Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 4 अगस्त 2020

अयोध्या के श्री राम (दोहा संकलन)- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

अयोध्या के श्री राम 
(दोहा संकलन)
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

 💐😊 अयोध्या के श्रीराम😊💐

      (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
            की 8वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 04-08-2020

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

अयोध्या के श्री राम 
(दोहा संकलन)
संपादक - राजीव नामदेव 'राना 
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन दिनांक 4-8-2020
टीकमगढ़ (मप्र)भारत472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'अयोध्या के श्रीराम'  8वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 8वीं ई-बुक्स अयोध्या के श्रीराम'   को भारत की नहीं वरन् विश्व के 60 देश के लगभग 40000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  8वीं ई-बुक ' अयोध्या के श्रीराम'  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने सोमवार दिनांक-04-8-2020 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय 'अयोध्या के श्रीराम'  पर दिनांक-04-8-2020 को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक प्रकाशन-दिनांक-4-8-2020 टीकमगढ़ (मप्र)


अनुक्रमणिका-
1-- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
2- रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़
3-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
4-रामेश्वर राय परदेशी, टीकमगढ़
5-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
6- सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ़ 
7-संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली प्रवास)
8-अशोक नादान लिधौरा टीकमगढ़ 
सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल', टीकमगढ़
10-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
11-राजगोस्वामी,दतिया
12 डॉ.देवदत्त द्विवेदी *सरस*, बडा मलहरा,छतरपुर
13-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, निवाड़ी
14-अनीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (म प्र)
15--गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा, टीकमगढ़
16 शोभाराम दाँगी'इंदु', नदनवारा, टीकमगढ़
17-एस.आर.'सरल', टीकमगढ़
18-रघुवीर आँनद टीकमगढ
19-राजेंद्र यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा, छतरपुर
20- डी.पी.शुक्ल 'सरस', टीकमगढ़
21-सीताराम राय ,टीकमगढ
22-के के पाठक , ललितपुर (उ.प्र.)
23- प्रो.श्री शरद नारायण खरे, मंडला
24-समीक्षक- राम गोपाल रैकवार,टीकमगढ़

1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

*श्री राममय दोहे*

*१*
हिम्मत कभउ न हारियों,
सुमिरत रइयों राम।
धैर्य धरौं धीरज धरौ,
भली करेंगे राम।।

*२*

राम नाव महिमा बड़ी,
करदे बेड़ा पार।
राम नाव जपते रऔ,
खुशियां मिलें अपार।।

*३

कष्ट हरे,सुख पात है,
जो ध्यावै श्री राम।
परम धाम पावै वहीं,
मिलता है आराम।।
    *४*
चालू हो गव है अभी,
बनवो पावन धाम।
चरनन में श्री राम के,
बारम्बार प्रणाम।।
 *५*
पांच दिया उजियारियो,
अपने-अपने धाम।
अब तो विराजेंगे प्रभु,
हम सबके श्री राम।।
     ***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.co
(मौलिक एवं स्वरचित)

####जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

2- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
तेवारन के देस खों,
मिलो नऔ तेवार।
जल्द बिराजें अजुद्या,
राम लला सरकार।।

-रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़
####जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

3-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
राम कहें या आत्मा, आत्म कहें या राम,
अपनौ है सब राम कौ, अपने हैं सब राम।

राम-काज में जो लगे, बिना किये विश्राम, 
पूरौ जग झुकबै उनै, करबै उनै प्रणाम।

राम लिखे सो लेखनी, राम कहे सो भाष,
राम जपे जिहवा वही, राम रमे सो रास।
                    -अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
####जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़###

4-रामेश्वर राय परदेशी
1ब्रह्मा विष्नु महेश संग
              गय गनेश भगवान
गदा धार बजरंग गय
            राम भक्त हनुमान
2जन जन की मन भावना
          पूजी पूरन काम
काम छोड़ भज राम सब
        चलौ अयोध्या  धाम
3ध्वज पताक मंगल कलश
        बांदौ बन्दनवार
रघुनन्दन श्री राम की
        बोलौ जय जय कार।
                -रामेश्वर राय परदेशी,टीकमगढ़ (मप्र)
####जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

5-अभिनन्दन गोइल, इंदौर

चरनन में श्री राम के, मिटें सकल संताप।
उनकी सीतल कृपा सें, तुरत पलावें पाप।।

सब जीवन के दुख हरौ, भव दुख मेंटनहार।
लै चलियौ श्री राम जू , मो खों जग के पार।।

पतित भौत पावन भये, भजकें तुमरौ नाम।
मो खों तारौ तुम प्रभो ,कृपा करौ श्री राम।।

-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

6- सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ़ 
राम -राम के नाम सें ,जगत होत भव पार ।
भजन करो श्री राम कौ ,यह जीवन कौ सार ।।

भजतई राम नाम खां ,निकर गये जुग भौत ।
कोरोना  पिरकोप सें ,फिर भी हो रइ मौत ।।

ई संकट के दौर में ,कोउ न भऔ सहाय ।
तीन लोक के देवता ,करो न राम उपाय ।।

                       -सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ़ 
#####जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

