Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 12 जून 2022

कुर्रु (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

      कुर्रु (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 
संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)


                 
  
                     💐😊 कुर्रु💐😊
             (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 114वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 12-06-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-


अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-डां रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
08-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
09-गोकुल प्रसाद यादव,बुढ़ेरा
10-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
11--संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली 
12-डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
13-सुभाष सिंघई ,जतारा
14-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाह
15-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
16-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा (टीकमगढ़)
17-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
18-शोभाराम दाँगी,नदनवारा
19*डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर
20-विष्णु श्रीवास्तव, टीकमगढ़
21*वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़

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संपादकीय

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'कुर्रु ( 114वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 114 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 81 देश के लगभग 67000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  114वीं ई-बुक 'कुर्रु   लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-4-6-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-64  में दिये गये बिषय 'कुर्रु'  पर दिनांक-4-6-2022 को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-12-06-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



**अप्रतियोगी दोहे*

*बुंदेली दोहा-कुर्रू*

*1*
करम कछू करवें नहीं,
पैसा देख ललात।
कोरे  वादे हैं  करत 
कुर्रू दय भग जात।।
***
*2*
मचा रये दम नाक में 
घर -घर कुर्रू देत |
वोटन के लाने परे,
चैन हजम कर लेत।।
*3*
कुर्रू तोरी का कहें , 
ते हो गइ हुश्यार |
भड़याई माते करें , 
फसतइ नथु खंगार ||
*4*
कुर्रू देकैं ना भगो , 
#राना गुनियो बोल |
दूजन की भी पोस्ट कौ, 
करियो भज्जा मोल ||
***
© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
        संपादक -"आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com



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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


*शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
                     विषय , कुर्रु
   ,,,,,
   कुर्रु दइ कान्हा भगे , कालयवन पछयाय।
   जग प्रमोद मुचकुंद गय , दानव तन जर जाय।।
   ,,,,,,
   कुर्रु दइ बाली भगो , मायावी गव दौर।
   रामचरित पिरमोद मय , भव किसकंधा ठौर।।
   ,,,,,,,
   उलछीं थापर गाल पै ,दद्दा ने दइ घाल।
   कुर्रु दइ स्कूल गय , भूलें भज्जू चाल ।।
   ,,,,,,,,
   कुर्रु दैगय पावनें , दइ लुगान ने मार।
   बाबा हो रव ब्याव को , बिल्लन भय बैवार।।
   ,,,,,,,,
   कुर्रु दैकें जात ते ,बचपन में स्कूल।
   उपटा लग गव गैल में , गयें पहाड़े भूल।।
   ,,,,,
    चनकट कनपट पै घली ,कड़ गय कुर्रु देत।
     भैंसन में उपनय चले , जांयें उजर न खेत।।
       ,,,,,,,,,
       
              -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
                                              
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

कुर्रू सें पड़गद कहत,गदबद जीकौ नाॅंव।
गाॅंवन में भगदड़ ‌मची,आ गव लिंगा चुनाॅंव।।
                  ***
*अप्रतियोगी दोहे*
विषय:-कुर्रू(दौड़)

झंडा अपने देश कौ, सेंनिक जब लहरात।
दुश्मन नंगे पाॅंव सें,कुर्रू दयें दिखात।।

थप्पी ठोक कुर्रू द‌इ,ल‌इ उतार मिरझाइं
उचट नरैया में गिरे,लरका मिदरा घांइ।।

जेठ मांस अंदें चलें,लरका‌ कुर्रू देत।
आम और केंथा गिरत,बीन दौर कें लेत।।

भर्ती पुलस की होत जब,तब कुर्रू लगवांय।
लम्बी कूॅंद के संग में,औ गोला  फिकवाय।।

घुस गय बारी टौर कें,उजरो जा रव खेत।
ढोरन के पाछें भगे,  रमुआं कुर्रू देत।।

***
        🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


मिरगा  नें क़ुर्रू  दई, फिरै  छाँव  अरु घाम।
लखन लखन चिल्लाय कें, मन में सुमरै राम।।
                          ***
         अप्रतियोगी दोहे

ठाँडे भए चुनाव में, सरपंची की आस।
 क़ुर्रू दयँ माते फिरें, कोउ न डारै घास।।

क़ुर्रू दयँ नेता फिरें, सबसे करें थराइ।
 पैलें मर गय ते कितै, अबै खबर है आइ।।

 कुत्ता दौरौ काटबे, देखत रै गय दंग।
 क़ुर्रू ठोकी तान कें, सोउ जीत गय जंग।।

 भड़या घुस गय रात कें, भड़याई के हेत।
 मालिक दौरौ पकरबे, भग गव क़ुर्रू देत।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी          -
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी

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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


कुर्रू के कइ फायदे, बढ़ो पेट छट जाय।
भोर से निन्ने पेट जो, कुर्रू रोज लगाय।।
      ***

                          ***      
              -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         

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06-डां रेणु श्रीवास्तव, भोपाल

नेता कुर्रू दैं फिरैं, जब से लगो चुनाव। 
तनक जीत तो जान दो, परें पसारे पांव।।
                          ***
            
   ***
           डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
           सादर समीक्षार्थ 
           स्वरचित मौलिक
मौलिक रचना

✍️

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07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 


तृषणा की कुर्रू बड़ी,रुकवे को नहिं नाव।
कृपा कोर प्रभु की मिले,तोआवे ठहराव।।
                 ***     
आशा रिछारिया, जिला निवाड़ी 

🌹‌

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08-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


*खेतन पै हो लग रये,हार जीत के दाव।
कुर्रू दैबै देखकें, कजन पुलिसिया आव।।
***
-

                   ✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़

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09-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी


