Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी-व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं-(2) चंद पैसों में-

व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं

    (2)    चंद पैसों में-

वे अगर चंद पैसों में न बिक जाते।
तो 'रतनगढ़ जैसे हादसे न हो पाते।।

वाहन हर वार की तरह दूर रोक लिये जाते।
तो इतने निर्दोष यूं ही न मारे जाते।।

सरकार देती है वेतन, अरे कुछ तो भंजाते।
वर्दी की इज़्जत न यूं धूल में मिलाते।।

कम से कम धार्मिक स्थानों में तो न कमाते।
कह 'राना कविराय कुछ तो लाजशर्म खाते।।
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-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
 अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965

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