राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (7)
(सन्दर्भ-चुनाव)
(7)-व्यंग्य कविता-''नेताओं की औकात
एक अंग्रेज भारत आया,
ये देखकर चकराया।
कि एक एम.ए. पास लड़का,
बेरोज़गार घूम रहा है।,
नौकरी और रोटी के लिए,
जीवन से लड़ एवं मर रहा है।
लेकिन एक अनपढ़ नेताजी की,
तोंद बढ़ रही है,
जो काले धन से निरन्तर भर रही है।
फिर भी देश की गरीब जनता,
इस बात से अनजान है।
उनके लिए तो सिर्फ भगवान है।
हर नेता गरीबों का खून चूसता है,
करोड़ों रुपए कमाता है।
और जाकर विदेशों में रख आता है।
और जब नेता मरता है तो उसे केश करते हंै।
इसीलिए तो कहते है कि-
कुछ नेताओं की अक्ल घुटनों में होती है,
और जब घुटनों मे तकलीफ होती है,
तो वे इलाज कराने विदेश जाते हंै,
और वहाँ से मुफ्त में एडस लाते हंै।
फिर पूरे देश में दौरा करके यही लोग फैलाते हंै।
आप ही सोचिए कि क्या -
आम आदमी कभी विदेश घूम सकता है।
नेताओं सा ऐश कर सकता है।
मैं तो कहता हूँ कि कुछ नेताओं ही,
असल बीमारी की जड़ है,
क्याेंकि इनका दिमाग गया सड़ है।
इसीलिए इनका दिमाग तो है नहीं,
ये केवल धड़ है।
तभी तो ये धड़ लिए फिरते है,
क्योंकि धड़ में तो तोंद रहती है।
जिसमें सारी दुनिया की,
दौलत समा सकती है।
इसलिए तो ये पैसों के लिए,
लड़ते व मरते है।
और सिर्फ ये गुण्ड़ों,डाकूओं से ही डरते है।
क्योंकि ये ही इनका पैसा हरते है।
888
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (7)
(सन्दर्भ-चुनाव)
(7)-व्यंग्य कविता-''नेताओं की औकात
एक अंग्रेज भारत आया,
ये देखकर चकराया।
कि एक एम.ए. पास लड़का,
बेरोज़गार घूम रहा है।,
नौकरी और रोटी के लिए,
जीवन से लड़ एवं मर रहा है।
लेकिन एक अनपढ़ नेताजी की,
तोंद बढ़ रही है,
जो काले धन से निरन्तर भर रही है।
फिर भी देश की गरीब जनता,
इस बात से अनजान है।
उनके लिए तो सिर्फ भगवान है।
हर नेता गरीबों का खून चूसता है,
करोड़ों रुपए कमाता है।
और जाकर विदेशों में रख आता है।
और जब नेता मरता है तो उसे केश करते हंै।
इसीलिए तो कहते है कि-
कुछ नेताओं की अक्ल घुटनों में होती है,
और जब घुटनों मे तकलीफ होती है,
तो वे इलाज कराने विदेश जाते हंै,
और वहाँ से मुफ्त में एडस लाते हंै।
फिर पूरे देश में दौरा करके यही लोग फैलाते हंै।
आप ही सोचिए कि क्या -
आम आदमी कभी विदेश घूम सकता है।
नेताओं सा ऐश कर सकता है।
मैं तो कहता हूँ कि कुछ नेताओं ही,
असल बीमारी की जड़ है,
क्याेंकि इनका दिमाग गया सड़ है।
इसीलिए इनका दिमाग तो है नहीं,
ये केवल धड़ है।
तभी तो ये धड़ लिए फिरते है,
क्योंकि धड़ में तो तोंद रहती है।
जिसमें सारी दुनिया की,
दौलत समा सकती है।
इसलिए तो ये पैसों के लिए,
लड़ते व मरते है।
और सिर्फ ये गुण्ड़ों,डाकूओं से ही डरते है।
क्योंकि ये ही इनका पैसा हरते है।
888
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
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