Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 19 अगस्त 2020

नौनी लगे बुंदेली (बुंदेली में विश्व का लिखा प्रथम हाइकु संग्रह) राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.)

नौनी लगे बुंदेली (बुंदेली में विश्व का लिखा प्रथम हाइकु संग्रह)
 -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.)

(सन् -2010  में प्रकाशित बुंदेली बोली में लिखा विश्व का पहला हाइकु संग्रह है)

नौनी लगे बुंदेली
(बुंदेली हाइकु संग्रह)
- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र ) 472001
मोबाइल- 9893520965 


*बंदना*
    1
विनती सुनौ,
हे शारदा मइया।
लाज रखैया।।
      2
गनेस जूं खौं,
दण्डौत परनाम।
हों पूरे काम।।
      3
ओड़छा धाम,
वृंदावन सौ ग्राम।
राजा है राम।।
     4
शिव औ राम,
कुण्डेश्वर ओरछा।
प्रसिद्ध धाम।।
****
*चिंतन-*
     5
प्रेम के लाने,
मीठौ-मीठौ है कानै।
कत सयाने।।
      6
मूड़ है फूटो।
वे सांची-सांची कत्ते।
कलजुग में।।
     7
आवत कामैं,
जो बखत परे पे।
सोई मानुस।।
      8
एक दिना तो,
माटी में मिल जाने।
जा सब जाने।।
*****
चिंतन
    9
सबई माया,
ज ई धरी रै जाने।
काम ना आनै।।
   10
कैसौ जमानौ,
करौ थराई कानौ।
कै कै कें हारे।।
  11
पुरा परोस,
हिलमिल रइयो।
गम्म खइयो।।
  12
मन की बात,
मनई में धरतीं।
कछु न कती।।
*****
श्रृंगार
13
चोंच लराती,
ट्यूशन में मोड़ी।
मौंड़न संगे।।
  14
सयानी होत,
घर से भग जात।
आज की मौड़ी।।
    15
आज की मोड़ी,
पहन कम लत्ता।
फिरे उघारी।।
  16
प्यार कौ रंग,
खूबई चढ़ गओ।
देख सनीमा।।
  *****
17
वसंत आऔ,
मऊआ गरराऔ।
आम बौराऔ।।
18
कछु बचो न,
वे अखियां मिलाके।
सब लें गई।
19
चली धनियां,
बजय पैजनियां।
भरैं पनियां।।
20
बिन सैंया के,
साउन कौ मइना।
नीको लगे न।।

*बुंदेलखंड के खेत*
21
संगे खेलत,
कोडा दिमानसाई।
नंद- भौजाई।।
22
है दुपहरी,
चंगला, सोरा गोटी।
जमी चौपर।।
23
सतखपडी,
छिबा-छिबउअल।
खेले लंगड़ी।।
24
बरिया तरे,
गोला औ मुगइया।
पत्ता खिलत।।
-
25
बेर मकोरा,
गुलगुच, मउवा।
गांव कौ मेवा।।
26
करै कलेवा,
बिरचुन सतुआ।
मठा,लटा कौ।।
27
बुंदेली बानी,
सुनतध लगत।
एनई नौनी।‌
28
मूंग मुस्कात,
जुनई, मकई धां।
उर्दा गर्रात।।
****
बुन्देली- व्यंजन
29
चीला,सतुआ,
दइबरा, ठडूला।
मुरका, पुआ।।
30
महेरी, लटा
डुबरी, गुलगुला।
माडे,लपटा।।
31
बतासफैनी,
पपरिया,कालौनी।
मींडा औ खाजा।।
32
बरा, मगौरा,
खुरमी, तिलावर।
व रसखीर।।
***
*बुंदेली नृत्य-त्यौहार*
33
जनी मांस,
संस्कारन समेंटें।
लोकगीतन।।
34
बुंदेली गीत,
सेरे,फागें,दिवारी।
नोरता,गारी।।
35
बंरा,सोहरे,
बिलवारी,दादरे।
लेदें, मलारें।।
36
नृत्य दिवारी,
मौनिया औ बधाई।
बरेदी,राई।।
*******
*राजनीति*
37
वे कत्ते वोट,
हमई खौं दइयौ।
नोट लइयो।।
38
जनी मांस,
भाव है बढ़ जात।
चुनाव आत।।
39
वोट की ओट,
करत राजनीति।
भड़या चोट।।
40
कोरो पाखंड,
नेतन कौ चरित्र।
गिरदौला सौ।।
*******
राजनीति
41-
नेता पैला तो,
हांत-पांव जोरत।
फिर तोरत।।
42-
लाज न आवै,
उनखों तनकऊ।
जा गद्दी पाकें।।
43-
ऐसौ लगत,
चुनाव हैं आ रय।
पांव परत।।
44
गैल-गैल में,
भड़या फिरत हैं।
ले कैं बंदूकें।।
45
मूंछे ऐठत,
ले शासन कौ पैसा।
चांप के बैठे।।
46
वोट बिकत,
मतदाता खिलत।
नेता गिरत।।
47
नईं भंजात,
चुनाव में खूबई।
चमचा खात।।
48
चुनाव आत,
चमचन ठलुआ।
भाग खुलत।‌।
*******
*राजनीति*
49
बखत परै,
गदबद हैं देत।
आज के नेता।।
50
नेता बनके,
खो दई है पैचान।
जनी मांसन।
51
वोट के लाने,
पैसा,दारू बटांत।
कौल धरात।।
52
जीत गर्रात,
करिया बंदरा हैं।
नेता की जात।।
देशप्रेम
53
देश बचाने,
आतंकी न माने तो।
मजा चिखाने।।
54
बातन से तो,
मानत हैं नइयां।
लातन भूत।।
55
कर्ज चुकानै,
तुम कछु तो करो।
देश के लानै।।
56
बुंदेली धरा,
हर गांव,शहर।
वीरों सें भरा।।
*****
*ऐतिहासिक*
57
झांसी की रानी,
वीरता की निशानी।
नारी नईं है ।।
58
दुर्गा व लक्ष्मी,
रचौ है इतिहास।
आल्हा ऊदल।।
59
सूर, ईसुरी,
बने है इतिहास।
केशवदास।।
60
छतरपुर,
छत्रसाल नगरी।
वीरन भरी।।
*****
अन्य बिषय
61
पानी तौ इतै,
मौलई बिक रऔ।
खूं बह रऔ।।
62
का कर दओ,
जौन खा न पाऔ तो,
बगरा दऔ।।
63
जीजा खों सारी,
लगे एनई नौनी।
लुगाई रौनी।।
64
लाबरी खात,
कसम रामधई।
आदमी जात।।
*65*
घूरे के दिना,
जब मौका परत।
बदल जात।।
*66*
कैसौ जमानौ,
जोन थारी में खात।
टुक्लो करत।।

