब झट्ट।।
***
-गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)


🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊




 💐😊गट्ट😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  83वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 28-12-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
            
                

                

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

जनबा (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)‌


                      💐😊जनबा 😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  82वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 26-12-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
06-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
07-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा, जिला छतरपुर
09-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र)
11-कल्याण दास साहू पोषक, पृथ्वीपुर,(मप्र)
12-एस आर सरल,  टीकमगढ़
13-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
14-*प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर      
15-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
16-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा
17-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
18-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
19-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
20-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर,
21-डां. आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक जनबा 82वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 82 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह जनबा 82वीं बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने दिये गये बुंदेली दोहा लेखन बिषय-  जनबा 82वीं पर शनिवार दिंनांक-25-12-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-41 हेतु पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-26-12-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



*अप्रतिगोगी दोहा-सप्लीमेंटी*
*बिषय-जनबा*

जानत वे तो कछु नई
उसई  छाटत ज्ञान ।
जनवा बने दिखात है,
है फदाली महान।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐

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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)

प्रतियोगी दोहा..जनबा
25.12.2021
*प्रदीप खरे, मंजुल
***********************
भुजी भांग जानत नहीं,
 जनबा बनें महान। 
लबरा ठोकत आपनी,
समझें अपनी शान।।
2-
जबरन जनबा बन गये, 
जबर जबर सरदार।
ढोरन से नर्रात हैं, 
चला रहे सरकार।। 
3-
दो कोढ़ी की अकल है,
जनबा बन घुसयात। 
आयैं बायैं ठोकत फिरें,
जानें का बतियात।।
4-
जनबा बनकें आ गयीं, 
भोजन दऔ बिगार।
खीर बनाइ बाई नें,
हींग दयी है डार।
5-
जनबा जानत सब कछु,
जान लेत संसार। 
ज्ञान ध्यान कौ रहत हैं,
जे अथाह भंडार।।
***
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔

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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


  
😊💐जनबा/जानकार💐😊
        *!*!*!*!@!*!*!*!*
जीके घर की बेटियाँ,कतरें सबके कान।               
ऊके घर जनबा हुए,आगे की संतान।।
                 
होय गिरा बादा कछू,कै फिर छोत मशान।             
पंडित जनबा होय तौ,तुरतइ करै निदान।।
               

जनबा तौ बैठे घरै,करें कोढ़ में खाज।               
आरक्षण में खा रहे,गदा पंजीरी आज।।
               
राजनीत में वौ सफल,जो जितनों बदनाम।              
ऐबी गुंडा माफ़िया,जनबा कौ का काम।।
            
नारी पै जी की पकड़,वौ जनबा है वैद।                  
रोग दोग ऊके मिटत,जो रैतइ मुस्तैद।।
                   
गाड़ी बिगरी गैल में,हो गय सब हैरान।
जां जनबा मिस्त्री मिलो,हो गओ तुरत निदान।। 
                           
भूत प्रेत बाधा हती,गय जनबा के पास।
 जां अछाइ ऊने पड़ी,सोइ मरीज झकास।।
               
होय गिरा बादा कितउं,कै फिर मङ्गल काज।
पंडित जनबा होय तौ,सब कैतइ महाराज।।
              

पढ़ लिखकें घर में करौ,रोज झमक कें काम।             
जनबा हो गइ बेटियाँ,पा रइ नए मुकाम।।                

जैसौ चाय बिगार हो,सालन की तकरार।
जनबा जनबा जां जुरें,उतै निकारें सार।।
                   
              *!&!&!&!*
😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)

*
जी सें भी लैहौ सला, 
जनबा बन है ओउ।
गुरु सौ जनबा जगत में,
दूजौ नइयाँँ कोउ।।
***

✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)

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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा


रावन  जनबा बहुत था,
कर लव तौ घट काम।
खोज मिटालव बंश कौ,
 हो गइ सीताराम ।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़

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06-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
      
     
गलन गलन जनबा फिरत, 
दैं उधार को ज्ञान।
 नायँ-मायँ सें सुन सुना,
भरत और के कान।।
      
     ***
    
      -संजय श्रीवास्तव, मवई,१३/११/२१😊दिल्ली

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7-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)

जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एमपी
शनिवार 25 दिसंबर 21
 बुंदेली दोहे विषय ,जनबा,
          ,,
गइया बिटिया जल बचे, 
रेहे सुखी समाज।
                  
   कोरोना सें चेतियो,
जनबा कत तो आज ।।

जनबा रय प्रमोद जता
                  कोरोना गर्राने।
मास्क लगा हुश्यार रओ
             हांत पांव धुलाने 
,,
जनबा जनबइ निपुर गइ 
       न फसलि बीमा भओ
 ओरे पर गय मावठे
          मिट प्रमोद रो रओ
   ,,
जनबा खों फेरो लगत
          लग लगार शक होत
  भोंरयाव पिरमोद ने
          बिन इलाज भय पोत
,,
जनबा वैध सुखैन खां
          ल्याय उठा हनुमान
मूर सजीवन घोंट दइ
           बचे पिरमोद प्रान 
,,
मोखां जनबा जच परत
             जय कीसान विज्ञान।
शान प्रमोद इ वतन की
              प्यारे वीर जवान ।।
              
