राजीव नामदेव "राना लिधौरी" हास्य, व्यंग्यकार, ग़ज़लकार,हाइकुकार, लेखक संपादक "आकांक्षा" पत्रिका अध्यक्ष -मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ अध्यक्ष- वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ पूर्व मंत्री- अ.भा.बुंदेलखंड़ साहित्य एवं संस्कृति परिषद टीकमगढ़ डायरेक्टर "आकांक्षा" पब्लिक स्कूल टीकमगढ़ तीन राज्यपालों द्वारा सम्मानित, शताधिक सम्मान प्राप्त। 6पुस्तकें प्रकाशित,13का, 300कवि सम्मेलन में भागीदारी पता- नई चर्च के पीछे शिवनगर कालोनी टीकमगढ़ (मप्र )भारत मोबाइल +91- 9893520965 Email ranalidhori@gmail.com
Rajeev Namdeo Rana lidhorI
बुधवार, 30 दिसंबर 2020
नये साल का स्वागत- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' Happy New year
मंगलवार, 29 दिसंबर 2020
दुष्यंत कुमार-ग़ज़ल सम्राट(राजीव नामदेव राना लिधौरी)
शनिवार, 26 दिसंबर 2020
अटल बिहारी वाजपेई जी को समर्पित कविता- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)
हे अटल तुम तो सचमुच अटल हो,
तुम्हारी कीर्ति अजर और अमर हो।
जीवन भर देश की सेवा करते रहे,
भाजपा के सरोवर के स्वर्ण कमल हो।।
कारगिल युद्ध कराके आपने,
पाक के नापाक इरादे नाकाम कर दिये,
दुश्मन के दाँत खट्टे कर दिये।
देश में चैंन और अमन का,
काम ऐसे करते सदा रहे हो,
विपक्षी भी आपको सर झुकाते रहे।
आज देश को आपकी जरूरत है,
आप फिर से भारत में ही जन्म लेना।
आज के नेताओं को राजनीति का पाठ सिखाना,
वे राजनीति भूल कर कूट नीति करने लगे हैं।
नेता शब्द को ही बदनाम करने लगे है।
आपकी कविताएँ भी क्या धूम मचाती हैं,
युवाओं में जोश और चेतना जगाती हैं।
फिर ऐसी क्या बात हो गयी कि
मौत से आपकी ठन गयी।
अचानक रूठ के हमसे चले गये,
सारी दुनिया को स्तब्ध कर गये।
आपका यूँ चले जाना अच्छा नहीं लगा,
जैसे चला गया हो कोई हमारा सगा।
हम आपको कभी नहीं भुला पाएँगे।
किये जो काम आपने वो सदा याद आयेगें।।
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© राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
महामंत्री-अ.भा.बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
मंगलवार, 22 दिसंबर 2020
भोर तरैया (बुंदेली नाटक) समीक्षा- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
लेखक/ निर्देशक:- संजय श्रीवास्तव
समीक्षक:- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’(टीकमगढ़)
ग्रामीणों की दशा को बयां करता नाटक ‘भोर तरैया’
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
‘भोर तरैया’ नाटक के लेखक व निर्देशक श्री संजय श्रीवास्तव जी ने अपने इस नाटक में ग्रामीणजनों के संघर्ष और वर्तमान पंचायती व्यवस्था पर चोट करते हुए बेहतरीन नाटक लिखा हैं पात्रों के संवाद बुन्देली भाषा के लालित्य लिए हुए बहुत जोरदार है पढ़नेवालों एवं देखने वालों दोनों के हृदय में सीधे भीतर तक उतर जाते है। नाटक देखकर बहुत आनंद प्राप्त होता है।
