Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 7 मार्च 2022

लराई (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक- राजीव नामदेव राना लिधौरी'टीकमगढ़ (मप्र)

                

  💐😊 लराई😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 97वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 07-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
06-एस आर सरल, टीकमगढ़ 
07-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
08- प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
09-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
10-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
11-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा
12-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव,झांसी (उ.प्र.)
13--रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ (मप्र)
14-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
15-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
16-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
17-बृजमोहन पटैरिया- कोटरा
18-राम बिहारी सक्सेना,खरगापुर

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक 'लराई'  97वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 97 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  97वीं ई-बुक 'लराई'लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-05-3-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय लराई'  दिनांक-5-3-2022को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
प्रकाशन दिनांक-07-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



**बुंदेली दोहा  बिषय-लराई-*
***
कछू लाभ नइ होत है,
करत लराई काय।
तनक सुवारथ सिद्ध को
जान माल मिट जाय।।
***
5-3-2022

***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
      
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02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



1-
जब हो जावै खोटमन,बैरभाव बडयाव ‌।
होत लराई तनक पै,अनुआं तनकउ पाव ।।
2- 
देश कि सरहद पै खडे,चौकी दँय दिनरैन ‌।
लरैं लराई देश हित,पिरान जै चय एैन ।।
3-
झांसी कि रानी लरीं,अंगरेजन सैं भौत।
एक नवेली नार नैं,दइ दुशमन को मौत ‌।।
4- 
कंस-दुयोधन किशन से,लरवै सैना संग‌।
भीषन भईं लराइयां ,रै गय सबरइ दंग।।
5- 
हनूमान शनिदेव की,भई लराई खूब ।
शनि के नग ढिलयाय दय,गव घमंड सब डूब ।।
6-
नेता अपने सुवारथ मैं,लररय भिररय ऐन ।
पिजा जाय चाय भाड में,नइया उनखौं चैन ।।
***

-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा जिला-टीकमगढ़

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03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)

      
*1*
वीर बुंदेलन ने लरी,
गोरों संग लराइ।    
रणचंडी बन मर मिटी, 
 रानी लक्ष्मी बाइ।।   
*
*2*
कभउँ कितउँ कौनउ जगा,
              करै न कौउ लराई।
करम करौ ऐसे सदा,
       हो कल्याण,भलाई।।
*3*
मन की मन में होत रत,
         हर पल रोज लराई।
मन की थायँ अथाय है,
       जानी न गहराई।।
***
  -*संजय श्रीवास्तव* मवई 
       २८-२-२२😊 दिल्ली
         
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4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      
गाजर काजर लगाकेँ, गइ मूरा संग भाग।
 ठनी लराई प्याज सें,पालक खेलत फाग।।         
शनिवार 5 मार्च 2022
अप्रतियोगी दोहा , विषय लराई
,,,,,
सास बहू मैं रगड़ कें, भइ लराइ जब भोर
जुरो जमड़खा गांव भर, संद नी पावै खोर 
,,,,,
कड़ी फंदक रइ भात पै, दार सौत संग जाव
मची लराई कचरकें,काय करो तो व्याव 
 ,,,,,
 नंद भुजाई भिड़ परी,गाल दिखाने लाल
 मोरे जान लराइ भइ,डारी रगड़ गुलाल 
 ,,,,
 भई लराई पड़न की, भैंसन पै हो आज
 खूना खच्ची मूंड़ भई,जैसें बंद गव ताज 
 ,,,,,
 सास कुटैलु उवार की, बहू ठुकैलु आई
  ऊमत डूबत रोजकी, पक्की होत लराई
  ,,,,,,
जर लराइ हांसी कहत,खांसी जर बीमार।
गैल झारकें निगत चल, कत प्रमोद पुचकार ।।         
           ***
   -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

लरैं लराई रात दिन, सेनिक ‌सीना तान।
हम सोते हैं चैंन से,जागें वीर जवान।।

*अप्रतियोगी दोहा*
परीवार खों छोड़ कें सुख सुविधांय तमाम।
सेनिक सीमा पै लरैं,सत सत उन्हें प्रनाम।।

तुबक तीर ‌तलवार‌ बम,तबल तमंचा बोल।
मची लराई देश ‌में, दुनियां‌ र‌इ है डोल।!

लरी लराई‌‌ लक्ष्मी, नंगी ‌लये तलवार।
भगे फिरंगी देश सें,पैर-पैर सलवार।।

भैया ‌-भैया सें अलग, अलग शहर सें गांव।
मची लराई हर घरै, जब सें भये चुनांव।।

 चरस‌ भांग अरु ड्रग्स भी, हीरोइन ‌नै खाव।
होत लराई एइ सें ,दारू बंद कराव।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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06-एस आर सरल,  टीकमगढ़


गजब  लराई  देश में, जे  नेता  करवायँ।
अपनी सत्ता गाँठवें, जनता खौ लरवायँ ।।
    ***
    -एस आर 'सरल',  टीकमगढ़

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   07-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


