Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 21 दिसंबर 2020

वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की सभी गोष्ठियां

वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की सभी गोष्ठियां
वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़(म.प्र.) का प्रतिवेदन-
‘‘राना लिधौरी वनमाली सृजन टीकमगढ़ केन्द्र के जिलाध्यक्ष बने’
टीकमगढ़// रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा वनमाली सृजन केन्द्रों का राष्ट्रीय सम्मेलन रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल में आयोजित किया गया जिसमें 10 राज्यों से 114 सजृन केन्द्रों से 150 साहित्यकार उपस्थित रहे। वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष श्री संतोष चैबे जी द्वारा 114 वनमाली सृजन केन्द्रों के अध्यक्षों की घोषणा करते हुए टीकमगढ़ का जिला अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ को मनोनीत किया हैं। 

1-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़(म.प्र.) केंन्द्र का किया गया गठन-
टीकमगढ़ रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्रों टीकमगढ़ (म.प्र.) का का विधिवत गठन किया गया केन्द्राध्यक्ष श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने केन्द्र का गठन इस प्रकार से किया-
नाम पद मोबाइल नं.
1- श्री राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ - अध्यक्ष 9893520965
2- श्री यदुकुल नंदन खरे  - उपाध्यक्ष  9179344874
3- डाॅ. रूखसाना सिद्दीकी   - सचिव 9806221955
4- श्री सियाराम अहिरवार    - सह सचिव 9893125144
5- डाॅ. एन.एम अवस्थी    - कोषाध्यक्ष 9425360465
6- गीतिका वेदिका   - प्रसार सचिव-9826079327- 
7-श्री सीताराम राय‘सरल’  - सम्मानित सदस्य                                           8839562727
8- श्री रविन्द्र यादव, - सम्मानित सदस्य 7879144979
9- श्री अजीत श्रीवास्वत,  - सम्मानित सदस्य 8827192845
10-श्री रामगोपाल रैकवार, - सम्मानित सदस्य 8085153778
11-श्री व्ही. व्ही. बगेरिया - सम्मानित सदस्य 9893277557
12-श्री वीरेन्द्र चंसौरिया - सम्मानित सदस्य 9893673111
13-श्री विजय मेहरा - सम्मानित सदस्य 9893997657
,14-श्री परमेश्वर तिवारी   - सम्मानित सदस्य 9424923125
15-श्री जफ़रउल्ला खां‘ज़फ़र’ - संरक्षक सदस्य  9893864090
16-श्री हरविष्णु अवस्थी  - संरक्षक सदस्य 9407873003
-रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965

