Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 14 मार्च 2022

अपनौ बुंदेलखंड (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)


                 💐😊अपनौ बुंदेलखंड😊💐

  💐😊अपनौ बुंदेलखंड😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 100वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 14-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
03-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
04-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
05-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
07-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
08-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
11-गीता देवी, औरैया (उ.प्र.)
12-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
13-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
14-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा
15-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर (निवाडी़) 
16-रवि नगाइच*,उज्जैन(म.प्र)
17-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष  टीकमगढ़
18-परम लाल तिवारी,खजुराहो
19-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
20-वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'अपनौ बुंदेलखंड'  100वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 100 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  100वीं ई-बुक 'छपका'लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने सोमवार दिनांक-14-3-2022 को बुंदेली दोहा लेखन दिये गये बिषय 'बुंदेलखंड' पर दिनांक-14-3-2022को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-14-03-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)




**1**
*बुंदेली दोहा बिषय-बुंदेलखंड*

पनौ बुंदेलखंड है,
सबसे नोनो यार।
हीरा की खाने इते,
जोद्धा भये हजार।।

***
*2*

धरा बुंदेलखंड कौ,
पानी ऐनइ तेज।
तनक-बात में लर परे,
मांगे भौत दहेज।।
****
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
      
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02-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा


बिषय- "बुंदेलखंड" बुंदेली दोहा 

1- 
बुंदेलखंड की पावन,धरती की है शान ।
नदी वेतवा जामनी,बै रइं केन धसान 

2-
नगर ओरछा धाम है,बुंदेलखंड की आन ।
उत मैहर शारदा इत , कुंडेसुवर भगवान ।।

3- झाँसी रानी नैं करौ,जग में अपनौं नाव ।
माथौ ऊचौ कर गई,बुंदेलखंड कौ ताव ।।
***
4-
भीमकुंड अरू ओरछा,चितकूट  यहीं पाव ।
 बुंदेलखंड कि  इ धरा ,तुलसी भूषण नाव ।।
5- 
छतसाल हरदौल इतै,जनम ईसरी पांय ।
आला ऊदल जनम लए, बुंदेली के आंय।।
मौलिक रचना
-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा, जिला-टीकमगढ़

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03-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)

      
*सोमवारी बुंदेली दोहे*
      विषय - *बुंदेलखण्ड*

*१*
हरि भूमि बुंदेलखंड ,
     पावन तीरथ धाम।
जुगलकिशोर पन्ना बसे,
       बसे ओरछा राम।।
*२*
वीर बुंदेलखंड के,
     दुनिया में मशहूर।
खुड़पैंचें जीनें करीं,
    हो गय चकनाचूर।।
*३*
मनभावन बुँदेल खंड,
      सरस निराली रीत।
जीवन के हर मोड़ पे,
    भाँति-भाँति के गीत।।
*४*
उपजाउ बुंदेलखंड 
      मउआ, गुली अपार।
दीन हीन के भाग में,
      कुदरत को उपहार।।
*५*
 बरसा बिन बुँदेल खंड, 
       बन गओ रेगिस्तान।
बंजर धरती रो रही,
       रो रय सबइ किसान।।
*६*
स्वांगी स्वांग निकारबै,
        नचै बेड़नी राइ।
परमा निकरैं मौनिया,
    जमकें नचत बधाइ।।
***
    *संजय श्रीवास्तव* मवई 
       १४-३-२२ 😊 दिल्ली

 
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4-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      सोमवार बुंदेली दोहा दिवस 104
          ,,विषय -बुंदेलखंड 
        ,,,,,
        बुन्देल खण्डी नरपति, छत्रसाल महाराज
        जीके जस की आज लौ,कीरत कहत समाज
        ,,,
        कुंडेश्वर शिव जी बसत,धाम ओरछा राम
       बुन्देल खण्ड बगाजन, करत प्रमोद प्रणाम
        ,,,
        खण्ड बुन्देली लक्षमी,झलकारी को मान
        जिनने लिखि तलवार सें,नारी गाथ महान
        ,,,,,,
        केशव कवि तुलसी भये, कवियत्रि राय प्रबीन ।
        बुन्देल खण्ड के इसुरि ,कर गय तेरा तीन ।।
        ***
        माइ शारदा बांट रइ, अककल को परसाद।
        बुन्देल खण्ड में कड़त,दो हीरन की दाद।।
     