*67*
अखरत हैं,
दिन जैठ मास में।
चौमासी रातें।।

*68*
ऐसे पति हैं,
भोले की,के, जैसे हैं।
मां पार्वती के।।

*69*
कैसे जी रय,
चून तक नइया।
आंसू पी रय।।

*70*
लखटकिया,
कुंवर कलेवा में,
दुल्हा मांगत।।

*71*
कछु तौ करो,
सरतारे न बैठों।
दुकान धरौ।।

*72*
दद्दा औ बाई,
आंगन नई देखै,
आई लुगाई।।
***

73-
मास्साब जू तौ,
इस्कूल नई आत।
घरे बुलात।।
74-
गाल पिचके,
दांत पीरे दिखात।
तंबाकू खात।।
75-
देख खतरा,
गांधी जू के बंदरा।
भये पथरा।।
76-
सब जानत,
घरु कुरईया से।
आंख फूटत।।
77-
बुंदेली जानौं,
करौ बढाई कानौ।
हमाई मानौ।।
78-
जब मिलत,
खाबै कौं परें-परें।
काय खौं करें।।
79-
याद रहत,
कबहूं न भूलत।
पहलौ प्यार।।
80-
सवरी माया,
धरी इतै रै जाने।
संगे न जाने।।
****
81
लोग करत,
रामायण को भूल।
महाभारत।।

82
नइं लगाम,
मंहगाई कौ सांड।
छुट्टा फिरत।।

83
गुटका खाकै,
बिगरी है मुइया।
बनी टुइया।।

84
रोजइ लगै,
न खटपट नौनी।
सास-बहू की।।

85
कच्ची अमियां,
खाकें बे तौ मुस्कावें।
सबखौं भावे।।

86
कछु कय न,
बस मूड हिलाएं।
मन-मुस्काएं।।

87
कय जौ सांची,
वो चढ जाय फांसी।
कलजुग में।।

88
दूद नीखरा,
मिलत है नईयां।
भूखी गईयां।।

89
ऊपर वारो,
देख तमाशौ नैचै।
अंखियां मींचे।।

90
नई मिलत,
इतै उतै फिरत।
कऊं न ठौर।।
*बुंदेली हाइकु*
*91*
बांट के खांय,
कंजूस की कमाई।
अलफतिया।।
92
भूख लगत,
धरेई तो रै जात।
सबरे धर्म।।
93
दिवारी आई,
दियला उजयार।
लच्छमी आई।।
94
बाल विवाह,
कबहू न करयौ।
गम्म खइयो।।
95
आलसी जन,
काम बनै बढ़िया?
पूजें मढ़िया।।
96
कभऊं पूरे,
नई होत सपने।
ठलअन के।।
97
मताई-बाप,
देखत रय जात।
वे भग जात।।
98
लिखी है पोथी,
नौनी लगे बुंदेली।
भौत गुरीरी।।
99
पैरत उन्ना,
अब पुनतरिया।
आज नारियां।।
100
दाने-दाने पै,
नाव लिखौ की की कौ।
पतौ न ई कौ।।
****
*-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*नौनी लगे बुंदेली (बुंदेली हाइकु संग्रह)-2010*

*हाइकुकार -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
 से साभार...


2 टिप्‍पणियां:

Anshu ने कहा…

Very nice bundeli haiku collection

Amar Singh rai ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन