Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 30 मार्च 2022

मेंपर (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़ (मप्र)

                 
  



                     💐😊 मेंपर😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 104वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 30-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

             
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
03-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
04-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
05-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
06-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
07-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
8-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
09-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
11-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष  टीकमगढ़
12-हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर
13-डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर
14-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ, लखौरा
15-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिँला टीकमगढ़
16-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
17- कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर(-निवाडी़) 
18-श्री राम कृपाल शुक्ल 'शीतल',सटई (छतरपुर)
19-सरस कुमार,दोह (खरगापुर)जिला टीकमगढ़ 

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'मेंपर'  104वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 103 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  103वीं ई-बुक 'दुलइया'  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने सोमवार दिनांक-28-3-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय 'मेंपर'  पर दिनांक-28-3-2022को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-30-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



*बुंदेली दोहा बिषय - मैंपर*

*1*

कुत्ता कभउ नइ चाटता,
सइ मैपर पैचान।
जौ गुर तनक मिलौ हुए,
साफ करत मैदान।।

***

*2*

मैपर में गुन भौत है,
खाऔ जैसी चाय।
निन्नै पेट वजन घटे,
भरे पेट बढ़ जाय।।
***
        ***

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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02-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)

      

*सोमबारी बुंदेली दोहे*
   विषय - *मैपर*

*१*
मैपर सो मीठो लगत,
     अम्मा को व्योहार।
मन में ममता भरी रत,
       करुणा अपरम्पार।।
*२*
मन में मैपर हो घुरी,
    मौं पे हो मुस्कान।
मीठे-मीठे बोल हों,
     मिलै मान-सम्मान।।
*३*
मधुमक्खी मन सें करत,
      मइनन अपनो काम।
फूलन के रस सें बनत,
         मैंपर ऊको नाम।।
*४*
मैंपर में हैं गुन मुलक
      मैंपर एक दवाइ।
मैंपर आयुर्वेद ने,
    सुखदाई बतलाइ।।
*५*
मैंपर में अदरक मिला,
    चाट सुबह अरु शाम।
खाँसी सरदी में मिले,
      तुरत-फुरत आराम।।
*६
मैंपर मिलत मिलावटी,
     कछु समझ न आय।
असली गाड़ो होत, कत,
       पानी में घूर जाय।।

    ****
   ✍️ संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
    
      
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3-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      सोमवार बुन्देली दोहा दिवस
                 विषय -मैपर,
   ,,,,
   पत्ता छैवले के टुरें , दौनइयां लइ छेद
  मछौ टोर मैपर धरी , जो बुन्देली भेद
  ,,,,
  मैपर औषधि जानियोँ , आयुर्वेद बखान
  रोगी विधि सेवन करें , होवइ रोग निदान
  ,,,,
  मधुमक्खी ले पुष्परस ,कर मैपर तैयार
  सगर जगत को बांटती , ईसुर का उपहार
  ,,,,
  भौंर मछौ हलकी मछौ ,सांतीरा लो जान
  तीनइ मैपर भर रखत , तको इने पहचान
  ,,,,
  मधुमक्खी जिन मारियो , राखो इनपे प्यार
  मैपर वाहक कीट यह , रखते विधि अधिकार
  ,,,,
  मैपर चाहत  मैपरें ,आलस भरत शरीर
  उठ प्रमोद संसार में , बांटत कोउ न पीर
  ***
   -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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4- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

मैपर विषय :-पर बुन्देली दोहे!