2-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की ‘कथा कोश’ पर हुई कथा गोष्ठी’-
टीकमगढ़// रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की ‘‘कथा गोष्ठी’’,दिनांक 31.3.2019 को ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकारा डाॅ.रूखसाना सिद्दीकी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में बल्देवगढ़ से पधारे वरिष्ठ कहानीकार श्री यदुकुल नंदन खरे जी रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप के रंगकर्मी एवं कथाकारा गीतिका वेदिका रहीं।सरस्वती बंदना कर गोष्ठी का शुभांरभ करते हुए सीताराम राय ‘सरल’ ने गीत पढ़ा- हे माँ वीणा वादिनी वर दे, अज्ञान घटा,जला ज्योति ज्ञान कर दे।
सर्वप्रथम वनमाली सृजन पीठ केन्द्र टीकमगढ़ के अध्यक्ष एवं संयोजक राजीव नामदेव ‘राना 
लिधौरी’ ने केन्द्र के प्रमख उद्देश्य,के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वनमाली सृजन केन्द्र में कथाओं पर केन्द्रित गोष्ठियाँ आयोजित की जायेगी,जिसमें नगर के कथाकारों को एक सशक्त मंच मिलेगा तथा उनकी कहानियों को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने का अवसर प्रदाय किये जायेगे, केन्द्र द्वारा एक पुस्तकालय स्थापित किया जायेगा,जिसमें लेखकों की पुस्तकों के अलावा वर्तमान में प्रकाशित प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकायें भी पढ़ने को मिलेगी।
‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-1 की समीक्षा हाजी ज़फ़रउल्ला खा ‘ज़फ़र’ ने की उन्होंने कहा कि-‘म.प्र.कथा कोश’ में इंसान के जीवन से जुड़ी कथाओं का कोश है। कोश में प्रकाशित अधिकांश कथायें उस समय के सामाजिक परिवेश,दशा एवं समस्याओं को प्रदर्शित करती है।’ 
श्री अजीत श्रीवास्वत ने अपनी समीक्षा में कहा कि-‘शोध पर शोध को लुभाती कथा कोश’,दाम थोड़ा अधिक है लेकिन कृति अनोखी बन पड़ी है।’ श्री आर.एस.शर्मा ने कहा कि-‘यह कोश नई पीढ़ी को भाषा और संवाद से जोड़े रखे, इस दृष्टि से सम्पादक श्री सतोष चैबे जी का प्रयास सराहनीय है।’
‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-2 की समीक्षा करते हुए अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि- ‘‘सौ सालों के कथा इतिहास को 6 खण्डों में लगभग 200 कथाओं के साथ-साथ 35 लेखों प्रकाशन किया गया है जो कि एक बहुत की श्रम साध्य कार्य है इस क्रमिक शोध कार्य हेतु श्री संतोष चैबे जी सहित पूरा संपादक मंडल बधाई का पात्र है।’’ 
कालेज के पूर्व प्राचार्य डाॅ. एन.एम. अवस्थी ने कहा कि- ‘‘इस कोश में श्रेष्ठ कहानियों को प्रकाशित किया गया है ये कहानियाँ इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी।गीतिका वेदिका ने कहानी ‘जलगाँव’ कहानी सुनायी। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं डाॅ. रूखसाना सिद्दीकी ने कहा कि-‘‘ये कथाकोश कहानियों का उपवन है। कहानियाँ समाज का दर्पण होती है। पं.हरिविष्णु अवस्थी ने कहा कि- कहानियाँ मनुष्य के जीवन में अमिट छाप छोड़ती है। ये मनुष्य का जीवन होती है। बल्देवगढ़ से पधारे यदुकुल नंदन खरे ने कहा कि- ‘‘कहानियों वर्तमान घटनाओं पर केन्द्रित होती है इसमें देशकाल का अपना एक महत्व होता है।’’
 इसमें अलावा परमेश्वरी दास तिवारी,वीरेन्द्र चंसौरिया,विजय मेहरा,रन्विद्र यादव,विकास नापित,राजेश्वर पाराशर ‘राज’ आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने किया तथा सभी का आभार परमेश्वरी दास तिवारी ने माना।
-- -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष एवं संयोजन-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
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3-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की ‘कथा कोश’ पर हुई कथा गोष्ठी’-

टीकमगढ़// रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की ‘‘कथा गोष्ठी’’,दिनांक 28.7.2019 को ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता कथाकारा गीतिका वेदिका जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरिविष्णु अवस्थी जी रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप के शायर  हाजी जफरउल्ला खां ‘जफ़र’ रहे। सरस्वती बंदना कर गोष्ठी का शुभांरभ करते हुए रविन्द्र यादव ने पढा-
तुमसे बहती ज्ञान की गंगा, तुम से तन मन चंगा मंगा। माँ जय हो,मैया जय हो।
सर्वप्रथम वनमाली सृजन पीठ केन्द्र टीकमगढ़ के अध्यक्ष एवं संयोजक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने बताया कि अब जुलाई माह से 12 साहित्यिक पत्रिकायें वनमाली सृजन केन्द्र में पढ़ने के लिए आने लगी हैं जिसमें प्रमुख रूप से हंस, वागर्थ, कथा देश, तद्भव, अक्षरा,समय के पाखी, रंग संवाद,पहले पहल, इलेक्ट्रिनिकी,आदि के साथ-साथ अनेक प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकंे भी पढ़ने को मिलेगी। इससे पाठकों को और भी अधिक पढ़ने को मिलेगा और वे नया सृजन कर सकेगे। टीकमगढ़ केन्द्र द्वारा एक पुस्तकालय स्थापित किया गया है,जिसमें लेखकों की पुस्तकों के अलावा वर्तमान में प्रकाशित प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकायें भी पढ़ने को मिलने लगी है। 
‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-3 की समीक्षा करते हुए पं.हरिविष्णु अवस्थी जी ने कहा कि-‘म.प्र.कथा कोश’ में संपादक ने कहानियों का चयन बहुत सोच विचार कर किया है संकलन की लगभग सभी कहानियाँ अच्छी है जो पाठकों को बाँधे रखने की शक्ति रखती है कहानियों की भाषा सहज,सरल एवं बोघगम्य है सम्पादक बधाई के पात्र है। मुझे माता चरण मिश्र की कहानी ‘शेरवानी’ बहुत पंसद आयी।
श्री अजीत श्रीवास्वत ने ‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-4 समीक्षा करते हुए कि-इसमें ‘आस पास से उठाई कहानियाँ है। इस खंड में कहानियों में विविधता भी हैं उन्होंने कहा कि महिला कथाकारों पर भी इस प्रकार का कोश निकलना चाहिए। ‘स्वीटी’ कहानी और ‘पन्ना लाल का जूता’ विशेष पसंद आयी है।
‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-4 की पाठकीय प्रक्रिया देते हुए अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि- इस खंड में वैसे तो सभी कहानियाँ अच्छी है लेकिन मुझे राजेन्द्र चंद्र कांत राय की कहानी ‘‘गुलामों का गणतंत्र’’बहुत पसंद आयी। इनके अलावा ‘कुतुब एक्सपे्रस’,श्री विलास गुप्ते की कहानी ‘‘ ‘‘पन्नालाल के जूते ’’भी पसंद आयी। कथाआंे पर क्रमिक शोध कार्य हेतु श्री संतोष चैबे जी सहित पूरा संपादक मंडल बधाई का पात्र है।’’ 
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं गीतिका वेदिका ने कहानी ‘नीलू’ कहानी सुनायी। सियाराम अहिरवार ने ‘‘अपने पैरों पर’ कहानी सुनायी। इसके अलावा परमेश्वरी दास तिवारी,रविन्द्र यादव,विकास नापित,राजेश्वर पाराशर ‘राज’ ,श्रीमती उमा पाराशर, आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने किया तथा सभी का आभार रविन्द्र यादव ने माना।
-- -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष एवं संयोजन-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
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4 ‘‘आख्यान का आंतरिक संकट ’’पुस्तक की समीक्षा) 

