संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिव्य दृष्टि (अद्भुत समीक्षा संकलन) संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशक-
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ मप्र
की प्रस्तुति
©कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
प्रकाशन- प्रथम संस्करण- दिनांक 19-8-2020
1-राजीव नामदेव, टीकमगढ़,बिषय-पिता-22-6-2020
2-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय-वीरांगना-23-6-20
3-राजीव नामदेव,बिषय-बुंदेली काव्य-24-6-2020
4-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय-हिंदी काव्य-25-6-20
5-राजीव नामदेव,बिषय-बुंदेली गद्य-बसकारो-26-6-20
6-श्री रामगोपाल रैकवार,बिषय-चित्र देखकर-27-6-20
7-राजीव नामदेव, बिषय-दोहा-साउन-28-6-20
8-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय-दोहा-बैन-30-6-20
9-राजीव नामदेव,बिषय-पद्य-बुंदेली काव्य-1-7-20
10-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय-बुंदेली गद्य-2-7-20
11-राजीव नामदेव, गद्य-बुंदेली कौ महत्व -3-7-20
12-राजीव नामदेव,बिषय-चित्र देखकर-4-7-20
13-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय दोहा-गुरु-6-7-20
14-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय-दोहा-शिव-7-7-20
15-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय-बुंदेली पद्य-8-7-20
16-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बिषय-हिंदीपद्य-9-7-20
17-राजीव नामदेव,बिषय-बुंदेली गद्य-मेला-10-7-20
18-राजीव नामदेव,बिषय-चित्र देखकर पद्य-11-7-20
19-राजीव नामदेव,बिषय-बुंदेली दोहा-बादर-13-7-20
20-राजीव नामदेव,बिषय-बुंदेली दोहा-नीम-14-7-20
21-सियाराम अहिरवार,बिषय-बुंदेली पद्य-15-7-20
22-अशोक पटसारिया,बिषय-हिंदी स्वतंत्र-16-7-20
23-राजीव नामदेव,बिषय-बुंदेली गद्य-आम-17-7-20
24-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल,बिषय-पंछी-20-7-20
25-रामगोपाल रैकवार,टीकम.,बिषय-किसान-21-7-20
26-सियाराम अहिरवार,बिषय-बुंदेली स्वतंत्र-22-7-20
27-उमाशंकर मिश्र,टीकम.बिषय-हिंदी स्वतंत्र-23-7-20
28-सियाराम अहिरवार,बिषय-बुंदेली की डांगे-24-7-20
29- अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल बिषय-मोर-27-7-20
30-रामगोपाल रैकवार,टी.बिषय-उजियारा-28-7-20
31-अशोक पटसारिया,बिषय-बुंदेली स्वतंत्र-29-7-20
32-राजीव नामदेव,बिषय-हिंदी स्वतंत्र-30-7-20
33-सियाराम अहिरवार,बुं.खं के दर्शनीय स्थल31-7-20
34-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल,बिषय-राखी-3-8-20
35-रामगोपाल रैकवार,टीकमगढ़,बिषय-श्रीराम-4-8-20
36-श्री अशोक पटसारिया नादान दिनांक 5-8-2020
37- श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 7-8-2020
38- श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -10-8-2020
39-श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़11-8-2020
40-श्री अशोक पटसारिया,लिधौरा 12-8-2020
41- श्री अभिनन्दन गोइल.इंदौर-13-8-2020
42- श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 14-8-2020
43-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -17-8-2020
44- श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़18-8-2020
45- श्री अशोक पटसारिया,लिधौरा 19-8-2020
46- श्री अभिनंदन गोइल, इंदौर,20-8-2020
47- श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 21-8-2020
48-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -24-8-2020
49-श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़-25-8-2020
50- श्री अशोक पटसारिया,लिधौरा 26-8-2020
51- अनीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़ -27-8-2820
52- श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़- 28-8-2020
53-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -31-8-2020
54- श्री रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ 1-9-2020
55- श्री अशोक पटसारिया,लिधौरा 2-9-2020
56-अनीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़ 3-9-2020
57-श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 4-9-2020
58-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -7-9-2020
59- श्री रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ 8-9-2020
60- श्री अशोक पटसारिया,लिधौरा 9-9-2020
61- श्री संजय श्रीवास्तव,मबई 10-9-2020
62-श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 11-9-2020
63-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,बिषय दोहा-हिंदी-14-9-20
64- श्री रामेश्वर राय परदेशी बिषय-जिनगानी-15-9-20
65-अशोक पटसारिया,बिषय-बुंदेली पद्य-16-9-2020
66-संजय श्रीवास्तव,मवई-बिषय-स्वतंत्र हिंदी-17-9-20
67-सियाराम अहिरवार- बुंदेली लोक कथाएं-18-9-20
68-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,बिषय दोहा-जुंदैया-21-9-20
69- श्री रामेश्वर राय परदेशी बिषय-अहंकार-22-9-20
70-श्री अशोक पटसारिया,बिषय-बुंदेली पद्य-23-9-20
71-संजय श्रीवास्तव,मवई-बिषय-स्वतंत्र हिंदी-24-9-20
72-सियाराम अहिरवार-बुंदेली पहेली,अटका-25-9-20
73- अरविन्द श्रीवास्तव,बिषय-सरद रितु-28-9-20
74- एस.आर. सरल,टीकमगढ़-बेटियां-29-9-2020
75- अभिनंदन गोइल, इंदौर, बुंदेली स्वतंत्र 30-9-20
76-कल्याण दास पोषक,पृथ्वीपुर-स्वतंत्र हिंदी-1-10-20
77-सियाराम अहिरवार,गांधी, शास्त्री गद्य-02-10-20
78-जयहिंद सिंह जयहिंद,पलेरा,बुंदेलीधरती-05-10-20
79- के.के.पाठक, ललितपुर, दोहा-परिवर्तन-6-9-2020
80-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़,बुंदेली पद्य-7-10-2
81-कल्याण दास साहू "पोषक" हिंदी स्वतंत्र-8-18-20
82-राजीव नामदेवबीरवर,लालबुझक्क किसा-9-10-20
83- जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली-आगी-12-10-20
84- के.के.पाठक,ललितपुर, दोहा-इंद्रधनुष-13-9-2020
85- अभिनंदन गोइल, इंदौर, बुंदेली स्वतंत्र 14-10-20
86-कल्याण दास साहू,पृथ्वीपुर-स्वतंत्र हिंदी15-10-20
87-राजीव नामदेव, बुंदेली नवरात्र कौ महत्व-16-10-20
88- जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली-नवरात्रि-19-10-20
89- के.के.पाठक,ललितपुर, दोहा-भावना-20-9-2020
90-डी.पी. शुक्ला, टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-21-10-20
91-कल्याण दास साहू,पृथ्वीपुर-स्वतंत्र हिंदी-22-10-20
92-राजीव नामदेव, बुंदेली नवरात्र कौ महत्व-23-10-20
93-राजीव नामदेव,टीकमगढ़, दोहा-दसरय-26-10-20
94- के.के.पाठक,ललितपुर, दोहा-आकांक्षा-27-9-20
95-डी.पी. शुक्ला, टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-28-10-20
96-कल्याण दास साहू,पृथ्वीपुर-हिंदी स्वतंत्र-29.1020
97-राजीव नामदेव ,सरद पूनै कौ महत्व-30-10-2020
98- जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली-नवरात्रि-2-11-20
99- एस.आर. सरल,टीकमगढ़-नदिया-03-11-2020
100- डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-04-11-2
103-वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़,-हमसफ़र-10-11-20
104- डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-11-11-20
105-कल्याण दास साहू,पृथ्वीपुर-हिंदी स्व.-12.11.20
106- जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली-गैल-16-11-2020
107-सियाराम अहिरवार,टीकम. हिंदी सागर-17-11-20
108- डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-18-11-20
109-कल्याण दास साहू,पृथ्वीपुर-हिंदी स्व.-19.11.20
110- जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली-भुंसरा-23-11-20
111-सियाराम अहिरवार,टीक.हिंदी डर,भय-24-11-20
112-राजीव नामदेव,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-25-11-20
113-कल्याण दास साहू,पृथ्वीपुर-हिंदी स्व.-26.11.20
114-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'कतकारी-30-11-20
115- सियाराम अहिरवार, हिंदी-शहीद-1-12-2020
116-डी पी शुक्ला, टीकमगढ़ बुंदेली पद्य-2-12-2020
117-राजीव नामदेव,टीकमगढ़, हिंदी स्वतंत्र-03-12-20
118-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'जाड़ौ-07-12-20
119-राजीव नामदेव,टीकमगढ़-दोहा-विवाह-08-12-20
120- डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-09-12-20
121-कल्याण दास साहू,पृथ्वीपुर-हिंदी स्व.-10.12.20
122-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'-हार-14-12-2020
123-सियाराम अहिरवार,टीक.हिंदी संवेदना-15-12-20
124- डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-16-12-20
125-राजीव नामदेव,टीकमगढ़-दोहा-विवाह-17-12-20
126-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'-कूंडों-21-12-2-20
127-राजीव नामदेव,टीकमगढ़-दोहा-मंहगाई-22-12-20
128- डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़, बुंदेली स्वतंत्र-23-12-20
129.-कल्याण दास साहू पोषक-हिंदी स्वतंत्र-24.12.20
130-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'-बब्बा-28-12-2-20
131 -सियाराम अहिरवार,टीक.हिंदी तरंग-29-12-2020
132-डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़-बुंदेली पद्य-30-12-2020
133- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-31-12-2020
134-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'-बब्बा-04-12-1-21
135 -सियाराम अहिरवार,टीक.हिंदी स्वागत-05-01-21
136 -डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़-बुंदेली पद्य-06-1-2021
137- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-7-1-2021
138-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'-बुडकी-11-1-1-21
139 -सियाराम अहिरवार,टीक.हिंदी-प्रशंसा-12-01-21
140 -डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़-बुंदेली पद्य-13-1-2021
141- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-14-1-2021
142-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'बिजूका-18-1-1-21
143 -सियाराम अहिरवार,टीक.हिंदी-समस्या-19-1-21
144 -डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़-बुंदेली पद्य-20-1-2021
145- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-15-1-2021
146-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली'सुभाष-25-1-2021
147 -सियाराम अहिरवार,टीक.हिंदी-गणतंत्र-26-1-21
148 -डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़-बुंदेली पद्य-27-1-2021
149- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-28-1-2021
150- श्री जयसिंह जयहिंद,पलेरा, बुंदेली-1-2-2021
151-श्री सियाराम अहिरवार,हिंदी-पुरस्कार-2-2-2021
152- श्री डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़,हिंदी पद्य-3-2-2021
153- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-4-2-2021
154- राजीव नामदेव राना लिधौरी, बिन्नू-8-2-2021
155- श्री डी.पी.शुक्ला टीकमगढ़, बुंदेली-10-2-2021
156-राजीव नामदेव राना लिधौरी,हिंदी स्वतंत्र-11-2-20
157-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली-बसंत-15-2-2021
158-श्री सियाराम अहिरवार,हिंदी-प्रेम-16-2-2021
159- श्री डी.पी.शुक्ला टीकमगढ़, बुंदेली-17-2-2021
160- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-18-2-2021
161-जयहिंद जयहिंद,पलेरा,बुंदेली-कलेवा-22-2-2021
162- श्री सियाराम जी अहिरवार, हिंदी-असीम23-2-21
163- राजीव नामदेव राना लिधौरी,बुंदेली स्व.-24-2-21
164- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-25-2-2021
165-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-कलदार-1-3-21
166- श्री सियाराम जी अहिरवार, हिंदी-विज्ञान-2-3-21
167- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-4-3-2021
168-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-पाउने-8-3-2021
169- श्री सियाराम जी अहिरवार,हिंदी-महिला-9-3-21
170- राजीव नामदेव'राना लिधौरी', शिवशंकर-11-3-21
171-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-पनिहारिन15-3-2021
172- श्री सियाराम जी अहिरवार,हिंदी-सेवा-16-3-21
173- श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र17-3-21
174- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-18-3-2021
175-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-दमकत-22-3-2021
176-राजीव नामदेव'राना लिधौरी',हिंदी-हिलोर23.3.21
177- श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र24-3-21
178- श्री कल्याण दास पोषक, हिंदी पद्य-25-3-2021
179-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-होरी-29-3-2021
180- श्री एस.आर.सरल हिंदी-भाई/बहिन-30-3-21
181- श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र31-3-21
182-राजीव नामदेव'राना लिधौरी', हिंदी स्वतंत्र1.4.21
183-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़-'बरा'-5-4-2021
184- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़ -'बरा'-5-4-2021
185-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-7-4-21
186-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-पुतरिया-12-4-2021
187-श्री वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़-'बालमन'-13-4-21
188-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-14-4-21
189-राजीव नामदेव राना लिधौरी,हिंदी स्वतंत्र.15-4-21
190-राजीव नामदेव राना बुंदेली-ठलुआ19-4-21
191-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-चंट-26-4-2021
192-राजीव नामदेव राना, हिंदी-धरा-27-4-2021
193-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-28-4-21
194-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-कुलांट-3-5-2021
195-राजीव नामदेव रानालिधौरी,हिंदी-पत्रकार-4-5-21
196- कविता नेमा, सिवनी, हिंदी स्वतंत्र-6-5-2021
197-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली,करोंटा-10-5-2021
198-राजीव नामदेव'राना लिधौरी', जीवन-11-5-21
199-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-12-5-21
200-आ.कविता नेमा, सिवनी,हिंदी-स्वतंत्र-13-5-2021
201-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली खरयाट-17-5-2021
202-राजीव नामदेव राना लिधौरी,हिंदी-आंधी,18-5-21
203-आ.कविता नेमा, सिवनी,हिंदी-स्वतंत्र-21-5-2021
204-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली खरयाट-24-5-2021
205-राजीव नामदेव राना लिधौरी,हिंदी-चक्र-25-5-21
206-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-26-5-21
207- श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी पद्य-27-5-2021
208-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-छैल छबीली-31-5-21
209- राजीव नामदेव राना लिधौरी,हिंदी-तंबाकू-1-6-21
210- श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-3-6-2021
211-राजीव नामदेव'राना लिधौरी',बुंदेली-पथरा-7-6-21
212-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल', हिंदी-'चंदन'-8-6-2021
213-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-9-6-21
214-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-18-6-21
215-राजीव नामदेव'राना लिधौरी',बुं.कलाकंद-14-6-21
216-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल',हिंदी-'रक्तदान-15-6-2021
217-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-16-6-21
218-राजीव नामदेव राना लिधौरी,बुंदेली-बेला-21-6-21
219-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल',हिंदी-'रक्तदान-22-6-2021
220-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-23-6-21
221-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-24-6-21
222-राजीव नामदेव रानालिधौरी,बुंदेली-डुबरी-28.6.21
223- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया, हिन्दी 'जामुन' -29-6-2021
224-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-30-6-21
225-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-01-7-21
226-राजीव नामदेव रानालिधौरी,बुं.-बिजना-5-7-21
227- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया हिंदी विवेक' -6-7-2021
228-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-7-7-21
229-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-08-7-21
230-राजीव नामदेव रानालिधौरी,बुं.-पंगत-12-7-21
231-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-रूप-13-7-2021
232-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-14-7-21
233- राजीव नामदेव 'राना'बुंदेली-तलैया-19-7-21
234-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-अमृत-20-7-2021
235-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-21-7-21
236-श्री गुलाब सिंह ,भाऊ',लखौरा-हिंदी-22-7-21
237-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-गांव-27-7-2021
238-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-28-7-21
239- राजीव नामदेव राना, हिंदी स्वतंत्र,-29-7-2021
240-श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ,-चौमासा-2.8.2021
241-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-महादेव-3-8-2021
242-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-4-8-21
243- राजीव नामदेव राना लिधौरी, हिन्दी स्व.5.8.21
244- श्री गुलाब सिंहभाऊ,बुंदेली-आदिवासी-9-8-21
245-श्री जयसिंह जय हिंंदी दोहे-नाग,10-8-2021
246-राजीव नामदेव राना लिधौरी,हिंदी स्वतंत्र-12-8-21
247-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-13-8-21
248- राजीव नामदेव,टीकमगढ़,बुंदेली-पठौनी,16-8-21
249-डां. रेणु श्रीवास्तव भोपाल-हिंदी-अवतार-17-8-21
250-गुलाब सिं'भाऊ',लखौरा, बुंदेली स्वतंत्र-18.8.21
251-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-19-8-21
252-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-20-8-21
253-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-साउनी,23-8-2021
254-डां.रेणु श्रीवास्तव,भो.-हिंदी-भुजलिया-24-8-21
255-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-25-8-2021
256-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-26-8-21
257-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-27-8-21
258-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-नंद,30-8-2021
259-डां.रेणु श्रीवास्तव,भोपाल-हिंदी-खेल-31-8-2021
260-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-1-9-2021
261-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-2-9-21
262-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-03-9-21-
263 जयसिंह जय बुंदेली दोहे-मास्साब,7-9-2021
264-श्री शोभाराम दांगी 'इंदु',हिंदी दोहा-तीजा-7-9-21
265-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-8-9-2021
266-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-9-9-21
267-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-10-9-21
268-राजीव नामदेव,टीकम.,बुंदेली-छमाबानी,13-9-21
269-श्री शोभाराम दांगी 'इंदु',हिंदी दोहा-हिंदी-14-9-21
270-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-17-9-21
271-श्री शोभाराम दांगी',हिंदी दोहा-दिखावा-21-9-21
272-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-22-9-2021
273-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-23-9-21
274-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-24-9-21
275-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-गडेलू,27-9-2021
276-श्री शोभाराम दांगी'इंदु',हिंदी दोहा-झलक-28-9-21
277-राजीव नामदेव,टीकम.,बुंदेली-स्वतंत्र,29-9-21
278-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-कागोर,4-10-2021
279-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,हिंदी-खीर-5-10-21
280-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-7-10-2021
281-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-07-10-21
282-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-मिलौनी,11-10-21
283-राजीव नामदेव राना लिधौरी,बालिका-12-10-21
284-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-16-10-21
285-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-करौंटा,19-10-21
286-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-21-10-21
287-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-22-10-21
288-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-करौंटा,25-10-21
289-श्री शोभाराम दांगी'इंदु',हिंदी दोहा-वोट-26-10-21
290-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-27-10-2021
291-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-28-10-21
292-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-29-10-21
293-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-करौंटा,25-10-21
294-श्री शोभाराम दांगी'इंदु',हिंदी दोहा-दीप-27-10-21
295-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-05-11-21
296-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-उरैन-8-11-21
297-श्री शोभाराम दांगी'इंदु',हिंदी दोहा-पुष्प-11-11-21
298-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-12-11-21
299-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-बराई-15-11-21
300-श्री शोभाराम दांगी,हिंदी दोहा-गौरव-16-11-21
301-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-19-11-21
302-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-झमा-22-11-21
303-श्री शोभाराम दांगी,हिंदी दोहानौह-23-11-21
304-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-24-11-2021
305-राजीव नामदेव बुंदेली दोहा-अत्त 29.11.2021
306-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-03-12-21
307-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-नौ-6-12-21
308-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-पेरा-13-12-21
309-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-16-12-2021
310-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-17-12-21
311-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-कमरा-20-12-2021
312-श्री प्रभुदयाल जी स्वर्णकार,ग्वालियर-21-12-21
313-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-24-12-21
314-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-गुट्ट-27-12-2021
315-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-31-12-21
316-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-हाड़-03-01-2022
317-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-ध्यान-04-01-2022 318-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-06-1-22
319-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-लडुआ-10-1-2022
320-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-नर्मदा-11-01-2022
321-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-फुरफुरी-17-1-2022
322-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-पतंग-18-01-2022
323-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-19-1-2022
324-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-मुखिया-25-01-2022
325-श्री जय हिन्द सिंह बुंदेली दोहे-कौल-7-2-2022
326-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-10-2-22
327-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.17-2-2022
328-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-23-2-2022
329- श्री गोकुल यादव, बुंदेली स्वतंत्र-2-3-2022
330- श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-4-3-2022
331-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-जनानी-7-3-2022
332-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-चिरैया-21-3-2022
333-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-30-3-2022
334-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-पसरट-11-3-2022
335-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-दुपाई-02-5-2022
336-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-मजदूर-10-5-2022
337-श्री गोकुल यादव-गद्य लेखन-13-5-2022
338- श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दोहा-गुदना-15-5-2022
339-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-सूरज-17-5-2022
340-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-तातौ-23-5-2022
341-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-मिर्ची-24-5-2022
342-श्री गोकुल यादव-बुंदेली पद्य स्वतंत्र-25-5-2022
343-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-प्यास-31-5-2022
344-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-झुनझुना-7-6-2022
345-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-वट-14-6-2022
346-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-जरुआ-27-6-2022
347-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-30-6-22
348- श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-8-7-2022
349-श्री जयहिंंद सिंह जयहिंंद- दोहा-कुची-11-7-2022
350-श्री गोकुल यादव-बुंदेली पद्य स्वतंत्र-20-7-2022
351- श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दोहा-गटा-01-8-2022
352- श्री सुभाष सिंघई-हिंदी दोहा-लकीर-02-8-2022
353- श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दो.-बतकाव-6-8-2022
354- श्री सुभाष सिंघई-हिंदी दोहा-तिरंगा-9-8-2022
355- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-कचुल्ला-13-8-2022
356- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-हेंसा-15-8-2022
357- श्री सुभाष सिंघई-हिदी. दोहा-मद-16-8-2022
358-श्री गुलाब सिंह यादव-बुंदेली पद्य स्वतंत्र-17-8-22
359- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-ठूंसा-20-8-2022
360- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-गडला-22-8-2022
361-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.76-घुरवा-22-8-22
362- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-हनकें-29-8-2022
363-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.77-रामधइ-3-9-22
364- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-स्याँनों-5-9-2022
365-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.78-छिको-10-9-22
366- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-करय-12-9-2022
367-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.79-मुंडा-17-9-22
368- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-ससुरार-19-9-2022
369-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.80-कउआ-24-9-22
370- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-बोंडी-26-9-2022
371- श्री सुभाष सिंघई-हिंदी.दोहा-गरबा-27-9-2022
372- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-81बुकरा-1-10-2022
373- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहाआठें-3-10-2022
374 pramod mishra-hindi-dhyan-20.6.2023
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374 प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-20- 6-2023
माता-पिता जा धरा के
आदरणीय बहुत ही मनभावन उपदेशक दोहावली का निर्माण आपके द्वारा किया गया ।
आदरणीय श्री मंजुल जी
उम्दा लेखन हेतु आपको बहुत-बहुत धन्यवाद । आदरणीय भविष्य में इससे भी अच्छा लगने की अपेक्षा के साथ नमस्ते ।
आदरणीय श्री आसारामजी नादान । ज्ञानवर्धक बात बच्चों पर ध्यान देना आवश्यक हैं
वर्तमान समय ठीक नहीं है इसीलिए बच्चों पर खास तौर से ध्यान और खानपान पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है आपने इसके लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद ।
आदरणीय श्री सुभाष जी
आप तो बहुत बड़े कलमकार है श्रेष्ठ रचना के लिए बस हैं आप बिल्कुल सच लिखा आपने पूजा हो किंतु पाखंड ना हो । स्वस्थ रहने के लिए योग की आवश्यकता है योग का पूरा ज्ञान आपके द्वारा लिखा गया । बहुत ही अच्छी शिक्षा आपके द्वारा दी गई । पटल पर आपका मार्गदर्शन बहुत ही सराहनीय है आदरणीय बहुत-बहुत साधुवाद ।
आदरणीय द्विवेदी जी
आज तो आपने अपनी दोहावली में कमाल कर दिया
एक ही दोहा में ध्यान धारणा यम नियम आसन प्राणायाम यहां तक कि निष्काम तक ले गए आप । आपकी कलम को प्रणाम करता हूं और आपको भी सुंदर शिक्षा के साथ सुंदर शब्दों का चयन किया है आपने ।
आदरणीय श्री भगवान सिंह जी
भगवान शिव ने सती का चरित्र जान लिया । क्योंकि वह लीला के द्वारा विद्याओं को प्रकटाना चाहते थे । बहुत ही सुंदर दोहावली लिखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद अंतिम दोहा में आपने नट पनिहारी सांप टिटहरी आदि का प्रयोग किया
अच्छा लिखा ।
आदरणीय श्री राना जी
यद्यपि आपका कथन सर्वथा सत्य है मन का चंचल होना अच्छा नहीं और हृदय का शांत होना बहुत अच्छा है । गंभीर विषयों पर आपने प्रकाश डाला है । और अंत में बात भी मुस्कुराने की कही आपको बहुत-बहुत साधुवाद
आदरणीय श्री संजय जी
सही लिखा आपने ज्ञानी के हृदय में ज्ञान होता और संतों के हृदय में ग्रंथों का वास रहता है अहंकार कभी अच्छा नहीं होता और बच्चों की तरह निर्मलता हमेशा उत्तम होती है । इतना सुंदर वार्तालाप दोहा के माध्यम से प्रस्तुत किया आपको बारंबार साधुवाद ।
आदरणीया रेणु जी श्रीवास्तव
आपके द्वारा उत्तम उपदेश माता-पिता देवता है उनका हमेशा सम्मान होना चाहिए । कामदेव का वार्तालाप बहुत अच्छा लिखा
राम नाम पर भी ध्यान केंद्रित किया है आपने बहुत ही अच्छा लिखा फिर भी आपसे अपेक्षा करता हूं लिखने के बाद एक बार पुनः पढ़ ले ।
आदरणीय श्री जय हिंद सिंह जी
आपने दोहा के माध्यम से बहुत सुंदर समझाया दीन दुखियों पर दया करो माता पिता की सेवा करो । फालतू में शक्ति का प्रयोग मत करो बहुत अच्छी शिक्षा आपके द्वारा दी गई आदरणीय आपको बहुत-बहुत साधुवाद
आदरणीय श्री शोभाराम जी
आपके दोहे हमेशा भाव प्रधान होते यद्यपि शिक्षा आपने बहुत अच्छी दी है पढ़ना लिखना ध्यान से आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
अपेक्षा करता हूं आप और अच्छा लिखने का प्रयास करें ।
आदरणीय श्री प्रभु जी
बढ़िया लिखा आपने काग जैसी चेष्टा बगुला जैसा ध्यान कुत्ते जैसी नींद एक छात्र के लिए यह लक्षण बहुत अच्छे होते हैं साथ ही आपको ध्यान आ गया किसान का आजकल पानी की कमी दिख रही है चिंता करने की बात है आदरणीय आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
श्री कल्याण जी साहू
आदरणीय आपके द्वारा बताया गया कि मनुष्य के जीवन में ध्यान आवश्यक है शिक्षा कर्म जपतप सेवा व्रत सभी की जरूरत है बिल्कुल सच बहुत-बहुत धन्यवाद
आदरणीय श्री अमर सिंह जी
आपने लिखा तन्मयता तल्लीनता
ध्यान साधना और धैर्य यह संत के लक्षण है इन्हीं से भगवान की प्राप्ति होती है जीवन की सार्थकता हासिल होती है और इसी से तेज प्राप्त होता है बीमारियों का अंत होता है और हृदय की शुद्धि होती बहुत उत्तम शिक्षाप्रद दोहावली आदरणीय बहुत-बहुत साधुवाद
आदरणीय श्री सरल जी
आपने लिखा लक्ष्य पर ध्यान दीजिए दिन रात मेहनत कीजिए कभी विचलित मत होइए सुख दुख में एक दूसरे का साथ दीजिए अहंकार मत कीजिए ध्यान और योग कीजिए आदरणीय गागर में सागर भर दिया बहुत उत्तम शिक्षाप्रद रचना आपके द्वारा प्रस्तुत की गई आपको बहुत-बहुत साधुवाद
और अंत में आप सभी ने मेरे दोहे तो पढ़े ही होंगे ध्यान का ध्यान और एक चिड़िया ।
आप सभी साहित्यकारों को मेरी ओर से सादर नमन नमस्कार एक एक कर सभी को बधाई शुभकामना और दोहावली के बारे में लिखना था इसीलिए मैंने क्रमशा सभी के दोहों को पढ़ा और अपनी बुद्धि के अनुसार लिखा त्रुटि के लिए क्षमा चाहता हूं
एक बार सभी को हार्दिक साधुवाद जय हिंद
373-
श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहाआठें-3-10-2022
बुंदेली दोहा दिवस , 3 अक्टूबर 22
~~~~~~~~~~~~
समीक्षा छंद - गुपाल छंद , 15 मात्रा , पदांत- लगाल (जगण)
निवेदन - आपके सभी दोहो को पढ़कर , हम समीक्षा में सटीक कथ्य तथ्य युक्त दोहे का प्रयोग करते है कि आपका दोहा क्या संदेश दें रहा है , दोहे संदेश / कथ्य युक्त ही लिखने का प्रयास करना चाहिए |
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1- श्री शोभाराम दाँगी जी
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
आठें को बनकर जजमान |
पाओं माता पूजन ज्ञान ||
धूप दीप नैवैद्य सुजान |
नव दुर्गा है पर्व महान ||
नवदुर्गा पर्व को महान मानकर माता जी की सेवा करना चाहिए , जीवन सुखमय रहता है
~~~~~~~~~~~~~`~
2-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी पलेरा जिला टीकमगढ़
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
लैकें लोंगें माल बनाँय |
मैया को जाकर पहनाँय ||
संगै माला लियो गुलाव |
तलसी पौधा दीप जलाव ||
लोंग माला , लाल गुलाब , तुलसी पौधा पूजा , दीप इत्यादि की सही जानकारी आपने कहीं है
~~~~~~~~~~~~
3-प्रदीप खरे, मंजुल* टीकमगढ़
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
दुर्गा माता नौ दिन आत |
सबइ भजन भी मिलकर गात ||
जो जाते माता दरबार |
उनखौं मिलती कृपा अपार ||
आपने माता पूजा , भजन , श्रद्धा पर बल दिया है ,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
4- श्री प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़,
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
बतला आठें सबइ प्रकार |
दिया आज है यह उपहार ||
खूब लिखा है , कहै सुभाष |
पूरे दोहे दिव्य प्रकाश ||
आपने सभी महत्वपूर्ण आठें आपने लिखकर आनंद भर दिया है
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5- श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्हींटेहरी
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
सब आठों पर डाल प्रकास |
भरते दोहे सभी उजास ||
लिया नौरता शब्द प्रधान |
सब दोहन में अतुलित ज्ञान ||
आपने सभी आठों पर्व पर प्रकाश डालकर परिभाषित किया है
~~~~~~~~~~~~~~~`
6- श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी" जी टीकमगढ़
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
आठें गौरी घर-घर आइ |
पूजौ सबरै मिलकर माइ ||
कन्या पूजन रखकर भोज |
रखना मन में मधुरिम ओज |
आपने कन्या पूजन पर विशेष बल दिया है
~~~~~~~~~~~~
7-सुभाष सिंघई
गुपाल छंद में संदेश / कथ्य
माइ महागौरी दिन आज |
करना कन्या पूजन काज ||
मिला सीखवें सुंदर पाठ |
करना पूजन रखकर ठाठ ||
कन्या पूजन करके , सदैव कन्याओं को देवी स्वरुप मानना चाहिए
~~~~~~~~~~~~~~
8- आद० गीता देवी जी औरैया उत्तर प्रदेश
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
लिखती कन्या पूज रिबाज |
करता झंडा चढ़कर काज ||
रक्त पुष्प सँग जले सुदीप |
मात् कृपा को रखे समीप ||
आपने कन्या पूजन , देवी ध्वज , लाल पुष्प , व दीप प्रकाश को जीवन में आवश्यक बताया है
~~~~~~~~~~~~~~~
9- श्री अमर सिंह राय. जी नौगांव, मध्यप्रदेश
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
माता पूजो सरल सुभाव।
मनवांछित मीठा फल पाव।
महागौरि किरपा जब देंयँ।
पीर आपकी सब हर लेयँ।।
आपने माता पूजन का फल अवगत कराया है , जो सदैव लाभकारी होता है
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10- आद० डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
आज हुआ महिसासुर नास |
गौरी माता करें उजास ||
महिमा आठें की अठबाइ |
शिव स्वरुप की चाहत माइ ||
आपने अवगत कराया माता ने , गौरी स्वरुप में महिसासुर का मर्दन किया था , व गौरी माता को अठवाइ प्रसाद में शिवलिंग रुप की अठबाइ चढ़ाना चाहिए
~~~~~~~~~~~~~~~``
11-श्री बृजभूषण दुबे जी बृज बकस्वाहा
मैया चढ़वें श्रीफल भोग।
मानव काया रहै निरोग ||
माता पूजन करो पुनीत |
चली सदी से है यह रीत ||
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
आपने संदेश दिया है कि माता को सदैव मांगलिक प्रसाद अर्पित करना चाहिए , यह हमारी सनातनी परम्परा है
~~~~~~
12 -श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़
बुबे जबारे जगमग होत |
आठें चमकें जलकर जोत |
चढ़े सुपारी नरियल पान |
अठवाइँ से पूजन गान ||
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
आपके सभी दोहों में , जबारे , अठवाइ , नारियल पान पूजा , माहुर इत्यादि कई शब्द समाहित किए गये है , जिनसे दोहे बहुत सुंदर सृजित हुए है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
13- श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकान्त" निवाड़ी
पान बतासा चूनर लाल |
जगदम्बा पूजा हर साल ||
भरें पैड़ जो भी दरबार |
मैया करती है उपकार ||
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
आपने बहुत ही सुंदर दोहे लिखे है , पैड़ भरकर दर्शन करना भक्ति की इस लीक को आपने बहुत सुंदर तरीके प्रस्तुत किया है , पर आप इस विषय को छू गए है ,
~~~~~~~~~~~~~~~~~
14 श्री रामानन्द पाठक नन्द जी
गुपाल छंद में आपका संदेश / कथ्य
शक्ति रुप दुर्गा जग जान |
आठें पूजत जन-जन आन ||
माइ दिवाले पूजत रोज |
आठें कन्या करतइ भोज ||
अपने बहुत ही सुंदर दोहे लिखे है ," माइ दिवाले " शब्द बहुत ही प्यारा प्रयोग किया है
~~~~~~~~~~~~~~~~~
सादर ,
सुभाष सिंघई, जतारा
###########################
372- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-81बुकरा-1-10-2022
372-
समीक्षा छंद - चौपइ ( जयकरी छंद) , पदांत गाल
विशेष - यदि इस छंद में पदांत गागाल हो जाए , तब वह इसी छंद का " पुनीत रुप " कहलाता है
शनिवार , दिनांक 1 अक्टूबर 22 , विषय - बुकरा
प्रतियोगी दोहो की समीक्षा लिखने के बाद , आदरणीय राना जी से अभी हाल में ही प्राप्त सूची अनुसार , दोहों के साथ दोहाकार का नाम भी जोड़ दिया गया है |
प्रतियोगी दोहों के बाद कुछ अप्रतियोगी दोहे भी समीक्षा में समाहित किए है जो कुछ खास संदेश देते लगे है |
चूंकि यह विषय भी ऐसा था कि सभी तरह के सौपान सामने आने थे ऐसे में कुछ अप्रतियोगी दोहों से मैं तदात्मय नहीं रख पाया हूँ , सही समीक्षक धर्म का पालन नहीं कर पाया हूँ , इसीलिए क्षमाप्रार्थी हूँ 🙏🙏
समीक्षक - सुभाष सिंघई जतारा
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संयोजक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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*प्राप्त प्रविष्ठियां:-*
*1*श्री जयहिंद जी जयहिंद
डुकरा बुकरा सौ परौ,ज्वानी सौ इठलात।
बुकरा सी डाड़ी बड़ी,बुकरा सौ बुक ल्यात।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
बूड़े जिनखौं घर में कात |
परै - परै भी है इठलात ||
अनुभव से सबखौ समझात |
पर कौनउँ खौं नहीं सुहात ||
दोहे ने बूड़ों की दशा का सटीक चित्रण किया है
***
*2*श्री प्रदीप खरे मंजुल जी
बरया कैं जौ तन मिलो,काये नहीं लजात।
बकरा से मिमयात हैं,जोरें दोई हात।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
मानव तन पाकर अकुलात |
खोट करम से नहीं लजात ||
मै मै करतइ बुकरा बोल |
करत रहत है डोलम डोल ||
दोहे से संदेश है कि मानव तन पाकर लज्जा बाले काम नहीं करना चाहिए , और गिड़गिड़ाकर हाथ जोड़ने (क्षमा मांगने ) बाले काम नहीं करना चाहिए।
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*3- श्री रामानंद जी पाठक
बुकरा की अम्मा कहाँ ,कानों करै उपास।
चढवै बुकरा की बली, होनें परै निराश।|( परि०)
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
जोरत फिरतइ सदा मताइ |
व्रत पूजा भी करै अथाइ |
फिर भी बचा न पावें प्रान |
बुकरा देतइ है बलिदान ||
दोहे के भाव है कि कभी - कभी लाख प्रार्थनाएँ भी किसी की नियति को नहीं टाल सकती है
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*4* श्री डा० देव दत्त जी द्विवेदी
कुकरा बुकरा काटबे,कौ है गलत रिबाज।
बदलौ भैया जा प्रथा, सुदरै जबइँ समाज।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
गलत प्रथाएँ बदल रिबाज |
उन्नत होगा तभी समाज ||
बदल जमाना अच्छी नीति |
तभी बढ़ेगी सबमें प्रीति ||
आपने वर्तमान परिवेश में गलत परम्पराओं को छोड़ने का आवाह्वन किया है , सुंदर सार्थक संदेश
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*5*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी
बुकरा कौ जीवन बुरव , जानत हैं हम आप।
पतौ नहीं कीकी लगी , उयै बुरइ जा शाप।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
जीवन में मिलता अभिशाप |
सहना पड़ता है चुपचाप ||
पता नहीं कैसे है पाप |
जिनको सहते हम अरु आप ||
आपके दोहे से संदेश निकलता है कि अभिशापित जीवन भी बेकार है , सदैव घात का सामना देखना पड़ता है
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*6* श्री श्यामराव घर्मपुरीकर जी प्राचार्य
बुकरा सी काठी लएँ, करत कबउँ नइ काम।
बेई कटवे खाँ बने, मौं सें निकरे राम ।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
सदा आलसी खाता खार |
सहता रहता जग की मार ||
करते रहते जो है काम |
उनका रहता हरदम नाम ||
दोहे से संदेश निकलता है इस संसार में हर प्राणी को अपनी उपयोगिता पहचान बनानी चाहिए , अन्यथा उनके साथ बकरा जैसा व्यवहार होता है
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*7* सुभाष सिंघई
बुकरा की डुकरौ गई , माँगन मिले भभूत |
सला घौलना दै उठौ , इतइँ चढ़ा दै पूत ||
जयकरी छंद में समीक्षा
पंडा बनकर करते लूट |
मिली हुई है कैसी छूट ||
रहना उनसे सदा सचेत |
वह देखे बस अपना हेत ||
कवि का भाव है कि अपनी श्रद्धा को पंडो के हवाले करने के पहले सोच विचार करना चाहिए
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*8* श्री संजय श्रीवास्तव जी
छिरिया सें बुकरा कबै,आ गइ बैरन ईद।
जियो चैन सें छोड़ दो,तुम मोरी उम्मीद।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
बन जाते है जब हालात |
सहना होती है आघात ||
देना पड़ता है बलिदान |
नहीं बचाता कोई आन ||
दोहे से संदेश है कि अपने घात के अवसर आ ही जाते है , तब संसार में अपनों से वियोग सहना ही पड़ता है
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*9* श्री प्रमोद मिश्रा जी
(आपका एक अप्रतियोगी दोहा 17 क्रमांक पर लिया गया है )
बलि को बुकरा बोल गव, पनी मनौती पाव ।
न्याय करें ईश्वर अगर , कुचरें मूंढ़ तुमाव।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
जिसे अकारण देते मार |
शाप वचन वह देता खार ||
जो मारे वह करता पाप |
मरने बाला देता शाप ||
दोहे से संदेश निकलता है कि जिसको हम अकारण अपने हित को मारते है , तब मरने बाला भी आपको अभिशाप देकर ही जाता है
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*10*श्री मनोज साहू जी निडर
बुकरा-सो मैं-मैं करै, गरवी अपजस ढ़ोय।
गरव रओ नै दक्ष कौ, कटा मूँड़ अज होय।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
जो करते है जग में अभिमान |
दशा बिगड़ती सच्ची जान ||
बचें नहीं है जग के देव |
तुम पढ़ इतिहासों को लेव ||
दोहे से संदेश निकलता है कि अभिमान अपयश का ही आकर लेता है , इतिहास के पन्नों में दक्ष और अज के उदाहरण है
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*11*श्री गोकुल प्रसाद यादव जी कर्मयोगी
(आपका एक अप्रतियोगी दोहा भी आगे 16 नम्बर पर लिया है )
बुकरा-कुकरा हैं भले, बूढ़े होंयँ न रोंयँ।
पर स्वारथ में प्रान-तन,भर ज्वानीं में खोंयँ।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
भरी जवानी प्राण गवाय |
पर स्वारथ में जो भी आय ||
कहलाता है वह बलिदान |
रखता अपनी निज है शान ||
दोहे से संदेश निकलता है कि बूड़े होने की जगह परस्वारथ में भी लोग बलिदान होते देखे गए है
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*12* श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
सरग धरें जो मूँड़ पै, समझें ना समझायँ।
जब जगदम्बा रूठतीं,बुकरा से मिमयायँ।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
नहीं देवता अपने नाम |
प्राण हरण का करते काम ||
देवी सुनकर उनकी चीख |
उन्हें दंड से देती सीख ||
इस दोहे का सारांश है कि देवी देवता किसी बलि की चीखकर सुनकर प्रसन्न नहीं होते है , बल्कि नाराज होते है
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*13*श्री एस आर सरल जी
बुकरा की चढ़बै बली, बली न चढ़बै शेर।
सज्जन खावें ठोकरें , दुष्ट करें अंधेर ।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
दीन हीन मरते लाचार |
बलशाली कब खाते खार ||
सज्जन ठोकर खाकर आय |
दुष्ट अंधेरा करता जाय ||
दोहे से सारांश निकलता है कि लोग भी दीन को ही सताते है , शक्ति शाली को कोई नहीं छेड़ता है , सत्य कथ्य लिखा है
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*14*श्री अमर सिंह राय जी
(आपका एक अप्रतियोगी दोहा क्रमांक 18 पर लिया गया है
कुकरा बुकरा की बली, आजहुँ देतइ लोग।
पाखंडी अज्ञान में, खात समझ कैं भोग।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
जग में अब भी है अज्ञान |
भले बुरे की नहिं पहचान ||
बलि का दिखता अब भी रोग |
पाखंडी जन खाते भोग ||
दोहे का सारांश है कि वर्तमान परिवेश में पाखंडी जन बलि प्रथा को मानकर , बलि का भोग खाते है , जो सर्वथा गलत है
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कुछ अप्रतियोगी दोहे शामिल किए है , जो कुछ नया दृष्टिकोड़ दे रहें है ,
15 आदरणीय राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*जी का अप्रतियोगी दोहा
बुकरा कत #राना सुनौ , कटबौ लिखौ नसीब |
चौतरफा हम देखतइ , यैसइ हाल गरीब ||
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
राना यैसइ हाल गरीब |
बुकरा जैसो लिखो नसीब ||
सहता जग में सबकी मार |
मिलती रहती उसकी खार ||
इस दोहे से बहुत सार्थक कथ्य कहा गया है , बुकरा और गरीब की यही हालत है वर्तमान परिवेश में
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16- श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
अँदरा है कानून सो, हो रव उल्टौ खेल।
बलि कौ बुकरा बन बनूँ, कैउ काट रय जेल।।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
दिखता है अंधा कानून |
बुकरों का ही होता खून ||
उल्टे -पुल्टे चलते खेल |
बेकसूर अब काटे जेल ||
आपने दोहे से वर्तमान हालात का सटीक चित्रण किया है
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17 - श्री प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़,
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
बुकरा ने ओहो करी , छिरिया ने मिमयाव |
ऐइ बोल पै होत गव, बिन दहेज को ब्याव ||
बकरा- बकरी बने प्रतीक |
प्रेम बना है सुंदर लीक ||
अब दहेज की छोड़ो बात |
व्याह होन दो मिश्रा कात ||🥰🙏
आपने हास्य की पुट रखते हुए भी एक संदेश ही दिया है
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18- श्री अमर सिंह राय नौगांव, मध्य प्रदेश
बड़े बड़े जब भी लरैं, इन्हें बचावै जोय।
बोई धोखे में रहै, बलि को बुकरा होय।
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
बड़े बड़न की मिलतइ घात |
छोटे देखे कुचरै जात ||
बडे लड़ै तो रहियौ दूर |
सुनियो मोरी बात जरूर ||
आपने अपने इस दोहे से , सही परामर्श दिया है
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19- श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ
अप्रतियोगी बुंदेली दोहा
छिरियाँ बुकरा ना बनो , बनो नैक इंसान।
अपनौं भारत देश है , जहां वसैं भगवान ||
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
अपना भारत देश महान |
बसते जिसमें है भगवान ||
सच्चा बनना है इंसान |
सबको देना है सम्मान ||
आपके इस दोहे से मानव को सच्चा रुप रखना चाहिए , यह संदेश दिया गया है
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जय बुंदेली फेसबुक पटल से -
20- श्री राज नारायण दीक्षित राजेश मुरार ग्वालियर मध्यप्रदेश
बुकरा कौ काटौ गरौ , है जौ कैसौ मान ।
जान गई दुखियार की ,कैत करौ वलिदान।।(परि०)
चौपइ (जयकरी छंद ) में समीक्षा
कहते है जो भी बलिदान |
बकरा की लेकर के जान ||
प्राण छोड़ता है दुखयार |
अजब-गजब है यह संसार ||
दोहे से बलि प्रथा पर सटीक प्रश्न किया है
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यदि कहीं त्रुटि हो तब परिमार्जित भाव से स्वीकार करें
सादर
सुभाष सिंघई, जतारा
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371- श्री सुभाष सिंघई-हिंदी.दोहा-गरबा-27-9-2022
दिनांक 27 सितम्बर , विषय - गरबा
यह समीक्षा नहीं लिखी है , आज सभी ने गरबा पर बहुत ही सुंदर लिखा है , जिन मित्रों ने आज पटल पर लिखा है , बस उनके नाम को दोहा छंद में समाहित करने का प्रयास किया है , यदि समीक्षा की कहें तब आज सभी के दोहो के कथ्य भक्ति भावना से भरे थे , सभी के भावों व सृजन को नमन है
जय माता दी 💐💐
गरबा पर लिख डाले , सबने दोहा छंद |
दीप जला जयहिंद जी , शुरु करें आनंद ||
अमरसिंह गरबा लिखें , पहुँच गये गुजरात |
साहू श्री मनोज कहें , है गरबा सौगात ||
गरबा से गर्वित भए , मिश्रा श्री प्रमोद |
राना कहते भक्ति है , गरबा नहीं विनोद ||
दीप आरती लिख रहे , सेवक यहाँ सुभाष |
मंजुल श्री प्रदीप जी , मन में भरें हुलाश ||
परमलाल गरबा लिखें , देख रहें है धूम |
अनुरागी गरबा रचें , मन दिखता है झूम ||
आशा जी गरबा लिखेंं , गुंजित है आकाश |
वर्मा आशाराम जी , लिए आज उल्लास ||
प्रीतिसिंह की लेखनी , देवी माँ पंडाल |
गोकुल जू के भाव सब , करते आज कमाल ||
प्रभुदयाल भी लिख चले , पाकर कुछ आभाष |
बृजभूषण गरबा कहें , यह है दिव्य प्रकाश ||
दांगी शोभाराम जी , गान करें चहुँ ओर |
बहिन सुनीता लिख रहीं , नील कंठ का जोर ||
जनक कुमारी दे रहीं , पान सुपाड़ी भोग |
कहते रामानंद जी , गरबा सुंदर योग ||
शरण अंजनी आ गये , मैया के दरबार |
कन्यायें गरबा करें , लिखते शगुन विचार ||
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पुन:
जय माता दी
सुभाष सिंघई, जतारा
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370- श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दोहा-बोंडी-26-9-2022
समीक्षा - दि० 26 सितम्बर 22 , विषय बोंड़ी
समीक्षा छंद - दोही ( 15 -11 मात्रा )
विधान - दोहे के विषम चरण में दो मात्रा बढ़ा देने से , यह छंद बन जाता है
विशेष -
काव्य में दोहा का आशय होता है --
दुहा हुआ (अर्थात कथ्य निचोड़ )
दोही का अर्थ होता है = कथ्य दुहने बाला
अत: व्यावहारिक रुप से दोनों का आशय एक ही है
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आज दोहा पर विशेष आलेख
काव्य की भाषा में दोहा - दुहा हुआ निचोड़ है (रस है )
" नाम" के आधार पर दोहा का अर्थ " भगवान की कृपा , पूर्वाह्न " है |
पूर्वाह्न का अर्थ है - सबेरे से दोपहर तक का समय, (दिन का पहला भाग ) अर्थात " पहला शीर्ष" भाग
दोहा - स्वतंत्र , क्रिया प्रधान, अग्रणी, , मजबूत इच्छा शक्ति वाला , सकारात्मक, ऊर्जावान, उद्यमी, उत्साही होता है
चार चरण - दो हाथ -दो पैर है | "तत्य युक्त कथ्य इसके कर्म बोल है , एक दोहा दूसरे दोहा पर आश्रित नहीं होता है , चार चरण में ही अपनी बात पूर्ण कह देता है |
यदि मात्रा भार और कलन सिर्फ तुकबंदी आधार पर है व उसमें संदेश / कथ्य नहीं है , तब विद्वान गण उसे "दोहा" नहीं बल्कि एक फूँक में उड़ने बाला कुचला " पोहा " कहते है |
हमें बहुत ही प्रसन्नता है कि अपने इस जय बुंदेली पटल पर सभी मित्र कथ्य युक्त दोहे बुंदेली और हिंदी में लिखते है , सभी को बधाई , शुभकामनाएँ 💐💐
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#समीक्षा -
1- श्री गोकुल प्रसाद यादव जी "कर्मयोगी "
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
सब दोहो का यह सार है , बोंडी सुता समान |
मत तोड़े कुचलें भी नहीं , सोच रखें इंसान ||
आपने बेटियों को सदा कोमल कलियाँ मानकर घर में पल्लवित पुष्पित होने का सार्थक संदेश दिया है , एक तरह से बेटियों को संसार में सम्मान दिलाने का संदेश दिया , एक गहराई यह भी कि बेटियों की भ्रूण हत्या भी न हो |
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2- सुभाष सिंघई
दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
बोंड़ी भी सबसे कात है ,चार कदम लो बोंड़ |
खिलकैं जग खुश्बू से भरौ, सुंदर हौं सब कोंड़ ||
नव युवा व युवती भी संसार में संदेश देते है कि आगे सुकर्म से खिलकर संसार को कुछ देना है
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3- श्री प्रदीप खरे, मंजुल* जी टीकमगढ़
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
सब दोहे करते आपके , बोंड़ी का सम्मान |
यह बनकर जब फूल हो , देवें सुंदर गान ||
आपने अपने सभी दोहों से यह संदेश दिया है कि सृष्टि के सुंदर क्रम पर आघात न करके सभी को उसे संरक्षण देना चाहिए , जो आगे चलकर आपके हितोपयोगी ही है
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4- श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी #पलेरा जिला टीकमगढ़
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
सब समझे दोहे आपके , जिसका है यह सार |
बोंड़ी बढ़ती है उस जगह, जहाँ रहे कुछ प्यार ||
आपने अपने दोहो से यह संदेश दिया है कि संसार में नव आगुंतक जीव को स्नेह प्यार और संरक्षण व उचित स्थान प्रदान करने से वह बढ़ते खिलते है |
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5- श्री भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" जी
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
अनुरागी जी कहते यहाँ , मत करना है भूल |
संसारी प्राणी है सबइ , मत बाँटो तुम शूल ||
आपने सभी को यह संदेश दिया है कि किसी नव पुष्पित जीव को घात न देकर , उसे अपनाना चाहिए , भविष्य में वह आपके प्रेम को पाकर आपके गले का हार बन सकता है
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6 -डॉक्टर प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार जी
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
सब बिटियाँ बोंडी जानियों , लिखै प्रीति जी बात |
कोमल रहते इनके हृदय , घर आँगन महकात ||
आपने अपने दोहो में बेटियों को बोंडी की संज्ञा देकर इनके संरक्षण संवर्धन का संदेश दिया है , जो आगे चलकर दो कुलों में सुगंध विखेरती है
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7- श्री राजीव नामदेव " राना लिधौरी " जी
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
बोंडी भी सब इत है बनत , फिर आगे बढ़ जात |
जब कौउ न टोरै आ उनै , तौ वें खिल मुस्कात ||
आपने अपने दोहों से यह संदेश दिया है कि , सभी जीव छोटे आकार से उपयुक्त स्थान पाकर , आगे बढ़ते है , सभी को उन्हें अपने सुत और सुता समान मानकर संरक्षण देना चाहिए |
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8 -श्री एस आर सरल जी *टीकमगढ़*
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
जब नए लोग कुछ काम कर ,रखते है मकरंद |
तब दुनिया में यश फैलता , जैसे उड़े सुगंध ||
आपने बोंड़ी -पुष्प- मकरंद- सुंगध के प्रतीको से यही संदेश दिया है कि संसार में सदैव युवाओं के सुकामों की चर्चा होती है , अभिनंदन होता है
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9- श्री डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ामलहरा छतरपुर
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
हर मानव को पहले यहाँ , जानो नाजुक आप |
वह कर्मठता से फूलकर , दे सुगंध की छाप ||
आपने बोड़ी के माध्यम से अपने दोहो से संदेश दिया है कि संसार में पहले सभी को कोमलता मिलती है , फिर प्रगति मार्ग अपनाकर
पुष्पित होकर अपना यश कर्म प्रस्तुत करना होता है , यदि कोमलता बोंड़ी की तरह कुचल दी जाए , तब ईश्वर माली भी दुखित होता है
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10-श्री अभिनन्दन गोइल जी
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
नव बोंड़ी- भँवरा- पुष्प के , सब सुंदर उपमान |
पल जीवन के सब लग रहे , अनुपम गाते गान ||
आपने अपने दोहों में जीवन क्रम के सुंदर पलों का वर्णन किया है ,
सभी दोहे बहुत ही सुंदर शृंगारित है
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11- श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी श्रीकांत निवाड़ी
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
जब पौध पेड़ को मिल उठै , बच्चों जैसा प्यार |
यह मन भी तब हरसात है , लेकर हृदय बहार ||
आपने अपने दोहों से बहुत ही सुंदर संदेश दिया है कि सभी को पृकृति के पेड़ पोंधों फूलों से पुत्रवत् स्नेह रखकर पल्वित करना चाहिए , जिससे माँ लक्ष्मी व ईश्वर आप पर प्रसन्न होते है
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12- श्री शोभाराम दाँगी जी नंदनवारा जिला टीकमगढ
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
कहते श्री शोभाराम जी , बोंडी कच्ची होंय |
तुम इनको कभी न तोड़ना, तोड़ो तो यह रोंय ||
आपने अपने दोहो के माध्यम से अधपके फूलों फलों फसलों की सुकमारता पर दृष्टि डालते हुए इनके संरक्षण पर बल दिया है , क्योकिं यही पककर फूलकर हम आपको पूरा समर्पण देते है , हमारे काम आते है
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13 - श्री बृजभूषण दुबे जी बृज बकस्वाहा
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
फुलबगिया जब साजी लगी, बरन -बरन के फूल।
अब खुटक- खुटक बृज मिटा रय, बोंड़ी मूल समूल ||
आपने संसार की दशा पर चिंता अभिव्यक्त की है कि लोग अब खुद अपना धर्म पुरुषार्थ जड़ मूल से नष्ट करने पर पर आमादा है
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14- श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
अब प्रभुदयाल जी कह रहे , मत बोंड़ी को टोर |
लग जाता सीधा श्राप है , आकर अपनी ओर ||
आपने अपने दोहों में बोड़ी पुष्प की सुंदरता का दिग्दर्शन कराते हुए ,इनका रसास्वादन लेने का संदेश दिया है, इनको नष्ट करने पर पृकृति का अभिशाप लगने की बात सटीक और सत्य कही है
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15 - श्री अमर सिंह राय जी नौगांव, मध्य प्रदेश
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
श्री अमर सिंह जी मानते , बोंडी भ्रूण प्रसून |
मत करना कोई कोख सम , इसका जाकर खून ||
आपने अपने दोहों के माध्यम से बोड़ी को प्रतीक बनाकर , बेटियों की भ्रूण हत्या न करने का संदेश दिया है , लजवाब उपमा व उपमान लिए है , आपका पहला दोहा ही बहुत ही भारी व चिंतनीय है
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16- श्री मनोज साहू 'निडर' जी
आपके दोहों की दोही छंद में भाव समीक्षा
जब बोंड़ी से बोंड़ी कहे, मत बहिना इठलाय।
अब भोर भये कौनौ खबर, किस रस्ते को जाय।।
यथार्थ सत्य लिखा है
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समीक्षा में कहीं त्रुटि हो तब परिमार्जन भाव से स्वीकार करें
सादर
सुभाष सिंघई
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369-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.80-कउआ-24-9-22
समीक्षा - प्रतियोगी दोहो की , दिनांक 24 सितम्बर 2022 ,
विषय - कउवा ,
समीक्षा में प्रयुक्त -"#बरवैं_छंद "(12 -7 मात्रा ) का प्रयोग किया है
बरवैं छंद 12- 7 मात्रा , 12 की यति चौकल से व पदांत ( तगण 221 उत्तम ) व ( जगण 121 लगाल ) से सर्वोत्तम | यह अर्ध्दसम मात्रिक छंद है
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*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-60*
समीक्षा लिखने के बाद , अभी हाल में ही आदरणीय राना जी से प्राप्त सूची अनुसार दोहों के साथ दोहाकार का नाम संलग्न कर दिया है | समीक्षा में कवि के भाव कथ्य को बरवैं छंद में लिखा है , यदि कहीं त्रुटि हो तो परिमार्जित भावना से स्वीकार करें
सादर
सुभाष सिंघई जतारा
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*1*श्री शोभाराम दाँगी जी
कउआ है इक आँख कौ , करत भौत उतपात ।
चौंच चरन सिय मारकैं ,भगवै जान बचात।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
लिया कथानक सुंदर , अनुपम बात |
पर नारी छूने से , मिलती घात ||
आपने चित्रकूट घाट का सुंदर प्रसंग लिया है ,
आपका संदेश - अविवेकी होकर अनावश्यक पराई स्त्री को छूना स्वयं के लिए बहुत बड़ा घातक होता है
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*2* श्री आशाराम वर्मा नादान जी
काॅंव -काॅंव कउआ करै, काऊ खौं न सुहाय ।
कोयलिया जब बोलबै,सबके मन खौं भाय ।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
कउवा की आबाजें , नहीं पसंद |
मीठी लगती कोयल , गाती छंद ||
आपका संदेश - संसार में कर्कषता कोई पसंद नहीं करता है , मीठे वचन का सदैव सम्मान होता है व प्रिय लगती है
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*3*श्री मनोज साहू निडर जी
कउआ की सांसी लगै, भुनसारे की काँव।
भैना मन फुदकौ फिरै, बीरन आबै गाँव।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
काँव -काँव से करता , नजर उतार |
कागा दे संदेशा , जिसमें प्यार ||
आपका संदेश - काला सदैव अपशगुन नहीं करता , नजर उतारकर शुभ संदेश भी देता है
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*4*श्री रामेश्वर गुप्ता इंदु जी
पुरखन में पूजे गये, कउआ पुरखा मान।
फिर कोसें कारो लखे,मन को कारो जान।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
सभी रंग भी पुरखे , करें पसंद |
सभी जगत के पक्षी , दे आनंद ||
आपका संदेश - हमारे पूर्वज सभी पशु पक्षी जीव जंतु को अहार मिलता रहे ,यह चाहते है , उनकी व्यवस्था में अपना अंश समाहित किए हुए है
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*5* श्री अमरसिंह राय जी
करय दिनन कउआ पुजै,पुरखा उनखां मान।
जिन्दा में पूंछो नहीं, अब रख रय पकवान।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
कहे पूर्वज सबके , जब अवकाश |
अपने कुल में भरना , सदा प्रकाश ||
आपका संदेश - संसार में सभी जीव कार्यो में व्यस्त रहते है , पर साल में अवकाश लेकर कुछ दिन पूर्वजों को भी याद करने को देना चाहिए
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*6*श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी
कोयल मीठी बोलबै,सबखों बोल सुहात।
कउआ पुरखा मानके,घर घर पूजो जात।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मीठी जानो कोयल , कड़वा काग |
फिर भी दिखते सबके , अपने राग ||
आपका संदेश - संसार में कोई भी - रंग रस - हीन नहीं है ,सबका अपना उपयोग है
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*7*श्री एस आर सरल जी
कउआ कोयल एक से, बानी फरक बताय।
काँव काँव कउआ करें, कोयल रस बर्षाय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
दुनिया है अब मेला , कर पहचान |
बोली भी करती है , कुछ रस दान ||
आपका संदेश - संसार में बोली बानी कर्म से अपनी- अपनी पहचान होती रहती है
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*8*श्री प्रमोद मिश्रा जी
कउआ चोंच चहोर गव,सिया चरन में आन
आँख फोर दइ राम ने,चित्त कूट भगवान।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
सदा कर्म का फल भी , देता ईश |
सभी देखते जग में , फल जगदीश ||
आपका संदेश - ईश्वर संसार में सभी को कर्म फल प्रदान करता है
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*9*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी
कोयल की वाणी मधुर , सबके मन खों भाय।
कउआ की करकस लगै ,बिलकुल नहीं सुहाय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मीठी बोली के सज्जन , दे पहचान |
करकस जिनकी बोली , रखे न मान ||
आपका संदेश - मधुर वचन प्रिय होते है , करकर्षता कोई पसंद नहीं करता है
************
*10* सुभाष सिंघई
माखन रोटी खा गयौ , हरि हाथन से छीन |
रैमन कवि तब लिख गयै , कउवा रऔ न दीन ||
बरवैं_छंद में समीक्षा
माखन रोटी खाता , हाथन छीन |
कउवा रहिमन कहते , अब ना दीन |
संदेश - प्रभु का प्रसाद भाग्यकारी होता है , काग के भाग बड़े सजनी बाला छंद आप सभी ने सुना ही है
*********** ***
*11* आद० डा० प्रीति सिंह परमार जी
कउआ ओढ़े चूनरी, जाकौ कारौ रंग।
चौंचें मारै हाथ में,रय कान्हा के संग।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
भगवन देते सबको , अपना प्रेम |
नहीं फर्क वह करते , देते क्षेम ||
आपका संदेश - प्रभु से जो भी प्रेम करता है , वह उसको अपना सानिध्य देते है
**************
*12* श्री प्रदीप खरे मंजुल जी
मीन माँस सब भगत है,नाहक जीवन खोय।।
मानव ई कलिकाल में,कउआ के सम होय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मांसाहारी होते , जग जंजाल |
जीवन खोते रहते , अब हर हाल ||
आपका संदेश - मांसाहारी जीवन पशुवत व निरर्थक है
********** ***
*13* श्री आर बी सुमन जी
ग्यारा महिना कढ़ गवो, एकउ लाग न लाग।
पितर - पक्ष में जग गवो, कउआ तोरो भाग।।
एक बर्ष में भगवन , मौका देत |
पितर पक्ष में सबकौ , परखौ लेत ||
बरवैं_छंद में समीक्षा
आपका संदेश - ईश्वर हर साल सभी को एक अवसर प्रदान करता है कि सँभलकर रहो , , अच्छा काम करो | पशु पंछी मानव सबके भोज की व्यवस्था ईश्वर करता है
**********
*14*श्री बाबूलाल द्विवेदी जी
कउअन की पंच्यात भइ- गिने न बाप मताइ।
कनागतन में ऊ घरै दइयो नहीं दिखाइ॥
बरवैं_छंद में समीक्षा
खल होते जो जग में , छोड़े मान |
बाप मताइ न गिने , करें न दान ||
आपका संदेश- संसार के खल किसी रिश्ते को नहीं मानते है
़*"****" ***
*15* श्री श्यामराव धर्मपुरीकर जी
कउआ को धर रूप जे,पुरखा भरें उड़ान ।
करय दिनन में पूजते, माने इने महान ।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
ईसुर कहते पुरखे , करना याद |
कई रुपों में उनकी , है तादाद ||
आपका संदेश - हमारे पुरखे किसी भी रुप- अंश में हमारे पास आ सकते है
******,***
*16*श्री रामानंद जी पाठक
कउआ मोंका के परें,होत अछूत पुजाय।
पितृपक्ष के आये सें, सब जग टेर खुआय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
आता कउवा अवसर , पर है काम |
नहीं अछूता कोई , मायाराम ||
आपका संदेश - संसार में कोई अछूत नहीं है , सबके अपने निर्धारित कर्म है
*********** **
*17*आद० आशा रिछारिया जी
कउआ बैठ मुँडेर पे, कांव कांव चिल्लाय।
पई पाउने आत हैं, संदेशा दै जाय।।(परिमार्जित )
बरवैं_छंद में समीक्षा
दे संकेत सुहाने , कउवा भोर |
पई पावने आते , करता शोर ||
आपका संदेश - जिनका हम मूल्य नहीं समझते है , वह बहुत अमूल्य संकेत करते देखे गये है
************ ***
*18* डा० देवदत्त द्विवेदी जी
जात बड़ी नें पद बडौ,सदगुन बडौ बनाय।
कउआ सें हरि की कथा,गरुड सुनीं चितलाय।।
जात पात से उठकर , सुनना बोल |
बड़े काम का जीवन, है अनमोल ||
आपका संदेश - हरि कथा पर सभी का अधिकार है , किसी विशेष जातियों का नहीं है
़******** ***
*19* श्री अभिनंदन गोइल जी
बाठ हेर हैरान है , हूक हिये में होय।
मगरें कउआ देख कें,मन के मोंतीं पोय।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
अशुभ जिन्हे हम माने , खोट विचार |
कभी वही है करते , जन उपकार ||
आपका संदेश - कभी उनको भी देखकर हर्ष होता है , जिन्हें हम पसंद नहीं करते है
********* ***
*20*श्री आर बी पटेल जी
कउआ जग बदनाम है,बुरों कहत सब लोग ।
करय दिनन भोजन मिले,बोली को संजोग ।
बरवैं_छंद में समीक्षा
बुरा जिन्हें हम कहते , दे आराम |
अवसर पाकर देखों , आते काम ||
आपका संदेश - हमेशा बदनाम आदमी को खराब नहीं समझना चाहिए
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*21* श्री गोकुल प्रसाद यादव जी कर्मयोगी
कउआ सौ टांँसत ससुर,काशमीर कौ राग।
जैसें ऊके बाप कौ, होबै ऊमें भाग।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
दुश्मन कउवा मानो , दो दुत्कार |
अपने आगे बनता , जो हुश्यार ||
आपका संदेश - दुश्मन को हमेशा कउवा ही समझना चाहिए , जो कपट को भरे रहता है
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*22*श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
जिंदा में नइँ देत हैं, रोटी पानी आप।
करय दिनन में देख लो,कउआ बन गव बाप।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
मात- पिता की सेवा , करना यार |
रहे देवता जग में , है सत्कार ||
आपका संदेश -जिंदा माता पिता घर में देवता स्वरुप मानकर सेवा करना चाहिए
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*23* श्री संजय श्रीवास्तव जी
कौआ छत पे भोर सें,बैठो है चुपचाप।
पुरखन को पूजन करो,भोजन भेजो आप।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
पुरखा सबके जग में , रखते चाह |
कुल के पूजा करके , लेय पनाह ||
आपका संदेश - सभी के पुरखे चाहते है कि परिवार उन्हें याद करें व वह उन्हें संरक्षण देते रहें
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*24* श्री अरविंद श्रीवास्तव जी
कौआ तौ इक जीव है, ऊखौं काँ जौ भान,
हमनें अपने हेत में, भलौ-बुरव लव मान ।
बरवैं_छंद में समीक्षा
कागा भी इक प्राणी , रखता भान |
लोग यहाँ पर कैसा , दे सम्मान ||
आपका संदेश - जग में हर प्राणी यह ज्ञान रखता कि उसे साथ क्या व्यवहार किया जा रहा है
******* ***
*25* आद० गीता देवी जी
कउआ बैठो डार पैं, काँउ काँउ चिल्लात।
कोऊ घर मा आयगो, बात पते की कात।।
बरवैं_छंद में समीक्षा
करते अपनी बोली , से बतकाव |
पंछी तक बतलाते , अपना भाव ||
आपका संदेश - संसार में हर प्राणी अपनी भाषा बोली में जो उसको समझ में आता है , भाव व्यक्त कर देता है
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समीक्षक - सुभाष सिंघई, जतारा
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368-श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दोहा-ससुरार-19-9-2022
समीक्षा , दिनांक 19 सितम्बर 22
बुंदेली दोहा दिवस , विषय - ससुरार ,
समीक्षा हेतु - #भिखारी_छंद का प्रयोग किया है
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भिखारी छंद (मापनीमुक्त मात्रिक)
विधान- २४ मात्रा, १२-१२पर यति, सभी समकल, अंत वाचिक गा, ध्यातव्य है कि इस छंद में विषम और विषम मिल कर सम हो जाते हैं |
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1-आदरणीय जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
सेवा में सब लगवें , सास - ससुर साराजै |
सारी सबरी मिलकै, मुस्की दैवें आजै ||
बरनन करतइ मिथला ,कैतइ अबध वराती |
चार बनै है दूला, फूलै दशरथ छाती ||👌👌
आपने ससुराल का रुतबा व मिथला का सुंदर प्रसंग लिया है
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2- आदरणीय अमर सिंह राय (शिक्षक)
नौगांव, मध्य प्रदेश
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
वर्षा ऋतु घनघोरी , गय तुलसी ससुरारै |
ज्ञान मिलै तुलसी खौं , हुलसी जब फटकारै ।।
अमरसिंह जी कहते , मिलबै मुस्की बौनी |
हेर फेर जब दिखबै ,लौटौ रस्ता नौनी ||👌💐
आपने तुलसी और हुलसी का प्रसंग भी लिया व ससुरार में रहने का समय भी अवगत कराया है
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3- आदरणीय प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
कृष्ण कन्हैया बातें , सँग बातें ससुरारी |
सास ससुर साराजें , याद करीं सब सारी ||
पैड़ सास घर भड़या , गुरा- गुरा टौ डारै |
जय हौ भैया तौरी , काँ सै सगुन विचारै ||🥰🙏
आपने तो आज अपने दौहन से मजा बाँध दव, सासू जी कै गुरा ही टौ डारै 😂🙏
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4- आदरणीय *प्रदीप खरे,मंजुल*जी टीकमगढ़
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
सारी साजी लगवें , यह प्रदीप जी कहते |
ससुरारे भी जाकैं , स्वागत रस में बहते ||
जीजा भी सब कहते , रखकर साला नाता |
सार कहै सुक्खन की , जग के सभी जमाता ||
आपने ससुरार खौ सुखौं की सार , व साली को बहार माना है 😂
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5- आदरणीय रामानन्द पाठक नन्द जी
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
बाँद कलेवा माते, ससुरारै खौ गयते |
सजी हती थी सारी , लख के वें खुश भयते ||
बिटियन से भी कहते , नौनों रखौ ठिकाना |
दुल्हन बन ससुरारेै , सुख कै गाओ गाना ||
आपने ससुराल सुख व बेटियौ कौ ससुराल सुख का सुंदर वर्णन किया है 👌💐
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6- आदरणीय भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"जी
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
लिख दी जीजा- सारी , बहुत खूब अनुरागी |
रस बहता है जिसमें , मन बनता बड़भागी ||
सारी की किलकोटी , हल भी हकवाँ डाले |
मैमाँ सब ससुराली, लिखै खोल मन ताले ||
आपने जीजा साली पर सुंदर मनोविनोद लिखे है 🥰🙏
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7- सुभाष सिंघई
दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
बिटियाँ की लिख मैमाँ , सबखौं करौ इशारा |
बहू लक्षमी जानो , बन जैहे घर न्यारा ||
बहू बेटियाँ जानो , रखती जब मरयादा |
घर मेंं भी सुख साता , आती है कुछ जादा ||
बेटी की ससुरार पर केन्द्रित दोहे लिखे है
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8- आदरणीय एस आर सरल जी टीकमगढ़
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
प्रेमनगर भी कहते , है ससुरार सुहानी |
लिखे सरल जी अद्भुत, सुंदर लगै कहानी ||
आव भगत जीजा की , मूँछ लिखैं तुर्रानी |
फटफटिया से जीजा , करते रहें दिमानी ||
आपने जीजा की शान पै बहुत ही अच्छौ लिखौ है , व बेटियों को एक दोहे से संदेश दिया है कि सासू माँ से बिगार नहीं करना चाहिए , जैसा कि एक बेटी कर आई है 👌💐
~~~~~~~~~
9 - आदरणीय राजीव नामदेव "राना लिधौरी "
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
कात सबइ से राना , रामलला सी मिलबै |
ससुरारे जाबै खौ ,सबको तन मन खिलबै ||
याद करत सब साली , सँग में सब साराजें |
माल चकाचक छानैं , रुतबा सब पै छाजें ||
आपने रामलला ससुरार की उपमा बहुत सुंदर लिखी है , व ससुरार का मालपानी छाननें का संदेश दिया है 😂🙏
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10- आदरणीय आशाराम वर्मा "नादान" जी पृथ्वीपुर
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
सास ससुर खौं अपनो , ,बाप मताई जानो |
नारी धरम निभाकै , पति परमेश्वर मानो ।|
मात -पिता की विनती , बेटी तुम सुन लइयौ |
नाम राखियौ ऊँचौ, साता सबखौं दइयौ ||👌💐
आपने दोहों में बेटियों को बहुत ही उच्च संदेश दिया है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
11- आदरणीय प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
सारी न्यारी हौवें , ताजी करतइ यादें |
टेरन हेरन मुस्की , मन फिरतइ है लादें ||
करम अभागे जिनकी , हौत न कौनउँ सारी |
पीयूष कात है पर , सारी है फुलबारी ||👌💐
आपने साली पर बहुत ही मन से लिखा है , बैसे आप और हम साली के मामले में एकई रास के निकले 😚🙏
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12- आदरणीया डॉ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
जाकें जब ससुरारे , बिटिया बहु बन जाती ।
दोउ घरन की लाजे , मिलकै सोइ निभाती ||
आँय पावने घर में , सबखौ भोज बनाती |
डारे घूँघट लम्बों , करकै परस खिलाती ||👌💐
आपने दोहो से बेटी के बहू बनने पर कर्तव्य बोध का संदेश दिया है
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13 आदरणीय मनोज साहू 'निडर' जी माखन नगर, नर्मदापुरम्।
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
चात नगीना मुदरी, हार गले खौं चाहै |
तैंसइ चाहै जीजा , सारी खौं ससुरारै ।।
पगी चासनी लगबै , लड़ुआ सी है सारी |
घी बूरै सी नौनीं , सारी लगबै न्यारी ||
आपके दोहे साली पर केन्द्रित सुंदर मनोभाव अभिव्यक्त कर रहै है 👌💐
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
14- आदरणीया आशा रिछारिया जी जिला निवाड़ी
आपके दोहो का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
सोन चिरैया जाबै , अब अपनी ससुरारै |
संग सहेली रौवै , नैनन बहती धारै ||
सैंया भी जब आते , ससुरारै खौ लैवै ।
अकड़ रौब सैं बैठें , कछू रहत ना कैवें ||
आपने बेटियों की विदा का भाव बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है 👌💐
15- आदरणीय डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस बड़ामलहरा छतरपुर
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
सारे -सारी करतइ , जीजा खातिरदारी |
सरस चलै टोपा पहिने , भैया की ससुरारी |
बल्दोगढ़ तोप बने, दिल्ली से थे लौटे |
लौट मलहरा आए , शायद जीजा छोटे ||🥰🙏
आपने जिस तरह बल्दोगढ़ की तोप शब्द पिरोकर सत्य सत्य लिखा है , वह बाकई आनंदकारी है 👌🙏
~~~~~~~~~~~
16- आदरणीय शोभारामदाँगी नंदनवारा जी जिला टीकमगढ एमपी
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
राम जनकपुर जानो , है ससुरार सुहानी |
सास ससुर है सुंदर , मिलती सुखद कहानी ||
ससुरार गयी सीता , नगर अयोध्या जानो |
सरल सलौना पावन, सभी सुखद क्षण मानो ||
आपने श्री राम की ससुरार का सुखद प्रसंग लिया है 👌💐
~~~~~~~
17- आदरणीय संजय श्रीवास्तव, जी मवई दिल्ली
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
जब भी प्यारी बेटी , छौड़ मायकै जाती |
प्रान निकरतइ माँ के , मन से वह अकुलाती ||
जात चिरैया जब भी , प्रीतम सँग ससुरारे |
संजस कहते लिखवें , काँपे हाथ हमारे ||
आपने बेटी की विदा का मार्मिक प्रसंग दोहा में लिखा है 👌💐
~~~~~~~~~~~~~
18- --- कल्याण दास साहू "पोषक"जी
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
मजा आत ससुरारै , खुशियाँ मिले हजारो |
हौवें खातिरदारी , साँसउँ लगतइ प्यारो ||
जाँ नतैत मन बारै ,उम्दा करतइ बातें |
खान-पान सम्मानी , गप्प हाँकतइ रातें ||
आपने ससुरार को बहुत मन से सम्मान देते हुए दोहे लिखे है 👌💐
~~~~~~~~~
19 -आदरणीय रामसेवक पाठक हरिकिंकर जी
आप लिखे सब हटकर , आप सबइ अब जाने |
जो भी मन का लिखते , उसकौ ही हम माने ||
~~~~~~~
20- आदरणीय बृजभूषण दुबे जी बृज बकस्वाहा
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
बाप मतारी भूले , बिसरा दय परिवारी |
बृजभूषण साँची कह,सब कुछ अब ससुरारी ||
सारे सारी सब कुछ , जीजा जी कहलाते |
दौड़ जाय ससुरारे , सला वहीं से पाते ||
आपने वह संकेत किया है , जो बहुत बड़ा तंज है 👌💐
~~~~~~~~~~~~~
21-आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी नन्हींटेहरी
आपके दोहों का भावार्थ भिखारी छंद में निम्न प्रकार है 👇
सब रिश्तों में जानो, है ससुरार सुहानी |
करना नहीं बिगारौ , मत बनना अभिमानी ||
नहीं भूल से करना , पत्नी से बड़बोलौ |
तुलसी कालिदास सौ, निज मन खौ खुद तोलौ ||
आपने सुखी जीवन हेतु ससुराल और पत्नी से प्रागणता बनाए रखने का संदेश दिया है 👌💐
~~~~~~~~~~~~
सुभाष सिंघई
त्रुटियाँ परिमार्जित भाव से पढ़े
सादर
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367-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.79-मुंडा-17-9-22
प्रतियोगी दोहों के भाव व कथ्य आशय पर आधारित
#चौपाई_छंद_में_समीक्षा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
समीक्षा लिखने के बाद , अभी हाल में ही आदरणीय राना जी से प्राप्त सूची अनुसार , दोहा के साथ , दोहा लेखक का नाम , संलग्न कर दिया गया है , व जिस पर चौपाई छंद से भाव समीक्षा की है | कहीं त्रुटि हो तब परिमार्जित भावना से स्वीकार करें
सादर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
* बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-79*
*बिषय- मुंडा दिनांक-17-9-2022*
*प्राप्त प्रविष्टियां:--*
*1* श्री अमरसिंह राय जी
पितु की आज्ञा मान कैं, तपसिन धरो शरीर।
बिन मुंडा वैभव बिना, गय बन खां रघुवीर।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
पितु आज्ञा मस्तक पर धारो |
सही गलत भी नहीं विचारो ||
कवि का कहना पितु ही देवा |
आज्ञा पालन उनकी सेवा ||
आपने श्रीराम के माध्यम से पिता की आज्ञा मानने का सटीक संदेश दिया है
****************
*2* श्री एस आर सरल जी
कुँअर कलेवा खौ चले,सखियाँ मन हर्षायँ।
जनक पुरी में राम के, मुंडा धरै दुकायँ।|
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
नेग चार सब होय विवाहा |
साली सखियाँ करती चाहा ||
जनकपुरी में कवि मन रमता |
मन भी हँसता जितनी क्षमता ||
आपने जनकपुरी के माध्यम से अपने दोहे में विवाह की सामाजिक परम्परा का बखूबी चित्रण किया है
************
*3* सुभाष सिंघई
का कै दैं ई जीभ की , ठाँटौ जब बक जात |
भीतर घुसतइ जब चलैं , मुंडा घूँसा लात ||
दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
लगती कवि को जीभ सयानी |
बिना सोच जब बोले वानी ||
चल उठती है , घूँसा लातें |
चार तरह की चारों बातें
जीभ की बेलगाम बात का परिणाम बतलाया है
****"****
*4* श्री डा० आर बी पटेल जी
पंगत लागी पौर में, जान लगत सब लोग ।
माते मुंडा पहन कर ,बैठ लगाए भोग ।|
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
बड़ा आदमी इज्जत पाता |
उँगली उस पर कौन उठाता ||
कवि कहता है , आज जमाना |
गलती करता आज सयाना ||
आपने बड़े आदमी की गुस्ताखी पर संकेत किया है
*************
*5*श्री डा० सुनील त्रिपाठी जी
कौंड़ काट रय रोज़ जे, गलियन में भैमार।
मुंडा हन दे चांद पै, उतरै इश्क़ बुखार।।
(टंकण त्रुटि परिमार्जित)
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
रहें घूमते गाँव गली में |
छैला बनकर रहें छली में ||
मिलते मुंडा जब यह फँसते |
कवि कहता है , तब सब हँसते ||
आपने तथाकथित आशिकों पर सटीक प्रहार किया है
********
*6*श्री आशाराम वर्मा नादान जी
पंचन में पापी करै ,निज गलती स्वीकार ।
मुंडा धरबै मूॅंड़ पै , पगड़ी धरै उतार ।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
गलती जो भी नर कर जाता |
पंचायत में शीष झुकाता ||
चार जनों में पगड़ी उछले |
गाँव भरे में बातें छिछले ||
आपने गलती करने का परिणाम अवगत कराया है कि किस तरह शर्मिंदगी उठानी पड़ती है
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*7*श्री प्रमोद मिश्रा जी
मुंडा मारो फेंक कें ,नेता रैगव हेर।
बच गव मौं में घलत सें, तनकइ रव तो फेर।।
(तीसरे चरण की यति परिमार्जित)
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
सभी देखते फिकते मुंडा |
राजनीति बन जाती गुंडा ||
कवि कहता कैसा अब मेला |
मुंडा बनता है अब खेला ||
आपने वर्तमान राजनीति पर जूता प्रचलन पर सटीक तंज संकेत किया है
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*8* श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी
निगत गये वे गैल में, सज धज कें तैयार।
कीचड़ में मुंडा सने, पहुंचे जब ससुरार।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
जहाँ गंदगी फैली रहती |
चोटें तन पर पड़नी सहती ||
जहाँ- जहाँ पर जाना होता |
कवि मन कहता होना रोता ||
आपने गाँव गली की कीचड़ भरी गलियो पर सटीक तंज किया है , हास्य के साथ
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*9* श्री अभिनंदन गोइल जी
नय-नय मुण्डा पैरकें, मटकत बाल-गुपाल।
देख किलकवौ लाल कौ,मैया भई निहाल।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
चरण पादुका माता लाती |
बालक को वह खुद पहनाती ||
खुश होती वह मुख को लखकर |
कवि मन कहता ,यह पल सुखकर ||
आपने माता के वात्सल्य रुप का अद्भुत रुप निरुपण किया है
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*10*श्री प्रदीप खरे मंजुल जी
मुंडा मनके पैरियौ, तनक न हलके होंय।
कसके पैरत जौन तौ,मुढ़ी पकर कें रोंय।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
खाना पीना मन का होता |
बेमन का सब लगता रोता |
ढ़ीला कसता काम बिगारे |
सच्ची बातें कवि उच्चारे ||
आपने मुंडा के माध्यम से संकेत किया है कि सभी काम सटीक होना चाहिए , घट बढ़ काम कष्टदायी होता है
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*11* श्री बीरेन्द्र चंसौरिया जी
करिया मुंडा पैर कें , जीजा चले बरात।
जम रव जीजा आज तौ , सबइ बराती कात।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
जीजा यहाँ प्रतीक बना है |
कहने का कुछ भाव घना है ||
रखना सदा लिवास सुहाना |
कहता सबसे आज जमाना ||
आपने सामाजिक परिवेश में जीजा को प्रतीक बनाकर उचित पहनावें व रहन सहन पर बल दिया है
********
*12* श्री डा० देवदत्त द्विवेदी जी
चरन सरन प्रभु राखलो,ओर कितै मैं जैवँ।
मुन्डा मालक आपके,रुच- रुच पोंछत रेंवँ।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
कवि मन प्रभु का दास सुहाना |
भक्ति अपनी करे बखाना ||
चरण शरण की इक्छा रखता |
भाव भावना , पावन चखता ||
आपने भक्ति की पराकाष्ठा पर पहुँचकर , भगवान के चरणों में रहने का वरदान माँगा है
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*13* श्री श्यामराव धर्मपुरीकर जी
मुंडा मोरे घिस गए, मिलत चाकरी नाय।
अरजीं दे-दे का भओ, सबरी उमर नसाय ।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
बड़ी समस्या आज दिखाती |
नहीं नौकरी अब मिल पाती ||
कवि कहता है देकर अरजी |
कभी न होती मन की मरजी ||
आपने वर्तमान वेरोजगारी पर सटीक तंज किया है
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*14* श्री शोभाराम दांगी जी
बिन मुुंडा जब हम निगत , लगत पांव में सूल ।
पाउन की रकछा करें , चढे पाव नै धूल ।।
(पहला चरण परिमार्जित )
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
कवि कहता खुद रक्षा कीजे |
नहीं वदन पर संकट लीजे ||
रखो ध्यान अब लगे न काँटे |
शूल हमेशा होते चाँटे ||
आपने स्वयं की रक्षा व ध्यान रखने का संकेत किया है
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*15* आदरणीया आशा रिछारिया जी
मुंडा जूता पनहियां,मतलब एकई आय।
कीरा कांटे धूर सें, मुंडा हमें बचाय।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
दिखे आपदा जग में जितनी |
कोन यहाँ पर जाने कितनी ||
लेकर साधन खुद ही चलना |
कंटक काँटे सबसे बचना ||
आपने आपदाओं से सजग रहने का संकेत दिया है
*********
*16* आदरणीया गीता देवी जी
मुंडा कम नहि आँकियो, पैर पिनै अति सोय।
और खुपड़िया पै परै, याददाश्त सब खोय।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
जिसका जैसा काम सयाना |
जगह देखकर ही अजमाना ||
मुंडा पैरों में ही साजे |
सिर पर आकर नहीं विराजे ||
आपने जगत में सभी को सही आंकलन व उपयोग का संकेत दिया है
***
*17* श्री मनोज साहू निडर जी
भगती भूँकी भाव की, जात करम नैं खास।
चदरा बुनत कबीरजू, मुंडा खों रैदास।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
नहीं काम में शरम न लाना |
मिहनत को दीजें पहचाना ||
कर्म न कोई होता खोटा |
सच का बाना रहता मोटा ||
आपने किसी भी न्याय नीति कर्म से लोक जीवन निर्वहन को छोटा नहीं समझने का संकेत दिया है
********
*18* श्री संजय श्रीवास्तव जी
परहित में जीवन कटे, पाँवन मुंडा धाम।
काँटे, कीचड़ सब सहे,पियत जेठ को घाम।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
परहित जीवन सुखद बताया |
काँटे कीचड़ सब बिसराया ||
मुंडा तक भी रक्षा करते |
धूल पाँव से , दूरी भरते ||
आपने परहित को श्रेष्ठ श्रेणी में रखा है
******
*19* श्री जयहिंद सिंह जी जयहिंद
पियें डरे चाये जितै,आदत सें लाचार।
पीवे बारे जो मिलें,मुंडा मारौ चार।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
दुर्गुण जिनको आ जाते है |
कवि हालत तब बतलाते है ||
इज्जत उनकी धुल जाती है |
मुंडा सिर पर धुन गाती है ||
आपने दुर्गुणी आदमी की हालत पर संकेत किया है
*********
*20* श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
गयते मेला देखवे, पौंचे बीच बजार।
तनक नैन मटका धरे,मुंडा घले हजार।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
विषय विकार जहाँ पर रहते |
कवि यहाँ पर सीधा कहते ||
नैन कहें तब सब परिभाषा |
मिलते मुंडा जितनी आशा ||
आपने आशिक मिजाज लोगों की हालत पर तंज किया है
***
*21*श्री रामानंद पाठक जी
पा मुन्डा गुन्डा भगैं, नई समाजै ठौर |
अधोगती जा है जगत ,जीवन करत न गौर।।
(तीसरा चरण की यति परिमार्जित)
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
गुंडा भी भय अब खाते है |
ठौर जगत में नहिं पाते है ||
मिले न इज्जत नहीं समाजी |
करे अधोगति उसको राजी ||
आपने गुंडों की अधोगति पर सटीक बात कही है
***
*22*श्री भगवान सिंह अनुरागी जी
मुंडा बाहर छोड़कें, दर्शन करबे जात।
तनक नजर भगवान पै,तनक बायरें रात।।
आपके दोहा की भाव समीक्षा चौपाई छंद में 👇
मंदिर में अब होती चोरी |
करते रहते मुंडा खोरी ||
पाप पुण्य नहिं वह अब जाने |
कवि कहता सब काम नसाने ||
आपने मंदिर तक पहुँच गये चोरों पर सटीक तंज किया है
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समीक्षक - सुभाष सिंघई, जतारा
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366- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-करय-12-9-2022
समीक्षा - दिनांक 12 सितम्बर 22
बुंदेली दोहा-बिषय- #करय*
(आज कुछ वायरल का असर तन पर होने से दोहा छंद में ही समीक्षा लिखी है , सभी की पोस्टे पढ़ी है , व जो सार समझ में आया है , उसे अपने शब्दों में दोहा छंद में ले गए है
एक निवेदन विशेष रुप से सबसे करना चाहता हूँ , सभी के दोहे भाव से भरे अच्छे रहते है , व सही मात्रा मापनी से भी 99% के चलते है , पर दोहे की विषम चरण की यति (तेरह ) पर कुछ मित्र गड़बड़ा जाते है , और आगे की लय यही खो जाती है | तेरह की यति पर आज आदरणीय राना जी व आदरणीय जयहिंद सिंह जी ने जो बात कही है ,उसका ही समर्थन दोहा विधान करता है
तेरह की यति - रगण या नगण हो = इसकी यति 12 में ही जाती है चाहिए , जब 12 की यति हो तब इस ( 12 लगा ) के पहले 2 स्वाभाविक रुप से आना चाहिए ~ कहने का आशय यह कि तेरह की यति 212 में चली जाती है
बस इतना ही ध्यान रखना है कि नगण (111) का उच्चारण मात्रा भार(लगा 12 ) में जाता है और मित्र साथी यही बात समझ नहीं पा रहे है ,
--जैसे यति - (नमन है) = न +मन +है = 122 ×
( है नमन ) = है + न + मन =212 √
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संक्षिप्त समीक्षाएँ
1-श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी "
सब दोहन में आपने , पुरखा कर लय याद |
भोजन पानी पिंड से , तर्पण तक आबाद ||
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2-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द#जी
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
सब दोहा है आपके , जड़ी बूटि भंडार |
करय दिना के बाद में , नौ दुर्गा अवतार ||
~~~~~~~~
3-श्री डॉ.सुनील त्रिपाठी निराला जी
नीम करेला औषधी , बोली वचन विचार |
अनुभव भी होते करय , दोहे कहते सार ||
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4-श्री आशाराम वर्मा "नादान" जी पृथ्वीपुर
दोहे कहते आपके , और मिला है सार |
वाणी मीठी राखियों , करय बोल बेकार ||
~~~~~~~~~~~~
5-ब्रजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा।
सदा श्राद्ध पुरखा करौ , उन्हें देव सम्मान |
दान पुण्य पूजा लिखें , दोहों से गुण गान ||
~~~~~~~~~
6- श्री मनोज साहू 'निडर' जी
माखन नगर, नर्मदापुरम्
पुरखन की पूजा करत , दोहा मिले प्रयाग |
षडरस व्यंजन भी मिले , दोहो के अनुभाग ||
~~~~~~~~~~~~~
7- श्री शोभाराम. दाँगी जी नंदनवारा जिला टीकमगढ
दोहे कहते आपके, मात- पिता भगवान |
जीते जी जल ना मिले , मरने पर मिष्ठान ||
~~~~~~~~~~
8- सुभाष सिंघई
हमारे दोहों की समीक्षा आदरणीय अमरसिंह राय जी ने पटल पर कमेंट की है , जिसे ज्यों का त्यों यहाँ शामिल कर रहा हूं
पांच करय दोहे पढ़े, मीठे लागे भाव।
अर्थ करय को है अलग, अलग-अलग बतलाव।
~~~~~~~~~~~~~
9- श्री भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" जी
लिख डारे है आपने , सभी करय के काम |
कागा खावों खात है, अब पुरखन के नाम ||
~~~~~~~~~~
10 -श्री "हरकिंकर,"भारतश्री, छदाचार्य जी
दोहा कहते आपके, ,कटें जगत के पाप |
पितर पक्ष में कीजिए , जल अर्पण नित आप।
~~~~~~~~~~
11-आदरणीया आशा रिछारिया जी जिला निवाड़ी
करय दिना में श्राद्ध कर , देती दोहा ज्ञान |
करइ दवा करती रहे, मानव का कल्यान ||
~~~~~~~~~~~
12 श्री अमर सिंह राय नौगांव, मध्यप्रदेश
आपके दोहो का सार -
जिन्हें न जिंदा दे सके, खाने को मिष्ठान |
कागा उनके नाम पर , खाते है पकवान ||
समीक्षक का विचार
प्रश्न आपके लग रहे , हमको बहुत सटीक |
पर पुरखन की याद हो, सही लगी यह लीक ||
(भारत ही ऐसा देश है जहाँ सात पुरखे याद रहते है , विदेशी कल्चर में तो नाती अपने दादा का नाम तक नहीं जानता है
सादर
~~~~~~~~~~~~
13 -श्री डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस बड़ामलहरा छतरपुर
दोहे कहते आपके , करय बोल झकझोर |
करय नीम की डार पै , लेत करेला ठोर ||
~~~~~~~~~~~~~~
14- श्री प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़
दोहे करते आपके , पुरखों का सम्मान |
अर्पण तर्पण भाव से , देवों सा इस्थान ||
~~~~~~~~
15 - श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
दोहे बोलें आपके , करव फायदा देत |
पितरन कौ आशीष भी , मुड़िया धर कै लेत ||
~~~~~~~~~~~~~~~
16 - चाँद मोहम्मद जी आखिर
कहैं चाँद जी दिन करव , उस दिन भी लो जान |
जिस दिन अपनौ खास भी , दूर करै प्रस्थान ||
~~~~~~~~~~~~
17- श्री प्रदीप खरे, मंजुल जी
दोहा पूरे आपके , रखते सुंदर भाव |
कथ्य भरे दोहा सभी , लगे तथ्य से राव ||
~~~~~~~~~~~~
18- आदरणीय डॉ प्रीति सिंह परमार
कडवाँ जो भी होत है , उसमें गुण लो जान |
नीम करेला की करै , प्रीति बहिन गुणगान ||
~~~~~~~~~~
19-श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
करय दिना हौं या दवा , रखना सबखौं याद |
पुरखा दै आशीष खौ , दवा करै आबाद ||
~~~~~~~~
20- श्री रामानन्द पाठक नन्द
दोहो का यह सार है , पितर न जाना भूल |
पितर सदा ही होत है , परिजन के अनुकूल ||
~~~~~~~~~~~~~
समीक्षक-सुभाष सिंघई, जतारा जिला-टीकमगढ़ )मप्र)
#################
365-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.78-छिको-10-9-22
समीक्षा
*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-78*
*दिनांक-10-9-2022 बिषय- छिको*
~~~~~~~~~~~~~~~~~
प्रतियोगी दोहों की समीक्षा , सरसी छंद में ( चौपाई चरण + दोहे का सम चरण ) दोहों की भाव समीक्षा लिख जाने के बाद , आदरणीय राना जी से प्राप्त सूची से दोहा क्रमांक में दोहाकार का नाम भी उल्लिखित कर दिया है
~~~~~~~~~~~~~~~~
*प्राप्त प्रविष्ठियां :
*1* श्री प्रमोद खरे " मंजुल जी "
छिकौ छैल छलिया छुपो,कर चोरी इतराय।
राधे सँग लै गोपियाँ,छैंक रही इठलाय।।
समीक्षा सरसी छंद में -
छिकौ छैल छलिया गोकुल का , कर चोरी इतराय।
राधा के सँग सबरी गोपी , छैंक रही इठलाय।।
राधा कृष्णा लीला अद्भुत , कवि लिखता है आज |
द्वापर की दिल पर करती यह , माखन लीला राज ||
( माखन लीला , द्वापर युग से अब तक लोगों के मन पर राज करती रही है , व आगे भी करती रहेगी | कवि का यही भाव है
***
*2* सुभाष सिंघई
जसुदा कौ लल्ला छिको , गोपीं छेकैं बीस |
नचा रयीं हैं चुटकियन , नाच रयै जगदीश ||
समीक्षा सरसी छंद में -
मात यशोदा का है लल्ला , नटवर नंद किशोर |
उसे देखकर ही सब सखियाँ , होती भाव विभोर |
उसे नचाती खुद नचती है , मन में भरें उमंग |
इसी कृष्ण के रुप का वह , भरती दिल में रंग ||
कवि के इस दोहे में भक्त और भगवान के एकाकार होने का भाव निहित है
***
*3* श्री मनोज साहू " निडर" नर्मदापुरम
गाँवन पै जबतें लगी, शहर-गीध की डाड़।
डिरे -छिके से रै रये, नदियाँ खेत पहाड़।।
समीक्षा सरसी छंद में -
नजर जमी है अब गाँवन पर , शहर गीध की दाड़ |
सहमें - सहमें लग रहे है , नदियाँ खेत पहाड़ ||
कवि कहता चेताकर सबको, नहीं प्रकृति को छेड़ |
हरा भरा यह जग रखना है , हरे भरे सब पेड़ ||
कवि का चिंतन है कि यदि शहर का प्रदूषण गाँव में फैल गया , तब पूरा प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा |
***
*4* श्री भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
कालिनेम पै नै छिको, पवन देव कौ लाल।
जिनै सहारौ राम कौ,होय न टेड़ो बाल।।
समीक्षा सरसी छंद में -
कालिनेमि भी रोक न पाया , पवन पुत्र हनुमान |
राम नाम का मिलै सहारा , सभी काम आसान ||
कवि यहाँ पर बोल रहा है , हिय में रखना राम |
खुद ही सब पूरण होगें, जग में अच्छे काम ||
कवि ने अपने भावों से भक्ति की शक्ति अवगत कराई है
***
*5* श्री संजय श्रीवास्तव ,मवई, दिल्ली
छिको आदमी खचा सौ,चलत नदी की धार।
जन-मन-तन दौरत रबै, तो जीबे को सार।।
समीक्षा सरसी छंद में -
छिका आदमी कीचड़ सम है , चलता रखे प्रवाह |
तन मन धन सब पाता रहता , पूरण करता चाह ||
संदेश यहाँ पर उद्घाटित , कवि का सुंदर गान |
चलना ही सम्मानी होता , रुकना है अपमान ||
कवि ने अपने दोहे में स्थिर और अस्थिर कर्म का विवेचन किया है
***
*6* श्री आर.के.प्रजापति "साथी", जतारा
हाथ जोर प्रभु सिंधु सें, कहें विनय सुन लेव।
काम "छिको" जल्दी करौ , हमें गली दै देव।।
समीक्षा सरसी छंद में -
कहें सिंधु से प्रुभुवर भी जब , मम विनती सुन लेव।
काम "छिको" सीता के लाने , हमें गली दै देव।।
कवि का आगे भाव सुहाना , प्रथम विनय परिणाम |
नहीं मानता तब आगे से , करो वीर गुण काम ||
कवि भी यह मानता है कि पहले विनय से काम करना चाहिए
तत्पश्चात शक्ति का |
********
7- श्री प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
छिको लबइया हार में, गइया फिरत रँभात।
तड़फत माँ ममता मयी ,लाला नहीं दिखात।।
(तीसरा चरण परिमार्जित )
समीक्षा सरसी छंद में -
वन में रहकर ममता से ही , गइया फिरत रँभात।
तड़फत रहती बछड़े को वह ,लालन नहीं दिखात।।
ममता जाने पशु पंछी भी , ममतामय संसार |
भाव यहाँ पर कवि के कहते , सभी समझते प्यार ||
कवि ने सष्टि के सभी प्राणियों में ममता के दर्श कराए है
***
*8* आद० आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
छिके ज्ञान खों राह दे, शिक्षक के निर्देश।
जो हित चाहो आपनो, तौ मानो आदेश।।
(दूसरा चरण परिमार्जित )
समीक्षा सरसी छंद में -
छिके ज्ञान खौं राह बताते , शिक्षक के निर्देश।
जो हित चाहो अपुन सभी तौ , मानो गुरु आदेश।।
सभी जानते है हित अनहित , सही रखें परिवेश |
सच्चे गुरुवर साधक रुप में , खुश रखते है देश ||
कवि ने शिक्षक गुरु परम्परा व ज्ञान प्रवाह की बात प्रस्तुत की है
**
9 -आशाराम वर्मा "नादान"पृथ्वीपुर
छिकौ होय पानी जितै ,तुरतइॅं दियौ निकार ।
नइॅंतर बगदर काट लै, हो जैहौ बीमार।।
समीक्षा सरसी छंद में -
जहाँ छिका हो कुछ भी पानी ,तुरतइॅं दियौ निकार ।
नइॅंतर बगदर चिपक लगै तो , हो जैहौ बीमार।।
जानो कवि का यह कहना , अपना रखना ध्यान |
बीमारी से बचकर रहना , हे मेरे इंसान ||
कवि ने स्वास्थ्य की दिशा में संकेत दिया है
***
10 - श्री शोभारामदाँगी, नदनवारा
जरजरा भओ, छिको कर्ज कैउ साल ।
कछु रूकका निपटा दिये , जब सैं मोदी काल।।
(परिमार्जित)
समीक्षा सरसी छंद में -
समय सदा ही बढ़ता जाता , छिको कर्ज इस साल ।
कछु करजा निपटाते रहते , सुनते मोदी काल।।
करजा बढ़तइ रात दिना है , चिंतित रहत किसान |
बिपदा आती रहती उसको , सुमरत है भगवान ||
कवि ने किसान कर्ज की और संकेत किया है
***
*11 श्री वीरेन्द चंसौरिया,टीकमगढ़
नरवा पानी आव तो , खूबइं पिछले साल।
छिको हतो पानी उतै , सो भर गव तो ताल।।
समीक्षा सरसी छंद में -
भरे रहै थे नरवा पानी , खूबइं पिछले साल।
छिका रहा था उसमें पानी, सो भर गव है ताल।।
यहाँ मानता बारिस अच्छी , कवि कहता है बात |
जुटे रहेंगें खेतौं पर अब , सभी कृषक दिन रात ||
कवि इस साल बारिस अच्छी मान रहा है , व कृषक को प्रसन्न देख रहा है
***
12-डा० देव दत्त द्विवेदी,बड़ा मलेहरा
भजन करो श्री राम कौ, उतै काम आ जैय।
पिंजरा कौ पंछी छिको, जाँनें कब उड़ जैय।।
(सम तुकांत है)
समीक्षा सरसी छंद में -
भजन करो श्री सीतारामा , यही काम में आय |
पिंजरा कौ पंछी कब जानें ,कोउ समझ ना पाय ||
राम नाम ही सुखकारी है , कवि भी रहा बताय |
उठकर पहले रामा भजना , सबखौ यही सुनाय ||
कवि ने राम नाम सदैव याद रखने का संदेश दिया है
***
13--श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी
छिको छिकाओ छेंक रय, नरवा भरौ अथाह।
जल सें ही जीवन इतै, फसलन को उत्साह।।
समीक्षा सरसी छंद में -
छिको छिकाओ पानी है जब , नरवा भरौ अथाह।
उसे छेड़ने मत जाना तुम, , फसलन को उत्साह।।
यहाँ बने जल से ही जीवन , सूर्य पवन का रंग |
सभी देखते हरी धरा को, मन में भरे उमंग ||
कवि ने प्राकृतिक सम्पदा धरोहर की बात की है
***
14-श्री अमर सिंह राय, नौगांव
बातचीत भइ ब्याव की, जल्दी करने काज।
बेंच दओ लरका छिको, आई नइयां लाज।।
समीक्षा सरसी छंद में -
बातचीत भइ शादी की जब , जल्दी करने काज।
ले दहेज लरका है बेंचौं आई नइयाँ लाज।।
कवि का मन भी आहत लगता , कहता अपनी बात |
जो भी लरका बेंचत हैगें , करै समाजी घात ||
कवि ने दहेजियों को ललकार दी है
***
15 -श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
रावण ठाँडौ तौ छिकौ,लछमन रेखा देख।
फिर भी भव सीता हरण,लिखी भाग में रेख।।
रावण रै गव ठाँडौ हौकें , लछमन रेखा देख।
हरण करी तब छल से सीता ,लिखी भाग में रेख।।
छल बल अब भी चल जाता है , पर भुगते परिणाम |
कवि का चिंतन कहता जाता , धोखा खुद का याम ||
कवि ने छल का परिणाम दुखद ही निरुपित किया है , पर कर्म रेख भी स्वीकार की है
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समीक्षा में कहीं त्रुुटि हो तो परिमार्जन भाव से पढ़े |
आज क्षमा दिवस है , सबको नमन 🙏
क्षमा माँगना है सरल , जोड़े हाथ सुजान |
बहुत कठिन देना क्षमा , जो दे बड़ा महान ||
अंतरमन से माँगना , देना है अनमोल |
क्षमा परीक्षा आपकी , देता बोले बोल ||
मन बच तन से माँगता , सबसे क्षमा सुभाष |
याचक मुझको मानकर , देना क्षमा प्रकाश ||
जाने अनजाने , प्रमाद मद से हुई त्रुटियों की , आप सभी मित्रों से उत्तम क्षमा 🙏
क्षमा याचक
-सुभाष सिंघई,जतारा
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364- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-स्याँनों-5-9-2022
बुंदेली दोहा दिवस ,
विषय - स्याँनों दिनांक 5 सितम्बर 22
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भाव समीक्षा हेतु प्रयुक्त छंद - मंगलवत्थू ( रोली छंद )
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(रोला छंद के समचरणों में दो मात्रा घटाने से रोली छंद बन जाता है )
जिस क्रम से पटल पर पोस्टे है, समीक्षा में वही क्रम है
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आज शिक्षक दिवस है , और इस बुंदेली मंच पर हमारे अनेक साथी शिक्षा जगत से जुड़े है , सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ 🌹🌹🌹
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1-आदरणीय #जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी #पलेरा,जिला टीकमगढ़
आपके दोहों की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
ऊँचौ हौबै नाम , जितै स्याँनों होता |
बनता है घर धाम , चैन घर में सोता |
बातन गंगा धार , सभी को समझाता |
नहीं मुसीबत गेह , कभी वह घर लाता ||
आपके सभी दोहों में जीवन दर्शन है🌹
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2- आदरणीय प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़,
आपके दोहों की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
शिक्षक शिक्षा देत , मानियौ सब ज्ञानी |
चरनन में झुक आप , रखियौ श्रद्धा पानी ||
इस संसारी भीड़ , सदा गुरु खौं पूजौ |
जीवन करौ अनूप ,खौज करौ न दूजौ ||
आपके सभी दोहों में शिक्षक और शिक्षा का महत्व दर्शाया गया है 🌹
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3- आदरणीय गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़
आपके दोहों की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
सबइ लेत है जान, बात खौ अब स्याना |
पकर लेत है कान , जितै उल्टो गाना ||
देता सही सलाह , चीनता है दुनियाँ |
कहते भाऊ साव , सियाँनों है गुनिया ||
आपके दोहों में स्याँनों के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया है 🌹
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4- आदरणीय हरिकिंकर" भारतश्री, छन्दाचार्य
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
गुरु का हो सम्मान , दिवस शिक्षक आया |
जिन पर हमे गुमान , राष्ट्रपति पद पाया ||
नमन करें हम आज , शान गुरु की जानें |
गुरुवर होते धन्य , बात हम पहचानें ||
आपका सृजन गुरु महिमा पर है 🌹
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5- आदरणीया आशा रिछारिया जी जिला निवाड़ी
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
घर परिवार नशाय , चलै स्यानों टैड़ो |
सुनत न्याय की बात , नैन खौ करवें कैड़ों ||
फूलौ नहीं समात , अगर हो जब मन की |
देन लगे उपदेश , उपत कै निज गुन की ||
आपके दोहे अति स्याँनें आदमी के चित्रण कर रहे है 🌹
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6- सुभाष सिंघई जतारा
सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
जैब कटा कै आत , आदमी हो स्याँना |
मुड़त छुरा से बार , ठगा उसको जाना ||
ऊपर सब उतरात , कहै जो भी बानी |
बनता चतुर सुजान , जगत में जो प्रानी ||
अधिक स्याँनपन घातक होता है ,यह कहने का प्रयास किया है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
7-आदरणीय मनोज साहू 'निडर' जी माखननगर, नर्मदापुरम्
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
खुद बनता है शूर , स्याँनों नर जानो |
कागा जैसा राग , उसै सब पहचानो ||
पढ़कर चार किताब , मान को है रखता |
चतरा बनकर रोज , मजा भी है चखता ||
(आपने स्याँनें आदमी की दुर्दशा का वर्णन किया है )🌹
~~~~~~~~~~~~`
8- आदरणीय प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
बेउ ठगाऔ जात, सयाना जो होता |
करता है तकरार , घूमता बन तोता ||
करता नहीं विचार , कहाँ पर है धोखा |
लाता रद्दी माल , छौड़कर वह चोखा ||
(स्याँना आदमी ठग जाता है आपने बखूबी दर्शाया है )🌹
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
9- आदरणीया गीता देवी जी औरैया (उत्तर प्रदेश)
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
शिक्षक जीवन सार , आपने बतलाया |
नेक बनो इंसान , इशारा समझाया ||
मैं शिक्षक अविराम , कथन यह कहती है |
करूँ बुराई दूर , इरादा रखती है ||
आपने विषय से हटकर , आज के शिक्षक दिवस पर सुंदर भाव प्रस्तुत किए है🌹
~~~~~~~~~~~~~~~~
10-आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी नन्हींटेहरी
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
करते कृपा विशेष , विश्व में गुरु जानो |
दूजा नइयाँ कोउ , बात यह सच मानो ||
मिलै ज्ञान भंडार, सयाँने जब होवें |
हौतइ सठ वें लोग , गुणी जन जौ खोवें ||
आपके सभी दोहे संदेश दे रहे है कि गुरु ,मित्र , स्याँनों की संगत श्रेष्ठ होती है 🌹
~~~~~~~~
11-आदरणीय बृजभूषण दुबे जी बृज बकस्वाहा
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
आप चिमाने राय , जुरै स्याँनें आकें |
बनकें चतुर सुजान , गुनन खौ तब राखें ||
चूक जाय जब आप ,स्यानें सब बतलाते |
अपनी सबरी बात , आपखौ समझाते ||
आपने स्याँनों की संगत अच्छी निरुपण की है 🌹
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12- आदरणीय राजीव नामदेव "राना लिधौरी" जी टीकमगढ़
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
देत रहत तासीर , सबइ अपने जानो |
स्याँनों का हो साथ , उन्हें बरगद मानो ||
करौ नहीं कउँ घात , नियत हो जब नौनीं |
फल अच्छौ सब हौत , नहीं हो अनहौनी ||
आपके सभी दोहे शिक्षा प्रद है , गहरे भाव लिए है 🌹
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13- आदरणीय -शोभारामदाँगी नंदनवारा जी जिला टीकमगढ
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
मिलते रय दिन रेंन, चतुर स्याँनें प्राणी |
उनखौं शीश नवाँय , बोलने है मधु वाणी ||
चुटकी में टल जाय , सभी संकट भारी |
कहते शोभाराम , बात यह सुखकारी ||
आपके सभी दोहे तथ्य युक्त है 🌹
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14 -आदरणीय संजय श्रीवास्तव जी मवई ( दिल्ली)
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
सबको मन हरसात, मिलत स्याँनी बातें |
संजय. भइया कात , सुनहरी हो रातें ||
करम, गुनन, ब्यौहार, सबइ हौ जब साजो |
औठ झरत है फूल , ह्रदय भी रत ताजो ||
आपके सभी दोहे विशेष कथ्य तथ्य युक्त है🌹
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15-आदरणीय डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ामलहरा छतरपुर
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
बिगरी लेत समार , संग स्याँनों होवें |
भुूल चूक निरधार , कभी बैठ न रोवें ||
नीत न्याय की बात ,सबइ सम्हल जाती |
मिलतइ नौनों ग्यान , खुशी घर में आती ||
आपके सभी दोहे गहरे प्रभावकारी भाव प्रधान है 🌹
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16- आदरणीय रामानन्द पाठक जी नन्द
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
स्याँनों ठगवै ठौर , नहीं धोखा खाता |
घर खौं लेता बाँद , हुनर सब अजमाता ||
कहते कवि है नंद , सींक कभी न फूटै |
कितनउँ करौ उपाय , स्याणपति ना छूटै ||
आपके दोहो ने स्याँनों का हाल अवगत कराया है 🌹
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17- आदरणीय एस आर सरल जी टीकमगढ़
आपके सृजन की भाव समीक्षा (मंगलवत्थू (रोली) छंद में
जो जीवन सुख चाव, करौ उनका आदर |
स्याँनें होत सुजान , नमन दीजै सादर ||
रखतइ पल-पल ध्यान, नेह को वह बाँटे |
जहाँ कहीं हो चूक , बुलाकर भी डाँटे ||
आपके दोहों में घर के स्याँनों को यथा सम्मान दिया गया है 🌹
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समीक्षा में कहीं वर्तनी विधान दोष हो तब परिमार्जन भाव से ग्राह करें
सादर सुभाष सिंघई जतारा
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इसी के साथ शिक्षक दिवस पर अपने कुछ दोहे शिक्षक मित्रों की सेवा में सादर समर्पित कर रहे है 🌹🌹🌹💐
गुरुवर बाँटे ज्ञान जल , जहाँ शिष्य में प्यास |
शशि रवि नभ गुरु मानिए , जीवन में उल्लास ||
गुरुवर विद्या बिम्ब है , शिष्यों को अविलम्ब |
ज्ञान चक्र की है धुरी , अनुशासन के खम्ब ||
पद. पंकज गुरु जानिए , पावन है शिव गंग |
सप्त सुरो के राग सब , पूरण ज्ञान तरंग ||
गुरुवर का सानिध्य है , ब्रम्हा का दरबार |
मात् शारदे वरप्रदा , शिष्यों को उपहार ||
गुरुवर के पग से सदा , झरता रहे चरित्र |
शिष्य उन्हें स्वीकार कर , बनें ज्ञान के इत्र ||
***
समीक्षक-सुभाष सिंघई, जतारा
77-बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-७७
दिनांक-3-9-2022 विषय- *रामधइ*
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प्रतियोगी दोहों की भाव समीक्षा ,
समीक्षा में प्रयुक्त छंद ~चौपइ (जयकरी छंद) 15 मात्रिक , अंत गाल
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प्रतियोगी दोहों की भाव समीक्षा लिखने के बाद , आदरणीय राना जी से अभी प्राप्त सूची अनुसार किनका कौन सा दोहा है उनके नाम दोहा के साथ ही इस समीक्षा में उल्लिखित करता जा रहा हूँ |
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*1* आद० संजय श्रीवास्तव जी
छिन-छिन पे कत रामधइ, छिन-छिन बोलत झूट।
राम नाम की आड़ में, छिन-छिन लूट-खसूट।।
भाव समीक्षा-
राम नाम की लेकर आड़ |
करते लूट खसूटी ताड़ ||
मत खाओं तुम झूठाँ कोल |
करने जीवन मिट्टी मोल ||
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*2* आद० प्रमोद मिश्रा जी
पढ़ो रामधइ मर गई , गइयाँ उते तमाम।
कां गय किशन गुपाल तुम,आव लौट कें श्याम।।
भाव समीक्षा
गौ रक्षक अब नहीं दिखात |
गौ माता अब मरती जात ||
कवि कहता अब सुनो गुपाल |
आकर सबको करो निहाल ||
***~~~~~~~~~~~~
*3*आद० डा० देवदत्त द्विवेदी जी
कौल करारन में फसे, गीता औ रामान।
सबसें सस्तै रामधइ,कलजुग में भगवान।।
भाव समीक्षा -
खात रामधइ झूठीं आन |
सस्ते कर दय है भगवान ||
कवि कहता तुम जाओ चेत |
जीवन में मत छानो रेत ||
***~~~~~~~~~~`
*4*आद० आशा रिछारिया जी
धोको दै रय राम खों,झूटे कौल उठांय।
कहें सरासर रामधइ,तनकऊ न सरमांय।।
भाव समीक्षा-
कौल उठाकर झूँठा राम |
धोखा खुद खाते है आम ||
नहीं कर्म से जो सरमाँय |
कवि कहता वह पाप उठाँय ||
***~~~~~~~~~~~
*5* आद० श्यामराव धर्मपुरीकर जी
आन बिराजै हर जगाँ, बिनती करौं गनेश ।
पीर बड़ी जा रामधइ,हर लो तुम बिघनेश ।।
भाव समीक्षा -
कवि कहता जानो बिघनेश |
आज विराजे यहाँ गनेश ||
नहीं रामधइ झूँठी खाव |
पीर बड़ी लै नहिं पछताव ||
~~~~~~~~~~~~
*6* आद० मनोज साहू निडर जी
सपथ राम की रामधइ, लपर झपर नैं जान।
जा मरजादा साँच की, बोलत राखौ आन।।
भाव समीक्षा -
रखना मरयादा की आँच |
बोलो हरदम पूरा साँच ||
लपर झपर का रखो न हाथ |
नहीं रामधई फोड़ो माथ ||
***~~~~~~~~~~~~~~
*7* आद० एस आर सरल जी
राम रामधइ कै रये, करत कौल ईमान।
मुहर लगाकै राम की, कर रय झूट बखान।।
भाव समीक्षा ~
कवि कहता रखना ईमान |
झूँठा सच्चा नहीं बखान ||
मुहर राम मत कर बदनाम |
पौरुष से जीतो संग्राम ||
***~~~~~~~~~~~~~
*8* आद० आर बी पटेल जी
राम -राम सब है करत ,रामधई सौगंध ।
कुकरम में बीधे रहत,नहीं करत प्रतिबंध ||
पहला चरण परिमार्जित
भाव समीक्षा-
रामधई खाते सौगंध |
करना इसको अब प्रतिबंध ||
नहीं झूँठ का देते साथ |
जग के पालक दीना नाथ ||
***~~~~~~~~~~~~~~
*9* आद० वीरेन्द्र चंसौरिया जी
कसम रामधइ खाय लो , कर लें सब विशवास।
जा है ताकतवर कसम , अपनी तपनी खास।।
भाव समीक्षा ~
राम नाम पर है विश्वास |
जग में ताकत है यह खास ||
कवि कहता मत इसको तोड़ |
राम नाम से नाता जोड़ ||
***~~~~~~~~~~~~~~
*10* भगवान सिंह अनुरागी जी
कहूँ रामधइ. है नहीं,भारत जैसो देश।
गौ माता गंगा गुरू,पैलां पुजत गणेश।।
पहला चरण परिमार्जित ~
भाव समीक्षा-
जग में भारत जैसा देश |
पूजे जाते यहाँ गणेश ||
गौ-गंगा को माने मात |
गुरुवर पूजें रखकर नात ||
***~~~~~~~~~~~
*11* आद० गोकुलप्रसाद यादव जी" कर्मयोगी "
छिन -छिन कै कें रामधइ , लऔ तुमारौ नाम।
गणिका घाँईं मोय भी, तार दिऔ प्रभु राम।|
भाव समीक्षा -
कवि कहता लेना प्रभु नाम |
चले आयगें दौड़े राम ||
गणिका जैसा देगें तार |
हो जाए तब निज उद्धार ||
**~~~~~~~~~~~~~~
12* आद० गुलाब सिंह भाऊ जी
जो भी लबरी बात पै,कौल राम को खात।
ऐसे लबरा रामधइ,नरक कुड़ी खों जात।।
भाव समीक्षा -
कौल झूँठ जो खाता राम |
नरक धाम का करता काम ||
लबरा कहता उसे समाज |
फिर भी छूती उसे न लाज ||
*** ~~~~~~~
*13* आद० रामेश्वर प्रसाद " इंदु जी"
अच्छौ खावै पैर वे, चारऊ लगां ललात।
मैंगाई सें रामधइ,भूखे ही सो जात।।
भाव समीक्षा -
कवि मँहगाई को अब देख |
भूखें बच्चे करता लेख ||
कौन पूछता उनका हाल |
जो कल होगें भारत भाल ||
***~~~~~~~~~~~
*14* आद० अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
बउ खों बिटिया मानियौं, होजै घर गुलजार।
साँसी कै रय रामधइ, जौ जीवन कौ सार।।
भाव समीक्षा-
कवि कहता है घर का सार |
बेटी करती घर गुलजार ||
बहू मान लो सुता समान |
फिर देखो उसका बलिदान ||
***~~~~~~~~~~~
*15* आद० आर के प्रजापति जी साथी
जो औरत औरत करै, रचतइ भौतइ स्वाँग।
वर बोले जब #रामधइ, तब लेती वर माँग।।
भाव समीक्षा
औरत जब भरती है स्वाँग |
बड़ी विकट जानो तब माँग ||
बहुत चुकाना पड़ता मोल |
सोच समझ नारी से बोल ||
***~~~~~~~~~~~~~
*16*आद० अमरसिंह राय जी
एसो लगतइ रामधइ, होबै कछू उपाय।
एक बार फिर सें इतै, रामराज आ जाय।।
भाव समीक्षा -
रामराज अब फिर आ जाय |
बड़ी कल्पना अब मुस्काय ||
कवि भरता है मन में ओज |
कैसी होगी इसकी खोज ||
***~~~~~~~~~~~~~~
*17* आशाराम वर्मा नादान जी
क्वाॅंर जेठ सैं कात कै ,तो कैसे दिन पाउॅं ।
साॅंसी कै र व रामधइ,जल में आग लगाउॅं ।।
भाव समीक्षा -
अदभुत करता है कवि गान |
क्वाँर जेठ अब एक समान ||
लगती जैसे जल में आग |
यहाँ पृकृति के कैसे राग ||
***~~~~~~~~~~~~~~~~
*18* सुभाष सिंघई
राम काँप गय सुन उतै , आँखन आ गव नीर |
देर रामधइ एक दिन , छोरै भरत शरीर ||
भाव समीक्षा -
बड़ी रामधइ यह संसार |
और न देखी ऐसी यार ||
कह गय आगे खौ श्रीराम |
अनुज भरत-सा मिले न नाम ||
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*19* आद० प्रदीप खरे मंजुल जी
रामधयी पंजू नहीं,कैसें मेला जाँय।
मन ललचा रव चाट खौं,लगत मगौड़ी खाँय।।
भाव समीक्षा
कवि मन देखा है ललचात |
चाट मगौड़ी मेला खात ||
कवि कहता जानों यह सार |
दुनियाँ में मन का यह ज्वार ||
***~~~~~~~~~~~~~~~
समीक्षा में कहीं त्रुटि हो तो परिमार्जन भाव से स्वीकार करें
***
समीक्षक-सुभाष सिंघई, जतारा
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362वीं समीक्षा दिनांक 29 अगस्त 2022 ,
बुंदेली दोहा दिवस , विषय - हनके ( जोर से )
समीक्षा हेतु प्रयुक्त छंद - उल्लाला छंद (चंद्रमणि छंद)
(उल्लाला में चारों चरण दोहे के विषम चरण जैसे होते है )
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1- आदरणी़य जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी
पलेरा, जिला टीकमगढ़
हनकें रै गय पावने, परेशान परिवार था |
लिखते है जयहिंद जू , नोनौं पाँव पसार था |
आगे के दोहा लिखै , भक्ति जहाँ प्रधान कही |
शबरी केवट प्रसंग के, भाव गंग अनुपम बही ||
सभी अनुपम बेहतरीन दोहे लिखे है आपने , शबरी केवट प्रसंग अद्भुत लिखे है 🌹🌹
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2-आदरणीय प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़,,
हनके बरसें बादरा, प्यासे मर गय लोग थे |
सन सौला केदार के यह. कैसै संजोग थे ||
अब प्रमोद जू लिख रयै , जिसमें बहुतइ सार है |
गौधन अब दिखतइ नही , जिन बिन सब बेकार है ||
सभी दोहे प्रसंग सहित तथ्य युक्त लिखे है आपने 🌹🌹
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3- आदरणीय प्रदीप खरे, मंजुल जी टीकमग
हनकैं जढ़ दयै भीम नें , गदा देह में चार. है |
आड़े दुर्योधन डरे, छिन में डारो मार है ।।
बिना काम ठलुआ फिरौ, होबै नित तकरार है |
हनकैं करियौ काज तुम, यह प्रदीप का सार है
संदेशात्मक दोहे लिखे है आपने 🌹🌹
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4- आदरणीय संजय श्रीवास्तव* मवई (दिल्ली)
होरी हनकेँ खेल रय, नटवर नंद किशोर है |
लिपी-पुतीं सब गोपियाँ, हो रइँ भाव-विभोर है ||
सब दोहो का सार यह , संजय कहते बात है |
लीला ईसुर जानियो , हम सबखौ सौगात है ||
अनुरम रस भाव युक्त दोहे लिखे है आपने 🌹🌹
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5-सुभाष सिंघई
हनके बादर होत है , फिर बिजुरी चमकात है |
भींजत मन अरु खेत है , धना बैठ मुस्कात है ||
आगे के दोहा कहै , जीमें दुष्टन के हाल है |
दुरयौधन की गति लिखी , जीमें मुगदर ताल है ||
पृकृति और इतिहास को याद किया गया है
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6- आदरणीय भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" जी
पानी हनकें जो गिरौ, भींजी पल्ली ख्वार है |
घर कौ ईंदन सींड़ गव, मरी भैसिया त्वार है ||
गए पड़ोरा टोरबे, बेजईं फूलो काॅंस है |
अनुरागी दोहा कहै , जीमों दौरो डाॅंस है ।।
बुंदेली सरस शब्दों का प्रयोग करते मन भावन दोहे लिखे है आपने 🌹🌹
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7- शोभाराम दाँगी जी नंदनवारा जिला टीकमगढ मध्यप्रदेश
हनकें लठिया मारकैं ,दुकौ नीम की ओट है |
लदफद हो गव खून सें , सिर में आई चोट है ||
दई देवता पूजवैं, दई लबुदियां सात है |
खूब लिखा है आपने , शोभा जू क्या बात है ||
अनुपम हास्य बिखेरते दोहे लिखे आपने 🌹🌹
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8- आदरणीय एस आर सरल जी टीकमगढ़
धुआँ धार वर्षा भई, हनकें आई बाड़ है |
झर झर झरना झर रये, नदिया रईं दहाड़ है ||
न्याय नीत अब है नईं,धधक रऔ अब देश है |
कहै सरल अब देखते , आज यही परिवेश है ||
बहुत ही सटीक वर्तमान व्यवस्था का चित्रण किया है 🌹🌹
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9- आदरणीय गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़
हनके पइसा देत है, बनबै खो सरपंच अब ।
सत्य धरम सबरो घटो,है पइसा को मंच अब ।।
राजनीति हनके करें, जनता खो विश्वास है ।
पर भाऊ सब देखकर,मन से आज निराश है ।।
भाऊ आपने कड़बा सत्य उद्घाटित करते हुए दोहे लिखे 👌🌹🌹
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10- रामसेवक पाठक हरिकिंकर जी
हनकें लै रय लांच अब, सबरे अफसर आज है |
मैं तौ भौतइ हों दुखी, सबरौ बिक गव नाज है ।।
सत्य कहा जी आपने , आज यही सब दौर है |
हम सब जिम्मेदार है , नहीं कोइ अब और है ||
सत्य कथन है आपके 🌹🌹
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11-आदरणीय आशाराम वर्मा जी "नादान"पृथ्वीपुर
आशा बड़ी किसान खौं ,लख आसौं की साल है |
हनकैं बरसा हो गई , भरे कुआ उर ताल है |।
हनकैं बादर रय गरज , पिया नहीं है पास में |
कहते आशाराम है , सजनी जी रइ आस में ||
बरसात का आपने बहुत अच्छा चित्रण लिखा है 🌹🌹
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12 - आदरणीय मनोज साहू 'निडर'जी
माखन नगर, नर्मदापुरम
मैंगाई रोजइ हनै, च्यौंटी घूँसा लात है |
साँप छछूंदर-से भये, नौने दिन चिवलात है ।।
रिपुहन हनकै घाल दई, कुबरी उपरै लात है |
*फूट मूँड़ गारद भई, इत मनोज कत बात है ||
उपमा और उपमान का अच्छा प्रयोग किया गया है 🌹🌹
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13- आदरणीय प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़
हनकें बरसीं हैं मघाँ, भरे तलातल. ताल है |
मौं सें भरगय हैं कुआ, नदियाँ मालामाल है ।।
हनकें माखन खात हैं, मटकी देते फोर है |
प्रभुदयाल बतला रहै , नटवर नन्द किशोर है ||
पृकृति और प्रभु श्रीकृष्ण पर अनुपम दोहे लिखे है 🌹🌹
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14 - आदरणीय डा आर बी पटेल "अनजान" जी छतरपुर
दारु पीवें जौन जन , उनमें घलवें लट्ठ जू ।
लाज शरम उनखों नहीं, ऐसे हो गय भट्ठ जू ||
हनके रोटी खा लई, पी लौ ठंडो नीर जू |
बरगद की छाया तरै ,नींद लगत गंभीर जू ।
बहुत ही सुंदर कथन भरें दोहा लिखे आपने 🌹🌹
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15- आदरणीय बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
लरका जुरमिल जब करत , हनकें चरबदयाव है |
बृजभूषण ललकार कै , करतइ उतै निबाह है ।
बालि भूप सुग्रीव सुनो , मची लराई रूप थी |
पेड़न से किरपा वहाँ , रघुराई की धूप थी ||
श्रीराम बालि सुग्रीव का प्रसंग दोहा में रोचक रहा है 🌹🌹
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16 - आदरणीय अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी "श्रीकांत"निवाड़ी
हनुमत नें लंकेश खों, हनकें दई पछार है |
ईखों वानर मानकें, बिरथां ठानी रार. है ||
कहत अंजनी है इतै , हनकें घूँसा मार दव |
काँसें वीदन आय है , गिरौ धरन पै जाय तव ||
बहुत ही अच्छा प्रसंग लिया है , आनंद आ गया है 🌹🌹
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17- आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी नन्हींटेहरी
अपनें मन कौ जो चलत, तज स्याँनन की बात जब |
डुबै देत परिवार खाँ, फिर हनकें पछतात तब ||
कहते गोकुल जू इतै , चार. जनों के बीच में |
अपनी थोरी काव तुम , हाथ न डारो कीच में ||
आपके सभी दोहे विशेष कथ्य भरे , संदेशात्मक है 🌹🌹
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18- आदरणीया डॉ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल
दद्दा हनकें मार दैं, तब ओरी पुचकार है |
यह विधि माटी की सुनो , ऐसइ घड़ा कुम्हार है ।।
आग तपत सोना चमक, चौखा तब शृंगार है |
कहै रेणु दोहा यहाँ , जिसमें लगता सार. है ||
आदरणीया आपका दोहा , संसार के लिए विशेष कथ्य प्रदान कर रहा है 🌹🌹
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19- आदरणीय राजीव नामदेव राना लिघौरी जी
राना हनके कै रयै , सबइ इतै गुनवान है |
जौ भी नोंनीं बात हो , देत खूब सब ध्यान है ||
आगें हनकें लिख दयै , दोहा पूरै पाँच है |
सूदी सच्ची गैल में , नहीं साँच खौं आँच है ||
बहुत ही सटीक तथ्यात्मक दोहे लिखे है आपने 🌹🌹
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20- आदरणीय अमर सिंह राय जी नौगांव, मध्य प्रदेश
भूख -प्यास हनकें लगे, तौ ना कछू सुहाय अब |
तुरत मिले रोटी भलै, बासी ही मिल जाय तब ||
आउत हनकें नींद है , टूटी मिलवे खाट जब |
नीद चैन की आत है, खूब भरें खर्राट तब ||
आनंददायी दोहे लिखे आपने 🌹🌹
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यदि कहीं मात्रा भार विधान में त्रुटि हो गई हो तो परिमार्जन भाव से सादर स्वीकार करें
सादर
सुभाष सिंघई, जतारा
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361-श्री सुभाष सिंघई-दोहा प्रति.76-घुरवा-22-8-22
दिनांक 27 अगस्त 22 , विषय घुरुवा ,
भाव समीक्षा - मुक्तामणि छंद में (13 - 12 )
पदांत वाचिक भार दो दीर्घ
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यह अप्रतियोगी दोहों पर हमारा निवेदन है , इसी पोस्ट में अप्रतियोगी दोहों के बाद , प्रतियोगी दोहो पर निवेदन है
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आपके दोहो के प्रमुख भावों को मुक्तामणि छंद में लाने का प्रयास किया है |
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1- आदरणीय राजीव नामदेव " राना लिधौरी "
राना जी घुरवा लिखें , कहै बात सब मानो |
ताकत के पाछें नहीं , अपनो ज्ञान बखानो ||
करकें ऊँसै दोस्ती , मन की करौ सबारी |
घुरुवा के आगे रहौ , पकरौ नहीं पछारी ||
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2-आदरणीय प्रदीप खरे मंजुुल जी
मंजुल का कहना इतै , घुरुवा करतइ सेवा |
जानो सेवादार है , कभी रूप है देवा ||
वर्णन है इतिहास में , मिले हमें बलिदानी |
घुरुवा के हर रूप की, अद्भुत मिली कहानी ||
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3-आदरणीय ,, प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़,,
घुरुवा सब रण बाँकुरै , कह प्रमोद सब बीरा |
गिनती भी सब गिन गयै , कैसे- कैसे थे हीरा ||
चेतक बादल सारँगी , बेंदुल थे सब नामी |
रचा गये इतिहास सब , शिवलोकी के गामी
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4- आदरणीय अमर सिंह राय जी नौगांव,
अमर राय घुरुवा लिखै , महिमा भी बतलाते |
सेना में आगे दिखें , पूरी कथा सुनाते ||
शादी में घुरुवा लिखें , दूला करे सवारी |
खेल चले शतरंज जब , ढ़ाई घर पर भारी ||
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5- आदरणीय ब्रजभूषण दुबे जी ब्रज बकस्वाहा
लव कुश का वर्णन लिखा , बाँध लिया जब घोड़ा |
कैसा रुख इतिहास नें , था अवसर पर मोड़ा ||
राणा का वर्णन किया , चेतक की बलिदानी |
जिनकी चर्चा आज भी , सुनते सभी कहानी ||
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6 - आदरणीय रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
रामेश्वर जी लिख रयै , कहते बात दुलारी |
कविगण कविता को लिये , करते आज सबारी ||
लेकर कविता हर पटल , अच्छी दौड़ लगाते |
घुरुवा नेता भी बने , अपनी कथा सुनाते ||
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7- आदरणीय अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत"निवाड़ी
घुरवा छोडौ राम नें, अश्व मेध के लाने |
लव कुश बाँदें पेड़ सें, नहीं बात खौं जाने ||
आगैं लिखतइ अंजनी,चेतक की बलिदानी |
कभी जमीं ना बैठता , घुरुवा आलीशानी ||
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8- आदरणीय मनोज साहू जी 'निडर' माखन नगर, नर्मदापुरम्
मन में घुरवा दौड़ते , कहते बात निराली |
श्री मनोज का कथ्य यह , लगता सबसे आली ||
सतगुरु चौखट बैठ कैं , कहते सुन लौ ज्ञानी |
लैव सुमरनी हाथ में , छौड़ दैव मनमानी ||
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9- आदरणीया आशा रिछारिया जी जिला निवाड़ी
दूला घुरवा पै चढौ , पाछें चले बराती |
समधी अगुआई करें, आशा जी बतलाती ||
छत्रसाल घुरवा कहै , जिसकी चाल निराली |
जिते -जिते टापें परीं, वह हीरा फैलाती ||
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10 - सुभाष सिंघई
घुरवा पै राणा चढ़ैं , है सुभाष बलिहारी
सत्तर सेरा की सुनी, हमने थी तलवारी ||
लक्ष्मीबाई कौ सुनौ , घुरुवा आलीशानी |
लगी किले से कूँदनी , जग ने उसकी जानी ||
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11- आदरणीय आर.के.प्रजापति "साथी"जी
जतारा,टीकमगढ़(मध्यप्रदेश)
लिखै प्रजापति आर के , घुरुवा थे सब सानी |
युद्ध कला रण बाँकुरे , रहै सदा बलदानी ||
जगता -सोता यह खड़ा , घुरुवा है बलशाली |
वफादार यह जानवर , समझो जग में आली ||
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12-आदरणीय गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
सूर्य देव को अंश है , घुरुवा है अवतारी |
भाऊ सुंदर बात यह , लगी सबइ खौ न्यारी ||
ऐसइ तौ सब सीखतइ ,मिलत रहत जब ज्ञानी |
बात सुभाषा जान गय , पूरी आज कहानी ||
(भाऊ हम इस तथ्य से अंजान थे , अवगत हो गये है
बहुत बहुत आभार )
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13- आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहर
गोकुल भैया जू लिखै , चेतक. की बलिदानी |
हाथी रामप्रसाद की , याद करैं कुर्वानी ||
बादल घुरुवा याद है , जिसकी गज़ब कहानी |
राणा का रण लिख गयै,जो सब अमिट निशानी ||
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14 -आदरणीय भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"जी
घुरवा छूटो जग्य कौ, लवकुश नै लव थामा
महावीर लछमन थके, दौरत आए रामा |।
सारंगी बादल पवन, चेतक घुरवा नामी |
अनुरागी सब गिन रयै , देकर इतै सलामी ||
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15-आदरणीय रामानन्द पाठक नन्द जी
घुरवा बदें ब्याव में, टीका द्वारे होता |
नाचै कला दिखायकें, सबकौ मन लै गोता ||
कहते रामानंद है , सुनो बैद्य की बातें |
घुरवा से दौड़त रहों , काटो सुख की रातें ||
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16-आदरणीय शोभाराम. दाँगी जी
पकरै हाथ लगाम है , चावुक खूब लगाते ।
बन्न बन्न के खेल- से , घुरवा नचै बराते ।।
यह जीवन का खेल , रहे ईश की माया |
हर्ष दुखी सब झेल , रहे जगत. में काया ||
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सुभाष सिंघई
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*-बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-76*
विषय- *घुरवा* दिनांक- 27 अगस्त 2022
प्रतियोगी दोहो पर मेरा दृष्टिकोण निवेदित है
आदरणीय राना जी , इस पोस्ट के कमेंट में दोहाकारों के नाम अवगत करा दें व दिव्य दृष्टि में नाम जोड़ दें ,
हमें नहीं पता कि किसका कौन सा दोहा है ,
सादर
सुभाष सिंघई
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*प्राप्त प्रविष्ठियां-*
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*1*
दिग्विजयी घुरवा लखौ,लव कुश पकरौ जाय।
सीता के सुत बाँकुरे, कोउ छुड़ा ना पाय।।
समीक्षा
जिनकै सुत की वीरता , जग भी करे बखान |
दोहा लेखक कह रहा , वह कुल की है शान ||
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*2*
लव कुश घुरवा बाॅंद कैं, फूले नईं समांय ।
लखन और हनुमान जी,उनसैं पार न पांय ।।
समीक्षा -
बालक में हो वीरता , सभी बली हरषात |
लवकुश हो या दूसरे , सबरें शीष झुकात ||
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*3*
दूला सब घुरवा चढै , चारउ भइया राम |
दशरथ सजैं बरात खौं , चलै जनक के धाम ||
समीक्षा -
घुरुवा पै बेटा चढ़े , पिता सबइ है चात |
मन की कलियाँ फूलती , बड्डे बूड़े कात ||
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*4*
करनी कर, नीकी लगै, चार जनों खों भाय।
चढ़कै घुरवा काठ कै, जुद्ध न जीतो जाय।।
(तीसरा चरण परिमार्जित )
समीक्षा -
करनी ऐसी कीजिए , सबकै मन खौ भा़य |
कठुवाँ के घुरवा सदा , कभउँ न बाहर आय ||
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*5*
मन घुरवा दौरत फिरै, इतै-उतै भैरात।
जो जा पै काबू रखै, सो साधू हौ जात।
समीक्षा-
मन चंचल ही रहै , कहता डावाँडोल |
दोहा कहता है यहाँ , यही जगत की पोल ||
***
*6*
गदा सोच रय काम में, हैं उनसें अगवान।
मानत काय समाज में,फिर घुरवा की शान।।
समीक्षा -
प्रश्न गधा पर कर रहै , बोझा है औकात |
दोहा का यह भाव है , घुरवा जाने बात ||
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*7*
घुरवा के पाछें कभउॅं, भूल बिसर नै जाव।
लात हनत ऐसी बुरइ,शायद बच नै पाव।।
समीक्षा -
ताकत के पीछे नहीं , करना मत कुछ घात |
दोहा कहता है यहाँ , सम्मुख करना बात
***
*8*
चेतक सौ घुरवा यहाँ, कामधेनु सी गाय।
गिद्ध जटायू सौ भगत,अब नइँ कितउँ दिखाय।।
समीक्षा -
सज्जन अब मिलते नहीं , दुर्जन करते राज |
दोहा कहता है यहाँ , सत्य रखौ आबाज ||
***
*9*
दुइ पाउन घोड़ा नचैं ,नचवावत असवार ।
नचैं बधाई. दादरा ,घुरवा सब दम दार ।।
(चौथा चरण परिमार्जित )
समीक्षा -
बुद्धिमान हो आदमी , करता है सत्संग |
दोहा कहता है यहाँ , संत विखेरें रंग ||
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*10*
कउं गदहा से हो गये, कउं घुरवा सी दौर।
जीवन जा रव ई तरा, बिदौ काम की ठौर।।
समीक्षा -
नहीं मनुज विश्राम ले, नहीं राम का नाम |
दोहा कहता है यहाँ , ढलती जाती शाम
***
*11*
घुरवा लक्ष्मीबाइ कौ,अड़ गव नरवा तीर।
मर्दानी कुर्बान भइ, झाँसी भई अधीर।।
समीक्षा -
साथी मरता साथ है , पावन मन जब होय |
घुरवा हो या आदमी , दोहा कहता सोय ||
***
*12*
अश्वमेघ घुरुवा सुनो, छोडौ राजा राम।
बाँद लऔ उन नें उसे, लव कुस जिनकौ नाम।
(पहला चरण परिमार्जित)
समीक्षा -
अपनो की पहचान कौ , करते प्रभु भी काम |
दोहा कहता है यहाँ , लीला थी श्री राम ||
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*13*
घुरवा सो जो मन उड़े, नाथ सके तो नाथ ।
ईसुर के दरसन मिलें,जो गुरु देवें साथ ।।
समीक्षा -
घुरवा सा यह मन कहा , गति भी कहते तेज |
दोहा का यह भाव है , ईश्वर तक मन भेज ||
***
*14*
लक्ष्मीबाई जीततीं, मिल जातो जो यार।
घुरवा चेतक की तराँ, बफादार दमदार।
समीक्षा -
मालिक का यदि नेह है , बफादार सब हौत |
दोहा कहता है यहाँ , मिलै उदारन भौत
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*15*
घास जुरै घुरवा नहीं ,गदा पँजीरी खाय।
आरक्षण की आग में, मैँनत झुलसी जाय।।
(पहला चरण परिमार्जित )
समीक्षा -
आजकाल के हाल पर , दोहा करता चोट |
नेताओं की है नजर , केवल -केवल वोट ||
*16*
टीकमगढ़ महराज ने, राखो घुरवा पैल।
जीकी मड़िया आज लो,नाव धरो तो छैल।।
समीक्षा -
राजागण भी दिल रखै , दोहे के यह भाव |
घुरवा तक से प्रेम भी , रखते राजा राव ||
***
*17*
राणा कौ घुरवा बड़ों,चलत इशारन गैल।
भौंहें राणा की मुड़ी,चेतक मुड़ गव पैल।।
(तीसरा चरण परिमार्जित )
समीक्षा -
पशुओं के संग आदमी , जुड जाता जब आन |
दोहा कहता है यहाँ , बनत नेह सम्मान ||
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*18*
गाँवन में हरदौल को, बनो चौंतरा राय।
ता ऊपर घुरवा बनो, मूरत कहूँ दिखाय।
समीक्षा -
घोड़ा की हरदौल से , बनी आज है शान |
दोहा कहता है यहाँ , यह अद्भुत है मान ||
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*19*
बब्बा जू घुरवा बने, नाती भय असवार।
बूढ़े सें बारे बने, दिल में भरो दुलार ।।
समीक्षा -
बच्चे लगते नूर है , हर दादा का गान |
दोहा कहता है यहाँ , बच्चे घर की शान ||
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सुभाष सिंघई
नोट - चूकिं समीक्षा लिखने को कम समय रहता है , कही वर्तनी मात्रा भार त्रुटि हो तो क्षमा भाव से स्वीकार करें
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360-श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दोहा-गडला-22-8-2022
दिनांक 22 अगस्त , बुंदेली दोहा दिवस , विषय- गडला
(आज समीक्षा में सोरठा छंद का प्रयोग किया है )
(सोरठा छंद का विधान , दोहा का ठीक उल्टा होता है )
तुकांत 11 की यति पर मिलाई जाती है |
जिस क्रम से पटल पर पोस्टें है , उसी क्रम से समीक्षा लिखी गई है
विशेष- जब आप माँ शारदा की अनुकम्पा से दोहा या कोई छंद एकाग्रता से लिखते है , तब कोई न कोई विशेष कथ्य संदेश बनकर सृजन में समाहित हो जाता है
तब हम सभी समीक्षक ( जो यहाँ समीक्षा करते है )के दायित्व से उसी तथ्य युक्त कथ्य को पहचान कर , आपके भाव ही आपको समर्पित करते है | कोई अलग से नहीं लिखते है | इसलिए आपका सृजन आपको ही आज सादर समर्पित है
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1- आदरणीय जयहिंद सिंह जी जयहिंद
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
जीवन गड़ला रूप ,पूरौ जीवन जानियो |
साधन सभी अनूप ,जयहिंद जी लिख रयै ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
यह जीवन का सार , हम सब तम्बू तानते |
हौते सब बेकार , हाथी घुरुबाँ पालकी ||
(कटु सत्य सारगर्भित दोहे लिखे है आपने )बधाई 🌹🌹
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2- आदरणीय आर के प्रजापति साथी जी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
बालक कौ आनंद , गड़ला में ही जानियो |
बचपन का मकरंद , रोना हँसना बैठना ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
बालक के मन भात , गडला लिखतइ आर के |
फूलै नहीं समात , मात- पिता भी देखके ||
(वात्सल्य रस युक्त दोहे लिखे है आपने )बधाई 🌹🌹
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3- आदरणीय एस आर सरल जी टीकमगढ़
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
खेलत बाल गुपाल , करतइ सुखद बखान है |
गडला की भी चाल , सरल जू न्यारी लिखै ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
गाँव गली हर द्वार , गडला ढलकत मिलें |
हँसतइ सब नर नार , मुन्नी मुन्ना देखकर ||
(दोहों में आनंद रस निर्झर हुआ है )सुंदर दोहे लिखे है आपने बधाई 🌹🌹
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4-आदरणीय प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़,,
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
हाँकत हँसकें छैल , गडला खुडयिन दार |
खुश होती सब गैल , लख प्रमोद बचपन यहाँ ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
बचपन में ढड़काय , मैला से सब आयतै |
गडला सबने पाय , चलबौ भी तब सीखबै ||
(कर्म प्रधान दोहे लिखे है आपने , अनुपम )आपके बुंदेली शब्द अभिनंदनीय है , बधाई 🌹🌹
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5- आदरणीय मनोज साहू 'निडर' माखन नगर, नर्मदापुरम्
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
बिसर गये सब खेल , घुल्ला भौंरा गेड़ियें |
अब कौलू जैसी रेल , श्री मनोज जी देखते ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
उलट गयै सब ठाट , दुनिया में दचका घलै |
गडला जैसी हाट , जीवन में अब जानियों ||
(जीवन का सत्य उद्घाघाटित करते दोहे लिखे है आपने)बधाई 🌹🌹
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6- सुभाष सिंघई
हमारे दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
धरम करम अरु काम , तीन चका गडला सुनौ |
पकरै रइयौ राम , कहत सुभाषा अब इतै ||
जिसमें तथ्य है ~
तीन लोक की चाल , गड़ला में सब देख लौ |
सबइ मिलातइ ताल , आड़ी तिरछी सूदरी ||
(दोहे आध्यात्मिकता से जोड़े है )🙏
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7- आदरणीय राजीव नामदेव " राना लिधौरी " जी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
खुद गडला अब होय , राना जी बतला रयै |
शाम कौनियाँ सोय , दिन भर ढेंचू सब करै ,
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
ढड़क चका से हाल , राना ढक्का खात है |
बनत बिगरतइ ताल , पर अब चलना ही पड़े ||
( गडला का यथार्थ चित्रण किया है आपने )बधाई 🌹🌹
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8- आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी ,नन्हींटेहरी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
ढड़कत हैं ढड़काँय , गड़ला अफसर एक से |
ओंगन तब चिपकाँय , कहते गोकुल जू इतै ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
गड़ला हो गय लोग , दन्न चकन की घिस रही |
गड्ड बड्ड सब रोग , दूभर हो गइ जिंदगीं ||
(जीवन में आते रहते प्रसंगो पर सटीक दिग्दर्शन एवं कथ्य परामर्श लिखे आपने )शेष भी सभी विशेष है बधाई 🌹🌹
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9- आदरणीय प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
गड़ला दौर लगायँ, गैल सरारी होय तो |
हिचकोला से खायँ, जो कउँ पथरीली मिलै ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
इसका समझो तथ्य , जीवन गलियन -सी रहे |
प्रभुदयाल का कथ्य , गाँठ बाँधकर अब चले ||
(जीवन चिंतन पर चित्रण लिखा है आपने )बधाई 🌹🌹
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10-आदरणीय अमर सिंह राय जी नौगांव, मध्यप्रदेश
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
अपनों फरज निभाँय , लालन-पालन मातु के |
कबहूँ भूल न पाँय, बें दिन गड़ला पालना ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
कथ्य बड़ा अनमोल , जिसको रखना याद है |
वह नर हीरा तोल , जो इसका पालन करे ||
(कर्तव्य परिपालन युक्त दोहे लिखे है आपने )बधाई 🌹🌹
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11- आदरणीय भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में
लाय छेवलौ काट, लैकें कुल्लू मोथली |
फिर गड़ला के पाट, चका बनाए तीन है ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
अनरागी का कथ्य , यहाँ छेवला सार है |
समझों तीनो तथ्य , धर्म-कर्म अरु मोक्छ के |
(कर्म प्रधान दोहे लिखे है आपने )बधाई 🌹🌹
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12 -आदरणीय प्रदीप खरे, मंजुल जी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
अँगना गिर -गिर जात, गड़ला लै लल्ला निगै |
लख छवि मन हरषात, मुइयाँ माखन सैं सनी ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
कहते यहाँ प्रदीप , गिरना उठना सीखकर |
रहता सदा समीप , हर्ष बना माखन सदा ||
( जीवन में उतार चढ़ाव पर दृष्टिपात करते दोहे लिखे है आपने )बधाई 🌹🌹
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13 - आदरणीय शोभाराम दाँगी जी नंदनवारा
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
खेलत रय भरपूर, हम मन बच तन से सदा |
खेलन जावैं दूर, गडला मिल गव खेलवे ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
कहते शोभाराम , गडला भी सुख सार है |
बसते जिसमें श्याम , बच्चों को यह प्रिय रहे ||
(वात्सल्य और कर्तव्य का समन्वय मिला है दोहों में )बधाई 🌹🌹
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14 - आदरणीया डॉक्टर प्रीति सिंह परमार जी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
सुमन रहे बरसाइ, राम दरश कीनैं सबहिं |
लख शोभा हरषाइ , रामहिं लै गड़ला चलें ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
लीला में आनंद , प्रीति बहिन सब कह रही |
अनुपम लिक्खा छंद , अनुभव हम सब अब करें ||
(वात्सल्य भाव का दोहा लिखा है आपने )बधाई 🌹🌹
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15- आदरणीय आशाराम वर्मा जी "नादान"पृथ्वीपुर
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
खेलैं मदन गुपाल. , गड़ला लैकैं चौक में |
चकन जड़ाये लाल, मुतियन सैं पटलीं जड़ी ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
माँ का अनुपम प्यार , हर बेटा पाता सदा |
हर सम्भव उपहार , सुत पर न्यौछावर रहे ||
(सृष्टि में वात्सल्यता का अनुपम दिग्दर्शन मिला आपके दोहो में )बधाई 🌹🌹
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16 - आदरणीय डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ामलहरा
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
बिन बोलें पछयायँ , बब्बा खों नाती- नता |
दोरें रोज घुमायँ , गडला पकरा कें सरस ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
जहाँ बड़न में नेह , गंगा- सी धारा रहे |
अनुपम बनता गेह , यहाँ सभी यह जानते ||
{आपके दोहों में बुजुर्गो का स्नेहाशीष , कामना और फल प्रतिविम्बित होता है ) बधाई 🌹🌹
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17- आदरणीय बृजभूषण दुबे जी बृज बकस्वाहा
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
हर घर की लरकौर, गड़ला लय खेलत फिरत |
चलत फिरत रय दौर, बृजभूषण तकरय मजा ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
लरकन खौ अब देख , खुद के दिन भी याद हो |
यह विधिना का लेख , याद कभी छूटे नही ||
आपके दोहों में बचपन के दिन याद किए गए है , सुंदर परिकल्पना है बधाई 🌹🌹
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18 आदरणीय रामानन्द पाठक नन्द जी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
इनकौ थोरो मोल, गाड़ी गडला काम के |
नइ चानें पिटरोल, बिन ईदन के चलत हैं ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
बहुत आत है काम , कीमत से मत आँकना |
दीपक करता शाम , उजयाली लघु सूरज- सी ||
(आपका दोहे से लघुता में गुरुता का दिग्दर्शन हो रहा है )बधाई 🌹🌹
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19 - आदरणीय अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी"श्रीकांत" निवाड़ी
आपके दोहे का कथ्य सोरठा छंद में ~
जात धरन पै लोट, गड़ला जी पै ना सदै |
लगै ना तन पै चोट, बालक के भगवान हैं ||
जिसमें मैनें निम्न तथ्य पाया है
रखना कदम सम्हार , हार जीत होती रहे |
साथ रहे भगवान , चोट बचायें आनकर ||
आपके दोहे नेक नियत से कर्म करने का आवाहन कर रहें है , जिसको श्रीहरि ही सम्हालते है ,बेहतरीन सृजन की बघाई 🌹🌹
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यदि कहीं कुछ त्रुटि हो तो परिमार्जन भाव से स्वीकार करें
सादर अभिनंदन सभी का 🌹🌹
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समीक्षक-सुभाष सिंघई ,जतारा
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359- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-ठूंसा-20-8-2022
*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-75*
दिनांक 20 अगस्त2022 , पहले प्रतियोगी दोहो की समीक्षा है , तत्पश्चात इसी पोस्ट के नीचे अप्रतियोगी दोहो की समीक्षा है
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हम बिना नाम जाने , दोहा भाव पर आधारित समीक्षा लिख रहे है ,
दोहा किसका है, यह मैं नहीं जानता हूँ , पर मैं आदरणीय राना जी से इस पोस्ट के कमेंट में दोहा क्रमांक लिखकर नाम अंकित कर देने का निवेदन करता हूँ व दिव्य दृष्टि संकलन में क्रमांक नाम का कमेंट जोड़कर संग्रहण करने का अनुरोध करता हूँ |
अब आदरणीय राना जी के अनुसार ताजी समीक्षा सबसें ऊपर ही मिल जाया करेगीं , पहले की तरह नीचें नहीं मिलेगीं , अत: सभी मित्र उसको ऊपर ही पढ़ सकते है
सादर
समीक्षाकार -- सुभाष सिंघई जतारा
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(प्रतियोगी दोहों की समीक्षा )
*प्राप्त प्रविष्ठियां -*१
*1*प्रदीप खरे, मंजुल*
छाती में ठूंसा दऔ, कढ़े कंस के प्रान।
कान्हा छाती पै चढ़े,बढ़ो पिता कौ मान।।
समीक्षा-
यह दोहा जिसने लिखा , उसका जानो सार |
अत्याचारी मत बनो, सबसे रखना प्यार ||
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***
*2* रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव, झांसी
उठौ चिरइयां बोल गै, सूरज उगौ दिखाय।
ठूंसा दे कें बाप ने, मौडा़ दियौ जगाय।।
समीक्षा-
यह दोहा भी कह रहा , जागो भाई प्रात |
दिनचर्या हो संतुलित , सुखद बिताओ रात ||
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*3*-डां प्रीति सिंह परमार टीकमगढ़
लरका लरकें आय तौ,माई ठूंसा देत।
आत उरानें जब घरै,खबर लाल की लेत।।
समीक्षा-
दोहा में संदेश है , करौ न ऐसे काम |
मात-पिता को कष्ट हौं , होकर कै बदनाम ||
***
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*4*गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
गुरू,बखत,पितु-मात के,जिनने ठूँसा खाय।
बेइ जगत में दौर गय, औरन सें अतकाय।
समीक्षा-
ठूँसा ठोकर जब मिलै , उनसे सीखो ज्ञान |
दोहा कहता अब यहाँ , अपना रखना ध्यान ||
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*5*-मनोज कुमार साहू निडर, नर्मदापुरम
ठूँसा में गुन भौत हैं, गुस्सांँ, धमकी धौंस।
असल भलौ हन देय तो, उतर जाय सब तौंस।।
समीक्षा-
दोहा कहता है यहाँ , करौ नहीं अभिमान |
गुस्सा धमकी पालकर , बनो नहीं नादान ||
***
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*6*गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़
ठूँसा खा-खा कें पढ़े, बनें कलट्टर आज।
अपडा़ मूरख मर रये,चुका-चुका कें ब्याज।
समीक्षा-
इस दोहे के भाव है , पढ लिख पाओ ज्ञान |
अच्छे मानव बन जगत , करो सही पहचान ||
***
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*7*अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
ठूँसा दव हनुमान नें, राबण गिरौ धड़ाम।
डरौ-डरौ सोचन लगौ,अब का हुइयै राम।।
समीक्षा -
यह दोहा भी कह रहा , कितना हो बलवान |
नीचे गिरना ही पड़े , जब आवें अभिमान ||
***
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*8*आर.के.प्रजापति "साथी", जतारा
ठूँसा मारो ठाँस कें, बस में कर लव नाग।
फन ऊपर नाचें किसन,छेड़ मुरलिया राग।।
समीक्षा-
इस दोहे के भाव है , जहर करें ना काम |
जिस मानव के साथ में , खड़े रहत है श्याम ||
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*9*सुभाष सिंघई, जतारा
हलको ठूँसा घाल कैं , गोपीं छूबैं गाल |
होरी खेलत हँस रयै , गुचकू से गोपाल ||
समीक्षा-
इस दोहा का भाव है , जीवन अद्भुत रंग |
अपने मन में राखिए , अनुपम सदा उमंग ||
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*10*शोभारामदाँगी,नदनवारा
हनकैं ठूँसा घालकैं ,गदवद दै गव आज ।
लगौ काँख में तान कैं , कननैं परौ इलाज ।।
समीक्षा-
यह दोहा भी कह रहा , करौ न ऐसे काम |
मिले पिटाई हर जगाँ , बिगरें काम तमाम ||
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*11*डॉ.सुनील त्रिपाठी निराला
मंगरे पे चढ़ बोल रव, अब तौ भिष्टाचार।
ठूंसा जैसी घल रई, मैंगाई की मार।।
समीक्षा-
इस दोहे के भाव है , जनता है हैरान |
मँहगाई की मार से , कढ़ रय जनता प्रान ||
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*12*आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
पहरे पर थी लंकिनी , छली चतुर हुसयार।
ऐकइ ठूॅंसा की भई , हनुमत नें दइ मार।।
समीक्षा-
इस दोहे में कवि कहै , हो अन्यायी साथ |
सबसें पहले टूटते , अपने दोनों हाथ ||
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13*भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा दमोह
रावण नै ठूॅंसा हनौ,बैठ गए हनुमान।
बिरमा आए बीच में,लख बीराअनुमान।।
समीक्षा-
दोहा कहता है यहाँ , जिसके हों प्रभु राम |
उसकी रक्षा हर जगाँ , करते है घन श्याम ||
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*14*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ
ठूँसा जब हनुमान ने , धरो ककइ में ठुस्स
पंचर होगव राकछस,प्रान निकर गय फुस्स।।
समीक्षा -
दोहे में कवि कह रहा , प्रभु की ताकत होय |
मिट जाते है दुष्ट सब, बैठै परिजन रोय ||
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*15*-पं. बाबूलाल द्विवेदी,छिल्ला
ठूँस ठूँस के ठाँस के,पर रय पाँव पसार।
मानी नहीं मताइ की, ठूँसा घल गय चार।।
(तीसरा चरण परिमार्जित )
समीक्षा-
मात- पिता की मानना , इस दोहे के भाव |
ठुकराने पर मिल चलें , जगह- जगह से घाव ||
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*16*श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
ठूँसा सो मारो मती,अच्छें बोलो बोल ।
काम इतै सबसें परत , जीवन जो अनमोल ।।
(तीसरा चरण परिमार्जित )
समीक्षा-
नहीं सताना जीव को , इस दोहे का तथ्य |
काम परत सबसें यहाँ , कितना सुंदर कथ्य ||
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*17*-राजकुमार चौहान, शिवपुरी मप्र
चटियावे तैयार थे, मन में ऐसौ खार।
ठूँसा हमरौ देख कै,झलकाते अब प्यार।।
समीक्षा-
ठूँसा की ताकत यहाँ , कवि रहा है लेख |
जो रखते है खार कौ , वह लेवें अब देख ||
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*18*रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
घर में घुस घूंँसा हनौ,धरती दऔ पछार।
लंका सबइ जला दई, कूँदे सिन्धु मझार।
समीक्षा-
दोहा में कवि कह रहा , मिलती उसे पछार |
जो रखता है मान कौ , जलता तब घर द्वार ||
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*19*जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
मुष्टक ठूंसा मारकें,खुशी भये बजरंग।
गई लंकिनी होस खौ, लंका घुसे उमंग।।
(तीसरा चरण परिमार्जित )
समीक्षा -
दोहा में संदेश. है , ताकत कितनी होय |
जहाँ कुमति का वास है , होश वहाँ सब खोय ||
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*20*-संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
पग-पग पे ठूँसा घलत,पग -पग पे उबरात।
अकड़ ऐंठ में जिंदगी,रूखी सी कड़ जात।।
समीक्षा -
दोहा सीधा कह रहा , अकड़ धकड़ अरु यैठ |
रूखी रहती जिंदगी , घर में रौवें बैठ ||
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21*-एस आर सरल,टीकमगढ़
ठूँसा नौनें प्यार के, दिन दूने गुरयायँ।
ज्यों ज्यों हसकें मारवें,त्यों त्यों प्रेम बढ़ायँ।।
समीक्षा-
दोहा कहता प्रेम रस , जिस घर रहता प्यार |
वह जानो सबसे सुखी , रहता है परिवार ||
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*22*अमर सिंह राय, नौगांव
गांधारी निज पेट पर, लीन्हो ठूंसा मार।
अपने हाथन कर लओ, गरभ पिंड बेकार।।
समीक्षा-
दोहा कहता है यहाँ , अपना ही नुकसान |
करता मानव रोज है , करे न जग पहचान ||
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*23*-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ामलेहरा
येंड- अकड़ रै गइ धरी,सुन हनुमत कौ नाम।
इक ठूँसा में लंकनी,बोली जै श्री राम।।
समीक्षा -
दोहा का यह भाव है , बड़ा राम का नाम |
जिनका लेते नाम ही , दुष्ट भागते धाम ||
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*24*अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
कछु ठूँसा मीठे लगत, लगत और घल जायँ,
कोमल चोटें नेह की, मन खौं खूब सुहायँ ।
समीक्षा-
इस दोहा में वह रही, अनुपम रस की धार |
जीवन में कुछ बाँटिए , अपना अनुपम प्यार ||
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कहीं कुछ त्रुटि अवश्य होगी , परिमार्जित भाव से ग्राह , स्वीकार करें 🙏
इस पोस्ट के कमेंट में आदरणीय राना जी से दोहा क्रमांक व नाम एड करने का समय मिलने पर अनुरोध करता हूँ
सादर
सुभाष सिंघई जतारा
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दिनांक 20 अगस्त , बुंदेली अप्रतियोगी दोहा
के मुख्य भाव सारांश , जिस क्रम से पटल पर दोहे है , वही क्रम यहाँ है
1-आदरणीय अभिनंदन जी गोइल
गोइल जी ठूँसा लिखे , दुरबचनन की बात |
कहें निपटबों जानियों , मत सहियो आघात ||
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2-आदरणीय राजीव नामदेव " राना लिधौरी जी
राना ठूँसा लिख रयै , लिखतइ कथा अपार |
लबरन के लानै लिखैं , करौ बंद घर द्वार ||
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3-आदरणीय भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी
अनुरागी दोहा लिखें , जिसमें है हनुमान |
ठूँसा लंका में चलै , रावण खाव निशान ||
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4- आदरणीय रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी
रामेश्वर ठूँसा लिखैं , परत जौन है पीठ |
लरका सूदै हौत तै , जो लगते थे ठीठ ||
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5- आदरणीय मनोज साहू जी
श्री मनोज साहू लिखै ,कैकइ के छल छंद |
ठूँसा दशरथ खौ लगें , छिनौ राम आनंद ||
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6 आदरणीय गुलाब भाऊ जी लखौरा
श्री गुलाब भाऊ लिखै , रौ रय वें दिन रात |
ठूँसा से जो थे डरत , वें सह रय अब घात ||
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7 - सुभाष सिंघई
हम सुभाष भी लिख गयै , ठूँसा कई प्रकार |
गुरु कौ ठूँसा सार दै , सजनी ठूँसा प्यार ||
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8 आदरणीय प्रमोद मिश्रा जी
श्री प्रमोद जू लिख रयै , अब ठूँसा विषदार ||
वें ठूँसा अब का धरै , जीमैं रत तौ प्यार ||
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9- आदरणीय देवदत्त द्विवेदी जी बड़ा मलहरा
देवदत्त जू लिख रयै , ठूँसा कड़बैं बैन |
इन सबसै बच कै रऔ , करौ न इनसें ठैन ||
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10 -आदरणीय अमरसिंह राय जी
अमर राय जू कर रयै , ठूँसा जी भर याद |
व्याय लराई कै कहै , जिनकी है तादाद ||
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11-आदरणीय आर के प्रजापति जी
लिखै प्रजापति आर के , ठूँसा हौतइ बोल |
बिन मारे लगबैं सबै , जिनकी घन से तोल ||
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12- आदरणीय प्रीति सिंह परमार जी
ठूँसा जब कर्रो पड़ै , ठसक सबइ कड़ जात |
प्रीति बैन बतला रहीं , सूदी सच्ची बात ||
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13- आदरणीय गोकुलप्रसाद यादव जी
करम जगावें मारवै, ठूँसा देवै यार |
ऐसे ठूँसन खौ कहै, गोकुल जू उपचार ||
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14-आदरणीय एस आर "सरल" जी
ठूँसा आँसत वाख खौ , मइनन लौ कल्लात |
कहै सरल बच कै रहौ , मत सहियौ आघात ||
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15- आदरणीय संजय श्रीवास्तव जी
संजय भैया लिख रयै , ठसक न ठेकेदार |
ठूँसा घलतइ ओइ में , जो राखत है रार ||
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16 आदरणीय अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी "श्रीकांत" निवाड़ी।
कहत अंजनी जू यहाँ , काँ लौ तुमै गिनाय |
ठूँसन की लीला गज़ब , दोहन से बतलाय ||
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17- आदरणीय बृजभूषण दुबे जी बृज बकस्वाहा
ब्रजभूषण कत मान जा, जादाँ कय उबरात।
दोहे सबरै कह रयै , गलती सबकौ खात ||
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18- आदरणीय डॉ आर बी पटेल "अनजान"छतरपुर
कहत यहां अनजान जी , नहीं सुधरते लोग |
ठूँसा से सुधरत नहीं , बेशरमी कौ रोग ||
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सुभाष सिंघई
*24*-अरविंद श्रीवास्तव,भोपाल
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358-श्री गुलाब सिंह यादव 'भाऊ'(लखौरा)-
बुंदेली पद्य स्वतंत्र-17-8-2022
🌺जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ 🌺
समीक्षा- दिन बुधवार 17-8-2022
आज बुन्देली में स्वतंत्र पध लेखन में
समीक्षक- गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
🪷 सरस्वती वंदना 🪷
चौकड़िया
1-
मईया लिखदो शब्द मिला के
लिखें समीक्षा गाके
एक से एक विद्वान जनों की
करों समीक्षा आके
चररन चित लगाबै तुमरे
तुम को शीश नबाके
सदा सहाय करों तुम माता
भाऊ को अपना के
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
1-श्री प्रदीप खरे टीकमगढ़
आ,आज अपुन ने लोक शैली वध्द् गीत ख्याल में भौत नौनो मगाई पै लिखों है जू देश की हालत पै सबई बखान कर दव हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत करत है जू
2-श्रीभगवान सिंह लोधी अनुरागी
आ, अपुन ने आज बढ़िया ईसरी जू खो फिरकउ मेंढकी में जनम लैवे की भौतई बढ़िया चौकड़िया लिखीं हैं खाबै जूठो कोरा पानी पिबैओई कुवा को बखान करों हैं जू अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू
3-श्री रामसेवक पाठक
आ, आज अपुन ने प्रदत्त बिषय मद पै भौतई बढ़िया छंद लिखों है जू जो शास्त्रों के भाव भरे सुन्दर रचना ज्ञान मान पान सान से जी सकत हैं जू श्री हरि किशन कर,, भारती श्री छंदा चार्य जू खो बार बार नमन वंदन करत है जू
4-श्री रामा नंद पाठक नंद
नेगुवा निवाड़ी
आ,नंद जू अपुन ने आज दो चौकड़िया भौतई बढ़िया लिखीं हैं जू अपुन तो भौतई बढ़िया चौकड़िया सार दार मारदार अपुन को हार्दिक स्वागत वंदन करत है जू
5-श्री मनोज साहू निडर
आ, आज अपुन ने हास्य व्यंग्य रचना दो गुईयन की बातें लिखी हैं जो बड़े मजे की है कछु में अन मजो हो गव सरपंच की बात अच्छी नई लगीं अपुन खो हार्दिक बधाई जू
6-श्री प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
आ, मिश्रा जू आज अपुन ने कुंडेश्वर भोले नाथ की जनम गाथा भौत सानदार लिखीं हैं जू अपुन की कलम को वार नमन वंदन करत है जू
7-भाऊ आज हम ने एक चौकड़िया चेतावनी काया पै लिखीं हैं जू
8-श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष
टीकमगढ़
आ,आज अपुन ने बुन्देली रचना देश रक्षक वीर सेनानीयों पै भौतई नौनी महान महिमा लिखीं हैं जू अपुन की कलम को नमन वंदन करत है जू
9-श्री जयहिंद सिंह जयहिंद पलेरा टीकमगढ़
आ, दाऊ साहब जू आज अपुन ने झूला गीत श्री कृष्ण जनम पै भौतई बढ़िया सुन्दर लेखनी लिखीं हैं जू अपुन की कलम को नमन वंदन करत है जू
10-श्री डां प्रीति सिंह परमार
आ, आज अपुन ने भक्त ब भगवान की अपार महिमा लिखीं हैं जिनकी गुन गान गाथा छटा को बखान करों हैं जू अपुन को सादर नमन
11-श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्ही टेहरी टीकमगढ़
आ, आज अपुन ने साक्षरता बुन्देली में गीत भौतई बढ़िया लिखीं हैं जू अपुन की कलम की हम एक छोटे से मुंह से का तक बखान करें जू अपुन की कलम को नमन वंदन करत है जू
12-श्री शोभा राम दांगी नंदनवारा
जिला टीकमगढ़
आ, आज अपुन ने सुतंत बुन्देली विधा तर्ज -किशना जनमे आधी रात श्री कृष्ण जनम की भौतई नौनो गीत महिमा को बखान महान है जू अपुन को सादर आभार नमन करत है जू
आज पटल पै सबई विद्वान जनों की लेखनी अपरम्पार है जू अपुन सब के सब महान कलम कारों का हिदय तल से आभार प्रकट करता हूं
🙏🙏
समीक्षक- गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
🍇🍇🍇🍇🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
357-दिनांक 16 अगस्त , हिंदी दोहा दिवस , विषय - मद
दिनांक 16 अगस्त , हिंदी दोहा दिवस , विषय - मद
यह समीक्षा नहीं है , आपके दोहों के मुख्य भाव ही चौपाई में समाहित किए है | 22 मित्रों की सहभागिता है , और सभी के भावों को दो दो चोपाइयाँ निवेदित की है | जहाँ त्रुटि हो परिमार्जन भाव से स्वीकार करें , सादर
कथन भाव है सभी तुम्हारा | कुछ भी लगता नही हमारा |
दोहा बस चौपाई में ढ़ाला | कथन परखकर देखा भाला ||
भूल चूक सब आप समारों | लेखन ऐसइ रहत हमारो ||
मौसी मेरी शारद माता | मुझकों हरदम सार प्रदाता ||🙏
1- श्री प्रदीप खरे, मंजुल*जी
धर्म गैल नहिं छोड़़ो भाई. | सदा अनीती रत दुखदाई ||
मद में आकर जो नर डूबा | खाता अपयश की वह दूबा ||
लंकापति की मति गइ मारी | तब प्रदीप आए अवतारी |
भोगे रावण अपनी करनी | मुक्त भई तब मद से धरनी ||
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2-्आदरणी़या आशा रिछारिया जी जिला निवाड़ी
अस्थि चर्म मय यह है देहा | रहे न इसका नामा गेहा |
किस मद में यह मानव भूला | चढ़े न सीता-रामा झूला ||
सत्ता का मद जिस पर चढ़ता | नहीं नीति की बातें पढ़ता ||
समय समय पर बात न माने | हाथों से वह धूरा छाने ||
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3- श्री मनोज साहू 'निडर' जी माखननगर, नर्मदापुरम्।
मदमाती ऋतु सावन जानो | हरित धरा को सुखकर मानो ||
बिजुरी बादर आकर झूमें | बूँदे आकर धरती चूमेंं ||
नागिन सी नदियां अब नाचें | पवन बीन से आकर बाचें ||
तरुवर भी अब मद से डोलें | मोन क्षितिज भी आकर बोलें |।****************************
4-आदरणी़य डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ामलहरा छतरपुर
बल, वैभव, पद जहाँ प्रतिष्ठा | दूर रखो तब मद से निष्ठा ||
काम, दाम, मद करता मानी | तृप्त न होता पीकर पानी ||
नशा, जुआ, करता है सनकी | आलस, मद रहती है भिनकी ||
यही पतन के कारण जानो | देवदत्त की बातें मानो ||
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5- आदरणीय प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ़,,
मानव के मानस में बसती | मनसा मद बनकर हँसती
मद भी मदिरा सम रहता | तन में ऊपर नीचे बहता ||
माया विचरत रहती मन ने | मद फैलाती है तन में |
कहत प्रमोद मद जिस तट में | भरा रहे भ्रम तब उस घट में ||
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6 - आदरणीय राजीव नामदेव " राना लिधौरी " जी
#राना मद को जो भी भरता | भूल हमेशा करता रहता ||
मद की मटकी जहां बड़ी है | आफत उस तट सदा खड़ी है ||
मद के बहते है जब पौरा | पागलपन के पड़ते दौरा ||
मद का रस जब बाहर आता | जहर बना वह रूप दिखाता ||
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7 -आदरणी़य प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़
घूंघट पट नैना दिखलाते , तिरछी चितवन मद छलकाते |
मुसकानों का रहता घेरा | चंचल मन भी करें सवेरा ||
दिखे कामनी कंचन काया ,अति कोमल कमनीय लुभाया |
दिव्य देह द्युति मद भरती है |प्रभु दयाल छाया करती है
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8-आदरणीय अमर सिंह राय जीनौगांव, मध्यप्रदेश
मामूली भी मद जब भरता है | अधजल गगरी सा करता है ||
चना बजे थोथा भी जब जब | शोर मचाता है वह तब तब ||
मतिभ्रम मादकता उन्मादी | अहंकार तब दिखे फसादी ||
धन वैभव पद भी बौराता | अमर सिंह यह बात सुनाता ||
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9- आदरणीय अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी
मरता जग में है अभिमानी | चाहे कितना हो बलवानी |
मद मर्दन करते है भगवन् | पर भक्तो को देते दरशन ||
मद में रावण लंका जारी | मरा स्वयं है परजा मारी ||
बुरी दशा है यह संसारा | लाल अंजनी करें सुधारा ||
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10 - सुभाष सिंघई
मद-मदिरा- मन मैल पुराना | तीनों है भदरंगी बाना |
इनका लेपन जहाँ मिलेगा | कटुता का तब दाग जलेगा ||
मदिरा चढ़कर जब - जब झूमें | पीने बाला धरती चूमें |
मद मदिरा है सत्यानाशी | कहते ज्ञानी जग आभाशी ||
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11-आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी ,नन्हींटेहरी
मद हैं विविध समाज समाने | कहते ज्ञानी बहुत पुराने ||
महुआ मद के बाद मिले है | छल-बल मद के फूल खिले है ||
धन- बल का भी नशा चढ़त है | लखा राज मद यहाँ बढ़त है |
चोरी चुगली द्यूत भी मद है | कहते गोकुल आठों कद है ||
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12 - जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी पलेरा जिला टीकमगढ़
बासंती का भान सुहाना | मस्त समीर सुखद है नाना |
झूमत बगियन की फुलबारी | पुलकित तन की केशर क्यारी ||
लगे कामनी मद मन भावन , जैसे झूमत झूला सावन |
जयहिंद शरद- सी वह लगती , चंचल होकर घर को भगती ||
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13- आद० हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
जब मद में नर झूमे आता , खुद खोता है अपना खाता |
काम सदा वह उल्टे करता | जो भी करता झरता रहता ||
गर्व चूर प्रभु कर देते है , मद भी उसका हर लेते है |
कभी न पूरी हों आशायें, आती रहती घर बाधायें ||
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14- आदरणीय गुलाब सिंह यादव भाऊ जी लखौरा
मद कद जानों नर्क पुराने | हो जाबे मति मंद खजाने ||
आधे में मर जाते लोगा | बिदे हजारों दंद कुरोगा ||
भाऊ जब जब मद यह आता , मिलें जरा सा अंश समाता |
हर घर में देखों तैयारी | मद. की लीला अपरम्पारी ||
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15
आदरणीय शोभारामदाँगी नंदनवारा जी जिला टीकमगढ
मद में डूबा कंस सुना है | नंदलाल ने उसे धुना है |
दुरयोधन भी मारा जाता | कोई. उसको नहीं बचाता ||
अधिक मान मद का मत रखना | शोभाराम कहें यह कहना |
अहंकार परिवार मिटाता | मिटत बंश का सबसे नाता ||
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16
आदरणीया डॉ प्रीति सिंह परमार जी
मदिरा पान डूबकर करते | जन जन भी जब उनसे डरते |
नंदलाल तब मारे कंसा | उड़ते प्राण पखेरू हंसा ||
एक बली थे राजा मद में | आए थे प्रभु तब लघु कद में ||
पग से नापा यह संसारा | ताप जगत का हरकर भारा ||
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17
आदरणीय डा आर बी पटेल "अनजान " जी छतरपुर
मात्र घूमता मद में मानव | खुद मिटता है बनकर दानव |
चलता चाले सदा कुचाली | रावण जैसी तब बदहाली ||
मनमानी का पुतला होता | बैठ किनारे फिर वह रोता |
कहे आर बी कथन हमारा | दुखिया पूरा यह संसारा ||
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18
आदरणीय आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
नहीं करो मद इस माया का | इस ठगनीं बाली छाया का |
करती है जब यह बंधन | बौराया घूमें यह तन मन ||
विषय वासना रार बढ़ाती , काया पर कब्जा अजमाती |
सर्वनाश नादान गिनाता | मद के अबगुण है बतलाता ||
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19
आदरणीय बृजभूषण दुबे जी बृज बकस्वाहा
सत्य आचरण बृज है जिसका | भक्ति ज्ञान है हरदम उसका |
मद सपने तक कभी न आए | कष्ट क्रोध सब दूर भगाए ||
यह पक्का अनुमान हमारा | मद फैला है इस संसारा |
नहीं मानता जो भी मानव | इसी जगत में बनता दानव ||
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20
आदरणीय अभिनन्दन गोइल जी
मद में फूला जो भी घूमें | मूरख. बनकर अपयश चूमें |
विनय देख ज्ञानी पहचानो | मूल धर्म का गुण भी जानो ||
चंद रोज का योवन रहता |मद भी इक दिन देखा बहता ||
देय कुमति इस जग में फंदा | करो न भाई खोटे धंदा ||
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21
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी जी
कहते सबसे है अनुरागी , मद के मत बनना तुम भागी |
यह मद मन का मन्मथ हरता | हानी करने को नहिं डरता ||
नही भूलकर मद को भरना | राम नाम का जप ही करना | |
तन मन धन अरु ज्ञान मिलेगा | मद का तब अभिमान जलेगा ||
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22
आदरणीय रामानंद पाठक नन्द जी
हाथी जब भी मद में आता | आस पास में शोर मचाता ||
मालिक को भी भूला करता | पस्त सभी तो करता रहता ||
मानुष को भी जब मद चुनता | नहीं किसी की वह सुनता |
कहते रामानंद. हमारे | दूर रहो सब मद से प्यारे ||
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समीक्षा- सुभाष सिंघई,जतारा
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356- श्री सुभाष सिंघई-बु. दोहा-हेंसा-15-8-2022
दिनांक 15 अगस्त 22 , विष़य हेंसा
यह आज समीक्षा नही है , आपके कथ्य भाव ही आपको सादर समर्पित है
कुंडलिनी छंद में ( एक दोहा + एक अर्द्ध रोला )
विशेष - यह कुंडलिया की छंद की तरह लघु नव प्रचलित कुंडलिनी छंद है
दोहो के बारे में कहा गया है , कि दोहे में कोई न कोई कथ्य , तथ्य युक्त होना चाहिए , हमने आपके दोहो के विशेष कथ्य युक्त दोहा चयन कर , उसे कुंडलिनी छंद में आगे ले गये है , यह आपके भाव कथ्य आपको ही सादर समर्पित है |💐🌹🙏
आज 21 मित्रों ने पटल पर सहभागिता की है , जिन मित्रों ने जिस क्रम पर पोस्ट की है , उसी क्रम पर है
भूमिका-
सबनें हेंसा है लिखै , सबकें लग रय चंट |
गोटी से दोहा नचै , पाँसे पर रय अंट ||
पाँसे पर रय अंट , नहीं कैबे में दबने |
हेंसा में रख सार , लिखौ है अच्छो सबने ||
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आदरणीय राजीव नामदेव राना लिधौरी जी
राना हेंसा मानतइ , जय बुंदेली मंच |
बुंदेली सोनौं इतै , सबकै है सौ टंच||
सबकै है सौ टंच , नहीं टंटे कौ गाना |
नहीं फँसाने टाँग , कहत करमन से राना ||
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आदरणीय प्रमोद मिश्रा जी
साँसी कहत प्रमोद जी , कछू हते हुश्यार |
दोइ पार बस कछु गए , करकें बंटाधार ||
करके बंटाधार , लूट कै कर रय हाँसी |
बिलखें कई अनाथ , कहें पंडित जू साँसी ||
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आदरणीय डा० देवदत्त द्विवेदी जी सरस
कहते देवदत्त यहाँ ,माते कथरी डार |
अड़कें हेंसा लेत है , जबरा मूड़ा मार ||
जबरा मूड़ा मार ,बखत पै गायब रहते |
सोंजयाइ के काम ,नहीं यह साजौ कहते ||
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आदरणीय मनोज साहू जी
हेंसेदारी ना करौ , साहू कहै मनोज |
हेंसा बुरी बलाय है , अपनो घटतइ ओज ||
अपनो घटतइ ओज,लोभ की आदत खारी |
धन दौलत ले चाट , बुरइ है हिस्सेदारी ||
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आदरणीय आर के प्रजापति साथी जी
सबखौ धन दौलत मिली , घर मकान परिवार |
मुझें प्रजापति आर के , हिस्सा माँ का प्यार ||
हिस्सा माँ का प्यार , यही पसंद था रब खौ |
राग द्वेष का रंग, चड़ा था जब यह सबखौ ||
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आदरणीय बृजभूषण दुबे बृज जी बकस्वाहा
हिस्सा मांगत अब सवइ, अपनों ले अधिकार।
बृजभूषण जी लिख रहै , चिन्ता की भरमार ||
चिंता की भरमार , सबइ भैयन के किस्सा |
भूले माता बाप , चपा कै पूरौ हिस्सा ||
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आद० रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी.बडागांव झांसी
हेंसा करके देश को, मिटा गये आकार |
रामेश्वर जी देखतइ , जाति धर्म दीवार ||
जाति धर्म दीवार , राजनीति की भेंसा |
बटे खेत खलिहान, घरइ में हो रय हेंसा ||
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आदरणीया आशा रिछारिया जी जिला निवाड़ी
हेंसा बनो न पाप के, रहो नेक इंसान।
चार दिना की जिंदगी, क्षण भंगुर हैं प्रान।।
क्षण भंगुर हैं प्रान, पाप फिर करना कैसा |
लिखती आशा आज , कहाँ है किसका हैसा ||
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सुभाष सिंघई
हेंसा दइयौ राम जू , करबें खौ कछु काज |
कौनउँ दीन गरीब कौ , करबाँ सकै इलाज ||
करबाँ सकै इलाज , बना दो मौखों ऐंसा |
कहता यहाँं सुभाष , दीन खौ देबें हेंसा ||
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आदरणीय जयहिन्द सिंह जयहिन्द.जी पलेरा
भैंयन में हेंसा करें, अपनौ -अपनौ लेत।
बटवारे में नोंक सी, बारीकी कर देत।।
बारीकी कर देत , धीर बंधे न कइयन में |
मैर भरत जयहिंद , देखतइ हम भै़यन में
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आदरणीय भगवान सिंह जी लोधी अनुरागी
डड़वा दइ बखरीं दुगइॅं , हो गय हेंसा बांट।
त्वार भेंसिया पेल सें, नन्ना खों दइ छांट।।
नन्ना खों दइ छांट , पंच फिर जोरै मड़वा |
अनुरागी जै हाल , नेग भी हो गव डड़वा ||
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आदरणीय रामानंद पाठक नन्द जी
दुनियां के सब दुख दिये, हेंसा में भगवान।
चारउ पन गय एक से, राखौ मौरों ध्यान।
राखौ मौरों ध्यान , नहीं चानै लठयायी |
चार जनन खौं भाय , "नंद" की अब गुरयायी
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आदरणीय अभिनंदन गोयल जी
अभिनंदन के गीत में , राष्ट्र प्रेम की धार |
जाति-धर्म से अब हटे , नफरत की दीवार ||
नफरत की दीवार , बहें अमरत धाराएँ |
भारत में अब आज , प्रेम की हों मालाएँ ||
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आदरणीय अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी
सबरे हेंसा बाँट लें,धन दौलत बट जात।
विद्या कोउ ना बाँट पै, जा है साँसी बात।
जा है साँसी बात , लाबरे हौवें ठबरे |
देत अंजनी ज्ञान , हृदय में भरकें सबरे ||
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आदरणीय अमर सिंह राय जी नौगांव
ज़ेवर जाँगा जानवर, बटे मताई बाप |
बाँट- बरा बखरी लई, हेंसा ले गय नाप।|
हेंसा ले गय नाप , छोड़ दो खोटे तेवर |
इतै अमर की रा़य , गुनन खौ जानो जेवर ||
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आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी,नन्हींटेहरी
साधन सब दय राम नें, सब जीवों के हेत।
सबकौ हेंसा छीन कें, मानव बड़ लै लेत।
मानव बड़ ले लेत , मलकता खोटों पा धन |
गोकुल मानव जात , राम के तजता साधन ||
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आदरणीय आशाराम वर्मा "नादान "जी पृथ्वीपुर
जिनके हेंसा बांट में, मिलबैं बाप मताइ ।
कसर न सेवा में रहै , मानों गंग नहाइ ।।
मानों गंग नहाइ , धर्म के घर में तिनके |
करें दया का दान , भाव हो पावन जिनके ||
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आदरणीय डॉ आर बी पटेल "अनजान" छतरपुर।
घरनी सुत निज देह का, नाहीं हेंसा होय ।
यदि इनमें हेंसा हुआ ,साबुत बचा न कोय ।
साबुत बचा न कोय ,सदा सच रहती करनी |
कहते यहाँ पटेल , बँटे मत निज की घरनी ||
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आदरणी़य शोभारामदाँगी नंदनवारा जी
लरकन में अब हौन लगी , जर जमीन कि निआव |
तलवारैं चलनें लगीं , तनक न हेंसा पाव ||
तनक न हेंसा पाव , पुरा के देखें मसकन |
कैसे शोभाराम , लरै अब बीदैं लरकन ||
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रामसेवक पाठक हरिकिंकर" भारतश्री, छंदाचार्य
हेंसा में हमखों मिलौ, जौ तौ हिन्दुस्तान।
फिर भी लड़वै है फिरत , करत रहत हैरान।।
काय. रहत. हैरान , दुष्ट है पाकी कैसा |
आउत है इत रोज , माँगवें हमसे हैंसा ||
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आदरणीय प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़
बाखर जांगा घर जिमीं, कर लय हेंसा बांट।
दद्दा बाई राखबें ,आफत बिदी निचाट।।
आफत बिदी निचाट , खुआबें कौ अब आखर |
कहते प्रभूदयाल , बाँट लइ क्यों फिर बाखर ||
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समीक्षक-सुभाष सिंघई , जतारा
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355-दिनांक 13 अगस्त , विषय कचुल्ला
अप्रतियोगी दोहो की भाव समाहित समीक्षा
एवं प्रतियोगी दोहो की समीक्षा का प्रयास 🙏
लिखे कचुल्ला खूब है , सबने अपने ढ़ंग |
अपने-अपने भाव के , विखराकर नव रंग ||
राना जू पूछत इतै , कौन कचुल्ला ठीक |
एक कचुल्ला देत है , एक माँगतइ भीक ||
रामेश्वर जू दर्द से , कहै युवक बेकार |
लयै कुचल्ला घूमतइ , कितै दुकी सरकार ||
लिखते शोभाराम जू , अब किताव पढ़ लेव |
पियौ कचुल्ला दूध कौ , माता खौ सुख देव ||
मिश्रा लिखै प्रमोद. जू , दूध डार रस खीर |
भरौ कुचल्ला लौ गटक , खेतेै जाऔ वीर ||
बृजभूषण जू बोलतइ , दूध कुचल्ला भात |
मात जसौदा देत है , लेत कनाई हात ||
एस आर जू कत सरल , नेता बाँटत भोग |
चीन-चीन कें देत है , नेता लुअरन जोग ||
कहत प्रजापति आर के , जुआ नशा लत होय |
लयै कुचल्ला वे फिरै , भीख माँगतइ रोय ||
इतै कचुल्ला नइँ भरत , नेता भर रय नाँद |
लाख टका की बात यह , गोकुल जू कयँ बाँद ||
लिखत अंजनी जू इतै , उयै कचुल्ला कात |
जो काँसे से है बनत , करत फायदा धात ||
लिखे कचुल्ला जौन भी , हमने भैया आज |
सबइ राम सौप दय , करबें पूरौ काज ||
इस प्रतियोगी दोहा समीक्षा में आपके एक चरण को लेकर दूसरे चरण मे आपके ही दोहे की समीक्षा लिखने का प्रयास किया है
यह नया प्रयोग है , मुझें नहीं ज्ञात कि किसका कौन सा दोहा है , बस दोहा पढ़कर दोहा को नमन समीक्षा लिखी है
1-
भरें कचुल्ला दूध से , माखन मिश्री साथ |
जिसने यह दोहा लिखा , उसका अनुपम हाथ ||
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2~
थाम कचुल्ला जन इतै , फिर रय नेता कार |
जिसका दोहा यह रचा ,रखें कलम में धार ||
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3-
निकट निकम्मे आलसी , जो दुपरे तक सोंय |
दोहे में चेतावनी , ,नौनीं लगवें मोंय. ||
***
4-
करम आज ऐसन भये , औरे कछु नें लीक |
यह दोहा भी दे रहा , आगे को कुछ सीक ||
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5-
भरो कचुल्ला दूध सें ,रोटी मींडी चार ।
इस दोहे में बह रही , खूब प्रेम की धार ||
***
6-
हात कचुल्ला सौंप कें खबर कोउ नइँ लेत |
यह दोहा संदेश भी , सबखौं अच्छौ देत ||
***
*7*
दूद कचुल्ला में धरो,और फुलकियाॅं चार।
इस दोहे में दिख रही , हमखौ बहुत बहार ||
***
*8*
धरो कचुल्ला दूद को, राणा ने विष डार।
दोहे में मीरा बसी , जहाँ श्याम सरकार ||
***
*9*
मीरा बाई ने करी,कृष्ण भक्ति निष्काम।
इस दोहे में दिख रहा , कवि का नमन प्रनाम ||
***
*10*
भरो कचुल्ला दूध सें, भोजन परसे थार।
दोहा में हम देखते ,अनुपम सजनी प्यार ||
***
*11*
कितउँ कचुल्ला राम जी , कभउँ न रीतौ होय |
इस दोहे मे देखता , कृपा राम की सोय ||
***
*12*
भरें महेरौ कचुल्ला, दूद डार कें खांय।
इस दोहे के भाव भी, नौनीं बात बतांय ||
***
*13*
फूलबाग हरदौल कौ ,बनौ कटौरा आज ।
इस दोहा मे ओरछा , लगता सबखौ ताज ||
***
*14*
*आजे स्याने दै गए, नौनी नौनी सीक।
कहता दोहा आज है , नहीं छोड़ना लीक ||
***
*15*
भरें कचुल्ला दूध कौ, मैया रइॅं पुचकार।
इस दोहा में झलकता , माँ बेटे का प्यार ||
***
*16*
काशमीर खों हड़पबे,करी जौन नें घात।
दोहा आगे बोलता , खाई उसने मात ||
***
*17*
घर कौ परसइया मिलो,औ अँदयारी रात।
इस दोहे के भाव में , गहन दिखी है बात
***
*18*
ठुमक-ठुमक मटकी लिगाँ,लयें कचुल्ला हाँत।
इस दोहा में कृष्ण की , लीला बहुत पुसात ||
***
*19*
लिए कचुल्ला मांग रय, इतै कितेकउ भीख।
यह दोहा भी दे रहा , साँसउँ अच्छी सीख ||
***
*20*
कनक कचुल्ला में किसन,माखन मिसरी खाँय।
यह दोहा भी दे रहा , आनंदी की छाँय ||
***
21-
लेव कचुल्ला हाथ में, कढ़ी भात धर लेव।
यह दोहा भी कह रहा , करौ प्रेम से जेव ||
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समीक्षक-सुभाष सिंघई, जतारा
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354- श्री सुभाष सिंघई-हिंदी दोहा-तिरंगा-9-8-2022
समीक्षा प्रयास , (सरसी छंद में )
विषय - तिरंगा, दिनांक 9 अगस्त
(अंग्रेजों भारत छोड़ों , उद्घोष का ऐतिहासिक दिवस )
आज 22 मित्रों नें तिरंगा विषय पर अपनी गरिमामयी उपस्थिति दी है , सभी के दोहो को आद्योपांत पढकर उनका "कथ्य सार" सरसी छंद में ही पिरोया है , तत्काल उसी दिन अल्प समय में काव्य में समीक्षा लिखने से , कहीं त्रुटि भी हो जाती है , यदि मुझसे भी त्रुटि हुई हो तो पूर्व से ही क्षमाप्रार्थी हूँ 🙏
आज तिरंगा लिखा सभी नें , सच में आलीशान |
राष्ट्र ध्वजा को नमन किया है , गाकर वंदे गान ||
जयकारा "जयहिंद" लगाते , जन गण करते गान |
पतित तारिणी गंगा को भी , देते है सम्मान ||
रामेश्वर जी लिए तिरंगा , वर्णन करते वर्ष |
साल पिच्चतर हो जाने पर , प्रकट कर रहे हर्ष ||
देवदत्त जी बतलाते है , अमरत उत्सव काल |
लिए तिरंगा हाथ चलो अब , युवा वृद्ध औ बाल ||
बृजभूषण जी भी ध्वज लहरा , जगा रहे अरमान |
घर-घर पर लहराते इसको , करते है सम्मान ||
अनुरागी जी भी बतलाते है , संविधान है नेक |
भारतवासी हर अवसर पर , बतलाते हम एक ||
हम सुभाष भी केसरिया में , देख रहे बलिदान |
हरे रंग में खुशहाली भी , श्वेत शांति परिधान ||
आज प्रजापति "साथी" जी भी , करते झंडा गान |
ध्यान करें वह जन गण मन का , बोले हिंदुस्तान ||
लिखें बहिन आशा जी सुंदर , सबका मन हर्षाय |
भारत माँ की ध्वजा हमेशा , लहर- लहर लहराय ||
श्री प्रमोद जी मिश्रा लिखते , करो तिरंगा गान |
मिली हमें आजादी अपनी , रखकर यही निशान ||
लिखें लिधौरी राना जी भी , झंडे का यश गान |
चक्र प्रगति का चिन्ह न्यारा , लगता है प्रतिमान ||
प्रभुदयाल जी बतलाते है , वीरो का बलिदान |
कहते है यह भव्य तिरंगा , है भारत की शान ||
गीता देवी थाम तिरंगा , सबको देती भान |
सदा रखो सब हर हालत में , इस ध्वज का सम्मान ||
प्राणों से भी प्यारा मानो , अपना हिंदुस्तान |
लिखते आशाराम सुहाना , बनकर के "नादान" ||
एस आर कुर्वानी लिखते , "सरल" श्री शुभ नाम |
तीन रंग अरु चक्र. बताए , जैसे तीरथ धाम ||
जनक कुमारी थाम तिरंगा , कहती अमरत पर्व |
आजादी का जश्न मनाओ, करो सभी अब गर्व ||
नमन सदा मैं करता रहता , उर में भर आनंद |
नव निर्मित इतिहास बताते , रामानंद के छंद ||
अपनी माता के आँचल का , सभी निभाओं कर्ज |
कहें अंजनी भारत के हित , पूरे करना फर्ज ||
लिखते दोहा पोषक जी भी , शुभ नामी कल्याण |
सभी दिशा के कोने बसते , भारत माँ के प्राण ||
अपने दोहो से बतलाती , प्रीति सिंह परमार |
मर मिटना सब भारत पर ही , रखकर अनुपम प्यार ||
गुलाब भाऊ भी ध्वज लेकर , बोल रहे है बोल |
सदा तिरंगा भारत में अब , है प्राणों की तोल ||
श्री मनोज जी वंदन करते , अमर रहे जनतंत्र |
विश्व शांति सद्भाव हमेशा , बने हमारा मंत्र ||
ध्वजा राष्ट्र की शान सुनाकर , लिखते शोभाराम |
हिलमिल कर हम सभी मनाएँ , दिवस बनाएँ धाम ||
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-सुभाष सिंघई, जतारा
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353- श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दो.-बतकाव-6-8-2022
दिनांक 6 अगस्त 22 , विषय - बतकाव
अप्रतियोगी दोहो पर संक्षिप्त समीक्षा
कहीं कमी हो तो पैलउँ से 🙏
रामेश्वर जी आज भी , याद करत चौपाल |
आपस में बतकाव कौ , आतइ इनखौं ख्याल ||
मानत नइयाँ अब सुनो , मूरख मस्त गमार |
लिखे प्रजापति आर के, अपनी कलम सँवार ||
अनुरागी भगवान जी , लिखतइ है बतकाव |
चार जनन में बैठकै , नहीं पकरियौ ताव ||
नौनीं कहते जू "सरल" , नहीं करौ भटकाव |
कभउँ न करियो भूल के , लबरदंद बतकाव ||
साहू लिखे मनोज जी , दें भंडारी ज्ञान |
हँस मिल नौनें बोलबौ, सीखो सब श्रीमान ||
साँची कहें प्रमोद जी , बिना कूत बचकाव |
बनतइ काम बिगारते , औधीं परतइ भाव ||
राना जू भी कह रयै , लेव सबइ खौ जीत |
तब सासउँ नहिं भाग पै , जो भी हुइयें मीत ||
गोकुल भैया कै रहै , जुगतीलो बतकाव |
जीसें सबरै मानतइ , नेता अफसर साव ||
अमर राय बतकाव की , ताकत रय बतलाय |
चिमा जात है सब तरा , जो ठाड़ो उबराय ||
बता रहै श्री अंजनी , करौ न वौ बतकाव |
जीसे दुख होवै उयै , अपुन बाद पछताव ||
बृजभूषण जू लिख रहे , दद्दे मत समझाव |
सदा बड़न से सीखियों , करबें खौ बतकाव ||
संजय भैया लिख रहे , बतरस कौ बतकाव |
रुचि -रुचि करना बात खौ , नौनें रखना भाव |
अपनी खुद की समीक्षा 🙏
आज हमइ भी चूक गय , करत लिखत बतकाव |
एक वर्ण कम बढ़ रहौ , समझ न हमखौ आव ||🙏
खुशखवरी जीमें हम बिदे रय
नायक श्री सुनील खौ , सदा नमन कै भाव |
उनकौ लरका राम जी , जीतो आज चुनाव ||🌹
(आज मेरे परम मित्र स्व श्री सुनील नायक ( पूर्व मंत्री )जी के पुत्र अनुराग नायक (राम जी) जतारा के चेयरमेन का चुनाव जीत गये है )🌹
समीक्षक-सुभाष सिंघई, जतारा
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352- श्री सुभाष सिंघई-हिंदी दोहा-लकीर-02-8-2022
दिनांक 2 अगस्त ,हिंदी दोहा दिवस , विषय - लकीर
पटल पर प्रस्तुत सृजन पर समीक्षा 🙏
समीक्षा आपके सृजन में कथ्य और भाव पर आधारित है ,
वर्तनी, मात्रा भार,, शिल्प त्रुटि समीक्षा मे समाहित नहीं है | यह तो अक्सर हम आपसे हो जाती है , जो संकेत मिलने स्वीकार कर परिमार्जन करते है , यह यहाँ अच्छी बात है |
लिखूँ समीक्षा भाव की , लेकर कथ्य विचार
जहाँ शिल्प की बात है, करते सभी सुधार ||
लिखते है जयहिंद जी , खेंचौं चमक लकीर |
कर्म सदा अच्छे करो, बदलेगी तकदीर ||
गोकुल भैया छंद में , चर्चा करे किसान |
धरती पानी कर्म पर , अनुपम देते ज्ञान ||
मंजुल खरे प्रदीप जी , लिखते है तकदीर |
लछमन रेखा हर जगह , स्वीकारें सब वीर ||
देवदत्त महराज के , दोहे सभी नजीर |
धर्म कर्म सब आ गये , राजा रंक फकीर ||
अमर राय जी लिख रहे , बनो कर्म से वीर |
सब दोहो का सार यह , प्रेरक रखो लकीर ||
श्री प्रमोद के दोहरे , अनुपम मोती हीर |
सार भरा है कथ्य में , दोहे सभी नजीर ||
लोधी श्री भगवान के , दोहे कर्म प्रधान |
शैल सुता - शबरी गुनी , भक्त और भगवान ||
आज सरल जी देश पर , लिखते सुंदर बात |
संविधान अनुपम यहाँ , सबको दे सौगात ||
आशा बहिन रिछारिया , याद करें त्रिपुरार |
नहीं भाग्य को दोष दें , निज मन मुकुल सुधार ||
हमने भी कुछ आज है , लिखी एक तहरीर |
खीचों सब तदवीर से , अपनी बड़ी लकीर ||
सदा समय पर चेतना , होना नहीं अधीर |
साहू आज मनोज जी , कहते रखो जमीर ||
बृजभूषण जी लिख रहे , कर्म न टाले जाँय |
विधना का भी है नियम , जो बोया सो पाँय ||
रेणू लिखती राम जी , जो लिखते तकदीर |
उसमें कर्म प्रधान है , समझें जग के वीर ||
लिखते शोभाराम जी , राजा रंक फकीर |
पूर्व जन्म फल मानते , लिखी हुई तकदीर ||
अभिनंदन जी लिख रहे, जहाँ न हो पुरुषार्थ |
उनका श्रम सोया रहे, कर्म नहीं चरितार्थ ||
राना जी संदेश दें , रखो न मन में पीर |
करते रहना काम शुभ , करके बड़ी लकीर ||
प्रभुदयाल जी लिख रहे , हरना निर्धन पीर |
बनती भाग्य लकीर को , समझों निज जागीर ||
रामलाल प्राणेश जी , भाषित करें जमीर |
पापी भी नहिं छू सके , खींचीं लखन लकीर ||
कहें आर बी आज यह , माने जन समुदाय |
हो लकीर गंभीर भी , जिसमें हो कुछ न्याय ||
शरण अंजनी जी लिखे , सत से बनी लकीर |
अभिसिंचन में चाहती , श्रम का निर्मल नीर ||
लिखे प्रजापति आर के , होना नहीं अधीर |
आपस में मत खींचना , नफरत भरी लकीर ||
सुभाष सिंघई जतारा
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351- श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दोहा-गटा-01-8-2022
यह समीेक्षा तत्काल , पटल पर ही लिखकर तैयार की है , हो सकता है , कुछ त्रुटि हो 🙏
गटा प्रजापति के कहें , धर्म पुन्य की बात |
मंजुल जी के भी गटा , सबखौ लगै पुसात ||
अनुरागी जी के गटा , ले गय घूँघट ओट |
बृजभूषण के कर गये , कुम्भकरण पर चोट ||
देवदत्त जू लय गटा , पौंच गये अजमेर |
श्री प्रमोद के है गटा , , सभी गटन में शेर ||
शोभा जू के भी गटा , बदले जीवन रंग |
प्रीति बहिन के देखतइ , गटा सबइ है चंग ||
वर्मा आशाराम के , गटा लगे सुकुमार |
अमर राय के भी गटा , करवें बहुत प्रहार ||
गोकुल जूू के भी गटा , मन में लयें हिलोर |
रामेश्वर भी लय गटा , बने आज चितचोर ||
भाऊ जू के भी गटा , लगे चिरपरे आज |
गटा सुनो जयहिंद के, कर गय सब पर राज ||
पोषक जी के भी गटा , देखत है लंकेश |
गटा लखे अरविंद के , दिखे नए परिवेश ||
संजय भैया लय गटा , लड़ गय बीच बजार |
शरण अंजनी के गटा , राखें नहीं उधार ||
राना जू के भी गटा , कर गय खूब कमाल |
कहत सुभाषा है सबइ , हीरा पन्ना लाल ||
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समीक्षक- सुभाष सिंघई, जतारा
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1- समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
आज दिनांक 22-6-2020 की *समीक्षा* - पिता
आज भौतई नोनौ लगो कै आप सबई लोगन ने दये गये बिषय *पिता* पे भौत नोने दोहा रचे। ईसे आप सबई खौं भौत-भौत धन्बाद देन चाउत है।
आज कौ पैलो दोहा
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने पटल पे डारो हतो- *धरै मूंड....पत राखे रघुराई*।। भौत नोनौ दोहा रचो है। राजेश तिवारी जू* लिखत है - *परम पिता मिल जाय*। नौने भावन सें भरों दोहा है।
*श्री राजेश यादव जू* लिखत है कि-मताई बाप के पांव परवे सज सारी विपदी टल जात है अच्छे विचार है बिल्कुल सई कै दई।
*श्री अशोक पटसारिया जू* की का कने -*ईसुर छिपकें देख रय*, सांची सांची कै गये।
*श्री विवेक बरसैंया जू* ने पिता की तुलना बरगद से करी है जो सीतल छांव देत है भौत बढिया।
*श्री विंदावन राय सरल जू* ने मां को धरती तो पिता को आकाश की नौनी उपमा दई है ।
*श्री प्रभुदलाय जू* कै रय कै दद्दा थब मूंड पे हांत फेर कें असीस देत है तो सब दुख दालुद्दर दूर हो जात है भौत उत्कृष्ट दोहा है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* अपने दोहा में कै रय कै पिता के बिना घर में नौनौ नइ लगत है।
*श्री सियाराम अहिरवार जू* जब तक पिता है तब तक ऊ खौ कभउ कांटों न लगहे वे हमे बचात रात है नौनौ दोहा है।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने भी पिता की तुलना बरगद से करी है बढिया दोहा लिखौ है।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* कै रय कै धरे कंदा पै फिरत रत है पिता भौत नोनों वर्णन करो है।
*डां मीनू पांडे जू* ने संस्कार और सोस को एक भंडार है पिता भौत नौनी सोस है उनकी बढ़िया दोहा रच गऔ है।
*श्री रविन्द्र यादव जू* ने बिषय से हटकर लिखों पे उनके विचार नौने हते। भाई *श्री मनोज तिवारी जू श्री अनवर खान जू,श्री अभिनंदन गोइल जू, मीनू गुप्ता जी* आदि जनन ने आज अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
हम आप सबई जनन के भौत-भौत आभारी है कि आपने पनो टैम निकार कै दोहा रच और पढ़ें । हम जा आशा करय है आप सबई जने ऐसइ जुरे रइयो और खूब नओ साहित्य लिखिए।
आपकै भौत-भौत आभारी हैं।
काल फिर मिलवी।
*समीक्षक* -
*राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* टीकमगढ़ (मप्र)
##############
2- आज की समीक्षा* दिनांक 23-6-2020
समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
बिषय- *वीरांगना*
आज पटल पै भौतइ नोने दोहा डारे गये है। सबइ जनन ने बढिया कोसिस करी है। पैला तौ सबइ जनन खौ भौत नोनौ लिखवे पै हमाइ मुलकन बधाई।
*श्री विंदावन राय सरल जू* ने सबसें पैला दोहा डारो उनने लिखो कै -जीकारन अंगरेज ने दांतन चना चबाय। अच्छो लिखौ।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने पने दोहा में दुर्गा,अवंती,लक्ष्मी तीनन कौ गुन गाऔ है बढ़िया दोहा है।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने वीरांगनाओ को शक्ति को अवतार मानो है भौत नोनौ दोहा है।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* को दोहा -माने बेरी हार। भौत नोनौ है।
*श्री अशोक पटसारिया जू* अमर हो गयी विश्व में..भौत नौनो लिखो पै तनक पैले चरण में अवंति लिखवे से मात्रा 212गडबडा गई भाव नोनै है।
*श्री राजेश तिवारी जू* झांसी के दरवार में.. बढ़िया दोहा रचो है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* कत है कै - बेटी हो वीरांगना ऐसो करौ उपाय। भौत उमदा विचार हैं।
*श्री चांद मोहम्मद आखिर जू* ने सांची सांची कै दइ कै- गोरन धूरा दई चटा। अच्छौ दोहा लगो।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ककरी कैसे पोल दय। भौत नौनी बुंदेली में नोनौ दोहा ।
*श्री रघुवीर लाल अहिरवार जू* -लरका बांधे पीठ पै..भौत उमदा दोहा रचो।पै तना मात्रा गडबड है। भाव नोने है।
*श्री सियाराम अहिरवार जू-* अंग्रेजन कें मार के वीरांगना कहाय... बढ़िया लिखो है।
*सुश्री सीमा श्रीवास्तव जी* ने धर रूप रण चंडी का बैरी *दई* ललकार।
इतै पै दई की जागां *दय* होय तो बढ़िया रैहै अच्छौ दोहा रचो है।
श्री अनवर खान जू, श्री मनोज तिवारी जू ने भी पनी हाजिरी दइ हमें भौत नोनौ लगो आप सबइ ने पने-पने दोहा पटल पै डारे हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत*
- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*अध्यक्ष- मप्र लेखक संघ, मोबाइल -9893520965
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3-आज की समीक्षा*दिनांक 24-6-2020 बिषय- *बुंदेली में स्वतंत्र काव्य*
आज पटल पै भौतइ नोनी कविताएं डारी गई है। सबइ जनन ने बढिया कोसिस करी है। पैला हम *चांद मोहम्मद आखिर जू* खौं जनमदिन की भौत -भौत बधाई देन चाउत।आज तौ सबइ जनन खौ भौत नोनौ लिखवे पै हमाइ मुलकन बधाई। पै इक बात हमें भौत बुरई लगी कै कछू जने पटल के नियम ध्यान सें नइ पडत है। पारिवारिक फोटो बिल्कुल नइ डारने, केवल कविता पोस्टर डार सकत है उर साहित्यिक सम्मान समाचार आदि खबर रोज रात में केवल 8-10बजे के बीचा में डार सकत है। जन्मदिवस की बधाई की अपन काव्यमय दय तो भौत नोनौ रय। साहित्यक भासा कौ प्रयोग करने अश्लीलता न हो इकौ खास ध्यान राखने। समीक्षा टिप्पणियां भी शील भासा में की जाय ईकौ विशेष ध्यान रय।
आज *श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने कुण्डलिया लिखी पै तनक गड़बड़ है जी शब्द सें शुरू भईती उपै खतम न ई भई। भाव नोने हते।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने चौकडिया लिखी- मेंगाइ ने प्रानइ लै लय.... अच्छो लिखौ।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* ने चीन पें व्यंग करो- ई हा जौ ऐसई गर्राने... भौत नोनौ है।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने भौत नोनी ग़जल लिखी-हमें छोड कें माइकें जा रई...पढ़ कें मजा आ गऔ
*श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जू* ने कुण्डलियां लिखी- चटा चीन खौं...। नोनी लगी।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* चेतावनी देत है कै - घर सें बायरे कडो.... न । भौत उमदा विचार हैं।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने लिखौ - का लौ बुंदेली कौ जस गाने ...भौत नोनौ लिखौं है।
*श्री चांद मोहम्मद आखिर जू* ने चीन पै व्यंग करो-चाउं चाउं ची बोले ऊ....। मजा आ गऔ पढ़ कैं।
*श्री अनवर खान साहिल जू* ने ग़ज़ल लिखी-इक बखरी उर आठ है चूले....सांची सांची कै दई।
*श्री रघुवीर लाल अहिरवार जू* -चीन पे लिखों उनके तो पचास मर मारे..भौत उमदा लिखो।
*श्री सियाराम अहिरवार जू-* कै रय- चल रइ कोरोना की आंधी... बढ़िया लिखो है।
*डां गणेश राय जी* लिख रय- आम की डगरिया में इमली के फल फर रय।
*सीमा श्रीवास्तव* जी कोरोना पे लिखौ-कढियो न घर से न इतो जैहो मारे जू से.. भौय बढ़िया चेतावनी दई है।
श्रीमती अनीता श्रीवास्तव जी, मीनू गुप्ता जी, गीतिका वेदिका जी ने भी पनी हाजिरी दइ हमें भौत नोनौ लगो आप सबइ ने पनी-पनी नोनी कविता पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़* अध्यक्ष- मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
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4- आज की समीक्षा*दिनांक 25-6-2020 बिषय- *हिन्दी काव्य*
आज पटल पै भौतइ नोनी हिन्दी कविताएं डारी गई है। आज तौ सबइ जनन खौ भौत नोनौ लिखो हमाइ बधाई। आज पटल पै कैउ जने नये जुरे है हम उनकौ हृदय से स्वागत करत हैं।
आज *श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने तिरंगे की शान में नोनी रचना लिखी- तिरंगे की शान भारत मां का स्वाभिमान....
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने ग़ज़ल लिखी- यूं सरल मुकम्मल तो कोई भी नहीं होता.... अच्छे शेर लिखें हैं।
*कीर्ति सिंह जी* ने गीत लिखों- रिमझिम- रिमझिम पडे़ फुहारे.... बरसार कौं भौत नोनौ चित्रण है।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने भौत नोनौ लिखों- अभावों में जन्म है मेरा.... जिंदगी तुझे क्या दूं...भौत उमदा लेखन है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने प्रेरणा गीत- हर भूखे की भूख मिटाये.... भौत नोने विचार हैं।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने बर्षा गीत लिखौ - फिर आ गये अषाढ़ के घन...भौत नोनौ लिखौं है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी" * ने सपना पै व्यंग करो- सपना को देखते हुए एक सपना आया...
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने क्षणिका लिखी- टोर के डारन सें फूल....गागर में सागर है।
*श्री रघुवीर लाल अहिरवार जू* -गुजर जाते है हसीन लम्हें ...भौत उमदा लिखो।
*श्री सियाराम अहिरवार जू-* गीत लिखों- कटते नहीं यदि पेड़ ,आज सुंदर वन होते... बढ़िया लिखो हैं।
*रविन्द्र यादव जू* जिंदगी पै लिख रय- किसी के लिए एक खेल है ज़िन्दगी..भौत बढ़िया ख्याल हैं।
*सीमा श्रीवास्तव* जी गजपति छंद रचो है- सच कहा जब कहा... भौय नोनी सच की व्याख्या तनक में कर दई है।
*श्री श्याम मोहन नामदेव जू* लिखत है- बादल गरजे बिजली चमकी...वियोग श्रृंगार में नोनी कविता रची है।
सत्यपाल यादव जू,, गीतिका वेदिका जी ,संध्या निमग जी ने भी पनी हाजिरी दइ हमें भौत नोनौ लगो आप सबइ ने पनी-पनी नोनी कविता पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ 5-आज की समीक्षा*दिनांक 26-6-2020*
बिषय *बुंदेली गद्य*
आज पटल पै बुंदेली में गद्य रचनाएं डारने हती सो आज कम जनन ने लिखौ है। पै जितनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम गद्य लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। पै हमाओ कैवो जो अय कै जादां सें जादा जने लिखे उनकी उपस्थिति रय तो हमें भौत खुशी हुइये।
आज *श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने बसकारे पै लिखौ कै पैला ऐन पानी बरसत तो पौरा बय जात ते पै आज ऊसौ पानी नइ बरसत- भौत नोने विचार कय।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने संस्करण सुनाओ कै पंद्रह अगस्त की बूंदी कै खाबे कै लाने सबइ मौडा फिरकें ठाडे हो जात। सासउ में अबे भी गांवन में ऐसो होत है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने लघुकथा "घंसू उर बसकारो" में नशा मुक्ति को संदेश दओ है।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने लघुकथा "बसकारे को मजा" मै लिखौ कै बसकारे में घरे भजिया बनत है। पढ़कें मौ में पानू आ गओ।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* लिखत है कै बसकारे में मोडन खौं बायरे भींगत में भौत मजा आउत वे बायरे हुदरयात फिरत।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने पने संस्मरण में लिखौ कै जब वे तनक से हते तो गांव में बसकारे कौ ऐन मजा लेतते। हमें पने घरन में तनक कच्ची जागां रखौ भव चइए,सबइ खां हरियाई लगाओ चइए भौत नोनौ संदेश दओ है।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने बसकारे पै भौत नोनौ ललित निबंध लिखौं है।
*श्री रघुवीर लाल अहिरवार जू* ने पुरानी यादें ताजा करत भय नोनी सत्यकथा लिखी।।
*श्री श्याम मोहन नामदेव जू* पने लेख में बसकारे के फायदे बता रय है।
*कीर्ति सिंह जी* ने बसकारे पै आपबीती सत्यकथा सुनायी।
*सियाराम अहिरवार जू* ने बसकारे में जो अषाढ़ की पूजा दई ऊ कौं नोनो वर्णन करो है।
सत्यपाल यादव जू ने भी पनी हाजिरी दइ हमें भौत नोनौ लगो आप सबइ ने पनी-पनी नोनी गद्य रचनाएं पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
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6-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
दिनांक 27-6-2020
आज कौ चित्र राजीव जू नै जितनौ अच्छौ दऔ उतनई अच्छी ऊ पै कवता गीत गारी मुक्तक लिखे गय।
सबसें पैले सत्यपाल कवि बड़ा मलहरा नै सब्जी बेंच कें करी।
फिर राना जू नै साकाहार के फारदा दोहन में गिनाय।
बृन्दावन राय सरल ने पढबे की
उमर में कामकाज के लानै मजबूर बेटी का चित्र सामै रखो।
अरविंद तौ कविराज हैं उननै चित्र और चित्राकंन दोऊ पै शब्द चित्र बना दऔ।
रघुवीर आनंद नै सब्जी बेंचबे बारी की सब्जियों को गिनाऔ।
सियाराम जू नै बुन्देली भाषा और बुन्देली लोक धुन के योग से सब्जियों पर नौनी गारी लिखी।
सीमा बैन नै सब्जियों के उपयोग पै अच्छौ गीत रचो।
अनवर साहिल नै अच्छी कोसिस
करी।हराँ-हराँ मज जै हैं ।
रामेश्वर राय परदेशी ने चित्र के लिहाज सें कवता लिखी है
वीरेन्द्र चंसौरिया तौ उलात में जो मिलो सो बौ लै आय।
अनीता बैन की माँ और मेरा बचपन और कृति बैन की कवताएँ नौनी हैं ।
सबखों भौत भौत बधाई और शुभकामनाएँ एवं आभार सहित
रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़ ।
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7-*आज की समीक्षा**दिनांक 28-6-2020*बिषय- *बुंदेली दोहा लेखन बिषय-साउन*
आज पटल पै बुंदेली में साउन पै दोहा लिखने हते, पै जितनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम बिषय पैं तौ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। पै हमाओ कैवो जो अय कै जादां सें जादा जने लिखे उनकी उपस्थिति रय तो हमें भौत खुशी हुइये।
आज *दीनदयाल तिवारी जू ने लिखों कै-मइना साउन कौ ...पाउत सुक्ख अपार नोंनो लिखो।
*अनीता जी* लिखौ -मगौरा लो तलाय... दोहा में तनक सुदार करने परों पै नोनौ बन गओ।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* नेलिखौ कै -साउन झिर लगी -.भाव नोने है पै मात्रा गडबड है।प्रयास अच्छो करो।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने भौत नोनो दोहा रचो - कै खें उपर वारे से....नगर खों धुलवाय।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने लिखौ- साउन मेह बरस रय,बन में नाचे मोर।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने लघुकथा "बसकारे को मजा" मै लिखौ- साउन सो खुशियां भरो... नोनो लिखो है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* लिखत है कै-भइया मन सें देत है,बैंनन खौं उपहार। रक्षाबंधन कौ अच्छो वर्णन करौ है।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने - रिमझिम बारिष पै लिखौ है।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* लिखों है कै- बालम या बहना कौ प्यार मिलवे पै साउन नीको लगत है।
*कीर्ति सिंह जी* ने लिखों-पीहर चाहे दूर हो.....नोने भाव है।
*सियाराम अहिरवार जू* कौ दोहा मोय भौत नोनौ लगो- राधा ढूंढ़े श्या म खौं, कितै लुके चितचोर।। आज कौ सर्वश्रेष्ठ दोहा लगो।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने बढ़िया दोहा लिखा- साउन कै झूला डरे हे आमन की डार.. भौत बढ़िया साउन को चित्रण करो है।
*सीमा श्रीवास्तव जी ने लिखौ- साउन आवत देखके..नोनो दोहा है।
*श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव* जू ने लिखौ-बैन बदरिया छाव नइ... बढ़िया दोहा है।
*श्री रघुवीर आनंद जू उर श्री जाबिर गुल साहब के दोहन में भाव तो नोने हते पै मात्रा गडबड हती।
*श्री लखन लाल सोनी जू* उर *संध्या निगम जू* ने भी पनी हाजिरी दइ हमें भौत नोनौ लगो आप सबइ ने पने-पने नोने दोहा पटल पै डारे, हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
###&&&###*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
8-आज की समीक्षा**दिनांक 30-6-2020* बिषय- *बुंदेली दोहा लेखन बिषय-बैन*
आज पटल पै बुंदेली में *बैन* पै दोहा लिखने हते, सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम बिषय पैं तौ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। पै हमाओ कैवो जो अय कै जादां सें जादा जने लिखे उनकी उपस्थिति रय तो हमें भौत खुशी हुइये।
पै आज हम कछू कन चाउत कै कछू जने पटल कैं नियम खों ठीक तरां सें पढ़त नइया, हम रोजउ नियम डारत है पै उकों पालन नइ करत जैसे आज बिषय हतो *बैन* सो मन से बिना पढ़े ही अन् बिषय पै मनचाहे दोहा डार दय, एक दोहा डारने हतो सो दो-दो डार रय, फोटो डार रय। पैला सबइ जने नियम तो पढ़ लो फिर पोस्ट करो। नौ दिना हो गये, प्रकृति भी नियम से चलत है सूरज चंदा भी,सो अपुन कौ भी नियम सें चलने *आत्ममुग्धता और स्वप्रशंसा* सें दूर राने अपुन बुद्धिजीवी कुवात है सो तनक चिंतन करने है। पढ़े लिखे होकर अनपढ़ घाइ काम नइ करनें।
दोहा की मात्रा गिन के आराम से बेर-बेर पढ़के सुदार कै फिर पोस्ट करने कुन रेल छूट रइ। अच्छों नइ लगत बेर-बेर टोकवो।
आज *गीतिका वेदिका जी* ने सबसें पैला दोहा लिखो कै- देरी,द्वार बुहारिये ...नोंनो लिखो। पै एक मात्रा दूसरे चरण में कम रै गईती। सो *न* की जागां बड़ो *ना* कर लव जाय तो नोनौ रैहै।
*श्री अशोक पटसारिया जू* - के दोहा में मात्रा दोष हतो। पै भाव नोने हते।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने लिखौ- भइया सें बैने भली... नोनो लिखो है।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने-- बैनन से नोने लगे,राखी, भाईदूज। नोनो लिखो है।
*सियाराम अहिरवार जू* लिखौ- बैन बिना सूनो लगे,साउन को त्यौहार। अच्छों लिखो है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने लिखौ भेदभाव नइ करनें - प्यार एक-सौ कीजिओ....।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* लिखत है कै- सूनी कलाई देखके...भौत बढ़िया दोहा है।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* लिखों है कै- राखी बादन पौच गई। भाव नोने है पै मात्रा गडबड है।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने बढ़िया दोहा लिखौ- तीनई देवी रूप है, मैया, मौड़ी, बैन।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने लिखौ- नैन डबरियां भर रई.... नोने भाव है। तनक चौथौ चरण में घरे होत सुनसान* कर दव जाय तो भौत नोनो रै।
*श्री राजेन्द्र यादव* जू ने लिखों- ई दुनिया में बैंन सौ,न इया कोनउ मित्र.. भौत बढ़िया दोहा है।
*श्री रघुवीर आनंद जू* उर *श्री रामेश्वर राय जू* के दोहन में भाव तो नोने हते पै मात्रा गडबड हती।
आप सबइ ने पने-पने नोने दोहा पटल पै डारे, हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
9-आज की समीक्षा* बुधवार *दिनांक 1-7-2020* बिषय- *बुंदेली में स्वतंत्र लेखन*
आज पटल पै *बुंदेली में स्वतंत्र लेखन* हतो, सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *श्री अशोक पटसारिया जू* पोस्ट डारी वे आठ बजे कौ इंतजार नइ कर पाये उर 6:52 पै ही कविता डार दइ बिना उपर दिए नियम पढ़े बिना वा भी हिंदी में जबकि आज नियम अनुसार बुंदेली में कविता पोस्ट करने हती?
*श्री लखनलाल सोनी जू* पटल पै तो शुरू से जुड़े है लेकिन आज पोस्ट पैली बैर डारी भौत नोनो लिखौ- बाप मताई खों दुख दैकै, कोऊ सुखी न रावै।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* लिखों है कोरोना पै भौत बढिया लिखों।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने-- ज़िंदगी की पहेली....नोनो लिखो है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने बुंदेली ग़ज़ल लिखी-कर दऔ बंटाधार तुमाइ का काने....।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने लिखौ- अपनों खों ठुकरात फिरत...... नोनो लिखो है।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने लिखों -नैंकै चलो....भौय नौनौ लिखों।
*सियाराम अहिरवार जू* लिखौ- टीकमगढ़ के परकोटा उर दरवाजन पै अच्छों लिखो है।
*श्री राजेन्द्र यादव* जू ने लिखों- उठतन रामराम सब कइयो... भौत नोनी चौकडिया लिखी
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने कोरोना से बचवे के लाने बेर-बेर हात धोवें का कइ। नोनी सला दई।
*श्री रविन्द्र यादव जू* -सुन लो एक सला है भैया...... अच्छी कविता है तनक सी,गागर में सागर।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने बुंदेली में तीन नोने हाइकु लिखे
*श्री रघुवीर आनंद जू* ने दुपरिया कौ नोनो वर्णन करो- सूरज निकरों खिसियानो।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने बढ़िया ग़ज़ल कही - बिन घूंघट मौचायनौ हो रव.... वाह वाह... पढ़कै मजा आ गओ।
आप सबइ ने पनी-पनी नोनी-नोनी कविता पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*****समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)
10- *आज की समीक्षा**दिन-गुरुवार*
*दिनांक 2-7-2020* बिषय- *हिंदी में स्वतंत्र काव्य लेखन*
आज पटल पर *हिन्दी में स्वतंत्र काव्य लेखन* था। आज रोज की अपेक्षा अधिक संख्या में रचनाएं लिखी गयी, बहुत अच्छा लगा, मन खुश हो गया जिन-जिन नें लिखौ उन्हें हम बधाई देते हैं।
आज सबसे पहले *श्री श्याम मोहन नामदेव जी* ने रचना याचना करते हुए लिखा - अब तो पानी बरसाओ... बहुत बढ़िया लिखा है।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जी* ने हिंदी की प्रशंसा में लिखा- हिंदी फुलवारी सी फूलत।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जी* ने लिखा- लाजवंती सी लजाती, घूंघट में मृगनैनी।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने कविता लिखी- अब परिणाम भोगने को तैयार हो जाओ...
*कृति सिंह जी* ने पर्यावरण को परिभाषित करते हुए सुंदर गीत लिखा।
*श्री वृंदावन राय सरल जी* ने बढ़िया दोहे लिखे- मिट्टी रोई फूटकर, मैंडें हुई अचेत...।
*श्री अशोक पटसारिया जी* ने लिखा -विश्व पटल पर प्रमाणित वेद और वेदांत...।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जी* ने देश वंदना प्रेरणादायक गीत लिखा।
*सियाराम अहिरवार जी* ने मजदूर की व्यथा को लिखा-झुर्रिया पड़ गयी है...।
*श्री राजेन्द्र यादव* जी ने गीत लिखा -तुम मोहब्बत का दीपक जलाएं रखो।
*मीनू गुप्ता जी ने* रिश्तों पर अपनी अभिव्यक्ति दी।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी* ने गीत अच्छा लिखा-न जाने मुझको क्यों लगता है....
*श्री रविन्द्र यादव जी*ने मां पर अच्छी कविता है।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने हिंदी में तीन बढ़िया हाइकु लिखे - सुख की छांव/ढूंढते शहर में/ छोड़ के गांव।
*श्री रघुवीर आनंद जी* लिखते हैं- इक झील है तेरी आंखों में....।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी* ने लिखा- तुम्हीं तो हो...मेरे दिल का साज...।*
*श्री रामगोपाल रैकवार जी* ने *वनवासी राम* पर लिखा- मैं अविनाशी राम हूं.. बहुत बढ़िया लिखा है।
*अनीता श्रीवास्तव जी* ने भी हाइकु लिखने की कोशिश की है उनका प्रयास ठीक है- लो मर गया/सत्य का अभिलाषी/भूखा ही गया।।
आप सभी ने बहुत बढ़िया रचनाएं आज पोस्ट की है । सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार।
###&&&### समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)
11-*आज की समीक्षा**दिन- शुक्रवार* *दिनांक 3-7-2020* बिषय- *बुंदेली कौ महत्व (बुंदेली में गद्य लेखन)*
आज पटल पै *बुंदेली कौ महत्व पै गद्य लेखन* हतो, सो आज कम जनन ने लिखों गद्य लिखवौ भौत कठन है वो भी बुंदेली में सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *सियाराम अहिरवार जू* लिखौ- बुंदेली की मताई प्राकृत शौरसेनी है। बुंदेली की पाटी ओनामासी व मौखात है भौत नोनो लिखों।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने लिखों कै -बोलियों में स्पष्ट विभाजन रेखा खैंचवों संभव नइ होत। नोनो लिखो है।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने लिखत हैं- बुंदेली भाषा हिंदी की मताई जैसी है।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने लिखों कै बुंदेली की का कये ई बोली में जैसे गुरयाई है। कछू बुंदेली कें नोनै शब्दन कै उदारन दय। भौत उमदा लिखों है।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* लिखों कै जब बुंदेली में बातें होत तो फूल से झरत हैं।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने लिखों कै अपनी माटी उर अपनी बोली से जुड़ों उर आनंद लो।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने लिखो कै -अब बुंदेली कौ डंका विदेशन में भी बजन लगो हैं।
*श्री रघुवीर आनंद जू* ने बुंदेली कौ आठवीं सूची में पौचवे की नोनी कामना करी है।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने बुंदेली के उपरूप बताए उर बुंदेली में ठोस काम करवे की कइ।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने लिखो कै बुंदेली भौत मीठी, दमदार उर बोलवे में सरल है।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने बुंदेली भासा पै भौत बढ़िया एक पूरो लघु शोध लिख दओ है भौत उपयोगी जानकारी दई है।
आज *डॉ गणेश राय जू,श्री राजेन्द्र यादव जू, श्री डी पी शुक्ला जू उर सीमा श्रीवास्तव जी* ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने आलेख पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)*
12-आज की समीक्षा**दिन- शनिवार* *दिनांक 4-7-2020* बिषय- *चित्र देखकर (बुंदेली में काव्य लेखन)*
आज पटल पै *चित्र देखकें बुंदेली में पद्य लेखन* हतो, सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *श्री लखन लाल सोनी जू* ने लिखों- दुखी करो न काऊ खों ओई होत भगवान। बिषय सें हटकर लिखों पै नोनों लिखो।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने लिखों - काश्मीर की धरती को हमाओ शत् शत् परनाम।
श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने बुंदेली में हाइकु लिखे- जी नै भी खायी, आयुर्वेदिक दवा, निरोगी भव।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने लिखों कै- राखवे जनम भूम दे दय पिरान।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने लिखों कै -भारत कों नक्शा है ई पै भजन लिखै कै आरती.....। भौत नोनो लिखो है। बधाई।
*सियाराम अहिरवार जू* लिखौ- छौंकों पडोरा धना, सब्जी बना लो धना।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* ने लिखत हैं- तिरंगा प्यारो लहराव ऊंचों, जान सें प्यारो।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने भारत जन मन गन कौ प्यारौ सब देसन सें न्यारो। बढ़िया लिखा है। बधाई।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने गीत लिखो- ई देस की कहानी भौत है पुरानी।
कृति सिंह जी* ने लिखों- सइयां जू सें मेल हमाओ जैसे तरकारी में गरम मसालों।
*श्री रघुवीर आनंद जू* ने लिखों- काली मिरचा, दालचीनी अरु तुलसी इनकौ काढो पियो।
*श्री गुलाम सिंह यादव भाउ जू* ने लिखों- ऐसो देश हमारौ ऊंचौ..
आज की हाजिरी में *मीनू गुप्ताजी, अनीता श्रीवास्तव जी,श्री रामगोपाल रैकवार जू,विजय मेहरा जू, श्री रविन्द्र यादव जी आदि ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने आलेख पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
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13- *आज की समीक्षा**दिन- सोमवार* *दिनांक 6-7-2020* बिषय- *गुरु (बुंदेली में दोहा लेखन)*
आज पटल पै *दोहा लेखन* हतो, आज बिलात जनन नें लिखवे कि कोशिश करी, भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* गुरु से कलेश मिटावे की नोनी कामना करी।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* उर *श्री रामेश्वर राय जू* ने पैली गुरु मां कौ बताओ हैं।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने लिखों कै- गुरु हमें ज्योति देत है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने गीत लिखो- गुरु कें लेंगर जाय से भाग खुल जात है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने लिखो कै गुरु की सेवा से सम्मान मिलत है।
*सियाराम अहिरवार जू* ने अपने गुरु रविदास जी पै नोनों दोहा लिखा।
*श्री वृंदावन राय सरल जू* कत है कै- मां जैसों कोई गुरु नहीं है।
*श्री डी पी शुक्ला जू* ने लिखों- कै गुरु कें बिना ज्ञान नई होत।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने कत है कै- गुरु कौ सदैव पास में रखना चाहिए।
*श्री चांद मोहम्मद आखिर जू* कत है कै लबरन कौं संग नइ रखना चइए।
*अनीता श्रीवास्तव जी* का दोहा तौ नोनों है पै तीसरे चरण में मात्रा गबबड हती।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ, श्री लखनलाल सोनी जू,श्री रघुवीर आनंद जू* ने लिखों तो नोनो है पै इनके दोहन में मात्रा दोस है।
आज की हाजिरी में *श्री विजय मेहरा जू, श्री मनोज तिवारी जू,अनवर खान जू, राजेंद्र यादव जू आदि ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने दोहा पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-*राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
14- *आज की समीक्षा**दिन- सोमवार* *दिनांक 7-7-2020* बिषय- *शिव (बुंदेली में दोहा लेखन)*
आज पटल पै *दोहा लेखन* हतो, आज बिलात जनन नें लिखवे कि कोशिश करी, भौत नोनों लगो।
पै समीक्षा लिखवें सें पैला अपुन कछू कन चाउत कै ई पटल कै नियम सबसें पैला सबई जनन खों सख्ती सें माने परे उर बिषय पे ही पोस्ट डारने वा भी केवल एक अब यदि बिल्कुल नये जुड़े जिने एक दो दिना भय उनै छोड़ के अब जीने भी पटल कें नियम तोड़ें उये पहली दार नियम तोड़वे पर तीन दिन तक पटल सें निकार दव जैहै फिर तीन दिन बाद जोड़ों जैहै उर दोवारा गलती करवे पर उय सदा के लाने पटल से विदा कर दव जैहे।
दूसरी बात जा कै जो पटल बुंदेली सीखवे वारन कें लाने बनाओ गओ है ख़ासतौर पै नये लोगन के लाने उन्हें उचित मार्गदर्शन पटल कें एडमिन मैं उर श्री रामगोपाल रैकवार जी दोनो मिलकर देते है साथ में हमारे श्री सियाराम जी भी उचित सला सबई कों देत रात है। सो एक बार पटल पै डारवे कै बाद रचना लिखके वारी कि न होकर पढवे वारे उर समीक्षक की हो जात है ऐसे में हमें समीक्षक कि बात कौ सुनना उर समझना चाहिए कि वे का कय रय आप उनकी सला माने या ना माने लेकिन उनकी बात का सम्मान करना चाहिए। ना कि *अहम ब्रम्हा अस्मि* क्योंकि आदमी हमेशा सीखता ही रहता है वह पूर्ण कभी नहीं होता। मात्र तुकबंदी या मात्रा पूरी होने से कोई दोहा श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता मैं शीघ्र ही दोहे पर एक आलेख पोस्ट करूंगा।
जिसको लगता है कि यह सम्पूर्ण कवि,महाकवि है उर कुछ सीखना नहीं चाहता तो ऐसे महाकवि, वरिष्ठ, गरिष्ठ महानुभाव को पटल शत् शत् नमन करता है वे यह पटल छोड़ के जा सकत है कायसें कै पटल भौत तनक सो है उर इमें सब नये सीखा जुरे है। हम कोनउ विवाद नइ चाउत हम तो सबइ कौ जोरबे को काम करत है आपके ही सहयोग से अपनो मप्र लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ अब तक 261 साहित्यिक कवि गोष्ठी व कवि सम्मेलन करा चुकी है। पटल पर शालीन उर साहित्य भासा कौ प्रयोग करें। शेष फिर।
आज सबसें *श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू लिखत है कै- जो सिव कौ ध्यान लगाते हैं उकौं जीवन शांति मय हो जात है।
*श्री अशोक पटसारिया जू के दोहा कै भाव तो नोने है पै शब्द चयन हल्का है *टुन्न* जैसे शब्दन से बचो चाहिए साहित्यिक शब्दन कौ प्रयोग भव चइए।
*श्री वृन्दावन राय सरल जू ने के दोहा में भाव तो नोने है पै दूसरी पंक्ति कौ अर्थ स्पष्ट नइ हो रव कै वे का कन चा रय।
*अनीता श्रीवास्तव जी* न पैला नियम विरुद्ध विषयांतर दोहा लिखो फिर दोबारा दूसरों दोहा लिखो - हे भोले हमाई झोली भर दे।
*श्री रामेश्वर राय जू,श्री गुलाब सिंह यादव भाउ,श्री रघुवीर आनंद जू* ने लिखों तो नोनो है पै इनके दोहन में मात्रा दोस है।
*डां देवदत्त द्विवेदी जू* ने लिखों- कै सेबक भोलानाथ को,दइयो पार उतार। भौत नोनो लिखो।
*श्री सियाराम अहिरवार जू* कै रय जो सिव की पूजा करत है मनवांछित फल पाते है।।
*श्री अभिनंदन गोइल जू* कत है कै भोले बाबा की कृपा सें पूरे काज होगें।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* कत है के-जो सुमिरन शिव को करे ,कर मन में बिश्वास।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने लिखो सब शंकर कै द्वार सें कोउ न रीतो जाय।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* लिख रय-आंख तीसरी खोल कै करो चीन कौ नाश।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी" ने लिखौ -शिव ही सुन्दर है सदा,सत्य लये वो साथ।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने कत है कै- सिव देवन में देव है सदा करे कल्यान।।
आज की हाजिरी में *श्रीरामगोपाल रैकवार जू, श्री अनवर खान जू, विजय मेहरा जू आदि ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने दोहा पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)* मोबाइल- 9893520965
15- *दिन- बुधवार* *दिनांक 8-7-2020* बिषय- * बुंदेली में स्वतंत्र पद्य लेखन)*
आज पटल पै *बुंदेली में स्वतंत्र पद्य लेखन* हतो, सबई ने भौत नोनों लिखो।
आज सबसें पैला *श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* ने चौकड़िया पोस्ट करी- फिर रय सरपंची खों डोलत।
*श्री रामेश्वर राय जू* ने लिखौ -अपने मेर को देखकें,मेर करो चाय ठैन।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने कुण्डलिया लिखी- जो अपनौ हित चाय,कभऊं न पीबे दारू।
*अनवर खान जू* लिख रय- मौडा जबसें भऔ है न्यारौ,डुकरा फिरवै मारो मारो। भौत नोनो लिखौ है।
*श्री अशोक पटसारिया जू* लिखत है कै- पैलऊ कैसे रुतवा कां है। अब तो चिकनई साफ मना है।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* फैशन पै व्यंग करत है कै- फटे चिथे से उन्ना पैरत,बनी मूड पै क्यारी।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने नोकडिया लिखी- पैरत है कुरता कोसा कौं, देखौ इनके साके।
*डां देवदत्त द्विवेदी जू* ने लिखौ कै-गांववारी निवतारी गा रई मींठी गारी।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* लिखत है कै- रइयौ जीवन में हिलमिल कैं।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने वर्तमान हालात पै कत है कै- चीन चीन, चींन कैं बीन।
*श्री सियाराम अहिरवार जू* पैला हते सब घर खपरैला।
आज की हाजिरी में *श्रीरामगोपाल रैकवार जू, *श्री अभिनंदन गोइल जू* श्री रघुवीर आनंद जू ,अरविंद श्रीवास्तव* ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोनी कवता पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-*राजीव नामदेव "राना लिधौरी"टीकमगढ़ (मप्र)* मोबाइल- 9893520965
16- *आज की समीक्षा*दिन- गुरुवार *दिनांक 9-7-2020 बिषय- *हिन्दी में स्वतंत्र पद्य लेखन*
आज पटल पै *हिन्दी में स्वतंत्र पद्य लेखन* था आज रोज की अपेक्षा पोस्ट आयी है बहुत अच्छा लगा। परंतु कुछ बातों से दुख भी हुआ। पटल पर रोज सबसे पहले नियम पोस्ट किये जाते हैं उसके बाद भी कुछ लोग अपनी मनमानी करते हैं, हम सब बड़े है , कोई बच्चें तो है नहीं कि बार-बार वही बात समझाते रहे। *सभी को केवल अपनी ही रचना पोस्ट करना है किसी दूसरे की नहीं*। *मौलिक लिखे* भले ही कम लिखे। आज झूठ छिप नहीं सकता कभी न कभी पकडा ही जाता है। मैंने पहले भी पटल *नियम आठ* पर विस्तार से लिखा था कृपया सभी लोग एक वार जरुर पढ़ ले और हमेशा याद रखें। अन्यथा पटल को मजबूर होकर कठोर कदम उठाने पड़ेंगे। बाकी आप सब समझदार हैं।
आज सबसे पहले *श्री अशोक पटसारिया जी* ने धार्मिक पोस्ट डाली-अंतर्मन में आकर देखो, कुटिया एक बनाकर देखो। सुंदर लिखा है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने जापानी ताका छंद लिखा- जीवन नैया ऐसे ही पार करे भजन करे।
पश्री अभिनंदन गोयल जी* ने हरिगीतिका छंद में बढ़िया लिखा- मैं सरिता हूं तू है सागर ले ले मुझे शरण में।
*श्री रामेश्वर राय जू* ने मुक्तक लिखा -सत चरित्र प्रबुद्ध शुद्ध मन, बुद्धि प्रखर प्रचण्ड हो।।
*डां देवदत्त द्विवेदी जू* ने लिखा- समझा था जिसे अपना वो अपना नहीं रहा।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जी* ने चौकडिया लिखी- बहिन अब मन में ललचानी,सुध सावन की जानी।
*श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी* ने गांव का सौंधापन पर बढिया कविता लिखी।
*अनवर खान जू* ग़ज़ल कही- मैं दिनभर तेरा चेहरा देखता था।
*श्री रविन्द्र यादव जी* ने लिखा - न जाने कैसे लोग है क्या बंदगी हुई।
*श्री राजेन्द्र यादव जी* ने लिखा कि माता पिता गुरु तीन के चरनन रावे शीश।।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी* ने लिखा-अगर आप यह चाहते जीवन हो नीरोग।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी* गीत लिखते है आ छाऔ भगवान दर्शन दो भगवान।
*अनीता श्रीवास्तव जी* लिखतीं हैं- सज संवरकर आ गया, नकली सबको भा गया।
*नीरजा श्रीवास्तव जी* ने लिखा-आसन प्राणायाम से,पहले करे यम नियम का वरण।
*रघुवीर आनंद* लिखते है-तरस रही है सांझ बेचारी आंचल में सौगात लिए।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने मनहरण घनाक्षरी छंद लिखा- बोलो बम हर-हर,मन भक्ति भाल रख
*श्री सियाराम अहिरवार जी* ने लिखा- आज रहबर भी,अनीति का साथ दे रहे।
*श्री डीपी शुक्ला जी* ने लिखा-गुजरे लक्त की कौन सुने।
*श्री रामगोपाल रैकवार जी* ने बढ़िया गीत लिखा-आंखौं से दूर होगे,दिल में बसे रहेगे।
आज की हाजिरी में *श्री उमाशंकर मिश्र जी, मीनू गुप्ता जी,श्री रामगोपाल रैकवार जी* ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोनी कवता पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* टीकमगढ़ (मप्र)* मोबाइल- 9893520965
17- समीक्षा*दिन- शुक्रवार* *दिनांक 10-7-2020* बिषय- *चलो मेला देखवे चलवी (बुंदेली में गद्य लेखन)*
आज पटल पै *चलो मेला देखवे चलवी* बिषय पै गद्य लेखन* हतो, सो आज कम जनन ने लिखों गद्य लिखवौ भौत कठन है। आज भलेइ तनक तनक से आलेख लिखे गये है पै है भौत नोने। सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने कुण्डेश्वर कौ मेला पै भौय नोनो लिखों ।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने बराना के ताल पै भरवे वारे मेला पै बढ़िया लिखों
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने भी कुण्डेश्वर के मेला कौ नोनों वर्णन करो है ।
श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने अछरूमाता कै मेला कौ बचपन में देखवे गयते उकौ वर्णन करो है।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* ने भीमकुंड कै मेला पै नोनो लिखो है
*श्री डीपी शुक्ला जू* ने बिजरोठे के पास भनवारे के मेला कौ वर्णन करो है।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने कहानी मेला लिखीं है जी में लाली पने दो मोडन कै संगे मेला देवे जात है।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने असाढ उर साउन पै लगवे वारे मेलन पै भौत नोनो लिखो है।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* ने मेला जावे छैला पै लिखों है।
*सियाराम अहिरवार जू* ने कुण्डेश्वर कै मेला पै बढिया लिखौ।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने मेला कौ भौत नोनो वर्णन करो है कां कां मेला भरत है उते का होत है।
आज की हाजिरी में *डां देवदत्त दि्वेदी जू, अनीता श्रीवास्तव जी* ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने आलेख पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)*
18- *दिन- शनिवार* *दिनांक 11-7-2020 बिषय- *चित्र देखकर (फूल, गुलदस्ता) (बुंदेली में पद्य लेखन)*
आज पटल पै *चित्र देखकै* पद्य लेखन* हतो। सो जितैक जनन नें लिखौ सबइ ने नोनो लिखों एक सें बढ़कै एक कविता पढ़वे मिली।
आज सबसें पैला *श्री अशोक पटसारिया जू* फिर, श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू, *श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ,श्री अभिनंदन गोइल जू, श्री डीपी शुक्ला जू, *डां देवदत्त दि्वेदी जू, श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी, *श्री राजेन्द्र यादव जू* ,*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू, श्री वीरेन्द्र चंंसौरिया जी,सियाराम अहिरवार जू*,*सीमा श्रीवास्तव जी* ,श्री रघुवीर अहिरवार आनंद जू , *श्री रामगोपाल रैकवार जू* आदि जनन ने भौत नौनों लिखो।
आज की हाजिरी में अनीता श्रीवास्तव जी* ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोनी कविताएं पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* *टीकमगढ़ (मप्र)*मोबाइल- 9893520965
19- आज की समीक्षा**दिन- सोमवार* *दिनांक 13-7-2020* बिषय- *बादर,मेघ, (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *बादर,मेघ* बिषय पै दोहा लेखन* कार्यशाला हती,आज कछू नये साथी जुरे उनने कोशिश करी भौत नोनों लगो। आज भौत नोने दोहा रचे गये, सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* ने लिखों - सूकी फसले खेत में,बदरा अंतर्ध्यान बढ़िया दोहा है।
*श्री सियाराम अहिरवार जू* ने लिखौ-बरसौ मैघा जोर सें , इकटक लखत किसान। अच्छौ दोहा है।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने नोनो लिखो के-ताल कुआं सूके डरे, धरती तप रय प्रान।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने लिखौ- हे कजरारे बादरा...!
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने लिखौ- बदरा के डेरा डरे, झिमकां बरसे मेह। झिमकां कौ भौत नोनो दोहा रचो।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने लिखौ- पिय बिन बदरा बरसतन आग लगत मन देह। भौत नोनों वियोग श्रृंगार में दोहा।
*श्री डीपी शुक्ला जू* ने प्रेम प्यारे सावन,घन तो गए भूल।
*श्री अभिनंदन गोइल जू* लिखत है- बादर घुमडो गगन में गर्जन करी अपार।
*श्री प्रेम नारायण शर्मी जू* लिख रय- वर्षा का को से कये....।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जू* ने लिखौ- घनी अमावस रात की बदरा छाए ऐन।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* ने बरसा के मइना लगे तपन सई न जाय ।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने लिखौ- कारे बदरा छा गये, बरसा कौ अनुमान।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने लिखौ- चिंता बादर छा रय......! नोनो दोहा रचो है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने लिखौ-बादल गरजे जोर से खूबइ बरसा होय।
* कृति सिंह जी लिखतीं हैं- बदरा झूठे आज के भोर से घिर आये।
*श्री रघुवीर लाल अहिरवार जू लिख रय- रिमझिम पानी के बादर...!
आज की हाजिरी में *डां.रूखसाना सिद्दीकी जी, श्री अविनाश खरे जू* ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने दोहा पटल पै डारे गये,हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)*मोबाइल- 9893520965
20-आज की समीक्षा**दिन- मंगलवार* *दिनांक 14-7-2020*बिषय- *नीम (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *नीम* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती,आज कछू नये साथी जुरे उनने भी कोशिश करी भौत नोनों लगो। आज भौत जनन ने दोहा रचे उर भौतई नोने दोहा रचे गये, पढझ कै मन खुश हो गव।सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *श्री गुलाब सिंह यादव भाउ* (लखौरा) ने दोहा लिखो कै नीम खाय सें कैउ रोग मिट जात है-
नीम करव तौ होत है, गुर डारें करवाय।
कैउ रोग मिट जात हैं, रोज-रोज जो खाय।।
*श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष (टीकमगढ़) जू लिख रय कै नीम भौत गुन होत है-
-ओखद बारे गुनन सें,नीम भौत भरपूर।
नित प्रति सेबन करे सें,रोग भगें सब दूर।।
*-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस 'जू* (बड़ा मलहरा) लिखत है कै- नीम खाये सें बुखार नइ आत है-
- नीम मुखारी जो करें, निन्नें पत्ती खायं ।
जुर- बुखार आबें नहीं ,बूढे चना चबायं ।।
-*श्री रामेश्वर राम 'परदेशी' जू* (टीकमगढ़) कै रय कै- नीम की छाल सें चर्म रोग मिट जात है-
नीम छाल, पाती मिला, औसद बैद बनाइ।
चर्म रोग मिट जात हैं, चढ़ै न ताप-तिजाइ।।
-श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी" (टीकमगढ़) लिखत है कै- नीम लगायें सें द्वारे की सोभा बढ़त है-
द्वारे की सोभा बड़ी, हिलें नीम की डार।
दातुन, हवा, दवा मिलै, झूला झूलै नार।।
-श्री रामगोपाल रैकवार जू (टीकमगढ़) कै रय कै -नीम तरे जो पंचात जुरी उतै का हो रव जौ नीम देख रव है-
बैठी तौ पंचात है, देख रऔ है नीम।
लट्ठ-न्याय के सामनै, की की चलबै चीम।।
*श्री अशोक पटसारिया नादान जू* (लिधौरा) लिखत है कै- नीम कीज्ञपत्ती से दाद,खाज मिट जात है-
होंन व्यान में पत्तियां,दाद खाज में खट्ट।
दातुन नीमईं की करौ, रोग मिटाबै झट्ट।।
*श्री संजय श्रीवास्तव जू* (मबई) लिख रय कै हमें नीम कै गुन पैचाने चइए-
जो काया सुख चाइये, नीमहि गुन पैचान।
करव स्वाद में है भले, ईखों अमरित जान।
- श्री सियाराम अहिरवार जू* (टीकमगढ) मीठे नीम के गुन बतारय है-
पत्ता मीठे नीम के ,डार कढी में खांय ।
खुशबू आबै खात में ,स्वाद सोउ बड़जाय ।।
*डॉ. रूखसाना सिद्दीकी जी* (टीकमगढ) कै रईं कै नीम सें हजारन रोग मिट जात हैं सांसी कै रईं-
नीम निबौरी सें बनें, औसद कैउ हजार।
रोग हरै, दातुन करें, स्वस्थ रयै संसार।।
*अनीता श्रीवास्तव जी* (टीकमगढ़) नीम की तुलना आदमी सें करत भय कै रईं-
गुर-घी सीं बातैं करैं, मन के कडुए लोग।
इनसें साजी नीम है, जौन नसावै रोग।।
*श्री वीरेंद्र चंसौरिया जू(टीकमगढ़) लिखत है कै- नीम की दातुन करे सें दांत कौ दर्द मिट जात है-
मंजन बुरुश खों छोड़ कें, दातुन लो अपनाय।
रोज नीम की कीजिये,दांत दरद मिट जाय।।
*श्री अभिनन्दन गोइल जू* (इंदौर) सें लिखत है कै नीम कौ पेड देव तुल्य होत है-
नीम पेड़ अति करव है,पै गुनकारी जान।
रोग निरोधक गुनन सें,देव तुल्य जौ मान।।
*श्री अरविन्द श्रीवास्तव जू* (भोपाल) लिखत है कै नीम सीं कडवी बातें कोनउ कौं नइ सुहाती-
कड़बी बातैं नीम-सीं, नेकउ नहीं सुहायँ ।
असर औषधी सौ करैं, सबरे दोष मिटायँ ।।
*श्री लखन लाल सोनी "लखन" जू* (छतरपुर) मच्छर भगावे कौ नोनो देशी उपाय बता रय-
पत्ता नीम वटोर कै, घर में सुनो जराऐं।
धुआ करै मच्छर भगै,घरै घुसन न पाऐं।।
*सुश्री सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल' जी* (टीकमगढ़) बता रईं कै नीम की पोर पोर काम आत है-
नीम देव सम जानिये, महिमा वरनि न जाय।
पोर-पोर सब काम कौ, घर कौ बैद कहाय।।
*श्री रघुवीर अहिरवार 'आनंद' जू*(टीकमगढ़) कै रय कै नीम को काढा बना कै पीना चइए-
पानी नीम उबाल कै, बीत जाय जब घड़ी।
तुरत छान कै पी लियो, औषध अचूक खरी।
*श्री प्रेम नारायण शर्मा 'प्रेमी' जू* (अपरवल) लिखत है कै नीम की छाल से शरीर की आभा भी बढ़त है-
नीम छाल पानी चुरा सपरे रोज ऊ रोज।
दाद,खाज, खुजली मिटे, बढवे आभा ओज।।
आज की हाजिरी में *श्री अनवर खान जू,श्री राजेन्द्र यादव जू उर श्री अविनाश खरे जू* ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने दोहा पटल पै डारे गये,हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो। *समीक्षक-**राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)*मोबाइल- 9893520965
21समीक्षक -सियाराम अहिरवार टीकमगढ़
दिनांक 15-7-2820बुंदेली स्वतंत्र काव्य लेखन ।।
न बोलवे बारन खों ललकारते हुए लिखो कै -सांसी-सांसी कओ ,काये हिन्दी सें
डराउत ।
अंग्रेजी में बतकाव करत ,तुमें सरम नई आत ।
श्री अभिनन्दन गोइल जू नें भौतई नोंनों मुक्तक लिखो -
तनमन वानी सें करें,जो तन कृष्ण अनूप ।
भले मान्स के धरम कौ ,जेऊ सनातन रूप ।
डा०देवदत्त द्विवेदी जू बडा़ मलहरा ,राजनीत के पण्डतन की असलियत बताउत भय लिख रय कै -
ई झण्डा सें ऊ झण्डा में,अपनों डंडा डारें।
राजनीत के पंडा छिन में ,नइ पूजा बिस्तारें ।
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया नें पनी बीती सुनाउत भय लिखो कै-
हमतौ दौरत जा रय ते ,बजरिया खां ।
लगो उपटा हम तौ गिरे औदें मों ।
श्री संजय श्रीवास्तव जू मवई ने भौत ही नोंनों मुक्तक लिखो कै-
जो गऔ ऊकौ का गम करने ,जो मिल गऔ ऊमें मन भरनें ।
श्री रघुवीर आनन्द लिख रय कै - मेह रुकत नइ जा घरी ,झर लगाए नैन ।
कु०सीमा श्रीवास्तव जी नेंबुन्देली गारी लिखी कै-
ऐसें कैसें तुमें घर चलाऊनें ,दिन डूबे नों तुमें सुसाऊनें ।
श्रीमती अनीता श्रीवास्तवजी नें बुन्देली गजल में लिखो कै-
सबनें सब लिख डारी ,अब हम का लिखवें ।
कछू बनत ना कातन ,अब हम का लिखवें ।
ई तऱा सें सबई जनन ने पनी-पनी रचनाएँ लिख भेजी जी सें बुन्देली कौ भण्डार दिन दूनों रात चौगनों बड़त जा रव
सबई सें ऐसी आशा करत कै एसउ संग दयें रइयौ जीसें जौ बुन्देली कौ भण्डार हमेसई भरत रवै ।
समीक्षक -सियाराम अहिरवार टीकमगढ़
22- अशोक पटसारिया,लिधौरा
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आज दिन गुरुवार 16 जुलाई 20
#हिंदी कार्यशाला टीकमगढ़ की समीक्षा
आप सभी बहिन भाइयों को अशोक पटसारिया नादान की ह्रदय से राम राम बड्क्कम आदाब जुहार अभिवादन और गोड़ लागत बानी ।
आज सुबह से ही राजीव जी ने सभी को राम राम पौंचाई।पंचांग की जानकारी दई आभार।
मोय तनक उलात रत सो पैली रचना हमई ने डारी
जिंदगी में तुझे क्या दूँ। जिसमें एक गरीब की व्यथा कथा लिखी,अब ई की समीक्षा तौ आप औरन ने बता दई सो दिल से आभार।
अभिनंदन गोयल जी ने दोहा लिखे और दोहा के गीत लिख दय, जिनमें नश्वर जीवन और जीवन की मूल सिद्धांतों की व्याख्या की।
फिर राजीव नामदेव जी ने लिखा,नहीं किसी से अब अनबन हो।सम्बन्धों में अपनापन हो।बहुत उम्दा बन पड़ा।
गुलाब सिंह दाऊ जी ने टमाटर की कीमत बड़ा दई जैसें सब सब्जी में टमाटर कॉमन है एसई हमें भी होना चाहिए।
अनीता बेंन ने स्कूल की स्मृतियाँ नन्हे से वायरस के कारण बच्चों का दृश्य खींचा। जो बहुत उम्दा लिखा।एक शिक्षक की भांति हर पहलू पर कलम चलाई।
संजय श्रीवास्तव जी ने उम्दा सन्देश लगौ,के जिंदगी के दरवाजे पै मौत खड़ी है। और तुम्हे बाहर जाने की पड़ी है।
हवा खा पसीना पी आराम कर भूल जा डाल रोटी मुसीबत की घड़ी है। नौनी समसामयिक लगी।
वेरेन्द्र चंसौरिया जी नेअपने जीवन के अनुभवों को उकेरा है।
वह बहुत उम्दा चिंतक विचारक और शिक्षक है।
रामेश्वर राय परदेशी जी नेएक मुक्तक बहु बेटी पर लिखा सार्थक रहा।बेटी के बदले बहु बेटी हमारी।
अरविंद श्रीवास्तव जी ने गहरी संबेदना अबोध बनकर व्यक्त की और भय भी प्रकट किया।
डॉ देवदत्त जी द्विवेदी जी ने लोक तंत्र के मंदिर में राम के रूप में रावण की बात की राजनैतिक व्यंग लिखा।
प्रेम नारायण शर्मा जी ने बिनपानी नइयां जिंदगानी पर बहुत अच्छा संदेश दिया।
सियाराम जी ने गाय की दुर्दशा पर एक मुक्तक लिखा।
अभिनंदन गोयल जी ने लिखा,,है प्रभु जी तुम आओ प्रेम सुधा बरसाओ।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पियूष जीने बेटी पर बहुत सुंदर कविता लिखी। वहीं डॉ देवदत्त द्ववेदी जी ने पुनः लिखा हौसला चमके वो है आदमी।नेंक ना घबराए वो है आदमी।
कृति बेंन ने भोपाल सें लिखा कि कैसे में मनको समझाऊं पापा। पिता पर केंद्रित बहुत उम्दा रचना लिखी।
राजेन्द्र यादव जी ने बेटी बचाओ पर लिखा है लक्ष्मी अवतार मेरी बेटी का।
और अंत मे रामगोपाल जी रैकवार ने कृष्ण के कर्मयोग से लेकर सकल प्राणी जगत मुझमें है लिखा।
आप सभी जनों का ह्रदय से आभार इसी तरह आपसी सहयोग से आगे बढ़ते रहे मंगल कामनाएं के साथ।
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23-दिन- शुक्रवार* *दिनांक 17-7-2020*बिषय- *आम (बुंदेली में गद्य लेखन)*
आज पटल पै *आम* बिषय पै गद्य लेखन* हतो, सो आम पै लघुकथा,कहानी, व्यंग्य उर नोने-नोने आलेख बढकर भौत आनंद आया। गद्ध के सबइ रूप पढ़वे कों मिले। बुंदेली में गद्य लिखवौ भौत कठन है। आज जितेक आलेख लिखे गये है वे भौत नोने हते। सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *अनीता श्रीवास्तव जी* ने एक हास्य लघुकथा नेता पै लिखी।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने आम की बन्न-बन्न की किस्में बतायी आलेख बढ़िया लिखों है।
*श्री रामेश्वर राय परदेशी जू* ने एक मौडा की किसा लिखी कै वो अमिया उठा रव तो सो जीने ऊ पेड कौ ठेका लवतो ऊने उये डांट कै भगा दव तो। नोनो लिखों ।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू* ने आम के उपयोग बतात भय कइ कै आम तो फलन कौ महाराजा है।
*प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने लिखों कै आम के पत्ता तित त्योहार में पूजा में सजावे के काम आत है ऊ सें बंदरवार बनाय जात है नैनो आलेख लिखौ।
*श्री राजेन्द्र यादव जू* ने आम की गोई तक कौ महत्व बताओ कै गोइ ढोरन कौ भौत नोनी लगत।
श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने 'आम नइया आम' शोधपूर्ण आलेख में आम केक्षपर्यावाची शब्द उर आम में लगवे वारे कीट व रोगन की नोनी जानकारी दई।
डॉ देवदत्त द्विवेदी जू ने लिखों के आम कल्प वृक्ष है जीकी लकइया तक हवन में कामे आत है बढ़िया लिखो है।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने आम पै भौत नोनो व्यंग्य लिखो उर कइ कै आम आदमी कों हमेशा चूस कै मेंक दओ जाय है बढ़िया है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू* ने लिखो कै डरपक आम चोखवे को मजाइ कछू और है
श्री अभिनंदन गोइल जू"* ने आम कि प्रसिद्धि कों नोनो वर्णन करो है।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने आम को औषधीय लाभ बताय स्वास्थ वर्धक बताओ का का विटामिन मिलत है जानकारी दई नोनो आलेख लिखो है।
*सियाराम अहिरवार जू* ने "आम कौ अथानौ" नौनी कहानी रची है।
कीर्ति सिंह जी ने लिखा के आम कों पनो पिये से लू लपट नइ लगत है।
आज की हाजिरी में *डां मीनू पाण्डेय जी उर श्री लखन लाल सोनी जू * ने अपनी हाजिरी दइ है उर लिखवे वारन कौं हौसला बढ़ाओ,उनके लिखे कि समीक्षा करी।
आप सबइ ने भौतइ नोने आलेख पटल पै डारी हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)*
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24- श्री अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
समीक्षा-दिनांक-20 जुलाई 2020
बिषय-पंछी
*पंछी* विषय पै, हम सबन के आज के दोहा लेखन पै एक पाठक की हैंसियत सें मेरी प्रतिक्रिया, ई खौं *समीक्षा* भी कै सकत ।
हिन्दी साहित्य में *तुलसी* और *सूर* के बाद, बुन्देली के *केशव* कवि कौ नाव प्रसिद्ध है । ईसुरी और जगनिक के काव्य की लोकप्रियता तौ स्वयं-सिद्ध है । बुन्देली में अपार शास्त्रीय और लोक-काव्य रचो गव । हम सब बुन्देली की एई समृद्ध साहित्यिक बिरासत के बारिश आयँ ।
*कोरोना-आपदा* की दुखद परिस्थिति में जौ सुखद पक्ष उल्लेखनीय है कै ई कारन सें वाट्स एप पै *जय बुन्देली साहित्य समूह* की स्थापना भई । देखो जाय तौ, जौ एक ऑनलाइन पत्रिका के जैसौ है ।
समूह में लगातार बुन्देली लेखकन की संख्या बढ़त जा रई । आज भले हमें समूह कौ जौ काम विशेष न लगै, पै बाद में जौ भौत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुइये । समूह के दोई एडमिन, दूसरे शब्दन में कव जाय तौ संपादक, रामगोपाल जू और राना जू कौ जौ प्रयास भौत सराहनीय है । बुन्देली साहित्य कौ जौ सरोवर, सबके बूँद-बूँद योगदान सें भरत जा रव ।
आज *पंछी* विषय पै, बुन्देली दोहा लेखन की सबई प्रविष्टियाँ प्रशंसनीय हैं । सब दोहा भौत अच्छे बन परे । भाऊ जू और परदेशी जू के दोहन में बुन्देली कौ सबसें सहज रूप प्रगट भव । अपने नाव के अर्थ कौ उलटौ, नादान जू नें विद्वान की नाईं लिखो - "मन पंछी उड़ जायेगा, भज लो अपने राम ।" अभिनन्दन जू नें पंछी की उड़ान खौं मनुष्य के आत्मविश्वास कौ पर्याय बना दव । संजय भैया खौं तौ खुद पतौ न हुइये कै उनकौ जौ दोहा कितनौ उत्कृष्ठ बन गव - "पंछी के पर बेथा भर, पोर-पोर में पैर । मन के बल सें होत है, आसमान की सैर ।।" लखन जू नें पंछी कौ घरै लौटबौ निश्चित बताव । उर्मिल बैन नें पंछी और मन की समानता बताई । पीयूष भैया के तीनई दोहन में आध्यात्म और शास्त्रीयता कौ सुन्दर समन्वय है ।
रामगोपाल जू और राना जू कौ दायित्व तौ आदर्श-लेखन कौ हैई । जे दोई तौ तपस्या करई रय । इनकी रचनाएँ भी उत्तम हैं और जो सबकौ मार्गदर्शन कर रय, बौ भी प्रशंसनीय है ।
देवदत्त जू के संयोग श्रृंगार प्रधान उत्तम दोहा में *अलघौंच* कौ शब्दार्थ दव होतौ तौ और अच्छौ रतो । चंसौरिया जू और रघुवीर जू के दोहा बता रय कै घोर व्यस्तता में लिखे गय । सरस जू नें बहेलिया कौ जिक्र करो - "फँसिया बैठो फाँसबे, पेट भरन कौ मोह ।" रामकुमार जू नें पंछी की उड़ान की बाधाएँ लिखीं । सियाराम जू नें अनोखी बात बताई - "जब लौटत हैं नीड़ में, तबइ होत है रात ।" अनुपम जू गुना वारन नें पन्छियन की बोली के दोहा लिखे । कृति बैन ने अपने दोहा में महान बनबे कौ सूत्र बताव ।
सब विद्वान् बन्धुअन ने पूरे उत्साह सें सहभागिता करी । ई समूह के माध्यम सें हम-सब ऐसई अपनी मातृ-बोली की प्रतिष्ठा बड़ाउत रयँ, हमाई शुभकामनाएँ ।
अरविन्द श्रीवास्तव ,भोपाल
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25-रामगोपाल रैकवार,
दिनांक 21-7-2020 बिषय-किसान
सबई जनन खों राम राम । आज विषय ऐसौ हतो कै बुन्देली में नौने भाव और विचार आ सकत ते। सो ऐसौइ भऔ। सबसें पैलां राजेश्वर राय परदेशी ने जय जवान जय किसान के भाव सें भरे दोहा पटल पै रखे। फिर गोइल जू ने किसान की दसा पै रचे मार्मिक दोहा डारे। पटसारिया जू नै तौ किसान की दिनचर्या ऐसी डारी जैसे पक्के किसान होंय। संजय श्रीवास्तव ने विरोधाभास अलंकार कौ अच्छौ प्रयोग करो।प्रभुदयाल जी पीयूष नै किसान की मैनत पै नौने दोहा रचे। मातादीन जू नै सोउ अच्छौ प्रयास करो। संजय जू जैन नै अच्छी सुरुआत कर अन्नदाता किसान की व्यथा बखानी।
आज रघुवीर जू कौ पैलौ दोहा तौ कमाल कौ है। बैन बबीता चौबे ने पैले तौ साउन के गीत सुनाय फिर अच्छे दोहा डारे।गुलाब सिंह जू भाऊ तौ किसान कवि हैं सो उनके साँसे अनुभव उनके दोहन में झलक रय हैं ।
कल्याण दास जू साहू कौ भौत भौत स्वागत है अच्छे स्थापित कवि हैं किसान की जीवटता पै नौने भाव कौ दरसन उनके दोहा में है।डा.देवदत्त जू बुन्देली के सिद्धहस्त कवि हैं उनके दोहन में किसानन के हक की बात है ।
राना जू नै अपने एक दोहा में अनुप्रास अलंकार की छटा बगरा दई है करजा कर कारज करे! भौत नौनी पंक्ति ।
सियाराम जू नै आज सब सें पैलां दोहा डार दय ते पै उलात में कछु गलती रै गइ हुइयै सो उनै हटा कें बाद खेती और किसान की दसा पै नौने दोहा डारे। बिटिया जोरें हाँत मन छू जात। सीमा बैन नै किसान की तुलना भगवान सें कर किसान के प्रति आभार व्यक्त करो है । पी डी शुक्ला जू नै खूब हरिया भगाय ।इन्द्रजीत जू अखीरी में अलंकार युक्त अच्छे दोहा डारे। आज कछु जनै व्यस्तता के कारण पटल पै नईं आ पाय। मेहरा जू सबकौ उत्साह बढाऔ। अंत में मैंने सोऊ जैसे बने सो दोहा डार दय अपन सब नै उनै स्वीकार करो सो आभार । आज के सबई सहभागियन कौ भौत भौत धन्यवाद । कोऊ रै गऔ होय तौ छिमा चाउत । बता दई जाय।
रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़
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26- सियाराम अहिरवार
आज की समीक्षा 👀दिनांक 22-07-2020
बुन्देली में स्वतंत्र काव्य लेखन 🎈दिन -बुधवार
आज पटल पै बुन्देली में स्वतंत्र काव्य लेखन हतो ।सो सबई जनन नें भौतई नोंनी रचनाओं कौ सृजन करो ।जिनकी सबई नें भौत पिरशंसा करी ।मोय सोऊ सबई की की रचनाएं नोंनीं लगी ।
आज एक बात औ मोय देखवे खों मिली है कै जे पद्य रचनाएं कछुअन नें खड़ी भाषा में सोऊ लिख दई ।वे कऊँ बुन्देली में लिखते तौ औरई नोंनों लग तौ ,बैसें सबई भौत नोंनों लिख रये ।हमाए राजीव राना जी और आदरणीय रामगोपाल रैकवार जी कौ पिरयास सफल हो रऔ है कै भूले बिसरे कवि लेखकन कों उजागर कर ई संकट की घरी में एक मंच दऔ ।जो सराहनीय कदम है ।इस नेक काम की सबई
की ओर सें बधाई ।
बुन्देली भाषा में जो अपनापन , अनौखापन औ मीठापन है वौ कौनऊ भाषा में नइयां ।
आज सबसें पैला हमाए सबई के बीच के भौतई बढिया फनकार ,गज़लकार और एक सफल मंच संचालक श्री उमाशंकर मिश्र जी का ई पटल पै उदय भव ।उननें भौतई नोंनी गज़ल कुछ ई पिरकार सें लिखी कै -जो कन्ने होय करौ हमें का ।
भाड़ में जाओ मरौ हमें का ।
श्री कुँवर राजेंद्र यादव जू ने भौतई
नोंनी कुण्डलिया लिखी वे बधाई
के पात्र हैं ।
श्री रामेश्वर राय जी ,जो आज भी बुन्देली के परिवेश में रै रये ।ई सें उनकी रचनाओं में बुन्देली मिठास की झलक पढवे खां मिलत ।काय समय सें कै वे भोगौ भव यथार्थ लिखत ।आज उननें ऐसई एक कुण्डलिया लिखी ।
श्री रघुवीर जी आनन्द नें सोऊ एक रचना भेजी पर ऊ रचना की विधा समझ में नई आई ।वैसे उनके भाव अच्छे हैं ।
श्री सियाराम अहिरवार ने भी बुन्देली गज़ल ई तरा सें लिखी कै -तुर्रा तानें फिर रव दद्दा ।
भोर होत सें पी लव अद्दा ।
श्री अशोक पटसारिया जी नादान नें भी अपना व्यस्तम समय निकार कें भौत ही नोंनी रचना लिखी कै - मेरी पेशानी में कुछ लिक्खा नहीं ।
वक्त का पहिया कभी रुकता नहीं ।डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ,जो कि बुन्देली गज़ल के सशक्त हस्ताक्षर हैं ।जिनके कई गज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके है ।
आपनें गज़ल में लिखा कै-मन की गांठें छोरौ भैया ।
जीवन में रस घोरौ भैया ।
श्री अभिनन्दन गोइल जू नें तौ दादरौ लिख कें कमाल कर दव ।काय सें कै ई विधा पै आजकल कम लिखो जा रव ।ई विधा खों गोइल जू ने जीवंत करत भये लिखो कै -कैसें मैं जाऊँ राजा हारै ,।
श्री डी,पी, शुक्ला जी नें सोऊ एक नोंनों छंद लिखो ।
श्रेष्ठ कहानीकार, मजी हुई शैली की धनी श्रीमती अनीता जी ने भी एक जुगाड़ रचना लिखी पर ऊ में भी रोचकता ला दई।
रंगमंच के जाने माने कलाकार श्री संजय श्रीवास्तव जी ने भी कोरोना पै भौतेई नोंनी समसामयिक गारी लिखी -
ई कोरोना नें कैसी जा आफत मचाई ,बडी़ बिपदा है आई -२
श्री इन्द्र जीत विरल खजुराहो सें लिख रये है कै-कै रये कोरोना भग जै है ,लूगर सौ लग जै है ।
श्री संजय जैन ने भी अपनी रचना भेजी पर रचना में रोचकता नहीं थी ।रचना का स्तर भी साहित्य के हिसाब से ठीक नई हतो ।
श्री कल्याण दास पोषक जी जो कि बुन्देली के अच्छे साहित्यकार हैं औ रोजऊँफेशबुक पै छाये रत ।वो लिख रये कै -मों -में गुटका दावें भैया ।
कैसें मास्क लगावें भैया ।
श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी ,जो कि भौतई नोंनी मिठास भरी बुन्देली लिखवे में सिध्दहस्त है ।आज उननें राष्टीय सैरौ कुछ ई तरा लिखो कै -सब देशन सें रे ,सब देशन सें ,अरे न्यारौ लगै हो ।सुश्री सीमा श्रीवास्तव जो कि एक अच्छी रचनाकार हैं, पर अति उत्साह की बजै सें जे रोजऊ कछु न कछु गलती कर देती ।वैसे इनकी रचनाओं का भाव औ शब्द संयोजन भौतई नोंनों है ।इननें आज लिखो कै -हमसें कै रय ,तुमसें कै रय ।
पुरा भरे में सबसें कै रय ।
श्री गुलाब सिंह भाऊ ने भी नोंनी गज़ल लिखी ।
श्री राजीव नामदेव राना जी ,जो कि विलक्षण प्रतिभा के धनी है और हमाय ई पटल के संयोजक भी हैं ,इनकी एक खाशियत है कै जे छोटे -बडे़ सबई स्तर के साहित्यकारों खों लै कैं चलत
आज इननें अपनी छोटी बहर की गज़ल में लिखो कै -हम बुन कछु रय ,तुम गुन कछु रय ।
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी नें बिटिया खों घर की शान बताउत भय लिखो कै-सुन लइयौ भइया सुन लइयौ ।बिटिया घर की शान ।
डाक्टर राजगोस्वामी जी दतिया ने लिखो कै-उनकें होत परसबौ ऐसें ,रोटी खाऐ कैसें ।
श्री रामगोपाल जी रैकवार ,जो कि ई पटल के मार्गदर्शक भी हैं औ इनें व्याकरण कौ अच्छौ ग्यान भी है ।इननें अपनी गज़ल में लिखो कै -छोटी बातें बडी़ बता रय।
अपनी अपनी अडी़ बता रय ।
ई पिरकार सें आज सबई जनन नें भौतई नोंनी-नोंनी रचनाएं पटल पै डारी जिनें पढकें बडौ़ मजा आओ पर कछु वरिष्ठ जनन नें ई मजा खों किरकिरौ करवे में सोऊ कसर नई छोडी़ पटल के सारे नियम जानत भय भी उननें दो-दो वार रचनाएं डाल दई ,जो ऐसा करना गलत है ।
आज सबई साहित्यकारन की रचना पढवे औ उनकौ उत्साहवर्धन करने के लिए श्री मेहरा जी ,श्री मती कृतिसिंह जी ,भोपाल ,श्री अरविन्द श्रीवास्तव , श्री अनवर खान
पटल पर उपस्थित रय ।
बुन्देली कौ एसई भण्डार भरत
रय हम सबई सें ऐसी आशा करत ।धन्यवाद।
समीक्षक ।
सियाराम अहिरवार ।
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27-उमा शंकर मिश्र 23-7-2020
आज के पटल पै कुल 22 जनन ने अपनी एक सें बड़ कें एक रचनाएं डारीं । आज आज़ाद जयंती पै इंद्रजीत विरल और बबिता चौबे जी ने अपनी भावपूर्ण रचनन के माध्यम सें चन्द्रशेखर आज़ाद जु खों ई पटल की तरफ सें अपने भौतउ नौनें श्रद्धा सुमन अर्पित करे । आज की उम्दा शुरुआत करी अच्छे विचारक अभिनन्दन गोइल जू ने अपनी सुंदर शब्द रचना और भाषा शिल्प सें.. विश्व शांति का गूंजे नारा ..भौत बढ़िया, फिर वीरेंद्र चंसौरिया जू आये अपनों जानौ पैचानौ प्रेरणा गीत लै कें... आदमी हैं आदमी से काम करें हम,...वाह ।
बुंदेली के दो जानें मानें हस्ताक्षर देवदत्त द्विवेदी जू और कल्याणदास साहू पोषक जू ने अपनी अपनी काबिले तारीफ़ गजलन सें मेंफिल में समाँ बांद दव.. आप औरन की का कबें.. भौत खूब ।
और अशोक पटसरिया जू ने तौ अपराधी कौ जैसौ सजीव चरित्र चित्रण करो ऊसें ऐसौ लग रव के रामधइ उनने आपबीती लिख दई होय ...गजब ।
अनिता श्रीवास्तव जी ने अपनी रचना पुराना एहसास के माध्यम से बीते दिनन को दृश्य आँखन के साँमूं ल्या दव ,
राजीव नामदेव जू तौ नय नय प्रयोग करबे के लानें जाने जात, आज की रचना में भी उनने गैर मुरद्दफ़ गजल में क़ाफ़िया में एक शब्द को डबल प्रयोग करकें मज़ा ल्या दव.. वाह भाई,
राज गोस्वामी जैसे बड़े साहित्यकार ने मात्र 17 अक्षरन के एक हाइकु सें अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दई,
संजय जैन जी की जीवन की कविता भौत उम्दा लगी,
प्रभु दयाल श्रीवास्तव जू तौ ई असपेर के बुंदेली के सूरज हैं , आज उनने झूला झूलत राधारानी कौ जो मनमोहक अद्भुत चित्र खेचौ ऊ कौ कौनउ जवाब नइयां, धन्य हौ,
एसई अरविंद श्रीवास्तव जू नें भोर कौ सुंदर चित्रण कर जयशंकर प्रसाद की कामायनी की याद करा दई, बैसई भाषा बैसई शैली ..वाह भई वाह ।
उत्तम शब्दन की माला में पिरो रामगोपाल रैकवार जू कौ शानदार गीत तौ कोनऊ समीक्षा कौनउ तारीफ कौ मोहताज़ है अई नईयां, बे तौ हम सबके अगुआ हैं ।
सियाराम जू की एक अपनी शैली है, आज की रचना में भी ओइ शैली में उनने बिल्कुल साधारण शब्दन में अपनी शुरुआत करी..फिर हैंडपम्प बारी लेन नें अखीर में ऐसी छलांग मारी कै रचना अभिव्यक्ति की बुलंदियन पै जा पौंची,
एक कलाकार जो करत बौ ऊ में पूरी तरां सें डूब कें मन सें करत..ऐसेइ रंगमंचीय कलाकार और अभिनेता भईया संजय श्रीवास्तव जू अपनी कविता में कर रय, उनकी आज की रचना कल की बेहतरी की खातिर...उनके अंदर छुपे एक कुशल कवि खों उजागर कर रई... हमें खुशी है कै संजय जी अब हमाई बिरादरी में आ गए ।
आज के अन्य कवियन में रामेश्वर राय, राजेन्द्र यादव कुँवर, रघुवीर आनंद, डी पी शुक्ला, संजय तिवारी, और सीमा श्रीवास्तव ने भी भौत उम्दा भौतउ सराहनीय रचनन सें पटल खों सजाओ । जे सब भी बधाई के पात्र हैं ।
जैसी समीक्षा समझ में आई सो लिख दइ, अब आप औरें जानों, शुभरात्रि ।- उमाशंकर मिश्र
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28- सियाराम अहिरवार टीकमगढ-
दिन-शुक्रवार विषय-बुन्दलखणड और डाँग ।
दिनांक -२४-०७-२०२०
🌷🌷समीक्षा ।।🌷🌷
आज बुन्देलखण्ड की विरासत डांग(वन सम्पदा) पै लेख लिखवे दऔ गऔ तौ पर संख्या के हिसाब सें भौतई कम जनन नें लेख लिखे ।खैर जित्तन नें लिखे वे सबई प्रसंशा के पात्र हैं ।
सबई जनन नें नोंनों लिखो ।
हमाय ख्याल सें पद्य लेखन की तुलना में गद्य लेखन कऊँ ज्यादा कठन है ।पर ऐसो नई हम सबन खों गद्य में भी लिखो चइए । जीसें हमाई भाषा समृध्द हो सकै ।
आज सबसें पैला पटल पै लेख आवे की शुरूआत श्री रामेश्वर राय परदेशी के लेख सें भई ।जिननें बुन्देलखण्ड और डांग शीर्षक से भौतई नोंनों लेख लिखो
पढकें मन खुश हो गऔ ।इनई के
देखां देखू फिर मैनें सोऊ रमन्ना की डांग पै लिख डारो।जीमें कछु खास बातें बाद में श्री अभिनन्दन गोइल जू नें सोऊ जोर दई।
श्री कल्याण दास पोषक जू की का कांनें वे तौ पृथीपुर से चले औ औड़छे तक की डांग कौ पूरौ हवालौ अपनें लेख में दै दऔ
काये सें कै पैदल चलकें वे सबई
कछु देखत गये ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी नें अपने आलेख में बुन्देलखण्ड के बारे में, औ इतै की डांग की स्थिति के बारे में भौतई नोंनी ऐतिहासिक जानकारी दई ।
श्री डी पी शुक्ला जी नें कुण्डेश्वर
क्षेत्र में फैली खैराई की डांग कौ भौतई नोंनों वरनन करो ।
श्री देवदत्त द्विवेदी जी बडा़ मलहरा ने बुन्देल खण्ड की डांग न के बीच बनें धार्मिक अस्थानन औ उतै के हल्के बडे़ तीरथन की महत्ता खों दरशाउत भव भौतई
नोंनों लेख लिखो ।
श्री रघुवीर आनन्द जू नें बाजना भीम कुण्ड की डांग की बडी़ रोचक जानकारी दई ।
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने बुजर्गन सें डांग के वारे में सुनी दास्तान अपने लेख में बयां
करी ।
सु श्री सीमा जी, खों सबसे पैला तौ बधाई ।जो उननै भौतई
नोंनें गद्य लिखा ।अपने लेख में उननें ज अक्षर से शुरू शब्द जर, जमीन ,जंगल ,जनावर, औ जन के महात्म्य को भौतई नोंनी तरा सें बताऔ ।औ सुआरत ,मोह ,लोभ, क्रोध, अहंकार रूपी डांग से होनें वारे
नुकशान के वारे सें सचेत करो ।
श्री अशोक कुमार पटसारिया जी , नेऔड़छे की डांग कौ वरनन करत भय लिखो कै ,ई डांग में भाई सगौना के बिरछा ठाडे़ औ इतै कारे और लाल मों के बंदरा हैं । जो रोड के करकैं बैठे रत । वहाँ की पवित्र नदी वेतवा कौ सोऊ लेख में वरणन करो ।
श्री रामगोपाल रैकवार जी ,कौ लेख भौतई नोंनों और सारगर्भित है।इनने बताऔ कै डांग खों संस्कृत में अरण्य कत ।जीकौ महाभारत के वन पर्व में नाव आव । भौतई नोंनी जानकारी अपनें लेख के माध्यम सें दई ।
श्री कृति सिंह जी का लेख भी भौतई नोंनों और शोधपरक लगो ।उनने अपनें लेख में मध्य प्रदेश के राज्य पक्षी कौ उल्लेख करो।
ई तरां सें सबई नै भौतई नोंने लेख
लिखे और पटल पै डारे ,सबई को भौत-भौत बधाई ।एसई हमेशा रलिखत रयें जीसें बुन्देली कौ भण्डार भरत रय।
श्री अरविंद जी ने , श्री अभिनन्दन गोइल जी ने ,राज गोस्वामी जी नें पटल के सबई लेखकन की प्रसंशा करी और बधाई दई ।
समीक्षक
सियाराम अहिरवार
टीकमगढ़।🙏🙏
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29- अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
*सुम्मुवारी समीक्षा* दिनांक-27-7-2020
लिखी समीक्षा आज की, सुमर कुँडेसुर धाम,
भैया-बैनन खौं सबै, पौंचै रामइ-राम ।
निखर उठी है लेखनी, चमक उठी तहरीर,
कवितन सें दिल जीतबे, चले बुँदेली वीर ।
जय बुन्देली नाव सें, बना साहित्य समूह,
सब कवियन खौं घेरबे, रचो अभेदी व्यूह ।
*राना जू* मुखिया बने, कुनबा करो निहाल,
लिखबे की सइ प्रेरना, देबैं *रामगुपाल* ।
कलम के उतने ही धनी, अभिनेता कलाकार,
*संजय भैया* नें लिखो, मोर-कृष्ण कौ प्यार ।
वाहन कार्तिकेय कौ, नाचै भर अनुराग,
*अभिनन्दन जू* नें लिखे, मोरपंख के भाग ।
पक्षी राष्ट्र-प्रतीक है, करनै है सम्मान,
*राना जू* के लेख में, मिलो मोर खौं मान ।
स्वागत करें समूह में, लग रव आजइ आय,
*सीताराम* जू के सबै, दोहा खूब सुहाय ।
अति-उत्तम दोहा रचे, *इन्द्रजीत* खजुराह,
लिडोर शब्द के मायने, मोय समझ ना आय ।
जगत-मोह में जो फँसै, दूर श्याम सें होय,
देबैं सीख *गुलाब जू* मान लेव सब कोय ।
*आखिर जू* के लेखमें, उनके मन के भाव,
युगल-मोर जैसें मिलै, उनखौं ऐसइ चाव ।
*प्रभु-दादा* सी लेखनी, मिलबौ नइँ आसान,
बिन बरसा कुमला गये, धरती मोर किसान ।
*देवदत्त जू* नें लिखे, बदरा मिंदरा मोर,
उनके दोहन में मिले, खेलत नन्द-किशोर ।
मैं-मोरौ मन में बसो, दिखबै कैसें मोर,
जागे *रामगुपाल जू*, नाचे मन में मोर ।
*पोषक* की चिन्ता सही, बरसी नइयाँ बूँद,
का किसान करजा चुकै, कैसें उतरै सूद ।
राधा जू की याद में, माधव जू की पीर,
नचत मोर दोहा लिखे, भाई जू *रघुवीर* ।
मोर-कृश्न के रूप कौ, करो मनोहर गान,
मोर-पंख घर में रखौ, कै रय कवि *नादान* ।
पाँव मोर के छोड़ कैं, पूरौ सुन्दर ऐन,
मनमोहक ऊखौं कहें, *चनसौरी वीरैन* ।
अति नौने हैं दोहरे, लिखतीं *सीमा बैन*
मोरपंख करतार की, कितनी सुन्दर दैन ।
*सियाराम ने* आज तौ, लिख दी चोखी बात,
बे बदरा काँ जा उड़े, जो करते बरसात ।
*राज गुसाईं* नें लिखो, केबल दोहा एक,
वर्षा बिन का हाल है, लिखे *सरस जू* नेक ।
पूर्ण समीक्षा हो गई, सबकौ है आभार;
सबके दोहा नेक हैं, सबके उच्च विचार ।
है अतीव शुभकामना, निखरें सबके लेख,
सबखौं मिलै सराहना, सुन्दर हौं आलेख ।
-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
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30-रामगोपाल रैकवार 20-7-2020
31- अशोक पटसारिया,दिनांक 29-7-2020
समीक्षा :बुधवार
बुंदेली में स्वतंत्र काव्य लेखन
जय बुंदेली साहित्य समूह:टीकमगढ़
समीक्षक:अशोक पटसारिया नादान लिधौरा
मोबाइल 9977828410
पिथम शारदा माइ खों, हाथ जोर परनाम।
मोदक पिय गणनाथ जू,करियो पूरन काम।।
पूज्य गुरुवर आप भी,करियो सदा सहाय।
कृपा करो रघुवंश मणि, कुंडेश्वर में आय।।
अभिनंदन श्रीवास्तव, ने कर दइ शुरुआत।
बिना काव्य के समीक्षा,अब नइ मानी जात।।
चार चांद लग गय जबइ,आला सें सुरुआत।
रैकवार जू ने करी, सबके मन की बात।।
सब बुंदेली कवि ह्र्दय,बैनें गुन की खान।
मिलजुर कें हम लिख रहे,छिमा चात श्रीमान।।
जा गुलाब सिंह ने लिखी,चौकड़िया अनमोल।
पीरा लिखी किसान की,डारे नोनें बोल।।
गोयल जू ने हाइकू,लिख मारे हैं आज।
मूड उघारे घूमती,नई आऊत है लाज।।
अरविंद जू ने व्यंग में,कवियन दव उपदेश।
इतै सीखवे आय हम,नहीं काऊ सें द्वेष।।
फिर रामेश्वर राय ने,राखी कौ तेहार।
ईद मुबारक कै दई,और बुलाओ लार।।
दुबे सरस् जू ने लिखी,महिमा अपरंपार।
बुंदेली धरती चुनी,राम यहां सरकार।।
कृति बहिन भोपाल ने,मौडन खों दव खोर।
कलजुग में एसो मचौ,हो गव लरका ढोर।।
राज गुसाईं ने लिखी, चौकड़िया दमदार।
घर घर में ऐसीं कथा, हो रइ दो की चार।।
पोषक जू उम्दा लिखत,सबके खासमखास। वो
कविताई में अनुभवी, पृथ्वीपुर में रास।।
बुंदेली में ग़ज़ल लिख,कहलाते नादान।
मनमौजी है लेखनी,जा इनकी पैचान।।
कविवर सीताराम ने,लिक्खो मिलन बिछोह।
वे भैया जू अनुभवि,हम का लेवें टोह।।
खा पी के हम सो गए,रोजउ कौ रुजगार।
जौनों देखी पटल पै, शब्दन की बौछार।।
रावत जू जेठे बड़े,उनने लिखो सुतर्क।
जौनों भैया राय ने,कर दव अर्थ अनर्थ।।
बैंन अनीता ने लिखो,भाड़े बासन मांज।
उन्ना कपड़ा फीच कें, फिर का करने आज।।
बुंदेली में लिख दई, भृष्टाचारी छाइ।
सांची सांची कै दई ,बढ़िया यादव भाइ।।
लखन लाल सोनी लिखौ,बेमतलब ना बोल।
ना उरजौ तुम काउ सें, पत्नी तौ अनमोल।।
सियाराम जू ने लिखी ,बौनी की शरुआत।
रुक रुक कें जल बरस रव,एसइ है बरसात।।
सीमा बेंन ग़ज़ल लिखी,लिखो छाँयरौ घाम।
शब्द नबेर नबेर कें,मड़वाइ और खांम।।
रधु जू ने गारी लिखी,नंद बाई के नाम।
साउन की राखी हुये, होजें घर के काम।।
जे कुटुंब के बड़ेदा, है कां कां पहचान।
पीड़ा लिखी किसान की,ऊखों दव सम्मान।।
संजय जू खों आ गई,कोरौना की याद।
सूदी सादी गांव की,महिला की फरियाद।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव,बुंदेली की शान।
झूला झूलत नार कौ,नौनों करौ बखान।।
रैकवार जू ने कही,नौनी नौनी बात।
इतै सीखवे सिखावे,की हो रइ बरसात।।
संजय भैया ने लिखी,मात पिता की सेव।
नौनी है चेतावनी,एसई करियो देव।।
वीरेंद्र जू ने देर सें, मैडन दौर लगाइ।
छुक छुक गाड़ी बैठकें,शीटी खूब बजाइ।।
अनुपम जू ने भी लिखो,कोरौना खों आज।
दो ग़ज़ की दूरी लिखी,कैसी नौनी बात।।
मिश्रा जू और वेदिका,व्यस्त रहत दिनरात।
कभउ कभउ दें हाजरी,कभउ कभउ मौखात।।
आज सबइ जन ने लिखी,उमदा उमदा बात।
राम राम सबखों करत,में नादान उलात।।
छूट जाए जो कौउ जू,उये मानियो भूल।
सबई लिखइयन न्योतौ, ऊमें सबकी चूल।।
व्याकरन की पारखी,नज़र न मोरे पास। सो सब बुध जन खों नमन, गुरु चरनन कौ दास।।
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32- समीक्षा**दिन-गुरुवार* *दिनांक 30-7-2020*
समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
बिषय- *हिंदी में स्वतंत्र काव्य लेखन*
आज पटल पर *हिन्दी में स्वतंत्र काव्य लेखन* था। आज की समीक्षा वैसे तो श्री उमाशंकर मिश्र जी को लिखनी थी लेकिन उनका आठ बजे मोबाइल आया कि वे अभी निबाडी में है आने में विलंब हो जायेगा। अतः कम समय में जल्दी में मैंने यह समीक्षा लिखी है।
आज रोज की अपेक्षा अधिक संख्या में 23 रचनाएं लिखी गयी, बहुत अच्छा लगा, मन खुश हो गया जिन-जिन नें लिखौ उन्हें हम बधाई देते हैं।
आज सबसे पहले डॉ. राज गोस्वामी जी ने लिखा - सज कें आ गइ मोरे करकें, हात कमर में धर कें.बहुत बढ़िया लिखा है।
*अभिनंदन गोइल जी* ने सावन पर ग़ज़ल लिखी- सावन के बादल सुहाने लगे। अच्छी रचना है।
*श्री अशोक पटसारिया जी* ने अपनी शादी की 38वीं सालगिरह पर प्रेम मनुहार इस प्रकार से की- मेरी सतत प्रेरणा हो तुम, जीवन का आधार तुम्हीं हो...बहुत सुंदर लिखा गया है।
*श्री कल्याण दास साहू पोषक जी* लिख रहे है- बातों के बतासा ये कैसा दस्तूर है।
*श्री मातादीन यादव जी* ने लिखा- गीतों का सार सार सार सा सुहात है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने बेटी पर केंद्रित हाइकु लिखे-रोका जाता है मुझे और आज की बेटी।
*श्री सीताराम राय* ने लिखा- सपना सच होने वाला है, भूमि पूजन मंदिर का पांच को होने वाला है।
श्री रामेश्वर राय परदेशी जी* ने मुक्तक लिखा- मुझको तो विश्वास नहीं कि कोई त्यौहार है।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जी* ने विरह गीत लिखा- सावन कौ माह मन में जो आह।
*डॉ देवदत्त द्विवेदी जी* ने लिखा- विधि का विधान होता है,कर्म जिसमें महान होता है।
*हाजी ज़फ़र साहब* ने ग़ज़ल लिखी- कोरोना तो व्यापार हो गया, इंसा तो लाचार हो गया।
*श्री रघुवीर आनंद जी* ने लिखा-साथ रहो तुम जीना हम सिखाएंगे।
*अनीता श्रीवास्तव जी* ने लिखा- सब खाली जैसे महफ़िल के बाद चाय के कप।
*श्री संजय श्रीवास्तव जी* ने लिखा- संबंध कभी अपनी मौत नहीं मरते। बहुत बढ़िया कविता है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी* ने गीत अच्छा जिन्दगी पर गीत लिखा- यह जिंदगी है अपनी,सुनो दो दिन की कहानी।
*डॉ रूखसाना सिद्दीकी जी* ने ग़ज़ल लिखी- शिकवा कभी जुबान पे लाया नहीं करते।
हम जख्म अपना दिखाया नहीं करते बढ़िया शेर कहे है।
*श्री रामगोपाल रैकवार जी* ने ग़ज़ल लिखी-टीस देते है बहुत ही फोड़े जो रिसते नहीं है। बढ़िया ग़ज़ल लिखी है।
*श्री राजीव रावत जी जैरोन* ने लिखा-ये खेल जिंदगी का, हम सबने खेला है। बहुत सुंदर है।
*सीमा श्रीवास्तव जी* ने मुक्त छंद में लिखा- नेह के बंध, प्रीत के छंद मिल गये है मुझे खुशी बहुत है।
*श्री इंद्रजीत दीक्षित जी*खजुराहो से एक बेटी का दर्द लिखते है- सिकवा किया मैने, न ही गिला किया।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी* ने दोहरे लिखे- नैन नवल जल जात से, देखे आज लजात।
*श्री संजय जैन साहब* ने राफेल के स्वागत में लिखा- हे परमाणु बम तुम्हें नमस्कार।
*सियाराम अहिरवार जी* ने लिखा -हम आजाद है आजाद है आजाद है।
आप सभी ने बहुत बढ़िया रचनाएं आज पोस्ट की है । सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार।
### समीक्षक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
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33-सियाराम अहिरवार 31-7-2020
🙏समीक्षा🙏
जय बुन्देली साहित्य समूह ।
विधा - बुन्देली गद्य लेखन ।
विषय-बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल ।
दिनांक 31 /07 /2020
बुन्देलखण्ड की अलग ही अपनी संस्कृति,भाषा ,बोली ,साहित्य ,परंम्परा ,और इतिहास रहा है ।ई कौ मूल कारन है इतै की कुदरती बनावट इतै के दर्शनीय स्थान ।इनई सब बातन खों उजागर करवे पटल के सबई लेखकन खों बुन्देल खण्ड के दर्शनीय स्थानन पै लेख लिखवे के लानें दव गऔ तौ ।जीपै भौतई कम जनन नें अपनी कलम चलाई ।सबसें पैलां मैईं ने ई विषय पै लिख डारो ।फिर आये हमाए पटल के संचालक श्री राजीव नामदेवजी राना जिननें बुन्देलखण्ड कौ पावन प्राकृतिक तीर्थ अछरूमाता ।पर भौतई नोंनों और सारगर्भित लेख लिखो ।बाट हेरत -हेरत श्री कल्यान दास पोषक जू नें अपनों लेख भेजो ।जीमें बुन्देलखण्ड के प्राकृतिक सोंदर्य के संगै-संगै उतै के तीरथन उर दर्शनीय इस्थान कौ भौतई नोंनों वरनन करो ।
श्री रामेश्वर राय परदेशी जू नें भी अपनों रोचक उर सारगर्भित लेख लिखो ।जीमें चित्रकूटधाम के अनुसुइया आश्रम का इतिहास परक वरनन करो ।
श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी नें लिखो कै इतै के सबई तीरथन पै मेला लगत जितै भाई भीड़ परत ।
बगाजमाता मंदिर कौ वरनन करत भये श्री सीताराम राय नें अपनें लेख में लिखो कै जियै कुत्ता ,साँप ,बिच्छू काट खाय वौ बगाजमाता माता पौच तनईं ठीक हो जात ।ऐसी माता की किरपा है।
श्री रघुवीर जी आनन्द ने महाभारत के सन्दर्भ खों लैकै भीमकुण्ड बाजना की भौतई नोंनी जानकारी दई ।
सुश्री सीमा श्रीवास्तव जी नें अपने लेख में कालिंजर दुर्ग के ऐतिहासिक महत्व खों बताउत भये ,खास बात बताई कै ई किले खों कोऊ पराजित नई कर पाओ ।श्री गुलाब सिंह जू भाऊ नें बुन्देलखण्ड में कौन तीरथ स्थान कितै है ,ईकी भौतई नोंनी जानकारी दई ।
ई तरां सें आज पटल पै भौतई कम जनन नें अपनें लेख भेजे ।जितने भी आलेख आये वे भौतई नोंनें,ऐतिहासिक, और शोधपरक हैं ।सबई ने बढिया लिखो ।
आज पटल पर श्री रामगोपाल रैकवार जी ,श्री अभिनन्दन जी गोइल ,श्रीराज गोस्वामी जी उपस्थित रये ।जिनने सबई जनन के लेख पढे औ उनकौ उत्साहवर्धन करो ।
समीक्षक ।
सियाराम अहिरवार ।
टीकमगढ ।🙏🙏🙏
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34-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
सुम्मुवारी समीक्षा* ३/८/२०२०
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःख-भाग भवेत्।"
जौ तौ सबई जानत कै अनुभूति के बिना अभिव्यक्ति नइँ हो पाउत । जौन वैदिक ऋषि नें जा ऋचा रची हुइये और भगवान सें प्रार्थना करी हुइये, उनके मन के भाव कितने पवित्र और ऊँचे रय हुइयें । तबै न तौ प्रिंटिंग प्रेस होत ते, न प्रकाशक और न कॉपी राइट एक्ट, पै वे रचनायें अपने मूल रूप में आज भी जीवित हैं । जौन रचना जगत-कल्याण के जितने ऊँचे भाव सें भर खैं लिखी जात, ऊ की उमर उतेकई लम्बी होत ।
कविता, वास्तव में अभिव्यक्ति कौ एक माध्यम है । खुद खौं व्यक्त करबे कौ एक साधन मात्र है, न कै साध्य । केबल लिखबे के लानैं कविता लिखबौ या कवि बनबे की महत्वाकाँक्षा में कविता लिखबे कौ उतनौ महत्व नइँ होत । जो रचना कौनउँ सार्थक उद्देश्य सें न लिखी गई होय, ऊकौ लिखो जाबौ, न लिखे जाबे के जैसौ है ।
आज कौ विषय *राखी* और आज राखी कौ पर्व, भौत सुखद संजोग रव । राना जू नें भौत सोच-समज कैं विषय चुनो । 'राखी' शब्द मेंई इतनौ सौन्दर्य और गरिमा है, कै जितनौ लिखो जाय उतनौ कम है ।
आज, रामेश्वर राय परदेशी, कल्याण दास साहू पोषक, राज गोस्वामी, राजेन्द्र यादव कुँवर, राजीव नामदेव राना, रामगोपाल रैकवार, अशोक पटसारिया नादान, संजय जैन, सीताराम राय, आर एस सरल, लखन सोनी, डी पी शुक्ल सरस, अभिनन्दन गोइल, के के पाठक, संजय श्रीवास्तव, शोभाराम दाँगी, रघुवीर अहिरवार, रुखसाना सिद्दीकी, वीरेन्द्र चंसौरिया, सीमा श्रीवास्तव, सियाराम अहिरवार और मैं स्वयं, कुल बाइस कवियन के स्वरचित दोहा पटल पै उभरे । भैया-बैन के प्यार कौ अहसास तौ सबकौ एकई सौ होत, सो जाहिर है कै सबनें अलग-अलग शब्दन में एक जैसौ भाव व्यक्त करो । आज उतनी विविधता नइँ रइ ।
आज के दोहन में राखी कौ महत्त्व बतावे के लानै कृष्ण और द्रोपदी कौ पौराणिक प्रसंग, कर्मवती और ह्मायूँ कौ ऐतिहासिक प्रसंग और बुन्देलखण्ड के लोकदेवता बन चुके हरदौल और कुंजावती कौ प्रसंग कैउ कवियन नें प्रस्तुत करो । 'राखी की राखी' और 'राखी नें राखी', उक्ति की पुनरावृत्ति भइ । कोरोना और लॉकडाउन कौ भी जिकर भव।
समूह के वरिष्ठ कविगन तौ पैलेई सें काव्य-कला में दक्ष हते, हम कछु कवि हर सुम्मुवार-मंगल खौं दोहा लिखत-लिखत कुशल होत जा रय । एक-दो जनन में कछु कसर रै गइ सो कछु दिनन में पूरी हो जै ।
राखी-बंधन की सब भैया-बैनन खौं बधाई और शुभकामनायें ।
-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
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35-श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़-4-8-2020
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36-अशोक पटसारिया नादान दिनांक 5-8-2020
समीक्षा :स्वतंत्र बुंदेली काव्य सृजनसमीक्षक: अशोक
आज बधाई सबई खों,सबके ह्रदय हुलास।
राम विराजें निज भवन,तैयारी है खास।।
तैयारी है खास ,भागवत योगी मोदी।
संत नृत्यगोपाल,राम मंदिर के शोधी।।
कह नादान कविराय,सद्गुरु शब्द जहाज।
राम नाम ह्रदय धरौ,जो सुख चाहौ आज।।
बहिन अनीता ने लिखो,जिनको पावन नाम।
अवधपुरी के राम खों,बारम्बार प्रणाम।।
कवि अशोक नादान ने,घी के दिया जलाय।
संतन खों आनंद भव,खुद आनंद मनाय।।
राना जू राजीव ने,दोहा लिए समेट।
राम लला की जीवनी,सबसे सुंदर भेंट।।
परदेशी ने गजल में ,देशी तड़का डार।
मूड घुमा दव सबइ कौ,कोरौना की मार।।
जय जय कार गुंजा दई,यादव जू ने आज।
वे राजेन्द्र कुंवर लिखत,जै होवै माराज।।
सोनी जू ने ऑडियो,गा कें दई बधाइ।
पांच दिया घी के धरौ,जा भी कै दइ भाइ।
सीताराम सरल कबें, बज रई खूब बधाइ।
आज भूम पूजन भवो,जो सबखों सुखदाइ।।
पाठक जू ने बाप खों,रो रय चचा सुनाइ।
खा खा कें जो बढ़ गईं,बा भी तोंद बताइ।।
चेहरे पै मुस्कान लँय,पोषक जी कवियार।
पुनः विराजित होंयगे,राम लला सरकार।।
नाम रखो रघुबीर ने,खुद आनंद हुलास।
हतौ आज दिन खुशी कौ,कविता लिखी उदास।।
आदरणीय पियूष जी,प्रभु जी सदा दयाल।
गात अवध में बधाई,कविता लिखी कमाल।।
मोबाइल कम्बख्त के,दुष्प्रभाव बतलांय।
संजय जू है जागरूक,सांची सांची कांय।।
शुक्ला जू कौ राम पर, है अटूट विश्वास।
सरस् सरल प्रभु राम हैं,जे है उनके खास।।
यादव भाऊ गुलाब ने,लिख बसन्त कौ हाल।
कन्त ना आये विरहनी, ऊके ह्रदय मलाल।।
सीमा उर्मिल बेंन ने,सुंदर लिखी बधाइ।
मंगल कनक दिया धरे,आज शुभ घड़ी आइ।।
दांगी शोभाराम ने,बेजां खुशी दिखाइ।
खूब सजा दई अजुदया,चरनन में शरणाइ।।
लिख डारौ राजीव ने,मन्दिर पावन धाम।
नई विधा है हाइकू,दूरई सें परनाम।।
सियाराम जू ने लिखौ,चौकड़िया मैं सार।
कारीगर मोदी बने, सीधे जुड़ गया तार।।
बीती जाए उमरिया,नाम सुमिर नादान।
जौ जीवन कौ सार है,है वीरेंद्र सुजान।।
सीताराम सरल लिखे,सूकौ कड गव साउन।
आज झला नौनें गिरे,आई जान मैं जान।।
हुए समीक्षा में कितऊ,व्याकरन कौ दोष।
सो नादान समझ हमें,कौऊ ना करयो रोष।।
अपुन सबई की टिप्पणी, हैं सादर स्वीकार।
छोटे मौ बातें बडीं, दीजौ क्षमा उदार।।
-अशोक पटसारिया नादान, भोपाल
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37-श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 7-8-2020
दिन-शुक्रवार ।विषय-बुन्देलखण्ड की नदी ।
साथियो , आज पटल पै पन्द्रह जनन नें अपनें लेख भेजे जो भौतई नोंनें लगे ।सबई नें बुन्देलखण्ड की जीवन दायिनी नदियन पै भौत ही रोचक ,भावपूर्ण,एवं शोधपरक जानकारी दई ।जीमें सबई जनन नें उन नदियन के असफेर के पर्यावरण , पर्यटन स्थल , मेला ,सांस्कृतिक महत्त ,इतिहास जैसी तमाम बातन खों समेटबे कौ प्रयास करो ।सबई बधाई के पात्र हैं ।
आज पटल पै सबसें पैलां रामेश्वर राय जू नें अपनों लेख भेजो ,जीमें
वेतवा नदी की भौतई नोंनी जानकारी दई ।श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जू नें उरमिल नदी कौ भौतई नोंनों वरनन करो ।उननैं उदगम स्थल से लैकें संगम तक की जानकारी अपने आलेख में दई ।
श्री सीताराम राय जू ने ऐसी नदी पै अपनों तनक सौ लेख लिखो जीके वारे में भौतई कम जनें जानत हुऐं वा है किलकिला नदी ।
जो पन्ना जिला में बउत ।
श्री शोभाराम दांगी जी ने अपने असफेर की नदी वारगी कौ भौतई
नोंनों वरनन करो ।
श्री डी, पी, शुक्ला जी नें वैतवंती सतधारा शीर्षक सें वेतवा नदी पै भौत उम्दा लेख लिखो ।
श्री अशोक पटसारिया जी की तौ कनइ का है वे तौ बुन्देली भाषा के मजे भये हस्ताक्षर आ हैं ।वे जो लिखत अच्छउ लिखत ।आज भी उनने़ वेतवा मैया कौ भौतई नोंनों बखान करो ।
श्री अभिनन्दन गोइल जू नें बुन्देलखण्ड की दर्शाण अर्थात दस नदियन खों समेकत करत भव धसान नदी की शोधपरक जानकारी दई ।श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी ने अपने असफेर की जमडार नदी की भौतई नोंनी मनमोहक जानकारी देत भयें कुण्डेश्वर धाम कौ वरनन करो ।
श्रीमती अनीता जी ने अपने भावपूर्ण पत्र में स्त्री जीवन को नदी के समान बताया है ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी नें भौतई उम्दा लेख के माध्यम सें बताओ कै बरुआसागर ,बरुआ नदी के नाव सें आ बसो ।
श्री सियाराम अहिरवार जी ने वेतवा नदी पर अपना आलेख लिखा ।
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी अपनें लालित्य पूर्ण लेख में लिख रये कै हम अपने असफेर की नदियन में खूब लोरत हते ।श्री स्वपनिल तिवारी ने भी पैली बेर लिखवे की कोशिश करी जो आगें चलकें सार्थक सिद्ध हुइये।
श्री राजेन्द्र यादव जी ने काठन नदी कौ भौतई रोचक वरनन करो
पटल संचालक श्री राजीव नामदेव जी ने टोंस नदी की ऐतिहासिक जानकारी देत भये वहां के सुन्दर जलप्रपात कौ वरनन अपने आलेख में करो ।
।मान्यवर ,रामगोपाल रैकवार जू नें अपने आलेख में बुन्देलखण्ड खां नदियन कौ मायकौ बताउत भये कैऊ नदियन के नाव बताये ।
ई तरां से आज के आलेख भौतई नोंनी जानकारी से परिपूर्ण और
सारगर्भित रये। समीक्षक -सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
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38-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल दिनांक १०.८.२०२०
रचनाकार अपनी रचना खौं दिल की भाषा में लिखत और समीक्षाकार पढ़त ऊखौं दिमाग की भाषा में, सो रचना कौ व्यौहारिक मूल्यांकन होई नइँ पाउत; सैद्धांतिक मूल्यांकन भले हो जाय । सह-अनुभूति कौ अन्तराल बनो रत उनके बीच में । समीक्षक अगर खुद कविहृदय होय तौ जौ अन्तराल भौत कम हो जात ।
अपनी रचना कौ सबसें बड़ौ समीक्षक, रचनाकार खुद होत । जो रचना हमें खुद अच्छी लगै, बेई सबखौं अच्छी लगै । जब तक हम खुद अपनी रचना सें संतुष्ट न हो जायँ, तब तक रचना खौं अन्तिम रूप नइँ दव चइये ।
आज 'परिवार' विषय पै कुल पच्चीस कवियन के दोहा पटल पै उभरे । आज कौ, देवदत्त द्विवेदी सरस जू कौ दोहा -
"सबइ लोग परिवार के, काया जैसे अंग,
इक समान प्यारे रहें, जियत न छोड़ें संग ।"
में विषय कौ सटीक प्रवर्तन भव । परिवार के सदस्य, काया के अंग जैसे होत । सब एक-दूसरे के सहयोगी और सब एक-दूसरे पै निर्भर । गुलाब सिंह यादव भाऊ जू, रामेश्वर राय परदेशी जू और शोभाराम दाँगी जू नें भक्ति-भाव सें भरे भय दोहा रचे । केबट ने भगवान के पाँव धोकें अपने परिवार खौं पवित्र कर लव । अशोक पटसारिया नादान जू, अभिनन्दन गोइल जू, प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू, कुँवर राजेन्द्र जू, सीमा श्रीवास्तव जू और वीरेन्द्र चंसौरिया जू ने घर-परिवार में आपसी प्रेम और सद्भाव खौं व्यक्त करत भय दोहा रचे । अनीता श्रीवास्तव जू, संजय श्रीवास्तव जू और डी पी शुक्ल सरस जू नें अपने दोहन में बसुधैव कुटुम्बकम के भाव व्यक्त करे ।
रामगोपाल जू और राजीव नामदेव राना जू तौ हम सब कौ मार्गदर्शन करइ रय । सियाराम जू नें अपने दोहा में बताव कै घर कौ मुखिया शराबी होय तौ घर बर्बाद हो जात । कल्याण दास साहू पोषक जू नें बुजुर्गन की स्थिति बताई । राज गोस्वामी जू के अनुसार जिनैं मन सें अपनों मानौ सो परिवार । एस आर सरल जू और रघुवीर अहिरवार आनंद जू ने घर की फूट सें परिवार कौ बिखराव अपने दोहन में लिखो । गोकुल सोनी जू ने लिखो कै परिवार में सुमति रय चइये, मुखिया खौं कान कौ कच्चौ नइँ भव चइये । के के पाठक जू और सीताराम राय जू ने ई साहित्य समूह खौं परिवार मान कैं दोहा रचे । सीता राम जू के दोहा विषय पै कम केन्द्रित लग रय । लखन सोनी जू ने दोहा के प्रयास में अधूरौ कुण्डलिया छन्द रच दव ।
दोहा तौ आज सबनें अच्छे रचे । सबके दोहा श्रेष्ठ हैं । अगर सबकौ विस्तार सें जिक्र करें तौ समीक्षा भौत विस्तृत हो जै । व्यौहारिक कठिनाई जा है कै वाट्सएप पै लिखबे में भौत समय लग जात । सो लघु समीक्षा में सब विद्वानन खौं पर्याप्त नइँ लिख पा रय । आगामी समीक्षन में ई कमी की पूर्ति करबे की कोशिश जरूर करें ।-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
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39-श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ 11-8-2020
40-श्री अशोक पटसारिया,भोपाल 12-8-2020
कृष्ण जन्माष्टमी समीक्षा बिषय-बुंदेली स्वतंत्र लेखन
अपुन सबई पै कृष्ण की, होवै कृपा अपार।
धूम धाम सें बधाई, आज करौ स्वीकार।।
गीता में श्री कृष्ण कौ, राजयोग कौ सार।
ध्येय ध्यान ध्याता बनों, मन पै रहौ सवार।।
मन पै रहौ सवार,ओई खों वश में करलो।
स्वांसन में जो रमौ,श्याम कौ नाम सुमर लो।।
कह नादान कविराय,अंतर्मुख अमृत पीता।
मिल जाते है श्याम,समझ आ जाती गीता।।
वीणा पाणीं खों नमन,नमन शारदा शेष।
प्रथम नमन गणराज जू,गुरु खों नमन विशेष।।
व्याकरण की कसौटी,जो भी हो श्रीमान।
अपुन सबई सिरमौर हौ,में ठेरौ नादान।।
सोo कृष्ण जन्म के हेत,हाथ जोर सबखों नमन।
सबपै रखियो नेह,हरौ भरौ रखियो चमन।।
दोहा कृष्ण समूह कैसौ सुंदर संकलन।
राना जू मशहूर,इन कामन की है लगन।।
पोषक जू हुसियार,दै रय आज बधाइयाँ।
सबके घर आनंद,खूब बटोरत तारियाँ।।
अच्छी भली सलाह दई,निर्भर हिंदुस्तान।
राज गुसाईं साब कौ,मातृभूम पै ध्यान।।
भाऊ लखौरा ने लिखी,दिल में खूब समाई।
नंदबाबा के द्वार पै, बाजन लगी बधाई।।
अभनन्दन गोयल करत,मेला की बड़वाई।
कुंडेश्वर मेला लगत, जब सें राजासाई।।
कृष्ण कन्हैया लाल की,घड़ी सुहावन आई।
सीताराम सरल लिखें,गोकुल बजत बधाई।।
हम नादान विनय करत,ईश्वर सें सिर नाय।
जब सें भय हम रिटायर,हो गय बिल्कुल गाय।।
दांगी शोभाराम ने,जेल में जन्म बताव।
गाँव गाँव हल्ला मचौ,घर घर बजत बधाव।।
परदेशी गावे लगे,सोहर की इक तान।
अच्छी रचना रचत हैं,बैसई चतुर सुजान।।
राना जू ने प्रेम की, वंशी खूब बजाई।
मतलब की दुनियाँ लिखी,जन्में कृष्ण कन्हाई।।
यादव कुंवर मलेहरा, गा रय मंगल चार।
कुंडलियाँ नौनी लिखीं,नंदनंदन के द्वार।।
ब्रजभूषण जू ने लिखी,हिरा गए सब साज।
रमतूला ढपला ढुलक,सारंगी कैऊ काज।।
के के पाठक ललतपुर, खूब बजाओ ढोल।
नेतन की पोलें लिखीं, बुंदेली के बोल।।
लिख रय प्रभुदयाल जा भैया,ब्रज में बजत बधइया।
आज शिशु कौ जन्म भओ है,जसुदा लेत बलईया।।
फूले नई समरय सबरे, देखत रूप कन्हैया।
में नादान इतेकई जानत,बलदाऊ के भैया।।
लखन लाल सोनी लिखें,गीता कौ सन्देश।
सबई बधाई दे रहे,जा रय अपने देश।।
रैकवार जू ने लिखो, बुंदेली में व्यंग।
नातेदारी के सबई,नौनें बने प्रसंग।।
सियाराम जू ने लिखी,चौकड़िया में बात।
ढोल मंजीरा बजा दय,जा भादों की रात।।
सरल भले ही होंय जे, के गय गहरी बात।
शब्द बाण घायल करत,मीठौ बोलौ कात।।
अखियां हरि दर्शन की प्यासीं, कान्हा जू की ख़ासीं।
दरस दिखा दो आकेँ घटमें,नई तौ भौत उदासीं।।
चंसौरिया जू हम सें कै रय,तुम सें कै रय सांसीं।
में नादान कंन्हैया जू तुम, हुए तुमारी हांसीं।।
लोकडाउन के मारे ,भैया गाडरवारा वारे।
घर में पिड़ें पिड़ें दम घुट रव,कै रय अब हम हारे।।
डिब्बा बीबियाँ पीपा कुपियाँ, भांडे बासन सारे।
सबई गिरस्ती चमका बैठे, हैं नादान विचारे।।
बुंदेली के पटल पै, कवियन के उदगार।
भौतइ सुन्दर लिख रहे,अपने सभी विचार।।
अपने सभी विचार,कठन लिखबो बुंदेली।
कै रय सरल सुजान,ठोक दई भर कें गोली।।
कह नादान कविराय,बे भर रय सबकी झोली।
मोबाइल पै लिखत, बनत नइयां बुंदेली।।
मुतियन माल लुटा दई,सीमा जू ने आज।
लल्ला जे नंदलाल के,दोरें बज रय साज।।
देवदत्त जू ने लिखौ,चरनन में चित देव।
किसन कन्हैया लाल जू,के दरसन कर लेव।।
श्री रघु जी आनंद ने,लिखी नियति की बात।
इक दिन जानें सबई खों,मिलने जबई निजात।।
जो पैसा सें हींन है, उनके घर तेहार।
संजय जू ने खूब कई, ई पै करौ विचार।।
सो, जिनको हतौ उपास,वे नई आ पाये इतै।
बेंनन कौ दिन खास,उनें काम रातइ उतै।।
-अशोक पटसारिया नादान
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41-अभिनन्दन गोइल.इंदौर-13-8-2020
जय बुंदेली साहित्य समूह - आज की समीक्षा
सर्व प्रथम श्री जयहिंद यादव ने भावपूर्ण सरस्वती वंदना " आराधना करें हम उतार आरती,सद्भावना जगा दो भारत में भारती " से पटल का शुभारंभ किया।कुँवर राजेंद्र यादव ने द्रौपदी चीर हरण का मार्मिक दृश्य उपस्थित करते हुए लिखा -" जहाँ धर्म न्याय के ज्ञाता थे,मर्यादा लजाई जाती है "। शिल्प की सुदृढ़ता हो तो ये रचना कालजयी सिद्ध होगी।
श्री राजीव नामदेव ने प्रस्तुत ग़ज़ल के माध्यम से तिरंगे की महिमा का वर्णन करते हुए इसे सांप्रदायिक सौहार्द, शहादत और भाईचारे की प्रेरणा देने बाला राष्ट्रीय प्रतीक निरूपित किया। श्री कृष्ण कुमार पाठक ने सुंदर देशभक्ति के गीत द्वारा वीर सेनानियों का स्मरण किया।" गोली भी खा जाते थे पर झंडा नहीं झुकाते थे " जैसे भावों ने इनकी रचना को उत्कृष्टता प्रदानकी है।
'नई कविता' विधा में श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव ने 'अपना-अपना भाग्य' शीर्षक कविता में सुंदर विम्ब की सृष्टि कर उसका सम्यक निर्वहन किया है।
श्री रामेश्वर राय परदेशी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और देशभक्ति की मर्मस्पर्शी रचना प्रस्तुत की। " तिरंगे में लिपटकर के,वदन मेरा जो घर आये " जैसी भावाभिव्यक्ति पाठक के हृदय को आर्द्र करने में सक्षम है।
श्री अशोक पटसारिया जी की जोरदार ग़ज़ल ' वो हैं चौकीदार यहाँ ' प्रस्तुत हुई। उम्दा अल्फ़ाज़ और चुस्त बुनावट के साथ व्यंग्यात्मक शैली में मुल्क की कथा-व्यथा सुना दी।" नफरत के मरहले मिलेंगे,फितरत के बाजार यहाँ " । वाह.!क्या बात है, पटसारिया जी।
श्री कल्याण दास जी साहू ने अपनी लघु रचना में , अंधेरी रातें,नफा-नुकशान ,विदाई की वेला और संतों की भीड़ को सुंदर अंत्यानुप्रास के माध्यम से नवीन शब्द प्रदान किये हैं।
अनुप्रास की अनुपम छटा लिए श्री बृज भूषण खरे की सुंदर रचना " मैं दिनकर सा तपता हूँ " में अनूठा शब्द विन्यास है। खनकते हुए शब्द, लगता हृदय पर उत्कीर्ण होते जा रहे हों। " मैं अखंड अविनाश अचल,अंगारों का अनुरागी---आठ प्रहर मैं महाकाल को,उंगली पर जपता हूँ--मैं दिनकर सा तपता हूँ।" रावण कृत शिव ताण्डव स्त्रोत की भांति प्रभावोत्पादक यह काव्य रचना अनोखी है। खरे जी को साधुवाद.!