7-संजय श्रीवास्तव, मवई 
            -१-
राम नाम खों घोंटकें,
पीलो हरि खों घोल।
चलो सत्य की गैल सदा,
जो जीवन अनमोल।।
            - २-
हम सब हैं श्री राम के,
सबके हैं प्रभु राम।
बड़े जतन के बाद हरि,
बैठे अपने धाम।।
            - ३-
आन बिराजे ओरछा,
राम बने सरकार।
वीर बुंन्देली भूमि पे,
रोज सजे दरवार।।
       -संजय श्रीवास्तव, मवई
##जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

8-अशोक नादान लिधौरा टीकमगढ़ 
युग युग में श्री राम कौ, हुइये गौरव गान।
अमर रहेगी कीरती,,जब तक है दिनमान।।

राम भीलनी के यहां,खाते झूठे बेर।
प्रेम विवश परमातमा,सुने भक्त की टेर।।

राम जगत कौ सार हैं,धरती के आधार।
उनकौ यश तौलौ अमर,गंग जमन जल धार।।
                  -अशोक नादान लिधौरा टीकमगढ़ 
###जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल', टीकमगढ़
राम नाम रसना रटी,
 मानी राम न कोय।
              मानी जीने राम की,
              राम जानियो सोय।।

दशरथ नंदन राम की,
 लीला अपरंपार।
                    मन खों जोरौ राम सें,
                    करवें बेड़ा पार।।

राम नाम की गूंज है,
 रघुराई के धाम।
                  मंदिर बैठें जल्द ही,
                   तंबू वारे राम।।
                 -सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल', टीकमगढ़
###जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

10-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
तीन दसक सें टेंट में ,रय श्री राम बिराज।
जैसें तैसें आइ है  ,घरी सुहाउन आज।।

तीन लोक चौदह भुवन,पै जिनकौ अधकार।
तंबू में  बैठे रहे ‌ ,राम लला सरकार।।

घी के दियल उजारियौ,बांदौ बंदनवार।
घर घर पांच अगस्त खों,सजै राम दरबार।।
              -प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ

#######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

11-राजगोस्वामी,दतिया
निकट आइ अब शुभ घड़ी 
जुर है संत समाज ।
मुखिया आ है देश कौ
पूरण करबे काज ।
संत समागम आज सें
दीपोत्सव त्योहार ।
पूजी जै है शिला कल
बनें राम दरबार ।।
चालीसा हनुमान के
कहूँ राम कौ जाप ।
बजे मजीरा राम धुन
महिमा संत अलाप ।।
           -राजगोस्वामी,दतिया(म.प्र.)
######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़####

12 डॉ* देवदत्त द्विवेदी *सरस*, बडा मलहरा
अन्तस चाहे राम को
      भजे राम ही राम
राम नाम मैं नहिं रमै
   मन ये नमक हराम
             
  राम राम रसना रटे
      रोम रोम रसयायं
 रीझें राघव रघुपती
     राजा रंक रिझायं
            -*डॉ* देवदत्त द्विवेदी *सरस*, बडा मलहरा
  #######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

13--- कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर
पैंड़  भरत  दरबार  में ,
 आ गव  हौं  श्रीराम ।
                  तनक हमाई सुन लियौ ,
                  डरौ  तुमाए  धाम ।।
 धरौ  दास  के  मूँड़  पै ,
  रामचन्द-जू  हाथ ।
                  चरन-कमल प्रभु आपके ! 
                  छुबवें  मोरे  माथ ।।
 जै-जै-जै  श्रीराम-जू ,
 विनय  करौ  स्वीकार ।
               दीन-हीन  लाचार के ,
               दइओ  कष्ट  निवार ।।

   ---कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
#######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़###

14-अनीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (म प्र)
अवधपुरी में जिनका पावनधाम है।
🛕उन रघुवर को बारम्बार प्रणाम है।।

🛕साथ विराजीं इनके सीता माता हैं।
🛕भरत शत्रुघ्न और लक्ष्मण भ्राता हैं।।
🛕हनुमत का जिनकी सेवा में नाम है।
🛕उन रघुवर को बारम्बार प्रणाम है।।

🛕श्यामवर्ण है इनका औ' सुंदर मुखड़ा।
🛕दृग विशाल देखे जो वो भूले दुखड़ा।।
🛕छवि है जिनकी सुखद सरल सा नाम है।
🛕उन रघुवर को बारम्बार प्रणाम है।।
🛕इनके सुमिरन-भजन की है महिमा भारी,
🛕राम-नाम  जपते रहते है त्रिपुरारी।
🛕चरणों में जिनके, मन का विश्राम है।
🛕उन रघुवर को बारम्बार प्रणाम है।।

🛕नाम जपो दिन-रात श्वास के साथ में।
🛕नहीं अन्य साधन कलयुग के हाथ में।।
🛕शरणागत की रक्षा जिनका काम है।
🛕उन रघुवर को बारम्बार प्रणाम है।।