***
              -प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
                   
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08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर



अप्रतियोगी
1-
जानत  नइयां कछू लो,
जनबा सो बन  जात।
जानकार बिद जात जब,
सो फिर लुकत चिमात।
2-
तुम जनबा कवै कायके,
 जान पाये न भाव।
जात नहीं जड़ मूल सें,
जी कौ जोन सुभाव।
3-
जनबा हो तो बतैयो,
को ज्ञानी कौ मूड़।
झोंझयात हो तनक पै,
तो तुम पक्के हूड़।
4-
जानत है हर चीज जो,
सो जनवा कहलाय।
बात सुनत ही और की,
जो उलटा बतलाय। 
5-
अब तो सब जनबा,
सबरौ काम नसायें।
इतनों भर्रो जानकें,
जनबा जरों ने जायें।

***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

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9-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", दमोह
 

अप्रतियोगी दोहे 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
विषय:-जनबा (ज्ञानी) 🌹🌹🌹🌹

जनबा ‌मूरख सें सुनो,सीख लेत है ज्ञान।
मूरख खों हो‌ पाय ना, कभंउ लौ इकौ भान।।

मूरख पूछे, कय कन‌उ, सांसी हमें  बताव।
बिगरी कैसे आंख जा, ज्ञानी कहत सुनाव।।

क‌ई जनें बतयात में, टोर लठ्ठ सौ लेत।
जनबा सें अनजान लौ,हस कें‌ सब कै‌ देत।।

घुरवा के पाछें कभ‌ंउ ,भूल‌ई बिसर नें जाव।
साहब कौ आंगों सदा ,ज्ञानी ‌कत बरकाव।।

जनबा बंदर खों कभ‌उ,तुबक ‌नहीं पकराव।
दिया कनक कौ स्वान लो,धरकें नें भगजाव।।
***
गदा लिगां जैहो अगर,खाबे‌ मिल है लात।
जनबा सें मिलबे सदा,लाख टका‌  की बात।।
-***

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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-10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र)


पूजत रय जिनखों इतै, 
अच्छो जनवा जान।
बेई कुछ नइं कर सके, 
दे नइं सके निदान।।
**
अप्रतियोगी दोहा.

गाँव- गाँव जनवा फिरें,
 खूब बघारें ज्ञान।
लबरोंनी दे- दे बनें, 
खुद में बडे़ महान।।
***

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.

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11-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,निवाडी़

 *
औरन गैल बताय जो , 
हरै तिमिर अग्यान ।
निंगवै अच्छी गैल खुद , 
जनबा वौइ महान ।।

*** 
 -कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,निवाडी़(मप्र)
      
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*12-एस आर सरल,  टीकमगढ़


जनबा गुनियाँ नावते, 
परखत सौ सौ बार ।
गुन विद्या अपनी चला, 
देत मंत फटकार।।
***
    एस आर सरल,  टीकमगढ़

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*13*-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा


जनबा देबै सत्त की,
सिक्छा और सलाय।
सुनें गुनें जो ध्यान सें,
सो जनबा बन जाय।।
*****
डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा, छतरपुर

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*14-*प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर      
    

कवि जनबा दोऊ गुनी,
अनुभव सें भरपूर।
लिख कें एक बतात दुख,
करत दूसरौ दूर।।
***
-प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर                  
         ग्राम  - कैरुआ तहसील भितरवार 
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15-जयहिन्द सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा

पंडित गुनियाँ बैद उर,
तंत्र मंत्र कौ ज्ञान।
इनखों जनबा कात हैं,
जेइ बगारत शान।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़

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*16*गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा

 जनबा उखा जानिवो,
जो जाने सब ज्ञान।
साम दन्ड सब भेद में ,
सदा होय गुन बान।।

****
-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा,
*
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*17*वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़

।जनबा अपनी बात खों,
बढ़ चढ़ कें  बतलाय।
जानबुजक्कड़ हैं हमीं,
यह सबखों दिखलाय।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़

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   18-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       

           अप्रतियोगी दोहा

जनबा अपनें ज्ञान सें,
हरै जगत की पीर।
सोई वैद्य सुषेन के,
ऋणी सदा रघुवीर।।
-***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       
***

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19-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)


अप्रतियोगी दोहा

जनवा बनवा देत जब
अरे धजी कौ  सांप।
बड़वाई खुद की करत
सुन जी जाबै कांप।।
***
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र

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20-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर

जनबा भौतई बनत हैं, 
तनक न जानै बात।
जितै मिले, ऊगड़ कहैं, 
नातर वे चिल्लात!!
***
-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

21-डां. आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर

दोहा जनबा
       01
जनबा जान जनाब को,
सौंप देते घर वार ।
घर समाज पालन करें,
ओई है रखवार ।
          02
जनबा जान जहान सब,
करै धरम की बात ।
अधर्म पै नहिं पग धरै,
ऊंची नीची सात ।
         03
भौतई जनबा बनत जो,
डायन बड़े प्रवीन ।
अपनों काज सवारवे,
निज मन बने महीन ।
***
-डां. आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर


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 💐😊जनबा 😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  82वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 26-12-2021

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