करी लराई राम सें, 
कुल कौ नाश कराव।
सोनें की लंका जरी, 
पाप भोगनें आव।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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08- प्रदीप खरे, टीकमगढ़(मप्र)

  
लराई लरैं लहु बहै, 
जा में कछू न सार।
आपस में गर नेह हो,
खुशी रबै संसार।।
***
भाइ- भाइ में प्रेम हो, 
नहीं लराई होय। 
बाली अरु सुग्रीव सी,
नहीं हँसाई होय।।
         ***
सीमा पै ठाड़े सुनौं,
बड़े बड़े बलवान। 
लरत लराई देश पै,
दै रय हैं बलिदान।।
***
लखन लरत रन में भयै,
रावन सुत से ढेर। 
हनुमत बूटी ला दयी,
 नहिं करि तनक अबेर।।
***
लरे सूरमा लंक में,
कर दय खट्टे दाँत। 
यैसी लराइ भइ उतै,
कटे शीश अरु हाँत।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल' ,टीकमगढ़ (मप्र)

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09-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


पद  पइसा पाकै नहीं, नाहक पेलो ताव।
लरो लराई न्याव की, जेइ सबै समझाव।।

प्रेम लराई  चार  दिन, से जादा नहिं राय ।
लगै पतो नइ काउखाँ, समझौता हो जाय।।

लरौ   लराई   नइ  कभउँ,  प्रेमपूर्वक  राव।
शक्ति संगठन में बड़ी,सन्तति खों सिखलाव।।
        
                   ***
                        -अमर सिंह राय,नौगांव
                             

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10-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


रोज लराई होय तौ,
बिगर जात परबार।            
घर की किलकिल सें सदाँ,
 होबै बन्टाढार।।
           ***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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11-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा


राजनीति मदरा जुवा,
धरती पईसा नार।
होत लराई जगत में ,
बहें खून की धार ।।      

       ***
-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा

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*12-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.


कछू लराई लेते हैं, कछू रये लरवांय।
कछू मजा लेवे फिरें,हंसी करें करवांय।।

अगर लराई जम गई, जनहित होय विकास।
तो लरबो अच्छो लगे, अच्छो लगे प्रयास।।

करें लराई जो कहूँ, केवल करें विनास।
बा लरबो बेकार को, बिरथा सबइ प्रयास।।

***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.(बडागांव) झांसी (उप्र.)
***
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13--रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ मप्र


लरी लराई करा दव,
  बैरी भाई  भाइ।
कर कर दांती  करकसा,
  ऐवन  लरै  लराइ।।

***

-रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ मप्र


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14-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)


लरें लराई देश हित,
 सरहद डटे जवान।
लरकें जाडे़ घाम सें,
दै रय अन्न किसान।।
*********************
लरी  लराई जनम भर, 
              कर लय बार सुपेत।
मन मतंग सें नइं लरे,
              स्वर्ग नरक जो देत।         ***********************
बिना लराई जगत में,
            को जी सकत बताव।
भूँके लर रय भूँक सें,
              नेता   लरत  चुनाव।
***********************
लर रय नोंरा साँप से,
                रूस  और  यूक्रैन।
कठिन लराई देख कें,
                 दुनियाँ  है  बेचैन।
************************
ठनी  लराई  भोर सें,
                 होबे आ गइ शाम।
गाँव पुरा के देख रय,
                 सास  बहू  संग्राम।
************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)

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15-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
बेरा भई चुनाव की,नेतन नइयां चैन।।
फिरकऊ कुरसी चावने,मची लराई ऐन।।
***
सत्ता को सुख चावने, चाटत रहें मलाई।
पिरधानी कैसें मिले, हो रई भोत लराई।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
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*16*-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़

मची लराई विश्व में,पटक रहे हथियार।
जा रईं जानें केउ हैं,जल रय हैं घर द्वार।।
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
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17-बृजमोहन पटैरिया- कोटरा
विषय आज को जान निरालौ, 
          मन में मची *लराई* ।
दो दिन से *बृजमोहन* काय ना , 
       हाजिर दर्ज कराई ।।
      ***
 -बृजमोहन पटैरिया- कोटरा
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18-राम बिहारी सक्सेना,खरगापुर

रसिया और यूक्रेन में,
 मचवा दई लराई।
मजा बाइडेन देख रय,
 जग में होत हँसाई।।
***
राम बिहारी सक्सेना,खरगापुर

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          💐😊 💐😊 लराई😊💐😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 97वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 07-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

वाह !आदरणीय राना जी सादर साधुवाद आकांक्षा पत्रिका टीकमगढ़ का संपादन कर बुंदेली को हिमालय जैसी ऊंचाइयों पर ले जाने का अथक प्रयास सदैव याद किया जाता रहेगा। और हम उम्मीद और आशा करते हैं कि आप अनवरत इस कार में मनवाणी से लगे रहेंगे आप के प्रयास को नमन वंदन जय बुंदेली।
निश्री सें नोने लगें, बुन्देली के बोल।
ऐंगर ‌हो बतयाय लो, हृदय के पट खोंल।।
भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह (मप्र)