टीकमगढ़// रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा गांधी जी की 150वीं जयंती पर’ पुस्तक समीक्षा गोष्ठी ,‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,टीकमगढ़ में दिनांक 2.10.2019 को गांधी जयंती पर आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार पं.हरिविष्णु अवस्थी जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में बुजुर्ग शायर श्री हाजी जफरउल्ला खां ‘जफर’ जी रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप के साहित्यकार श्री सियाराम अहिरवार रहे।  गोष्ठी के प्रारंभ में श्री सीताराम राय ‘सरल’ द्वारा सरस्वती वंदना पढ़ी गयी तत्पश्चात् गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने गांधी जी का प्रिय भजन ‘रघुपतिराघव राजा राम’’ सुमुधर कंठ ने सुनाया। गोष्ठी में ‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-6 की समीक्षा करते हुए कथा लेखिका एवं रंगकर्मी गीतिका वेदिका ने विनोद कुशवाहा की कहानी ‘प्रथा’ के बारे में बताया है यह कहानी बलि पर आधारित है तथा जिसमें एक बच्चा किसना जो कि बकरी के बच्चे को प्यार करने लगता है। कहानी प्रथा के नाम पर एक कुप्रथा है।
 राजेश्वर राज पाराशर ने संगीता झा की ‘आँखें’ कहानी की समीक्षा करते हुए कहा कि यह कहानी आशा की अनुभूति है। आखों की चमक एक सकारात्मकता है अपने बच्चों को निरंतर आगे बढ़ते देखते रहने के लिए। एक गरीब ओटो वाले एवं उनकी बेटी की कहानी है।
 अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने संगीता गुंदेचा की कहानी ‘‘लकडी का बाक्स’’ पर समीक्षा करते हुए कहा कि यह एक छोटे बच्चे की कहानी है जिसमें बच्चा कचरें में भी सोचता है कि जीवन है  और उसे घर का कचरा फेंकने में बहुत कष्ट होता है। वह एक लकड़ी के बक्से में कचरे को छुपकर रख लेता है लेकिन माँ उस कचरे को देख लेती है और उसे बाहर फेंक आती है। ‘आख्यान का आंतरकि संकट’ की समीक्षा करते हुए राना लिधौरी ने कहा कि इस पुस्तक में 5 भागों में लगभग 100 विद्वानों के विमर्श दिये गये है तथा सन् 1993 से सन् 2000 तक दिये गये स्व.वनमाली चैबे कथा सम्मानों के बारे एवं जिन्हें अब तक प्राप्त हो चुका है उनके बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है।ं कार्यक्रमों की विस्तत रपट भी उनके विद्वानों व्याख्यानों सहित प्रकाशित की गयी है जो कि महत्वपूर्ण एवं पठनीय है।
सीताराम राय ‘सरल’ ने भी ‘आख्यान का आंतरकि संकट’ की समीक्षा करते हुए कहा है कि यह पुस्तक में विभिन्न विचारों का संगम हैं। कहीं- कहीं अंगेजी के शब्द खटकते हैं। आम पाठकों के लिए न होकर गंभीर कथा प्रेमी पाठकांे के लिए यह पुस्तक उपयोगी एवं पठनीय हैं। 
लाइब्ररियन विजय मेहरा ने महात्मा गांधी जी पर अपने विचार व्यक्त किये वहीं साहित्यकार रामगोपाल रैकवार ने लालबहादुर शास्त्र जी के बारे में बताया और शहीदों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आज की पीढ़ी शहीदों को भूलती जा रही है।इनके अलावा पं.हरिविष्णु अवस्थी, सियाराम अहिरवार, जफरउल्ला खां जफर’, गुलाब सिंह यादव भाऊ, श्रीमती उमा पाराशर, भारत विजय बगेरिया आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन वीेरेन्द्र चंसौरिया ने किया व आभार वनमाली सृजन केन्द्र केे अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने माना। 
--- -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष एवं संयोजन-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
  टीकमगढ़ मोबाइल-9893520965
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5-गीतिका की ‘सहेली की डायरी’का हुआ आन लाइन लोकार्पण
(समर्पयामि फाउण्डेशन व वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ का संयुक्त आयोजन)
