💐😊 जनानी😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 98वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 09-03-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
06-एस आर सरल, टीकमगढ़
07-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
08- प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
09-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
10-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
11-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा
12-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवारा (मप्र)
13--रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ (मप्र)
14-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
15-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
16--रामानन्द पाठक 'नन्द', पृथ्वीपुर
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक 'जनानी' 98वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 98 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 98वीं ई-बुक 'जनानी'' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने सोमवार दिनांक-08-3-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय 'जनानी' दिनांक-8-3-2022को पटल पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-09-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
**बुंदेली दोहा बिषय-जनानी-*
*१*
जने जनानी जब कभी,
जनमे जो जग ईश।
जनता का करते भला,
जय जय जय जगदीश।।
***
*२*
जीव जगत से जब जुड़े,
जियरा जोर जमात।
जन्म मरण जंजाल से
जनानी दे जबाब।
***7-3-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
1-
होय जनानी संग की,हौ सुंदर आचार ।
जीवन भर कौ संग रय,सदगुन हौय विचार ।।
2-
घर दोरे नौनैं लगैं,अगर जनानी होय ।
बिन जननी के सूनपन,घरै न आवै कोय।।
3-
जनन-जनन की ठनत जब,चै- चै करवैं एैन ।
लरै जनानी आपसी ,समझाती कछु बैन।।
4-
रूप जनानी धर किशन,करबै खूब बजार।
गुदना गुदवालो सखीं ,नाक छिदालो नार।।
5-
जनक नंदनी जानकी,बैठीं पेड अशोक ।
जुरीं जनानी लंकगढ,दैरइं मां खाें शोक ।।
***
-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा, जिला-टीकमगढ़
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03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
**सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय- *जनानी*
*१*
जननी जीवनदायिनी,
जननी जग विस्तार।
नमन जनानी शक्ति को,
पूजूँ बारम्बार ।।
*२*
रोज जनानी दिवस है,
हर दिन उनके ख़ास।
धरती सौ धीरज धरें,
ख़ुद रचतीं आकाश।।
*३*
उठत भोर सें जनानी,
करबै घर के काम।
सबके टउका सादबै,
नाम मिले ना दाम।।
*४*
खटत जनानी रात दिन,
मन नइं होत अधीर।
सबके सुख में सुखी है,
कहत न मन की पीर।।
*५*
जगत जनानी के बिना,
जर जर अरु वीरान।
जीवन नीरस सो लगे,
सूनो लगे जहान।।
***
*संजय श्रीवास्तव* मवई
७-३-२२ 😊 दिल्ली
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4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
जुरि जनानी जगत की,
नाच रहे बृज राज।
शिव सें बोलीं गोपियां,
नारि बनो महराज।।
,,,
अमरत परसन जगत पति,
धरो जनानी रूप।
जगमगात छनकत निगत,
धारें दिव्य स्वरूप ।।
,,,
जान जनानी जगत की,
जनि जननी जगतार।
जुगती जागृति जनाती,
जा नानी जनधार।।
,,,,
बने जनानी जान सब,
राम लखन के काज।
अंजनि सुत काली कहत,
मैटत रावन राज।।
,,,,
नारी सौ संसार हैं,
तन मैं नारी रात।
नारी की भाजी बनत,
नारि जनानी खात।।
,,,
टीकमगढ़ बाजार बिच,
साजत चीर दुकान।
बनी जनानी बोर्ड पर,
उनका ही परिधान।।
,,,,
नमन जनानी को करत,
जानत जननी भाँत।
गोद प्रमोद खिलाउती,
मांथें फेरत हांत ।।
***
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
*बुन्देली दोहे विषय जनानी*
भेष जनानी कौ धरो,एक दिना त्रिपुरार।
लीला देखन किशन की,बन गय नर सें नार।।
बने जनानी एक दिन, श्रीकृष्ण भगवान।।
गुदना गुदवा लो सखी,और छिदालो कान।।
राष्ट्रपति अरु पायलट, बैज्ञानीक डी. एम.।
कइ जनानी डाक्टर, सैनिक और सी,एम.।।
बेन मतारी भानजी,घरवारी अरु सास।
जहां जनानी पुजत है,देवता करत निवास।।
कई जनानी आजकल,गेल घाट मिल जात।
सेत लाबरी बोलकें, फिर जे हमें फसात।।
🙏🙏🙏
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशि
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
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06-एस आर सरल, टीकमगढ़
बुन्देली दोहा #जनानी#
********************
औरत खौ अबला कवै,करें ओछ अपमान।
आज जनानी कम नईं , मर्दन सें अँगवान।।
शोषक नें हक छीनकेँ,कइयक भाँत सताव।
बड़े जनानी सें जना, ऐसों लिखों बताव।।
आज जनानी सबल हैं, उनै मिलें अधकार।
शोषक सोसन में परे,अब नइँ गल रइ दार।।
अब्बल खौ अबला कई,अपनी धाक जमाइ।
काय जनानी खौ सता,तनक शरम नइ आइ।।
आज जनानी जनन के, काट रईं हैं कान।
संविधान नें दोंइ खौ ,दय अधकार समान ।।
***
-एस आर 'सरल', टीकमगढ़
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07-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
दोहा- जनानी
दिनांक 7 मार्च 2022
भाषा बुंदेली
मन की पीड़ा काउ सें, कैबे में सकुचा यँ।
पावन मन की जनानी, काय ना पूजी जायँ।
रात दिना रत काम में, तौउ धरें रत धीर।
सहन करै हर बात खों, कहै न मन की पीर।
ममता की मूरत सदा, धरें रहत नित धीर।
नमन जनानी खों करत, कौशल पति रघुवीर।
धरती सें आकाश तक, ऊँचौ कर रइँ भाल।
पढ़ लिख कें सब जनानी,खूबइँ करें कमाल।
गुणबंती जो जनानी, घर खों स्वर्ग बनायँ।
पूजनीय,सब मात हैं, दोउ कर जोर मनायँ।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
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08- प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़(मप्र)
जनानी होय जानकी,
सदाँ करो सम्मान।
जीवन में न करो कभी,
भैया तुम अपमान।।
*
जनानी श्रष्टि को रचे,
करती है कल्यान।
ता सम कोइ और नहीं,
जानत सकल जहान।।
*
ममता मूरत होत है,
पालन करती माइ।
जनानी है बहिन- बुआ,
मामी, चाची ताइ।।
*
जो नर लेता है यहाँ,
जनानी से अशीष।
होता वो खुशहाल है,
नभ को छूता शीष।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल' ,टीकमगढ़ (मप्र)
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09-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
बुन्देली दोहे- *जनानी* (7/3/2022)
नईं जनानी जानियो, मरदन सी पैचान।
मरदानी मैदान में, कूदत लोग समान।।
मुद्दा तीन तलाक से, भई जनानी दूर।
ई सें छुटकारा मिलो, ब्याधि बड़ी ती क्रूर।
मान्स जनानी में अबै, अंतर दिखै तमाम।
मिलत दिहाड़ी कम इन्हैं, रेजा दौ है नाम।
मिलैं जनानी खों कई, कामन भारी लाभ।
सस्ती दर पर ऋण मिलै,क्रय सम्पत्ती लाभ।
अतकारे अधिकार कछु,जनम जनानी रायँ।
उतपीड़न सहतीं कछू,कछू मुफत फसवायँ।
शब्द जनाना बोलतन, लागै लोग समान।
किन्तु जनानी का अरथ,भी तो एक समान।
मौलिक/-
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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10-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)
बुंदेली दोहा 🥀 (जनानी)🥀
पाल पोसकें प्रेम सें,
देती जीवन दान।
'सरस' जनानी रूप में,
माता बड़ी महान।।
घर बाहर संसार में,
खूब कमाबें नाम।
करें जनानी देश में,
अब तौ बड्डे काम।।
इतै जनानी कौ सुनों,
एक अहाँनों खास।
पीसै कूटै तौ बहू,
हाँत भिडाबै सास।।
बैंन, बहू,भौजी,फुआ,
मांईं,मोंसी,सास।
सबइ जनानी मानियें,
माँ समान ही खास।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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11-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा (टीकमगढ़)
बुन्देली दोहा
बिषय-जनानी
1-
माया घर में है बड़ी
एक जनानी जान
सबरे घर की राखबै
देखों भईया सान
2-
शान जनानी जानलो
झाँसी रानी हाल
गोरन के कारे करें
मार मार के गाल
3
जुरी जनानी ब्आव में
बन्न बन्न को गाय
गारी गाबै छैल को
मुस्का मुस्का खाय
4
छैल छबीले देखलो
छलिया कृष्ण मुरार
गये जनानी भेष में
राधा जू के दुवार ।।
***
गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा जिला टीकमगढ़
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*12-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवारा
दोहे (बुंदेली )
जनानी
बड़े जतन से पालती ,उसे नवाओ शीष।
मात जनानी रूप है ,देवे मन आशीष।
कबहुँ जनानी से करी ,जो तुमने तकरार।
पानी रोटी बंद सब ,जीवन कठिन कुठार।
ऊधो कान्हा से कहो ,जीवन जो बर्बाद।
सभइ जनानी रो रहीं ,करके उनको याद।
बिना जनानी के लगे ,घर सूनो समशान।
मात बहन जोरू सुता ,जे घर की हैं आन।
आज जनानी सब करे ,जो हैं मुश्कल काम।
घर बाहर घिन्नी फिरे ,मरद करे आराम।
-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवारा
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.(बडागांव) झांसी (उप्र.)
