Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 26 मार्च 2022

दुलइया (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)

                 
  



                     💐😊 दुलइया😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 103वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
07-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
08-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
11-गीता देवी, औरैया (उ.प्र.)
12-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
13-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
15-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
16-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
17-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष  टीकमगढ़
18-परम लाल तिवारी, खजुराहो
19-हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर
20-डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर
21-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ, लखौरा
22-मनोज सोनी रामटोरिया
23-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिँला टीकमगढ़
24-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
25-गणतंत्र जैन 'ओजस्वी', खरगापुर
26-गुणसागर सत्यार्थी,कुण्डेश्वर,टीकमगढ़

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'दुलइया'  103वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 103 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  103वीं ई-बुक 'दुलइया'  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-26-3-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-54 में दिये गये बिषय 'दुलइया'  पर दिनांक-26-3-2022को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-27-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)




**अप्रतियोगी दोहा बिषय-दुलइया*

*1*

दिखी दुलइया द्वार पे, 
दादी देत असीस। 
दूल्हा दम सादे खडो,
सास  दांत रइ पीस।।
***

*2*

देख दुलइया सेज पे, 
दुल्हा  जू घबराय। 
दुलहन दांत निपोरती, 
दुल्हा जी शरमाय।। 
        ***

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



चतुर दुलइया होवैं,तौ घर समरे ऐन।
घर में सुरसंमत रवै,राखत ऐसी लेन ।।
***

1-
दसरथ वियाह लायते,चारौं राजकुमार।
आगई चार दुलैयां,होंय मंगलाचार।।
2-
सुघर नारीं समारतीं,चोखे कुल की होय ।
लैकैं चलत जेठन की,मिलै दुलैया जोय ।।
3-
सुरसंमत सैं रैत जो,वो घर सुरग समान 
जी घर आय दुलइया,देवी सीता जान ।।
4-
सबखां ऐसी मिलत नै, भाग- भाग की बात ।
 ऐसी आंए दुलैया ,मुंस खौं मारें लात ।।
 5-
घर-घर की पनी रीत युँ,घर कौ जो  बतकाव ।
बोइ चाल में चलतन ,घरै दुलैया पाव ।।
***
✍️-शोभाराम दाँगी 'इंदु' ,नंदनवारा
     ***

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03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)

      

चली छोडकें मायको,
धरैं दुलइया रूप।      
सोचत रत ससुरार में, 
छाँव मिलै कै धूप।।
***    
*१*
बैठ दुलइया सेज पे,
     तकै सजन की राह।
सजन सिपाही देश के,
      करै देश परवाह।।
*२*
बैठ दुलइया पालकी,
      पौंची पिय के दोर।
नई-नई दुनिया लगै,
     नई-नई सी भोर।।
*३*
नाहर घाइं दलाँकबै,
         दुल्लु दिन्ना रात।
कौन घड़ी भाँवर परी,
      सोच जिया घबरात।।
       ***
   ✍️ संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
    
      
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4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      
सज धज बैठी पालकी,चली दुलइया आज।
बररोटन बालम दिखत , कातन लगतइ लाज।।
                      ***
             
घट पै घट धर दुलइया ,घट घूँघट घट धार।
घुटकी लटके लललरी ,पनघट चली समार ।।
,,,,,
पनघट ठांडी दुलइया ,बासन रही कसूढ़।
घूँघट में नैना नचत ,बालापन रइ ढूंढ़ ।।
,,,,, 
पनयां जेवरा सें बंदौ , डबला  कुआ हिलोर।
पानी वोरत लुरा रइ , पकर दुलइया डोर ।।
,,,,,
गगरी पै घैला धरें , छन्नमनइयां नार।
चली दुलइया गैल में , टोड़र रय हंकार।।
,,,,,
पनघट सें भींजत चली, गगरी सिर इठलात।
फागुन मइना दुलइया ,फूला सी मुस्क्यात ।।
,,,,
सज धज बैठी पालकी,चली दुलइया आज।
मयके मैंडें मूंड़ धर , भबक उठे सब साज ।्
,,,,
चैत मास के आउतन ,गय सब पेड़े फूल।
ललक उठो पिरमोद मन,परत दुलइया झूल।।
,,,,,            
   -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 


