संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 रिसाने💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 115वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 19-06-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
07-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
08-गोकुल प्रसाद यादव,बुढ़ेरा
09-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
10--संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
11-सुभाष सिंघई ,जतारा
12-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाह
13-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
14-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
15-गीता देवी, औरैया
16- एस आर 'सरल', टीकमगढ़
17-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
18-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
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संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'रिसाने' ( 115वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 115 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 81 देश के लगभग 68000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 115वीं ई-बुक 'रिसाने लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने शनिवार दिनांक-18-6-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-66 में दिये गये बिषय 'रिसाने' पर दिनांक-18-6-2022 को पटल पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-19-06-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
**अप्रतियोगी दोहे - * बिषय-रिसाने*
*1*
रहें रिसाने मौं बना , रखतइ दिल में रार |
#राना तब विनती करे , ये औगुन बेकार ||
*2*
रहें रिसाने रात दिन , अपनो मौं लटकाँय |
#राना रूखै वें रहे , कछु ना नेंगर पाँय ||
*3*
आप रिसाने क्यों इतै , लिख पढ़ करना नेह |
#राना अपनो जानियो , यह बुंदेली गेह ||
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-राजीव नामदेव " राना लिधौरी ", टीकमगढ़ (मप्र)
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय -रिसाने
***********************
किशन रिसाने चंद को ,रोते नैन भिगोय
इक गोरी सी दुलनियाँ , माइ दिलादे मोय
*******************************
लगे रिसाने पवनसुत ,राघव लिया मनाय
हर जिमाइ चुटकी करो ,सेवा रहे बताय
******************************
कैकइ बैठी रिसानी , देव पिया वरदान
राम लाल को वन गमन , भरत अवध का भान
*********************************
परी रिसानी दुगइ में ,मोड़ी मोड़न बाइ
पिया पियें दोरें डरें , घर में कुमत समाइ
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काय रिसाने बालमा ,कल्लो आव ब्याई
गुस्सा सबरी थूंक दो ,करत लुगाइ थराइ
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मेर लगा मौका चुके ,कड़ गइ नरवा कोद
फिरत रिसाने भोर सें ,ढूंढत उये प्रमोद
******************************
छैला चले रिसायकें ,वेला रइ पुटयाय
कोन भूल पिरमोद भइ , हंसकेँ दियो बताय
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-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
कृष्ण रिसानें पोंर में,मइया कर दे ब्याव।
नइंतर चंदा खेलबे,मोंखो अबईं ल्याव।।
***
विषय:-रिसानें
पिया रिसाने काय पै, सांसी हमें बताव।
सोस काय के हैं तुमें,सुक सें रोटी खाव।।
कुॅंअर कलेऊ के समय,टोरत नैंयां कौर।
दुल्हे रिसाने चैन खों,फेंकें फिरबें मौर।।
जबइ रिसाने पवन जू, बैहर कर दइ बंद।
भगत फिरैं सब देवता,बिद कें रै गई दंद।।
परै रिसाने खाट पै, भाई बड़े जुझार।
बिष दे दो हरदौल खों,तन में लगी दमार।।
🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
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04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
दूला राजा रिसाने,माँगत हैं नइ कार।
ससुर भौत लाचार है,कीसें लेत उधार।।
***
अप्रतियोगी दोहे
विषय रिसाने
18 06 22
जीसें देवता रिसानें,ऊकौ काम तमाम।
बेड़ा ऊकौ पार है,जीसें रीझे राम।।
पप्पू बैठे रिसानें,सुनें न कौनउँ बात
दोंदत हैं हर बात खों,अपनी खूब चलात।।
बात बात पै रिसानें,सबखों गारी देत।
पीवे दारू ना मिलै,सरग मूँड धर लेत।।
परे रिसाने भोर सें,ओड पिछौरा आज।
गदा पंजीरी खा रहे, है भड़यन कौ राज।।
भइया बैठे रिसाने,विदा करा दो आज।
नइँतौ घर भर सें लरें,बिगरें सबरे काज।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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07-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़
*ठानी जिद कान्हा सुनौ,
लख चंदा खौ रोय।
लला रिसानें माइ नौ,
चंदा चानें मोय।।
***
✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़
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08-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
मीत रिसानें होंयँ तौ, तुरतइं लिऔ मनाय।