🛕अवधपुरी में जिनका पावन धाम है।
🛕उन रघुवर को बारम्बार प्रणाम है।।
-अनीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (म प्र)
#######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़##

15--गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा, टीकमगढ़

ई कलजुग के पाप को ,
काट देव श्रीराम।।
अधमॆ धरती न बडे ,
अत्या चारी नाम ।।

अब तो मन्दिर बन रहा,
 सुनो अयोध्या धाम ।
मोदीजी कल आरहै ,
लगा रहे हे काम ।।
             -गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा, टीकमगढ़
######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़####

16 शोभाराम दाँगी'इंदु', नदनवारा, टीकमगढ़

उठतन भौरइं सें जो लेेत राम कौ नाम ।
सकल सिद्ध सब होत हैं ऊके पूरे काम ।।

राम कि मैमा कै नै सकै जिनकौ ओर नै छोर।
सेस  सारदा कै रइं भौतइं भई विभोर ।।

आज अजुददा में जां देखत मइं विराजे राम ।
कण  कण में हैं राम राम जू देख शोभाराम।।

             -शोभाराम दाँगी'इंदु', नदनवारा, टीकमगढ़
#######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़###

17-एस.आर.'सरल', टीकमगढ़
कोरोना के कहर सै,मचौ  भौत कुहराम।
देवालय सब बंद हैं,काँ गय हो श्री राम।। 

कछू राम रक्षा करौ,सुनलो दीन पुकार।
तैतिस कोटि देश में, मचौ है हाहाकार।।

दैशत मै सब देश हैं, जौ संकट कों दौर।
भक्त आज हैरान हैं,राम छोड़ काँ ठौर।।
 -एस.आर.'सरल', टीकमगढ़
#######जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#####

18-रघुवीर आँनद टीकमगढ
पाँव परौ श्री राम के, 
सुन्नौ मोई  पुकार  ।
कोरोना  खौँ  मारिओ,  
जगत  होय  जैकार  ।।

सुँदर  मँदिर  बन रवौ है,
जोन अजुध्या  धाम। 
जगत मे  खुशयाली है  ,
बोलो   जै  श्री राम  ।।
ओरछा शत  दीप  जले  , 
जिमि विराज  श्री  राम  ।
लघु अजुध्या वन  गई, 
शत्  शत्  करो  पिनाम  ।।
               -रघुवीर आँनद टीकमगढ
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19-राजेंद्र यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा
1.रटना लागी नाव की,
 बोलें राम ही राम।
नाव प्रभु को लेत ही,
 बनबे बिगड़े काम।।

2. बोलत जै जै कार सब,
 बन रव पावन धाम।
बड रई मन में लालसा, 
देखें कब श्री राम।।
      - राजेंद्र यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा
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20- डी.पी.शुक्ल 'सरस', टीकमगढ़

भब्य मंदिर निर्माण प्रभुकौ,
हो रव है तत्काल।

भू पूजन श्री राम कौ,
करन चले महिपाल।।

राम नाम के जपने सें 
भवसागर भव पार। 
नारि अहिल्या तर गई  
भयौ जीवन उद्धार।।

तरन तारन सरकार हौ
तारो कृपा निधान ।
रामईं मोसे पतित कौ
 करियो तुम कल्यान।।
     - डी.पी.शुक्ल 'सरस', टीकमगढ़
###########

21-सीताराम राय ,टीकमगढ
रामहि राम भजो मना ,
राम बिना सब सून ।

राम नही तो कुछ नही, 
सब्जी चाउर चून ।।

रामहि सें जा डोर है, 
उन बिन कौन हमार । 

संग देत दिन रैन जो, 
बिगरी लेत सवांर ।।

सगुन समैया आई है 
मंदिर बने विशाल।
राम लला के बैठतन,
 कट जैहे जो काल ।।
*******************
         -सीताराम राय ,टीकमगढ


22-के के पाठक , ललितपुर (उ.प्र.)
सांस-सांस में राम कॉ, 
नाम सदा जो गाय ।
                गारंटी ई बात की,   
                 राम मिलेंगे आय ।।
::::::::::::::::::::::::
            -के के पाठक , ललितपुर (उ.प्र.)

23- प्रो.श्री शरद नारायण खरे, मंडला
########################

समीक्षक- राम गोपाल रैकवार,टीकमगढ़
अयोध्या के श्री राम 
(दोहा संकलन)
संपादक - राजीव नामदेव 'राना 
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन दिनांक 4-8-2020
टीकमगढ़ (मप्र)भारत472001
मोबाइल-9893520965
               जय श्रीराम, जय हनुमान

5 टिप्‍पणियां:

अनीता श्रीवास्तव ने कहा…

एकदम शानदार।जय श्री राम

anil ayaan shrivastava ने कहा…

अतुलनीय दस्तावेज है यह सर।

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

धन्यवाद श्री अयान जी

Unknown ने कहा…

जय हो

Unknown ने कहा…

अयोध्या श्री राम पर बहुत ही सुंदर दोहे संपादक महोदय को अनंत शुभकामनाओं सहित सादर साधुवाद ।जय श्री राम