                  
          ***
   -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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5- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

चित्रकूट अरु ओरछा,जिनको जग में ‌नाम।
पावन‌ बुंदेलखण्ड है, जहां रमे रय राम।।

तुलसी‌ भूषण ईसुरी, छत्रसाल हरदौल।
अइयो बुंदेलखंड खों,तुमे हमारौ कौल।।

आल्हा ऊदल सें भ‌इ, दुनियां में पह‌चान।
डुबरी सतुआ अरु पनो,बुंदेलखण्ड कि शान।।

भीमकुंड जटाधारी, कुंडेश्वर खजराव।
लगत देखतन सुरग सौ, इतै देखबै आव।।

बुन्देलखण्ड कि, बुन्देली,केन बेतवा नीर।
हीरा पन्ना में कड़त, हरबें तन की पीर।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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   06-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


बारे बा बुंदेलखंड, 
खूबइँ करौ कमाल।
मात्रा पूरी करत में, 
बिगड़ी लय औ ताल।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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07-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


बुन्देली दोहे- बुंदेलखंड, 
दिनाँक-14/03/2022

बुँदेलखंड में उपनिधि, के  ढेरन  भंडार।
कालिंजर अरु ओरछा, झाँसी गढ़कुंडार।

पैल  को  जेजाकभुक्ति, मध्य भारती नाम।
जन-जन जग के जानतइ, बुंदेलखंड नाम। 

खेल दिवारी मौनियाँ, लेंय सबइ दिल जीत।
देशराज   गाउत   हते,   बुँदेलखंडी  गीत।।

लमटेरा  अरु  दादरे, गारी  राई  फाग।
आजहुँ बुँदेलखंड में, गबत पुराने राग।

विश्व प्रसिद्धी पा भओ, खजुराहो मशहूर।
सैलानी   बुँदेलखंड, आयँ   विदेशी  दूर।।

मौलिक/-                
***
                        -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
                             

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08-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


🥀 बुंदेली दोहा🥀

कीरत है बाँकी विमल,
          काँलौ को जस गाय।
अपने बुंदेलखंड कौ,
         झन्ड़ा जग फैराय।।

कुल की इज्जत आन पै,
            तन हीरा दव तौल।
बुंदेलखंड के लाडले,
           वीर लला हरदौल।।

इन दोहों में बुंदेलखंड को 6 मात्रा के भार से प्रयोग करके देखा गया है। असल में आज के विषय 'बुंदेलखणड' को दोहे के 13- 11 मात्रा भार से किसी भी चरण में बांधने पर लय बाधित हो रही है। एवं गण दोष भी हो रहा है। मुझे लगता है इस विषय पर शुद्ध दोहा कहा जाना मुश्किल है।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)



🌹बुन्देली दोहे-बुन्देलखण्ड🌹
************************
बुन्देलखण्ड  जयति  जय, 
             जय  ओरछा  महाज।
जन  जन  की  पीरा  हरौ,
           सफल करौ सब काज।
************************
सैलानी  सब  जगत  के,
               बुन्देलखण्ड   आत।
लख  खजुराहो  ओरछा,
               मन में अति हरसात।
*************************
समतल भूमि पठार वन,
               नदियाँ  नरवा  ताल।
बुन्देलखण्ड  खाँ  सदाँ,
                 करें रहत खुशहाल।
*************************
मैंपर  सी  बोली  मधुर,
                  सीदे  लोग  लुगाइ।
बूडे़ तक फरकन लगत,
                   तक  बुन्देली  राइ।
*************************
आकें  देखौ  खुद  इतै,
               और  न  मिलहै  अंत।
ई   बुन्देली   भूमि  सौ,
               किलकत हँसत बसंत।
**************************
-गोकुल प्रसाद यादव नन्ही टेहरी (बुढेरा)

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10-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 



बुंदेलखंड की नदी,गंग बेतबा धाम।
कंचन सी दमके तबइ,घाट पर गओ नाम।।

कूड़ादेव सें बढ़ गओ बुंदेलखंड को नाव।
अछरूमा ताओरछा,के दर्शन नित पाव।।

***

-आशा रिछारिया, निवाड़ी 

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11- गीता देवी, औरैया(उप्र.)