टीकमगढ़// समर्पयामि फाउण्डेशन एवं वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में तथा महेन्द्र भीष्म समर्पयामि कला एवं शोध संस्थान के संयोजन में दिनांक 2.6.2020 को ‘अथ सहेली संवाद’ आनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध कथाकार श्री महेन्द्र भीष्म जी, लखनऊ (किन्नर कथा व मै पायल के लेखक) ने की व मुख्य अतिथि श्री राजेश्वर वशिष्ठ जी,गुडगाँव (याज्ञसेनी और अगस्त के राम के लेखक) तथा विशिष्ट अतिथि श्री सहावेंद्र प्रताप सिंह जी ललितपुर (सहेली की डायरी की भूमिका लेखक) व सुश्री अजंलि सिंह मंगलमुखी, अवध से रहे। सर्वप्रथम सरस्वती व केशव बंदना की गयी तत्पश्चात् सुप्रसिद्ध कहानीकारा गीतिका वेदिका (टीकमगढ़) द्वारा रचित कहानी संग्रह ‘सहेली की डायरी’ का आनलाइन विमोचन किया गया।
राजेश्वर वशिष्ठ जी (गुडगाँव) ने सहेली की डायरी की समीक्षा पढ़ी पुस्तक को पठनीय बताते हुए उसकी कहानी शुभ, नीलू, आदि पर अपनी समीक्षा करते हुए कहा कि-ये कहानी ग्रामीण परिवेश में रची गयी है। बहुत बढ़िया और पठनीय कहानियाँ है।
 राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,टीकमगढ़ (जिलाध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़) ने अपनी समीक्षा में कहा कि- कहानी संग्रह में नीलू,‘जलदान’, ‘तीन पग’ मौसी  आदि कहानियाँ बहुत पंसद आयी  शुभ कहानी एवं नीलू कहानियों में हिन्दी के साथ-साथ बुन्देली का भी पुट मिलता है लेखिका की कहानियों में बीच-बीच में कविताएँ भी पढ़ने को मिलती हंै ‘सहेली की डायरी’ कहानी संग्रह पठनीय है।षायर चाँद मोहम्मद आखिर टीकमगढ़ ने समीक्षा के दौरान कहा कि-बैसे तो सभी कहानियाँ अच्छी है लेकिन मुझे ‘जलदान’ एवं ‘विदाई कहानी बहुत अच्छी लगी। ग़ज़लकार उमाशंकर मिश्र टीकमगढ़ ने समीक्षा में कहा कि -सभी कहानियाँ अच्छी लिखी गयी है मुझे ‘शुभ’ और ‘नीलू’ कहानी बहुत अच्छी लगी ,‘शुभ’ कहानी की विस्तृत समीक्षा करते हुए इसे एक श्रेष्ठ कहानी बताया। समर्पयामि के संरक्षक श्री महेन्द्र भीष्म जी लखनऊ ने समीक्षा में कहा कि-‘सहेली की डायरी’में लिखी सभी कहानियाँ अच्छी है उसमें भावों की सुंदर ढंग से अभिव्यक्ति है। उसके पात्र हमंे अपने ही आस पास मिल जाते है।‘अथ सहेली संवाद प्रश्न’के अतर्गत शोधार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी भीष्म जी ने किया।
आशीष कुलश्रेष्ठ लखनऊ ने कहा कि कहानियाँ बहुत अच्छी है उन्हेे भी नीलू, शुभ, आखिरी बस, और जलदान कहानियाँ बहुत अच्छी लगी। शलिनी सिंह लखनऊ(रेडियो जंगशन) कहानियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि- इस पुस्तक की कुछ कहानियों को ‘‘साहित्य के फनकार’’ कार्यक्रम में सुनाया जायेगा।
 इनके अलावा वीणा सिंह, अनुज द्विवेदी शलिनी वर्मा, योगेन्द्र तिवारी योगी, टीकमगढ़, अलोक उपाध्याय, अतिम चैबे, गोल्डी त्रिवेदी ललितपुर सहित अथ किन्नर कथा संवाद समूह से किन्नर विमर्श के शोधार्थी, रामायण व हिन्दी-संस्कृत-अध्येता व स्वतंत्र मंच से अनेक शोधार्थी भी सहभागी रहे। कार्यक्रम का संचालन स्वयं लेखिका गीतिका वेदिका ने किया। तकनीकी सहयोग अनुपमा पाण्डेय कानपुर, व सीमा भुवनेश्वर मुबंई,ने किया। सभी का आभार अंजलि अग्रवाल कलाधाम अकादमी नोएडा ने माना। अंत में सभी ने गीतिका वेदिका का ‘सहेली की डायरी’ के विमोचन पर बधाइयाँ दी। गीतिका वेदिका ने बताया कि ‘सहेली की डायरी’ पर केेन्द्रित शीघ्र ही ‘अथ सहेली संवाद’ शीर्षक से एक विशेषांक प्रकाशित किया जायेगा। 
- रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965
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6-दिनांक-20-12-2020 
7- दिनांक-25-4-2021 जूम पर आन लाइन समीक्षा 
गोष्ठी
*प्रैस विज्ञप्ति*

वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ की हुई ‘पुस्तक समीक्षा गोष्ठी’ दिनांक-25-4-2021

(‘वनमाली समग्र सृजन’ एवं ‘अनुभूति’’ पुस्तक की समीक्षा)

*टीकमगढ़*// रविन्द्रनाथ टैगोर विष्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विष्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा पुस्तक समीक्षा गोष्ठी , *जूम पर आनलाइन दिनांक 25 अप्रैल 2021* को आयोजित की गयी।

 गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार संस्था के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्यकार श्री रामगोपाल जी रैकवार जी रहे एवं विषिष्ट अतिथि के रूप के साहित्यकार श्री जी. पी. शुक्ला रहे। 

 सरस्वती वंदना के पष्चात् वरिष्ठ साहित्यकार श्री एन.डी. सोनी जी लिखित समीक्षा श्री विजय कुमार मेहरा जी ने पढ़ी। उन्होंने श्री संतोष चैबे जी द्वारा संपादित पुस्तक ‘वनमाली समग्र सृजन’ की समीक्षा पढ़ते हुए कहा कि- जगन्नाथ चैबे वनमाली अपनी तीक्ष्ण बुद्धि के बल पर अध्ययन और साधना करके एक अच्छे साहित्यकार बने। श्री चैबे जी मूल रूप से शिक्षक थे  प्रखर बुद्धि होने के कारण ही आदर्श शिक्षक के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हुए उनके हजारों शिष्यों ने उसे प्रेरणा ली है।

       टीकमगढ़ सृजन केन्द्र के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि- श्री चैबे जी ने एक साहित्यकार पिता के साहित्य और उनके संघर्षपूर्ण जीवन से पाठकों को भली भांति अवगत कराने के उद्देश्य से  ‘वनमाली समग्र सृजन’ नाम से पुस्तकें सम्पादित की हैं जिसमें उनके व्यंग्य, कहानियाँ, संस्मरण निबंध आदि संग्रहीत है।

श्री रामगोपाल जी रैकवार ने समीक्षा करते हुए कहा कि- ‘वनमाली समग्र सृजन’ पुस्तक के दूसरे भाग में श्री चैबे जी ने अपनी भूमिका में कहानी का रास्ता नाम से लिखा जिसमें उनके जीवन संघर्ष और उनकी प्रमुख विशेषताओं को बताया गया है। श्री वनमाली जी के दो लेख कला का आदर्श एवं कला का जीवन से संबंध प्रकाशित हैं।