नारि चेतना सें मिलो,सबखों जौ अधिकार।
बनै दुलैया दूसरां,पति गव सुरग सिधार।।
***

बनी दुलैया जानकी,दूला राजाराम।
गारीं बनरा गा रहीं सखियां लै लै नाम।।

दूला ‌क‌इयक बेर ‌भी, पुरुष बड़े बन जाय।
नारि दुलैया दूसरां,कभ‌‌उं नहीं बनपाय।।

नारि सशक्तीकरण सें, मिल गव है अधिकार।
बनत दुलैया खूब अब, भैया दौ-दौ दार।।

मांदि हांतन पांवन में, लम्बों घूघट डार।
मिली दुलैया खोर में,तब‌इ सें लगी ‌दमार।।

जौन दुलैया मायकें,जांदा दिन ‌लौ राय।
ऊं घर ऊजर मानिए, बैठे हम अजमाय।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       



आइ घरै नइ दुलइया,रखौ पलक की नाइँ।
लाड़-प्यार सें राखियौ, मानों  मोंडी  घाइँ।।
***
बनी दुलइया लाडली, चली विसूरत जाए।
कछू सोच रोवै विकट,कछू सोच मुसकाय।।

बनी सिया जू दुलइया,दूला अवध किशोर।
सिया राम जू की छटा,देख खुशी चहुँ ओर।।

पूरब पूण्य कमी परै, तौ ना मिलवें चार।
बाली बच्चे दुलइया,विद्या धन आधार।।

आइ दुलइया गेह में, हिजड़ा दयें दमार।
मौं पै ताली ठोकबें, माँगें पाँच हजार।।

***

अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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07-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


घरै दुलैया आय जब, धरवै  पाँव  सँभार।
नई नवेली नइ जगां, नव-नव घर परवार।।
***

अप्रतियोगी बुन्देली दोहे- दुलैया
दिनाँक- 26/3/2021

करत  सबइ  मोचयनो, नई  दुलैया  आत।
चार दिना कें बाद में, मो खोलें दिख जात।

नई  दुलैया  के  नए, नखरे  नय-नय  रायँ।
पैलां तौ अच्छे लगैं, फिर मुश्कल हो जायँ।

लरका मौ की मूँछ खों, रख़ौ पोंच पुचकार।
नई  दुलैया  आतनइँ,  पैलउँ  रखौ  सँभार।

घर की बिटिया अरु बहू,में मत समझो भेद।
नई  दुलैया सें कभउँ, फिर नहिं हुइये  खेद।।

       ***
              -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
                             

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08-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


8*
सुगर सलोंनी सूदरी,
दुल्हन यैंसी पाइ।
बैठी सोंनें की खुरी,
जबसें घर में आइ।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)



सुगर दुलइया लच्छमी, 
जब सें घर में आइ।
कंचन बरसत रात दिन,
रोजउँ मनत दिबाइ।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
***

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10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 



बनी दुलैया जानकी,दूला राजा राम।
दशरथ जू फूले फिरें,जोड़ी देख ललाम।।
***
🌹
नयन पुतरि सी राखियो,नइ दुलैया ल्याय।
लछमी दुर्गा रुप है,घर मंदिर हो जाय।।
🌹
बजत बधाई आंगना नाचत है मन मोर।
सिया दुलैया सी सजी,दूला अवध किशोर।।

🌹
आईं चौकै दुलैया,कर सोलउ सिंगार ।
ओली में ललना लयें, सुखी रहे परिवार।।
***
-आशा रिछारिया, निवाड़ी 

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11- गीता देवी, औरैया(उप्र.)


द्वारे उतरत दुलइया, 
जमा भौत हय भीर।
उझकत देख रयै सबइ, 
धरत जिया में धीर।।
***

गीता देवी 
औरैया (उत्तर प्रदेश)

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12-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


सिया दुलैया जू बनी, दूला अवध नरेश। 
दरश करन जहँ आय हैं,ब्रह्मा बिष्नु महेश।।
***
कबै दुलैया सास सें, लै नहिं पैहौ साँस। 
मौय न सूदौ जानियौ, धरी गरै की फाँस।।

आइ दुलैया सासरें, आतन काड़ी आँख। 
ससुरहिं हूदा हन दये,सास दबा लयी काँख।। 
***
✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़


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13- एस आर सरल, टीकमगढ़

कड़ों  दुलइया  बायरे,देव  संत खौ  दान।
दान करें धन नइँ धटें ,ख़ुश राखें भगवान।।
***
 
पलका पै दूला  परें, करत हराँ सें बात । 
आव दुलइया ऐगरें , कटें  चैन सें रात।।

बैठ दुलइया खाम लों, टुकुर मुकुर रइ हेर।
दूला  बैठें  बगल  में  , आँखे  रये  तरेर।।

गोरी नारी चुलबुली,बिया दुलइया  ल्याय।
दूला  नजरें  डारकें ,  फूलों  नईं  समाय।।

   ***
        -एस आर सरल, टीकमगढ़

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14-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)



बजी बधाई अवध में, छाई खुशी अपार।
दसरथ के रनिवास में,देख दुलइया चार।।
***
अप्रतियोगी दोहा....

