राजीव नामदेव 'राना लिधौरी टीकमगढ़
टीकमगढ़-'बज्मे अदब के मुशायरे में ग़ज़ल पढ़ते शायर राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
अजी वोटो की ख़्ाातिर ही तो वो दंगे कराये हैं।
यही तो वो मसीहा है जिन्होने घर जलाये हैं।।
न इनका कोर्इ इमां है न होता कोर्इ धर्म।
जनता को कैसे ये तो, उल्लू बनाये हैं।।
भूकों मरे ग़रीब तो परवाह नहीं इन्हें।
दौलत से भूक,प्यास को रम से बुझाये हैं।।
नेताओं उर पुलिस की तो ज़ात एक सी है।
जनता को ये तो खूब ही चूना लगाये हैं।।
मासूमियत पै इनकी न जाना कभी 'राना।
सच में ये गुनहगार है जो सर झुकाये हैं।।
अजी वोटो की ख़्ाातिर ही तो वो दंगे कराये हैं।
यही तो वो मसीहा है जिन्होने घर जलाये हैं।।
न इनका कोर्इ इमां है न होता कोर्इ धर्म।
जनता को कैसे ये तो, उल्लू बनाये हैं।।
भूकों मरे ग़रीब तो परवाह नहीं इन्हें।
दौलत से भूक,प्यास को रम से बुझाये हैं।।
नेताओं उर पुलिस की तो ज़ात एक सी है।
जनता को ये तो खूब ही चूना लगाये हैं।।
मासूमियत पै इनकी न जाना कभी 'राना।
सच में ये गुनहगार है जो सर झुकाये हैं।।
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