Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 21 मार्च 2022

कैलिया (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)

                 💐😊 कैलिया😊💐


  



                     💐😊 कैलिया😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 102वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 21-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

               
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
07-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
08-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
11-गीता देवी, औरैया (उ.प्र.)
12-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
13-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
14-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
15-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
16*वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
17-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष  टीकमगढ़
18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
19-परम लाल तिवारी, खजुराहो
20-हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'कैलिया'  102वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 102 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  102वीं ई-बुक 'कैलिया'  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-19-3-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-53 में दिये गये बिषय 'कैलिया'  पर दिनांक-19-3-2022को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-21-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)




**अप्रतियोगी दोहा बिषय-कैलिया*

सिकीं कैलिया रोटियां,
मिले अनौखौ स्वाद।
रोग पेट होवो नहीं,
भोज बने प्रसाद।।
***19-3-2022*

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉                 
02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



कैलिया सिकीं रोटियां,
खाय में जो सुवाद ।
और तवन की खांय जो,
होवैं रोग फसाद ।।
     ***
-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा, जिला-टीकमगढ़

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)

      
*माटी की है कैलिया,
तप तप भूँक मिटाय।      
माटी की काया बनी,
 परहित में घुर जाय।।
    ***  
   
    *संजय श्रीवास्तव* मवई 
       १५-३-२२ 😊 दिल्ली
 
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      शनिवार 19 मार्च 22
बुंदेली दोहा विषय ,कैलिया,
,,,,
चूलें धर दइ कैलिया,आगी दइ उसकेर
चूंन माँड़ रोटी विली, सिकत लगत नइ देर
,,,,
हमने पूंछी कैलिया, कैसेँ डारी फोर
लूगर लेंतीं घरैनी,में कड़ आयो दोर
,,,,,
उरसा बिल्लां कैलिया, चूलों कुपरा चूँन
माचस पानी नकरिया,रोटी पव दो जून
,,,,
चूंलें चढ़केँ कैलिया, हंसरइ दांत निपोर
तर ऊपर रोटी लगी,देखत उनकी ओर
,,,,
हंड़िया मैं हप्पा बनत, चुरत तौलिया दार
रोटी सेंकें कैलिया, दइ मटैलनी पार
,,,,
चूलेँ हंसरइ कैलिया,नक्कू रइ सुर राय
घेंरा करतइ परोसन, उसकेरत परचाय
,,,,,,
औंधी चढ़तइ कैलिया,सरको तवा चढ़ाय
कैलो कैलिया ब्याव भव,पढ़ो प्रमोद बताय
***
        
   -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

तवा घां‌इं धरती जरै
,मिलबै रोटी अन्न।
सीमा पै सैनिक मरै,
सबखों रखे प्रसन्न।।
***
*अप्रतियोगी दोहे*
अपनी देह जराय कें रोटीं रोज ‌खबाय।
माटी के इस तवा कौ, त्याग कहो न जाय।।

वरसा गरमी सीत सह,धरती और किसान।
सीमा पै सैनिक खड़े,तप रय ‌तवा समान।।

हड़िया अरु कैले तवा,अब न‌ईं गुरु दिखात।
जां देखो जा मिशनरी,चाहत सब‌इ उलात।।

जौ‌ तन तवा समान है,जरै बरै दिन  रैंन।
करम कर‌इंयन खों न‌ईं,खाबै लौ की  चैन।।

मिलै तवा‌ की पन पथू,मठा पनौ अरु दार।
"अनुरागी'क‌इयक जनै, देखत डारें लार।।

तवा कैलिया दो‌इ अलग, नम्बर बनत न देत।
मजबूरी है सामने,करिया ‌भी है सेत।।🙏🙏

तवा सदा सूदो धरत,कैलो उल्टो रात।
आदी सी तौ कड़क ग‌इ,ईकी‌ रोटी खात।।🙏🙏
🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह (मप्र)
-भगवान सिंह लोधी 'अनुरागी', हटा दमोह (मप्र)

 
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

   06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


धर चूले पै कैलिया,तुम फुलकियाँ बनाव।
देशी घी सें चुपर कें,प्रभु खों भोग लगाव।।
***
तौला, तैया,कैलिया,हँड़िया डबला होय।
मटका कौ पानी पियौ,रोग कभउँ ना होय।।

जी के घर में कैलिया,हँड़िया चपिया होय।
वैद्य डॉक्टर की घरै, कभउँ ना आवन होय।।

उल्टी धर कें कैलिया, रोटी लेव बनाय।
खाबै में उम्दा लगै, स्वाद अनोखौ आय।।

माटी के बर्तन घरै, दूध महेरी खाय।
घी चुपरी रोटी भली,सेंक कैलिया खाय।

रोटी सेंकौ कैलिया, धर चूले पै भाइ।
ऊनें लव साँचौ मजा,जीनें चुपरी खाइ।
****
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

07-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


कब्ज करै कम कैलिया, कइयक करत प्रयोग।
चूल्हे  से  रोटी  बनत,मिटत  गैस  को  रोग।।
***
चूल्हे  में  रख  कैलिया, सिकवैं  रोटी  चार।
मटका को पानी मिलै, अरु हँड़िया की दार।