***
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दोहा जनानी
जनें जनानी पूत जो
तौ जननी कहलाय
कात जनानी नार खों
मादा दार कहाय।।
जनी जनानी जो करे
जगत अनौखे काम
मात पिता ससुरार में
होबै ऊचौ नाम।।
***
-रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ मप्र
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14-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
🙏बुन्देली दोहे🙏जनानी🙏
************************
नमन जनानी शक्ति खाँ,
करूँ झुका कें शीश।
जिनकी ओली में पले,
जग-पालक जगदीश।
************************
घर-घर उजयारौ करत,
बनकें दीपक जोत।
बिना जनानी के कभउँ,
जग्ग सफल नइं होत।
*************************
पैल जनानी सउत तीं,
विधवा भय पै त्रास।
विधवा पुनरविवाह सें,
जगन लगी अब आस।
*************************
नहीं जनानी सै सकत,
मयके कौ अपमान।
कत मयके कौ तौ लगत,
उनखाँ प्यारौ श्वान।
*************************
उयै न करिऔ सोंजिया,
जो है खाली हाँत।
कैउ जनानी लै उड़त,
ऐसी करत दुभाँत।
**************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
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15-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
दिनांक-7.3.2022
विषय- जनानी
🌹
बेटी बहना बहुरिया ,सबइ जनानी रूप ।
इने मातु सम जानिये,महिमा बड़ी अनूप।।
नहीं जनानी निबल अब,नहि अबोध नादान।
तनक मान मिल जाए तो,बन जे घर की शान।।
हमें न जानो छुइ मुई,हम हैं लोह समान।
चलीं जनानी फोज में, बना रहीं पहचान।।
जिते जनानी रूप को,मान होय दिन रात।
रहे बसेरो रमा को,वैभव नहीं बढ़ात।।
धरती सी गमखोर है,नदिया सी गहराइ।
बनी जनानी शक्ति जब,आंच वंश पे आइ।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
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16--रामानन्द पाठक 'नन्द', पृथ्वीपुर
दोहा जनानी
1
धरौ जनानी भेस जब,वर दै फसै
महेस।
रक्षा अपनी खुदइ करी,हिय कौ मिटौ क्लैस।
2
रुप जनानी हरी धरौ,करन लगे वे नाच।
भस्मासुर संगै नचे,हो गव भस्म पिसाच।
3
हतौ जनानी सिखंडी,बन अर्जुन की ढाल।
बिजय पताका दिला दइ,भय भीस्म बेहाल।
4
होत जनानी कम नहीं,धर रण चंडी रुप।
दुस्टन कौ संघार कर,बदल देत स्वरुप।
5
जनम जनानी होत हैं,बैसइ उनके काम।
नैन कटीले वा छवी,निरखत फिरें तमाम।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द', पृथ्वीपुर
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💐😊 💐😊 जनानी😊💐😊💐
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संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
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आकांक्षा पत्रिका टीकमगढ़ के द्वारा बुंदेली रचनाओं का प्रकाशन ई पत्रिका के माध्यम से किया जा रहा है बहुत ही अनुकरणीय कार्य है संपादक महोदय को अनंत शुभकामनाओं सहित हार्दिक हार्दिक बधाई।
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह मध्य प्रदेश
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