Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 5 दिसंबर 2020

बापू के नाम पत्र - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

बापू जी के नाम पत्र:-


जन-जन के प्रिय बापू जी,
आपको शत्-शत् प्रणाम, वंदन,नमन।


              प्रिय बापू जी, आप मुझे हमेशा मुझे प्रेरित करते हैं। आपका पूरा जीवन ही एक ‘पाठशाला’ की तरह हैं जिसमें हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता ही रहता है। आपके द्वारा किये गये कार्य हमें कुछ न कुछ प्रेरणा देते है।
           हे बापू जी, आज भारत को आपकी पुनः जरूरत है। आप शीघ्र यहाँ पर अवतार ले, लीजिए आपने हम भारतवासियों को पहले सन् 1947 में आजाद कराया था तब हमें आपने अंग्रेजी की गुलामी से आजाद कराया था आज फिर भारत मानसिक गुलाम है। आप यहाँ आकर भारत के लोगों को अंग्रेजों व अंग्रेजी की मानसिकता को दूर करते हुए आजाद कीजिए।
              हे बापू जी, आपने ‘खादी’ को बढ़ावा देकर स्वदेशी’ को बढ़ावा दिया था तथा देशी स्वनिर्मित कपड़ों की महत्वता को बल दिया था लेकिन आज तो आपकी खादी को केवल नेता ही पहनते है वो भी अपनी राजनीति छवि बनाने के लिए आज के नेता आपकी उसी पवित्र खादी को दागदार कर रहे है।
          हे बापू जी हमें आपके तीनों बंदर बहुत याद आते है। आपके वे तीनों बंदर पशु होते हुए भी हमें बहुत कुछ सीख देते है और उन्होंने मानव धर्म अपनाया लिया था लेकिन आज के मनुष्यों ने पशु के अवगुणों अपनाया लिया है आज वे पशु समान आपस में लड़ते-भिड़ते रहते हैंं और मारपीट करते रहते है। आपने उस समय अहिंसा का नारा दिया था लेकिन आज यहाँ इसके विपरीत हर क्षेत्र में हिंसा व्याप्त है लोग जरा-जरा सी बात पर मार-काट करके हत्या तक कर देते
है।
           हे अहिंसा के पुजारी, आज का आदमी बहुत बदल गया है। अब तो ‘अहिंसा’ से ‘अ’ अक्षर ही अदृष्य हो गया ’ है, हिंसा चारों तरफ बढ़ती जा रही है। लगता है घोर कलयुग आ गया।