दलित सामाज दर्द एवं गरीब की दुर्दशा का बहुत मार्मिक चित्रण किया गया है किस प्रकार दबंगों द्वारा पंपापुर की महिला आरक्षित सीट होने पर एक बेडनी को जबरन सरपंच के लिए खड़ा किया जाता है और फिर उसे लाठी और धमकी के दम पर निर्विरोध जिता दिया जाता है वह नाम मात्र की सरपंच रहती है और उसके नाम से लाखों रूपए गाँव के एक दबंग महिपाल द्वारा डकार लिये जाते तथा उसका किस प्रकार से शोषण किया जाता है।
यह वर्तमान में आज भी गाँवों के देखने को मिल जाता है। यह कटु सत्य है ऐसी घटनाएँ अक्सर होती है जहाँ दलित महिला सीट होती है, नाटक में शहर से वापिस आयी महिला द्वारा अब आवाज उठायी जाती है और उसकी निडरता से गाँव में लोग जागरूक हो जाते है और फिर उस दबंग महिपाल का विरोध करते है तथा उससे नहीं डरते है तो गाँव की दशा ही सुधर जाती है और गाँव वालों को भोर की तरैया दिखाई देने लगती एक नयी उम्मीद और आशा के साथ इस नाटक का अंत सुखांत है और हमें बहुत कुछ सीख देता है। हमें किसी से नहीं डरना चाहिए एवं हमें अपनी हिम्मत से काम लेना चाहिए।
नाटक में बुन्देली कार्तिक गीत राई, एंव बधाई आदि नत्यों को भी बीच-बीच में दिखाया गया है जो कि मनोरजंन प्रदान करता है तथा बुन्देलखण्ड और बुन्देली संस्कृति की एक सुदंर झलक भी दिखाता है।
नाटक के सभी पात्र उमदा है दबंग ‘महिपाल’ की आवाज बहुत बुलंद है और उनका अभिनय लाजबाब है तो वही पर ‘बेडनी’ का अभिनय भी कमतर नहीं है, शहर से वापिस आयी महिला का भी अभिनय अपना विशेष प्रभाव छोड़ता है। ‘अंधे आदमी’ का अभिनय और उनके द्वारा गाया गया पे्ररणा गीत भी बहुत प्रभावित करता है। सभी पात्रों ने बेहतरीन अभिनय किया है। नाटक के संवाद कसे हुए है चुटीले एवं व्यंग्यवाण छोड़ते संवाद सभी को आनंदित करते है।
नाटक के सफल लेखन, निर्देशन एवं मंचन के लिए श्री संजय श्रीवास्तव जी एवं पाहुना जन समिति को हार्दिक बधाईयाँ।
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राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
जिलाध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
सोमवार, 21 दिसंबर 2020
वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की सभी गोष्ठियां
#विश्वरंग के अंतर्गत वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ का कवि सम्मेलन -*
*(वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा कवि सम्मेलन हुआ)*
टीकमगढ़// नगर की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा विश्वरंग कार्यक्रम-2022 के अंतर्गत आन लाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सुभाष सिंघई (जतारा) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में विद्या चौहान (फरीदावाद) जी रहे व विषिष्ट अतिथि रंगकर्मी व कवि संजय श्रीवास्तव (दिल्ली़) रहे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ वीरेंद्र चंसौरिया ने सरस्वती वंदना कर रचना पढ़ी-
जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी, संगीत विद्या ज्ञान की देवी।
स्वीकारिये बंदना ये हमारी।जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी ।।
फरीदाबाद़ से विद्या चौहान ने ग़ज़ल सुनायी-
न ही आफताब न चाँद का ये जो नूर मुझमें है आपका।
जो झलकता आँख में प्यार बन, वो हुजूर मुझमें हैं आपका।।
