#बुंदेली कविता-
किसान बनाम किसान_आंदोलन
जे राजनेता सोइ
किसान आंदोलन कर रय,
सफारी में बैठ के
ज़हर उगल रय।।
भोरै किसानन खों,
बातन के बतासा,
खूब खुवा रय।
गरीब किसान तो,
खाद कै लाने
परेशान फिर रय।।
लैन में लग कै,
डंडा खा रय।
दस तो चाउने है,
पै एकई बोरी पा रय।।
मंदिर में जाकै अब
खूब पांव है पर रय।।।
कोउ तो सुनत नइयां।
राम जू अब है कर रय।।
######
राजीव_नामदेव_राना_लिधौरी_टीकमगढ़
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र)
मोबाइल 9893520965
1 टिप्पणी:
बहुत बढिया राजीव जी
एक टिप्पणी भेजें