Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 12 मार्च 2022

छपका (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

                

  💐😊 छपका😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 99वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 12-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
06-एस आर सरल, टीकमगढ़ 
07-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
08-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
09-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
10-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
11-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
12-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
13-गीता देवी, औरैया (उ.प्र.)
14-जयहिन्द सिंंह जयहिन्,पलेरा जिला टीकमगढ़
15-वीरेन्द चंसौरिया टीकमगढ़
16-बृजमोहन पटैरिया-कोटरा

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक 'छपका'  99वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 98 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  99वीं ई-बुक 'छपका'लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने सोमवार दिनांक-12-3-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-52 में दिये गये बिषय 'छपका'  दिनांक-12-3-2022को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-12-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)




**अप्रतियोगी दोहा बिषय- छपका*

छिद्दू पैरे छींट के,
बुसस्ट छपकादार।
जींस छेद है छूंछना,
छैला छेड़े यार।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
      
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02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा


1
रामैं वन पठवाय कैं,
कैकइ लागौ दाग ।
दासी मंथरा नैं भरौ ,
कुल में पागौ पाग ।
          2    ***
पाप करम बढजाय तौ,
तनपर परत निशान ।
जिए कात कोढी अपन,
छपका दागी जान ।।
3
-छरी छबीली छरछरी,
छपका छाये गाल।
चिनापरत नइ काउएै,
ओडैं फिरत दुसाल ।।
***

-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा, जिला-टीकमगढ़

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03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)

      

प्रथम स्थान प्राप्त दोहा-

       प्रतियोगी दोहे-

कारे छपका करम के,
जीवन भर पछयायँ।           
दुनिया भर थू-थू करै,
लगत किते मर जायँ।।
        ***
*अप्रतियोगी दोहे*
       
*१*
मन में छपका प्रेम के,
      ज्यों-ज्यों गाढ़े होयँ।
उनकी सुध में डूबकें,
      अपनी सुध-बुध खोयँ।।
*२*
छपका पर गय सोच में,
      बोलें बोल कुबोल।
नियत खोट से भर गई,
      जीवन डामाँ डोल।।
*३*
छपक-छपक छपका परे,
     तन-मन छ्पकेदार।
कीचड़ सें बचकें चलो,
      गलियां कीचड़दार।।
 ***
    
    *संजय श्रीवास्तव* मवई
       १२-३-२०२२ 😊 दिल्ली
         
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4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      
*
छिलका छीलत सुलभता,
 हरि को देत गहाय
छपका दरशन कर रही,
प्रभु खाते मुसकाय
           ***
छिकरा छप को छबीलो,
                        छवि पै छपका ऐन
छिपो छली छनकत छलत, 
                         भाये सिया के नैन
,,,,
छपछपात छपका छुबत,
                   छ्बन लगत पशु नैन
छपका को भपका अलग, 
                    छपका छवि बैचेन
,,,
गोरे गाल गुलाब सें, 
                   गोरी गुल पर जात
लासुन को छपका बने, 
                   चंद्रवदन कहलात
,,,,
छिंयां छिनकती छबीली,
                   छलकत लगत जुकाम
रव छपका भपका बिलुर,
                          छींके तो आराम 
,,,,
छरछरात दिन छिटक गइ,
                     छली छैल कत आव
छांछ खवा छाती छियो, 
                     छपका प्रबल प्रभाव
,,,,
छिवा खेल छिपकें खिलत,
                          लुक कें कूका देत
दुकादुकउअल में कभउ,
                         छपका चपका लेत
,,,,
छपको छपका छब रहो,
                           लगत रंग छलकात।
हिय प्रमोद छिप छवि छलत,
                           छलछलात मुसकात।।
          ***
   -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

बदरी मानो घूंघटा, मुइंया चंदा जोत।।
धुतिया छपका दार लख,भीतर हलचल होत।।
               ***
*अप्रतियोगी दोहे*
धुतिया छपकादार पै, मन मोहन गय  रीज।
रंग पिचकारी घालतन, ग‌ईं राधिका‌ खीज।।

धुतिया सिलकन की डटें,जो‌ है छपकादार।
पायल बजनू पांव में,बूॅंदा बीच लिलार।।

गालन में छपका  परे, ओठ रचायें लाल।
हेरन हिरदय साल ग‌इ, उम्मर सोला साल।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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06-एस आर सरल,  टीकमगढ़


सारी  किलकोटें  करें , 
जीजा  रहस  बताव।
झक झकात नय पेन्ट पै,
छपका कितें लगाव।।
***
    
   ***
    -एस आर 'सरल',  टीकमगढ़

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   07-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


