संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 थराई💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 116वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-06-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
07-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
08-गोकुल प्रसाद यादव,बुढ़ेरा
09-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
10--संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
11-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाह
12-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
13-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
14 -जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
15*-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
16-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
17-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
18-डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
19--डॉक्टर आर बी पटेल" अनजान", छतरपुर
##############################
संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'थराई' ( 116वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 116 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 81 देश के लगभग 68000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 116वीं ई-बुक 'थराई' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने सोमवार दिनांक-20-6-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय'थराई' पर दिनांक-20-6-2022 को पटल पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-23-06-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*नमन-
#जय_बुंदेली_साहित्य_समूह-
*आयोजित बुंदेली शब्द- थराई*
बैसे तो थराई कई देखी सुनी है , पर इतै कछु थराई लिख रहे हैं-
•पहली थराई ~
करत थराई घूमतइ , माते दौइ जुआर |
सरपंची में बउँ खड़ी, घिघिया रय हर द्वार ||
***
••दूसरी थराई
नहीं थराई के धरे , कहता साहूकार |
गानौ धर दो पैल तुम , फिर गिन लो कलदार ||
***
•••तीसरी थराई
करत थराई व्याह में , हर बिटिया को बाप |
समधी जी अब मानियो , सबई कछु है आप ||
***
••••चौथी थराई
लरका जब गलती करै , करत थराई मात् |
अबकी बेरा छोड़ दो , खतम करौ हालात ||
***
•••••पाँचवीं थराई
करत थराई चोर भी , पकरै थानेदार |
करै गिलइयाँ मूड़ धर , हा-हा लगै बजार ||
***
होय कसाई जिस जगाँ ,नहीं जोरियो हाथ |
नहीं थराई मानते , फोरत सबको माथ ||
***
आज थराई माँग रय , काल टेंटुआ घोंट |
कल्लइँ तो कुचरौ सबै , घर की समझीं सोंट ||
***
#राना सबखौ देखतइ , जौन खड़े सरपंच |
आज थराई कर रहे , करें शरम ना रंच ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय थराई
**************************
थर थराइ करवे दते , लररय जोन चुनाव
कछू पियें लुढ़कत फिरें , केसो चढ़ो उमाव
*******************************
का थराइ तुमने करी,नगद गिना लय नोट
धोको करदव और खां ,डारें सबरे वोट
*****************************
करी थराई राम ने , भव लरका को ब्याव
सास बहू घर में घुसी , रोजउ लरती न्याव
*******************************
इमें कोन थराईं भइ , गय किस्मत सें जीत
बालापन की टूट गइ ,लगी लगाई प्रीत
******************************
खेतन खड़े किसान के ,करत प्रमोद थराइ
ल्याव चुखादो टोर कें ,खजरा हमें बराइ
******************************
एक थराई में करत , छोड़ो नेग दहेज
मृतक भोज पिरमोद कत ,सदा करो परहेज
******************************
,राना,आना आठ की , पीरी सिरी मंगाव
जो थराइ नोनी लगे , शबदन पै छिरकाव
*******************************
,,,
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
बुन्देली दोहे
विषय:-थराइ
मेंपर टोरें शान सें,कै रय आय हमाइ।
"अनुरागी" हौ भूल में,तोरी कौन थराइ।।
काटत तौ सब धार है, दुनियां जान न पाइ।
नाम लेत तलवार कौ,ऊकी कौन थराइ।।
कौन थराई दूद की,लचका लओ बनाय।
बैठे खा रय प्रेम सें,हरि खों भोग लगाय।।
बैहर पानी धूप में, तोरी कौन थराइ।
"अनुरागी" मुफतइ मिले,बिधना की करताइ।।
बिरछन सें फल फूल अरु, मिलती हमें दबाइ।
नहीं थराइ काऊ की,अबे चेत जा भाइ।।
🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
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04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
बुंदेली दोहे
20 06 22
करें थराई कृष्ण सें, कैरइँ सब कर जोर।