इंदौर से वरिष्ठ साहित्यकार श्री अभिनंदन गोइल  जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि- श्री संतोष चैबे जी ने स्वयं एवं विभिन्न लेखकों द्वारा उनकी खूबियों को वनमाली समग्र में कई भागों में बाँटकर रेखांकित किया है।

कवि श्री डी.पी. शुक्ला जी श्री मनोज रूपड़ा जी की कृति ‘अनभूति’ की समीक्षा करते हुए  कहा कि-‘अनुभूति’ कृति एक नये अंदाज मे ंलिखी गयी है इससे इनका पाठक वर्ग अलग है इसमें मात्र तीन कहानियाँ  अनुभूति,  ‘साज-नासाज और ‘आमाजगाह’ शीर्षक से है जो कि लंबी है।  इसमें लेखक ने विलुप्त होती संगीत की करूण कहानियों को  अपनी कलम के माध्यम से बहुत खूबसूरती से उकेरा है।

टीकमगढ़ से श्री नितिन बबेले जी ने कहते हैं कि - पुस्तक में संगीत के विभिन्न आयामों को संजोया गया है। उो अंजाने स्वरों को संबद्ध करने के लिए लेखन ने एक स्वर में जोड़ने का प्रयास किया है जो जीवन राग ही हो सकता है। 

आनलाइन समीक्षा गोष्ठी का संचालन लाइबे्ररियन श्री विजय कुमार मेहरा ने किया ने किया तथा सभी का आभार वनमाली सृजन केन्द्र केे अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने माना। 
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रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष एवं संयोजन-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
 टीकमगढ़ मोबाइल-9893520965
      E Mail-   ranalidhori@gmail.com
            Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com