शहद मछों मैंपर मधू,‌चारइ एक‌इआंय।
 बैद‌ ग़ुनी और डाक्टर,ओखत ‌इये बतांय।।

फूलन के रस सें बनत,मैपर ‌जीको नांव।
लगे रूख जो मेड़ पै,चलौ देखबे  गांव।।

पानी में डारौ अगर, बिना घुरै चलि ‌जाय।
क‌इ सालो तक ना जमें,सांसी द‌ई बताय।।

आंखन की जोती बढ़े, फुली ‌परी कटजाय।
नित्य ‌रोजकौ जो मनुष,मैपर आंख लगाय।।

आगी में जर जाव तौ,मैपर दैव लगाय।
पियो रोज कौ दूद में,खून साफ हो जाय।।
🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹


✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   05-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       



बुंदेली दोहा दिवस 
दिनांक 28 मार्च 2022
 दिन सोमवार 
विषय मैपर

मैपर, देसी घी मिला, अगर बराबर खाय।
 खावे बारौ नर मरै, बड़े भाग बच जाय।। 

जी के मौं मैपर लगी, ऊखों चाटै स्वान।
 बात ना झूठी मानियौं, जा कै गए विद्वान।।

मैपर अमरत होत है, आयुरवेद  बतात।
देह पुष्ट, ताकत मिलै, जो भी निशदिन खात।।

  माँछी उड़ के मछों की, फूलन पै मडराय।
 आकें छत्ता में घुसै, मैपर वेइ बनाय।।

 सितोपलादि चूर्ण खों, मैपर के सँग खाव।
 मिटैं खरासें गरे कीं, ठसकी दूर भगाव।।

***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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06-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


बुन्देली दोहे -  मैपर
दिनाँक - 28/03/2022

मैपर  के  कइ  फायदे,  रहत  निरोग  शरीर।
खाबे पय निरभर करै, अलग-अलग तासीर।

निन्ने  मैपर  खायँ  जे, पचै  पेट  को  भोज।
डाल गरम जल में पिऔ, घटवै चरबी रोज।

मैपर  की तौ बात का, छत्तउ  कामै  आय।
मोम  निकारैं  बेंचवें, मलहम  बाम  बनाय।

लगभग चालिस लाख को,फूलन रस कइ मेर।
तब जाकें  मैपर जुरत,जुरत - जुरत इक सेर।

मैपर  माछी मील दस,उड़-उड़ कैं चलि जाय।
एक  देर  में  फूल  सौ, को  रस  लै  कैं  आय।

मैपर  माछी  सें  लगन, धुन  संयम लो सीख।
व्यस्त रहौ मेहनत करौ, खाओ माँग न भीख।
***
मौलिक/-                  
              -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
                             

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07-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


बुंदेली दोहे- मेंपर

गागर में सागर भरै,
            बानी है अनमोल।
मेंपर से मीठे लगें,
            बुन्देली के बोल।।

सर्दी खाँसी कौ सुनों,
            हमनें पक्कौ काट।
आदे कौ रस काडकें,
             मेंपर मेंं लो चाट।।

मन के मीठे होंय जो,
           का कयँ उनकी बात।
बोल- चाल उनकौ सदाँ,
                मेंपर सौ गुरयात।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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08-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 



बुंदेली दोहा दिवस28.3.2022
विषय -मैपर
,🌹
मैपर घांई गुरीरी, जो वाणी हो जाय।
सबको मन हर्षित करे,आपहु ही सुख पाय।।
🌹
देशी बूटी ओषधी,जो मैपर संग खाय।
करवे वा दूनो असर, मन चंगो हो जाय।।
🌹
मैपर सी मीठी लगै, कानन खों सुख देय।
वाणी ऐसी बोलिए, दुख सताप हर लेय।।
🌹
मैपर संगे जल पियो, वात वजन घट जाय।
काया हो जे छरहरी, गौर वरन हो जाय।।
🌹
***
-आशा रिछारिया, निवाड़ी 

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09-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


बिषय.. मैपर
दोहा..28.03.22
*प्रदीप खरे, मंजुल*
💐💐💐💐💐💐💐
1- 
मैपर मीठी होत है, दवा मिलाकें खाय। 
जा घर मैपर हो धरी, सदाँ चैन से राय।।
2-
मैपर की महिमा महा, कानौ करौ बखान।
औषधि मैपर सी नहीं, शहद बचाबै जान।।
3-
पूजा में मैपर लगै, जासें हो अभिषेक।
पंचगव्य में एक है, बनते काम अनेक।।
4-
खाँसी लरकन खौं उठै, देशी दवा खिलाव। 
लगै करइ जो खात में, मैपर खूब मिलाव।। 
5-
मधू मधुर मन मोहनी,  शहद सदाँ रय संग। 
मैपर मथ कै खाइये, परै न रँग में भंग।।
***
✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़


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10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)


जय बुंदेली साहित्य समूह.
28/3/2022.
बिषय - मैपर.