श्री सीता राम राय द्वारा रचित अमर शहीदों की वंदना युक्त देश भक्ति के सुंदर मुक्तक प्रस्तुत हुए।
श्री राज गोस्वामी जी की क्षणिका ने ' चीन की औलाद ' और
' कोरोना कहीं के ' जैसी युगानुकूल गालियों का सृजन किया। उनकी हास्य वृत्ति को प्रणाम।
श्री अरविन्द श्रीवास्तव का गीत " एक तुम्हारे होने से दुनियाँ सतरंगी लगती है " एक भाव प्रधान रचना है। सुंदर शब्द विन्यास के साथ अंतस की कसक को गहन अनुभूति पूर्ण अभिव्यक्ति दी गई है। इस रचना से महान कवियत्री महादेवी वर्मा की स्मृति हो आयी है-
जो तुम आ जाते एक बार,
कितनी करुणा, कितने संदेश
पथ में विछ जाते बन पराग - महादेवी वर्मा
जहां श्री शोभाराम दांगी ने मुक्त छंद में सृजित गौमाता की भावभीनी वंदना की , तो डा. देवदत्त द्विवेदी के मधुर गीत ने जीवन के दोहरे मापदंड को अनावृत किया।वे कहते हैं ' दोहरे माप दंड को लेकर, मानवता बैठी है चिंतित ' सुंदर गीत हेतु बधाई।श्री वीरेन्द्र चंसौरिया ने बेटियों को समर्पित अच्छी रचना प्रेषित की- " बेटी तो बस बेटी है,बेटी चाहे किसी की हो।" श्री स्वप्निल तिवारी द्वारा रचित " रात के अंधेरे से क्या डरना, ये वक्त गुजर जाने दो।" मुक्त छंद की भावपूर्ण रचना है।वे कह रहे हैं - " जागरण का भैरव कर रहा है शंखनाद। " वाह.! प्रेरक सृजन। श्री संजय श्रीवास्तव ने भी नई कविता की विधा में वियोग श्रृंगार की सृष्टि की है। भ्रातृप्रेम को सुंदर शब्दों में पिरोया है बहिन अनीता ने।बहिन सीमा ने श्रेष्ठ छंद मुक्त रचना के माध्यम से आत्मालोचन को प्रस्तुत किया।श्री रामगोपाल जी ने मुक्त छंदों में मानों मधु घोल दिया हो। " प्रबल ऊष्मेय आलिंगन लता से " वाह.. क्या शब्द विन्यास है।बधाई। बहिन कृति सिंह ने जहाँ " हो गई दिवानी श्याम तेरे नाम की " से भक्ति रस घोला वहीं श्री सियाराम जी ने मधुरभजन से कन्हैया की भक्ति की।
आज समीक्षा करते हुए मुझे अनुभूति हुई कि समूह के सभी सदस्य सार्थक सृजन कर रहे हैं।वस्तुतः शब्द, अर्थ अथवा दोनोंकी रमणीयता से युक्त वाक्य रचना ही काव्य को परिभाषित करती है। इसमें यदि शिल्प की सुदृढता हो तो सोने में सुहागा हो जाता है।सभी साथी श्रेष्ठ सृजन की निरंतरता बनाए रखें,इसी मंगल भावना के साथ सबको अभिवादन। -अभिनन्दन गोइल.इंदौर
42- श्री सियाराम जी अहिरवार दिनांक 14-8-2020
समीक्षा विषय -बुन्देलखण्ड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ।
दिन- शुक्रवार दिनांक १४-०८ -२०२०
सम्मानीय साथियो आज स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सबई को नमन ,वन्दन,अभिन्दन ।
इस आजादी को पाबे में जिन महान पुरुषन ने अपनौ सबई कछु देश के लानें अरपन कर दऔ ।आज उनई के बारे में लिखवे के लानें पटल पै विषय दऔ गऔ ,बुन्देलखण्ड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ।जीपै भौत से साहित्यकारन नें अपनी कलम चलाई और भौतई रोचक जानकारी दई सबई जनें बधाई के पात्र हैं ।
आज सबसें पैलां श्री कल्याण दास साहू पोषक जू नें बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वतंत्रता सेनानी श्री छोटेलाल खरे नन्ना जू के बारे में भौतई नोंनी जानकारी दई ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी ने लिधौरा में जन्मे श्री स्वामी प्रसाद पस्तोर जू को बहुमुखी प्रतिभा कौ धनी बताउत भये जानकारी दई कै वे पत्रकार, साहित्यकार, नेता,औ सामाजिक कारकरता सोऊ हैं ।
श्री सियाराम अहिरवार नें बुन्देलखण्ड के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बखतबली शाह को महान योध्दा बताऔ ।जिनके नाव से गोरन की रूह थर्रातती ।
श्री रामेश्वर राय परदेशी नें लिखो कै स्वतंत्रता की बलिवेदी पै अपने
प्रानन की आहुति दैबे बारे अमर शहीदन में अमर शहीद नारायण दास का नाव बडे़ श्रद्धा के साथ लव जै ।
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी नें हमाय नगर के जानेमानें ख्याति प्राप्त श्री चतुर्भुज पाठक के वारे में भौतई कम जानकारी दई ।पर ई कमी खों पूरौ करत भये श्री गुलाब सिंह भाऊ जू ने पाठक जी के वारे में अपने लेख में विस्तार सें बताऔ ।
श्री जयहिन्द सिंह जू नें बताऔ कै श्री बहादुर सिंह के वारे में लिखो कै बहादुर सिंह सांसऊँ बहादुर हते ।
श्री सीताराम राय जू नें नारायण दास खरे के व्यक्तित्व औ कृतित्व पै भौतई नोंनों लेख लिखो ।
श्री अशोक पटसारिया जी नादान नें आदरणीय स्व चतुर्भुज पाठक जी से जुडी़ अनेक बातन खों सहेजत भव भौतई नोंनों आलेख लिखो ।
श्री रघुवीर आनन्द जी ने श्री नाथूराम अहिरवार माते के वारे में बताव कै उनमें देश प्रेम एवं क्रांति कारी भावना कूट कूट कें भरी ती ।श्री अभिनन्दन गोइल नें जैतपुर की रानी और उनका 1857की क्रांति में योगदान की जानकारी अपने लेख के माध्यम सें दई ।
सुश्री सीमा श्रीवास्तव जी नें स्वतंत्रता सेनानी पंडित परमानंद खरे के बारे में उनसे जुडी़ जीवन की सबई घटनन खों समेकित करत भव भौतई नोंनों लेख लिखो
।श्री एस आर सरल ने जिले के ख्याति प्राप्त स्वतंत्रता सेनानी श्री भगवान दास दुवे के वारे में बताऔ कै वे जनता की समस्यन खों लैकें अधिकारियन की नाक में दम कर देत ते ।औ ऊ समस्या कौ समाधान करवा कें मानत ते ।
आज भौत ही कम लोगन नें पटल पै अपनें लेख डारे पर जिनने डारे वे लेख भौतई नोंनें और सारगर्भित हैं ।
सबई को स्वतंत्रता दिवस की बधाई ।
समीक्षक सियाराम अहिरवार टीकमगढ ।
43-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल*सुम्मुवारी समीक्षा*
दिनांक १७.०८.२०२०
जब हम पूरी गम्भीरता सें कौनउँ रचना खौं पूरौ करत सो लगत कै जा हमाई अबै तक की सबसें अच्छी रचना आय, पै कछु दिनन बाद हम एक और "अबै तक की सबसें अच्छी रचना " लिख लेत । जौइ क्रम चलत रत । सब कलाअन के कलाकारन के संगै जौइ होत । चरम अभिव्यक्ति हर कलाकार की शेष रै जात ।
संसार भले हमाई रचनाअन में सें कौनउ एक खौं श्रेष्ठ मान लेय, पै हमें ऐसौ लगत रत कै अबै अपनी सबसें अच्छी रचना तौ हमनें लिखीइ नैयाँ । लगत रत कै ऐसी कौनउँ परम अनुभूति है जियै हम लिखन चा रय और बा हमाय मानस-पटल पै उभर नइँ पा रई । हम सब जानें-अनजानें ओई अनुभूति खौं व्यक्त करबे की कोशिश में लगे रत ।
आज *साँझ* विषय पै भौत अच्छे दोहा रचे गय, एक सें बढ़ खैं एक । सब विद्वान कवि मित्रन ने श्रेष्ठ भाव व्यक्त करे, सब कौ काव्य-शिल्प निखरो भव है । ऐसौ लग रव कै आज कौ विषय सब खौं पसन्द आव ।
आज *गुलाब सिंह जू* नें भक्तिभाव के दोहा रचे । *लखन सोनी जू* ने विषय सें हट खैं पारिवारिक शिक्षा कौ दोहा लिखो । *शोभाराम दाँगी जू* नें पहेली लिखी जीकौ अर्थ अन्त में स्पष्ट हो पाव । *डॉ. सुशील वर्मा जू* कौ दोहा -
भौजी कौ चूल्हौ जलो, अम्मा दिया जलाय,
चिमनी में मुन्नी पढ़े, बछिया रही रमाय ।"
भौत नौंनौ दोहा लगो । *अशोक पटसारिया जू* नें गाय, पीपर और मजदूर पै उत्तम दोहा रचे । *सीताराम राय जू* ने सीख दई कै घरै रव और बुराईअन सें बचे रव । *अभिनन्दन गोइल जू* ने अंतस की पुकार और मौन खौं व्यक्त करो । *गोकुल सोनी जू* नें सिन्दूरी आकाश कौ वर्नन करो । *राजेन्द्र यादव जू* नें विरह वर्नन करो । *कल्याण दास जू* के दोहा में आराम और भक्ति व्यक्त भई । *सियाराम जू* नें पंछी, जोत और गौ पै दोहा रचे । *रामेश्वर राय जू* नें गाँव के परिवार की साँझ कौ वर्नन करो । *के के पाठक जू* नें भगवान राम के प्रति भक्ति-भाव व्यक्त करो । *देवदत्त जू* शिक्षाप्रद अति श्रेष्ठ दोहा रचे । *राज गोस्वामी जू* नें मनुहार भरे दोहा लिखे । *नरेन्द्र श्रीवास्तव जू* के शिक्षा, पंछी और गाय पै लिखे तीनई दोहा श्रेष्ठ हैं । *डी पी शुक्ला जू* के दोहन में भक्ति-भाव और जीवन की नश्वरता व्यक्त हो रई । *जयहिन्द सिंह जू* ने बिरह-वर्नन करो । *सीमा श्रीवास्तव जू* नें साँझ के सौन्दर्य पै और बिरह पै दोहा रचे । *रघुवीर आनन्द जू* नें जीवन की नश्वरता और बिरह कौ वर्नन करो । *एस आर सरल जू* नें घर-परिवार पै मजेदार दोहा रचे । *संजय श्रीवास्तव जू* नें साँझ के सौन्दर्य और जीवन की नश्वरता खौं व्यक्त करत भय उत्तम दोहा रचे । *वीरेन्द्र चंसौरिया जू* नें स्वास्थ की शिक्षा पै दोहा लिखो ।
आदरणीय *प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* भाईसाब की गोद में खेल खैं हम बड़े भय सो उनके तौ हम केबल पाँव छू सकत । *रामगोपाल रैकवार जू* की लिखीं पाठ्य पुस्तकें पढ़ खैं शिक्षा पाई, सो जिनसें लिखबौ सीको उनपै हम का लिखैं । *राना जू* तौ हम सबके मार्गदर्शक हैंईं, सो हमसें तौ आंगेंईं हैं ।
समूह में रै खैं हम सब खौं सत्संग भी मिल रव, लिखबे की प्रेरना भी मिल रइ और साहित्यिक परिवेश भी मिल रव । हमाव लेखन तौ निखरई रव, साहित्यिक सोच-समज भी बढ़ रई और संगै-संगै शब्दन कौ भण्डार भी बढ़त जा रव । हमाय भाषाई कौशल कौ भी विकास हो रव । सो सबकौ ऐसई मेर-मिलाप बनो रबै । हमाई शुभकामनाएँ ।
-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
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44-श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
दिनांक 18-8-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ द्वारा दिये गये बिषय- " श्री गनेस ( बुंदेली दोहा) पर लिखी गयी रचनाओं पर काव्यमय समीक्षा-
45- श्री अशोक पटसारिया, लिधौरा,दिनांक19-8-2020
बिषय- " स्वतंत्र बुंदेली काव्य' पर लिखी गयी रचनाओं पर काव्यमय समीक्षा-
दोहा-
ग्यान कर्म के देव तुम,बुध विवेक भंडार।
लिखबे जा रय समीक्षा, बैठो डेरा डार।।
वीणा कौनें में धरौ, देव शबद कौ ज्ञान।
अब तौ आफत परी है,जुरे भौत विद्वान।।
जोड़ तोड़ में सट गई,अब नइ होत सवाँर।
हे गुरुदेव कृपा करौ, में हौं निपट गवाँर।।
वयाकरण जानत नहीं,पिंगल कौ नई ज्ञान।
पैलइ सें नादान हौं , क्षिमा करौ श्री मान।।
अंधन में कानें हते, जौ लौं चली जुगाड़।
अब रजिया गुंडन फसी,मोय हींस गय हाड़।।
जे शिकछक हैं बड़ेदा, खूबइ पड़ीं पढ़ाइ।
कवियन की संगत करी, पाई खूब बड़ाइ।।
में हौं घूरौ गाँव कौ, मिलौ न कौनउ ठौर।
गाँउन गाँवन फिरत रव,गुरू मिलो नाऔर।।
राज गुसाईं ढूढ़ रय, जीवन में रोमांस।
देते कुल्लड़ जो मजा,कप में कां रोमांच।।
बेंन अनीता ने लिखो,चंपा उनकी यार।
फुटा घले स्कूल में,तौउ बनो रव प्यार।।
सबकीं औक़ातें लिखत,जे नादान कहांय।
टुड़ी तरे की जानतइ,अक्कल बिल्कुल नांय।।
के के पाठक जू लिखत,बांध मुसीका आज।
सांसइ लैबो भूल गय, कोरौना माराज।।
राज गुसाँई फिर लिखत,राधा गोरी काय।
पीठ उघारें ककोरी, खुजा रहे हरि राय।।
अद्भुत उम्दा प्रेममय,राधा कृष्ण कौ प्यार।
सारदार नोनीं लिखी,कै दई सदा बहार।।
चौक।।
कह नादान गुना के यादव, मातादीन अलैया।।
कुंडलियाँ
रिमझिम परत फुहार जब,मन मे होत आनंद।
जे शुशील शर्मा लिखत, गणपति परमानंद।।
गणपति परमानंद, गरज रय बदरा कारे।
माटी उठत सुगंध, गन्ध मकरंद सुधा रे।।
कह नादान कविराय,खुलत जा जैसें सिमसिम।
उर में उठत उमंग, फुहारें पड़तीं रिमझिम।।
सोरठा
पोषक लिखत मिठास,कुछ तो गड़बड़ हैइ है।
जब चुनाव हो खास, नेता बोलत जैइ जै।।
जे रामेश्वर राय, परदेशी नौनों लिखत।
झूठा है मोबाइल,होत कछू और कछु क़त।।
दोहा
पी डी शुक्ला सरस् की,बात समझ ना आई।
फिर भी बेचारे लिखत,देव इने समझाई।।
राना जू के हाइकू, हैं प्रसिद्ध नादान।
इक दिन जानें सबई खों,जानत सबई सुजान।।
घात पड़ौसी संग में,शुक्ला सरस् बतांय।
बेई चिमाकें बैठ गय, हम का उनें सिखांय।।
भाऊ लखौरा लिख रहे,मन की करौ सफाइ।
जितै विराजत ईश्वर, उये जान लो भाइ।।
कुंडलियाँ
प्रभु की कृपा पियूष पै, बन्देली सरताज।
दिल में घर कर जात हैं,अरररूआ जे आज।।
अरररूआ जे आज, परत पानी के भैया।
बिजुरी घर घर चीन चीन कें,चमकत दइया।।
कह नादान कविराय, जा रचना सबरीं ऊ की।
हम तौ लेत बलैयाँ, अपने राम प्रभु की।।
चौकड़िया
झांसी की रानी,गोरन सें ऐसें खिसयानी।
दुर्गा रूप धरौ रानी ने,हो गई मरदानी।।
बांध कमर में फेंटा,जो तलवारें लहरानी।
कै जानत नादान कै, दांगी की मनु ने जानी।।
दोहा
संजय जू की ग़ज़ल में, है कबीर की छाप।
जीने ईखों समझ लव, ऊके ह्रदय आप।।
अभिनंदन गोयल लिखे, ब्रजबाला के नैन।
घायल हो गय कन्हैया,राधा खों नइ चैन।।
चंसौरिया ने लिख दइ ,एक कहानी खास।
बच्चों के दिल छू गई, होली आ गई रास।।
श्री रधुजी आनंद ने, भारत कौ भूगोल।
नदियन कौ उद्गम लिखौ,जा दुनियाँ है गोल।।
छाती फटतई बाप की,होत विदा जब बेंन।
जेई बात सीमा लिखी, बेटी प्रभु की देंन।।
विदा होत जब लाड़ड़ी,रोउत मताई बाप।
जयहिन्दसिंह दाऊ लिखत,नैन पुतरिया आप।।
कता
जबरन चिंदी सांप बता रय।
बात तनक सी बड़ा चढ़ा रय।।
तुमई सरीखे हैं दुनियाँ में।
गाडरवारा सें जे आ रय।।
चौकड़िया
बिन्नू बैठक लगी सजानें, पई पाउंनन के लानें।
खाट बिछा पानी खों दौरी,आ गई सखी बुलाने।।
होत भुंसरा कौआ बोलो,आजई आऊत कुजानें।।
कह नादान जे सियाराम जू,अब तक लगे ठिकानें।।
-समीक्षक- अशोक पटसारिया 'नादान',भोपाल
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46- अभिनंदन गोइल, इंदौर
समीक्षा, दिनांक 20-8-2020
बिषय- स्वतंत्र हिन्दी कविता/गद्यसमीक्षक- अभिनंदन
आज प्रभात वेला में विषयकाल प्रारंभ होते ही भक्ति भाव की सुरसरि प्रवाहित होने लगी।भ्रांतिमान अलंकार की प्रधानता लिए मेरे द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से पटल का शुभारंभ हुआ।सुंदर अनुप्रास से अलंकृत गणपति वंदना में श्री ' पोषक ' जी ने " जन जन नयनन दरस, करत रस-रस जय वरसत " से रस वर्षा की।श्री जयहिंद सिंह जी ने "नटवर नटखट नंद के,नद नंदन नदलाल " जैसे अलंकृत दोहा और उतने ही भावपूर्ण गीत के साथ मुरलीधर श्याम सुंदर का आह्वान किया। श्री रामेश्वर राय ने भी माँ वीणा पाणि की सरस वंदना करते हुए काव्य सौंदर्य में अभिवृद्धि की कामना की।वे कहते हैं -" नव रस पद छंद सरस, कविता कवित्त में स्वर व्यंजन मात्रायें अलंकार समास दे।" लोक कवि श्री गुलाब भाऊ ने भी आज हिंदी में सरस्वती वंदना की रचना की। वे माँ से प्रार्थना करते हैं कि "लेखनी न रुके मेरी,मुझे ज्ञान दो।" वंदना में सुंदर भाव प्रकट हुये।
कुँवर राजेन्द्र यादव ने सुंदर गीतिका के माध्यम से आज के युग में उपजी सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करते हुए कहा- " हो रय तन गोरे मन कारे ।" श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव ने अपनी ग़ज़ल " कभी खुशी तो कभी गम पी लेता हूँ- अपने हिस्से की जिंदगी जी लेता हूँ " के माध्यम से यह सिद्ध किया कि उन्हें फन-ए-अरूज का भी इल्म है।ग़ज़ल के सभी शेर भावना प्रधान हैं। श्री अनबर 'साहिल' तो एक मजे हुये शायर हैं।उनकी ग़ज़ल का एक- एक शेर बेमिशाल है।बानगी में मकता का शेर देखें- " अमीरों के घर में रुपये की चमक है - गरीबों का तीरगी से तअल्लुक " । श्री संजय जैन ने भी अपने में छुपे शायर को शानदार गीतिका के माध्यम से अभिव्यक्त किया।उनकी रचना का अंतिम वंध/ शेर कितना खूबसूरत बन पड़ा है-" असत्य को भी सत्य के लेबल में बेच दे- दुनियाँ में इस तरह के काबिल वहुत हैं लोग।"
बहिन अनीता श्रीवास्तव ने सुंदर नवगीत के माध्यम से प्रेम की भावनात्मक पराकाष्ठा को उकेरते हुए कहा कि जब किसी की पवित्र चाहत होती है तो "कृष्ण, कृष्ण नहीं रहता, राधा हो जाता है।" और "पत्थर , पत्थर नहीं रहता ,भगवान हो जाता है।" श्री कृष्ण कुमार पाठक ने अपने मधुर गीत के माध्यम से भारतीय दर्शन का काव्य मय दिग्दर्शन कराया है।वे कहते हैं-" वो ही हमें वनाये, वो ही हमें मिटाये - हैं खेल सारे उसके , वो ही खिला रहा है।" डा. सुशील वर्मा ने भी नवगीत के द्वारा ' मन ' की विविध अवस्थाओं का चित्रण किया है। वे कहते हैं कि-" युग संचित है इसके(मन के ) अंदर " । सचमुच संसार वाहर नहीं है, वह तो मन के अंदर ही है। भलीभांति अध्यात्म चित्रित हुआ है इस नवगीत के माध्यम से।
श्री अशोक पटसारिया जी ने इस युग की पीड़ा का सजीव चित्रण करते हुए कहा कि-"मज़हबी उन्माद काफी , दफन है इंसानियत , नादान खोटी है नियत।" वर्तमान विषमताओं को कुरेदती है,यह सशक्त रचना। श्री एस. आर. सरल जी ने सुंदर गीत से प्रेरणा देते हुये तीव्र गति, मजबूत इरादे, संकल्प, सतत् संघर्ष और शील की महत्ता, संक्षिप्त सी रचना में बखूबी पिरो दी है। श्री शोभाराम जी दांगी ने तो 'चेतावनी भजन' लिखकर मानो एक नई विधा का सूत्रपात कर दिया हो। उन्होनें सचमुच संसारी प्राणी के दिल पर चोट करती हुई बातें कीं हैं। कह रहे हैं-" भेजा तुझको कुछ लेकर आना, पर लिया न तूने राई का दाना, कैसे होगा तेरा कल्याण।" अद्भुत व्यंजना से बड़ी बात कह दी।इसे छंदबद्ध रचना का रूप दे दें तो अच्छा होगा।
आज राजीव नामदेव जी का वहुचर्चित व्यंग्य ' छपास का भयंकर रोग ' भी पटल पर प्रस्तुत हुआ। यह व्यंग्य लेख कम व्यंग्य कथा है। जिन्हें छपास का रोग है,ऐसे व्यक्तित्व साहित्य जगत में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। साहित्य साधना तिल भर लेकिन यश की कामना हिमालय जैसी,इस बढती प्रवृत्ति को ही राजीव जी ने उजागर किया है।
श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष ' जी को तो गहन भावों को लोकभाषा के मधुरतम शब्दों में पिरोकर अभिव्यक्त करने का महारथ हासिल है। उनकी रचनाओं में काव्य सौंदर्य झलकता है।आज अपनी चौकड़िया में वे कह रहेहैं-"राजेश्वरी,
रसेश्वरी,राधा रमा रहीं हैं धूनी।" अनुप्रास और उपमा के साथ भावों का मधुर समन्वय स्तुत्य है।
श्री सीताराम राय सरल का देश भक्ति से ओत-प्रोत गीत "सजा दो गलियां फूलों से, हिंद के लाल आये हैं " पाठकों के हृदय को आर्द्र करने में समर्थ है।उनके इस गीत ने मुझे स्वतंत्रता संग्राम के समय श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा पुष्प की वांछा को दिये शब्द "चाह नहीं मैं सुर बाला के गहनों में गूँथा जाऊँ " की स्मृति करा दी है।
श्री संजय श्रीवास्तव ने नई कविता शैली में सुंदर रचना प्रस्तुत की है।इसमें युगीन फ्रस्ट्रेशन उभर कर आ गया है, जो इस विधा की खासियत है।
संजय जी कह रहे हैं- "फलते हैं-फूलते हैं , पर अपनी ही नजर में रोज मरते हैं।" वाह ,क्या बात है..!
श्री राज गोस्वामी जी की श्रृंगार आधारित सुंदर चौकड़िया प्रस्तुत हुई । "जानें कैसें खुल गव गजरा, बिखरे फूल बटोरे " वाह.. लोकभाषा में मधुर अभिव्यक्ति है। श्री डी. पी. शुक्ला 'सरस' जी की नेचुरल कैलेमिटीज पर आधारित " सैलाब भरा मंज़र " नई कविता विधा में लिखने का सार्थक प्रयास है।
" अरमानों की बुलंदी रह गई अधूरी,मानव मन में बढ़गयी दूरी" ये पंक्तियां दिल को छूतीं है।
"जय बुंदेली साहित्य नद-जैसा कहीं प्रवाह ना " साहित्य की विविध विधाओं के मर्मज्ञ श्री रामगोपाल जी रैकवार की लोकभावना आज उनकी लघु रचना में प्रस्फुटित हुई है।सुंदर प्रस्तुति हेतु साधुवाद।
गीतकार और गायक श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी के मधुर गीत "भगवान तुम्हारे मंदिर में,हम मन को लेकर आये है।"में चंचल मन को काबू में करने हेतु प्रभु से प्रार्थना की गई है। सुंदर लय संयोजन हेतु बधाई। श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने अपनी क्षणिका में वंशानुगत अवगाहना, संस्कार और भावनाओं का सूक्ष्म सिद्धांत बड़ी कुशलता से कम शब्दों में प्रतिपादित कर दिया है।
प्रसिद्ध कहानीकार और शायरा डा. रुक्साना सिद्दीकी की " जलजले तूफान हैं,ये कैसा इम्तिहान है " और " आज सीमाओं पर ताने सीना वे खड़े " ये दो भाव प्रधान क्षणिकाएं एक ओर वर्तमान परिस्थितियों से उत्पन्न बेबसी को उकेरती हैं तो दूसरी ओर वीर शहीदों को नमन करतीहैं। श्री रघुवीर अहिरवार जी की " कहाँ वो बचपन " मुक्त छंद की रचना है।इसके माध्यम से उन्होंने वहुत दूर छूटे बचपन की मधुर स्मृतियों और उम्र के इस पड़ाव पर तन्हा होने के द्वंद को उकेरा है।
सियाराम जी अहिरवार ने आज नई कविता की विधा में अत्यंत सशक्त रचना सृजित की है। इस विधा की यह प्रतिनिधि कविता होने में सक्षम है। वे कहते हैं- " आज समाज की सतह के नीचे मवाद बह रहा है" और " इस मवाद के दलदल में हम धँसते चले जा रहे हैं,अपने ही कुकर्मों की नारकीय जिंदगी जिये जा रहे हैं।" युगीन फ्रस्ट्रेशन को सशक्त भाषा में संयोजित किया है। साधुवाद। अंत में लिखते -लिखते श्री रवींद्र यादव जी की सुंदर रचना कुछ विलंब से प्राप्त हुई । इसमें विकास के बाधक तत्वों पर कवि ने गहन चिंता व्यक्त की है।
इस तरह श्रेष्ठ रचनाओं के समुच्चय की उक्त समीक्षा का पटाक्षेप यहीं करता हूँ,और सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई देता हूँ जो इतना सार्थक सृजन कर रहे हैं।
-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
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47- श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 21-8-2020
🌹आज की समीक्षा🌹बुन्देलखण्ड के तीज त्योहार
त्योहार हमाय जीवन में उत्साह ,उल्लास ,व उमंग भर देत ।काय सें कै मानव सुभाव में उत्सव भौतई महत्त रखत ।
बुन्देलखण्ड में तौ ऐसौ कौनऊं मइना नई जात जीमें त्योहार नई मनाए जात हों ।
इनई त्योहारन के बारे में विस्तार सें जानवे कू लानें आज पटल कौ विषय बुन्देलखण्ड के तीज त्योहार रखो गऔ ।जीपे सबई जनन नें अपने-अपने भौतई नोंनें लेख लिखे ।इनई सब लेखन की समीक्षा मैनें पद्य में करवे की कोशिश करी जो सबई खों सादर समर्पित है ।
आल्हा -
सुमिरन करके गौतम बुद्ध कौ,
अम्बेडकर कौ ध्यान लगाय।
लिखत समीक्षा बुन्देली में
,भैया पढना चित्त लगाय ।
बुन्देलखण्ड के त्योहारन पै ,
सबनें करे उजागर भाव ।
कहावतों की पुट दे देकर ,
पार करी बुन्देली नाव ।
कलम दोत स्याही के बल पर ,
सबके हैं उद्गगार महान ।
लिखकर आखर बढिया-बढिया ,
छोडी़ है अपनी पहचान ।
दिव्य दृष्टि है इन सबकी
सब हैं मजे हुए फनकार ।
कोऊ काऊ सें कम हैं नइयां
सब हैं कवियन के सरदार ।
रामेश्वर नें दिया जलाकें ,
आज पटल पै करी शुरुआत ,
करी सफाई मना दिवाई ,
भौतई फिरवें खुशी मनात ।
नारे सुआटा गा गा करके ,
सीमा लिख रई सगुन विचार ।
नौ दिन संगै वे सखियन के,
मना रईं दुर्गा त्योहार ।
हर मइना में पूरी साल के ,
जितनें होते हैं त्योहार ।
राना जू नें इनके ऊपर ,
सुन्दर लेख करो तैयार ।
दोहा-
पोषक जी पोषण करें ,
लडुअन कौ भरपेट ।
लमटेरा सकरात पै,
गा रये बिल्कुल ठेट ।
आल्हा-
सरस शुक्लजी मना कें तीजा ,
पारबती कौ व्याव करायें ।
सुहागन महिलन खों समझाकें ,
बिन पानी उपवास करायें ।
सुशीला जी ने दई समझाइश,
भैया सुन लो कान लगाय ।
मनत परव जे महिलन सें हैं ,
जी मइना में जो भी आय ।
मालच्छमी पै बना गुलइयां,
हाती उननें दये पुजाय ।
रामगोपाल जी बढिया लेखक ,
उनकौ शानी नई दिखाय ।
बाबा गोदन बना गोबर के ,
दये आंगन में उनें पसार ।
सीताराम कर-कर कें पूजा ,
भव सागर सें हो जें पार ।
वीरेन्द्र जी बुड़की कौ मेला ,
बचपन सें देखन खां जात ।
हंसी खुशी सें मेला घूमत ,
सबके संगै लडुवा खात ।
दोहा-
होरी के त्योहार पै,
खेलत मिलकें फाग ।
जे रघुवीर आनन्द जी ,
गा रय नोंनों राग ।
आल्हा-
शोभाराम जी कृष्ण जनम की ,
खुशियां भारी रये मनाय ।
फोड़ मटकिया दधिखाने की ,
सब ग्वालन खों रये खुआय ।
सिरें भुजरियां सागर ताल की ,
एस आर नें धरी सजाय ।
धूमधाम सें सिरा कजलियां,
बरसा कौ अनमान लगाय ।
नरेन्द्र भाई घुल्लन खों लैकें ,
लरकन के संग खेलन जायें ।
कहूँ बैठ पुलिया के ऊपर ,
खुरमा के संग बतियां खायें ।
दोहा-
कर तीजा पै रतजगा ,
मांगत हैं वरदान ।
पारबती के व्याव की ,
ठानें जयहिंद ठान ।।
आल्हा-
सियाराम अकती के दिन खों ,
सोन सगुन लैवे खों जात ।
भर कुड़याव करें पूजा जे ,
शाम होत वरगद नों जात ।
दोहा
सबकी गाथा लिख दई ,
जोन पटल महमान ।
जो भी गलती हुई हों ,
क्षमा करें श्रीमान ।
समीक्षक - सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
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48-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
*सुम्मुवारी समीक्षा* २४.०८.२०२०
भाषा में उनई चीजन कौ नाव सम्भव है, जो अस्तित्व में हैं, यानै जिनकौ अस्तित्व है । जिन चीजन कौ अस्तित्व नइयाँ, भाषा में उनकौ नाव भी सम्भव नइयाँ । भाषा में ईश्वर कौ नाव भी है, जो ई बात कौ प्रमान है कै ईश्वर कौ अस्तित्व है । जौई तर्क शैतान के लानै भी दव जा सकत।
जब हम भाषा के माध्यम सें पुन्य-करम करत तौ अस्तित्व में व्याप्त ईश्वरीय तत्व कौ पोषन करत और जब भाषा के माध्यम सें पाप-करम करत तौ अस्तित्व में व्याप्त आसुरी तत्व कौ पोषन करत । रचना-धरमी होवे के नातें हमाव जौ कर्तव्य बनत कै हम केबल और केबल ईश्वरीय तत्व कौई पौषन करें ।
आज दोहा लिखबे कौ विषय रव *छमा* (क्षमा), जी पै भक्ति, ग्यान और शिक्षा-पूर्ण दोहा रचे गय । छमा कौ बखान तौ प्राचीन ऋषि-मुनियन सें लैखें आज लौं सब महापुरुषन नें करो । छमा खौं महान लोगन कौ आभूषण बताव गव ।
आज *गुलाब सिंह यादव भाऊ जू* नें अपने दोहन में छमा-धर्म की महिमा बताई। *रामेश्वर राय परदेशी जू* नें परमात्मा सें अपराध छमा करबे की प्रार्थना करी । *अशोक पटसारिया नादान जू* के अनुसार छमा बलवान खों शोभा देत । उनके दोहा पढ़कैं रामधारी सिंह दिनकर जू याद आ गय - *क्षमा सोहती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो ।*
*संजय श्रीवास्तव जू* नें पवित्र पर्यूषण पर्व खौं याद करकें लिखो कै हमें खुद अपनी भूल की छमा माँग लय चइये । *अभिनन्दन गोइल जू* नें लिखो कै क्रोध कौ निवारण छमा सें होत । छमा आत्मा कौ सुभाव और धरम कौ रूप होत । *रामगोपाल रैकवार जू* नें छमा खौं औषधि बताव जो मन के घाव भर देत । *शोभाराम दाँगी जू* नें रामकथा के केवट-प्रसंग पै भक्ति-भाव भरे दोहा रचे । *प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* नें छमा खौं सबसें बड़ौ दान बताव । छमा कौ महत्व बताउत भयँ लिखो कै छमा बड़े-बड़न खौं झुका देत। *नरेन्द्र श्रीवास्तव जू* नें लिखो कै छमा माँगबे सें और छमा करबे सें सब काम सद जात । *कल्याण दास साहू पोषक जू* नें भौत उत्कृष्ट दोहा रचे -
*जी के हिरदय में सबर ,* *छमा-विनय कौ* *वास ।*
*उलझन हैरानी कभउँ ,* *आय न 'ऊ' के* *पास*
उनके तीनइ दोहा उल्लेखनीय हैं । भौत लालित्य भरी बून्देली में दोहा लिखे गय । *के के पाठक जू* के दोई दोहा महत्वपूर्ण हैं, उनकी भाषा भौत प्रभावपूर्ण है -
*अपराधी खों दण्ड कौ,सूदौ-सूदौ रूल।*
*देवदत्त द्विवेदी जू* नें छमा खौं सुख-शान्ति कौ कारण बताव । उनकौ जौ चरण उल्लेखनीय है - *गम्म गुरीरी खाव।*
*सीताराम राय सरल जू* नें छमा कौ महत्व बताबे के लानै भृगु-ऋषि और विष्णु भगवान कौ पौराणिक प्रसंग प्रस्तुत करो । *राना जू* तौ दोहा-लेखन में सिद्धहस्त हैं । उनके दोहा कौ जौ चरन भौतई नौनौ लगो - *गम्म खाय में सार ।*
*राज गोस्वामी जू* नें माँ शारदा सें अपने अपराध छमा करबे की प्रार्थना करी । *डी. पी. शुक्ला सरस जू* नें छमा खौं बड़े जनन कौ गुन बताव । "छमा करवौ सबके बस की बात नइँ होत" *एस. आर. सरल जू* नें अपने रचे उत्तम दोहन में लिखो कै कैबौ आसान है, छमा करबौ कठिन है । *सीमा श्रीवास्तव जू* नें छमा खौं भगवान और बलवान कौ गुन बताव, संगै-संगै अपने भरभरे सुभाव कौ भी जिकर करो । *रघुवीर आनन्द जू* नें लिखो कै ऐसे कामई न करौ कै छमा माँगनै परै । *जयहिन्द सिंह जू* नें अपने मधुर दोहन में सिंगार, बात्सल्य और भक्ति के भाव व्यक्त करे । *वीरेन्द्र चन्सौरिया जू* नें लिखो कै भूल तौ सबसें होत । ऐसे लोग अब कम होत जा रय, जिनके दिल में छमा होय ।
आज केबल छमा विषय पैई इतने दोहा रच गय कै केबल आज के दोहन सेंई एक पुस्तक बन सकत । सब के दोहा भाषा, भाव और शिल्प की दृष्टि सें समृद्ध हैं । सबखौं बधाई और शुभकामनायें ।
-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
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49-श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़-25-8-2020
समीक्षक-श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़-4-8-2020
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50- श्री अशोक पटसारिया,भोपाल 26-8-2020
बुधवार: 26 अगस्त 20बन्देली :स्वतंत्र काव्य लेखन
राधेश्याम तर्ज़
जय गणेश जय शारदा, गुरुवर करौ सहाय।
आज समीक्षा लिख रहे, विद्वानन में आय।।
सबई बड़े विद्वान हैं, गुण में चतुर प्रवीण।
सरस्वती के पुत्र हैं , हम उनके आधीन।।
जिभ्या पर बैठो मेरे, देव शब्द भंडार।
में घबरा गव देख कें, मुलक जनन कौ प्यार।।
व्याकरन कौ दोष जो, होबे कछु हमार ।
अपुन सबई जन गुणी हौ,करियो मोई सभांर।।
बैनें गुण की खान हैं, तेज कलम की धार।
क्षमा करौ कछु छूट जै,में सबसें विनतुआर।।
भाषा बन्देली लिखत, भौत बड़ो परवार।
सबै समझवौ कठन है, सबकी जय जयकार।।
राजीव राना कर रहे, मेहनत दिन और रात।
श्री गोपाल जू ज्ञान सें, सबखों देवें मात।।I
*
चौकड़िया
हम खों छोड़ मायकें जा रईं, दिन भर का का का रईं।
रात दिना हम पाछें फिर रय,फिर भी खा खा जा रईं।।
हमसें कै रईं कै उरजौ ना, बुद्धू हमें बता रईं।।
में नादान लिखी जा पीड़ा, मोरौ भेजा खा रईं।।
*
गारी
लिखत रामेश्वर गुप्ता जू शान में।
भैया घुसे रव मकान में।।
घुसें घुसें दम घुट रव भैया।
घर में नइयां कौऊ कमैया।।
बीमारी में लगत रुपैया।।
पेट भरवे की आफत है जॉन में।
कैसें घुसे रव मकान में।।
*
#ग़ज़ल बन्देली
परदेशी जू गजल सुना रय।
केरल खों आसाम बता रय।।
उम्दा पकड़ लेखनी पै है।
गुरु खों आशाराम बता रय।।
इमली आम राम रावण सब।
काजू खों बादाम बता रय।।
*
#दोहा
राज गुसाईं ने लिखी, चौकड़िया दमदार।
मानुष देहि कुठरिया,मुरमा बन जै यार।।
*
के के पाठक ने लिखौ, भूतन पै इक व्यंग।
जैसें हम उनखों डरत, वे भी हमसें तंग।।
*
#आल्हा
दांगी शोभाराम हमारे , जौ है उनको नेक सुझाव।
रोटी की भंजाऊत है कुत्ता,तुम तौ भैया तनक भंजाव।।
बैला जुतत खेत में देखौ, ऐसी मेनत करकें खाव।।
में नादान इतेकइ जानत, मानुष होकें ना गरराव।।
*
पोषक जू कुतका पकरा रय,मौं पै कै रय हाथ मिलाव।
चीन चीन कें बटत रेवड़ी, तुम चुनाव में उनै बताव।।
सबके सङ्गे घातें हो रईं, तुम कैदो चूले में जाव।।
में नादान समझ कौ पक्कौ,समझ जात में उनको दाव।।
*
#सोरठा
माया काम ना आय, जानें परहै छोड़ सब।
हिलमिल रईयो भाय, गम्म खाय में सार अब।।
लिखत हाइकू खूब, राना कौ है नाम तब।
चढ़त प्यार कौ रंग, अनहोनी हो जाय कब।।
*
#कातक
राधा महारानी नमो नमो।
जैसी लिखीं पियूष राधका,
सो एसई सुंदर हैं महारानी नमो नमो।।
आज अष्टमी जनम भयो है,
सो चरनन में उनके सब प्रानी नमो नमो।।
रास रचावें कृष्ण कन्हाई,
सो रीझत फिर रईं राधारानी नमो नमो।।
में नादान तांन सुन दौरौ,
सो गईंयां ग्वाल गोपियाँ रानी नमो नमो
*
#चौपाई
पंडित शुक्ला सरस् बताई।
नीरसता कछु काम न आई।।
सपनें में देखे सुख नाना।
अंधों में ढूढ़त हैं काना।।
हिंदी में जो कविता डारी।
में नादां हौं निपट अनारी।।
बुन्देली विकास के लाने।
बुन्देली में कविता चानें।।
*
#कुंडलियाँ
आज धरम नइ चींनतई, सांसीं कइ नइ जात।
मौं देखी बातें करत, छांनत नइयां बात।।
छांनत नइयां बात , कहत यादव जी भाऊ।
सत्ता पा कें गर्मी बढ़ गई, मनों इकाऊ।।
कह नादान कवियार जे,दिखत ना कौनऊँ काज।
उनकी बा गत होउनें , जनता कै रई आज।।
*
#दोहा
संजय जू के हाइकू, कै रय राजा राम।
इतईं विराजे ओरछा, जौई हमारौ धाम।।
यूपी एमपी में बटौ , बुन्देलन कौ राज।
जौ दुख कौ कसरत बड़ौ, ईसें वे नाराज।।
*
शुक्ला जू क़त छोड़ दो, चोरी जारी घात।
मन कौ मेल उतार लो, सो हुइये बरसात।।
आज बिलोरा पर गवौ ,सरस् भूल गय बात।
बिगरी बात सभांर लइ, नौनी लिखी सुजात।।
*
#चौकड़िया
राम भजे सें भैया, पार लग जै जा नैय्या।
भवसागर कौ कठिन तैरवो, कड जें राम जपइया।।
पुण्य धरा जौ धाम ओरछा, इतै वेतवा मैया।।
रचत हाइकू अभनन्दन जू,उम्दा बनों समैया।।
*
#नई कविता
घरवारी मायके खों जावै,मोरे जी खों आफत आवै।
मोय बनाबो आउतई नइयां, भूख के मारें पेट पिरावै।
जैसें तैसें गए बाजार, उतै मिली कुल रोटी चार।
बेकाबू संजय की कुतिया, कहा गई पूरी रोटी चार।।
संजय ऊमें लट्ठ बजारय,जूठी रोटी खा नई पा रय।।
मित्रों से ले रहे सलाह,सुंदर रचना मेरी वआआह।।
*
#कुंडलियाँ
मीनू गुप्ता ने लिखे , सुंदर गीत विचार।
रोकोगे कब तक मुझे,बढ़ने को तैयार।।
बढ़ने को तैयार ,तेज सूरज का मुझमें।
सोने कैसी तपी, मौत का खौफ ना मुझमें।।
कह नादान कविराय, सत्य संकल्प नवीनू।
उम्दा लिखतीं आप, लिखौ बन्देली मीनू।।
*
राम सरल नोनों लिखत,कच्छु नई कै पाऊत।
दिन भर मोबाइल चलत,हमें पसीना आऊत।।
हमें पसीना आऊत, विदे जे मौडी मौडा।
निट्ठूऊँ नई पढ़ाई, चला रय गाड़ी घोड़ा।।
कह नादान कविराय अब,करत कौऊ नई काम।
बिगर गओ सबरौ बगर, भजलो सीताराम।।
*
#चौकड़िया
भैया हमें इतै नई राने, जेई सबई सें कानें।
कौऊ अमर होकें नई आवो,होने सबै रबाने।।
देवदत्त जू सांसीं कै रय,भरी हवा कड़ जानें।
में नादान इतेकई जानत,बचने नई चिखानें।।
*
#कुंडलियाँ
संजय के मन की व्यथा, मन फिरकइयाँ लेत।
मानत नइयां काऊ की, जम खों ढक्का देत।।
जम खों ढ़क्का देत, इतै फिर उतै दिखावै।
बादर बनके घरी घरी, में उड़ उड़ जावै।।
कह नादान कविराय, कृष्ण से कहें धनंजय।
रौज करौ अभ्यास,सोई जौ टिक जै संजय।।
*
आंखें हैं अपनी जगा, फरकेँ ख़ूबई खूब।
मिली कृपा गुरुदेव की,बरकै सबरीं धूप।।
बरकै सबरीं धूप, बीत गई अब जिंदगानी।
सरकने दो जा रेत, बचौ ना अंखियन पानी।।
कह नादान कविराय, नींद की खुल गईं पाखें।
श्री राम गोपाल श्याम सें, मिल जैं आंखें।।
*
#चौकड़िया
राम बिना नई कौई सहारौ, ई पै तनक विचारौ।
कै रय दाऊ पलेरा वारे, अपनी ओर निहारौं।।
केवट शबरी और जटायु,एसई हमखों तारौ।।
हौं नादान शरण रघुवर की,मन कौ रावन मारौ।।
*
#दोहा
सियाराम जी लिख रहे, भरे ना नदी तलाव।
सूखा की सालें लगत, ऐसौ ना दिखलाव।।
*
सीमा ने नोनीं लिखी,फिर रईं आंग उगार।
आग बबूला हो गईं, कई कजन की दार ।।
*
लिखबे में मेनत बहुत, घी नई इतनों खात।
अब शरीर थक जात है,दोई जोड़ रय हात।।
सबखों मौका देत रव,सबखों मिलै कमान।
सबकौ लिखबो निखर जै,जा कैरय नादान।।
- अशोक पटसारिया, भोपाल
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51- अनीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़
समीक्षा दिनांक 27-8-2028
🌹श्री गणेशाय नमः🌹
माँ वाणी और उनके साधक आप सब, को नमन करते हुए आज पटल पर प्रकाशित साहित्य की समीक्षा का लघु प्रयास कर रही रही हूं । जीवन मे रोज़ की आपाधापी, कोरोना से उपजे अवसाद और हर तरफ ऑनलाइन कार्यों के चलते शुरू हुए एक नवीन परिवेश में आप सब नियमित माँ वाणी की सेवा में संलग्न हैं इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं। बुंदेली साहित्य को समृद्ध बनाने में जय बुंदेली साहित्य समूह का अभिनव योगदान सदा याद किया जाएगा।
आज गुरुवार का दिन, हिंदी खड़ी बोली में साहित्य सृजन के लिए निर्धारित किया गया है। इस परंपरा का निर्वाह करते हुए आज की सामग्री सबने अपने -अपने अंदाज़ में प्रस्तुत की। मैंने मूल रचना के तेवर में ही समीक्षा का प्रयास किया है।इस श्रमसाध्य कार्य को मैं कोशिश भर जितना कर सकी पटल पर विनय पूर्वक रख रही हूं।
*आज की समीक्षा*
…………………………..
माँ वाणी को नमन करूँ,
सब को करूँ प्रणाम ।
करूँ निवेदित समीक्षा,
ले कर प्रभु का नाम।
डॉ सुशील शर्मा का
मानें हम आभार।
श्री राधे का वंदन,
करता बेड़ा पार।
बेकाबू जी की कविता,
करती हमे सचेत।
अपने भीतर ही रस है,
बाहर केवल रेत।
राज जी ने लिख दिया ,
मृत्युंजय पर मुक्तक।
शांति मिलेगी मन को,
जाप करोगे जब तक।
बच्चे के मन की थी बात,
नया बरस लघु कथा।
रुखसाना जी ने लिखी,
माँ के मन की व्यथा।
कहते हैं श्री सरस् जी,
गर्व सर्वदा व्यर्थ।
रहो दूर अभिमान से,
और बनो, समर्थ।
पीयूष जी की चौकड़िया,
सब नमत नत पढतन।
छवि बनत मन मुकुर,
हरषत मन निरखतन।
कल आज औ’ कल में,
सदा रहे जो अपना।
अरविंद जी देख रहे,
ऐसे मीत का सपना।
पुण्य, खुदा, ईमान,
बात सब में रोटी की।
कहें शरद कविराय,
बड़ी महिमा रोटी की।
माता-पिता बिना तो,
कुछ भी नहीं दुनियाँ।
सही है भाई अनवर,
यही तो है दुनियाँ।
चंसौरिया जी ने लिखी
नारी-मन की पीर।
शब्दों से बना डाली,
दर्द की इक तस्वीर।
विरह गीत सुंदर लिखा,
व्यक्त किए जज़्बात।
इंदु जी ने विरहन के,
हिय की लिख दी बात।
एक गीत पाठक जी का,
सिखलाता है प्रीत।
दीप बनो या पुष्प बन,
गाओ सदा ही गीत।
मरुस्थल सा प्यासा
अभावों में जन्मा,
पटसारिया जी ने गाया
ज़िंदगी का नगमा ।
जयहिन्द जी ने लिखा
मत खेलो तकदीरों से,
बदकिस्मत मरते हैं,
खुद की ही शमसीरों से।
भोले-भाले गोरे-काले,
उफ चेहरे ये कैसे-कैसे।
बहन उर्मिल देखतीं जाना,
उम्र गुजरती जैसे-जैसे।
प्यार भरा संसार बसाना
खुशियों की सौगात लुटाना,
सियाराम सर कहते हैं
माँ से सीखो प्यार लुटाना।
मीनू जी को क्षण भर को,
जिंन्दगी सहला रही थी ।
अनुत्तरित रहते सदा जो,
प्रश्न वो कहला रही थी।
भाऊ लिखत हैं ठोक कें
नेतन की करतूत,
आऔ तुम मैदान में,
हमनौ धरे सबूत।
आशीर्वाद है लघुकथा
लेकिन बड़ा है अर्थ
रामगोपाल सर यही मद है,
करवाता जो अनर्थ।
हीरन की खानें ,
और उम्दा चट्टान।
पोषक जी बता रहे,
बुंदेली धरा की शान।
कुँवर जी का चेतावनी गीत
सब मिल गाओ रे
हरि भजन करो,
सुमिरन में मन लगाओ रे।
सीखो प्रेम से रहना भैया,
कहते कृष्ण -राम यही।
सही है भैया दांगी जी,
बात तो अच्छी कही।
आदरणीय गोइल जी,
लिख रहे हैं ग़ज़ल।
रंग बदलती दुनियाँ में,
मौसम गए बदल।
नरेंद्र जी ने ज़िंदगी के,
विविध रूप लिखे।
पूनम सी उजियारी कहीं,
अमावस सी दिखे।
हाथ जोड़ कर सीस झुकाते,
गिरिजसुत भोले के नन्दन।
परदेसी जी आपके संग-संग
हम भी करते इनका वंदन।
राना जी ने थोड़ा लिख कर,
कह दी बड़ी सी बात।
अपनी-अपनी सोच है,
अपने हैं जज़्बात।
पता नहीं कब वक्त तेरा,
साथ देना छोड़ दे।
कहते सरल जी स्वप्न को तू,
नव दिशा में मोड़ दे।
आपाधापी और व्यस्तता,
यही सत्य है आज का।
संजय की कविता है जैसे,
खुलना सबके राज़ का।
अनीता ने लिख दिया,
जो भी था लिखना।
शब्द पढ़ कर छोड़ना न,
खाली जगह भी पढ़ना।
*अनीता श्रीवास्तव*
मऊचुंगी टीकमगढ़ म प्र
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52-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
आज की समीक्षा दिनांक 28-8-2020
हमाय देश में कैऊ तीरथ स्थान हैं ।इन तीरथन पै अलग अलग देवी देवतन के मंदिर हैं ।जिनके दरशन करवे के लानें मान्स दूर दूर की यात्रा करत ।उर दरशन करकें पुन्य लाभ लेत ।इनई सब तीरथन के दरशन करवे लाने कछु जनें हमाय पटल के सदस्य सोऊ गये ।जिननें अपनें संस्मरण आज पटल
पै लिख भेजे ।जिनकी मैनें काव्यमय समीक्षा करवे की कोशिश करी है ।जो अपुन सब जनन खों सादर प्रेषित है ।
चौपाई :-
रामेश्वर पूना में गय ते ।
संगै लुचइं पपैयां लय ते।।
गुलाब भाऊ ग्या जू फिर आये।
पिण्ड परा पंडन सें आये ।।
केदारनाथ ऊँचे बसवें ।
डी,पी, शुक्ल चढतन में थकवें ।।
दोहा:-
लेखक संघ की गोष्ठी, में पहुँचे कलयान ।
उननें जब रचना पढी ,चकरा गये विद्वान ।।
धामौनी अनुपम जगा, किला अनौखा कात ।
कवल उतै की सैर पै, सबके संगै जात ।।
चौपाई:-
स्वप्निल जब दिल्ली सें लौटे ।
तब सिक्कन के पर गये टोटे ।।
अमरकंट सें बिजली आई ।
सियाराम गय घूमन भाई ।।
अद्भुत तीरथ स्थान है,मदनपुर सुन्दर धाम ।
घूमन गय राजीव जी,छोड़ घरू सब काम
चौपाई:-
अरविंद जी दादी घर जाते ।
दादी के लडुवा वे खाते ।।
दोहा:-
संचालन के क्षेत्र में ,रुखसाना का नाम ।
नाम दिनों दिन हो रहा ,करती नोंनें काम ।।
चौपाई:-
पांव भोंरिया संजय जू के ।
केरल खों माने वे छू कें ।।
शालिग्राम के दरशन पाये ।
तब अशोक जी घर को आये।।
जयहिंद राजा बडे़ सियानें ।
अयोध्या जु दरशन को जानें ।।
सबइ जनन सें विनती मोरी।
गलती सबइ मानियौ थोरी ।।
समीक्षक -
सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
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53-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -31-8-2020
*सुम्मुवारी समीक्षा* ३१.०८.२०२०
अगर कौनउ मुकाम हम खुद हासिल नइँ कर पाय और हमाय कौनउँ स्वजन नें वौ मुकाम हासिल कर लव, तौ आंशिक रूप सें हमई नें वौ मुकाम हासिल कर लव । सुधीजन सामाजिक जीवन के ई गहरे राज खौं जानत हैं और एई अवधारणा खौं अंगीकार कर खैं चलत । एईसें अपने *स्वजनन* कौ हर-संभव सहयोग करत ।
रचनात्मक जगत में भी जौई सद्भाव अपेक्षित रत । अगर हमाय लेखकीय परिवार के कौनउँ *स्वजन* खौं कछु भौत अच्छौ सूझ गव और ऊ नें भौत अच्छौ लेखन कर लव, तौ प्रकारांतर सें हमनेंई वौ लेखन कर लव । श्रेष्ठ साहित्यकार एई भाव-धारणा कौ अनुशरन करत और दूसरे साहित्यकारन की योग्यता कौ पूरौ सम्मान करत, संगै-संगै आँगें बढ़बे में उनकौ पूरौ सहयोग करत ।
अगर हमाय बीच के कौनउँ साहित्यकार नें कौनउँ उपलब्धि, पुरस्कार या सम्मान हासिल कर लव तौ वास्तव में हम सब नेंईं वौ हासिल कर लव ।
परहित में त्याग तौ परम पुनीत करम मानोई जात । परहित में अपने प्रानन कौ भी त्याग, बलिदान हो जात । देश, धर्म और समाज के लानै बलिदान होवे वाय अमर हो जात । आज *बलिदान* बिषय पै देशभक्ति और त्याग के भाव सें भरपूर दोहन की रचना भई।
*शोभा राम दाँगी जू* नें देश - भक्ति के भाव सें भरे दोहन की रचना करी । आजादी के लानै देश भक्तन के बलिदान कौ वरनन करो । *रामेश्वर राय परदेशी जू* नें राजा बलि द्वारा तीन पग धरती दान सम्बन्धी पौराणिक प्रसंग और देश भक्ति व्यक्त करी । *संजय श्रीवास्तव जू* नें देश भक्तन के बलिदान और सन्तान के सुख के लानै मताई-बाप के त्याग कौ भौत सम्वेदना भरो वरनन करो । उनके दोहा कौ अंश - *सूरज जैसौ अमर* में काव्य-सौन्दर्य दर्शनीय है । *अनीता श्रीवास्तव जू* नें भौत ज्वलंत मुद्दा उठाव कै वर्तमान नेता अपने पूर्वजन के बलिदान खौं भुना रय । हम केबल नारे लगा खैं अपनौ कर्तव्य पूरौ मान लेत । *राजेन्द्र यादव कुँवर जू* देशभक्ति में बलिदान कौ भाव व्यक्त करो । *गुलाब सिंह यादव भाऊ जू* नें देशभक्तन के बलिदान खौं याद रखबे की बात करी । *कल्यान दास साहू पोषक जू* नें लिखो कै देश प्रेम सबमें भव चइये । जो देश हित में मरत उनईं सें देश कायम है ।
*अशोक पटसारिया नादान जू* नें सुराज के लानै झाँसी की रानी के बलिदान खौं अमर बताव । देश की आजादी के लानै वीरन के बलिदान कौ बखान करत लिखो कै *मातृभूमि पै मिट गये, लाखन में जाँवाज।*
*प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* नें देश हित में बलिदान होवे वारन खौं हमेशा याद रखबे की बात लिखी और चिन्ता व्यक्त करी कै एक वे नेता हते जो बलिदान हो गय और एक जे नेता हैं जो मौज मस्ती में डूबे
*मजा मार रय आज जे, बलदानन खौं भूल*
*अभिनन्दन गोइल जू* के दोहन कौ सार है कै वीरन के बलिदान खौं नईं भूलनै । राज धरम सब धरमन सें ऊपर होत । *देवदत्त द्विवेदी सरस जू* नें पैले स्वतन्त्रता संग्राम के शहीदन खौं याद करो । *वीर बहादुर वाँकुरे, बखतबली बलवान* काव्य-सौन्दर्य दर्शनीय है । *राज गोस्वामी जू* नें लिखो कै वर्तमान नेतन नें बलिदानियन खौं भुला दव । *शालिगराम सरल जू* के अनुसार बलिदानियन नें अभिमानियन कौ घमण्ड चूर कर दव तौ । *सियाराम जू* नें महापुरुष डॉ. भीमराव अम्बेडकर जू द्वारा भारत के महान संविधान के निर्माण कौ जिकर करो । *डी. पी. शुक्ल सरस जू* नें अपने दोहन में देश भक्त बलिदानियन खौं नमन करो । *राजीव नामदेव राना जू* नें देश भक्त बलिदानियन खौं कोटि-कोटि प्रनाम करो । *सीमा श्रीवास्तव जू* ने पन्ना धाय, सैनिक, माता-पिता और भगवान राम के त्याग और बलिदान के दोहा रचे । *वीरेन्द्र चनसौरिया जू* नें तन, मन और धन के बलिदान खौं पूर्ण बलिदान बताव ।
आज लगभग सबई कवियन नें त्याग, वीरता और बलिदान सें भरे देश भक्ति के दोहा रचे । भाव सबके श्रेष्ठ हैं, पै एक-दो विद्वानन नें बोली और शिल्प पै कम ध्यान दव । ऐसौ लग रव कै दोहा रचबे की ई कार्यशाला खौं अबै कछु दिन और जारी रखबे की जरूरत है । समूह के मार्गदर्शक गुरुजनन खौं अबै और मार्गदर्शन करनै परै ।
-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -31-8-2020
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54- श्री रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ 1-9-2020
दिन-मंगलवार समीक्षा
आल्हा
सुमरन करकें मात शारदा
सुमरौ श्री गनेश भगवान
छत्रसाल हरदौल जू भूषन
तुलसी केशव भये महान
नमन करौं बुन्देली भूमि
छायो देश विदेशन नाम
बनी अजुदया इतै ओरछा
काशी जू कुंडेश्वर धाम
बेकाबू नादान कुँवर इंदू
पाली पाठक अरविंद
सरस सरल पोषक पीयूष जी
भाऊ कँवल राना जय हिंद
सुशील शर्मा जी नेमा जी
जैजिनेंद्र गोयल पिरनाम
सीमा उर्मिल बेन गुसांई
चंसौरिया जू जय सियाराम
अपनो जान छमा करियौ जू
जो कछू भूल चूक होजाय
करत समीक्षा मंगलवार की
परदेशी रामेश्वर राय
कोउ काऊ सें कम हैं नईया
एक सें एक हैं साहित्यकार
बैठीं कलम पै मात शारदा
शब्द कोष कौ है भण्डार
रचनायें सबकी हैं उम्दा
की कौ का लौ करौ बखान
किरपा मिलत जिये पुरखन की
बौ न कभऊ होबे हैरान
-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र
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55-समीक्षक अशोक पटसारिया नादान
बुधवार दिनाँक 2 सितंबर 20 बुन्देली गद्य पद्य रचनाएँ समीक्षा
श्री गणेश माँ शारदे, करियो क्षमा विशेष।
पुरखन खों हम याद कर,करत समीक्षा शेष।।
करत समीक्षा शेष, छूट जो कौऊ जावै।
तनक इशारौ करै , और मन में हरसावै।।
कह नादान कविराय जौ ,जीवन है इतिशेष।
बड़े प्रेम सें रव सबई , कर रय श्री गणेश।।
सबके पुरखन खों नमन,और क्षमा के साथ।
हम पर दया विचारियो, सबके जोरत हाथ।।
रामेश्वर गुप्ता लिखत,चुगली करौ ना कोय।
युवा वर्ग बर्बाद है , सुनत सोई दुख होत।।1
अपनों घी लोटा सें खों रय,ई में नइयां शान।
पाछे सें गइया सी दो रय, जा कै रय नादान।।2
राजीव राना लिधौरी ,सावन सैयां चाऊत।
जे बसन्त मैं आम औ मउआ से गरराउत।।3
रामेश्वर परदेशिया , पूंछ पुंगरिया डार।
जब निकसै टेडी मिलै ,ई पै करत विचार।।4
दोहन कौ जौ संकलन ,बन जैहै इतिहास।
राना जू नौनों करौ , हमें तुमइँ सें आस।।5
बेंन अनीता ने लिखो , झांसी हमें घुमाव।
पिड़ें पिड़ें मन ऊब गव, कौऊ इने समझाव।।6
गुलाब सिंह भाऊ लिखत,दगा सगौ नईं होत।7
जी जी ने ई खों करौ, वौ जीवन भर रोत।।
राज गुसाईं व्यंग में ,लिख रय पुलिस कमाई।8
की की ने कितनी करी, ई पै मची लराई।।
दांगी शोभाराम कत , मंदोदरी सम्बाद।9
रावण तौ चेतो नहीं, गरब करें बर्बाद।।
नेमा जू संतोष ने , उम्दा ग़ज़ल बनाई।10
ताका झांकी छोड़ दो, अब तौ सुधरौ भाई।।
मानव जीवन बीतता , ज्यों अंजुरी कौ नीर।11
डी पी शुक्ला सरस् ने, लिखी देह की पीर।।
प्रभु दयाल पियूष ने, देशी ठोको गान।12
गाईंयां भैसें रभां रई ,ऊँगत आ रय भान।।
पोषक जू खों आज के, चैनल पै है रोष।13
कुत्तन जैसे लड़त है, इन्हें नहीं संतोष।।
संजय जू उम्दा लिखत,सुंदर उनकौ ज्ञान।14
सबखों लैंकें चलत हैं, एई बात मैं शान।।
गाडरवारा सें श्री , श्रीवास्तव जू आव।15
बिन अनुआं के काय खों,वैथां जीव सताव।।
जो भी माया में विदे, उनखों नौनी सीख।16
राजेन्द्र कुंवर मलेहरा, माया सबसें बीस।।
गूंगे सें बुलवा रहे , वैरे सुन रय अर्थ।17
ऐसे राम गुपाल जू, ज्ञानी बड़े समर्थ।।
मीनू गुप्ता का नमन, पुरखन खों शतबार।18
क्षमा चूक बे मांगती , सबसें बारम्बार।।
बहिन सिद्दकी ने लिखो, भौत पुरानों व्यंग।19
पानू पी के पूंछ रय , जात सुनी सो दंग।।
अब ऐसौ नइयां कछु, सबई एक परवार।
जा भी एक प्रथा हती, लघु कथा कौ सार।।
संजय बेकाबू मवई, बांद मुसीका कात।20
सुना सुना कें मार दें, हम ठैरे कवि जात।।
शब्दन सें जादू करत ,इनकी कलम बुलंद।
जैसई डारत पटल पै ,सबखों आऊत पसंद।।
शालिगराम सरल लिखत, बुन्देली है जान।
नई नवेली की तरह , बन गई अब पैचान।।21
अपनी अपनी हांक रय, लैंकें लठिया साथ।
कौऊ काऊ की नई सुनत, ईसें जोरत हाथ।।
अपनी आदत सुधरी नइयां,जा पाली ने कई।
सियाराम लिखते बन्देली, मोइ जान में सई।।22
वेरेन्द्र चंसौरिया लिखी, भौतई नौनी बात।
हर कारण में सीख है, गुस्सा कर पछतात।।23
संजय श्रीवास्तव मवई ,अद्भुत लिखते गद्य।
सुंदर दृश्य दिखा दिया, तैराकी का सद्य।।
कभऊँ बिजौले जो मिलें, बिना पजामा तैर।
सो अंग्रेज खुश ना हुएँ, उनकी रोजऊँ सैर।।24
दादुर मोर पपीहरा , डोलत मन दिन रात।
जय हिंद सिंह दाऊ लिखत,कैसी नौनी बात।।25
और अन्त मैं,,,,
कम तौ कौऊ काऊ सें नइयां, अपनी अपनी धइयाँ।
भौतई सुन्दर सबई प्रस्तुतीं, एक सें एक धुरईयाँ।।
मच गव हल्ला बन्देली कौ, का है राम करैयां।।
तुम सब चंदा आव पटल के, में नादान तरईयाँ।।
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56-अनीता श्रीवास्तव,मऊचुंगी टीकमगढ़ (म.प्र.)
दिनांक 3-9-2020 बिषय-स्वतंत्र हिन्दी काव्य
श्री गणेशाय नमः
🙏🙏
माँ वाणी को नमन करूँ बोलूं जय श्री राम
समीक्षा से पहले सब को मेरा प्रणाम।
ये पटल है नया नवेला, कारवाँ बड़ा अलबेला।
सब सीखें सब सिखलाये भी, गुरु न कोई चेला।
🌹 🌹🌹🌹
मौत के कुँए में जब जाए जिंदगानी,
पटसारिया जी कहते भवचक्र की कहानी।
जगतराज जी को देते हैं मशवरा हम,
चुप साधो जब मिल ही गए, बेजुबाँ सनम।
यशोदा को लाला के देत हैं उराने,
कान्हा बिना कुँवर जू का मनवा नहीं माने।
गोविन्दा गिरधर गोपाला या सीतापति राम,
पाठक जी हैं भ्रम में जपें कौनसा नाम।
कहें शरद जी बुढापा होता है आसमान,
सत्कर्म ही हैं आखिर सुख का सामान।
गोईल जी ने बीमारी के लक्षण खूब बताए,
इश्क मर्ज़ है , मदहोशी 'ड्रग', रोग जिसे लग जाए।
इंदु जी पौंचा रए, पुरखन खौं परनाम,
नौनी बातें लिख कैं जग में , ऊँचौ कर रए नाम।
परदेसी जी बने सलीम औ' वे बनीं अनारकली
अच्छी इश्क मोहब्बत वाली आज हवा चली।
कृष्ण के विरह में छेड़ दी तान,
भाऊ ने लिख दिया भक्ति का गान।
अरविंद जी शजर को भी जड़ नहीं चाहते,
चेतन हो जीव जब ही जगत में निबाहते।
आगी , फूल , बबूल का बता रहे महत्व,
पोषक जी को हो गया बोध ज्ञान तत्व।
कोरोना से डरे- डरे संतोष जी,
चेता रहे मगर है थोड़ा रोष भी।
बहुत है कोलाहल भरी दुनियां,
सरस् जी बेघर हुई गौरैया।
सियाराम सर न पछताना,
चाटुकारिता भरा ज़माना।
भारत की मिट्टी में जन्मे हिंदुस्तान हमारा,
दांगी जी को देश पर मर मिटना गवारा।
फूल प्लास्टिक वाले भी बाजारों में मिलते हैं,
रवि जी कहते फूल वही जो संघर्षों में खिलते हैं।
श्याम के दर्श को व्याकुल हैं नैन,
पीयूष जी दरस बिन न पावैं चैन।
बेकाबू जी की कविता में दर्द है मजदूर का,
दुख से नाता पास का है सुख से थोड़े दूर का।
यह पत्र पढ़ा जब जाएगा,
हर एक का जी भर आएगा।
भाई जयहिंद बधाई हो,
यह समां भूल न पाएगा।
गीत गाए प्रीत का सुहावन,
उर्मिल का गीत है मनभावन।
सरल जी पैसा उसे कमाना,
ढल जाता इंसान, जैसा कहे ज़माना।
स्वप्निल जी ने लिख दिए मोती जैसे अक्षर,
पत्थर की नक्काशी ने चित्त रख लिया हर कर।
-अनीता श्रीवास्तव,मऊचुंगी टीकमगढ़ (म.प्र.)
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57--सियाराम अहिरवार,टीकमगढ
🌞आज की समीक्षा 🌞
विषय-बुन्देलखण्ड के पहाड़ (पहाड़ियां, टौरियां )-
पहाड़ उर नदियां ई धरती पै कुदरती देंन हैं ।इनें नष्ट करवे कौ हमाव कौनऊ अधकार नइयां ।
विन्ध श्रृंखला के पहाड़न सें हमाय बुन्देलखण्ड की एक अलग पैचान है।पर खनन माफिया काला सोनों निकारवे के लानें ,लम्बे समय सें इन पहाड़न खों खोदवे दते हैं ।जीसें आदे सें जांदा पहारन कौ तौ बजूदई खतम होत जा रऔ ।जीकौ परयावरन पै सोऊ बुरऔ असर परो ।हमाय असफेर में सोऊ ऐसी कैऊ पहारियां हैं ,जिनकौ अपनों अलग महत्त है ।इनई सबकी जानकारी के लानें आज पटल कौ विषय "बुन्देल खण्ड के पहाड़ रखो गऔ ।जीपै सबई लेखकन नें अपनी सक्रिय भूमिका निभाउत भये ,भौतई नोंनें नोंनें लेख लिखे ।
आज सबसें पैलां सियाराम अहिरवार नें ललितपुर जिला के ककड़ारी गांव के ऐंगर के धंधकुआ पहाड़ के वारे में अपनों लेख लिखो।जीमें से डाइसफोर(गोट)धातु निकरत ।
श्री रामेश्वर राय जू नें भी ललितपु र जिला के बिरधा ब्लाक के गांव डोंगरा के पहारन की भौतई नोंनी जानकारी दई ।
कलम के धनी अशोक पटसारिया जू नें अपनें गांव के ऐंगर की बराना छिपरी परवत श्रृंखला कौ भौतई नोंनों वरनन करो ।उननें लिखो के जौ भौतई नोनों रमणीय इस्थान है जितै पिकनिक करी जा सकत ।
श्री गुलाब सिंह जू भाऊ नें जैन क्षेत्र अहार जी की पहारियन कौ वरनन करत भऔ लिखो कै इतै जैन धर्म की सतमडियां हैं।जीसें इन पहारन कौ महत्त और बड़ गऔ ।
श्री डी पी शुक्ला जी ने अपने असफेर चंदेरा के बग्गजमाता पहार के वारे में लिख रये कै जो भौतई ऊँचौ है ।जीपै कैऊ तरा के जनावर हते पर अब नई बचे ।
श्री अभिनन्दन जी गोइल नें बुन्देल भूम के गौरव सोनागिरि कौ भौतई नोंनों विस्तार से वरनन करो ।
श्री कल्यानदास पोषक जू नें मऊ के ऐंगर केदारेश्वर पहाड़ के ऊपर कुण्ड औ ऊपै बिराजमान भोलेशंकर की झाँकी पर भौतई नोंनों सारगर्भित लेख लिखो ।
श्री प्रभूदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी नें अपनें गांव बडोखरा की तीनई पहारियन कौ और उनके ऐंगर उटाई बांद के सुन्दर दृश्य कौ भाई अच्छौ वरनन करो ।
श्री राजीव जी नामदेव राना ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के महोबा जनपद में स्थित गांव कुलपहाड़ है ।जीके चारऊँओर पहार हैं ।उनई में सें एक पै बगराजन देवी कौ मंदिर है जो भौतई प्रसिद्ध है ।
वे लिख रये कै इतै पहारिया पै तीन गुफाएं हैं, जीमें अब भगवान की मूर्तियाँ बिराजमान हैं ।
श्री शोभाराम दांगी जू ने अपनें असफेर की पहाड़ी को वरनन करत भये लिखो कै दो किलोमीटर पार पै महादेव जू विराजमान हैं सो ऊ पहार खों महादे कौ पहार बोलत ।ऐई पै
गौरा"पेरोपलाइट"निकरत जो भौतई कीमती है ।
श्री राजेन्द्र जू यादव कुँवर सिलपरी के पहार की बिशेषता बताउत भये लिख रये कै ईके बीच में सें एक झरना बउत जीखों देखवे कौ बार बार मन होत ।वे लिख रये कै जटाशंकर की नाई एक और अद्भुत स्थान है ,जियै योगीदण्य के नाव सें जानों जात ।
सुश्री सीमा जी ने अपने सारगर्भित लेख में खत्री पहार पै विराजमान विंध्यवासिनी मैया की महिमा कौ वरनन करत भये लिखो कै जौ स्थान देश के १0८ शक्ति पीठन में सें एक है ।जौ पार सुपेद रंग कौ है ।
श्री जगतराम जी ने अपने लेख में जटाशंकर कौ भौतई नोंनों चित्रण करत भये लिखो कै इतै पै शंकर जी की जटन सें बारऊ मइना धारा बउत रत ।जीमें सपरवे सें चरमरोग जड़ सें मिट जात ।
श्री रामगोपाल रैकवार जू नें अपनें ऐंगर के पहार गडा़ पार की खोज करकें ऊकी भौत नोंनी जानकारी दई।वे लिख रये कै ई पहाड़ी पै पैंला मामौन गाँव की पुरानी बस्ती बसी ती ।जीके चिन्न अबै लौं दिखात ।ऐई पै शनि मंदिर सहित कैऊ देवी देवतन के मंदिर बनें ।जितै जाकें लोग दरशनन कौ लाभ लेत ।
श्री जयहिन्द सिंह जू देव ने घूरा के पहार दतला कौ अपने लेख में वरनन करो ।
ई तरां सें आज पटल पै भौतई नोंनें लेख आये ।जिनकी तारीफ करवौ हमाई कलम के बस की बात नइयां ।ई के संगै संगै रविन्द्र यादव जू की तरफ सें पटल पै भौतई नोंनों सुझाव आओ ।जीपें विचार करवे कौ हमाय संचालक महोदय ने आश्वासन दऔ ।
समीक्षक ।-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ
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58-अरविन्द श्रीवास्तव भोपाल
*सुम्मुवारी समीक्षा* ०७.०९.२०२०
आदमी सहूलियत पसंद सुभाव कौ होत । हम हर ऊ चीज खौं अपनाउत जा रय, जी सें हमाव शारीरक और मानसिक श्रम कम होय और समय भी बचै । सब चीजें कठिनता सें सरलता की तरफ जा रईं । साहित्य के संगै भी जौई हो रव ।
एक समय हतो जब संस्कृत जैसी व्याकरण निष्ठ भाषा चलत ती, काव्य कला की हर कसौटी पै खरौ और छन्दबद्ध काव्य कौ सृजन होत तौ । शास्त्रीय नृत्य और संगीत में लोग डूब जात ते । आज उनई चीजन सें आदमी ऊब जात ।
आज हर आदमी शरीर और मन सें थको भव है । सबके पास समय कौ अभाव है । आज आदमी खौं ऐसे भाषा और साहित्य चानै जो सरल और सुखद हौयँ ।
हम अपने आप में कितेकउ बड़े भाषा विद बने रयँ चाय काव्य कला के कितेकउ बड़े ग्याता होयँ; अगर हमाव सृजन आम आदमी के स्तर कौ नइयाँ, तौ हम आज के समाज की जरूरत के दायरे सें बाहर हैं ।
आज बुन्देली दोहा लेखन कौ विषय रव *शिष्य*। अपने इतै चेला और शागिर्द शब्द भी चलत । शिष्य की भी अपनी गरिमा है । बिना शिष्य के *गुरु* नइँ हो सकत । एइसें अक्सर गुरु-शिष्य शब्द संगै आउत । पुराने जमाने में महान लोग अपनौ परिचय अपने गुरु के नाव सें भी देत ते कै हम उनके शिष्य आयँ और ई पै गर्व करत ते ।
आज के समाज की मुख्य धारा में गुरु और शिष्य नइँ होत, शिक्षक और विद्यार्थी होत । फिर भी श्रृद्धा और स्नेह वश, एक-दूसरे में गुरु और शिष्य की छवि खोज लेत ।
*रामेश्वर राय परदेशी जू* ने दोहा में गुरु खौं भगवान सें बढ़खैं बताबे की परम्परा खौं आँगें बढ़िव । *गुलाब सींग यादव भाऊ जू* नें श्रेष्ठ शिष्य के महत्व खौं बताउत भयँ लिखो कै एकलव्य के ग्यान खौं देख खैं गुरु जू खौं भी अचम्भौ भव । *जगत राज शांडिल्य जू* नें शिष्य के लानै गुरु की अनिवार्यता बताई । अपुन के दोहन खौं मात्राअन के अनुसार फिर सें व्यवस्थित करबे की जरूरत है । *शोभाराम दाँगी जू* ने आरुणि और एकलव्य जैसे पुरान प्रसिद्ध शिष्यन के उदाहरन प्रस्तुत करे । अपुन के दोहन खौं भी मात्राअन के अनुसार फिर सें व्यवस्थित करबे की जरूरत है । *डी. पी. शुक्ल सरस जू* के अनुसार जो शिष्य, गुरु की शरन में जात उनै जीवन की राह मिल जात । *राम कुमार शुक्ला जू* कौ मत है कै शिष्य के आचरन के अनुसार गुरु की कृपा प्राप्त होत । *संजय श्रीवास्तव जू* नें भौत महत्वपूर्ण बात बताई कै गुरु कौ स्थान मशीन नइँ लै सकत । *संतोष नेमा जू* ने आज के विषय पै ध्यान नइँ दव । दोहा न रच खैं गीतिका रची । *अनीता श्रीवास्तव जू* नें कैनात की याद दुवा दई कै *गुरु गुरई रै गय और चेला चीनी हो गय ।* शासन की घरै जाखैं पढ़ावे की योजना और मनमाने निर्देशन कौ जिक्र करो । *कल्यान दास साहू पोषक जू* के दोहा, बोली और शिल्प की दृष्टि सें भौत नौने हैं -
*गुरु की नजरन में रहै* *वौइ शिष्य है नेक*
*बसा लेत 'जो' चित्त में, विद्या विनय विवेक*
*सियाराम जू* के अनुसार मन में एकाग्रता होय और लक्ष्य पै ध्यान होय तौ शिष्य खौं ग्यान मिल जात ।
*वीरेंद्र चन्सौरिया जू* नें भौत नायाब दोहा रचो -
*शिष्य तौ मोरे कैउ हैं,पढ़बे में हुशियार*
*सबके सब नौंने लगें,खूब करत हम प्यार*
*राज गोस्वामी जू* नें पितर पक्ष कौ जिकर करो कै इन दिनन में गुरु मराज खौं भौत न्यौतो जा रव । *अशोक पटसारिया नादान जू* गुरु-शिष्य की प्रसिद्ध जोड़ियन कौ विवरन दव । रामानंद-कबीर, हरीदास-बैजूबावरा, द्रौनाचार्य-एकलव्य, संदीपनी-कृष्ण, वशिष्ठ-राम, धौम्य-उद्दालक, रविदास-मीराबाई, रामकृष्ण-विवेकानंद; जे सब गुरु भी महान हते और शिष्य भी महान भय । *देवदत्त द्विवेदी जू* ने भौत नौने दोहा लिखखैं चिन्ता व्यक्त करी कै शिक्षा अब व्यवसाय होत जा रइ संगै जौ सन्देश भी दव कै "जीवन एक खोज है ।" *राजीव नामदेव राना जू* कैबौ है कै गुरु खौं ईश्वर मान खैं उनकी सेवा करे चइये । *रामगोपाल जू* दत्तात्रेय भगवान कौ उदाहरण दव कै जी सें भी उत्तम ग्यान मिलै, ग्रहन करौ । *एस. आर. सरल जू* नै गुरु की तुलना बगिया के माली सें करी । *जयहिंद जू* नैं लिखो कै बिना शिष्य के गुरु भी नइँ हो सकत । *सुशील शर्मा जू* नै गुरु सें मिले दण्ड खौं भी हितकारी बताव -
*गुरु की लठिया जब परै, छम-छम विद्या आय*
*प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* गुरु की गुरुता तौ तब है जब शिष्य महान निकरै
"गुरु की गुरुता है तभी,निकरै सिस्य महान।
अर्जुन जैसे सिस हते,गुरू द्रोण की सान।।"
आज की दोहा लेखन कार्य शाला में सहभागिता करवे वाय सबई विद्वान कवियन कौ भौत-भौत आभार ।
*अरविन्द श्रीवास्तव*
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59- रामेश्वर राय परदेशी
समीक्षा हिंदी दोहा दिनांक-8- 9-20
मां वीणा वादिनी को नमन
सबइ भैय्यन खों परदेशी की
राम राम पौचे बाबा तुलसी ने
मानस में लिखो
केहि कवित्त निज लाग न
नीका
होय सरस् अथवा अति फीका
पारम्परिक धुन
जय बुन्देली समूह कंवल संग
राना जू ने बनाव मनरयइन भौरा
1
दोहा हैं नौंने भाऊ के
जैसइ हैं पोषक साऊ के
उसई है जयहिंद दाऊ के
जगतराज नादान व दांगी जू
ने नोनो बताव मन रइयन भौरा
2
शिक्षक मां खों बड़ौ बता रय
सब सें सियाराम जू का रय
शिक्षक ट्यूशन इंदू पड़ा रय
सरल सुशील कात शिक्षक खों
अपनो शीश नबाव मन रइइन
भौरा
3
पत्नी रत्नावली तुलसी की
संजय पियूष की रचना नीकी
बेकाबू व गुसाईं जी की
वेंन अनीता कौ मोय मल्टी
परपज नई पुसाव मन रइयन
भौरा
4
चंसोरिया की नौंनी पहेली
पाठक जैसी कैऊ ने पेली
हिंदी दोहों में बुन्देली
पड़ौ विषय राना जू ने तो
कैऊ बेर समझाव मन रइयन
भौरा
गलती क्षमा करियो जू
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60-समीक्षक अशोक पटसारिया नादान
बुधवार दिनाँक 9 सितंबर 20
बन्देली स्वत्रंत काव्य समीक्षा
आज विनायक शारदा, गुरुवर रहें सहाय।
कृपा करौ हम पर अपुन, सोई कछु लिख जाय।।
पी डी शुक्ला सरस् जी, करत करारौ व्यंग।
महाराष्ट्र सरकार की, अब ना बजे भपंग।।
के के पाठक ललतपुर,ख़ूब करी बड़वाई।
शौचालय पैले बनें, भौत जरूरी भाई ।।
उम्दा अटका अहानें , कहावतें लिख लेत।
शुशील शर्मा ह्रदय सें, बुन्देली खों देत।।
राना जू के हाइकू, हैं प्रसिद्ध दमदार।
बेर मकोरा गुलगुचें, बरा मंगौरा दार।।
परदेशी रामेश्वरन , लरकन में संतोष।
सबरी लिस्ट बनायकेँ ,बोले फिर का दोष।।
दांगी शोभाराम पै , देश भक्ति कौ दौर।
नारी शक्ति के लिंगा, टिकौ ना कौऊ और।।
चीन खों लैंकें लिख रहे,यादव भाऊ गुलाब।
हम भी ताकत रखत हैं, चेत जाव तुम साब।।
शुक्ला रामकुमार खों , दिना भये कुल चार।
धररें धीरे सीख जैव, बुन्देली कौ बार।।
लिखी गाय की दुर्दशा, पोषक जू ने आज।
जी खों गौ माता कहत, ऊ की राखौ लाज।।
सियाराम झरने लिखी, गौभक्तन की बात।
जितै जरूरत आज है, उतै कौऊ नई रात।।
संजय जू की कलम तौ ,लिखतई सार असार।
मन आडो टेडो भगत, ईखों बश मैं डार।।
जे अशोक नादां लिखत, ग़द्दारन कौ हाल।
अपराधी गुंडे सुखी, मेहनतकश बेहाल।।
राज गुसाँई जू कहत, लिखत परीक्षा आय।
कविता हेटी होय तौ, परिवीक्षा कहलाय।।
सियाराम जू ने लिखो, मानत नइयां बात।
बिना सींग नटवा फिरत, चीनत नइयां जात।।
नेमा जू संतोष की, मन ने डारौ बात।
कोरौना की गत लिखी, जीमें सबकौ हात।।
सियाराम जू ने लिखी, गारी उम्दा आन।
हां हां हूँ हूँ मैं लिखे, व्यंजन और पकवान।।
रामेश्वर गुप्ता लिखत , कोरौना की मार।
साफ सफाई करत रव, हो ना जाए बुखार।।
आदरणीय पीयूष जी, करय दिनन की कात।
जां जां जैबे जांय सो, छप्पन भोजन खात।।
चुरियां हरीं लिवाय दो, अपुन कुंवर राजन्द।
गांव भरे में खबर जा, सैयां करत पसंद।।
श्री नरेन्द्र जू ने करी ,कक्का की तारीफ।
जबसें हंस कें बोल्बें, कक्का बड़े शरीफ।।
बुंदेली साहित्य में , बुन्देली चर्रात।
सालिगराम सरल लिखें, ऐसी नोनीं बात।।
चंसौरिया जू ने लिखो, बारें कड़ौ ना कौउ।
हुए कोरौना रोग जौ, छिबियो ना तुम सोऊ।।
भैया राम गोपाल ने, कुत्तन सौ लरवाव।
गौचर भूमि बेंड लई, खैला उनें बताव।।
जय हिंद सिंह दाउ लिखत, मैया की जयकार।
कैसा सुंदर लगत है, मैया का दरवार।।
खूब हिलहिला कें चढ़ौ , हमखों आज बुखार।
गलती कौनऊँ होय तौ, करियो तनक विचार।।
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61-संजय श्रीवास्तव,मबई,१०/९/२०,गुरुवार
*आज की समीक्षा* (बुन्देली दोहों के माध्यम से)
मात-पिता आशीष सें,करत समीक्षा आज।
नमन सबइ सुधिजनन खों,प्रभु राखियो लाज।।
सम्मानीय कविगणन हों,पौंचै सीता राम।
पढ़ियो रुचि-रुचि बैठकें,अपने-अपने धाम।
अनवर जू की ग़ज़ल सें,भइ नोनी शुरुआत।
काम-काज में लगे रत,पटल पेै कम दिखात।।
पनी ग़ज़ल में कै रहे, बड़े पते की बात।
माँ-बाप खों लगा गले,हँस के करलो बात।।
इंदू जी ने रामधई, कैदइ साँची बात।
भूख,गरीबी,बेकारी,आँखन नही दिखात।।
क्षमा जगत जू , आज नही,पनो बुंदेली दिन।
नियम पटल के देखलो, बदलत रत हर दिन।।
है रचना में आपकी,नई पीढ़ी की बात।
ऐंठ-अकड़ खों देखकें, मोरो मन उकतात ।।
परदेशी की बात पै,सबखों देने ध्यान।
गुनी-खरे इंसान की ,रहत हमेशा शान।।
लिखत फाग वरनन करत, नारी को श्रृंगार।
नैनन में जय हिंद के, सुगढ़ सलौनी नार।।
फ़र्जी रचनाकारन खों, राना जू चेतांय।
फर्जीबाड़ा हर जगॉं, काँ लौं किये बतायं।।
दाँगी जू जगाउत हैं, सोउत भव इंसान।
हर पंक्ति में दे रहे, गीता जैसो ज्ञान।।
ग़ज़लन अंसुआ डार रय, इंदू भैया आज।
करत भरोसा डर लगे,थर्रा रई आवाज़।।
राना जू अब कर रहे, अपनेपन की बात।
सदाचार दर्शन बने, जीवन की सौगात।।
मुक्तक जल्दी में रचो, गुसाईं जू ने आज।
मेहमान सें बिगर गओ,पूजा को शुभ काज।।
शर्मा जी ने गीत में, दई वेदना डार।
मन की व्यथा कविता से,खोल रही है द्वार।।
किशन और सुदामा का,कर रोचक बतकाव।
पाठक जू ने रच दिया,मित्रन बीच लगाव।।
अपने हाँतन आदमी,खुदइ कुगत कर लेत।
पोषक जू चेता रहे,चेत सके तो चेत।।
आप बड़े *नादान* हो, लिखदी साँची बात।
बड़े-बड़े जोधा इते, हाँ जू-हाँ जू कात।।
अभिमन्यू की बहादुरी,कुँवर रहे बतलाय।
वीर वही रणभूमि का,जो पीठ न दिखलाय।।
चौकड़िया चमके सदा,चंदा जैसी रोज।
प्रभु जी के सृजन पर,होगी एक दिन खोज।।
ग़ज़ल कँवल जी की भली, भीतर झाँको आप।
कचरा-कीचड़ फेंक दो,जीवन हो निष्पाप।।
लघुकथा में कर रइ हैं,सखियाँ मन की बात।
कोरोना के काल में,बिगड़ गया अनुपात।।
कैसे धन की लालसा,तन-मन को बिसराय।
प्रकृति से दूर हुये,अनीता जी बतलायं ।।
बेकाबू जू कर रहे, प्रभु राम गुणगान।
आराध्य देश के राम,गौरव और सम्मान।।
मानवता के धरम को,शुक्ल जू करत बखान।
सब जीवन सें प्यार हो,सब खों दो सम्मान ।।
नँदलाल के धमाल खों,उर्मिल जी बतलायं।
राधा जू खों छेड़बे,गली-गली पछयायं।।
चंसौरिया जू ने कही,भौतइ गहरी बात।
परहित करम करैं चलो,खुलो रखो मन, हाँत ।।
जय बुंन्देली पटल की,भाऊ करें बड़वाई।
काव्य करम, सदभाव सें,चड़बें खूब चढ़ाई।।
लक्ष्मी जू सें गुस्सा हैं,सियाराम जू आज।
सेठन खों पोषित करें,दीनन नइंया नाज।।
हंस विरह की वेदना,सरल जू रहे बताय।
मानसरोवर तट पै,युगल हंस उमडाय।।
बुंदेली साहित्य पटल, कवियन की भरमार।
मोबाइल पै खूब भइ, कवितन की बौछार।।
आज की समीक्षा यहीं सम्पन्न करता हूँ।
भूल चूक की माफ़ी।
-संजय श्रीवास्तव,मबई,१०/९/२०,गुरुवार
समीक्षा पर आयी कुछ श्रेष्ठ प्रतिक्रियाएं-
1-
श्रीवास्तव संजय लिखी, गजब समीक्षा आज।
दोहा ही दोहा लिखे,खोले सबके राज।।
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
2-
सुन्दर करी समीक्षा,उर सुन्दर बत काव l
बारीकी सें देख कें, दे दओ हमें सुझाव l
व्याख्याता के गुण सबई,संजय जी मैं दिखात l
करी व्याख्या आजकी, सुन्दर सुन्दर बात ll
बहुत सुन्दर समीक्षा के लिए बहुत बहुत बधाई हो भाई l
-जगगराज शांडिल्य, बिजावर
3-
संजय जू माहिर बड़े,तेज कलम की धार।
एसई पैनी बनी रय,लिखबे की रफ्तार।।
उम्दा सुंदर सादगी ,हर एक कौ सम्मान।
हमें भौत नौनें लगत,इनके तीखे वान।।
-अशोक पटसारिया नादान, लिधौरा
4-
श्री संजय श्रीवास्तव, वास्तव में हुशियार।
लिखत समिक्षा समेट लव, रओ न साहित्यकार।।
उम्दा समीक्षा धन्यबाद सर
-रामेश्वर राय परदेशी, टीकमगढ़
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62-श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़ 11-9-2020
🥈आज की समीक्षा 🥈
विषय-प्राकृतिक कुण्ड एवं गुफाएं
समीक्षक -सियाराम अहिरवार
दिन-शुक्रवार ।
इंसानन नें ई धरती पै आवे के बाद कैऊ अजब-गजब की चीजें बनाई ।लेकन कुदरत की बनाई चीजन सें बड़ौ अजूबा कछु अई नईयां ।कुदरत के बनाए कछु अजूबा तौ ऐसे हैं ,जिनैं देखकें विश्वास नई करो जा सकत कै ऐसौ भी हो सकत है ।
ऐसई हमाय बुन्देलखण्ड की धरती भाई अजूबा है ।जितै कुदरती कुण्ड ,गुफाएँ औ नोंनें झरना हैं ।इनई सबकौ वरनन आज हमाय पटल के विद्वान लेखकन नें अपनें-अपनें आलेख में अलग-अलग इस्थानन कौ करो
आज सबसें पैलां श्री शांडिल्य जू नें अर्जुन कुण्ड कौ वरनन करत भये लिखो कै ई कुण्ड की गहराई औ लंबाई कौ कोऊ पतौ नई कर पाऔ ।इतई एक जलधारा है जीकौ नाव पाताल गंगा है ।
श्री शोभाराम दांगी नें सोऊ अपनों लेख लिखो जीमें अछरूमाता के कुण्ड कौ वरनन करो ।
श्री रामेश्वर राय जी ने अपने संक्षिप्त एवं सारगर्भित लेख में ऊषा कुण्ड कौ वरनन करो ।अनूठी शैली के दरशन मिले ।
श्री राजीव नामदेव राना जी ने अपने आलेख में बुन्देलखण्ड कौ पावन प्राकृतिक कुण्ड तीर्थ "अछरूमाता" कौ सुन्दर वरनन करो ।
श्री सियाराम सर नें भीम कुण्ड कौ भौतई नोंनों वरनन करत भये लिखो कै के चार अजूबा हैं ।जिनकौ रहस्य आज तक कोऊ नई जान पाऔ ।
श्री रामकुमार शुक्ला जी नें गुफा पोला पहाड़ कौ भौतई नोंनों वरनन करो ।
श्रीअशोक कुमार पटसारिया जी नें अपनें सुन्दर आलेख में ताते पानू के कुण्ड कौ वरनन करत भये लिखो कै जमनोत्री के गरम पानू के खौलत भये कुण्ड में चावरन की पुटैया बाँद कें डार दें तौ कछु देर में चावल पक जात ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने एक अज्ञात कुदरती इस्थान चुली घाट के वारे में भौतई नोंनी जानकारी दई ।
श्री गुलाब सिंह भाऊ जू ने टीकमगढ के ऐंगर रिगौरा गाँव के पहार की गुफा के वारे में बताव कै उतै कौ बरेदी बैनीदास जियै झार देत तौ ऊके सब रोग ठीक हो जात ते ।
श्री डी पी शुक्ला जी ने कछिया गुडा गाँव के ऐंगर के पहार की सुन्दर प्राकृतिक गुफा कौ वरनन करो ।
श्री अभिनन्दन जी गोइल ने टीकमगढ जिले के जैन तीर्थ अहार जी के ऐंगर की पहारियन पै स्थित सिद्ध गुफा औ परसुआँ के पहाड़ की गुफा की भौतई नोंनी जानकारी दई ।
ई तरां सें पटल पै आज लगभग ग्यारह लेख आये जो भौतई नोंनें औ सारगर्भित हैं ।सभी लेखक बधाई के पात्र हैं ।हौसला अफजाई के लिए श्री रामगोपाल जी एवं श्री एस आर सरल जी का बहुत बहुत धन्यवाद ।
सभी को सादर नमन
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63-श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल -14-9-2020
समूह के सभी साथियों को आज हिन्दी दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें ।
मनुष्य का स्वभाव है कि उसने जितना ज्ञान अर्जित किया है उसे अपनी अगली पीढ़ी को देकर जाता है । हर पीढ़ी पूर्वजों से प्राप्त ज्ञान में कुछ नया ज्ञान जोड़ती है । इसी तरह से दुनिया के प्रारम्भ से लेकर आज तक का ज्ञान संरक्षित भी है और बढ़ भी रहा है ।
हर ज्ञान हमें धरोहर के रूप में मिला है । जिसको बढ़ाना और अगली पीढ़ी को देना हमारा प्राकृतिक दायित्व है ।
साहित्य भी ज्ञान का ही अंग है । हालाँकि प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक ज्ञान को नहीं बढ़ा सकता । पर यदि हम साहित्यकार होकर, भाषा और साहित्य में सार्थक बृद्धि नहीं कर पा रहे हैं तो सही मायने में हम अपना दायित्व नहीं निभा पा रहे हैं ।
आज हिन्दी-दिवस पर, हिन्दी विषय पर हिन्दी में दोहा लिखे गये । हिन्दी के महत्व को बताते हुये, हिन्दी के प्रति प्रेम, देश प्रेम के पर्याय के रूप में ही व्यक्त हुआ है ।
*निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति कौ मूल,*
*बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे हिय कौ शूल*
भारतेन्दु जी का जिक्र करते हुये *डॉ. सुशील शर्मा जी* ने अपने दोहों में हिन्दी के प्रति सम्मान के लिए प्रेरित किया । *अनीता श्रीवास्तव जी* के अनुसार जब तक हिन्दी को अपने स्वाभिमान का हिस्सा समझने का बोध नहीं जागेगा, तब तक हिन्दी को अपेक्षित सम्मान नहीं मिल सकेगा । *जगत राज शांडिल्य जी* ने अपने दोहों में हिन्दी की अभिव्यक्ति की सामर्थ्य को व्यक्त किया । *रामेश्वर प्रसाद गुप्त जी* ने हिन्दी की महिमा बताते हुये बहुत सुन्दर दोहे की रचना की -
"जनवाणी हिन्दी बनी, सुन्दर सरल सुजान,
अंतस में मधु रस भरे, होठों पे मुस्कान"
*अशोक कुमार पटसारिया जी* ने शासन की दोहरी नीति पर चिन्ता व्यक्त की -
"ऑफिस के सब सर्कुलर, अंग्रेजी में आयं"
*रामेश्वर राय परदेशी जी* ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का सम्मान न मिलने पर चिन्ता व्यक्त की । *संजय श्रीवास्तव जी* ने हिन्दी को भारत के जन-जन की पहचान की भाषा बतलाया । *गुलाब सिंह यादव भाऊ जी* ने हिन्दी को सबसे वजन दार भाषा बताते हुये लिखा - "सबसे ज्यादा वजन है, दे दो मेरा मोल" *रामकुमार शुक्ल जी* के दोहों में हिन्दी का महत्व बताया गया है और हिन्दी को राष्ट्र भाषा न बनाये जाने पर बेचैनी प्रगट हो रही है । *एस. आर. सरल जी* के मधुर दोहों में हिन्दी को देश के विकास का मूल बताया गया है । *जयहिन्द सिंह जी* ने भक्ति काल के कवियों के नाम और उनका योगदान बताते हुये लिखा - "इन कवियों ने डाल दी, हिन्दी में नई जान" *शोभाराम दाँगी जी* ने चिन्ता व्यक्त की कि हिन्दी को छोड़कर शेष सभी राष्ट्र प्रतीक घोषित हो चुके हैं । *डी. पी. शुक्ल सरस जी* ने श्रेष्ठ दोहों में लिखा कि हिन्दी दुनिया में फैल रही है पर भारत में फैल हो गई है । *प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी* के अनुसार हिन्दी भाषा वैज्ञानिकता लिये है और सरस भी है । आपने उस स्वर्णिम काल की आशा व्यक्त की जब हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित किया जायेगा - "सजे राष्ट्र भाषा मुकुट, प्रभु हिन्दी के भाल" *अभिन्दन गोइल जी* ने हिन्दी को संस्कृत का ही अंश बताया । हिन्दी के महत्व को बताते हुये लिखा - "हिन्दी तो गणतन्त्र के राज काज का हेतु, फिर भी इस पर ग्रहण सम, अंग्रेजी का केतु" *सियाराम जी* ने हिन्दी दिवस मनाने के उद्देश्य को लेकर बहुत ही उल्लेखनीय दोहा लिखा - "हिन्दी दिवस मना रहे हम भारत के लोग, अपनी ही पहचान का बना नहीं संयोग" *कल्याण दास साहू पोषक जी* ने हिन्दी को देश की आन, वान और शान बताते हुये, राज-काज की भाषा बनने की आशा व्यक्त की । *राजीव नामदेव राना जी* ने तो हिन्दी के लिए जीवन ही अर्पित कर दिया । हिन्दी के साथ हिन्दी के महान कवियों की भी जय बोली । *रामगोपाल रैकवार जी* के तीनों दोहे दर्शनीय हैं । बारह में से ग्यारह चरण हिन्दी शब्द से प्रारम्भ हुये हैं । पहले और दूसरे दोहे में व्यंग्य शैली में चिन्ता प्रगट हुई है । तीसरे दोहे में हिन्दी के प्रति भावपूर्ण सम्मान व्यक्त किया गया है । *राज गोस्वामी जी* ने भी हिन्दी शब्द से प्रारम्भ कर दोहे लिखे, पर आपका दूसरा दोहा आधा ही टाइप हो पाया । *देवदत्त द्विवेदी जी* ने दो उत्कृष्ट दोहों की रचना की । उन्होंने हिन्दी की उपेक्षा पर चिन्ता जताई - "बेटा हिन्दुस्तान के इंग्लिश के विद्वान' *सीमा श्रीवास्तव जी* ने बहुत प्यारे दोहे रचे । कविवर *दिनकर* और *सुमन* को कविता के आसमान का चन्दा और सूरज बताया । हिन्दी के लिए लिखा - "निज भाषा गौरव करो, पर भाषा न प्रीत" *वीरेन्द्र चन्सौरिया जी* जीवन व्यवहार में हिन्दी के उपयोग पर जोर दिया ।
*शिवकुमार गुप्त जी* की रचना 'हिन्दी की वेदना' दोहा छन्द में नहीं हैं । *रामलाल द्विवेदी प्राणेश* के मुक्तक भी दोहा नहीं हैं । *कृति सिंह जी* की रचना भी दोहा छन्द के रूप में नहीं है!
अभी भी कुछ विद्वान साथियों को दोहा लेखन की नियमावली एकबार पुनः पढ़ने की आवश्यकता है ।
हम सभी जीवन भर, एक-दूसरे से सीखते भी हैं और सिखाते भी हैं । मैं समीक्षा लिख रहा हूँ इसका मतलब यह नहीं है कि मै ज्यादा जानता हूँ । मेरी रचनाओं में भी भाषा और शिल्प की उतनी ही त्रुटियाँ होती रहती हैं । मेरी जिन त्रुटियों पर मेरा ध्यान नहीं जा पाया और आपका ध्यान चला गया, उन्हें आप बता दें । ऐसे ही आपकी जिन त्रुटियों पर आपका ध्यान नहीं जा पाया, उन्हें मैं बता दूँ । ऐसे ही हम सभी में निखार आता रहेगा ।
-अरविन्द श्रीवास्तव*, भोपाल
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64- श्री रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ 15-9-2020
समीक्षा- श्री रामेश्वर राय परदेशी, टीकमगढ़
दिन मंगलवार 15-9-2820
पारम्परिक गारी
कई ती समीक्षा कर नई जानत
पै राना नई माने
मो सें भूल चूक कऊ हो जै
धर हैं नाव फलाने
1
भाऊ ने कै दई है मन की
परदेशी क़त नीत के धन की
गोयल जू क़त हरि भजन की
क़त नादान जवान कीदै रय जान
देश के लाने मो सें
2
इ न्दू नशा नाश की जड़ है
सुख दुःख सरस् कौ जीवन गढ़ है
गोईं नरेंद्र बनाबे तड़ है
चार दिना की शुसील चाँदनी
अदयारे अदयाने मो सें
3
शुक्ला बेर भीलिनी खाये
शांडिल्य कछू नई कर पाये
पोषक जू पर हित समजाये
पीयूष पहार सें साजे हारें
लगड़न खों चढ़ जाने मो से
4
डी पी सरस् जू गुड़त लगात
जिंदगी राना मोम सी रात
होत का बेकाबू पछतात
गोकुल सोनी कै रय नौंनी
बोल प्रेम सें रांने मो सें
5
क़त प्रणेश छूटे जग जाल
सरल न जानी काल की चाल
सियाराम नई पूछत हाल
जयहिंद कात करम के संगे
राम नाम गुन गाने मो से
6
उर्मिल मारग कठिन पहार
संजय जीवन है उपहार
दांगी जू हौय भव सें पार
को जानत चंसोरिया कै बैं
फिक जै कबै मखानें
मो सें भूल चूक कऊँ हो जै
धर है नाव फलाने
-रामेश्वर राय परदेशी,टीकमगढ़ मप्र
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65-अशोक पटसारिया नादान 16-9-2020
बुधवार दिनाँक 16 सितंबर 20
बन्देली गद्य पद्य समीक्षा
मात शारदे खों नमन, नमन करत गणराय।
लिखबे जा रय समीक्षा, करियो आज सहाय।।
हिंदी की पीड़ा लिखी, नरसिंहपुर की छाप।
सुंदर शब्द शुशील के, डॉ शर्मा आप।।
अभनन्दन गोयल लिखत, विरहा की अकुलान।
विरह अगन में राधिका, होती हलाकान।।
परदेशी भैया लिखो , कैसौ नौनों छंद।
लोग बुढ़ापे में करत, गरराकें छलछन्द।।
दांगी शोभाराम ने , प्रतिभा दई उड़ेल।
कैसौ सुंदर लिख दवो, बच्चन कौ जौ खेल।।
राना जू के हाइकू, करत वोट पै चोट।
वे कैरय हमखों दियो, ई चुनाव में बोट।।
फाग दिवारी नौरता, गारी और बधाई।
राजीव राना ने दई, गाँवन गाँवन साई।।
श्री नरेन्द्र जू ने लिखो, प्रेम प्यार सें राव।
चार दीना की जिंदगी, झूंठे है सब दाव।।
किशन तिवारी जू करत, शांति कौ आह्वान।
मानवता सें चलकें सब, तभी बढेगा मान।।
संजय बेकाबू कहें, कोरौना की मार।
बिना मुसीका जिन कड़ौ, एई बात मैं सार।।
घरवारी नई बैठ्तई , ऐंगर इनके आज।
भारक खुरसें फिर रहे, संजय जू महाराज।।
बहिन अनीता ने लिखो, शिक्षक दिवस महान।
हैप्पी बड्डे गा रहे , बच्चे हैं नादान।।
माता की ओली बड़ी, बडे प्रेम के बोल।
बच्चों की टोली बड़ी, पोषक हैं अनमोल।।
जय हिंद सिंह जू ने लिखे, भाजी के गुणगान।
सबई खात हैं चाव सें, भाजी बड़ी महान।।
सरस् दुबे जी ने लिखो, हुइंयें सबरे काम।
हिंदी में जब सब लिखें, तब हिंदी कौ नाम।।
दो दो धारायें चलत, खलत भौत जा बात।
जे अशोक नादान है, फिर भी सांची कात।।
शुक्ला राम कुमार ने, बेजां घाम बताव।
नाज पानू छत पै डरौ, चिर्रो मजा उड़ाव।।
डी पी शुक्ला ने लिखी, दगा सगा ना सई।
जी जी ने ईखों करौ, ऊकी नाशई भई।।
चले बरातै नाऊ की , की खों देत टिपाव।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव ,का कोरी कौ व्याव।।
गुलाब सिंह यादव लिखत, करलो भजन कमाई।
जेई साथ में जायगौ, जा कलजुग की घाई।।
के के पाठक ने लिखी, पीड़ा खसम निखटट्ट।
हलाकान हैं औरतें, जे मर जावें झट्ट।।
गोकुल सोनी हैं चतुर, देत चीन खों मात
बुन्देली में लिखौ सब, उये समझ नई आत।।
सियाराम जू ने लिखो, कोरौना कौ खौप।
पिड़ें पिड़ें दम घुट गव, खतरे में है जॉब।।
संजय जू ने लिखो है, भौत करारौ व्यंग।
रिश्वत अब व्यापार है, जनता हो रई तंग।।
सेत सफेदी पैर कें, खेलत करिया खेल।
जौ संजय कौ व्यंग है, छुट्टा रँय चाय जेल।।
शालिगराम सरल लिखत, मन के मते अनेक।
मन मलकईयाँ लेत है, धरौ लबोदा एक।
राज गुसाईं खों दिखी , मन मुस्काती नार।
लार टपक गई देखतन, लै कें दौरे कार।।
कछू अलग नौनों करौ, जा कै रय गोपाल।
परम्परा तौ भौत भई , और पसारौ जाल।।
वीरेन्द्र चंसौरिया लिखत, कौऊ क्याउ नई जाव।
बीमारी जा कठन है, घर में ठौर बनाव।।
और अंत में,,
संजय चंसौरिया सिया, सरस् शील गोपाल।
राना पोषक भाऊ जी, परदेशी खुशहाल।।
परदेशी खुशहाल , लिखत नौनी बुन्देली।
राज गुसाँई सोनी जी, पियूष की उम्दा बोली।।
कह नादान कविराय, पाठक अभनन्दन की जय।
किशन नरेंद्र अनीता सीमा, कृति सालिग संजय।।
जय हिंद,सभी पंचों से निवेदन है कि सबको समीक्षा का अवसर मिले ताकि अलग अलग विचार शैली शब्दों का आनंद मिल सके। आभार प्रणाम नमस्कार।
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66-संजय श्रीवास्तव,मवई-१७/९/२०२०, दिल्ली।
बिषय- स्वतनत्र हिंदी
सर्वप्रथम, माँ के चरणों में
श्रद्धा सुमन करूँ मैं अर्पन,
फिर करूँ भावना मन ही मन
सबका स्वस्थ रहे ये तन-मन,
सुंदर सहज,सरल हो जीवन।
अहंकार की बूँद बचे न,
सबके हृदय बसे अपनापन।
साहित्य वृक्ष के पात-पात पर,
नित नूतन हो काव्य सृजन।
आज पुनः समीक्षा के लिए सम्माननीय पटल से आदेश मिला । हालांकि मैं समीक्षक नही हूँ फिर भी आदरणीय एडमिन जी ने विश्वास किया है तो मैंने भी प्रयास किया है..
आज प्रातः सर्वप्रथम *रामेश्वर प्रसाद गुप्त 'इंदु' जी* की प्रेम से पगी दो पंक्तियां पटल पर प्राप्त हुई और दो पंक्तियों में उन्होंने जीवन का सार सामने रख दिया, कि यदि जीवन मे प्रेम है तो जीवन अनमोल उपहार की तरह है। और वैसे भी सारी प्रार्थनाओं का लक्ष्य भी प्रेम उत्पन्न करना होता है। कल्पना कीजिये कि जिस दिन व्यक्ति स्वयं से और पूरी सृष्टि से प्रेम करने लगेगा तो सच मे यह बोझिल जीवन कितना अद्भुत और अनमोल उपहार लगने लगेगा।
पटल की श्रेष्ठ और वरिष्ठ कवियत्री श्रीमती *अनिता श्रीवास्तव जी* ने अपनी दो छोटी-छोटी रचनाएं व्यापक अर्थ सहित प्रेषित की। पहली रचना में मानवीय असंवेदनशीलता को दर्शाया है तो वहीं दूसरी रचना के माध्यम से जीवन में अपने लक्ष्य के प्रति सजगता और प्रबल संकल्प के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।
कवियत्री की इस पंक्ति ने-
*दौड़ता रहता है स्वाभाविक ही, खून को कहाँ पता होता है कि वो खून है* ने मुझे बहुत प्रभावित किया।
*श्री कृष्ण कुमार पाठक जी* ने आज आमजन की जिजीविषा और जीवन की विडंबना को अपनी रचना के केंद्र में रखा। स्वयं को आम जनता का प्रतिनिधि मानकर कोल्हू के बैल की तरह जुतने को विवश बताया।
रचनाकार रचना में बिम्ब, प्रतीक और अलंकार का प्रयोग करता तो रचना और निखर कर सामने आती और अपना प्रभाव छोड़ने में सफल होती।
*श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त जी* की पुनः कविता प्राप्त हुई ।इस रचना में कवि ने रचना प्रक्रिया से अवगत कराया है कि जब रचनाकार के मन मे भाव हिलोर मारने लगते है तो वे शब्दों का श्रृंगार कर लय के साथ चलने को मचलने लगते हैं, ततपश्चात रचना का कथ्य,भाव और शिल्प आकार लेता है और पाठक के मन मे रस उत्पन्न करता है।
वैसे भी हमारे मनीषियों ने पूर्व में कहा ही है कि काव्य की आत्मा भाव है और शिल्प उसका शरीर और किसी भी रचना का मूल उद्देश्य पाठक के मन मे रस उत्पन्न करना ही होता है।
*श्री अशोक पटसारिया जी 'नादान'* ने इस बार अपनी रचना में जन आक्रोश के स्वर को उभारा है। देश की व्यवस्था में व्याप्त अव्यवस्थाओं की कलई खोल कर सबको ख़बरदार, होशियार, और सावधान करने का सार्थक प्रयास किया है। आपने रचना के माध्यम से आमजन को सजग तो किया ही है, साथ मे चेतावनी भी दी है कि हमें आकाओं की ज़हरीली मुस्कान के वशीभूत नही होना है बल्कि इन चतुर भेड़ियों और मक्कारों को सबक भी सिखाना ज़रूरी है।
वरिष्ठ साहित्यकार *श्री अभिनन्दन गोइल जी* ने अपनी रचना में मानव चेतना को जगाने का प्रयास किया है। उन्होंने रचना के माध्यम से कहा कि मानव जीवन अनमोल है। और हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म उस भारत की पावन भूमि में हुआ जहाँ हमे वेदों और गीता का ज्ञान विरासत में प्राप्त हुआ। इसलिए प्रभु को मन मे धारण कर उन्ही का सुमिरन करो,ताकि इस जग-जंजाल से मुक्ति मिले।
*डॉ. सुशील शर्मा जी* ने आज भयभीत मन वाले इंसान के भीतर साहस भरने वाली प्रेरक रचना पटल पर प्रेषित की।
*जीवन मे कायरता हो तो*
*मुझसे मिलने मत आना*।
*संघर्षों से मन हिलता हो *तो मुझसे मिलने मत आना*
मेरे हिसाब से व्यक्ति के आत्मसम्मान को झकझोरने के लिए ये पंक्तियाँ काफी हैं।
बशर्ते कि व्यक्ति के भीतर आत्मसम्मान होना चाहिए।
दरअसल आदमी सुरक्षा चक्र में जीने का आदि हो गया है, इसलिए वह छोटी-छोटी चुनौतियां लेने से भी घबड़ा जाता है। ऐसे लोंगों के लिए शर्मा जी ने बिना लाग-लपेट के चुभने वाले अंदाज़ में अपनी रचना को लिखा है।
*श्री राज गोस्वामी जी ने* आज अपनी व्यथा-कथा अपनी रचना में उड़ेल दी। कमबख्त मधुमेह ऐसी बीमारी है कि आदमी रसगुल्ला तो ठीक एक कट चाय के लिए भी तरस जाता है। आप रचना में उपाय भी पूछ रहे हैं तो गोस्वामी जी
.. *सुबह शाम टहला करो*
*बिंदास जिया करो*
*कोरोना का काल है*
*गोष्ठी की न सोचा करो*
साहित्यकार हो या कलाकार वह अपने समय मे जीता है। वह जो भोगता है जो देखता है उसे ही वो रचता है।
आज *श्री जे.आर. शांडिल्य जी* ने अत्यन्त रचना डाली , जिसमे हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी की तुलना पेशवा से की है। उन्होंने वर्षों पुरानी समस्या को समाप्त कर राममन्दिर का शिलान्यास करके समस्त देशवासियों के मस्तक को स्वाभिमान से ऊंचा किया है। साथ ही कुछ देशद्रोहियों की कुटिल चालों की ओर भी इशारा किया।
*श्री वीरेंद्र चंसोरिया जी* ने अपनी रचना के माध्यम से चेताने का प्रयास किया है कि मानव तन बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है, इसे व्यर्थ मत गंवाओ। सदमार्ग पर चलकर पुण्य कर्म करते हुए परमात्मा से लौ लगालो। प्रभु के चरणों मे तन-मन सब समर्पित करदो तभी कल्याण होगा।
*श्री राजीव नामदेव जी 'राना'* ने आज पटल पर अपने 2015 में प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह *राना का नज़राना* से एक ग़ज़ल प्रेषित की। बिना रदीफ़ की इस ग़ज़ल के हर मतले और मिसरे से इश्क़ में धोखा खाये प्रेमी का बेइंतहा दर्द छलकाने में कवि/ग़ज़लकार सफल हुए।
*श्री रामेश्वर राय 'परदेशी'जी* जी ने कोरोना से उपजी समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुए हास्य रस की रचना से अपनी व्यथा साझा की, वे कहते है कि अब तो घर मे खाँसना और छींकना भी जी का जंजाल बन गया ,उन्हें डर है कि यदि ऐसा हुआ तो परदेशी को स्वयं के घर मे परदेशी बनकर रहना पड़ेगा।
*श्री अनवर खान जी* ने बगाज माता के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा व्यक्त करते हुए सुंदर भक्ति गीत की रचना पटल पर प्रेषित की। रचना में माता रानी और भक्त श्रद्धालुओं के पवित्र रिश्ते का गुणगान किया है। इस गीत के भाव और शिल्प दोनो प्रभावी हैं । यदि कोई जानकार संगीतज्ञ इस रचना को संगीत- वद्ध करदे तो इस गीत में लोकप्रिय होने की सारी सम्भावनाये हैं।
*श्री अरविंद श्रीवास्तव जी* *कविराज* साहित्य जगत की युवा पीढ़ी में अरविंद जी एक सशक्त हस्ताक्षर हैं । आपकी रचनाओं में उत्तम कथ्य, सुंदर भाव और श्रेष्ठ साहित्यक शब्द- संयोजन का सार्थक समन्वय देखने को मिलता है।
आज उन्होंने अपनी रचना में व्यक्ति के सृजनशील होने पर ध्यान केंद्रित किया है।
सृजनशील जिज्ञासु मन ही व्यक्ति को रचनात्मकता की ओर प्रेरित करता है और रचनात्मक व्यक्ति ही नदी की तरह प्रवाहमान हो सकता है।
कवि ने रचना के अंत मे कहा कि हे सृष्टि की श्रेष्ठ कृति मानव, तुझे नया रचनात्मक जगत लोक रचने हेतु, अपने भौतिकता वादी भोग-विलास में लीन भ्रमित मन/चित्त को, सृजन के चिंतन- मनन में लगा कर, अपनी ऊर्जा का सही रचनात्मक उपयोग करना चाहिए।
*श्री शोभा राम दाँगी जी* ने अपनी रचना में ईश्वर की भक्ति और समर्पण भाव को दर्शाया है। कवि ने ईश्वर को ही मात-पिता और पालनहार मानकर अपना सारा जीवन उन्ही के हाथों में सौंप दिया है। सुंदर भाव से सजा आध्यात्मिक गीत रचा गया।
*श्री कल्याण दास साहूजी* *पोषक* जी ने अपनी रचना में कोरोना काल में विरह के दुख को व्यक्त किया है। आदमी एक सामाजिक प्राणी है,जब तक चार लोंगो में उठ-बैठ न ले, चार बातें कह-सुन न ले तो उसे बेचैनी होने लगती। इसी बेचैनी की बात पोषक जी ने रचना के माध्यम से की है।
*श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव* जी ने अपनी रोचक ग़ज़ल के माध्यम से आदमी में आदमियत होने की बात प्रकट की है। और कहा कि असल आदमी वही है जिसका सम्वेदनशील व निष्कपट मन हो ,धैर्यवान हो और राष्ट्र भक्ति की भावना से भरा हो।
*डॉ. देव दत्त द्विवेदी जी* *सरस* जी ने अपनी रचना के माध्यम से स्पष्ट किया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता।। तमाम बाधाओं और तकलीफों को धैर्यपूर्वक जो परिश्रम से पार करता जाता है एक समय बाद उसके जीवन मे सुख का वास होता है। जीवन आनंद पूर्वक बीतता है।
*डी. पी.शुक्ल 'सरस'* जी ने अपनी रचना में सपनो के बिखरने के दुष्परिणामों को दर्शाया है। चाहे प्रेम को पाने का सपना हो या किसी अन्य उद्देश्य को प्राप्त करने का हो यदि सपने पूरे नही होते तो वे घाव बनकर जीवन भर सालते रहते हैं। *पाश* की एक प्रसिद्ध कविता की पहली पंक्ति ही इसी दर्द को बयां करती है कि *कितना खतरनाक होता है किसी के सपनो का मर जाना*
*श्री रविन्द्र शुक्ला* जी ने अपनी छोटी सी रचना में वर्तमान समय की, कन्या भ्रूण हत्या जैसी बड़ी समस्या और त्रासदी को उजागर किया है। कोख में बेटियों को मारने वाले इंसान, इंसान नही दरिंदे होते हैं।
*श्रीमती संध्या निगम* जी ने आज एक लंबे अंतराल के बाद पुनः पटल पर उपस्थिति दर्ज की । आपने हिंदी दिवस पर बुन्देली बोली में हिंदी भाषा को मजबूत बनाने की बात कहते हुए हिंदी को देवताओं की भाषा बताया है। साथ ही यह भी कहा कि अंग्रेज़ी भाषा के मोह को त्याग कर हिंदी भाषा मे बोलने का संकल्प लेना चाहिए।
*श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव*
*पीयूष* जी बुंन्देली काव्य सृजन की चरम अवस्था मे सानंद रचनाकर्म में लीन हैं।यह अवस्था विरले व्यक्तियों को ही प्राप्त होती है। वे आज बुंन्देली काव्य का पर्याय बन चुके है।
पीयूष जी ने आज अपनी सुंदर बुंन्देली रचना पटल पर प्रेषित की, जिसमें शरदपूर्णिमा के चाँद की तुलना एक सुंदर युवती से की गई है। मनमोहक रचना में चमकते चाँद को युवती का आकर्षक मुख और टिमटिमाते तारों को सुन्दर आभूषण की उपमाओं से सजाया है।
सुंदर भाव और श्रेष्ठ शब्द संयोजन का अनुपम मेल आपकी रचना को सुंदर व प्रभावी बना देता है।
*श्री सियाराम अहिरवार* जी ने अपनी लंबी रचना *आह्वान* में युवाओं की कुंडली मारे बैठी शक्ति को जगाने का प्रयास किया है। वे कहते है कि यदि देश का युवा जागरूक हो गया तो देश को आतंकवाद, नकक्स्लवाद, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, पूंजीवाद, और सीमा रेखा की सुरक्षा जैसी बड़ी -बड़ी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।
*श्री एस आर सरल* जी ने आज नई काव्य विधा में हाथ आजमाया ,विश्व की सबसे छोटी कविता *हाइकू* के माध्यम से अपने मन की बात बहुत ही रोचक व प्रभावी अंदाज़ में व्यक्त की।
और आज पटल पर अंतिम रचना सुश्री सीमा श्रीवास्तव जी ने प्रेषित की , जिसमें उन्होंने अतीत और वर्तमान समय की तुलना की है। जीवनयापन की मजबूरी और ज़िमेदारियो ने सारा वक़्त लील लिया। हँसना-हँसाना, यारियां-मस्तियां, गाना-गुनगुनाना ,सब जीवन से रफूचक्कर हो चुके हैं। जीवन यंत्रवत होगया है। रसहीन जीवन...
पर एक बात मैं ज़रूर कहूँगा कि ये रचना समयाभाव के कारण सीमा बहिन जी ने बहुत शीघ्रता में लिख कर पटल पर प्रेषित की है। क्योंकि बहिन सीमा जी की रचनाओं में जिस गहराई तक मैं डूबा लगा चुका हूं ,वो गहराई आज नदारद थी। मुझे और पटल को आपसे बहुत उम्मीदें है।
अंत में आप सभी सम्माननीय सदस्यों से एक निवेदन कि कृपया एक रचनाकार मात्र एक रचना डाले ।
आज की समीक्षा यहीं सम्पन्नह करता हूँ। धैर्यपूर्वक पढ़ने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।
शुभ रात्रि🙏🏻🙏🏻
समीक्षक-संजय श्रीवास्तव,मवई-१७/९/२०२०, दिल्ली।
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67-सियाराम अहिरवार टीकमगढ़
दिनांक 18-09-2020 दिन-शुक्रवार
विषय- बुन्देली लोक कथा ।
भारत में बुन्देलखण्ड कौ इतिहास कैऊ रोचक कथा कहानियन सें भरो है ।मानव जीवन सें जुरी इनई कहानियन में गियान -धियान की बातें दुकीं हैं ।जिनें जानवे के लानें भौतई उत्सुकता बनी रत ।
इनके सुनवे के लानें बुन्देलखण्ड में ठण्डन की रात में कौंडे़ पै बैठ कै तापत उर बड़े -बूढन सें कानियाँ सुनत ।जिनमें सामाजिक जीवन की ,इतिहास की उर वेद पुरानन की बातें तथा धार्मिक चमत्कार की बातें सुनवे औ सीखवे खों मिल जात ।जो रोचक होवे के संगै-संगै गियान बर्धक सोऊ होत ।
जिनमें जीवन जीवे की कला ,रहन- सहन ,आचार- विचार ,संस्कृति ,नैतिक मूल्य,बहादुरी ,सहयोग ,भाई चारा आदि सें जुरे सरोकार हम धरोहर के रूप में आगे आवे बाई पीढी खों सोंपत चले जात ।
आज ऐई विषय खों लैकें हमाए पटल के सबई कथाकारन नें भौतई नोंनी उर रोचक कथाएं पटल पै डारी ।
आदरणीय ,अभिनन्दन गोइल जी ने अपनी कृति "पीरघनेरी" से उद्धृत बुन्देली लोक कथा नकल में अकल भेजी ।जो भौतई रोचक लगी ।
श्री राजीव नामदेव राना जी ने "कछु तुम समजे ,कछु हम समजे "शीर्षक खों लैकें भौतई नोंनी बुन्देली लोक कथा लिखी ।
श्री रामेश्वर राय परदेशी जी नें ,औंड़छे के इतिहास की अमर कहानी "लाला हरदौल " का कथा सार बड़े ही रोचक ढंग सें प्रस्तुत करो ।
श्री राम कुमार शुक्ला जी ने बात स्कूल की आय के माध्यम से मनोवैज्ञानिक तरीके से चोरी गई किताब को ढूंढ निकारो ।जीकौ बच्चन पै भी कौनऊ गलत पिरभाव नई परो ,औ किताब मिल गई ।
श्री कल्याण दास जी पोषक नें अपनी कथा में स्यानें चरवाहे ने अपनी चतुराई सें जमींदार के कैसें सौ ठउआ कल्दार इनाम में लै पाये ।ईकौ जिक्र करो ।
बुन्देल खण्ड ललितपुर के जाने मानें कथाकार श्री के के पाठक ने "कानियाँ की बैन मानियाँ " भौतई रोचक कानियाँ भेजी ।
श्री गुलाब सिंह भाऊ जी लखौरा ने एक राजा औ बुद्धिमान तेली की कहानी लिखी जो गतांक से आगे पूरी पढवे मिलै ।
श्री शोभाराम दांगी जी नें अपनी कहानी में लिखो कै गरीब किसान के लरका जो दुपर नों सोउत ते ,वे अब मिलजुल कें काम करन लगे।
श्री ए के पटसारिया जी नादान ने लिखो कै पैलां के वैद्य आदमी की नारी देख कें बता देत ते कै उऐ का बीमारी है ।ऐसई एक वैद्य गोर में हते ।जो नोंनों उपचार करत ते ।श्री अरविन्द कुमार श्रीवास्तव जी नें तुप्प शीर्षक सें तीन तुतले बोलवे बाये भइयन की बडी़ ही रोचक कहानी लिखी ।बाप के मना करवे पै भी वे नई मानें औ आखिर में तीनई बोल गये ।जीसें सबरी पोल खुल गई ।कहानी सारगर्भित है ।
श्री सियाराम अहिरवार ने "न्याव की जर तरबूज" कहानी लिखी ।
श्री जे आर शांडिल्य जी ने बुन्देली लोककथा में तीन कन्याओं सफलता,सद्भावना, औ समृद्धि को लेकर बडी़ ही रोचक कहानी लिखी ।जो मजेदार है, औ सद्भावना का संदेश देत भई है ।
श्री डी पी शुक्लाजी ने कुत्ता की चतुराई औ लड़इयन के व्याव की कथा लिखी ।जो नोंनी है ।
श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जू नें भौतई नोनें अटका खों लेकें कहानी लिखी ।
श्री संजय श्रीवास्तव ने "लराई की जर हाँसी "शीर्षक को लैकें बुन्देली किस्सा में मठोले औ बौरी तेली के बीच हँसी-हँसी में भई लराई कौ मजा पूरे गाँव ने लऔ ।
कैनात खों सार्थक करत भई कहानी लिखी ।
आदरणीय श्री रामगोपाल रैकवार जी ने टपका कौ भै कहानी में छौनर न हो पावे के कारन सेर सें जादाँ तौ टपका कौ डर है ।जियै सुनकें नाहर भग गऔ उर भड़या ।बढिया रोचक कहानी है । ऐैसंइ-बढिय-बढिया
इस तरह से सभी के द्वारा भौतई नोंनी औ रोचक कथाएं लिखी -सियाराम अहिरवार,टीकमगढ
################################# 68-अरविन्द श्रीवास्तव*भोपाल
*सुम्मुवारी समीक्षा* दिनांक २१.०९.२०२०
बिषय- बुंदेली दोहा-जुंदैया
आदमी सामाजिक जीव है । आदमी कौ कछु भी व्यक्तिगत नइँ होत । इतै तक कै कल्पना, सपने और विचार भी व्यक्तिगत नइँ होत । हमें परमसत्ता नें जो भी ज्ञान दव, ऊ पै सबकौ अधिकार है । हमें अपने ज्ञान के खजाने पै साँप बनखैं नइँ बैठनें; जो सहज माध्यम हासिल है, ऊ में व्यक्त करनें ।
साहित्य, भाषा के अचार या मुरब्बा की तराँ होत, जी में हम अपने विचार और अनुभव लम्बे समय के लानैं सुरक्षित कर देत । साहित्यिक रचना के रूप में संरक्षित ज्ञान आसानी सें याद बनो रत और अगली पीढ़ियन के कामै आउत । छन्दबद्ध और गेय शैली में रची भइ कविता और कथा-कहानी विधा, अपने सन्देश खौं प्रसारित करवे में ज्यादा सफल रत ।
आज दोहा लेखन कौ बिषय *जुँदैया* ई शब्द कौ उपयोग हमनें बुन्देली गानन में चाँद और चाँदनी दोई अर्थ में सुनो।
*धूप* खौं *विचार* के समान मानों और *चाँदनी* खौं *भाव* के समान मानों । इन दोईअन के मिलवे सें श्रेष्ठ कविता बनत जो मन खौं जगमगा देत। जे उदगार आदरनीय *रामगोपाल रैकवार* जू नें अपने दोहा में व्यक्त करे । *संजय श्रीवास्तव* जू के दोहा में प्रकृति कौ मानवीकरण करो गव :- "बदरा घूँघट ओट सें, चंदा मुख दिख जात" अपुन नें चिरवा-चिरई कौ अनौखौ वार्तालाप लिखो । *अभिनन्दन गोइल* जू तौ चन्द्रमा खौ आदेश दै रय :- "चंदा सें मैंनें कही, तनक जुँदैया ल्याव" *गुलाब सिंह भाऊ* जू नें सिंगार कौ चित्र प्रस्तुत करो :- "चलत जात मैं परख गई, जे सैयाँ के नैन" *रामेश्वर गुप्ता इन्दू* जू नें बिरह की मनोदशा कौ वर्णन करो :- "बैरी लग रव चन्द्रमा, लगै जुँदैया सौत" अशोक *पटसारिया नादान जू* ने अपने भौत नौने दोहन में संजोग और बिरह के केउ चित्र प्रस्तुत करे :- "चटक जुँदैया रात में, याद भौत वे आत" *अनीता श्रीवास्तव* जू नें अलग ढँग के दोहा रचे । चाँदनी रात और जुँदैया रात कौ अलग-अलग अस्तित्व निरूपण करो । *डी.पी. शुक्ला* जू के उद्गार हैं कै योग्य के अभाव में अयोग्य राज करन लगत :- *जुगनू करवें राज* जुँदैया रात खौं कुदरत की अद्भुत कला बतारय *कल्यान दास साहू* जू, आँगें लिख रय कै शरद की चाँदनी में प्रेम की बेल हरया जात । *प्रभुदयाल श्रीवास्तव* जू नें लिखो कै शरद की चाँदनी में अमरत बरसत । *कर सोरा सिंगार* में प्रकृति कौ मानवीकरण भव । *शोभाराम दाँगी* जू के दोहा के अंश *मन-मोहन मनचले* में मन-मोहन कौ अर्थ *कृष्ण* भी बन रव और *मन मोहवे के लानै* भी बन रव । *राजीव नामदेव* जू नें जुँदैया रात कौ भौत नौनौ वर्णन करो :- "चन्दा लै कैं आ गऔ, तारन की बारात" रात खौं दमकत भय हीरा की उपमा दइ । *वीरेंद्र चन्सौरिया* जू जुँदैया रात में चाँद खौं देख खैं खूब मुस्क्याउत । अपुन के दोइ दोहा भौत नौने हैं । जुँदैया की शीतल तासीर बता खैं *जयहिन्द सिंह* जू नैं उत्प्रेक्षा कौ सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करो :- "यौं जुगनू जुर कैं कई, लई जुँदैया घेर" *जगत राज शांडिल्य* जू नैं संजोग और बिरह, दोउ पक्षन खौं अपने दोहन में सहेजो । अपुन नैं पूनैं खौं चन्दा कौ पूरौ यौवन मानो :- "यौवन पूरे चाँद कौ, खिली जुँदैया ऐन" *देवदत्त द्विवेदी* जू नैं सिंगार और सौंदर्य सें भरपूर दोहन में उत्प्रेक्षा कौ प्रयोग देखवे जोग है :- "घूँघट खोलै नइ बहू, ज्यों ढाँकै उघराय" *सियाराम सर* जू नें जुँदैया रात में आसमान खौं दूध सें भरे थार की उपमा दइ और भौत सुन्दर कल्पना करी कै सबेरें तक जौ थार रीत जात । *एस. आर. सरल* जू नें जुँदैया रात खौं दूधिया रात लिखो । अपुन के दोहा में अतिशयोक्ति कौ भी प्रयोग है :- "दिन जैसौ उजयाव" सजी-धजी सलौनी-सी कम्पौजिंग में प्रस्तुत *सीमा श्रीवास्तव* जू के दोहन में जुँदैया, दुलैया जैसी "सज-धज कैं ससरार' जा रइ । ई कल्पना में प्रकृति कौ मानवीकरण है । "भँवरा भरमो भरम में" ई चित्रण नैं रीति काल की याद करा दइ । *राज गोस्वामी* जू संजोग भरे दोहन में शरद की पूनैं की खीर याद करा दइ ।
*रामेश्वर राय परदेशी* के दोहन में राधा-कृष्ण के माध्यम सें बिरह कौ वर्णन है । *बिन बंशी बिन रास* में अनुप्रास दर्शनीय है ।
पूरी तराँ सें बुन्देली तासीर सें भरे विषय *जुँदैया* पै सब विद्वान कवियन नैं भौत नौने-नौने दोहा रचे । सब खौं बधाई और शुभकामनायें ।
-अरविन्द श्रीवास्तव*भोपाल
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समीक्षा पर प्रतिक्रिया-
जय बुन्देली पटल पै, आज जुँदइया छाई।
कुशल समीक्षक आप हैं, काँ लौ करें बढाई।।
💐💐💐💐💐💐
गागर मे सागर भरौ,मन समीक्षा भाई।
श्री अरविंद जू आप खौ,भौतइ भौत बधाई।
-एस आर सरल, टीकमगढ़
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69-रामेश्वर राय परदेशी,टीकमगढ़ मप्र
समीक्षा 22 -9-20 बुन्देली बिधा लोरी
समीक्षा मां परदेशी राय 2
लिखत पटल पै माई शारदा
करियौ मोई सहाय
1
पटसरिया नादान कात
मीरा के गुरु रैदास
अहंकार को बीज नाश भई
पूजी जनम की आस
गुरु जी कृष्णा सें मिलबाय
लिखत पटल पै
2
वेंन अनीता क़त गीता में
अहंकार को बीज
सूदी दिशा उये मिल जावे
होत बुरई न चीज
तुलसी कालिदास कविराय
लिखत पटल पै
3
जयहिंद इज्जत मान व वैभव
होवै बुद्धि विनाश
इंदू औऱ सरस् जू काबै
अहंकार कौ बास
संजय मन में मद भरमाय
लिखत पटल पै
4
भाऊ दांगी कात शुकल जी
अहंकार अभिमान
दुर्योधन रावण बाली से
ई सें मरे बलवान
कुँवर अभिमान सें बच कें राय
लिखत पटल पै
5
कहत शांडिल्य सब गुन अवगुन
जो घमण्ड आ जावे
गोयल पोषक व पीयूष जी
जेइ सब खों समजावे
किशन के दोहा समज न आय
लिखत पटल पै
6
काम क्रोध छोड़ो राना क़त
पाठक उठी लहर है
नाते टोर व गांव छोड़
सिया राम जू बसे शहर हैं
सरल जड़ मूड अहम ले जाय
लिखत पटल पै
7
अहंकार विस् वेल नाश की
सीमा वेंन जा कावें
जो गरव में चंसोरिया
रत सो बौ पसताबै
कँवल जी जा सब खों
समझात
लिखत पटल पै माई शारदा
करियौ मोई सहाय
भूल क्षमा करियौ जू
-रामेश्वर राय परदेशी,टीकमगढ़ मप्र
समीक्षा की प्रतिक्रिया-
परदेशी जू आपकौ,काँ लो करें बखान।
कुसल समीक्षक कि -
नौनी भौत समीक्षा, परदेशी जू भाइ।
लौरी मन मौरै बसी,दे रय सरल बधाइ।।
शानदार समीक्षा
-एस आर सरल, टीकमगढ़ मप्र
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70-अशोक पटसारिया,लिधौरा, टीकमगढ़
बुधवार 23 सित 20 समीक्षा बुन्देली साहित्य
सुमर शारदा माँईं खों, गुरुवर शिवा गणेश।
लिखत समीक्षा विनय कर,ह्रदय विराजौ शेष।।
गलती हुइये जो कछु, करियो नज़र अंदाज़।
में नादान अपुन बड़े, आज राखियो लाज।।
उम्दा लिखते हैं सभी, सभी बड़े विद्वान।
हमखों कोरौ जान कें, क्षमा करौ श्रीमान।।
शब्द शिल्प में जो कछु, तनक कमी रै जाय।
तुकबन्दी की विवशता, जान हमें बिसराय।।
(पारम्परिक लोक गारी की तर्ज़ पर समीक्षा)
टेक, विनय सुन लो तनक सी नादान की।
रक्षा करौ अपने प्रान की।।
1 भुंसारे सें रोजई डारें।
नीत ज्ञान की बात बघारें।।
रामेश्वर गुप्ता नई हारें।
इने खबर नइयां अपनी दुकान की।,,,
2 मन इनकौ मचकोला खा रव।
मानत नइयां जौ गर्रा रव।।
संजय श्रीवास्तव सें का रव।
हम मानें ना अपने भगवान की।,,,
3 रामेश्वर गुप्ता ने डारीं।
तीन तीन चौकड़ियाँ प्यारी।।
सबई ईसुरी जू खों भा रईं।
तुमने जोड़ी हैं कड़ियाँ इंसान की।,,,
4 जयहिंद दाऊ ने महिमा डारी।
भारत भर कीं नदियां सारी।।
लिख डारी लम्बी सी गारी।
सुनी हमने भी वेतवा धसान की।,,
5 परदेशी जी सें बुलया रय।
उये चौंटिया लेत तंगा रय।।
मो बूढ़ी खों काय लजा रय।
हम लरकन सें कै दें शैतान की।,,,
6 राना जू नेतन सें कै रय।
चमचन खों तुम काय सिखे रय।।
पाँव परे सें वोट नई दै रय।
लिखी नौनी बुन्देली नादान की।,,,
7 अभनन्दन गोयल जा कै रय।
पँछी सबरे बेघर है रय।।
रिश्तन के अंतर खों सै रय।
बात बड़िया कई अम्नो अमान की।,,,
8 नेता सबरी गौचर खा गय।
ढोर बछेउ सड़क पै आ गय।।
अब किसान भी लट्ठ भंजा रय।
तनक मान जाव अपने नादान की।,,,
9 के के पाठक जुगत बता रय।
पापी भड़यन खों समझा रय।।
बुरय कर्म की माफी चा रय।
तनक छिटकी चढ़ा दो भगवान की।,,,
10 जगतराज पंडित जी कै रय।
गर्मी उमस पसीना सै रय।।
कूलर पंखा चैन ना दै रय।
भरी वर्षा मैं नदियां उफान की।,,,
11 बिडी बड़ी हत्यारी रोग।
सबरे सुनो मानबे जोग।।
ई कौ नई करने उपयोग।
पी डी श्रीवास्तव दवा लो चौहान की।,,,
12 दांगी शोभाराम बताबें।
जीवन कौ सुख सार सुनाबें।।
रामायन की बात सिखाबे।
सबई मान जाव बातें रामान की।,,,,
13 संजय बेकाबू गुंन वारे।
हरि कौ नाम जपौ रे सारे।।
उनकी मर्जी सें तन धारे।
मरबो जीबो है उनके विधान की।,,,
14 कब तक बने बेशरम रेहें।
नय लरकन सें जूता खेहैँ।।
बूढ़ी खों पछ्याने रेहें।
सरल कै रय परदेशी ईमान की।,,
15 मास्क लगावे में हैरानी।
पोषक जू की है जा बानी।।
काया तौ है आनी जानी।
बिडी सिगरिट तमाखू है जहां की।,,
16 डी पी शुक्ला कहत अहाने।
अपनी अपनी जांगां ताने।।
कौऊ काऊ की एक ना मानें।
सारे झगड़े हैं धन के धिंगान की।,,,
17 छैल छबीली नार दिखा रई।
गोरी मुइयाँ इनखों भा रई।।
छूतन मैली हो हो जा रई।
जा गुलाब सिंह दाऊ के कहान की।,,,
18 रिमझिम रिमझिम पड़त फुहारें।
चौमासे कड़ गय बसकारें।।
किशन तिवारी बदरा पारें।
तुम्हें फिकर नइयां अपने कीसें की।,,,
19 कुत्ता दूद मलीदा खा रय।
गैयन पै लाठी बरसा रय।।
कुंअर सभी रिश्तन की का रय।
मची भैयन मैं जमी औ मकान की।,,
20 ओंदी सूदी फेंकत जा रय।
अपनी रोटी सेंकत जा रय।।
बिना ज्ञान के ज्ञान बता रय।
बैन अनीता ने कै दई जहान की।,,,
21 राज गुसाँई गाल बते रय।
सुआ कटैल पुआ से कै रय।।
बारन बीच जुअन खों बै रय।
इनकी कविता में फिकर मोय शान की।,,
22 कुर्सी की है खेंचातानी।
खादी पैर करत मनमानी।।
धोखेबाज़ी भी शर्मानी।
भैया देवदत्त कथा जा शैतान की।,,
23 जनम दिवस दिनकर कौ कै रय।
लख लख उन्हें बधाई दै रय।।
राष्ट्रकवि कौ मान बड़े रय।
जय हो प्राणेश चित्रकूट धाम की।,,,
24 दुश्मन सें ना करियो यारी।
बट जै खेती क्यारी क्यारी।।
सियाराम ने कई जा प्यारी।
इनकी बातन में बात है विधान की।,,,
25 खूब रात भर बरसो पानी।
फसल हती ख़ूबई गररानी।।
उरदा मूंगे सबई कुरानी।
बड़ी आफत है सालिग किसान की।,,
26 बड़ी लटी तोरी भौजाई।
सीमा बेंन ने करी कुटाई।।
तौऊ सिल्क की सारी लाई।
शर्म जाबे मैं नइयां दुकान की।,,,
27 बारिश बेजां आप बता रय।
ताल तलैया उफने जा रय।।
सूरज के दर्शन नई पा रय।
विनय प्राणेश ने की भगवान की।,,,
28 ऐसे करियो उम्दा काम।
सबरे करबें रामई राम।।
बड़े प्रेम से होजें काम।
वीरेंद्र कै रय शिकायत न काम की।,,
और अंत में,,
29सबरे झंक डुकरवा होबें।
राम नाम करनी मैं मोबें।।
दीन दुखी के अंसुआ धोबें।
जेई सेवा रै जानें निशान की।,,,
-अशोक पटसारिया,लिधौरा, टीकमगढ़
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71संजय श्रीवास्तव, मवई
*जय माँ वीणा वादिनी*
*बुद्धि-ज्ञान की दाता*
*लाज रखो, कृपा करो*
*चरण शीश नभाता*
प्रस्तुत है - गुरुवार (२४-९-२०) को प्रेषित की गई रचनाओं की समीक्षा--
बुंदेली साहित्य समूह पर आज हिंदी का दिन है। अभी हाल ही में हिंदी दिवस बीता, तो दो बातें अपनी गौरवमयी भाषा *हिंदी* के बारे में ज़रूर करूँगा- साथियो हिंदी जीवन की प्रत्येक गति और स्थिति को सार्थक व प्रभावी अभिव्यक्ति प्रदान करने में सक्षम है अर्थात अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, एकांकी, नाटक, जीवनी और आलोचना जैसी जानी मानी विधाओं के साथ- साथ संस्मरण, रेखा चित्र, डायरी, पत्र, रिपोर्ताज, यात्रा वृतांत,साक्षात्कार, व्यंग्य लेख
, एकालाप एवं कई तरह के लेख व आलेख जैसी कई नवीन विधाएं हिंदी भाषा के बहुआयामी स्वरूप तथा जीवन की वास्तविकता और व्यापकता को प्रकट करती हैं।
सहृदय साथियो, कितनी सुखद और सौभाग्यपूर्ण बात है कि हम सब सृजनशील रचनाकारों को बुंन्देली साहित्य समूह ने सप्ताह में एक दिन हिंदी भाषा मे सोचने,रचने व उसके विकास की गति को स्वस्थ दिशा देने का सुअवसर प्रदान करती है। और हमें अपने-अपने स्तर पर राष्ट्र भाषा हिंदी से जुड़ने तथा उसकी सेवा करने का अवसर प्राप्त होता रहता है।
संयोग से कल ही राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह *दिनकर* जी का जन्मदिन था तो मैं महान कवि दिनकर जी को शत शत नमन करते हुए आज की समीक्षा का आरंभ करता हूँ-
आज की सुबह आध्यात्मिक आभा में सराबोर प्रकट हुई।आदरणीय *अशोक पटसारिया जी* का एक लंबा आलेख पढ़कर मन आश्चर्य और जिज्ञासाओं से भर गया ।आपने अध्यात्म के विविध आयामों, सन्दर्भों और ऋषि- मुनियों के अनेकों प्रसंगों द्वारा आध्यात्मिक जगत तथा जीवन दर्शन को विस्तार पूर्वक समझाने का प्रयास किया । बाहरी ज्ञान की अपेक्षा आत्म ज्ञान को महत्वपूर्ण बताया ,जो स्वाध्याय से मानव प्राप्त कर सकता है हमारे यहाँ तो ऐसे साधकों की लंबी सूचि है -जिनमे बुद्ध, महावीर, नानक जैसे कई महापुरुषों ने स्वाध्याय से न सिर्फ अपनी प्रज्ञा को प्रज्ज्वलित किया बल्कि देश-दुनिया को आत्मज्ञान व सदमार्ग प्रदान किया। बाह्य ज्ञान तो आपको संसार, समाज व परिवार से मिल जाता है जो आपको बाहरी जगत के आचार- विचार और जाल जंजाल से अवगत कराता है,पर स्वध्याय और अंतर्यात्रा हेतु आपको सच्चे सन्त महात्माओं की शरण मे ही जाना पड़ेगा तथा भक्ति मार्ग को अपनाना पड़ेगा, तभी आत्म स्वरूप का साक्षात्कार होगा और जीवन की सार्थकता का ज्ञान विकसित होगा , और इसी रास्ते से दिव्य नेत्र जागृत होना सम्भव हो सकेगा।
नादान जी के वृहद अध्ययन और चिंतन से उपजे इस लेख में बताया गया है कि व्यक्ति, मंत्र, ध्यान , साधना और भजन के माध्यम से शिवलिंग पर चढ़ने वाले अमृत का स्वाद चख सकता है व उस अनहद नाद की गूँज का श्रवण कर सकता है जो ह्र्दय के मंदिर में प्रतिपल ध्वनित हो रही है। लेख बहुत बड़ा है, इसके बारे में जितना लिखा जाय कम है अंत में लेख-सार का एक अंश यह भी स्पष्ट करना चाहूँगा कि मानव मात्र एक है, एवं सबका धर्म एक है इसी भाव को मन में धारण करके, अहंकार को गलाकर तथा जीवन को सहज व सरल बनाकर ईश्वर से लगन लगानी है ताकि स्वयं से साक्षात्कार करने में आसानी हो।
हालांकि मैं इस लेख की समीक्षा लिखने के योग्य नही हूँ ,मुझसे बेहतर आदरणीय गोइल जी ने इस पर अपनी चेतना का प्रकाश डाला है, अतः इस लेख के लिए समीक्षा के खाते में न लेखा जाय। यह लेख बार बार पढ़ने और चिंतन मनन के काम आने वाला महत्वपूर्ण लेख है जो व्यक्ति की दशा और दिशा दोनो को परिवर्तित करने में सक्षम है।
आज *डॉ. सुशील शर्मा जी* ने *मृत्यु स्वयंवर* नामक रचना प्रेषित कर आचार्य रजनीश की एक बहुचर्चित किताब *मैं मृत्यु सिखाता हूँ* की याद दिलादी। शर्मा जी ने अपने कथ्य में सार्थक शब्द-संयोजन व सुंदर शिल्प से चार चांद लगा दिए जिससे भाव और प्रखर हो गया। बिडम्बना देखिए कि व्यक्ति जीवन भर जीवन से अपरिचत रहते हुए मृत्यु से भयभीत रहता है। यदि वह मृत्यु से भयमुक्त हो जाय जीवन और मृत्यु दोनो उत्सव बन सकते हैं। शर्मा जी ने अपनी काव्य रचना में मानव जीवन के सबसे बड़े डर, *मृत्यु* का जिस स्वीकार- भाव से स्वागत किया है वह जीवन को उत्साह और सत्यता और निडरता के साथ जीने का साहस प्रदान करता है।
*श्री रविन्द्र शुक्ला* जी ने अपने मुक्तक में बलात्कारी दरिंदो के प्रति जन आक्रोश को उभारा है। कवि ने रचना के माध्यम से कहा कि ऐसे दरिंदो को जेल में नही रखना चाहिए बल्कि फाँसी की सज़ा देनी चाहिए। देखा जाय तो हमारे समाज मे इस घिनोनी मानसिकता के भेड़िए हमारे आस-पास आय दिन घूमते ही रहते हैं। कुछ हिम्मत करके बेहोशी और बासना के वशीभूत होकर घृणित कार्य को कर बैठते हैं। कुछ डर की वजह से नही कर पाते लेकिन अपनी नज़रों से ,इशारों से, और हरकतों से हर रोज हमारी माताओं- बहनों से बलात्कार ही कर रहे होते है, जिनमें अधिकांश लोग इसके खिलाफ लिखकर व सार्वजनिक बोलकर अपनी सज्जनता की छवि बनाने में क़ामयाब हो जाते है। एक रचनाकार होने के नाते हमे स्वयं अपने अंदर भी झांकना है ।और ऐसी मानसिकता के लोगों को चिन्हित करके उनका बहिष्कार भी करना है। क्योंकि जो दिखता है उसपर तो हम लिख सकते हैं पर जो नज़र के पार है उसे पकड़कर अपनी लेखनी में लाना थोड़ा कठिन तो है पर असम्भव नही।
*श्री रामेश्वर राय जी* ने अपने गीत के माध्यम से जन्म से लेकर मृत्यु तक कि यात्रा को अभ्यास और अभास की यात्रा बताया है।
अपने ज्ञान, अनुभव, चिंतन-मनन, के आधार पर सदमार्ग पर चलते हुए जीवन रूपी बाँसुरी में प्रेम और हौंसलों के सुर भरकर जीवन को सुरीला बनाने के लिए प्रेरित किया है।
*श्री शोभराम दाँगी जी* ने आज प्रथमेश श्री गणेश जी के गुणगान करते हुए बहुत सुंदर गणेश-वंदना पटल प्रेषित की। निश्चित ही गजानन भगवान की यह वंदना संगीत के साथ समूह द्वारा गाये जाने पर अपना प्रभाव जन मन पर छोड़ेगी।
*डॉ.श्री देवदत्त द्विवेदी, सरस* जी ने अपनी रचना में भूत काल और वर्तमान काल की तुलना सीधे, सपाट व सरल शब्दों में करते हुए कहा है कि समय के साथ मौसम, बहार, लोग और सलीका सब बदल गया है।
*श्री कल्याण दास साहू, पोषक* जी ने अपनी रचना के माध्यम देश की बड़ी त्रासदी को सामने रखा, वे कहते हैं कि यहाँ व्यक्ति को योग्यता के हिसाब से उचित स्थान और अवसर नही मिलते , जबकि अयोग्य व्यक्ति छल, प्रपंच,और जुगाड़ से मुखिया बनकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहते हैं। जब तक आम जन जागरूक नही होगा तब तक ये सिलसिला चलता रहेगा। हम स्वयं ही बंदरो के हाथ मे उस्तरा पकड़ाते हैं।
*श्री कृष्ण कुमार पाठक* जी ने आज एक मात्रिक छंद पटल पर प्रेषित किया, जिसमे सुबह-शाम एवं रात-दिन राम नाम जपने को ही जीवन का उद्देश्य बताया है।
*श्री अभिनन्दन गोइल जी* की आज बिना रदीफ़ की ग़ज़ल पढ़कर उनके रचनाकर्म का विस्तृत फलक को समझ सकते हैं- उम्दा बुन्देली व हिंदी रचनाओँ का स्वाद तो हम सब पटल पर पहले ही ले चुके है इस बार आपने खूबसूरत ग़ज़ल प्रेषित की । ग़ज़ल आग़ाज़ से अंजाम तक भीनी-भीनी खुशबू और मोहब्बत से भरी है। अंतिम शेर कमाल लिखा - *शफ़क़त ही आफताब की धरती सी तबज्जो*
*दरियादिली के साथ सदाक़त दिखाइए* वाह
*श्री राजीव नामदेव राना जी* ने भी आज पटल पर बड़ी सुंदर ग़ज़ल प्रेषित की जिसमे टूटे व हताश दिल की व्यथा का वर्णन किया। निराशा के दौर में व्यक्ति के मन अंतर्द्वंद्व को भलीभांति उभारा है। पहले आशिक़ मौत का इंतज़ार करता है और अगले शेर में वह हरहाल में जीनें का संकल्प लेता है।
*श्री मति अनीता श्रीवास्तव* जी पटल की सशक्त रचनाकार हैं।उनकी छोटी- छोटी रचनाओं में भी गहरे भाव प्रकट होते हैं। आज भी आपने एक छोटी सी ग़ज़लनुमा रचना पटल पर प्रेषित की, जिसमे विशाल सागर रूपी जीवन मे स्वयं के अस्तित्व को एक छोटी सी इकाई माना है।और दोहरे मापदंडों वाले लोंगो को चुप रहने की सलाहियत दी है।
यह बिडम्बना ही है कि हम सरल, सच्चाई और मासूमियत से भरे लोगों की अवहेलना कर देते है जबकि अपनी बातों से तर्क-कुतर्क करने वालों की बातों से अभिभूत हो जाते हैं। अनीता जी की रचना का प्रभावित करने वाला अंश दखिये-
*सागर होंगे, नदिया होंगी या झरते होंगे निर्झर*
*दो बूंदों का किस्सा मेरा, कहने दो या बहने दो*
*कुंवर राजेन्द्र जी* ने आज पटल पर चौकड़िया प्रेषित की , जिसमे बदलते वक्त और परिवेश पर चिंता व्यक्त की है। वर्तमान समय मे युवा पीढ़ी की स्वच्छंद मानसिकता के चलते बदलते आचार- विचार के साथ वेशभूषा प्रति विरोध दर्ज किया है।
*श्री डी पी शुक्ल सरस जी* ने अपनी रचना में जीवन दर्शन को दर्शाया है, उनके अनुसार- व्यक्ति एक ओर तो जीवनसागर में काम, क्रोध, लोभ,मोह वश हिचकौले खा रहा है वहीँ दुसरी ओर मोक्ष की तलाश में भी भटकता रहता है। जबकि वह स्वयं सागर है, स्वयं नाव और पतवार है। यदि मानव अपने अंतर्मन में गोते लगाए तो मोक्ष का रास्ता मिल सकता है।
*श्री राज गोस्वामी जी* ने अपनी छोटी रचना में भरी-पूरी शाम को दो हिस्सों में बांट दिया पहले हिस्से में अपने आत्मीय के इंतज़ार में वही शाम सुहानी लग रही और आत्मीय जन के न आने पर वही शाम तिलमिलाने वाली,जी जलाने वाली प्रतीत होने लगी।
*श्री जयहिंद सिंह जी* ने आज पटल पर कृष्ण और राधा को आधार मानकर सुंदर हिंदी ग़ज़ल प्रेषित की।
*श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी* ने ईश्वर प्रदत्त अमूल्य उपहार *जीवन* के महत्व को अपनी रचना का आधार बनाकर , जीवन मे खुश रहने एवं सदकर्म करने पर जोर दिया गया।
*श्री किशन तिवारी जी* अपनी ग़ज़ल में स्वयं को केंद्र में रखा है, जिसमे बताया है कि स्वयं की लड़ाई दूसरे से नही खुद से है । वैसे भी इंसान स्वयं अपनी सफलताओं और विफलताओं के लिए स्वयं ज़िम्मेदार होता है। इंसान को स्वयं को हराकर आगे बढ़ना चाहिए।
*श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव, पीयूष जी* बुन्देली के स्थापित कवि है आज आपने, पटल पर प्रेम में पगी हुई प्रभावशाली हिंदी की सुंदर काव्य रचना *तुम्ही हो* प्रेषित की।
कथ्य, भाव और शब्द- संयोजन का ऐसा अद्भुत मेल की पाठक के मन मे जादू का सा छा जाए। आपने रचना में अपनी प्रेयसी या अर्धांगिनी को ही सपनों की परिणति, सपनो का संसार और सर्वस्व प्राणाधार मानकर भगवान के तुल्य माना है एवं स्वयं के अस्तित्व को ही नकार दिया। प्रेम की यही सघनता प्रेम का विराट रूप है, जिसमे प्रेमी स्वयं को बिसार कर अपने आराध्य में लीन हो जाता है। दूसरी ओर यदि इस कविता को ईश्वरीय भक्ति के आधार पर समझें तो कबीर की निर्गुण धारा के तहत निराकार से लगी लगन के स्वरूप को भी समझ सकते हैं।क्योंकि कवि ने एक जगह मंदिर में विराजमान मूर्ति के सामने अपने आराध्य को महत्व दिया है।
*श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी* ने आज ग्रामीण अंचल के एक संवेदनशील चरित्र काका जी की सहृदयता , परहित की भावना और उपकारी स्वभाव को रचना का विषय बनाया, पर वही काका जी जब स्वयं लाचार हो जाते है एक संवेदनशील सहयोगी के लिए तरस जाते है। नई कविता के माध्यम से जीवन की सच्चाई को बखूबी व्यक्त किया।
*आदरणीय मीनू गुप्ता जी* ने अपनी रचना *प्रकृति संग मानव* में प्रकृति की खूबियों को उजागर करते हुए मानव से प्रकृति जैसा धैर्यवान बनने का आह्वान किया है।
*श्री जे आर शाण्डिल्य जी* ने अपनी रचना *ये दिल दीवाना है* में दीवाने दिल की उथल-पुथल भरी भावनाओं को बारिकी एवं रोचकता के साथ प्रकट किया , साथ ही कोरोना काल मे प्रेमियों की विरह वेदना को भी उभारा है।
*श्री राम गोपाल रैकवार जी* ने आज पटल पर अपनी व्यंग्य रचना से सबको गुदगुदाया। चमचागिरी और स्वार्थ की पराकाष्ठा को दर्शाता यह व्यंग्य इंसानी के नैतिक पतन पर सोचने के लिए मजबूर करता है। वास्तव में व्यंग्य रचना मुदी चोट की तरह होती है वह दिखती नही है पर चुभती बहुत है।
*श्री सियाराम सर जी* ने भी आज पटल पर व्यंग्य रचना प्रेषित की जिसमे उन्होंने वर्तमान में युवा पीढी के वेशभूषा पर चिंता व्यक्त की है, रचना के माध्यम से उन्होंने कहा है कि कहने को हम 21वी सदी में पहुंच गए , सभ्य हो गए है पर सच तो यह है कि जैसे मनुष्य आदिकाल में जंगल मे घूमता था वैसे ही फैशन के नाम पर आज भी घूमने लगा। सियाराम जी व्यवस्था और समाज मे व्याप्त विसंगतियों को ही अपनी रचनाओँ में दर्शाते हैं।
*सुश्री सीमा श्रीवास्तव जी* ने आज नई कविता के अंतर्गत छंदमुक्त कविता पटल पर प्रेषित की। सीमा जी जितना सुंदर और भाव पूर्ण बुन्देली में रचतीं है उतना ही प्रभावशाली हिन्दी में भी रचतीं हैं । आप आपने कविता के माध्यम से इंसान को स्वयं के साक्षात्कार करने की बात की। मन को असली दर्पण बताते हुये कहा कि इंसान यदि मन के दर्पन में स्वयं को निहारे तो आत्मग्लानि से भर जाएगा और यही आत्मग्लानि शुभ के संकल्प को जन्म देगी जिससे स्वयं का एवं जन जन कल्याण होगा।
आज अंतिम कविता *एस आर सरल* जी की पटल पर आई जिसमे आपने देश भर में हो रही बलात्कार की घटनाओं को अपनी रचना का आधार बनाया ,और उन्होंने रचनाओँ के माध्यम से देश के युवाओ को सचेत करते हुए कहा कि देश का भविष्य तुम्हारे कंधों पर है इसलिए युवा वर्ग को सबसे ज़्यादा सचेत आए और सजग रहने की आवश्यकता है।
समीक्षक-संजय श्रीवास्तव, मवई २४/९/२०, दिल्ली।
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72-समीक्षक-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ
समीक्षा-दिनांक 25-09-2020 दिन -शुक्रवार
विषय-बुन्देली पहेली /अटका
बुन्देलखण्ड कौ क्षेत्र भौत बडौ़ है ।इतै पूरे बुन्देलखण्ड में साहित्य बिखरो परो है ।विद्वानन नें भौतई बटोर लऔ ।और बटोरवे के लानें इते पै बिखरे भौतई उम्दा और गियान सें भरे अटका ,अहानें ,टउका ,कानात
,बत्ताउअल किसा कानियाँ ,पहेली लगे हैं ।इन अटकन में वेद पुरानन की बातन के संगै -संगै सामाजिक बातन कौ गियान मिलत ।इन अटकन खों कौन नें रचो ईकौ पतौ तौ नइयां ।लेकन इनसें बडी़-बडी़ बातन कौ हल निकर आउत ।चाहे वे वेद की बातें होयं चाहे लवेद की सबकौ सरोकार मानवीय जीवन से जुरो होत ।
आज इनई अटकन खों भौत से साहित्यकारन ने पटल पै डारे ,जो भौतई नोंनें हैं ।
श्री गुलाब सिंह भाऊ जी ने शुरूआत में महाभारत के गूढ रहस्य खों समझवे के लाने अटका भेजो जीकी कथा भी उनई नें बताई पर पाठक अटका कौ उत्तर नई समझ पाये ।
श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव ने बचपन में सुनें अटका लिखे ,जिनकौ उननें उत्तर भी बताऔ ।
श्री सियाराम सर नें दस अटका पटल पै मय उत्तर के भेजे । बुन्देली अटका जैसे -ताल में उपजै हाट बिकाय ,छिलका फेकें गूदौ खायं ।जीकौ उत्तर सिंघाड़ा है ।
श्री राजेन्द्र यादव कुँवर जू कनेरा बारन नें भौतई नोंनें अटका डारे जिनमें एक अटका है कै ,
चार मर्द सोला जनीं ,एक खाट पै कैसे बनी ।जीकौ वे उत्तर बता रये कै चार अंगूठा और सोला अंगुलियां है ।
श्री कल्याण दास पोषक जी नें भी बुन्देलखण्ड में प्रचलित अहानें जिनें बताउअल किस्सा भी कात भेजे जो सार्थक और ज्ञान वर्धक हैं ।जैसे -तनक सी राई ,सबरे में बिर्राई ।उत्तर है तारे ।
श्री अशोक कुमार जी पटसारिया ने वेद सें संबंधित अटका भेजे जिनके उत्तर
रामायण की कहानियों से ओतप्रोत हैं ।
श्री जे आर शांडिल्य जी ने भी अपनी उपस्थिति दई पर वे विषय सें भटक गये ।
श्री राजीव राना जी ने भौतई नोंनी बुन्देली पहेली लिखी ।
तनक सौ लरका बम्मन कौ ।
तिलक लगाय चंदन कौ ।जीकौ वे उत्तर बता रये मूँग उर्दा कौ दानों आय।
श्री पी डी श्रीवास्तव जी भौतई नोंनें बुन्देली अटका लिख रये जिनमें से एक अटका है ।
को जानें कब की डरी ,बीत गये जुग चार ।
चरन छुए सें उठ गई ,कर सोरा सिंगार ।जीकौ उत्तर बता वो सबई के बस की बात नइयां ।
लेकिन वे बता रये कै ईकौ उत्तर
अहिल्या उद्धार है ।
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने लिखो कै नांय गई ,मांय गई जानें दारी कियांय गई ।जीकौ उत्तर गली ,रास्ता है ।
श्री डी पी शुक्लाजी ने एक से बढकर एक अटका लिखे जिनें लोग कोंड़न पै तापत भये बत्ताउअल किसा के रूप में एक दूसरे सें पूँछत जो इनकौ उत्तर बता देत उऐ सबरे होशयार मानत ।तन तन से गटवा ,मुठी मुठी भुस खांय ।
भरे तला में छोड़ दो ,सो कंडी से उतरांय । जीकौ उत्तर उननें गुजिया बताऔ ।
श्री अखिलेश जी दादूभाई लिख रये कै भरे कुआं ,कंडा अतरांय ।जीकौ उत्तर वे बता रये कै मक्खन है ।जो मठा की भरी मटकिया में ऊपर आ जात ।
डाक्टर सुशील शर्माजी ने भौतई नोंनी पहेली लिखी पर उननें पटल पै इनके उत्तर नई भेजे ।
श्री अभिनन्दन गोइल जी नें अटकाऊ फागन कै वारे में भौतई
नोंनी जानकारी दई ।और कछु फागें लिख भी भेजी ,जिनमें बड़े चुटीले जवाब सवाल हैं ।जो रात रात भर साजबाज के संगै एक टोली दूसरी टोली खों हरावे की होड़ में गाउत रत ।
श्री रामगोपाल जी नें अटका में अटका डार कें अटकन सें जुरी कैऊ खास बातें बताई ।उननें कछु अटका सबाल जुआब में सोऊ डारे ।जो बड़ी बड़ी बातन के हल बताउत।
श्री शोभाराम दांगी जी के भी अटका नोंनें है ।जो रहस्यमय हैं ।
जिनके उत्तर सबाल की तरां गेयतापूर्ण हैं ।
श्री एस आर सरल जी पूछ रये कै
कडी़ है पिड़ी है ,मौरा पै परी है ।
बताओ हमाई किसा नई तौ सजा भोग वे धरी है ।सब हार गये तौ बेई बता रये कै जा घर की देरी आय ।
श्री रामलाल जी प्राणेश ने भी सढिया पहेली लिखीं .।जिनमें उनकी एक पहेली है ।
रात कें खडो़ ,दिन में परो ।जीकौ उत्तर गेरवां बताऔ जिये बुन्देली में गिरमां कत ।
श्री के के पाठक जू लिख रये कै ।
एक लई ,दो फेक दईं । जीकौ उत्तर दातुन बता रये ।
जो सई भी है कै एक दातुन लेत और दो फका करकें फेंक देत ।
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने भी कुछ बुन्देली पहेलियाँ भेजी जो भौतई नोंनी हैं ।
गौरव सिंह दांगी ने भी अपनी उपस्थिति पटल पै दई ।पर अपनें अटका में अटक गये ।
सुश्री सीमा श्रीवास्तव जी ने भौतई नोंनें बुन्देली अटका लिखे जो रोचक लगे ।
अन्त में जयहिन्दसिंह ने हस्तलिखित पहेली ,अटका भेजे जो स्पष्ट रुप से पढने में नई आ रये ।
इस प्रकार से सभी का प्रयास बुन्देली भाषा को समृद्ध करने में सराहनीय है ।सभी बधाई के पात्र हैं ।
धन्यवाद ।
समीक्षक-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ ।
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73- अरविंद श्रीवास्तव, भोपाल,
*सुम्मुवारी समीक्षा* २८.०९.२०२०
सामान्य रूप में बीमारियन कौ ज्ञान सब खौं होत, पै उनके उपचार कौ ज्ञान सब खौं नइँ होत । उपचार बतावे कौ दायित्व चिकित्सक कौ है । चिकित्सक कौ दायित्व भी केबल बीमारियन की जानकारी दै दैवे सें पूरौ नइँ होत, जब तक कै उन बीमारियन कौ सफल इलाज न कर सकै । ठीक जेई बात साहित्यकारन पै लागू होत ।
समाज में व्याप्त समस्याअन खौं उजागर कर दैवे मात्र सें साहित्यकार कौ दायित्व पूरौ नइँ हो जात । समस्या मूलक रचनाअन की तुलना में समाधान परक साहित्य कौ सृजन, समाज के लानै ज्यादा उपयोगी होत ।
सब ऋतुअन की तराँ शरद ऋतु कौ भी अपनौ अलग सौंदर्य है । पंचांग सें आदे क्वाँर सें आदे अघन तक और कलैंडर सें सितंबर-अक्टूबर में शरद ऋतु मानी जात । आज शरद ऋतु विषय पै समूह के विद्वान कवियन नें भौत नौने दोहा रचे ।
बसंत खौं ऋतुअन कौ राजा मानो गव । *अभिनन्दन गोइल जू* नें शरद खौं ऋतुअन की रानी बता खैं जोड़ी बना दइ । सूरज के दक्षिणायन होवे कौ भी संकेत दव - "सूरज सरकन लगो है, दक्खिन दिस की ओर" *रामकुमार शुक्ला जू* अनुसार शरद में फल, सब्जी और अनाज की बहुतायत रत, किसान खुश रत । *शोभाराम दाँगी जू* नें शरद ऋतु खौं सदा सुहागन लिखो । अपुन के दोहा भाव और कला, दोई सौंदर्य सें भरपूर हैं । *डी. पी. शुक्ल सरस* के बुन्देली तासीर वाले दोहन में "काटत ऊके कान" कहावत कौ प्रयोग है । *कल्यान दास साहू जू* के सब दोहा माधुर्य सें भरे - "दिवस सुहाने होत हैं, रात सुहानी होय" *संजय जैन जू* के दोहन में शरद के बजाय शीत ऋतु कौ वर्नन है । *संजय श्रीवास्तव जू* की बिरहिन पेट खौं कोस रइ, जी के कारन सैयाँ खौं परदेश जानै परो - "लुअर लगै ई पेट में, सैयाँ नइयाँ पास" *राज गोस्वामी जू* नें बसंत के सिर कौ ताज शरद के सिर पै धर खैं शरद खौं ऋतुराज बना दव । *अशोक पटसारिया जू* शरद ऋतु खौं बिरहणी लिखो । शरद में सूरज की तीव्रता कम होवे कौ भौत नौनौ वर्नन करो - "सूरज भी शरमात" *वीरेंद्र चन्सौरिया जू* के अनुसार शरद सें ठण्ड की शुरुआत हो जात । *प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* के पाँचई दोहा भाव और शिल्प की दृष्टि सें भौत श्रेष्ठ हैं । अनुप्रास, उपमा, प्रकृति कौ मानवीकरण कौ समावेश है । सिंगार और सौंदर्य कौ अद्भुत समन्वय है - "दिन पै दिन दिन घट रये, बड़न लगी है रात,
जब सें आये सरद जू, रै रै रस बरसात"
*डॉ. सुशील शर्मा जू* नें शरद ऋतु पै भौत रोचक दोहा रचे - "बलम फुरेरी लेय" *राजीव नामदेव राना जू* नें लिखो कै दिन चर्या पै शरद ऋतु कौ प्रभाव परन लगो । दिन छोटे और रातें बड़ी होवे कौ भौत अनौखौ वर्नन करो - "होन लगो दिन दूवरौ, मुटा गई है रात" *एस . आर. सरल जू* नें प्रकृति के सिंगार कौ भौत गजब कौ वर्नन करो - "शरद दुलैया सी सजी, बैठी रूप निहार,
बिन्दी माथे चाँद की, तारन कौ श्रृंगार" *जय हिन्द सिंह जू* के भौत नौने दोहन में भौत गजब की उक्ति लिखी - "क्वाँरे जैसौ क्वाँर" *रामगोपाल रैकवार जू* के तीनई दोहा उत्कृष्ठ हैं । शरद ऋतु कौ भौत बढ़िया वर्नन करो । भौगोलिक ज्ञान भी व्यक्त करो - "परन लगत भूमध्य जब, सूरज किरन अनन्त" *सियाराम सर जू* के दोहन में शरद ऋतु के स्वादिष्ट भोजन कौ वर्नन है - "बनी जुनई की रोटियाँ, नई मूँग की दाल"
आज भौत से उल्लेखनीय दोहन की रचना भई । लगभग सबकौ लेखन सफल रव । सहभागिता के लानै सबकौ आभार और बधाई ।
-अरविन्द श्रीवास्तव*,भोपाल
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74-समीक्षक -एस आर सरल,टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह समीक्षा
बिषय बेटी
दिनांक 29.9 2020 मंगलवार
समीक्षक सालिगराम सरल
निवेदन🙏🙏🙏
परदेशी जू पटल पै , आज नजर नहिआय।
तों समीक्षा हम करत,बिगड़ी लियो बनाय।।
💐💐💐💐💐
कैसे करें समीक्षा, विद्वानों की फौज।
कलम उठाई नहि उठै,तनक बधै नइं औज।।
कलम उठा सिर नायके, लिखू चित्त हर्षाय।
सरल सबइ कविगण नमन, सादर शीष नवाय।।
बन्दव गौतम बुद्ध को, चरनन शीश नवाय।
करूं समीक्षा आज की, दियो शब्द बरसाय।।
🙏🙏🙏🙏🙏
रामेश्वर इंदु लिखें, कठिन कछु नहीं जान।
गर वह दृढ़ संकल्प से, करने की ले ठान।।
💐💐💐💐💐
सिया राम सर जी कहें, बेटी है वरदान।
बेटी आंगन की छटा,बेटी है अभिमान।।
बेटी की बहु रुप में,करा रहे पहचान।
बेटी कभउ न भूलती, अपने कुल को ध्यान।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गोस्वामी जू राज ने, खोले मन के राज।
बेटा देखत बायरै, बेटी घर के काज।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
लिखत कवी नादान जू,बेटी खौ अनुप्रास।
बेटी परियों की कथा, कोमल सा एहसास।
सूरज पहली किरण सी, कहत कवी नादान।
बेटी अब तेरे बिना, घर लागै श्मशान।।
💐💐💐💐💐
राना जू की कलम में, अद्भुत है समभाव।
बेटा बेटी एक सी, हो समान बर्ताव।।
कहत बहू को दीजिए ।बेटी जैसा मान।
बहू तुमै सम्मान दै, अपने पिता समान।।
💐💐💐💐💐
शुक्ल आर के लिख रहै,बिटिया सम नहि कोय।
मात पिता को छोड़तन, भर भर असुआ रोय।।
🌹🌹🌹🌹🌹
डी पी शुक्ला सरस जू ,कहै दर्द की बात।
धक धक जियरा होत जब ,बिटिया घर सै जात।।
💐💐💐💐💐
अभिनंदन जू लिख रहे ,बेटी अत्याचार।
बेटी रो रो कह रही, नहीं कोख में मार।।
🙏🙏🙏🙏🙏
रैकवार जू लिखत हैं,निज मन के उदगार।
बेटी है त्योहार सी, बेटी बंदनवार।।
मात-पिता व्याकुल भए,लागी असुअन धार।
कत बेटी ही जोत है, दो कुल को उजियार।।
🙏🙏🙏🙏🙏
लिखत कुंवर राजेंद्र जू, बेटी घर की शान।
जिस घर बेटी किलकती, वे घर स्वर्ग समान।।
💐💐💐💐💐
सुशील वर्मा जी कहें, बेटी घर की डोर।
बेटी दो कुल सीचती, होके भाव विभोर।।
💐💐💐💐💐
देवदत्त जी लिख रहे, बेटी है वरदान।
मात-पिता वे धन्य जो, करते कन्यादान।।
💐💐💐💐💐💐
संजय बेकाबू लिखें,बेटी शहद समान।
घर की रौनक होत है, बेटी घर की शान।।
🙏🙏🙏🙏🙏
पोषक श्रद्धा भाव से, बेटी पूजी जात।
धर्म सनातन संस्कृति, पावनता बिखरात।।
💐💐💐💐💐
गुप्त इंदु जी लिखत हैं, कां लो धीर बधाँय।
बेटी की हो तन विदा, सब घर नीर बहाँय।।
कत बेटी चौपाइयां, और भाव की मीत।
बेटी की करनी विदा,यह जग की है रीत।।
🌹🌹🌹🌹🌹
श्री संजय श्रीवास्तव,कर रय हीन बखान।
बेटी की प्रताड़ना,घरी घरी अपमान।।
💐💐💐💐💐
प्रभु दयाल पीयूष कत, पुत्र लेत मुह मौड़।
पत्नी के आदेश पै, बिटिया आती दौड़।।
🙏🙏🙏🙏🙏
गजब लिखें अरविंद जू, छम छम छम के पांव।
बेटी की आहट सुनें,महके आंगन गांव।।
💐💐💐💐💐💐
जगत राज बेटी बिना, उजडो सो परिवार।
बिटिया से घर चलत है, दम कत है घर द्वार।।
💐💐💐💐💐💐
बिटिया घर की लक्ष्मी, कै रय शोभाराम।
मात पिता खौ तारती,करती सबरै काम।।
🌹🌹🌹🌹🌹
एस आर जू लिख रहे, बेटी की किलकार।
बोली सै ऐसे लगै, बरषत फूलहि द्वार।।
💐💐💐💐💐
सीमा उर्मिल जी लिखें, बेटी गंग समान।
होती जिस घर बेटियां, तीरथ उसको मान।।
💐💐💐💐💐
श्री चंसोरिया जू कहें, सूनो घर परिवार।
बिटिया घर की शान हैं,उसको करो दुलार।।
💐💐💐💐💐
कहै सिंह जय हिंद जू, बेटी दोउ कुल आश।
अंश बेल बल बेटियाँ, करतीं सदा प्रकाश।।
🌹🌹🌹🌹🌹
नमन पटल बुन्देली खौ,नमन सबइ विद्वान।
कितनी कीपै का लिखै,एक सै एक महान।।
🌹🌹🌹🌹🌹
आप सबइ विद्वान हैं, गलती लियो सुधार।
अगर चूक कोई हुई, आपुन लियो समार।।
समीक्षक -एस आर सरल,टीकमगढ़
कृपया समयाभाव के कारण त्रुटियां होना स्वाभाविक है इसके लिए मैं आप सभी विद्वानों से बार बार माफी चाहूगा।
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75-समीक्षक - अभिनन्दन गोइल, इंदौर
समीक्षा -बुंदेली स्वतंत्र बुधवा दि. 30. 9.2020
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माता सरसुती खों ध्याय कें, पटल पै पौचाईं बुंदेली के जनबन की बातन के बारे में, मैं कछू अपनें विचार लिखत हों
आज सबसें पैलें पटल पै चंदैरा बारे राम कुमार जू शुक्ल ने भौत नोंनीं लोक कथा डारी। कथा में संदेसौ दऔ गऔ कै बरहमेस अपने भावन खों सोधकें मीठी वानी बोलो,नईंतौ बुरऔ हाल हुइए। कथा मजेदार कइ गई है। इयै बुंदेली की तनक और गाड़ी -चासनी में पाग दइ जाए तौ और मजा आ जैहै।
अशोक पटसारिया ' नादान ' जू की चौकड़ियन नें तौ भीतर लों झकझोर दऔ। कै रए- " मन तें इतै उतै नईं भाग " । अब का कै दएँ , मन तौ सराब पिये बंदरा सौ बमकत। सो भैया जा चौकड़िया पढ़कें तौ ई 'मन मर्कट' खों पुचकारवे की जुगत भिड़ावनें परै। नादान जू की चौकड़ियन में तौ पूरौ दरसन समानौ धरौ। भाखा इकाऊ सरल है औ छंद विधान बिल्कुल शुद्ध है। इनें भौत-भौत साधुवाद। मोरे अख्तियार में होय तौ मैं तौ इनें 'ईसुरी' कौ खिताब दै दओं।
राजीव नामदेव 'राना' जू के हाइकुअन नें तौ ई जुग के नेतन की पूरी पोल पट्टी खोल कें धर दई। कै रए कै- जे नेता तौ ' करिया बंदरा है।' पढ़ कें मजा आ गऔ। राना जू तौ बुंदेली के पुरानें औ बजे भए हाइकूकार आएँ।
राज गोस्वामी जू, वाह.. हल्की सी रचना में अपुन नें सामें बारे की पूरी 'मनो दशा' बता दई। बुंदेली कौ गुरीरौपन घोर दऔ,तनक में।"मन भीतर मिसरी सी घुरतई " वाह.. क्या बात है.!
कल्याण दास साहू 'पोषक' जू ने सोऊ कमाल कर दऔ।अनुप्रास औ भ्रांतिमान अलंकारन सें सजा कें रचना में ऐसौ अचंभौ भर दऔ कै बड़बाई के लानें शब्द कम पर रए।"नाँय गई माँय गई, जानें किताँय गई" कै कें ऐसौ भरमाऔ कै पढ़वे बारे अंत लों ढूँढ़त रए, पै नईं पा पाए।अपुन नईं ढूँढ़ पाए सो पढ़ैयन खों ढूँढ़वे में लगा दऔ। वाह..! नोनों जादू चलाऔ,हो.!
के.के.पाठक जू ने बुंदेली की भौतइ नोंनी गीतिका(ग़ज़ल) लिखी है। बहर हल्की पै घातक है।हुमक-हुमक कें व्यंग्य के ऐसे तीर चलाए कै सूदे निसानें पै लगे। कऊँ -कऊँ पीर सोऊ छलक परी। देखौ-" मरवे की नईं गैल दिखारई/काँं मर जावें आज तौ देखौ।"बढ़िया लिखो।बधाई जू।
नरेन्द्र श्रीवास्तव जू ने सोऊ हास्य रस में डूबी गीतिका 'फूफा जू भुकड़े ' डारी। साँचऊँ ससरार में कैऊ फूफा तनक तनक पै भुकर जात। नरेन्द्र जू कै रए-"काकी सें जा गलती हो गई/चाय ने लाईं कड़क बना कें।" औ फूफा जू भुकर गए। वाह.. बढ़िया बुंदेली लिखी जू।
वीरेन्द्र चंसौरिया जू ने बढ़िया बुंदेली में लिखी अपनी हल्की सी रचना"कनबूजे में घलो तमाचा" में अपनौ का ,हम सबई के लड़कपन कौ राज खोल दऔ। पैलें लड़ेर सें खुंसयाकें बुजुरग, मौडा़ मौड़ियन की अच्छी धुनाई कर देत ते।ऐसईं हम औरन ने अनुशासन औ संस्कार सीखे ते। आज तौ मौड़ा- मौड़ियन के रंग-ढंग समझई में नईं आउत।पुरानी बात उखाड़ कें पढ़ैयन खों ऊ जमानें में पोंचावे के लानें चंसौरिया जू खों धन्यवाद।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव'पीयूष' जू ने सरद रितु के वरनन बारी ऐसी मन मोहक गीतिका लिखी कै इयै बेर-बेर पढ़वे कौ मन हो रऔ। अनुप्रास कौ अनुपम संयोजन है।ई रचना में प्रकृति कौ दुर्लभ चित्रण भऔ है। ऐसें लगत कै कालिदास जू के ' ऋतु संहार ' की आतमा ई रचना में आ गई होय। पीयूष जू खों तौ 'बुंदेली कौ कालिदास' कैबे कौ मन हो रऔ है।
किशन तिवारी जू नें गुरीरी बुंदेली में बढ़िया गीतिका लिखी है। गीतिका के हरेक जुट्ट(बंध) में अनोखौ अर्थालंकार है। उपमाएं अनौखीं है,जिनसें बातन कौ मजा कैऊ गुनौ हो गऔ।जैसें "निबुआ-हरदी पुते लिबौआ से", " बंदरा-बरउआ से" इत्यादि। अंत में तौ पूरौ जीवन दरसन निचो दऔ-"पल पल साल महीना बीते/ टपक गये दिन महुआ से।" भौत बढ़िया रचना के लानें बधाई।
एस. आर. सरल जू के गीत में कन्या के गरीब पिता कौ दर्द छलक परो है।कै रय-"कैसें काज करें बिटिया कौ,घर पै परी गिरानी।" पै उपसंहार में सबरी पीर आनंद में बदल दई। भौत नोंनें गीत के लानें बधाई।
जयहिंद सिंह जू ने तौ आज गज़ब कर दऔ।ऐसौ श्रृंगार गीत लिखो कै रस की फुहार सें पटल भींज गऔ।अनुप्रास, उपमा औ रूपक सें सजा दऔ ,ई गीत खों। "मंद मंद मुस्काय मुनैयां, मृगनैनी मतबारी" वाह.. वाह..! गीत कौ हर एक पद नायिका के श्रृंगार कौ अनौखौ नजारौ पेस कर रऔ है।भौतई गुरीरी बुंदेली है।ई सें जौ सिद्ध हो रऔ कै बुंदेली कित्ती मीठी और समरथ है। भौत भौत बधाई जू।
सियाराम जू नें तौ बुंदेली गारी की धुन उजागर कर दई।चुनाव के ई मौसम में सामयिक विषय लैकें लोकतंत्र में मतदान की महिमा बता दई। शोभाराम दांगी जू कौ लेखन सोऊ अपने खास रंग में रंगो रत।वे गा रए-" कित्तौ नोंनों गाउत रेडियो, आकास बानी बारौ "। बुंदेलखंड के असफेर भर में आकासवानी छतरपुर कौ बड़ौ महत्त रऔ है।ई ने बुंदेली भाखा औ संस्कृति खों उजागर करवे में भौत जोगदान करोहै।
ई रेडियो टेसन कौ आभार करबे बारी रचना के लानें दांगी जू खों साधुवाद.!
आज मोरे मन कौ मोर खुसी के मारें नाच कर रऔ है।
कारन जौ है कैआज पटल पै श्रेष्ठ बुंदेली काव्य कौ दरसन भऔ। अपुन ने तौ वे दिन देखे कै बुंदेली कविता मात्र भोंड़ौ हास्य होत ती। अब अपन खों लगन लगो कै बुंदेली कौ भविष्य उज्जवल है। अंत में इन पंक्तियन सें मैं अपनी बात खों विराम देत हों-
बुंदेली भाषा समरथ है,रखियौ ई कौ मान।
मर्यादा ना ई की घटवै, इत्तौ धरियौ ध्यान।।
समीक्षक - अभिनन्दन गोइल, इंदौर
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76-- कल्याण दास साहू पोषक,पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी
---- श्री गणेशाय नमः ---
---- सरस्वती देव्ये नमः ---
--- जय बुन्देली साहित्य समूह(टीकमगढ़) ---
आज दिनांक 1-10-2020 दिन गुरुवार
पटल पर प्रस्तुत हिन्दी रचनाओं की समीक्षा :--
सर्वप्रथम नवोदित समीक्षक ' कल्याणदास साहू पोषक ' की पटल से जुडे़ समस्त आदरणीय काव्य-मनीषियों को किलकारी युक्त नमस्ते एवं सादर प्रणाम ।
आज दिनभर प्रसन्नता में डूबता - उतराता और गर्व का अनुभव करता रहा हूँ , वो इसलिए कि --- एक मामूली तुकबन्दी करने वाले को हिन्दी की श्रेष्ठ रचनाओं की समीक्षा करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है ।
आज पटल पर आदरणीय श्री अभिनंदन गोइल जी की सम्माननीय उपस्थिति हुई । श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इन्दु जी ने बेटियों पर हो रहे अत्याचारों को दोहो मे पिरोते हुए मार्मिक प्रस्तुती दी ।
आदरणीया बहिन जी मीनू गुप्ता की अस्पष्ट प्रस्तुती को सादर नमन । आदरणीय श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने बहुत ही सुन्दर ढंग से मन की चंचलता को गद्य एवं पद्य रूप मे पिरोकर मन को भजन में रमाने हेतु उपदेशित किया । श्री शोभाराम दांगी जी ने मनोविकारों को जीतने हेतु बहुत ही सुन्दर ढंग से -- जीतना है तो जीतो भैया ' काव्य प्रस्तुती दी ।
श्री किशन तिवारी जी सामयिक रचना --- होती दरवाजे पर दस्तक ' प्रस्तुत कर दिलों मे दस्तक देने मे कामयाब हुए हैं ।
आदरणीया बहिन जी अनीता श्रीवास्तव ' एक मुर्दे का लाइव ' समसामयिक व्यंग्य गद्य रचना से व्यवस्थाओं की खामिया उजागर करने मे सफल हुई हैं ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने वृद्ध माताओं के प्रति काव्यांजलि --- जीवन पथ पर अमिट छाप सी लगती है ' गरिमामयी प्रस्तुती दी ।
श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी ने --- छोटी सी है ये जिन्दगानी ' बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत की ।
श्री राजेन्द्र यादव कुँवर जी ने रचना के माध्यम से पुरुषों को आत्म संयम बरतने हेतु आगाह किया है ।
श्री डी पी शुक्ला सरस जी ने वेपरवाही पर सामयिक रचना --- शहर तो चुप है बोल रही हैं सड़कें ' प्रस्तुत की ।
श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने वात्सल्य रस को परिपाक करते हुए बहुत ही सुन्दर कविता --- नन्हे-मुन्ने बच्चों के हैं , नाम भी नन्हे-मुन्ने ' रोचक प्रस्तुती दी ।
आदरणीय श्री प्रभूदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी ने बहुत ही मजेदार बालकविता रसगुल्ले महिमा को प्रस्तुत कर मिठास घोलने का सराहनीय कार्य किया --- रंग भले हो मेरा काला , पर होता है स्वाद निराला ।
श्री जगतराज शान्डिल्य जी ने अपराधियों के हैवानियत को रचना के द्वारा स्पष्ट किया है ---अपराधी अपराध को समझ रहे हैं खेल ।
श्री राजगोस्वामी जी ने व्यंग्यात्मक रचना ---इरादों के हम भी बडे़ पक्के ' प्रस्तुत की ।
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने ' पोहे का नाश्ता ' लघु कथा प्रस्तुत कर नाश्ते की महत्ता प्रतिपादित की ।
आदरणीय श्री रामगोपाल जी रैकवार वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं , आपने --- आदमी से कुर्सी बडी़ होती है ' बतौर नमूने के रूप मे करारी व्यंग्य रचना प्रस्तुत की ।
मशहूर शायर अनवर साहिल जी ने गजल की प्रस्तुती दी ।
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने --- खुद को खुद से जोडो़ ' बहुत ही सुन्दर गीत प्रस्तुत किया ।
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी ने कोरोना काल से प्रताडि़त हुए मजदूरों की दुर्दशा का चित्रण किया है --- काम छूटा , धाम छूटा '
डाॅ.अनीता मिश्रा गोस्वामी जी ने एक अनुत्तरित प्रश्न के माध्यम से नारी जीवन को झकझोरने वाले मुद्दो पर प्रकाश डालने का सराहनीय प्रयास किया है ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने दिल दहलाने वाली हाथरस की घटना को शर्मनाक बताते हुए आक्रोश व्यक्त किया है --- मरा है पूरा देश '
बेहतरीन रचना प्रस्तुत की ।
श्री रामकुमार शुक्ला जी ने किसान की दुर्दशा पर कलम चलाई है --- है किसान हैरान ' यथार्थ रचना प्रस्तुत की ।
श्री सियाराम अहिरवार जी ने भी किसानों के दर्द को महसूस किया है --- देश है कृषि प्रधान , फिर भी त्रस्त किसान '
दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जी ने माता के पौराणिक एवं आधुनिक स्वरूपों को सुन्दर गीत के माध्यम से चित्रित किया है ।
श्री एस आर सरल जी ने देश के हालातों पर चिन्ता व्यक्त करने वाली रचना प्रस्तुत की --- मैं सच को सच ही लिखता हूँ ' ।
अन्त मे आदरणीया बहिन जी सीमा श्रीवास्तव की उपस्थिति को सादर नमन करता हूँ । साथ ही भूल से किसी का नाम छूट गया हो तो मुझे माफ करते हुए स्नेह प्रदान करते रहें ।
आदरणीय सभी रचनाकारों ने श्रेष्ठ रचनायें प्रस्तुत कर पटल को गरिमा प्रदान की है , सभी को हृदय से साधुवाद , बहुत-बहुत आभार ।
एक बार पुनः क्षमा प्रार्थी हूँ , समीक्षा मे त्रुटि होना स्वाभाविक है ।
- कल्याण दास साहू पोषक,पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी
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77-आज की समीक्षा🌷दिनांक 02-10-2020
विषय-गांधी जी एवं शास्त्री जी प्रसंग ।🥇🥇🥇🥇🥇
गद्य लेखन -बुन्देली में ।
समीक्षक -सियाराम अहिरवार ।🥈🥈🥈🥈🥈🥈🥈
आज कौ दिन हम सब भारतियन के लानें भौतई नोंनों उर एतिहासिक है ।काय सें कै आजई के दिना दो अक्टूम्बर खों हमाए देश की दो महान हस्तियन नें ई भारत की धरती पै जनम लऔ तौ
वे दो हस्तियां हती महात्मा गांधी उर लाल बहादुर शास्त्री जी
जिनकौ जीवन सादा उर विचार ऊँचे हते ।
गांधी जी नें सत्य,अहिंसा के बल पै अंग्रेजन से आजाद कर आऔ तौ और और शास्त्री जी आजाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री बनें ।जिननें भौतई नोंनों राज चलाऔ उर कृषि के क्षेत्र में बड़े नोंनें काम करे ।उनकौ नारौ हतो "जय जवान ,जय किसान "।
इनई दोई महापुरषन की आज जयन्ती हती सो सबई साहित्यकारन नें पटल पै दये गये विषय पै भौतई नोंनें आलेख भेजे।
आज डाक्टर सुशील शर्मा जी नें अपनें आलेख की शुरूआत करत भये लिखो कै लालबहादुर शास्त्री जी स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री हते ।वे छोटे कद के नाटे होत भये भी उनकौ व्यक्तित्व विराट हतो ।
श्री जे आर शांडिल्य जू लिख रये कै लालबहादुर शास्त्री देश के गौरव हते ।
श्री अभिनन्दन गोइल जू नें लिखो कै फ्रांस के रोमां रोलां नाँव के साहित्यकार गांधी जू के विचारन
सें ऐन प्रभावित हते ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जू लिख रये कै गांधी जी नें धरम और जातिय भेदभाव सें दूर रैवे कौ संदेश दऔ ।
श्री रविन्द्र यादव जी ने भी मुक्तक छंद सें सारगर्भित बात लिखत भये पटल पै अपनी उपस्थिति
दई ।
श्री अखिलेश दादू भाई जी नें लिखो कै गांधी जी के व्यक्तित्व की आधार शिला है जो सामान्य सी कद काठी के आदमी खों दुनिया भर में अजूबा बना दऔ ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी नें गांधी जी और शास्त्री जी के बारे में लिखो कै इन दोइ महापुरुषन के बारे में भौत साहित्य लिखो गऔ ।
श्री डी पी शुक्ला जी नें गांधी जी पै संस्मरण लिखो ।जिये पढकें भौतई नोंनी जानकारी मिली ।
श्री सियाराम ने गांधी जी पर दृष्टांत लिखत भये बताऔ कै पैलां खुद सुदरौ ,फिर दूसरन खों सुदारौ ।
श्री कुशलेन्द्र श्रीवास्तव ने बताऔ कै गांधी जी एक बेर करेली आये
हते ।अ जा के कल्यान के काजें फंड जोर वे आये ते ।औ इतै रात सोऊ रूके ते ।
श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी पीयूष नें अपने लेख के माध्यम सें शास्त्रीजी के बारे में भौतई नोंनी जानकारी दई ।
श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने अपने लेख पर्व के अवकाश। के द्वारा लिखो कै गांधी जी हमाय लानें देश भक्ति कौ प्रतिमान हैं
श्री शोभाराम दांगी जी नें सोऊ अपनें लेख में गांधी जी के बारे में भौतई बढिया लिखो ।
आज कैऊ जनन नें अपनें आलेख
बुन्देली में न लिखकें हिन्दी में लिखे ।
श्री रामगोपाल जी के लेख के बारे में पटल पर टिप्पणी तौ मिली पर लेख नई मिलो ।
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश ,श्री गौरव सिहं दांगी ,श्री ए के पटसारिया ,श्री राज गोस्वामी जी ने सभी का हौसलाअफजाई करते हुए मनोबल बढाया ।
समीक्षक-सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ
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78-समीक्षकः जयहिन्द सिंह जयहिन्द* सोमवार।।दिनाँक 05.10.2020।।
*बुन्देली दोहों की समीक्षा* बिषय-धरती
..................................
*समीक्षकः जयहिन्द सिंह जयहिन्द*
सबै पटल के विद्वानन खों जयहिन्द सिंह जयहिन्द की हात जोर जैराम जी।मोखों आज की समीक्षा कौ भार सोंपो गव भौत अच्छौ लगो।बैसें ई पटल पै विद्वानन की कमी नैंया।
मोय ऐसौ लग रवकै मोपै समीक्षा बनै कै ना बनै पै हिम्मत ई सें हो रै कै सबै जने अपने हैंऔर उनमें क्षमा करबे की कौनौ कमी नैंयां।
तौ लो आज की समीक्षा शुरू कर रय जो गल्ती हो जाय क्षमा करियो।
*श्री रामेश्वर गुप्ता इन्दु जी...*
आपने पटल पैआज भोतैं नोनौ दोहा डारौ जी में पिया मिलन की झाँकी दिखाई. गयी आदर्णीय बधाई के पात्र हैं।
*श्री पटसारिया जू...*
आदर्णीय पटसारिया जू अपनी लेखनी सें सबखों पटा लेत।
आज के दोहन में धरती माता खों रत्नन कौ भंडार बताव गव।धरती मातासबकौ भार अपने ऊपर लँय,जीवन मौत सब सहन करतीं।बिरछा रोपन पै दोहा डारकें चेतना जगा दयी,धरती आकाश कौ मीठौ मिलन कराव,कन्या बिप्र संत गौजब त्रस्त होत तब धरती मां निढाल हो जात। पटसारिया जू बधाई।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी...*
आपने धरती माता खोंतरन तारन करबे बारौऔर दया कौ समुद्र बताव।धरती मां दयाऔर सब चीजन कौ भंडार है।थरती अन्न जल की दाता और देवता है।धरती मांड। पै प्रान निछावर करे जा सकत।भाऊ जी बुन्देली के भंडार हैं।भौत भौत धन्यवाद
*श्री जगत राज शाँडिल्य जू...*
आपने धरती खों जनम सें मरन तक कौ सहारौ बताव।माटी कौ चोला माटी में मिल जाने।धरती मनभावन और माफ करबे बारी है।जब आतंक बढत जब जब प्रभु कौ अवतार होत ।भाषा मीठी और सारदार है। बकील साब बुन्देली के अद्भुत जानकार हैं। आपकी लेखनी बधाई की पात्र है।
*जयहिन्द सिंह जयहिन्द...*
मैने जो दोहा लिखे ऊ कौ मूल्यांकन करबे कौ हक पटल खों है,मैने तो जो समझ मे आई सो लिख दव ।मै अपने आप में सिर्फ तुकबंदी ब़ारौ हों आप सब जने मोरी समीक्षा कर सकत सो क्षमा करियो।
*श्री डी.पी. शुक्ला सरस जू...*
आपने खनन पै बिरोध जताव जो वाजिव भी है।धरती की कोंख हीरन से भरी बताई।धरती जलधार,बिरछा,बाग बगीचन की देन बताई ,अन्न जल भी धरती की देनं बताई।थरती पै तपस्या तीरथ सख के दाता बताय गय ।सरस जू की हर रचना रसपूर्ण होत जा सबयी जने जानत। आपकी सरस लेखनी खोंनमन।आपखाँ बधाई, जय हो।
*श्री अभिनंदन कुमार गोइलजू...*
भारत माँ की धरती खों नमनकरत भय प्रदूषण पै धिक्कार जताव गव।प्रदूषण करकें पर्यावरण बिगारबौ अच्छौ नैंया, हमें धरती माता कौ उपकार न भूलो चैये।अगर धरती कौ प्यार चानेतौ हरियाली फैलाबौ जरूरी है। आपकी भाषा सरल सटीक बुन्देली है जो मीठी एवम् मनभावन है। दोहा सुन्दर सृरल हैं।मनभावन लेखनी खोंनमन।
*श्री शोभाराम दांगी जू...*
श्री दांगी जू ने धरती खों अनमोल रतनन कौ भंडार वताव।धरती सब कौ बोझ उठा रयी। हमायी काया एई मेंमिल जाने।नदियां पहाड़ बन बाग सबकौ भार माँ के ऊपर है सब देवता भी धरती खों ललकत रात।आपने अपनी भाषा मे ढड़क बनाई जी सें पडतन मे मजा आ जात।दांगी जू शुद्ध बुन्देली के जानकार हैं।दमदार लेखनी खों बधाई।आपखाँ नमन।
*श्री एस.आर.सरल जू...* आपने बुन्देली शब्दन खां सुन्दर ढंग से पिरोया है,जिसमें अनुप्रास की झलक दिखा रयी।धरती के सिंगार कौ भौतयी मीठौ चित्र खेंचो,धरती माता की महिमा पै उजयारौ करो,भाषा की धार पेंनी मीठी और सुन्दर भाव भरी है।आपने धरती सें आसमान तक कचदरत की सुन्दरता दिखायी है।सरल की भाषा भौत सरल ब नरम है।आपको भाव भरा नमन।
*श्री कल्याण दास साहू पोषक जू...*
मैं इनकी पैनी बुन्देली से परिचित हूँ काय कै पैंलां पृथ्वीपुर रव।आपकी बुन्देली नदिया जैसी धार चलत जी में अच्छे अच्छे बै जात।रसधार बुन्देली दर्शनं पोषक जू करा देत।प्रकृति बरनन कौ नजारौ धरती की महिमा सहन शक्ति दोहन में उड़ेली।धरती की देन कौ चित्र खेंचो।आदमी के इतराबे धरती है सबसे बड़ी करम भूमिहै।लेखक एवम् लेखनी को नमन।
*श्री राम कुमार शुक्ला राम जू...*
श्री राम जछ के आध्यात्म दर्शन खों नमन।अच्छी सटीक बुन्देली मे धरम एवम् आध्यात्म कौ मिश्रण दोहन मे करो गव।येसी सरल सटीक भाषा खों नमन।श्री रामकुमार जे खों बधाई।
श्री देवदत्त द्विवेदी जू, श्री अरबिन्द कुमार श्रीवास्तव जू,श्री पटसारिया जू,संजय श्रीवास्तव जूश्रींरामेश्वर गुप्ता जूं,श्री अरबिन्द कुमार श्रीवास्तव जूं,श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जू,श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जू, श्री सियाराम अहिरवार जू,श्री वीरेंद्र कुमार चंसौरिया जू की रचनायें यहां नेट न होनै कीबजह सैं बाद मै दिख पाने से मै बहुत आहत हुआ।सबकी रचनाओं में बुन्देली जादूगरी का कमाल दिखा रव,भाषा मँजी भयी है।अलंकार उपमायें समाहित हैं ।भाषा लचीली प्रवाहपूर्ण है।मैं गागर मै सागर भरते हुये लेखनी को क्षमायाचना सहित बिराम दे रहा हूं।क्षमा याचक
आज की समीक्षा बिना बिजली के दिया उजयार कें लिख़ी गई सो गल्ती हौवौ निश्चित है।सबै जनन सें हमाव निवेदन है कै अगर काउकौ नाव समीक्षा मे छूट गव होय तौ क्षमादान करें।देहातन मे बिजली की समस्या में लिखी सो गल्तियन पै ध्यान नयीं देने ंर माफ करने।
आप लोगन कौ अपनौ...
*जयहिन्द सिंह जयहिन्द गुड़ा।।पाली(पलेरा)
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79-समीक्षक-के. के. पाठक, ललितपुर (उ.प्र.)
*समीक्षा-दिनांक 6-10-2020दिन-मंगलवार
::::::: बिषय-परिवर्तन
पटल से जुड़े सभी लेखक,कवि और साहित्यकारों को सादर नमन करते हुये, प्रस्तुत है आज की समीक्षा :-
आज लगभग 94 दोहे रचे गये । सभी कवियों ने एक से बढ़कर एक दोहे रचने की कोशिश की ।
और कुछ लोग अच्छे दोहे रचने में सफल भी हुये ।
पर मैं यह पूछना चाहता हूँ कि क्या हम कुछ ऐसा रचने में सफल हो रहे हैं ?
जो हमारे इस दुनियां में न रहने पर भी पढ़ा जायेगा ।
क्या हमने कोई ऐसा दोहा रचा है जो तुलसी, कबीर, रहीम के दोहों जैसा हो?
तुलसी मीठे वचन से ,सुख उपजे चहुँ ओर ।
वशीकरण यह मंत्र है ,तज दे वचन कठोर ।।
:::
दीन सबको लखत है,दीनन लखै न कोय।
जो रहीम दीनन लखै,दीन बन्धु स्म होय ।
:::
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ,भया न पण्डित कोय ।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।।
::::::
क्या हमारे दोहे कहीं टिकते दिखाई देते हैं?
या हम यूं ही टाईम पास कर रहे हैं?
विचार कीजिए ।
क्या हम रचना करने में पूरी मेहनत कर रहे हैं ?
हम अपने आप को बहुत बड़ा आशू कवि तो नहीं मां बैठे हैं कि जो एक बार में लिख दिया सो लिख दिया ।
एक किसी महापुरुष ने पटल पर लिखा था:-"मैं अपनी *फटफटिया* से कहीं जा रहा था, अचानक मुझे याद आया कि आज तो पटल पर 3 दोहे लिख कर पोस्ट करने है,
मैंने *फटाफट* 3 दोहे लिखे और *फटाफट* पटल पर पोस्ट कर दिए ।
::::::::::
हमें विचार करना हैं कहीं हम भी तो कुछ *फटाफट* तो नहीं कर रहे हैं । हम भले ही एक दोहा रचें,पर ऐसा रचें की पढ़ने वाले के मुँह से अपने आप निकले:- *वाह*
:::::::::::::::
आज सबसे दोहा पोस्ट करने वाले श्री जय हिन्द सिंह जी रहे,
दाऊ ने रचा:-
परिवर्तन की दौड़ में,दौड़ रहे सब लोग ।
योग भुलाया;कर रहे,जीवन में सब भोग ।।
बहुत सुंदर,बहुत बढ़िया दोहा रचने के लिए बधाई ।
::::::
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने 5 दोहे रचे,
उन्होने लिखा:-
परिवर्तन जग का नियम,जो अब है कल नांय ।
सभी ने सराहे सुन्दर दोहे ।
::::::::
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदू जी ने लिखा:--
परिवर्तन संसार का, नियम बना है जान ।
परिवर्तित होकर चले, हो जीवन आसान ।।
उत्तम+सुंदर +बढ़िया दोहे ।
:::::::::
श्री गुलाब सिंह भाऊ जी ने रचा:-
समय परिवर्तन हो रहा,कलयुग का प्रभाव।
दुराचार अन्याय का हो रव है बरताव ।।
अच्छे दोहे ।
:::::::::
श्री अभिनंदन गोयल जी ने अपने पहले दोहे में सन्देश देते हुये लिखा:-
ऐसा तो कुछ लिख चलो,बनो सभी के मीत ।
परिवर्तन के गीत हों,ध्वनित होय संगीत ।
*जो गोयल जी कै रये जेई तौ हम कै रये*
अब आप ही बतायें कि क्या हम इस दोहे को अच्छा नहीं कहेंगे?
बेशक कहेंगे । बढ़िया दोहा ,सबने कहा ।
:::::::::
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने बेहतरीन दोहा रचा:-
परिवर्तन संसार का,अटल सत्य लो जान ।
चन्दा सूरज भी सदा,हर पल हैं गतिमान ।।
-शानदार सन्देश देता हुआ भौतई जानदार दोहा ।
*अब हम विचार करें कि इस दोहे को सभी ने जानदार क्यों कहा ?*
:::::::::::::::::
दोहों के सरताज बुंदेली में खूब लिखने वाले
श्री डा• देवदत्त द्विवेदी सरस जी ने लिखा:-
नर-तन से सुंदर सबल, नहीं कोई वरदान ।
परिवर्तन से हृदय के, मिल सकते भगवान ।।
वाह
*परिवर्तन इस जग में उपहार निराला है हृदय की सरलता भगवान से भी मिला सकती है।*
सुंदर भाव भरा दोहा ।
:::::::::::::::
श्री राना लिधौरी राजीव जी ने रचा:-
ऋतु परिवर्तन हो रहा,करे हवा संकेत ।
अब भी मानव चेत जा,करता ईश सचेत ।।
सुंदर सन्देश उम्दा दोहे।
::::::::::::::::::::
श्री डी पी शुक्ल जी ने मनुष्य के दुराचार से प्रकृति में हो रहे परिवर्तनों के बारे में लिखा:-
भूकम्प ग्लोवल वार्मिंग,परिवर्तन भव आज।
दंगा फसाद बढ़त रहे,कुकर्मी के सिर ताज ।।
:::::::::::::
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने लिखा :-
धूप-छाँव उन्नति-पतन , ग्रीष्म शीत बरसात ।
परिवर्तन के कारने , होते हैं दिन - रात ।
पोषक जी एक अच्छे कवि हैं ।
अभी और भी बेहतर दोहे रच सकते थे ।
पर क्या करें टाईम नहीं मिला ।
::::::::::::::::::
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जीने शानदार दोहे रचे ।
उन्होने लिखा:-
जग परिवर्तन शील है,प्रति पल रंग दिखात।
*घूरे के भी दिन फिरें, राजमहल ढह जात।।*
जहां सघन वन थे कभी, वहां बने आवास।
*परिवर्तन ऐसा हुआ, बना विकास विनाश।।*
ऋतु का परिवर्तन हुआ,विदा हुई बरसात।
आइ शरद दिन घट चले, बढ़ी *रंगीली* रात।।
*रंगीली शब्द क्यों ?*
भोंहें काम कमान थीं,*हो गइ कमर कमान।*
यह परिवर्तन देख के, गया गुरूर गुमान।।
*परिवर्तन अपना करो,चलो समय के साथ।*
*काम करो परमार्थ के, खुले हुये हों हाथ।।*
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति अच्छा सृजन । साधुवाद ।
::::::::::::::::::::
श्री शोभाराम दाँगी जी ने लिखा:-
परिवर्तन प्रकृति नियम, बचा सके न *कोई*।
सदियों से चला आ रहा, बंधन कभी न *होई* ।
दांगी जी बहुत ही अच्छे इन्सान हैं ,
खूब लिख रहे हैं पर दोहे का बिधान नहीं समझ पा रहे हैं ।
दोहे के दूसरे और चौथे चरण में
2-1 होना था पर
होई 2-2 कर बैठे ।
::::::::::::::::::::
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने रचा:-
कठिन समय के दौर में,किंचित न घबराय।
परिवर्तन की रीत है, सब कुछ बदलत जाय।।
अच्छा दोहा ।
पर एक प्रश्न है,यदि उक्त दोहा मैने लिखा होता,तो आप मुझे 10में से कितने नम्बर देते ?
:::::::::::::::::
डॉ सुशील शर्मा जी ने रचा:-
परिवर्तन ही सृष्टि का,करता है विन्यास।
नष्ट पुराने सब हुए, तभी नए की आस।
सच है पुराना हटेगा,तभी तो नया आयेगा ।
अच्छे दोहे ।
:::::::::::::::::::::
श्री रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश' जी ने 5 दोहे रचे ,
3रा लिखा:-
बुद्ध सन्त-संस्पर्श से, अंगुलिमाल चकरान ।
परिवर्तन दिल का हुआ, बन गया बौद्ध महान।
बहुत सुंदर बन पड़ा । बधाई ।
पर *माटी मिला रुआव*
किसका रुआव मिट्टी में मिल गया ?
::::::::::::::::::::::::::
श्री सियाराम सर ने लिखा:-
कोरोना के काल में, तड़फ रहा इंसान ।
परिवर्तन ऐसा हुआ ,बदला भोजन पान ।।
दोहे खूब रचे। सुंदर प्रस्तुति ।
::::::::::::::::::::::
श्री राज गोस्वामी जी ने आज केवल 2 दोहे रचे :-
परिवर्तन इक नियम है सबके जीवन आत ।
आस करें हम जीत की मिले भाग में हार ।।
दोहे रचने पर बहुत बहुत शुभकामनायें ।
::::::::::::::::::::::::::
श्री *अरविन्द श्रीवास्तव* जी ने सुंदर दोहे रचे ।
परिवर्तन भ्रम मात्र है, *थिर है ये संसार,*
वहि पुरानी जिजीविषा, वही तृषा की मार ।
पर महापुरुषों ने तो बताया है कि संसार परिवर्तन शील है ।
जबकि आप अपनी रचना में कह रहे हैं
*थिर है संसार*
:::;;::::::::::::::::::::
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी ने भी आज अच्छे दोहे रचे
वे लिखते हैं:-
परिवर्तन करते चलो,बदलो सोच विचार
मन को अपने रोज ही,शुद्द करो कई बार।।
रहन सहन पहनाव में,परिवर्तन की होड़ ।
बेहतर अपना लीजिये,बुरा-बुरा दो छोड़ ।।
परिवर्तन ऐसा करो,सबके मन को भाय ।
दुःखमय जीवन आपका,खुशियों से भर जाय ।।
नेक सलाह देते हुये अच्छे दोहे ।
जय हिन्द जी के मन को मोहे ।
:::::::::::::::::
श्री एस आर सरल जी ने लिखा:-
परिवर्तन से देश में, अद्भुत हुआ विकास।
जनता की पूरण भई, अच्छे दिन की आस।।
बढ़िया दोहे रचे पर सबसे बाद में ।
समीक-के के पाठक, ललितपुर
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80- सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
🐰आज की समीक्षा दिनांक 7-10-2020 दिन-बुधवार 🐭
🌲विषय-बुन्देली में स्वतंत्र पद्य /गद्य लेखन 🌲🌲🌲
बुन्देली भाका खों समृध्द करवे के लाने जय बुन्देली साहित्य समूह सें जुड़े सबई साहित्यकार गद्य उर पद्य की सबई विधन पै अपनी कलम चलावे में जुटे हैं ।जीकौ आज जौ परनाम है कै एक सें बढ कें एक आलेख उर भौतई नोंनी -नोंनी रचनाऐं पटल पै आ रई ।जिनकौ संकलन हमाय पटल के संचालक राजीव नामदेव जी करत जा रये जीमें श्री रामगोपाल जी रैकवार कौ भी सहयोग मिल रऔ ।
वे दिन दूर नइयां जब हम अपुन सब जनन की रचनाऐं ई संकलन के माध्यम सें जन मानस के बीच पोंचे ।तब पटल कौ नाव बुन्देली साहित्य जगत में अमर औ अविस्मरणीय हो जै ।इसलिए अपन सबई सें हमाव निवेदन है कै बुन्देली की विधन पै जादाँ से जादाँ लिखवे की कोशश करें ।ताकि हमाई बुन्देली समृद्ध हो सकै ।
जीखों मीठौ अच्छौ लगतई ।
ऊखों मीठौ साफ मना हैं ।
ई बुन्देली भावई खों आदरणीय पटसारिया "नादान"जू नें अपनी रचना में उजागर करो ।उननें समाज की भावई खों महसूस करत भये बढिया रचना लिखी ।
श्री के के पाठक जू ने भौतई नोंनों चुनाव गीत लिखो ।वे लिख रये कै
गली -गली में फिर रये ,
देखौ भइया चुनाव लर रये ।
कबहूँ नई छूटे जिनसें पैसा
वे भण्डारे कर रये ।बढिया व्यंग्य रचना है ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ नें भी
भौत नोंनी चौकड़िया लिखी ।हालांकि जे हमाई समीक्षा कबहुँ नई पढत ईसें इनके बारे में जादाँ लिखवौ जरूरी नइयां ।
श्री किशन तिवारी जू नें पटल पै पदार्पण करत भये भौतई नोंनी रचना लिख भेजी ।भौतई बढिया
प्रकृति चित्रण करो ।बधाई आपको ।
श्री कल्याण दास पोषक जी नें बुन्देली कुण्डलिया के माध्यम सें
गरीब कौ हक असली आदमी खों
नई मिल रव ।पीढा खों दर्शात भई
रचना लिखी ।
श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी ने शीर्षक चेकिंग सें लिखो कै काय उतै का चेकिंग हो रई ,
हमरी तबियत धक-धक हो रई ।
ठडउअल बुन्देली में नोंनी रचना लिखी ।
श्री शोभाराम दांगी जी नें चौकड़िया नाव सें अपनी रचना लिखी पर छंद विधान के पैमानें पै रचना कौ छन्द हमाई समझ सें परे है ।
श्री राज गोस्वामी जी जो भी लिखत नोंनों लिखत ऐसई उननें आज लिखो ।
बुन्देली के श्रेष्ठ कवि श्री प्रभु दयाल जी नें भौतई नोंनी चौकड़िया लिखी ।
श्री राजेन्द्र यादव "कुवर" जी नें सिंगार रस में भौतई बढिया चौकड़िया लिखी ।
डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी नें अपनी बुन्देली चौकड़िया में बुन्देली व्यंजनों कौ भौतई नोंनों वरनन करो ।
श्री राजीव नामदेव राना जी ने अपनी चिरपरिचित ख्याति लब्ध रचना हाइकु लिखे जो सारगर्भित और ऐतिहासिक हैं।
श्री संजय जैन जी लिख रये
रार काऊ सें ठानत नइयां ,
बुरऔ बोलबौ जानत नइयां ।
बडी़-बडी़ बातन के भैया ,
हम तौ तंबू तानत नइयां ।
लोक जीवन के दृश्य खों दरशात भई रचना है ।
श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जू नें बुन्देलखण्ड के चालू भोजन पै लिखी रचना पढ कें मन बाग-बाग हो गऔ ।
श्री सियाराम सर ने भी भौतई नोंनी चौकड़िया लिखी ।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी ने अपनी कुण्डलिया में सबई कवियन की बडवाई कर दई ।
अन्त में श्री एस आर सरल जी नें
भौतई नोंनें उर चुटीले जापानी काव्य विधा के हाइकु लिख भेजे ।ई तरां सें पटल पै आज सबई कवियन नें बढिया रचनाऐ लिखी जो सभी बधाई के पात्र हैं।
श्री रामगोपाल जी नें सबई कौ हौसला अफजाई करो ।आभार सहित।समीक्षा प्रस्तुत है ।
इति
समीक्षक -सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ
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81कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी
आज दिनांक 8-10-2020 दिन गुरुवार को
' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत हिन्दी की विभिन्न विधाओं मे रची गयीं सुन्दर-सुन्दर रचनाओं की समीक्षा ---
सर्वप्रथम समस्त आदरणीय काव्य-मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए बहुत-बहुत बधाई , बहुत-बहुत साधुवाद । हम सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं, जो माँ भारती की सेवा का सुअवसर प्राप्त हो रहा है ।
आज आदरणीय श्री अशोक पटसारिया नादान जी की श्रेष्ठतम गजल रचना --- दर्द का दरिया पिघलकर आँसुओं में बह गया ' की प्रस्तुती से बेबसी,गरीबी,अभावों को चित्रित करने का बेहतरीन प्रयास सराहनीय है । आदरणीया डाॅ.अनीता मिश्रा जी की कोरोना पर केन्द्रित रचना --- मानव धर्म निभाने को बढि़या सबक सिखा रहा वो ' के द्वारा मानवीय मूल्यों की प्रस्तुती पर जोर दिया है । दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जी ने राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत रचना --- हमारा एक नारा है सदा जयहिन्द बोलेंगे ' की बेहतरीन प्रस्तुती दी ।
श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी की रचना ---- बरामदे के एक कोने मे लेटे रहते दादा जी ' बुढा़पे की दशा का उम्दा चित्र उकेरा है । श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने बहुत ही सुन्दर शब्दों में हनुमान जी भगवान की स्तुति की --- हाथ जोड़ विनती करुँ सुनो अंजनी लाल ' ।
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने मम्मी से प्रकृति के रहस्यों को लेकर प्रश्न करती बाल कविता --- मम्मी ये बतलाओ तुम ' सुन्दरतम प्रस्तुती दी । श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने सामयिक रचना --- जहाँ देखो जहाँ अब पाप हो रहा है ' प्रस्तुत की ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने बेहतरीन सामयिक रचना -- तुम्ही बताओ भरोसा किस पे करने लगे ' प्रस्तुत की ।
डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी ने देशभक्ति परक मुक्तक रचना ---- स्वप्न शहीदों ने जो देखे भ्रम सब उनका टूटा ' प्रस्तुत कर राष्ट्रप्रेम की रसधार बहा दी । श्री डी.पी. शुक्ल जी ने वर्तमान हालातों पर चिन्ता व्यक्त करने वाली रचना ---- दुनिया मे इतना अत्याचार क्यों हो रहा है ' प्रस्तुत की ।
आदरणीय श्री अभिनन्दन गोयल जी ने बहुत ही सुन्दर गजल --- इश्क उनसे ही हुआ जो कभी थे बेगाने ' प्रस्तुत की । इसी क्रम मे जनाब अनवर साहिल जी ने शानदार गजल ---- मगर ये घर मुझे प्यारा बहुत है ' प्रस्तुत की । गजल के क्रम को आगे बढा़ते हुए श्री किशन तिवारी जी द्वारा बेहतरीन गजल ---- जब भी मुझसे छूटा घर,लगता रूठा-रूठा घर ' प्रस्तुत की ।
श्री आर के यादव की अस्पष्ट प्रस्तुती को सादर नमन ।
आदरणीया अनीता श्रीवास्तव जी ने बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना ---- फूटे मटके को मत फेको कचरे मे , उसमे मिट्टी भरकर गेंदा बोने दो ' प्रस्तुत की । श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी ने बहुत ही सुन्दर गजल ---- नये रास्तों से गुजर के तो देखो , कभी जिन्दगी मे ठहर के तो देखो ' प्रस्तुत की ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने पिता पर केन्द्रित बहुत ही सुन्दर और सर्वश्रेष्ठ रचना ---- पिता रामायन होते हैं, गीता का ज्ञान होते हैं , पिता इंसान के रूप मे भगवान होते हैं ' प्रस्तुत की । श्री राजेन्द्र यादव कुँवर जी ने बहुत ही सुन्दर गजल रचना --- मुझे बनाकर वो अपना भुलाने लगे हैं ' प्रस्तुत की।
आदरणीय श्री प्रभूदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी ने श्रृंगार रस एवं अलंकारों की छटा बिखेरने वाली रचना ---- आगइ रजनी सुखद सुहानी ' प्रस्तुत की ।
श्री शोभाराम दांगी जी ने बहुत ही सुन्दर स्तुति --- हे श्याम सुन्दर , हे राधा रानी , तुम्हारा सहारा मुझको सदा ही रहेगा ' प्रस्तुत कर भक्ति धारा प्रवाहित की । श्री राज गोस्वामी जी ने वर्तमान हालात पर मुक्तक रचना ---- दो गज दूर सभी रहते हैं इक दूजे से ' प्रस्तुत की ।
श्री एस आर सरल जी ने बेहतरीन अंदाज मे कवियों का आवाहन करने वाली रचना ---- कवि हो तो तुम कविताओं मे , दर्द समाज का लिखा करो ' प्रस्तुत की । श्री सियाराम अहिरवार जी ने मार्डन स्त्री द्वारा सास-ससुर को उपेक्षित करने वाली रचना प्रस्तुत की ।
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने सुन्दर गीत रचना ---- मुझे दुनिया से क्या लेना ' प्रस्तुत की ।
श्री रामकुमार शुक्ला जी ने मौसम की बेरुखी का चित्रण करते हुए बेहतरीन रचना ---- नदिया नारे सूखे बैरय ' प्रस्तुत की ।
इसप्रकार आज पटल पर एक से बढ़कर एक , बेहतरीन रचनाओं की प्रस्तुती हुई । आदरणीय सभी रचनाकारों का आभार व्यक्त करते हुए , समीक्षा को विराम देना चाहता हूँ ।
-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी
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82 राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
*82-आज की समीक्षा* *दिनांक 9-10-2020*
*बिषय-*
*लालबुझक्कड या बीरबल के किसा बुंदेली में*
आज पटल पै बुंदेली में गद्य रचनाएं डारने हती सो आज कम जनन ने लिखौ है। पै जितनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम बुंदेली गद्य लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
पैला कै समै में जब टेलिविजन नइ हतो तब लोग अकबर अरु बीरबल, लालबुझक्कड, तेनालीराम आदि के किसा भौत चाव से सुनतते, ये किसा मनोरंजन करते उतइ पै पंचतंत्र के किसा हमें प्रेरणा अरु नीति पै चलवे की शिक्षा देतते। इतेक साल बीत जावे पै भी आज भी बीरबल के किसा ध्यान से सुनत है। जै आज भी लोकप्रिय है। लोगन कै दिमाग में रचे बसे है।जो हमाव पुरानौ साहित्य है जो वाचिक अरु अब लिखित रुप से हमें मिलत है।
आज सबसे पैला *श्री जय हिंद सिंह जू दाऊ पलेरा* ने बीरबल कौ किसा में जा नोनी सीख दई है कै- *"ईसुर जो करत सो सब अच्छे के लाने करत है"* ईसे हमे कभ उ घबराने नै चइए।
*डी.पी.शुक्ला जू* ने लालबुझक्कड कौ एक मजेदार किसा ऊंट को लिखो कै- ऊंट पै कैसे बैठों जा सकत है दो मजेदार उपाय बताय है।
*श्री गोकुल प्रसाद सोनी जू* ने बिषय सें हटकै एक चुटकुला लिखो है नोनौ होतो अगर वे भी कोनउ किसा बिषय पर लिख देते।उनने लिखौ कै भभूति खाय सें जनी मांसन की एक्सपायरी डेट बढ़ जात है। व्यंग्य नोनो है।
*श्री अशोक पटसारिया जू* ने लिखौ के अकवर नै बीरबल सै एक दार पहेली में कइ कै -
*लाओ बीरबल ऐसो नर।*
*पीर,बबर्ची, भिस्ती खर।।*
तो बीरबल एक वामन कौं पकर कै राजा कैं सामू ल्याय और कइ कै वामन जू में जै चार गुन होत है। मजेदार किसा हती।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने अंधन की गिनती कौ किसा लिखौ जी मे बीरबल ने उन पै व्यंग्य करो है जो आंखन से देखत भय भी चिदरत है।
*श्री रामकुमार शुक्ला जू चंदेरा* ने भटा की महिमा लिखी जी मे जा बात कइ है कै राजा अरु बडै लोगन की हा़ में हां मिलाने परत है। नातर भोत नुकसान उठाने परत है।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने लालबुझक्कड खौ सबसे प्रसिद्ध किसा लिखौ है कै एट गांव में हाथी निकर गव तो ऊकै पांवन कै निशान कौ लालबुझक्कड जू अपने मजेदार ढंग से बतात है कै
*पांव चक्की वांद कै हिरना कूंदो होय।*
*श्री कल्याण दास पोषक जू पृथ्वीपुर* ने बीरबल कौ सपने वालो किसा लिखौ है जो कै आदमी की सोच पर व्यंग्य करत है। मजेदार है।
*गुलाब सिंह यादव भाऊ* ने बीरबल कौ धूप-छांव वारो किसा लिखो है बीरबल को ढूंढवे के लाने अकवर ने कैइ कै आदी धूप अरु आदी छांव एक साथ जौ ल्याव ऊकौ ईनाम दई जैहैं।
*श्री सियाराम अहिरवार जू* ने बीरबल की बढिया किसा लिखी इमें इक संदेश भी छिपो है कै दान हमेशा सांसऊ के गरीब कौ दव चइए, नकली खौ नइ। तभई दान कौ महत्व होत है। पै आज तो कैउ अमीर अरु खात-पियत लोग सोऊ सरकारी योजना कौ लाभ उठावे के लाने गरीब बन जात है।
*श्री रामगोपाल रैकवार जू* ने लालबुझक्कड कौ मज़ेदार किसा लिखौ कै -
*लालबुझक्कड बूझ कै और न बूझे कोय।*
*सड्डम गड्डा करके तन तन सबकौ होय।*
ई तरां से आज सबई ने नोनो लिखौ। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक - राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*
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83-*समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द गुड़ा।।पलेरा।।*
*आज की समीक्षा।।सोमवार।।*
दिनाँक 12.10.2020 बिषय...आगी पर दोहे
आज की समीक्षा के पैंलां पटल के सबयी विद्वानन खों हाथ जोड़ वंदन,बड़ीखुशी भयी कै आज की समीक्षा मोय दयी गयी।
सरस सुहावन समय है,
सोमवार दिन आज।
जय मां अम्बे शारदा,
पूरन करियौ काज ।।
तौ लो अब आज की समीक्षा शुरू कर रय।
1,,.श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु...
आपके दोहा मेंअनुप्रास एवं उपमा की झलक दैकें सुन्दरी के मूख खों चंदा की उपमा सें सरवोर करो गव।इन्दु जू खों नमन।
2.श्रीविनोद शुकला जू...
आपने आगी भोत जरूरी बतायी,भोजन सें लैकैं मुर्दा जलाबे जज्ञ मे आगी सें काम होत।आगी सें ताकतहोत आगी जाड़े में भौत अच्छी लगत।
पांचवें दोहा कौ अंत दीर्घ मात्रा सें करो गव जो मोरी मति सें ठीक नयीं होत।आदर्णीय शुक्लाजू के मीठे दोहन खों धन्यवाद।
3.जयहिन्द सिंह जयहिन्द...
मैनें अपनी सोच अनुसार आगी और सूरज की तुलना चंंदा और पानी सें करी जिनके गुन अलग अलग हैं।आग धार पानी कभौं बक्सत नैंयां।सूरज और आगी तेज है जो एक से रंग के हैं।आगी और गंगा पवित्र हैं।बैसें जा समीक्षा आप लोग अच्छी कर संकत।ईसें मोय क्षमादान करबी।
4. आदर्णीया अनीता श्रीवास्तव जी
आपने दो प्रकार के दोहा लिखे है , पहले 3 दोहन मैं आगी के अवगुण और अंत के 2 दोहन मैं आगी के उपयोगी होबेकौ वरनन
करो गओ दोहा मीठे नौने और समाज के लाने सीख देत। बहनजी खौ भौत भौत बधाई ।
5. डॉ. सुनील शर्मा जी
डॉ. साब जु ने 3 दोहा लिखे जिनमे गगरी मैं सागर भर दव, अपने शरीर नाशवान बताओ ईसें सन्यास लैवे मैं लाभ बताओ गओ । दोहा अच्छे लगे शर्मा जु खौ दिल सै धन्यबाद।
6. श्री अभिनंदंन कुमार गोइल जू
आपके दोहन मैं नई खोज दई गई आपने आगी के 5 रूपन को वरनन करके नई दिशा दई श्री गोइल जू खौ नव ज्ञान दैवे के लाने भौत भौत बधाई , नई नई चीजे बतावे खौ भौत भौत धन्यबाद ।
7. पं. श्री अशोक पटसारिया नादान जू
आपने पेट की आग कौ वरनन करके बिरह की आग खौ भी उकेरौ । चौथो दोहे मैं आध्यात्म भर दयो चोला कौ महत्त बताके चूले की आग तक पौचा दयो । धन्य पटसारिया जू दिल बाग बाग हो गव अपुन ने 5 से ज्यादा दोहा लिख डारे , आप खौ प्रेम के संगे नमन ।8. श्री शोभाराम दांगी जू
अपुन ने खून मैं आगी कौ महत्त बतायो संगे दबानल कौ वरनन करके ठण्ड मैं आग की जरूरत बताई । आपने दुर्जनन की आगी सै उनके विनाश कौ वरनन करो गुस्सा की आगी कौ जीवन मैं
बहिस्कार करो । दांगी जू के दोहा पचरंगी है लेखक खौ लेखनी के संगे नमन ।
9. श्री संजय श्रीवास्तव जू
अपुन ने भूक की आगी कौ वरनन
करके आगी पै पानी बनके ठंडो करवे की बात बताई । काम क्रोध मद लोभ अगर नुकसानकरे तौ
प्रेम की जोत जराव समाज की जहर भरी आग कौ सटीक वरनन करके सरल शब्दन की माला बनाई दोहों सहित आपखौ भौत भौत धन्यवाद श्रीमान ।
10. पं. श्री डी.पी. शुकला सरस जू
अपुन के दोहन मैं भिस्टाचार और राजनीति के बीच की , जरबे बारन की , मन की ,स्वारथ की, आग कौ वरनन करके जादू भरे शब्दन मैं पिरो दयो , कलाकारी कौ अदभुद नमूना पेश करों सरस जू की लेखनी कमाल की जय गोपाल की ।
11. श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु
अपुन ने कमाल के दोहा लिखे जीमे सई तस्वीर उतारी, प्रेम की आगी बारी , नसा खौ आगी बताओ गयो। तन पे इतरावो ठीक नई बतायौ कय तन आगी मैं बर जाने अपुन ने चिंता की आगी कौ भी वरनन करो। रचनाकार कला के धनी है रचनाकार खौ बेर बेर नमस्कार।
12. डॉ. देवदत्त द्विवेदी जू
अपुन के दोहे भाबना से भरे है , जिनकौ अच्छौ करो बेइ बुरव करत , ऊपरी दोस्ती बताउत भय धरे धरैयन की आगी , महँगाई की आगी, प्राण प्यारी की आगी कौ वरनन करो दोहन की कला देखतन बनत अपुन की बुन्देली कौ वास्तव मे रूप अलग है डॉ. दुबे जू की लेखनी धन्न और लेखक महान सादर चरण बंदन ।
13. श्री कल्याण दास साहू पोषक जू
अपुन के दोहा देहात की कपड़न की समस्या मैं आगी तापवे खौ सई बताओ बरत आगी की तुलना राजनीति से करी गई जलन की आगी कौ वरनन करो दंगा फसाद की आग , तन की आग के राग को वरनन करो दोहन की भाषा सरल मीठी सई बुंदेली है कलमकार को बेर बेर बधाई ।
14. श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी" जू
अपुन ने पिया मिलन की आग ना बुझाबे को सुझाव दयो और प्रेम की आग की जोत दिल मे जलावे कौ संदेशो दयो। दिल मे प्रेम की आग कैसे बुझे ईकी कोशिश अंतिम दोहा मैं करी गई । दोहे भले 3 हो पर बीन सई बजी कलमकार को भौत भौत बधाई।
15. श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जू
अपुन ने पानी के संगे आग की जरूरत पै बल दव , खुद आग लगावे बारन से बचबे की सला दई , सौने की सुंदरता आगी से निखरत । दिल की फाग की आग को वरनन करो। ताप और आग 3 तरा की बताई ई नई नई जानकारी दैवे के लाने श्रीवास्तव जू खौ दिल से बधाई ।
16. श्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव जू
अपुन ने दोहन मैं चार चांद लगा के आगी कैसें बने , आगी के रूपन को वरनन करो दोहा 3 है पर 3 लोक के दर्शन करा दय श्रीवास्तव जी ने गगरी मैं गंगाजल भर दयो श्रीवास्तव जी बेर बेर बधाई।
17. पंडित श्री राम कुमार शुक्ला जू
अपुन ने बांस की रगड़ की आग , चकमक की आग , आग की जरूरत , मरघट की आग , जाड़े की आग कौ अपने दोहन मैं वरनन करो । श्री शुक्ला जी ने कवि दिल पाकें जो बता दव कै अच्छे दोहा लिखबौ कठिन नईया । आदर्णीय मित्र सादर मिलन भौत भौत धन्यबाद ।
18. श्री सियाराम अहिरवार जू
अपुन ने दोहन मैं जलेवी कैसो रस भर दव । आग से का का होत बताके आग धार से बचबे कौ संदेशो दव । अपने प्राण जब तक है जब तक तन मैं आग है । आग से आग बबूला कैसें होत देखलो कलाकारी कौ अदभुत नमूना पेश है धन्यबाद श्रीमान बेर बेर सराहना ।
19. श्री एस.आर. सरल जू
अपुन ने दोहन मैं महंगाई खौ झकझोरो बहु बेटियनन पै हो रय अत्याचार पै रोशनी डारी संगे जो बताओ के काम क्रोध मद बैर सब मिटा देत काम वासना को वरनन करो सरकार के अच्छे दिनन पै ब्यंग बान मारो । सरल जू ने अपने दोहा मैं केऊ रंग भरे बुन्देली की ऊँचाई देखबे मिली कलमकार खौ बधाई ।
20. श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जू
अपुन ने दोहन मैं आगी खौ देवता मानो आगी मैं सबखौ लीन बताओ सबके घरन मैं आग देवता कौ बास बताओ चौथे दोहे मैं मज़ाक की पुटमारी अंतिम दोहा मैं साहस दिखाओ गव भाऊ जू बुन्देली के जानकार है आपकी बुन्देली मैं बनावटी पन नईया भाऊ जू अच्छे कलमकार है मैं उन्हें नमन करता हूँ ।
21. श्री राज गोस्वामी जू
अपुन ने दो दोहा डारे जिनमे बुन्देली की शब्द सुंदरता भर दयी जलन की आग कौ बखान करो । श्री गोस्वामी जू मीठे दोहो के लिए बधाई भौत सुंदर भौत खूब ।
22. श्री कृष्ण कुमार पाठक जू
अपुन ने बिषय के दोहा नई डारे पै एक दोहा डार के सबको मन जीत लव टैम न मिलबे से दोहा न दारबो भी दोहा मैं बखान करो भौत अच्छा । श्री पाठक जू बधाई।
23. श्री बीरेन्द्र कुमार चंसोरिया जी
अपुन ने पटल के नियम विरुद्ध 8 25 पर दोहा डारो जीमे आदिमानव काल की आगी को वरनन है , चंसोरिया जी बधाई।
आज की समीक्षा पूरी भई अगर गलती सै कोउ सज्जन छूट गए हो तो अपनो जन जानके माफ करें सब पटल के विद्धवानन खौ हाथ जोर कै राम राम क्षमाल के संगे आपकौ अपनो
समीक्षाकार -जयहिंद सिंह जयहिंद
गुड़ा पलेरा,जिला टीकमगढ़ (म.प्र.)6260886596
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84-केके पाठक, ललितपुर दिनांक 13-10-2020
समीक्षा-द्वारा :-के के पाठक विषय *इन्द्रधनुष*
दिनाँक- 13/10/2020
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आज हिन्दी-दोहा-लेखन में सभी कवियों ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया ।
आज लगभग 100 दोहे रचे गये ।
हम सभी बहुत दिनों से दोहे रच रहे हैं ।
परन्तु कुछ तो गड़बड़ है समझने की कोशिश करते हैं -
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एक दोहा देखिये -
फीकी पै नीकी लगै,कहिए समय विचारि ।
सबके मन हर्षित करे, ज्यों विवाह में गारि ।।
----- कवि वृन्द
हर दोहे में एक 'कहानी' होती है इस दोहे में कवि कह रहा है-
"हमें समय देखकर बात करनी चाहिये ,समय पर की गई बात फीकी होने पर भी उसी प्रकार अच्छी लगती है, जिस प्रकार विवाह के अवसर पर गारी अच्छी लगती है ।"
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इसी प्रकार हमें भी पता लगाना चाहिये कि हमारे दोहे की story (कहानी)क्या है ?
हम कहना क्या चाहते हैं ?
हमें मालूम होना चाहिये ।
कभी कभी तो हम पहली लाइन में पूरब की बात करते हैं और दूसरी लाइन मे पश्चिम की बात करने लगते हैं ।
तो मेरे विचार से हमें अपने दोहे में निहित स्टोरी को स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिये ।
हम कहना क्या चाहते हैं और कह क्या रहे हैं ?
जबरन ऊलजलूल दोहों को रच देने से कुछ होने वाला नहीं है।
इसी प्रकार
एक ख्याल देखें-
*राम राजा सरकार,*
*राम राजा सरकार!*
*महिमा बड़ी है तुम्हरे नाम की*
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उक्त रचना में *कहानी* बिल्कुल सीधी और साफ है कवि कह रहा है:-
"हे राम राजा सरकार आपके नाम की महिमा अपार है ।"
मेरा मानना है कि हमारी रचना में *कही जाने वाली बात* बिल्कुल सीधी और साफ होना चाहिये ।
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आज सर्व प्रथम *श्री राम कुमार शुक्ल "राम" जी* ने दोहे पोस्ट किये ।
इनको पढ़कर मजा नहीं आया । ऐसा लगा बस लिखने के लिये ही लिखा गया है ।
अगर अंकों के आधार पर मूल्यांकन करें तो 100 में 50 अंक की रचना हुई है ।
राम जी को दोहे रचने के लिए बधाई ।
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*श्री सियाराम सर जी* ने पाँच दोहे रचे-
दूसरा अच्छा बन पड़ा,
उन्होने लिखा :-
पड़े किरण दिनकर सखे,जब बूंदों के बीच ।
इन्द्रधनुष बन जात है,अम्बर रेखा खींच ।।
अच्छे दोहे रचने के लिए बधाई ।
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*श्री अभिनंदन गोयल जी* ने भी 5 दोहे रचे-
उन्होने लिखा :-
जीवन हो संगीत सा,सात स्वरों के संग ।
भर लो अपने हृदय में इन्द्रधनुष से रंग ।।
सुंदर दोहे रचने के लिये बधाई ।
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*श्री विनोद कुमार शुक्ल जी* ने रचा:-
सात रंग में बनौ है,सूरज धवल प्रकाश ।
कभऊं कभऊं दो बनत हैं ,इंद्र धनुष आकाश ।।
भाव अच्छा पर मात्रा दोष *बनौ है* और
*बनत है* दोष पूर्ण ।
अन्य दोहे अच्छे रचे बधाई ।
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*श्री अशोक पटसारिया नादान जी* ने भी 5 दोहे रचे:-
3 दोहे विशेष बन पड़े-
उन्होने लिखा:
*
बदरा बरसे आसमा ,
धुलकर हुआ निहाल।
किरणों के प्रतिबिम्ब से,
बूंदे मालामाल।।
*
सात रंग का रेनबो,
जादू का अहसास।
प्रकृति की अद्भुत छटा,
जो है नभ के पास।।
*
सात रंग का मेल से,
आकाशी परिधान।
इंद्र धनुष होता खड़ा,
अपना सीना तान।।
*सात रंग की चुनरी* इसमें मात्रा भार =12
अच्छे दोहे रचने के लिए बधाई ।
-----------
*श्री के के पाठक जी* ने भी 5 दोहे रचे:-
*ठीक ही थे*और मेहनत किये जाने की आवश्यकता है ।
फिर भी बधाई ।
-----------
*श्री डी पी शुक्ल "सरस" जी* ने भी 5 दोहे रचे:-
दोहों का स्तर सामान्य रहा ।
मुझे 4था दोहा अच्छा लगा ।
भाव अच्छे परन्तु मात्रा दोष ।
दोहे रचने के लिए बधाई ।
----------
*डा.सुशील शर्मा जी* ने दिए गये विषय पर दोहे नहीं रचे ।
-----------
*श्री राज गोस्वामी जी* ने केवल 2 दोहे बनाये पर दोनों छाप छोडने में असफल रहे । दोहे लिखने के लिए बधाई ।
----------
*श्री कल्यान दास साहू (पोषक)जी* ने 5 दोहे रचे,5 में से 2 दोहे उत्तम 2अच्छे और 1 सामान्य रहा ।
2रा और 3रा मुझे पसंद आया -
पग-पग पर खिलते रहें , इन्द्रधनुष - से रंग ।
जन-जन के हिय मे बढे़ , हर्ष उल्लास उमंग ।।
प्रेम और सदभाव की , बहती रहे बयार ।
इन्द्रधनुष के रंग-सा , हो गुलशन गुलजार ।।
दोहे रचने के लिए बधाई ।
-----------
*श्री अरविन्द श्री वास्तव जी* ने केवल 3 दोहे रचे,1ला अच्छा बन पड़ा:-
रंगों की वक्रावली, तिलक धारि आकाश,
इन्द्रधनुष की वानगी, सप्तरंगी प्रकाश ।
अच्छे दोहे रचने के लिए बधाई
-----------
*श्री गुलाब सिंह यादव जी* ने 5 दोहे बनाये परन्तु 2 दोहों में वे विषय से हट गये ।
शेष 3 भी सामान्य ही रहे ।
दोहे रचने के लिए बधाई ।
----------
*श्री संजय श्रीवास्तव जी* ने आज 5 दोहे रचे और उनके 5 में से 4 दोहे बहुत अच्छे बने:-
मेरी नजर में वे आज सबसे अच्छा करने में सफल हुए ।
उन्होने रचे :-
*२रा*
इंद्रधनुष के रंग सा,
चाहूँ मन रंगीन।
नाचूँ गाऊँ झूमकर,
रहूँ ध्यान में लीन।।
*३रा*
इंद्रधनुष के रंग को,
मुट्ठी में भर लाऊं।
थोड़ा-थोड़ा बाँट कर,
जीवन सरस बनाउँ।।
*४था*
इंद्रधनुष को देखकर,
धरती करे सबाल।
सतरंगी किसने करी,
बादल की दीवाल।।
*५वाँ*
रिमझिम बूँदन बीच जब,
सूर्य किरण आ जाय।
सात रंग में टूटकर,
इंद्रधनुष बन जाय।।
श्रेष्ठ दोहे रचने के लिए बधाई ।
---------
*डा देवदत्त द्विवेदी सरस जी* का मूल्यांकन करना मेरे लिये कुछ अटपटा सा महसूस कराता है,
उन्होनें 4 दोहे रचे 3रा और4था बहुत अच्छे बन पड़े:-
००
बरखा रानी ने दिया,
जल जीवन आधार ।
दिनकर ने पहना दिया,
इंद्रधनुष का हार ।।
००
बरखा भीगी सुंदरी,
मोती टपकें केस ।
इंद्रधनुष की छटा से,
दमक उठा परिवेश।।
श्रेष्ठ दोहे देने के लिये धन्यवाद ।
----------
*श्री जय हिन्द सिंह जय हिन्द जी* ने 5 दोहे रचे:-
पहला अच्छा रहा :-
सारे बृज की गोपियाँ,करतीं हैं फरियाद ।
इन्द्रधनुष लख आ गई साँवरिया की याद ।।
दोहे रचने के लिए बधाई ।
-----------
*श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी* ने दो दोहे रचे ।
दोहे सामान्य ही रहे । दोहे रचने के लिये बधाई ।
-----------
*श्री शोभाराम दांगी जी* ने आज बहुत दम से दोहे दागे:-
उन्होने 5 दोहे बनाये मुझे 5 वाँअच्छा लगा:-
सूर्य किरण की रोशनी,
वर्षा पर पड जाय ।
मिलना दोनों का हुआ,
इंद्रधनुष बन जाय ।।
*दांगी जी ने आज तो*
*दोहे दागे पाँच।*
*पांचों ही अच्छे बने*
*हृदय उठा है नाँच ।*
बधाई ।
-----------
*श्री राम गोपाल रैकवार जी* ने
तीन दोहे रचे :-
तीनों ही अच्छे बन पड़े ।
उन्होनें रचा:-
इन्द्रधनुष कविता हुई,
पंख मयूरी गीत।
सुआ पंख कागद हुआ,
सतरंगी मन मीत।।
इन्द्रधनुष आकाश है,
धरती पंख मयूर।
मिलन भरम है यह क्षितिज,
दोनों कितनी दूर।।
इन्द्रधनुष है अल्पना,
पर-मयूर हैं चित्र।
सुआ पंख हैं तूलिका,
है कल्पना विचित्र।।
सुंदर दोहे रचने के लिए बधाई ।
-----------
*श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी* ने
तीन दोहे रचे:-
3रा अच्छा लगा :-
इन्द्रधनुष सी ले छटा,
कवि देते आनंद।
सुन्दर दोहे भाव ले,
कथ्य शिल्प लय छंद।।
बधाई ।
-----------
*श्री एस आर सरल जी* ने 5 दोहे रचे:-
4थे की छटा निराली रही:-
इन्द्र धनुष जब लख परै,
अर्ध चन्द्राकार।
तन मन हर्षित हो उठै,
लख प्रकृति श्रंगार।।
अच्छे दोहे रचने के लिए बधाई ।
-----------
*श्री वीरेंद्र कुमार चंसौरिया जी* ने
केवल 2 दोहा रचे:-
मोय पैलौ अच्छौ लगो:-
बसकारे की धूप में,
इन्द्रधनुष बन जाय ।
देखत में नौंनों लगै,
सबके मन खों भाय ।।
-----------,
*इंद्र-धनुष के सात रंग*
केवल आज के दोहों के आधार पर *टॉप सेविन* श्रेष्ठ कवि निम्नवत रहे :-
1-श्री संजय श्रीवास्तव
2-श्री कल्यान दास साहू "पोषक"
3-श्री देवदत्त द्विवेदी "सरस"
4-श्री सियाराम सर
5-श्री अशोक पटसारिया "नादान"
6-श्री अभिनंदन गोयल जी
7-श्री शोभाराम "दांगी" जी ।
::::::::::::::::
*दोहा रूपी धनुष ले, शब्द रूप ले तीर ।*
*लक्ष्य भेद कर रख दिए,धन्य धन्य कवि वीर ।।*
दोहा रचने वाले सभी कवि गणों को यथायोग्य सादर नमन,वन्दन और बधाई ।
समीक्षक-केके पाठक, ललितपुर (उप्र)
::::::::::::::::::
85- जय बुंदेली साहित्य समूह,बुधबार दि.14.10.2020
विषय-बुंदेली में सृजन, समीक्षक- अभिनन्दन गोइल
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सरसुती मैया की वंदना करकें आज पटल कौ शुभारंभ भऔ।
सबसें पैलें जय हिन्द सिंह जू कौ बाँकी बुंदेली में लिखो गीत 'बुंदेली बिन्जन'आऔ। बुंदेलखंड के असफेर भर में पुराने जमाने सें अबै लों खाय जाबे बारे नाज औ मिठाइयन कौ गुरीरौ वरनन पढ़कें तौ मों पनया गऔ।तुकांत-समा धान औ समाधान नें अंत्यानुप्रास के संगै यमक की झलक सें समा बांध दऔ।" गुलगुला देत गुलगुला हमें" के यमक अलंकार ने साँचऊँ सबखों गुलगुला दऔ।
अशोक पटसारिया'नादान' जू कौ बुंदेली नवगीत 'मुक्का हन दो सारे में' प्रेषित भऔ। देस के दुश्मन परौसियन खों बब्बा बजरंगबली कौ सहारौ लैकें ऐन खरीं खरीं, ढार ढार कें
सुनादईं।वीर,हास्य औ वीभत्स रस कौ नोंनों पुट दऔ है। इनकी बुंदेली भाखा सोऊ नोंनीं लगी।
डा. देवदत्त द्विवेदी जू ने'चेतावनी' शीर्षक सें दो चौकड़ियां लिखीं। तीखौपन ऐसौ कै- कजन की दार कोऊ के हियें उतर गईं तौ वौ सूदौ वैरागी हो जै।"काया माया संग न दैहें,विरथां इनमें बिलमे" और ग्यानी ध्यानी संत सूरमा,सबरे जात दिखानें" वाह... साँचऊँ प्रभाव पैदां करबे बारीं चौकड़ियां हैं।
बेंन अनीता श्रीवास्तव जू ने बुंदेली की लघुकथा ' उपास ' लिखी। लघु कलेवर औ जबरदस्त मारक क्षमता सें लक्ष्य प्राप्त करबौ जे दो खासियतें लघुकथा में होतीं हैं।जे दोई प्रधान खासियतें ई किसा में हैं।भाषा मानक बुंदेली है। उपास जैसे आध्यात्मिक प्रयोग खों, ढकोसलौ बना दैवे बारन पै करारौ व्यंग्य है,ई कथा में। साधुवाद, बेंन.!
राजीव नामदेव जू नें भाग्य, विश्वासघात, मौसम,भोलौपन,गरीबी, दहेज, आलस और लुगाई आए पै होबे बारी दिक्कत जैसे विषयन पै आठ हाइकु डारे।तीन लैन के हाइकुअन की जा खासियत होत कै हर लैन अपने आप में पूरौ मतलब रखत है,औ तीनईं लैनें मिलकें पूरौ विषय खोल कें धर देतीं। पैली-तीसरी या दूसरी-तीसरी लैन की तुक मिल जाए तौ सोनें में सुहागा हो जात। राना जू तौ पुराने हाइकूकार है।इनें अपन जादां का कै सकत।
पं.डी.पी.शुक्ला जू नें 'विपदाओं के घेरे में ' शीर्षक सें भौत नोंनों नवगीत डारो है। ई में विपदा के टेंम पै परिवार औ रिश्ते दारन के बीच की खटास कौ भावपूर्न वरनन भऔ "रिश्ते नाते बैउत दिखारय"जैसी व्यंजना ने रचना खों माँजो है।अच्छी रचना के लानें बधाई।
शोभाराम दांगी जू नें लोकधुन पै लिखे किसानी गीत में खेती किसानी की तकलीफन कौ नोंनों वरनन करबे की कोसिस करी है।ई में टाइपिंग की एक रूपता ना होवें सें पढ़ैयन की समझ में ठीक सें नईं आ रऔ।ई गीत में छंदविधानानुरूप तनक और मेनत करी जाए तौ भौत नोंनों लोकगीत बन जै। किसान की पीर उजागर भई है,दांगी जू की रचना में।
कृष्ण कुमार पाठक जू की बुंदेली गीतिका ' कर लेओ समझोता ' सीख दै रई कै जिंदगानी में आबे बारी मजबूरियन में संतोस धरें सार है। गीतिका की तुक-तान भौत बढ़िया है।
सबई बंध धारदार हैं, जिनसें "साँची की साँची औ हाँसी की हाँसी"बारी कानात सिद्द हो रई।
रामेश्वर प्रसाद गुप्त जू ने एकई चौकड़िया डारी।ई में एक जीवन दरसन झलक रऔ कै जा दुनियाँ भरोसे लाख नइंयां, ई सें भगवान पै भरोसौ करौ,बेऊ कामें आए।
प्रभु दयाल पीयूष जू नें सोऊ एक चौकड़िया डारी पै अनुप्रास की छटा औ अनोंखी व्यंजना के कारन पटल पै छा गई।नायिका पीयूष जू कौ हिया हर रई ,तौ पूरी चौकड़िया हमन पढ़ैयन कौ।गदराने तन कौ वरनन तौ कमाल कौ कर दऔ । " रस गुलाब जामुन में काँ जो, गदराने बेरन में " वाह.. ई सें बुंदेली कौ गुरीरौपन पतौ चल रऔ।
संजय श्रीवास्तव जू कौ, सई छंद विधान में बँदो,चुस्तदुरुस्त बुंदेली गीत प्राप्त भऔ।ठेठ बुंदेली पै संजय जू की अच्छी पकड़ है। " उल्ला-ठुल्ला, खुल्लमखुल्ला, गेरऊँ सें गर्रारए" औ
"खउआ- पउआ बारे भैया, भायँ भायँ भर्रारए" जैसे प्रयोगन नें रचना में चमत्कार पैदां कर दऔ।गीत में ई जुग की विसंगतियन कौ वरनन भौत नोंनों भऔ है।बधाई.
किशन तिवारी जू कौ बुंदेली नवगीत"चलौ पूरब खों चलिए"
सोऊ अच्छौ बन परो है।भौत नोंनें भाव हैं। पूरब में नई रोसनी, ज्ञान-स्वाभिमान की बढो़तरी,जात पांत विहीन सांप्रदायिक सौहार्द कौ आसा भरौ चित्रन करो है,उतईं पश्चिम की अशांति की तरपै सोऊ इसारौ करो है।बुंदेली में मुक्त छंद कौ जौ अच्छौ नव गीत है।
राज गोस्वामी जू की रचना हल्की सी है पै वृत्तानुप्रास की चमक सें चमचमा रई।वाह.. "की की का का कएँ"...साचऊँ आजकल सज्जन की सें का कबै ?
कल्याण दास साहू पोषक जू ने सुंदर कुण्डलिया के माध्यम सें बतबोले दोगलन पै घातक प्रहार करौ है। छंद तो लगभग शुद्ध है पै एक जगाँ कल संयोजन गड़बड़ा गऔ, यानी लय भंग है। " सदाँ ओछी हरकत ठान ठानें" की जगाँ "जिनें कछु और न करनें" करलें तौ लय भंग सें बच सकत।ऐसौमोरौसुझावहै,फिर आप की मरजी।
सिया राम ,सर जू ने सोऊ 10 ठौ हाइकू डार दए। इननें तौ चुनाव लरैयन कौ कच्चौ चिट्ठौ खोल दऔ।पै का करें लोकतंत्र कौ तकाजौ है। साहित्यकार तौ अपनी भड़ास काड़तई है। बैसें सबरे हाउकु जोरदार हैं।
डा. सुशील शर्मा जू ने दो क्षणिकाएं लिखीं। इनमे टूटे हिय की पीर कै दई।
राम गोपाल जू ने तौ अपनी त्रिपदियन में मन की पीर उगार कें धर दई। एक-एक पद अद्भुत व्यंजना लयँ है। विपन्न वर्ग की घुटन खों आपने शब्द दै कें सही कवि-कर्म करो है। सशक्त रचना के लानें ,साधुवाद.!
अब कौनऊँ रचना समीक्षा के लाने नईं रै गई। अब मैं कन
चाउत कै ' जय बुंदेली साहित्य समूह ' सें जुरे सबई साहित्यकारगन बुंदेली साहित्य की खूब सेवा कर रए हैं। अपने अपनें ऊँचे चिंतन सें सृजन में प्रान फूँक रए।शब्द की ताकत तौ तीर,तलवार सें जादां नुकीली औ धारदार होत है।बुंदेली काव्य के लानें तौ सबई जनें भौत लगे रत पै ईकौ गद्य पक्ष पिछड़ रऔ है। आज कौ उदाहरन लै लो तौ अकेली बेंन अनीता जी की एक गद्य रचना पटल पै आई।कौनऊँ भाषा की समृद्धि तबई आँकी जा सकत जब ऊ की सबई विधाओं में काम होबै। सो अंत मैं मोरी जेई विनती है कै बुंदेली गद्य की विधाओं में कलम चला कें अपनी बुंदेली मैया कौ मान बढ़ावे में योगदान करौ। भौत भौत धन्यवाद।
समीक्षक-अभिनंदन गोइल, इंदौर
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86-कल्याण दास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर
---- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 15 . 10 . 2020 दिन गुरुवार ' जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत हिंदी रचनाओं की समीक्षा :---
सर्वप्रथम सभी काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए सभी का पटल पर बहुत-बहुत स्वागत है वंदन है अभिनंदन है
आदरणीय श्री अशोक पटसरिया नादान जी ने वृद्धावस्था में उपेक्षित होने वाली रचना --- दूर हुए अपने ही साए , हम बूढ़े होने को आए ' की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी ।
आदरणीय श्री दाऊ साहब श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी ने भी बुढ़ापे की दशा का सुंदर चित्रण करते हुए बेहतरीन गजल ---- जय हिंद जवानी का साया ना साथ रहा ' प्रस्तुत की ।
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने बेटा और बेटी दोनों को महत्वपूर्ण मानते हुए बहुत ही सुंदर गीत --- बेटा संस्कार से सोभित , बेटी कुल की होती मान ' प्रस्तुत किया ।
आदरणीय श्री किशन तिवारी जी की बेहतरीन रचना --- हमारी जिंदगी की दास्तां उलझी हुई सी है ' प्रस्तुत हुई ।
वरिष्ठ कवि आदरणीय श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव पीयूष जी की श्रृंगार रस से ओतप्रोत बहुत ही सुंदर रचना ---- कैसी मनभावन लगती हो लज्जा के आभूषण में ' प्रस्तुत हुई ।
श्री शोभाराम दांगी जी ने आध्यात्मिक भजन की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति --- माया मोह के फंद ना पड़ना ' दी ।
वरिष्ठ कवि आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी ने बहुत ही सुंदर गजल ---- सफर के वक्त मेरे होठों पर कोई गीत हो ' बेहतरीन प्रस्तुति दी ।
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने बहुत ही सुंदर गजल ---- कभी खुशी कभी गम वह पी लेता है ' प्रस्तुत की ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने गजब की रचना ---- मौन जब प्रखर होता है तो शब्द खौलने लगते हैं ' प्रस्तुत की ।
वरिष्ठ कवि डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी की छंद मुक्त व्यंग रचना --- बाबुओं की टेबल से चलता है सारा देश ' बेहतरीन प्रस्तुति हुई
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी ने सामाजिक विसंगतियों की ओर इंगित करने वाली रचना ---- मौन रहकर बहाता रहा अश्रु मैं , रात बजती रहीं खूब शहनाइयां ' की बेहतरीन प्रस्तुति दी ।
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने ईश्वर की सर्व व्यापकता को महत्वपूर्ण मानते हुए रचना ---- कहां नहीं भगवान हमको बतला दो ' सुंदर प्रस्तुति दी ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने सामयिक गजल --- ना जिंदा में पूछा कभी हाले दिल , अब अश्क बहाते हैं मजार में ' बेहतरीन प्रस्तुति दी ।
श्री संजय जैन बेकाबू जी ने बेकरार करने वाली सुंदर गजल --- दिल के दरवाजे पर तो जैसे ताला डाल रक्खा है ' प्रस्तुत की
श्री राजेंद्र यादव कुँवर जी ने बेहतरीन कुंडलिया --- दिन दिन बढ़त दिखात पाप और रिश्वतखोरी ' प्रस्तुत की ।
श्री राज गोस्वामी जी ने बढ़िया मुक्तक --- दर्द मेरा तुमने दूर कर दिया ' बेहतरीन प्रस्तुति दी ।
श्री सियाराम अहिरवार जी ने सामयिक छन्द मुक्त रचना --- दूभर होता जा रहा है जीवन जीना ' उम्दा प्रस्तुति दी ।
आदरणीया अनीता श्रीवास्तव जी ने वर्तमान हालातों से अस्त-व्यस्त जनजीवन का बेहतरीन चित्रण करती हुई रचना ---- मंदिर में बैठे देवता अपनी आरती खुद कर रहे हैं ' की प्रस्तुति दी ।
श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी द्वारा बहुत ही सुंदर गीत --- जीवन की हलचल शिशिर रात सी , प्रीत महक की तेरी एक मधुर प्रात सी , प्रस्तुत हुई ।
श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने पारिवारिक विसंगतियों को लेकर बेहतरीन रचना --- असमंजस में है यह मानुष तन ' प्रस्तुत की ।
श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी ने बहुत ही सुंदर गीत --- जीवन है सपना , जीवन है सपना ' की प्रस्तुति दी ।
श्री एस . आर . सरल जी ने जीवन की आपाधापी को लेकर बेहतरीन रचना --- इस जीवन में कितनी भाग-दौड़ है ' प्रस्तुत की ।
श्रीमती संध्या निगम जी ने निर्धारित समय के पश्चात सुन्दर रचना --- देह का बंधन हटा दो ' पटल पर प्रस्तुत की ।
इस तरह से सभी सम्माननीय काव्य मनीषियों ने बेहतरीन रचनाएं पटल पर प्रस्तुत की सभी को बहुत-बहुत बधाई ।
और अंत में सभी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
समीक्षक - कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर ###################
*87-आज की समीक्षा**दिनांक -16-10-2020*
*बिषय- नवरात्रि कौ महत्व बुंदेली में*
आज पटल पै *बुंदेली में नव रात्रि कौ वैज्ञानिक एवं धार्मिक महत्व* पर आलेख लिखने हते सो कछु जनन ने ही लिखे पै भौत नौने लिखे। माता की कृपा हम सबई पटल के साथियन पै बनी रय ऐसी माता सें वितवाई करत है। ई दुष्ट कोरोनावायरस रुपी राक्षसे हम सब ई खां बचाये राखियो अरु ई महामारी कौ समूल नाश कर दो मइया।
आज सबसे पैला *श्री कल्याण दास पोषक जू पृथ्वीपुर* ने लिखौ कै - नव रात्रि में खान-पान शुद्ध रत सो बीमारियों से बचे रत है। उपास सें शरीर शुद्ध हो जात है। भौत नौनी बातें लिखी है।
*डी.पी.शुक्ला जू* ने बताव कै नव रात्रि में मूर्ति पूजा कौ भौत महत्व होत है जनी मांस देवी जू ढारवे भुंसरा से मंदिर में जात है।
*श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जू* ने उपास रैहे से का-का लाभ होत है वे बताय है। सामाजिक अरु सांस्कृतिक महत्व भी बताऔ है। उमदा लिखौ है।
*श्री अभिनंदन गोइल जू इंदौर* ने नव रात्रि कौ आदि शक्ति कौ महा परब बताऔ है।
*श्री सियाराम अहिरवार जू, टीकमगढ़* ने नवरात्र में जवारे बोये जात है ऊकौ महत्व विस्तार सें बताऔ है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने बताऔ कै बैसे तो नवरात्रि साल में चार बेर आती है पै तीन गुप्त रत है अरु शारदीय नवरात्र कौ महत्व जादा मानो जात है और ई नवरात्रि में जगा जगा पे देवी जू की मूर्ति बैठाकै पूजा करी जात है।
*गुलाब सिंह यादव भाऊ* ने नव देवियों के बारे में बताऔ कै हर दिना अलग-अलग देवियन कौ स्वरूप पूजौ जात है। श्री दांगी जी अति उत्साह में जा लिख गये कै नवरात्र साल में पांच बेर होत है। जबकि साल में चार बेर ही नवरात्र होते है मैंने अपने आलेख में लिखौ भी हतो पै लगत दांगी जू ने हमाव लेख बाचौ नइयां। खैर भाव नोने लिखे है।
*मीनू गुप्ता जू* ने भी नौ देवियन कौ स्मरण करते भय उनकै चरनन में धरो परनाम करो है।।
*श्री जय हिंद सिंह जू दाऊ पलेरा* ने श्रीराम जू की शक्ति पूजा के बारे में नोनौ वरनन करो है। श्री राम जू ने ही दुर्गा पूजा की शुरुआत करी ती।
ई तरां से आज सबई ने नोनो लिखौ। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
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88- जय हिन्द सिंह जयहिंद पलेरा
दिनाँक 19.10.2020,सोमवार बुन्देली दोहो- नवरात्रि
........................................
पैलें सुमरों माई शारदा, फिर सुमरों विद्वान समाज।
लिखों समीक्षा कल की भैया,
पै पड़बे मिलने है आज।।
गल्ती सबरी क्षमा करौ,
और माफ करौ मैं हों नादान।
है विद्वान समाज सबयी जा.
मैं हों इक मूरख अज्ञान।।
।।1।।श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त ।।
श्री राम लाल द्विवेदी
लोकधुनों पर आधारित... गारी
दरपन खों देखें सहज में हुजूरजू,
कम सें कम तुम बोलौ मोरे लाल।
सबखों नमन करकें रामलाल बोलें,समाज की सुगंथ अब खौलौ मोरे लाल।
।।2।। श्रीगुलाब सिंह यादव भाऊ...
राधेश्याम लय...
दुनिया कौ पालन करौ,
करौ दुष्ट संहार।।भक्तन की रक्षा करौ,करौ बघन सब क्षार।।
महाषासुर को मार भवानी,
सब उपकार बनातीं हौ।
बिपदा सबकी टार टार,
भक्तों को रोज बुलाती हौ।
पान बतासा नारियल,
झंडा और त्रिशूल।
चढें रोज सिंगार सौ,
काटौ सबके शूल।।
।।2।।श्री अशोक कुमार पटसारिया जू
लोक भजन....
जग की पालनहार माई तुम असुरन खों संहारियौ हो मां।
1..गद्दारन खों मार भवानी।
सिंह सबर जगत की जानी।
लो भारत कौ भार।माई तुम....
2..बुद्धि देव दाता कल्यानी।
देव बरदान बोलकें बानी।।
फैलो भृष्टाचार।माई तुम....
3..मैया की नवरात सुहानी।
पालनहार जगत कल्यानी।।
नौ दिन लैयौ ढार।माई तुम....
3..कुवर राजेन्द्र यादव जू...
गारी....
मैया जानत ना सेवा सत्कार री।
लेव गल्तियां समार री।।
अलग अलग हैं रूप तुमारे।हमखों नोंईं रूप हैं प्यारे।जाने एक रूप गबवारे।।
दैयौ देवी जूहमें रोज प्यार री।लेव......
4..जयहिन्द सिंह जयहिन्द
बुन्देली आल्हा...
रामादल ने रावन मारो,
नौ दिन पूजा करी तुमार।
क्वांर चैत की नौ दुरगन में,करबें भैया खूब समार।
कछू करें पाखंड कछू तौ,मन में राखत हैं दरवार।।
नौ दिन दुरगा ढार ढार कें,लो माता रानी कौ प्यार।
नौनौ रंग उड़े खुशियन के,कथा भागवत लें सत्संग।
रोज रोज दरशन पाबे खों,अब जयहिन्द खों भरी उमंग।।
5..श्री कल्याण दास साहू पोषकः
कजरी...
हरे रामा धूम मची हर द्वार,
कै खुशियां छांईं रे आली।
भगतन की भरमार,रसधारा भाई रे आली।।
1..डग डग पै झाँकी सोहे।
जयकार सबयी मन मोहे।।
हरे रामा नौ दिन खुशी अपार।
खुशियां ........
2..घटघट बुबे जबारे।
भजनन के बनें नजारे।
हरे रामा रोग होंय सब क्षार।
खुशियां.....
6..श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु
गारी अरी ए री......
जय जय माई शारदा तोरी,जग की पालनहारी।अरी ए री....
गिद्ध वाहिनी शरन परें हम,विनती करें तुमारी।अरी ए री....
1..मां तारा पीतांबरा प्यारी।
अछरू और शारदा न्यारी।
मात रतनगढ़ आंय हमारी।।
नौ दिन रूप तुमारे पाये,हौ जग
करतारी अरी ए री......
2..करियौ दूर सदा अग्यान।
माता तौरौ करों बखान।
दैयौ आज भवानी ज्ञान।।
रामेश्वर गुप्ता जीने जा दोहन में सब ढारी।अरी ए री.......
6..श्री संजय श्रीवास्तव जू...
गारी ..मनरंजन भौंरा.....
नौ दोहन में संजय जू ने, मेहनत करी अपार ।मनरंजन भौंरा..
पांच की जांगा नौ नौ दोहा,
दय संजय ने डार। मनरंजन भौंरा
1..मूरत में ईसुर है नैंया।
मैया सबखों लेबै कैंया।
नौ दिन चलने चैंयां मैंया।।
नौ दिन पूजा और प्वस में,
बहा देव रसधार।मनरंजन ....
2..उल्टी गैल चलौ ना आली।
नौ दिन छोड़ करौ रखवाली।
ना पंडाल राखियौ खाली।।
बिटियन की पूजा करते सब,
रक्षा कौ लो भार।मनरंजन ...
3..जप तप ध्यान नौ दिना कर रय
बौ बिटियन सम्मान न धर रय
कौरौना सें देखौ मर रय।।
फूल चड़ाकें अहंकार कौ ,
कर दैयौ संहार।मनरंजन भौंरा
4..सच्चे मानव सदा समारौ।
रँय खुशहाल उनै ना मारौ।
मैया असुर सबयी संहारौ।।
संजय भैया ने मैया की,
लयी आरती उतार।मनरंजन ..
7..श्री प्रभू दयाल श्रीवास्तव जू
शैरौ..........
1.पितर चले हैं रे,पितर चले हैं,
दैकें रे आशीष।
करियौ पूजा तुम मैया की,
जुरमिल कें दसबीस।।
2.छै मैंना में आई रे,झाँकी सजाकें रे,माई तोरे जश गांव।
जे नौ रातें हैं मैया की,भगती के दिन आंय।।
3.महिषासुर मरदनी रे, महिषासुर मरदनी,लव जब तुरत अवतार।
प्रभू दयाल बाल ना बांकौ,होय जो पाबें प्यार।।
7..डा. देवदत्त द्विवेदी जू...
लाँगुरिया.........
नवरातन के दरवार सजा गयी,
मैया लाँगुरिया।
सुखी भयो संसार।सजा गयी मैया लाँगुरिया।
1.नौ दिन की नौरातन में,
मां के नौईं सरूप।
माई चंद्रघंटा कौ घंटा,
टारत है भव कूप।।
तजियौ सब सुख सार।सजा
गयी मैया..........
2.ठाड़े हैं दरवार में,
देवदत्त जू ऐन।
यहाँत धरौ तुम मूड़ पै,
सो कभौं होय ना ठैन।।
सरस में बै रयी रस की धार।
सजा गयी मैया..........
8..श्री राजीव नामदेव रानाजू...
मल्हार........
पूजा करें हम पूजा करें हम मैया की दिन रात रे।
भजन करें हम पाठ करें हम ,
बृत में कछू ना खात रे।पूजा...
गरबा नाच नाच हम हारे,
हम हैं मैया पूत तुमारे।
दोई कर जोर खड़े हैं द्वारे,
राना कहें जा बात रे।पूजा करें.....
9... श्री कृष्ण कुमार पाठक जू...
धुन..झूलन चलौ हिड़ोला........
शक्ति के बिना शक्ति है साद सको कौन।
साधना बनालो अब साद साद मौन।
1.हरी कौ ध्यान करलो,
तन कालका सें भरलो,
मन शारदा सपरलो,
धन चंचला कौ धौन।
शक्ति के बिना........
2.जे नौ दिना समारौ,
मुख नाम सोए उचारौ,
पाठक ना मन खों मारौ,
पूजा करौ जा पौन।
शक्ति के बिना..........
10.श्रीराज गोस्वामी जू....
दोहा चोपाई.....
नव रातन के बिषय पै,कय ना लिखो सुजान।
सूर्पनखा पै घला रय,काय राम के बान।।
सर्पनखा कौ चित्र उभारो।
रामचंद्र ने जी खों मारो।।
लिखते जो नवरातन भाई।
तौ प्रताप फैलाते माई।।
11.श्री शोभाराम दाँगी जू......
आल्हा.......
नौ दिन नौ रातन जो करबै,मैया कौ उपवास सुहाय।
उयै पास में राखें मैया,कभौं दूर खों बौ ना जाय।
सिंह दायनौ हात है मैया,अष्टभुजा बारी कहलाय।
जय जय अम्बे ओ जगदम्बे, तोरी गाथा दुनिया गाय।
शैलपुत्री बृम्हचारिणी,रहै चंद्रघंटा कौ मान।
कुषमाण्डा मैया कात्यायनी,मैया हमें देव बरदान।
कालरात्रि और मां गौरी,सिद्धदायिनी करूं ध्यान।
नौ दिन बाद बिसर्जन करकें,
नाम जपो मुख के दरम्यान।
नौ दिन करौ तपस्या पूरी,
कहते हैँ जा शोभाराम।
तौ जीवन में सदा पाओगे, भैया अपने तन आराम।।
12.श्री डी.पी.शुक्ला सरसजू.......
मल्हार..........
मारौ दरिन्दन जग अभिनंदन मां तूं पालनहार रे।
आंकें करौ भुन्सरा भैया,मंदिर बनें पहार रे।
करौ जागरन काड़ जवारे, कर उपवासन प्यार रे।
मां की ममता की ना समता,भजन करौ हर बार रे।मारौ दरिन्दन......
13.श्री सियाराम अहिरवार जू......
बुन्देली लोकशैलीबध्य......
जन कल्यानी मैया रानी
रखियौ सबकौ ध्यान रे।
दर्शन दो नवरातन मैया,
और जगा दो ज्ञान रे।
1.दसम दिना रावन खों मांरें,ढील देंय फिर सारी।
बिटिया रह ना पाय सुरक्षित,
ओ मोरी महतारी।।
कौरौना खों टारौ मैया,एई साल दरम्यान रे।जग कल्यानी........
2.नौ रेपन में रूप तुमारे,
एक सें एक बनें हैं।
भक्ति भाव नौ दिन लौ मैया ,कैसें आन तनें हैं।
सियाराम बँदवारय मैया,
तोरे बंदनवार रे।
।।आल्हा।।
जितनी लिखी समीक्षा मैनै,अरपन सब भैयन खों यार।
भूल चूक जितनी हो गयी सो,लैयौ भैया हरौ समार।।
समीक्षकःजयहिन्द सिंह जयहिन्द
गुड़ा ।।पलेरा।।टीकमगढ़।।म.प्र.।।6260886596
इति शुभम्
#################
89-के के पाठक , ललितपुर
दिनाँक २०\१०\२०२०दिन= सोमवार
आज का विषय:-*भावना*
भावना था आज का विषय ।भावना अच्छी या बुरी दोनों प्रकार की हो सकती है ।
परोपकार की भावना ।
द्वेष भावना ।
मैत्री की भावना ।
भक्ति की भावना ।
प्रेम की भावना ।
आदि-आदि ।
पटल के सम्मानीय सदस्यों ने इस विषय पर खूब लिखा ।
इस विषय पर तुलसी दास जी की एक चौपाई जग प्रसिद्ध है:-
"जाकी रही भावना जैसी,
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।"
(जिसकी जैसी भावना थी उसने प्रभु (श्रीराम) को उसी रूप में देखा)
कबीर दास का एक दोहा है:-
"जल में बसे कमोदनी,
चंदा बसे आकाश।
जो है जा को भावना सो ताहि के पास ।।
------
आज सबसे पहले दोहे लिखने वालों में रहे श्री अभिनंदन गोयल जी
उन्होंने लिखा:-
जब भी दिल में तड़प हो, यादों का अतिरेक।
साथ भावना का मिले , अश्रु करें अभिषेक।।
पांचों दोहे अच्छे बने । उक्त दोहा बहुत अच्छा लगा ।
🙏
::::::::::
दूसरे नम्बर पर दोहा पोस्ट करने वाले रहे श्री राज गोस्वामी जी
इन्होने तीन दोहे रचे
तीनों सराहनीय हैं
आपने लिखा:-
भाव भूख के देवता,
भाव देख मुस्कात ।
सुध पावत आ जात हैं,
दिन हो चाहे रात ।।
🙏
::::::::
श्री प्रभुदयाल पीयूष जी ने 5 दोहे रहे पांचो अच्छे बन गये ।
उन्होंने रचे:-
अपने को अपना लिया,
दिया और को छोड़।
यही संकुचित भावना,
रिश्ते देती तोड़।।
भक्ति-भावना से भरे,
माता के जस गाँय
ऋद्धि सिद्धि सुख संपदा,
बिन मांगे पा जांय।।
दुखी देखके दीन को,
दया न जो दिखलांय।
बड़े भावना-शून्य हैं,
मानव-धर्म लजाँय ।।
मातारानी के सजे,
हुए दिव्य दरबार।
भक्ति-भावना से भरे,
भक्त करें जयकार।।
बहुत अच्छे दोहे रचने के लिए बधाई
🙏
:::::::
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी ने 5 अच्छे दोहे रचे :-
उन्होनें लिखा:-
जैसी जिसकी भावना,
वैसा दिखता रूप।
भाव धूप में छांव दें,
और छांव में धूप।।
देख भावना आपकी,
लिये कामना एक।
करें साधना सत्य की,
राह चले हम नेक।।
अपनी-अपनी भावना,
अपने लिये विचार।
अपनी करनी से बने,
अपना ही किरदार।।
शब्द-भावना भाव भर,
आया मेरे पास।
दोहों में खुशियां भरे,
होता नहीं उदास।।
सहज ,सुंदर,सटीक
🙏
:::::
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने
आज क्रोध-भाव में भर कें 5 की जाँगाँ 10 दोहा सूँत दये ।
इनमें दो-तीन दोहा अच्छे बन पड़े :-
अपुन नें रचे-
जो हो मन में भावना,
तो पावे भगवान।
भाव बिना बाजार मैं,
मिले नहीं सामान।।
भाव प्राण है भक्ति का, मिले भक्ति से भाव।
भाव बिना कुछ भी नहीं,
दिखता कहीं प्रभाव।।
ईश्वर भूखा भाव का,
भाव-सार की बात।
याद करे जो भाव से,
*उसको मिले निजात।।*
ई तीसरे दोहा में तीन चरण भौतई गजब, पर चौथे चरण में जानें का हो गओ ।
🙏नमन
::::::::::
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने
तीन दोहा रचे मुझे पहला अच्छा लगा:-
मन के अन्दर भावना,
अच्छी तुम उपजाव
बिना भावना के जगत,
कोऊ कछु न पाव ।।
🙏
::::::::
श्री कल्याण दास साहू "पोषक" जी ने
अच्छे दोहे रचे:-
पहला ज्यादा अच्छा लगा:-
मन में सुन्दर भावना ,
प्रगतिशील विचार ।
हो सकता इंसान का ,
हर सपना साकार।।
🙏
::::::
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जी ने 5 दोहा रचे:-
मुझे तो पूरे १००%अच्छे लगे ,
कोई भी कमी ढ़ूंढ़ने में असफल रहा ।
सेवा पूजा सब करें,
लेकर हरि का नाम ।।
जिनकी जैसी भावना,
उनके वैसे काम
००
खानपान आचार का,
मन पर पड़े प्रभाव।
जैसी हो मन भावना,
वैसइ बनें स्वभाव
००
रिस्तों ने हंस कर दिये,
दिल पर इतने घाव।
क्षीण हुई सदभावना,
बिगड़ा सरस सुभाव ।।
००
वेदों का है मत यही,
विधि का यही विधान।
भक्ति-भावना ही करे
मानव का कल्यान
००
राष्ट्र-प्रेम की भावना,
रखते सभी जवान।
सीमा पर रहते डटे,
अर्पण करने प्रान ।।
🙏नमन और धन्यवाद ।
::::::::::
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने 2 दोहे बनाए,
दोई अच्छे बनें ।
रखो सदा सद्भावना,
मंगल सबका होय।
अपनो का संसार में, जीके लानें रोय।।
बधाई
और
🙏
::::;;;;;
श्री शोभा राम दांगी जी ने भी 5 दोहे रचे
पाँचवाँ अच्छा लगा:-
मीरा कवि रैदास का,
अटल रहा सदभाव ।
सूर सुदामा का रहा, ये भावना का भाव ।।
*ये भावना का भाव*
में मात्रा 12 हो गई ।
*तनक*
सुधार की कामना ।
और सब ठीक है ।
🙏
::::::::
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने पूर्व में रचे धरे दोहों में से दो दोहे पोस्ट किये,
दोनों अच्छा भाव लिये हुये अच्छे दोहे हैं:-
*103*
देखें वे हैं भावना,
जिसमें जैसी पाय।
माता के दरबार में,
वैसा ही फल पाय।।
*104*
भावनाशून्य हो गया,
अब तो ये इंसान।
मुश्किल है पहचानना,
मानव या शैतान।।
हम तौ नम्बर डरे सो समझ गए,के आज ताजे बने नईंयां ।
🙏
:::::::
श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने 5 दोहे रचे:-
मुझे दूसरा अच्छा लगा,वैसे सभी अच्छे हैं :-
अहम् भावना त्याग कें,
परहित करिए जान
भल मानुष तँहा जानिए,
परहित की पहचान।।
🙏
:::::::::
श्री राम कुमार शुक्ल राम जी ने 1 ही दोहा लिखा लेकिन
बहुत सुन्दर लिखा:-
भाव बिना बाजार में, वस्तु न मिलती मोल ।
भाव बिना हरि क्यों मिले,
भाव सहित हरि बोल ।।
वाह
🙏
जय श्री हरि की
:::::::::::::::::::
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने भी 10 दोहा रच दये , जब की पटल के नियमानुसार केवल 5 दोहे ही डाले जा सकते हैं
पर
अच्छे दोहे रचे कुछ बहुत अच्छे भी बन पड़े :-
सदा चित्त धारण करो,
परहित का शुभ भाव।
सर्व-धर्म समभाव हो,
सब जन रखो लगाव।।
अहंकार का भाव जले,
गल जाए सब क्रोध।
राग-द्वेष का नाश हो,
काटो तम,प्रतिशोध।।
प्रेम भाव के संग जो ,
रखते करुणा भाव।
दीन-दुखी को प्यार कर,
फैलाते सदभाव।।
कविता केवल शब्द नही,
मूल पक्ष है भाव।
रचना भाव अभाव में,
छोड़त नहीं प्रभाव।।
🙏
:::::
श्री सियाराम सर जी ने भी आज 5 दोहे बनाये,
पाँचई अच्छे बनें ।
चार ज्यादा अच्छे बन पड़े :--
समरसता की भावना ,हम सब में आ जाय ।
रहे न फूटन देश में ,जाति भेद मिट जाय ।।
जिसकी जैसी भावना ,उसके बैसे काम ।
परहित आये काम जो , उसका होवे नाम ।।
समता पाठ पढाय से ,अमर हुए रविदास ।
मन के ही सदभाव से ,गंगा आयी पास ।।
जिनकी संकुचित भावना ,वह करते हैं भेद ।
जिस थाली में खात हैं ,उसमें करते छेद ।।
🙏
::::::
श्री संजय जैन बेकाबू जी ने तीन अच्छे दोहे रचे:-
मुझे दूसरा ज्यादा पसंद आया:-
जिसकी जैसी भावना,
वैसे उसके काम,
वैसे ही मिलते सदा,
जीवन में परिणाम ।
बधाई
🙏
::::::::
श्री जय हिन्द सिंह जय हिन्द जी 5 दोहे रचे :-
1ला अच्छा लगा है:-
भरी भावना प्रेम की,
हटता सब अंधेर।
राम आये शबरी निकट,
खाने जूंठे बेर।।
पर इसका दूसरा चरण बदल जाये तो सोने पे सुहागा हो जाये ।
🙏
:::::::
श्री वीरेंद्र कुमार चंसौरिया जी ने
तीन अच्छे दोहे रचे:-
मुझे तीसरा जमा-
भाव भावना प्रेम की,
जिसके मन जग जाय।
कहता है हर कोइ यह,
वो मानव कहलाय ।
🌹🙏
::::::::
श्री एस आर सरल जी ने तीन दोहे रचे:-
दूसरा बेहतर:-
हिय पनपी दुर्भावना,
करती है मतभेद।
अंतःदिल काले करैं,
बाहर दिखैं सफेद।।
🙏
अंतःदिल काले करैं,
के स्थान पर यदि
*अन्तर्मन काला करे,*
बाहर दिखे सफेद ।*
हो तो ?
🙏जय हो ।
::::::::::
पटल से जुड़े सभी बड़े छोटे भाइयों को यथायोग्य प्रणाम
सभी को दोहे रचने के लिए बधाई ।
समीक्षक -के के पाठक ,ललितपुर
:::::::::::::::::::
90-डी.पी. शुक्ला, टीकमगढ़ (म.प्र.)
समीक्षा डी. पी. शुक्ल,, सरस,,
दिनॉक/21.10.2020 दिन / वुधवार
बुन्देली में स्वतंत्र गद्य एवं पद्य लेखन
छद्म वेष धर के आई!
सबकेइ दिल को मॉज!!
बुन्देली सी बुन्देली भई!
बुन्देलखंड सी ताज!!
बुन्देली रचना रची!
बुंदेली में है गाय!!
बुंदेली में हो गए!
बुंदेलखंड है आए!!
बोली बानी मीठी जितै !
उतै बुंदेली की है आन!!
धन्यवाद बुंदेली कविवर! बढ़ा रय जो ऊकी शान !!
बुन्देली रचना नोनी लगी! एक सौ सबै रई जा दे!!
बोलत शब्दन नोनी लगे!
लिखितन बढ़ाबे रेख!!
प्रथम बार समीक्षा कर रव मैं ठान!
भूल चूक छमऊँ अबई करियो सबूई सुजान!!
1.,, जय हिंद सिंह जय हिंद,, ने लिखी लेखिनी!
पनवारे में दई परोस!!
कोरोना के काल में!
हो रव भौतई अवशोष!!
रचना उत्तम कर दई!
व्यंजन की कर भरमार!!
शहद चीला ढूँढवे!
जानें डाँग और पहार!!
2. ,,राजीव नामदेव ,,राना लिधौरी जी की !
बुन्देली हायकु की तान!!
परैं परैं मिलै खावे!
तौ काम की खोलें काय दुकान!!
घर की कुरैया सें फूटै आँख!
काय लगाव उयै आपनी कॉख!
सुन्दरतम हाइकु कहे!
जैहौ तुम के इनकों है नॉक!!
3. शुक्ल,, सरस,, कात जौ मानव!
स्वारथ में वन गव अत्याचारी!!
ई मानव ने छोड़ी अपनी!
मानवता सी व्यवहारी !!
4.,, नरेंद्र श्री वास्तव जी,, रचना मे!काम उल्टे सीधे की बात करत!!
बिना काम के घूमत फिरत!
कव सो आकें हैं लरत!!
सुन्दर रचना कर कै दई अपनी बात !
बीच गैल में ठाढ़े रये!
मुवाइल पै करत वर्षात!!
5. ,,पटसारिया जू ,, की का कानें!
वे सुअँरन गिनती करके माने!!
चौकडयिन में भौतई नौंने!
कै दये अहानें!!
कंडी से उतरारय!
कुर्सी के है लानें!!
बाहरे नादान खूब लिखी!
इनकी लगाव अक्ल ठिकाने!
"6 ."द्वेवेदी,, सरस,,"" जी ने मुक्तक में सबरौ गढ़ डारो!
कविता कौ सिंगार करौ!!
सिर पै हॉथ है धारौ!!
उत्तम - रचना
7,, गुप्त इंदु,,,, जी ने
चौकड़िया कह डारी!
राजनीति के पॉड़े!!
मिटा प्रीत रीत गैल में ठॉड़े!!
मिट गय गा़ॉव और नगारे!
वेसुरी ढपुलिया बजरई!
दिन में दिख रय तारे!!
उत्तम. ---. रचना
8,, कल्याण दास शाहू,, पोषक जी ने लिथी है लेखिनी आज!
रखियौ माता मोरी!
घर भर की है लाज!!
करउँ ध्वजा नारियल और वतासा अर्पण आज!
दरश के लाने जौ लरका!
ठाड़ो सबई समाज!!
बहुत खूब --सुन्दर रचना
9. ,, कृष्ण कुमार पाठक जी ,, ने लिखो गीत!
मैया सें कैकें सॉसी!!
मॉ ही है पार लगैया!
मॉ ही मथुरा काशी!!
नौ दिना जपै धयान धर!
पाठक सी होवै मॉ सी?!
बहुत - सुन्दर रचना
10.,, कुँअर राजेन्द्र,, ने चौकड़िया गढ़ दई आप कहानी!
मड़ैया डार खेतन हारै!
वौ जाकें करत किसानी?!
वसकारौ जाडौ होय पै!
होतई भौतउ हैरानी!
अन्न दाता रो रव!
जा है भावई जानी मानी!!
भौतई नौनी रचना
11. ,,शोभाराम दॉगी,, जी ने लिखो
बिटिया कै रई बाप मताई सें!
मोय जियन दो न मारौ मोय दबाई सें!!
बिन बेटी प्रान कहॉ हैं!
रैहौ तुम बिन जमाई से!!
दॉगी सुन्दर लोक गीत में!
का गए बात भलाई सें!!
बहुत सुन्दर -रचना
12.,, प्रभु दयाल पीयूष,, जी प्रेम मॉय शारदा के चरन!
शीश नवाय करत, मात वंदन !!
मचलत मन मैहर के लानें!
मॉ के दर्शन है चानें !!
मॉ की किरपा होय सबई पै!
सो सबई कछु है मिल जानें!!
भौतई नौनी -ऱचना
13.,, गुलाब भाऊ,, ने लिख चौकड़िया!
अरज मॉ से है कर डारी!!
अला बला सब टारौ मैया!
करें तुम सिंह सबारी!!
शरण पड़ा हूँ माता तेरी!!
देश बचालो उर गैया!!
बहुतई नौनी - रचना
14.,, राज गोस्वामी जी ,,कों रस वरषा गई!
उनके गाँव की गोरी!!
तनक दिखाई भौत है मानौ!
वर्राटन की मानों थोरी!!
बहुत खूब -रचना
15, ""राम कुमार,, राम,,""ने कई कथा भौतई है नौनी!
कंजूस सास की विगार कें है बौनी!!
राम ने एसी कथा लिखी आज!
दार रई न रौनी!!
घी की चपिया औंदी दै दई!
भरे दार में सासु हो गई ढीली!!
करन लगी शिकायत बिटिया की!
सोउ दामाद ने सबरी दार है पी ली!!
बहुत बहुत सुन्दर गद्य रचना
16. ,,चंसौरिया बीरेन्द्र,, जी ने कई हँस हँस दिन बिताने!
लम्पा से एेंडंत कईयक!
परहै उनैं समझानें!!
ईमान धर्म बनाए रईयौ!