बुन्देलखंड

बुंदेलखंड की भूमि पै, कवियन सजौ समाज।
नोंनी कविता कहत सब, बाजत सबरै साज।। 

आपन उर की हम कहैं, तनिक सुनौ भरतार। 
बुन्देलखंड कौ चलै, संगै सब परिवार।। 

कुंडेसुर कै कुंड की, लीला भौत महान। 
नोंनी झाँकी अति सजै, बुन्देली की शान।। 

बुन्दैलखंड कै बैन भी, लागत भौत सुजान। 
हर शब्दन पै भौत हम, देबै भौतइ ध्यान।। 

बुन्देलखंड कै कवि सुनौ, गीता बोलत बैन। 
हमरौ थौरो ध्यान रखैं, बहन मिलै तब चैन।। 
***
-गीता देवी, औरैया

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12-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
(बुंदेली दोहा-बिषय बुन्देलखण्ड) 
*************************
धरती पै कउँ ना मिलै, 
भीमकुण्ड़ सौ कुण्ड! 
तजकें खण्ड बुँदेल खाँ, 
ढूँड़ लेव बिरमण्ड!! 
******************
देखिए खण्ड बुँदेल में, 
डाँगें सघन-पहार! 
बारहु मइँना बहत है, 
निरमल जल की धार!! 
*******************
कूँड़ादे    में है  भरो, 
ऊषाकुण्ड़  अथाँय!
महमा खण्ड बुँदेल की, 
भजन कोंन बिध  गाँय!! 
*******************
जा बीरन की भूम है, 
अरु हीरन की खान! 
बुंदेली बुन्देल खँड़,
तुलसि रची रामान !! 
*******************
अवध ओरछा दोउ सम, 
खण्ड बुँदेल नमामि! 
पै उत भेजे राम बन, 
इत भय   राजाराम!! 
******************
स्वरचित एवं मौलिक
-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़

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13-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
दोहा बुन्देलखण्ड
                    1
बुन्देलखण्ड के गुणन कौ,कानों करें बखान।
धरती योधा कैउ भए,जा हीरन की खांन।
                      2
बुन्देलखण्ड सौ खण्ड नइ, ई भारत के देस।
देवता तक भी अ बसे,धर मानस कौ वेस।
                           3
कुंअर गनेसी गोद में,लै आई भगवान।
कुल की ज आन राखवे,हरदौल करौ विस पान।
                        4
रानी लक्ष्मीबाई की,जग जाहिर तलवार।
छत्रसाल के तेज सें,मुगलन मानी हार।
                         5
पन्ना जुगल किसोर जू,ओरछा राम दरवार।
दतिया में पीताम्बरा,महिमा बड़ी अपार।
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां

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14-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा
बुन्देली दोहे
बुंदेलखंड

बड़ो मधुर है पवित्तर,
वीर खण्ड बुन्देल।
सच्चो अच्छो शुद्ध है,
जो अपनों को मेल।।

मीठो मीठो बोलबो, 
मन  लेतो है जीत।
सबके मन बोली बसे,
बुन्देली के गीत।

सीधो साधो खण्ड जो,
धरम करम की रीत।
नीको नीको सो लगे,
बुन्देली संगीत।

आल्हा ऊदल वीर थे,
 बुन्देली के मान।
इनसे भारत को बड़ो,
चोखो है सम्मान।

-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा

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-15-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर (निवाडी़) 


जै-जै-जै बुंदेलखंड , है दुनियाँ में नाम ।
बँदोवास में रय रमे , दशरथ नंदन राम ।।

भारत माता कौ हृदय , बजत  बुंदेलखंड ।
प्रेम भक्ति साहित्य की,जरवै जोत अखंड ।।

क्षेत्र  है  बुंदेलखंड , बड़भागी  सिरमौर ।
धाँक जमी है विश्व में , है हीरन कौ ठौर ।।

कला बुंदेलखंड की , खूब देखबे आत ।
नरनारी संसार के , ता खाकें  रै  जात ।।

खंड  बुंदेलखंड  की , ऊँची  रइ  है  शान ।
त्याग-तपस्या शौर्य कौ,जग में होत बखान ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
     पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
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16-रवि नगाइच,उज्जैन (मप्र)