सिवनी से कविता नेमा ने पढ़ा-
फूलों की खुश्बू है बढ़ाती हर पल तेरा निखार है।
बुधवारी के चौक में देखों सजा ये जथानी दरवार है।।
बड़ा मलेहरा के डॉ. देवदत्त द्विवेदी ने ग़ज़ल
सुनायी- हम ग़मों की गोद में पलते रहे।
लोग फिर भी हमसे जलते रहे।।
टीकमगढ़ से म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘ श्री कृष्णा पर दोहे पढ़े-
कतकारी ढूँढे़ फिर कउँ न मिले भगावान,
कान्हा तो भीतर बसे, ज्यों मुरली में तान।।
जतारा से सुभाष सिंघई ने कुत्ते पर व्यंग्य पढ़ा-
दोनों में फर्क ही क्या है दोनों नेक है,
एक दिनभर चीखता है एक रात भर भौंकता है।
बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया-
जनकपुरी की जुरी लगाई चलो अवधपुर जाँवने,
जू घर बनवा रय पाँवने।।
एस. आर सरल ने पढ़ा-
मैं नफरतों की लपटों पर, पानी उडेलता हूँ।
मानवता कमे फूल लिए, पथ में बिखेता चलता हँू।।
दिल्ली से संजय श्रीवास्तव ने पढ़ा-
माँ के भीतर घर रहता है। घर के भीतर माँ रहती है।
बारिश,आँधी,तूफां सारे, धरती माँ सी सहती माँ।।
जिला निवाड़ी आशा रिछारिया ने रचना पढ़ी-
न होतीं तो ये जग न होता,न होती वो ममता
जो गा कर सुला दे।मीठी सी थपकी,
परियों से मिला दे।चंदा भी थाली में,दस्तक न देता।
नंदनवारा से शोभा राम दांगी ने कविता पढ़ी-
है इंदियारौ जितै उतै अब, होा जावै उजयारौ।
आ गइ आज दिवाइ कैचू घर कौ कूरा झारौ।।
इनके आलावा मीनू गुप्ता,भगवान सिंह लोधी अनुरागी (हटा),अंजनी कुमार चतुर्वेदी (निवाड़ी),ब्रज भूषण दुवे (बक्सवाहा), मोहिनी दुवे (बक्सवाहा),रामानंद पाठक नैगुवाँ, मीरा खरे आदि ने भी काव्य पाठ किया।
कविसम्मेलन का संचालन व अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
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*राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965
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date 3.12.2023
शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020
लघुकथा- शोषण (राजीव नामदेव 'राना लिधौरी')
बुधवार, 16 दिसंबर 2020
किसान आंदोलन
#बुंदेली कविता-
किसान बनाम किसान_आंदोलन
जे राजनेता सोइ
किसान आंदोलन कर रय,
सफारी में बैठ के
ज़हर उगल रय।।
भोरै किसानन खों,
बातन के बतासा,
खूब खुवा रय।
गरीब किसान तो,
खाद कै लाने
परेशान फिर रय।।
लैन में लग कै,
डंडा खा रय।
दस तो चाउने है,
पै एकई बोरी पा रय।।
मंदिर में जाकै अब
खूब पांव है पर रय।।।
कोउ तो सुनत नइयां।
राम जू अब है कर रय।।
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राजीव_नामदेव_राना_लिधौरी_टीकमगढ़
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र)
मोबाइल 9893520965
शनिवार, 5 दिसंबर 2020
बापू के नाम पत्र - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
बापू जी के नाम पत्र:-
जन-जन के प्रिय बापू जी,
आपको शत्-शत् प्रणाम, वंदन,नमन।
प्रिय बापू जी, आप मुझे हमेशा मुझे प्रेरित करते हैं। आपका पूरा जीवन ही एक ‘पाठशाला’ की तरह हैं जिसमें हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता ही रहता है। आपके द्वारा किये गये कार्य हमें कुछ न कुछ प्रेरणा देते है।