जेई धारना चानें!!
कजंत रिसाकें जीवे वैठौ!
तौ जौ जग नईं दिखाने!!
बहुत बहुत सुन्दर --रचना
17. एस. आर.,,सरल,,ने वक्त को निहारा है।
कोरोना की मार से डर रहा विश्व सारा है।।
सुन्दर --- रचना
18.. ,,सियाराम सर,, नैन मटक्का कर मुँ निहारे ।
बुलउवा में अईयौ ।
तुम मोरे घर के द्बारे।।
बहुत सुंदर--रचना
उपसंहारी भाव
उत्तम भाव सबई ने राखे!
कै- कै अपनी बतियाँ !!
बात विरानी कई न काउ ने!
जीसें फटत हतीं छतियाँ!!
बुन्देली में सबरी कै गए!
,,सरस,, लिख लिख अपनी पतियाँ!!
सुन्दर भाव संजो कें रच गए!
खुशियन की लगा उरबतियाँ !!
समीक्षक-डीपी शुक्ला, टीकमगढ़
################
91--- कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर
----श्री गणेशाय नमः - सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 22.10.2020 दिन गुरुवार ' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत ' हिन्दी रचनाओं ' की समीक्षा :----
सर्वप्रथम सम्माननीय सभी काव्य - मनीषियों का पटल पर बहुत-बहुत स्वागत वंदन अभिनंदन एवं बहुत-बहुत साधुवाद ।
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने वर्तमान हालातों से आगाह करते हुए बेहतरीन रचना ' जागो रे ' प्रस्तुत कर सुन्दर आगाज किया ---
को रोना का कहर , जारी मास्क लगाओ मेरे भैया ।
श्री किशन तिवारी जी द्वारा सुंदर सामयिक गजल ---- नहीं मालूम कब यह रंग मौसम का बदल जाए ' प्रस्तुत हुई
दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जी ने यमक और श्लेष अलंकार की छटा बिखेरते हुए भाभी का ननंद से वार्तालाप का चित्रण किया ---
वारी जाऊंगी तुझ पर ,
फिर क्यों तू वारी-वारी ।
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने प्रकृति के कण-कण में मां की स्थापना की सुंदर झांकी प्रस्तुत की ---
मां तेरा ही रूप समाया ,
मां तेरा ही गुण गाया ।
श्री एस.आर.सरल जी देश का नव निर्माण करने हेतु आवाहन कर रहे हैं ---
उठो देश के कर्मवीर तुम वादों पर प्रहार करो ।
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने ढोंग एवं पाखंडवाद पर प्रहार करने वाली गजल प्रस्तुत की ----
मंदिर के द्वार बैठे हैं आस में भिखारी,
पंडों के पेट काहे इतना फुला रहे हो ।
श्री राम कुमार शुक्ला जी ने बछिया शीर्षक से सुंदर रचना प्रस्तुत की----
श्याम वर्ण कि मेरी बछिया,
सबकी पालनहार है बछिया ।
आदरणीया मीनू गुप्ता की बेटी बचाओ रचना बेहतरीन प्रस्तुति हुई ---
बेटी है तो भविष्य है , वरना सब अंधकार है ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने सामयिक गजल प्रस्तुत की --- चुपके से मेरे दिल को सदा दे गया कोई ।
डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी ने बेहतरीन मुक्तक की प्रस्तुती दी
छल फरेबों की सदा बरसात करते हैं ।
श्री डी.पी.शुक्ल जी ने सामयिक रचना ---
बेरुखी का यह आलम घर-घर है छाया ' प्रस्तुत की ।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जीने सामयिक रचना प्रस्तुत की --- डगर डगर में है खबर खुराफातें, खरी खरी बातें ।
श्री शोभाराम दांगी जी ने मानव को सुधारने हेतु चेताया ---- नाज करता तू क्यों , तेरा काला मन है।
श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी ने लालफीताशाही की भर्रे शाही को उजागर किया ---
रक्षक ही जल्लाद बन रहा ।
श्री शील चंद जैन शील जी ने हिंदी की महिमा का बखान किया है --- कैसे ना बोलूं मैं हिंदी ।
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जीने प्राकृतिक छटा का मनोहारी चित्रण कर सर्वश्रेष्ठ रचना प्रस्तुत की ----
रंग-बिरंगे पुष्प महकते हरित खेत लहराए ।
रंग प्रकृति के बड़े निराले हर पल मन को भाए ।
आदरणीय श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी ने नायिका का चित्रण करते हुए श्रृंगार रस की रचना प्रस्तुत की ---
खिल रही है चंपा चंपा सी ।
श्री राजेंद्र यादव कुँवर जी ने गोपियों की विरह वेदना का सुंदर चित्रण किया ---
व्याकुल श्याम बिन राधा सुकुमारी है ।
आदरणीया अनीता श्रीवास्तव जी ने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए हमराही को तलाशती रचना प्रस्तुत की---
खाली समय तुम्हारा पाकर मैं उस में रहना चाहूंगी ।
श्री रविंद्र यादव जीने सामयिक मुक्तक प्रस्तुत किया--- सच अगर कहो तो तुम बवाल करते हो ।
श्री सियाराम अहिरवार जी ने छंद मुक्त क्षणिकाएं प्रस्तुत की --- उसका दर्द बांटने वाला कोई नहीं होता ।
श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी ने बहुत ही सुंदर गीत --- सुख दुख में हम तुम साथ रहें ' प्रस्तुत किया ।
श्री राज गोस्वामी जी ने लाचारी प्रदर्शित करने वाली रचना ---- कुछ कारणों से हो गए लाचार ' प्रस्तुत की ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने सामयिक रचना ----
तू वाकई इंसान बहुत भला है,
दिन में जुगनू पकड़ने चला है ।
बेहतरीन प्रस्तुति दी ।
इस तरह से सभी आदरणीय रचनाकारों ने बेहतरीन रचनाओं की प्रस्तुति देकर मंच को गरिमा प्रदान की है सभी काव्य मनीषियों का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए , समीक्षा को विराम देते हुए त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।
--- कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर
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92समीक्षक -राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़
*92-आज की समीक्षा**दिनांक -23-10-2020*
*बिषय-दसरय में रावण दहन कौ महत्व*
आज पटल पै बुंदेली में दसरय पै रावण दहन कौ महत्व पर आलेख लिखने हतो सो जनवन ने भौत नोने -नोने विचार रखे, इन विचारन खां अपने भीतरे उतारने आय अरु अपने भीतरे कै अंहकार कौ मिटाने परे अहंकार सोउ कैउ तरां कै होत है सो अपने अंहकार खौ खुदई पैचान से ईकौं पै विजय पाने ई सब बातनन कौ याद दिलावे के लाने हर साल दसरय पै रावण बारो जात है।
आज सबसे पैला *आदरणीया अनीता श्रीवास्तव जी* ने लिखौ कै - हमें अवगुन कै असली रावन कौ ढूंढ के बारने है भौतई नोनी बात कै दई है।
*डी.पी.शुक्ला जू* ने कै रय कै हमें अपने मन अरु तन की शुद्धि करवे कै लाने नवरात्रि अरु दसरय मनाव जात है। सांसी कै रय।
*श्री अरविन्द श्रीवास्तव जू* ने भौत नौनी बात कैई कै *जोन बुराइयां रावण में हती बेइ सब हममें सोउ है सो हमें रावन बारवे पै अपराध बोध है*
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने सरय कौ महत्व बतात भय कैइ ककै हमें दसरयकी वास्तविकता समज कै इये भौत सादगी के साथ मनाव चइए जादा दिखावा नई करो चइए।
*श्री कल्याण दास पोषक पृथ्वीपुर* ने लिखौ कै दसरय पै रावन सेइ रावन कौ जलवा रय अरु राम खौं नई ढूंढ़ पा रय।
*श्री जय हिंद सिंह जू दाऊ पलेरा* ने शकै रय कै हमें अपने मन कै रावन खौं मरना चइए।
*श्री एस.आर. सरल जू* ने भौत नौनो सुझाव दव कै हर साल रावन की जागां पै बलत्कारियों, अरु अपराधियन कै पुतला जलाव चइए।
*श्री सियाराम अहिरवार जू, टीकमगढ़* ने दसरय को दो पुरानी संस्कृति कै युद्ध कौ परणाम बताव है कै वैष्णव अरु शैव सम्प्रदाय दोनों अपने अपने अस्तित्व कौ बचावे क लाने लडेते।
*शोभाराम दांगी जू नदनवारा* से लिख रय कै दसरय विजय कौ प्रतीक है एइसें इ दिना अस्त्र-शस्त्र हथियारन की पूजा सोइ करी जात है।
*श्री रामकुमार शुक्ला जू चंदेरा* से लिख रय कै रावन के पास राम के सामान ही भौत गुन हते पै एक अवगुण सोउ हतो अभिमान अरु जैइ मद रावन खौ ले डूबो। भौय नौनो लिखों है।
ई तरां से आथ भलेइ कम जनन ने लिखों है पै नोनो लिखो है सबई लिखवे बारे जनवन अरच बाचवे बारन खौ भौत भौय धन्यबाद। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*जय माता की*
*समीक्षक - राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*
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93-समीक्षक-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*
*समीक्षा पटल 26-10-2020*
समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*
*पटल कै सबई साथियन कौ सपरिवार दसरय की राम राम पौचे*
*दिन- सोमवार*दिनांक 26-10-2020* बिषय- *दसरय (बुंदेली में दोहा लेखन)*
आज पटल पै *बुंदेली दोहा लेखन* हतो, आज भौत नोनों दोहा रचे गये।
आज पटल पै सबसें पैला *1-जयहिन्द सिंह जयहिन्द* जू ने 5 दोहा डारे एक दोहा में पान कघ महिमा लिखी पै मुझे उनकौ जौ दोहा भौय नोनो लगो-
दसरय खों रावन मरो, दिल में राम बसाय ।
तरबे के लानें सबै,रावन करो उपाय ।।
*2-नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा, म.प्र.* जू ने 3 दोहा लिखे मुझे जे दोहा नोनो लगो- मन का कचरा साफ करने को कै रय है।
'दसरय' का त्यौहार ये, हमें सिखाता सीख।
मन का कचरा साफ कर, अच्छा बन के दीख ।।
*3- अशोक पटसारिया नादान लिधौरा टीकमगढ़* जू ने तो थोक में 12 दोहा पोस्ट कर डारे- पै यह दोहा मुझे नोनो लगो-
दशरय पै रावन जलत,जलै ना मन की खोट।
ई सें बौ नइ मरत है, करत साल भर चोट।।
*4-रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु.बड़ागांव झांसी,उ.प्र.* जू ने भौत उमदा लिखौ कै मन कै रावण कौ मरवौ चइए-
केवल पुतले फूंककर,हो न सके संहार।
अहंकार को त्याग फिर,मन का रावण मार।।
*5-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ जू* ने सांसी लिखौ कै पाप बढ़ने से ही वंश का नाश हो जात है।
1-जिनके भीतर बडत है,सुनो पाप को अंश।
उनको जो मिट जात है,सुनो कुरा से वंश।।
*6-लखन लाल सोनी "लखन"छतरपुर* जू ने लिखौ कै-
रावण ने गल्ती करी,मानी नही सलाह ।
करी शत्रुता राम सैचल कर उल्टी राह।।
*7-डॉ सुशील शर्मा , गाडरवाड़ा जू* ने 6 दोहे लिखे पै यह दोहा भौत नोनो लगौ-
दसरय में रावन जले ,जले न मन के पाप।
हर मन में रावन बसे ,बना पाप का बाप।।
*8- एस आर सरल,टीकमगढ़ जू* कौ ये दोहा वर्तमान हालात पे सटीक बैठत है-
रावन के दुश्मन सबइ, राम भक्त कहलांय।
फिर आतंकी कौन जे,'सरल' समझ नहि पांय।।
*9-संजय श्रीवास्तव, मवई जू* ने 6दोहा लिखें वे ठीक कैइ कै ई दार कोराना रावण बधकै आ गव है-
दसरय अरु दिवारी की,फीकी भई बहार।
कोरोना रावन बनो,कर रओ अत्याचार।।
*10-- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जू* ने दसरय पै नीलकंठ की महिमा बताई है-
दसरय पै दरसन सुबह , कर पावै जो कोय ।
जल में तैरत मीन शुभ , नीलकण्ठ शुभ होय ।।
*11-के के पाठक, ललितपुर जू* बता रय कै दसरय कौ त्यौहार काय मनाव जात-
रावन जैसे नीच खों,*दओ राम नें मार ।
ई सें ई दिन मनत है,**दसरय कौ त्योहार ।।
*12-- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़* ने लिखरय कै मन कै रावन खौ मारने है तन के बारे ससें कछू नइ होत-
दसरय आज मनाइये,मन कौ रावन मार।
तन कै बारे का हुऐ,भीतर नइ बैठार।।
*13- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ जू* ने दसरय पै पान की महिमा बखानी है-
पठवा रय हैं प्रेम सें,जे दसरये के पान।
मान सहित सब पाइयौ,रखियौ मोरौ मान।।
*14- डी.पी.शुक्ला सरस जू* भौत नोनी कामना करी है-
बदले की जा भावना,मन की मैंटौ आज।।
दसरय पान चबाए कें,समरें सबरे काज।।
*15 वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जू* ने भौतइ नौनी बात कैइ कै अपने अवगुनन कौ आग लगाव-
अबगुण आग लगाइये, जितने अपने पास
आज दसहरा के दिनां, काम जेउ है खास
*16-सियाराम अहिरवार जू* कैइ रय कै हर साल रावन कौ बारवे के बाद भी अर्म नइ मिट रव-
हर सालै बारत रये ,दसरय पै लंकेश ।
असत अधरम न मिट सको ,रऔ अबै भी शेष ।।
17-राम कुमार शुक्ल "राम" जू ने दसरय नीलकंठ अरु सोन कै दरसनकरवौ शुभ मानो जात है-
दरस मिले हैं भुंसरा, नीलकंठ और सौन।
पान लगे दसरय खिले,क्यों बैठे अब मौन।।
ई तरा़ सें आज पटल पै भौत नोनज दोहा रचे गयज है सभी को बधाई पोंचे।
*दसरय की राम राम पौच जाय*
*समीक्षक-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*
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94- के.के. पाठक , ललितपुर
**समीक्षा**दिनांक:-27/10/2020 बिषय-आकांक्षा
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निंदक नियरे राखिए,ऑंगन कुटी छवाय।
बिन पानी; साबुन बिना,निर्मल करे सुभाय।।
*
इस पटल पर इतने दिनों से दोहे रचे जा रहे हैं, इतने दोहे रचे गए परन्तु अब तक कोई भी दोहा ऐसा नहीं रचा गया जो हमें मौखिक याद हो गया हो ।
अभी तक सिर्फ *अच्छे दोहे* रचे गये, कोई भी ऐसा दोहा अभी तक सामने नहीं आया जिसे हम *बहुत अच्छा दोहा* कह सकें ।
हर कवि अपने दोहों को अच्छा मानता है।और *लै पपरिया सो दै पपरिया* की तर्ज पर दूसरों के दोहों को *शानदार,उम्दा, बेहतरीन,लाजबाब,वाह वाह वाह क्या बात है ।* कह देता है ।
अब प्रश्न यह है कि अच्छे दोहे रच कर क्यों नहीं आ रहे हैं?
मुझे तो लगता है कि दोहे लिखने के लिए उसी दिन कोई एक *विषय* दिया जाता है और विषय मिलते ही आनन फ़ानन में दोहे रचने का काम शुरू हो जाता है,और जल्दी -जल्दी में दोहे रच दिए जाते हैं ।
दोहों को परिमार्जित करने का समय ही नहीं मिलने पाता ।
इसलिए पटल-प्रमुखों से मेरा निवेदन और सुझाव है कि पटल पर उसी दिन दिए जाने वाले *विषय* को यदि दो दिन पूर्व में ही दे दिया जाय,तो दोहों को रचने और परमार्जित करने के लिये पर्याप्त समय मिलेगा और पटल पर अच्छे दोहे पढ़ने को मिलेंगे ।
अभी तो हड़बड़ी में लिखने का तरीका कुछ इस तरह का है:-
एक कवि(के के पाठक) अपने कार्य क्षेत्र से घर लौटने के लिये बस के इन्तजार में खड़े हैं, अचानक उन्हें याद आता हैं कि आज पटल पर *आनन-फ़ानन* विषय पर पाँच दोहे लिख कर डालना है:-
वे सोचना शुरू कर देते हैं और पहली पंक्ति इस प्रकार रचते हैं:-
*आनन फ़ानन पटल पै,*
*डारे दोहा पाँच ।*
वाह
वाह
अब वो सोचते हैं कि मुझे दूसरी पंक्ति के अन्त में किसी भी तरह से *काँच* लाना है ।
इतने में बस आकर खड़ी हो जाती है वे हड़बड़ा कर बस में प्रवेश कर जाते हैं
बस के अंदर एक सीट के पास पहुँचते ही उनका दोहा पूर्ण हो जाता है:-
आनन फ़ानन पटल पै,
डारे दोहा पाँच ।
*सरकौ बब्बा माँय खों ,*
*तनक खोल दो काँच ।।*
😃
आज श्री संजय श्रीवास्तव जी ने अपने एक दोहे में अपनी आकांक्षा प्रकट की:-
जीवन की आकांक्षा,
नदी, पेड़ बन जाऊँ।
निःस्वार्थ सेवा करूँ,
लहर-लहर लहराऊँ।।
आपने एक और दोहा रचा:-
पूरी हो आकांक्षा,
सपने पूरे *होंय*।
मेहनत से उत्थान हो,
खुशी मिले सुख *होंय*।।
परिमार्जन की आवश्यकता
====
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने कहा:-
आकांक्षा मेरी यही,
देश बने खुशहाल।
ग़द्दारों का नाश हो,
जन गण मालामाल।।
इच्छाओं की पूर्ती,
होतीं नहीं जनाब।
निबटाओ जो एक को,
दूजी रहती ख्वाब।।
========
श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी उवाच:-
आकांक्षा सीमित रखें,
श्रम से करें निदान।
निष्ठा,संकल्प, *लगन से*,
काम होय आसान।।
ऽ।ऽके स्थान पर ।ऽऽ
आकांक्षा पावन रहे,
जनहित के हों काज।
पूरन करे परमात्मा, जान लेय जो राज।।
=========
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी
ने रचे:-
आकांक्षा अनुरूप कुछ,
हुआ न कोई काम।
दादुर को दुःख कूप में,
उसका था जो नाम।।
आकांक्षा होती नहीं,
कभी पूर्ण संसार।
फिर भी उनसे ही करूं,
उनका ही व्यापार।।
======
श्री कल्याण दास साहू "पोषक" जी
कहते हैं:--
आकांक्षा का दायरा , विस्तृत और अनन्त ।
इसको कर पाते फतह , ग्यानी - ध्यानी सन्त ।।
हिन्दी दोहे में यदि दायरा और फतह न आते तो और भी अच्छा होता ।
सुख की इच्छा सब करें , दुख की करे न कोय ।
"पोषक" जो दुख की करे , दुखी कभी ना होय ।।
मैसेज- *दुख की इच्छा करें*।
कुछ मजा नहिं आया।
दुख की कामना क्यों ।
========
श्री राज गोस्वामी जी
ने लिखा:-
सब की इच्छा पूर्णतम,
काहू की ना होत ।
राखत नाही धीर वह जावत जीवन रोत ।।
कितना भी धन पास हो आकाक्षा रह जात ।
खतम न होती चाहना
मन की हबस न जात ।।
=======
श्री विनोद कुमार शुक्ल जी
ने रचे:-
आकांक्षायें जगत में, व्यापक और अनंत ।
पार न इनसे पा सके, सुधी गुणी औ संत।।
=====
श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी" जी
ने लिखे:--
सुरसा सी बढ़ती रही,
आकांक्षाएं आज।
दिल भी पागल हो गया,
मन में करती राज।।
आकांक्षाएं कम करें,
तभी सुखी रह पाय।
जो अपने बस में नहीं,
उसको छोड़त जाय।।
=====
श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी
आकांक्षा मेरी यही,
पूर्ण करें भगवान।
विश्व गुरू फिर से बने,
भारत देश महान।।
आकांक्षा अब है यही,
करूं काम निष्काम।
मन में सेवा भाव हो,
मुख पर हो हरि नाम।।
========
डॉ सुशील शर्मा जी ने रचा:-
मन आकांक्षा घोर हैं,
सब इनमें हैं लिप्त।
जो इन पर काबू करे,
वही मनुज निर्लिप्त।।
धन की इच्छा सब करें,
प्रभु की इच्छा त्याग।
जिसका मन प्रभु चरण में,
वही सत्य बड़भाग।
======
🌹डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जी ने
रचा:--
दान पुण्य पूजन भजन,
मंगलकारी कर्म।
दृढ़ इच्छा से सफल हों,
लौकिक मानव धर्म।।
=======
श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी
ने लिखा:--
आकाँछा से ना बचे,
राजा रंक फकीर ।
जो इस पर राखे विजय,
बने राम रघुवीर ।।
=======
श्री राम कुमार शुक्ल "राम"जी
ने लिखा:--
पर हित मन में सोच के,
करो काम मिल साथ।
इच्छा मन जो धारियो,
पूर्ण करें रघुनाथ।।
======
🌲श्री सियाराम सर जी ने लिखा:--
दृढ इच्छा से होत हैं , सफल सभी वे काम ।
जिनकी मन में ठान लो ,
देने को अंजाम ।।
=======
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी ने लिखा :- आकांक्षा सब पालते ,कुछ के होते पूर।
विधि के क्रूर मजाक से, उड़ते बन कर्पूर।
=======
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी
ने लिखे:-
आकांक्षा अपनी यही,
हंसता रहे संसार।
सहयोगी बनकर रहे,
हर मानव परिवार।।
🌟
जीवन में कोई कभी,
सब सुख ना पा पाय।
आकांक्षा सीमित अगर,
तो दुःख से बच जाय।।
=======
श्री एस आर सरल जी ने रचे:--
मन अनंत इच्छा भरी,
रहीं हवा में तैर।
मन पंछी सा उड रहा,
करने नभ की सैर।।
इच्छाएं बहु भाँति की,
होत कभी नहि अंत।
बस में रहीं न काहु के,
हारें सुर मुनि संंत।।
मन चंचल चित चोर है,
इच्छाओ की खान।
एक पूर्ती होत नहि,
दूजी लेत उफान।
=======
आकांक्षा पूरी नहीं हुई,मेरी आकांक्षा है कि पटल पर कोई एक ऐसा दोहा रचा जाय जो कालजयी हो ।
सभी को यथायोग्य प्रणाम ,वन्दन और नमन ।
समीक्षाकार:-के के पाठक ललितपुर
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95-डी पी शुक्ला, टीकमगढदिनांक-28.10.2020
समीक्षा/बुन्देली गद्य एवं पद्य रचना।
बुंदेलखंड के दई देवता । उर सुमरौ खेर बहेर ।।
नमन करौ बुंदेली कविवर।
साहित्यकारनें अपने मन कों फेर।।
जानत कछुअई नईं ।
करन चलो समीक्षा आज।।
जी ने जैसी रचना करी।
सो देखत सबै समाज।।
अपनौं चरित्र पटल पै ।
देखौ परखौ आज।।
बुद्धिमता के आंक कौ।
लिख रय जो है राज।।
प्रबल प्रमाण चाहत होंं।
तो सुनो आज चितलाय।।
जी ने जैसौ लिखो सो।
करत समीक्षा जाए।।
भूल चूक सुधारवे कौ।
कर रय हमईं प्रयास।।
ई में ना करो बुराई।
ना काहू को उपहास।।
मतिे आपनी लिखत हों।
सुन लो कविवर तुमै सुजान ।।
तनक समीक्षा सांसी लिखें सें।
लगैे तुम्हें अपनोई अनुमान।।
कविवर अपनी कलम लिखी ।
सो उऐ को है मैटनहार।।
सबने नोनी बुंदेली रची।
,,राना ,,पटल कों देख रय।
जुरे बुंदेली के तार ।।
सवई चतुर सुजन कविवर मिलत ।
करत रोजई मेल मिलाप।।
सुख दुखई में एक होत हैं।
कर करै एक दूजे को माप।।
तुम बुरईं न मानियौ ।
कजंत सांसी तनक के जाएं ।।
समीक्षा को मतलब होय सफल।
तबई समझ में आए।।
उम्दा लिखी सो जानिए।
सब्दन कौ कर मेल।।
सब्दन शब्द गढ़त रय।
लिखवौ नईंयाँ खेल।।
1- श्री ए.के.पटसारिया जी ,,नादान,,
नकुअन अफरे पटसारिया, निखरारी खाटन काटन पार।
नदिया रेता रै गई वर्षा की गई , वरसा की भै अदवार।।
गोचर कब्जा जिननें करो,वंध गई गैयाँ भूखी थान।।
और घोटालनं से जिऊ भरो, शो तान रये अपनी तान।
भौतई नौनी रचना करी बनके हैं नादान।।
2-- अनीता जी श्री वास्तव
खूब पढ़ा लो प्राइवेट में कोटा उर है पूना।अच्छे नम्बर न आँय कजँत तौ बन जैव आज भदूना।।
एसौ हतौ जमानो घर को काम दिखानें।
स्कूलन नै पढ़े पढ़ाई खेतन को काम करवाने।।
मताई पड़ी ना बिटियन तनक पढ़ाके देखो घर।
करो ब्याव सो ना पढ़ पाई,अच्छौ मिल गव तो वर।।
अब पढ़ावे कौमिल गव,खूबैं है ऐन ।
अबै बैन पढ़ै भैय्या पढ़ै ,अब नैं पर रव चैन।।
भौतै नौनी रचना रची गद्यन लिख के गाए।।
3-श्री किशन तिवारी जी ने लिख लेखनी पुरवैया की कर वात
पनघट की पनिहारी सिरई पै, गागर धरें दोपहरी जात ।।
पूसई की जब होतै रात सरदीली, जवई वा भौतै है सतात।।
तिवारी जी ने लिख बुंदेली ,नोनी नाग सी डसत पूस की रात।।
4--श्री राजीव राना लिधौरी
बुंदेली हायकु लिखे, राना लिधौरी जु ने तानी तान.।।
गुटका खाकें बिगरैे मुईयाँ। औरई जात जहान ।।
कय जो कोऊ है सांसी।उयै लगत है फांसी।।
नौने हाइकु कैे कैकें, साँसी कै गए करके हांसी।।
5-- कल्याण दास साहू 'पोषक_ पोषक जू ने लिखो ।
देश प्रदेशन मैं राजनीति ने धूम मचाई है।।
जिते देखो उतै पुलिस जवान डटे देत दिखाई है ।
पोषक जू ने धर्म वीच। मंदिर मस्जिद मैं देखी, राजनीति सी चतुराई है।।
कैसी नोनी लिखी लेखनी। पोषक जू तुमें भौतै भौत बधाई है।
6-- कृष्ण कुमार पाठक जू कहें ,
रिश्वत लेकर महल बना रय।
खा खा अपनों पिट्टा फुलारय।।
निगतन जी पै बनत नैयाँ।।
ओईखों भड़या बता रय। अपनी भड़याई कहत नैयाँ।।
पाठक जू ना करो बहाने। काय टीचर की बात फबत नैयाँ।।
7 -रामेश्वर प्रसाद गुप्त ने कुंडलियन में महंगाई है लिख डारी।
बहरी हो गई आन वान।
सरकार हो गई निखरारी।।
ईंदु कवि करें इशारौ।
कीकौ करौं सहारो।।
कुंडलिया लिखकें नोनी ,ना दिईयो तनक है टारौ।।
8 -श्रीजय हिंद सिंह जय हिंद ।
जय हिंद सिंह दाऊ ने लगवा दवो बुलउवा ,लुकी छिपी काए फिर रईं गोरी।। आ गई जा कौन समैया।।
पीहर से जावे कों ,मुरझाई कुमड़ा जैसौ हो जउवा।।
ऐसी नोनी लिखी आज तौ ,बधाई देवै आ रव नउवा।।
9-- श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जू ने लिखे बुंदेली मुंगेरी को हाल सुना दव।। मौं पै कै दो
जो काने होय ,लड़वे भिड़वेे कौं काय जगा दव।।
धीरज को धरवे के लाने ,तीरथ को काज बता दव।।
लिखन लिखी भौतै नौनी ,मानुष तन को काय लजादव।।
10 श्री गुलाब सिंह भाऊ चौकड़िया में भाव लिखत हैं ,
रजऊ कों कर के आगे ,।
लड़का बहू काम ना दैहें ,जे तुमाँय कय न जागें।।
ई कौ गरब न करियो ,ना चलने जे टोटका टोने ।।
चेतावनी मे सबरी कैे दई ,मानो तो ना पकरौ तुम कौने ।।
11 -डॉ देवदत्त द्विवेदी जु ने बुंदेली छंदन कैे दै अपनी बात
बात को बिगारवे की युक्ति नईं पंच की ।।
बुंदेली ना बुंदेली बात रैहै , सौ टंच की ।।
खूब लिखो छंद , बात नै रै गई अब दुबन्च की।।
12 डॉक्टर सुशील शर्मा जू ने बुंदेली कविता में लिख समझाव
तुम का कर रय,मोरे बलम हम जानत तुमाव बतकाव।।
रोटी भुन्सरा सें खाकें, सौतन को घर पै राखें ।खूब लिखी नौनी कविता, अब ना लगने पर है पाखें।।
13- श्री सियाराम अहिरवार सर ने , हायकु में लिख अपनों ढोल बजा रय।। कोउ न छाँटौ इतै उतै की, अपनी अपनी काये नैं बता रय।
शिक्षक बहुत महान देत रात ,नन्हे बूढ़े बारे में ज्ञान।।
ना चलाओ धांधली नोनी कै रय ,,अब नैं रये तुम नादान ।।
कोउ काउकी तनकउ ना बोलो ,जानै तनक चतुराई ।।
सवई के संगै सवई जैसी कैेकें करौ अपनी कविताई।।
14--श्री राज गोस्वामी जी कै रय,गोरेपन कौ काय करें गुमान।
राज देखतन गदगद हो रय,
देख गठे बदन की शान।।
जो कोऊ जौ देखत ऊके कढ़तै जातै प्रान।
नौनी सी लिख दै,लिखन मे।
बेऊ सकत है जान।।
15- श्री एस.आर.सरलजू कात उत्साही वन पाना मंजिल है।
तूफानों के सायों से टकराना ही कल है।।
उत्साही जीवन मे कंटक भी रूँद जायेंगें।
उत्तम लिखकर कहा, तभी हम संघर्षी कहलाऐंगे।।
16-- पी.डी.श्री वास्तव पियूष,,
पियूष की नजर देख सहम गई अँखियाँ।
कचनार कली सी कोमल देखत वे सखियाँ।।
बूँद बूँद यौवन कृष्ण कान्हा आन निहारे।
बहुत खूब पियूष जी, तुमनें जे पाँवड़े डारे।।
17-- श्री राम कुमार ,,राम,,
राम लिख रय तुममें, कछु बनत नैयाँ।
द्वारन द्वारन घूम घूम कें,टोरत फिरत पनैयाँ..
तनक करौ उपाय काम कौ।
बनें न रव लरकैयाँ,।
भौतै नौनी लिखी लेखिनी,तुमईं संग रये दिवैयाँ।।
18-- डी.पी.शुक्ल,, सरस,,
शुक्ल कात अपने मन की है वात।
हसत फैली गली गली जा मोय समझ नैं है आत।।
रिस्ते नाते छूटे गैल मे ।
रै गै वात पुरानी।
नौनी कव सो लरवे ठाँड़े
सो हो गै खत्म कहानी।।
-द्वारिका प्रसाद शुक्ल,, सरस,, टीकमगढ़ म.प्र.
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96-कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर
---श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 29.10.2020 दिन गुरुवार ' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत हिन्दी रचनाओं की समीक्षा :---
सर्वप्रथम पटल पर उपस्थित सभी काव्य-मनीषियों का बहुत-बहुत स्वागत वंदन अभिनंदन तथा स्वस्थ सानंद कामनाओं सहित बहुत-बहुत बधाई ।
आज बहुत ही सुंदर गीत के साथ आदरणीय श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी ने उपस्थिति दर्ज कराई ---
मिले फल कर्मों के अनुसार , करे रे काहे मन तकरार ।
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने मनुष्यों की मानवीय उदारता मैं कमी को चित्रित करते हुए रचना प्रस्तुत की --- स्कूल आते-जाते छेड़ते मनचले और खामोश भीड़ ....
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने किसान की पीडा़ एवं अभावों का सजीव चित्रण किया --- इक कथरी के चिथडे़ में सारा जीवन जी जाता है ।
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने व्यंगात्मक कुंडलिया --- परहित में जो लीन हैं वे हैं मूर्ख चंद ' की उम्दा प्रस्तुती दी ।
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने भी कुंडलियों के क्रम को आगे बढ़ाया बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति --- संतोषी जीवन सदा खोलें सुख के द्वार ' प्रस्तुत की ।
श्री डी.पी.शुक्ल सरस जी ने श्रमिकों की श्रम करने की प्रवृत्ति का चित्र प्रस्तुत किया --- परिश्रम की लिखते रहे इबादत, नीव की ईट बने रहे सदा ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने बेहतरीन सामयिक गजल प्रस्तुत की --- इंसान नेक दिल थे जो जाने किधर गए ।
श्री किशन तिवारी जी ने गजल प्रस्तुत करते हुए युद्ध की बिभीषिका का चित्र प्रस्तुत किया ---- इस जहां से जंग की कब रात काली जाएगी ।
श्री जयहिन्द सिंह जय हिंद जी ने बहुत ही सुंदर गीत की प्रस्तुति दी ---- ऐसा नया समाज बना दो जो दिल से होय उदार ।
आदरणीया अनीता श्रीवास्तव जी ने बहुत ही सुन्दर मुक्तक प्रस्तुत किया --- अनदेखे भी मीत हुए हैं ,
मान गई ' ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने बेहतरीन गजल प्रस्तुत की ---
कहने को तो यहां समंदर भरा हुआ मगर वो पानी नहीं जो पीना चाहता हूं ।
डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी ने बहुत ही बढ़िया मुक्तक प्रस्तुत किया ---- रास्ते में किसी का एक सौ का नोट पड़ा था ।
श्री शील चंद जैन साहब ने जननायक श्री राम जी के चरित्र पर रचना प्रस्तुत की ।
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी ने हायकू छन्द के द्वारा मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अभिव्यक्ति दी है --- जीवन नैया , पतवार संभाले , सच्चा खिबैया ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने रचनाकार को अमरत्व प्राप्त होता है --- जग में लिखने का रस बहता रहता है ' सुन्दर प्रस्तुती दी ।
आदरणीया अनीता गोस्वामी जी ने भावपूर्ण छन्दमुक्त रचना के द्वारा कविता की उत्पत्ति का चित्रण किया है ---- हृदय की वेदना को स्याही बनाकर अभिव्यक्ति की कलम में भरकर
कागज पर उकेरी जाती ।
श्री राज गोस्वामी जी ने मीठे हाइकु की प्रस्तुति दी --- रसमयता रखिए जीवन में रसगुल्ले सी ।
आदरणीया मीनू गुप्ता जी ने बेहतरीन रचना ---- मिटने वाला नाम नहीं मैं तब तक तुम रोकोगे ' प्रस्तुत की ।
श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी ने बहुत ही श्रृंगार परक दोहे प्रस्तुत किए ---- कनक कपोलों पर उड़ें काले कुंचित केश ।
श्री वीरेंद्र चंसोरिया जी ने देशभक्ति पूर्ण गीत की प्रस्तुती दी ----बढ़ती रहे हमेशा देश की आन वान औ शान ।
श्री एस.आर.सरल जी ने बहुत ही सुन्दर रचना ---- सपने साकार होने लगे थे , क्यों कि पिता मेरी ढाल थे और दुआ मेरी माँ की थी।
श्रीमती संध्या निगम जी ने भाव पूर्ण सुन्दर रचना प्रस्तुत की ---- आज दिल कुंवारा कुंवारा सा लगता क्यों है ।
इस प्रकार आज पटल पर बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाएं प्रस्तुत हुई सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत आभार
त्रुटियों के लिए समीक्षक क्षमा प्रार्थी है ।
--- कल्याण दास साहू पोषक
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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97-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*97-आज की समीक्षा* *दिनांक -30-10-2020*
*बिषय-सरद पूने कौ महत्व*
आज पटल पै बुंदेली पै * सरद पूनै कौ महत्व* बिषय पै आलेख लिखने हतो सो आज तो भोतइ कम जनन ने आलेख लिखे पै जितेक लिखे वे भौत नोने -नोने विचार लिखे। सबइ भइया अरु बेनन हरन खौ सरद पूनै की शुभकानाएं।
आज सबसे पैला *डी.पी.शुक्ला जू* ने लिखौ कै -सरद पूनै खौ कौमुदी व्रत सोऊ कैइ जात है। इ दिन चंदा में सौलह कलाये होत है। नक्षत्र चक्र ऊर्जा देत है।
*श्री गुलाब सिंह यादव "भाउ",लखोरा* ने अपे लेख में बताऔ कै इ दिना ही लक्ष्मी जू खौ समुद्र मंथन करके निकारो हतो सो आज इ के दिना लक्ष्मी जू कौ जनम मानो जात है।
*श्री कल्याण दास पोषक, पृथ्वीपुर* ने लिखौ कै सरद पूनै से हल्की-हल्की ठन्ड परन लगत है,आदमियन कौ स्वास्थ सइ होन लगत है। सरद पूने की खीर सीं मिठास आदमीयन के जीवन में घुलन लगत है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़* ने सरद पूनै की खीर कौ महत्व बताओ अरु सरद पूने के तीन मंत्र बताए जीसें लक्ष्मी जू अरु कुबेर जू खुस हो जात है अरु सौभाग्य को अशीष मिलत है।
*श्री सियाराम अहिरवार जू, टीकमगढ़* ने बताऔ कै इ दिना चंदा धरती के कछू ऐंगरे आ जात है अरु जीसें इमरत बरसत है। घर में छत पे धरी खीर में इमरत की बूंदें गिरत है।
*श्री जय हिन्द सिंह जी जयहिंद,पलेरा* ने लिखौ के इदना खोवा के छः लडुवा बनाय जात है अरु छः जागां पे बांटे जात है पैलै लडुवा मंदिर में चढ़ाव जाते।आज के दिना इन लडुवन खौ भौत महत्व होत है।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी, टीकमगढ़* लिखत है कै आज के दिना चंदा इतैक नोनो लगत है कै ऐसो लगत है कै उये देखतइ रय। खीर खौ छत पै धर कै उतइ संगीत होत रत है फिर खीर कौ परसाद बांटो जात है।
ई तरां से आज भलेइ कम जनन ने लिखों है पै नोनो लिखो है सबई लिखवे बारे जनवन अरु बाचवे बारन खौ भौत-भौत धन्यबाद। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
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*समीक्षक - राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*
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98-जय हिंद सिह जय हिंद पलेरा
सम्माननीय पाठक जी ने कालजयी लेखन हेतु सुझाव दव तो बौ भौत अच्छौ हतो।कालजयी लिखबे की कोशिश तौ करो चैये।कालजयी लेखन अपने आप हो जात अपुन खां खुद पतौ नयीं चलत ऊकौ लिखबे बारौ कोऊ शक्ति अवतार होत अपुन माध्यम रात।कबै की सें का लिख जाय जा उनयीं की कृपा होत,सो अपुन तौ लिखत चले जाव जो कालजयी होंने बो अपने आप होत चलो जैपर अपनी हिम्मत पूरी लगा दो।
अब आज की समीक्षा लिखबे सें पैला सबखों दंडवत।
1...श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जू
सबसें पैला इन्दु ने,सपने कर साकार।
इलाजी कौ बिश्वास ना,इलाज भयो ब्यापार।।
2...जयहिन्द सिंह जयहिन्द......
मैने पेड़न की महिमा बताई बे सब कष्ट सै केंआराम देत,उनमें भगवान कौ बास होत,बे सरल सुभाव हमें शुद्ध हवा देत,हमें भी बिरवा लगाकें पेड़ बनावे की को शिस करो चैये।आज कौ आदमी दानव बनकें उनै काट रय,उनसें अच्छौ ब्योहार नयीं करत।
भाषा आम है, बांकी आप सब जनें जानौं।
3...श्री राम कुमार शुक्ला जू....
श्री शुक्लाजू ने पेड़न खों जलदाता बताकें पेड़ लगाबे की शिफारिस करी।पेड़ परहित भूमि कटाव कीरोक दवाईं छाया सब देत सो हमें उनकी रक्षा करो चैये।
भाषा सुन्दर सटीक सरल है, सबयी दोहा अच्छे लगे।
श्री शुक्लाजू खों नमन।
4...श्री पं. डी.पी. शुक्लाजू सरस........
आदर्णीय शुक्लाजू ने सब दोहन मे पेड़ और मानव के संबंधन पै बल दव।दोहा भाव भरे हैं अगर पड़वे में ढाल बन जाय तौ दोहन को मुकाबलौ ना रय।जौ काम शु क्ला जी खां कठिन नैंयां।
श्री शुक्लाजू कौ चरण बंदन।
श्री अशोक कुमार पटसारिया जू..
आपने अपने दोहन में सब कै दयी।पेड़ परमार्थी सबके दाता हैं
पशु पक्षी मानव और देवता भी पेड़न की शरन लेत। हम उनै काट कें अच्छौ नयीं करत,अगर हम उनकी रक्षा करें तोपानी खूब बरसै और जमीन कौ कटाव बचै।
सब दोहा एक सेंएक हैंसबपड़बे में चिकनाई लँय धड़ाधड़ पड़त चले जाव।भाषा सरल सहज और सटीक है। आदरनीय पटसारिया जू कौ अभिनंदन।
6..श्रीगुलाब सिंह यादव जू भाऊ.
श्री भाऊ जू ने अपने दोहन में पेड़न खों धरती कौ सिंगार बताव,पेड़ पर स्वार्थी बताये ,खुद पथरा सैकैं फल देत,बर्षा करत,सुख देत,इनके रितु फलन सें जीव जन्तुवन कौ पालन होत,दबाई दैबै को काम करकेंखूब फूल फल देत।इनै काटबे बारे स्वर्ग के अधिकारी नैंया।
सबै दोहा पड़बे में सरल सटीक हैं
आदर्णीय भाऊ जू बधाई के पात्र हैं।सादर नमन।
7..श्री प्रभूदयाल श्रीवास्तव जू...
आपने अपने दोहों मे धार्मिक भावना की झाँकी देखने को मिली है।पवित्र पेड़ों को वरनन भौतयीं
चतुरायी सें करो गव।पीपर तुलसी
कदंब के बिरछन कौ उम्दा समायोजन करो गव।श्रीवास्तव जू ने बिषय सामग्री खोंधार्मिक सांचे में चतुराईसें डारो।पाँचों दोहे एक से एक हैं।आपकी शैली का उभार दरशनीय है।आपका कलम सहित अभिनंदन।
8..श्री एस.आर. सरल जू...
आपके दोहों में कयी संदेश छिपे हैं ।पेड़ कुदरती संपदाएवं छटा सुन्दर हवा एवं धरती की मुस्कान है।पेड़ संजीवनी एवं उपहार हैं, धरती के सिंगार हैं।पेड़ ना काट कर सूखा से बचबे कौ संदेशौ दव गव।
आपकी शैली सार भरी हैजीमें बेहदसरलता एवं चिकनाई भरी है।
कलमकार को नमन।
9..श्री संजय जैंन बेकाबू जी....
आपके दोहन मेंरोजमर्रा की बातों पर बल दव गव।पेड़न तरें सुस्ताबौ पंछियन कौ घर धरती कौ सिंगार लकड़ी फलों दवाइयों के दाता दोहन में बताय गय।पेड़न कीशाप सें सूखा पर सकत।
आपकी भाषा में लोच लालित्य भरो है।दोहे पड़ने में सरल सटीक भावमय हैं।रचनाकार कौ अभिनंदन।
10..श्री सियाराम अहिरवार जी..
आपके दोहों में पेड़न खों धरती कौ सिंगारबादर रोकबे बारौ सुगंधित हवा दैबै बारौ बताव गव।अगर पेड़ न कटते तौ हमें अच्छी सांस और खुशयाली मिलती।आज कल मौआ काटके अपने पालनहार कौ विनाश कर रय।पेड़न की सचगंध सब तरफ खु्शी फैला देत।
आपकी भाषा सरल सरस और लुभावनी है।दोहों मे ं अच्छे सँदेसे भरे हैं कलमकार का शत शत अभिनंदन।
11...श्रीकल्याण दास साहू पोषकजू
आपकै दोहे कस्वा और गांव में पेड़न की सुन्दरता कौ बरनन कर रय।सुख चैन सब पेड़न की दम सें है।हम पेड़ काट कें मुफत मेंहवा फल फूल दैवै वारन कौ नाश कर रय।पेड़न के बिना सबकौ जीवन नयीं चल सकत,पशु पक्षियन और आदमी की मस्ती खतम हो जैहै।
आपकज दोहे संदेश प्रधान हैं। भाषा लचीली सरल और सुबोध है।कलमकार को भौत भौत बधाई।
12..श्री कृष्ण कुमार पाठक जू...
श्री पाठक जू ने 2 दोहा डारे,जिनमें अंग्रेजी शब्दन कौ ऐसौ प्रयोग करो गव कै आनंद आ गव।पीपर बरगद आँवरी कै संगै
आँक्सीजन और कार्बन डाई आक्साइड कौ सुन्दर मिलान कऱ गव। श्री पाठक जू अद्भुत शैली के रचनाकार हैं ।आपको सादर नमन।
13...श्री पं.वीरेंद्र कुमार चंसौरिया जू.........
श्री चंसौरिया जू ने 3 दोहे पटल पै डारे जिनमें अच्छे सँदेसे डारे गय।
रूख काटकें अपनों नुकसान न करौ।एक पेड़ रोज लगाव।रूख कभँऊं ना काटो जाय,इनसें प्रानवायु मिलत और जे धरती के सिंगार हैं।
आपकी भाषा मोदमयी उपदेशक सरल और सुबोध है।पं. चंसौरिया कौ हार्दिक बधाइयां।सादर नमन।
आठ बजे तक डारदय ,
अपने दोहे पांच।
उनकी करी समीक्षा,
श्री मान लो बांच।।
अगर छूट जाबें कोऊ,
सज्जन करियौ माफ।
मोरे प्रति अपनौ हृदय,
सदा राखियौ साफ।।
अब मैं समीक्षा बंद करवे की आज्ञा आप सबयी जनन सें लेत।
सबयी जनन खों दोई हात जोर वंदन अभिनंदन।
समीक्षाकार......जयहिन्द सिंह जयहिन्द
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99-समीक्षक शालिगराम सरल, टीकमगढ़
जय बुन्देली साहित्य समूह
समीक्षा दिनांक 3/11/2020
दिन मंगलवार
समीक्षा
समीक्षक शालिगराम सरल
🙏विनय🙏आल्हा🙏
न अनुभवी कवि मैं कोई,
न विद्वान में गिनती मोर।
भूल चूक सब लियो समार,
विनती करूं दोउ कर जोर।।
निर्बल जान हसी ना करियो,
बिगड़ी लिइयो बात बनाय।
टूटे फूटे शब्द सजोकर,
मोइ समीक्षा देव लिखाय।।
बारम्बार सरल की विनती,
नव सिखिया रव कलम चलाय।
वन्दव बाबा भीम राव को,
जिनने कलम दई पकडाय।।
लिखू समीक्षा विद्वानों की,
मोरी कलम धन्य होइ जाय।
बन्दव गौतम बुद्ध तथागत,
दिइयों शब्द"ज्ञान बर्षाय।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🙏दोहामय🙏समीक्षा🙏
प्रथम गुप्त इंदु लिखें ,सेवा साधना योग।
खुशियां देते हैं सदा,जो शुभचिंतक लोग।।
लिखे आर के शुक्ल जी, अपने मन उद्गार।
पाप रहित करती सबै, गंगा मां की धार।।
अति उत्तम दोहा लिखे, नदियन महिमा गाय।
नदियां पावन नीर से,देतीं प्यास बुझाय।।
गजब लिखें जय हिन्द जी,नदियाँ निर्मल नीर।
देखें पुलकित होत मन,शीतल होत शरीर।।
अति उत्तम दोहा रचे, हिय कों दिया उजार।
वर्णन कर मल्लाह को, व्यक्त करें उद्गार।।
डी पी शुक्ला सरस जू, लिखे खनिज भंडार।
नदियां औषधि गुण लिए, खोलें मोक्ष द्वार।।
कत जीवन नद धार में,गोता रहो लगाय।
नदी किनारे सरस जू,मन को रय हर्षाय।।
लिख रय श्री पटसारिया, नदियों के उपकार।
हरित क्रांति स्त्रोत हैं, जीवन की गुलजार।।
नदिया जीवनदायिनी, होती ज्यो मल्लाह।
जलधारा से जीव का,करती हैं निर्वाह।।
सुशील शर्मा जी लिखे,नदियां हैं वेहाल।
रेत लुटी चिडियां मरीं,सूखे नदियाँ ताल।।
नदियाँ झुलसी सी बहै,होके पतली धार।
प्यासे पनघट खेत सब,करते दुख इजहार।।
एस आर श्री सरल जी,लिखै नदी बहु रूप।
कल कल बाढ़ निनाद से,हर्षहि हिये अनूप।।
गुलाब सिंह श्री भाउ ने, दोहे चार रचाय।
नदियाँ गंदे नीर से,प्रदुषित हो जाय।।
रैकवार जी लिख रहे,जीवन नदी प्रवाह।
इक तट दिखती पीर है, दूजे तट उत्साह।।
अति उत्तम दोहा लिखा, लिखा समय को नीर।
सुख दुख दो तट जानिके, नैकु न होउ अधीर।।
नद नारे जल राशि को,नदियां अपना लेत।
श्री पियूष जल राशि की, भेंट जलधि को देत।।
राना जी सुन्दर लिखै,नदी पुन्य के काम।
नदियां पावन धार से,गढ़ती शालिगराम।।
अगला दोहा लिख कहें,तट वासी धनवान।
नदियों पर सब आश्रित , जीव जन्तु इंशान।।
के के पाठक जी करें, कलयुग का उल्लेख।
नदी गाय उर बैल की,दीन दशा रय देख।।
लिख रय हैं गोवंश का,यंत्र छीन रय मान।
यंत्र तंत्र मजबूत से, नदियां गटर समान।।
श्री संजय श्रीवास्तव, लिखै नदी की खोज।
नियत लक्ष्य ले दौडती,देतीं नीर सरोज।।
मन में करुणा हो सदा, आंखों में हो नीर।
प्रेम सुधा रस धार से, हरो दीन की पीर।।
पोषक जी उत्तम लिखें, नदी जीव आधार।
जंगल में मंगल करें, नदियां बाढ़ै ड़ार।।
नदियां पहुँचत लक्ष्य तक,अपना सब खो देत।
नदियों की जल राशि को, समुद्र अपना लेत।।
सियाराम सर लिख रहे, नदियां हैं वरदान।
सुखमय जीवन जीव का, हरे-भरे मैदान।।
अजब गजब दोहा लिखै, लिखै तीरथन घाट।
जनता घाटन लुट रही,पंडन के हैं ठाट।।
🌹समीक्षक🌹एस आर सरल,टीकमगढ़
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100-समीक्षक/डी.पी.शुक्ल,, सरस,,
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़🌺🌺🌺🌺
🌹🌹बुन्देली रचना/पटल समीक्षा🌹🌹
दिनांक/04.11.2020
जिन बुन्देली में रचना रची।
भौतै नौनी है आज।।
बौद्धिक कविवर जनन कों।
बुन्देली नमन करत समाज।।
राना जू के पटल ने।
सीख सिखा दै धर धीर।।
कोरोना से काल गढ़त रय।
भई न तनकऊ पीर।।
लिखवे वारे जो लिखत रय।
ऊमें आऔ भौत निखार।।
भूल चूक सबई समारियौ।
कविवर सरस्वती के औतार।।
मैं मंदबुद्वि हो समीक्षा करौ।
जानत कछुअई नैं सार।।
बल बुद्धि में सबई प्रखर जन।
समुझत जइयौ निनवार।।
आज के पटल पै प्रबुद्ध कविवरौं ने उपस्थिति दर्ज कराकेंअपनी बुन्देली रचना प्रस्तुत करी है एक सें बढ़कें एक रचना में मन के भावौं के उदगारों को उकेरा है, जो सरस्वतीजी के वरद् पुत्रों को पटल ,,सम्मानीय ,,
धन्यवाद देत भव ।
आज के प्रथम बुन्देली कविवर बुन्देली साहित्य के पुरोधा
1-श्री अशोक पटसारिया जु ने लिखी उखीता में धर गए पउवा जिऐ पचारय।
सालन से सकल नैं दिखारय, आज लड़ैयन ब्याव मोरे घरै रचारय।।
नदिया रेता हमें नैं है मिल रई, गौचर सबरी बेई है चरगय।।
राजनीति की खूबऊँ खेंची डोर,घोटालन सें अपनों खलेता भर गय।।
भौतै नौनी रचना नकुअन सैं अफरगय।। धन्यवाद
2- श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी ने हायकु मे विचारन कों जगा दै।
कंजूस की कंजूसी अलफतिया है खातै।
भूखे पै धरे रात,मजहब धर्म है सारे।।
बाल ब्याव कबहुं न करियौ, गम्म खाँय मिटें अँधियारे।।
सपने कभऊँ नैं होत पूरे,ठलुअध के दिन रात बढ़त हैं घूरे।।
भौतै नौनी हायकु से, समझाइश दै गई।धन्यवाद
3- गुलाब भाऊ लखौरा की चौकड़ियन ने समाँ है बाँधो।
कार्तिक मैइना मे वृत कर,कान्हा कों सखी लगीँ रिझाने।।
भौतै सुहावनी चौकड़िया ।। बधाई।।
4-- श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त ,,इंदु,,
करवा चौथ पै सज कें ,नवल सुहागन नारि।
चंद्र देव चलनी लखै ,पिय मुख रही निहार।।
कालजयी बुंदेली कुन्डलियाँ भौतै नौनी ।।धन्यवाद।।
5-- श्री कृष्ण कुमार पाठक जू ने,विथा परे पै आउत लरका कामें।
फेरे के लाने पोंगा गवतो, भौतै कै दैती बातै ठामें।।
दुख की मारी माँईं ने कै,तुम भेज दैइयौ अपनी बाई।।
सामी सूदी कैसी कै रय,जा मोय समझ न आई।।
आज केलरकन कों समाजै औरै बोलचाल के लाने जौ बुंदेली ब्यंग्य भौतै नौनो लिखो गव।। बधाई।।
6- डी.पी.शुक्ल ,,सरस,,
मैंने लिखी जड़कारे में ,मयंक लगत है नोनों।
कपकपात अँगीठी है धात, पैरत उन्ना पकरकें है कौनों।।
जड़कारे में नौनी लगै,सूरज सी है धूप।
सर्दी नाँक सेन टपकै,नैं सुनात कान होत अँध कूप।।
बुढ़ापे में ठंड से बचवौ जरूरी है एईसें जा बुन्देली रची गै।।
7-- जयहिंद सिंह जयहिंद जू ने बुन्देली सिंगार है लिख डारो।
वेला धरें तवेला, छोरी छमटत जाँय मँहकत गैलारौ।।
मुदरी है नगदार पुँगरिया,विछियाकड़तनमार छमाके।
पायलिया रौंना छमकें, वमकत छैला बाँके।।
भौतै नौनी बुन्देली सिंगार कौ वर्णन करो है।। बधाई।।
8- श्री कल्यान दास साहू जी ने गोरी को देखो पटिया पारें।
देख रै बेर बेर तक्ता में,वारन को निनवारें।।
माँथे पैचिलकत बूँदा ,सैःदुर सौ उलछारें।।।
गोरी देख मुस्काउत मुईंयाँ, पोषक देख रय अपने द्वारें।।
भौतै नौनी बुन्देली श्रंगार।।धन्यवाद।।
9- संजय जैन जी बुन्देली कुंडलिया में ,भाव निखारें।
पिता पेड़ की घाँईं,माता को नदिया रूप में आज निहारे।।
अमृत औषधि देत, सहत सारे संताप।
प्रदूषण मार कुल्हाड़ी की सहते करकें है माफ।।
भौतै सुन्दर औरै सटीक रचना ।।धन्यवाद।।
10- श्री नरेंद्र श्री वास्तव जी मीठी सी गुरयाई भरीं है बातें।
ऊँचौ होय चाय वौ कितनऊँ, कर्जै की जोरत फिर रव सौगातें।।
खूबैं दै रव चुपर चुपर कें, शक्कर की है घाँईं।
सूखी रोटी भली आपनी जिए कोउ करत नैं है नाँईं।।
सुन्दर और सटीक रचना।।धन्यवाद।।
11- श्री सियाराम अहिरवार जी ने चौकड़ियन मेंकरवा चौथ रचा दव।
अन्तस मन में सजा सेज, पलकन पलका आज बिछा दव।।
हाँथन मावदी लिख कें,डार दै सजनी पै डोर।
छन्नी हाँथन पकरा दै,खड़े होकेन अपने दोर।।
वाह भौत सुन्दर रचना कालजयी।।धन्यवाद।।
श्री अभिनंदन कुमार जू नौनी सी चाँदनी मे होव मोरे संग।
चाँद जैसी चाँदनी मे, फिर देखें मोरौ रंग।।
नारी कौ सौभाग्य करवा, चौथ सौ दीखै चाँद।।
गोयल जी पुलक रय, अपनेईं मन कों बाँध।।
कालजयी रचना गोयल जी।। भौतै बधाई।।
13- श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव जी ने कात्यायनी मां के गुण गाए।
प्रभु कृपा के लाने, रूच रूच भोग लगाए।
नीर क्षीर नैवेद्य नारियल, करकें है अर्पण।।
करें पूरी आस की फरियाद, कररय पूर्ण समर्पण।।
धन्य पियूष जी मां के चरणों में बंदन।. बहुत खूब।। धन्यवाद।।
डॉक्टर सुशील शर्मा जी मन तन की देखी ,बदलत पोषाक।।
कभऊँ हँसी कभऊँ तकरार,पालौ बदलत मानवता धर ताक।।
कितनी बेर छलत हौ,बनकें तुम छलिया।।
मोई छाती पै मूँग दरत, उर रोजऊँ है दलिया।।
राजनीति के चितेरन की बयंग में बुन्देली रचना भौतै नौनी।।धन्यवाद।।
15- श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी ने धर गोला पै दै घुमाकें।
जिऐ जितै चलावनें होय सो खूब चलाव हम जा पटरी न नाँकें।।
घर के घरघूलन से दिखारय जे गढ़का।
गिरें सो उठावे आ जैहै कौनऊँ लरका।।
बहुत सुन्दर ब्यंग्य कालजयी रचना।।धन्यवाद।।
समीक्षक-डी पी शुक्ला, टीकमगढ़
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101-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़* मोबाइल-9893520965
*101-आज की समीक्षा** *दिनांक -5-11-2020*
*समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी स्वतंत्र*
आज पटल पर हिंदी में स्वतंत्र लेखन था। आज पटल पर हिंदी में कविता, गीत, मुक्तक,क्षणिका और गद्य में समीक्षा, व्यंग्य पढ़ने को मिले विभिन्न बिषयों पर काव्य रसास्वादन किया साथियों ने बेहतरीन कलम चलायी सभी को बधाई।
आज सबसे पहले *श्री अभिनंदन गोइल जी इंदौर ने *बेतबा* (कवि-पद्मश्री श्री कैलाश मडबैया जी) पुस्तक की उमदा समीक्षा पोस्ट की। श्री गोइल जी इन दिनो कोरोनावायरस की चपेट में अब धीरे धीरे सामान्य हो रहे आपने फिर भी पटल को अपना समय दिया हम बेहद आभारी है।
*डी.पी.शुक्ला जू* ने *भरोसे का घर* में लिखा कि-
*अपनो ने अपना बनाया था जिसे...*
*डॉ सुशील शर्मा जी"* ने नवगीत *अखवारों सी पीड़ा मेरी कौन पढ़ेगा कौन सुनेगा..* बहुत बढ़िया गीत है।
*अनीता श्रीवास्तव जी ने *व्यंग्य- झींकेराम- वाह कार* कवियों के बारे में कुछ हद तक हकीकत बयां करता है। अच्छा व्यंग्य है।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* ने *कविता "जीवन सफल बनाले"* कविता में अपने मन के अंधियारे दूर करने को कह रहे है-
*इस मन के अंधकार में दीप जलाकर कर उजियारा*।
*श्री संजय श्रीवास्तव जी* ने बिना मात्रा की बेहतरीन कविता लिखी- *मन मत भटक,ठहर रह अचर....*
*श्री अशोक पटसारिया जी* लिखते है कि- *हम अपनी मस्ती में रहते..* अच्छी रचना है।
*श्री केके पाठक, ललितपुर जी* ने राम पर केंद्रित सुंदर गीत लिखा- *सबसे सुंदर सबसे न्यारा, जप लो राम राम..* उमदा गीत।
*श्री जय हिन्द सिंह जी जयहिंद* ने आर्थी और डोली की समानता को बहुत सुंदर चित्रण रचना में किया है।
*श्री किशन तिवारी जी* ,भोपाल ने ग़ज़ल पेश की- प्रश्न कर रहे है-
*लोग चुपचाप है सन्नाटा शहर में क्यूं है।...*
*डॉ राज गोस्वामी जी* दतिया ने अपने कद से हल्की रचना मात्र एक छोटी सी क्षणिका पेश की है वह भी हल्की फुल्की सी- मजा नहीं आया। आपने बहुत श्रेष्ठ साहित्य लिखा है पटल को आपसे काफी कुछ स्तरीय साहित्य चाहिए- आपने लिखा-
*बिस्कुट को कट्ट कट्ट करके खाने में मज़ा आता है..*
*श्री रामेश्वर गुप्ता इंदु* ,झांसी ने एक बहुत सुंदर मुक्तक *तमाशा* लिखा-
*गुजर जाती हे सारी उम्र इंदु ऐसे ही।*
*तमाशा देखने में कुछ तमाशा दिखाने में।।* बहुत खूब लिखा है।
*श्री कल्याण दास पोषक पृथ्वीपुर* ने करवा चौथ को श्रेष्ठ व्रत बताया-
*करवाचौथ व्रत नारी की श्रेष्ठ साधना है।*
*मीनू गुप्ता जी* टीकमगढ़ ने भेदभाव और जात-पात मिटाने की बात कही है-
*आओ सब मिलकर इस दिवाली में जात-पात का भेदभाव मिटाये*
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी* टीकमगढ़ ने बेहतरीन प्रेरणादायक गीत लिखते हैं-
*जिंदगी मुस्कान है, जिंदगी वरदान है...*
*श्री एस आर सरस जी* टीकमगढ़ ने उमदा चौकडिया लिखी-
*कर सोलउ श्रंगार नवेली,जा रइ हाट अकेली।*
*गैलन में छैला खरया रय,कोउ न संग सहेली।।*
*श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी कर्वी चित्रकूट* ने करूण रस में सुंदर रचना कही-
*आज बुढ़ापे में माता को ,दुख में इक क्षण देख न पाऊं।*
*हर पल उसका त्याग ही सोचूं...*
*श्री सियाराम अहिरवार जी टीकमगढ* ने जिंदगी पर केंद्रित ग़ज़ल कही-
*कौन जाने किस कदर ,बरपे कहर ये आज फिर ।*
*ढेर पर बारूद के अब ,सो गई है जिन्दगी ।*
*श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़* ने हमेशा की तरह एक बेहतरीन चौकड़िया पेश कि-श्रृंगार रस से भरी चौकडिया-
*मधुमय मदमाती मधुवाला,लोल कपोल रसाला।*
*मुख मयंक है मंजु मनोहर,नैनन छलकत हाला।*
इस प्रकार से आज पटल पर सभी ने अपनी बढ़िया प्रस्तुति दी है। सभी कलमकारों को बधाई एवं आभार।
कल से हम प्रत्येक शुक्रवार को एक नया स्तंभ *पुस्तक समीक्षा* शुरू कर रहे है आशा है आप सभी का इसी प्रकार से सहयोग व स्नेह मिलता रहेगा।
*जय हिन्द,जय बुंदेली*
*समीक्षक - राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़* मोबाइल-9893520965
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जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
102-सोमवार-9-11-2020
समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द
दोहों का बिषय...डांग।।जंगल।।
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आज की समीक्षा शुरू करबे सें पैलां सबरी विद्वान सभा खों दोई हाथ जोर कें राम राम।
आज कौ जो विषय डांग ऐसौ बिषय है कै ई पै भोत कछू लिखो जा सकत।आज पटल पै भोत सामग्री लिखी भी गयी।ईबिषय कौ बिश्लेषण अलग अलग चिन्तकन ने अलग अलग लिखौ ।
अबहम सब कौ सार अलग अलग बता रय।
1..श्री अरविन्द श्रीवास्तव जू.....
आपने तीन दोहा पटल पै डारे,दूसरौ दोहा अच्छौ लगो,बैसें सब दोहा अच्छे हैं।आपके दोहा भाव भरे सरल सुबोध हैं।आपके लेखन सहित आपकौ भौत भौत धन्यवाद।
2..श्रीसंजय श्रीवास्तव जू...
आपने अपने दोहन में पेड़ कटे सें सूका कौ बरनन भव।ई सें पानी की कमी परी।पेड़न की आपस में बातें कराके मानवीकरण करो गव।दोहा दूसरौ भौत अच्छौ लगो। आपकी भाषा मीठी चिकनी भाव भरी है। लेखक खों सादर प्रणाम।
3..जयहिन्द सिंह जयहिन्द....
डांग काटकें अपनी जांग यानी इज्ज़त उगारवे की बात करी गयी।जेऊ दोहा खुद खों अच्छौ लगौ।हरियाली नष्ट भयी जानवर परेशान हैं।पैलां जंगल में मंगल होत ते,अब उजाड़ हौ गय।।भाषा शैली आप सब जनें जानों।
4..श्री शील शास्त्री जू....
आपने दोहे नहीँ डाले।आपने शाकाहार पर वीडिओ डारो गव जो समीक्षा के दायरे सें बारें हैं।
5..श्री अभिनंदन कुमार गोयल जू
आपकौ दोहा क्र.4 भौत नौनौ लगो।बांकी सब दोहा भाव भरे हैं।
आपकी भाषा सरल सुन्दर है।
आपखौ ं भौत भौत आभार।
6.श्रीडी.पी.शुक्ला सरस जू...
आपके दोहन मे डांग ना भये सें बर्षा की कमी बताई गयींं।ओई पै नदियन कीसब रेत उठा लयी गई।डांगें मिटाकें बस्ती बन गयीं।बकरियन से डांगें मिटबे कौ बरनन करो गव।दोहा 3 भौत नौनौ लगो।भाषा मधुर भाव पूरण लालित्य सें भरी है।रचनाकार खों नमन।
7..श्रीएस.आर.सरल जू....
आपके दोहन मेंं दोअहा नं.2और 3भौत नौनौ लगो।
बादर सें डांग की दोस्ती सें पानी बरसतहै।समझदारी जा है कै डांग ना कटै।आपकी भाषा भावपूर्ण सरल सरस है।आदर्णीय सरल जू खों भौत 2 धन्यवाद।
8..श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जू.....।
आपने सिर्फ 2दोहा डारे जो सौ टंच हैं।डांग हमाय जीवन कौ आधार है,धरती कौ प्यार है।डांगें बरबाद हो गयींइनै बचानाहै।
पेड़ लगाना है,आपकी भाषा टंच बुन्देली है।आदर्णीय को बधाई।
9..श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ...
आपके दोहन में जंगल कैसें मिटे बताव गव,डांग सबयी शोभा है।
ईसें फल फूल छाया पक्षियन कौ बसेरौ मिलत रात।
आपकी भाषा मीठी सरल और सटीक है।आदर्णीय बधाई के पात्र सोऊ हैं।
10.श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू....
आपके दोहन मे डांग ने सबाल करे,जीवों का बिचरण,.बरनित है।डांग फल पत्ता लकड़ी नदी उपहार में देत।
श्री पटसारिया जू की भाषा धारा प्रवाह है।ंइनकी भाषा में चिकनाई मिठास एवं सरलता के दर्शन होत।
11.श्री राज गोस्वामी जू......
आपकौ दोहा नं.2भौत नौनौ लगो।आपने लिखो कै डांग मिटाकें शहर बस गये।आपने 3 दोहा डारे तीनो दोहे अच्छे हैं। भाषा की सुन्दरता देखत बनत।रचनाकार को नमन।
12.श्री द्विवेदी जू डा.देवदत्त...
आपने जो तीन दोहा पटल पै डारे तीनों टकसाल हैं।इनके दोहन में शुद्ध बुन्देली के दर्शन होत।
आपकी भाषा टकसाली है।जिसमें मिठास भरी है।आपके श्री चरणों में सादर नमन,वंदन अभिनंदन।
13.श्री राम कुमाल शुक्लाजू....
आपके दोहन मेंबरनन है कझ पैंलां डांग में जाबे में डर लगत तो।आज चार पेड़ लग रय और हजार पेड़ कट रय।जंगल कटबे पै चिंता करी गयी।आपने तीन दोहा डारे,भाषा सुन्दर और सरल है।श्री शुक्ला जू ख़ों बधाई।
14.श्रीसुशील शर्मा जू....
आपने 4 दोहा पटल पै डारे,जिनमें डांग कटबे रेत भरबे की चिंता जतायी गयी।जल जंगल माटी बैंच दयी गयी।डांग काटकें सड़कें बना दयी गयीं।गाय खों चरबे के साधन नयीं बचे।
आपकी भाषा सरल सरस बुन्देली है।श्री शर्मा जू खों दंडवत।
15.श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव जू..
आपने लिखो डांग में रोबे बारै सरल और नीरोग आदमी होत।डांग की दूबरी सकल कौ बरनन करो गव।जंगली जानवर बिला गय। आपकी भाषा जन जन की बुन्देली है। श्रीवास्तव जज खों भौत भौत धन्यवाद।
16.श्रीकल्याण दास साहू पोषक जू......
आपके दोहन मे डांग काटबे बारे गद्दार लोग हैं।डांग मिटबे सें कौं सूका कहूं बाढ कौ प्रकोप हैं।
जौलौ डांगैं रयी जीवधारी चैंन में रय जंगल में मंगल होत रव।अब प्रकृति नाराज है।
आपके दोहा सरल रसभरैमीठी धारा प्रवाह बुन्देली है।आपको सादर नमस्कार।
17.श्री सियाराम सर जू......
आपके दोहन मैं डांग कुदरत की दैंन है,जो सब संसाधन जुटा देत।जितै घने जंगल हैं उतै पानी खूब बरसत ।जंगल में मंगल कौ बरनन करो गव।
आदर्णीय की भाषा सजी सँवरी सटीक बुन्देली है। आपको सादर बधाई।
18.श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जू....
आपनै मात्र 2 दोहा डारे।आपने डांग काटबे खोंरोको।डांग सें जार जरेंटा काटकें बारी करे सें एक ना एक दिन खेत कौ उजार हो जैहै।
आपकी भाषाप्रवाहित बुन्देली है।
आपखों बारंबार नमन।
अब आठ बजे कौ समय होगव।जितने विद्वानन ने दोहा लिखे उन सबयी सरस्वती पुत्रन खों बारंबार नमन करत भये आज की समीक्षा पूरी भयी।अगर काऊ के दोहा छूट गय होंय तौ छमा करियौ।
जयहिन्द।
समीक्षाकार.... जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
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103-समीक्षक -वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
दोहा ( हिंदी )विषय-- हमसफर ( साथी )मंगलवार
---------------समीक्षा----------------
लिख रय पहली बार हम,विषय समीक्षा आज
अगर होय गल्ती कोई,मत होना नाराज
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पटल के सभी सम्मानीय सदस्यों को सादर प्रणाम
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पटल एडमिन एवं संयोजक द्वारा दिये गये विषय हमसफ़र (साथी)
विषय पर केंद्रित हिंदी दोहा पोस्ट करने की शुरुआत श्री अशोक पटसारिया " नादान " द्वारा की गई। उन्होंने अपने दोहों में आज कल परवाह करने बाले हमसफ़र की कमी बताते हुये परमात्मा को अपना हमसफ़र बनने के लिये अंतर्मन से प्रार्थना की ।
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इसके पश्चात श्री एस .आर . सरल जी ने दोहा पोस्ट किये और संदेश दिया कि जीवन के पथ पर हम सफर बांया हाथ होता है । वही सुख दुःख का साथी भी होता है ।
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श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी ने अपने दोहों में हमसफ़र के महत्व को प्रस्तुत किया । उनके दोहा बता रहे हैं कि बिना हमसफ़र के ज़िन्दगी जीना बेकार है क्योंकि जीवन के सफर में हमसफ़र का संग छाया के समान होता है ।
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पंडित श्री डी.पी. शुक्ला जी के दोहे बता रहे हैं कि बिना हमसफ़र के जीवन में न केवल अकेलापन बल्कि घुटन भी महसूस होती है ।
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पटल एडमिन श्री राजीव नामदेव * राना लिधौरी *जी के दोहे हम सभी को अवगत करा रहे हैं कि बिना हमसफ़र के जीवन नीरस सा रहता है । उनके दोहे यह भी बता रहे हैं कि हमसफ़र की नाराजगी असहनीय होती है ।
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बहिन अनिता श्रीवास्तव ने स्वरचित दोहों में हमसफ़र के सम्बन्ध में वर्तमान समय की हकीकत को बताया ।
कहाँ प्यार मनुहार है,कहाँ गया एतवार
तेरे मेरे बीच में,केवल लोकाचार
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डॉ. देवदत्त द्विवेदी जी के सभी दोहे शानदार लगे । हमसफ़र कैसा होना चाहिए , आपके दोहे कह रहे हैं ।
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श्री रामकुमार शुक्ल जी की लेखनी कह रही है कि सच्चा साथी वही है जो अबगुणों के बारे में बताता रहे अर्थात भटकने व बहकने न दे ।
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श्री अरबिंद श्रीवास्तव जी के तीनों दोहे बेहतरीन लगे । उन्होंने अपने दोहों में हमसफ़र की बिशेषताओं का उल्लेख किया । आपका * देह आत्मा हम सफर * दोहा मन को छू गया ।
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श्री संजय श्रीवास्तव जी मवई के दोहे हमसफ़र की बिशेषताओं से परिपूर्ण हैं । आपके दोहे बता रहे हैं कि हमसफ़र समर्पण भाव बाला होना चाहिए । इसके अलावा हमसफ़र प्रेम , विश्वास और त्याग की भावना से परिपूर्ण हो ।
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श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने शानदार दोहे लिखे । आप दोहों के माध्यम से बताना चाहते हैं कि यदि हंसमुख हमसफ़र मिल जाये तो जीवन का सफर सुहाना हो जाता है । श्री पोषक जी के अनुसार हमसफ़र चिंतनशील,सरल व सुशील होना चाहिए ।
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श्री अभिनन्दन गोयल जी के सभी दोहे बढ़िया प्रभाव छोड़ रहे हैं । आपके दोहों के अनुसार हमसफ़र के बिना हम अधूरे हैं । हमसफ़र से ही जीवन में पूर्णता लगती है ।
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श्री राज गोस्वामी जी दतिया के सभी दोहे मन पसंद रहे । आपके दोहे सच्चे हमसफ़र को परिभाषित कर रहे हैं । "दूरदर्शिता" हमसफ़र की प्रमुख बिशेषता है जो आपके दोहे में बताई गई है ।
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आखिरी दोहे पटल पर मेरे द्वारा पोस्ट किये गये जो कैसे हैं और क्या जानकारी दे रहे हैं , आप सभी सम्मानीय सदस्य पढ़ ही चुके होंगे ।
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अंत में , सभी के दोहे अच्छे और शानदार रहे । कुछ न कुछ संदेश, सीख व जानकारी दे रहे हैं ।
कोशिश की गई कि कोई भूल न हो , फिर भी भुलबश कोई भूल हो तो क्षमा कीजियेगा ।
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सादर प्रणाम सहित शुभ रात्रि
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समीक्षक -वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
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सभी सहभागियों का हार्दिक अभिनंदन व आभार
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104-समीक्षक डी.पी. शुक्ला,सरस, बुंदेलीस्वतंत्र विधा
स्वतंत्र लेखन समीक्षा आज दिन बुधवार/ दिनांक 11.11 .2020
समीक्षक डी.पी. शुक्ला ,,सरस,, आज की स्वतंत्र विधा के तारतम्य में कवियन और साहित्यकारन ने अपनी-अपनी रचनन में लिखें भावों में अनेकन रसन कों भरकें उकेरौ है। विलक्षण प्रतिभा के धनी सरस्वती के वरद पुत्रन की लिखी रचनन की मैं समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ल सरस अपनी मति के अनुसारै देखवे कौ प्रयास कर रव हौं। पटल पै आगमनैं करवे वारे महानु भावन को नमन कर भव एक सें बढ़कें एकै रचनन में प्रेरणास्पद बनी रवें , जेऊ समीक्षा करवे कौ महत्व सोउ जानैं परत। तबैं हम आत्मसात कर सकत। भूल होवे पै सहायता करो जरूरी होतै है जी के लाने मैं क्षमा प्रार्थी रहूंगा।
💐💐 धन्यवाद 💐💐
करन समीक्षा आज की, चाहत हौं मति अनुसार।। प्रेम सुहि्द सुंदर लगै।
मन केइ खोल किबार।।
मनुवाँ मन को मानकें।
मानत मन मंदिर माँझ ।। मनंई की मूरत मनईं में।
मनईं से होत सुबै उर साँझ।।
हाँथ जोर विनती करौ।
सिर कों रहौ झुकाय।। मानव मन में ईश के ।
रय हम हैं गुण गाए।।
1 - अनीता श्रीवास्तव जी टीकमगढ़ के द्वारा अपने बुंदेली गद्य लेखन में मच्छर के समान खून चूसने वाली राजनेतन को खून चूसवे की फटकार लगाई है, भौतै नौनी सीख दई गई, प्रेरणा स्रोत उत्तम गद्य रचना करी जो भौतै नोनी है।
🌹🌹धन्यवाद 🌹🌹
2. श्री ए .के .पटसारिया जु ने बुंदेली बतकाव मेंइ घोर कलकालै में फदालन कौ कामै बढ़तै जा रव औरे सबै एकै थैलिया के चट्टे बटटे सोऊ दिखा रये , की से का कैदें, मचो बिलोरा की दास्तां भौतै नोनी लिखी भौतै भौत बधाई 🌺🌺🌺
3 .डी.पी. शुक्ल सरस ने अपनी कविता करी जो बुंदेली में करी सी नैं लग रै एसौ लग रव कैे बिना पटल देखें डार दै होय, बादै मे आई खबर सो अब पछताए का होत है जब चिड़िया चुग गई खेत। ईसें पटल कों पढ़ सोऊ लेने चाहिए स्वार्थी इस संसार मेंई अहंकारी राजनीति की बात करी गई है फिर भी भाव उत्तम है आगे आप जाने ।
4- श्री राजीव नामदेव जी अध्यक्ष लेखक संघ टीकमगढ़ के द्वारा जिंदगी साकारई है ईके संबंधै में गजल लिख कें कलम सेंइ फितरती इंसान को राम-राम कैकें भौतै बड़ी फटकार लगाई है और बादन सेइँ मुकरबे में लगे रातई नौकरशाही से जा जिंदगी दुश्वार बताई है कृपया पटल पर अवश्य ध्यान दें गजल लिख करकें नसीहत दैवे के लानें भौतै भौत बधाई🌹🌹🌺🌺🌺👌🏽🙏🌷☂️🦜🌴
5 .डा0 अनीता गोस्वामी जी भोपाल ने सकारात्मक अभिव्यक्ति सी शक्ल से शीर्षक से लिखी गै रचना बिषय सेंइ मेल नैं खा रै थयान दैवे केइ जरूरत रात औरै दिन के बीच आई सियाह अंधेरे सुख-दुख की परछाई को देखने की लालचै ने उदासी के कहर से दूरै कर सुबह की लालिमा में खोया है और वही भाग्योदय का विकल्प भी बताया है उत्तम रचना हेतु उन्हें हार्दिक बधाई 🙏💐🌹🦜🌸🌸🧡🧡💐
6. श्री अभिनंदन गोयल जू को नव विचारन में लिखी रचना भौतै सुहावनी है बचपनैंऔरै बुढ़ापे को पतौ नैं पऱो कबै जौ बुढ़ापौ आ गव। जा चार दिनाँ की जिंदगानी में बहुत ही मनमानी करी एईसे बुढ़ापो जल्दी सोउ आ गव। चेतावनी भौतई नोनी लिखी 👌🏽💐🧡🌸🌹👏🌹🌹🌺🌺
🌹 सादर बधाई। 🌹
7- श्रीजय हिंद सिंह जय हिंद जू जोड़ बाँकी गुणा भाग सिंगार की भौतै नौनी रचना बाँकी नैयाँ एकऊ गुन, अपुन कों भौतै भौत
🌹🌺💐 बधाई/🙏🌴☂️🌷 साधुवाद🌷
8- श्री राज गोस्वामी जू दतिया उच्च चेतावनी दै,भौतै नौनी लगी।
तीन गुन लिख दय।
तीनऊँ हैं बड़े खास।।
समझाइश नौनी दै।
हती जो तुमरे पास।।हार्दिक बधाई🌹💐🌷🌷🌺👏🌸👌🏽🌺
9- श्री अरविंद कुमार श्री वास्तव जू भोपालचलरे मोरे मटका जू।
परै न कौनऊँ खटका जू।।
बैठ डुकरिया मटका मे।
नैं रव जिऊ खटका में।।
भौतै नौनी रचना के लाने सादर बधाई🙏🌺🌹🌹👌🏽🧡🌹🌷💐
10- डॉक्टर देव दत्त द्विवेदी जी ने लिखो
मैदा कैसी लोई।
ओंठ गुलाबी फूल से।
आँखन झूलत दोई।।
सिंगार कौ भौतै नौनो वर्णन सादर बधाई👏🌹🌷🌷🌺🌺👌🏽👌🏽
11. श्री एस.आर. सरलजू
ग्यारह तारीख उर मैईना ग्यारह।
ग्यारह नम्बर रचना लिखी।
सो तुमरौ सबै पौ बारह।।
चौकड़ियन मे
रिस्ते बताय काम परे पै मौ फेरत।
रिश्ते रै गय औई सें।
सबै दामन तकैं है हेरत।।
भौतै सुहावनी रचना के लानें धन्यवाद बधाई👌🏽🌺🌺🌷🌷🌹🌹💐👏🌸☂️🌴🌴
समीक्षक डी.पी.शुक्ल,,सरस,, टीकमगढ़ म.प्र.
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105-समीक्षक-कल्याण दास पोषक, पृथ्वीपुर
---- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 12.11.2020 दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिंदी गद्य एवं पद्य लेखन की समीक्षा :----
सर्वप्रथम सभी काव्य मनीषियों को साहित्यकारों को धनतेरस पावन पर्व की बहुत-बहुत मंगल कामनाएं ।
आज पटल पर सर्वप्रथम श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने बहुत ही रोचक कहानी प्रस्तुत की जिसमें अहिंसक से हिंसक बनना और गुरु आदेश से पुनः योगी बनना बताया गया ।
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने कविता क्या है को स्पष्ट करते हुए रचना प्रस्तुत की --- कविता शब्द नहीं शांति है कोलाहल से परे ध्यान है '
दाऊ श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जू ने बहुत ही सुंदर भजन प्रस्तुत किया ----
भवसागर से पार उतरने राम नाम सा पार नहीं "
आदरणीया मीनू गुप्ता जी ने बहुत ही मनभावन कविता प्रस्तुत की ----
एक दिया ऐसा भी हो जो भीतर एक प्रकाश करे "
वरिष्ठ कवि श्री देवदत्त द्विवेदी जी ने दोहों के माध्यम से धनतेरस पर्व की शुभकामनाएं दी हैं ---
धनतेरस ले आ गई खुशियों की बारात "
श्री शील चंद जैन शील जी ने बहुत ही सुंदर गीत की प्रस्तुति दी ---- पंछी बिन लगते हैं सूने शील तीज त्यौहार "
वरिष्ठ साहित्यकार श्री अभिनंदन गोइल जी ने छंद मुक्त बेहतरीन आध्यात्मिक रचना प्रस्तुत की ----
मैं हूं पंकज पंक को मैं छोड़ आया अब तृषा से मुक्त हूं मैं "
श्री डी.पी.शुक्ल सरस जी ने भाव प्रधान बहुत उम्दा कविता प्रस्तुत की ---- राह सीधी सरस की चुन निडर होकर चलना "
श्री वीरेंद्र चंसोरिया जी ने बहुत सुंदर पंक्तियां गीत रूप में प्रस्तुत कीं --- आई दिवाली है लाई खुशहाली है "
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने बहुत ही सुंदर व्यंग लेख प्रस्तुत किया ---- साहित्य जगत के वटवृक्ष " किस ढंग से साहित्य सेवा करते हैं इसी पर आपने तीखा व्यंग किया है ।
श्री सियाराम अहिरवार जी ने बहुत ही सुंदर बाल कविता प्रस्तुत की ----
दीपक बनकर रोशन करना , घर आंगन में खुशियां भरना "
श्री अशोक पसारिया नादान जी ने बहुत थी उम्दा कविता प्रस्तुत की ----
नहीं सहा जाता अब हमसे बाग उजाडे़ उसका माली "
श्री किशन तिवारी जी ने भाव प्रधान गजल प्रस्तुत की ---- जब कुछ जलता है भीतर , शब्द पिघलता है भीतर "
जनाब अनवर साहिल की अस्पष्ट प्रस्तुती को सादर नमन ।
श्री राम कुमार शुक्ल जीने बेहतरीन भाव प्रधान गजल की प्रस्तुति दी ---- जिंदगी जीते रहे ख्वाबों की तरह "
श्री राज गोस्वामी जी ने बहुत ही सुंदर भक्ति प्रद छन्द की प्रस्तुति दी --- राम पै भरोसो मोय दूसरे पै नाहि "
वरिष्ठ कवि श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी ने बहुत ही सुंदर अलंकारिक श्रृंगार रस से लबालब रचना प्रस्तुत की --- बे घन श्याम श्याम की वंशी कौ रस पियत दिखा रय "
श्री अरविंद श्रीवास्तव जी ने दोहों के माध्यम से मोबाइल की उपयोगिता को बताया है --- मोबाइल का आज है अहम मीडिया रोल "
श्री एस.आर.सरल जी जातिवाद को मिटाने पर बल दिया है --- जाति विहीन भारत अखंड हो "
इस तरह से सभी आदरणीय साहित्य मनीषियों ने बेहतरीन रचनाएं प्रस्तुत कर पटल को गरिमा प्रदान की है । सभी साहित्य मनीषियों का बहुत-बहुत अभिनंदन बहुत-बहुत आभार ।
त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
-- कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी
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106- जय हिन्द सिंह जी जय हिन्द पलेरा
।।सोमवारी समीक्षा।।बुन्देली दोहे 5।।बिषय...गैल।।रास्ता।।
........................................
।।आज की समीक्षा।।दिनाँक16.11.2020
आज की समीक्षा लिखबे सें पैंलां पटल के सबयी विद्वानन खा्ंहात जोर कें राम राम,दीवाली की भौत भौत शुभ कामनाएं।ई के बाद समीक्षा लिखबे की सबसें अनुमति लै रय।
दोहाःसमीक्षा इच्छा सबयी की,
लिख रय निपट गँवार।
गैल बता दो गैल की,
लिखें समीक्षा सार।।
तो लो अब आज की समीक्षा शुरू कर रये।
श्री अशोक पटसारिया नादान जू ने दिवारी पै दोहे पटल पै डारे जो आँन लाईन कवि गोष्ठी पै डारे गय ,इनकौ आज के बिषय सें संबंध नैंया।पर पटसारिया जू खों भौत भौत आभार।
1...जयहिन्द सिंह जयहिन्द.....
मोरे द्वारा डारे गय दोहन में गुजरियन की गैल श्री कृष्ण भगवान ने रोकी ई धरम मय प्रसंग खों लैकैं 5दोहा डारे गय,ईकी समीक्षा आप लोग जान सकत।आप मूल्यांकन करकें मोय आशीष देव।सबयी बिद्वानन खों नमन।
2...श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दुजी...........
आपने अपने दोहन मेंं गोपियन कौ कृष्ण कौ सहारौ लव ।गोपी की गैलन कौ आनंद बरसाव।आपकी भाषा लाजबाब है।आदरनीय कला के धनी हैं।
आपका सादर अभिनंदन।
3...श्री अशोक पटसारिया नादान जू..........
आपने अपने दोहन में नगरीकरण कौ बरनन करो।गांव गलियन सें देश कौ बनबौ बताव गव।दोहन की भाषा सरल सटीक है।आपनै गली पगडंडीऔर किशान कौ बरनन करो। आप भाषा के पंडित हैं ।आपकौ अभिनंदन।
4...श्री एस.आर.सरल जू.....
आपने अपने दोहन मे टेड़ी मेड़ी गलियन में रफ्तार कम होबे की बात कयी।सफाई गलियन की करबे पै बल दव।बुरयी गैल धरबे बारे रांट कैसै बैल जुतत,गैल में गंदी नालीं डारबे पै चिन्ता करी गयी। आपकी शैली मनोबिनोदी सरल है।आपकौ हार्दिक अभिनंदन।
5...डा. देवदत्त द्विवेदी जू.........
आपके दोहे आध्यात्मिक आनंद लैकैं आये।इन दोहन में मुहावरे और कहावतन कौ ऐसौ आनंद बरसाव गव कै आनंद आ गव।आप हर छंदन के कुशल कारीगर हैं।आपकी समीक्षा करबौ मोरे लाने टेड़ी खीर लगत काय कै जो नमूना बे पेश कर देत बौ बड़ौ अद्भुत रत।आपकी भाषा की कारीगरी अलग दिखात।आप अनूठी शैली के रचनाकार हैं।आपकी शैली अनाड़ी भी समझ सकत। महाराज श्री के चरणों में नमन।
6...श्रीकृष्ण कुमार पाठक जू....
आपने अपने दोहन मेंआज कल बनी इज्जत घरन पै करारौ व्यंग करो।सयी गैल गुरू की बताई मानी गयी।गैल मंजिल तक पौचाबे कौ साधन है।आपने 3 दोहे डारे,तीनों टकसाल बना दय।महाराज जू खों अभिनंदन बंदन।
7...श्री राजीव नामदेव रानाजू....
आपने मात्र 2दोहा डारे पै सांसे कैसे ढारे।एक दोहा उपदेश दैबैऔर दूसरौ दोहाहोरी कौ चित्र खेंचत चलो आव।आपकी भाषा ढलवां ढालदार मीठी है।
आपकौ सादर अभिवादन।
8...श्री राज गोस्वामी जू......
आपने पटल पै 3दोहा डारे जिनमें राधा जू की बातें कृष्ण जू सें करा दयीं।रोचक लीला गगरी में पूरी झील भर दयी।धार्मिक आख्यान सें तस्वीर उतार दयी।भाषा विनोद देखत बनत।सरल बुन्देली के सांचे कार हैं।सादर वंदन।
9...श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव जू पीयूष............
आपने अपने दोहन मे बृजधाम की गैल पकराकें गोपी कृष्ण की गैल कौ बरनन करो आनंद सोऊ आ गव।अंतिम 2 दोहा जीवनकी कला कौ बरनन करके उतारे।भाषा गुरीरी और टकसाली है।आपकी कोमल कलम भौत साजी लगी।आपको सौ सौ बेर बधाई।
10...श्री कल्याण दास साहू पोषक जू.........
आपने अपने दोहन में आदर्शवाद की बात कयी।काऊ की गैल मेंकांटे ना डारकें साफ राखबे की बात करी।गलत गैल चलबे बारे फैल हुयियें काऊ खों उल्टी गैल ना बताव। आपकी भाषा उपदेश दैबै बारी सरल बुन्देली है।
आपखों लुभावनी भाषा के संगै सौ सौ बेर परनाम।
11...श्री सियाराम अहिरवार जू..
आपने अपने दोहन में सचगम गैल चलबे की बात कयी।दोरन के बीच की गंदगी पै चिंता जतायी।गैल अनंत है।चौथे दोहा मेंबृजधाम पौंचाकेंआनंद करा दव।अंतिम दोहा नैतिक शिक्षा सें भर दव गव। आपकौ भाषाप्रवाहित है जैसे गोल होकें ढड़क रयी होय।
आदरनीय भैया को बेर बेर बधाई।
12...श्री अभिनंदन कुमार गोईल जू.......
आपके दोहन मेमंजिल खों अज्ञात बताकें सहारेखौ टेरबे की बात करी गयी।दूसरे दोहा में तिसना की दंड़ को बरनन करो गव।तिसना की चाल उल्टी बतायी गयी।उल्टी गैलैं काड़े सें बरबादी होत।हमेशा धारा की दिशा में चले सें मन कौ मीत मिल जाबे की बात करी गयी।गैल में हमसफर रखबे पै बल दव गव।
आपकी भाषा अपनत्व भरी लचकदार बुन्देली है।मालवा में निवास कज बाद भी निजी भाषा की मिठास में कौनौ कमी नैंयां।आदर्णीय को बारंबार नमन।
13...श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जू........
आपने आज पटल पै 2दोहा डारे।पैलै दोहा में जमाने की चिन्ता करी गयी।ई जमाने में आदमी सीधी गैल नयीं चलत सो लरका भी संग नयीं देत।दूसरे दोहा में ऐसी गैल चलबे की सला दयी गयी जी में अत्याचार छूट जांय।आपकी भाषा नैतिक आचरण पै बल जादा देत।आपकी भाषा शुद्ध खड़ी बुन्देली है जी में भाऊ ने खुद अपने रग रग में भाषा बसाई। आपकी भाषा जन जन सें जुरी भयी है।आपकी भाषा पै बुन्देली के महा कवि भजन लाल लोधी का प्रभाव है जीसें मिठास की कौनौ कमी नैयां।
आदरनीय भाऊ धरती सें जुड़ी बोली लिखबे में कौनौ कसर बांकी नयीं रन देत।
कलमकार श्री भाऊ कौ शत शत अभिनंदन।
14...श्री वीरेंद्र चंसौरिया जू......
आपने आज पटल पै तीन दोहा डारे।जिनमें हार की गैल कौ बरनन करो गव।हार खेत की गैल में बैठे मजदूर खों दूसरे गैलारन खों कड़बे की गझल दैबै चेताव गव।जबतक गैल की जानकारी ना ह़य तौलौ ऊपै कदम ना धरो जाय।तबयी सयी मंजिल मिल सकत।
आपकी भाषा निर्देश परक है बा जमीन सें जुड़ी जमीनी बोली है।
आपखाँ शत शत नमन।
15...उपसंहार.....
हमाय संगियन ने जो लिखबे की शैली अपनायी बा खुद के क्षेत्र की बोली गयी बोली है।हमाय बुन्दलखंड की बोली पै बुन्देलन की बोली कौ जादा असर है।बुन्देलन की बोली इतनी मिठस लँय रात कै अगर हम नाराजी में गारी भी दें तो ऊमें भी सम्मान दव जात।जैसें सारे जू,ससुर जू आदि।हमाय पटल के सब संगी अपने अपने क्षेत्र के कौशल कौ बखान करत।उनें ऊमें महारत हासिल है।हमरी अंतिम रचना 7.52पै डारी गयी अब आठ बजे तक इंतजार करकें कलम खों बंद करबे कौ आदेश मांगत।अगर धोके सें काऊ की रचना छूट गयी होय तौ मोय माफ करो जाय।
।।मौलिक एवम् स्वलिखित।।
समीक्षाकार....जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा,
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107- सियाराम जी अहिरवार, टीकमगढ़
🌷आज की समीक्षा 🌷
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ ।🐭🐭🐭
दिन -मंगलवार हिन्दी दोहा लेखन ।
विषय-सागर 💧💧दिनांक-17/11/2020
सागर से तात्यपर्य विशाल जल राशि यानि महासागर से है ।धरती का 71प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है ।इसी सागर विषय को लेकर पटल के सभी साहित्य मनीषियों ने सागर की उपमा ज्ञान ,जल राशि ,धन ,सागर सी गंभीरता ,विशालता,विस्तार ,सागर सी अथाह गहराई ,सागर से भाव ,विचारों को बिम्बित कर साहित्य सागर में गोता लगाते हुये विचारों के मोती चुन कलम के माध्यम से अभिव्यक्त किये ।जो बहुत ही श्रेष्ठ, मधुर और भावपूर्ण हैं ।
आज पटल पर सबसे पहले आदरणीय डी,पी ,शुक्ला जी ने अपने दोहे डाले जिसमें उन्होने जीवन को सागर की लहर के समान माना है ।
डाक्टर सुशील शर्माजी ने विषय से हटकर भाई दोज पर अपने दोहे लिखे जो ठीक बन पडे़ ।
श्री एस आर सरल जी के आज के सभी पाँचों दोहे श्रेष्ठ, सार्थक और भावपूर्ण रहे ।उन्होने करुणा के सागर तथागत बौद्ध को समर्पित दोहे लिखे जो बहुत ही सराहनीय हैं ।
श्री गुलाब सिंह भाऊ ने भी सुन्दर दोहों की रचना अपनी खडी़ बोली में की ।वे सागर से गहरे बनने की प्रेरणा अपने दोहों के माध्यम से दे रहे हैं ।
श्री जैन साहब ने एक पागल भिखारी शीर्षक से बहुत ही प्रेरक ,जीवन को नई दिशा प्रदान करने वाली कहानी लिखी जो बहुत ही संवेदनशील, करुणा से भरपूर है ।
मान्यवर ,गोइल जी ने सभी ज्ञान परक दोहे लिखते हुये सभी का अर्थ समझाया ।अर्थात मुझ अंतहीन महा सागर में संसार तो कल्पना मात्र है ।मैं तो शांत निराकार हूँ और इसी अवस्था में हमेशा स्थिर रहता हूँ ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने भी सारगर्भित दोहा लिखते हुये कहा है कि -सागर सी गहराई हो,तो मोती पा जाय
तेरे प्यार की चाह में ,दिन रैन न कट पाय ।।
श्रीमती अनीता श्रीवास्तव जी ने भी अपने दोहों के माध्यम से गागर में सागर भर दिया ।
श्री शील चन्द्र जैन शास्त्री जी ने भी अच्छे दोहे रचे ।जो प्रसंशनीय हैं ।
बुन्देली के श्रेष्ठ कवि आदरणीय डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ने भी लिखा कि-सागर तट की रेत पर ,लिखा राम का नाम ।
लहरों ने श्रीराम पद,छूकर किया प्रणाम ।बहुत ही सुन्दर रचना
श्री पोषक जी की बात ही निराली है ,जो मजे हुये खिलाड़ी हैं ,वे जो भी लिख रहे बहुत ही सुन्दर ,सार्थक ,भावपूर्ण लिख रहे है ।मुझे उनकी हर रचना पसंद पर कभी कभी ये आध्यात्म में ज्यादा डूब जाते हैं ,जिस पर मुझे टिप्पणी करना पड़ती है ।आज के सभी दोहे सारगर्भित हैं ।
आदरणीय पीयूष जी ,जो कि बुन्देली के श्रेष्ठ रचनाकार है ने भी बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे लिखे ।उन्होने प्रकृति में जो भी जल के अपादान है ,सब को समाहित करते हुये दोहे लिखे
मानसून औ मेघ को ,सागर संबल देत ।
तृषित धरा की तृप्ति में ,निभा भूमिका लेत ।।
श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु जी ने भी बहुत बढिया दोहा रचे ।जो कि पटल के श्रेष्ठ दोहाकार हैं ।ये पटल पर रोज सामयिक विषयों पर दोहा लिखकर डालते रहते हैं । इनकी कलम को सलाम
श्री जयहिन्द सिंह जू जयहिन्द ने अपनी भावपूर्ण चुटीली भाषा में बहुत ही सुन्दर दोहों की रचना की
सागर में नदियां मिली ,संगम हुआ अपार ।
समुद्र मंथन से हुआ ,लक्ष्मी का अवतार ।।
मैने भी निर्धारित विषय पर पाँच दोहे लिखे जो समीक्षा हेतु सभी को प्रेषित हैं ।धन्यवाद
आदरणीय पटसारिया जी को तो कोई भी विषय मिल जाय ,सब पर अपनी कलम बखूबी चलाते हैं ।और उसी विषय को परिभाषित करते हुए लिखते हैं ।आज भी आपने सभी सार्थक दोहे लिखे ।
सागर से सीखें सभी ,समरसता का भाव ।
जो भी आये शरण में ,उसको दें सदभाव ।।
श्री राज गोस्वामी जी ने भी बढिया भावपूर्ण दोहे लिखे ।
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी अपने दोहों उपदेश का भाव जागृत करते हुये लिखा कि -
काम भलाई के करो ,तो भव सागर पार ।
बार बार मिलता नहीं ,मानव तन उपहार ।।
श्री रामलाल द्विवेदी जी ने भी अपने तीन नीति परक दोहे लिखे जो सार्थक और सारगर्भित भी हैं
इस तरह से सभी रचनाकारों ने अपने श्रेष्ठ दोहे रचे जो सभी बधाई के पात्र हैं ।यदि समीक्षा के दौरान किसी का नाम छूट गया हो ,तो मैं क्षमा चाहूँगा ।
आज दूसरी खुशी इस बात की है कि हमारे पटल के सहयोगी कलाकार श्री संजय श्रीवास्तव के निर्देशन में चलने वाले पाहुना रंगमंच का उद्घाटन समारोह श्री गुणसागर सत्यार्थी ,विधायक श्री राकेश गिरी ,एवं पाहुना मंच के संयोजक श्री आलोक चतुर्वेदी जी के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ ।जिसमें हम सभी साहित्यकारों की उपस्थिति रही ।
धन्यवाद ।
समीक्षक-सियाराम अहिरवार टीकमगढ ।🙏🙏🙏
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108-डी.पी.शुक्ल,, सरस,, टीकमगढ़
🌹🌹जय बुंदेली🌹 साहित्य समूह टीकमगढ़ 🌹🌸🌸🌸
स्वतंत्र लेखन बुंदेलीदिनांक/ 18. 11.2020
🌸🌸आज दिनांक
18.11. 2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह के सभी पटल पर उपस्थित बुद्दजीवी साहित्यकारन,कविवरौं सवई जनन को राम राम पहुंचे।। बुंदेलखंडी में बुंदेली भागों में अपने अपने विचारन को लिखकें अपनी सार्थकता को उद्बोधन करके बुंदेली साहित्य में वृद्धि करके महान काम करो है ईके लाने सवई बधाई और साधुवाद के पात्र हैं ,एक से एकई रचना बुंदेली रचना करके गदगद कर दव पटल की शोभा बढ़ाउत भय सबै जनन कों
धन्यवाद देत भए समीक्षा करन चाउत है ।जौन ई प्रकार से है ।।
प्रथम पूज्य गणराज को दूजे पूजौं श्री गणेश ।
तीजे गोरा है पार्वती ,चौथे श्री राम हिरदेश ।।
बुंदेली बुंदेलखंड में रोज है बोली जात ।
अपने पन खों निरखत रहत ,भौतै हमें सुहात।।
जय बुंदेलखंड जय बुंदेली
1- श्री जय हिंद सिंह जयहिंदजू ने जम्मू कश्मीर को भारत की शान बताई है मेरा देश महान अत्याचार का होगा अंत ,टूट जाएगी चीन पाक की कमान। राष्ट्रहित की उत्तम रचना हार्दिक बधाई ।।
2- श्री कृष्ण कुमार पाठक जू ने जैसी करनी उसी भरनी, जिन गुरु कौ ना सम्मान करो। ऊनें न अपने पन कौ ना ध्यान करो ।।श्री पाठक जू ने भौतै नौनी क्षड़िकाँऐं लिखी हैं।। धन्यवाद के पात्र हैं बधाई ।।
3 - श्री पी.डी .श्रीवास्तव जी टीकमगढ़ ने चीरहरण में नौनी सिंगार की रचना को वर्णन करो परम रसीली गोपीयन कौ यौवन रस झलका के चितचोर की मन की बातें करी भौतै नौनी रचना हिरदे कों भेद गई ।बहुत-बहुत बधाई ।।
4- श्री पटसरिया यू नादान ने देश हित में अपनी रचना में पाक और चीन को चेतावनी देते बताई के ढाई किलो को मुक्का हन दो।
जिऐ जो कने होए सो कन दो ।।भौतै कालजई रचना करी।। हार्दिक बधाई
5 - डॉ देवदत्त द्विवेदी जी ने बुंदेली मुक्तक में रचना करी कै गरीबन कौ पेट काट काट के भोग प्रसाद चढ़ा रय, राजनीति की दशा को विगरत भव हालै
के दर्शन कराय जो वास्तविकता कोे उजागर करत भव नौनी
रचना धन्यवाद सादर बधाई ।।
6 - श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने रचना मे लिखो जा कैसी
गदबद़ दे रय, उब्टा के लगतन पकरौ डॉक्टर कौ कौरौ।।
और नई पीढ़ी को चेतावनी दै कैे आधर्रत्ता काय जगत रात भौतै नौनी रचना साधुवाद ।।
7 - डॉक्टर सुशील शर्मा जू ने कुंडलिया लिखकर बताओ है कैे काम तौ करने परहै कौनऊँ काम नैयाँ हाँसी ठट्टा ।भौतै है नाराज काकी और कक्का।।भौतै नौनी रचना सादर बधाई ।।
नंबर 8 - डी.पी .शुक्ला,, सरस,, ने लिखकर बताओ है क्या अपनन नें अपनौ बना के खूबैं ठगो है, छल करके अरमान में आग लगाई है मौकापरस्त बनके छल रय हैं।।रचना को आप समय आंकलन करो तो भौतै उत्तम रैहे धन्यवाद ।।
नंबर 9. श्री कल्याण दास साहू जी ने खुशहाली को दिवाली सौ दिन बताओ जिते किलकारी गूंजत उतै कबहुँ झोली खाली नैं रत। चमन की डाली डाली महकती है ,भारत मां की निराली शांन है बहुत ही सुंदर रचना हृदय से आभार धन्यवाद ।।
नंबर 10 श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने लघु कथा में विरछन को लगाकें फलत भव बगीचा सुहावनौ लगत और दो ही फूल जीवन को चार चांद लगा देत, काय के उनकी देखभाल कर तरक्की होत रात। भौतै नौनी कथा उम्दा। बधाई धन्यवाद
नंबर 11 -- श्री किशन तिवारी जो भोपाल ने कैसौ नोनौं गांव। जिओ
छोड़ शहर में आओ ।प्यासे पीवे पानी नैयाँं । पेड़ तरे की नैया वा छइयां।। गांव में नहीं पहुंची सड़क और है गैेल, कींचा में पढ़ रय लगाके मैल।।
बहुत ही अच्छे भाव धन्यवाद बधाई ।।
नंबर 12 -- श्री राम कुमार शुक्ल जी ने टेढ़ी खीर कथा लेखन करके अपने भावन को पटल पर उकेरौ है। कै कभै आधंरेऔर अपंग को ऐसे ना करो जाए उन्हें भी सफेद रंग में टेढ़ी खीर नगर ना दिखाई देवै ।उन्हें सहारा दे सकें दोनों बहुत सुंदर सीख दई राम जी धन्यवाद बधाई
नंबर 13 -- श्री गुलाब सिंह जी भाऊ ने बताई के बा पैले जैसी अब बातै नै रै गई खानपान आव भाव औरै ब्याव सबै हिरा गए। बहुत सुंदर चिंतन दार बरा की खबर करा दै और अगौनी सबै हिरा गई बुंदेली अच्छी रचना बहुत-बहुत बधाई भाऊ जी।।
14-- श्री सियाराम अहिरवार जू ने अपनी बुंदेली चौकड़िया के माध्यम सेई संग दय कौ आसरौ बताओ है। समय हतो जब पूछत ते अब कती की कीखों का बतावे बुरय वक्त पै कोऊ नैं पूछत,भौतै साँसी रचना के माध्यम से चेतावनी दै है । वे धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं।।
15-- श्री चंसौरिया जी ने अपनी वात चौकड़िया के माध्यम से चेतावनी दै है कै अबै चेत जाव नाँतर बक्त की मार सेईं न बचौ औरै बिना मौत न मरौ भौतै नौनी चेतावनी के लाने धन्यवाद बधाई🌹🌹
16-- श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश तीर्थ पंथी की समस्या को लेकर अपनी बघेली रचना लिखी है के हमारी भैंस एक हथी है जो जीवन को संग एक पंथ को मिलो है जो जीवन संगिनी के साथ ही कटत रतै है भौतै सुन्दर रचना हार्दिक धन्यवाद ।।
नंबर 17 -- श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त ,,इंदु ,जी ने जीवन को रंगमंच मानो है और सबै को कलाकार और सबै खों बेई बंसी वाले नाच नचा रय जा लीला उनैं के सहारे हैं रचना बहुत ही नोनी हार्दिक बधाई।।
18-- श्री सरल जू ने अपने दोहा के माध्यम सेंबताव कैजौ जीवन एक रंग मँच हैऔर सबै ईके पात्र हैं, आगें का होने सो कोऊ नैं जानत।।भौतै सुन्दर बधाई धन्यवाद।।
-डी.पी.शुक्ल,, सरस,, टीकमगढ़
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109-- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
----- श्री गणेशाय नमः ----
----- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 19.11.2020 दिन गुरुवार को जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिन्दी गद्य-पद्य लेखन की समीक्षा :----
सर्वप्रथम आदरणीय सभी साहित्य मनीषियों का बहुत-बहुत अभिनंदन बहुत-बहुत स्वागत । हिंदी में लेखन की बहुत-बहुत बधाई ।
आज आदरणीय श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने बेहतरीन रचना से बहुत ही सुंदर आगाज किया-
कलम है वरदान मां का ,मैं कलम का हूँ सिपाही "
परम आदरणीय डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी ने बहुत ही सुंदर दार्शनिक अंदाज में गजल को प्रस्तुत किया ---- प्यार को प्यार से देखो तो कम नहीं होता "
श्री किशन तिवारी जी ने गजल के क्रम को आगे बढ़ाते हुए सामयिक गजल निराले अंदाज में प्रस्तुत की ---- एक दिन तय है आपसे मिलना "
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने दोहों के माध्यम से राजनीति पर कलम चलाई है ---- राजनीति के रंग में सब हो रहे बदरंग "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने --- हम हैं जे.एच.डी. तथाकथित साहित्यकार नाम के पहले डाॅ. लिखते हैं , जो पीएचडी नहीं है " बेहतरीन व्यंग लेख प्रस्तुत किया
श्री रविंद्र यादव जी ने मुक्तक पटल पर प्रस्तुत किया --- उन्हें देखकर लगता हमारे गम ही अच्छे हैं "
आदरणीया अनीता श्रीवास्तव जी ने बहुत ही सुंदर बाल कविता प्रस्तुत की ---- एक हमारी गलफुल्लो "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने बेहतरीन रचना ---- सत्य की जीत सदा होती अपना धर्म कभी छोड़ना नहीं है " प्रस्तुत की ।
श्री सियाराम अहिरवार जी ने छंद मुक्त रचना के माध्यम से मां की ममता का बहुत ही सुंदर चित्रण किया ।
श्री अरविंद श्रीवास्तव जी ने बेटी की दिनचर्या का बहुत ही सुंदर शब्दों में चित्र प्रस्तुत किया ---- वह पढ़ती भी है और बढ़ती भी है "
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने दो कुंडलियां पटल पर प्रस्तुत की गुलाब पर लिखी पंक्तियां मन को छू गई --- कांटों में ही फूलता हरदम दिव्य गुलाब "
श्री राज गोस्वामी जी ने लेखन की महिमा का सुंदर ढंग से प्रस्तुतीकरण किया --- लेखनी में जान होती है , आन बान शान होती है "
दाऊ श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी ने रानी लक्ष्मी बाई के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए बहुत ही सुंदर गीत की प्रस्तुति दी ---- भारत की मरदानी नार , रण में जगजाहिर तलवार "
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने बहुत ही उम्दा छंद नारी महिमा को लेकर प्रस्तुत किया --- कब रूठ जाए और काहे पै मनानी है "
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने दो मुक्तकों के माध्यम से आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विचारों की प्रस्तुति दी ---- घडों के फूट जाने पर नहीं आकाश मरता है "
श्री एस.आर.सरल जी ने कलम कारों को चेताने वाली रचना प्रस्तुत की --- सरल क्रांति हुंकार भरो "
श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी ने रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि अर्पित की --- कृतज्ञ रहेगा तेरा भारत नयन अश्रु से याद किया "
श्री डी.पी.शुक्ल जी ने सम सामयिक बेहतरीन रचना --- अपने वादों से वे क्यों मुकरते चले गए " पटल पर प्रस्तुत की ।
इस तरह से सभी सम्माननीय साहित्य मनीषियों ने बेहतरीन रचनाएं पटल पर प्रस्तुत की सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई।
अपेक्षा है इसी तरह से पटल को गरिमा प्रदान करते रहें ।
अंत में सभी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए मैं समीक्षा को यहीं विराम देता हूं ।त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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110जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा
।।सोमवारी समीक्षा।बिषय...भुन्सारे, भुकाभुकें, भुन्सरां
समीक्षाकार- जयहिन्द सिंह जयहिन्द,दिनाँक.23-11-2020
समीक्षापेश करबे सें पैलां पटल के सबयी विद्वानन खों हाथ जोर कें राम राम।आज कौबिषय ऐसौ नौनौ है कै बुन्देली के श ब्दन में उजयारौ होत।ऐसे ऐसै शब्द बुनदेली में हैं जिनसें अपने आप अर्थ निकरन लगत।आज पटल के साथियन ने बिषय सें संबंधित भौतयी नौनै दोहा लिखे।अब सब की समीक्षापेश कर रय।
जयहिन्द सिंह जयहिन्द...
मैने अपने दोहों में तीन दोहे बृज के,एक योग पै आधारित एक स्वास्थ्य से संबंधित लिखो।
बांकी कैसै लिखे जा समीक्षा आप लोग कर सकत।सब संगियन खों नमन।
2...श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान....
आपने अपने दोहन में पैलै में हास्य की पुट मारी,बांकी दोहन में परिबेश और प्रकृति के शान्त बाताबरन की बात करी।
भाषा सरल औरशान्त है आप माहिर रचनाकार हैं।आदरनीय नादान जू खों सादर नमन।
3...श्री संजय श्रीवास्तव जू......
आपने अपने दोहन मेंनित्य कर्मन कौ बरनन करो।मुर्गा जब बोलत तब भोर कौ आभास होतन पंडित और मुल्ला अपने अपने धरमन की वंदना कौ बरनन करत ।आपके दोहा जन साधारन के समझ में आबे बारी है।भाषा नियंत्रण सटीक है दोहा अच्छे लगे।आदरनीय श्रीवास्तव जी को सादर बधाई।
4...श्री अभिनंदन कुमार गोईल जू.......
आपके दोहन में राधा श्याम खों आधार मानकें भोर कौ बरनन करो गव।सब दोहा राधे श्याम मय हैं।दोहन की भाषाप्रवाहित बुन्देली सरल मधुर धार्मिक आवरण में लपेट कें चतुराईसें बखानी गयी।
आदरनीय गोईल जू खोंनमन।
5...श्री धर्मेन्द्र कुमार पाठक जू.....
आपके सब दोहे किसानी,और नित्य नियम ,व्यायाम पै अवलंबित हैं,आपके दोहा पटल पै पैली बार आये पर ऐसो नयीं लगो कै पटल पै पैली बेर डारे होंय।लगत है कै भैया पाठक जू की साहित्य में अच्छी पकर है।
आपकी भाषा सरल मीठी ग्रामीण अंचल की शोभा बिखेरत भयी है।
आदरनीय पाठक जू खों हार्दिक बधाई।
6...डा. देवदत्त द्विवेदी जू...
आपनै जो दोहा लिखे बे घाघ और भड्डरी की कहावतन घांईं लिखे गय।हमें तो द्विवेदी जू ऐसें लगे जैसे घाघ और भड्डरी कौ फिरसें औतार हो गव होय।
आपकी भाषा बड़ी पेंनी,बुन्देली के गर्भ की भाषा है।आज की बोली कहावती बन परी।
परम पूज्य के चरण कमलन में सादर बंदन।
7...श्री राज गोस्वामी जू ......
आपने पटल पै आज 3 दोहे डारे।आपके तीनौ दोहन में अनुभव की कहानी झलक दिखा रयी।मोर भोर और जाड़े कौ बरनन बिखेरौ जो भौत सुंदर लगो।
आपकी भाषा उच्च स्तर कीहै जो मिठास लँय भयी है।
आदरनीय गोस्वामी जी खों दंडवत।
8...श्री कल्याण दास साहू पोषक जू......
आपके दोहन मे राम नाम लैबै सें सब काम बनबे की शिक्षा दयी गई।भोर सें घूमबे की ,व्यायाम, कौ महत्त बताव गव।भोर से उठे सें दिन भर दुरुस्त रत।जो भोर की हवा खात बे छिकरा से कूंदत।
आपकी भाषा में ग्रामीण संस्कृति के दर्शन होत।मिठास और शुद्धता के दरशन खूब होत।
आदरनीय पोषक जू कौ हार्दिक अभिनंदन।
9...श्री एस.आर.सरल जू......
आपने जो दोहा लिखे उनमें 2 दोहे किसान की जीवनी के दरशन करा रय।तीसरौ दोहा ब्यायाम कसरत योग पै आधारित है।शैष 2 दोहे प्रेमी जुगल जोड़ी कौ बरनन करत भय देखे गय।
आपकी भाषा चिकनी सरल सुबोध मीठी बुन्देली है।
आदरनीय कौ वंदन अभिनंदन।
10..श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू......
आपने आज तीन दोहे लिखे, पैलो दोहा भोर के अपसगुन,दूसरौअपनी चाय पैऔर तीसरौ घुमायी कौ बरनन कर कर रव।भाषा मेंचतुराई सें अपनी बात कै दयी गयी। आपकी भाषा सरल और मधुर है ।
आदरनीय कौ वंदन अभिनंदन।
11..बहिन अनीता श्रीवास्तव जू.....
आपने पूरे पांच दोहा डारे।पैले में जन जागृति, दूसरे में मन कौ अंधकार, तीजे में हँसी और उदासी न रखबे की बात करी।चौथे में भोर के सन्नाटे कौ,पाँचमे दोहा में पक्षी और बछड़े कौ बरनन करो।
भाषा मेंमधुरता बिलक्षणता,आनंद के दर्शन होत।पूज्य बहिन का चरण बंदन।
12..श्री सियाराम अहिरवार.....
आपके पांच दोहे डारे गय।पैलै में भोर कौ,दूसरे में भोर सें घूमबे कौकसरत कलेवा कौ ,तीसरे में किसान और ऊकी मेंनत,चौथे में मुर्गा कौवा कौभोर सें बोलवे कौ बरनन करो गव।अंतिम दोहा में चिरैयन और पिसनारी कौ बरनन करो,जो बुन्देली संस्कृति की असली पहचान है।
आपकी भाषा मधुर सटीक बुन्देली हैजी में समाज कौ दरपन झलकत।अहिरवार जू खों शत शत अभिनंदन।
13..श्री डी.पी.शुक्ला सरस जू...
आपने मात्र 4 दोहे लिखे।आपके पैलै दोहा में भुंसरा कौ तरा देखकें गोसली और दूध खाबै कौ बरनन भव।जो भोर सें घूंमें उने रक्त चाप और शर्करा नयीं हो सकत।तीसरे दोहा में नैतिक शिक्षा और अंत में भोर कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सरल बुन्देली है।आनंदमयी प्रयोग करबे के लाने महाराज श्री खौ शत शत नमन।
14..श्री राम कुमार शुक्ला जू....
आपने आज मात्र एक दोहा लिखो,जीमें भुंसरा सें गनेश जू और अन्य देवी देवतन के सुमरन की चर्चा करी गयी।सुमरन सें सब कलेश कटत।आपकी भाषा मोदमयी है।आपका शत शत अभिनंदन।
आज की दोहन की ओसरी मे समयवधि में चौदा विद्वानन ने भाग लव।आज मोरी व्यस्तता इतनी रयी कै समय सें समीक्षा नयीं लिख पाय जीसें सबसें क्षमा मांग रय।अपनौ जान कें सब जने माफ करे,फिर सैं लाख लाख अभिनंदन।कलम खों विराम की अनुमति सहित
आपकौ समीक्षक....जयहिन्द सिंह जयहिन्द
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111-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़,हिंदी डर-24-11-20
🐋जय बुन्देली साहित्य🐋🐋 समूह टीकमगढ 🐋
🐭आज की समीक्षा🐭🐓दिन-मंगलवार🐓
दिनांक-24/11/2020🦄विधा-दोहा (हिन्दी )🦄
🌹विषय-भय (डर)🌹
सम्मानीय ,साथियो सभी को मेरा प्रणाम ।
हर व्यक्ति अलग अलग तरीके से डर (भय)का अनुभव करता है ।अप्रिय होने की भावना से ,खतरे की भावना से या वास्तविक डर की भावना से ।डर जीवन में होने वाली कई घटनाओं से जन्म लेता है ।हम घृणा को शत्रु मानते हैं ,लेकिन वास्तव में घृणा नहीं बल्कि डर हमारा शत्रु है ।
आज सभी रचनाकारों ने इसी भय शब्द को लेकर अपने दोहे रचे जो बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित हैं ।
आज सबसे पहले आदरणीय गोइल जी ने अपने दोहे भावार्थ सहित पटल पर भेजे जो बहुत ही श्रेष्ठ और सार्थक दोहे हैं ।ये दोहे उनकी स्वयं की कृति अष्टावक्र गीता -संस्कृत सूत्रों का सरस भावानुवाद से उद्धृत किये गये हैं
आदरणीय अशोक पटसारिया जी नादान ने अपने भावपूर्ण दोहों के माध्यम से चेताया है कि बुरे कर्म करने से हमेशा डरो ,क्योंकि तुम्हारे कृत्त को कोई न कोई जरूर देख रहा है ।
श्री संजय श्रीवास्तव ने बहुत ही सारगर्भित दोहे गढे ।
मन में बैठे डर सदा ,पग पग हमें डराय ।
डर कर जीवित आदमी ,जीते जी मर जाय ।
बहुत ही भावपूर्ण दोहा है आपकी रचना धर्मिता को बधाई ।
मैने भी अपने पाँच दोहे विषयानुसार रचे ,जो आप सभी की समीक्षा हेतु पटल पर प्रेषित हैं
श्री एस आर सरल जी ने बहुत ही अलंकृत दोहे रचे ।जिसमें पहले दोहे में अनुप्रास अलंकार की छटा पूर्णतः बिखेर दी ।
आदरणीय जयहिंद सिंह जयहिन्द ने आध्यात्मिक दोहों के माध्यम से भावनात्मक शैली में नँदलाल का भय बताया है ।आपके सभी दोहे सार्थक है ।आपने दो बार पटल पर दोहे डाले पर दोनों बार भाव अलग अलग हैं ,पर विषय एक ही है ।
डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ने बहुत ही नीतिपरक दोहे रचे ।जो सही और सामयिक भी हैं ।
चौराहों पर भी यहाँ ,इज्जत लुटती आज ।
मरघट जैसी बस्तियां,बुजदिल डरा समाज ।
इस दोहे में बहुत कुछ कह दिया आपने ।बधाई
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने बहुत ही मधुर ,भावपूर्ण दोहे लिखे ।जिनमें वे लिख रहे कि जिसे भगवान ,मात पिता ,गुरू,खानदान ,कानून का डर रहता है वह मान ,पान सम्मान और सुख बिना प्रयास के ही पा लेता है ।श्रेष्ठ समेकन के लिए धन्यवाद ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने डरे हुए दोहे शीर्षक से तीन दोहे लिखे जो नीतिगत और सार्थक हैं ।
श्री राज गोस्वामी जी दतिया ने लिखा कि डर बीबी का है जिने ,यस्सर यस्सर कात ,पाई पाई के लिये ,कूकर से घिघयात ।
उम्र के हिसाब से अच्छा पूर्ण अनुभव युक्त दोहा रचा ।बधाई ।
अन्त में श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने अपने एक मात्र दोहे से पटल की इति श्री कर दी ।
सभी साहित्यकारों को पुनः नमन एवं बधाई ।
🌷🌷🌹🌷🌷
समीक्षक-सियाराम अहिरवार टीकमगढ 🙏🙏🙏
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112- राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़
दिनांक-25-11-2020 बुंदेली स्वतंत्र
*112-आज की समीक्षा** *दिनांक -25-11-2020*
*समीक्षक- राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*
*बिषय-बुंदेली स्वतंत्र*
सबसे़ पैला पटल के सब ई साथियन खां *देव उठानी ग्यारस और संत नामदेव जंयती* पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां।
आज पटल पै बुंदेली में स्वतंत्र लेखन हतो। सो आज पटल पै बुंदेली में कविता,गीत,मुक्तक,क्षणिका और गद्य -व्यंग्य पढ़ने को मिले। बन्न -बन्न के बिषयन पै काव्य कौ रसास्वादन करौ। साथियन ने भौत नौनी कलम चलायी सबई कों बधाई।
आज सबसे पहले *श्री अशोक पटसारिया नादान जू* ने भौत नोनी ग़जल डारी-
नौनें नौनें बोलौ माते,बातन में रस घोलौ माते।।
चार दिना के लानें डेरा।अपनौ हिया थातौलो माते।।
*श्री राज गोस्वामी जू दतिया* ने पुरानी कानात कं कविता में डार के पनी बात कईं -
अंगुरी पकर पकरती कोचा,देती हमे खरोचा ।
सब करवे पै जौ जस पाऔ,कालइ दै गइ टोचा ।।
स्वलिखित नाटक *भोर तरैया* से लोक पारंपरिक धुन पर आधारित एक बुंदेली गीत।
*श्री संजय श्रीवास्तव जू*, मवई ने अबे कै हालात पै नौनौ व्यंग्य करौ है
दीन दुखियन को ठिया न ठौर
मुखिया भी भला-शासन भी भला।
चलो तो जान दो ढला-चला।।
*श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* जू कै युगल गीत की का कने-
लटका लयी कारी कारी लट कारी।
लैबै तें लटक लटक लटका री।।
आँगे अनारी है बृजनारी।
छेड़त जशोदा कौ ललना री।।
*श्री मातादीन यादव अनुपम जू* गयारस कौ महत्व लिख रय कै-
स्थाई -आई सबसे बड़ी ग्यास,लगाते साल भरे सै आस
देव देवन की पूजा होवे ,रत बावन को बास -आई।
देव सुदनी ग्यास कहाबै,सब मानत बिश्वास आई।।
*डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,जू* बड़ामलहरा सें नौनी ग़ज़ल मेंलिख रय-कै कलजुग के मौडा का कर रय है-सांसी लिख दई-
जिनकी आंखन मैं समुन्दर सौ भरौ पीरा कौ।
उनके अंसुवन सें नदी नारे से बहान लगे।।
कैसौ कलजुग कौ जमानों आगव अब तौ।
सरस बेटा मताई बाप खों गरयान लगे।।
*श्री कल्याण दास साहू "पोषक"*,जू पृथ्वीपुर सब ई कै सुखी रावे की मंगल कामना कर रय भौत नौनी सोस है लिखत है कै-
आवें ! दिनाँ सबइ के नीके , रावें ना मन फीके ।
मनत रबें त्योहार रोज ही ,दिया उजरबें घी के ।।
भरे रबें भण्डार कुठीला ,निरधन और धनी के ।
तन मन धन सें सुखी रबें सब ,नर-नारी बखरी के ।।
*श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* जू संत शिरोमणि नामदेव जी की 750वीं जयंती पर उने समर्पित रचना लिख रय-
देव उठानी ग्यारस हती,पंढरपुर है पावन धाम।
संत नामदेव जनम ल्यो,लय विट्ठल कौ नाम।।
भक्ति में इतैक सक्ति हती,घूम गऔ मंदिर कौ द्वार।
कुत्ता जब रोटी ले गयो, दौडे नामदेव जू महाराज।
घी की चुपरी खा लेऔ ,हे प्रभु महाराज।।
*श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव,गाडरवारा* से नौनी रचना लिखत है-.
हम पे सुई मोबाइल है उम्दा।
तनक हमरे घाईं हो तो लेओ।।
इत्ते ने मोबाइल में खोओ।
घींच उठा के देख तो लेओ।।
*अनीता श्रीवास्तव जू* टीकमगढ़ कौ व्यंग की का कने भौत नौनो लिखों है-
*अल्ले और बल्ले*
"आज तुलसी शालिक राम जू कौ ब्याव है l "उन्नै हमें नई बुलाव l "" बिना बुलाएं चले जाओ
*श्री एस आर सरल जू* टीकमगढ़ कौ कौड़े कौ बतकाव नौनो लगो-
सांझ भये कौड़े पै काकी,कक्का सै बतरा रइ।
कैसौ बज्ज जमानौ आ गव,मौडी देखन जा रइं।।
*श्री के के पाठक जू*, ललितपुर बुराई करवे बारन पै तीखों व्यंग्य करो है-
निन्दा रस में डूबो जा रओ जौ बब्बा ,
सब खों देखो बुरओ बता रओ जौ बब्बा।
जानें कैसें मिल गओ ई-खों पदम-सिरी ,
रोजइ कविता नई बना रओ जौ बब्बा ।।
*श्री सियाराम जू अहिरवार*, टीकमगढ नै भौत नौनी बुन्देली चौकड़िया लिखी-
यारो मेल जोल सें रानें ,सोंज में मौंज मनाने ।
मन की बात मनई में राखौ ,साँसी कभऊँ नइं कानें ।।
ई तरां से आज सबई जनन ने लिखों है। सबई लिखवे बारे जनवन अरु बाचवे बारन खौ भौत-भौत धन्यबाद। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
समीक्षक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)
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113 कल्याण दास साहू पोषक जी, पृथ्वीपुर
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 26.11.2020 दिन गुरुवार " जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ " के पटल पर प्रस्तुत ---' हिन्दी गद्य-पद्य लेखन की समीक्षा :----
" संविधान दिवस " की मंगलमयी कामनाओं सहित पटल से जुड़े आदरणीय कलम कारों की प्रतिष्ठा में चंद पंक्तियां निवेदित हैं।
सब की रचनाएं अति सुंदर ,
साहित्यकार धुरन्धर ।
गीत गजल मुक्तक कुण्डलियाँ ,
निज-निज विधा सिकंदर।
गागर रूपी कविताई में ,
भरवें ज्ञान-समंदर ।
भावपक्ष औ कलापक्ष की ,
झांकी मस्त कलंदर ।
अलंकार रस छंद शब्द-गुण ,
लय यति-गति मति अंदर।
"पोषक" भाषा शैली अद्भुत ,
काव्य-कार मन-मंदिर ।
आज पटल पर सर्वप्रथम श्री संजय श्रीवास्तव जी ने लोकमंगल की कामना करते हुए बहुत ही सुंदर गीत प्रस्तुत किया ---" मानव सेवा धर्म भला है, इसको ही अपनाना है "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने " सौ का नोट " नामक लघु कथा प्रस्तुत की जिसमें सारांशतः बताया गया है कि ' लालच बुरी बला है '
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने सात्विक प्रेम को स्पष्ट करते हुए बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत की ---- " ढाई आखर को जो समझे , नादां उसकी मिटे उदासी"
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी ने मुक्त छंद रचना के द्वारा आत्म संयम एवं आत्म संतोष को प्राप्त करने हेतु बल दिया ---" हे प्रभो ! दे ऐसी मुझे संवेदना "
आदरणीय दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जय हिंद जी ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत बेहतरीन गीत की प्रस्तुति दी --- " बने हम देश के सेवक , करें सेवा सदा मां की "
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने श्री कृष्ण की गोपियों के प्रति रास लीला को कुंडलियां के माध्यम से प्रस्तुत किया ----" चीर हरण कर कृष्ण जी , चढ़े कदम की डाल "
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने संविधान दिवस पर संविधान की विशेषताओं को बताने का बेहतरीन प्रयास किया है ---" मैं भारत का संविधान हूं , आओ मुझ को पहचानो "
श्री किशन तिवारी जी ने बहुत ही उम्दा गजल रचना प्रस्तुत की ---" मर गई संवेदना इंसान की "
डॉक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ने जनमानस को चेतावनी भरी रचना की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी ----" राम के हम पकड़ते चरण नित्य ही , आचरण एक भी क्यों पकड़ ना सके "
आदरणीया अनीता श्रीवास्तव जी ने बेहतरीन प्रगतिवादी रचना की प्रस्तुति दी --- " प्रातः के सूरज से मन में उजास भरें "
श्री राज गोस्वामी जी ने मनचलों की गलत हरकतों पर प्रकाश डालती रचना प्रस्तुत की ---" मंदिर में आते खूब शहर के मनचले "
श्री एस.आर. सरल जी ने सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय को स्पष्ट करते हुए बेहतरीन रचना प्रस्तुत की ---" हम इंसाफी मानवता की ले बहार को चलते हैं "
श्री सियाराम अहिरवार जी ने शरद ऋतु की उपस्थिति का बहुत ही सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया ---" वर्षा गई शरद ऋतु आई , ठंड का मौसम पड़ा दिखाई "
श्री वीरेंद्र चंसोरिया जी ने सूर्य देव भगवान की स्तुति प्रस्तुत की ---" अगर आसमां में सूरज ना होता ,हमारा तुम्हारा भी जीवन ना होता "
इस तरह से आज के पटल पर बेहतरीन हिंदी लेखन की प्रस्तुति हुई सभी साहित्य मनीषियों को बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत आभार ।
समीक्षा लेखन में त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
---- कल्याण दास साहू पोषक
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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114-जय हिं सिंह जय हिन्द, पलेरा
#सोमवारी समीक्षा-दिनाँक30.11.20
बुन्देली दोहे 5#बिषय...कतकारी
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हिन्दू धरम मे.साल भर त्योहार और वृत बने रात जिनकी अलग अलग परंपराएं और मनाने के ढंग हैं।एई क्रम में कार्तिक म़ेंकतकारियन कौ अलग महत्व है।कारतिक मैना में कतकारी एक माह वृत रखतीं और श्री कृष्ण की उपासना करतीं। आज कौबिषय इनी पै आधारित है।आज उनयीं पै आधारित बृज औरकतकारी
कौ बरनन दोहन मेकरो गव जीकी समीक्षापेश कर रय।
पैला पटल के सबयी भैयन ख़ों राम राम भगवती भारती कौ वंदन।
#1#श्री अशोक पटसारिया नादान जू...
आपने अपने दोहे कृष्ण रस मेंपाग कें लिखे।गोपियन की चाहत कौ बरनन,तुलसी के भाग्य कौ बरनन,पूने की पूजन में टटिया खोलबे कौ बरनन,लोल कुचैया खाबे कौ बरनन जादूगरी सें करो गव।
आपकी भाषा में लोच,कठिन प्रसंग खों सरलता सें सरकाबे कौकमाल आपकी भाषा में देखबे मिलत। पूज्य पटसारिया जू कौ वंदन अभिनंदन।
#2#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जू...
आपनै पटल पै दो दोहे लिखे।पैले दोहा मेंकृष्णखों गोपियन द्वारा ढूड़बे कौ बरनन करो गव।
दूसरे में बिरह बरनन करो गंव।
आपकी भाषा संयत है।लेखनी की कोमलता आपकी कला है।
आदरनीय राना जू कौ अभिनंदंन।
#3# जयहिन्द सिंह जयहिन्द... मैने पटल पै 5 दोहे रचे।पांचों कृष्ण और गोपियन खों आधार मानकें लिखेगय।मोरी समीक्षा पटल के सबयी जने करें तौ जादा साजौ रय।भाषा के बारे मे सबयी विद्वान लोग बता सकत।
#4#श्रीराज गोस्वामी जू...
आपने 5 दोहे रचे।जिनमेंकार्तिक की शुरुआत, तुलसी कार्तिकेय और सूर्य भगवान की पूजा,पोथी पंडित कौ बरनन,कतकारियन के बृम्हचर्य कौ बरनन,फलाहार कौ सटीक बरनन करो गव।
आपकी भाषा प्रवाहित हैतथा मथुर और रसमय है।
पूज्य गोस्वामी जू खों नमन।
#5#डा. देवदत्त द्विवेदीजी....
आपने अपने दोहन मेंगडुवा गांठ कौ,बृत करबे कौ,कृष्ण की कृपा कौ,गोपियन कौ बिरह जमना के घाट पैपूजा पाठ कौ बरनन करो गव।आपकी बिशेषता है कि आप हर बुन्देली परंपरा की रग रग तक पौचबे में दक्ष हैं। आपके दोहन में जादू जैसौ कमाल है।परम पूज्य को सादर नमन।
#6#श्रीकल्याण दास साहू पोषक जू........
आपने पांच दोहे डारे।घाटन घाटन कौ बरनन,बृत सें कृष्ण मिलन ,लौंड़ के कार्तिक कौ बरनन,भोर के स्नान पूजा पाठ,कंद मूल अहार कौ बरनन करो गव। आपकी भाषा सरल बुन्देली बुन्देलखंड के मध्य की भाषा हैः।
आदरनीय पोषक जू खों बधाई।
#7#श्री राम कुमार शुक्ला जू....
आपने पांच दोहे रचे,कतकारियन के भ्रमण,पांचय दिन कौ कृष्ण मिलन,पैलां दरशनफिर दान,श्याम दर्शन,और दान लीला बरनन करो गव।
आपकी भाषा मथुर रस युक्त धाराप्रवाह बुन्देली है।
श्री शुक्लाजू खों नमन।
#8#श्रीएस.आर.सरलजू....
आपने 5 दोहे पटल पै रचे,सबयी दोहे कृष्ण गोपी मय हैं।श्याम गोपियन कौ मनोहारी चित्रण हर दोहा सें झलकत।गोपी श्याम कौ आधार लैंकेंजादू चला दव गव।
भाषा चित्रण नाम अनुरूप सरलता सें करो गव।
श्री सरल जू कौ अभिनंदन।
#9#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जू......
आपने पटल पै तीन दोहे रचे,पर तीनौ दोहे टंच करकें डारे गय।कतकारीं भोर सें सपर कें मंगलगान करतीं,गोपियन के दिल में गिरधर कौ बास होत, स्नान करकें खूब दान करतीं।
आपकी भाषामें मिठास और प्रवाह है।आप जादूगर रचनाकार हैं।आदरनीय गोईल जू खों सादर प्रणाम।
,#10#श्री वीरेंद्र कुमार चंसौरिया जू...
आपनै अपने दौ टंच दोहन में कतकारियन की भौत नौनी परिभाषा डारी।भले दोहा दो हैं पर परिभाषित करबौ भौत बड़ी बात हैः।आपकी भाषा में अनुपय लोच है। भाष्य की मिठास देखत बनत।
पूज्यनीय कौ वंदन अभिनंदन।।
#11#श्री सियाराम सर जू...।
आपने अपने दोहन में सब की तरह कतकारियन के गुण धर्म कौ बरनन करो।आधार श्याम और कतकारीं रयीं। आपका इन्तजार देर तक रहा,आप पटल पर आ जांय तो मुझे शान्ति का अनुभव हो जात।
आपकी भाषा में समदर्शिता के दर्शन हो जात। रसभरी भाषा कौ लालित्य देखतन बनत।
सरजी आपको भौत भौत बधाई।
नमस्कार।
उपसंहार....
सबयी विद्वानन ने आज अपने दोहन में श्याम रंग में रँगी कतकारियन के चित्रण में कौनौ कसर नयीं रन दयी ।एक सें बढ़ केंएक बरनन कर डारे।मोय तौ जौ लगन लगो कैअब कौनौ बिषय होय ऊपै सबयी जनै भीतर घुस घुस कें लिखत ।अंत में कतकारियन पै एक कवित्त लिख कें गागर में सागर भर रय।
#कवित्त#
दोहन में रंग छाये,समझौ सब समझ आयै,कान्हा कौ रूप भाये कतकारीं कहाऊतीं।
श्याम रंग बारीं,रँग श्याम पै बलिहारी, फिरें मारी मारी,फिर कान्हा खौं पाउतीं।
भले झटक डारें,चाय गुलचा दै मारें,कयी रूप धारें,बृजनारीं सब भाउतीं।
कातक कतकारींसब होंय चतुर भारी,श्याम कैसू झटका दें,पकर कें दिखाउतीं।।
कौनौ गलती होय तौ क्षमा करें।
समीक्षक.....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
6260886596
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115-सियाराम जी अहिरवार, टीकमगढ़
🐭जय बुन्देली साहित्य 🐭🐭समूह टीकमगढ🐭
🌹दिन-मंगलवार🌹🦄हिन्दी में दोहा🦄
🏆विषय-शहीद🏆दिनांक01/12/2020
शहीद शब्द की बहुत ही व्यापक व्याख्या है ।शहीद उस हुतात्मा को कहते हैं ,जो किसी सरोकार ,सीमा रक्षा या मजहब आदि की रक्षा के लिए लड़ता हुआ मारा जाए ।फौज में जो लड़ता हुआ मारा जाता है वह शहीद कहलाता है ।
आज उन्हीं शहीदों की शहादत में पटल पर दोहे लिखे गये जो बहुत ही सुन्दर और सार्थक हैं ।
आज दोहा लेखन की सबसे पहले पटल पर श्री अशोक पटसारिया जी नादान ने अमर शहीदों को नमन करते हुए की ।
जिनके कारण देश है ,जो हैं पहरेदार ।
वीर सपूतों को नमन ,दिन में सौ सौ बार ।।
बहुत ही उत्कृष्ट और सारगर्भित दोहे रचे ।
श्री राजीव नामदेव जी राना लिधौरी ने दो दोहों की रचना की जो शहीदों के बलिदान की कीमत और उनके परिवार को उचित सम्मान की प्रेरणा देते हैं ।
श्री जयहिन्द सिंह जू देव ने अपनी
ओजपूर्ण भाषा में लिखा कि
वीर शहीदों ने दिया, आजादी का राज ।
देश हुआ आजाद जब ,हुआ आज सरताज ।।
पढकर दिल बागबाग हो गया ।
श्री राज गोस्वामी जी ने भी बहुत ही सार्थक और भावपूर्ण दोहे लिखे ।
डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ने शहीदों को कोटिशः नमन करते हुये लिखा कि -
कोटि कोटि उनको नमन ,बारम्बार प्रणाम ।
सरस शहीदों का सदा ,अमर रहेगा नाम ।।
श्री अभिनन्दन गोइल जी ने बहुत ही भावपूर्ण और सारगर्भित दोहे रचे जो देशभक्ति से ओतप्रोत हैं ।
श्री कल्याण दास जी पोषक लिख रहे हैं कि -
जिनकी दम पर मन रही ,दीवाली छठ ईद ।
भारत माँ के लाड़ले ,बाँके वीर शहीद ।।
श्री राजेन्द्र यादव कुँवर ने भी अपने दो दोहे रचे ।जो बहुत ही मधुर ,भावपूर्ण और सार्थक हैं ।
मैने भी अपने पाँच दोहे पटल पर प्रेषित किये जिनकी आप सब समीक्षा कर आशीर्वाद दें ।
श्री एस आर सरल जी ने भी शहीदों को नमन करते हुए लिखा कि -
करै शहीदों को नमन ,हुए देश बलिदान ।
न्योछावर सर्वस्व कर ,छोड़े अमिट निशान ।।
बढिया दोहे रचे ।
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी ने
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित दोहे लिखे ।
माटी को जो चूम के ,हो गये वीर शहीद ।
गाँव देश बलिदान का ,रहता सदा मुरीद ।।
सुन्दर रचना ।
अन्त में श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी ने अपने स्वरचित दोहों से पटल पर इति श्री की ।
इस तरह से आज पटल पर बहुत ही मधुर और भावपूर्ण दोहे डाले गये ।सभी को धन्यवाद ।
समीक्षक
सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ
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116पंडित द्वारका प्रसाद शुक्ला ,,सरस,,
आज बुंदेली स्वतंत्र गद्य पद्य लेखन दिनांक 02.12.202
समीक्षक --पंडित द्वारका प्रसाद शुक्ला ,,सरस,,
बुंदेलखंड की भूमि पर। दिया जलत दिन रात ।। परत भावरें हिय हर्षत। दतैे हरदोलन हैे भात ।।
हीरा पन्ना यही धरनि में। जुगल किशोर ने दयो है दान ।।
जँह श्याम मनोहर बस रहे।
सो जानत सबै सुजान।।
अयोध्या से ओरछा आए।
जो है सुखधाम।।
बुंदेलखंड की नागरी।।
जितै बिराजे श्री राम।।।
सबै बुंदेलखंड के वरद पुत्रों, साहित्यकारौ एवं बुद्धिजीवियों को जय जय श्री राम करत भय ,आज के पटल पर उपस्थित सवई जनन कों नमन करत भव अपनी मती अनुसार लेखन का सारगर्भित तत्वन की चर्चा करन चाउत जो समीक्षा के रूप में सादर समर्पित सोउ है ।।
नंबर 1- हमाय पटल पै पैलेईं उपस्थित होने वाय सज्जन श्री अशोक पटसारिया जी ,, नादान ,, के द्वारा बुंदेली दिया जला के हृद में उजारौभरो है श्री राम राजा सरकार केई शरण में बंदन करत भय मंदिर बनाने की कामना में जीवन को सरस मार्ग बताओ है जी से समरसता की कामना सोउ करी है बहुत-बहुत धन्यवाद।।
नंबर दो-- श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद,, जू ने अपने सिंगार गीत के माध्यम से शुगर नारि की छवि श्याम निहारे ,पट पाँवड़े दरस के लाने डारे।
छबीली की चमक की घनघोरई घटा के दर्शन कराए हैं और बाकी छवि रंग में रंगी राधिका की छवि निहारी है, के अपने चितचोर की चितवन हेतु प्रेम प्रयास के ताग विखेरे हैं सिंगार की अलंकृत बहुत रसमई भेंट देकर बुंदेली गीत के माध्यम से मन मोहक रचना के लिए सादर धन्यवाद
नंबर 3-- श्री राम कुमार शुक्ल ,,राम,, ने अपने गद्य बुंदेली में देवराज इंद्र और दानव के बीच में भोज की बात बताई है जीमें भोजन करावे की बात करी और देव दानव के हाथन में डंडा बांध के भोजन को भी खिलाने की भी बात करी गई, जीमें दानव बने भोजन को नैं कर पाए लेकिन देवताओं ने एक दूसरों की बातन कों समरसता कौ रूपै दैके एक दूसरे कों खुवाकें अफर कें खाव भौतै नोंनी सीख दै। बहुत बहुत धन्यवाद।। भैया बुंदेली को नहीं भूल ने ईसे तनक बुंदेली में लिख दव करो।।
नंबर 4--डा. देवदत्त जू ने पनिहारी को घट धरके चलवे की बात बताई गई हती बताई कैे कैसी नोनी बुंदेली रीति मीठे पानी कों पीकें रोगन से दूर रहके छनकत पायल लागत प्यारी है सुंदर रचना बहुत-बहुत बधाई।।
नंबर 5-- श्री रा जीव नामदेव जी ने व्यंग में आदमी में आदमी पैदा करने के शीर्षक से भौतैे नोनी सीख दै गई कै आदमी में आज आदमियत पैदा नहीं हो सकती है लेकिन इंसानियत पैदा हो तो सकत है ,और जनसंख्या में कमी सोउ करी जा सकत है। और अपनी भलमनसाहत को छोड़कर बहुत ही बड़ा मानन लगत जो नैं होउने चाउनें यह सीख नोनी दै गई है राना जी बहुत-बहुत बधाई।।
नंबर 6-- श्री किशन तिवारी जी ने अपनी बुंदेली रचना में अथाई पर बैठी पंचायत निपटिउत तें, ऊमें कौनऊँ भेद भाव नैं होत हतो। भेदभाव को छोड़कर बातें करी जातती और बैठ के कहानियां किस्सा होती हती बीते दिनन की याद करके न विसारियौ जो हमें बचपन की यादें सुहावनी लगत हैं।।बहुत बहुत धन्यवाद।।बीते दिनन की यादगार करी बहुत-बहुत धन्यवाद ।।
नंबर 7 --श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने दुख के बोझ ढोवे वारन और भूखे लोगन के जीवन लेवे बारन की लेकिन उनकी याद कोऊ नहीं करत हँसवे बारन की बातें सब कोऊ करत है जो उन्हें रोवे वारन को देख लव चाहिए उन्हें नहीं देख रय बहुत ही नोनी सीख गई पोषक जी बहुत-बहुत धन्यवाद ।
नंबर 8- श्री पी .डी. श्रीवास्तव जू ने सिंगार बुंदेली में रसभरी प्रेम की गादर फरी बेरी के बेर टोरवेन की घात लगाएं कै बात करी है रसिक मनई को और उलझन में डाल दव है सुंदर छवि के दर्शन कराए हैं और ये गोरी प्रभु की देन बताय कें अपनों से दोष दूर कर उनैं पै डार दव है ।बहुत सुंदर सिंगार रचना पीयूसी बहुत-बहुत बधाई ।।
9 नंबर-- श्री सियाराम अहिरवार जु ने करो बिलोरा धर्म के बीच में करके लवरन की बातन में ना आयो बांट के एक-एक कौरा सबै भाइयों में बाँट कें भोरे ठगे जा रय की बातन में ना आयो ठलुआ लडुआ खा रय भौतै नौनी रचना । बहुत-बहुत धन्यवाद ।।
नंबर 10-- श्री राज गोस्वामी जु ने सिंगार की रचना में अपनत्व भरी बात बता कें पुराने दिनन की बातें करके सिंगार के माध्यम से झकझोर दव है अबै ऐसी होती तो भौतै मजा आऊतो। गोस्वामी जी बहुत-बहुत धन्यवाद।।
नंबर 11 -- डीपी शुक्ला सरस ने अपने बुंदेली लेख में मन के प्यासी अरमानों के संबंध में आस लगाकर सनेह कों टोरत बताओ है, जीसें जियरा में अग्नि लगी है जब लौ आज तक आस पूरी ना हुई है जो जीव शांति में ना रैहै।
नंबर 12-- बहिन अनीता श्रीवास्तव जी ने आपसी प्रेम में पड़ गई फूटन हिय नैंजुड़ात हमारे
भैया भैया से खूबई होय ठिठोली । पर दिलै के बीचै न होंय न्यारे।।
भौतै नोंनी गद्य रचना के माध्यम से सीख दै गई है बहुत-बहुत धन्यवाद।।
जय श्री राम
समीक्षक-डी पी शुक्ला, टीकमगढ़
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117 -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
117-आज की समीक्षा** *दिनांक -03-12-2020*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी स्वतंत्र*
आज पटल पर हिंदी में स्वतंत्र लेखन था। आज पटल पर हिंदी में कविता,गीत,मुक्तक,क्षणिका और गद्य में समीक्षा, व्यंग्य पढ़ने को मिले विभिन्न बिषयों पर काव्य रसास्वादन किया साथियों ने बेहतरीन कलम चलायी सभी को बधाई।
आज सबसे पहले *श्री जय हिन्द सिंह जी जयहिंद* ने बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है- उनके ये शेर पसंद आयें-
तुम्हारे चार पल ही हमारे नाम होते हैं।
तुम्हारी याद में ही अब सुबह और शाम होते हैं।
हम तो जेठ की तपती दुपहरी के बो झोके हैं,
लपट के नाम से ही,हम सदा बदनाम होते हैं।।
*श्री अशोक पटसारिया 'नादान' जी* लिधौरा से कवियों के गांव चलने को कुछ इस अंदाज में कहते है-
मेला भरा जहां कवियों का, चल कवियों के गांव चलें।
कैसा होगा भाव वहां का,अपने अपने पांव चलें।।
सुंदर सुंदर कविताएँ हैं,तीखी मीठी भड़कीली।
कहीं ज्ञानवर्धक प्रेरक हैं,कहीं बहुत ढीली ढीली।।
*एडमिन* *राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़* ने व्यंग्य के माध्यम से *फटे नोटों का दर्द* बयां किया है।
*श्री अभिनन्दन गोइल, इंदौर* ने भोपाल गैस त्रासदी की रात को याद करते हुए एक मार्मिक ग़ज़ल कही है-
ठिठुरती रात की रोती कथा कुछ कह न सकूँ।
जहर की बाँह थामे थी हवा कुछ कह न सकूँ।।
ज़िंदगी पर कहर बन जब मौत आई रात में।
कहाँ थे वे रहनुमा कैसी वफ़ा कुछ कह न सकूँ।।
*श्री किशन तिवारी जी भोपाल* से कुछ यूं कह रहे है कि हमें अपना हौसला बुलंद रखना है-
हम गिरे और चल दिए फिर से।
रोज़ होते हैं इम्तहॉं अपने ।।
हम रहें या नहीं रहें लेकिन ।
छोड़ जाएँगे हम निशाँ अपने ।।
*श्री के. के. पाठक जी ललितपुर* का ये शेर कमाल का है-
करते हैं मदद लेकिन,सौ शर्तें गिना करके ।
बेशर्त इनायत तो कुछ लोग ही करते हैं ।।
कुछ लोग तो मतलब से ,ईश्वर को मनाते हैं।
सब छोड़ इबादत तो कुछ लोग ही करते हैं ।।
*अनीता श्रीवास्तव जी* *गुनगुना एहसास* कहानी के माध्यम से दिला रही है। अच्छी कहानी है।
*श्री रामलाल द्विवेदी ' प्राणेश ' कर्वी चित्रकूट* प्रेम की भाषा बतख रहे है-
भाव के भूखे हैं मेरे प्रभू,भाव बिना चाहे शीश चढ़ाओ।
हिन्दी कहो या देवों की संस्कृत,कृष्ण तो प्रेम की भाषा हि जाने।।
*श्री राजगोस्वामी जी दतिया* के ये मुक्तक शानदार है-
इक नजर दस्तूर तुमने कर दिया
दर्द मेरा दूर तुमने कर दिया ।
कुछ दिनों से थे उदासी से भरे
प्यार से भरपूर तुमने कर दिया।।
*श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी* अपनी कल्पना में नदी की छम छम में संगीत के सात स्वर महसूस कर रहे है-
छलकती हुई नदी ये छम छम
सुनाती हमें सात स्वरों की सरगम
बहती हुई नदी ये हरदम
सिखाती हमें आगे बढ़ाओ हर कदम।।
कल कल छल छल राग सुनाती,नदिया ये आगे बढ़ती है
बहते बहते नदिया ये एक दिन सागर में जा मिलती है।।
*श्री रविन्द्र यादव जी जबलपुर* से ये शेर में इंसान के आगे क्या आता है बता रहे है-
सपने, रब, भाग्य, स्वाभिमान के आगे !
क्या - क्या नहीं आता, इक इंसान के आगे !!
संस्कार-ओ-अना से किया इतना प्यार की,
ये जमीन नहीं बेची , आसमान के आगे !!
*श्री सियाराम जी अहिरवार, टीकमगढ़* से पवन पर गीत लिख रहे है-
झुरमुटों की सरसराहट ,गुनगुनी सी धूप में ।
लहलहाते खेत में ,बह रही थी ये पवन ।
खेत और खलिहान में ,समतली मैदान में ।
काम करते श्रमिकों को,राहत दे रही थी ये पवन ।।
*श्री डीपी शुक्ला सरस जी* टूटते सपने की कविता में लिखते है-
रिश्तो की आंधी में , टूट रहे सपने सारे।।
पड़ी परत है उन पर।स्वारथ प़रता के कर इशारे ।।
उलझन की सीढ़ियां ।क्या भावनाओं से है बढ़कर।।
आडंबर करके हैे स्वप्न संजोए,अपने अंतर उर से है कढ़कर ।।
इस प्रकार से आज पटल पर सभी ने अपनी बढ़िया प्रस्तुति दी है। सभी कलमकारों को बधाई एवं आभार।
*जय हिन्द,जय बुंदेली*
*समीक्षक - राजीव नामदेव "राना लिधौरी",
टीकमगढ़* मोबाइल-9893520965
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118-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा
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#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक 07.12.2020#बिषय...जाड़ौ#
#समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह जयहिन्द#बुन्देली दोहे 5#
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आज की समीक्षा कौ बिषय जाड़ौ जाड़े के दिनन मे रख़ो
भौतयी नौनौ लगो।ई बिषय पै पटल के भौत विद्वानन ने दोहन के माध्यम सेंअपने बिचार रखे सबकी सोच अनुसार ढेर सारी सामग्री जुरी अलग अलग बिचार पढ़े भौत खुशी भयी के वास्तव में
कानात है कै जा ना पौचै रवि उतै पौचै कवि।
कवयन ने पटल पै अपनी अपनी ज्ञान गंगा ऐसी बहायी के ऊमें हर मान्स सपर सकत।
तौ लो अब सबखों राम राम करत भय आज की समीक्षा शुरू कर रय।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू.......
आपने अपने दोहन में जड़कारे की गुनगुनु धूप,ज्वार बाजरा और मका कौ खाबौ और गुर सें पचाबौ,माउठ की ठंड,जाड़े मेंकपड़न सें ठंड रोकबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सरल सरपट सीधी समझ परक है।आपखों बेर बेर नमन।
#2#श्री राजीव कुमार नामदेव राना जू.......
आपने दो दोहे पटल ख़ोंभेंट करै।जिनमें ठंड सें पल्लीं कमरा लोई सेंप्यार कौ,और दूसरे दोहा में ठंड में दिन हल्कैऔर रात बड़ी बताई।ठंड में घाम कौ नौनौ लगबौ बताव।
आपकी भाषा स्तरीय,सरल ,सूदी अर्थ परक रयी।आपकौ अभिनन्दन।
#3# जयहिन्द सिंह जयहिन्द...
मोरे दोहन मेंहरयाई देख कें जाड़ौ भूल जाबौ,कड़कती ठंड में मनमुत की चाहत,कंत बिना माव पूष की ठंड कौ बिरह,साजन खों ठंड में तड़पन,कौबरनन करो गव।भाषा कौ मूल्यांकन आप सब जनै जानै।
#4#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जू........
आपनै दोहन की जगह दो कुण्डलिया डारीं जिनमें द़ोहा अभिन्न अंग के रूप मैं बास करत।पहली कुण्डलिया में मच्छर की विनय,तथा दूसरी मैंठंड मैं बेकाबे धड़कन बड़बै कौ प्रश्न सरल भाषा मैं पूंछ लव।
आपकी भाषा चमत्कार सें भरी,चिकनी और मीठी लगी।अभिनंदन जू कौ हार्दिक अभिनंदन।
#5#श्री कुंवर राजेन्द्र यादव जू.....
आपने पटल पै दो दोहे रचे,जिसमें ठंड में गरमी परबे सें किसानी की चिन्ता करी गयी।दूसरे दोहा में किसान की चिन्ता करी कै किसान ठंड में पानी बराबे जात।
आपकी भाषा रसमय समाज के गुन गाबे और चिन्ता करबे बारी है।आपख़ों बेर बेर नम स्कार।
#6#श्रीसंजय जैंन बेकाबू जी.....
आपके दोहन में बरात में कुकरबे कौ,भिखारियन के बच्चन कौ रजाई पै झगड़बौ,रजाई चाप कें परबे कौ,किसान की अग्नि देव द्वारा रक्षा कौ अपनै चार दोहन में बखूबी बरनन करो गव।
आपकी भाषा नरम सरस मीठी है।आपका शतवार अभिनंदन।
#7# डा. देवदत्त द्विवेदी जू......
आपके दोहन में जाड़े घामें पै किसान की जीत,ठंड में बूढ़े बारन और ज्वानन की सिट्टी पिट्टी गुम हो जात,ठंड में प्रेयसी के मायके जानै पर रोक, ठंड में बाबा से भरना,जाड़े में बादी चीजें खाने पर रोक कौ भौतयी नौनौ बरनन करो गव।
आप तौ भाषा और भाव के जादूगर हैं। आपकी भाषा अनुकरनीय है। आपके चरण वंदन।
#8# श्री कल्यान दास साहछ पोषक जू........
आपके दोहन में ठंड में कौंड़ौ आगी न छोड़बौ,ठंड की ज्वान सें दोस्तों और बूढ़न सें बैर कं बरनन कऱ गव।जीके पास जितने कपड़ा उतनौ जाड़ौ,जाड़े कौ सबखां सताबौ,तुसार बर्फ गिरबे सेंठंड के बड़बे कौ नौनौ बरनन कऱ है।,
आप क्षेत्रीय भाषा के शिल्पी हैं आपकीँ प्रवाहमयी भाषा मनमोहक है। आपका शत शत बार अभिनंदन।
#9#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जू.......
.आपनज अपने दोहन में अथाई के कौंड़े,किस्सा कानियां,तरैयन कौ ठिटुरबौ,शीतल चाँद कौ प्रिय ना लगबौ,पवन झकोराकुहरा जब पैदा होत तौ जाड़े कौ आतंक दिखात।गरम कपड़न में राई ना आबौ,सजना सजनी संग होंय तौ जाड़ज कौ डर ना होबे को बरनन करो। आपकी संयत भाषा ढड़कदार मीठी लहरदार अनौखी है। आपका सादर वंदन।
#10# श्री राम कुमार शुक्ला जू.....
आपके दोहन में नायिका का नायक के परदेश गमन पर बिरह,रात में सांतरी में सोबे कौ,बूढन खांअधिक वारन खां ठंड बिलकुल नयीं लगत,मुरका खाकें ठंड भगाबे कौ बिचित्र बरनन करो गव।
आपकी मिठास भरी भाषा में क्षेत्रीयता की गंध देखवे मिलत।
आपकौ शत शत वंदन अभिनंदन।
#11# श्री राज गोस्वामी जू......
आपने तीन दोहे पटल खों भेंट करे।जिनमें रजाई सें जाड़े की बचत ,घुमाई कौ बरनन,मेंहमान खोंठंड मेंमहेरी खबाकें,लिटाये सें देर सें उठबे कौ बरनन करौ गव।
आपकी भाषा लचीली भावपूर्ण,मनमोहक बुन्देली है।
आपका
सादर अभिवादन।
#12#श्रीसियाराम अहिरवार सर...
आपके दोहन में जाडे की कुकरन खैत में ओस की टपकन,बुड़की और भरभरांत कौ बरनन,गद्दा और रजाई भरवावे के बाद भी
अपनी ब्यथा कौ बरनन,जाड़े में बिदेशी पंछियों का आगमन,आग बार तापबे कौ बरननकरो गव।
आपकी भाषा मध्यबुन्देली है।जिसमें मिठास और रसप्रवाह का दर्शन होत है।
आपको शत शत बथाई।
#13#श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जू......
आपके दोहन में बूंदाबांदी और सूरज डूबत आदमी घरन में छिप जात।कपड़न मे ऐसौ घिर जात जैसें प्याज।कौंड़न पै किस्सा पहेलीं होतीं,नायिका की सेज नायक बिना खाली होबै कौ बरनन करो गव।सूनी नायिका ईसें सिंगार पसंद नयीं कर रयी।
आप की भाषा में बिरह का दर्शन चतुराई सें कराव गव।
आप बधाई के पात्र हैं आपको धन्यवाद।
#14#श्री पं. डी.पी.शुक्ला सरस जू.......
आपके दोहन मेंजड़कारे की जुदैया पूरी रात छिटकत।जाड़े में घाम अच्छौ लगत,सो आदमी काम करत रात।जाडे खों आग सेंकत संकरांत खों खूब ठंड परत। जाड़े में नाक कान ढाकबे बारी पोषाक पैरी जात।
आपकी भाषा चुटीली सरल भावपूर्ण हैः
आपको सादर नमन।
उपसंहार.....।
सबयी विद्वाशन ने अपने अपने बिचार लिखे पर भाषा कौशल अपनौ अपनौ रव।भले बात एक सी होय पै जादूगरी अपनी अपनी ,पांसे अपने अपने फेक कें सबने बताय कै पौबारा हम भी डार सकत। सबकी भाषा सरल सटीक सीधी चिकनी चुपडी सरपट मीठी बुन्देली रयी।
बुन्देली की क्षेत्रीय बिशेषता सबके दोहन में अलग अलच दिखानी।
अगर कौनौ रचना धोके सें छुट गयी होय तौ अपनौ जान कैं छमा करियौ।
फिर सें सब पंचन खों राम राम।
समीक्षक-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
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119 वीं समीक्षा-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
आज की समीक्षा** *दिनांक -08-12-2020*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहे -बिषय-विवाह *
आज पटल पर हिंदी में विवाह बिषय पर दोहा लेखन था। आज पटल पर हिंदी में बहुत उम्दा दोहे पढ़ने को मिले विभिन्न दृष्टिकोणों से आज दोहाकारों ने बेहतरीन दोहे रचे है। पटल के सभी साथियों ने बेहतरीन कलम चलायी सभी को बधाई।
आज सबसे पहले *श्री अशोक पटसारिया 'नादान' जी* लिधौरा से शुभ विवाह के गुण बता रहे है-
शुभ विवाह तब जानिए, मिले वधू अनुकूल।
ग्रह मैत्री नाड़ी मिले,वर्ण न हो प्रतिकूल।।
*श्री जय हिन्द सिंह जी जयहिंद* पलेरा ने अपने दोहे में श्रीराम और जानकी के विवाह का बहुत सुंदर चित्रण किया है-
शुभ विवाह श्री राम का,सिय डारी बरमाल।
धन्य धन्य भय जनकपुर,उड़ने लगी गुलाल।।
बर विवाह बंधन बधू,बनें मिलाकर नेक।
सदगुण और समर्पणम्,बरसत विनय विवेक।।
*श्री अभिनंदन जी गोइल इंदौर* ने विवाह को जीवन की बगिया कहा है- अच्छे दोहे रचे है4
व्याह दिलों का मेल है, आत्मा का अनुराग।
जीवन बगिया खिल उठे,झरता प्रेम पराग।।
दो तन का संगम हुआ,मिले संग मनमीत।
पावन बंधन व्याह का,बना मधुर संगीत।।
*डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस, बडा मलहरा* से दहेज की चिंता पर लिखते है कै-
बेटी बोली बाप से,कैसे हो निर्वाह।
बे दहेज के लालची, जिस घर हुआ विवाह।।
शुभ विवाह के समय भी,गारी गीत सुहायं।
बे गारीं प्यारी लगें,जो खुशियां बरसायं।।
*श्री कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर विवाह की अच्छी परिभाषा बता रहे है-
तन-मन का पावन मिलन,कहते उसे विवाह।
साथ निभाते उम्र भर , दोनों ही हमराह ।।
शुभ-विवाह का होत है,गठबन्धन मजबूत ।
हरा-भरा जीवन रहत, हर्षोल्लास अकूत ।।
*राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़* से आज के बुफे भोजन पर व्यंग्य करते लिखते हैं -
विवाह के सह भोज में, होता गिद्धाचार।
कोई को मिलता नहीं, कोई रखे अपार।।
*अनीता जी श्रीवास्तव, टीकमगढ़ ने राजनीति का विवाह झूठ से कर दियख, अच्छा व्यंग्य हैं-
राजनीति से झूठ का, जब से हुआ विवाह l
लगे किनारे संत जन, दुर्जन बोले वाह l।
*श्री इंद्रपाल सिंह राजपूत हंसमुख,मडिया टीकमगढ* पहली वार पटल पर लिख रहे है अच्छा लिखा है-
विवाह परिणय सूत्र है दो जीवन का मेल l
विधि ने कैसो रच दयो दो हंसों का खेल ll
दो दिलों का साथ है जीवन भर अनमोल l
ना शंका ना भेदभाव चाहे देखो तोल ll
* श्री शील चन्द्र जैन 'शास्त्री' ललितपुर (उ.प्र.)* ने बढ़िया दोहे लिखे है। विवाह का अर्थ अपने शब्दों में इस तरह से बयां कर रहे हैं-
धर्म ,अर्थ और काम कौ , संयममय निर्वाह ।
मोक्ष लक्ष्य खों सादबौ ,एइ कौ नाव विवाह ।1।
नारी नर की सहचरी, सृष्टि की सृजनहार ।
उस उपक्रम की पूर्णता, का विवाह आधार ।2।
*श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* श्रीराम के विवाह के तिथि याद कर रहे है-
शुक्ल पक्ष की पंचमी, मार्ग शीर्ष शुभ माह।
वैदेही रघुवीर का, होने लगा विवाह।।
धनुष तोड़ कर राम ने, किया जनक प्रण पूर्ण।
सीता राम विवाह का,काज हुआ सम्पूर्ण।।
' *डॉ रेणु जी श्रीवास्तव, भोपाल* से लिखतीं हैं- विवाह दो आत्माओं का मिलन है बहुत सुंदर ख्याल है- लगता है लिखने में भूर हो गयी अंतिम चरण के अंत में दोष है भाव बढ़िया है-
इस मे़ केवल अंत में *सुहाय* के स्थान पर *निवाह* कर ले तो अच्छा रहेगा
1 दो आत्मा का मिलन है , पावन नाम विवाह।
इसके पहले पड़ेंगे,फेरे सात सुहाय।।
*दो आत्मा का मिलन है , पावन नाम विवाह।*
*इसके पहले पड़ेंगे,फेरे सात निवाह।।*
उनका ये दोहा भी बढ़िया है-
कर विवाह जो ठीक से,सातों वचन निभाय।
उसके जीवन में कभी,कोई कष्ट न आय। ।
*श्री सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़* विवाह संस्कार में दो दिल एक होते है लिख रहे है-
यह भी इक संस्कार है ,दिल दो होते एक ।
बँध विवाह की डोर से , कर्म करत हैं नेक ।।
*श्री राजेंद्र जी यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा* के दोनों दोहे अच्छे हैं-
देव उठे ग्यारस भई, होने लगे विवाह।
सात पांच कसमें लईं, ताको करें निवाह।।
सजनी साजन सें कहे, सुनो बात भरतार।
बिटिया भई विवाह खों, देख लेव घर द्वार।।
*श्री डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़* से लिख रहे हैं- यदि जोडी सही रही तो घर स्वर्ग बन जाता है-
सम विचार संगनि मिलैे, विवाह प्रेम सौ भोग ।।
घर स्वर्ग बन जात हैं ,जो जीके जैसो जोग।।
वर विवाह बंधन वँधे । वधु मिली सुख चैन।।
घर की लक्ष्मी आए कें। काज करत रय ऐन।।
* श्री वीरेन्द्र कुमार जी चंसौरिया, टीकमगढ़* आजकल विवाह कैसे हो रहे है बता रहे है-
कई प्रकार से हो रहे,अब तो खूब विवाह।
बेटा बेटी भूलकर,मात पिता की चाह।।
मिली टीपना आपकी,जल्दी करो विवाह।
घर बालों की है यही,अपनी भी यह चाह।।
*श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी कर्वी चित्रकूट* से दहेज दानवों पर व्यंग्य कर रहे हैं-
जीवन भर अर्जित किया ,शादी करता बाप ।
पर दहेज के लालची , बधें सुता निष्पाप ।।
शादी बंधन दिलों का, सम मन के यदि मीत।
जीवन निभता प्रेम से ,झंकृत हो संगीत ।।
*श्री राज गोस्वामी जी दतिया से कोरोनावायरस काल में बुफे दावत और नियम पालन याद दिला रहे है-
1-लिखा निमंत्रण पत्र पर नही पधारे आप ।
वैवाहिक विवरण सहित,तिथि पढ ले चुपचाप ।।
2-मास्क लगा कर आइये बफे भोज मे आप ।
दो फुट दूरी राखिये मीनू खा टिपटाप ।।
प्रकार से आज पटल पर 17 साथियों ने अपनी बढ़िया प्रस्तुति दी है। सभी दोहाकारों को बधाई एवं आभार।
*जय हिन्द,जय बुंदेली*
*समीक्षक - राजीव नामदेव "राना लिधौरी",
टीकमगढ़* मोबाइल-9893520965
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129-
जय बुन्देली साहित्य समूह
टीकमगढ़
समीक्षा बुन्देली गद्य /पद्य स्वतंत्र दिनाँक/09.12.20
समीक्षक/डी. पी.शुक्ल
,, सरस,,
पूरब पश्चिम के बीच में,
है एक बुन्देली राज ।।
टीकमगढ की रजधानी ओरछा।
श्री राम बिराजे जँह महराज।।
बुन्देली के बुन्देलखण्ड में,
बुन्देली के स्वर है गूँज रहे।।
पावन पवित्र सरयु जँह,
बैतवंती की सलिल धार बहे।।
मानवता के उगते सुमन,
हृद में भरते आए उत्साह।।
बोली वानी मृदुल तँह,
है गहरी बुन्देली की थाह।।
कवित रस में बुन्देली की इतै,
वै रई सरस सुरम्य बन धार है।।
कविवर बुद्धिजीवियों को नमन,
हाथ जोर ,,सरस,, करें बारम्बार हैं।।
नमन ऐसी पवित्र बुन्देली माटी को,
नमन सरस्वती की ऐसी परिपाटी को।।
बुन्देलखण्ड को आज अमर बनाने,
कविवर चढ़ना होगा इस घाटी को।।
सादर धन्यवाद
नंबर 1 - प्रथम सोपान पर लक्ष्मी के कदम पड़े बहुत ही शुभ होत भव अनीता श्रीवास्तव जी ने भूली वातन को ना विसारवे की सलाह सोई गजल के माध्यम से अहंकार रूपी ठसक कौ फूँकना जैसौ फूटत-बताव है और अबै चेत कें पढ़ाई पै ध्यान देनै जीसे घरई नौनों चलत रावै ,बहुत-बहुत बधाई बहन अनीता जी।
नंबर दो -- डॉ देवदत्त दुबे जू ने बुंदेली गजल के माध्यम से चोखे सिक्का सबै जगह चलत मगर इतै खोटा सिक्का चल रय है राजनीति के गलियारे में सोनो और पीतल बराबर मानो जात लबरा की चल रै सुदा बैठो है हेरा फेरी कर रय उन्हें तनकै फर्क नैं पऱ रव है ,चेतावनी व्यंग भरी सरस जू की लेखनी को नमन सादर बधाई।
नंबर 3-- श्री अशोक पटसरिया ,,नादान ,,जु ने बात बताके कई कैे काँलौ गम्म खाँय काँलो जूँठौ मठा भाँउत रयें, और राजनीत के व्यंग में बुंदेली गजल को तड़का लगा के टाएं - टाएं ना सुनने की सीख दई है भौतै नोनी गजल के माध्यम से बताओ अपन को बहुत-बहुत बधाई , धन्यवाद
नंबर 4-- श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद ,,सिंह जु ने अपनी पद्य लेखनी के माध्यम से सिंगार में कृष्ण लीला करी है कन्हाई सबै टंगना टोर के दही ले जात छलिया ने न जौ छल छोरो ,रसिक रंगीलो बनके जमुना तट पै मोरौ।।
जिते जमघट लगाए रहो रचना में चित्रण करकें मन कों भेदो है।
रसभरी नजर ना मोपै डारौ,लगत छलिया भौतै गुनवारौ।।
सुंदर रसभरी लेखनी को नमन बधाई धन्यवाद।।
नंबर 5 -श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जुने कुंडलियन के माध्यम से दारू के अवगुण बताएं हैं कैे दारू से ढेर हो जातै, और मिटवे में देर नै लगत गृहस्थी चौपट हो जात। शान धूल में मिल जात जो अपनों हित चाय तो दारू कभऊँ ना लेवे भौतै सांसी सीख दै, कै मानस पटल को उकेरौ है धन्यवाद के पात्र हैं बधाई ।
नंबर 6- श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपनी रचना में बताई के कथा भागवत होए सो चार जना नाच गाना होय सो आवें वे घना के घना।।
जितै कितऊँ लराईं होय तो भीड़ भारी होत है कथा जिते पंगत की कथा होए उत्ते भीड़ लगत है नाँतर कोउ नैं आउत हैं । भौतै नौनी सीख दई सादर धन्यवाद ।।
नंबर 7 -डी.पी. शुक्ला ,,सरस,, ने अपनी रचना बुंदेली में रच बताओ के जिगर को दर्दै मताई बाप जानत जीको ऊकौ लड़का छोड़कर एकल परिवार में चलो गव, तुमें भी ओई गैल से गुजरने शो ख्याल करत रनै कालजई रचना करी गई है
नंबर 8 -- डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने ठरूला शीर्षक से शीर्षक के माध्यम से हास्य बुंदेली में व्यंजन बनाकर मन की लडुवा खावे में कौनऊँ कसर नहीं लगाई और भी बातें हैं याद कराई जो ठंडन में नौने लगत। भौतै नौनी रचना करी जी के बर्तन में स्वाद सोऊ आओ लगत भाव भीनी रसभरी बुन्देली लेखन हेतु बधाई।
नंबर 9 --पी.डी.श्रीवास्तव जी ने भोजन में रस लेवे की आन के रसना रस की लालची रस लेवे ललचाए, उस समय बन्न के व्यंजन का रसास्वादन कराओ है सो श्रीवास्तव बहुत-बहुत बधाई ।
नंबर 10-- श्री कुंवर राजेंद्र सिंह जुने चौकड़िया के माध्यम से लेखन करके बताओ के लगभग
नाक के नथुनिया प्यारी, हेरन हसन तुम्हारी।।
गोरे गाल पर देख तिल
जा गत भई हमारी ।।सिंगार भाव की सुंदर छटा निहार के मन मुग्ध कर दव, उत्तम रचना के लिए धन्यवाद बधाई ।।
नंबर 11- श्री इंद्रपाल सिंह राजपूत ने कालजई कोरोना पर कविता करके जीवन की सच्चाई बताई है और साहस से जीतवे कौ मंत दव है बहुत-बहुत बधाई।
12-कविता नेमा जी ने अपनी उत्कृष्ट लेखनी के माध्यम से अपनी करम गति की पीर मिटावे की बात करी गै है ,बहुत ही सुन्दर रचना के लिए वे धन्यवाद के पात्र के साथ साथ बधाई की पात्र हैं ।
समस्त कविवरन को उत्कृष्ट रचनाँओं के लिए 🌷🙏🙏🙏👏👏👏☂️🍓🍓🦚सादर अभिवादन धन्यवाद
समीक्षक-डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़ (मप्र)
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121-- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
---- श्री गणेशाय नमः ----
---- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 10.12.2020 दिन गुरुवार 'जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़' के पटल पर ( हिंदी काव्य लेखन) के अंतर्गत सम्माननीय काव्य मनीषियों ने बेहतरीन रचनाएं पटल पर प्रस्तुत कीं, सभी को बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत साधुवाद ।
आज पटल पर सर्वप्रथम श्री किशन तिवारी जी ने भाव प्रधान गजल की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
इस लड़ाई में नया इक और मंजर आ गया "
वरिष्ठ कवि श्री अभिनंदन गोयल जी ने बहुत ही सुंदर गीत विश्व बंधुत्व की कामना को लेकर प्रस्तुत किया ---- विश्व शांति का नारा गूंजे, भारत मां का हो सम्मान "
दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने श्रीकृष्ण की स्तुति उनके अनेक नामों का बखान करते हुए भक्ति रस की धारा प्रवाहित की ---- मेरे मोहन मदन मुरारी माधव मुरलीधर घनश्याम "
श्री अशोक पसारिया नादान जी ने देश के वर्तमान हालातों पर चिंता व्यक्त की ---- ये कौन सी बयार , जनता बेचारी मोहरा ,शासन हुआ है बहरा "
आदरणीया कविता नेमा जी ने सकारात्मक भावों को लेकर बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत की ---- मुश्किलें सौ आती हैं आने दो न "
डॉ. सुशील शर्मा जी ने नवगीत के माध्यम से वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर कलम चलाई है ---- जिसकी लाठी उसका भैंसा , लोकतंत्र देखो ये कैसा "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने हायकू छन्द के द्वारा बहुत ही सुंदर संदेश दिया है ---- ज्ञान सरिता , जो सबको दिशा दे , वही कविता "
श्री राज गोस्वामी जी ने आत्म कथा को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया है ---- हम गोस्वामी राजकवि कहे जात चहु ओर "
श्रीमती अनीता श्रीवास्तव जी ने बीते हुए कल की यादों को लेकर बेहतरीन ढंग से कलम चलाई है ---- आज वही एहसास पुराना होने दो "
श्रीमती मीनू गुप्ता जीने मेरी बिटिया शीर्षक से बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत की --- दो कुलों की शान बनेगी मेरी बिटिया "
डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने हेमंत की धुंध से बातचीत को बहुत ही सुंदर शब्दों में व्यक्त किया है ---- रितु हेमंत धुंध से बोली बहना तू है मेरी सहेली "
श्री इंद्रपाल सिंह राजपूत ने भी स्वच्छता गीत प्रस्तुत किया।
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने बहुत ही सुंदर शब्दों में भाव प्रधान गजल की प्रस्तुति दी ---- ख्यालों में आके सताने लगा है "
श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी ने बहुत ही सुंदर शब्दों में श्री कृष्ण भगवान की स्तुति को प्रस्तुत किया ---- यशुमति की आंखों के तारे , हर लो कष्ट हमारे "
श्री सियाराम अहिरवार जी ने राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख को देश की परिस्थितियों से अवगत कराने वाली रचना प्रस्तुत की ----हादसों से हिल उठा है , देश का ओर-छोर"
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने मुक्त छंद रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---- हम हो जाते हैं , गलतफहमी के शिकार "
श्री वीरेंद्र चंसोरिया जी ने ईर्ष्यालु प्रवृत्ति के लोगों को लेकर लेखनी चलाई है ---- लगाते आग वे खुद ही हमेशा अपने जीवन में "
श्री राजेंद्र यादव कुँवर जी ने सत्ताधीशों का ध्यान कृषकों की दशा की ओर आकृष्ट करने का बेहतरीन प्रयास किया है ---- राज महल से निकलो अब कृषकों की करुण पुकार सुनो "
इस तरह से आज पटल पर बहुत ही सुंदर-सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति हुई है । सभी सम्माननीय रचनाकारों का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा को विराम देता हूँ । त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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122- जय हिंद सिंह जयहिंद पलेरा,
दिनांक-14-12-2020
#सोमवारी समीक्षा#बिषय..हार#
#बुन्देली साहित्य समूह#
#समीक्षाकार... जयहिन्द ,सिंह#
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सबसें पैलां मां भारती कौ चरण बंदन करत भय,पटल के सब विद्वानन खों हात जोर राम राम।आज के दोहन कौ विषय हार/खेत भौतयीं लुभावनो हतो जी पै हमाय पटल के विद्वानन ने कौनौ कसर बांकी नयीं रन दयी।अपने अपने दोहन में मानस पटल पै मक्खन लगा कें ऐसी रचनायें करीं जिनमें भाव बिचार और रचना कला कौ पूरौ उपयोग करो गव।
पटल पै आये नय विद्वानन ने जरूर दोहन में मात्रा दोष डारो पर सीखते समय ऐसी गल्तीं हो सकतीं हैं। तो लो अब समीक्षा की ओर चल रय।
#1# जयहिन्द सिंह जयहिन्द.....
मोरे दोहन में किसान की संपन्नता, असली किसान की पहिचान,खेती करवे में का का करे सेंभारी अन्न पैदा होत,कड़े परिश्रम सें हार खेत अन्न सें भरत,
इन सब बातन कौ बरनन करो गव।कौं कौं यमक अलंकार डारबे की कोशिस करी। बांकी मूल्यांकन आप सब जनें करें तौ मोय अपनी गल्तियन कौ पतौ चलै।
#2#श्रीराम कुमार शुक्ला जू.....
आपने अपने दोहन में यमक की झलक दिखाई।
पहिन हार घर सें चली,पौची अपने हार।
हार किसान की थान है,जीसें खाबे मिलत,हार में मुरझाबे कौ बरनन,किराये कौ हार जाबै कौ बरनन,सरस्वती बंदन संगै करो गव।आपकी भाषा लच्छेदार, सरल भावपूर्ण दिखानी।
श्री शुक्ला जू खों बेर बेर नमन।
#3# श्री एस.आर. सरल जू......
आपके दोहन में हार की हरियारी सें हर्ष,सूखा की साल में किसान की कुगत,हार में किसान को ठंड खाबौ,बसबे कौ, कठिन काम किसानी फिर भी किसान खुश,पानी डारबौ,काँदी पटाकें बैलन खों चराबौ,इन सब बातन कौ बरनन बखूबी करो गव।
आपकौ भाषा शिल्प मिठास भरो,लचकदार चमकदार रसीलौ है।आप अच्छे कलमकार हैं।
आपकौ बंदन अभिनंदन।
#4#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू......
आपने अपने दोहन में किसान की बेशभूसा और गरीबी,घास के मचान पै परकें कथरी में हो ढूकबौ,मैनत के बाद फसल ना भय सें किसान कौ टूटबौ,आफत में ठौर न मिले सें फाँसी तक लगाबौ, दोहन के बरनन में बखूबी मिलो।अगर अपुन खेतन पै पर कें देखें तो किसान की पीरा देख कें अपनों मन भु पसीजन लगत।
रचनाकार की भाषा तकनीक अचरज भरौ आदर्श लँय रात।
रचनाकार कौ बंदन अभिनंदन।
#5# डा.सुशील शर्मा जी......
आज आपने पटल पै 4दोहे डारे।
आपके दोहन में खेत में जैसौ बोव बैसौ काटवे कौ,हार जाय सें लक्ष्मी के मिलबे कौ,बिना बैलन की किसानी सें घाटे कौ,सबके पेट भरबे बारे किसान कौ मटियामेट होबे कौ,बिन्दुवार बरनन दोहन में करो गव।
आपकी भाषा सुगम सरल चटकीली,चाँसनी भरी चमकदार है।आपकौ हार्दिक अभिनंदन।
#6#श्री इन्द्र पाल सिंह राजपूत जू.........
आपने दोहा लिखबे कौ प्रयास अच्छौ करोपर दोहन में मात्रा दोष दिखानौं।पहले और तीसरे चरण में 13/13और दूसरे और चौथे चरण में 11/11मात्रायें होत।भाव अच्छे प्रयास सराहनीय हैं।आपने कम सें कम लिखवे की हिम्मत तौ करी।भैया जी आपखों घबराबे की जरूरत नैयां,आप ईमें सबसें आगे निकर जैहौ।आपमें सीठबे की कुब्बत तौ है।लेखनी में दम है पर रचना की बनावट पै गौर करें राने। भैया जी खों सादर प्रणाम।
#7#/ डा.रेणु श्रीवास्तवजी......
बहिन रेणु श्रीवास्तव ने पटल
पै तीन दोहे रचेलेकिन मनमोहक।
आपके दोहन में पैलौ दोहा चमत्कार राखत,दूसरे दोहा मेंमोरौ सुझाव है कै दूसरे दोहा में दूसरे चरण का अंत गैल से हुआ है।चौथे चरण के अंत में गैल का कोई अन्य काफिया लगता तो दोहे का काफिया सौन्दर्य और बढ़ सकत तो।तीसरौ दोहा टंच है।
पूज्य बहिन आपकी भाषां दमदार
चिकनी रोचक सरल और मधुर है।आपका बेर बेर चरण बंदन।
#8#डा. देवदत्त द्विवेदी जू....
आपतौ भाषा के पारखी हैं,आपनै पैले दोहा सें मुहावरे कौ प्रयोग करो।दूसरे दोहा में पड़ा बैल कौ उमंग सें बरनन करो गव।तीसरौ दोहा यथार्थ लिखो गव।खेत में जो बोनी हुये वोई काटबे मिलै,ईमें
आआँदरे की लोड़ नयीं लग सकत।आपके दोहन में बुन्देली धरती खों मेवन कौ भंडार बताव गव।इच्छा सें जो करम करो जात,ऊमें अनपढ़ कौ कौनौं महत्त नयीं होत किसान कौ अनुभव ऊके खरियान में देख़बे मिलत।
आपकी भाषा की तारीफ में शब्द कम पर जात।आपके भाव बिचार यथार्थता अलंकार उपमायेंअलग सरल और सटीक रातीं।
आपकौ बेर बेर चरण बंदन।
#9#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी......
आपके दोहन मेंहार की उपज कौ शानदार बरनन करो गव।आपने तरह तरह की फसलन कौ बरनन करकेंपांचयी दोहा रसराज बनाये।
सब दोहन में चमत्कार के दर्शन हो रय।भाषा अति रोचक सरल भावभरीमधुर है।आपने अपनी कला सेंसब उपजन के नाव चमत्कार सें सजा दय।
मूंगफली उरदा तिली,मूंग बाजरा ज्वार।
धान मका तिल ईख पै राखत पोषक हार।।
रचनाकार को भौत भौत बधाई।
#10#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी.........
आपने सूका की साल मेंफसलें सूकबे कौ,किसान पै ब्याज की बौछार,गाने बिकबे कौ मौड़ी मोड़न की बिलखन परिवार पालवे कौ किसान की आत्महत्या कौबरनन दोहन में करो गव।
आपकी भाषा चमत्कारिक शिल्पी है।आपका भाषासंयोजन बेमिशाल है।
गयो भोर सें हार खों,लौटो नैंया आज।
लटको मिलो चिरौल सें,गिर गयी घर पै गाज।।
आपकौ बंदन अभिनन्दन।
#11#श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी.......
आपकी शुरुआत यमक सें भयी।हार गरे में पैर कें चली हार गुलनार।
दूसरे दोहा में अनुप्रास की झलक,हार खेत छूटबै कौ बरनन करो।हार की गैल में मकोर कौ उलझबौ चंदा ंर चकोर कौ बरनन चतुरायी सें डारो गव।मड़ैया और गुथना जुनयी की रखवारी डार कैं चार चाँद लगा दय।आपकी भखषा सरल मधुर चमत्कारिक है।आपको बेर बेर नमन।
#12# श्री राजीव नामदेव राना जी.......
आपने 2दोहे डारे,पैलै दोहा में उपमा के दरशन भय,दूसरे में मैनत कौ बरनन करो,किसान कौनौ मौसम में घबरात नैयां।दोहन की शिल्प अनुकरणीय है।आप टंच दोहन के रचनाकाउ हैं।आपकौ बेर बेर नमन।
#13#श्री राम गोपाल रैकवार जी........
आपने सिर्फ एक दोहा पटल खों दव,पै लाखों में एक।दोहा के भाव दैखत बनत।आप दोहा के शिल
पी और भाषा के मास्टर हैं।आपकौ बेर बेर अभिनंदन।
#14#श्री राज गोस्वामी जी......
आपने 3 दोहज पटल पै रचे।आपने हार की रखवारी कौ,बरनन करो जितै भोत आदमी मिलबे आ जाथ।कलेवा करकें किसान कड़त जैसें नौकरी पै कड़ रव होय।बेई रोजी रोटी है। भाषा के चमत्कार को नमस्कार। श्री गोस्वामी जी को नमन।
#15#श्री सियाराम अहिरवार जू.........
आपनेकिसान खोंदेश की शान बताव।किसान की चतुराई कौ बरनन करो बं सालन सें एक सौ है।किसान अपने खेत की बात कंरत पै ऊकी सुनबे बारौ कोऊ नैंयां।खेत पै जाबे कौ बैल बांदबे कौ खूब बरनन करो गव।आपने छुट्टा ढोरन कौ बरनन करो जीसें किसान परेशान है।आपने भाषा दरशन ऐसौ दव जैसैं गोटादार चादर बिछा दयी होय।भाषा सरल और मधुर है।आपकौ शत शत अभिनंदन।
#16# श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी.....।
आपने पटल
खों 3 दोहे भेंंट करे।आपके दोहन मैं चमत्कार को नमस्कार है।आपने हल्के की आदतन कौ बरनन करो।बैल बछेरू पूरे दिन हार में रात ।आज की सिचाई और पैदावार पै चिन्ता व्यक्त करी गयी। भाषा ओजपूर्ण सरल मधुर चमत्कार भरी है। आपकौ वंदन अभिनंदन।
उपसंहार.....
अगर धोके सैं कोउके दोहा छछट गये होंय तं अपनौ जान कें छमा करी जाय।आज कै दोहन में बुन्देली छटा बिखेरबे बारे सबयी विद्वानन खों आत्मिक नमन।
आपकौ अपनौ समीक्षाकार....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#6260886596#
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123 सियाराम जी अहिरवार, टीकमगढ़
🧶आज की समीक्षा 🧶जय बुन्देली साहित्य समूह
👣 टीकमगढ़👣🐭विधा-दोहा (हिन्दी)🐭
💦विषय-संवेदना💦 दिनांक-15/12/2020
आज हमारे परिवार और समाज से मानवीय संवेदनाएं समाप्त होती जा रही हैं ।अपने को प्रभावशाली और धनवान बनाने की चाहत में मशीनों और कम्प्यूटर पर हमारी निर्भरता बढती जा रही है ।और परिणाम स्वरूप दूसरों से आगे निकलने की चाहत में हम आत्मीयता से दूर होते हुए अपने मानवीय मूल्यों को खोते जा रहे हैं ।
आज हम स्वयं मशीन हो गए हैं ।जिसमें कार्य क्षमता तो भरपूर है ।पर मानवीय संवेदना शून्य है ।
इन्हीं सब बातों को लेकर हमारे सभी विद्वानों ने संवेदना शब्द को रेखांकित करते हुए अपनी कलम चलाई है ।जो प्रसंनीय है ।
आज पटल पर सबसे पहले आदरणीय डी .पी . शुक्लाजी ने अपने दोहे डाले ।जिन में वे लिख रहे कि वह संवेदना किस काम की जिसमें स्वारथ हो ।तत्पश्चात श्री ए.के. पटसारिया जी ने अपने दोहे
पाँच दोहे डारे ।जिनमें वे लिख रहे कि कलयुग में मानव संवेदना और भाई भाई में प्यार कहीं दिखाई नहीं देता है ।अगर हम संवेदनशील हैं तो सामने वाला संवेदनशील नहीं है ।बहुत ही श्रेष्ठ और नीके विचार है ।आपकी भाषा सरल मुहावरेदार है ।आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री जयहिंद सिंह जयहिंद की तो बात ही निराली है आप जो भी लिखते हैं ,अच्छा और सार्थक लिखते हैं ।आज भी आपने पाँच दोहे रचे जो बहुत ही बढिया हैं ।
हिरदे में संवेदना ,जिनके रहे अनंत ।
वे मानुष हैं धरा पर, देव सरीखे संत ।।
बहुत ही श्रेष्ठ दोहा है ।आपकी भाषाशैली बुन्देली की मिठास लिए हैं ।आपको शत शत नमन ।
बुन्देली के श्रेष्ठ रचनाकार आदरणीय डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी लिख रहे कि -
कहाँ गई संवेदना ,कहाँ गया वो दौर ।
बिना पडो़सी के नहीं ,खाया मीठा कौर ।
क्या अपनापन था पहले के दौर में ।और आज पडो़सी ही सबसे बडा़ दुश्मन है ।बधाई आदरणीय अच्छा लिखा ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने भी अपने दो दोहे पटल पर डाले ,जो बहुत ही श्रेष्ठ और सारगर्भित हैं ।आपने लिखा कि -
संवेदना दिल में रखो ,तभी मिलेगा प्यार ।
दुश्मन भी बन जायेगा ,अपना पक्का यार ।।
बढिया लिखा ।संदेश प्रद रचना के लिए बधाई ।
श्री रामगोपाल रैकवार जी ,जो कि दोहा विधा के सिद्धस्थ रचनाकार हैं । जिनसे हम जैसों को बहुत कुछ सीखने को मिला ।और आज भी नेक सलाह देते रहते हैं ।आप लिख रहे कि जो दूसरों के दुःख में सम्मिलित होता है ,वही सच्चा इंसान है ।
आदरणीय सही कहा आपने ।यही मानवीय गुणों की पहचान है ।बधाई सहित नमन ।
श्री रामकुमार शुक्लाजी ने भी अपने भावपूर्ण दोहे लिखे ।
आप लिख रहे कि जीव जीव का साथ दे ,वही सच्चा संवेदी जीव है ।बधाई बढिया लिखा ।
श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव बहुत ही सुन्दर दोहे लिखे ।आप लिख रहे कि जो औरों की वेदना को अपना मान ले ,वही सच्चा संवेदनशील इंसान है ।
बढिया विचार आदरणीय नमन सहित बधाई ।
श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही सुन्दर और रोचक दोहे डाले ।
आप लिख रहे कि जाके पाँव न फटी बिबाई वो का जाने पीर पराई ।इसी भाव को लेकर आपने पहला दोहा लिखा जो भावपूर्ण और सार्थक है ।धन्यवाद सहित बधाई ।
श्री कल्याण दास जी पोषक ने लिखा कि दया और संवेदना जैसे मानवीय आदर्शों से ही सामाजिक सौहार्द बढता हैऔर जन जन का उत्कर्ष होता है ।
बहुत ही प्रेरणादायी और सार्थक बात है ।भाषा सरल और मधुर है ।आपको ढेर सारी बधाईयां ।
श्री राज गोस्वामी जी ।के सभी दोहे भावपूर्ण हैं ,पर दोहा छंद के नियमों का पालन न होने से मात्रा भार की अधिकता है ।जिसके लिए आदरणीय जी का ध्यान चाहूँगा कि छंद विधा के नियमों का पालन जरूर करें ।धन्यवाद ।
आदरणीय अभिनन्दन गोइल जी ने भी बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण दोहे लिखे ।आपने लिखा कि-
पर पीडा़ से द्रवित हो ,प्रकटे सेवाभाव ।
गहरी हो संवेदना ,करुणा का सद्भाव ।।
बहुत ही श्रेष्ठ दोहा ।बधाई सहित शत शत नमन ।
मैने भी पटल पर पाँच दोहे डाले ,जिनकी समीक्षा आप सभी कर आशीर्वाद देगें ।
श्री एस .आर. सरल जी ने भी बहुत ही सारगर्भित दोहे लिखे जो प्रसंशनीय और सार्थक भी हैं ।
श्री सुशील शर्मा जी ने लिखा कि-
परहित में मिट जाय जो वही श्रेष्ठ नर है ।बढिया विचार ।शानदार दोहों के लिए बधाई ।
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी जो कि पटल के सबसे व्यस्त रहने वाले रचनाकार है उन्होनें भी अपने तीन दोहे पटल पर डाले जो
सार्थक और मजेदार हैं ।धन्यवाद
अन्त में श्री रामलाल द्विवेदी जी ने अपने दोहों से समीक्षा की इति श्री करदी ।
इस तरह से आज पटल पर सभी ने शानदार और मजेदार बेहतरीन दोहे लिखे ।सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई ।
इन्हीं शब्दों के साथ ।आपका ही अपना ।
सियाराम अहिरवार टीकमगढ़ ।🙏🙏🙏
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124-समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ल 'सरस'
जय बुंदेली साहित्य समूह
बुंदेली गद्य /पद्य स्वतंत्र रचना
समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ल ,,सरस,,
बुंदेलखंड की बुंदेली बोली वाणी में अलबेली ।
चलत छमाके पारें।
घर-घर में जात है जा बोली ।।
बिन बुंदेली हिय जुड़ात नैं। धरत धीर नैं ध्यान।।
बुंदेलखंड सी बुंदेली भई।।
देत खानपान सम्मान।।।
प्रेम प्यासी रह बातन बातन रस घोल रै।
अपनत्व भाव जगा के।
घर-घर जाकर है डोल रई।।
जय बुंदेलखंड जय जय बुंदेली ।।
सभी कविवरन साहित्य कारन को नमन ।।
कर आज की समीक्षा निम्न प्रकार है ।।
1- अनीता श्रीवास्तव जी ने अपनी गद्य रचना के माध्यम से हुंकार भरी है जी में ठंड से कुकरे एवं कोरोना से पतौ नैं पर रव कोंड़े पै बैठवौ दुश्वार हो गव ,कोरोना काल में नौनी कथा कैकें नौनी सीख के लानै बहुत-बहुत बधाई।।
नंबर दो-- कविता नेमा जी ने बुंदेली पटल पर कौरोना शब्दन में रचना के माध्यम से कोरोना के भय से भारत के बदलो परिवेश में हाथ धोवौ और दुरई बैठो जोड़ना जब लौ दबा ना बनै तबै तकै हवा नैं खानै , नौनी रचना के लिए सादर बधाई ।।
नंबर 3- श्री अशोक पटसरिया जू ने किसान आंदोलन में बुंदेली रचना में चार चांद लगा दिए हैं किसान बन रयें वे साँसै के किसान नोईं ,वे खेतै डड़ोरा नैं जानत जिठा दोंगरेऔर घिनौची नैं जानत वोटन के भूखे फिर रये ,साँची बता कर नादान जु ने साँची कै दै नौनी रचना करी भी बधाई के पात्र हैं सादर धन्यवाद।।
नंबर 4 - डॉ देवदत्त द्विवेदी जू ने जड़कारे की जेई मची लहरिया और नगन नगन में खुश गव जाड़ौ,अपनी बुंदेली रचना में भर दव औरैयन की तलाश में जो जिउ परों है उन्नन मे दुकौ परो है नई कालजई रचना के माध्यम सें बूढ़े बारन कौं नसीहत दै है सादर अभिवादन बधाई।।
नंबर 5- रेनू श्रीवास्तव जुने शिव मंदिर में जात गुईयाँ लाल कों लैकें कैयाँ और सास-ससुर को मात पिता के समान मानती और उनके आशीर्वाद को लेकर बलिहारी जातीं, सद्गुणन की सीख दै गई जो नौनी रचना के लाने बहुत-बहुत बधाई।।
6- डी .पी .शुक्ल,,सरस,, सूखा सरस छेड़छाड़ प्रकृति के संग छेड़छाड़ कर भी शर्माए लाडला नष्ट करके देख रव है आग लगा पानी कों दौर. रव है बेचारे नदियन नीर बहा रय। देखवे वारौ कौनै नैया। अब घर घर की लगी ईर्ष्या को मिटाने वारौ कोउ नैयाँ, कसौैे आज जमानो आगव ,जो सबको है भरमागव।। अंतर उर में लगी आग,कोउ नैं बुझारव।।
नंबर 7- श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी ने चौकड़िया के माध्यम से बहुत ही नोनी सिंगार रचना में नचत नैन दोई दमके ।रुको कॉल को पैया रह गए नैन बिलम कें ।।प्रेम रस बरसाओ है आनंदमई छटा के संग सुहावनी रचना हेतु धन्यवाद बधाई ।।
नंबर 8-- श्री राजीव राना लिधौरी जु ने बुंदेली कविता के माध्यम से किसान को उनके दर्द कौ बखान करों है, जो वास्तविक भारी परेशानी बताई है बहुत ही बहुत धन्यवाद ।सबकी सवई कै रयै किसानन की कोउ नै कै रव ऊकी कै कर कें वास्तव में परेशानी बताई है राना जी को बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद ।।
नंबर 9 - श्री राम गोपाल रैकवार जी ने अपने बुंदेली गीत के माध्यम से जानकारी में जड़कारे के दर्द की व्यथा को उजागर करकें मानव की दशा कौ वर्णन करो है उनकी मानसिकता जानवर और चिरैयन कों चाने आज उरैयाँ ।।गीत के माध्यम से समय को आँको है बहुत-बहुत बधाई सादर धन्यवाद।।
नंबर 10 - श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जु ने अपने लोक शैली वद्ध रचना के माध्यम से प्रकृति के सुंदर एवं पंछी निहारण के दर्शन करा कर मन मुग्ध कर दव जीके बिना हमारा जीवन अधूरा है दाऊ साहब ने भव्य रचना के माध्यम से चित्रण करके समझाइस दैहै के लाने बहुत-बहुत धन्यवाद बधाई ।।
नंबर 11 --श्री शील चंद जैन साहब शास्त्री जू ने अपनी कोरोना महामारी के लक्षण बताकर सचेत करो है सो जौ काम करके नोनी सीख देवे के लानें बहुत-बहुत बधाई।।
नंबर 12 -, श्री सियाराम अहिरवार जुने आज के उन भडुअन की बातें करी हैं बुंदेली रचना में उनकी करतूतन कौ वर्णन करो है चेतावनी दी कैे इनसे बच के रैइयौ नौनी रचना लिखी धन्यवाद।।
नंबर 11,--कृति सिंह जी भोपाल के द्वारा अपनी भव्य रचना के माध्यम से समझ समझ की बात बताकें सवई के गुनन को उजागर करो है जो लरका बिटियन में भेद करत है बेई दोऊ कों एक समान नैं मानत अच्छी सीख देवे के लिए बहुत-बहुत बधाई ।।
14- श्री राम कुमार शुक्ल ,,राम ,, के द्वारा बुंदेली कविता के माध्यम से जड़कारे में उरैइयाँ नैं कढ़ रै, ईसे बूढ़े बारे भौतै परेशानी में हैें हाल की चाल लिखवे पै बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।।
समीक्षक-डी पी शुक्ला, टीकमगढ़
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125-समीक्षा-17-12-2020
समीक्षक -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
125-आज की समीक्षा** *दिनांक -17-12-2020*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी स्वतंत्र*
आज पटल पर हिंदी में स्वतंत्र लेखन था। आज पटल पर हिंदी में कविता, हाइकु,गीत,मुक्तक,क्षणिका आदि पढ़ने को मिले। विभिन्न बिषयों पर काव्य रसास्वादन किया साथियों ने बेहतरीन कलम चलायी सभी को बधाई।
आज सबसे पहले *डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा* ने दो कुण्डलियां लिखी - पहलै में वे घमंड नहीं करने की सलाह दे रहे तथा दूसरे में देशप्रेम की इच्छा कुछ इस प्रकार जाहिर कर रहे है
माटी में तेरी मिलूँ ,अंतिम इच्छा आज।
कोकिल कंठों में बसूँ, बन तेरी आवाज़।
बन तेरी आवाज़ ,बहूँ बन रेवा नीरा
बन हिमगिरि का माथ ,बनूँ सीमा रणवीरा।
करता नमन सुशील ,पुण्य भारत परिपाटी।
अंतिम प्राण प्रयाण ,मिलूँ बस तेरी माटी।।
*श्री राम कुमार शुक्ल जी चंदेरा* से किसानों का दर्द बयां कर रहे है-
खाद बीज के भाव सुन, है किसान हैरान।
जैसे तैसे साव ने,लइ बातें सब मान।।
लइ बातें सब मान,भई भारी हैरानी।
तैयार पड़े हैं खेत,रिसानी बिजली रानी।
सुनो राम तंगी हुयी,भे किसान वरवाद।
हालत ऐसी हो रही,बीज बचत ना खाद।।
*श्री अभिनन्दन गोइल जी इंदौर* ने बढ़िया शीत पर केंद्रित हाइकु लिखे है-
शिशिर आई/सूरज को लजाती/तन कँपाती।।
काँपे वदन/हिमवत पवन/भारी वसन।।
*विनीता श्रीवास्तव जी जबलपुर* से लिखती है के हमें संघर्षौ से नहीं घबराना है बल्कि आगे बढ़ते जाना चाहिए उमदा सोच है-
पथ में कितनी हों बाधाएँ
बढ़ने का निश्चय करना है।
संघर्षों से लड़कर हरदम,
लक्ष्य स्वयं ही तय करना है।।
*श्री नरेन्द्र जी श्रीवास्तव, गाडरवारा* ने कहा कि ये *दुनिया कितनी बदल रही है* अच्छा व्यंग्य किया है-
साड़ी का पहनावा छूटा,
माथे की बिंदिया भी छूटी।
फटी जींस और टॉप पहनकर,
फैशन कितनी उछल रही है।।
*राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़* ने ग़ज़ल पेश की उनके ये शेर बहुत पसंद किये गये-
जिसको नफ़रत थी जिसे अय दोस्त हमारे दिल से।
अपने ख्वाबों में उसे हमने बराबर देखा।।
उड़ गयी नींद भी 'राना' की चैंन दिल का गया।।
जब किसी शोख़ ने बाज़ार में हंस कर देखा।।
*श्री रामगोपाल जी रैकवार, टीकमगढ़* का यह बहुत कर्णप्रिय ऋतु गीत- मुझे बहुत पसंद हैं-
आओ गुनगुनी धूप में बैठें।
आओ मधु बनी धूप में बैठें।
धुँधला-धुँधला है गगन/ठिठुरी-ठिठुरी है पवन,
ऊष्मा से हो गई, सूर्य की अनबन।।
*श्री अशोक पटसारिया नादान ,लिधौरा* से कह रहे है- वो है चौकीदार यहां-
कुर्सी के भी कुशल चितेरे,खादी के गद्दार यहां।।
पत्थर के इंसान बहुत हैं,जिस्मों के तज़्ज़ार यहां।।
टुकड़े टुकड़े गैंग मिलेगी,दुश्मन से भी प्यार यहां।।
शीशे कैसे बदन मिलेंगे,खुशबू का व्यापार यहां।।
*कविता नेमा जी* मानव के रूप बतला रही हैं-
वाह रे मानव /तेरे कितने रूप
दिखने में लगती भोली सूरत .
मन मंदिर में काली धूप /मानव तेरे कितने रूप ।।
*श्री राज गोस्वामी दतिया* राजनीति पर लिखते है-
1-दरियादिली दिखाइये जनपृतिनिधि को साध ।
माफ सभी हो जाऐगे/किये गये अपराध ।।
2- न्यायपालिका पर हुई/हाबी अब सरकार ।
दागी सेवक बच गये/भृषटाचार अपार ।।
***
*श्री किशन तिवारी जी, भोपाल* ने बेहतरीन ग़ज़ल कही-
धूप के चेहरे कभी परछाई के चेहरे।
भीड़ में अक्सर मिले तन्हाई के चेहरे।।
*अनीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़ जी* ने सुंदर रचना लिखी-
आ जाओ/सत्य औ धर्म की पूँजीअधिकतर खो चुके हम/प्रेम की भूख लिएभूखे बहुत ही रो चुके हम /अपने आप में पूरे सुदामा हो चुके हम/कृष्ण अब आ जाओ।।
*डॉ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल* ने अकड़ शीर्षक से उमदा रचना लिखी-
अकड़ से सब हो जाता खाक
बनाता मानव को कुख्यात
अकड़ है अहम भाव का मूल
ह्रदय में लग जाते हैं शूल
वृक्ष में जब लद जाते फल
धरा की ओर ही झुकता पल।।
*श्री के.के.पाठक जी ललितपुर* से कहते है कि ईश्वर एक है नाम भले ही अनेक है नेक ख्याल है-
जिसे अल्लाह तुम कहते,उसे हम राम कहते हैं ।
अमन का दे संदेशा जो,उसे इस्लाम कहते हैं ।।
खुदा के नाम लाखों हैं,जो चाहे नाम रख लो तुम ।
*डॉ.अनीता गोस्वामी* जी भोपाल ने * रिश्तों* पर अच्छी रचना लिखी है-
"रिश्ते हैं सब अकड़े हुए/स्वार्थ से लिथड़े हुए--
माहौल आज देख देख/सब- - -- - -
जीवन सर चिढ़ सी हो चली अब- - -
"कर्तव्य"भी करते करते
अब कर्त्तव्य सड़ा"से लगता है- - -- - -- -
"रिश्तों"की ओर देखो- --।।
*श्री वीरेन्द्र कुमार जी चंसौरिया* टीकमगढ़ से मां की गोद में खेलने को कह रहे हैं कि इसी में परमानंद है-
आओ मेरी गोद में खेलोमां की गोद में खेलो
जब जब चाहो जितना चाहो/आँचल छांव में खेलो।।
श्री सियाराम अहिरवार जी टीकमगढ़ ने ग़ज़ल में कह रहे है कि कोरोनावायरस के कारण जमाना कितना बदल गया है- सही फरमा रहे है-
कितना बदल गया है जमाना ।
अब मुश्किल हो गया है कमाना ।
फैला है खतरनाक संक्रमण ।
मुश्किल है इस रोग से बचाना ।।
श्री एस आर सरल जी ,टीकमगढ़ लिखते है कै लगता है कि जाड़े में धूप मेहरबान बन के आयी है-
अब दिनों दिन ठंड लगती,
शीत की तरुणाई है।
गुन गुनी सी धूप लगती,
मेहमान बन के आई है।।
*डॉ.रमेश कटारिया पारस,ग्वालियर* से निराशा भरी नजरों से चारों तरफ देख रहे है-
हर तरफ़ निराशा है देख लो ।
दुनियाँ इक तमाशा है देख लो ।।
आज़ हमको ये समझ में आगया
जिंदगी इक बताशा है देख लो
कुछ नज़र आता नहीँ है सामने
कितना घना कुहासा है देख लो ।।
*श्री जयहिंद सिंह जयहिन्द,पलेरा* से श्री राम जी के बाल रूप का बेहतरीन वर्णन कर रहे है-
मोरे झूलत हुलिया नैन /अबध के लाला की।
कुन्तल केश सँवरिया सोहै।
कजर डठूला लख मन मोहे।।
बंश दिवाकर दैंन।अबध के...
#2#
गल बैजन्ती माल सुहाये।
केशर चंदन तिलक लगाये।।
छवि छलकत दिन रैंन।अबध के..
#3#
गोल कपोल अधर अरुनारे।
कछनी हरी नैन रतनारे।।
फूली लगत पुरैन।अबध के.....
इस प्रकार से आज सभी साथियों ने बहुत बढ़िया रचनाएं पटल पर रखी पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
मैं आप सभी का हृदय से बेहद आभारी हूं कि आपने आज पटल पर उपस्थित रहकर पटल की शोभा बढायी है।
*समीक्षक- राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)*
अध्यक्ष- मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
एडमिन -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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126जयहिन्द सिंह जयहिन्द दिनांक 21-12-2020
#सोमवारी समीक्षा#बिषय..कूंड़ौ
#बुन्देली दोहे#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
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#आज की समीक्षा#
बुन्देलखंड में माटी के बरतनन कौ अलग महत्व सदा सें रव ।उनके उपयोग करे सें भौत लाभ होत बे स्वाद और बिचित्र काम आधुनिक बरतनन में नयीं होत बल्कि बे हानिकारक जादा रत।
पटल पै आज कूड़ौ बिषय बैसैं कैबै में जरूर सरल है पै लिखबे में आज सबके मानस पटल की कसरत हो गयी।
सब विद्वानन खों हात जोर राम राम और मां भारती कौ वंदन करत भये आज की समीक्षा शुरू कर रय।
श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू.....
आपके दोहन में जड़कारे में कूड़ौ के खेत मेंबसबौ,भटा गक्कड़ बनबे कौ,कोंड़े की कुड़ैया और कोंड़ौ बंद होबे कौ,बरनन खरो गव।कूंड़े में दय भटा....भौत अच्छौ लगो।आप दुहरी भाषा के जनक हैंउनमें भाव और अर्थ अलग अलग लग सकत।भैया कौ वंदन अभिनंदन।
#2#श्री राजी नामदेव "राना लिधौरी"....
आपने पटल के लानै 2दोहे रचे।
आपने भी कोंड़े की कुड़ैया ,जाड़ौ भगाबे और रात काटबे कौ बरनन करो।आप भाषा के उतार चड़ाव में पारंगत हैं।दद्दा कक्का हांकतेसुनरय सब चुपचाप......भाव बहुत ही अच्छे लगे।आपको सादर नमन।
#3#जयहिन्द सिंह जयहिन्द.....
मैंनें 5 दोहे रचे जिनमें कुमार के कूंड़े बनाबे कौ,उनमें दूध दही जमाबे कौ,गुरसी तापबे कौ, कूड़े में गुर परसकें पारी बनाबे को बरनन करो गव।टंआज कौ बिषय कठिन हतो पर निभ गयी।भाषा जैसी होय आप ,ब जनै जानौ।
आप सबकौ बेर बेर अभिनंदन।
#4#श्री देवदत्त द्विवेदी जी...पूज्य डा. साब ने अपने दोहन में सामाजिक मूल्यन कौ भाव उकैरौ,कौड़े पै कुड़ैया बनाकें बैठबे सेंसमय पास के अलावा भलाई बुराई दूर करबे कौ ,बरनन करो।कभौं 2कोंड़े पै चिटियां जर जातीं,मुहावरन के प्रयोग कौ आपकी भाषा कौ चमत्कार है।माया कौ कोंड़ौ, और तैया की भाजी,सकला मीठे लगत।आपने लाला भौजी के स्नेह कौ बरनन चतुराई सें करो।आपकी भाषा में चमत्कार की कमी नयीं रत।कौंड़े लौ तापन लगे......बहुत अच्छा प्रसंग डारो है।आपके चरण बंदन और आशीष की कामना।
#5#डा. सुशील शर्मा जी.....
आपने 3 दोहे रचे,जाड़े में कोंड़ौ जले उर दद्दा की......भौत नौनौ दोहा,बैसे तो सबयी अच्छे हैं।आपने आध्यात्मिक कौंड़ौ जलावकिसान के कौंड़े कौ बरनन करो।आपके भाषा कौशल को नमस्कार आपको नमन।
#6#श्री राज गोस्वामी जी......
आपने 3 दोहे रचे।आधुनिक कौंड़े कौ बरनन करो।कूंड़े के तापबे के संगैबिना बुलाय तापबे बारेआबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा प्रवाहपूर्ण है।बिन बुलाये......सबसे अच्छा लगा।
आपको सादर नमन।
#7#श्री सियाराम अहिरवार...... जी.....
आपके दोहन में कौंड़े पै संक्रान्त के लड्डूजड़कारे की ठंड औरकौड़ौ,भुजे भटा और रोटी कौ आनंद,गप्प सड़ाका कौ बरनन,माते के कोंड़े कौ बरनन करो गव।आपने अनेक बिधाओं में कोंड़े कौ बरनन करो।आप भाषा के जादूगर हैं आपका अभिनंदन।
#8#श्रीकल्याण दास साहू पोषक....जी
आपके दोहन में चतुर मान्स की पहचान, सामाजिक बदमाशी, बड़े घर की चतुराई,संकोची कौ ना ताप पाबौ,ढाई लैंडी को कौड़ौ कौ बरनन करो।आपकौ भाषाई चमत्कार अद्भुत है। भाव भरकें कूड़ै कौ प्रयोग अलग अलग करो गव।भाषा सटीक आपकौ अभिनंदन।
#9#श्री एस.आर.सरल जी.....
आपने 5 की जगह 6 दोहे रचे।
कुड़िया सें कूंड़ौ बड़ौ......बहुत अच्छा।कुदै कौ कूंड़े सें ढाकबौ,कोंड़ौ जलाकें ईसुरी की फागन कौ बरनन,फूटे कूंड़े कौ उपयोग,बताव।अंतिम दोहा भौत अच्छौ।आज कौ बिषय बहुरंगी हतो,पर भैया नें परखो।धन्यवाद
भाषा कौ चमत्कार दिखानौ।अभिनंदन।
#10# श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी.....
आपने कम दोहे डाले पर दोहे अच्छे हैं आपनेकूंड़े के चारों ओरबैठने कौ बरनन करो गव।घर भर के तापबे कौ बरनन करो गव।पौंघर भर कौ भोजन कूड़े पै बनबे कघ बात बताई गयी।आपने अपने अनुभव और यथार्थबाद को उकेरा है।आपकी भाषा सरल आपको नमन।
#11# श्री इन्द्रपाल सिंह राजपूत जी.....आपने अपने दोहे समयसीमा में नहीं डालेएवम् पटल का नियम है कि सामग्री टाईप कर ही डाली जाय।
आप पहले दोहों के रचनाएवम् मात्रा विवरण का अध्ययन करलें
फिर लिखा करें पहले दूसरों की मदद ली जा सकती है।कोई बात नहीं ना लिखने से कुछ लिखना अच्छा है।
यदि किसी भाई की रचना धोखे से छूट गया हो तो छमा कर दें।
मैं आज की समीक्षा यहीं इति श्री
करतहैं।सबखों फिर राम राम।
समीक्षाकार..जयहिन्द सिह,पलेरा
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127-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
127 वीं समीक्षा-आज की समीक्षा**
*दिनांक -22-12-2020*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-मंहगाई (हिंदी दोहे)*
आज पटल पर हिंदी में *बिषय - मंहगाई* पर दोहा लेखन था। आज पटल पर हिंदी में बहुत उमदि दोहे पढ़ने को मिले विभिन्न दृष्टिकोणों से आज दोहाकारों ने बेहतरीन दोहे रचे है। पटल के सभी साथियों ने बेहतरीन कलम चलायी सभी को बधाई।
आज सबसे पहले *श्री अशोक पटसारिया 'नादान' जी* लिधौरा मंहगाई बढने का कारण जनसंख्या विस्फोट मान रहे है जो कि कुछ हद तक सही भी है,बढ़िया लिखा है-
जनसंख्या विस्फोट का, है ये दुष्परिणाम।
मांग बढ़ी हर चीज की,आसमान मैं दाम।।
मंहगाई ने खींच ली,अब गरीब की खाल।
पैसा भी मारा गया, पाया नकली माल।।
*डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस, बडा मलहरा* से मंहगाई की मार से युवा भी प्रभावित है, उमदा दोहा रचे है-
महंगाई की बात हो या फिर भ्रष्टाचार।
लोकतंत्र के सारथी करते नहीं विचार।।
बेरुजगारी का करें,शीघ्र कोइ उपचार।
झेल रहे हैं सब युवा, मंहगाई की मार।।
*राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से लिखते हैं कि मंहगाई सुरसा सी बढ रही है-
मंहगाई सुरसा हुई,जनता है बेहाल।
अफसर की चांदी हुई,नेता मालामाल।।
मंहगाई की मार है,पड़ती चारों ओर।
आमजन परेशान है,मिले नहीं अब छोर।।
*डॉ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल* से कहती है कि कोराना की वजह से मंहगाई बढ गयी है-
कोरोना की मार से,ये मंहगाई आय।
सभी मनाते ईश से,कोरोना भग जाय।।
#श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा# सें लिखते हैं कि मंहगाई पर सरकार नियंत्रण नहीं कर पा रही है-
महगाई की मार सें,मच गयी हाहाकार।
नहीं नियंत्रण कर सकी,यह भारत सरकार।।
हों महगाई में मगन,खूब महाजन चोर।
कोरोना ने कर दिया ,अर्थतंत्र कमजोर।।
*श्री डी.पी. शुक्ला, टीकमगढ़* सही लिखते है कि मंहगाई के कारण हम अपनी आश पूरी नहीं कर पा रहे है-
मारे महंगाई सदा,मानव हुआ हताश ।।
रात दिन मेहनत करत,परत न पूरी आश।।
*श्री कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर* मंहगाई क्यों बढ़ रही है इसका कारण खोजने को कह रहे है-
मँहगाई का नित्य ही , रोना - धोना होत ।
क्यों बढ़ती है मुल्क में , नही खोजते स्रोत ।।
मँहगाई की मूल में , बैठा भ्रष्टाचार ।
किस में इतना हौंसला , जड़ पर करे प्रहार ।।
* श्री राज गोस्वामी दतिया* का ये दोहा बहुत बढ़िया रचा गया है-
-खानपान महगा हुआ सस्ता है ईमान ।
मंहगाई के दौर मे खिन्न दिखे श्रीमान ।।
*डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा से लिखते है कि- मंहगाई डायन बनी है जो सबके प्राण हर रही है,अन्य दोहे भी अच्छे है-
महँगाई डायन बनी,लेती सबके प्रान।
सांसत में फँस रह गई,फिर गरीब की जान।
*श्री एस आर सरल, टीकमगढ़* बता रहे है कि काले धन को मंहगाई का कारण मानते है-
कालाधन की बाढ़ से, शासक मालामाल।
मँहगाई सिर पर चढ़ी, जनता भइ कंगाल।।
*श्री इंद्रपाल सिंह राजपूत,हरपुरा के अनुसार मंहगाई के कारण पलायन हो रहा है-
महंगाई की मार से ,सब जन है हैरान l
रूखी सूखी खा रहे , मजदूर और किसान ll
महंगाई के कोप से , है जनता परेशान l
घर छोड़ दिल्ली चले, मजदूर और किसान ll
*श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश कर्वी चित्रकूट* मजदूर और गरीबों का दशा का सटीक चित्रण दोहो में किया है-
महंगाई की मार से, निर्धन अति लाचार ।
नित लाते दस बीस का ,हल्दी आटा दार।।
मजदूरी जो कर रहे ,रहे न पैसा टेंट।
महंगाई पर मूक सब ,कैसे भर रहे पेट।।
*श्री सियाराम अहिरवार टीकमगढ़* से किसानों का दर्द बयां कर रहे है-
मंहगाई की मार से ,चौपट हुआ किसान ।
सुनने वाला है नहीं ,निकल रही है जान ।।
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़* लिखते है कि मंहगाई में सब्जी भाजी के भी बहुत भाव बढ़ गये है-
सब्जी भाजी के बढ़े,जमकर अब तो भाव।
तुम भी हो मजबूर तो,भूखे ही सो जाव।।
इस प्रकार से पटल के साथियों ने आज बहुत बढ़िया दोहे मंहगाई पर केंद्रित रचे है हमारी यह दोहा कार्यशाला उन्नति कर रही निश्चित ही इनमें से रचे कुछ दोहे बेमिसाल है, देर तक दिल में बसे रहते है। आज के सभी दोहाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, मां वीणावादिनी की कृपा सदा बनी रहे।
समीक्षक - राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
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128-समीक्षा पंडित श्री डी.पी. शुक्ला सरस टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली में स्वतंत्र लेख दिनांक-23-12-2020
समीक्षा पंडित श्री डी.पी. शुक्ला सरस टीकमगढ़
बुंदेलखंड के कविवर है। बुंदेली की शान ।।बुंदेलखंड के बीच में ।
रखत बुंदेली की आन।।
बुंदेलखंड सौे भव्य भारत। भूषण बसन में एक ।।
प्यारी बोली बुंदेली तहिं।
अपनेपन की राखत टेक।।
,,सरस,, सुमारी सेंई सखा। कविवर सिद्ध सुजान।। बुंदेली के वरद पुत्रन।
नमन करहिं श्रीमान ।।
आज की बुंदेली में अपने विचारन की भावना को पिरोकर अपने शब्दों में प्रस्तुत करो है बे बड़े ही सार तत्वन के ज्ञाता हैं जिन्हें सरस्वती जी का अनमोल वरदान प्राप्त है सवई के भावों की लेखन कला कौ सटीक वर्णन इस प्रकार है सभी सम्मानीय कविवरन को नमन धन्यवाद ।।
पटल पर उपस्थित समस्त कवि कविवरन को सादर बधाई अभिवादन।।
1- प्रथम में पटल पै श्री अशोक पटसारिया जू ने छोटी वहर गजल के माध्यम सें निकम्भे जाली फदालियन कों मजे में बताव है , औरै सबै जनै भौतै परेशानी भुगत रय। पटसारिया जू ने साँसी बात की सीख दै है,वे भौतै भौत बधाई के पात्र है।।
2- श्री रामेश्वर गुप्ता ,,इंदु,, जू ने सरकार और किसान न के बीचै में भौतै आपबीती बताई है, जिद पै दोई डटे हैं उनकी ई ठंड में कैसै हालात हो रय हैं इंदु जू ने दर्द किसानन कौ बाँटकें मन कों हल्कौ करो है वे धन्यवाद के पात्र हैं।।
3- श्री शील चंद जैन शास्त्री जू ने किसानन की हालत पै तंज कसो है, ठंड और गर्मी में काम करत और घर की घानी कैसें चलाउत है, ऊकी विपदा कोऊ नैं देखत वे सराहना के पात्र हैं बधाई।।
नंबर 4 - श्री रामलाल सोनी जी ने गज बदन गजानन की गोरी के लाल की वंदना कर जीवन रूपी विष के समाधान के लाने विनती करी है वे भव्य भावना के पुजारी हैं उन्हें बहुत-बहुत बधाई ।।
नंबर 5 - बहन कविता नेमा जी ने अपनी पद रचना में मेला में मोड़ी मौंड़न के आनंद की बात करी है और उतई बुंदेली के बब्बा जी की जय बुंदेली की बोली में बोल बे के लाने सीख दई है बहिन नेमा जी को बहुत-बहुत बधाई।।
नंबर 6- डी.पी. शुक्ला ,,सरस,, ने अपनी कविता के माध्यम से मन के अरमाँ की पूर्ति हेतु जौ मानव अपनेपन की तलाश में घूम रव है आस पूरी नहीं होत भई दिखाई दे रै है आज हकीकत की बात पद रचना में कही है बहुत नोनी।
नंबर 7-- डा. देव दत्त द्विवेदी जी ने खेती से भौतै असर परत दिखाओ है सूखा तीता के खेल में किसान परेशान दिखा रओ जी से कहां से अपनों जीवन चलाहै, आज की साची बात के लौने द्विवेदी जी को बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।।
नंबर 8 - डॉ .रेनू श्रीवास्तव जी ने कलयुग के हनुमंत वीरा के गुण गाए हैं जीमें उनने श्री राम और सीता जी कौ सहारौ बनकें काज करो हतो, वेई ई कलयुग में हम सबको सहारौ बन के निवारौ कर रय, प्रभु के भरोसे की बात करी है बहुत-भौतै बधाई के पात्र हैं बहिन रेनू श्रीवास्तव जी को बहुत-बहुत बधाई ।।
नंबर 9 - श्री राम कुमार शुक्ला ,,राम,, ने अपनी कविता के माध्यम से खेती करने की जुगत बताई पानी नैयाँ खाद बीज को परेशान हो रहे किसान फसल बचाने को चारों नैयाँ और अब तो किसानै किसानी नै कर पा रय जो सुझाव दव है भौतै नौनों उन्होंने बहुत अच्छी बात कही है बधाई के पात्र है।
नंबर 10 - श्री अभिनंदन गोयल जू ने प्रेम मयी सुंदर सिंगार को वर्णन करो है जी मैं राधा रानी के प्रेम की बंसी बजाई है आज की जा बंसी पति पत्नी के बीच काय नहीं बज रै है, बहुत नोनी सीख दई है बहुत-बहुत बधाई ।
नंबर 11- श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद ,,जू ने आज की हालात में कोरोना पसरो दिखाओ है जी से बच के रनै और दूरी बनाने जांच कराने ईयै हलकौ न मानें, जीवन के जीवे की सीख दई है सीख के लाने दाऊ साहब को बहुत-बहुत बधाई।।
नंबर 12 - श्री वीरेंद्र चंसौरिया जू ने अपनी बुंदेली रचना में सूखे कुआँ और बिजली रूठी रत कमई पानी कौ अभाव बिजली नैं मिलत किसान की परेशानी की हालात को दर्द बयां करो है जिससे आज किसान गुजर रव है साँची बात बताई है बे हार्दिक धन्यवाद के पात्र हैं।
नंबर 13 - श्री सियाराम अहिरवार जू ने चौकड़ियन के माध्यम से किसानन की सरकार नैं सुन रै है ठंड में रात दिना बैठे किसान सरकार का कर रै है और का करेंगे, अपने सुझाव तो करो कै अन्नदाता परेशान हैं किसान की दर्द की बात करके नोनी हमदर्दी जताई है वे बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं धन्यवाद।।
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129-कल्याण दास साहू "पोषक"
----श्री गणेशाय नमः ----
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 24.12.2020 दिन गुरुवार को ' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत " हिन्दी पद्य लेखन " की समीक्षा :----
आज पटल पर सर्वप्रथम श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने दार्शनिक अंदाज में भाव प्रधान रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
''मन पर जो असवार हो गया ,उसने ही जाना ईश्वर को"
श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने भक्ति की रसधार बहाते हुए बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत की ---
" रे मन ! दशरथ नंदन बोल ,
हृदय के पट खोल "
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने सर्वे भवंतु सुखना को चरितार्थ करते हुए बेहतरीन रचना प्रस्तुत की ---
" कोई भूखा रहे ना कहीं पै "
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने प्रेम-प्रणय को लेकर बहुत ही सुंदर भाव प्रधान गीत की प्रस्तुति दी ---
" चलो लिखे मन गीत सुहाना तेरी मेरी बातों का "
आदरणीया कवित नेमा जी ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचना की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी ---
" आंच नहीं आने देंगे भारत मां की शान पर "
वरिष्ठ कवि डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी ने भक्तों की बगुला भक्ति पर बहुत ही करारा प्रहार मुक्तक के माध्यम से किया ---
" आज के भक्तों का मन एकांत की अपेक्षा भीड़ में लगता है "
श्री किशन तिवारी जी ने सामयिक भाव प्रधान गजल की बेहतरीन प्रस्तुती दी ---
" मौन को ओढ़कर सत्य ही सो गया ,
छल अकड़ने लगे बात ही बात में"
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने भक्ति-भाव को लेकर बेहतरीन गजल की प्रस्तुती दी ---
" करेगा इबादत तो दिल से अगर तू ,
फिर उसके करम की भी बरसात होगी "
श्री डी.पी. शुक्ल सरस जी ने परमार्थ को लेकर बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत की ---
" जिसे अपनों से भी ज्यादा दुनिया से प्यार है ,
वही देश का असली कर्णधार है "
आदरणीय श्री अभिनन्दन गोइल जी ने दार्शनिक अंदाज में चेतावनी देती भावपूर्ण गजल की प्रस्तुती दी ---
" जग माया जंजाल है , जान सके तो जान।
भवसागर विकराल है , जान सके तो जान "
आदरणीया रेनू श्रीवास्तव जी ने तुलसा महारानी की महिमा पर बहुत ही सुन्दर भाषा शैली में कलम चलाई है ---
" तुम हरि विष्णु देव को प्यारी ,
तुलसी चौरा सदा सुहाती "
आदरणीया अनीता गोस्वामी जी ने बेहतरीन भाव प्रधान रचना की प्रस्तुति दी ---
" मित्र मित्र होते हैं , जीवन के चलचित्र होते हैं "
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने मुद्दों को लेकर भावपूर्ण छंद मुक्त रचना की प्रस्तुति दी ---
" मुद्दा बन गया है खेल अलग किस्म का आजकल "
श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी ने जिंदगी के सुख-दुख धूप-छाँव को लेकर बहुत ही सुंदर गीत प्रस्तुत किया -
" जिंदगी फूल भी है , जिंदगी शूल भी है "
श्री राज गोस्वामी जी ने शिक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट किया है ---
" पढ़कर अनपढ़ से रहे तो पढ़ना बेकार "
इस तरह से आज पटल पर बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति हुई हमारे आदरणीय काव्य मनीषियों ने बेहतरीन ढंग से कलम चलाई है , सभी को बहुत-बहुत साधुवाद ।
आदरणीय सभी रचनाकारों का आभार व्यक्त करते हुए आशा करते हैं इसी तरह से पटल की गरिमा को बढ़ाते रहें । भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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130-#सोमवारी समीक्षा# दिनाँक 28.12.2020#
बुन्देली दोहे 5##बिषय...बब्बा#
समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द
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आज की समीक्षा सें पैलां मां सरस्वती कौ वंदन,पटल के सबयी संगियन खों हात जोर राम राम।
आज कौ बिषय देखत में सूदौ लग रव पै है भौत टेड़ौ।आनंद की बात जा रयी कै सब भारती पुत्रन ने अपने मानस मन सें ऐसे हीरा उगले कै ऊकी चमक सें हम दंग रै गय।आज हम जैसौ सोचत ना हते जैसौ आप सबने रच डारो।
आज लगो कै हीरा में सें हीरा कड़बौ कितनौ आसान होत।सबने अपनी पूरी तागत लगाकें
दोहे रचे।तौ लो आज की समीक्षा शुरू कर रय।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू......
आपने अपने दोहन में बब्बा के जीवन कौ,बरनन करो।पौंर में खाट डारकें परबौ,खिचरी की मांग,बूड़न कौ सम्मान करबे बारे घर स्वर्ग के समान होत,झुर्रियां परबे और धुधी छाबे कौ,बयू के पोलका की मांग,कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा में सरलता सें सब बात कै दयी गयी।आपखों शत शत बधाई।
#2#श्रीअरविन्द श्रीवास्तव जू....
आपनै पटल पै 3 दोहे रचे।जिनमें बब्बा की सीख,गांव की किस्सा कानातें,बब्बा कौ बतयाबौ,बब्बा के उपदेशन कौ बरनन करो गव।
जौलौ मिल जुल........अच्छौ दोहा रचो।भाषा की सुन्दरता बेमिशाल रयी।आपकौ वंदन अभिनंदन।
#3#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जू......
आपने अपने दोहन में बब्बा कौ हरि सुमरन,आशीष सें बिगरे काम बनबे कौ,बब्बा के नेंक बिचारन कौ,किस्सा कानियन सैं सीख दैबै कौ,उनकौ उचित न्याय,नियम सें चलबे कौ अच्छौ बरनन करो गव।
बब्बा बैठै पौंर में.......भौत अच्छौ दोहा रचो।आपकी भाषा में चमत्कार के दरशन भय।आपकौ भौत भौत अभिनंदन।
#4#जयहिन्द सिंह जयहिन्द....
मोरे दोहन में धरम करम के अनुभव कौ, पंच्यात टोरबे कौ, अनुभव की पुटरिया कौ,बरातन में बब्बा के अनुभव कौ,सदाचार के बीज बैबै कौ बरनन करो गव।भाषा की समी क्षा आप लोग जानें।बस आपकौ आशीर्वाद चानें।
#5#डाँ.सुशील शर्मा जू........
आपने अपने दोहन में बब्बा की मार से अधिकारी बनबे कौ,उनके अपशब्दन मेंआशीष मिलबे कौ,बूड़े बारे एक से होबे कौ,बब्बा की सीख कौ उपयोग, और बब्बा कौ जीवन बरगद के समान बताव गव।बब्बा बरगद रूख है.......बढ़िया दोहा रचो गव।आपकी भाषा के चमत्कार खों नमस्कार।आपकौ शत शत अभिनंदन।
#6#डाँ.देवदत्त द्विवेदी सरस जू....
आपने अपने दोहन में बारे सें बूड़े होबे कौ,बब्बा के रट्टे खाबे कौ,मोंपै सांसी बात कैबै कौ,बर ना मुरें पै चना की चाहत कौ,बब्बा के बनबे कौ अद्भुत बरनन करो।
नैंया कौंनौं दीन के.......एवम् जौ जीवन अनमोल है.......भौत अनूठे दोहे रचे।
बैसें आपकी भाषा सबसें अलग रात,ऊकौ चमत्कार अलग होत।
डाँ.द्विवेदी जू कौ चरण वंदन अभिनंदन।
#7#श्रीसंजय श्रीवास्तव जू......
आपके पांच दोहन मेंबब्बा के असुवन सें दीवारें गिरबे कौ,चाँदी जैसै बार और सोंनें जैसै बोलन कौ,बब्बा कौ पोथी निरूपण,बरगद की उपमा,छांयरौ और धूप दैबै कौ,अच्छौ बरनन करो गव।
बब्बा बरगद घांईं है.......एबम्
बब्बा घरयी कौ छांयरौ.......भौतयी अच्छे दोहे हैं।
आपकी भाषा की बिस्तार शैली सुहावनी है।आपको शत शत प्रणाम।
#8#बहिन रेणु श्रीवास्तव जी......
आपके दोहन में बब्बा खों ज्ञान की खदान मानोंगव।बजरंग कौ बब्बा निरूपण नौनौ रव।बब्बा के लड़याबे कौ,आशीष सें पाप नाश होबे कौ,बजरंग बंदना कौ नीकौ बरनन करो गव।आपकी भाषा कौ बिस्तार गागर में सागर भरबे जैसौ है।भाषायी कौशल सराहनीय बन परो।
आदर्णीय बहिन जी कौ सादर चरण वंदन।
#9#श्री राजीव कुमार राना लिधौरी जू...........
आपने पटल पै दो दोहे रचे।जिनमें बब्बा बाई खों प्रनाम करबे कौ,कौंड़े की किस्सा कहानियन कौ,सटीक बरनन करो गव।आप भलेयी कम लिखें पैलेखन कौ कला शिल्प कुशल कारीगर कौ है।बब्बा बाई कौ करो........भौत सटीक दोहा है।भाषा परमानन्द पूर्ण है।भैया जी खों बेर बेर बधाई।
#10#श्री राम कुमार शु क्ला जू........
आपने अपने दोहन में सावनी के चिक्क बाबा कौ,गल्तियन के भान कराबे कौ,बूढ़े सें बारे तक सबके सम्मान करबे कौ,बरनन दोहन में करो।आपकी भाषा अलग हटकें है।पैलै दोहा में चमत्कार भर दव।
आपकौ वंदन अभिनंदन।
#11#श्री इन्द्र पाल सिंह राजपूत जी.......
आपने दो दोहे रचे,दोई सटीक दोहे रचे गय।आपकी अनुकरण शैली इतनी प्रबल हैआपने दोहन के अंग अंगकौ रचना अध्ययन करकेंबढिया दोहे डारे। भाषा में भी चमत्कार ल्याय।भैया आपके सीखबे की कला तेज रयी।आपकी अनुकरण क्षमता कौ नमन।
#12#श्री कल्याण दास साहू पोषक जू.......
आपके पांच दोहन मेंहनुमान बब्बा कौ पंचक लिखो गव।आपके पांचों दोहे हनुमान मय हैं।आपने तरह तरह से हनुमान बब्बा की वंलना की है।आपकी भाषा धार्मिक लय युक्त है। आपका सादर वंदन।
#13#श्री एस.आर.सरल जू.......
आपने अपने दोहन में बब्बा बौ माता पिता सें कम नयीं माने।बब्बा द्वारा कोंड़े पै किसा सुनाकें हँसाबौ,पैला उठकें कोंड़ौ जलाबौ, नकैयन कौ इन्तजाम,बब्बा कौ प्यार दोहन में उतारो गव।भाषा सरल सटीक सुन्दर है।आपकौ बेर बेर अभिनंदन।
#14#श्रीरामगोपाल रैकवार.... जी
आपने अपने दोहन में बब्बा के ज्ञान दुलार,अनुभव की बात कयी।खुद बब्बा बनबे कौ,बब्बा के जाबे पै नीम के पेड़ कौ बिरह,बरनन करो,अंत में एक पहेली पूंछ लयी।आपने उत्तम दोहन की रचना करी।आपकी भाषा में चमत्कार है।आपखौं बारंबार प्रनाम।
#15#श्री राज गोस्वामी जी.......
आपने 3 दोहा रचे।आपके दोहन में बब्बा के फटकारबे कौ,मुसका कें बब्बा बौ की ब्यारी की चर्चा,बब्बा के कार में घुमाबे कौ उत्तम बरनन करो गव।भाषा प्रयोग अद्भुत है।आपखों सादर नमन।
#16# श्री डी.पी.शुक्ला सरस जू......
आपके पैलै दोहा के अंतिम चरण में मात्रा दोष है।बब्बा बौ के खेल कौ चित्रण,बब्बा के बुड़ापे की बात,बब्बा घर की शान,आंखन सें कम दिखाबौ,आदि कौ बढिया बरनन करो ।आपकी भाषा सरल और सहज है।आपकौ बारंबार नमन।
#17#श्री सियाराम अहिरवार सर जी.......
आपके दोहन में बब्बा की पीरा,कड़ी भात देखकें मौ पनयाबौ,बब्बा के रोग,कपंसास बहू के झगड़े का चित्रण,बब्बा के मूछ तानबे कौ बरनन करो गव।बब्बा मौ पनया रव........अच्छौ बरनन करो गव।भाषा सरस मीठी और चमत्कारी है।आपका हार्दिक अभिनंदन।
उपसंहार.......
आज सबयी जनन ने एक सें बढ़कर एक प्रयास करौ ।अगर भूल बस कौनौ पोष्ट छूट जात तौ मोय अपनौ जान कें छमा कर दैयो।फिरसें एकदार पंचो राम राम।
#मौलिक एवम् स्वलिखित#
समीक्षक.........जयहिन्द सिंह जयहिन्द
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131-समीक्षक -सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
✍️ आज की समीक्षा✍️
जय बुन्देली साहित्य समूह
🦋 टीकमगढ़🦋
दिन- मंगलवार
दिनांक-29/12/2020 🔊विषय-तरंग 🔊
परम सम्मानीय ,
साथियो ।
आप सभी को सादर नमन ।
आज आप सभी ने बहुत ही मधुर रोचक और सारगर्भित दोहे लिखे हैं ,जो विषय को परिभाषित करते हुए प्रतीत होते हैं ।पटल का भी यही नियम है कि जो भी लिखा जाये वह विषय पर ही केन्द्रित हो ।तभी हमारी रचना की सार्थकता है।सभी ने अच्छा लिखा सभी बधाई के पात्र हैं ।आप सभी के दोहों की समीक्षा का दायित्व मुझे सौंपा गया है ,जिसे मै निभाने की कोशिश करता हूँ ।
आज सबसे पहले आदरणीय श्री अभिनन्दन जी गोइल ने अपने दोहे पटल पर डाले ,जो वास्तव में तरंग पैदा करने वाले हैं ।आपने कवि के मन में उठने वाली तरंग ,दिल में बजती घंटियां ,जिसमें मन मयूर नाच रहा है। बहुत ही सुन्दर दोहे लिखे ।आपके दोहे श्रेष्ठ साहित्य की श्रेणी में आते हैं ।आप बधाई के पात्र हैं ।
श्री अशोक पटसारिया जी नादान जो कि मजे हुये साहित्यकार हैं ।
आप सभी विधाओं में सिद्धस्त हैं ।आप लिख रहे हैं कि -
जीवन के जिस मोड़ पर ,मिल जाये सत्संग ।
हो तरंग मन की शमन , चढे ज्ञान का रंग ।आपने सत्संग करने की प्रेरणा दी है ।भाषा सरल और सहज है ।धन्यवाद
डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ने भी अपने पाँच दोहे पटल पर डाले ।
जिनमें आपने लिखा कि मन के खेल विचित्र हैं ।साथ ही सर्जीकल स्ट्राइक ने सभी को दंग कर दिया
जिससे घर घर में देशभक्ति की तरंग उठने लगी ।अच्छा लिखा ।भाषा सरल और सरस है।बधाई ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने अपने स्वरचित दो दोहे डाले ,जिसमें आपने लिखा कि जब मन मेरे तरंग उठत तब नयी रचना बनत ।साथ ही आप लिख रहे कि अगर मन में तरंग उठती है तो लेखन कार्य में हमेशा सक्रिय रहो ,नहीं तो कलम को जंग लग जायेगी ।बढिया लिखा ।दोनों दोहे भावपूर्ण हैं ।धन्यवाद ।
श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने भी बहुत ही सार्थक और रोचक दोहे लिखे ।आपने लिखा कि साजबाज के संग जब जल तरंग बजने लगती है तो मन में उमंग उठने लगती है ।साथ ही आप लिख रहे कि सबसे अच्छा भजन है कि मन की तरंग को मार लो ।यह अनुभव की बात है ।सुन्दर दोहे आदरणीय ।भाषा मीठी और लालित्य पूर्ण है ।सादर नमन ।
श्री एस .आर .सरल जी ने भी अपने बहुत ही भावपूर्ण दोहे लिखे ।आपकी कलम दिनों दिन धार पकड़ती जा रही है ,जो अच्छे
साहित्यकार बनने के शुभ संकेत हैं ।हम सभी की लाख लाख शुभकामनाएं हैं।
आज आपने अपने तीसरे दोहे में बहुत अच्छी बात लिखी कि -
मन विचारि ऐसे उठें ,ज्यों उठि जलधि तरंग ।
हिय निर्मल मन बावरा ,करहिं चेन सुख भंग ।।
आपके दोहों में अनुप्रास की छटा है ,जो व्याकरण सम्मत है ।आपकी भाषा में चमत्कार है ।धन्यवाद ।
श्री डी.पी. शुक्ल जी ने पटल पर दोहों की पटल पर पुनरावृति की ,कारण कुछ भी हो सकता है ।पर दोहे अच्छे है । पाठक को दोहों के अर्थ पकड़ने में कठिनाई का अनुभव महसूस हो सकता है ।ऐसा मेरा मानना है ।क्योंकि भाषा घुमावदार है ।बाकी रचना ठीक है ।धन्यवाद आपको ।
श्री राज गोस्वामीजी ने भी बढिया भावपूर्ण दोहे लिखे ।बहुत बहुत बधाई ।
डाक्टर रेणु जी श्रीवास्तव ने भी बहुत ही सुन्दर ,और सारगर्भित दोहे रचे ।जो बधाई की पात्र हैं ।
आपने लिखा कि-
मनवा डूबे राम में ,दिल में उठे तरंग ।
जब तक डूबा रहत है ,भक्त करत सत्संग ।।
अच्छा लिखा ।भाषा सहज और सरल है ।धन्यवाद ।
मैने भी निर्धारित विषयानुसार पाँच दोहे पटल पर डाले ,जो समीक्षा हेतु प्रेषित हैं ।धन्यवाद सभी को ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही सुन्दर और रोचक दोहे लिखे ।आपने लिखा कि -
मन में उठत तरंग के ,अलग अलग हैं रंग ।
प्रेम भाव तन खिलत है ,
क्रोध जलावे अंग । बढिया दोहा श्रीमान ।बहुत बहुत बधाई ।
श्री कल्याण दास जी पोषक के सभी दोहे शब्द संयोजन की दृष्टि से श्रेष्ठ है ।देखिए एक बानगी कितना अच्छा लिखा
पोषक मन में भाव हों ,पावन प्रेम प्रसंग ।
नव दंपति के हृदय में ,गूँजत मधुर तरंग ।।
बढिया रोचक भावपूर्ण दोहा है ।धन्यवाद ।
भाषा के मामले में आप पारंगत रचनाकार है ।
डाक्टर सुशील शर्माजी ने भी बहुत ही सुन्दर दोहे रचे ।आप एक मजे हुए कलमकार है ।सलाम आपकी लेखनी को ।
श्री राम कुमार शुक्ल जी ने भी पटल पर तीन दोहे डाले ।तीनों श्रैष्ठ और सारगर्भित हैं ।बधाई ।
श्रीमती अनीता जी का इकलौता दोहा भी भावपूर्ण है ।धन्यवाद।
आदरणीय रामगोपाल जी ने भी दोनों दोहे बहुत ही सार्थक और भावपूर्ण लिखे ।बहुत बहुत बधाई आपको ।
आचार्य प्राणेश जी के भी बढिया दोहे है ।धन्यवाद।
इस तरह से सभी ने बहुत ही मधुर और सार्थक दोहे लिखे ।एक बार पुनः आप सभी को बधाई ।धन्यवाद ।🙏🙏🙏
समीक्षक -सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
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132- दिनांक 30-12-2020
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
🌷🌷स्वतंत्र बुंदेली पत्र लेखन🌷🌷
समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ला ,,सरस ,,
नीचे आज स्वतंत्र पद्य लेखन बुंदेली में लिखो जा रव है जी की समीक्षा को दायित्व हमें दव गव है,हमें पटल पैल पै आवेे वारे सवई कविवरन और साहित्य कारन को राम राम करत भै पटल पर स्वागत करत हैं ,आज बहुत ही नोनी बुंदेली रचना प्रस्तुत करी है सवई को भौतै बधाई एवं साधुवाद करत हैं । मैं डी.पी .शुक्ला ,,सरस ,,
नमन करता हूं ।।
जग वंदन अभिनंदन करौं। धर सीस पैे हाथ ।।
बुंदेली के वरदपुत्रन।
नमन हमें सुहात।।
बुंदेलखंड की पावनी। बुंदेली सी वान ।।
मीठी प्यारी बोलन लगै।
जेई हमाई पैचान ।।
बुंदेलखंड सी बुंदेली ।
विश्व विदित सब कोय।।
अंतर उर में बसैे ।
नोनी लगत जा मोय।।
मिलन की प्यासी रसै।
बोलन बोली बोल ।।
बुंदेली बानी बैसई बसै।
जनमानस मन तोल।।
1- प्रथम पूज्य सरदार बन।
बुंदेली लिख दो बोल।।
अशोक पटसारिया नादान जँह।
रह अपनी तह खोल ।।
श्री नादान जुने अपनी बुंदेली के माध्यम से सबै बताओ कैे बीते साल में भौतै दमचोरौं मचो रव,
कोरोना में दमाँर मची रै,। चीन ने खूबई दोंदरा दव।।
पाक चिमानों टर्ंप गै बारा के भाव ।
नादान सोई सुधर गए जो जमा रहे थे ताब ।।
भौतै हकीकत बयां करी है जी के लाने वे बहुत ही हार्दिक बधाई के पात्र हैं हार्दिक धन्यवाद ।।
2- श्री जय हिंद सिंह जय हिंद दाऊ साहब यू ने अपने रिश्तेदारी शीर्षक अपनी लोक कथा लोकधारा दादरा में नई विधा में अपनी रिश्तेदारी की बात बताई है कैे बहुत ही नोनी रिश्तेदारी भई जगन तँगन सें ई जीवन की करनी बताई है कि हमें जियत जब तक है रानें यही करने पर है हमें दिखाने और ऐसा ही जीवन जीने की कला और रिश्तेदारी निभावे और रिस्तेदारी निभावे की भी े बताई है और नोनी सीख दै गई दाऊ साहब बहुत-बहुत हार्दिक बधाई अभिनंदन।।
नंबर 3- श्री राजीव राना लिधौरी जु ने गजल के माध्यम से क्या दिया आपने शीर्षक में दुष्यंत कुमार जी की पुण्यतिथि पर समर्पित गजल लिखी है प्यार की सौगात चावे की इच्छा करकें गम देकर रुला दिया है हमने क्या किया है गम ए जिंदगी संघर्ष ही जीवन की दास्तां बयां कर सच्चाई को बताओ है बहुत ही सुंदर रचना भाव उत्तम है सादर बधाई धन्यवाद।।
नंबर 4- डा. रेनू श्रीवास्तव जी ने नए साल शीर्षक से अपनी नई कविता के माध्यम से रीति रिवाज जो वास्तव में अपनी हमारे जीवन को उठाउत है गोबर सें लीपवौ गणपति पूजन करवौ और बुंदेलखंड को पलक पाँवडे डार नमन करने हैं और नए साल की अगवानी भौतै ही दिया उजयारकें उजारौ करवे
के लानेसुझाव दैकें उत्साहबड़ाव है ,बहुत बहुत बधाई, हृदयस्पर्शी धन्यवाद।।
5- श्री संजयजैन ,,बेकाबू,
जू ने अपनी रचना में कोरोना सें तौ बचवे की बताई है, लेकिन भौतै तबियत खराब होबे की ब्यथा को भुगतो है और सचेत करो है,कै भैया बचकें रानें भौतैनौंनी बुन्देली रचना में कै दै भावौं में उत्तम सीख दै,सो आपको भौतै भौत बधाई ,धन्यवाद।
6- श्री कल्यान दास शाहूजी ने अपनी रचना के माध्यम सें आज के धर्मार्थ की बात करी है,
जीमें गौशाला हेतु घाँस नहीं है,।
गऊचर बची अब पास नहीं है।।
जो गऊचर जोत रय वेई कथा करा रय और ओई जमीन पै मेला भरवा रय।
किँ लौ गौधन कौ नदारौ हुईयै,भौतै नौनों सुझाव दव है,धन्यवाद सादर बधाई।
7- डी.पी. शुक्ल,, सरस,, ने अपनी बुन्देली रचना में 370 कौ हटवौ, उत्पात घटवौ,और मंदिर वनवे कौ सबै काम दिखारव, औरै एई साल में भौतै धमाँचौकड़ी मची रै है, अब तौ चेत कें रानें21 वीं सदी आ रै है, सबै अमन चाउत हैं, सबै कौ सहयोग वाँछित है।
8- श्री रामकुमारजी शुक्ल,, राम,,ने अपनी रचना मन की बात शीर्षक से उत्पातियों द्वारा अनैतिकता की बात करी गै है, और वे वारी टोरवे वारे पकरे सोऊ गै जब गुईयाँ ने उनै ठुकत देखो,तौ वे भौतै खुशी भैं।सिगार की झलक रचना में कूट कूट कें भरी है, तऊ भी वे सुधरे नैयाँ, उनके द्वारा जी की जीमें लगन लगी है, सो मन ऊकौ वौरारव ,भौतै नौनी रचना बधाई, धन्यवाद।
9- श्री एस.आर.,,सरल,, जी ने अपनी चौकड़ियन के माध्यम सें कोरोना के डंडा के मारेंसबै गुँडा और पंडा दौरत दिखाने इतिहास रच दव,ई कोरोना में भौतै सीज गै,श्री सरल जू ने ईसें
बचवे की सीख दै है ,अबै चेत कें चलवे की बात करी है,वे बधाई के पात्र हैं, भौतै भौत धन्यवाद।
10-श्री सियाराम अहिरवार जू ने चौकड़िया के माध्यम से बताओ है कि हम जैसे तैसे बच पाए अब नई साल आ गै है जा भौतै बड़ी बात हो गई, हमनें नै साल पाली है श्री सियाराम जी ने कोरोना की कहर की आपबीती पर नजर डाली है और सतर्क सोई करो है चौकड़िया के माध्यम से चेतावनी की सीख दै गई ह वे धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं।
समीक्षक-डी पी शुक्ला टीकमगढ़
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133-श्री कल्याण दास पोषक, पृथ्वीपुर
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 31. 12 . 2020 दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिंदी स्वतंत्र काव्य लेखन के अंतर्गत नव वर्ष के स्वागत में सम्माननीय काव्य मनीषियों ने बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाएं पटल पर प्रस्तुत की ।
आज सर्वप्रथम श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने नववर्ष के आगमन पर बहुत ही सुंदर संदेश पर एक दोहों की प्रस्तुति दी ---- नव वर्ष में दीजिए प्रेम भरी सौगात "
आदरणीया कविता नेमा जी ने नव वर्ष अपनी अभिलाषा व्यक्त की --- बदले न बदलें हम तुम बदलेगा हर साल "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने नव वर्ष पर भगवान से प्रार्थना की है --- कोरोना का नाश हो , हे ईश्वर , भगवान "
श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने नववर्ष के आगमन पर बहुत ही सुंदर कामना व्यक्त की है --- नूतन नवल आगमन नववर्ष है आया ,स्वस्थ रहे तन मन और काया "
श्री किशन तिवारी जी ने गजल के माध्यम से बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति दी है --- है सुनिश्चित जीत सच की एक दिन "
श्री शील चंद जैन शास्त्री जी ने नववर्ष पर अन्नदाता के लिए बहुत ही सुंदर कामना व्यक्त की है --- हरी-भरी फसलें लहराएं , रहें प्रफुल्लित सभी किसान "
डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने नव वर्ष पर बहुत ही सुंदर अभिलाषा व्यक्त की है --- शिशिर बसंत बजाकर थाली , रक्षा करें प्रकृति के माली "
दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने नव वर्ष पर बहुत ही सुंदर मंगल कामना व्यक्त की है --- नया वर्ष लेकर आए , खुशियों का ताना-बाना "
श्री एस आर सरल जी नव वर्ष का इंतजार बड़े ही बेसब्री से कर रहे हैं --- हम नवागत वर्ष का ,
सहर्ष करते इंतजार "
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी निराली अंदाज में भाव व्यक्त कर रहे हैं --- खुशी नहीं यूं मिलती , लड़ना होता गम से "
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी नव वर्ष पर सदाचार एवं सद्भाव की वृद्धि हो , जीवन सरल हो ऐसी कामना कर रहे हैं ---
कठिन जिंदगी सरल हो , ऐसा बने सुयोग ।
सुलझें सारी गुत्थियां , जुटें नये संयोग ।।
श्री उमाशंकर मिश्रा तन्हा जी नए वर्ष की शुभकामनाएं निराले अंदाज में व्यक्त कर रहे हैं ---
को सबको नव साल मुबारक , रोटी सब्जी दाल मुबारक "
श्री राम गोपाल रैकवार जी नव वर्ष की शुभकामनाएं अपने बेहतरीन शब्दों में व्यक्त कर रहे हैं --- दे रही दस्तक नववर्ष की हवायें , द्वार द्वार पूरे सतरंगी अल्पनायें "
श्री सियाराम अहिरवार जी नए वर्ष की शुभकामनाएं व्यक्त कर रहे हैं --- हो नया वर्ष मंगलमय , सबको हो मुबारक "
इस तरह से आज पटल पर हमारे सभी विद्वान काव्य मनीषियों ने नववर्ष की शुभकामनाएं व्यक्त की
हैं । सभी कविवरों ने बेहतरीन लेखनी चलाई है । सुंदर सुखमय भविष्य की कल्पना की है ।
सभी को बहुत-बहुत साधुवाद बहुत-बहुत आभार आने वाले नए वर्ष की बहुत-बहुत मंगल कामनाएं । आशा करते हैं इसी प्रकार से साहित्य के क्षेत्र में नित नए सोपान चढ़ते चले ।
आज की समीक्षा में त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं । साथ ही जाने अनजाने अगर मुझसे कोई भूल हुई हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा । नव वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो इसी कामना के साथ में समीक्षा को विराम देता हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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134-समीक्षक... जयहिन्द सिंह जयहिन्द
#सोमवारी समीक्षा##दिनाँक 04.01.2021#
#बिषय-अफरा पर दोहे #समीक्षक-जयहिन्द सिंह जयहिन्द
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सबसें पैलैं मां शारदा खों नमन,फिर सब जनन खों हात जोर राम राम।आज अफरा बिषय भौतयी नौनौ दव गव।आज कौ बिषय स्वास्थ्य सें संबंधित रव।
सबने अपनी अपनी अनुभव की पुटैया खोल कें परसी।सबने खूब चतुराई सें बरनन करो।बुन्देलीक शब्द अफरा खों जितने कायदे सें बरनन कर सकत ते सो करो गव।
लो अब सब कवियन की अलग अलग समीक्षा करी जा रयी।
#1#श्री राम कुमार शुक्लाजी.....
आपके दोहन में पाँत कौ अफरा,बिन सोचें खाबे कौ अफरा,जादा लड्डू खाय कौ अफरा,भूख सें जादा खाय कौ आफरा,भूक सें जादा खाय कौ,अफरा बरनन करो गव।हल्के जलपान सें अफरा सें बचाव बताव गव।
मिलतन मौका पाँत में........एवम्
अपच कुपच सब हात में......अच्छे दोहे हैं। भाषा चिकनी चुपरी रिपटदार मधुर है।
आपखों बेर बेर नमन।
#2#जयहिन्द सिंह जयहिन्द......
मैने 5 दोहे रचे,जिनमें कड़ी बरा भात कौ अफरा,अफरा की अफरा तफरी, अफरा कौ उपचार, ठांस के खाय कौ अफरा,सें दस्तन कौ बरनन करो गव।दूसरौ और पाँचव दोहा मोय खुद अच्छौ लगो।भाषा की समीक्षा आप सब जनें जानों।
#3# श्रीगुलाब सिंह यादव भाऊ जी.........
आपने अपने एक दोहा में हाऊ हाऊ माया कौ अफरा बताव।बांकी तीन दोहन मेंभोजन के अफरा कौ बरनन है।आपने एक प्रचलित दोहा खों उदाहरण में डारो।भाषा ठीक है,पैले दोहा के पैले और अंतिम चरण मेंमात्रा दोष है।दोहा नं.2 में टंकण त्रुटि है।बांकी दोहा भाव भरे हैं।भाषा सरल और सटीक है।आपखों बेर बेर बंदन।
#4#श्रीअशोक कुमार पटसारिया नादान जी.........
आपके दोहन में भटा गकैयन कौ अफरा,कम बियाई बिना भूंक के न खाबे की सला,मैनत सें अफरा कौ निदान,पंगत कौ अफरा, संयम नियम सें कम खाबे की सला दयी गयी।आपके पांचों दोहे एक पै एक हैं।भाषायी कौशल में जादू डरबे की कला है।आपकौ बंदन अभिनंदन।
#5# डा. सुशील शर्मा जी.......
आपने 5 दोहे रचे।आपके दोहन में लडुवन के अफरा कौ,पंगत के अफरा कौ,अफरा कौ इलाज,अफरा में वैद की सला,आदि कौ बरनन करो गव।तीसरौ और पांचवौ दोहा भौत अच्छौ और उपयोगी है।भाषा कमाल की मधुर और सरल है।
आपखों बेर बेर नमन।
#6#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी.........।
आपनै दो दोहे और एक कुण्डलिया पटल की भेंट करी।आपने भटा गकैयन के अफरा,दूध लुचयी कौ अफरा,कौ बरनन अपने दोहन में करो।कुण्डलिया में दाल बाफलेके अफरा कौ बरनन पिकनिक के माध्यम सें करो।आपकी कुण्डलिया जोरदार रयी।भाषा कौ चमत्कार दिखानौ।भाषा सरल एवम् प्रवाहपूर्ण है।आपकौ बेर बेर बंदन अभिनंदन।
#7#श्री एस.आर. सरल जी......
आपने पाँच दोहे रचे।प्रथम चार दोहन में अनेक अफरन कौ बरनन करो।अंतिम दोहा में हल्कौ भोजन मुरा कें करबे की सीख दयी।आपकी भाषा सरल मधुर और भावप्रधान है।आपखों कलम सहित बेर बेर धन्यवाद।
#8#डा. देवदत्त द्विवेदी जीसरस....
डा. साब ने 5 दोहे भेंट करे।आपके पांचों दोहे पचरंगी हैं।विविध अफरन मेंअक्कल कौ अफरा,रुटया जुठया लगुटयाखों अफरा पाबे कौ,बैद और बीमार के समार कें खाबे कौ निन्नै पानी पीकें पचाबे कौ,कम खाय सें अफरा सें बचबे कौसफल बरनन करौ गव।आप भाषा और भावों की कल्पना के जादूगर हैं।आपकी प्रशंसा सूरज को दीपक दिखाना है।आपकं चरण बन्दन।
#9#डा.रेणु श्रीवास्तव जी......
आपने 3 दोहे रचे।आपने महेरे कौ अफरा,पैसन कौ अफरा,तथा घूम कें अफरा पचाबे कौ सटीक बरनन करो।आप भी भाषायी जादूगर हैं।आपकी भाषा मधुर और भावभरी है।बहिन खों चरण बन्दन।
#10#श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' जी........
आपने अपने 3 दोहन में खुदखों लक्ष्य बनाकें तीर मारे जो सयी निशाने पै लगे।आपने लिखबे कौ अफरा,मीडिया कौ अफरा,अपनी सूंटबे कौ अफरा,आदि कौ सटीक बरनन करो।आज की भाषा में व्यंग की पुट चतुराई सें लगाई गयी।आपकौ बेर बेर बन्दन।
#11#श्री कल्याण दास साहू पोषक.......
आपके 5 दोहन में अकल कौ अफरा, भृष्टाचार कौ अफरा,भोजन के अफरा सें दस्तन कौ,अफरा सें बचबे की सीख,कौ बरनन बखूबी करो गव।आप भाषायी जादू चतुराई से डारबे में समरथ हैं।आपकी भाषा मधुर और लुभावनी है।
आपखों बेर बेर बंदन।
#12#श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी.....
आपने 2 दोहे डारे।आपके दोई दोहन में अफरा सें बचबे की सीख दयी गयी।अफरा खों दोहन में बादबे की कुशलता दिखाई दयी।आपकी भाषा कोंमल और मधुर है।आपखों वेर बेर नमन।
#13#श्री राज गोस्वामी जी.......
आपने 3 दोहे रचे।आपने भीड़ में साँड देख केंअफरा तफरीकौ बरनन करो।खाने के बाद अफरा की बैचैनी,खाबे के बाद सौ रसगुल्ला खाकें बरबादी कौ बरनन करो।भाषा कौशल उत्तम है।आपखों बेर बेर नमन।
#14#श्री धर्मेन्द्र कुमार पाठक जी........
आपने 5 दोहे डारे जिनमें डुबरी कौ अफरा,पशुवन कौ अफरा,अफरा सें गैस अफरा सेंउल्टी दस्त,अफरे सें ऊपर खाबे सें अफरा कौ बरनन करो।आपकी भाषा चिकनी एवम् मधुर है।आपखों शत शत साधुवाद।
#15#श्री इन्द्र पाल सिंह राजपूत जी.......
आपने दो दोहे लिखे पहले में मात्रा एवं रचना दोष है। दूसरा दोहा ठीक है आपकी भाषा सरल है। कृपाकर दोहे की रचना पढ़ कर ही लिखें तो अच्छा है।
भैया जी को नमस्कार।
#16#श्रीशील चंद जैन शास्त्री जी.........
आपके दोहन में खाने की सीख,ौर अफरा के कयी रंग डारे गय।कौं कौं टंकण त्रुटि भयी पर जा सबसें हो सकत। भाषा विन्यास ठीक है।आदर्णीय खों नमन।
#17#श्रीरामगोपाल रैकवार जू......
आपने अपने एकल दोहा मेंकविता के अफरा कौ बरनन करो।ऐसे कवियन सें बचवे की प्रार्थना करी गयी।भाषा बिशालता श्रेष्ठ है। आदरनीय खों नमन।
#18#श्री सियाराम अहिरवार जी.....।।।
आपने दोहन मेंअफरा की तड़पन,,काले नाग की अफरा तफरी अजीरन सें खेल खेलबौकी बात,पांत के अफरा कौ बरनन करो गव।भाषा कौशल सटीक ।
आदरनीय खोंबेर बेर अभिनंदन।
#19#श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी.........
आपने दोहन में टैलबे सें अफरा निवारण,किसान खों अपच ना. होबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा संयत और मधुर सरल है। आपखों नमन।
#20#श्री लखन लाल सोंनीजी.....
आपने अफरा सें उछरबे कौबरनन करो गव।एक दोहा बो भी सटीक लिखो गव।भाषा में चमत्कार हैः आपकौ अभिनंदन।
#21#श्री वीरेन्द्र चंसोरिया जी..।..
आपने अपने दो दोहन में अच्छे 2भोजन करे,फिर अफरा सें मरे आपने संयम सें खाबे कौ बरनन करो।आपकी भाषा भाव पूर्ण मधुर है।आपखों नमन।
उपसंहार.....
आज अपने अपने सामर्थ सें सबने अच्छा लिखबे कौ प्रयास करो।आज की समीक्षा रोशनी के अभाव में लिखी।ईसें देर भयी ।अगर किसी के दोहे छूट गये हों तौ अपनौ जान कें छमा करें।
आपकौ अपनौ..।।.
जयहिन्द सिह जयहिन्द 6260886596
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135-आज की समीक्षा टीकमगढ दिनांक0/01/2021
जय बुन्देली साहित्य समूह
दिन-मंगलवार हिन्दी में दोहा लेखन🩸
🙏विषय-स्वागत🙏टीकमगढ
नये वर्ष की मधुरम बेला पर आप सभी का स्वागत, वन्दन ,अभिनन्दन ।स्वागत इस बात का कि आप सभी ने आज पटल पर स्वागत शब्द को लेकर अपने परिजन ,पुरजन के लिए बहुत ही सुन्दर भाव व्यक्त किये हैं ।आप सभी धन्यवाद के पात्र हैं ।
आज सबसे पहले बुन्देली की सभी विधाओं में पारंगत आदरणीय जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने बहुत ही भावपूर्ण दोहे लिखे हैं ।जिनमें उन्होंने कन्या की बारात आने पर अतिथियों के स्वागत करने की बात कही है ।आपकी भाषा सरल और प्रभावपूर्ण है ।सादर नमन आपको ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने भी बहुत ही सुन्दर दोहे लिखे ।आपने घर आये हुये मेहमान के स्वागत करने की बात कही है ।क्योंकि स्वागत से ही जगत में नाम होता है ।धन्यवाद आपकी लेखनी को ।
डाक्टर सुशील शर्मा जी ने अपने दोहों के माध्यम से आगत का स्वागत करने की बात कही है ।नमन आपको ।भाषा विचार श्रेष्ठ हैं ।
श्री राजीव नामदेवजी राना ने अपने बेहतरीन दोहों में पटल के सभी साहित्यकारों के स्वागत की बात कही है ।आपके बड़प्पन को साधुवाद ।
श्री अशोक पटसारिया जी नादान ने अपने दोहों के माध्यम से संतन का स्वागत करने और गुरू जनों का सम्मान करने की बात कही है ।साथ ही आपने कहा है कि सत संगत से मन में शुद्ध विचार उपजते हैं ।जिसका सुखद फल मिलता है ।बहुत ही श्रेष्ठ विचार हैं आपके सादर अभिवादन आपको ।डाक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ने भी अपने पाँच दोहे रचे जो बहुत ही सारगर्भित हैं ।आपने भाषा का चन्दन और भाव के पुष्पहार से मैया के स्वागत करने की बात कही है ।साथ ही ससुराल को सभी सुखों का सार माना है ।
आपकी भाषा और विचार बहुत ही सार्थक हैं ।नमन आपको ।
डाक्टर रेणु श्रीवास्तव जी ने भी अपने बहुत ही भावपूर्ण दोहे लिखे ।आपने माता शारदा के स्वागत करने की बात की है ।
भाषा सरल और सपाट है ।धन्यवाद ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने भी अपने पाँच दोहे लिखे हैं ।जिनमें उन्होंने जो स्वागत के सही हकदार हैं जैसे -सरहद पर वीर जवान का ,श्रम में मजदूर का ,अन्न उपजाने वाले किसान का,सच्चे इंसान का और साक्षात भगवान सरीखे घर परिवार के बृद्ध जनों का स्वागत होना चाहिए ।आपकी सही सोच के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
मैने भी अपने निर्धारित विषयानुसार पाँच दोहे लिखे जिनकी समीक्षा आप सभी करेंगे ।धन्यवाद ।
श्री रामकुमार शुक्ल ने अपने दोहों में नये वर्ष का स्वागत करने की बात कही है ।बहुत बढिय़ा रचना ।बधाई आपको ।
श्री लखनलाल सोनी जी ने भी एक मात्र दोहा पटल पर भेजा जो श्रेष्ठ और गागर में सागर भरने वाला है ।धन्यवाद आपको
श्री रामलाल द्विवेदी जी प्राणेश ने भी बहुत ही शानदार दोहे लिखे ।जिसमें आपने सद्गुरु महाराज के स्वागत करने की बात कही है ।
भाषा चमत्कार करने वाली है ।बधाई आपको ।
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी ने अपने दोहों के माध्यम से भला काम करने वाले के स्वागत करने की बात की है ।धन्यवाद।आपकी भाषा सुन्दर ,सरल और भावपूर्ण है ।
श्री एस.आर. सरल जी ने भी बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण दोहे रचे ।जिनमें उन्होंने हृदय पट खोलकर साजन सजन के स्वागत करने की बात कही है ।श्रेष्ठ भाव हैं ।भाषा सरल और सपाट है ।धन्यवाद आपको ।
इस तरह से सभी ने आज बहुत ही सुन्दर दोहों की रचना की है ।
आदरणीय अभिनन्दन गोइल जी और सम्मानीय रामगोपाल जी ने सभी के दोहों को पढा और उनकी हौसला अफजाई की ।
अन्त में सभी को एकबार पुनः प्रणाम ।
समीक्षक
सियाराम अहिरवार टीकमगढ
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136-समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ला टीकमगढ़
बुधवार दिनांक 06 .01. 2021
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
समीक्षा बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन ।
समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ला टीकमगढ़
बुंदेलखंड की धन्य धरा, जिए सवई शीश नवा रय।।
सबै तराँ से खुशहाली छाई,
जल बिन है धोखौे खा रय।।
बुंदेली की वै रै रस धार,
पवन पावनी है बनकर।।
नद धाराएं करें पूरन,
अंतर उर सें है छनकर।।
बुंदेली के कविवरन कों,
हाथ जोड करत नमन।।
जिनने चलाई लेखनी, बुंदेली को करके अर्पण।।
आज की समीक्षा पटल पै अपनी उपस्थिति देत भए कविवरन को नमन कर श्री राम राम करत है। बुंदेलखंड के विद्वत जन कविवरन ने आज पटल पै बहुत ही नोनी रचना प्रस्तुत करी हैं, और सबै बुंदेली के कविवर धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं।।
1- प्रथम में श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ ने पटल पै कदम रखकें अपनी रचना के माध्यम से चौकड़िया लेखन कर बुड़की के अवसर पै सबै भोतै खुश दिखाई दैे रय, और लडुअन की याद करा कें रसमई वातावरण को लिखकर सुहावनी चर्चा करी है भाऊ जी को बहुत-बहुत बधाई।
2- डॉ देवदत्त दुबेद्वी जु ने बूढ़े हो तन की बताई कै कोऊ सुनत नैयाँ और द्वारे चौंतरा पै बिठा देत, अपनों दुख कौन कों सुनाउत जवई नजर कम होतै जात जैसी डॉक्टर साहब की हो गई जब समझ में आई के अब पटल पर लिखने में परेशानी होन लगी उनको पटल पर हमेशा स्वागत है जब समझ में आबै आपकौ पटल पै स्वागत नेकई दरस दिखावैे।। आदरणीय स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं सादर नमन के साथ बहुत ही बहुत धन्यवाद।।
नंबर 3 - श्री जय हिंद सिंह ,, जय हिंद ,,जु ने शबरी के बेर शीर्षक सें अनुप्रास अलंकार शब्दों के साथ श्री राम जी द्वारा शबरी के बेर के माध्यम से प्रेम मयी सौहार्द्र छटा को वर्णन करों है और अपने भावन में भी लखन जी के मन की बात राम ने जानी कैे वेर फेंक रय, दोंण्र पर्वत पै संजीवनी बन लखन की शक्ति में मिटाउत भए भावोंं मे भावों में पिरोकर गदगद कर दिया है। वे साधुवाद के पात्र हैं सादर धन्यवाद।।
नंबर 4 - श्री किशन तिवारी जी ने अपनी रचना के माध्यम से व्यंग भरी चेतावनी दी है कि बिना मुंह धोए चाय पीने भुँसरा से उठने नैयाँ आज को बर्ताव का होगव जैइसें बीमारी बढ़ रै है एइसे जाबे के लाने लिवउवा जल्दी सोऊ आ जात चेतावनी श्री तिवारी जी ने दई है बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।।
नंबर 5 - श्री अशोक पटसारिया,,नादान,, जू ने अपनी बुंदेली गजल के माध्यम से मन की विपदा को जानौ है और बताव है कै सभी जने लिख रय हम वौ करें हम कासें अब हम क्या लिखें हमें जा सोच कें नई रै जाने करें जो मन में आवे सो करके खावे। सफलता की गैल जैईै उत्तम है।।वे बधाई के पात्र हैं सादर धन्यवाद ।।
नंबर 6 - डा. रैनू श्रीवास्तव जी ने पानी को महत्त्व शीर्षक से अपनी रचना में पानी बचाने की बात करी है के पानी से जीवन बनो पीके पानी रात ।बिन पानी पिए कोनै नैंहै खात।। आज सफलता की गैल है भौतै नोंनो सुझाव दव है बहुत ही बहुत बधाई धन्यवाद ।।
नंबर 7 - श्री सियाराम अहिरवार जुने अपनी चौकड़िया के माध्यम से प्रयाग में स्नान करवे अकेले नहीं जाने घरैनी संगे लैकें जाने उतै बुड़की कौ मेला देखो उत्तम ता के भावों के दर्शन कराए हैं और त्रिवेणी में डुबकी लगवाई है बहुत सुन्दर रचना बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।।
नंबर 8 - श्री शीलचंद्र जैन साहब जुने बुंदेली गजल के माध्यम से जो श्री द्विवेदी जी ने अपनी रचना के माध्यम से बात कही उनको समर्थन करो है और दादा जी को नमन कर स्वास्थ्य की कामना करी है बे धन्यवाद के पात्र हैं जो भावना रत विचारों को प्रकट कर रहे हैं धन्यवाद।।
नंबर 9 - श्री s.r. सरल जु ने बुंदेली हाईकु के माध्यम से बताइ है कि बिषय न होवे सें कैसे लिखें सो भैया जो मन में होए हुलक, तो खूब बजाओ ढुलक ,जी चाय पी चाय पिलाने स्वतंत्रता चाहिए नई रचना की मौलिकता उभर के आबे बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद ।।
नंबर 10 - श्री राज गोस्वामीजू ने अपनी रचना के माध्यम से बताओ है के स्याने बनत हैं हैं भौतै गधा ।दूसरन के कँधे पै बंदूकधरके चलाउत हैं, जबकि वे भौतै बदमाश हैं। भौतै अच्छी चेतावनी दै ,बहुत-बहुत बधाई।।
धन्यवाद ।।
नंबर 11 ,- श्री कल्याण दास साहू,,पोषक,,जी अपनी ने रचना के माध्यम सें बताओ है कै जाड़ौ हाड़ कपारव बूढंऔ घर से नैं निकर पा रव है, सूरज के दर्शन नहीं हो रय, और ओरन से जो जिऊ घबरा रव। आज की हालात को अपनी रचना में वर्णन करके सबै कों सजग करो है कि जाड़े से बच के रानें जा नसीहत दै है कै बूढंन को बचा के रखने भौतै भौत बधाई के पात्र हैं धन्यवाद नंबर ।।
12 श्री चंसौरिया जू ने अपनी रचना में दर्द की टीस को भावों में उकेरा है कि जो उगरारे फिर रय उनेंउन्ना जो दैे रय वे भौतै भले आदमी हैं उनके दुख अपने आप दूर हो जात भौतै नौंनी सीख दई है सादर धन्यवाद।।
समीक्षक- डी.पी. शुक्ला, टीकमगढ़
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137-आज दिनांक 7.1. 2021
---- श्री गणेशाय नमः ---
---- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 7.1. 2021 दिन गुरुवार ' जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत हिंदी स्वतंत्र काव्य लेखन के अंतर्गत प्रस्तुत रचनाओं की समीक्षा :---
आज सर्वप्रथम आदरणीय दाऊ साहब श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने बहुत ही सुंदर शब्दों में मंगलाचरण करते हुए श्री रामायण जी की आरती का मधुर गान किया ---
"आरती मानस प्यारी की , रागिनी सुर संसारी की "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने सम सामयिक रचना की बेहतरीन शब्दों में प्रस्तुति दी---
" रोज हादसों का मंजर , जनजीवन त्रस्त हुआ "
श्री सियाराम अहिरवार जी ने प्रतिभाशाली बालकों को प्रोत्साहित करने का बहुत ही सुंदर प्रयास किया है ---
" जो प्रतिभावान होते हैं , घरों की शान होते हैं "
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने मार्मिक शब्दों में भाव प्रधान रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
"गहरी नींद सो गया,खेत में पसर कर,आसमान ओढ़ कर
श्री राम गोपाल रैकवार जी ने व्यंग प्रधान रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
" वृश्चिक बदल गए हैं , डंक नहीं बदले हैं "
डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने नवगीत के द्वारा रचनाकारों को दिशा निर्देश देने का सुंदर प्रयास किया है ---
" उम्मीदों की थाती लिखना , दर्द विरह की पाती लिखना
श्री किशन तिवारी जी ने गजल के द्वारा स्वाभिमानी बनने हेतु प्रेरित किया है ---
" नहीं झुकना हमें आया किसी दरबार में अब तक ,
गरीबी हो भले , पीढ़ी मगर वो स्वाभिमानी थी "
आदरणीया मीनू गुप्ता जी ने आगत एवं विगत के संबंधों की बहुत सुंदर व्याख्या की ---
" कितना अजीब है दिसंबर और जनवरी का रिश्ता ,
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का रिश्ता "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने गजल रचना से समन्वय पर बल दिया है ---
" आप क्यों सर पर आसमान लिया करते हैं , हम तो हर बात यूं मान लिया करते हैं "
श्री शील चंद जैन शास्त्री जी ने बचपन की स्मृतियों को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है ---
" बचपन मुझको बुला रहा है , फिर से उस अंगनाई में ,
धमाचौकड़ी जहां करते थे , खुश थे छुपम- छुपाई में "
डाॅ. रेनू श्रीवास्तव जीने नारी महिमा पर बहुत ही सुंदर शब्दों में प्रस्तुति दी है ---
" नारी तू देवी कहलाती , सभी जगह तू पूजी जाती "
श्री डी.पी. शुक्ल सरस जी ने अमीरी एवं गरीबी पर अपनी कलम चलाई है ---
" महल छोड़ मंदिर मस्जिद में बैठी धनवान ,
गरीब बाहर बैठा अपना सीना तान "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जीने अच्छी बातें सिखलाने का सुन्दर प्रयास किया है ---
" रोजाना हरि गुण गाना "
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी ने नव वर्ष की मंगल कामनाएं प्रेषित की हैं ---
" मंगलमय हो वर्ष नवागत "
श्री एस आर सरल जी ने तरुणाई को जागृत करने का बहुत ही सुंदर शब्दों में प्रयास किया है ---
" उठो देश के नौजवान , संकल्प तुम्हें करना होगा "
इस तरह से आज पटल पर आदरणीय सभी रचनाकारों ने बेहतरीन लेखन करते हुए सुंदर-सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति दी है । सभी को बहुत-बहुत साधुवाद । आशा करते हैं इसी तरह से पटल पर अपनी गरिमामई उपस्थिति प्रदान करते रहें । सभी काव्य मनीषियों का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा को विराम देता हूं ।त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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138-#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक///##11.01.21
बिषय/बुड़की
#बुन्देली दोहे#5#समीक्षाकार#
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
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#लोक बिधा आल्हा में लिखित#
सबसें पैलाँ सुमर शारदा,
फिर गनेश जू ध्यान लगाय।
राम राम दोउ हात जोर कें,
सबयी जनन खों शीष नवाय।।
आज बिषय बुड़की पै सबने,
अपने अपने लिखे बिचार।
अपने अपने अनुभव डारे,
जो बुड़की में करे बिहार।।
दोहा छंद रचे गय भारी,
सब कवियन ने दिल खों खोल।
अपने बिचार धरे जो मन के,
जो दिमाग में रय ते डोल।।
इतयी की बातें इतयी छोड़ दो,
अब आगे कौ करें बखान।
अलग अलग अब सब कवियन के
दोहनं कौ करिये गुनगान।।
कीनै कैसै दोहा रच दय,
कीनै कैसी भरी उड़ान।
सबने लिख दय दोहा अपने,
पूरी लगा लगा कें जान।।
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश***
हिन्दी की बिन्दी चमकाई,
रामलाल प्राणेश बिचार।
हिन्दी की महिमा महकाई,
मानत है हिन्दी संसार।।
#1#श्रीसियाराम जू अहिरवार**
चले किवरियाँ लगा लगा कें,
बुड़की लयी ओरछा धाम।
तिली लेप बुड़की लैबै सें,
रँय नीरोग निखारै चाम।।
मेला देखन जाबें गलियन,
लमटेरा की तान सुनाँय।
चौथे दोहा चरण आखरी,
में दोहा की ढड़क बनांय।।
भाषा बड़ी अनौखी आई,
जैसें बुड़की लैकें आय।
लिखबे कोर कसर ना छोड़ी,
सबरे कर दय नीक उपाय।।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू***
सिंह सवारी करकें निकरी,
साल नयी की जा संक्राँत।
लड़ुवा बन गये बन्न के,
मेलन ठेलन लगी जमात।।
मिथुन तुला खों नौनी नैंयां,
सिंह राशि पै रहै तनाव।
कुंभ कष्टकारी बुड़की है,
दान करे सें बनें बनाव।।
भाषा चमत्कार है ऐसौ,
जैसें दयी तिली गुर पाग।
पड़बे में रँगदार लगत है,
जैसैं खिलै रंग की फाग।।
#3#श्री राज गोस्वामी जी***
दोहा डारे तीन पटल पै,
तीनौ भौंरा से भन्नाँय।
नल के नेंचें बुड़की लै रय,
नदी जांय खों खूब डराँय।।
ताते पानी सपर निकारें,
कछू जनें बुड़की त्योहार।
गंगा कसम ख़ाय कें घर में,
बुड़की लैकैं करौ बिचार।।
भाषा लगै बांसुरी जैसी,
कै रमतूला देत बजाय।
गड़ियांघुल्ला सी मीठी है,
मौ में पानी भर भर आय।।
#4#जयहिन्द सिंह जयहिन्द***
मेवा के पकवान बनाकें,
भरभराँत फिर खूब मनांय।
पैले दिना तिलैंयाँ दूजे ,
दिन खों बुड़की लैबै जांय।।
लगे मकर के सूर तौ,
बेरा बुड़की की आ जाय।
तिल लेपन तिल दान हवन कर,
अपनौ कछू बिगर ना पाय।।
पाप काटबे बुड़की लेबें,
कुवा तला नदिया के पार।
भाषा करौ समीक्षा मोरी,
सबयी जनन पै धर दव भार।।
#5#श्रीगुलाब सिंह यादव भाऊ***
गंगाघाट चलौ बुड़की खों,
करौ सकारूं पूजा पाठ।
तिली लगाकें दान करौ फिर,
बिन दिन निकरें बन जै ठाट।।
कुण्डेशुर बुड़की लैबै खौं,
बांद कलेवा भय तैयार।
रव हुशयार ध्यान जौ दैयौ,
बँदरन सें रैयौ हुशयार।।
भाँत भाँत की लुचयी पपैंयाँ,
खुरमा लड़ुवा भय तैयार।
अपने भाऊ की भाषा देखी,
भाषत में भारी हुशयार।।
#6#डा.सुशील शर्मा जी***
लयी नर्मदा की बुड़की सो,
तन में आई जान में जान।
मेला है बरमान प्यारौ,
मोरीं भैया लैयौ मान।।
भटा गकैंयाँ ठुकी उतैं सो,
कक्का जू की बन गयी शान।
तीनयी दोहा बनें प्यारे,
जैसें होंय भोर के भान।।
भाषा प्यारी लगै आपकी,
जिसमें भारी बनी मिठास।
भैया शर्मा जी सें हमखों,
ऐसयी सदा लिखे की आश।।
#7#श्री डी.पी.शुक्ला सरस जी***
पैलै दोहा चरन आखरी,
एक मात्रा दयी बड़ाय।
भरतै की जांगां लिख दैयौ,
भरत जेऊ है सरस उपाय।।
दूजे दोहा चरण दूसरे,
एक मात्रा दयी बड़ाय।
सबै जुड़ाबें अंग कर दियौ,
लगा मिटा केंतुरत लगाय।।
चौथे दोहा पैली लाइन,
चौदा मात्रा गिनियो ज्ञान।
तीजे चरण ऐई दोहा में,
झुण्ड हटाकें डारौ जान।
पंचम दोहा लैन तीसरी,
मात्रा दोष करो तैयार।
बुड़की लैकेंकुण्ड की करिये,
तौ हट जैहै सबरौ भार।।
#8#श्री राजीव नामदेव राना जी***
लड़ुवन कौ जब दाव बनें,
तिली और गुर लड़ुवा खाव।
जाड़े कौ है दौर सपर कें,
खूब बने खाबे कौ दाव।।
दो दोहा जो रचे आपने,
इनकी रंगत सबखों भाय।
भाषा मीठी और सुहानी,
बुन्देली नयी रंगत लाय।।
सूरज बदरा में छुप जाबै,
हवा चलै सें ठंड जो होय।
आपकी मैनत रंग ल्या रयी,
बीज बुँदेली के नय बोय।।
#9#डा.रेणु श्रीवास्तव जी***
पैलै दोहा में देखौ तौ,
नहीं काफिया करो ध्यान।
बहिन सुदारौ ई दोहा खों,
गल्ती दोहा के दरम्यान।।
बिन पैसा के गोरीकैसैं,
देखें मेला लगो लगाव।
भये उत्तरायण सूरज जब,
बुड़की कौ तब जमौ जमाव।।
गुइयन संगै मेला देखौ,
बन्न बन्न के लड़ुवा खाय।
दोहा तीन तिरंगा बनकें,
देखौ लहर लहर लहराय।।
#10#श्री कल्याण दास पोषक जी***
गुर के पाग बनें बुड़की में,
सबके मन में खूब सुहांय।
दान दक्षिणा मन के लड़ुवा,
जन जन ई बुड़की में खांय।।
गड़ियांघुल्ला खिचरी संगै,
और तिली गुर भोग लगाव।
नदियाँ तीरथ दूर दूर सें,
अब बुड़की कौ जुरो जुराव।।
लेंबें सब आनंद हुलक सें,
हालफूल बरनी ना जाय।
भाषा मीठी और सुहानी,
सबके मन में खूब समाय।।
#11#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जू***
सुर्रक चल रयी ठंडी ठंडी,
सूरज मकर राशि खों जाय।
कोऊ जाय नर्मदा गंगा,
लै पातक कौ दोष नसाय।।
उरैंयाँ लगै गुनगुनी नौनी,
तिल गुर मनखों करबै चंग।
इतनी खुशी हुलस रयी मन में,
जैसें उड़ रयी नयी पतंग।।
प्रेम सँदेशौ दै रय भैया,
गुरयारव अब अपनौ देश।
बुन्देली बोली में डारे,
बदल बदल नौनें परिबेश।।
#12#श्री प्रभू दयाल श्रीवास्तव पीयूष जू ***
लाल महादे हैं सजनम के,
बुड़की खों जा रय हर साल।
अगर कृपा हो महादेव की,
जिनकी नैंयाँ कोऊ मिशाल।।
टटिया दैकैं कड़े छेड़ दयी,
बुड़की लमटेरा की तान।
कुण्डेसुर कौ कुण्ड सबयी कौ,
उतयी करौ बुड़की स्नान।।
बुड़की लैलो ढार महादेव,
ठस कें करौ कलेवा ऐन।
भाषा मीठी सरल आपकी,
जैसें मिली बेतवा कैंन।।
#13#श्री एस.आर.सरल जू***
बूड़े बारे बुड़की लैकैं,
नदी किनारें लड़ुवा खाय।
पत्रा बाँच बताबें पंडित,
ज्वानन बुड़की भौत सुहाय।।
सयी सयी बुड़कघ हमें बतादो,
मन कौ सीदौ हमसें लेव।
चांव दर मिरचें हरदी सब,
बोले पंडित हमखों देव।।
बब्बा ने सीदौ दैकें,
पंडित सें सबरे भ्रम मिटवाय।
भाषा सरल सरल की नौनी,
जल्दी सबै समझ में आय।।
#14#श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी***
लड़ुवा खाये हैं बुड़की के,
उनखों अफरा चड़ो जरूर।
तुम्हें दिखादें मेला बुड़की,
मेला पै है हमें गरछर।।
बुड़की लेंय रोग ना होबें,
सपर भुन्सराँ तिली लगाय।
कुण्डेशुर जाबें बुड़की खों,
नौनी चाल चलें जो भाय।।
भाषा है दोहन की सुन्दर,
लिखते भैया भौत समार।
मधुर सरल भाषा देखी है,
दोहा लिखे आज जो चार।।
उपसंहार***
समझ समझ में फरक होतसो,
कौनौ गलती जो हो जाय।
अपनौ जान छमा कर दैयौ,
पंचो दैयौ सबयी भुलाय।।
जितनी बनी सबयी लिख डारी,
रचना कोई छूट जो जाय।
भूल चूक सब अपुन समारौ,
आल्हा लिखी मनयी मन गाय।।
#मौलिक एवम् स्वरचित#
समीक्षाकार-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा,
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139-जय बुन्देली साहित्य समूह 🏕️ टीकमगढ़ 🏕️
दिन- मंगलवार 💧 हिन्दी में दोहा लेखन💧
👏विषय-प्रशंसा👏दिनांक -12/01/2021
दुनियां का हर व्यक्ति अपनी प्रशंसा सुनना ,ख्याति बटोरना और किर्ति फैलाना चाहता है ।चाहे वह किसी भी परिस्थिति में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर रहा हो ।पर वह अपने किये कार्य की साबाशी लूटना चाहता है ।इसी प्रशंसा शब्द को रेखांकित करते हुए पटल के सभी साहित्यकारों ने बहुत ही सार्थक दोहे लिखे सभी को मेरा नमन ।
आज पटल पर शुरूआत करते हुये आदरणीय अशोक पटसारिया जी ने प्रशंसा शब्द को लेकर बहुत ही नीतिपरक दोहे लिखे ।आपने लिखा कि काम की प्रशंसा करने से सारे काम अनुकूल होते हैं ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने भी बहुत ही रोचक और सुन्दर दोहे लिखे जिसमें आपने लिखा कि प्रशंसा श्रीराम की करो ।जिससे बेड़ापार हो जायेगा ।
भाषा खडी़ बोली है ,जिसमें बुन्देली के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है ।
आदरणीय रामगोपाल रैकवार जी ने अपने दोहे के माध्यम से सभी कविजनों की प्रशंसा करते हुये लिखा कि -कविजन बुड़की लै रये ,काव्य गंग में डूब ।
सब्दन के लडुआ बना ,रुच रुच खा रये खूब ।।
बहुत ही सुन्दर और श्रेष्ठ रचना है ।श्री राजीव नामदेवजी राना लिख रहे हैं कि -काम सदा ऐसे करो ,जग में होवे नाम ।
सभी प्रशंसा फिर करें ,मिलते हैं फिर दाम ।बढिया नीतिपरक दोहा है ।धन्यवाद ।
श्री डी.पी. शुक्ल सरस जी ने तो पटल पर कमाल कर दिया जिन्होंने अपने पाँचों दोहे एक बार नहीं बल्कि चार बार वही के वही दोहे पोस्ट करे ।समझ नहीं पा रहा हूँ कि समीक्षा कितनी बार करूँ ।वे लिख भी रहे कि प्रशंसा न इतनी करो ,मनै घमंड हो जाए ।नर तन है तुम पायकें ,करलो तनक उपाय। बढिया सोच है ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने भी बहुत ही सार्थक और मधुर दोहे लिखे ।जिनमें कहीं कहीं बुन्देली के शब्दों के प्रयोग से रचना को और रोचक बना दिया है ।बहुत बहुत बधाई ।
श्री राज गोस्वामी जी के दोहों का भाव तो ठीक है पर छन्द के हिसाब से मात्राएं एवं तुकतान समझ से परे है। लेखन कार्य के लिए बधाई ।
आदरणीय जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने भीअपने सार्थक और नीतिपरक दोहे गढे ।जिनमें उन्होंने लिखा कि -रहे प्रशंसक पास ना ,निन्दक ना हो दूर ।
करे प्रशंसा रिपु अगर ,वो नर सच्चा सूर।श्रेष्ठ विचार हैं ।शब्द संयोजन बढिया है ।
डाक्टर सुशील शर्मा जी ने बहुत ही सुन्दर मनभावन दोहे लिखे
आपने लिखा कि -
स्वयं प्रशंसा से बचो ,ये घातक हथियार ।
रोग जिसे इसका लगा ,मिठ्ठूमियां लबार ।
बहुत ही प्रेरणादायी दोहा है ।धन्यवाद।
मैंनें भी विषयानुसार अपने पाँच दोहे पटल पर डाले ।जो समीक्षा हेतु प्रस्तुत हैं ।
श्री वीरेन्द्र कुमार जी चंसौरिया लिख रहे हैं कि -
करो प्रशंसा खूब ही ,जो इसका हकदार ।
झूठ प्रशंसा से बचो ,यह तो है बेकार ।।
बढिया भावपूर्ण दोहा रचा ।बहुत बहुत बधाई ।
श्री लखन लाल सोनी जी ने भी अपनी लेखनी चलाते हुए एक मात्र दोहा लिखा ।जो सारगर्भित है ।धन्यवाद
श्री रामलाल द्विवेदी जी ने लिखा कि -
गया जमाना सत्य का ,चापलूस का राज ।
मधुर प्रशंसा सामने ,करें सवारें काज ।
बधाई ।बहुत ही सार्थक और नीतिपरक दोहा गढा मान्यवर ।
आज सभी ने बहुत ही बेहतरीन और सारगर्भित दोहे रचे ,पर आज आकस्मिक एडमिन जाँच में कई लोगों के दोहों में मात्रा एवं भाषा संम्बन्धी दोष पाये गये जो सुधार योग हैं ।बुरा मानने की कोई बात नहीं है ।इससे अपनी कमियों में सुधार होता है ।
एक बार पुनः सादर नमन ।
समीक्षक -सियाराम अहिरवार टीकमगढ़ 🙏🙏🙏
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140- डी पी शुक्ला, टीकमगढ़ मप्र
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढं म.प्र.
दिनांक/ 13.01.2021
बुन्देलखण्ड सी बुन्देली, बुन्देली सी भरमार।
प्रेम प्यासे बुन्देलखण्ड में,
बुन्देली के नर नारि।।
बुन्देलखण्ड सेंई बुन्देला,
हते बुन्देलखण्डई के बीच।
पावन पवित्र बुन्देलीगंग में,
वेई रयते दिलै कों सींच।।
बुन्देली सी भाषा नहीं,
बोली नहीँ अनेक।।
बोलन बोली बोल कें,
रख मानव का रत भेष।।
आज के गौरव मयी बुन्देली बानी के प्रबुद्ध कविवरन को नमन करत भव आजै के पटल पै रचनाँओं के माध्यम सेंइ उपस्थिति दर्ज कराउत भय महानुभावों को बंदन अभिनंदन करत भव भावों के उदगार प्रस्तुत है।
1- प्रथम में आदरणीय श्री जयहिंद सिंह ,,जयहिंद,, जू ने लोरी के माध्यम सें अपनी बुन्देली रचना मेंइस मानव के संतानी व्यवधान की वयथा को उकेरौ है, जीनें संतानै के लानें सबै करो है ई स्वार्थी संसार में मात पिता दुख भोग रय जीकी जियत में सेवा न करी मरे में करत रात जेवनार वास्तविकता के बीचै उत्तम सीख दै है जीके लाने वे साधुवाद के पात्र है ,बधाई।।
2- श्री अशोक पटसारिया जू ,,नादान ,,ने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से बुढ़ापे की जर्जर हालत को वर्णन करो है और हाड़ टटर्रे जैसे चटकत रात है और जा कैसी रीत है ई जग की कै उखरी कों गढ़ौ बताउत और बारन लगे कों मुड़ी बताउत। समय के रहत चेतवौ भौतै जरूरी है। रहती यह तो बहुत ही जरूरी है भौतै नौनी सीख रचना के माध्यम से दै है बहुत-बहुत धन्यवाद बधाई ।
नंबर 3 - श्री गुलाब सिंह भाऊ ने समसामायिक बुड़की कौ वर्णन करके रचना में चार चांद लगाए है औरै धुतिया पोल्का बोरी में धरके गोरी बुड़की लेवे अकेली चली से हास्य बुंदेली रचना में रस भरो है ,भाऊ को बहुत-बहुत बधाई ।
नंबर चार -डा. रीनू श्रीवास्तव जी ने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से चेतावनी दै है के उक्ता के कौनै काम ना करो धीरज धरे सें हिम्मत बनी रैहे बहुत ही अच्छे भाव है साता धारें रानें, जैसेइ राम ने धरीती देवकी ने विपदा काट के कृष्ण कों पावतो। रचना को उत्तमता की ओर ऊंचाई दई है आदरणीया रेनू जी को हार्दिक बधाई धन्यवाद ।
नंबर 5 - श्री किशन तिवारी जी ने अपनी बुंदेली रचना से पटल पर आजके मानव की व्यस्त जिंदगी के बारे में बताओ है कै हम ब्याव करा दे भौतै पछताने जमानों उठत भुँसरा सेः करत काम जाने माने, आरै कै जाव परेशानी बहुत ही पड़त है ,मशक्कत से जो जीव जी रव और तनखा नहीं हो रै है बुरव लगत है ।आज की समसामयिक रचना के सुद्रण भाव उकेरे हैं तिवारी जी को बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।
नंबर 6 - श्री पी .डी .श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़ ने संक्रात रचना के माध्यम से सुना दैे नोनी कथानक में बुड़की लवेे वारे सबै जगाँ जाकर कुंडेश्वर जटाशंकर और गंगा जी और कोउ कोउ घरै की बुड़की ले रये हैं समसामयिक रचना करवे के लाने हार्दिक बधाई के पात्र हैं और भावों में संकराँत को उकेरौ है बहुत-बहुत धन्यवाद।
नंबर 7 - डी.पी. शुक्ला ,,सरस,,ने अपनी बुंदेली रचना में सूदी गैेल शीर्षक के माध्यम से चेतावनी दी है कि जो जीवन को सुख चावनेे तौ भुँसरा से उठने धीरज धीरज धरे कौ सुख चावने तौ सवई काम बनतै है पास में जो है सो मिल बाँट कें खाने सवारथ कौ त्याग करकें परहित करत रानें।
नंबर 8 - श्री कल्याण दास साहू ,, पोषक,, जू ने अपनी बुन्देली रचना में बुड़की कौ आनंद अनूठौ, लूट सको तो लूटौ। मंन की बुड़की लवेे की बात करी है कै प्रेम में ऐसे बूढ़ियौ चाहे भगवान के एकै के प्रेम में एकै जगाँ न छूटै कै संकराँत के लडुअन कौ मजा सोऊ लै लो मीठी बोली बोल कें मन के लडुवा सटका लोे। खिचरी कौ भोग जरूर लगाइए बहुत ही भाव भरी रचना लिखी है हार्दिक बधाई धन्यवाद गुर सी मीठी बोली की बात करी है बुड़की की हार्दिक शुभकामनाए।
नंबर 9 - श्री एस.आर. सरल जू ने बब्बा की व्यथा शीर्षक से अपनी रचना में भौतै मोड़ दव है और बब्बा की हिम्मत की दाद दै है। दुबरे पतरे और सफेद बालै के हो गए और जवानी जैसै ही दम बाधें है, और भीतर तताई नहीं है, और एसौ लगत कै आसौं ई ठंठ मेंप्रानैं कढ़त दिखात। कालजई समसामयिक रचना करी है भाव उत्तम है हार्दिक बधाई धन्यवाद
नंबर 10 - श्री कुँअर राजेंद्र जी ने चौकड़िया के माध्यम से बुंदेली में बुड़की की घुड़की बताई है, भौतै खर्च होतै है ,लडुअन की भरमार और करैयन में गुड़ की बन्न बन्न की मिठाई बन रैं है , ऐसे में अगर मेला चलवे की कावै तो बहुत ही गुस्सा आउत है, अवैरै जाव धना गम्मै खालो। भौतै नौने भाव हार्दिक बधाई
11- श्री चंसौरिया जू ने रचना में समसामयिक रचना करी है बुड़की में सबरे घर ने कुंडेश्वर जावे की तैयारी कर लै है उमंग भरी बुड़की को वर्णन करो है और शिव शंकर जू के दर्शन कऱवे को लाभ मिलत है सुंदर वर्णन मनोहारी दृश्य के दर्शन कराए हैं धन्यवाद बधाई।
नंबर 12 - श्री सियाराम अहिरवार जू ने पूष की सुरक हवा चलवे की बात करी है ठंड से कपकपात हाड़ कुहरा की आई है ।बाढ़ और दुखत रजाई है।। ब़ूढ़न कौ ठंड है आई।।आज की वास्तविकता कौ वर्णन करोे है। श्री सियाराम सर जुने रचना को निखार दव है बे धनबाद के पात्र हैं बधाई।
धन्यवाद संक्रात की शुभकामनाएं
-डी पी शुक्ला, टीकमगढ़ मप्र
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141-आज दिनांक 14.1.2021 दिन गुरुवार मकर संक्रान्ति
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- श्री भास्कराय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
--- आज के आनंद की जय ---
आज दिनांक 14.1.2021 दिन गुरुवार मकर संक्रान्ति के शुभ अवसर पर जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिन्दी स्वतंत्र काव्य-लेखन की समीक्षा :---
आदरणीय सभी काव्य- मनीषियों को मकर संक्रांति पावन पर्व की शीतलता , मधुरता , पावनता एवं पौष्टिकता से भरपूर कल्याण दास साहू पोषक की तरफ से गुड़-तिली मिठास तथा गरमा गरम खिचड़ी से युक्त मंगलमयी कामनाएं --- " आप सभी महानुभावों के दोनों हाथों में लड्डू हौं "
आज सम्माननीय रचनाकारों ने श्रेष्ठ रचनाओं का सृजन किया है , जिनमें उज्जवल भविष्य की कामना निहित है, सभी की लेखनी को बारंबार नमन ।
आज सर्वप्रथम डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने मकर संक्रांति की महिमा पर बहुत ही सुंदर कलम चलाई है ---
" लड्डू सुंदर गोल है , मीठा गुड़ तिल संग ।
आज मकर में सूर्य है , मौसम है सतरंग ।। "
दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने बहुत ही सुंदर चेतना गीत की प्रस्तुति दी है ---
" जो जैसा बोये बीज, करम फल वैसा पाएगा ।
जाने वाला इस धरती पर , फिर से आएगा ।। "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने सात्विक प्रेम का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है ---
" मन को जो अच्छा लगता है ,
दिल को वो भा जाता है "
श्री राम गोपाल रैकवार जी ने मुक्तक के माध्यम से मकर संक्रांति पर्व की आत्मिक शुभकामनाएं प्रस्तुत की हैं ---
" सुख हो समृद्धि हो शांति हो ,
सबको शुभ मकर संक्रांति हो "
श्री किशन तिवारी जी ने भाव प्रधान गजल के माध्यम से बहुत ही सुंदर कलम चलाई ---
" समझा दोस्त जिसे मैंने वो ,
निकला दुश्मन का सौदागर "
श्री शील चंद जैन शास्त्री जी ने शुभकामनाएं प्रदान करती रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी है ---
" जीवन में खुशियां अपार हो , जग में हो सुख शांति ।
उत्तम फलदायक बन आए , शील मकर संक्रांति ।।"
श्री लखन लाल सोनी जी ने मकर संक्रांति की महिमा का सुंदर वर्णन किया है ---
" बुड़की सवै लगावे जाने ,
गीत खुशी के गाने । "
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने दिशा बोध कराने वाली , सुंदर भाषा शैली से सुसज्जित बेहतरीन गजल रचना की प्रस्तुति दी ---
" दुनिया की ठोकरों से न मायूस हो ' राना '
गिर- गिर के आदमी भी सफलता जरूर है "
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने बहुत ही सुंदर प्रेरणादाई रचना प्रस्तुति दी ---
" खुद हंसो और हंसी बांटो ,
जिंदगी नहीं मिली है, रोए जाने के लिए "
श्री एस आर सरल जी ने बहुत ही मनभावन भाषा शैली में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
" धर्म जाति पाखंड छोड़ के ,
प्यार की गंग बहाते चलते "
श्री सियाराम अहिरवार जी ने मकर संक्रांति पर्व की महिमा का बखान किया है ---
" बुड़की लै कें कूँडा़देव की ,
गारय सब लमटेरा "
श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने पावन संक्रांति पर्व की महिमा का बहुत ही सुंदर बखान किया है ---
" सरस बुड़की कौ मजा उठा रय ,
सबसें मिलजुल कें हरषारय "
डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने आभार की बहुत ही सुंदर व्याख्या का चित्रण किया है ---
" आभार इस पटल का , जो लेखनी सिखाय ।
आभार शब्द दुनिया मे , लाख काम आय "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने कुंडेश्वर की महिमा पर गद्य में रचना की है ---
" कथा बहुत अधिक है , कहां तक बखान करें ।
कूँड़ादेव भगवान की , कुंडेश्वर धाम की "
श्री अभिनंदन गोयल जी ने छंद मुक्त भावप्रधान रचना दार्शनिक अंदाज में बेहतरीन भाषाशैली मे प्रस्तुत की ---
" ईश्वर रहता है हमारे आस-पास ,
हम नहीं पहचानते मिले जब अनायास "
श्री वीरेंद्र कुमार चंसोरिया जी ने प्रोत्साहित करते हुए बहुत ही सुंदर गीत की प्रस्तुति दी ---
" कोई गम ना करो तुम जीवन भर ,
गाओ गीत खुशी के जीवन भर "
इस तरह से आदरणीय सभी काव्य-मनीषियों ने बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाएं पटल पर प्रस्तुत की हैं । सभी रचनाकारों का बहुत-बहुत साधुवाद , बहुत-बहुत आभार । इसी तरह से पटल को गरिमा प्रदान करते रहें । एक बार पुनः सभी को मकर संक्रांति के पावन पर्व की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।
भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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142-समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#सोमवारी समीक्षा#
#दिनाँक 18.01.2021#
#बिषय...बिजूकौ#
#समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
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धुन...राधैश्याम रामायण
जय जय जय श्री शारदे,
कलम बिराजौ आन।
सिद्धि सदन करिवर बदन
जय गणेश भगवान।।
हाथ जोर विनती करबें,
जयहिन्द तो पटल पुजारी है।
हम नमन करें सब कवियन खों,
जय सीता राम हमारी है।।
है आज बिजूकौ बिषय कठिन,
पर मानस पटल निवारण है।
दोहा लिख विद्वानों ने कर,
तरण और सब तारण है।।
बिजूके पर दोहा लिखकर,
सब अटल सत्य दुहराया है।
कोई बिषय अगर रख दो,
पर लिख डारें सब माया है।।
विद्वानन की रचना नौनी,
अपने दिमाग पर हाबी है।
है अपनी अपनी समद लगा,
खोलें ज्यों ताला चाबी है।।
#दोहा#
टकसाली दोहा सबयी,
दिये पटल पर डार।
बना बिजूकौ पटल पर,
खोले दोहन द्वार।।
करें समीक्षा आज की,
मानस पटल बिचार।
गलती करियौ सब क्षमा,
लिखूं सभी कौ सार।।
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#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान.....
