Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

भोर तरैया (बुंदेली नाटक) समीक्षा- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़


नाटक समीक्षा:-‘‘भोर तरैया’’ (बुंदेली नाटक)

लेखक/ निर्देशक:- संजय श्रीवास्तव 
समीक्षक:- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’(टीकमगढ़)


ग्रामीणों की दशा को बयां करता नाटक ‘भोर तरैया’
                                  -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ 


              ‘भोर तरैया’ नाटक के लेखक व निर्देशक श्री संजय श्रीवास्तव जी ने अपने इस नाटक में ग्रामीणजनों के संघर्ष और वर्तमान पंचायती व्यवस्था पर  चोट करते हुए बेहतरीन नाटक लिखा हैं पात्रों के संवाद बुन्देली भाषा के लालित्य लिए हुए बहुत जोरदार है पढ़नेवालों एवं देखने वालों दोनों के हृदय में सीधे भीतर तक उतर जाते है। नाटक देखकर बहुत आनंद प्राप्त होता है। 
        दलित सामाज दर्द एवं गरीब की दुर्दशा का बहुत मार्मिक चित्रण किया गया है किस प्रकार दबंगों द्वारा पंपापुर की महिला आरक्षित सीट होने पर एक बेडनी को जबरन सरपंच के लिए खड़ा किया जाता है और फिर उसे लाठी और धमकी के दम पर निर्विरोध जिता दिया जाता है वह नाम मात्र की सरपंच रहती है और उसके नाम से लाखों रूपए गाँव के एक दबंग महिपाल द्वारा डकार लिये जाते तथा उसका किस प्रकार से शोषण किया जाता है। 
         यह वर्तमान में आज भी गाँवों के देखने को मिल जाता है। यह कटु सत्य है ऐसी घटनाएँ अक्सर होती है जहाँ दलित महिला सीट होती है, नाटक में शहर से वापिस आयी महिला द्वारा अब आवाज उठायी जाती है और उसकी निडरता से गाँव में लोग जागरूक हो जाते है और फिर उस दबंग महिपाल का विरोध करते है तथा उससे नहीं डरते है तो गाँव की दशा ही सुधर जाती है और गाँव वालों को भोर की तरैया दिखाई देने लगती एक नयी उम्मीद और आशा के साथ इस नाटक का अंत सुखांत है और हमें बहुत कुछ सीख देता है। हमें किसी से नहीं डरना चाहिए एवं हमें अपनी हिम्मत से काम लेना चाहिए।
नाटक में बुन्देली कार्तिक गीत राई, एंव बधाई आदि नत्यों को भी बीच-बीच में दिखाया गया है जो कि मनोरजंन प्रदान करता है तथा बुन्देलखण्ड और बुन्देली संस्कृति की एक सुदंर झलक भी दिखाता है।
               नाटक के सभी पात्र उमदा है दबंग ‘महिपाल’ की आवाज बहुत बुलंद है और उनका अभिनय लाजबाब है तो वही पर ‘बेडनी’ का अभिनय भी कमतर नहीं है, शहर से वापिस आयी महिला का भी अभिनय अपना विशेष प्रभाव छोड़ता है। ‘अंधे आदमी’ का अभिनय और उनके द्वारा गाया गया पे्ररणा गीत भी बहुत प्रभावित करता है। सभी पात्रों ने बेहतरीन अभिनय किया है। नाटक के संवाद कसे हुए है चुटीले एवं व्यंग्यवाण छोड़ते संवाद सभी को आनंदित करते है।
            नाटक के सफल लेखन, निर्देशन एवं मंचन के लिए श्री संजय श्रीवास्तव जी एवं पाहुना जन समिति को हार्दिक बधाईयाँ
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राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
  अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
  जिलाध्यक्ष-वनमाली सृजन केन्द्र,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
E Mail-   ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com

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