गालन पै छपका परे, 
घर में भौतइँ काम।
कैसें रीझें साजना,
सुमरै राजाराम।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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08-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


रँग  घोरत   फुग्गा  भरत,  
लरका  गेंद  बनात।
छपाक सें छत सें घलत, 
छपका अलग दिखात।।
***

                        -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
                             

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09-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


जो जीमें जांनें नहीं,
करन काय खों जाय।
अपजस कौ छपका लगै,
नोंनों काम नसाय।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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10-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)



पैरा  दइ  रितु-राज  नें, 
चूनर  छपका दार।
हँस-हँस कें मन मोह रइ,
सुगर बसंती नार।।
**#
🙏अप्रतियोगी दोहे-छपका🙏
************************
जनम लेत तब होत तन,
                कोरी   चादर   सेत।
बिद कें  माया  जाल में,
                 छपका लगवा लेत।
************************
तन  चादर  मैली  धरी,
               छपका  लगे  हजार।
जाती बिरियाँ ढाँक रय,
                 सेत  चदरिया  डार।
*************************
औरन के छपका  तकत,
               अपने  नहीं  दिखात।
जो अपनें छपका तकत, 
                बौउ  देव  बन जात।।
*************************

✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)

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11-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 


*
हिया ऊजरो राखिये,
भव सागर हो पार।
जो माया छपका परे,
डूब जात मझधार।।               
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 

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12*   रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
ढोरन को जो रोग है, 
आखें हों बीमार।
समझो दिखबो बंद भव, 
छपका गव है मार।।
***
अप्रतियोगी दोहे.

फूफा गये बिआव में, खूब रये हरषाय।
मड़वा नैचें मांइ ने, छपका दओ लगाय।।

फागुन आते ही गये, जीजा जी ससुराल।
साली ने छपका दओ, भर-भर रंग गुलाल।।

होरी के रस रंग में, बदले गोरी चाल।
चुनरी पे छपका लगो, देख पिया भय लाल।।

कवियन ने छपका दये, भर दोहों में रंग।
अंतर मन में खिल गई, रस से भरी उमंग।।
****
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी (उप्र.)

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13*गीता देवी, औरैया(उप्र.)


होली ऐसन खेलिऔ, 
छूटै छपका नाँय। 
कित्तौ जोर लगाइऔ,
 धोबत में नहिं आय।।
***
-गीता देवी, औरैया

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*14*-जयहिन्द सिंंह जयहिन्,#पलेरा जिला टीकमगढ़

छपका पै छपका छपो,
छवि छलकत दिन रैन।
छलकत छपका परत है,
ढिक दइ लिपी उरैन।।
***
#जयहिन्द सिंंह जयहिन्,#पलेरा जिला टीकमगढ़

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15-वीरेन्द चंसौरिया टीकमगढ़


साड़ी छपका दार ही,
बड़ी मांइं खों भाय।
हर चौथे दिन मांइं तौ,
 बड़े बजारै जाय।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया टीकमगढ़

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16-बृजमोहन पटैरिया-कोटरा*

सावन सम *छपका* परो ,
 ईश्वर किरपा कोर।
जिनके हिय *छपका* रहो, 
रहें ढोर-के-ढोर ।।
- बृजमोहन पटैरिया-कोटरा*

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"17-प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़

छपका सब तन पै परे,
मस्ती में लहराय। 
जी कै तै पौचें सुनौ, 
झलक पाय घबराय।।
2.
छपका से मौं पै परे,
चेचक कैसे दाग। 
आँख तनक मिलकत रबै,
 फूटे ससुरे भाग।।
3.
छपका जो तन पै लगै, 
छूटत नहीं छुटाय। 
जा करनी जो कर चले,
कालिख तन लपटाय।।
4.
लख छलिया छलछंद जो,
छपका लियौ छुटाय।
हरि महिमा ने हर लयी, 
मौरी सबइ बलाय।।
5.
छपका की छाया कजन,
जा तन पै पर जाय।
बा तन कछु न काम कौ,
जियत रहत मर जाय।।

*प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़


          💐😊 💐😊 छपका😊💐😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 99वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 12-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         

2 टिप्‍पणियां:

Sanjay Shrivastava ने कहा…

सुंदर, सार्थक, सारगर्भित ई संकलन।
राना भाई के अथक परिश्रम से बुंन्देली साहित्य फल फूल रहा है। उज्ज्वल भविष्य की अनंत शुभकामनाएं।💐💐💐💐संजय श्रीवास्तव, मवई, (दिल्ली)

pramod mishra ने कहा…

बूंदा छपका सौ लगे, नोनो सजै लिलार
फगुआरे पिरमोद भय,घूंघट रहे उगार
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,