शोभा करे बखान को, लजा देव रय काम।
जितै दुलैया जानकी, दुल्हा राजा राम।।

देख दुलइया द्वार पे, हिजडा़ आये चार।
गाकें मंगल गीत से, मांग रये न्यौछार।।

दद्दा कोने में डरे, बाई भइ बीमार।
घरै दुलइया आइ जो, मौडा़ भय  बेकार।।

पढ़ी दुलइया जौन घर, हो शिक्षित घरबार।
प्रगति होय परिवार की, समझें सब अधिकार।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी (उप्र.)

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*15-*वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़

सजी दुलैया जात है , 
जब अपनी ससरार।
ख़ूबइं करतइ याद है , 
मात पिता कौ प्यार।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़

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16-*प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़


नई  दुल‌इया  आइ  सो ,
दोरें    डरो  उरैंन।
होन   लगो  मोंचांयनों , 
चीजें मिल र‌इँ ऐंन।।
  ***         
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़
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*17-परम लाल तिवारी, खजुराहो


भली दुलैया सबई खां,
सबकी करे सम्हार।
सास ससुर जेठे बड़े,
रहें सदा बलिहार।।
***
✍️  -परम लाल तिवारी,खजुराहो

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20-हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर

नई दुलैया आइ घर,
सासो के मन हर्ष ।                          
सन्तू सब जन मानबैं , 
घर कौ है उत्कर्ष ।।
***
---हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर

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20-डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर

नई दुलइया देखकर,
लरिका लार चुचाय ।
कब नियरे म आएगी,
मधुर मधुर बतियाय।
***
डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर

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*21-*गुलाब सिंह यादव 'भाऊ, लखौरा
खान दान कुलवान हो,
मिलै दुलइया राम ।
दोई कुल की राखबै ,
सावित्री से नाम ।।
***
-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ, लखौरा

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*22-*मनोज सोनी रामटोरिया
लरका बारे लालची,
ऊपर पटकत गाज।
कौन जुगत निर्धन सुता,
बनै दुलैया आज।।
***
-मनोज सोनी रामटोरिया

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23-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिँला टीकमगढ़
धनुष टोर दय राम ने,
भव जानकी वियाव।
सिया दुलइया बन गईं,
गय राजन के ह्याव।।
***
जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिँला टीकमगढ़
*****
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24-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
दोहा
विषय -दुलइया

1-बनी जानकी दुलइया,
दूला भय श्री राम।
नर नारी हर्षित भये,
देखत छवि सुख धाम।

2-बाप मतारी जतन कर,
कर दय कन्या काज।
प्राण प्यारी पुतरिया,
बनी दुलइया आज।।
***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

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25-गणतंत्र जैन *ओजस्वी*, खरगापुर

अप्रतियोगी बुन्देली दोहे 
विषय - दुलइया (दुलैया, दुल्हन)
=================

नयी नवेली नार खों, मिलै संग भरतार!!
बनीं दुलइया चल परीं, बनवै खों सरकार!!

सुख-दुख, हानि-लाभ में, दुल्हन एक समान!
घर खों घर कै सकत तब, नईं तो होत मकान!!

मन में सपने सैकरों, पूरे होय न होय!!
सजी दुलइया मगन हो, शंका तनक न कोय!! 

लाज रखें सब घरन की, घरबारन की और!!
सई दुलैया मानियो, भाग्यवान ऊ पौर!!

शिक्षा, नीति, रीति सैं, कुल को है सम्मान!!
मिलै दुलैया ऐसिअई, पूजै सकल जहान!!

-गणतंत्र जैन *ओजस्वी*, खरगापुर

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26-गुणसागर सत्यार्थी,कुण्डेश्वर


*अप्रतियोगी दोहा-*

सरद दुलइया तौ गई, 
आई  बसंती   आज;
ढुलक नगडिया बज उठी,
हौय  सगुन  के   काज।
***
*-गुणसागर सत्यार्थी,कुण्डेश्वर*               
*नोट-* श्री सत्यार्थी जी ने यह दोहा मेरी फेसबुक पोस्ट पर कमेन्ट बॉक्स में पोस्ट किया था

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                      दुलइया
   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 103वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-03-2022

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2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर आदरणीय अनंत शुभकामनाएं।

होय दुलैया कोउ की,मिलत सदा सम्मान।
नर नारायण दोइ की,जा है रतन खदान।।
भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह


pramod mishra ने कहा…

दुललू सें उललू बने ,फुललू फूले रात
मिली दुलैया ऊजरी ,गांव भरे में कात