बुंदेली साहित्य पे, ज्ञान भरत जो रेत।
मैपर पे दोहे लगे, पढवे में रस देत।।

कवियन मैपर पे लिखे, दोहे शहद समान।
जी सें मन को हैं मिले,कैऊ रोग निदान।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी (उप्र.)

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11-*प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़


बुंदेली दोहे   विषय  मैपर

बा मूरत मन में बसी, मुख मुसकावन गोल।
बांनी  सें   रै  रै  झरें, मैपर से मृदु बोल।।

भौत दिनन में आज बे, मिलीं मंद मुसकात।
मैपर  सी  मन में  घुरी , बा बताइ न‌इंँ जात।।

हिरनी   कैसे  नैंन   हैं , हंस  सरीसी चाल।
मैपर से  मृदु  ओंठ  हैं , अदरैनीं  से गाल।।

फूलन के रस सें बनीं , मैपर  भरी मिठास।
रोग  दोग  हर  लेत  है , सदां  राखियौ पास।।

मैपर  पीलो  दूध  में  , दूर  भगें  सब रोग।
मुख मंडल दमकै सदां, खिंचे  आयँ सब लोग।।

बुंदेली  की  का  कने , ऐसौ  रस  बरसात।
मन  में  मिसरी सी  घुरै, मैपर  सी गुरयात।।

         ***
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़
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12-हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर

👌मैपेर👌
(1)
मैंपर सी मीठी लगे, ऐसी बानी बोल ।                               "सन्तू" साजी गैल चल, भूल कभउँ न डोल ।।                      
(2)
"सन्तू" जी कौ रात है ,तिरछौ दुष्ट स्वभाव ।                             ऊ खाँ मैंपर रोज दो , तउँ ना परै प्रभाव ।।         
(3)
 मैंपर उत्तम औषधी, जौ साजौ अनुपान ।                             सम घी सँग मिल जाय तौ , "सन्तू" जहर समान ।।    
(4)
       सज्जन बोलै नित्य ही, मैंपर से मृदु बोल ।                            "सन्तू" रिस आगई तौ , मौं ना बिल्कुल खोल ।।     
(5)       
   मैंपर खाबै रोज जो, हो जाबै बलवान ।                             "सन्तू" काया खाँ रहै,  निश्छल मित्र समान ।।                                    ***                               
---हरि शंकर जोशी,धामौरा, छतरपुर

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13-डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर


दोहा।  मैपर
        
मुख जिनके निकसत सदा,
मैपर जैसे बैन ।
अनजाने दिल में बसे,
कोशिश करना ऐन ।।
***
डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर

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*14-*गुलाब सिंह यादव 'भाऊ, लखौरा


🪰बुन्देली दोहा 🪰
बिषय-मैपर 
           1-
सौ ओषधि में एक है मैपर बड़ी महान ।
मिला दवाई खात है इसे बचत प्रान ।।
          2-
मैपर गुन अनेक है लाख फूल रस राय ।
मिटत हजारन रोग है त्रिफला चूरन खाय ।।
              3-
चेहरा पे मैपर लगा ,करबै महिला साप।
मेल उतारे देह सब ,कर दैखो जा आप ।।
            4-
घी बतौल मैपर बिके ,जोन सई ब शुद्ध 
रोजीना सेवन करों ,जीत जाएँगे युद्ध ।।
           5-
देवी देवतन खो चड़े ,मागे वैद विधान ।
मैपर ऐसी चीज है निपटे कैऊ निदान ।।
***
-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ, लखौरा

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15-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिँला टीकमगढ़