           डाक विभाग ने भी आपके सम्मान में डाक टिकिट जारी किये है। सरकार ने आपके सम्मान में करेंसी नोटों पर आपके चित्र छापे है लेकिन दुःख तो तब होता है जब कुछ शरारती तत्व आपकी नोटों की फोटों पर काले पेन से दाढ़ी बना कर लादेन का चित्र बना देते है।  सच पूछियें बापू जी तब मेरी आत्मा को बहुत कष्ट हो रहा है। आज भारत से ज्यादा विदेशों में लोग मानते है और आपकी पूजा करते हैं। शायद वे अपने पुराने कर्मो(जब अफ्रीका में आपका अपमान किया था) का प्राश्चित कर रहे है। इसलिए आज आप विदेशों में सर्वाधित लोकप्रिय है।
           हे बापू जी, आपका एक कार्य जो कि आप उस समय छुआछूत मिटाने का था वह बहुत ही नेक कार्य था जो कि आपने उस समय किया जब देश में छुआछूत व जाति-भेद चरम पर था। आज छुआछूत भारत से काफी हद तक मिट गया है सभी जाति के लोग आपस में उठने बैठने लगे है। कोई जाति भेद न रहा है। आपसी भाईचारा बढ़ गया है। आज अनेक हिन्दू नेता भी ईद के समय रोजा अफ्तार पर मुस्लिम भाइयों के साथ एक साथ भोजन करते है। आपसी भाइ्र्रचारा,प्रैम,सद्भवना आदि यही तो हमारे भारत देश की पहचान बन गया है। आज दूसरे देश के लोग हैंरान कि भारत में विभिन्न संस्कृति के इतने सारे लोग एक साथ इतने प्रेम से कैसे रह लेते हैं।
           हे बापू जी, आपके द्वारा किये गये कार्य इतने महान है कि आगे की पीढ़ी तो कभी यह विश्वास ही नहीं करेगी कि, ‘महात्मा गांधी’ नाम को कोई हाड़ मांस के आदमी ने इस धरती पर जन्म लिया था। जिसने अहिंसा के मार्ग पर चल कर भारत देश को आजाद करा दिया था। जबकि आज परमाणु बम जैसे घातक रासायनिक हथियार बनाने की होड़ देशों के बीच लगी है। जो पल में पूरी दूनिया को मिटा सकते है। फिर बिना हथियार के केवल ‘अहिंसा’ के दम पर देश को आजाद कराना एक कल्पनीय कार्य ही लगेगा। आज से 100 साल बाद लोग सोचने को मजबूर हो जायेगें कि क्या यह संभव था? लेकिन, बापू जी आप तो इंसान भगवान थे जो कि इंसान के रूप में जन्म लेकर जीवन भर कर्म करते रहे और लोगों के हमेशा
प्रेरणास्त्रोत रहे।
         हे बापू जी आपके सत्कर्म ही आपको इंसान से ‘देवता’ बनाते है और देव हमेशा पूजनीय होते है और सदा से पीढ़ियों तक इसी प्रकार पूजे जायेगें। हम सभी भारतवासियों के लिए यह बहुत ही गर्व की बात है कि आपने हमारे देश भारत में जन्म लिया और भारत को आजाद कराकर ही दम लिया।
         हे बापू जी मुझे आपका असहाय,गरीब और कुष्ट रोगियों के प्रति सेवा भाव वंदनीय लगता है जहाँ आज भी लोग कुष्ट रोगी से दूर भागते है तथा घ्रणा की दृष्टि से देखते है वहीं आपने जीवनभर कुष्ट रोगियों की सेवा की उनके घाव अपने हाथों से साफ किये तथा मरहम पट्टी की उनकी इतनी सेवा तो उनके सगे संबंधी भी नहीं करते हैं जितनी आपने की है। यह आपके ‘प्रेम’ की पराकाष्ठा ही कहीं जायेगी। हे बापू जी, आपने उस समय शिक्षा की अलख जगायी, जब लोग बहुत कम शिक्षित थे और शिक्षा के प्रति उदासीन थे, तब शिक्षा केबल उच्च घरानों के लोग ही ले सकते थे। तब उस समय आप अपनी उच्च शिक्षा के लिए द.अफ्रीका तक गये वहाँ से वकालात करके फिर से भारत वापिस आकर देश कि सेवा में लग गये यह आपका देश के प्रति अटूट प्रेम दर्शाता है। 

            आप एक सच्चे देशप्रेमी थे आपने अपना पूरा जीवन ही देश कि सेवा में ही लगा दिया। आज लोग एक बार विदेश जाते है तो वहीं के रहके हो जाते है। उन्हें अपने देश से प्रेम नहीं होता, वे तो सिर्फ दौलत से प्यार करते है, लेकिन आप एक सच्चे देश प्रेमी है। आपने देश प्रेम भी भावना कूट-कूट कर भरी है।
           मैं अंत में बापू जी के श्री चरणों में ससम्मान अपनी स्वरचित काव्यांजलि दे रहा हूँ-

कविता- बापू जी आप तो...........
बापू जी गुणों की खान हैं,
आप तो बहुत महान हैं।
इसीलिए तो आपकी,
सारे विश्व में पहचान हैं।।
आप सदैव प्रेरित करते हैं,
आपको करते हम नमन है।
‘बापू’ की वजह से ही
ये मुस्कराता चमन है।
आप देव तुल्य इंसान है।
आपको शत्-शत् नमन है।।

©- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’

संपादक आकांक्षा पत्रिका

अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़

अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़

टीकमगढ़ (मप्र) 472001

मोबाइल-9893520965


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