करो झमक कें काम काज,
बिजूके ना कुछ बनता है।
लूट लूट के नेता सब,
सब संपत घर में धरता है।।
लाल बुझक्कड़ बनते हैं,
आलू से स्वर्ण बनाते हैं।
सबको धोखा देते हैं,
किसान खास कहलाते हैं।।
लंबे लंबे कुरता पैरें,
जप्त जमानत होती है।
तब घर में घरवारी उनकी,
टेर लगाकर रोती है।।
दोहा..भाषायी कौशल सरल,
लिखते हैं नादान।
अच्छा भाव निकार कर,
नहीं रखें अभिमान।।
#2#श्री राम कचमार शुक्ला राम.....
अचानक देख बिजूके को,
मन की मुस्कान सिराते हैं।
खेत रखाने हर किसान,
बिजूका खेत बनाते हैं।।
कछू बिजछके से लगते,
कुछ सज्जनता अपनाते हैं।
उमर बानबै छनक नहीं,
बिजूके बन बन जाते हैं।।
दोहा..भाषा सुन्दर सरल बनी,
और मीठा है ब्योहार।
टकसाली दोहा रचे,
कवि राम ने चार।।
#3#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ...
हिले डुले ना तनक कभी,
पर खेत रखाँय निराला है।
हालत तंग बिजूके सी,
बनते समाज में आला हैं।।
अदबने आदमी कुछ दिखांय,
जो बैठे बैठे खाते हैं।
औकात बनाने की भाऊ,
बातें भी कुछ बतलाते हैं।।
दोहा...भाषा की है बनक ठनक,
डारे दोहा चार।
सब दोहन में भर दयी,
भावों की भरमार।।
#4#श्री एस.आर.सरल जी....
देखत खों बना बिजूके जो,
पर बालें चुन चुन जाते हैं।
भरम टूटता नहीं कभी,
बो ऐसा रूप बनाते हैं।।
भगवान नाम सें दान लेंय,
दैसत की आन बताई है।
कयी तृह बताय बिजूके के,
ज्यों धजी सांप दिखलाई है।।
धरम बिजूका बना बना,
मानवता जिनने खाई है।
लगी लूट की होड़ लगें,
ंमाला भगवान दिखाई है।।
दोहा...भाषा सरल सटीक है,
ंदोहा रच दय पाँच।
ंरचना ऐसी करी है,
नहीं साँच को आँच।।
#5#डाँ.सुनील शर्मा जी....
कुछ बने बिजूके फिरते हैं,
ंजिनका घर घाट नहीं होता।
पंछी सभी समझते हैं,
खड़ा बिजूका है रोता।।
ंधोती कुरता पैर पैर,
बिजूका रूप बनाते हैं।
जनता को धोका देकर के,
उनका सारा धन खाते हैं।।
दोहा...दोहा सीदे सरल हैं,
मीठे जैसै बीन।
ंटकसाली दोहा लिखे ,
शर्मा जी ने तीन।।
#6#जयहिन्द सिंह जयहिन्द...
काम काज ना करते हैं,
दिन रात घूमते रहते हैं।
ठस आदमी अगर होबै ,
तो उसे बिजूका कहते हैं।।
ंजान जान जानवर सभी,
अनजान सभी हो जाते हैं।
खुद हरकत ना करते हैं,
रखवाली खैत रखाते हैं।।
भय कौ भूत बिजूकौ है,
जो बड़ा भयानक लगता है।
मानुष भी डर डर जाता है,
जब रात बिजूका लखता है।।
दोहा...भाषा जानौ आप सब,
करौ समीक्षा जान।
हम पै जैसे बन परे,
हमें नहीं है ज्ञान।।
##7#श्री राम गोपाल रैकवार जी.....
उतरन जिनकी पूंजी है,
बिजूके जो धनवान बनें।
हो रयी जै जै कार हार में,
ठाड़े हैं बे बने ठनें।।
मिट्ठू पैरैदार बने,
चुन चुन कर बाँलें खाते हैं।
हो रयी जै जै कार असलियत,
भूल तुरत बे जाते हैं।।
दोहा...भाषा बुन्देली मधुर,
लिखते रामगुपाल।
झूटी बात न हम कहें.
जे बुन्देली लाल।।
#8#श्री के.के. पाठक जी......
बिजूका जाने ना खुद को,
है कौन ज्ञान ना रखता है।
मौन खड़ा है सदा खेत,
सब सर्दी गर्मी सहता है।।
दोहा...बुन्दैली भाषा मधुर,
लिखी बांधकर टेक।
टकसाली दोहा मगर,
पाठक जी कौ एक।।
#9#श्रीराज गोस्वामी जी......
धुक धुक धड़कन चलती है,
बिजूके से घबराते हैं।
चोरी करबे जाँय अगर,
देख ना लेंय डराते हैं।।
बोलत चालत बौ है नैंयाँ,
खेतों की रखवारी करता।
खड़ा रहे बो खेतों में,
कभी ठंड में ना मरता।।
डरबे बारे डरते हैं,
ना डरबे बारे ना डरबें।
चोर की डाढ़ी में तिनका,
सो चोर भी चोरी ना करबें।।
दोहा....भाषा की ऐसी रिपट,
पढ़ पढ़ रिपटें ऐन।
मधुर मिठास बना दयी,
मीठे लागें बैंन।।
#10#बहिन रेणु श्रीवास्तव जी.....
फैशन की बात चलाई है,
उन्ना पैरैं अटपट्टे हैं।
गुटका की शान निराली है,
अंगूर उनें सब खट्टे हैं।।
चर्चा करी कोरोना की,
करी मास्क की बातैं हैं।
कयी लोग बिजूके बनते हैं,
जिनकी बनावटी रातें हैं।।
दोहा....भाषा शैली है मधुर,
बहिना कुशल प्रवीन।
दोहा टकसाली मधुर,
डरे पटल पै तीन।।
#11#श्रीडी.पी.शुक्ल सरस जी......
पहले दूजे दोहे में,
दूसरा चरण जब आता है।
पढ़ें ध्यान सें जब दोहे,
मात्रा का दोष दिखाता है।।
चौथे दोहे में रही वहीं,
तीसरा चरण सहलाता है।
ग्यारह मात्रायें होतीं हैं,
तेरह से जिनका नाता है।।
बाँकी दोहे सब अच्छे हैं,
बिजूका ज्ञान बताते हैं।
भाषायी भाव बहुत अच्छे,
जिनके दोहों से नाते हैं।।
भा
दोहा...भाषा भाव बनें सरल,
सरस सटीक बनाय।
बुन्देली बोली बनी,
नौनी मधुर सनाय।।
#12#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी.....
कछू बिजूके बनें खेत,
बो स्वयम् खेत को खाते हैं।
देखे में अच्छे लगवें,
पर सबरो खोज मिटाते हैं।।
नमक हराम बिजूके हैं,
बे गिरगिट रंग बनाते हैं।
पैल भरोसेबंद रहें,
फिर दंद कछू फैलाते हैं।।
गड़बड़ी करें जो खेत खड़े,
उनकी सछरत ना भाती है।
ठेंन होय उनके देखें,
फट जाती सबकी छाती है।।
दोहा....पोषक जी नौनें लिखें,
भाषा के पैबंद।
मधुर मिठास भरें सदा,
पढ़ पढ़ कें जयहिन्द।।
#13#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु.जी......
कुछ करते ना काम मगर,
बो कष्ट सदा ही करते हैं।
देखी है औटकात सभी,
ना पशु पक्षी अब डरते हैं।।
बिजूका तेरा काम नहीँ,
बदनामी तेरी भारी है।
सलामी करै लगै सबको,
क्या सबसे तेरी यारी है।।
अंतिम दोहा में भरे भाव,
जो आज सभी नै डारे हैं।
पर इसमें कोई दोष नहीं,
जो इन्दु हमारे प्यारे हैं।।
दोहा...भाषाई कौशल सदा,
देते हैं भरपूर।
इन्दु सरल भाषा सरस,
रहे न मन से दूर।।
#14#श्री रामानन्द पाठक नंद जी.......
बिजूका खेत खड़ा रहता,
बिन दाम काम जो करता है।
कंकाल बनायें लकड़ी से ,
फिर कपड़े से मन भरता है।।
जियत किसान खड़ो जैसें,
जो मूंछन ताव जमाता है।
आलस में काम नहीं होगा,
क्योंकि किसान से नाता है।।
भाषा पाठक की मधुर,
गन्नै जैसी पोर।
पड़बे में नौनी लगत ,
देत ज्ञान की कोर।।
#15#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी........
बकबास बिजूका करता है,
फिर लाल बुझक्कड़ बनता है।
कुरता पैर पैर लंबा,
अपने घमंड में तनता है।।
बिजूके ज्ञान बाँटने में,
बाचाली भौत दिखाते हैं।
नीत न्याय की बात छोड़,
बे जनता को भरमाते हैं।।
बिजूके बने खेत के बे,
बे काम सभी के आते हैं।
ठलुवा जो बक बक करते,
बो दाम ध्वजा फहराते हैं।।
बैंगलूर से लिख रहे ,
गोईल सभी बिचार।
भाषाई कौशल बना ,
देत पटल पै डार।।
#16#श्री इन्द्र पाल सिंह राजपूत जी.......
दूजे चरन प्रथम दोहा,
दो मात्रायें कम पाईं हैं।
अगर जोड़ दो रो को तुम,
तो बज जाये शहनाई हैं।।
दूजा दोहा टकसाली है,
सो धन्यवाद में देता हूं।
पैलै दोहे का दोष सभी,
टाईप की त्रुटि मैं लेता हूं।।
भाव भरे नौने सभी,
दो दोहे भरपूर।
लिखे धन्य है कलम वह,
करो न उसको दूर।।
#17#श्री सियाराम अहिरवार जी........
कपड़े फैशन की चर्चा की,
बिजूका भी शरमाया है।
डर डर जांय चिरैंयाँ सब,
कोई दाना चुरा न पाया है।।
जिनखों कूत नहीं भैया,
बे कपूत कहलाये हैं।
जिनके संगै रहे सदा ,
बे काम उन्ही के आये हैं।।
काम करें ना कभी कोई,
बदनामी उनकी होती है।
नाम बिजूका पड़ता है,
तो अकल उन्ही की रोती है।।
भाषा चमकाई मधुर,
भाव दये हैं डार।
अहिरवार जी लिखत हैं,
दोहा मधुर बिचार।।
आठ बज गये कलम को,
बंद करूं कर साफ।
अगर छूट जाये कोई,
करियौ मुझको माफ।।
समीक्षाकार....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा,जिला टीकमगढ़
###########################
143- सियाराम जी अहिरवार टीकमगढ़
🕷️जय बुन्देली साहित्य🕷️
🦋समूह टीकमगढ़🦋✍️हिन्दी में दोहा लेखन ✍️
🧶विषय -समस्या दिनांक -19/01/2021
मानव जीवन समस्याओं से घिरा है । समस्याओं का कभी अन्त नहीं होता है ।एक न एक समस्या मनुष्य को घेरे रहती है ।क्योंकि समस्या वह खुद पैदा करता है ।फिर उन्हीं समस्याओं में उलझता चला जाता है ।
इसी विषय को लेकर आज सभी विद्वानों ने दोहे रचे जो समस्या शब्द को परिभाषित करते है ।और उसका कारण और निदान भी बताते हैं ।
आज पटल पर शुरूआत करते हुए आदरणीय अशोक पटसारिया जी ने बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित दोहे लिखे ।
सभी समस्याओं को केन्द्रित करते
हुए शानदार दोहे हैं ।बहुत बहुत बधाई ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ ने भी
बहुत सुन्दर दोहे लिखे ।जिसमें वे लिख रहे हैं कि इस जीवन रूपी संसार में समस्याएं रोज हैं ।जो इसमें पड़ता है ,उस पर हमेशा बोझ रहता है ।बढिया भाऊ जी
नीतिपरक बात कही ।धन्यवाद ।
श्री रामेश्वर प्रसाद जी गुप्त इंदु लिख रहे है कि कृषक अपनी समस्याओं को लेकर धरना दिये बैठे है ,पर उनकी समस्याएं हल होते नहीं दिख रही हैं ।कैसा अंधेर है ।बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहे हैं ।
आदरणीय जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने बहुत ही नीतिपरक और सारगर्भित दोहे लिखे ।आप लिख रहे हैं कि जब कठिन समस्या आये तब मन में धीरज रखने से जीवन कंचन हो जाता है ।आपकी रचनाओं में हमेशा रचनात्मक दृष्टिकोण रहता है ।आपकी लेखन शैली के लिए बधाई ।
श्री डी.पी. शुक्ल सरस जी ने भी बहुत अच्छा संदेश देते हुए लिखा कि गरीब और धनी के बीच में समस्या का बहुत अन्तर होता है ।धनवान हमेशा मीठा चखता है और गरीब रूखा सूखा खा कर जीवन व्यतीत करता है
श्री राजीव नामदेव जी राना लिधौरी ने अपने तीनों दोहों में अलग अलग समस्याओं को रेखांकित किया ।जहां कोरोना की समस्या है तो वहीं अब बर्डफ्लू जैसी विशाल समस्या आ गयी है ।आप लिख रहे हैं कि ईश्वर पर विश्वास करने से हर विपदा टल जाती है ।बढिया लिखा ।बधाई ।
डाक्टर रेणु श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही मधुर और सारगर्भित दोहे लिखे ।आप लिख रहीं हैं कि अब वैक्सीन आ गई है ।कोरोना जैसी समस्या का निदान मिल गया है ।जिससे भारत के गौरव के साथ साथ सभी का मान बढेगा ।धन्यवाद ।अच्छा लिखा ।
श्री एस .आर. सरल जी ने बहुत ही शानदार और सार्थक दोहे लिखे ।जिनमें आपने लिखा कि समस्या सामने है ,फिरभी चौकीदार सो रहा है जब उसकी आँख खुली तब तक सारा बंटाढार हो चुका ।और अब शेर की छाप बनाके दांत निपोर के रह गये ।धन्यवाद सरस जी अच्छा लिखा ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने भी बहुत ही ज्ञान वर्धक और सुन्दर दोहे लिखे ।जिसमें आपने लिखा कि जो समस्या से डरता है उसका जीवन बेकार है ।और जो उसका सामना करता है ,उसकी जय जय कार होती है ।
बढिय़ा विचार हैं पोषक जी बहुत बहुत बधाई ।
श्री रामकुमार शुक्ल जी लिख रहे है कि -
कोरोना के काल से ,बनी समस्या खास ।
खुले मदरसा हैं नहीं ,हैं मजदूर उदास ।।
श्रेष्ठतम दोहा आदरणीय ।धन्यवाद सहित बधाई ।
श्री राज गोस्वामी जी दतिया ने भी बढिया दोहे लिखे ।
होत समस्या कम नहीं ,दिन दूनी बढ जात ।
इक से छुटकारा मिलत ,तुरत दूसरी आत ।।
सही नीति गत बात कही ।आदरणीय बहुत बहुत बधाई ।
रामानंद पाठक जी ने भी अपने स्वरचित सुन्दर दोहे लिखे ।
आपने लिखा कि आज की सबसे बडी़ समस्या दहेज लेना है ।जब सुधि समाज नहीं अभी चेता तो गरीब की क्या दुर्गति होगी ।
बहुत ही नीतिपरक बात कही ।बधाई ।
आदरणीय रामगोपाल जी रैकवार ने भी बहुत ही मधुर और समाधान परक दोहे लिखे ।जिसमें आपने लिखा कि -
समाधान होता वहीं ,जहाँ समस्या मूल ।
कँवल समस्या कूल है ,समाधान प्रतिकूल ।।
अति उत्तम लिखा श्रीमान ।बधाई ।श्री शील शात्री जी ललितपुर वालों ने भी बहुत सुन्दर दोहे लिखे ।आपने लिखा कि -
घात में दुश्मन देश है ,बिच्छू मारे डंक ।बढिया बात कही ।धन्यवाद
।डाक्टर सुशील शर्मा जी ने भी बढिया सुन्दर सारगर्भित दोहे रचे ।बहुत बहुत धन्यवाद ।
अन्त में मैनें अपने दोहो से समीक्षा को विराम दिया ।
आज सभी ने बहुत ही सुन्दर मधुर समाधान परक और सारगर्भित दोहे लिखे ।सभी को एक बार पुनः प्रणाम ।धन्यवाद।
समीक्षक -सियाराम अहिरवार टीकमगढ़ ।🙏🙏🙏
##################
144-समीक्षक डी.पी.शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ़
🌹🌹जय बुंदेली🌹🌹 साहित्य समूह टीकमगढ़
स्वतंत्र बुंदेली पत्र लेखन
🌹पटल समीक्षा दिनांक- 20 .01. 2021🌹
पावन पवित्र धरनि की माँटी ।
बुंदेलखंड सौ पावन स्थान।।
जा धरणी में श्री राम बिराजे।
उनके बुंदेली में कर रय गुणगान ।।
जय बुंदेलखंड की धरती।
बुंदेली भाषा सौ ज्ञान।।
अंतर उर को भेदती ।
अपने पन खों प्रेमी जान।।
शक्ल कला विद्या में अग्रणी ।
बुंदेली की शान।।
बुंदेलखंड राज्य हितै में। चाहत शक्ल सुजान।।
आज के पटल पर सर्व माननीय सुबुद्धि जन कविवरन ,साहित्यकारन, गीतकारन और सरस्वती मैया के वरद् पुत्रन ने बुंदेली को मान बढ़ावे में पटल पै जो सहयोग दव है वे सफाई साधुवाद के पात्रै हैं । बुंदेली को शिखर तक पौंचावे के लाने पैलेई भी प्रयास होत रय हैं, अपनों प्रयास सार्थक भव है सबै को नमन करत लेखन करी गई रचनाओं में उत्कृष्टता लाने हेतु विवरण निम्न प्रकार सईं है।।
1- प्रथम में माँ सरस्वती काबंदन कर पटल पर श्री गणेश करवे वारे आदरणीय ड़ॉ सुशील शर्मा जी ने अपनी रचना में उत्कृष्टता भरी है,
1- बुन्देली रचना भौतै नौंनी है।
2- भाव उत्तम हैं।
3- रचना में धारा प्रवाह है।
4- शिक्षा प्रद एवं रसमयी रचना है।
दौड़ा दौड़ी उर देखा परखी मे कड़ी जा जिन्दगानी, उर हो गै सबै खत्म कहानी।। मानव के कर्तव्य कौ पूरौ चिट्ठा रच दव,
अपनों हौन चाउत थो,बिल्कुल न बचो।।
उत्कृष्ट रचना हेतु बधाई धन्यवाद।
2- श्री शील जैन जू ने अपनी बुंदेली रचना में लिखो के गढ़़ी और बड़ी वाखरन बारे अबै नैं मान रय ।बड़ई लेके वायरें जा रय
नंबर 1 .प्रगति पथै के युग में अपने को बदलवे की नोनी सीख गई है ।
नंबर दो. सफाई को ध्यान देने पीएम सीएम सबै मिलकें झाड सबै़ लगा रय। नंबर 3. बहु बिटियन की इज्जत रखन सोे घर में शौचालय बनिवने।
नंबर 4 .बिटिया निस्तारन लोटा लेकर जा रै, वेशरम उतै करत इशारे ।
सुरक्षा और सफाई के बारे में उत्तम बुंदेली रचना करी है बहुत-बहुत धन्यवाद बधाई
3- श्री जय हिंद सिंह
,,जय हिंद ,,जु ने अपनी बुंदेली सिंगार गीत के माध्यम से लोक शैली बद्ध रचना में धना की निंदिया मैं सोने की बिंदिया हिरा गई सो सोनौ मिलवौ और गिरबौ दोईं सही नैं होत है। लाला को लाला देयखें , तुम गगरी उतराई।। और लरकें लऱ मंगवाई, कायखों रोजों करी लराई ।।
नंबर 1. सिंगार गीत के भाव समास विग्रह सहित उत्तम है ।
नंबर दो. धारा प्रवाह उत्तम है ।
अलंकारित छटा के दर्शन गीत में झलक रहे है ।
नंबर 3 .उत्तम रचना करी जय हिंद सिंह जू ने आज।
गोरी धना की बैंदी गिरी.। देखत रव सवई समाज।।
उत्तम रचना के लिएः स्नेहिल बधाई धन्यवाद।
नंबर 4 श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जू ने अपनी क्षडि़का के माध्यम से रचना में समसाम्यिकता का समावेश करके बताओ है कैे वे कौरव हम पांडव ना चलै तुम्हारा जौ तांडव अगर भोला भंडारी जी अपना तांडव कर दें तो पूरे चूल सें नष्ट हो जैव।
1- नव बुन्देली पद्य के माध्यम से भावों में आज की रचना को भरो है।
नंबर दो . चेतावनी भरी सीख गई है ।
नंबर 3. प्रेरकता की सौगात दै है।
नंबर 4. सारगर्भित भाव उकेरे हैं।
5- रचना उत्तम है भौतै भौत बधाई और धन्यवाद।
नंबर 5 .डी. पी. शुक्ला जुने बुंदेली शीर्षक अंगना के माध्यम से भारत को अंगना मान के बगीचा की महक दूर देशन तक फैल रै फैलाव बताव है। अंगना के चारों ओर बारी लगा दै है, जी मैं उजरा पिड़ आए हैं, उनें फाँसबे फँदा लगा दव है , अब वौ फँसकें रैहै नंबर 1 .देशहितार्थ भाव उकेरे हैं।
2- देश की रक्षा में कोताही नहीं बरती है ।
नंबर 3. देश की रक्षा में सतत कर्मशील है उजरा भारत देश के भीतर बच नहीं सकते हैं ।
9 .देश भारत में दोगलापन नहीं चलने हैं ।
नंबर 5 चेतावनी भरी सीख दई है ।
6-उत्तम रचना समास विग्रह सहित लेख करी है।
नंबर 6 .डा.रैनू श्रीवास्तव जी ने अपनी बुंदेली पुराने चाँवर शीर्षक से बुढ़ापे की व्यथा को बताओ है ।कै बुढ़ापौ जीवन कौ छोर है,बड़ौ भौतै घनघोर है।।बूढ़े और रिटायर को पौर में डार देत एक बार सानी सी धर देत फिर नैं देखने जौ हाल इतना बुरा हाल होत, नाती पोता कोउ नैं सुनत लेकिन बुड्ढा बलियाँ लेत रत। अब जीवे को मतलब नैंयाँ ,न कोउ परत मोरी पैयाँ।।
नाती नता सब धता बतावें।
तौउ लेत मैं ऊकी बलैयाँ।। पुराने चाँवर सैलात बताएं हैं। किस इलाके की बात करी है बुढ़ापे में अनुभव सोउ होत है ।
1. भाव उत्तम है ।
नंबर दो -बुढ़ापे की चेतावनी दी है।
3- अनमोल अनुभवी बुढ़ापा बताओ है ।
नंबर 4- बुंदेली सारगर्भित है।
नंबर 6 - लेकिन अंत भला तो सब भला बुंदेली में अंग्रेजी मिलाकर गुर गोबर कर दव बुंदेली बढ़ावा हेतु सजगता चाने रचना उत्तम है आदरणीया बधाई धन्यवाद।
नंबर 7 - श्री गुलाब सिंह भाव जुने बुंदेली गीत के माध्यम से सिंगार को वर्णन करो है जी में सखियां आपस में बता रही कै कनाई तुम्हारी बात जा जसोदा मैया से शिकायत करने परहै जो तुम रास्ता मे हमें डराकें दही बैंचवे मथुरा नहीं जान देत ।
भाऊ जी ने मन की मथुरामें जाबे के लाने प्रेम मई छाँछ के दरसन करा कें आए हैं मन में कृष्ण के भाव जागृत करे हैं।
नंबर 1 बुंदेली गीत में भक्ति भावना से ओतप्रोत है।
2- बुन्देली गीत के भाव उत्तम हैं।
3-- प्रेमी भावना को उकेरा है।
नंबर 4-आत्मीयता के मिलन प्रीत के वर्णन करो है।
नंबर 5 जन जागृति का प्रवेश झलक रहा है।
भाऊजी बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद के पात्रहैं।
नंबर 8 -श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने ठंड में पसीना शीर्षक के माध्यम से हास्य व्यंग भरी बुंदेली रचना करी है अपने इतने समय से कोनै काम नहीं होतै है,जी से प्रगति बहुत ही कम हो गई है ना सोच बुंदेली में समय की कीमत बताई है एक बस बरात के लाने जा रही थी सभी बराती बैठ गए लेकिन तबै ड्राइवर नहाने के लिए जा रहा था जो समय को धता देकर । हास ब्यःग भरी बड़ी बुंदेली रचना शिक्षाप्रद एवं समय की कीमत जानवी बहुत उत्तम रचना करी है कम शब्दों में सारगर्भित रचना करके उत्तम व्यंग बताओ है बहुत ही बहुत बधाई धन्यवाद।
नंबर 9- श्री राम कुमार शुक्ला ,,राम,, जु ने अपनी बुंदेली पद्य रचना के माध्यम से हरे-भरे जंगल को कम देख के बुरव लग रव है, काय कैे नरवा पानी से भरे नहीं दिखा रये भैया तिली कौ बीज काट के पैली भरपाई, जा बात काँ तक साँसी मानें,लवरन की बातें हो रैं बुंदेली कविता नौनीहै, धाराप्रवाह में है जितै देखो लवरन की अथाई लगी रत समसामयिक रचना करके बहुत नोनी सीख दई है काम की और सांसी कोउ नहीं बता रव बहुत ही सुन्दर रचना बधाई धन्यवाद ।
नंबर 10 - श्री कल्याण दास साहू पोषक जू ने अपनी रचना के माध्यम से तन बनाने की जुगत बताई है चाय तुम जितना ही खा लो ठंड में पचवे के दिन होत हैं। दिन ऊँगे से लेत उरैयाँ , प्रभु की लीला आँकौ। तपत रव बैठ कोंड़े पै , मन की बातें हाँकौ।।
बहुत ही अच्छी बात करी है मन में मौज तो बने औज। बहुत ही सीख बुंदेली रचना सुंदर भाव चेतावनी दी है बधाई हो धन्यवाद ।
नंबर 11- श्री अशोक पटसरिया,,नादान ,जुने अपनी कुंडलीअन के माध्यम से जमा पूंजी अस्पताल में जा रै बताओ है लूट के धंधे खुल गए हैं डॉक्टर के संगे नेता मिल गए हैं । खुले आम डाको दे रहे जिए देखवे वारौ कोउ नैयाँ ।
भाव बहुत नोने हैं
चेतावनी परक रचना है सजगता की ओर उन्मुख हुई है।
नादान जी को बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद ।
नंबर 12 - श्री s.r. सरल जू ने अपनी बुंदेली रचना में भौतै व्यंग भरी बात करी है ,कै कैसें विद्वान से नेह लगा कें रट्टौ भौतै बुरव फँसा लव , गुरियन जैसे जे बौद्धिक कविवरन हमसें न शब्दन जैसे छूटें। ईसें ढ़ूढ ढ़ूढ कें उनें पिरोउत रत। भौतै नौनी रचना सरल जू बधाई धन्यवाद।।
उत्तम भाव बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।
नंबर 13 .श्री रामानंद पाठक जी ने अपनी बुंदेली पद्य के माध्यम से रचना में विरछन की हरी-भरी प्रेमी पंथ वाली बगिया कहां हिरा गई जितै पड़ोसी एक दूजे को साथ दतैे ते उतई वृक्ष ई धरती से हिरा गए। बहुत ही नोनी कल्पना करी है उत्तम रचना है। धाराप्रवाह उत्तम है बहुत ही बहुत धन्यवाद वे बधाई के पात्र हैं।
################
145- कल्याण दास साहू पोषक, पृथ्वीपुर
--- श्री गणेशाय नमः ---- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 21.1. 2021 दिन गुरुवार " जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ " के पटल पर प्रस्तुत " हिंदी पद्य लेखन " की समीक्षा :----
आज पटल पर सहभागिता निभाने वाले सभी आदरणीय काव्य-मनीषियों का शिशिर ऋतु के सुअवसर पर शीतलता से युक्त आत्मीय अभिनंदन वंदन स्वागत।
सभी आदरणीय प्रतिभागियों ने बेहतरीन लेखनी चलाई है इसमें सम-सामयिक, भक्ति रस, देश प्रेम , हास्य-व्यंग्य एवं श्रृंगार से युक्त काव्य-सृजन की बेहतरीन प्रस्तुति हुई है । गीत, गजल ,कुंडलियां , छंद मुक्त रचना एवं हायकू विधा की प्रधानता रही है ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी भाव प्रधान गजल से बेहतरीन शुरुआत की ---
" दे दिया दिल उसे, बात ही बात में ।
वो बदल क्यों गये , रात ही रात में ।।
भोपाल से श्री किशन तिवारी जी ने भी भाव प्रधान गजल के क्रम को आगे बढ़ाया है ---
" रोज अपने डर से डर जाता है वो ,
जाने कितनी बार मर जाता है वो ।
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी ने श्रृंगार परक अभिव्यक्ति हाइकु विधा में प्रस्तुत की ---
" वो सुदर्शना
पहनती है साडी़
नाभि दर्शना "
नैगुवाँ से श्री रामानंद पाठक नंद जी ने किसानों की श्रमशीलता एवं दुर्दशा दर्शाती रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
" करो समस्या हल किसान की अपने देश की शान हैं ।
यही अन्नदाता है अपने कलयुग के भगवान हैं ।।
लिधौरा से श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने संयम के महत्व को दर्शाती रचना की बहुत ही सुंदर शब्दों में प्रस्तुति दी ---
" संयम है जीवन की कुंजी ,
जीवन में संयम लाओ "
डॉ. सुशील शर्मा जी ने प्रेयसी को संबोधित करती भावपूर्ण छन्दमुक्त रचना की बहुत उम्दा प्रस्तुति दी ---
" क्या तुम मेरे लिए एक ऐसी कविता लिख सकती हो "
पलेरा से दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने भक्ति पर गीत की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
" ले विश्वास की थाली ,
प्रेम की ज्योति निराली "
फरीदाबाद से श्रीमती विद्या चौहान जीने प्रेम सौंदर्य से युक्त प्रेरणादाई रचना प्रस्तुत की ---
" ला सको किसी के होठों पे मुस्कान ,
दे सको किसी के ख्वाबों को वितान "
बड़ागांव झांसी से श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने बेहतरीन आध्यात्मिक गीत रचना से पटल को गरिमा प्रदान की ---
" करे रे ! काहे मन तकरार ,
मिले फल कर्मों के अनुसार "
गाडरवारा से श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने छंद मुक्त व्यंग्यात्मक रचना की बहुत ही उत्तम प्रस्तुति दी ---
" मूड अच्छा नही "
आदरणीया कविता नेमा जी ने हायकू छन्द के माध्यम से शिशिर ऋतु का सुंदर वर्णन किया ---
" पूस की रात
घनी ठण्ड पहरा
हाल बेहाल "
श्री हरिराम गुप्ता निरपेक्ष जी ने शिशिर ऋतु का बहुत ही सुंदर वर्णन कुण्डलिया के माध्यम से किया ---
" सरसों फूली खेत में , गाजर मूली मूल ।
बाली गेहूं में लगी , मौसम के अनुकूल ।।
चन्देरा से श्री आर के शुक्ला जीने राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत रचना की बेहतरीन प्रस्तुती दी ---
" पर्व ही राष्ट्र एकता की आज बन रहे मिसाल ।
समरसता के बीच में ही देश हमारा खुशहाल ।।
ललितपुर से श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने भाव प्रधान रचना की प्रस्तुति दी ---
" अपने से अपनों को जानता ,
दूजा खुद ही को मानता "
ललितपुर से ही श्री श्री चंद जैन शास्त्री जी ने गांव की यादें ताजा करते हुए बेहतरीन रचना की प्रस्तुति दी --
" याद बहुत आता है अपना प्यारा प्यारा सा गांव ।
पगडंडी टेढ़ी-मेढ़ी सी पीपल बरगद की छांव ।।
श्री एस आर सरल जी ने पारस्परिक सौहार्द को बढ़ाने हेतु बेहतरीन रचना की प्रस्तुति दी ---
" मैं नफरत की लपटों पर ,
पानी उडे़लता चलता हूँ "
श्री डी पी शुक्ला सरस जी ने उड़ती चिडि़या शीर्षक से बेहतरीन लेखनी चलाई है ---
" छत की मुड़ेर पर बैठी रात ती चिड़िया "
ची ची करती मधुर कंठ से "
श्री सियाराम अहिरवार जी ने सामाजिक विसंगतियों को उजागर करती रचना की प्रस्तुति दी ---
" तुम्हें तो जुल्म ढाने की , पड़ी आदत जमाने से "
दिल्ली से श्री संजय श्रीवास्तव जी ने सुंदर पंक्तियों के द्वारा जीवन को परिभाषित करने का बहुत ही सुंदर प्रयास किया है ---
" जीवन , सूर्य के उदय से अस्त होने तक की कहानी है "
इस तरह से आज पटल पर बहुत ही उच्च कोटि की रचनाएं प्रस्तुत हुई हैं , सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत साधुवाद बहुत-बहुत आभार । आशा करते हैं इसी प्रकार से सभी अपनी लेखनी का पैनापन बनाए रखें । इसी के साथ ही मैं समीक्षा कार्य को विराम देता हूं । भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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146- जयहिन्द सिंह जयहिंद,पलेरा
#सोमवारी समीक्षा#बिषय/सुभाष चन्द्र बोस#दिनाँक 25.01.2021#जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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सबसें पैलाँ सरस्वती मैयाकी जय,राम राजा सरकार कीजय,सबयी धरमन के सब देवी देवतन की जय।पटल के सबयी विद्वानन खों नमन।आज कौ बुन्देली दोहन कौ बिषय स्वतंत्रता संग्राम की कड़ी के साहसी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस पै आधारित दव गव सबयी कविगणन ने अपने अपने बिचार पटल पै दोहन के रूप में उकेरे।सब जनै धन्यवाद के पात्र हैं।सबने अपने मानस मन सें जितनों अच्छौ बन सकौ रचकें पटल पै डारोऔर नेत जी के दोहन कौ अंबार खड़ौ कर दव।राष्द्रीय लेखन के जबरजस्त उत्साह सेंलिखबे की कला सबके सामने आई।दश प्रेम और आजादी के लाने जो लिख सकत ते ऊसें आँगे कड़ कें दिखा दव।सुभाष नेता जी खों लक्ष्य बनाकेंसार्थक कोशिश संपन्न करी गयी जो सार्थक भयी।लो अब आज की समीक्षा शुरू कर रय।
सबकी कलम कौआकलन अलग अलग बताबे की कोशिश कर रय जैसौ बन पाय सो आप सबके सामें पेश कर रय।
#1#मैने लिखोनेता जी कौ पूरौ निजी नाम श्री सुभाष चन्द्र बोस हतो।जिनकी बाँय आजादी पाबे खों फरकत हतीं।अंग्रेजन के समय आजाद हिन्द फौज कौ गठन करकें अफरा तफरी मचा दयीऔर जयहिन्द नारौ बुलंद करो।अंग्रेजन के भगाबे मेंउनकी तरकीब काम आई।
धूम मचाबे में सदा......भर ताव दोहा मोय खुद अच्छौ लगो।
भाषा कौ आकलन आप सब जनें जानौ।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी.......
आपने लिखोसुभाष जी ने नौकरी और सुख चैंन छोड़ कें
रात दिना मैनत करी।तुम हमें खून दो मैं तुमें आजादी दूंगा।अंग्रेज उनकौ नाव सुनकें कप जत ते,नेता जी सबसें महान रय।उनै सबरौ भारत सिर झुकाउत तो।अंतिम दोहा प्रथम पंक्ति.....
हिन्दुस्तान सबसें अच्छौ लगो।
भाषायी कौशल बुन्देली के महान लेखक श्री अबध किशोर जडिया
जैसौ है।
#3# पंं. श्री द्वारका प्रसाद शुक्ल जी.........
आपने खून दो आजादी दूंगा नारे को अपनी भाषा में दुहराव,अंग्रेज हुंकार के माय गद्दी छोड़ गय।
आपकौ दोहा सुभाष ने पहल करी..........छोड़ गये मैदान भौत अच्छौ लगो।
आप बुन्देली बिल्कुल हट कें लिखत।ऊमें नवीनतम शब्दन कौ उपयोग करो जात।आपकी भाषा बुन्दैली के शसक्त कवि श्री गुण सागर शर्मा जू सें मिलत थुरय है।आपखौं शत शत प्रणाम।
#4#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी........
आपने तीन दोहन में समुद्र गगरी में भर दव। नेताजी ने अकेलें औज लगा केंफौज बनाई ती।उनकी महानता संसार में जानी जात,और इच्छा करी कझ उनकौ फिरसें अवतार हो जाय।आपकी भाषा डा.देवदत्त जू सें मिलत । आपके दोहन में लोच रात।आपका सादर अभिनंदन।
#5#डा. रेणु श्रीवास्तव.......
आपने लिखो नेता जी कौ जोश गोरन के खिलाफ हतो,उनके पिताजानकी नाथ और माताजी प्रभावती हतीं।नेताजी ने आजाद हिन्द फौज बनाकें गोरा भगाय।
आप बुन्देली की अनूठी शान हैं जिनकी तुलना ना करना ही समझदारी होगी।आपका चरणबंदन करत मोय खुशी होत।
#6#श्री शील जैंन साहब......
आपने लिखो सुभाष आजादी के सूरमा हते,बे आजादी की तरंग भरकें रंगून पौचे,और जयहिन्द कौ जुनून जगाव।हमें खून दो हम आजादी देंगे सुनकें सबकौ खून खौल जात तो।आपने कलह सें आजादी बचाबे कौ सँदेशौ भी दव।जयहिन्द बोलतन उनकी खबर आ जात।आपकी भाषा अपने आप में अनूठी है आपकी लेखनी सरल उच्चारण करत।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#7#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी..........
आपने पटल पै दो दोहा डारे।आपने लिखो नेता जी वीरन में वीर हते।जिनसें अंग्रेज कप जात ते,खून वारौ नारौ आपने भी अपने तरह सें डारो।आपकी भाषाई मिठास बुन्देली के मैथिलीशरण सम्मान प्राप्त श्री रतीभान तिवारी कंज नैगुवाँ जैसी है। आपकौ सादर वंदन।
#8#श्री कल्याण दास पोषक जी........
आपने लिखो नेता जी कौ नाम श्रद्धा सेंलव जात।देश खौं उनके शौर्य पर नाज है।आजाद हिन्द फौज के सर्वोसर्वा पर हमें गर्वहै।
बे भारत रत्न हते,गोरन के अत्याचार सें उनकौ खून खौल जात तो।जौलौ सूरज चंदा गंगा सागर रै तौलौ उनकौ नाम अमर रै।उनने नेता जी खों पुष्पाँजली अर्पित करी।
आपकी भाषा अनोखी है आपने कम समय में बुन्देली कौ झंडा गाड़ो।आपके सबयी दोहा एक पै एक हैं।आपखौं सादर नमन।
#9#श्री रामानन्द पाठक जी नंद.........
आपने लिखो नेता जी कौ जनम
23जनवरी खों बंगाल में भव तो,आपके बिचार नेहरूजी और गाँधी जी सें अलग हते।आजादी हमाव हक हैहम खून दैकें छीनेगे।आपने लिखो आप अचानक गायब भय फिर पतौ नयीं चलो।हम उनकौ कर्ज नयीं चुका सकत।
आपने कम समय में बुन्देली की ऊंचाई खों छू लव।आप मस्त मौला कवि हैं।आपके हर दोहे में चमत्कार है।आपका चरण वंदन।
#10#श्री राज गोस्वामी जी.....
आपने लिखा सुभाष नेताजी महान थे।आपकीँ दुनियां में अमिट छाप है।बे माता पिता की कृपा से जग विख्यात भय।वर्मा में नेता जी ने कहा था जिसे प्रान प्यारे न हों वही आगे आँय।आज आप संसार में नहीं हैं पर जमाना आपको सदा याद रखेगा।आपने जयहिन्द का अमिट नारा दिया।
गोस्वामी जी कौ भाषा चमत्कार अपने आप में अलग शाख ऋखत है।आपको सादर नमन।
#11#श्री एस आर.सरल जी.....
आपने लिखा नेताजी अंग्रेजों के काल हते।उनके नाम सें अंग्रेजों के होश उड़ जात ते।जयहिन्द नारा उन पर होश उड़ाने हेतु काफी था।नेताजी के नाम से अंग्रेजन के होश उड़ते थे।सुभाष के नाम से खून खौल उठता था। हिंद फौज ने अपर गोरे भूंथ डारेथे।भारय भूमि वीरौं की है उनमें नेता जी एक थे।
आपका भाषा कौशल निखार लिये रहता है।आपकी शुद्धता डा.दुर्गेश दीक्षित जी से मिलती है।आपने कम समय में ऊंचाइयों छूने का साहस करो है।
आपका सादर आभिनंदन।
इस प्रकार समय सीमा में 11 कवियन के दोहों ने पटल पर धूम मचाई।सबने सुभाष जी पर ऊंचाइयों को छुवा है।सब की लेखनी ने कमाल किया।सभी जन निरंतर आगे बढध रय। मेरी कामना है कै सब जनें ऊंचाइयों को छूके बिख्यात होंय।
सबको प्रणाम कलम को विराम।
समीक्षाकार.......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द ,पलेरा जिला टीकमगढ़
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147-समीक्षक- श्री सियाराम जी अहिरवार, टीकमगढ़
जय बुन्देली साहित्य समूह 🎡टीकमगढ़🎡
हिन्दी में दोहा लेखन 🇪🇬विषय - गणतंत्र🇪🇬
दिनांक 26/01/2021🎈दिन-मंगलवार🎈
गणतंत्र का अर्थ है ।जनता के लिए ,जनता द्वारा शासन ।
26जनवरी 1950को हमारा देश गणतांत्रिक देश के रूप में सामने आया ।इस दिन डाक्टर भीमराव अंबेडकर जी द्वारा लिखित स्वतंत्र भारत का संविधान भी लागू किया गया ।तभी से प्रति वर्ष हम भारतवासी 26जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं ।
आज इसी विषय को लेकर सभी साहित्यकारों ने दोहा लेखन किया ।जो प्रशंसनीय हैं । सभी ने एक से बढकर एक दोहा रचे ।जो सार्थक भी हैं और विषयानुसार भी हैं ।
आज पटल पर सबसे पहले शुरूआत आदरणीय रामानंद पाठक जी ने की ।जिन्होने बढिया दोहे लिखे ।आपने गणतंत्र को देश का गहना बताते हुए तिरंगा ,मातृभूमि ,और वीर सपूतों को समाहित करते हुए दोहे लिखे ।जो सही उद्देश्य की पूर्ति करते हैं ।धन्यवाद पाठक जी ।
आदरणीय अशोक पटसारिया जी ने भी बहुत ही सुन्दर ,नीके दोहे रचे ।जिनको पढकर मजा आ गया ।आपने लिखा कि भारत सारी दुनियां से बडा़ स्वतंत्र गणराज्य है ।रंग रूप भेष भाषा अनेक अलग अलग होते हुए भी ।हम सब एक हैं ।आपकी भाषा अपने आप में अनूठी और रसात्मक है ।
परम सम्मानीय जयहिन्द सिंह जू जयहिन्द ने भी बहुत ही सुन्दर ,मधुर और बुन्देली की मिठास लिए दोहे लिखे जो गजब ढा रहे हैं ।बहुत बहुत बधाई ।
आपने लिखा कि -
भीमराव अंबेडकर ,दिया प्यारा मंत्र ।
संविधान रचना करी ,भारतीय गणतंत्र ।।
अच्छा लिखा ।मान्यवर
श्री राज गोस्वामी ने भी बढिया दोहे लिखे ,जो विधि विधान की ओर संकेत करते हैं ।
श्री शील चन्द्र जैन शास्त्री लिख रहे कि संविधान में अनुच्छेद और अनुसचियों को समाहित किया गया है ।धन्यवाद
श्री एस.आर. सरल जी ने भी बहुत ही सुन्दर साहित्यिक दोहा लिखे जो सराहनीय प्रयास है ।आपने लिखा कि -
विश्व विभूति विधि विज्ञहि,विविध विधिहि विधिकार ।
सर्व सुलभ गणतंत्र करि,दिए भीम अधिकार ।।श्रेष्ठ रचना के लिए धन्यवाद ।
श्री कल्याण दास पोषक जी ,जो कि उत्तरोतर तरक्की करते हुए साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ रहे हैं ।आपने भी सुन्दर दोहों की रचना करते हुए लिखा कि *
निर्माता गणतंत्र के ,महा पुरुष विद्वान ।
लिखित और विस्तृत रचो ,भारत का संविधान ।।
बहुत ही शोध पूर्ण सार्थक दोहा लिखा ।बधाई ।
आदरणीय डी. पी. शुक्ल जी ने भी बढिय़ा दोहे गढे ।जिसमें आपने कि भारत के गणतंत्र में कई जाति धरम के लोग रहते हैं फिरभी सब एक हैं ।बधाई ।
परम आदरणीय रामगोपाल रैकवार जी ने चुनिंदा शब्दों का प्रयोग करते हुए बहुत ही सार्थक मनमोहक दोहे लिखे ।जिसमें आपने रामजन्मभूमि एवं मंदिर निर्माण पर बिशेष तौर से लिखा ।
ठीक है ।अच्छा लिखा ।बधाई ।
आदरणीय अभिनन्दन गोइल जी ने बहुत ही उम्दा दोहे लिखे जिसमें आपने लिखा कि सम्राटों का साम्राज्य अब नहीं रहा और न ही उनके सिर के ताज बचे ।भारत अब गणतंत्र हो गया ,जिसमें जनता का राज्य है ।बधाई काबिले तारीफ बात लिख दी ।
श्री राजीव नामदेव जी राना ने भी मन को हर्षित करने वाले मनमोहक दोहे लिखे जो सारगर्भित है ।आपने लिखा कि -
भारत का गणतंत्र है ,विश्व भर में महान ।
बाबा साहब ने दिया ,अद्भुत ये संविधान ।।
श्रेष्ठ रचना के लिए धन्यवाद ।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी ने भी बहुत ही सार्थक और सुन्दर दोहे लिखे जो आकर्षक भी हैं ।धन्यवाद ।
मैने भी विषयानुसार पाँच समसामयिक दोहे लिखे जो आप सब की समीक्षा हेतु सादर प्रेषित हैं ।
इस तरह से आज सभी ने बहुत ही शानदार और मजेदार दोहे लिखे ।जो प्रसंशा के पात्र है ।सभी को सादर नमन ।
इति
समीक्षक -सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ़
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148-समीक्षक -डी.पी .शुक्ला 'सरस' ,टीकमगढ़
समीक्षा दिनांक -27.1 2021 स्वतंत्र बुंदेली पद्य रचना
बुंदेलखंड की पावन पवित्र।
धरती बड़ी महान।।
अंतर उर के खुले कपाट।।
रख बुंदेली की शान ।।
सानी बुंदेली है बड़ी ।
रखत अपनपन कौ ध्यान।।
अंतर उर को है भेदती। मिटा अंधेरा है देकर ज्ञान।।
बुंदेली सी बोली नहीं।
मृदुल मिठास भरे से वान।।
प्रेमी जन जब मिले जँह।
औंठन होन लगत मुस्कान।।
आज के स्नेहमयी एवं बुद्धि विशेष सिरोधारी शिरोमणि कविजन और गीतकारन व साहित्यकारन व साहित्य सृजन कर्ताओं के बुंदेली पावन लेखन सरिता के प्रभाव को गति देने वाले बुद्धिजीवियों मनीषियों को आज के पटल पर सादर नमन करता हुआ बुंदेली को गति दत भव स्नेही वाक्यांश बुंदेली लेखनी में लेखन कर सादर विवरणिका तैयार कर प्रस्तुत करन चाउत। समस्त सरस्वती के बुंदेली काव्य सृजन कर्ताओं को नमन प्रणाम करता हुआ विवरण निम्न प्रकार है।
नंबर 1- प्रथम में पटल पर उपस्थिति दर्ज कराउत भय श्री रामानंद पाठक जी ने पर्यावरण पर अपनी रचना में बताओ कैे चिमनी धुआं उगल रही कारौ।
छा रव है अंधयारौ।।
सवई बिलोरा करके पानी प्रदूषित करके नदियन को गंदौ कर दव ।सर्वहारा जगत के हितार्थ चिंतन करो गव और सूझ दै गई कैे फरे फरे टोर लो , ना डंडा से सूँड़ौ जो जंगल बनों रान दो, ईयै जुगत से निपटा लो दिल्ली जैसौ न बगोड़ डारौ।।
1-बहुत ही नौनी रचना करी।
नंबर दो / भाव एवं विचार उत्तम है।
नंबर 3/ कुंडलियां उत्तम बुंदेली में है ।
4/ सारगर्भित और शिक्षाप्रद रचना है । श्री पाठक जी को बहुत-बहुत बधाई ।।
नंबर दो/ श्री अभिनंदन गोयल जी ने अपनी बुंदेली में वियोगिनी राधा शीर्षक से सिंगार में रचना को सृजन करो है ,मदन बाँण़ से घायल राधा के रूप को वर्णन करो है व्याकुल राधा को कछु नोनों नहीं लग रव है और तन में अग्नि लगी है उजेरौ दुश्मन सौ लग रव है। भीगी आंखों को माधव मन जान के कामदेव के बाँण झेलवे कोे ढ़ाके है। लेकिन श्याम ना आए। बिरहन रही आस लगाए।।
नंबर 1 / विरह वेदना को नौनों चित्रण करों है।
नंबर दो / भाव सिंगार के बहुत उत्तम है ।
नंबर 3 / अलंकार का समावेश कर रचना को ऊंचाई दई है ।
नंबर 4 / भीजे कमल पत्र से ढ़ाके, समास विग्रह पर ध्यान दिया गया है वहीं सारगर्भित और साहित्यिक रचना।आदरणीय सादर धन्यवाद, बधाई ।
नंबर 3 /,श्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव जी ने हास्य बुंदेली में सृजन करके मन गदगद कर दव है, जी में मस्करा को बैला को रूप दव गव है रूपक अलंकार की छवि प्रदर्शित हो रही है इन खैलन कों जोत ना लगा तो जे बारी में मूड मारें ।जैसै दिल्ली में मार रय। एक/समसामयिक रचना है।
नंबर दो / अलंकारिक रचना है ।
3. प्रेरणा और सीखप्रद रचना करी है ।
नंबर 4/ बिगरैला बिन पेंदी के समास विग्रह नौनों है।
धन्यवाद के पात्र हैं, सुंदर रचना हेतु बधाई।
नंबर 4/ डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने बुंदेली लोकगीत के माध्यम से रचना में सब्दन को पिरोकर बताओ कै सावन को सूखौ होय कितनै चराव रये भूखौ। परदेस पिया गए, अब कटे दिन कैसे ।
एक / विरह वेदना को सृजन भौतै नौनों करो है और बरसाती फसल वोवे को समैया आओ पर कंत ना आए ।।
दो / बिन्नू की सगाई को लेखन करके घर की व्यथा को वर्णन करो है।
3 . समसामयिक शिक्षाप्रद गीत रचना है।
4. किसान की वास्तविक स्थिति का वर्णन करो है।
डा. रेनू जी धन्यवाद रचना के उत्तम भाव हेतु बधाई।
नंबर 5 - श्री अशोक पटसरिया ,,नादान, जू ने अपने बुंदेली दोहों के माध्यम से लोकतंत्र को उदेर दव है कैे पूरे देश कों खा गए अबै गम्म खा लो।
और अबै की घटना कौ वर्णन करके व्यवधान डारवे वारन को नष्ट नाबूत कर दव ,और ई षड़यंत्रन में काले धन की फंडिंग हो रै है ईपै लगाम लगावौ जरूरी है।
एक - रचना में दोहे उत्तम और सारगर्भित हैं।
2/ रचना के भाव देश जनहित में हैं।
नंबर तीन / वास्तविकता समसामयिक का परि्वेश है ।
चार / स्थिति का मापन करना ही बुद्धिमता व सीखप्रद है।
परिभाषा और भाव उत्तम है सादर धन्यवाद बधाई।।
नंबर 6 - श्री राजगोस्वामी जी ने सिंगार गीत के माध्यम से मधुर बेला को वर्णन करो है जी में हृदकी सिहरन को बढ़ावा दव है, जो तन की आवश्यकता को धियोतक है , जे अखियां मन से छुआ छाई करती हैं और हिय में उतर के अंतर उर को सहलाती है जे गुरू तक को घायल कर देती हैं और हिय को उतर जाती है ऐसी कल्पना तीत मन को छूबे वारी सच्चाई कौ वर्णन करके गोस्वामी जुने हिय के दर्शन कराकें उन पर नयन तीर मारे हैं चौकड़िया के माध्यम से डोरी डारकर प्रसन्नता से मन को गदगद करो है बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं धन्यवाद।
नंबर 7 - श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद , जू ने अपनी दोहा वाली रचना में मनमोहन के विरह में जलती ब्रिज नारी नई सुनाउत बांसुरिया प्यारी।
श्रवण रंध बेचैन हो रय। मुरलिया की तान सुनवे वारी।।
सिंगार को वर्णन भावों में मन मोहकता से भरी है।
और अब बहानों ना करो। श्याम। बीत रहा आठों याम ।।
एक/ सिंगार दोहे के माध्यम से विरह वेदना को भावों में भरो है।
दो /मनमोहन की बांसुरिया की तान मनमोहक है।
नंबर 3/ प्रेम रस की परछाई झलक रही है।
नंबर 4/ बिरहन को हिय बेचैन यानी विरह कौ चित्रण उत्तम है ।
मन की विरह वेदना मनमोहन सुखद प्रेम की चाह में आज भी परेशान है बहुत ही नोनी रचना हेतु हार्दिक बधाई धन्यवाद।
नंबर 8 - श्रीगुलाब सिंह यादव ,,भाऊ,, ने अपनी बुंदेली रचना में मद की मारी मुन्नैंयाँ को चेतावनी देकर समझाओ है कि तुम्हारे संग छिदाम नहीं जानें राम मंदिर में दान देदो जेऊ जाने ।भौतै नौनी चेतावनी दै ह उम्दा बुन्देली रचना करी है। बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद ।
नंबर 9 - श्रीशील चंद जैन शास्त्री जी ने ब्यथित व्यथा की बात करी है किसानन की नादानी बताई है जैसौ करो सो पाव अब नैयाँं और कौनै बचाव।
भड़यन जैसौे काम करके लोकतंत्र को चीर हरण करकें दुशासन जैसी हालत होने नंगा नाच करो तो उन्हें जैसी तुम ने कर डारी,
एक/ रचना की भाव उत्तम है।
दूसरा/ रचना लयबद्ध व सटीक है ।
तीसरा / चेतावनी एवं समसामयिकता से ओतप्रोत।
चार / व्यथित व्यथा एवं बेशर्मी की हद की भौत नौनी रचना रची है ।बधाई के पात्र हैं उत्तम रचना हेतु सादर धन्यवाद।
नंबर 10- श्री एस.आर. ,,सरल ,,जुने अपनी रचना बुंदेली झलक के माध्यम से बताओ है कै शासन को नकेल लगा और भोली जनता की टांगे तोड़ डाली इन बातन से पेट नहीं भरने।
एक /धारा प्रवाहिक रचना रची गई है ।
दो / प्राण अटक गै साँसन में समास विग्रह सुंदर है तीन / केजरीवाल की आंखन में भीड़ जुटी जब लाखन में ।।
राजनैतिक उदारता के कारण उत्पात करवे की रचना करी है।
चार / सम सामयिक रचना हेतु बधाई के पात्र हैं बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।
नंबर 11- श्री कल्याण दास साहू ,पोषक ,,जुने जाड़े की ऋतु की चर्चा करी है जी में बौनी होतै है रव्बी ढारत और रखवाई
करत।
तन मनफूलत लख कछुआरौ ।
रहत न सूरत रौनी।।
किसानन के लाने ठंड बहुत ही नौनी आउत है, ई में किसान ठंड में खेत में काम करत हैं , दिल्ली में परो है तो उनकी तो सूरत कैसे नोनी दिखे ।
ईको वर्णन करके श्री पोषक जुने किसान की खेती की हरयाई दिल में उकेरी है गदगद करती रचना भौतै नौनी है ।
भावउत्तम है
धारा प्रवाहित रचना है शिक्षाप्रद और सारगर्भित रचना लेखन हेतु उन्हें हार्दिक बधाई धन्यवाद।
number 12 - श्री संजय जैन ने बैरन गणतंत्र दिवस शीर्षक से रचना में खेतिहर की आंखें पुलिस लाचार बताई है रंग में भंग कर डारो झंडा लाल किले पर चढ़ा दव बन के सांप है कारौ।
थू थू दुनियाँ कर रै।
अपनौं करिया मौं कर डारौ।।
एक /समसामयिक रचना ।
नंबर दो/ धाराप्रवाह उत्तम है ।
नंबर 3 / उत्तम भाव उकेरे है ।
4 - वास्तविकता की ओर नजर डाली है उत्तम रचना हेतु हार्दिक बधाई सादर धन्यवाद ।
नंबर 13- श्री वीरेंद्र चंसौरिया जुने अपने बुंदेली लेखन में भारत में रहते हमें भारत की रक्षा में जीने और मरने जो प्राणों से प्यारौ है ईकी महानता की रचना करके देश हित में रचना करी है ।
एक/ राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचना।
दो /भाव उत्तम है ।
नंबर तीन /शिक्षाप्रद रचना है ।
धन्यवाद उत्तम रचना हेतु ह्रदय स्पर्शी बधाई ।।
नंबर 14 -श्री सियाराम अहिरवार जी ने अपनी रचना के माध्यम से एक नई नवेली को सजकें मेला में जावे को वर्णन करौं है उर मेला की रज से पैर भिड़ा गए मेला के भीड़भाड़ से घर लौट के आ गए।
भावार्थ में श्री सियाराम सर जी ने भौतै नौनी रचना करी है। जो जीव ईतै आकें ई मेला में जीवन में धक्का खात रव और धूरा मैं सनके जितै सें आओ उतई लौट गव। कछु करो ना धरो ईतै आए।
धक्का मुफ्त में खाए।।
एक / भौतै उन्होंने भाव भरे शब्दन से ओतप्रोत रचना ।
दो /समास और अलंकारिक रचना ।
तीन/ सारगर्भित व सटीक रचना ।
बहुत सुंदर सटीक रचना हेतु बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद ।
नंबर 15- डी.पी .शुक्ला ,,सरस,,
टीकमगढ़ ने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से नदिया वैरैती बताई मनमानी ।
जीमें हतो न बिल्कुल पानी।।
दंगा फसाद करवा दो कदम राजनीति को धरवादो।।
किसानन की लेकें ओट।
तनकई मौका पाकें कर दै चोट।।
और लाल किले पै कर दई चोट।।
कईयक उतै बेगाने हो गए।
कैयक गैल घाटन में है खो गए।।
अपनी रचना में भाव को उकेरा है उत्पाती दंगाई की निगरानी करके सजा देना बाकी है, बात करी है।
खेती देखने वाले दिल्ली में उत्पात मचाए जो का नक्शा जो है नोनी रचना मैं उत्तम है समसामयिक रचना है!
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149---- श्री कल्याण दास साहू 'पोषक', पृथ्वीपुर
श्री गणेशाय नमः --- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 28.1. 2021 दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर हिंदी स्वतंत्र पद्य लेखन की समीक्षा :---
सर्वप्रथम सहभागी आदरणीय सभी काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए सभी का पटल पर बहुत-बहुत स्वागत वंदन एवं अभिनंदन है । आज पटल पर बेहतरीन काव्य सृजन के दर्शन हुए हैं । आदरणीय सभी रचनाकारों ने बहुत ही सुंदर लेखनी चलाई है ।
सर्वप्रथम श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने देशभक्ति पूर्ण गीत की बेहतरीन प्रस्तुति दी है ---
" दुनिया की सैर करके देखी है हमने नादाँ ,
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा "
श्री किशन तिवारी जी ने गजल के माध्यम से बच्चों की समझदारी का विश्लेषण कर लेखनी चलाई है ---
" मुझे बस देखता रहता है बच्चा ,
मेरे हर झूठ पर हंसता है बच्चा "
श्री एस आर सरल जी ने देश की प्रगति पर चिंतन परक रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी है ---
" अमन चैन की बिसात ,
भू पर बिछाना चाहते हैं "
श्री अभिनंदन गोयल जी ने चिंता शीर्षक से बेहतरीन दोहों का सृजन किया है ---
" चिंता का क्या मूल है , कारण को पहचान ।
चिंता चिता समान है, इसको छोड़ सुजान ।।
श्री के के पाठक जी ने भक्ति भाव से ओतप्रोत गीत की बेहतरीन प्रस्तुति दी है ---
" रे मन ! प्रभु चरणों में चल "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने बेहतरीन भाव प्रधान गजल की प्रस्तुति दी है ---
" गमों को छुपाना चाहता हूं ,
हमेशा मुस्कुराना चाहता हूं "
श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने प्रेम एवं सद्भाव बढ़ाने हेतु बेहतरीन कविता की प्रस्तुति दी है ---
" सरस प्रेम रस के मिलन की खेलेंगे होली "
दाऊ श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी ने जगत जननी मां की महिमा का बखान सुंदर गीत से किया ---
" तू है माता ममता वाली ,
करती भक्तों की रखवाली "
श्री शील चंद जैन शास्त्री जी ने मानव की चतुराई का उल्लेख करते हुए बेहतरीन कविता रची --- " सीखे दुनियादारी के रंग ढंग ,भूले सारी सच्चाई "
श्री रामानंद पाठक नंद जी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ शीर्षक से बेहतरीन कविता रची है ---
" नंद करें आनंद बेटी का , करते जो सम्मान हैं "
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने जीवन की गुत्थियों को समझाने का प्रयास बेहतरीन कविता रच कर किया ---
" जिंदगी गली चौराहे सी लगती है ,
किसी से मिलती है किसी से बिछुड़ती है "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने देश में चल रहे घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है ---
" भारत मां की शान में लगा रहे हैं दाग "
डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने हाइकु छंद की बेहतरीन रचना की है ---
" फूस छप्पर ,
अल्हड़ लहरन ,
गाँव सुगन्ध "
श्री राज गोस्वामी जी ने मुक्तक के माध्यम से देश में चल रहे घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है --- " नारों का देश रह गया "
श्री सियाराम अहिरवार जी ने नारी तेरे रूप अनेक शीर्षक से बहती रचना की प्रस्तुति दी है ---
" नारी तेरे रूप अनेकों ,
सब में रूप ममत्व का ।
तेरे हर किरदार में देवी,
भाव भरा अपनत्व का ।।
आदरणीय श्री रामगोपाल रैकवार जी ने बेहतरीन अधूरी ग़ज़ल प्रस्तुत की है-
उनसे किनारा किया तो,
विरोध समझा गया।
उनके साथ न चलना,
अवरोध समझा गया।
मेरे गूढ़ अध्ययन को
फेंक दिया कूड़े में,
उनके परिहास को गहन,
शोध समझा गया।।
इस तरह से आज पटल पर सभी आदरणीय साहित्य मनीषियों ने बेहतरीन साहित्य का सृजन किया है सभी को बहुत-बहुत साधुवाद बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए अपेक्षा करते हैं इसी तरह से पटल पर अपनी गरिमामई उपस्थिति प्रदान करते रहें ।
इन्हीं पंक्तियों के साथ मैं अति संक्षिप्त समीक्षा को विराम देता हूं , भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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150- जयहिन्द सिंह जयहिंद ,पलेरा
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक01.02.21#
#बिषय...मुरका#
#समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा /जिला टीकमगढ़#म.प्र.#
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आज दोहे डरबे के लाने बुन्देली मुरका चुनौ गव।आज के जमाने में हमाय बुन्देलखंड के खान पान की भौत सी चीजें बिलात जा रयीं।हमाय साथियन में सें कैऊ जनें कव मुरका सें परिचित ना होंय।पर अधिकांस लोग परिचित हुइयें।पर फिर भी जौ बिषय आज के परिवेश में कठिन तौ लगै कै आखिँरजौ है का। पुराने तौ सब जानत पर आधुनिक संतान अपरिचित हो सकत।तो लोआज की समीक्षा सेंपैला मैया बीणा बारी खों नमन करत भय पटल के सब आदरनीय महानुभावोखाँ नमन।तो लो आज की समीक्षा शुरू कररय।
#1#श्री रामानन्द पाठक जी...
आपने अपने दोहन मेंमुरका सें सबखों परिचित करा दव।बनाबे की तरकीब सब गुनन सें परिचय कराव।मुरका के खाबे कौ जाड़न के आनंद कौ बरनन करो गव।आखिरी दोहा ने मजा बाँद दव।
जड़कारें सेवन करौ......हुये न कोऊ बीमार।जौ दोहा भौत नौनौ लगो।भाषा निरदोखल है।भाषा मेंसरपट रिपटा है।अवरोध बिलकुल नैंयाँ।पूज्य पाठक जी खों नमन।
#2#श्री राम कुमार शुक्ला रामजीःःःःःः
आपने मुरका बनाबे की बिथि बताई,मुरका के फक्के बारे बूढे सब लगाऊत ।मुरका और देशी शराब दोई मौवन सें बनत पर गुन अलग होत।मुरका की तासीर गरम बताई।आपकै सबयी दोहा मजेदार हैं।भाषा मीठी और रिपटदार है।कहीं अवरोध नयीं होत।आदरनीय खों नमन।
#3#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जे........
मुरका डुवरी खाबे कौ और पास के मौवा उत्पादन क्षे. कौ बरनन करो।पैला मौवन कौ खानौ हतो।
मौवा के सब घटक बताय गय।पैला मुरका लटा खूब खाय अब पेड़ कटबे सेंमिलबौ दुरलभ हो गव।सबरे दोहे अब्बल हैं।लगत कौन पैलै नंबर पै कै दैये।भाषा की जादूगरी नौनी रयी।आपकौ वंदन अभिनंदन।
#4#जयहिन्द सिंह जयहिन्द....
मैनै लिखो मुरका पेट की भूंख मिटा देत।मुरका जाड़न में भौत नौनौ लगत।मुरका बनाबौ बताव गव।लटा कूटकें खाबौ बताव गव।डुबरी लटा मौवा मुरका किसान खूब खात।बुन्देली भोजन सबकी पीर हरत।भाषा कौ आकलन आप सब जनें जानौ।
#5#श्री परम लाल तिवारी जी....
आपने मुरका बनाबे की बिधि स्वाद कौ बरनन करो।ई की जो निन्दा करै समझौ बा बकबास है।मुरका स्वर्ग में नैंया।हम घरै बनवाकें सबकौ नेवतौ करें।
श्री तिवारी जी मुरका बनाकें घरै धरौ,और पतौ लिख दो सब जनै नेवते आजें।दोहन की तारीफ करत थक जैहै।भौतयीं नौनैं लगे।
भाषा संगठन अद्भुत है।आदरनीय खों नमन।
# 6 डी पी शुक्ल सरस जी......
आपने लिखो लडुवा मुरकाचना खाय सें आदमी तगड़ौ हो जात।
मौवा सें डुबरी किनानौ डार कैं बनाव।मुरका बूढे बिना दाँतन के खा लेत।मुरका मठा खाबे सें बीमारी नयीं होत।मुरका बनाबौ बताव गव।मका केफुटका मुरका और धान के चाऊर खाव।भाषा नौनी ढड़कदारदमदार अनौखी है।सबयी दौहे साजे लगे।आदर्णीय शुक्ला जी को नमन।
#7#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी
हिम्मत देत,और रोग दूर कर देत।मनकौ मुरका मुरामुरा खाव।गाँवन में मुरका देख कें जी ललचात।दोहे दोई जोरदार हैं। भाषा मिठास रोज और मीठी होत जा रयी।आपकौ वंदन ।
#8#डा.रेणु श्रीवास्तव जी....
आपने मौवा तिली और घी सें मुरका बनाव ,घी डारे सें लटा बन जै।मुरका में घी डारे सेंमुरका भुरभुरौ ना बन पाय ।आपने लिखो मुरका डुबरी मौवन सें बनाई जात,सब मौवन के पेड़ कटत जा रय अब मुरका कैसें बनै।आपने लिखो मुरका सें मुरक कें पीजा बर्गर ना खाँय।भाषा साजी है ,सबयी दोहे अच्छे हैं।बहिन जी के चरणों में सादर नमन।
#9#श्री एस.आर.सरल जी.....
आपने अपने दोहन में मुरका बनाबे की बिधि कौ बरनन करो।मुरका घर भर खाकें आनंद लेत।देहातन में जड़कारन में आज भी मुरका बनत।ईखों सब अमीर गरीब खात।मुरका रोगन कौ निदान है,और तगड़े होबे की दवाई है।आपकी भाषा चमत्कारिक और प्रवाह भरी है।
आपखों बेर बेर नमन।
#10#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी......
आपने लिखो पैलाँ मौवा सबखाँ पालत ते।ंमुरका लटा डुवरी खूब खबत ते।मौवा तिली सबकें भुजत ते,कलेवा के लानें मुरका मौन भोग हतो।ंईसें भूंक मिट जात ती।ंजौ बुन्दैली मेवा अब मिलत नैयाँ।आपकी भाषा में अपनेपन की झाँकी झाँकबे कौ मौका मिल जात।आदरनीय पोषक जी खों सादर धन्यवाद।
#11#श्रीं राज गोस्वामी जी...
आपने लिखो मुरका कौ स्वाद ंमुरमुरा घाँयीं बताव,ंईखों मुरा मुरा खाना चहिए।ंमुरका कौ नास्ता चाय के संगै भी कर सकत।ंमुरका खों मूली नीबू के संगै मिरच डार कें खाय जो चटपटौ लगै तो लड़ुवा के साथ खाबे की सला दयी।आपने 3 दोहे डारे अच्छे रहे।भाषा में प्रवाह है कोई अवरोध नहीं दिखता है।श्री गोस्वामी जी को सादर नमन।
#12#ंडा. सुशील शर्मा जी...
ंआपने मुरका की तारीफ करकेंंलिखो जो मुरका खाय बौ बीमार न हुईए।मुरका में नीबू मिर्च डारकें खाबे सेंंअगर चटपटा लगै तौं लडुवा के संग खाय।आपने फरा और दूध महेरी के संगै खाबे कौ बरनन भी करो।
आपके तीनौ दोहे टंच हैंं,भाषा प्रवाह उत्तम है।ंआपको शत शत नमन।
#13#श्री संजय श्रीवास्तव जी...
आपने बब्बा दादी के संगै मुरका डुबरी कौ प्रयोग करो।आपने नयी संतान की चिन्ता करी उनने मौवा के पेड़ नयीं देखे तो मुरका कैसें जाने।ंमौवा के पेड़ की तारीफ करी गयी।ंकलेवा में मुरका दुपरै खीर डुबरी संजा कें ठर्रा पीबे को बरनन करो।मौवा अचरज करो कै जो पेडकौ नग नग काम में आ जात।ंसब दोहा ठीक लगे भाषा प्रवाह मजेदार है।ंआपका शत शत अभिनंदन।
#14#पं.श्री हरि राम तिवारी हरि जू......
आपने दोहा छंद की रचना दोहा छंद सें पूरी समझायी जो वास्तव में सटीक है।आपने अपने दोहन मेंंमुरका और लटा बनाबे ंकी बिधियन कौ बरनन करो।ंमौवा खां शान बताव गव।मौवा कौ हर अंग काम में आऊत,अंतिम दोहा में नशाबंदी संदेश डारो गव जो कवि कौ मूल धरम है।
आपकी भाषांप्रवाहमयी चमत्कारी मधुर बुन्देली है।
हरि तिवारी कलम पुरानी, सबकी जानी मानी।
कौन दिया कर सको आज तक ,सूरज की अगवानी।।
मैं आपका वंदन अभिनंदन करतसो कृपा करें।
# जू.........
आपने दो दोहे पटल खों भेंट करे।मुरका खों स्वादिष्ट बताव।ौपूरे परिवार के साथ नीबू केसंगै मुरका के आनंद कौ बरनन करो गव।दूसरे दोहे का चरण अंत दीर्घ मात्रा से करना खटकता है।भाई का सुझाव है ।भाषा कौशल ठीक है।आपके चरणों में भाई का नमन।
#16#श्री वीरेन्द्र कुमासौरिया...जी
आपके अपने दोहन मेंअपने अतीत की यादेंमुरका के संगै डारीं गयीं।आपने जौ तक लिखौ कै अगर मुरका बनों होय तौहम उतै जा सकत।आपने बचपन को पचपन के संगै जोरबे की अच्छी पहल कृरी।भाषा भावभरी अनमोल है। आपको नमनं।
#17#श्री सियाराम सर जी.....
आपने अपने दोहों मेंमुरका डुबरी कौ प्रयोग घर आये मेहमानों पै कृरो।पतरी धरती कौ मौवा रसदार मीठौ होत।आपने जड़कारें में मुरका ठीक बताव।मुरका खाबे बारे खों स्वाभिमानी बताव गव।आपकी भाषा रसदार,प्रवाहभरी सरल बुन्देली है।आपको बार बार नमन।
#18#श्री राजपूत जी...
आपके दोहे में सुधार बताया है आप हिम्मत ना हारें कोशिश करते रहें आपके सफलता चृण चूमेगी।
अगर धोके सें किसी सज्जन की रचना धोके सें छूट गयी हो तो अपनो जान कें क्षमा करनें।
आज मुरका पै सबके बिचार लगभग एक से हते। पर विद्वानन ने अपने अपने बिचार र.खे जो स्वागत करवे जोग हैं।सबने एक पै एक रचनायें डारीं।जक बेर सबखों फिर सें राम राम।
आपकौ अपनौ समीक्षक.....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा
जिला टीकमगढ़ म.प्र.
मोबा.6260886596
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151--सियाराम जी अहिरवार टीकमगढ़
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
🚘आज की समीक्षा🚘हिन्दी में दोहा लेखन
विषय-पुरस्कार 🎡दिन -मंगलवारदिनांक 02/02/2021
आज पटल पर सभी रचनाकारों ने बहुत ही सुन्दर ,सारगर्भित और मजेदार दोहे डाले ।सभी को बहुत बहुत बधाई एवं नमन ।पुरस्कार ,उपहार व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन शैली और किये गये उत्कृष्ट कार्य की समीक्षा उपरांत सम्मान बढाने हेतु दिया जाता है ।ताकि इस प्रोत्साहन से आगे आने वाली पीढी को प्रेरणा मिले ।आज पटल पर इसी विषय को लेकर दोहे लिखे गये ,जो सभी पुरुष्कृत करने योग हैं ।सभी को धन्यवाद ।
आज पटल पर शुरुआत करते हुए आदरणीय रामानन्द जी पाठक नन्द नैगुवां ने बहुत ही रोचक और मजेदार दोहा रचे ।जिसमें आपने लिखा की पुरस्कार एक ऐसा उपहार है ,जो अच्छे काम करने पर व्यक्ति को दिया जाता है ।आपका भाषा कौशल अनुपम एवं सराहनीय है ।धन्यवाद ।
आदरणीय अशोक पटसारिया जी नादान ,लिधौरा ।ने भी बहुत ही सारगर्भित ,मनभावन दोहे लिखे ।आपने लिखा कि पुरस्कार उसको मिलना चाहिए जो इसका असली हकदार है ।भाषा भावपूर्ण अनमोल है ।आपको सार्थक लेखन के लिए साधुवाद ।
परम सम्मानीय जयहिन्द सिंह जी जयहिन्द ,पलेरा ने बहुत ही श्रेष्ठ दोहे रचे ।जो नीति गत भी हैं और भावपूर्ण भी ।आपने लिखा कि पुरस्कार मिलने पर हमें अभिमान नहीं करना चाहिए ,क्योंकि समय ही बलवान है ।भाषा प्रवाह ठीक है ।सादर बधाई ।
श्री परमलाल तिवारी जी ,खजुराहो ने भी बहुत ही मजेदार दोहे गढे ।पटल पर उपस्थिति के लिए स्वागत ।
आपने अपने दोहों के माध्यम से बहुत ही अच्छी बात कही कि मीठी वाणी है सदा ,पुरस्कार की दैन ।आपकी भाषा रसदार ,अर्थपूर्ण है ।पुनः बधाई आपको ।
श्री डी.पी. शुक्ल जी सरस ने भी लयबद्ध ,तुकांत दोहे रचे ,जिसमें आपने लिखा कि जो मन से सेवाकार्य करता है ।उसे ही पुरस्कार मिलता है ।बढिया नीतिगत बात कही ।यही पुरस्कार की सार्थकता है ।धन्यवाद सहित बधाई ।
श्री एस.आर. सरल जी ने अपने सुन्दरतम दोहों के माध्यम से बहुत ही नीतिगत बात कही कि पुरस्कार उत्तम कार्य करने वालों को मिलते हैं ।उन्हीं का नाम ऊँचा होता है ।भाषा भावभरी अनमोल है ।कहीं भी अवरोध नहीं है ।धन्यवाद ।
श्री राजीव नामदेव जी राना लिधौरी जी ने भी बहुत ही रोचक और शिक्षाप्रद दोहे लिखे ,जिसमें आपने लिखा कि पुरस्कार अब बिक रहे हैं ।जिसको पाने के लिए लाइन लगी हुई है ,जो बोली लगा रहे हैं ।सही बात कही ।धन्यवाद सहित बधाई ।
डाक्टर रेणु श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही अनौखे दोहे गढे ।जो सार्थक हैं ।आगे क्या लिखूँ उन्हें समीक्षा पढना ही नहीं है ।आपने लिखा कि पुरस्कार एक मान है ,इसको पाकर अभिमान नहीं करना चाहिए ।बहुत ही नीतिगत बात कही ।धन्यवाद ।
परम आदरणीय गोइल ने भी शिक्षाप्रद एवं भावपूर्ण दोहे लिखे ,जिसमें आपने मुख्य बात लिखी कि अच्छे कार्य करने से जनता का सुख दुख बाँटने से ,जनता द्वारा जो सम्मान मिलता है ,वही सबसे बडा़ पुरस्कार है ।बढिया ।बधाई ।
श्री इन्द्रपाल सिंह राजपूत जी के दोहों के भाव तो ठीक हैं ,पर तुक तान एवं मात्रा भार में सुधार की जरूरत है ।लिखते रहिए वो सब ठीक हो जायेगा ।धन्यवाद
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर ने लयबद्ध ,रोचक दोहे रचे ।जिसमें आपने कि जो लोग सम्मान के योग भी नहीं होते हैं ,वे भी जुगाड़ से पुरस्कार पा लेते हैं ।
बढिया नीतिगत बात कही ।भाषा कौशल तारीफे काबिल है ।बधाई सहित धन्यवाद ।
श्री राम कुमार जी शुक्ल ने भी बहुत अच्छे दोहे लिखे ।आपने बहुत ही सही बात लिखी कि सीधे को मिलता नहीं ,अब पुरस्कार सम्मान ,मनुज चपलता जो करे ,
उसकी जग में शान ।धन्यवाद ।
हंसा श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही सारगर्भित और बढिय़ा दोहे लिखे ,जिसमें आपने लिखा कि पुरस्कार मेहनत और लगन परिणाम है ।जिसको पाकर खुशी के साथ साथ जग में नाम भी होता है ।बधाई सहित धन्यवाद ।अच्छा लिखा ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही सार्थक और मजेदार दोहे लिखे ।जिनमें आप लिख रहे हैं कि
जन सेवा करते रहो ,कर जग में उपकार ।
जनता का आशीष ही ,पुरस्कार और प्यार ।
बहुत ही सुन्दर लिखा ।भाषा सपाट प्रवाह पूर्ण है ।धन्यवाद ।
मैने भी अपने दोहों के माध्यम से लिखा कि
वह पाते पुरस्कार हैं, करत श्रेष्ठ जो काम ।
उत्कृष्ट होते लोग वे ,करते जग में नाम ।।
डाक्टर सुशील शर्मा जी ने भी सुन्दर भावपूर्ण दोहरी रचे ।आपने लिखा कि सम्मानों की होड़ में आज लेखनी व्यस्त ।
पुरस्कार बिकने लगे ,मंचों पर कवि मस्त .।।
सही यथार्थ बात लिख दी श्री मान जी ।बधाई आपको ।
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी ने भी अपने दोहों के माध्यम से सही बात लिख दी कि पुरस्कार मिलता उन्हें ,जिनकी है पहचान ।
दीगर प्रतिभा को नहीं ,है कोई सम्मान ।।बढिया लिखा धन्यवाद
श्री प्रदीप खरे जी मंजुल (वरिष्ठ पत्रकार) टीकमगढ़ ने बहुत बढ़िया दोहे पटल पर रखे
1.जिनकी होत जुगाड़ है, पुरस्कार पा जात। चापलूसी भारी परै, हुनर खात है मात।
2. अपनी माला, अपनौ नारियल, और अपनौ लेजैं शाल। पुरस्कार लयें हाथ में, तिलक सजो है भाल।
3. पुरस्कार के लोभ में कभऊं न करियौ कर्म। अहंकार उपजै सदा, समझौ ईकौ मर्मरखे-
ढिया स्वरचित दोहे लिखे ।बधाई ।
इस तरह से आज पटल पर उपस्थित सभी रचनाकारों ने बहुत ही सार्थक और सारगर्भित दोहे लिखे ।एकबार पुधः सभी को नमन ।
समीक्षक-सियाराम अहिरवार , टीकमगढ़ ।🙏🙏🙏
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152- डी. पी. शुक्ला,टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन
समीक्षा दिनांक /03.02 .20 21 पंडित डी.पी .शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ़
बुंदेली के बुद्धिजीवन कों ।सादर करत प्रणाम ।।
जी
जेइ मनिषी जी बुंदेलखंड के। आउत सबके काम ।।
बुंदेली माटी को करें नमन ।हम बुंदेलखंड के लोग ।।
राज्यसभा की चाह में भरसक करें उद्योग ।।
बुंदेलखंड सी पावन धरा ।बसत ओरछें श्री राम ।।
पन्ना के जुगल किशोर कौ।बुंदेली में है धाम ध।।
बुदेलखंड के सवै काब्य मनीषियों कविबरन एवं साहित्यकारन को सादर नमन एवं सरस्वती मां के चरण वंदन करते हुए सरस्वती के बरद् पुत्रन् को स्नेह मयी हार्दिक शुभकामनाओं के साथ वंदन अभिनंदन करत है आज के पटल पै सवई कविवर को प्रणाम जय श्री राम ।।
आज पटल पर शिक्षाप्रद पद्य प्रस्तुत करके मन मोहकता भरी रचनाओं का सृजन बुंदेली को अग्रसर करवे कौ अफसर पाव है सृजन रोचक एवं हृदयाँगीकृत है ।
सवई कों गदगद करत भव प्रेरणास्रोत बन कर उभरो है ।
शो हम सभी के आभारी हैं धन्यवाद बधाई व सभी साधुवाद के पात्र हैं ।
श्री गणेश वंदन अभिनंदन करते हुए पद्मन को पद को विवरण मंचन इस प्रकार है ।।
नंबर 1 .प्रथम में पटल में अपनी रचना के साथ पैअपनी रचना के साथ कदम धरवे वारे श्री परमलाल तिवारी जुने अपनी बुंदेली लोक धुन में रचना को आगे बढ़ाओ है बुंदेली भाषा के गौरव बढ़ाने की बात करी है ।
नंबर 1 .बुंदेली को बढ़ावा दव है ।भाव उत्तम है ।
नंबर दो. प्रेरणास्रोत बन रचना पर बल दव है ।
नंबर तीन. राज्य भाषा के लाने लालायित रचना में अपनापन दर्शाता है।
नंबर चार .शब्द विन्यास भौतै नौनों है ।
नंबर 5 .द्रुतगति से उड़ने वाली बुंदेली बनावे की प्रेरणा दै गै है बहुत ही उत्तम श्री तिवारी जी वंदन अभिनंदन और धन्यवाद।।
नंबर दो. द्वितीय चरण में श्री अशोक पटसरिया नादान जुने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से पटल पै उपद्रियन कों बग्लाभगतखोंतरया नेतन कों बताओ है जो आज सई तरह से खरो उतरो है।
समसामयिक में एक रचना श्री नादान जी ने बहुत ही नोनी करी है जी मैं
एक. बुंदेली शब्द विन्यास की झलक है
दो. घरफोरा दोंदा बदमाश अवसरवादी घपलेबाज शब्दों ने बुंदेली को बढ़ाओ है उत्कृष्टता रचना में भरी है .।
3 .चेतावनी बुंदेली में सुझाव दव है।
4. देश को बचाने की प्रेरणा दी गई है ।
5. बुंदेली भाव उत्तम है रचना मात्रा विन्यास का ध्यान रखा है उत्तम रचना प्रस्तुत करने की लाने साधुवाद के पात्र हैं, स्नेही स्वजन के पात्र हैं धन्यवाद।।
नंबर 3 .श्री कृष्ण तिवारी जी भोपाल ने अपनी बुंदेली रचना में बसंत की अगवानी करके आम के बौर की महक के दर्शन कराए हैं, जी कि हमें ठंड से निजात चाहने समसामयिक रचना करके मन को हरण करों है। बसंती आहट में पुरवइया को चलवौ पलाश पै गौरैया नाच रै,कच्ची अमिया के लगवौ बताओ है मिठास और खटाई से मुंह में पानी आना।
एक .भाव बसंती तनु को सुहाना लग रव है।
दो. सिंगार भाव सृजित हो रहे हैं ।
तीन .बुंदेली शब्द विन्यास की छटा है।
4 .मनमोहक सृजन गदगद कर रहा है श्री तिवारी जी उत्तम रचना है वंदन अभिनंदन बधाई।
नंबर 4 .श्री गुलाब सिंह लखौरा ने बुंदेली चौकड़िया के माध्यम से चेतावनी दी है कि जो जीवन बिना हरि नाम के रंग के बिना करिया पर जैहै।
जियै सीधी गेल चल के तनक करो मशक्कत मेहनत हलवा पूरी खाओ ना प्रभु की जय हो नाते भूखे रहे हो तब ही सबको पूछे ।
एक. भाव की चौकड़िया बुंदेली है ।
दूसरा .
चेतावनी की छाप है ।
तीसरा .कर्म रूपी रंग में रंग के हरि के नाम की प्रेरणा दी गई है ।
चौथा .नातर जो तन सुबह दोपहर शाम जैसों ढल है शब्द भाव उत्तम है भाऊ चौकड़िया उतम बहुत ही बहुत बधाई हार्दिक धन्यवाद ।
नंबर 5 .डी.पी .शुक्ला ने अपनी बुंदेली बसंत के माध्यम से प्रकृति के सिंगार को वर्णन करो है जो बसंत की आहट और पतझड़ होने के नव पल्लव की हरियाली देखन चाउत, मन बावरे भंवरा की भांति गदगद हो गए पराग लेवे के लाने उक्ता रव ताप रूपी पराग की चाहत मेहंदी करौंदा की पुष्पन की महक में सराबोर हौन चाउत और बालन के दिन आ गए जिए किंसुक टोर टोर कें मन मोहं रहे हैं आगे आप स्वयं विचार करें तो ठीक है ।
नंबर 6 .श्री एस .आर. सरल जुने जागरूक जनता को करवे के लाने नेतन को चाल चक्र बताओ है उल्लू बना कर अपनी-अपनी जुगत में लगे हैं और जे ठुल्ला हमें ठेंगा बता रहे हमारी से हमें नहीं दे पा रहे ।जे ठलुइ हमाव खाकें गर्रा रय।
एक .बुंदेली सब्दन को सटीक वर्णन करो।
दो .भाव नेतृत्व शिक्षाप्रद तीन. समास विग्रह की छटा जनता हो गई भीड़ से।
चार .चेतावनी की झलक सचेत रहने की लाने करी श्री सरल जी उत्तम कविता के लाने बधाई धन्यवाद सुंदर सृजन ।।
नंबर 7. डॉ रेनू श्रीवास्तव जुने मोरो देश महान शीर्षक से देश के लाने जीने मरने की बात करी है हमारा भारत देश महान है और दुश्मन के प्राण लेवे के लाने चेतावनी दी है वह हमारे देश में आंखें ना उठा पाए।
एक .देशहित जनहित में सृजन उत्तम ।
दूसरा .
दुश्मन के प्रति रोष व्यक्त करा है देश प्रेम झलकता है नंबर 3 .चेतावनी देकर देश को देश की शान बरकरार रखने .
चार .भाव सृजन बुंदेली है डा.रेनू जू को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन।
नंबर आठ .श्री रामानंद पाठक जी ने बुंदेली रचना चौकड़िया के माध्यम से महंगाई पर प्रहार करो है ,ईकौ कोउ पुछैया नैयाँ भूखन मर रै गैयाँ।
एक .पाठक जी ने बहुत अच्छी रचना करी है ।
दो .रचना के माध्यम से चेतावनी दी है .
तीन .भाव उत्तम है ः
चार .जनहित में प्रेरणास्रोत है रचना उत्तम के लिएउन्हें बधाई धन्यवाद ।
9- इंद्रपाल सिंह राजपूत जी ने बुंदेली गारी के माध्यम से औरत की
अबेरा को बखान करो है भुँसरा से रात तक काम और रात तक करत रानें दह दार पानी दिन भर भरने नींदा टोरने दुखद रात करयाई तो लोगन खाँ दया ना आई ।बहुत नोनी रचना करी श्री राजपूत जी दयावान सोऊ लग रहे दयावान सुलग रहे बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।
एक .भाव व विचार उत्तम है ।
दो .जन चेतना दई है ।
तीन. सहभागिता की ओर इशारा करो है।
नंबर 10 .श्री हरी राम तिवारी जी ने अपने दोहन में चेतावनी स्वरूप मोड़ देखें मिठो बोलवे की बात करी है जाने जा स्वास कबै बंद हो जाने स्वार्थी संसार में कब लग धोखा देते रहे हो रचना भौतै नौंनी तिवारी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद बधाई।
1. चेतावनी एवं शिक्षाप्रद दोहे ।
दो .भाव श्रद्धा पूर्ण मिठास भरी वाणी ।
3 बुंदेली गारी सोहर गीत
नंबर 11 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने अपनी रचना के माध्यम से मन के कूरा को दूर करवे, से जो भवसागर पार हो सके छल कपट रूपी रगदा फटकारने है लोभ मोह से बाहर करके ईर्ष्या रूपी रद्दी कों ढूंढ के बारने स्वार्थ रूपी अंधेरे को ज्ञानरूपी उजेरे से मिटाने शिवा भजन करे से जो जीवन पार हुई है रचना भौतै नौंनी हार्दिक धन्यवाद ।
एक .बुंदेली सब्दन को सृजन उत्तम ।
दो .शब्द विन्यास नौनों है ।
3.रूपक अलंकार का समावेश ।
4 जन चेतावनी का प्रवेश पांच. विभिन्न विचारों का चिंतन शिक्षाप्रद उत्तम रचना हेतु साधुवाद ।
नंबर 12. श्री राज गोस्वामी जी ने की जमाने को देखकर अपने मन की बातें नहीं बताओ ना, सबकी सुनने अपनी नहीं बताऊं ने और काऊ की नोनी और बिगड़ी बात में नहीं पढ़ने लेकिन बगल में बढ़ रहा प्रदूषण देख के काने पर है नातर कूरा फैल जैहै। श्री गोस्वामी जी ने चौकड़िया में सबरौ सारगर्भित बातन कों कैके बहुत ही नोनी सीख गई है हार्दिक बधाई धन्यवाद।
नंबर 13 .श्री अभिनंदन गोयल जी ने अपनी रचना में राधा रानी के मंन की मुरली बजा के सांचे प्रेम की कला को निकालो है प्रेम की रीत पुरानी जिन जानी उन्होंने मानी आज प्रेम का मतलब शादी है और फिर तलाक श्री गोयल ने राधा कृष्ण के माध्यम से सिंगार गीत की रचना करके प्रेम मगन मन गदगद कर दव है विभूति बधाई के पात्र हैं वंदन अभिनंदन।
एक. सिंगार रचना प्रेम दीवानी ।
दो .भाव जनसंदेश।
तीन .शिक्षाप्रद रचना है चार .प्रेमी जीवन की ही जीना उद्देश
उत्तम रचना बधाई ।
14- श्री जय हिंद सिंह ,जय हिंद ,, लोक शैली बंद रचना कौशल्या मैया मेरी की सूझ के माध्यम से ललना को पलना में झूल प्रेम रस छलकत वात्सल्य की छटा ने अति आनंद करी है नैनन में निंदिया शो बिजना डोला और राई नोन उतार। जय हिंद लो आनंद ऐसी ज्योति जलाओ ।।
एक. प्रेम रस की छटा श्री राम जी को पल्लना में पौंढ़ाओ।
दो. शब्द विन्यास लोक शैली बद्ब।
तीन .अनुप्रास अलंकार का प्रयोग ।
चार. भाव एवं अध्यात्म की ओर ध्यान आकृष्ट करो दाऊ साहब उत्तम रचना हेतु साधुवाद धन्यवाद।
नंबर 15 .श्री सियाराम अहिरवार जी ने अपने बुंदेली में रचना के माध्यम से ललकार दई है कै महीना कड़गव काय करें बेहाल । निपटा लो करत नहीं फैला रहे हैं जाल।।
अन्नदाता भूख कौ नै करें ख्याल।। वे दैरय रोटी सब्जी दाल ।।
समसामयिक रचना करी है बहुत-बहुत बधाई हार्दिक धन्यवाद
एक .रचना विन्यास उत्तम है।
नंबर दो .भाव जनहित मेंहै 3 .बुंदेली रचना तुकांत उत्तम है ः
चार .रचना चेतावनी ब शिक्षाप्रद।
धन्यवाद , टीकमगढ़
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153-- कल्याण दास साहू "पोषक"
--- श्री गणेशाय नमः --- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 4.2.2021 दिन गुरुवार ' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत ' हिन्दी में पद्य लेखन ' की संक्षिप्त समीक्षा :---
आज पटल पर भक्ति रस , शान्त रस की वर्षा करने वाले सभी आदरणीय काव्य-मनीषियों को सादर प्रणाम । सभी ने बेहतरीन कलम चलाई है , जिसमें राष्ट्रप्रेम की सुन्दर झांकी परिलक्षित हुई ।
राष्ट्रीय चिंतन करते हुए देश में व्याप्त विसंगतियों की ओर भी कवियों ने ध्यान आकृष्ट किया है सभी को बहुत-बहुत बधाई ।
आज सर्वप्रथम दाऊ साहब श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जीने अलंकारों की छटा बिखेरते हुए किशोरी जी की बहुत सुंदर वन्दना से बेहतरीन शुरुआत की ---
" करता हूं तेरी वन्दना मिथलेश नंदिनी ,
वन्दना हो वन्दना हे जगत वन्दनी"
श्री परम लाल तिवारी जी ने देश में व्याप्त विसंगतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कवि धर्म का सुंदर निर्वाह किया है ---
" घोर विषमता को मैं देख नहीं पाता हूं ,
मैं अक्सर अवसाद में डूब जाता हूं "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने मन की चंचलता एवं संसार की असारता का चित्रण बेहतरीन शब्दावली में किया ---
" मन को ही लगाना था परवरदिगार से ,
हम उसको लगा बैठे हैं झूठे असार से "
डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने काव्य सृजन हेतु विषय वस्तु एवं मार्गदर्शन प्रदान करती रचना बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
" क्या तुम ने पीड़ितों की आहों को शब्दों में उकेरा है "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने दीनों के प्रति सहानुभूति को प्रदर्शित करती गजल की उम्दा प्रस्तुति दी ---
" मैंने तो अब गरीबों से रिश्ता जोड़ लिया है "
श्री रविंद्र यादव जीने प्रगति पथ पर बढ़ते जाना है पुरुषार्थ बताया है ---
" चल रहे , खतम अभी , सफर नहीं हुए "
श्री रामानंद पाठक नंद जी ने भक्ति भाव एवं भक्तों का उद्धरण देते हुए भक्तवत्सल प्रभु की महिमा की सुंदर प्रस्तुति दी ---
" अपने भक्तों पर सदा कृपा करत रघुवीर "
श्री एस आर सरल जी ने कवि धर्म का निर्वाह करते हुए बेहतरीन शब्दों में रचना की प्रस्तुति दी ---
" जन-जन में चेतना का मंत्र भरना चाहते हैं "
श्री किशन तिवारी जी ने बढ़िया शब्दों में भावपूर्ण गजल रचना प्रस्तुत की है ---
" प्यार के दो बोल मीठे मिल सकें ,
उन दुकानों का पता मिलता नहीं "
आदरणीय श्री हरिराम तिवारी हरि जी ने देश के किसानों एवं जवानों की सेवा भावना , समर्पण एवं त्याग को बेहतरीन गीत के द्वारा प्रस्तुत किया है ---
" भारत मां की सेवा करने , हिय में हरदम हूक है "
श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने राष्ट्रीय चिंतन परक रचना की प्रस्तुति दी ---
" धर्म जाति की इस राजनीति में ,
एक आंगन के फूल हैं बिखर रहे "
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी ने तन्हाइयों का चित्र प्रस्तुत करती गजल की उम्दा प्रस्तुती दी ---
" बड़ा खामोश मंजर है नहीं कोई नजर आता ,
बहुत वीरान सा घर है नहीं कोई इधर आता "
आदरणीया प्रेक्षा सक्सेना जी ने भाव प्रधान रचना की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी ---
" चली आती है दबे पाँव ,
अलसाती उदास शाम "
श्री सियाराम अहिरवार जी ने बहुत ही चिन्तन परक रचना की प्रस्तुति दी है ---
" लोग भटक रहे हैं , सुगम राह से "
इस तरह से आज पटल पर सभी रचनाकारों ने बेहतरीन से बेहतरीन लेखनी चलाई है । सभी को बहुत-बहुत साधुवाद । इसी तरह से पटल पर अपनी गरिमामई उपस्थिति प्रदान करते रहें , साहित्य का भंडार भरते रहें । इन्हीं पंक्तियों के साथ मैं समीक्षा को विराम देता हूं , भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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154 -राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ
आज की समीक्षा**दिन- सोमवार*
*दिनांक 8-2-2021*बिषय- *बिन्नू (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *बिन्नू* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती,आज भौत नोनों दोहा रचे गये है। नौने भाव भरे दोहा पढ़ कै मन खुश हो गव।सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला * श्री सियाराम अहिरवार जू* (टीकमगढ) भौत नोनै दोहा पटल पे डारे- बिना मोंडी के सांसऊ घर सूनौ लगत है- बधाई श्री सियाराम जी।
बिन मोंडी़ सूनों लगै ,घर आँगन उर द्वार ।
बगिया फूलन के बिना ,नई होत गुलजार ।।
लिधौरा से श्री *अशोक पटसारिया नादान* जू कै रय कै बिन्नू मताई की परछाई होत है काय न होय है तो मताई कौ अंश ही। उमदा लिखौं है महाराज बधाई।
घर की करबै सजावट,बिन्नू साफ सफाइ।
तुलसा पै दीपक धरै, मम्मी की परछाँइ।।
श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द# पलेरा से लिखत है कै- जी घर में बिन्नू होत उतै भगवान रत है अच्छे दोहा लिखे दाऊ बधाई।
बिन्नू घर की लाज है,निज कुल कौ सम्मान।
जिस घर में हों बेटियां, आँय वहां भगवान।।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ अबै की मोंडियन कौ हाल बता रय अरु उने दूसरे दोहा में चैता सोइ रय-
बिन्नू घर में चला रही,सुनलो अबै मोबाल।
इते उते बातें करत,बिद जाबै जन जाल।।
नौने के बिन्नू चलोक,भऊ न हुईवो फैल।
बची रहो जन जाल से,चलो झार के गैल।।
-श्री अभिनन्दन गोइल, इंदौर से भौत नोनो लिखौं कै बिन्नू लच्छमी है-
बिन्नू तुम हौ लच्छमी, सबखों तुमरी चाह।
मर्जादा दो घरन की , करियौ तुम निर्वाह।।
श्री परमलाल तिवारी खजुराहो जू लिखत है कै- मामुलिया औ नौरता खेलत भई बिन्नू भौत नोनी लगत है-
मामुलिया औ नौरता,खेलें बिन्नू खेल।
गातीं गीत सुहावने, कर सखियन सों मेल।।
डॉ सुशील शर्मा , गाडरवाड़ा कौ बिन्नू चिरैया सी लगत है आंगना में भुदकत फिरत है भौत नोने भाव है-
बिन्नू मोहे लाड़ली ,मेरे घर को मान।
उड़त चिरैया सी लगे ,मेरो है अभिमान। ।
राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* कै रय कै मोड़ा मोड़ी एक है हमें इनमें भेद न ई करनै दोइ बरोबर है-
मोंडा़-मोंड़ी एक है,करो न ईमें भेद।
पूजौ देवी मान कें,कै रय सबरे वेद।।
हरिराम तिवारी 'हरि',खरगापुर लिखत है कै कन्यादान कौ भौत महत्व है-बढियख दोहे रचे है बधाई।
1: मौड़ी बोंडी़ वंश की, लली, कली मुस्कान!
मौड़ी कन्यादान है, कन्यादान महान!!
2- बौंडीं कबहु ना तोडियो,तौडे़ करें विलाप!
ऐसेई मौडी़ वध किए, भौत लगत है पाप !।
रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल लिख रई है कै मोंड़ी से कभ उ बुरै नइ बोलो चइए-
मोडी भोत महान है, ईको राखो मान।
बुरै कबउं बोलो नहीं, दो घर की है शान।।
* .श्री एस आर सरल,टीकमगढ़- ने नौनी कैइ कै मोंडी को पूरी आजादी मिलें तो वो मौडध से कम नइयां-
मौडीं कम नइ जानियों,करौ उनै आजाद।
वे मौड़न सै कम नहीं, चला रहीं हैं राज।।
हंसा श्रीवास्तव भोपाल से लिखत है कैं मौडी को जब ब्याब हैत है तो घर सूनो हो जात है-
व्याही गई जै जबसे ,हमखों कछु नै भात ।
सूनो घर हमरो भयों छवि औइ की दिखात ।।
श्री कल्याण दास साहू "पोषक' पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी (मप्र) गांवन में मौडियन की दशा कौ चित्रण करो है-
मात-पिता खों देत सुख , भइयँन खों भी चाय ।
डरा - डरा कें रउत है , मोंडी़ हुक्म बजाय ।।
कइयक होतइ दुष्ट जन , गांठें खूब रुआब ।
मोंडी़ तानें सउत है , लौट देत न जुआब ।।
श्री इंद्रपाल सिंह राजपूत कुंडेश्वर के पास ग्राम हरपुरा मडिया -
जिन घर में ही होत है, हर बिन्नू को मान l.
मात पिता पा जात है, तब भौतइ सम्मान ll.
श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां से भ्रूण हत्या नहीं करवै कै लाने नौनी सला दे रय है-
मारौ ना जा कूंख में, देखै दुनियां देश।
मौडी, मौडा भेद नइ, राखौ जौ उददेश।
*श्री संजय श्रीवास्तव* मवई कै रय कै जब बिन्नू होय तो ऊकौ दैवी मानकै खूब स्वागत भव चइए-
बिन्नू की किलकारी को, हो स्वागत सत्कार।
इनखों कम जिन मानियो, हैं देवी अवतार ।।
बिन्नू आँगन दौरती,पायल छमकत पाँव।
देख-देख माँ-बाप को,हिया भौत हरसाव।।
श्री डी पी शुक्ला जी टीकमगढ़ से लिखते है कै-
बिन्नू तुमनें देश कों,जीवन अपनों ध्याव।।
उड़ आकासै है गई,बनाय सरल स्वभाव।।
आप सबइ ने भौतइ नोने दोहा पटल पै डारे ।हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।।
*समीक्षक-**राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)*मोबाइल- 9893520965
#################################
155-समीक्षक /पंडित डी.पी. शुक्ल,, सरस,
🌷🌷जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ बुंदेलखंड🌷🌷
स्वतंत्र बुंदेली पत्र लेखन। दिनांक/ 10.02. 2021
बुंदेली के स्वाभिमान को। कविवर रोज बढ़ा रय।।
बुंदेली मांटी कौ परचम। बुंदेलखंड में लहरा रय।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
पतित पावनी बुंदेली के गुण ।
गा गा सवै बता रय।
सबै बुंदेली बोलो बानी। काये नैं मिठास भरा रय।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नमन करो बुंदेली के जिन। शब्दन कथनी लिख डारी। ऐसे बुंदेली के बुद्धि जन से।
दोई हाथ जोड़ है विनय हमारी ।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
आदरणीय एवं सम्मानीय कविवरन् कों हाथ जोड़ सादर नमन करत भय आज के पटल पर उपस्थित महानुभावों को सादर प्रणाम वंदन अभिनंदन करत हो और प्रथम में पटल पर आदरणीय महानुभाव को नमन करता हुआ धन्यवाद के साथ समीक्षा बतौर उनकी रचना का विश्लेषण निम्न प्रकार है ।
नंबर 1. श्री रामानंद पाठक नंद जुने आज चौकड़ियन के माध्यम से अपनी रचना की शुरुआत करी है जी में भक्ति भाव से अपनी रचना की शुरुआत करके श्री राम राजा राजा राम ओरछा वारन की भक्ति भाव कों उकेरौ है, जो आज की प्राथमिकता को विषय है और अध्यात्म की आंतरिक भावना का स्वरूप है ।
नंबर 1 .पाठक जी ने भक्ति भावों को भरो है ।
दो. बुंदेली के श्री राम के चरण वंदन करे है।
3. मन मंदिर में प्रभु की छवि को निहारो है ।
चार .प्रेरणा श्रोतभावों की प्रवृत्ति है ।
5 . सात्विक शिक्षा प्रद रचना है ।
उत्तम रचना हेतु श्री पाठक जी को हार्दिक धन्यवाद।
🌷
नंबर दो .-श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जू देव ने अपनी पैरोडी के माध्यम से जीवन रूपी गाड़ी को हाकवे की तर्ज पर बुंदेली रचना मैं शिव बरात को अद्भुत रूप निहारो है अद्भुत रूप में शिव जी के दर्शन करा कर निश्चय भरी रचना में प्रमोद आल्हाद के दर्शन कराए हैं जी में बिना शिेर बिना आँख भूत पिशाच बेताल को जंजाल विकराल रूप बताकर भावों को उकेरा है।
एक .अद्भुत रस की छटा दिखाई परत है।
दो .शब्दालंकार का समावेश है.
तीन .संदेह अलंकार का सृजन है।
4 .शृंगार रस और आनंद रस की अनुभूति।
दाऊ द्वारा रचना बुंदेली में प्रगाण भक्ति भाव से भरो है उत्म रचना हेतु श्री दाउ साधुवाद के पात्र हैं धन्यवाद।
🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 3- डी.पी .शुक्ला ,,सरस,, ने अपनी रचना में आज की परिस्थिति को वर्णन करके बरसात के पानी जैसौ बुवारय। जे देश में आघात कर रय ,बने ई पहाड़ को पोलौ करन चाउत। लोगन कों आफत मैं डारन चाउत। समुद्री लहरें सैलाब बनकें पर आवे की चेतावनी दी है ।
एक. देशहित जनहित में रचना करी है ।
दो .समसामयिक रचना में प्रेरणा दै है।
नंबर 3 .प्रेरणा स्रोत रचना है ।
4-वीभत्स और अतिरेक अलंकार का समावेश है।
5. व्यंजन शब्दों का समावेश है ।
6.रूपक अलंकार को वास्तविकता हेतु रचना पढ़ने का कष्ट हो ।
🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर चार. कविता नेमा जी ने अपनी बुंदेली में संस्कारन के लाने रचना में जगह दी है जी में मोड़ी मोड़ा पर ध्यान देने हैं जिस कारण से देश को भलो होने तक विचार और राजनीत बदले धर्म-कर्म को संस्कार मनुष्य के जीवन को सुधारक है जिससे देश की प्रगति होती है अपनी रचना में तुनक जात हैं समझाओ तौ तुनकन लगत।
एक .रचना में नोनी सीख दई है ।
दो. देशहित और जनहित की बात करी है ।
तीन .शिक्षाप्रद रचना है।
चार. भाव उत्तम है विचारों का प्रवाह है।
पांच. उत्प्रेरक ता का समावेश है उत्तम रचना के लाने नीमा जी को बहुत-बहुत बधाई सुझाव के लिए धन्यवाद
नंबर 5 .रेनू श्रीवास्तव जी ने सोहर शीर्षक से अपनी रचना में बिन्नू को जन्म दिन को लक्ष्मी जन्मदिन लक्ष्मी आगमन बताओ है सोहर नोनो बताओ जीसे खुशियनंकों माहौल बखरी में फैले! दोऊ कुलन को तारवे लडुआ बना के बांटवे खुशियां मनावे, भौतै नोंनी रचना बिन्नू के आगमन में खुशहाली शुभ होत!
एक .बिटिया के लक्ष्मी आंगमन बताओ है!
दो .दोऊ कुलन की लाज रखत है बिन्नू !
3-खुशियां में बताशा और नुक्ती बांट दें रीत रिवाज संस्कार के अनुसार! चौथा. लड़का से बढ़ के बेटी ना जानो हेटी!
नोनी सीख दई है !
डा. रैनू जी रचना शिक्षाप्रद है भौतै भौत बधाई !
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
छठवां .श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जी ने कुंडलिया के माध्यम से अंबे जगदंबे से अपने भाग जगावे के लाने रचना में जगह दी है और मां वीणा वादिनी को नमन कर स्वर सद्गुण और भटकों को राह वताने के लाने और परिश्रम हम करें तो सुख शांति देने आवने भाग जगावे अपनी बुंदेली में इंदु जी ने भाव भरे हैं एक .अध्यात्म में भाव उत्तम है!
दो .मॉ ही विपदा हरण की देवी है! शांति अलंकार की छटा प्रदर्शित हो रही है ममतामई मां की ओर निहारो है शिक्षाप्रद बुंदेली रचना है! भाव उत्तम धार्मिकता की ओर निहारौ है स्नेही स्वतंत्र स्वजन बहुत-बहुत बधाई धन्यवा!
नंबर 7 -श्री अशोक पटसरिया ,,नादान ,,जू ने कुंडलियन के माध्यम से इस जीवन रूपी गाड़ी को स्वर्ग रूपी सफर करबे के लाने शानदार थानेदार जैसी गाड़ी हमेशा तैयार खड़ी है बताओ है जी दिना सूचना मिले अोई दिेना गाड़ी को चल देने ईको ठिकानों नैंयाँ यम रूपी थानेदार की कब रेड पड़ जावे जा तन रूपी स्टेफनी पंचर दिखा रै है, नश्वर जीवन कौ सहेज के रखने की बात करी है जाने कोंन दिनाँ सम्मन आ जाने और जावे की पेसी लग जाने ।
एक .भौतै ही नोनी अलंकारित रचना करी है। दूसरा .रूपक अलंकार की झलक दिखाई दे रही है।
3* चेतावनी देकर और लक्षणा विधा को उकेरो है। चार. भाव उत्तम हैं धाराप्रवाह शिक्षाप्रद एवं बुंदेली रस को प्रसार करोहै। उत्तम रचना के लानेंश्री पटसरिया जी नादान को साधुवाद और सादर बधाई।
नंबर 8 .हन्सा श्रीवास्तव जी ने सरस्वती वंदना के माध्यम से बुंदेली प्रयास के शीर्षक जय मां वीणा पाणी को नमन कर बुंदेली की कामना करी है अक्षर ज्ञान देवे ,मन कौ मेला हटावे की विनती करी है ,कै हे माँ ज्ञान चक्षु से हम उत्तमता के दर्शन करें तथा देशहित और जनहित में विचार करें जी से हमारा भविष्य सुधरे ।
एक. ऐसी सोच के साथ हंसा जी ने भावों में भक्ति की प्रेरणा को भरो है जो प्रेम से परिलक्षित है ।
दो .भाव उत्तम है ।
3 .आत्म चिंतन कर विनय की साधना प्रेरकता से ओत प्रोत है ।
4 .नमन ही मां के आंचल को देता है स्थाई भाव जागृत किए हैं रसों का समावेश है।
उत्तम रचना करके हन्सा जी ने मानस पटल को जागृत करके झकझोरा है बहुत-बहुत बधाई की पात्र हैं सौहार्दपूर्ण धन्यवाद।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 9/ श्री मातादीन यादव जब ने अपनी ठेट बुंदेली में रचना में लिखो है भूल गए हम कोदौ कुटकी और सो कढ़ आए पतरौ पतरौ मों !
पुराने चाल चलन की बात करी है जीसें रोग राई नईं होतती वह काम और
खाबों बदले से शुगर जैसी बीमारी हो गई !
एक .तन और मन सुधार के संगे चेतावनी दी है !
दो. किसानी में भव टोटौ! हर बखर भव छोटौ ! प्रेरणा स्रोत रचना!
3. बुंदेली भाव उत्तम है !
4 .उपमा अलंकार की छवि दीख रही है! भौतै नौनी रचना हेतु बहुत-बहुत बधाई!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर .10 श्री गुलाब सिंह भाऊ जुने अपनी चौकड़िया के माध्यम से
डुबरी मिरचन दूध महेरी और फुरका लटा मठा भूंज के महुआ ,सोउत हते रातै घुरका! अमियां को पनों लपट को मिटाउत तो सवई भूल गए जी से जो तन
नोनो रात तो !
एक.भाऊ ने चौकड़िया के माध्यम से उपमा देवे को सफल प्रयास करो है!
दो .बहुत ही नोनी चेतावनी दै है !
तीन .शिक्षाप्रद सीख दी है चार .भाव व रचना उत्तम है पांच .अपनत्व भरे भाव की झलक दिखाई दे रही है उत्तम रचना हेतु भाऊ को बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 11. श्री परम लाल तिवारी जी ने अपनी चौकड़िया के माध्यम से अपने असली रूप यानी मानव का वास्तविक स्वरूप बताओ है कै अभिमान छोड़ के मृदुल मिठास भरी वाणी से बोलकें राने तबैं हम अपने पास रै सकत हे प्रभु जी ई संसार रूपी माया में ना आने परहै, तुमईं हमाए सवई कछु हो !
1.अध्यात्म भरी आह?
दो .मृदुल वाणी की मिठास !
नंबर 3 .जो अभिमानी तन नश्वर है अपने पास रखवे की विनय करी है !
चौथा .भाव प्रेम मयीऔर शिक्षाप्रद है तभी हम जीवन के सत्य को जान सकत् हैं!
उत्तम रचना हेतु श्री तिवारी जी को बहुत-बहुत बधाई!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 12 .श्री एस.आर. सरल ,,जुने अपनी ने अपनी दोहावली के माध्यम से मतलबी दुनिया के शीर्षक से रचना को लेखन करो है स्वार्थ की दुनिया निचाट झूंठ बोलकर अपनों उल्लू सीधौ करत, दोगला और बदमाश हैं !अब कीकीैं बीगें लगाउत दूसरे में वीगें ना लगा स्वयं कोई काय नईं देख हो तब ही संसार में है पाव!
एक. भौतै नोने दोहे बुंदेली है !
दूसरा .भाव शिक्षाप्रद चेतावनी स्वरूप है !
3.उपमा अलंकार का समावेश है !
4-उत्प्रेक्षा अलंकार सबकी लगे उगारन अपनी ढांंकत रात बहुत ही नोनी रचना हेतु साधुवाद बधाई!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 13-श्री सियाराम अहिरबार जुने चौकड़िया के माध्यम से लाठी को सहारा बुढ़ापे मैं हर हाथ में, कुत्ता भगावे में , डबला टांगवे के काम मे आफत है! लाठी में गुण बहुत हैं रख लो अपने पास! को चरितार्थ करो है तुमसे अच्छा लाठी को सहारे भौत है !
नंबर 1 .भाव उत्तम है!
दो .सहारे की उत्तमता प्रेरकता पूर्ण है !
3. शिक्षाप्रद चेतावनी युक्त रचना !
चार .उपमान अलंकार की छवि परिलक्षित है उत्तम रचना हेतु बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 14 .श्री संजय श्रीवास्तव जी ने अपने दोहा में सारौ सार भर दव अम्मा बुढ़ापे में बिना देखे ह्रदय की बात जान जाती हैं और दूसरों के दुख को परख लेती हैं सबई की बात सादत रती सोऊ मन तो दुःखित नईं होत! भौतै नोनी रचना हेतु श्री संजय जी को हार्दिक बधाई!
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 15 .श्री राज गोस्वामी जी दतिया ने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से बिटिया सबसे प्यारी लगत जा वेटन से आगे है भोली बातें कर नोनी लगत सबई खुश होत ईकी महिमा गावे के लाने रात गुजर जाए!
एक .अतिशयोक्ति अलंकार की छटा मुद्रित है!
दो .मनमोहकता भरी आस झलकती है !
तीन. उत्प्रेरकता के तहत बेटी जीवन का आधार है! नंबर 4 .शांति रस का समावेश है भौतई नोनी रचना हेतु सादर नमन वंदन धन्यवाद !
🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 16. श्री अभिनंदन गोयल जी ने वियोग श्रृंगार के माध्यम से श्याम के बिना अर्थात सच्चाई के बिना जो मानव तन कृष्ण की भांति तड़प रहा है और निराशा में जो जीवन विरह की आग में बिना कृष्ण की आवे की अर्थात मानवता के वे दिन कब आएंगे जिसे कृष्ण सौ सभी को सुख मिलेगा!
एक .अध्यात्म भरी शॉति गिर्द को गदगद करती है 2-बहुत ही नोनी व्यंजना विधा को परचम लहराव है तीसरा .उपमा की पुट दी गई है !
पांचवा .चंदा की चांदनी फीकी लग रही है सुंदर और उत्तम भाव रचना में लावे के लाने साधुवाद हार्दिक बधाई !
🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 17 .श्री अरविंद श्रीवास्तव जी ने अपनी रचना में चलो जू सो जइए शीर्षक के माध्यम से बसंत को देख सुबह को मन करने लगा श्रीवास्तव जुने आलस बस दुपरे रोटी खा के आराम करने की जुगत लगाई मंन तौ चाउत
दिवाले जावे लेकिन जो आलसी मन सोने के लाने छपरी ढूंढतअर्थात आत्मा सोवे की गवाई नहीं देत मन तो सोवे के लाने उक्तारव वाह श्रीवास्तव जी भौतै नौनी रचना करने के लाने हार्दिक बधाई स्नेही धन्यवाद !
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नंबर 18 .श्री कृष्ण कुमार पाठक जी ने कम संतान सुख इंसान शीर्षक से रचना करी है उपमा और उपमय अलंकार को समाविष्ट करके ब्रह्मा को हैरान बताओ है जी के मोड़ी मोड़ा होत वौ परेशान रात शंकर जी जैसौ सुखी महान थे जीके नैंंया मोड़ी मोड़ा वो परेशान हैं जी को ब्याव नईं भव वो परेशान है पाठक जी ने जीको ब्याव नै भव उयै ब्रम्हा बताओ है जो तो मुश्किलई लगत एक .अपने विचारों की प्रबलता के भाव उकेरा हैं 2- उपमा अलंकार का भरसक उपयोग करो है तीसरा. देवतन की शादी भई लेकिन कुछ छोड़ संत मुनि की संताने वरदानी पैदा हुई हैं !वरन विवाह सबै ने कराओ है !पाठक जू नौंनी रचना के लाने हार्दिक बधाई धन्यवाद!
🌷🌷🌷🌷🌷🌺
19- श्री कल्याण दास साहू ने अपनी रचना में सिंगार की रचना में चितवन बांकी बताई है और ऐसी लगन जैसे अर्ध चंद्रमा धरती पर उतर आव होए !गेंदा जैसी खिली कली को वर्णन कर नई नवेली इंद्र की परी जैसी लग रही है !
एक. सुंदर छवि बिलासता पूर्ण सिंगार
दो. नयन पुतरिया अंतर उर की वात्सल्य रस
तीन. शब्द मेल उत्तम.
चार .उपमा अर्धचंद्र से लेकर छटा बिखेरी है !
श्री पोषक जी की रचना भौतै नौंनी है वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
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156-समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़
156आज की समीक्षा** *दिनांक -11-2-2021*
*बिषय-हिंदी स्वतंत्र*
आज पटल पर हिंदी में स्वतंत्र लेखन था। आज पटल पर हिंदी में कविता, चौकडिया,गीत,मुक्तक,क्षणिका विभिन्न बिषयों पर काव्य रसास्वादन किया साथियों ने बेहतरीन कलम चलायी सभी को बधाई।
आज सबसे पहले *श्री अशोक पटसारिया नादान, लिधौरा* जी ने लालबुझक्कड की कहानी को प्रस्तुत किया है कि ये दुनिया अंधों की हैं सब अपने अपने तरीके से देख रहे है-
हाथी आया हाथी आया। एक गांव में हाथी आया।।
वहां सभी अंधे रहते थे।आपस में बातें करते थे।।
सबने अपने अपने अनुभव।लालबुझक्कड़ को बतलाये।।
*श्री रामगोपाल रैकवार जी टीकमगढ़* ने एक ही दोहे में जीवन का सार बता दिया कि जबतक हम त्याग नहीं करेंगे तब तक कुछ हासिल नहीं होने वाला-
साहस तजने का करे,वृक्ष पुराने पात।
तब जाकर मिलती कहीं,बासंती सौगात।।
*डॉ सुशील शर्मा गाडरवाड़ा* से बसंत में विरह का अच्छा चित्रण इस प्रकार से कर रहे है-
सखि वसंत में तो आ जाते
विरह जनित मन को समझाते।
दूर देश में पिया विराजे,
प्रीत मलय क्यों मन में साजे,
आर्द्र नयन टक टक पथ देखें
काश दरस उनका पा जाते।
सखि बसंत में तो आ जाते।
*कविता नेमा जी सिवनी* से -एक मुक्तक लिखती़ हैं
बचते रहे सदा कि प्यार न हो .
हो भी गया तो इज़हार न हो .
घात लगाये बैठे हैं दुश्मन हज़ारोंं यहाँ.
कोशिश करो कि यहाँ तकरार न हो ।।
*श्री डी. पी. शुक्ल,, सरस जी टीकमगढ़* से आज आदर्श तलाश रहे है-
नैतिकता की बात छोड़ कर ! आदर्शों को लगे बताने!!
छोड़ मानवता के भाव अपने! सबको लगे आज सताने!!
*श्री के के पाठक जी ललितपुर* से एक गीत में कह रहे है कि -*👬बच्चे हैं भगवान की मूरत* सही भी है-
बच्चे हैं भगवान की मूरत,बच्चों पर तुम ध्यान दो ।
चौदह साल से छोटे बच्चों से, ना कोई काम लो ।।
*डॉ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल* का बिल्कुल सही कहना है कि आज जमाना मोबाइल का है अनेख काम मोबाइल से होने लगे है-
कम्प्यूटर ज्ञान का खजाना ,मोबाइल का आया जमाना ।
इससे सारी ज्ञान की बातें ,पढते रहना दिन और रातें ।
कहती है विज्ञान बता के ,ये तो पूरा है खुशियों का खजाना ।।
*श्री अभिनन्दन गोइल इंदौर* से अपने गीत में कहते है कि जब हम अच्छे बन सकते है तो फिर खराब क्यों बने!
पुष्प सुगंधित हो सकते थे,क्यों हम चुभते शूल हुये।
उद्गम सौरभ के हो जाते,सूखे - रूख बबूल हुये।।
*श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ पलेरा* ने बाबा साहेब पर एक बेहतरीन पेरोडी लिखी-
जब माँ नें जनम दिलाया होगा।
अमृत तुझे पिलाया होगा।।
दीनबंधु पर दीनबंधु दिल छाया होगा।अमृत.......
*श्री किशन तिवारी जी भोपाल* ने शानदार ग़ज़ल पेश की-
नहीं मालूम कब ये रंग मौसम का बदल जाए।
हमारी झोपड़ी तेरे महल दुनिया बदल जाए।।
* श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी भोपाल* ने सुंदर बासंती गीतिका पटल पर रखी-
धूप खिली, सरसों शरमाई, मन्द पवन गतिवान हुई,
ऋतुपति की संगति पाकर फिर धरती आशावान हुई ।
मदमाती गेहूँ - बाली की देह - गन्ध उन्मत्त करे,
स्वर्ण - मंजरियों से बसुन्धरा लगती ज्यों धनवान हुई ।
*श्री सुरेन्द्र शुक्ला जी सागर* बरसात के आगमन की कल्पना कर रहे है-
छायी बंदरिया चमकी बिजुरिया,बरकारे की भई तैयारी।
*श्री रामानन्द जी पाठक,नैगुवा* से बसंत पर लिखते है़-
,सर्दी गइ आ गये रितुराज, धरती खुश हुई आज।
वाणी ने अवतार लिया था,मुखर प्रकृति में साज।।
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़* से ग़ज़ल लिखते हैं-
इन्सां ना था फरिश्ता था हमसे जुदा कैसे हुआ।
कल तक तो यहां जश्न था मातमजदा कैसे हुआ।।
हमने तो हर ज़िद को उनकी कर दिया पूरा मगर।
बावजूद इसके भी *'राना'* वो ख़फा कैसे हुआ।।
*श्री राज गोस्वामी जी दतिया* से मुक्तक कहते है-
मजदूर भी अब देखिये मजबूर हो गये ।रुजगार से धंधे से बडे दूर हो गये ।।
कगजो मे काम के दावे फिजूल है,अरमान जो भी थे चकनाचूर हो गये ।।
*श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो* से मुक्तक लिख रहे हैं- कि मुझे चलना नहीं आया है-
सच है दुनिया में मुझे चलना नहीं आया।
चाहे हो अहित बात कोबदलना नहीं आया।
फरेब देकर मुझको ही छल लेते लोग-
मुझको किसी ओर को छलना नहीं आया।।
*श्री सियाराम अहिरवार जी टीकमगढ़* बसंती गीत लिखते है-
पाहुन आये बसंती मोरे ,केशरिया रंग घोरे
गलियन में फुलवार लटक रही,महक गई हैं खोरें ।
* श्री एस आर 'सरल',टीकमगढ़* से मानवता के खरपतवार बता रहे है-और भेदभाव दूर करने के लिए कह रहू है बेहतरीन रचना है-
नफरत की खरपतवारों,को मैं उखाड़ता चलता हूँ।
मैं मानव में मानवता के,बीज डालता चलता हू।।
जाति पाति खरपतवारो,की क्यारी गोढ़ता चलता हूँ।
भारत भूमि पर प्यार के,फूल चढ़ाता चलता हूँ।।
प्रकार से आज सभी साथियों ने बहुत बढ़िया रचनाएं पटल पर रखी पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
मैं आप सभी का हृदय से बेहद आभारी हूं कि आपने आज पटल पर उपस्थित रहकर पटल की शोभा बढायी है।
*समीक्षक- राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)*
अध्यक्ष- मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
एडमिन -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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157--
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक #
#15.02.21#दोहे बसंत#
#समीक्षाकार.. जयहिन्द सिंह#
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आज के शानदार बिषय पै सबने शानदार जानदार बजनदार लिखो
आज जौ लगरव जैंसें सब एक से
बढकें एक बुन्दैली रचनाकारन ने अपनी 2कलम सें ऐसे कलाम काड़ दय जिनकी प्रशंसा करबौ सूरज खाँ दिया दिखाबौ कहाय।
पटल के सबयी विद्वानन सें पैलाँ
माँ शारदा कौ वंदन फिर सबखों
हात जोर राम राम।अब मैं आप सबसें अनुमति लैकैं समीक्षा लिख रव बनी बिगरी आप सब जनें समारियौ।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द.....
मैनें बसंत में बिरह बरनन करो।कोयल की कूक बसंत आबे कौ इशारौ है।छेवले के फूल वन में ऐंसें दिखात जैसें वनदेवी की मांग में सिन्दूर होय।सबसें अच्छौ दोहा
पाँचव खुद खाँ साजौ लगो।भाषा आप सब जनें जानौ।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान.......
आपने बसंत में घुटी भांग केआनंद,टेसू सें जंगली आग कौ बरनन,बसंत में रंगों की बरसात, गुलमोहर आम बेरी कौ बरनन,सरसों के पीरे फूल,और मन के मीत की चाहत कौ बरनन
करो।भाषा मधुर और लचभावनी है।आदरनीय खों नमन।
#3#श्री राजीव नामदेव राना जू....
आपने तीन दोहन कौ तिरंगा फहराव।बसंत पंचमी खों कल्याण कारी बताव।मधुमास बरनन,बसंत सें धरती के सिंगार कौ बरनन करो गव।तीसरौ दोहा भौत अच्छौ लगो।भाषा बिस्तारक,सरल सटीक है।आपखों बार बार बधाई।
#4#श्री एस.आर. सरल जू......
आपने दोहन मेंभौंरा कौ रसास्वादन, बसंत के बगरबे कौ,भौंरन के गुंजार की मस्ती बहार,छेवले आम भौंरा और फूल
बाग बगीचा की सजावट,कंत की अवाई की आशा,कौ बरनन करो।आपकौ चौथौ दोहा भौत अच्छौ लगो।भाषा प्रवाहमयी रपटदार है।आदरनीय खों बधाई।
#5# श्री रामगोपाल रैकवार जी.......
आपने टकसाल दोहा डारो।खाने के बसंत कौ बरनन करो।भाषा के
चमत्कार खों नमस्कार।आदरनीय खौं नमन।
#6#श्री संजय श्रीवास्तव जी...
आपने बसंत खों पावनों मानो।प्रकृति चित्रण दमदार, भँवरे तितली की मस्ती,कोयल गान,संत महंत और बसंत कौ सुन्दर चित्र खेंचो।तीसरौ दोहा सबसें मस्त।भाषा सुन्दर सरस लुभावनी,आदरनीय खों बधाई।
#7#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी........
श्री भाऊ जी ने बसंत पंचमी,ज्ञान की सरस्वती सें याचना,भारती वंदना,बसंत में फूलन की झूम,कौ शानदार बरनन भव।
आपकौ पाँचवाँ दोहा सबसें साजौ लगो।भाषा चमत्कार रसदार है।आदरनीय खों नमन।
#8#श्री संजय श्रीवास्तव जी.....
आपने पटल पै श्रीफल रूपी दोहा डारो।रितुराज की पसरन,अन्न की गम्मत,और सरसों के साज कौ मस्तीदार बरनन करो।दोहे श्रेष्ठ हैं,भाषा सरस प्रवाहित है।भाई साब कौ बेर बेर आभिनंदन।
#9#पं.श्री परम लाल जू तिवारी.....
आपके दोहन में मस्त पवन,रोंम रोंम खुशी,शिशिर के बाद रितुराज आगमन,बृज की सखी कौ बिरह,बरनन करो।अंतिम दोहा भौत शानदार लगो।भाषा की रचना श्रेष्ठ।आपका सादर नमन।
#10#श्री राजीव राना जी....
संशोधित दोहे डारे गय।और धार बना दयी।आनंद आ गव।आपका सादर वंदन।
#11#श्री रामेश्वर गुप्ता इन्दु जी........
आपने भी बासंती तिरंगा लहरादव।बसंत कौ संगीत,बागन की क्यारियाँ, प्रदूषण पै खेद,प्रगट करो। अंतिम दोहा भौतयीं नौनौ लगो।भाषा प्रवाहित रसीली अर्थालंकार सें सजी है।आदरनीय खों नमन।
#12#बहिन प्रेक्षा सक्सेना जू.....
आपने दोहन की जगह कविता लिखी जो अच्छी है।बहिन अगर बसंत के दोहे लिखतीं तो और ऊंचाई पा जातीं।कोई बात नयीं,भाषा में तो अबै चार चाँद लगा दय।भाषा प्रवाह श्रेष्ठ है।बहिन को चरण बंदन।
#13#श्री प्रदीप खरे जी......
आपने संक्षिप्त कविता से बसंत बरनन करो।अच्छौ लगो।दोहा लिखते तौ और आनंद आ जातो।लेखनी खों प्रनाम।आपकौ वंदन।
#14#पं.श्री डी.पी.शुक्ल सरस जू..........
आपके बसंत मेंधूप तेज और आलस कौ बरनन करो गव।
बौर की गंध ,कोयल की कूक,बसंत बरनन,कीट पतंगन बिहार कराव गव।चौथौ दोहा सबसें साजौ लगो।भाषा प्रवाह मिठास चिकनाई शानदार।महाराज के चरण वंदन।
#15#डा. रेणु श्रीवास्तव जी......
आपने दो दोहा डारे जो शानदार गागर में सागर भरो गव।सबसें अच्छौ बसंत बरनन लिखो गव।डा. बहिन की भाषा जोरदार, मस्त प्रवाहभरी, है। बहिन जी का चरण वंदन।
#16#पं. श्री रामानन्द पाठक जू.........
आपने बसंत की अनंत मस्ती,सरसों की गंध,कोयल के राग,तितली भौंरन की मस्ती,बातावरण की कामुकता,और बसंत की न्यारी छटा कौ बरनन करो।तीसरे दोहा ने मन जीत लव।भाषा मधुर प्रवाहभरी मस्त।आपका चरण वंदन।
#17#श्री कल्याण दास साहू पोषक जू.........
आपने अपने दोहों में दिगंतौं की बहकन,बसंत की छटा ब रस आनंद,बसंत कौ उवरावौ,मनसिज और बसंत के सबंधन पै प्रकाश डारो।सबयी दोहा नौनै।भाषा सरल सरस श्रेष्ठ।आपका अभिनंदन।
#18#श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी.........
आपने भी तिरंगा पटल पै फैरा दव।तीसरे दोहा में बौ आकर्षण भरो कै देखतन बनत।बसंत कौ कलश बनाव।शानदार जानदार लेखन,भाषा रसीली गरिमा मयी।आपखों बेर बेर नमन।
#19#श्री संजय श्रीवास्तव जी......
संशोधन में एक दोहा बढाकें धार पेंनी करी गयी।संशोधन खों धन्यवाद।
#20#श्री अभिनंदन गोईल जू............
आपने रँग बरसा दव।पैलै दोहा ने मजा बांदो।बानगी श्रैष्ठ,अच्छे शब्दन कौ प्रयोग जैसें...तालन खिले सरोज,बान सजाँय मनोज,।
बसंत के मोहक दिन,रितु कमनीय, आमन की बौर,मकरंद,बसंत की सुहावनी छटा कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सराहनीय,साहित्यिक एवम्
रसीली है।आपका बेर बेर वंदन आभिनंदन।
#21#बहिन हंसा श्रीवास्तव जी..
आपने दो दोहे सजाये।जिसमें बसंत की झूम,फूलन के रंग और उमंग कौ सुन्दर चित्रण करो गव।
दोई दोहा सुन्दर भावपूर्ण हैं।भाषा रसदार चुटीली है।आपके चरण बन्दन।
#22#श्री राज गोस्वामी जी......
आपने बसंत में खेत की सुन्दरता के दर्शन कराये।भौंरा की दौड़ सजन की याद,भौरन कौ बरनन,बिरह कौ चित्रण करो गव।
भाषा भावप्रधान,रसदार,लचकदार है।आपके पैलै दोहा में भौत दम है।
आपकौ वंदन।
#23#श्री सियाराम सर जी......
आपने तीन दोहे पटल की भेंट करे।पैलै दोहा मेंबसंत विरह,दूसरे में प्रकृति चित्रण,सिंगार, बसंत कौ वैभव,लिख डारो।भाषा सुन्दर सटीक सरल प्रवाहभरी है।पैलौ दोहा गजब।आपखों बेर बेर धन्यवाद।
उपसंहार.....
आज अब आठ सें जादा बज गये।पटल के नियम सें सबकी समीक्षा कर दयी,अगर धोके से कोऊ छूट जाय तौ अपनौ जान कें क्षमा कर दैयो।सबखोट फिर सें जयराम जी की।
धन्यवाद।
आपका अपना......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
6260886596
#####जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़######
158- श्री सियाराम जी अहिरवार टीकमगढ़
जय बुन्देली साहित्य समूह,टीकमगढ़
हिन्दी में दोहा लेखन विषय-प्रेम
दिन -मंगलवार दिनाँक 16/02/2021
आज की समीक्षा करने से पहले सभी मनीषी विद्वानों को सादर प्रणाम ।आज ऐसा विषय दिया गया ,जिसको सिर्फ महसूस किया जा सकता है ,शब्दों से इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती है ।फिर भी सभी साहित्यकारों ने अपनी कलम के माध्यम से बहुत ही शानदार दोहे रचे ।सभी को बसंत पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं ।
साथियो प्रेम एक ऐसा शब्द है ,जिसके बारे में सदियों से कवियों ने कविताएं रची , गीतकारों ने गीत लिखे ।.प्रेम एक अवस्था है ।प्रेम किया नहीं जाता हो जाता है ।समुद्र की गहराई नापी जा सकती है ,लेकिन प्रेम की नहीं ।हर युग में प्रेम था और रहेगा ।प्रेम इबादत है ,प्रेम ही पूजा है ।प्रार्थना है ,एक नशा है ,जो उतारे नहीं उतरता ।समय के साथ साथ और गहरा होता जाता है ।प्रेम एक बंधन है ,इसी के सहारे सारा संसार टिका है ।
आज पटल पर बहुत ही शानदार दोहों के साथ पटल पर ,आदरणीय अशोक पटसारिया जी नादान ने अपनी उपस्थिति दर्ज की ।आपने लिखा कि इस संसार में प्रेम बडा़ अनमोल है ।इसके बिना जीवन और भूगोल दोनों ही सूने है ।साथ ही आप लिख रहे कि-
मीठा लागे प्रेम रस ,जिन चाखा भरपूर ।
बिरह अगन में जो जले ,हो गय चकनाचूर ।।
बढिया लिखा बधाई ।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जी ने भी बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित पाँच दोहे रचे ।जिसमें तीसरे दोहे में आप लिख रहे हैं कि -
प्रेम सुधा पावन सरस ,करत मनुज जो पान ।
इंदु सफल कारज सफल ,बनी रहे मुस्कान ।।बढिया लिखा आदरणीय ढेर सारी शुभकामनाएं श्री संजय श्रीवास्तव जी ने ने भी स्वरचित पाँच दोहे लिखे ,जो मजेदार और सार्थक है ।
आपने लिखा कि जहाँ क्रोध ,जलन,नफरत है ,वहां प्रेम मर जाता है ।बहुत ही नीतिपरक बात कही है ।ढेर सारी शुभकामनाएं आपको अच्छा लिखा ।धन्यवाद ।
आदरणीय जयहिन्द सिंह जयहिन्द जू ने अपने मौलिक दोहे लिखते हुये गदगद कर दिया है ।आप लिख रहे कि-
प्रेम पुटरिया पिया की,बखरी में दो खोल ।
जो खोलत बन सके ना ,रखियो सदा टटोल ।बहुत ही मजेदार और शानदार दोहा रचा ।सादर नमन ।
श्रीमान रामानन्द जी पाठक नैगुवाँ ने भी बेहतरीन दोहे लिखे ,जिसमें आपने लिखा कि-
प्रीति प्रियतम से निभती है ।बढिया मार्मिक रचना की आपने ।आपको सादर नमन ।
श्री राजीव नामदेव जी राना लिधौरी जी ने भी प्रेम शब्द को परिभाषित करते हुये बहुत ही बढिया दोहे रचे ।आप लिख रहे कि -प्रेम हृदय प्रतिबिंब है ,मन के भाव जगाय ।
इक दूजे के साथ में ,हर्षित हृदय समाय ।
बहुत ही मजेदार दोहा है ।धन्यवाद ।
श्री एस.आर. सरल जी ने भी बढे ही मनभावन दोहे लिखे ।जिसमें आपने लिखा कि -कलियाँ रस की गागर भरे है ।और भौंरा उड़ उड़ कर रस पीकर रास रचा रहा है ।
आपने बसंत ऋतु के आगमन पर सभी रोचक दोहे लिखे ।धन्यवाद सहित बधाई ।
श्रीमती हंसा श्रीवास्तव जी ने भी बढिया सारगर्भित और मजेदार दोहे लिखे जिसमें आपने प्रेम की महिमा को भला बताया है ।धन्यवाद ।
प्रेक्षा श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही अनुपम ,मजेदार दोहे गढे ।जिनमें आपने राम के नाम से प्रेम करने की बात कही है ।जो प्रेरक भी है और नीतिपरक भी ।बधाई आपको अच्छा लिखा ।
परमलाल तिवारी जी खजुराहो अपने पाँच मौलिक दोहे लिखे ।जो सार्थक हैं ।आपने प्रेम को परिभाषित करते हुए सभी दोहे लिखे ।जो कसौटी पर पूर्णतः खरे है ।धन्यवाद ।
रामकुमार शुक्ल ने भी एक मात्र दोहा लिखा जो बढिया ,सार्थक है ।बधाई ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने भी बहुत ही मजेदार ,दमदार दोहे लिखे ।जो श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति का उदाहरण है ।एक बानगी देखें -
प्रेम पनपता है हृदय ,खिल उठता है माथ ।
पुलक हुलक प्रफुल्लता, रमत बदन के साथ ।।
अच्छा लिखा ढेर सारी शुभकामनाओं सहित बधाई ।
श्री राज गोस्वामी जी ने भी सुन्दर दोहे रचे ।आपको भी धन्यवाद सहित बधाई ।
मैने भी दिये गये विषयानुसार पाँच दोहे लिखे ,जो आप सभी की समीक्षा हेतु प्रेषित है ।
इस तरह से आज पटल पर 14 साहित्यकारों ने अपनी सहभागिता निभाई जो सभी बधाई के पात्र हैं ,सभी ने उम्दा लिखा ।इसी तरह से पटल पर हमेशा और भी आगे लिखते रहें ,जिससे हिन्दी भाषा समृद्ध होती रहे ।एक बार पुनः आप सभी को नमन ।
समीक्षक-सियाराम अहिरवार टीकमगढ़ ।🙏🙏🙏
####जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़######
159-समीक्षक डी.पी .शुक्ला 'सरस'
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
समीक्षा दिनांक 17 .02. 2021
सम्मानीय बौद्धिक कविवरन साहित्यकारन सभी से निवेदन है की मोबाइल खराबी के कारण कल समीक्षा न कर सका क्षमा प्रार्थी हूं सभी कविवरन साहित्यकार ने एक से एक बढ़कर उत्तम बुंदेली रचनाओं से भरपूर आनंद की अनुभूति की है बे सभी कविवर धन्यवाद और साधुवाद के पात्र हैं मैं सभी को नमन वंदन वंदन अभिनंदन करता हूं !
नंबर 1. श्री रामानंद पाठक जुने अपनी चौकड़िया के माध्यम से बसंत ऋतु का मनोहरी चित्रण किया है बुंदेली के वरद पुत्र को सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर दो. श्री राजीव राना नामदेव राना जुने अपने हाइकु में ऋतुराज बसंत को वर्णन करके कोयलिया की तानअमुआं बौर की जैसी मंँहक में मन के डोलत बताओ है भौतै भौत धन्यवाद बधाई!
नंबर 3. श्री परम लाल तिवारी जुने बुंदेली गजल के द्वारा जीवन को क्रियाकलाप में दुख दर्द परेशानी बहुत है प्रभु शरण में जात वह है सुख पावत है नोनी रचना हेतु धन्यवाद हार्दिक बधाई!
नंबर 4. श्री जय हिंद हिंद जय हिंद जुने बासंती रचना करी है बसंती धूम में पेड़न पर फूल फल से लदी डालिया झूल रही है किसान हरियाली देख पिर्सन्न हो रहा है दाऊ साहब उत्तम रचना हेतु बहुत-बहुत हार्दिक वंदन अभिनंदन बधाई !
नंबर 5 .श्री डॉक्टर रेनू श्रीवास्तव जी ने प्रेम लीला शीर्षक के माध्यम से नाच गाने मोडी़ मौड़न संग आनंद लेते दिखाने जी में लाज शर्म छोड़कर घूम रहे जियै नोनो नहीं मानो जा रव भिलस्याने जे मोड़ी मोड़ा जय गोरन को चला आजऊँ चला रहे नोंनी सीख गई है बहुत सादर बधाई !
नंबर6. श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जुने बुंदेली बोल के माध्यम से बसंत की क्यारियन में फूले टेसू से फूलन को देखकर ऐसा लग रहा है के जे बसंती आग लगा रहे हो सादर नमन बधाई बहुत ही उत्तम रचना हेतु सादर धन्यवाद!
नंबर 7 .श्री संजय श्रीवास्तव जी ने अपनी रचना जीवन की धुरी पैसा के माध्यम से बिना पैसा के कोनो काम नहीं होने बताओ है तौऊ मौंड़न कों साता नैंया कहां तक कमाए जान बहुत ही आफत में है नोनी चेतावनी सुंदर भाव श्री संजय जी साधुवा!
धन्यवाद नंबर 8 .श्री अशोक पटासारिया नादान जुने अपनी रचना के माध्यम से जा दुनिया कों माया की दीवानी बताओ है माया में फंसा जो प्राणी प्रभु का ध्यान धरे तो पार हुई है लूट के बाजार में रोउत दिखाओ जौ िजऊ कौनऊं न कौनऊं परेशानी में है थूंकन सतुआ सानत दिखा रहे उत्तम चेतावनी श्री नादान जी साधुवाद उत्तम रचना हेतु बधाई!
नंबर 9 .श्री राम जी ने बसंती बहार की छटा को बिखेर के उतई और उनको गुलजार सुना के सुगंध को विखेरौ है यह मानव मन उन्मुक्त पंछी की तरह उड़न चाहत है माया में उलझा जौ मन भौतै भौत नौनी रचना लिखने हेतु श्री रामजी बंदन अभिनंदन!
नंबर 10 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने अपनी रचना के माध्यम से बोली बानी मृदुल दूजन की बढ़ाई करत नई थक रय तुम काए नई मीठे बोलत मन को मेल दूर कर भीतर अंतर उर कें धोकें संतन संगति कर लो तभी जो भरमजार दूर हुई है उत्तम रचना हेतु साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 11. हन्सा श्रीवास्तव जी ने अपने शीर्षक जीवन अनमोल है मात पिता को सहारा देवे के बजाय अपनों सहारो चा रय जीवन को अच्छे कामन में लगाओ जो जीवन बहुत ही अनमोल है अच्छी चेतावनी दई है रचना उत्तम बहुत-बहुत धन्यवाद बधाई !
नंबर 12 श्री एस आर जू ने चौकड़िया के माध्यम से बदरंन जैसौ गर्रारव है जितै देखौ उतई ऊदम हो रव बसंती चोला फसलें पहने हैं और बदरा मडरारय लगत कै अब किसान के मन के खपरा उड़त दिखारए कालजई रचना हेतु साधुवाद धन्यवाद !
नंबर तेरा. श्री गुलाब सिंह यादव भाउ जू ने अपनी रचना दांव परे पा ना चूके कपटी शीर्षक से नीत न्याय से जो मानव नहीं चल रव मों दखी पंचायत कर रय मीठौ नहीं बोलत घी में शक्कर शान के मीठौ बोले तभी जा जिंदगी चले नौनी चेतावनी दी बहुत बहुत बधाई धन्यवाद!
14- श्री सियाराम अहिरवार जब ने बसंत उत्सव में पेड़ पर हरयाई छाउत बताई है सरसों फली पीरी दिखान लगी हैं महक दिलन में बासंती की धूम मचा रही कलियन भौरा मडरा रेय लाल टिशू की चुनरिया सी उड़ी दिखा रही आगव रितु राजा बसंत को पिर्कृति सिंगार एवं मनोहारी चित्रण करके मन प्रसन्न कर दव है भौतै भौत वंदन अभिनंदन!
-डी. पी. शुक्ल,, सरस,,टीकमगढ़
###जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़######
160---समीक्षक- श्री कल्याण दास जी साहू पोषक,
श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 18.2.2021 दिन गुरुवार को ' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत " पद्य लेखन ( केवल हिन्दी में ) की संक्षिप्त समीक्षा :---
बासन्ती बेला में पटल के सभी आदरणीय काव्य-मनीषियों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है ।
सभी महानुभाव बेहतरीन लेखन करते हुए साहित्य का भण्डार भर रहे हैं । सभी को बहुत-बहुत साधुवाद ।
आज सर्वप्रथम खजुराहो से श्री परमलाल तिवारी जी ने माँ की चरण वन्दना करते हुए श्रेष्ठ रचना रची ---
" माँ के चरणों की छाँहों में बसते चारों धाम हैं ।
उन पावन चरणों में मेरा बारंबार प्रणाम है ।।
आदरणीया हंसा श्रीवास्तव जी ने गाँव की पावनता , सहजता का स्मरण करते हुए बेहतरीन रचना रची है ---
" कहां खो गई गांव की मोहकता , सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू ,अपनापन आत्मीयता "
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी ने हायकू विधा में ऋतुराज बसंत का सुंदर चित्रण किया है ---
" आया बसंत , सुरभित पवन ,
मन मगन "
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने कलम की ताकत का बखान भावप्रधान गजल के माध्यम से किया ---
" पिघल जाते हैं पत्थर दिल भी मेरे अशआर के आगे "
डाॅ. सुशील शर्मा जी ने पुण्य सलिला मां नर्मदे की बेहतरीन शब्दों में स्तुति की है ---
" धन्य धारा मां नर्मदे जगत का कल्याण है "
श्री किशन तिवारी जी ने विरह जन्य गजल के माध्यम से जिन्दगी के अकेलेपन का उल्लेख किया है
" किस तरह तुम बिन जियूँ , इस जिंदगी का क्या करूं "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने प्रेयसी को याद कर-कर के बेचैन होकर बेहतरीन रचना का सृजन कर रहे हैं ---
" मेरे दिल को चैन नहीं है याद तुम्हारी आती है "
दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय समाज की कामना कर रहे हैं ---
" ऐसी यहां समाज बना दो बांटे केवल प्यार "
श्री प्रदीप खरे जी बुंदेली में उम्दा मुक्तक प्रस्तुत कर रहे हैं ---
" भैया शक को कछु इलाज होय तो करायें "
श्री वीरेंद्र चंसोरिया जी ने नववर्ष के आगमन का सुंदर चित्रण किया है ---
" किरण नयी , भोर नयी , सूर्य नया है "
डाॅ. रेनू श्रीवास्तव जी ने रोटी की महिमा का वर्णन करते हुए बेहतरीन कलम चलाई है ---
" रोटी तो होती है रोटी "
श्री एस आर सरल जी बेहतरीन दार्शनिक रचना के द्वारा स्वयं को पहचानने का प्रयत्न कर रहे हैं ---
" प्रश्न मेरे सामने .... आखिर में कौन कार हूँ "
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदू जी ने बेटी की महिमा का वर्णन बेहतरीन शब्दावली के द्वारा किया है ---
"अवी है लाड़ली गुड़िया लगे सुंदर सुमन जैसी "
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने कोरोना काल में बाल पीड़ा का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है ---
" कोरोना का काल था काला ,
दुनिया भर में पडा़ था ताला "
आदरणीया मीनू गुप्ता जी ने भारत मां के अमर शहीदों को नमन करती रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी ---
" उस पत्नी के जज्बे को सलाम जिसके हाथों की मेहंदी भी ना सूखी होगी "
बहती गंगा में हाथ धोते हुए मैंने भी देश भक्ति परक मुक्तक की प्रस्तुति दी ---
" वीर जवानों का अभिनंदन करते सादर श्रद्धा से "
इस प्रकार से पटल पर सभी काव्य मनीषियों ने बहुत ही उत्कृष्ट रचनाएं प्रस्तुत की हैं सभी का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा कार्य को विराम देता हूं, त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
###जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़######
161-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा जिला टीकमगढ़#
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक 22.02.21#बिषय.. कलेवा
#बुन्देली दोहे#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा जिला टीकमगढ़#
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पैंलाँ सुमरों शारदा, लेंव गनेश मनाव।
सभी देवं रक्षा करें,बैठ हृदय में आंय।।
सब कवियन सें विनय मैं,आज करूँ कर जोर।
करूं समीक्षा आज की,सुमरों नंदकिशोर।।
#आल्हा#
आल्हा की धुन करूं समीक्षा,आता है सबखों आनंद।
नमन करों में आज सबयी खों,बाद लिखूं कविता के छंद।।
आज कलेवा बिषय धरो है,बुन्देली जिसकी पहचान।
जो जो गल्तीं ऊ में होवें,उनपै ना दैयौ तुम ध्यान।।
इतै की बातें इतयी छोड़दो,अब आगे कौ सुनौ हवाल।
सबनें दोहे नोनै डारै,अपने बना बना कें जाल।।
मानस पटल घुमाकें सबनेदोहन खूब बनाई शान।
राखी आन पटल पै डारे,गाओ बना बना कें तान।।
दोहा...बन्न बन्न दोहे डरे,करो अकल कौ काम।
करी कल्पना सबयी ने,बना ताम अरु झाम।।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान.....
सबसें पैलां दोहा डारे,हैं पंडित जी बड़े महान।
कयी प्रयोग दोहन में कर दय,खुश हो हो डारे नादान।।
लिखो व्याव कौ कुँवर कलेऊ,दूला जाकें तुरत मनाव।
देदौ नेंग कुवर सें कै दो,जल्दी बनरा भोजन पाव।।
चौथे दोहा रामकलेवा,जनकपुरी कौ करो बखान।
अंतिम दोहा में मंदिर के,राजभोग पै धरो ध्यान।।
भाषा भाषी हैं बुन्देली,दोहन में गुरयाई डार।
नमन लेखनी और कवि खों,दोहन में डारो है भार।।
#2#पं.श्री परम लाल तिवारी जी.......
बेर और मौवन कौ पैलां,करो कलेवा भरकें चैन।
धन कौ होत धिगानौ ऐसौ,बनत कलेवा देखत नैन।।
करियौ खूब कलेवा हनकें,डटकें करियौ अपनौ काम।
मां सम उपकारी कोउ नैंयाँ,मां से बड़ौ ना कोऊ नाम।।
भाषा बनौ प्रभाव अनौखौ,चोखे दोहे गड़ दय खूब।
पंडित जी कौ पूजन करकें,चढ़ा प्रसाद फूल और दूब।।
#3#बहिन हंसा श्रीवास्तव जी.....
कलेवा सें संतोष मिलत है,मन भी तनक भटक ना पाय।
भोजन कौ सरताज कलेवा,करकें योग कलेवा भाय।।
बूढ़े बारे करें कलेवा,मन में चिन्ता नहीं समाय।
नमन बहिन है सदा आपको,पचरंगी दोहे लहराय।।
#4#श्री रामानंद पाठक जी नंद..
भुंसारें हम करें कलेऊ,भोजन है जीवन कौ धाम।
मर्द कलेवा बैल रतेवा,ना दो तौ बिगरें सब काम।
धनियां देर कलेवा भैजै,समय कलेऊ होबै काम।
चटनी रोटी भले मिले पर,छप्पन भोजन बनै मुकाम।।
भाषा जोरदार पाठक की,नमन करें हम मुस्की मार।
चिकनी भाषा जोरदार है,जैसें लिख दयी खूब समार।।
#5#जयहिन्द सिंह जयहिन्द.....
उठत भुंसरां करो कलेबा, दूध महेरौ अधिक सुहाय।
मुरका बिरचुन चना फुलाकें,रोज कलेवा में मिल जांय।।
मौवा बेर और सतुवा संग,मिल जाबै मीठी रसखीर।
जुनयी समा मिल जायें तो फिर,
हरते सब गरीब की पीर।।
भाषा आप जानियों बिगरी,लैयो भैया सबयी समार।
करियौ माफ भूल हौ जाबे,जौ है सबयी जनन पै भार।।
#6#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी......
दूला ब्याव कलेवा चरचा,कुंवर कलेऊ करबें राम।
रुच रुच गारीं नारीं गाबें,भैया सुनो जनकपुर धाम।
आज नाश्ता कैकैं हमने,बदले अपने सबयी बिचार।
पैंलाँ फुरका बासी रोटी,मीड़ महेरी ऊमें डार।।
रोटी मठा उर नमक मिर्च सें,पैलाँ करो कलेवा यार।
सब किसान हारै जाबे खों,ऐसे होत हते तैयार।।
भाषा भौत गजब की डारी,भाऊ आपखों करें जुहार।
नमन करें भाऊ भैया खों,नतमस्तक हो बारंबार।।
#7#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी.......
राम कलेवा गम्मत लिखकें,पृथा लिखी ओरछा धाम।
दूला नेंग लिखो दोहन में,मंडप और बराती नाम।।
करो कलेवा ठांस ठाँस कें,पर बेकार ना फेको जाय।
इन्दु के दोहन में दैखौ ,चमत्कार उजयारौ पाय।।
भाषा के पंडित गुप्ता जी,नमन करें तुमखों दोई जोर।
मोपै सदा बनाये रैयो,भैया सदा कृपा की ओर।।
#8#श्री राजीव नामदेव राना जी-
मठा महेरी करौ कलेवा,रोटी डुबरी खूब सुहाय।
कुँवर कलेवा कौ बरनन कर,दोहा डारे सबखों भाय।
भाषा बनी सुहानी सारी,सुन्दरता ना बर्ती जाय।
आभिनंदन बंदन है भैया,राना जी खों दो पौंचाय।।
#9#डा.रेणु श्रीवास्तव जी.....
कलेवा करें निरोगी काया,कुँवर कलेवा करो बखान।
बहिन डा. रेनू डारी,अपने दो दोहन में जान।
भाषा प्रखर पृवल फहराई,मँजी बुन्देली खूब सुहाय।
बंदन करूँ आपकौ बहिना,भैये करियौ बहुत सहाय।।
#10#श्री संजय श्रीवास्तव जी....
दोहा चार पटल पै डारै,जिनकी कही ना जाबै शान।
करत कलेवा याद सुहाई,सजनी गयी मायके मान।।
लड़ुवा खुरमा और ठडूला,बरनन करो कलेवा जान।
श्रीवास्तव के जादू कौ,चारौ दोहा करें बखान।।
भाषा बनी सुहानी सुन्दर,बन्न बन्न के भर दय भाव।
भैया बंदन अभिनंदन है,दोहा शानदार सो गाव।।
#11#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी........
पैलां करो कलेवा खूंबयीं,अब नाश्ता से समय कटाँय।
घी में रोटी बोर बोर कें,गुर के संग कलेवा खांय।।
अब तौ बिस्कुट चाय कलेवा,दूद दही पैंला भव खूब।सेहत भौत पुरानी भायी,अब सेहत सबरी गयी डूब।।
मास कलेवा की निंदा कर दोहे डारे पूरे पाँच।
भाषा सोने सी निखरी है,जीखों कभौं ना आवै आँच।।
#12#श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी.....
दोहन कौ बनवाव तिरंगा,मानस पटल रहे फहराय।
मठा लुचयी सें करो कलेबा, बासी रोटी खूब सुहाँय।।
कुंवर कलेवा की चरचा में,रुपया मांगें मागें कार।
दोहा हैं टकसाल आपके,नमन करत हैं बारंबार।।
#13#श्री एस.आर.सरल जी.....
घरवारी किसान की बातें,बांध कलेवा करौ बिचार।
बिछा स्वापी चटनी रोटी,दोई जनन नें खाँयी चार।।
बिगरी साल की चरचा करकें,बैठ कलेबा के दरम्यान।और कुवा कौ बरनन करकें,बना दयी दोहन की शान।।
भाषा चमत्कार है ऐसौ,जैसें बिजली चमकत होय।
भैया राम राम अब पोचै,जीसें मन कौ आपा खोय।।
14- श्री सियाराम जी अहिरवार ....
उठत कलेवा करवे बारे,अपनें घर ना बैद बुलाँय।
पैलाँ गुर और भात खात तेपूरे दिन जीसें कड़ जाँय।।
दूला खों फटफटिया चानें,नेग कलेवा अड़ गव यार।
करौ कलेवा और ब्यारी,सोबे खों हो गव तैयार।।
भाषा भौत भाई है भैया,भाषा कौ भा गव श्रंगार।
नमन आपखों सरजी कर रय,बेर बेर है तुमें जुहार।।
#15#श्री राज गोस्वामी जी.....
रूखौ सूखौ होय कलेवा,खाबे खों भगवान पुजाय।
ईसुर की किरपा है ऐसी,सबयी कलेवा मोंखों भाय।।
बदल बदल कें करें कलेवा,आय तुमारी तब तो याद।
भाषा नौनी लगै आपकी,नमन करें करकें फरियाद।।
उपसंहार.....और अगर छूट गया हो कोऊ,माफ करें सब चतुर सुजान।
अपनौ जान मोय समझाकें,आगे खों करवैयौ भान।।
समीक्षक.....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
##################################162-आज की समीक्षा विषय-असीम है ।
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
दिन-मंगलवार दिनांक 23/02/2021
आज का विषय रोचक न होने के कारण बहुत ही कम लोगों ने पटल पर अपने दोहे डाले ।परन्तु जिन साहित्यकारों ने इस पर लिखा उन्होंने अपने ज्ञान से इस शब्द को परिभाषित करते हुए ,बहुत ही मजेदार ,रोचक और सारगर्भित दोहे लिखे ।सभी को बधाई एवं सादर नमन ।
आज पटल पर शुरुआत करते हुए ,आदरणीय रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु झाँसी वालों ने बहुत ही सुन्दर और मार्मिक दोहे लिखे ।आपने लिखा कि -
भर असीम सम्भावना, विधि ने रचा शरीर ।
कोई सुख को भोगता ,कोई भोगे पीर।।
यथार्थ चिंतन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ ने भी बढिया दोहे लिखे ।जिसमें आपने ईश्वर की
भक्ति भावना को असीम बताया ।
अच्छा लिखा ।
हंसा श्रीवास्तव जी ने भी बहुत ही सुन्दर दोहे रचे ।जो आध्यात्मिक होने के साथ साथ ज्ञान वर्धक भी हैं ।आपने लिखा कि -
असीम निश्चल मन रखो ,मन में रखो न बैर ।
राममयी संसार है ,समझो काहे गैर ।।
सुन्दर अभिव्यक्ति ।बधाई ।
आदरणीय डी. पी. शुक्ल ,सरस, जी ने भी सार्थक और शानदार दोहे लिखे जिसमें आपने लिखा कि मन में भक्ति भाव होना चाहिए जिससे मन विचलित नहीं होता है ।साथ ही लिखा कि माता पिता की सेवा करें ,जिससे सदा आशीष पायें ।
बढिया नीतिपरक बात कहीं ।सादर धन्यवाद आपको ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने भी बहुत ही सार्थक और नीतिपरक दोहे लिखे ।जिसमें आपने बहुत ही सही बात लिखी कि -
दिल प्रेम असीम हो ,हँसमुख सरल स्वभाव ।
वे नरनारी श्रेष्ठ हैं ,रखते मन सद्भाव ।
सभी दोहे ज्ञान वर्धक हैं ।धन्यवाद
डाक्टर रेणु श्रीवास्तव ने भी अपने सभी दोहों में अलग अलग विषय समाहित करते हुए बहुत ही सुन्दर दोहे रचे ।जो श्रेष्ठ चिंन्तन की ओर इंगित करते हैं ।
आपके दोहे की बानगी देखिये कितनी मनमोहक रचना है ।
मौसम छटा असीम है ,करलो अपने साज ।
प्रकृति हुई सुहावनी ,आये हैं ऋतुराज ।।
अच्छा लिखा बधाई ।
श्री सुरेन्द्र शुक्ला जी ने भी अपने दोहो की फोटो कापी डाली ,।जिन्हें पढने में असुविधा हो रही है ।पर आपने जो भी लिखा होगा अच्छा ही लिखा होगा ।धन्यवाद
आदरणीय रामानन्द जी पाठक नंद ने तो अनुप्रास रस की छटा ही बिखेर दी ।बहुत ही सुन्दर और रोचक दोहे लिखे ।बधाई सहित धन्यवाद ।
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी ने अपने एक मात्र दोहा से गागर में सागर भर दिया ।जो बहुत ही सार्थक और यथार्थ है ।
आपने लिखा कि -
जिसकी सीमा न रहे ,कहते उसे असीम ।
अच्छा लिखा ।बहुत बहुत बधाई ।मैंनें भी अपने दोहों के माध्यम से लिखा कि -
दर्शन पाकर आपके ,खुशियां मिली असीम ।
सदा साथ देते रहो ,हँस बोलो जय भीम ।।
इस तरह से सभी ने एक से बढकर एक दोहे लिखे ।सभी को बधाई सहित ढेर सारी शुभकामनाएं ।
आज पटल पर आदरणीय जयहिन्द सिंह जू ने ,पटसारिया जी ने और एस.आर. सरल जी ने सभी साहित्यकारों की हौसलाअफजाई की उन सब को भी सादर अभिवादन ।
समीक्षक-सियाराम अहिरवार टीकमगढ़ ।🙏🙏🙏
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163--आज की समीक्षा* *दिन- बुधवार*
*दिनांक 24-2-2021*बिषय- *स्वतंत्र बुंदेली लेखन*
आज पटल पै *बुंदेली* में स्वतंत्र लेखन* कार्यशाला हती,आज पटल पै बन्न बन्न की रचनाएं पढ़वे खा़ मिली। रचनध में नौने भाव भरे पढ़ कै मन खुश हो गव।सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी* उप्र.ने बसंत आगमन पै नौनी कविता रची-
आऐ,दिन बसंत के प्यारे/रंग ललित लंए न्यारे//
बहे बसंती हवा चहूँ दिशि, जो बैराग्य बिगारे//
क्यारिन-क्यारिन विरवा साजे, पत्र फूल फल धारे//
तोता मैना प्रेम पगावें, कोयल कूके हारे//
*श्री अशोक पटसारिया नादान लिधौरा* जू ने भौय नोनो व्यंग्य लिखौ बधाई-
लोभी कपटी लालची,जे धरतीं के भार।
ना खाबे ना खान दें,करें ना लोकाचार।।
जो अनीत कौ धन हरे,हो घमंड में चूर।
देखे ना अच्छो बुरौ,इनसें रइये दूर।।
*श्री परम लाल तिवारी जू ,खजुराहो* से भौत नोनी सला दे रय कै हमें भुंसरा सें सबसें पैला राम कौ नाव लेन चाहिए उमदा
भज लो राम नाम भुन्सारे। ऐई भव से तारे।।
झूठे सब दुनियां के नाते, रइयो ऐई सहारे।
*श्री एस आर सरल जू टीकमगढ़* ने कुण्डलियां में बसंत को नोनौ चित्रण करौ-
छाय बसंती रंग है, कलियन चढै खुमार।
आव भँवर रस रस पिऔ,देव खुमार उतार।।
देव खुमार उतार,सुनौ मस्तानै भौरे।
करौ कली रस पान, बाग हैं लम्बे चौरे।।
*श्री डी. पी. शुक्ल 'सरस' जू* लिखत है-
पैरें साजे पै कोउ नईं है पूँछत!
वार फैलाँय फिरत गली में कोई नहीं है ऊँछत!!
*श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा* से अबध की नोनी बधाई लिख रय-
किन्नर और गंधर्व सुर,करकें चले बिचार।
आज बधाई हम करें,राजमहल के द्वार।।
*श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जू लखौरा टीकमगढ़* से चौकडिया में लिखत है कै-
-हम है बुदेलखंड पानी के बुन्देली बानी के।
आला ऊदल ई धरती के,भये न कोऊ सानी के।।
*डॉ रेणु जी श्रीवास्तव भोपाल* से कोरोनावायरस पे लिखत है कै-
ई कोरोना ने खा लये प्रान लंगुरिया
भज्जा खों राखी कैसे बांध पाने
मोरे सुसुर ने कई साता राखो
बहु तुम ना बायरें जाओ लंगुरिया।
*श्री रामानन्द पाठक नन्द जू , नैगुवां* बुन्देली चौकडिया लिख रय-
राम लला हैं सबके दाता,जो जन उनको धाता।
प्रभू कृपा बरसती सब पर, फिर भी बिरला पाता ।।
*हंसा जी श्रीवास्तव ,भोपाल* से कोरोना मेः मजदूरों की दशा को देखकर लिखत है-
जो मजदूर कामगार ,युगन से दुनियां को आधार ,
मेहनत को वीर सिपाही ,देतो कुदरत रुप निखार।।
*-श्री कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर* जिला-निवाडी़,मधुमास को उमदा वरनन कर रय-
तन-मन छायौ हरष-हुलास ।
दस्तक दैन लगौ मधुमास ।।
अमराई पै लदगय बौर ।
घुरी समीरन मस्त सुबास ।।
*श्री सियाराम अहिरवार जू ,टीकमगढ़* से लिखत है-
कलियन पै मडरा रये ,भौंरा कर गुंजार ।
अब फूलों से सज रये ,घर आँगन उर द्वार ।।
घर आँगन उर द्वार ,सजी मधुवन की गलियाँ ।
खिले चमन में फूल ,लटक रई सुन्दर फलियां ।
*राजीव नामदेव "राना लिधौरी"*टीकमगढ़* ने दो बुंदेली हाइकु लिखे-
नौनी बुंदेली/हिंदी की है सहेली,)है अलबेली।।
शान है प्यारी/बुंदेलखंड की है/छटा निराली।।
श्री प्रदीप खरे 'मंजुल' जू टीकमगढ़ ने भौत नोनो व्यंग्य पै करो हैै-
बढ़वाई खौं मरे जात, बढ़े कभंऊ बनै नईयां।
बढ़े रबै जब रूख, दैय छोटन खौं छंईयां।
नौने रय नजरन में सबकी, खुद हुईए बढ़बाई।
नीकी कर नैकें चलियौ मंजुल, जग परहै नित पईयां।।
सबइ ने भौतइ नोने लिखौ । हम भौत आभारी हैं। ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*समीक्षक-* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
एडमिन -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र)* मोबाइल- 9893520965
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164---- श्री गणेशाय नमः --- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 25.2. 2021 दिन गुरुवार को 'जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिंदी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :---
आज साहित्य समूह पटल के आदरणीय सभी काव्य मनीषियों को सादर नमन करते हुए सभी का बारम्बार स्वागत वंदन अभिनंदन करते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है । सभी महानुभाव बेहतरीन कलम चला रहे हैं ।
आज सर्वप्रथम आदरणीय कवि महाशय ' राम ' जी भाव प्रधान गजल के माध्यम से चोटिल हृदय को दिलासा दे रहे हैं :---
" दर्द हो या हो खुशी सब मुस्कुरा कर रख लिया "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी लिख रहे हैं , संघर्ष से ही जीवन निखरता है :---
" दुश्वारियां ना हो तो जिंदगी का क्या वजूद "
श्री गुरु नागेंद्र मिश्रा मणि जी राजनेताओं का चिट्ठा खोल रहे हैं :---
" राजनीति में हो रहे मूरख भी सरदार "
चन्देरा से श्री राम कुमार शुक्ला जी लिख रहे हैं कि मनुष्य को समय के अनुसार ढलना चाहिए :---
" वक्त की नब्ज को जिसने पकड़ना सीख लिया "
आदरणीय कविता नेमा जी ने सांसारिक उत्पीड़न पर कलम चलाई है :---
" बहुत जुल्म ढाये हैं जालिम दुनिया ने "
श्री एस आर सरल जी बसंत की बिखर रही छटा को लेखनी से रंग रहे हैं :---
" फूले तरु पलाश के, बासंती के अंग ।
मुस्की दे कलियां खिली , भरे बसंती रंग ।।
खजुराहो से श्री परम लाल तिवारी जी हाइकू विधा में लिखने का प्रयास कर रहे हैं :---
" महंगाई की मार, झेल रहे हम आप, सरकार चुपचाप "
पलेरा से दाऊ श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी राम जन्म के बाद अवध के माहौल का सुंदर चित्रण कर रहे हैं :---
" अवध में दिन रात का अब पता चलता नहीं "
भोपाल से श्री किशन तिवारी जी मौसम के परिवर्तन की बात कर रहे हैं :---
" हमारे गांव गलियों से अभी चलकर गया मौसम "
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी गजल के माध्यम से दरियादिली बता रहे हैं :---
" हम तो सहते हैं ज़माने के सितम हंस हंस कर "
डॉक्टर सुशील शर्मा जी कुंडलिया के माध्यम से बहुत सुंदर लिख रहे हैं :---
" कहता सत्य सुशील, भरोसे का वो प्राणी ।
करे नहीं मन घात, भले कटु उसकी वाणी ।।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी शिक्षाप्रद गजल के माध्यम से बहुत सुंदर परामर्श दे रहे हैं :---
" जमाना गर बदलता है , तरीके भी बदल देना ।
समझदारी इसी में है, समय के साथ चल देना ।।
श्री कृष्ण कुमार पाठक जी भारत रत्न अटल जी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं :--
" कीचड़ में खिलता हुआ , जैसे कोई कमल ।
राजनीति की कीच में , वैसइ खिले अटल ।।
आदरणीया डॉ रेनू श्रीवास्तव जी हायकू विधा में अपनी अभिव्यक्ति दे रही हैं :---
" शरबत पियो, ठंडक भी आएगी, सुख से जियो "
दतिया से श्री राज गोस्वामी जी चांद की महिमा बता रहे हैं :---
" बच्चों का मामा हूं चंद्रलोक वास "
श्री डीपी शुक्ला सरस जी मन के उदगार व्यक्त कर रहे हैं :---
" मन के मोती पिरो कर लाया हूं सपनों का हार "
श्री वीरेंद्र चंसोरिया जी रचना के माध्यम से भगवान को खोज रहे हैं :---
" मुझे तेरी शरण रहकर यह जीवन बिताना है "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ हाइकु विधा पर अभिव्यक्ति दे रहे हैं :---
"राम है नाम, भजना जरूरी है,सुबह शाम"
श्री रामानंद पाठक नंद जी वसंत ऋतु पर अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दे रहे हैं :---
" अमन मौर सुगंध बिखेरे, आमन कोयल बोले "
श्री सियाराम अहिरवार जी कोरोना काल से निर्मित परिस्थितियों पर कलम चला रहे हैं :---
" बदलती हुई दुनिया में सब के सब अजनबी से हो गए हैं "
आदरणीया डॉ अनीता अमिताभ गोस्वामी जी दार्शनिक अंदाज में जीवन की पेचींदगी को व्यक्त कर रही हैं :---
" जीवन है चक्रव्यूह का घेरा "
श्री प्रदीप खरे 'मंजुल' जी ने बढ़िया रचना लिखी-
"विधाता खौं विरह में नहीं, याद कर लो खुशियों में।
मंदिर मस्जिद में मत खोजो, मिल जायेगा दुखियों में।
खोजनें से कब किसे, भगवान मिला है दुनिया में।
भावना मन में बसा लो, लो भर प्रेम नीर अंखियों में।"
इस तरह से आज पटल पर सभी आदरणीय काव्य-मनीषियों ने बेहतरीन लेखन किया है, सभी को बहुत-बहुत साधुवाद और अपेक्षा करते हैं इसी तरह से हिंदी साहित्य का भंडार भरते रहें ।
अंत में सभी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा को विराम देता हूं भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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165-#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक 01.03.2021
#बुन्दैली दोहे##बिषय...कलदार#
सबसें पैलाँमाँ भारती कौ वंदन करत भय सब जनन खों हात जोर राम रामं बाचने आपर आज कौ बिषय भौत साजौ हतो।आज भौत जनन ने कलदार बिषय पै अपने अपने दोहे डारेसबने अपने अपने हिसाब सें दोहन की पालकी पै कलदार की बरात काड़ी अपने तरह सें कलदार खां दूला सौ सजा कें काड़ौ।एक सें एक बराती आय अलग 2बतकाय भय खूब राछबधाव भव खूब रँग बरसाकें कलदार की कलदार सें टींका करकें बिदा करी गयी।
अब मैं समीक्षा की ताँय जाबे कै लानै सबसें अनुमति चाऊत।
#1#
#1#सबसें पैंला श्री प्रदीप खरे जू नेअपने दोहे पटल पै फैलाय।पैले दो दोहन में खरे जू ने दोहा की रचना कौ ध्यान ना दै पाय। बाँकी दोहन कौ भाव पक्ष और कला पक्ष अच्छौ लगो।कलदार होय जो गाँठ में.....दोहा भौत साजौ लगो।
आपकौ बेर बेर अभिनंदन।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जूनेअपने दो दोहन मेंस्वास्थ्य पै उजयरौ करौ। बाँकी सब दोहन में सबयी आयाम पै बतयाव करो गवतौ।आपके अंतिम दोहाने सबखों चेतना और आध्यात्म कौ पाठ पढाकें झकझोर कें धर दव। अंतिम दोहा ने झक्कघ सी खोल दयी ।आपखों नमस्कार कयी बार।
#3#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी ने अर्थ तंत्र पै सबरे दोहा घुमा घुमा डारे।कला पक्ष भाव पक्ष मजबूत रव।जेब भरी कलदार सें..........सबसें साजौ लगो।
आपखों बेर बेर नमन
#4#श्री रामानंद पाठक जू नंद नेसमाज में कलदार के भाँत भाँत के पाँत जैसे पकवान परसे।सब दोहा समाज और अर्थ तंत्र के बीच रय।कलदार जी की गाँठ में.......भौत बाँकौ दोहा।आपखों बेर बेर नमन।
#5#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जू.नेअपने दोहा समाज और अर्थ तंत्र के बीच सँवारे।कलापक्ष भावपक्ष मजबूत हैं।सिक्का सें बन जात हैं........ंसबसें साजौ
दोहा है।आपकौ बेर बेर अभिनंदन।
#6#बहिन जू हंसा श्रीवास्तव ने कलदार के लाने सामाजिक अर्थप्रचलन पै जोर मारो।तीसरौ दोहा मात्रा दोष लँय बैठौ सो शुद्ध करबौ अच्छौ लगै।भाव प्रधानता दोहन में गानौ बन कें उभरो।
बैन के चरण बंदन।
#7#श्री रामगोपाल रैकवार जूनेपैलौ दोहा सेहत पै डारौ,बाँकी दो दोहाअर्थतंत्र के बरनन करके सें कडे।अंतिम दोहा भौतयी नौनौ लगो।आपखों बेर बेर
नमन।
#8#पं. परम लाल जू तिवारी जू ने कलदार के दोहन मेंकयी तरा के रूप दिखाये।आपके सबयी दोहन कौ भाव समाज और बित्त पै आधारित लगो। सबयी दोहा नौनै सजा बजा कें बनाय गये।
आपकौ भाव भौत नौनौ लगो।
आपकौ वंदन अभिनंदन।
#9#डा. राज गोस्वामी जू नेअपने दोहा भाव प्रधान राखेऔर बित्त पै चित्त चलाकें गढे गय।कला पक्ष कौ खूब सिंगार भव।आपकी रचना कलदार पै धार धरत चली।आपखौं बारंबार बहार भरी नमस्कार।
#10#डा.रेणु श्रीवास्तव बहिन जी की बिशेषता है कि आ चारों और नजर रखकर रचना करतीं हैं आपने चार दोहन सें चार तरह के संदेश दय।आपकी जदुयी कला साहित्य का शीसा बनाने में निपुण है।आपके चरण बंदन।
#11#श्री एस.आर.सरल जू नेचार दोहा आधुनिक परिवेश के डारे।एक दोहा में पुरानी झाँकी दिखा दयी।दोहन कौ भाव और कला शिल्प दोई जोरदार आप मजेदार रचना शखनदार।आपकौ अभिनंदन।
#12#श्री संजय श्रीवास्तव जू नेपंचरंगी रँग बरसाये,कलदार कौ पंचमुखी बरनन करकेंअपने भाव खों कला पक्ष की ओर मोड़ दव कै आनंद वर्षा हो उठी ।आपकौ बेर 2अभिनंदन।
#13##श्री अरविन्द श्रीवास्तव जू ने तिरंगा फैराकें तीन रूपन कौ कलदार के बिषय में बरनन कर डारो।आपकी कलदार त्रिवेनी कौ भावपक्ष कलापक्ष शानदार दमदार बजनदार।आपका वंदन ।
#14##जयहिन्द सिंह जयहिन्द ने अपने दोहन खोंंपुरातन कलदार सें जोर कैं देखौऔर उनके अभाव कौ बरनन करो।मोरौ प्रयास अनुप्राश अलंकार ताँईंजादा रव।बाँकी आप सब जनें जानौ।
#15#श्री कल्याण दास साहू पोषकजू नेपंचरतन कलदार न कौ बरनन करो गव।कलदार खों खेंच के उनके अभावन की याद ताजी करी गयी।आपकौ भावपक्ष मजबूत रव।कलाशिल्प जानदार।
आपखों बेर 2 बधाई।
#16#श्री सियाराम अहिरवार सर ने सोंने के कलदार ौ,कलदार की महिमा, कलदारन कौ गानें में प्रयोग करकें बताव।आप अपने कला पक्ष में सफल होकें भाव भरत रये।आपकौ बंदन अभिनंदन।
#17#श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू नेएक रँगी रगाई कलदारन की
एक रंगी चमकदार चुनरी चमकाई।ंआपकौ बारंबार नमन।
उपसंहार....
अब आठ बजे से जादा कौ समय हो गव।जिनकी रचना धोखे से छूट गयी हो तो अपना जानते हुये क्षमा कर दें।
भवदीय समीक्षाकार....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ
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166-जय बुन्देली साहित्य समूह, टीकमगढ़
हिन्दी में दोहा लेखन,विषय-विज्ञान
दिनाँक02/03/2021दिन -मंगलवार
आज का विषय रोचक होने के कारण पटल के सभी सहभागियों ने बढ़चड़ कर हिस्सा लिया ।और सभी ने विषय पर केन्द्रित बहुत ही सुन्दर ,सारगर्भित दोहे लिखे ।जो प्रशंसनीय हैं ।
सभी रचनाकारों को ढेर सारी शुभकामनाएं सहित साधुवाद ।
आज पटल पर शुरुआत करते परम आदरणीय अशोक पटसारिया जी नादान ने अपनी जानीमानी शैली में बहुत ही सुन्दर पाँच दोहे रचे ,जो सार्थक और ज्ञान परक हैं ।आपने दो मसलों को अभिव्यक्त करते हुए लिखा है कि एक ज्ञान है और दूसरा विज्ञान।एक आन्तरिक खोज है तो दूजा अनुसंधान ।
जो चकाचौंध दिख रही है ,वह सब अनुसंधान है । बढिया भाव हैं आपके ।बधाई सहित धन्यवाद ।
आदरणीय श्री जयहिन्द सिंह जी जयहिन्द अपनी भावपूर्ण शैली में लिख रहे हैं कि -
ज्ञान और विज्ञान की, है जीवन में होड़ ।
ज्ञान सदा विज्ञान से ,देता सब कुछ मोड़ ।
बहुत ही शानदार दोहा लिखा ।नमन आपको ।
हंसा श्रीवास्तव ने भी बहुत ही रोचक और भावपूर्ण दोहे लिखे ।
आपके सभी मौलिक दोहे हैं ।जिनमें आपने विज्ञान को चमत्कार माना है ।बढिया दोहे हैं बधाई ।
श्री एस.आर. सरल जी ने तो अपनी कलम के चमत्कार से एक से बढकर एक दोहा रच डाले ।जो बहुत ही सारगर्भित हैं ।आपने ज्ञान और विज्ञान को विकास के पंख बताया है ।जिनके बिना जीवन ढपोल शंख है ।यथार्थ बात
कह दी ।भावपक्ष और कलापक्ष श्रेष्ठ है ।धन्यवाद
श्री रामानन्द जी पाठक ने भी अपनी आध्यात्मिक भाव पूर्ण शैली में दोहे लिखे ।जिसमेंभाव तो अच्छे हैं पर कुछ दोहों में मात्रा दोष है जिन्हें सुधारा जा सकता है । धन्यवाद
गुरु नागेन्द्र मिश्र मणि ने भी विषय से परे एक दोहा पटल पर भेजा जो नीतिपरक है ।धन्यवाद
श्री प्रदीप खरे जी ने भी अपने पाँच मौलिक दोहे रचे ।जिसमें आपने विज्ञान की रचना खोज को नुकशान देय निरूपित किया है ।अपनी अपनी स्वतंत्र रचना धर्मिता है ।अच्छा लिखा धन्यवाद ।गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने बहुत ही उम्दा दोहे लिखे ।जिसमें आपने गूढ़ रहस्य को उजागर करते हुये लिखा कि पुष्पक विमान को देखकर बना है वायुयान ।धन्यवाद आपके शोधपूर्ण लेखन के लिए ।
डाक्टर रेणु श्रीवास्तव जी ने अपने दोहों में बताया कि विज्ञान से होता सदा जीवन का हर ज्ञान ।इसलिए विज्ञान का शिक्षक आडम्बरों को छोड़कर नये प्रयोग कराता है ।बहुत ही नीतिपरक और बढिया बात लिखी ।बधाई ।
श्री राजीव नामदेव जी राना लिधौरी ने भी बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण दोहे लिखे ।जिसमें आपने विज्ञान को वरदान बताया है ।साथ ही चेताया भी है कि आविष्कार की होड़ में इंसान तबाह हो रहा है ।बहुत सही बात लिखी ।धन्यवाद
श्री डी.पी. शुक्ला जी ने भी अपने मौलिक दोहे लिखे जो अच्छे हैं ,पर अर्थ निकालना पाठक के लिये टेढी खीर जान पढ रहे हैं ।
कोई बात नहीं पटल पर सब पढे लिखे रचनाकार हैं वे अर्थ समझ ही जायेंगे ।धन्यवाद
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने तो आज कमाल ही कर दिया सभी दोहे सार्थक और सारगर्भित लिख डाले जो भावपूर्ण और रोचक भी हैं ।आप लिख रहे कि प्रथम नाम ईश्वर है और दूजा है विज्ञान ।यही दोनों श्रेष्ठ शक्तियाँ हैं ।कौशलपूर्ण लेखन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने भी बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे लिखे ।जिसमें आपने लिखा कि उपयोग की चीजों की भौतिक विधि विज्ञान है ।बढिया लिखा ।बधाई ।
श्री रामकुमार शुक्ल जी ने भी अपने दो दोहे पटल पर डाले जो बहुत ही सार्थक और भावपूर्ण हैं ।धन्यवाद शुक्ल जी ।
आदरणीय रामगोपाल रैकवार जी ने भी अपने एक मात्र दोहे से गागर में सागर भर दिया ।बधाई
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी ने भी बहुत ही शानदार दोहे लिखे। जिसमें ज्ञान और विज्ञान की महिमा को अपरम्पार बताया गया है ।बहुत ही नीतिपरक बात लिखी ।धन्यवाद आपको ।
अन्त में मैने भी विषयानुसार कुछ दोहे लिखे जो आप सब की समीक्षा के लिए पटल पर प्रेषित हैं ।
इस प्रकार से आज की समीक्षा यहीं समाप्त हुई ।अगर किसी का भूलवश नाम छूट गया हो तो क्षमा चाहूँगा ।आज समीक्षा व्यस्तता के कारण देर से प्रेषित कर पा रहा हूँ ।जागते रहो ।धन्यवाद
समीक्षक--सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़ । 🙏🙏🙏
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167-कल्याण दास साहू पोषक, पृथ्वीपुर
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 4.3.2021 दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिंदी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :---
परम आदरणीय सभी काव्य मनीषियों को सादर नमन करते हुए मां शारदे के श्री चरणों में सादर नमन करते हुए टूटे-फूटे शब्दों में समीक्षा लिखने का प्रयास कर रहा हूं ।
आज सर्वप्रथम नवागुन्तक कवि श्री सरस कुमार जी ने बेहतरीन कविता से धमाकेदार शुरुआत की
" ये जीवन रंगबिरंगा है , फूलों की भाँति हंसता है, कांटों के जैसे चुभता है "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने रचना क्रम को आगे बढा़ते हुए आध्यात्मिकता की ओर मोड़ते हुए बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है :---
" उसे खोजना है तो अंदर खोजो भाई "
श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने रचना के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखलाई है :---
" राम नाम का प्याला पीना, जिसने सीख लिया, दुनिया में उसने जीना सीख लिया"
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने राजनेताओं की कार्यशैली पर कलम चलाई है :---
" तुमको बहुत बोलना आता, मुझको चुप ही रहना भाता"
श्री किशन तिवारी जी ने दार्शनिकता दर्शाती रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी है:---
" हमारी जिंदगी की दास्तां उलझी हुई है कहीं "
श्री एस आर सरल जी ने हायकू विधा में लिखने का प्रयास किया है, आप लिख रहे हैं :---
" नेता जी बातें , लम्बी-चौंडी़ हाँकें , बनायें उल्लू "
बड़ागांव झांसी से श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी बेहतरीन रचना लिख रहे हैं :---
" कोशिशें ही निखार लाती हैं , जिंदगी में बहार लाती हैं "
डॉक्टर सुशील शर्मा जी ईश्वर की सर्व व्यापकता की बहुत ही सुंदर झांकी प्रस्तुत कर रहे हैं :---
" बस तू ही तू "
आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी दार्शनिक अंदाज़ बयाँ करती रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दे रहे हैं :---
" जीवन की सांझ आ गई है , अफसोस ! जैसा चाहा वैसा कर नहीं पाया "
रीवा से श्री गुरु नागेंद्र मिश्र मणि जी बेहतरीन दोहा लिख रहे हैं :---
" महंगाई के नाम पर , सरकारें सब मौन "
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी श्रृंगार परक गजल की बेहतरीन प्रस्तुति दे रहे हैं :---
" जब हंसी होठों पर आई होगी , अदा वो दिल में समाई होगी "
आदरणीय श्री जयहिन्द सिंह जय हिंद जी साकेत का संकेत बहुत ही सुंदर शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं :---
" साकेत स्वर्ग सरयू सरस , दर्श जीव जो पाय "
डॉ रेनू श्रीवास्तव जी विवेक पर अपनी लेखनी चला रही हैं :---
" मैं विवेक हूं , सबको हाल सुनाता हूं "
श्री डी पी शुक्ल सरस जी दो आंसू शीर्षक से बेहतरीन रचना लिख रहे हैं :---
" वह आंसू देकर हमरे दिल को झकझोर गए हैं "
श्री सिया राम अहिरवार जी हाइकू विधा के द्वारा बसंत ऋतु का सुंदर चित्रण कर रहे हैं :---
" आया बसंत , खुशबू बिखेरता ,गली गली में "
विशेष उपस्थिति के रूप में आदरणीय श्री अखिलेश दादू भाई जी का भी पटल पर बहुत-बहुत स्वागत है ।
इस तरह से आज सभी काव्य मनीषियों ने बहुत ही सुंदर लेखनी के द्वारा पटल को गरिमा प्रदान की है , सभी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा कार्य को विराम देता हूं , भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी
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168-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा
#सोमवारी समीक्षा#बिषय/पावनै#दिनाँक 08.03.21
दोहे बुन्देली समीक्षक# #जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
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आज सबसें पैंला माँसरस्वती जी कौ बन्दन फिर सबखों दोई हात जोर कें राम राम।आजकौ बिषय
पावनै बुन्देली में दोहा डारबे खौं दव गव।सब कविगणन नेअपने अपने दिमाग सेंभौतयी नौनै दोहे रचे,भाँत भाँत के गुल खिलाय।
सबकौ दोहा सृजन भौतयीं नौनौ लगो।अब मैं आप सब जनन की इजाजत लैकैं समीक्षा के ताँय बढ रव।तौ लो अब मैं अलग अलग मानस पुत्रन की लेखनी के गुनगान करबे की शुरूवात करत फिर सें सबखों राम राम।
#1#श्री राम कुमार शुक्ला राम...चंदेरा
शबरी के पावनें राम,पावनन खों षठरस भोजनन की तैयारी, पावनन कौ दिली सम्मान, समधी पावनें खोंउरानों,पावनन के पीवे की मस्ती,आपके दोहन में बरनन करी गयी।भाषा जोरदार रसदार भावभरी, मिली।आपखों बेर बेर नमस्कार।
#2#श्री सरस कुमार जी...दोह,बल्देवगढ़
आपने अपने दोहन मेंपावनें पै सारी कौ दबाव,सास ससुर सारे सारी कौ बर्ताव,पावनन की दिनन के हिसाब सें रुकबे की गत,पावनन कौ सम्मान, राम सीता कौ जनकपुर में पावनों बनबे कौबरनन करो गव।आपकी भाषा भावभरी लसदार लयदार मीठी लगी।आपखों बेर बेर नमस्कार।
#3#जयहिन्द सिंह जयहिन्द....पलेरा
अपने दोहन में मैनै पावनन खों भार न मानबे की,पावने आबे की खुशी,ौबातन कौ पावनन सें आदान प्रदान,ंपावनन के सामने हाजिरी,पावनन के लाने बिंजनन कौ बरननंकरो गव।ौभाषा शैली की लोच आप सब जनें जान सकत।मोरी तरफ सें सबखों नमस्कार।
#4#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी......लखोरा
आपने दोहा नं.1मेंसबरौ चमत्कार भर दव।पर दोहा दूसरे से पाँचवें तक दीर्घ मात्रा से अंत करकें सबरे भा्न खों छैंकौ सौ फार दव।
दोहा कौ अंत दीर्घ मात्रा सें करे सें दोहा फिऋ दोहा जैसौ लगत नैंयाँ।भाऊ की महानता इतनी है कि बे ऊखों सुधार करबे में कभौं चूकत नैयाँ।भाऊ की भाषा मैं चमत्कार है।दोहे का नग नग सुन्दर है पर एक मात्रा ने अंत बिगाड़ा है।भाऊ को बेर बेर अभिनंदन।
#5#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू..लिधौरा
आपके दोहन मेंपावनन कौ स्वागत,ंसारी सराजन की पावनन की पूंछतांछ,नंहोरा खाबे की चर्चा,होरी की हुरदंग की यादें,
फाग खेलकें भोजनन कौ बरनन,
करकें आपने कयी रँगन की बौछार करी।भाषा भाव लय् मात्रा भार मिठासंंअनुपात मिठाई में मेवन की तरह मिला दव गव।आपकौ बेर बेर बंदन।
#6##श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी.... टीकमगढ़
आपने अपने दो टकसाली दोहन मेंंपावनन के जादा दिन रुकबे पै गत ,पावनन की आशीस सें कल्याण होबै कौ सटीक बरनन करो गव।भाषा भाव प्रकाश खूब सर्राटेदारौ है।आपखों बेर बेर नमन।
#7#ंडा.रेणु श्रीवास्तव जी...... भोपाल
आपने अपने दोहन तिरंगा फैरा दव।पावनन खों ईसुर मानौ,कौरौना काल में चर्चा के पावनेौ,ननद पावनी कौ बरनन करो गव।भाव रस लय तालौ गति मात्रा सबखों समारकें मिठास भरी।ंबहिन जी कौ बेर बेर चरण बन्दन।
#8#श्री राज गोस्वामी जी..... दतिया
आपने अपने दोहन मेंघरू पावने,घरकी लाज बचाबे बारे होत।कजीके घर में4पावने रोज आँय उनपै अन्नपूर्णा की कृपा होत।मतलवी पावनें,नौनै पावनें,टिकबे बारे पावनन कौ बखूबी बरनन करो गव।भाषा प्रवाह,भाव रचना,मिठास सुन्दरता भरकें दोहा डारे गय।आपखों बेर बेर नमन।
#9#श्री एस.आर. सरल जी.... टीकमगढ़
आपके दोहन में पावनन की दमदम,नेवते की छूट,पावनन सें सास की बिनती,बाई सें पावनन कौ जबाब,मोड़ी की बिदा कौ बखूबी बरनन करो गव।रचना लय तालभाव मिठास ठसाठस भरो सरल जी ने।आपकी लेखनी और आपखों बैर बेर नमन।
#10#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी...... बड़ागांव
आपकी दोई टकसाली मोहरन मेंपावनन की देव तुलना,जादा रुकबे पै कदर की गिरावट,पावनन कौ शुभ आगमन कल्याण कारी बताव गव।आपकी भाषा जोरदार माधुरी लय तारीफे काबिल है।आपखों बेर बेर नमन।
#11#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी...... पृथ्वीपुर
आपके दोहन मेंचड़ते रिश्तेदारनखों देवतन घाँईंपूजन,उतरते रिश्तेदार खास होत,पैसा वारे पावनन कौ चाय नाश्ता,हितैसी पावने,लग्ग तग्ग के पावने,पीवे वारे पावनन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा मजेदार हास्य पुट बारी मधुर प्रवाही होत ।आपखों बेर बेर नमस्कार।
#12#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी........ टीकमगढ़
संशोधन के बादसुधार के दोहा डारे,पर मात्रा दोष फिर भी हल्कौ बनो रव।खैर कोऊ बात नैंयाँ सुधार कें भौत अच्छौ भाव भरो।भैया के सरहनीय प्रयास खों नमन।
#13#श्री संजय श्रीवास्तव जी...मवई (दिल्ली)
आपने अपनी दो सोने सी टकसाली मुहरन में,एक में आध्यात्म, कौ दरशन दूसरे में गाँव के पावनन कौ सत्कार बरनन करो।भाव रस व्यंजनामिठास सें भर दव।भैया जी खों नमन।
#14#श्री रामानन्द पाठक जी....नैगुवा
आपने अपने दोहन में पावने के आगमन खों घर की शान बतायी।पावनन सें हालचाल पूंछबौ,देहाती पावनन कौ सत्कार, पावनन कौ भोजन,भाँत भाँत के बिंजनन कौ पावनन की परस कौ अद्भुत बरनन करो।भाषा प्रवाह शीतल,मिठासभरौ,भाषा लयतान भरी।आदरनीय पाठक जी खों सादर नमन।
#15#श्री अरविन्द कुमार श्रीवास्तव जी... भोपाल
आपने दोहन में पावने की परिभाषा, पावने के आबे पै हर्ष,हर आदमी खों पावनौ मानो गव।आपने तीन रंग भरे तीन दोहा डारे।भाषा सटीक मधुर है आपखों बेर बेर सादर धन्यवाद।
#16#श्री सियाराम अहिरवार जी... टीकमगढ़
आपने दोहन में बिटिया देखबे बारेपावने,पावनन कौ भोजन,स्वागत में ढोल बजना,बसंत खों पावनौ मानो गव।आज कल के पावने जो रुकत नैंयाँ, कौ भौत साजौ बरनन करो।भाषा मधुर सटीकभावभरी है।आपकौ भौत भौत अभिनंदन।
#17#श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी..... टीकमगढ़
आपने भी तिरंगा फहराव, पैसा सें आबे बारे पावने,सीधे पावने,पावने भगावे कौ तरीकाकौ बरनन करो।भाषा मंगलमयी,मधुर भावभरी है।आपखों सादर नमन।
#18#श्री राम गोपाल रैकवार जी...... टीकमगढ़
आपने तीन रंग पेश करे।पवित्र पावनें, ौनातेदारन के घर कौ,अड़कें रैजाबे बारे पावनन कौ,ौबखूबी बरनन करो।आप भाषा के बादशाह, मिठास भाव,खूब भरो गव।ौआपकौ बेर बेर बंदन।
अब आठ सें जादा कौ समय हो गव।अगर कोऊ धोके सें छूट गव होय तौ अपनो जान कें क्षमा करें।
आपकौ अपनौ,
जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
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169-समीक्षक -सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
जय बुन्देली साहित्य समूह 🌺 टीकमगढ़🌺
🏕️आज की समीक्षा 🏕️हिन्दी में दोहा लेखन
👸🏻विषय-महिला /नारी👸🏻
दिन -मंगलवार दिनाँक09/03/2021🌹
आज पटल पर बहुत ही सुन्दर विषय दिया गया था ।जिस पर सभी ने बहुत ही शानदार और जानदार दोहे लिखे ।मैं सभी को ताहे दिल से शुक्रिया निवेदित करता हूँ।
साथियो जहाँ नारियों का मान ,सम्मान और सत्कार होता है ,वहाँ जन्नत होती है ।क्योंकि नर यदि कुल का दीपक है तो नारी उस कुल की ज्योति होती है ।जो काँटों में खिलकर ,धरा की सृजन बनकर गुलाब की तरह खुशबू बिखेरती है ।क्योंकि वह प्रकृति की सुन्दर सौगात है ।और वही जीवन का श्रृंगार है ।
इसीलिए मैने नारी की महिमा पर कविता लिखी थी कि -
नारी तेरे रूप अनेकों
सबमें रूप ममत्व का
तेरे हर किरदार में देवी
भाव भरा अपनत्व का ।
आज भी हमेशा की तरह आदरणीय अशोक पटसारिया नादान जी ने अपने मजेदार सुन्दर दोहों से पटल पर शुरूआत की ।
आपने नारी शब्द को अलंकृत करते हुये लिखा कि -
कोमल सुन्दर मखमली ,आभामय लावण्य ।
दिव्य भव्य आलोकमय ,इनसे सुखद न अन्य ।।
आपके दोहो में अमिधा ,व्यंजना, लक्षणा तीनों शब्द शक्तियों का प्रयोग हुआ है ।आपकी लेखनी के लिये बहुत बहुत बधाई ।
श्री राजीव नामदेव जी राना लिधौरी ने भी बहुत ही प्रेरक और भावपूर्ण दोहे लिखे ।जिसमें आपने महिला के अनेक रूप बताते हुए लिखा कि हमें सभी का मान करना चाहिए ।साथ हीउसके सम्मान का ध्यान रखना चाहिए ।तभी हम महान बन सकते हैं ।आपके दोनों दोहे रोचक और सारगर्भित हैं ।भावपक्ष और कलापक्ष दोनों श्रेष्ठ हैं ।बधाई सहित धन्यवाद ।
श्री सरस कुमार जी दोह खरगापुर
ने भी बहुत ही श्रृंगारित शैली में रोचक दोहे रचे ।जिसमें आपने लिखा कि जिस नारी को देवों ने पूजा और सारे जग ने सम्मान दिया है ।उस नारी की रक्षा हित यदि हम कुरबान भी हो जायें ,तो कोई बात नहीं ।साथ ही आपने लिखा कि -
जननी जीवन दायनी ,नारी से संसार ।
नारी से अनुराग है ,नारी से परिवार ।।
बढिया लिखा ।धन्यवाद ।
मैंने भी अपने पाँच दोहे विषयानुसार पटल पर डाले ।जिसमें लिखा की महिला के हर रूप में सर्वश्रेष्ठ माता का रूप है ।
श्री एस.आर. सरल जी ने भी बहुत ही सार्थक और शानदार दोहे लिखे ।जिसमें आपका चौथे नम्बर का दोहा बहुत ही रोचक ,अलंकारित और श्रृंगारित दोहा है ।
पूनम निशा सुहावनी ,छिटके गगन मयंक।
गृह शशि महिला की झलक ,ज्यों मयंक निष्कलंक ।।
भाव भाषा सुन्दर है ।आपको बहुत बहुत बधाई ।
श्री गुलाब सिंह जी यादव भाऊ ने भी बढिया दोहे लिखे ।जिसमें आपने सुन्दर शब्दावली का प्रयोग करते हुए लिखा कि -
नारी से पैदा हुये ,बडे़ बडे़ जे भूप ।शिष्टी करता नार है ,ईश्वर का है रूप ।।
अच्छा लिखा बधाई सहित धन्यवाद ।
आदरणीय जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने भी बहुत ही रोचक शानदार दोहे लिखे ।आपने लिखा कि-
महिला ना हो महल भी ,लगै भूत दरवार ।
जिनके बिन परिवार भी ,हो जाबै लाचार ।
बहुत ही सारगर्भित दोहा है ।बहुत बहुत वंदन ,अभिनन्दन आपका ।
श्री प्रदीप खरे जी मंजुल ने अपने दो दोहे पटल पर भेजे जो दोनों ही भावपूर्ण और सार्थक दोहे हैं ।आपने बहुत सही बात लिखी कि महिला से ही होत है पुरुषों की पहचान ।।
यथार्थ लेखन के लिये साधुवाद ।
डाक्टर सुशील शर्मा जी ने लिखा कि -
पिया संग अनुगामिनी, ले हाथों में हाथ ।
सात जनम की ले कसम ,सदा निभाती साथ ।।
बहुत ही मार्मिक चित्रण किया ।बहुत बहुत बधाई शर्मा जी ।
श्री राज गोस्वामी जी ने भी अपने पाँच मौलिक दोहे पटल पर डाले ।जिसमें आपने नारी को जग की पूज्या बताया है ।
सभी दोहों के भाव सुन्दर हैं ।धन्यवाद।
डाक्टर रेणु श्रीवास्तव जी ने भी महिला की महिमा का बखान करते हुए बहुत ही उम्दा दोहे लिखे ।जिसमें आपने लिखा कि -
महिला की महिमा सुनो ,महिला बहुत महान ।
महिला के बिन कुछ नहीं ,जानत सकल जहान ।।
बढिया लिखा ।धन्यवाद ।
आदरणीय रामगोपाल रैकवार जी ने भी महिला शब्द के तीनों वर्णों को परिभाषित करते हुए बेहतरीन दोहा लिखा ।जिसमें आपने म से महानता ,हि से हित औरला से लाज बताया है ।
बहुत ही श्रेष्ठ दोहा है ।बधाई आपको ।
हंसा श्रीवास्तव जी ने भी अपने स्वरचित ,दोहो के माध्यम से नारी को कुदरत की अनुपम देन बताया है ।जो जग की उद्धारक भी है ।
बहुत अच्छा लिखा ।शुभकामनाओं सहित बधाई ।
श्री कल्याण दास साहू जी पोषक आजकल बहुत ही सार्थक ,सारगर्भित और मजेदार लेखन कर रहे हैं ।इनकी लेखनी को बहुत बहुत बधाई ।आप जो भी लिखते है भाव परक होता है ।जैसे कि आपने लिखा कि -
जननी माँ के रूप में ,महिला बहुत महान ।
असहनीय दुख झेलकर ,बिखराती मुस्कान ।।
यथार्थ बात लिख दी ।बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री रामकुमार शुक्ल जी ने भी बढिया दोहे लिखे ।जिनके माध्यम से आपने लिखा कि जहाँ महिला निवास करती है ,वहाँ ममता और प्रेम उडे़लती है ।
सही बात है ।बधाई आपको ।
श्री रामानन्द पाठक जी ने भी बहुत ही सुन्दर सारगर्भित और रोचक दोहे लिखे ।जिसमें आपने महिला के उत्थान की बात कही है ,जो सही भी है ।धन्यवाद पाठक जी ।
इस तरह से आप सभी की महिला विषय पर विशेष प्रस्तुति रही ।एक बार पुनः आप सभी को नमन ।यदि किसी का भूलवश नाम झूठ गया हो तो क्षमा चाहूँगा ।हौसलाअफजाई के लिए श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी को बधाई एवं धन्यवाद ।
समीक्षक -सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
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170समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*
170-आज की समीक्षा** *दिनांक -11-3-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय हिंदी- शिवरात्रि विशेष
सर्वप्रथम आप सभी को महाशिवरात्रि पर्व की अनंत शुभकामनायें।
आज पटल पर हिंदी में *महाशिवरात्रि* केन्द्रित रचनाएं पोस्ट करनी थी सभी साथियों ने भोलेनाथ पर बेहतरीन रचनाएं लिखी है आनंद आ गया। को बधाई।
आज सबसे पहले *1-श्री राज गोस्वामी दतिया* ने भोलेनाथ के रुप का बहुत बढ़िया वर्णन किया है-
शंभू भोला नाथ हमारे संग नादिया वारे ।
डूडा वाहन करत सवारी साप गरे मे डारे ।।
*2-सरस कुमार जी, दोह, खरगापुर* लिखते हैं कि शिवशंकर दीन-हीन के रक्षक है-
हे शिव शंकर, हे कैलाशी
तुम दीन - हीन के रक्षक
सृष्टि की क्रिया प्रतिक्रियाके तुम संचालक
तुम गहरे दुख को हरते।।
*3-पूजा शर्मा, गाडरवाड़ा* से महाकाल पर बहुत सुंदर रचना लिखा शब्दों का चयन बधाई के काबिल है-
मैं क्षणिक निरंतर शून्य,
समस्त अंतरिक्ष का मंच हूँ।
कर्ता और अकर्ता मैं,
नारायण और विरंच हूँ।।
*4*हंसा श्रीवास्तव जी भोपाल* से शिव विवाह पर बहुत उमदा गारी लिखी है-
हिमांचल के द्वौरे आई बारात
आ गये बरतिया खावै जैवनार।
भूत प्रेत जैवन खों आऐं,
नर मुडौंसे खुद खों सजाऐं,
उनमें नहिऐं कोनऊ एकई नार ।
*5-श्री अशोक पटसारिया नादान लिधौरा* ने शंकर जी के श्रृंगार पर शानदार रचना लिखी है-
नागों के हार गले,भूतों के भूतनाथ।
श्मशान में भी जो,भस्मी रमाता है।।
डमरू त्रिशूलपाणी,चन्द्रमौलि मुण्डमाल।
भागीरथी गंगा ,जटा में समाता है।।
*6-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा* ने बढ़िया हाइकु रचे है बधाई-
1-शिव विवाह/आज हरे मंडव /गारी जेगाह
2सुनो बहिना/धाम शिव चलना/जय कहना।
*7-जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा* से भजन में कहते है-
प्रथम गणेश मनाऊं,माँ गौरी को ध्याऊं।
बम बम लहरी तेरी भँगिया घुटाँऊं।।
कार्तिकेय संग श्री गणेश ने,पाया प्यार तुम्हारा।
नन्दीबनी सवारी तेरी,शिर गंगा की धारा।।
यश में तेरा गाँऊं,मैं ध्यान लगाऊं।
बम बम लहरी........
*8 श्री अभिनन्दन जी गोइल इंदौर* से शिव तत्व को नमन् कर रहे है-
नमन करूँ उस तत्व को,जो है शांति स्वरूप।
नमस्कार उस तेज को,जो सुखमय चिद्रूप।।
बोध प्राप्त उसका हुआ, टूट गई सब भ्रांति।
जैसे टूटा स्वप्न हो, उदित हुई नव क्रांति।।
*9- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* टीकमगढ़ ने शिवजी पर केंद्रित तीन हाइकु लिखे-
शिव शंकर/जय हो भोलेनाथ/ सदा हो साथ ।।
हे नीलकंठ/ऊं बम बम बोले /जोर से बोलें ।।
महामंत्र है/ओम नमः शिवाय/कष्ट मिटाय ।।
*10- सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़* ने महादेव महिमा लिखी-
महादेव ,महादेव ,महादेव/देवों के देव महादेव ।
मैं नाम उच्चारण करूं महादेव/भक्त उपासक बनूँ महादेव
*11-डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवारा* से शिव संकल्प लिख रहे हैं-
शुभ विचार एकाग्रता ,हो कल्याण प्रकल्प।
अहंकार का नाश ही होता शिव संकल्प। ।
मृत्यु में जीवन निहित जीवन से उत्कर्ष।
अधिष्ठात्र शिव देव हैं शिव संकल्प प्रकर्ष।
*12-किशन तिवारी भोपाल* ने अपनी ग़ज़ल में शानदार शेर कहे है बधाई
आज के दौर में जिसकी नहीं ख़ता कोई
रोज़ आँखों में उसकी ख़ौफ़ झलकता कोई
लोग चुपचाप हैं सन्नाटा शहर में क्यूं है ।
और ये मज़हबी बारूद उगलता कोई ।।
*13-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु बडागांव झांसी* भोले बाबा के रंग पर लिखा है-.
आज रंग में भोले बाबा/सती संग में भोले बाबा//
खांय धतूरा चिलम लगाये, मस्त भंग में भोले बाबा/
बिच्छू और ततइयां भारी, संग भुजंग में भोले बाबा/
*14-राम कुमार शुक्ल जी चंदेरा* से लिख रहे है-
फाल्गुन के इस मास में,फूल खिले बहु रंग ।
शिव प्रसाद के असर से, मन मोरौ चितभंग।।
*15-डी.पी. शुक्ला ,,सरस, टीकमगढ़* ने भी अच्छी कविता रची-
काल के कपाल पर, कैलाश अमरनाथ बिराजे!
केदारनाथ पशुपतिनाथ, श्वेत वस्त्र साजे !!
*16-वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़* ने छोटी रचना लिखी लेकिन गागर में सागर है-
जय हो प्रभु तुम्हारी , हे नाथ जय तुम्हारी
मेरी जिन्दगी तुम्हारी, सारी जिन्दगी तुम्हारी
चाहे इसे बना दो ,चाहे इसे मिटा दो
चाहे इसे उठा दो, चाहे इसे गिरा दो
*17- प्रदीप खरे 'मंजुल' जी* ने बहुत बढ़िया और भावपूर्ण रचना लिखी है बधाई
मां ने जीवित किया देवों को, शिव से ब्याह रचाया।
मां ने रूप लिया सति का, शिव जी से वर पाये।
अपना नेत्र दिया माई नें, शिव त्रिनेत्र हैं पाये।
शिव बिन शक्ति, शक्ति बिन शिव, कभी होंयै न पूरे।
शिव शक्ति की पूजा सें, रहें न काज अधूरे।
*18-शील चन्द्र जैन, ललितपुर (उ0प्र0)* सुंदर भावभरे है-
सारे जग की पीर हरो , त्रिशूलपाणि त्रिपुरारी !
माँ गंगा सा पावन कर दो निर्मलगंगा सिरधारी !।
कुछ साथियों ने पटल पर मना करने के वावजूद भी पटल पर फोटो पोस्ट की है तो वहीं कुछ अतिउत्साही साथियों ने दो -दो रचनाएं पोस्ट करके क्या साबित करना चाहते है समज में नहीं आता पटल के सभी साथियों में इतनी क्षमता है कि वे एक दिन में किसी भी बिषय पर 10-10 रचनाएं लिख सकते है फिर भी सभी साथी नियमों का पालन करते आ रहे लेकिन बहुत दुःख होता है कि कुछ साथी नियमों का पालन नहीं करते है मुझे बार बार लिखने में शर्म आती है लेकिन.....नियम तोड़ने वालों पर मुझे बहुत क्रोध आता।
हम पुनः सभी साथियों ने अनुरोध करते हैं कि पटल पर कोई भी फोटो पोस्ट न करे केवल एक बार में ही एक रचना पोस्ट करें।
आज वाकई सभी ने शिवजी पर एक से बढ़कर एक रचनाएं पोस्ट की भोलेनाथ की कृपा उनपर सदा बनी रहे यही कामना करते हैं।
*जय भोलेनाथ जय कुण्डेश्वर महाराज*
*समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*
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171-#सोमवारी समीक्षा##दिनाँक 15.03.21#
#बुन्दैली दोहे#बिषय/पनिहारी#
#समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह#
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आज की समीक्षा लिखबै सें सबसें पैला माँ सरस्वती जी के चरणन में नमनफिर आप सबयी पटल के विद्वानन खों दोई हात जोर कें राम राम। आज कौ बिषय पनिहारी आज के दोहन कौ बिषय हतो,आप सब जनन नें
एक सें बढकें एक दोहा डारे अपनी अपनी कलम की कला कौ कमाल आपकौ देखबे मिलो।पनिहारी बिषय कौ खूब मंथन कर डारो भौत सामग्री नयी हमें देखबे मिली।आज पनिहारी खों अलग अलग दृष्टिकोण से पेश करो गव।अब हम आज की समीक्षा पेश करबे की आप सबसें अनुमति चाहत।मैं सबके दोहन खों पढकें अपनी बुद्धि अनुसार अपने बिचार रख रय।अगर कौनौं भूल होय तौ अपनौ जान कें छमा करियौ।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द...
मैने अपने दोहन मेंपनिहारी की पांव की धूर सें गांव का पवित्र होंना,पानी सें पनिहारी की प्रीति,
पनिहारी की सतियों से उपमा,पन
घट पानी से दोस्ती, भवानी सें उपमा कौ बरनन करो गव।पैलौ दोहा खुद खों साजौ लगो।भाषा आप जनें जानों।
#2#श्री अशोक पटसारिया नादान जी....
आपने अपने दोहन मेंपनिहारियां और पनघट अनैक पर पानी एक,पानी को बृम्ह मानना, पनिहारी का घडे लेकर चलना,दूर सै पानी लाना,पनघटों का समाप्त होंना,आदि कौ सुन्दर बरनन करो गव।भाषा प्रवाह मधुरता लिये कमल का है।आपको बेर बेर नमन।
#3#श्री सरस कुमार जी...
पनिहारी का पानी लाना,पारिवारि
क संबंधों के साथ पानी भरना,पनिहारी की सजावट, किराये की पनिहारी कौ अपने 4दोहन में सरस बरनन करो गव।
आपकौ तीसरौ दोहा भौत साजौ लगो।आपकी भाषा मधुर है।आपखों धन्यवाद।
#4#श्री सियाराम अहिरवार सर जी.....।
आपने पनिहारी की मटकन,घाट तक जाना,मैर का पानी भरना,
पनिहारी की पीर,पनिहारी पर लोगों की मुस्कराहट कौ बखूबी बरनन करो गव। आपकी भाषा मजेदार, रसीली भाव भरी है।
आपकौ चौथा दोहा भौत अच्छौ लगो।आपको बेर बेर नमन।
#5#डा.रेनु श्रीवास्तव जी...
बहिन ने अपने दोहों में तिरंगा लहराकर ,खेप शिर पर धरना,पनिहारी का बर्तमान में सिर्फ चित्र शेष रहना,पनिहारियन
की आपसी मौज कौ बरनन करो गव।आपके सभी दोहे कमाल के हैं।भाषा खूब जादू भरी है,आपका चरण बंदन।
#6#श्री राम कुमार शुक्ला राम जी.....
आपने अपने एकल दोहे में पनिहारियन की खेप भर कर राह में बतयाने का अच्छा सटीक बरनन करो है।दोहा भावभरा रसदार है।आपका बंदन।
#7#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी.....
आपके सिर्फ दो दोहे पटल खों भेंटं करे जिनमें सूने पनघट उनकी जर्जरताएवम् पनिहारी की पीर का भाव भरा बरनन करो है।आपके दोई दोहे टंच हैं आपको बारंबार नमस्कार।
#8#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी.....
आपने पनिहारी के घूँघट,पनिहारी की छैलन की छलक,लाला की खेप उतारने को एवम् लाला द्वारा नेंग माँगनाभौजाई द्वारा नेंग की पूंछतांछ कौ सुन्दर बरनन करो गव।आपकौ चौथौ दोहा भौत साजौ लगो।भाषा भाव रचनात्मक आपकौ बंदन अभिनंदन।
#9#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी......
आपने अपने दो टंच दोहन में पनिहारी की कमर लचकन,पानी
की छलकन,नैनन के तीर मारबै कौ भावपूर्वक बरनन करो गव।आपके दोई दोहे अच्छे लगे।भाषा रसदार ।आपखों नमन।
#10#श्री रायगोपाल रैकवार जी....
आपके एकल टंच दोहे में पनिहारी कौ आध्यात्मिक सरूप दिखाव गव।आपके भाव गूढ़ भाषा अनूठी होती है।आपकी
भाषा रचना मजेदार है।आपकौ हार्दिक अभिनंदन।
#11#श्री लखन छतरपुर....
आपने दो लायनें डारीं पनिहारी बच्चे खों कैंयाँ लैकें जा रयी।पर जौ छंद दोहा न होंके स्वतंत्र छन्द है।आपको नमस्कार।
#12#बहिन हंसा श्रीवास्तव जी.....
आपने अपने दोहा में हात पकर केंसखी के साथ चलना,सतियो का मिलन।घर के काम काज,आदि कौ बखूबी हाव भाव भरो बरनन करो गव।आपके सबयी दोहा नौने लगे।बहिन जी का चरन वंदन।
#13#श्री सियाराम सर जी...आपकौ संशोधित दोहा ठीक लगो।धन्यवाद।
#14#श्री प्रदीप खरे जी....।
आपने अपने दोहन में पनिहारी कौ सिंगार ,कान्हा कौ उत्पात,पनिहारी देख कें छाती हूकना ,लाली और कजरा की दमकन,पनिहारिन देखकें मन की
अधीरता कौ बरनन ठीक करो गव।भाषा भाव जोरदार।आपखों बेर बेर नमस्कार।
#15#श्री अरविन्द कुमार श्रीवास्तव जी.....
आपने अपने तीन रंगों में बहू बेटियों के माधुर्य,को पनिहारिन माना।नल कूप से कुयें और पनिहारियों का समाप्त होंना
और तीसरे दोहे मैं आध्यात्मिकता से जोड़के पनिहारिन खोंआत्मा
और पनघट खों संसार मानौ गव।
भाषा भाव की जादूगरी प्रशंसा योग्य है।भाषा भाव उत्तमहै।आपकौ बेर बेर नमन।
#16#डा.सुशील शर्मा जी...
आपने भी तीन रँग पेश करे।पनिहारी के नखृरे,जमघट शोर,
चितवन कौ बरनन भाव पूरन करो गव।तीसरे रंग में आध्यात्म भर कें पेश करो गव।तन पनिहारिन जीवन गगरी मानी गई।
भाषा भाव सुन्दर,सभी दोहे उत्तम।आपको नमन।
#17#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी....
आपने अपने दोहन में पनिहारी का संकोच हिम्मत,पनिहारी की हाँपन,लोगों कौ खुश होबो,कमर की लचकन छिनमिनैयाँ चाल,कौ बखूबी बरनन करो गव।भाषा भाव देखतन बनत है।आपको बेर बेर नमन।
#18#पं. श्री डी.पी. शुक्ला सरस जी........
आपने अपने दोहन में पनिहारी की गैल,खेप कौ धरबौ,कूनयी डोर के साथ पानी भरना,कुये का बरनन ,राह में बातें करने का अच्छौ बरनन करो गव।भाषा सरल सरष मिठास भरी है।आपके बेर बेर चरण बंदन।
#19#श्री संजय श्रीवास्तव जी.....
आपने अपने दोहन में पनिहारियन खों यात्री पनघट खों सराँयंमानकें घट भरबे कौ बरननं,
प्यास और भूँख मिटाना,ंआपसी बतयाना,ंछैलन की उबराहट कौ बरननं भौत नौनौ करो।आपके दोहा एक पै एक हैं।आपखों बारंबार नमस्कार।
#20##श्री रामानन्द पाठक नंद जी.......
ंआपने अपने दोहन में पनिहारियन की साँप चाल,आपसी वार्ता, पनिहारियन खों गाँव तक सीमित रावौ,ंपुरूषो के साथ नारियों का पानी भरना,ंभरे कलश कौ शगुन बरनन बखूबी करों।ंभाषा रसमय भाव भरे उत्तम हैं।ंआपके चरण बंदन।
#21##श्री एस.आर.सरल जी....
आपने पनिहारी खोंं प्रान और गगरी खोंशरीर बताव।काया गगरी सी घड़ांघमंड रूपी नाश कौ कारन बताव।पनिहारी कीडुगन,मलकन,परिवार प्यार,कौ शानदार बरनन करो।ौआपकी भाषा की मिठास जादूभरी ंसब दोहा टंच हैं।आपका बार बार अभिनंदन।
#22#श्रीवीरेन्द्र चंसौरिया जी....
आपने दोहन मेंनंभुन्सरा सें पानी भरना,पनघटन का समाप्त होबौ,ंपनिहारी की उत्तम परिभाषा कौ बरनन करो गव।ंभाषा भाव सरस उत्तम।ंआपका चरण बंदन।
उपसंहार.....
अब आठ बज गये,ंसो समीक्षा पूरी भयी।अगर कौनौ महानुभाव धोके सें छूट गये होंय तौ अपनौ जान कैं मोय छमा करें।
आपकौ अपनौ समीक्षक....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
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172- श्री सियाराम जी अहिरवार,हिंदी-सेवा-16-3-21
आज की समीक्षाजय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
हिन्दी में दोहा लेखन विषय- सेवा
दिनाँक 16/03/2021दिन - मंगलवार
आज व्यस्तता के कारण समीक्षा समय पर नहीं लिख पाया हूँ ।जिसके लिए सभी प्रतिभागियों से क्षमा चाहूँगा ।
बडी़ प्रसन्नता हुई कि आज पटल पर अन्य दिनों की अपेक्षा प्रतिभागियों की संख्या बडी़ है ।और सभी ने बहुत ही शानदार दोहे लिखे ।सभी को बधाई देते हुए आज की समीक्षा प्रारंभ कर रहा हूँ ।
आज पटल पर नगर के जाने माने पत्रकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने अपने स्वरचित मौलिक दोहों से की ।जो बहुत ही रोचक और जानदार लिखे गये ।
आप लिख रहे हैं कि-
सेवा से बढकर नहीं ,कोई दूजा धर्म ।
जीवन का यह सार है ,जानो इसका मर्म ।।
सुन्दर रचना बधाई ,मान्यवर ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ ने भी बढिया दोहे रचे ।जिसमें आपने लिखा कि-
पहली सेवा लिखी है ,मात पिता के नाम ।
गीता में भी लिखा है ,मात पिता सुखधाम ।।
अच्छा लिखा ।धन्यवाद ।
आदरणीय अशोक पटसारिया जी ने भी शानदार मनभावन दोहे लिखे ।आप लिख रहे कि -
मात पिता गुरु तीन की ,सेवा का फल एक ।
आयुष बल विद्धा बढे ,आशिष मिले अनेक ।।
बढिया प्रेरणादायि दोहा लिखा ।सादर अभिवादन ।
श्री सरस कुमार दोह खरगापुर भी अपनी लेखनी से चमत्कार कर रहे हैं ।आप जो भी लिखते हैं ,सार्थक लिखते हैं ।आज भी आपने बहुत ही सुन्दर दोहों की रचना की ।जिसमें सही लिखा कि
निर्धन ,शोषित वर्ग हो ,दीन दुखी लाचार ।
मन से सेवा कीजिये ,ईश्वर का उपहार ।
बहुत ही मार्मिक दोहा रचा ।धन्यवाद ।
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने बहुत भी सुन्दर भावशैली में अपने दोहों की रचना की ।आपका भावपक्ष और कलापक्ष दोंनों श्रेष्ठ हैं ।
आपने लिखा कि -
करम ,वचन मन शुद्ध हो ,मन में सेवा भाव ।
हृदय करुणा प्रेम हो ,सच्चा सरल स्वभाव ।।
नीतिगत बात कही श्रीमान ।बधाई ।
आदरणीय दाऊ साहब जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी ने भी अपनी कौशल पूर्ण शैली में सुन्दर दोहों की रचना की है ।जिसमें आप लिख रहे हैं कि -
सेवा से मेवा मिले ,सेवा चारों धाम ।सेवा सरिता सी विमल ,सेवा पावन काम ।।
सुन्दर रचना ।बधाई ।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने भी बहुत ही सारगर्भित दोहे लिखे ।भाषा सुन्दर और सरल है ।आपने लिखा कि -
सेवा तो करनी पडे़ ,आया जो संसार ।
बिन सेवा कुछ भी नहीं ,मिले जगत का सार ।।
बढिया ज्ञानवर्धक दोहा लिखा ।बधाई आपको ।
श्री राजीव नामदेव जी राना ने बहुत ही सुन्दर दोहों की रचना की ।आप लिख रहे हैं कि-
निर्धन की सेवा करें,मिले बहुत सा प्यार ।
उनके ही आशीष से ,सुखी रहे परिवार ।।
बहुत ही सुन्दर दोहा श्रीमान ,गागर में सागर भर दिया
आदरणीय रामगोपाल जी ने भी अपने तरह तरह के दोहे भेजे जो अर्थपूर्ण और भावपूर्ण हैं ।
आपने लिखा कि -
सेवा सबसे है बडी़ ,अपना आत्म सुधार ।
इससे ही युग बदलता ,अरु समाज परिवार ।।
बढिया दोहा ।बधाई आपको ।
रेणु श्रीवास्तव जी ने लिखा कि
अपना देश महान है ,ये है अपनी शान ।
इसकी सेवा जो करे ,उसे मिले सम्मान ।।
बहुत ही शानदार जानदार दोहा लिखा ।बधाई सहित धन्यवाद ।
डाक्टर सुशील शर्मा जी ने भी सुन्दर और शिक्षाप्रद दोहे लिखे ।जिसमें आपने लिखा कि-
गुरु की सेवा से रहें ,घर में सुख सम्मान ।
तन मन धन पूरित रहे ,गुरुवर ईश समान ।
गुरु की महिमा के वारे में अच्छा लिखा ।धन्यवाद साहब ।
श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपनी सुन्दर शैली में बहुत ही बढिया दोहों की रचना की ।जिसमें आपने लिखा कि -
धरम करम ईमान ही ,जिनका सेवाभाव ।
जग में ऐसे आदमी लाते हैं बदलाव ।।
श्रेष्ठ दोहा लिखा श्रीमान ।बधाई
श्री डी.पी. शुक्ला जी ने भी बढिया दोहे रचे ।जिसमें आपने लिखा कि -
पति की कर सेवा चली ,सुखबती सेइ नार ।
लाडले तन समेटती ,चूमत बारम्बार ।।
अच्छा लिखा ।बधाई ।
श्री एस.आर. सरल जी ने भी बहुत ही रोचक दोहों की रचना की ।जिसमें आपने लिखा कि -
मात पिता से बड़ कभी ,कोइ देव नहिं होय ।
भ्रमित सकल संसार है ,सत्य न समझे कोय ।।
बढिय़ा सार्थक दोहा है ।धन्यवाद ।श्री रामानन्द पाठक जी ने भी बहुत ही सुन्दर दोहों की रचना की।जो सभी आध्यात्मिक हैं ।
उनको बार बार बधाई ।
हंसा श्रीवास्तव जी ने अपने एकमात्र दोहे से गागर में सागर भर दिया ।धन्यवाद आपको ।
श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी ने भी बहुत सुन्दर दोहे लिखे ।जिसमें आपने लिखा कि -सेवा उनकी कीजिए ,मन को लेकर साथ ।
दुःख दर्दो से घिरे हुए ,जो भी होंय अनाथ ।।
सही लिखा आपने ।धन्यवाद ।
मैने भी अपने विषय पर केन्द्रित दोहे लिखे ।जो आप सब की समीक्षा हेतु प्रेषित हैं ।
श्री रामलाल द्विवेदी ने भी बढिया दोहे लिखे ।धन्यवाद आपको ।
आदरणीय जगदीश रावत जी ने भी आज लम्बे अंतराल के बाद पटल पर अपनी उपस्थिति दी ।हार्दिक स्वागत एवं दोहा लेखन के लिए बधाई ।
इस तरह से आज की समीक्षा यहीं समाप्त करते हैं ।एक बार पुनः आप सभी को नमन ।
समीक्षक -सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ़
-#########जय बुंदेली साहित्य समूह#########
173-समीक्षक- पंडित डी.पी. शुक्ला ,,, सरस,
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन दिनांक! 17.03 .2021
समीक्षक- पंडित डी.पी. शुक्ला ,,, सरस,
बुंदेली की पावन धरा पै! हम लैे रय जा सीख!! मृदुल मिठास भरी बोली में!
लेके चल रय जा लीक!!
चारों रितु लेकर बरसा रईं!
सुखद प्रेम आनंद !!
ना बाड़ भूकंप त्रासदी !
ना दुर्गति ना कौनऊँ फंद!!
नमन बुंदेली के कविवरन! साहित्यकारन कौंआभार!! दया सिंधु जगत के !
ज्ञानी ध्यानी अपरंपार!!
आज के महान बुंदेली के कविबरन साहित्यकारन को वंदन अभिनंदन करता हुआ बुंदेली धरा कौे मान बड़ाउत भय नव यौवन को को सीख देने वालों को साधुवाद धन्यवाद जिनने अपने सारगर्भित सपनों को साकार करने में अपना योगदान दिया है मां सरस्वती के चरण वंदन कर बुंदेली पद रचना को मूर्त रूप देने में विचार मंथन करने का प्रयास करो है ऐसे मनिषियो् को सादर अभिवादन, आप सभी के समक्ष विचार मंथन रत संप्रेषित है उत्तमता के लिए हार्दिक बधाई बुंदेली धरा को नमन कर सृजन टिप्पणी निम्नानुसार!!
💐💐💐💐💐💐
नंबर पहला -प्रथम पटल पर अपना स्थान देवें वारे बुंदेली के वरद कवि श्री अशोक पटसरिया नादान जुने अपनी रचना में नव किसलय की छटा को बासंती वर्णन करके धरा को श्रृंगार बिखेरौ है और होली की हवा नशीली दीख रही है एसौ सिर्जन करके मन गदगद कर दव है !!
नंबर 1. उपमा अलंकार में उपमेय की संभावना!
दो .श्रृंगार वर्णन अति उत्तम !
तीन. सुरीली पवन और उस पर मड़राते भवरे सुखद आनंद !
भाग 4 .भावों में गुजरते भवरे !
पांच .धाराप्रवाह उत्तम उत्तम रचना हेतु साधुवाद धन्यवाद
नंबर दो -श्री रामानंद पाठक जुने कोरोना की धमक बताकर चेतावनी दी है कि कोरोना से बचने के नियमों का पालन करने यह जीवन का सार है बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद उनके द्वारा जीवन को चलाने की युक्ति बताई है वंदन अभिनंदन !!
नंबर 3 .श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जुने अपनी बुंदेली में गणेश गीत प्रस्तुत करो है जी में भक्ति भावना में भक्ति रस में सिर्जन करकें सरवोर करके जो मन अंधकार में डूबा यह मन सुधार की विनती करी है और रिद्धि सिद्धि हमें देवें जो जीवन सुखद अनुभूति करे मन लगावे की बात करी है नोनी रचना करबे के लाने दाऊ को बहुत-बहुत धन्यवाद
नंबर 1. भक्ति रस की छठा बिखेरी है !
2 .गजबदन श्री गणेश को नमन आनंद रस की प्राप्ति हेतु रचना प्रस्तुत करी है तीन. भावों में रसों की अभिव्यक्ति है !
चार .अध्यात्म में सरोकार मन इच्छापूर्ति उत्तम व अध्यात्म रचना हेतु वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
4 .श्री सियाराम अहिरवार जुने बुंदेली गारी की छटा के दर्शन करा के पुरानी यादों को उकेरा है ,और काल भैरव की सवारी करके भोलेनाथ दर्शनों की आकांक्षा करी है जो मन को मोहित कर के महिमा के गुणगान को बखान करो है और बारात की नोनी छटा को वर्णन करके गदगद कर दव है !
एक अध्यात्म की भावना सही है !
दो .भक्ति भावना भक्ति रस स्रोत है !
3- धारा प्रवाह उत्तम उत्तम रचना हेतु हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर बधाई!
नंबर 5 -सरस कुमार जी उन्हें अपनी कुंडलिया के माध्यम से उनके प्रेम की अभिलाषा को सुनें मन में भावों का लाने आत्मा को प्रियतमा को बुलाबो भेजो है जो आत्मा के रूप में दर्शन दे दो जिससे अकेलेपन की दूरी मिट जावे वाह उत्तम रचना के लिए श्री सरस कुमार जी को धन्यवाद सादर बधाई उत्तम विचार बा भाव
नंबर दो .अंतरात्मा के उद्गार प्रस्तुत !
3 .शांति एवं प्रेम रस के पावने दर्शित हो रहे हैं !
4. शृंगार रस वेदना का स्रोत बहुत-बहुत हार्दिक बधाई धन्यवाद !
नंबर 6 -श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जुने चौकड़िया के माध्यम से यह मन की होरी जो प्रसन्नता की देन है तन से खेलने हेतु आनंद लेने के लिए आनंद रस की चाय में प्रेम रस भरी होली खेलने को भाऊ समरसता भरी होरी खेल के चेतावनी देकर ऐसी खेलो होली बिगड़े ना गांव की गोरी भौतई नौंनी रचना हेतु वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई !
नंबर 7 -श्री प्रदीप खरे जुने शृंगार रस की रचना में पनिहारी और घूंघट दोनों के मन को कचोट रही लाली मन को कचोट रही लाली देख के मन लाल हो रहा घुंघट में नैनन के काजल की कोर को वर्णन अद्भुत रस बिखेर रहा है ऐसे श्याम रंग के संग होली खेलने को मजा कछुअई और रही है मन की होली खेल के बहुत ही नोनी श्री मंजुल जी की रचना बहुत ही बहुत नोंनी बधाई धन्यवाद !
नंबर 8 -रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जी इंदु जी ने चौकड़िया के माध्यम से जीवन को खिलौना जानकर टूटन ना देवे की चेतावनी दी है कर लो नोनी बात माटी को तंन जौ माटी की सौगात! बहुत ही नोंनी रचना हेतु बधाई हृदयस्पर्शी बधाई सादर धन्यवाद !
नंबर 9 -श्री सुरेंद्र शुक्ला जी ने मां की महिमा धरती मां से जननी माता करके अपने मन की पीड़ा को प्रस्तुत रचना के माध्यम से करके वाह वाही लूटी है जिसमें सर्वोत्तम मां को मानकर इस दुनिया में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है ऐसे श्री शुक्ला जी के विचारों को श्रेय देते हुए रचना सृजन हेतु उन्हें हार्दिक बधाई और सादर धन्यवाद!
एक -दर्द की अभिव्यक्ति दो -मां की ममता भरी यादें तीन -सुखद प्रेम की अनुभूति
4 .मां को गुरु की पदवी
5 .माँ के डर से उरन नहीं संभव श्री शुक्ल जी को साधुवाद!
नंबर .10 श्री राजीव राना लिधौरी जुने अपनी कविता में बुंदेली को छैल छबीली बताव हैं उत्तम भावों में महानता की प्रवर्ति को समेटा है और जा बुंदेली देश के कोने कोने में अपनों राज करके मिश्री घोल रही है ऐसी बुंदेली रचना के धनी श्री राना जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन !
नंबर 11 -डॉ रेनू श्रीवास्तव ने अपनी शीर्षक बुंदेली बोली के माध्यम से भाषाओं की रानी बताई है जो वास्तव में भव्य स्वागत करने योग्य बुंदेली बानी को ऐसे महाकवि ने गाव है प्रेमी भावना को सृजन करके डॉक्टर रेनू जी ने मीठी वाणी की महिमा बताई है बे साधुवाद के पात्र हैं बहुत-बहुत बधाई!
नंबर 12 -श्री पी. डी. श्रीवास्तव पीयूष जब ने बसंत पावनेे के माध्यम से धरा की मधुमति छटा को बिखेरा है धानी चुनर के धरा चना, अरसी के धन-धान्य से घर को भर रही है गली-गली फागुन बगरो है भँवरा की बरात षटरस लेवे धरा पर उतरी है !
एक .बहुत ही नोनी सिंगार रचना !
दो ,वासंती की मनमोहक छटा
3 .भाव एवं धाराप्रवाह उत्तम
4 .रस अलंकार का समावेश है बहुत-बहुत धन्यवाद सादर नमन!
तेरा नंबर - श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने अपनी रचना में हास्य व्यंग के माध्यम से बताओ के कोई गांव में अपनों नहीं एक दूसरे के लाने बिलोरा करने लगे है जा बात नहीं कह रहे चाय वे माते सबई लूट के खा जाएं चेतावनी भरी जवान सुनाई है!
एक .हास्य व्यंग की अनुभूति
दो .थोड़े में बहुत कह गए सटीक
तीन .अपनी ड
ढफली अपना राग कैसी फाग
4 .लूट को बाजार मनमानी बहुत-बहुत वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद !
नंबर 14 -श्री राम कुमार शुक्ल ने अपनी स्वतंत्र बुंदेली के माध्यम से बताओ के ऐसौ बैला यानी लड़का कौन काम को जो घर में काम ना करें ऐसे बेलवा खो का करने इयै राखकें ब्यादई आउत! ना मिले तो भी काम चलै और उनका लाभ ले ले भौतै नोनी कुंडलिया श्री राम कुमार शुक्ल ने सृजन करी है बे साधुवाद के पात्र हैं बहुत ही बहुत बधाई!
नंबर 15 -श्री राज गोस्वामी जुने होली को मजा लेवे की बातें कृष्ण और राधा के माध्यम से बताई हैं जी के पानी मन जन में होए बैेसी होली खेलने चेतावनी स्वरूप आनंद लेवे की रचना में उत्तमता भरी है प्रेम की होली खेल के ही होठों पर मुस्कान लाने की लान राधा रानी प्यारी का गुणगान करो है रचना के. लाने भी धन्यवाद के पात्र हैं वंदन अभिनंदन
समीक्षक- डी.पी शुक्ला टीकमगढ़
##########जय बुंदेली साहित्य समूह#########
174--- कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 18.3.2021 दिन गुरुवार ' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत ' हिन्दी पद्य लेखन ' की संक्षिप्त समीक्षा :---
गरिमामय पटल से जुडे़ आदरणीय सभी रचनाकारों को सादर प्रणाम करते हुए , अपनेआप को सौभाग्यशाली मानता हूँ , कि आप सभी श्रेष्ठ साहित्य-मनीषियों का सानिध्य प्राप्त हो रहा है । बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है । सभी को बहुत-बहुत साधुवाद ।
आज हर दिन की भाँति शुभारम्भ करते हुए श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने दोहा मुक्तकों की बेहतरीन प्रस्तुती दी :---
" मानव जीवन में बहुत सहने पड़ते द्वन्द ।
उनसे तप कर निखरता जीवन का मकरंद "
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने उत्कृष्ठ गजल का सृजन किया है :---
" मिली शोहरत,जरा दौलत , अहम को तान बैठा है ।
वो अपने आपको अब तो , मसीहा मान बैठा है "
श्री सरस कुमार जी ने किसानों की श्रमशीलता का उम्दा वर्णन किया है :---
" हम जितना कर्म करो तो मानें "
श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने पिता की महत्ता को समर्पित बेहतरीन रचना रची है :---
" पितृ ऋण जो चुका सके , पुत्र हुआ न एक "
भोपाल से डाॅ. अशोक तिवारी जी ऋतुराज बसंत का बहुत सुन्दर भाषाशैली में चित्रण कर रहे हैं :---
" इस फागुन बसंत के आगे , फीके हैं पिचकारी रंग "
श्रीयुत राम जी भाव पूर्ण गजल लिख रहे हैं :---
" सुनाओ मत तुम वफा करोगे।
बताओ कितनी दफा करोगे "
भोपाल से श्री किशन तिवारी जी बेहतरीन भावप्रधान गजल लिख रहे हैं :---
" साथ चले आओ सब मेरे ,
प्रेम का रस्ता ढूँढ़ रहा हूँ "
डाॅ. सुशील शर्मा जी जन जाग्रति पर कलम चला रहे हैं :---
" भरी तमस ये रात भयावह ,
पर सूरज को आना होगा "
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी प्रगतिवादी गजल लिख रहे हैं :---
" आलसी आदमी कुछ पाता नहीं,
वक्त गुजरा फिर कभी आता नहीं "
डाॅ. रेनू श्रीवास्तव क्षणिकाओं के माध्यम से अभिव्यक्ति दे रही हैं :---
" देश का नेता इतना सोचता है ,
धूल जमी चेहरे पर , दर्पण को पोंछता है "
श्री सियाराम अहिरवार जी क्षणिकाओं के क्रम को आगे बढा़ते हुए लिख रहे हैं :---
" देश का प्रगति पथ अब आगे बढ़ रहा है "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लिख रहे हैं :---
" संचार योग में मोबाइल चला रहे किसान "
श्री रामगोपाल रैकवार जी भावपूर्ण दोहे की प्रस्तुती दे रहे हैं :---
" जन का ही जनतंत्र में , होने लगा विरोध "
श्री जयहिन्द सिंह जी अवध वास करने की लालसा व्यक्त कर रहे हैं :---
" सेवक बनकर रहूँ हमेशा , सियाराम सरकार कौ "
श्री वीरेन्द्र चंसोरिया जी सांसारिकता पर कलम चला रहे हैं :---
" स्वारथ के सब हैं साथी , सुनों इस जमानें में "
श्री संजय श्रीवास्तव जी बाल कविता की बेहतरीन प्रस्तुती दे रहे हैं :---
" अम्मा अब मोबाइल छोडौ़ , संग में खेलो खेल "
श्री रविन्द्र यादव जी मुक्तक के रूप में अभिव्यक्ति दे रहे हैं :---
" जो कुछ है , पैसा है , अच्छा जी , ठीक है "
श्री एस आर सरल जी हायकू विधा पर कलम चला रहे हैं :---
" घन गरजे , किसान परेशान ,
आई फसल "
इस तरह से आज पटल पर सभी विद्वान जनों ने बेहतरीन कलम चलाकर हिन्दी साहित्य के भण्डार में वृद्धि की है । सभी का बहुत - बहुत आभार व्यक्त करते हुए आशा करते हैं , इसी तरह से पटल को गरिमा प्रदान करते रहें ।
इन पंक्तियों के साथ समीक्षा को विराम देता हूं , त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर
#########जय बुंदेली साहित्य समूह########
175-समीक्षक-जयहिन्द सिंह पलेरा
#सोमवारी समीक्षा#बिषय/दमकत#बुन्देली दोहे 5अधिकतम समीक्षक-जयहिन्द सिंह पलेरा
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आज की समीक्षा मेंसबसें पैलां मां भारती खों बन्दन,पटल के सबयी विद्वानन खोंदोई हात जोर कें राम राम।पटल के बिषय दमकत पै आज सबयी विद्वानन नेअपने अपने बिचार दोहन के गुलदस्ता बनाकें पेश करे।भौत नये नये बिचार जिने हम सोचत भी न हते देखबे मिले ज्ञान बढो
और आनंद भी आव। आज दमकत शब्द खों हर क्षेत्र सें जोरकें नजरिया पेश करे गय।तौ चलौ अब हम दोहन की फुलबगि
या की शैर करबे भीतर घुसकें
अलग अलग गमलन के गुलदस्त
न की महक सें रूबरू करा रय।अब आप सब घुसकें खुशबू कौ आनंद लेत चले चलौ।
#1#श्री सियाराम अहिरवार सर जी......
बैसें आपखों दोहन कौ बादशाह कैबै में कौनौं दिक्कत नैंयाँअबयी आपने दोहन की प्रतियोगिता में प्रथम स्थान लैकें जौ सिद्ध भी कर दव।आपने दमकत खों राजा जनक के द्वारें,राम के रूप में ठाड़ौ करो।बृज में राधाजू एवम्
कान्हा सें चिपकाव।सिंगार बरनन के ऐगर सें काड़ो,और जुगल किशोर के दर्शन करा दय।बादर की गरजन के बरनन में लगाकेंअपने दोहन कौ चमत्कार दिखाव।भाषा कला की दमकन
देखत बनत।आपखों बेर बेर नमन।
#2#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी.......
आपने दमकत शब्द खों चन्दा की चाँदनी,नौदुर्गाओं कीदिव्यता,भौजी के बूँदा सें गुजार कें उजागर कर दव।अपनों अपनों जादू दिखाबे कौ कमाल है।भाषा के चमत्कार खों नमस्कार।आपको नमन।
#3#श्री सरस कुमार जी.....
आपने कम समय मेंअपनौ झण्डा फैरा दव।दोहा प्रतियोगिता में तीसरौ स्थान लैकें जौ बता दव कै कविता उमर की गुलाम नैंयाँ।आपके दोहन में माता की बिन्दिया, ढाँके सें दमकन ना ढकवौ,सूरज चंदा और तरैयन की दमकन,कौ बरनन करकें अपने चार दोहन कौ शोर चार दिशायन में फैला दव।भाषा भाव भौत साजे,आपखों बेर बेर आशीष।
#4#बहिन हंसा श्रीवास्तव जी...
आपके दोहन में पहले दोहा के पहले चरण,दूसरे दोहा केतीसरे चरण में मात्रा भार अधिक है।
बांकी दमकन खों श्रीकृष्ण की छवि सें गुजारो,बाँसुरी के इर्द गिर्द सें घुमाकें अपनी जादूगरी में कौनौं कसर नयीं रन दयी।भाषा भाव भरी सुन्दर,सटीक है,आपके चरण बंदन।
#5#श्री अशोक पटसारिया नादान जी....
आपखों कल श्री आर.पी.तिवारी राजेन्द्र जी ने स्थापित कवि निरूपण करो गव।बैसें आप हर पटल के हीरा हैंजो हमेशा दमकत रात।आप दमकत शब्द खों कहीं भी पिरोंने की सामर्थ्य राखत।
नारी के सिंगार बिजली की उपमा,सोंनें और सुहाग सें,रत्नन की परख,रूप सिंगार की आभा,
जुगल किशोर की बांसुरी, यार की नथनी,नभ की दामिनी, सें गाज तक दमकत शब्द खोंघुमा कें प्रयोग करो गव।भाषा के चमत
कारी खों लाखों प्रणाम।
#6# श्री प्रदीप खरे जी मंजुल...
आपने दमकत का उपयोग नारी की किवार की आड़,ध्रुव भक्ति, पनिहारी की गगरी,नारी छवि ,बिटिया के सुहाग के संगै खूब दमक दमक के दमकाव।
भाषांप्रवाहमयी ,जादूगरी कमल की।आपखों नमन।
#7#श्री अशोक तिवारी जी...
आपने दमकत छोड़ बमकत शिव की बंदना की।धन्यवाद
#8# श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी.....
आपने अपनी दमकन खों पनघट,गोरी के रंग रूप पै,बुन्देली पटल सें गोरी के सदगुण दमकते काव्य,गोरी के छवि घमंड सें आगाह करत भयखूब घुमा घुमा कैं डारो।आपकी भाषांप्रवाहमयी भाव देखतन बनत।कमाल लेखन कमाल प्रतिभा खों नमन।
#9#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी...
आपने दो दमकत गुरा अपने गुथना में धर कें घाले,पै घाले दोई नारी पै हैं।पर नारी खों आहत नयीं करो बल्कि ऊखों हीरा बताकेंगुथना की मार सें बचा लव।जेई तो कमाल है ।आपके कमाल और धमाल खों नमन।
#10#जयहिन्द सिंह जयहिन्द....
मैंने अपने दोहन में दमकत शब्द खों बुन्देली बाला के रूप, पन्ना के जुगल किशोर दर्शन,बृज में राधा कृष्ण राह बरनन और झाँसी की रानी की वीरतातक घुमाकें अलग अलग फूलन में अँग अलग गंध डारी।भाषा भाव आप सब जनें जानों।
#11#डा.सुशील शर्मा जी.....
आपने दोहन कौ तिरंगा फैराकें,अपने दोहन में दमकत खों
नैतिक आदर्श,प्रेयसी प्रशंसा,नारी के सौन्दर्य गुरूर के सुरूर सें निकार दव।आप भी भाषा भाव की जादूगरी कमाल की दिखाते हैं।आपकी कला कौशल और आपका वन्दन,अभिनंदन।
#12#श्री संजय श्रीवास्तव जी...
आपने दमकत शब्द खों आत्मा और व्यवहार, मौन दिव्य दर्शन,ध्रुव दर्शन, चन्द्र दर्शन,सूरज और बंदर की उपमाओं से जोड़करदमक खूब दमकाई।आपकी कला भाव उछल कर सामने आते हैं।आपका बेर बेर अभिनंदन।
#13#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी.....
आपने दमकत शब्द का प्रयोग गोरी के गुदना,लिलार की दमकन,दिव्य देह की दमकन,
चन्दा तरैयन की दमकन,भौजाई के चंचल नैन,मुख छवि,भुन्सरा तरा की दमकन,कौ बरनन करो गव।आपके भाषा भाव रपटीले
रसाल से मीठे,और कमालं के हैं
आपको बारंबार नमन।
#14#श्री एस.आर.सरल जी....
आपने दमकत कौ प्रयोग अपने दोहन में नाक की पुगरिया,दमकत मुखड़ा,चाँदनी की दमकन,कर्मवी
र के भाव की हीरा सी दमकन,सपूत कौ हितकर कर्म कौ बरनन करो गव।आपका भाषा चमत्कार मधुर ढड़कदार
भावमय है।आपको बेर बेर नमन।
#15#डा.रेणु श्रीवास्तव बहिन जी....
आपने दोहन कौ तिरंगा फयराकेंबिषय दमकत कौभौत अच्छौ निवारन करो।आपने पन्ना के जुगल किशोर कौ हीरा,पनिहारी के वासन की दमकन,हीरा की दमकन पै कोरोना कौ प्रभाव,भली भांति दरसाव।आपकौ भाषा कौशल,जादूभरो सटीक भावमय है।आपके चरण बंदन।
#16#श्री राम गोपाल रैकवार जी....
आपने पृथक पृथक तीन जगह तीनवार तीन दोहे पटल पै डारे।
जिनकौ प्रथक प्रथक बरनन तीन जगह निम्न प्रकार है।
1.#आपने पैले दोहा में दमकन कौ राष्द्रीय प्रयोग करो।
2.भारत के कोहिनूर हीरा की दमककौ बरनन करो गव।
3.श्यामल द्विति कौ श्याम नाम रटन बरनन करो गव।
आपकी भाषा अलंकारिक, भावपूर्ण सरस औरलुभावनी है।आपका बेर बेर अभिनंदन।
#17#श्री कल्याणदास साहू पोषक जी...
आपने अपने दोहन में बेंदी की दमकन,गालन की लाली की दमकन,चन्दा सूरज विद्वानन की दमकन,परमेश्वर के दूतों की दमकन,सपूतों की दमकन,हर क्षेत्र में दमकने की लालसा,कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा शुद्ध बुन्देली भाव मिठास मुहावरै,एवम् अलंकाऋ ब रसों से परिपूरित है।आपको बेर बेर धन्यवाद।
#18#श्री रामानंद पाठक जी नंद.....
आपने अपने दोहन में जमुना तट पै कृष्ण ग्वालबाल,राधा छवि की दमकन,राधिका के कुण्डल,मारीचि माया मृग की दमकन,ओरछा के राम दरवार की दमकन,बिजली की दमकन कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा भावभरी धार्मिकता भरी,श्रैष्ठ बुन्देली है।आपका बेर बेर बंदन।
#19#श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी.....
आपने दमकन में दोहा पढ़बे कौ सरल काम करो और अपने साथियन पै नाज की बात करी।आपकी कला और भावपक्ष,में जादू सा छाया रहता है।आपकी भाषा मधुर और सरल है।आपका सादर वन्दन।
उपसंहार..... लो अब आठ बज गये हैं पटल की समय सीमा पूरी भयी,अगर कोऊ साथी इस साहित्यिक शैर में धोके सें छूट गव होय तौ अपनो जान कें छमा करें।मोरे संगै आप सबकी फूलबाग यात्रा पूरी भयीऔर आप सबके साथ मैं भी महक गव।आप सबखों फिर सें हात जोरकें राम राम।
आपकौ अपनौ अकिंचन संगी....
समीक्षाकार.......
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#6260886596#
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176-समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
*176-आज की समीक्षा** *दिनांक -23-3-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय - "हिलोर"*
आज पटल पर हिंदी में *हिलोर* केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने अपनी मन की और दिल की हिलोरों के संग ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाते हुए एक से बढ़ कर एक नायाब मोती पटल पर पेश किया बहुत बढ़िया लगा उत्तम दोहे रचे आनंद आ गया। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर *
(१)श्री अशोक पटसारिया नादान लिधौरा* ने ५दोहे रखे। ये दो अध्यात्म पर कुछ कहते है नायाब मोती है-
सुन सद्गुरु का आगमन,मन में उठी हिलोर।
एक पहर बिसरे नहीं,सूरतिया चित चोर।।
बुद्धि का कुछ है नहीं,है हिलोर का काम।
अंतस में उट्ठे लहर,मिल जाएंगे राम।।
*(२) श्री-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा* ने अपने दोहों में बहुत खूबसूरती से अलंकारों का प्रयोग किया है देखते ही बनता है -
मदन मस्त मौसम मधुर, मंगलमय मन मोर।
हँसके हेरत हमसफर,हलसत हिया हिलोर।।
माखन का मंथन करें,मटकी मथनी डोर।
आ जाये नवनीत जब,उठत हिलोर हिलोर।।
*(३)-श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी* श्री रामदर्शन के लिए ओरछा चलने का आमंत्रण दे रहे है-
पुक्खन खों श्री राम के, दर्शन कों उठ भोर/
चले ओरछा भाव में, हिय में उठी हिलोर//
नैनन लख छवि राम की, मन का नांचे मोर/
ढोल मजीरा बज उठे, दे हिलोर में जोर//
*(४)गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* श्री राम जी ने प्रीत लगाने की बात कर रहे हैं-
करो प्रीत श्री राम से,प्यारे करो किलोर।
भक्ति भाव की भवना,मन में लियो हिलोर।।
सबहो मोरी मानलो ,राम राम करजोर।
मन की मन मे रहगई,भाऊ हिदय हिलोर।।
*(५)✍️सरस कुमार,दोह खरगापुर* ने विरह पर सुंदर दोहा लिखा -
बैठ विरह में बावरी, कब आए चितचोर।
मन राधा सा हो गया , तन में उठे हिलोर ।।
दिल में उठी हिलोर है, होली आई पास ।
तनमन रंगा प्रेम में, मैं प्रीतम के पास ।।
*६- डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा* से गोरी के श्रृंगार का बहुत बढ़िया चित्रण करते हुए बेहतरीन दोहे रचे-
गोरी गगरी सिर धरे, चले कमानी चाल।
मन हिलोर धक धक करे ,जीना हुआ मुहाल।
आँखे प्यारी झील हैं, अधर कमल के छोर।
देख रूप मधुवन सरिस ,जीवन उठत हिलोर।
कमर कमान कटार सी,वो कजरारे नैन।
हृदय हिलोरें ले रहा सुन कोयल से बैन।।
*७- श्री रामगोपाल जी रैकवार* ,टीकमगढ़ से *नव* का अभिनव प्रयोग करते हुए लिखते हैं
जब उठती नव, राष्ट्र में,,भाव-विचार-हिलोर।
आता है बदलाव नव,आती है नव भोर।।
*८ डॉ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल* से नया सृजन कैसे होता है दोहे में बता रही है-
नया सृजन होता तभी,उठती हृदय हिलोर।
शब्दों को जब बाँध लें,नव भावों की डोर।।
*९* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से नेताओं पर व्यंग्य कर रहे है-
जब जब देखा भीड़ को,नेता उठी हिलोर।
करके झूठे वायदे,वोटर लिए बटोर।।
*१०-श्री संजय श्रीवास्तव, मवई ( दिल्ली)* के सुंदर मन के भाव हिलोर ले रहे हैं-
मन में जब आनन्द का ,लेता भाव हिलोर।
तन झूमत, घूमत फिरत,जैसे वन में मोर ।।
मन में सोच-विचार की,हर पल उठत हिलोर।
मन, अधीर,चंचल बहुत, पल-पल करता शोर।।
*११-श्री राज गोस्वामी जी दतिया* श्रृंगारी दोहे रचते है-
1-देख हमे मुस्काय गइ मन मे उठी हिलोर ।
धीरे से जा बैठ गइ चुपके से बा छोर ।।
2-उनकी आहट पाय के कानन ,आइ हिलोर ।
तंग हुई तब एक दम ढीलीढाली डोर ।।
*१२-हंसा श्रीवास्तव भोपाल* से ममतामयी हिलोर को दोहो में वर्णित करतीं हैं-
कान्हा जब गोकुल गये,मात यशोदा रोय ।
हृदय में हिलोर उठे ,मन में पीढ़ा होय ।।
बेटी माँ की छाँव है ,कभी न होती दूर ।
ब्याह चली जाय बिटिया,मन हिलोर भरपूर ।।
*१३- श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* ने शानदार दोहे रचे-
मंद मंद मादन बजे,घिरी घटा घनघोर।
मनभावन ऋतु में उठे,मन में मदन हिलोर।।
रहे सदा मन मारते,मन में यही मलाल।
हिय हिलोर उठती रही,लगा न सके गुलाल।।
*१४ श्री एस आर सरल जी* ने भी दोहों में अलंकारों का बढ़िया प्रयोग किया है-
हिय हिलोर ऐसे उठे,ज्यौ उठि जलधि तरंग।
भरें हुलक हर्षित हिये, पुलकत अंगहि अंग।।
मन मृग कसनन नहि बधें,कौन बाँधवै डोर।
मन हिलोर भर मीन सी,अंतर करता शोर।।
*१५-कल्याण दास साहू "पोषक',पृथ्वीपुर* होली पर सुंदर दोहे रचे है-
होरी पै फागें गवत , हिय में उठत हिलोर ।
रस-रँग बरसत हर जगह , धूमधाम चहुँओर ।।
मन की होरी खेलवें , राधा जुगलकिशोर ।
बरसाने में व्याप्त है , रस बरसान हिलोर ।।
*१६-श्री सियाराम अहिरवार जी टीकमगढ* ने भी शानदार दोहे लिखे हैं-
मछली बूँदा ले गई ,सारा नीर हिलोर ।
खडे़ खडे़ देखत रहे ,मन हो गया विभोर ।।
होली के हुड़दंग का ,मचा हुआ है शोर ।
नचनारी नाचत फिरें ,जियरा लेत हिलोर ।।
*१७- श्री रामानन्द जी पाठक* ने पुख नक्षत्र पर अच्छे दोहा रचे-
पुख नक्षत्र खों जात हैं,नगर ओरछा धाम।
हिय हिलोर, दरसन भरी,भजत राम कौ नाम।
राम गए वनवास खों,चित्रकूट की ओर।
भरत आगमन जब हुआ,मन में उठी हिलोर।।
*१८-श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी* दोहों के माध्यम से प्रभु को ढूंढ रहे है
दर्शन करने के लिये, मन में उठी हिलोर।
परमपिता सुन लीजिये, विनती है कर जोर।।
ढूंढ रहे भगवान को,शाम रात व भोर।
कब पायेंगे आपको,हिय में उठत हिलोर।।
*१९-ऊषा सक्सेना जी भोपाल* जो कि आज ही शाम को पटल से जुड़ी है उन्होंने आज बढ़िया उपस्थिति दर्ज कराई हैं-
सीता राम दर्शन की,हिय मे उठत हिलोर।
ना, पाये हम कहूं उन्हें, ढूंढ़ फिरै सब ओर ।।
*२०-श्री रामगोपाल रैकवार जी* ने बहुत बढ़िया दोहे लिखे हैं शब्द चयन स्तुत्य है-
किसी घात से जल हिले,बनती तभी हिलोर।
सहित प्रगामी बल दिखे,बढ़ती तट की ओर।।
हूक कभी मन में उठे,उठती कभी हिलोर।
चक्र यही चलता सदा,ज्यों संध्या अरु भोर।।
सदा उमगती ही रहे,सुख की सुखद हिलोर।
मोद मग्न यह पटल हो,विनती है कर जोर।।
२१-प्रदीप खरे*मंजुल जी,टीकमगढ़* ने आज विरह पर बहुत बढिये लिखे है-
पिया गये परदेश खौं, सूनौ है घर दोर।
सैयां आवन की खबर,मन में उठी हिलोर।।
विरह अग्नि में जलत है,विरहा दिन औ रैन।
हिय हिलोर नहिं उठत है,पल पल मन बेचैन।।
इस प्रकार से आज पटल पर २१ साथियों ने दोहे रचे है वाकई सभी ने एक से बढ़कर एक दोहे पोस्ट किये है।सभी साथियों को बधाई।
*ये दोहों की, महफ़िल रंगीली।*
*जय बुन्देलखण्ड, जय बुंदेली।।*
*समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
########जय बुंदेली साहित्य समूह#######
177-समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ला'सरस'
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन दिनांक-24.03. 2021
समीक्षक पंडित डी.पी. शुक्ला ,,सरस ,
बुंदेली के काब्य मनिषि!
छोड़ रये बुंदेली छाप !!
नमन कविवरन को करत! पटल का लेखन भाँप!!
बुंदेलखंड की धरा पै! बुंदेली के आदर भाव!! मन विचार उकेर रये!
छोड़ के अपनों प्रभाव!!
बुंदेली बानी नोनी लगे! जात हियरा भेद !!
मृदुल मिठास भरे अंतरउर! मन में भरे उम्मेद!!
मां शारदे को नमन कर पटल पर बुंदेली पद रचनाओं के सिर्जन कर महानुभावों के कविवरन को नमन तद्भव उत्कृष्ट नोनी रचनाओं से गदगद करो मन ओतप्रोत प्रसन्न मुद्रा को पाउत भव भाव विभोर हो गए काव्य मनीषियों को वंदन अभिनंदन और साधुवाद से प्रोत्साहित करते हैं हुए उत्तम नोनी रचनाओं से बुंदेली को प्रखर रास्ता राह प्रशस्त की है कविवरन को बुंदेली सृजन हेतु बहुत-बहुत सादर धन्यवाद बधाई!
प्रथम पूज्य गणराज को नमन करके श्री गणेश कर
प्रथम में पटल पर श्रीमान अशोक पंटसारिया जी को नमन कर उनके द्वारा सर्जन बुंदेली भागों में बढ़ती उम्र की उपमा रेल की रफ्तार से करी गई है लेकिन इंजन अच्छे कर्म को लगाने बूढ़े मानव को बचकानी हरकतें अच्छी नईं लगती बचपन खेल में खोदव बुढ़ापे में काहे रोए अपनी इच्छा केवल भगवत चरणों में लगाऊं ने तो जीवन नोंनें रैहे नोनी रचना हेतु कविवरन को वंदन अभिनंदन उत्तम भाव है शिक्षाप्रद एवं चेतावनी भरी रचना सादर वंदन अभिनंदन !
नंबर दो -श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जू ने अपने मन को चेचक सौ घोड़ा बनाकर रखें जो मानव जीवन को महाराणा प्रताप जैसो लोव के बनाके मानव होकें स्वाभिमान नहीं खौने है जरूर चाय कैसेउ संकट परै धीरज नेै खौने बुंदेली लोकगीत के माध्यम से बहुत शिक्षाप्रद रचना भाव उत्तम हैं उपमा अलंकार को समावेश लोकगीत मनभावन और उत्तम रचना हेतु दाऊ साहब को नमन साधुवाद!
..
3. श्री रामानंद पाठक जी ने चौकड़िया के माध्यम से सूखा की साल में गिरानी को चित्रण करो है जो आज लगारओ सूखी फसल पानी नहीं है और प्यासी गैया फिर रई कालजई रचना के लिए पाठक जी ने चेतावनी दी है कि रचना सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद!
4- श्री संजय श्रीवास्तव ने गांव की होरी को बुन्देली गीत के माध्यम से गांव में होरी को हुडदंग देख कर मन में उठत उमंग रंग की होली खेलो मन रंग दो मनिहारी प्रेम को रंग भरो जीवन में ना रंगो उनकी सारी भौतै नोनी रचना करी है सिंगार में रंगी होली बहुत ही उत्तम रचना हेतु श्रीवास्तव जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन!
नंबर 5. श्री रामगोपाल रैकवार जुने जीवन की होली शीर्षक से अपनी बुंदेली होली में वास्तव के रूखी सूखी जीवन की होरी कर गई राम नाम रंग वरसत रव लेकिन यह गोरी मानव देहिया मानव ने ना रंग पाव जा मलिन चंदरिया बनी रही गुरू ने जितनी गुलाल लगा दै ज्ञानरूपी गुलाल से गोरी की चुनरिया रंगी रही है ईके बाद मैंने कछु नहीं कर पाव अलंकारों की भावना से ओतप्रोत रचना के धारावाही चेतावनी साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 6. श्री सुरेंद्र शुक्ला जी ने प्यारी बेटी की शीर्षक से बोलके किरण की किरण की भांति आंगन में विखेरती चमक किलकारी के रूप में रिश्तो को जंजीर में जोड़ती बेटी बहू पत्नी बनकर मां के इस रूप को ममता में पिरौती और देवी बन पूजी जाती करुणा प्रेम वात्सल्य मार्मिकता की मूरत बेटी ही है उत्तम शिक्षाप्रद रचना ओतप्रोत सच्चाई के बुनती धागे आत्मीयता को प्रदर्शित करती रचना साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 7 .डी.पी .शुक्ला,, सरस,, ने अपने बासंती की होली के माध्यम से मन की होरी जो प्रेम रंग में रंग बिखेरे ऐसी होली के रंग रंग के उमंग जी में राम रंग से जो तन रंग जावे जैसी होरी होने मन में शांति नहीं मिल पाने !
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जू ने मन की बात करी है मनहरन क्वावनें नोनी रस मयी रचना करके मिठास भरो है कवीवरन ने रस छंद अलंकार में गुन गा के मन के मीत रचना और आदर्श प्रस्तुत करें को नमन इंदू जी को सादर वंदन अभिनंदन!
श्री पी. डी. श्रीवास्तव जू ने चौकडिया के माध्यम से शृंगार रस में रंग की होली को रंग छोरी को नो नो चित्रण करों है गोरी के गाल पर गुलाल बिना फीके लग रव है और पीयूष जू तो कुठिया में गुर फोरन की जुगत में है नोंनी बुंदेली फाग सिरजन के लाने साधुवाद बधाई !
10-श्री राजीव नामदेव राना जी ने तन बूढ़े पर को रोना को कहर बताओ है अब तो घर ही में रहकर जो तन भजन करबे लाक रै गव अब कोउ सुनने वारौ नैयाँ इयै मिटा वे के लाने कलयुग गुंडाराज में फूटन डालने पर है रचना हेतु बधाई वंदन अभिनंदन!
नंबर 11 -श्री प्रदीप जी ने अपनी रचना में सक की कोई दवा नहीं बनी है और सती मां ने शिवजी की बात भूल के नारायण ने परीक्षा ली थी जब सती ने सीता को रूप धर गई थी तब श्री राम जी ने सती के चरण वंदन करते भूल का एहसास हुआ था यह शक की बीमारी है लाइलाज है कि कोई दवा नहीं है अपने को उपमान में शंकर उपमा देकर भरपूर संदेह अलंकार की अनुभूति करके सुंदर रचना हेतु वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद !
नंबर 12 -डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने भक्त शबरी के शीर्षक से भीलनी शबरी की भक्ति की भावना को पटल पर कुदेरौ है मतंग ऋषि के आश्रम को निहा रो है और वरदान दव के श्रीराम तुम्हें दर्शन दे हैं बा बात सांची भई और शबरी को अपने धाम पठाओ ऐसे भजन राम को कर लो जीवन नैया पार उतर लो बहुत नोनीे रचना सादर बधाई धन्यवाद !
नंबर 13 श्री कल्याण दास साहू जी पोषक जब ने कोरोना के नियम को बताओ के मास्क लगाकर है राने नोनी रचना करके मानव कन की तन को देखे मानस जीवन की फिकर करी है फिर से जा बीमारी आ गई है दूरई की राम-राम राने और भीड़ में नहीं जाने जो तुम भलौ चाव थकान है और टीका जरूरी लगवाने बुंदेली के माध्यम से सिर्जन कों है साधुवाद सादर बधाई!
नंबर 14 श्री सरस कुमार जी ने अपनी बुंदेली में चेतावनी दी है कि मदरा पान करके घर मडैया सवई बेच रही और घर की खपरा घास फूस को छपरा तक में छोडौ नौनी कविता के. लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 15- श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जुने चौकड़िया मित्र प्रेम से अपनी बात करी है के मित्र मिलन के लाने कृष्ण दर्शन करने जे अखियां तरस गई जो प्रेम अब ना मिटहै बहुत ही नोनी रचना हेतु सादर बधाई धन्यवाद!
नंबर 16- श्री वीरेन्द चंसौरिया जू ने लवरन लवरा शीर्षक से लवरन से बचने की चेतावनी दी है बची राम जी केवल बदनाम कर ग्यो काम है जो लोग लावरी बात ना करें रोटी तक ना पचे श्रीचंसौरिया जु ने साँची बात करके रचना में निखार ल्याओ है बहुत-बहुत साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 17 सुशील शर्मा जी ने बुंदेली चौकड़िया के माध्यम से मोड़ी के होउतन दुख लगत है लेकिन जब बा कलेक्टर बनत से मोडी से मोड़ा लगन लगत मौडी मौंड़ा में अंतर ना माने नामों सुझाव चेतावनी भरी रचना सादर धन्यवाद बधाई !
18-श्री सियाराम अहिरवार जुने हाइकु के माध्यम से फागुन होली को रंग बरसाओ है और गाल पर गुलाल मल दही रंगदारी की जुगत में रंग और तिलक करें धन्यवाद कालजई रचना के लिए साधुवाद !
19-श्री सक्सेना जी ने लवरा वेई तहत जो वरन के. सरदार हाेत बहुत ज्यादा न बोलो अतिशयोक्ति अलंकार की पुट दैकें समझाओ भौतै नौमी रचना हेतु सादर बधाई धन्यवाद!
समीक्षक- डी पी शुक्ला, टीकमगढ़
#######जय बुंदेली साहित्य समूह#######
178--कल्याण दास साहू 'पोषक', टीकमगढ़
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 25. 3. 2021 दिन गुरुवार ' जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के गरिमामय पटल पर प्रस्तुत हिन्दी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :---
सर्वप्रथम आदरणीय सभी काव्य मनीषियों को सादर नमन करते हुए बहुत-बहुत साधुवाद देते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है, सभी कविवर बहुत उत्कृष्ट लेखन कर रहे हैं । साथ ही एक दूसरे को परामर्श भी दे रहे हैं । जिससे लेखन में पैनापन देखने को मिल रहा है ।
आज नित्य की भाँति श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने उपदेशात्मक शैली में बेहतरीन दोहा मुक्तकों से लेखन का शानदार शुभारम्भ किया :---
सब सद्गुण को देख कर , देते हैं सम्मान ।
जो इनको धारण करे , वह सच्चा इंसान ।।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने कुंडलियां छंद की बेहतरीन प्रस्तुति दी :---
नफरत जो बोते रहे , ले मजहब का नाम ।
ऐसे लोगों पर कड़ी , जल्दी लगे लगाम ।।
डॉ सुशील शर्मा जी नवगीत के माध्यम से इस बार संवेदना परक होली मनाने पर जोर दे रहे हैं :---
इस बार की होली कुछ यूँ मनाते हैं ।
किसी दुखियारे के घर बैठ आते हैं ।।
डॉ अशोक तिवारी जी जीवन जीने की कला से सिखला रहे हैं :---
वर्तमान का आनंद ही सच्चा सुख है ।
आदरणीया कविता नेमा जी मुक्तक छंद के द्वारा जीवन में खुशियां बनी रहने की कामना कर रही हैं :---
रंजो गम का कहीं नाम ना हो ।
खुशियों की कभी शाम ना हो ।।
श्री सरस कुमार जी शहर और गांव की तुलनात्मक झांकी प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें गांव को श्रेष्ठ बताया है :---
" हमारे गांव में दिन की शुरुआत रिश्तो से होती है "
श्री किशन तिवारी जी छंद मुक्त रचना के द्वारा चिंतन परक लेखनी चला रहे हैं :---
" अब शब्दों के अर्थ खोजना पागलपन है "
श्री प्रदीप खरे जी लोक शैली बद्ध गीत के द्वारा अपने भाव व्यक्त कर रहे हैं :---
गुइंयाँ तोरी मुइंयाँ प्यारी ।
मन सें टरत न टारी ।।
श्री रामगोपाल रैकवार जी आनंद दोहावली के माध्यम से बेहतरीन आनंद प्रदान कर रहे हैं :---
गूढ़ विषय आनंद है , सहज नहीं है प्राप्त ।
उसको ही मिलता सदा , जिसके भाव उदात्त ।।
आदरणीया ऊषा सक्सेना जी खाज पर लेखनी चला हास्य रस की प्रस्तुती दे रही हैं :---
" खाज खुजैली नहीं चाहिए "
डॉक्टर रेनू श्रीवास्तव जी प्रेम पर लेखनी चला रही है :---
आया बसंत , छाया बसंत ।
अब रुको नहीं, आ जाओ कंत ।।
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी बहुत ही सुंदर गजल रचना प्रस्तुत कर रहे हैं :---
जिसको सारे जहान में ढूंढा ।
वो मिली दिल के आशियाने में ।।
आदरणीया हंसा श्रीवास्तव जी माता पिता को समर्पित बेहतरीन रचना की प्रस्तुति दे रही हैं :---
धीरज रखते हैं जो ।
त्याग करते हैं वो ।।
श्री डी पी शुक्ल जी पानी की महिमा पर लेखनी चला रहे हैं :--
" बिन पानी नाही जिन्दगानी "
श्री अभिनंदन गोयल जी राधा कृष्ण की होली एवं रासलीला का सुन्दर चित्रण कर रहे हैं :---
" रास रच्यो है अनुपम ।
मनमोहन ने मन रंग डारो ,
करें प्रिया सें संगम "
डाॅ. अनीता गोस्वामी जी देश की बेहतरी के लिए विचार प्रकट कर रही हैं :---
यही देश का हाल रहा तो ,
मुझे राष्ट्रपति बनना होगा ।
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ गरीब का पसीना शीर्षक से बहुत ही उम्दा गजल प्रस्तुत कर रहे हैं :---
" हम लगे हैं हिन्दुस्तान सजाने में "
श्री जयहिन्द सिंह जय हिंद जी राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत गीत की बेहतरीन प्रस्तुति दे रहे हैं :---
आओ झांकी आज निकाले , वीरों के अरमान की ।
पुलकित हो जाए यह धरती , अपने हिंदुस्तान की ।।
श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी सिंगार युक्त चौकड़िया के माध्यम से सुंदरी को मदहोशी का पर्याय मान रहे हैं :---
" खड़े दूर प्रभु रहे देखते बच्चन की मधुशाला "
श्री सियाराम अहिरवार जी बहुत ही सुंदर गजल प्रस्तुत कर रहे हैं :---
"जिसने करें काम नेकी के ,
वह दुनिया में छा गया "
श्री वीरेन्द्र चंसोरिया जी रंगो का त्योहार होली मनाने हेतु सभी का आवाहन कर रहे हैं :---
" आओ मनायें रंग पर्व होली "
इस तरह से आज पटल पर सभी विद्वान मनीषियों ने बेहतरीन कलम चलाई है । सभी का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा कार्य को विराम देता हूं भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
- कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी
######जय बुंदेली साहित्य समूह#######
179-समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह,पलेरा
#सोमवारी समीक्षा##दिनाँक 29.03.2021##बुन्देली दोहे5# #बिषय /होरी##समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह#
*************************
#समीक्षा##लोकधुन/आल्हा पर आधारित#
पहले सुमरों मात सरस्वती,फिर गनेश खों लेंव मनाय।
होरी के सदभाव सबयी खों,दैरय अपनौ शीष नवाँय।।
होरी के दिन बिषय है होरी,होरी की बरजोरी संग।
होरी के दोहन में डारे,सबने अपने अपने रंग।।
होरी की हुल्लड़ में होरी बन्न बन्न सें भयो बखान।
ढोल नगरिया और मजीरा,लिखी सबयी होरी की तान।।
होरी खेलें किशन राधिका,खेलें गौरीशंकर नाथ।
राम सिया की होरी लिखरय,कृपा करें सब पै रघुनाथ।।
इतै की बातें इतै छोड़दो,अब आगे कौ करौ ख्याल।
सबके दोहन की परकम्मा,करबे खोलो अपनी चाल।
सबसें हात जोर कें कर रय,राम राम भैया जयहिन्द।
ऐसी लिखें समीक्षा नौनी,आ जाबै सबखों आनंद।।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द....
होरी की मन मौज बताई,होरी अधरन की मुस्कान।
होरी खेले सें मन मिलबै,बजै बधाई आलीशान।।
गोरी की होरी लिख डारी,राधा किशन लिखो है हाल।
बरजोरी गोपिन के संगै, कैसें करवा रय हैं ग्वाल।।
भाषा की शैली कौ मेंखुद,लगा ना पाऊं खुद अंदाज।
अब सबयी हैं भौत पारखी,भाषा के हैं तीरंदाज।।
#2#श्रीगुलाब सिंह यादव भाऊ..
होरी जन की होत चेतना,हिरनाकुश कौ लिख दव हाल।
होरी बरी आग में भैया,पर बच गया प्रतापी लाल।।
सत्य विजय है हार पाप की,होरी में मदिरा रय पेल।
फगुवा फगुवारे की बातें,मार ठिठोली देत गुलेल।।
भाषा बड़ी प्यारी चिकनी,मधुर भाऊ ने लिखी सुजान।
भाऊ खों है नमन हमारौ,है कवियन में जिनकी शान।।
#3#श्री प्रदीप खरे जी मंजुल...
लट्ठमार होरी की चर्चा,बरसाने बरसाई गुलाल।
होरी अब बदरंग भयी है,फिरसें लगो कोरोना काल।।
होरी की कलपन समझाई,है पीरहरन होरी त्योहार।
होरी खेलन सज धज आई,देखौ बरसाने की नार।।
भाषा भाव रंग होरी के,मंजुल भौत बिखेरी आन।
राम राम कर जोर हमारी,कवियन में छोड़ी पहचान।।
#4#श्री अशोक पटसारिया नादान.....
ढोल नगरिया लै फगवारे,होरी खूब बिखेरें रंग।
बिजली पोल सबयी रंग डारे,रग रग ऐसी उठी उमंग।।
दारू पियें डरे नाली में,लद्द फद्द हुरयारन टोल।
चड़ी भाँग मतवारी सँग में,लट्ठमार होरी दयी खोल।।
भाषा भाव बिचित्र समारे,कला पक्ष की है पहचान।
स्थापित कवि नमन हमरौ,सब कहते महान नादान।।
#5#श्री लखन लाल सोंनी लखन, छतरपुर..
दोहे लिखते सोनी भैया,होरी की लिखते हुरदंग।
कुण्डलिया लिख सिर्फ अधूरी,बिखराये होरी के रंग।।
आज पटल पै होरी वारे दोहन पै दिखाउते ताव।
भाषा नौनी लिखी नमन है,दोहन के भरियौ अब भाव।।
#6#श्री सरस कुमार जी दोह...
होरी की हुरदंग न चीनें,ना काऊ सें करें चिनार।
होरी के सब रंग उड़ेलौ,सब में प्रेम रंग लो डार।।
बृज की होरी लिखीदुश्मनी,होरी में दयी सबयी जलाय।
पिया मिलन कौ बिरह दिखाकें,असुवन होरी दयी दिखाय।।
भाषा भाव बिखेरे भौतयीं,और बना अपनी पहचान।
थोरे दिनन हमारे मन मेंबना लयी है अपनी शान।।
#7#श्री राम गोपाल रैकवार जी...
भावै ना फागुन बसंत कयघरै कंत नैयां चितचोर।
मन खों मथरा जमना ग्वालन,और ग्वाल पैडारी डोर।।
होरी के रस रंग डूब गय,होरी खेलत सब नर नार।
ऐसौ भाषा भाव भरो है,झाँकी सबरी दयी उतार।।
गकरिया गुर की चर्चा करकें,चले चैतुवा जब परदेश।
गाय चैतुवा गीत मीत भय,परदेशी केंभय फिर पेश।।
फहरा दियो तिरंगा इननें,दोहन देखौ चौखो भाव।
नमस्कार स्वीकार करौअब,
इन्तजार है कबलौ आव।।
#8#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इन्दु,. बड़ागांव, झांसी
होरी की शुभ करी कामना,कोरोना की चिन्ता डार।
गोरी गालन रंग गुलाल है,सोसल दूरी दयी उतार।।
बृज के रसिया की होरी है,कवियन की होरी बरसाय।
होरी पै होरा खाबे कौ,दव आनंद खूब बिखराय।।
भाषा भाव भरे जादू से,होरी कौ शो दव दिखलाय।
नमन आपको इन्दु करें हम,अपने रंग दये बरसाय।।
#9#श्री सियाराम अहिरवार सर......
समता भाईचारा कौ हो,उतै गूंजबें सबरे राग।
होरी कौ त्योहार मिलन कौ,हमजोली मिल खेलें फाग।
मथरा की गोरी की डोरी,होरी खेली सँग बृजराज।
होरी की झूमन होरी में,रँग कीचर सें आय ना बाज।।
भाषा भाव ल्याय अति सुन्दर ,जैसें ढरमा ढारो होय।
नमस्कार स्वीकारौ मोरी,धन्यवाद भी लैयौ सोय।।
-#10#श्रीअरविन्द श्रीवास्तव जी, भोपाल
होरी की जो करी ब्याख्या, अलग अलग जो बर्ण सुहांय।
पूरी समझाकें बतराई,बर्णवार दोहा में छाँय।।
फागुन चैत किसान मना रय,नच नच कें होरी त्योहार।
कटी फसल सो गल्ला आ रव,जीसें करें भौत बे प्यार।।
भाषा कौ लहराव तिरंगा,फहर फहर भारी फहराय।
भैया भैंट मोरी स्वीकारौ, होरी की फागें लो गाय।।
#11#बहिन हंसा श्रीवास्तव ,भोपाल
फागुन झूम कृष्ण राधा की,होरी रही पटल पै छाय।
करो रँगन कौ बरनन अपने, दो रंग कौ झण्डा फहराय।
भाषा कौ लालित्य भाव सब,खूब समारे बारंबार।
बहिन चरन रज लेंय आपकी,धन्यवाद है अपरंपार।।
#12#श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' जी, टीकमगढ़.
राधा कृष्ण सी होरी खेलौ,रँग डारौ या लगै गुलाल।
कोविड कौ चक्कर है भारी,जी सें बाँकौ होय ना बाल।।
फहरा आज तिरंगा अपना,भाषा भाव बनाकें नीक।
धन्यवाद स्वीकारौ भैया,काम आपके सबरे ठीक।।
#13#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी......
राम सिय की होरी लिख दयी,अमर प्रेम होरी के साथ।
भगवाँ भृत लजाई होरी,लखन सिया खों टैकें माथ।।
लंका हनुमान की होरी,रावन की लंका दयी जार।
भाषा भाव जगत्तर जानें,पोषक
लेखन में हुशयार।।
नमस्कार है बार बार सो पोषक जी करियौ स्वीकार।
बुन्देली की कृपा आप पै,जानत है जन जन संसार।।
#14#डा.रेणु श्रीवास्तव जी..... भोपाल
होरी लिखी गाँव की नौनी,कड़ गयी भौजी घूँघट घाल।
होरी जा लड़ेर की लिख दयी,
कड़ौ ना कौरौना कौ काल।।
घर में होरी खेलो सैंयां,होरी परिभखषा समझाय।
कौरौना में कछू ना सूजै,मोरी समज कछू ना आय।।
भाषा लगी आपकी नौनी,भाव भरे हैं कयी रंग दार।
चरन बंदना करूँ आपकी,कर लैयौ मोरी स्वीकार।।
#15#डा.सुशील शर्मा जी.. गाडरवारा
होरी खेलन मेंसब मोंसैं,कोरोना ने पूंछौ हाल।
पुलिस ने देखो बिना मास्क के,हुरि
यारन मारो तत्काल।।
कौरौना के मारें भैया खोगव सबकौ जीवन चैन।
लाँकडाउन माहौल बुरव है,रहो घरै रंग डारौ ऐन।।
भाषा भाव है भोत निरालौ,खूब बहाई रस की धार।
शर्मा जी खों नमन हमारौ,अभिनन्दन है बारंबार।।
#16#श्री एस.आर सरल जी....
सरल ने लिखी पटल की होरी,कवि हुरयारे कविता रंग।
चुनरिया दाग लगांय हुलक सें,मन में राखें भौत उमंग।।
बृजनारी की होरी लिख दयी,प्यार रंग होरी दयी खोल।
त्योहारन की बता कुरीतें,खोली बड़ी ढोल की पोल।।
भाषा चमत्कार का कानें,लय और तान बड़ी रसदार।
सरल सुभाव है सरल आपकौ,नमन करें जयहिन्द अपार।।
#17#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी......
किशन के नैनन में गुलाल है,धोये सैं ना कड़ें गुपाल।
मन में खूब धधकती होरी,खिली फाग ना बदली चाल।।
सारी ना ससुरार कहानी,भौजाई ना घर में यार।
रँग ना हमखों तनक पुसाबै,की पै करिये रँग बौछार।।
भाव भरे श्याम की होरी,दोहा बनें बड़े रसदार।
अभिनंदन पीयूष आपका,दोहे देबैं सबयी बहार।।
#18#श्री डी.पी.शुक्ला सरस जी......
प्रेम रंग रँग डारो देखौ ,इनने होरी के दरम्यान।
मन की होरी शान बचाहै,माथें तिलक बढाये शान।।
मन कौ मैल मिटा कें राखौ,प्रेम मिलन रँग खूब सुहाय।
करें सुधार तनक दोहन में,लगो मात्रा भार बचाँय।।
भाषा भाव ठीक हैं दै रयी,लय में है थोरौ अवरोध।
अगर सुधर जेंहें कछु दोहे,तौ रैहै ना तनक विरोध।।
#19#श्री रामानंद पाठक जी नंद......
लिखो प्रसंग धार्मिक ऐसौ ,जो होरी की पकरें गंध।
दूजे दोहा कौ होरी सें,पाठक जी कौनौ संबंध।।
प्रेम रंग कौ बरनन करकें,रंग चाहत कौ करो विरोध।
दर्शन की राखी अभिलाषा,नयी होरी कौ करकें शोध।।
भाषा भाव ठीक लय नौनी,जैसें झूमत बन्दनवार।
आनंद होय जयहिन्द नंद घर,नमन करूं उनको हरवार।।
#20#श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी.......
होरी रंग लागे हैं सबखों,रंगत है सबकी रँगदार।
बुराई गयी आग में भैया,खिली फाग भारी रसदार।।
रंग प्रेम डारौ होरी में,और खुशी में जाओ झूम।
रंग में खूब भिड़ाव सबयी खों,अपनी माटी खों लो चूम।।
भाव भरे दोहा चौराहा,बनौ खूबसूरत हर रंग।
सादर नमन आप स्वीकारौ,चरन छुये सें बढे उमंग।।
#21#श्री संजय श्रीवास्तव जी... दिल्ली.
अहंकार के भाव भरे हैं,सँग होरी के चतुर सुजान।
द्वेष जलन ईर्ष्या जल गयी,सदभावना बनी पहचान।।
है समाज सदभाव मनाये,हिन्दू हौरी कौ त्योहार।
प्रेम हर्ष रंग डूब जात है,खुशियन में पूरौ संसार।।
भाषा भाव दोयी टकसाली,दोहन में डारी है जान।
नमन आपको श्रीवास्तव जी,कवियन में होती पहचान।।
उपसंहार.....
आठ बजे कौ समय हो गया,छूट जाय धोके सें कोय।
छमा करौ मन में ना धरियौ,सदा राखियौ अपनौ जान।।
चतुर सुजान सबयी कवियन नें,गंगा जमुना सौ अनुराग।संग सरस्वती स्वयम् मिल गयी,बन गव तीरथराज प्रयाग।।
करूं वन्दना आप सबयी की,करी समीक्षा लै आनन्द।
राम राम कर जोर हमारी,स्वीकारौ कै रय जयहिन्द।।
#मौलिक एवम् स्वरचित समीक्षा#
#समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह
जयहिन्द पलेरा#
#####जय बुंदेली साहित्य समूह#######
180-एस आर सरल🙏🌷टीकमगढ़🌷
####जय बुंदेली साहित्य
जय बुन्देली साहित्य समूह
समीक्षा दिनांक 30.3.2021
दिन मंगलवार
आल्हामय समीक्षा
🙏विनय🙏 आल्हा🙏
न अनुभवी कवि मैं कोई,
न विद्वान में गिनती मोर।
भूल चूक सब लियो समार,
विनती करूं दोउ कर जोर।।
निर्बल जान हसी ना करियो,
बिगड़ी लिइयो बात बनाय।
टूटे फूटे शब्द सजोकर,
मोइ समीक्षा देव लिखाय।।
बारम्बार सरल की विनती,
नव सिखिया रव कलम चलाय।
वन्दव बाबा भीम राव को,
जिनने कलम दई पकडाय।।
लिखू समीक्षा विद्वानों की,
मोरी कलम धन्य होइ जाय।
बन्दव गौतम बुद्ध तथागत,
दिइयों शब्द"ज्ञान बर्षाय।।
#समीक्षा प्रारंभ#
#1#श्री जयहिन्द सिंह
बारम्बार नमन बदन कर,अब आगे का करू बखान।
बडे कवी जयहिंद सिंह जी,जिनकी है बुन्देली शान।।
भाइ बहन का प्यार अनोखा, जानत हैं रिश्ता सब कोय।
जाति धर्म हो एक सभ्यता,ऐसा नहीं जरूरी होय।।
भाइ बहन हों एक पेट से, ऐसी नहीं जरूरी शर्त।
भाइ बहिन के प्रेम में दिखती,प्यारी सुंदर पावन पर्त।।
सावन महिना शुक्ल पूर्णिमा,आता राखी का त्योहार।
पर्व प्यारा भाइ बहिन का,सजता प्यारा बंदनवार।।
भाइ बहिन का प्यारा रिश्ता,कठिन निभाना है संकल्प।
इससे बढ़कर प्रेम का दूजा,मिले न ढूंढे कोइ विकल्प।।
भाइ बहन का प्यार है ऐसा, जैसे गंगा जमुना धार।
कच्चा सूत पहचान प्रेमका, भाई बहन का सच्चा प्यार।।
अद्भुत रचनाकार आप हैं, बहू विधा मर्मज्ञ सुजान।
आप पटल पर ऐसे दमकत जैसे दमकत पूरब भान।।
#2# श्री गुलाब सिंह भाऊ जी,
भाइ दूज त्यौहार बहन का, यह आता है हरेक साल।
टीका करती बहन भाइ का, सिर माथे पर लगा गुलाल।।
जिस भाई के बहिन नहीं है,उसको नहीं बहिन का प्यार।
भाइ बहिन के प्यार बिना सब, लगता सब झूठा संसार।।
बहन मांगती है भैया से, रक्षाबंधन का त्यौहार।
और दूज त्योहार मांगती, बरषे सदा भाइ का प्यार।।
ई कलयुग के राज में भैया,घर घर में है रावण आज।
रक्षा करो बहन की भैया, जो सिर चाहो अपने ताज।।
सुंदर सरल सलोनी भाषा, के बुन्देली हैं सरदार।
आप पारखी कूशल कवी हैं,तुम्हें बधाई बारम्बार।।
#3#रामेश्वर प्रसाद इन्दु
एक कोख से दोनों जन्मे,भाइ-बहिन की उठी हिलोर।
आगे पीछे जन्म का अंतर,दोनों बनें आप सिरमौर।।
जग में जाहिर भाइ बहिन की,होती बड़ी अनोखी प्रीत।
दोनों एक उदर से आते, और निभाते चलते रीत।।
भाइ बहिन का खासा रिश्ता,जिसकी है दुनिया में शान। सुख दुख में साथी दूजे के, करते इक दूजे का मान।।
बढ़िया दोहे इंदु जी के,लिखके दिए पटल पर डाल।
भाव पक्ष सुन्दर रचना है,सुन्दर रचना का लय ताल।।
#4#श्री राज गोस्वामी
राज ने राज लिखे दोहो मे,भाइ बहिन का लिखा प्यार।
सुंदरतम रक्षाबंधन है , भाई बहिना का त्योहार।।
भाइ बहिन दो रूप बतावै, जो विधि के हैं दिए स्वरूप।
जैसे दिन में छांव होत है,और कहीं होती है धूप।।
सुन्दर सुगढ़ सुहावन दोहे,डाले श्री गोस्वामी राज।
बधाइ बारम्बार आपको, जय हो गोस्वामी महराज।।
#5# श्री पोषक जी
हर भारतवासी को होता,अपने शुभ कारज पर गर्व।
भाइ दूज भाई बहना का, होता पावन पुनीत पर्व।।
भाइ बहिन के मध्य में होते, सुंदर रिश्ते बहुत महान।
भाइ बहन परिवार की होते, सच्ची आन बान औ शान।।
भाइ बहिन खुशियां बिखेरते, खुशहाली लाते भरपूर।
मात-पिता सुख अनुभव करते, होते उनके संकट दूर।।
भाइ बहिन आपस में करते, इक दूजे को दिल से प्यार।
सुख दुख औसर काज मैं साथी, बनते दोनों भागीदार।।
अजब गजब बुन्देली छाइ,दोहो मे लिख दीनो सार।
अद्भुत कलमकार पोषक जी,तुम्हें बधाई बारंबार।।
#6# श्री वीरेंद्र कुमार चंसौरिया जी
बहुतक रिश्ते हैं दुनिया मे, हम सबने हैं सुने अनेक।
उनमें रिश्ता भाइ बहिन का,सबसे सच्चा सीधा नेक।।
भाइ होता जान बहिन की,ऐसा भाइ बहिन का प्यार।
इक दूजे बिन रहे अधूरे, सूना लगता घर परिवार।।
#7#श्री अशोक पटसारिया जी नादान
भये प्रकट हरदौल ललाजी,जब कुंजा की सुनी पुकार।
कुंजावत हरदौल लला का,जग जाहिर हो गया प्यार।।
कुदरत की महिमा है अद्भुत, कीना बहुत बड़ा उपकार।
वाह वाह कुदरत की गावै, जिनको भाइ बहिन का प्यार।।
बना रहे आशीष भाइ पर,और परस्पर रहे प्यार।
भाइ के रहते दुखी बहन हो, ऐसे भैया को धिक्कार।।
लड़ना पिटना और कूटना,संगै करना हंसी मजाक ।
जान छिड़कना है भैया पर, और जमाना अपनी धाक।।
गुण सागर श्रीमान आप हैं,गुणी काव्य के सिरजनहार।
चमत्कारि नादान आपको,बधाइ मेरी बारम्बार।।
#8#श्री प्रदीप जी मंजुल
नैसर्गिक उपहार हमेशा,होता भाइ बहन का प्यार।
बिन बहना भाई को लगता, सूना सूना सा संसार।।
बहिना हाँथा होत दूज का,भैया खाये घर मे खीर।
काल अकाल न मारे उनको, सुखी रहै बे वीर।।
भाइ दूज पावन तिथि देखी,आवत देख बहिन हर्षाय।
तिलक कराने स्वयं यम है,
यमुना जी के घर हैं आय।।
मंजुल जी के दोहे मंजुल, गागर मे सागर भर दीन।
गजब काव्य के सिरजन कर्ता,
श्रेष्ठ कवी मंजुल प्रवीन।।
#9#श्री राम गोपाल रैकवार जी
परमात्मा होत हैं भाइ,होती बहिन आत्मा रूप।
परमब्रह्म के अंग हैं दोनो, दोनो के हैं एक स्वरूप।।
आप पटल पर महा विभूति, गागर मे सागर भर देत।
ज्यौ नदियों नालो के जल को, सागर सहज लीन कर लेत।।
#10# डॉक्टर सुशील शर्मा जी
थाल सजाए बहना बैठी,छाई अधरों पर मुस्कान ।
इंतजार है वीर भाई का, जिसकी मैं गरबीली शान।
बहन खूब फूलों फलियों तुम, उर तुम जियो हजारों साल।
उमर हमारी तुमको लगवे ,तुम जीवन भर रव खुशहाल।।
टीका लगा दये चंदन के, डारी मंगल रेशम डोर।
भैया हंसते रहो जीवन भर जैसे चमके विभा विभोर।।
शानदार भाषाई कौशल ,और गजब के दोहाकार।
धन्य धन्य है कलम आपकी, दऊँ बधाई बारंबार।।
डॉ रेणु श्रीवास्तव
पढ़े लिखे परिवार में दोनो, भाई बहन रहे इक साथ।
रक्षाबंधन और दोज का,तिलक लगा भाई के माथ।
दोज तिथी को सदा हैं आते,
वे यमुना जू के यमराज।
भाइ बहिन का प्यार देखके,इन पर सबको होता नाज।।
भाइ बहिन पावन रिश्तों का,होता रहे मान सम्मान।
घर घर खुश हौ भाइ बहिन सब,ईश्वर ऐसा दो वरदान।।
#11#डी पी सरस
रक्षाबंधन बडा पर्व है, होता भाइ बहिन के बीच।
प्रेम का बंधन बाँध भाइ को,भाई बहिन दोउ रय सीच।।
भाइ बहिन का प्रेम है ऐसा,जैसे नद के दोउ किनार।सास ससुर की सेवा कीनो,माता पिता कहे अनुसार।।
भाव प्रधान लिखे सब दोहे,आप कुशल हैं रचनाकार।
समय नहीं आगे लिखने को,विनती कर रय बारम्बार।।
#12#श्री राम आनंद पाठक
तन से बहिना दूर हमारे, मन से रहती हमरे पास।
हैं भाइ कब बहिन बुलाते, लागी रहे बहिन को आस।।
रिश्ता भाइ बहिन का पावन,निर्मल पावन गंग समान।
बहिन दुआएं देत भाइ को,भाई खुशी रहै भगवान।।
बढिया दोहे लिखे नंद जी,भाइ बहिन का लिखा प्यार।
पढ़के दोहे गद गद हो गय,दऊँ बधाइ बारंबार।।
#13#श्री सरस कुमार जी
समझदार भैया बहिना का,बहिन लाड़ली बहुत हमार।
सरस मगन हो गये देखके,भाई बहिन परस्पर प्यार।।
#14#हंसा श्रीवास्तव जी
देत बहिन आशीष भाइ को,और कामना करे अपार।
भाइ दूज का यह त्योहार है, जो खुशियों की देत बहार।।
इक दूजे का साथ निभाकर, दुख्ख दर्द को दव मिटाय।
आपस की तकरार छोड के,रिश्ते दो मजबूत बनाय।।
#15#श्री प्रभुदयाल जी
बहिन भाइ की आन बनाई,भाइ बहिन की होती जान।
भाइ बहिन के रिश्ते अनुपम, होते सबसे मधुर महान।।
जिस घर आँगन मे खिलते हैं, भाई बहिना से दो फूल।
उस घर नेह नीर की बारिश, करते सदा ईश अनुकूल।।
हैं पीयूष पटल कवियों को,करवाते कविता रसपान।
भाषा गूढ़ अर्थ रंगित है, आप बरिष्ठ बडे विद्वान।।
#16#श्री संजय श्रीवास्तव
बहन हमारी बनी संस्कृति, बरसत रहे भाइ का प्यार।
सनातनी है परंपरा यह, श्रेष्ठ शुद्ध नम्र व्यवहार।।
वीर बुंदेलों की यह भूमि, इसकी कथा बड़ी अनमोल।
देवी सी है कुंजा बहना और देवता है हरदौल।।
भाइ बहिन दोनो को एक सा, मिलता रहे सदा सम्मान।
दोनों ही शिक्षित हो करके, दोनों बने कुलों की शान।।
#17#श्री एस आर सरल जी
भाइ बिना बहिना नहि होइ,बहिना बिना भाइ नहिँ होय।
एक पेट के नूर दोउ हैं, यह रीति जानत सब कोय।।
#18#श्री सियाराम सर जी
चली गई ससुराल बहन जी, भैया को इकला गइ छोड़।
बचपन की यादों में उलझा, आया ऐसा कैसे मोड़।।
होते नीके भाव सदा ही, भाई और बहन के बीच।
होता प्यार भाई बहनों में, जो ले आत परस्पर खींच।।
भाइ बहिन त्योहार न सोहे,ऐसा कहें आप श्रीमान।
बड़े कवी हैं आप पटल पर,कुशल समीक्षक की पहचान।
छोटा जान क्षमा कर दीजो,
गलती मोइ क्षमा हो जाय।
कोइ चूक अनजाने हो गइ
अवगत दो तत्काल कराय।।
🌹समीक्षक🌹
🙏एस आर सरल🙏
🌷टीकमगढ़🌷
####जय बुंदेली साहित्य समूह#######
181- श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र31-3-21जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन
समीक्षक पं. डी.पी. शुक्ला टीकमगढ़
बुंदेली के वरद पुत्रन ! बुंदेली को मान बढ़ा रय!! अपने माथे बांध सिरोही! बुंदेली के लाल कुवारय!!
बुंदेलखड़ बाँको लगत! लगत बुंदेली है नोनी !!
काब्य मनीषि ज्योति जला रये !
तेल में डार के पौनी !!
काब्य लेखन में खिल रये पुष्प!
मँहक दूर देशन है फैली!!
जय बुंदेली साहित्य समूह ने !
दे सहयोग हटा रय चादर मैली !!
प्रथम में पटल पर आज उत्तम रचना बुंदेली में पटल पर प्रस्तुत की गई है रचनाकार काव्य मनीषियों को बहुत-बहुत साधुवाद हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन करते हुए धन्यवाद नमन करता हूँ!
नंबर 1 -राजीव नामदेव जूूू की हंसी ठिठोली कर बताओ है और चुनाव की बारी में होरी जैसी बदमाशी में रंगे नेता चुनाव की बोली लगा रय है नशा भांग खाए हुए लग रय अंत में मीठी बुंदेली में बोल होरी जैसौ रंग छोड़ रय एक .कालजई रचना
नंबर 2 .भाव संमत रचना नंबर 3 .धारा प्रवाह रचना 4.चुनावी धरा की सच्चाई
5.रस अलंकार व्यंजना की चुभन
नंबर 6. बुंदेली की छटा उत्तम गजल हेतु साधुवाद सादर बधाई, धन्यवाद
नंबर दो .श्री अशोक पाटसरिया ,,नादान,, जुने पटल पर बुंदेली देवर भौजी की होरी के शीर्षक सेंइ मजा लव है जिए अपने सब्दन मे पिरो के सिंगार में अपनी रचना में चोली खो गीलौ करवौ बताव रय और रस रंग में होरी को मजा लेत भय हुरआरे खचा में धर गए शब्द संयोजन उत्तम शराबोर रंग की होरी बिंद्रावन को याद दिलाउत होरी की हुडदंग में भौजी की नस नस ढिलया दई और मुईया कारी कर गए पूरे जीवन में जो प्यार भरो होरी को अपनत्व रो रंग भर गए जो निकरत नहीं निकारौ
नंबर 1. अतिशयोक्ति अलंकार की छटा
नंबर दो .शृंगार रस को वर्णन
नंबर 3. प्रेम रस में अपनोंपन
नंबर 4 .भाव एवं समरसता की बुंदेली
नंबर 5.रिस्तों की फेहरिस्त लुभावनी!
उत्तम होरी हेतु नादान जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन !
नंबर 3- श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद ,,जुने चेतना गीत शीर्षक के माध्यम से बुंदेली दोहे में जिंदगी हंस के गुजारो तो ना लगाने पर है हवा के लाने तिवारौं रोबे बारे रोउत में जाम नहीं थामने रोबे से जीवन विगरत और प्रभु जी साथ नई देत!
शब्द संयोजन उत्तम के साथ में घर कौ लड़का सेवा छोड़ देत हंसी में प्रेम और प्रेम में बसत नंदलाल सोउ होत जीवन खुशहाल!
नंबर 1 सुख की अनुभूति हेतु रोना नसीब नहीं है उत्तम चेतावनी
दूसर. शब्द संयोजन उत्तम तीसर. रस एवं अलंकार का समावेश
चौथा . भावों में पिरो कर बुंदेली को प्रोत्साहन
उत्तम रचना हेतु दाऊ साहब साधुवाद के पात्र हैं हंस के जीवन गारो चेतावनी दी है सादर बधाई वंदन अभिनंदन!
नंबर 4- श्री पी.डी. श्रीवास्तव जी टीकमगढ़ चौकड़िया के माध्यम से कुंज गलियन में नंदलाल से गोपी कह रही के ऐसो रंग ना डारो निकरै नाँही निकारौऔर सासु शंका करके जाने का कह दे मुंह पै लगाम नई रुके नहीं नंद तो भौतै विस की पुटईया है हार में घर में करो बताओ है तुम आओ श्याम रंग तोड़ती जान ले हैं श्रीवास्तव जी ने नोनी होरी में मन के मीत बताए हैं नोनी रचना करके अध्यात्म में मनमोहक शब्दों का चयन करो है नंबर 1 .अध्यात्म भरी बुंदेली
नंबर दो. उपमेय उपमान की छटा
नंबर तीन. सिंगार युक्त होरी
नंबर चार .अंतर उर की वेदना संदेह अलंकार का समावेश रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन धन्यवा!
नंबर 5 -श्री गुलाब सिंह भाऊ जी ने चौकड़िया में होली की फाग माध्यम से बताओ है कि मनमोहन ने प्रेम भरी पिचकारी ऐसी मारी के आज तक को रंग भाऊ के ऊपर से नहीं निकरो और लाल गाल गुलाल लगाकर कर दय मन की मौज में लैंड होत भई भौतै नौमी रचना हार्दिक बधाई सादर अभिवादन!
नंबर 6- श्री प्रदीप खरे जू ने सीता हरण के माध्यम से ही रावण ने रंभा हरण किया ब्रह्मा नेश्राप दिया होंगे शीश के सौ टुकड़े कर्म किया कौशल देश कौ जो लाल जन्म पाएगा उसके हाथों तू मद रूपी रावण अवस्य ही मारा जाएगा और बाद में कौशल्या रूपी संदूक दशरथ को आखेट करते मिली राम ने जन्म लेकर रावण को अपने धाम पटाया हे प्रभु तुम सागर पार कर पाए मैं भवसागर पार हुआ तुम हार गए मैं जीत गया बहुत सुंदर रचना हेतुे श्री खरे जी साधुवाद वंदन अभिनंदन !
नंबर 1 .अध्यात्म के सागर विशेष वर्णन
नंबर दो. भावों में प्रेम रस की चेतावनी
नंबर तीन.मद भरे वचनों का अंत
नंबर 4 .सागर से भवसागर पार किया अद्भुत रस का समावेश
नंबर पांच .शब्द संयोजन उत्तम
नंबर 7 - श्री सरस कुमार जु ने चौकड़िया के माध्यम से ही नश्वर संसार की रीति से आहत हो कर चेतावनी के रूप में बताओ है विटियन की पर्दा हटवे पै भी पर रोष व्यक्त करो है लेकिन समय के साथ बदलना भी जरूरी है नफरती संसार में मतलबी हो रय चेतावनी दी है संसार में दिखावे की प्रीति लड़का केवल संपत्ति के लाने मां बाप को बीच में छोड़ रव मन के भीतर बस लो ऐसोे ही होवै हम आशा करते हैं
नंबर 1 .भौतै नौनी चेतावनी
नंबर 2.बदलाओ की ओर भविष्य
नंबर 3 .स्वतंत्रता की ओर नारी चित्रण!
नंबर 4 .लड़का की कालों करें आस
सुंदर भाव उत्तम रचना हेतु श्री सरस कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई हार्दिक धन्यवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 8 -श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जू ने चौकड़ियन के माध्यम से चुगली के बारे में बताओ है के चुगलखोर जितने हो गए केसौ बीज है वो गय अपनी बात बतावनें दूसरे की पीड़ा में शामिल नईं होंने गए पीर बताओ ना बताओ ऊकी पीरा में भी शामिल नईं होने!
नंबर 1 भौतै नोनी चेतावनी
नंबर 2 .चुगल खोरी की भर्त्सना की है ,
नंबर 3. पीर पराई को ध्यान कराओ है, नौनी
रचना हेत श्रीु इंदु जी कौ वंदन अभिनंदन धन्यवा!