मैपर पर दोहे
                     #1#
मैपर सी हो वानगी,बोलौ मीठे बोल।
सबै सुहाने लागबें,दिल के पट दै खोल।।
                    #2#
दिल में धीरज राखियौ,मैंपर भरी मिठास।
धीरज खो कें आपनौ,गैर हुयें सब खास।।
                    #3#
मन में हरदम राखिये,मैंपर कैसी पींड़।
रूखो आबै सामने,तौ भी राखै सींड़।।
                    #4#
मन की मैपर में सनें,मीठे मीठे बोल।
जितै निकारौ उतै बे,दें मिसरी सी घोल।।
                    #5#
मैपर छिदा बनाइये,अपने मन के बीच।
ऊपर माछीं बैठबें,भीतर मैपर कीच।।
###
जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिँला टीकमगढ़
*****
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16-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

मेंटर
1-मछों की मजबूरी बडी़, 
मेंपर संग गई जान ।
जोरत रत चींखत नहीं,
छीनत चतुर सुजान।।
2-मछों की माछी उड़चली,
रस की जुगत लगाय।
फूलन कौ रस जोड़कर ,
मेंपर देत बनाय।
3-गंगाजल घी दूध दही,
मेंपर अमृत आय।
पंचामृत मिलकें बनत,
पूजन हित लओ जाय।
4-मेंपर गुणकारी बहुत,
ताकत खूब बढ़ाय।
खायें पिये रोज ऊ अगर,
रोग न एक ऊ आय।।
-***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

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17-- कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर(-निवाडी़) (मप्र
मेंपर की मैमा अजब , करवै पूरी आस ।
ओरम सें देवै हमें , सेहत और मिठास ।।

फूलन कौ रस चोंख कें,मधुमक्खी मँड़राय ।
छत्ता  में  आकें  रमें , मेंपर  देत  बनाय ।।

जिनकी बानी में रहत , मेंपर भरौ मिठास ।
उनके भीतर जानियौ , परमेसुर कौ वास ।।

बोलचाल व्यौहार में , मेंपर घांइं सवाद ।
ऐसे प्रानी खों करत , सब नरनारी याद ।।

जिनके मुख सें होत है , मेंपर-सौ बतकाव ।
पोषक दिल पै छोड़वें,भौतइ मधुर प्रभाव।।

   -- कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर(-निवाडी़) (मप्र
     

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18-श्री राम कृपाल शुक्ल 'शीतल',सटई (छतरपुर)

👌मैपर👌
(1)
फूलन कौ रस चूसकर,मैंपर करी एकत्र।
रत्ती रत्ती सैं बनो,"शीतल"खासौ छत्र।।
(2)
जीवन भर जोरत रहे,मैंपर कैसौ मैन।       
मैंपर छत्ता दोइ गए,  "शीतल"नैंयाँ चैन।।
  
(3)
मैंपर औषधि रोग की,करै बिमारी दूर।   
"शीतल"मामूली नहीं,आय सजीवन मूर।।
    
(4)
मैंपर पीपर सोंठ सैं,मिट्वें छत्तिस रोग।   
वैद रतन में लिखे हैं,शीतल"सही प्रयोग।।
(5)
मैंपर टोरन जाव तौ,माछी होय नाराज।   
"शीतल"टोरत मैं तुमें,तनक न आई लाज।।
***
-श्री राम कृपाल शुक्ल 'शीतल',सटई (छतरपुर)

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

19-सरस कुमार,दोह (खरगापुर)जिला टीकमगढ़ 
तन मैपर सो चीकनो, मन तोरो है भौंर ।
चंचल आंखे नार की, टिकतीं न‌इ इक ठौंर ।।

मैपर मीठी स्वाद में, देखत की नमकीन ।
ओठन पे जब आ गिरे, मन हो जाबे लीन ।।
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©️सरस कुमार,दोह (खरगापुर)जिला टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
❤️🙏🙏🙏

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
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                      मेंपर
   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 104वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 30-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         

3 टिप्‍पणियां:

Amar Singh rai ने कहा…

हमेशा की तरह लाजवाब 👌

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

धन्यवाद श्री राय साहब

Unknown ने कहा…

Wah Wah