Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 4 जून 2022

पृथ्वीराज चौहान का परिचय व रोचक तथ्य -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

सम्राट पृथ्वीराज चौहान 
आइये आज हम जाने 
सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी के बारे में कुछ जानकारी

आज की पीढी इनकी वीर गाथाओ के बारे मे..
 बहुत कम जानती है..!! 
सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुड़ा इतिहास एवं कुछ रोचक तथ्य जो जानबूझ कर दबा दिये गये

जीवन परिचय-

पूरा नाम :-          पृथ्वीराज चौहान 
अन्य नाम :-         राय पिथौरा 
माता/पिता :-       राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी
पत्नी :-               संयोगिता
जन्म :-               1149 ई.  
राज्याभिषेक :-     1169 ई.   
मृत्यु :-                1192 ई. 
राजधानी :-          दिल्ली, अजमेर
वंश :-                 चौहान (राजपूत)


''(1)  प्रथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ 
ड़ाला था ।

(2) पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही
 महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।

(3) पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था ।

(4) महान सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो था, और उसे एक हाथ से चलाते थे ..सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है.. 

(5) सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे। 

(6) महान सम्राट पुर्ण रूप से मर्द थे ।
 अर्थात उनकी छाती पर स्तंन नही थे  ।

(8) प्रथ्वीराज चौहान 1166 ई.  मे अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद यानि 1169 मे दिल्ली के सिहासन पर बैठकर पुरे हिन्दुस्तान पर राज किया।

(9) सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तेरह पत्निया थी। 
इनमे संयोगिता सबसे प्रसिद्ध है..

(10) पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को 16 बार युद्ध मे हराकर जीवन दान दिया था..
और 16 बार कुरान की कसम का खिलवाई थी ।

(11) गौरी ने 17 वी बार मे चौहान को धौके से बंदी बनाया और अपने देश ले जाकर चौहान की दोनो आँखे फोड दी थी ।
उसके बाद भी राजदरबार मे पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था।

(12) महमूद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर  अनेको प्रकार की पिड़ा दी थी और कई महिनो तक भुखा रखा था फिर भी सम्राट की मृत्यु न हुई थी ।

(13) सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की जन्मसे शब्द भेदी बाण की कला ज्ञात थी।
जो की अयोध्या नरेश "राजा दशरथ" के बाद केवल उन्ही मे थी। 

(14) पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को उसी के भरे दरबार मे शब्द भेदी बाण से मारा था ।
 गौरी को मारने के बाद भी वह दुश्मन के हाथो नहीं मरे.. 
 अर्थार्त अपने मित्र चन्द्रबरदाई के हाथो मरे, दोनो ने एक दुसरे को कटार घोंप कर मार लिया.. क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था ।

बहुत दुख होता है कि चौहान की वीरता को इतिहास में जानबूझकर नहीं बताया गया है छुपा दिया गया है, लेकिन हिंदू राजाओं में उनके जैसा वीर दूसरा नहीं हुआ है।
ऐसे महान वीर को शत् शत् नमन करते हैं।
जय हिन्द जय भारत!
***
प्रस्तुति - *राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
              टीकमगढ़ (मप्र)

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