नं9- डी.पी. शुक्ला ,,सरस,, नेफाग में न करने की चेतावनी दई है फाग में तबई बुरा मानो होली है मान के चलने परहै और गधा पर भी बैठने पर जाए ससुरारे ना जइयो नाँतर 12 को मौर सोउ धरने परहै प्रेम के बंधन में बंधवौ भलो लेकिन ऐसौ बंधन ठीक नहीं ना होरी ठीक है चेतावनी भरी बात करी है ?
नंबर 10 -श्री रामानंद पाठक जू ने चौकड़िया के माध्यम से एक होरी में रंगन की पिचकारी से ग्वालन कों रंग दव सबई ताली बजा रये प्रेम कौ प्रेमी आनंद सांवरिया के संग चुनरिया भीगी दिखाई दे रै वौ रंग कि आज तक नहीं उतरो बहुत बहुत बधाई हार्दिक वंदन अभिनंदन!
11- श्री राज गोस्वामी जी ने बुंदेली में अबकी बार की होली में राधिका और गोपाल पानी की चेतावनी दैकें लट्ठमार होली से अध्यात्म की ओर राधा रानी के नाम से तो सबरे काम वन जाते बांके बिहारी के नाम से तो तन की होरी मन की की होरी दिखान लगत श्री गोस्वामी जुने प्रेम बंधन को निहारो है और बांके बिहारी को मन में बसा के होली खेली है बहुत ही नौनी रचना साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 12 .डॉ सुशील शर्मा जी ने राही भजनानंद के माध्यम से ही जीबन को 2 दिन को मेला बताओ है जो सांचौ है माया में लिपटो जौ प्राणी वृद्धा में तनु हूं कब आ रहा है मद में उल्लू जो मानव तन के विरथा में गँवा रव है, जगत सपनों लगत सवाई मद में भूलौ जौ मानव माटी में मिल जैहै मिलकर तो मन काहे को करे भौतै नौनी रचना के. लानें श्री शर्मा जी को हार्दिक अभिवादन वंदन अभिनंदन!
नंबर 13- श्री कल्याण दास साहू ,,पोषक जब ने फाग के माध्यम से मोहन की मोहनिया से आहत गोपी ग्वाल मुरली की तान भुला नहीं पा रय है और रंग की पिचकारी ने एसौ रंगई रंग दव जो रंग ब्रज में आज ही बरस रव है ऐसी होरी के लाने श्री पोषक जी को हार्दिक बधाई सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद!
नंबर 14 -एस. आर. सरल,, जू ने अपनी धमक शीर्षक के माध्यम से राजनीति की घातन के बारे में बताओ महंगाई में आग लगी है हिंदू मुस्लिम की राजनीति हो रही चीन चीन के रेवड़ी सी बांट रहे हैं बहुत ही उम्दा रचना श्री सरल जी ने बहुत ही भउसा मचेो बताव है राजनीति की चमड़ी उधेड़ के चेतावनी दी है समय बिलोरा कौ है जो राजनीति शुरू होते ही घातें हौन लगत भौतै नौनी रचना हेतु साधुवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन!
नंबर 15- श्री राम कुमार शुक्ला राम जी ने अपनी बुंदेली फाग के माध्यम से ही नए जमाने की उधेड़बुन की चेतावनी दी है और संदेहास्पद स्थिति को बढाने मैं होरी संग देत है जिसे होरी मंन की खेलो श्री राम जी ने तन की होरी खेले की समझाइसं दई है कै पानी कम खर्च करो गुलाल लगाकर मन की हेोरी खेलो जीसेघर के बिबाद से बचे रैहौ रामजी ने चेतावनी फाग के माध्यम से दई है उत्तम रचना हेतु वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद!
16- श्री सियाराम अहिरवार जुने अपनी चौकड़िया की माध्यम से बरसाने की होरी को मजा बुंदेली मे लै लव और श्याम रंग में रंगी चुनरिया अपने दिल में बिठा के होली खेली होली को आनंद उठा लओ अध्यात्म भरी मनमोहक चित्रण की होली शब्द लेखन उत्तम सिंगार से ओतप्रोत हेतु उत्तम रचना के. लाने बधाई सादर धन्यवाद अभिवादन
नंबर 17 -श्री राम गोपाल रैकवार जूने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से आज की कालजई स्थिति को वर्णन करके बताओ है के आदमी राजनीति के दामन में अपने कौं विलरौ जान रव है कै जनता को कोउ नईं पूछ रव है नौनी रचना करी कोरोना सी महामारी में चुनावी हाल में मेला सौ लगो रत नोनी रचना के. लाने बहुत-बहुत बधाई सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन !
- समीक्षक- श्री डीपी शुक्ला, टीकमगढ़
###जय बुंदेली साहित्य समूह#######
182-राजीव नामदेव'राना लिधौरी', हिंदी स्वतंत्र1.4.21
*182-आज की समीक्षा** *दिनांक -1-4-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी स्वतंत्र लेखन*
आज पटल पर *हिंदी में स्वतंत्र पद्य* पोस्ट करने थे सभी साथियों ने बहुत बढ़िया रचनाएं पटल पर रखीं।
पढ़ने में बहुत आनंद आ गया। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर *(१) अशोक पटसारिया नादान जी* ने चेतावनी निर्गुण सुंदर सा भजन पटल पर रखा -
तन का बंगला आलीशान।
इसका मालिक है भगवान।।
कभी सोचा, सोचा, सोचा रे इंसान।
*2*- *राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़* ने ग़ज़ल पेश की उनका ये शेर बहुत सराहे गये-
बेवफ़ा तुझको मैं बेशक़ जो नज़र आता हूँ।
दुश्मनों के भी मगर दिल में है उतर जाता हूँ।।
गै़रों के बल पै सूरज न बनूंगा *'राना'*।
दीप हूँ मैं तो अन्धेरे में टिमटिमाता हूँ।।
*3*- *सरस कुमार ,दोह खरगापुर* ने मुक्तक में यह कामना कर रहे हैं-
नयी सुब्हा, नयी शाम, नया दिनमान तेरा हो
धरा के फूल हो तेरे, धरा, आसमान तेरा हो
तेरी हो सभी खुशियाँ तेरी पूरी तमन्ना हो
हरेक जन का हो प्यारा, हरेक मेहमान तेरा हो।।
*4*- *डॉ सुशील शर्मा, जी गाडरवाड़ा* से होली पर केंद्रित कुण्डलिया लिखी-
मुखड़ा मले अबीर में, राधा जू मुस्काय।
दीपित छवि को सांवरों , देखत नहीं अघाय।
देखत नहीं अघाय ,धरें भरके पिचकारी।
निरखत छवि जा श्याम ,फिरे राधा बेचारी।
किसको रंग लगाय ,कहे किससे यह दुखड़ा।
हर गोपी के संग ,दिखे केशव का मुखड़ा। ।
*5*- *डां अनीता गोस्वामी जी भोपाल* ने अपनी कविता में बहुत सुंदर शब्द चित्र प्रस्तुत किया है-
"समर्पित प्रेम"--विछोह में भी- - -- - -
**प्रथम विछोह के अश्रु बूंद को- - - -- -
मय मुस्कान तू कर स्वीकार- - - - - -
**तेरे नितांत एकांत क्षणोमें- - - - - -- - -
स्मृति पटल के प्रांगणमें
ये अश्रुबुंद ही संवाद करेंगे
तृप्त होगा तन मन सारा--- - -।।
*6*- *रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु* ने ग़ज़ल पेश की ये शेर बहुत बढ़िया लगे-
कोशिशें ही निखार लाती हैं/
रौशनी भी हजार लाती हैं//
हौसलों ने ही जंग है जीती,
जिंदगी में बहार लाती हैं/
।
*7-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा,* ने सुंदर सा गीत लिखा-
आज अबधपुर आइ है,ऐक सुहानी नार।
रहने बाली ग्राम की,जो सरयू के पार।।
आइ खिलौने बेचने, घर घर फेरी फेर।
गली गली में दे रही,थरें टोकरी टेर।।
मैं खिलौने बाली,आज अबधपुर आई।
बेंचूं आज खिलौनें अपने,बजा बजा शहनाई।।
*8*- *श्री अभिनन्दन गोइल जी इंदौर* से ग़ज़ल में लिखते-
रंगों सी हंसी हंसता खुशबू के साथ जीता हूं।
फूलों की तरह झूम के शबनम के अश्क पीता हूं।।
भूलों से अपनी सीख के आगे का रुख किया मैंने
ज़ख्मों को न कुरेद के खुशियों के जाम पीता हूं।।
*9*- *कविता नेमा जी* होली गीत लिख रही हैं-
ब्रज में हो रही होली आज
भीगे हैं सब नर नारी।।
तन मन हो गये लाल गुलाल
भीग रहे हैं सब नर नारी।
*10*- *श्री एस आर सरल,टीकमगढ़* ने व्यक्तित्व की परछाईं पर बेहतरीन कविता रची-
कविता का हर एक शब्द,
कवि की चाहत का मोती है।
कविता में कवि व्यक्तित्व
की इक परछाई होती है।।
*11- हंसा श्रीवास्तव जी भोपाल* ने भी ब्रज की होली पर सुंदर गीत लिखा-
राधा जी के संग ,होली खेलें नंदलाल है ,
ब्रज में धूम मची ,उडे़ अबीर गुलाल है ।
कान्हा संग में ग्वाले भी आऐ है ,
सखिओं को घेरे रंग लिपटाऐ है ,
राधा रानी रोके ,न माने नंदलाल है ,
ब्रज में धूम .....।
*12*- *श्री राम गुलाम यादव मउरानीपुर* लिखते हैं के जो रिश्ते कमजोर होते है वह टूट जाते है-
कुछ अपने हमसे रूठ गए
कुछ काँच जैसे टूट गए
जो रिश्ते वर्षो से समेटे थे
कमजोर थे हाँथो से छूट गये।
*13*- *श्री अरविन्द श्रीवास्तव* जी भोपाल से अपनी पहली होली का अनुभव शेयर कर रहे हैं-
नई उमंग औ' नई बहार में मिली जिसे हमजोली,
सबसे पहले उस किशोर ने खेली होगी होली ।
किसी याद में छा गई होगी जब गालों पर लाली,
इन्तज़ार में आतुर होगी जब उमरिया बाली,
अनजाने ही सज गई मन में जब अनगिनती रंगोली;
तब सजनी ने जानी होगी ऐसी होती होली ।।
*14*- *श्री प्रदीप खरे मंजुल* **टीकमगढ़* ने बहुत ही मार्मिक गीत लिखा- गर्भ के बिटिया का करूण निवेदन सुनकर आंखें नम हो गयी।
माता मुझको मार न देना,
चिंता में वह रहती है।
पैदा होकर नाम करूंगी,
गर्भ में बिटिया कहती है।
रूखी सूखी खा कर के,
सारे काम करूंगी मैं।
तू जैसे चाहेगी माता मेरी,
वैसे ही रह लूंगी मैं।
आ जाऊं फिर तुम देखना,
बिन मेरे तू कैसे रहती है।
पैदा होकर नाम करूंगी,
गर्भ में बेटी....।।
*15* *श्री रामकुमार जी शुक्ल "राम" चंदेरा टीकमगढ़* से बुंदेली बानी की महिमा इस प्रकार से बखान की है-
बोली मधुर मीठी सी लगती,बुंदेलखंड बुंदेली बानी में ।
अपनेपन को समेटी रहती,रख बुंदेली पानी में।
बहती धार आर पार हृद में, मिठास भरी बुंदेली कहानी में ।।
*16* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष* टीकमगढ़ ने बुंदेली चौकड़िया
कान्हा भरें फिरत पिचकारी , फगवाने हैं भारी ।
मग में मिलीं बिसाखा ललिता,संग बृषभान दुलारी।
चोली तौ रोली सें भर दइ ,रंग डारी है सारी।
कां नटवर नागर नंद नंदन,कां राधा सुकमारी।
बूढ़ गई प्रभु श्याम रंग में, काया गोरी नारी ।।
*17*- *डी.पी . शुक्ल,, सरस जी* जीवन के अंधियारे दिखा रहे हैं -
जीवन के सफर में हैं अंधियारे !
गर्त में खुलते कुमति के द्वारे !!
व्यसनों के बाजार में लँए जाम ठाडे़!!
गैल घाट नाली में पढ़े रहते आड़े !!
*18*- *वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया* ने भी होली पर बढ़िया गीत लिखा है-
खुशियाँ लुटाये खुशी पर्व होली
सभी को हंसाये हंसी पर्व होली
प्रेम बिना यह जीवन है नीरस
सभी चाहते हैं मिले प्रेम रंग वस
प्यार जगाये रंग पर्व होली।।
*19*- *श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़* से गौ रक्षा का महत्व बता रहे हैं-
भारत की संस्कृति का रखना
भैया सबको ध्यान है
रक्षा करना गौ माता की
ये ही कार्य महान है ।
कृष्ण कन्हैया बने ग्वाला
जो सबके भगवान हैं
वन वन गायें चराई जिनने
जानत सकल जहान है।।
*20*- *श्री रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़ ने *जंगल में चुनाव* का बहुत रोचक वर्णन किया है-
बनी सभासद लोमड़ी,
शेर हुआ सरपंच।
वन-पंचायत में हुआ,
बिना विरोध प्रपंच।।
जप्त जमानत हो गईं,
गईं कोयलें हार।
भारी बहुमत से बनी,
कौओं की सरकार।।
इस प्रकार से आज पटल पर 20 साथियों ने आज रचनाएं पटल पर पोस्ट की हैं। वाकई सभी ने एक से बढ़कर एक रचनाएं पोस्ट की है।सभी साथियों को बधाई।
✍️ *समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
##जय बुंदेली साहित्य समूह#######
183- श्री प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़- 'बरा'-5-4-21
🌹-आज की समीक्षा** *दिनांक -5-4-2021* 🌹
समीक्षक- प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़* 👏
*बिषय-बरा, बुंदेली दोहा लेखन*
आज पटल पै *बरा बिषय पै बुंदेली में दोहा लेखन कर* पोस्ट करने हते। सभी जनन ने भौतई नौनी रचनाएं पटल पै रखीं। पढ़ने में भौतइ आनंद आ गऔ। सभई साथियन कों हार्दिक बधाई। समीक्षा में गल्तियां तौ हुईयै अकेलैं अपन सब जनै अपनौ जान कैं क्षमा सोई कर दैव।
आज सबसें पैला पटल पै ..
*(१) श्री अशोक पटसारिया नादान जी* ने बरन की धमाके दार बढ़वाई करी, नौनी लगी।
अक्सर, महफिल भूरा लगे,
पकवान खास हैं भात।
पढ़ मिलौनी दोहे पनै,
उर आनंद समात।।
बहुत बहुत बधाई जू...।
*2*- *श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी*-
अपन ने गागर में सागर भरबे कौ सार्थक प्रयास करो। बरा में दई लोर कें...वाह चिंतन तारीफ के काबिल है।
सराहनीय... बधाई हो।
*3*- *श्री सरस कुमार ,दोह खरगापुर* ने बुंदेली दोहन की खूबई बढ़वाई बगारी, नौनी लगी और मैं तौ जेई कै सकत कै देखत में छोटे लगत, घाव करत गंभीर।
*4*- *डॉ सुशील शर्मा, जी गाडरवाड़ा* से बरा की बढ़वाई में लिखत हैं कै-
चाची चाट चपेट... अद्वितीय और रोचक लगा। बधाई हो।
*5*- *श्री राज गोस्वामी जी* ने अपने दोहन में बरा की नौने ढंग सैं बढ़वाई करी।
सुनत बरा कौ नाव,
मौं में पानी आत।
बरा पै दोहा नौने लिखे,
भैया क्या है बात।
बधाई हो भैय्या जू.।।
*6*- *रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु* ने बुंदेली दोहा पेश करकें मजा बांध दव। दोहा बहुत बढ़िया लगे।
दार भात पापर कढ़ी,
सुन पानी भरयाऔ।
बरा की महिमा जो पढ़ी,
मन भारी ललचाऔ।।
बधाइयां भैयाजी...।
*7-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा,* ने सुंदर बुंदेली दोहन के संगै अपनौ समदियानें जावे की हालफूल सोई दोहन में दिखाई.. नौनी लगी -।।
बहू खवास बांटत नहिं,
अब मिक्सी कौ दौर।
कजन अपन खौ मिलत हैं,
दाऊ बात है और। शानदार दोहन की जानदार बधाई..।
*8- हंसा श्रीवास्तव जी भोपाल* ने..
बरा के संगे बुंदली कौ खूब बढ़ाऔ मान।
एसई लेखन करत रऔ, येई में सबकी शान। हार्दिक शुभकामनाएं..।
*9*- *श्री प्रदीप खरे मंजुल* **टीकमगढ़* ने-
दोहा लिख दयै बरन पै,
आपई करियौ गौर।
नौनें होयै तौ गटक लियौ,
समझ बरन कौ कौर।।
*10* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष*
बुंदेली कौ अच्छौ प्रयोग भऔ। बरन की बढ़वाई सोई खूब करी। बधाई
नौनी करी बढ़बाई बरा की,
लगै कै कैसें खायें।
बीपी हाई में हटक रहे,
सुनकैं खूब लजायें।।
*11*- *श्री डी.पी. शुक्ल'सरस' जी*
बुंदेली में सनें बरा और भयै नौनें।
खायें इनखों बूढ़े बारे छौनें।।
आपके दोहन ने बुंदेली खौं भौतई गरिमा प्रदान करी। हार्दिक बधाई।
*12*- * श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया* ने बरा पातर में पाउनन के संग में खाबे कौ मजा बताऔ । दोहन में बरन की खूबी सोई खूब बताई। भैया खौ खूबई खूब बधाई...।
*13*- *श्री सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़*
अपन तौ भैया कमाल के दोहा रचे।
एक सैं बढ़कैं एक, सबई मन बसे।।
मोरा कौ लैकै मठा, मैथी दऔ बघार।
भौतई नौनौ लगो, आपकौ आभार।
*14*डां. रेणु श्रीवास्तव*
ई कोरोना काल में भये सबई बेहाल।
नौनौ करो बखान भये सबई कंगाल।।
बरन के संगै बर्तमान हालात कौ बढ़िया बखान करो। अपन की लेखनी खौं नमन करत और अपनी ओर सैं बधाई देत।
*15*- *श्री रामानंद पाठक..*
बरा बनावे के ओसर, जू नें खूब बताए।
बरा बूरौ दोई मिले, बड़े चाव सें खाए।
भैया ने बरन के संगे बुंदली रस की नौनी बरसात करी..अपन खौं बधाई
*16*गुलाब सिंह यादव*
दोहा नौने भाऊ के, नौनी छोड़ी छाप।
बरा खौं लैकें लिख दयै, दोहा लाजवाब। बधाई हो आपको
*17*संजय श्रीवास्तव*
गोरे नारे बरन कौ, नौनौ लगो बतकाव।
बुआ हाथ कौ नहिं लगो, काये बरा बताव।
इस प्रकार सें आज पटल पर 17 साथियन ने आज दोहा पटल पै पोस्ट करे हैं। वाकई सभई ने एक से बढ़कर एक दोहा रचे और पोस्ट करे है।सभइ कौं बधाई। कजन की दार भूलें बिसरें अपनें कौनउं भैयन कौ नाव बिसर गऔ होय जू, तौ दोई हाथ जोर कैं क्षमा चाउत।
टेम सोई बिलात हो गऔ, अपन सब जनन सें बिदा चाउत। राम राम पौंचे।
✍️ *समीक्षक*
*प्रदीप खरे 'मंजुल'*
संपादक ,
साप्ताहिक त्रिकाल न्यूज, टीकमगढ़
पुरानी टेहरी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893417304
##########जय बुंदेली साहित्य समूह#######
184- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया टीकमगढ़
सुनो ध्यान से आप सबअपनों से अपनी ही बात
खिलवायेंगे एक दिन बरा कड़ी उर दाल भात
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पटल के सभी सम्मानीय कवि अभिनन्दन व प्रशंसा के पात्र हैं जो एक दूसरे के लेखन की सराहना करते हुये न केवल मार्गदर्शन दे रहे हैं बल्कि मनभावन शब्दों व संकेतों के माध्यम से प्रोत्साहित भी कर रहे हैं जो अभिनंदनीय और प्रशंसनीय है । यह पटल ऐसे ही संचालित होता रहे , यही अनुरोध है ।
आज भी अनेक सम्मानीय कवि महोदयों ने एक दूसरे को शब्दों / संकेतों के माध्यम से प्रोत्साहित करते हुये भविष्य के उत्साहित किया ।
पहले की तरह आज भी मैंने सभी सम्मानीय कवियों के दोहे पढ़े , समझे और उनसे बहुत कुछ सीखे ।
श्री अशोक पटसारिया जी के पांचों दोहे मन पसन्द रहे । सभी दोहे एक से बढ़कर एक रहे । दूसरा दोहा पढ़कर हंस भी लिया।
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श्री सरस कुमार जी ने बरा को बुंदेली पकवान बताया और मठा के फूले बरों की याद दिलाई ।
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श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी के सभी दोहों ने मन मोह लिया । आपके दोहे पढ़कर मुंह में पानी आने के साथ साथ भूख की भी अनुभूति होने लगी ।
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श्री राज गोस्वामी जी के दोहे बरा के महत्व पर केन्द्रित रहे जो सही है ।
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श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी के पाँचों दोहे पढ़कर आनंद आ गया । सभी दोहे मन मस्तिष्क में अंकित हुये ।
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श्री प्रदीप खरे मंजुल जी के द्वारा दोहे के माध्यम से कही गई यह बात अच्छी लगी कि बरा की बराबरी कोई भोज्य पदार्थ नहीं कर सकता ।उन्होंने यह भी हिदायत दी कि यदि ज्यादा खाये तो पेट दर्द का भी शिकार हो सकते हैं ।
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श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी के सभी दोहे ह्रदय को छूने में सफल रहे । सभी एक से बढ़कर एक दोहे उत्तरोत्तर बाहबाही पाने में सफल रहे ।
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श्री संजय श्रीवास्तव जी के सभी दोहे मजेदार लगे । दोहों को पढ़कर मन ही मन हंसने का अवसर मिला ।
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डॉ. रेणु श्रीवास्तव भोपाल ने लिखे दोहों के द्वारा कड़ी ,भात दाल ,बरा और शक्कर मिलाके बनें रसीले स्वाद की याद दिलाई । आपने एक बात और बताई जो सही है कि आज के मोड़ा मोड़ी बरा के स्थान पर बरगर ,पीजा खाने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं ।
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श्री राजीव नामदेव राणा जी ने अपने दोहों में मन की बात छीन ली । आपने लिखा कि यदि बरा नौंन मिर्च मिलाके खाया जाय तो तबियत खुश हो जाती है । यह भी सत्य है कि बरा बिना कच्ची पंगत अधूरी है ।
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डॉ. सुशील शर्मा जी ने अपने दोहों में बरा बनाने की विधि सहित बरा के महत्व और बरा के प्रति खाने बाले की नियत को उजागर किया ।
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श्री कल्याण दास साहू पोषक जी के सभी दोहे बेहतरीन लगे । सभी दोहे मन को हर्षित कर रहे हैं ।
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श्री D.P. Shukla ji बरा के संग बनी कालोनी की चर्चा के साथ साथ चार बरा खाने की तैयारी करवा रय ।
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बहिन हंसा श्रीवास्तव ने अपने दोहों में बरा को भोजन का राजा और थाल की आन बताया ।
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श्री राजेन्द्र यादव कुंवर ने अपने पहले दोहा में बरा की बात सुनते ही मुँह में पानी आ जाने की बात कही है । आपने यह भी सही कहा कि कड़ी ,बरा और चावल ऐसा भोजन है जिसे बिना दाँत बाले भी खा लेते हैं ।
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श्री सियाराम सर जी के सभी पांचों दोहे प्रभावशाली है । सभी दोहे मन मस्तिष्क में चल चित्र की तरह घूम गये ।
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श्री रामानन्द जी पाठक ने बरा को बुंदेली व्यंजन बताते हुये अपने दोहों में कहा कि लोग छप्पन भोजन छोड़कर कड़ी भात बरा खाते हैं । बरा बिना कच्ची पंगत नीरस लगती है ।
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वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
🙏🙏🌹🌹🙏🙏
##########जय बुंदेली साहित्य समूह#######
185-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-7-4-21
1
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
दि. 07.04. 2021
💐💐💐💐💐💐
स्वतंत्र बुंदेली पद्य लेखन
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समीक्षक/ पं. डी.पी. शुक्ला ,,सरस,,
💐💐💐💐💐🌺
नोनी रचना करवे बारे बुंदेली के काव्य मनीषी को नमन वंदन अभिनंदन करता हुआ उत्तम रचनाओं के माध्यम से उत्साहित करने की ललक को बढ़ा रहे जी चेतना जागृति के प्रतिपालक बुंदेली के प्रियदर्शी आत्म अवलोकन कर रचना के माध्यम से मन के उदगार पटल के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं बहुत-बहुत साधुवाद अभिवादन!
बुंदेलखंडी की गरिमा को!
काव्य मनीषी समझे आज!!
पटल प्रदर्शित हो रही!
हो के सर्व समाज !!
बुंदेली सी बोली नहीं !
चर्चित जग माँझ!!
तेज बल बुद्धि विवेकसौं! विदेशन बजाउत झाँज?!
बुंदेली सी वानी नहीं !
प्रेम सरस भिद जाए !
मीठी वाणी बुंदेली कहीं !परसत थाल लगाय!!
नंबर 1- प्रथम पटल दर्शन शिरोमणि श्री अशोक पटसरिया,, नादान,, जू को सादर नमन के साथ शुरुआत करते हुए हर्ष की अनुभूति के साथ कुंडलिया के माध्यम से अपनी रचना के माध्यम से कोरोना के गुर बताकर व्यंगात्मक चेतावनी दई गई है कि हम मास्क लगाए लोउ कोरोना हो रव और जो चुनावी नेतन जो मांसक जेब में लेकर दलाँक कय उन्हें कोरोना नहीं होतइ जौ केसौ भर्रौ मचो है राज को राज रहने दो हमें तो कुछ कहने दो! बहुत ही नोनी रचना कुंडलिया के माध्यम से समझायस दई है व्यंग करके कटाक्ष करो सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद नंबर 1, सम सामयिक रचना
दो .व्यंगात्मक मंचन शब्द मंचन
3 .कोरोना बचाव के उपाय
4. सजगता के प्रहरी
नंबर दो -श्री सुरेंद्र शुक्ला जुने अपनी शुरुआती में पद्य् लेखन नहीं किया है जो बुंदेली पटल पर जरूरी है कृपया सुधार करने का प्रयास करें श्री शुक्ला जी उन्हें वक्त की पहरेदारी अंतर्गत मोबाइल की भूल भुलैया में डूबा यह मानव अपने आप को भूल गया है कि सच्चाई पीछे छूट गई है और कल काल आगे दौड़ता नजर आ रहा है उत्तम शव्द संयोजन हेतु सादर धन्यवाद !
नंबर 3- श्री गुलाब सिंह भाऊ जुने ब्याव में सबरे गाने गुसते सवई हिरा गये रमतूला और दूल्हा को मोर पालकी गांव पुरा को झूला रीति रिवाज हतो सो वह भी समाप्त हो गया है बहुत ही नोनी रचना करीे हैं श्री भाउ जब ने पुरानी याद कराई है एक उत्तम रचना एवं रीति रिवाज जो 1.मानवता की सोच में चार चांद लगाते थे!
दो .नियम बद्य भोजन 3:एक दूसरे के हाथों से प्रदूषण फैलने से बचना चार .कुरीतियों के बदलाव की भावना
उत्तम सीख हेतु भाऊ जी को सादर वंदन अभिनंदन
नंबर 4 .श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद. जुने अपनी रचना गीत के माध्यम से कर्माबाई भगत हुए की बात करी है साहू समाज में भोलेनाथ की कृपा से कन्या रूपी रत्न कर्माबाई भक्ति भावना में डूब गई ऐसी उत्तम भक्ति भावना की गाथा करके भक्ति रस की साधना को ध्यान कराओ है जो जीवन को अंतिम चरण है !
एक .उत्तम भक्ति भावना से प्रेरित रचना
दो. करमाबाई के चित्रण की गाथा
3. अध्यात्म में मानव चेतना .
चार .उत्तम गीत शब्द व्यंजना उत्तम एवं सारगर्भित गाथा हेतु साधुवाद वंदन अभिनंदन
नंबर 5 .श्री सुरेश कुमार जुने चौकड़िया के माध्यम से अनपढ़ ना रइयौ भैया नाँतर तोलत रैजैव टमाटर भटा और तखइया!! वास्तविक रूप के दर्शन कराए हैं मानव को चेतावनी दी है कि पढ़ लो तो तसला न ढौने परहै बहुत ही नौनी रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन बधाई!!
नंबर 6 श्री प्रदीप खऱे जू ने आदमी सस्तो शीर्षक से आम से सस्तौ आदमी बताओ है जो हवा धूप छाया यह सबरे बांट रहे हैं मंदिर मस्जिद को वाँट डाला है हम जानवर ठीक हैं इन आदमियों से अच्छे हैं जे चौ एक दूसरे को काट रय और जर जमी जोरु के. चक्कर में लगे रात हमें रुखौ सूखौ पतोरा खाकें रै जाने भौतै नौनी चेतावनी देकेे जानवर की तुलना करी है उम्दा रचना हेतु वंदन अभिनंदन धन्यवाद
नंबर 7- श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जू ने चौकड़िया के माध्यम से चेतावनी दई है की अपने अपन के लाने नैयाँ स्वार्थ में अपनी अपनी तान रय ऊ ईश्वर पै भरोसौ करौ बेईमानी काम नहीं आने उत्तम रचना करके मन को झकझोरौ है बहुत ही नोनी रचना के लाने इंदु जी बधाई के पात्र हैं सादर वंदन अभिनंदन!
8-श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी की मधुमास महुआ के फूलन कौ बसंत बचाव है लटा मुरका डुबरी खात सबै और अभागे के दारू पियत हैं चेतावनी देकर महुआ के गुण बताये चार, हैं कहो ना रखियो दारू से व्यवहार !बहुत ही नोनी रचना हेतु श्री पीयूष जू को बहुत ही बहुत बधाई सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद!
9-श्री अभिनंदन कुमार गोयल जी ने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से वियोगिनी राधा के चित्रण की विरह वेदना में शीतल चंदन भी दहक रव है एसौ होउतन भोजन पानी त्याग के राधा मन मलिन मलय समीर भी जहरीली सो लग रही हैं कमल पत्र से अपने हृदय के अश्रु बंद को रोक रही हैं विरह वेदना न भरी रचना
नंबर 1. उत्कृष्ट शब्द चयन नंबर दो. अंतर उर मै वेदना से भरो राधा
नंबर 3 .उत्कृष्ट भाव
नंबर 4. हिय विरक्ति की ओर मुद्रित
श्री गोयल जुने रचना के माध्यम से राधा के मन की वेदना को समूल चित्रण करो है उत्तम रचना हेतु साधुवाद एवं सादर धन्यवाद!
नंबर 10- हँसा श्रीवास्तव जुने आत्म निर्भर शीर्षक से समसाम्यिक रचना को लेखन करो है जी मैं कोरोना से बचाव करना है काम करना बहुत जरूरी है बताओ है कोरोना जड़ से मरे की कामना करी है बहुत सुन्दर सुझाव देकर जनहित में चेतावनी दी है बहुत ही नौनी रचना हेतु सादर बधाई
नंबर 11- डॉ रेनू श्रीवास्तव जुने केकई रानी शीर्षक से केकई के चरित्र गाथा कौ बुंदेली में स्थान दव है प्रिय रानी को दो वरदान दय हैं जीत की खुशी में दिए जा रहे हैं राक्षस वंश को संघार केकैई के. वरदानई से भव तो तो केकई गाथा करके बुंदेली रचना की माध्यम से केैेकेई चरित्र को चित्रण करो है उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करने पर वे बधाई की पात्र हैं सादर वंदन अभिनंदन!
12-श्री रामानंद पाठक जी ने सूखा पर चौघड़िया के माध्यम से ताल तलैया में पानी नहीं है प्यासी मर रही गईया पेट पालवे के लाने घर में दाना नैयां जा गिरानी कैसे कटे अब ऐसी समैया आ गई पर नजर डालें व्यवस्था करने पर है अब जीत जाए मानव नाँ तर हुई हैरानी बहुत ही नौनी चेतावनी पाठक जी को सादर बधाई धन्यवा!
नंबर 13-श्री कल्याण दास साहू पोषक जू ने रचना के माध्यम से बुंदेली रचना माँई के रिश्ते को बताओ है के सामी सूदी हंसी मजाक करते रहो ना गुस्सा होती गहराई मन में रखती और मम्मा माँई की जोड़ी की उपमा राधेश्याम से करके रचना में चार चांद लगा दय ऐसे चाल चलन आज नहीं दिखा रय है वे केवल स्वार्थ के चाल चलन दिखा रहे हैं बहुत ही नौनी रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन?!
नंबर 14 -श्री एस .आर. सरल ,,जुने कुंडलिया के माध्यम से कोरोना की चेतावनी देकें भगवान से अरज करी है देवी हमें सहाय मास्क लगाकर रहने की उनकी इच्छा है इसे चेकिंग और कोरोना दौनऊ से बचत गए हो समझाइस चेतावनी दई है श्री सरल जू ने कुंडलियां में भाव भरे हैं सादर धन्यवाद बधाई !
नंबर 15 .श्री संजय श्रीवास्तव जी ने बुंदेली गीत हत्यारों कोरोना शीर्षक से जो हत्यारों को रोना रे रेकें सफाई कर रव कईयकन की जान लै लई मिटवे पै नई आ रव है उत्तम सोच के लाने श्रीवास्तव जी को सादर धन्यवाद नम!
16-रामगोपाल रैकवार जुने अनंत ब्रह्म ब्रह्मांड की दशा हेतु अनंत जीवन के लक्ष्य को पाने की कामना करी है ब्रह्मांड रूपी अनंत सागर में अनंत उपकारों की साधना करके जो जीवन पार करने हैं यही हमारा लक्ष्य है बहुत ही नौन दोहा पिरस्तुत करो है सादर धन्यवाद बधाई!
नंबर 17 श्री राज गोस्वामी जी ने बेटी को घर को प्यारी सॉन बताओ है बेटन से आगे बेटी दो कुलन की लाज रखती बेटी की महिमा गाई है चौकड़िया के माध्यम से बेटी को वर्णन करो है बहुत ही बहुत साधुवाद बधाई!
नंबर 18- श्री सियाराम अहिरवार जुने अपनी चौकड़िया में कोरोना में गसी सखी से बताव है कै काँलो घर के भीतर दक ई कोरोना से बच के रहने समझाइस भरी चेतावनी दी है बहुत ही बहुत वंदन अभिनंदन!
- डी.पी.शुक्ला,सरस, टीकमगढ़ (मप्र)
##########जय बुंदेली साहित्य समूह#######
186-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा
#सोमवारी समीक्षा#पुतरिया#
#दिनाँक12.04.21#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द#पलेराजिला टीकमगढ़#
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भूमिका... आज बुन्देली दोहों का बिषय पुतरिया पर समीक्षा सें पैलाँमाँ शारदा के चरणों में सादर वंदन।फिर पटल के सबयी मनीषियन खों हाथ जोर राम रामं।आज कौ बुन्देली कौ बिषय पुतरिया सब कौ जानौ मानौ और सबयी से सबंधित है।सबयी बिद्वानन ने अपनी अपनी पेंनी बुद्धि से देखत भय ईके स्वरूप बिस्तारबे में कौनौ कसर नयीं छोड़ी ।अपने 2मानस पटल से पुतरिया के कयी रूप प्रस्तुत करकें आध्यात्मिक यात्रा भी करा दयी।तो लो आप सब जनन खों संगै लैकें हम सब समीक्षा के लाने हर बगिया की शैर करबे चल रय।
#1#श्री अशोक पटसारिया नादान जी...
आपकी बगिया मे दोहन के पाँच पेड़े मिले,जिनमेंपिता की कठोरता,लड़की की बिदा में रोंना,कठ पुतरिया की आध्यात्म
युक्त प्रस्तुति, दरशायी गयी।
आपकी भाषामिली जुली भावभीनी सुगंधित मधुर मिली।बगिया कयी साहित्यिक बिधायन सें भरी हती ।सो हम उने अभिनंदन करकें भग आय।
#2#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी....
आपकी बगिया में दोहा के पेड़न में बिटिया की बिदा,अकती की जगमग,बिटिया कौ सासरे खोंजाबौ,बर पूजा,पुत्री स्नेह के भारी फल लदे ते,देखकें मन फूल गव।भाषा की खुशबछ मधुर धारा प्रवाह मंद 2 मुस्कान भरी लगी ।आपखों भौत भौत बधाई पेड़न में पानी खूब डार रय।
#3#जयहिन्द सिंह जयहिन्द...
इनकी बगिया हलकी है पर गोड़त मिले।पेड़न मेंहरयार हती,जीमेंपुरिया की परख,गंगा गौरी गायके गुनन कौ अनुकरन,बिटिया की बिदा,बिटिया जाबे के बाद कौ हाल,पुतरिया ं देखके बिटिया की याद,पुतरियन कौ नदिया में सिराबौ आदि पेड़न में लटके मिले।मोय जुकाम सें भाषा न बसानी सो सब से कै दयी गंध आप सब बताइयौ।
#4#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी.......
आपकी बगिया बाँध केऐगर पर गयी सो हरयाई की का काने,
भारी हरी भरी फरी फूली मिली।जीमें पुराआबेनी यादन पै आंसू,लली के सासरे जाबे सेंआँखन की बेहाली,लली पै खुशी जाबे पै गम लली की याद माँ कौ आशीष,लली केदोई कुलन कौ मान बढाबे कौ चित्रण खूब देखबे मिलौ।भाषा जादूगरी सी लगी भारी चमकै नजर ना ठैरै भाव से डारें झुकीं मिलीं।हम सब गुप्त जी खों धन्यवाद दैकें चले आय।
#5#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी........
आपकी साहित्यिक बगिया में सुधा सागर के पानी की ठेल मिली।जगमगात हरयानी फिर भी पानी।बगिया में दोहन के5पेड़े देखे जिनमें नैनन की पुतरिया, मदिरा पान,नैन पुतरिया कौ आराम,कन्यादान, कन्या की बिदा कौ बरनन मिलो।भाषा जोरदार, भावभरी माधुरी है।आपखों बेर बेर अभिनंदन करकें चले आय।
#6#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी.....
आपके अपने दोहन के पेड़ इन्दौर के संतरन के बाग में हते।पैला तौ खूब स्वागत भय फिर पेड़न मेंपिड़े।पाँच तत्व केशरीर कोपुतरिया नाव धर दवौ और आत्मीकरण कर दव।संसार मंच पै पुतरिया, पति पत्नी पुतरिया की डोर ईसुर लौ बतायी।पुतरिया की भटकन, काया रूपी पुतरिया कौ पुनर्जन्म,चतुराई से आध्यात्म के संगै लटकाव गव।भाषा की जादूगरी,भावभरी,सरलसरसमाधुरी लगी। आपसें नमस्कार करकें बिदा लयी।
#7#श्री रामानंद पाठक जी नंद...
आपकी बगिया नैगुवाँ जो पृथ्वीपुर के पास है दखवे गय।पाँच पेड़े मिले मजा आ गव।जिनमें पुतरिया कौ जनम,कन्यादान, पुतरिया की नैन पुतरिया से तुलना,प्रानन प्यारी पुतरिया, माँ की ममता, पुतरिय का पराया होबौ,पुतरियन द्वारा पुतरियों का खेल खेलबौ पाव गव।
भाषा भाव में मधुरता,चिकनाई,सरलता के दर्शन भय।पाठक जी खों दंडवत करकें बायरें आ गय।
#8#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी.....
आपकी साहित्यिक बगिया टीकमगढ़ में मिली दोहा कौ एक भौत दरगज पेड़ देखबे मिलो।जिसमें कठपुतली की डोर ईसुर के हात बताई।आध्यात्मिक दोहा देख कें मन खुश हो गव। भाषा भाव महान आपका अभिनंदन करकें निकरे।
#9#श्री सरस कुमार जी..।।
इनकी बगिया में दोहा कौ पेड़ौ इनके जान तौ लगो हतो,जौन खां जे दोहा समझत ते बौ दोहा नयीं हतो जे ऊखों पहचान नयीं पाय।ऊकौ अंत दीर्घ मात्रा सें हतो ।हमने कयी आप इतने पारखी कैसें चूक गये।जल्दी कौ काम हतो।हालां भाव खूब भरे तेऔर भाषा सुगंधित हती।भैया खों राम राम करकें भग आय।
#10#पं. डी.पी.शुक्ला सरस जी.....
आपकी बगिया भी टीकमगढ़ में हती,दोहन के पेड़ मिले जिनमें बिन्नू के ब्याव के बाद रोंना,बिन्नू द्वारा पुतरियन कं खेल,बड़ी पुतरिया द्वारा दोई कुलन के मान की रक्षा,पुतरिया का माँ बहिन बेटी और लक्ष्मी बनबौ,पुतरियों के घूँघट की मुस्कराहट के दर्शन खूब भय। भाषा की शैली आपकी अपनी है आपखों नमन करकें कड़े।
#11#डा. रेणु श्रीवास्तव जी....
आपकी साहित्यिक बगिया भोपाल में दखन गय।बैन कें खूब स्वागत भय,तबियत तर भयी।आपके चार पेड़न में हरयाई खूब हती।जीमें पुतरिया का ससुरार गमन,कठपुतरी कौ नाच,पुतरियन सें अकती कौ खेल,कौरोना काल में बेटी बुलाबे कौ बरनन पाव गव।बहिन की भाषा पदवी के अनुरूप भाव भरी सरल और सटीक हती।पांव परकें बापिस भय गैल भर दोहन की चर्चा होत आई।
#12#श्री सुशील शर्मा जी......
आपकी बगिया में बसंत पैलयीं सें डेरा डारें मिलो।दोहन के पांच नगन में अनमोल जीवनजो पुतरियन कौ खेल न समझो जाय।कठपुतरी की जीवन में महत्ता,पुतरा पुतरी कौ खेल,भोर शाम ईसुर के हात,कठपुतरी ना बनकें चुनाव में समझदारी अपनाबे की सला दयी गयी।
भाषा में गुलाब जैसी महक ,नवनीत सी चिकनाहट भावन कौ बजन देखो गव।आपकौ अभिनंदन करके बापिस भय।
#13#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी...
आपकी साहित्य भरी बगिया नगर पृथ्वीपुर के तला के खालें मिली।जीकी सुगंंध पूरे नगर भर में आ रयी ती।जी में पुरिया की रौनक,लक्ष्मी पुतरिया, पुतरियन कौ पर्वन पै महत्त,लली लाड़ली की तौल नैन पुतरी सें करी गयी।पुतरियन कौ आवागमन,देखवे में आव।
आपके भाषा भाव की तारीफ नगरवासियों ने बताई मन गद् गद् हो गव।साहू जी खों धन्यवाद दैके कड़ आय।
#14#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी.....
आपकी साहित्यिक बगिया टीकमगढ़ नगर में हरयाकें फली फूली।बगिया मे घुसतन चौकड़ियन की भरमार दिखानी पर दोहन के पेड़ भी मिले तौ कम ना हते।जिनमेंनैन पुतरिया कापुतरिया नाच देखकेंनाचना,नैनों का चलाना,खेलते2पुतरियों का बड़ा होंना,नैन पुतरिया का बिरह,नैन पुतरिया और ईसुर कौ संबंध देखबे मिलो।भाषा भाव की जादूगरी की फेंसिंग करी गयी।
आपखों नमस्कारम् करत लौट केंआ गय।
#15#पं. श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी.......
आपकी बगिया जमड़ार के किनारें कुण्डेश्वर में मिली निवास टीकमगढ़ में ।बगिया शंकर जी की शरण में है तो कमी कायकी।दोहा के तीन पेड़न कौ दरशन करे जीमेंभाई बहिन कौ पुतरा पुतरी
होबौ,मात पिता की लाड़ली दो कुल की शान हौबौ,तीन पुतरियां ही काफी बताईं गयीं।
आपकी भाषा सुन्दर,नंभाव लावण्य भरे,रस प्रवाही मधुरता भरे हैं ।आपखों नमन करत बगिया सें बारें आ गय।
#16#श्री सियाराम अहिरवार सर जी.......
आपकी साहित्यिक बगियामें कौनौ कमी नयीं दिखानी।ंमहाराजपुर के पास खूब फरी फूली बगिया में पिड़तन मस्त सुगंध छा गयी।ईमें पुतरिया खों मैर में शामिल करो गवनं सासरे पौचाबे कौ दुख बरनन,ंपुतरिया कौ पिया घर गमन,अकती कौ खेल,ंपुतरिया को कटी पतंग की तरह जाबौं,लाड़ली की मटकन कौ बरनन करो गव। भाषा भाव की जादूगरी कमाल की सरजी जय गोपाल की।अब हमें जाबे की अनुमति दो।
उपसंहार......
अब आठ सें जादा बज गय,आज सरल जी नयीं दिखाने,अगर कोऊ जने भूलवस या नेट की गड़बड़ी सें छूटे होंय तौ अपनौ समझ कें माफ कर दैयौ।एक बेर फिरसें सबयी पंचन खों राम राम।
आपके बीच कौ अकिंचन समीक्षक.....
जयहिन्द सिफारिशें जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
#########जय बुंदेली साहित्य समूह######
187-श्री वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़-'बालमन'-13-4-21
भारतीय नवसंवत्सर 2078
हार्दिक शुभकामनाएं
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नूतन वर्षाभिनंदन
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सम्मानीय एडमिन व सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन
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विषय बालमन पर लिखे,सबने दोहा आज
शानदार दोहा सभी,हर कवि पर है नाज
पटल सुशोभित हो रहा,प्रतिदिन सबको पाय
आप बिना सूना पटल,मन की बात बताय
सबने दोहे लिख दिये, कर जाग्रत मन भाव
सब दोहे मन छू रहे,ऐसा पड़ा प्रभाव
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आज सभी के द्वारा बाल मन पर केन्द्रित बेहतरीन दोहे लिखने के लिए अपनी अपनी कलम चलाई गई और बचपन की यादों में खोकर सराहनीय दोहे रचे । अपने दोहों में सभी ने बाल मन की जिन बिभिन्न बिशेषताओं का जिक्र किया,वह सभी वास्तविकता से परिपूर्ण हैं ।
आज पटल पर बाल मन को लेकर सर्वप्रथम श्री सरस कुमार दोह खरगापुर ने 4 दोहे पोस्ट किये जिनमें बाल मन को सरस, चंचल व हटी व हटी बताया गया । आपने बाल मन को लालची भी कहा क्योंकि वह माँ से कुछ न कुछ मांगता रहता है ।
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श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने शानदार दोहे पोस्ट किये जिन्हें मन बार बार पढ़ते रहने के लिये कहता रहा । आपने बाल मुस्कान की मधुरता की अनुभूति करा दी
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श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी के आज 5 दोहे पटल पर पढ़ने को मिले । आपने दोहों में लिखा कि हमें बाल मन को पढ़ना चाहिए जिसमें भगवान बसता है ।साथ ही चिन्ता व्यक्त की --
आज बाल मन नीरसता से घिरा हुआ उदास बैठा है ।
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श्री रामगोपाल रैकवार जी ने अपने दोहों के माध्यम से मार्गदर्शन दिया कि बाल मन नाजुक कांच की तरह कोमल होता है जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए ।आपने बाल मन को छल कपट से मुक्त निर्मल दर्पण की तरह बताया जो सत्य है ।
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श्री जयहिंद सिंह जय हिंद के सभी पांचों दोहे बालमन की श्रेष्ठताओं ओतप्रोत उत्कृष्टता धारण किये हुये हैं ।आपका अन्तिम दोहा बाल मन को सागर जैसा अक्षय और अथाह बता रहा है जो बेहतरीन है ।
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श्री राजीव नामदेव राणा लिधौरी के दोहे बता रहे हैं कि बाल मन बूढ़ों के भी साथ रहता है और बच्चों जैसी हरकत करता रहता है आप कितना भी पढ़ लिख लें पर बाल मन सदैव रहता है । शानदार हैं दोहे ।
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श्री कल्याण दास साहू पोषक जी के सभी दोहे एक से बढ़कर हैं । आप लिखते हैं कि बालमन निष्कलंक,निष्कपट व ईश्वर का प्रतिरूप होता है जो सही है । पिछले दिनों की तरह आज भी
आपने अपने दोहों को श्रेष्ठ बनाने का भरपूर प्रयास किया और सफलता भी हासिल की ।
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Dr. सुशील शर्मा जी ने अपने दोहों में बालमन की सुंदरता का समावेश करते हुये अपने बचपन के वर्षों को याद किया । अंतिम दोहे में बिल्कुल सही लिख दिया कि जहां पहले बालमन खेलने व उछल कूद में मस्त रहता था वही बालमन आज मोबाइल में मस्त /व्यस्त है ।
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श्री रामानन्द पाठक जी अपने दोहों में बालमन को कोरे कागज की तरह बता रहे हैं ।आपके अनुसार बालमन पर जो लिखा जाता है वही लिख जाता है । बालमन उजाले की तरह होता है और सत्य बोलता है ।
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श्री सियाराम सर के सभी दोहे बालमन की बास्तविकता से परिपूर्ण हैं ।आप दोहों के माध्यम से जो कह रहे है बो पूर्णतः सत्य है । बालमन शील व सरल होता है तथा पाखण्डों से दूर रह निर्भय होकर खेलता फिरता है ।
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श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने 100 '/. सही लिखा कि बालमन स्वच्छ जल की तरह निश्छल होता है जो प्रेम के बशीभूत रहता है । जिसका मन बालमन की तरह सहज सरल व छलहीन है , ऐसा मानव देवता के समान है ।
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पंडित D.P. Shukla ने अपने दोहों में बालमन को जिज्ञासु बताया और कहा कि बालमन भोला भाला होता है ।
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श्री राज गोस्वामी दतिया के द्वारा पोस्ट दोहों में व्यक्त किया गया कि बालमन हटी होता है और अपनी बात मनवाने के लिए जिद करता है । जिद पूरी होते ही चेहरा मुस्कानमय हो जाता है ।
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श्री संजय श्रीवास्तव जी ने बढ़िया दोहे रचे बालमन को कोरा कागज कहा है सही है जैसा हम लिख देंगे बैसा ही वे हो जायेंगे।
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समीक्षक- श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी टीकमगढ़
########जय बुंदेली साहित्य समूह######
188-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़
बुंदेली स्वतंत्र-14-4-21
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन
दिनांक 13.04 .2021
समीक्षक-डी.पी .शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ़
बुंदेलखंड के काव्य मनीषी कबीबर बड़े सुजान!
अभिनंदन वंदन करूं बुंदेली की रख आन !!
बुंदेली को बीच भंवर में?
मत छोड़ो करके
गुणखानी!!
हिंदी के अरमाँ राष्ट्रभाषा!
हितार्थ बुंदेली महारानी!!
बुंदेली के वरद् पुत्रन! बुंदेली को रखियो पानी!!
एक से बढ़कर एक बुंदेली!
रचियौ अमर कहानी !!
आज के पटल पर साहित्य काव्य मनीषियों कवि वरन ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से बुंदेली कौ मान बढ़ाओ है जिसके लिए सभी महानुभावों को सादर नमन वंदन अभिनंदन और सहयोगात्मक समरसता की बुंदेली यथार्थता को बढ़ावा देने के लिए साधुवाद और रचनाओं के नवीन तारतम्य बुंदेली के भावों को परखा है जिसके लिए सभी आदरणीय धन्यवाद के पात्र हैं !!
नंबर 1पर सर्व श्रद्धेय मान्यवर श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद,, जूदेव ने पटल पर श्री गणेश करके पटल की मान मर्यादा को बढ़ाओ है जी के लाने उन्हें सादर बधाई उनके द्वारा अपनी रचना में देवी भजन के माध्यम से नव दुर्गा के रूप में मां के दर्शन कराए हैं और मां की परम प्रीति पाके ज्योति जलाई है उत्तम भजन में अध्यात्म भरे भाव सृजित हुए हैं नव दुर्गा के अवसर पर मां से विनय करि है दाऊ साहब ने अध्यात्म में भाव भरे है भजन के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर दो .श्री सरस कुमार जी ने गीत के माध्यम से बुंदेली में मां शेरावाली को नमन कर उनके दरबार की महिमा गाई है लाल चुनरिया ओढ़े मां के दर्शनों के अभिलाषी बगराजन मां से विनती करी है सरस जुने अपनी बुंदेली में मां के चरणों के वंदन अभिनंदन करे हैं ध्यान करो जो अंतरात्मा में निकरे भावों की प्रेरणा अध्यात्म की ओर इशारा कर रही है सरस जू ने बहुत बहुत उत्तम उत्कृष्ट रचना करी है बधाई के पात्र हैं बहुत-बहुत धन्यवाद !
नंबर 3. श्री ए .के. पटसरिया ,,नादान,, जुने यक्ष प्रश्न शीर्षक से आज की परिधान की बात करी हैं जान जोखम उठा रहे हैं और इस्तहार में कम कपड़ों में नारी के उत्पीड़न की बात करी है गरीबी अमीरी के बीच चींखते अरमाँ किसान फांसी पर चढ़ रहा है आज की विशात पसरी है सुंदर एवं व्यंजना युक्त बुंदेली में भाव भरे हैं जो नादान चीन भारत के जवानों से काबू में नहीं आ रहा है जबकि भारत की सेना चतुरंगी है उधेड़ खाल भुस भर सकत बहुत ही नोनी रचना हेतु श्री पटसारिया जू को साधुवाद बहुत उत्तम रचना के लाने वंदन अभिनंदन!
नंबर 4 .श्री रामानंद पाठक जी ने अपनी रचना में जीवन शीर्षक से बुंदेली में रचना करके बताओ है कि इस जीवन को जीव जान नईं पाओ केबल पैसा के लाने घर छोड़ चले जाते पैसा की भूख तो पूरी नहीं भई इस जीवन को पैसा की सवई को जरूरत है भक्ति भावना जीवन का सार है जिससे सबई की पूर्ति होती है बहुत उत्तम रचना चेतावनी के लाने श्री पाठक जी को सादर वंदन अभिनंदन बधाई!!
5. श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने अपनी स्वतंत्र बुंदेली बोल के माध्यम से बताओ है जो मन सें किलकोटें करत हैै और मुस्कात है गोरे तन पर गुमान करत है रेमन कब लौ एसौ करत रैहे!
जब भी विद जैहै गुमान को पतौ परहै और सवई गमा बैठो इससे तन मन धन सब झूठौ है ईश्वर सत्य है अद्भुत चेतावनी देकर रचना में चार चांद लगाए हैं वाह श्री इंदु जी सादर बधाई धन्यवाद !
नंबर 6 .श्री प्रदीप खरे जुने सरस्वती वंदना में अपनी ममता मई मां को निहारो है अविरल काव्य धारा के रसास्वादन हेतु चाह रखी है नव स्वर झंकृत करने हेतु विनय करी और कलमकार बनने की आशा करी है जो मां वीणा पाणी भक्तों पर हमेशा कृपा करती आई हैं भाव उत्तम व प्रेम मई आशावादी अध्यात्म की ओर इशारा करते हैं उत्तम रचना हेतु साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 7. श्री सियाराम अहिरवार जुने बाबा भीमराव अंबेडकर श्रेष्ठ पुरुष मानकर जिज्ञासा बाद समरसता की ओर ध्यान आकृष्ट करो है उनकी यादों की ओर ध्यान न दैने की मानसिकता में कमी बताई और उन वीरों को नमन किया है देश हित में अपने प्राण दिए हैं पीड़ा सही
है यातनाएं सही है साहित्य सर्जन में बाबाजी की लोकप्रियता को जगह नहीं दे रहे हैं उत्तम व्यंग के लिए सादर धन्यवाद बधाई !
समीक्षक-- श्री डी पी शुक्ला जी टीकमगढ़
#######जय बुंदेली साहित्य समूह######
189वीं-पटल समीक्षा-* 15-4-2021
*बिषय-हिंदी स्वतंत्र लेखन*
*समीक्षक- राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*
आज पटल पर *हिंदी में स्वतंत्र पद्य* पोस्ट करने थे सभी साथियों ने बहुत बढ़िया रचनाएं पटल पर रखीं।
पढ़ने में बहुत आनंद आ गया। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर
*१ श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु.बडागाँव, झाँसी, उ.प्र.* ने बहुत बढ़िया गीत रखा-आपने मन की वेदना कै इस प्रकार से बयां कर रहे हैं
मन में छाई हुई निराशा, पीडा़ को कुछ कहने दो।
मानस में जो उठी वेदना,आँसू बन-बन बहने दो।।
धरती को जब किया प्रदूषित,दूषित हो मानव का मन।
झेल रहे हैं उसी कोप को,बंद घरों में अब जीवन।। बधाई श्री इंदु जी।
*(२) अशोक पटसारिया नादान जी* कहते है कि सब कुछ ऊपर वाले की मुट्ठी में है।
मुठ्ठी में संभावना, मुठ्ठी में हों दाम।
मुठ्ठी को बांधें रखें, होंगे सारे काम।।
मुठ्ठी बांधे आय हैं, लेकर कुछ आयाम।
हम केवल किरदार हैं,करें काम अभिराम।।
*३*श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द गुढा, पलेरा* बहुत प्यारी धुन में सुंदर गीत लिखते हैं कै-
जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है।
अभी हमने जी भर के देखा नहीं हैं।। बहुत खूब बधाई दाऊ।
ढूड़ रहे नैना सबके,लेकर मसालें।
मिल जाओ जल्दी अपनेदिल में बसालें।।
टिकीं थीं निगाहें सबकीं,आज टिक रहीं हैं।अभी हमने........
*४ श्री -अभिनन्दन गोइल ' नंदन 'जी* ने ग़ज़ल लिखी- उनके ये शेर जोरदार लगे-
बादल की तरह झूम उन्हें प्यार किया है।
भीगे हुए जज़्बात हैं या ख्वाब सुहाने।।
प्यार की शम्अ से रोशन है आशियां 'नंदन'।
बरना दुनिया में कहां खुश नसीब परवानें।।
*५"- श्री सरस कुमार ,दोह खरगापुर* ने भारत की बदहाली का सटीक चित्रण कविता में किया है-
मैं भारत हूँ, तृण के जैसे टूट रहा हूँ ।
अर्थहीन हो गए विहीन दोनों कर मेरे
बोझा बढ़ा बेरोजगारी का सर मेरे
विकास का विस्तार रुका रुठ रहा हूँ ।
*६*डॉ सुशील शर्मा गाडरवाड़ा* ने एक बेहतरीन रचना नवरात्रि पर पटल फर रखी--
मन अंदर है गहन अंधेरा। चारों ओर दुखों का घेरा।
जीवन की पथरीली राहें। तेरे चरण हैं मृदुल सबेरा।
हे शैलपुत्री त्वं चरणं मम। हे हिमपुत्री त्वं शरणं मम।
*७ डॉ अनीता गोस्वामी जी भोपाल* से भावपूर्ण कविता डिलीट में लिखती हैं-
कुछ कर दूँ,"डिलीट"- - / डिलीट के क्रम में ,- - - - -
*मम्मी*का नम्बर आया/ "ममी"के रूप में,
परिवर्तित हो चुकी है,/ जिनकी काया"- - - - -।। बहुत खूब लिखा बधाई।
*८श्री *प्रदीप खरे,मंजुल*,टीकमगढ़ नव सृजन करने के लिए कह रहे हैं-और गीता का उपदेश भी याद दिला रहे हैं।
कल्पना का आवरण, उतार फेंको तन से।
जीना सीखो यथार्थ में,आगाज करो नव सृजन से।
कर्म जिसके भी जैसे रहे,फल मिल गया वैसा उसे।
किस्मत में ही जब फांके लिखे,तन दूर रह जाये वसन से। कल्याण...।। बधाई रचना अच्छी बनाई।।
*९*राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़* अपनी ग़ज़ल में कहते है कि हम किसी का अहसान नहीं लेते बल्कि उनकी हर बात मानकर सामने वाले पर अहसान चढ़ा देते हैं-
आप क्यों सर पै आसमान लिया करते हैं।
हम तो हर बात यूं ही मान लिया करते हैं।।
साथ उसका रहे फिर मुझको ग़म नहीं कोई।
हर किसी का नहीं अहसान लिया करते हैं।।
*१० श्री सियाराम अहिरवार जी* ने बाबा साहेब पर कविता लिखी जिसमें उनके द्वारा किये गये कार्यों का उल्लेख किया है अच्छी रचना है।
कै मेरा भारत देश महान.....!
*११*श्री डी.पी. शुक्ला जी* ने अर्थपूर्ण रचना लिखी-
क्यों तोड़ रहे मर्म की दीवारें !
उथलेपन को निहारा नहीं करते !!
सरस के बाग में खिलेंगे सुंदर सपने !
फलते बाग को कभी उजारा नहीं करते !!
*१२*वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जी* ने जय जवान जय किसान पर बेहतरीन देशभक्ति गीत लिखा-
जय जवान जय किसान जय हिन्दुस्तान।
विश्व में है भारत की अलग पहचान।।
जिनके कर्तव्यों से देश ये महान
उनका ह्रदय से हम करते सम्मान
जय जवान जय किसान जय हिन्दुस्तान।।
इस प्रकार से आज पटल पर उपस्थिति कम रही लेकिन १२ साथियों की बेहतरीन रचनाएं पटल पर पोस्ट की गई हैं। वाकई सभी ने एक से बढ़कर एक रचनाएं पोस्ट की है।सभी साथियों को बधाई।
✍️ *समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
########जय बुंदेली साहित्य समूह######
190--आज की समीक्षा* *समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 19-4-2021
*बिषय- *ठलुआ (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *ठलुआ* बिषय पै *दोहा लेखन*
कार्यशाला हती।आज भौत जनन ने दोहा रचे उर भौतई नोने दोहा रचे गये, पढझ कै मन खुश हो गव।सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *१*- *श्री अशोक पटसारिया 'नादान, लिधौरा* ने नोने रचे- वर्तमान हालात पर नौनो व्यंग्य करो है बधाई-
ठलुआ फिर रय आजकल,पड़े लिखे विद्वान।
वैशाखी नंदन कहें,ठलुआ खा रय प्रान।।
मिलते हर जगह,अब दर्जन के भाव।
समय पास हो जात है,उनकौ देख सुभाव।।
*२* संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली जू* अपने दोहे में अलंकार का बहुत बढ़िया प्रयोग किया है- बधाई।
ठलुअन की ठलुआगिरी,ठनक-ठनक ठनकाय।
ठसक,ठाँस ठस-ठस भरी, ठौर- ठाँव ठसकाय।।
ठलुआ-ठलुआ जुर-मिले,करें हास-परिहास।
गलन-गलन डोलत फिरत,भूख लगे न प्यास।।
*३*- *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी.बडागांव झांसी* उप्र. कै रय कै ठलुअन खां कोउ मान सम्मान नइ देत है-
ठलुआ सबरे जान कें, ठेंगा रहे दिखाय।
मान और सम्मान फिर, कितउं नहीं वे पाय।।
*४*- *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़* से ठलुअन की परिभाषा बता रय है-
धंधा काम न चाकरी,जुआ शरावी नीच।
ठलुआ उनखों कात हैं,चलत नजर लें ख़ींच।।
आलस तामस कामुकी,गप्प सड़ाका काम।
ठलुआ जिनखों कात हैं चाहत सब आराम।।
ई दोहा में यमख अलंकार कौ भौत नौनो प्रयोग करो है- बधाई दाऊ।
सबरे ठलुआ अवध के ,भरत भरत के कान।
भरत भरत जब थक गये,भरत करी पहचान।।
*५*- *श्री रामानन्द पाठक नन्द जू नैगुवां* ने भी अपने दोहे में अलंकार का सुंदर प्रयोग किया है देखे-
ठलुवा ठोके ठांक कें, लगा लेय दरवार।
ठसक सें मूंछ ताव दे,फिर पडवै अखवार।।
ठलुवा सें ठिठकत रहें, घरै बाल गोपाल।
लाड प्यार उनें करें, देखत वे मोबाल।।
*६*- *श्री डी. पी. शुक्ल,, सरस जू* ने सोउ अलंकार से सजे भये दोहा रचे-
ठलुवा सें ठलुवा मिलै, जुर मिल करें उत्पात !
ठकुर ठैंसइ विदैयकें, रैजें मांगत खात !!
*७*- *श्री प्रदीप खरे,मंजुल, जू ,टीकमगढ़* से ठलुआन कौ स्वभाव बता रय है- बधाई नोने दोहा है।
बिना काज गैलन फिरें,नायं-मायं बतियाय।
ठलुआ बेइ कहात हैं, धेला नहीं कमाय।।
ठलुआ ठलवाई करें, जितै चाय ठस जात।
उल्टी सीधी हांकवें,काऊ नहीं पुसात।।
*८*- * श्री अभिनन्दन गोइल जू इंदौर* - जै ठलुआ करत का है बता रय है- आपने बढ़िया दोहे लिखे है। बधाई।
ठलुआ चिरकुट चुटकया, देवें थोथौ ज्ञान।
अंड-गंड कौ नइं पतौ,करवें नीति बखान।।
व्हाट्सएप अरु फेस बुक,हो गय वेद पुरान।
सांच झूठ कौ कूत नइं ,ठलुअन की जे जान।।
*९* - *श्री लखन लाल सोनी जू छतरपुर* से एक ही दोहा रचो है पै नोनो लगो। बधाई।
नांय मांय की करत है,"ठलुआ" दो की चार ।
जितै सुई को काम हो, डारत वे तलवार ।।
*१०*- *श्री सरस कुमार जू* ,दोह खरगापुर ने एक दोहा लिखौ है नोनो है-
दोरन - दोरन बैठ गय , ठलुआ दो - दो - चार !
पढ़े - लिखे अनपढ़ सबइ , घूमत फिरत बजार !!
*११*- *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* ठलुअन कौ काम बता रय कि वे करत है-
ठलुआई करते रये,जै ठलुअन कौं काम।
लगुआ-भगुआ संग है,साथ आलसीराम।।
ठलुआ बैठे पास में,करवैं टाइमपास।
देवे बारौं राम है,करवे वे तौ आस।।
*१२*- *श्री कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर* से लिखत है कै ठलुआ भी राजनीति में खूबइ माल बनाउत है-
ठलुआ-भइया सूँट रय , जमकें मालइ-माल ।
मैंनत करवे वाय तौ , फिर रय हैं बेहाल ।।
राजनीति में देखलो , ठलुआ लडुआ खात ।
रोड़-पती सें जल्द ही , करोड़-पति हो जात ।।
*१३*- *श्री शोभाराम दाँगी जू नदनवारा* ने भी दोहा लिखो है-
हैं ठलुआ जो ई समय, बडे अभागे आंय ।
बैठे -बैठे खात रत, नांय -मांय इठलांय ।।
*१४* *डॉ सुशील शर्मा जू*, गाडरवारा - अबै के हालात पे सटीक लिखत है-बधाई।
ठलुआ सो जीवन बनो,घर में हेंगें बंद।
सुभे शाम बासन मजें,फिर रोटी के फंद।।
ठलुआ से घर में रहो,तभै बचे जे प्रान।
जा कोरोना काल में, जीवन कठन कमान।।
*१५*- *श्री राजगोस्वामी दतिया* से बिल्कुल सई कै रय। बधाई
ठलुआ हलुआ खात है दै दै बाते मार ।
करत न कौनउ काम वे ना करतइ इनकार ।।
*१६*- *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जू टीकमगढ़* ने भौत नौने दोहा अलंकार से सजे भये रचे। बधाई।
पैल कभउं मिल जात ते,ठलुआ बस दो चार।
अब तौ ठेलमठेल हैं,भइ भौतइ भरमार।।
ठूंस ठूंस कें ठेंठरा, और ठड़ूला खांयं।
ठलुआ नइं कछु काम के,गैल गैल गर्रांयं।।
ठलुआ करबें ठलमसे,तन में तनक न ह्याव।
अपनों पेट न भर सकें,कत करवादो ब्याव।।
*१७*- *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखोरा* से लिख रय कै- ठलुआ मौज कर रय-
खून पसीना कर रये , सूके कूरा रात।
मजा मोज ठलुआ करे,दै के झटका खात ।।
ई तरां सें आज पटल पै १७ कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से ठलुअन खौं समर्पित करे है। पढ़ के आनंद आ गया आज अनेख साथियों ने अपने दोहों में अलंकारों का भौत नोनो प्रयोग करो है। उमदा दोहा रचे है निश्चित ही आज कुछ दोहे कालजयी रचे गये है। बुंदेली दोहे के इतिहास में ये दोहे अपना स्थान जरुर बना लेंगे ऐसा मुझे विस्वास है। सभी दोहाकारों को बधाई।
*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*
*समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
######जय बुंदेली साहित्य समूह######
191-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-चंट-26-4-2021
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक 26.04.21#बुन्देली दोहे#
#बिषय....चंट#समीक्षाकार#
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
*************************
भूमिका... आज कौ बिषय चंट की समीक्षा लिखबे सें पैंलाँ माँ सरस्वती के चरण कमलन में नत मस्तक,फिर आप सबयी विद्वानन खों हात जोर जय श्री राम।
आज कौ बिषय बड़ौ अटपटौ है चंट,फरचंट जीपै हमाय विद्वानन ने कौनौ कसर न छोड़ी हर कोंण सें नापबे की ब्यबस्था बनायी गयी।बैसें भी सबयी जने इतेक क्षमता राखतकै कोनौ बिषय पै कयी तरा सें लिखबे की क्षमता राखत।तौ लौ आज की समीक्षा लिख रय आप सब जने संगै रैयौ।
#1#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़.......
आपके पाँच दोहन में सदा फरचंट रैवै कौ,शातिर कौ संग छोड़बे कौ,चंट के चमकबे कौ,चंटन सें बरकबे कौ,चंट की चकरघिन्नी सें बचबे कौ,बढिया सँदेशौ दव गव।भाषा भाव मजेदार,रसमय,धारा प्रवाह हैं।आपख सादर नमन।
#2#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा........
मैने अपने दोहन में हर आदमी चंट मानबे कौ,लरकन बिटियन सें चंटहोबे सेंकलंक कौ डर,चंट के महाचंट सें बिदबे कौ,सूदे नर खों फरचंट नारी मिलबे कौ,चंट सें अच्छौजंट फंट रैबै कौ सँदेशौ दव गव।भाषा भाव की समीक्षा आप सब जनें जानौ।मोरी सब जनन खों जुहार।
#3#श्री पं. परमलाल तिवारी जी खजुराहो......
आपके तीन दोहन मे लरका बहुवन कौ चंट हौबौ,चंट में अकल की जरूरत,चंटन के चालू पुरजा होबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सरल प्रवाहमयी, भावपूर्ण है।आपकौ सादर वंदन अभिनंदन।
#4#श्री पंं. रामानंद पाठक नंद जी नैगुवाँ......
आपके पाँच दोहन मेंचंट चपल हनुमान, चंट की चतुराई की चाल,चंट का अथाह होंना,चंट के रहने सेकाम का नाश,चंट की बिना हथियार की मार को बरनन करो।आपकी भाषा भाव मीठे रपटदार,रसीले धारदार हैं।आपकौ बेर बेर वन्दन।
#5#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी बड़ागाँव झाँसी.....
आपके 3दोहन मेंअंट शंट बातें करकें चंट बनबे कौ,चंट का निडर और भैरंट होना,नेतन कीफरचंटी कौ बरनन करो गव।भाषा भाव की जादूगरी, जबरजस्त,प्रवाहयु
क्त,रसमय,चेतना देने बाली है।
आदर्णीय कौ वंदन अभिनंदन।
#6#श्रीसंजय श्रीवास्तव बेकाबू मबयी बाले दिल्ली.........
आपके पांचों दोहन मेंचोख़ी जिन्दगी के गुण,कोरोना की चंट व्यवस्था के लाने,चंट की परिभाषा, चंटन सें दीन दुखियन की परेशानी, चंट चौकीदार के चुनाव कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा में वृत्यानुप्राश शब्दालंकार कूट कूट कें भरो गव,जीसें भाषा भाव की गंधगुमगुमा उठी।भाषा सरल प्रवाहमयी, चेतनायुक्त है।
आपका सादर अभिनंदन।
#7#डा.सुशील शर्मा जी गाड़रवारा......
आपके 5 दोहन में चंट पुत्री का जन्म,चंट की शान,कोरोना काल में चंट रहबे की सलाह, चंट फंट मन रखना,चंटों चालाकों का काम तुरंत होंना, आदि कौ बखूबी बरनन करो गव।
आपकी भाषा भावसरस,सरल,लुभावनी,जादूगरी से भरपूर है। आपका बेर बेर नमन।
#8#श्री पं. डी.पी.शुक्ल जी सरस टीकमगढ़.......
आपके 5 दोहन में घर के पुत्र
का चंट होना,चंट जुगाड़ से काम होना,चंट व्यवस्था की जगन्नाथ के भात से उपमा,चंट द्वारा आलसी की सेवा,छौंछायले चंट से काम ना बिलुरना कौ बखूबी बरनन करो गव।भाषा भाव मजेदार मुहाबरों के प्रयोग से सुशोभित, छौछायले जैसे शुद्ध बुन्देली शब्दों की गूँज,भाषा सरल सटीकभावभरी है। आपका बेर बेर अभिनंदन।
#9#श्री शोभाराम जी दाँगी नदनवारा........
आपके 6 दोहन मेंचार जनन में चंट,तन मन सें चंट का नेता बनबौ,सूदनं के लाने चंट होबौ जरूरी,पुराने खान पान सें चंट हौबौ,सूर्योदय से पैलाँ उठबे सें चंट हौबौ,चंटों के हूंक के खाबे कौ बरनन करो गव। भाषा भाव सामान्य सरल एवम् बोधगम्य।
आपकौ बेर बेर वंदन।
#10#श्री सरस कुमार जी दोह....
आपके 3 दोहन मेंबिपत्ति में चंट रैबौ,चंट कौ ऊँचे सुर में बौलबौ,चंट व्यवस्था से कोरोना का निदान,बखूबी बरनन करो गव। भाषा सपाट लचीली,भावों के जादूगर,आपको बेर बेर शुभाशीष।
#11#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.........
आपके 5 दोहन में चंट आदमी की हुशयारी बगराना,चंटं आदमी की परिभाषा, चंट का डींग मारना,चंट का आँखें मटकाना गम्म न खाना,चंट की रीझ बूझ कौ बखूबी बरनन करो गव। आपकी भाषा लच्छेदार जलेवीनुमा,मिठासभरी,दही सी स्निग्ध।भाव आसमानी ऊँचाई युक्त।आपका अभिनंदन।
#12#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़........
आपके 5 दोहन मेंबिना मास्क के चंट,पुलिस की चंट व्यवस्था, हाई फाई चंट,अंटसंट बकबास करकेभीड़ जमा न करने देना,खव पियो चंट रवभरम न पालने की सीख बखूबी दयी गयी।भाषा की आकाशीय ऊँचाई, भाव हिमालय से ऊँचे सराहनीय ।आपका शत शत अभिनंदन।
#13#श्री रामगोपाल रैकवार जी टीकमगढ़.......
आपने अपने अकेले दोहा रूपी झंडे मेंचंट जनसेवकों की पोल खोल कर रख दयी।आपकी भाषा चमत्कारी भावहृदयतल छूने बाले हैं।आपका बेर बेर अभिवादन।
#14#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी टीकमगढ़......आपने भी अपने अकेले दोह ध्वज को फहराया औरचपल चालाक चंट नारी की पोल खोल कर रख दयी।भाषा की ऊँचाई और भाव की गहराई दर्शनीय है।
आपका शत शत अभिनंदन।
#15#श्री लखन सोनी जी छतरपुरी........
आपने भी अपने एक मात्र दोहे से चंट गपोड़ीबेमतलब की बात करबे बारन की पूरी धुलाई करी।
आपकी भाषा ओज भरी,एवम् भाव गहराई लँय दिखाने।आपका शत शत नमन।
उपसंहार.......
अब आठ बजे सें ऊपर कौ समय होगव।अब नयी रचना कौ इन्तजा
र समाप्त भव।अगर धोके सें काऊकी रचना छूट गयी होय तौ अपनौ जान कें क्षमा करियौ।
बैसें हमरे पटल के मनीषियन ने जो कमाल करो उयै देख पढ़ कें भौत खुशी होत।अचानक मौ सें कड़ जात लाजबाब,लाजबाब,लाजबाब।अति सुन्दर।
आपके बीच का समीक्षक.......
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#इति शुभम्#
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192-राजीव नामदेव राना, हिंदी-धरा-27-4-2021
*192-आज की समीक्षा** *दिनांक -27-4-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय - "धरा/धरती"*
आज पटल पर हिंदी में *धरा/धरती* केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने बहुत बढ़िया दोहे रचे और पटल पर रखे।
पढ़ने में बहुत आनंद आ गया। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर *(१)श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* ने ५दोहे रखे। धरा सबका कल्याण करती है बहुत बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
धरा रहेगा धरा पर,तन मन धन अरु धाम।
धरासाइ होगा सभी,कर्म आयेंगे काम।।
धरती ही करती सदा,अखिल जगत कल्याण।
पाप पुण्य जीवन मरण,उसके तरकश बाण।।
*2* *श्री शोभाराम दाँगी* जी नंदनवारा के दोहे में भाव बहुत सुंदर है कि यदि अत्याचार बढ़ गयि तो ये धरा भार नहीं सज्ञ पायेगी इसलिए सत्कर्म करे।
वन उपवन ये वाटिका, हैं वसुधा की शान ।
पर्वत शिखर पयोधि जल हैं धरती की आन ।।
धरा भार नहीं सह सके, जब हो अत्याचार ।
इसीलिए सतर्कम कर, करलो तनक विचार ।।
*3* *श्री प्रदीप जी खरे, मंजुल* ,टीकमगढ़ जी ने सही लिखा है कि हरी भरी धरती रखकर हम उन्हें खुश रख सकते हैं और बदले में वे हमें उपहार देती है। बहुत बढ़िया बधाई।
आंच धरा पर आये न,चाहे निकले जान।
सब पर मां का कर्ज है,रखना इतना ध्यान।।
हरी भरी धरती रखो, करो खूब श्रृंगार।
जितनी मैया खुश रहे, उतनें दे उपहार।।
*4* *श्री अभिनन्दन गोइल जी* इंदौर से लिखते है कि आज इंसान एहसासफरोस हो गया है वह धरती का उपकार भूल दोहन करने में लगा है बहुत बढ़िया विचार रखे है दोहों में बधाई।
दूषित पर्यावरन सें, धरती माँ बेजान।
माता के उपकार कौ, जौ कैसौ अहसान।।
धरती माता देत है, जीवे कौ आधार।
पालनहारी मात कौ, ना भूलें उपकार।।
*5* *डॉ सुशील शर्मा जी* गाडरवाड़ा ने बहुत सुंदर चेतावनी देते दोहे रचे है बधाई।
धरा का न शोषण करो , ये है जीवन गान।
पशु पक्षी पौधे मनुज,हैं धरती की शान।।
जहाँ पेड़ कटते रहे ,होते रहे शिकार।
रेगिस्तानी वह धरा , बचा न कुछ आधार।।
*6* *श्री ✍️सरस कुमार*,दोह खरगापुर से पौध रोपण के लिए कह रहे हैं तभी पानी मिलेगा सही सोच है बधाई।
पेड़, नदी, परबत सघन, बहती हुई समीर ।
मानव ने दोहन किया, अब बढ़ती है पीर ।।
पेड़ लगा जीवन मिले, नीर बचा ले यार ।
धरती को कर दो हरा, बना रहे संसार ।।
*7* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु* बडागांव झांसी ने सूरज की गर्मी से धरा तपती है तो सभी को बहुत कष्ट होता गर्मी की सटीक चित्रण दोहों में किया है। बधाई।
आग बरसती सूर्य से,पशु पक्षी बेहाल।
धरती झुलसी ज्यों अँवा,है किसान बदहाल।।
भरी दुपहरी में धरा,भभक रहे,खलियान।
बूँद-बूँद जल के लिये,तरस रहे इन्सान।।
*8* *श्री लखनलाल सोनी* जी ने एक दोहा बुंदेली में रचा है-
🚩 धरती सव कछु देत रइ, कांलो करै वखान ।
🚩 खोद खोद छलनी करी,देखत है भगवान ।।
*9* *श्री डी. पी. शुक्ल*,, सरस,, टीकमगढ़ ने अच्छे भावभरे दोहे लिखे है बधाई।
हमने ईपै जुल्म करे! खोद धरा कांटे रूख!!
प्रदूषित जल के कारने!प्यास लगे ना भूख !!
धरती हमरी माँई है ! पिता बनो आकाश!!
जीवन धरती पै चलै!!सूरज देत प्रकाश!!
*10* *श्री एस आर सरल* ,टीकमगढ़ पंच तत्व का महत्व बता रहे हैं बहुत बढ़िया दोहे है बधाई।
भू,अग्नी,जल,वायु,नभ,पंच तत्व वरदान।
सकल धरा पर तत्व का,जीव करें रसपान।।
धन्य धरा धन धारिणी,धन्य धन्य उपकार।
कृतज्ञ तेरा जगति है, बरषत सब पर प्यार।।
*11* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक*,पृथ्वीपुर लिखते है कि धरती माता का हृदय बहुत विशाल है वे सबको खुश रखती है। अच्छे दोहे है बधाई।
धरती मैया का हृदय , पोषक बहुत विशाल ।
सारे जग को रख रही , सभी तरह खुशहाल ।।
धरती माता कर रही , जीवों पर उपकार ।
प्राण-वायु जल फूल फल , जुटा रही आहार ।।
*12* *श्री रामानन्द पाठक नन्द* नैगुवां ने कहा है कि धरती की सुंदरता पेड़ पौधे बढ़ाते है बिल्कुल सही कहा है बधाई।
धरती पर अवतार भए,राम कृष्ण बलराम।
जहां चरण धरती धरे,हो गए तीरथ धाम।।
धरती सुन्दरता रहै,हरे भरे जां पेड़ ।
पार टौरियां मिटा रए,धरती रहे उदेड।।
*13* *श्री राजगोस्वामी दतिया* लिखते हैं कि धरती हमे अन्न देती है। जो कि संजीवनी है। बधाई।
धरती से अन्न ऊपजत धन वर्षा अति होत ।
धन से बनतइ काज सब कबहु न कोऊ रोत ।।
धरती है वरदायनी अपनौ धरम निभात ।
हरी भरी संजीवनी मन मन मुसकात ।।
*14* *श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो* से कहते हैं कि धरती क्षमाशील है बहुत बढ़िया दोहे बधाई।
क्षमाशील अति धरा यह,उठतहिं करो प्रणाम।
सकल जगत आधार यह,विष्णु पत्नी जेहि नाम।।
धरती से मिलता हमें,भोजन औषधि रोज।
माता के सम पालती,देती हरदम मौज।।
*15* *श्री रामगोपाल रैकवार जी*, टीकमगढ़ ने धरा के 16पर्यायवाची शब्दों का बहुत बढ़िया प्रयोग अपने दोहों में किया हैक्। आपकी बात ही निराली है। अंलकारों का भी बेहतरीन प्रयोग किया है। बधाई।
पृथ्वी माता जगत की, धरा धरे है भार।
वसुधा उद्गम है सुधा,अचला है आधार।।
वसुंधरा सब कुछ धरा,उर्वी उर्वरा खान।
रत्नागर्भा है मही,धरणी धरित्री ध्यान।।
*16* *श्री संजय जी श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)* से लिखते है कै कोरोनावायरस से ये धरती बेहाल हो रही है। बहुत सुंदर दोहे रचे है। बधाई।
धीरज होवे धरा सा,होय गगन विस्तार।
अगन तेज,पावन पवन,निर्मल जल सी धार।।
आज बिलखती है धरा,देख हाल विकराल।
कोरोना के काल में, हाल हुआ बेहाल ।।
*17* *श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी* वृक्षारोपण करने पर जोर दे रहे हैं और जरूरी भी है। सही सोच है बधाई।
बृक्षा रोपण सब करें,अगर धरा के लोग
स्वस्थ रहेंगे सभी जन,दूर रहे हर रोग
*18* *राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़* कहते हैं कि हमें आकाश में नहीं उड़ना चाहिए पांव धरती पर ही रहे अर्थात घमंड नहीं करना चाहिए।
मत उड़िये आकाश में, धरो धरा पे पांव।
घर आंगन में नीम हो,बैठ आम की छांव।।
काले बादल आय है, पानी लाते साथ।
धरा ने स्वागत के लिए,बढ़ा लिए है हाथ।।
इस प्रकार से आज 18 दोहाकारों ने नवसृजन किया है बहुत बढ़िया दोहे रचे है। दोहों में सुंदर भाव है तो अंलकारों का भी बढ़िया प्रयोग किया है। संदेश भी दिया है तो वहीं चेतावनी भी दी है। सभी को बहुत बहुत बधाई, आभार। धन्यवाद।
*समीक्षक-*
*-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ मप्र*
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193-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-28-4-21
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
दिनांक 28.042021
समीक्षक/पं.डी.पी.शुक्ला ,,सरस,,
स्वतंत्र बुंदेली पद्य रचना
पावन पवित्र धरनि ! बुंदेलखंड सौ राज!!
मृदुल मिठास भरै!
बुंदेली सी आवाज !!
बुंदेली में बोल कें!
मन हरत सब कोय!!
मीठी वाणी तौल कें!
बोलत है सुख होय!!
जो बुंदेलखंड में बसतहै!
करत बुंदेली गुणगान !!काब्य मनीषी बुंदेली रची! बुंदेली के भगवान!!
बुंदेलखंड की धरा पै बुंदेली के कवि साहित्यकार और बुंदेली की राह प्रशस्त करवे वारे बुंदेली सिर्जन कर रहे हैं बढ़ावा देवे वारे बुंदेली मातृभूमि को जीवनदायिनीधरा मान कें अमृत्तुल्य रचनाओं को परोस रहे हैं ऐसे काव्य मनीषियों को नमन सत सत वंदन अभिनंदन उत्तम रचनाओं को पटल पर साकार रूप देने में अग्रणी रचनाकारों को साधुवाद!!
नंबर 1. प्रथम में पूज्य श्री गणेश को नमन कर पटल की ओर नजर डारें जी में प्रथम पधारने वाले पटल के रचनाकार उत्कृष्ट रचना के साथ सर्वश्री अध्यक्ष राजीव राना लिधौरी जू .. को नमन करता हुआ उनके द्वारा रचना में जो तान भरी है मन गदगद कर दव वे बुंदेली के लिए समर्पित है , अपनी बुन्देली रचना कर विचारों के. तारतम्य को बढ़ाया है बुन्देलखंड की भावना को बुन्देली में उकेरना था जिसे काव्य धारा में प्रवाहित करकें बुन्देली काव्य का सिरजन हो रव है भौतै भौत बधाई!!सपने की बात साँची भई खरचो नई छिदाम!
भूखे बैठे घरन में नईयाँ कौनऊँ काम!!
भौतै नौनी रचना के. लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन
1-भाव और विचारों में संगति
2-कालजयी रचना
3-वास्तविकता की ओर इशारा
4-दोउ पाट /पिसो गरीब उपमाँंलंकार की झलक
5- पंगत नईं नसीब अदभुत रस की पुट
नंबर 2- श्री कल्यान दास पोषक जुने अपनी रचना में सब्दन को भंडार खोल कें धर दव. फूँक फूँक कें पग धरने शब्दालंकार एवं कालजई रचना में बुंदेली हिम्मत बधाई है खुद बचो परिवार बचाने ई के लाने धीरज धरने !
संकट में धैर्य, लड़ाई में बैर!!
दोऊ सजगता की जरूरत बताकर रचना सारगर्भित नौनी लगन लगी है नोनी नोनी रचना के लाने साधुवाद उत्तम रचना हेतु सादर अभिवादन!
एक .कालजई रचना
दो .भावों में लय वद्व
3 .शब्दालंकार की छटा
4- चेतावनी सजगता भरी
नम्बर 3- श्री जय हिंद सिंह जय हिंद,, जुने गिनती गीत के माध्यम से लोक शै ली बद्व गीत में क्रमबद्ध करके रचना को पहेली बना कर शब्दन कौ साज कर नैनवा रो है तब तबीयत जोड़ा में नोनी और रंगीन होत!
चार जना मिल मता बनाया चार वेद पढ़ डारे ,चारई ने लादो सो काढ़ दव घर के द्वारे !!
चार जने जुरें बात मानत संसार !
चार वेद चार युग के नाम हम बताए बहुव्रीहि समास एवं शब्दों के मेल से खेल साहित्य रचना में पिरोकर पिर्स्तुति करी है जो अनूठी पहल का नमूना है पांच जने पांच अंगुरिया से पहल का नंबर तो नाच नचा दे उत्कृष्ट काब्य संगीत दाऊ साहब वाह वाह साधुवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन!
नंबर 4- श्री प्रदीप खरे ,,मंजुल,, जुने मां तो मां माता के कर्ज को मामा ने निभाया अब हम बेसहारे हो गए हैं विधाता के आगे हारे दुखित वेदना से आहत शब्द विन्यास उत्कृष्ट और मामा की आत्मा को प्रभु शरण में रखने की विनती करी है
नंबर 1. भाव उत्तम नंबर
2 .विरहि वेदना से आहत ह्रदय भाव . विरही वेदना से आहात दुखित मन उत्तम रचना हेतु उत्कृष्ट उत्कृष्टता के आयाम रचना में होने पर साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 5 -श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त ईंदु जुने अपनी कुंडलिया के माध्यम से बताओ है के ठलुआ रहके इतने ऊंचे ना जाओ नाँतर जो कोरोना पीछो ना छोड़े सो मासक लगा तनक गम खाओ भाव भरी चेतावनी देकर श्री इंदु ने भाव भरो है उत्तम रचना के लाने हार्दिक बधाई सादर धन्यवा!
नंबर 6- डी.पी. शुक्ला ,,सरस,ने अपनी बुंदेली रचना में कोरोना का अब डर नहीं रहेगा को बताओ है और बताओ के नीति नियम से चले लेकिन बगैर टिकट यात्रा नहीं करने नाँतर जौ ज्यू घवरान लगत और अगर टिकट लेकर बैठो तो काहे को डर गर्म पानी पियौ तो दालचीनी लोंग तुलसी हल्दी डालकर खातई रव और मोटे प्याज को बकला सोंदौ नमक के संगै खाओ दूरी बनाए रहो मास्क लगाएं सोउ टिकट ले लव लेकिन लापरवाही घातक सोउ है! चेतावनी
नंबर 7 -श्री परम लाल तिवारी जी ने अपनी रचना में कोरोना में सबरौ पुँजी पसारौ खा गए शो बाप ने घर से निकार कें अलग कर दव जी सें कर्जा नैं चुका पा रहे अब कैसे गुजारो होय!
एक .कालजई रचना 2.वास्तविकता को उजागर करती रचना
तीन .वेदना सहित मन !
4. शब्द विन्यासउत्तम और थोड़े में अधिक कहना!
बहुत उत्तम रचना के लाने साधुवाद सादर धन्यवा!
नंबर 8 -श्री शोभाराम दाँगी जू ने दोहनके माध्यम से अपनी बुंदेली पटल पर उतारी है कोरोनाकाल में गणपति महाराज से विनती करी है लाज रखियो सब विपत्ति टाल दो समाज सुधर जावे हे विघनेश महाराज अब तुमाव अासरौ बचे है भौतै नौनी सारगर्भित रचना के लाने साधुवाद वंदन अभिनंद!
9- श्री एस .आर .सरल जू ने बुंदेली गजल के माध्यम से नेतन को काला धन सफेद होगव अच्छे दिन ने तन के आ गए मुद्दा छूट के कोरोना ही मुद्दा बन गए व्यंग रूप में गजल को शब्दों में पिरोकर उत्तम रचना करी है जी के लाने वे साधुवाद के पात्र हैं चेतावनी बतौर सजग करने के लाने बहुत ही बहुत धन्यवाद
नंबर 10 -श्री पी .डी. श्रीवास्तव पीयूष जुने अपने बुंदेली दोहे के माध्यम से पटल पर आगाज भरो सो कोरोना को कुटिल कुचाली क्रूर बताओ है और कंगाल हो गए हैं सबरे शाके प्रीतम पास में होत भए भूल गए विरही वेदना से आहत जो मन श्री पीयूष जी को दिखारओ सिंगार रस भरी चेतावनी में सादर साधुवाद बधाई !
नंबर 11- श्री रामानंद पाठक जी नंद ने कोरोना जो आज को काल बन के सामने खड़ो है रचना पेश करी है और टीका लगा के इयै हरावे की बात करी है नियम पालन करें सोउ जौ जीवन बचे चेतावनी भरो सुझाव दव है सादर वंदन अभिनंदन!
-समीक्षक- श्री डी पी शुक्ला, टीकमगढ़
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194-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-कुलांट-3-5-2021
#सोमवारी समीक्षा# कुलांट#
#दिनाँक 03.05.21#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह #
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भूमिका..... आज समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माई सरस्वती जी के चरनन में साष्टांग बंदनं ।आप सब विद्वान जनन ख़ों दोई हात जोर कैं राम राम।आज के बिषय कुलाटें पर सबने अपने अपने दोहे कुलाटें के भाव भरकें डारे।सबने हर कोंण सें बिषय खों दखो सोचौ और अपने बिचार पटल पै दोहे के रूप में उकेरे।तो चलो आज सबकी अलग अलग राय समीक्षा में देख़ी जाय।
#1#श्रीप्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़.......
आपके 5 दोहन में,कुर्सी के लानें कुलाँट, तरंत भाँप कर कुलाँट, ललन की कुलांट, गिरगिट जैसै रंग बदल कर कुलाँट, कुर्सी की प्रीति की कुलाँट कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा एवम् भाव निर्द्वन्द,सरल,सहज हैं।आपका अभिनंदन।
#2#श्रीगुलाब सिंह भाऊ जी लखौरा.....
आपके 4 दोहन में चुनाव में पैसा सें हारजीत,कौरौना के संदेह में कुलाँट, निबुआ के रस सें कौरौना कौ उपचार, कबड्डी की कुलांट कौ खूब बरनन करो गव।भाषा मधुर सुहावनी, सरल।भावरचना गहरी।आपकौ सादर नमन।
#3#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी बड़ागांव झाँसी.....
आपने अपने 3 दोहन मेंबात बदलबे की कुलाँट,घर न आकें कुलाँट खा जाना,देश कौ बंटाढार करकेंकुलांट कौ नौनौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सटीक ,चिक
नी,सरलहै।भाव गहराइयाँ अनुकरण योग्यहैं।आपखों बारंबार नमन।
#4#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा.......
आपके 5 दोहन मेंकुलाँट खा कें राजनीति में छा जाना,काऊकी कुलाँट और पैसा देखकें अपनौ मत बेच दैबौ,मदारी खों देख कें बंदर की कुलांट, कसाई के काम छौड़कें देशप्रेम की सलाह,ईमान बेंचकें कुलाटन कौ खूब बरनन करो गव।आपकी भाषा साहित्यिक ऊँचाई लँय,भाव गहराइयाँ देखबे जोग हैं।आपको शत शत प्रणाम।
#5#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो.....
आपके 5 दोहन मेंकौरौना सें बचाबौ,नंद गोपाल के सुमरन सें काल कौ बेअसर करबौ, सँभल कर पाँव धरने की हिदायत,हरिशरण सें कुलाँट सें बचाव कौ बरनन करो गव।
भाषा मधुर बजनदार,भाव सरस गहरे,।आपकौ बेर बेर बंदन।
#6#जयहिन्द सिंह जयहिन्द गुड़ा पलेरा......
मेरे 5 दोहन मेंपैलौ दोहानटनागर कृष्ण को समर्पित, तीन दोहन में नेतन के गुन बखानें गय।अंतिम दोहा में नट की तुलना में पहलवान को हीन भावना सें देखो गव। भाषा भाव आप सबयी जने जानौ। सबखों हात जोर कें राम राम।
#7#श्री लखन सोंनी जी छतरपुर.......
आपके एक मात्र दोहा मेंमदारी द्वारा बंदर का नाच,कुलाटन कौ बरनन करो गव।भाषा भावसरस लुभावने।आपकौ वंदन।
#8#डा. सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा.......
आपके3 दोहन में,नेताओं का बंदर जैसी कुलाँट भरना,नदिया,घाट की पानी में कुलाटें,कुलाट सें दिल टूटबे कौ बरनन करौ गव। भाषा की ऊंचाई प्रभाव पूर्ण,भाव की गहराई् अनुकर्णीय है।आपकौ बेर बेर बन्दन।
#9#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी टीकमगढ़.......
आपने दो दोहन में नेता बँदरन की कुलांटें,कौरौना की कुलाँट कौ बरनन करो गव।भाषा बेजोड़,खड़ी,भाव मधुर,रसयुक्त है।भाव की गहराईअनुकर्णीय है।
आपको बेर बेर नमन।
#10#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा......
आपने अपने5 दोहन में शेरशाह और सूरमा जैसी कुलांट,राजा रंक फकीर का कौरोना द्वारा न छोड़बौ,कौरौना सें सबसें परेशान होबौ,दल बदलू की कुलाँट, कुलाटन सें भंडाफोड़ हौबौ आदि कौ बरनन करो गव।भाषा मिठासभरी सरल है।भावों में भावुकता दिखती है।आपकौ सादर बंदन।
#11#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी पीयूष जी टीकमगढ़....
आपके 5 दोहन में देवता खेलने की कुलाँट, टोपी गमछा बदलकर दल बदलना,अन्य लोंगों के बदलाव से नटों को अचरज बँदरन सें अच्छी कुलाँट कौ नेतन कौ अनुभव,भगवान के डंडा सैं डरबे कौ संकेत दव गव। भाषा चिकनी मधुर,भाव आदर्श सुन्दर सरल,हैं।आषकौ अभिनंदन।
#12#श्री राज गोस्वामी जी दतिया.......
आपके अपने 3 दोहन मेंगुरू का खाट बिछाकर उल्टे सीधे होंना,कुलाँटें खाकें माल डकार जाना,नेताओं द्वारा बादा न निभाना लिखो गव है।आपकी भाषा बेजोड़ संगठित,एवम् मधुर है।भाव बिचरण श्रेष्ठ है।आपखों नमन।
#13#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.....
आपके अपने 5 दोहन मेंचापलूस की कुलाँटें, धोकेबाजन की कुलाँटें, चलते पुरजन की कुलाँटें, भूंक प्यास की कुलाँट, ऊँचे ठाट बारन के द्वारा कलह,कलंक कुलाँट करवाने कौ बरनन है।
आपकी भाषा परिमार्जित शुद्ध बुन्दैली है।भाव पावन गहरे परिमार्जित हैं।आपका बेर बेर अभिनंदन।
#14#श्री रामानंद पाठक नंद नैगुवाँ......
आपके5 दोहन मेंनट औ
शर जमूड़े का खेल,चालाकों की कुलाँट, सबके साथ किलकोंटें करने बालों की कुलाँट, कौरौना की कुलाँट, विपत्ति में नघबराबे की सलाह बखूबी लिखी गयी है।
आपकी भाषा बुन्देली क्षेत्र की
माटी की रोजमर्रा कीसरस प्रवाहमयी वोली है।भाव सटीक एवम् गहराई बाले हैं।आपका बंदन अभिनंदन।
#15#श्री एस.आर. सरल जी टीकमगढ़......
आपके 5 दोहन में,राजनीति के धुरंधरों की कुलाँटें, जनता की समझ और नेतन खों धूरा चटाबौ,देशं की माटी कुलाटन से कुटना,अंधभक्ति और नेतन की कुलाँटें, कुलाँटें सीख कें चौके पै छक्का जड़बे कौ संदेशौ दव गव।
भाषा प्रवाहमयी चिकनीभावभरी है।भाव की सागर जैसी गहराइयाँ आपके लेखन में रहतीं हैं। आपका बेर बेर अभिनंदन।
#16#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली......
आपके 4 दोहन मेंंमन के लालच की कुलाँट, आपदा में गिरमाटोर कुलाँट, कुलाँट खाके गिरने पर ईसुर से दया माँगना,अदबूढन के मन की कुलाँटन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा चिकनी मधुर तथा रसंदार है।भाव लच
छेदार मजेदार. हैं।आपकौ हार्दिक अभिनंदन।
उपसंहार.......
अब आठ सें जादा कौ समय होगव।आज पटल पै एक सें एक बिचार विद्वानन ने अपने हिसाब सें रखे।अगर समीक्षा में धोखे से किसी की रचना छूट गयी हो तो मुझे अपना समझ कर क्षमा करें।
सबयी जनन ख़ों हात जोर पुनः अभिवादन।
समीक्षाकार.........
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो.6260886596
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195-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ मप्र
195-आज की समीक्षा** *दिनांक -04-5-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय - "पत्रकार"*
आज पटल पर हिंदी में *पत्रकार* केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने बहुत बढ़िया दोहे रचे और पटल पर रखे।
पढ़ने में बहुत आनंद आ गया। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर सौभाग्य से जिले के वरिष्ठ एवं श्रेष्ठ
*(१)* *श्री प्रदीप खरे 'मंजुल' जी* ने ५ दोहे रखे बहुत बढ़िया लिखे है-पत्रकार की कलम कटार के समान होती है सही का है बधाई आपकी कलम की धार हम जानते है। बहुत तेज है।
सेवा जिसका धर्म है, पूजा कर्म महान।
पत्रकार वो ही सही, देत वतन पर जान।।
कलम कटार से कम नहिं, रखना इसे सभांल।
पत्रकार गर भ्रष्ट हों, देश होय कंगाल।।
*(२)- श्री अशोक पटसारिया जी नादान* सही लिखते कि लोकतंत्र पत्रकारिता पर ही टिका है- बधाई अच्छे दोहे लिखे है।
लोकतन्त्र जिस पर टिका,पत्रकारिता एक।
इसकी गहरी जड़ों में, भ्रष्ट्राचार अनेक।।
निकट सत्य के है जहां, पत्रकार अखबार।
वही राजनैतिक हुए, कैसे हो उद्धार।।
*३*- श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ से लिखते है-पत्रकार मनमानी नहीं चलने देता है-
न्यायनिष्ट निष्पक्षता,दर्पण दैत समाज।
जा जैसी घटना घटे,खोल देत है राज।।
मन मानी न काऊ की,चलन देत न चाल।
पत्रकार अन्याय को,लिख देते तत्काल।।
*४*- *डॉ सुशील शर्मा गाडरवाड़ा* ने बेहतरीन दोहे लिखे है-पत्रकारिता मिशन है। वाह बधाई।
पत्रकार वह शख्स है, हाथ कलम तलवार।
जिसके हर इक शब्द पर , न्याय करे अधिकार।।
भारत के जनतंत्र का , यह चौथा स्तंभ।
दृढ़ निर्भय निष्पक्ष है ,सदा सत्य अनुलम्ब।।
पत्रकारिता मिशन है , आज बना व्यापार।
कुछ बिक कर ही लिख रहे , कुछ लिख कर बेकार।।
*५* * राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* जहां पत्रकारों को पार्टी का गुलाम बता रहे है तो वहीं कुछ ईमानदार पत्रकारों की प्रशंसा भी कर रहे हैं-
पत्रकार भी हो गये,पार्टी के हि गुलाम।
ख़बरें उनकी छापते,करें उन्हें सलाम।।
कुछ पत्रकार भी हुए,नहीं बिके है आज।
जो देखा छापे वहीं,करे दिलों में राज।।
*६*- *श्री शोभारामदाँगी जी नंदनवारा* कहते है कै- पत्रकार से भला कोई दूसरा नहीं है-
पत्रकारिता विश्व की, पल -पल खबर लगाय ।
प्रिय -अप्रिय घटनाओं की, बूँद -बूँद बर्षाय ।।
पत्रकार से भला नहीं, इस दुनियां में कोई ।
धरती से आकाश तक, सम्मिट करै संजोई ।।
*७*- *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा ने सभी दोहे बढ़िया लिखे-जो सत्य पर चलते है वे अमर हो जाते है। बधाई दाऊ।
पत्रकार बे अमर हैं,रहते जो निर्भीक।
प्राण निछावर हों भले,छौंड़ें सत्य न लीक।।
पत्रकार निष्पक्ष यदि,हो समाज का मीत।
कलम सत्य से ना मुड़े,कभी न हो भयभीत।।
*८*- *श्री राम गोपाल जी रैकवार* पत्रकार कै लोकतंत्र की रीढ़ बता रहे है। सही बात है। वहीं पत्रकार का बढ़िया अर्थ बता रहे है। बढ़िया दोहे है बधाई।
लोकतंत्र की रीढ़ हैं,पत्रकार अरु पत्र।
इन लोगों की पहुँच है,यत्र तत्र सर्वत्र।।
'प' से पवित्र 'त्र' त्रयगुणी,निडर, नेक, निष्पक्ष।
'का' से काम अवाम का,'र' से राष्ट्रहित-रक्ष।।
*८*- *श्री कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर* ने बहुत सुंदर दोहे रचे दोहों में पत्रकार के गुण बताये है। बधाई।
ज्ञानवान निर्भीकता , बल पौरुष गुणधाम ।
पवन तनय करते रहे , पत्रकार का काम ।।
सन्मार्गी लेखक कुशल , बातचीत में दक्ष ।
पत्रकार होता चतुर , निडर और निष्पक्ष ।।
जन मुद्दे सरकार तक , पत्रकार पठवात ।
पोषक देश समाज का , प्रहरी सजग कहात ।।
*९*- श्री राज गोस्वामी जी दतिया से नादर जी को सबसे बड़ा पत्रकार बता रहे है।-
1-पत्रकार सबसे बडे नारद मुनि कहलात ।
उनसे छोटे और है,नाम बाद मे आत ।।
2- पत्रकार नित सजग रत सबको सोत जगात ।
जाय कहत है मीडिया सबरे मानत बात ।।
*१०*- श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.ने सत्य लिखा है कि पत्रकार समाज और जन की पीड़ा जानते है। बधाई
पत्रकार समझे सदा, जन समाज की पीर।
करे उजागर भेद सब, जैसे किये कबीर।।
पत्रकार की लेखनी, हो सदैव स्पष्ट।
चाहे कुछ खुश हों भला, चाहे कुछ हों रुष्ट।।
*११*- *श्री एस आर सरल जी,टीकमगढ़ कह रहे हैं कि पत्रकार जनहित का काम करते है तथा सबकी पोल भी खोलने से नहीं चूकते। बहुत बढ़िया दोहे बधाई श्री सरल जी।
राष्ट्र हित मुद्दे उठा,करते जनहित काम।
पत्रकार की खबर से, गिरते झूठ धड़ाम।।
पत्रकार झुकते नहीं, देते चिट्ठा खोल।
सत्य कसोटी पर कसै,सबकी खोलें पोल।।
*१२*- *श्री संजय जी श्रीवास्तव, मवई* ने पत्रकारों के गुणों का सुंदर चित्रण दोहों में किया है बधाई।
पत्रकार जो कलम से, परतें देता खोल ।
सच, साहस,निर्भीकता, ये गुण हैं अनमोल।।
पत्रकार का सत्य ही, ताक़त का आधार।
प्रशासन भी चौंकता,डरती है सरकार।।
13- श्री रामचनंद जी पाठक, नैगुवां- ने भी बढ़िया दोहे रचे पीत पत्रकारिता की बात की है। बधाई
मानत हैं सरकार के,होबें तीनहिं खंभ।
अंकुश बिन पत्रकारिता,है चौथा स्तंम्भ।। पत्रकारिता भ्रष्ट हो,वेपारी उददेश
नाम पीत पत्रकारिता,देशै देय क्लैश।।
14- श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो से लिखते हैं-
पत्रकार कि काम आब बहुत बढ़ गया है-
जनता को मिलती रहें,सारी खबरें रोज।
पत्रकार तो सजग हो,करते उनकी खोज।।
लोकतंत्र में बढ गया,पत्रकार का काम।
सत्ता जनता मध्य का,सुदृढ स्तंभ ललाम।।
15- डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा ने बहुत बढ़िया दोहे लिखे बधाई।
भारत के जनतंत्र का ,यह चौथा स्तंभ
दृढ़ निर्भय निष्पक्ष है ,सदा सत्य अनुलम्ब।।
पत्रकारिता मिशन है ,आज बना व्यापार।
कुछ बिक कर ही लिख रहे ,कुछ लिख कर बेकार।
इस प्रकार से आज बहुत ही कम मात्र १५ दोहाकारों ने नवसृजन किया है बहुत बढ़िया दोहे रचे है। दोहों में सुंदर भाव है तो वर्तमान में पत्रकारों के दोनों रुपों का वर्णन किया है।पत्रकारों के गुण दोष भी बताये है। सभी को बहुत बहुत बधाई, आभार। धन्यवाद।
समीक्षक-
- राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ मप्र
#############################№###
196-समीक्षक- कविता नेमा, सिवनी
*जय बुन्देली साहित्य समूह * टीकमगढ़ म.प्र.
दिनांक -06/05/2021
समीक्षक -श्रीमति कविता नेमा ,(सिवनी)
विषय -स्वतन्त्र पद्य लेखन .
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कवि की कालम से दो शब्द
"मेरे मन की कल्पना .
जब अन्तर्मन में उतरती है.
सच कहूँ तब एक
नई कविता बनती है ।"
**********
बुन्देली साहित्य समूह के सभी प्रबुद्ध कवि साहित्यकार .कवि मनीषियों का नमन .वंदन.अभिनंदन 🙏🙏💐💐
उत्तम रचनाओं को पटल पर साकार रूप देने में अग्रणी रचनाकारों को साधुवाद 🙏🙏
नं-1 -प्रथम मां सरस्वती जी के पावन चरणों की वन्दना करते हुये पटल पर नज़र डालते हैं ।
प्रथम पधारने बाले श्री ए.के.पट सारिया जी ने उजाले की और इशारा करते हुये लिखा है-
होगें उजाले वो समय कब आयेगा ।
ज़िन्दगी बेहद सरल है .
ये कब समझ आयेगा ।
उम्र बाकी है मगर
अब प्राण वायु की कमी है ।
*भाव और बिचारों में संगति
*वास्तविकता की और इशारा .
बहुत बहुत बधाई आदर.
---------
नं-2- बुन्देली साहित्य समूह के एडमिन आदर .श्री राजीव जी किसी परिचय के मोहताज नहीं ।
आपने अपनी रचना में सच्चाई का वर्णन करते हुये कहा है-
"भूख से बेहाल बच्चा रो रहा है सड़क पर.
कैसे खिलाती मां उसे सच्चाई की ।
झूठ के कांटे बिछ थे फूल के चारों और ।
पास कैसे आतीं अब तितलियाँ सच्चाई की ।।
*बहुत ही मार्मिक चित्रण सच्चाई का *
बहुत बहुत बधाई आप श्री को
----------
नं.-3- आदर .सरस कुमार जी खरगापुर ने ढाई अक्षर प्रेम के बारे में बहुत सुन्दर लिखा -
प्रेम के संगीत सारे मै रचूंगा .तुम चुनोगी ।
जीन्दगी बस अक्षर की कहानी ही करूंगा।
साधुवाद आदर.
----------
नं.-4- अभिनन्दन जी गोइल ने आज की भोर को यूँ शब्द दिये हैं-
*अब आई है कैसी भोर .
हो रहा एम्बुलेंसों के चीखने का शोर *
बहुत खूब आदर.आज के समय की स्थिति का मार्मिक चित्रण 🙏🙏
----------नं.-5- आदर.श्री रामेश्वर प्रसाद जी गुप्ता *इन्दु*बड़ी सुन्दर गजल लिखकर समय का नज़ारा बयाँ करते हैं -
*काल का दायरा बढ रहा इस तरह
जान अपनी मुश्किल से बचाने लगे.
बंद हैं सब घरों में बचे ज़िन्दगी
आज का नियम अब सताने लगे .
मानते ही नही लोग बाहर फिरें
*इन्दु*सरकार का बड़बड़ाना लगे।।
बहुत खूब
बधाई अच्छी रचना के लिए
----------
नं.-6- आदर.श्री परमलाल जी ने कोरोना पर टिप्पणी करते हुये बताया है -
*माना खतरनाक वाइरस
इससे बहुत डरो न .
शाकाहार है उत्तम भोजन
मांसाहार से उदर भरो न ।
सुन्दर संदेश
बधाई
----------
नं.-7- आदर .श्री कल्याण दास साहू जी *पोषक जी * ने बहुत सुन्दर प्रेरणा दी है अपनी रचना में ।
हिम्मत से काम लेने की
"धीरज रखिये बहुत
समय की मांग है ।
दु:खत मिलत पैगाम
हवा प्रतिकूल है ।।
सुन्दर रचना की बहुत बधाई .
----------
नं.-8- आदर.प्रदीप खरे मन्जुल जी टीकमगढ़ से ने बताया कि -
*दिल के दिये में
तेल कमने लगा है .
ज़िन्दगी का पुष्प शायद
मुरझाने लगा है ।।
सुन्दर अभिव्यक्ति की बधाई आदर.🙏🙏
----------नं.-9- आदर .श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी पलेरा टीकमगढ़ से देवी की आराधना करते हुये एक गीत के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत करते हैं-
*तेरे प्यार का मां चमन चाहता हूँ .
नमन कर रहा पद रमन चाहता हूँ .
सांसों में भक़्ति की शक़्ति जगा दो.
पापों का सारा दमन चाहता हूँ ।
बहुत सुन्दर प्रार्थना
बधाई आपको आदर.🙏🙏
----------
नं.-10- आदर.अनवर साहिल जी टीकमगढ़ से एक गज़ल के माध्यम से भूतकाल का माहोल बयाँ कर रहे हैं-
*पहले सब बेहतर से बेहतर होते थे .
जितने भी थे अपने रहबर होते थे.
होली ईद दीवाली सबकी होती थी
सब धर्मों के लोग बराबर होते थे ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति की बधाई
----------
नं.-11- आदर.श्री रामगोपाल जी रैकवार टीकमगढ़ से इंसानियत पर अपनी कालम चलाते हैं-
*इंसानियत गर न बची
इन्सान तू मर जायेगा ।
बेमान फूले फ़ले तो
ईमान तू मर जायेगा ।।
सुन्दर अभिव्यक्ति की बधाई 🙏
----------
नं.12- समूह के साहित्यकार आदर.श्री सुशील शर्मा जी ने आशा पर आसमां टिका रहने का अन्दाज़ बयाँ किया है -
*आशा जीवन दीप है .
आशा प्राण समान
आशा पर जीवन टिका
आशा जीवन दान ।।
बहुत सुन्दर रचना
बधाई आपको 🙏
----------
नं.13- आदर.डा .रेणु श्रीवास्तव जी ने बदलते मौसम पर अपनी अभिव्यक्ति दी है-
"मौसम तो आते जाते हैं.
सब परिवर्तन दर्शाते हैं
.प्रकृति बदलती समय बदलता .
प्राणी सब हरषाते हैं ।
प्रकृति के परिवर्तन को सकारात्मक रूप में इंगित किया ।
सुन्दर प्रस्तुति की बधाई 🙏
----------
नं.14-बुन्देली साहित्य समूह के ही आदर.कवि श्री शोभाराम दांगी नन्दनवारा जिला टीकमगढ़ से ख्वाब और नसीब पर एक गीत प्रस्तुत करते हैं-
"*जले जा रहे ख्वाब दिनोदिन हमारे .
लिखा क्या नसीब में कोई बता दे हमारे ।
अन्त:करण की वेदना कहूँ किससे .
कालों के महाकाल तुम हो बजरंग हमारे ।
वाह बहुत बढिया प्रस्तुति आदर.बधाई 🙏🙏
----------
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बहुत बहुत आभार आदरणीय राजीव जी का जिन्होने मुझेआप सबके समक्ष बोलने के योग्य समझा
आभार वंदन नमन 👏👏👏👏👏👏🙏🙏🙏🙏
**कविता नेमा **
सिवनी (मध्यप्रदेश)
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197-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली,करोंटा-10-5-2021
#सोमवारी समीक्षा# करोंटा #
#दिनाँक 10.05.2021 #
#समीक्षक/जयहिन्द सिंह #
#जय बुन्देली साहित्य समूह#
*************************
.#दोहा#
नमन भारती को करें,सब देवन लै नाम।
विद्वानन की सभा में ,सबखों करत प्रणाम।।
करूँ समीक्षा आज की,कर सबकौ सम्मान।
गलती हिया ना राखियौ,संगी अपनौ जान।।
बिषय करोंटा आज कौ,सबने राखो मान।
भाँत भाँत ब्याख्या करी,हैं सब चतुर सुजान।।
अलग अलग सब जनन के,दोहा देखत जाँय।
मिले एक पर एक हैं,दोहा सकल सुहाँय।।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द गुड़ा /पलेरा.......
#सबैया#
दोहन में दो दोहा लिखे,जिनमें पुट धर्म की मैने धारी।
तीन लिखे हैं नेतन पै,जो करबें बे काज अनारी।
भाषा भाव लखौ सब ही,देखौ मोरी सब कारगुजारी।
नमन करत जयहिन्द सबै,मानत मैं खुद खों बिकट अनारी।।
#2#श्रीअशोक कुमार पटसारिया नादान लिधौरा हाल भोपाल.......
#आल्हा#
काय करोंटा लैकै पर रय,हो गयी है का हाथापाई।
काय कोरोना ने काटो का,या गुस्सा हो गयी भौजाई।।
दोई जनन में अनबन भयी का, कयसे ओंदे परे हुजूर।
बायें करवट दिल दम मिलहै,
और आपदा होजै दूर।।
भाषा के पंडित जादूगर,
जिसमै रस हैं अंगीकार।
अभिनंदन बन्दन करते है,कर लीजै जिसको स्वीकार।।
#3#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी लखौरा.......
दोई प्यारे कौन करोंटा,सोचेंमैया सिया महान।
काम सटे पै और करोंटा करनी फल देवें भगवान।
धर्म कौ लेव करोंटा,जोड़ौ हरि सें अपनौ पूरौ ध्यान।
भाषा मधुर भाव गहरे हैं ,नमन भाऊ खों करें सुजान।।
#4#श्री राम गोपाल रैकवार जी टीकमगढ़.......
सुख दुख पहलू दोई समय के,सिर्फ एक दोहा सें भान।
समय ऊँट लै कौन करोंटा,खो ना दैयो सो ईमान।
भाषा मधुर बाँसुरी जैसी,कोयल जैसी सुगम सुहाय।
भावों के तो जादूगर हैं,राम राम इनखों पौंचाय।।
#5#श्री एस.आर.सरलजी टीकमगढ़.......
थके करोंटन रात दिनाहम,
धड़कत दिल दैखौ हालात।
कौरौना से उदक रहे सबकैसें करबें ई की बात।
नेता उल्लू बना बना कें,खूब करोंटा बदलें खाट।
घर घर खाट बिछी है प्यारे,ईसें अबै न लेव कुलाँट।
करिया मौ कर देव कौरोना,सब कोऊ संग कंरोंटा लेत।
भाषा भाव देखने जो तौ,साहित्य सरल दैखियौ खेत।।
#6#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़........
भरोसौ नेता दै रय भैया,लेत करोंटा ठानें ठान।बृज की सखी करोंटा लै गयी,लाल करोंटा कौ सुख मान।
हालफूल सुनकें पन्द्रा की,देख करोंटा उचटो ध्यान।
बिन दहेज कौ ब्याव करोंटा,ने बिलोर दव बिन ईमान।
भाषा भाव समारो ऐसैं,जैसें हो गुलाब कौ फूल।
नमन करें मंजुल खोंभैया,समय सदा होबै अनुकूल।।
#7#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहों..........
दो दोहन में काल कोरोना,है बिकराल सो करो बंखान।
तीजौ दोहा बाल करोंटा,चौथौ वोटर के दरम्यान।
ऊँची शान पाँचवां दोहा,नहीं करोंटा लेता भाई।
चाहे जान भले ही जाबै,पर ईमानं की लगै अथाई।
भाषा के जादू खों भरकेंभाव मार दयी ऐसी तान।
ति्वारी जी बंदन अभिनंदन,दोहनं में प्रगटे भगवान।।
#8#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा.......
दो दोहन में प्रकृति करोंटा,लेत शतक जब साल लगाँय।
जंतु पक्षियन पशुवन में भी,लेत करोंटा तुमें बताँय।
गड़बड़ मन चौथे दोहा में,नेता पंचम करें बखान।
शोभाराम नाम है शोभा,भाषा भाव जानियौ शान।
बड़े प्रशंसक आप सबयी के,अभिनंदन करियौ स्वीकार।
ऐसो कहाँ स्वभाव मिलत है,हमें बता दैयौ सब यार।।
#9#डा.शुसील शर्मा जी गाड़रवारा.......
चारौ दोहा चारौ बातें,बक्थ करोंटा बदलै आन।
बाम करोंटा कभौं सोय ना,दिन डूबें ब्यारी पै ध्यान।
करोंटा बदल दूर भग जाबै,किस्मत खों करता बेकार।
हँसी खुशी सब दूर हो गयी,समय करोंटा की भरमार।
भाषा नौनी लगै जलेबी,भाव भरे हैं लच्छेदार।
राम राम पौंचै शर्मा जी,दिल सें कर लीजै स्वीकार।।
#10#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली........
पैलै दो दोहन में अपनेनिजी करोंटा करो बखान।
तीजे चौथे दोहा देखो,करो कोरोना बारौ ध्यान।
पाँचव दोहा काम परे पै,लेत करोंटा सबयी बताँय।
भाषा भाव शिल्प है नौनी,जैसें हम रसगुल्ला खाँय।
अभिनंदन बंदन है भैया,मबयी छोड़ दिल्ली प्रस्थान।
सुनकें खुशी होत हम सबखों,बना रहे अपनी पहचान।।
#11#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.....
पैलै दोहा लेत करोंटा,खुद रातन कौ करो बखान।
समय करोंटा दूजे दोहा,बता दयी असली पहचान।
भाषा भाव भरे रसगुल्ला, गुजियाँ और इमरती खाँय।
अभिनंदन है राना जी का,इनखों कोऊ भुला ना पाय।।
#12#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इन्दु जी बड़ागांव झाँसी.......
पैले दोहा समय करोंटा,दूजे दीन धनी ठुकराँय।
बिश्वासी ने लिया करोंटा,तीजे दोहा की पहचान।
चौथे में देवतन से भैया,लये करोंटा काटे कान।
पाँचय दोहा नीद न आबै,लेत करोंटा काड़ें रात।
भाषा के जादूगर इन्दुभाव भरे हैं खूब दिखात।
बंदन करते सदा आपका,कर लीजे मेरा स्वीकार।
दोहन के जादूगर भैया,सदा आपका पाया प्यार।।
#13#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.........
पैलै दोहा मेंबच्चे खों नहीं करोंटा लेबै मात।दूजे दोहा सेहत में है,बायें करोंटा लेव उलात।
तीजे दोहा औंधे परियौ,सीधे कभौं न परियौ रात।
नेता तौ चौथे दोहा में,कर चुनाव लेटे मुस्क्यात।
बंदन करें बहिन जी नौने भाषा मधुर निराले भाव।
कविता होय छंद कौनौ हो,सादत सदा ज्ञान सें ताव।।
#14#श्री शरद नारायण खरे जी.
एकयी दोहा डार आपने,समय करोंटा करो बखान।
बुरय दिनन घर मात खा गये,अच्छे अच्छेबड़े महान।
भाषा भाव आपके उत्तम,दोहा श्रेष्ठ लगो मन भाय।
खरे आपकौ नमन हमारौ,पढकें दोहा रय हर्षाय।।
#15#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.........
पैले दोहा लिखो स्वारथी, दूजे दोहा की भरमार।
राजनीति कौ लिखो करोंटा,जिससे गिरती है सरकार।
शिक्षापृद है तीजौ दोहा,चौथौ हवा करोंटा लेत।
पाँचव दोहा धीर रखौ,घबराव कभौं ना शिक्षा देत।
भाषा बुन्दैली है नौनी,भाव मिठास मधुर मुस्कान।
अभिनंदन स्वीकारौ पोषक,कभौं न भूलै मोरो ध्यान।।
#16#श्री प्रभु दयाल खरे पीयूष जी टीकमगढ़........
पैले दोहा लिखो करोंटा,डेरै बगलै लै सो जाव।
काल करोंटा लिखो दूसरे,जिसमें कोरोना जो आव।
तीजे में भविष्य की चिन्ता, चौथे में अतीत रव झूल।
पांचय दोहा रात काट रय,समय नहीं बिलकुल अनुकूल।
भाषा की मिठास है नौनी,शिल्पी भाव भरे हैं खूब।
बंदन है श्रीमान आपका,करेभेंट फूल अरु दूब।।
#17#श्री रामानंद पाठक नंद जी नैगुवाँ.......
पैले दोहा में लिख दयी हैकौन है नीचट बेईमान।
बार बार जो लेत करोंटा,दूजे दोहा में है ज्ञान।
तीजे सबा सेर जो मिलबै,तुरतयीं लेत करोंटा हीन।
हितू करोंटा कभौं देयना,चौथे मेंजौ ज्ञान प्रवीन।
कौरोना फिर लेय करोंटा,पंचम दोहा डारी मांग।
भाषा भाव आपके सुन्दर,फूल पलास भरी हो डाँग।
नमन नंद स्वीकारौ मौरौ,कौरौ निपट गँवार कहाँव।
बार बार अभिनंदन बंदन,नंद आईयौ मोरे गाँव।।
#18#श्री लखन सोनी छतरपुर.....
एकयी दोहा पटल डार कें,दीप दिया जैसें उजयार।
खटिया पै परबे सें भैया,तुरतयीं नींद न आबै यार।
लेत करोंटा नीद आ गयी,बन गव नीकौ सबरौ काम।
भाषा शिल्प भाव लेखक को,मेरा बारंबार प्रणाम।।
#19#श्री राज गोस्वामी जी दतिया.......
दोहा तीन पटल पै डारे,दयो तिरंगा सौ फहराय।
लिखी बात बिन्नू भौजाई, जोड़ी तुरत करोंटा खाय।
बेटा पीकें आगव उसकी नारी बाखों गारी देय।
सौतन सपने देख करोंटा,बदल बदल कें मुस्की लेय।
भाषा चमत्कार नौनौ है,शिल्प और भावों की मार।
अभिनंदन है गोस्वामी जी,बंदन है अपनौ अधिकार।
#20#श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश........
इनने अपना गाड़ तिरंगा,फहरा आठ बजे के बाद।
करवट शेषनाग की लिखकें,पूरी धरती लयी शैष पै साद।
दूजे दोहा अस्पताल में,श्वाँस गिन रहे भारी लोग।
धीरज आश बँधाई अंतिम, दोहा में राखो संजोग।
भाव शिल्प भाषा की काँ तक,करें बड़ाई और बखान।
नमस
कार महाराज आपको,जिनने आन बढाई शान।।
उपसंहार.......
साढे आठ बजे हैं भैया कौनौ रचना बाँकी नाय।
अगर छूट गयी हो धोके से,करियौ माफ खीजियौ नाय।
सबकौ बंदन और अभिनंदन,राम राम सबखों पौचाय।
इतयी समीक्षा कलम रुकायी,सरस्वती माँ माथ झुकाय।।
समीक्षाकार......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो. 6260886596
विशेष-:-
समीक्षा की समीक्षा-
1-
मुजरा पौंचे दाऊ साब खों ,
हाँत जोर कें करत जुहार ।
भौतइ उम्दा लिखी समीक्षा ,
नामी भये समीक्षाकार ।।
--- भौत-भौत बधाई परम आदरणीय
-श्री कल्याणदास साहू पोषक, पृथ्वीपुर
2-
भौतऊ नोनी समीकछा की
तरां -तरां की धुनों में संजोया
1-कलाकार की कला कृति का
करते है सब सम्मान ।
जयहिंद सिंह की जय जय बोलें करते
हम उनका गुणगान ।।
/***//
शोभारामदाँगी नंदनवारा
3-
माली आपई ई बगिया के,
कर रये नौनी रखवाली।
आशीष रूपी खाद डार रय,
येइसैं हरिया रई बाली।
🌹🙏🏻🙏🏻🌹
दाऊ कौ कौनऊं सानी नईयां।
येसयी करैं रबैं छईयां। राधे राधे।।
-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
#####
###############################
198-आज की समीक्षा**
*दिनांक -11-5-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय - "जीवन"*
आज पटल पर हिंदी में *जीवन* केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने बहुत बढ़िया दोहे रचे और पटल पर रखे।
जीवन के विभिन्न रंगों को पटल पर रखा है। पढ़ने में बहुत आनंद आ गया। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर सौभाग्य से जिले के वरिष्ठ एवं श्रेष्ठ
*(१)* *श्री अशोक पटसारिया नादान जी* के दोहों में जीवन का संढर्ष दिखाई पड़ता है बढ़िया दोहे है बधाई।
चार दिना का जीवना, दो दिन के सब ठाट।
दो दिन सोने में गए, बाकी बाराबाट।।
जीवन के संघर्ष में,आते कई पड़ाव।
सुख दुख हानी लाभ के,होते हैं भटकाव।।
*2*- श्री गुलाब सिंह यादव 'भाऊ, जी लखौरा टीकमगढ़* कहते है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए कोई अमर नहीं होता। उमदा दोहे भाऊ बधाई।
जीवन अमर न जानियो ,छोड़ देव अभिमान।
इस धरती पर हो गये,बड़े बड़े बलवान।।
जीवन के सुख चाह में,भटकत फिरत शरीर।
खवर करो यमराज की,कि दिन मारे तीर।।
*3*- *श्री लखनलाल सोनी जी छतरपुर* से एक दोहे में नेकी करने की सलाह देते लिखते हैं-
जीवन मिलो मसा कै भैया,चार दिना कै लाने ।
नेकी काम करो जे ऐसे,वेई तो संगे जाने ।।
*4*श्री परम लाल जी तिवारी,खजुराहो* ने शानदार दोहे रचे है वे कहते है कि जिसने जीवन दिया है उसे हमेशा याद करते रहे। बधाई
जीवन जिसने दिया है,उसको कर लो याद।
क्षण-क्षण की कीमत समझ,करो न क्षण बरबाद।।
परहित जिससे बन गया,जीवन उसका धन्य।
महापुरुष कहते यही,इसका हेतु न अन्य।।
*5* श्री अभिनन्दन गोइल इंदौर से इत्मा-परमात्मा पर बहुत गूढ दोहे लिखते है। बधाई
जीवन तो पोशाक है, वह भी मिली उधार।
पहनें इसको जतन से , प्रेम से देहु उतार।।
तन आत्मा का वस्त्र है, जीवन का आधार।
जीर्ण वस्त्र सा त्याग कर,जाना भव के पार।।
*6*श्री एस आर सरल जी ,टीकमगढ़ ने बहुत सुंदर आध्यात्मिक दोहे रचे है अंलकारों का बेहतरीन प्रयोग किया है सभी दोहे श्रेष्ठ है बधाई स्वीकारें।
जीव जगत जीवन जटिल,जीना है दुश्वार।
कोरोना के कहर का, मचा है हा हा कार।।
जीवन बहुत अमूल्य है,करके चलें बचाव।
पग पग पर काँटे बिछे,सँभलों पाँव जमाव।।
*7* श्री जयहिन्द सिंह जी जयहिन्द,#पलेरा जीवन को जंग मानते हुए कहते हैं कि हमें हमेशा कष्टों से लड़ते रहना चाहिए तभी आगे बढ़ सकते हैं। ये जीवन पांच तत्व से बना है। वजनदार लेखन है बधाई दाऊ।
जीवन तो बस जंग है,ज्यों लोहे पर जंग।
जंग जीत कर रहोगे,बढ़ती रहे उमंग।।
जल पावक गगन में,मिल कर रहे समीर।
पाँच तत्व के मेल से,जीवन रहे शरीर।।
*8* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से अंहकार छोड़ने की बात कह रहे है। दूसरा दोहा उनका हिंदी प्रेम दर्शाता है।
जिसने भी छोड़ा नहीं,अंहकार का भाव,
उसके *जीवन* में सदा,रहता है आभाव।।
हिन्दी मेरी जान है,हिन्दी विश्व महान।
*जीवन* अर्पित कर दिया,करते हैं सम्मान।।
*9*- श्री *प्रदीप खरे जी मंजुल* टीकमगढ़ चेतावनी देते हुए लिखते है कि यह जीवन की डोर बहुत कमजोर होती है उसे ईश्वर के भरोसे छोड़ देना चाहिए, काम व क्रोध पर किबू रखते हुए मां-बाप की सेवा करना चाहिए तभी यह जीवन सफल होगा बहुत बढ़िया लिखा है। पत्रकार का कलम में अभी भी बहुत धार है। बधाई।
मात-पिता को भूलके,गंगा रहा नहाय।
मानव तन पाया मगर,जीवन लिया नशाय ।।
काम,क्रोध करना नहीं,भजन करो उठ भोर।
होत बहुत कमजोर है,जीवन की यह डोर।।
*10*- श्री शोभाराम दाँगी नंदनवारा से प्राणवायु आक्सीजन का महत्व बता रहे है। वर्तमान हालात पर सुंदर दोहा है बधाई।
जीवन ये अनमोल है, मिले कठिन पथ भोग।
लाख चौरासी योनि के, बाद बने नर योग ।।
प्राणवायु ही जीवन, नही तो नर कंकाल ।
जीवन ही ये हरा -भरा, जग में रहे मिसाल ।।
*11* *डॉ रेणु जी श्रीवास्तव भोपाल* से कहतीं है कि यह जीवन अनमोल है हमें सदैव अच्छे काम करना चाहिए। बढ़िया सोच है बधाई।
जीवन ये अनमोल है, करलो अच्छे काम।
जीना है यदि जगत में, चलना तुम अविराम ।।
कोरोना के काल में, जीवन हुआ हताश।
सब आशा धूमिल हुई, सब जन हुये निराश।।
*12* *श्री हरि राम तिवारी जी 'हरि' खरगापुर* जीवन को हंस कर जीना चाहिए अर्थात हमें कोई टेंशन नहीं लेना चाहिए। बहुत खूब लिखा है। बधाई
जीवन को हंस कर जियो, पिओ शांति का नीर।
परहित, सेवा धर्म ही, कहते संत फकीर।।
जगत पिता को सौंप दो, जीवन का सब भार।
यह असार संसार है, 'हरि' गुरु सुमिरन सार।।
*13* *रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जी इंदु.बडागांव झांसी* उप्र. से लिखते हैं कि ईश्वर ने जैसा जीवन दिया है उसे स्वीकार करते हुए खुशी से जीना चाहिए। बहुत उमदा लेखन बधाई।
मालिक जो जीवन दिया , खुश हो करें कबूल।
काँटों के ही संग में , देता सुन्दर फूल।।1.
समय-समय जीवन यहाँ, बदले सभी उसूल।
कभी धूल का फूल हो ,कभी फूल पर धूल।।2.
*14*- श्री कल्याण दास जी साहू "पोषक"पृथ्वीपुर* के सभी दोहे श्रेष्ठ है वज लिखते हैं कि जीवन को सफल बनाने के लिए हमें उपकार करना चाहिए, साथ ही प्रभु से प्रीति बढ़ाते रहना चाहिए तभी जीवन सफल है बहुत शानदार चिंतन बधाई स्वीकारें पोषक जी।
जीवन सफल बनाइए , कीजे पर - उपकार ।
दीन-हीन का हो भला , रखिए हृदय उदार ।।
प्रभु से प्रीति बढा़इए , जीवन का शुभ ध्येय ।
अलख निरंजन नाथ के , अनुपम गुण ही गेय ।।
*15* *श्री राजगोस्वामी दतिया से कहते है हमें परहित करना चाहिए
मानुष जीवन जो मिला मत करना बेकार ।
इस योनी मे सुलभ है हर सपना साकार ।।
परहित सेवा भाव मे दे जीवन का अंश ।
जग मे ज्योतिर्मय रहे,नित पृति तेरा वंश ।।
*16* *डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा से जीवन में शिव महिमा बताते है।
मृत्यु में जीवन निहित जीवन से उत्कर्ष।
अधिष्ठात्र शिव देव हैं,शिव संकल्प प्रकर्ष।
शिव परिग्रह शिक्षित करे जीवन के आकल्प।
दीन दुखी के दुःख हरो सत्य शिवम संकल्प।।
*17* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़ कहते है कि यह जीवन हमें उधार में मिला है इसलिए इतराना नहीं चाहिए। आपके सभी दोहे शानदार और वजनदार हैं बधाई स्वीकारें।
जीवन मिला उधार का,उस पर भी इतराय।
फर्ज निभाले कर्ज से,तब ही मुक्ति पाय।।
नर तन पाकर भी नहीं,किये राम के काम।
जीवन भर नरतन किया,आइ आखिरी शाम।।
*18* *श्री संजय जी श्रीवास्तव, मवई दिल्ली* से लिखते हैं कि जीवन एक नाटक है हम सब उसके पात्र हैं। हमें जीवन हंसी खुशी से गुजरना चाहिए। पाज़िटिव सोच के साथ रचे श्रेष्ठ दोहे है बधाई।
जीवन नाटक की तरह,हम नाटक के पात्र।
सबकी अपनी भूमिका,कर रय अभिनय मात्र।।
प्रतिपल जीवन में मिले, सबको खुशी अपार।
हँसी-खुशी के पल सदा,हों जीवन आधार।।
*19* - *श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश, चित्रकूट* से कहते हैं कि हमें हिलमिल के रहना चाहिए तथा अपने मन को ईश ध्यान में लगाना चाहिए। बढ़िया धार्मिक दोहे है। बधाई।
एक अखाड़ा जिंदगी ,को कब पटके दांव।
गति मति दुश्मन की लखो,धरो फूंक कर पांव।१।
हिलमिल चलना जिंदगी ,हर संभव तादात्म्य।
जग में प्रिय ही ईशको, मन डूबे अध्यात्म।२।
इस प्रकार से आज 19 दोहाकारों ने नवसृजन किया है बहुत बढ़िया दोहे रचे है। दोहों में सुंदर भाव है तो जीवन के अनेक रुपों का वर्णन किया है।जीवन के उद्देश्य भी बताये है। सभी को बहुत बहुत बधाई, आभार। धन्यवाद।
समीक्षक-
✍️-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ मप्र
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199-समीक्षक -पं.डी.पी. शुक्ल ,,सरस ,,टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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स्वतंत्र बुन्द्ली पद्य लेखन
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दिनांक 12.05 .2021
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समीक्षक -पं.डी.पी. शुक्ल ,,सरस ,,टीकमगढ़
🌺🌺🌺🌺🌺🌺
बुंदेलखंड के वर्चस्व कौ!
बढा रय बुंदेली के दे!!
काव्य मनिषि के सहयोग से !
बरस रव साजौ है मेव !!
जिन इच्छा बुंदेली की करी!
बुंदेलखंड़ सौ राज!!
मीठी प्रिय मन लाग है!
पाउत सुखद प्रेम समाज!!
बुंदेलखंड के वरद कवि!
धर बुंदेली की आन !!
रोज पटल पै लिखत हैं!
कर कर अपनौ अनुमान!!
पटल पै एक से एक बुंदेली रचना के मंचन को करके बुंदेली की शान बढ़ाउत भय काव्य मनीषियों कोे वंदन अभिनंदन और बुंदेली को अग्रसर करत भय बुंदेली के भास्कर सवई को साधुवाद प्रखर ज्योति कों बुंदेली के माध्यम से फैलावे बारे महानुभावों को हार्दिक धन्यवाद बधाई करत भय लिखवे कौ प्रयास करो है जो नौनो और सारगर्भित होव चाहिए !
🙏🙏🙏🌹🙏🙏
प्रथम पूज्य गणराज्य हैं!
बुंदेली के भगवान !!
नमन उन्हें करत है !
लिखत करके गुणगान!!
🌺🌺🌺🌺💐💐
नंबर 1 -प्रथम पुरोधा पुरुष बुंदेली के हस्ताक्षर एवं बुंदेली को मान रखवे वारे श्री जय हिंद सिंह ,,जयहिंद,,जुने बाल गीत के माध्यम से सब्जियन को ब्याव करा दव,
आलू को भव व्या,
दुलैया घुइयां बनी न्यारी!!
अरी ए री...
भिंडी दूल्हा की सारी !
वाहे छोटी बहन तुम्हारी!!भौतइ नौनी बुंदेली बाजार को सजा के ब्याव करा दव, जी में गीत गारी की छटा मन मोह रही है वाह दाऊ साहब रचना रोचक व भावपूर्ण लय बंद्द है जी के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन !!
नंबर 2-श्री ए .के. पटसरिया ,,नादान,, जुने अपनी बुंदेली गजल के माध्यम से अच्छे दिनों की उम्मीद छोड़ रय काय के जो कोरोना पैर पसार गव है!
अबेै कोरोना पांव पसार, घर में दुबके प्राण बचा रय!!
मंदिर मस्जिद अबैे बंद है!
मुल्ला पंडित सब भैरा गए!!
बनत चुटकुला और लतीफा!
जब तक पप्पू खूब हंसारय!!
भौतै नौनी कालजयी गजल के लाने नादान जू को साधुवाद उत्तम सीख दई है ,भाव उत्तम है उपमा अलंकार की छटा भरपूर है हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन !
नम्बर 3 -श्री एस.आर. ,,सरल ,,जू ने अपनी बुंदेली गजल के माध्यम से चेतावनी दै ह!
जे दिन अब काटे नईं है कट रयै!
घर में बैठे हम ऊसइ उदक रय!!
एसी कैसी हुल्की पर रई!
कैे बारे बूढ़े सवई निपट रये !!
सरल जुने अति संवेदनशील बात करी है लेकिन सरल जू उम्मीद पर आसमान टँगा है हिम्मत न हारिए विसारिए ना हरी नाम!! चरितार्थ करके घबराने की कौनउँ बात नईं हौसला ही अधेरे को चीरता है कालजई एवं उत्तम सीख दई है संकट के बादल अवश्य ही छटेेंगे!! नोनी रचना हेतु साधुवाद हार्दिक बधाई धन्यवाद भाव व शब्द मंचन उत्तम!!
04-श्री परम लाल तिवारी जुने चौकड़िया के माध्यम से हुंकार भरी है जेइ कोरोना की तीसरी लहर की बात कर रय सो तिवारी जू सतर्क लोउ राने सोचकें हैरान नईं होने !
कात चैन को तोरौ ईकी!ईसें तबई चैन है रानै !!
यमक अलंकार की छटा भरपूर है भाव उत्तम है!
कालजई रचना है लेकिन विश्वास ही जीवन का सार है नीति नियम ही हमारा हथियार है श्री तिवारी जू ने थोड़े में भौत कह दिया जी के लाने साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई !!
नंबर 5 - बहिन कविता नेमा जुने हौसला अफजाई करके उम्मीद पर बुंदेली रचना को पटल पै उकेरौ है व्यवस्था सरकारी नोनी हैं सो उन्हें उतारत रव जीवन में!
देश की हालत खस्ता हो गई !
महंगाई दिन दूनी बढ़ गई!!
तीज त्यौहार सब सूने निकरे!!
ब्याव बरातें सवरी कढ़ गई!!
कालजई रचना भाव उत्तम बुलंद हौसला ही नियम व बचाव व वैक्सीन का चारा बताओ है कारगर उपाय है भरोसे को मत छोड़िए भौतै नौनी कालजयी गई रचना में रिश्ते दूर हो गए हैं चेतावनी भरी सोच के लाने साधुवाद हार्दिक बधाई धन्यवाद!!
नंबर 6 -श्री राम रामगोपाल रायकवार ,,कँवर ,,जुने अपनी रचना में चुनावी जंगल के रूप देकें हिंसा में हो रय सब अँधरा !
बेई रीछ और बन रय बँदरा!
जे एकई लठिया से सवई को हांक रय ,और घायल बाघन जैसेई दलॉक रय!
बीच भंवर में नाव डूब गई अब सांप के मुंह की छछूंदर ना बाएरे जा रई ना भीतर कालजई वास्तविकता को उजागर करती रचना ने भावों में बुंदेली को शिखर पर भेजने को काम करो है उपमा अलंकार उत्प्रेक्षा अलंकार की साज सजाई है भौतै नौनी रचना के. लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन !!
नंबर 7 -श्री पी.डी. श्रीवास्तव ,,पीयूष,, जुने अपनी चौकड़िया के माध्यम से अल्लहड़ गोरी के द्वारा हरिया भगावौ ब निदनारी के रूप में रचना करी है जो भौतै नौनी भावों से ओतप्रोत है लेकिन गर्मी के मौसम में लचकत नहीं जा सकत और नींदनारी सोउ नींदा काँसें पटाउत श्री पीयूष जी मौसम शोउ देख लव करो शुद्ध बुंदेली छटा में रेन पुतरिया गांव की गोरी अंग अंग अल्लहड़ झलके बारी अबै उमरिया सिंगार को अद्भुत वर्णन करो है देहिया से छलकत जवानी की निंदनारी रचना हेतु साधुवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन!!
नम्बर08- डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने बुंदेली कुंडलिया के माध्यम से सम्साम्यिक रचना करके कोरोना के नाम पर मचो भ्रष्टाचार हेतु चेतावनी दई है कि कोरोना के बहाने
सबई मिटौनों हो रव, बहुत ही भाव भरी कुंडलिया
कैके श्री शर्मा जी ने चेतावनी दै है बहुत ही सुंदर रचना के लाने वंदन अभिनंदन हार्दिक बधा!
09- श्री गुलाब सिंह भाउ ने कुंडलिया के माध्यम से छैल छबीली नहीं दिखा रही सोलह सिंगार जो महिला को होत हतो गुंज,लल्लरी और तिधाँनौं!
बिराग जौ सबरौ गान!!
घूंघट बीच जात पनिहारी निखत रात भाऊ पैेरे सारी!!
श्रृंगार कौ साज सलवार दुपट्टा रे गव सबसे नौंनों गानों!!
सुंदरता जाने कहां खो गई फूहड़ जमाने ने फूहड़ पहनावे पर रोष व्यक्त कर चेतावनी दई है भौतै नौंनी रचना के लाने साधुवाद वंदन अभिनंद!!
10-श्री प्रदीप खरे जू ने अपनी बुन्देली रचना में सुनो से ना बचे शीर्षक से बताओ है के कोरोना काल में खुद काम करत राने नाँतर वा गुलनार फूल जाए काय के तुम्हें घर में परो रानें और बा काम करहै !
मंजुल मानौ बड़न की!
रहे तुम्हें बतलाय!!
कै तुम पाँव दवाइयों!
कै वा गरौ दवाय!बहुत ई नौनी बुंदेली भाव भरी रचना में वास्तविकता भरी नजर डाली है नजर बहुत ही नोनी पारखी है जी के लाने साधुवाद हार्दिक बधाई!
नंबर 11 -श्री शोभाराम दांगी जुने अपनी बुंदेली ब्याव को बाबा जी में महिलाएे पेंट अदबैया बिलना लयें हाथ में देर रातीं गुलचैयाँ!!
बहुत ही नोनी विवाह को सगून रात की सुरक्षा के लाने रसों का स्वांग अद्भुत सिंगार की छटा और भाव ब हास्य परकभौतै नौनी रचना करी है सुन्दर रचना के लाने हार्दिक अभिनंदन और बधाई के पात्र हैं !
नंबर 12- श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जूने दुष्ट कोरोना के शीर्षक से बुंदेली कविता लिखी है जी मैं कोरोना को वेशरम कोरोना बन्न बन्न के रूप धरके मिटौनों ना करो हमसे कौनउँ गलती करो तो माफ कर दो लेकिन हमारे इतै से भाग जाओ उत्तम विधा के साथ उत्तम सीख दै है भौतै समसाम्यिक में एक रचना हेतु साधुवाद सादर बधाई!
नंबर 13 -श्रीरामानंद पाठक नंद जुने चौकड़िया के माध्यम से कोरोना काउ कौ सगौ नैयाँ घर-घर बिछोना डरा दवऔर सन्नाटौ पसर घर-घर में जेई कोरोना कर गए देवन रोज सुमररय भौतै नौनी रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन!
नं.14-श्री राजेंद्र यादव कुंवर जुने चौकड़िया में बुंदेली को आगाज करो है पत्नी के माध्यम से मायके जावे की बात करी है कोरोना काल में कुंवर कोउ नहीं भेज रव है, भैया बहन दद्दा राते मोय दिखाने मना ना करियो नातर बहुत ही धिगाने हुई है !
कोरोना काल में धिगाने ना करके गम्म खाने सुवीते में हो आइयौ!
भौतै नौनी सीख के लाने मिलजुल आंख मिलान!
हास्य रचना हेतु सादर अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई !
नंबर 15 -श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने अपनी बुंदेली रचना में तिस्ना के ऊपर बताओ है के मानव कों कई प्रकार से परेशान कर रही है ,
अच्छौ सिर्री पालव मनुवा !
बिषयन में उल्झारै!!
पोषक मन जुडै ना प्रभु से!
ओछौ मुहिम चला रई!!
उत्तम भाव भरी चेतावनी शब्दों का मंचन विचार योग्य बुंदेली बाह सुंदर रचना हेतु श्री पोषक जी को साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 16-श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु जुने कोरोना ने धरती पर मिटोना कर दव और श्री हनुमान जी से बिनय करी है कै कोरोना को भगा दो जो मानव राहत की सांस ले सके समसाम्यिक रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन बधाई!
17- श्री राज गोस्वामी जू ने चौकड़िया के माध्यम से लबरन से परेशान हैं जो फूटी आंख नहीं देखत उनकी चाल समझ नहीं आ रही भैया गोस्वामी जी हमें दूसरों को नहीं देखने हमें देखने के हम का कर रय आपने जो चेतावनी भरी बुंदेली चौकड़िया के माध्यम से चेतावनी दै है लबरन से बच के रहना बे सबैसे मिले रात बहुत ही नौनी चेतावनी के लाने साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!
18- डी. पी. शुक्ल,, सरस,, ने अपनी रचना में कोरोना की कब्रगाह में कइयक समा गए हैं यह मानव नादान उसे गले लगा रहा है, कोरोना के. आगे मानव का मद चूर हो गया है सम्साम्यिक रचना को पटल पर उकेरा है!
19.श्री संजय जू ने कोरोना की साम्म्यिक रचना में कहर की बात करी है वे धन्यवाद के पात्र है बधाई
समीक्षक- डी. पी. शुक्ला, टीकमगढ़
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200- श्रीमती कविता नेमा, सिवनी (मप्र)
*जय बुन्देली समूह *
स्वतन्त्र पद्य लेखन
दिनांक -13/05/2021
समीक्षक -श्रीमति कविता नेमा
प्रथम पूज्य हे देव नमन
गौरी पुत्र गणेश ।
पल भर में हर लेते .सबके दु:ख क्लेश ।।
मां सरस्वती के पावन चरणों की वन्दना करते हुये आज की समीक्षा आप सबके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास करती हूँ ।
कवि की कलमसे दो शब्द -
"अमावस की रात
घना अन्धेरा ज़रूर होता है .
पर
उजाले की आस का इक सितारा
ज़रूर होता है ।।"
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आज हिन्दी काव्य की शुरुआत की आदर.श्री अशोक पटसारिया जी ने जो कि भोपाल म.प्र.से हैं ।आपने एक नये हिन्दुस्तान के नव प्रभात की कल्पना करते हुये लिखा है कि -
"सूर्य की अरुणिम प्रभा का
ओज हम रोज लेगें ।
जब परस्पर प्रेम का संचार और आदान होगा ।
वो सुबह कब आयेगी
जब एसा हिन्दुस्तान होगा ।
आपकी रचना भारतीय संस्कृति .धर्म .दर्शन और पर्यावरण का पूरा जीवन दर्शन की दिखाती है।
बहुत ही सुन्दर आशावादी रचना के लिए साधुवाद .नमन आपको 🙏🙏
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नं.2-इसके बाद आदर .सुरेन्द्र शुक्ला जी ने "निगाहें"पर अपनी रचना प्रस्तुत की है।
निगाहों का विविध स्वरूप दिखाते हुये लिखते हैं -
"मिले दगा जो कभी अपनों से .
सज़ल हो भर जाती है निगाहें।
नाना रूप दिखाती हैं निगाहें .
लरजती .सहमती कभी मुस्काती
बुलाती सी लगती है निगाहें".
सुन्दर रचना की बधाई आदर.🙏🙏
----------
नं.3-इसके बाद आदर.अभिनंदन गोइल जी की रचना दर्शाती है किसके साथ क्या हो तो अच्छा हो जैसे कि -
"बुद्धि के साथ यदि विवेक का उपयोग हो तो अच्छा हो "
"चितवन के साथ यदि मुस्कान का संयोग हो तो अच्छा हो ।"
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति । आदर. आपको बहुत बहुत बधाई 🙏🙏🌷🌷
----------नं.4- आदर श्री जय हिन्द जय हिन्द जी पलेरा टीकमगढ से अपनी रचना एक नये रूप गुज़रिया के रूप में प्रस्तुत करते हैं -
"मटकी धरें गुज़रिया
मटकी,मटके माखनचोर ।
बहुत सुन्दर रचना की हार्दिक बधाई आदर.👌🙏🙏🙏
----------
नं.5- आदर.परमलाल तिवारी जी ने खजुराहो से अपनी रचना में अवसरवादी लोगों पर व्यंग्य किया है-
"उनके तन पर खादी है,
बड़ी सभ्यता भी लादी है,
उनकी पटती नहीँकिसी से ,
केवल केवल अवसरवादी है।"
सुन्दर व्यंग्यात्मक रचना की बहुत बहुत बधाई 👌👌🙏🙏🌹🌹
---------
नं.6- आदर .पं.डी .पी.शुक्ल "सरस"जी टीकमगढ़ से 'घर का चिराग ' पर लिखते हैं --
जगमगा जायेगी समृद्धि की बेल बढकर ,
समृद्धि की सीढ़ी चढ़ोगे आगे चलकर ,
'सरस' ..घर के दीपक को हवा से बचाएंगे,
आंगन में खिले सुमन की महक तब पायेंगें ।
बहुत खूब 👌👌👌👌🌹🌹
सुन्दर रचना की बहुत बहुत बधाई 🌷🌷🌷🌷
----------
नं.7- साहित्यकार आदर.श्री किशन तिवारी जी ने अपनी कविता में तूफानों पर आक्रमण का आगाज़ किया है "कश्तियाँ अबकिनारों के छोड़ो चरण
।शब्द की इन मशालों को हाथ में
चल पड़े हर कदम अलख जागरण ।।
बहुत सुन्दर रचना की बधाई आदर .👌👌🙏🙏🌷🌷
----------
नं.8-कवि लेखक आदर.सुशील शर्मा जी ने नर्स दिवस पर अपनी अभिव्यक्ति दी है ।
"सेवा भावी नर्स सब
ईश्वर रूप अनूप ,
जीवन की रक्षा करें
संकट मोचक रूप।
इनको नमनसुशील, बचाती प्राण परेवा ,
जग करके दिन रात ,
करें हम सबकी सेवा ।"
बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुति
बधाई नमन आपको 👌👌🙏🙏🌷🌷
----------नं.9-बुन्देली साहित्य संस्था के एडमिन ,लेखन के विविध क्षेत्रों में अपना नाम स्थापित करने बाले आदर.राजीव नामदेव "राना" जी अपने मन के भाव एक गज़ल के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं--
"मिल जाये नेक साथी उस दिल को ढूँढ़ता है,
भटका हुआ मुसाफिर मंज़िल को ढूँढ़ता है ।
*मौके की जगत* में रहता हर एक *शायर*
सजती भी हो कहीं पर ,
महफिल को ढूँढ़ता है ।
बहुत सुन्दर रचना की बधाई आदरणीय 👌👌🌷🌷🌹🌹
----------
नं. 10- कवि शोभाराम दांगी नन्दन्वारा जिला टीकमगढ़ से हिन्दी की स्वतन्त्र विधा के अन्तर्गत गीत प्रस्तुत करते हैं --चेतावनी देते हुये कि
"भला करो तो भला ही होगा
इस पर शंका मत करना,
ये दुनिया जादू की नगरी ,
इससे बच के तू रहना ।"
बहुत सुन्दर संदेश परक रचना की बधाई आदरणीय .🙏🙏🌷🌷🌹🌹
----------
नं. 11- कवि साहित्यकार आदर.श्री रामगोपाल रैकवार जी अपने विचार रखते हैं---
"विश्वास है हड़ताल पर ,
आस्था धरने पर है।
आजकल मैने सुना है ,
कि व्यवस्था धरने पर है।
बहुत खूब 👌👌👌👌
सुन्दर रचना की बधाई 🌷🌷
----------
नं-12- कवि साहित्यकार आदर.रामेश्वर प्रसाद गुप्ता *इन्दु* जी बड़ागांव झांसी से अपनी प्रस्तुति गज़ल के रूप में देते हैं --
"दिया है जन्म तुझको और ,
सींचा खून से जग में ,
कभी मां को भी
प्यार के दो चार पल देना ।।
बहुत सुन्दर संदेश देती हुई रचना की बधाई
🙏🙏🌷🌷
----------
नं.-13-टीकमगढ़ म.प्र.के साहित्यकार आदर.श्री प्रदीप खरे *मन्जुल* जी अपनी अभिव्यक्ति *आदमी* पर देते हैं --
वर्तमान परिवेश का सुन्दर चित्र उकेरती रचना -
"सज़ा किस गुनाह की
अब पा रहा है आदमी ,
आहट किसी की पाकर ,
अब डर रहा है आदमी ।।
बहुत सुन्दर कालजयी रचना की बधाई 🙏🙏🌷🌷
----------
नं.14- पृथ्वीपुर जिला निवाडी मध्य प्रदेश से आदर.कल्याणदास साहू *पोषक* जी आत्मा के बारे में खोज करने का प्रयास करते हैं -
"आती कहाँ से आत्मा ,कोई पता नहीं।
जाती किधर मृत-आत्मा ,कोई पता नहीं।।
आवागमन की रस्म यह , अनबूझ पहेली ।
है कैसी जीवात्मा ,कोई पता नहीं ।
संसार अज़ायबघर है ,प्राणी भाटक रहे।
क्या चाहे विश्वात्मा ,कोई पता नहीं ।"
बहुत सुन्दर रचना की बहुत बहुत बधाई 🌷🌷🌷🌹🌹----------
नं.15- साहित्यकार आदर.श्री हरिराम तिवारी *हरि*जी खरगापुर जिला टीकमगढ़ से अपनी रचना के माध्यम से संदेश देते हैं -
"दृढ संकल्प से दुविधा की ,बेडियाँ कट जाती हैं।
समस्या असम्भावनाओं की ,बदरियाँ छट जाती हैं ।
संकल्प की पूर्णता हेतु, विश्वास से आगे बढते चलो ।
बहुत सुन्दर भाव परक रचना की बधाई 🙏🙏🌷🌷🌹🌹
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नं.-16 . संस्था के कवि साहित्यकार श्री एस.आर.सरल जी ने अपनी कविता में आशा की बिखेरीं हैं-
"मंचों की गूंज ठ हाकों की,
अरु महफिल में बातें होगीं।
वह दिन दूर नहीं पूनम के,
चाँद में उत्सव रातें होगीं ।
फिर संगीत की गूंज उठेगी ,
खुशहाली होगी बस्ती में ।
गांव शहर सब रोशन होगें ,
ब्याह -बरातों की मस्ती में।
तू साहस के तम्बू गाड़े रख,
आशा की किरणे फूट रही हैं ।।
बहुत सुन्दर रचना आदर.
बहुत बहुत बधाई 🙏🙏🌷🌷🌹🌹
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अस्तु
जय हिन्द
जय बुन्देली साहित्य
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत शुक्रिया धन्यवाद आभार देना चाहूंगी आदर .राजीव नामदेव जी को जिन्होने मुझे समीक्षा करने का सुअवसर मुझे दिया ।मुझे इस योग्य समझा 🙏🙏👏👏👏👏
अन्त में 4 लाईन जो मैने ग्रंथ से उद्घृत की हैं और वर्तमान परिवेश में इसकी सार्थकता भी सिद्ध हो रही है ,
आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ🙏।
"क्षण भंगुर जीवन की कालिका ,कल प्रात:काल खिले न खिले .
मलयाचल की शुचि ,शीतल मंद सुगंध समीर चले न चले .
कलि काल कुठार लिए फिरता,तन नम है चोट झिली न झिली .
भज ले हरि नाम अरी रसना,फिर अन्त समय में हिली न हिली ।
समीक्षक- कविता नेमा (सिवनी)
🙏🙏🙏🙏
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201-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली खरयाट-17-5-2021
#सोमवारी समीक्षा#
#दिनाँक...17.05.2021#
#बिषय...बुन्देली दोहे,खरयाट#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा/टीकमगढ़#
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आज की समीक्षा शुरू करबे के पैला मैया सरस्वती जू खों दंडवत
नमन।फिर पटल के सबयी मनीषियन खों दोई कर जोर राम राम।तौ चलो अब समीक्षा के लाने जय बुन्देली साहित्य समूह के फाटक खोलत प्रवेश करो जाय।सबके कक्षन में अलग 2घुस कें बन्न 2की रचना चक्रन के चक्करन कौ घुमाव देखो जाय।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
अपने 5 दोहन में मैने पैलै में नेतन कौ खरयाट, दूसरे में खरखरी खरयाट सें खुद खों नुकसान,मन की खरयाट दोई तरफ की खरया
ट बदले की खरयाट कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प कौ मूल्यांकन आप सब जने जानौ।
सबखों राम राम।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान लिधौरा हाल भोपाल......
आपके 5 दोहन में नेतन सें गौचर भूमि कौ नाश,कौरौना की खरयाट, जवानी के नशा की खरयाट,पार टौरियाँ ना बचबे की खरयाट, पेड़ काटबे की खरयाट कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल बुन्देली,शिल्प और भाव में कमाल की जादूगरी के दर्शंन भरो गव आपखों दंडवत प्रणाम।
#3#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो.........
आपके 3 दोहन में छोटन पै खरयाट,बचाबे बैरी खों खरयाट सें हड़काना,खरयाट कौ महत्व बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा लच्छेदार, शिल्प एवम् भाव उच्च स्तरीय हैं।महाराज को दंडवत।
#4#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़......
आपके 5 दोहन में बरात कौ खरयाट, उल्टा काम करने का खरयाट, लरकन कौ बाप मतारी पे खरयाट, नेतन कौ बाहरी भीतरी रूप,छुटपन के खरयाट कौ सफल बरनन करो गव।आपकी भाषा शिल्प रचनात्मक कलापूर्ण,भाषा प्रवाह चिकनाई युक्त,शैली प्रभाव पूर्णभाव पक्ष तेज है।आपकौ बेर बेर बंदन।
#5#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.....
आपके 2 दोहन मेंअस्पताल में खरयाट,नकली दवाइयों का ब्यापार कर यमराज को बुलावा भेजना,बरनन करो गव।भाषा सरल भावपूर्ण,कलापक्ष सटीक शिल्प जादूगरी,गहरी है।आपका अभिनंदन।
#6#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु बड़ागांव, झाँसी.......
आपके 3 दोहन में कोरोना कौ खरयाट, अस्पताल माफियन कौ ख़रियाट,खरयाट मिटबे कौ इन्तजार बरनन करो गव।आप भाषा भाव शिल्प के जादूगर माने जाते हैं।अलंकार मुहावरे लोकोक्ति आपकी भाषा की संजावट करतीं हैं।आपका बेर बेर अभिनंदन।
#7#श्री अभिनंदन कुमार गोयल टीकमगढ़ हाल इन्दौर......
आपके 5 दोहन में कोरोना कौ खरयाट, अस्पताल की भूल कौ खरयाट, बदमाशों का खरयाट, डाक्टर नर्शन कौ त्याग, सरकार फेल करबे बारन कौ खरयाट बखूबी बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प कौ चमत्कार मंदिर की तरह ध्वनित करो गव।आपका वंदन अभिनंदन।
#8#श्री एस.आर. सरल जी टीकमगढ़......
आपके 5 दोहन मेंखरयाट कैसें होत,इकतरफा दोंदरा कौ खरयाट, खरयाट सैं देश की चिन्ता,दश की बर्बादी खरयाट सें खोजना मिटाबे की सलाह दयी गयी।भाषा जादूगरी कौ सरलतम प्रयोग सरल की सरल भाषा में देखबे मिलत।आपखों बेर बेर अभिनंदन।
#9#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा.........
आपके 5 दोहन मेंआवारा लोगन कौ खरयाट, बेकारों का खरयाट, कौरोना का खरयाट, माँ पित के कर्मों से बच्चों की बरबादी, कौ बरनन करो गव। आपकी भाषा लचीली रसीली है।भाव सटीक शिल्प कला पूर्ण है।आपकौ बेर 2
बन्दन।
#10#श्री राज गोस्वामी जी दतिया........
आपके 3 तीन दोहन मेंबच्चन सें मौ ना लगबे की सीख,महान खों खरयाट खरयाट ना करबे की सलाह,खरयाट बारी जगह पै ना जाने की सलाह,बखूबी दयी गयी।
भाषा प्रवाह रस मिठास पूर्ण शिल्पी दोहा,भाव प्रधानता सें गढ दय।आपको नमन।
#11#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.....
आपके 5 दोहन मेंलालची कौ खरयाटना कंरबे की सलाह, खरयाट कौ आकरौ कड़बौ,खरयाट की तबाही कौ बरनन,दो अंतिम दोहन मैएं करो गव।आपकी भाषा चमत्कारिक, सरल मधुऋ शिल्प की जादूगरी,भाव प्रधान है।आपको बारंबार नमस्कार।
#12#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी.....
आपने 5 दोहन में खरयाट ना दैबे की सलाह,खरयाट में बरबादी,सरल कौ नुकसान न होबे कौ,खरयाट सें हानि,खरयाट ना दैबै की सीख,कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा में मुहावरों का दर्शन,और सरलता देखी गयी।शिल्प और भाव सराहनीय हैं।आपका वन्दन अभिनंदन।
#13#डा. रेणु श्रीवास्तव जी........
आपके 2 दोहन मेंकोरोना की खरयाट, और माता पिता खों खरयाट दिखाबे की सीख दयी गई। आपकी भाषाउत्तम मधुर और सरल है। शिल्प भाव कौशल सराहनीय।आपका सादर बन्दन।
#14#श्री रामानंद पाठक नंद जी नैगुवाँ.........
आपके 5 दोहन में खरयाट की परिभाषा, डाकुवन कौ खरयाट, राजनीति कौ खरयाट, नेतन कौ खरयाट, जवानी के खरयाट कौसटीक ढंग सें बरनन करो गव।आपकी भाषा शैलीमधुर सटीक सरल भाव,गहरे भाव शिल्प श्रेष्ठ हैं।आपखों दंडवत प्रणाम।
#15#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबयी हाल दिल्ली........
आपके 3 दोहन मेंडाट डपट खरयाट होंना, जीवन को खरयाट से बाराबाट होंना,पूजा पाठ बारन कौ खरयाट, कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा चतुराई कला पूर्णभाव जादूगरी,शिल्प कलात्मक,पाये गये।आपका बार बार बन्दन।
#16#श्री रामगोपाल रैकवार एडमिन टीकमगढ़.........
आपके एकल दोहे में छोटे बड़े खल कोई खरयाट करें तो भौतयी नौनौ उपचार बताव गव।भाषा छायाबाद की पुट सटीक मधुर जादुई है भावों की गहराई शिल्प की सुन्दरता देखते बनती है। आपका वंदन अभिनंदन।
उपसंहार...अब 8 बज गये।अगर कोई रचना धोखे से छूटी हो तो अपना जान कर माफ जरूर करें।फिर सबखों राम राम।बधाई।
समीक्षाकार....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो.6260886596#
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202-आज की समीक्षा**
*दिनांक -18-5-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय - "आंधी"*
आज पटल पर हिंदी में *आंधी* केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने शानदार दोहे दोहे कलम अच्छी चली हैं दोहों में धार है।
आंधी के विभिन्न रूपों को पटल पर रखा है। आंधी क्या क्या कर सकती है यह भी बखान किया हैं।पढ़ने में बहुत आनंद आ गया। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर हमेशा की तरह सबसे पहले *1* *श्री अशोक पटसारिया जी* ने बहुत बढ़िया दोहे पेश किये- आज के हालात पर सटीक चित्रण किया है बधाई।
स्वारथ की आंधी चली,उड़े दीन ईमान।
प्रेम दया करुणा उड़े,अब थोथा इंसान।।
वो सुबह भी आएगी,होगी मस्ती मौज।
आंधी में उड़ जायगी,कौरौना की फौज।।
*2* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ* ,पलेरा ने राजनीति पर व्यंग्यात्मक दोहे रचे है बहुत उमदा लेखनी है बधाई।
आँधी चले चुनाव की,हो जाये तिल ताड़।
एक अकेला चना ही,फोड़ देत है भाड़।।
कोरोना आँधी चली,घबरा गयी सरकार।
जनता के दिल से गयी,हारे अबकी बार।।
*3* *श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो* लिखते है आंधी और तूफान प्रलय की चेतावनी देते है।
आँधी और तूफान सब,करते बंटाधार।
मानो आता प्रलय है,करने नर संहार।।
आँधी आई जोर से,उखड़े वृक्ष हजार।
रोपे थे बहु यतन से,सके न जिन्हें सम्हार।।
*4* श्री प्रदीप खरे जी मंजुल* टीकमगढ़, कुंवारों का दर्द बयां कर रहे हैं साथ ही कोरोना को मौत की आंधी कहा है सच ही कहा है। शानदार दोहे है बधाई।
आंधी में सब उड़ गये,स्वप्न सभी इस बार।
लगै न हल्दी हाथ में, न डोली आय द्वार।।
कोरोना के काल में, काल खड़ा है द्वार।
आंधी चलवै मौत की, निगले कई हजार।।
*5* *-प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे मंडला* ने अस्पताल में मची लूट का यथार्थ वर्णन किया है। बधाई।
आँधी लूटन की चली,नकली की भरमार।
लूट रहे नकली बना,आज सबई मक्कार।।
आँधी स्वारथ की चली,झूठ बनौ व्यापार।
नहीं बचौ ईमान अब,बिलख रहौ है प्यार।।
*6* श्री लखनलाल जी सोनी छतरपुर से कहते हैं कि ईश्वर की मार कोरोना के रूप में पड़ रही है-
ईश्वर की जव घलत है, देखो ऐसी मार।
"ऑधी" ऊखो कहत है, हो गव वंटाढार ।।
*7* श्री अभिनन्दन गोइल जी इंदौर से लिखते हैं कि मियि मोह की आंधी में मानव धर्म कर्म सब भूल जाता है। सचेत करतेअच्छे दोहे है। बधाई।
माया की आंधी चले, फैला भ्रम का जाल।
दारुण दुःख संसार में, मानव हुआ निढाल।।
आंधी तृष्णा की विकट ,नाव फंसी मझधार।
धर्म और अध्यात्म की ,छूट गई पतवार।।
*8* श्री एस आर सरल जी,टीकमगढ़* से कहते है राजनीति की आंधी में सरकार गिर जाती ह। उमदा दोहे है बधाई।
राजनीति आँधी चली,धम्म गिरी सरकार।
नेतन की मंड़ी हुई, खूब चला व्यापार।।
आँधी तूफानें चली,मच गइ चीख पुकार।
महाराष्ट्र गुजरात की,हिला दई सरकार।।
*9*- *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से लिखते हैं कि हमें आंधी तूफानों से घबराना नहीं चाहिए।बल्कि उसका डटकर सामना करना चाहिए।
आंधी में उड़ जात है,जो होते कमज़ोर।
डटकर करते सामना,बन जाते सिरमौर।।
आंधी में भि खड़ा रहा,वो तो सीना तान।
बाल न बांका कर सके,ये मानव, शैतान।।
*10* श्री कल्याण दास साहू जी "पोषक,पृथ्वीपुर से सुखद आंधी चलने की कामना कर रहे हैं श्रेष्ठ दोहे है बधाई स्वीकारें।
चल जावे आँधी प्रभो ! रोग ठहर ना पाय ।
दुनिया भर की व्याधियाँ , उडा़ दूर ले जाय ।।
सुखदायी आँधी चले , दम इतनी आ जाय ।
संक्रामकतायी कहर , कुछ बिगाड़ ना पाय ।।
*11* *डॉ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल* ने चुनावी आंधी को कोरोना संक्रमण बढाने कि जिम्मेदार ठहराया है जो कि उचित भी है चुनाव टाले भी जा सकते थे। अच्छा लिखा है बधाई।
कोरोना के काल में, आँधी चली अपार।
लोगबाग सब मर रहे, दुखी हुआ सन्सार।।
आँधी चली चुनाव की, कोरोना बढ़ जात।
लाशों का है काफिला, जीवन को दी मात।।
*12* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़* ने अभी आये *ताउते* तूफान पर केंद्रित दोहे रचे। अच्छी रचना है।
इस आंधी ने कर दिया,सब कुछ मटियामेट।
दूर दूर बिखरा दिया, कैसे सकें समेट।।
घन घमंड गरजन लगे, आंधी पानी संग।
कोरोना के काल में,करत ताउ ते तंग।।
*13* *श्री संजय श्रीवास्तव, मवई दिल्ली* से बहुत बढ़िया आध्यात्मिक एवं प्रेरणादायक दोहे लिखे हैं सभी दोहे श्रेष्ठ रचे हैं बधाई स्वीकारें।
आँधी हो सत्कर्म की सदविचार तूफ़ान।
सदाचरण हो सुगंधित, महके सकल जहान।।
मन भीतर आँधी चली, चिंतन की बरसात।
पात-पात सब झर गये,धूल-धुआँ उत्पात।।
*14* श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र* आपने गंगा में तैरती मिली लाशों का कोरोना रुपी आंधी घितख परिणाम का वर्णन किया है बहुत शानदार दोहे रचे है बधाई।
कोरोना आंधी चली, चारों ओर विनाश।
मां गंगा में आजकल, तैर रहीं हैं लाश।।
आंधी जैसी आपदा,रही यहाँ झकझोर।
सन्नाटा चारों तरफ, और शोक का जोर।।
*15*- श्री शोभाराम दाँगी जी नंदनवारा कहते हैं कि जब प्रकृति नाराज हो जाती है तो आंधी तूफान आते हैं। सही बात है कुछ न कुछ दोषी तो ये मानव जाति है ही। अच्छे दोहे रचे है बधाई।
प्रकृति जब हो रोष में, आँधी बन कर आय ।
भू पर हा -हा कार मचे, तहस -नहस कर जाय ।।
कोरोना का चक्र चला, आँधी प्रबल प्रताप ।
गोद समेटा कर लिया, कर रहा देश विलाप ।।
इस प्रकार से आज 15 दोहाकारों ने नवसृजन किया है बहुत बढ़िया दोहे रचे है। दोहों में सुंदर भाव है। दोहों की खूब आंधी चली । सभी को बहुत बहुत बधाई, आभार। धन्यवाद।
समीक्षक-
✍️-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)
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203कविता नेमा, सिवनी (मप्र)
*जय बुन्देली साहित्य *
स्वतंत्र पद्य लेखन
दिनांक-20/05/2021
समीक्षक -श्रीमति कविता नेमा
आज पटल पर हिन्दी में स्वतन्त्र पद्य लेखन पर अपनी रचना पोस्ट करना था।सभी साहित्यकारों ने एक से बढकर एक रचनायें प्रस्तुत कीं ।अपनी विचारधारा को भाव के सूत्र में बांधकर पटल पर रखा है ।सबकी रचनायें मोहक रहीं,पढने में ज्ञान वर्धक और आनन्द दायी रही।सभी को हार्दिक बधाई 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
मां सरस्वती जी की आराधना करती हूँ और समीक्षा की शुरुआत करती हूँ ।
1- सबसे पहले रचना प्रस्तुत की आ.संजय श्रीवास्तव जी ने कोरोना को घाघ बाघ की उपमा दी और कहा कि -
घाघ बाघ निकला शिकार पर ,
घूम रहा वन उपवन घर घर ।
बेहद सुन्दर,संदेशपरक रचना ।
अदृश्य और शातिर कोरोना का सुन्दर,अदभुत चित्रण ।
अप्रतिम रचना की बधाई ।
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2-आ.परमलाल तिवारी जी खजुराहो से अपनी रचना में खेद व्यक्त करते हैं-
खेद बहुत है मन में,
असली सिक्का नहीं चला ।
कोयल के पर, काट यहाँ .
कौओं पर मढे गये।
हम सबसे भले रहे पर,
हमसे कोई भला नहीं ।
मेन ही छ्ला गया इस जग में ,
किसी अन्य को छला नहीं ।।
बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति .
सुन्दर भावपूर्ण रचना की बधाई ।
----------
3- आ.श्री अशोक पट सारिया *नादान* जी उदास मन और सूने दिल पर अपनी अभिव्यक्ति दे रहे हैं -
मन उदास है
दिल है सूना,
मरघट है आबाद यहाँ,
आँसू ,आहें और बेबसी
रोज़ हादसों का मन्ज़र ।
जिंदा जलते यहाँ आशियां ,
होता रोज़ फसाद यहाँ ।
ये नादान वोट की खातिर ,
भूल गये क्यों मानवता ।
अंतरंग को भिगा देने बाली सुन्दर गीतिका .
वर्तमान सच को दर्शाती .
बेहतरीन रचना की हार्दिक बधाई ।
----------
4-टीकमगढ़ से आ.श्रीमति मीनू गुप्ता जी सबसे मिलते जुलते रहने का आह्वान कर रहीं हैं -
धार वक़्त की बड़ी प्रबल है,
इसमें लय से बहा करो ।
जीवन कितना क्षण भंगुर है,
मिलते जुलते रहा करो ।।
सबके अपने अपने दुख है,
अपनी अपनी पीड़ा है ।
यारों के संग थोड़े से दुख ।
मिल- जुल कर सहा करो ।।
बहुत सुन्दर संदेश कविता के माध्यम से
बधाई
----------5- आ.किशन तिवारी जी भोपाल से बेहतरीन गजल के माध्यम से अपनी बात बयाँ करते हैं-
मत पूछो अपनी चाहत ,
हमको इक दिन पाना सब ।
चिड़िया फिर उड़ जायेगी,
लेकर आबोदाना सब ।
बापस हम आ जायेंगे ,
दिल से मगर बुलाना तब ।।
बहुत सुंदर प्रस्तुति बधाई
----------
6.- आ.डा.सुशील शर्माजी की अभिव्यक्ति देखिये -
अन्धकार में दीप अकेला ,
टिम-टिम जलता रहता हूँ।
मौन सजाये मुस्कानों पर ,
खुद को छलता रहता हूँ ।
पीर-भरी पगडंडी पर मै,
अक्सर चलता रहता हूँ।
किसको हाल सुनाऊँ अपना,
सबको खलता रहता हूँ ।।
बहुत सुन्दर सृजन आदर. हार्दिक बधाई
-------
7- आ.रामेश्वर प्रसाद गुप्ता *इन्दु* जी बड़ा गांव झांसी उ.प्र. से लिखते हैं -
जब अन्धों के राजा काने ,
व्यर्थ तुम्हारा देना ताने ।
देख रहे हैं मुझको एसे ,
जैसे कुछ जाने पहचाने ।
बहुत सुन्दर व्यंग्य
बधाई
----------
8- आकांक्षा पत्रिका के सम्पादक आ.श्री राजीव नामदेव *राना * जी लिथौरी टीकमगढ़ से अपना भाव कुछ यूँ प्रस्तुत करते हैं --
तूने आंखों से पिला दी ये ,
कैसी मुझको शराब ।
अब नहीं बढते कदम
मैखाना जाने के लिए ।।
मिल गई उनसे नज़र खामोश राना * हो गये ,
कुछ नहीं बाकी रहा ,
अब आज़माने के लिए ।।
वाह!!बहुत खूब आदर.
सुन्दर भाव प्रस्तुति की हार्दिक बधाई
---------
9-आ.अभिनंदन जी गोइल जी अपनी रचना में भगवान शिव का स्मरण करते हुये वन्दना करते हैं -
हे नीलकंठेश्वर!
जगत में व्याप्त बिष को ,
क्यों नहीं पी जाते हो ।
मानवता का नागपाश बन गया है ,
हे शाश्वत !क्या इस नश्वर सृष्टि का कल्पान्त काल आ गया है ।
हे आनन्द स्वरूप शंभू ! त्राण दें
त्राण दें
त्राण दें ।।।।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
शिव जी के विभिन्न नामों का परिचय कराती रचना ।
हार्दिक बधाई ।
---------
10. आ.श्री प्रदीप खरे *मन्जुल * जी अपनी रचना में अपने मनोभाव को कुछ यूँ प्रस्तुत करते हैं -
ज़ख्म ज़माने को ये ,देने बाले
दर्द किसी का ,मिटाओ तो जानें।
प्यार कभी न बांटा, किसी को
पाला है जिसने,डंसा है उसी को ।
बहुत सुन्दर यथार्थवादी रचना
बहुत बहुत बधाई
----------
11.-आ.श्री कल्याण दास साहू *पोषक * जी की अभिव्यक्ति आज के इन्सान के लिए कुछ एसी है-
इतना क्यों गिर रहा आदमी नोट के लिए ,
क्या क्या करने लगा हुआ है ,
वोट के लिए ।
वास्तविकता को उजागर करती हुई सुन्दर रचना ।
बहुत बहुत बधाई
----------
12.-आ.प्रभुदयाल श्रीवास्तव *पीयुष* जी टीकमगढ़ से ओरछा धाम की मधुरता और पावनता का वर्णन अपनीरचना में करते हैं-
धूम-धाम रत धर्म की ,धन्य ओरछा धाम ।
रानी कुंवर गणेश बश , रमे रमापति राम ।।
सघन कुंज वन बेल विटप है, फल बाग मनभावन ।
दर्शन दिया राम राजा को , हिय जिय नैन जुड़ावन ।।
बहुत सुन्दर रचना की बधाई ---------
13.- आ.रामलाल द्विवेदी *प्राणेश * जी कर्वी चित्रकूट से अपनी रचना में श्री राम जी की महिमा का बखान करते हैं -
जब कोई राह नहीं सूझती ,हो जाती है विधिना वाम ।
तभी सभी को याद आते हैं ,मेरे प्यारे राघव राम ।।
राम नाम के हीरे मोती,चमक बने शृंगार हैं।
राम प्रीति की परम भक़्ति ही ,जीवन भर का सार है ।।
बहुत सुन्दर
अलंकार युक्त,भक़्ति भावपूर्ण दिव्य अभिव्यक्ति ।
आध्यात्मिकता सो परिपूर्ण सुन्दर रचना की बहुत बहुत बधाई ।
----------14.- आ.हरिराम तिवारी *हरि* जी खरगापुर जिला टीकमगढ़ से मन पर अपनी अभिव्यक्ति दे रहे हैं---
कर बिन करता, काम सभी मन ।
बिन मुख कर, लेता भोजन ।
बिन स्याही के कलम बिना ही ,
लिख देता भाव -प्रयोजन ।।
बहुत सुन्दर लिखा मन पर
बधाई आदरणीय
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15.- आ.शोभाराम दांगी जी नन्दनवारा जिला टीकमगढ़ म.प्र.से हिन्दी के स्वतंत्रत लेखन में एक गीत "घनश्याम " पर प्रस्तुत करते हैं प्रार्थना करते हुये कि---
हे घनश्याम !कभी मेरे घर भी, आया करो ।
रहो हर दिन ,न कभी तुम जाया करो ।
सुन्दर भाव भरी रचना की बधाई
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16.-आ.एस.आर.सरल जी टीकमगढ़ से सबको समझाइस दे रहे हैं अपनी कविता के माध्यम से-----
बड़े समर के रहियो भईया ,
आ रओ कठिन समईया ।
कोरोना के कई रूप हैं ,नहीं जांच परखैया ।
अपने सब बचाव कर चलियो, संग न देत घरईया ।।
बहुत खूब !! सुन्दर संदेश परक रचना की बहुत बहुत बधाई ।
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17.-आ.श्री अनवर साहिल जी टीकमगढ़ से एक गज़ल प्रस्तुत करते हैं जीवन के सार और सच्चाई बयाँ करती हुई रचना देखियेगा --
हक़ीक़त में इबादत कर रहा है .
जो अपनी मां की खिदमत कर रहा है ।
बहुत सुन्दर संदेश
बहुत सुंदर प्रस्तुति
बधाई-----
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18.-आ.श्री रामगोपाल रैकवार जी मुक्तक के रूप में अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं --
भावनाएं शून्य तुम न होने देना ,
संवेदनायें शून्य तुम होने न देना ,
आंतनायें कर रही कम्पित मगर,
प्रार्थनायें शून्य तुम न होने देन ।
सुन्दर भावपूर्ण सृजन की बहुत बहुत बधाई ।
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सभी आदर.साहित्यकारों को श्रेष्ठ लेखन के लिए पुन: साधुवाद 🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷
अस्तु जय हिन्द
जय बुन्देली साहित्य
-कविता नेमा, सिवनी (मप्र)
🙏🙏
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204-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली खरयाट-24-5-2021
#सोमवारी समीक्षा#बिषय.नैंनू#
#दिनाँक 24.05.22021#
#बुन्देली दोहे लेखन#
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समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द
आज समीक्षा लेखन सें पैलाँ माँ वीणापाणि को साष्टाँग नमन।फिर पटल के सबयी मनीषियन खों हात जोर कें राम राम।आजं कौ बिषय नैंनू पै सब विद्वानन ने अपने बिचार अपनी अपनी मौलिक सोच अनुसार पटल पै डारे।सबयी जनन ने ई बिषय कौ खूब मंथन करो।भौत अच्छै भाव रचनायन के मिले।अब सबकी पृथक पृथक समीक्षा सादर निवेदित है।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारि-या नादानजी लिधौरा...
आपके 5 दोहन में बालमन एवम् संत हृदय की नैनू सें उपमा,नैनू खाय सें नैंनू सौ सुभाव,किशन की नैनू लीला,,गाय सेवा,गाय के दूद सें नैनू की शरीर वनावट,कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव,शिल्प अनुकरणीय हैं।आपखों नमन।
#2#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़.....
आपके 5 दोहन मेंनैनू मिश्री कौ मोहन भोग,नैनू की चेहरे पै मालिस सें रोग मुक्ति, नेता अफसरन खों नैनू कौ महत्व,बृजलीला में नैनू,नैनू सें काम करबे कौ तरीका,कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव निर्मल शिल्प श्रेष्ठ है। आपखों बेर बेर नमन।
#3#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ
लखौरा......
आपके 5दोहन मेंनैनू खों देह कौ रतन ,ताकत कौ खजानौ,दूद दयी सें नैनू बनाबौ,देह खों नैनू सें लाभ,रोगनाशक,एवम माखन चोरी लीला कौ बखूबी बरनन करो गव।भाषा लोच भरी भाव सरल एवं शिल्प अनूठे हैं।आपकौ अभिनंदन।
#4#जयहिन्द सिंह जयहिन्द. गुड़ा /पलेरा/......
मोरे 5 दोहन में प्रथम 2 दोहे वृत
यानुप्रास की झलकियन की झाँकी है।जिनमे गोपियों और कृष्ण की झलकत झाँकी दिखायी गयी।बल प्रयोग सें नैनू लूटबौ,माखन चोरन की लीला,नैनू के बनबे कौ बरनन करौ गव।भाषा भाव औरशिल्प की चर्चा आप सब जनें जानों।सब विद्वानन खों हात जोर राम राम।
#5#श्री शोभाराम दाँगी नदनवारा......
आपके 5 दोहन मेंनैनू निकारबे की बिधि,दूसरे दोहा में मात्रा दोष सें लय अवरोथ,ब।ज में नैनू की लूट,नैनू सें मन कौ ऊजरौ होबौ,गाय की महिमा कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल मृदु,प्रवाहयुक्त भावपूर्ण है।शिल्प कौशल हेतु आपकौ अभिनंदन।
#6#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो....
आपके5 दोहन मेंनैनू सें गुरू की उपमा करी गयी।दो दोहन में बृजलीला दिखाई गयी।नैनू से घी कौ बनाबौ,गाय भैंस की सेवा सें दूध मठा मिलबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सटीक जादूगरी भाव,अनूठी शिल्प कला
गहरे भाव,पाये जाते हैं।आपखों दंडवत प्रणाम।
#7#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी हल इन्दौर......
आपके 5 दोहन में गोपी की श्याम रीझ,गोपी कौ श्याम प्रेम,माँ जशोदा सें बलराम के लाने बातचीत,खग मृगों काप्रमोद,राधे का गायन,आदि का श्याम गोपीमय बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल मधुर भावपूर्ण,रसदार अलंकृत है।शिल्प अनूठे भाव सुन्दर हैं।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#8#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु
बड़ागाँव झाँसी......
आपके 5 दोहन मेंदूध सें नैनू बनाबे कौ,मंथन सें नैनू निकारबे कौ,ज्ञान नवनीत की चर्चा,गाय भैंस सें दूध और सब घटक बनाबे की चर्चा,नैनू मिश्री काली मिर्च मिलाकरकमजोरी दूर करबे की दवा,चाय सें नजदीकी, दूध दही सें दूरी,कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा शिल्प श्रेष्ठ ,भाव गहरे,दोहन की ऊंचाई हिमालय सें महान,मिली।आपकौ बेर बेर अभिनंदनं।
#9#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.......
आपके 2 दोहन मेंनैनू सें भीतर के भावकड़बे कौ नटराज के नखरन कौ बरनन करौ गव।आपकी भाषा भाव उत्तम,शिल्प सराहनीय है।आपखों बारंबार प्रणाम। है।आपखों बारंबार प्रणाम।
#10#श्री रामानंद जी पाठक नंद नैगुवाँ.......
आपने अपने 5 दोहन मेंदिरोंदा लगबे सें नैनू होबे कौ,काम परें नैनू काम सटें बलवान होबे कौ,नैनू के गुनन कौ,नैनू की ताकत और कोंमलता कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा चमत्कार पूर्ण,सरल मधुर भावपूर्ण है।शिल्प अनूठे हैं ।आपको दंडवत प्रणाम।
#11#डा.सुशील शर्मा जी.....
आपने अपने 3 दोहन मेंपैंलाँ सिंगार में नैनू की उपमा,सुभाव में नैनू की उपमा, कान्हा के प्रसाद में नैनू कौ उपयोग,दरसाव गव।आपकी भाषा बेजोड़ रसीली,भावभरी है।शिल्प कला मजबूत,आपकी धारदार रचना और आपको सादर नमन।
#12#श्री राजेन्द्र यादव कुँवर जी कनेरा बड़ा मलहरा.......
आपके 2 दोहन में नैनू के प्रयोग से उमर में भ्राँन्ति,और माखन चोरी लीला कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल सरस,भावभरी,शिल्पकला अद्भुत है।आपखों बेर बेर वंदन।
#13#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर......
आपने अपने 5 दोहन मेंबेद शास्त्रन के मंथन कौ,संविधान की रचना कौ,गीतासार उपदेश,विद्वानों द्वारा सार संग्रह,दही और ग्रन्थ मंथन कौबरनन सटीक ढंग सें करो गव। आप भाषाभाव के जादूगर हैं।आपकी रचना में अद्भुत शिल्प दर्शनीय है।आपका अभिनंदन बंदन।
#14#श्री प्रभुदयाल जी श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़......
आपने अपने 5 दोहों में सिंगार में नैनू की उपमा डारी गयी।सिंगार कौ अद्भुत प्रयोगनैनू के लोंदा के संगैदूसरे दोहा में दव गव।तीसरे दोहा में गोपियन के लालित्य के संगै नैनू निसरी खाबे की सलाह दयी गयी।अंतिम दो दोहन में भोजन कौ नैनू के संगै आनंद बरनन करो गव।आप भाषा भाव के जादूगर हैं,कला पक्ष और भाव पक्ष आपकी पहचान है,लालित्य आपकी जान है।
आपका सादर बंदन अभिनंदन।
#15#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपने अपने 5 दोहों में कन्हैया के नैनू निसरी खाबे कौ,प्राईवेट और सरकारी स्कूल के छात्रों में
प्रायवेट छात्रन खों नैनू की संज्ञा दयी गयी।ग्वालनी का छुपकर नैनू बेचने जाना पर टोली द्वारा पत्थर मारकर मटकी तोड़ने का ,नेतन कौ बरनन,कान्हा के नैनू खाबे कौ सटीक बरनन करो गव। आपकी भाषा मधुर रसीँली,भावपूर्ण है। शिल्प सुन्दर है।मैं आपके चरणों की वन्दना करता हूं।
#16#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबयी हाल दिल्ली.......
आपने 3 दोहों का तिरंगा पटल पै फहराया है।जिसमें नैनू सें मन की निरमलता की तुलना,सुभाव में नैनू जैसी चिकनाई होंना,श्री कृष्ण की माखन चोरी मेंनैनू की चोरी कौ बरनन करो गव।आप श्रेष्ठ कलाकार होंनें के नाते साहित्य के भी जादूगर हैं।आपकी भाषा मनमोहक होती है।भाव और शिल्प का गंगा जमुनी संगम दर्शनीय है।आपका बेर बेर अभिनंदन बन्दन।
#17#श्री मोहन तोमर रिठौना अम्बाह मुरैना.....
आपने बुन्दैली दोहों के स्थान पर एक हिन्दी रचना डार दयी,कोई बात नहीं आप पटल के लाने आज नये हैं।पटल पर सात दिन का समय चक्र है जिसका पालन हर सहभागी कौ धरम है।आपसें अनुरोध है आप पटल एडमिन से बात कर टाईम टेबल माँग लें अगर ना मिल पाय तो समीक्षाकार के नंबर पर बात करलें इसी के नीचे मो.नं. दिया है।धन्यवाद।आपका पटल पर स्वागत है।
#18#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़.......
आपने भी पटल पै तीन दोहन कौ तिरंगा फहरा दव,जिसमें नैनू खों सार बताव गव।जो छाँछ के ऊपर तैरता रहता है।छाँछ सार नहीं है।आपकी भाषा में बृत्यानुप्रास और उपमा की झलक कूट कूट कर भरी है।भाव सुन्दर और शिल्प की सुन्दरता देखने जोग है।आपको सादर नमन।
19- श्री राम गोपाल रैकवार जी ने भी बहुत बढ़िया दोहे रखे है-पांचों दोहे गजब के हैं
भाव सुन्दर और शिल्प की सुन्दरता देखने जोग है।आपको सादर नमन।
सीनाजोरी सें मिलै,या चोरी सें पायँ।
कान्हा अगुआ हैं बने,नैंनू सब मिल खायँ।।
उपसंहार.....
अब समय कासीमाँत होगव ,आठ बज रय ,रचना पटल पै डारबे कौ समय समाप्त है।अगर बुढापे की नजर सें कोंनौं रचना छूट गई होय तौ मोय छमा करें।
सब विद्वानन खों हात जोर राम राम।
आपके बीच कौ अपनौ समीक्षक....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मोवायल 6260886596
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205-आज की समीक्षा**
*दिनांक -25-5-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय - "चक्र"*
आज पटल पर हिंदी में *चक्र* केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने शानदार दोहे लिखे हैं दोहों में धार है।
सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर *1* श्री जयहिन्द सिंह जी जयहिन्द,पलेरा* ने सत्य लिखा है कि काल चक्र सबको एक नजर से देखता है ऊसकी किसी से न दोस्ती है ना ही किसी से बैर है। बढ़िया दोहे है बधाई।
अपनी गति से चल रहा,काल चक्र का खेल।
ना काहू सें बैर है,ना काहू सें मेल।।
बक्र दृष्टि हो चक्र की,समय न हो बलवान।
काल चक्र कर देत है.मानव को हैरान।।
*2*- श्री परम लाल जी तिवारी,खजुराहो* लिखते है कि प्रभु का प्रथम हथियार चक्र है जिससे वे दुष्टों का संहार करते हैं। उमदा दोहे है बधाई।
राम राज्य का चक्र था,कैकयी कीन्ह कुचक्र।
स्वर्ग गये दसरथ नृपति,अवध प्रजा गति वक्र।।
3प्रभु का आयुध चक्र है,हरे दुष्ट के प्रान।
निज भक्तन की लाज हित,कर में सोह महान।।
*3* श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* ने चक्र के प्रकार बताय है कि ये कितने प्रकार के होते है। दोहे रचे है भाऊ ने बधाई।
काल अशोक और गति चक्र, चक्र तिरंगा सान
चक्र सुदर्शन हरि चक्र,वेदों में प्रमान।।
कर्म शनि और सभी चक्र,होते सुनो तमाम।
सूर्य चन्द्र और पृथ्वी,चक्कर चक्र महाशानदारन।।
*4* श्री एस आर सरल, जी टीकमगढ़* से कहते है कि कोरोना के चक्र में सारा विश्व फसा हैं यह गिन कर शिकार कर रहा है हकीकत बयां कर दी है। आपका अभिनंदन है।
चक्र अनवरत नियति का,चलता है दिन रात।
सुख दुख का संसार मे, करता तहकीकात।।
कोरोना के चक्र मे, फसा सकल संसार।
कोरोना बहुरूपिया, गिन गिन करै शिकार।।
*5* श्री संतोष नेमा जी "संतोष" जबलपुर* से हमारे बीच जुड़े हैं उन्होंने आज बढ़िया दोहे लिखकर पटल पर जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। आप कहते हैं कि समय बलवान होता है उसकी कीमत जाने। आपको हार्दिक बधाई।
नियति चक्र रुकता नहीं,होता वह गतिमान।
इसीलिए सब कहत हैं,करें समय का मान।।
करें सदा ही समय पर,अपने सारे काम।
साथ समय के जो चले,उसका होता नाम।।
*6* श्री *प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़, से ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है कि अपने चक्र से कोरोना रूपी राक्षस का संहार कीजिए। बहुत बढ़िया दोहे है सार्थक लेखन बधाई स्वीकारें मंजुल जी।
भक्तन की महिमा बढ़ी,देव तलक झुक जाय।
प्रण पूरा कर भीष्म का, कान्हा चक्र उठाय।।
कोरोना तांडव करे, मचता हाहाकार।
चक्र चला प्रभु कर दियौ,पल भर में संहार।।
*7* श्री शोभाराम जी दाँगी नंदनवारा* से चक्र सुदर्शन की महिमा बता रहे है। अच्छा लिखा है बधाई।
चक्र सुदर्शन जब चला, पापी हौ भयभीत ।
कंस दुर्योधन मार दिये, समय चक्र की जीत ।।
चक्र चक्र कई चक्र हैं, करते अस्त प्रहार ।
चक्र चलाचक्रेश महा, तिरंगा चक्र अपार ।।
*8* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी* उप्र. से बढ़िया दोहे लिखते हैं ये भी ईश्वर से कोरोनावायरस को नष्ट करने की कामना कर रहे है। बधाई।
कोरोना दुख दे रहा,कोइ न देता साथ।
उठा सुदर्शन चक्र लो, हे दीनो के नाथ।।
काल चक्र ऐसा चले, चारों ओर विनाश।
मार भगा दो विश्व से,एक तुम्हीं से आश।।
*9* श्री अशोक पटसारिया नादान जी लिधौरा* लिखते है कि सुख-दुख जीवन चक्र है हमें इनका सामना करना चाहिए। सभी दोहे अच्छे दोहे है। आपका अभिनंदन है।
सुख दुख जीवन चक्र है, यश अपयश है योग।
लाभ हानि जय पराजय,नदी नाव संयोग।।
नियति चक्र में पिस रहे,राजा रंक फकीर।
कोइ सिंहासन पर चढ़े,कोइ बंधे जंजीर।।
*10* श्री कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर* से कहते है समय चक्र युगों से चला आ रहा है। ये भी कष्टों का निवारण चाह रहे है अच्छी कामना की है। सभी दोहे बढ़िया है।बधाई स्वीकारें
चक्र समय का चल रहा , इक पल रुकता नाहि ।
सतयुग त्रेता द्वापरहि , कलयुग धूम मचाहि ।।
नाथ ! धरा पर है बहुत , कष्टों की भरमारि ।
विपदा हर लो रमापति , चक्र सुदर्शन धारि ।।
*11* श्री अभिनन्दन गोइल जी इंदौर ने पौराणिक कथानक पर आधारित दोहे रचे है बहुत सुंदर धार्मिक दोहे है बधाई।
धर्म चक्र के प्रवर्तक, आदीश्वर ऋषभेश।
आदिम युग में दे गये,असि मसि कृषि उपदेश।।
आदीश्वर बृषभेष के, भरत पुत्र थे ज्येष्ठ।
प्रथम चक्रवर्ती बने , धर्म कर्म में श्रेष्ठ।।
*12*राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से अच्छे दिन की कामना कर रहे हैं।
चक्र चले जब काल का,दुख भी वो हर लेत।
अच्छे दिन भी आत है, खुशियां से भर देत।।
चक्र सुदर्शन जो चला,हो गये असुर ढेर।
संत ऋषि मुनि प्रसन्न हो,मना रहे सब खैर।।
*13* श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ बता रहे हैं कि पृथ्वी के चक्र में घूमने से दिन रात होते है। सभी शानदार दोहे है। आपका अभिनंदन है।
धरती अपनी धुरी पर, घूम रही दिन रात।
मौसम आते चक्र वत,शीत ग्रीष्म बरसात।।
काल चक्र गति को नहीं,समझ सके विद्वान।
कैसे जानेंगे इसे , अल्प वुद्धि नादान।।
*14*डॉ रेणु जी श्रीवास्तव भोपाल* लिखतीं है कि हमें सदा जीवन में अच्छे काम करना चाहिए। तभी नाम होता है। एक अच्छी सोच को प्रर्दशित करते शानदार दोहे रचे है । बधाई स्वीकारें।
जीवन चक्र महान है , जो समझे तो जान।
अच्छे काम करो सदा, जग में होगा मान।।
कोरोना के रोग का, चक्र चला अविराम
अब तो फन्गस आ गया, रहे सहारा राम।।
*15* श्री रामानन्द जी पाठक नन्द नैगुवां से अपने दोहों में राशि फल बता रहे है ज्योतिष मय दोहे है बधाई।
नौ ग्रह के सब चक्र हैं,फसते हैं सब कोय।
शांत करावै नौ ग्रह,उनें पुजाबत सोय।
नौ ग्रह बारह राशियां,सब पै क्रम में जांय।
चक्र चलै ढइया शनि चकर घनन्नी में राय।।
*16* श्री धीरेन्द्र सिंह जी परिहार 'विभु' ने भी पटल पर जोरदार इंट्री दी है शानदार दोहे रचे है बधाई स्वीकारें। गोल घूमता चक्र जो,लॊट कॆं फिर-फिर आय।
हारा पिछला चुनाव फिर,प्रत्याशी बन जाय।
चक्रधारी सब एकमत,कॆ रय घोङा आय।
मार दुलत्ती सङक पॆ,गदहा दॊर लगाय।।
*17* श्री *संजय श्रीवास्तव* मवई दिल्ली से अपनी विशिष्ट शैली में दोहा लिखते है आपके दोहे सोचने पर विवश करते है श्रेष्ठ लेखन है। आपने शरीर के सात चक्रों की दोहे में सुंदर व्याख्या कर दी।आपका अभिनंदन है।
सात चक्र* काया बसें,अनुपम सिद्धि अपार।
ध्यान साधना से जगा,सुसुप्त ऊर्जा धार।।
उपस्थ अंग समीप चक्र, पहला *मूलाधार*।
ध्यान लगा *लं* मंत्र जप,नियम बने आधार।।
18* *श्री राज गोस्वामी जी दतिया लिखते है कि जीवन माया चक्र है बहुत सही कहा है। बधाई।
जीवन माया चकृ है छूटत नाही कोय ।
जो आत जा चकृ मे जान असलियत सोय ।।
चकृ सुदल्शन चलत ही पाप सभी कट जात ।
महायुद्ध रुक जात है साक्षात पृभु आत ।।
*19* श्री रामगोपाल जी रैकवार, टीकमगढ़ से भले ही कम लिखते है लेकिन गागर में सागर भर देते। बहुत बढ़िया दोहे रचे है। समय हमेशा बदलता रहता है गतिशील है बढ़िया सोच है। आपका बारंबार अभिनंदन है।
समय चाल ऋजु है कभी,और कभी है वक्र।
चलता रहता है सदा,प्रबल काल का चक्र।।
चक्र सुदर्शन विष्णु का, चक्र अशोक महान।
चक्र काल का है सतत,चक्र अर्थ गतिमान।।
*20* आचार्य रामलाल जी द्विवेदी प्राणेश,कर्वी चित्रकूट बातें लिखते हुए कह रहे है कि हमें सत्य मार्ग पर चलनाज्ञचाहिए चक्रधर हमारी मदद करते है। बहुत सुंदर विचार है बधाई स्वीकारें
सत्य मार्ग कांटो भरा ,हरदमज्ञानभरी जग के जाल।
रक्षक जिसके चक्रधर, एक न बिगड़े बाल।१।
सूर्य चंद्र धरती सदा , चलें चक्र अविराम ।
प्रकृति सदा ही बिन थके ,करती काम तमाम ।
प्रकार से आज 20 दोहाकारों ने नवसृजन किया है। हमारे नये साथियों ने भी गजब का लिखा है बहुत अच्छा लगाइस।सभी ने बहुत बढ़िया दोहे रचे है। दोहों में सुंदर भाव है। दोहों केखूब चक्रिय रूप देखने को मिले । सभी को बहुत बहुत बधाई, आभार। धन्यवाद।
समीक्षक-
✍️-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)
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206-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-26-5-21
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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दिनांक 26.05.2021
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स्वतंत्र पद्य लेखन
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समीक्षा- डी.पी .शुक्ला ,,सरस,,
टीकमगढ़
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बुंदेलखंड से भवसागर में! हीरा खोजत रात!!
प्रेम पुलकित नयन नित !
सो प्रेम ना ह्रदय समात!!
बुंदेली धरती पै जन्म!
लेके रय हरसाय !!
नमन रामराजा ओरछा!
करत दूर सबई बलाय!!
नोंनी बुंदेली सी बोली लगै!
छुअत अंतर उर के ताग!!
प्रेम लसत हृदय बसत! गाकें बुंदेली राग !!
समस्त व्यवधानों को पारकर मानस कर्म के उल्लासित भावों को पटल पर उपस्थित होकर बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन में समस्त काव्य मनीषियों साहित्यकारों को नमन करत भय तथा उत्तम रचनाओं हेतु समस्त सरस्वती के बरदाई पुत्रों को साधुवाद एवं ह्रदय गामी बुंदेली पद्य लेखन में अग्रणी कविवर को वंदन अभिनंदन बुंदेली को उच्च आयाम देने वाले वरद पुत्रों को हार्दिक बधाई सादर धन्यवाद के साथ नमन करता हूं और लेखन किए गए पदों का सार पटल पर समीक्षा बतौर शाश्वत स्वरूप में प्रस्तुति करने जा रहा हूं लेखन कर्म की भूर भूर प्रशंसा करता हूं जो बुंदेली को प्रगति पथ देने में अग्रगामी कविवर को सादर बधाई !!
नंबर 1 -प्रथम पटल पर पधारे श्री खरे जुने श्री गणेश करो है श्री प्रदीप खरे जुने चौकड़िया के माध्यम से ना लेके आए कछु ना लेके जाने, सवई धरौे रै जाने जौ गानौ, श्री खरे जी नें इस देह कौ गर्व करवौ नोनो नहीं बताओ जो तन माटी में मिल जाने ई माया के फंद में पढ़ के ै जीवन नसा दव नेकी से चल के मजा ई तन जीवन को पा सकत है !
नंबर 1 ,चेतावनी भरे भाव दो .सच्चाई को उजागर करती बुंदेली रचना
तीसरा .अध्यात्म की ओर इशारा
चौथा .तन और धन किसी काम का नहीं उत्तम और नोनी रचना के लाने खरे जू को हार्दिक धन्यवाद साधुवाद बधाई !
नंबर दो -श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद ,,जुने वन संरक्षण यानी प्रकृति जीवन को बचाने के लाने बुंदेली गारी में अपनी रचना में सूने हो गए मैदान जंगल बिन जीवन हे सुनसान जंगल जीवन को खजानो है जी से जीवन रूपी नैया खेवे में परेशानी नईं होत, जंगल से हरयाई और दवाई मिलत है शुद्ध हवा और पानी बरसत है शंकर रूपी वृक्ष जो जहर पीकर गंगधार दे रये हैं इसी जंगल में श्री राम जी ने भी बसेरा किया था वाह दाऊ साहब जीवन जीने हेतु पावन धरती पर पिता और गौ,वृक्ष परहिती अई हैं बे तुमसे केवल संरक्षण चाह रय हैं जिनेंहम नहीं दे पा रय हैं !
एक .जीवन जीने के लिए जंगल प्रकृति ही साध्य दूसरा .चेतावनी भरी रचना तीसरा .बन ही जीवन है चौथा .वन्य प्राणियों ब प्रकृति से ही संतुलन जीवन संभव
पांचवा .प्रदूषित वायु जल और जीवन हेतु वृक्ष संरक्षण जरूरी बहुत ही नोनी रचना हेतु साधुवाद वंदन अभिनंदन उत्कृष्ट रचना हेतु सादर बधाई!!
नंबर 3- श्री परम लाल तिवारी जी ने बुंदेली रचना के माध्यम से कोरोना के भय से घर के भीतर रैवे की चेतावनी दै है बायरे कढवे पै मुंह पै कपड़ा लगाऊंने और सवई नियमन को मानने हाथ धोने भूतै नौने सुझाव देकें श्री तिवारी जी ने चेतावनी दै है जो बहुत ही जरूरी है सो तिवारी जी की बात मानकें घर के भीतर ही रहने !
एक. चेतावनी भरी रचना दो .भाव बहुत ही उत्तम है 3 .आज की चेतावनी जीवन की रक्षा बहुत ही नोनी रचना जिसे मानो ना मानो जीवन की रक्षा का कवच है वाह तिवारी जी वंदन अभिनंदन सादर बधाई !!
नंबर 4- कविता नेमा जी ने बुंदेली रचना में कोरोना तो कर रऔ बंटाढार स्कूल बंद कमाई धमाई बंद डॉक्टर जो सवई की सेवा करत करत निपट गए जो मानव नहीं मान रहा अपनी अपनी तान रव, बहुत ही नोनी चेतावनी के लाने बहिन नेमा जी के द्वारा सुंदर रचना करके सुरक्षा हेतु जो भाव उकरेे हैं वह बहुत ही नोने हैं जी के लाने नेमा जी को वंदन अभिनंदन बधाई!!
नंबर 5 -श्री अशोक पटसरिया ,, नादान ,,जी ने सामाजिक बतौर जो रचना करी है वह जीवन को बचाने की जोग जुगत लगाई है !
तुम्हें चिंता है चीन और जापान की,
हमें परी अपने प्राण की!!
अबे तो मानव कल्याण की बात करने हैं को
काओके नेंगर नहीं आ रव चाय अपनों होय सवई को धरो धराव लूट लव अब तो संतान की फिक्र पड़ी है यह बुढ़ापे में नई धर रव रह कोनोऊं कमाकें भौतै नोनी रचना के लाने साधुवाद भावों में सब्दन कोई पिरोकें रचना में चार चांद लगा दय नादान जी के लाने चेतावनी के संग मानवता की रक्षा के लाने बात करी है उत्तम रचना के लाने वंदन अभिनंदन सादर बधाई!!
नंबर 6- श्री कुंवर राजेंद्र जी ने प्रेमिका की विरह व्यथा से रचना में बताओ है के सूने गलियारे डरे हैं राह में प्रीतम प्यारे नजर नई आरय मोरे नैन उनै के लाने द्वारे बैठ के लगे रात कोरोना में जी को तसल्ली दैवेें नैनन को तरसावे से बचावे के लानें मिलन भौतै जरूरी है बिरही रचना कोरोना काल में फसी बैठी एक पत्नी की व्यथा को वर्णन करके बहुत ही नोनी रचना!
एक .कोरोना काल की चेतावनी,
दो. वक्त में पत्नी के बिरह घर का सूनापन ,
4 .नैनन की आस बहुत ही नोनी रचना के लाने राजेंद्र जी को हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर बधाई!!
नंबर 7- श्री एस .आर. सरल, , जुने बुंदेली रचना में चौकड़िया के माध्यम से बुद्ध पूर्णिमा जैसी समसामयिक रचना का आगाज करो है जी मैं आज बुद्ध ने सत्य की ज्योति जलाई बुद्ध पूर्णिमा की बधाई सत्य और ज्ञान के दीप जलाकर धम्म उपदेश जगत को दव मानवता की न्यू डार के अमन चैन बरसाओ तो ऐसे वक्त में अपने जीवन बा दूसरों के जीवन की रक्षा करवे के लाने हमें घर में रहने यह भौतै नौनी चेतावनी भरी रचना समसामयिक रचना करवे के लाने हार्दिक वंदन अभिनंदन और हार्दिक बधाई !
नंबर 8 -श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जुने विषय चक्र के माध्यम से भारत को शान तिरंगा बताओ है और चक्र सुदर्शन हरि को बेदन में गाव है कितनी नोनी चक्र के रूप में रचना करके ढोंगा का मैदान बता कर चक्र की महिमा बुंदेली रचना में करके रचना में विष्णु के चक्र कौ गुणगान करो है सुन्दर रचना हेतु वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद !
नंबर 9- श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जुने के चौकड़िया माध्यम से विपदा इस जग में आई है भूखे पेट और शोषण के बदरा कारे दिखा रय सवई खलीफा अपनी बामी बना कर सांप वाले हैं कय से का होरव मुंह पै तारे डारे हैं एक.बहुत ही शब्दन भरी चेतावनी !
दो. भावों में शब्दन को पिरोई है,
3 .उत्तम भाव चेतावनी भरी चाल समसामयिक भौतै सुन्दर रचना हेतु साधुवाद सादर बधाई!
नंबर 10 - श्री कल्याण दास साहू , पोषक,, जुने बुंदेली रचना में दिर्गन बसत मुरलीधर जी के भीतर बसत हैं वे साक्षात देवी को रूप होती हैं उनके भीतर सदगुण भरे हैं प्रेम स्नेह आशीष वाँटवे हरदम तत्पर रही हैं उनकी चोखी किस्मत होत जी के मन और आंखन में मुरलीधर की छवि बसत है!
एक .अध्यात्म में मन को गदगद करो है
2.कोरोना काल में प्रसन्नता भरे भावों भरी रचना ,
3 .नारी को देवी का स्वरूप वर्णित करो है, भौतै नौनी रचना के लाने साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 11 .श्री राजीव नामदेव ,,राना लिधौरी जुने अपनी बुंदेली रचना में ठलुआ विषय से हास्य व्यंग रचना घर में परे परे खा खा के मुटियारय कोरोना काल में काम ना होवै से पलका टोर रय और घर कौ काम करके घरवाली को पुटयारय और रोजऊँ पंगतें हो राम बे वायरें नैं जा पा रय है वेबस्ता भरी रचना करके हास्य व्यंग भरी रचना में चार चांद लगा दय!
एक .भाव उतम ,
दो .चेतावनी एवं व्यंग 3.हास्य रचना ,
चार .कलजई रचना साधुवाद एवं हार्दिक बधाई!
नंबर 12-डा. रेनू श्रीवास्तव जी ने दायजौ शीर्षक से अपनी रचना करी है बेटी पराई करके रो रय, हड़ा और कुपरिया देवे ढोरय!
सोनों दैकें करने पर रव आज पराई!
आ गए समधन समधी करत लड़ाई !!
गैेल में खड़ी रो रै माई!
गले लिपट के रोती भौजाई !
प्राणों से प्यारी बेटी को करदई आज पराई !
बहुत ही नोनी वेदना परक रचना नोनी रचना के लाने बहुत ही बहुत बधाई सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 13- श्री हरी राम तिवारी जुने वन हमारे परिजन, शीर्षक छंद के माध्यम से रचना में बताओ है के वृक्ष महान हैं जो प्राणवायु देते हैं वृक्ष अवतारी हैं जीवन आधार हैं काटने से बचाव ने जेई हमारे भंडार भरत हैं वन भूमि के सिगार है नौनी रचना के लाने साधुवाद श्री तिवारी जी भौतै सारगर्भित रचना साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 14 -श्री शोभाराम दांगी जुने दुपरिया रचना के माध्यम से तपते सूरज की गरिमा को बताओ है के सूरज तपन तेवर बताऊंन लगे निकलतै जौ तन चिकन लगत है , आग बरसत कोयल दुपहरिया में छांव में बैठकर सुरीली आवाज मैं गाती है कुत्ता पेड़ के नीचे पढ़ो सुस्ताउत खूवई पसीना तन से निचुरत है प्रकृति मय भाव भरी रचना गदगद करती भावों में गर्मी भरी दुपरिया के लाने तन को शीतलता चाहने के लाने नोनी रचना करी है सादर बधाई वंदन अभिनंदन!
नंबर 15 .श्री संजय जैन जुने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से बिदौना शीर्षक से रचना करके बताओ है के ई कोरोना ने तिड़ी बिड़ी हालत कर दई !
पातर वीचां भात ढूूक रव, कड़ी बगर गई दोनाँ की!!
का कँय जी जी बिदौना की !!
उपमा अलंकार भरी रचना सकरे में संम्दियानौ हो रव, शब्दों के चमत्कार शब्दालंकार और अनुप्रास अलंकार की छटा स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही है !
एक .शब्दों कोे आधार बना के भावों में पीरोना ,
दो .कालजई रचना,.
तीन .अलंकारों की छटा 4 .उपमा अलंकार की देयता,
उत्तम रचना हेतु साधुवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन शेष्ठ रचना हेतु बधाई !
नंबर 16 -श्री पी. डी. श्रीवास्तव पीयूष जु ने भौतै नौनी हास्य परक चौकड़ियन अन से मन प्रसन्न कर दव ,तेल को मापऔर मगौरन की दाल फूूलने की बात जीजा जू को घर के भीतर बिठावे की बात मन के मौज में मन रूपी जीजा जी को मन समझो मन की बात करने के लाने मन ललचा रव रचना करके हास्यप्रद रचना में चार चांद लगा दय! श्री पीयूष जी वे दिन कब आए जब हम तुम्हारे घर खावे के. लाने बैठेनौनी रचना के लाने सादर बधाई अभिनंदन धन्यवाद!
समीक्षक- डी.पी. शुक्ला टीकमगढ़
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207- श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी पद्य-27-5-2021
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 27.5.2021 दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिंदी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :---
आदरणीय सभी काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम । आज पटल पर बेहतरीन रचनायें प्रस्तुत हुईं ।
सर्वप्रथम श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने साहित्यकारों को सच्चाई लिखने हेतु प्रेरित करने वाली बेहतरीन रचना की प्रस्तुति दी :---
" लिखना है नादान कहीं तो , तू केवल सच्चाई लिख "
श्री संजय श्रीवास्तव जी कोरोना काल के पश्चात विद्यालय का आलम क्या होगा , इस पर अपनी लेखनी चला रहे हैं :---
" पीठ पर बच्चों के बस्ता और मुँह पर मास्क लगा होगा "
श्री अभिनंदन गोयल जी मुक्त छंद की रचना के माध्यम से आत्म अवलोकन हेतु अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर रहे हैं :---
" सच बताओ यार , अब तक क्या किया "
श्री किशन तिवारी जी बेहतरीन समसामयिक गजल की प्रस्तुति दे रहे हैं :---
" सपने तो सुख के बोये थे ,
पर हमने तो काटे दुख हैं "
डाॅ. सुशील शर्मा जी भगवान बुद्ध को रचना समर्पित करते हुए अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर रहे हैं :---
" भटके तब सिद्धार्थ थे , बैठ गए तो बुद्ध "
श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी ने बेहतरीन गीत को रचा :---
" कालचक्र की गति ना टूटे सब ने माना है ।
आना जाना तो दुनिया का नियम पुराना है ।।
श्री प्रदीप खरे मंजुल जी मां की ममता शीर्षक से कविता लिख रहे हैं :---
" मां की ममता आज भरी है , देखो दूध की बोतल में "
श्री परमलाल तिवारी जी गौतम बुद्ध जी को अपनी रचना समर्पित कर रहे हैं :---
" लुंबिनी में अवतार ले आए बुद्ध धरा धाम , साक्षात करुणा के विग्रह कहलाए हैं "
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी छंद मुक्त रचना के माध्यम से लिख रहे हैं कि :---
" इंसानियत तुम कहां हो "
डाॅ. अनीता गोस्वामी जी इच्छा और समीक्षा की तुलना की अभिनव प्रयोग करती रचना प्रस्तुत कर रही हैं :---
" इच्छा बेटी और समीक्षा पुत्रवधू कहलाती है "
श्री शोभाराम दांगी जी मंजिल प्राप्त करने की विधि बता रहे हैं :---
" मंजिल को गर पाना है तो , कठिन परिश्रम करना होगा "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी भारत रत्न शीर्षक से लेखनी चला रहे हैं :---
" हो गए बड़े-बड़े गुण वारे , भारत मां के प्यारे "
जनाब अनवर साहिल जी बेहतरीन गजल पेश कर रहे हैं :---
"जहां तक भी ये नैयर देखता है , जमी सारी मुनव्वर देखता है "
श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी सामर्थ्य शीर्षक से बेहतरीन छंद मुक्त रचना की भावपूर्ण प्रस्तुती दे रहे हैं ।
श्री राजीव नामदेव राना जी बेहतरीन गजल की प्रस्तुती दे रहे हैं :---
" राना तो अपनी बात पे दमखम से खड़ा है "
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने बेहतरीन कुण्डलियाँ रची हैं :---
" भाई राधेश्याम का , घर घर करिये जाप ।
तभी महामारी मरे , श्री गुरु चरण प्रताप ।।
श्री राजेन्द्र यादव कुंवर जी स्यानी बेटी के लिए मातपिता की चिन्ता व्यक्त कर रहे हैं :---
" दिन दिन हो रइ लली सियानी , चिंतित दोई प्रानी "
श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी हरि के लोग शीर्षक से अभिव्यक्ति दे रहे हैं :---
" भरा पड़ा अद्भुत संयोग , कहीं बेबसी , वैभव भोग "
श्री सरस कुमार जी आरजू पूरी करने पर बल दे रहे हैं :---
" हर आरजू पूरी हो जाए साथ साथ चलने में "
श्री डी पी शुक्ला सरस जी सियासी भूचाल शीर्षक से रचना लिख रहे हैं :---
" कैसे दिन जे हमें दिखाते , बगुला बने आज के माते "
श्री एस आर सरल जी दीन की व्यथा शीर्षक से लेखनी चला रहे हैं :---
" चहुँ ओर सितम के आलम हैं ,कब सुख की किरणें फूटेंगी "
आदरणीया कविता नेमा जी कोरोना से बचाव के सुझाव दे रही हैं :---
" घर सिर्फ लॉकडाउन का पालन तुम कर लोगे , सच कहूं अपने आप को ही नहीं , सारे राष्ट्र को तुम बचा लोगे "
इस तरह से आज पटल पर आदरणीय सभी रचनाकारों ने बेहतरीन रचनाओं का सृजन किया है , बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति दी है सभी को बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत साधुवाद । सभी रचनाकारों का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा कार्य को विराम देता हूं त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
--- कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर
जिला निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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208-श्री जयसिंह जयहिंंद,बुंदेली-छैल छबीली-31-5-21
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक#
#31.05.21#बिषय/छबीली#
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समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ शारदा के चरणों में दण्डवत प्रणाम।
सभी मनीषियों को हत जोर जय जय सिया राम।आज के बिषय छबीली पै विद्वानन नें अपनें अपने मतानुसार छबीली की नौनी ब्याख्या करी।अच्छे बिचारों का संगम देखबे मिलो।जीमें गागर में सागर भर दयी गयी। आज हम सबकी समीक्षा करबे सबके दोहन की ओर जा रय।आप सबखों फिर एक बार राम राम।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा...
मेरे 5 दोहन मैंपहले 3 दोहेराधे श्याम मय प्रेम बरनन करो गव।
पाँचों दोहन में बृत्यानुप्रास की झलकियाँ डारबे की कोशिश करी गयी।भाषा भाव शिल्प की समीक्षा आप सब जनें जानों।सबयी खो राम राम।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादानजी लिधौरा......
आपके 5 दोहन में गोपियों के माखन छिपाने,एवम् गोपाल छवि निरखन बंशी गाय मोरसें छवि बरनन करो गयो।तीसरौ दोहा झाँसी की रानी खों समरपित करो ।चौथे में छबीली सिंगार बरनन और अंतिम दोहा में पिया मिलन कीकामना करी गयी।
आपकी भाषा भाव कोमलता एवम् शिल्प सराहनीय हैं।अलंकारों और उपमाओं की झलकियन की भरमार है।आपका बार बार अभिनंदन।
#3#श्री एस.आर.सरलजी टीकमगढ़.......
आपने पटल पै दोहा 4 जगह डारे,एक जगह डारते तौ आकलन में सुविधा होती पर पेली खेप तीन दोहा जीमेंछबीली कौ हाट जाबे कौ सिंगार, दूसरे में परिवार कौ छबीली पै नाराजी,लरकन में छबीली की प्रतिक्रिया कौ बरनन करो।
दूसरी खेप मेंतीन दोहा ज्यों के
त्यों दो नये डारे।जिनमें छबीली नार प्राप्ति,अंतिम दोहा सबके प्यार करबे कौ हैजो शिक्षा देत कै
प्यार में गद्दारी न होय,और दिल साफ रय।तीसरी खेप मे एक दोहा मेंतन मन गुण कर्म सेंपरिवार को छवीली द्वारा स्वर्ग बनाबे कौ बरनन है।चौथी खेप में छबीँली की और ब्याख्या करी।आपकी भाषासरँ कोमल है।आपकौ अभिनंदन।
#4#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो.......
आपके 5 दोहन में सती कौ मैना हिमाँचल कें जनम कौ बरनन,दूसरे में सिय बरमाल कौ,तीसरे में मय द्वारा मंदोदरी रावण को सोंपना,चौथे में सूर्पनखा की लखन द्वारा नाक काटना,अंतिम में रावण का कयी नारियों के बरण की चर्चा करी गयी।आपकी भाषा लालित्य पूर्ण सुन्दर भाव गहरे शिल्प शानदार है।श्री तिवारी जू खों दंडवत।
#5#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुल जी टीकमगढ़......
आपने 6 दोहे पटल पै डारे,जिनमेंछबीली द्वारा नींद छलना,सोरा सिंगार करें गुजरिया कौ बरनन,तीसरे सें अंतिम दोहे तक छबीली कौ बिबिध बरनन करो।भाषा लालित्य बोधगम्य सरल,भाव खुले,सिंगार शिल्प सुन्दर है।आपको सादर नमन।
#6#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी टीकमगढ़ हाल इन्दौर......
आपके 5 दोहन में जानकी का राम नेह सीता जी का प्रेंम बरनन,सीता छबीली के नयन नत होंना,छबीली लता में फूल खिलना,पुनः नयनन के मेल मिलाप कौ,राम सिया बरनन कौ पंचनद,रस प्र्वाह करो।आपकी भाषा भाव शिल्प सरल सटीक सुन्दर,प्रवाहमयी तथा शिल्प सुन्दरता उत्तम हैं।आपखों सादर प्रणाम।
#7#श्री सरस कुमार दोह.....
आपने मात्र 2 दोहे पटल पै भेंट करे।जिनमें छबीली खों चंदा की उपमा दयी गयी।छबीली सें प्यार कौ इजहार करो गव।भाषा भा् सरल सटीक हैं।शिल्प सुन्दर है।
भैया कौ सादर अभिनंदन।
#8#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा.......
आपके 5 दोहन में राधा को कृष्ण का छलना,छबीली के दरशन सें मन प्रशन्न होंना,पुष्प बाटिका प्रसंग बरनन,गौरा की शिव भक्ति,माखन लीला ,गुजरिया का प्रसन्न होंना,माँ यशोदा सें छबीली ने मटकी माखन की शिकायत करी।भाषा सुन्दर चिकनी,सरल है,शिल्प सराहनीय हैं।आपखों बेर बेर नमन।
#9#श्री राम गोपाल रैकवार जी टीकमगढ़........
आपने पटल खों 3 दोहे भेंट करे,जिनमें छबीली की चाहत,उसके गचणों से परिवार का सुखी होंना,करतार द्वारा छबीली की पैल सें ब्यबस्थाऔर सोरा सिंगार कौ बरनन करो गव।तीसरे दोहा मेंछैलों का छबीली को देखकर किलपने कौ बरनन करो गयो।आपकी भाषा सुन्दर लचकदार, भाव गैरै,उत्तम,शिल्प कला अद्भुत है।आपखों बेर बेर नमन।
#10#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा......
आपके 5 दोहन में छबीली द्वारा छैल कौ इन्तजार, मेंहदी माहुर हल्दी से छबीली की बिदायी पिया के साथ होंना,छबीली का उपमाओं से सिंगार बरनन,छबीली का प्रेम रंग से खुश होनें का बरनन करो।आपकी भाषा सुन्दर सरल प्रवाहमयी,भा्व अद्भुत शिल्प सुन्दर बिखेरे गये।आपकौ बेर बेर बन्दन।
#11#श्री कुँवर राजेंद्र यादव जी कनेरा बड़ा मलहरा.......
आपने एक दोहा पटल पै डारो,जिसमें छबीली कौ अचरज भरो सिंगार, बरनन करकें गागर में सागर भरो।आपकी भाषा भाव शिल्प सराहनीय हैं।आपको सादर नमन।
#12#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त,
इन्दु जी बड़ागांव झाँसी......
आपने 2 दोहे पटल पै भेंट करे,जिनमें गोपियन के रूप की उपमा चंद्रमा से करी।छबीली की छवि सें श्याम की बेहाली, ग्वालों की टोली का झरोखे सें अवलोकन,कौ बरनन करो गयो।
आपकी भाषा सचन्दर सुहावनी मधुर है।भाव स्पष्ट सरल हैं,शिल्पकला अनूठी है।आपका बंदन अभिनंदन।
#13#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.......
आपके 5 दोहन में पुष्प वाटिका मेंसीता जी का बिहार बरनन,रासलीला बरनन,कान्हा का मथुरा जाना,छबीली गोपियों का बिरह,नौ दुर्गा में छबीलियों द्वारामाता ढारबे कौ बरनन,शरद में छबीली सखियों के कार्तिक गीतन कौ बरनन करो।भाषा चमत्कार देखवे जोग,शिल्प कला अद्भुत, भाव सागर से गहरे हैं।
आपखों बेर बेर धन्यवाद सहित बधाई।
#14#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़....
आपके 5 दोहन में छबीली का हुलसित होंना,छमकते हुये छैल से
मिलन,छबीली की मन बैचैनी,छैल कौ छबीली द्वारा अवलोकन, और जेवर पैरने उतारने कौ बरनन,छबीली के अवलोकन पर नैनों की चंचलता,छबीली का सखियों के साथ निधिवन बिहार कौ बरनन करो।आपकी रणनाओं में ब।त्यानुप्रास की भृमाऋ पायी जाती है।उपमायें सुन्दर भाषा प्रवाह बेजोड़,शिल्प की जादूगरी आपकी बिशेषता है।आपका वंदन अभिनंदन।
#15#श्री राम गोपाल रैकवार टीकमगढ़..... आपने एक दोहा पुनः डारो जिसमें आपने छबीली मौत कौ बरनन करकेंबैरी खों साजे करमन सें दुखी होबे की बात रखी है।
#16#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपकेपटल पै आये 3 दोहन में राधा छबीली कृष्ण के सार सबकौ मन मोहतीं हैं।छबीली की छम छम से सब चसकी तरफ देखत हैं।छैल छबीली की छटा बिजली गिराती है।आपकी भाषा मन मोहक,भाव अनौखे शिल्प अनुकरण जोग हैं।बहिन का सादर बंदन।
#17#श्री प्रदीप खरे जी मंजुल टीकमगढ़.... आप छैल छबीली की छटा को घटा मानकर जंग लड़ने की बात कर रय।
#18#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़......
आपके एक मा. दोहा में छैल छोरियों की छल छंदन की बात कर#20#श्री लखन सोनी जी छतरपुर......
आपकज एक मात्र दोहा मेंछैल छबीली का नाम मुनियाँ रखा है।जो गाँव की गोरी घास बेचती है।भाषा भाव शिल्प सुन्दर हैं।आपको नमन। रय।भाषा सरस भाव सुन्दर,शिल्प श्रेष्ठ हैं।आपको नमन।
#19#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबयी हाल दिल्ली........
आपने अपने 2 दोहन में रात को छैल छबीली बताया है।भोऋ को भी छबीली कै रूप में प्रस्तुत करो। दोनों दोहों की भाव प्रधानता, उच्च,शिल्प दर्शनीय, भाषा प्रखर है।आपका लेखन अनुकरण योग्य है।आपको सादर अभिवादन।
#20#श्री लखन सोनी जी छतरपुर......
आपकज एक मात्र दोहा मेंछैल छबीली का नाम मुनियाँ रखा है।जो गाँव की गोरी घास बेचती है।भाषा भाव शिल्प सुन्दर हैं।आपको नमन।
उपसंहार.....
अब आठ से ऊपर बज चुके हैं,सो समीक्षा खों इतयी बिराम करा रय।अगृ धोखे से काऊ की रचना अंजानें में छूट गयी होय तौ मुझे अपनौ जानत भय माफ करें।
आपकौ अपनौ समीक्षक......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो. 6260886596
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209-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)
209-आज की समीक्षा**
*दिनांक -1-6-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
*बिषय-हिंदी दोहा लेखन बिषय - "तंबाकू"*
आज पटल पर हिंदी में *तंबाकू* केन्द्रित दोहे पोस्ट करने थे सभी साथियों ने शानदार दोहे लिखे हैं तंबाकू के लाभ बताये तो उसकी हानियां भी बताई। बैसे कहा जाता है कि थोड़ी मात्रा के उपयोग किया जाये तो लाभदायक होती है किन्तु यदि इसकी लत लग जाये तो बहुत खराब होती है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है । शोध में पता चला है कि इसके लगभग 18 विषेले तत्व पाये जाते है। जो हमारे शरीर को हानि पहुंचाते है। हम तो यही कहेंगे कि इस घातक नशे से दूर ही रहिए।
आज सबसे पहले पटल पर *1* *श्री अशोक पटसारिया जी नादान लिधौरा* से भी यही कह रहे हैं कि इससे लाखों लोग हर साल मरते है। फिर भी आदमी नहीं मानते। अच्छे दोहे रचे है बधाई।
जातीं हैं प्रतिवर्ष ही,जाने कितनी जॉन।
तम्बाकू सेवन हुआ, युवा वर्ग की शान।।
तम्बाकू से रंग गई,दफ्तर की दीवाल।
कोई इनको रोक दे, किसकी यहां मजाल।।
*2* *श्री जयहिन्द सिंह जी जयहिन्द,पलेरा* ने चेतावनी देते शानदार दोहे लिखे है बधाई दाऊ।
तंबाकू मुख मंजनी,दुख भंजन कहलाय।
जान जान अंजान हों,फिर भी भारी भाय।।
तंबाकू बिष भरा है,लेती है यह जान।
फिर भी इसकी तौल से,तुलता है इंसान।।
*3* *श्री परम लाल जी तिवारी,खजुराहो* से तंबाकू के दोष गिना रहे है बढ़िया दोहे है। बधाई हो।
तंबाकू इक जहर है,करो न इसे प्रयोग।
धवल दंत काले पड़े,उपजे उनमें रोग।।
जो चाहो हरि भजन को,छोड़ो यह तत्काल।
इसमें दोष अनेक हैं,देखो ग्रंथ निकाल।।
*4* *श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा* से लिखते है कि अंग्रेजों ने यह नशा भारत में फैलाया है अच्छे दोहे है बधाई भाऊ।
अग्रेंजन ने आन के,नशा रोग प्रचार।
बलसाली भारत मिटे, जावे हमसे हार।।
रोग कैंसर होत है,करे तम्बाकू पान।
कष्ट अनेकन होत है, जावे बिरथा जान।।
*5* *श्री सरस कुमार जी दोह खरगापुर से किसी भी प्रकार का नशा नहीं करने के लिए कह रहे हैं। वे कहते हैं कि यह जीवन थोड़ा सा है इसलिए नशे से बचकर रहे। उमदा दोहे है बधाई।
सेहत की चिन्ता करो, तंबाकू ना खाय।
जो ना माने बात खो, उनखा जम ले जाय।।
जीवन थोरो सो बचो, करो न जीवन हान ।
गुटखा, तमाखू, मदिरा, ले लेती है प्रान ।।
*6* *श्री राजेन्द्र जी यादव "कुँवर",कनेरा बडा मलहरा* कहते है कि तंबाकू एक ज़हर है। यह सब बर्बाद कर देती है अच्छा लिखा है बधाई।
जहर, तंबाकू खाव न, मानो प्रीतम बात।
तन धन की हानी करे, औ ठठरी ले जात।।
जीने बँद कें खा लये, गुटका सिगरट ऐन।
मुँह की रंग रोचक गइ, भये अबा से नैन।।
*7* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* तंबाकू के गुण बता रहे है थोड़ी सी उपयोग करने में कुछ लाभ भी होता है।
तंबाकू इक है नशा,लत खराब कहलाय।
नाश करे ये फेफड़ा,खास-खास मर जाय।।
तंबाकू है इक दवा,गर थोड़ी सी खाय।
गैस,अपच होती नहीं,दांत दर्द मिट जाय।।
*8* *श्री प्रदीप खरे, मंजुल टीकमगढ़* ने तो तंबाकू खाने के इतने लाभ बता दिये कि यह अनेक रोग की दवाई हो गयी है। बढ़िया दोहे है। लेकिन हमें लत नहीं लगाना चाहिए।
कान दर्द होये कहूं, सुनियौ ध्यान लगाय।
तम्बाकू रस डारियौ,तुरत दर्द भग जाय।।
दांतन कीड़ा नहिं परै,जो तंबाकू खाय।
चिलम लगा कै सूटियौ,तुरत गैस भग जाय।।
*9* श्री एस आर सरल जी टीकमगढ़ से लिखते है कि तंबाकू एक धीमा ज़हर है। उमदा दोहे लिखे है बधाई।
तंबाकू धीमा जहर,करता तन पर बार।
अन्दर से कर खोखला,देत जान से मार।।
तम्बाकू बहु घातकी,इससे करो न हेत।
धन की बरबादी करें,रहियों सरल सचेत।।
*10* *श्री अभिनन्दन जी गोइल, इंदौर* से लिखते है कि तंबाकू एक मीठा और धीमा ज़हर है इससे बहुत से रोग होते है बहुत बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
निकोटीन परिपूर्ण है, तम्बाकू का रूप।
ये तो मीठा जहर है,सचमुच मृत्यु स्वरूप।।
तम्बाकू धीमा जहर, व्यर्थ नहीं बदनाम।
धीरे धीरे मौत का , देती है पैगाम।।
*11* श्री शोभाराम जी दाँगी, नदनवारा से लिखते है कि तंबाकू नस नस में चढ़ जात है। इससे धन और जन दोनों की हानि होती है। बढ़िया चेतावनी दी है। बधाई।
खाय तंबाकू कोइ जो ,नस -नस तक चढ जाय।
मुँह में छाला बना दिया, कैंसर रोग में जाय ।।
बीस - तीस - चालीस की, खाय तंबाखू रोज ।
कितना धन बर्बाद हुआ, लगा लेव धन योग ।।
*12* श्री संजय श्रीवास्तव, मवई दिल्ली से तंबाकू से फायदा कम और नुकसान अधिक होता है। धुआं में उड़ जाती है ज़िन्दगी। बढ़िया दोहे रचे है। बधाई संजय जी।
तंबाकू के लाभ कम,होत अधिक नुकसान।
सेहत भी घट जात है।,घटत मान-सम्मान।।
तंबाकू की लत बुरी, जिसको भी लग जाय।
धीमें-धीमें घुन लगे,घुनत-घुनत घुन जाय।।
*13* *श्री कल्याणदास जी पोषक पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)* तंबाकू खिकर लोग दीवाले गंदी कर देते है और गंदगी फैलाते है यह ठीक नहीं है। अच्छे दोहे है बधाई।
मुख में तम्बाकू भरें , शौंक नहीं यह ठीक ।
दीवारें गन्दी करें , बुलकें ऐसी पीक ।।
तम्बाकू की लत बुरी , जिसको भी लग जाय ।
तलफ लगत है जब उसे , कुछ भी नहीं सुहाय ।।
*14* श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ से कहते हैं कि अभी भी चेत जाओ वर्ना बाद में बहुत पछताना पड़ेगा। चेतावनी देते बढ़िया दोहे है बधाई।
तंबाकू से पनपते ,दमा यक्ष्मा रोग।
जान बूझकर भी इसे,सेवन करते लोग।।
अभी समय है चेत लो, तंबाकू दो छोड़।
जीवन भर पछताओगे, आयेगा वह मोड़।।
*15* *श्री डीपी शुक्ला ,सरस,, टीकमगढ़* से कहते हैं कि तंबाकू खाने वाले यहां वहां थूककर दीवाले खराब कर देते हैं। यह खराब आदत है। अच्छे दोहे है बधाई।
तंबाकू दुर्गुणइँ करै,होतै कैंसर रोग ।।
विरथा प्रानै जात है,न समझौ उयै भोग ।।
मंदिर घर में बैठ कें,पिचकारी सी देत।।
भदरंगी बा भीट करें ,लालइ करत सफेत ।।
*16* *डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा से लिखते हैं कि तंबाकू खाने से मौत करीब आती है। चेतावनी देते शानदार दोहे है बधाई।
तम्बाखू मुँह में रखें, आती मौत करीब।
अपने पीछे छूटते, बनते लोग गरीब।
जीवन ये अनमोल है, नशा बिगाड़े बात।
तन मन को जर्जर करे, घर मे दुख बरसात।।
*17* श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां से कहते हैं कि तंबाकू खाने वाला किसी से भी मांग कर खा लेता है उसे शर्म नहीं आती है। अच्छे दोहे है। बधाई।
तम्बाकू आदत बुरी,मानुष अंग नसाय।
दांत मसूड़े मिटें सब,कोइ न पास बिठाया
खायें राखत ढिंग नहीं,औरन हाथ पसार।
लज्जा गिरवीं वे रखें,छोडि तमाखू सार।।
*18* श्री राजगोस्वामी दतिया से तंबाकू के गुण बता रहे हैं कि इसका स्वाद मजेदार होता है। अच्छा लिखा है बधाई।
1-तंबाकू घिस हाथ पै मौ मे फक्की देय ।
जीभ मस्त हो जात है स्वाद मजे कौ लेय ।।
2-शौक तबाकू कौ जिने देखत मौ मिठयात ।
खातन देखत काहु खो संग बइ के हो जात ।।
*19* श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश,कर्वी चित्रकूट से लिखते है जो घर नशे से दूर रहता है वह स्वर्ग समान होता है उमदा दोहे है। बधाई।
तंबाकू गुटका सुरा , व्यसनी दुर्गुण खान ।
जो घर सात्विकता भरा ,वह घर स्वर्ग समान ।१।
सिगरेट तंबाकू तजो, जो चाहो कल्यान।
खांसी से टीवी हुई ,आफत में अब जान ।२।
20-रामगोपाल जी रैकवार, टीकमगढ़ ने तंबाकू के प्रत्येक अक्षर की ब्याख्या करके बेहतरीन दोहे लिखे है। बधाई
तम्बाकू से मर रहे,रोज सैकड़ों लोग।
फिर भी इसका हो रहा,खुलेआम उपयोग।।
'त' से तामसी भाव है,
'म' है मृत्यु सामान।
'बा' बाधक है स्वास्थ्य में
'कू' कूड़ा सम जान।।
इस प्रकार से आज 20 दोहाकारों ने नवसृजन किया है। हमारे नये साथियों ने भी गजब का लिखा है बहुत आनंद के साथ लिखे है। अच्छा लगा।सभी ने बहुत बढ़िया दोहे रचे है। दोहों में सुंदर भाव है। सभी को बहुत बहुत बधाई, आभार। धन्यवाद।
समीक्षक-
✍️-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)
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210- श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-3-6-2021
---- श्री गणेशाय नमः ---
---- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 3.6.2021 दिन गुरुवार
' जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर ' प्रस्तुत हिन्दी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :----
सर्वप्रथम सभी काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए बहुत खुशी व्यक्त कर रहा हूं कि सभी मनीषियों ने बेहतरीन रचनाओं का सृजन किया है ।
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने आज पटल पर बेहतरीन अभिव्यक्ति के द्वारा देश में फैली विसंगतियों पर अपने कवि हृदय से पीड़ा को व्यक्त किया है :---
" किसको हाल सुनाऊं मैं , किसको हाल सुनाऊं मैं "
श्री अभिनंदन गोयल जी ने गजल के माध्यम से हृदय की वेदना को बेहतरीन ढंग से व्यक्त करने का उत्कृष्ट प्रयास किया है :---
" दिल की बेचैनियां कहूं किससे "
श्री डी पी शुक्ला सरस जी ने कलमगार शीर्षक से बेहतरीन रचना लिखी है :---
" कलम सोए हुए जज्बातों को जाकर उन्हें जगाती है "
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने ' यहां सब मेहमान होंगे' शीर्षक से बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है :---
" किये काम रह कर जो दुनिया में अच्छे , वही तो तुम्हारी ही पहचान होंगे "
दाऊ साहब श्री जयहिन्द सिंह जी ने तिरंगे की महिमा शीर्षक से बाल गीत रचा जिसमे राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत भावों को भरा है :---
" अपने देश का प्यारा झंडा फहर फहर फहराता "
" कृषक अन्न को उपजाते हैं , रोटी के लिए " यह रचना लिखने का प्रयास " पोषक" ने किया ।
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने मन की पीड़ा कहने से दिल को राहत मिलती है ऐसे भावों को लेकर बेहतरीन रचना रची :---
" मन में छाई हुई निराशा , पीड़ा को कुछ कहने दो "
श्री परम लाल तिवारी जी ने बहुत ही उत्कृष्ट गजल लिखी है :---
" पल पल में यहां हालात बदल जाते हैं "
श्री शोभाराम दांगी जी ने अछरू माता चालीसा लिखकर भक्ति रस में डुबोया है :---
" लिखूं चालीसा अछरू माँ , देव मुझे तुम गयान "
जनाब अनवर साहिल जी ने बेहतरीन गजल लिखी है :---
" रंज में थे सिंगार क्या करते "
श्री हरिराम तिवारी जी ने पीडा़ शीर्षक से बेहतरीन कविता रची है :---
" किस से मन की बात कहूं मैं ,किस से अब फरियाद करूं मैं "
श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने अपने जानी दुश्मनों को पहचानने का प्रयास किया है :---
" तबाह करने में कोई ना कोई अपना जरूर होता है "
श्री रविंद्र यादव जी ने बेहतरीन मुक्तक प्रस्तुत किया है :---
" जिंदगी की जिम्मेदारी एक तरफ "
श्री किशन तिवारी जी ने बेहतरीन भाव प्रधान गजल लिखी है :---
" सच्ची बातें सच्ची हैं , सच पर लेकिन छाया झूठ"
डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने पर्यावरण पर बेहतरीन गीत रचा है :---
" रत्न प्रसवनी वसुधा माता कोटि कोटि मैं नमन करूँ "
श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी ने नायिका की बेवफाई का चित्रण करते हुए बेहतरीन ग़ज़ल रची है :---
" पग पग पर ठुकराया जिसने ,पागल दिल उस पर आया है "
श्री एस आर सरल जी ने सामाजिक विसंगतियों को उकेरने का बेहतरीन प्रयास किया है :---
" शोषक लोग मानवता पथ पर कांटे बोते रहेंगे "
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी ने समझें बात बनी शीर्षक बेहतरीन रचना रची है :---
" राष्ट्रप्रेम हित सर अर्पण हो समझें बात बनी "
इस तरह से आज पटल पर सभी कब मनीषियों ने बेहतरीन लेखन किया है। सभी को बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत साधुवाद । इसी तरह से हिंदी साहित्य का भंडार भरते रहें । इन्हीं कामनाओं के साथ सभी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए मैं अपने समीक्षा कार्य को विराम देता हूं , त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ।
-- कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर जिला निवाडी
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211-
*211वीं -आज की समीक्षा* *समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 07-6-2021
*बिषय- *पथरा (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *पथरा* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज भौत जनन ने दोहा रचे उर भौतई नोने दोहा रचे गये, पढ़ कै मन खुश हो गव।सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज हमारे दाऊ जयहिंंद सिंह जी मोटरसाइकिल पै से गिर परे हाथ में चोट लगी है। ईश्वर का शुक्र है कि अधिक चोट नहीं लगी हे। उनका मोबाइल आया था इसलिए लिए आज की चलताऊ समीक्षा हम लिख रय है।
आज तो हम मिल्ला बन गये सबसें पैला हमई ने तीन दोहा पटल दोहा पै फटकार दये- आज जनी मांस पथरा के हो गये कछु दया ममता नइ रई-
*1* राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ से लिखत है-
पथरा से वे हो गये,नइ पिघले वे जात।
जितनइ प्यार दऔ उनै,उतनइ वे गर्रात।।
जनी मांस तो हो गये,पथरा के हैं आज।
कौनउ कौ अब भय नहीं,कर रय निर्भय राज।।
*2* *श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा* से कै रय कै- हम तौ डांग के पथरा हते हमें गुरु ने आदमी बनाओं सासी है गुरु की कृपा से ही चेला बडों बन जात है। नोने दोहे रचे बधाई।
हम पथरा ते डांग के,गुरु ने हमें बनाव।
संगत सें दिल में भरे,जीव दया के भाव।।
भवन भले उम्दा बनो,सबरे सुख सें सोत।
नीं के पथरा नइ दिखत,बजन उनइ पै होत।।
*3* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* से लिख रय कै- पथरा में भगवान राम को नाम लिख देवे से वे डूबत नइया,आपने दोहन में बन्न बन्न के पथरा बताये है भौत नोने दोहा रचत है दाऊ बधाई पौचैं जू।
पथरा पगडंडी परे,पग पग परत पिटाइ।
शालिगराम शिला सबयी,सिंहासन सजवाइ।।
पथरा पथरा राम लिख,सागर पुल उतराय।
राम रेत रामेश्वरम्,शिव पूजन करवाय।।
*4* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा* लिखत है कै पथरा भौत खतरनाक होत है खेत में पर जाय तो कछु नइ होत। नोनौ लिखों। बधाई।
पथरा खतरा जानिवो,जा जैसें पर जाय।
खेत परे मिट जात है,मारे से जी जाय।।
दया धर्म न जानबै,पथरा बने शरीर।
ई दुनिया में देख लो,कैऊ है बे पीर।।
*5* *श्री प्रदीप खरे, मंजुल जू टीकमगढ़* से वियोग श्रृंगार में भौत अच्छै दोहा लिखत है- बधाई।
पथ को पथरा पांव में, लगत होय मन पीर।
पथरानी अंखियां पिय,तुम बिन धरत न धीर।।
पथरा कें पथरा भये,बिन सैयां के नैन।
हिय पै पथरा सौ धरें, नहीं जिया में चैन।
*6* *श्री संजय जी श्रीवास्तव,मवई (टीकमगढ़)* दिल्ली ने कन्यादान कौ भौत मार्मिक दृश्य दोहा में खैंचों है। भौत नोने दोहा रचे है। बधाई।
जी पे पथरा बाँद कें, कर दओ कन्यादान।
मोड़ी के सँग विदा भइ, घर की शोभा, शान।।
पथराई अँखियन बसी, परदेसी की प्रीत।
पल-पल,युग-युग सो लगे,पास नहीं मनमीत।।
*7* *श्री परम लाल जू तिवारी,खजुराहो* ने अपने दोहा में हास्य रस प्रयोग करते भये कुत्तन खौ खदेरवे को नोनो उपाय बताऔ है। पतरा हीरा बनकर अंगूठी में जड़ जात है। सुंदर दोहे है। बधाई महाराज।
कुत्ता भोंके गैल में,पथरा लेव उठाय।
देखत पथरा हाथ में,तुरत दूर भग जाय।।
चमकीला पथरा इतै,हीरा लौ बन जात।
वह अमूल हो जात है,जड़ो अँगूठी रात।।
*8* *श्री शोभाराम जी दाँगी नंदनवारा* से लिखरय है- कै कजन की दार श्रृद्धा हो तो पतरा में भगवान दिखत है। श्रृपा से मनुष्य भी पतरा बन जात है । नोने दोहे लिखे बधाई।
पथरा में भगवान बसैं, सिददा जीखों होय ।
सिददा सैवो भीलनी ,राम की भकतन होय ।।
सिरापत गौतम नारी ये ,भई "पथरा "में लीन ।
राम जूं के चरन छुवतइं, सजी नार बनदीन ।।
*9* *श्री डी.पी. शुक्ला'सरस' जी टीकमगढ़* से कय है कै यदि पथरा बनने तो रामेश्वरम और मंदिर के बनना चाइए ताकि सदा पूजे जाऔ। उमदा दोहे। बधाई।
वे पथरा देखन चले,रामेश्वरम स्थान ।
नल नील चले बना पुल, वानर जूथ महान ।।
पथरा बनें मंदिर जहां,कारीगर अनुसार ।।
ना फूटियौ मद में तनक, मूरत बनवौ सार।।
*10* *श्री कल्याण दास जी साहू "पोषक"पृथ्वीपुर* से लिख रय कै- भगवान श्री राम की कृपा से पतरा भी तर जात है भौत नोने धार्मिक दोहे रचे। बधाई पोषक जी।
प्रभु-पग पथरा पै छुबे , चमत्कार सें युक्त ।
गौतम ऋषि की भार्या , भयी शाप सें मुक्त ।।
राम-नाम महिमा अजब , चमत्कार दिखलात ।
मानुष की तो बात काॅ , पथरा भी तिर जात ।।
*11* *श्री एस आर जी सरल,टीकमगढ़* ने अनुप्रास अलंकार का भौत नौनो परयोग दोहन में करो है शानदार दोहे रचे है। बधाई सरल जी्
पग पग पै पथरा परे,पाँव पाँव पै घाव।
परख परख पथरा पुजै,पनै पनै हैं भाव।।
पथरा परखै पारखी,पड़ पड़ पूरै मंत।
पल पल पथरा पूजकै,सिद्धा रखें अनंत।।
*12* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र*.से लिखत है-मूर्ति को तराश कर उसमें प्राण फूंक देता है मूर्तिकार। अच्छे दोहे है। बधाई।
कलाकार कारीगरी, कर- कृति का निर्मान।
पाथर की मूरत लगे, जैसे हो भगवान।।
पाथर- पाथर पर लिखा, उसने जयश्रीराम।
सागर पर वह तैरते, पुल बनकर अभिराम।।
*13-* *श्री रामगोपाल जी रैकवार, टीकमगढ़* के क्या कहने बेहतरीन दोहे रचते है- वे कत है कै मील के पथरा बनो ताकि पथिक खों मंजिल को पतो परत रय। उत्कृष्ट दोहे रचे है बधाई।
पथरा है जो मील का,ठाँड़ो एकइ धाम।
मंजिल की देता खबर,भौत बड़ौ जौ काम।।
पथरा थे जो नींव के,उनखों दऔ भुलाय।
सज-धज कें ऊपर चढ़ो,कलस रऔ इतराय।।
14* श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* लिखत है कै नदियां के पतरा सालिगराम बन जात है और पूजे जात है। उमदा दोहे है बधाई।
पथरा नदी धसान के,बट्टूं बने दिखांयं।
दरबटना बनबें कछू, सालिगराम सुहांयं।।
कछु तौ पथरा गैल के,सब की ठोकर खात।
कछु मूरत के रूप में, घर घर पूजे जात।।
*15* *डॉ रेणु जी श्रीवास्तव भोपाल* से लिखतीं है कै पतरा में भौत ताकत होत है नीलम,हीरा आदि पथरा भाग बदल देत है। उमदा दोहे रचे है बधाई डॉ रेणु जी।
नक्काशी खजुराव की, पथरा भये सजीव।
ऐसे शिल्पी होत हैं,पथरन में दै जीव।।
पथरन में गुन भोत हैं, भाग बदल जे देत।
नीलम औ पुखराज जे, पन्ना हीर समेत।।
*16* *श्री राजगोस्वामी जू दतिया* से कत है के आस्था में इतनी दम है के पतरा के पूजवे से हरि मिल जात है। आचछे दोहे है। बधाई।
पथरा पटके पाव पै दूजिन को दे दोष ।
को समझाबै जाय के ऊ खो नइया होश ।।
पथरा पूजत हरि मिलत हरि मिलतन कल्यान ।
कह गए अपने व्यास जू रच गए वेद पुरान ।।
*17* *श्री लखनलाल जी सोनी छतरपुर* से लिखत है के सीना पै पथरा धरके लोग झूंटी कसम तक खा जात है। अच्छा लिखा है बधाई।
सीना पै "पथरा" धरो, तनकउ नही डरात ।
पाप कमाई करत में, झूंटी कसमें खात ।।
*18* *श्री अभिनन्दन गोइल जू इंदौर* से लिखत है कै- अक्कल पै पथरा परे तो मानव अभिमानी हो जात है सही है। नौनो लिखो है बधाई।
अक्कल पै पथरा परे, गयौ अखारथ ज्ञान।
जानों बूजों कछु नहीं,तोउ करों अभिमान।।
पथरा दिल की का कबें,का जानें वौ पीर।
भये भोंतरे छूट कें, कामदेव के तीर।।
*19* -श्री रामानन्द जी पाठक नंद नैगुवां* लिखत है कै मेनत करके आदमी पथरा पे भी कर खात है पै आलसी कछु नई कर पात है। बढ़िया दोहे है बधाई नंद जीऋ
मेंनत करि करतूतरौ,पथरा पै कर खात।
विन करें सब चाउत हैं, है अजगर की जात।।
इक पत्थर गडवांस कौ,सबकी ठोलें खात।
बइ पथरा मूरत बनें,जग के सबइ पुजात ।।
*20* *डॉ. सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा- से लिखत है कै- ककरा पथरा जोर के झूठी शान के लिए हवेली तान लेत है। अच्छा लिखा है। बधाई।
पथरा सो हिरदय भओ,उनसे लड़ गए नैन।
आंखों में अंसुआ नहीं,लुट गओ जो सुख चैन।
ककरा पथरा जोर के,लइ हवेली तान।
हंसा फुर फुर उड़ गओ,रह गई झूठी शान।
*21* श्री वीरेन्द्र जी चंसौरिया टीकमगढ़ से कत है कै- जीके दिल में पथरा होत है वो दया, धरम कछु नई जानत है। नोनौ लिखो है। बधाई।
पथरा पै श्रद्धा जगी,पथरा भव भगवान।
सुबह शाम पूजा करत, करकें हम इसनान।।
दया धरम जानें नहीं,पथरा दिल इनसान।
फिर भी कैरय रोजउ,करौ मोव सम्मान।।
22- श्री रामलाल जी द्विवेदी प्राणेश ,कर्वी चित्रकूट जी ने बढ़िया दोहे रचे है परदेशी पिय की बाट जोहते हुए आंख पथरा गयी है।
हिय मंदिर में भाव हैं, तो पथरा में ईश।
भाव बिना ढूंढत फिरत, दीखें ना जगदीश।
परदेसी पिय जोहते ,पथ पथराए नैन ।
गुमसुम जीवन जी रई,टोकत मुश्किल बैन।
ई तरां सें आज पटल पै 22 कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से पतरा से दोहा पटल पै पटके, पै जै दोहा तराशे भय पथरा हते जो हमाय दिल के मंदिर में बस गये है। पढ़ के भौत आनंद आ गऔ। निश्चित ही आज कछू दोहे कालजयी रचे गये है। बुंदेली दोहे के इतिहास में ये दोहे अपना स्थान जरुर बना लेंगे ऐसा मुझे विस्वास है। सभइ दोहाकारों को बधाई।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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212-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल', हिंदी-'चंदन'-8-6-2021
*212वीं -आज की समीक्षा* *समीक्षक - प्रदीप खरे,मंजुल'*
*दिन- मंगलवार* *दिनांक 08-6-2021
*बिषय- *चंदन (हिंदी दोहा लेखन)*
आज पटल पै *हिंदी* बिषय-"चंदन" पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज बिलात जनन ने अपने दोहा रचे, और सबयी दोहा भौतई नोने रचे गये, पढ़ कै मन खुश हो गव।सो जितैक जनन नें लिखौ उन सबई जनन खों दिल सें हम बधाई देत। चंदन जैसौ नौनौ नाऔ हतो, ऊसयी नौने दोहा रचे। सबकै दोहा मन भावन लगे। हमाई सबखों बधाई। आज एक बार फिर समीक्षा करबे की बारी मोरी आ गई, सो गल्तियन की क्षमा मांगत भयै अपनी समीक्षा शुरू करत जू...।
हमारे दाऊ जयहिंंद सिंह जी के जल्दी स्वस्थ होबे की कामना करत।
*1*शोभाराम दांगी* टीकमगढ़ से चंदन की उपयोगिता बताते हैं। लिखत है-
माथे तिलक लगाए जो, दमके माथो ऐन। तन मन दिल शीतल रहे, खुशी रहे दिन रैन।
*2* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा* से चंदन की महानता कछु येसी बता रय, कै रय कै-
सब वृक्ष में समझ लो, चंदन पेड़ महान।
तिलक करौ रगवीर के, अपन लगा गुणगान। बधाई हो भैया जू।
*3* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* से लिख रय कै-
विषधर चंदन विटप कौ,
है विपरीत स्वभाव।
शीतल मंद सुगंध पर,
होय न गरल प्रभाव।।
बहुत बढ़िया भाव ...बधाइयां
*4* *परमलाल तिवारी* खजुराहो लिखत है कै ..
चंदन शीतल करे नित,
लीजे माथ लगाय।
शोभित हो मस्तक सदा,
आनन दुति दमकाय।
विचार स्वागत योग्य हैं। आपका धन्यवाद
*5* *श्री अशोक पटसारिया* लिधौरा सें नौने दोहा लिखे। चंदन की विशेषता कौ नौनौ वर्णन करो, बधाई
मस्तक की शोभा बने,
चढ़े देव पर जाय।
चंदन शीतलता बसे,
महक महक महकाय।
*6* *श्रीमती डां रेणु श्रीवास्तव(भोपाल)* ने चंदन की उपयोगिता और महत्व पै प्रकाश डालो।
शीतलता देता सदा,
चंदन टीका माथ।
जो चंदन घिसते रहें,
वे हैं पावन हाथ।
*7* *श्री संजय श्रीवास्तव* दिल्ली ने अपने दोहा में मीठे रस घोर दये। बढ़िया शब्द प्रयोग करते हुये चंदन सौ मंहका दऔ। सबयी सुंदर दोहे है। बधाई हो।
मधुर सुखद मीठे वचन,
मन चंदन हो जाय।
पुण्य कर्म सद्भावना,
जीवन सफल बनायें।
*8* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, इंदु* बड़ागांव झांसी से लिखरय है- कै
माथे पर चंदन तिलक,
मुंह में मीठे बोल।
मानस को पावन करे,
जीवन में रस घोल ।
नोने दोहे लिखे बधाई।
*9* *श्री एस.आर.'सरल' जी टीकमगढ़* से कयें है कै यदि चंदन सी लेखनी हो जाय, तौ का कनें। तौ भैया हम तौ कत कै आपकी कलम की खुशबू बड़ी बेजोड़ है।
काश सरल की लेखनी,
चंदन सी बन जाय।
मन मलयागिरी सा बने,
सबको लेय लुभाय।
उमदा दोहे। बधाई।
*10* *श्री डीपी शुक्ला* "सरस*टीकमगढ़ से लिख रय कै-
चंदन सी ई देह में,
खटास भरो न आप।
मृदुल वचन मुख से कहो,
मिटत सारे संताप।
बधाई हो सरस जी।
*11* *श्री प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़* ने अपने दोहन में चंदन के महत्व को बताया और कहा कि -
चंदन बिन वंदन नहीं,
देव न पूजा होय।
तिलक लगा जो नित रहे,
कभी न आफत होय।
बधाई हो..।
*12* *श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव, पीयूष*.टीकमगढ़ से लिखत है- चंदन की महक को दोहन में बगरा दऔ। अच्छे दोहे है। अनुप्रास अलंकार ..बढ़िया प्रयोग बधाई।
चितवन चंचल चपल सी,
चंदन चर्चित देह।
मनमोहक मुस्कान सें,
बरसाती रस मेह।
*13-* *श्री प्रदीप गर्ग*पराग जी*
ने बढ़िया दोहा लिखे। शब्दों का चयन खूबसूरती से किया है। क्या कहने बेहतरीन दोहे रचते है- वे कत है कै मील के पथरा बनो ताकि पथिक खों मंजिल को पतो परत रय। उत्कृष्ट दोहे रचे है बधाई।
सज्जनता छोड़ो नहीं,
कितना मिले कुसंग।
गरल न चंदन ले कभी,
लिपटे भले भुजंग।
बधाइयां
14 *श्री हरीराम तिवारी* खरगापुर सें चंदन की महिमा को बढ़िया बखान करत हैं। वे लिखत है कै..
चंदन में गुण बहुत हैं,
चंदन बहुत महान।
चंदन आज प्रतीक है,
भद्र पुरुष पहचान।
उमदा दोहे है ..बधाई
*15* *कल्याण दास साहू,पोषक*पृथवीपुर* से लिखते हैं कै
भारत की पावन धरा,
चंदन सम है धूल।
दिग् दिगंत महका रही,
जन गण मन अनुकूल।।
उमदा दोहे रचे है, बधाई हो पोषक जी।
*16* *श्री अभिनंदन गोयल* टीकमगढ़ से चंदन की उपयोगिता और महत्व पर प्रकाश डालते हुए मां की ममता का दृश्य प्रस्तुत कर कहते हैं कि
चंदन चौक पुरा नहीं,
और न कौनहु काज।
आतुर मिलने राम से,
मां कौशल्या आज ।
दादा जी बधाई।
*17 * श्री राजीव नामदेव* राना लिधौरी टीकमगढ़ से मानवता का संदेश देते हुए लिखते है कि..
चंदन जैसा तुम बंनो,
महके भी किरदार।
सबके मीत बने रहो,
होगी जय जयकार।।
अच्छा लिखा है, बधाई।
*18* *श्री डां सुशील शर्मा* गाड़रवारा से लिखत है कि-
माटी अपने देश की,
चंदन पुष्प पराग।
कण कण में इसके बसे,
वो बलिदानी आग।
देश भक्ति पूर्ण सारगर्भित दोहे के लिए बधाई हो।
*19* *श्री वीरेंद्र चंसौरिया* टीकमगढ़ से लिखत है अपने वतन की मिट्टी ही चंदन है। बेहतर भाव लिए गागर में सागर भरता दोहा कुछ इस तरह से है..
माटी अपने देश की,
चंदन ही कहलात।
तिलक लगाकर वीर सब,
माटी के गुण गात।
बढ़िया दोहे है बधाई सर जी
*20* *रामलाल द्विवेदी, प्राणेश*-कर्वी से लिखत है कै-
माथा को शीतल करे,
औषधि सम गुणवान।
शीतल पेय सुचंदन,
गुण विज्ञान बखान।
। अच्छा लिखा है। बधाई।
*21* *श्री रामगोपाल रैकवार* टीकमगढ़ से कहत है कै-
चं से चंद्रमा सम बनो,
न से नेह सद्भाव।
द से दान की गंध हो,
न से नम्रता भाव।
गागर में सागर भर दऔ..नोनौ लिखो है। बधाई हो
ई तरां सें आज पटल पै 21 कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से पटल पै डारके सबकौ दिल जीत लऔ। चंदन पै लिखे दोहन में चंदन की खुशबू सी आ रई। तराशे भय इन खुशबू दार दोहन की जां तक बढ़बाई करें सो कम है। दोहा पढ़ के भौतई नौनौ लगो। निश्चित ही आज लिखे दोहा कवियन की कीर्ति में चार चांद लगा दें । हिंदी दोहे के इतिहास में ये दोहे अपना स्थान जरुर बनायेंगे, ऐसा मुझे विस्वास है। सभइ दोहाकारों को बहुत-बहुत बधाई। भूले बिसर अगर कौनहु बिसर गऔ होय, तौ अपनौ जान कै क्षमा कर दियौ..शुभ रात्रि
रात सोई बिलात हो गई.. जय राम जी की...
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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प्रकाशक-
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
की प्रस्तुति
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213-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-9-6-21
🌸🌸जय बुंदेली🌸🌸 साहित्य समूह टीकमगढ़
दिनांक/ 09.06 .2021
🌸स्वतंत्र बुंदेली पद्य विधा
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समीक्षक/ डी.पी.
शुक्ला ,,सरस ,,टीकमगढ़
बंदऊँ बुंदेली के सृजन । कविवर सिरमौर ।।
बुंदेली की जला प्रखर ज्योति ।
वन गुन सागर कौ मौर।।
नमन बुंदेली के वरद पुत्र। सुजन करत है रात।। उत्कृष्टता को लिए।
कर बुंदेली की बरसात।।
बुंदेलखंड की धरा पै।
उपजे बुद्धिजीवी बलवान।। जिन कविता है लिख करी।
बुंदेली की धर तान।।
मां वीणा पाँणी को नमन कर मां गौरा गणेश को बंदन अभिनंदन कर कविवरन एवं साहित्यकारन को नमन करता भव उत्कृष्ट पद्य लेखन में पटल को चरितार्थ करने वाले बुंदेली के बुद्धिजीवियों को नमन कर बुंदेली सृजन हेतु सादर वंदन अभिनंदन और धन्यवाद करता हुआ बधाई देता हूं आज पटल पै एक से एक रचना प्रस्तुत करी है लगन और मेहनत से बुंदेली को उत्कृष्ट आयाम देने वाले सृजन कर्ताओं को साधुवाद हार्दिकवंदन अभिनंदन और आभार प्रथम मैं अपनी रचना के माध्यम से पटल पर उपस्थिति दर्ज कराने वारे बुंदेली के वरद पुत्र को नमन करता हुआ श्री गणेश कर रहा हू ।
नंबर 1 .आदरणीय एवं सम्मानीय श्री जय हिंद सिंह,, जय हिंद,, जू देव ने बुंदेली अध्यात्म रचना से शुरुआत कर जीवन के अहम पालो को संजोव है जियै सादर वंदन अभिनंदन के साथ नमन करत हूं दाऊ साहब ने अपनी रचना में मनमोहन को निहारो है जी की मोहिनी सवई के मन को हरती है।
ललक मन में लागी ललक
देखना है ।
झांकी झलकती झलक देखना है।।
शब्दों में रचना को पिरोकर सिंगार की भौतै नोनें शब्द मंचन करके रचना में भाव भरे हैं उत्तम रचना के लाने साधुवाद के पात्र हैं सादर वंदन अभिनंदन।।
नंबर दो -श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जुने पिरामिड कविता बुंदेली बानी शीर्षक से रचना में बुंदेली को भौतै प्यारी बताई है और वानी की सानी है एक नई विधा के साथ पिरामिड को साध्य बनाकर रचना में रंग भरो है बुंदेलन की राजधानी भौतै नौनी रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन बधाई।
नंबर 3 -श्री अभिनंदन कुमार गोयल जुने अपनी बुंदेली रचना डुक्को कौ छौरा नाम से औंदी सूदी बातें करके भूँज रव छाती पै होरा।। ऐसी हास्य परक रचना रचके बुंदेली के भाव भरे हैं वंश चलाने के लाने छोरा को ब्याव तो करने पर है उत्तम रचना के लाने हार्दिक वंदन अभिनंदन धन्यवाद ।।
नंबर 4 -श्री ए .के. पटसरिया ,,नादान ,,जुने अपनी चौकड़िया के माध्यम से बताओ है ।
कै एक दिना जो हँसा उड़ जाने ।
कोऊ माने ना माने।।
माटी को नादान खिलौना माटी में मिल जाने। रे मन मूरख हरि सुमिरन करने जो जीवन सफल बनाने।। नादान जुने अपनी रचना में देहिया को माटी को खिलौना बताओ है माटी में मिल जाना है इससे हरि सुमिरन कर लो चेतावनी भरी बुंदेली चौकड़िया भौतै नोनी ब सीख प्रद हैं श्री पटसारिया जी को बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद बधाई जीवन के सार तत्व को उजागर करो है रचना सारगर्भित है स्नेहल अभिवादन ।।
नंबर 5- श्री पी. डी. श्रीवास्तव जुने अपनी बुंदेली रचना के द्वारा सच बात बताई है ।
कै तपन बड़ी ज्येष्ठ मास में । जे तनआग लगा रय।। खिसयाने खग की किरणें खूबै खरयाट मचारैं ।।
तपन में पानी में आग लगारय।।
भाव भरी दुपरिया का चित्रण करके पानी बरसावे की जुगत लगाई है जी की जरूरत है बहुत भाव भरी रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन बधाई ।।
नंबर 6 -श्री परम लाल तिवारी जी ने अपनी बुंदेली रचना के माध्यम से बताओ है के शंकर जी और भुसुसुंडी ने अपने भेष छुपा कर दर्शनों की आस में अवध में भोलेनाथ के आगमन और भेष छुपाने की रचना बुंदेली में करके अध्यात्म चित्रण करो है जो भावपूर्ण है नोनी रचना हेतु सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई।।
नंबर 7- श्री प्रदीप खरे जुने अपनी बुंदेली रचना टांका छंद के माध्यम से परदेस गय पिया लौटना आए। सावन सबरौ कहत है जाए ।।
छाई गरीबी बिटिया सयानी।
जा महंगाई इऐ मौत ना आई ।
पाई ना पाई दूध मलाई।।
क्षणिकाओं के माध्यम से गरीबी और बिटिया तथा जा महंगाई में भौतै परेशानी हो रै चेतावनी भरी बुंदेली की सीख देकें भौतै नौनी रचना हेतु वंदन अभिनंदन सादर बधाई।
नंबर 8- श्री रामानंद पाठक जी ने चेतावनी शीर्षक
जौ तन एक तबेला जानौ, सांसी करके मानो ।।
दिन और रात जुतत बैला से। हरदम गाड़ी तानौ।।जा देहिया को काम लगो है रानैं।।
जोलो इतै से नैं जाने ।।
भूतैं नौनी चेतावनी के लाने पाठक जी को हार्दिक बधाई सादर वंदन अभिनंदन ।।
नंबर 9 -श्री शोभाराम दांगी सिंगार पद शीर्षक से अपनी रचना में हे घनश्याम तुम्हारी पायल की धुन बांसुरी की धुन सुरीली सुनके कजरारे नैना तिरछी चितवन मोर पंख सिर पर सोहत छवि मोहन की देवता भी नहीं बरनन कर सके और कहां कै हे कान्हां गाना यशोदा और नंद बाबा को ना भूलो उनके पास आते रहना उन्हें धैर्य बँधाओ।अध्यात्म भरी बुंदेली रचना भौतै नौनी सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।।
10-श्री एस.आर .,,सरल,, जुने स्वतंत्र लेखन में रचना में भौतै नौनी व्यंग्य भरे शब्दन को मंचन करकें डीजल और पेट्रोल सरसों के भाव सस्ते की बात करी है तेल मेंहगौ होके पकवानबसारय। बरसात की बताएं गैस सिलेंडर सस्ती होगी जौन को दाम बड़ गव है जो आज को विकास दिखा रओ उत्तम व्यंग में हो रही मनमानी ना मिलो तेल और न पानी।। रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 11 -बहन कविता नेमा जी ने अपनी कविता में घिर आए बदरा कजरारे हवा चल रही है मतवारी आई बदरिया कारी मन की हरियाली देखने के लाने बरसात और सुरीली हवा की चाह में भाव भरे हैं तपन तपै न जौ तन।
ना गत होए हमारी ।।भौतै नौनी चाहत भरी रचना करी है और मतवारी हवा चलरई है जो मन को ठंडक पहुंचाने वाली है भौतै नौनी रचना केलाने बहिन नेमा जी सादर बधाई।ः
नंबर 12 -श्री कुंवर राजेंद्र यादव जी ने अपनी रचना में बताओ है ।
कै लड़का वापै सैं तरयिरव।नाहर सौ नरयारव।।
भौतै नौनी चौकड़ियाके माध्यम से चेतावनी दै है ,बहुत ही नोनी चौकड़िया के माध्यम से चेतावनी दी है यही बात धरन धरन हो रै है अगर अब तक मात-पिता ना चेते तो वृद्धा आश्रम की बाढ़ आ जाएगी बहुत ही सुंदर बारीक सीख प्रद रचना के लाने सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई।
नंबर 13- डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने रावण को राजवैद्य सुसैन की भावना और हनुमत के द्वारा वैद्य को जबरन उठा के ले आव बा जड़ी बूटी मंगवा कर वैेद द्वारा लक्ष्मण जी के प्राणों को उबारो है और सुषेण वैद्य को श्री राम के चरणों में आस्था थी जिसके कारण सुषेण वैद्य को लंका से आना पड़ा अध्यात्म में रघुवर की शरण पाने का अवसर मिला राक्षसों के बीच रहकर भी ऐसे स्थान पर हरिचरण रत रहकर हरि भजन ही जीवन का सार होगा वक्त और मौत का ठिकाना नहीं है चेतावनी भरी रचना रच कर बहन रेनू जी आप बधाई कीपात्र हैं आपको हार्दिक धन्यवाद।
नंबर 14 -श्री कल्याण दास साहू ,,पोषक ,,जुने अपनी बुंदेली रचना में आतन की की खुशी मनात रय और वैसैे जातन की भी खुशी बनी रय।।तौ जीवन सांसो।
एक दूजे की होय मदद। कमी रवै ना दांतन की ।।
दिल दुखै ना काऊ को। लूम सदी रय बातन की।। भौतै नोनी रचना चेतावनी व सीख प्रद रचना शब्द मंचन उत्तम भाव सहित उत्तम रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद।
बधाई ।।
नंबर 15 -श्री हरी राम तिवारी जी ने विषय सेवा शीर्षक से दोहे लेखन की जो बुंदेली के नहीं हैं कृपया विषय अनुसार लेखन के विचार उत्तम रहेंगे और उत्तम दुआओं में माता-पिता की सेवा ईश्वर गुरुदेव की सेवा ईश्वर की सेवा पूजा मानी जाती है स्वामी सेवा से अधिक मिलती है परहित करना सेवा धर्म है भौतै नौनी सीख देकर अध्यात्म की ओर चिंतन हेतु रखी रचना भाव परक और शिक्षाप्रद है रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन बधाई।।
नंबर 16 -श्री राम गोपाल रैकवार कँवर जूने बुंदेली गजल के माध्यम से बताव है कै जीत को डंका सवई को बजत हारे को हाल बुरव होतै सो कंवर जुने रचना में बताओ है के काल जो सिंहासन पर बैठे हते आज भी नदी वे नदी के सूँड़ा जैसे अकेले हो गए मदारी और जमूरा से बने दिखा रहे व्यंग भरी रचना शब्दालंकार की अद्भुत चमत्कार की छटा उपमा और उपमेय में उत्कृष्टता प्रकट कर रही हैभौतै नौनी रचना के लाने बहुत-बहुत बधाई सादर वंदन अभिनंदन ।
नंबर 17 -डी.पी. शुक्ला ,,सरस ,ने अपनी रचना में राजनीति की बात करी है सूखे तला नरवा सी बजरी भरे दिखा रय हारे को कोउ नहीं पूछत तला की कई जैसी लगी उनके मुंह पर दिखा रै । सवई जौ तमाशौ चिमाँके देख रय।
रचना व्यंग भरे बुंदेली शब्द मंचन की है तथा शिक्षाप्रद भी है हारे को कोऊ नहीं पूछत वह घर में आके बैठ जात और धरी कमाई को चींथत रत।।
-द्वारिका प्रसाद शुक्ल 'सरस' टीकमगढ़
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214-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-18-6-21
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 10.6.2021 दिन गुरुवार ' जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ ' के पटल पर प्रस्तुत ' हिन्दी पद्य लेखन ' की संक्षिप्त समीक्षा :----
सर्वप्रथम सभी आदरणीय काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है । सभी कविवर बहुत ही उत्कृष्ट रचनाएं लिख रहे हैं यह पटल के लिए बड़े ही गर्व की बात है ।
आज के काव्य लेखन की शुरुआत श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी बेहतरीन समसामयिक गजल के माध्यम से करते हुए इंसान को नसीहत दे रहे हैं :---
" रखना कदम संभल के वर्ना , ठोकरें ही खायेगा "
श्री डी.पी. शुक्ल सरस जी ने 'यादों के साए' शीर्षक से बहुत उम्दा रचना लिखी है :---
" यादों के उस सफर में बनता है जोडा़ "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी देश में व्याप्त विसंगतियों पर बेहतरीन लेखनी चला रहे हैं :---
" क्या ये है हिंदुस्तान प्रिये "
श्री अभिनंदन गोयल जी ' वसुधैव कुटुंबकम ' शीर्षक से वीर छंद के माध्यम से खुशहाल राष्ट्र की सुंदर परिकल्पना कर रहे हैं :---
" राष्ट्र भावना सर्वोपरि है , विश्व शांति का हो अभियान "
श्री परम लाल तिवारी जी ने रामचरितमानस की महिमा पर बहुत सुंदर लेखनी चलाई है :---
" रामचरितमानस पावन है , सागर सम ज्ञान समाया है "
श्री किशन तिवारी जी देश में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने के लिए बेहतरीन गजल के माध्यम से आवाहन कर रहे हैं :---
" नफरतें तो बहुत हो चुकीं , अब मोहब्बत की बारिश करो "
दाऊ साहब श्री जयहिन्द सिंह जी ने बहुत ही सुंदर प्रेम सद्भाव बढ़ाने वाली गजल लिखी है :---
" तुम्हारी याद में ही अब , सुबह और शाम होते हैं "
श्री सरस कुमार जी ने भी बेहतरीन गजल लिखने का सुंदर प्रयास किया है :---
" मोहब्बत हमें तुमसे जब से हुई है , तभी से मिरी दिल की धड़कन बढी़ है "
श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने पिरामिड कविता लिखकर अपनी काव्य प्रतिभा का बेहतरीन नमूना पेश किया है :---
" जा कारी बैरन बदरिया , मन तरसे क्यों ना बरसे, देख जिया हरषे "
श्री प्रदीप कुमार गर्ग जीने हाइकु विधा पर लेखनी चलाकर पारिजात की महिमा बता रहे हैं :---
" पुष्प और पात अतीव गुणकारी मैं पारिजात "
डॉक्टर सुशील शर्मा जी सरसी छन्द के माध्यम से ' हे केदारनाथ 'शिव स्तुति कर रहे हैं :---
" शिव शंकर भोले भंडारी कृपा करो पशुपतिनाथ "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने बेहतरीन गीत लिखकर देशप्रेम की अलख जगाई है :---
" हमारा भारत देश महान "
परम आदरणीया कविता नेमा जी 'कोरोना काल में शिक्षा' शीर्षक से बेहतरीन रचना लिखकर चिन्ता व्यक्त कर रही हैं :---
" जी का जंजाल बना ये कोरोना काल "
श्री एस.आर. सरल जी ने ' निर्धन की संतानें रोतीं ' शीर्षक से गजल लिखकर निर्धनता का सजीव चित्रण किया है :---
" रूखी सूखी रोटी खा कर , पेट की आग बुझाने होती "
श्री ' राम ' कवि जी ने बेहतरीन गजल लिखी है :---
" सच बताना किया जुर्म दोनों ने था , क्या सजा के हमीं एक हकदार थे "
श्री राजेन्द्र यादव कुँवर जी ने बढ़ रही मँहगाई का वर्णन कुंडलिया छंद के माध्यम से करते हुए चिंता व्यक्त की है :---
" दिन- दिन बढ़ती जा रही , महंगाई की मार "
जनाब अनवर साहिल जी ने बेहतरीन गजल लिखी है नायिका की बेरुखी का बहुत सुंदर चित्रण किया है :---
" तू रुसवा हो ना जाए डर रहा हूं , गजल में तेरी बात कर रहा हूं "
श्री हरिराम तिवारी जी राम नाम की महिमा मन मुक्ता लिखकर बखान कर रहे हैं :---
" पुरुषार्थ राम नाम में , परमार्थ राम नाम में , आराम राम नाम में"
श्री शोभाराम दांगी जी ' गौमाता हो राष्ट्र माता ' शीर्षक से गाय की महिमा का बखान कर रहे हैं :---
" गौ माता को राष्ट्रमाता का पद दिलवाना है "
श्री संजय श्रीवास्तव जी ने' तुम जीती मैं हारा यारा ' शीर्षक से नायिका को रिझाने हेतु बहुत सुंदर रचना लिखी है :---
" तुम उपवन में फूल महकता , मैं मँड़राता भँवरा यारा "
श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने ' प्रतीति ' शीर्षक से दार्शनिक अंदाज में बेहतरीन भावपूर्ण छन्द मुक्त रचना लिखी है :---
" एक याद भर मैंने तुम्हारी प्रतीक्षा की "
श्री राज गोस्वामी जी ने बेहतरीन मुक्तक लिखा है :---
" मंजिल पाने की राह कम न हुई"
श्री वीरेन्द्र चंसोरिया जी ने जीवन की उलझनों को सुलझाने वाला बहुत सुन्दर गीत लिखा है :---
" हंसते रहिए फिर समझिए जिंदगी मुस्कान है "
इस तरह से पटल पर सभी आदरणीय काव्य मनीषियों ने बेहतरीन रचनाओं का सृजन किया है सभी को बहुत-बहुत बधाई देते हुए सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं और अपेक्षा करता हूं कि इसी प्रकार से हिंदी साहित्य का भंडार भरते रहें। समीक्षा कार्य को विराम देते हुए , त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
आज पटल पर आदरणीया बहिन संध्या निगम की पुत्री पूजा जी के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त कर संवेदना व्यक्त कर श्रद्धांजलि दी गई ।
- कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी (मप्र)
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215-राजीव नामदेव'राना लिधौरी',बुं.कलाकंद-14-6-21
215वीं -आज की समीक्षा* *समीक्षक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 1*4-6-2021
*बिषय- *कलाकंद (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *कलाकंद* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज कलाकंद से मीठे दोहे रचे पढ़के मों में पानू आ गऔ , मन खुश हो गव।सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो।
आज सबसें पैला *श्री अशोक पटसारिया जू नादान लिधौरा* ने कलाकंद कौ भोग लगाऔ बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
अबै ओड़छे में लगत,कलाकंद कौ भोग।
लगा सरकार खों,पाते हैं सब लोग।।
अब सो कूंडा देव में, कलाकंद भरमार।
बंदरन सें बच जाय सो,पाव पाल्थी मार।।
*2* *श्री प्रदीप जू खरे, मंजुल,टीकमगढ़* से लिख रय कै- रामराजा सरकार कौ कलाकंद भौत भाउत है इकौ प्रसाद चढ़ाएं से भगवन जो दंदफंद आत है वे सब मिट जात है। नोने दोहा रचे है मंजुल जी बधाई।
मौ में पानी आत सुन, कलाकंद कौ नाम।
सबसें नौनौ मिलत है,चलौ ओरछा धाम।।
कलाकंद सरकार की,सुनियौ पैलि पसंद।
भक्त भाव सें भेंटता, छूट जात भव फंद।।
*3* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* लिखते है कै जो कलाकंद कौ परसाद पाते हैं उनके तन और के सभी कष्ट मिट जाते हैं ।
कलाकंद जो प्रेम सें,प्रसादी है पाव।
मिट जावे ऊके सभी, तन-मन के फिर घाव।।
कलाकंद तो है इतै,राम चन्द्र कौ भोग।
उनकी किरपा से इतै,मिट जाते सब रोग।।
*4* श्री जयहिन्द सिंह जू जयहिन्द,पलेरा* सांसी कै रय कै जबसें बर्फी बेटी आई है सो कलाकंद कम बिकन लगो है कलाकंद बनावे की विधि भी बता रय है सभी बेहतरीन दोहे है बधाई दाऊ।
कलाकार सब लेत हैं,कलाकंद आनंद।
बरफी बेटी आइ सो,कलाकंद भव बंद।।
शक्कर मावा घोंट कें,मेवा देव मिलाय।
कलाकंद की कला में,भौत मजा आ जाय।।
*5* *श्री परम लाल जू तिवारी,खजुराहो* कलाकंद की पैचान बता रय के सबसे नौनो वो होत है जो दानेदार हो। अच्छे मीठे दोहे रचे है बधाई।
लख मिठाई दुकान में,कलाकंद को ढेर।
मूं में पानी भरत है,खा लें होय न देर।।
कलाकंद अच्छो वही,जो हो दानेदार।
खावो सब मिल बैठ कै,बढै प्रेम परिवार।।
*6* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र* से बता रय के कलाकंद में का का डरत है तब स्वाद बनत है। बढ़िया रचे है। बधाई।
कलाकंद में रय रवा, गुलाब पंखुरी डार।
किसमिस और चिरोंजियां, ऊ में परी हजार।।
कलाकंद देहात में, बर्फी शहर बिकाय।
दाने दार सुवाद खों, कोई भुला न पाय।।
*7* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* से कत है कै मिठाई कौ दद्दा दूद है और कलाकंद कि बैन बर्फी है। कौनउ कम नइयां। उमदा दोहे है बधाई।
कलाकंद की बैन है,मलाई बर्फी ऐक।
कलाकंद से कम नई,भईया खाके देक।।
सबको दददा दुध है,जो माखन बन जात।
कलाकंद परिवार है,बर्फी लड़डु खात।।
*8* *श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा *लिखत है कै सड भोगन से नोनो है कलाकंद को भोग। उमदा दोहे है बधाई।
कलाकंद कौ नाव सुन , मुँह में पानु आय ।
खाऊतते जब सब जन, गालन चिकन दिखाय ।।
सब भोगन कों भोग जौ, कलाकंद सिरमौर ।
जासैं मैमा भौत है, न बरफी पेड़ा और ।।
*9* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* से लिख रय कै कलाकंद की खूश्बू ही मनमोह लेत है। शानदार दोहे है बधाई।
खोबा में मेबा मिला,मन सें करी घुटाइ।
कलाकंद के रूप में,साजी बनी मिठाइ।।
कलाकंद की बास सें,मन में घुरी मिठास।
मन मसोस मों मूंद लऔ,पइसा नइंयां पास।।
*10* *श्री डी.पी. शुक्ला'सरस, टीकमगढ़* ने दोहा में अनुप्रास अलंकार का नौनो प्रयोग करो है बधाई।
जात जित जन जवईं जे। जाचक जँह जिय जान।।
चाहत चितव चित्त चढ़त,कलाकंद भगवान।।
कनक भवन के जाय सें। मँहक देत कलाकंद ।।
लै लगात श्री राम कों,मिटत पाप के फंद।।
*12* श्री अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल* से कै रय कै नयी पीढ़ी कलाकंद कौ नाव नइ जानत सही बडे शहरन में जौ का धरो। अच्छा लिखा है बधाई।
खोवा मिश्री सें बनी, भली मिठाई खात,
पेट भरै, मन ना भरै, कलाकन्द कहलात ।
दौर मिठाई कौ थमो, अब नइँ रव वौ चाव,
नइ पीढ़ी खौं का पतौ, कलाकन्द कौ भाव ।
*13* *श्री एस आर सरल, टीकमगढ़* से लिखते हैं कि- हाट में कलाकंद ऐन बिखत है। अच्छे दोहे है बधाई।
कलाकंद की हाट मे,भौतइ चलै दुकान।
भौजी दम सै बैच रइ,बना बना पैचान।।
कलाकंद खौ बैच रइ,कलाकार भौजाइ।
औनै पौनै तोल कै, उल्लू रई बनाइ।।
*14* *श्री -अभिनन्दन गोइल, इंदौर* से कय रय कै- कलाकंद बनाबौ सोउ कला है जो केवल मिठया ही जानत है । अच्छा लिखा है बधाई ।
मावा हो ताजौ बनौ, बूरौ लेव मिलाय।
डार लायचीं चिरोंजीं, कलाकंद बन जाय।।
मिठया जू की कला सें, कलाकंद कौ मान।
लडुआ-पेरा छोड़ कें ,परसौ जौ जजमान।।
*15- * डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल* से लिखतीं है कै कलाकंद बुंदेलखंड की शाध है सही है। बधाई बेहतरीन दोहे है।
कलाकंद जा बनत है, बड़ी कला के साथ।
पकरें पकरें डेउआ, ठिठुर जात जे हांथ।।
कलाकंद जा बन गई, बुन्देलन की शान।
और दूसरे शहर में, ई की ना पहचान।।
*16* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर* से कै रय- कलाकंद कौ परसाद आदमी दोर दोर के लेत है छोडत नइयां। ऊमदा दोहे है। बधाई।
खोवा बूरौ सानकें , मधु-मेवा संजोग ।
ठाकुर-जू खों भौत प्रिय , कलाकंद कौ भोग ।।
जितै बँटत दिख जात तौ , कलाकंद परसाद ।
दौर - दौर कें लेत ते , भूलत नइंयाँ याद ।।
*17* * श्री संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली* से लिखते हैं- आदमी कौ सुभाव कलाकंद सौ मीठो और नरम भव चाहिए। सुंदर चिंतन मय दोहे है बधाई।
कलाकंद सौ भाव हो,मीठो होय स्वभाव।
मन में मिश्री घुरी हो, होत सरस बतकाव।।
कलाकंद सौ आदमी, जौन दिना हो जाय।
लगे गुरीरौ रामधइ,भीतर घुर-घुर जाय।।
*18*डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा से गोरी की तुलना कलाकंद से करते हुए लिखते हैं कै-
कलाकन्द गोरी लगे, देखत मन मिठ आय।
हँस हँस के बातें करे, फिर भी मन न भराय।।
कलाकन्द मीठो लगे खोवा शक्कर घोल।
सब मिठाई बाजू रखोकलाकन्द अनमोल।।
*19* *श्री लखनलाल जी सोनी छतरपुर से कत है कै-
कलाकंद खों देख कै,मौ पानी आ जात ।
अदाधुंद जो विकत है, लै के सवरै खात।।
*20* श्री हरिराम राय खरगापुर से लिखते हैं कै- कलाकंद के भौत अर्थ होत है। अच्छे दोहे है बधाई।
गायन, वादन, नाचना, कला कंद संगीत।
लिखना, पढ़ना, बोलना, कला की नोनी नीत।।
कंद अर्थ भी बहुत हैं, कलाकंद के संग।
फल, समूह, रस, मूल गुण, हरि हैं रामानंद।।
*21* श्री राजगोस्वामी दतिया से के रय कै कलाकंद कितैकइ खाव मन नइ भरत है।
कलाकंद खा जीभ खो मिल जातइ आनन्द ।
निकरत मीठे वचन तब सबइ कछू सानन्द ।।
कलाकंद नमकीन संग खूबइ खब खब जात ।
खात खात जौ लगत है मिलवै और बिलात ।।
*22* *श्री वीरेन्द्र चंसौरिया टीकमगढ़ से कै रय कै जब वे दतिया जात सो उतै से कलाकंद ल्यात है-
कलाकंद कौ नाव सुन,मौ सें टप कत लार।
खाबे जो देगा मुझे,उसकी जय जयकार।।
कलाकंद कौ स्वाद तौ , सबखों खूब सुहात।
घर पै लै कें आत हैं,जब भी दतिया जात।।
ई तरां सें आज पटल पै 22कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से पतरा से दोहा पटल पै पटके, पै जै दोहा बिल्कुल कलाकंद से हते। बुंदेली दोहे के इतिहास में ये दोहे अपना स्थान जरुर बना लेंगे ऐसा मुझे विस्वास है। सभइ दोहाकारों को बधाई।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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216-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल',हिंदी-'रक्तदान-15-6-2021
*216वीं -आज की समीक्षा* *समीक्षक - प्रदीप खरे मंजुल'*
*दिन- मंगलवार* *दिनांक 15-6-2021*
*बिषय- *रक्तदान (हिंदी दोहा लेखन)*
आज पटल पै *हिंदी* में *रक्तदान बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज बिलात जनन ने अपने दोहा रचे, और सबयी दोहा भारी शिक्षाप्रद और समाज में जागरूकता बारे लगे। भौतई नोने दोहा रचे गये, पढ़ कै मन में भारी खुशी भई। सो जितैक जनन नें लिखौ उन सबई जनन खों दिल सें हम बधाई देत।
उम्मीद करत कै सबयी जनें अपनौ अपनौ खून दान जरूर करौ। आपके दोहन की महक चारों दिशाओं में फैलै। सबकै दोहा मन भावन लगे। हमाई सबखों बधाई। आज एक बार फिर समीक्षा करबे की बारी मोरी आ गई, सो गल्तियन की क्षमा मांगत भयै अपनी समीक्षा शुरू करत जू...।
आज सबसें पैला
1* *शोभाराम दांगी जी* जू ने आज दोहों की शुरुआत की। उन्होंने रक्त दान को सबसे बड़ा पुण्य बताया। वह कहते हैं कि-
दानों में महादान है, रक्तदान का दान।
पुण्य तो है ही बढ़ा, मिलै मान सम्मान
2
*श्री अशोक पटसारिया जू नादान लिधौरा* ने भ्रांतियां दूर करने का प्रयास किया। रक्तदान को लाभदायक बताया। वह कहते हैं कि...
रक्तदान से पुष्ट हो, सुंदर बने शरीर।
मिले किसी को जिंदगी, मिटे किसी की पीर।
*3* *श्री प्रदीप जू खरे, मंजुल, टीकमगढ़* से लिख रय कै-
रक्तदान सेवा बढ़ी, कर ले जो इंसान।
चार धाम तीर्थ करे, खुश होय भगवान।
नोने दोहा रचे है, मंजुल जी को बधाई।
*4* *जयहिंद सिंह जी "जयहिंद" गुढ़ा पलेरा* लिखते है कै जो रक्तदान करते हैं, उनको मान सम्मान मिलता है। तन स्वस्थ होता है। रक्तदान न करने वाले कायर होते हैं।
रक्तदान करते नहीं, कायर कपटी, सूम।
ज्यौ खरचे त्यौ ही बढ़े, उने नहीं मालूम। बधाइयां दाऊ जू
*5* *श्री राज गोस्वामी जी दतिया* सांसी कै रय कै रक्तदान करने से कोई नुकसान नहीं होता।
रक्तदान के करत ही, रक्त बढ़त है और।
अपनापन इतना बढ़त, मिलत हिय में ठौर। बधाइयां
*6* *श्री लखन लाल सोनी जी*
कहते हैं कि रक्तदान करने से एक जिंदगी बचती है।
रक्तदान जो भी करे, भौतयी नौनी बात। एक जिंदगी बचत है, हम तौ सांसी कात। बुंदेली पुट लयें अच्छा दोहा रचा है बधाई।
*7* *श्री गुलाब सिंह यादव जी, भाऊ* लखौरा से बता रय के रक्तदान करना चाहिए। इंसानियत ही सबसे बढ़ा धर्म है।
रक्तदान करो अब दान है, जा मानव पहिचान।
यश ईश्वर के लूट लो, बचे एक इंसान।
बधाइयां
*8* *श्री एसआर सरल जी टीकमगढ़* से कत है कै रक्तदान एक अच्छी सोच है, पीड़ित के लिये वरदान से कम नहीं है। उमदा दोहे है बधाई।
रक्तदान इक सोच है, सर्वश्रेष्ठ है दान।
दाता का उपकार है, पीड़ित को वरदान।। बधाइयां जू
*9* *श्री रामानंद पाठक जी* लिखत है कै-
करौ साधना शरीर की, रक्तदान भरपूर।
कमजोरी आवै नहीं, बीमारी हो दूर । उमदा दोहा है , बधाई।
*10* *श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु जी* बड़ागांव ..अपन ने रक्तदान के नाम पर मची लूट पर निशाना साधा। जो सोई होत, नाम कौ नाम और संगे दाम। शानदार दोहे है बधाई।
*11* *श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी, टीकमगढ़* ने दोहा में शब्दों कौ नौनो प्रयोग करो है बधाई। कै रय कै- रक्तदान से कुछ नहीं, होता है नुकसान।
दानवीर कहलात हैं, बच जाती इक जान। शानदार संदेश..बधाइयां
*12* *श्रीमती डां रेणु श्रीवास्तव जी, भोपाल* से कै रयी कै रक्तदान से कुछ अपना पोषण करते हैं। जो महानगरों की सच्चाई भी है । अच्छा लिखा है बधाई।
रक्तदान से कुछ करें, अपना पोषण आप।
चले नहीं जब जीविका, जीवन बनता श्राप।
*13* *श्री कल्याण दास पोषक जी, पृथ्वीपुर* से लिखत हैं कै रक्तदान तप और त्याग है। सांसी कयी, दोहा जितने नौने लिखे, उतैकयी साजे भाव हैं जू ... बधाई।।
कै रय हैं कै...
रक्तदान तप त्याग है, बहुत बढ़ा है दान।
करने वाला हर मनुज, सचमुच बड़ा महान।
*14* *श्री राजेन्द्र कुंवर जी, कनेरा* से कय रय कै-
कीर्ति जग में फैलती, बढ़ता नित सम्मान।
सबसे पावन काम है, करो रक्त का दान । अच्छा लिखा है बधाई ।
*15- * परम लाल तिवारी जी* रक्तदान खौं बढ़ो पुण्य कर्म बता रय। कै रय कै..
सब दानों से अधिक है, रक्त का दान।
इससे बढ़कर पुन्य क्या, बचे अन्य के प्रान। बधाई हो
*16* *श्री हरीराम तिवारी जी* से कै रय कै रक्तदान तौ कन्या दान सें बढ़ो दान है। जिन चूकौ कर डारौ-बधाई हो
सब दानन में दान है, कन्यादान महान।
रक्तदान इससे अधिक, करो रक्त का दान।
*17* *श्री प्रदीप गर्ग,पराग* लिखते हैं कि रक्तदान अभियान चलाना नेक कार्य है।
रक्तदान अभियान तो, नेक बड़ा है काम।
रक्तदान जो भी करे, मिलते पुण्य तमाम।
। सुंदर दोहा है, बधाई।
*18* *श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव, पीयूष जी* टीकमगढ़ कहते हैं कि रक्तदान में पीछे नहीं रहना चाहिए। वे कहते हैं कि..
देने योग्य बना दिया, उनकी कृपा महान।
हम भी पीछे क्यों रहें, करें रक्त का दान।
शानदार दोहा..बधाई हो
*19* *डां सुशील शर्मा जी* कत है कै कलियुग में दूसरों को जीवन देकर भगवान बना जा सकता है। इसलिए रक्त दान करें। वह कहते हैं कि..
ईश्वर कहते हैं उसे, जो देता जीवन दान।
रक्तदान कर तुम बनो, कलयुग में भगवान।
*20* *श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी* टीकमगढ से लिखते हैं कै.जब तक तन में प्राण है, रक्त दान करना चाहिए। यह पुनीत कार्य है। वह कुछ इस तरह बोले कि..
रक्त दान करते रहो, जब तक तन में प्राण।
अति उत्तम सहयोग है, करता जो कल्याण।
शानदार प्रेरणा दी.. बधाइयां
*21* *जनक कुमारी बघेल जी*
रक्तदान रोगी के लिए सौगात की तरह है। जीवन मिलने की खुशी अपार होती है। अपने रक्त के सप्त दोहा रच डारे। बिन्नू खौ बधाई और शुभकामनाएं.. कै रईं..
रक्तदान से मिल गई, रोगी को सौगात।
खुशियों की खुशबू मिली,रही जहां सह मात।
बहुत बढ़िया भाव ..बधाइयां।।
22
*श्री रामगोपाल जी रैकवार* टीकमगढ सै कै रये कै..
महा दान है रक्त का,
इससे बचती जान।
रक्तदान जो भी करे,
उसका काम महान।
उठती हाट में नौनी बात कै दयी। परोपकार को संदेश दे रय। अपन खों बधाई देत।
*23*
*श्री रामलाल द्विवेदी,प्राणेश जी* कर्वी चित्रकूट सें लिख रये कै..
जीवन को नश्वर कहें, कर लीजे शुभ काम।
रक्त दान से पुण्य भी, जग में होता नाम।
अपन नें बढ़ी ज्ञानवर्धक बात कही। बधाई हो
ठैरो अबै बतकाव कै संगे एक जनन खौं बधाई तौ रैइ गई। बता दये कै आज पटल अध्यक्ष और अपन सब जनन के लाडले भैया राजीव नामदेव राना लिधौरी जू कौ जन्मदिन दिन सोई है..सो भैया हमाई ओर सैं बधाई हो।
ई तरां सें आज पटल पै 23 कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से पटल पै डारके सबकौ दिल जीत लऔ। जन कल्याण के उद्देश्य से रक्तदान बिषय पर जितेक नौनौ हो सकत तो, सबयी ने उतेक नौनौ लिखो। सबरे दोहा सोई नौने लिखे । दोहन में जनसेवा की खुशबू सी आ रई। तराशे भय इन खुशबू दार दोहन की जां तक बढ़बाई करें सो कम है। दोहा पढ़ के भौतई नौनौ लगो। निश्चित ही आज लिखे दोहा कवियन की कीर्ति में चार चांद लगा दें । हिंदी दोहे के इतिहास में ये दोहे अपना स्थान जरुर बनायेंगे, ऐसा मुझे विस्वास है। सभइ दोहाकारों को बहुत-बहुत बधाई।
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल'*
*सदस्य- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़* **
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217-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-16-6-21
🌷जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 🌷🌷
दिनांक 16 .06 .20 21
बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन
समीक्षक पं. डी.पी. शुक्ल ,,सरस ,,टीकमगढ़
जय बुंदेली बुंदेलखंड। बुंदेली धरा प्रणाम।।
मध्य धरा के बीच में ।
इते विराजे राजाराम ।।
नमन कविवर के बचन। बुंदेली के वरदान।।
बुंदेली भाषा तिन रची।
धर राज्य भाषा की तान।।
प्रखर ज्योति है चमक रै।
घर-घर बोली जात ।।
काव्य मनीषी लिखत रत।
बुंदेली की सौगात ।।
आज पटल पै भौतै नोनी रचनाओं के माध्यम से बुंदेली को सरस और सरल मिठास भरी बोली के बान कविवर मनिषियों ने परोसे हैं शब्दन केमेल से मिठास गुरयाई है।मनन करौ जाय तौ शब्दन कौ अर्थ बुंदेली की शोभा बढ़ा रहे हैं ऐसे काव्य मनीषियों को सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद के पात्र हैं अपनी एक रचना के साथ पटल पर उपस्थिति देवे बारे महानुभावों को धन्यवाद देते हुए पटल पर शुभकामनाओं के साथ श्रीगणेश करने का प्रयत्न कर रहा हूं अध्ययन के लिए सादर प्रस्तुत है प्रथम पटल प्रथम में पटल पर अपनी उपस्थिति देवी बारे श्रीमान आदरणीय महानुभाव श्री ए.के. पटसरिया जुने बुंदेली रचना में पटल के सिरमौर बन ओत प्रोत कर दव है वे भाग्यशाली हैं जो प्रथम पूज्य होकर सार सम्मत रचना के साथ उपस्थित हुए हैं जो श्रेयस्कर होकर धन्यवाद के पात्र हैं।।
नंबर 1 .श्री अशोक पटसारिया जुने अपनी बुंदेली रचना में चेतावनी दै है के भैया जा गाड़ी तैयार रखिए जीवन की गाड़ी को जमन को कब न्यूतौ आ जावे शो सगरो काम समेट लो जब तक जा देहिया रूपी स्टेफनी पंचर होत दिखावे तो जान लो के पेसी लग गई जीवन रूपी गाड़ी को समय पै काम के लाने सीख दई है भौतै नोनी गरिमामई बुंदेली रचना के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन ।
नंबर दो .श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद ,,जुने बुंदेली लांगुरिया मैं रचना करी है जी में पावस के दिन रेन चले लहरिया प्यारी पिए बिना परै न चैन
श्याम रंग के घन लहराए।
उठी घटा घनघोर ।।
राधा जू नैनन भाई ।
है कजरा की कोरे ।।
देखत रूप श्याम सुंदर कौ।
कौंक उठी सब मोरे ।।
पावस के मनमोहक दिनन में राधेश्याम जू की याद और मोर का सुहावन नाच बूंदन बरसे मेंह।।
भौतही नोनो लगत प्यारी रचना हेतु दाऊ साहब जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।।
नंबर 3 .श्री शोभाराम दांगी जू ने बुंदेली में दोहा के माध्यम से छै:लक्षण बताएं हैं उत्तम सीख देवे में दांगी जी प्रवीण और बुद्धिजीवी हैं ,मांग के फिर से ना दोहराव मना करे की बात करें नए चेहरे या दूसरे से बात करें कल परसों की बात करें संकेत बताकर चेतावनी दी है नोनी सीख के लाने दांगी जी को सादर वंदन और सीख के लाने हार्दिक धन्यवाद।।
नंबर 4 .श्री परम लाल तिवारी जू ने अपनी रचना में कोरोना के लाने विनती करी है अबै समर के राने।
परहित को जो कष्ट सहत। ऊकी बनत है साख।।
सदा अंधेरी रात रहत ना। होत उजेरी पाख।।
भौतै नोनी चेतावनी दै है ईके लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।।
नंबर 5. श्री एस.आर. सरल ,,जुने अपनी हाल कें गर्मी के बारे में बताव है कै धमका परो है और काम की औज नैं बन रै ,मैंदरे बोलन लगे हैं बुंदेली को महत्व देवे के लाने तबीयत ठीक नहीं तो लिखने हैं व्यवस्था भरी जिंदगी जीवे में जो मजा है वौ नैया काऊ में भौतै नौने हायकु के लाने सादर वंदन अभिनंदन ।।
नंबर 6 .श्री प्रदीप खरे जुने अपनी पिरामिड कबिता में
जौ जिऊ मिलो इयै शान से जीलो।वेद पुराण से कछु तो सीखो दंद फंद और ऐव त्याग दो नातर जान से जै हौ, भौतै नोनी सीख चेतावनी भरी बुंदेली पिरामिड कला प्रदर्शन के लाने सादर स्नेही वंदन हार्दिक धन्यवाद ।
नंबर 7. डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने अपनी बुंदेली पलायन शीर्षक से गावन में मजदूरी नैंया खेतन में खेती खावे कछु नहीं खाली है पेटी।
कर्जा में लद गए अब कछु ना कर पाने ।
जो हम ना जाएं सवै भूखन मर जाने ।।
भौतै नौनी रचना में व्यवस्था भरी जिंदगी की बात करी है मजबूरी में मजदूरी के लाने पलायन करने पर है मुसीबत संगै लैकें चलत।। उलझती सांसे और छूटते बंधन भूखे पेट होती लंघन ।भौतै नौनी रचना के लाने बहिन रेनू जी को सादर बधाई वंदन अभिनंदन ।
नंबर 8 .श्री हरी राम तिवारी जुने चौकड़िया के माध्यम से बुंदेली में भाव भरे है बताओ हे कै ह्रद दृश्य को मंचन करो है घरै पत्नी महामारी के भय से ग्रस्त होकर असमंजस में परी है कै हे भगवान बे नोने बने रहे मन के भाव नोैंने हैं दर्द के भाव उकेरे है और चेतावनी भी दी है के भैया समर के राने बहुत ही नौनी रचना हेतु सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई।
नंबर 9 .श्री राजीव राना लिधौरी जुने पिरामिड कविता के माध्यम से बुढ़ापे को लालच ना करो काय के जो इतै धरो रै जानें । जाने तनक धर्म कर लो जेउ संगै जाने भजन रूपी हृदय को साफ करके परहित में मन लगा लो तो इंसानियत बनी रहे नोनी रचना के लाने हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर बधाई।।
नंबर 10 .श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जुने चौकड़िया में कलयुग कौ बताओ शीर्षक में रचना में धर्म को कर्म कम होते जा रयऔर गैयन को कोऊ देखवे वारौ नैं दिख रव। वे भूखे प्यासे दोरन दोरन फिर रै। नीत न्याय बिल्कुल नहीं रै गईभौतै नोनी रचना के लाने हार्दिक बधाई सादर धन्यवाद ।।
नंबर 11 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने अपनी रचना में बेड़ा,टटा, अटा पैले भौत हते अब भी नहीं दिखा रहे जिन्हें चटनी रोटी नहीं मिली बे दूसरन को खाकें गर्रा रय हैं भौतै मीठे बोलत बेई भौतै नट खट विदैवे वारे हो गए। अपनेपन को भाव छूट गव अब बेई हमें करएं लगन लगे ,
लगा लेतते छाती से ।
अब हम किरा भटा से हो गै।
भौतै नौनी रचना में उपमाँलंकार कौ समावेश करकें रचना भौतै नौनी रचवे के लाने साधुवाद हार्दिक बधाई।
नंबर 12 .श्री पी. डी. श्रीवास्तव ,,पीयूष ,जुने अपनी पावस चौकड़िया में बदरा खूबै धूम मचा रय और हवा भौतै तेज चल रै जी से मन डारन जैसौ लूम रव। जौ खूबई चमचमा रव मिलने आकेंई भूमै में हैं जो जीवन कछु दिनन कौ साथी है चेतावनी भरी रचना श्री पीयूष जी भौतै नोनी लिखने के लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।।
नंबर १३. श्री रामानंद पाठक नंद जू ने अपनी चौकड़िया बुंदेली रचना के माध्यम से श्री राम की कथा सुन के पाप नसात और व्रत करके रामराजा के दर्शन के लाने औरछे जैयौ कहें नंद भूल न जइयो जो मानुष तन पाकें। बहुत ही नौनी सीख भरी चेतावनी इस तन मन और जन जन के लाने दी गई है सादर वंदन अभिनंदन नंद लगाओ माटी चंदन ।।भौतै नौनी रचना सादर बधाई ।
नंबर 14 .डी.पी.शुक्ला सरस ,,ने अपनी बुंदेली जीवन राह शीर्षक से बताओ है कै कंजूसी न करे से कछु फायदा नैयाँ धर्म-कर्म में लगाओ नातर अल्फतिया खाजें ।बाल व्याव ना करौ जो तन टूटत बाप मताई को छोड़ के ना जाओ तुम्हें भी बाप मतारी बनने चेतावनी भरी सीखदै गई है जीवन की राहें जबै नोनी गुजरे।।
१५-- श्री सरस कुमार जुने अपनी बुंदेली में भाव भरे हैं जीने एक विरही नारि से प्रेम योग की बात करी है मोय तौ लगत सैंयाँ रिसाके परे हैं अब तो पांव दबा कर बात कर सकत,भौतै नोनी हास्य एवं श्रृंगार रचना प्रस्तुत करी है भौतै भौत बधाई धन्यवाद।
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*218वीं -आज की समीक्षा*
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 21-6-2021
*बिषय- *"बेला" (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *बेला* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज बेला से महकते दोहे रचे पढ़के मन प्रसन्न हो गऔ। सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। आज पकल पै दो नये साथी भी जुड़े। उन्होंने ने भी भौत नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* ने अपने 5 नोने दोहा पटल पर रखे- आफने अपने दोहे में यमक अलंकार का शानदार प्रयोग किया है बधाई।
बेला आयी टोर कें,बेला भर जब फूल।
बेला महकन सें लगै,गलियन महकी धूल।।
बेला कली खिली नहीं,बेला खिल खिल जाँय।
बेला के गजरा पहिन,बेला मन मुस्काँय।।
*2* - * राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* ने लिखा है कि जब सोलह सिंगार करके और बेला को गजरा लगा के गोरी कड़ती हैं तो दिल के सितार अपने आप ही बज उठत है।
बेला से महकें सदा,मन को जो हर्षाय।
खुश्बू ऐसी होत है,दिल में जो बस जाय।।
बेला कौ गजरा सजो,कर सोलह सिंगार।
उनको रूप निहारते,दिल के बजत सितार।।
*3* *श्री सरस कुमार जी ,दोह खरगापुर* ने अपने दोहों में बगिया का सुंदर चित्रण किया है बधाई।
बेला बगियन में खिले, हरसत भौरा,मोर ।
मेंढक, चिड़ियाँ, तितलियाँ, बोल रहे घन - घोर ।।
खुशबू फेली है इते, बेला की है बेल ।
भौरा, तितली खेलते, बना बना कर रेल ।।
*4* श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र. से कै रय कै बेला से सजी सेज और जूडे में बेला घायल कर देत है। श्रृंगार के बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
बेला चुन चुन के रखे, उसने फूल सहेज।
प्रिय के आते ही सजा, फिर गोरी का सेज।।
होंठों पर मुस्कान है, नैना तीर कमान।
जूड़े में बेला गुथी, घायल मन नादान।।
*5* *श्री अशोक पटसारिया जी नादान* खुश्बूदार पौधे के नाम बता रय है-उमदा टकसाली दोहे है बधाई।
बेला चंपा चमेली, गुड़हल पारिजात।
गंधराज मधुकामनी,जुही सुंगंध लुटात।।
बेला कहै गुलाब से,सुन रंगीन मिजाज।
तुमसे ज्यादा मोंगरा,पारिजात कौ राज।।
*6* श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा से सुंदर दोहे लिखते हैं-
बेला सैं बेला कहे, छोड़ न दइयो संग ।
अपन साजे लगैं, पर मन होवैं चंग ।।
बेला बेला ले चली, चंपा चमेली द्वार ।
गुलाब जूही संग हैं, ये पारिजात कचनार।।
*7* - *प्रदीप खरे,मंजुल*पुरानी टेहरी, टीकमगढ़ बेला शब्द का नोनौ प्रयोग करो है। बधाई।
बेला जूड़े में बदो, महक जात है मीत।
नारी सज नौनी लगे,होबै गाड़ी प्रीत।।
बेला की बेरा गई, बेलहिं बेरा आइ।
चौथेपन संगे रहे, लाठी, तेल, दवाइ।।
*8* श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो से सीता जी के गिरजा पूजन को भौत नौनौ दृष्य दोहा में खींचा है बधाई।
बेला की माला धरी, और सजाई थाल!