हे बापू जी, आज भारत को आपकी पुनः जरूरत है। आप शीघ्र यहाँ पर अवतार ले, लीजिए आपने हम भारतवासियों को पहले सन् 1947 में आजाद कराया था तब हमें आपने अंग्रेजी की गुलामी से आजाद कराया था आज फिर भारत मानसिक गुलाम है। आप यहाँ आकर भारत के लोगों को अंग्रेजों व अंग्रेजी की मानसिकता को दूर करते हुए आजाद कीजिए।
हे बापू जी, आपने ‘खादी’ को बढ़ावा देकर स्वदेशी’ को बढ़ावा दिया था तथा देशी स्वनिर्मित कपड़ों की महत्वता को बल दिया था लेकिन आज तो आपकी खादी को केवल नेता ही पहनते है वो भी अपनी राजनीति छवि बनाने के लिए आज के नेता आपकी उसी पवित्र खादी को दागदार कर रहे है।
हे बापू जी हमें आपके तीनों बंदर बहुत याद आते है। आपके वे तीनों बंदर पशु होते हुए भी हमें बहुत कुछ सीख देते है और उन्होंने मानव धर्म अपनाया लिया था लेकिन आज के मनुष्यों ने पशु के अवगुणों अपनाया लिया है आज वे पशु समान आपस में लड़ते-भिड़ते रहते हैंं और मारपीट करते रहते है। आपने उस समय अहिंसा का नारा दिया था लेकिन आज यहाँ इसके विपरीत हर क्षेत्र में हिंसा व्याप्त है लोग जरा-जरा सी बात पर मार-काट करके हत्या तक कर देते
है।
हे अहिंसा के पुजारी, आज का आदमी बहुत बदल गया है। अब तो ‘अहिंसा’ से ‘अ’ अक्षर ही अदृष्य हो गया ’ है, हिंसा चारों तरफ बढ़ती जा रही है। लगता है घोर कलयुग आ गया।
डाक विभाग ने भी आपके सम्मान में डाक टिकिट जारी किये है। सरकार ने आपके सम्मान में करेंसी नोटों पर आपके चित्र छापे है लेकिन दुःख तो तब होता है जब कुछ शरारती तत्व आपकी नोटों की फोटों पर काले पेन से दाढ़ी बना कर लादेन का चित्र बना देते है। सच पूछियें बापू जी तब मेरी आत्मा को बहुत कष्ट हो रहा है। आज भारत से ज्यादा विदेशों में लोग मानते है और आपकी पूजा करते हैं। शायद वे अपने पुराने कर्मो(जब अफ्रीका में आपका अपमान किया था) का प्राश्चित कर रहे है। इसलिए आज आप विदेशों में सर्वाधित लोकप्रिय है।
हे बापू जी, आपका एक कार्य जो कि आप उस समय छुआछूत मिटाने का था वह बहुत ही नेक कार्य था जो कि आपने उस समय किया जब देश में छुआछूत व जाति-भेद चरम पर था। आज छुआछूत भारत से काफी हद तक मिट गया है सभी जाति के लोग आपस में उठने बैठने लगे है। कोई जाति भेद न रहा है। आपसी भाईचारा बढ़ गया है। आज अनेक हिन्दू नेता भी ईद के समय रोजा अफ्तार पर मुस्लिम भाइयों के साथ एक साथ भोजन करते है। आपसी भाइ्र्रचारा,प्रैम,सद्भवना आदि यही तो हमारे भारत देश की पहचान बन गया है। आज दूसरे देश के लोग हैंरान कि भारत में विभिन्न संस्कृति के इतने सारे लोग एक साथ इतने प्रेम से कैसे रह लेते हैं।
हे बापू जी, आपके द्वारा किये गये कार्य इतने महान है कि आगे की पीढ़ी तो कभी यह विश्वास ही नहीं करेगी कि, ‘महात्मा गांधी’ नाम को कोई हाड़ मांस के आदमी ने इस धरती पर जन्म लिया था। जिसने अहिंसा के मार्ग पर चल कर भारत देश को आजाद करा दिया था। जबकि आज परमाणु बम जैसे घातक रासायनिक हथियार बनाने की होड़ देशों के बीच लगी है। जो पल में पूरी दूनिया को मिटा सकते है। फिर बिना हथियार के केवल ‘अहिंसा’ के दम पर देश को आजाद कराना एक कल्पनीय कार्य ही लगेगा। आज से 100 साल बाद लोग सोचने को मजबूर हो जायेगें कि क्या यह संभव था? लेकिन, बापू जी आप तो इंसान भगवान थे जो कि इंसान के रूप में जन्म लेकर जीवन भर कर्म करते रहे और लोगों के हमेशा