उल्टी  सूदी  कैलिया, चूल्हे  में  चढ़  जाय।
रोटी सोंधी सी लगै, लगत कि खातइ जाय।

गाँवन सें चल कैलिया, पौंच शहर में आय।
चूल्हे  सें अब  गैस पै, चढ़न लगी  हरषाय।

घरन घरन अब कैलिया, बिकरइँ हत्थेदार।
रूप बदल कैं  हो रओ, ई को भी  व्योपार।।

           ***
       
                      -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
                             

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

08-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


माटी कौ है जौ तबा
,इयै कैलिया कात।
मोटीं रोटीं फुलकियाँ
,सब ई पै बन जात।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)


🌹आटौ  गीलौ  होत  है, बरै न बारें आग।
चडी़ फूटबै कैलिया,जब फूटत है भाग।।

***
🏵अप्रतियोगी दोहे-कैलिया🏵
************************
सैंयाँ  ने  रँग  डार  कें, 
           तनक  मचा  दइ  लूट।
चूले  की  आगी  बुजी,
            गयी   कैलिया   फूट।
************************
मारी  पिचकारी  बलम,  
             समझ  गई  मैं  चाल।
हती  हाँत  में  कैलिया, 
           बन गइ  बढ़िया  ढाल।
************************
लइ   कुमार  सें   कैलिया, 
            केंनों    दै  कें    काल।
हुरयारे   लख   मैं   भगी,  
              छूटी    फूटी     हाल।
*************************
जीवन भर तन खाँ तपा, 
             भरत  सबइ  कौ  पेट।
भेद  न   राखै   कैलिया,  
              को  गरीब   को  सेट।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्ही टेहरी (बुढेरा)

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 



रोटी बनबे कैलिया,
खूब अफर कें खाय।
कबहूं नहि औगुन करे,
पेट रुई सौ राय।।
***
-आशा रिछारिया, निवाड़ी 

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

11- गीता देवी, औरैया(उप्र.)


सिकत चपाती कैलिया, 
आबत भौत मिठास। 
अपनन कै सँग खाइयौ,
 सदा रहत  हिय पास।।
***
गीता देवी 
औरैया (उत्तर प्रदेश)

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

12-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़

(अप्रतियोगी दोहा-कैलिया /तबा)
एक चूले के तबा पै, 
बनें सौंज कौ भोज! 
जा घर बहुँयें लक्ष्मी, 
ता घर आँनद रोज!! 
***************

स्वरचित एवं मौलिक
-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

13-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


त्याग समर्पण का सदाँ, 
देती है संदेश। 
खुद जल करकैं कैलिया, 
सेवा करै हमेश। 
***
*प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

14- एस आर सरल, टीकमगढ़

अप्रतियोगी बुन्देली दोहा #कैलिया#
*********************************
तवा  तवेला  कैलिया,  चूलों  माटीदार।
जे सब एकइ जात के ,मटया रिस्तेदार ।।

तइया   हड़िया  कैलिया , संगें  पारों  सोय।
सब मटया भाड़े जुरे, खड़र बड़र नइँ होय।।

धाँय  धाँय चूलों जलें, झकर कैलिया खाय।
धुआँ दुलइया खौ लगें,रोटी जल जल जाय।।

कवै   तवा  सें  कैलिया, चूलों  मोरों  यार।
रुटनाई   सेटिग   करें , मोपे  दार मदार।।
************
 
        -एस आर सरल, टीकमगढ़

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

15-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)


अप्रतियोगी दोहा.

चूल्हे पे धर कैलिया, नौने गक्कड़ सैंक।
खुआ रईं वे प्रीत सें, गोरी गैलें छेंक।।

***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी (उप्र.)

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*16*वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
कितै हिरा गइ कैलिया ,
 नइं दिख रइ है आज।
चलौ ढूंढ़बे सब जनै , 
छोड़ छाड़ कें काज।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

17-*प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़

चूले पै  धर  कैलिया ,  
र‌ईं  कुच‌इँयां  सेंक।
नई  नवेली  दुल‌इया ‌ ,
हांत  न  जाबै  चेंक।।
***
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
 बनों पार के ऊपरै,
सीता रसोई घर।
धरौ तबा भीतर दिखै,
जाकई दरसन कर।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां


🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*19-परम लाल तिवारी, खजुराहो
अप्रतियोगी दोहा-
जो भी रोटी कैलिया,
बना बना के खाय।
वाके घर में रोग को,
तनिक निशान न राय।।
***
परम लाल तिवारी
खजुराहो

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

20-हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर

रोटी  बनबै कैलिया, 
की सुन्दर स्वादिष्ट ।                    
 "सन्तू"भावै भौत बा ,
 मोखाँ लगै विशिष्ट ।।
-----हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


                      कैलिया
   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 102वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 19-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         

6 टिप्‍पणियां:

Amar Singh rai ने कहा…

बहुत सुंदर ई-बुक

Unknown ने कहा…

फुलका कैलिया ‌‌कौ बनौ,पनौ आम कौ होय।
स्वाद कड़ी कौ राम ध‌इ,जानत है सब कोय।।
भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह (मप्र)




Sanjay Shrivastava ने कहा…

Beautiful E- collection 👍💐
Sanjay Shrivastava

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

धन्यवाद श्री संजय भाई

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

बहुत बढ़िया अनुरागी जी

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

धन्यवाद श्री राय साहब