बुंदेली के बोल में,खूबई घुली मिठास।
जो बोले अपनो लगे,आम होय या खास।।

कुंड, तलाइयाँ, बावरी,नरवा नदीं  तलाब।
बुंदेलन की शान को,कोनउ नईं जबाब ।।

इते बसे कुंडेश्वर, उते ओरछा धाम।
भोले जू के सँग में, जय जय सीता राम।।

बुड़की लेवे सब चलो,श्री ओरछा धाम।
कृपा राम राजा करें, बनजे बिगरे काम।।

-रवि नगाइच,उज्जैन

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17-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष  टीकमगढ़
बुन्देली दोहे विषय  बुंदेलखंड

पावन धरनी धाम है, बुँदेल खंड है नाम।
इतै  ओरछा आन कें,रमे रमा पति राम।।

अपने बुँदेलखंड में , है कुंडेसुर धाम।
झांकी ऊषा कुंड की,लगती ललित ललाम।।

अपने बुँदेलखंड पै,  रहौ  बुँदेला राज।
मुगलन के दल खों दलो, छत्रसाल महाराज।।

 अपने   बुँदेलखंड में , है हीरन  की खांन।
 पन्ना  जुगल किशोर जू, देत रहत वरदान।।

अपने   बुँदेलखंड  की , रंग  रँगीली  राइ ।
जी ने  देस  बिदेस  में , खूब‌इ  धूम  मचाइ।।

            -प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष  टीकमगढ़

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18-परम लाल तिवारी,खजुराहो

दोहा-विषय-बुंदेलखंड

1-
सब खंडन में बीस है,प्यारो बुंदेलखंड।
वीरन की जा भूमि है,जिनकी शान अखंड।।
2-
प्रानन से प्यारो हमें,खंड बुन्देलहिं वास।
भांति भांति की ऋतु जहां,करती सदा प्रकाश।।
3-
वैभव बुंदेलखंड को,को कवि करे बखान।
 बड़े वीर छत्रसाल से,हुये जहां बलवान।।
4-
बहे बेतवा ओरछा,गंगा के सम जान।
स्वयं राम बैठे जहां,मन कर ले अनुमान।।
5-
खजुराहो की कला है,सकल जगत विख्यात।
कीर्ति पताका इते की,लहर लहर लहरात ।।
****
-परम लाल तिवारी,खजुराहो

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19-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़

1-
धरा बुंदेलखंड की, 
धरती की है शान।
देव धरा को चूमते,
 है हमको अभिमान।। 
2-
वीरन की भूमी रही, 
सदा बुंदेलखंड।
गरिमा गाते हैं सदाँ, 
रही अनूप अखंड।। 
3-
वीर बुंदेलखंड की, 
परम पुनीता भूम। 
चार भुवन नौ खंड में,
 मचा रखी है धूम।। 
4-
रघुवर भोलेनाथ कौ, 
लगो यहाँ दरवार। 
 छटा बुंदेलखंड की,
निरख रहा संसार।। 
5-
सरिता, वन में खेलती,
गाती गीत मलार। 
बसत बुंदेलखंड है,
जियरा सदाँ हमार।।
****

*प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

20- वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़ (मप्र)

*१*
प्रानन से प्यारे लगें ,
बुंदेलखंड  गाँव। 
भरी दुपाई सोत हैं ,
लोग पेड़ की छांव।।
***
*2*

बुंदेलखंड यह पनौ ,
भारत की  है शान।।
ईके ऊपर हैं बने ,
 कैउ तरा के गान।।
***
- वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़ (मप्र)

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

          💐😊 💐😊अपनौ बुंदेलखंड😊💐😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 100वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 14-03-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         

4 टिप्‍पणियां:

Sanjay Shrivastava ने कहा…

अपने बुंदेलखंड पर आधारित उम्दा दोहो का सुंदर संकलन पढ़ कर आनंद आगया। सुंदर संकलन हेतु हार्दिक बधाई श्री राना भाई💐👍

Unknown ने कहा…

बहुत ही अनुकरणीय कार्य बुन्देली दोहे बुन्देलखण्ड पर संपादक महोदय को अनंत शुभकामनाएं सादर साधुवाद जय बुंदेली 🙏🌹🌹

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

शुक्रिया जी

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

शुक्रिया जी