गिरजा पूजन को चली, सीय सहित सब बाल!!
आवन की बेला भई, गिरिजा पूजन सीय!
बेला, तुलसी बाग से, लावो चुन कमनीय!!
*9* श्री संजय श्रीवास्तव, मवई, (दिल्ली) से कमल और बेला की तुलना की है। सभी दोहे बढ़िया है बधाई।
बेला बोली कमल से,तुम सत्ता आसीन।
मैं रानी खुशबू भरी,तुम खुशबू सें हीन।।
मन बेला- तन मोगरा,जीवन बने गुलाब।
करमन की खुशबू उड़े,बनकें पर सुरखाब।।
*10* श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* ने श्रृंगार के नौनै दोहे रचे है बधाई।
बेला कीं कलियां खिलीं,भोंर रये गुंजार।
बेला सुखद सुहावनी , प्रीतम लेव निहार।।
बेला तौ फूलन लगी,हो गइ आदी रात।
बेला बैठीं बाट में ,बेदरदी कब आत।।
*11* *राजगोस्वामी दतिया* बेला की बेल के गुण बता रहे हैं-
बेला की जा महक मे ऐसी महकी गंध ।
डूबे जा की गंध मे पा दूनौ आनंद ।
दीवारन पै फैल गइ लंबी बेला बेल ।
हरी भरी फूली फली करत अनोखौ खेल ।।
*12* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर* कत हैं के बेला की महक चारो और फैलती है। अच्छे दोहे है बधाई।
महकत रावै मोगरा , महके बाखर-दोर ।
फूलन की शोभा-सुरभि , फैलत रय चहुँओर ।।
फूलै बेला - मोगरा , छायी रबै बहार ।
महकत रय परयावरन , महके घर-संसार ।।
*13* * श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां* से लिखते है कै बेला की खुशबू आदमी तो क्या सांपो तक को बहुत भाती है।
बेला में है महक अति,मन प्रसन्न हो जाय।
मानस की तौ बात का,सर्प निबास बनाय।।
बेला सें नारी सजी,जूडौ गजरा भाय।
सुन्दरता संग महक सें,सोभा अति बड जाय।।
*14* *श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी* लिखते है कै बेला की खुशबू रात भर आती रहती है।
बेला खुशबू दार है,सबके मन खों भाय।
सबरे फूला टोर कें, माला लेव बनाय।।
महका बेला रात में,खुशबू रव फैलाय।
इसकी खुशबू सूंघकें,मन हरषित हो जाय।।
*15* *श्री मनोज कुमार सोनी रामटौरिया* बेला के औषधीय गुण बता रय है बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
बेला पत्ता टोरकें,काढौ़ लेव बनाय।
करौ गरारे चार दिन,मुख विकार मिट जाय।।
बेला जर खौं पीसकें,धर लो लेप बनाय।
मुदी चोट कौ दरद हरै,मोच शमन हो जाय।।
*16* *श्री डी.पी.शुक्ल'सरस' जी* ने अच्छे दोहे लिखे है बधाई।
बेला माला लैे खसत,मेलत मां के कंठ ।।
गै बेला तरेर नयन, दर्शनै करकें अंट।।
रातन में बेला कली । खिलत चांदनी देख ।।
मँहक देत अंगना रहत।फरतै फूल सफेद ।।
ईरां सें आज पटल पै 16कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से बेला से दोहा पटल पै पटके, सभइ दोहाकारों को बधाई।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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219-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल',हिंदी-'रक्तदान-22-6-2021
*219वीं -आज की समीक्षा*
*समीक्षक - प्रदीप खरे,मंजुल'*
*दिन- मंगलवार*
*दिनांक 22-6-2021*
*बिषय- *"योग" (हिंदी दोहा लेखन)*
आज पटल पै *योग* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज सबरौ पटल योगमय हो गऔ। योग क्रियाओं का लाभ अपने अपने तरीके सें सब जनन नें बताऔ। ज्ञानमयी और सार्थकता को सिद्ध करते दोहों ने योग दिवस के उद्देश्य को भी पूरा किया। योग की कार्यशाला की भांति पटल पर कवियों ने योग के महत्व पर प्रकाश डाला। सभी मनीषियों को बधाई। रचे गये सभी दोहों को पढ़कर मन प्रसन्न हो गया। सो जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है। सबने योग पै इतनौ साजौ लिखो कै योग करबे कौ सोई मन होन लगो। करें योग रहें निरोग कौ संदेश देत भयै समीक्षा शुरू करत जू। आज की धमाके दार शुरुआत करी बुंदेली के जाने मानें हस्ताक्षर दाऊ जयहिंद सिंह जू जयहिंद गुढ़ापलेरा ने।
*1*श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* ने समाज की दशा पर चिंता जताई और योग करबे की सलाह दयी। कै रय कै-
काम क्रोध मद लोभ में,
जकड़े रहते लोग।
गर सुयोग ऐसा मिले,
सभी करें मिल योग।।
श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी को हार्दिक बधाई।
2
*डीपी शुक्ल, सरस,टीकमगढ़* सें योग करबे के फायदा बता रय। कै रय कै-
योगी का तन स्वस्थ मन।
करत जो प्राणायाम ।।
तिन नस- नस होती प्रबल।
हो तन कौ व्यायाम।।
श्री डी.पी.शुक्ल,, सरस, टीकमगढ़ जी को बधाई देत।
3-
*अशोक पटसारिया नादान*
लिधौरा टीकमगढ़ मप्र* ने तौ योग आसनों और तरीकों के बारे में बताते हुए कहा है कि-
करें भस्रिका कुछ मिनट,
फिर अनुलोम विलोम।
तब कपालभाती करें,
महाबन्ध फिर ओम।।
4-
*रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, इंदु* बड़ागांव झांसी से कहते हैं कि भारत की पहचान विश्व योग गुरु के रूप में है। उन्होंने कहा है कि-
योग हमारे देश का,
बना विश्व पहचान/
ग्रंथों संतों ने सदा,
गाया है गुणगान//
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र को बधाई
5-
*प्रदीप खरे,मंजुल*
टीकमगढ़ ने कल्याण का साधन भक्ति और योग को बताया। वह कहते हैं कि-
भक्ति के संग योग हो,
सबसे नीकौ काम।
लोक और परलोक में,
रहत सदा आराम।।
*प्रदीप खरे,मंजुल*
टीकमगढ़ को हार्दिक बधाई।
6-
*श्री शोभाराम दांगी जी*
संत महात्माओं द्वारा किये जाने वाले योग पर रोशनी डालते हुये कहते हैं कि-
संत महात्मा योग को,
करते हैं हर रोज /
पाचन क्रिया सुढण बने,
पाच्य रहता भोज /
शोभारामदाँगी जी को हार्दिक बधाई।
7-
*श्री राजीव नामदेव,राना लिधौरी*
टीकमगढ़ से योग के गुर बताते हुये योग को अपनाने का भी आग्रह कुछ इस तरह कहते हैं कि-
रोज कीजिए खूब ही,
दवा मुफ्त की योग।
जो जितना ज्यादा करे,
उतना रहे निरोग।।
*राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* को बहुत बहुत बधाई
8-
*श्री संजय श्रीवास्तव मवई,दिल्ली* से कह रहे हैं कि योग का ज्ञान भारत ने सारे विश्व को देकर गुरु होने का सम्मान पाया है। वह कहते हैं कि-
भारत ने संसार को,
दिया योग का ज्ञान।
दुनिया भर में हो रहा,
आज देश का मान।।
संजय श्रीवास्तव, मवई
दिल्ली को दिल से बधाई। शानदार दोहा रचो।
9-
*परमलाल तिवारी, खजुराहो* से योग की महिमा का सुंदर वर्णन करते हैं। योग को भगवान का ही स्वरूप बताते हुए कहते हैं कि-
योग रूप योगीश मम, गुरुवर परम उदार!
हरि से बिछड़े जीव को, वही मिलावन वही हार!!
श्रीपरम लाल तिवारी जी
खजुराहो को शानदार दोहों के लिए बधाइयां।
10-
*डां सुशील शर्मा* ने पटल पर योग के स्वरूपों का जहां वर्णन किया, वही संयम, नियम और समाधि के बारे में बताया। कहते हैं कि-
ध्यान सदा प्रत्यक्ष का ,
कर परोक्ष का मान।
आत्म मिले परमात्म से ,
यह समाधि विज्ञान।
आदरणीय डाक्टर साहब को बधाई।
11
*जनक कु.सिंह बघेल* योग शक्ति के बारे में बताती हैं, वहीं कर्म, भक्ति और ज्ञान की उपयोगिता का बखान सुंदर तरीके से कर रही हैं। कहती हैं कि-
बड़ी शक्ति है योग में ,
सब संभव हो जाय।
कुरूक्षेत्र में कृष्ण ने ,
दिया सूर्य ठहराय।।
जनक कु.सिंह बाघेल जी को बधाइयां।
12-
*श्री रामानंद पाठक जी नंद*
ने बताया कि योग करने से उम्र बढ़ जाती है। वह कहते है कि-
जो नित्यदिन योग करे,
उम्र जरा बढ़ जाय।
माया धरि रह जायगी,
कछू काम ना आय।
श्री रामानन्द पाठक नन्द जी को बधाई। शानदार भाव
13-
*आचार्य श्री रामलाल द्विवेदी, प्राणेश* जी कहते है कि योग करना एक साधना है। इसे नियमित करना चाहिए। वह कहते है कि-
जनमत इतना जानता ,
योग मात्र व्यायाम।
दर्शन अंतर ज्योति के,
नियमित प्राणायाम ।।
आचार्य श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश
कर्वी चित्रकूट को बेहतर दोहों के लिए बधाइयां।
14-
*श्री कल्याण दास पोषक जी* कहते हैं कि योग को नित्य नियम से करना चाहिए। कुछ इस तरह से बताते हैं कि..
आसन प्राणायाम नित ,
नियम-नीति के साथ ।
करते हैं जो योग को ,
दमकत उनका माथ ।।
श्री कल्याण दास साहू "पोषक" जी
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र) को बधाइयां।
15-
*श्री हरिराम जी हरि* कहते है कि-
ऑक्सीजन की वृद्धि हो,
बचें मृतक के प्राण।
इस कोरोना काल में,
योग हुआ वरदान।।
कोरोना काल में योग को आपने वरदान बताया, जो सही भी है।
श्री हरिराम तिवारी 'हरि'
खरगापुर जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश को बधाई।
16-
*श्री अभिनंदन गोयल जी*
योग को जीवन के लिए उपयोगी बताते हैं। अंतर्यात्रा का आधार है योग। वह कहते हैं कि-
अंतर्यात्रा के लिए,
यही एक आधार।
उतर योग में कीजिये,
शिव स्वरूप साकार।।
श्री अभिनन्दगोइल जी को भावपूर्ण और गागर में सागर भरने के लिए धन्यवाद।
17-
*श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव, पीयूष जी* टीकमगढ़ से कहते हैं कि निरोग रहने के लिए योग जरूरी है। उन्होंने अपने भाव कुछ इस तरह व्यक्त किये। वह कहते हैं कि..
देवालय यह देह हो,
रहे सदा नीरोग।
आओ मिल जुल कर करें,
मनोयोग से योग।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ को भावपूर्ण और सारगर्भित दोहों के लिए बधाइयां।
18-
*श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी* टीकमगढ़ से अपने जन्मदिन पर कुछ इस तरह अपनी भावना व्यक्त करते हैं कि..।
मेरे मन का हो गया,
उनके मन से योग
पाकर के शुभकामना,
तन मन हुआ निरोग
श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जो जन्मदिन पर बधाई और शुभकामनाएं। बेहतर दोहे के लिए बधाई।
19- *श्री एस आर सरल जी* ने योग को साधना मानते हुए बहुत बढ़िया दोहा लिखा-बधाई।
योग सरल नहि साधना, कठिन है चित्त ध्यान।
योग ध्यान है देह को, प्रकृती का वरदान।।
ई तरां सें आज पटल पै 19कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से योग बिषय पर दोहा पटल पै पटके, सभइ दोहाकारों को बधाई। आशा करते हैं कि अपन सब जनें अब जरूर योग सोई करौ। अब टैम हो गऔ, सो अपन सबसे गलतियन की क्षमा चाउत। जय राम जी की करत।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
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220-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-23-6-21
🌷जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🌷
🌹बुंदेली स्वतंत्र पत्र लेखन🌹
दिनांक/23.06. 2021
🌷समीक्षक -पं. डी .पी. शुक्ल,, सरस टीकमगढ़🌷
बुंदेली बानी की का काने। है जुबान भरी मिठास।। सबके बैठे जा कंठ में ।
आबै ईकी बास ।।
🌷
प्रेमी हृद में बैठ कें।
अपनों लेत बनाँए।।
दो लफ्जन की चर्चा सुनें।
अपनों समझ उऐ हैं जाए।।
🌷
बुंदेली गली बुंदेलखंड की।
मीठे लगत हैं बान ।।
हिय हर्षत नोनो लगत।
प्रेम प्रबल है जान ।।
🌷
आज के पटल पै भौतै उम्दा रचनाओं को डारकें बुंदेली को बढ़ाओ है मां शारदा को नमन करत सवई काब्य मनीषियों विद्वत जनों को सादर नमन वंदन अभिनंदन करत भय उत्तम रचनाओं को बुंदेली की सान बनावे के लाने प्रयासरत कवि जन को साधुवाद एवं बुंदेलखंड के आंचल को बुंदेली बानन से भिगो्वे के लाने सादर धन्यवाद बधाई।
🌷
प्रथम पूज्य गणराज्य, दूजे कविवर सुजान ।
उनके कथन है अनुसरत, रख बुंदेली सब्दन को मान।।
🌷
01- प्रथम में पटल पर पधारे श्री अशोक पटसारिया ,, नादान,, जू कों सादर धन्यवाद देत भै उनके उज्जवल भविष्य की कामना करत उनकी रचना बुंदेली के भावों को पटल पर रखवे कौ प्रयास करत हों उननें अपनी बुंदेली रचना में जीवन को समारवे की सीख भरी चेतावनी दै हैजी सें जौ देश भारत विश्व गुरु वनवे के लाने लालायित हुईऐ।
निरोगी काया कर के प्रगति देवे वन सकत गुण वारो ।ना करो बिलोरा ना-ईको टारौ ।।
सनातन काल से ऋषि मुनि योग को सार बताउत आ रय हैं ।
योग है जीवन को आधार, एई्से पर है अपनों पार ।।
रोग से ना हुईऔ लाचार। बताते संत मुनि ज्ञानी। जीवन शैली पुरातन है जानी-मानी।।
भौतै नौनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन।।
🌷
नंबर दो -श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद,, जुने अपनी बुंदेली में मानव जीवन भरी चेतावनी देकर मन को झकझोरो है, लिईयो सीख थोरेऊँ में थोरी ।।
मानव मन कों मानकेंईके लुवऊवा क उवा के रूप मे मगरे पै बोल कें आ गव।
सो सवई रूवउवा पारें। और कुमड़ा जैसे जउवा मुरझारय और डोली उठावे वारे चार जनें लादवे आ गय।ईसें नौनें करम करकें जावे के लाने परहित ही मोक्ष का द्वार है बोल कर जावे की तैयारी करने भौतै नोनी जीवन के लाने सीख भरी चेतावनी दी है ।
प्रियतम पारो प्रीत घनेरी। बन के रैईयौ उनकी चेरी।।
जय हिंद चार चार आए हैं। डोली आज लदउवा।।
बुंदेली रचना चेतावनी भरी सीख के लाने साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन।
🌷
नं.3-डी.पी.शुक्ला,,सरस,, टीकमगढ़ ने अपनी बुंदेली में चेतावनी दी है जी में प्यारी बनके मृत्यु के पैलें भौतै जिंदगी में मजा उड़ाव ऊ बालापन की याद में खोई रही और घरी घरी जा संघर्ष ही जीवन में आवत रय लेकिन अब तो गौनों होवे वारो है और जा मौतृत अपने घर आत्मा के रूप में जावे बारी है नोनी सीख भरी चेतावनी
चलो एक सी रैकें चाल।
नाँतर हुईयैै तुमरो हाल बेहाल।।🌷
🌷नंबर 4 -श्री परम लाल तिवारी जुने अपनी पावस बुंदेली के माध्यम से हुंकार भरी है ।
पावस ऋतु प्यारी लगे ।होत कोलाहल द्वारे सें।।व्यंग गुंजारत भिनसारे से।।
काले काले बदरा सबको भाए।
दूर के मानो आज पावने आए।।
पक्षियों की गूँज और धरती ने धर लओ हरौ परिधान बहुत ही नोनी पावस ऋतु की बुंदेली सुहावनी लग रही श्री तिवारी जी को सादर वंदन अभिनंदन।
🌷
नंबर 5 -श्री शोभाराम दांगी जुने बेई माँटी बेई खान शीर्षक से महान मनिषियों गौतम और गांधी जी के इतिहास को गाव है लक्ष्मी बाई और छत्रसाल को नाँव लओ हैै देश हित में इन ने अपने प्राण दय है,ऐसे परमार्थियों को जो देश के लाने निछावर होते आय हैं।
बिना स्वार्थ के देश के लाने दे गए अपने प्राण।ऊसौ जीवन जी लेत ,
ऊसै फक्कड़ और महान।।
भौतै नौनी रचना के लाने तिवारी जी को साधुवाद हार्दिक बधाई।
🌷नंबर 6 -श्री प्रदीप खरे जुने लोक शैली बंद गीत ढिमरयाई गोरी के नखरे परेशान जो मानव चाउत कै लिवा ले जाओ, मानव रूपी गोरी को कल युगी भूचाल से जावे की बात करी है बन्न बन्न के गाने चाने काम एक नहीं कर पाने ।
ऐसी धना से कुंवारी भले ते।मोखों धना बर्राटरन दिखाएं ।।
हास्य एवं व्यंग भरी रचना जो बात पर वास्तविकता के दर्शन कराती है चेतावनी बतौर मंजुल जुने सीख दई है ईकेलाने उन्हें सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन ।
🌷
नंबर 7 -श्री राजीव राना लिधोरी जुने शाकाहारी बुंदेली दोहन में मिठास भर दव है रुचकर शाकाहार नोनो लगत है और खुशी परिवार रात और निर जीवो को मारते हैं मांसाहार ना करो काहे के धर्म नस्ट होत मानवता के प्रतीक इंसान ही देव स्वरुप होते हैं ।बड़े भाग मानस तन पावा तुलसीकृत रामायण में कहा है उत्तम दोहे मे चेतावनी भरी सीख गई है जो मानव जीवन का लक्ष्य है उम्दा रचना के लाने साधुवाद सादर बधाई।।
🌷
नंबर 8 -श्री रामानंद पाठक जी ने क्षणिकाओं के माध्यम से बुंदेली में रचना के भाव भरे है और चेतावनी दी है ।
कै इते बनो नै राने। जीसे परहित कर लो मनमाने ।।और धर्म कर लो जेऊ संगै हैं जाने ।।
जो जीव बलूजा शो फूट जाने और धरती पर आओ जो उऐ धरती में पानी की बूंद जैसौ मिल जाने ।भौतै नोनी चेतावनी दई है समय रहते कार्य करने की सीख दै है बहुत-बहुत बधाई वंदन अभिनंदन ।।🌷
🌷नंबर 9 /श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी ने चौकड़िया के माध्यम से बुंदेली संस्कृति के दर्शन कराए हैं देवी रूपी मनमंदिर को झारत दिखाओम जवई जौ तन भुनसारे से पूजा करबे के लाने लालायित होत। ऐसी वे नारी देवी के रूप को निहारती भुंसारे से दोरे की सफाई करके उरैन डारतीं और लक्ष्मी जी के लाने पधारवे के लाने पवित्रता लिए द्वार खुला है और दीनबंधु दीनानाथ के उन पंछियों को चुन देती है कै जाने जो जीव कबै उड़ जानें और चिरैअन कों घर समारवौ बताओ है चेतावनी भरी संस्कृति के दर्शन कराने के लाने साधुवाद सादर बधाई।।
🌷
नंबर 10 -श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जुने अपनी बुंदेली के चौकड़िया में मन की मनमानी करते सारी उम्र बिता दै।
कहत कछु रय,करत कछु रय करके खींचातानी ।।
ऐसे आदमियों से सुर नर और ज्ञानी हारे हैं भौतै चेतावनी भरी उत्तम चेतावनी।
चेत चेत रे अबै चेत जा। नाँतर गिरजैहै तोरो पानी।। भौतै नौनी रचना सादर वंदन अभिनंदन।।🌷
🌷नंबर 11- श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने बुंदेली में सुंदर भाव भरी शृंगार रचना में अपने भाव उकेरे है कैे गोरी की बातें भौतै नौनी लगत है बात में मिठास भरी रत सुरीले कंठ से फूलन कैसी खिली दिखात मुख से मिठास भरे बोल कड़त और बोलन में मधुरता रात जो मन को मोह लेतै, ऐसी मन की प्यारी मनमोहकता वारी ,,
,,सरस अलंकृत भाषा शैली सहज सरल ढ़ड़कोनी,,
रचना मन में उमंग भर रै है बुंदेली के वरद पुत्र श्री पोषक जू को सादर वंदन अभिनंदन ,बधाई, धन्यवाद।
🌷नंबर 12- डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने श्री गणेश जी की सवारी शीर्षक से बुंदेली के भाव भरे हैं गलियन में गणेश जी की सवारी को बहुत भौतै शोर मचो है दाएं और बाएं रिद्धि सिद्धि बैठी हैं चौखरे की सवारी है अपने भाव उकरेे हैं सबारी देख हाल फूल भारी हो रै, ।
विघ्नन को हरबे को काम है तुम्हारौ।
लडुअन को भोग तुम्हें लगत है प्यारों ।।
अध्यात्म भरे भाव स्नेही बंदना को दे रये, मूषक की सवारी देखंकें सवै वजा रय तारी । भाव उत्तम हें , भौतै नौनी रचना के लाने सादर बधाई ।
🌷
🌷 नंबर तेरा -श्री गुलाब सिंह भाऊ जी अपनी चौकड़िया में
,,मद में फूली फिरत मुनैयाँ पाछे की सु्ध नैयाँ।। छला छिदाम एक नई जाने। देखत रै जानेन तरैयाँ।।
सीख भरी चेतावनी देकें जनमानस के हृदय पर चोट करी है कै परहित कर लो जेऊ संगै जाने उम्दा रचना के लाने वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
🌷
🌷 नंबर 14 -श्री हरी राम तिवारी जी ने अपनी चौकड़िया में फूलन की मँहक भरी सुगंध बिखेरी है जीमें फूलन के राजा गुलाब कौ चेला बेला कों बताओ है बेला को काम बड़ा अलबेला ,दायजे में लगाउत अपनों मेला।।
दद्दा भोर को करे कलेवा जब मिल है कांसे को बेला बेला की महिमा भौतै नौनी चरणन भगवान के चढ़त वाह तिवारी जी भौतै नौनी त्रिवेणी रचना के लाने वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद।🌷🌷
🌷नंबर 15 -श्री मनोज कुमार सोनी जुने बुंदेली चौकड़िया शीर्षक से भौतै नोनी रचना में चेतावनी दई है कैे बुढ़ापे में जा संतान सेवा नैं करत नशा गई।
ना दैेरयैे एक लोटा भर पानी, संतत बुरई नशानी।। जिनमोड़ी मोंड़न के काजें जीने गार दई जवानी।।
और बताओ के जा घर घरई की कानियां आए।
मंदिर में प्रसाद चढ़ा रय। घर में भूखी धरी भवानी।।
और ई तन कौ कौनै भरोसौ नैयाँसोै सेवा और परहित करत है रानैं।जेऊ संगै हमरे जानें ।।
भौतै नौनी रचना के लाने साधुवाद एवं वंदन अभिनंदन,धन्यवाद।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
समीक्षा-द्वारिका प्रसाद शुक्ल,, सरस,,टीकमगढ़ (म.प्र.)
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221-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-24-6-21
--- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 24.6. 2021दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत इन हिंदी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :---
सर्वप्रथम आदरणीय सभी काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए पटल पर उनका हार्दिक वंदन अभिनंदन और स्वागत है । सभी बहुत अच्छा लिख रहे हैं और सब की रचनाएं पढ़कर बहुत ही आनंद की अनुभूति होती है ।
आज श्री जनक कु. बघेल जी ने आल्हा छंद के माध्यम से स्वाद का बहुत ही रोचक वर्णन किया है :---
" कड़वा मीठा खट्टा खारा देती जिव्हा सच बताय "
श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने साहित्यकारों की अथाई पर चलने के लिए मन को प्रेरित किया है :---
" मेला भरा जहां कवियों का , चल कवियों के गांव चलें "
श्री शोभाराम दांगी जी नौजवानों का उत्साह वर्धन कर रहे हैं :---
" देश के भविष्य हो , देश के हो कर्णधार, भारत के ओ नौजवान "
श्री किशन तिवारी जी बहुत ही सुंदर समसामयिक गजल लिख रहे हैं :---
" घोल दिया है जहर किसी ने, नीली हैं बस्तियां अभी तक "
जनाब अनवर साहिल जी नई कविता के माध्यम से गरीबी का बहुत ही मार्मिक चित्रण कर रहे हैं :---
" एक बूढ़ी मां सूखी रोटी का टुकड़ा पानी में भिगोकर नमक से खाने की कोशिश कर रही है "
श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने चौकडि़या लिखने का उम्दा प्रयास किया है :---
" कैकई ऐसी बोली बानी, अपने मन में ठानी "
श्री मनोज कुमार जी प्रगतिवादी कविता लिख रहे हैं :---
" भरले मनुष्य तू अपनी उड़ान नई ताजगी के पंख लगा कर "
श्री अभिनंदन कुमार गोयल जी ने वीर छंद के माध्यम से बहुत ही सुंदर गीत की प्रस्तुति दी है :---
" श्रेष्ठ साध्य हो साधन निर्मल , यही साधना का अभिप्राय "
कल्याण दास साहू पोषक ने योग से संबंधित एक कुंडलिया लिखी :---
" योगा आयुर्वेद है, ऋषि मुनियों की देन "
श्री जयहिन्द सिंह जी ने चेतावनी गीत की बेहतरीन प्रस्तुति दी है :---
" रोवै सभी परिवार , हमारे जाने की तैयारी "
डाॅ.अनीता गोस्वामी जी आईना शीर्षक से बेहतरीन रचना की अभिव्यक्ति दे रही हैं :---
" आईना कभी झूठ नहीं बोलता, हर सत्य से वह तुझे तौलता "
श्री परम लाल तिवारी जी बेहतरीन कुंडलिया छंद से अपनी अभिव्यक्ति दे रहे हैं :---
" मैं मेरे के फेर में , जीवन दीन्हा खोय "
श्री प्रदीप खरे मंजुल जी जीवन की बहुत सुंदर शब्दों में व्याख्या कर रहे हैं :---
" उद्देश्य हीन, गंतव्यहीन, जीवन का कोई सार नहीं होता "
श्री प्रदीप कुमार गर्ग जी ने बहुत ही सुंदर समसामयिक गजल की प्रस्तुति दी है :---
" मर मर के जिए जा रहे ऐसे भी हैं कुछ लोग , जिंदा है मगर जीने की हकदार नहीं है "
श्री डी पी शुक्ल सरस जी कवियों को प्रेरणा दे रहे हैं :---
" हे कविवर उत्थान करो ,
सुधरे समाज ऐसा ही कुछ तुम गुणगान करो "
श्री संजय श्रीवास्तव जी अंतर्मुखी होने की बात कर रहे हैं :---
" खुद के भीतर जाइए, गहरे पानी पैठकर , खुद से नजर मिलाइए "
श्री सरसकुमार जी घनाक्षरी छंद लिख रहे हैं :---
" नैनो के चला के बाण, मत करो परेशान "
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने बेवफा होते गए शीर्षक से बेहतरीन गजल की प्रस्तुति दी है :---
जाँ से ज्यादा राना ने चाहा जिसे, वो यार सभी बेवफा होते गए "
श्री हरिराम तिवारी जी ने आत्ममुग्ध शीर्षक से मन मुक्ता लिखे कर दार्शनिक भाव प्रकट किए हैं :---
" आत्ममुग्धता में सच्चा सुख चैन है ,आत्ममुग्धता तो ईश्वर की देन है "
श्री मनोज कुमार सोनी जी ने बिना मात्रा वाले शब्दों की बेहतरीन चौकड़िया लिखी है , जिसमें गोपियों के विरह वर्णन को चित्रित किया है :---
" जलचर सम मन तलफत ,
नयनन जल झर टपकत "
डाॅ.सुशील शर्मा जी ने नवगीत लिखा है :---
" दिनभर बोई धूप को चलो समेटे"
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने गजल लिख कर कबीर दास जी का पुण्य स्मरण किया है :---
" प्रेम बांट पारस कर जीवन , बीज जरूरी बोय कबीरा "
श्री स्वप्निल तिवारी जी ने भी भावपूर्ण रचना की बेहतरीन प्रस्तुति दी है ।
श्री एस आर सरल जी ने दोहे के माध्यम से पावस ऋतु के आगमन की शुभ सूचना दी है :---
" मस्ती में घन गर्जना , बरसे अंगना आय "
आदरणीया सुनीता खरे जी ने कहा हो शीर्षक से नायक नायिका के विरह का चित्रण किया है :---
" कितना प्रेम है तुमसे नजर आओ कि मेरी नजरें प्यासी सी लगतीं हैं "
इस तरह से आज पटल पर सभी काव्यकारों ने बेहतरीन रचनाओं की प्रस्तुति दी है सभी महानुभावों का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए समीक्षा कार्य को विराम देता हूं , त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ।
--- कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी (म प्र)
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*222 -आज की समीक्षा*
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 28-6-2021
*बिषय- *"डुबरी" (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *डुबरी* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* ने अपने 5 नोने दोहा पटल पर रखे- और दौहों में सबरे बुंदेली व्यंजन पटल पै परोस दय श्रेष्ठ दोहन के लाने बधाई ।
डुबरी मुरका अरु लटा,मौवा बिरचुन बेर।
कौंइ फरा अरु महेरी,खाखा होबें शेर।।
डुबरी में डोबर फरा,कारी मिर्च महान।
गरी चिरोंजी मखाने ,बना देत हैं शान।।
*2* श्री प्रदीप खरे,'मंजुल' टीकमगढ़ जू ने दोहो में बढ़िया हास्य का प्रयोग किया है। बधाई।
डुबरी सी फदकत रबै,थूतर रही फुलाय।
गटा लटा से काढ़बै, गरिया मोय बुलाय।।
नाम लटा, डुबरी सुनत, मौ में पानी आय।
एक बेर जो खात है, बेर-बेर बौ खाय।।
*3* श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा जू कै रय कै बसकारे में डुबरी बनत है जीके खाबे कौ मजा ही कछू और है। बधाई नोने दोहे रचे।
मौका डुबरी कौ यह, बसकारें में होय ।
चना बनफरा डालकैं, यह बनाय जो कोय ।।
डुबरी खायें जो सदां, पाचन क्रिया भाय ।
रोग -दोग व्यापैं नहीं, स्वस्थ सदा तन राय ।।
*4* *अशोक पटसारिया नादान लिधौरा से लिखत है कै आज के मोडन खों पिज्जा बर्गर भाउत है व उने डुबरी नई पुसात। सासी कै रय भैया । बधाई नोने दोहा रचे है।
पिज़्ज़ा बर्गर माँगतइ,ऐसी पजी लडेर।
डुबरी मुरका लटा,कांकौ बिरचुन बेर।।
मउआ काटे रोड के, भट्टा लगे हजार।
अब डुबरी कां सें बनत,भैया करौ विचार।।
*5* *श्री हरिराम तिवारी मराज खरगापुर* से बता रय कै ईमे का का डरत है। नोने दोहा रचे बधाई।
मीठे मउंअन सें बनी, डुबरी,है रसदार।
भोंतउं,नौंनी,लगतहै,गरी चिरोंजी डार।
होत भुंसरां खांय जो, गर्मी सब छट जात।
डुबरी जिन्ने खाई नहिं,बे खावे ललचात।।
*6* श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो लिखत है कै डुबरी पैले सब घरन में बनत हती और लोग टाथी भर भर खातते। बढ़िया दोहे रचे है बधाई।
पैले सबके बनत ती,डुबरी सदा सुकाल।
टाढी भर सब खात ते,बूढे जुआन बाल।।
डुबरी की सोंधी महक,दौरे तक लौ जात।
सतुआ मिलाय सान कै,दद्दा मजे सै खात।।
*7* श्री अवधेश तिवारी, छिंदवाड़ा से लिखत है कै बोनी के टैम पै डुबरी बनत है। नोनो दोहा लिखो।
बोनी के दिन आ गए,अब डुबरी बनबाओ।*
*ढुलकी-पेटी हेर खे,खूब ददरिया गाओ।।*
*8* *नीता जी श्रीवास्तव रायपुर* परदेश में रै कै भी डुबरी सतुआ भूली नइयां ऊनको जी जै सब खावे ललचात रय। उमदा दोहे है बधाई।
डुबरी सतुआ सँग हमें , बिरचुन सोऊ भाय |
दूर देस में आजकल, जी मोरो ललचाय ||
फीको छप्पन भोग हैं , लड़ुआ, लटा जो भाय |
भौजाई से के दियो, डुबरी सोउ बनाय ||
*9- *श्री सरस कुमार दोह खरगापुर* से लय रय कै आज भी गांवन में दादा की बनी डुबरी जब नाती पोते खात है। अच्छे दोहे है बधाई।
बुढ़े पुराने के गये, पेला के पकवान ।
डुबरी, सतुआ औ लटा, में होत हती जान।।
जौवन तन बूढ़े भये, डुबरी रइ उफनाय।
नाती पोता खा रये, दादा गजब बनाय ।।
*10* श्री *अरविन्द श्रीवास्तव* भोपाल से कत है कै डुबरी को भौत नाव सुनो है पै भोपाल में किते खावे धरी। बहुत सुन्दर लेखन बधाई।
बड़ौ नाव डुबरी सुनो, स्वाद कभउँ नइँ पाव।
इतनी नौनी होत तौ, जीकैं बनै खुवाव ।।
सबके दोहा जो पढ़े, मौं में पानी आव,
डुबरी तौ खानैं परै, बढ़ गव मन में चाव ।
*11* *डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल* जी लिखतीं हैं कै
डुबरी महुअन की बनै, सबखों भोतइ भाय।
बब्बा कक्का चाव सें, सूट सूट के खाय।।
बनो महेरो रात के, डुबरी भोर बनाइ।
ऐसे व्यंजन आय जे, कितउ मिलै ना भाइ।।
*12* * श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.कत है कै हमने सोउ अबे तक नइ खाई जा डुबरी। आजकाल की बहू बनावो नइ जानत है। निचाट सासी कै रय। बधाई।
डुबरी की चर्चा रये,बुंदेली पकवान।
खाई अब तक है नईं,हमें न ऊको ज्ञान।।
डुबरी अब नइ जानती, नईं बहू घर दुआंय।
सुन-सुन घूंघट में खडी़, बस केबल मुस्कांय।।
*13* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक" जू पृथ्वीपुर से भौत नोने दोहा रचत है कै रय कै पैला डुबरी से सत्कार होत हतो। बधाई।
पैलाँ मउआ ही हते , सबके पालनहार ।
नातेदारन कौ भओ , डुबरी सें सत्कार ।।
मउआ फरा किनावनें , पानी संग चुराँय ।
जब डुबरी बन जाय तौ , सिरा-सिरा कें खाँय ।।
*14* **राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से कै रम कै बूढन खौ डुबरी भौत भाउत है वे बड़े चाव सें खात है।
डुबरी,मुरका अरु लता,बुंदेलों की शान।
बिजी,बेर, महुआ,चना,बुंदेली पहचान।।
डुबरी डुक्को खात है,बड़े चाव से आज।
खातन ताकत मिल गयी,कर रइ घर के काज।।
***
*15* श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ जू लिखत है कै- डुबरी भौत खासमखास होत है। नौने दोहे लिखे है बधाई।
मउआ मेबा होत हैं,भौतइ भरी मिठास।
जिन सें जा डुबरी बनीं,खूबइ खासमखास।।
जब तक बउआ जू रईं,रुच रुच रोज बनाइ।
कांसे की टाठी भरी ,सिरा सिरा कें खाइ।।
*16* *श्री संजय श्रीवास्तव, मवई दिल्ली से़ लिख रय कै डुबरी जब चूल्हे पै चढत है तो ऊकी महक से घर महक जात है। बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
डुबरी चूले पे चढ़ी, महक उठी चहुँ ओर।
हूँक भूँख की उठ रई, कूँदे लड़कपचोर।।
महुआ, गुली, गुलेंद्रो, अरु डुबरी की खीर।
मुरका, पउआ अरु लटा, दै महुआ धर धीर।।
*17* श्री राजगोस्वामी दतिया से डुबरी कौं स्वर्ण भस्म जैसों कीमती है। अच्छा लेखन है बधाई।
1-स्वर्ण भसम से कीमती डुबरी है इक चीज । जा खो खा फूलै फलै रहै न मन मे खीज ।।
2-मते मते से लगत है डुबरी खाके लोग । लटा महेरी संग मे लगत पृभू को भोग ।।
3-डुबरी मीठी सी लगत है मिठाइ कौ रूप । जंगल मे मंगलनुमा मिलत गाव भरपूर ।।
*18* *श्री वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया जू टीकमगढ़ से कत है कै डुबरी गरीबन कौ मेवा है। बधाई नोने दोहा रचे।
डुबरी खा कें काड़ दय , भैया ने दिन चार।
बहुत गरीबी देश में , मदद करे सरकार।।
मउंअन की डुबरी बनत , उर बटरा की दार।
बड़े प्रेम सें खात हैं , गांवन में परिवार।।
*19* श्री डी.पी .शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ से कै रय कै- अब वे म उआ के पेड़ नइ बचे, और जोन बजे सो ऊसें दारू बना लेत है। साइ कैरय। बधाई।
मउअन के विराने परे,दारू है दम देत ।।
डुबरी के लाले परे,भऐ ना हम सचेत ।।
अब ना बे मउवा बचे,मिठवाँ टपकट फूल ।।
डुबरी पकवान न मिलै, मन में रय वे झूल ।।
*20* *बडेदा श्री रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ जू ने सोउ नोने दोहा रचे है। बता रय कै डुबरी खावै से खून बढत है। बधाई भौत नोने दोहे लिखे है।
डुबरी मउआ की बनी,फरा डरे हैं ऐंन।
दद्दा,बब्बा, बाइ, बउ,खा रय भैया-बैंन।।
छोटे मउआ चाउनै,और फरा खों चून।
संग चिरोंजी हो डरी,डुबरी बढ़ाय खून।।
*21* *श्री मनोज कुमार सोनी रामटौरिया* ने डुबरी को ब्याव कर रओ है गजब की कल्पना करी बधाई।
डुवरी लाँगा में सजी,नौंनीं खूब दिखात,
सतुआ जू दूला बने,लैकें आय बरात।
फुआ महेरी माँग भरी,बरा नें जोरी गाँठ।
डुवरी के फूपा फरा,फंदकत भरें कुलाँट।
नेंगचार करवारई,आज खीर भौजाई।
पेडा़ मम्मा आन कें,डुवरी बिदा कराई।।
*22* *श्री रामानंद पाठक नंद नैगुवां* ने उमदा दोहे रचे बधाई।
मउवा की डुबरी बनें,वा में रहत मिठास।
बुन्देली बिन्जन बनौ,बनबै जेठन मास।।
मउवा पानी में फुला, दय हडिया में डार।
चना चिरौंजी गरि घनी, डुबरी भइ तैयार।।
*23* श्री राम कुमार शुक्ल चन्देेरा से लिखत है कै मउआ अब दारू बनावे के लाने बिक जात है अब डुबरी को बनात। बढ़िया दोहे है बधाई।
डुबरी के दिन कढ़ गए ,मउवन कौभव नास।
दारू खातिर बिक रये,नइँ लैतै वे साँस।।
लटा महेरी खात हैं,बूरौ बरा सुहात।
डुबरी से ना नोनो लगै,जी के जो मन भात ।।
*24* *श्री एस आर सरल जू टीकमगढ़ ने लिखों के डुबरी मीठी लगत है सभ ई जने भौत चाव सें खात है। बढ़िया लिखा है बधाई।
डुबरी मीठी लगत है,बड़े चाव सै खात।
एक घरै डुबरी बनै,पुरवा भर महकात।।
ईरां सें आज पटल पै 24कवियन ने अपने दोहा अपने अपने ढंग से डुबरी की मिठास घोली है। सबई नेनो लिखों है सभई दोहाकारों को बधाई।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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223- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया, हिन्दी 'जामुन' -29-6-2021
आज की समीक्षा
विषय -- जामुन
29 जून 2021
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लिखी समीक्षा आज की,हिम्मत करके आज
भूल चूक होगी मगर,मत होना नाराज़
हिंदी में दोहा लिखे,सबने बढ़िया आज
जामुन खाये काल्पनिक,ये राणा का राज
डुबरी खा के खाय हम,काले जामुन आज
दोनों व्यंजन खाय के,करते अपना काज
जामुन में गुण बहुत हैं,दोहों में उल्लेख
मन मेरा खुश हो गया,सबके दोहा देख
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आज पटल पर सभी सम्मानीय सहभागियों ने अपने अपने मन के वेहतरीन दोहे पटल पर पोस्ट किए , हालांकि कुछ दोहों में लय भंग होने की स्थिति और मात्राओं की कमी वेशी भी देखी गई , पर उनमें अर्थ / भाव स्पस्ट समझ में आ रहा है ।
सभी दोहे शानदार , जानदार , बजनदार और असरदार हैं । दोहा पढ़ते समय विशाल जामुन के बृक्ष सहित काले , लाल और हरे जामुन भी मन मस्तिष्क में छाए रहे ।
आज पटल पर सर्व प्रथम लिधौरा से पाँच दोहे पोस्ट हुए जो श्री अशोक पटसारिया जी नादान द्वारा रचे गये जिन्हें पढ़कर जामुन की उपयोगिता समझ में आई । आपके सभी दोहे वेहतरीन हैं । दोहों के माध्यम से आपने जामुन के पेड़ ,फल और फल की गुठली तक की उपयोगिता की विस्तृत जानकारी दी । अन्तिम दोहे में जामुन की किस्मों के बारे में बताया गया ।
अभिनन्दन आपका
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श्री शोभाराम दांगी जी ने अपने दोहों के माध्यम से जामुन फल को उत्तम बताया । इसका पेड़ गुणकारी है और इस पेड़ की पत्ती, छाल, गुठली ओषधिए गुणों से भरपूर है ।
अभिनन्दन आपका
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चंदेरा से श्री रामकुमार शुक्ला जी ने जामुन फल,गुठली उसकी लकड़ी की बिशेषताओं से ओतप्रोत दोहे लिखे और बरगद,पीपल,आम के साथ साथ जामुन का पेड़ लगाए जाने के लिए प्रेरित किया ।
अभिनन्दन आपका
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श्री राजीव नामदेव राणा लिधौरी जी ने अपने शानदार दोहों के द्वारा जामुन के मीठे रसदार फल जामू को आजकल हो रहीं बिभिन्न बीमारियों के उपचार हेतु रामबाण बताया । आपके पहले दोहे के अनुसार रोज जामुन खाने से बीमार नहीं होते हैं । जामुन का फल तो ठीक है ही,गुठली भी दमदार है ।
अभिनन्दन आपका
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श्री परमलाल तिवारी जी के दोहों के अनुसार नित जामुन खाने से मधुमेह जैसी बीमारी से मुक्ति मिलती है ।
अभिनन्दन आपका
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श्री रामगोपाल रैकवार जी ने अपने दोहा के माध्यम से जानकारी दी कि
जामुन से ही है पड़ा ,जम्बू द्वीप का नाम
नदी जमुनी भी सुनी,जामुन का है धाम
इसके अलावा आपने एक रोचक कथा भी पोस्ट की ।
अभिनन्दन आपका
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श्री संजय श्रीवास्तव जी के सभी दोहे शानदार रहे । आपने भी जामुन को सेहत के लिए फायदेमंद और गूदे को स्वादिष्ट बताया । काले रंग के गिल गिले रसदार जामुन पर केंद्रित दोहा पढ़कर मुँह में पानी आ गया ।
अभिनन्दन आपका
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Dr.रेणु श्रीवास्तव ने 4 दोहे पोस्ट किए और इन दोहों में जामुन फल को मधुमेह के लिए असरदार ओषधि और नाव के लिए जामुन की लकड़ी को उत्तम बताया ।
अभिनन्दन आपका
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श्री कल्याण दास साहू पोषक जी के सभी दोहे प्रभाव शाली हैं । आपने जामुन फल को प्राकृतिक उपहार कहते हुए गुणकारी व स्वस्थ्यबर्द्धक बताया । इसके खाने से तन निरोग रहता है ।
अभिनन्दन आपका
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श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी पीयूष जी के पांचों दोहे मन पसंद रहे । आपने जामुन की गुठली को मधुमेह के लिए सस्ती और नेक ओषधि बताया । जामुन का मधुर फल गणपति जी का प्रिय भोग है । अभिनन्दन आपका
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श्री प्रदीप खरे मंजुल जी के सभी दोहे बढ़िया रहे । आपने अपने दोहों में जामुन से फायदा और नुकसान दोनों बताये । यदि ज्यादा मात्रा में खा लिए तो पेट दर्द होगा और सही मात्रा में खाये तो आराम मिलेगा ।
अभिनन्दन आपका
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श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी ने अपने दोहे के माध्यम से बताया कि बड़े गोल जामुन बिल्कुल शालिग्राम की तरह दिखाई देते हैं ।आपके अनुसार जामुन फल ओषधिए गुण से भरपूर है ।
अभिनन्दन आपका
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जनक कुं. सिंह बघेल जी ने 5 दोहे रचे और इन दोहों में जामुन को कमाल की ओषधि बताया । इस पेड़ की फल से लेकर छाल तक उपयोगी है ।
अभिनन्दन आपका
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श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने 3 दोहे पोस्ट किए जो जामुन के गुण और अवगुण की जानकारी दे रहे हैं । उन्होंने समझाइस दी कि स्वाद की बशीभूत होकर मनमाने ढंग से जामू न खाएं ।
अभिनन्दन आपका
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श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी द्वारा पाँच दोहे पोस्ट किए गये जो उच्च स्तरीय सोच के प्रतीक हैं । आपके दोहे मन मस्तिष्क को राधा मोहन / शालिग्राम के दर्शन करा रहे हैं । सभी दोहे अलग अलग बिशेषताओं से परिपूर्ण हैं ।
अभिनन्दन आपका
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श्री एस.आर. सरल जी के उत्तम दोहे जानकारी दे रहे हैं कि जामुन एक ओषधिए पेड़ है जिसकी छाल, पत्ते,गुठलियां और फल सहित लकड़ियां मानव जीवन के लिए उपयोगी हैं ।
अभिनन्दन आपका
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अन्त में श्री लखन लाल सोनी ने एकमात्र दोहे के माध्यम से सच बात कह दी कि जामुन खाने से बहुत व कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है ।
अभिनन्दन आपका
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सादर----- 💐💐
वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
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224-श्री डीपी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-30-6-21
🌸🌸जय बुंदेली🌸🌸 साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन
🌸
समीक्षक /पं.डी.पी. शुक्ल 'सरस', टीकमगढ़
🌸
दि./ 30 .06. 2021
🌸🌸🌸🌸🌷🌷
बुंदेलखंड के बागी नेता।
बुंदेली कों नैं गरें लगारय।।
बुंदेली तरसे राष्ट्रभाषा को।
बे मूँस मूँस कें है खारय।
बुंदेलखंड के बुंदेली है कविवर ।
बुंदेली की भर रय तान।।
गांव गबै के सबै एक हो।
एक हो गए सबै किसान।।
पर न चेते बुंदेलखंड के।
जे सब रे मतवारे।।
स्वार्थपरता मैं डूब मिटा रय।
लगा अपने दौर किबारे।।
बुंदेली कों आगे करने।
नाँतर तुम्हें पाछे हो जाने।।
इयै न मानो बात बिरानी।
बात करें जो बुंदेलखंड कीओईकों टीका लग पाने।।
मां शारदा को नमन करत भव जौ बुंदेली कवियन कौ आंगन महकत दिखा रओ, जी में सुगंधित बुंदेली कविता के पुष्प खिलरय ऐई बिसात को आगे बढ़ावे के लाने ----------
प्रथम पूज्य गणराज्य हैं। वाहन मूषक रात ।।
श्री गणेश करत हों।
बे मन मोदक खात।।
नंबर 1. प्रथम में पटल पर उपस्थिति देवे बारे सर्वश्रेष्ठ कविवर श्री ------------- को नमन कर उनके लेखन का गुणगान इस प्रकार है।
नं.1.डी.पी .शुक्ल ,,सरस,, ने अपनी बुंदेली रचना में किसान की आपबीती की चर्चा करी है जीने खेतन बीज बोलव अब आसमान ताक रव है बदरा परेशान कर रय चिल्लाटे के घांम में कुरा सूखत दिखा रव अगर पानी समय पै ना वरसै तो घबरा रव किसान रात की तरैया़ं गिनत,वास्तविकता को विहारी रचना करी है !
नंबर 2 .श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद,, जी ने बुंदेली रचना में कुरीति के बारे में बताओ के
सोचे विटियन के बाप परी सेज में !
पर आग लगे ई दहेज में!!
सांचौ जौ दहेज केवल पैशन बारंन को हमें है जिएे सबने अपना लव ईसे बिटिया वारौ को रव पर लगाम नहीं लगाई जा पा रै ! बिटिया सयानी हो गई लरका नईं मिलत गुन वारौ वास्तविकता को दर्शाती भई रचना के लाने दाऊ साहब को साधुवाद सादर बधाई!!
श्री नंबर 3. श्री अवधेश तिवारी दद्दा जुने सिंगार रचना मैं शब्दों को पिरोव है ,ला दो पिया लल्लरी और तिधानों फिर मैं करूं काम मनमाने, वाह रचना में महिला को सिंगार ला दो फिर काम करा लो सह लहू रोज में तो पिया जी मार री!
ईके लाने मार सवेे कोई भी तैयार है बहुत ही नोनी रचना के लाने श्री तिवारी जब को सादर नमन धन्यवाद !!
नंबर 4 .श्री अनवर खान ने अपनी बुंदेली गजल के माध्यम से हुंकार भरी है जी में हास्य व्यंग भरी बुंदेली को रस बरस रव है कालजई रचना करके ढीली है रिस्तन की गांठ! जबसे जेब कटी कुर्ता की, नन्ना भूलो जवौ हॉट !!
श्री अनवर भाई जनाब खुशनुमा पेशकश के लाने बहुत-बहुत बधाई सादर धन्यवाद!!
नंबर 5 .श्री रामानंद पाठक जी ने अपनी बुंदेली चौकड़िया में
टूटे सपनन के तारे ,
जौ जीवन हम हारे ,
जो जीवन का गव सूनों ! हो गव जब से ऊनों!! हताश भरी जिंदगी में हौसला ही एक जीवन की सीढ़ी है जीपै पांव धर के चढो जा सकत है तो जीवन रूपी गलियारे से पार हो सकत नंद जी सपना को टूटन नहीं देने दर्द भरी चौकड़िया में बताओ के कोरोना जैसे काल में आफत में अपनी जिंदगी अब का करवे के लाने हौसला रखना ही होगा बहुत ही बहुत उत्तम रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन बधाई!!
नंबर 6. श्री परम लाल तिवारी जी ने अपनी बुंदेली रचना में नैया घर की पार लगावे के लाने राम नाम ही चाहने हमारे काम में आने अध्यात्म भरे भावेश में धन को ना करो धिगानों कमा के इतई धरो राने सांचौ तो धन राम नाम है जेऊ कामें आनें जिससे प्रभु के मिलन की राहें मिल जाने तिवारी जी बाह रचना के लाने साधुवाद शिक्षाप्रद चेतावनी दी है सादर नमन वंदन अभिनंदन !!
नंबर 7. श्री अशोक पटसारिया नादान जुने देश पर घात करवे वारन कों तुष्टीकरण करवे वारन कों भौतै फटकार लगाई है जात कुजात करके नेतागिरी चमका रये जो घाटन के पंडन जैसे हो रय जितना इनके बूथ खुलने सो कंडा कड़ जाने चेतावनी भरी सीख दई है व्यंग को रूप देकर
कंड़ा सुलगेंउननके !
करें देश पै घात !!जिसे घाटी से जे पंडा !
जितना खुलने बूथ शो कड़ जाने कंडा !!
रचना के लाने साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!!
नंबर आठ. श्री अरविंद श्रीवास्तव जी ने अमियाँ शीर्षक से रचना में मिठास भरी है भौतै नौनी हास्य भरी रचना नें अमियन के रस मेंबूढ़े ,वारन और नंदैन कौ अमियाँ चखा दैं इथाने की का कानें रसभरी मिठास से मुंह में बोलन के वान मीठे कर दय अच्छी बुंदेली रचना श्रीवास्तवजू ने दै है सादर नमन धन्यवाद !!
9.श्री पी.डी. श्रीवास्तव जी ने अपनी बुंदेली रचना में भौतै नौनी कालजयी रचना रचना में बहुत ही नोनी कालजई रचना करके मन में सुंदर नदिया नारे की चिंता करि है जियो जीवन के लाने जल जरूरी है चिंतन करके तरैया कड़ी रेत में बिछी नोनी नहीं लग रईऔर अब तो ऊपर वाले से विनती करत करत ढोल नगरिया फूट गई लेकिन इ धरती के पालनहार मान नहीं रय बहुत ही नोनी बुंदेली रचना श्री पीयूष जुने सब्दन को मंचन करो है साधुवाद वंदन अभिनंदन !!
नंबर 10 .श्री हरी राम तिवारी जी ने पनिहारी शीर्षक से गुईयाँ के लि बउुआ कुआँ के नेगर बरिया की छाया में उनको डेरा दे दव जुगत बताओ गुईयां और सी फरिया ओढ़ के पानी भरने चली गई नोनी जुगत बता कर बात बनावे वाले श्री तिवारी जी बहुत ही बहुत सुंदर रचना श्रृंगार लेखन के लाने ढेर सारी बधाई सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 11. श्री प्रदीप खरे मंजुल जुने अपनी लोक शैली बद्द रचना में चेतावनी दई गई है कि अनपढ़ ना बने रहो ऐशो पढाव के करिया अक्छर भैंस बराबर न रहै, जब होस समारौ तो पढ़वे की जुगत लगाने!
पेट में रोटी तन पर धोती, पढ़ लिख भाग समारौ!!
बिना पढ़े नहीं होत,
मन भीतर उजयारों !!
भौतै नौनी रचना के लाने मंजुल जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन!!
नंबर 12 .श्री गुलाब सिंह भाऊ जुने मनमानी मनवा की शीर्षक से घर घर की फूट के बारे में बताओ है के देश में भूचाल मचो है भैया से भैया लड़ रय ऊपर से सजे दिखाई देत भीतर मन में मेल भरो है बेई धोको दे रय राम भजन छोड़ मदरा के घूंट लै रय जौ घर देश परिवार कैसे चले भौतै नोनी चेतावनी भरी सीख दई है भाऊ जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन!
नंबर 13 .श्री शोभाराम दांगी जुने लोक शैली बद्द रचना में आध्यात्मिक रूप चेतन में चिंतन करो है बल और विवेक से लंका में हनुमत लाल दी ने डंका बजाओ और लंका को जला आएते योद्धाओं को मार भक्त विभीषण से ज्ञान लेकर रावण के पास ब्रहँ पाँस में बाग बगीचे
उजारे सीता जी को पता लगाओ वानर हनुमान हैं बलसाली आस्था के स्वरूप जीवन के कर्णधार आधार हनुमान की गाथा कर मन में उल्लास भरो है श्री दांगी जी को साधुवाद वंदन और अभिनंदन!!
नंबर 14. नीता श्रीवास्तव जी को उनके बुंदेलखंडी का एक प्रयास शीर्षक से बताओ है के घर में रह रहे हो तभी हास्य और व्यंग भरी ताने जी में तनक प्रेम में कैवे पै नंद भोजाई की तकरार होत और सास बहू की दिनभर की तेज भरी बातें मन को जोड़ती हैं लेकिन जी ने सास को कौशल्या सी माँ को और सीता सी बहू मिले माना है आनंद हो करके स्वर्ग बनाती है बहिन नीता जी को बहुत नोनी रचना के लाने वंदन अभिनंदन सादर बधाई !!
नंबर 15. श्री मनोज कुमार सोनी जुने मताई बाप की अनदेखी शीर्षक से
लड़का पढ़ो अटरिया मे! डोकरा डरो टपरिया मे!! लड़का खा रव बेला मे!
बाप खा रव खपरिया में!!जीने पाले पोसो भाजी रोटी में दिन काटे !
उनका रात दिन भर है घाटी डांटे बजरिया में!
ओइखों वायर्ड कर दव मिली न जगा कोठारिया में!!
सोनी जी को साधुवाद सादर बधाई!!
नंबर 16. श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने चौकड़िया के माध्यम से मनमोहन सखी ना आए नहीं धीर! धरो गलियन नाच नचाए! उनकी अब जब याद आए साजन बिन मोरी अखियां भर भर
आवत भौतै नौनोै सिंगार युक्त चौकड़िया है वंदन अभिनंदन सादर बधाई!!
नंबर 17 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने अपनी बुंदेली रसधारा में किलकिल से बचने की बात करी है स्वर्ग नरक बन जातैे चिंता की लकीरें बढ़त जात बदनामी फेलत गली गली बिलकुल के राने हमें जेउ है गाने और तब फूलन जैसे खिले दिखाओ जीवन के सुख के दिनन कौ उपाय बताव ऐसी सीख और चेतावनी दै है बड़ी सीख दई है रचना के लाने साधुवाद सादर बधाई!!
नंबर 18 .श्री राजीव राना लिधौरी जू ने अपने बुंदेली हाइकु में बताओ के आंख मीच के काम ना करो नांतर कऊं ठौर ना मिले कंजूस की कमाई अल्फिया खाते हैं भौतै नौमी सीख दई है चेतावनी के लाने साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!!
नंबर 19 .श्री एस .आर . सरल जू ने अपनी चौकड़िया के माध्यम से बदरा छाय दिन रात बरस नईं रय उमस बढ़ा ऊत रात पानी गर्म अदन सौ हो रव पी रहे जैसे तैसे !
हे बदरवा बरसो किसान की खेती लहलहा उठे पुकार विनती करवे पै सवई मानत और परहित की पुकार सुनी लोउ जात बहुत विचारण के लाने साधुवाद सादर बधाई!!
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समीक्षा-
द्वारिका प्रसाद शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
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#225-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-01-7-21
---- श्री गणेशाय नमः ---
--- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 1.7.2021 दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिंदी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :---
सर्वप्रथम आदरणीय समस्त काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है, सभी महानुभाव बहुत ही श्रेष्ठ लेखन कर रहे हैं, साथ ही यह पटल अखिल भारतीय स्तर का होता जा रहा है, यह बड़े ही गर्व की बात है । आदरणीया कवयित्रियों की सहभागिता बढ़ना प्रशंसाजन्य स्थिति है ।
आज सर्वप्रथम पलेरा से श्री जयहिंद सिंह दाऊ साहब ने वीरांगना झलकारी बाई पर बेहतरीन गीत लिखकर देश प्रेम की भावना को जगाया है :---
" झलक झलक झलकी झलकारी , झलक गई झलकार "
टीकमगढ़ से आदरणीया मीनू गुप्ता मधुशाला शीर्षक से रचना लिख रही हैं , कोरोना काल में शासन की व्यवस्था पर व्यंग प्रस्तुत कर रही हैं :---
" बंद रहेंगे मंदिर मस्जिद खुली रहेगी मधुशाला "
इंदौर से श्री अभिनंदन गोयल जी कलमकार शीर्षक से बेहतरीन आध्यात्मिक रूप देते हुए गीतिका विधा में लिख रहे हैं , सृजनहार विधाता की सुंदर रचना का चित्रण कर रहे हैं :---
" नहिं दूजी कहीं मिसाल है , उस कलमकार की "
श्री जनक कुं बघेल जी सुविचार के रूप में दोहा प्रस्तुत कर रहे हैं :---
" सुमति जहां रहती सदा कुमति नहीं ठहराय "
टीकमगढ़ से ही श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने गम रहने लगे शीर्षक से बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है :---
" जब मेरे पास गम रहने लगे हैं, दूर तब से ही सनम रहने लगे हैं"
टीकमगढ़ से ही जनाब अनवर साहिल बेहतरीन मुक्त लिख रहे हैं नायिका की अदाओं का चित्रण कर रहे हैं :---
" उसका अंदाज कातिलाना था "
खरगापुर से श्री सरस कुमार जी ने बेहतरीन मुक्तक लिखा है :---
" प्यार शंका भी है , और एतवार भी "
इसी बीच श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन की बेहतरीन समीक्षा पटल पर प्रस्तुत की ।
भोपाल से श्री किशन तिवारी जी समसामयिक भाव प्रधान बेहतरीन गजल लिख रहे हैं :---
" मेरा ये दर्द इकलौता नहीं "
श्री शोभाराम दांगी जी आध्यात्मिक भजन प्रस्तुत कर रहे हैं :---
" कहें दांगी करूणा करले स्वीकार "
रायपुर से आदरणीया नीता श्रीवास्तव जी गजल के माध्यम से कोरोना काल एवं अवर्षा का बेहतरीन चित्रण कर रही हैं :---
" ओस भी सूखे गुलाबों से लिपट कर रो गई "
टीकमगढ़ से श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने बारिश की बूंदे शीर्षक से छंद मुक्त बेहतरीन रचना लिखी है :---
" सावन के महीने में खुलकर नहाओ "
लिधौरावासी हाल निवास भोपाल से श्री अशोक पटसारिया नादान जी सत्य उजागर हो जाने दो शीर्षक से बेहतरीन रचना लिख रहे हैं, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन की विसंगतियों का उल्लेख किया गया है :---
" सत्य उजागर हो जाने दो भारत की आजादी का "
खजुराहो से श्री परम लाल तिवारी जी ग्रीष्म ऋतु की तपन एवं अवर्षा की स्थिति का उम्दा चित्रण कर रहे हैं :---
" तपता सूरज तेज गगन में, गर्मी बहुत सताती है "
छिंदवाड़ा से श्री अवधेश तिवारी जी बहुत ही भाव प्रधान गीत लिख रहे हैं जिसमें नायक नायिका के अवलंबन का उल्लेख किया गया है :---
" तुम सरस श्रृंगार मेरे , तुम सरस श्रृंगार प्रियतम "
गोंडा से श्री मनोज कुमार जी मकड़ी का जाल शीर्षक से संसार की विचित्रता का वर्णन कर रहे हैं :---
" हे ! संसार तू है मकडी़ का जाल"
लखौरा से श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी अपना भारत देश महान शीर्षक से बहुत ही सुंदर रचना लिख रहे हैं :---
" ऐसो भारत देश हमारो , जो है प्राणों से प्यारो "
टीकमगढ़ से ही श्री एस आर सरल जी संत , हंस , बगुला पर बेहतरीन दोहे लिख रहे हैं :---
" संत त्याग की मूरती , करते जन कल्याण "
खरगापुर से श्री हरी राम तिवारी जी विषय प्रियतम पर आध्यात्मिक स्वरूप देकर बेहतरीन रचना लिख रहे हैं :---
" प्रियतम है परमात्मा , आत्मा प्रिया सुजान "
सिवनी से आदरणीया कविता नेमा जी परिवार शीर्षक से बेहतरीन रचना लिख रही हैं :---
" समाज की बगिया का मजबूत पेड़ है परिवार "
श्री प्रदीप कुमार गर्ग जी ने पिता को समर्पित दोहे भेजे हैं ।
श्री डी पी शुक्ला सरस जी जज्बात शीर्षक से बेहतरीन गजल लिख रहे हैं :---
" मुलाकात में कभी नहीं है पीछे यारों "
टीकमगढ़ से ही श्री वीरेन्द्र चंसोरिया जी लोकमंगल की कामना करते हुए बेहतरीन गीत लिख रहे हैं :---
" महकती रहे खुशियों से जिंदगानी "
डाॅ. सुशील शर्मा जी नवगीत के माध्यम से समय की महत्ता का सुन्दर बखान कर रहे हैं :---
" समय नहीं फिर वापस आता "
रामटौरिया से श्री मनोज कुमार सोनी जी सम सामायिक उम्दा गजल लिख रहे हैं :---
"तारीफ करता है बहुत मेरी दुकान की "
इस तरह से आज पटल पर लगभग 2 दर्जन से भी अधिक कवियों ने बेहतरीन रचनाएं लिखी हैं सभी को बहुत-बहुत साधुवाद बहुत-बहुत वंदन अभिनंदन । सभी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त करता हूं कि इसी तरह से पटल पर अपनी सहभागिता प्रदान करते रहें । समीक्षा कार्य को विराम देते हुए त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
---- कल्याण दास साहू पोषक
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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*226 -राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
-आज की समीक्षा*
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 5-7-2021
*बिषय- *"बिजना" (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *बिजना* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला *श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा* से लिखत है कै पति से अपनी बात मनवाने के लाने पत्नी बिजना झल के खुस करवे में लगी है। अच्छे दोहे रच है बधाई।
बिजना झल रइ बैठ कें,परसो पति खों थार।
बात सुना दइ प्रेम सें,करन लगी मनुहार।।
मंदिर के अंदर लगे, बिजना झालरदार।
खूब झूलाबें भक्तजन,रस्सी गिर्री दार।।
*2* *श्री एस आर सरल जू ,टीकमगढ़* से के रय कै बिजली जावे के बाद बिजना ही काम आत है। सुंदर दोहे लिखे है। बधाई।
गरमी से दम घुट रई,धमका भौत सताय।
देहातन बिजली नईं,बिजना रव मन्नाय।।
जब बिजली होती नईं,बिजना आवै काम।
रुच रुच इयै डुराइए,मिलत भौत आराम।।
*3* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* ने बिंद्रावन कौ नौनौ वरनन करो है। दाऊ कौं बधाई पौछे ।
बिन्द्रावन में गोपियाँ,करने चलीं बिहार।
बिजना डुला लुभाउतीं,माधव मदन मुरार।।
राधा बैठीं श्याम सँग,रय रस बिजना डोल।
झलक पसीना की गयी,धुन बंशी रय घोल।।
*4* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* लिखत है कै बांस के बने बिजना जीमे माहुर से सजावट करी भयी है भौय नोने लगत है।
बिल बढ़े न बी.पी. बढ़े,बिजना दे आराम।
बिन लाइट के भी हवा,देतई सुबह शाम।।
बिजना बनतइ बांस कौ,नोनौ रंगइ रूप।
माउर से सिंगार हो,बिजना,डलिया,सूप।।
*5* *श्री 'प्रदीप खरे,मंजुल',जू टीकमगढ़* से लिखत है कै बिजना के बिना नीम तरे आडे डरे रत है। शानदार दोहे लिखे है। बधाई मंजुल जी।
बिजना बिना गरीब खौं,गर्मी में नहिं चैन।
नीम तरै आड़े डरे, दिन कटबै ना रैन।।
बिजना बिना दिन न कटै, गर्मी में हर बार।
बिजली बारे हूक कैं, करबें अत्याचार।।
*6* *श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो* सें लिखत है कै व्याब कें टैम मडवा तरे बिजना फेंकवे की रसम सोउ होत है। बढ़िया दोहे है बधाई महाराज।
बिजना की ठंडी हवा,जो डुलाय सो पाय।
थोडी़ मेहनत के करे,सुखी वही बन जाय।।
दूला मड़वा के तरें,बिजना फेंकन जाय।
चांवर कन्या मारती,अबै प्रथा दरसाय।।
*7* *डॉ सुशील शर्मा जू गाडरवाड़ा* से लिखत है कै मन को बिजना झले से प्रेम संगीत झरत है भौत नौने विचार दोहन में रखे है डॉ साहब कों बधाई ।
मन को बिजना जब झले ,झरे प्रेम संगीत
खकरा महुआ फूल के ,याद दिवावें मीत।
भौत काम बिजना करे ,बड़ो है नंबरदार।
गुस्सा जब मन में चढ़े ,दे बलमा के मार।
8* *श्री रामगोपाल जू रैकवार, टीकमगढ़* ने भौत नौनो व्यंग्य भरो दोहा रचो बधाई।
बिजना रखकें सामनें,अपनों मूड़ हिलाय।
ऊकौ बिजना जनम भर,पूरौ संग निभाय।।
*9* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र* लिखत है कै आजकाल एसी कूलर के सामने बिजना बेकार हो गये है लेकिन बिजली चले जावे पै बिजना ही काम आत है। उमदा लेखन है बधाई।
नये जमाने की हवा, चली इस तरां यार।
पंखा कूलर सामने, बिजना भय बेकार।।
बिजली ने धोखा दिया, जिस दिन बरखुरदार।
बिजना उस दिन आपके, आवे कामे यार।।
*10* *श्री अभिनन्दन गोइल, इंदौर* से कै रय कै जैठ मास में बिजना भौत काम आत है। बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
बिजना लै छज्जे चड़ीं, कथरी लई बिछाय।
जेठ -मास की रात जा , बातन में कड़ जाय ।।
परे मड़ा में दोऊ जन , गोरी बिजन डुलाय।
अबै न जइयौ हार खों , दुपर लौट तौ जाय।।
*11* *श्री अवधेश तिवारी जू छिन्दवाड़ा* नो नो जने सेवा में लगे है सो परे परे मुटिया गये है। अच्छे दोहे है बधाई।
इक उनकी मालिश करे,इक पानी अन्हवाय।
इक उनकी रोटी पुए,इक उनखे जिमवाय।
इक उनखे बिजना झले,और इक पान लगाय,
इक बोदा के देख लो,हो गए नौ चरवाय।।
*12* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* लिखत है के जब बिजली झटका देत है तो बिजना ही काम आवे है। अच्छे दोहे है बधाई।
बिजना जानो देह खो,देबै सुख आराम।
गरमी खो ठन्डो करे,दै सेजन पै काम।।
बिजली झटका दैत है,बिजना कामे आय।
रिस्तेदार भोजन करे,अन्लो देत ढुलाय।।
*13* *श्री शोभराम दाँगी नंदनवारा* राम दरवार कौ नोनो चित्रण दोहा में कर रय है। बधाई
झाँकी बाँकी राम की, सिंहासन हरसात।
दास -दासियां बीजना, पल -पल पै ये डुलात।।
रंग -बिरंगे बीजना, बनते गोटा दार।
कला -कृती है हांत की, ठंड़ी लगै बयार।।
*14* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर* सभी दोहे भौत शानदार दोहे रचे है बधाई श्री पोषक जी
बिजना बनतइ बाँस कौ , रँग सें देत सजाय ।
नीचट-सौ डाँडौ़ लगा , पुंगू देत विदाय ।।
भरी दुपरिया जेठ की , पई-पाँउनें आय ।
खटिया पै बैठार कें , बिजना दयौ डुलाय ।।
*15* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* ने बिजना सी डोलत फिरे वाह, शानदार दोहा रचे है। बधाई
बिजना सीं डोलत फिरें, बिजना नईं डुलांयं।
उमस लगै लैबे हवा,अटा ऊपरै जांयं।।
कोमल कर लयं कामनीं, बिजना झालर दार।
डुला डुला कें डोलबें,नई नबेली नार।।
*16* *श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू टीकमगढ़* से लिखत है कि बिजली कि बिल समाधान बता रय है।
बिन बिजली बिजना चलै, हमने खूब चलाय।
जब जब बिजली जायगी,जेउ काम है आय।।
घर में जित्ते आदमी,उततै बिजना लाव।
बिजली बिल की का कनें,बढ़ गय ऊके भाव।।
- ईरां सें आज पटल पै 16कवियन ने अपने अपने ढंग से बिजना झले है। सबई नोनो लिखों है सभई दोहाकारों को बधाई।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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227- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया बुंदेली स्वतंत्र' -6-7-2021
हिंदी दोहा ( विषय - विवेक )
समीक्षा
6 जुलाई 2021
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आज पटल के सभी सम्मानीय कवियों ने शानदार विषय विवेक पर वेहतरीन दोहे लिखे जिन्हें पढ़कर जीवन के लिए सीख व शिक्षा प्राप्त हुई ।
श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी के शानदार और जानदार दोहों से एडमिन जी द्वारा दिये गये बिषय पर दोहा लेखन की शुरुआत हुई वहीं श्री संजय श्रीवास्तव जी के असरदार और बजनदार दोहों से दोहा लेखन की समाप्ति हुई जो प्रसन्नता की बात है ।
आज पटल पर लिख दिये, दोहा सभी अनेक
हर दोहा में मिल गया,पढ़ने हमें विवेक
दोहा पढ़कर लिख रहा,कविवर सभी महान
सबके पास विवेक है,चिन्तन और ध्यान
सभी के सभी दोहे कुछ न कुछ सीख दे रहे हैं जो मानव जीवन के लिये उपयोगी है । सभी सम्मानीय कवियों ने जाग्रत होकर अपने अपने दोहे पोस्ट किए हैं । किसी ने 3 , किसी ने 4 , अधिकांश कवियों ने 5 तो किसी ने 7 दोहे तक पोस्ट कर दिये । इससे पता चलता है कि एडमिन जी द्वारा दोहा लेखन के लिये दिया गया विषय सभी को काफी रोचक लगा और दमदार दोहा लिखने के लिए मजबूर कर दिया । सभी दोहे मूल्यवान है ।
सर्वप्रथम जय हिंद सिंह जय हिंद जी पाँच दोहे पटल पर पोस्ट करते हैं जो हमें सीख दे रहे हैं कि विवेक से काम लेने बाले की न केवल विजय होती है बल्कि जीवन नैया भी पार हो जाती है क्योंकि विवेकशील व्यक्ति धीर,बीर और गंभीर होता है । यही गुण विजय और सफलता दिलाते हैं ।
आभार अभिनन्दन
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श्री अशोक पटसारिया जी 5 दोहे लिख रहे हैं और ये दोहे हमें समझा रहे हैं कि मानव ही ऐसा प्राणी है जिसको मालिक ने विद्या, विनय और विवेक रूपी सम्पत्ति दी है । आपके अन्तिम दोहे के अनुसार यह संसार सच नहीं है । हमें इसकी चमक से बचकर सत्संग की ओर उन्मुख होना चाहिये । सत्संग से ही धर्म,विवेक और सात्विक बिचारों की जागृति होगी ।
आभार व अभिनन्दन
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श्री प्रदीप खरे जी द्वारा आज पटल पर 5 दोहे पोस्ट किये गये जो विवेक के महत्व को समझा रहे हैं । आपके रचे दोहों के अनुसार भले - बुरे , अच्छे - खराब और उचित - अनुचित को समझने के लिये विवेक का होना अत्यावश्यक है । आपके पहले दोहे ने ही जीवन की सीख दे दी है , शेष दोहे भी मानव जीवन के लिए आवश्यक शिक्षा दे रहे हैं ।
आभार/अभिनन्दन
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श्री परम लाल तिवारी ने 5 दोहे लिखे जो बता रहे हैं कि उत्तम संगति के बिना विवेकवान बनना मुश्किल है इसलिए बुरी संगत से बचकर रहना चाहिए । आपके चौथे दोहे के अनुसार समय बहुत कीमती है ,इसे व्यर्थ नहीं खोना चाहिए । जो समय का सदुपयोग करता है वही विवेकशील है ।
अभिनन्दन व आभार
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श्री शोभाराम दांगी जी ने अपने विवेक का उपयोग करते हुए पटल पर सभी सहभागियों से ज्यादा दोहे पोस्ट किए जो कह रहे हैं कि बिना विवेक के कोई भी मंजिल नहीं पाई जा सकती है । विवेकहीन को जीवन के हर मोड़ पर नुकसान उठाना पड़ता है ।
आभार व अभिनन्दन
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श्री प्रदीप कुमार गर्ग जी द्वारा रचे गए दोहों के अनुसार मुशीबत की घड़ी में विवेक ही काम आता है । बिगड़े हुये काम विवेक से बन जाते हैं । साथ ही यश की प्राप्ति होती है ।
अभिनन्दन व आभार
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इनके पश्चात सम्मा.. जनक कुं. सिंह बघेल ने 5 दोहे पोस्ट किये । आपके दोहे शिक्षा दे रहे हैं कि विवेक जाग्रत कर ही मन को संयमित किया जा सकता है । विवेक ही मानव और पशु में अंतर स्पस्ट करता है ।
आभार व अभिनन्दन
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Dr.रेणु श्रीवास्तव जी के दोहों के अनुसार विद्या,विनय,और विवेक के अभाव में जीना बेकार है क्योंकि यही जीवन के मुख्य आधार हैं । आपने सारगर्भित बात बताई कि विवेक बिना बुद्धि अनाथ है ।
आभार व अभिनन्दन
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श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव जी के वेहतरीन दोहे सीख दे रहे हैं कि श्रेष्ठ मानव योनि पाकर हमें विवेक को खोना नहीं चाहिए । विवेक का सदुपयोग करते हुए किसी के काम आते रहना चाहिए । जीवन में जो भी करें , स्वविवेक से करें । अंधभक्त नहीं बनना चाहिए ।
अभिनन्दन व आभार
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श्री कल्याण दास साहू जी ने शानदार 5 दोहे पटल पर पोस्ट किये जो हमें बता रहे हैं कि विद्या,विनय और विवेक हमारे जीवन के साथी व संरक्षक हैं जिनके जीवन में ये नहीं हैं उन्हें अनाथ की तरह समझना चाहिए । धन्य हैं बे जिनके पास विवेक है । विवेक ही सच्ची राह बताता है ।
अभिनन्दन व आभार
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श्री गुलाब सिंह यादव जी के दोहे जानकारी दे रहे हैं कि कलयुग के इंसान ने विवेक को खोकर नेक कार्यों को भुला दिया है । आपके अनुसार जिनके पास विवेक नहीं है उनसे हँसी कोसों दूर हो जाती है और जीवन में सम्मान भी नहीं मिलता ।
अभिनन्दन व आभार
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श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने जीवन की सीख देते हुए 3 दोहे पोस्ट किए । आपके दोहों के अनुसार जीवन में कैसी भी परिस्थितियां हों पर विवेक कभी नहीं खोना चाहिए । यदि विवेक से काम लिया गया तो अनेक विपदाओं से सहज ही मुक्ति मिल सकती है ।
आभार व अभिनन्दन
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श्रो S.R. सरल जी के दोहे ज्ञान का महत्व समझा रहे हैं कि यदि ज्ञान की ज्योति ह्रदय में जलती है तो अज्ञान रूपी अंधकार का नाश हो जाता है । विवेक हो हित अनहित का बोध कराता है । ज्ञान सागर अथाह है ।
अभिनन्दन व आभार
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झांसी से Res. संध्या निगम भूषण जी द्वारा 5 दोहे पोस्ट किए गए ।प्रत्येक दोहा मार्गदर्शन दे रहा है कि बिना विवेक के कल्याण सम्भव नहीं है इसलिए हमें विवेकशील बनना चाहिए । क्या अच्छा है और क्या बुरा है ? यह हम विवेक शील बनकर ही समझ सकते हैं ।
आभार व अभिनन्दन
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Dr. सुशील शर्मा जी ने 5 दोहे पोस्ट किए जिनके अनुसार क्रोध विवेक को हर लेता है और बुद्धि नष्ट कर मन की शान्ति को क्षीण कर देता है । परिपक्व बिचार होने पर ही विवेक जाग्रत होता है ।
आभार व अभिनन्दन
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श्री हरिराम तिवारी हरि ने 5 दोहे पोस्ट करते हुए अपने विचारों से अवगत कराया कि विद्द्या,विनय, विवेक महापुरुषों की पहचान है । जो इन गुणों से सम्पन्न हो वह श्रेष्ठ है ।
आभार व अभिनन्दन
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आचार्य श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी ने अपने दोहों के माध्यम से सीख दी है कि जिसके ह्रदय में विवेक है वही सच्चा इंसान है । यह विवेक बिना सत्संग के जाग्रत नहीं होता है । चौथा दोहा सच्चे ज्ञान विवेक से सफल इंसान बनने की सीख दे रहा है ।
अभिनन्दन व आभार
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दतिया से श्री राज गोस्वामी के दोहों के अनुसार बिना विवेक के जीना कठिन है । मानव अपना विकास विवेक बल से ही करता है ।
अभिनन्दन व आभार
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श्री मनोज कुमार सोनी जी अपने दोहों के माध्यम से कहते हैं कि विवेक हाट बाजार में नहीं मिलता है । यह संतों की अमृत वाणी से मिलता है । बिना विवेक नर पशु समान है । विवेक से ही दुख दर्दों का निदान होता है ।
अभिनन्दन व आभार
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अन्त में श्री संजय श्रीवास्तव जी 3 दोहे पोस्ट करते हुए दोहों के माध्यम से कहते है कि विद्द्या,विनय,विवेक का जिस इंसान में वास होता है वह चंदन की खुशबू की तरह महकता रहता है । विवेक शक्ति से मानव लोभ,मोह,मद, पद आदि विकारों से मुक्त होता है ।
अभिनन्दन व आभार
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सादर प्रस्तुत💐💐💐💐
** वीरेन्द्र चंसौरिया *
मार्गदर्शन- श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' जी!
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228-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्वतंत्र-7-7-21
🌷जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🌷
स्वतंत्र बुंदेली पद्य विधा
🌷
समीक्षक पं. डी.पी शुक्ला ,,सरस, टीकमगढ़
🌷
दिनांक /07.07 .2021 🌷
बुधवार
बुंदेलखंड की धरा पै! हरियाली रई छाय!!
कुहू कुहू मोर चहक रई! दादुर लै बरात है आए!!
घन घमंड गरज रय!बरसत धरनि पै मेंह!!
बुंदेली के कविवरन!
राखत बुंदेली स्नेह !!
पीहू पीहू चातक रटें!
हे बुंदेली की आान!!
बुंदेलखंड के बुंदेली मनिषि!
बुंदेली की खेंच रय तान!!
आज के पटल पै बुंदेली की रस धारा को प्रवाह देत भय बुंदेलखंड के मांन कोई बढ़ाउत जा रय बहुत ही नोनी रचनाओं के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है जिन्हें सादर नमन और धन्यवाद करत भय बुंदेली भाषा को उच्च आयाम देवे के लाने प्रयासरत कविवर ने बुंदेली को मान बढ़ाओ है रचनाओं में उत्तमता में को भरो है जीसें बुंदेली माटी की सोंधी महक बढ़ गई है सवई काव्य मनीषियों को सादर नमन साधुवाद वंदन अभिनंदन करत भये आग्रह है कि बुंदेली को आयाम देवे के लाने हमें कठोर परिश्रम करने पर है ज़ेऊ सार्थक हुई है धन्यवाद !!
प्रथम चरन बंदन करूं!
गणपति सिर नवाय !!
मां शारदा रक्षा करौ!
दे बल बुद्धि और नरम सुभाय !!
नंबर 1 ,.प्रथम में पटल पै आवे वारे काव्य मनिषि बुंदेली के भावों को प्रस्तुत करने वारे मनीषि सर्वश्री अशोक पटसरिया जब नादान को नमन करत भये उनकी रचना को श्रेयस्कर मानत भए उन्हें साधुवाद वंदन अभिनंदन करत उनके द्वारा रचना में खबरदार सावधान शीर्षक से भाव भरे हैं जी में आफत में है जान प्रभु श्री पटसारिया जू ने तीसरी लहर के बारे में सचेत करो है चेतावनी दई है कै अबई देख लो जो हाल काय करत रय और बवाल ईसे मोड़ी मोंडा ताई हेर लो जो खतरा मोल नई लेने और जूठौ सकरौ न छुऔ मोड़ी मौड़न को देखत राने बहुत ही नोनी चेतावनी दई है जीके लाने उन्हें बधाई और वे धन्यवाद के पात्र हैं!!
नंबर दो .श्री जय हिंद सिंह , जयहिंद, देव जू ने अवध की बधाई से पैरोडी राम जी राजी हैं बधाइयां बाजी है जन्म भए सुकुमार पालनहार टुकुर मुकर हेरत पलना में बहुत ही प्यारी छवि को वर्णन करो है और सुरताज बाजे शहनाई किन्नर गंधर्व बधाई गा रहे हैं मनोरम दृश्य स्वर्ग का आनंद लेते मन भाव विभोर गौरव बहुत ही नोनी अध्यात्म भरी मनमोहक रचना के लाने दाऊ साहब को साधुवाद सादर नमन!
नंबर 3 .श्री शोभाराम दांगी जुने अपनी रचना में भाव रूपी केवट राम रूपी श्री राम के चरण कमल धो रहा है राम जी चरण कमलों को धुला रय हैं श्री दांगी जुने रचना में भाव भरे हैं खेती-बाड़ी चौपट हो गई पानी नहीं बरसे सो जंगल मिटा दय से जा परेशानी भुगत रय सब रे बंडा रीत गए सो भैया अब पेड़ नहीं काटने नातर और वर्षा को ठकानों नहीं रहे बहुत ही नोनी रचना विरछा लगावे की सीख और चेतावनी दी है दांगी जी ने भौतै नोनी रचना के लाने वंदन अभिनंदन सादर बधाई !!
नंबर 4. श्री पी. डी. श्रीवास्तव जुने अपनी चौकड़िया के माध्यम से पावस ऋतु का वर्णन करो है जी मैं आ जाऊं फिर से सगुन समैया खुशी मना लो भैया को वर्णन करो ढोल नगाड़े लेकर जे बदरा आ गए और जल बरसा रहे दादुर और चातक मोर पपीहे ढोल नगाड़े से बजा रहे जेई गवैया आ गए रस की बूंदे फुहारें परत फुहारे परत राधा रानी फूली नहीं समा रही और हरियाली से सज गई बहुत ही नोनी पावस की छटा के वर्णन करो बुंदेली रचना में रस भरे है. बहुत-बहुत बधाई सादर वंदन अभिनंदन!!
नंबर 5 .डी.पी. शुक्ला सरस ने अपनी रचना में पावस के दिन आए शीर्षक से अपने भावो को लिया हैं जी में पावस को आनंद यह सावन लगते दादुर बरात लेकर आ गए और मोर पपीहा अपनी रट लगाए हैं मन की मिठास भरी मन को भा रही है चातक स्वाति बूंद के लाने बिजुरी सी देहिया भटक रई है बताओ है के जल बरसत बहुत ही आनंद आउत है बरसा ना होवे से किसान परेशानी में है समीक्षा हेतु रचना प्रस्तुत!
नंबर 6. श्री परम लाल तिवारी जुने अध्यात्म भरी अंतरात्मा कि अध्यात्म भरी-हैं भाव उकरेे हैं ओर भूलो भटको तुमरे शरण में आओ चाय नौने रखो या बुरे भले से हमें तो अपने नेंगर रखियो एसौ करियो के इस भाव के पी लेना पर मैंने प्रेम तुमसे करो चाय दुत्कार दो तुम ही हमारे सभी कुछ हो बहुत ही प्रेम भरी विनय करके नोनी रचना के लाने साधुवाद हार्दिक बधाई!
नंबर 7 .श्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव जी ने हास्य व्यंग भरी रचना में भूखे भाड़ दिवारी गा रय करें ना तो फिर कहां से खा रय गैया चर गई सब रो हार उड़ी चिरैया सबरी हार जिते देखो जो लूट मची है और पानी नहीं बरसो सूखे खेतन में धूरा सी उड़ गई और सरकारन में जेऊ हो रव और सबरे र्मिलके खावे में लगे हैं सब कोई लूट भरे खेत में पंगत सी बैठा रे हैं श्रीवास्तव जी ने हास्य बुंदेली में व्यंग में समसामयिक बात को बताओ है और चेतावनी दी है अबई समझ जाओ बहुत ही नौंनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 8 .श्री किसन तिवारी जी भोपाल ने अपने बुंदेली गीत के माध्यम से अनपढ़ न राहों कोऊ ,को करने पर है जतन सोई हेतु को चरितार्थ करत भए बूढ़े कोई पढ़ने जरूर है हम सब की मंजिल अब ना समझो दूर है ,सब धर्मन की एक हि सार जात पात ना कौनो दीवार ,ना कोई मालिक ना मजदूर देश की तरक्की में हाथ बढ़ाओ रे मेरे छूट सूर नई सदी के लाने जो अरमान रखे थे देखो कोरोना में धरे के धरे रह गए व्यंग भरी चेतावनी सीख परक रचना में बुंदेली के भाव भरवे के लाने तिवारी जी को सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 9 .श्री गुलाब सिंह भाऊ जीने चौकड़िया में टीवी देख के लड़के की बात करी है और यह उदम करे जारय झगड़ा कर मरका बने सीख की चेतावनी दी है धन्यवाद हार्दिक बधाई
नंबर 10 .श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जुने अपनी कविता टीका अभियान ही सकते पहले वैक्सीन बारे डर रहे थे तीली से उतरा रहे गांव में में मर रहे थे बमुश्किल लगवा रहे हम दूसरौ डोज दूसरे ने दो से निपटें तीसरे की हो रही खोज, सेंत में लगवा लो अबे लाखन में नर जैहो जय हो सीख भरी चेतावनी दी है जो समसामयिक और कारगर है रचना कारगर है के लाने साधुवाद हार्दिक बधाई!
नंबर 11 .रेनू श्रीवास्तव ने अपनी मंथरा शीर्षक से केकईे की बारी दासी मंथरा की बुंदेली में भाव भरे हैं और उन्हें सारी कहानी को पलटदव एसौ काज क पाई नौकरानी कछु ना कर पाई तब महारानी !!
ईसे काऊ कों छोटो ना मानो सबई में यह आत्मा है और एक ही खून बहुत ही नोनी सीख भरी चेतावनी दी है मंथरा की उपमा देकर समझाएंस दैवे के लाने सादर बधाई!
नंबर 12 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने समसामयिक रचना करके मजबूर किसान की हालात पै रचना करी है कै वे मतवारे कारे कारे धन कढे़ हमरे द्वारे !
और जिद पर अड़ गए इधर धरा की प्यास ना बुझी पाई और आशा में देकें पांव उखड़ गए गए! गरजे ज्यादा बर से कम हैं संग हवा के उड़ गए !पोषक उमस पसीना धमाका ,
बेचैनी में पड़ गए साधुवाद, सादर बधाई!
नंबर 13.श्री संजय श्रीवास्तव जुने बातन बातन बतबड़ हो गई निपटो ना कोऊ गड़बड़ हो गई !!
जबकि ढा़की मुदी सो साजी!
सोसा जी पुणे सबरी ढके पोलें सबरी ढा़ँके रईयौ!
अरौ लैवे जाने तो उयै का सुलझाने !
बहुत ही नौनी सीख भरी चेतावनी दी है के बे सिर पैर की बातें नहीं करनी नातर मुड़फोरौ हुई है सुंदर सटीक रचना के लाने सादर बधाई हार्दिक वंदन अभिनंदन !
नंबर 14 .श्री एस आर जू ने अपनी गुचंदैं शीर्षक से रचना में भाव भरे हैं बिदी फिर रई भौत गुचन्दें, कितै कितैे की निपटावें !!
एक गुचंद निपट नई पा रई, बीच दूसरी में जावे,, जब से वैक्सीन लगवाई शो गुरा गुरा ढिलया गव, और दिया ना सादे वेऊ ऐठ जात! और भी बने काम में टांग अड़ाउत सीख भरी व्यंगात्मक रचना चेतावनी के लाने उत्तम रचना करी है सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 15 .श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जुने अपनी बुंदेली के माध्यम से नौतपा में देखो पतरी गैल पकड़ो भटके बदरा मुंह का ताप निकल गए बदन की लुकाछिपी बुंदेली रचना में मैं बदरन के घात की बात करी है ऐसो धोको न दिउयो जैसौ जे बदरा दै गए निकरे पतरी गैल कछु ना हमसे कह गए बहुतनौनी रचना के लाने हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर बधाई!
नंबर 16 .श्री हरी राम तिवारी जी ने चौकड़िया के माध्यम से बुंदेली में भाव भरे हैं मिथिला में झूलन शीर्षक से रसिया राम सिया जोड़ी लकहरि गुरु मती हरसाणी झूला झुला रही मिथिला रानी, झूल रहे मन में सांवरे राम निहारे बहुत ही नोनी रचना के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 17 .श्री मनोज कुमार सोनी ने ठेट बुंदेली में रचना करी है के अब तो ताऊ को का बुलाओ नेता सबके नई हैरत, काम के लाने वैरा बन गए बोटन को सो भारी पेरत !
बात टका सी मौपै कत हम ,जवई तो मो पै सवई चिढ़े रात!
गाउन के गुरुवा आएं शो खेरन में परे रत ,बहुत ही नोनी व्यंग भरी चेतावनी के तजवीज के वोट देने बहुत ही नोनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नम्बर 18. सुदीप खरे मंजुल जुने अपनी सिंगार की रचना प्रस्तुत करी है घूंघट में नैना के बान चला रही ओंठ लाली दए और बन्न बन्न के व्यंजन मंगा रई अगर कहते हैं तो मायके जावे की धमकी देत छैलन संग चिता का, ऐसी मनहरण मुनैयाँ पूरे पुरा भरे में नैयाँ!
बहुत ही नोनी सजीली सिंगार भरी रचना प्रस्तुत करी है जी के लाने सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई ,
लेकिन सिंगार रचना देर से प्रस्तुत की है।।
समीक्षक- श्री डी.पी. शुक्ला टीकमगढ़
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229-श्री कल्याण दास पोषक,हिंदी स्व.पद्य-08-7-21
---- श्री गणेशाय नमः ----
---- सरस्वती मैया की जय ---
आज दिनांक 8.7.2021 दिन गुरुवार को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर प्रस्तुत हिंदी पद्य लेखन की संक्षिप्त समीक्षा :----
सर्वप्रथम आदरणीय सभी काव्य मनीषियों को सादर प्रणाम करते हुए बधाई देना चाहूंगा सभी बेहतरीन लेखन कर रहे , समसामायिक एवं ऋतु अनुसार लेखन कार्य को प्रधानता दे रहे हैं।
नये-नये छन्दों का सृजन कर रहे हैं ।
आज सर्वप्रथम श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने बचपन की यादों को ताजा करती बेहतरीन पावस ऋतु की रचना प्रस्तुत की :---
" स्कूलों में आते जाते हम भीगे कई बार "
आदरणीयि नीता श्रीवास्तव जी ने वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण कर लेखनी चलाई है :---
" फलक से यूँ आती है बूंद गुनगुनाती हुई "
कल्याण दास साहू पोषक ने एक कुण्डलिया लिखी :---
" राधा विरह वियोग में , डूबी हैं दिनरात "
श्री मनोज कुमार जी ने छंद मुक्त बेहतरीन रचना लिखी :---
" मैं नहीं मेरी कलम बोलती है "
श्री किशन तिवारी जी ने गजल लिखकर मां की महिमा का बहुत ही सुंदर बखान किया है :---
" फुर्सत में जब उसको समझा , गागर में सागर है मां "
आदरणीया मीनू गुप्ता जी ने खेत खलिहानों के महत्त्व को परिभाषित किया है :---
" खेत खलिहान ही भारत की पहचान हैं "
श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी ने चौकड़िया छंद के माध्यम से पावस ऋतु का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है :---
" रिमझिम जे रस बुंदियां बरसें "
श्री हरिराम तिवारी जी मन मुक्ता के माध्यम से बहुत ही सुंदर शब्दों में प्रभु जी की स्तुति कर रहे हैं :---
" हे रमा रमन हरि तव पद पदम नमामि "
श्री अभिनंदन गोयल जी मनुष्य को आत्म अवलोकन की सलाह दे रहे हैं :---
" जानों अपना मानव होना "
श्री परमलाल तिवारी जी अंगद रावण संवाद की सुंदर व्याख्या कर रहे हैं :---
" अंगद ने फटकार लगाई , रावण क्यों गाल बजाता है "
श्री प्रदीप खरे मंजुल जी मानव जीवन की संघर्ष मयी स्थिति का बेहतरीन चित्रण कर रहे हैं :---
" भंवर जाल में फंसा है जीवन , कभी द्वंद है , कभी अमन है "
श्री शोभाराम दांगी जी बालकों को प्रेरित कर रहे हैं बहुत ही सुंदर पंक्तियां गीत के माध्यम से प्रेरणा दे रहे हैं :---
" विज्ञान की डगर पर बच्चो दिखाओ चल के "
श्री डी पी शुक्ल सरस जी ने स्वतंत्र बुंदेली पद्य विधा की बेहतरीन समीक्षा प्रस्तुत की ।
श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी गजल के माध्यम से भाव प्रधान असमर्थता व्यक्त कर रहे :---
" तेज उठती लहर हो तो मैं क्या करूं "
श्री एस आर सरल जी मेघों के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं :---
" काले-काले छाए बादल , तन मन हर्षित करते हैं "
श्री सरस कुमार जी मुक्तकों के रूप में अपने भाव व्यक्त कर रहे हैं :---
" जो मुझे आस है , वो तुम्हें आस है "
आदरणीया कविता नेमा जी जीवन की उलझनों पर बेहतरीन लेखनी चला रही हैं :---
" कहने को तो कितना सरल है जीवन , जीना उतना ही कठिन है जीवन "
डाॅ. अनीता गोस्वामी जी सावन की ऋतु का सुन्दर शब्दों में स्वागत कर रही हैं :---
" शुभकामना सावन की , सावन की झड़ी की "
आदरणीया संध्या निगम जी ने सुन्दर रचना की तस्वीर भेजी है :---
" संध्या कहे ये सब से , मन में हौसला रखो "
श्री संजय श्रीवास्तव जी बेहतरीन कुण्डलिया लिखी है :---
" धन से दुख मिटता नहीं , पद से मिले न चैन "
श्री जनक कु. बघेल जी ने भी बेहतरीन कुण्डलिया लिखी है :---
" रहते हरदम आपके , बैरी कपटी साथ "
श्री मनोज कुमार सोनी जी ने बेहतरीन छंदों की प्रस्तुती है :---
"ओरछा से दुर्ग जितै बिराजत हैं रामराजा "
डाॅ. रेनू श्रीवास्तव जी धरती माता का श्रृंगार करने के लिए प्रेरित कर रही हैं :---
" हरी हरी चादर वसुधा को , पहनाने का करो प्रचार "
श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी छंद मुक्त रचना लिख रहे हैं :---
" हम मालिक हैं मनमर्जी के "
श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी बेहतरीन गजल लिखकर अपनी अभिव्यक्ति दे रहे हैं :---
" अमानत में ख्यानत कर रहे हैं "
श्री प्रदीप गर्ग जी हायकू विधा में बेहतरीन प्रस्तुती दे रहे हैं :---
" तेरे जाने से , बिखरा है जीवन , कैसे संवारूँ "
श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी भीषण गर्मी की वजह से बिलंब से पटल पर उपस्थित होकर ग्रीष्म ऋतु का बेहतरीन चित्रण कर रहे हैं :---
" गर्मी से भई बुरा हाल है , सूरज लगता मनों काल है "
इस तरह से आज पटल पर 2 दर्जन से भी अधिक काव्य मनीषियों ने बेहतरीन रचनाओं की प्रस्तुति दी है , सभी का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए मैं समीक्षा को विराम देता हूं , त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ।
---- कल्याण दास साहू पोषक
पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी (मप्र)
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230-राजीव नामदेव रानालिधौरी,बुं.-पंगत-12-7-21
*230 -आज की समीक्षा*
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 12-7-2021
*बिषय- *"पंगत" (बुंदेली दोहा लेखन)
आज पटल पै *पंगत* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज भौत नोने दोहा रचे गय सासउ पंगत जैबै जैसो स्वाद दोहन खां पढ़के लगो।जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। गजब के नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला *1-श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा* ने अपने दोहन में लिखों है कै पैला कौ खान पान भौत नौनो हतो अब सब गिद्ध भोज करत है। सभी दोहे नोनै है। बधाई भाऊ।
खान पान पैला हते,ओर पंगत की सान।
कड़ी बरा पुलकियाघी शक्कर सन्मान।।
हातन में थाली लये ,इते उते जे जात।
ठाडे ठाडे खा रहे,खारये जात कुजात।।
*2* *श्री प्रदीप खरे, मंजुल, पुरानी टेहरी, टीकमगढ़* से कै रय कै पैला पौनछक मिलत ती सो ओइ में अफर जातते अब कां धरी, भौत शानदार दोहे रचे है मंजुल जी बधाई।
पंगत की जांसें सुनी, हाल फूल भइ मोय।
काल दिना की बाठ में,आज रात नहिं सोय।।
पंगत में तो पौनछक, पौन खात छक जात।
कड़ी बरा अरु भात सब,उतइ थरे रै जात।।
*3*- *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* जिला टीकमगढ़ सें लिखत हैं कै कच्ची पंगत में बन्न-बन्न कै बिंजन खाबे मिलतते। पंचमेर की का कने । भौत नोने दोहा लिखे है दाऊ ने पंचमेर के दोहा परस दय बधाई।
पंगत पक्की जानिये,बिन्जन भये कै बन्न।
केउ जने हो जात ते,सन्नाटे में सन्न।।
बन्न बन्न बिन्जन बने,पूड़ी अरु पकवान।
पंगत में पचमेर की,अलग रात ती शान।।
*4*- *श्री अवधेश तिवारी जू छिन्दवाड़ा* सें पंगत कों हाल बतारय उमदा दोहे रचे है। बधाई।
पंगत में बेटा सदा,सबको साँत निभाव।
जल्दी भर गओ पेट तो,औसई-औंसई खाव।।
पंगत में परसे पुड़ी,तेमन और अचार।
दोना नई थो साँत में,(तो) पल्लई भग गई दार।।
*5* *श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो* ने मडवा तरे की पंगत में गारी सुनत भय खावे में भौत नोनो लगत है। बढ़िया दोहे लिखे है महाराज बधाई।
पंगत की पंक्ती भली,जो साधु संग होय।
ज्ञान भक्ति वैराग्य दृढ़,अपने हिय में जोय।।
पंगत हो मंडप तरें,गावें गारी नार।
समधी जन भोजन करें,हँसे सबहि दें तार।।
*6* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी* उप्र.कय है कै अबै कोरोनावायरस के कारण पंगत नाव की रैय गयी है अब तो भीर नइ जोर सकत जादां जने कौ नइ बुला सकत है। अच्छे दोहे है बधाई।
पंगत ऊकी हो बडी़, जी को बड़ व्यौहार।
द्वारे ऊकें जुरत हैं, नाते रिस्तेदार।।
पंगत केवल नाम की, कोरोना को दौर।
अब कोनउ के ब्याव को, मचे न नैकउ शोर।।
*7* *श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा* से भगवान शंकर जू के ब्याव की पंगत को नौनो वरनन करत है बधाई।
शिवशंकर के ब्याव में, अद्भुत पंगत होय ।
लूले लंगड़े आँदरे, कांनें बूचे सोय ।।
कच्ची -पक्कीं पंगतैं, मँडवा तरें सुहांय ।
नच रय हंस रय प्रेम रस, जिवनारे मुस्कांय ।।
*8* *डॉ सुशील शर्मा जू गाडरवाड़ा* से लिखत है कै पैला पंगत में इतैख खा लेयते है उठतइ नइ बनत तो। सांसी लिखों है बधाई डॉ साहब।
पंगत को न्योता मिलो ,मन में भौतइ चाव।
चार माह के बाद में ,खूब ठूँस के खाव।।
पंगत में बैठे कका ,रसगुल्ला पे दाँव।
अबर सबर खा के गिरे ,अब नै उठ रय पाँव।।
*9* *डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल* ने अनुप्रास अलंकार कौ नोनो प्रयोग करत भय दोहा रचे बधाई।
पंगत बैठी दोर में, होन लगी जवनार।
गारी गारइं गोरियां, समधी हैं रसदार।।
पातर पंगत में लगै,संगे दुनिया आत।
कड़ी बरा ओ भात से, कच्ची पांत पुसात।।
*10* *श्री संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली* ने सबइ दोहा नोनै रचे है। पंगत में सबसें पैला हरदौल जू खौ न्योतौ दऔ जात है। पंगत में फूफा ,समधन,समधी कौ नोनो चित्र खैंचो है। बधाई।
पंगत की बेरा भई,मड़वा नैचें आज।
न्यौत रहे हरदौल खों,आन रखियो लाज।।
समदी जेरय पंगत में,समदन गारी गायँ।
ठोका की जब कै धरी, समदी जू सरमायँ।।
पंगत में मड़वा तरें,फूफा रुच-रुच खायँ।
फुआ मड़ा सें हेरकेँ,विदी-विदी मुसकायँ।।
*11* *श्री एस आर सरल टीकमगढ़* बुंदेली पकवान को मज़ा पटल से ले रय है भौत मजेदार पंगत बैठा दई बधाई सरल जू।
जय बुन्देली पटल पै, बुन्देली पकवान।
सब कवि पंगत जै रहे,कर कविता रसपान।।
विधा सबइ व्यंजन भए, शब्द हैं नातेदार।
पंगत बैठी पटल पै, सब कवि जेवन हार।।
दोहा रसगुल्ला बनै, गजल बनी है खीर।
अन्य विधा सब रायतों,कवि पंगत की भीर।।
*12* *श्री डी पी. शुक्ल,, सरस,, टीकमगढ़* ने पंगत को बेहतरीन वरनन करो है बधाई।
पंगत जैसो नईं मजा,बैठ पालथी मार !!
लुचई संग लै राएतौ, दै लडु़वन कौ ढ़ार!!
पंगत बैठी द्वार पै,परसत सवई सुजान!!
रमतूला के बजतई,उठत जात बैठान !!
*13* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* से पंगत जैबे वारन खां सचेत कर रय कै कऊ चपेट कै नइ खा लइयो नातर पेट पिरान लगे। सभी दोहे बढ़िया है बधाई।
पंगत जेबे जात हौ, राखें रइयौ ध्यान।
माल मुफत कौ सूंट कें,पेट न लगै पिरान।।
पैले सी पंगत कितै,कां बे जेबे बाये।
अपने पांवन पोंच गये,धरे खाट पै आये।।
*14* *श्री अरविन्द श्रीवास्तव ,भोपाल* पंगत की पैचान बता रय पैला कैसी होतती पंगतें। बधाई बढ़िया दोहे है।
औसर काजै जो जुरैं, जेबैं सब इक साथ,
पंक्ति बैठ भोजन करैं, सो पंगत कैलात ।
पूड़ी सब्जी रायतौ, औ देशी पकवान,
दौना पातर सें हती, पंगत की पहचान ।
*15* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर* लिखत है कै पंगत में का का खैबे मिलत है। सभी दोहे नोनै लगे है बधाई।
कच्ची पंगत में मिलत , कढी़ बरा उर भात ।
माँडे़ शक्कर दार घी , खा-खा खूब अघात ।।
चमचोलीं पूडी़ं मिलें , बूढे़ मुरा न पाँय ।
पंगत में हो रायतौ , मींड़ - मींड़ कें खाँय ।।
*16* *श्री अशोक पटसारिया नादान लिधौरा टीकमगढ़* सें बता रय कै पंगत काय में दइ जातती । शानदार दोहे रचे है बधाई।
मार पाल्थी बैठ गय, पंगत में जजमान।
जैकारे पैलें लगे, फिर लक्ष्मी नारान।।
छेवले की पातर डरी,दुनियाँ धरी संभार।
पानी कौ किंछा लगो,फिर परसी ज्योनार।।
*17* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* लिखत है कै पंगत में सन्नाटे के संगे पूडी मींड कै खाबे को मजई कछु ओर है।
पंगत में तो सूटिये,खीर,बरा अरु भात।
सन्नाटे के साथ में,पुड़ी मींड के खात।।
पंगत बैठी हो रई,बैठे सौ-पचास।
इक संगे सब जीमते,खाते हर्सोल्लास।।
*18* *श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवा* सें पैलां और अबै की पंगतन में अंतर बता रय है। नोने दोहा लिखे है बधाई।
पोंच धनी के द्धार पै,बैठत पांव पखार।
पातर परसी जिन्स सब,सोहत्ती जिवनार।।
परसा जूता पैर रय,खारय जूतइ पैर।
प्रथा पुरानी टूट गइ ,ना निज न कोउ गैर।।
*19* *श्री हरिराम तिवारी "हरि"खरगापुर* सें लिखत है कै पैला कैसे सजधज कै पंगत में जातते। उमदा दोहे है बधाई।
पैर परदनी रेशमी,गरें सुआपी डार।
पंगत जेंबे जात ते,होत भोत सत्कार।।
चौकी आसन डारकें,बैठ पालथी मार।
पंगत में पत्तल परस,फिर परसें जेवनार।।
ई तरां सें आज पटल पै 19 कवियन ने अपने अपने ढंग से प़गत कौ आनंद लऔ है। सबई ने नोनो लिखों है सभई दोहाकारों को बधाई।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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231-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-रूप-13-7-2021
#मंगलवारी समीक्षा#रूप#
#दिनाँक 13.07.21#
#समीक्षक--जयहिन्द सिंह#
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आज सबसे पहले माँ भारती का साष्टाँग बन्दन अभिनंदन।समस्त
भारती पुत्रन को नमन।आज कौ बिषय है रूप। आज पटल पर कयी प्रकार के रूपों काबिवेचन देखने को मिला।मनीषियों ने अपने लेखन की कार्य क्षमता से अधिक करतब और कमाल दिखाया,चलौ आज हम सबकी साहित्य बगिया की महक लेने उनमें प्रवेश करकें देखने।तो लो सबयी जनें आज आँखन देखौ हाल सुनौ।हम बारी बारी सबकौ हाल बोलते हैं।
#1#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु बड़ागाँव....
आपकी बगिया में रूप के 5पेड़ पाये गये।जिनमें नायिका के रूप श्रंगार की महक आ रही है।नायिका के रूप को देखकर मन बैचेनी, मिलन की चाह,रूप का बर्णन,पृथ्वी पर पावस रूप,नायिका की मोहक सुन्दरता रूप की तुलना की गयी है।
आपकी भाषा कलापूर्ण,भाव अद्वतीय, शिल्प सराहनीय दिखी।आपकी क्षमताएं बिशाल हैं।आपको सादर नमन।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा.....
आपने अपनी बगिया में 5दोहे लगाये हैं।जिनमें सदगुरु का रूप चित्रण देखा गया।सदगुरु रूप लखकर मन का घायल होंना,राम रुप दर्शन,मोहि ना नार नार के रूपा,नारी का रूप जाल,रूप चार दिन की चाँदनी होना,बर्णित किया गया है।आप भाषा के जादूगर ,शिल्प केकलाकार और भाव के भगवान हैं।आपके चमत्कार को नमस्कार। सादर वंदन,अभिनंदन।
#3#पं. श्री परम लाल तिवारी जी,खजुराहो....
आपने अपनी बगिया में 5बृक्ष स्थापित करकें पुष्प बाटिका और सियाराम का बर्णन किया।धनुष भंग करवाना,भक्त के रूप में भगवान का रूप,राम लख़न के रूप रूप रस पान का जनक द्वारा वर्णन करव दिया।मुनियों द्वारा राम रूप दर्शन कराया गया।
आपकी भाषा मजेदार,भाव गहरे शिल्प सराहनीय है। आपके बार बार चरण बंदन।
#4#पं. श्री डी.पी. शुक्ल सरस टीकमगढ़.......
आपने अपनी बगिया में दो रंग के 5पेड़ लगाये।कुछ नारी रूप ,कुछ आध्यात्म की ओर झुकाव जान परो।पंडित होने के नाते हृदय स्पंदन में छवि दर्शन उकेरवे की कला में पारंगत हैं। आपकी भाषा भाव शिल्प अनूठे हैं।आपको सादर नमन।
#5#श्रीप्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़.......
आपके साहित्य बाग में साजन रूप का बर्णन, रूप से चैंन नींद हरण,सजनी के घुघरूं,राधा माधव का रूप,अंतिम काया रूपी रूप की नश्वरता का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा का जादू चढकर बोलता है।आपकी शैली भाव रचना अनूठी है।आपको सादर नमन।
#6#श्री अवधेश तिवारी जी छिंदवाड़ा.....
आपकी साहित्य बगिया मेंकदम्ब जैसा पेड़ अपनी सुगंध मार रहा है।आपने एक बिटप की स्थापना कीजिसमें यमक की छटा का बर्णन अति सुन्दर बन पड़ा है।आपकी भाषा भाव ललित एवम् शिल्प दर्शनीय है।आपके चरण बंदन।
#7#श्री संजय कुमार श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली.....
आपकी साहित्य बगिया आध्यात्म से भरी है।सभी धर्मों का रूप अलग पर मालिक एक,आदमी के कयी रूप,चालचलन रूप से ऊपर है।घटा के रूप का दर्शनीय बर्णन किया गया है।आप भाषा भाव शिल्प के धनी कलाकार हैं।आपका बन्दन अभिनंदन।
#8#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़......
आपने साहित्य बाग में 2पेड स्थापित किये जिसमें नारी रूप से बचने की सलाह दी गयी है।गुण और कर्म को रूप से श्रेष्ठ साबित किया गया है।आपकी भाषा सुन्दर टिकाऊ है।भाव शिल्प मंगलकारी।आपको सादर नमन।
#9#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैने 5पेड़ स्थापित किये।जिसमें नँदलाल का रूप,रूप की उपमा धूप से की है।नर नारी के रूप पर
नैन टिकना,रूप आकर्षण परियों, देवों और गंधर्वों में होंना,रूपवान से मित्रताऔर प्यार की पवित्रता की अभिलाषा जाहिर की गयी है।
भाषा भाव शिल्प का मूल्याँकन आप सभी मनीषी कर सकते हैं। आप सबका बन्दन।
#10#श्रीपं. रामानंद पाठक जी नैगुवाँ.....
आपने साहित्यिक बाग में 5 चाँद उगाये।राम जन्म कारूप,धनुष भंग पर राम सिया का रूप,पवन पुत्र का रूप बदल श्री राम से मिलन,माँ सिया को पुष्प बाटिका में हनमान के बिशाल रूप का आभाष।बिभीषण का रामरूप अवलोकन,भाव पूर्वक लिखा गया। आपकी भाषा शीतल धार्मिक, लयबद्ध, भाव सुन्दर,शिल्प अनूठे पाये गये। आपके चरणों में सादर नमन।
#11#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा.....
आपने साहित्यिक बगिया में रूप के साथ राजा रंक फकीरकी कुरूपता का बर्णन किया है।राधा कृष्ण रूप,रूप से भोग की उत्पत्ति,अधर्म और अन्याय कौ रूप, श्री राम काज में बंदर रूप ही काम आना,आपकी लेखनी के आयाम हैं।भाषा शिल्प भावों काकमाल बेजोड़।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#12#श्रीशोभाराम दाँगी जी नँदनवारा......
आपकी साहित्यिक बगिया में 6 पुष्प बिटप पाये गये।रूप मोहिनी श्याम राधा छवि,राम लखन रूप पर सूर्पनखा का मोहित होंना,रूप से दिल जाना,रूप की विश्व चाहत, विश्व मोहिनी रूप पर नारद की आशक्ति,बर्णन बहुत सुन्दर हुआ है।आपकी भाषा भाव शैली लालित्य देखने योग्य हैं।आपका बारंबार अभिवादन।
#13#पं. श्री हरिराम तिवारी जी खरगापुर......
आपकी बिटप साहित्यिक बगियामें गौर श्याम रूप सियाराम,खरदूषण का राम रूप पर मुग्ध होंना,रूप के साथ दुर्गुणों की निन्दा,रूप का आलोचना मापदंड ना होंना,तन सुन्दर मन प्यार का सोने पर सुहाग की तरह बर्णन हुआ है।आपकी भाषा बेजोड़,लेखन शैली में जादूगरी,भाव शिल्प की सुन्दरता,दर्शनीय है।आपके चरण कमलों के स्पर्श में आनंद की अनुभूति समाहित है।आप समर्पित कीर्तनकार हैं।
#14#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल......
आपने अपनी बाटिका में 3रँगों के पुष्प पादप स्थापित किये।जिनमें राधे श्याम गोपी का छवि अवलोकन, रूप ईश्वर की देंन पर गुण के खुद निर्माता, कालीदास रूप देखकर राजा द्वारा आलोचना का सुन्दर बर्णन किया गया है।भाषा लालित्य दर्शनीय, शिल्प और भाव सराहनीय।बहिन रेणु जी के चरण कमलों का बंदन।
#15#श्री अभिनन्दन कुमार गोईल जी इन्दौर......
आपकी साहित्यिक बगिया में पाँच जड़ी बूटियों के बिटप देखे गये।जो शरीर रक्षा कर रूप को सुरक्षित करते हैं।जिनमें तन,सज्जन, माँ भगवती,और क्रोध आवेग के रूप उजागर किये गये हैं।आपकी लेखनी से सदा शहद का स्त्राव होता है।आप अध्ययनवादी बिचारधारा के रचनाकार हैं।आपकी भाषा,भाव,शिल्प एवम् शैली में धार्मिक अनुनाद के दर्शन होते हैं।आप एक कुशल जादूगर रचनाकार हैं।अभिनंदन जी का सादर अभिनंदन।
#16#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी......
आपने अपनी बगिया में षठकोंण में बिटपों की स्थापना की है।जिसमें सबका मालिक एक रूप अनेक,परमानंद रूप संसार की सत्ता,जल थल अग्नि नभ हवा सागर नदी पर्वत,कुदरत के हर रूप में भगवान का बास,चंदा तारे सूर्य रूप संसार के आवश्यक तत्व,जीव जन्तु वनस्पति भगवान के रूप हैं।तपन बर्षा ठंड सुख दुख प्रकृति के रूप हैं।आपकी आध्यात्मिक शैली ,विनोदी भाषा,भावों में लालित्य शिल्प अद्भुत हैं।आपका बंदन अभिनंदन।
#17#डा.सुशील शर्मा जी.........
आपके साहित्यिक बाग के 5
विटप जिनमें रूप को धूप की तरहचंद पलों को,और धर्म कर्म आचरण को स्थायी माना गया है।रूप खोने से मान खोता है पर आचरण सदा पहिचाना जाता है।रूप ढलने पर प्रभु की शरण में जाने की सलाह दी गयी है।रूप को छोड़कर सदव्यवहार से मानव की पहचान, एवं रूप रंग से विवाह करने पर तवाही आती है।आपकी भाषा भाव मनोहारी, शैली अनुपम,शिल्प सुन्दर है।
आपको बारंबार नमन।
#18#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़......
आपकी साहित्यिक बगिया में 5बृक्ष पाये गये।जिसमें रूपबती नारी देखकर हँसके बात करने से मन प्रशन्न हो जाता है।रूप देखकर नर नारी प्यार में तड़पते हैं।चाँद जैसा मुख सूर्य सा ज्ञान और दर्शक तारे की भाँति होता है।रूप निहारने से नैनों की चंचलता बढती है।विद्वान रूप अंधकार दूर करते हैं।आपकी भाषा चमत्कारिक,शैली माधुर्य शिल्प सुन्दर,भाव भावना से परिपूर्ण हैं।आपको बारंबार नमन।
#19#श्रीप्रदीप कुमार गर्ग पराग जी.....
आपकी साहित्यिक बगिया के 6बृक्षों मेंरूप का धूप की तरह ढलना,बिष्णु द्वारा रत्न पाने मोहिनी रूप धारण करना,अर्जुन को कृष्ण द्वारा विराट रूप दर्शन, रूप सिक्के की तरह होंना, रूप से बढकर सीरत का सम्मान, करने का बखूबी बर्णन किया गया है।चौथे दोहे मेंमात्रा दोष,लय भंग दोष सुधार की जरूरत है।
आपकी भाषा,भाव शैली शिल्प अनुपम हैं।आपका सादर नमन।
#20#श्री रामलाल द्विवेदी प्राणेश जी चित्रकूट......
आपकी साहित्यिक बगिया के चार बिटपों मेंआत्म रूप,रूप से नहीं चरित्र से पहचान,नेताओं के रूप,रूप से सतर्क रहने की बात प्राणेश जी ने की है।आपकी भाषा मधुर शैली लयपूर्ण,भाव गंभीर, शिल्प लालित्यपूर्ण हैं।आपका सादर बंदन अभिनंदन।
अब आठ से ऊपर समय हो गया है।यदि धोखे से कोई रचना छूट गयी हो तो अपना समझ कर क्षमा करेंगे।पुनः सभी मनीषियों को कर बद्ध राम राम।
समीक्षक.।।।।।
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
##################################
232-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-14-7-21
🌷जय बुंदेली सहायता समूह टीकमगढ़ 🌷🌷
स्वतंत्र बुंदेली पद्य रचना
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
समीक्षक पं.डी.पी .शुक्ल ,,सरस,, टीकमगढ़
🌷🌷
दिनांक/14 07. 2021
बुंदेली की जा धारा !
लगत बड़ी है नोनी!!
बुंदेलखंड के रैवे वारे!
बुंदेली सी सपन सलोनी!
प्रेम भाव बुंदेली के !
मन में आज समारय!!
बुंदेलखंड के काव्य मनीषी!
बुंदेली को परिचम लहरा रय !!
बुंदेली को मान बढ़ावे!
बुंदेली में है गा रय!!
एक से एक बढ़कें लिखवे वारे!
सवई कौ है मन ललचा रय!!
मां शारदे को नमन करत है श्री गणेश कर रय हैं आज पटल पै काब्य मनीषियों ने एक से एक बढ़कर रचना को भाव भरो है जो उनकी दक्षता को प्रमाण है बुंदेली कौे मान बढ़ाउत भए, वे बुंदेलखंड को राज्य कौ दर्जा दिलावे कौ प्रयास सफल बनावे के लाने बुंदेली को राज्य भाषा के लाने परिचम लहरा रय हैं!
ऐसे काब्य मनिषियों को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई शुभकामनाओं के साथ साधुवाद!
नंबर 1 .प्रथम पटल पर कदम रखने वाले श्री गणेश करके काव्य मनीष ने बुंदेली रचना में अपने भाव भरे हैं जो जनमानस के पटल पर प्रभाव डाल रय हैं ऐसे प्रथम पायदान में स्वतंत्र बिधा मैं कदम धरवे वारे कविवर को सादर नमन करत है पटल पर श्री रामानंद पाठक जी ने अपनी चौकड़िया में पुष्य नक्षत्र में बेतवा नदी स्नान पवित्र होकर श्री राम राजा सरकार के दर्शन चरणों में नमन करने जी से रामलला के दर्शन करके जो जीवन नैया पार हो जाए सावन भादो जैसे सावन में मिलन की भेंट करके आराध्य प्रभु से विनय करने हैं अध्यात्म में जीवन नैया को पार लगावे वारे बे रामलला है सुंदर सरल राह प्रस्तुत की है बहुत ही नौनी सीख दई है नंद जी को सादर वंदन अभिनंदन बधाई !
नंबर दो .श्री अशोक पटसारिया नादान जुने लक्ष्मी का रूप पत्नी को निहारो है जो वास्तव में घर को स्वर्ग बनाउत हैं , और संतान एवं पति की रक्षक बनकें जीवन में सुख शांति की दाता बनके सोऊ वे मान मर्यादा की स्वामिनी एवं विपत्ति में धीरज धरने के लिए अर्धांगिनी का कार्य कर मन के बोझ को हरती है बचपन से लेकर बच्चों को देती डांट , पति की विछाउत खाट !!
चिरई चितवन को पानी, पत्नी होती घर की लक्ष्मी घर की महारानी !!
भारत की परंपरा है तीज और त्योहार होते सारे लोकाचार !
ध्यान धरे गैया की रोटी और तुलसी महारानी!!
पत्नी के सम्मान से ही घर स्वर्ग बनता है बस संतान उन्नति के पथ पर आगे बढ़ती है भौतै नौमी सत्यता भरी बात करी है सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद!
नंबर 3 .श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जुने उन मजदूरों की कसक भरी दुपहरिया में तेंदूपत्ता टोरवे और मशक्कत भरी श्रम की बात करी है बेसन और मट्ठा उतारो बना पकौड़ी डारौ ,बुंदेली व्यंजन कड़ी की बात करि और गड़ी जोन पहाड़िया पर होती जीपै सबरो भार घरो है कहते हैं पतरी जी पै भोजन करो जात नोनी बुंदेली रचना करी है तीन गुन केे शब्द विन्यास करके रचना के लौने दाऊ साहब को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई !
नंबर 4. किशन तिवारी भोपाल जीने बाबूजी शीर्षक से रचना में अपने भाव भरे हैं जी में स्वाभिमानी व्यक्ति हमेशा मौन रहकर अपना जीवन यापन करत है और साची बात के लाने लरने पर है तो लर सकत है झूठ पर बहुत ही हैरानी होती सांच को आंच नहीं आओ उनकी बातें करेला जैसी लगती लेकिन जब सांची कामें आउत तबई वे भौतै मीठी लगत बहुत ही मीठी लगती सीख भरी चेतावनी दी है तिवारी जी ने सांची बोल के लाने भौतै नौनी रचना साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन !
नंबर 5 .श्री परम लाल तिवारी जी ने अपनी बुंदेली लोक घारा में रचना करी है जी मैं मंदोदरी रावण को समझा रही के मैं समझाऊत हारी तवई रावण कान लगो कै हमाई बीस भुजा मोरी ताकत बहुत है भालू वानर यह तो निशाचरन को भोजन हैं और कात मंदोदरी के बैर रामचंद्र से ले लव मोरो सगरो सत्यानाश पति की बुद्धि विपरीत हो गई ईसे ना करो ई्र्ष्याऔर दुश्मनी नाँतर हुई है बहुत लड़ाई लगे आग तन मन में बुझे ना तनक बुझाई रचना सीख भरी रचना के लाने तिवारी जी को सादर नमन एवं हार्दिक बधाई !
नंबर 6 .श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जुने ,,जौ का हो रव,, शीर्षक से कबिता करी है पिरामिड कबिता में अषाढ़ भी सूखे जा रओ पानी ने चाटो बच्चों को कोरोना चाट रव है मनई परेशान है विपदा भरी बात करी है जो आज की बिसात है बहुत ही नोनी कविता के लाने श्री राना जी को हार्दिक बधाई एवं कालजई रचना कर बे के लाने वंदन अभिनंदन धन्यवाद!
नंबर 7 . श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने अपनी दो लाइन में सारी उलझन निपटा दई जब चले पुरवइया तो बरसात की आय समैया !!
लेकिन आसमान ना दो रव ऐसौ नीर ,जीवन की बढा रय पीर!
बढ़ा रहे जे मेघ केवल नाम को पानी दे रय तबै इन मेंघन को अब भरोसा नहीं रहा बहुत ही नोनी सीखभरी रचना गिरे पानी पर पूर्ण विश्वास नहीं करते जैसा जे बदरा कर रय,भौतै ही नोनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन बधाई !
.
08-श्री शोभाराम दांगी जी ने चित्रकूट धाम की गारी शीर्षक से अपनी रचना में भाव भरे हैं कामतानाथ के दर्शन परिक्रमा विंध्याचल पर्वत में पंचमुखी हनुमान लक्ष्मण टेकरी जानकी कुंड फटिक शिला और गंगा जी ले आई थी अनुसुइया जी राम घाट पर तुलसीदास विराजे जीने जीवन जीने की कला के लाने रामायण रचई ऐसो दर्शन करे से जो जीवन पार लग जाए अध्यात्म भरी रचना के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 9. रेनू श्रीवास्तव जी अपनी रचना में राम जी सीता जी के विवाह और लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से विवाद कर और कटु वचन कहे चारों भैया दूल्हा बनाए बजे बहुत बधाई
भई बिदा सिए कौशल आई ,
अवधपुरी में खुशियां छाई!!
जब ते राम ब्याह घर आए,
नित नव मंगल मोद बधाए,,
श्रीवास्तव जी को साधुवाद एवं हार्दिक बधाई!
09-श्री पी .डी श्रीवास्तव जुने चौकड़िया में आज के बदरन की बदमाँशी बताई है क्या जे बागी हो गए और बाचा में नहीं आ रहे जाने कौन बात पर रूठे जाने कब की लगी भेजा रय!!
बिजली संगै नहीं फसल पै तरस नहीं खा रय ,और यह पानी नहीं बरस रव है बहुत ही नोनी कालजई रचना करके पीयूष जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 10 .श्री s.r. सरल जुने चौकड़िया के माध्यम से बुंदेली रचना करी है झकर के मारे धमका और करुला डाल रहे पंख में लपट सी लग रै और कूलर उमस भरा रहे ईसे नोनी तो कुआं पर जाकर नीम के तरेम दुपरिया निकाल लो तो बच जैहो, बहुत ही नौनी सीख दई है मजबूरी में मुरार खोदवौ मांगो पर गव भौतै नौमी रचना के लाने बहुत-बहुत बधाई वंदन अभिनंदन .
नंबर 11 श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जुने अपनी चौकड़िया के माध्यम से गोरी से नेह लगा कर तोड़ दो इससेम संग नहीं दे पा रहे तो जो लोग कात, सो हम सुनत जात, और सैरय , सारस की जोड़ी बिखर गई अब अकेले होते ही मुश्किल दिखात इंदु जी जब वर्षन लागै कहा टटिया टोर करौ किसानी ,,
लेकिन प्यार ना तोड़ो बहुत ही नोनी रचना के लाने वंदन अभिनंदन सादर बधाई!
नंबर 12 .डी.पी. शुक्ला ,,सरस,, काय ना चेते ,कोरोना की तीसरी लहर सामाने दिखाई रही भीड़-भाड़ बड़ा के मांस्क और दूरी नहीं बना रहे सभी जगह बिना मास्क की घूम रहे नित्य नियम टोेर निपुण फिर रहे अबे काहे डरा रहे इसे अबे इयै काय विसार रय जौ अपनों दाव लगा रओ कितनी सीख भरी चेतावनी जनमानस के मन को झकझोरा है समीक्षा हेतु बुंदेली रचना प्रस्तुत है!
नंबर तेरा . श्री प्रदीप खरे मंजुल जुने चौकड़िया के माध्यम से मैया विग्रो तोरो कन्हैया जो दूध और माखन को सींकौ टोरत और शिकायत करो सो लेकिन मन में सुख के आंसू उड़ेलत बहुत नोनी अध्यात्म भरी रचना के लाने सादर बधाई धन्यवाद!
नंबर 14 .श्री मनोज कुमार सोनी जी ने जा कैसी आफत पर गई, बोनी करी शो सबरी मर गई,,
जी को लव शो दै नैं पा रय,
घर कौ चूलौ
फूँक नहीं पा रय,,
समीक्षा किर्मॉक 15-
श्री गुलाब सि़ह भाऊ ने सबका परत दिखा रई पानी के वरषवे सें अब किसानी कैसे हो, धरती तवा सी तप है,, तो किसानी कैसे हुईहै, आत्म ग्लानि से भरे मन सेच में परे है! भौतै नैौनी रचना की है भाऊ जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
और अब भानेजन को ब्याव आगव भौतै विपदा भरी- धरी आ गै है हमको धीरज धर के टारने ऊपर वालों सवई देख रव, भौतै नौमी कालजई रचना के लाने बहुत-बहुत बधाई वंदन अभिनंदन!
-समीक्षक-श्री.पी.शुक्ला, टीकमगढ़
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*233 -आज की समीक्षा* दिनांक-19-7-2021
*समीक्षक - राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
*दिन- सोमवार* *दिनांक 19-7-2021
*बिषय- *"तलैया" (बुंदेली दोहा लेखन)*
आज पटल पै *तलैया* बिषय पै *दोहा लेखन* कार्यशाला हती।आज भौत नोने दोहा रचे गये।जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। गजब के नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला आज हम *श्री जयहिंंद सिंह जयहिंंद दाऊ* को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं अरु बधाई देत है।
*1* सबसे पैला उन ई की पोस्ट पटल पे डरी हती दाऊ ने श्रीकृष्ण अरु गोपियों के जलविहार कौ भौत नौनो चित्र दोहन में खैचों है। बधाई दाऊऋ
जाँय तलैया गोपियाँ, जल में करन बिहार।
पलक झपकतन धुवत है,नैनन कजरा धार।।
सुनौ गौर सें ओ सखी,खो ना दैयो धीर।
कान्हा संगै गोपियाँ ,मिलें तलैया तीर।।
*2* *श्री एस आर सरल जू टीकमगढ़* से कै रय कै अबै लो पानी रई बरस रओ सबरे ता- तलैया सूक गये है। बढ़िया दोहे रचे है बधाई।
तला तलैया तरसते,तरसे ताक लगाय।
वर्षा बिन कैसे सबइ,अपनी,प्यास बुझाय।।
ताल तलैयाँ पुखइयाँ,सूके नदियाँ कूप।
बर्षा बिन फीके लगै,सबके उजड़े रुप।।
*3* *श्री एस आर तिवारी, दद्दा* टीकमगढ़ लिखरय कै अषाढ़ में भी बिकट गर्मी पड़ रही प्रान निकरे जारय है। अच्छे दोहे लिखे है बधाई।
दद्दा गरमी है बिकट,कडे जात है प्रान।
ताल तलैया रो रये,कालो करें बखान।।
बरसत आग अषाढ़ में, रो रऔ हर इंसान।
ताल तलैयां देखकें,सुमर रऔ भगवान।।
*4* *श्री अशोक पटसारिया नादान जू* तलैया की खूबसूरती को बखान करत भये नोनौ लिख रय। बधाई
ताल तलइयाँ हैं जितै,नोंनौ लगवे गांव।
मंदिर बनों बदान पै, जा रय उपनय पांव।।
पतरी मिलै पुरैन की,और कमल कौ फूल।
खाव सिंगारे प्रेम सें,हँसवे लगौ गदूल।।
*5* *डी.पी.शुक्ल 'सरस' जी* ने राधा किसन पै भौत नौने दोहा रच बधाई।
गाँव किनारे जल भरो, देख तलैया छोर!!
बरगद बाकी छाँह मे,! खेलत नंद किशोर!!
राधा चली प्रेमइंँ बस,देखत कुँजन गैल!!
मिली तलैया बैठकें, मिटाउत मन कौ मैल!!
*6* *श्री रामानन्द पाठक नन्द, नैगुवा* से ताल तलैयन की उपयोगिता कों दोहध में बता रय है बधाई
उठत भुन्सरा रोज सब,पोंच तलइया जांय।
सपर खोर फारिग भये,घरै लौट कें आंय।।
ताल तलैया गांव में,आवै सब के काम।
जिउ जानवर चरेऊ,रहत सबै आराम।।
*7* *श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो* कत है कै जल से भरी तलैया जी में कमल के फूला खिले भये हो भौत शोभा देत है। बेहतरीन दोहे महाराज बधाई ।
जल से शोभित ताल हू,और तलैया भाय।
जल बिन इनकी देखिये,शोभा नहि ठहराय।।
ताल तलैया वे भले,जिनमें खिलते फूल।
साफ सफाई भी रहे,जिनके चारों कूल।।
*8* *श्री प्रदीप खरे,'मंजुल', टीकमगढ़* से के रय के मनरेगा से नोनी नोनी तलैया गांवन में बन गयी है। बढ़िया दोहे लिखे है मंजुल जी बधाई।
मनरेगा में खुद गईं,तलैयां सबहिं गांव।
घाट सुहानें बन गये,अरु पीपल की छांव।।
निकट तलैया चौतरा,जितै लगे दरवार।
गांव पुरा सबरौ जुरै, सुनबै सब सरकार।।
*9* *श्री अवधेश तिवारी जू छिंदवाड़ा* ने एकई दोहा लिखों पै भौत बढ़िया लिखो। बधाई।
ताल तलैया सूक गए,सूके नदी पहाड़।
कुआँ-बावली सूक गये,बरसो नहीं असाड़।।
*10* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* लिखते है कै तलैयू में अतिक्रमण करके मिटात जा रय है।
ताल-तलैया खो गये,अतिक्रमण कि चपेट।
कागज में ही बन गये,अफसर भरते पेट।।
तलैया में सपरतते,ढोर,जनी अरु मांस।
अब तो सूखी है डरी,उत ठाडी है कांस।।
*11* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* अनुप्रास से सजे भये नोनै दोहा रचे हैं बधाई।
तरुन तलैया में दिखी,तरुनीं तैरत एक।
सुंदर सुखद सुहावनी ,सुगर सलोनी नेक।।
सरकारी स्वीकृति मिली, बनें तला उर घाट।
खुदी तलैया तनक सी ,हो गव बंदर बाट।।
*12* *श्री गुलाबसिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* भरी तलैया को नोनों वरनन दोहन में कर रय है बधाई।
आज तलैया भरीं है ,गये हे मेदरे फूल।
पानी बरसों तान के,मिटें किसान के सूल।।
पैला से बरसा दिवो,जाबे झिन्ना फूट।
ताल तलैया जे भरे,होये फसल अटूट।।
*13* *डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल* से लिखतीं है कै सूकी तलैया में मोडा खेलवे जि रय है। गांव कों नोनो चित्रण किया है बधाई।
ताल तलैयां सुख गई, ना हो रइ बरसात।
मोड़ी मोड़ा खेलबे, उनइ तला में जात।।
मोड़ी मोड़ा भूल गै, ताल तलैया आज।
शहरन में तो देख लो, वाटर फालन जात।।
*14* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर* ने सूकी तलैया कौ भौत सूक्ष्म वरनन करो है बधाई।
पानी टँगकें रै गयौ , गयी तलैया सूख ।
फटे दरंगा दिख रये , रुखडा़ गय हैं रूख ।।
पपटा से उदरन लगे , ताल-तलैया बीच ।
धूरा उड़ रइ सब जगाँ , जितै मचत ती कीच ।।
*15* *श्री संजय श्रीवास्तव, मवई१९-७-२१😊दिल्ली* से प्रार्थना कर रय कै तला कुंआ में पीनी भरो रय। बहुत बढ़िया दोहे है बधाई।
खेतन हरियाली हँसे,जल लै तला हिलोर।
रतनारो अंबर सुखद,लगत मनोहर भोर।।
आँखन में पानी रबे,कुँआ-तलन में नीर।
हाँतन में धन-धान हो, प्रभु हरो तुम पीर।।
*16* *श्री मनोज कुमार जू सोनी रामटौरिया* ने मोडन को तलैया में लोरबे अरु बालक्रीडा कौ भौत नौनौ वरनन करो है। बधाई।
बडी़ तलैया भर गई,फूली खूब गदूल,
मोडी़ मौडा़ लोरबें,छोड़ छाड़ स्कूल।
बेजाँ हटकी बाई ने,परो ने जी में चैन,
गये तलैया लोरबे,भई सुटाई यैन।
ई तरां सें आज पटल पै 16 कवियन ने अपने अपने ढंग से मनकी तलैया में खूब लोरो है आनंद लऔ है। सबई ने नोनो लिखों है सभई दोहाकारों को बधाई।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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234-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-अमृत-20-7-2021
#मंगलवार#दिनाँक20.07.21#
#हिन्दी दोहे5#बिषय/अमृत#
************************
#मंगलवारी समीक्षा#20.07.21
#बिषय/अमृत/हिन्दी दोहे#
#समीक्षक जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
*************************
आज की समीक्षा लिखवे सें पैलाँ माँ भारती भगवती को दण्डवत प्रणाम।आप सभी मनीषी गणों को हाथ जोर राम राम।अब हम सब साहित्य सदनन में प्रवेश कर रय किसने कितने अमृत कलश भरे।सबके अमृत कलश में कौंन से गुण समाहितः करे गये तो लो सबकौ बिबरण अलग अलग बतारये।
श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा......
आपने मंगलवार को 11अमृत कलश स्थापित किये।जिनमेंहम अमृत की संतान, नामरूप अमृत पान,प्रभुनाम अमृत से बढकर,मृगनाभि अमृत,चन्द्रामृत,गगन अमृत,सबके घट अमृत,मानव में अमृत कलश,सनातन नाम अमृत,कुँभ अमृत,जमजम और अमृत एक समान,आदि कलशों का अमृत पान किया।भाषा भाव सुन्दर शिल्प अनूठे हैं। आपको बार बार नमन।
#2#श्री सीताराम तिवारी दद्दा टीकमगढ़.......
आपने अपने सदन में,4अमृत कलश सजाये।जिनमें अमृत से अधिक प्रभु चरन रज,रावण के अमृत कलश का भेद,अमृत की जगह बिष बीज की बुनियाद, देवताओं कोअमृत,मानव को दूध,राक्षसों को रक्त,शिव को बिष,
पान बताया गया। भाषा भाव शिल्पं सुन्दर अंतिम दोहा में कमाल की कारीगरी के दर्शन।
आपके चरण बन्दन।
#3#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो.......
आपने 5अमृत कलश सजाये,जिसमें मीठी बाणी से बड़ा कोई अमृत नहीं,हरि कथा और प्रभु नाम अमृत देव कथामृत,शशि अमृत ,अमृत देखा नहीं पर बिष का प्रभाव देखा है।आपकी भाषा लालित्यपूर्ण,भाव सुन्दर शिल्प तथा शैली दर्शनीय है।आपका बार बार चरण बन्दन।
#4#श्रीसुशील शर्मा जी......
आपके साहित्य सदन में 3अमृत कलश पाये गये।जिनमें मिलन अमृत से बढकर राम चरित अमृत,जिन्दगी अमृत का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा कलाशिल्प भाव सबमें लालित्य भरा है।आपका अभिनंदन।
#5#श्री डी.पी.शुक्ल सरस जी......
आपके सदन में 5 अमृत घट पाये गये।जिनमें रिषि,मुनि तपी की अमृत वाणी,गुरु ज्ञानामृत,बकलयुग में राम नाम अमृत,हरि कथा अमृत का बर्णन किया गया है।भाषा भाव कला शिल्प महान हैः।आपकी मधुरता को नमन।
#6#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवयी.....
आपने 2अमृत कलश रचाये।जिनंमें जप तप ध्यान अमृत,सद्कर्म सद्भाव, अमृत का सुन्दर बर्णन किया गया है।भाषा चमत्कार, शिल्प लोचदार, भाव गहरे हैं।आपका वंदन अभिनंदन।
#7#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मैनै 5अमृत कलश सजाये,जिनमेंसागर मंथन अमृत,चन्द्रमा का अमृत,अमृत का अमर गुण,गौ क्षीर अमृत,कथा भागवत अमृत पान,कराया गया है।भाषा भाव शिल्प आप सभी मनीषीगण जानें। सभी को करजोर नमन।
#8#श्री प्रदीप कुमारगर्ग जी......
आपके सदन में 5अमृत कलशपाये गये जिनमेंमधुर बाणी अमृत,शरद पूर्णिमा अमृत,नीलकंठ चन्द्रामृत,मीठे बोल अमृत,सत
संग अमृत का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा मधुर सरल ,भाव गंभीर शैली सुन्दर है।आपको बारंबार नमन।
#9#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपके 4अमृत घटों मेंजिनमें मीठी बोली अमृत, रावण का अमृत कुण्ड,गिलोय अमृता तथा देव अमृत का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा रसीली मधुर,भाव जागृत,शिल्प मजबूत देखे गये।आपके चरण बंदन।
#10#श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष......
आपके साहित्य सरोवर में 5अमृत कलश रखे देखे गये।जिनमेंअधर अमृत,मुख चंद्र अधर अमृत,शरद राकेश अमृत,सोमनाथ अमृत,
बर्षा अमृत,से घट भरे पाये गये।
आपकी भाषा मजेदार, रसपूर्ण भाव कुशलता दर्शनीय,शिल्प अनूठे हैं।आपका बंदन अभिनंदन।
#11#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़......
आपके 5अमृत घट भरे मिले।जिनमेंगंगा अमृत,बानी अमृत,शरद पूर्णिमा अमृत,देव दानवों का अमृत पान,और मोहिनी अमृत से भरे पाये गये।
आपकी भाषा और शिल्प में रोचकता,भावों में जादूगरी दर्शित होती है। आप बैसे भी रोचक पत्रकार हैं।आपका सादर नमन।
#12#श्री कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर......
आपके द्वारा 6अमृत कलश भरे गये जिनमेंअमृत कादेवों को पाना,शरद पूर्णिमा की अमृत बर्षा, जननी और गौ क्षीर अमृत,शहद अमृत,नीबू रस आमरस अमृत,देशी घी अमृत से भरे पाये गये।आपकी भाषा का जादू चढकर बोलता है।शिल्प कला सराहनीय,भाव कोमल रसदार हैं।आपको सादर नमन।
#13#श्रीएस. आर.सरल जी टीकमगढ़.......
आपके द्वारा भी 6अमृत घट भरे गये।जिनमें शब्द अमृत,बर्षा अमृत,मधुर बचनामृत कोयल बाणी अमृत सार अमृत,अमृत के बहुरूपों के दर्शन,बखूबी कराया गया है।आपकी भाषा शैली शिल्प एवम् भाव दर्शनीय है।आपका बार बार नमन।
#14#श्री जनक कु.बाघेल जी.....
आपने अपने साहित्य सदन में5अमृत कलश सजाये।जिनमेंसोम अमृत,सागर मंथन अमृत कुण्ड,अमृत की देवों को प्राप्ति,त्याग तपस्या से अमृत पान,पर सेवा अमृत से घटों को भरा गया है।आपकी भाषाशिल्प सराहनीय हैं।आपका नमन।
#15#श्रीराजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.....
आपने 2अमृत कलशों की स्थापना की,जिनमेंरस बर्षा अमृत स्वाद,अमरता देने बाला अमृत है।
भाषा सरल लालित्य भरी है,शैली चिन्तन युक्त है।भाव अमर हैं।आपका शत शत बन्दन।
#16#श्रीहरिराम तिवारी जी खरगापुर.....
आपने अपने 5अमृत कलशों में,सागर मंथन के अमृत का स्वाद,एवं अमर करने बाला अमृत है।अमृत प्रभु का नाम है।कृष्ण की बासुरी अमृत है,हरि गुरू कृपा अमृत है।इस तरह अपने घट
स्थापित हैं।आपकी भाषा शिल्प अद्भुत है।आप ससक्षम धार्मिक गीत लेखक हैं।आपका अनुभव अथाह है।आपके चरण बंदन।
#17#श्रीराम लाल द्विवेदीजी कर्वी......आपके4अमृत घटों मेंआत्म तत्व अमृत,देवासुर मंथन अमृत,मीठी बानी अमृत,गुरू बचन अमृत,शरद पूर्णिमा अमृत,से भरे घट है।आपकी भाषा सुन्दर लालित्यपूर्ण है।भाव शिल्प
आनूठे।आपका सादर बंदन।
उपसंहार.......
यदि त्रुटि से किसी का अपना समझ कर फिर से क्षमा करें।
सभी को सादर नमन।
समीक्षाकार...।।.
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो 6260886596
###################################
235-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-21-7-21
🌷🌷जय बुन्देली 🌷 साहित्य समूह टीकमगढ़.
🌷
स्वतंत्र बुंदेली -विधा
🌷
समीक्षक- पंडित द्वारिका प्रसाद शुक्ला ,,सरस,, दिनांक 21.07 .2021
बुंदेली के महापुरुष हैं!
बुद्धिजीवी सिरमौर!!
जहां बसें रघुराज स्वयं !
है बुंदेली माटी को ठौर!!
नमन बुंदेली धरा को!
जहां बसें ब्रजराज!!
बुंदेलखंड सौ बाग नहीं!
अमित अखंड समाज!!
बुद्धिजीवी कविवरन लखत !
ज्ञान रास भंडार !!
बुंदेली के काव्य मंनिषी!
तुम्हें नमन करत बारंबार!!
आज मां शारदे को नमन कर सादर वंदन कर भव आज के पटल पै काव्य मनीषियों ने अपनी चातुर्य कला कौशल का परिचय देकर बुंदेली को सत्कार करो है रचनाओं के माध्यम से बुंदेली को सत्कार करके उनको मान बढ़ाओ है सभी शारदा के वरदपुत्रन को नमन वंदन अभिनंदन करत है तथा पटल को प्रतिष्ठान बनाकर भीे श्री राजीव राना को हार्दिक बधाई जिनके द्वारा बुंदेली के काव्य मनिषयों में हौसला बढ़ाओ है और उनके आदर केभावों को अंदर के काव्य पटल पै उकेरा है!
ऐसे सबै काव्य मनिषियन के साधुवाद जो बुंदेली माटी की महक को बढ़ा रहे हैं सादर धन्यवाद!!
नंबर 1 .आज के पटल पै प्रथम पधारे व्यवहारी और श्रीगणेश करने वाले बुंदेली के काव्य मनीषी बुंदेली रचना में बुंदेली के गुणगान करके अपने भाव भरे हैं जी में उन रचना में बुंदेली की छवि उकेरी है आज की राजनीति लूट की मंडी बनांकें धर दई ,जिैतैे वोटन के लाने दारू को पउ्वा उखीता में धरत,
ई धरती पै ऐसेइ पसर गए रे, नहिअन से अफरगय रे!!
नदिया की रेता हमईं खों नहीं मिल रही कैसी विडंबना हमारी धरती हमईं से बेगानी ,
गोचर पर कब्जा कर बेई मुकर गए रे ,
घुलन घोटाले पै जेई मर गए रे !!
बुन्देली में बहुत ही नोनी कालजई रचना जैइसे किसान फांसी लगाकर मर गए, श्री नादान जुने रचना में आज की दशा का वर्णन करके चेतावनी भरी सीख दई है के भैया लालच छोड़ संतान के लाने स्थाई काम के लाने वोट देने नातर जैसौ हो रव सो देख रय!
रचना के लाने साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर दो .श्री श्याम मोहन नामदेव जी को बुन्देली कविता सिरजन हेतु अपने भाव भरे हैं कितने बुद्धिमान हैं लेकिन काय रामायण पढ़त ऊपै चलत कछु कात और कछु करत व्यंग भरी सीख खुद सुधरने नई उनको खोर देने,
बिना मास्क कोऊ फिरे,
कोऊ जेब में डार!!
कोऊ चढ़ाँय दाढ़ी !
कोऊ बना गल हार!!
अपनी तो परवीह ना करें दूजन डारें मार!!
बहुत ही नौनी रसभरी रचना करके श्री नामदेव जी ने सीख दई है साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई!
नंबर 3 .श्री गुलाब सिंह भाऊ जुने गीत के माध्यम से बताओ है के मंदोदरी के माध्यम से ही मन पर दबाव बनाने की बात करी के मनमानी ना करो और रावण जैसे मद में सिया जैसी नार के संगै अत्याचार ना करो बहू बेटी मां बन के रान दो तवई जो जीवन चलहै तुम ही समाज में सोने जैसी लंका में आग लगाकर जा देहिया कारी कर रहे जी से मानव की नाक कट रही और अब उनकी शान गिर गई!
जैसी रावण ने करी थी ऐसे अत्याचार को देखकर
भैया भैया को ना भयौ, छोड़ भैया देत !!
जैसौ ही विभीषन भाग गया था ,
कैसी नौनी सीख मानो ना मानो, भाऊ को ऐसो ना जानौ!
भौतै नौनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई !
04.श्री रामानंद पाठक जुने अपनी बुंदेली चौकड़िया के माध्यम से अध्यात्म भरी बुंदेली के भाव भरे हैं जी में रामलला के दर्शन करने की कै रय, काय का जौ आ गव सावन सलोनौ, सावन भादों मिलत ओरछा लगत है भौतै नोनो !!
अन्न दान बड़ौ दान सोई होतै और तब ही बरसा जैसे ह्रदय हरसाउत दिखाएं वर्षा के होते ही खेत में बुवाई होन लगी मानसून कीआशा हो गई भौतै नौनी रचना के लाने श्री पाठक जी को सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद!
05.श्री परम लाल तिवारी जी ने अपनी बुंदेली मनहरण घनाक्षरी के माध्यम से भाव भरे हैं वरदानी देव महादेव कल्याणकारी हैं गरल के अहारी हैं भाल तिरी्पुंडघारी है ,सज्जनहि सुखारी हैं ,भक्ति भाव से ओतप्रोत अध्ययन में रमें मन जीवन जतन को शार देके शंभू त्रिपुरारी का गुणगान करो है जो सर्व सुख दाता भोले भंडारी आशाओं की पूर्ति करत है ऐसी रचना के लाने श्री तिवारी जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन !!
नंबर 6 .श्री प्रदीप खरे जुने पिरामिड कविता के माध्यम से मन के धीर धरे से उत्सव होता रात!
सबरे काम घर के बासन बजत हैं नहीं छोड़ देत मुकाम !!
घर में बहन भैया सोउ लर परत !!
ईसें कात कै मिल जुर कें राने जा मोेरी बात मानो!
मोरी भैया हरौ एक बात जा मानो ,सब हिल मिल के रव, पार ना ठानों!!
भौतै नोनी रचना की लाने सादर वंदन और हार्दिक बधाई !
नंबर7 .श्री पीडी श्रीवास्तव जी ने यह बदरा घर घर के शीर्षक से भाव भरे हैं जो मन के आंगन में मनमोहक नाच लगे नचाने पानी आ रहा है जेऊ श्रीवास्तव जी ने दल के दल बदरा आ रय सब्दन को भार बुन्देली में भरो है ,बुंदेली में दैेके रचना में चार चांद लगा दिए हैं धरनी की ताती छाती पर नित गुलाब जल छिरके रचना के लाने साधुवाद जे निर्मोही बदरा अब झिर ॉ झिर के बरसा रय ,वाह श्रीवास्तव जी कालजई और मनमोहक शब्दावली के संग रचना ने अंतर मन में उमंग भरी है सादर वंदन अभिनंदन बधाई.
नंबर 8 .डी.पी .शुक्ला ,,सरस,, ने बुंदेली रचना में आज की बदरन की रहमता को वर्णन करो और हिये में मेह भी गिरवे से पंछी और जीवन की प्यास के संगे धरा की तपन मिटा हरियाली छाई है और खेतन में जीवन जीने की आस बढ़ी है और अब शीतल बयार बहुत ही नौनी लग रही है जी हरसा रय हैं समीक्षा हेतु सादर प्रस्तुत है!
नंबर 9. श्री जय हिंद सिंह जूदेव ,,जय हिंद,, जुने हास्य कुंडलियां से भाव भरे हैं दारू खोलन के मन की बात हास्य व्यंग में रचना करके बहुत ही नोनी सीख दई है कै वे चाहत हमाए ईतै टंकी बन जावे और हमें पैसा ना देने पर और खूब पिए हमें ऐसी घरवाली नहीं चावने जैसी आज की है कि हमें सेवा करने परत, हमें तो सरकारी नेता चावने ने जो हमारी सेवा में नतमस्तक बनी रहे यह सपने अब हो गए बहुत ही दूर !
मानव तो होत बिलैया देखो!
पैदा करके हो गव मजबूर!!
भौतै नोनी सीख भरी रचना दैकें ,हास्य व्यंग भरी सीख दई है
कै होवे जो घर की नारि,रखियौ ऊस नेह नियम व्यवहार !!
तब जौ घर और समाज चल पैहै भौतै नौनी रचनाओं के लाने बहुत-बहुत बधाई नोनी रचना की लाने सादर बधाई वंदन अभिनंदन !!
नंबर 10 .श्री राजीव राना लिधौरी जुने अपने दोहन में नौनी बात करी है वर्षा को देख किसान और हम उमस से बचे व खेती हो रई सवई खुशी है और धरती पैे अत्याचार से बहुत ही परेशान जा मानै मनमानी कर रै भौतै सीख भरी रचना करी है अत्याचार को अंत होत सोनोने के चलो नातर देखई रय,बहुत ही नोनी रचना के लाने साधुवाद सादर बधाई !
नंबर 11. श्री कल्याण दास साहू जी पोषक जू ने बहुत ही नोनी सिंगार रचना करी है जी में छवि देखत बनत !
चिलके मिलकें मुख मंडल पै,
ज्यों बदरा में तारे!
उपमा अलंकार की छवि निहारी है और देखत बे नयन घुंगटा के उठतन बूढ़े देखन लगत सुंदर छवि देखने के लाने मनमोहक ता भरी नजर चाने जिसे राधा प्यारी के मुख्य मंडल को देखने को मन करें और सावन की घटा सी छा जावे भौतै नौमी सिंगार रचना के लाने श्री पोषक जी को सादर वंदन अभिनंदन बधाई!
नंबर 12. श्री कुंवर राजेंद्र यादव ने चौकड़िया के माध्यम से बताओ कै अब जे कारे बदरा छाकें नगारे से बाजारय है मोर पपीहा बोलत दिखा रये और तपन मिटकें जा तपन मिट जैेहैं जवई ई ज्यू को साता परहै जल सें शीतल कंठ करें हैं और आशा पूरी भई है आशा से टंगों आसमान जो बरस के पूरी करें अपने अरमान बहुत ही नोनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर तेरा .श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता हिंदू जुने चौकड़िया के माध्यम से बात बताई के चुगली करे से काम न ले मनै मैेलौ होने चुगली करके तुम का करलैेहौ लेकिन तुमने चुगली तो करवौ सीखो देख कर मदद करवौ नैं सीखो सोउ चुगलखोर कुवावने भौतै नौंवी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन बधाई धन्यवाद!
नंबर 14. रेनू श्रीवास्तव जी ने मोबाइल के दीवाने शीर्षक से बताओ के मोबाइल के दीवाने बन अपने मोडी मोंड़न भूल गए और उनके चेरे बन गए मोड़ी मोड़न से बात तो करने पर है लेकिन उससे चिपके नई रानें, भौतै नोंनी सीख दई है काम के लाने मोबाइल है बात करो सीख भरी चेतावनी के लाने हार्दिक बधाई धन्यवाद !
15 .श्री सीताराम तिवारी जुने रचना में दोहे में लिखो ऊपर वाले ने सवई कों एक सो रचो है ओर ई धरती पै सवई जात पात में बंटवारा कर दव और उन्हें हिंदू-मुस्लिम में बांट कें लरत रात सुखी नैं रत हैं श्री तिवारी दद्दा जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 16 .श्री एस.आर. ,,सरल ,,जुने नखरे भौत बता रई हास्य व्यंग भरी रचना में भाव भरे है कै गोरी मायके जाबे के लाने नखरे बता रही गोरी के जाए से घर को सबरो काम विलुर जात , कछु काम की घर में कैय हडि़या सी फद फदा रई !
घर में घर वारों मरो जात आज कमा कमा कें !
जे बैठी घरे खा रई रोज चिमाँकें!!
भौतै नौमी हास्य व्यंग भरी रचना के लाने सादर बधाई हार्दिक धन्यवाद!!
समीक्षक- डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़
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236- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा
🌹म,प्र,लेखक संघ🌹
के 🌲जय बुन्देली साहित्य🌲
समूह टीकमगढ़
हिन्दी -विधा
🕉️माता सुनो शारदा मोरी
जय जय करबै तोरी
आज समीक्षा जोड़ मिलादो
लला गणेश सुत गोरी
जय जय करबै तोरी
आज पटल पर सबसे पहले श्री अशोक पटसारिया नादान जी
पावस गीत लिखा है
जरती धरनि पंछी अकुलाए
पपीहा पिऊ पिऊ टेर लगाए
आदरणीय श्री नादान जी के गीत बोल धरती अग्नि सी तप रही है पशु-पक्षी प्यासे धरती प्यासी नदी तालाब सब सूखे पडे है
कहा तक वर्णन करे बहुत सार सुन्दर पावस गीत लिखा हैआपका कोटि कोटि नमन् करता हूँ
2-श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी
गाडरवारा म,प्र,
गीत- जीवन किश्ती तू ही मेरी
गीत के बोल हैं
मेरा साथ निभाना साथी ,में संकट से उबर जाउँगा
टूटा साथ अगर तेरा,में शीशे सा बिखर जाउँगा
ईश्वर ईश्वरी से वंदना करते हैं तुमारी शक्ति से चल रहा हूँ तुमारी शक्ति से सांसे चल रही है दिन रात कटते है जीवन की सारी गाथा आपके हाँथ में है बहुत ही सुन्दर भाव बिभोर गीत लिखा है आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ
3-श्री अभिनंदन गोइल जी
घटा गीतिका लिखा है
चातक प्यासा सजनी प्यासी
अंबर में तन घिरी घटा
आदरणीय आप के गीत के बोल हैं संसार की सभी जीव तत्व पशु-पक्षी जीव जन्तु धरती प्यासे है कम कम बर्षा वर्ष रहीं हैं अच्छे वर्षा की भावना गीत बहुत बढ़िया लिखा है आपका नमन करता हूँ
4-श्री किशन तिवारी जी भोपाल
गजल लिखी
बहुत बे चेन रहता है बहुत कसमसाता है
बो सच भी बोलता है फिर सच आघा छिपता है
गजल गाथा बहुत उदास रहना कुछ सही बोलना कुछ छुपा लेना कुछ नराज रहता बहुत सुन्दर आप ने गजल लिखी बहुत बढ़िया आपका हार्दिक स्वागत है
5-श्री श्याम मोहन नामदेव जी
देरी-जिला टीकमगढ़
कविता सृजन
भाव संवेदनाओ का घर है हदय
प्रेम संगीत का स्वर मधुर है हदय
आपने भाव संवेदना का धर हैं हदय प्रेम संगीत में मधुर मिलन आँखों से आँसू आ जाते हैं आपने स्नेह प्रेम भाव बिभोर गीत लिखा है आपका हार्दिक स्वागत है बार-बार प्रणाम स्वीकार करें
हदय तल से नमन
6-श्री मनोज कुमार
उ,प्र,गोंडा जिला
कविता-में कौन हूँ
शब्द कठिन है
सवाल निकट है
फिर भी करता मनमानी जलते
हुए शोले पर कोई फेंक रहा है ठंडक सा पानी
आपकी कविता में करोड़ों बर्षो से प्राणीयो मानवता की कहानी गढ़ कर सारे जीवन की सारी गाथा तन मन धन लोभ में मनुष्य फंसा हुआ है पृथ्वी की गति नर नारी के कर्म गति पूणॆ रूप पूरी नहीं कर पाते हैं
बहुत भावपूर्ण आपने लिखा है आपका हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करता हूँ
7-हम गुलाब भाऊ लखौरा
अपनी चौकडिया में लिखा है काले बादल प्यारे से लगते हैं पानी की बर्षा करने की कमना
अच्छा बरसात होने भारत में धन धान बड़े
8-श्री हरिराम तिवारी हरि जी
खरगापुर जिला टीकमगढ़
मंगलमय सुप्रभात
आपने सर्व शिष्ट लेख लिखा है हरि दर्शन गुरु दर्शन हरि भजन गुरु पूनम गुरुवार मनुष्य को प्रति दिन करना चहिये हदय में गुरु देव धाम होना चहिये मनुष्य को पूण रूप से गुरु ईश्वर से विश्वास करना चहिये आप ने जीवन योग लेख लिखा है आपका कोटि कोटि नमन् करता हूँ जय हो महराज जी
9-आदरणीया डाँ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल
मन मोहना
राधा पुकारे मेरे श्याम सोहना
तू मेरी गली आजा मन मोहना
आपने बहुत बढ़िया विरह गीत लिखा है श्री राधा जी श्याम को पुकारती है श्याम मेरे घर आ जाओ मुझे दर्शन दे दौ मुझे तुम बिन चैन नहीं पड़ता है और हमारा तुमारा कई जन्मों का नाता है तुमारी बाँसुरी मन का हरण करने बाली है आपके गीत की कहा तक बखान करे कोई वर्णन नहीं कर सकता है आपने मोहन की मोहनी छवियों का बखान किया है आपका कोटि कोटि धन्यवाद 👏👏
10-श्री डाँ सुशील शर्मा जी
कुण्डलियां (श्री मद भागवत गीता)
गीता ज्ञान बिषय पर आप ने बहुत गहरा प्रकाश मनुष्य के जीवन योग योगिता पर हितार्थ यज्ञ दान तप काम्य कर्म फल धर्म संन्यासी बहुत साधना सर्व शिष्ट ज्ञान मनुष्य के भव सागर तारण तरण गीता का ज्ञान आपने बहुत बढ़िया लिखा है आपका कोटि कोटि नमन् करता हूँ।
11-श्री मति मीनू गुप्ता जी टीकमगढ़
गीत
थोड़ा मिल जुल कर रहा करो
धार वक़्त की बड़ी प्रवल है इसमें लय से बहा करों
जीवन कितना झण भंगुर है मिलते-जुलते रहा करों
आपने बहुत बढ़िया लिखा है वक़्त का कोई ठिकाना नहीं है आपसी प्रेम भाव सत भाव बना कर रहना चाहिए आपस में दुःख दर्द में सामिल रहना चाहिए आपकी लेखनी को बार-बार प्रणाम सादर स्वागत
12-श्री जयहिन्द सिंह जय हिन्द दाऊ जी
पलेरा जिला टीकमगढ़
कुण्डलियां धामिक
झूला झूलन को चले,हम यमुना के तीर
कान्हा के संग में जहाँ,जुड़ी सखिन की भीर
आदरणीय श्री आपके गीत की महिमा अपरम्पार है हरि अन्त हरि कथा अनन्ता आप तो ज्ञान के सर्व शिष्ट लेखक है गीत में विहार पर बहुत सुन्दर झूला यमुना के तीर पर सखियाँ का रास रचना क्या क्या वर्णन करू आपके सुन्दर गीत लेखन को बार-बार प्रणाम आपका कोटि कोटि नमन् करता हूँ जय हो दाऊ
13- श्री एस,आर तिवारी जी टीकमगढ़
आपकी
🌹चौकडिया🌹
छागये नभ में बदरा कारें
लगत देखतन प्यारें
आपकी चौकडिया बहुत जान दार एवं सान दार जोरदार सोरदार आपने काले काले बादलो का घटा घोर छाये हुए हैं पानी की बरसात में मगन किसान अन्न जल से खुश हाल रहे बहुत बढ़िया चौकडिया लिखी आपका स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ जय हो महराज जी 👏👏
14- श्री सरस कुमार जी
दोह -खरगापुर जिला टीकमगढ़
🌲नयी गजल🌲
आप हमको जान से ज्यादा हुये
जिन्दगी के आप में सादा हुये
आपने बहुत बढ़िया सुन्दर नई गजल लिखी हैं आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ👏👏
15- श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी
जय बुन्देली साहित्य समूह अध्यक्ष जी
टीकमगढ़
🌲गजल🌲
वोटों के खातिर
वोटों के खातिर ही तो दंगे कराये है
ये वो मसीहा है जिन्हें ने घर जलाये है
आपने आज काल जो राजनीति के लिए झूठ जन जाल बना कर लोग सत्ता हथियाने का लाभ नेता पुलिस गरीब जनता के साथ अन्याय करते हैं और आपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं आपने बहुत सुन्दर बढ़िया चौकडिया लिखी हैं आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ👏👏
16- श्री सुसंस्कृति सिंह कृति
भोपाल
🕉️बाल गीत🕉️
आओ सुनाऐ तुमको
हम एक नई कहानी
आप ने बच्चों के उत्साह वर्धन करने की बाल गीत बहुत बढ़िया और सुन्दर रचना की आपको हार्दिक स्वागत सादर प्रणाम नमन करता हूँ👏👏
17- श्री परम लाल तिवारी जी
खजुराहो
🇮🇳राष्ट्र प्रेम🇮🇳
जिस मिट्टी में खेलें कूदे उससे हमको प्यार है
भारत माँ की पवित्र धरा पर तन मन धन बलिहार है
आपने देश भक्ति शक्ति पावन धरती भारत माता की मिट्टी का बिस्तर से गीत लिखा है आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ 👏👏
18- श्री डी,पी शुक्ला सरस जी टीकमगढ़
बदलते वक़्त के साए
सादगी जीवन का अंतिम सत्य है बढती उम्र के अनुभव भरा तथ्य है संगीत में भरती रंग आकाश तथ्य बदलता रंग बहुत बढ़िया चित्रण शरीर के ओर समय का लेख लिखा है आपका को कोटि कोटि नमन्👏👏
19- श्री प्रदीप खरे मंजुल जी
टीकमगढ़ म,प्र,
कविता
मेघ मचले नीर लेकर आगये है
आके दैखो कैसे नभ पर छा गये हैं
आपकी बहुत बढ़िया कविता मन प्रसन्न होगया धरती प्यासी थी अब शीतलता हो गई है क्या क्या वर्णन करू आपका हार्दिक स्वागत नमन करता हूँ👏👏
20- श्री प्रदीप गर्ग पराग जी
समय वक़्त 16 हाइकु
धूप या छैया
समय का पहिया
झूमे रे भईया
आपने सोला हाइकू लिखें है जिनके अर्थ बहुत भिन्न भिन्न प्रकार के है सुन्दर बहुत बढ़िया हाइकू है आपका हार्दिक वंदन अभिनंदन करता हूँ जय हो👏👏
21- श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु जी
बड़ा गाँव झाँसी उ,प्र,
😃कुण्डलियां😃
नफरत से नफरत बढे वढे प्यार से प्यार
जैसे जिसके आचरण याद करें संसार
आपने बहुत बढ़िया कुण्डलियां लिखी जिसमें जैसे गुण अवगुण होते हैं आचरण के अधार पर उसको फल प्राप्त होता है बहुत ही सुन्दर कुण्डलियां धामिक है बहुत बढ़िया लिखी आपका हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन👏👏
22- श्री राजेन्द्र यादव कुवँर जी
कनेरा बड़ा मलहरा
🦚कुण्डलियां🦚
बोलत बोल कुबोल है जो रिश्तो को तोड़
ऐसे अधमी नीच का साथ दीजिए छोड़
आपकी कुण्डलियां में बहुत सार है नीच की सत्संग नहीं करना चहिये इस प्रकार के आदमी का संग छोड़ देना चाहिए
क्या क्या वर्णन करू बहुत बढ़िया लिखा है आपका हार्दिक स्वागत आभार 👏👏
23- श्री जनक कुमारी जी वघेल
कुण्डलियां
रहते हरदम आपके बैरी कपटी साथ
पैनी नजर रखे सदा करू साफ कब हाथ
आपने बहुत बढ़िया कुण्डलियां लिखी कपटी छली पाखंडी का विवरण सुन्दर कुण्डलियां आपका हार्दिक सादर आभार 👏👏
24- श्री कल्याण दास पोषक जी
पुथ्वीपुर जिला निवाडी
आपने लिखा है
काम अधिक तर मोबाइल से इकदम ठीक हुए हैं
तन से दूर दूर लोगो के मन नजदीक हुए हैं
बहुत सुन्दर बात कही है आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ 👏👏
25-श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी
टीकमगढ़
🌹पावस🌹
चौकडिया
आकाश में काले रंग के बादल छा गए हैं
और पानी की बरसात कर रहे हैं आप की चौकडिया बहुत बढ़िया बर्षा की खुशहाली के लिए आपका हार्दिक आभार जय हो 👏👏
26- श्री कविता नेमा जी
आपने के बोल
माता पिता हैं देव हमारे
रहते हैं हम सदा उनके सहारे
आप ने संसार का सुख सार माता पिता हमारे लिए सब कुछ है बहुत ही सुन्दर भाव बिभोर ज्ञान योग बढ़िया लिखा है आपका बार बार नमन👏👏
27- डाँ अनिता गोस्वामी जी भोपाल
आपने लिखा है
मेरी ही लेखनी मेरे लेखन का श्रिंगार
श्रंगार का उपयोग सिर्फ मेरे ही बिचार
आपने बहुत बढ़िया लिखा है आपका आभार👏👏
28- श्री राम लाल द्विवेदी प्रणेश जी
कर्वी चित्रकूट
प्रार्थना
है ईश प्राणा धार भक्त निवास जगदाधार
नील मणि ज्योतित प्रभा योगेश शांता कार
आपने ईश्वर की वंदना की और पटल पर एक ज्ञान ज्योति पर प्रकाशित किया आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन कोटि कोटि नमन्👏👏
29-- श्री एस,आर सरल जी टीकमगढ़
पावस
काले से मड़राये बादल
जल बरसाने आये हैं
आपने बहुत सुन्दर पावस गीत के भवना भरा हुआ धरती की प्यास बुझाने का और किसान के हदय में सुख फैसलाने को बहुत बढ़िया लिखा है आपका हार्दिक स्वागत है👏👏
30- श्री मनोज कुमार सोनी जी,राम टोरिया
गजल
आपने बहुत बढ़िया गजल लिखी हैं आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ 👏👏
31- श्री सुनीता खरे जी,टीकमगढ़
ऐ मेरा घर वो तेरा घर
बहुत सुन्दर आपने लिखा है कहा तक बखान करे बढ़िया लेख
आपका नमन 👏👏
आप सब का स्वागत बंधन अभिनंदन करता हूँ हमने पहली वार समीक्षा लिखी अगर इस में गलती हो तो ध्यान नहीं दे हम क्षमा प्रार्थी
-
गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ म,प्र,
8349 91 1413
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237-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-गांव-27-7-2021
#मंगलवारी समीक्षा#27.7,21#
#हिन्दी दोहे#जयहिन्द पलेरा#
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समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ शारदा को नमन करते हुये सब मनीषियों को सादर अभिवादन।आज कौ बिषय गाँव बहुत ही श्रेष्ठ और सरल बिषय है,इस पर सबने निज बिचार अपनी अपनी बुद्धि अनुसा
र रखने का प्रयास किया है।
जिसमें कयी नवीनतायें देखने को मिलीं हैं आइये आज हम सबके गांव चलकर उनके साहित्य सदन का अवलोकन करते हैं और आप सभी को आँखों देखा हाल बताते हैं।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
सबसे पहले मैं अपने निजी आवास कमल बुन्देली साहित्य सदन गुड़ा नजदीक पलेरा का प्रतिवेदन बताते हैं।
मैने अपने सभी दोहों में गांव और शहर की तुलना करने का प्रयास किया है।गांवको शान शहर को जान बताया है।शहरी सभ्यता और ग्रामीण पावनता का उल्लेख किया है।शहर से फैशन का उदगम और गांव से सदगुणों का उदगम बताया गया है।गांव में गंगा शहर में सरस्वती का बास,
गांव शहर को एक दूसरे की आशा
होंना बताया है।कोरोना काल में गांव की कुशलता और शहर के हाहाकार का बर्णन किया है।
भाषा शिल्प शैली का मूल
यांकन आप सभी करने की कृपा करें।
#2#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान...
आपके लिधौरा साहित्य सदन का अवलोकन करने पर देखा किपढ़े लिखे का गांव से पलायन,गांव मैं चौपाल की जगह शराबी ठेके,गांव में रोजगार की मांग,किशान की प्रगति,गांव में नेताओं और मूर्खों का बास,गाँव की सहयोगी भावना का बिनाश,गांव में उद्योगों की स्थापना का अभाव बताया गया है।आपकी भाषा सरल लुभावनी,
भावों का कमाल शिल्प और शैली की सुन्दरता मन मोहक है।आपका बार बार बंदन।
#3#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु........
आपने 5गांव स्थापित किये ।आप बड़ागांव झाँसी में रहते हैं।आपने अपने सृजन मेंअपने गांव के विकास ,गांव में नये विकास से बदलाव,गांव में आपसी प्रेम,शिक्षा और स्वास्थ्य गांव देश की शान एवम् सभ्यता का रक्षक बताया है।आपकी भाषा मजेदार सरल प्रवाहमयी है।भाव सुन्दर शैली मनमोहक शिल्प आनंददायी है।
आपको बार बार नमन।
#4#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी.......
आपने 2महानगर बसाये,आपका साहित्य सदन टीकमगढ़ में पाया गया।आपने अपने लेखन में बताया कि महानगरों के बसने से गांव और पेड़ों का अभाव है।गांव में सरपंच और पटवारी हावी हैं।
आपकी भाषा सरल सुगम सुबोध,भाव शैली बैभव युक्त,शिल्प सुन्दर बन पड़े हैं।
आपका बार बार बंदन अभिनंदन।
#5#श्री प्रदीप कुमार गर्ग जी.....
आपने 5गांव बसाये।आपने अपने साहित्य सदन का पता नहीं लिखा
सो बात आँन लाईन हो सकी।आपने अपने गाँव में चारों ओर हरियाली, पीपल,बरगद,नीम के पेड़ बताये हैं।शहरोंकी जनताप्रदूषण में है।उद्योगों से गाँव का पलायन समाप्त होगा।किसान श्रम करके देश की शान बढाता है।सबका गांव से नाता जोड़ने पर बल दिया है।भाषा सरल सरस कोमल,भाव सुन्दर,शिल्प लालित्यपूर्ण, शैली आनंददायी है।
आपको सादर नमन।
#6#श्री राजेन्द्र यादव जी कुंवर.....
आपने3गांव बसाये,आपका साहित्य भंडार कनेरा बडा मलहरा में मिला जिसमेंगांव शहर सें देश निर्माण, गांव की प्रेम बहार,गांव का सुख दुख में साथ,का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा शैली शिल्प और भाव मनमोहक एवं लुभावनें हैं।
आपका सादर नमन।
#7#श्रीप्रदीप कुमार श्रीवास्तव. मंजुल.....
आपकी साहित्य शाला टीकमगढ़ में मिली आपने 5गांव बसाये जिनमें गांव के किसान की फसलों के लहराने का,गांव की नारी का श्रंगार,गांव की गोरी के सोलह श्रंगार,गांव के पानी और प्रेम का,गांव में देश की झाँकी देखने का बर्णन किया है।
आपकी ब्यवहारिक मधचर भाषा शैली संगठित भावशिल्प सुन्दर पाये गये।आपका हार्दिक बन्दन।
#8# डा.रेणु श्रीवास्तव जी.....
आपकी साहित्य शाला भोपाल में पाई गयी।आपने मात्र 2 गांव बसाये।जिनमेंगांव का असली और शहर के बनावटी प्रेम ,गांव में अच्छे स्कूलों की प्रचुरता लिखी गयी।आपकी कोंमल सरल भाषा,शैली रचनात्मक भाव शिल्प सुन्दर पाये गये।
आपका चरण बंदन।
#9#श्रीअरविन्द कुमार श्रीवास्तव जी......आपका साहित्य सदन भोपाल में पाया गया।आपने3गांव बसाये।जिनमें गांव के नीक्ष पेड़ पृ चिड़ियों का कलरव,पनघट पर चूड़ियों की खनक,आँगन में पावन की थिरकन,गांव की पुकार का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा मधुर शैली मस्त भाव शिल्प मजेदार देखे गये।आपको नमन।
#10#श्री अबधेश तिवारी जी कल्लू के पापा....
आपकी साहित्य शाला छिन्दवाड़ा में मिली।आपने एक गांव बसाया।जिसमें गांव की नदी गंगा माई,और पुराना बरगद बूढ़ा बाबा कहलाता है।आपकी भाषा मधुर भावशिल्प सराहनीय और शैली उत्कृष्ट है।आपको सादर नमन।
#11#श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष......
आपकी साहित्य शाला टीकमगढ़ में मिली आपने 5 गांव बसाये।जिनमें ग्योड़े और गांव की गलियों का बुलाना,गांव के देवी देवतन का पूजन,गांव की गोरी की छटा,गांव के पास मकोरों की फलों की लदन,गांव में धन का अभाव पर उमंग का सैलाव का बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा मधुर चिकनी,भाव शिल्प शैली की बनावट जादूतततत भरी है।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#12#श्री हरि राम तिवारी हरि...
आपकी साहित्य शाला खरगापुर में सुशोभित है।आपने 5 गांव बसाये।जिनमेंश्री कृष्ण का नंदगांव,बरगद पीपल की छाया की ग्रामीण यादें,माटी के घर,अस्सी प्रतिशत किसानों का होंना,भारत माता के पाँव में गांव रूपी पैजनियाँ का बर्णन किया गया है।आपका भाषा लालित्य एबम शैली शिल्प ब भाव दर्शनीय हैं।आपका चरण बंदन।
#13#श्री सोनू सोनी जी.....
आपका साहित्य रथ रामटौरिया की अवाऋ माता के पास मिला।आपने5 गांव बसाये।जिनमें गांव में सम्मान, गांव का बृह्ममुहूर्त का जागरण,पशुओं पेड़ों से प्यार,कोड़े की तपन,गांव में बरगद पीपल की छाया,गांव की मर्यादा, का बर्णन किया गया है।
आपकी मँजी हुयी भाषा भाव शिल्प कला बेहतर ,शैली लाजबाब पाई गयी।आपको बारंबार बधाइयां।
#14#श्रीकल्याण दास साहू पोषक जी.....
आपने 5 गांव बसाये,आपकी साहित्य साधना स्थल पृथ्वीपुर में स्थित है।आपने गांव की शांतिमय व्यवस्था, गांव की पगडंडी और हरियाली, गांव के बिशाल चबूतरे,बड़ी दालानें,अथाई पर सब विवादों का निवटारा,आदि का बर्णन किया गया है। आप भाषा के महारय रखने बाले कवि है।आपके शिल
प भाव और शैली प्रशंसनीय है।
आपका सादर अभिवादन।
#15#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी.....
आपकी सा हित्य साधना इंदौर में पाई गयी।आपने 5 गांव बसाये।जिनमें,गांव का दुलार,धन कम के बाबजूद भी त्योहारों की धूम,गांव की ताल तलैयों में कमल,बूढों का सम्मान, हरे 2खेतों में विपुल उत्पादन, का बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा भाव शैली और शिल्प मनोहारी और श्रेष्ठ हैं।
आपका हार्दिक अभिनंदन बंदन।
#16#श्री एस. आर. सरल जी.....
आपकी साहित्य स्थली टीकमगढ़ में पाई गयी,जिसमें गांव की खेती,गांव की हरियाली और वर्षा
शुद्ध हवा,खुली प्रकृति,प्राकृतिक भंडार, गांव की बिरल जनसंख्या कौ बर्णन किया गया।आपकी भाषा भाव जोरदार, शिल्प शैली मनमोहक पाई गयी।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#17#श्री राम गोपाल रैकवार, जी ......आपकी साहित्य स्थली टीकमगढ़ मिली।आपने एक गांव बसाया।जिसमें गांव का निर्धन होंना,धन से बस्ती की पहचान, को बर्णन किया गया है।आपकी भाषा उत्कृष्ट है।भाव शिल्प शैली के जादूगर हैं आप।आपका बार बार नमन।
#18#श्रीसुशील शर्मा जी.....
आपकी साहित्य स्थली गाडरवारा में स्थित है।आपने 5 गांव बसाये,जिनमेंगिल्ली डंडे पतंग का बर्णन,गोरी के गोरे पाँव और सरसों का तेल,अमराई और बरगद की छाँव,काकी दादी बेटी के रिश्ते,गांव का अपनापन देखने को मिला।आपकी भाषा शिल्प,शैली और भाव मजेदार एवम मधुर हैं ।आपकाबंदन है।
#19#श्री रामानंद पाठक जी नंद...
आपका साहित्य सदन नैगुवां में पाया है,आपने 5गांव बसाये गये,
जिनमें गांवन में श्रैष्ठ नंदगांव,गांव की दूध खीर महेरी का आनंद,गांव की गोरियों की पनघट पर भीड़,गांव की गायें गोधूल,गांव की महिमा और शिक्षा का बर्णन किया गया।
आपकी भाषा सुन्दर शैली एवम् भाव अनूठे पाये गये।शिल्प बेमिसाल है।
आपका बंदन अभिनंदन।
उपसंहार... अब पटल के नियमानुसार 8.00बजे तक के दोहों का अवलोकन कर चुके हैं भूल बस किसी के दोहे छूट गये हों तो समीक्षक क्षमा प्रार्थी है।
सबखों फिर राम राम।
समीक्षाकार......
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596
#################################
238-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-28-7-21
🌷🌷जय बुन्देल साहित्य समूह,टीकमगढ़ 🌷🌷
स्वतंत्र बुंदेली काव्य विधा
समीक्षक -पं. डी.पी. शुक्ल ,, सरस ,,टीकमगढ़
बुंदेलखंड की पावन धरा पै!
जिऐ रय भौतै मान!!
जीमें जन्म दयो परमेश्वर! बुंदेली रस को कर रय पान!!
पावन धार बहे नीर बेतवा! जामनें वहै पैर पसार!! कंचना घाट सौ घाट जितै! उतई बिराजे राजाराम सरकार !!
मां शारदा बसे पर्वत पै! पन्ना में बसे जुगल किशोर!!
बुंदेलखंड बाँको लगै! बुंदेली में होत भाव विभोर!!
बुंदेली रस कौ पान कर! काव्य रसन के लेत!
काब्य मनीषी बुंदेली में! अपनी तान है भर देत!!
मां शारदे के चरण वंदन कर आज की बुंदेली रस धारा में बुंदेली काव्य में रस भऱवे बारे काव्य मनिषीयों ने अपनी एक से एक बढ़कर रचना पटल पर डारकें स्वागत करो है और बुंदेली काव्य की गरिमा से ओतप्रोत करो है बे साधुवाद के पात्र हैं ऐसी बुंदेली की लेखनी को नमन करत भए आज के शब्द मंथन कर विचार रखत हों काव्य मनीषियों को सादर वंदन अभिनंदन बधाई!
नंबर 1 .प्रथम पटल पर अपनी रचना के संगै भाव भरवे बारे श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने काव्य मनीषी को उनकी रचना में भरे भावों में श्री गणेश कर उत्तमता भरे बुंदेली को प्रखर ज्योति देकें अपने वाचन को लक्षित कर प्रथम सिरमौर पधारे हैं मैं उनका श्री वंदन अभिनंदन करत भय उनकी बुंदेली रचना में कारे बदरा जियारा जरावे सिंगार रचना में भाव भरे हैं सोनी से उमरिया बारी, साजन बिन लगे जा रात कारी!
सावन झड़ी लगी है गुईयां परदेसै गए मोरे सैयां !!
मंजुल मंन की मनई में रै गई ,आई बदरिया कछु न कै गई !!
बिना कहे जो जियारा जरा के चली गई आस लगी अजहुं हूं ना आए सजना
मोरे!
आशा से आसमान टँगो है, जरूर ही साजन सावन में ही आयेंगे और तमन्ना पूरी करें बहुत ही शब्दन को सिंगार करो है भावों में आज मनहर के दर्शन श्री लगी है बहुत ही नोनी बुंदेली के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन !
नंबर 2,. श्री किशन लाल तिवारी जी ने अपनी रचना में आज हो रही अंधेरी रेन परें फुहारे ,परे न तनकउ चैन!
बदरन ने आके फुहार परी बसकारे में मन लेत हिलोरे!!
और आल्हा के नाँद सुनाई देत ,हमें तो बस कारी छटा देखने वाली दिखात रसभरी रचना के लाने सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन,!
नंबर 3 .श्री ए .के. पटसरिया नादान जुने अपनी रचना में कालजई चलत ब्यार को आत्मसात करो है आसमान छारव डीजल पेट्रोल ,बिजली के बिल को दिखा रओ है रौल!
और लकरें नैयां, माटी को तेल बाजारन नैयां, गैस सिलेंडर में आग लगी है, बजरी के भाव में करंट लग रव, शब्दों के जादूगर बनके रचना में रंग भरो है और गुटकन में पउअन में जा सारी कमाई जा रई है बसन को किराओ बढ़ा दव जा महंगाई डायन खाए जात है को चरितार्थ कर दव रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद!
नंबर 4. श्री पी.डी. श्रीवास्तव जी ने बसकारे की आवे की बात करी है जीमे हरो भरो देखके धरती रानी हंस रही है रहने तपन भरी रातें कढ़ गई और ताल तलैया हिलोरे लेने ऐसे लगन लगात वेई बदरा फुहारी पार लहरिया सी खात निकरत जात जैसे कौनै जुवती कमर लचका उत जा रई ,उपमा भरी शब्द हिलोरे बिजुरी सी चमका रही हैं सबदन के सदन के गज भरे चबूतरे पर कमल सुगंध फैला रय, और ईं तन पर ठंडी सुरक पवन धूम मचा रै है बहुत ही नोनी सिंगार रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन बधाई!
नंबर 5 .श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जूदेव ने झूला गीत पेश कर बंसी की धुन सावन में कन्हैया के हेरन की होत है मनुआँ कात चलौ सखी कान्हा के आवन की वेरा हुई है घन घमंड के जब छावन हुई है गुलाबी मन और बसंत सैयां से लगत हैं और मधुर मुस्कान लयें मुरली बजैया रिमझिम पड़े फुआरे राधा झूला झुलाऊतं कन्हैया, बहुत ही रसभरी सिंगार रचना मन को मोहित करत हुई नोनी रचना के लाने सादर लेखनी को नमन वंदन अभिनंदन बधाई !
नंबर 6. श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जुने हरियाली देख वसुधा खुशहाली मैं मचल रही है बेरवा लगा सीचत बदरा कारे ,प्रकृति हरी-भरी दिखे हो गए चंदा से उजियारे !
ऐसे बरसाती ऋतुराज पधारे हैं बहुत ही नोनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद!
नंबर 7 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने आज के कालयुगी दादाऔं ने फर्जी वसीयत कर दी है शरीफ लोगों को जीवो दुश्वार हो गव है मुश्किल मैं यह पापी कभउं तृप्त नहीं होत, जे पर नार कों देख रात जे इंद्रियां को बस में ना करके ई तन को गठुवा जैसौे कूट रये यह जीवन रूपी धन को लुटा के बैठ कर रह गए शब्दों के भंडार से ओतप्रोत लेखनी को नमन सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर आठ . श्री मनोज कुमार सोनी जुने मन्नू ऱूपी भगदऱ को भगाने का प्रयास करो है जो अपनों को भी काटने से नहीं डरता है पिज्जा बर्गर खा जे लड़का पैदा भए हैं इन्हें सब्जी नहीं खाने और इनके शरीर नहीं लगने यह कैतो बूंदा बरसे मैं के एनईं बरसे जात पात की आग लगी है छपवे बारी खबर नई छपत, और जब से ब्याह होगव तभी से जो लड़का हंसवौ भूल गए माया में लिप्त हो प्राणी प्रभु को भूल गए है तो सीख भरी चेतावनी दी है रचना के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन .!
नंबर 9. श्री हरी राम तिवारी जी ने अपनी बुंदेली रचना में अध्यात्म भरी सुहावनी बुंदेली में चौमासे कें देवता अपने-अपने धाम चले गए अब तो हर हर भोले नाथ भंडारी की शरण में जाने पर है बे ही मन को भा गए बहुत ही नोनी रचना सीख भरी रचना अध्यात्म के लाने सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद !
नंबर 10. श्री गुलाब सिंह यादव भाव जब ने गारी के माध्यम से रचना में भाव भरे हैं गोपियां मथुरा को जा रही कृष्ण बीच डगर में दहिया दान के लाने बैठे हैं बिना दान दें जान नहीं दे रहे अध्यात्म भरे भाव सावन में घनश्याम के भावों में झूलते नजर आ रहे हैं बहुत ही नौनी रचना के लाने सादर बधाई धन्यवाद !
नंबर 11. श्री रामानंद पाठक जी ने चौकड़िया के माध्यम से प्रभु शरण में जाकर विनय करी है के मैं अज्ञानी पूजा पाठ नहीं जानत तौउ दर्शन चाउत मौपै पै कृपा करो, आपै की कृपा से जे बदरा बरसने है तो ईको आस बनी रहे विनय करी है पाठक जी लाने वंदन अभिनंदन साधुवाद !
नंबर 12 .डी .पी .शुक्ला सरस ,,अब तो लगन लगत बसकारौ हरो भरो दिख रहो चारों प्रकृति को परिधान देखकर धरा मुस्कुरा रही है जी धरा और मानव मोर पपीहा के लाने-चाने हतो और दादुर अपनी पोखर में बरात लेके आ गए बसकारे की दास्तान गाउत जो प्रकृति में सुहागन व विभावन मौसम सावन की घनघोर घटा के दर्शन करा रहे हैं ठंडक को पाके हीए जुड़ा रय नदिया नारे बेउत जा रहे समीक्षा के लाने सादर प्रस्तुत !
नंबर तेरा .श्री एस .आर. सरल जुने विरह सावन में बहुत ही परेशान करत है पर्देसे पिया गए ,छोड़ गए सावन की रतिया कारी!
सूनी सेज रात भर तड़पें!
अब बताओ हम का कर डारें!!
अब हमारे जे बदरवा वेरी से लग रहे सावन सुने लग रहे उधर डरपत जे हिय हमारे बहुत ही नौने शब्दअन भरी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन बधाई!
-डी.पी.शुक्ला, टीकमगढ़
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239वीं पटल समीक्षा दिनांक-29-7-2021
*बिषय-हिंदी में "स्वतंत्र पद्य लेखन"*
आज पटल पर हिंदी में *स्वतंत्र पद्य लेखन था। सभी साथियों ने शानदार रचनाएं पोस्ट की है ग़ज़ल, गीत, कविता, चौकडिया आदि विभिन्न विद्याओं में रस वर्षा हुई है। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर *1* *श्री अशोक पटसारिया जी* ने किसान और मजदूरों की पीड़ा को बहुत ही सूक्ष्म व मार्मिक वर्णन पेश किया है- बधाई।
कड़ी धूप में कठिन परिश्रम,श्वेद और शोणित का मिश्रण।
और कड़ाके की शर्दी मैं,रात रात भर खेती सिंचन।।
क्या तुमने भी कभी आज तक,इतना काम किया है।
*2* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़* ने एक शानदार ग़ज़ल कही ग़जल के शेरों में प्रेम और व्यंग्य का मिश्रण था।
जो रहीम और राम हो गये।उनके ऊंचे नाम हो गये।।
प्यार को जिन्होंने समझा। वो ही यहां घनश्याम हो गये।।
देखो नेता बनते ही वो।कितने ऊंचे दाम हो गये।।
*3* *श्री मनोज कुमार सोनी रामटौरिया* ने भी एक ग़ज़ल पेश की- ये शेर अच्छे लगे। बधाई।
आज तक मेरा कभी मेरा हुआ ना।कौन जाने इश्क का दस्तूर क्या है।
स्वाद तो जो भी है माँ के हाथ में है। रोटि सूखी और मोती चूर क्या है।।
*4* *श्री एस आर सरल जी* टीकमगढ़ ने मतविले बादलों पर बेहतरीन क़लम चलायी है। बधाई।
मचले मस्ती में मतवाले,मन मोहक मड़राये हैं।
सावन मास लगे अँधयारे काले बादल छाये हैं।।,
*5* *श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी* उप्र.से अपनी ग़जल में जिंदगी का फलसफा लिख रहे हैं। बधाई।
एक जल का बुलबुला सा तू यहाँ। सिर्फ आना और जाना जिंदगी।।
रख वफा ईमानदारी नेकियाँ, प्यार अपना तुम निभाना जिंदगी।।
*6* *मनोज कुमार ,उत्तर प्रदेश गोंडा* से प्यार और वफ़ा की बातें कर रहे है। बधाई।
मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया।
दौलत के चाह में,अपनी आंखो के शूरमा बना लिया।
हम निकल नहीं पाए, प्रेम के महा जाल में।
जला कर ख़ाक कर दिया मुझे, नया साल में।
*7* *श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा, म.प्र* बता रहे है कि रात क्यों होती है। अच्छी रचना है बधाई।
रात इसीलिए होती है कि
हम दिनभर के थके हारे आराम कर लें
रात इसीलिए भी होती है कि बतिया लें
अपने परिजनों से,पड़ोसियों से,।।
*8* *डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल* से पिता पर केंद्रित सुंदर भावों से भरी कविता पेश की है। उन्हें बधाई।
पिता होता है जीवन की नींव जानो।
वह एक उम्मीद है इस सत्य को मानो।।
तेरे लिए सदा सभी सुविधा जुटाई थीं।
जीवन की सारी खुशियां तुझ पर लुटाई थीं।।
*9* *जनक कु.सिंह बाघेल भोपाल* से बहुत दर्शनिक अंदाज में अपनी रचना प्रस्तुत की है। बधाई।
सृष्टा ने हर प्राणी को, बल बुद्धि बहुत दिया।
रक्त वाहिनी , स्वांस सभी को, एक समान दिया।।
अधिक विवेक दिया मानव को , चाहे क्षितिज उड़े।
धरती अम्बर मंगल तक सब उसने माप लिया।।
*10* *श्री किशन तिवारी भोपाल* बहुत बढ़िया ग़ज़लें लिखते हैं एक बहुत छोटी बहर में यह ग़ज़ल कही है। बधाई।
ग़म का इक सागर तो है।फिर भी तू ऊपर तो है।।
तूफ़ानों से टकराती।इक कश्ती जर्जर तो है।।
कुछ भी पास नहीं मेरे।पर ढाई आखर तो है।।
*11* *डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवाड़ा से महाश्रृंगार छंद में रचना पेश कर रहे है। बधाई।
श्याम बस तुम ही मेरे मीत ,
तुम्हीं से लागी मन की प्रीत।
करूँ मैं तेरा ही गुणगान ,
हार भी मुझको लगती जीत।।
*12* *प्रदीप खरे, मंजुल*,टीकमगढ़ मप्र से बहुत मधुर गीत लिखा है भारत माता का दर्द बयां कर रहे है। बधाई।
लोकतंत्र में लोक बिलखता,सुनने वाला कोई नहीं।
बिलख रही है भारत माता,चैन से अब तक सोई नहीं।।
*13* श्री *अरविन्द श्रीवास्तव*,भोपाल ने धरती मां के बारे में लिखा है कि मैं ही इस संसार की धूरी हूं। बढ़िया चिंतन है।बधाई ।
मैं ही इस संसार की धुरी हूँ,/परमपिता ने
इसके केन्द्र में रखा है मुझे,
मेरे होने पर निर्भर है
समस्त स्थूल और चेतन जगत ।
*14* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर* पावस का सुंदर वर्णन कर रहे हैं बधाई।
पावस की रिमझिम झडी़ , खुशहाली बरसाय ।
पशु - पक्षी होते मगन , हरियाली छा जाय ।।
बरखा की बूँदें निरख , चातक मन हरषाय ।
शुभ स्वाती नक्षत्र में , मन की प्यास बुझाय ।।
*15* *श्री रविन्द्र यादव जबलपुर* से हार-जीत का गणित समझा रहे हैं।
जीतते रहो तुम, हारते रहो तुम !
वो सुनता है, उसको पुकारते रहो तुम !!
सच-ओ-धरम ही जिताते हैं सबको,
सच-ओ-धरम पर सब हारते रहो तुम !!
*16* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* चौकडियां में किसानों की दशा व्यक्त कर रहे है। बधाई।
किसान नीचेको गड़रये,भाव जे सबके बड़रये ।
डीजल पेट्रोल को देखो ,जा आकाश को चड़रये।।
*17* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* दाऊ ने टीकमगढ़ जिले के दर्शनीय स्थलों की सुंदर झांकी प्रस्तुत की है। बहुत बढ़िया रचना है बरम्बार बधाई दाऊ।
कुण्डेश्वर है धाम यहां का,बाग बगीचे न्यारे हैं।
वन संग ऊषा कुण्ड जामफल,बाग यहाँ के सारे हैं।
बोतल हाउस कृषि फार्म,सबकी आँखों के तारे हैं।।
बरीघाट की शोभा न्यारी,महिमा अपरंपार है।दर्शनीय.......।।
*18* *श्री हरिराम तिवारी 'हरि',खरगापुर* से बारिश का मनोरम वर्णन कर रहे हैं बधाई।
रिमझिम बुॅंदियां झर रहीं, भींज रहे दोउ आज।
झूलन रस में मगन हैं, रसमय सकल समाज।।
नीलांबर से राधिका, पीतांबर से श्याम।
जल कण पौंछें परस्पर, शोभा है अभिराम।।
*19* श्री अभिनन्दन गोइल, इंदौर- से पंच तत्वों की सुंदर चिंतन और व्याख्या कर रहे हैं। बधाई
सृष्टि रची है पंचतत्व से,अद्भुत है रचने बाला।
प्रकृति नटी का नाट्य निरंतर,उसकी ही नाटक शाला।।
क्षेत्र अनंत असीमित जिसका,है आकाश लोक-व्यापी।
ऊर्जा इसमें विचरण करती , ना कोई आपाधापी।।
इस प्रकाय से आज पटल पै 19 कवियों ने अपने अपने ढंग विभिन्न रसों और बिषय पर कविताएं पठल पर रखी सभी बहुत बढ़िया लगी, सभी रचनाकारों को बहुत बहुत धन्यवाद।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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240-श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ,-चौमासा-2.8.2021
🦚 *जय बुन्देली साहित्य समूह* 🦚
🌹समीक्षा 🌹
बुन्देली दोहा
*बिषय =(72)चौमासा*
सोमवार 2/8/2021
*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा*
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*1-श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू लिधौरा टीकमगढ़*
🍀दोहा बोल 🍀
चौमासौ कैसे कटत
किचकंदे की गैल।
आबौ जाबौ भव कठन
ईसें अच्छो पैल ।।
आ•श्री पटसारिया जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये के बसकारे में किचकंदे की गैल आबौ जाबौ भव कठन ईसें अच्छो पैल हतो महराज जू बसकारे सोऊ भौतई जरूरी चाने आउत जू काये के जा फसल जरूरी है जू अपन ने हर दोहा में ज्ञान को सार भर दव है जू महराज जू आपका हार्दिक स्वागतवंदन अभिनंदन करता हूँ जय हो 👏👏
•••••••••••••••••••••••••
*2-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू टीकमगढ़*
🌹दोहा बोल 🌹
चौमासौ जां सें लगो
बदरा पानी लाय।
अँगना नित बरसन लगें
रूत सावन मन भाय ।।
आ•श्री मंजुल जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है। अपन कैरय के- बदरा पानी लाये अबआ पतो परो के बदरा दो बन्न आ होत कछु जने कन लगत जू के आज बदरा घाम है कछु जने कन लगत बदरिया भारी पानी लैके दौर दौर् बरसा रई है जू अपन ने गोरी सज धज मंउदी महुर पांव में लगा के नौनो बखान करों जू अपन ने संत संन्तो को एक स्थान पर रूक जाबे पत्नी पति को परदेश जाबै के लाने रोक रई अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है 👏👏
○○○○○○○○
*3-श्री रामानन्द पाठक नन्द जू*
👌दोहा बोल👌
जैसें पंडित मंत्र पढ़
मेंढक मिल टररांय!
आंख मूंद के जानियो
बरसा के दिन आंय !!
आ•पाठक नन्द जू अपन आपने दोहा में भौतई सार दार नोनी बात कई है पंडित जी और मेंढक को अच्छो बखान करो हैं
अपन लिख रये जू के आँख मूँदके बरसा अपन देख लेत और सबई जने आँख खोल के बरसात देखत है जू महराज जू अपन नराज नई हो जईवो अपन से हमाव इतनो स्नेह आ है जू अपन लिख रये गली खोर पानी बै रव है जू महराज अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू सादर नमन वंदन अभिनंदन करता हूँ जू 👏👏
*4-डां सुशील शर्मा जू गाडरवाड़ा*
☝🏽दोहा बोल☝🏽
जो चौमासौ बीत है
बिन साजन के संग।
पिया विदिशवा जा बसे
किसके लागूँ अंग ।।
आ•अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये के बरसात में संत एक आश्रम परअपना पूजा पाठ करते हैं कऊ दूसरे आश्रम पर नई जात है बरसात में कीड़ा भौतई बड़ जात है चौमासे में पकवान भौतई नौने लगत स्वाद लगत् है अबै जादा भोजन करे से देह में हानि करत है अबै नदी शोभा दै रई है पानी की लहरें उठती हैं अपन व्यापार युध्द और तकरारे चौमासो के बाद बड़ते है अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है 👏👏
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*5-श्री परम लाल तिवारी जू खजुराहो*
🍇दोहा बोल 🍇
चौमासे में संतजन
रूके एक ही ठौर
भजन करे रहकर अडिग
तके न दूसर पौर
आ•श्री तिवारी जू अपन लिख रये जू के बरसात में संत एक ही स्थान पर
आपनी पूजा पाठ करते हैं कऊ दूसरे आबो जाबौ नई करत है बरसात में कीड़ा भौतई बड़ जात है
आप ने भौतई नौने दोहा हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन 👏👏
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*6-श्री राजीव नाम देव राना लिधौरी जू टीकमगढ़*
एडमिन महोदय जी
🌲दोहा बोल🌲
चौमासों कैसो कड़े
ठलुआ बैठें आज।
काम सबई चौपट भये
कैसे होबे काज।।
आ•अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू के चौमासे कैसें कड़त सब ठलुआ बैठें हैं काम काज सब चोपट होरये है अपन ने भौतई प्यारी बात धरती के सिंगार को लेखन हरियाली धरती पै छा गई है अपन ने बताओ के पानी बिना कछु नईया आप के सुन्दर दोहा बढ़िया लेख कलम को बारम्बार सादर नमन वंदन अभिनंदन जू👏👏
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*7-श्री कल्याण दास साहु पोषक जू*
पृथ्वीपुर जिला -निवाडी*
💚दोहा बोल💚
प्यास बुझत भू भाग की
चौमासा जब आत
पशु पक्षी बिरछा मनुज
फूलै नहीं समात
आ•पोषक जू अपन कितनो नौनो दोहों में बखान करों जू के आज धरती की प्यास बुझाने चौमासे में बरसात होत है पशु पक्षी सबई जने हाल फूल में हो जात जू
ताल तलैया छील सरोवर सबई पानी से लबालब हो जात है जू खेती बाड़ी
हार पहारन डाग सबई में
हरयाली छा जात है आप और आपकी कलम को बारम्बार सादर नमन जू👏👏
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*8-श्री डाँ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल*
✒️दोहा बोल ✒️
चौमासा में संत जी
दिन में भोजन पांय !
लोलइया के बाद बे
तनक कछु ना खांय !!
आ•श्रीवास्तव जू अपन दोहों में लिख के बता रई हो के संत चौमासे में केवल दिन में एक ही बैर भोजन करत है जू फिर सनजा खो कछु नई भोजन लेत है चौमासे में बादल गरजबो बिजली की चमक दमक नागिन की नाई दोड़ती इते उते दिखाई देत है जू चौमासे में चातक पिहु पिहु के आबाज पशु पक्षी सबई करत है और अपन को कैबो है के चौमासे में भाजी बेगन नई खईवो जू कोरोना बखान करों जू अपन की लेखनी सुन्दर नौनी बढ़िया है जू आप सादर प्रणाम स्वीकार करें जू 🙏🙏
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*9-गुलाब सिंह यादव भाऊ , लखौरा*
हमाये दोहे हैं की चार मईना बरसात होत है जू जासे चारो मईना जोड़ के चौमासों कई जात है जू बरसात पनहारी को बखान नदी नारे तला तलैया सब भर के लबा लब हो जात है जू दुनिया में खुशी की लहर दौड़ जात है जू
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
*10-श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जू टीकमगढ़*
🌲दोहा बोल 🌲
चौमासे की का कने
निस दिन झड़ी लगायं
पुरबैया झक झोरबै
झोका हिय हरसायं
आ•श्री पीयूष जूअपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू चौमासे में रात दिन पानी की झड़ी लगायें है पूरब पुरबाई की झकझोर हबाये चल रई है जू बदरा आके बरसा कर रये है परदेशी लोटे नईया अपनी बिथा किये सुनाबै दादुर सोर मचारये तन में ललक मिलन की हैं चौमासे में रस की बूदे बरसा रये है चौमासे सबई खो माला माल कर रये है अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन की लेखनी सुन्दर नौनी बढ़िया है आपकों सादर नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन जू 👏👏
✒️✒️✒️✒️✒️✒️
*11-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ* साव जू
पलेरा जिला टीकमगढ़*
🌹दोहा बोल 🌹
चौमासा चपला चमक
चमचमात चित चैन
नायक नौनी नायिका
नजर निहारत नैन
आ•दाऊ अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये जू के चौमासे की चपला चमक दमक चित में चैन नईया जू नायक अपनी नायिका नजर नैन मिलायें निहार रये है चौमासे में असड़ा सावन भादों क्वार नौने लगत है राधा कन्ईया जू झूला झूल रहे हैं बरसात में जमना तट पै जाके झूला झूलत है अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू सुन्दर मन मोहक अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है जू 👏👏
🌲🌲🌲🌲🌲🌲
*12-श्री एस,आर,सरल जू टीकमगढ़*
🦚दोहा बोल 🦚
चौमासा चौखो लगौ
हवा धुक रई ऐन
मस्ती में बदरा फिरै
पेल रये दिन रेन
आ•सरल जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये जू के चौमासे चौखो लगौ हवा भौतई भौत धुक रई है चौमासे अब दिन रात बरस रये है सजन घरे नईया सेज सूनी होबै से सजनी बादर चमक दमक से डरा रई है जू अब घरी घरी पै बरसा होरई है अपन ने भौत सब नौनो लिख दव अपन के दोहे का तक बखान करों जू अपन खो बार बार नमन हार्दिक स्वागत करता हूँ जू👏👏
🍇🍇🍇🍇🍇🍇
*13-श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु जू*
*बड़ा गाँव झाँसी उ,प्र*
✍️दोहा बोल ✍️
चौमासे में चू रही
आज पुरानी पौर
इसके अब उपचार का
नहीं दिखा रव दौर
आ•श्री इंदु जू अपन ने अपने दोहे में भौतई नौने नौने बखान करों जू अपन पुरानी पौर को कोऊ उपचार को दौर नई कर रये है जू डाँ तो अपन खो खोजने आये जू हमाई पौर को सोऊ अबे सुधार नई हो पाव जू पुरानी पौर चूचा रई है जू अपन कैरये जू के चौमासे कऊ कऊ सुक देत कऊ कऊ दुःख देत है जू घर में चूवाना बरसात में खेत भरजात है अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू भौतई बढ़िया दोहा रचे जू अपन हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ जू 👏👏
🍀🍀🍀🍀🍀🍀
*14-श्री एस,आर,तिवारी दद्दा जू*
*टीकमगढ़*
💚दोहा बोल 💚
चौमासों नौनौ लगै
हौबे पूजा पाठ
पीय नीय नैनन वसे
रबै हमारे ठाठ
आ•दद्दा जू अपन अपने दोहो में भौत कछु सार
भर दव जू चौमासे नौने लगत इनमें पूजा पाठ भौत जादा होत है जू काये से जादा त्योहार इनई मईना में होत है चौमासे में ताल तलैया छील सरोवर सबई पानी से लबा लब हो जात है जू भौत बढ़िया प्रेम भाव बिभोर रस पिय हिय हिलोर प्रेम भाव नैनन से जुड़े अपन दोहों में अपार रस रंग भरा हुआ है आपकी कलम को बारम्बार नमन कोटि कोटि नमन वंदन अभिनंदन करत जू👏👏
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*15-श्री डी,पी,शुक्ला सरस जू*
🫐दोहा बोल 🫐
न ऐसे चौमासे लगे
कटत नई बा रात
किचकंदे की गैल में
लऐ पनैया जात
आ•सरस शुक्ला जू ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू के चौमासे नई होबै रात नई कटत किचकंदे की गैल आबौ जाबौ भव कठन ई चौमासे में गईया
पौर में रात दिन बदी है इनके दोहा में भगवान रूठ गयें है बरसात में पनैया नई पैर पाउत उपनये पाव फिरत है अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू आप को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करता हूँ जू 👏👏
🦚🦚🦚🦚🦚🦚
अपन सबई जनन से बिनती है जू हमने बुन्देली की समीक्षा पैला पैल लिखी हैं जू अगर कैआऊ मोसे गलती हो गई होय तो ध्यान नई दव जाबै जू।
*समीक्षक-*
*गुलाब सिंह यादव 'भाऊ लखौरा', टीकमगढ़* 🙏🙏
👏👏👏👏👏👏
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241-श्री जयसिंह जयहिंंद, हिंदी-महादेव-3-8-2021
#मंगलवारी समीक्षा#महादेव#
#दिनाँक 03.08.2021#
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आज पटल पर शानदार धार्मिक बिषय समीक्षा के लिये मिला।सबसे पहले माँ भगवती बीणा बादिनी को शाष्टाँग प्रणाम करते हुये सभी मनीषियों को सादर नमस्कार।आज देवों के देव महादेव पर सबको दोहे लिखने वावत प्रेरित किया गया।अब हम सभी मनीषियों के स्थापित शिवालयों में जाकर लिखे गये दोहा मंत्रों को मनन कर उनका हाल आपको श्रवण कराने का पुण्य लाभ कराऊँगा।चलिये अब प्रथक प्रथक सबके शिवालयों की सुन्दरता का दर्शन करायेंगे।
#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा....
आपके लिधौरा स्थित बाग में जो शिवालय है उसको आपने 6मंत्रो से सुसज्जित किया है जिसमें शंकर जी को आदिदेव,आशुतोष को प्रणाम करते हुये नंदी गौरा और महाकाल की कृपा मांगी गयी है।हे डमरूधर आप औगढदानी हैं।नीलकंठ आप समाधि मैं मग्न हैं।हेप्रभुभक्तों का संकट दूर करकोरोना से रक्षा करो।हे पार्वती प्रिय गणेश के पिताजग के संकट दूर करें।आपकी भाषाचिकनी भावपूर्ण शिल्प से सजी है।शैली के जादूगर मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
#2#श्री डी.पी.शुक्ल सरस टीकमगढ़.....
आपके शिवालय में5मंत्र स्थापित हैं।जिनमें कैलाशी भक्त पालक आप धरती का भार हरण करते हैं।हे भूतनाथ भोले महादेव त्रिपुरारी आप भाँग धतूरे का सेवन करते हैं।काम को भष्म करने बाले हैं,सबके जाल काटते हैं।आपकी भाषा सरल सरस शिल्प भाव सुगंधित निजी शैली के प्रणेता हैं।आपको बारंबार नमन।
श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुलजी टीकमगढ़......
आपके शिवालय के 5 मंत्रों में धतूरा भाँग का सेवन करबनावटी क्रोध कर गौराजी से मनौती कराते हैं।आपका तीसरा नेत्र भाँग मद धतूरा और गौरा की घुटी भाँग
भक्षण करते हैं।चंदा माथे पर गौरा गणेश साथ में,सांप धारण करने बाले,सभी रिश्तेदार आपका
जाप करते हैं।आपकी भाषा चिकनी सरल भिव सुन्दर शैली मनोहारी शिल्प श्रैष्ठ हैं।आपका बंदन अभिनंदन।
#4#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी बड़ागांव झाँसी......
आपके शिवालय के 3 मंत्रों मेंआप भूपति भूतनाथ त्रिपुरारी जग तारक हैं।हे नीलकंठ शिव शंभु आशुतोष आदिदेव चंद्रमौलि शिव शिवा भोले शंकरगंगाधर जगदीश आपको प्रणाम करता हूँ।भाव सुन्दर भाषा चमत्कारी शैली मधुर शिल्पकला दर्शनीय है।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#5#श्री सीताराम तिवारी दद्दा टीकमगढ़.....
आपके शिवालय के एकमात्र मंत्र में कहा गया है कि आपकोसबने मूर्ख बनाया है,खुद अमृत पानकर
हलाहल आपकोपान कराया है।आपकी भाषा भाव शिल्प शैलीअभिनंदनीय है।आपको सादर नमन।
#6#श्री राम बिहारी सक्सेना राम
खरगापुर.....
आपके शिवालय के 4 मंत्रों में आशुतोषको भक्तों के दिल में बास करने की,कैलाशी होंने की,पंचानन,बृषबाहन, बिषधर, भूत भक्तों से मंडित, दीनों के मन बासी,पूरे परिवार सहित बास करते हैं।हे चंद्रमौलि सभी दुखों को दूर करने बाले,सकल कृपा करें।आप पटल पर आज ही आये हैं,पर कमाल का आगमन। मैं आपकी भाषा भाव शैली और शिल्प को प्रणाम करता हूँ।
#7#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी टीकमगढ़......
आपके शिवालय के 2 मंत्रों में बताया गया है कि आप महादेव महाकाल नंदी गौरा गणेश जिनका गुणगान करते हैं नीलकंठ जटाशंकर कुण्डेश्वर नाथ कृपा करें।आप जाने माने साहित्यकार हैं।आपकी भाषा भाव शिल्पशैली से सभी परिचित हैं।आपको सादर नमन।
#8#श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूषजी टीकमगढ़..........
आपके शिवालयके 5 मंत्रों में कोई कोईमहादेव रामेश शिव शंकर विश्वेसके नाम से जानते हैं।दैवों को अमृत पिलाखुद बिषपान करने बाले,काम को भष्म करने बाले,रति और देवों के कल्याण कारक,शिवा को स्वीकार करने बाले,जिन्हें देव दनुज एक से प्रिय हैं।आपकी भाषाभाव शिल्प शैली महान हैं।आपको सादर नमन अभिनंदन।
#9#बहिन जनक कुमारी जी बघेल.......
आपके शिवालय के 5 मंत्रों में माटी के शिव की महिमा अपरंपार बताई गयी है।सावन में पूज्यतीसरी आँँख से काम क्षार करने बाले,आपकी सुबह शाम स्तुति से सभी कार्य हो जाते हैं।हलाहल धारक,धरा कल्याणक,आपकी भक्ति अटूट है।आपकी भाषा भाव शिल्प शैलीकम दिनों में ही आकाशीय ऊँचाई को छूने बाली है।आपका हार्दिक बंदन।
#10#श्री प्रदीप कुमार गर्ग जी....आपके शिवालय के 5मंत्र बताते हैं किभालचंद्र भष्म बाघम्बर धारक,धतूरा भाँग सेवन करने बाले,बदन पर नाग धारण करने बाले,त्रिशूल धारक,दानव संहारक,कृपा कारक और तारक हो।औगढदानी भोले भंडारी आपकी कृपा बिशेष है।बम बम कहने से डमरू बजाकर दुख दूर करते हैं।आपकी भाषा भाव शिल्प शैलीवंदनीय है।आपका सादर बंदन अभिनंदन।
#11#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी.........
आपके शिवालय के 6 मंत्रों में महिमा अपार और कष्ट निवारक बताया है
औगढदानी कल्याण कारकनंदी सबार,गौरी पूजित,डमरू त्रिशूल धारक,गंगाधर चंद्रललाटी,कार्तिकेय पिता कैलाश बासी,दीन दयाल बिषधर,नीलकंठ,घट घट बासी आपकी पूजा सभी करते हैं।
आपकी भाषा भाव कमाल के,शिल्प शैली सुन्दर ।आपका वंदन अभिनंदन।
#13#जयहिन्द सिंह जयहिन्द गुड़ा पलेरा..........
मैनें अपने शिवालय मेंशिव को बृत्यानुप्राश अलंकार सेअलंकृत करने की कोशिश की है। हे चंद्रमौलि शिव शंकर, भूत प्रेत और मानव आपके गुलाम हैं।भाषा भाव शिल्प और शैली की समीक्षा आप सभी मनीषीगण जानें।मेरी ओर से सभी का वंदन अभिनंदन।
#14#पं. श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो......
आप मतंगेश्वर शिव की नगरी में अपने शिवालय के 5 मंत्रों में बताते हैं कि कैलाशी राम पूजित देवों के देव,भजने से कल्याण कारी सावन सेवित,जिनके स्मरण मात्र से लोक और परलोक बनते हैं,जिनकी कथा नीलगिरि पर सुनने सेमोक्ष प्राप्त होता है।आप मतंगेश्वर शिव की कृपा से जो लेखन करते हैं वह शिवम् धारणा से ओत प्रोत होता है।भाषा शैली भाव शिल्प पर उन्ही की कृपा अंकित रहती है।आपका सादर चरण बंदन।
#15#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी इन्दौर......
आपके शिवालय के 4 मंत्रों में कैलाशपति शिव की बन्दना करते हैं।शिव को कामदेव का शत्रु,नीलकंठ जटाजूटधारी, पाप नाशक,हिमालय पर गौरी के साथ
बिराजमान हैं।आप पार्वती और नंदी के साथ दर्शन दें।
आप भाषा और भावों के करीगर और शिल्प शैली के जादूगर हैं आपका शत शत नमन।
#16#श्री हरि राम तिवारी हरि जी खरगापुर.........
आपके निवास के बगल में ही शिवालय है जिसको 3 मंत्रों से सुशोभित किया गया है।हे शिव आप देवों के देव हैं,आप आशुतोष कल्याण कारी हैं।आप औगढदानी उदार शिव परिवार सहित बंदनीय हैं।आपने हलाहल धारण किया है।मैं ऐसे शंभु की बंदना करता हूँ।आप भाषा के शिल्पी,भावों के कर्णधार हैं आपकी शैली निराली है आप कुशल साहित्यकार हैं।
आपका पांडित्य दैदीप्यमान है।आपके चरणों की बन्दना करता हूँ।
उपसंहार.....
अब पटल का बैधानिक समय समाप्त हो गया है।अब आठ से ऊपर समय हो गया है,इसलिए शिवालय दर्शन का समय हो चुका है यदि भूलबस किसी की रचना समीक्षा से बंचित हुयी हो तो अपना समझकर मुझे क्षमा प्रदान करने की कृपा करें। अब शिवालयों की यात्रा यहीं समाप्त करता हूँ आप सभी मनीषियों को एक बार पुनः नमन करते हुये माँ भारती के चरणों की बंंदना करता हूं।कलम को बिश्राम सहित,
आपका अपना समीक्षक.....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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242-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ बुंदेली स्व.-4-8-21
🌷🌷जय बुंदेली🌷🌷 साहित्य समूह टीकमगढ़
🌷
स्वतंत्र बुंदेली विधा
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दिनांक 04.08 .2021
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दिन /बुधवार
🌷
बुंदेली के वरद जन !
करत तुम्हें प्रनाम !!
बुंदेलखंड को मान बढ़ा रय!
धर बुंदेली की तान!!
बुंदेलखंड के आंचल में!
रै रय सीना तान !!
बुंदेली की माटी में !
खिल रय फूल महान !!
राम नाम की चादर जहां!
ओढ़ बुंदेली लेत!!
प्रेम पंथ नोनो लगै !
जैसेे गाजर मूली खेत!!
बुंदेली के मधुर भावों में! भर रयअपनी तान !!
सृजन मिठास भरी बोली में!
करत काव्य मनिसि महान!!
बुंदेलखंड की धरा पै मनोहरी भावों में अपने शब्दन को पिरोके बुंदेली विधा में सृजन करवे वारे काव्य मनुष्यन को सादर वंदन अभिनंदन लयवद्व प्रेम मई धारणा की ओतप्रोत कला कौशल की जादूगरी से मनभावन बुंदेली धारा का प्रवाह करने वाले चमत्कारी कविवर को सादर मंगल साधुवाद प्रथम पूज्य मां शारदा को नमन सिद्ध श्री गणपति जी को चरण वंदन कर सादर नमन करते हुए प्रथम पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है ऐसे कविवर श्री अशोक पटसरिया ,, नादान,, जुने सादर वंदन करत भय उनके द्वारा बुंदेली सृजन में घुमड़त बदरा को वर्णन करो है लोक शैली में रचना जो मधुर मिठास भरे सब्दन की मनोहारी भावों से भरी है झूमके गिर गई झिरियाँ अब ना आए सैयाँ सावन में आने की कह रहे थे अजहूं ना आए रामा रे सावन में आने की का रयते रमाँ रई जे गैयाँ अब लौ ना आए सैयाँ, आलों छौनर ना कराई बौजरा में जा भींज रै मुनियाँ और रातन में डवइयां भर भर आउत मनोहारी दृश्य की छुटा उकेरी है वाह नादान जी सब्दन को चय न मधुर और भावपूर्ण है सादर वंदन अभिनंदन रचना में समस्या को वर्णन करो है विरह में डूबी नायिका मधुर चिंतन के लिए सादर बधाई!!
नंबर दो .श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु जी ने गजल मैं अपनी शिरकत करी है बेदर्द लोग हो जी चाय सैं लड़न लगत और महंगाई रूपी सामान में लूट मची है धनी धनवान हो रहे और गरीब गरीब होत जा रय, और बुरे भले का कोई आभास नईं है जो ऐसी बेगाने कार्य कर रय हैं जिनके जे दिन कभऊँ बदलें कालजई रचना में मन भावनी मधुर भाव उकेरे हैं जो मानवता के लिए चेतावनी भरी सीख और सतर्कता भरी चाह में सतर्क रहने को चेताया है उत्तम रचना के लाने सादर बधाई हार्दिक अभिनंदन!
नंबर 3 .श्री एस. आर. सरल जू ने बुंदेली गजल के माध्यम से साँसी कब शो टन्ना जातै, लोकपाल विधेयक और अन्ना हिरा गए कितनों धमापाचो मचौ है बहू बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, डीजल पेट्रोल तो जेवन पर भारी है !
सांची कय सें मौसी को काजर !
अनशन पर नैंअन्ना जातै, बहुत ही नोनी शब्दन कों मंचन करो है आफत में सांसी को सुनो मैं जात बहुत ही नोनी गजल के लाने साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन !!
नंबर 4 .श्री राम बिहारी राम जू ने कुंडलिया के माध्यम से बुंदेली में भाव भरे हैं बिजली की चमक दें यह बदरा बरसे और नदिया नारे उफान दै वै रेय कीच खींच मची है और भीतर घर में पर है,
पूजत , भोलेनाथ बना मूरत मनभावन!
राम भगत के भाव बढ़ावें, आफत जो सावन !!
भौतै नौनी रचना के लाने हार्दिक बधाई सादर वंदन अभिनंदन!!
नंबर 5 .श्री प्रदीप खरे जू ने नेतन की जीतने की बात करी है कि वे जीत के ही पन्ना खो लाने पन्ना जात और नेता के संगी साथी बिरछा रवन्ना के काटत वोटन के लाने नोट वाँटत पार्क कयंत वे हार गए तो कुन्ना जात और मांग के उन्ना से उतरा जात बहुत ही नोनी रचना जो आज की खरी उतरी है सो प्रदीप खरे जुने रचना में सब्दन में भाव भरे हैं रचके लयबद्ध रचना के लाने वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
नंबर 6 .श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ भाऊ जुने चौकड़िया के माध्यम से भाव भरे हैं कि महंगाई में घर बैठकर नहीं परने चलो भोजी परके पैसा नाहक में नहीं खर्च करने ईसे काटवे के लाने चलो जरूरी होतै घरवाली कात जे वर्षा रे दिना नहीं कट रय, पानी तनक बरसो कोई कुरा कट गए पतली धना और बलम सयाने बहुत ही नोनी रचना के लाने भाऊ ना माने सादर बधाई हार्दिक अभिनंदन !!
नंबर 7. श्री राजेश गुप्ता जी ने बुंदेली व्यंग में भाव भरे हैं के पढ़ने लिखने में का धरे अनपढ़ मजा उड़ा रय, अनपढ़ को ना भूत और भविष्य के लाने का वे तो कुठला भर जाए तो भौतै बड़ौ मानत, पढ़वे वारे सोच सोच काम मरे जात!
जबकि पढ़ने वालों दिमाग लगाउत और अनपढ़ कर कर कुठला भरपाई से आनन्द उठाउत पढ़वौ ना छोड़ भौतै नौनों बुन्देली
व्यंग हेतु वंदन अभिनंदन सादर बधाई!!
नंबर 8 .श्री पी .डी. श्रीवास्तव जुने चौकड़िया के माध्यम से
बदरा खूबई खूँखार खूँदें!
बरसत आंखें मूंदे !!
कोमल तन पै बूंदें ककरन जैसी गढ़ रई और शीतलता भरी सिहरन जी में आग लगा रै गैरे गैरे घाव तो मिट जाए परंतु जे गूदें कभी नहीं मिटती वर्षा में सिंगार भरी रचना करवे के लाने शब्दन को चयन कर मनोहारी दृश्य उकेरो है श्री पीयूष जी बहुत ही नोनी रचना के लाने सादर वंदन अभिनंदन बधाई !!
नंबर 9 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जुने राधा मोहन की बंसी की धुन सावन में रिमझिम बरसात पानी में सुनवे की तान और झूलन में मन के भाव उकेरे हैं और विरह बियोग में श्याम मय हो गई राधा हरयाई देख मन हर्षद रात राधा रस बरसाने वाली असुअन को बरसा रै है पोषक जुने विरही गीत भौतै नौनी बुंदेली शब्द मंचन ब भाव मनमोहक है और सावन झिरिया मनमोहन के दरस के लाने तरस रै है रसभरी अध्यात्म मनमोहकता से लय बंद्व करी है जी के लाने सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
न. 10.डॉक्टर रेनू श्रीवास्तव जी ने सुनो मोरी बिन्नू रानी के शीर्षक से बुंदेली बोली नीको बताओ है जी में दुर्गा अवंती बाई और झांसी की रानी ने गोरन को पछारो
हतो और राई बधाई महेरौ ठडूला व्यंजन बनत है ओरछा के रामराजा कूँडा़ देव और हाकी के जादूगर ध्यानचंद आदि की गाथा को गाकर बुंदेली और बुंदेलखंड को मान बढ़ाओ है जो रचना में सब्दन को चयन भाव भरे शब्दन की रचना के लाने वंदन अभिनंदन सादर बधा!
नंबर 11. श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जूदेव ने अपनी कृष्ण जन्म की बुंदेली रचना में रसिया में भाव भरे हैं जी में भादो की आधी रात में रसिया जन्मे बरसात की आंठें की रात में कृष्ण को लेआंठें वसुदेव नंद घर गए सुंदर सुकोमल सखियां ने आकें चरुआ चढ़ाए औ और पलना झूला झुलाव है रातों-रात बधाई बजाई नाच नचाए भौतै नौनी कृष्ण की छवि सुंदर सुंदरियों के द्वारा बधाई उत्सव मनाने की प्यारी रचना में चार चांद लगा दै, जी में कृष्ण के जन्म की बधाई मनोहारी दृश्य मन की मुराद पूरी करने वारी है बहुत ही बहुत सुहानी रचना के लाने साधुवाद वंदन अभिनंदन जोहार !!
नंबर 12 .श्री हरी राम तिवारी जी ने बुंदेली चौक चौकड़िया मैथिली रस के माध्यम से सावन में झूलन की छवि को बखान करो है जी मैं मिथिला रानी झूल रई और राम सिया की जोड़ी देखकर सखियां जय-जय बानी बोलकर हर्षा रैं है भौतै नौनी बुंदेली रसभरी चौकड़िया ऐसी नौनी झिरियां सावन की लगी गलबैयां डालें और सारी सरहज भौतै नौनी मनोहर रचना के शब्द मंचन उत्तम भाव के हैं तिवारी जी को सादर वंदन अभिनंदन बधा!
नंबर13.डी.पी .शुक्ला
,सरस,, ने जे बदरा बुंदेली रचना में बताओ हैेेै कै जे मूड़ पै जो छाए रहते हैं अंध्यारो लगो रात ठसमसे से कर रय, और कीच मचा रहे कौनऊँ काम नहीं कर पा रहे ऐसी साव न झिरिया मन को हरसात जीवन को नईं व्यंग भरी रचना की समीक्षा के लाने कविवरन को सादर प्रस्तुत वंदन अभिनंदन समीक्षार्थ
-डी.पी.शुक्ला सरस, टीकमगढ़ मप्र
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243वीं पटल समीक्षा दिनांक-5-8-2021
समीक्षक- राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़
*बिषय-हिंदी में "स्वतंत्र पद्य लेखन"*
आज पटल पर हिंदी में *स्वतंत्र पद्य लेखन था। सभी साथियों ने शानदार रचनाएं पोस्ट की है ग़ज़ल, गीत, कविता, चौकडिया आदि विभिन्न विद्याओं में रस वर्षा हुई है। अधिकांश साथियों ने सावन ,भक्ति और प्रेम पर केंद्रित रचनाएं पटल पर रखी है बहुत सुंदर सृजन किया गया है। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर *1* *श्री अशोक पटसारिया जी* ग़ज़ल में चेतावनी देते हुए कहते है के आपने कर्मों का हिसाब बाद में जरुर मिलेगा इसलिए संभल जाये। बहुत बढ़िया शेर है बधाई।
सुख चैन अमन गर्दिश में हैं, मुफ़्लिश है यहां ईमानोबफा।
नादान वहां जब जायेगा,होगा हिसाब तहखानों में।।
*2* *रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र*जे. से लिखते है कि मृत्यु का कोई भरोसा नहीं कब आ जाये। घटनाएं घटती रहती है अच्छा चिंतन रचना में है बधाई।
दीर्घ जीवी कामना के मंत्र सब हुये गौण,
गतिमान होना चाहे, आज और कल में।
मृत्यु का भरोसा नहीं, कहीं किसी क्षण 'इंदु',
आती एक पल में है, जाती एक पल में।।
*3* *डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी* जी ने एक बहुत बढ़िया मदिरा सवैया पटल पर रखा और जीवन का महत्व बताया है। बधाई।
जीवन को अनमोल कहो उपयोग करो भरपूर सदा।
पौरुष से सब काम करो नित आलस को कर चूर सदा।
पालित हो हर पुष्ट विचारण दूषित को कर दूर सदा।
जीवन धन्य लगे तब जान चढ़े जब मोहक सूर सदा।।
*4* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* भगवान श्रीराम को पुनः भारत भूमि में अवतार लेने का आव्हान कर रहे हैं सुंदर भक्ति मय भाव भरी रचना है । बधाई हो दाऊ।
कृपा कोर हर काज में,रुचि राजत श्री राम।
भारत में फिर आइये,शत शत बार प्रणाम।।
राम आपका स्वागत करने,मन का अक्षत चंदन।
भारत माता की बसुन्थरा,करती है अभिनंदन।।
*5* *श्री किशन तिवारी भोपाल* ने छोटी बहर में बेहतरीन ग़ज़ल पेश की नेताओं पर तंज किया है। बधाई।
हम भूखे प्यासे पंछी।तुम ने जाल बिछाये हैं
भोली जनता को तुम ने।केवल ख़्वाब दिखाये हैं।।
*6* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़* से अपनी मोहब्बत का असर कुछ यूं देख रहे हैं।
मिलते ही नज़र देखिए शरमा गये हैं वो।
हम अपनी मोहब्बत का असर देख रहे हैं।।
*'राना'* से दूर कितने भी हो,चाहे,वो,लेकिन
मन से तो उन्हें शामों सहर देख रहे हैं।।
***
*7* *श्री मनोज कुमार उत्तर प्रदेश गोंडा* से मासूका की जुल्फ लहराने से बारिश होने की कल्पना कर रहे हैं। प्रेम और श्रृंगार से सजी बढ़िया रचना है बधाई
जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं।
मेरे शहर में बारिश होती है।
तुम जब मुस्काती है, बारिश घिर कर आती है।
तेरी चमक है आईना जैसी, साथ में जूगुनुओ की बरात लाती है।
*8* *डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा* से एक बढ़िया नवगीत में मन की बातें लिखते हैं। बहुत बढ़िया बधाई।
काजल लिखना/कँगना लिखना/लिखना मन की बातें।
आँसू लिखना/आँखें लिखना /यादों की तुम/पाँखें लिखना।
*9* *श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश ,कर्वी चित्रकूट* से प्रभु से प्रीत करने की बात कह रहे हैं बहुत बढ़िया भक्तिमय रचना बधाई महाराज।
सुत वित लोक न काम के, किया न प्रभु से प्रीत।
पद्म पत्र वत जी रहो, मन से सुमिरो मीत।१
जिस दिन हंसा उड़ेगा, कंचन पिंजड़ा छोड़।
ता दिन घर बाहर करें, सारे रिश्ते तोड़।२
*10*-- *श्री कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर* से रघुनाथ जी की सुंदर बंदना कर रहे है बधाई।
धाम-अयोध्या में अवतारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।
कौशिल्या के बने दुलारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।
दशरथ की आँखों के तारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।
वैदेही के प्राण-अधारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।।
*11* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* ने सावन टर केंद्रित एक बेहतरीन चौकड़िया पेश की। बधाई।
हे सखि लगत सुहावन सावन, लौटे हैं भन भावन।
स्वांति बिंदु हित हिय चातक सा,लागो पी पी गावन।
प्यारी परम पवन पुरबैया,लागी बिजन डुलावन।
झूम रहे बादल मतवाले, घड़ी आइ है पावन।
रिमझिम नित पीयूष बरसबें,तिय हिय जिय सरसावन।।
*12* *श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो* से भक्तिरस से सरावोर रचना कह रहे है। बधाई।
तिरूपति बाला जी कलियुग में राम सदृश, विराजे वेंकटाचल हरें सब पीर है।
दर्शन करे जो जाय उनके को भाग्य गाय,पुरे सब अभिलाष रहे न अधीर है।
दुक्ख दोष दूर हों पाप सब चूर हों नौका भव पार हो,फसे नहि तीर है।
श्री निवास उल्लास वेदवती संग रास परिणय कियो खास,नचे मोर कीर है।
*13* *श्री प्रदीप खरे, मंजुल* टीकमगढ़ ने ओलंपिक खेलों पर केंद्रित उत्साह भर्ती एक बढ़िया रचना लिखी है। बधाई।
अंधेरे की आंखों से,हमने रोशनी चुराई है।।
ओलंपिक में किया कमाल,मिल रही चहुँ दिश बधाई है।।
हाकी के टले बुरे दिन हैं,अब खुशियां छाईं है।।
कुश्ती में लगे अजब दांव हैं, अच्छौ को पटकनी खिलाई है।।
बजन उठा एक बिटिया नें,वतन की शान बढ़ाई है।।
*14* *श्री एस आर तिवारी,टीकमगढ़* एक दोहा महादेव जी समर्पित कर लिखा है। बधाई।
महादेव भोले बढ़े, मूरख सबहि बनाय।
खुद देव अमृत पियें, शिव को जहर पिलाय। ।
*15* *डॉ अनीता गोस्वामी, भोपाल* से सकारात्मकता लेते हुए,स्वयं को पहचानने की कोशिश कविता के माध्यम से कर रही हैं। अच्छी सोच है बधाई।
"यही सोच कर"/*रास्ते नहीं चलते,हमें रास्तों पर- - - /चलना होता है- - -
*रास्ते,तो रास्ते हैं,- - - - - निः शक्त और निष्प्राण- - - - -
*मानव तो सशक्त"है अति बुद्धिमान-
रास्ते ,तो कटीले हैं,फूलों से भी भरे हैं।।
*16* *श्री मनोज कुमार सोनी रामटौरिया* राखी गीत लिखते हैं- गीत लंबा है लेकिन बढ़िया लिखा है बधाई।
उत्सवों के सर सलिल में,कमल दल त्योहार राखी,
भाई बहिन का प्यार राखी,धागों का त्योहार राखी।
है प्रफुलल्लितभाई,बहना झूमती है,
कर तिलक भाई का माथा चूमती है।।
*17* * *डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल* ने रिमझिम फुहार ' पर मधुर गीत लिखा है बधाई।
सावन की रिमझिम फुहार लगे प्यारी
कृषक ने भी कर ली है कृषि की तैयारी
सावन मनभावन ये सुखद मास आया
मैलों त्योहारों की धूम साथ लाया।।
*18* *डी.पी. शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ़* उलझती साँसें का गणित समझा रहे है। बधाई
बदलो ये सारे तौर तरीके अपने !
क्या मिलेगा करके अपमानों में!!
चांद सूरज सभी रहेंगे जगह अापनी !
टूटेगी सांस तेरे ही पैमानों में !!
*19* *श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा,म.प्र* ऐसा कोई गीत गाने के लिए कह रहे है जिसमें गरीबों का दर्द और पीड़ा हर जाये। सुंदर सोच है। बधाई।
भीड़ का ये शोर मिटे, ऐसा कोई गीत गाओ।
बैरन सी ये रात कटे,ऐसा कोई गीत गाओ।।
फुटपाथ पर सोये,भूखे पेट खातिर।
गोदाम वाले पेट फटें,ऐसा कोई गीत गाओ।।
*20* -श्री एस आर सरल, टीकमगढ़* ने पिया सपने में आये चौकड़िया पेश की हैं। बहुत सुंदर बधाई।
दर्द सुना सखियों सें बोलै,अपनें पन्ना खोलै।
सपने पिया आज घर आये,बइयाँ पकर टटोलै।।
परी सेज पर संग पिया के,बातन में रस घोलै।
बैरी पिया बसें परदेसेंसपनन होत चचोलै।।
*21* *श्री हरिराम तिवारी "हरि"खरगापुर* से मैथिली रस-झूलन उत्सव"। सावन पर बढ़िया रचना लिखते है। बधाई।
सावन में ससुराल में, सिया सहित श्री राम।
झूल रहे झूला झमक, झांकी ललित ललाम।।
झांकी ललित ललाम, सखीं सब साज सजा कर,
श्रावणीं उत्सव करें, मुदित मन मोद मना कर,।।
*22* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* ने भी एक सुंदर चौकडिया लिखी है बधाई।
जय हो माता शेरा बाली, करों देश रख बाली ।
अत्याचार बड़ों दुनिया में , धर्म हुआ अब खाली।।
*23* *कविता नेमा, सिवनी* हिंदी पर केंद्रित रचना में लिखती है कि हमें हिन्दी का सम्मान करना चाहिए। बहुत बढ़िया लिखा है बधाई।
आज हम सब करते ,हिन्दी का सम्मान है ,
ये है राज भाषा ,यही तो पहचान है ।।
विविधता में एकता का ,पाठ ये पढाती है ,
दिशाओं की दूरी को ,एक साथ ये मिलाती है ,
इसीलिए तो ये ,मातृ भाषा कहलाती है ।।
इस प्रकार से आज पटल पै 23 कवियों ने अपने अपने ढंग विभिन्न रसों और बिषय पर कविताएं पटल पर रखी सभी बहुत बढ़िया लगी, सभी रचनाकारों को बहुत बहुत धन्यवाद।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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244-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ म प्र*
*जय बुन्देली साहित्य समूह, टीकमगढ़*
🏵️समीक्षा 🏵️
सोमवार 9/8/2021
🌹बुन्देली दोहा 🌹
बिषय-(73)आदिवासी
🌲विश्व आदिवासी दिवस🌲
*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ म प्र*
🫐🫐🫐🫐🫐🫐
*चौकडिया वंदना*
1-मईया सुमरन कर रये तोरे
बना काज दो मोरे
लिखू समीक्षा आदिवासी की
2- जे कागज लये कोरे ,,,,,
हर शव्दों का जोड़ मिला दो
3- भाऊ तुमारे दोरे
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
*1-श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जू ,बड़ा गाँव झाँसी उ,प्र,*
आ•इंदु जू अपन अपने दोहो में भौत कछु सार कलम चलाई है आदिवासियों के विकास में काऊ को मन नईया न सरकार को नेता लोगों को उनका जीवन जंगल में रै कै कड़त है कोल भील के हित कोऊ नई करबै जू अपन की कलम का हार्दिक स्वागत है 🙏🙏
○○○○○○○○
*2-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ साव जू पलेरा*
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आ•दाऊ साव जू अपन ने अपने दोहे में भौतई नौने सार लिख दव धरती पै सबसे पैलऊ आदिवासी जंगलों में अपनो जीवन झुन्ड बना कर बिताते रहे कोल कोरकू सौर मौसिक में गौड़ महान है इनको जीवन पढाई लिखाई से दूर रव जे जंगल में शिकार करके अपनो पेट पालन करत रये है इनको ध्यान कभऊ काम पै नई रव जू सई आदिवासी बैऊ है जिनके आज घर नईया अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ जय हो 🙏🙏
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*3-गुलाब भाऊ लखौरा*
आदिवासी पैला से एक पिछड़ी भई जाँत है अब कछु लोग पढाई लिखाई में रूचि करन लगें हैं और अबै कछु लोग पढ़ लिख के अफसरों में गिनती हो गयें है इनको लोग कुवादर,सौर,भील गौड़ कैऊ नाँव से जानत है इनकी बोलीं खड़ी सी है पैला से इनको लेख वेद शास्त्र में नई मिलत है गोड़ बाना राज्य के बाद लेख में है
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*4-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू पत्रकार टीकमगढ़*
आ•मंजुल जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू आदिवासी जंगल में मंगल करत रये जे मेंपर,लकड़ी जड़ी बूटियों को बेच के अपनों जीवन निर्वाह करत रये है आदिवासी हरि के सगे रये है और गैल बताऊँ रये और सबरी के जूठे बेर हरि ने खाये अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू हार्दिक स्वागत करत है जू सादर नमन 🙏🙏
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*5-श्री एस आर तिवारी दद्दा जू टीकमगढ़ म प्र*
आ•दद्दा जू अपन अपने दोहो में भौत कछु सार लिख दव है भौत नौने दोहा लिखें है जू अपन लिख रये राम माता जानकी जू जब आदिवासियोंके घर पौचे तो उने भौत आदर सत्कार करों और राम जू के सगे वन वन फिरे उने वन में भौतई नौने लगो
आपकी कलम को बारम्बार कोटि कोटि नमन् करत हूँ जू🙏🙏
🔱🔱🔱🔱🔱🔱
*6-श्री सुशील शर्मा जू, गाडरवाड़ा*
आ•शर्मा जूअपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये जू के आदिवासी दिवस भौतई शुभ शोभित है इनको जीवन जल और जंगल से जोडो हैं धरती पर रहते छल कपटो से दूर है इन लोगों का शोषण और लोग करत है जे भगवान भरोसे पर रहते हैं भील ,भारिया,गोड़,मीणा,कोल, किरात,सहरिया,होर,फेनात जे सब जंगल के रक्षा करत है जंगल के सिर मोर है जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू का तक बखान करे जू अपन को हादिक स्वागत वंदन अभिनंदन है जू 🙏🙏
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*7-श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू लिधौरा*
आ•श्री पटसारिया नादान जू अपने दोहो में भौत कछु सार लिख दव
हैं जब तक घाम नई कड़त जो लो जे आदिवासी भाई काम नई करत जब घाम कड़ आऊत जब काम करत है और जे कभऊ फ़सल नई काटत है जे सिलो बीन के काम चलाऊत है जे लोग खिन्नी उमर अचार वन फल खाकर अपनों पेट भरत है कछु जने ईसाई हो गये कछु लोग नक्सलियों में मिल गये हैं सरकार भौत परेशान है जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपनी लेख को धन्य है जू हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत ज🙏🙏
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*8-श्री डीपी शुक्ला सरस जू टीकमगढ़ म प्र*
आ•आपने भौत नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये जू के आदिवासी जड़ी बूटियों दवाई का भौतई ग्यान है जू बे जड़ा बूटी बेच के जीवन भर एसई काम करत है जे जंगल और जीवों की रक्षा करत है अपन अपने दोहो में भौत कछु सार की कलम चलाई है जू सादर नमन आपका हार्दिक स्वागत है 🙏🙏
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*9-श्री परम लाल तिवारी जू खजुराहो*
आ•अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू आदिवासी समाज वन में रत है लकड़ी फल बेंच के बड़ी खुशयाली से रत है जू सरकार आब आदिवासी समाज को शिक्षा पै भौत ध्यान दव जारव है आदिवासी विकास कल्याण केन्द्र खोले गये हैं अच्छो खान पान होगव है कुछ लोग शिकार खाते हैं इनके सकल विवाह घोढुल रहे हैं अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू स्वागत वंदन अभिनंदन सादर नमन 🙏🙏
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
*10-डाँ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल*
आ•अपन ने सबई दोहे सार दार लेख लिखो जू के केवट निषाद आदिवासी कहाऊत है जे सीधे साधे लोग है जे भगवान भरोसे भगवान के काम में आये हैं आदिवासी दिवस आज मनाव जाँत है जाँत पात भूल के सगे रात है अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ जय हो सादर नमन 🙏🙏
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*11-श्री राजीव नामदेव 'राना लिधोरी' जू*
*म,प्र,लेखक संघ जिला अध्यक्ष टीकमगढ़*
आ•अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये जू के आदिवासी समाज आज भी पिछड़ों भव हैं भोरे जान सरकार नेता इनकी लूट करत और राज कर ये है ई समाज को शोषण होरव है जे आदिवासी जंगल में रत है दुनिया से दूर है भौतई बढ़िया दोहा रचे जू हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है 🙏🙏
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*12-श्री कल्लू के दद्दा अवधेश तिवारी जू छिंदवाड़ा*
आ•तिवारी जूअपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन कैरये जू के पैरे परदनी टोपी लगाये है दिल से इमानदार है सच्चे इंसान है आदिवासी कैरये जो सबरे संसार के पुरखन के पुरखा हम है यारन के यार हैं अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन को हादिक स्वागत वंदन अभिनंदन 🙏🙏
👌👌👌👌👌👌
*13-श्री राम बिहारी सक्सेना राम जू*
आ•अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू आप बता रये है की आदिकाल में आदिवासीयों का राज रहा है इनकी भेष भूषा वन के पतझड़ फूल पहनत रये है आदिवासी श्री राम के मित्र रये और राम जू खो गंगा से पार करों राम जू के पाँव पखारे सो गंगा तरी और केवट निषाद राज भी तर गये इन लोगों राम की सेवा करी कंदमूल फल राम सेवा में हाजिर करत रये उनकी टहल में रात दिन रये है राम जू के लाने शबरी ने रोजऊ फूलों को बिछाया राम को प्रेम भाव से बेर खिलाये हते और द्रोपर में एकलव्य ने गुरु द्रोण की मूर्ति बना कर धनुष विधा पाई एक कुत्ता के मुख में भर दिये थे अपन भौत बढ़िया प्रेम भाव के दोहा लिखें है जू अपन को हादिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत जू 🙏🙏
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*14-श्री कल्याण दास साहु पोषक जू पृथ्वीपुर जिला निवाडी*
आ•पोषक जू अपन कितनो नौनो दोहों में बखान करों जू भौत कछु सार लिख दव आदिवासी दिवस आज मनाव जाँत है ठीक पर उनको सुधार होबै चाऊत हो शिक्षा में आगे बढ़े हीन बिचार नई होबै आदिवासी भौतई निडर होत है जे लोग खूब शिकार मांस मदरा खात है जे घरे दारू उतारत है और काम नई करत जब तक गगरी में चून रत है इने अनुसूचित जनजाति को लाभ नई मिल पाऊत है इनका उपर का लाभ अतफर लूट लेत है अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू हार्दिक स्वागत सादर आभार हैं जू
🙏🙏
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*15-श्री एस आर सरल जू टीकमगढ़*
आ•सरल जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है
अपन लिख रये है आदिवासी स्वाभिमान जीवन जीते हुए निडर है कोनऊ गाँव बस्ती में नई रत है यहाँ के खास निवासी हैं इने शिक्षा का अधिकार नई मिल पाऊत है एई से गरीब है रात दिन मेनत करत है आदिवासी दुष्टों का अत्याचार सहते हुए भी हक से बै हक है इने अपने अधिकार नई मिल पाऊत है इनके परिवार रोऊत बैठें हैं इतिहास गवाह हैं की एकलव्य जैसें धनुधारी को छल से छला गया है जू अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपन हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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*16-श्री हरिराम तिवारी ,,हरि,,जू खरगापुर जिला टीकमगढ़*
आ•तिवारी जूअपन ने अपने दोहे में भौतई नौने वेद शास्त्र में से भौतई नौनो ज्ञान सार के दोहा लिखें जू जिनको सार को बखान करवो बड़ों कठन है जू अपन कैरये के विश्व दिवस को सदैशो यह हैं आयनि वंशज सबई है कछु देश विदेश में रह रये है जिनको आदिवासी कैरये बे पुरखा पूज महान है एक वार तमसा नदी तट पर एक सारस पक्षी का जोड़ा विचरण कर रव तो ओई टेम पै एक व्याध्र
ने अपनों तीर ऊन पक्षियों पै मारो तो उनमें से एक पक्षी मर गया था उसी तट पै बाल्मीकि जी
तप में मगन हते जब आदिवासी के तीर से सारस मरा हुआ देखा तो बाल्मीकि जी के करूणा
के भाव मन में आये उसी तमसा नदी तट पर बाल्मीकि जी ने बाल्मिक रामायण लिखी
और उस आदिवासी को ज्ञान दिया शबरी ने श्री राम के दर्शन के बहुत भक्ति की फूलों को रोज रास्ता में सजा ती थी राम के दर्शन हुए सभी भील आदिवासी धन्य हुये
आ•तिवारी जूअपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है का तक बखान करे आपकी कलम को बारम्बार नमन कोटि कोटि सादर प्रणाम स्वीकार करें जू🙏🙏
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*17-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष जू टीकमगढ़*
आ•पीयूष जूअपन अपने दोहो में भौत कछु अच्छो लिखों है जू अपन कैरये के आदिवासी समाज को आवास बनाये गये हैं पर वह उस आवास में नई रत है बै पहारन जंगल
में सबई जने रत है ज्यो ज्यो गरमी बड़े त्यो त्यो जे लोग जंगल को जात है इनको खाना पीना मऊवा चना है इनके हात में तीर कमान रत है एक वार एक भील ने अर्जुन को हरा कर गोपियों को लूट लव तो
आ•पीयूष जूअपन अपने दोहो में भौत कछु सार लिख दव है जू आपका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
आ•एडमिन साव जू एवं सभी साहित्यकारों के आदिवासी समाज पर बहुत बढ़िया सुन्दर एक से एक दोहा अपन सब ने लिखें है आप सबका हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू सादर नमन 🙏🙏
*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा*
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245-श्री जयसिंह जय हिंंदी दोहे-नाग,10-8-2021
#मंगलवारी समीक्षा#नाग/साँप#
#दिनाँक 10.08.2021#
#समीक्षक--जयहिन्द पलेरा#
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सबसे प्रथम माँ भगवती बीणा बादिनी के चरणों में नत मस्तक
तथा आप सभी मनीषियों को
नमस्कार करता हूँ।
आज का बिषय नाग /साँप एक ऐसा बिषय है कि इस पर बहुत कुछ लिखा जा। सकता है और विद्वानों ने अपनी मति अनुसार कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा जो संभव था। पटल पर मनीषीगण अब अपनी योग्यता का परिचय अपनी लेखनी से देते हैं सभी का बन्दन अभिनंदन।अब प्रथक प्रथक सबके बमीठों के दर्शन करते हैं
जिनमे कौन कौन से नाग किस दृष्टि से देखे गये हैं।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा.....
आपने 6 नाग मणियाँ पटल के सुपुर्द कीं जिनमें नागों के संसार का रहस्य,नाग शिव जी का हार,इच्छाधारी मणिधारी नाग,नाग बासुकी से समुद्र मंथन, तक्षक का परीक्षित को डसना,जन्मेजय का नाग यज्ञ,बिष्णु का शेष नाग सैया पर आराम,का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा सरल सुगम भाव प्रवल शिल्प महान शैली दर्शनीय है।आपका सा वन्दन।
#2#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैने पाँच नाग मणियाँ पटल पर भेंट कीं जिनमें नागपंचमी शेषनाग पर धरती का भार,नागमणि नागपास में राम लखन का बँधना,सपेरों द्वारा नाग पालन का बर्णन किया गया है।
भाषा भाव शिल्प शैली की समीक्षा आप सभी मनीषीगण कर सकते हैं।आप सभी का स्वागत।
#3#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुल जी टीकमगढ़......
आपने 5 नाग मणियों का अनुसंधान किया।जिनमेंनेता नाग में भेद का् अभाव,नेता के जहर का नाग से भारीपन,नागपंचमी में नाग पूजन,शिवजी का वर्णन,भगवान के अवतार के साथ नाग और देवों का पदार्पण,को चिन्हित किया गया है।
आप भाषा सोन्दर्य के विशेषज्ञ हैं।आपकाशैली चातुर्य दर्शनीय है।आप भावों के कलाकार तथा शिल्प के ज्ञाता हैं।आपका शत शत वन्दन।
#4#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी बुड़ेरा......
आपने 5 नाग मणियाँ निस्तारित कीं जिनमें ,साँप डसने पर अस्पताल की सलाह, नाग का चूहे का दुश्मन निरूपण,नाग और मानव का भक्षण,नैवला और साँप की तरह पिता पुत्र की लड़ाई,आस्तीन के साँपों का बर्णन किया गया है।
भाषा सरल चिकनी मधुर,भावों का पेंनापन,शैली सुन्दरता शिल्प की सहजता विद्यमान है।आपका सादर बन्दन।
#5#श्री सीताराम तिवारी दद्दा जी टीकमगढ़.......
आपने 2 नागमणियों का प्रादुर्भाव किया जिनमें नाग से नेता के जहर की तीब्रता,नाग से लखन अवतार का बर्णन किया है।
आप भाषा के कारीगर,भावों के जादूगर,शैली की मधुरता और शिल्प दर्शन के प्रणेता हैं।
आपका बंदन और अभिनंदन।
#6#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़.........
आपने 5 नाग मणियों का आविष्कार किया जिनमें शिवजी का भाँग भक्षण, मरे नाग की पूजा और जिन्दा का बध,जिंदानाग बध प्रचलन,नागराज की उलझन का निरूपण किया गया है।आपकी भाषा जोरदार भाव मजबूत हैं।
शिल्प सुन्दरता दर्शनीय है एवम्
शैली गतिशील होंना चहिये।
आपका बारंबार नमन।
#7#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु बड़ागांव झाँसी........
आपकी पाँच नागमणियों में नागपूजन,नागपंचमी पूजन,नाग भय इंसान का स्वरूप,साँप सपेरे में समानता का दर्शन कराया गया है।आपकी भाषा लच्छेदार,भाव पेंनै शिल्प सुन्दर और शैली मजेदार रहती है।आपका सादर नमन।
#8#श्री राम गोपाल रैकवार जी टीकमगढ़.........
आपने 4 नाग मणियाँ तरासीं जिनमें नाग की केंचुली,शिवजी का नाग को सम्मान, नागमणि और इच्छाधारी नाग का अंधविश्वास, अस्तीन के सांपों की अधिकता का बर्णन किया गया है।आप भाषा के जादूगर ,भावों के निष्पादक,शिल्प के कलाकार एवम् शैली के कलमकार हैं।
आपका शत शत बन्दन।
#9#श्री प्रदीप कुमार गर्ग जी.....
आपकी 5 नाग मणियों में साँप का भय ,नाग और नेवला का युद्ध,शिवजी का नाग धारण,
बैसे साँप को मारना पर नागपंचमी को पूजन.भारत को साँपों का देश कहा गया है।
आपकी भाषा सार्थक भाव गहरे,शैली कमक शिल्प जाल हैं।
आपका बंदन अभिनंदन।
#10#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो..........
आपकी 5 नागमणियाँ दर्शनार्थ पटल पर प्राप्त हुँयीं।जिनमेंनागपंचमी पूजन,शेषनाग द्वारा जाप,शिवजी का नाग धारण
अष्टनाग पूजन,मानव द्वारा नागं कर्म का बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा चमत्कारी, भाव दर्शन गहराई मय,शैली गेय,शिल्प
चमक श्रेष्ठ है।
आपके चरणौं में नत मस्तक।
#11#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़......
आपके द्वारा 2 नागमणियों पटल पर पाईं गयीं जिनमें अस्तीन के साँप और नागपंचमी पूजन का बंर्णन है।
आप भाषा भाव शिल्प शैली के धनी है।
आपका बारंबार मंगल सहित अभिनंदन।
#12#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली.......
आपकी बहुमूल्य मणियों में कहावतों और मुहावरों का अनुपम प्रयोग किया गया है।जिनमें साँप का मर्दन,अस्तीन के साँप, साँप का कलेजे पर लोटना,साँप का दूध पिलाना,बिना रस्सी का साँप,साँप मारना एबम् पूजनामुहबरों का अनूठा प्रयोग किया गया है।
आप भाषा के जादूगर भावो के संग्रह कर्ता शिल्प के सौदागर और शैली के रचयिता हैं।इपको बरंबार अभिनंदन।
#13#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़.......
आपके द्वारा अनुसंधानित 5 नाग मणियों में अस्तीन के साँपों का निकलना,सपेरों द्वारा नाग दर्शन,नाग पंचमी पूजन,कालियानाग बर्णन,दर्प और
कंदर्प दो गुणो का साँप के साथ संयोजन किया गया है।
आपकी मँजी हुयी भाषा में भावों का समाबेश शिल्पमय नवीन शैली के साथ होता है।आप को सादर नमन।
#14#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.......
आपकी 5 नाग मणियों में शेषनाग का धरा धारण ,लखन का शेषनाग अवतार, नाग रज्जु से समुद्र मंथन,नागपास बर्णन,शिव
शंकर का नाग धारण,श्रीकृष्ण जन्म पर बासुदेव पर नाग छतरी धारण,का अनुपम बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा बुनदेली मिश्रित भावपूर्ण,शिल्प कौशल सराहनीय शैली चमकदार होती है। आपका हार्दिक अभिनंदन।
#15#श्री अभिनंदन कुमार गोयल जी इन्दोर.....
आपके द्वारा मंडित 5 नाग मणियों में इच्छाऔं की नाग संज्ञा,अहंकारी शेषनाग, नाग-साँप से जन गण की परेशानी, व्यक्तियों का परस्पर नाग की तरह डसनाएवम् इंसानी साँपों का बर्णन किया है।
आपकी भाषा बोधमयी,भाव स्पर्शी लोच शैली चलचित्रीय शिल्प गूढ प्राप्त होते हैं।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#16#श्रीहरिराम तिवारी जी हरि खरगापुर........
आपके द्वारा शोधित 2नाग मणियों में नागपंचमी बर्णन,श्रावण शुक्ला पंचमी को कल्कि अवतार का बर्णन हुआ है।
आप संयत भाषा सुन्दर भाव शैली रचनात्मक,और शिल्प लावण्य अति सुन्दर होता है।
आपके पद बंदन सहित हार्दिक अभिनंदन।
#17#श्रीगुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा......
आपके द्वारा अनुसंधानित 5 नाग मणियों मेंशिव के नाग कंगन,शेषनाग अवतार, पद धारण,शेषनाग धरा धारण,मानव मैं साँप सा जहर,नाग नागिन के जहर से सुरक्षा की सीख,बताई गयी है।
आपकी भाषा मधुर भाव प्रखर,शैली रचनात्मक शिल्प सुन्दर हैं ।आपका बार बार बंदन।
#18#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.........
आपकी शोधित 4 नाग मणियों में
तक्षक नाग बर्णन,नागपंचमी को पहलवानों का शक्ति प्रदर्शन ,नाग नागिन जोड़ो का बर्णन,और अस्तीन के साँपों का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा लच्छेदार,भाव गहरे,शिल्प सुन्दर शैली रचनात्मक है।
आपके पद बंदन।
#19#श्री रामलाल जी द्विवेद्वी प्राणेश............
आपके द्वारा अनुसंधानित 5 नाग मणियों मेंनैता और नाग की समानता,सपेरों द्वारा साँपों का अनुसंधान,नेताओं का साँप की तरह लक्षण,नागपंचमी पूजन,का बिधिवत बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा बेजोड़,भाव लाजबाब,शिल्प एवम् शैली सराहनीय है।
आपका बार बार बंदन।
उपसंहार.....
इस तरह आज सभी विद्वानों ने एक से बढकर एक दोहे नाग से संबंधित पटल पर डाले गये।यदि त्रुटिबस किसी मनीषी की रचना समीक्षा में बंचित हो गयी हो तो मुझे अपना समझ कर छमा करें।
समीक्षाकार......
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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246- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)
246वीं पटल समीक्षा दिनांक-12-8-2021
*बिषय-हिंदी में "स्वतंत्र पद्य लेखन"*
आज पटल पर हिंदी में *स्वतंत्र पद्य लेखन था। सभी साथियों ने शानदार रचनाएं पोस्ट की है ग़ज़ल, गीत, कविता, चौकडिया सहित कुछ नये छंदो का भी सृजन किया है। पठद पर आज राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति की रचनाएं अधिक रही ग़ज़लें भी खूब कही गयी है।आदि विभिन्न विद्याओं में रस वर्षा हुई है। अधिकांश साथियों ने बेहतरीन रचनाएं पटल पर रखी है बहुत सुंदर सृजन किया गया है। आज संख्या भी अच्छी रही 26, साथियों ने लिखा है।आज मन बहुत खुश है मैं शुरू से ही चाहता था कि रोज कम से कम 25-30 रचनाएं पोस्ट हो। आज हुई है।सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर *1* *श्री अशोक पटसारिया जी* ने बिशुद्ध प्रेम पर केंद्रित रचना में प्रेम के अद्भुत उदाहरण दिये है, बहुत बढ़िया रचना लिखी है बधाई।
प्रेम शब्द में है नहीं,यह विशुद्ध अहसास
उतनी ही तड़पन बड़े, जितनी बढ़ती प्यास।।
*2-श्री *प्रदीप खरे, मंजुल,जी टीकमगढ़* ने बारिश में प्रकृति का सुंदर दृश्य कविता में खींचा है। बधाई
बारिश की बूंदों से,खिला हर चमन है।
हरी भरी देह लिए,बृक्ष हर प्रसन्न है।।
*3- श्री सरस कुमार, दोह, खरगापुर* ने श्रृंगार रस में ग़ज़ल लिखते हुए राह में मिलने की आकांक्षा कर रहे है। अच्छी ग़ज़ल कही है। बधाई
फिर कही तुम राह में मिलना मुझे।
फिर मुहब्बत में जिऊँ कहना मुझे ।।
*4- श्री मनोज कुमार,उत्तर प्रदेश गोंडा जिला* से वीर रस में रचना के जोश प्रकट कर रहे है बधाई।
लहू से अपने लिख देंगे हम, हिंदुस्तान का नाम।
सारे जहां अब गूंज उठेगा, बस एक नाम।
*5- श्री गोकुल यादव नन्हीं-टेहरी (बुडे़रा)* ने बेहतरीन रचना लिखते हुए कह रहे है कि रे मन तू बागी मत होना। बहुत बढ़िया बधाई।
रे मन तू बागी मत होना।। कहते हैं सब ये कलियुग है,इस कलियुग में कौन सगा है।
कौन पराया पता नहीं कुछ,किसने किसको कहाँ ठगा है।।
*6- श्री एस आर सरल,टीकमगढ* ने खोटा सिक्का रचना में तंज कर रहे है।
🙏🙏
चतुर लोग उल्टे चश्मे से,काग को कोयल बता रहे हैं।
हम अपनी नादानी से ही,खोटा सिक्का चला रहे हैं।।
*7- जनाब अनवर साहिल टीकमगढ़* बुंदेली ग़ज़ल लिखते है कि-
अब लौ बिंदी कजरा हो रये।कब सैं चोटी गजरा हो रये।।
आज के मौडन की का कैनै, बीस साल में डुकरा हो रये ।। बेहतरीन ग़ज़ल है अनवर भाई बधाई।
*8- श्री किशन तिवारी भोपाल- ने उमदा ग़ज़ल लिखी है अच्छे शेर कहे है बधाई।
सोचता है कुछ कहे कुछ और ही।
कितने अवसादों से भर जाता है वो ।।
वो इधर जाता उधर जाता कभी।
देखिये आगे किधर जाता है वो ।।
*9-श्री संजीत गोयल,सिंकदरपुर बलिया उत्तरप्रदेश* से मोहब्बत की तलाश में है प्रेम पर बढ़िया रचना है बधाई।
जमीन पर तो संभव ही नहीं
पर आशमा पर हम आ मिलेंगे।।
जो मोहब्ब्त की थी हम दोनों ने
हमारे बाद हमारे नाम लिया जायेंगे।।
*10- मीनू गुप्ता जी कहती हैं के आशा से आशमान टिका है हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए बढ़िया आशावादी रचना है बधाई।
कहते हैं आशा से आसमान टिका है उम्मीद की डोर से बंधे रहो
उम्मीद के समुद्र का कोई कहो तल व अंत होता है
*11- राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़* *ग़ज़ल में कह रहे है कुछ तो -वफ़ा का सिला दीजिए।
कुछ वफ़ा का सिला दीजिए।फिर कोई गुल खिला दीजिए।।
यकीं भी हो थोड़ा तुझे,हाथ अपना मिला लीजिए।।
*12- श्री राजेन्द्र यादव "कुँवर" कनेरा बडा मलहरा* वीर रस की बेहतरीन रचना पेश की है बहुत बढ़िया बधाई।
नजर झुके न कभी देश के आन मान सम्मान की।
हमें कसम हैं माँ भारती और वीरों के बलिदान की।।
*13-डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल* जी लिखतीं है कि किलकारी एक बहुत बात्सल्य पूर्ण रचना पेश की है बधाई।
जब गूंजी घर में किलकारी्मिलीं स्वजन को खुशियाँ सारी।।
बेटी थी संतान रूप मेंजगदम्बा पावन स्वरूप में।
हर्षित मन की बगिया प्यारीमिली स्वजन को खुशियाँ सारी।।
*14-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.*.ने शानदार कुंडलिया.लिखी है बधाई
खडी़ समस्या देखकर, मन जाता है हार।
सदा ज्ञान की खड्ग से, ज्ञानी लेता मार।।
*15-श्री एस आर तिवारी, दद्दा,टीकमगढ़ ने मंहगाई पर केंद्रित सुंदर हाइकु लिखे है। बधाई ्
राम बचाय/मैंगाई खांये जाय/कीखौ सुनाय।।
गाड़ी लइ ती/बा हती तौ नई ती,/कबाड़ो बनी।।
*16-नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा, म.प्र.*बड़े भैया* का सुंदर सूक्ष्म चित्रण कर दिया है बहुत बढ़िया रचना लगी बधाई
माँ डाँटे,बापू डाँटे तब, प्यार जताते बड़े भैया।
गलती अपने सिर पर लेते, मुझे बचाते बड़े भैया।।
*17- श्री प्रदीप गर्ग पराग जी नई विधा माहिये छंद लिख रहे है सुंदर रचना है बधाई।
पूरब वालो तुम यूं
दौड़ रहे कब से
पश्चिम के पीछे क्यूं।
*18-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा से गीत,महाशृंगार छंद में प्रेम की बातें कर रहे हैं। बहुत खूब लिखा है बधाई।
सुनो ओ साजन मेरे मीत।
तुम्हारी मृदुल मनोहर गंध।प्रेम के पावन जीवन बंध।
तुम्हीं हो मेरी जीवन रेख।साँस आती है तुमको देख।।
*19-श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* ने देश की राजनीति पर बढ़िया रचना पेश की है बधाई।
राजनीति और राज कुछ अपना चाहते है।
नेता को नेता काँटा सा खल रहा है।।
पिस रही देश की जनता दौ पाटो के बीच।
एक दूजे का भाषण सब को छल रहा है।।
*20* श्री अभिनन्दन कुमार गोइल, इंदौर* देशभक्ति की रचना में अमर तिरंगा प्यारा लहरा रहे है। बधाई।
देशभक्ति का है परिचायक,अमर तिरंगा प्यारा।
भारत की आत्मा का द्योतक, स्वाभिमान का नारा।।
*21- श्री हरिराम तिवारी 'हरि'खरगापुर* ने मातृभूमि" पर बेहतरीन गीत लिखा है बधाई।
हे जन्मभूमि, हे मातृभूमि, हे जन गण मंगल दाता।
प्राणों से भी प्यारी हमको, अपनी भारत माता।।
माटी के कण-कण में मां की, दिव्य छटा मुस्काती।
कांटा चुभे लाल के पग में, मां की फटती छाती।
*22- श्री राम बिहारी सक्सेना "राम", खरगापुर* से ईश्वर से सडकी विपत्ति हरने की प्रार्थना कर रहे हैं। अच्छी कामना है बधाई
हे हरि विपत सबहिं की टारो।
काल कोरोना उग्र रूप धर, कोटिहुं मानुष मारो।
सुत पति पिता मातु अरु भगिनी,जाया काया टारो।।
*23- डां अनीता गोस्वामी जी भोपाल* से शिव महिमा लिख रहीं हैं बहुत बढ़िया लिखी है बधाई।
*नमो नमो जय शिवा त्रिकाल- - - -- हो मृत्युंजय तुम महाकाल- - - - - - - --
*भालचन्द्रमा शोभित अति सुंदर- - - "द्वितीयोनास्ति"ब्रह्मांड के अंदर- - -
*जटाओं में बांध लिया गंगाजल- -- - नीलकण्ठ बन पिया हलाहल- - - - -- -
*24--श्री राजेश कुमार गुप्त 'राज' पन्ना (म.प्र.)* ने अपनी कविता बनाने के लिए कह रहे है बहुत बढ़िया, बधाई।
है परीक्षा की घड़ी प्रश्नपत्र सभी बिगड़ रहे,
हम भी कुछ कर सकें आप हमें ऐसी संहिता बताएँ।
पद्य बहुत पढ़े हमने छंदों को भी छेड़ा है,
फिर सोचते हैं कैसे आपको अपनी कविता बनाएँ।
*25- श्री कल्याण दास साहू "पोषक" पृथ्वीपुर- से बरसात के मौसम पर लिखते हैं यह बिमारियों का मौसम है बचके रहना चाहिए। अच्छी रचना है बधाई
आता है बरसाती मौसम ,बीमारी भी लाता साथ ।
उल्टी दस्त जुखाम ज्वर कफ ,सर्दी खाँसी दुखता माथ ।।
*26-कविता नेमा जी सिवनी* से तिरंगे की शान में लिखतीं है- बहुत बढ़िया लिखा है बधाई।
लहर - लहर लहराए तिरंगा सारे जग से न्यारा है ।
तीन रंगों से सजा तिरंगा यह अभिमान हमारा है ।।
इस प्रकार से आज पटल पै 26 कवियों ने अपने अपने ढंग विभिन्न रसों और बिषय पर कविताएं पटल पर रखी सभी बहुत बढ़िया लगी, सभी रचनाकारों को बहुत बहुत धन्यवाद।
👌*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#
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247-प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़
*पटल समीक्षा दिनांक-13-8-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन था। सभी साथियों ने शानदार विचार, संस्करण,आलेख और कहानियां पोस्ट की है। नागपंचमी पर बधाई देत भये अपन एक बार सब जनन के सामू समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक कथा कहानियों की वर्षा भई । सबई साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै *1* *श्री प्रदीप खरे,मंजुल जी* ने जीवन के लक्ष्य को प्रमुखता दी है। काश शीर्षक से लिखी लघु कथा ने समाज को दिशा देने का प्रयास किया है। बधाइयां
*2* *राजेश कुमार गुप्त "राज",पन्ना* ने संस्मरण के माध्यम से प्रख्यात साहित्यकार रामस्वरूप चतुर्वेदी से रूबरू कराने के साथ ही उनकी साधना पर सुंदर ढंग से प्रकाश डाला। बधाई
*3* *श्री अवधेश तिवारी छिंदवाड़ा* कहते हैं कि वृक्षों और मनुष्य का चोली दामन का साथ है। दोनों के दूसरे के सच्चे मित्र है। इसका बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया। अनुकरणीय और रोचक प्रसंग के लिए बधाई ।
*4* *श्री गोकुल प्रसाद यादव जी* बुढ़ेरा ने दया और करुणा से भरी समसमायिक कहानी का बुंदेली रूपांतरण प्रस्तुत किया। सर्प के संस्कार सत्संग के प्रभाव से परिवर्तित हो गये। बढ़िया कहानी है। बधाई हो
*5* *श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी.,टीकमगढ़* आपने अपने व्यंग्य बाणों से सारा पटल पानी दार कर दिया। मुहावरों का भी बेहतर प्रयोग किया गया है। पानी में आग लगाने का काम कर दिखाया। रोचकता अंत तक बनी रही। शासन और कालाबाजारी पर भी प्रहार होता नजर आया। बहुत बहुत बधाई हो
*6 राम बिहारी सक्सेना-खरगापुर* से लिखते है कि राम नाम की महिमा अपार है। राम रक्षास्त्रोत का पाठ करने से संकट दूर हो जाते हैं। चिड़ियां की दशा देखकर आपकी और बहिन की व्याकुलता तथा उसकी कुशलता के लिए राम से स्त्रोत पाठ कर प्रार्थना से स्पष्ट हो रहा है कि आपके अंदर मानवता जिंदा है। प्रसंग अनुकरणीय है। बधाई हो
इस प्रकार से आज पटल पै *केवल 6* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत बढ़िया लगी, सभी साहित्यकारों को बहुत बहुत धन्यवाद।
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
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248- आज की समीक्षा* दिनांक 16-8-2020
बिषय- *पठौनी*
पटल पै भौतइ नोने दोहा डारे गये है। सबइ जनन ने बढिया कोसिस करी है। पैला तौ सबइ जनन खौ भौत नोनौ लिखवे पै हमाइ मुलकन बधाई।
आज दाऊ जरूआजरी काम से इंदौर गये है इसलिए उनकी तरफ से आज हम काम चलाऊ समीक्षा लिख रय है।
*1* *श्री *प्रदीप खरे,मंजुल* जू* ने सबसें पैला दोहा डारो उनने लिखो कै -ऐसे पटौनी ल्याय चइए जी खों देख के पडौसी बडवाई करन लगे। अच्छो लिखौ है बधाई।
मैया बोली सुन इतै, हाट बजरै जाऔ।
बिटिया घर पौचाउनें, कछु पठौनी ल्याऔ।।
खेल खिलौनन सें सजी, कजन पठौनी जाय।
पुरा परौसी देखकें, मन भारी हरसाय।
*2*- **श्री अशोक पटसारिया जू* भौत नौनो लिखो वे दोहन में बता रय कै पठौनी में का का दओ जात है। बधाई।
सूपा बिजना दौरिया, पापर बरीं अचार।
बांद पठौनी भेज तइ,मौडी खां ससुरार।।
धरत पठौनी बांद कें,बांद सगुन की गांठ।
बउ बिटिया जाबै कितउ,भेजत नइयां ठांठ।।
*3* *श्री गोकुल प्रसाद यादव , नन्हीं-टेहरी(बुडे़रा)* जू ने किसन अरु सुदामु कौ भौय नोनो वरनन करो है। बधाई।
दैबे गय ते सावनी,मिली पठौनी येंन।
बिजना सूपा दौरिया,चाँवर पिसिया रेंन।।
रीते हाँतन लौटतन, हते भौत बेचैंन।
देख पठौनी किशन की,भरे सुदामा नैंन।।
*4* *श्री शील शास्त्री , ललितपुर* जू लिखत है बिटिया की विदाई में जितैक देव उतैक कम है जब हृदय कौ टुकड़ा सौप दओ तो अब का बचो देवे खौं। भौत नोने भाव है बधाई।
जी दिन बिटिया विदा भई, सूनौ हो गव संसार ।
हियौ काड़कें सौप दव, अब का दै दएं उपहार ।।
जैसईं सावन बीत जै, साजन लैजें ससुरार ।
पठौनी-पुटरियन में बंदें, पापर, बरीं, अचार ।
*5* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा* से लिखत है श्रीराम के विवाह के टैम की पठौनी कौ नोनो चित्रण दोहन में करो है। बधाई
देत पठौनी अबध खों,रुच-रुच कें मिथलेस।
दान-दायजौ सबइ है,रखो न कौनउँ सेस।।
देत पठौनी मायकौ,चलत बिदा के संग।
लगै सबै हम बाँध दें,देतन उठत उमंग।।
*6* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़* सें पैला के टैम पठौनी बैलगाड़ी में धर के जात हती नोनो लिखों है बधाई।
मिली पठौनी सब कुछ ,लुवाबै गये जे पैल।
अब कछु नई आऊत है ,मिट गये गाड़ी बैल ।।
गाड़ी में धर देत ते,सिपी देवल और दार।
सूपा बिजना दोईया ,दई पठौनी डार ।।
*7* श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु.बडागांव झांसी.उप्र.ने जनकपुर में जानकी की विदाई के टैम कौ उमदा वरनन करो है।
जनक सें भेजें जब, लाडली खों ससुराल।
देवन सें बार-बार, मनौती मनाउतीं।।
जनकपुर नारियाँ, करतीं विदाई 'इंदु'।
दान मान दे दहेज, पठौती पठाउतीं।।
*8* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से पाप-पुण्य की पठौनी बता रहे है दोहो में दरसन है।
पाप पठौनी बांद के,ऊपर जाते लोग।
कर्मो का फल पात है,रये बुढ़ापौं भोग।।
ल्यात पठौनी कैसई,टका नई है पास।
बिटिया ल्यावे जान है, रतई भौत उदास।।
***
*9* श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो से कत है कै नोनी पटौनी भेजो तो सास खुश हो जात है। उमदा दोहे रचे बधाई
करो इकट्ठी जोर के,कछु पठौनी नेक।
फिर करियो बिटिया विदा,अबे छोड़ दो टेक।।
मिले पठौनी ठीक जब,खुशी रहत है सास।
नहि तो बकबक करत बहु,बहुयें रहत उदास।।
*10* *श्री एस आर सरल,टीकमगढ़* से सांसी कै रय कै आजकाल तो नगद नारायण की पठोनी होत है। शानदार दोहे है बधाई।
बिटिया की करतन बिदा,आँखन असुआ आत।
दार चना चाँउर पिसी, कछू पठौनी जात।।
'सरल' पठौनी की जगा,अब नगदी दइ जात।
चौखी नगदी के बिना, गैल गैल कुल्लात।।
*11* श्री कल्याण दास साहू "पोषक',पृथ्वीपुर,निवाडी़ जू ने भोत नोनै दोहा रचे हर मां-बाप अपनी हैसियत के अनुसार पठौनी देत है।सभी दोहे बढ़िया है। बधाई
मौडी़ की होवै विदा , देत खूब धन-धान्य ।
इयै पठौनी ही कहत , परम्परा शुभ मान्य ।।
बिना पठौनी की विदा , नही करत है कोउ ।
जी की जितनी हैंसियत , बाँदत-छोरत सोउ ।।
*12* श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* जू भौत बेहतरीन बुंदेली शब्दों का प्रयोग करते हैं बधाई।
आइ पठोंनीं बांद कें,चांवर देउल उर दार।
छबला सूपा दौरिया ,पापर बरीं अचार।।
अलफा लै लव ससुर खों,सासो खों इकलाइ।
बांद पठोंनी सान सें ,बहू सासरें आइ।।
*13* *शोभारामदाँगी नंदनवारा ने उमदा दोहे रचे है प्रेम पठौनी की बात लिख रय है। बधाई।
भेजत बिटिया जो कोउ, प्रेम पठौनी देत ।
पै लरका वारे कछु जनें, तौऊ उरानौं देत ।।
प्रेम पठौनी जो गहै, बेटी सुक में रांय ।
प्रेम पठौनी के बिना, फीके सब पर जांय ।।
*14* *श्रीअरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल* से करम पठौनी की बात लिखते हैं । सुंदर दोहे रचे है। बधाई
बिदा करत जब कोउ खौं, बाँद देत सौगात,
जाती बेराँ देत सो, उयै पठौनी कात ।
करे करम रत गाँठ में, और जात सब छूट,
पुण्य-पठौनी के बिना, जात विधाता रूठ ।
*15* श्री संजय श्रीवास्तव, मवई १६-८-२१ दिल्ली से प्रेम पठौनी की लेके चलवे की बात कर रय है। बधाई
प्रेम, मान- सम्मान सें,भरी पठौनी आज।
दऔ करेजो काड़ कें, भली करौ महराज।।
पुण्य पठौनी प्रेम की,लैकें चलियो संग।
ध्यान, धरम, सदकरम सब, हों जीवन के अंग।।
*16* डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल ने भौत बेहतरीन दोहे रचे बधाई।
धरम खूब सब कोउ करौ, बांध पठौनी जांय।
ईश्वर के दरवार में,जेउ तो देखो जाय।।
बहुधन नोनी आ गई,बांद पठौनी साथ।
सास ननद खुश होत हैं, ऊंचो हो गौ माथ।।
*17* *श्री राजगोस्वामी दतिया* से लिखत है कै पठौनी में मिले व्यंजन अरु अचार की महिमा बता रहे है। बधाई।
बाध पठौनी चल दिये संग मे लै के नार ।
खोल पुटरियन मे मिली पुरी पपरिया दार ।।
बेला आइ बिदाइ की भेट मिले कलदार ।
मिली पठौनी संग मे व्यंजन बिबिध अचार ।।
***
आप सबइ ने पने-पने दोहा पटल पै डारे हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत*
*- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
*अध्यक्ष- मप्र लेखक संघ, मोबाइल -9893520965
############@####################
249-डां. रेणु श्रीवास्तव भोपाल-हिंदी-अवतार-17-8-21
माँ वीणा पाणि को नमन🙏
समीक्षा दिनांक 18 8 2021
जय बुन्देली साहित्य समूह
विधा दोहा
विषय अवतार
समीक्षक डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सभी गुणीजनों को सादर प्रणाम 🙏
आज पटल पर समीक्षा हेतु मुझे आमंत्रित किया गया है अतः मैं अपनी अल्प बुद्धि से जो बन पडेगा, समीक्षा करूंगी
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 सर्व प्रथम मंच पर आदरणीय अशोक पटसारिया जी के दोहे प्रस्तुत हुए आप किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं आपने अपने दोहों में विभिन्न विषयों पर लेखनी चलाई है कहीं आडम्बर पर व्यंग तो कहीं जीवन की वास्तविकता से परिचय आप की भाषा लालित्यपूर्ण और शैली व्यंग्यात्मक है लेखनी को नमन वंदन
2 दूसरे नम्बर पर आदरणीय प्रदीप कुमार खरे मंजुल जी ने प्रस्तुति दी आप माने हुए पत्रकार गीतकार और सफल रचनाकर हैं आप के दोहे अपने आप में विशिष्टता लिए हुए होते हैं आप लिखते हैं जब पृथ्वी पर पाप बढ जाते हैं तब ईश्वर अवतार लेते हैं नागिनों के कारण जीवन मुस्किल हो गया है भाषा ओजपूर्ण तथा व्यंजना शब्द शक्ति का प्रयोग किया है आदरणीय भाईसाहब को सादर नमन वंदन
3 तीसरे नंबर पर श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ने अपनी प्रस्तुति दी है आपके दोहों में विभिन्न विषयों का समावेश है आप श्रेष्ठ कार्य करने पर नर से नारायण बनने की बात के साथ साथ गायों की दुर्दशा को सुधारने के लिए भगवान कृष्ण के अवतार की बात भी बतला रहे हैं सुंदर सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई
4 चौथे नम्बर परश्री गुलाब सिंह जी दोहों का सृजन कर रहे हैं सतयुग और त्रेता युग की झांकी आप अपने दोहों में समाहित करते हुये माता पिता की सेवा का संदेश दे रहे हैं उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक बधाई
5 पांचवें स्थान पर आदरणीय शोभा राम दांगी जी रहे जिन्होंने अपने दोहों से पटल को सजाया है आपने ईश्वर के प्रगटीकरण के साथ साथ झांसी की रानी के अवतार की बात कही है और पाप के बाद अवतार का वर्णन किया है आपकी भाषा सरल एवं सरस है बहुत बहुत बधाई
6 छठवें नम्बर पर श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जी ने आडम्बर की बात के साथ साथ संकट में ईश्वर से अवतार लेने का आग्रह किया है
आपकी भाषा मृदुल स्निग्ध है आपको नमन वंदन
7 सातवें नम्बर पर इस पटल के एडमिन श्री राजीव राना जी ने प्रस्तुति दी आपका परिचय क्या दूं पर फिर भी आप लेखक संघ टीकमगढ़ के अध्यक्ष और आकांक्षा पत्रिका के संपादक हैं आप लिखते हैं कि प्रभु दुष्टों का संहार करने को अवतार लेते हैं
आपने विशिष्ट बात कही है अवतार दुष्टों का भी होता है और संतो का भी आदरणीय रानाजी को
बहुत बहुत बधाई
8 आठवें नम्बर पर आदरणीय एस आर सरल जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने अपने दोहों में अवतार शब्द के अक्षरों का वर्णन करते हुए भ्रष्टाचार और आडम्बर की बात कही है भाषा में माधुर्य है और शैली लालित्यपूर्ण है आपको नमन वंदन
9 नौवें क्रम में श्री प्रदीप गर्ग जी ने अपनी रचना प्रस्तुत की आप ने श्री राम कृष्ण जी के अवतार के बाद कलियुग में अवतार लेने के लिए ईश्वर से विनय की है भाषा सरल और धाराप्रवाह है सुंदर सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई
10 दसवें नम्बर पर श्री कल्याण दास साहूजी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने माता पिता, कृषक, वैज्ञानिक, साहित्यकार और वीर जवानों को ही परमात्मा का अवतार मानकर श्रेष्ठ दोहों की रचना की आपकी भाषा मंजीहुई परिष्कृत और लालित्य युक्त है आपको बहुत बहुत बधाई
11 ग्यारहवें नम्बर पर श्री हरि राम तिवारी जी ने प्रस्तुति दी आपने पटल और मंगलवार के सृजन के साथ ही श्री राम गुरु और विशिष्ट जनों के अवतार की बात कही है सुन्दर सृजन हेतु हार्दिक बधाई और वंदन
12 बारहवें नम्बर पर परम आदरणीय भाईसाहब श्री प्रभु दयाल जी की रचना प्रेषित हुई आपने पृथ्वी पर ईश्वर अवतार के साथ भगवान कृष्ण तथा विष्णु भगवान् के अवतार को बतलाया है आपकी भाषा अलंकार से ओतप्रोत है और सृजन उत्कृष्ट। है आदरणीय भाईसाहब को कोटि-कोटि बधाई
13 तेरहवें नम्बर पर श्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने अपने दोहे प्रस्तुत किए आपने ईश्वर के अवतार के साथ सबको ही अवतारी माना है क्योंकि सब ईश्वर के अंश हैं भाषा परिष्कृत है और बोधगम्य है शैली उत्तम है आपको बहुत बहुत बधाई
14 चौदहवें नम्बर पे हमारे पटल के एडमिन श्री राम गोपाल रैकवार ने दोहे प्रस्तुत किए आप आशुकवि हैं आपकी भाषा और शैली का जितना वर्णन करूं कम होगा मत्स्य वामन वाराह वामन और नृसिंह अवतारों का वर्णन किया है आपकी जादुई भाषा और प्रभावशाली शैली हेतु हार्दिक बधाई
15 पंद्रहवीं रचना श्री जयहिन्द सिंह जी की आई आपने अपने दोहों में भगवान राम और कृष्ण जी के अवतारों का वर्णन किया है धर्म की पताका और कलयुग में अवतार एवं भोले नाथ के अवतारों की व्याख्या की है
भाषा सधीहुई और रोचक शैली का प्रादुर्भाव दिखाई देता है आपका हार्दिक वंदन
16वें नम्बर पर श्री परमलाल जी ने प्रस्तुति दी आपने श्री राम व कृष्ण के अवतारों के साथ प्रभु स्मरण का जिक्र भी अपने दोहों में किया है पटल सजाने हेतु बहुत बहुत बधाई
17 वें नम्बर पर श्री शील चन्द्र शास्त्री जी ने दोहों का सृजन किया है आपने पाप के संहार के लिए अवतार की बात कही है और गंगा का मैला होना तथा गौ वध का वर्णन किया है सुंदर प्रस्तुति हेतु आप को हार्दिक बधाई
18 मैं डॉ रेणु श्रीवास्तव ने दोहों में आचार्य श्री राम शर्मा जी को अवतरी सत्ता बतलाते हुए भगवान राम व श्री कृष्ण के अवतार का वर्णन किया है
उपसंहार इस प्रकार आज एक से बढकर एक दोहे अवतार पर सभी मनीषियों ने प्रेषित किए मैंने सभी की समीक्षा की यदि भूलवश कोई छूट गया हो तो माफी चाहती हूँ सभी को शुभ रात्रि।🙏
समीक्षक-डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
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250-समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
🇮🇳जय बुन्देली साहित्य समूह 🇮🇳
टीकमगढ़
✍️बुन्देली समीक्षा ✍️
दिन- बुधवार 18/8/2021
बुन्देली में गध लेखन
समीक्षा/गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
🔯🔯🔯🔯🔯🔯
🌹सरस्वती 🌹
*🍀वंदना 🍀*
मईया आये सरन तुमारे
दिन आज बुधवारे
लिखूं समीक्षा आज बुदेली
तुम से अरज हमारे
बन्न बन्न के लेख लिखें है
मोये लगे अधयारे
बिनय सुनों अज्ञान दास की
लिख दो कलम समारे
✒️✒️✒️✒️✒️✒️
*1-आ•श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा टीकमगढ़*
आ•पटसारिया महराज जू अपन ने भोतई नौने पचफैरा लिखें है जो चौकडिया तर्ज पर है भौतई बढ़िया है जू अपन लिख रये
1-उन्ना बन्न बन्न के चाने
चश्मा नओ चढ़ाने - अपन ने भोतई नौने पचफैरा लिखें है जू है हम इन पचफैरा खो एसो लिखते
1-उन्ना बन्न बन्न के चाने
हमें बाई से काने
2-उन्ना बन्न बन्न के चाने
सगे लेन बजारे जाने
चाने+काने
चाने+जाने =चाने +चढ़ाने अपने पचफैरा भौतई नौने लिखें है जू अपन लिखों बुढापे में मन सब कुछ चाऊत पर का धरो तेल फूलैल जीव चटोनिया हल्के के चटा बुढापे में लार डारन लगत जाने का-का अच्छो अच्छी बातें लिखी हैं जू हम अपन के आगे एक तिनका की नाई हैं जूअपने खो अपनी कलम को वार वार वंदन अभिनंदन सादर नमन करत है जू 🙏🙏
°°°°°°°°•°°°°°°°°°°°°°°
*2-गुलाब भाऊ लखौरा*
हम अपने मन में सोचत है के हम अच्छो अच्छी सबई या लिख लेत पर अपन सब की नजर में कऊ न कऊ गलती होई जात है जू
हम आप सबके बीच हाजिर हो जू 🙏🙏
🍀🍀🍀🍀🍀🍀
*3-आ•श्री प्रदीप खरे मंजुल जू पत्रकार टीकमगढ़ *
आ•मंजुल जू अपन ने भोतई नौने हाइकू लिखें है जू उनमें तिसरा हाइकू हमें नौनो लगो के भौतई नौने हाइकू लिखें है जू अपनी लेखनी को सादर नमन हार्दिक स्वागत है वंदन 🙏🙏
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
*4-आ•श्री शोभाराम दाँगी जू नंदनवारा,टीकमगढ़*
आ•दाँगी जू अपन ने भोतई नौनी गारी भोले बाबा की ब्याव की कमाल कर दव है जू अपनें ने गारी लिखी हैं
1-भोले बाबा कौ होरव ब्याव दर्शन कर लईवो -
भौतई बढ़िया है पर हमतो ऐसी लिखते
2-भौले बाबा को होरव ब्याव ,भूत हला मचाव -
अपने अन्तम शब्द को गोर नई कर पाव बैसे आप तो सर हो अपन हम से भौत कछु आगे हो जू और अन्तरा में एक से शब्द अंतिम में आरये है अपन ने गारी लिखी प्यारी फूलन जैसी जैसी क्यारी हमने भौत निहारी तनक लगी उगारी जू अपन की कलम को बारम्बार नमन वंदन अभिनंदन जू 🙏🙏
🌲🌲🌲🌲🌲🌲
*5-श्री अनवर खाँ जी टीकमगढ़ म प्र*
आ•भाई साव जू अपन ने भोतई बढ़िया बुन्देली गजल लिखी हैं अपनी का काने एक से एक गायें गानें रोटी काये नई खाने कररये बहाने रोटी खा स्कूले जाने कत के बैल चराने हमें तो सासी काने भौतई बढ़िया बुन्देली गजल लिखी हैं लिखों हैं बिटिया के हात पीरे कैसे करत सबई के मन को बखान करवो बड़ों नौनो लगो चिन्ता में आँख नई लगत आज कल के लरका पडत नईया भौत सार दार रस दार नौनी गजल लिखी अपन वार वार कलम को सादर नमन हार्दिक स्वागत है जे🙏🙏
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*6-श्री गोकुल प्रसाद यादव जू,नन्ही टेहरी टीकमगढ़*
आ•यादव जू अपन ने भौतई नौनी बिगर मात्रा में बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू अपन ने श्री कृष्ण भगवान डग मग पाव धरते हुये चल रहें हैं कभऊ आगे को कभऊ पाछे को पछलते हैं उनकीं अपन वंदन कररये है जू दोनों चौकडिया भौतई बढ़िया लिखी हैं जूअपन खो भौत भौत बधाई सादर नमन हार्दिक स्वागत जू🙏🙏
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*7-श्री राम विहारी सक्सेना राम जू*
खरगापुर जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
आ•श्री सक्सेना राम जू बढ़िया प्रियतम की कवितमय वंदना करी है जू हुलसी माता के पुत्र तुलसीदास जी का हिदय में विराजमान करत भये कौशलपुर अवधपुरी के राजा जशरथ के पुत्र राम जी को अपनी वाणी से बखान करत भये अपने प्रभु के गुण गान मन देवता मुनियों की वंदना बिस तार से बखान करों अपन को भौतई भौत सादर नमन वार वार प्रणाम वंदन करत जू 🙏🙏
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*8-श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' जू*
म,प्र,लेखक संघ जिला अध्यक्ष टीकमगढ़
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
आ•एडमिन,जूअपने हाइकू भौतई बढ़िया लिखें है जू अपन पैले हाइकू में मइया शारदा को सुमरन वंदना दुसरे में ओरछा धाम वृन्दावन सो धाम नौनो हैं जी में राम जू बिराजमान हैं एक हाइकू में गनेस देव जू को बखान वंदना करी अपन ने भोतई नौने हाइकू लिखें है जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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*9-श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जू पीयूष ,टीकमगढ़ (म प्र)*
आ•पीयूष जूअपन ने तुलसी दास के चरणों में सादर भाव बखान करों जू अपन धन्य भाग जिला बाँधा है और राजापुर गाँव धन्य हैं माता हुलसी धन्य पिता आत्मा राम दुवे जू जिनके पुत्र तुलसीदास जू ने जन्म संवत पंद्रह सौ चउवन में सावन सोमवार साते को जन्म भव हैं मूल नखत हतो अपन बुन्देली के अच्छे ग्याता हो अपनी लेखनी को का तक बखान करों भौत बिस्तार से अपन ने बखान करों जू अपनी कलम खो बारम्बार कोटि कोटि नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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*10-श्री रामानंद पाठक नन्द जू, नैगुवा*
आ•पाठक नन्द जू अपन नोट बंदी पर बढ़िया कुंडलियां लिखी हैं जू मोदी जी ने चाल चल के नोट बंदी करी ती जी में अच्छे राजा रंक हो गये हैं अपन मोदी जी खो हर हर मोदी अच्छो भाव प्रकट कररये हो जू अपन ने भोतई नौनी कुंडलियां लिखी हैं जू आपका आभार हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत हो महराज जी जय हो 🙏🙏
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*11-श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जू ,बड़ागाँव झाँसी(उ प्र.)*
आ•इंदु जू अपन ने अपनी कलम से भौतई नौनी कुंडलियां लिखी हैं जू जी में पति से राखी के त्यौहार में पत्नी अपने मायके जाबै की कैरई के राखी ले जाने पति रकम को डिब्बा में से रकम लै लो समझा के जाबै की कैदई है पर जल्दी घर लोट आईवो बढ़िया कुंडलियां लिखी हैं जू अपन भौतई हार्दिक बधाई सादर नमन अभिनंदन वंदन जू 🙏🙏
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*12-श्री संजय श्रीवास्तव जू मबई दिल्ली "
आ•भाई साव जू अपन ने बुन्देली वीर सिपाही गीत लिखों हैं जू सीमा पै तान के सीना रइयो चड़के रइयो चढ़ चढ़ के जइयो इते अपन ने तनक कछु सार गुप्त करदये हैं जू चड़के रइयो चढ़ चढ़ जइयो आगे अपन भौत ग्यान की बातें वीरों के लाने अच्छी अच्छी बातें लिखी हैं जू का तक बरनन करों जायें जू आपकी कलम को बारम्बार नमन कोटि कोटि सादर अभिवादन हार्दिक स्वागत है वंदन जू 🙏🙏
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*13-श्री एस आर सरल जू* अपन ने करदव कमाल का कबै हाल जा है बुन्देली की चाल भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया पचफैरा बुन्देली चलाये काऊ ने न्ई घाल पायें जो तुमने दना दन कराये चौकडिया के बोल
1-भैया पचफैरा सै लर रय
फैर दना दन कर रय
दोई चौकडिया भौतई बढ़िया लिखी हैं आपकी बुन्देली लेखनी को बार-बार प्रणाम सादर स्वागत है हार्दिक बधाई 🙏🙏
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*14-श्री कल्याण दास साहू पोषक जू
पृथ्वीपुर जिला निवाडी*
आ•भाई साव पोषक जूअपन ने भोतई नौनी बुन्देली रचना लिखी हैं जू का काने हिदय के भाव दिखाने अपन तो सबई के जाने माने बुन्देली में का तुमाई कलम बखाने तुमे तो अलग से पैचाने
1-जाने कैसी मंसा उनकी ऐव करत है ठेंके
नाव गरीबी की रेखा में जुड़ गव पइसा दैंके
भौतई बढ़िया बुन्देली लिखी हैं अपन ने कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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आदरणीय पटल के सबई साहित्य कारो का कातक गुन गान करूँ आज एक से एक बुन्देली लेखनी पर अपन सबई ने अच्छी कलम चलाई है जू सादर नमन नमस्कार है जू
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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251-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-19-8-21
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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दिनांक 19.08. 2021
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स्वतंत्र हिंदी पद्य लेखन
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आज के पटल पर प्रबुद्ध जन एवं कविवरन को साहित्य सृजन एवं हिंदी में कविता सृजन के लिए सादर वंदन अभिनंदन करते हुए हिंदी के उत्थान में प्रखर ज्योतिर्मयी प्रकाश करने वाली रचना से काब्य मनीषियों की लेखनी को हृदआंगी करते हुए नमन करता हूं !
नंबर 1. श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने दीप आशाओं के जलते रहे शीर्षक से युद्ध विभीशिका से दूर रहकर बगिया की तरह खुशियों के पुष्प खिलने की आशा की है आशाओ को बल दिया है शैतान का अंत हो और इंसानी अहम नष्ट नाबूत हो ईश्वर से प्रार्थना है कि यह नासूर दिलों से दूर हो शब्दों की बगिया में पुष्पों की बहार लेखनी में पिरोकर महक विखेरी है श्री नादान जी को सादर नमन वंदन अभिनंदन!
नंबर दो .श्रीमान अनवर खान साहिल जी की पटल पर देखी उनकी पहचान बाह खान साहेब गरीबी के दामन में दस्तक देकर निवाले को ही निवाला बना डाला, सृजन कर केवल दुसाले में ठंड के सिसकते आंसू जो मोती बनकर जमीन पर मेरे दिल की जमीं को भिगो रहे हैं तरस की आस में परिहास क्यों है हिंदी को आयाम देने वाले श्री साहिल जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन!
नंबर 3. श्री संजीत गोयल जी ने बलिया उत्तर प्रदेश से कविता में भाव भरे है जो कोरोना की बेचैनी का हाल मानव पर गिरी गाज की भांति कविवर के जेहन को कुरेदती कविता के रूप में उभरी है और डर के इस घर में बुद्दिमता के प्रहार वैक्सीन रूपी आशा से जीतने का भरोसा व साहस बटोरा है जो सत्य को उजागर करता है वह श्री गोयल जी हौसला ने बढ़ाने वाली हिंदी को ऊंचाई देने के लिए किए सृजन के लिए सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद!
नंबर 4 .श्री किशन तिवारी जी ने गजल के माध्यम से भीड़ को एक जंगल माना है जिसमें आदमखोर जैसे बैटरी बदलते मानव दौड़ लगा रहे है जिसमें लोग अपने सुख की परछाई को माप रहे हैं जबकि डूबते सूरज की भांति पर्वत की परछाई सुकून कर सच में भेद रख देती है और मानव मन बोना लगने लगता है इसलिए मनुष्य को जीवन की परछाई पर गौर करना ही उत्तमता की ओर बड़े कदम हो गए होंगे आदरणीय तिवारी जी ने शब्दों में लेखनी को प्रोकर दिल के अरमानों को उजागर किया है जिसके लिए बे बधाई के पात्र हैं सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 5 .श्री गोकुल प्रसाद यादव जीने हाइकु केे माध्यम से आज के बादलों के चलचित्र को उकेरा है जिसमें धूप की मार एवं सुखी नदी नाले पानी से काली घाट और जुल्मों सितम की मार से जीवन लाचारी के दामन में मुश्किलों को बढ़ा रहे हैं बहुत ही कालजई रचना करके श्री यादव जी ने दिल को झकझोरा है बहुत उत्तम रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद!
नंबर 6 .बहन मीनू गुप्ताजी के द्वारा ससुराल में उनके दामन में इलाज हेतु बेटियों के सिंगार और और उनकी महत्वाकांक्षाओं को बल दिया है जिसमें रक्षाबंधन जैसे पर्व पर बहन भाई को राखी बांधने के लिए सजल नेत्रों से सुखद आनंद की अनुभूति करके मायके के जन परिजन को प्रसंन्ता भरी नजरों से देखती है और मेल मिलाप की उस घड़ी का आनंद लेने के लिए रिश्तो के बंधन परिवार की उत्तमता को प्रदर्शित करते हैं बहुत ही सुंदर रचना के लिए मीनू गुप्ता जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन !
सात .श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने अपने रचना के माध्यम से जीवन के आने के पहले शिक्षक से सज्जनता का ग्यान पाया है और थके शरीर को राहत देने के लिए वृक्ष की छाया में बैठकर विचारों में व्यस्त लेकिन गुजरते राहगीरोम मैं चुप्पी साधे एवं आपसी वातावरण करते चलते दिखाई दे रहे थे चेहरे के भाव कोई मुस्कुरा रहा था कोई गुस्से में था कोई उदासी लिए था लेकिन किसी ने भी नहीं मेरी ओर देखा पशु पक्षियों ने अपनी धुन कोलाहल बराबर जारी रखा बेखबर दुनिया में सब अपने धुन में चल रहा था लेकिन मैं अपनी ही धुन में मन को समेटे हुए पेड़ की छाया को लेते हुए मस्त बयार लेकर मंत्रमुग्ध था जीवन जीने की कला की वास्तविकता को रचना में पिरोकर हिंदी का मान बढ़ाया है हार्दिक बधाई सादर धन्यवाद !