8-दिनांक-15-5-2022

*वनमाली सृजन केन्द्र की ‘पुस्तक समीक्षा गोष्ठी’ हुई*
*(‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’’ ग्रंथ  की समीक्षा)*
*टीकमगढ़*// रविन्द्रनाथ टैगोर विष्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विष्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्र,टीकमगढ़ द्वारा ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’’ ग्रंथ  की  पुस्तक समीक्षा गोष्ठी, आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़ में दिनांक 15-5-2022 को आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार  वरिष्ठ साहित्यकार पं. श्री हरिविष्णु जी अवस्थी’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्यकार श्री अजीत श्रीवास्तव जी रहे एवं विषिष्ट अतिथि के रूप के साहित्यकार श्री एस.आर.‘सरल’ जी रहे।  माँ सरस्वती के पूजन के पश्चात वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती वंदना पढ़ी। तत्पष्चात् पहले दौर में पुस्तक समीक्षा पढ़ी गयी। दूसरे दौर में काव्य पाठ किया गया।
  लाइबे्ररियन श्री विजय कुमार मेहरा जी ने ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’’ गं्रथ समीक्षा पढ़ते हुए कहा कि-मन के आवेग,विचार और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य की विभिन्न विधाओं द्वारा होती है। कविता उन सभी सर्जनाओं में सर्वोपरी है जो मन के भावों को संगठित करके सर्जित की जाती है। ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ बुन्देलखण्ड अंचल के युवा कवियों की रचनाओं से सुसज्जित काव्य कृति है। ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ पुस्तक में विशेषकर युवाओं की रचनाओं को प्रकाश में लाने का काम भाई राजीव नामदेव का प्रयास प्रशंसनीय है। यह पुस्तक निश्चित ही बुन्देलखण्ड के साहित्य जगत में मील का पत्थर साबित होगी।
  श्री रामगोपाल जी रैकवार ने समीक्षा करते हुए कहा कि-पुस्तक के पेपर की गुणवत्ता, कुल पृष्ठ और सम्पादक की मेहनत को देखते हुए 174 पेज की इस पुस्तक का मूल्य 300रू. कम ही कहा जाएगा। श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ को जी बधाई और शुभकामनाएँ उन्होंने इस पुस्तक का संपादन कर बुन्देलखण्ड के साहित्य जगत में नई पौध का पालन-पोषण सरल कर दिया है।
पं. श्री हरिविष्णु अवस्थी  जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि- कविता, निबध्ंा, व्यंग्य,हाइकु,दोहा आदि विभिन्न विद्याओं में क्रियाशील अनेक पुस्तकों के रचियता, म.प्र. की प्रतिष्ठित संस्था मध्यप्रदेश लेखक संघ भोपाल की जिला इकाई टीकमगढ़ का निष्ठापूर्वक विगत 23 वर्षो से कुशलता पूर्वक संचालन कर रहे श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा संकलित एवं सम्पादित कृति ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ की समीक्षा लिखते हुए, ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे हिन्दी भाषा के ज्ञान यज्ञ मे मुझे भी आहुति देने का सुयोग अकस्मात प्रात हो गया है। निष्कर्ष रूप में कहा जाता सकता है कि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने प्रस्तुत कृति के संकलन, सम्पादन एवं प्रकाशन में गुरुतर भार को निष्ठापूर्वक सम्पन्न कर आधुनिक रचनाकारों की प्रतिभा को प्रकाश में लाने का सराहनीय कार्य किया है। इस कार्य हेतु वह प्रशंसा के अधिकारी हैं। कृति का मुद्रण त्ऱुटि रहित है। आवरण पृष्ठ पर लगभग सभी कवियों के चित्र देकर उसको आकर्षक बनाने का यत्न सफल रहा है।
डाॅ. प्रीति सिंह जी परमार ने समीक्षा करते हुए कहा कि- संपादक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ जी ने इस पुस्तक में 61 नये कवियों को एवं 10 पुराने कवियों को स्थान दिया है इस पुस्तक में कविता ,दोहा, ग़ज़ल, हाइकु बुन्देली गीत, घनाक्षरी, मुक्तक व्यंग्य आदि पद्य की लगभग सभी विद्याएँं समाहित है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें ‘हमारी धरोहर’ भाग में बानगी के तौर पर बुन्देलखण्ड के 10 प्रसिद्ध बहुत पुराने कवियों की रचनाएँ सपरिचय दी गयी है। ताकि वर्तमान पीढ़ी उनके साहित्य को पढ़कर कुछ सीख सके। ‘राना लिधौरी’ ने बुन्देलखण्ड के कवियों को एक माला के पिरोने का स्तुत्य कार्य किया है।
व्यंग्यकार श्री अजीत श्रीवास्तव जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि-श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा संपादित यह ग्रंथ ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ भविष्य के शोध के लिए बहुत काम आयेगा। वर्तमान में कैसा साहित्य लिखा जा रहा है इसकी झलक इस पुस्तक में देखने को मिल जाती है। युवा पीढ़ी को इस पुस्तक को एक वार जरूर पढ़ना चाहिए बेहतरीन ढंग से सम्पादित यह पुस्तक संग्रहणीय है।
कवि श्री डी.पी. शुक्ला जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि-श्री राजीव नामदेव द्वारा बेहतरीन ढंग से सम्पादित पुस्तक ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ के माध्यम से उन्होंने नवोदितो एवं खासकर ग्रामीण अँचलों में रहने वाले कवियों को ढूँढकर जिनकी रचनाएँ केवल वहीं तक सीमित थी, उनकी रचनाओं को एकत्रित कर उन्हें संपादित करके इस पुस्तक में स्थान दिया जो कि बहुत ही प्रशंसनीय एवं वंदनीय कार्य है।
नवोदित कवि श्री कमलेस सेन जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि-श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा मुझ जैसे अनेक गुमनाम नवोदित को एक सशक्त मंच प्रदान करते हुए हमारी काव्य प्रतिभा को सबके सामने लाने एवं उन्हें प्रकाशित करने का जो बीड़ा उठाया है उसकी जितनी प्रशंसा की जाये उनती कम है। यह पुस्तक हमारे लिए एक अनमोल धरोहर है।
गीतकार श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने करते हुए कहा कि- आज राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ साहित्य के क्षेत्र में स्वयं नित नया सृजन कर ही रहे है वहीं दूसरों को भी हमेशा प्रोत्साहित करते रहते हैं काव्य गोष्ठियाँ म.प्र.लेखक संघ, वनमाली सृजन केन्द्र एवं जय बुन्देली साहित्य समूह के माध्यम के हर माह तो करते ही रहते है इसके अलावा वे कवियों की रचनाओं का सांझा प्रकाशन भी समय-समय पर करते रहते है ‘अभी लंबा है सफर’,‘जज़्बात’, काव्य संकलन के बाद हाल ही में ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ का प्रकाशन करके ‘राना लिधौरी’ जी ने बुन्देलखण्ड के साहित्य जगत में धूम मचा दी है। आज कल यह पुस्तक बहुत चर्चित हो रही है।
वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ के जिलाध्यक्ष व पुस्तक के सपंादक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि- हमने इस पुस्तक में बुन्देलखण्ड के अधिक से अधिक कवियों को शामिल करने का प्रयास किया था उनसे संपर्क भी किया था किन्तु अनेक लोगों ने रचनाएँ हमें प्राप्त नहीं हो पायी। अधिक बिलंब न हो जाये इसीलिए ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ (भाग-1) के रूप में इसे प्रकाशित किया है भविष्य में इसके दूसरे भाग में जो कवि शेष रह गये है उन्हें शामिल किया जायेगा।  
अंत में सभी का आभार वनमाली सृजन केन्द्र केे जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने माना।
*रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष एवं संयोजन-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
 टीकमगढ़ मोबाइल-9893520965
E Mail-   ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
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दिनांक-20-10-2022टीकमगढ
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#विश्वरंग के अंतर्गत वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ का कवि सम्मेलन -*