मीत बिना श्री राम भी,लंक न सके ढहाय।।
******
🌹अप्रतियोगी दोहे🌹रिसानें🌹
*************************
श्याम रिसानें भोर सें,
दइ माखन नइं खाँय।
जितनइं मैया पोटबें,
उतनइं रोंपतयाँय।
*************************
काय रिसानें कुँवर जू,
करौ कलेबा आप।
बिटिया दइ सो सबइ दव,
हाँत जोर रव बाप।
*************************
मात पिता भाई बहिन,
गुरु वनिता सुत मीत।
अगर रिसानें होंयँ जे,
मना लिऔ कर प्रीत।
*************************
पिया रिसानें काल सें,
मरम न कछू बताँय।
मैं पछयानी पूँछ रइ,
नैंकइ ना बतयाँय।
**************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
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*9-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
काय रिसानें हौ पिया,साँसी मोय बताव।
मन कीं गाँठें खोल दो,अब नें और सताव।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
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10-संजय श्रीवास्तव,मवई,दिल्ली
मेघ रिसाने से लगत,
उमड़-घुमड़ कड़ जात।
सूकी धरती बाँझ सी,
परी-परी अकुलात।।
***
*१*
युवा रिसाने देश के,
सुन नइं रइ सरकार।
पढ़े-लिखन की देश में,
बिल्कुल नइं दरकार।।
*२*
पिया रिसाने परों सें,
रोटी लौं नइं खाइ।
हूँका लौं नइं देत अब,
सादें परे चिमाइ।।
*३*
माँय रिसाने कड़ गये,
फूफा गाल फुलाँय।
मना-मना सब हार गय,
फुआ देख गुर्रायँ ।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई 😊 दिल्ली
12-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
श्याम रिसाने आँगना,
जसुदा मांँ समझांय।
चंदा की मन चाहना,
मानत नहीं मनाय।।
***
-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
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13-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
नमन मंच
तिथि-१८/०६/२०२२
दिया गया शब्द-रिसाने
विधा-दोहे(बुंदेली)
**************************
नैन पुतरिया दे दई,दव दहेज है येंन।
तौउ रिसाने पावने, कैसें आवै चेंन।।
***
अप्रतियोगी दोहे
मात पिता गुरु तीन जो,कबउ रिसाने होय।
जौंन मनायें मूड़ धर, वौ ही सुख सें सोय।।
किशन रिसाने चांद खों, मैया खूब मनाँय।
ढार रये असुआ सुबक ,रोटी तक ना खाँय।।
खूब रिसाने ब्याव में, कुवर कलेऊ होय।
करो कलेवा कौल है, अपनी जिद को खोय।।
काय रिसाने हौ सजन,कछू कमा कें लाव।
मोंडी़ स्यानी हो गई, आसौं कन्नें ब्याव।।
मेघ रिसाने काय हौ,अब तौ जल बरसाव।
का पीवै का खाँय अब, जादा ना तड़पाव।।
आर.के.प्रजापति "साथी"
जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
-आर.के.प्रजापति "साथी",जतारा,टीकमगढ़
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14-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
काय रिसाने बैठ कें, मौं खों रहे बनाय।
घरी जुरै सब काम फिर, तेरो संवरो जाय।।
***
फटफटिया नई चावने, मौडा रऔ रिसाय।
कोने में जा कें परो, मौं खों रयौ बनाय।।
उमर अठारह की अबै, भई नईं है यार।
काय रिसाने हो कहो, कर रय हाहाकार।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
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*15* -गीता देवी ,औरैया, (उत्तर प्रदेश)
पिया रिसाने हैं बडै़, बोलत नय कछु बैन।
उनै मनावत हे सखी, बीत सबइ गइ रैन।।
***
गीता देवी ,औरैया, उत्तर प्रदेश
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*16*-एस आर सरल, टीकमगढ़
युवा रिसानें देश के, माँग रये रुजगार।
आग अग्निपथ सै लगी, मचरव हाहाकार।।
***
लला रिसाने काय पै,करें न खुल कै बात।
मों में ऊमर से दयै, गुमसुम गुमसुम रात।।
अपन रिसाने खीर खौ,हमें न मिलवें छाच।
तोउ भड़ारा ना भरै, कर रय नंगौ नाच।।
लला रिसाने ब्याव में, मांगे अल्टो कार।
कुँवर कलेबा ना करें, मनायँ रिश्तेदार।।
काय रिसाने हौ लला, हम सब खौ तैयार।
जिदना लग जै नौकरी, दै दें अल्टो कार।।
*******
-एस आर सरल, टीकमगढ़
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17-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
फटफटिया चानें हमें,मडवा तरैं रिसांय ।
कछुयइ ना खायें पियें,अपनौं नैंग मगांय ।।
***
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
*18*-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
धेला नइंयाँ गाँठ में ,जा सूका की साल।
पिया रिसाने काल के, मांगत टच मोबाल।।
***
-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
स्वरचित
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇
संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
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(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 115वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
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टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
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