नंबर 8. श्री सील जैन जी ने अपनी रचना के माध्यम से सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी जयंती पर करके आजादी के परवानों को याद किया है और युवाओं में जोश भरा है तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा स्वतंत्र राष्ट्र के लिए जड़ विश्वास से नेता जी ने स्वतंत्र भारत की कामना करके अलख जगाई थी जो तरुणाई की मुखर गूंज साबित हुई बहुत ही राष्ट्र हित में रचना कर श्री जैन साहब ने राष्ट्र हित में रचना मैं शब्दों को बल दिया दिया है श्री जैन साहब को सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद!
नंबर -9 .श्री राजीव राना लिधौरी जीने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से जरा प्यार तो कर के देखो मानवता के माध्यम से नफरत को दिल से दूर करने के लिए बेकरारी मैं रचना को बल दिया है प्यार से मनमोहकता एवं मेहनत से कुछ पाने का जज्बा लेना ही मानवता की मिसाल है तभी तुझे इस जीवन में सुखद पल मिलने के आसार नजर आएंगे बहुत ही सुंदर सटीक शब्दों भरी गजल सीख भरी रचना का सृजन किया है जिसके लिए हार्दिक धन्यवाद वंदन अभिनंदन !
नंबर 10 .श्री मनोज कुमारजी ने काश लॉकेट होता शीर्षक से अपनी कविता में भाव भरे है की श्रीप्रिया यदि में तुम्हारे गले का लॉकट होता तो सुकूनी ए जिंदगी जी कर मुस्कुराता रहता हमें तुम कभी भी ना भूलती उम्मीद की मिठास भरी बातें करके अपने मन को ऊंचाइयों तक छूता और तुम्हारा अंगरक्षक बना रहता दुपट्टे की शीतलता में गले में सुंदरता का इजहार करता ऐसी सुंदर सिंगार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर धन्यवाद !
नंबर 11 .हिंदी में श्री शोभाराम दांगी जीने अपनी रचना में विशेष महानता में जनता के लिए अंकों का वर्णन किया है जो अंको के चमत्कार की धरती को दोहराया है दुनिया में ईश्वर को खास मानकर धरती आकाश त्रिदेव चार दिशाएं छह शास्त्र सातों रंग अष्टभुजा देवी और 10 दिशाओं और द्वारपालों भूलोक 12 राशियों एवं स्वर्ग लोग इस प्रकार दांगी जी ने सभी 1 से 12 तक अंको के चमत्कार की रचना हिंदी की शब्दों को चरितार्थ किया है बहुत-बहुत सुंदर रचना के लिए दांगी जी को हार्दिक वंदन अभिनंदन बधाई नंबर!
12 .बहन डॉ रेनू श्रीवास्तव जीने अपनी हाइकु में काले धन देख कर दुख व्याप्त किया है और गिरते मेह से हर्ष व्याप्त किया है और बहते जल से नदी को भरे जाने की कल्पना की है और चकई चकवा काली घटा देखकर हंसा प्रसन्न मुद्रा में जीवन की सुखद पल की अनुभूति कर रहे हैं ऐसी कल्पनातीत रचना को साकार रूप देकरें दिल में सांत्वना के भाव उकेरे हैं जो आज की आवश्यकता है बहुत ही सुंदर भावों के लिए बहन रेनू श्रीवास्तव जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन !
नंबर 13. श्री प्रदीप कुमार जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से मन मे मन के के दरवाजे खोलकर उनकी सांसे बेगाने पंखों में निहारे है परेशानी के सबब को खोज रही है और दिवाली के उजले दीपक की आस लगाए दिवाली के चिरागों के प्रकाश में गुल खिले देखने के लिए तरस रहे हैं बहुत ही सुंदर शब्दों में गजल को उपरोक्त लेखनी में चार चांद लगाने वाले श्री प्रदीप कुमार जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक धन्यवाद !
नंबर 14. श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने अपनी गजल के माध्यम से भाव भरे है अमानत में खयानत करके आज के बगावती स्वर जन-जन में उत्पाती बनकर बोल रहे हैं जिनके लिए सपूतों ने जिंदगी गुजार दी है उन्हीं को आज शराफत सिखाने की बात कर रहे हैं अब यह शिकायत शिकवे किससे करें और इन्हें सही राह दिखाने के लिए क्या फिर से महापुरुषों का ध्यान करना ही उचित होगा वाह बहुत-बहुत सुंदर शब्दों से गजल को संवारा है और उत्तम शब्दों से हिंदी को बढ़ावा दिया है इंदु जी बहुत ही सुंदर लेखन के लिए सादर धन्यवाद बधा!
नंबर 15. संजय जैन जी ने प्रेरक गीत के माध्यम से अपने शब्दों को उकेरा है रचना में जीवन साधक बनकर जीवन की मोडों़ को निर्भयता से पार करने और बाधाओं में साहस भरे कदम रखकर धीरज रख संभल कर चलना ही मानव जीवन की पराकाष्ठा है मन को बाधाओं से डर कर नहीं भागना है अपनी राही मंजिल निर्भय होकर तय करना है और साहस बटोर कर असंभव को संभव करना है मेहनत ही मानव को वहां ले जाती है जहां वह है जाना चाहता है बहुत ही सीख मई रचना की है श्री जैन साहब को सादर वंदन अभिनंदन बहुत-बहुत बधाई!
नंबर 16. श्री गुलाब भाऊ लखौरा ने अपनी हाइकु के माध्यम से भाव भरे है रचना की है सारे जंजाल छोड़कर राम नाम ही उत्तम है जो भवसागर से पार लगाएगा भजन ईश्वर का करके ही जीवन सफल होगा जीवन वृथा न गवाइए इस संसार में नहीं बिना प्रभु के कोई रास्ता नहीं है ,गुलाब सिंह भाऊ जी ने उत्तम सीख दी है भाऊ जी को सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 17. डॉ अनीता गोस्वामी जीने अपनी रचना मे मानव को ईश्वर ने सृष्टि मैं भेजा है जो समरसता है एक ही खून एक ही मानव तन से बनी यह प्रकृति हमारी धरा ईश्वर की सबसे निराली और अद्भुत देन है जहां नदियां चंदा सूरज और मानवता सीख भरी अटल सागर की गहराई जनता अनंतता आनंद बारिश ठंड सूखा सभी आपदाओं का समावेश एक साथ मानव जीवन जी रहा है फिर भी हम जानते हुए सचेत नहीं है की प्रकृति हमारे लिए क्या नहीं कर रही है लेकिन हमसे बदले में केवल सुरक्षा चाहती है बहुत ही सुंदर रचना के लिए बहन गोस्वामी जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर-18 .श्री एस.आर .सरल जीने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से धार्मिक उन्माद शीर्षक से रचना में भाव भरे है जिसमें धार्मिक उन्माद मैं बहती मंन की व्यथा जो समाज में शांति भंग कर दंगा फसाद करते हैं स्वार्थ की इस जिंदगी में इंसानियत दागदार होती है ऐसे मानव अमन चैन को बर्बाद करते हैं और मानवता पर आधात करते हैं जबकि मानव एक बुद्दजीवी प्राणी है बहुत ही सीख परी गजल सरल जी ने प्रस्तुत की है लेखनी को नमन धन्यवाद सादर बधाई!
नंबर 19 .श्री प्रदीप जी ने अपनी रचना मैं बिन धरा के जीवन हो नहीं सकता यह आदमी भूला हुआ है और उस धरा को ठोकर देकर जिस पेड़ पर बैठ कर उसे ही काट रहा है ऐसा बुद्धिजीवी होकर भी मानव अज्ञानता की ओर अपना झुकाव कर धरा पर आघात कर रहा है जिससे मानव मन पीड़ा से परेशानी भुगत रहा है जो अमानवीयता का धोतक है बहुत ही प्रेरणा स्रोत शब्दों का चयन कर मंजुल जी ने उत्तम रचना प्रस्तुत की है जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं सीख भरी रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन बधाई!
नंबर 20 .श्री राम बिहारी सक्सेना जीने अपनी रचना में नर्तन का नर्तन करती यह देहिया जब तक देखना है जब तक यह मधुबन है महाराज जीवन शास्त्र जगत है और न ही इसे सरकाया जा सकता है यह तब तक अपना अस्तित्व रखकर आत्मा का परिचय देकर जी रही है और इस तन को चेतन जगत के मूल रख रखाव द्वारा भजमन विक्रम के द्वारा सफलता की और मानवता के स्रोत से लक्षित है जीवन अमूल्य है और हमें जीवन जीना आना चाहिए यही सत्य है बहुत उत्तम रचना आत्म चिंतन की ओर प्रेरणा स्रोत है ऐसी रचना के लिए श्री सक्सेना जी को सादर वंदन अभिनंदन और उनकी लेखनी को नमन!
नंबर 21 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपनी रचना में देशभक्तों के अंदर देशभक्ति का जज्वा भरा हुआ है मनमोहकता को छोड़ यह नादान अपने स्वार्थ पूर्ति में लिप्त है काम करो लोभ मोह में डेरा डाले हुए हैं लोगों की दिल की कोमलता को नहीं पहचान रहा है और इंसानियत को भूल भ्रष्टाचार फैला पागल बन गलत आचरण कर देश के साथ में गद्दारी कर रहा है राष्ट्रहित में की गई कविता शब्द मंचन कर श्री पोषक जुने अपनी रचना में चार चांद लगा दिए हैं बहुत उत्तम रचना के लिए श्री साहू जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन!
22. जय हिंद सिंह , जय हिंद, जीने अपने सावन रसिया के माध्यम से दोहा प्रस्तुत करें जिसमें मन झूला जैसा झूमता हुआ अवध धाम की भूमि को बार बार प्रणाम करता है और मन सीताराम जी के दर्शन के लिए लालायित होता है और बांके बिहारी राम सिया की झांकी देखने के लिए बेचैन हो रहा है मन की पीड़ा बढ़ती जा रही है मोहनिया मां की ममता पाई है जिसमें मिले सिया और रघुराई है और उनके चरणों में परमानंद प्राप्त हो रहा है उत्तम अध्यात्म मन कर कम रही है और मन प्रभु के चरणों में रहकर डूब जाना चाहता है बहुत ही सुंदर एवं सटीक रचना के लिए दाऊ साहब को सादर वंदन अभिनंदन और साधुवाद!
नंबर 23 .श्री मनोज कुमार सोनी जी ने अपनी रचना में भेद नहीं भेज रहे नारी की सुनाएं कब आऊं हट कि ना माने सुवा को पढ़ाए , अन्न ना पचै चूरन चबाए से ,बगुला ना हंस हुए श्वेत रंग पाए से बहुत ही उत्तम रचना मैं चार चांद श्री सोनी जी ने लगाए हैं जमीन में अन्न अमृत की चीजों से पैदा नहीं हो सका और भैंस के सामने बीन बजाओ तो देश को कोई पता नहीं रहता है ना ही वह समझती है खरा नहीं हो सकता है नाल के ठुकाई से अशव, और स्वान की पूंछ पुँगरिया में डालो सीधी नहीं होती वह तो है संजीवनी किसी की मौत को नहीं रोकी जा सके बहुत ही चेतावनी भरी सीख देकर रचना में चार चांद लगा दिए हैं उत्तम रचना के लिए श्री मनोज कुमार जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 24 .श्री राजेश गुप्ता जी ने अपनी रचना में कैसे बीते यह बस और खुशियां दे गया जिसमें अश्रुपूरित खुशी कोरोना काल में कमलनाथ की सरकार और सभी इन हाथों से साबुन लगाकर धोना मास्क लगाना सब कुछ पिछले दिनों में हो गया प्रणव मुखर्जी सुशांत जैसे लोगों ने अपनी आहूती दी देश आंसू पीता रहा और आपदाओं से घिरा जीवन मुसीबत में अपनी जीवन की यह लीला को संभाले हुए जी रहा है जहां मेहनत मजदूरी हाथों से जाकर दूर हो गई है बहुत ही उत्तम रचना करके श्री गुप्ता जी ने वक्त की वास्तविकता को पटल पर रखा है उनकी रचना की क्षमता को देखते हुए बहुत-बहुत धन्यवाद और सादर बधाई के पात्र है धन्यवाद!
समीक्षक- डी पी शुक्ला, टीकमगढ़
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252-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-20-8-21
*पटल समीक्षा दिनांक-20-8-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन था। सभी साथियों ने शानदार विचार, संस्करण,आलेख और कहानियां पोस्ट की है। आनेवाले रक्षाबंधन पर्व पर बधाई देत भये अपन एक बार सब जनन के सामू समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक कथा कहानियों की वर्षा भई । सबई साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै *1* *श्री प्रदीप खरे,मंजुल जी* ने अपने विचार प्रसंगवश में लिखे। इमें वर्तमान हालातों पर चिंता की झलक देखने को मिली। उन्होंने राखी के महत्व को समझने और बहिनों की रक्षा का संकल्प लेने की बात कही। जीवन में सेवा और प्रेम को प्रमुखता दी है। उन्होंने संकल्प शीर्षक से लिखी लघु कथा से समाज को दिशा देने का प्रयास किया है। बधाइयां
*2* *मनोज कुमार ,गौढ़ा* ने लघु कहानी के माध्यम से सफलता के लिए परिश्रम को जरूरी बताया। उन्होंने सुंदर ढंग से शब्दों का प्रयोग कर जीवन के महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डाला। बधाई
*3* *श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी* जी कहते हैं कि मनुष्य को सूझबूझ से कार्य करना चाहिए। क्रोध के बिना भी चालाकी करने वाले को सबक सिखाया जा सकता है। हास्य और व्यंग्य की पुट नजर आती है। उन्होंने इसका बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया। अनुकरणीय और रोचक प्रसंग के लिए बधाई ।
*4* *श्री सुशील शर्मा जी* ने शिक्षाप्रद प्रसंग लिखा। रक्षाबंधन के आरंभ और राखी के महत्व को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। बहिनों का सम्मान और भाई के फर्ज को भी बताने का प्रयास किया। बढ़िया कहानी है। बधाई हो।
*5.अवधेश जी छिंदवाड़ा* कहते हैं बिना सोच विचार के कार्य करना मूर्खता की निशानी है। कौआ कान ले गया, इतना सुनकर कौआ के पीछे न भागें, कान को भी देख लें। रोचक लघु कथा के लिए बधाइयां
*6 शोभाराम दांगी नंदनवारा* कहते हैं कि बहन बेटियों की रक्षा यदि जान देकर भी की जा सके, तो पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने जटायु के बलिदान का प्रसंग प्रस्तुत कर समाज को बेहतर दिशा देने का प्रयास किया है। बधाई हो
*7डां प्रीति परमार जी* टीकमगढ़ ने एक शिक्षिका के हृदय परिवर्तन और बच्चों की हमदर्दी को बढ़े ही सुंदर ढ़ंग से प्रस्तुत किया। गुरू और शिष्य के बीच प्रेम और सम्मान की भावना जरूरी है। सुंदर कथानक के लिए बधाइयां
*8डां रेणु श्रीवास्तव* भोपाल ने रोचक प्रसंग ने भाव विभोर कर दिया। शिक्षा पर सभी का अधिकार है। अफशोस करने की बात नहीं खुशी की बात होती तो अच्छा होता। बेटी ने मदद कर अच्छा किया। यह शिक्षा लेने योग्य है। बधाई एक बेहतर बिषय के लिए।
*9 श्री गोकुल प्रसाद यादव जी* ने व्यंग्य और हास्य का मिलाजुला मशाला परोसा। रोचक प्रसंग का अंत बढ़े ही सुंदर तरीके से किया है। बधाई हो
*10*श्री संजय श्रीवास्तव* दिल्ली ने समसामयिक और मार्मिक प्रसंग प्रस्तुत किया। एक नन्ही परी की दर्द भरी दास्तान हृदय विदारक रही। मानवता की हत्या होते सारा विश्व देख रहा है। आपको बधाई हो
*11श्री राजेश गुप्ता जी* पन्ना से लिखते है कि आस्था के आगे कुछ भी संभव है। उन्होंने दूध के चमत्कार के बारे में अपने अंदाज में बताने का प्रयास किया। बधाई हो
इस प्रकार से आज पटल प 11 मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत बढ़िया लगी, सभी साहित्यकारों को बधाईयां। समीक्षा में कमी रै गई होय सो अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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253-श्री जयसिंह जय हिंंदी दोहे-साउनी,23-8-2021
#सोमवारी समीक्षा#सावनी#
#दिनाँक 23.08.2021#
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सबसें पैंलाँ माँ शारदा खों नमन करत भये सबयी मनीषियन खों नौनीजय राम जी की।आज कौ बिषय बुन्देली में सावनी पै दोहा लिखबे कौ हतो।सब विद्वानन ने अपनौ अपनौ मानस खोल कें बिचार पटल पै दोहा के रूप में डारे।भौत नौने नौने दोहा लिखे गय सबने अपनी अपनी सावनी फैलाई।सावनी तौ बैसयी देखत में मन भावन होत फिर जा सावनी तौ दिमागी हती,सो और लगी।
चलौ अब सबकी सावनी पसार कें देखी जाय।बैसें सावन शब्द सें सावनी कौ जनम भव सो मैनै सावनी शब्द कौ प्रयोग करो।अब अलग अलग सावनी देखौ।
#1#श्री गोकुल प्रसाद सोंनी जू नन्ही टेरी.....
आपके 6 छबला सावनी के देखे गय जिनमें सावनी कौ बंद हौबौ,दहेज प्रथा कौ सावनी पै असर,सावनी कौ सँदेसौ,सावनी की शोभा, समद्याने कौ नीरौ होबौ,सावन कौ बुलौवा और सावनी की दिखनी,घराने के अनुसार सावनी,कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प सब टकाटक।आपखों अभिनंदन।
#2#श्रीौएस.आर.सरल जी टीकमगढ़.......
आपकी सावनी सें 6 पिरा भरे धरे ते जिनमें समदन की सावनी सें खुशी,समधी की समधन देखबे खों ताकझाँक,सावनी के कपड़ा,सावनी कौ निरौना,सावनी सें तवियत खुश हौबौ,सावनी को बंद हौबौ दरशाव गव।आपकी भाषा भाव शिल्पशैली कमाल की मिली।आपखों वंदन अभिनंदन।
#3#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मोरी सावनी 5छवला हती जिसमें सावनी कौ सामान,चिक्क बाबा की चिठिया, सावनी में राखी,सावनी बिना सावन की उमंग में कमी,मनभावन सावनी कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प शैली कौ मूल्यांकन आप सभी के हात।मोरी सबखों जय राम जी की।
#4#श्रीराम गोपाल रैकवार जी एडमिन टीकमगढ़.......
आपकी 2 बड़ीं पिरियाँ सावनी देखी,जिसमें बन्न बन्न कौ सामान,
बच्चन खों खड़पुरीं बहू की सिंगार सामग्री, समदन के दुकवे कौ बरनन करो गव। भाषा की कला,शिल्प की सुन्दरता,भावों की गहराई शैली की जादूगरी सावनी में मिली।आपका बारंबार बंदन।
#5#श्री राजीव नामदेव रानाजी लिधौरी टीकमगढ़......
आपकी 2 डिब्बा सावनी मेंसमधिन द्वारा सावनी में पाती की खोज,सावनी की खुशी में समधिन कौ काम में मन लगबे कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प शैली की अद्भुत करामात के दरशन कराय गय।आपका बंदन अभिनंदन।
#6#श्री शोभाराम दाँगी जू नदनवारा........
आपकी 5 पिरियाँ सावनी उड़ेली गयी,जीमें सावनी की परिभाषा, सामान कौ बरनन,सावनी की मिठाई, सावनी बंद होबौ,दरसाव गव चौथे पाँचवे दोहा की लय सुधार योग्य है जरूर देखें।भषा भाव सुन्दर,शिल्प शैली मधुर।आपको बेर बेर नमस्कार।
#7#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जू लखौरा......
आपकी 5 टोकरी सावनी में सावनी के संगै समधी और खवास कौ आगमन,डब्बा कौ बब्बा और नैन मटक्कू पुतरिया, सावनी में चाँदी की राखी,सावनी की पूर्णता, लंबरदार कौ सावनी अवलोकन,
सावनी बारन कौ बिंजनन सें सत्कार, कौ बरनन करो गव।आपकी नौनी और मीठी भाषा की छविदार शैली, भाव जागृत शिल्प सुन्दरता देखत बनत।आपखों सादर नमन।
8-श्री प्रदीप कुमार खरे जी मंजुल टीकमगढ़.......
आपकी 6 कारटून सावनी में,समधी से मिलबे खों सजावट,समधी की समधिन सें बातें,सावनी देखबे जुराव जुरबौ,
समधिन की पाती पढ़कें हँसी कौ माहौल,डब्बा के बब्बा की हँसी,
सावनी देख के समधिन की दंग अवस्था,निज समधी सें मिलन कौ बरनन करो गव।
आप की भाषा भाव शिल्प शैली मजेदार लुभावनी ब मन मोहक है।आपकौ सादर बंदन।
#9#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपकी 5 टोकरीं सावनी में,सावनी कौ रूप कहानियन जैसौ हो गव,कोरोना काल की सावनी,ससुर की सावनी सें बहू की खुशी,पैलै सावन में सावनी की प्रथा,सावनी के सामान कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा शहर की छाप से अलग शुद्ध बुन्देली जिसमे भाव शिल्प शैली एवम सरल भाषा के दरशन भय।
आपके चरणों का बंदन।
#10#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी.बड़ागाँव झाँसी......
आपके 2 डिब्बा सावनी में सावनी देखकें समधिन कौ दंग हौवौ,पंसावनी की जगह रुपये भेजबे की पृथा सें सावनी कौ आनंद रहित हो जाबौ,बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव शिल्प कला और शैली की शोभा दर्शनीय है।आपका बंदन अभिनंदन।
#11#श्रीरामानंद पाठक जू नंद नैगुवां........
पाठक जी के पटल पै सावनी के 5 बोरा मिले।जिनमें पैले बोरा में लय टूटबौ मिलो सो सुदार करबे की जरूरत पाई गयी ।आगे सबरंगी सावनी की दिखनी,चिक्क बाबा के दरशन,सावनी बारन कौ भीजबौ,सावनी सें दूनी पठौनी कौ बरनन करो।आपने पाछे के 4 चार दोहन में सब मन भर दव।
भाषा की कुशलता भाव के दरशन,शिल्प शैली की क्षमता पाई गयी ।आपका बेर बेर बंदन।
#12# श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर......
आपके 6डिब्बा सावनी के कुड़ेरे गय जिनमें बक्सा में खिलौनन की भरमार, खिलौनन कौ बरनन,बरपक्ष कौ सावनी ल्याबौ,
खड़पुरी और लड़ुवन सें भरी सावनी,बेटी बारन की सावनी देख कैं खुशी,और सावनी की पठौनी कौ बरनन करौ गव।
आप भाषा भाव के चमत्कारी और शिल्प शैली के जादूगर हैं।
आपका बेर बेर अभिनंदन।
#13#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़......
आपके सावनी के 5 डिब्बन में,बड़े बक्सा की सावनी,पैलौं पैल की सावनी के खेल खिलौनन की भरमार, पंसावनी बारन के सत्कार,गाँव वारन कौ सावनी देखवौ,और अधिक पठौनी दैबै की सलाह दैबौ,पैलाँ की सावनी सपनन की बात हो गयी आदि कौ बरनन करौ गव।
आपकी भषा भाव के चमत्कार शिल्प शैली की सुन्दरता उकेरते हैं।आपका बंदन अभिनंदन।
#14# डा. सुशील शर्मा जी ......
3आपके डिब्बा सावनी में ●भैया की सावनी सें बैंन की खुशी,बाबुल की सावनी की उमंग,को्रोना सें सावनी और राखी पै संकट कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा तरंगित भाव की हिलोर देकर शिल्प शैली के अनुपम दरशन कराते हैं।
आपका सादर बंदन।
#15# श्री संजय श्रीवास्तव मवयी हाल दिल्ली.......
आपने 2 बोरा सावनी पटल पै दिखाई जी में,संदुकिया भर सावनी और सावन भर बरसात कौ बरनन करो गव।दूसरे बोरा में सावनी के अनुपम सामान के दरशन कराय गय।
आपकी भाषा शैली का कमाँ अपने आप भाश और शैली की सुन्दरता ल्या देत। आप अद्भुत कला के धनी है।
आपको बारंबार प्रणाम।
उपसंहार.......
आज सभी रचनाकारों ने कमाल की सावनी का दरशन कराया ।
अगर धोके से किसी विद्वान जन की रचना पर नजर न पड़ने से समीक्षा से छूटा हो तो अपना समझ कर क्षमा करबे की किरपा करबौ होय।सबखों फिर सें राम राम।
समीक्षा कार.....
आपका आपना...
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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254-डां.रेणु श्रीवास्तव,भो.-हिंदी-भुजलिया-24-8-21
माँ वीणा पाणि को नमन🙏
समीक्षा दिनांक 24 8 2021
जय बुन्देली साहित्य समूह
विधा दोहा
विषय कजलियां
समीक्षक डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सभी गुणीजनों को सादर प्रणाम 🙏
आज पटल पर समीक्षा हेतु मुझे आमंत्रित किया गया है अतः मैं अपनी अल्प बुद्धि से जो बन पडेगा, समीक्षा करूंगी
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 सर्व प्रथम मंच पर आदरणीय जयहिन्द सिंह जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने अपने दोहों में विभिन्न विषयों पर लेखनी चलाई। है कहीं नायिका के नखशिख का वर्णन है तो कहीं आल्हा ऊदल एवं कजलियों की तिथि का आप की भाषा लालित्यपूर्ण और शैली मनोरंजन से पूर्ण र्है लेखनी को नमन वंदन
2 दूसरे नम्बर पर आदरणीय एस आर सरलजी ने प्रस्तुति दी आप सफल रचनाकर हैं आप के दोहे अपने आप में विशिष्टता लिए हुए होते हैं आप लिखते हैं कि कजलियां सावन का उत्सव है तथा बुन्देलखण्ड का बड़ा पर्व है भादों के आगमन का संकेत देती हुई भाषा मधुर तथा अभिधा शब्द शक्ति का प्रयोग किया है आदरणीय आपको सादर नमन वंदन
3 तीसरे नंबर पर श्री शोभाराम दांगी जी ने अपनी प्रस्तुति दी है आपके दोहों में विभिन्न विषयों का समावेश है आपके दोहों में कजलियों के उद्भव कासुंदर सृजन हैतथा वे क्षेत्र जहां कजलियों का त्योहार मनाया जाता है वर्णित किये गये हैं भाषा में ज्ञानयुक्त और शैली रोचक है बहुत बहुत बधाई
4 चौथे नम्बर आदरणीय भाईसाहब श्री प्रदीप कुमार खरे जी दोहों का सृजन कर रहे हैं आप जाने माने पत्रकार रचनाकर एवं लोक गीत गायक हैं आपने अपने दोहों में कजलियों के मनाने का कारण एवं लाभ का संदेश दिया है आपकी भाषा परिमार्जित एवं शब्द चुने हुए हैं उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक बधाई
5 पांचवें स्थान पर आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी रहे जिन्होंने अपने दोहों से पटल को सजाया है कजलियों में सजी संवरी नायिका इसके गीत तथा चंद्रावतीकी यश गाथा से परिचित कराया है आपकी भाषा सरल एवं सरस है बहुत बहुत बधाई
6 छठवें नम्बर पर पटल के एडमिन श्री राजीव राना जी ने कजलियों का महत्व बतलाते हुए मन में उल्लास की बात कही है
आपकी भाषा मृदुल स्निग्ध है आपको श्रेष्ठ लेखन हेतु हार्दिक बधाई
7 सातवें नम्बर पर श्री कल्याण दास पोषक जी ने प्रस्तुति दी आपका परिचय क्या दूं आप बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध कवियों में से हैं
आपने विशिष्ट बात कही है कि कजलियों को बोना उनका रख रखाव करना और महत्व पर प्रकाश डाला है सुंदर प्रस्तुति हेतु
बहुत बहुत बधाई
8 आठवें नम्बर पर आदरणीय भाईसाहब श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने दोहों में चंद्रा वती का वर्णन कर उनकी वीरता पर प्रकाश डालते हुए नायिका का वास्तविक वर्णन तथा पर्व को बुन्देली गौरव का प्रतीक माना है अलंकारिकभाषा में माधुर्य है और शैली लालित्यपूर्ण है आपको नमन वंदन
9 नौवें क्रम में श्री राम लाल द्विवेदी आपने आल्हा ऊदल का जिक्र करते हुए कहा कि नागपंचमी को कजलियां बो कर फिर भाद्रपद में खोंटी जाती हैं भाषा सरल और धाराप्रवाह है सुंदर सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई
10 दसवें नम्बर पर श्री रामानन्द पाठकजी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने कजलियों का वर्णन किया है मेले के साथ साथ सखी सहेली झूला आदि श्रेष्ठ दोहों की रचना की आपकी भाषा मंजीहुई परिष्कृत और लालित्य युक्त है आपको बहुत बहुत बधाई
11मैं डॉ रेणु श्रीवास्तव ने भीदोहों कीरचना की विभिन्न विषयों पर लिखा है समीक्षा विद्वत जन करेंगे 🙏
उपसंहार इस प्रकार आज एक से बढकर एक दोहे कजलियों पर सभी मनीषियों ने प्रेषित किए मैंने सभी की समीक्षा की यदि भूलवश कोई छूट गया हो तो माफी चाहती हूँ सभी को शुभ रात्रि।🙏
-डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
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*255वीं समीक्षा दिनांक-25-8-2021*
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
🦚बुधवार 🦚
बुन्देली स्वतंत्र पद्य समीक्षा
25/8/2022
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
🍇🍇🍇🍇🍇🍇
👏वंदना 👏
सरस्वती जी माता
✒️✒️✒️✒️✒️✒️
मइया जय हो बीणा बारी
बिनती सुनो हमारी
भूल चूक जो मोरी हौबे
करियो शब्द समारी
करो समीक्षा बुन्देली की
हो न जाये उघारी
बार बार जा बिनय दास की
भाऊ की लचारी,,,,
🧜🏻♂️🧜🏻♂️🧜🏻♂️🧜🏻♂️🧜🏻♂️🧜🏻♂️
*1-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ',लखौरा*
हमने लिखो के सन्सी हथोरा निहाई जे तीन ओजार में सबसे पैला कौन बनाव हुइये इन औजार से संसार को सबाई काम में आ रये है इन बिना कोनउ काम नई होत है,,,,,,
🫐🫐🫐🫐🫐🫐
*2--श्री रामानन्द पाठक नन्द जू*
आ•पाठक जू अपन अपनी चौकडिया में लिखा रये है रावण खो मन्दोदरी समझा रई है स्वमी तुम कोनउ दंद नई करो पर रावण मन्दोदरी को समझाउत है महा रानी तुम घबडाओ नहीं बहुत बढ़िया है आपनी चौकडिया की कहन में लिखन कछु अन्तर आ रव जू बार बार नमन आपको 🙏🙏
👍👍👍👍👍👍
*3-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू टीकमगढ़*
आ•मंजुल जू अपन ने भौतई नौनो गीत लिखों हैं जू
काये खो जियरा जला रये काये खो नखरे दिखा रये -घर को काम सब धीरो धीरो करत हो लरका बिटिया भूके फिर रये दिन लो पानी भर रई हो तुमाव काम देख के हमाव जी जर रव है भौत बटिया आल सन घरबाई को भौतई नौनी सीख दई अपन ने जू सादर नमन आपका 🙏🙏
🔱🔱🔱🔱🔱🔱
*4-श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्हीं टेहरी टीकमगढ़*
आ•यादव जू ने भौतई बढ़िया दो चौकडिया में लिखों हैं ई साल बरसा नौनी नई बरस रई हैं दसान काटन कयान की अबै अच्छी धार नई कड़ी है कछारे सूकी परी है जू बादर आऊत और फुर फुर सी पर जात है बादर कड़ जात अबाई से किसानी को सोस सबई खो पर गव जू आपकी कलम को बारम्बार नमन सादर राधे राधे पहुंचे जू🙏🙏
🍦🍦🍦🍦🍦🍦
*5-श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
म,प्र,लेखक संघ जिला अध्यक्ष टीकमगढ़
आ•भाई साव जू अपन ने तीन हाइकु लिखें है जू अपन उपर बारे अपनी आँखें मीच के नीचे बारन को तमासो देख रये कंजूसी की अलफतिया खा जात है जू भौतई बढ़िया हाइकु लिखें है जू आप की कलम को सादर नमन हार्दिक स्वागत 🙏🙏
✒️✒️✒️✒️✒️✒️
*6-श्री अशोक पटसारिया नादान लिधौरा ,टीकमगढ़ म प्र*
आ•पटसारिया महराज नादान जू अपन ने पटल पै लिखबै खो देर कररये ते हमें लगो अपन आज नाराज से लगे अपन अबै कैरये तबियत खराब है ईश्वर से हम बिनती करत के इनकी तबीयत ठीक हो जाये पटल के अपन ही सिर मोर हो अपन पटल पै सोने जैसे सुहाग हो अपनी लेखनी को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत जू 🙏🙏
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*7-डाँ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल*
आ•श्रीवास्तव जी अपनने मर्द का बिरह गीत बहुत बढ़िया बखान करों जू अपन लिख रई है मायके मोड़ी मोड़न की मताई चली गई बिचारों पति पत्नी बिगर परेशान हैं काम दन्द नई हो सपने में भीतर बाई दिखा अपन ने भौतई नौनो बिरह बोल बखान करें जू अपन खो सादर प्रणाम 🙏🙏
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*8-श्री कल्याण दास साहु पोषक जू पृथ्वीपुर (निवाडी)*
आ•पोषक जू अपन कितनी नौनी बुन्देली गजल लिखी हैं बै सूदे हेरत नइयाॅ अच्छाई खो घेरत नइंया नौनो बरताव नई करत असली बात झाटत नई या ग्यानी ध्यानी संत पुरूषों को मानत कोऊ नई या कलजुग की बढ़िया गजल लिखी हैं जू अपन को सादर स्वागत है हार्दिक वंदन 🙏🙏
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*9-श्री एस आर सरल जी,टीकमगढ़ (म प्र)*
आ•भाई सरल जू अपन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गजल लिखी हैं हम अनगइया जानत नइयाॅ
बिना लिखे हम मानत नइयाॅ हम लो दोदा पट्टी नई चलत भौतई बढ़िया बढ़िया बुन्देली गजल में भौत कछु अच्छो लिखों है जू अपन हार्दिक स्वागत है 🙏🙏
🍫🍫🍫🍫🍫🍫
*10-श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जू टीकमगढ़ म प्र*
आ•दादा पीयूष जू अपन ने भोतई नौनो पावस गीत लिखों हैं जू मेह नेह बरसायें भौत बढ़िया बिरह गीत है पक्षियों के धुन सुन के मन मतवारो हो रव है रिमझिम रंग रस की फुहारे परन लगें हैं बादल उमड़ घुमड़ रये है जू भौतई बढ़िया मन मोहक गीत लिखों हैं जू का तक बखान करे जू अपन की कलम को बारम्बार नमन कोटि कोटि वंदन अभिनंदन 🙏🙏
🌲🌲🌲🌲🌲🌲
*11-श्री राम विहारी सक्सेना राम जू खरगापुर*
आ•राम जू अपन ने भोतई नौनो सवैया लिखों हैं जू जिसमे श्री कृष्ण लीला का मन मोहक बखान करों जू लाल सलौनो दाऊ के भैया आगन हरि लीला कररये है जू किलकत आगन में खेल रयरये है भौतई नौनो बखान करोंजू अपन का तक बरनन करों जायें जू आपकी कलम को बारम्बार नमन कोटि कोटि नमन 🙏🙏
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*12-श्री शोभाराम दाँगी जू नंदनवारा( टीकमगढ़)*
आ•दाँगी जू अपन ने भोतई नौनो देश भक्ति गीत लिखों हैं जू सीमा पै जुवान डढे है अपने प्रान गदिया पै धरें है जू देश की सेवा खो प्रानन को त्याग करें और अपने बाप मताई भैया भौजाई सबई खो त्याग कर देश सेवा में मगन सबई वीर बीरन अपनें माता की आन बान और शान पै तन मन करो निछावर सबई अपन ने भोतई नौनो गीत लिखों हैं जू आपकी कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करता 🙏🙏
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
*12-श्री शोभाराम दाँगी जू नंदनवारा जिला टीकमगढ़*
आ•दाँगी जू अपन ने भोतई नौनो देश भक्ति गीत लिखों हैं जू सीमा पै जुवान डढे है अपने प्रान गदिया पै धरें है जू देश की सेवा खो प्रानन को त्याग करें और अपने बाप मताई भैया भौजाई सबई खो त्याग कर देश सेवा में मगन सबई वीर बीरन अपनें माता की आन बान और शान पै तन मन करो निछावर सबई अपन ने भोतई नौनो गीत लिखों हैं जू आपकी कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करता 🙏🙏
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
आज पटल पर बारा साहित्यकारों के लेख आये हैं और बहुत बढ़िया चौकडिया हाइकू गीत बुन्देली गजल कविता सबई जनन ने भौतई बढ़िया नौने पचफैरा लिखें है जू जिन में बखान करबो बड़े मन मोहक अन्द की लेखनी सुन्दर नौनी बढ़िया है जू अपन सबई खो बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत है जू
✍️ *समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा*
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256-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-26-8-21
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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समीक्षक द्वारिका प्रसाद शुक्ला सरस टीकमगढ़
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दिनांक 26.08. 2021
हिन्दी स्वतंत्र पद्य लेखन
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बुंदेलखंड के बासी हम! बुंदेली हमारी बानी है!! जीवन जतन जोग जँह जीवे !
धरनी धरा होय किसानी है!!
प्रेम रस से लसी बुंदेलखंड में !
बुंदेली आलीशानी है!! हो भाव विभोर प्रेम रस घोर!
रखत अपनों बुंदेली पानी है!!
नमन ऐसे वतन को? कविवर से बसत प्रानी है!!
बुंदेली के पावन झरनावन! रचित रचना बन बुंदेली ज्ञानी है !!
आज के पटल पर काव्य मनीषियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से बुंदेली व्यंजनों की भांति रसिक शब्दों भरे व्यंजन परोसे हैं जो मिठास भरे शब्दों से ओतप्रोत है ऐसे कविरन को नमन शत शत वंदन अभिनंदन !
नंबर 1. प्रथम में श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से प्रथम में श्री गणेश कर बुंदेलखंड की आत्मीयता को उकेरा है यह मानवीय चरित्र काव्य मनीषी के अंतर उर की उठी भावना से रचित रचना से आनंदित करने की प्रेरणास्पद रचना गजल के रूप में प्रस्तुत कर भाव भरे हैं जो सुखद एवं अनुभूति प्रदान करने वाले ऐसे वरद पुत्र को नमन कर धन्यवाद देता हूं अपनी ग़ज़ल में याद भी आते नहीं शीर्षक से श्रमदान सबसे बड़ा महान फिर भी हम हौसले को मुस्कुराहट में बदलने में भी पीछे क्यों है वतन के ख्वाबों पर फिरे पानी को क्यों याद नहीं करते उलझते रिश्तो से हटकर वतन परस्त होना जीत नहीं है बहुत ही देशभक्ति भरी भावना से ओतप्रोत रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन !
दो .श्री अशोक पटसरिया नादान जुने अपनी रचना मैं शब्दों के चमत्कार से रचना में चार चांद लगाए हैं जो मन को आनंदित कर भाव विभोर कर रहे हैं शब्दों की कलात्मकता रचना में उत्साह को भर रही है ऐसे कविवर को सादर वंदन अभिनंदन उनके द्वारा रचना में नश्वर देह में धड़कते जीवन में एहसास की बुनियाद तड़पते मुकाम पर नजर डालकर देखने की लालसा जी में मचलती है बेसहारों का सहारा बनना चाहता हूं मगर कड़वे घूंट पीकर कुदरत के उसूलों पर अडिग रहना पड़ता है यही मानवीयता का लक्ष्य बहुत ही मानवीय ता से ओतप्रोत रचना में भाव भरे हैं रचना के लिए सादर बधाई वंदन अभिनंदन !
नंबर 3. श्री मनोज कुमार गोंडा जीने अपनी रचना में मुझे याद किया करो शीर्षक से इत्तेफाक से सिंगार रचना में मेरी गली से निकलती मेरी आस को मुस्कानों भरी चाह के दर्शन कराते जाना और एक नजर डाल देती जाना प्यार सपनों की याद में दूर बने मंन की पतंग को उड़ा कर सपनों को संजो रहा हूं दुनिया प्यार में हमेशा नजदीक बनी रहे मुलाकात की बात अधूरी है जिसे पूर्ण करके सुबह के सूरज की भांति दिल में बसा कर सांझ की लालिमा से सुशोभित करती जाना बहुत ही सुंदर सिंगार रचना में प्रेयसी के पावन पवित्र प्यार की देहरी को संजोया है उत्तम रचना के लिए मनोज कुमार जी को सादर बधाई हार्दिक धन्यवाद!
नंबर 4 .श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ने बुजुर्गों से विनती शीर्षक से निवृत्त संसर्गों के संसार आव्हान से बुजुर्गों का प्रतिकार किया है लेखक साहित्यकार चाहे जो हो वे समाज के कर्णधार हैं क्योंकि वे अनुभवी लंबे आयामों की धरोहर है जो अनेक मूल्यों से गुजर कर सफलता की राहों में गुण दोष के आधार पर साहस को बटोरते आए है यह अनुभव की विरासत उनके उज्जवल चरित्र का निर्माण कर भावी पीढ़ी के पथ प्रदर्शक बनकर राह पसस्त्र कर रहे हैं श्री यादव जी की रचना में समाधि उत्थान में बुजुर्गों के योगदान की श्रेष्ठता का दर्शन बखूबी शब्दों की लेखन को नमन करते हैं रचना के लिए श्री यादव जी को सादर वंदन अभिनंदन !धन्यवाद!
नंबर 5 .श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने अपनी रचना में उनकी मिलन की आस से जीवन के गुजरते सपने फूलों की महक के साथ समझने लगी है साथ में आने ही जिंदगी के सुखद पल बनकर दिन बदलने लगी है बस आस लगाए बैठा हूं तुम्हारे पलकों के साए में और तेरा साया मेरी दम निकलने तक बना रहे इसी आशा में आसमान टंगा है वाह मंजुल जी जिंदगी जीने का सही तरीका है सीख के लिए उत्तम रचना से ओतप्रोत शब्दावली को नमन कर हार्दिक वंदन अभिनंदन! बधाई!
नंबर 6. डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने गीत के कृष्ण सुमंगल गान है से भाव भरे हैं कृष्ण ही सुमंगल का सूरज और अवसान है मन मंदिर और भगवान है जीवन में बालस्वरूप अवतार है कृष्ण जीवन समर्पण सुख-दुख ब्रह्म साकार है कृष्ण रवि रूप मंद सुगंध ज्योतिर्मयी रंगम हृदयगम मानस मराल है तन मन का सुखद स्वामी नंद का लाल है अध्यात्म से ओतप्रोत मन मुग्ध की बंसी धुन कानों को पवित्रता और गीत गुंजन के भाव उकेरती है ऐसी कृष्ण मूर्ति के अंतर्मन में दर्शन का अभिलाषी आनंद को पाकर सुखद अनुभूति को पाता है बहुत ही जीवन उपयोगी सारस्वत रचना के लिए साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन !
नंबर 7 .श्री संजय श्रीवास्तव जी कविता छोटी पर बात बड़ी है शिक्षक से मन के उदगारों को उकेरा है बुलबुल पाली थी आंगन में लेकिन वह भी आशाओं पर खरा नहीं उतरी उड़ गई तोता कबूतर भी घर में टिक ना पाए आशा रूपी वृक्ष लगाकर फल चखना चाहा शुद्ध हवा शीतल छाया पाने की लालसा से आनंद वर्षा का फल प्राप्त हुआ और फिर हुआ है आशा जो निराशा की ओर जा रही थी बुलबुल के रूप में तोता कबूतर वह भी लेकर उस पेड़ की छांव में लौटते नजर आने लगे आज के आंगन में ऐसी बुलबुल लौटना संभव ही नहीं नामुमकिन प्रतीत हो रही है लेकिन आशा से आसमान टंगा है तब हमें भी आशा नहीं छोड़ना है उत्तम रचना में कम शब्दों में घर आंगन भरी सीख श्री संजय जी उत्तमता को उत्तम रचना के लिए साधुवाद लेखनी को नमन यह रचना बहुआयामी चेतावनी भरी है सादर वंदन अभिनंदन!
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नंबर 8. श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने अपनी रचना में हाइकु के माध्यम से सुबह की लालिमा कर्तव्य निर्वहन के सपनों को संजोने की अंधेरे मन की छाया दूर करने सूर्य किरण बनकर उजले पथ की ओर अग्रसर होना ही चूल्हे की आग और बुझी पेट की प्यास चिड़ियों का सुन गान लगा मन और ध्यान सुबह के सूरज की आन जो मन के अंधेरे को उजाले से भड़के छल कपट के अंधेरे को काटता है और मानव मन को उज्जवल प्रकाश देकर इंसान बनाता है वाह सुंदर रचना हाइकु के लिए जो भाव उकरेे हैं सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद !
नंबर 9 .श्री शोभाराम दांगी जी ने ग़ज़ल में अपने शब्दों को रोककर संबंध श्रम वृंद आनंद की ओर निहारा है झोपड़ी में बरसती आग फिर भी चूल्हा नहीं जलता पेट की आग नफरतों के साए में जलाने को तत्पर है बेटी को घर से निकलने की परेशानी जीवंत भेड़िए जिंदगी में आग लगा रहे हैं गुजर-बसर की किल्लत से आम आदमी जूझ रहा है हकीकत बयां करके दांगी जी ने चेतावनी भरे शब्दों में उत्तम भावों से भरी गजल का मजबून पेश किया है जो उनकी उत्कृष्टता को प्रदर्शित कर रहा है हे मानव मन धन्यवाद के पात्र होकर साधुवाद के पात्र हैं बधाई वंदन अभिनंदन!
नंबर 10. डी.पी .शुक्ला सरस,, ने ग़ज़ल में शिकवे गिले शीर्षक से प्यार की दहलीज पर भी सिकवे गिले क्यों हैं ऐहसास मन में बिखरते आये हम गले से लगा कर मानवता का करते हनन क्यों चंद सांसे जो जिंदगी के लिए कम है मिलन की प्यार भरी राह मिले ना मिले यह मुमकिन नहीं प्यार भरे फूल महका कर जिंदगी के अमन को सफल रिश्तो की डोर बांधकर बना लो और विश्वास के पलों को संजोकर शिकवे गिले भुलाकर जीवन रूपी देहिया को सार्थकता प्रदान कर लो यही जीवन का अंतिम सार है समीक्षार्थ धन्यवाद
नंबर 11 .श्री अभिनंदन कुमार गोयल जी ने अपनी शृंगार रचना में राधा को सखियां घेरे हैं और उनका मनमोहक श्रृंगार कर रही हैं प्रीत कमल के सर से निर्मित अंगराग अंग से महके संध्या की सागर वेला में श्यामल केस लहराती लटें सखियों के द्वारा मणि मुक्ता लड़ियों के संग हाथों में मणि कंकड़ दमक रहे रत्न जट्ट भुज बंद बंधे है कंठ गले फूलों के हार पैरों में मणियों के ऊपर आए मनमोहन पूर्ण सिगार संग चलकर देखे राधा का सिंगार बहुत ही उत्तम सिंगार रचना श्री गोयल जी ने शब्दों को पि्रोकर की है मनमोहक ता भरीअध्यात्म रचना में गदगद होकर आत्म चिंतन की ओर मन को लगाया है जो आत्मशांति की प्रेरणा देकर सीख मयी रचना के लिए श्री गोयल जी को सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद !
नंबर 12 .श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदू जी ने अपनी कुंडलिया के माध्यम से बरसे सावन में नहीं भादो गए उदास खेत क्यारी कुआं रही अधूरे प्यासे सावन को देख कर के मन में कुंडलिया लेखन के लिए शब्दों के बदतर हुए हाल को इंदु जी ने उकेरा है जिससे फसल और जीव जंतु प्यासी झूम रहे हैं और वर्षा मेघ पानी लेकर तरसा रहे हैं कहीं-कहीं अति वर्षा और कहीं सूखा जैसा दिखाई दे रहा है बहुत ही वास्तविकता लिए कुंडलिया के लिए श्री इंदु जी को हार्दिक धन्यवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 13 .डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने अपने पहाड़ शीर्षक से रचना में भाव भरे है कि मैं पहाड़ हो करके भी पछता रहा हूं जो मानव को सब कुछ दे करके दी बे मेरी जड़ों की खुदाई कर रहे हैं जबकि मैं हरियाली और वर्षा को मैं ही लाता हूं इसीलिए मुझे पछतावा हो रहा है और मैं मानव की रक्षा का मुकुट हिमालय बनकर इस धरा पर खड़ा हुआ हूं मेरा सीना चीर कर जल्दी कर रहे हैं मैं ही वर्षा के बादल को लाता हूं लेकिन यह मानव मुझे ही हानि पहुंचा रहा है इस मानव ने इंसानियत खो दी है जो जिसका भला चाह रहा है उसके ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने को हतप्रभ है बहुत ही सुंदर सीख भरी चेतावनी देकर रेनू जी ने अपनी रचना के माध्यम से सीख दी है जो बहुत ही उत्तम और सारगर्भित है बे हार्दिक बधाई की पात्र हैं वंदन अभिनंदन !
नंबर 14. श्री किशन तिवारी जी ने अपने रचना के माध्यम से सोची हुई बात को कह नहीं पा रहा हूं क्योंकि गलत बात पर गुस्सा मुझे आ जाता है अरमानों के जज्बात गुम हो गए हैं लेकिन फिर भी मदद के लिए कोई नहीं आता और मेरा यह शैतानी चेहरा उसको नजर आ रहा है और मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अपने को बहुत पीछे छोड़ करके आ गया हूं जहां पर कोई भी मेरी मदद करने के लायक नहीं रहा है बहुत ही सीख भरी रचना के लिए श्री तिवारी जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक धन्यवाद!
नंबर 15 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपने पहनावे पर पश्चाताप किया है और घटती मर्यादा कलुषित भावो पर पहनावे पर रोष व्यक्त किया है तथा रचना में अपनी इस फ़ूहड़ता का समावेश कर सद्भाव को नदियां पहाड़ भीड़ भाड़ ने धूमिल कर दिया है पावन देवालय इस प्रभाव के शिकार हो गए हैं और शिक्षा अपने पद से हटकर अमानवीयता मानवी वातावरण को समेटे जा रही है ऐसी स्थिति में बिगड़ती स्थिति का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करके कम शब्दों में रचना को उत्साह प्रदान करने वाले श्रीपोषक जी को सादर नमन वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 16 . श्री पी .डी. श्रीवास्तव जीने अपनी हाइकु में वर्षा मौसम में मदान घोड़े को ताने हुए दिखाई देती है और मैंरे घर आते ही पुरवइया चलने लगती है और मोर नाचने लगते हैं पपीहा साजन की याद में गाने लगते है और जल बरसते ही जी भर जीव खुश होने लगते हैं मेंढ़क ले बारात कोलाहल मचाने लगते हैं और घर जाने के बाद भी वर्षा का ना होना दिल में उमस बढ़ाता है जिससे मानव मन व्यथित होकर आस लगाए बैठा है ऐसी दिखाई दे रही स्थिति को श्री पीयूष जी ने रचना के माध्यम से हाइकु में उकेरा है बे धन्यवाद के पात्र हैं और मैं उन्हें हार्दिक वंदन अभिनंदन करता हूँ!
नंबर 17 .शिव श्री हरी राम तिवारी जी ने जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य दिवस पर कविता छंद में वर्णन किया है रचना में पुण्य भूमि भारत में धर्म स्थापन हेतु मनुज रूप में पधार कर रोहिणी नक्षत्र में प्रकट होकर जबकि रखवारी बने और नंद बाबा के घर लीला करके पापी और असुरों का संहार किया जो जबकि नैनो के तारे बनकर जन-जन के हित कंठ में आज विराजे हैं उन्हें नमन करता हूं ऐसी अध्यात्म भरी रचना के लिए श्री तिवारी जी को वंदन अभिनंदन और प्राकट्य दिवस के लिए सादर धन्यवाद !
नंबर 18 .श्री एस.आर. सरल जी द्वारा हाइकु में शाम होते ही लेखनी चली और पटल पर साथ देने के लिए सीखने की तमन्ना से मन में जागी उत्कंठा को मन के भावों में पिरो कर हाइकु के रूप में उपस्थित हुए जिसे मन की व्यथा को समझ कर रचना के रूप में प्रस्तुति की है उनकी कार्यप्रणाली एवं बुद्धिमता का परिचय हाइकु के लेखन से हुआ है वे धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई !
नंबर19 .श्री राजेश कुमार जी के द्वारा भारत माता के शीर्षक से जन्म देने वाली माता और धरती माता जो पालनहार है एक सरस्वती माता जो ज्ञान दाता है एक दुर्गा माता जो शक्ति दाता है और एक लक्ष्मी माता जो धंन की पूर्ति करती है ऐसी मां और जो जन्म दात्री मां है जो पालनहार धरती मां भी है जो ज्ञान दायिनी सरस्वती जी है और धन की देवी लक्ष्मी जिसमें सारा जनहित समाया हुआ है वहीं भारत माता हमारे हृदय में आकर बास करो जिससे हिद प्रसन्न एवं जीवन दाई भजन जीवन जीने के लिए प्राप्त हो सके ऐसी प्रार्थना कर श्री राजेश कुमार गुप्तजी ने अपनी रचना में विस्तृत विचार किए हैं वे धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई !
नंबर 20 .श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी ने अपनी रचना में राम काज के त्यागी नेता के शीर्षक से पार्टी ने पीयूष पीकर ज'हर कल्याण सिंह जी ने पिया उन्हें राम के नाम पर ठगी के नाम का जूस पी गए ऐसे श्री कल्याण सिंह जी ने साहस दिखला कर श्री राम के हित में अपना दाव लगाकर शिव शंकर की सत्यता को उजागर किया राम काज में हनुमान बनकर सारा जहर शिव वन कर पी लिया ऐसे श्री प्राणेश जी ने कल्याण सिंह जी की महत्वता का परिचय दिया है बे बधाई के पात्र हैं सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन!
समीक्षक-श्री डीपी शुक्ला, टीकमगढ़
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*पटल की257वीं समीक्षा दिनांक-27-8-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सभी साथियों ने शानदार विचार, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन में अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन खौं बधाई देत भये अपन एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै *1* *श्री मनोज कुमार जी, गोढ़ा* ने अपने विचार लिखे। मां से बढ़कर कोई नहीं होता। मां की सेवा करने वालों को कभी परेशानी नहीं होता। आपने कहा कि मां की सेवा करने से बढ़ी कोई पूजा नहीं। मां को आश्रम में भेजकर मंदिर में भगवान खोजते हैं लोग। आपके विचार प्रशंसनीय है।बधाइयां
*2* *डां सुशील शर्मा जी* ने लघु कहानी के माध्यम से सफलता के वर्तमान स्थिति पर सुंदर ढंग से प्रकाश डाला। आपने संस्कृति और संस्कारों में आ रही गिरावट पर चिंता जताई। देश के हालातों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। स्वागत योग्य विचार। बधाई
*3* *श्री प्रदीप खरे,मंजुल* जी कहते है कि कथनी और करनी में भिन्नता बहुत बढ़ी खामी है। युवाओं की दिशा और दशा में सुधार पर जोर दिया है। शस्त्र और शास्त्र शिक्षा को आवश्यक बताते हुए उन्होंने सरकार का ध्यान भी अपेक्षित किया है। संस्कार और सभ्यता में सुधार की जरुरत है। प्रशंगवश में प्रशंग सराहनीय है। बधाई ।
*4* *श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी* ने रोचक व्यंग्य लिखा। वर्तमान परिवेश पर प्रहार करते हुए राजनीति, शिक्षा और व्यवस्था में सुधार की ओर संकेत दिया। व्यंग्य सटीक और समर्थ है। बधाई हो।
*5*श्री गुलाब सिंह यादव, भाऊजी* ने किसा सुनाई। नौनी लगी। तरक्की के पाछें हाथ तौ घर की लक्ष्मी कौ होतयी है। किसा की रोचकता अंत तक बनी रयी। हास्य की पुट लगाई।रोचक किसा सुनावे के लानें बधाइयां
*6* *श्री अवधेश तिवारी छिंदवाड़ा* ने मैं और मेरा ईश्वर शीर्षक सें आलेख लिखो, नौनौ लगो। संगत कौ असर और प्रभाव को सुंदर बखान करो । नौनी संगत आगे बढ़ा देत, तौ खराब संगत सब चौपट कर देत। बधाई हो
*7 श्री गोकुल प्रसाद यादव जी* ने कहानी -रोज़गार में कैसे चालाकी से पैसा कमाया जाता है यह बताया है।
बधाई हो
*8* *श्री हरिराम जी तिवारी* ने ब्रम्हा जी की बेटियों की कहानी सुनायी कि कौन सुंदर है। बढ़िया प्रसंग है। बधाई ।
*9*श्री शोभाराम दांगी जी* ने भला करने से भला होता है प्रेरणादायक कहानी लिखी है बधाई। अच्छाई का फल हमेशा अच्छा ही मिलता है। बधाई।
*10*श्री रामलाल द्विवेदी जी प्राणेश ने *सगो की दगा* कहानी लिखी है अंत समय में कोई काम नहीं आता है बढ़िया सीख दी है। बधाई।
इस प्रकार से आज पटल पै *केवल 10* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत बढ़िया लगी, सभी साहित्यकारों को बधाईयां। समीक्षा में कमी रै गई होय सो अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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258-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-नंद,30-8-2021
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक30.08.21#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द#बिषय....नंद#
आज का समयानुकूल बिषय नंद जन्माष्टमी के कारण आया।सबके मन भाया।पचलकित भयी काया सो आनंद आया।मां भारती को नमन कृ आप सभी का अभिवादन आज हमें कहीं नहीं जाना,क्योकि नंदलाल तो अपने घर आ रहे हैं।उनको प्रसाद आपने पटल पर चढ़ाया जिसे हम सब स्वाद लेते हैं।
#1#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ......
आपके 5 प्रसादों मेंनंद की खुशी नंद घर भीड़,नंद गाँव में मिठाई की धूम,मटकी धारण,एवम् माँ यशोदा का प्रेम बरनन करो गव।
भाषा संतुलन ठीक रहा।
#2#+श्री अशोक पटसारिया नादान जी लिधौरा......
आपके6 प्रसादों मेंनंदलाल जन्म,कंबंदनवार तोरण सजावट,बृज खुशी बधाइयां,
नंद का आनंद,चार उपमाएं, बरनन करीं गयीं हैं। भाषा अवयवों का प्रभाव सराहनीय रहा।
#3#सुसंस्कृति सिह कृति सिंह भोपाल.......
आपने प्रसाद अलग ही रखा जिसमें दोहे की जगह बधाई पेश की गयी है।अगर पटल के नियम का पालन होता तो बहिन का लेखन महानतम लगता।भाषा अनबंध ठीक हैं सादर नमन।
#4#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा..........
आपके 5 कटोरी प्रसाद में नंद की खुशी नटनागर बरनन,माखन बितरण,नंदकिशोर का दान,नंद जू की निरखन का बरनन है।
भाषाशिल्प मधुरता लिये है आपको जय राधे2की।
#5#श्री रामानंद पाठक जी नंद नैगुवा.......
आपके 5 अदद प्रसादों में नंदलाल के शिव द्वारा दर्शन,नंद के आनंद काज,नंदखुशी का दान,कृष्ण झूला दर्शन,गाय दूध दही के भंडारन कौ बरनन करो गव।भाषायी अवयव अच्छे लगे।आपको जय श्री कृष्णा।
#6#श्री गुलाब सिंह यादव जी
भाऊ लखौरा.....
आपके पंच रत्न प्रसाद मेंचौथी कटोरी में सुधार की जरूरत है।
बासुदेव द्वारा कृष्ण का नंद घर लाना,जमुना में बासुदेव की घवराहट,पंकृष्ण का नंद के घर पहुचना,पूतना का आना,कृष्ण लीला बरनन करी गंई।भाषाअनुबंध ठीक हैं।जय राधे 2
#7#श्रीएस.आर.सरल जी.......
आपके 5 तस्तरीं प्रसाद में नंद के घर आनंद ,श्याम का मुस्काना, कंश की अबेरा,नंदगाँव की खुशी,नर नारी नंदलाल का नाँच,नंद भवन बरनन करो।
भाषा के तत्वों पर सहज सरल,
छाप मधुरता की पुट मिलती है।
आपको जय बल्दाऊ की।
#8#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
.....आपके पंच फलाहारों में मथुरा में कृष्ण जन्म,नंद जशोदा के यश बरनन,बसुदेव को समर्थन,नंद कौ त्याग, हर माता द्वारा प्रथक 2काम करबे कौ बरनन करो गव। भाषा बगिया की गंध उचित प्रतीत हो रही है।आपखों जय बलराम जी।
#9#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल......।
आपके 4 प्लेट प्रसाद मेंछलिया का जन्म पालन,कृष्ण की जन्म तिथि,माखन लीला,चितचोर द्वारा काजों की सफलता,आदि का बरनन करो गव।आपकी भाषायी अवयवों की दुरुस्ती से लेखन परिपूर्ण है।आपका सादर बंदन।
#10#जयहिन्द सिंहैँ जयहिन्द पलेरा........
मेरे 5कटोरे प्रसाद प्राप्त हुआ,जिसमें घनश्याम के जन्म से काले घन उमड़ना,ग्वाल ग्वालिनों की गोकुल परिक्रमा, कृष्ण से जशोदा को आनंद,ननद के साथ भाभी का नंद भवन जाना,ंगोकुल की धूरा का गुलाल बनना आदि का बरनन किया है।
भाषा केवन्दों की समीक्षा आप सब करें।आप सभी को जय गोपाल की।
#11#श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ........।
आपके दो कटोरी प्रसाद में नंद का आनंद,ंनंद के माखन चोर का बरनन करो।भाषायी सजावट के सभी अंगों की सुरक्षा का भाव रखते हैं।सादर नमस्कार।
#12#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर,,,,,,,,,
आपके 5 थाली प्रसाद पेश किया,जिसमें अत्याचार पर अवतार,देवकी को स्वप्न,बसुदेव का नंद घर आधी रात आना,नंद घर मंगलगान,और नंद के भाग्य कौ बरनन करो गव।भाषायी कारकन के प्रयोग सें भौत खुशी भयी.।आपको जय राधे की।
#13#श्री शील चंद जैन शास्त्री महोदय.....
आपके5कटोरी प्रसाद में रास बधाये बजना,कंस का अत्याचार, शेष अवतार,नंद के आनंद का बरनन किया है।भाषायी तत्वों का समावेश ठीक है।आपको जय नंदलाल की।
#14# श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इन्दु बड़ागाँव झाँसी..........
आपके 3 कटोरी प्रसाद में बाँसुरी का कमाल,साँवरे का दिव्य रूप,यमुनातीर लीला,नं के आनंद का सटीक बरनन करो गव।भाषायी घटकों का निर्वाह बखूबी किया गया।आपको जय जय राधेकी।
#15#श्री राम बिहारी सक्सेंना जी खरगापुर.........
आपने अपना प्रसाद बदल कें डारो,आपने दोहा की जगह सवैया छंद प्रसाद भेजा है,यह पटल के नियमानुसार नहीं है पर नंद काल का छंद होने से सटीक बन पड़ा है।जिसमें दाऊ के भाई कृष्ण को अनेक उपमाओं से सजा कर पेश करो है।आपके भाषाई तेवर सटीक हैं आपको जय राधे रमन की।
#16#पं. श्री हरी राम तिवारी जी हरि खरगापुर.........
आपने अपने 5 तस्तरीं प्रसाद में जेल में कन्हैयालाल का जन्म पर पालन गोकुल में,देवकीनन्दन का यशोदा नंदन में परिवर्तन, नंद द्वारा पुत्र के कयी नामकरण,लीलानुसार नामों का बखान,नाम की महिमा का बखूबी बरनन करो गव। भाषायी घटकों का समावेश करने में आप सिद्धहस्त हैं।आपको जय यशुदा नंदन की।
#17#पं. श्री डी.पी. शुक्ला जी टीकमगढ...........
आपके 5 प्रसाद से भरे टोकरों में पहले के अंत में दीर्घ मात्रा का प्रयोग किया गया है।जो मेरी समझ से दोहा में नहीं होना चाहिए।बाँकी में कुँज गली,नंद उत्सव,द्वारका गमन पर नंद की बेहाली, नंदगाँव और कुंजन की प्रशंसा भावनापूर्ण करी गयी।
भाषायी अवयवों का प्रयोग करने की कोशिश सफल है।
आपको जय राधे गोविन्द की।
#18#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवई हाल दिल्ली..........
आपके पाँच कटोरे प्रसाद में कृष्ण के कयी नाम बर्णन, रासलीला बखान,मुरली की आशक्ति, गीतासार कौ बखूबी बरनन करो गव। आपके भाषायी कौशलों का निर्वाह चतुराई सें करो गव।आपको जय राधा माधव की।
#19#श्री अरविन्द कुमार श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपके 3 कटोरी प्रसाद मेंनंद की परिभाषा, नंद की राष्द्र भक्ति,जशोदाजी द्वारा कृष्ण का पालन पोषण अपने पुत्र जैसा करना,आदि कौ बखूबी बरनन करो गव।भाषा के सभी कल पुर्जन कौ भलौ संयोजन करौ गव। आपखों जय राधा रमन की।
#20#श्री अमर सिंह राय साहब जी नौगाँव.......
आपके द्वारा पटल पर प्रेषित 4 कटोरी प्रसाद में बाबा नंद के पिता का बरनन,नंद को बासुदेव के तात का चचेरा भाई बताया गया,बलराम और कृष्ण का माँ जशोदा द्वारा समान पालन ,बरसाने और नंदगाँव के स्वामित्व की दुर्लभ जानकारी का प्रादुर्भाव आपके द्वारा किया गया।
आपके भाषायी अनुबन्धों का जबाब नहीं।जय राधा बल्लभ की।
#21#पं. श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी चित्रकूट धाम......
आपके द्वारा पटल पर प्रस्तुत 4 कटोरी प्रसाद में कृष्ण जन्म के समय नंद भवन में बहुओं के साथ नंद का आशीर्वाद देंना,कृष्ण जन्म पर दान,कृष्ण की मुरली कौ सटीक बरनन करो गव।भाषा के सभी उपकरणों का रचना में समावेश दिखानौ।आपखों जय श्री श्याम।
उपसंहार......
आज सबने कमाल कौ रचना समावेश राखौ,अगर कोऊ मनीषी धोखे सें छूट गव होय तौ अपनौ जान कें छमा करें।भैया सरस दोह की अपील पै सबयी जनें गौर करियौ ताकि एक प्रतिभा बिलीन न हो पाबै।
बिजली बारन ने आधी रात के बाद बिजली दैकें अपनें मन कौ करो।हमने भी 10 pm तक की रचनायें समीक्षा में शामिल करीं।सो हमने भी अपने मन की कर लयी।समीक्षा पूरी भयी।सबखों फिर राधे राधे।।।
समीक्षाकार.......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ
मो.6260886596
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259-डां.रेणु श्रीवास्तव,भोपाल-हिंदी-खेल-31-8-2021
माँ वीणा पाणि को नमन🙏
समीक्षा दिनांक 31 8 2021
जय बुन्देली साहित्य समूह
विधा दोहा
विषय खेल
समीक्षक डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सभी गुणीजनों को सादर प्रणाम 🙏
आज पटल पर समीक्षा हेतु मुझे आमंत्रित किया गया है अतः मैं अपनी अल्प बुद्धि से जो बन पडेगा, समीक्षा करूंगी
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1 सर्व प्रथम मंच पर आदरणीय अशोक पटसारिया जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने अपने दोहों में विभिन्न विषयों पर लेखनी चलाई। है आपने खेल को जाति लिंग से अलग मान कर खेल में बलिदान की भावना तथा मदारी के खेल का वर्णन किया है आप की भाषा लालित्यपूर्ण और शैली मनोरंजन से पूर्ण र्है लेखनी को नमन वंदन
2 दूसरे नम्बर पर आदरणीय प्रदीप कुमार मंजुल जी ने प्रस्तुति दी आप सफल रचनाकर और माने हुए पत्रकारों से हैं हैं आप के दोहे अपने आप में विशिष्टता लिए हुए होते हैं आप लिखते हैं कि ईश्वर खेल खिलाते हैं भगवान श्रीकृष्ण ने हाकी के खेलों की शुरुआत की भाषा मधुर तथा अभिधा शब्द शक्ति का प्रयोग किया है आदरणीय भाईसाहब को सादर नमन वंदन
3 तीसरे नंबर पर श्री संजय श्रीवास्तव जी ने अपनी प्रस्तुति दी आप सफल रंगकर्मी और माने हुए रचनाकर हैं आपके दोहों में विभिन्न विषयों का समावेश है खेल में खिलाड़ीभावना साहस विश्वास और समर्पण की भावना होनी आवश्यक बतलाई है आपके दोहों कीभाषा ज्ञानयुक्त और शैली रोचक है बहुत बहुत बधाई
4 चौथे नम्बर आदरणीय जयहिन्द सिंह जी दोहों का सृजन कर रहे हैं आप जाने माने रचनाकर हैं आपने दोहों में खेलों से विकास खेलों के प्रकार लगन और अनुशासन का वर्णन किया है आपकी भाषा परिमार्जित एवं शब्द चुने हुए हैं उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक बधाई
5 पांचवें स्थान पर आदरणीय परमलाल जी रहे जिन्होंने अपने दोहों से पटल को सजाया हैआपने अलौकिक खेलों से छोटे बड़े और राष्ट्रीय खेलों से परिचित कराया है आपकी भाषा सरल एवं सरस है बहुत बहुत बधाई
6 छठवें नम्बर पर श्री शोभाराम दांगी जी ने खेलों का महत्व बतलाते हुए मन में उल्लास की बात कही है आपने शिव शकुनी भगवान कृष्ण और राष्ट्रीय एकता को वर्णित किया है
आपकी भाषा मृदुल स्निग्ध है आपको श्रेष्ठ लेखन हेतु हार्दिक बधाई
7 सातवें नम्बर पर श्री डी पी शुक्ला सरस जी ने प्रस्तुति दी आपका परिचय क्या दूं आप बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध कवियों में से हैं
आपने विशिष्ट बात कही हैमाता पिता की सेवा सबसे बड़ा खेल है कि खेलों के महत्व पर प्रकाश डाला है पर आपने बुन्देली बोली में लेखन किया जो आज की योजना के प्रतिकूल है निवेदन है कि हिन्दी में ही रचना करें
8 आठवें नम्बर पर आदरणीय श्रीगुलाब सिंह यादव जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने दोहों मेंशकुनी रावण कंस तथा होली का वर्णन किया है अलंकारिकभाषा में माधुर्य है और शैली लालित्यपूर्ण है आपको नमन वंदन
9 नौवें क्रम में श्री अमर सिंह रायहैंआपने शैक्षणिक गतिविधियों अनमेल विवाह और खेल के लाभ से परिचित कराया है भाषा सरल और धाराप्रवाह है सुंदर सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई
10 दसवें नम्बर पर श्री गोकुल प्रसाद यादव जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने राजनीति के खेलों के साथ साथ लड़के और लड़कियों के खेलों का वर्णन किया है श्रेष्ठ दोहों की रचना की आपकी भाषा मंजीहुई परिष्कृत और लालित्य युक्त है आपको बहुत बहुत बधाई
11 ग्यारहवें नम्बर पर पटल के एडमिन महोदय श्री राजीव जी ने अपने दोहों की प्रस्तुति दी आपने जीवन को खेल बताकर अलौकिक दुनियां की ओर इशारा किया है और राजनीतिक खेलों का वर्णन किया है
भाषा उपदेशात्मक और शैली व्यंग परक है बहुत बहुत बधाई
12 बारहवें नम्बर पर परम आदरणीय श्री अभिनन्दन गोईलजी की रचना प्रेषित हुई आपने जीवन और जिंदगी से खोलों को जोडा है आपने हार में भी जीत के छुपे। होने का संकेत दिया है आपकी भाषा अलंकार से ओतप्रोत है और सृजन उत्कृष्ट। है आदरणीय को कोटि-कोटि बधाई
13 तेरहवें नम्बर पर श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जीने अपने दोहे प्रस्तुत किए आपने खेल में हर्ष और विषाद को न मानने के लिए कहा है राजनीति को भी खेल बतलाया है भाषा परिष्कृत है और बोधगम्य है शैली उत्तम है आपको बहुत बहुत बधाई
14 चौदहवें नम्बर श्री राम बिहारी सक्सेना जी ने दोहे प्रस्तुत किए भगवान राम और श्री कृष्ण के उदाहरणों से आपने अपनी बात कही है आपकी जादुई भाषा और प्रभावशाली शैली हेतु हार्दिक बधाई
15 पंद्रहवीं रचना श्री रामानन्द पाठक जी की आई आपने अपने दोहों में खेल से स्वास्थ्य और खेल के साथ पढाई भी आवश्यक बतलाई है
भाषा सधीहुई और रोचक शैली का प्रादुर्भाव दिखाई देता है आपका हार्दिक वंदन
16वें नम्बर पर श्री परम आदरणीय श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी ने प्रस्तुति दी आपने दोहों में बचपन से बुढापे का वर्णन कर खेल को खिलाड़ी भावना से खेलने का जिक्र भी अपने दोहों में किया है मेजर ध्यान चन्द्र का उल्लेख करते हैं भाषा अलंकार से सजी है शोली शानदार है पटल सजाने हेतु बहुत बहुत बधाई
17 वें नम्बर पर श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने दोहों का सृजन किया है आपने ईश्वर के द्वारा खेल खेलने की बात कही है खेल भावना साहस और विवेक का समावेश बतलाया है पाप के संहार के लिए अवतार की बात कही है सुंदर प्रस्तुति हेतु आप को हार्दिक बधाई
18 वें क्रम में हमारी बह श्रीमती जनक कुमारी बुन्देला ने पटल को सुसज्जित किया
आपने कालिया नाग और समुद्र मंथन की बात कही जो एक विशिष्टता लिए हुए है
19 पे श्री प्रदीप गर्ग जी ने खेलों को बढावा देने की बात कही है सुंदर सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई
20 नम्बर पर श्री हरि राम तिवारी जी ने जीवन के खेल और वास्तविकता पे आधारित खेल की चर्चा की है आपकी भाषा परिमार्जित है सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधाई वंदन
21मैं डॉ रेणु श्रीवास्तव ने भीदोहों कीरचना की विभिन्न विषयों पर लिखा है समीक्षा विद्वत जन करेंगे 🙏
उपसंहार इस प्रकार आज एक से बढकर एक दोहे खेल पर सभी मनीषियों ने प्रेषित किए मैंने सभी की समीक्षा की यदि भूलवश कोई छूट गया हो तो माफी चाहती हूँ सभी को शुभ रात्रि।🙏
समीक्षक- डॉ रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
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260-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-1-9-2021
*🔱जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ 🔱*
*🌹समीक्षा 🌹*
*बुन्देली पद्य लेखन*
1/9/2021
बुधवार
*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ म प्र*
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*🍀वंदना 🍀*
*चौकडिया*
मईया कर में वीणा धारी
ज्ञान महा गुन बारी
अंधकार को दूर भगा दो
आयें शरन तुमारी
अबगुन दूर करों काया के
बिनती हंसा बारी
अरजी पे मरजी तुम कर दो
भाऊ फिरात हमारी
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*✒️1-श्री अशोक पटसारिया नादान जू ,लिधौरा( टीकमगढ़)*
आ•नादान जूअपन ने भौतई बढ़िया बुन्देली मिठास में हरेक गरीब आदमियों और किसान के हदय की पीरा लिख दई है देश की गरीब जनता खो महगाई के किसान की दम कड़ रई है उन्ना लत्ता नई ले पाऊत फटे उन्ना पाव खा पनईया पेट भर रोटी नईया गरीबों को भौतई बढ़िया महगाई पे बखान करों जू अपन ने अपन की कलम को बारम्बार नमन हैं जू🙏🙏
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2-✒️ *श्री अभिनंदन गोइल जू इंदौर*
आ•गोइल जू अपन ने भोतई बढ़िया हाइकू किसान के हितों के आगे खो बड़बै कई बतर खाद बीज बौनी करियो फसल को बीमा कराव अगर ओरे कछु नुकसान होत तो पईसा मिलें खेती-बाड़ी की रखबारी करों फ़ालतू कर्जा नई लियो चुके नई तो का मरो भौतई बढ़िया हाइकू लिखें है जू अपन ने आप को बारम्बार हार्दिक स्वागत है जू🙏🙏
○○○●○○○●
*3-श्री संजय श्रीवास्तव जू मबई 🍫दिल्ली*
आ•भाई साव श्रीवास्तव जू अपन ने बुन्देली गीत लिखों हैं जू
चुप्पी सत्यानाशी है जू अपन बहुत बढ़िया नौनो लिखो है जू जो धांधली देखत हौबे और कछु नई कबै तो जान लो मरे बिरोबर है जा बात भौतई बढ़िया लिखी हैं अपुन ने भौत कछु अन्याय के करबै बारन खो ललकारों उये हठको
जो अन्याय करबै बारे खो डरे बो तो मरे बराबर हैं अत्याचार अन्याय खो रोको टोको अपुन ने भोतई नौने लिखों हैं जू अपुन खो और अपनी लेखनी को बार-बार सादर नमन 🙏🙏
॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥
*4-श्री अमर सिंह राय जू नौगांव*
आ•श्री राय साव जू अपन अपनी लेखनी में लिखों हैं जू के कैसी करें कविताई अपुन लिख रये हो के हम कभऊ कभार के लिखबे बारे आ है अपन ने कितनी-कितनी बातें कविताई में लिख रये हो जो अपुन को बड़कपन आये जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन जू🙏🙏
🍀🍀🍀🍀🍀🍀
*5-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू टीकमगढ़*
आ•भाई साव मंजुल जू अपुन ने हरि गाथा को बखान करों जू अपन के गीत के बोल मोहन की मुरली बजी तो नर नारी सबई मगन हो गये हैं और उनकी मुरली धुनके मोह में मोहित हो गये अपुन ने भोतई नौने हरि भक्ति की ओर बढिया बखान करों जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन जू🙏🙏
*6-गुलाब भाऊ लखौरा*
हमने नई पीढ़ी को नशा नई करने की दो चौकडिया चेतावनी खो लिखी हैं और नशा नई करिवो भईया हो🙏🙏
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*7-श्री शोभा राम दांगी जू,नंदनवारा*
आ•भाई साव दाँगी जू अपन ने भोतई नौनो सबई कवियों को कविताई कर दई है जू अपन ने हरेक कवि को नाँव लिख लिख पटल पै कमाल कर दव है जू भौतई सुन्दर जोड़दार कविता में नौनो बखान करों जू अपनी कलम खो बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करता हैं जू 🙏🙏
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
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*8-श्री परम लाल तिवारी जू ,खजुराहो*
आ•तिवारी जूअपन ने बुन्देली गजल लिखी हैं जू अच्छी अच्छी बुन्देली रस की बूदे सबई के मो में टपका दई है जू अपनी गजल की का काने अपुन ने लिखों
कक्का अब तो सूका पड़ गव
भादौं बिना पानी को कड़ गव
अपुन ने जैसी बरसा भई उसई हरेक मईना को बढ़िया बखान करों जू अपुन को बार-बार सादर प्रणाम 🙏🙏
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*9-श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जू*
*पटल एडमिन महोदय टीकमगढ़*
आ•भाई साव जू अपन ने भोतई बुन्देली हाइकू लिखें है जू अपुन बतारये के केरा पत्ता पे पंगत नौनी लगत है स्वाद
ऐन मसाले सजे नौने लगत है जू और आयुर्वेदिक दबाई कोनउ बिमारी होये देशी दबाई खाबे हमाये देश की माटी चंदन घाई महक है एसी माटी की हम वंदन करत है जू अपुन भौतई बढ़िया हाइकू लिखें है जू अपन की कलम कोटि कोटि नमन् करता हूँ 🙏🙏
✒️✒️✒️✒️✒️✒️
*10-श्री कल्याण दास साहू पोषक जू*
पृथ्वीपुर जिला निवाडी*
आ•पोषक जू अपन कितनो नौनो नोनी गाथा श्री कन्हैया जू की लिखी हैं काना मटकी फोरत ढीट धड़ल्ला तोरो लाला से गाँव पुरा सबरों परेशान हैं चोरी चोरा घरन में घुस के दईरा खात बगरात है जसोदा तोरो लाला भौत आनारी है अपुन ने भोतई कछु नौनो बखान करों जू अपन की लेखनी में हमें दो को अरथ समझ नई पाये 1-धड़ल्ला 2-गुरल्ला को अपन खो सादर प्रणाम हार्दिक स्वागत 🙏🙏
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*11-श्री रामा नन्द पाठक नन्द जू*
नेगुवा पृथ्वीपुर जिला निवाडी
आ•पाठक नन्द जू अपन ने भोतई नौनी चौकडिया लिखी हैं जू अपुन बतारये मानुष धूर भरो हीरा है जू और जो नई समझें तो कीरा है मानुष सत कर्म करबै नातर कुकरमुता की नाई मिट जात है जू जीके फटी न पाव बिमाई तो का जाने काऊकी पीर पराई केऊ उपर की राम राम करत भीतर पेटे अबगुन भरे हैं और तुम जानत कोऊ जानत नईया सब कोऊ सब काऊ के गुन जानत अपुन ने भोतई नौने चौकडिया में लिखों हैं जू अपुन की हार्दिक स्वागत वंदन करत है जू 🙏🙏
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*12-श्री गोकुल प्रसाद यादव जू*
नन्ही टेहरी बुड़ेरा*
टीकमगढ़
आ•भाई साव जू अपुन ने बुन्देली में भौत कछु नौने हाइकू लिखें है जी मे अपुन कैरये भादौ गव और पानी नई भव नदी नारे कुवा तलईया सब खाली है बजन बड़ रव तो दौड़ लगाव भैंस बयानी फायदा हो अपुन ने भौत अच्छो हाइकू लिखें है जू अपुन की अच्छी लेखनी को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन 🙏🙏
🫐🫐🫐🫐🫐🫐
*13-श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु*
बड़ा गाँव झाँसी उ प्र
आ•इंदु जू अपन ने भौतई बढ़िया सवैया लिखों हैं जू जो छंद दार है भौत नौनो हैं छंद में लटकी मटकी अटकी मटकी एसई एसे छंदों में अपुन ने भोतई रसक रस भाव कन्ईया जू को बखान करों जू अपुन को बार-बार सादर नमन 🙏🙏
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*14-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष* जू टीकमगढ़ म प्र
आ•भाई साव पीयूष जू अपुन ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव पै भौतई बढ़िया रस की बूंदों से भर भर सुन्दर चौकडिया लिखी हैं जू श्री कृष्ण जन्म भव तो सिसु को रोदन सुन के देवता नर मुनि गंधर्व किन्नर सबई फूलै नई समारये सबई हषित हो गयें माता जसोदा उपवन की नाई फूल उठीं सुनंदा फुआ हाल फूल में थारी बजाऊन लगीं एसई दुसरी चौकडिया में शब्द शब्द में अनमोल रस की बूदे भरके अपुन ने भोतई नौनो लिखो है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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*15-श्री डीपी शुक्ला सरस जू टीकमगढ़*
आ•सरस शुक्ला जू ने आज के जमाने की चाल चलन पै भौतई बढ़िया कविता लिखी हैं जू आज के लरका सुनत नईया अपने मन को कररये बातन में समझा देत जमाने के जो जो होरव सबई हाल लिखें हो जूअपन को सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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*16-श्री हरि राम तिवारी हरि जू*
खरगापुर जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश*
आ•दादा ति0हरि जू अपुन ने बुन्देली में भौतई बढ़िया चौकडिया में श्री कृष्ण जू की चौरी से नेंनू खात माता जसोदा ने पकर लव तो अपुन ने उ टेम की रहश रस भर चौकडिया में लिखों हैं जू कन्ईया नैनू को लोदा हांथन में लये है कछु दांतन में छपो देख जसोदा मईया कन्ईया जू खो डाटत है कन्ईया भग के आँगन में दौड़ लगा के पौचे मईया बाबा नंद जू से शिकायत कररई है काना के तुतलानी बातें करत आँखन में असुआ झलक रये है अपुन ने शब्द शब्द में सार भरो है जू भौतई रस की बूदे भरके अपुन ने भोतई नौनी बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू अपुन को आपकी कलम को कोटि कोटि नमन् वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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16-श्री हरि राम तिवारी हरि जू
खरगापुर जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
आ•दादा ति0हरि जू अपुन ने बुन्देली में भौतई बढ़िया चौकडिया में श्री कृष्ण जू की चौरी से नेंनू खात माता जसोदा ने पकर लव तो अपुन ने उ टेम की रहश रस भर चौकडिया में लिखों हैं जू कन्ईया नैनू को लोदा हांथन में लये है कछु दांतन में छपो देख जसोदा मईया कन्ईया जू खो डाटत है कन्ईया भग के आँगन में दौड़ लगा के पौचे मईया बाबा नंद जू से शिकायत कररई है काना के तुतलानी बातें करत आँखन में असुआ झलक रये है अपुन ने शब्द शब्द में सार भरो है जू भौतई रस की बूदे भरके अपुन ने भोतई नौनी बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू अपुन को आपकी कलम को कोटि कोटि नमन् वंदन अभिनंदन करत है जू 🙏🙏
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*समीक्षक- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ',लखौरा*
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261-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-2-9-21
🌹जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🌹
स्वतंत्र हिंदी पद्य लेखन
समीक्षक पं. द्वारिका प्रसाद शुक्ला ,,सरस,, दिनांक 02.09 .2021
बुंदेलखंड बांको सरस! लागे नीकौ रोज !!
भाव वि्हल संकोच नहीं! कर मानवता की खोज!!
नमन ऐसी धारा को !
जन्म दिए महाराज !!
बुंदेली सी वानी नहीं !
सुलभ होत सब काज !!
नमन ऐसी बुंदेली धरा पै! उपजे विदुषी महान !
बुंदेली को सृजन कर !
करते जी को गुण़गांन!!
आज के पटल पर अपनी लेखनी के प्रबुद्द प्रभाव सृजन और विद्वत्ता के गुणी महानुभावों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचना पटल पर उकेरी है जो बुंदेली एवं हिंदी के सृजन में सारगर्भित सिद्ध हुई है ऐसे काब्य मनीषीयों को सादर नमन वंदन अभिनंदन ऐसे गुणी हिंदी के प्रणनेताओं को साधुवाद करते हुए सादर वंदन करता हूं !!
नं.1-प्रथम पटल पर श्री गणेश कर उत्तमता के शिरोधार्य श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने अपनी रचना में सामाजिकता से भरे अथाह सागर की लहरों को पार करने की बात करी है एवं चिंतन कर उन जनों को उलझनों को सुलझाने हेतु शब्दों में पिरो कर रचना सृजन कर भाव भरे हैं जो भाषाई मृदुलता से ओतप्रोत व्यंगात्मक शैली में कटाक्ष कर सीख दी है चारों तरफ शोर बिखरा आबोहवा मैं जहर घुला है दुविधा भरा जीवन अध्यात्मिकता के लिए झुकाव रहित है! हो रहे थे ऐसी स्थिति मे मड़राते बदरा जो ओले गिराने से कम नहीं है इन्हें रोकना है और घर से अपने बाहर की सोच रख चिंतन ही जीवन का प्रगति प्रदर्शक मार्ग होगा उत्तम चेतावनी भरी सीख देकर रचना को सारगर्भित रुप दिया है बे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन !
नंबर दो .श्री अभिनंदन गोयल जी ने प्रेम छंद से मकरंद को बिखेरा है जिसमें पावन पवित्र मन बिन तेल के भी जीवन ज्योति देने में सक्षम है भाव एवं भाषा सरल एवं उचित मनभावन होकर भी बिरह की अग्नि में दीपक तेल के रहते जलता है और बाती को जला देता है लेकिन एक प्रेयसी प्रिय के मन मंदिर में ज्ञान रूपी दीप जलाकर तेल की भांति दीपक से रोशनी प्रज्ज्वलित कर दामन को श्रेष्ठ बना देती है दिव्य ज्योति की कामना श्री गोयल जी ने भाषाई रचना में भरकर ओतप्रोत कर दिया है प्रकाशदीप की रोशनी देने वाले श्री गोयल जी को साधुवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन
नं. 3.श्री सरस कुमार जी ने अपनी रचना में थोड़े से ही शब्दों में भविष्य का मूल्यांकन कर मनुष्य के जीवन के दर्शन कराए हैं जो मानव की सरलता में निहित है आचरण सरलता में पाए जाते हैं और कल को सुधारने में सहयोगी बनते बहुत ही सुन्दर लक्ष्य को पाने में सीख भरी चेतावनी के लिए सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 4 .श्री हरि राम तिवारी जी ने मानव श्रेष्ठता में सद्गुरु के मंगलमय दर्शन की चाह कर हरिपद पाने में सफलता की ओर ध्यान लगाया है और हरि गुरु और वेदों को श्रेयस्कर माना है जिससे जीवन की संगती संभव है और सतगुरु को ही जीवनदायनी राह को अनुभवी मानकर प्रेरणास्पद चेतावनी भरी सीख दोहों के माध्यम से शब्दों में पिरोकर भाव में भाषाई बोध कराया है जिसके लिए वे सादर वंदन अभिनंदन और हार्दिक बधाई के पात्र हैं!
नंबर 5 श्री अवधेश तिवारी जी अपनी रचना में अध्यात्म में भाव भरी है जिसमें श्री कृष्ण की छवि निहारी है और गुंजन के लता पुष्प ऐसे लग रहे हैं जैसे बातें कर रहे हो और कृष्ण गायों को चलाते हुए बस उनको दुलार देखते ही बन रहे बन रहा है अतिथियों के भोजन कराने में और विदुर के घर रोटी भाजी खाती हुए ऐसे श्री कृष्ण जो अर्जुन के सारथी बनकर के होते हुए भी पीतांबरा में चने लेकर खिलाते रहते थे ऐसे सुंदर मनमोहन मनोहर श्याम सुंदर की छवि को निहारा है अंतर और के बंद कपाट श्याम मनोहर की मुरली की तान सुनने को बेताब होती है बहुत ही सुंदर एवं भव्य मनोहर छवि के दर्शन कर कराई है श्री तिवारी जी को हार्दिक अभिनंदन और सादर धन्यवाद।
नंबर 6 श्री अनवर खान ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से रचना में चार चांद लगा दिए हैं भूखे पेट सोते नन्नू के चेहरे उतरे हुए और और वनों के स्थान पर कारखाने बनकर आज आज बेवन जो पर्यावरण में अपनी भागीदारी निभा रहे थे वह है अब ओझल हो गए हैं और बेकरी काम करने पर मजबूर हो गए हैं पेट की आग को शांत करने के लिए जो नदी में उतरना नहीं जानते संबंधित पत्ते नहीं चलाना जानते ऐसे लोग काम करने की मजबूरी के लिए अपनी खुशियों को स्वयं व टूट रही है और आज जो नफरत रखती थी बेहद बीएफ हमारी तरफ प्यार भरी नजरें उठाने लगे हैं बहुत ही सारगर्भित सीख गई गजल को श्री अनवर खान साहब ने प्रस्तुत कर जलवा बिखेरा है साहिल जी को सादर धन्यवाद बधाई।
नंबर 7 नरेंद्र श्रीवास्तव जी ने समझना है शीर्षक से अपनी रचना में सदैव मुस्कुराने की बात कही है जो जिंदगी को सुनहरे पल देने के लिए काफी है मौन रहकर अन्याय को सहना दोषपूर्ण है विश्वासघात करने वालों को कभी भी क्षमा ना करना ही देश प्रेम और मानवता है अपराध अपराधी प्रवृत्ति में साथ देना ही अपराध को बढ़ावा देना और यह भागी बन कर उसे प्रेरित कर बढ़ाना है श्री श्रीवास्तव जी ने मानवी मानवीयता को परिलक्षित किया है बे सारगर्भित सीख देकर सुधार की कामना करते हैं ऐसे रचनाकार को साधुवाद एवं सादर वंदन अभिनंदन नंबर श्री अमर सिंह राय जी ने अपनी ग़ज़ल वक्त के जरिए घर से बेवक्त ना निकलने की सलाह दी है फ्यूल में बाहर बैठकर वक्त को जाया ना करें और घर की बात किसी को बताया ना करें गुस्ताखियां मैं क्यों मैं पटना उचित है लेकिन हर वक्त यह सताने के अपने एहसान को हमेशा नहीं बजाना चाहिए इंसान को हमेशा बजाना चाहिए और जिससे किसी का दिल ऐसी ही मशक्कत के साथ जीवन जीने पर इंसानियत का बताओ जाना जाता है बहुत ही सुंदर गजल सीख भरी सटीक औ और चेतावनी से ओतप्रोत रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद
नंबर 9 श्री संजीत गोयल जीने अपनी संजीत गंगा नदी के शीर्षक से अतुलनीय विवाह सरोवर की पवित्र गंगाजल को जिसकी महिमा अविरल और अनंत है साक्षी सत्य हिंद के इस पावन स्थल से वह अति पवित्र गंगाजल हिमालय की चोटी से निकलती महासागर में मिलती है ऐसी पवित्र पावनी गंगा जी हमारे पूर्वजों के तथा मेरे संतो को दूर करने वाली मां हमेशा मेरे जिलों में भक्ति रहे और गम गुजमन मैं अमन शांति बनी रहे बहुत अच्छी सीख के लिए के लिए श्री संजीत गोयल जी को सादर वंदन अभिनंदन और हार्दिक बधाई।
नंबर डायल मनोज कुमार नंबर 10 श्री मनोज कुमार जी ने अपनी रचना में शिक्षक तू है नील गगन की रानी के माध्यम से सौंदर्य श्रृंगार और नीलोत्पल दीवानों की प्यास को बुझाने वाली सुगंध हवा बिखेरने वाली कीचड़ में खिलने वाली गली हिरनी जैसी चाल निराली मेरा मन हर्षित होता है तुझे देख कर तुझे नशा कहूं या फिर प्याली बहुत अच्छी सिंगार रचना में कुमारी को जाने का बल तन्मय कुर्ती कुर्ती और उमंग को शबनम की बूंदे बिखेर बिखेर कर होठों पर मुस्कान लाती है और पर मिल बिखेर देती है ओएलसी सुरीली आवाज में मनमोहक डालिए मुस्कुराहट होठों पर सपनों में नजर आने लगी ऐसे सुंदर सिंगार रचना के लिए सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई ।
नंबर 11 श्री किशन तिवारी जी ने अपनी रचना में वतन पर नुमाइश बंद कर साजिशों और नफरतों के जुल्मों को लडाऊ अब तो हद हो गई है गांव और बस्ती अंधेरों के घर रोशनी फैलाने की जद्दोजहद के लिए हमें खड़े होना है सीकरी चेतावनी श्री तिवारी जी ने दी है और सुधारने के लिए अपनी रचना में भाव भरे हैं जो माननीय आधार को सुदृढ़ता प्रदान करते हैं ऐसे मनोभावों मैं सजत रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक धन्यवाद नंबर 12 श्री प्रदीप खरे मंजिल जुने अपनी रचना में दुनिया में आना जाना लगा ही रहता है जिसमें कुछ सुख और कुछ दुख रूपी ठगी के शिकार होकर छल प्रपंच और धड़कती पापियों के बीच धरा मुसीबत की मारे तड़पने लगती है यह मां के रूप में रूप में प्यार देती हुई चलती सी नजर आ रही है और जग का छोड़ कहीं नहीं मिला है प्यार की आड़ में केवल दगा ही जगह मिला है जोरू और जमीन के फेर में पूरे यशवीर में दिखावटी मेला लगा हुआ है रिश्तो की डोर नाजुक हो करके टूट रही है केबल दिखावा ही हमको हाथ लगा है हमारा कोई भी सगा बनकर साथ देने को तैयार नहीं है बहुत ही आज के जमाने में उलझता भरी सीख देकर सुधरने की सुधारने का अवसर दिया है रचना के माध्यम से श्रीमान जी ने मनुष्य को अच्छी चेतावनी दी है जिससे मानव के अंदर सुधार की गुंजाइश बहुत ही सुंदर रचना के लिए जो भाव भरे हैं उत्तम है विशाल बाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई धन्यवाद नंबर 13 श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ने कलमकार के माध्यम से शीर्षक के लेखन में अपने भाव भरे हैं नरेंद्र 1 दिन विवेकानंद बनता है और चैन की नींद सोता है कलमकार अब कुर्ता ले बानी राज को देखकर कलमकार रोता है शब्द समाज दागी हो गया है पानी से धोने पर नहीं दे सकते हैं कलमकार की कलम ही हौसले की राह प्रशस्त कर सकता है और विकृति मोती माला से फूल की भांति मुरझा कर गिर जाते हैं सूखने लगती है कलम की चाय जब सत्ता कलम को खरीद लेती है और अहमियत खत्म हो जाती है बहुत ही भाव बंधवा भरी रचना श्री यादव जी ने अपने शब्दों में ब्रोकर प्रस्तुत की है रोचक एवं चेतावनी रचना है जिसके लिए साधुवाद के पात्र हैं बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद
नंबर 14 डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने अपने चीज के एहसास के शिक्षक से भाव भरे हैं मैं अकेला और तन्हा जिंदगी की धूप में इस खगोल रश्मि यों को निहार रहा हूं मेरा मन अद्भुत उलझन में यादों के बक्से में प्रेम के बाजार में सन्नाटे को चीरते हुए भाव मन में उलझन पैदा कर रहे हैं की यह रेसमीया हमारे तमको हर के उजाले की ओर तनहाई बहुत ही में आकर साथ भरें मन मेरे बस में नहीं है और संजू है मन का ही साथ देता है ऐसे में मैं इस प्रेम भरे बाजार में होरा खो गया हूं बहुत ही बेदर्द जमाने ने हमें लूटा है और मेरे हौसले को परास्त कर चिंतन करने पर विवश कर दिया है बहुत ही उत्तम ताल भरे शब्दों में भाषा विषय तर्क के साथ रचना में भाव भरे हैं उत्तम ता भरी रचना के लिए साधुवाद हार्दिक धन्यवाद वंदन अभिनंदन।
नंबर 15 गुलाब सिंह यादव भाऊ जी ने अपने रचना में नारी सम्मान के गुणों की गुणों का बखान किया है जिसमें नारी के गुण को कोई जान नहीं सकता है जग जननी की रक्षा करने वृथा नहीं सताना हीरा उपजे माता से जिन्हें वेद बखानी ऐसी मां जो प्रकृति मां धरती मां और जन्म देने वाली मां के चरणों में वंदन कर उनके दिल को चुकाने का दायित्व निभाना ही मनुष्य की भरना है जिसके लिए जीवन का सत्य मिला है बहुत ही सारगर्भित और और सटीक सटीक रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 16 .श्री राजीव राना लिधोरी जीने गजल में भाव भरे हैं कि ऐसा कर देखिए जिसमें दुश्मन को अपना बना कर जीतने से लबों पर मुस्कुराहट नजर आती है और नफरतों की दीवार टूट जाती है जब स्वयं इंसाफ देखोगे यह संसार छोटा दिखाई देने लगेगा इस तरह महबूब को बदनाम मत करिए दिलों में बसाकर नैनो से नैना लड़ा कर देखोगे तो यह सारा जहां उत्तमता की ओर खुशियां लिए दिखाई देगा और ऐसे सुखद संसार में सागर की लहरों में आनंद के दीदार हो सकेंगे और लुभावने होंगे हमें अपनी ओर देखकर ही सुखद आनंद मिल सकेगा बहुत ही सीख भरी रचना गजल में पेश करी है श्री राना जी ने प्रस्तुत की है बे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाईधन्यवाद!!
नंबर 17 .श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु जी ने अपनी रचना मैं गीत के माध्यम से भाव भरे हैं जाने कितने चित्र इस मानस पटल उकेरे हैं प्यार भरे उम्मीदों के सपने जगाए हैं तनहाई में रहकर मन के तार झंकृत किए हैं और अंतर उर के खेत में फसल को उ गाने का भरसक प्रयास किया प्रत्येक प्रकार से प्रयास किया है ऐसे हमारे दो नैन जो सुखद गीतों भरी चाहे में जीवन के उमंग और समर्पण के लिए उत्सुक हैं सागर की लहरों में प्यार भरी शुबह को लालायित मन मैं आप डूबना चाहता है बहुत ही सारगर्भित भाषाई बंदन शब्द मंथन कर रचना में चार चांद लगाए हैं ऐसी रचना के लिए श्री इंदु जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई !!
नंबर 18 .श्री परम लाल तिवारी जी उन्हें अपने पत्र लेखन में हरि से प्रीत कर मन लगाने के लिए और उनके परम पद पाने के लिए ब्रिज की गोपियां का साथ लेकर उधर और नारद जैसे मुनियों की पद रज को पाने के लिए अब उनके ह्रदय मैं श्री कृष्ण के दर्शन और श्याम के सखा श्री सुदामा जी के द्वारा हरि के चरण वंदन करने हेतु लालायित मन को लगाया है अध्यात्म भरी रचना ने मन को गदगद कर दिया है ऐसी रचना के लिए श्री तिवारी जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 19 .बहन रेनू श्रीवास्तव जी ने अपनी बाल कविता के रूप में पढ़ाई के अवसर को कविता रूप में लिखकर बच्चों को नसीहत दी है कि अब साला खुलने वाली है पढ़ने की तैयारी कर लो मोबाइल से और मम्मी पापा से जो सीखा है उसे अपने सपनों में सजोकर कर एकत्रित करने का अवसर आ गया है शिक्षक को बच्चों के बहुत प्यारे मात-पिता से दुलारे जो रोजाना प्रार्थना और पीटी करा कर मन को स्वस्थ और चंगा करके ज्ञान की अनुभूति कराते हैं ऐसी शिक्षा और नीत जो बालक को प्रगति पथ की ओर ले जाए हमें एसी ही साला में जाकर ऐसे ही गुणों को आत्मसात करना है बहुत उत्तम नवयुवक सीख देने के लिए डॉ रेनू जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई !
नंबर 20 .श्री संजय श्रीवास्तव जी ने अपनी गजल के माध्यम से भाव भरकर अपने ही क्षेत्र में डूबा यह मानव दूसरे की परवाह किए बिना नज़दीकियां बनाता रहता है और स्वयं की रोशनी की चकाचौंध में दूसरे को केबल जलते चिराग की भांति मोहब्बत का इजहार करता है दिल के संदूक में यादों की खुशबू है यह अनमोल खजाना मिलेगा कहीं नहीं यदि हम दूसरों के गम को पहचानेंगे तो हर हाल में दुआओं भरी खुशियां हमें राह में अवश्य ही मिलेगी बहुत ही शब्दों में पिरोकर की गई लेखनी को नमन करते हुए श्री श्रीवास्तव जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन धन्यवाद !
नंबर 21. श्री प्रदीप कुमार जी ने अपने हाइकु के माध्यम से बुजुर्ग के अपमान की समीक्षा कर घर-घर में हो रहे बुजुर्ग अत्याचार जो बच्चों पर अपना बुजुर्गियत का इजहार करते आ रहे हैं उन्हें हम केवल मात्र सम्मान नहीं दे पा रहे हैं जो हमें सर्बस सौप कर जाने को तैयार हैं हमें यह नजरिया बदलना होगा और बुजुर्गों के प्रेमी उर मैं बस कर उनको सम्मान और प्रेम की अनुभूति करा कर एक सीढ़ी और ऊपर चढ़ने का प्रयास करना है जिससे हमें उन वृद्धजन के आशीर्वाद और अनुभव की ज्योति प्राप्त हो सके जो मार्गदर्शक का कार्य करेगी बहुत ही उत्तम सीख भरी चेतावनी देकर श्री प्रदीप गर्ग जी ने अपनी रचना में उत्तमता दिखाई है ऐसे महानुभाव को सादर वंदन अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई !
नंबर 22 .डी .पी .शुक्ला सरस अपने गजल के माध्यम से इंसानियत के दुश्मन शीर्षक से पतन के और नफरत करने वालों की दास्तान को उकेरा है जिसमे लोगों ने वतन के विचलित करने की प्रक्रिया को अमल में लाकर कठपुतलियों की भांति ताकतों का घेरा है जिससे बतन की प्रगति मैं बाधा उत्पन्न होती है ऐसी ताकतों को जो मौकापरस्त होकर स्वरस के बस स्वारथ में अपना लाभ देखकर वतन को आग में झोंकने का कार्य करते हैं उन्हें समझाएं और सादगी की प्रकि्रिया से अवगत कराना ही देश के हित में होगा समीक्षार्थ संप्रेषित!
नंबर 23 .श्री जनक कुंवर सिंह बघेल ने अपनी रचना लक्ष्य शिक्षक से पटल पर उकेरी है लक्ष्य को पाने के लिए हमें धरती पर आना ही होगा कभी पर्वत के शिखर पर चढ़कर तूफान को सहना होगा और झऱना बंनकर खुद ही हमें इस राह में गिरना होगा तभी हम वह निर्मल नीर बन कर भी रह सकते हैं हमें जमुना और गंगा की धार को पकड़ना होगा तभी हम परिवार की बात का मन की पवित्रता भरी खुशियों में सरस पवन महका सकते हैं तूफानों से हमें खेलना होगा सीत और ठंड हमें स्वयं बनना होगा एक आकर्षित साधना करके ही हम अपने पन को तरोताजा रखने में उन्मुक्त होकर सपनों की उड़ान को साकार करेंगे यही हमारे कर्म दूर हमें बादलों में उड़ने के लिए स्वतंत्र रहेगी और हमें अपने अहम को दबाकर ही मानवीय आधार लेकर चलना ही मनुष्यता का शुरूआत होगी बहुत ही उत्तमता लिए रचना श्री बघेलजी ने की है बे साधुवाद के पात्र हैं और हार्दिक बधाई धन्यवाद !
नंबर 24. श्री राम बिहारी सक्सेना जी ने अपनी पद भरी रचना सखी री मेरे आंगन लिफ्ट श्याम मन में अध्यात्म भरी रचना मैं बृज धाम में राधा और घनश्याम के संग खेल श्याम यशोदा खिलावे और वो उस ब्रिज धाम गोवत्स को चराते मनमोहन श्याम की सबको छवि का आज मन आनंद उस कुंजन की राह को जाते हैं निहारते हैं जिसे देखने के लिए मनमोहन के दर्शनों का आनंद हृदय से घर बैठे ही प्राप्त कर लेते हैं ऐसे अध्यात्म रूपी संसार में बूटा लगाने के लिए श्री सक्सेना जी ने रचना में चार चांद लगाए हैं मैं उन्हें हार्दिक बधाई और सादर वंदन अभिनंदन करता हूं!
नंबर 25 .श्री पी. डी. श्रीवास्तव पीयूष जी ने बादल के रूप में घनश्याम को निहारा है इन बादलों में श्याम सलोने कजरा रे बादल बनकर नजर आ रहे हैं रत्ना रेबारी वन देर से उठते थके हारे हुए भी चढ़कर श्याम लौटते से नजर आ रहे हैं और यह बादल समुद्र से भर के पानी बरसते हुए मतवारे बनकर नाचते हुए मोर पंख पसारे बरसाते जल की धार मन के मन की कल्पना के श्री कृष्ण के दर्शन करने का आनंद लेते हुए श्री पीयूष जी ने सभी को बादलों के रूप में घनश्याम के मनमोहक दर्शन कराए हैं अध्यात्म रूप में की जाने वाली रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई! धन्यवाद!
नंबर 26 .श्री कल्याण दास साहू जी पोषक जी ने अपनी रचना में नटखट गिरधर गोपाल और नटवर मटकी फोड़ जैसे शब्दों से अपनेपन की राह को प्रशस्त कर के सब बनवारी कृष्ण मुरारी माधव जुगल किशोर मन मोहन मोहन मुरलीधर राधा प्रियवर वासुदेव चितचोर द्वारकेश रणछोड़ के दर्शन कराए हैं जो गो हितकारी होकर मित्र सुदामा के मित्र बनकर उनके चरित्र को चरितार्थ करते हुए महिमामंडन कर परम पवित्र प्रभु लीला के चरित्र के दर्शन करा कर अनुरोध किया है और मन को ओतप्रोत किया है ऐसे श्री शक्ति को प्रदान करने वाले श्री पोषक जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
नंबर 27. श्री शोभाराम दांगी जी के द्वारा बेटी को सुरक्षित रखने के लिए हमें कदम कठोर कदम उठाना पड़ेंगे और अत्याचार को मिटाने के लिए हमें अपने हाथ में तलवार और कटारी लेकर साहस को बांधकर हौसला बुलंद करना होगा तभी हम समान अधिकारों के लिए जीवन जीने की उस पराकाष्ठा को प्राप्त कर सकेंगे आज देश में पनप रहे अत्याचार को मिटाने के लिए नारी को इज्जत देने के लिए हमें लाठी और तलवार का सहारा झांसी की रानी बनकर संकट को दूर करने के लिए तत्पर तैयार होना पड़ेगा तभी यह विचार मिल पाएगा और सास बहू के अंतर होने वाले अत्याचार अत्याचारों को रोकने के लिए हमें सतत प्रयास करना होगा कलयुग में जन्मी लक्ष्मीबाई अवंतीबाई थी जिन्होंने साहस के बल पर अत्याचार का दमन किया है ऐसे ही सत्य समय में श्रीराम ने रामराज्य की स्थापना में सुखद अनुभूति प्राप्त हुई थी जो हम आज भी मानवता के रूप में चाहते हैं बहुत ही उत्तम और सुखद सीख देकर श्री दांगी जी ने मन को शांत प्रिय बनाकर गदगद कर दिया है ऐसे श्री दांगी जी को सादर वंदन अभिनंदन और हार्दिक बधाई धन्यवाद
समीक्षक- श्री डी.पी शुक्ला टीकमगढ़
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262-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-03-9-21
*पटल समीक्षा दिनांक-03-09-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सभी विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जआजनन खौं बधाई देत भये अपन एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै *1* *श्री अमरसिंह राय जू* ने अपनी किसा कानियां पटल पै डारी। समसामयिक रिश्ते नातन पै अपन ने नौनी राय रखी, शिक्षाप्रद प्रसंग लैकें अपन नें रिश्तों में आये बनावटी पन को दर्शाया। सच्चाई के इर्द गिर्द मड़राते हुये लोगों के स्वार्थी पन को भी शानदार तरीके से दर्शकों। काम सटो और दुख बिसरो..कछु येसयी हो रऔ अब तौ। आपके विचार, भाव और बिषय प्रशंसनीय है।बधाइयां
*2* *मनोज कुमार जी* ने लघु कहानी के माध्यम से नारी के सम्मान और महत्व को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया । आपने संस्कृति और संस्कारों में आ रही गिरावट पर चिंता जताई। देश के हालातों और समाज में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। स्वागत योग्य विचार। बधाई
*3* *श्री राजीव नामदेव,राना लिधौरी जू* टीकमगढ़ सें कहते है कि हाइकु लिखने के लिए उसको जानना और समझना भी जरूरी है। केवल तुकबंदी करकें बिना भाव लय के कछु नहीं हो सकत। उनने भवानी शंकर जी हाइकु पोथी शब्दों की रंगोली की नौनी समीक्षा करी। ऊमें सुधार की गुंजाइश सोई बताई। राजीव भैया ने नौनी समीक्षा करी। इके संगे हाइकु लिखबे बारन खौं नौनी जानकारी सोई दई। आज आपने गजल के बारे में विस्तार से बताकर गजल लेखन के लिए मार्गदर्शन किया। अपन के लेखन की बढ़बाई करत और अपन खौं बधाई देत। बधाई ।
*4* *श्री प्रदीप खरे,मंजुल जी*
अपन ने सोई लघु कहानी सबसें कीमती आदर्श शीर्षक से यह कहने का प्रयास किया है कि लोभ पतन का कारण है। अच्छे आदर्श हमेशा समाज में सम्मान दिलाते हैं। अपने आदर्शों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करना चाहिए। हानि लाभ की चिंता किये बिना अपनें आदर्शों पर चलते रहें।
*5-श्री अभिनंदन गोयल जी* ने गजल की बारीकियों को समझाते हुये सभी कवियों का मार्गदर्शन किया। आप पटल रूपी इस मुकुट के कोहीनूर की भांति है, जो अपनी दमक से हम सभी को प्रकाशवान बनाने में लगे हैं। गजल के बारे में ज्ञान देने के लिए आपको धन्यवाद और सुंदर लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई।
*6 श्री शोभाराम दांगी जी* ने अपने आलेख में सफलता के पांच मूल मंत्र बताये। सफलता के लिये भूमि, श्रम, पूंजी, संगठन और साहस को महत्वपूर्ण बताया। आपके विचार स्वागत योग्य हैं। बधाई हो
*7श्री राम बिहारी जी* खरगापुर, टीकमगढ़ ने पांव पंचायत शीर्षक से लिखी कहानी से सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार किया। गुरु शिष्य परम्परा को अच्छे ढंग से लिखने का प्रयास किया। बधाई
8- श्री हरिराम जू तिवारी ने संतवाणी में उपदेशात्मक विचार लिखे है। भौत नोने विचार रचे है। बधाई।
9-श्री पटसारिया जू ने आज कविता पोस्ट कर दी कविता नोनी है। लेकिन आज गद्य लेखन का दिन था।
आज पटल पर *केवल -8* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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263-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-मास्साब,7-9-2021
#सोमवारी समीक्षा#
#दिनाँक 06.09.2021#
#बुन्देली दोहे मास्साब#
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आज सबसे पहले माँ सरस्वती को नत मस्तक करते हुये सभी को प्रणाम।आज का बिषय मास्साब सबसे सुन्दर बिषय पर सबयी जनन ने अपने 2 बिचार रखे जिनमें कुछ मास्साब के अच्छे और बुरे बिचारों को सभी ने रखा।चलो अब हम सभीके मास्साब से मिलकर सबके बिचारन की समीक्षा कर रय।
#1#श्री अशोक पटसारिया जी नादान लिधौरा......
आपने मास्साब के जितने अवगुन हते सब पै रोशनी डारी।मास्साब के ऊपर आपके 8दोहन में अवगुनन कौ सबरौ बखान कर डारो।भाषा भाव शिल्प उत्तम बन परे आपखों सादर नमन।
#2#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुलजी टीकमगढ़......
आपने अपने 5 दोहों मेंमास्साब के अवगुनन पै गौर करो।मास्साब खों शर्मसार करबे बारे अवगुनन खोंउजागर करकें जमाने में मास्साब की बास्तविक स्थिति सें अवगत करा दव।भाषा शैली सरल सटीक उत्तम रयी।आपकौ बेर बेर बंदन अभिनंदन।
#3#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
नन्नी टेरी......
आपने अपने 7 दोहन मेंमिली जुली प्रतिक्रिया करी,जीमें कछु अवगुन, और भौत सारे गुनन खों बरनन करो।ईसुर भी मास्साब के द्वारा पढ़ाय गय।छात्रन की प्रगति चंद्रयान तक पौचवे कौ बरनन करो।भाषा भाव शिल्प शैँली अभिनंदनीय रयी।आपकौ बेर बेर आभिनंदन।
#4#श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी भोपाल......
आपके 3 दोहन में मास्साब की पुरातन पोषाक कौ बरनन करकेंआज की बेशभूसा कौ बरनन करो गव।जो भौतयी सरल और सटीक रव।भाषा चिकनी शैली मजेदार रयी।आपखों बेर बेऋ नमन।
#5#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैनै अपने 5 दोहन में मास्साब के साजे गुनन पै बिचार करो।मास्साब के साजे गुनन खों उजागृ करकें गंगा जैसौ पवित्र बताव।बाँकी भाषा शैली कौ मूल्यांकन आप सब जने जानो।सबखों राम राम।
#6#श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा......
आपने अपने 5 दोहन में मास्साब की कर्तव्यनिष्ठा पै चर्चा करकें आलोचना करी।मास्साब कौ कुर्सी पै सोबो,कागजी काम करबौ,दरशाव।अंतिम दोहा मेंअपने सें तुलना ना करबे कौ बतकाव करो।भाषा भाव सराहनीय।आपका सादर अभिनंदन।
#7#श्री शील चंद जी जैंन शील
ललितपुर.......
आपके 5 दोहन में,पैले में मास्साब समाज कौ शिरमौर,पर आज ठौर का अभाव,दूसरे में मास्साब के अपमान कौ बरनन,तीसरे में मास्साब को अपमान ना करबे कौ निरदेश,चौथे में माता पिताऔर मास्साब कौ अपमान पतन कौ कारन बताव।अंतिम दोहा में मास्साब के ज्ञान खों सागर सें गैरौ बताव।आज के सरकारी फरमानन कौ बरनन करो।भाषा भाव सटीक शैली मजबूत दिखानी।आपको सादर नमन।
#8#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा.......
आपके 5 दोहन मेंसें पैले में बशिष्ठजैसे मास्साब कौ बरनन करो।दूसरे में दशरथ नंदन श्री राम की शिक्षा पै प्रकाश डारो।तीसरे में आजकल के मास्साब कौ मान मरदन,चौथे में मास्साब पिता माता सें बढकें मानौ गव।पाँचवे में मास्साब के ऐलानन कौ बरनन करो गव।
#9#श्री पं. परम लाल तिवारी जी खजुराहो.......
आपके 5 दोहन में पैले दोहा में मास्साब कौ बाल बर्ताव, दूसरे मेंज्ञान कौ भंडार, तीसरे में साईकिल सें शाला जाबौ,चौथे में पोषाक कौ बरनन,अंतिम में मास्साब की सीख,साठ साल तक ज्यों की त्योंयाद रैवौ बताई गयी।
भाषा शैली भाव के अनूठे दरशन,
कराय गय।आपके चरण बंदन।
#10#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी बड़ागाँव झाँसी.......
आपके 2 दोहन में मास्साब की प्रशंसा गागर में सागंर भरकें करी गयी।आपके दोहन में उनै ज्ञानी बताव गय।पैलाँ के मास्साब अब टीचर कहाउन लगे।जो चेलन कौ भविष्य बनाउन लगे।भाषा भावं उत्तम।सादर नमन।
#11#श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़......
आपके5 दोहन में आपने मास्साब केपैलाँ के चरि. खों उजागर करो।
और बताव कै समाज में मास्साब के बिना कौनौ काम ना होत तो।इतै तक कै बिटियन के ब्याव काज मेंठैराबे सें लैकैं सबरी ब्यबस्था मास्साब करत ते।आपकी भाषा भाव सबसें अलग ,सटीक और सुन्दर पाय गय। आपका बेर बेर बन्दन।
#12#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल........
आपके 4 दोहन में मास्साब के साजे गुनन की बिबेचना करी।अंतिम दोहा में मास्साब खों ईसुर की संज्ञा दयी। सबयी दोहा शानदार, भाषा भाव सरल और सटीक।बहिन के पद बंदन।
#13#श्री अमर सिंह राय साहब.........
आपके 5 दोहन मेंसें पैलै दोहा मेंउनकी महिमा बताई गयी।दूसरे दोहा मेंपैलाँ जैसै भाव ना रैवै को बरनन करो।तीसरे में मास्साब खों शिक्षा हेतु निर्देश दय।चौथे में छात्रन खों पीटबे की आफत,अंतिम में इन्टरनेट पै मास्साब कौ बरनन करो गव।भाषा भाव सुन्दर,आपको सादर नमन।
#14#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़........
आपके 2 दोहन मेंसें पैलै दोहा में मास्साब की सेवा की सलाह दयी जी सें अच्छे नंबर मिलें।दूसरे में मास्साब की समय की चोरी कौ बरनन करकें भर्त्सना करी गयी।
आपके भाषा भाव अनूठे हैं,शैली मजेदार।श्री राना जी का बंदन अभिनंदन।
#15#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर......
आपके 5 दोहन में पहले चार दोहन में मास्साब की समस्यायें,और उनकौ निदान ना हौबौ दरसाव गंव।अंतिम दोहा में मास्साब की प्रशंसा करकें बताव गव कै बे अच्छे चेलन खों तैयार करत। भाषा भाव उत्तम,शैली अनुपम।आपका बंदन अभिनंदन।
#16#श्री संजय कुमार श्रीवास्तव जी दिल्ली.........
आपके 5 दोहन में सें पहले2 दोहन में मास्साब कौ गुणगान, तीसरे चौथे दोहा मेंउनकी नौकरी और वेदना कौ बरनन करो गव।
अंतिम दोहा में मास्साब के अवगुनन कौ बरनन भव।भाषा भाव मधुर शैली जोरदार जैसैं...छिरिया कैसौ कान।आपखों बेर बेर अभिनंदन।
उपसंहार..... हमनेंआज की समीक्षा में सिर्फ पटल पै 8.00बजे रात्रि तक की समीक्षा की गयी।आठ के बाद रचना डारबौ नियम बिरुद्ध है सो उनपै समीक्षात्मक चर्चा ना करी जैहै।
निष्कर्ष यह है कि मास्साब के चरित्र पर धनात्मक और रिणात्मक दृष्टि सब विद्वानन ने डारी।पुरातन और आधुनिक परिवेश की खूब तुलनात्मक चर्चा
करी।
आज की समीक्षा इतयीं पूरी भयी।अगर धोके सें काउकी रचना की समीक्षा छूट गयी हो तो क्षमा अवश्य करें।
समीक्षाकार......।
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो.6260886596
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264-श्री शोभाराम दांगी 'इंदु',हिंदी दोहा-तीजा-7-9-21
मंगलवार दिनांक 7/9/021की
समीक्षा बिषय - "हरितालिका "
तीजा पर हिंदी दोहा
समीक्षक - शोभारामदाँगी नंदनवारा (टीकमगढ़)
मां वीणा वरदायिनी सरस्वती माँ को नमन करते हुए मनीषी कवियों, साहित्यकारों को हार्दिक नमन बंदन करते हुए मैं आज पहली वार पटल पर आये कवियों की समीक्षा कर रहा हूँ, समीक्षा में यदि कोई गलती हो जाए तो छोटा समझ कर माफ करना ।
आज सबसे पहले नंबर 01=परआदरणीय मनीषी साहित्यकार श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी ने तीजा पर कमल जैसे फूलों से खूबसूरत दोहा विखेरे,आपका जितना बड़ा नाम है उतना ही इनका काम /आपने बहुत ही सुंदर दोहो का सृजन किया /आप हिंदी एवं बुंदेली में बहुत ही श्रेष्ठ रचनाकारों में से एक हैं /आपने उमा भवानी भगवान शिवशंकर से अपने जीवन काल में बहुत खुश हुई /भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए पार्वती जी ने व्रत पूजा की और सभी नारियों को उपदेश दिया कि कठिन तपस्या, लग्न से शिव जैसा वर प्राप्त कर सकती हैं आपकी लेखनी द्वारा समाज को बहुत कुछ सीखनें के लिए मिलता है /आपकी भाषा शैली अति मधुर लालित्य पूर्ण है आपको बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई ।
02=नंबरपरआदरणीय श्री प्रदीप खरे मंजुल जी पुष्पों की वर्षा करते हुए कहते हैं कि महिलाओं की मांग अमर रहे /मांथे की बिंदी हमेशा दमकती रहे, बहुत ही सुंदर संदेश दिया है /भगवान भोलेनाथ से वर मांगनें को कहा /आपने तीजा की झाँकी बहुत ही बाँकी अपनी हरितालिका से सजाई पर बल भी दिया /तीजा के व्रत का बहुत ही सुंदर चित्रण किया, हरितालिका की क्यारी को अपनें दोहों से सजाया /आपकी भाषा शैली बहुत ही माधुर्य प्रिय है /आपको शुभकामनाओं सहित बधाई, बारंबार प्रणाम।
03= तीसरे नंबर पर आदरणीय श्री रामानंद पाठक जी अपनी मधुर लालित्य पूर्ण भाषा से दोहा सुसज्जित कर कह रहे हैं कि तीजा के व्रत से घर में लछमी जू का वास सदां बना रहता है, सुख सम्पदा एवं शांति बनी रहती है /ऐसे सुंदर सृजन पर आदरणीय पाठक जी को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बहुत बहुत बधाईयां ।
04= नंबर पर आये श्री अमर सिंह जी राय आपने बहुत ही मार्मिक चित्रण किया /आपने अपने दोहों में बहुत सुंदर झांकी सजाई और शिव पार्वती का यह पर्व भादो मास के शुक्ल पछ में तृतीय को तीजा पर्व मानते हैं आपकी भाषा शैली सरल व्यक्तित्व लिए माधुर्य प्रिय है /आपको शुभकामनाओं सहित बहुत बहुत बधाई ।
05= वे नंबर पर आदरणीय श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी बडा गांव बेहतरीन दोहा लेकर पटल पर उपस्थित हुए आपने भले ही दो दोहा से हरि तालिका क्यारी सजाई पर बहुत ही सटीक चित्रण कर तीजा का महत्व एवं मंगलमय त्योहार का वर्णन किया बहुत सुंदर भाव माधुर्य प्रिय हैं आपकी भाषा शैली सरल प्रगाढ सरस है /बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको, आपकी लेखनी को नमन
06= वे नंबर पर श्री गोकुल प्रसाद यादव जी कमाल है आपकी रचना को बहुत ही बढिया दोहा रच कर पुल बाँध दिया /आपकी मुस्कान भरी मिठास बहुत प्रिय, वाणी द्वारा प्रभावित करती रहती है /आपने फूलों सी महकती क्यारी अपनें दोहों से महकाई /श्रेष्ठ सृजन आपका ---
शिव समाधि ताला कठिन, व्रत चाबी सें खोल /
हर पाये हरितालिका, नाम मिला अनमोल //
भाषा मधुर लालित्य पूर्ण सहज सुंदर है /कमाल के दोहा बधाई आपको बारंबार प्रणाम आपको ।
07--- वे नंबर पर आदरणीय श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी नें बहुत ही श्रेष्ठ सृजन काव्य रचना हरितालिका पर की /आपकी भाषा शैली अति उत्तम माधुर्य पूर्ण /
आपने बहुत ही सुंदर भाव विचार व्यक्त किये /
शैल सुता जी ने किया, यह व्रत मधुर महान /
वनी अर्पणा तव मिले, पति स्वरूप ईशान //
कमाल है आदरणीय पीयूष जी बहुत ही शानदार व्रत की उपमा /
आज की पीढी के लिए सुंदर संदेश, बारंबार बधाई आपको शुभकामनाओं सहित ।
08= आदरणीय श्री कल्याण दास साहू जी ,पोषक जी आपने श्रेष्ठ दोहा देकर आने वाली पीढी को सुंदर राह बताई /आपके दोहा अति प्रिय सुखद ,भविष्य में काम आने वाले हैं /सौन्दर्य सृजन लिए हुए हैं /बहुत बहुत बधाई आपको दोहा सभी अच्छे पर मन को भाया ये -
तीजा व्रत को साधकर , करती ह्रदय पवित्र /
पूजा कथा विधान से , गढती धवल चरित्र //
आपने बहुत बढिया रसदार दमदार सृजन अपनी कलापूर्ण भाषा से सुसज्जित किया /आदरणीय श्री पोषक जी को सा हृदय से बधाईयां बारंबार प्रणाम।
9= वे नंबर पर मैं स्वयं शोभारामदाँगी नंदनवारा से आप सभी को अपने दोहा सादर समर्पित करता हुआ आप सभी को हार्दिक प्रणाम ।
10= वे नंबर पर आदरणीय डा रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल से अपनी कलम की सुंदरता बढ़ाती हुई पटल पर उपस्थित हुई आप हिंदी साहित्य जगत में ऊँचाई पा रही ऐसी मनीषी बहिन रेणु जी को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ आपके दोहा बहुत ही सारगर्भित शानदार हैं /आपने हरितालिका बिषय पर दोहा के माध्यम से पति के साथ रहने का महत्व पर बल दिया जो सुहागिन हैं वे यह व्रत करतीं हैं आप कहतीं हैं कि -
लाल चुनरिया ओढके, चूड़ी पहने हांथ /
तीजा का व्रत वे करें, पति का रहता साथ //
आदरणीय डा रेणु श्रीवास्तव जी को बारंबार प्रणाम, बहुत बहुत बधाई ।
11= वे नंबर पर आदरणीय श्री गुलाब सिंह जी भाऊ अपने दो दोहा के माध्यम से बहुत बढिया कमाल कर रहे हैं /आपने सुंदर सृजन किया /हरितालिका की क्यारी में सुंदर पुष्प वाटिका सजाई और कहा कि नारद जी द्वारा गौरा जी को ग्यान देने का उपदेश दिया कि शिवशंकर को अपनालो वो तुम्हारे पति बहुत महान हैं /जगदाधार हैं बहुत सुंदर भाव व्यक्त किये /भाषा सुंदर, भाऊ जी को बारंबार प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ ।
इस प्रकार आज कुल ग्यारह साहित्यकारों मनीषियों ने हरितालिका सजाई जो बहुत ही सुंदर झाँकी बाँकी रही आप सभी बहुत ही विद्वान मनीषी पण्डित हैं /हम आप साहित्यकारों को क्या लिखें /मैं आप सभी के सामने कुछ नहीं हूँ आप सभी को बहुत बहुत बधाईयां ।
निवेदन है कि अगर कोई कलमकार छूट गया हो, तो छमा करना मेंने पहली बार समीक्षा लिखने की हिम्मत जुटाई, जैसी बन पड़ी हो /आप सभी की सहमति की आशा करूगा /सभी काव्य रचनाकारों को पुन: हार्दिक शुभकामनाएँ एवं ढेर सारी बधाईयां /जय माँ वीणा पांणी
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समीक्षक-शोभाराम दागी 'इंदु', नंदनवारा(टीकमगढ़)
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265-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-8-9-202
*जय बुन्देली साहित्य समूह 🌹टीकमगढ़*
🥬बुन्देली समीक्षा 🥬
बुधवार 7/9/2021
*स्वात्रंत गद्य लेखन*
लिखूं समीक्षा आज की
मांगे सुर जा तान
*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा*
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*1-श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा टीकमगढ़*
आ•नादान जूअपन ने आज बुन्देली के गौ माता पर दोहा भौतई बढ़िया लिखी हैं जूअपुन ने गाय माता मारी मारी दुनिया में हर जागा फिर रई है जू भूकी प्यासी कागद पुटठा पालिथीयन खात फिर रई है जू जिनने कऊचर भूम पै कब्जा करलव होये उनकीं नाश होये अपुन ने गऊ के दुःख को भौतई नौने से बखान करों अपन ने भोतई नौने दोहा लिखें है जू अपुन को बार-बार सादर नमन 👏👏
🫐🫐🫐🫐🫐🫐
*2-श्री अमर सिंह राय जू (शिक्षक)नौगांव जिला छतरपुर*
आ•राय साब अपुन ने कविता भौत नौनी लिखी हैं जू
🌲न हमें काउ से काने 🌲
सासी बात काउ की कये में आफत है जू ससी कत
सासी कये देत तो झन्झट को डर है जू इसे नियम कायदे अपने भीतर रन दो न बात बिरानी कईये न ऐचा तानी सईये आज काल सासो जमानो नईया भड़यन से दरोगा आदे पईसा लेत है अपुन ने आज के जमाने की चाल चलन भौतई बढ़िया कविता लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन 👏👏
🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️
*3-श्री संजय श्रीवास्तव जू,मबई ☝🏽दिल्ली*
आ•भाई साव जू अपन ने मास्साव के बारे नौनी कलम चलाई है जू मास्साव खो आज साठ हजार रूपया वेतन के मिलत ई गरीब हीर पीर बढ़िया कविता लिखी हैं जू अपुन खो और अपनी लेखनी को बार-बार सादर नमन 👏👏
🍀🍀🍀🍀🍀🍀
*4-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू टीकमगढ़*
आ•भाई साव मंजुल जू अपन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू जो आज के जमाने की चाल चलन पै भौतई बढ़िया हैं जू जमानो कैसो आ गओ आदमी को मन उदास सो है जबरन की हसी हस रये है जू घर को चलाबा नई चलरये है मोड़ी मोड़ा भूके रे रये है भर पेट रोटी नई मिल रई है अपुन लिखरये जमानो अच्छो सो नई आउने है अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत 👏👏
🍀🍀🍀🍀🍀🍀
*5-श्री डाँ रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल*
आ•डाँ श्रीवास्तव जी अपुन लिख रये हो के कैकई की दासी मंथरा
नाव प्यारो हतो पै बातन में भौतई चतुर हती राम को राज तिलक सुन के देवता सब सरस्वती के पास पहुंचे और मंथरा की जीव पै बैठ के कैकई के पास पहुंचे जू कैकई से वरदान मगबा कर राम वनबास को पहुंचा दव जू अपन की कलम को सादर नमन 👏👏
🍦🍦🍦🍦🍦🍦
*6-गुलाब सिंह यादव'भाऊ' लखौरा"*
हम ने एक गारी लिखी जब मेगनाथ को श्री लक्ष्मन जी ने भुजा काट कर सिलोचना के आँगन में पहुंचाई शीश रामा दल में शीश मगाबे गई थी 👏👏
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*7-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष जू टीकमगढ़*
आ• श्रीवास्तव पीयूष जू अपुन ने भौतई मन रंग की बात प्राकृतिक श्रंगार का बखान दोनों पति पत्नि के ब्याव के सात पाँच बचन के बाद पत्नी अपनें पति से कछु दिल की लगी मांग करत जू के हमाई तुमाई अब चार आँखें होगई है अब हमें जो चाने आयें हम तुम से मंगा सकत है कछु अपुन ने गुप्त बात जो मांग रही है जू बो भी अपुन ने भोतई नौने भौत बखान करों जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत 👏👏
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*8-श्री कल्याण दास साहू पोषक जू पृथ्वीपुर जिला निवाडी*
आ•पोषक जू अपन कितनो नौनो गरीब आदमी की घरबाई खो सब कोऊ भौजाई कत है जू अपन बतारये के सुधे साधें इंसान खो तरयाउत है जू जमानो सुधे साधें इंसान को नईया दन्दी फन्दी इंसान खो सबई डरात हैं अपुन ने भौत गरीब को बखान करों जू अपन की कलम को सादर नमन हार्दिक स्वागत 👏👏
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
*9-श्री रामेश्वर प्रसाद इंदु जू बड़ा गाँव झाँसी उ प्र*
आ• इंदु जू अपुन ने भौतई बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू उनकी कविता गंगा जल सी नौनी भाषा सरल है जू अपन बतारये सूर कवीर मीरा बाबा तुलसी के सबई के कथन शिल्प लय छंद दोहा गीत गजल सबई कमल के समान सुन्दर लेखन की भौतई बढ़िया बखान करों जू अपन की लेखनी
खो सादर नमन वंदन हार्दिक स्वागत 👏👏
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*10-श्री गोकुल प्रसाद यादव जू नन्हीं टेहरी बुड़ेरा टीकमगढ़*
आ•यादव जू ने भौतई बढ़िया परखबै की परख पै बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू जो भौतई बढ़िया हैं जू अपुन लिखरये मरयादा नई टोरो भईया अपने मन में भीतर कछु झाको और जोन चकिया को पाट नौनो आटो नई पीसत होये उखा टाँको और चलते खो लठिया से नई हाको आदमी खो अच्छे गुन होबै जू अपुन ने दूसरी और तीसरी चौकडिया में भौतई नौने नौने ग्यान को बखान करों जू अपुन ने का तक बखान करे जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन 👏👏
🌲🌲🌲🌲🌲🌲
*11-श्री शोभा राम दांगी जू नंदनवारा जिला टीकमगढ़*
आ•दाँगी जू अपन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू जी में सबरी के जूठे बेर हरि ने खाये है सबरी चख चख के श्री राम जू खा देरई है राम उने खा रये है बैर बैर हॅस हॅस के राम खारये है लक्ष्मन जू सबरी के जूठे बेर पाछे से फैक रये है जू बै बैर नई खा रये है अपुन ने भौतई बढ़िया मोह भंग कथा को बखान करों जू हम का तक बखान करे जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है जू 👏👏
🥬🥬🥬🥬🥬🥬
*12-श्री रामा नन्द पाठक नन्द जू नेगुवा पृथ्वीपुर जिला निवाडी*
आ•पाठक नन्द जू अपन ने ब्यंग तरंग लिखों हैं जू आज जमाने की चाल चलन सबई कहानी लिख दई है जू अपन ने कई बैरई धारा लूट की मौका देख के कोऊ नई चूकत सबई आज के जमाने की चाल चलन पै धर्म छोड़ के अनीति पे चलन लगे आदमी अगली चौकडिया में अपुन ने पंडित देशराज पटेरिया जी के बुन्देली सम्राट को भौतई नौनो बखान् करों जू पं देशराज पटेरिया जी को नाँव बुन्देलखण्ड में अमर हो गव है जू अपुन ने बढ़िया बुन्देली माटी के पूत को बखान करों जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन 👏👏
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*13-श्री परम लाल तिवारी जू खजुराहो*
आ•तिवारी जूअपन ने भी पं देशराज पटेरिया जी के बुन्देली सम्राट को भौतई नौनो बखान् करों जू अपुन बता रये पटेरिया जी के बुन्देली गीत सुर तान राँग में भौतई बढ़िया गायक हते और रात रात भर जनता को मधुर गीत गाउत हते उनकी आबाज मन मोहनी हती अब बुन्देली को उपवन सूना सूना सो हो गव है पटेरिया जी को नाँव बुन्देलखण्ड में अमर हो गव है अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गाथा को बखान करों जू अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत जू
👏👏
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आ•जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ के पटल पर उपस्थित सबई जनों को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत है जू
*समीक्षक -गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा*
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266-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-9-9-21
🌷🌷जय बुंदेली🌷🌷
साहित्य समूह टीकमगढ़
स्वतंत्र हिंदी पद्य लेखन
दिनांक 09.09 .2021
🌷
समीक्षक पं. द्वारिका प्रसाद शुक्ल ,,सरस,,
टीकमगढ़
🌷
खुशियां छाई बुंदेलखंड में! हैं बुंदेली के शेर !!
हियै नदनारे सूखे डरे! बरखा रही है पेर !!
नमन बुंदेली काव्य मनीषी! बुंदेलखंड सिरमौर !!
मिटा चबूतरा दोर के!
मिटी घर की है पौर!!
मिटी अथाई मिलन की!
अपनेपन से गांव!!
एक दूजे मिलत नहीं !
आज मिटे वे ठाँव!!
हिंदी के प्रखर ज्योति को जग जाहिर करने वाले काव्य मनीषियों को वंदन अभिनंदन आज पटल पर महानुभावों ने विचारों और भावों में भर के पुष्पों की महक बिखेरी है जो मँहक समूचे भारतवर्ष में फैल रही है और हिंदी को राष्ट्रभाषा हेतु प्रेरणास्रोत बन कर उभरी है , विदुशियों को नमन जो हिंदी की प्रखर ज्योति बढ़ाने में अपना योगदान देकर उसकी मांग को बढ़ाकर साहित्य सृजन कर रहे हैं ऐसे सरस्वती के वरद पुत्रों को साधुवाद हार्दिक बधाई !!
नंबर 1 .प्रथम में पटल पर श्री गणेश करने वाले आत्म चिंतन के पुरोधा बुंदेलखंड के चहेते मानस कुंज के चरितार्थ उत्तमता लिए हिंदी साहित्य में अपने योगदान को प्रशस्त करने वाले श्री अमर सिंह राय जी ने अपनी रचना में कविता क्या है शीर्षक से भाव भरे हैं कविता मन के भावों की अभिव्यक्ति है तंत्र मंत्र जैसी शब्द बड़ी शक्ति है कविता कल्पनाओं को संवेदना में बांध साकार रूप देती है काव्य रसों अलंकारों का समावेश ही मात्र सौंदर्य का सार नहीं है कविता संयोग श्रृंगार में प्रिय और प्रियतम को रिझाना नहीं निराश जीवन में खुशियों का खजाना है कविता अभिव्यक्ति और अनुभूति की मार्मिक गाथा है कविता ही देश प्रेमी जवानों के हृदय में बलिदानी भाव भरती र्है और मन की जागृति देकर क्रांति का बिगुल बजाती है कविता के रस छंद अलंकार की अनुभूति ही जीवन की संगति है और स्वर तान भी है बहुत सुंदर शब्दों का चयन कर सारगर्भित रचना के लिए श्री राय साहब को हार्दिक बधाई सादर वंदन अभिनंदन !!
नंबर दो .श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ने शिक्षक शीर्षक से रचना में शिक्षक शिक्षा देने में तत्पर सर्दी वर्षा और गर्मी में भी तन्मयता के साथ शिक्षा देना ही लक्ष्य है ऐसा मानकर प्रगणक के रूप में निर्वाचन जनगणना में शालीनता का परिचय देकर कर्म के बंधन को समझता आ रहा है मतदाता सूची में घर घर जाकर दरवाजे पर दस्तक देकर भी निंदा की पहेली बनकर कर्तव्य को निभाता है फूलों को शिक्षा रूपी जल देकर प्रौढ़ता प्रदान करता है इसलिए मान सम्मान पाता है उत्तमता के सिरोधार बनके श्री यादव जी ने मन के भावों को समेटकर वास्तविकता की ओर अपने भाव उजागर किए हैं जो सार सम्मत हैं उत्तम रचना के लिए धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई!!
नंबर 3 .श्री ए. के. पटसारिया जी ने अपनी रचना ,,उसकी जिंदाबाद यहां,, शीर्षक से दहशत भरे आलम में मरघट भरी चेतावनी दी है और दहशतगर्दी फलते फूलते जा रहे हैं और युवा वर्ग भी गुमराही राहों को पकड़ कर उसके शिकार होकर राह भटक से गए हैं जाति धर्म पिछड़ा दल बंदी मजहब की दीवार को बनाकर रोटी सेकने का सिलसिला ही राजनीति का मोहरा बना है जलते जिंदा आशियां सिसकियां भर रहे हैं हादसों के मंजर मानवता की हताशा में नासूर बन कर मवाद रूपी जख्म जीवन के जेहन को कुरेद रहा है बहुत ही शब्द लेखनी को शुद्ध रूप देकर सारगर्भित रचना में भावों को पि्रोकर अंतर मन के उदगारों को पटल पर रखा है जिससे चेतावनी भरी सीख का मनोविकारों के ऊपर प्रहार होकर सुधरने की लालसा जागृत होतीहै उत्तमता के भावों को सहेज कर रचना के लिए श्री नादान जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन !!
नंबर 4. श्री मनोज कुमार जी ने प्यार करके देखें जरा शीर्षक से रचना में सिंगार भाव उकेरे हैं आंखों में प्रेम की परछाई और जुदाई की लपटों में सिसकते आंसू तड़पती आश में खो जाते है और प्रेम रूपी आग सुलग कर हृदय को पेरती है जिससे गम के साए में भूख प्यास भी नहीं लगती है और पल भर की आस लिए उसके ही साए मैं रह सुखद आनंद की अनुभूति करके श्री मनोज जी सुंदर सुखद आनंद भरी रचना की है जो मन को झकझोरती है कवि होकर कल्पना केसागर में डूबने पर ही यह तब मिटने की आस जीवन के सुंदर पलों को संजोयती है बहुत ही गमगीन रचना में उत्तम भाव भरे हैं श्री मनोज कुमार जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
नंबर 5. श्री शोभाराम दांगी जी ने गीत के माध्यम से जलते स्वप्न मन को कचोटते नजर आ रहे हैं नजर आते यह जीवन ही उन सपनों का घर है लेकिन अपनी राह बढ़ते कदमों का ही हौसला बना कर चलते रहना ही लक्ष्य प्राप्ति का साधन है लेकिन चलती राह में वक्त का पहिया चलते गमों को समेटे हमें ढाढस बांधकर ही मिलते हुए चलना ही जिंदगी है कर्म ही की पूजा ही हमारे लक्ष्य को मंजिल देती है नफरतों को दूर करके ही मंजिल तक के सुखद अवसर मिलेगे और जलने वाले खाक होते रहेंगे बहुत ही उत्तम रचना के लिए हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद!!बधाई !!
नंबर 6. श्री प्रदीप खरे मंजुल जीने हाइकु में भाव भरे हैं जिसमें तीज के परम पावन पवित्र शिव पार्वती जी के सजते मंडप में उपवास पर अपनी मनोती लिए सजनी साजन की लंबी उम्र की कामना करती है और विनय कर रात्रि जागरण कर हरी से अपनी पीड़ा हरण करने हेतु दिल की आस करती है और पति के लंबी आयु की कामना करती है कि हमेशा घर स्वर्ग बना रहे बहुत ही अध्यात्म भरी रचना ने आज के वास्तविक रूप के दर्शन कराए हैं सादर वंदन अभिनंदन भावों को सादर नमन !!
नंबर 7 .बहन मीनू गुप्ता जी ने रचना में अध्यात्म भरे भावों में गणेश उत्सव हेतु ध्यान धरकर रचना में ध्यान वान मग्न होकर पूजा अर्चना करते ही गणपति जी ने दर्शनों का लाभ देने उत्सुकता भरे मन में आनंद की अनुभूति करने हेतु कवि की कल्पना थी शब्दों में दूर्वा और मनमोहक सब्दीय विनय जो लड्डू के रूप में बिना दिखावा किए अंतर उर को आनंद करते हैं और ऐसी मिट्टी से बने गणपति मेरे जीवन रूपी बाग में बिखरी माटी से जीवन को सोंधी महक दैने का प्रयास करें बहुत ही सुंदर शब्दों में अध्यात्म भरी रचना में गणपति के दर्शन करा कर मन को गदगद कर दिया है बहन मीनू जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई !!
नंबर 8 .श्री संजय श्रीवास्तव,, वीर ,,जी ने गजल सवाल के माध्यम से संसारी रूपी उफनते दरिया में भूचाल को देख सवाल किया है कि इतना उन्माद दंगा फसाद क्यों है पुरखों के सोपे वतन को किया बर्बाद क्यों है ईमानदारी घुट घुट कर रो रही है खेतों में बारूद विछ रही है भेड़िए बढ़ते ही जा रहे हैं और इस पर सारा विश्व चुप है चमन को उजड़ते देख रहा है कालजई रचना ग़ज़ल में शब्दों को प्रोकर लेखनी में कम शब्दों में उत्साह भरा है श्री संजय जी बहुत ही उत्तम गजल हेतु वंदन सृजनता को नमन!!
नंबर 9 .श्री राजीव राना लिधौरी जीने ग़ज़ल के माध्यम से ,,कोई बात बने,, शीर्षक से दूरियां दरिंदगी के बीच की खाई को पाटकर मिटाने से ही बात बन सकती है दिली अरमानों को पूरा कर आओ तो बात बने और प्यार में सीने में लगी आग को मन से बुझाओ तो बात बने मुस्कुराहट तो सुहानी परछाई है आत्मसात हो करके ही दिल की आग मिट सकती है इसके लिए प्रेमी ह्रदय तभी हासिल होंगे जब हम राम रूपी प्यार को अपनी दहलीज पर रखेंगे तभी जीवन रूपी स्वर्ग को पाने के हकदार होंगे वाह सीने की आग को प्यार से बुझाने वाली रचना ने भाव विभोर कर दिया है जिससे आत्मीयता जागृत हुई है बहुत ही सुंदर गजल में आपसी तालमेल की बात करके राना जी ने एकता की मिसाल पेश की है जिसके लिए वे भी साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन!!
नंबर 10. श्री किशन तिवारी जी भोपाल ने अपने रचना मैं गांव के हालात पर भाव भरे है अखबार में ना पढ़कर हालात देखने को कहां है आज के बच्चे खिलौनों को तरस गए हैं और शहर में दहशत भरे खिलौने नजर आ रहे हैं आज गांव शहरएक हो गए और वह पर्यावरणीय दशा आज शहरी होती जा रही है शहर का बदमाशों का दल गांव में व्यसनों के साथ शरारत करता दिखाई दे रहा है हमारे पर्यावरण पर पढ़ती बौछार हमें सीख देने के लिए उत्तम रचना की है श्री तिवारी जी ने कम शब्दों में बहुत ही उत्तम भाव भरे हैं जो मनुष्यता की लीक को अमन में बदलना चाहते हैं ऐसे लेखनी को नमन सादर वंदन अभिनंदन!!
नंबर 11 .श्री प्रदीप कुमार जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से अगर हमसफर सुहाना मिल जाए तो यह जिंदगी दोस्तों सुहानी बनकर नगर में अपनों की तलाश कर सके वतन में इसका असर अवश्य ही पड़ेगा हम तो दुआएं करते हैं की सभी सलामत रहे और हम मनुष्यता की डगर पकड़कर ही अमन से जी सकते हैं मनुष्य सामाजिक प्राणी है इसलिए उससे किनारा करना हमारी आबोहवा में नहीं है इसलिए दोस्तों हमें अपनेपन का एहसास जगाना ही होगा ताकि हमारा वतन खुशहाल बना रहे बहुत ही उत्तम गजल के लिए श्री प्रदीप कुमार जी को सादर वंदन हार्दिक बधाई! धन्यवाद !
नंबर 12. श्री जय हिंद सिंह ,,जय हिंद ,,जुने मेरा दिल भी एक कलम है शीर्षक से अपने रचना में भाव भरे हैं दिल के भावों को यदि कोई बाहर निकाले तो आंखें नम हो जाती हैं यही बात एक कलमकार रचना में पिरो्कर लगता है कि मर्यादा है और रिश्ते हमें बना के रखना चाहिए वरना यह गिफ्ट जो अबला के ऊपर अत्याचार कर रहे हैं और अहंकार के कारण मिठास गायब हो गई है गीता और गायत्री आंसू बहा रहे हैं पिता और माता बुढ़ापे में सिसकती सांसो से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं उनकी संतान उनको देखने की वजह अकेला छोड़ कर एकल परिवार बनाकर रह रहे हैं ऐसी विडंबना आज के परवरिश में देखने को मिल रही है बहुत ही सीख और चेतावनी भरी रचना मैं दाऊ साहब ने चार चांद लगा दिए हैं उत्तम रचना लिखने के लिए नमन सादर वंदन अभिनंदन!!
नंबर 13 . कवि संजीत गोयल शीर्षक मोहब्बत के रचनाकार द्वारा अपनी रचना प्रस्तुत की है जिसमें पानी में शक्कर की तरह घुलना और तुम्हारी सांस बनकर मैं इस नशीली जाम को छोड़ होठों को पी जाऊं दिल की डोर मदमस्त नयन कि यह कश्ती उतार कर सावन के बारिश बनकर दिल में समा जाऊं इन लिपटी जुल्फों में चांद की चांदनी बनकर मत छुपा बहुत ही सुंदर सिंगार रचना करके श्री गोयल जी ने मन में उमंग जागृत कर दी है जो बरसते बदरा मैं मनमोहकता को मोह रही है ऐसी रचना के लिए श्री गोयल जी को सादर वंदन अभिनंदन!!
नंबर 15 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपनी रचना में दुनिया को वेरहम बताया है और पाप कमा रहे यह मनुस्मृति गधे को अपना बाप बनाने पर तुली है इसमें बहुत अंधेर मचा है धजी को सांप बताने के लिए लगे हैं और गलत पथ पर चलने वालों की भीड़ अधिक है झूठ और अहंकार को पनाह दे कर अमन को बर्बाद कर रहे हैं ऐसी अपनी रचना में उत्तम भाव भरकर सीख भरी चेतावनी देकर समझाइश दी है रचना में भावों को तराशा है जो अमन चयन के लिए सारस्वत जीवन जीने की राह दिखाता है उत्तमता लिए रचना सारगर्भित और मनोहारी है ऐसी रचना के लिए श्री पोषक जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
नंबर 16 .बहिन नेमा जी ने अपने शीर्षक गिरधारी रे बनवारी रे अब सुन लो पुकार हमारी रे अब बजा दो बांसुरिया निराश ना हो ए नर नारी रे हमारी आस पूरी करो और हमारी पीर हरो यह देश हमारा बहुत बेहाल है संकट आया इस देश में महामारी करोना बहुत परेशान करके जनता को रुलाया है पीर हरो यह गिरधारी बजा दो बांसुरिया दिल खुश हुए हमारी सुनो पुकार हमारी बहुत ही अध्यात्म भरी विनय करके नेमा जी ने सर्व हिताय जन सुखाय हेतु विनय करी है जो मानवता और प्रमोद की ओर पथ प्रशस्त करती है ऐसी रचना के लिए बहन नेमा जी को सादर बधाई धन्यवाद!!
नंबर 17 .डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने अपनी रचना राका शीर्षक से पथ को उसके साथ खड़ी होकर चंद्र की किरण को मन में समा कर देख रही थी कि अंधेरे का ऐसा मुझे आराम करने को कह रहा था मैं निशा रजनी को अपने आगोश में लेने ही जा रही थी तभी दिव्य प्रकाश का आभास हुआ कि बहन अब कहीं नहीं जाना क्योंकि निशा ने अपने पैर पसारे हैं वरना यह अंधकार तुम्हारे जीवन में घिर जाएगा हे बहन तुझे अब अंधेरे में नहीं रहना है मेरा तुझसे यही कहना है पूर्णिमा छोटी बहन अंधेरा जिसको कभी नहीं भाता सहन दुआओं की श्रृंखला खुशी के साथ तुम्हारा स्वागत करने रातरानी की महक के साथ राका की मलि्लका बनने के लिए भवरे का साथ मिलेगा ऐसा विश्वास कर आत्म चिंतन को जागृत करके हमें हौसला बढ़ाना है और अंधेरे को पूर्णिमा की रात जैसा उज्जवल उजाला देकर ज्योतिर्मय करना है ऐसी उत्तम रचना के लिए रेनू जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
नंबर 18 .डी.पी. शुक्ला ,,सरस ,,ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से पनपते जुल्म को उजागर करते वक्त के साथ दहशती बाजार को तकरार में बदला है और जीने की जद्दोजेहद में जमाना भी साथ नहीं दे रहा है हम लुटते हुए इस बाजार में सफर में अकेले ही जिंदगी गुजार रहे हैं फिर भी हमें सुकून कहां हंसते पल कम हैं और गमों के पल अधिक हैं मुस्कुराहट मेरे लबों से गायब हो गई है ऐसे बेदर्द संसार में मुफलिसी लोग जिस्म को नोच रहे हैं और बेशर्मी के भंवर जाल में फस कर दामन को कांटे चुभो रहे हैं और हमें ऐसी आशा करते हैं कि हमें अपने ही दरबार में वह सुकूनी मंजिल कब मिलेगी समीक्षा संप्रेषित!!
नंबर 19 .श्री गुलाब भाऊ लखौरा के द्वारा अपनी रचना पूर्णका के माध्यम से प्रेमिका को गले लगाने की लालसा और ललक प्रेम प्रसंग में कब रंग जाए जिससे प्रेम रस में यह अभिलाषा पूर्ण हो और नैनो से नैन मिल आंसू की मोती ब्रिंदो को उठाकर कब भाग जाऊं जिससे हमारे अंदर की हार्दिक उन मान्दता दूर हो सके हम प्यार भरी डगर में चलना चाहते हैं अतः प्यार की कामना से ही उन्मुक्त संसार की ओर देखकर प्रसन्न मुद्रा को पाना चाहते हैं बहुत बहुत सुंदर रचना के लिए शृंगार युक्त रचना में भाव बढ़ाने के लिए श्री भाऊ को हार्दिक धन्यवाद वंदन अभिनंदन !!
नंबर 20 .श्री हरी राम तिवारी जीने अपनी कविता ,,हम प्रयास करें,, शीर्षक से जीवन में शांति पाने के लिए हमें कर्म रूपी विश्वास के साथ कार्य करना ही हमारा प्रयास होगा सत कर्मों से ही संकल्पित लक्ष्य हमें पर्याप्त रूप में प्राप्त हो सकता है जिसमें निराशा की कोई गुंजाइश नहीं है इसलिए सफलता पाने के लिए हमें गुरु कृपा और हरि कृपा के साथ ही जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत रहना ही मनुष्यता का मानवीय आधार है जिससे हमें कर्मठता के साथ प्रशस्त करना है बहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित सीख भरी रचना भावों में पिरोकर उत्तमता लिए प्रस्तुत किया है जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं श्री तिवारी जी को वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 21.श्री पी.डी. श्रीवास्तव पीयूष जी ने अपनी रचना मैं ,,मैं ऐसा मनमीत बनू ,,के शीर्षक से रचना में भाव भरे हैं उनके कर कमलों से वीणा के सुंदर स्वर सरगम की मधुरम ताने गूंज रही हैं और उनके मृदुल अधरों पर सजे मिश्री से बोल भाव मृदुल भर रहे हैं और उनके मन में लेश मात्र भी वासना भरे भाव नहीं है ऐसे प्रीतम की डोर बांधकर प्रीत लगाई तो मधुर मिलन की आतुरता में प्रतिफल आनन्दमयी और सुखद सुंदर फल प्राप्त होगा जिसे पाने के लिए यह मन लालायित है ऐसे प्रीतम के लिए हृदय में अपनी भाव भंगिमा को मन के मीत बनाकर पलक बिछाए रहूं बहुत ही शृंगारिक रचना में श्री पीयूष जी ने सुंदर भाव भरे हैं जो मनमोहक समर्पित भाव से मन में समाहित करने के लिए उत्तम हैं प्रेरणा श्रोत हैं बहुत ही उत्तम रचना के लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन!!
नंबर 22 .डॉक्टर अनीता गोस्वामी ने अपनी रचना में हरितालिका तीज की शुभकामनाओं के साथ भारतीय नारियों को श्रद्धा भक्ति भाव से शिव पूजन मैं नारियों का योगदान और भक्ति भाव को उकेरा है और महाकाल को नमन कर ब्रह्मांड में विजेताओं से नक्षत्र गंगाजल नीलकंठ हलाहल पीकर डमरू त्रिशूल हाथ में कमंडल ऐसे निराले भोले नाथ की जय गिरिराज कुमारी भक्तो की रखवाली करने वाले संकटों के नाटक श्री भोले त्रिपुरारी तुम्हारी जय हो आज की हरितालिका व्रत मैं शिव पार्वती जी के पूजन में रात्रि जागरण के पावन पवित्र व्रत को नमन करते हुए वंदना की है डॉ अनीता जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
- समीक्षक- श्री डी पी शुक्ला 'सरस' टीकमगढ़
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267-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-10-9-21
*पटल समीक्षा दिनांक-10-09-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सभी विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन खौं गणेशोत्सव की बधाई देत भये अपन एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों, भाई, बहिनों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै
*1मनोज कुमार जी* ने अपने विचार व्यक्त करते हुए त्याग के महत्व के बारे में बताया। आप कहते हैं कि त्याग देह का ऋंगार है। बिना त्याग के जीवन की सार्थकता नहीं है। त्याग हमेशा ही सद्गुणों का नहीं अवगुणों का करना है। नई दुल्हन की तरह देह का ऋंगार करने और उसके लिए त्याग को जरूरी बताया। रोचकता लिए सारगर्भित आलेख प्रशंसनीय है। आपको हार्दिक बधाई।
*2*अमर सिंह जी राय* संस्मरण रोचक और कर्णप्रिय होने के साथ ही प्रासंगिक है। समाज में आज अमीर घरानों में बढ़ती व्यस्तता ने लोगों को अपनों से दूर कर दिया है। बुजुर्गों के अपमान की कहानियां भरी पढ़ी हैं। एक ज्वलंत मुद्दे को लेकर लिखा संस्मरण प्रशंसनीय है। बहुत बहुत बधाइयां।
*3* *बहिन मीनू गुप्ता जी* टीकमगढ़ ने पटल पर अपने सुंदर भावपूर्ण प्रसंग को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। बधाई। तन, मन धन सब है तेरा, बिन तेरे क्या है मेरा की भावना लेकर सब कुछ ईश्वर को अर्पित करने की प्रेरणा दी गई। जो है सब भगवान का है, जो सत्य है। आपकी सोच को बारंबार नमन। बधाइयाँ
*4* *श्री प्रदीप खरे,मंजुल जी* टीकमगढ़ ने सत्य को ईश्वर का ही स्वरूप बताते हुए सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। राम नाम ही सत्य है..। यह मरने के बाद नहीं, जीते जी जान लेने की जरूरत है। समाज को दिया गया संदेश प्रशंसनीय है। समीक्षा सुधी पाठकों पर छोड़ना ठीक है।
*5* *श्री डीपी शुक्ल सरस जी* टीकमगढ़ ने मानव जीवन की यातनाओं और परेशानियों पर अपना चिंतन बढ़े ही मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया है। समय से पहले मृत्यु की ओर जानें का कारण तनाव और परेशानियां हैं। आजादी की मूल परिभाषा आज 75 सालों बाद भी अपनें गढ़े जानें का इंतजार कर रही है। आपके उत्तम विचारों ने एक नया चिंतन प्रस्तुत किया है। बधाइयां
*6* *परम लाल तिवारी* खजुराहो से भगवान गणेश के प्राकट्य और उनके बारे में बड़े ही रोचक ढंग से बताये हैं। प्रसंगवश लिखा गया उनका यह लेख हृदय स्पर्शी और मनमोहक है। उनकी अपार मातृ भक्ति और बुद्धि ही उन्हें प्रथम पूज्य बनाती है। बधाइयां.. जय श्री गणेश
*7* *राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी* टीकमगढ़ सैं अपने बचपन कौ संस्मरण लिख रयै। मैया अछरू माता के धाम कौ और उतै के चमत्कार को बखान करो। उनकी शानदार लेखनी खौ नमन करत भयै उनके लेख की बढ़वाई करत। अपन खौं बधाई
*8* *गुलाब सिंह यादव,भाऊ जी* लखौरा सें प्रसंगवश लिखत कै त्यौहारन की जानकारी मिलत रयै, तौ ठीक रै, सुझाव नौनौ है, वैसे अधिकांश त्यौहारन पै दोह और लेखन के द्वारा लिखो जात रऔ। आंगें भी लिखौ जै...अपन के विचार स्वागत योग्य हैं। सो बधाई हो
आज पटल पर *केवल 8* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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268-राजीव नामदेव,टीकम.,बुंदेली-छमाबानी,13-9-21
*268- आज की समीक्षा* *दिनांक 13-9-2021*
*बिषय- छमाबानी*
आज पटल पै भौतइ नोने दोहा डारे गये है। सबइ जनन ने बढिया कोसिस करी है। पैला तौ सबइ जनन खौ भौत नोनौ लिखवे पै हमाइ मुलकन बधाई।
*छमा वीरयस्य भूषणम* हम तो जा कत है कै काम ऐसो करबो चइए की छमा न मांगने परे। आज सबई जनन ने भौत नौने दोहा रचे है।
आज सबसें पैला
*1* *जयहिन्द सिंह जू जयहिन्द, पलेरा* ने भौत नौनी बात कई है कै जीकै दिल में छमा के भाव होत ऊके भीतर दया अरु करुणा विद्यमान होत है। बधाई नोने दोहा रचवे के लाने।
बसत क्षमावानी जितै,बसत उतै नँदलाल।
फिर बिगार को का सकै,माफी माँगत काल।।
रहै क्षमावानी सदा,क्षमावान के संग।
दया और करुना रहै,पल पल उठत उमंग।।
*2* *श्री अशोक पटसारिया नादान जू* कत है कै छमा धरम कौ मूल है। उमदा दोहे लिखे है बधाई।
जाने अनजाने सई, भइ हो कोंनउ भूल।
छमा मांगतइ अपुन सें, छमा धरम कौ मूल।।
छमा करै सो वीर है, उत्तम छमा विचार।
छमा करौ माँगौ छमा, एइ बात में सार।।
***
*3* *प्रदीप खरे, मंजुल, टीकमगढ़* से लिखत है कै उत्तम छमा महान होत है।
छमा शील सेवा करत,सदा सबहि कल्यान।
छमाबानी मना लियौ,उत्तम छमा महान ।।
करुणाकर करुणा करो,भली करौ जा देह।
बोल छमा बानी मधुर,सब पर करौ सनेह।।
*4* *श्री रामानन्द पाठक नन्द जू* ने किसी से भी बैर नइ रखो और कौनउ खौ नइ सताव चाहिए। नौनै बिचार दोहन में रखे हैं बधाई।
क्षमा धरम की नींव है,दया क्षमा का भाव।
करौ किसी से वैर ना, औरन नईं सताव।।
कोऊ दुरबल जन करै,सहज भाव अपमान।
क्षमा उयै,तुम कर दियौ,हौ तुम बड़े महान।।
*5* *श्री गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी (बुडे़रा)* से कै रय कै छमा सज्जन पै असर करत है दुर्जन लोगों तो लातन सेइ मानत है। सही कहा है । बधाई।
असर क्षमाबानी करै,सज्जन पै सौ वार।
सठ लम्पा सौ येंठबै,सिर पै होत सवार।।
क्षमा करौ,सिर पै चढे़ं,जिनें न तनकउ कूत।
बातन सें मानें नहीं, बे लातन के भूत।।
*6* *श्री अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल* कहते हैं कि यदि कोई जानबूझ के भूल करत है तो उकौं सज़ा ज़रूर दव चाहिए। उमदा सोच है बधाई।
जान-भूल अनुआ करो, सज़ा दीजिऔ सोय,
पाप घटें कछु जनम के, छमा न करियौ मोय ।
सुजन सज़ा ना दै सकें, प्रभु तुम दीजौ मोय,
बड़ी गठरिया पाप की, कछु तौ हलकी होय ।
*7* *श्री हरिराम जू तिवारी खरगापुर* से जैन धरम के नियमों कौ पालन करवे की बात कर रय है भौत उत्तम सोच है बधाई।
परयूषण को परब है, दस लच्छन अपनायॅं।
सबसे नौनी क्षमा है,जैन मुनी समझायॅं।।
जिन वाणीं पालन करें, हिंसा का हो तियाग।
छमा दया करुणा करें, मन में सदा विराग।।
*8* *श्री अमर सिंह जू राय* कत है कै क्षमा मांगने से अंत:करण शुद्ध हो जात है। बढ़िया दोहे है बधाई।
क्षमाबानी को मतलब, हरदम गलत न होय।
बात ख़तम करबे कबहुँ, पिंड छुड़ाबो होय।३
खुद से सोई माँगिये, क्षमाबानी महान।
अंतःकरण सुधारियो, सिखलाउत भगवान।४
*9* *श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा* से कत है कै दीन-हीन को सदा छमा कर दव चाहिए। नोनै दोहे है बधाई।
जिए जो कोउ छमा करें, हैं वो ईसुर अंश ।
छमाबानी भाषा मृदु, छोटों रय पथभ्रंश।।
दीन -हीन लाचार कौ, रखवैं सदां जो ध्यान ।
नौनी हो छमाबानी, हो ऊकौ कलयान ।।
*10* *श्री डी.पी .शुक्ल,,सरस,, टीकमगढ़* जू कै रय कै क्षमावान जैसौ कौनउ गुन नैया।भौत नोनै दोहा है बधाई।
क्षमाबान सौ गुण नहीं,जनमानस के बीच ।
जिनके भीतर ना बसैें। मानो सब सै नीच।।
क्षमा बड़े अब भूल गए। छोटे भूले मान ।।
उत्पाद सबरे मन बसें। बोलत कड़वे वान।।
*11* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से लिखते हैं कै हमें ऐसे काम करवौ चाहिए कि कभ उ छमा नै मागनै परे। सुंदर ख्याल है।
रोजउ पाप कमा रये,इक दिन जोरे हात।
का इक दिन ही मांगवे,छमादान मिल जात।।
काम ऐसे करो नईं,छमा मांगतइ आज।
सच के संग चलो सदा,करो दिलों पै राज।।
*12* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* से कत है कै छमा करके वारो वीर होत है उये कमजोर नहीं समजो चाहिए। भौत शानदार दोहे है बधाई।
छमा न जानों दीनता,छमा वीरता आय।
छमा दान सें सुधरबे ,कौ औसर मिल जाय।।
अगर हमारी भूल भी ,खटकत जैसें शूल।।
छमा दान दै कें हमें , भुला दियौ बा भूल।।
*13* *श्री कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर* से उत्तम पुरुष के गुन बतारय है बढ़िया दोहे है बधाई।
छमा करै हर जीव खों , जो भी दुख पौंचात ।
रखै छमाबानी हृदय , उत्तम पुरुष कहात ।।
जितै छमाबानी उतै , क्रोध पनप नइं पाय ।
नैकें रत है आदमी , दया-प्रेम बिखराय ।।
*14- *श्री एस आर सरल टीकमगढ़* से जो छमा कर देत है वे संत समान होत है भोत उमदा दोहे है बधाई।
होत क्षमाबानी सदा,सरल शील सै संत।
क्षमा बड़न कौ नूर है,बैर भाव कौ अंत।।
रखत क्षमाबानी नईं, तनकइ द्वैष बुराइ।
क्षमादान में झलकती,सागर सी गहराइ ।।
*15* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा* टीकमगढ़ ने छमा के भौत नौने उदाहरण दय है सभी दोहे जानदार है बधाई।
क्षमाबानी हदय बसें, जियें धर्म को ज्ञान।
क्षमाबान के जानलो ,हिरदे में भगवान।।
क्षमाबानी विष्णु सुनो भृगु मारी लात।
भृगु की पईया पकर, कुशलाई की बात।।
*16* *श्री संजय श्रीवास्तव, मवई जू* कै रय कै छमा से अहंकर गल जात है भौत नौनी सोच है अच्छे दोहे रचे है बधाई।
छमा भाव की छाँव में, अहंकार गल जात।
बैर-भाव सब भूलकें, बैरी भी मिल जात।।
छमादान सम दान नइं,दैबो नइं आसान।
मद की हद में जकड़कें,अकड़त रत इंसान।।
*17* *श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज बकस्वाहा,* ने छमाबानी के इक इक अक्छर पै नौने दोहा रचे बधाई।
छ-छमा दया ममता जिते,उते परम संतोष।
बनी रहे सुख शांति, त्यागें ब्रज आक्रोश।
मा-मान पान सम्मान है , उन लोगों के पास।
छमा शील बानी छमा, सुनत होय दुःख नाश।।
*18* *श्री शील चन्द्र शास्त्री, ललितपुर* लिखते है की जीके हातन में छमा कौ हथियार है ऊको कोउ कछू नहीं बिगार सकत। बधाई ।
गाली सुनकैं हिये में,उपजै क्रोध फणीस ।
छमा मन्त्र पढ़ लीजियौ, जीतौ क्रोध खबीस ।
कोऊ दुरजन दुस्टजन,का कछु लेयं बिगार ?
जीकैं हांतन में रबै,सदां छमा तलवार ।।
ई तरां सें आज 18 कवियन ने छमाबानी पै केन्द्रित दोहे रचे सभी के भाव भौत नोने हते, श्रेष्ठ सृजन करो है सबई खां बधाई पोचे।
प सबइ ने पने-पने दोहा पटल पै डारे हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत*
*- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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269-श्री शोभाराम दांगी 'इंदु',हिंदी दोहा-हिंदी-14-9-21
समीक्षक -शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ मध्य प्रदेश दिन मंगलवार
समीक्षा दिनांक 14/9/021
बिषय - "हिंदी " हिंदी दोहा
मां वीणा वरदायिनी के चरणों में नमन एवं उनका ध्यान करते हुए आप सभी के आशीर्वाद से समीक्षा करने का प्रयास कर रहा हूँ जो मां वीणा पांणी को समर्पित कर पटल पर आये वरिष्ठ एवं अनुज साहितयकारों को हार्दिक बारंबार प्रणाम ।
1= श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
आज के इस मंच पर सबसे पहले हिंदी की क्यारी को हिंदी शब्दों से सींच रहे आदरणीय श्री यादव जी ने बेहतरीन दोहों की रचना की /आप हिंदी की पवित्रता की ओर इशारा कर बहुत ही सुंदर दोहों का सृजन कर हिंदी की गरिमा का वर्णन कर गौरवान्वित कर रहे /
आपकी भाषा शैली अति मधुर लालित्य पूर्ण सहज सुंदर
ऐसी सुंदर लेखनी को बारंबार प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
2= नंबर पर आदरणीय श्री अशोक पटसारिया जी भोपाल, हाल लिधौरा से हिंदी दोहों के पुष्पों से सजा कर कह रहे हैं कि हिंदी देश का गौरव है धरती मां के आँचल में सुखद आनंद की गरिमा हिंदी है /पर आगे आप कहते हैं कि सिंहासन आरूढ है पर अंग्रेजी का मान, यह देश की दु:खद पीड़ा भी है आदरणीय श्री पटसारिया जी बहुत ही श्रेष्ठ शानदार भाव प्रकट कर हिंदी का महत्व उजागर करते हैं आपकी भाषा शैली अति मधुरता लिए हुए ऐसी सुंदर कलमकार श्री पटसारिया जी को बहुत बहुत बधाई व प्रणाम /
3= नंबर पर आदरणीय श्री परम लाल तिवारी जी पटल पर उपस्थित हुए आपने हिंदी के स्वाभिमान गौरव पूर्ण गान का आभास कराते कहते हैं कि हिंदी पूरे हिंदुस्तान में अपना गौरव बनाये हुए /आपकी भाषा शैली मधुर भाव पूर्ण सरल है /
आपकी लेखनी को हार्दिक नमन व बधाई आपको /
4= नंबर पर आदरणीय श्री अमर सिंह जी राय छतरपुर से हिंदी की मधुरता विखेरते हुए माधुर्य पूर्ण भाषा परिपूर्ण से दोहों का सृजन कर कहते हैं कि हिंदी हमारी नागपंचमी जैसे उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए /बहुत ही सुंदर रचनाऐं आपकी बधाई आपको शुभकामनाओं सहित /
5= नंबर पर आदरणीय श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी
टीकमगढ आप तो साहित्य जगत में बढती बेल हैं आप आकाश की ऊंचाइयों को पा गये ऐसे मनीषी साहित्यकार नें हिंदी दोहा की दो ही क्यारीं बोईं हैं जिसमें हिंदी जगत में हिंदी की पताका फहरा रहे हिंदी के प्रणेता सूरमाओं से हम सभी को गद्गद कर दिया है /ऐसी लेखनी को हार्दिक बधाई बारंबार प्रणाम /
6= वे नंबर पर आदरणीय श्री सुशील शर्मा जी पटल पर आये और अपनी सुंदर लेखनी से हिंदी की क्यारियों को महकाया /
बाल्मीक संग व्यास थे, संस्कृत के आधान /
माघ भास अरू घोष थे , कालीदास समान //आपने तीन युगों से हिंदी को बताया एवं सभी मीरा तुलसी अवधी पर प्रकाश डालते हुए हिंदी दोहों को बहुत ही माधुर्य प्रिय भाषा से सुसज्जित किया /पद्माकर रीतिकाल भरतेंदु पंत निराला जयशंकर से हिंदी दोहों को सुशोभित किया /
आपकी भाषा शैली बहुत ही सुंदर लालित्य पूर्ण मधुर है आपको बारंबार प्रणाम /
7= वे नंबर पर आदरणीय श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी पलेरा टीकमगढ से आप हिंदी बुंदेली के प्रकाण्ड मनीषी विद्वान हैं /
आपने पांच दोहों को सुंदर पुष्पों से सुसज्जित किया आपने हिंदी का अति श्रेष्ठ महत्व बंदेमातरम मंगलगान करते हुए भारत मां की महिमा पहचान ही हिंदी है बिल्कुल सटीक चित्रण हिंदी की बिंदी ही बुंदेली सिरमौर है एवं भोजपुरी हाथ के कंगना और मैथली लाज शर्म है /वाह दाऊ जी बघेली बेटी सी लगे /बहुतही सुंदर चित्रण गले का हार, छाती पर दमकता बिहार करने वाली ऐसी हिंदी बहुत ही सुंदर दुनिया में बन पड़ी /आज दुनिया में सिरमौर आम के बौर सी महकती हिंदी दोहों का सृजन किया बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित अभिनंदन बारंबार प्रणाम /
8= वे नंबर पर आदरणीय श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी गाडरवारा म प्र से पटल पर अपने बिषय पर
दोहा पुष्प वरसाते हुए सुंदर सृजन करते हैं, आप कहते हैं कि मां , मौसी जैसे रिशतों को निभानें की भावना व्यक्त करते हुए अपनी मातृभाषा हिंदी पर गर्व होना चाहिए /दोहों सुंदर सृजन ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
9= वे नंबर पर आदरणीय श्री प्रदीप खरे मंजुल जी
हिंदी की शान बढाते सुंदर बगिया सजाते हैं और कहते हैं कि -
राधा आठें को हुई, तिथि है आज पुनीत /
हिंदी राधा रूप है, हिय राखो सब प्रीत //
अर्थात हिंदीको राधा की उपमा देकर बहुत ही शानदार दोहा अापने रचे आप की लेखनी का कहना कि दफ्तर आदि सभी में काम काज हिंदी में हों अंग्रेजी की छुट्टी करें /हिंदी के मान सम्मान की ओर ध्यान दिलाया, हिंदी अपनी आलीशान है खुद अंग्रेजी में काम कर हिंदी को कमजोर महसूस कर रहे /इस प्रकार हिंदी का गौरव बढाते हुए सुंदर सृजन किया /आपकी भाषा शैली अति मधुर प्रिय है आपको बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई /
10=वे नंबर पर मैं शोभारामदाँगी नंदनवारा आप सभी को दोहा समर्पित करता हूँ मैनें देश व्यापी पहल पर जोर दिया क्योंकि रामायण गीता ग्रंथ आदि सभी हिंदी में ही हैं /अत: राष्ट्रीय हिंदी का दर्जा पाने के लिए सरकारी विध्न वाधा नहीं होनी चाहिए /सरकार इसमें राजनीति क्यों कर रही जो अभी तक अपनी भाषा राष्ट्रीय नही हो पाई /आपकी सेवा में हाज़िर हूँ /
11= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार डा रेणु श्रीवास्तव भोपाल से
आप सुंदर कमलकार हैं आप हिंदी के सुमन बरसाती हुई बहुत ही सुंदर सृजन करती हुई कहती हैं कि देश में मान सम्मान और हिंदी से उन्नती का सच्चा ग्यान देश की महानता की सुंदरता बढाती हैं /आप मधुर लालित्य पूर्ण भाषा से सुसज्जित कर हिंदी की शोभा बढातीं हैं बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित सादर नमन आपको /
12= वे नंबर पर आदरणीय श्री अरविंद श्रीवास्तव जी भोपाल
अपनी सुंदर लेखनी द्वारा इंद्र से बना हिंदी का नाम देकर संबोधित किया जबकि कुछ विद्वानों के मतानुसार हिंद से हिंदी, हिंदी से हिंदुस्तान नाम पड़ा है /
आदरणीय श्री रैकवार जी ने भी आपसे संकेत कर कहा कि इंद्र का क्या अर्थ है /सुंदर सृजन बारंबार नमन आपको /
13= वे नंबर पर आदरणीय श्री
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी
अपने कर कमलों से हिंदी की पांचों क्यारियों को सुंदर पुष्पों से सुसज्जित करते हुए कहते हैं हिंदी जिन रत्नों से सजाई गई वे मीरा पंत कबीर केशव तुलसी सूर आदि उच्च साहित्य मनीषियों ने अपने करकमलों से सींचा और हिंदी को पाला -पोसा /बहुत ही सुंदर माधुर्य भाषा से सुसज्जित किया आपकी सुंदर रचना सृजन को हार्दिक बधाई बारंबार प्रणाम /
15= वे नंबर पर आदरणीय श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी बडा गांव झांसी
आपने दो हिंदी कमल गुलाब पुष्प दिये दोनों दोहे बेहद श्रेष्ठ दोहा बधाई आपको बेहतरीन दोहों में आपने कहा कि क्यारी हिंदी की पर पुष्प वाटिका में फूल अंग्रेजी उगाती संकेत दे रही /हिंदी भाषा ही देश में प्रसारित हो /ऐसे सुंदर संयोजन भावों को हार्दिक बधाई शुभकामनाएं बारंबार प्रणाम /
15= वे नंबर पर आदरणीय श्री कल्याण दास साहू पोषक जी प्रथवीपुर जिला निबाडी
जय हो पोषक जी बहुत ही श्रेष्ठ रचना से हम सभी को गद्गद किया आपने हिंदी दिवस मनाने सूर तुलसी दिन कर माखन लाल निराला सभी धरोहर मनीषी कवियों का उल्लेख कर हिंदी दोहों का सृजन किया बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य युक्त बहुत ही सुंदर सृजन, आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित /
16= वे नंबर पर आदरणीय पं0 श्री हरीराम तिवारी जी ने बेहतरीन दोहा दिये आपका मत है कि देश में सभी काम काज हिंदी में ही हों बिल्कुल सही कहा आपने बहुत बहुत बधाई आपको डिजीटल युग में हिंदी का ही प्रयोग किया जाना चाहिए आपने पांचो दोहा बहुत ही बढिया सारगर्भित, आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण ऐसी सुंदर लेखनी को हार्दिक नमन /
17= वे नंबर आदरणीय पं0 श्री
रामानंद पाठक जी
आप पांच दोहा लेकर पटल पर उपस्थित हुए आप संदेश दे रहे कि हिंदी को अपनाइये अंग्रेजी से दूर रहना /बहुत ही सुंदर भाव विचार व्यक्त किये /आदरणीय पाठक जी को बारंबार प्रणाम सुंदर रचना पर बधाई आपको
18= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री जनक कुमारी सिंह बघेल आपने हिंदी दोहों का श्रेष्ठ सृजन किया आप हिंदी में बिंदी हलंत विसर्ग रिश्ते नाते को हिंदी में लगाई सुमन वाटिका सजाई /सुंदर सृजन किया बहुत बहुत बधाई आपको /
19= वे नंबर पर आदरणीय श्री प्रदीप गर्ग जी आपने बहुत ही सटीक दोहों का सृजन किया /
विश्व पटल पर बढ रही हिंद देश की आस /जग को वांटे विशिष्टता मधुर हिंदी भाषा आपकी बधाई आपको बेहतरीन रचना की बहुत बहुत बधाई /
20= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री रामगोपाल रैकवार जी टीकमगढ
हिंदी की वास्तविकता का सही मार्ग प्रशस्त करते हुए हिंदी क्या है /बहुत बारीकी से अस्मिता, अपना मान मातृत्वभाव भाषा महानता पर जोर देते हुए सम्मान सरलता एवं अंग्रेजी हिंदी की धान है /बहुत ही बढिया सारगर्भित रचना आपकी बधाई आपको शुभकामनाओं सहित अभिनंदन बारंबार प्रणाम /
21= वे नंबर पर आदरणीय श्री ब्रज भूषण दुबे आपने श्रेष्ठ दोहा लिखे बारंबार बधाई आपको
आप समस्त हिंदी को सिरमौर मानकर सृजन किया बहुत बहुत बधाई आपको /
22= वे नंबर पर आदरणीय श्री शीलचंद जी आपने अपनी लोकप्रिय माधुर्य भाषा से दोहा सुसज्जित किये आपको बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई /
23= वे नंबर पर आदरणीय श्री डा शरद नारायण खरे प्राचार्य शासकीय जे एम सी महिला महाविद्यालय मंडला म प्र
आपने 5की जगह 8दोहा पोस्ट किये /दोहा सभी अच्छे भाषा माधुर्य प्रिय आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
इस प्रकार आज पटल पर तेईस साहितयकार उपस्थित हुए /आप सभी ने कमल गुलाब जैसे पुष्पों को दिया आप सभी को बहुत बहुत बधाईयां ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार हो /
अगर कोई छूट गया हो तो माफ करना /जय हिंद जय भारत
समीकछक =शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)
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270-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-17-9-21
*पटल समीक्षा दिनांक-17-09-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन सबयी विद्वान साहित्य मनीषियों ने किया। सभी विद्वान साथियों ने शानदार प्रसंग, विचार, समीक्षा, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन खौं बधाई देत भये अपन एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै शुरुआत हमयी ने करी।
*1* *श्री प्रदीप खरे,मंजुल* ने अपनी किसा पटल पै डारी। अपन ने भक्ति की शक्ति और यहसान फरामोशी के परिणाम बताऔ। बुरे काम को नतीजा सोई बुरऔ होत। शिक्षाप्रद प्रसंग, विचार, भाव और बिषय की समीक्षा अपन सबयी विद्वानन पै छोड़त भयै आंगें बढ़त है।
*2* *श्री जय हिंद सिंह जी* गुढ़ा पलेरा ने लघु कहानी के माध्यम से विश्वास पर प्रकाश डाला। बिना विश्वास के प्रेम की कल्पना नहीं की जा सकती। संत कबीर की बानी खौ प्रस्तुत कर सबयी खौं गदगद कर दऔ । प्रासंगिक प्रसंग के लाने बहुत बहुत बधाई।
*3* *श्रीमती रेणु श्रीवास्तव जी* भोपाल सें अपने शोध ग्रंथ के रोचक प्रसंग खौं लिखौ, नौनौ लगो। प्रभु राम के रास और राम भक्ति साहित्य कौ बखान रोचक ढंग सें करो। अपन ने राम भक्ति में माधुर्य और आनंद के पक्ष खौं प्रबलता सैं रखो। अपन के लेखन की बढ़बाई करत और अपन खौं बधाई देत। बधाई ।
*4* *श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी*
अपन ने सोई हास्य और व्यंग्य की रचना पढ़ाई, नौनी लगी। शीर्षक ने गागर में सागर भर दऔ। सूरे की सट्ट लगी न लगी कहावत काय चली, जा जानकारी सबयी खौं दयी। बदमाशी करबे बारन खौं सीख दयी कै भैया नैकैं चलौ, नयीं तौ कभऊं गट्ट कर्री बिदै। अपन खौं बधाई।
*5 अवधेश तिवारी, छिंदवाड़ा* ने अपने स्वभाव और संस्कारों को न बदलने की सलाह बढ़ी ही सरलता से दी। मनुष्य को चाहिए कि मानवीय गुणों को ही अपनाये। जानवरों की तरह न जियो। बधाई हो।
*6* *श्रीमती जनक कुमारी बघेल* ने बाल हठ और उसके निराकरण का बढ़े ही सुंदर तरीके से वर्णन किया है। आपने बहिनों को पात्र के रूप में केन्द्र में रखकर समसामयिक कहानी गढ़ी है। आपको बार बार बधाई।
*7-श्री गोकुल प्रसाद यादव जी, बुढ़ेरा* ने लघु कहानी के माध्यम से मौन की उपयोगिता को सरलता से बताया। ताबीज का असर अंधविश्वास की सोच को लेकर नहीं, बल्कि एक उपाय के रूप में दिखाई देता है। कहानी शानदार है। परिवार में शांति के बारे में ज्ञान देने के लिए आपको धन्यवाद और सुंदर लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई।
*8 श्री शोभाराम दांगी जी* ने अपने आलेख में राजा अज और इंदुमती का गूढ़ रहस्यमय प्रसंग पटल पर रखा। राजा दशरथ जन्म का वर्णन रोचकता पूर्ण तरीके से लिखा गया है। आपके विचार स्वागत योग्य हैं। बधाई हो।
आज पटल पर *केवल 8* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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271-श्री शोभाराम दांगी',हिंदी दोहा-दिखावा-21-9-21
समीक्षा मंगलवार दि0-21/9/021बिषय-"दिखावा"
हिंदी दोहा =समीक्षक शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला
टीकमगढ(म प्र)
मां वीणा वरदायिनी सरस्वती जी को नमन एवं प्रणाम ध्यान करते हुए, आप सभी के आशीर्वाद से यह आज तीसरी समीक्षा लिखने का प्रयास किया जा रहा /
आप सभी के दोहो को शब्दों की फुलबगिया से सुसज्जित करने जा रहा हूँ, अगर कोई भाषा से गलती हो जाए तो आप सभी मित्र छमा करना /पटल पर सर्व प्रथम
1--आदरणीय श्री अशोक कुमार पटसारिया जी भोपाल, हाल लिधौरा टीकमगढ (म प्र) से पाँच दोहों की बगिया लेकर आये जो बहुत ही सुंदर श्रेष्ठ शब्दों रूपी पुष्पों से सुसज्जित कर सींच रहे हैं /आपका कहना है कि दिखावा एक झूठा ठाट -वाट रहता है जो बिना ग्यान लिए होता है /बड़े काम काज शादी विवाह में तो छिप जाती है पर अंतरमन से सभी जानते हैं कि कितना दिखावा हो रहा है /बहुत ही सुंदर सीख एवं पहचान की बात कही /आपकी लेखनी अति सौंदर्य भाव युक्त है /आदरणीय पटसारिया जी को बारंबार बधाई व प्रणाम /
2=== नंबर पर आदरणीय श्री गोकुल प्रसाद यादव जी आये
और पाँच क्यारियों को हिंदी शब्दों से सींच कर सजा रहे एवं कह रहे कि धर्म से हटकर पूजा पाठ करना, ये अच्छी बात नहीं जो आजकल बहुत ही ज्यादा है आप सुंदर मार्ग प्रशस्त कर रहे और कहा कि शादी विवाह में कर्ज लेकर दिखावे में न पड़े क्योंकि असलियत एक दिन सामने आती ही है / आपने बहुत ही सटीक चित्रण किया कि दिखावा आशाराम जैसे झूठ चोला ओढकर दिखावा न करें /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये गये /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण रही है बारंबार बधाई एवं प्रणाम आपको शुभकामनाओं सहित /
3==== पर आदरणीय श्री अरविंद श्रीवास्तव भोपाल से
आपने तीन वाटिका सजाई जो बहुत ही सारगर्भित बेहतरीन हैं आपने पहली क्यारी में अभाव अग्यान, मजबूरी बस कुंठा कहो या मानसिक रोग /अर्थात कुछ लोगों को दिखावा ही पसंद है चाहे कोई भी मजबूरी हो /दूसरे में धन विद्या बढा चढा कर दिखाना झूठा अभिमान करना, यानी जिस लायक हो नहीं वह आनंद से करना /आज समाज देश गांव में ऐसे बहुत से लोग हैं जो झूठा रूतवा दिखाकर प्रशंसा पा रहे /
ऐसे लोगों की आदतें हो गई हैं बहुत ही बढिया सारगर्भित भाव अरविंद श्रीवास्तव जी आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य युक्त आपको बारंबार बधाई एवं प्रणाम
4==== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ म प्र
आपने पांचों क्यारियों में कमल, गुलाब जैसे पुष्पों को महकाया आपका कहना कि क्यारी के बाहर बाहर सुंदर पुष्पों से सुसज्जित किया पर अन्दर तो झोल यानी खाली है /पर मौज मस्ती में कमी नहीं, धर्म पुण्य भी रोज कर रहे, पाखंड झूठ से देश को लूट रहे हैं तो दंड अवश्य ही मिलेगा /बाहरी आडंबर दिखाकर सब खोज मिटा दिया है /माता -पिता झोपड़ी में भूखे पड़े फुटपाथ पर कुछ पर आप छप्पन भोग पा रहे हैं मौज मस्ती में झूम रहे दशा आज देश की चारों ओर है /
आगे आपका कहना प्रजातंत्र से यह कि वोट सोच समझ कर दीजिए क्योंकि अंदर से भारी खोट है /आपकी भाषा शैली नें चार चाँद लगा दिये बहुत बहुत बधाई आपको समाज को दिशा देते हुए मार्ग प्रशस्त किया /आपकी भाषा शैली माधुर्य पूर्ण है आपको बारंबार प्रणाम बधाई /
5--वे नंबर पर मैं शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ म प्र
मेरे भाव विचार हैं कि आज जहां तहां चमक दमक के विद्यालय आश्रम बाहर से सुंदर दिखाई देते पर अंदर उतनी व्यवस्थाऐं नहीं होतीं जो ये दिखावा करके बताते हैं इसी प्रकार आश्रमों में /इंसान की प्रवृति दिखावे की हो गई कर्जा लेकर ठाट वाट से जीवन गुजारना इंसान की आदत हो गई है /और अंत में कर्जमें ही डूबा ही मर जाता है /
6==== वे नंबर पर आदरणीय श्री गुलाब सिंह जी यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ म प्र
आपने किसानी की दयनीय दशा पर चिंता व्यक्त की और ईश्वर से प्रार्थना कर कहा कि अब ऐसा न दिखाना /आपने अपनी फुलबगिया में आगे कहा कि रावण नें रूप बदल कर दिखाया मेघनाथ ने छल किया तमाम प्रसंगों को समाज के सामने रखा कि बाहर से प्रेम दिखाकर मन के भीतर दुर्भाव कुरीतियां समाये हैं आपने अपनी लेखनी से मन की बात उजागर की, आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
7===वे नंबर पर आदरणीय श्री
एस आर सरल जी टीकमगढ म प्र आपने अपनी सुंदर वाणी मनमोहक फूल माला को सजाकर सबके सामने पेश की आपका कहना है कि दिखावा एक झूठा ठाट वाट उस कांच को कसौटी पर परखनें के समान है जो तुरंत विखर जाता है और किसी काम का नहीं रहता /ऐसे ही जो दिखावे मैं लगे रहते हैं वे उस कांच के ही समान हैं /वहीं दूसरीओर यह भी कहना कि धर्म का पाखंड फैला कर जनता को झंड कर रहे नेता संत झूठे दिखावा कर झूठी शान बनाते हैं, अंधे भक्ति पूजा करते और वरदान मांगते हैं कि मुझे सुंदर फल दीजिए /इस प्रकार आदरणीय श्री सरल जी की सुंदर भाषा शैली समाज को चेतावनी देती है कि झूठे दिखावे उस कांच की ही तरह हैं /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य युक्त /
आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई /
8==== वे नंबर पर आदरणीय श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी बडा गांव झांसी से
आप लेखनी में पारंगत बहुत ही बढिया सुंदर सुमन वाटिका सजाई गई और दिखावे में ही सारा मानव समाज चमक दमक में काम काज कर रहे संत महंत सब इस दिखावे में शामिल रहते हैं जिनसे भगवान तक हार जाते है आपकी भाषा शैली बहुत ही सुंदर बोध गम्य माधुर्य है ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई/
9== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो से पाँच पुष्प कमल वाटिका लगाते हैं आपके विचार बहुत ही सुंदर भाव माधुर्य भाषा युक्त /आपका कहना कि दिखावा वे करें जिनके नहीं विभूत/
स्वर्णपहर विचरण करे लेवे कोऊ कूत //
जिनकीकोई विभूति वैभव नहीं वे लोग ही दिखावे करते रहते हैं /
आपने नेतन को संकेत दिया कि चमकीली खादी पहन कर दिखावा कर यश प्राप्त करते हैं ऐसी सुंदर लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको
10=== वे नंबर पर आदरणीय श्री जयहिंद सिंह जयहिंद पलेरा टीकमगढ म प्र
आप श्रेष्ठ रचनाकारों में से एक अलग ही हैं अपनी सुंदर भाषा शैली से सबका मन मोह लेते हैं आपकी भाषा बहुत ही लालित्य पूर्ण मधुर माधुर्य पूर्ण है आपने अपने दोहों से पंचवटी सुसज्जित की आपका भाव समाज उपयोगी आपका कहना है कि -
अगर दिखावा देखना है तो उनको साथ नहीं देना पर जो संत सादा जीवन जीते हैं उन पर श्री रघुनाथ जी कृपा करते हैं, नेता लोग प्रचंड दिखावा करते हैं संतरा तो एकपर भीतर कई खंड हैं बहुत ही बढिया सारगर्भित दोहा --
देख दिखावा ना करो, करो अटल विश्वास /
जीवन में फिर एक दिन, होगा पर्दाफास //
बहुत ही सुंदर विचार, आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको /
11=== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री बृज भूषण दुबे
बकसुवाहा
आपने अपनी पांचों फुलबगिया की क्यारियों में मधुरस शब्द रूपी बीज बोये व्यर्थ का दिखावा बेकार ही है दान पुण्य सार्थक नहीं रहता और किया हुआ दान पुण्य सतकरम सभी अधर्म की ओर चला जाता है, इसलिए दिखावे में नहीं करना चाहिए अभिमान राग द्वयेष त्यागे बिना आप महान नही बन सकते हैं इसलिए सरल सहज सद्भाव की ही सराहना होती है अत:निज सम्मान के लिए सरल सहज होना आवश्यक है आपके भाव बहुत ही सुंदर शानदार दमदार हैं आपकी भाषा शैली अति सरल माधुर्य युक्त ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई
12=== वे नंबर पर आदरणीय श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी टीकमगढ म प्र
आपने भी पांच दोहों की सुंदर वाटिका सुसज्जित की और सत्यता को कहना ही आपका उद्देश रहा कि भीतर बाहर से तो दो चार ही हैं पर दिखावे में तो भरमार है आपका सीधा सा कहना है कि दिखावा मत करो न राजा है न राज सभी की पोल खुल चुकी है /अधिकतर राजनीति छेत्त में दिखावा ही दिखावा /बहुत ही श्रेष्ठ सारगर्भित सन्देश कि दिखाने वालों पर विश्वास मत करना जिन्होंने जन गण मन को चूस लिया और निरोग वनें हैं इसलिए जो ऊपर से उज्जवल छवी बनाये हैं उनके अन्दर मैल ही मैल भरा, इनसे दूर रहना /बहुत ही बढिया संदेश आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य युक्त /उत्तम लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित /
13=== वे नंबर पर आदरणीय श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर पु7===वे नंबर पर आदरणीय श्री
एस आर सरल जी टीकमगढ म प्र आपने अपनी सुंदर वाणी मनमोहक फूल माला को सजाकर सबके सामने पेश की आपका कहना है कि दिखावा एक झूठा ठाट वाट उस कांच को कसौटी पर परखनें के समान है जो तुरंत विखर जाता है और किसी काम का नहीं रहता /ऐसे ही जो दिखावे मैं लगे रहते हैं वे उस कांच के ही समान हैं /वहीं दूसरीओर यह भी कहना कि धर्म का पाखंड फैला कर जनता को झंड कर रहे नेता संत झूठे दिखावा कर झूठी शान बनाते हैं, अंधे भक्ति पूजा करते और वरदान मांगते हैं कि मुझे सुंदर फल दीजिए /इस प्रकार आदरणीय श्री सरल जी की सुंदर भाषा शैली समाज को चेतावनी देती है कि झूठे दिखावे उस कांच की ही तरह हैं /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य युक्त /
आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई /
8==== वे नंबर पर आदरणीय श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी बडा गांव झांसी से
आप लेखनी में पारंगत बहुत ही बढिया सुंदर सुमन वाटिका सजाई गई और दिखावे में ही सारा मानव समाज चमक दमक में काम काज कर रहे संत महंत सब इस दिखावे में शामिल रहते हैं जिनसे भगवान तक हार जाते है आपकी भाषा शैली बहुत ही सुंदर बोध गम्य माधुर्य है ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई/
9== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो से पाँच पुष्प कमल वाटिका लगाते हैं आपके विचार बहुत ही सुंदर भाव माधुर्य भाषा युक्त /आपका कहना कि दिखावा वे करें जिनके नहीं विभूत/
स्वर्णपहर विचरण करे लेवे कोऊ कूत //
जिनकीकोई विभूति वैभव नहीं वे लोग ही दिखावे करते रहते हैं /
आपने नेतन को संकेत दिया कि चमकीली खादी पहन कर दिखावा कर यश प्राप्त करते हैं ऐसी सुंदर लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको
10=== वे नंबर पर आदरणीय श्री जयहिंद सिंह जयहिंद पलेरा टीकमगढ म प्र
आप श्रेष्ठ रचनाकारों में से एक अलग ही हैं अपनी सुंदर भाषा शैली से सबका मन मोह लेते हैं आपकी भाषा बहुत ही लालित्य पूर्ण मधुर माधुर्य पूर्ण है आपने अपने दोहों से पंचवटी सुसज्जित की आपका भाव समाज उपयोगी आपका कहना है कि -
अगर दिखावा देखना है तो उनको साथ नहीं देना पर जो संत सादा जीवन जीते हैं उन पर श्री रघुनाथ जी कृपा करते हैं, नेता लोग प्रचंड दिखावा करते हैं संतरा तो एकपर भीतर कई खंड हैं बहुत ही बढिया सारगर्भित दोहा --
देख दिखावा ना करो, करो अटल विश्वास /
जीवन में फिर एक दिन, होगा पर्दाफास //
बहुत ही सुंदर विचार, आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको /
11=== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री बृज भूषण दुबे
बकसुवाहा
आपने अपनी पांचों फुलबगिया की क्यारियों में मधुरस शब्द रूपी बीज बोये व्यर्थ का दिखावा बेकार ही है दान पुण्य सार्थक नहीं रहता और किया हुआ दान पुण्य सतकरम सभी अधर्म की ओर चला जाता है, इसलिए दिखावे में नहीं करना चाहिए अभिमान राग द्वयेष त्यागे बिना आप महान नही बन सकते हैं इसलिए सरल सहज सद्भाव की ही सराहना होती है अत:निज सम्मान के लिए सरल सहज होना आवश्यक है आपके भाव बहुत ही सुंदर शानदार दमदार हैं आपकी भाषा शैली अति सरल माधुर्य युक्त ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई
12=== वे नंबर पर आदरणीय श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी टीकमगढ म प्र
आपने भी पांच दोहों की सुंदर वाटिका सुसज्जित की और सत्यता को कहना ही आपका उद्देश रहा कि भीतर बाहर से तो दो चार ही हैं पर दिखावे में तो भरमार है आपका सीधा सा कहना है कि दिखावा मत करो न राजा है न राज सभी की पोल खुल चुकी है /अधिकतर राजनीति छेत्त में दिखावा ही दिखावा /बहुत ही श्रेष्ठ सारगर्भित सन्देश कि दिखाने वालों पर विश्वास मत करना जिन्होंने जन गण मन को चूस लिया और निरोग वनें हैं इसलिए जो ऊपर से उज्जवल छवी बनाये हैं उनके अन्दर मैल ही मैल भरा, इनसे दूर रहना /बहुत ही बढिया संदेश आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य युक्त /उत्तम लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित /
13=== वे नंबर पर आदरणीय श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर निवाडी म प्र
आपने भी दिखावे की पांच क्यारियों को लगाया सजोया /बहुत ही सुंदर लेखनी चलाई आपका कहना होशियार इंसान जो ओरों को बेवकूफ बनाये रहते हैं आपका कहना बिल्कुल सत्य है कि दो दर्जन फल वाँट कर फोटो खिचवाना समाचारों में छपवाना ।
गौ सेवा के नाम पर दिखावा जो सड़क पर धूम रही इस पर कोई गौर नहीं करता ,बाहर से उजला अन्दर से कालिख लगाये है पुण्य धर्म कर्म में बढ चढ कर दिखावा करना गेरूआ वस्त्रोंको ओढकर शौकीन लोग जानें क्या क्या कर रहे /आपने बहुत ही सच्चाई का चित्रण किया /आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सरल सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित ।
इस प्रकार आज इस पटल पर कुल तेरह साहित्यकार उपस्थित हुए आप सभी ने दोहों को पुष्प वाटिका की तरह सजाई /आप सभी की भाषा अपनी अपनी शब्द शैली बहुत ही बढिया सारगर्भित रही आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ एवं ढेर सारी हार्दिक बधाईया बारंबार प्रणाम /
आज की इस समीक्षा में यदि कोई हमसे भूल हुई हो या कोई छूट गया हो तो माफ करना अंत में मां भारती को प्रणाम करते हुए अपनी लेखनी को विराम देता हूँ /
जय श्री राम /
समीक्षक शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ म प्रर निवाडी म प्र
आपने भी दिखावे की पांच क्यारियों को लगाया सजोया ।बहुत ही सुंदर लेखनी चलाई आपका कहना होशियार इंसान जो ओरों को बेवकूफ बनाये रहते हैं आपका कहना बिल्कुल सत्य है कि दो दर्जन फल वाँट कर फोटो खिचवाना समाचारों में छपवाना ।
गौ सेवा के नाम पर दिखावा जो सड़क पर धूम रही इस पर कोई गौर नहीं करता ,बाहर से उजला अन्दर से कालिख लगाये है पुण्य धर्म कर्म में बढ चढ कर दिखावा करना गेरूआ वस्त्रोंको ओढकर शौकीन लोग जानें क्या क्या कर रहे /आपने बहुत ही सच्चाई का चित्रण किया /आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सरल सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं सहित /
इस प्रकार आज इस पटल पर कुल तेरह साहित्यकार उपस्थित हुए आप सभी ने दोहों को पुष्प वाटिका की तरह सजाई /आप सभी की भाषा अपनी अपनी शब्द शैली बहुत ही बढिया सारगर्भित रही आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ एवं ढेर सारी हार्दिक बधाईया बारंबार प्रणाम ।
आज की इस समीक्षा में यदि कोई हमसे भूल हुई हो या कोई छूट गया हो तो माफ करना अंत में मां भारती को प्रणाम करते हुए अपनी लेखनी को विराम देता हूँ /
जय श्री राम ।
समीक्षक शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ म प्र
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272-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-22-9-2021
*🌲जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ 🌲*
🌹समीक्षा 🌹
*बुन्देली में स्वात्रंत पद्य लेखन*
दिन बुधवार 22/9/2021
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️
🔱सरस्वती वंदना 🔱
तर्ज-का खो चलीं धना सज धज
************************
1-मईया नईया पार लगादो शरन तुमारी रे
दास न दर से खाली जाबे अरज हमारी रे
बुद्धि की दाता,भाग विधाता बिनती हमार
लिख रये समीक्षा,मांगे जा भिक्षा करिवो समार
2-भटक न जाबे नईया मोरी विनय प्यारी रे
दास न दर से खाली जाबे अरज हमारी रे
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
श्री अशोक पटसारिया नादान जू
लिधौरा जिला टीकमगढ़
✒️आ•नादान जू अपन ने भौतई नौनो लिखो है जू मोदी जी अपन अपनों देश समारो देश के हितों में निको करों देश के मक्कारन गद्यरन मारों छोटी मछलियों को नई पकरो नेतन के घरे छापा मारों कछु नये लरकन खो रोजगार निकारो गौ हत्या बंद करों गऊचर भूमि नेताओं ने कब्जा कर लव हैं उने पटक पटक के मारों अपुन ने भोतई नौने देश के हित में भौत कछु सार लिख दव है जू अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन 👏👏
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
2-गुलाब भाऊ लखौरा
हमाये बुन्देली गीत में लक्ष्मन शक्ति लग गई तो श्री राम जी अंगद से कैरये भईया लछमन के प्रान नई बचत तो हम जीबत नई रे सकत सो हमें दोई भईयन खो बार दिवो नई बारों तो सागर में बहा रईवो 👏👏
3-मीनू गुप्ता जी टीकमगढ़
अपुन ने हिन्दी दिवस पर सबई खो बधाई दई है अपन को कैबो है के हिन्दी और हिन्दुओं से हिन्दुस्तान बनों है अग्रेंज भग गये हैं हिन्दी को सममान करों अपन ने भोतई नौनो लिखो है स्वागत 👏👏
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
4-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष जू
टीकमगढ़
आ•पीयूष जूअपन ने बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू जी में रोगन को कछु उपाव अपुन ने भोतई नौने से के वैद के घर खो घरबारी गैल धरलई है पति की बात अच्छी नई लगीं तीन दोष दूर करबै बारे अपुन ने उपाये बताये हैं मधुर अधर रस पित्त दोष में भौत कछु अच्छो लिखों है के गुन कारी होत है जू और दो तीन उपाये सोऊ बताये हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत जू 👏👏
🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️
5-श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जू
पटल एडमिन जी
टीकमगढ़
आ•अपुन ने बुन्देली में भौत कछु नौने हाइकू लिखें है जू जी में कोड़ा दिमान साई नंद भौजाई खेल रयरये है 2-दौपाई में चंगला सोरा गोटी खेल रयरये है सतखपड़ी छिवा छिबऊवा लंगड़ी बरिया तरे गोला और मुगइया पत्ता खिलत है
अपुन ने गरमी के खेलों को बखान करों जू अपुन को बार-बार सादर प्रणाम 👏👏
✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️
6-श्री प्रदीप खरे मंजुल पत्रकार जू
टीकमगढ़
आ•अपुन ने बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू जी में गोरी के नैना काजर की कोर लगा के चउअर चलाबै को और श्रिंगार करें को बखान करवो बड़ों नौनो लगो पर माया जाल से बच के रने जू भौतई नौनी चौकडिया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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7-श्री शोभा राम दांगी जू
नंदनवारा जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
आ•दाँगी जू अपन ने भले जू पै नौनी गारी राम ब्याव की लिखी हैं जू अपुन लिख रये हो दशरथ नंद कुमार जू इते अपुन खो ध्यान नई रव है जू नंद कुमार नंद लाल श्री कन्ईया जू होत है जू और अपुन खो दशरथ राज कुमार लिखें जानें ते अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गारी में राम ब्याव को नौनो बखान् करों जू अपुन को बार-बार सादर प्रणाम
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8-श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जू
बड़ा गाँव झाँसी उ प्र
आ•इंदु जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली कुंडलियां लिखी हैं जू अपुन ने चुनाव को भौतई नौनो नेतन की लालच वोट तानबै के बारे में लिखों हैं जू निरो चुनाव आउत सो नेता मन हीन होन लगत है मतदातन खो भरमाउत है और अच्छे अच्छे घोषणा करन लगत है सत्ता के तीर चलाउत है रोजउ नये इरादे ले के आउत है इनको देख के जी थररात है पाँच साल हो जात सो दोरन दोरन फिरन लगत है अपुन खो सोच समझ के वोट दैने है जू अपुन ने भौतई बढ़िया लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत सादर प्रणाम 👏👏
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9-श्री सरस कुमार जू
दोह खरगापुर
आ•अपन ने बुन्देली में मैया की करूणा की पुकार काना को लिखी हैं जो लो दूध दही देत रई भौत सत्कार करों है अब बछड़ा मर गव भूकन प्यासन हमें बाजार में बैचो जारव है अब हम दोरन दोरन फिर रये है कोऊ लिखईया सुनईया नईया खाबे घास असुआ टपकाउत फिर रई हो आदमी और दुनिया स्वारथ के सब है हम अखबार खात फिरत हो अपुन ने भौत कछु सार लिख दव है जू गाय माता की जयहो अपुन की कलम को ईश्वर और अचछो अच्छो सहारो करें अपन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत 👏👏
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10-श्री कल्याण दास साहू पोषक जू
पृथ्वी पुर जिला निवाडी
आ•पोषक जू अपन लिख रये हो माता उनके घरों को नोटन से भर दईवो जिने वोटन खो चाने और तो सबई अपनी नौकरियों से भर पाई कर लेत है जू उने जादा जरूरत है जो चुनाव लरत है खूब सेबा करत है जू अपुन ने भौतई बढ़िया लिखों हैं का तक बखान करे जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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11-श्री ब्रज भूषण दुबे ब्रज जू
बकस्वाहा
आ•तिवारी जूअपन ने भौतई बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू गईया भव खो पार लगाबै बारी होत है जू गईया भईया पालो पोषो जो गऊ की सेबा करत है बो नर गौ लोक धाम में बास करत है गौ घाती नरक खो जात है गाय लोक और परलोक सुदा रत है अपुन ने भौतई बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत नमन् करत है जू
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12-श्री गोकुल प्रसाद यादव जू
नन्हीं टेहरी (बुड़ेरा)
टीकमगढ़
आ•भाई साव जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली कुंडलियां दारू पै लिखी हैं जू आज ई जमाने में दारु को भौतई चला चल गव है दारु पी के गारी देत है जू और गलन खोरन पनईया खात फिरत है जितनो मारो उत नई मो चलाऊत है भौतई बढ़िया सार की बातें लिखी हैं जू अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन करत है जू 👏👏
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13-श्री अवधेश तिवारी जू
छिंदवाड़ा
आ•तिवारी जूअपन ने भोतई नौनी चेतावनी दई है जू अपन बतारये हो जितनो चादर होये उतनई पाँव पसारो अपुन को कैबो है के बाई हात को ख़र्चा नई करें जानबे बारे खो इसरो भारी होत है जू काये के कोऊ दुनिया को आदमी नई हस पाबै अपुन को हादिक स्वागत वंदन
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14-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ साव जू
पलेरा जिला टीकमगढ़
आ•दाऊ साव जू अपुन ने लिखों बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू जो बुन्देली चौकडिया नईया जू बुन्देली चौकडिया की चार कड़ी होत है जू अपुन सबई बातन के ग्यानी ध्यानी हो जू जा बुन्देली चौकडिया तर्ज में गीत है जू काये इमे छै कड़ी है जू और बारा लाइन में लिखों हैं जू दूसरी बात एक और अपुन बुन्देली में उर्दू लिखें हो जो कबर (कब्र)होत है जू अपुन ने आज भौतई बढ़िया बखान नारी पै करों एक शब्द शब्द में सार भरो है जू भौतई मन खो समारे रईवो चेतावनी गीत लिखों हैं जू अपुन की कलम को बारम्बार नमन कोटि कोटि सादर प्रणाम वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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आदरणीय आज की समीक्षा में भौत कछु भौतई बढ़िया नौने लेख लेखन अपुन सबई जनन ने करों है जू जो मोरी कउ गलती होगई होये तो अपुन सब हम अग्यानी की बात पै ध्यान नई दव जाबै जू
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*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा*
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273-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-23-9-21
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
स्वतंत्र पत्र लेखन समीक्षक द्वारका प्रसाद शुक्ला सरस
आज के पटल पर कब मनीषियों द्वारा अपनी एक से बढ़कर एक रचनाओं के माध्यम से हिंदी में प्रगाढ़ता भरी है जिससे हिंदी का मान बड़ा है और रचना में उत्कृष्टता बड़ी है सटीक और सारगर्भित रचना करके पटेल को सम्मानित करके आदर्श रचनाकार की श्रेणी में कदम रखकर प्रोत कर दिया है ऐसे काम मूर्तियों को शत शत वंदन अभिनंदन शोर साधुवाद
प्रथम में पटल पर पधारने वाले श्री हरि जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई जिनके द्वारा श्री गणेश करके पटल का मान बढ़ाया है ऐसे श्री खरे जी को धन्यवाद के साथ रचना मैं चार चांद लगाए हैं श्री प्रदीप खरे मंजिल के द्वारा हिंदी में दोहा के माध्यम से सुलोचना के विलाप करते ही मेघनाथ के हाथ में लिखकर बता दिया की यह सारा गार्ड पिता के पाप का कारण है जिनके द्वारा सीता हरण कर जो अत्याचार किया है उसका फल तुम्हें मिला है बहुत ही सुंदर शब्दों से अलंकृत कर रचना में शब्द विधा को स्थान दिया है बहुत-बहुत बधाई सादर वंदन अभिनंदन।
नंबर दो अशोक पटसरिया नादान जीने अपनी रचना जीवन कलम कमल खिलेगा शिक्षक के माध्यम से जिद्दी हिंदी में देखते और भव्य सिंहासन में मन मंदिर में श्री राम प्रभु जी विराजमान हैं और ज्योतिर्मयी उनकी आभा के दर्शन अलौकिक मनमोहक छवि अंतर तमकी द्वार खुलते ही गुरु के बिना भेद मिल नहीं सकता है चाहे वह शंकर ही क्यों ना हो जब गुरु का ध्यान करेंगे तभी वह जीवन रूपी कमल हमारे मन मंदिर में खिलेगा जिसे पाने के लिए यह मनुष्य लालायित है और अपनी कर्म रेखा से भाग्य रेखा को जीवन रूपी राय को प्रशस्त करने के लिए उपयोग कर रहा है बहुत ही सुंदर अध्यात्म रचना के लिए श्री पसारिया जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 3 श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ने अपनी रचना में विकास पथ शीर्षक से प्रगति रथ जीवन की सार्थकता को पाने के लिए हमको शिक्षा पागल ही भारत मां का रेन उतारना है ऐसी सोच बनाकर मेरा ओजस्वी तन मन अंतर्मन संकल्पित है कि यह है हमारा संसार रूपी द्वीप हमेशा जलता रहे और हमारे यहां पहाड़ों से झर झर झर ने उठते रहे बहती रहे और हमारे दर्द हीरो वीरों से दुश्मनों के पहाड़ जैसी बुलंद दरवाजे टूट जाएं केवल वीरों की गर्जना को देखकर दहशत में दुश्मन थर थर कापे ऐसी धन धरा भारत की नमन करता हूं और यह जग सारा नमन करता हुआ विकास के पथ की आशा करते हुए हर्षित होकर दया और क्षमता की ज्ञानदीप जलाकर सुखद संसार की कामना करता हूं श्री गूगल प्रसाद यादव जी ने अपनी मनोकामना से परहित एवं प्रमाण थी रचना से ओतप्रोत शब्दों के सटीक सुरजन से गदगद कर दिया है उत्तम रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक धन्यवाद
नंबर 4 फ्री अभिनंदन कुमार गुरुजी ने अपनी श्री रिकी ऋष अरे सिद्धेश वंदना नामक शीर्षक से रचना में भाव भरी हैं जो विनय रूपी नतमस्तक इंदिरा देवों के शीश और उनके प्रकाशित मणिमय मुकुट चरणों की बंदना धर्म तीर्थ के आदि प्रवर्तक जगदीश्वर की वंदना पद पंकज में वंदना अर्पित जय हो प्रथम जनेश और पाप रूपी अंधकार के नाश करने वाले भवसागर से पार करने वाले प्रभु के चरण कमल में यह सारा संपा अपार संसार समाया हुआ है कर्म योग हे प्रभु उपदेशों को हो तुम हे घूमने वंदन अर्पित जय जय जय प्रथम दिनेश उदित सूर्य करता है जैसे अंधकार का पूर्ण बना ही जगदीश्वर जग के तुम ही हो परमेश बहुत ही उत्तम रचना जिसमें अध्यात्म रूप के दर्शन क्षमावाणी के रूप में प्रस्तुत करके श्री गोयल जी ने मानवता की प्रेम मई जीवन जीवंत जीने की कला का प्रदर्शन करके नमन किया है बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं हार्दिक बधाई साधुवाद ।
नंबर 5 श्री राजीव नामदेव राना लिधोरी जी ने अपनी ग़ज़ल किनारा ढूंढता हूं के माध्यम भाव भरे हैं अंधेरे से उजाले की ओर जाने के लिए मनमोहक सितारे सी धुन ढूंढने की घूमने का प्रयास किया है और जिंदगी को जीने के लिए सहारे को खोजा है दिल के दरवाजों को खोलने के लिए उसके आने का इशारा किया है और बहारों में खो जाने के लिए अपनी भावना को प्रकट किया है इस जीवन रूपी गहराई में डूब कर के अब तिनके का सहारा ढूंढ रहा हूं आंख से बहता है वह दरिया जो लहरों में दोनों के लिए जीवन रूपी लहर के साथ किनारा ढूंढने के लिए लालायित है ऐसे मन को शांति स्वरूप किनारा चाहिए जो मनुष्य जीवन का अंतिम सत्य है बहुत ही उत्तम गजल श्री राणा जी ने स्तुति की है जिसके लिए बे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन।।
नंबर 6 मनोज कुमार जी ने अपनी एक हसीना थी मेरे सपनों की शीर्षक से कविता की रचना की है एक हसीना सपनों की जिसको दिल दे बैठा और साथ में रहने के इंतजार में अनजाने हस्ती को मुस्कुराते हुए देखने के लिए यह मन छटपटा रहा था ख्वाबों में सपनों में परछाई बनकर आती और उसके चेहरे फूलों जैसे चेहरे को देख कर मैं खिल कर आशिक उसे प्यार की शादी कर डूब जाता उत्तम सिंगार भरी रचना मैं मनमोहक ता लिए तथा गए दरिया में डूब कर मनमोहक आनंद को पाने की लालसा उजागर किया है बहुत-बहुत उत्तम रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 7 श्री शोभाराम दांगी जी ने अपनी स्वतंत्र बिरहा में देश के दुश्मनों को ललकार दी है अरे देशद्रोही इस दलगत राजनीति के झंडे फहराने से कुछ नहीं होगा पाकिस्तानी एवं नक्सलियों के लिए बजरंग गधा उठाना ही होगा गद्दारी के लिए चक्र सुदर्शन लाना होगा मातृभूमि की रक्षा में हम शीश चढ़ाएंगे और दुश्मन को परास्त करते हुए हम हम पांच पांडव ही काफी हैं तेरी सारी कौरव सेना को एक ही झटके में समाप्त कर देंगे ऐसे शकुनी तो हमेशा से मरते-मरते आए हैं यह भारत भूमि है इस पर जिन लोगों ने भी राज किया है उनका दमन हमेशा होता आया है बहुत ही देशभक्ति पूर्ण रचना मैं अपने भावों को भरकर विश्व की स्वतंत्रता की कामना की है और एकरूपता में संजू कर मानव परिवार की कामना करके भाव उत्तम भरे हैं बहुत-बहुत वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 8 श्री कृष्ण तिवारी जी भोपाल ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से रचना प्रस्तुत करके पगडंडियों में चलने की राह में कदमों को ठहरने का अहसास जगाया है और अपनी आदतों की जिद को सही नहीं माना है रावण के सिर 10 थे लेकिन दो हाथों वाले श्री राम जी से बिहार कर मिट्ठू को पाया मृत्यु रावण को मिली उसके दंभ को राम ने कुचला अब मद में रहकर कोई काम ना करो श्री तिवारी जी ने चेतावनी भरी रचना में माध्यम से शब्दों के माध्यम से समझाइश दी है की मदद तो रावण का नहीं रहा रहा और चूर चूर होकर मृत्यु को प्राप्त हुआ तो यह मनमानी क्यों और कैसी बहुत ही उत्तम सिद्धि रचना के लिए श्री तिवारी जी को हार्दिक वंदन अभिनंदन साधुवाद
9-सरस कुमार जी के द्वारा प्रेम गीत में मन को संजीव ने के लिए सावन भरे सावन जैसे दिनों में बरसते यादों के मेले बूंद बूंद रहके टूटा टूटा सा भारी मन लगने लगता है और लगता कि यह सावन बहुत ही होता है मंद मंद धड़कन तीव्र चलने लगती हैं अधरों पर मुस्कान गायब होने लगती है और विंध्य रस के साबुन झूठा सा लगने लगता है सुगंध हवाएं फूलों की बेला कहती है यादों की बेला में हम डूब ना चाहते हैं परंतु लूटा लूटा सामन हमें सोचने पर विवश करता है ऐसी सिंगार भरी रचना मनमोहक ताको गम के साए में ग्राही उद्बोधन को बढ़ाती है श्री सरस जी मन को प्रसन्न रखिए फिर वही सुनहरा सावन आपको आपके पास लेकर आएगा और मन में उठी उमंग को पूर्ण करेगा बहुत उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई नवाद सादर धन्यवाद
नंबर 10 डॉक्टर देवदत्त द्विवेदी जी ने अपनी हिंदी गजल के माध्यम से शब्दों कि सज्जन में तन्मयता से गढ़ से बढ़कर गढ़ से बढ़कर करो को बड़ा बताया है और तबु रे तनु रे रे तान पूरे हो गए हैं और गुलाबों को छोड़ दीजिए उनकी शक्ल में लाखों धतूरे हो गए हैं यत आज नियत को छोड़कर वैमनस्यता की लकीर को लांग दिया है और सभ्यता को छोड़कर अस्मिता रूपी लंगूरे हो गए हैं और देश हित के रूप में अराजकता रूपी जम्मू रे होकर कुकर शिक्षित होते हुए भी कनखजूरा जैसी चल चल के कुर्सियों में खटमल हो जैसी दौड़ करक राजनीति में राज अपना वर्चस्व बनाकर घूसखोर और कुकर्म थे जैसे भूरे पर उगने लगे हैं अर्थात हमारे मानवतावादी विचारों को छोड़कर लोग स्वास्थ्य पर ताकि राजनीत करके देश को गर्त में डाल रहे हैं ऐसी उत्तम शब्द विन्यास के साथ डॉक्टर साहब ने रचना में चार चांद लगाए हैं जो बहुत ही देश हित में और जनहित में सीख समझा इस भरी रचना के लिए श्री द्विवेदी जी को सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद
नंबर 11 प्रदीप खरे जी ने अपनी तरह ही मिश्रा नंबर 224 गजल के माध्यम से के कारण कितनी जाने और शहर तबाह हो गए जंगल जैसी आग से कितनी ही अगर तबाह हो गई यह कुदरत का जलजला सुनामी के ढेरों से कहीं अधिक लगता है और कागज रूपी मानव श्रृंखला ध्वस्त होती नजर आ रही है मंजर सदा ही खूनी दिखाई दे रहा है और चारों ओर विश्व में उथल-पुथल मची है दिलेश्वर पिघल रहे हैं बांध टूट रहे हैं मनुष्य के जीवन की छूट रही है इस छोटे से विषाणु ने मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है और जबरदस्त तबाही लाकर सुनामी से भी अधिक गुमराही राय पकड़ कर मनुष्य के विचारों में आग लगाने का कार्य किया है इस प्रकार की सारगर्भित रचना मैं शब्दों को ब्रोकर गजल के माध्यम से श्री प्रदीप कुमार जी ने भाव भरे हैं बहुत ही उत्तम रचना के लिए वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 12 श्री अमर सिंह राय जी ने कैसे करूं सिंगार जी सकते रचना में भाव भरे हैं और प्रियवर को सूखे सूखे पेड़ पत्तों से मुरझाया हुआ झलकता प्यार श्रृंगार रूपी अली के सहचर जैसे रसिया के मनमीत बनकर विश्वास में प्राण आधार कुकर स्वामी बोलने वाली उस सभी को निहारा है और उसके दीदार के लिए सिंगार रूपी वस्त्रों का मनोरम दृश्य और दे प्यारी बतियां घबराए मन प्यारी चितवन सारी बतिया भूल गए हैं ऐसी प्यारी सिंगार भरी रचना के लिए श्री राय साहब को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 13 डॉ रेनू श्रीवास्तव जी ने अपनी गीत बहती धारा के हरित धरा को देख लेते हुए कल-कल करती नदियां के शब्द कानों में गूंज मेरा नैसर्गिक आनंद और बढ़ती हुई नदियों जैसी आवाज और हरियाली बागों में पानी देता माली खिलते पुष्प और महकती डाली डाली इन सभी को बचाकर हमें अपने जीवन की राह प्रशस्त करना है तभी हम जीवन जीने योग्य डगर पर अपनी जीवन की राह प्रशस्त कर सकते हैं बहुत ही उत्तम सीख भरी रचना बस समझाएं दी है डॉ रेनू श्रीवास्तव जी भोपाल को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 14- आयुष दांगी जी ने अपने रचना के माध्यम से बेटी बहन पर होते अत्याचार से मन में गिलानी भरी गीत और उनके कृत्यों से भेड़िए जैसे माता पिता के द्वारा गर्म में कलंकित करके सिंगार करते हुए उस बेटी को मार दिया ऐसा मेरा इस अत्याचार से फूट-फूटकर दिल रोता है की जय दुर्गा मां तू काली बंद करके आ जा और नारी का सम्मान बचाना इन्हें वाणी भेड़ियों से कुदरती डालने वालों से दमन करना ही तुम्हारा काम है जब तक हमारा जीवन नर्क के समान है बहुत ही दर्द भरी वेदना उजागर किया है और मानवता के प्रति सजगता भाई सीख दी है जी को बहुत-बहुत बधाई हार्दिक अभिनंदन
नंबर 14 श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जुने अपनी बिहार गीत के माध्यम से रचना में प्रभु के कजरारे नैन नए श्याम के बिहार के लिए दौर करके देखने का प्रयास किया है राधा रुपए झांकी बहुत ही प्यारी दर्शन करने की झलक पाने के लिए नर नारी दौड़ रहे हैं राधा माधव की जोड़ी और बृजबाला बृजनाथ दौड़ी-दौड़ी आ रही है श्यामसुंदर के संघ में राधा जुगल हारी जा रही हैं और प्रभु भवसागर से पार लगाने के लिए तत्पर कुकर सभी को सुखद आनंद प्रदान कर रहे हैं ऐसी रचना अध्यात्म भरी मन को अंतर मनसे ओतप्रोत कर रही है ऐसी रचना के लिए श्री दाऊ साहब को नमन वंदन अभिनंदन
नंबर 15-
नंबर 15 .कविता नेमा जी ने अपनी रचना मैं प्रकृति के चलकर जीवन की संगति को प्रगति पथ पर झुक कर चलना ही समझौता करके इस चमन में फूलों को खिलाकर उनकी खुशबू से अपने जीवन रूपी चमन को निहारा है उस सुख के फूल दुख के कांटों के साथ में गुलाब बंन कर अपनी खुशबू विखेरना है और हमेशा प्रकृति के साथ रह कर मुस्कुराते हुए अपना सुखद संदेश मानवता का देकर परमार्थी राह पकड़ना है जो जीवन के लिए प्रकृति का वरदान होगा बहुत ही रचना में चिंतन भरे शब्दों का सृजन नेमा जी ने किया है जिसके लिए भी बधाई की पात्र हैं हार्दिक धन्यवाद वंदन अभिनंदन।
नंबर 16 .श्री कल्याण दास साहू जी ने अपनी रचना के माध्यम से देश के विकास में अपना योगदान और उन श्रम शील किसानों के पेट भरने के लिए सभी को धन धान्य देने के लिए सराहा है और उन पर हमें नाज होना चाहिए जिससे मजदूरों के द्वारा रोता हुआ यह बोल महिलाओं के शिखर तक बनाने में सहयोगी सिद्ध हुए हैं और प्रगति पथ पर कारखानों में कार्यकर्ते श्रम बिंदु सफाई की भूमिका निभाते अपने पेट की आग बुझाने के लिए मजबूरी में करते श्रम के लिए सराहना के पात्र हैं उन्हें उनके किए गए कार्यों के प्रति संवेदना जाहिर करना चाहिए यही हमारी मानवता का उद्देश्य है और जीवन जीने की संगति भी बहुत ही उत्तम शब्द विन्यास के साथ रचना में रचना कर अपनी भूमिका निभाई है जो सारगर्भित और सीख समझाइस देती रचना है जिसके लिए श्री पोषक जी को सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद ।
नंबर 17. डॉ अनीता जी ने अपने आंखें शीर्षक से शब्दों के विन्यास में रचना को अवतरित कर ईश्वर से मानव प्रकृति की दी गई यह अनमोल आंखें जो सृष्टि का एवं समग्र माध्यम का दर्शन अभिव्यक्ति के रूप में कर रहा है और यह नजर यदि ऊपर उठ जाए तो दुआ बन जाती है नीचे झुक जाए तो हया बन जाती है तिरछी तो आपदाओं की अदा और यदि पलकें बंद हो जाएं तो कजा बन जाती है और मैं क्या बयां करूं आंखों से ही मुस्कान होठों पर आती है और आंखें इशारे करती है लेकिन बोलती जवान है इन आंखों ने जाने कितने को छला है और फिर छलक छलक कर अपने आंसुओं को बहाया है और कभी मन मंदिर में प्याली बनकर एक घूंट पीने को जी चला जाता है जो नशा भरी मतवाली खबर मैं शैतान बनकर उभरता है आंखों में बहुत ही सुंदर सरल और साध्य देखने की क्षमता है जिसे मनुष्यता के प्रतीक मानकर जीवन की संगति को बल मिलता है तो बहुत ही सुंदर रचना के लिए डॉ अनीता जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 18 .श्री हरी राम तिवारी जिन्हें अपनी रचना श्राद्ध तर्पण रखें के माध्यम से जीवन के 3 रि्ण वैदिक धर्म रीत नियमों से अपना धर्म निभाते आए हैं पितर रि्ण और ऋषि गुरु जो दैहिक दैविक भौतिक ताप को शिक्षा दीक्षा देकर मंत्र तंत्र से चुकाते आए हैं मानव संकल्प कर पुरखों के शब्दों से आभार श्रम शील किसानों के पेट भरने के लिए उन्हें सराहा है उन पर हमें गर्व होना चाहिए और महिलाओं को शिखर तक भेजने में प्रगति रत सिद्ध हुए हैं पेट की आग बुझाने में श्रम बिंदु की सराहना संवेदना तौर पर हमें जाहिर करना चाहिए उत्तम शब्द विन्यास के साथ सारगर्भित रचना में चार चांद लगाए हैं सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 19 श्री ब्रज भूषण दुबे विराज के द्वारा अपनी रचना में कविता की रचना के लिए शब्दों का चयन करना नन्हे नन्हे बच्चों की देखरेख उसी प्रकार से करना पड़ती है जिस प्रकार से रचना में शब्दों का विन्यास किया जाता है कविता के अनुसार ही बालक के जीवन की सफलता पढ़ना लिखना सभी लक्ष्य को पाने के लिए कठिन राह बाधाओं से लड़ना और निडर होकर के अपनी सच्चाई को बयान करना यह जीवन की सत्यता का लक्ष्य है जिसे पाने के लिए यह मानव सतत कार्य करता रहता है प्रगति शील रहता है बहुत ही सारगर्भित रचना के लिए श्री दुबे जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिकबधाई!
नंबर 20.श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी ने अपनी चौकड़िया के माध्यम से रचना प्रस्तुत की है जिस में पावस ऋतु जाने वाली है और सूरज तू सुहावनी चंदा धवल चंदा चांदनी को लिए अलसाती सी मेहंदी दुधी सुंदर पुष्पों से मंद मंद मुस्काए सी कानों में रस घोलती मृदुल मिठास लिए अपने रंग में खेल रही है ऐसी शर्द सुहावनी रितु मनभावन आने को उल्लासित हो रही है बहुत ही सुंदर रचना के लिए श्री पीयूष जी के द्वारा मनोहारी चित्रण प्रकति का करके शरद ऋतु आवन की मनमोहक ता प्रकट की है जिसके लिए भी धन्यवाद के पात्र हैं सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 21 .बहन मीनू गुप्ता जीने अपनी रचना में व्यस्तता शीर्षक से जीवन आनंद को पाने के लिए चंद लम्हों की भागम भाग में व्यस्तता की ऊँचाई को छूने के लिए उस लम्हे को पाने के लिए ख्यालों में खोई हुई व्यस्तता के पल हमें जो संभल पाने के लिए कठिन प्रतीत होते हैं लेकिन इसी व्यस्तता में जीवन की संगति को आगे ले जाना है हमारे लिए साधन हुआ और वक्त को अपने साथ लेकर के चलना ही जीवन की संगति होगी बहुत ही सारगर्भित शब्दों से रचना में उत्तमता भरी है मीनू गुप्ता जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
22- डी.पी. शुक्ल सरस टीकमगढ़ में अपनी रचना में अंतर उर मैं बसे भावों को भुलाया नहीं जा सकता ईशवर के दिए भाग्यों को मिटाया नहीं जा सकता अपना तो भरे भग्योंं में बस्ती अंजुमन में भरोसे की चादर को ठुकराया नहीं जा सकता और छल से किसी को जालम ठहराया नहीं सकता अपने घर बुलाकर ईशानी भाव जिगर में रख उसे जलाया नहीं जा सकता दफन तो 1 दिन सभी को होना है लगे दामन का झंडा फहराया नहीं रह सकता और अपने घर पर बुलाकर आदर्शों के पुष्प चढ़ाकर मन प्रसन्न करना ही मनुष्यता का सलूक होता है सताना नहीं मानवता के बीच भावना को उत्कृष्ट रूप देने के लिए लिखी गई रचना सादर संप्रेषित है समीक्षा!
-डी पी शुक्ला जी टीकमगढ़
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274-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-24-9-21
*पटल समीक्षा दिनांक-24-09-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सभी विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन खौं बधाई देत भये अपन एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन और आलेखन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों, भाई, बहिनों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै
*1श्री अशोक पटसारिया जी* ने अपने विचार व्यक्त करते हुये देश की महिमा का वर्णन करते हुए भक्ति मार्ग पर चलने की सलाह दी। गीता सार को जीवन में उपयोगी बताया। माया मोह को त्यागने और भक्ति मार्ग पर चलने की बात को बड़े ही सहजता से कहा। रोचकता बनी रही। आपको हार्दिक बधाई।
*2*श्री शोभाराम दांगी जी* नंदनवारा से महाराजा दशरथ जी के जीवन के रोचक प्रसंगों पर प्रकाश डाल रहे हैं। क्रमशः में कौशल देश के राजा और कौशल्या विवाह का वर्णन रोचक और प्रशंसनीय है। दशरथ जी के नामकरण की जानकारी पठनीय है। बहुत बहुत बधाइयां।
*3* *श्री जयहिंद सिंह जी* दादा जी पटल की शान हैं। आपके द्वारा लिखी गई कहानी और आलेख ज्ञानवर्धक और समाज को दिशा देने वाले होते हैं। आज आपकी अनोखी दुकान भी खूबयी चली। अकल की दुकान के माध्यम से कंजूस और लोभियों को सबक सिखाने का प्रयास किया गया। पटल पर अपने सुंदर भावपूर्ण प्रसंग को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। बधाई।
*4* *श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी* टीकमगढ़ ने भगवान कूंढ़ा देव की महिमा का वर्णन किया। उनकी कृपा और महिमा का नवीन प्रसंग सुनाकर आनंदित कर दिया। शिवधाम की महिमा और उनकी आपके परिवार पर जो कृपा हुई वो सदैव बनी रहे। भक्ति मय प्रसंग के लिए आपको बारंबार बधाई और प्रणाम।
*5* *श्री राजीव नामदेव,राना लिधौरी जी* टीकमगढ़ ने गजल के बारे में जानकारी दी। गजल की बारीकियों पर प्रकाश डाला। गजल लेखन करने वालों का मार्गदर्शन किया। आपका प्रयास सराहनीय है। बधाइयां
*6* *डां देवकांत द्विवेदी, सरस जी* ने समसामयिक प्रसंग को पटल पर प्रस्तुत कर प्रशंसनीय कार्य किया है। बधाइयां.. योग आज समूचे विश्व की आवश्यकता है। निरोगी काया बनाने का सरल उपाय योग है। योगेश्वर और योग गुरु की महिमा अपार है। भूतभावन की साधना कर योग मार्ग को अपनाने से ही कल्याण संभव है। आपके लेखन को नमन करते हुए बधाई।
*7* *श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी*गाड़रवारा सैं जन्म शीर्षक से लघु कहानी कै रये। हास्य की पुट दयी गई और कुत्ते के भाग्य से अपने भाग्य की तुलना करी। गरीबी के महारोग और उसके दंश को सरलता से व्यक्त किया गया। आपको बधाई हो..।
आज पटल पर *केवल 7* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
आज पटल पर अपनी अनुपस्थिति के लाने क्षमा चाउत। पंचकें खत्म भयी सो खाई उठाने के कार्यों में शामिल होना पड़ा।
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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275 जयसिंह जय बुंदेली' बुंदेली दोहा-गडेलू-27-9-2021
#सोमवार#दिनाँक 27.09.21#
#बुन्देली दोहा लेखन समीक्षा#
#बिषय...गड़ैलू#
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सबसें पैला मां सरस्वती जू के चरनन में नमन करकें सबयी मनीषियन खों हात जोर राम राम।आज कौ बिषय भौतयी अनूठौ गड़ेलू है।बुन्देलखण्ड क्षेत्र में लौकी खाँ गड़ैलू कात।गड़ैलू सबसें फायदेमंद और बिभिन्न ब्यंजन बनाबे बारी सब्जी है।
आज के दोहन में पटल पर सबने अपने अपने कौशल से गड़ैलू की छवि निहारी,सबख़ों धन्यवाद।अब हम सबके कछवारन में पिढत और देख कें सबकी गड़ेलुवन कौ आँखन देखौ हाल आपखों सुनाउत।सबने भौत नौनी गड़ेलू खों ना जाने कां कां से जोड़ो गव।
#1#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुल जी टीकमगढं.....
आपने अपनी गड़ैलू के पाँच पेड़न में गड़ैलू का रस पीने,सस्ती और फायदेमंद होंने ,इसकेखाने से जान बचने की,बी.पी सुगर में लाभदायक होबे की,बिना खाद के उत्पादन होबे की चर्चा करी गयी।
आप बुन्देली के सुगर कलाकार हैं आपकी भाषा शानदार मनमोहक शिल्प में जादूगरी भरी गयी है।आपखों सादर बंदन।
#2#श्रीअशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा........
आपकी बगिया की 5 बौलन में,जैनों का गड़ेलू जादा खाने की,रोगियों का पथ्य,बच्चन खाँ नौनी ना लगबे की,इंजेक्शन सें बढ़ाबे की,बजन घटाबे में रोग निवारण में,हलुआ बनाबे की,जूस पीबे की उपयोगी चर्चा करी गयी।
आप सरस मधुर भाषा के जादूगर कारीगर हैं।भाषा,शिल्प कमाल के।आपका सादर बंदन।
#3#श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्ही टेहरी बुड़ेरा.......
आपकी बगिया की 5 बौलन में लदौवन फरवे की,अबा पै छैवै की,उखटी नीम पै चड़बे की,सब रोगन में उपयोगी, अपच और मधुमेह मेंउपयोगी बताई गयी।
आपकी भाषा धारदार, शिल्प मजेदार भाव मजबूत, शैली मधुर लगी।आपखों सादर धन्यवाद।
#4#डा. सुनील शर्मा जी गाड़रवारा........
आपकेबगीचा के 5पेड़न में,गड़ेलू कब्ज त्रिदोष नाशक,मेदहर,शुगर नाशक,गड़ैलू के पर्याय नाम,और खनिज बिटामिन की आथिकता बताई गयी।आपकी भाषा सौम्य सरल कर्ण प्रिय शैली लाजबाब रही।आपखों सादर बंदन।
#5#श्री शोभाराम जी दाँगी जी नदनवारा.......
आपकी बगिया में गड़ेलू के 5पेड़ पाये गय।जिनमेंपाचक होंना हलुआ बनाना,भुजी बनाना बगियन में पैदा होंना,लोहा और खनिज लवण ज्यादा होंना,पर सारयुक्त चर्चा की गयी।आपकी भाषा कमाल वन्दनीय, शैली भाव छरहरे,हैं।आदरणीय का बंदन अभिनंदन।
#6#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा जिला टीकमगढं.....
मेरी बगिया में 5पेड़ गड़ैलू के लगे हैं जिनमें गड़ैलू के बीज की दाँतो से उपमा,पाचक एवम् लंबा होंना, रायतौ बनना,हलुआ एवम् साग बनाना,रसपान करबौ,कोपता बनाबे की चर्चा करी गयी।
भाषा शैली भाव शिल्प आप सब जनें जानों।सभी का नमन।
#7#डाँ.देवदत्त द्विवेदी जी सरस बड़ा मलहरा..........
आपकी शानदार बगिया में गड़ैलू के दो मंडप देखे गय जिनमें लौकी के रस पीबे की,त्रिदोष एवम् कब्ज नाश करबे की,हलुआ पान करबे की,लौकी के सस्ते बिकबे की चर्चा करी गयी।
आप बुन्देली के मजबूत हात हैं।आपकी भाषाशिल्प भाव शैली गौरव मय वातावरण बना देत ।
आपके चरण बंदन मेरा सौभाग्य होता है।
#8#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढं.........
आपकी बगिया की 2बोलैयन में गड़ैलूं लदीं देखी जिनमें रोग नाशन,बजन घटाबे की, सब्जी सस्ती होने की बखूबी चर्चा करी गयी।
भाषा भाव शिल्प शैली का आपके पास लंबा अनुभव है।
आपका सादर अभिवादन।
#9#श्री बृज भूषण दुबे जी बक्सवाहा.........
आपकी साहित्यिक बगिया में गड़ैलू के 5 मंड लगे देखे गय,जिनमेंगड़ैलू की बरसाती उपलब्धता पर आब हमेशा मिलबे की क्षमता, काया की निरोगता करना,हलुआ और जूस कौ प्रयोग,बच्चों की अरुचि,बच्चों को पुटयाके खबाना बखूबी बताव गव।
आपकी भाषा भाव शिल्प शैली सराहनीय। आपका सादर नमन।
#10#डा0रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल........
आपकी बगिया में गड़ेलू के 4 मंडप मिले,जिनमें साँभर बनने की,हलुआ रस और कोफता बनाने की,गड़ैलू अमृत की खान होने की,गड़ेलू में इंजेक्सन से बिष बनने की चर्चा की गंयी है।
आपकी भाषा शैली सोम्य है,भाव ,शिल्प सराहनीय पाये गये।बहिन रेणु जी का सादर बंदन।
#11#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा.......
आपकी साहित्यिक बगिया में 4 गड़ेलू के लता बिटप पाये गये,जिनमें गड़ेलू के साग रायता,खाने की,पेठा बनाने की,गड़ैलू की उपमा पतरी देह सेडारी गयी है।
आपकी भाषा शैली भाव शिल्प मजेदार है।सरल प्रवाह आपकी बिशेषता है।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#12#पं श्री हरी राम तिवारी हरि जी खरगापुर.........
आपके साहित्यिक बाग के 5 लताओं में जिनमें गड़ैलू के अरगनी पर चडने की,मठा रायतौ बनाने की,भूरा कुमड़ा की जगह लौकी के पेठा की,सुगर में लौकी जूस पीबे की,इंजेक्सन से लौकी फुलाबे की चर्चा की गयी है।
आपकी भाषा साहित्यिक शैली उत्तम भाव गहरे,एवम् शिल्प जटिलता की ओर अग्रसर होता है।आपके चरण बन्दन।
#13#श्री संजय श्री वास्तव जी मवयी हाल दिल्ली......
आपकी साहित्यिक बगिया में गड़ैलू के 3 बिटप पाये गय।जिनमेंलौकी फतकुल,तुरैया खाबे की,गाँव में ताजी शहर में बासी बिकने की,और गड़ैलू के रसपान की चर्चा करी गयी है।आपकी भाषा चिकनी सरस सरल लुभावनी है शिल्प शैली की चमक और भावों की दमक सराहनीय है।आपंका अभिनंदन।
#14#श्री प्रभूदयाल श्रीवास्तव जी पीयूष.........
आपकी साहित्यिक बगिया में 5बेलें गड़ैलू की पाईं गयीं जिनमें
गड़ेलू के हलुआ भुजी रायतौ बनबे कौ,सबरें जूस पीबे की,कोपता बनबे की,गड़ैलू के पर्याय नामों की,रोग दूर होबे की बखूबी चर्चा करी गयी।
आप भाषा भाव के जादूगर हैं,शिल्प शैली की मधुरता मजेदार है।आपकौ बेर बेर नमन।
#15#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.......
आपकी साहित्यिक बगिया में गड़ैलू के 6 पेड़ लतायें मिँलीं जिनमें,बारौ मैना गड़ैलू खाबे कौ,शौक परे की खाबे कौ,गड़ैलू की महानता की,बकला कौ रंग हरौ और गूदे कौ रंग सफेद होबे कौ,गड़ैलू कै बिंजनौ कौ,डाक्टर की सलाह पै,गड़ैलू खाबे की,बिस्तार सें चर्चा करी गयी।आप भाषा की ताला चाबी,भावों कौ भंडार,शैली शिल्प के जादूगर हैं। आपखों बेर बेर अभिनंदन।
उपसंहार...... अब 8.00बजे शाम कौ समय हो गव।पटल के नियमानुसार दोहा डारबे कौ समय खतम हो गव।अगर ई बीच में धोके सें काउकी दोहा रचनायैं छूट गयीं होंय तो हमें आपनौ जान कें क्षमा कर दैयौ।बाँकी सबयी पंचन खों फिर सें दोई हात जोर कें राम राम पौंच जाय।जयहिन्द।
आपकौ अपनौ लाड़लौ समीक्षक.........
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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276-श्री शोभाराम दांगी'इंदु',हिंदी दोहा-झलक-28-9-21
समीक्षा दिनांक 28/9/021
बिषय- "झलक "हिंदी दोहा लेखन समीक्षक - शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ म प्र
मां वीणा वादिनी के चरणों में नमन करते हुए आप सभी के आशीर्वाद से यह समीक्षा लिख रहा हूँ /मां से आशीर्वाद पाकर आज पुनः "झलक " बिषय पर पटल पर आये सर्व प्रथम उपस्थित ===1आदरणीय श्री
प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ
से
आपने गोरी के घूँघट डालके झटसे निकल जाने एवं चंचल चित्त को चुराना और चमक चंद जैसी झलक दे कर चित्त चुरा कर जाना जिससे पथिक का चित्त चकरा जाने पर विशेष बल दिया /क्योंकि गोरी की झलक पड़ जाना ही मन पर प्रभाव शाली बन पड़ती है /आपने तीसरे दोहा में मुरली वाले की झलक बरसानें मैं पड़ी तो देखने वालो का मन प्रसन्नता से भर जाता है /आपका कहना है कि यदि एक ही वार घनश्याम की झलक पड जाय तो सारे विगडे काम बन जाते हैं इसलिए इस तन में बाग रूपी सुमन खिळ उठते और मन में प्रसन्नता की फुहारें पड़ने से कष्ट रूपी कांटे भूल जाते हैं /आदरणीय श्री खरे जी की भाषा शैली मन को प्रभावित करने वाली अदभुत बन पड़ी /ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ /
2=== नंबर पर आदरणीय श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा टीकमगढ म प्र
से अपनी पांच झलकियाँ लेकर आये /आपने जनकपुरी मैं फूल टोरते समय की झांकी का सुंदर पूर्ण वर्णन एवं धनुष टोरते समय की झांकी झलक का सुंदर चित्र खीचा धनुष टूटने एवं जयमाला पहनानें पर जो झलक देखी कि सारे महल में शोर मचगया और चंद चकोर जैसी झलक देखती रह गई / अंत में आपनें कुणडेशवर धाम में भोले शंकर की झलक पांयें /बहुत ही सुंदर चित्रण आपने किया आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य युक्त है ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ /
3=== नंबर पर आदरणीय श्री जयहिंद सिंह जयहिंद पलेरा जिला टीकमगढ म प्र से
आपने पांच पुष्प वाटिका सजाई और झलक दिखाई और कहा कि आपने बहुत ही सुंदर ठोस मार्मिक चित्रण सिया जी की झलक से खींचा आपने कहा कि चाप तो तोड़ नहीं पाये और बैचेन से हो गए /नैनों से सिया की ही झलक है /इसी प्रकार आपने विश्व मोहिनी का नारद जी का आपा खोना एवं अपने भाग्य प्रबलता पर रोने लगे बहुत ही सुंदर चित्रण किया एवं बृज के विहारी बिंदावन में दर्शन पाने को हजारों भक्त खड़े हैं /आगे आपने झलकारी रानी लकछमी बाई को के धोके किसी को देखनें की झलक अंग्रेज देखकर भ्रमित हो जाते थे इस प्रकार झलक की बहुत ही शानदार मार्मिक चित्रण किया आपकी भाषा शैली बहुत ही ओजस्वी भाव युक्त सहज ज्ञान रचना को हार्दिक शुभकामनाओं सहित बहुत बहुत बधाई आपको एवं सादर नमन /
4===पर आदरणीय श्री अशोक पटसारिया जी भोपाल हाल लिधौरा टीकमगढ म प्र
आपने पांच पुष्प कमल खिलाये जिसमें श्यामसुंदर की झलक देखकर रात दिन नींद नहीं आती क्योंकि दिन भर से आपको नहीं देखपाया इसलिए हे श्याम सुंदर आप फिर से झलक दिखाईये क्योंकि मैं यह झलक देखकर बेसुध बैचेन रात दिन तेरा नाम जपूँगा पर एक झलक जरूर दिखाइये /आपने चौथे दोहा में अप्रियतम लावण्य और रूप जवानी का दिखे तो मन काबू से बाहर बैचेन यहां तक कि उरोजों की झलक देखते ही मन को चेन नही गोलाई मन माथे आकर्षित बैचेन रह गया इस प्रकार आपने बहुत ही सुंदर दोहा रचे आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सरल सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
5===वे नंबर पर श्री आयुष दाँगी फीरोजपुरा बमहोंरी (बराना) से दोहो की सुंदर भाषा विचार भाव के साथ अपने भाव प्रकट किये पर मात्रा, तुकांत का जरूर अभाव है /कोशिश करते रहियेगा सही लिखनें लगोगे /आपकी लेखनी को बारंबार बधाई /
6===वे नंबर पर आदरणीय श्री मैं स्वयं शोभारामदाँगी नंदनवारा
टीकमगढ म प्र से
मेरा कहना यह कि बाग में कुसुम कली चुनते समय राम जी सीता एवं सीता जी राम की झलक निहारते रह गए /श्री कृष्ण नें आधीरात में जन्म लेकर अपनी एक झलक ऐैसी दिखाई की जेल में अजीव सी भव्यता दिखाई दी और मात -पिता अचम्भित से रह गए /यदि इंसान के पास धन अचानक हो जाय, एवं की भव्यता का स्वाभिमान हो जाय तो गरूर करने की झलक दिखा ही देता है /इस प्रकार मैनें भी दोहा आप सभी को सादर समर्पित किये है /
7==वे नंबर पर आदरणीय श्री ब्रज भूषण दुबे जी बकसुवाहा छतरपुर से
आपने ब्रज रस के पांच सुंदर केसर क्यारीं को अपने शब्दों से घनश्याम की झलक झांकी बाँकी गोपाल की मंद मंद मुस्कान भरी ब्याकुल ब्रज की गोपिकाऐं वंशी की धुन की मन मोहनी जैसे आकाश में बिजली सी चमक /इसी प्रकार श्याम का मोहनी रूप देखकर हर्ष में है /आपने बहुत ही सुंदर भाव युक्त ब्रज रस को सजाया /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी पूर्ण है ऐसी सुंदर लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम सुप्रभात /
8==वे नंबर पर आदरणीय श्री सरस कुमार जी खरगापुर से
पटल पर उपस्थित हुए जो सुंदर शब्दों की फुलबगिया सजाते हुए कहते हैं इस सुंदर बगिया में झलक दिखाई कि अपने को लालची बताकर मन प्रसन्नतासे झलक पाकर मन की आंखों को ऐसी चाहते कि इन नयनों से आपकी छवि देखते रहें, हे राम ऐसे नयन दे कि मै आपको निहारता रहूँ /बहुत ही सुंदर रचना बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ आपकी भाषा शैली माधुर्य प्रिय आपको बारंबार बधाई व प्रणाम /
9==वे नंबर पर आदरणीय श्री सीताराम तिवारी जी दद्दा टीकमगढ से
आपने दो दोहों की सुमन वाटिका सजाई जो बहुत ही सारगर्भित रचना के साथ कहना आपका कि वाह रे!! कलियुग कैसे -कैसे लोग हैं कि किसी की झलक देखकर अपनें नैंनों को सेंकर बहुत ही खुश होते हैं और दूसरे दोहा के माध्यम से आपका कहना कि मां -बाप कमा -कमा के रख रहे पर आज के लड़के ये किसी नायिका की झलक देखने के पीछे अपना सबकुछ लुटा देते हैं /बिल्कुल सत्य कहा आपने /लड़को पर व्यंग करते हुए कहना यह कि भैया ऐसा कलयुग नही देखा /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण रही बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ व प्रणाम सुप्रभात /
10===वे नंबर पर आदरणीय श्री अमर सिंह राय जी नौगांव से
आप पांच फुलबगिया की देखरेख में बहुत ही बढिया सारगर्भित दोहा रचरहे आपने प्रेम प्रसंग की श्री तुलसीदास जी का बहुत सुंदर चित्रण कर कह रहे कि बस एक झलक ही मिल जाय, इसलिए वो अपनी ससुराल तक चले गए क्योंकि वे अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते थे वे मन ही मन बैचेन थे /रंक फकीर राम की ओर निहारता अवधपति बनते हुआ देख राम राम का शोर हुआ /
आपने अति सुन्दर उदाहरण देकर झलक की तस्वीर बताई /आगे हनुमान राम के सच्चे भक्त इसलिए उनके ह्रदय में सदां राम की इलक रहा करती एवं अंतिम दोहा एक -दूसरे के दीवाने होने की झलक दर्शायी /महबूवा भी हंसी नही रोक पाता /आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सरल सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम /
11===वे नंबर पर आदरणीय श्री हरीराम तिवारी जी खरगापुर से
पांच ब्रजरस दोहे लेकर पटल पर उपस्थित हुए आपने और ब्रज वृंदावन की माधुर्य भाषा से दोहा सुसज्जित किये आपका कहना कि वृंदावन की झलक अखियन में समाये हुए हैं और श्री कृष्ण घनश्याम का उदाहरण गऊऐं चरानें नंगे पांव जाना बिना लाठी लिए कितनें शोभायमान लगते हैं कि उनकी एक झलक मातृ मिल ही जाये तो जीवन पार हो जाये किंतु न मिल पाने की बजय से उस मछली के समान मन तड़फता रहता है सभी ब्रजवासी घनश्याम को देखे बिना तड़फते हैं आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी भाव युक्त सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम /आदरणीय श्री हरीराम तिवारी जी आपको बहुत बहुत बधाई /
12=== वे नंबर पर आदरणीय श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ म प्र से
आपने पांच सुंदर पुष्पों की माला से भाव विभोर कर दिया कमाल की रचना, आपने मुख मंडल की सुंदरता का बखान बेहतरीन ढंग से सजा कर चित्रण किया मिसरी सी मीठी मुस्कान भरी ललित लाडली सी लली का सुंदर चित्रण कर कहा कि घन घूँघट से झाँकता शरद चंदमा की तरह देखना /मन पर मनहर रेखा सी झलक देखते ही खिच गई और सब सखियन के ह्रय में श्री कृष्ण की छवि देखने के लिए मन में हिलोर सी उठ रही इसलिए सब वंशी वट की ओर चल पड़ी /आपकी भाषा शैली अति प्रभाव पूर्ण रसदार ओजस्वी माधुर्य है ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई /
13===वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री गोकुल प्रसाद यादव जी बुड़ेरा टीकमगढ म प्र
आपने भी सुंदर पांच क्यारियों को अपनें शब्दों के पुष्पों से सुसज्जित किया आपने रस छंद अलंकार से सुसज्जित कर सींच रहे सिषटि सिजेता पर बहुत ही गंभीरता से चित्रण किया /श्रम रत बचपन भाल पर झलक रहा /आपने घर में प्रथम वहु आने पर घर एवं आसपास चहुँ ओर सुंदर सी झलक का वातावरण फैल जाता है /आपने अगले दोहा में झलकारी की झलक से गद्दार परास्त हो जाते थे /इस प्रकार आगे आप सुंदर नायिका का चित्रण कनक छड़ी कटि छीण, मंजुलता की झलक से गुणी प्रवीण तक विचलित हो जाते हैं आदरणीय श्री यादव जी बहुत ही श्रेष्ठ दोहा, आपकी भाषा शैली बहुत ही ओजस्वी भाव युक्त सहज /आपकी लेखनी को बारंबार नमन व बहुत बहुत बधाई
14=== वे नंबर पर आदरणीय श्री संजय श्रीवास्तव जी मवई हाल दिल्ली
आपने भी तीन पुष्पों की वाटिका से हनुमान जी का प्रभु राम को ह्रदय में धारण कर राम राम सुमिरन कर रोम रोम में बसाये रहने की झलक दिखाई /आपने दूसरे दोहा के माध्यम से राधा जी प्रीति का चित्रण किया /तीसरे दोहा में पति के दर्शनों के लिए पलक तक नहीं झपकना आदि का चित्रण किया /आदरणीय श्री संजय श्रीवास्तव जी आपको बहुत बहुत श्रेष्ठ लेखन मधुर लालित्य पूर्ण भाषा पर बहुत बहुत बधाई व प्रणाम आपको शुभकामनाओं सहित /
15===वे नंबर पर आदरणीय श्री डा देवदत्त द्विवेदी जी सरस बड़ा मलहरा छतरपुर से
आपने तीन दोहों की झलक दिखाई /आपका कहना कि श्याममोहन की आस में रात दिन नींद नहीं आती है और गोपियां जब दही बैचने जाती हैं तो घनश्याम की झलक पाने के लिए ललचाती हैं कि कब प्रभु के दर्शन हों /इसी प्रकार गायों को, पकछियों को श्री कृष्ण के दर्शन नही हुए तो गाऐं आँखों में आँसू लाकर मुँह में घास नहीं यानी इतनी बैचेन रहती कि वर्णन करना बहुत कठिन हो जाता है आपने अपनी लोकप्रिय माधुर्य भाषा से बहुत ही सुंदर दोहा रचे आपकी लेखनी को बारंबार नमन व प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको /
16=== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो से
आपने अपनी मधुर भाषा से पांचों क्यारियों को सुंदरता से सजाया आपका कहना ब्रज की नारियों को यदि एक पल भी झलक नही मिली तो नयनों से असुवा ढारने लगती हैं दूध दही बैचने जाय तो प्रभु की आस लगाये रहती हैं, ब्रज चौरासी में बसे श्री कृष्ण की झलक देखने को मिले ऐसे सुंदर संयोजन भावों को हार्दिक बधाई शुभकामनाओं के साथ /
बहुत ही सुंदर चित्रण किया बधाई आपको /
17=== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री कल्याण दास साहू पोषक जी प्रथवीपुर जिला निवाडी म प्र से
आपने पांच दोहों से पुष्प वाटिका सजाई जिसमें कहा कि अगर भगवान की झलक मिल जाये तो सारा जीवन सुधर जायेगा और सारी खुशियां प्राप्त हो जायेगी /जैसे धुव प्रह्लाद |ने झलक पाई /और तीसरे दोहा में सियाराम के पुष्प वाटिका में मिलने से चार नयनों को पाया बहुत ही बढिया सारगर्भित दोहा /आगे भक्त भीलनी ने भी भगवान की असली झलक से श्री राम को पाया और पाण्डु कुमारों ने भी दर्शन पाये /अंत में प्रभु राम का गुणगान करने वाले श्री तुलसीदास जी का सुंदर चित्रण किया कि वो महान वन गये /आपकी भाषा शैली भी बहुत ही सुंदर ओजस्वी पूर्ण भक्ति भाव का चित्र खीचते हुए बहुत सुंदर मनमोहक रचना पेश की /आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम व बहुत बहुत बधाई /
18=== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री अभिनंदन कुमार गोइल जी इन्दौर से आप पांच फुलबगिया की झलक लेकर सींचते हैं कि चांद के दर्शन तक नहीं पा पाये एवं पलक झपकते ही बादल घनघोर वरसनें लगते आगे आपका कहना =दिलकश लगी पुकार आँखें झलक पाने के लिए बावरी हुई /दिल में भले ही जुवान न हो पर अंतस्थल में तो बस गये /और जादू कैसी झलक दिखाकर किया /यहां तक की पंछी तक अधीर हो रहे हैं और झलक दिखाकर छिप गये /फिरतो द्वार तक नहीं खुला /आदरणीय गोइल जी की भाषा बहुत ही माधुर्य प्रिय है बहुत बहुत बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ व प्रणाम सुप्रभात /
19=== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री एस आर सरल जी टीकमगढ म प्र
आपने पांच सुंदर पुष्पों की क्यारियों को सजाया /आपका कहना कि प्रभु की झलक पर तन मन से किलोल करने लगे /आगे आप कहते हैं कि जब सुंदरी की झलक पा लेते हैं तो मन प्रसन्नता से भर जाता है और जो प्रेम दीवाने हैं वे और अधिक मुग्ध हो जाते हैं आगे बेड़नी को खुशी वांटते हुए कि वह अपने यौवन की झलक दिखाकर खुशियां वांटती है जिसे देखकर रागी लोग मस्त होते हैं कुलाँटें खा -खा कर नाचते हैं अंत में आपने झलकारी से गोरा लोग शंका में पड़ जाते हैं कि यह रानी है बहुत सुंदर रचना आपकी, आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण प्रवाह युक्त रही ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई /
20=== वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ म प्र से
आपका कहना एक दोहा के माध्यम से कि सिर्फ एक ही झलक काफी है एक झलक मिल जाने से जीवन का उद्घार हो जाये एवं हरि कथा से जीवन का बेड़ा पार हो जायेगा /आपने बहुत ही सुंदर रचना के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया /आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय मयी ओजस्वी भाव युक्त सहज सुंदर है बारंबार बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ व प्रणाम बार बार नमन ।
इस प्रकार आप सभी की उत्तम शब्द लेखनी से झलक बिषय पर सुंदर एक से एक बढकर सभी ने सुंदर रचनाऐं प्रेषित की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाओं सहित बहुत बहुत बधाई /आज की समीक्षा में यदि कोई छूट गया हो या अगर किसी प्रकार की कोई भाषा में गलती हुई हो तो आप सभी अनभिज्ञ समझ कर माफ करना अंत में आप सभी को बहुत बहुत बधाईयां /मां के चरणों में नमन करते हुए कलम को विराम देता हूँ ।
समीक्षक -शोभाराम दाँगी, नंदनवारा जिला टीकमगढ
9770113360,7610264326
जय हिंद जय भारत
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277-राजीव नामदेव,टीकम.,बुंदेली-स्वतंत्र,29-9-21
277- आज की समीक्षा* दिनांक 29-9-2021
बिषय- बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन*
आज पटल पै बुंदेली में स्वतंत्र पद्य लेखन हतो सोउ सबई जनन ने मनकी रचनै फटकारी, कोउ नई विधा में लेखन भओ जैसे श्री संजय जू ने गोदान को भौत नोनो काव्य रूपांतरण करो है और श्री तिवारी जू ने ताका रचे है। पढ़कै भौत नौनो लगो के अपुन नये नये परयोग सोउ पटल पै करत जा रय। दोउ जनन खौ ढेर सारी बधाई।
आज सबसें पैला
*1* श्री अशोक पटसारिया जू ने बुंदेली पचफेरा लिख के मजा बांद दव है बधाई।
भैया ब्याज मूर सें प्यारौ,नाती दोस्त हमारौ।
दिन भर बात मठोलत गुर सी,दिल खों बढ़ौ सहारौ।।
*2* *✍️गोकुल यादव,नन्हीं-टेहरी(बुडे़रा)* ने सांसी कई है कि भारत हमाव है गाँवन में बसत है। भौतई नोनी रचना लिखो है।
ऊँची है शान,महिमा महान,नीकौ विधान,है गाँवन में।
कच्चे मकान, पक्के मकान, टपरा मचान, हैं गाँवन में।
*3* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ वर्ल्ड हार्ट डे 29सितंबर पर दिल की बा लिखी है।
दिल ने दिल से कइ, तुम दिल्लगी काय करत हो।
दिल ने दिली दास्तां,दबी जुबां से सुनायी।
*4* श्री संजय श्रीवास्तव जी ने गोदान* के मंचन हेतु लिखा था। बुंदेली नाट्य रूपांतरण, नौनो नया प्रयोग है। बधाई।गाँव में
गाँव में है देश अपनो, देश में है गाँव।
नदिया है गहरी,हिचकौलें खाती नाव। २
*5* श्री शोभाराम दाँगी जू नदनवारा से धुन - कहरवा में लिखत है-
मानों चाय जिन मानों परौसन बाई दे गई उरानों /***
लरका तोरो चाल करत है / टोली -टोलियन संग घूमत है //
*6* *प्रदीप खरे, मंजुल* जू एक नौनी चेतावनी लिख रय है बधाई।
मैली जा हो गई चदरिया, धो डारौ सांवरिया....
संग न जै कंचन काया।रै जै धरी तुम्हारी माया।।राखौ अपनी खबरिया....
*7* डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बड़ा मलहरा से बेहतरीन ग़ज़ल कै रय कै
साँसी कैबौ कर्रो हो गव,न्याय नीत में भर्रो हो गव।।
मेंगाई ने यैसौ रगडो, गोंहूं भाव गटर्रो हो गव।।
*8* श्री एस आर सरल जू ने बढ़िया ग़ज़ल पटल पै धरी है। कोई सुनवे बारों नइयां बधाई
साँसी कोउ कवैया नइयाँ। कत सो कोउ सुनैया नइयाँ।।
कोउ काउ की कै नइँ पा रव।अच्छौ 'सरल' समैया नइयाँ।।
*9* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द* ने श्याम लीला पे नौनो गीत रचो है बधाई।
धुन....मैं तो चंदा जैसी नार राजा कय लाये सौतनियाँ।
सखी में का का तुमें सुनांव,घर में घुस गव आज कन्हैया।
लूटो पुरा मुहल्ला गाँव,बची ना कोन ऊ आज कुठैया।।
*10* श्री हरि राम तिवारी 'हरि'खरगापुर जू ने जापानी छंद तांका में रचना लिखी है जौ छंद भारत में बहुत कम प्रचलित है।
मैं 'समय' हूं,/समय-काल -वक्त,/मुझे जानिए,
मुझे पहचानिए,/मैं अनादि अरुप।।
जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश ।।
*11* *सीताराम जी तिवारी* कलयुग की महिला बता रय है।बिषय.. झलक
कैसा कलयुग आ गया, बदल गये हैं लोग।
झलक देख नैना सिकें,लगा प्रेम का रोग।।
*12* *प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़* एक बुंदेली की नोनी चौकड़िया लिखी है। बधाई।
आकें बैठीं सपरें खोरें ,पटियां पारत दोरें ।
तकता में मों देख देख कें, काड़त काजर कोरें।।
*13* *श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवा* से श्री राम जी की वंदना लिखते है-
आकें राम खुद देव सहारौ,संकट आन परौ जी।
जीबौ कठिन प्राण संकट में,जन जन दुख हरौ जी।।
*14 श्री कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर* से गुटका अवगुन बता रय है। बधाई
गुटका मों में दाबियौ ,रोंथौ खूब मुराव ।
पीक भरें रओ देर तक ,ऊसइ में बतयाव ।।
*15* *श्री ब्रज भूषण दुवे बक्सवाहा* से बर्षा गीत लिख रय है बधाई।
-जब छाये छौनर में पाना अर खपरा।अटादार बखरी है बनो नोई टपरा।
भीजवें खुवारें सब,ब -उत घर में धारे जब।सोबे की अड़चन परी। छोनई----
ईतरां से आज ई साहित्यक जज्ञ में 15 आहूतिया डरी।
सबइ ने नौनी कविता पटल पै डारी हम भौतइ आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय
भारत*
*- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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278-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-कागोर,4-10-2021
#सोमवार#दिनाँक 04.10.21#
#बुन्देली दोहा लेखन समीक्षा#
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आज सबसें पैलाँमाँ सरस्वती के चरणों में साष्टांग, फिर सबयी मनीषी गणों का हात जोर बंदन अभिनंदन।आज कौ भौत नौनौ बिषय कागौर दोहा लेखन खों दव गव सबने अपने अपने बिचार कयी भाँत सें पटल पै डारे।कागौर खों भाँत 2 सें समझा दव।भौत नौनौ लगो पढ़कें मन की उमंग चौगुनी हो गयी। सबने ई बिषय कौ खूब मंथन करो।नये 2 ज्ञान की परतें काड़ी गयीं।आब अलग अलग कागौर देखकें ऊकौ हाल सबखों सुना रय।
#1#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़...... आपने अपनी कागौर में 5 दोहे पटल पै डारे जिनमें करय दिन में कौवन की पूँछ,कौवन खों पुरखन की तरह मानबौ,कागौर की सजावट,बन्न2 के पकवान कौवन खों खिलाबौ,और पितृन की बिदा के दिन पुरख़न कौ आबौ बताव गव।
आप भाषा भाव के धनी कवि हैं शैली सरल और शिल्प के अनौखे कलाकार हैं।आपका बंदन अभिनंदन।
#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा......
आपने अपनी कागौर में 6 दोहा रचे जिनमें पैलै दिन तला सें पुरखा ल्याना,कनागतन में कागौर धरवौ,कौआ के कौर खों बिधान बताबौ,पानी और थार धरकें पुरखन सें गुहार करबौ,छोटे और बड़े सें कागौर धराबौ,बृह्म कपाली और गया जी में पिण्डदान कौ बरनन करो गव।आपने गद्य में कागौर पर बिस्तार सें जानकारी दयी।
आपकी भाषा पै साजी पकड़ देखी गयी।रचनाओं में भावों की भरमार अनूठी शिल्प शैली सें करो गव।आपकौ बंदन अभिनंदन।
# श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्ही टेहरी बुड़ेरा......
आपने कागौर पै 5दोहे रचे जिनमें कागौर की परिभाषा, कगौर की साजी रीति,माँ बाप की खुशामद सें आँगें तेरहवीं और कागौर कौ महत्त ना हौबौ,जियत में सेवा नयीं मरे में कागौर धरबौ,कनाग
तन में कागौर धरबौ,कनागतन में कौवन सें जगबौ,बताव गव।
आपकी भाषा शैली मजेदार शिल्प भाव जोरदार रय।
आपखों बारंबार प्रणाम।
#4#श्री प्रमोद गुप्ता जी मृदुल टीकमगढ़......
आपके कागौर के 5 दोहन में कागौर सें पितरन कौ ध्यान रखबौ,पितरन के बहाने कौवन कौ ख्वाबौ,कागौर पुरातन की रीति,घर के मगरे पै कौवन कौ बोलबौ,खुशी की जोत कागौर बतायी गयी।
आपकी भाषा जनमानस की है,शैली की समझ शिल्प से हो जाती है,भावो की सुन्दरता बेहतर है।आपको सादर नमन।
#5#श्रीभजन लाल लोधी भजन जी फुटेर.....
आआपके कागौर के 5 दोहन मेंजिये पै ठौर नयीं मरे पै कागौर,
पत्तन पै कागौर धरबौ,दद्दा की कागौर धरबौ,पुरानी पृथा के बाद
अब नये दौर में श्राद्ध और कागौर
धरना,पुरखन की आत्मा भटकबौ
और मरे पै कागौर थरबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सरल सरस और प्रवाहमयी है।शिल्प के गुर और शैली मन मोह गयी।भाव जोरदार।
आपको सादर प्रणाम।
#6#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़....
आपने अपनी कागौर के 2 दोहों में जीते जी नहीं पूँछना,मरे पै कागौर डारबौ,पुरखनं की तस्वीर पै,धूरा भरबौ,कनागतन में फूल चड़ाबै कौ बरनन करो गव।
आपकी शिल्प शैली जोरदार, भाषा भाव अनूठे हैं।
आपका सादर अभिवादन।
#7#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तवजी पीयूष टीकमगढ़.......
आपके कागौर के 5 दोहन में,करय दिनन में काँस फूलबौ,पुरखन पानी दैबौ,कुमड़न के पत्तन पै कागौर धरवौ,बिना ठौर के माल छानबौ,उरदन के कौर,कड़ी बरा भात की कागौर,और बामनन के भोज कौ बरनन करो गव।
आप भाषा भाव के चितेरे,शिल्प शैली के जादूगर हैं आपका हर हर बन्दन,अभिनंदन।
#8#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा......
आपने अपनी कागौर के 5 दोहन में करय दिन के 15दिन साजे बताय।कौवन कौ दूध मलीदा खाबौ,कौवन कौ भाग पूंछौ गव।कौवन कौ बेद पुरानन ने का महत्व बताव पूंछौ गव।़ताली बजाकें कौवा बुलाबे कौ बरनन करो गव।
आपंकी भाषा मजी भाव बिस्तार दरशन करबे जोग हैं।शिल्प शैली का जादू चढ़कर बोलता है।
आपका शत शत बार नमन।
#9# डा0रेणु श्रीवास्तव भोपाल.........
आपके अपनी कागौर के 4 दोहों में करय दिन के 15 दिन साजे बताय गय।जिनमें कौवन में कागौर की परस करबौ,नदी ताल के घाट 15दिन कागौर धरबौ,करय दिनन में कौवा अधिक दिखना आदि कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा भाव शानदार, शिल्प जोरदार शैली चमत्कारिक. पाई गयी।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#10#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मैने अपनी कागौर में 5दोहे डाले,जिनमें पिण्डदान सें उद्धार करबौ,बृह्म कपाली और गया जी में पिण्डदान करकें तरपन करबौ,पुरखन की कागौर,कौओं को खाना ,कागौर मन की भावना है।कनागत में कागौर से पुरखों कातरपन करना बंताव गव।।बड़े और छोटे को कागौर धरबौ बताव गव।भाषा भाव शिल्प शैली की बात आप सब जनें बता ,सकत।सबखों हात जोर नमस्कार।
#11#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर......
आपने अपने कागौर पर 5 दोहे रचे गय।जिनमें करय दिनन में दूद
भात की कागौर धरवौ,करय दिनन में तरपन और श्राद्ध करबौ,गुरु दीक्षा सें कागौर धरना, क्वार बदी में कागौर धर पुरखा याद करबौ,और राम जी के श्राद्ध
करबे कौ बरनन करो गव।
आप भाषा भाव के शिल्पी तथा शिल्प शैली के भाव बाचक भाषाकार हैं।आपको शत शत नमन।
#12#डा0 आर. बी.पटैल जी अंजान साहब छतरपुर......
आपने अपनी कागौर के 3 दोहन में कागौर की ठौर पर कौवन की काँव काँव,पुरखन खों पानी दैबे कौ षरनन,छोटे और बड़े खों कागौर धरबे कौ बरनन करो गव।
आप की भाव भरी भाषा की शिल्प शैली कमाल की है।
आपखों धन्य 2 बधाइयां।
#13#श्री बृज भूषण् दुबे जी बृज बक्सवाहा........
आपके कागौर के 4 दोहन मेंपितरों को पुत्रों की आशा,करय दिनन में पुरखन खों खबाबौ, पैलाँ कागौर थरबौ फिर भोजन करबौ, श्रद्धा सें श्राद्ध करबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल सरस प्रवाहित है।शैली मिठास लँय है।भाव मधुर शिल्प सुन्दरता सराहनीय है।
आपको बेर बेर नमन।
#14#श्री किरन मोर कटनी......आपने अपनी कागौर के 5 दोहन में,जियत में खाँसतन
में कौनौ गौर नी करो पर मरे पै खपरन पै कागौर धर रय।बुढ़िया की अवहेलना,अब भात की कागौर ,बाप खों कुत्ता जैसी ललकार,मरे के बाद कागौर सें स्वागत।पैलै एक ग्लास पानी नयीं,अब पुरखन खों पानी दै रय।अपने करम सुधारबे कागौर बनाना बताव गव।
आपकी भाषा संयत भाव प्रखर शिल्प सुन्दर शैली लोचदार देखी गयी।आपखौं बार बार बंदन अभिनंदन।
उपसंहार......
अब आठ सें ऊपर कौ समय हो गव ।पटल कौ नियम अनुसार समय पूरौ भव।अब अगर कौनौ विद्वान की रचना धोके या नैट के अभाव में छूट गयी होय तौ अपनौ जान कें क्षमा करो जाय।फिरसें एक दार सबसें राम राम।
आपकौ अपनौ समीक्षक..।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढं#
#मौ0 80850108189#
6260886596
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279-राजीव नामदेव,टीकमगढ़,हिंदी-खीर-5-10-21
279-आज की समीक्षा* दिनांक 5-10-2020 बिषय- *खीर*
आज पटल पर बहुत बढ़िया दोहा पोस्ट किये गये है। सभी ने बढिया कलम चलायी है। सभी को हृदय तल से बधाई।
आज सबसे पहले *श्रीअशोक पटसारिया नादान* जी लिधौरा टीकमगढ़ ने अपने दोहों में बताया कि खीर कैसे बनती है उसमें क्या क्या मिलाया जाता है। बहुत बढ़िया दोहे। रचे है बधाई
बूंदी पूड़ी रायता,दही बड़ा भी खीर।
हमने देखी श्राद में, अरबी मटर पनीर।।
साबूदाना सिमइयाँ,कहीं मखाननदार।
खीर बने कद्दू कहीं, चावल की भरमार।।
*2* *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा* ने पंच मेवा से सजे पांच मीठे दोहे रचे बधाई।
बुन्देली ब्यंजन मधुर,कहते जिसको खीर।
खाते हैं सब शान से,राजा रंक फकीर।।
खीर खाँय सुत हो गये,राजा दशरथ चार।
तीन रानियों से हुये, चारों राज कुमार।।
*3* * श्री प्रदीप खरे, मंजुल* जी पितृपक्ष में श्राद्ध में खीर का महत्व बता रहे है। सुंदर दोहे रचे है बधाई
दादी निज देखी नहीं,हिय में उठती पीर।
पितृ पक्ष में आ जईयौ,धरै कटुरियन खीर।।
पुरखा पूजत भाव सें,सबरे मिलकर आव।
धरी थाल में खीर है,बढ़े प्रेम से पाव।।
*4* *श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा* टीकमगढ़ से कहते है कि शरद पूर्णिमा की खीर का बहुत महत्व है कहते उस दिन आसमान से अमृत बरसता है। अच्छे दोहे रचे है है बधाई।
बन्न बन्न की बनत है त्योहारों में खीर।
रोज रोज जो खात है होबै पुष्ट शरीर ।।
शरद पूर्णिमा को बनत घर घर सबके खीर।
अमृत वर्षा होत सुनों होबै निरोग शरीर।।
*5* श्री सरस कुमार,दोह, खरगापुर से लिखते है कि अमीर और गरीब सभी लोगों को खीर पसंद है। सभी त्यौहारों में बनायी जाती है। बढ़िया दोहे है बधाई।
पंगत, भोज, प्रसाद में, बटती है जी खीर ।
खाते है गरीब सभी, और खाते अमीर ।।
खीर बिना सूनी लगे, व्याह, तीज, त्यौहार ।
ज्यौ गुण बिन झूठा लगे, मानुष का व्यवहार ।।
*6*राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ कहते है कि पंगत में लोग भर भर दोना खाते है।
पंगत की यह शान है,भर दोना में खीर।
बार-बार मांगत सभी,नहिं मिलने पे पीर।।
भोजन में रानी बनी,होती बढ़िया खीर।
भर-भर दोना खात है,खावे होय अधीर।।
***
*7* श्री अभिनन्दन गोइल जी इंदौर से कहते है कि खीर का भोग लगाया जाता है बढ़िया दोहे है।
मेरी माँ देखे प्रभो , पुत्र पौत्र चिरकाल ।
भोग लगावे खीर का , भर सोने के थाल ।।
मातृ भक्ति अरु चतुरता, लख भोले मुस्काय।
कर तथास्तु प्रभु चल दिए,मन में अति हर्षाय।।
****
*8*डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल से खीर बनाने की रेसिपी बता रही हैं। अच्छे दोहे है। बधाई।
चावल दूध व शर्करा, तीनों का है मेल।
खीर बने मीठी लगे, सब पैसों का खेल।।
मठा महेरी भोज है, सब गरीब ही खांय।
खीर बड़ी स्वादिष्ट हो, जिसका भोग लगांय।।
*9*श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज बकस्वाहा* भोजन में अंत में खीर खाने में बहुत आनंद आता है।
भोजन में आवे मजा,खाय पियें भरपूर।
मेवा पई पकवान संग,होवे खीर जरूर।।
भोजन के पश्चात जो,पांवें थोड़ी खीर।
तृप्त आत्मा होत है,पीकें ठंडा नीर।।
*10* श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ ने बहुत उमदा दोहे रचे है। बधाई।
चावल ओंटो दूध में ,मेवा शकर मिलाय।
खीर खाइये शौक से,कब अवसर मिल पाय।।
शरद पूर्णिमा रात में,चमक रहा शुभ इंदु।
रिस रिस कर पीयूष के, पड़ें खीर में विंदु।।
*11*गोकुल यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा) से लिखते है कै तेरहवीं और श्राद्ध में खीर जरुर बनती है। शानदार दोहे रचे है। बधाई।
तेरहबीं में श्राद्ध में, करते सब तदबीर।
पूरी सब्जी साथ हो,मालपुआ औ खीर।
मिले ठोकरी भैंस का,शुद्ध निपनियाँ क्षीर।
जम जाती है थार में, कलाकंद सम खीर।।
*12*कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर से रस खीर को स्वाद बता रहे है। सभी बढ़िया दोहे है। बधाई।
गन्ना-रस चावल पके , बन जाती रस-खीर ।
गोरस से तसमइ बने , करती पुष्ट शरीर ।।
खीर रसीली माधुरी , करते सभी पसंद ।
पूडी़ के सँग खाइये , मिलता है आनंद ।।
*13* श्री किरण मोर कटनी से राजा दशरथ के पुत्रों का जन्म खीर खाने से हुआ था उसका सुंदर वर्णन दोहों में किया है। बधाई
राजा दशरथ को हुई, पुत्र मोह की पीर।
अनल देव ने खीर दी,जनम हुआ रघुबीर।।
भांति-भांति बनने लगी,रख लो शर्करा क्षीर।
काजू पिस्ता बदाम ले,ओंटो रबड़ी खीर।।
*14*डा आर बी पटेल "अनजान"छतरपुर म प्र से लिखते हैं कि श्री राम को भी खीर का भोग पसंद है।
जन जन है यह मानता,सबसे पावन खीर ।
भूखे को संतृप्त कर,हर लेती है पीर ।।
हलुवा पूडी मेवा क,जबलग बने न खीर ।
तब तक फीके ये लगेभोग लगे रघुवीर ।।
*15*श्री एस आर सरल टीकमगढ़ कहते है कि खीर एक प्रसिद्ध बुंदेली व्यंजन है। बेहतरीन दोहे रचे है बधाई।
व्यंजन बुन्देली कई,उनमे से इक खीर।
खीर सभी को भात है, राजा रंक फकीर।।
हष्ट पुष्ट रहते सदा,होत बलिष्ट शरीर।
समझदार छोड़ें नही,हलुआ पूड़ी खीर।।
*16* श्री भजन लाल लोधी फुटेर जिला टीकमगढ़ से दोहा तो बहुत बढ़िया लिखे है लेकिन बुंदेली में लिखे है जबकि आज हिन्दी में दोहा लेखन था। खैर कुछ नया लिखे तो है यही बहुत है। बधाई
दाख चिरोंजी लायची,खांड खुरोऊ होय ।
तुमयीं तुमयीं ना लियौ,तनक परस दो मोय।।
ई बुंदेली खीर की,कांलौ महिमा गांय ।
मानुष की तौ बात का, देवता तक ललचांय ।।
ईतरां से आज ई साहित्यक जज्ञ में 16 कटोरियों बहुत स्वादिष्ट खीर फरोसी गयी बहुत आनंद आ गया।
आज के सभी दोहाकारों का बहुत बहुत धन्यवाद आभार कि आपने बिसय पर नवसृजन कर बढ़िया दोहे रचे है।
*जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत*
*- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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280-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-7-10-2021
*280वीं समीक्षा*
🌹जय बुन्देली साहित्य समूह 🌹
टीकमगढ़
समीक्षा दिन बुधवार
🍫6/10/2021🍫
*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा*
🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️
🚩वंदना 🚩
चौकडिया बुन्देली
नौ दुर्गा तुमे सुमर रये
शीश चरन में धर रये
दोई हात जोर के मईया
तो लौ बिनती कर रये
जो कोऊ तुमरो सुमररन करबै
उये फ़ूल से झर रये
बनक बनादो लिखूं समीक्षा
तुमे न भाऊ बिसर रये
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
*1-श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा*
टीकमगढ़
आ•नादान जू अपुन आज पितु मोक्ष अमावस्या पै भौतई नौनो बखान् करों जू अपुन को
कैबो है के जेठन के पुन्य प्रताप से सब कछु होत है जू कछु जने कन लगत के जेठन को पुन्य प्रताप आ आडे आ गव सो अच्छो भव उनकी जियत जियत में ऐन सेबा करों जू अपुन की का तक कथा कोबखान करों जू अपुन की कलम को बारम्बार नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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*2-श्री रामा नन्द पाठक नन्द जू पृथ्वीपुर जिला निवाडी*
आ•नंद जू अपुन ने भौत बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू के आज पुरखा बिदा लेके जारये है सबई खो दुआ देत हरसात जारये के हमाव बगीचा इसई हरयात रबै जो और खूब फलै फूलै दूध करूला जो करत रबै और हमाव नाँव उठाये रबै अपुन की कलम में भौत दम है जू अपन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏भाऊ
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*3-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू पत्रकार टीकमगढ़*
आ•मंजुल जू अपन ने नौ दुर्गा पे नौनो बखान् करों जू अपुन को कैबो है के हम सब बालक तुमाये द्रावरे आये हैं जू अपुन हम सब पै कृपा करें रईवो अपुन को श्रदा के फूल चढारये है और असुवा भर भर आरये अपुन खो और अपनी लेखनी को सादर नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन 👏👏
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*4-श्री गोकुल प्रसाद जू नन्हीं टेहरी बुड़ेरा टीकमगढ़*
आ•सर यादव जू अपुन ने भी आज पुरखन पै भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू अपुन को कैबो है के आज पुरखा साल भरें खो जारये है एक पाख सबई बुढे स्यानन ने खूब सपराव और पानी दव कगोर धर बामुन भोज कराये पुन्य लव घर घर गाँव में चरचा हो फलाने ऐसे हते अपुन ने भोतई नौने चौकडिया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन 👏👏
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*5-श्री ब्रज भूषण दुबे जू ब्रज बकस्वाहा*
आ•दुबे ब्रज जू अपुन ने आज बुन्देली में बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू अपुन बता रये हम गरीब हैं पे हमें कोऊ ऐसई नई जाने हम जैसे खो तैसे है ऐसे सबई से बड़े होत है जू जो अपने मुह से अपनी बडवाई नई करत है अपुन सासऊ के रहीश एसई जने आ होत है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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*6-श्री किरण मोर जी कटनी*
आ•मोर जू अपुन ने आज भौतई बढ़िया मन हरण घनाक्षरी में भौत कछु सार लिख दव है जू के हमें वचन दो के हम दारु नई पिये जितनी कमाई करत सब जुवा में हार देत है हम घर में नई घुसन दैये जब तक जुवा को पईसा नई लेआव तुमाई मैया कैरये के अपने सईया खो नई बाध पाऊत हो कुन गैया के बाद लई जाय अबै हमें इते नई रने तुम अपनी मैया लो रईवो अपुन ने भौतई बढ़िया मन हरण घनाक्षरी में भौत कछु सार लिख दव है जू अपन खो सादर प्रणाम स्वीकार करें 👏👏
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*7-श्री डाँ देवदत दुबेदी सरस जू बड़ा मलहरा*
आ•दादा सरस जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली में चौकडिया लिखी हैं जू जो आजादी के बारें में बापू ने जो नारौ दव है जू बो अपुन ने भौतई बढ़िया चौकडिया में लिखों हैं जू भारत देश छोड़ो हमारो अंगरेजन को एते चले ना दवारो हमें आजादी लैके राने सबई जने हो देव सहारो सरस जू कैरय गोरन पै भारी पर गव एक लगोटी वारो अपुन की कलम को बारम्बार नमन सादर वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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*8-श्री कल्याण दास साहु पोषक जू पृथ्वीपुर जिला निवाडी*
आ•पोषक जू अपन कितनो नौनो बुन्देली में भौत कछु डीजे के आबाज के बारे में लिखों हैं जू आज कल डीजे को रिवाज भौतई बड़े चढ़े आबाज में भौत कछु बजा रये है डीजे की धम्म धम्म दूर तक आबाज जा रई है जीसे धरती लो हलत है कोऊ आबाज कम कर बै बाव् नईया नये लरकन के आगे अब काऊ की नई चलत है अपुन ने भौतई बढ़िया ध्वनि प्रबन्धन में लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत अभिनन्दन 👏👏
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*9-गुलाब भाऊ लखौरा*
हम ने बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू जब कुंजावती बिटिया के ब्याह के पीरे चावर लैके भईयन लो आई तो राजा जुझार् सिंह कुंजावती खो हरदौल के चेटका लो भगा देत है जू तो उते आबाज आऊत बैन घरे जाव भानेजन की चीकट लैके हम हरदौल आये
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*10-श्री प्रमोद कुमार गुप्ता मृदुल जू टीकमगढ़ म प्र*
आ•मृदुल जू बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू आज पुरखन की बिदाई भई है जू खुशी खुशी बै जारये है अपुन अगली साल खो निवतो दैंके फिर कऊ आईवो ऐन हलुवा पूरी खीर बनीं हैं पुरखन के भोजन सबई ने करायें है जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन 👏👏
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*11-श्री जय हिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ साव जू पलेरा जिला टीकमगढ़*
आ•दाऊ साव जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू जी मे गोपियों का जल भर ने को जमना तट पै जाके उते कन्ईया उने तंग करत है जू और उनके चीर हरन कर के ले जात है जू सखियाँ ठंड़े पानी में भौत कछु खड़ी रत है बे उनकी मैया खो उलहना दै रई है के सासी बात अपुन से कैरई है अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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*12-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष जू टीकमगढ़*
आ•पीयूष जूअपन ने बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू के पुरखन खो पौचाबै जा रये हो और असुवा भर भर आरये है जू अपन कैरये जू के अगली साल में फिर कऊ आबाई होबै एक पखवारो बड़ों नौनो कड़ो है जू जेठन खो बड़े मान पान से मान ने आऊत है अपुन ने अगली साल खो निवतो दैंके फिर कऊ आईवो ऐन हलुवा पूरी खीर बनीं हैं अपुन की लेखनी सुन्दर नौनी बढ़िया है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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*13-श्री भजन लाल राजपूत जू*
फुटेर खरगापुर* जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
आ•दादा जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू के बिगर सोचें समझें काऊ से मेर नई कर लैबें नईतर एसई दशा हो जेसी अपुन ने ई चौकडिया में लिखों हैं जू भौतई बढ़िया चेतावनी दादा अपुन ने भौतई बढ़िया दई है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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आदरणीय पटल के साहित्यकारों को हमाई हात जोर जयराम जी पहुंचे जू आज पटल पै भौतई बढ़िया बुन्देली में अच्छी अच्छी बातें लिखी हैं जू सबसे भौतई भौत चौकडिया लिखी हैं जू
धन्यवाद जू
*समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा*
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281-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-07-10-21
🌷🌷जय बुंदेली🌷🌷 साहित्य समूह टीकमगढ़
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हिंदी पद्य लेखन
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समीक्षक पं. द्वारिका प्रसाद शुक्ल ,,सरस,, टीकमगढ़
दिनांक 07 .10. 2021
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जय बुंदेलखंड भूमि ।
बहे बैतबन्ती सी ।।
कंचना घाट पर कंचन घिसें।
जंह बैठे रामराजा सरकार।।
बुंदेली के सिरमौर।
विश्व के पालनहार ।।
नमन करत जन जन रहत।
जाके उनके द्वार ।।
बुंदेली और हिंदी सरस।
रखत बुंदेलखंड को मान।। काव्य मनीषी को नमन।
जो करत रहत गुड़गांन।।
1- आज के पटल पर महान काव्य मनीषियों ने अपने शब्द व्यंजन परोसकर पटल का मान बढ़ाया है जिसमें विभिन्न चटकारे के साथ मृदुल मिठास भरी रचनाओंं मैं रसास्वादन करके आनंदमयी बना कर भाव विभोर किया है ऐसे रचनाकारों को वंदन अभिनंदन हार्दिक धन्यवाद देते हुए सारगर्भित शब्दों की महानता कर बखान करने जा रहा हूं सभी काव्य मनीषियों को वंदन अभिनंदन और साधुवाद।
नंबर 1 .श्री राजीव राना नामदेव जीने प्रथम पटल पर श्री गणेश करके अपने हाइकु के माध्यम से मां शारदे को नमन कर उनकी वंदना करके चरण वंदन किया है और यश मान सम्मान अादर भावों की चाह में चंचल मन को शांति पाने की इच्छा जाहिर की है और मन के भावों में ईश्वर को पाने की लालसा जगाई है जिससे बल बुद्धि का प्रकाश ज्योतिर्मय होकर मनोरथ को पूर्ण करने का आह्वान किया है भावों में परोपकारी विचारों को बल देकर महानता प्रदर्शित की है जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं पटल के शुभारंभ करने में मां की वंदना शुरू कर श्री गणेश करने के लिए हार्दिक वंदन अभिनंदन।।
नंबर दो. श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने अपनी रचना में देश में मचा कोहराम के लिए व्यंगात्मक शब्दों से मानुष को झकझोरा है और उसे शब्दों की मार दे कर शुक्रिया कहा है मजहबी दौर को रंग देकर गद्दारी के पर फैलाकर बाबर को राम बनाने वालों को ललकारा है गैस और बिजली के दामों में जहां इजाफा करके जीवन जीना हराम कर दिया है घुसपैठियों को शहर का निजाम बनाया जा रहा है डकैतों को किसान बनाकर देश में कहर मचाया है आज के परिवेश में देश में कहर जातिवाद परिबार-बाद और राजनीत बाद में वतन को लूट कर जिहाद को बढ़ावा दिया है श्री पटसारिया जी ने देश का राष्ट्र हित में चिंतन कर रचना में जो भाव भऱे हैं व्यंग्यात्मक शैली में उत्तम शब्दों का मंचन किया है साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन।
नंबर 3. श्री अनवर साहिल जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से सुखा की भेंट धान की खेती और सल्फास खाकर मरी किसान की बेटी और दरिंदों ने पर चुन चुन करके काट दिये हैं हसरत भरे पर लोगों के काटकर उन्हें उड़ने न दिया जो उड़ान का हौसला भरे थे पैसा कमाने के लिए परदेस जाकर गिरवी रखे मकान और मां-बाप की सेहत की बोली लगते हुए कच्चे मकानों में रह रहे हवेली वाले बेईमान देख रहे हैं और दोनों की मां एक ही है और दोनों की जुबान और भारतीय की है लेकिन उर्दू में जुबानी जंग इस प्रकार चल रही है जो उसने कान के गिफ्ट भेजी वह डाक वाले से लेने से इनकार कर दिया भारती भारत के बाशिंदों के बीच मजहबी भाषाई फितूरी लफ्जों का दोस्ताना भरना सभी को साथ लेकर एकता की मिसाल बन कर रहना हमारे वतन की संस्कृति है जिसे हमें बरकरार रखते हुए रहना ही जीवन जीने की कला का सौहार्द्र प्रेम की पराकाष्ठा है बहुत ही उत्तम शब्दों में श्री शाहिल जी ने गजल को पेश किया है बे बधाई के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन धन्यवाद ।
नंबर चार. बहन मीनू गुप्ता ने अपनी रचना में चल रहे नवदुर्गा पर्व के दौरान मां की मनो
कामना मन मैं उतरने वाली मन की आकांक्षा को शब्दों के रूप में प्रस्तुत किया है शैलपुत्री और हेमराज सुता कहलाती हो और ब्रह्मचारिणी मां का कुष्मांडा तेरा रूप है स्कंदमाता है पहला कार्तिकेय संग है पूजी जाती कात्यानी कालरात्रि दुष्टों का संघार करती महागौरी वन और सिद्धिदात्री नवम रूप धारण कर सभी रूपों को नमन करती हूं और चंद्र सुख समृद्धि चाहने की आशा रखने वाले हमारे जीवन रूपी मानस जन चरण वंदन करते हैं तुझे प्रणाम करते हैं मीनू जी ने मां से मनुष्य जीवन की कामना की है जो सुखद और शांतिप्रिय हो ऐसी रचना के लिए मीनू जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन।
नंबर 5. श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जी ने चीर हरण लीला विषय अंतर्गत सिंगार रचना मैं कन्हैया से चीर मगाते गोपिया जमुना जल में खड़ी लोक लाज को रखती हुई अभी बसन बना बेचैन बावरी बने नर्तन दी बांके सांवरिया से अपने पीर विजेता रही हैं और कहें कन्हैया एक नया मजाक ना करो और आप मेरी जैसा कैसे जानू जी के पांव न फटी विमारी को क्या जाने पीर पराई ऐसी सिंगार रचना दाऊ साहब ने बहुत ही मन को शांत करके प्रस्तुत की है जिसमें मनमोहन के दर्शन करके गोपियों का उत्तम चरित्र चित्रण कर रचना में चार चांद लगाए हैं दाऊ साहब रचना को उत्तम सिंगार रचना के लिए हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन धन्यवाद ।
नंबर 6. प्रदीप खरे मंजुल जीने अपनी रचना में चेतावनी शुरूप मां से गुहार लगाई है की हे मैया मेरी खबर लेकर इस भवसागर से पार करने की कृपा करो यह अज्ञान रूपी घना अंधेरा दूर कर ज्ञान दीप जलाकर इस कार्य को कोठरी को को दाग न लग जाए और हे मां मुझे सारे विश्व के मनुष्यों को आकर के ना भुला देना जी ने अपनी ऐसी विनती परमारथ के लिए चेतावनी स्वरूप निवेदन करके श्री खरे जी ने जनमानस के ऊपर मेहरवानी की है इसका वर्णन किया है जो उनकी कर्म बानी को उत्कृष्टता प्रदान करता है बहुत ही उत्तम रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई धन्यवाद।
नंबर 7. हरिराम तिवारी हरी जी ने अपनी आकांक्षा रचना मैं मन में कुछ पाने की और सीखने की सिखाने की इच्छाओं का प्रयास पक्का इरादा निष्ठा संकल्प मन में ही न रखकर विश्व पटल पर गिरना ही मानवता की पद्धति और महापुरुष महांकाल प्रसाद लिए मनुष्य के कर्म हितों में समाहित है इस प्रकार की रचना शब्दों में प्रोकर मनुष्य के अंदर के भावों को उकेरा है बहुत ही सुंदर रचना के लिए श्री तिवारी जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन ।
नंबर 8 .डॉक्टर सुशील कुमार शर्मा जी ने अपनी हर बार लिखूंगा शीर्षक से जन-जन की आवाजों को ना डरने और ना बिकने और हमेशा लिखने का वादा किया है और सभी को मिल बांट कर दें वतन में रहने की सीख दी है बेगारी की बात लिखूंगा मक्कारी की घात लिखूंगा भूखमरी बा रात लिखूंगा लाखों बच्चे भूखे प्यासे ऐसे पक्ष से गर्व से बड़बोला है और विपक्ष खड़ा है अंधा आम आदमी गूंगा बहरा वोटों के लिए बना है धंधा रेता सोने के भाव बिक रही है और नदियां जंगल गांव में भी सूखे की राह पकड़ी हुई है सब खनिज संपदा को निकाल कर घने जंगलों को निर्जन बना दिया है डिग्रीयां सस्ते में बिक रही हैं भाषा मजहबी होकर बोल रही है और क्षमता का आधार खो दिया है बहुत ही उत्तम सारगर्भित सीख देकर मानवता को ललकारा है डॉक्टर सुशील शर्मा जी ने अपने भाषाई शब्दों में क्षमता को आधार मानकर एकता की परिधि को उकेरा है जो मानवता के हितार्थ शब्दों का मंचन किया है वह बहुत ही उत्तम और सारगर्भित है चेतना रूपी सीख देकर जनमानस के पटल को ललकारा है बहुत ही सुंदर रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 9 .श्री प्रमोद कुमार गुप्ता मृदुल जी ने अपनी रचना के माध्यम से जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि सीजर से गीतकार है गजल कार है लेकिन उसके पास शब्दों का भंडार है कलम डायरी साथ है चाहे ना उसके पास कार है सूर्य चंद्र मंडल को चित्र करता बन बसाहट नदी झरना गागर में सागर भरता बसंत ऋतु कभी लेखन धूप छांव और वाणी में रस भरता हिंदी हिमालयन पार्क अपनी राय गांव गली देश-विदेश की सब की खबर राज धर्म राजनीति का है सच्चा ज्ञाता मान सम्मान दिलाता स्वाभिमान नहीं होता जातिवादी का भेद नहीं करता मृदुल लेखनी जब चलती दिमाग को रखता खाली है और इस प्रकार से शब्द मंचन करके मृदुल जी ने कवी की चमत्कारिक शब्दों की गाथा को गाया है बहुत ही उत्तमता लिए सारगर्भित रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद
10- श्री मनोज कुमार जीने अपनी रचना में गुलाबों की डाली शिक्षक से कविता की है जिसमें सिंगार रचना में लिखित की लहराती सी गलियों में कोई माशूका लिए चला जा रहा है जवां लालिमा में की चमक होठ लाल मां आंखें नशीली और शर्मीली सी खुशी नजारा देखने में पाया है प्रेम भी उसे आता था कई वर्षों के चिपका था डाली पर लेकिन वह प्रेम माली की पाली की तरह डाली अपनी कुर्बानी श्रम रूप में देखकर आशिक बन कर लहराते डाली मोहब्बत की निशानी बन गई और अपने को कुर्बान कर गुलाबों जैसी कांटो के बीच में पलकर शिक्षा की वह लालिमा लिए सुंदर मुखड़े को मुखड़े की छटा को भी खेती नजर आता ही ऐसी कविता मनोज जी ने प्रस्तुत की है जो शब्द मंचन में सारगर्भित है फूल रूपी बारक वृदों के माली रूपी शिक्षक बाग को हरा भरा करने को.तत्पर हैं वे बधाई के पात्र हैं वंदन अभिनंदन धन्यवाद ।
नंबर 11. भजन लाल लोधी जीने अपनी कविता के माध्यम से मनुष्य को चेतावनी देकर बताया है कि चुपचाप चलता रहे बंदे यहां सभी मतलब के यार हैं टूटा बंधन और मर्यादा शादी टूट गई सामाजिक शिष्टाचार टूटा यहां और विश्व सुंदरी कहलाने वाली नारी आज सोलह सिंगार भूलता हुआ नजर आ रहा है गरीब हमको गरीब ही नजर आ रहा है बड़े लोग भटकते जा रहे हैं आबादी चरम सीमा पर बढ़ रही है बे जो शिक्षित बेरोजगार हैं और हमेशा सत्य पीछे छूट गया है और झूठ का जलवा आज कायम है पैसे वालों के मित्र हजार होते हैं और गरीब का तो कोई पहरेदार नहीं है आज के वतन के चलचित्र को पटल पर उकेरा है श्री लोधी जी ने अपनी शब्द मंचन की कला को प्रस्तुत करके पटल पर अपनी उत्तमता लिए कविता को उत्कृष्ट बना दिया है जिसमें उत्तम भाव के लिए श्री लोधी जी को वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 12 .श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश जी ने अपनी कविता के माध्यम से शुभकामनाएं शीर्षक से माता के नवरात्र में शत-शत मंगल कामना की है और उनके दर पर अपना शीश झुकाने के लिए माता के शारदीय नवरात्र में दरबारों में सजे माता की झलक देखने के लिए अपार भीड़ उमड़ रही है उनके दर्शनों के आकांक्षा लिए और शुभकामनाएं पाने के लिए माता के चरण वंदन करती हुई मानुष जन की भीड़ उत्सुकता से जय मां के चरण वंदन कर रही है ऐसे नवरात्रि पर्व में बहुत ही उत्तमता लिए शब्द मंचन कर श्री प्राणेश जी ने मां की चरण वंदना की है अध्यात्म रूप में प्राणेश जी ने मां की जय कार लगाई है बहुत ही उत्तम और अध्यात्म भरी रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं और हार्दिक वंदन अभिनंदन ।।
नंबर 13.श्री बृजभूषण दुबे ब्रिज ने अपनी कविता के माध्यम से कविता करी है कोरोना कॉल को अभी भी पूर्ण रूप से खत्म नहीं माना है और घर में रहकर जीने के अभ्यास करेंगे दुख समय को बुलाकर हम फकत समय का आभास करेंगे भयंकर भारी संकट में हम प्रेमी बनकर विकास करेंगे संकट में हम धैर्य रखकर कोरोना को जीतने का प्रयास करेंगे बहुत ही अच्छी सीख और चेतावनी देकर श्री ब्रिज भूषण दुबे जी ने अभी भी कोरोना से बचने के संकेत दिए हैं और वैक्सीन लगाकर ही जीवन जीने की कला को उत्तमता के लिए समझाईश देकर सचेत किया है बहुत-बहुत धन्यवाद हार्दिक बधाई।।
नंबर 14.श्री गोकुल यादव जीने अपने कुंडलिया के माध्यम से नवरात्रि में पावन पवित्र माता की गोदी में लेकर पितृ दिवस विदा करके मां के जयकारे लगा रहे हैं और उनके स्वागत में जवारे लेकर के जगराता कर मैया के गीत गाकर ध्वजा पांडाल में नवरात्रि के पर्व को मनाने की आकांक्षा पूर्ण कर रहे हैं ऐसी दर्शनों का लाभ अध्यात्म के भावों से लेकर श्री यादव जी ने अपने को धन्य माना है और सबको सीख दी है कि मां के चरणों से ही हमारे मानुष जन का उद्धार निश्चित है इसलिए जन-जन को उनकी शरण में जाना आवश्यक है बहुत ही उत्तम शब्दों से शब्द विन्यास करते हुए श्री यादव जी ने रचना को पटल पर उकेरा है बहुत-बहुत धन्यवाद हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन।
नंबर 15 .डॉ रेनू श्रीवास्तव भोपाल जीने माता की भेंट शीर्षक से माता के भजन करने के लिए जगराता करने के लिए ध्वजा चढ़ाने के लिए फूल लोंग नैबेद्य चढ़ाने के लिए माता के मंदिर जाते हैं ध्वजा पताका घड़ियाल सब माता को हंसते हुए सच्ची भेंट करने के लिए माता के चरणों में समर्पित होकर निंदा तृष्णा मोह और मद को त्यागने के लिए माता के दरबार में नमन करते हैं और भक्ति भावना के भाव मां को बैठकर सबसे शांति सुख सुखद प्रेम मई वातावरण को मांगते हैं और खुशियों मंगल भावनाओं को समेटे हुए अपने में अध्यात्म रूप में आस्था के मां को नमन करते ऐसी बहन रेणु जी ने अपनी रचना में भाव भरी हैं जो उत्म शब्द मंचन कर साधुवाद के पात्र हैं बहुत-बहुत वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 17. श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी ने अपनी चौकड़िया के माध्यम से बहुत ही उत्तम शब्दों से सारगर्भित रचना मैं एकदम जय हो सजन संग अपने सादी हुई है सपने पूरे हुए हैं और वह उसी समय के मैर में थपने के काविल हो सकेंगे और देरी टेक के अन्दर जाने हरदोल में हाथे लगा घर गए थे अपने हैं भर भर के चली न अपने उन्हें देखना शीतल हुई है देशवासी तपने और फिर घर के कार्य में संलग्न होकर रात दिन यह पता नहीं रहना है कि हम क्या कर रहे हैं क्या करने जा रहे हैं जीवन की माया रूपी नाव को खेते हुए समय व्यतीत होने को है और यह अखियां पल भर के लिए झपक ने के लिए तत्पर नहीं रहेंगी बहुत ही उत्तम तारीफ भरी यादों भरी रचना को प्रस्तुत करके श्री पीयूष जी ने बहुत ही उत्तम शब्दों में शारगर्म तअद्भुत रचना की है जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन धन्यवाद।
नंबर 18 .श्री अभिनंदन गोयल जी ने अपनी रचना में वैभव शिक्षक से भाव भरे है अपने मन के भावों को निर्मल करके वैभव को प्राप्त करना और सतयुग रूपी शुभ रूप को अनुभव करके चंचल मन को चिंतन में लगाकर शिव के ध्यान को अंतरंग करके सम्मत ज्ञान पाने के लिए चेतन और स्थिरता परम तत्व के दर्शन पाने को आत्मा का ऐश्वर्य चित्र विलास का उद्भव चेतन और कर्म से मुक्त यह जीवन व्यर्थ है जिसे हमें कर्म रूपी माला में पिरो कर ध्यान रूपी जड़ चेतन को स्वरूप देकर अध्यात्म रूपी आस्था की राह को पकड़कर चलने से ही शांति और सद्भाव प्राप्त हो सकता है बहुत ही उत्तम सारगर्भित रचना मैं अपने सपनों को पिरोकर श्री गोयल जी ने चेतावनी भरी सीख देकर उत्तमता को भरा है उत्तम रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई धन्यवाद।
नंबर 19 .डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जीने अपनी रचना गीतका के माध्यम से प्रस्तुत की है की आदमी की स्थिति अब वह नहीं रही है वह हवा में बहने लगा है आचरण उसके श्रापित हो गए हैं और विश्वास कल्पित कामनाओं में भटक रहा है उसके अंदर आस्थाओं के लाखों भ्रम पाले हैं स्वास्थ्य की रक्षा कैसे हो क्योंकि हर एक जन मन उसके घर दवाओं ने ले लिया है सुखी जीवन में भौतिक सुख की चाह में राम के नाम की भक्तों को परीक्षा की घड़ी में लाकर खड़ा कर दिया है क्योंकि जागे हुए देवताओं में हल्कापन अधिक प्रवेश हो चुका है ऐसी स्थिति में हमें सचेत रहना ही जीवन की गति को उत्तम रहेगा डॉक्टर द्विवेदी जी ने रचना में शब्द विन्यास कर सारगर्भित सीख दी है और मानव के परिष्कृत रूप को उकेरा है बहुत ही सुंदर रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक धन्यवाद।
number 20. श्री कृष्ण तिवारी जी ने अपनी रचना में मौसम के बारे में गांव और गलियारे में कली और फूलों को नदी और नालों को पागल करार कर दिया है और बिना अटके बिना वरषे पिछवाड़े से आकर चला गया है कटीली झाड़ियों को मलमल कर दुख दे गया है सुबह से शाम तक चलते हैं यह बता रही हैं कि यह बूढ़ा बरगद खांस्ता सा नजर आ रहा है और हरियाली को धरा की लेकर चला गया है कवच की तरह खामोश खड़े कुमला रहे पेड़ घनघोर जंगल में धूप की हलचल ऐसे लग रही है जैसे निर्धनता में पत्थरों के पहाड़ों से अग्नि का प्रवेश हो रहा हो बहुत ही विचारणीय मनुष्य के लिए आघात लिए परिदृश्य जो जलवायु परिवर्तन का ऐसा हो कर आघात कर रहा है ऐसी सीख भरी चेतावनी मौका ये हालात की रचना करके श्री तिवारी जी ने जनमानस को चेतावनी दी है बहुत ही उत्तम सारगर्भित रचना के लिए साधुवाद हार्दिक बधाई धन्यवाद ।
नंबर 21 .प्रदीप गर्ग प्राग जी ने अपनी सहेली रचना के माध्यम से शब्द सेतु भोलेनाथ त्रिनेत्र धारी तांडव करते शिव नटराज सच्ची धारी और गर्ल को पीने वाले पूजनीय महादेव तकारी भोले भंडारी हे प्रभु इस जग पर कृपा की बरसात करिए हे प्रभु उत्तराखंड में जल प्रलय से बचाया केदारनाथ आप ही सर्वव्यापी हो और आप विश्व के पालन करता हो सभी पर कृपा करके यशोदा जैसे दर्शन देकर सभी को कृतार्थ करें बहुत ही अध्यात्म भरी रचना करके श्री गणेश जी ने मानस पटल पर अपने भाव भरे हैं जो उत्तमता लिए सारगर्भित हैं जिसके लिए बे धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन बधाई ।
नंबर 22 .कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपने कविता के माध्यम से भजिया गरम है चाय भी गरम है लेकिन मौसम मजेदार पपिया बेशर्म है बहुत खूब कर दिखाएं हमें भी खिलाएं और चाय भी चलाएं ऐसी अदाकारी भरी रचना जो मन को भा रही हो और भजिया का स्वाद मन में चाय की चुस्की के साथ लिया जा रहा हो आनंदमई बरसात जो हुई नहीं है उसकी सोच के लिए और चेतावनी भरे शब्द रचना के लिए श्री पोषक जी को बहुत-बहुत वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
23. श्री एस.आर .सरल जी ने हिंदी गजल शीर्षक से अपनी रचना प्रस्तुत की है कहीं पर हम अकेले और हम लोगों के साथ जिंदगी की राहों में बहुत ही तकलीफ है जिन्हें कुदरत ने हम मनुष्यों के जीवन में झोली में डाल दिए हैं जिसके कारण बहुत ही दुख दर्द झेले हैं उतार-चढ़ाव की पाप भरी गठरिया के पापड़ बेले हैं जीवन के सफर में गमों के और सुख-दुख के साए हमेशा परेशान करते आए हैं जिन्हें मानुष अपने कर्म रूप में समाहित करके जीवन जी रहा है लेकिन उसके कष्ट कभी कम नहीं हुए हैं सरल जी ने अपनी रचना में जीवन के पर्याय को बांचा है जिसमें पढ़ने के बाद उन्हें उथल-पुथल ऊहापोह भरी जिंदगी के बारे में समझाईस देकर यादों को ताजा किया है सजगता भरी जिंदगी जीने के लिए सिर्फ मिठास भरे वचनों की आवश्यकता है खुशी में हम समाहित कर के ही शांति स्वरूप जीना जिंदगी की सहजता होगी बहुत ही उत्तम हिंदी गजल की रचना शब्दों के मेल को तार्किक शुद्धीकरण की परिधि में रखकर मंचन किया है हार्दिक बधाई सादर वंदन अभिनंदन।
समीक्षक- श्री डी पी शुक्ला सरस, टीकमगढ़
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282-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-मिलौनी,11-10-21
#सोमवार#दिनाँक 11.10.21#
#समीक्षा बुन्देली दोहा मिलौनी#
#समी0 जयहिन्द सिंह पलेरा#
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आज समीक्षा सें पैंला माँ सरस्वती मैया को नमन फिर आप सब शारदा पुत्रन खों राम राम।
आज कौ शीर्षक बड़ौ बिचित्र हतो मिलौनी अर्थात मिश्रण यानी मिक्चर।कैऊ जनें जो शहर के टच में रै रय उनै जरूर माथा पच्ची करने परी हुइये।देहाती लोड ई शब्द सें खूब परिचित हैं।
आज सब जनन ने अपनी बुद्धि और विवेक सें नौनै दोहे रचे।
तौ हम अब उनकी समीक्षग अलग अलग करबे तैयार हैं।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
आज मैने पटल पै 5 दोहा डारे जिनमें मिलौनी की रोटी दोई टेम खाव तौ शरीर चेतन्न रैय।ईकी सला होशयार बैद भी देत।कयी अन्न मिलाकें खाय सें खन बढ़त औरमिलौनी सैं रक्तचाप और शरीर कौ बजन घटत।मिक्सी रोटी नौनी लगत।भाषा भाव शैली आप सब जनैं जानौ।सबख़ों राम राम।
#2#श्रीअशोक कुमार पटसारिया नादान लिधौरा....