जो रख कें नीची निगा,परखत नीकी राह।
साता  सें  कुर्रू लगा,बनत जगत में शाह।
                 ***
      🙏अप्रतियोगी दोहे--कुर्रू🙏
***********************
कुर्रू  दयँ  रय  जीतबे,
              देरी    डारी    खूँच।
जीते पै  थन  काँ धरे,
              मिलत न  छीबे पूँच।
************************
ढँग   ढौरे   सें   सीकबै,
               कुर्रू    दैबौ   जोंन।
पदक,नौकरी,धन मिलत,
                होत जोंन की तोंन।
************************
कुर्रू  दै  काटी  उमर,
              गिरे   उठे   सौ   बेर।
जै दइयाँ  गिर कें  उठे,
              सीक  मिली  तै   देर।
************************
कुर्रू  दइ  जी  छोड़  कें,
             ढड़कत मिल गइ ट्रेंन।
जो   कुत्ता   नैं   दौरतो,
              तौ   हो   जाती  ठेंन।
************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)

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*10-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा



जब होंनी मडरात है,चलै न कछू उपाय।
कुर्रू दैकें आदमी,ठाँडौ उतइँ दिखाय।।       
             ***
डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा

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11-संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली


कुर्रू दै जीवन कटो,माया मिली न राम।      
जिये सोच साता परै,करे न ऐसे काम।।
                 ***
    -संजय श्रीवास्तव, मवई 😊 दिल्ली
      
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*12-* डॉ.प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़


नन्ना ने दस्सू दई, 
हमने लइ मिठाई।
गुजिया लै कैं हाथ में,
कुर्रू दइ लगाई।।
****
करधौनी कर छीन कैं,
दै गये कुर्रु चोर।
भड़या पकरौ दौरकें,
मच गव भारी शोर।।
***
मौलिक स्वरचित
***
डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़

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13--सुभाष सिंघई ,जतारा


भुन्सारे की कुर्रु खौं , नोनों कत है लोग |
घुरवाँ जैसो बल रहें , लिड़या जावें  रोग ||
***     
अप्रतियोगी दोहे 

कार्तकेय   कुर्रू   लगा ,   नापत  रय ‌ संसार |
गणपति अक्कल खौं लगा , बने प्रथम सरदार ||

कुर्रू देकें  जब गगन  , निकर गये हनुमान |
पर्वत लेकै आ गए,    बचे   लखन के प्रान ||

कुर्रू  दइ़यो   सामने  , दुश्मन  जितै दिखात |
पाछे की  कुर्रू सुनो ,   लिड़पेंदा    कहलात ||

सदा लगाएं कुर्रु खौं  , भुखाभुखे  जो  कोय  |
तन  नोनों  हो  जात  है  ,बाल न बाँका  होय ||

कत सुभाष हम  सूदरे  , कुर्रू  खूब  लगात |
जितै ज्ञान   बगरौ डरो , रैवों   हमे   पुसात ||

***
-सुभाष सिंघई ,जतारा

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14-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा


कुर्रू दयें कपि दल फिरत,
चार- इ दिशा में धाय।
मिल है जानकी की खबर ,
जब -इ जान बच पाय।।
                   ***
                    
-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा

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15-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)




लबरा चुगला सिरफिरा,इनें चढो रत भूत।
लगा- लगा कुर्रू इनें, मारो  पर  जै  कूत।।
                          
********

बिना नाथ कौ साँड़ हो,या पगलानों श्वान।
कुर्रू  देंकें  भागियो,  तबइ  बचेगी  जान।।

चोर उचक्का दोगला,कनफूसिया शैतान।
लगा देत कुर्रू तुरत,आहट सुन कें कान।।

कायर कुर्रू दें भगें,  तनक  पिला  दो डांट।
पिल्ला सौ कइं कइं करै, खाये खूब कुलांट।।
***
                    आर.के.प्रजापति "साथी"
                  जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
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16-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा (टीकमगढ़)

कुरू देरय पाप खो,
धर्म छोड़ दई चाल।
देखो इस संसार में,
का होरय है हाल।।
             ***               

गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़

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17-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी

कैसें कुर्रु दे रये, बदली नेता चाल।
आये गाँव चुनाव तो, पूंछें घर- घर हाल।।
                ***
लेती बेर उधार बे, भारी कसमें खात।
मिलो न पइसा लौट कें, कुर्रु रोज लगात।।

कोरे भाषन से कितउ, बनत न काम दिखात।
दफ्तर- दफ्तर रोज ही, कुर्रु खूब लगात।।

***
  -रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी


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*18* -शोभाराम दाँगी,नदनवारा
लरका बिटिया आज के,
मोबायल लय रात ।
कछु काम खां टेरौ तो, 
कुररु दे भगजात ।।
                       ***
           -शोभाराम दाँगी,नदनवारा
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*19*डां. आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर
भडयन ने कुर्रू धरी,
लेके घर को माल ।
पुलिस पुकारत पूंछती,
आज मिलें ना काल ।।
        ***
-डा आर बी पटेल "अनजान ",छतरपुर
*
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20-विष्णु श्रीवास्तव, टीकमगढ़
पुलिस देख घबरा गये,
कुर्रू दय नटलाल।
फंदा में जब भी फँसे,
बाल नुचे औ खाल।।
               ***
-विष्णु श्रीवास्तव, टीकमगढ़

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*21*वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
कुररू में उपटा लगो , 
छुल गय अपने पाँ।
याद आत है आज बौ , 
उपटा बारौ गाँव।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़

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                            संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

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                              कुर्रु
                  (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 114वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 12-06-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
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