मायँ फेक दो बाँसुरी,दधि माखन के चोर।।
करी थराई हूँक कें, तौउ न मानी बात।
जो लातन के भूत हैं, उनें न बात सुहात।।
अब थराइ नेता करें, पाँव पलौटें येंन।
धक धक छाती बोल रइ,परै न जी में चैन।।
मंदोदरी करत फिरी, पति सें खूब थराइ।
राम चन्द्र जू ब्रह्म हैं, कर दो बन्द लराइ।।
हा हा दैया भी करी,खूबइँ जोरे हाथ।
बात न मानी दुष्ट नें, लंका भई अनाथ।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
बुन्देली दोहे - थराई
कैकेई कारण बनी, भओ राम वनवास।
करी थराई मात से,व्याकुल भरत उदास।
करत थराई द्रोपदी, मोरी सुनहु पुकार।
बाहुबली बैठे बड़े, नीचे मुड़िया डार।।
करी थराई राम ने, जलधि जोर दुइ हाथ।
तीन दिना के बाद फिर,भै गुस्सा रघुनाथ।
शूर्पनखा ने ब्याव की, करी थराई ऐन।
नाक लखन ने काट लइ,भगी बोल दुरबैन।
करत थराई घूम रय, मांगत घर- घर वोट।
हाथ जोर दोनों कहत, भइया करौ सपोट।
नईं थराई काउ की, है अपनो अधकार।
आगे पाछूं देख कैं, दइयो वोट विचार।।
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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07-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़
लल्ला मोरी मानियौ, तोसें करौ थराइ।
घर बाहर जिन जाइयौ, बाहर होत लराइ।।
***
✍️ प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
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08-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
🙏बुन्देली दोहे,विषय-थराई🙏
*************************
करी थराई तीन दिन,
जुआँ न रेंगो कान।
समुद डराँनों तबइ जब,
राम उबारो बान।
*************************
सरपंची में शान सें,
सात साल लौ खाव।
अबै थराई फिर करत,
जितवा दिऔ चुनाव।
*************************
पानी की मयरी बना,
फुरक फुरक कें खाइ।
पनबेसुर की कव भला,
ई में कौन थराइ।
*************************
कैउ थराई करत रत,
अपने हक के हेत।
जागरूक समजें नियम,
लर कें हक लै लेत।
**************************
करौ थराई राम सें,
मिल है सारइ सार।
स्वारथ कौ है जौ जगत,
घिसौ न कितउँ लिलार।
**************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
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*9-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
🥀 बुंदेली दोहे🥀
(विषय- थराई)
रिसपत सें जीकौ बनों,
हालउँ अटको काम।
उयै थराई काय की,
करन जाय पिरनाम।।
दबौ हाँत पथरा तरें,
अटकी सौ सौ दार।
कोंन थराई साव की,
परबस देंय उधार।।
मडिया मन्दिर सें कहै,
सब जाँनत भगवान।
चन्दा दै रव आदमी,
सरस थराई मान।।
माइ बाप के नाँव सें,
बेटा करबें दान।
करें थराई सी सरस,
मन में नइंयाँ मान।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
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10-संजय श्रीवास्तव,मवई,दिल्ली
*सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय - *थराई*
*१*
करें थराई दहशती,
पाँव परें गिगयाँय।
फौजी अपने देश के,
तनक तरस ना खाँय।।
*२*
थाने में थर-थर कपें,
करें थराई चोर।
थकबे थानेदार ना,
मार देत हड़फोर।।
*३*
करत थराई आपसें,
जीजाजू रुक जाव।
मजे लेव ससुरार के,
बन्न- बन्न को खाव।।
* ***
-संजय श्रीवास्तव, मवई 😊 दिल्ली
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11-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
बुंदेली दोहा
1-
गुरू थराई तुमारी,किया परम उपकार।
सिखलाया सद्ज्ञान गुन,जीवन दिया सुधार।
2-
मात पिता की थराई,उचित धराई गैल।
जीवन भर की कमाई,हाथ सौंप गय पैल।
3-
बृज अपजस कय कमा रय, तरसत बाप मताई।
घोर अनादर करत कय,दुरगति हुए तुमाई।
4-
मात पिता गुरू स्वामि की,मानो बृज थराई।
जुगत बतावत ज्ञान की,चाहत सदा भलाई।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
***
-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
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12-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
नमन मंच
तिथि-20/06/2022
शब्द-थराई (बुंदेली)
विधा-दोहे
***********************
तनक थराई के करें,काम सबइ बन जात
ईसे सबसे है भली, जा थराइ की बात।
अधिक थराई ना करौ,इज्जत करें न लोग।
गलत तरीके से सबइ, करन लगत उपयोग।
गोबर भरो दिमाग में, जो मूरख मक्कार।
नहीं थराई कीजिए, डंडा मारौ चार।।
हाथ जोर कर मूड धर, करी थराई येंन।
नहीं पसीजे साव जू, छीन लओ सब चेंन।।
की -की सें करते फिरें, रोज थराई बोल।
हमखों सूदौ जान कें, सबइ जहर रय घोल।।
***
- आर.के.प्रजापति "साथी"
जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
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13-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय थराइ
करी कृपा श्री कृष्ण ने,कोंनउँ कमी न आइ।
हांत न फैलाने परो , करी न कभउँ थराइ।।
समदी सें समदी करै, विनती और थराइ।
बिटिया अबै हमाइ ती, अब हो चुकी तुमाइ।।
बिटिया बारन ने करी, धर कें मूंड़ थराइ।
पै लरका के बाप खों,तनक दया नइँ आइ।।
जौ लरका ऐसौ पजो ,कुल की कांन डुबाइ।
जो माटी कूरा हते , उन सें करी थराइ।।
सबइ पुजेरू पूज कें , खेर बहेर मनाइ।
खूबइ करी थराइ सो, बदरन झड़ी लगाइ।।
- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
***
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*14* -जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
#थराई पर दोहे#
#1#
थरथरात थम कें करें,थौरौ सौ बतकाव।
करें थराई ठंड में,तनक रजाई उड़ाव।।
#2#
थके थराई सी करें,भारी बे गिगयांय।
ठंडौ पानी ल्यान दो,तबइ प्रान बच पांय।।
#3#
काम थराई सें बनें,शील सुभाव कहाँय।
आज थराई के करें,गदा पजींरी खाँय।।
#4#
आज थराई के करें,लिखवा लो हर लेख।
या फिर पैसा फेक कें,लेव तमाशा देख।।
#5#
करत थराई हम थके,नेता सुनें न बात।
गड्डी में गड्डीं थरौ,सोउत सें जग जात।।
***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो. 6260886596#
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*15*-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
एक थराई हम करें , सभी थराईं श्रेष्ठ |
सबकी पढ़ आनंद से , सभी लगीं है ज्येष्ठ ||
*******
-सुभाष सिंघई,जतारा
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16-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
1-
करत थराई पावनें,अब नइं गलती होय ।
अबकैं तुम पौचाय दो,शरम लगत है मोय ।।
2-
गलती जो कोऊ करै, करैं थराई ऐंन।
अपनी गलती मानकैं, करौ माफ तुम बैन ।।
3--
गलती कभउं न कीजिये ,पन्नैं परवैं पांव ।
करें थराई आपसैं ,धरैं न कोऊ नांव ।।
4-
अपनैं करम सुधाननें ,चलनैं नौनी गैल ।
लगैं न पाउन सूल जो ,करें थराई पैल ।।
5-
मडवा तरैं रिसा गये ,लरका वारे संग ।
कर थराइ सुसरालके,भय दूला बेढंग ।।
***
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
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*17*-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
(१)
छोड़ जगत के चोचले, भजौ उनें दिनरात।
करौ थराई राम सें,बेइ गुरु पितु मात।।
(२)
करी थराई श्याम सें,द्रुपत सुता कर जोर।
लाज बचाने आ गये, छिन में नंदकिशोर।।
(३)
अब नइं समय थराइ कौ,नगद चावनें दाम।
जितै करकरे फेक दो, हो जाबें सब काम।।
(४)
लरका लरौ अथाइ पै,करी खूब लठयाइ।
पंचन में कर जोर कैं,करबै बाप थराइ।।
(५)
अरे दरे में ना परौ,घर के देखो काम।
पकरे जैव थराइ में, नाम हुये बदनाम।।
***
-आशाराम वर्मा ना'दान',पृथ्वीपुर
स्वरचित
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18-डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
दोहे विषय थराई
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 मोडी बारे ब्याब खों,
करत थराई रात।
मोड़ा बारे ना मनै,
बड़ो दायजो चात।।
2 करत थराइ जशरथ जू,
कैकयी के द्वार।
नागन सी फुसकारती,
जशरत मानी हार।।
3 करी थराइ समुद्र से,
कउं ना मानी बात।
क्रोध करो जब राम ने,
खड़ो भौ अकबकात।।
4 सांचे सूधे लोग जो,
कबउं न करैं थराइ।
लबरा झूठा करत हैं,
शासन की बड़वाइ।।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
-डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सादर समीक्षार्थ 🙏
स्वरचित मौलिक 👆
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇
19-डॉक्टर आर बी पटेल" अनजान" छतरपुर
दोहा। थराई
दिनांक 22। 6। 2022।
भली थराई आपसे,
मोरी भी सुन लेव ।
तनक कमी के कारने,
ना मोही तज देव ।
02
एक थराई हम करें,
कर दो मोरो काम।
मोरी भी किस्मत बने,
होय तुम्हारे नाम।
03
कक्का कीसे का कहे,
कौन कहां को आय।
हमने थराई करी ति,
धीरे से निपटाए।
-डॉक्टर आर बी पटेल" अनजान"
छतरपुर
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇
संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
##############################
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 116वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-06-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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