*(वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा कवि सम्मेलन हुआ)*

टीकमगढ़// नगर की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा विश्वरंग कार्यक्रम-2022 के अंतर्गत आन लाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सुभाष सिंघई (जतारा) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में विद्या चौहान (फरीदावाद) जी रहे व विषिष्ट अतिथि रंगकर्मी व कवि संजय श्रीवास्तव (दिल्ली़) रहे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ वीरेंद्र चंसौरिया ने सरस्वती वंदना कर रचना पढ़ी-
जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी, संगीत विद्या ज्ञान की देवी।
स्वीकारिये बंदना ये हमारी।जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी ।।

फरीदाबाद़ से विद्या चौहान ने ग़ज़ल सुनायी-
न ही आफताब न चाँद का ये जो नूर मुझमें है आपका।
जो झलकता आँख में प्यार बन, वो हुजूर मुझमें हैं आपका।।

सिवनी से कविता नेमा ने पढ़ा-
फूलों की खुश्बू है बढ़ाती हर पल तेरा निखार है।
बुधवारी के चौक में देखों सजा ये जथानी दरवार है।।

बड़ा मलेहरा के डॉ. देवदत्त द्विवेदी  ने ग़ज़ल
सुनायी- हम ग़मों की गोद में पलते रहे।
लोग फिर भी हमसे जलते रहे।।

टीकमगढ़ से म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘ श्री कृष्णा पर दोहे पढ़े-
कतकारी ढूँढे़ फिर कउँ न मिले भगावान,
कान्हा तो भीतर बसे, ज्यों मुरली में तान।।

जतारा से सुभाष सिंघई ने कुत्ते पर व्यंग्य पढ़ा-
दोनों में फर्क ही क्या है दोनों नेक है,
एक दिनभर चीखता है एक रात भर भौंकता है।

बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया-
जनकपुरी की जुरी लगाई चलो अवधपुर जाँवने,
जू घर बनवा रय पाँवने।।

एस. आर सरल ने पढ़ा-
मैं नफरतों की लपटों पर, पानी उडेलता हूँ।
मानवता कमे फूल लिए, पथ में बिखेता चलता हँू।।

दिल्ली से संजय श्रीवास्तव ने पढ़ा-
माँ के भीतर घर रहता है। घर के भीतर माँ रहती है।
बारिश,आँधी,तूफां सारे, धरती माँ सी सहती माँ।।

जिला निवाड़ी आशा रिछारिया ने रचना पढ़ी-
न होतीं तो ये जग न होता,न होती वो ममता
जो गा कर सुला दे।मीठी सी थपकी,
परियों से मिला दे।चंदा भी थाली में,दस्तक न देता।

नंदनवारा से शोभा राम दांगी ने कविता पढ़ी-
है इंदियारौ जितै उतै अब, होा जावै उजयारौ।
आ गइ आज दिवाइ कैचू घर कौ कूरा झारौ।।

इनके आलावा मीनू गुप्ता,भगवान सिंह लोधी अनुरागी (हटा),अंजनी कुमार चतुर्वेदी (निवाड़ी),ब्रज भूषण दुवे (बक्सवाहा), मोहिनी दुवे (बक्सवाहा),रामानंद पाठक नैगुवाँ, मीरा खरे आदि ने भी काव्य पाठ किया।
कविसम्मेलन का संचालन व अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
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#rajeev_namdeo_rana_lidhori
 *राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
  शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965

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date 3.12.2023



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