प्रेरणास्त्रोत रहे।
हे बापू जी आपके सत्कर्म ही आपको इंसान से ‘देवता’ बनाते है और देव हमेशा पूजनीय होते है और सदा से पीढ़ियों तक इसी प्रकार पूजे जायेगें। हम सभी भारतवासियों के लिए यह बहुत ही गर्व की बात है कि आपने हमारे देश भारत में जन्म लिया और भारत को आजाद कराकर ही दम लिया।
हे बापू जी मुझे आपका असहाय,गरीब और कुष्ट रोगियों के प्रति सेवा भाव वंदनीय लगता है जहाँ आज भी लोग कुष्ट रोगी से दूर भागते है तथा घ्रणा की दृष्टि से देखते है वहीं आपने जीवनभर कुष्ट रोगियों की सेवा की उनके घाव अपने हाथों से साफ किये तथा मरहम पट्टी की उनकी इतनी सेवा तो उनके सगे संबंधी भी नहीं करते हैं जितनी आपने की है। यह आपके ‘प्रेम’ की पराकाष्ठा ही कहीं जायेगी। हे बापू जी, आपने उस समय शिक्षा की अलख जगायी, जब लोग बहुत कम शिक्षित थे और शिक्षा के प्रति उदासीन थे, तब शिक्षा केबल उच्च घरानों के लोग ही ले सकते थे। तब उस समय आप अपनी उच्च शिक्षा के लिए द.अफ्रीका तक गये वहाँ से वकालात करके फिर से भारत वापिस आकर देश कि सेवा में लग गये यह आपका देश के प्रति अटूट प्रेम दर्शाता है।
आप एक सच्चे देशप्रेमी थे आपने अपना पूरा जीवन ही देश कि सेवा में ही लगा दिया। आज लोग एक बार विदेश जाते है तो वहीं के रहके हो जाते है। उन्हें अपने देश से प्रेम नहीं होता, वे तो सिर्फ दौलत से प्यार करते है, लेकिन आप एक सच्चे देश प्रेमी है। आपने देश प्रेम भी भावना कूट-कूट कर भरी है।
मैं अंत में बापू जी के श्री चरणों में ससम्मान अपनी स्वरचित काव्यांजलि दे रहा हूँ-
कविता- बापू जी आप तो...........
बापू जी गुणों की खान हैं,
आप तो बहुत महान हैं।
इसीलिए तो आपकी,
सारे विश्व में पहचान हैं।।
आप सदैव प्रेरित करते हैं,
आपको करते हम नमन है।
‘बापू’ की वजह से ही
ये मुस्कराता चमन है।
आप देव तुल्य इंसान है।
आपको शत्-शत् नमन है।।
©- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र) 472001
मोबाइल-9893520965
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की ई बुक्स- संपादन- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
जय_बुंदेली_साहित्य_समूह_टीकमगढ़ एवं
#म_प्र.#लेखक_संघ_टीकमगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की अब तक मात्र 15माह में ही 69 #ई_पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं कुछ के कवर पेज हम दे रहे है ये हमारे पटल की 22 जून2020 से 30 नवंवर 2020 तक की के दैनिक लेखन की कुछ उपलब्धि हैं।
इन पुस्तकों में हिंदी एवं बुंदेली के लगभग 60 कवियों के दिये गये बिषय पर लगभग 3000 दोहे संकलित है।
पटल से जुड़े सभी साथियों का हृदय तल से आभार, अभिनंदन।
#एडमिन-
राजीव नामदेव "राना लिधौरी" एवं
श्री राम गोपाल रैकवार
#संपादन-#राजीव_नामदेव_राना_लिधौरी
टीकमगढ़ (मप्र)472001
मोबाइल-9893520965