आपके रचे 5 दोहन मेंसाव सें जवा मिलौनी पिसी लेबे की,सजन भेंट की मिलौनी,दार की टुटी की मिलौनी,जेल की मिलौनी,मिलौनी की रोटी सें रोज भगवे की बात करी गयी।आपकी भाषा यजैदार,शैली की अलग पहचान,भाव अनूठे शिल्प जोरदार पाय गय।आपकौ बेर 2बंदन।
#3#श्रीगोकुल प्रसाद यादव नन्ही टेरी बुड़ेरा......
आपके 5 दोहन में मिलौनी के ना मिलबे कौ,दुर्लभ अन्न आज ना मिलबे कौ,मिलौनी की रोटी मठा में खाबे कौ,भैंस की बरदी सें मिलौनी,मिलौनी कै माहौल बनबे कौ बरनन करौ गव।भाषा सरल,शैली में मिठास, भाव शिल्प जोरदार हैं।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#4#श्री प्रदीप खरे जी मंजुल टीकमगढ़......
आपके 5 दोहन में बिना मिलौनी कैसें खाबे कौ,दूध में पानी की मिलौनी,रिश्ते दूध दही एवम् पानी की मिलौनी, संसार की सब चीजन में मिलौनी,दूध मिलौनी,करम बिगरे पै मिलौनी कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा प्रवाहमयी,भाव बोलते हुये मर्म स्पर्शी शैली का शिल्प दर्शनीय है।आपका सादर बंदन अभिनंदन।
#5# श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा.......
आपके 5दोहन मेंननुवां नाज की मिलौनी,एक दूजै से मिलने की मिलौनी,आज के जुग में सब मिलौनी है,सासी बात कैबौ मुश्किल है।अमित शाह और मोदी की मिलौनी,मिलौनी से अपराधी आजाद,न्याय खों आफत है।
आपकी भाषा ठेठ बुन्देली है जो बुन्देली शैली के भाव शिल्प से सजी है।आपका सादर बंदन।
#6#श्री प्रमोद कुमार गुप्ता मृदुल टीकमगढ़......
आपके 3 दोहन में कड़ी भात शक्कर की मिलौनी पीजा बर्गर ने बिलोरी,गैया के घी की मिलौनी,मका ज्वार की रोटी के संगै मिलौनी साग कौ बरनन करो गव। आपकी भाषा सादा सरल भावपूर्ण है।शैली सरल शिल्प सामान्य हैं।आपको नमस्कार।
#7#श्री भजन लाल लोधी फुटेर....
आपने अपने 5 दोहन में बृज लीला की मिलौनी,समा लठारा बाजरा कोदों कुटकी धान की मिलौनी,चुनी की मिलौनी,मिलन मिलौनी,शब्दन की मिलौनी,कौ बरनन करो।भाषा में बृत्यानुप्राश
की झलक देखबे मिली।भावों का भण्डार,शैली अद्भुत, शिल्प के जादूगर दादा भजन लाल को प्रणाम करता हूँ।
#8#डा.आर.पी.पटैल अनजान जी छतरपुर......
आपके 5 दोहों में मठा मिलौनी सें महेरौ बनाबौ,पिसी में चना के बिर्रा की मिलौनी,पितृ मिलौनी,जाति मिलौनी,उलट मिलौनी कौ पंचरंगी बरनन करो गव।आपकी भाषा लच्छेदार,चिकनी,भावो का श्रेष्ठ समायोजन,शैली अद्भुत, शिल्प भंडार अनुपम है।आदर्णीय डा. साहब को जयहिन्द का जयहिन्द।
#9#डा. देवदत्त द्विवेदी जी सरस बड़ा मलहरा.......
आपके तिरंगे दोहन में कोदों कुटकी चुनी राली पिसी के संग मिलौनी,मिलौनी की पनपथू या लुचयाऊ रोटी बनाबौ,कड़ी बरा भात की शक्कर संग मिलौनी कौ बरनन करो गव।आप भाषा और शिल्प के कुशल जादूगर,भावों और शैली के अनुपम कारीगर हैं।
आपका सादर चरण बंदन।
ं#10#श्री बृजभूषण दुबे बृज जू बक्सवाहा.......
आपने अपने 2 दोहन मेंझूठ मिलौनी और नीखरा कय सें बात झूठी मानी जात,बिर्रा की मिलौनी
रोटी के स्वाद कौ बरनन करो।भाषा भाव जागृत,शिल्प शैली दर्शनीय है।आपका बंदन अभिनंंदन।
#11#श्री किरन मोर कटनी...
आपने अपने तिरंगा दोहन में मम्मा की मिलौनी,बिर्रा मिलौनी की सोंधी रोटी, घर की मिलौनी कौ बरनन करो।तीन रंग की तीन मिलौनी परसीं गयीं।
आपकी भाषा प्रभावशाली भाव गहरे,शिल्प मजेदार और शैली पहचान बनाने बाली है।
आपका सादर बंदन।
#12#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.....
आपने अपने 2 दोहन मेंदिल की मिलौनी खों सबसेंआगे बताव।आपने सब खाने के सामान की मिलौनी कौ बरनन करो।
आपकी भाषा में तरावट,शिल्प मजेदार, भाव गहरे,शैली अनुपम है।आपका सादर नमन।
#13#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपने अपने 3 दोहन मेंसब सामान की मिलौनी कौ बरनन करो।आजकल हर सामान मिलावटी है।मिलौनी नाज खाय सें नीरोग रैबौ,कड़ी बरा भात शक्कर की कालौनी की मिलौनी कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल सहजशिल्प अनूठे,भाव गहरे,शैली की पहचान है।आपका सादर चरण बंदन।
#14#श्री अरविन्द कुमार श्रीवास्तव जी भोपाल.....
आपके 3 दोहों में लोगो के मिलने और चीज़ों के मिश्रण को मिलौनी कहा है।अपने का मिलन आँख की मिलोनी बताई।शरीर कै 5 तत्वों की मिलौनी बताई।आपकी भाषा भाव जौरदार शिल्प शैली सरल है।आपका बंदन अभिनंदन।
#15#श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी......
आपके 5 दोहों मेंमिलौनी कीरोटी चैंच की भाजी खाना,मिलौनी की रोटी दूध मठा के संग खाबौ,मिलौनी की रोटी उरद कीदार के साथ खाबौ,मिलौनी की रोटी मुनगा के फूल की साग के संग खाबौ,पैल मिलौनी आज मिलावट हना बताव गव।
आपकी शैली का जादू चढ कर बोलता है।भाव और भाषा बेजोड़,शिल्प चिकना पाया गया।
आपका अभिनंंदन।
#16#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.......
आपके 5 दोहों मेंउरदा चनामूंग की दार मिलौनी,भटा टमाटर सेंमंंगाजर गोभी की मिलौनी साग,पिसी चना बटरा चुनीकी मिलौनी,मिला कें बीज बोबे की मिलौनी,मसाले तेल घीखोवा दूध पनीरकी मिलौनी सें नुकसान वताव गव।आपकी भाषा और भाव में जादूगरी रात,शिल्प और शैली की सुनदरता के साजे कारीगर हैं।आपका अभिनंदन।
#17#श्री हरि राम तिवारी हरि जी खरगापुर हाल इन्दौर.......
आपके 5 दोहों में मिलौनी के पर्याय बाची शब्द,कयी तरह के नाज के बिर्रा की मिलौनी,सम समधी की मिलौनी,मिलौनी के नुकसान, समलिंग विवाह की मिलौनी बखूबी बताई गयी।
आप भाषा और भावो के साक्षात अवतार हैं शैली और शिल्प के महारथी साबित होत हैं।
आपको चरणों में नमन।
#18#श्री संजय श्रीवास्तव मवयी हाल दिल्ली......
आपने अपने 2 दोहों मेंझूठ की मिलौनी का दर्शन करा कर स्वार्थी संसार की पोल खोली है।वातावरण की जहर मिलौनी बताई है।आपकीभाषा भाव अनूठे हैं,शिल्प शैली जोरदार बन पड़ी है।आप पद्य में भीअद्भुत कला के दर्शन कराते हैं।आपको बार बार बधाई एवम् अभिनंंदन।
उपसंहार....
आज के बिषय पर जितना मैं सोचता था उससे कयी गुना ज्ञान मुझे आज के दोहों से मिलो।हमारे मनीषियों ने अपने मानस से मिलौनी के क्षेत्र को बिस्तार देकर पटँ पर डाला सभी कविगण बधाई के पात्र तो हैं ही संंग में उनकी शोध भावना का अभिनंदन करता हूँ।अब आठ से ऊपृ समय हो गया है ,अगर कोई विद्वान समीक्षा में ना आ पाया हो तो अपना समझ कर क्षमा करें।
मुझे सबका अनुराग प्राप्त है इसी प्रकार निभाउत रैयो।
आपका अपना समीक्षक....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 8085018189
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283 वीं आज की समीक्षा* दिनांक 12-10-2020
बिषय- *बालिका*
आज पटल पर *बालिका* पर केंद्रित बहुत बढ़िया दोहा पोस्ट किये गये है। सभी ने बढिया कलम चलायी है। सभी को हृदय तल से बधाई।
आज सबसे पहले *श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द* पलेरा से लिखते हैं कि सदगुणों से पहचान होती है बधाई बढ़िया दोहे है।
बारिधि होती बालिका,बाल तड़ाग समान।
सदगुण से होती सदा,दोनो की पहचान।।
पावन होबें बालिका,के आचार बिचार।
खूब फलें फूलें सदा,पीहर अरु ससुरार।।
*2* *✍️ श्री गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)* से कहते है कि जिस घर में बालिका होती वह घर स्वर्ग होता है। सुंदर दोहे रचे है बधाई।
जिस घर होती बालिका,उस घर होता स्वर्ग।
मिलता कन्यादान से, मनचाहा अपवर्ग।।
पूजी जाती बालिका, देवि रूप में रोज।
सामूहिक या व्यक्तिगत,होते कन्या-भोज।।
*3* *श्री प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़ ने बहुत उमदा दोहे रचे है बधाई।
स्वर्गहिं सीढ़ी बालिका, करो सदा सम्मान।
नरकहिं भागीदार हो,जो करता अपमान।।
कुदरत का है बालिका, अनुपम मम उपहार।
किलकारी गूंजे सदा, करती है मनुहार।।
*4* श्री भजन लाल लोधी फुटेर से बहुत बढ़िया संदेश देते दोहे लिखे है यदि बेटी पढी लिखी हो तो इतिहास रच देती है। बहुत सुंदर बधाई।
बालक अथवा बालिका,दोंनों एक समान ।
भेद भाव का है नहीं,अब कोई स्थान ।।
शिक्षित हो यदि बालिका, संस्कार संयुक्त ।
रच देती इतिहास अरु,कर देती भय मुक्त ।।
*5* *श्री अशोक पटसारिया नादान* जी बालिका समाज की रीड होती है अच्छी सोचयुक्त दोहे है बधाई।
कन्या बेटी बालिका,है समाज की रीड।
उसके बिन पूरी नहीं, हुई किसी की नीड।।
दोनों कुल की जो रखे,मर्यादा वा मान।
जिस घर होती बालिका, वो घर स्वर्ग समान।।
*6* *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* से कहते है कि बालिका देवी माता के समान होती।
माता समान बालिका,करती घर का काम।
बेटों से बढ़कर करें,आज पिता का नाम।।
जिधर देखिए बालिकाकरो सदा सम्मान।
दोनों कुल रोशन करे,बेटी घर की आन।।
*7* *श्री प्रमोद कुमार गुप्ता "मृदुल"टीकमगढ* दोहे के भाव बहुत बढ़िया है लेकिन मात्राएं का दोष है पहले चरण में 15 मात्राएं हो रही है। धन शब्द हटा दे तो बढ़िया दोहा बन जायेगा। दूसरे दोहे में भी मात्रा गड़बड़ है। खैर प्रयास अच्छा है बधाई।
अनमोल रतन धन "बालिका".दो कुल की है शान ।
अनुसुइया के प्रेम मे,ललन बने भगवान ।।
हल से हल वर्षा हुई,हल चलांय विदेराज ।
पृथ्वी ने दी "बालिका",पूर्ण हुए सब काज ।।
*8* श्री मनोज कुमार,गोंडा जिला उत्तर प्रदेश के दोहे भी दोषपूर्ण है भाव अच्छे है निम्न दोहे मे *रूठे न* के स्थान पर *रूठती* कर दे पहले और तीसरे चरण का अंत 212 मात्रा भार से होना चाहिए।
बालिका कभी रूठे न,बालिका कली रूप।
कभी शांति होती है, कभी दुर्गा रूप।।
*9* श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो से लिखते हैं कि सखल विश्व में आज बालिका नाम कर रही है। बढ़िया लेख है बधाई।
जिस घर में हो बालिका,उसमें खिलते फूल।
कल कल बहता जल मधुर,सरिता के दो कूल।।
सकल विश्व में कर रहीं,बेटी ऊंचा नाम।
भारत कीं सब बालिका,अतुलित बल की धाम।।
*10* श्री - कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ के सभी दोहे शानदार है बधाई।
लली-लाड़ली बालिका , रखे अनेकों रूप ।
बेटी बहिना भार्या , माता परम अनूप ।।
विदुषी बनती बालिका , बनती पन्ना धाय ।
मरदानी बनकर लडे़ , दुश्मन पींठ दिखाय ।।
*11* जनक कुमारी सिंह बघेल भोपाल* ने भी श्रेष्ठ दोहों को पटल पर रखा है आप लिखतीं है कि बलिका दुर्गा का अवतार है तो दूसरी तरफ ममता का सागर भी है बहुत खूब,श्रेष्ठ लेखन के लिए बधाई।
शक्ति स्वरूपा बालिका, दुर्गा की अवतार।
दीन - हीन बन क्यों सहे, तू दुनिया की मार ।।
ममता प्राकृत उर बसी, बसा हृदय में प्यार।
तुझसे ही हे बालिका , बसे सकल घर द्वार।।
*12* श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ ने बहुत शानदार लिखा है बधाई।
बालक हो या बालिका, दोनों घर की शान।
इनमें करता भेद जो , वह तो है नादान।।
जहां खेलती बालिका, वह घर स्वर्ग समान।
मधुरिम अधरों से झरे, मनमोहक मुस्कान।।
*13* डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बड़ा मलहरा* से कहते है कि बालिका मंगल कलश के समान होते है। बढ़िया लेखन है बधाई।
मातु, बहिन, बेटी यही, यही प्रकृति परिवार।
सुखद सुसुंदर बालिका, से सारा संसार।
पालें पोशें प्रेम से, रखें हमेशा ध्यान।
घर में होती बालिका, मंगल कलश समान।।
*14* श्री हरिराम तिवारी 'हरि', खरगापुर से लिखते हैं जो बालक बालिकाओं में भेद करता है वह मूर्ख है। बेहतरीन भावभरे दोहे है बधाई।
बालक हो या बालिका, दोनों प्रभु की देन।
दोनों से परिवार में,मिलता है सुख चैन।।.
दोनों में अंतर करें, कहें बालिका छोट।
अज्ञानी इंसान ये, इनकी बुद्धी खोट।।
*15* *श्री सुरेंद्र शुक्ला सागर* से दोहे तो बढ़िया लिखे है बिषय पर न लिखकर दशहरे पर लिखे है।बिषय पर लिखते तो अच्छा रहता।
*16* श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी शासन की योजनाओं को दोहो में अभिव्यक्त कर रहे हैं। बढ़िया दोहे है। बधाई
बढ़े बालिका बाल सम, शासन की यह चाह।
आओ हम सहयोग दें,बढ़े प्रगति की राह।।
जिस घर में हो बालिका,सुन्दरता बढ़ जाय।
परमपिता से प्रार्थना,मेरे भी घर आय।।
*17* श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज बकस्वाहा बालिका बंदनीय होती है हमे इनका सम्मान करना चाहिए। बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे रचे है। बधाई।
मान प्रतिष्ठा बढ़त है, कुल की ऊंची शान।।
जिस घर बालक बालिका ,सुंदर शील सुजान।
-वंदनीय है बालिका, पूजें देवी रूप।
- ब्रजभूषण" मनभावना,क्षमता के अनुरूप।।
*18* किरण मोर कटनी से बेहतरीन दोहे लिखे है बधाई।
मन को मोहे बालिका, मुस्काती है देख।
कुल को रखे संभाल कर, दोनों घर की रेख।।
बालक भी अरु बालिका, दोनों अपनी शान।
इक कुल चालक होत है,इक है घर की जान।।
इस प्रकार से आज साहित्यक यज्ञ में 18 आहूतिया डली है।
आज के सभी दोहाकारों का बहुत बहुत धन्यवाद आभार कि आपने बिषय पर नवसृजन कर बढ़िया दोहे रचे है।
*जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत*
*- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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284-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-16-10-21
*पटल समीक्षा दिनांक-15-10-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन सबयी विद्वान साहित्य मनीषियों ने किया। सभी विद्वान साथियों ने रोचक व शानदार प्रसंग, विचार, समीक्षा, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन खौं पैलां तौ दशरय की राम राम करत और बधाई देत। आप सबकी सेवा में एक दार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं जू। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक आलेख, कथा, कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै शुरुआत करी बुंदेली के जाने माने हस्ताक्षर
*1* *श्री अमर सिंह राय* नौगांव ने । अपन ने नीलकंठ की महिमा कौ नौनौ बखान करौ। रोचक और नवीन जानकारी दैके दशरय के दिना कौ पुण्य परसो। भगवान राम को ब्रह्म हत्या और ऊसें मुक्ति के बारे में बताऔ। अपन की लेखनी खौं नमन और आप खौं बहुत बधाई। जय राम जी की।
*2* *श्री डां सुशील शर्मा जी* गाडरवारा ने लघु कहानी के माध्यम से रावण के जीवन पर प्रकाश डाला। रावण की पाती पढ़ी, नौनी लगी। जिस रावण की भक्ति पर भगवान भोलेनाथ और प्रभु राम प्रसन्न थे, उसका ही पुतला दहन..? बिना स्वाभिमान और सम्मान के जीवन ब्यर्थ है। रावन की बानी खौ प्रस्तुत कर सबयी खौं गदगद कर दऔऔ । प्रासंगिक प्रसंग के लाने बहुत बहुत बधाई।
*3* *श्री संजीत गोयल जी* सिकंदराबाद सें कहानी लिखी। अपन ने भ्रूण हत्या रोकने और बेटी को पुत्र के समान समझने का संदेश दिया। आपके लेखन की बढ़बाई करत और अपन खौं बधाई देत। बधाई ।
*4* *श्री जनक कुँ. बाघेल जी*
अपन ने सोई समसामयिक बिषय को छुआ। प्रसंग रोचकता लिए हुये है। कहानी नौनी लगी। दशहरा की शुभकामनाएं देत और बुराई खौं मिटावे के संकल्प सबयी जनै लो। अपन खौं बधाई।
*5-श्री प्रदीप खरे,मंजुल जी* ने भक्ति के प्रभाव और प्रभु की कृपा कौ रोचक प्रसंग प्रस्तुत करो। अपने जीवन की डोर दीनानाथ के हाथों में सौंप दो। आपको धन्यवाद और सुंदर लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई।
*6 श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी* ने अपने लेख में बुंदली कानत की जानकारी सबयी खौं जानकारी दयी। हास्य और व्यंग्य की पुट लगी, आपके लेखन में कमाल की शैली है। संदेश भी मिलो। बधाई हो
*7श्री भजन लाल लोधी जी* की कहानी रोचक और मजेदार है। जानकें गलती न करने का संदेश देती कहानी रोचक है। गदा के गरे में हीरा और जौहरी की नीयत ..बढ़िया है।
बधाई हो।
भैया उन सबयी कवियन खौं सोई बधाई, जिनने काव्यात्मक रचनायें पटल पै डारी। कल्याण दास जी को बधाई।
आज पटल पर *केवल 7* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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285-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-मिलौनी,19-10-21
#सोमवार#दिनाँक 18.10.21#
#बुन्देली दोहा समीक्षा#करौंटा#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह#
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आज की समीक्षा लिखबे सें पैला मिँ भारती को शाष्टाँग नमन।फिर आप सबयी मनीषीगणन सें हात जोर नमन।आज कौ बिषय करौंटा बड़ौ रहस्यमय बिषय है।
इसमें लिखबे के कयी आयाम खुलत सो आज पौबारा फेकबे कौ बड़ौ अच्छौ मौका मिलो।
सबयी जनै आज दिल खोल कें लिखत रय सबयी दोहन में कयी प्रकार के आयाम अपनी 2 तरह सें भर दय।लो अब अलग अलग सबकी साहित्य बगिया कौ आवलोकन कर लेव।
#1#श्री प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़.....
आपने अपने 5 करोंटन में हतनी कौ करोंटा,आफत कौ करोंटा, अपनन खों करोंटा ना दैवौ,यार को करोंटा,और अंत समय के करोंटा कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल् शैली सब अनुकरनीय।
आपका बंदन।
#2# जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा........
मैनै अपने 5 करोंटन मेंकरोंटा के कमाल कौ,नर के नारायन बनबे कौ करोंटा,घोड़ा कौ करोंटा,नेतन कौ करोंटा,शेषनाग कौ करोंटा बरनन करे गय ।भाषा आदि की बाते सब जनें जानौ।सभी का बंदन।
#3#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्ही टेहरी /बुड़ेरा.......
आपके 5 करौंटन में,सजनी कौ करौंटा कराबौ,रिसाबे कौ करौंटा,ईमान कौ करौंटा,न्याय चुनाव कौ करोंटा,डेरे करौंटा सै भोजन पचवे कौ,बरनन करो गव।
आपकी भाषा आदि चमत्कारिक हैं।आपको नमन।
#4#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादानजी लिधौरा......
आपके 5 करौंटन में करोंटा के कारन कौ पूंछवौ ,रात में नीद ना आने के कारण करौंटा,राजनीति के करोंटा,बंजर जीवन के करौंटा,
किसानन के करोंटा कौ बरनन करौ गव।आपकी भाषा आदि का
बखान कहां तक करें ।आपकी शैली अनुकरण योग्य है। आपका बंदन अभिनंदन।
#6#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबयी हाल दिल्ली......
आपके 6 करोंटन में,समय के करोंटा,एहसान फरोसन के करोंटा,काल कौ करौंटा,करोंटन सें चैन खोबो,अधियारे के करौटा,
बिगरी बात कौ करौंटा के बरनन करे गंय।भाषा के अन्य सब अंग अनुपम और अनूठे हैं।आपका सादर स्वागतम्।
#7#श्री भजन लाल लोधी भजन फुटेर......
आपके5 करौंटन मेंकिसानी कौ करौंटा,उगला चुगला दोगला के करौंटा,धौके दैबे बारन के करोंटा,समय कौ करोंटा,और बलम के करौटन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा लोकभाषा है।शैली तरन्नुम लिये रहती है।आदर्णीय भजन दादा का सादर सम्मान।
#8#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगंढ.......
आपके3 करोंटन मेंबुरय दिनन के करौंटा,आज के इन्सानन के करोंटा,बाये करोंटा सोबे सें डर मिटबे कौ बरनन करौ गव।
आपकी भाषा के सभी अंग और रंग मजैदार हैं।आपकौ सादर अनुकरण।
#9#श्री रामानंद जी पाठक नंद जी नैगुवाँ......
आपके 5 करोंटन मैं कक्का कौ करोंटा,साव कौ करौंटा,कक्का के करौंटा सें दरकास ख़ारिज होबे कौ,पत्ता पै पलटबे बारन कौ करोंटा,करोंटा ना दय सें शान कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा के हर अंग संयत हैंऔर सरलता के दरशन होत सो आपकौ सादर बंदन।
#10#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल ......
आपके 4 दोहन मेंबच्चा को करोंटा ना देबै कौ,डेरे करोंटा सें बीमार ना परबे कौ,कौरौना कौ करोंटा,और महान नेतन के करौंटन कौ बरनन करो गव।
आपके सादर चरण बंदन।
#11#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा......
आपके 5 करोंटन में पति बिरह कौ करौंटा,बिपदा के करौंटा,बिरहा के करौंटा,दल बदल नेतन के करोंटा,दल बदलू करोंटन के सुख कौ बरनन करो गव।आपकी सरल और संयम वारी भाषा खों सादर बन्दन।आपका ्भिनंदन।
#12#श्री सीताराम तिवारी दद्दा टीकमगढ़.....
आपने सिर्फ प्रीति के करोंटा कौ बरनन करो।आपकी भाषा भाव भरी लोकशैली पर आधारित सरल भाषा है।आपका सादर बंदन।
#13#श्री आमर सिंह राय साहब नौगाँव.......
आपके 5 करौंटन मेंसमय कौ करौंटा,सत्य कौ करोंटादेश कौ करोंटा,नींद ना आने का करोंटा,करोंटा सें घुरकबौ बंद करबे कौ बरनन करौ गव।आपकी भाषा कौ भाव चमत्कार सें भरो भव है।आपका सादर अभिवादन।
#14#श्री बृज भूषण दुबे जी बृज बक्सवाहा.....
आपके 5 करौंटन में,गप्पी के करोंटा,फसल कौ करोंटा,नींद ना आबै पै करोंटा,करोंटन कौ कारन पूँछबौ,और कपट के करौंटन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा के हर अंग में मनोहारी दृश्य शामिल होते हैं आपका सादर बंदन।
#15#श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़.....
आपके 5 करोंटन में समय कौ करोंटा,रोज की मधुर बोली बारन कौ करोंटा,साल की फसल कौ करौंटा,रँगीली रात कौ करोंटा,बाये करोंटा के भर सोबे खों साजौ बताव गव।आपकी भाषा मधुर अलंकार भरी भाव शैली रंजन भरी आनंददायक है।ापकौ सादर बंदन।
#16#श्री प्रमोद कुमार गुप्ता मृदुल जी टीकमगढ़.....
आपके2करोंटन में पहले दोहा में सजनी कौ सजन सें कैबौ,करोंटा सें नीद आ जाबे कौ बरनन करो गव।पर दोनों दोहों में अंत में दीर्च आ जाने से दोनो दोहे की परिधि से बाहर हो गये।आप की भाषा स्पष्ट और सरल है पर दौहे के नियम अवश्य देखें।क्षमा याचना सहित आपका बंदन अभिनंदन।
#17#श्री कल्याण दास साहू जी पोषक पृथ्वीपुर......
आपके 5करोंटन में मद वारे के करोंटा,सत्य धरम ईमान छोड़ करोंटा लैबौ,जिन्दगी कौ करोंटा,भूकम्प कौ करोंटा,समय के करोंटा कौ निरनय बताव गव।
आप भाषा शैली के कमल जादूगर हैं भाषा चमत्कार आपकी पहचान है।आपका बेर बेर नमन।
#18#डा.देवदत्त द्विवेदी जी सरस बड़ा मलहरा.......
डा. साब के 4 करौंटन में लाबर के करोंटा,दो के बीच में फसे कौ करोंटा,बखत कौ करोंटा,काल कौ करोंटा,कौ बरनन करो गव।आप की भाषा भाव शैली और शिल्प असाधारण अतुलनीय हैं जिनमें लोक शैली कूट 2 भरी है।आपके चरण बंदन ।
#19#श्री मती किरन मोर जी कटनी.......
आपके 2दोहन में नशा के करौंटा,और भोजन के बाद बायें करोंटा लेटबे की सला दयी गयी।
आपकी भाषा भाव सरल शैली सुन्दर है।बहिन जी के चरण बंदन।
#20#श्री एस.आर. सरल जी टीकमगढ़......
आपने अपने 7 करौंटा बदले,जिनमें चला दारन के करोंटा,काम परबे बारन के करौंटा,उल्लू सीदौ करबे बारन के करौंटा,पत्नी के सामने पति कौ करौंटा,पिया के करोंटा कौ सुख,पिया का सो नहीं पाना,रात भर करोंटा बदलबे कौ बरनन करौ गव।आपकी भाषा सौम्य सरल और चमत्कारक है।शैटली शिल्प मे महारत हासिल दिखानी।
आपकौ सादर बन्दन अभिनंंदन।
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286-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-21-10-21
🌷🌷जय बुंदेली🌷 साहित्य समूह टीकमगढ़
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हिंदी पद्य लेखन
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समीक्षक पं. द्वारिका प्रसाद शुक्ल,,सरस, टीकमगढ़
दिनांक 21. 10. 2021
गुरुवार
बुंदेलखंड के वासी हम बुंदेली हमारी बानी हैं ।
जहां ओरछा धाम यहां। जँह श्री राम जी की राजधानी है ।।
वंदन अभिनंदन करत। काव्य श्रृजन भरतार।। हिंदी को सिर धार कें। गढ़त पद्य हजार।।
नमन ऐसे मनीषि जन। श्रद्धा पूज्य भाव विचार।। एक से एक बढ़कर सृजन करें।
हो वंदन सिरोधार्य।।
नंबर 1 .आज के पटल पर श्री गणेश करबे वाले काव्य मनीषि जन ने अपनी रचना में उत्तमता के भाव भर के मन को गदगद कर दिया है वे प्रथम शिरोमणि बनकर साकार रूप के दर्शन कराने में अग्रणी फलातीत हुए हैं उन्हें मैं वंदन अभिनंदन करता हुआ उनकी रचना श्री सीताराम साहू निर्मल जी के द्वारा गीत के माध्यम से नारी की रक्षा सुरक्षा और धर्म केवल उसको संरक्षण देना ही मानव धर्म है जिस प्रकार जटायु ने सीता जी के हित में सच्चे भाव से सीता जी की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर किए थे ऐसे ही शूरवीर अपने प्राण देकर नारी की रक्षा मैं तत्पर रहते हैं बे ही धर्म के सही ठेकेदार होते हैं तथा द्रोपदी के अपमान के साथ प्रभु स्वयं नारी रक्षा के लिए उपस्थित हुए थे जिससे मां के दूध को लजा नहीं सकता है और सीता जी ने अपनी सत्य रक्षा हेतु अग्नि परीक्षा दी थी जिस पर प्रभु जी को भी शर्मिंदा होना पड़ा था श्री साहू जी के भाव उत्तम और नारी के पीछे सजगता भरे हैं जो मानवीय आधार को दर्शाते हैं ऐसे से ही साहू जी को बारंबार प्रणाम हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन।
नंबर दो .श्री अशोक पटसरिया नादान जीने अपने रचना में सियासत में जिम्मेदारियां अमानत में खयानत बहुत ही लूट और पहरेदारीयाँ होती चली आई है वतन की लूट मन की लूट जन-जन की लूट और कहीं हमले जुमले हालात काबू में और बीमारियों पर सियासत तथा नालियों पर भी सियासत होती आई है ऐसा तो हिम्मत वाला जाल बिछाकर सियासत में गरीबों पर जुल्म ढाते लाचारीयाँ और झूठ की मंडी बनाकर दलालों के बीच बिकती सियासत नजर आ रही है ऐसी रचना जिसमें वास्तविकता को पटल पर रख कर सियासत करने वालों को चेतावनी एवं फटकार लगाई है बहुत ही उत्तम रचना के लिए श्री पटसारिया जी को हार्दिक धन्यवाद वंदन अभिनंदन सादर बधाई।
नंबर 3. श्री प्रदीप खरे मंजुल,, जी ने अपने हाइकु के माध्यम से दिल को दिवाली मानते हुए दीप जगमगाया है और मन की खनकती हुई पायल के सुर को साथ बनाकर प्रीति के साथ मनमीत बनकर मन में गूंजते गीत धड़कन को और बढ़ाते हैं ऐसे प्रियतमा के दर्शन पलक बंद करते ही प्राप्त होते हैं बहुत ही सुंदर और धैर्यता पूर्ण भावों से सुसज्जित रचना में चार चांद लगा दिए हैं हाइकु बहुत ही उत्तमता के लिए श्री मंजुल जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 4. श्री मनोज कुमार जीने अपनी रचना में जीत के बाद गीत के माध्यम से पत्थर की मूरत मानकर दिल को लगाना धोखा होने के समान है माना कि ऐसे पत्थर दिल ने अगर हमें ठुकरा दिया तो हमारा प्यार करना मुनासिब नहीं होगा और मेरा प्यार ही लहरों के समान सागर में डूब जाएगा डूबी हुई नैया के समान मेरा पत्र भी बिछुड़ते प्यार की निशानी बनेगी ऐसे प्यार में लगती हुई आग जलती हुए सपने आंसुओं से बहती हुई नदी बेवफाई में रोने के सिवा हमें कुछ नहीं मिलेगा इसीलिए हमने प्यार करना छोड़ दिया है श्रृंगार रचना में वक्त् लिए भाव भरे हैं जो प्रेयसी के लिए बहुत ही चेतावनी भरे और सजगता पूर्ण है ऐसी रचना के लिए मनोज कुमार जी को सादर वंदन अभिनंदन और हार्दिक बधाई ।।
नंबर 5. श्री अनवर साहिल जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से शहर जिस हंसी का दीवाना है मैं उस हँसी का दीवाना हूं मुझे उस खुश्क दरिया से कोई मतलब नहीं है मैं तो उस बहती हुई नदी का दीवाना हूं मैं उस इश्क का दीवाना हूं चांद का नहीं चांदनी का दीवाना हूं लोग जिन अदाओं पर मरते हैं मैं उस आदमी का दीवाना हूं और जो मेरी जिंदगी में जिंदगी के सफर में मिला मैं उस अजनबी का दीवाना हूं वाह अनवर साहिल जी ने अपने मन के विचारों को गजल के रूप में उकेरा है जो प्यार भरे सागर में गोता लगाने के लिए बहुत अधिक प्रेममयी है और जिंदगी में रोशनी को फैलाने के लिए जो चंचल चितवन नजरों से प्रस्तुत की है वह दीवानगी के सुरूर में बज रही है बहुत उत्तम गजल के लिए श्री साहिल जी को सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन।
नंबर 6 .श्री अमर सिंह राय जी ने अपनी रचना उलझन शीर्षक से प्रस्तुत किए जिसमें उलझन से बचने वाला जिंदगी में कोई नहीं है जिंदगी उलझनों के साथ ही चल रही है लेकिन सब की उलझन रोटी कपड़ा और मकान है और सबसे बड़ी उलझन विश्वास है जो पति पत्नी के बीच सामंजस्य स्थापित करता है और इन उलझन से दूर करने वाले वही प्रभुनाथ में और प्रेममयी धागे जो उलझे हुए हैं अतुल आनंद विस्तृत गाथा लिए अनकही बातें केवल उन पर ऊपर ही छोड़ने पर हम अपने जीवन नैया को पार लगा सकते हैं बहुत ही नेक और सचेत करती हुई चेतावनी दी है श्री अमर सिंह जी ने अपनी रचना में उत्तम भाव भरे हैं जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
नंबर 7 .श्री भजन लाल लोधी जी ने अपनी रचना चेतावनी कव्वाली विषय से जिसमें देने का नाम लेकर इंसानियत जो सिकंदर की हुकूमत की परवाह करता है वह सबके दिल के अंदर है वरना सभी धूर में मिल जाएंगे कोई भी यहां धरती पर ऐसा नहीं है जिसका चरित्र सुंदर है वही अपने चयन का पैगाम छोड़कर जाएंगे और बिछड़ते हुए सभी खाक होकर वतन में अपने निशा को मिटा देंगे मालिक की मेहरबानी है जिंदगी निकल गई लेकिन तू नहीं कर पाई है गम भरी जिंदगी जी करके कुछ ही वक्त निकाला है अरे मानव कुछ भविष्य के लिए संजोकर रखे जा जो तेरी संतान के लिए काम आएगा बहुत ही चिंतन भरी सजगता को प्रदर्शित करने वाली चेतावनी श्री भजन लाल लोधी जी ने देकर अपनेपन की आस जगाई है जो बहुत ही उत्तम है ऐसी रचना के लिए उन्हें हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन ।
नंबर 7. श्री अवधेश तिवारी जी ने अपनी रचना प्रीतम वेणु बजा कर जी सकते रचना में भाव भरे हैं वेणु यानी बांसुरी बजने से वन उपवन खिला होकर फिर आप नाचउठगेे और विश्व में रहने वाले जनमानस जी के स्वर सुमन मधुर मिठास भरी सुनकर अविचल अविरल जल चंचल पवन बन कर तेरी कीर्तिध्वजा लहराए ऐसी कामना प्रभु से श्री तिवारी जी ने की है जो मनभावन स्वर गीत मन को गदगद कर दें ऐसे उन प्रभु से वेणु रूपी आनंद की प्राप्ति हेतु सजगता से अध्यात्म रूप में प्राप्त करने की कामना की है जो रचना में शब्द विन्यास के साथ उत्तम आत्मा को सराबोर कर रही है ऐसी रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन ।
नंबर 8. श्रीकृष्ण तिवारी जीने अपनी रचना में जिंदगी को उलझन भरी दासता बता कर बिखरी हुई सी प्रतीत हो रही जिंदगी चिपकी हुई थी नदी के साथ भाव में किनारे ढूंढ रही है और बहती हुई समुंदर की लहरों को किनारे पाने की जद्दोजहद में बर्दाश्त करते हुए तजुर्बा और परछाइयों के बीच लंबी अंधेरे में डूबी हुई शाम बुझती हुई सी नजर आ रही है जो बुढ़ापे के रूप में सहेज कर रखी गई धरोहर बनकर सुंदरता को पा रही है ऐसी जिंदगी उलझन होते हुए भी जीने योग्य है जो श्री तिवारी जी ने अपनी रचना में उत्तम शब्द विन्यास के साथ प्रस्तुत की है वह सारगर्भित और मन को प्रसन्न करने वाली स्थिति बताई है बहुत-बहुत बधाई श्री तिवारी जी ने रचना मैं जिंदगी को जीने की तरीके बता कर जीवन जीने की चेतावनी दी है बड़े भाग मानुष तन पावा सुर दुर्लभ मँहि ग्रंथन गावा जीती हुई जिंदगी सुखद आत्मविश्वास की ज्योति जगाती है बहुत-बहुत हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन ।
नंबर 9. श्री शोभाराम दांगी जी ने अपने आध्यात्मिक भजन के रूप में रचना को बल दिया है जिसमें जीवन को ड्राइवर और तन को कार मानते हुए आत्मा की सवारी करके मंजिल को तय करने के लिए रास्ता रूपी चाबी देकर आधार माना है और इस गाड़ी का पथिक बनकर तेरी मेरी रिश्ता को खेलने वाले हे प्रभु तू ही मेरा पतवार है यह करुण पुकार मेरी यह पुकार सुनकर स्वीकार करके मेरी नैया पतवार बनकर पार लगाना तेरे ही हाथ में हैै बहुत ही सुंदर चेतावनी भरी प्रार्थना रूपी अर्जी लगाकर मानवता के दुखड़ा को विस्तृत किया है जो सजीव और संस्कृति के मानवीय मूल्यों पर आधारित शब्द संयोजन कर रचना में भाव भरे हैं श्री दांगी जी को साधुवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन बधाई ।
नंबर 10. डॉक्टर देवदत्त द्विवेदी सरस जी ने अपने दोहों के माध्यम से रचना में बंदगी करने के लिए आत्मविश्वास भरी भावना श्रद्धा और भक्ति के साथ ईश्वर पाना ही आस्था रूपी आश्रम में भेद और आडंबर को दूर करके यह मन रूपी डेरा डालकर फरियाद करना ही जिंदगी का सच्चा सबब है वही जिंदगी को आबाद करती है और संजोए हुए पल उसके सुखद आत्मविश्वास की पराकाष्ठा को पाती है और सभी बंधनों से मुक्ति का रास्ता पाकर मुफलिसी आदमी से दूर रहकर मनुष्यता का एहसास जगाती है ऐसे श्री द्विवेदी जी ने अपने भाव भरे शब्दों में रचना में जो शब्द विन्यास किया है वह उत्तम ता को लिए हुए वे साधुवाद के पात्र हैं और सीख भरी चेतावनी देकर प्रार्थना करने की युक्ति बताई है इसके लिए उन्हें वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 11 श्री एस आर सरल जी ने अपने रचना हाइकु के माध्यम से प्रस्तुत करके देश भारत में नेताओं ने वतन को चना का खेत बनाकर हुकूमत करके सियासत बनाकर रख दिया है समझ में नहीं आता यह राज कौन सी बेणु बजाके गा रहा है जनता बेहाल और कंगाल है ऐसा विकास पूरा विश्वास जनता है नाराजी ब्यक्त की है बहुत ही उत्तम हाइकु के माध्यम से वास्तविकता को उकेरा है जो मन को छू जाने वाली बात करके हाइकु के माध्यम से प्रस्तुत की है उसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं बहुत ही उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई धन्यवाद ।
नंबर 12. doctor Anita Amitabh जीने अपने रचना के माध्यम से युगपुरुष श्री राम शर्मा आचार्य जी के शब्दों पर रचना में भाव भरे हैं स्वयं को पहचानो आत्मविश्वास आत्म स्वाभिमान से जीने वालों अपने को पहचानो बचपन के भाव निराले सीधी सच्चे निष्कपट निश्छल और चालबाजी से रहित झूठ लंपटता से दूर अच्छाई का चेहरा संस्कारी मात-पिता होने से अक्षरस: खुली किताब जैसा आत्मविश्वास जगा था आज का धरोहर हौसला से समर्पण के रूप में मानवता की मिसाल स्वयं को पहचानने में कोई भी गलती नहीं होती है और वे बचपन ए यादें आज भी शहीद हुए जिंदगी सुखद जीने का अवसर मिलता है बहुत ही आत्म चिंतन भरी रचना doctor Anita जु ने प्रस्तुत की है वह बहुत ही उत्तम और साधुवाद की पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर बधाई।।
नंबर तेरा .श्री संजीत गोयल जीने अपनी सबके प्यारे गणपति बप्पा शीर्षक से कविता की है पार्वती जी के प्यारे लाल गणेश जी सर्वप्रथम जिन्हें पूजा जाता वह विघ्न हरण श्री गणपति जी के द्वार जो भी आता है उसे अपार खुशियां मिलती हैं और माता पिता के चरणों में स्थान मिलता है जो अहंकार भुलाकर शिव जैसे गुरु के प्रिय हो जाते हैं ऐसे उन गणपति जी को को्टि को्टि प्रणाम अध्यात्म भरी कविता मैं सानंद प्राप्त करने की युक्ति एवं सौहार्दपूर्ण आस्था के आयाम प्रकट करके श्री गोयल जी ने सारगर्भित सीख देकर मानव मती को उकेरा है बहुत-बहुत धन्यवाद साधुवाद वंदन अभिनंदन।।
नंबर 14 .Kiran More Katni se apne a vichar Rachna ke Madhyam se rakhe hai बहन किरण मोरे जीने कुछ पल अपने लिए शीर्षक से उम्मीद के दिए जलाकर जीवन के कुछ पल अपने लिए बचा लेती हूं यादों के झरोखे में अकेलेपन में ऐसा जगा लेती हूं और और जो रंगरेलियां सजाई थी मन में मिठास भरे हुए खुशियां जिंदगी के लिए सजो लेती हूं और पलकों में संजोए हुए ख्वाब जलते हुए दिए की रोशनी में अपने को संभाल लेती हूं और सब्र की वह इंतजार मेरे लिए निशा रूपी आनंद की अनुभूति कराती है जिसे अपने उस पल में सजो कर सुखद आनंद को पातीहूँ एक बहुत ही सुंदर सटीक एवं सारगर्भित कविता मन के ख्वाबों में तू कर जिंदगी के सफर को बढ़ाने के लिए बहुत कुछ थोड़े ही शब्दों में लिखे है बहन मोरे जी को बहुत-बहुत बधाई सादर धन्यवाद वंदन अभिनंदन ।
नंबर 15 .श्री राजीव नामदेव राना लिलोरी जीने अपनी रचना में अपने संजोए हुए मन के गुरुर को पहचानने की कोशिश की है कि लोग बगैर कमी के बदनाम नहीं करते हैं और दौलत का गुरु आदमी को झुकने नहीं देता है इसलिए उससे लोग झुकते नहीं हैं अपनी कामनाओं और भाषाओं में यदि कटौती की जा गए तब पारित करने के लिए सजगता जैसे बनकर वह 14 वर्ष वनवास के बिताएऔरभक्तों के लिए राज मद से दूर रहे। जब हाथी चलता है तो कुत्ते भौंकने लगते हैं कुत्ते भोंकते रहते हैं लेकिन रास्ता हाँथी नहीं बदलता है दूसरों के ऐब में हम नहीं मिल सकते क्योंकि लोग बहुत आगे बढ़ गए हैं और हमें अपने लिए कुछ करना ही पड़ेगा अगर नहीं करेंगे तो जिंदगी का सफर अधूरा रह जाएगा और उन्होंने प्रेम की बंसी से तो श्याम जैसी प्रभु के दर्शन हो जाते हैं हमें प्रेम और प्यार से ही जीतने का अवसर मिला है जो मनुष्य रूप से प्रतिफल से पूर्ण किया जा सकता है हम उसमें ही सजग रहकर अपना कार्य पूर्ण करेंगे बहुत ही उत्तम रचना में चेतावनी देकर श्री राणा लिधौरी जी ने अपनी उत्तम ता को प्रकट किया है और शब्द मंचन बहुत ही सटीक है साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक अभिनंदन सादर धन्यवाद ।
नंबर 16 .श्री बृजभूषण ब्रज द्विवेदी ने अपनी रचना कविता के रूप में प्रस्तुति दी है जिसमें भगत सिंह और आजाद बनने के लिए और नेता सुभाष चंद्र बोस बनने के लिए मां से विनती है देशभक्त बनने के लिए हे मां मुझे अधिक विश्वास धैर्य और साहस दे की मुश्किलों का सामना करके सत्य धर्म को अपनाओ अपने जन्म भूमि में रहकर नित्य नए एकता के मिसाल कायम कर प्रगति पथ को मिलजुल कर खुशहाल करने की इच्छा पूर्ण करें यही मेरे मन की आशा को उठाकर हे मा मुझे ऐसा ही वरदान दे और साहस जिससे मेरी मन की कामना पूर्ण हो देशभक्त कविता मैं पूर्णरूपेण सत्य की विजय करने के लिए मनुष्यता और मानवता के भेष में बलिदानी दिल रखने वाले श्री दुबे जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई .
नंबर 17 .बहन मीनू गुप्ता जीने अपनी रचना शीर्षक वक्त के साथ बदलते आयाम को दोष देते हैं लेकिन स्वयं ही किसी से मुंह चुराकर इतराते हुए निकल जाते हैं भाई बहनों की जनता केवल दिखावा करती है और मां-बाप की सेवा न कर उनका तिरस्कार भावना रखकर देश प्रेमी ना होकर विदेश में जाकर एकल परिवार बना कर रखना और माता-पिता की दुआएं छोड़ अपने भाव कुचक्र रचकर चरणों की सेवा ना मिली दोस्तों एवं बदलते हुए वक्त की कथा कहकर जी नहीं भरता है जब तक कि माता-पिता की सेवा कायदा युक्त पूर्ण ना निभाया जाए यही मानवता एवं मनुष्य जीवन का सही तात्पर्य है बहन बहुत ही चेतना स्वरूप शक्ति स्वरूपा बनकर आपने जो सीख दी है वह मानवता के प्रति बहुत ही आवश्यक और प्रेममयी दायित्वों का निर्वहन करती है उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद।
नंबर अट्ठारह .डॉ रेनू श्रीवास्तव भोपाल जीने अपनी रचना मैं मन हूं शीर्षक से प्रस्तुत की है और मन की व्यथा जीवन जीने में सबसे महत्वपूर्ण मनमंदिर को चाहा है जो मनोवैज्ञानिक भाव पहचानने में सजीव प्रकट करते हैं दुख और सुख की भावना को संजीव कर सफलता की सीढ़ी को साथ ही बनाते हैं और त्याग की भावना कर जीवन में सुमन खिलाते हैं ऐसे ही मन से सत विचार पैदा कर बात करने की कामना करके मनुष्यता के उदगार स्तोत्र मन को संजोते हैं वहीं इस जीवन के साथ तत्व को प्राप्त कर जीवन की सार्थकता को पाते हैं बहुत ही उत्तम सजीव शब्द संयोजन के साथ विचार व्यक्त किए हैं रचना बहुत ही उत्कृष्ट और चेतावनी प्रद है जिसके लिए बहन रेणु जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई और वे साधुवाद की पात्र हैं शत शत वंदन अभिनंदन।
नंबर 19 .श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ने अपनी रचना मुक्तक मैं पुलिस स्मृति दिवस के रूप में सेवा का दायित्व निभाने वाले अराजक तत्व का दमन करने और स्वयं घात सहन करते हुए लड़ाई ड्यूटी पर अपने मुस्तैद होकर सजगता के साथ ड्यूटी का निर्वाह करते हैं ऐसे साहस वीर और बली पहरेदारों को सादर नमन वंदन अभिनंदन करते हुए जो सत्य की पराकाष्ठा को भाँफ कर जनहित में कार्य करते हैं और शुभम राह प्रशस्त करते हैं ऐसे उन परमार्थी जन को सादर वंदन अभिनंदन करते हुए श्री यादव जी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं जो बहुत ही सारगर्भित हैं वह साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक धन्यवाद बधाई।।
number 20 .Shri Kalyan Das Sahu Poshak ji ने अपनी रचना मैं गिद्धराज जटायु ने रावण को ललकारा था जो साहस और वीरता का प्रमाण है दुष्टता को नकार बलहीन होकर भी जानकी जी की रक्षा मे प्राण गँवाऐ और रावणको दुत्कार कर अन्याय का सामना करते हुए लड़कर सद्गति पाई ऐसे महा दुष्ट से लड़कर साहस और वीरता का परिचय दिया और सद्गति पाकर के प्रभु श्रीराम से भक्ति भावना स्वरूप चरणों में स्थान पाया मनुष्य जीवन पाकर मानव को अन्याय का विरोध करना चाहिए और परमार्थी बनकर सहयोगात्मक कार्य करके श्रेय और सम्मान पाकर मानवता की रक्षा करना चाहिए बहुत ही सटीक और कम शब्दों में रचना की व्याख्या करके उत्तम सारगर्भित सीख भरी चेतावनी दी है जो मानव मन को जोड़ती है और प्रमाणिकता भरी राह पर चलने को मजबूर करती है ऐसी रचना के लिए साहू जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 21 .डी.पी. शुक्ल सरस टीकमगढ़ के द्वारा अपनी रचना उसके गुबार में मनुष्यता भरे मानव मन को सहेज कर वतन के लिए कुछ कर्म करना चाहिए ठोकरें खाकर भी भूल को ना सुधारना अभिमान होता है एक दुल्हन के दूल्हा बनकर पत्नी को सम्मान ना दे पाऐ और दयावान बनकर केवल राजनीति से भी काम नहीं चलेगा इससे तो बर्बादी ही होती है एक अकेले रहकर इधर उधर दूसरा कोई सगा संबंधी नहीं होता है नारी ही जीवन साथी होकर नैया को पार लगाती है ऐसे खाली मन को रखकर उत्पाती मानव अपने जीवन में उस नाचती हुई जंगल की मौर के सावन की झड़ी की आस लगाए बैठी रहती है उनके गीत गाकर गरजते बादलों के घूमते रहना घर की सारी शाख नष्ट होती है और मानसिकताबिगड़ती है मन को मन की महक को सागर की उठती लहरों जैसा बना कर अधूरा ही छोड़ती है ऐसी सीख चेतावनी भरी रचना में प्रस्तुत की गई है समीक्षा के लिए सादर प्रस्तुत।
नंबर 22 .डॉक्टर आर.बी. पटेल जी द्वारा अपने दोहा रचना में सत्य को हमेशा पिस्ते हुए बताया है और झूठ की महिमा अपार और जग में उथल-पुथल मचाती दिखाई दे रही है जिसे हम आजकल अपनाते जा रहे हैं और अनजान होकर भी जानकार बनने के लिए छटपटा रहे हैं जिसके लिए हम सत्य को झुठलाकर झूठ का हाथ पकड़कर अपने को उत्तम सारथी बताने के लिए राजनीति का मोहरा बनने को छटपटा रहे हैं डॉक्टर श्री पटेल जी ने बहुत ही उत्तम सारगर्भित सटीक शब्दों में अपने दोहा प्रस्तुत किऐ हैं उत्तम सीख दी है जो मानवता के लिए सर्वोपरि है
डॉक्टर साहब कृपया समय का ध्यान रखना ना भूलें
उत्तम दोहा के लिए सादर बधाई वंदन अभिनंदन धन्यवाद।।
समीक्षक- डी पी शुक्ला टीकमगढ़
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287-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-22-10-21
*पटल समीक्षा दिनांक-22-10-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सभी विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, लेख, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन के विचार और चिंतन स्वागतयोग्य है। अपन सबयी जनन खौं बधाई देत भये एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों, भाई, बहिनों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै
*1मनोज कुमार जी* ने अपने विचार व्यक्त करते हुए नाव रूपी जिंदगी को पार लगाने का मार्ग बताया, वहीं अपनी करनी को सुधारने की बात कही। अपनी नैया के आप ही खिबईया हैं। रोचकता लिए सारगर्भित आलेख प्रशंसनीय है। आपको हार्दिक बधाई।
*2 श्री रामानंद पाठक जी* किसा तौ अपन नै भारी नौनी कई । किसा कंजूस की रोचक और कर्णप्रिय है। कंजूसी को लेकर लिखी बुंदेली कानियां प्रशंसनीय है। कन लगत कै चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाये। कंजूस तौ मातयी खात। बहुत बहुत बधाइयां।
*3* *श्री भजन दादा जी* अपनने पटल पर अपनी रोचक और हास्य व्यंग्य सें सजी प्राचीन कहानी सुनाई। जितै न्याय नहीं होत, उतै बर्वादी के सिवाय कछु नहीं हो सकत। संदेशप्रद किसा के लाने बधाइयां।
*4* *श्री अवधेश तिवारी जी* छिंदवाड़ा ने कर्म,ज्ञान और ईश्वर भक्ति के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। आपने सुंदर ढंग से आलेख में साधन और साध्य की पवित्रता पर जोर दिया। विकासवाद के जनक डार्विन के सिद्धांत पर प्रकाश डाला। पंत जी संदेश देती रचना भी प्रशंसनीय है। बधाई
*5* *श्री प्रमोद गुप्ता जी* ने पारंपरिक लघु कहानी पटल पै डारी। कहानी रोचक और संदेश देने वाली है। जानकर गलती करनेवाले को पछताना ही पढ़ता है। बधाइयां
*6* *प्रदीप खरे, मंजुल* स्वामी विवेकानंद के समसमायिक और सारगर्भित विचारों को लिखने का प्रयास किया है। त्याग करने वाले हमेशा महान होते हैं।
*7* *राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी* टीकमगढ़ सैं व्यंग्य लिख रयै। सास कौ घर पउआ कैसौ रत, खूब बताई। साँस और सास की समानता बताई। बहुत रोचक और हास्यास्पद लगी। अपन खौं बधाई
*8* *श्रीमती जनक कुं बघेल* ने होनी.. अनहोनी शीर्षक से अंधविश्वास को लेकर रोचक कहानी लिखी । आधुनिक युग में भी इसकी जड़े गहरी हो रही हैं, जिसे समझाने का प्रयास किया है। शुभ अशुभ जीवन में आते रहते हैं, इनसे निकलना सीखने की जरूरत है। समसमायिक और ज्वलंत मुद्दे को छुआ, सो बधाई हो।
*9* *बहिन मीनू गुप्ता जी* टीकमगढ़ से लिखती हैं कि अर्थ का अनर्थ हो रहा है। शब्दों के खोते मूल्यों पर चिंता झलक रही है। रिश्तों में आ रही खटास का वर्णन बढ़ी ही रोचकता से किया गया है। संस्कृति और संस्कारों की रक्षा की अपील भी की गई है। बदलाव की आवश्यकता पर जोर स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। आपके विचारों को नमन करता हूँ। बधाई हो
आज पटल पर *केवल 9* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। करवा चौथ आ रयी..सबयी बैनन खौं खास तौर पै बधाई.. .।।।
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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288-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-करौंटा,25-10-21
#सौमवारी समीक्षा#दिनाँक-25.10.21#
#बुन्देली दोहे#बिषय--गतरा#
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आज की समीक्षा लिखबे सैं पैंलाँ माँ शारदा को नमंन,फिर आप सब जनन खों हात जोर कें राम राम।आज कौ बड़ौ अटपटौ शीर्षक गतरा पै भौत जनन की कलम चली।सबने अपने 2 हिसाब सें गतरा कौ दोहे के रूप में बखान करो।भौत अचरज भव कै आप सबने अपने 2 बिचारन सें गतरा की अनौखी ब्याख्या कर डारी।लो अब सबकी समीक्षा अलग 2बखान कर रय।
#1#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुल जी टीकमगढ़.....
आपने अपने 5 गतरन में रघुनाथ कथा,मेघनाद मरदन,गनेश कथा,माँ बेटे कौ प्रचलित प्रसंगं,और भक्त कथा कौ बरनन कर डारो।आपकी भाषा भाव शैली और शिल्प दैखबे जोग है।
आपका शत 2 बंदन।
#2#श्री गोकुल प्रसाद यादव जू नन्नी टैरी बुडेरा.......
आपने अपने 5 गतरन में गतरा के पर्याय,गन्ना तरबूज और कुमड़ा के गतरा,और गुस्सैल पिया के द्वारा गतरा करबे की धमकी कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव भौत नौनै लगे।शिल्पं और शैली की का काने।आपखों सादर नमन।
#3#पं. अबधेश तिवारी जू छिन्दवाड़ा......
आपने अपने एक मात्र गतरा मेंदिल के गतरन कौ बरनन करकें गगरी में समुद्र भर दव।भाषा बेजोड़ भाव शिल्प जोरदार शैली साजी जान परी।आपको सादर नमन।
#4#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान लिधौरा.......
आपके 5 गतरन मैंदिन के धूप के,घर परिवार समाज के गतरा,जीवन और मुर्गा के गतरा,और मानुष जात के गतरन कौ बरनन करो।आपकी भाषा और भाव जोरदार शैली और शिल्प देखबे जोग है।आपका सादर बंदन।
#5#पं. श्री बृज भूषण दुबे जू बृज बक्सवाहा......
आपके 5 गतरन में धनुष,कुम्भकरन ,दिल और पाण्डवन के गतरा करवावे कौ सटीक बरनन करो गव।आपकी भाषा रस भरी भाव सुन्दर शिल्प और शैली मजेदार देखी।आपकौ सादर बंदन।
#6#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैने अपने 5 गतरन में सोंनै के गतरा,मंदिर प्रसाद में फलन के गतरा,रतालू और सागन के गतरा,
दुरगा जू खों दयी बलि के गतरन कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प शैली आप सब जनैं जानो।
#7# श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' जू टीकमगढ़.......
आपके 2 गतरन में देश के गतरा,और गैग के कगतरन कौ बखूबी बरनन करो गव।भाषा के सबयी श्रंगार साजे लगै।आपकौ सादर अभिनंदन।
#8#श्री प्रमोद कुमार गुप्ता जी मृदूल टीकमगढ़......
आपके अपने 2 गतरन में तरबूज और मछरिया के गतरन कौ बरनन डारो गव।
आपकी भाषा शैली जोरदार, शिल्प भाव अनौखै बन गय। आपखैं सादर बंदन।
#9#श्री भजन लाल लोधी जू भजन फुटेर......
आपके 5 गतरन में जटायू के गतरा,रावन के दस मूड़ बीस हातन के गतरा,पूतना के छत्तीस गतरा,प्रकृति की हर चीज के गतरा,और निर्धन सभ्य समाज के गतरन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा में क्षेत्र की असली बुन्देली के दरशन होत,शैली की शान भावों की गहरिई और शिल्प कला आपकी हर रचना की जान होत।आपख़ों बेर 2 बंदन।
#10#श्री सरस कुमार जू दोह.....
आपने अपने 2 गतरन मेंमन के अरमानन के गतरा,और मछली के गतरन की चर्चा चलाई।आप
नवोदित रचना कार हैं लेकिन भाव गहराई, भिषा की सरसता शिल्प शैली कौ गठन शानदार है।आपको हार्दिक आशीष।
#11#डा. आर.बी..पटैल अनजान जू छतरपुर......
आपके 4 गतरन में भारत के वीरन के गतरा,देश के गतरा,भारतीय समाज के गतरा,
धर्मों के गतरन पै प्रकाश डारो गव।आपके चौथे दोहा में अंत में दीर्घ मात्रा आ गयी जो दोहा में खटकत है सुधार कर दव जाय तौ भाषा शिल्प दुलैया सी सज जै।भावन की गैराई,शैली की सुन्दरता में चार चाँद लग जें।आदरनीय डा. साब कौ हारदिक बंदन।
#12#श्रीअरविन्द कुमार श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपने अपने 3 गतरन में अलग 2 बोलियन में गतरा के पर्याय,बच्चे को रोता देख माँ केदिल के गतरा,
और खीर के गतरन कौ सटीक बरनन करो गव।आपकी भाषा और शैली शानदार,शिल्पी भाव गहरे हैं।आपको सादर नमन।
#13#श्री गुलाब सिंह यादव जू भाऊ लखौरा.....
आपके 3 गतरन मेंमलाई की बर्फी के गतरा,परशुराम जी द्वारा
क्षत्रियन के गतरा,रेणुका के गतरन कौ बरनन करो,अंतिम दोहा में सुधार करवे कौ निवेदन है।आपकी भाषि भाव.शैली शिल्प मजेदार होते हैं।आपका सादर बंदन।
#14#श्रीशोभाराम दाँगी जी नदनवारा.......
आपके 5 गतरन में जायजाद के गतरा,खेतन के गतरा,दुश्मन के गतरन कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी शैली शिल्प भाव आकर्षक हैं आपकौ अभिनंदन।
#15#श्री अमर सिंह राय जू नौगाँव........
आपके 5 गतरन मेंतन के गतरा,देश के लानें होबो,ना जुरबे बारे गतरा,नशा में गतरा कर दैबौ,
तन के गतरा, मछली के गतरा,और देश पै निछावर होबे की बात करी गयी।भाषा भाव अनूठौ शैली आदि उम्दा ।
आपका सादर बंदन।
#16#श्री एस.आर.सरल जू टीकमगढ़.......
आपके 5 गतरन में हल्के बड़े गतरा,कदोंरा और ककड़ी के गतरा,पनीर के गतरा,बरनन करे गय।आपकी भाषा सरल सुबोध औरशैली आकर्षक है।आपको शत शत वार प्रणाम।
आज की बेरा हो गयीअगर कौनौ रचना छूट गयी होय तौ माफ करें।
सबखाँ हात जोर प्रणाम।
आपका अपना समीक्षक....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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289-श्री शोभाराम दांगी'इंदु',हिंदी दोहा-वोट-26-10-21
समीक्षा दिनांक 26/10/021
बिषय - "वोट "हिंदी दोहा लेखन
समीक्षक =शोभारामदाँगी नंदनवारा
जिला टीकमगढ (म प्र) 9770113360,7610264326
मां वीणा वादिनी के चरणों में नमन करते हुए आप सभी साहित्यकार कवियों की समीक्षा लेकर हाजिर हूँ, आप सभी साहित्यकारों से छमा चाहूंगा क्यों कि एक दिन लेट हो गई यह समीक्षा, मेरा मोबा0नेटवरग नहीं पकड़ रहा था इसलिए आज मैनें पुन:कोशिश की है /आज के इस वोट बिषय पर सर्व प्रथम आदरणीय श्री अशोक पटसारिया जी भोपाल हाल लिधौरा जिला टीकमगढ म प्र से पटल पर उपस्थित हुए /
आप ने पाँच वोटों की क्यारी सजाई और कहा कि वोट डालना आपका अधिकार है, इसलिए सही प्रत्याशी को वोट देना चाहिए और आगे आपने कहा कि वोट न होता तो कैसे चुनाव होता और आपने नेतागिरी पर करारी चोट मारी /आपने बहुत ही बढिया सारगर्भित रचना की कि वोट न होता तो नेता न होता और नेता न होता तो सरकार न होती और सरकार न होती तो तुम्हें अधिकार कहां से मिलते /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये, आपकी भाषा शैली अति गरिमा मय मधुर आकर्षित रही, एेसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम ।
2= परआदरणीय श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ननहीं टेहरी टीकमगढ से आपने बहुत ही शानदार सुंदर चित्रण किया कि आजादी से चली आ रही परंपरा संघर्ष मय है और चंद पैसों कि खातिर विक जाते हैं एवं नेता लोग जातिवाद धर्म वाद का सहारा लेकर अपनी प्रशंसा करते हैं हुए तीखा व्यंग कसते हुए कहा कि-
साँपनाथ के साथ है, नागनाथ की जंग ।
वोट किसें दें, मिल गया, नोटा का सत्संग ।।
बहुत ही सुंदर आपकी भाषा शैली माधुर्य पूर्ण ऐसी सुंदर लेखनी को बारंबार प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ व प्रणाम ।
3= पर आदरणीय श्री प्रदीप खरे जी मंजुल टीकमगढ से तीन वाक्यों को बहुत ही बेहतरीन ढंग से सहेजा है वोट नोट और चोट को बड़े ही व्यंग्यता से कहा है कि वोट तो बड़े बड़े सरदार मांगने आते हैं क्यों कि वोट ही सरकार बनाती है आगे आप ने वोट को एक दान की उपमा देते हुए कहा कि वोट डालना महादान करने के बराबर होता है अपना मत दान करना इससे बड़ा कोई दान भी नहीं है /आगे भी आप ने कहा कि वोटों के समय जनता स्वामी बन जाती है, फिर पाँच सालों तक वो बोझा ढोते ढोते रोते रहते हैं, बिल्कुल सच कहा आपने /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण मधुर लालित्य मयी सहज सुंदर रसदार आकर्षित है आपकी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ।
04=पर आदरणीय जयहिंद सिंह जयहिंद पलेरा जिला टीकमगढ म प्र से आपने पांच सुंदर पुष्पों की वोट रूपी वगिया महकाई जिसमें आपनें महावीर गौतम महासागर जैसा वोट का भाव समझाते हुए कहा कि वोट लोकतंत्र की महान धारा वोट ही है /वोट के बिना देश की नाव नहीं चलती /एवं आपनें बहुत ही बढिया चेतावनी पूर्ण सच कहा कि जो चरित्रवान हो उसे ही अपना मत देना चाहिए सोच समझ कर वोट दीजिए /वोट नोटों से नहीं वोट दिल की ही आवाज होना चाहिए /आपकी भाषा शैली अति उत्तम माधुर्य भाव प्रकट करती हुई आकर्षित रही /ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ।
05=परआदरणीय श्री एस आर सरल जी टीकमगढ म प्र से आपने वोटों को पाँच सुंदर क्यारियों से महकाया, आपने कहा वोट हमारी इज्जत एवं गुरू का उपहार एवं प्रजातंत्र की रीड है क्योंकि वोट के बिना सबकुछ अधूरा टूटा सा प्रजातंत्र रह जाता /वोट की गरिमा का बखान करते हुए कहा कि वोट हमारी ताकत है वोटों की ख़ातिर नेता नोट बाँटकर लोकतंत्र को बदनाम करते हैं /प्रजातंत्र का अधिकार ही वोट है, बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये आपकी भाषा शैली बहुत ही ओजस्वी भाव युक्त सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम व बहुत बहुत बधाई व प्रणाम अभिनंदन आपको ।
06= आदरणीय श्री अमर सिंह राय जी
नौगांव छतरपुर से आपने पहले दोहा से ही बहुत सुंदर सुझाव दिया कि प्रत्याशी की खूबियां व खोट देखकर ही वोट देना चाहिए और आगे आपने कहा कि दिन के सपनों को देख कर वोट नहीं देना चाहिए /बादों की बोंछारें बहुत करते हैं पर अपना वोट सोच समझ कर सही प्रत्याशी को वोट देना चाहिए /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी भाव युक्त सहज व सुंदर रही /आपको बहुत बहुत बधाई व प्रणाम अभिनंदन ।
नंबर 07=परआदरणीय श्री देवदत्त द्विवेदी सरस बडा मलहरा से आपने चार दोहों को बहुत ही बेहतरीन ढंग से सजाया है और कहा कि निर्वाचन की भावना मूल रूप से होना चाहिए ,एवं सुझाव दिया कि मतदान अवश्य ही करें क्योंकि यह एक बड़ा पुण्य कार्य है /इसे जात पांत और धर्म में शामिल नहीं करना चाहिए /आपने बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सरल सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ।
नंबर 08=पर मैं शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ म प्र से मैनें अपने दोहों में दछपिरजापति को सभी देवों ने अपना मत दिया कि इस यगय में श्री महादेव को न बुलाया जाय एवं श्री गणेश देव जी को प्रथम पूज्य बनाया जाय इसका समर्थन सभी देवों ने किया था /आगे मैनें कहा कि वोट के लिए मंत्री संत्री सभी वोट के लिए फिरते हैं एक वोट की कीमत अमूल्य है क्यों कि एक वोट से हार जीत हो जाती है ।
09= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री गुलाब सिंह जी यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ से आये आपने पाँच दोहा पटल पर डाले बहुत ही शानदार रसना भरी रचना प्रस्तुत की आपका कहना है कि वोट तो उसी को है जिसके पास नोट है यह सार दमदार साहस भर के कहते हैं कि वोट के लिए झूठे बादे कर जनता को लुभाते हैं, हाथ जोर कर पांव परकर लभाते हैं आगे आपने संदेश दिया कि वोट उसी को देना चाहिए जो ईमानदार सही हो /बहुत ही बढिया सारगर्भित दोहा बधाई आपको बारंबार प्रणाम अभिनंदन ।
नंबर 10=परआदरणीय श्री प्रदीप गर्ग पराग आपने पाँच दोहों के माध्यम से वोट पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि वोट के बाद जनता की पुकार तक नहीं सुनते उनका ध्यान सियासी की तरफ हो जाता है /अंत में संदेश देते हुए कहा कि चंद नोट के फेर में नादान मत बनों, आपका वोट बहुत कीमती है /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त कर कहा, आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी, ऐसी लेखनी को बारंबार प्रणाम बहुत बहुत बधाई आपको ।
11वे नंबर पर आदरणीय श्री रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल से आपने पटल पर चार दोहा प्रेषित किये और कहा जो वोट मांग कर सफल हो जाते हैं वे राजनीतिक लोग नेतागिरी के रोगी हो जाते हैं आपने युवा वर्ग की ओर संकेत दिया कि आज के समय ऐसी राजनीति फैल गई कि युवा वर्ग को कोई काम काज तक नहीं मिल पा रहा /वोट के पीछे सीधे मधुशाला में मना मना कर ले जाते हैं और अंत में आपने संदेश दिया कि वोट उसी को डालना दो भ्रष्टाचारी न हो /बहुत ही सुंदर भाव डा रेणु श्रीवास्तव जी बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ प्रणाम ।
12=वेनंबर पर आदरणीय डा रेणु श्रीवास्तव भोपाल से आपने पटल पर चार दोहा प्रेषित किये और कहा जो वोट मांग कर सफल हो जाते हैं वे राजनीतिक लोग नेतागिरी के रोगी हो जाते हैं आपने युवा वर्ग की ओर संकेत दिया कि आज के समय ऐसी राजनीति फैल गई कि युवा वर्ग को कोई काम काज तक नहीं मिल पा रहा सभी को वोट के पीछे सीधे मधुशाला में मना मना कर ले जाते हैं और अंत में आपने संदेश दिया कि वोट उसी को देना चाहिए जो ईमानदार सही हो बहुत सुंदर भाव व्यक्त किये आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी रसदार आकर्षित है आपकी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन
13=वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री ब्रज भूषण दुबे बकसुवाहा छतरपुर आपने पाँच दोहो की सुंदर कियारियां बोई जिसमें वोटो को श्री हरि आदि शक्ति को प्रदान करने की क्षमता का वर्णन किया आपने अयोध्या के राजाराम को गद्दी पर बैठानें की सहमति जताई कि इस गद्दी पर श्रीराम राजा ही हों ऐसा वहा की जनता का मत मिला और सकुनि की चालाकी दुरयोधन की खोटता पर विशेष बल दिया एवं वोट मांग कर लूट खसोट करते हैं इसलिए अंत में कहा कि सोच समझ कर वोट देना अति उत्तम है आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित रही ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ।
14=वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ म प्र से आपने चार दोहा प्रेषित किये इसमें आपने नारंगी बोतल को लेकर वोट हासिल करने की क्षमता पर जोर दिया एवं गिरगिट की तरह जनता के चरणों में, वोट के लिए नोट, पर जोर दिया और अंत में समझायश दी कि वोट अपनी महान ताकत है /इसे सभ्य और सामर्थवान को ही देना चाहिए /बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको बेहतरीन रचना आपकी भाषा शैली अति उत्तम माधुर्य सहज ज्ञान वान आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
15 वे नंबर पर आदरणीय श्री रामानंद पाठक जी नैगुँवा जिला टीकमगढ म प्र से आपने पांच दोहा पटल पर प्रेषित किये /आपका कहना कि वोट को हंसी खेल मत समझना यह वोट राजनीति चौपर की गोट है जिससे जीत होती है वह कार्य करते हैं कि किसी प्रकार की मीन -मेख नहीं करते सबके यहां खाने को तैयार रहते हैं, झूठे वादे कर वोट मांगते हैं और अपनी गोट बैठारने की कोशिश करते रहते हैं /बहुत बढिया दोहा बधाई आपको श्री पाठक जी, आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित रही ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ।
16= वे नंबर पर आदरणीय किरन मोर कटनी से पाँच दोहा लेकर उपस्थित हुई और आपका कहना है कि चुनाव की वारी आते ही द्वार द्वार जाते हैं, जनता ही वोट दे, जनता ही टैक्स दे /दोनों तरफ से उसे सिर में चोट लगती है वोट मांगने में शर्म तक नहीं आती अपने अपने महल सजाकर बगल में झोपड़ी सजाते हैं और थाट वाट बनाते रहते हैं, ऊँचे महल सजाये रहते हैं, बहुत ही सुंदर तीखा व्यंग कसा /बहुत ही शानदार दोहा रचे आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन।
17= वे नंबर पर आदरणीय श्री डा आर बी पटैल अनजान छतरपुर से पाँच वोटन के पुष्प वाटिका सजाते हुए आये /आपका भी यही कहना कि चुनाव एक पर्व है जिसे सुनते ही कुछ लोग खुशियां मनाते हैं आपने वोट से अपनी सजावट करने पर बल दिया /भले ही वोट चुनाव रूपी पर्व है वोट पाकर फिर नही पूछता कि जनता का किया हाल है लालचवश एक खेल सा खेलता है बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपने बेहतरीन रचना की आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण मधुर रसदार आकर्षित है आपको बारंबार प्रणाम व बधाई अभिनंदन /
18=वे नंबर पर आदरणीय श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ म प्र से आपने वोटों की दो क्यारियां बोई जिसमें वोट नोट पर आधारित रहते हैं खुले आम वोट बिकता है और कुर्सी पाने के पीछे हथियार तक उठाने पड़ते हैं बहुत ही सुंदर चित्रण किया श्री राना जी ने व तीखा प्रहार कर सरकार तक की बात कह डाली /
आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी रसदार आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
19=वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री रामबिहारी सक्सेना जी ने वोटो की चार ही शानदार रचना कर दोहा पटल पर प्रेषित किये इसमें आपने वोट का छलिया और मन के काम करने पर लगाम सी लगा दी जाती है /
वोटों से जाति धर्म और मुखिया पर बल दिया /वोट मांगना एक भीख के समान है /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये गये आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण रही बहुत बहुत बधाई आपको व प्रणाम अभिनंदन /
20= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री अरविंद श्रीवास्तव पटल पर तीन ही दोहा लेकर आये हैं आप तीनों दोहों के माध्यम से वोट लोकतंत्र की जड़ मतदान यगय में आहुति देना एवं अपना अधिकार, कर्तव्य सत्ता में सहभागिता सुनिश्चित कर वोट देना बड़ा बताया /और अंत मेंकहा कि वोट उसे देना चाहिए जो ईमानदार सही हो एवं विवेक न खोये सुंदर सद्भाव आदि विचार युक्त हो /आप की भाषा शैली अति मधुर लालित्य मयी सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम /
21=वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री भजन लाल लोदी फुटेर टीकमगढ म प्र से पटल पर उपस्थित हुए आपने पांच दोहों के माध्यम से आपका कहना है कि वोट जातिवाद के बल पर, नोट के बल पर एवं कौल क्रिया करके दिल में खोट रखकर, चौपर जैसी राजनीति, आदि तमाम विचार व्यक्त किये /बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको /आपकी भाषा शैली अति मधुर आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
22= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री जनक कुमारी सिंह बाघेल जी पाँच दोहा लेकर पटल पर उपस्थित हुईं /आपने राजनीति की चोट, दिल में खोट नोटो पर जनता का रीझना एवं पढे लिखे अफसरों पर अनपढ़ द्वारा राजकरने की बात कही /और आगे कहते हैं कि इनका न कोई सिद्धांत, और न मेल बस लालच देकर जनता से वोट मांगते हैं और उनके घर भोजन कर लेने से वोट खसीट लेते हैं बहुत सुंदर तीखा व्यंग /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण रही बहुत बहुत बधाई आपको एवं सादर नमन /
इस प्रकार आज पटल पर कुल बीस साहितयकारों ने वोट बिषय पर अपने अपने मत प्रकट किये /अगर कोई समीक्षा से रह गया हो तो माफ करना सर क्योंकि बड़ी व्यस्तता में आज समीक्षा पूर्ण कर पाई /आप सभी ने बहुत ही सारगर्भित रचनाऐं प्रेषित की / वोट डालने पर सुझाव, व तीखाप्रहार रचनाऐं डाली जो बहुत ही सुंदर रही / आप सभी को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम मां के चरणों में नमन करते हुए अपनी लेखनी को विराम देता हूँ ।
समीक्षक- शोभारामदाँगी नंदनवारा
जिला टीकमगढ (म प्र) मोबा0=977011360
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290-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-27-10-2021
समीक्षा दिनांक-27-10-2021
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
समीक्षक- श्री गुलाब सिंह यादव लखौरा
1-श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा टीकमगढ़
आ•नादान जू जयहो आज अपुन ने भौत बढ़िया चुनाव की भौतई अच्छो बखान करो हैं जू
वोटर खो लालच दैके वोट खेच रये है वोट के लाने नोट दारु जाने का का लये फिर रये है सबरे हुआ हुआ करत फिर रये है जे दारु नोट नाग नाथ आयें सब कछु वोट के लाने नोट दारु जाने का का कररये फिर पाँच साल लो सबरो मन नेता तुम से भर लेत है अबै दो चार दिना तुम से हात जोर रये फिर तुमे पाँच साल लो हात जोरने अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चेतावनी लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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2-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ साव जू
पलेरा जिला टीकमगढ़
आ•दाऊ साव जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली में स्वच्छता गीत लिखों हैं जू अपुन की भवना देश जिला गाँव घर घर में सफाई होने जरूरी है और सबई भईया बैन ई सफाई के लाने तईयार रहे हैं और तन मन धन से काम करें अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐
3-श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्हीं टेहरी बुड़ेरा टीकमगढ़
आ•सर जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली तीन चौकडिया लिखी हैं जू जिमें अपुन ने आज भौतई बढ़िया बखान करों जू करों है पति की आपस में बातें हो रई के सामे दिवाई आ गई है सबरों काम डरो है
बाखरी खराब डरी अबे सफाई नई कर पाई दुसरी चौकडिया में कछु हास्य रस देवर आपनी भोजाई से कै रये है भाबी तुमाई लाजी की धान के चावर भौतई नौने हैं हमने खेत को लेबा करों तो अब अच्छी खीर बन जान दो तीसरी चौकडिया में पत्नी अपने पति से मोबाइल मगाबै की कै रई है जू आज लाला बाजारे जा तुम पईसा दैदो हमें फोर जीबी सीम बारों अच्छो मोबाइल चला बै चाने अपुन की तीनों चौकडिया भौतई बढ़िया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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4-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू पत्रकार टीकमगढ़
आ•भाई मंजुल जू आज अपुन ने तकरार बड़ो नौनो बखान् करों जू पति पत्नी की तकरार एक दुसरे से बातें कर रये है बलम हमें हरजाई मिले कभउ सुख से नई रै पाई पति देव जू कैरये सुनों धन्नो हम तुमाये गुन जानत है सब झूठी बातें बना रई हो लावरी बातें न बनाओ ऐसी भौत कछु तकरार बडी बडी बातें लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत सादर नमन 👏👏
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5-श्री भजन लाल राजपूत जू फुटेर खरगापुर
आ•दादा जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली लावनी लिखी हैं जू जिमें अपुन बतारये के माया गर्व नई करिवो बिपता देख घबड़ाये नई काऊ के घरे बिगर बुलाये बैठन नई जाये कभऊ दुष्ट की संगत नई करे बड़न से बैर न करें काऊ की चड़त बैल नई काटे मुरख खो उपदेश नई देबै अपुन ने भौतई कछु सार लिख दव है जू अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है 👏👏
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6-श्री देवदत दुबेदी सरस जू
बड़ा मलहरा
आ•दादा सरस जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू अपुन लिख रये हो के कीसे यार धुरइंया कैरये हो हम तुम से कम नइंया बड़े बड़न के कान काट रये अब तो अनपढ़ गमइंया अपुन ने भौतई बढ़िया सार की बातें लिखी हैं जू अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन सादर नमन करत है जू 👏👏
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7-श्री अरविन्द श्रीवास्तव जू भोपाल
आ•श्रीवस्तव जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली बामुन चिरैया गीत लिखों हैं जू अपुन लिख रये हो के चाँवर के दाने आगन में डारे बामुन चिरैया फुँदक फुँदक खा रई है चना के दाने छील छील खा रई है घर के उपर पानी भर के धर दैत बामुन चिरैया सपर रई है जू का तक बखान करे जू अपन ने भोतई कछु लिखें हो अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत है वंदन
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8-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष जू टीकमगढ़
आ•पीयूष जूअपन ने सरद बेला पै सरद सुहावन दिन आन लगे गीत लिखों हैं जू बदरा बिबस बिलान लगें हैं रती रती दिन हल्के होन लगे हैं नदियन को जल निर्मल होन लगो है कमल दल खिलन लगें हैं रंग बिरंगी तितली उड़न लगीं है रसिक बिहारी राधा रानी रूच रूच रास रचाने लगे हैं अपुन ने भौत बढ़िया रसमय गीत लिखों हैं जू अपुन लेखनी को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू
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9-श्री रामानंद पाठक नन्द जू नेगुवा जिला निवाडी
आ•पाठक नन्द जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू प्रभु जू जोन तुमने निगाई उसई गैल हम चले है बौडौ खो करयाई ढीली भरदई उये जुवानी लूलो निग नई पाउत उये करी रावानी हमने बुन्देली कुअइया में से गड़ई भरके बुन्देली रचना ई कोरोना काल में लिखबो बन्द नई करों अपुन ने भौतई बढ़िया लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू
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10-हम आज बुन्देली में चुनाव के उपर चौकडिया लिखी हैं जू के चुनाव में नेता वोटर को भर माउत है पर आज के जमाने के वोटर स्याने है जू वोट उतई देत जिते उनको मन चाउत है
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11-श्री अमर सिंह राय साव् जू
नौगांव
आ•राय साव जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली महंगाई पै भौतई बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू के महंगाई को खेल खेलरई है ओ तेल भाव रपतार बड़रये है कछु नई ई महगाई से कर पारये है का तक बखान करे जू अपुन ने भौतई बढ़िया लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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12-श्री ब्रज भूषण दुबे ब्रज
बकस्वाहा
आ•दुबे जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू देवी उमा रमा ब्रह्माणी अपुन जगआधार जानो कल्याणी सबई नईया तुमाई सब पथवारे थामें हो सावित्री अनुसुइया परम पुनीता सीता मईया भौतई बढ़िया सार ग्रंथ को वंदन लिखी हैं जू का तक बखान करे जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
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आज पटल पै भौतई बढ़िया बुन्देली गीत चौकडिया कविता गजल सबई ने भोतई नौने लेखन करों है आप सबका आभार स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़
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291-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-28-10-21
🌷🌷जय बुंदेली🌷 साहित्य समूह टीकमगढ़
स्वतंत्र पद्य लेखन हिंदी में
दिनांक 28.10. 2021 दिन ---गुरुवार
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समीक्षक पं. द्वारिका प्रसाद शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ़
आज के पटल पर। कविवर पधारे आन।
बुंदेलखंड से जगत में ,राखी हिंदी की शान ।।
बुंदेली बुंदेलखंड की,हिंदी भाषी देश महान।।
भारत के काव्य मनीषी। करत सत्संगी गुड़गांन।।
नमन ऐसे मनीष जन,बहु विधान कर लेत ।।
पद्य लेखन मैं विदुषी जन। सृजन कर भाव भर देत।।
आज के पटल पर उपस्थित काव्य मनीषी जन को सादर वंदन अभिनंदन जिनके द्वारा अपनी रचनाओं में उत्तम भाव उकेरे है बे साधुवाद के पात्र है हार्दिक बधाई धन्यवाद उत्कृष्ट रचना के लिए विदुषी जन को सादर वंदन अभिनंदन ।
नंबर 1 .प्रथम पटल पर श्रीगणेश करने वाले कबिवर एवं काव्य मनीषी ने अपनी रचना के माध्यम से हिंदी की उत्कृष्टता में भाव भरे हैं जो पटल पर अपनी उपस्थिति का श्री गणेश करके हिंदी के मान को बढ़ाया है ऐसे प्रबुद्ध जन को नमन वंदन अभिनंदन करते हुए कविवर श्री अशोक पटसरिया नादान जीने अपनी रचना में राजनीति के प्रणेता किस्मत वाले बताए हैं जो जनसाधारण के कष्टों को निवारण हेतु सेवा के बदले मैं चाबी पाते हैं और जनता के मंदिर में जाकर सेवा के बदले मैं जनता की खबर लेते हैं लेकिन बे जनता रूपी मंदिर में कभी भी जाते ही नहीं है सेवा करना तो दूर रहा जिन्हें जनता ने उस मंदिर की चाबी सौंपी है उसका मान ना रखकर स्वार्थ के झूठे वादे करके हमेशा धोखा ही देते आए हैं ऐसी राजनीति की फितरत उजागर करती हुई रचना में श्री नादान जी ने अपने भाव भरे है जो उत्कृष्टता लिए हुए जनमानस की समस्याओं का सही रूप से निदान ना हो पाना राजनीति का स्वरूप सामने रखकर भर्त्सना की है जो चेतावनी स्वरूप उत्तम बा सजगता के लिए काफी है ऐसे प्रबुद्ध जन को हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद ।।
नंबर दो .श्री अनवर साहिल जीने अपनी गजल के माध्यम से अपने बक्तब्य को पटल पर रखा है कि आपसे यदि मेरी दोस्ती नहीं होती तो शहर से भी दुश्मनी नहीं होती काफिया मिलाने से जिस प्रकार से शायरी नहीं होती उसी प्रकार मेरी सोच से किसी को कोई तकलीफ नहीं होना चाहिए और राह में साथ देने वाले जुगनू भी साथ देती है दिए बुझते हैं तो चांदनी नहीं होती है यह कहना गलत है ध्यानन करना बहुत जरूरी है केवल आंख बंद करने से बंदगी हो नहीं सकती है हमें विश्वास की शाख रखना बहुत ही आवश्यक है वरना मेरी हर जगह हंसी होती ही रहेगी बहुत ही सटीक शब्दों में उत्तम विचार रखकर श्री साहिल जी ने रचना में चार चांद लगाए हैं जो धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन ।।
नंबर 3. श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने अपनी चौकड़िया के माध्यम से माध्यम से शिव की आराधना में पार्वती जी ने शिव की बात ना मानकर पछताना प़ड़ाऔर शंकर आपके ऊपर हुई परीक्षा लेने के लिए नारायण नर लीला करके सीता जी ने सती का रूप धरकर राम जी के पास गई और भवानी को श्री राम जी ने पहचान लिया ऐसे शिव की बात को भवानी के द्वारा ना मानने पर जिस प्रकार से पार्वती जी को अपमान झेलना पड़ा उसी प्रकार से इस मानस को अपने मनो विचारों से उत्कृष्ट विचारों पर मनन करके ही कार्य करना मानवता है जो मनुष्य को उत्कृष्टता प्रदान करता है बहुत ही अच्छी सीख के लिए श्री खरे जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 4 .श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जी गाडरवारा के द्वारा गजल के रूप में जिंदगी का विषय लेकर रचना प्रस्तुत की है और बंदगी में अपने जिंदगी के रंगों को निखारा है जिंदगी कितनी ही परेशानी में हो लेकिन वह मुस्कुराती हुई नजर आती है ऐसा देखकर वह आदमी बहुत ही परेशान सा लगता है उसी तरह प्यार भरी राहों से गुजरना चाहते हैं लेकिन नफरत की आग साथ में होने से आपसी तकरार भक्तों के मीठे दौर में पेट के दर्द को और बढ़ाते हुए जुबा पर आ ही जाती है जिससे होने वाले मन के विवाद बढ़ते से दिखाई देने लगते हैं उलझती सांसो के बीच कटु वचनों को कर मनुष्य को बेहद दुखदाई दिखाई पड़ता है बहुत ही उत्तम चेतावनी भरी सीख देकर रचना में उत्कृष्टता पर प्रकाश डाल कर सुझाव के लिए श्रीवास्तव जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 5.श्री राजीव राना लिधौरी जीने अपने ग़ज़ल के माध्यम से विषय यह नेता हिंदू और मुस्लिम को वोटों के लिए लड़ाते हैं दंगे फसाद कराते हैं और जीतने के बाद हम को पहचानते नहीं हैं ऊपर से सफेद खादीवाले दिखते हैं अंदर से उनके दिल काले हैं पर जो कि फर्जी मतों की दम से बनने वाले नेता केवल जुल्मों की फेहरिस्त लेकर ही भ्रष्टाचार की गलियों को नापते हैं जिनका कोई ईमान धर्म नहीं होता है कि वह कुर्सी के लिए ही नेता बनना पसंद करते हैं ऐसी वास्तविकता भरी गजल मैं राजनीति के आयाम विस्तृत रूप से विस्तृत किए हैं जिससे मानवता की झलक दिखाई देती है और भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूती पकड़ने में अपनी राय चुनती बहुत ही उत्तम सलाह सीख देकर रचना मैं उत्कृष्टता प्रदान की है श्री राना जी को सादर वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद।
नंबर 6. श्री सरस कुमार जीने अपनी रचना गजल के माध्यम से शहर और गांव के बीच मोहब्बत की तुलना की है की कहीं भी पता पूछते हैं लेकिन पता रखने की आदत नहीं है और हम जहां बैठते हैं वहां पर उन मनुष्य से हमारे आदर सम्मान की भावना नहीं है और हमारे माता पिता से ना तो प्यार है और ना उनका इंतजार है उनके रहने के लिए छत भी नहीं है उठते समय के डेरे को पहचानने में देरी की है जिसे तुझे भी उस स्थान को पाने की मशक्कत करना है भूल के लिए गुमराही जिंदगी जी कर टूटती हिम्मत दिखाई दे रही है जो असमान्य कृत्य है बहुत ही सारगर्भित गजल के माध्यम से सीख भरी चेतावनी देकर सजगता से मनुष्यता को जोड़ा है सरस कुमार जी सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई ।
नंबर 7. डॉक्टर सुशील कुमार शर्मा जी अपनी रचना विषयांतर्गत रात बहुत अंधियारी है शीर्षक से भाव भरे हैं पनघट पर्व और पुराने रिश्ते यह सब मनुष्यता से दूर जाकर खेतों में शरण ले रहे हैं और आदमी चिंता ग्रस्त होकर अंधेरे की आशाओं में होकर स्वप्न पीर भरे अकेलेपन कि वह सारी रात देखने को मजबूर है बूढ़े तन आंखों की बताई हुई आंखें पथराई हुई आंखें बेटे की राह ताकती हुई दिखाई दे रही है मन की चिंता और पीपल बरगद नीम की वह है छांव गुम होती हुई नजर आ रही है शहर में भीड़ और गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है गली में महकते हुए नशा बेगारी गुजरते जंगल सूखी नदियां धोती कुर्ता गायब खादी पहनकर नेता वोट का आदि होकर बिखर गया है और भ्रष्टाचार की दहलीज पर खरा उतर रहा है बहुत ही उत्तम शब्दों के उत्कृष्ट भाव को उकेरकर रचना की है बहुत ही उत्तम रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद हार्दिक बधाई ।
नंबर 8. मुक्तक विषयांतर्गत श्री गोकुल यादव जी ने अपनी रचना में परहित के लिए जान की बाजी लगाते हुए जटायु ने बेटी बहन और मां की इज्जत बचाने के लिए वीर योद्धा बनकर लंकेश रावण से युद्ध कर बचाने का प्रयास किया था ऐसे वीर पुरुष आज नजर नहीं आ रहे हैं और पापी कायर जिन्हें अपनी आदमियत को खो दिया है और बेटियों की आबरू को लूटता हुआ देखता है मानव के वजूद को ललकारा है और कहा है कि रे मानव सचेत हो और अपनी आंखें खोल कर मां भारती के लिए स्वयं बलदानी बनकर मां बहन बेटी की आबरू बचाने में अपना बलिदान समर्पण करे यही परहित और प्रगाणता है परहिती वनकर जीवन जीने का प्रभुत्व पाकर मां के ऋण को चुका कर मानवता का भेष रखे बहुत ही उत्कृष्ट सीख भरी चेतावनी देकर यादव जी ने रचना में भाव भरे हैं उत्तम रचना के लिए श्री यादव जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 9. मनोज कुमार जीने अपनी रचना शीशा तेरे होठों पर शबनम की बूंदे के माध्यम से भाव भरे हैं जिसमें श्रृंगार की छटा प्रबुद्ध रूप से नजर आ रही है जो शबनम की बूंदे होठों पर खुशी के वक्तव्य को विखेर रही हैं और खुशनसीब हुस्न पर टपकती बूँदें मदहोश करती नजर आ रही हैं और ऐसा लग रहा है कि मदहोश जवानी पर बूंदे टपकती हुई होठों को चला रही हों और यह अदाएं खुशनुमा बनकर शबनम की भांति मन को शाँति दे रही हैं और तन्हा में तस्वीर नमः सपने में दिखाई दे कर मन को कचोट रही हैं बहुत ही उत्तम सिंगार रचना के लिए श्री मनोज कुमार जी को सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई ।
नंबर 10 .श्री राम बिहारी सक्सेना राम ने अपनी रचना बुंदेली हास्य कविता के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त किया है और मनभावन प्यारी प्रेयसी के मुख से प्रेम मयी वाणी सुनकर जेठानी देवरानी और जेठ के लिए रोटी खावेआया तान चद्रा सो गई और बिना बियारी करें सो गई गाय के इनके पास बैठी से जी कब तक सुनाऊं लगा यह कविता सुनकर मोरो मन भर गए हमें तो मायके पहुंचा दो और दद्दा को जी करता सुना दो हमें कविता सुने से हम आप पेट भर आने ल बहुत ही मीठी और सुखद वाणी से प्यार भरी वर्तक ही करके बुंदेली शब्दों को संजोया है जिसमें मिठास भरी वाणी प्रस्फुटित हो रही है श्री राम बिहारी सक्सेना जी ने अच्छी बुंदेली लिखकर बुंदेलखंड के मान को बढ़ाया है बे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई .।
नंबर 11 .श्री भजन लाल लोधी जीने अपनी कविता गौ माता की पुकार से भाव भरे है गंदे नाले का जल पीकर अपनी प्यास बुझाती हैं कागज बरसाती खाती हैं और रहने का कोई तोड़ नहीं जीने की आस नहीं और भूखे बछड़े को घास नहीं छान छप्पर उनके पास नहीं एक रोटी के लिए घर घर बे जाती हैं तभी उन्हें कसाई पकड़कर बूचड़खाने ले जाता है इस संकट से उबारने के लिए ऋषि मुनि संत और वेदों ने उनकी महिमा गाई है लेकिन सच्चाई तो यह है कि उनका दुग्ध पान कर उन्हें निर्दयता पूर्वक घर से बाहर निकाल दिया जाता है जो सड़कों पर जा करके स्वयं कंकाल का रूप लेती हैं या फिर मानुष को भी घातक प्रहार करके उनके प्राण ले रही हैं आज के समय में गौ माता बहुत ही कष्ट में है जिनके सर से साया छूट गया है और मनुष्य उन पर प्रहार रूप बाढ़ बिना घास के दे रहा है जिससे वह मारी मारी फिर रही हैं बहुत ही करुण रस में व्याप्त रचना करने के लिए श्री भजनलाल जी को सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद जिनके द्वारा एक विषय की ओर ध्यान दिया है जो वास्तविकता के लिए उत्तम और लाभप्रद है वे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई धन्यवाद।
नंबर 12 .वहिन मीनू गुप्ता जी ने अपने कलमशीर्षक से अंतर्गत जब मन व्याकुल होता है तो कलम अपने आपको कविता करने लगती है और अतीत वर्तमान तक रिश्तो को स्त्रियों को भारतीय संस्कारों और संस्कृति मर्यादा आज तार-तार हो रही है हिंदी से सागर में हृदय से सागर में हलचल विद्ना भरी और दुखित प्रगट हो रही है लेकिन इसे भाव के रूप में बाहर निकल कर तूफानों को सच बोलना चाहती है यही मानवता की पहचान है जिसे हमें बरकरार रखना है यदि हमारे अंदर मनुष्यता रहेगी तो जीवन की कला है गहराई को मापने का अवसर मिलेगा यही जीवन का सार तत्व है बहुत ही उत्तम शब्दों में मीनू गुप्ता जी ने अपनी रचना को प्रस्तुत किया है और सारगर्भित सीख देकर जीवन जीने की कला को बताया है उत्तम रचना के लिए उन्हें हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन ।
नंबर 13. श्री डॉक्टर देव दत्त द्विवेदी सरस् जीने अपनी रचना गीतका के माध्यम से संघर्षों में फंसी यह जिंदगी आदर्शों की बाधाओं को तोड़ती हुई बदले के तेवर ने दुर्बलता ओं को ललकारा है और धीरज रखने के लिए और आशाओं के गिरे हुए बादलों को समेटकर संगठन रूपी विश्वास से प्रकाश ज्योति देकर योजनाओं को और दूर कर व्याकुलता को मिटाने का भरसक प्रयत्न किया है भरसक रतिया है यही जीवन जीने का एक सुनहरा अवसर ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता और बनाम दृष्टा बनकर उसकी सहायता को पाना है डॉक्टर साहब के द्वारा शब्दों को समाहित करके रचना मैं सीख भरी विद्वत्ता को प्रकट किया है जो उत्तम रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद।
नंबर 14. जनक कुमारी सिंह बाघेल जीने अपनी रचना सरस्वती वंदना के माध्यम से वीणापाणि से ज्ञान की और ताल लय स्वर मन के सितारों को झंकृत करके वाणी की सरगम में है मां भारती मिठास वाणी के स्वरर को झंकृत कर दे ममता की तूफान बन कर मेरे दिल में भी मनुष्य भरा ज्ञान प्रदान कर दे एक बिना पानी अज्ञान को मिटाकर प्रकृति का वरदान मुझे सारे जग को संस्कार और संस्कृति और मानवता देकर ज्ञानी पुरुष और विवेकता देकर मनुष्य के अविरल स्वभाव को सुखद जीवन जीने की कला प्रदान कर हे मां मैरे सभी के दुख दर्द दूर करने की विनय करती हूं जिसके लिए सारा जग सुखद और मिठास भरी बोली से सबके अंतर उर में उतर जाए मैं ऐसी कामना करती हूं मां सरस्वती की वंदना देश हित में जनहित में एवं साहित्य में और कष्ट निवारण की याचना की है जिसके लिए बे साधुवाद के पात्र हैं श्री मतिजनक कुमारी सिंह बाघेल को वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 15.श्री बृज भूषण दुबे जी ब्रिज जीने अपनी कविता आती सर्दी श्री शक्तिशीर्षक से भाव भरे हैं वर्षा के निकलते ही सर्दी आती है दुख के बाद सुख का होना अनुभव जीवन की गर्मी सर्दी और वर्षा भरे दिन दूर होने लगते हैं बदलते मौसम के अनुसार ही मनुष्य के जीवन में बदलाव होते रहते हैं और बदलती रितु हैं मनुष्य जीवन को चरितार्थ करती हैं इस क्रम कोसाथ लेकर मनुष्य के जीवन को सरल और सहज बनाकर जीवन जीने की कला सुद्रण होती है श्री दुबे जी के द्वारा बदलते मौसम के अनुसार ही मनुष्य को संस्कारी होकर अपने अनुसार स्थान को पाकर मन के विचारों को बदलना ही सरिता का वहाव मन तक हुआ करता है बहुत ही उत्तम रचना के लिए बे धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन।
नंबर 16. बुंदेलखंड से जगत में राखी हिंदी की शान बुंदेली बुंदेलखंड की हिंदी भाषी देश महान भारत के काव्य मनीषी करत सत्संगी गुड़गांव नमन ऐसे मनीष जैन बहु विधान कर ली लीत पद्य लेखन मैं विदुषी जन सृजन कर भाव भर दे आज की पटल पर उपस्थित काव्य मनीषी जन को सादर वंदन अभिनंदन जिन्हें जिनके द्वारा अपनी रचनाओं में उत्तम भाव उकेरी है बे साधुवाद के पात्र है हार्दिक बधाई धन्यवाद उत्कृष्ट रचना के लिए विदुषी जैन को सादर वंदन अभिनंदन।
नंबर 1 प्रथम पटल पर श्रीगणेश करने वाले कबीर दास एवं काव्य मनीषी ने अपनी रचना के माध्यम से हिंदी की उत्कृष्ट सज्जनता मैं भाव भरे हैं जो पटल पर अपनी उपस्थिति का श्री गणेश करके हिंदी के मान को बढ़ाया है ऐसे प्रबुद्ध जन को नमन वंदन अभिनंदन करते हुए कविवर श्री अशोक पटसरिया नादान जीने अपनी रचना में राजनीति के प्रणिता किस्मत वाले बताए हैं जो जनसाधारण के कष्टों को शिवा के बदले मैं चाबी पाते हैं और जनता के मंदिर में जाकर सेवा के बदले मैं जनता की खबर लेते हैं लेकिन बे जनता रूपी मंदिर में कभी भी जागते ही नहीं है शिवा करना तो दूर रहा जिन्हें जनता ने उस मंदिर की चाबी सौंपी है उसका मानना रखकर स्वार्थ के झूठे वादे करके हमेशा धोखा ही देते आए हैं ऐसी राजनीत की फितरत उजागर करती हुई रचना में श्री नादान जी ने अपने भाव भरी है जो उत्कृष्टता लिए हुए जनमानस की समस्याओं का सही रूप से निदान ना हो पाना राजनीति का स्वरूप सामने रखकर वत्सना की है वर्क भर्त्सना की है जो चेतावनी स्वरूप उत्तम बा सजगता के लिए काफी है ऐसे प्रबुद्ध जन को हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद ।
नंबर दो अनवर साहिल जीने अपनी गजल के माध्यम से अपने बाबू को पटल पर रखा है कि आपसे यदि मेरी दोस्ती नहीं होती तो शहर से भी दुश्मनी नहीं होती काफिया मिलाने से जिस प्रकार से शायरी नहीं होती उसी प्रकार मेरी सोच से किसी को कोई तकलीफ नहीं होना चाहिए और राह में साथ देने वाले जुगनू भी साथ देती है दिए बुझते हैं तो चांदनी नहीं होती है यह कहना गलत है दान करना बहुत जरूरी है केवल आंख बंद करने से बंद की हो नहीं सकती है हमें विश्वास की शार्क रखना बहुत ही आवश्यक है वरना मेरी हर जगह हंसी होती ही रहेगी बहुत ही सटीक शब्दों में उत्तम विचार रखकर श्री साहिल जी ने रचना में चार चांद लगाए हैं जी धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन।
नंबर 3 श्री प्रदीप खरे मंजूर ने अपनी चौकड़िया के माध्यम से माध्यम से शिव की आराधना में पार्वती जी ने शिव की बात ना मानकर पछताने पड़े और शंकर आम के ऊपर हुई परीक्षा लेने के लिए नारायण नर लीला करके सीता जी ने सती का रूप धरकर राम जी के पास गई और और भवानी को श्री राम जी ने पहचान लिया ऐसी ऐसे नारायण की बात को भवानी के द्वारा ना मानने पर जिस प्रकार से पार्वती जी को अपमान झूला पड़ा उसी प्रकार से इस मानस को अपने मनो विचारों से उत्कृष्ट विचारों पर मनन करके ही कार्य करना मानवता है जो मनुष्य को उत्कृष्टता प्रदान करता है बहुत ही अच्छी सीख के लिए श्री खरे जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 4 श्री नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा जी के द्वारा गजल के रूप में जिंदगी का विषय लेकर रचना प्रस्तुत की है और बंद में अपने जिंदगी के रंगों को निखारा है जिंदगी कितनी ही परेशानी में हो लेकिन वह मुस्कुराती हुई नजर आती है ऐसा देखकर वह आदमी बहुत ही परेशान सा लगता है उसी तरह प्यार भरी राहों से गुजरना चाहते हैं लेकिन नफरत की आग साथ में होने से आपसी तकरार भक्तों के मीठे दौर में पेट के दर्द को और बढ़ाते हुए जुबा पर आ ही जाती है जिससे होने वाले मन के विवाद बढ़ते से दिखाई देने लगते हैं उलझती सांसो के बीच कटु वचनों का कार मनुष्य को बेहद दुखद दुखदाई दिखाई पड़ता है बहुत ही उत्तम चेतावनी भरी सीख देकर रचना में उत्कृष्ट डाला कर लाकर सुझाव के लिए।
श्रीवास्तव जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई नंबर 6 राजीव नामदेव 'राना लिधौरा' जी ने अपने ग़ज़ल के माध्यम से विषय यह नेता हिंदू और मुस्लिम को वोटों के लिए लड़ आते हो दंगे फसाद कराते हैं और जीतने के बाद हम को पहचानते नहीं हैं ऊपर से सफेद खादीवाले देखते हैं अंदर से उनके दिल काले हैं पर जो कि फर्जी मतों की दम से बनने वाले नेता केवल जुल्मों की फेहरिस्त लेकर ही भ्रष्टाचार की गलियों को नापते हैं जिनका कोई ईमान धर्म नहीं होता है कि वह कुर्सी के लिए ही नेता बनना पसंद करते हैं ऐसी वास्तविकता भरी गजल मैं राजनीति के आयाम विस्तृत रूप से विस्तृत किए हैं जिससे मानवता की झलक दिखाई देती है और भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूती पकड़ने में अपनी राय चुनती बहुत ही उत्तम सलाद सीख देकर रचना मैं उत्कृष्टता प्रदान की है श्री राणा जी को सादर वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद।
नंबर 7 श्री शरद कुमार दो जीने अपनी रचना गजल के माध्यम स से शहर और गांव के बीच मोहब्बत की तुलना की है की हर्ज कहीं भी पता पूछते हैं लेकिन पता रखने की आदत नहीं है और हम जहां बैठते हैं वहां पर उन मनुष्य से हमारे आदर सम्मान की भावना नहीं है और हमारे माता पिता से ना तो प्यार है और ना उनका इंतजार है उनके रहने के लिए छत भी नहीं है उठते समय के डेरे को पहचानने में देरी की है जिसे तुझे भी उस स्थान को पाने की मशक्कत करना है भूल के लिए गुमराही जिंदगी जी कर टूटती हिम्मत दिखाई दे रही है जो अमान्य कृत्य है बहुत ही सारगर्भित गजल के माध्यम से सीख भरी चेतावनी देकर सजगता से मनुष्यता को जोड़ा है सरस कुमार जी सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई।
नंबर 8 डॉक्टर सुशील कुमार शर्मा जी अपनी रचना विषयांतर्गत रात बहुत अंधियारी है शीर्षक से भाव भरे हैं पनघट पर्व और पुराने रिश्ते यह सब मनुष्यता से दूर जाकर खेतों में शरण ले रहे हैं और आदमी चिंता ग्रस्त होकर अंधेरे की आशाओं में कुकर स्वप्न पीर भरे अकेलेपन कि वह सारी रात देखने को मजबूर है बूढ़े तन आंखों की बताई हुई आंखें पथराई हुई आंखें बेटे की राह ताकती हुई दिखाई दे रही है मन की चिंता और पीपल बरगद नीम की वह है छांव गुम होती हुई नजर आ रही है शहर में भीड़ और गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है गली में महकते हुए महकते हुए नशा बेगारी गुजरते जंगल सुखी नदियां बुजते छू ले और धोती कुर्ता गायब खादी पहनकर नेता वोट का आदि होकर बिखर बिखर गया है और भ्रष्टाचार की दहलीज पर खरा उतर रहा है बहुत ही उत्तम शब्दों के उत्कृष्ट भाव को गिरकर रचना की है बहुत ही उत्तम रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद हार्दिक बधाई
नंबर 9 मुक्तक विषयांतर्गत श्री गोपालल यादव जी ने अपनी रचना में परित के लिए जान की बाजी लगाते हुए जटायु ने बेटी बहन और मां की इज्जत बचाने के लिए वीर योद्धा बनकर लंकेश रावण से युद्ध कर बचाने का प्रयास किया था ऐसे वीर पुरुष आज नजर नहीं आ रहे हैं और पापी कायर जिन्हें अपनी आदमियों को खो दिया है और बेटियों की आबरू को लूटता हुआ देखता है मानव के वजूद को ललकारा है और कहा है कि रे मानव सचेत हो और अपनी आंखें खोल कर मां भारती के लिए स्वयं बल्लानी बनकर मां बहन बेटी की आबरू बचाने में अपना बलिदान समर्पदा यही परहित और प्रमाण थी वनकर जीवन जीने का प्रमुख श्री पाकर मां की लड़की चुका कर मानवता का भेज रख बहुत ही उत्कृष्ट सीख भरी चेतावनी देकर यादव जी ने रचना में भाव भरी हैं उत्तम रचना के लिए श्री यादव जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई ।
नंबर 9 मनोज कुमार जीने अपनी रचना शीशा तेरे होठों पर शबनम की बूंदे के माध्यम से भाव भरी हैं जिसमें श्रृंगार की छटा प्रबुद्ध रूप से नजर आ रही है जो शबनम की बूंदे होठों पर खुशी के वक्तव्य को वे खेल रही हैं और खुशनसीब हुस्न पर टपकती पुणे मदहोश करती नजर आ रही हैं और ऐसा लग रहा है कि मदहोश जवानी पर बूंदे टपकती हुई होठों को चला रही हूं और यह अदाएं खुशनुमा बनकर शबनम की भांति मन को पूरे दे रही हैं और तन्हा में तस्वीर नमः सपने में दिखाई दे कर मन को कचोट रही हैं बहुत ही उत्तम सिंगार रचना के लिए श्री मनोज कुमार जी को सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई।
नंबर 10 श्री राम बिहारी सक्सेना राम ने अपनी रचना बुंदेली हास्य कविता के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त किया है और मनभावन प्यारी प्रेसी के मुख से मुख से प्रेम भाई वाणी सुनकर जी जेठानी देवरानी और जेड के लिए रोटी खावे अकेला ने तीनों करके तान चंद्रा सो गई और बिना बिहारी करें सो गई गाय के इनके पास बैठी से जी कब तक सुनाऊं लगा यह कविता सुनकर मोरो मन भर गए हमें तो मायके पहुंचा दो और दद्दा को जी करता सुना दो हमें कविता सुने से हम आप पेट भर आने ल बहुत ही मीठी और सुखद वाणी से प्यार भरी वर्तक ही करके बुंदेली शब्दों को संजोया है जिसमें मिठास भरी वाणी किलोज प्रस्फुटित हो रही है श्री राम बिहारी सक्सेना जी ने अच्छी बुंदेली लिखकर बुंदेलखंड के मान को बढ़ाया है बे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई।
नंबर 11 श्री भजन लाल लोधी जीने अपनी कविता गौ माता की पुकार से भाव भरी है गंदे नाले का जल्दी कर बेतवा प्यास बुझाती हैं कागजों बरसाती खाती हैं और रहने का कोई तोड़ नहीं जीने की आस नहीं और भूखे बछड़े को घास नहीं शान छप्पर उनके पास नहीं एक रोटी के लिए घर घर बे जाती हैं तभी उन्हें कसाई पकड़कर बूचड़खाने ले जाता है इस संकट से उबारने के लिए ऋषि मुनि संत और वेदों ने उनकी महिमा गाई है लेकिन सच्चाई तो यह है कि उनका दुग्ध पान कर उन्हें निर्दयता पूर्वक घर से बाहर निकाल दिया जाता है जो सड़कों पर जा करके स्वयं कंकाल का रूप लेती हैं या फिर मानुष को भी घाट घातक प्रहार करके उनके प्राण ले रही हैं आज के समय में गौ माता बहुत ही कष्ट में है जिनके सर से साया छूट गया है और मनुष्य उन पर प्रहार रूप बाढ़ बिना घास के दे रहा है जिससे वह मारी मारी रही हैं बहुत ही करुण रस में व्याप्त रचना करने के लिए श्री भजनलाल जी को सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद जिनके द्वारा एक विषय की ओर ध्यान दिया है जो वास्तविकता के लिए उत्तम और लाभप्रद।
नंबर बारा वन टू 12 वाला 1 मीनू गुप्ता जी ने अपने अपने कलम से अंतर्गत जब मन व्याकुल होता है तो कल हम अपने आप बाबू को करने लगती है और अतीत के वरदान तक वर्तमान तक रिश्तो को स्त्रियों को भारतीय संस्कारों और संस्कृति नेपाली पुति मर्यादा आज तार-तार हो रही है हिंदी से सागर में हृदय से सागर में हलचल विद्ना भरी और दुखित प्रगट हो रही है लेकिन इसे भाव के रूप में बाहर निकल कर तूफानों को सच बोलना चाहती है यही मानवता की पहचान है जिसे हमें बरकरार रखना है यदि हमारे अंदर मनुष्यता रहेगी तो जीवन की कथा है गहराई को मापने का अवसर मिलेगा यही जीवन का सार तत्व है बहुत ही उत्तम शब्दों में मीनू गुप्ता जी ने अपनी रचना को प्रस्तुत किया है और सारगर्भित सीख देकर जीवन जीने की कला को बताया है उत्तम रचना के लिए उन्हें हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन ।
नंबर 13 श्री डॉक्टर देव दत्त द्विवेदी सड़क सरस्वत जीने अपनी रचना गीत का के माध्यम से संघर्षों में फंसी यह जिंदगी आदर्शों की बाधाओं को तोड़ती हुई बदले के तेवर ने दुर्बलता ओं को ललकारा है और धीरज रखने के लिए और आशाओं के गिरे हुए बादलों को समेटकर संगठन रूपी विश्वास विश्वास से प्रकाश ज्योति देकर योजनाओं को और दूर कर व्याकुलता को मिटाने का बर्तन भरसक प्रयत्न किया है भरसक रतिया है यही जीवन जीने का एक सुनहरा अवसर ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता और बनाम नष्टा उसकी सहायता को पाना है डॉक्टर साहब के द्वारा अकाश शब्दों को समाहित करके रचना मैं सीख भरी विद्युत को प्रकट किया है विद्वत्ता को प्रकट किया है जो उत्तम रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद ।
नंबर 14 जनक कुमारी सिंह बघेल जीने अपनी रचना सरस्वती वंदना के माध्यम से वीणापाणि से ज्ञान की औ और ताल ले श्री मन के सितारों को झंकृत करके वाणी की सरगम में है मां भारती मिठास वाणी के स्वर्ग को झंकृत कर दे ममता की तूफान बन कर मेरे दिल में भी मनुष्य भरा ज्ञान प्रदान कर दे एक बिना पानी अज्ञान को मिटाकर प्रकृति का वरदान मुझे सारे जग को संस्कार और संस्कृति और मानवता देकर ज्ञानी पुरुष और विवेक सर देकर मनुष्य के अविरल शुभा को सुखद जीवन जीने की कला प्रदान कर रहे मां मैं सभी के दुख दर्द दूर करने की विनय करती हूं जिसके लिए सारा जग सुखद और मिठास भरी बोली से सबके अंतर और में उतर जाए मैं ऐसी कामना करती हूं मां सरस्वती की वंदना देश हित में जनहित में एवं साहित्य में और कष्ट निवारण की याचना की है जिसके लिए बे साधुवाद के पात्र हैं श्री जनक कुमारी सिंह बघेल को वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई।
नंबर 15श्री बृज भूषण दुबे जी ब्रिज जीने अपनी कविता आती सर्दी श्री शक्तिशीर्षक से भाव भरी हैं वर्षा के निकलते ही सर्दी आती है दुख के बाद सुख का होना अनुभव जीवन की गर्मी सर्दी और वर्षा भरे दिन दूर होने लगते हैं बदलते मौसम के अनुसार ही मनुष्य के जीवन में बदलाव होते रहते हैं और बदलती रितु हैं मनुष्य जीवन को चरितार्थ करती हैं इस क्रम कोसाथ लेकर मनुष्य के जीवन को सरल और सहज बनाकर जीवन जीने की कला शूद्र होती है श्री दुबे जी के द्वारा बदलते मौसम के अनुसार ही मनुष्य को संस्कारी होकर अपने अनुसार स्थान को पाकर मन के विचारों को बदलना ही सरिता का 2:00 तक हुआ बहुत ही उत्तम रचना के लिए बे धन्यवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन
नंबर 16नंबर 17. श्री जय हिंद सिंह जय हिंद जीने अपनी बाल गीत विषयांतर्गत रेलगाड़ी के माध्यम से बालकों के मन को उत्साहित करने के लिए भाव भरे हैं जो माननीय आधार पर उत्तम और मन को मन की रेलगाड़ी को पटरी पर दौडाने के लिए बहुत ही उत्तम सारगर्भित प्रतीत होते हैं क्योंकि बालक वृंद की किलकारी ही जीवन की रेल गाड़ी चलाने में सुखद आराम से होती है और सादा कपड़े और मन के विचार आदमी को उसकी जीवन जीने की स्टेशन तक भेजने में सक्षम होते हैं ऐसी रेलगाड़ी जो अपनी पटरी पर चलकर पैसेंजर बनकर स्टेशन तक पहुंच जाती है ऐसी रेल गाड़ी जहां पर हमें चाय समोसे ककड़ी केले सभी सुलभता से प्राप्त होते हैं और सफ़र हावड़ा जीवन की पटरी पर दौड़ता हुआ दिखाई देता है ना किसी प्रकार की चिंता और व्याधियों से दूर यह बचपन हमें पुनः याद आता है जब हम बुढ़ापे की पटरी पर जाकर एक स्टेशन बतौर रुक कर रह जाते हैं तब हम वह बचपन ही स्वार्थ की बनकर हमारे मन को धोने के लिए तत्पर रहता है ऐसी बहुत सुंदर रचना के लिए श्री दाऊ साहब को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई साधुवाद।।
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292-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-29-10-21
समीक्षा.. गद्य लेखन
29.10.2021
समीक्षक.. प्रदीप खरे, मंजुल
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आज एक दार फिरकउ समीक्षा लेकैं हाजिर भयै जू। अकैलें अपन सब जनें सो गद्य की दारै चिमानें रयै। सो हम सोई फुर्सत में रयै। फिर सोची कै लांगा काय खौं करौ। अपन सब जनन खौं बधाई और अब हम समीक्षा करत । सबसें पैलां कऔ चाय बाद में, पटल अध्यक्ष और जाने माने व्यंग्यकार राजीव नामदेव राना लिधौरी जू ने अपने मास्साब की व्यथा और हालऊ की दशा पै रोशनी डारी। अपने के व्यंग्य ने सोचबे पै मजबूर कर दऔ।
*2*
*प्रदीप खरे मंजुल*- हमने सोई सज्जनता के बारे में बताबै कौ प्रयास करो। जितै सत्य होय, उतै और सब अपने आप आन लगत। विनम्र होय सें सम्मान सोई मिलत। नैकी करत चलौ..कैसौ लिखो तौ, जा अपन सब जनन पै छोड़त और विदा लेत। जय राम जी की...।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
समीक्षक
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293-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-करौंटा,25-10-21
#सोमवारी समीक्षा#मौनियाँ#
#दिनाँक 01.11.21#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह#
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आज की समीक्षा लिखबे सें पैंलाँ माँ शारदा के चरणों में नमन करत भय सबखों हात जोर कें राम राम
आज कौ बिषय भौत रोचक मौनियाँ रखो गव सबने अपने अपने ढंग सें दोहन सें अपनी कला दिखाई।लो अब सबकी कला की अलग अलग समीक्षा देखौ।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारि
या नादान जू लिधौरा.....
आपके 6 मौनियन में गोप ग्वाल मौनियन कौ नाच,चरवाहे मौनियाँ
भारक कौंड़ीं,घंटियों, घुघरू बारे मौनियाँ,7गाँवन की शैर,शैरौ दिवारी नृत्य,मौनियाँ कहाबौ,झेला हारमौनियम,ढोल नगाड़े,बारे मौनियन कौ बरनन करो गव भाषा भाव सुन्दर शिल्प शैली महान।आपको बंदन।
#2#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी बुड़ेरा.....
आपके 5 मौनियन में,कासदेव के झंडा बारे मौनियाँ,12 गाँवन कौ कासदेव पूजन,लट्ठ बारे मौनियाँ, दो गाँवन के मौनियन की होड़,पैलाँ उफनय पाँव अब फटफटिया सें चलबे बारे मौनियन कौ बरनन करो गव।भाव भाषा उत्तम शैली शिल्प मजेदार रय।
आपको बधाई।
#3#श्रीरामानंद पाठक जी नंद नैगुवाँ.........
गौ रूपी मौनिया,मौन राखबे 12 गाँव घूमबौ,ओरछा में मौनियन की भीर,साल भर कौ पर्व मनावौ,और दूर दूर के मौनियन की भीर कौ बरनन करौ गव ।
भाव और भाषा में लोच,शिल्प शैली शानदार रयी।आपका बंदन.
#3#श्री रामानंद पाठक जी नंद नैगुवाँ.......
आपके 5 मौनियन में गौ रूप मौनियाँ, मौन राखकें 12गाँव घूमबौ,ओरछा में मौनियन की भीर,साल भरे कौ परब मनाबौ,दूर 2के मौनियन कौ बरनन करो गव।आपकीभाषा सरल भाव मजेदार शिल्प शैली सामान्य है।
आपको नमन।
#4#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.....
मोरे 5मौनियन में मौनियाँ की परिभाषा, नंदकिशोर जैसौ नचबौ,ग्वालिन कौ मौनियन के बीच नाच,मोरपंख और मौन लैकैं अटपटी चाल,पूरे दिन उपास कर 12 गाँव घूमबे कौ बरनन करो गव।भाषा भाव आप सब जनें जानौ।
#5#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी लखौरा......
आपके 5 मौनियन में कृष्ण के रहस मेंमौनियन कौ नाच,मौनियाँ की परिभाषा, अहीर के छोकरा मौनियाँ, दारू बारे हर जात के मौनियाँ, डड़ा छोड़ लाठी बारे मोनियाँ कौ बरनन करो गव।
भाषा के सभी अवयव सामान्य हैं।आपका बंदन।
#6#श्री भजन लाल लोधी भजन फुटेर......
आपके 5 मौनियन में मोगे मोनियन कौ 5गाँव जाबौ,दिवारी पावनी पै नारियाँ बूढे बारे मौनियाँ
ढुलक नगरिया झाँझ से सजे मौनियन में राधा का नाच,बरेदी मौनियन कौ तीरथ घूमबौ,बुन्देली वीर मौनियन के डड़न कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव शिल्प शैली मजबूत है आपका बंदन।
#7#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़......
आपके 5 मौनियन में मोहन मौनियन कौ नाच,मथुरा के मौनियाँ, परमा खों गोबर्धन पूजन करबे बारे मौनियाँ, गाँव गाँव की फेरी,ग्वाला कौ गाय पूजन कौ बरनन करो गव। भाषा आदि उत्कृष्टं।आपका सादर अभिनंदन।
#8#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढं......
आपके 2 दोहे पटल पर आये,जिनमें मौन सादबे बारे मौनियाँ, नाच करबे बारे मौनियन
कौ बरनन करो गव।आप भाषायी पकड़ बाले लेखक हैं आपका सादर बंदन।
#9#श्री सरस कुमार जी दोह.....
आपके 2 मौनियन में खोरन में राधा किशन की झाँकी दिखाबौ,भुंसरा सें ढुलक नगडिया,मोर पंख लैकैं जाबै को बरनन करो गव।आपकी भाषा सामान्य सरल है।आपको आशीष।
#10#श्री अमर सिंह राय साहब जू नौगाँव.......
आपके 5 मौनियन में दिवारी के नाच,ढोल नगरियों के नाच,मौन टोरवे पै सजा,इशारन में बातें,मोर पंख लैकैंदोरन दोरन जाबौ,कमर घुघरू बाँधकेंमौनियन कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सटीक सुन्दर है,
आपका बंदन अभिनंदन।
#11#श्री शोभाराम दाँगी जी नँदनवारा.......
आपके 5मौनियन में बृज के मौनियाँ, डंडा और लट्ठ बारे मौनियाँ,12 गाँव के दान कौ पाई पाई बटवारा,कारस देव सें मौन की शुरुआत और अंत,और जोकर वारे मौनियन कौ बरनन करो गव। आपकी भाषा भाव मधुर शिल्प शैली उपयुक्त है।
आपको सादर नमस्कार।
#12#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी........
आपके 5 मौनियन में दोई हातन डड़ा और पींठ पै भारकें ,मौनियन के संगै मोन और ढुलक वारे कौ नाच देव दरवार कौ नाच,सात गाँव की शैर, ढुलक नगरिया मजीरा,रमतूला बारन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव जागृत हैं।आपका बंदन अभिनंंदन।
#13#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपके 3मौनियन में मौन रखवे बारे मौनियाँ, मोरपंख और डंडा लेकर चलने बारे,परमा खों कोंड़ी,
मुकुट बारे मौनियाँ, ग्वाला मौनियन के संगै,ग्वालिन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव सरस सरल और भाव पूर्ण हैं।आपके चरणों में प्रणाम।
#14#श्री बृज भूषण दुबे बृज जू बक्सवाहा .......
आपके4 मौनियन मेंकतकारियों के संंग मौनियाँ, कातक के सुहावने मौनियाँ, कतकारियन के सखा मौनियाँ, मौन धारण मौनियन कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सरल संगठित है आपका सादर नमन।
उपसंहार.....आज के बिषय की संमीक्षा में आगर कोई सज्जन छूट गया हो,तो अपनौ जान कें छमा करें।आज सबयी ने भौत नौनौ लिखो।
सबयी को सादर साधुवाद।
आपका अपना समीक्षक....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो. 6260886596
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294-श्री शोभाराम दांगी, नदनवारा,-2-11-2021
समीक्षा दिनांक 02/11/021
बिषय ="दीप "हिंदी दोहा समीक्षक -शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)
मां वीणा पांणी की अनुकंपा कृपा से मां के चरणों में शीश नवाते हुए दीप बिषय पर आप सभी के मार्ग दर्शन से समीक्षा लिखने का प्रयास कर रहा हूँ /अगर किसी भी प्रकार की कोई भूल हो जाए तो आप सभी मित्र समझकर छमा करना /आज इस बिषय पर सर्व प्रथम
आदरणीय श्री अशोक पटसारिया नादान भोपाल हाल लिधौरा जिला टीकमगढ म प्र से पटल पर उपस्थित हुए /आपने पांच दीपक जलाये और सुंदर रचना की आपका धनतेरस से दीप जलाते हैं और कहा कि दीपक स्वयंअंधेरे में रहकर दूसरों को प्रकाशमान करता है आपका कहना है कि एक ऐसा दीपक जो गरीब के घर किसी तरकीब से हो पहुँचाऐं और दो सरहद पर जवान हैं उस घर दीप धूप पकवान भेजिए /और अंत में इस शरीर को एक दीपक रूपी चोला जिसमें रोशनी जैसी सुवासें जलतीं हैं एवं दीपक अंधकार से लड़ता रहता है और कहता कि तू अंधेरा करेगा मैं मिटाऊंगा /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये गये आपकी भाषा शैली अति मधुर आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /एवं धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ /
2= दूसरे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ म प्र से पटल पर उपस्थित हुए आपने दीपक के माध्यम से कहा कि स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाशमान करता रहता है दीपक के जलने से भवन जगमगाता रहता है और रोशनी से चमकता है और ग्यान रूपी दीपक जलाये रहने को कहा, दीप बाती में तेल डालकर लछमी के पास उजयारा करने से घर में धन आता है और कहा कि श्री राम के आने पर नाचों खुशियां मनाए /एवं दीप द्वार की देरी पर रखना जिससे राम राज करेंगे /गगन से पुष्पों की वर्षा चारों ओर हुई जिससे संसार झूम उठा /बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको बेहतरीन रचना की आपको बारंबार प्रणाम व अभिनंदन /
3=नंबर पर आदरणीय श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ननहीं टेहरी टीकमगढ म प्र से आपने पटल पर पांच दीप जलाये और दुनिया को प्रकाशमान करके कहा कि जब श्री राम जी वन से अवध लौटे तो दीपों की रोशनी घर घर होने लगी और अवधवासियों को श्रीराम जी के दरसन होने हुए, मिले एवं द्वीप द्वीप दीपावली, दर दर दीपावली दीप /पद्मा देवी द्रवित हो, दें दौलत संदीप //बहुत बढिया दोहा बधाई आपको /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण मधुर आकर्षित आपको शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम /
04= वे नंबर पर आदरणीय श्री देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ामलहरा से तीन दोहा लेकर पटल पर उपस्थित हुए आपने गर्मी, सर्दी एवं बरसात भी थकती नहीं किंतु दीप प्रेम रूपी दिया दीपावली की रात को जलाए एवं घर आँगन तो पुत गये जिससे पूरा घर देहरी द्वार तक चमकने लगे एवं इस दीप प्रकाश से अंधकार की हार का भाव बताया जो बहुत ही सराहनीय है और महालछमी जी से विनय है कि दीपमालिका के पर्व पर ह्रदय का भार हर लेता इस प्रकार बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये आदरणीय श्री द्विवेदी जी आपकी भाषा शैली माधुर्य पूर्ण सारगर्भित रही /ऐसी सुंदर लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन एवं दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं /
5= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा टीकमगढ से चार दीप जलाते हुए उजेला कर रहे कि मन के अंदर ग्यान रूपी ज्योति रखो एवं सत्यता से ही शुद्धि करण होता है और अपने अंदर के तम रूपी बुराइयों को फैको एवं ग्यान रूपी ज्योति ही खुशहाल रख सकेगी /दीप दीपावली सगुन लछमी का रूप है और अधर्म अत्याचार के साथ लछमी जी नही रहतीं /बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको बेहतरीन आकर्षक भाव सहज सुंदर रसदार रहे आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय, आपको बधाई एवं ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ व प्रणाम अभिनंदन/
6=.वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी पलेरा जिला टीकमगढ म प्र से आपने पांच दोहा रूपी दीपक जलाये और कहा कि दीप जले या दिल दीप की रोशनी से जो भी भावनाऐं होती हैं वह समुद्र से मोती मिल जाने से सागर जैसा बर्ताव यानी मूँगा मोती सीप, और आगे आपने कहा कि दीप तम को हर लेता है और पूरा घर दीपों से सजाकर आलोकिक लगता है /रवि की छवि होती प्रखर, दीप शांति का भाव /और दोनों का अपना अलग अलग सुभाव होता है एवं शुभ काज के दिन मंगलमय होते हैं चाहे कुटिया झोपड़ी ही क्यों न हो बहुत सुंदर भाव /मधुर भाषा से सुसज्जित दोहा, आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण प्रवाह युक्त आपकी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
7=वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ म प्र से आपने दो ही दीप जलाये और बहुत ही शानदार दोहा व्यक्त कर ग्यान बढाने की उपमा दी एवं एक दीपक से रोशनी दूसरे के परोपकार में जगमगाती है एवं तुलसादेवी के पास दीपक रखने की बात कही कि संध्या समय में रखना चाहिए /जिससे घर में लछमी का वास रहता है /आपकी भाषा शैली माधुर्य पूर्ण सारगर्भित है आपकी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
8= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ म प्र से आपने पांच दीपक रूपी दोहा प्रेषित किये और कहा कि दीपों को जलाकर उजेला कर रहे और नेह का प्रेम रूपी प्रकाश फैलाकर दीपावली मनांय, दीपावली दीप से अंधकार का नाश कर रोशनी जगमगाकरनें की उल्लास और नेह रूपी दिया जलाकर उजयारा करें एवं दीप मालिका से अमावस तक सजावट रहती है जो इस बीच मां लछमी धन की बरसात करती आती है और प्रसन्नता में कतकारियां जलाशय के पास मन में हुलास भरे हुए जाती हैं /बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको /आपकी भाषा शैली अति माधुर्य प्रिय आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
एवं धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ /
09= वे नंबर पर आदरणीय श्री सरस कुमार जी दोह खरगापुर से दीप बिषय पर पाँच दीपों द्वारा घर आँगन सजाकर एक गरीब के द्वार दीप रखने को सुंदर संदेश दिया /
और दीपक से दीपक जले तो इस संसार का अंधकार हो जायेगा /एवं आपसी प्रेम बढेगा /दीप से पूरी रात जगमग होती रहती है और सरस के मन सुंदर प्रभात होता है /दोष कपट लालच नहीं, ना कोई अंहकार /सब दीपक में जल गये, बचा प्रेम व्यवहार /आगे आप संदेशात्मक दोहा लिख रहे कि दीप रूपी जोत जलाओं खुद ही दीपक बनों और इस अंधकार को दूर करों /बहुत ही बढिया सारगर्भित दोहा बधाई आपको /आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय मधुर है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ धनतेरस एवं दीपावली की /
10=वे नंबर पर आदरणीय श्री प्रदीप गर्ग पराग जी पाँच दीपों द्वारा सुंदर मन रूपी प्रकाश फैला रहे और इसारा कर रहे कि दशकंधर का खातमा कर अवधपुर में खुशी के दीप जले एवं श्रीराम की जय जय कार हुई /जैसे सागर में गहरे पानी में सीप छिपे वैसे ही इस धरती पर छोटे छोटे दीप उजयारा कर रहे /और संदेशा दे रहे कि दल दल के पास से बचे ,मन में उत्तम विचार हों /
और अमावस की घनघोर घटा को दीपक द्वारा भोर तक जलाकर मिटाइये /इस प्रकार समाज को उत्तम संदेशा दिया बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये गये /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी रसदार आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
11= वे नंबर पर मैं शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ म प्र से अपने पाँच दोहों के माध्यम से ग्यान रूपी ज्योति जलाकर प्रकाश करना एवं जब भगवान श्री राम वन से लौटे तो दीपक जलाये गये /धनतेरस से दीप जलाने की शुरुआत हो जाती है /इस प्रकार दीप बिषय पर दोहा प्रेषित हैं /
12= वे नंबर पर आदरणीय श्री अभिनंदन गोयल जी इन्दौर से पटल पर दो दोहा लेकर उपस्थित हुए और दोनों दोहों के माध्यम से बहुत ही शानदार जानदार संदेश दे रहे कि प्रेम रूपी दीपक में विश्वास की वाती हो तभी जीवन उज्जवल होगा और लछमी जी पास रहेगी /श्रद्धा प्रेम रूपी दीपक जलाइये ममता रूपी वाती बनें तो सच्चा मेल होगा /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये /आपकी भाषा शैली अति सहज ज्ञान मयी माधुर्य है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
13=वे नंबर पर आदरणीय ब्रज भूषण दुबे ब्रज बकसुवाहा छतरपुर से आपने पांच दोहा पटल पर जलाये और रोशनी फैलाई /दीप दीप के राजा महाराजा आये एवं जनकपुरी में धनुष तक नहीं उठा पाये सात दीप नौ खण्ड में दयी पिदछिणा धाय, दीप पिरजलित कर नमन करो, सुख वैभव आरोग्य /श्री राम का आगमन सुनकर अवध के नर नारी दीप दलाकर यह उत्सव मना रहे /दीपावली सच्ची श्रद्धा भाव से मनांय तो लछमी सदां रहती है /बहुत बढिया भाव आपकी भाषा शैली बहुत ही ओजस्वी आकर्षक मधुर है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ढेर सारी हार्दिक घनतेरस की शुभकामनाऐं /
14= वे नंबर पर आदरणीय श्री डा आर वी पटैल आपने दो दीप जलाये /आपका कहना कि दीप बहुत अनौखा प्रेम है एवं बाती व्यवहार तभी सुखमय जीवन हो और खुशिया रहती है /दूसरे दोहा के माध्यम से कहना कि दीप सांच का जले एवं कार्य तेल हो और निष्कपट बाती बनें यही जीवन का खेल है /बहुत सुंदर जानदार दोहा बधाई आपको बेहतरीन रचना की आपको बारंबार प्रणाम बधाई।
आपको धनतेरस एवं दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
इस प्रकार आज पटल पर कुल चौदह हिंदी साहितयकारों नें दीप बिषय पर दोहा प्रेषित किये जो बहुत ही सारगर्भित रचना की आप सभी की रचनाओं ने मन विभोर कर दिया /माधुर्य भाषा में गुणवत्ता सहित दोहा रचे जो स्नेह प्रेम रूपी दीपक एवं सदविचारों के तेल की जोत जले जिससे संसार में दीपावली जैसी जगमगाहट होती रहे /आपसी प्रेम मेल जोल रहे /दूसरों को प्रकाशित करें, तिमिर का नाश हो और चारों ओर प्रकाश की ज्योत जलती रहे /इस प्रकार आज की लेखनी में यदि कोई हमसे भूल हुई हो या समीक्षा से बंचित रह गए हो तो छमा करना /मां के चरणों में नमन करते हुए अपनी लेखनी को विराम देता हूँ ।
समीक्षक = शोभारामदाँगी,नंदनवारा
जिला टीकमगढ म प्र
9770113360,7610264326
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295-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-05-11-21
*पटल समीक्षा दिनांक-05-11-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सभी विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, लेख, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन के विचार और चिंतन स्वागतयोग्य है। अपन सबयी जनन खौं दिवाइ और परमा की बधाई देत भये एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों, भाई, बहिनों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै
*1अमर सिंह राय जी* गौ के महत्व खौ बड़े नौने ढंग सें बताऔ। गाय कौ पालन पोषण मतायी की नांई करबे की शिक्षा सोई मिलत अपन की ई किसा सें। गोवर्धन और गाय की पूजा करने और भगवान कृष्ण की लीला रोचक ढंग से बताऔ । संदेशप्रद किसा के लाने बधाइयां।
*2* *श्री गोकुल प्रसाद यादव जी*। नन्ही टेहरी ने बड़ी शिक्षाप्रद कहानी लिखी। डूडा बैल की समझदारी ने सोई प्रभावित करो। बूड़े जानवरों को नौनी तरा सें रखबे की सलाह दयी। अपन खौं बधाई
*3* *श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी* ने बिजनेस शीर्षक सें बड़ौ रोचक प्रसंग लिखो। अपने संस्कार और सभ्यता की रक्षा कौ संदेश सोई बातन बातन में दै रये। पैसा आयै तौ नशा जिन करौ।भीख और बिजनेस। वाह...बधाइयां
*4* *प्रदीप खरे, मंजुल* अपनने गागर में सागर भरकें संतोष खों जीवन कौ परम सुख और धन बताऔ है। लक्ष्मी जी संतोषी जीव के इतै रैवौ जादां पसंद करत हैं। माया और मोह में फसकें अपनौ जीवन नहीं बिगारबे की सलाह सोई दयी अपनने। नौनौ लिखबे कौ प्रयास करो। बधाई
आज पटल पर *केवल 5* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक,धार्मिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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296-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-उरैन-8-11-21
#सोमवारी समीक्षा#08.11.21
#बिषय ...उरैन#बुन्देली#
#समीक्षक..जयहिन्द सिंह पलेरा#
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आज की समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ सरस्वती जी के चरण कमलों में शाष्टाँग।आप सबयी विद्वान जनों को सादर नमन।आज सबने अपने अपने मानस खोल कें उरैं बिषय खों अपने बिचारन सें चमकाव जी के लाने सबयी जनै बधाई के पात्र हैं। सबने एक पै एक नव ज्ञान उरैन डार डार उजागर करकें ज्ञान की बौछार पटल पै करी।तौ लो सबकी उरैन अलग अलग देखवे चलो कीनै कैसी उरैन डारी सो देखलो।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा...
आपकी 6 उरैनन मेंउरैन खों गोबर कौ अभाव,गोबर सें पंचगव्य और उरैन की पावती,भोर की ढिक लगी उरैन,उरैन के गोबर सें कघटाणुओं का बिनाश,उरैन में शुभ दीपक कौ जलबौ,और उरैन सें लक्ष्मी आगमन कौ बरनन करो गव।
आपकी दोहा रचना निश्छल और लालित्य प्रधान है।
आपखों सदर नमन बंदन।
#2#श्री रामेश्वर राय परदेशी जू टीकमगढ.......
आपकी 3 उरैनन मेंचंदन चौका की उरैन,बहू लक्ष्मी,सासन कौ शासन,बेटी खों उरैन घाँई मानबौ,दोरे की उरैन और नगरथानन कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सरल और संयत रयी।आपखों बधाई।
#3#श्री प्रदीप कुमार खरे जू मंजुल टीकमगढ़......
आपकी 5 उरैनन में उरैन सें स्वामी सत्कार,उरैन में कलश धरवे सें संसार कौ सुखी रैबौ,उरैन में जनक जी द्वारा अबधेश कौ स्वागत,फूलन की उरैन में राम जी कौ स्वागत, अवध में राम जी के स्वागत में उरैन और कलश की भूमिका कौ बरनन करो गव।
भाषा भाव सराहनीय रय।आपकौ बेर 2 बंदन।
#4#श्री राणा भूपेन्द्र सिंह जू सेंवड़ा दतिया......
आपकी 5 उरैनन में उरैनन सें ईसुर कौ आगमन,चूना पुती गोबर की उरैन सें चैंन मिलबौ,तीज त्योहार में,मंगल कार्यन में उरैन,
पावनन खों उरैन,उरैन में पाँव पराना आदि कौ बरनन करो गव।
भाषा भाव नौनौ लगो।
आपखों सादर अभिनंदन।
#5#श्री राजीव कुमार नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.......
आपकी 3उरैनन में आँगन की तुलसी द्वारे की उरैन ,घर कौ सुख चैन,घर की शोभा उरैन,कौ बरन करो गव जीमें दूसरे दोहा में लय सुधार की जरूरत है।
आपकी भाषा सामान्य है।
आपका सादर अभिनंंदन।
#6#श्री अमर सिंह राय नौंगाँव...
आपकी 5 उरैनन में उरैन सें सुख समृद्धि, अमन चैंन पावौ,आजकल की बहुओं की उरैन की उपेक्षा,उरैन में आमृता कौ बास,शहर में उरैन कौ अभाव,घर में गौचर और पशुवन की कमी से उरैन कौ अभाव बरनन करो गव।आपकी भाषा शैली सरल ,मनभावन ,रही।आपका हार्दिक आभिनंदन।
#7#श्रीअरविन्द कुमार श्रीवास्तव भोपाल.......
आपकी 3 उरैनन मेंसुख समृद्धि बुलाबे उरैन जरूरी बतायी गयी।उरैन पुरखन की दैन,शुभ फलदाता,उरैन से धन बल विद्या नियति,और रिन सें रहित होवौ बताव गव।आपकी भाषा धारा प्रवाही सरल है,आपका हार्दिक आभिनंदन।
#8#डा.देवदत्त द्विवेदी जी बडा़ मलहरा.......
आपकी 2 उरैनन में ग्योरी और गोबर की उरैन सें नैनन कौ चैन,और उरैन देरी द्वार की चमक बताई गयी। आप बुन्देली के साक्षात अवतार माने जात आपकी भाषा शैली शिल्प और भाव दर्शनीय रात।आपके चरण बंदन।
#9#श्री रामानंद पाठक नंद जू नैगुवाँ.......
आपकी 5 उरैनन में उरैन कौ शुभ घरी मैं डारबौ ,गृह लक्ष्मी की उरैन,उरैन सें लक्ष्मी जी की गह प्रवेश बैचैनी,मौनियन खों उरैन,और उरैन की पैली उरैंयाँ कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा क्षेत्रीय बुन्देली जो सरल सरस रात।आपका पद बंदन।
#10#श्रीबृज भूषण दुबे जू बृज बक्सवाहा.......
आपकी 5 उरैनन में,लक्ष्मी औरतन कौ भोर सें उरैन डारबौ,उरैन सें सुखचैन मिलवौ,नरसिंह देव के सम्मान में उरैन,अतिथि भगवान के सम्मान में उरैन,और उरैन पुरानी रीति बतायी गयी।आपकी भाषा समझ में आने बाली मार्मिक बुन्देली है।
इपके सादर पद बंदन।
#11#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जू टीकमगंढ.......
आपकी 5उरैनन में उरैन डारत में नारी की मुख छवि के दरशन,उरैन डार कें छठ और सूरज की पूजा,देवतन खों डारी उरैन सें पावनन कौ आगमन,उरैन खों अपनी संस्कृति बतायी गयी,और उरैन डारत में गोरे2 हातन की झाँकी कौ बरनन करो गव।आपकी सरल सरस भाषा भाव बेजोड़ शैली शिल्प दर्शनीय हैं।
आपखों बेर 2 नमन अभिनंदन।
#12#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल......
आपकी 4 उरैनन में उरैन खों दोरे की सुन्दरता,उरैन की पोतनी की ढिक खों उरैन कौ हार बताव गव।आपनें उरैन की परिभाषा बतायी,उरैन सें नारी कौ नौनौ होबौ बताव गव ।आपकी भाषा शैली शिल्प सुन्दरता मजेदार बुन्देली के दरशन करा देत बहिन जी के पद बंदन।
#13#श्रीभजन लाल लोधी भजन जू फुटेर.....
आपकी 4 उरैनन में,उरैन खों घर की शोभा बताव गव।लक्ष्मी बहू की उरैन,लापरवाह बहू के कारन सास पै उरैन डारबे कौ दायित्व,नयी दुल्हन कौ उरैन डारबौ,आपके पैले दोहा में लय टूट रयी सो दादा सें अनुरोध सुधारबे कौ कर रय।बाँकी आपकी भाषा कौ बजन पूरे बुन्देलखंड सें छिपौ नैयाँ।आप बुन्देली के महान साधक हैं।आपको सादर नमन।
#14#डा. आर.बी.पटैल जू छतरपुर......
आपकी 4 उरैनन में,उरैन की परिभाषा, उमा लक्ष्मी कौ आगमन,उरैन डारबे वारी औरतन खों महान मानौ गव।उरैन सें उत्तम खानदान, और धनवान हौबौ बताव गव।उरैन खों शान्ति कौ प्रतीक मानौ गव।आपकी भाषा गौरवमयी शिल्प सहित उत्तम भावों से भरपूर शानदार शैली लँय गरिमा के अनुसार है।
आपका सादर बन्दन।
#15#श्री शोभाराम दाँगी जी नँदनवारा.......
आपकी 5उरैनन में,उरैन दोरे की सुन्दरता,मंगल गुरु शनि खों उरैन कौ लीपबौ बर्जित बताव गव।गाय और गोबर में लक्ष्मी कौ बास बताव गव।उरैन ना डारबे बारी नारियन खों संस्कार बिहीन बताव गव।उरैन दोरे की शोभा बतायी गयी ।आपका भाषा कौशल भावपूर्ण,शिल्प सुन्दर शैली मजेदार मार्जित बुन्देली है।आपका सादर अभिनंदन।
#16#श्री कल्याण दास साहू पोषक जू पृथ्वीपुर......
आपकी 5 उरैनन में गोरीधना की उरैन,शुभ तिथियन की उरैन,उरैन सें सुख चैन मिलबौ,उरैन की महिमा, उरैन दोरे की जचन,आदि कौ बरनन करो गव ।आपकी भाषा में शुद्ध बुन्देली के भाव दर
शन होत। आपकी शिल्प शैली प्रखर भाषा आम बोलचाल की है।आपका सादर अभिनंंदन।
#17# जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैनैं उरैन की पुरैन जैसी महक,नवेली बहू की उरैन,उरैन सें भाग्य परिवर्तन,उरैन भाग्यवती कौ भाग्य,और भगवान कौ उरैन सें आबौ,उरैन सें धरम करम फूलबौ फलबौ,आदि कौ बरनन करो गव। भाषा भाव शिल्प शैली आप सबयी जनें जानौ।सबयी जनन खों मोरी राम राम।
#18#श्री गुलाब सिंह यादव जू भाऊ लखौरा......
आपकी 3 उरैनन में आपने दारू बारन की उरैन को बरनन करो।
श्री कृष्ण के जनम वारी ऊ रैन कौ बरनन करो।दूसरन सें नैन मिलाबे बारी की उरैन को बरनन करो गव। आपने हटकें ऊ रैंन कौ बरनन करबै की कोशिश करी।
आपकी भाषा भाव शिल्प शैलघ सरलता लँय रखत।आपका सादर अभिनंंदन।
#19#श्री जय गुरुदेव..... आपने एकयी उरैन डारी जीमें उरैन सें नैन शघतल होबे कौ बरनन करो गव।भाषा सरल सटीक आपका सादर अभिनंदन।
#20#श्री द्वारिका प्रसाद गुप्तेश्वर जबलपुर.......
आपकी 2 उरेनन में झार बटोरी करकें उरैन डारबे कौ बरनन करो गव।अमावस पूनै की उरैन डारबे कौ बरनन करो गव।आपने दूसरे दोहा में लय टोर दयी।संशोधन करबे कौ अनुरोध सहित शेष प्रयास सराहनीय है।आपका सादर अभिनंदन।
#21#श्री सीताराम तिवारी जू दद्दा टीकमगढ़......
आपकी 2 उरैनन में पावनन खों उरैन डारबौ और भूत भगाबे बारी उरैनन कौ बरनन भव। आपकी शैली सरल और भाव युक्त है।आपकौ सादर बंदन।
#22#डा. एम.एस. श्रीवास्तव जी पृथ्वीपुर......
आपकी उरैनन में काकी की उरैन,बिना डरी सूनी उरैन,गैलारन द्वारा ढिक लगी उरैन कौ अवलोकन,उरैन पुरखन की रीति बतायी गयी।बहिन कौ बायनौं दैबै जात समय उरैन देखबौ,बरनन करो गव ।आपकी शैली सरल और सुबोध,आपका सादर बंदन।
#23#श्री गोकुल प्रसाद जी यादव नन्नी टेरी बुड़ेरा......
आपकी 5 उरैनन में,हिन्दू और जैन समाज कौ गाय और उरैन डारबे की मान्यता कौ बरनन करो गव।भानैजन के बिवाह में मामा कौ पत्तल उठाबौ और माईं कौ उरैन डारबे कौ बरनन करो गव।नयी बहू की उरैन,कमेली बहू की उरैन,सुगर दुलैया की उरैन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा शैली भाव और शिल्प दर्शनीय हैं।
आपकौ सादर बंदन।
#24#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबई दिल्ली.......
आपकी 3 उरैनन में उरैन खों बुन्देलखण्ड की पुरानी रीति बतायी गयी।उरैन डारकें दोजें धरबे कौ,दादी अम्मा और बैन की उरैन कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा कमाल धमाल दार और मिठास भरी भाषा शैली है।भाव उपयुक्त आपका सादर अभिनंंदन।
उफसंहार...आज सबयी नें अपने मानस कौ संपूर्ण उपयोग करकें,उरैन के भाव खों कुरेद 2 कें बरनन करो।अगर धोखे सें कोऊ बिद्वान जन छूट गय होंय तौ बे हमें छमा करें।आप सबयी जनें खूब सीख और सिखा रय। आप सबखों राम राम करकें कलम खों आराम देत।राम राम..........
आपकौ अपनौ समीक्षक....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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297-श्री शोभाराम दांगी'इंदु',हिंदी दोहा-पुष्प-9-11-21
समीक्षा =दिनांक 9/11/021
समीक्षक=शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)
9770113360,7610264326
बिषय "पुष्प "हिंदी दोहा
मां वीणा पांणी के चरणों में शीश नवाकर व आशीर्वाद पाकर एवं आप सभी साहित्यकारों को नमन करते हुए आज की समीक्षा लिखने का प्रयास कर रहा हूँ /यदि इस कार्य में कोई तुटी हो जाए तो आप सभी मित्र समझकर छमा करना /आज इस पटल पर सबसे पहले आये
1=नंबरपर
आदरणीय श्री अशोक पटसारिया जी नादान भोपाल हाल लिधौरा जिला टीकमगढ म प्र से आपने पांच दोहा पटल पर प्रेषित किये और कहा कि जिसमें ईश्वर के मध्य एवं मृग की नाभि में कस्तूरी की सुगंध रहती फिर भी वह वन वन उदास रहता है एवं पुष्पों की माला द्वारे पर बंदनवार एवं अवध के श्री राम जी के गले का हार तथा घर में खुशियां आने पर देवों के सिर चढानें, काटों के मध्य रहकर भी पराग, मधु मकरंध एवं गौरी पूजन बैदेही सुकुमारी का पुष्प वाटिका में मिलन आदि का वर्णन किया जो अति उत्तम काव्य लेखन रहा /आप की भाषा शैली अति मधुर लालित्य पूर्ण आकर्षित रही /आपको शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम /
02= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी पलेरा टीकमगढ से,
आपने पांच पुष्प वाटिका सुमन सजाई और कहा कि जन्म से लेकर मरण तक पुष्पों का साथ रहता है /जो देवों के सिर चढकर इठलाता भी है एवं पुष्पों के द्वारा मान सम्मान और पुण्य पुष्प सम हैं एवं देव को चढकर मालाऐं ह्रदय को चूमती हैं तथा नारियों के सिंगार से बालों में, तथा पुष्पों से नेता और नारी तक का बखान किया है, क्यों कि अंत समय तक शव पर चढाये जाते हैं और पुष्प जीवन के हर कदम पर अपना महत्व रखते हैं /बहुत ही सुंदर दोहा बधाई आपको बेहतरीन, आप की भाषा बहुत ही माधुर्य प्रिय ओजस्वी रसदार आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
3= नंबर पर आदरणीय श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
ननहीं टेहरी टीकमगढ म प्र से आपने भी पटल पर पांच पुष्प वाटिका सजाई और कहा कि आपने प्रत्येक मेंड पर पुष्प बोए जो मोबाइल पर भी महक रहे हैं कंटको के मध्य पल पुसकर संसार को सुशोभित कर जग को चगन मगन कर रहे और राग द्वेष त्याग कर विराग करते हैं /आप पुष्पों की खेती की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि इससे धनवान बन जाते हैं, और पुष्प गले का हार बनकर मुस्कराता दिलदार बनता है बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये /आपकी भाषा शैली अति ओजस्वी आकर्षक मधुर है ऐसी सुंदर लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
4= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ से ,आप पटल पर पांच पुष्पों की माला बना कर पहना रहे कि जिसमें रंग विरंगे पुष्प देखने को मिले हैं /पुष्प वाटिका में राम सिया से नैन मिलना, लंकेश्वर के मारे जाने पर देव आकाश से पुष्प बरसा रहे, कंस ने कान्हा से पुष्प मंगाये तो कान्हा के ले जाने पर ग्वाला चिंतित हुए /श्री राम जब निसाद से मिले तो पुष्पों जैसा मन प्रसन्न हुआ खिल उठा /अंत में आप ने पुष्प की और महत्वता पर जोर दिया कि लछमन राम सीता सहित जब अवध आये तो सब पुष्प हाथ में लेकर जय जय कार करने लगे /बहुत ही शानदार पुष्पों का चित्रण किया /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी रसदार आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
5= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रदीप गर्ग पराग आप पटल पर पुष्पों को विखेर रहे /बहुत ही शानदार दोहा दिये आपका मत जाना कि वाग बगीचों में बहु रंगी पुष्पों का खिलना, उनकी खुशबू से उद्यान का महकना, डाली डाली में खिले पुष्प देखकर जी नहीं भरता है और पुष्पों की माला से गले का हार जिसके गले में जाय तो मन से प्यार झलकता है और ये पुष्प हवन बेदिका एवं सेज की सजावट तथा वस्त्रों को इनके रंग से रंगना उत्तम बताया /बहुत ही सुंदर शानदार दोहा रहे आपकी भाषा शैली अति मधुर आकर्षित रही ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
6= नंबर पर आदरणीय श्री सीताराम तिवारी जी दद्दा टीकमगढ से आप पुष्प की एक ही क्यारी सजाते हैं और कहते हैं कि पुष्प प्रिये को प्रिय लगे, खूब करें सिंगार /जूड़ा महके केश में, छमक चलै गुलनार //आदरणीय दद्दा जी का बहुत बढिया रसदार आकर्षित दोहा है आप को बारंबार प्रणाम व अभिनंदन /
7= नंबर पर आदरणीय श्री डा मैथलीशरण श्रीवास्तव पिरथीपुर जिला निवाडी से पटल पर दो दोहा लेकर उपस्थित हुए आप का भाव बहुत ही शानदार /आपका कहना माली की पहचान पुष्प से आंकी गई तथा पुष्प सुंदर बेदाग सुकोमलता का भाव प्रकट करते हुए हैं बहुत सुंदर आपको शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम /थोड़ा मात्रा में जरूर अंतर आ रहा है विचार भाव बहुत बढिया /
8= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री भजन लाल लोदी फुटेर टीकमगढ से आपने पुष्पों की पांच वाटिकाऐं लगाई जिसमें कहा कि मोरों का नित्य करना, दूसरे एवं तीसरे दोहे में पुष्पों के नामों को बहुत ही बेहतरीन ढंग से सहेजा कुमुद केतकी कामिनी कमल कुन्द कचनार /गुलाबाँस गुलमेंहदी, गुलदाऊ गुलनार //इसी तरह बेला चंपा गुलफानूस अनार /जूही चमेली मोगरा, गेंदा गजब बहार //आगे आपका कहना कि लंका विजय पर देवगणों द्वारा पुष्पों को बरसाना, तथा इस बुंदेली धरापर विविध प्रकार के पुष्प जो पूजा इसमिति की श्रेष्ठता कही क्योंकि इनके बिना सब सूना सूना लगता है बहुत ही गजब के दोहा अति श्रेष्ठ बधाई आपको /आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित रही ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
09= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा जिला छतरपुर से आपने पटल पर चार दोहा प्रेषित किये जो मां शारदा को भाव रूपी पुष्प समर्पित कर मां से स्वीकार करने को कहा और पेड़ लगाने की प्रेरणा दी कि इनमें पुष्प फल आदि से पेट पलते हैं /इसलिए पेड़ लगाकर इस धरती का सिंगार करें, पुष्प हर डाली पर महकने के भाव गुलजार करते हैं हर डाल पर फूल होने से फुलवारी महकने लगती है तथा रंग विरंगे पुष्प भिन्न भिन्न की सुगंध से भारत की पहचान व आत्मीय भाव संबंध रहते हैं /आपकी भाषा शैली अति माधुर्य आकर्षित रही ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
10=
नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री अमर सिंह राय जी नौगांव छतरपुर से पांचों पुष्प वाटिका को सजाते हैं जिनमें सुंदर सुमन उगायेऔर भीलनी की आस राम जी की आस लगाये रहती कि राम अवश्य आयेगे और पुष्प रूपी सुगंध के गुण फैलाकर प्रतिकूल एवं धनुष के टूटने पर नभ से पुष्पों की वर्षा होना कई रंगों के फूल देवों के सिर एवंमनोहारी कमला को कमल का एवं शिव को आक का पसंद है तथा हार जीत मैं मान सम्मान पर पुष्पों का हार ही आदि वर्णन किया गया है /बहुत ही सुंदर दोहा आपकी भाषा शैली अति मधुर लालित्य पूर्ण ओजस्वी भाव युक्त सहज आकर्षित है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
11= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री सुशील शर्मा जी पांचों पुष्प रूपी क्यारी सजाते हुए पटल पर उपस्थित हुए आपने कहा कि पुष्प प्रेम का भाव समझाते हुए कहा कि भ्रमर धरा पर झूम कर पुष्प के पास बैठना
एवं कचनार की कली खिलरही, और पलास फूल रहा, धरती पीले वस्त धारणकर ,आम बौराये ,पिया की मधुर मुस्कान, देवों के चरणों में, पिया मिलन की आस, अंतिम यात्रा पुष्पों के वेष में ,जो कांटों के बीच रहकर भी कहता कि शहीदों के पथ पर जाकर इठलाऊ /बहुत ही शानदार रचना बधाई आपको /आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित ओजस्वी है आप को बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम /
12= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री अरविंद श्रीवास्तव जी भोपाल से तीन पुष्पों को सजाकर शानदार प्रस्तुती दी /आपका मानना है की पुष्प शोभा का प्रतिमान, माधुर्य फैलाव, कोमलता, पावनता, एवं नाजुकता का पर्याय है मनभावन प्रतिमान चित्त सदा खुश रहना चाहिए एवं पुष्प खुशबू का पर्याय है /आपने तीन पुष्पों द्वारा बहुत ही शानदार जानदार बात कही /
आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी भाव युक्त सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
13= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री रामेश्वर राय परदेशी जी दो पुष्प लेकर हाजिर हुए /आपका कहना है कि पुष्प ह्रदय तन मन प्रगगया धन आदि /
मां तेरे बिना सब सूना है /और कहा कि कैसे वखान करू क्यों कि अलंकार व्याकरण बिना, टेसू सुमन विना, सब सूने सूने हैं /बहुत ही शानदार गजब के दोहा /
आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन //
14= नंबर पर मैं शोभाराम दाँगी जिला टीकमगढ म प्र से पटल पर पांच दोहा लेकर उपस्थित हूँ मैनें शिव पार्वती के विवाह पर देवगणों द्वारा पुष्पों की वर्षा की
एवं राम जानकी का मिलन पहली बार बगीचे में और कुछ पुष्पों के नाम का वखान व पुष्पों को राष्टीय तथा दीपावली पूजन में कमल पुष्प लछमी जू को बहुत पसंद है यह सब बताया गया जो आप सभी के सम्मुख प्रेषित है /
15= पर आदरणीय साहित्यकार श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ म प्र से पांच पुष्प वाटिकाऐं लगा कर सुंदर सुंदर पुष्पों का सृजन कर द्रोपदी की गोदी में एक पुष्प गिरकर दो होना भीम का उदाहरण देकर और भीम जी जोड़ मिलाने जंगल बीच गये /पुष्प की लालसा रूप शस्त्र, बीच रास्ते में बूढा बंदर मस्त और हरिशचंद के लाल पुष्प लेने चले पर बीच राह में डाल दिये और तारा रानी पुष्प रूपी लाल ले चली पर हरिशचंद वचन के सत्यवादी थे ही सो कहा कि यहां किसी प्रकार की चाल नहीं चलेगी /बहुत ही शानदार भाषा शैली अति मधुर आकर्षित आपको शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम /
16= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार डा रेणु श्रीवास्तव भोपाल से आपने पटल पर पांच वाटिकाऐं सजाई और सुंदर संदेश जताया कि कांटों के बीच रहकर भी पुष्प सुंदर सुशील चमकदार वना रहता है /आप यदि अच्छा नहीं कर सकते हो तो किसी का बुरा मत करो और गुलाब के पुष्पों से सीख दी कि जो कांटों के बीच रहता, सुमन कुसुम और पुष्प एक ही नाम हैं /कमल से कमला, वे धन, अन्न देनेवाली हैं और अंत में कहा कि सुमन वाटिका में सीता जी से राम के मिलने का चित्र खींचा, जो बहुत ही सराहनीय है आपने गजब के दोहा रचे, आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सहज ज्ञान मयी है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
17= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो जिला छतरपुर से पटल पर पांच दोहा लेकर उपस्थित हुए आप सुंदर मार्ग प्रशस्त कर रहे कि आपका ह्रदय सुंदर कोमल पुष्प जैसा हो, पुष्प सबके मन को लुभाता है और मधु मक्खी पुष्प से पराग लेकर अपने गेह को उड़ जाती ,
पुष्प की शोभा विधि ने दी जो इन्हें लखें तो नैना तृप्त नहीं होते चाहे जितना हेरते रहो /डा रेणु श्रीवास्तव जी बधाई आपको बहुत ही शानदार जानदार दोहा हैं बारंबार प्रणाम व अभिनंदन /
18= पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ म प्र से आपने भी पांच दोहों से अपनी सुंदर वाटिका सजाई और कहा कि इन बागों में पुष्पों पर भंवर गुंजार करते हैं परदेशी प्रिय की रही, दुखियारी वाट ही निहारती रहती है ,जो पुष्प कांटों के मध्य रहा है और अनेक कषटों को सहकर भी अनेक उपहार दिये और आगे आपने बहुत सुंदर उपमा दी जो अलंकार युक्त कहा कि हारना कोई नहीं चाहता पर पुष्प का हार कोई मनें नही करता और गिरजा पूजन के समय जगत जननी पुष्प वाटिका के मिलन और गुलाब का फूल देकर मन मोहक मनमीत, तन से मन से गया प्रेम रूपी गीत छेड़ने लगी /बहुत ही सुंदर अलंकार युक्त दोहा /आपकी भाषा शैली माधुर्य अति उत्तम बधाई आपको व प्रणाम अभिनंदन /
19= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री ब्रज भूषण दुबे बकसुवाहा छतरपुर से आपने पांच दोहों की क्यारियों को बोया और सुंदर पुष्प उगाये /शहीदों पर पुष्प चढाना और रघुनाथ जी द्वारा गुरू पूजन पर ले जाना और पुष्प वाटिका को जाना, गिरजा पूजन से मन चाहा वर मांगना, एवं बाली से भयभीत, पुष्प माला को पहनाना एवं सुर नर मुनि हरषाये /जब राम जी ने असुरों का संहार किया तो गगन से पुष्पों की वर्षा की /इस प्रकार आपने बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त कर रचना की बधाई आपको /आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित ओजस्वी रसदार है बहुत बहुत बधाई /
20= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री कल्याण दास साहू जी प्रथवीपुर जिला निवाडी से आप पांच फुलबगिया से सुसज्जित कर रहे हैं और सुन्दर परिवेश बनाते हैं आपका कहना कि जो धरती मां को पोषक तत्व देते हैं तभी पुषपाणड का महत्व बढता है क्योंकि पुष्प के बिना कुछ संभव नहीं न पूजा, स्वागत सम्मान, ये सब परमानंद की कृपा से रूप रंग रसभान का सबका कल्याण, पुष्प से शिक्षा लें कि दुनिया में मुस्कान विखराहों पर उपकारी बनों तो जीवन महान बनें /बहुत ही बढिया सारगर्भित पुष्प की उपमा दी और पोषण जीवन में सद्गुण का संबंध बनाये रखो, पुष्प रूपी हवा विखरी रहे जिससे शोभा एवं सुगंध फैले /
आपके दोहा अति श्रेष्ठ उपदेशात्मक है /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी रसदार आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
21= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री डा आर वी पटैल अनजान छतरपुर अपने तीन दोहों से पुष्प वाटिका सजाई कि पूर्व जन्म की करनी पुष्प जैसी सुधारें जो प्रभु के धाम पहुँचे यानी पुष्प देवों के सिर चरणों में रहते हैं बहुत सुंदर भाव उपदेशात्मक दोहा कि पुष्प से सीख लेना इनके समान उपकारी, निज करनी से पहचान और पुष्पोंका गुच्छा भेंट कर महमान को अपना पन देना बहुत ही शानदार रचना की /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण मधुर लालित्य मयी सहज सुंदर है बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ व प्रणाम अभिनंदन /
उपसंहार = इस प्रकार आज पटल पर कुल इक्कीस साहित्यकार कवियों ने अपने अपने दोहा प्रेषित किये जो बहुत ही सारगर्भित मार्ग प्रशस्त करते हुए उत्तर रहे /सभी के दोहा अति श्रेष्ठ शानदार जानदार, उपदेशात्मक शिक्षा प्रद प्रभावशाली हैं /आप सभी साहित्यकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं ढेर सारी बधाईयां व प्रणाम अभिनंदन /
आज की इस समीक्षा में यदि कोई हमसे भूल हुई हो या कोई छूट गया हो तो माफ करना अंत में आप सभी को प्रणाम /
समीक्षक=शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ म प्र
9770113360,
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298-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-12-11-21
*पटल समीक्षा दिनांक-12-11-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन में सबयी जनन ने ज्ञानवर्धक और रोचक प्रसंग लिखे। सभी विद्वान साथियों ने शानदार लेख, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन कौ साहित्य सृजन स्वागत योग्य है। अपन सबयी जनन खौं ग्यारस पर्व की बधाई देत भये एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन, आलेखन ने रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों, भाई, बहिनों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै
*1राजीव नामदेव राना लिधौरी जी* ने बहुत ही रोचक जानकारी अपने लेख के माध्यम से दयी है। थाईलैंड के अनेक दृश्य और उतै की राम भक्ति पै रोशनी डारी। अनछुये पहलुओं की जानकारी संग्रह योग्य है। हनुमान की पुत्री और विभीषण की पत्नी कौ नाव और होतो तौ औरयी नौनी रती। राम राजा सरकार के प्रसंगों के लिये अपन खौं भौत भौत बधाइयां।
*2* *श्री प्रदीप खरे जी*। पुरानी टेहरी टीकमगढ़ ने बड़ी शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कहानी लिखी। सेवा भावना सें भरे भावपूर्ण प्रसंग की सार्थकता सिद्ध होबे की कामना करत और अपन खौं बधाई देत।
*3* *श्री अवधेश तिवारी जी*छिंदवाड़ा ने साधना और साध्य के बारे में बड़े ही रोचक ढंग से बताया। भक्ति और साधना के मार्ग पर चलकर मनुष्य प्रभुत्व को प्राप्त कर लेता है। भव सागर से पार हो प्रभु चरणों में लीन हो जाता है। कबीर जू की भक्ति और प्रभु महिमा खौं नमन करत और अपन खौं बधाइयां देत...
*4* *परम लाल तिवारी जी* अपनने गागर में सागर भरकें मानव कल्याण की नौनी गैल दिखाई। रसिक भक्तों के संग रैवे कौ महत्व बताव। विवेक बिना सत्संग के नहीं मिलत। संतन की कृपा सें भगवान की भक्ति और मोक्ष तक मिल जात। सुख जो भक्ति और सत्संग में है, वह और कहां। अपन खौं शिक्षाप्रद कहानी के लानें बधाई ।
*5 राणा भूपेन्द्र सिंह* सेवढ़ा ने अमर शहीद भगत सिंह की देशभक्ति और उनके बलिदान के बारे में बढ़े ही रोचक ढ़ंग सें बताऔ। अपन दर्जा दैबै की बात करी सो जायज है। वह जन जन के सरदार और शेर ए हिंद है। उनकौ दर्जा तौ सबसें ऊपर है। आपकी भावनाएं और आलेख दोई स्वागतयोग्य हैं। अपन खौं बधाई।
*6 गणतंत्र ओजस्वी* ने बिखरे पन्ने शीर्षक सैं बड़ी रोचक कहानी लिखी। मार्मिक प्रसंग और रोचक कथानक मन को जीवंत कर देता है। प्रेम ईश्वर का ही रूप है। इसे और कोई नाम नहीं दिया जा सकता। भगवान के बाद यदि कोई और अमर है, तो वह प्रेम ही तो है। चार दिन की जिंदगी और ढाई दिन का प्रेम...। बाकी बचे डेढ़ दिन...। बधाई हो
आज पटल पर *केवल 6* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक,धार्मिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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299-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-बराई-15-11-21
#सोमवारी समीक्षा# दिनाँक15.11.2021# बराई#
#समीक्षाकार...जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
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आज की समीक्षा कौ बिषय बराई हतो।आज कौ बिषय गुरीरौ धरो गव जो. सबयी खों नौनौ लगो।समीक्षा लिखवे में सबसें पैलाँ माँ शारदा खो शाष्टाँग नमन।आप सबयी मनीषी गणनं खांँ यथायोग
सबने अपने 2 मानस पटंल पै बराई के भाँति 2 के चित्र उकेरे।सबयी ने भौत साजे दोहन की रचना करी।अब हम सबकी मीठी बराइयन की परख अलग 2 कर रय कौन बराई कितनी मीठी है।
#1#श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा....
आपकी 6 बराइयन में पैली बंराई की पोर 2मे रस रग रग में मिठास बताई गयी।टेड़ी मेड़ी बराई भी मीठी बतायी गंयी।आपने बराई के गुर के फायदा,बराइ खों पीलिया रोग की दबाई बताव।लपट में सुरक्षा,अपच एसीडिटी की दवाई बताव।बराइ के अनेक फायदा बताय पर हूँक के पीबौ नुकसान दखयक बताव।
आपकी भाषा भाव भौत मीठे शिल्प शैली मजेदार रयी।आपका सादर बंदन।
#2#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़......
आपकी 5 बराइयन में बराई के मंडप में शालिगराम और तुलसी कौ ब्याव कराबौ,ग्यारस खों देव जागरण में घर घर बराई कौ मंडप बनाबौ,गुर बनबौ और भोजन के बाद खाबौ,बराई खों पीलिया की दबाई बताई,बिना दाँत बराई के ना छिलबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा गाँव में रमी रम्यतम बुन्देली जिसमें भाव असली भरे गय।शिल्प शैली मजेदार रयी ।आपकौ बेर बेर बंदन।
#3#श्री गोकुल प्रसाद जी यादव ऩन्नी टेरी बुड़ेरा......
आपकी 5 बराईयन में ग्यारस के पैलाँबराई कौ क्वारौ रैवौ मानो गव।जो गुरीरे होत उनकी पिराई बताई गयी।बराई बोकें सबसें बुराई होत।बराई बाँटत में हात उलटबै सें भैयन में फूट हो जात।
चिरायतौ बराई के बीच रैकैं भी मीठौ नयीं हो पाउत।
आपकी भाषा सरल सहज भावन सें भरी सजी शिल्प मंधुर शैली दार रयी।आपकौ अभिनंंदन।
#4#श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी भोपाल......
आपकी 3 बराइयन मेंबराई की परिभाषा, बराई के मंडप में देव पूजन,पकी बराई सें गुर की परियाँ बनाईं बताऔ गव।आपकी भाषा सरल मीठी चिकनी ,भाव गहरे,शैली कलात्मक शिल्प सुन्दर सजे मिले।
आपखों बार बार अभिनंदन।
#5#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़.......
आपकी 5 बराईयन में बराई की नौनी बौनी,बन्न 2के बतकाय कर बराई बाँटबौ,बराई के मंडप में
शालिगराम और तुलसी कौ ब्याव,बराई सें तन की ठंडयाई,बराई की चरखी पै ऐरन गैरन कौ रस पान,और बराई घाँई मीठी बानी बोलबे की बात बताई गयी।आआपंकी भाष हमेशा चमत्कारिक रात जीकी मिठास भाव भर भर और मीठौ कर देत।
शैली सुन्दर शिल्प सराहनीय पाय गय।
आपका बंदन अभिनंदन।
#6# जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा........
मेरी 5 बराईयन में बराई घाईं मीठे बोल,जो सबखाँ नौनै लगें।बराई के रस सें रसखीर बनबौ,बराई के गुर सें अपच,और रोग दूर होबौ,रस के संगै अदरक पेर केंरसपान करबौ,चरखी सें रस कौ गंगा की धार घाँईं बहबौ बताव गव।
भाषा भाव शिल्प शैली कौ मूल्यांकन आप सब जनें जानौ।
मोरी सब मनीषियन खौं जय राम जी की।
#7#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो........
आपकी 5 बराईयन में बराई के बीच रैकैं मीठौ बोलबौ,बराई कौ गुर ब्यारी में खाबौ,बराई के मंडप में तुलसी शालिगराम कौ ब्याव करबौऔर पूजन,और बराई के स्वाद के आँगें सब मिठाइयों के स्वाद फीके परबे की बात करी गयी।रस के पकवानो से भगवान कौ आगमन बताव गव।
आपकी भाषा लुभावनी,शैली शिल्प दमदार, भाव अनूठे पाय गय।आपके सादर चरण बंदन।
#8#श्री बृज भूषण दुबे बृज जू बक्सवाहा......
आपके 5 बराईयन में बुन्देली बोली की बराई जैसी मिठास, बराई सें गुर शक्कर बनबौ,बराई के संगै फलन सें देव पूजन सें उनकौ प्रशन्न हौबौ,शीतल बराई के रस सें रोग नाश हौबौ,बराई के अनगिनत गुर बताय गय।
आपकी भाषा संजावट भाव गहराई जोरदार, शिल्प शैली ,सुन्दर बन पड़ी है।आपका
बार बार बंदन।
#9#डा.देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा.......
आपकी 4 बराईयन मेंपौंड़ा और बराई जैसी मीठी बानी सें सबकौ
प्रेम पावौ,चौंखरन कौ बराई में कटा लगाबौ,जरी बराई और करी लुगाई रसहीन हौबौ,बराई पैदा करबे के बाबजूद भी हमें शक्कर महगी मिलबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा कौ कयी लोग अनुकरण करत ,काय के आपके भाषा एवम् भाव दमदार होत शिल्पकला अनुकरणीय शैली उत्कृष्ट बन परी।
आपके चरण बंदन अभिनंदन।
#10#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ.......
आपकी 3बराईयन में बराई चौखबे सें पीलिया रोग ठीक हौबौ,रसखीर और रसपान सें शरीर बनबौ ,बराई मंडप में तुलसी विवाह और पंगत हौबौ बताव गव।आप भाषा भाव के जादूगर,शिल्प शैली के सुन्दर रचनाकार हैं।आपका सादर बंदन अभिनंदन।
#11#डा. आर.बी.पटैल जू छतरपुर.......
आपकी 3 बराइयन में बराई कौ गुर 50 रुपये सेर मिलबौ,बराई की ग्यारस में खूब बिक्री हौबौ,और बराई सें गुर शक्कर बनबौ बताव गव। आपकी भाषा लचीली मिठस भरी,चिकनी भाव सराहनीय,शिल्प शैली मजेदार।
आपको सादर प्रणाम।
#12#श्री रामेश्वर राय परदेशी जी टीकमगढं......
आपने अपनी बराई कौ रूप कुण्डलिया के माध्यम सें उजागर करो।निवेदन जौ है कि अगर दोहा डारते तौ पटल के नियमन कौ पालन हो जातो।फिर कुण्डलिया की तीसरे और चौथै चरण में कुण्डलिया के नियम कौ पालन नयीं भव।सो निवेदन है किरचना में सुधार कर लव जाय तो अति कृपा होगी।भूल सुधार करवौ अपनी शोभा है।
आपका सादर बन्दन।
#13#डा.रेणु श्रीवास्तव भोपाल.......
आपकी 5 बराइयन में,दूर सें देख कें बुराई ना सोसबौ काय कै बराई लाठी सी दिखात पर रसदार होत,अनेक लोगन कौ चरखी पै गुर की बाट हेरबौ,रसखीर की आशा दिबाबौ,बब्बा की बराई हँसिया सें छीलबौ,चरखी डीजल सें चलाबे कौ सुझाव दव गव।
आपकी भाषा भाव शानदार. शैली शिल्प अनूठे हैं आपके सादर चरण बंदन।
#14#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबयी हाल दिल्ली.......
आपकी 5 बराईयन में बराई खों माँसन के रिश्ते में बताई,बराई खों रस चूस कें फेक दव जात।बराई की कटाई कौ सोच,तनक बराई बैबौ पराई के बराबर बताई गयी।रस भरी बराई कौ डंडा कौ काम करबौ,और अपने देश की बराई
जगत में जानी जात।
आपकी भाषा भाव बेजोड़,शिल्प शैली अनुकरण योग्य है।
आपका सादर अभिवादन।
#15#श्रीशोभाराम दाँगी जी इन्दु नँदनवारा......
आपकी 6 बराईयन में बराई थकान कमजोरी दूर करकें बल बढा देत,और शरीर में चमक आ जात।गुर को सरसों तेंल के संग खाने से श्वांस और एनीमिया ठीक हो जात।गुर खाबे सेंसर्दी जुकाम में लाभ होत,रसख़ीर दूध कौ खाबौ,गुर के हलुआ सेंयाददाश्त ठीक,श्वास और कान रोग ठीक होत।आपने बराई की खेती लाभ की बताई भाषा भाव अच्छे लगे,शिल्प शैली मजेदार।
आपको सादर नमन।
#16#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.......
आपकी 6 बराइयन में अगर बराई ना होती तौ लड़ुवा खीर मिठाई कौ स्वाद ना लै पाउते।बराई सबकी पसंद,रस पीकर तापना नहीं चाहिये।गुर सें गुलगुला, मालपुआ, चीला बनाना,घर2की उपयोगी शक्कर कौ बराई सें बनबौ बताव गव।
आप बुन्देली भाषा के अच्छे रचनाकार हैं आपकी शिल्प शैली और भाव सराहनीय बन गय।
आपका सादर अभिनंदन।
#17#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़.......
आपकी 5 बराइयन में रसिक रसीली की तुलना बराई सें करी गयी।बराई सें 3 ताप दूर हौबौ,बराई सें साहूकार हौबौ,गुर खाने और पाग राखने मुहावरे कौ प्रयोग बराई के संगै करो।चरखी पै रसियन कौ जमाव रसपान बराई चौंखबेऔर गुर खाबे कौ बरनन करो गव।
आप भाषा भावों के जादूगर और शिल्प शैली की ऊँचाइयों के रचनाकार हैं आपकौ सादर अभिवादन।
#18# श्री अमर सिंह राय अमर जी नौगाँव......।
आपकी 5 बराईयन मेंरोग बचाव और पाचन हौबौ,दिल के रोग,कैंसर कौ बिनाश,खाल ंर दाँतन की चमक,नाड़ी कौ अब्बल चलबौ,बराई सें बताव गव।सर दर्द और सर्दी मैं बराई सें बचबे की सला दयी गी।
आपकी भाषा सरल सहज भावभरै शैली शिल्प की सुन्दरता के दरशन होत।
आपकौ उपनाम अमर ठीक है हम तौ एयी पै मुहर लगा रय।
आपखों सादर बधाई।
19-श्री रामगोपाल जू ने भी एक दोहा हास्य-व्यंग्य में लिखो है गागर में सागर भर दओ बधाई
कैसी बराइ ठरगजी,
सक्कर कौ है रोग।
गन्ना, ईख कौ का करें,
हमें लूगरन जोग।।
उपसंहार.....
आज सभी मनीषियों ने निखरे हुये भावपूर्ण दोहे लिखे।यदि धोखे से कोई रचना छूट गयी हो तो सभी जन अपना समझकर छमा करें सभी को पुनः जयराम जी ।
सादर धन्यवाद सहित ।
आपका अपना समक्षक....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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300-श्री शोभाराम दांगी,हिंदी दोहा-गौरव-16-11-21
समीक्षा दिनांक 16/11/021
समीक्षक- शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ( म प्र)
9770113360,7610264326
बिषय =" गौरव "हिंदी दोहा
मां वीणा पांणी के चरणों में शीश
नवाकर मां से आशीर्वाद लेकर गौरव बिषय पर आप सभी के आशीर्वाद से समीक्षा लिखने का प्रयास कर रहा हूँ /इसमें जो भूल हो जाए तो उसे छमा करना /पटल पर उपस्थित आदरणीय साहित्यकार श्री अशोक पटसारिया जी भोपाल हाल लिधौरा जिला टीकमगढ म प्र से
सर्व प्रथम गौरव इतिहास के पांच दोहो से कह रहे कि जिन्होंने जान की बाजी लगाई उनका इतिहास आज संकलित है और गौरव गाथा का बहुत ही शानदार जानदार रचना से गौरव गाया /
आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित ओजस्वी भाव युक्त है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
2=नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री अमर सिंह राय जी नौगांव छतरपुर से पटल पर पांच दोहा लेकर उपस्थित हुए आप संदेश दे रहे कि गौरव गाथाऐं तो गाइये पर अहंकार मत कीजिए /क्योंकि यह दु:ख पैदा करता है स्वाभिमानता गुरूता गर्व गौरव मय सर्व पर्याय है क्यों कि ये घमंड ले डूबता है /अपनी शक्ति गौरव महिमा गौरव के काम जिसमें पुरखा बदनाम न हो /अपने बड़प्पन मान सम्मान की बात कही हो /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सहज ज्ञान मयी माधुर्य है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
3= पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ म प्र से आपने पटल पर पांच दोहा गौरव बिषय पर सुंदर संदेश दिया और कहा कि गौरव गाथा गाते रहिये की राय दी और कहा कि लाल बाल पाल की महिमा का अनुसरण किया एवं आल्हा ऊदल जैसे वीरों की गाथाओं को उजागर करते हुए कहा कि गौरव पाये बिना सूना सूना लगता है और गुण अवगुणों को देखकर ही सम्मानित होते हैं /जो बतन पर अड़े हैं उनका गौरव महान है / बहुत ही सुंदर भाव युक्त रचना की आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी रसदार आकर्षित है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
4= आदरणीय श्री रामेश्वर राय परदेशी जी टीकमगढ से आपने बुंदेलखणड ख्याति प्राप्त महान लोगों को वर्णित किया है और कहा कि बुंदेलखणड धरती के आदरणीय श्री देशराज हरदौल एवं क्रिकेटर सौरभ कप्तान का जिक्र किया /बहुत ही शानदार जानदार दोहा बधाई आपको बेहतरीन रचना की आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
5= आदरणीय श्री प्रदीप गर्ग पराग जी पटल पर पांच दोहों में वीरों की गौरव गाथा एवं वीर शहीदों के कमाल की बात कही कि इतिहास इसका गवाह है और हवाओं में संस्कारी परिवेश विश्व पटल पर हिंद को गौरव शाली बताया /बहुत ही शानदार माधुर्य आकर्षित ओजस्वी भाव युक्त रचना बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ /
6= आदरणीय साहित्यकार श्री जयहिंद सिंह जयहिंद जी पलेरा टीकमगढ से आपने पांच दोहों की गौरव गाथा को बहुत ही बेहतरीन ढंग से सहेजा है आपका कहना है कि भारत का इतिहास शासवत है शौर्य साहस धीरता वाला हमारा देश रहा है आपने बहुत ही सुंदर फूलों की उपमा दी और कहा कि गुलशन का गौरव गुल गुलाब के संग /जुही चमेली केवड़ा, बेला भरत उमंग /आदि का बखान कर सत्य अहिंसा की बात कही कि यहां ये सभी गौरव साली रहे हैं और आध्यात्मिकता से जोड़कर विग्यापन का रूप दिया कि इसका गौरव महान रहा है /बहुत बहुत सुंदर बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण प्रवाह युक्त रही ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
7= आदरणीय श्री देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा छतरपुर से पटल पर चार दोहा प्रेषित कर रहे और कहरहे कि जिनकी कीर्ति यश मान सम्मान पर बल दिया और पश्चिमी सभ्यता का उल्लेख किया कि इसे धारण कर पर अपना गौरव दूर किया और सत्य अहिंसा सदाचार प्रेम यदि पास हैं,दयावान धर्मात्मा वक्ता कवि विद्वान ये यदि हैं तो ये सब गौरव साली देश हैं /बहुत सुंदर सृजन बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
8= डा रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल से आपने पटल पर चार दोहा प्रेषित किये जो बहुत ही सारगर्भित दोहा हैं आपने कहा किबुंदेली वीरों की गौरव गाथा को गाइये जिन पर हमें नाज है और सति सावित्री जैसी नारियों के नाम सुनकर गौरव बढता है और उन वीरों का गौरव जिन्होंने देश पर जान न्यौछावर कर दी एवं सच्चा पूत पाकर जो कभी झूठ न बोलता हो ऐसे सुपुत्र को पाकर हम गौरवान्वित होते हैं /बहुत ही सुंदर चित्रण डा रेणु श्रीवास्तव जी /आपको बारंबार प्रणाम व अभिनंदन /आपकी भाषा शैली अति उत्तम माधुर्य आकर्षित ओजस्वी है /ऐसी लेखनी को हार्दिक बधाई /
9= आदरणीय साहित्यकार श्री अरविंद श्रीवास्तव भोपाल से आपने तीन दोहा लेकर पटल पर गौरव बढाया और बहुत ही शानदार जानदार हैं क्यों कि परम ग्यान सद्भावना आदि सब गुण निधान के पात्र गुरू है जिनसे गौरव बढता है और सत्कर्म सदविचार साधना आदि ही गौरव वान योग है जो देश धर्म कीआन पर बलिदान होते है वो ही गौरव वान है /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी भाव युक्त सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई /व अभिनंदन /
10= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री एस आर सरल जी टीकमगढ से पांच दोहा लेकर पटल पर उपस्थित हुए आपने धार्मिक स्थलों के नामों को गौरव साली बताया जो शतप्रतिशत सत्य है और जो देश के प्रतिभावान, त्याग समर्पण वालेहैं जो जन जन का कल्याण करें, गुरू महिमा गौरव बढे और देश की जो शान बनाये वो ऐसा विश्व गुरू ही भारत रहा जिसे सकल जहान जानता है /इतिहास इसका साकछी है और अंत में मात पिता के गौरव साली बच्चे प्राण हैं जो कर्मठ कर्णधार वीर जवान हैं /बहुत बढिया चित्रण किया /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण प्रवाह युक्त सहज आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
11= वे नंबर पर आदरणीय श्री डा आर वी पटैल "अनजान "छतरपुर से आपने पांच दोहों से पटल के गौरव को बढाया और देश का गौरव बढाया /सत्य अहिंसा प्रेम भारत के रग रग में भरा एवं छतरपुर के छत्रसाल सब खानों की खान हैं और जो देश का गौरव भूलकर निज कर्म रत रहते हैं उनसे विश्व का विश्वास हट जाता है और निज गौरव का मान तो पूरवजों का सम्मान है जो पूर्व में प्रतिष्ठत हो गये उनका अपमान नहीं हो तो देश देश का गौरव बढता है बहुत सुंदर रचना आपकी बधाई आपको /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी भाव युक्त है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
12= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ से श्री राम का गौरव आदरणीय श्री तुलसीदास जी द्वारा आल्हा ऊदल बुंदेली की जान और कविवर जगनिक ने उनका गौरव गान किया /प्रथवीराज चौहान राजगुरू, सुखदेव, भगत सिंह आजाद आदि ने देश को वलिदान देकर याद रखा जाता है और यह देश सुरग से बढकर भारत भूमि महान है /बहुत ही सुंदर भाव युक्त रचना आपकी बधाई आपको /आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सहज ज्ञान मयी है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
13= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री कल्याण दास साहू जी प्रथवीपुर जिला निबाडी से आपके पांच दोहे गौरव मान हैं आपने कर्मों की श्रेष्ठता ही देश में सिरमौर है मां की महिमा, मात्रभूमि का मान ,मजदूर किसान देश का गौरव सीमा के प्रहरी जो अपने कर्म पर अडिग हैं वे ही देश का गौरव मान सम्मान हैं बहुत ही शानदार दोहा श्री पोषक जी /आपको बारंबार बधाई /आपकी भाषा शैली अति मधुर लालित्य पूर्ण ओजस्वी भाव युक्त है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
14=वे नंबर पर मैं स्वयं शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र) से अपने छै दोहा लेकर उपस्थित हूँ मैने अपने दोहों के माध्यम से उन वीरों को याद दिलाया जिन्होंने देश आजाद करवाया जिनसे देश का गौरव बढा और देश की आन बान एवं शान रखी जिससे भारत मां का गौरव मय इतिहास बनाये रखा है जो आपकी सेवा में हाज़िर हैं /
15= वे नंबर पर आदरणीय श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ननहीं टेहरी टीकमगढ से पांच दोहा लेकर पटल पर उपस्थित हुए आपने दीन हीन की आड़ से एवं काटों के बीच पल पुस कर भी नायाब बनते हैं जैसे फूल गुलाब के बीच, एवं गौरव साली रीतियों का इतिहास साशवत संसकति का भारत का श्रेष्ठतम उद्देश रहा है जो अमर शहीदों ने दिया है सुराज स्वराज जो देश का गौरव बढाते हैं /आपकी भाषा शैली अति मधुर सौंदर्य ओजस्वी रसदार आकर्षित है आपको बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ ।
16= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री ब्रज भूषण दुबे बकसुवाहा छतरपुर से आप पांच गौरव मयी दोहा प्रेषित कर कह रहे कि देश का इतिहास साकछी है, देश सुरक्षा मुख्य रहा एवं कोरोना को जीतना गौरवमयी बात और भारत देश का गौरव दुनिया में मशहूर है और भारत मां के वीर लाडले हम सब वीर सपूत हैं जो सहनशीलता में मजबूत रहे बहुत ही सुंदर चित्रण किया बधाई आपको शुभकामनाओं के साथ ।
आपकी भाषा शैली अति उत्तम माधुर्य गौरवमय सहज है
17= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री गणतंत्र ओजस्वी खरगापुर से आपने पटल पर तीन दोहा प्रेषित किये जो बहुत ही सारगर्भित मार्ग प्रशस्त करते हुए कहा कि चापलूसों के बीच रहना भी एक गौरवमयी बात है कि सामने तो प्रशंसा पर पीछे आघात करते हैं एवं मान मंच माला महिला वोटरयान, इनके पीछे मत भगो, ओंधे गिरे जवान /और अंत में आपका कहना कि गौरव कहां रह गया सब गो दिया /गौ -पाल ओ भरी चिलम लापता, पेड तरे चौपाल /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण मधुर आकर्षित है /
आपको बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ /
इस प्रकार आज पटल पर कुल सत्रह साहितयकार पटल पर उपस्थित हुए आपने सभी ने बहुत ही सारगर्भित मार्ग प्रशस्त दोहा प्रेषित किये और सुंदर सृजन किया आप सभी की भाषा शैली अति गरिमापूर्ण मधुर लालित्य पूर्ण ओजस्वी भाव युक्त रही /आप सभी को बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम /अंत में मां वीणा पांणी को नमन करते हुए अपनी लेखनी को विराम देता हूँ और देरी से समीक्षा डाल पाने के लिए आप सभी से छमा चाहता हूँ प्रतकिया जरूर भेजे, आप किसी की अगर कोई समीक्षा से रह गया हो तो माफ करना अंत में आप सभी को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रणाम ।
समीक्षक= शोभारामदाँगी नंदनवारा
जिला टीकमगढ( म प्र)
7610264326.,
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301वीं पटल समीक्षा दिनांक-19-11-2021समीक्षक- श्री प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*पटल समीक्षा दिनांक-19-11-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन में सबयी जनन ने ज्ञानवर्धक और रोचक प्रसंग लिखे। गुरु नानक जयंती पर सबयी जनन खौं बधाई। सभी विद्वान साथियों ने शानदार लेख, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन कौ साहित्य सृजन स्वागत योग्य है। अपन सबयी बधाई देत भये एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन, आलेखन ने रौनक बढ़ा दयी ।
आज सबसे पैला पटल पै
*1श्री अमर सिंह राय जी* ने जैसा अन्न बैसा मन शीर्षक से कहानी लिखी, जीमें दीपक की खुराक इंदयारौ बताई। वो काजल उगलत। अपन कौ चिंतन प्रशंसनीय है। अपन ने मन शुद्ध रखने की सलाह दयी। अपन के लेखन और चिंतन खौं प्रणाम करत और बधाई देत।
*2 रामेश्वर राय जी* ने श्री नानक जी भक्ति और आस्था से जुड़ा बड़ा ही रोचक प्रसंग लिखा है। उन्होंने बताया है कि भगवान हो या खुदा हो, उसका वास तो कण कण में है। पी लेनें दे शाकी मुझे मस्जिद में बैठकर, या वो जगह बता दे जहां खुदा न हो। किसी शायर के भाव भी कुछ यही बयां करते हैं। नानक जी अवतारी पुरुषों में से एक हैं, जिन्होंने जीने का रास्ता दिखाया। शानदार लेखन कीअपन खौं भौत भौत बधाइयां।
*3* *श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी*। टीकमगढ़ ने श्री नानक जी की महिमा और उनके उपदेशों का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किया है। जीवन के मूल मंत्रों पर प्रकाश डाला। ईमानदारी, प्रसन्नता, सेवा और भक्ति की प्रमुखता बताई। आप को बहुत बहुत बधाई।
*4* *श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव* ने बताया कि मित्रता किस तरह निभाई जाती है। चैन सिस्टम कितना उपयोगी होता है। अपनौ की मदद को बेहतर तरीके से बताने का प्रयास किया गया है। अपन की लेखनी खौं नमन करत और अपन खौं बधाइयां देत...
*5* *श्री अवधेश तिवारी जी* अपन ने गागर में सागर भरकें मानव कल्याण की नौनी गैल दिखाई। प्रसंग और कथानक प्रशंसनीय है। कौड़ी के महत्व और उपयोगिता के बारे में नौनी जानकारी दयी जू। लक्ष्मी सें कौंड़ी कौ रिश्तों और शिवजी की पसंद बता कै भौतयी बढ़िया करो। अपन खौं शिक्षाप्रद कहानी के लानें बधाई ।
*6 *प्रदीप खरे मंजुल* टीकमगढ़ ने लघु कथा के माध्यम सें लोभ लालच और कंजूसी के परिणाम खौं बुरऔ बताऔ। अपन ने ईमें सबयी सें गरीबन पै दया करबे की और धंधे में बेइमानी न करबे की सोई कयी। रोचकता पूर्ण कहानी की समीक्षा अपन सब जनन पै छोड़कें बधाई देत।
*7 गणतंत्र ओजस्वी* ने रिश्तों में श् कौ महत्व बताऔ। प्रश्न की परिभाषा सें सोई सब खौं अवगत करा दऔ.। जानकारी होने पर भी प्रश्न करने वाले समाज का ही हिस्सा हैं और इनकी संख्या भी कम नहीं है। अपन के तथ्यपूर्ण कथानक की सराहना करत और अपन खौं बधाई देत।
*8* *श्रीमती जी.बघेल जी* आपने रावण और जटायु के युद्ध के रोचक प्रसंग खौं भावपूर्ण ढंग सैं लिखो। प्रसंग रोचक और आनंदित करने वाला है। अबला नारी के सम्मान और आबरू की रक्षा कौ संदेश जटायु नें दऔ। बलिदान दैकें पक्षीराज अमर भयै। यश और सम्मान पा गयै। धार्मिक प्रेरणादायक प्रसंग प्रस्तुत करबे के लानें बधाई हो।
आज पटल पर *केवल 8* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक,धार्मिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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302-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-झमा-22-11-21
#सोमवारी समीक्षा# झमा#
#दिनाँक 22.11.2021#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह#
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#झमा पर झमाझम लिखे दोहों की समीक्षा#
आज के झमाझम दोहे झमा पै लिखे सबकी लेखनी नै अपनी अपनी बिचारधारा के अनुसार शानदार दोहे लिखे।सबके दोहन में तरह 2 के बिचार और कयी प्रकार के झमा डार कें शमा बाँदौ गव ।सबकी अलग अलग समीक्षा लिखबे सें पैंलाँमाँ शारदा खों शाष्टाँग नमन।फिर सब मनीषीगणन खों राम राम।लो अब सबकी अलग अलग समीक्षा प्रस्तुत है।
श्री अशोक कुमार पटसारिया नादानजी लिधौरा.....
आपके 6झमा पटल पै आय जिनमें ओरे सें मिटी फसल दख कें झमा,पानी सें मिटी फसल देखे सें झमा,माउट के पानी की तबाही सें झमा,ठाड़े में कपकपी,झुनझुनीसें बुढा़पै कौ झमा,झन्नाटेदार झमा,खाबे के सामान लैबै में झमा कौ शानदार बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव शानदार शैली शिल्प मजेदार जान परे।आपकौ हार्दिक बन्दन।
#2#श्रीसंजय श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली......
आपके 5प्रकार के झमन में झमा सें दिल के दौरा के लक्षण बताय,झमा की चेतावनी,बिटिया के ब्याव के सोस कौ झमा,दख तकलीफन कौ झमा,साग सब्जी के भाव सें झमा कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा जोरदार सुलझी,भाव गहरे,शिल्प मोहक और शैली मन भावन है।आपका सादर अभिनंंदन।
#3#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुल टीकमगढ़.......
आपने 5 प्रकार सें झमा कौ प्रयोग करो,जिनमें सब्जी के दाम बढ़े पै झमा,मँहगाई कौ झमा,तेल के भाव कौ झमा,सुन्दरता देख कें झमा,दारू पीबे बारन के झमा कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा शैली मनोरम,शिल्प सुन्दर और भाव मन मोहक हैं।
आपका बारंबार बन्दन।
#4#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैने पटल पै 5 झमा कौ बरनन करो जिनमें,बेटी की बिदाई पै झमा,श्रवण की मौत सुनकर उनके माता पिता की झमा सें मौत,पूतना की झमख सें मौत,देवासुर संग्राम में दशरथ जी कौ झमा,कोपभवन में कैकेयी की बात सुनकें दशरथ जी कौ झमा कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शैली शिल्प कौ मूल्यांकन आप सब जने जानौ।मेरा सबको प्रणाम।
#5#श्री प्रमोद कुमार मिश्रा जी बल्देवगढ़.......
आपके लिखे 5 झमा पटल पै डारे गय।जिनमें दूसरे कौ दान दैवौ देखकें झमा,मेला की नारी की मोह कटारी देखकें झमा,नोटबंदी कौ झमा,धना के रूठ कें ,सुरार जाबे सें झमा,खाद की कमी सें झमा कौ सटीक बरनन करो गव।
आपकी सुन्दर भाषा में भावों के फूल ,बिचारों के शिल्प और कोमलता की शैली देखी गयी।
आपको सादर नमन।
#6#श्री अमर सिंह राय साहब नौगाँव......
आपने पटल पर 5 प्रकार के झमा बताये गये,जिनमें दहेज के भय से झमा,दूध तेल तरकारियों के भाव से झमा,करे कराये काम पै पानी पर जाय सें झमा,बड़े देर सें बैठे के बाद खड़े हौबे पै झमा,और कमजोरी के कारण झमा आबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल सहज भाव सुन्दर शैली और शिल्प मजेदार हैं।
आपका सादर बंदन।
#7#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल........
आपके 6 प्रकार के झमा पटल पर डाले गये जिनमें लड़की के दहेज पै झमा,कौरोना की सुनकें झमा,झमा आने पर सावधानियां,कैकेयी के कोप पर दशरथ जी को झमा,रोजगार रहित लड़कों को झमा,और नन्ना को मौत के भय से झमा कौ बरनन कृरो गव।आपकी भाषा भाव पूर्ण शैली शिल्प मधुर एवम् रस पूर्ण हैं।आपका सादर बंदन अभिनंंदन।
#8#श्रीबृज भूषण दुवे जी बृज बक्सवाहा.......
आपके पटल पै डारे 5 झमा दोहे जिनमें मेघनाद का हनुमानजी की मार से झमा,किसान को बर्षा की मार से झमा,हरदौल को बिषपान से झमा,कैकेयी के बरदान से दशरथ जी को झमा,नय तंबाकू खाने बालों के झमा कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल सहज मधुर है।शैली और भाव सुन्दर शिल्प सुन्दर हैं।
आपका हार्दिक अभिनंंदन बंदन।
#9#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़.....
आपके 5 झमाझम दोहे जिनमेंसाहूकार के चुकाव में गाय चली जाने से सार देख कर झमा,बिटिया के पिया घर जाने से माँ को झमा,झमाझम बारिश में बिरहनी कौ झमा,और गोरे गुलाबी लड़कों को गोरी गुलाबी सुन्दरता देख कर झमा कौ बरनन करो गव।आप भाषा भाव के जादूगर हैं आपकी शिल्प शैली अनुकरण लायक है।आपका सादर बंदन अभिनंंदन।
#10#श्री रामेश्वर जी राय परदेशी टीकमगंढ.......
आपके डारे 3 झमाझम झमा के दोहे जिनमें 16 साल के लरकन कौ गोरे गालों की सुन्दरता सें झमा,पनिहारी की सुन्दरता निरख गैलारन के झमा,कजरारे नैनन सें कका जू के झमा कौ भौतयीं नौनौ बरनन करो गव।आज के सभी दोहे टकसाल रय जिनमें सिंगार की बा पुट दयी कै देखतन बनत।आपकी भाषा मनमोहक लुभावनी शैली मोहक भाव लालित्य दर्शनीय शिल्प अनूठे जड़े गय।आपका बेर बेर बंदन।
#11#श्री गणतंत्र ओजस्वी जी खरगापुर......
आपने पटल पर 3 दोहे डारे,जिनमें छमा खों झूठ कौ भार,और सत्य मजबूत करबे बारौ बताव।झूठी चापलूस की बातन सें झमा,झूठ चुगली और चोरी पकरबे सें झमा कौ बरनन करो गव।भाषा भाव मधुर,शैली शिल्प धारा प्रवाह लगी।आपका सादर अभिनंदन।
#12#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा.......
आपके 5 झमा देख़बे मिले,जिनमेंंकमजोरी के झमा,मुसीबत के झमा,तन मन और दिल की कमजोरी के झमा,कैंकेयी के बरदान मागे सें दशरथ जी कौ झमा,और बीमारी के झमा कौ सटीक बरनन करो गव।आपकीभाषा मीठी भाव सुन्दर शिल्प एवम् शैली मजेदार है।आपका बारंबार बंदन अभिनंदन।
#13#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी........
आपके 5 प्रकार के झमा देखबे मिले,जिनमेंखेत पै बेटा रै जाबे सें पिता कौ झमा,शहीद की पत्नि कौ झमा,अंतिम समय कौ झमा,सिर की चोट कौ झमा,और मिर्गी के झमख कौ सटीक बरनन करो गव। आपकी भाषा भाव उत्तम शिल्प शैली मजेदार लगी।
आपका हार्दिक अभिनंंदन।
#14#उपसंहार.....आज के झमा पर सभी के दोहे झमाझम लगे।जो सभी मनीषियों के अनुभव खाँ दरशा देत।अगर गल्ती सें कोऊ समीक्षा में छूटौ होय तौ अपनौ जान कें छमा करियौ।
आपका अपना समीक्षक......
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगंढ#
#मो0 6260886596#
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303-श्री शोभाराम दांगी,हिंदी दोहा-सलाह-23-11-21
*303वीं समीक्षा दिनांक 23/11/021*
बिषय - "सलाह "हिंदी दोहा *समीक्षक- शोभाराम दाँगी नंदनवारा* जिला टीकमगढ (म प्र)
मां वीणा पांणी के चरणों में नमन करते हुए एवं मां से आशीर्वाद लेकर आप सभी प्रणाम कर समीक्षा लिखने का प्रयास कर रहा हूँ /यदि इसमें कोई भूल हो जाए तो आप सभी मित्र समझकर माफ करना /आज पटल पर सर्व प्रथम आदरणीय साहित्यकार
1= श्री अशोक पटसारिया जी भोपाल हाल लिधौरा जिला टीकमगढ म प्र से पटल पर पांच दोहा लेकर उपस्थित हुए आपने बहुत ही सुंदर सलाह दी कि कोरी सलाह से काम नही चलेगा देना है तो सहयोग दीजिए /और बडों के अनुभवों की बात माननी चाहिए और जो माने नहीं जैसे मंदोदरी ने रावण को सलाह दी पर एक नहीं मानी और सलाह भी मोल मिलने लगी अब अटके न रहिये /बहुत बढिया भाव आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित ओजस्वी है आप को बहुत बहुत बधाई व बारंबार प्रणाम अभिनंदन /
2=नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री रामेश्वर राय परदेशी जी टीकमगढ से तीन दोहा प्रेषित कर रहे और कहा कि गरीब की सेवा करो जिसमें नर नारायण दोनों का वास है और बिन पूछें सलाह नहीं देना चाहिए अंत में सलाह दे रहे कि आप तो बस ओरछा धाम जाइये मैं तो तुम्हें यही सलाह देता हूँ /बहुत ही सुंदर भाव व्यक्त किये गये हैं आप की भाषा शैली माधुर्य आकर्षित ओजस्वी रसदार है बधाई आपको बारंबार प्रणाम व अभिनंदन /
3= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्हीं टेरी टीकमगढ म प्र से आपने पांच दोहा देकर सलाह दी कि यदि आप राहगीर को महत्व दोगे तो वह ठहरकर उचित सलाह देगा और कहा कि वैसे तो बिन मांगे भीख नहीं मिलती पर बड़े जेठों की सलाह न मानें तो कटोरा लिए भीख मांगते फिरते हैं और सदग्रंथों में सुंदर सुंदर विचार भरे पड़े जो आये उनका सार ग्रहण करें वही जीवन सुखमय जीयेगा ।
बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको बारंबार प्रणाम आपको शुभकामनाओं के साथ व अभिनंदन ।
4= नंबर पर मैं शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ से पांच दोहा लेकर उपस्थित हूँ और मेरा मानना है कि अगर घर में कोई काम काज करना है तो बड़े बुजुर्गो से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि बिना सलाह के घर में सुख शांति नहीं रहती भगवान राम से लछमन हमेशा लेते रहे एवं राम भी लछमन से सलाह लेते रहे एवं सला सूद से घर में कामकाज करना सज्जनों की रीत है सुर संमत से ही कार्य सफल होते हैं पर बिना सलाह के फैल ही रहते हैं ।जो आपके लिए दोहा प्रेषित हैं।
5= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री लखन लाल सोनी जी छतरपुर से सिर्फ एक ही दोहा प्रेषित कर कहते हैं कि बिना मांगे सलाह नहीं देना चाहिए क्योंकि वो हमेशा उल्टी ही राह चलता है वो किसी कि नहीं मानते बहुत सुंदर भाव व्यक्त किये बधाई आपको व बारंबार प्रणाम अभिनंदन ।
6= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ से आप पांच दोहों के माध्यम से बहुत सुंदर भाव व्यक्त कर रहे कि मात पिता की सलाह मानने से अथाह आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और सच्चे मित्र कदम कदम पर सलाह देते हैं जो मानते हैं वो भटकते नहीं और आगे आपने सलाह दी कि जटिल रोग हो तो वैध से सलाह लेना जिससे रोग दूर हो जाता है बिन पूछें दवा लेने पर रोग बढता है /अंत में आपने कहा कि नारी नर की पतवार है जो सलाह दे उसे मानिये /बहुत ही शानदार जानदार दोहा हैं बधाई आपको व प्रणाम अभिनंदन /आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित ओजस्वी रसदार है बहुत बहुत बधाई ।
7= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री जयहिंद सिंह जयहिंद पलेरा टीकमगढ से पांच दोहा देकर सलाह दी कि जिसकी जितनी चाह होएवं सभी परिवार जनों के साथ बैठकर सलाह लेना, एवं कानून की सलाह कुशल बकील से, रोग होने पर कुशल योग्य चिकित्सक से भी सलाह, श्री राम की सेना के सेना नायक जामवंत जी ने श्री राम को सलाह दी जो सब गुण संपन्न गुणों की खान हैं/ प्रत्येक दोहे में सुंदर प्रवाह युक्त सलाह दी /आपकी भाषा शैली अति गरिमापूर्ण प्रवाह युक्त ओजस्वी आकर्षक है /आपको बहुत बहुत बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
8= वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता जी इंदु बड़ा गांव झांसी से दो ही दोहा प्रेषित कर कह रहे कि मात पिता एवं सद्गुरू सबकी सलाह माननी चाहिए जिससे जीवन रूपी गाड़ी सदचिंतन के साथ चले और सदचिंतन से मन में अथाह सादगी आती है एवं संगी साथी सभी सच्ची सुखद सलाह देते हैं बहुत बहुत बधाई आपको /आपकी भाषा शैली अति उत्तम माधुर्य गौरवमय सहज ज्ञान वान है /आपको बारंबार प्रणाम व अभिनंदन /
9= वे नंबर पर आदरणीय जनक कुमारी सिंह बाघेल जी पांच दोहा लेकर उपस्थित हैं आपने संकेत किया कि जीवन की घाटी बहुत ही कठिन है क्योंकि मंजिल बहुत दूर लगती है और कहा कि बिना मांगे सलाह नहीं देना चाहिए क्योंकि अपनी अपनी सोच और राह होती है /सच्चे सद्गुरू की हरदम सलाह सही सलाह देकर सरल रास्ता बताना और गुरु की कठोर कवच ओढकर रूछ व्यवहार करना एवं उत्तम सलाह देकर संसार को जिताया क्योंकि मन धुन का पक्का पकड चला इक राह /वह रोके से नही रूकते और न ही किसी की सलाह मानते/ बहुत ही शानदार दोहा आपकी भाषा शैली माधुर्य गौरवमय सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
10= वे नंबर पर डा देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा छतरपुर से पांच दोहा देकर कहते हैं कि बिना मांगे सलाह नहीं देना चाहिए क्योंकि जो मां - बाप की सलाह ठुकरा सकते उसे कौन सलाह दे सकता /सच्चे मित्र सदां सद ग्यान ही देते हैं पर दुर्जन दुष्टी इन्हें भली नहीं लगती, इसलिए इन्हें संमति और सलाह नही देनी चाहिए /बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको आपकी भाषा शैली अति उत्तम माधुर्य गौरवमय सहज है ऐसी लेखनी को बारंबार बधाई व प्रणाम अभिनंदन /
11= नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ जिला टीकमगढ म प्र से आपने पांच दोहा पटल पर प्रेषित किये और कहा कि जल बिन मछली, बेटी बिना संसार बेटी बचाओं एक सलाह है जिसे मानने से घर परिवार सुखी रहे माता के भ्राता कहते हैं कि भांनजे मेरी सलाह मानों तो राम से ही डाह मांग लीजिए और आगे आपने छत्तिय रिषि महर्षि बिरमरिषि की ठान, गर्व नहीं गर्वित होना चाहिए नेक सलाह तो मान /कपटी दंभी स्वार्थी एवं जातिवाद का राग, उसे दर किनार करके आग लगा रहे तथा पाखंडी पापी पतित आदि अनेक प्रपंच वाले रचकर प्रेम प्रमोद में भेद कर सलाह नही मानते /बहुत ही शानदार
सारगर्भित दोहा बधाई आपको /आपकी भाषा शैली माधुर्य आकर्षित ओजस्वी है बहुत बहुत बधाई व प्रणाम अभिनंदन
12= वे नंबर पर आदरणीया डा रेणु श्रीवास्तव भोपाल से पांच दोहों के माधयम से कैकई मंथरा संवाद ,राम वन गमन अकबर बीरबल शासन की सीदी सच्ची राह का चित्रण बताया गया और हारे गये सरपंच जी को हार कोई नहीं लाया चाहे गलत सलाह मिलती रहे तथा कोरोना साल में सभी ने सलाह बांटी।
अंत में लंकापति रावण के भाई ने खूब सलाह दी पर वह नहीं माना।
बहुत ही शानदार दोहा बधाई आपको आपको बारंबार प्रणाम।
13= आदरणीय श्री राजीव नामदेव 'राना' जी टीकमगढ से ,आपने दो दोहा देकर संदेश दिया कि बिन मांगे सलाह नहीं देना चाहिए और जो ज्ञान बांटने वाले हैं वो खुद ही नादान सलाह तो उनहें दीजिए जो मांगें और यदि बिन मांगे दे दी तो अपमान सहना पडेगा ।
बहुत ही सुंदर भाव पूर्ण ।आपकी भाषा शैली अति माधुरिय बधाईआपको बारंबार प्रणाम।
14=वेनंबर पर आदरणीय शिरी परम लाल तिवारी जी खजुराहो से आपने पटल पर पाचं दोहा पिरेषित किये और कहा कियहां सलाह सबसे ससती मुफत में मिलती है/ और ये सबके हिय में खान है और कहा कि यदि शरीर में मरज है तो पीट पीट कर कहना और यदि जीव में खुजली है तो कैसे मिटवैं ,सलाह तो उमंग सें देव पर उचित ,बिना पढै बकील कहलानें लगे कियोंकि सलाह भी चिचयाकैं अपनी धांक जमाने के लिए देते हैं/ बहुत बढिया भाव सुंदर भाषा मघुर ओजसवी /आपको बधाई बारंबार पिणाम /
15= नंबर पर आदरणीय शिरी बिरज भूषण दुबे बकसुवाहा छतरपुर से आपने पांच दोहों के दुवारा सलाह दी कि राम वन को जाय और हनुमान जी जामबंत जी से पूछें कि राम काज के लिए मैं जाऊ तथा बिभीषण ने रावण को सलाह दी पर किरोध किया और नहीं माना /इसलिए सलाहदेना हो तो दो पर ऐसी जिससे किसी का नुकसान न हो पावे / और अंत मेंदेवी सुशीला ने पति को सलाह दी कि मितय सुदामा से मिलने जाइये / बहुत ही सुंदर शानदार जानदार भावपूण पांचों दोहा बधाई आपको आपकी भाषा शैली अति पिय बारंबार पिणाम /
16= वे नंबर पर आदरणीय शिरी पिरभु दयाल शिरीवासतव जी ने पांच दोहों मेंसलाह दी और भाव पिकट किया बिना मांगे सलाह नहीं देना चाहिए कियोंकि उथले लोग थाह नहीं पा सकते ,मुफत में सलाह तो सभी देते पर सुनते नहीं अपनी ही राह चलते हैं और जो अपने बडे बूढों की बात मानें ,उनहें मान सममान ,उनकी राह पर चलना तथा बिदुर सरीखे भाई की सलाह नही मानी और धिरतराषट कौरव वंश तवाह ही कर दिया / अंत में कहा जो उचित सलाह दे उसकी मानों / बहुत सुंदर भाव पूण दोहा बधाई आपको बारंबार पिणाम/
17= वे नंबर पर आदरणीय शिरी भजन लाल लोधी फुटेर टीकमगढ से पांच दोहो के माधयम से कहा आजकल बेपरवाह अधिक हैं जो उचित सलाह दे उसकी मानों कियोंकि यह मानुस जनम दुरलभ है/ दुशमन को भी गलत सलाह नहीं देनी चाहिए/ यह जीवन बहुत ही कठिन है /राम से सूपनखा ने विवाह की सलाह ली पर लखन जी ने सलाह के संकेत देखकर उसके नाक कान काट लिए और बिषणु भगवान से नारद जी का सलाह लेना /अंत में सुंदर उपदेश दिया कि भजन पिरेम से करना जिससे जीवन का निरवाह हो और अपने माता पिता एवं गुरू मितय की सही सलाहहमेशा मानना चाहिए /बहुत सुंदर भाव युकत दोहा /आपकी भाषा मधुर ओजसवी है बधाई व बारंबार पिणाम /
18= वे नंबर पर आदरणीय कलयाण दास साहू जी पिथवीपुर जिला निवाडी से आपने पटल पर छै दोहा देकर सलाह दी कि लेने में असमरथता देने में उतसाह उसे मशवरा परामरश एवं सलाह कहते हैं/ बिन मांगे ही सलाह देते हैं पर सुयम पालन करें और सुयम चाह न करें तथा जिसे जरूरत नहीं उसे सलाह नहीं देना चाहिए /विवेक अविवेक को उजागर और जो ठलुवा लापरबाह होते वो ही सलाह अधिक देते हैं और सुयम मानते नहीं ,दूसरों को गुमराह करते हैं इसलिए सोचसमझ कर ही शिकछा सीखभरी भोजन वसतिरय सहायता औषधि भीख पनाह/ बहुत सुंदर सलाह दी आपनें बधाई आपको /आपकी भाषा मधुर ओजसवी भाव युकतआपको बारंबार प्रणाम ।
19वे नंबर पर आदरणीय साहित्यकार श्री रामगोपाल रैकवार जी टीकमगढ से चार दोहा प्रेषित कर बहुत ही सुंदर सलाह दे रहेकि सलाह सममति लाभ हित है तभीै तकपर वो सुनते नही कियोकि दूसरे कान से निकाल देते और आगे संदेश दे रहे कि कवियों को सलाह मत देना वरना बचने का रास्ता नही मिलेगा और कहा कि प्रदीप को सलाह दी थी फिर तो पूरे माह कविता सुननी पडी एवं जिनको छंद सुधार की सलाह दी तो कविवर नाराज हैं अब सुनने को तैयार ही नही /वाह सर जी किया कमाल की सलाह देने न देने की बात कही बिलकुल सच कहा -
आपकी भाषा शैली अति माधुरिय सहज सुंदर ओजस्वी आकर्षित है बधाई आपको बारंबार पिणाम/
20= वे नंबर पर आदरणीय अमर सिंह राय जी नौगांव छतरपुर तीन दोहा डालकर सलाह दे रहे कि यदि सबकी सूद सलाह लेकर काम करेंतो काम काज सुलभ होते हैं बडे बुजुर्गों से अनुभव भरी सलाह लेना बिना दुराभाव के सही सलाह देना चाहिए / एवं सही दोसती वही हैजो सचची सलाह दे अन्यथा किसी काम की नहीं /बहुत ही सुंदर शानदार जानदार दोहा / आपकी भाषा मधुर ओजस्वी बारंबार प्रणाम आपको।
21= नंबर पर आदरणीया किरण मोर कटनी से तीन दोहा लेकर पटल पर उपस्थिति आपका कहना है कि कननी सी चलाना बात बात पर मनका कोई किया चले किसी के मन की थाह तो पाई नहीं ,सुनों सबकी करो मन की क्योंकि मीठा मीठा बोलना मुफ्त में चाह रखते अपने स्वारथ से, पर मन तो डाह है/ बहुत बढिया वजनदार बात कही आपको बधाई बारंबार प्रणाम।
22= नंबर पर आदरणीय एस आर सरल जी टीकमगढ से आपने चार दोहा प्रेषित किये और कहा कि सत्य एवं सही व गलत पर हमेशा ज्ञान ,अपनी निगाह रखें और जहां गलत दिखे वहां तुरंत सलाह लें उततम सिजन काव्य की कसौटी कसना,पर काल का जब चक्र चलता हो तो रासता भटक जाता है और परहित भी अच्छे लोग सलाह देते पर जो सठ होते हैं गवार ढीठ खल दुष्ट इनको कभी सलाह नहीं देनी चाहिए । बहुत सुंदर उपदेशात्मकता दोहा बधाई सरल जी आपकी भाषा मधुर ओजस्वी लोकप्रिय है आपको बारंबार प्रणाम अभिनंदन
उपसंहार = इस प्रकार आज के सलाह बिषय पर बाईस साहित्यकारों ने सलाह बिषय पर दोहा प्रेषित किये बहुत ही सुंदर एक सैं एक दोहा मुफत में,लापरबाह, बेपरबाह को सलाह देना एवं लेना ,भगवान का भजन करना ही जीवन का निर्वाह ढीठ गवांर आदि को सलाह नहीं देना चाहिए बिना पूछें नही देना आदि सुंदर भाव युकत सभी के दोहे रहे आप सभी को हार्दिक बधाई व प्रणाम।
मां वीणा पांणी को नमन कर लेखनी को विराम देता हूँ।
समीक्षक = शोभारामदाँगी नंदनवारा
जिला - टीकमगढ मध्यप्रदेश - 9770113360
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304-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-24-11-2021
सबसें पैले सब पंचन खां गुलाब सींग यादव भाउ की राम राम पौंचे बुन्देली स्वतंत्र पद्य लेखन की आज समीक्षा लैकें हाजर होंसबसें दादा भजन लाल नेदग्धा अक्षर को प्रयोग न करबे की सलाह दी बहुत बहुत धन्यवाद हैईके बाद रामेश्वर राय परदेशी ने काम कराबे कोउ संग न ईंं देत राय सबदै देत जा बात करी भौत भौत धन्यवाद है फिर मंजुल जू
ने भौत नौनी हायकू रचे पढ़ कें साजो लगो धन्यवाद एई के पछारें नंद जू ने चौकडिया रची जी में भगबान सें जोड़ी से हात जोर कें बिनती करी भौत नौनो लगो धन्यवाद नादान जू ने बुंदेली गजल रची भौत साजी लगी फिर परम लाल तिवारी जू ने नेतन कौ उम्दा बरणन करो धन्यवाद है आदरणीय दुबे जू ने लिखो
कै तुक तान मिलाबे सें कोउ कबि न ईं हो जात भौत नौनी बात करी धन्यवाद है फिर राम सक्सेना जू ने छात्र जीवन को बरणन करो उम्दा लगो द्विवेदी जू ने मन की भावना खों पवित्र बनाने की बात लिखी भौत नौनो लगो सम्माननीय पियूष जू ने सारी के स टीकमगढ़न में उम्दा रचना रची धन्यवाद सरखों
पनीर भरता दार कुण्डलिया मजेदार इंदु गुप्ता जू की उम्दा रचना के लाने हार्दिक बधाई ।
प्रमोद मिश्रा जू ने बियां सें सरदी होबे कौ बरणन करो धन्यवाद है सरल जू ने मन के माड़ोरा को बरणन करो माडोरा का कहाउत का कै दयें। यादव जू ने पति के प्रेम की दम सें पत्नी ने सबके अत्त सये जेई बरणन करो
ए ई के संगे आज की समीक्षा पूरी भ ई भूल चूक क्षमा करियो राम पौंचेजू
समीक्षक-श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा,टीक
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305-राजीव नामदेव बुंदेली दोहा-अत्त 29.11.2021
305- आज की समीक्षा* दिनांक 29-11-2021
बिषय- *अत्त*
आज पटल पै भौतइ नोने दोहा डारे गये है। सबइ जनन ने बढिया कोसिस करी है। पैला तौ सबइ जनन खौ भौत नोनौ लिखवे पै हमाइ मुलकन बधाई।
आज सबसे़ पैला 1-श्री अशोक पटसारिया जू लिधौरा* ने भौत नोने दोहा डारे- बधाई।
फूलन पै पैलें करौ,बेजां अत्याचार।
अत्त मिटा दव एक दिन,उठा हांत हतियार।।
*2* *श्री रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ जू* नीत न्याय की बात कर रय है- बधाई
नीत न्याय अधरम धरम,जो कोउ छोड़े सत्त।
कुकरम कर कर बौ मरै,करै जगत में अत्त ।।
*3* श्री *प्रदीप खरे, मंजुल जू टीकमगढ़* ने 5दोहे रखे अंलकारों कै नौनो प्रयोग करो है अत्त करे सें का होत है जौ भी दोहन में बता रय है- बढिया दोहे है बधाई।
मौरी भैया मानियौ, अत्त करौ नहिं कोय।
अति अत्त की जो करहे, अंत अवश कें होय।।
लट्ठ घलें गारीं मिलें, और मिले दुत्कार।
अत्त करें बैकुंठ के,सदा बंद हौं द्वार।।
*4* *श्री जयहिन्द सिंंह जयहिन्द,जू पलेरा* से बेहतरीन दोहे लिखत है अत्त करवे की गत्त बता रय है बधाई।
अत्त करैयन की भयी,सदाँ जगत में गत्त।
सदाँ अन्त में जीत गव,सत्यवान कौ सत्त।।
*5* *श्री एस आर सरल जू* ,टीकमगढ़ से कत है कै अत्त जादां दिना नहीं रत है। सबइ दोहे नोने रचे है बधाई जू।
अत्त न जादा दिन रवें,करतइ अत्त विनाश।
शोषण करे गरीब क़े , जमै गढ़ी पै घास।।
देतइ अत्त गमार सठ, जिनें ज्ञान नइ गट्ट।
परत पुलिस क़े हात में,घलत भाजकै लट्ट।।
*6* श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज* बकस्वाहा से कत है कैअत्त करवै वारों बाद में भौत पछतात है।
अत्त करइयों की सुनो , बुरई होत है गत्त।
पछ्तावो हो अर सिर धुनो ,कबौ ने कर बे अत्त।।
*7* श्री प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़ के दोहन में भाल तो नोने है पै अभी मात्राएं गड़बड़ हो रही है हरा़ हरां लैन पै आ जैहे। कोसिस नोनी है्
आय अत्त के घाट जो,ऊकी हो गइ नाश।
न मानो करकें देखो,लिख प्रमोद भर सांस।।
*8* श्री संजय श्रीवास्तव जू, मवई /दिल्ली ने आतंकवाद पर दोहे रचे है भौत नोने दोहा है । बधाई।
आतताई अत्त करें,आतंकी आतंक।
जहर घोर रय देश में,छुप-छुप मारें डंक।।
*9* श्री गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा) ने पौराणिक उदारन देत भये उमदा दोहे रचे है बधाई।
तीनइं लोकन में हतो, दसकंधर कौ अत्त।
राम बान सें रामधइ, राम नाम भव सत्त।।
ईश्वर नें जीखाँ करे, जो वरदान प्रदत्त।
जादाँतर वर पायकें, खूब करत रय अत्त।।
*10* डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जू,बड़ा मलहरा ( छतरपुर) ने भौत नोने दोहा रचे पाकिस्तान पै तंग करत भये नोनै दोहा बधाई हो महाराज।
करौ भरौ की नीत है,कै गय ग्यानी सत्त।
उनकी गत होबै बुरइ,जोंन करत हैं अत्त।।
अत्त- उपद्रे रव करा, पाकिस्तानी धूत।
बातन सें ना मानहै, जौ लातन कौ भूत।।
*11* श्री अमर सिंह राय जू नौगांव से कै रय कै अत्त करवे वारे से दूर रव चइए। अच्छे दोहे रचे बधाई।
अत्त और उरझट्ट से, रहियो हरदम दूर।
अत्त अंत करवात है, मानो बात हुजूर।।
करौ न अत्त गरीब पै, निर्बल नहीं सताव।
खाली जाय न बद्दुआ, सबने जोइ बताव।।
*12* राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ से कत है कै अत्त हलके करे तो छमा कर दव चाहिए।
अत्त करे हलके कभी,छमा करो श्रीमान।
अगर बडे से होय तो,खैंचें ऊकै कान।।
नेतन की चल जात है,उल्टी सूदी जान।
अत्त सहत सब लोग है,फिर भी कहत महान।।
*13*श्री लखन लाल सोनी"लखन"* जू छतरपुर ने एकइ दोहा रचो है-
तनक न सैटो काऊ खों,"अत्त" करै दिन रात ।
कर कै वो पछतात है,"लखन"सवई से कात ।।
*14* डां आर बी पटेल "अनजान" जू छतरपुर ने शिक्षाप्रद दोहे रचे है बधाई ।
अत्त करी जीने जिते,उत्तइ ऊकी नाश ।
संसारी लख लेव सब,ऊसे बुरौ विनाश ।।
*15* *श्री भजनलाल लोधी जू फुटेर टीकमगढ़* के सभी दोहे जोरदार है बधाई।
रावन सें बढकें हतो,अंग्रेजन कौ अत्त।
अब आँनद छाँनन लगे,जानन लगे महत्त ।।
जौ लौ दद्दा बाई हैं,कल्लो बेटा अत्त,
बब्बा कै कें चल बसे,राम नाम है सत्त।।
*16* श्री प्रभु दयाल जू श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
फूंका के जे ज्वांन हैं,तन में तनक न तत्त।
देत फिरत हैं दोंदरा, और मचारय अत्त।।
जब अच्छे दिन पाय सो,अत्त दऔ भरपूर।
समव बदलतन का लगै,चाट गये हैं धूर।।
*17**रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु. बडा गांव, झांसी ने उमदा दोहे रचे है
जय बुंदेली साहित्य समूह.बडागांव झांसी उप्र.
इतै अत्त जीने करी, रओ न बाकौ बंश।
संत शास्त्र कै रय सदा, रावण हो या कंश।।
*18* श्री कल्याण दास साहुउछ
कभउँ अत्त नइं कर दियौ,होत जिन्दगी झंड ।
जो जैसौ खरयात है , विधना देतइ दंड ।।
देख लेव इतिहास खों , जीनें दव है अत्त ।
बुरइ तराँ सीजे सबइ , बडे़-बडे़ अड़िधत्त ।।
*19* *श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा नदनवारा*
अत्त करत है जो कोइ , उसका अंत होय ।
जीवन न साजौ जी सके , नरक गैलरी सोय ।।
प्रकृति के ई अत्त को ,रोक सकैं नइं कोय ।
लाखन के नुकसान हौं ,खेती चौपट होय ।।
हाजिरी दइ हमें भौत नोनौ लगो आप सबइ ने पने-पने दोहा पटल पै डारे हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
*जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत*
- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़*
अध्यक्ष- मप्र लेखक संघ, मोबाइल -9893520965
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306-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-03-12-21
*पटल समीक्षा दिनांक-03-12-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन में सबयी जनन ने ज्ञानवर्धक और रोचक प्रसंग लिखे। डां राजेंद्र प्रसाद जयंती पर सबयी जनन खौं बधाई। सभी विद्वान साथियों ने शानदार लेख, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन कौ साहित्य सृजन स्वागत योग्य है। अपन सबयी जनन खौं बधाई देत भये एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन, आलेखन ने रौनक बढ़ा दयी ।
आज सबसे पैला पटल पै
*1श्री प्रमोद मिश्रा जी* ने सत्य घटना लिखी। अपन के लेखन और चिंतन खौं प्रणाम करत और बधाई देत। जातिवाद पै प्रहार और मानवता को अपनाने की बात करी। इंसानियत नहीं है तो कुछ भी नहीं है। आपकी भावना स्वागत योग्य है।
*2 श्री अशोक पटसारिया जी* ने प्रेम को लेकर रोचक और भावनात्मक लेखन कर हमेशा की तरह एक बार फिर समाज को बेहतर संदेश दिया। प्रेम को जीवन का प्राण, नैसर्गिक उपहार बताया है। प्रेम से सभी को जीता जा सकता है। शानदार लेखन कीअपन खौं भौत भौत बधाइयां।
*3* *श्रीमती अनीता श्रीवास्तव जी*। टीकमगढ़ ने अपने व्यंग्य तरक्की के माध्यम से समाज में बढ़ती पाश्चात्य संस्कृति पर करारा प्रहार किया है। आपने अपने विचारों को व्यंग्य के द्वारा प्रस्तुत किया, जो अनुकरणीय हैं। रहन सहन भारतीय हो और अपना गांव हो। आप को बहुत बहुत बधाई।
*4* *श्री अवधेश तिवारी जी* ने लघु कथा अंगुली के माध्यम से पिता पुत्र के रोचक प्रसंग प्रस्तुत किया है। छोटी छोटी बातें भी बड़ा ज्ञान देती हैं। अपन की लेखनी खौं नमन करत और अपन खौं बधाइयां देत...
*5* *श्री अभिनंदन गोइल जी* अपन ने धर्म की तार्किक विवेचना को आवश्यक बताऔ। धर्म को परिभाषित कर धर्म की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। धर्म के प्रभाव पर रोशनी डाली। अपन खौं शिक्षाप्रद लेख के लानें बधाई ।
*6 *श्री रामेश्वर राय जी* टीकमगढ़ ने लघु कथा के माध्यम सें बोली के महत्व के बारे में बतायी। प्रसंग नौनौ लगो। भाबयी बिदी अकैलें निनुर गयी। बधाई हो।
*7 श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी* ने बहुत ही रोचक लेख प्रस्तुत कर मोहनगढ़ किले के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दयी। किले की बनाबट और उसके इतिहास की जानकारी रोचक लगी। पर्यटकों के लिए भी यह जानकारी उपयोगी साबित होगी। बधाई हो।
आज पटल पर *केवल 7* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक,धार्मिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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307-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-नौ-6-12-21
#सोमवारी समीक्षा#बिषय...नौ#
#समीक्षाकार... जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा जिला टीकमगंढ
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आज की समीक्षा सें पैलाँ भगवती शारदा माँ के चरनन में नमन करत भय सबयी जनन खों हात जोर राम राम।आज कौ बड़ौ अजीब बिषय नौ/नाखून/भौतयीं नौनौ लगो।आज पटल पै सबयी विद्वानन ने अपनें अलग अलग रँगन सें नौ रँगे।तौ देखौ आज के अलग अलग रँग देखबे की कोशिश कर रय।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा.....
आपने 6 नौ दिखाय जिनमेंनौ बिषय पै आनंद कौ अनुभव करो।सेहत कौ संकेत नौ सें बताव।बैद कौ आँखें और नौ देख कें चूरन दैबौ,नौ में गैरै राजन कौ छिपाव,पीलिया में नौ पीरे परबौऔर बराई सें आराम,और गरे में नौ दैकें चीज लै जाकें नुकसान करबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव की का काने जीमें शिल्प शैली कौ जमाव देखतन बनत।आपके चरण बंदन।
#2#श्रीप्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़....
आपके 5 ननौ देखे जिनमें समर कें बोलबे की हिदायत, नौ सें सिंगार बरनन,नौ की नौक सें खुजाबे और काँटे काड़बे कौ आनंद,नौ के बिना अंगुली कौ सुन्दर ना लगबौ,और शनिवार खों नौ ना काटबे की हिदायत दयी गयी।आपकी भाषा भाव बेजोड़, शिल्प और शैली अनुकरणीय दिखानी।आपका सादर बंदन अभिनंंदन।
#3#श्री भगवान सिंह लोधी जी अनुरागी दमोह.....
आपके 5नौ पटल पै डारे गय,जिनमें हर हफ्ते नौ कटबौ,तिन्दुवा जैसे आदमी के नौ,मौं से नाखून कतरबे की निन्दा,आज की संतानों के बड़े नाखून रखबौ,और नौ के पर्यायवाची शब्द बताय गय।
आपकी भाषा भाव सटीक, शिल्प शैली सुन्दरता भरी दिखानी।
आपका सादर अभिनंंदन।
#4#श्री पं. प्रमोद मिश्रा जी प्रमोद बल्देवगढ़....
आपके 5 नौ देखबे मिले जिनमें श्री राम की बानर सेंना के बड़ै नौ,हिरनाकुश खों नौ सें फार कें मारबौ,खाज खुजली में नौ कौ आनंद,अगर नौ ना होंय तौ नौपालिस कंपनी कौ कंगाल हौबौ,और नौ सें नखी जानवरन कौ पेट भरबे कौ बरनन करौ गव।
आप भाषा भाव की मधुरता के कारीगर और शिल्प और शैली के लयपूर्ण श्रेष्ठ गायकं भी हैं।
आपको चरण बंदन और अभिनंंदन।
#5#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मैने 5 नौ पटल पै डारे जिनमें,नौ घोर मैनत के बाद भी सेठ कौ प्रशन्न ना होबे कौ,नौपालिस कौ लाखन कौ ब्यापार, नौ दाँतन सें कतरबे सें जनेबा कौ दुख,वनवासियन कौ नौ रखाकें खुश रैबौ,और नौ खों हतयार बनाकें शिकार करबे कौ बरनन करो गव।
भाषा भाव शिल्प और शैली आप सब जनें जानों
। सबखों हात जोर राम राम।
#6#*श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्नी टेरी बुड़ेरा....
आपके 6 नौ पटल पर मिले जिनमें सूर्पनखा के नौ,नौ कौ निरंतर बड़बौ,नौदुर्गन में नौ ना कटाबौ,नौ पालिस लगे नौ सें चून माड़बे सें खून छनकबौ,नारियन कौ नौ सें सिंगार,और नौ की पहेली कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा भाव सटीक और सुन्दर,शैली और शिल्प सरल और जादूभरे हैं।आपको सादर नमन।
#7#श्री रामानंद पाठक जी नंद नैगुवाँ......
आपके 5तरह के नौ पटल पर मिले जिनमें नौ से अंग की शोभा,
नौ कौ चौपायन को निशान हौबौ,
नौ सें सिख तक कवियन कौ सिंगार बरनन,नौ कौ काम में आबौ,और नौ सें हिरनाकुश के संहार कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा बोलचाल की सरल बोली है भाव लाने में पाठक जी सक्षम हैं।शैली सुन्दरता में शिल्प का आनंद मिलता है।
आपके चरण बंदन।
#8#श्रीमती अरुणा साहू जी रायगढ़......
आपके 5 नौ पटल पर पाये गय,जिनमें खवास के द्वारा नौ काटबौ,नौ में मैल भरकें भोजन करबे कौ,पीलिया कौ नौ देखकर पकरबौ,नौपालिस के लाने गोरी की जिद,और नौ हतयार सें खून निकरबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा नौनी भाव सुन्दर,शिल्प गठन नौनौ शैली सरल है।आपके चरण बंदन और अभिनंदन।
#9#श्री पं. बृजभूषण दुबे बृज जी बक्सवाहा.....
आपके पटल पर 4नौ देखे जिनमें नौ दुर्गन कौ बरनन,नौ काटबे सें लाभ,नौ नौ के गड़ा मुहावरे कौ प्रयोग,और नौपालिस सें सिंगार करबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा भाव में सरलता सरसता,और शिल्प शैली अच्छी लगी।
आपको सादर नमन बंदन।
#10#डा. देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा......
आपके 4 प्रकार के नौ पटल पै डरे,जिनमें नौ घुरबे पै पछतावा, नौ सें हिरनाकुश संहार,चीन और पाक के नौ काटबे सें उनकी नीद हराम करबे कौ,और दंद फंद के नौ कौ बरनन करौ गव।आपकी भाषा शैली अद्भुत और बेजोड़ है।आप बुन्देली शैली और शिल्प के महान कारीगर हैं आपकी भाषा और भावों से बहुत सीख मिलती है।
आपके चरणों की बंदना करता हूँ।आप अनुकर्णीय कवि और साहित्यकार हैं।
#11#श्री संजय श्री्वास्तव जी मबयी हाल दिल्ली......
आपके 5 नौ पटल पर मिले जिनमें नौ की खरोंच सें आराम मिलबे कौ,नौ और बार बिना खून के बढ़बौ, नवरात्रियों में नौ और बार ना कटवाबे कौ,नौघेरा की पीर कौ,और नौ सें खाल नोंचबे कौ शानदार बरनन करो गव।
आपकी भाषा की शिल्प और शैली अभिनय पूर्ण है,भाषा और भाव खरे हैं।आपका सादर अभिनंंदन।
#12#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़......
आपके 5 नौ देखने को मिले।जिनमें नौ कौ बिषैलौ होबो,गुण्डों और खूँखारन के नौ,समझदारन द्वारा हर हफ्ते नौ काटना,और लराई में नौ कौ उपयोग बताव गव।आपकी भाषा और शैली लय पूर्ण रपटदार सटीक और सरल है।जिसमें कमाल के शिल्पो ने भाव अपने आप बनाये हैं।
आपका सादर बन्दन।
#13#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल........
आपके 5 तरह के नौ पटल पर पाये.जिनमें शहरों की छोकरियों के नौ,नौपालिस रचा कें ब्याव घरै जाबे कौ,पाण्डु रोग में नौ पीरे होबौ,कवियन कौ नौ सिख बरनन,और दाँतन सें नौ कतरबे की निंदा करी गयी।आपकी भाषा भाव अनूठे शैली और शिल्प मजेदार रय।आपका सादर बंदन अभिनंंदन।
#14#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़.......
आपके 5नौ पटल पर मिले जिनमें
नौ बड़े सें खब्बीस से तुलना,सिंगार में नौ का महत्व,नौ से सिख तक सिंगार बरनन,पिया के नौ की धारियां शरीर पर परबे कौ सटीकता सें बरनन करो गव।
आप भाषा भाव के जादूगर,और शिल्प शैली के मजबूत कलाकार हैं।आपका सादर बंदन अभिनंंदन।
#15#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा......
आपके पटल पै 6 प्रकार के नौ पेश करे गय जिनमेंनौ बजे रामराजा ओरछा की ब्याई और कलेवा ,नौ गिरे मुहावरे कौ प्रयोग,नौ का अंक सबसे बड़ौ बताव गव।नौ की अनंत गिनती,
बड़े नौ बारों का बुरा रूप आदि कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा भाव उत्तम रये।शिल्प शैली मजेदार दिखानी।
आपको सादर नमन।
#16#श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी......
आपके 5 नौ देखे जिनमें नौ कौ मतलब,नौ से मूड़ तक सोरा सिंगार कर पिया मिलन की आस,नौ पालिस लगा कर चून माड़ना,और गरे में नौ देना मुहावरे कासुन्दर प्रयोग करो गव।
आपकी भाषा भाव सुन्दर,शिल्प शैली मजबूत।आपकौ बेर बेर बन्दन।
#17#श्री रामेश्वर राय परदेशी जी टीकमगढ़.......
नौनी की नौनी छटापैर नौ लखा हार।इसमें यमक की शानदार छटा बिखेरी गयी और दुलैया कौ शानदार बरनन करो गव। आपने भाषा भाव कौ जादू बिखराकें शिल्प शैली में चार चाँद लगा दय।
आपको सादर नमन।
#18#श्री भजन लाल लोधी भजन फुटेर......
आपने एक नौ कौ निरूपण करो गव जिसमें नौ खौं रक्षा कवच बताव।नौ के बिना कंकन की गाँठ कैसें खुलै।आप भाषा के जादूगर भावों के मास्टर और शिल्प शैली के कुशल कारीगर हैं।
आपको सादर नमन।
उपसंहार.... आज सबयी मनीषियन नें कमाल करो।अगर कोऊ धोके सें छूट गव होय तौ अपनौ जान कें क्षमा करें।
समीक्षा बंद करबे सें पैलाँ सबखों
राम राम।
समीक्षाकार.......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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308-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-पेरा-13-12-21
#सोमवारी समीक्षा#बिषय -पेरा#
#समीक्षक..जयहिन्द सिंंह जयहिन्द#
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आज के बिषय पेरा की ,मीक्षा लिखबे के पैलाँ भगवती माँ सरस्वतीजी को साष्टाँग दंडवत।
सबखों हात जोर राम राम ।आज कौ मीठौ बिषय पेरा सबयी खों मीठौ लगो।सबने अपने अपने मानस पटल सें पेरा बिषय खों खूब मथो।तरह तरह के दोहे पटल पै डारे गय जिनमें अलग अलग भाव मिले।भौत नव ज्ञान देखवे मिलो तौ हम और आप सबके प्यारे 2 पेरा खाबे चल रय।
#1#श्री अशोक पटसारिया नादान जी लिधौरा.....
आपके 6 पेरन में,दस नय के पेरा कौनमकीन संगै कलेवा,बौरे की भजिया सँग पेरा खाबौ,बरुवासागर के पेरन सें मौ में पानी आबौ,हरिद्वार और बिन्द्रावन के पेरा,चड़ते बेसन केभजियाऔर सेव के संगै पैरा की पुट कौ बखूबी बरनन करो गव।आपकीभाषा सरल सरस धारा प्रवाह भाव भरी शिल्प अनौखे,शैली मजेदार मिली।
आपखों बेर बेर नमन।
#2#श्रीभगवान सिंह लोधी अनुरागी जी हटा जिला दमोह.....
आपके 5पेरन मेंशवरी के पेरा सें मीठे बेर,शुद्ध मावा की जगह अशुद्ध मावख के पेरा,असली की जगह नकली पेरा,घर के खोवा के पेरन कौ भोग लगाकें खाबौ,पेरा की जगह सबेरे की हवा खावे कौ साजौ बरनन करो गव।आपकी भाषा मे लय तान मात्रायें सयी लगीं,शैली शिल्प मजेदार,भाव नौने लगे।
आपकौ बार बार अभिनंदन।
#3#श्रीप्रमोद कुमार मिश्रा जू बल्देवगढ़......
आपने 5पेरख खबाय जिनमें राम मंदिर के पेरा,पेरा खाय से बीमार होबे कौ गुरमें सें इलाज,पाखंडी पेरन सें बचाव,मंदिर के साजे पेरा,नेतन की जीत के लाने पेरा चड़ाबे कौ बरनन करो गव।
पं. मिसर जू खों दंडवत।आपकी भाषा धार सी प्रवाह लँय,भाव ऊँचाई पर्याप्त, शैली शिल्प अनूठे।महाराज की जय।
#4#श्रीप्रदीप खरे जू मंजुल टीकमगढ़.......
आपने 5पेरा थाली में परसे,जिनमें गोरी के मनाबे बरुवासागर के पेरा,पेरा सी मीठी बानी बोलबौ,प्रभु प्रसाद के पेरन सें रोग भगाबौ,बिन पेरन के छप्पन भोग फीकौ लगबौ,प्रेयसी खों पेरा ख्वाय से प्रेम बड़बौ आदि कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा में प्रवाह शैलीमें लय शिल्प की कलाकारी भरवे की सुन्दरता देखबे लायक मिली।
भाव की प्रवलतख मनमोहक।
आपका सादर बन्दन।
#5#श्री राम बिहारी सकसेंना राम खरगापुर......
आपने 4 पेरख पेश करे जिनमें बुन्देली पेरा,भेलसी के पेरा,बरूवासागर के पेरा,और पाउडर के पेरन कौ बरनन करो।
आपकी शैली सुन्दर शिल्प मनमोहक भाव आकर्षक भाषा सटीक और सरल है।
आपको बारंबार बधाई।
#6#डा.देवदत्त द्विवेदी जी सरस बड़ा मलहरा.......
आपके 4 पेरा परसे गय जिनमें शवरी के जूठे बेर प्रेम सें रामजी के खाबे कौ बरनन करो गव जिनके लानेसब बरफी पेरन के ढेर लगख देत।मथुरा के पेरा ,बरसानें की खीर,बृज के माखन मिसरी सें भगवान की तृप्ति,लड़ुवा पेरा दयीबरा सें जादा इँदरसे की माँग,बुन्देली बिधाओं की मिठाई में लमटेरा खों पेरा बनाबे कौ बरनन करौ गव।
आपकी भाषा जादूगरी मनमोहक, शिल्प सुन्दर भाव सुन्दर और शैली की गूढता दर्शनीय है।आपके चरण बन्दन।
#7#श्री गोकुल प्रसाद जी यादव नन्नी टेरी बुड़ेरा.......
आपके 6 पेरा स्वाद के लाने परसे गय.।जिनमेंमथुरा में पेरा कौ जनम,नकली पेरन कौ बरनन,खोवा चीनी केशर पिस्ता लायचीसें पेरा बनाबौ,बरुवासागर और भेलसी के पेरा,अबै के बेरन सें पेट खराब हौबौ,पेरा खबाकें पुटयाबे की याद कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा चमत्कारी, भाव अनुपम,शैली और शिल्प मनमौहक मिले।
आपका सादर अभिनंदन।
#8#श्री शोभाराम दाँगी जी नँदनवारा......
आपके 6 पेरा देखबे मिले जिनमेंपैले दोहा के दूसरे चरण में मात्रा भार बढबे सें लय भंग हो रयी सो सुधार जरूरी है।पेरा सें मन की दमंगी,भजिया और चटपटी नमकीन के सँग पेरा कौ स्वाद,बरुवासागर के पेरा,मजदूर में पेरा की तरस,और काम के पेरा की चर्चा करी गयी।आपकी भाषा भाव शैली और शिल्प मजेदार लगे।आपकौ सादर बंदन आभिनंदन।
#9#श्रीरामेश्वर राय साब परदेशी जी टीकमगढ़.......
आपके 2 पेरन में जिनमें पेरा बिषय पै सबकी परेशानी, पेरा देख कें मौ में पानी आबे सेंदुकान सें दूर भगबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा सटीक लय भरी शैली मनभावन, शिल्प सुन्दर और भाव भरे मिले।
आपका सादर बंदन।
#10#श्रीगुलाब सिंह यादव भाऊ जी लखौरा.......
आपके 5पेरन में,पेरा सें प्रभु लड़ुवा सें गनेश,माखन सें किशन,गांजे भाँग सें शंकर जी कौ मनाबौ,पेरा केरा दूध सें देह की पुष्टता,पेरा सें ताकत और आँखन की जोत बड़बौ,दूध मठा पेरा सें हड्डी जोरबौऔर मौड़ी मौड़न के पेरन कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा संयत जोरदार भाव अनुपम शैली मनमोहक शिल्प सुन्दरता अनुकरण के लायक मिली।
आपका सादर बंदन।
#11#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मेरे 5 पेरन में पेरा के भोग सें देवतन कौ खुश हौबौ,मावा शक्कर और मेवा सें पेरा बनाबौ,पेरा कौ सब उमर के लोगन को पेरबौ,जीभ की ललक खीर छोड़ पेरा सें लगबौ,सब जातियन कौ मथुरा के पेरा भाबौ आदि कौ बरनन करो गव।
भाषा भाव शिल्प शैली कौ मूल्याँकन आप सब जनें जानौ।
मोरौ हात जोर सबखों नमस्कार।
#12#श्रीभजन लाल लोधी भजन फुटेर......
आपके 5 पेरन में मधुमेह के डर सें पेरा ना खाबौ,चालू औरतन कौ पेरा केरा और पान सें भड़याई सें स्वागत,पेरा की मिठास और डाड़ दर्द,पेरा की कम चाहत नमकीन की जादा माँग,पेरा की खबर सें लार टपकबे कौ बरनन करो गव।
आप भषा भाव के कुशल कारीगर,शिल्प शैली के मजेदार जादूगर हैं।
आपका सादर नमन।
#13#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी टीकमगढ़........
आपके एक मात्र पेरा में केशर पिस्ता सें रँग पीरौ परबौ और बच्चन कौ पैसा दैकें पेरा खाबे कौ बरनन करो गव।आप पटल संचालक भाषा भाव शिल्प शैली के पारंगत परीक्षक और निर्देशक हैं आपकी लगन और मेहनत अनुकरणीय है।आपका सादर बंदन और आभिनंदन।
#14#श्रीपं. अंजनी शरण चतुर्वेदी जी निवाड़ी.......
आपके 5 पेरन में लडुवा पेरा जलेवी देखकें मन ललचाबौ,जालौन के पलंगटोर मालदार पेरा,छतरपुरी खुरचन बनारसी पान,बरूवासागर के पेरा,पेरा सें जीभ की ललक,बैन भैयन की पेरा पै लराई,खोवा के पेरन सें प्रभु खों भोग लगाबे सें स्वर्ग कौ मिलबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव जागृत शिल्प शैली मनभावन है। आपकौ सादर बंदन आभिनंदन।
#15#श्रीसंजय श्रीवास्तव जी मबयी हाल दिल्ली........
आपके 5 पेरन मेंलडुवा पेरन कौ काशी में चड़बौ,पेरा सें केरा कौ भलौ होबौ,बरुवासागर और मथुरा के पेरा,लडुवा पेरा रस भरी मिठाइयों से शर्करा की बीमारी ,और लडुवा पेरा खाँकें पानी सें पेट भरबौ,बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव में मंचीय शैली और शिल्प शैली में नाटकीय कला समाहित रहती है।
आपका सादर बंदन और आभिनंदन।
#16#श्री प्रभु दयाल श्री्वास्तव पीयूष जी टीकमगढ़.......
आपके 6 पेरन में पेरा बनाबे की कुशल कारीगरी,हल्के पेरा देखकें बचपन के पेरन की याद,जेवरा की गुजियाँ और बरुवासागर के पेरा,मथुरा के पेरा और बरसानें की बुन्दी,पेरा की सुनदरता कौ बरनन,बरुवासागर के पेरन की माँग कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव सराहनीय हैं।शिल्प शैली की बेजोड़ कुशलता आपके आभूषण हैं।
आपका बंदन और आभिनंदन।
#17#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर......
आपके 5 पेरन में पेरन की महिमा, पेरा के बनाबे में सरलता,पेरा खों साँचे में बनाकें गरी बिर्राबौ,पेरा के दूसरी मिठाइयन सें रिश्ते,और तीरथ धाम के पेरन कीसबकी पसंद कौ बरनन करो।आप बुन्देली के सिद्धहस्त कुशल कारीगर हैं जिसमें भाषा भाव के दर्शन अपनेआप आ जात।शिल्प शैली रोचक और मनमोहक है।आपका सादर बन्दन।
#18#श्री बृज भूषण दुबे बृज जी बक्सवाहा.......
आपके4 पेरन में पेरा कौ अपनो अपनौ स्वाद,मथुरा सें पेरा मगा मगा खाबौ,दूसरन के पेरे सें खुद पिर जाबौ,सूर्पनखा कौ रावन खों पेरबौ,बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव शिल्पशैली सराहनीय है।आपका सादर बंदन।
#19#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़.......
आपके 5 पेरन में पैलाँ पेरख खाबे बारन कौ इठलाबौ,पेरा खाकें संतोष मिलबौ,जय बुन्देली साहित्य समूह पटल पै सबने पेरा खाय पर सरल कौ पछाँय रै जाबौ,पेरा खाय सें पेट चड़बौ,नादान कवि खों टटियाटोर परा खाबे सें रोकबौ,शामिल करो गव।आपकी भाषा भाव उच्च स्थान को प्राप्त हैं शिल्प शैली को मजबूती देनें में सक्षम।आपका सादर नमन।
#20#उपसंहार .......
आज सभी विद्वानन ने पेरा बिषय पै अपने 2 विचार रखे गये ,नवीन ज्ञान उजागर हुवा।यदि कोई विद्वान समीक्षा से बंचित रहा हो तो मुझे अपना समझ कर क्षमा करें ।मैने इसमें 8.00बजे शाम तक की रचनायें शामिल कीं हैं।
समीक्षा को बिराम दैबै सें पैलाँ सबखों राम राम।
समीक्षाकार.....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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309-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-16-12-2021
🏵️जय बुन्देली साहित्य समूह 🏵️
दिन बुधवार
15/12/2021
🌲समीक्षा 🌲
बुन्देली में स्वात्रंत गद्य लेखन
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
आज समीक्षा लिखबै के लाने मईया सरस्वती जू की वंदना करत है जू अपुन सबई खो हात जोर के राम राम पहुंचे जू
1-श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू लिधौरा टीकमगढ़ म प्र
आ•महराज नादान जू आज अपुन ने सबसे पैला चुनाव पै भौतई बढ़िया गीत लिखों हैं जू मोदी खो बदनाम करबै लडंईय छोड़ रये भौतई कछु सार लिख दव है जू
हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनंदन करत है जू
👏👏
2-श्री रामेश्वर राय परदेशी जू टीकमगढ़
आ•परदेशी जू आज अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू पीरा भोगत है कर मन की
पैला कर 2 मन की
अपुन ने आज जमाने की चाल चलन पै भौतई बढ़िया लिखों हैं जू हार्दिक स्वागत 👏👏
3-श्री भगवान सिंह लोधी,अनुरागी,जू
हटा दमोह (म,प्र,)
आ•अनुरागी जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली में गीत लिखों हैं जू
आओं बड़ेदा ताप लो गुरसी में बर रइ आगी
प्यांर कुदवन को नइ मिलत ख्वार नइ भरा पाई
ठंड से दूध नइ होरव पल्ली में पिल्ला पर गये
ठन्डन में जो जो गते होत है जू अपुन ने नोनो हबाल लिखें है जू अपुन को बार-बार सादर नमन
👏👏
3-श्री भजन राजपूत जू
फुटेर खरगापुर
आ•दादा जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू
मोरें अँगना में होबै ज्योनार तो दैखो कैसो नौनो लगें कच्ची पक्की ब्याजन सबई कछु मिठाईयोंन को बखान करों है जू अपुन को हादिक स्वागत सादर प्रणाम 👏👏
5-श्री सुनीता खरे जी
मध्य प्रदेश
आ•खरे जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली में सरस्वती वंदना को सुन्दर गुण गान लिख के करों हैं
माॅ सरस्वती माॅ सरस्वती
माॅ सरस्वती माॅ सरस्वती
दीप जलाव पुष्प चड़ाये नमन वंदन अभिनंदन करों है जू अपुन का स्वागत है जू 👏👏
6-श्री प्रमोद मिश्रा जू बल्देगढ टीकमगढ़
आ•मिश्रा जू अपुन ने भौतई बढ़िया पुराने जमाने को राट पे गीत लिखों हैं जू एक नग नग को बखान करो ककई ककुवा पई भौरी मार घरिया अरा बढ़िया गीत लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत है जू
राट चलो भौरी भुमि नुमे बैलवा भोर
ककवन पे घरिया चडी पानू ल्य रइ बोर गीत बोल है 👏👏
7-श्री एस आर सरल टीकमगढ़ जू
आ•सरल अपन ने बुन्देली चौकडिया लिखी हैं चौकडिया बोल है
मोका मिलो छोड़ने नइयाॅ
कै रय सबइ चिरइयाॅ
करयाट है ई चुनाव में घर घर लगी गुरइयाॅ
अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 👏👏
✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️
8-श्री प्रभु दयाल स्वणॆकार प्रभु जू
ग्राम कैरूआ
तह,भितरवार जिला ग्वालियर म,प्र,
आ•प्रभु जूअपन ने भोतई नौनी बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू
माटी खेतन की है कारी लगी जरेटन बारी
बुबी बराई चलरई चरखी बनरई गुर की पारी
बराई चोख पे खो मिल रई रसखीर मिल रइ मजा आ गव है अपुन खो हार्दिक स्वागत सादर नमन 👏👏
9-श्री देवदत दुवेदी सरस जू बड़ा मलहरा
आ•दादा सरस जू अपुन ने भौतई बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू जी में जटा शंकर भोले बाबा को बखान करों है जू बोल हैं
दरसन करौ जटा शंकर के
बाबा गंगाधर के
डर के भगाबै बारे भयकारी कुन्डन के सपरे से रोग दोग सबई भग जात है अपुन ने आज दो चौकडिया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
10-श्री प्रदीप खरे मंजुल जी पत्रकार जू टीकमगढ़
आ•मंजुल जू अपुन ने भौतई बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू बोल हैं
मनुवा कोऊ काऊ कौ नइयाॅ
भजलो राम गुसइया जो जग ठगुअन को मेला है गरे में हात डार के ठग रये है भाई बन्द सब स्वारत के है भौतई नौनी चौकडिया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत है 👏👏
11-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष जू टीकमगढ़
आ•पीयूष जूअपुन ने भौत बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू बोल हैं
जा सरदीली रैन अगन की
अपुन को सार ठंड के मईना को बखान भौतई नौनो बखान् करों जू जो मईना अपनी रंग दारी दिखात है जाड़े से जुडयउन लगत है हरेक तरा को बखान जाड़े के मईना को दव है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
12-श्री जयहिन्द सिंह जय हिन्द दाऊ साव जू पलेरा जिला टीकमगढ़
आ•दाऊ साव जू अपुन ने भौतई बढ़िया जन्म संस्कार गीत लिखों हैं जू जी के बोल हैं
अगना में बज रयी बधाई घड़ी शुभ आगयी महराज
जन्म गीत होरय निछावर हो रइ जाने का का श्रिंगार रस गीत लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूँ जय हो करत है जू 👏👏
13-श्री गोकुल प्रसाद यादव जू नन्हीं टेहरी बुड़ेरा टीकमगढ़
आ•सर जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू बोल हैं
जब से होगइ मोरी शादी होन लगी बरबादी
अपुन ने लिखों है के शादी को जंजाल माया खरचा भारी बड़ जात है जू जो जीवन एक जाल में फस जात है जू जब शादी नई भइ तो रेशम पैरत ते अब खादी नइ मिल रई है अपुन ने भौतई बढ़िया लिखों हैं जू अपुन सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
14-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जू निवाडी
आ•चतुर्वेदी जू अपुन ने भौतई बढ़िया चौकडिया लिखी हैं जू बोल हैं
आसुन परी ठंड हत्यारी देह जुड़ा रइ सारी
अपुन सार लिख दव है जू हल 2 कप रय ठंड फैल रइ भारी पंछी दुके घसुवा में घर सब घरवारी पल्ली में भौत कछु सार लिख दव है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन 👏👏
15-श्री बृज भूषण दुबे ब्रज जू बकस्वाहा
आ•ब्रज जूअपुन ने भौत बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू बोल हैं
करो न कौनउ तुमने पर उपकार
परोपकार कर लव है जिनने जीवन भर उपकार
अपुन ने सासउ भोतई बढ़िया धर्म की बातें लिखी हैं जू परोपकार सबसे बड़ो जग में है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन 👏👏
16-श्री शोभा राम दांगीजू नंदनवारा
आ•दादा जू अपुन ने लोक गीत लिखा है
हनुमान जी शनिदेव लड़ाई पटक पटक के मारों जुवानी को नशा उतारो सार दार वेद शास्त्र में भौत कछु गीत लिखों हैं जू अपुन सादर नमन वंदन 👏👏
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आज अपुन सबई जनन ने भौतई बढ़िया बुन्देली में एक से बड़ कर नौनो बखान् करों हैं जू अपुन सबई खो हात जोर के श्री सीताराम पहुंचे जू
👏👏
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़
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310-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-17-12-21
*पटल समीक्षा दिनांक-17-12-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सबयी भैया बैनन ने रोचक और ज्ञानवर्धक लेख आलेख पटल पै परोसे। विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, लेख, संस्करण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन के विचार और चिंतन स्वागत योग्य है। अपन सबयी जनन खौं बधाई देत। जाड़े में भैया साहित्य साधना कर रये..बधाई। एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी।
आज सबसे पैला पटल पै
*1श्री अशोक पटसारिया जी* हत्था जोड़ी । भैया बड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दयी। लियाबे की मंशा होन लगी। मिले कितै, जा और बताउनें। श्रद्धा और आस्था से जुड़े रोचक प्रसंग की प्रशंसा करत। संगे विज्ञान के आधुनिक युग में येसी जानकारी खौं अंधविश्वास से परे रखबे की विनती करत। संदेशप्रद जानकारी के लाने बधाइयां। हत्ता जोड़ी को असर दिखाई दै रऔ ...
*2* *श्री रामेश्वर राय, परदेशी जी*। पंचन की बुद्धि मानी तौ जगजाहिर रयी। अपन ने लघुकथा के माध्यम से सारगर्भित कहानी लिखी। भगवान शिव और पार्वती मैया की अनेक कहानियां समाज को शिक्षा देती हैं। मुशीबत मोल नहीं लेना चाहिए। पंचायती न्याय जल्दी और कम खर्चीला होता था, जो आज भी प्रासंगिक है। अपन खौं बधाई।
*3* *श्री प्रमोद मिश्रा जी* ने विचित्र यात्रा वृत्तांत शीर्षक सें बड़ौ रोचक प्रसंग लिखो। मेंहदीपुर बाला जी की यात्रा को रोचक ढंग सें वर्णन करो। संस्कार और सभ्यता की रक्षा कौ संदेश सोई बातन बातन में दै रये। तीर्थ दर्शन करने का सौभाग्य मिलना भी सौभाग्य की बात है। वाह...बधाइयां
*4* *श्री अभिनंदन गोयल जी* आपकी साहित्य साधना अनुकरणीय है। परिश्रम के बाद सफलता न मिलने पर पराजय स्वीकार करना मानव प्रवृत्ति भी बनती जा रही है। आपका चिंतन और विचार प्रशंसनीय हैं। गागर में सागर भरने की कला अनुकरणीय है।
*5*कवि भगवान सिंह लोधी* आप बीती शीर्षक सें अपन नें रोचक प्रशंग लिखो। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले परेशान तो हो सकते हैं, लेकिन पराजित नहीं होते। प्रेरणा दायी प्रसंग के लिए बधाई हो।संदेश सुंदर दिया है।
*6 गणतंत्र ओजस्वी* अपनने प्रेम को लेकर अपना नजरिया बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है। रूह का सिंगार जिस तरह शरीर के सिंगार से बेहतर है, उसी तरह शरीर से नहीं आत्मा से प्रेम करें। प्रेम अमर है, वासना नहीं।बधाई
*7श्री अंजनी चतुर्वेदी* अपनने बहुत रोचक कहानी लिखी जू। गुरु की महिमा और आदर भाव को बढ़िया तरीके सैं लिखो जू। गुरु का इशारा ही बहुत है। शीर्षक और प्रसंग दोनों शानदार हैं। बधाइयां
आज पटल पर *केवल 8* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया अनेक समसामयिक,धार्मिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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311-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-कमरा-20-12-2021
#सोमवारी समीक्षा#कमरा#
#दिनांँक 20.12.2021#
#समीक्षक...जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा जिला टीकमगढ
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आज की समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ भगवती शारदा खों नमन करत भय सबयी मनीषियन खों राम राम।आज कौ बिषय कमरा जो हर आदमी के कमरा में जाड़ौ बचाबे के लाने धरे रात।आज कमरा पै सबने अपने अपने बिचार दोहा में भर कें पटल पै डारे,जीसें भौत नवीन जानकारी सबखों मिली।सबके उदगार एक दूसरे खाँ प्राप्त हो गय।तौ लो अब सबके कमरा के कमरा देखबे ्अलग अलग चल रय।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिय
नादान जी लिधौरा.......
आपके 7कमरा जिनमें कमरा कमरा की गाँठ न लगबौ,करिया कमरा पै दूसरौ रँग ना चड़बौ,पशमीना के कमरा की ऊँची कीमत,भेड़ की ऊन के कमरा सें ठंड बचबौ,संतन खों कमरा बिछाकें बैठाबौ,खेत मड़ैया पै कमरा और ख्वार,और फुटपाथ पै तौलिया बिछाकेंपरबे बारन कौ
कमरा उड़ाबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा चुटकीली भाव सारयुक्त,शैली प्रवाहदार और शिल्प मजेदार हैं।आपका सादर बंदन।
#2#श्रीडा. देवदत्त द्विवेदी जी सरस बड़ा मलहरा .......
आपके 4 कमरों में जिनमें कमरा डारकें सोंजिया हौबौ,कमरा पै बैठबै बारन खों पंच सरपंच बनें सें मंच मिलबौ,जानकारन की कानात कमरा की कमरा सें गाँठना लगबौ और करिया कमरा पै रँग ना चड़बे कौ बरनन करो गव।आपकीभाषा शिल्प भाव और शैली कमाल की जादूगरी और सुन्दरता से भरपूर है।आप बुन्दली के गौरव हैं।आपके सादर चरण बंदन।
#3#श्री रामेश्वर राय परदेशी जू टीकमगढ़........
आपके 2 कमरा जिनमें किसानन कौ कमरा ओड़ कें लमटेरा गाबौ,कमरा बिना ठंड में चैंन ना परबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव सुलझेभय,शैली शिल्प कमाल की है। आपका सादर बंदन।
#4#श्री पं. प्रमोद कुमार जी मिश्रा प्रमोद बल्देवगढ़.......
आपके 6कमरा जिनमें,गड़रया कमरा ओड़बौ,मेंड़ पै साँतरी में कमरा ओड़ कें किसान कौ सोबौ,हारे रखवारी खों काँधे पै कमरा,कमरा ना सूख़ पाबे की परेशानी, कर्रा बारी ठंड में कमरा कौ सुख,औरतिहाड़ जेल में आशाराम बापू कौ कमरा ओड़ कें परबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा भाव में संगीत की पुट,शिल्प शैली अनूठी है।
आपको सादर नमन।
#5# जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मेरे 5 कमरा जिनमेंकमरा की कमरा सें गाँठ ना लगबौ,कमरा सें ठंड बचाबौ,कमरा की निर्मलता,भजन पूजा में कमरा की पावनता,और भेड़ की ऊन कौ कमरा पसमीना सें साजौ हौबौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प और शैली आप सब जनैं जानौ।
मेरी ओर सें सबकौ बंदन आभिनंदन।
#6#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़........
आपके 7कमरा जिनमें दो कमरन की गाँठ ना लगबौ,कमरा सें चेंन की रात काटबौ,कमरा बिना जिन्दगी झण्ड हौबौ,दीन दुखियन कौ कमरा,कमरा कथरी सें ठंड काटबौ,कमरा के बटवारे के बाद ठौर बिगंरबौ,और रजाई कमरा सें तताई आबै कौ बरनन करो गव।
खपकी भाषा सरल सरस चुटकीली भाव शानदार, शिल्प कमाल शैली मजी भयी पाई गयी।
आपका सादर बंदन।
#7#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी.......
आपके 5 कमरा पटल पर मिले,जिनमें कमरा कमरा की गाँठ ना लगबौ,कमरा कौ बजन सूकौ 2 किलो,गीलो 8 किलौ,कमरा के छेद बंद करबे कौ भेँद जानबौ,गंगा नहाये से ऊजरौ न होबौ,श्री कृष्ण द्वारा काँधे पै कमरा टाँग कें गाय चराबौ,और डाँग में कमरा ओड़बौ रीछ जैसौ लगबे को बरनन करो गव।
आपकी भाषा सरल सुवोध भाव गरिमामय,शैली एवम् शिल्प मजेदार लगे।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#8#श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्नी टेरी बुड़ेरा.......
आपके 5 कमरा जिनमें कमरा की कमरा सें गाँठ ना लगबौ,धरम बदल कें कमरा रँगबौ,साँतरी और छेद बंद करे कमरा सेंठंड बचाबौ,मैलौ कमरा भी पवित्र मानबौ,और गुलगुले कमरन कौ चलन बरनन करो गव।
आपकी भाषा कुशल शिल्प की नमूना है जिसमें भावों की कुशल कारीगरी के दर्शन होत ।शैली एवम् काफिया जोरदार, लय एवम् तान का विस्तार बखूबी किया है।आपका सादर अभिवादन।
#9#श्री अमर सिंह राय साहब नौगाँव......
आपके 6 कमरा जिनमें ठंड सें नौगाँव कौ पारौ 1.8 हौबौ,कमरा न भय सें पतरे कमरा में फुटपाथ पै रात काटबौ,कमरा कमरा की गाँठ न लगबे की कानात,बच्चा बूढ़न कौ ठंड में ना सपरबौ,कमरा और तपाकें बूड़न की ठंड बचाबौ,और कर्रा की ठंड कमरा सेंना मिटंबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा मजेदार शैली प्रवाहित, शिल्प सुन्दर और भाव खूवसूरत हैं।आपका सादर बंदन और अभिनंदन।
#10#श्री प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़.......
आपके 5 कमरा जिनमें,ठंड सें कंगाली कौ रोबौ,आठ कौ अंक बनकें ठंंड काटबौ,नेतन कौ रँग कमरा जैसौ करिया होबौ,कमरा की निरमलता सें साधुवन कौ कमरा सें तीरथ करबौ,और कयरा बाँट कें फोटो खिचाबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा भाव निष्पक्ष शैली सुवोध और भाव मजेदार मिले आप भाषायी जादू के कलमकार हैं।आपकौ सादर नमन।
#11#श्री शोभाराम दाँगी जी नँदनवारा.......
आपके 6कमरन में जिनमेंसंतन कौ कमरा लँय राबौ,ठंड में संतन खों कमरा ही काम दैबौ,कमरा के बल कौ बरनन,कमरा और रजाई सें ठंड काटबौ,गरीबन खों कमरा बाँटवौ,और कमरा पल्लीं मिलाकेंमैदान में सोबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा और शैली धैर्य धारी गंभीर भाव उचित शिल्प सटीकता सरल है।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#12#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.......
आपके सिर्फ एक कमरा जिसमेंकमरा में कमरा मिलाकें करया कमान करकें परबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा और भाव का उदाहरण पटल संचालन है जिसमें शिल्प और शैली का कमाल देखते बनता है।आपका सादर बंदन।
#13#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा......
आपके 4कमरा जिसमें कमरा को गिलहरी सें बचाबौ,गिलहरी और चूहा कौ कमरा काटबौ,और लै जाबौ,और कमरा सें शरीर कौ लाल हो जाबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा कौशल सरल सटीकता लँय शैली मजेदार भाव और शिल्प कारीगरी दर्शनीय है।
आपका सादर बंदन आभिनंदन।
#14#श्री पं. परमलाल तिवारी जी खजुराहो.......
आपके 5 कमरा जिनमें कारे कमरा पै दूसरौ रँग ना चड़बौ,कमरा सँग राखे सें ठंड बचबौ,कमरा दान करबे बारन कौ बरनन,कमरा लैकें तीरथ करबौ,और भेड़ की ऊन के कमरा सें ठंड न लगबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा स्पष्ट सरल भाव लालित्य भरे,शैली सुहावनी शिल्पं कला अद्भुत है।
आपका चरण बंदन।
#15#श्रीअंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी.......
आपके 5 कमरा जिनमें रजाई के पिल्ला परबौ,कमरा ओड़ कें कड़बौ,कमरा कमरा की गाँठ न लगबौ,गरबन खों कमरा बाँटबे की राय,सूरदास जी को कमरा,कारे श्याम कौ राधा के सँग रैबौ,और कमरा ओड़ के तीन कौ अंक बनकें परबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव उत्तम शैली और शिल्प सराहनीय हैं आपका सादर अभिवादन।
#16#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.......
आपके 5कमरा जिनमें,जाड़े में भगवान सें कमरा कथरी चादरों की माँग,दीन हीन की ठंड कमरा कथरी सें बचबौ,ए.सी. बारन कौ घमंड,ठंड में कमरा बिना पावनन की रात काटबौ,कमरा झोरी पीताम्बर संतन की गृहस्थी हौबौ,और सदगुरू खों कमरा पै बैठारबे कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा कारगरी कौशल दर्शनीय,भाव आदर्श,शैली मजेदार शिल्प अनुकरण योग्य हैं।आपका सादर आभिनंदन।
#17#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़........
आपके 5 कमरा जिनमें कमरा के छेद बंद करबे सें जाडौ ना लगबौ,कथरी कमरी बाँध कें चले चैतुवा मीत कहावत कौ उत्तम प्रयोग करो गव।पूष माव की ठंड में खोर चड़ौ कमरा पर्याप्त हौबौ,कथा बाचक पंडित जी खों कमरा की साराज द्वारा आसन डारबौ,और रुई कमरा और प्याँर सें ठंड बचबे कौ बरनन करो गव।
आप भाषायी जादूगर हैं जिसमे भाव कौशल कूट 2 कर भरते हैं।
आपकी शैली में सुनदर शिल्प छिपे होते हैं।आपका सादर बंदन।
#18#पं. श्री बृज भूषण दुबे जी बृज बक्सवाहा..........
आपके 5 कमरा जिनमें कमरा होय तो जाँचाय सोव,कमरा कौ बिछावौ और ओड़वे में उपयोग,दरी पिछौरा कमरिया बाबा के संगै रैबौ,हार खेत में कमरा कौ संग,औरकमरा के बिपदा काटबे कौ बरनन करौ गव।आपकी भाषा मधुर रसदार भाव मधुर शैली और शिल्प कला सराहनीय होती है।आपका सादर बंदन।
उपसंहार.......
आज सभी मनीषियों ने अपनी पारंगत कला से सटीक बिषय पर सटीकता का परिचय दिया सभी जन बधाई के पात्र हैं।बुजुर्ग रचनाकारो के अनुभव से नयी सीख मिलत जी खों हम सदा तरसत हैं।अगर काऊ की रचना धोके सें समीक्षा की पकड़ में ना आ पाई होय तौ मोय अपनौ जान केऔ छमा करियौ।अब आठ सें ऊपर बज गय सो सबसें बिदा लेत राम राम।
आपका अपनौ......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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312-श्री प्रभुदयाल जी स्वर्णकार,ग्वालियर-21-12-21
🙏समीक्षा दिनांक- 21-12-21🙏
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हिंदी दोहा बिषय-पाला
माँ शारदे के चरणों में सिर रखकर एवं सभी प्रबुद्ध रचनाकारों को सादर नमन करते हुए आज पटल पर प्रेषित हिन्दी दोहों की संक्षिप्त समालोचनात्मक समीक्षा निम्नानुसार प्रेषित है-
(१)श्री रामेश्वर राय जी ने एक दोहा प्रेषित कर उपस्थिति दर्ज की है।
पाला को शबनम कहो,ओस कहो या तुषार।
ऐसे शीत पृकोप से,फसल हुई बेकार।
शबनम को ही ओस कहते हैं,प्रयोग उचित नहीं।
ओस कहो या तुषार,
२ १ १ २ २ १ २ १=१२मात्राएँ।👇
पाला को शबनम कहो,हिम या कहो तुषार।
पाला जनित प्रकोप से,फसलें हों बेकार।🙏🙏
(२)श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी द्वारा पाँच दोहे प्रेषित किये गये हैं।भाव ठीक हैं परन्तु मात्रा सामंजस्य उचित नहीं है,जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए।मेरा अभिमत👇
*१*पाला कई प्रकार के,पाला कौन विशेष।
किस पाला पर मैं लिखूँ,सोच रहा अनिमेष।
*२*पाले से काली पडी़ं,फसलें खडी़ं अनेक।
कर्जदार हैं जो कृषक,वे खो रहे विवेक।
*३* मन में नहीं विवेक।
*४*अगुण=अवगुण सारे दूर हों,गुणी बनें भरपूर।
*५*चोरों से पाला पडा़,ताले टूटे तीन।
सारा धन चोरी हुआ,भाउ हुए अब दीन।🙏🙏
(३)श्री अशोक कुमार पटसारिया जी के दोहे उत्तम भावपूर्ण हैं।कुछ दोहों पर क्षमा सहित मेरे विचार से शब्द संशोधन-
*२*धीरज टूटा कृषक का,गई वदन की आब।
*३*सेवों की खोई फसल,रोया बहुत किसान।
*४*हलाकान सब ही हुए,बालक बृद्ध अधेड़।🙏🙏
(४)श्री एस आर सरल जी द्वारा प्रेषित दोहे भाव भाषा लय कल आदि से सुसज्जित हैं।🙏🙏
(५)श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी के दोहों पर भी पाला का असर दिख रहा है-मेरा अभिमत👇
*१* सह लेता सब कष्ट।
*२*अनावृष्टि अतिवृष्टि अरु,पाला बढ़ती ठंड।
प्रकृति छेड़ने से मिले,मानव को यह दंड।
*४* जीव जंतु अरु वनस्पति।
*६* आग जलाई जाय।🙏🙏
(६)श्री डाॅ देवदत्त द्विवेदी सरस जी को उत्कृष्ट सृजन हेतु सादर प्रणाम।🙏🙏
(७)श्री प्रमोद मिश्रा जी द्वारा प्रेषित प्रथम रचना मुक्तामणि जैसी जान पड़ती है।जिसका मात्रा विधान १३+१२=२५ होता है।आदरणीय आपके दोहों में भी मात्रा सुधार आवश्यक है।आप महान गायक एवं उत्कृष्ट कलमकार हैं,अति भाव पूर्ण सृजन में आप दक्ष हैं।इसीलिए सादर निवेदन है कि अपनी कलम प्रखर ही रखें।समाज को आपसे काफी अपेक्षाएँ हैं,आदरणीय।🙏🙏
(८)श्री अमर सिंह राय जी को उत्कृष्ट सृजन हेतु वधाई।केवल एक संशोधन स्वीकारें-हर भारत का नागरिक,👇
भारत का हर नागरिक,🙏🙏
(९)श्री जय हिंद सिंह जी को उत्कृष्ट सृजन हेतु वधाई सहित निवेदन है कि दोहे के विषम चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु हो तो सृजन उत्तम रहता है।अपवाद स्वरूप छः में से एकाध दोहे में हो तब तो ठीक है परन्तु तीन दोहों में अनौखा,बिनौला एवं हिमालय होना महान कलमकार के लिए मेरी नजर में ठीक नहीं है।आप मजे हुए कलमकार हैं,आदरणीय।🙏🙏
(१०)श्री प्रदीप खरे मंजुल जी के सृजन में जमीन से जुडा़व परिलक्षित होता है।होगा क्यों नहीं आखिर कलम भी तो जागरूक पत्रकार की है।दो दोहों में चना का प्रयोग है,एक में मटर का भी हो सकता था,आदरणीय।पाला पड़ता चना पर=पाला पड़ता मटर पर।🙏🙏
(११)आदरणीय श्री राना जी की कलम पर पाले का असर कुछ ज्यादा ही दिख रहा है!!पत्ते पाँच?परमधाम?🙏🙏
(१२)श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी को भावपूर्ण उत्कृष्ट दोहों के सृजन के लिए सादर वधाई।अंतिम दोहे की व्यंग्यात्मक चुटकी मजेदार है आदरणीय।🙏🙏
(१३)श्री मति डाॅ.रेणु श्रीवास्तव जी के दोहे मनहरण हैं।अंतिम दोहा मात्रा सुधार चाहता है।भाव श्रेष्ठ हैं आदरणीया।🙏🙏
(१४)श्री गोकुल प्रसाद यादव जी द्वारा प्रेषित दोहे भाव,लय एवं कल विन्यास की दृष्टि से उत्तम हैं।वधाई यादव जी।🙏🙏
(१५)श्री शोभाराम दाँगी जी भाव भरने में निपुण हैं।आपको भी मात्राओं पर ध्यान देना आवश्यक है।दोहा क्र.२,३,४ में मात्राएँ अनियमित हैं।🙏🙏
(१६)श्री कल्याण दास साहू पोषक जी मँजे हुए कलमकार हैं।उत्कृष्ट सृजन हेतु सादर वधाई।🙏🙏
(१७)श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी तो पीयूष छलकाने में अत्यधिक निपुण हैं।रस छंद अलंकार आदि जो कविता के प्राण हैं आपके सृजन में बखूबी समाहित रहते हैं।सादर वधाई स्वीकारें आदरणीय।🙏🙏
(१८)श्री प्रदीप गर्ग पराग जी द्वारा प्रेषित दो दोहों में से दूसरे दोहे में मात्रा भार अनियमित है।दोहे भाव पूर्ण हैं।
(१९) मैं ने भी आज दो दोहे प्रेषित किए थे,जिनकी समीक्षा आप से अपेक्षित है।
उपसंहार-कलमकार होना गर्व की बात होती है।माँ शारदे की कृपा से ही यह सौभाग्य हम आप को प्राप्त हुआ है।अतः हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम समाजोपयोगी उत्कृष्ट सृजन के लिए अनवरत प्रयासरत रहें।मैंने आज समालोचनात्मक समीक्षा लिखने का प्रयास किया है।इसलिए क्षमा सहित अपेक्षा रखता हूँ कि मेरे सभी कलमकार साथी मेरी अपेक्षाओं पर पाला नहीं पड़ने देंगे।आप सभी की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में आपका एक साथी🙏🙏🙏🙏
समीक्षक-प्रभुदयाल स्वर्णकार "प्रभु" ग्राम कैरुआ, ग्वालियर (म.प्र.)
दिनाँक-२१/१२/२०२१ (मंगलवार)🙏🙏
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313-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-24-12-21
*पटल समीक्षा दिनांक-24-12-2021*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन किया गया। सबयी जनन ने रोचक और ज्ञानवर्धक लेख आलेख पटल पै परोसे। विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, लेख, संस्मरण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन के विचार और चिंतन स्वागत योग्य है। अपन सबयी जनन खौं बधाई देत। एक बार फिर समीक्षा लेकैं हम हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन ने रौनक बढ़ा दयी।
आज सबसे पैला पटल पै
*1श्री प्रदीप खरे जी* ने लघु कथा कलियुग का प्रभाव के माध्यम सें रोचक और व्यंग्यात्मक कहानी पटल पै डारी। दुराचारी का विरोध करने से आज के समय में नुकसान भी हो सकता है। उनकी पहुंच अधिक है। संतों को परेशान किया जाता है और दुराचारी मौज करने लगे हैं। समीक्षा आप पर छोड़ते हैं।
*2* *श्री अशोक पटसारिया जी* शमी के वृक्ष की उपयोगिता और महत्व पर प्रकाश डाला। दरिद्रता और गरीबी को दूर करने के लिए शमी वृक्ष को सहायक बताया है। शनिदेव के प्रकोप से छुटकारा और देवताओं की कृपा प्राप्त होता है। अपन खौं बधाई
*3* *श्री प्रमोद मिश्रा जी* ने रोचक प्रसंग प्रस्तुत किया है। माता विंध्यवासिनी की महिमा से यूं तो सभी परिचित हैं। आपने आस्था को और अधिक मजबूत बनाने का कार्य किया है। विंध्याचल वासियो पर माता की कृपा सदैव बनी रहे। इसी कामना के साथ आपको बार बार प्रणाम और बधाई।
*4* *श्री रामेश्वर राय, परदेशी जी* आपने नौनी लघु कहानी पटल पै परोसी। मेंदरन की का गत भयी और काय भयी, सबखौं बतायी। खदरा खोदे सैं भलौ कोऊ कौ नयीं होत। शिक्षा मिलत कै अपनन कौ बुरऔ जिन सोचौ। सबयी संगै रऔ..अपन खौं बधाई देत जू।
*5*कवि भगवान सिंह लोधी, अनुरागी* आपने सत्य घटना के द्वारा समाज को जगानें का सराहनीय कदम उठाया है। खर्चीली परम्पराओं को दूर करने और बेटियों को बचाने की बात स्वागत योग्य है। प्रसंग रोचकता पूर्ण है। शादी और मृत्यु भोज पर होने वाले खर्च पर चिंता जायज है। आपके विचारों पर विचार किया जाना चाहिए। आपको हृदय से बधाइयां।
*6 अमर सिंह राय* नौगांव सें लिखकर कै असंतोष और अनियंत्रित इच्छाओं की पूर्ति न होने से क्रोध का जन्म होता है। क्रोध रूपी विकार से अनेक घटनाएं होती हैं। क्रोध की चपेट में आती युवा पीढ़ी को लेकर चिंता जायज है।क्रोध के समय मौन की उपयोगिता और शीतल जल के महत्व पर प्रकाश डाला गया, जो सराहनीय है। बधाइयां
*7श्री गोकुल यादव, बुढ़ेरा* अपनने बहुत रोचक कहानी लिखी जू। संयोग सें सिद्धी शीर्षक से लिखी कहानी रोचक और गुदगुदाने वाला है। टिड्डे की किस्मत साथ देती है और भाग्य प्रवल रहा। समाज में हास्यास्पद अनेक उदाहरण मौजूद हैं। आपको बधाइयां
*8*श्रीमती मीनू गुप्ता* आपने शिक्षाप्रद कहानी खुशियां बांटने से बढ़ती हैं, बढ़े ही रोचक ढंग से लिखा है। बच्चों में भगवान बसते हैं, बच्चों की खुशी पूजा अर्चना का ही हिस्सा है। बच्चों का दिल तोड़कर भगवान को प्रसन्न करने वालों को संदेश देती यह कहानी प्रशंसनीय है। आपको बहुत बहुत बधाई।
*9 अंजनी कुमार चतुर्वेदी* हुनर शीर्षक से लिखी कहानी अत्यंत रोचक आपनेदित करने वाली हैं। हास्य की पुट लिये शिक्षाप्रद कहानी रोचक है। आत्महत्या से बढ़कर कोई दूसरा पाप नहीं होता। कर्म करते हुए आगे बढ़ने का अवसर खोजें। हुनर सीखें और आगे बढ़े। कहानी युवाओं को संदेश देने वाली है। अकर्मण्यता पतन की ओर ले जाती है, बचे रहें। बधाइयां।
*10 अजीत श्रीवास्तव जी ने आकांक्षा की प्रेम समीक्षा पटल पै डारी। प्रेम को लेकर लिखी रचनाओं की समीक्षा सराहनीय है। बधाइयां।
आज पटल पर *केवल 10* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक,धार्मिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे लेख आलेख और कहानियां बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में भैया हरौ कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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314-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-गुट्ट-27-12-2021
#सोमवारी समीक्षा#दिनांँक27.12.21#
बिषय गुट्ट/गट्ट#
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आज की समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ भगवती शारदे खों नमन सबयी मनीषीगणन खों राम राम।
आज की समीक्षा कौ बिषय गुट्ट भौतयीं रोचक रव ।विद्वानन ने कौनौ कोर कसर नयीं राखी ।उदगारन की बंरसात करी आनंददायक रयी।
#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जू लिधौरा .....
आपकी रचना में भावपक्ष और कलापक्ष के बेजोड़ शैली के दर्शन भय।शिल्प सुन्दर,सबसें बेजोड़ रचना..धीरें 2निपटबौ,.......शमशान तक नयीं छोड़ती संग मानस का अद्भुत उदाहरण देखवे मिलो बेजोड़ नमूना।पटल के नियमानुसार 5 दोहे डालें पटल को आपसे अनुशासन की अपेक्षा है आप शानदार भाव और कला पक्ष के रचनाकार हैं,आपके बिचार सदा पाठक को सोचने पर मजबूर करते हैं।सादर बंदन।
#2#श्री प्रदीप कुमार ख़रे मंजुल जी टीकमगढ़.....
आपके शानदार प्रदर्शन हेतु बधाई के पात्र हैं।भाव और कला भरते हैं।आपकी भाषा में सही बुन्देली की छवि देखते बनती है।
दान करत रहियो..... मिले जेल की शेल।।शानदार पृदर्शन ।आपके सृजन हेतु बधाई
आपके सदर सृजन हेतु सादर राम राम।
#3#श्री भगवान सिह लोधी अनुरागी हटा दमोह....
आपका भाषा रस और लालित्य लय और तान भाव और शैली सरस सहज,कल पूर्ण हैं।सबसे जोरदार माला जपकें.....नैनन सें जब चोट लगा।रचनायें सभी दमदार हैं।आपको सादर नमन।
#4#पं. श्री रामानंद पाठक जी नंद नैगुवाँ.......
आपकी भाषा सरल सहज मधुर और मजेदार लगी।कला पक्ष शानदार भाव सरल हैं।सबसे शानदार दोहा अबकें गुट्ट किशान..........परो सड़क के बीच लगो।आपकी लेखनी को सादर नमन।
#5#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा .......
मैं अपनी रचनाओं का मूल्यांकन क्या करूँ ।अपनी रचना का भाव और कलापक्ष सबको अच्छा ही लगता है।आप सबयी मनीषीगणों को इस पर टिप्पणी करने का अधिकार है।आपकी चौपाल ही इसका निराकरण करनें में समर्थ है।सबसे अच्छा सीता.........
रण में हो गव पट्ट लगा।आप सबको सादर नमन।
#6#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ.......
सरल जी के दोहे भाव और कला पक्ष के अद्भूत नमूना रात।भाषा की ढड़क मजेदार,कफियों की अनुपम सुन्दरता,सबयी दोहे सहज और सरल हैं।सिर्फ पटल पै नियम पालन के दृष्टि सें 5दोहे ही डारबे की बिनती है।सरल जी अनुपम रचनाकार हैं आपका सादर अभिवादन।
#7#प.श्री प्रमोद मिश्रा जी प्रमोद बल्देवगढ़.........
आपके दोहे उत्तम काफिया के परिचायक होत।भाषा प्रवाह मजेदार,भाव सुन्दर शिल्प कला अद्भुत, आपके सबदोहे भौतयी नौने लगे।महाराज खों सादर बंदन।
#8#डा. देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा......
आपकी सबयी रचनायें बेजोड़,बेमिशाल,भावपक्ष ,कलापक्ष,तुकतान रग रग आनंददाई होत।आपके सबयी दोहे जादूभरे जिनकौ नशा कभौं नयीं उतरत।
आपके सादर चरण बंदन।
#9#पं. श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो........
आपकौ हर दोहा कसौटी पै टंच रात।लय काफिया भावपक्ष कलापक्ष,शानदार दिखानें।सबयी दोहे आनंददायी हैं आपका सादर स्वागत ,बंदन और आभिनंदन।
#10#पं.श्री बृज भूषण दुबे जू बृज बक्सवाहा......
आपके सब दोहन में भाषा भाव कलापक्ष,भावपक्ष,शिल्प और शैली,कौ जादू छाव दिखानौ।अकेले तीसरे दोहा के पैले चरन में मात्रा भार जादा लगो।जी खों सुधारबे की बिनती करत भय सादर बंदन।
#11#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी बुड़ेरा.......
बैसें तौ आपखों दोहा मास्टर की उपाधि दयी जाय तौ जादा नैंयाँ।आप भौतयी नौने और गुणी रचनाकार हैं।रचना में सरलता सहजता भाव और शिल्प के अद्भुत दर्शन कराउत फिर भी पेसे सें शिक्षक होबे के नातें भौत सरल व्यवहार देखत हैं।चौथे दोहा में हट्ट कौ प्रयोग भौतयी नौनौ बन परो।आपकी मनभावन रचनायन के लाने सादर अभिनंदन।
#12#श्री मती गीता देवी बहिन औरैया जालौन......
आपके पैले दोहा के अंतिम चरण में फिरकौं को प्रयोग हो जातो तौ भौतयी साजौ लगतो।शेष सबयी दोहन के भाव शिल्प कला और शैली सुन्दर सरल सजीबजी लगी।
भाषायी कौशल सरल सहज दिखानौ ।बहिन के सादर चरण बंदन।
#13#श्रीसंजय श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली.......
आपके दूसरे दोहा के अंतिम चरण में पेट परी है गट्ट हो जातो तौ और फिजा बन जाती।तीसरे दोहा के प्रथम चरण में मात्रा भार बढो दिखानौ जीसेंहल्को सौ लय अवरोध भव।प्रयास सराहवे में कौनौ संसय नैयाँ आप मधुर शैली के रचनाकार हैं आपखों सादर अभिवादन।
#14#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़.......
आपकी लय तान शानदार रचना शैली,मजेदार हास्य प्रधान भाव,बजोड़ शिल्पकार हें।आपको दोहों का जादूगर कैवौ उचित लगै।आपके दोहन कौ सार्थक प्रयास सरहनीय रव।आपको सादर मंगल साधुवाद।
#15#श्रीपं. अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी......
ापके दोहे भाव प्रधान,हास्यबर्धक रय,जिनमें शैली और काफिया रँगदार दिखाने। अंतिम दोहा के अंत मेंखुशी रबै बन ठट्ट और साजो लगतो।दोहन कौ सार्थक प्रयास सराहनीय लगो ।आपखों सादर प्रणाम।
#16#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.......
आपके अपनेदोहे मे भाषा प्रधानता,उचित और लय ठीक है।
दोहे की शिल्प शैली अच्छी लगी।
एक दोहा अनेक जैसा लगा।आपका सादर अभिनंदन।
#17#श्री अमर सिंह राय साहब नौगाँव......
आपके दोहे लयपूर्ण हैं,भाव सामान्य हैं जो शैली और शिल्प को रोचक बनाते हैं।आप अच्छे रचनाकार हैं।आपकी भाषा सरल और क्षेत्रीय बुन्देली है।आपका सादर अभिनंदन।
#18#श्री शोभाराम दाँगी इन्दु नँदनवारा.......
आपके पहले दोहा में कामी शब्द काप्रयोग सही सैट नहीं हो पाया,दूसरे दोहा में अत्याचार ही ठीक रहता।तीसरे दोहा के अंतिम चरण में बारह मात्रायें हैं।शेष दो दोहों की रचना ठीक है।आप अच्छे रचनाकार हैं समय पर्याप्त देकर ही रचना को अंतिम रूप दिया करें।आप सुजान शील सरस्वती पुत्र हैं।आपका सादर अभिनंदन।
#19#श्रीरामेश्वर प्रसाद राय परदेशी टीकमगढ़.......
आपकी रचनायें लय और भाव प्रधान हैं।जिनमें मात्रा भार दोष नहीं हो पाता।अगर पटल के नियमानुसार 5दोहे लिखे जाते तो सोंने में सुहागा होता। गट्ट निनोरत राम जी.........होय आम या खास।दोहा बहुत सुन्दर लगा।
आपको सादर नमन।
उपसंहार.....
आज विद्वानों ने एक पर एक बिचार रखे जिनमें कयी नवीन जानकारियाँ रखीं गयी जो एक दूसरे के रचना कौशल को धारदार बनातीं हैं।यदि किसी मनीषी की रचना छूट गयी हो तो अपना समझकर समीक्षक को छमा कर दें।सबको एक बार पुनः राम राम।
समीक्षाकार......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो06260886596
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315-श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-31-12-21
*पटल समीक्षा दिनांक-01-01-2022*
*बिषय-हिंदी बुंदेली में "स्वतंत्र गद्य लेखन"*
आज पटल पर बुंदेली और हिंदी में *स्वतंत्र गद्य लेखन रहा। सभी विद्वान साथियों ने शानदार विचार, समीक्षा, लेख, संस्मरण,आलेख और कहानियां पटल पै डारी। सबयी जनन ने अपनी तरफ सें अच्छौ लिखबे में कौनऊं कसर नहीं छोड़ी। सब जनन के विचार और चिंतन स्वागत योग्य है। अपन सबयी जनन खौं सबसें पैलां तौ नयै साल की बधाई देत और भगवान सें बिंतबाई करत कै सब जनैं येसयी हंसत खेलत रबै। बधाई देत भये एक बार फिर समीक्षा लेकैं हाजिर हैं। पटल पै आज बन्न बन्न की रोचक और शिक्षाप्रद कथा कहानियन ने पटल की रौनक बढ़ा दयी । सबई साथियों, भाई, बहिनों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पैला पटल पै
*1प्रमोद मिश्रा जी* अपनने भगवान रामराजा सरकार की बाललीला को बढ़ौ नौनौ बरनन करो। सरकार की लीला आनंददायक और भारी नौनी है। अपन खौं रोचक जानकारी देबै के लानें बधाई हो।
*2* *श्री अशोक पटसारिया नादान जी*। जनैऊ क्यों पहनें। यह जानना भी जरुरी है। हिंदु संस्कारों और परंपराओं का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व रहा है। जनेऊ धारण करने से पाचनक्रिया जहां ठीक रहती है, वहीं शौचादि संबंधी रोग नहीं होते। बबासीर, भंगदर, हाइड्रोशील जैसी बीमारियां जनेऊ धारण करने से नहीं होती। जनेऊ धारण जरूर करना चाहिए। अपन खौं बधाई
*3* *श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी* ने नयै साल पै सबयी जनन खौं घरै बैठें बैठें कुलपहाड़ की बगराजन माता के दर्शन करा दयै। तीर्थ दर्शन को लाभ मिलो और उतै की जानकारी सोई मिली। बधाईयां
*4* *श्री रामेश्वर राय, परदेशी जी*
अपनने बढ़ी रोचक कथा पटल पै डारी। पढ़कें हालफूल भयी। अपनकी लेखनी कमाल की चलत। माता राज राजेश्वरी और सिद्ब बाबा की महिमा को बरनन करो और बढ़िया जानकारी दयी। ईके लाने बधाई ।
*5* *श्री गोकुल प्रसाद यादव जी* अपनने चुटकुला लिखौ। गप्प हांकबै बारन की का कनें। कबै मंत्री बन जायें कै नयीं सकत। हास्य व्यंग्य के महत्व को चुटकुला बता देत। बधाई हो।
आज पटल पर *केवल 5* साहित्य मनीषियों ने अपने अपने ढंग गद्य लेखन किया। अनेक समसामयिक,धार्मिक और रोचक लेख आलेख पटल पर परोसे। पटल पर रखे गिनती के लेख आलेख और चुटकुला बहुत रोचक, शिक्षाप्रद और बढ़िया लगे, सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाईयां। समीक्षा में कमी तौ रैइ जात, अकैलें अपन औरें सोई अपनों जानकें क्षमा कर देत। सो ई दारै फिर अपनों जानकें क्षमा कर दियौ। राधे राधे
*नूतन वर्ष मंगलमय हो*
👌 *जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड*👌
*समीक्षक- ✍️प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)*
*सदस्य-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
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316-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-गुट्ट-03-01-2022
#सोमवारी समीक्षा#03.01.22
#बिषय...हाड़#समीक्षक......#
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
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आज की समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ शारदा के समक्ष नत मस्तक फिर सब महा मनीषियन खों सादर राम राम।आज कौ बिषय हाड़ पै सबने गजब के बिचार पेश करे।
#1# श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान लिधौरा.......
आपके सबयी दोहन मेंभाषा भाव शिल्प शैली उत्तम रयी।आपके पूरे दोहे आध्यात्मिक बन पड़े हैं।रचना अद्भुत रचनाकार को बधाई।
#2#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मैने अपनौ प्रयास आपके संआमने पेश करो,अब आप सबकी पंचायत पै हमाऔ निरनय
होय सो ठीक है।
#3#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी बुड़ेरा.......
आपने अपनै एक दोहा में पतरी सुर्रक कौ अजस प्रयोड करो ।बाँकी ,बयी दोहा टंच सोने कैसै बिस्कुट लगे।भाषा भाव मजेदार शिलःप शैली अनुपम।आपको सादर बधाई।
#4#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह.......
आपके तीसरे दोहा में उठत हित में हूक की जगह उठत हिया में हूक करने से और अच्छा लगेगा।बाँकी सब दोहे अनुपम और मजेदार हैं।लयतान जोरदार।आपका सादर अभिनंदन।
#5#श्री रामेश्वर राय परदैशी जी टीकमगढ़.........
आपके दोहा में कैसे मैं दोहा बनाव में मात्रा भार बढ़ रहा है।आप अच्छे रचनाकार होने के नाते लय पर ध्यान अबश्य दिया करें।
आपका सादर नमन।
#6#श्री शोभाराम दाँगी जी नँदनवारा......
आपके दोहन मेंजग में नौनी रहन मेंं मात्रा भार अधिक, दूसरे दोहा में कीह और चीह की जगह कीन और चीन कर सकते हैं तो भाषा भाव ठीक रहेगा और लय पर प्रभाव होगा।बाँकी दोहन की लय तान मात्रा भार ठीक है।आपकौ सादर अभिवादन।
#7#श्रीएस.आर.सरल टीकमगढ़..........
आपके पाँचों दोहे टकसाल, शानदार।लय तान सुर मजेदार।भाषा,भाव,शिलःप और शैली जोरदार।आपका सादृ अभिनंदन।
#8#श्रीपं. प्रमोद कुमार मिश्रा जी
बल्देवगढ़.........
आपटके दोहन में प्रमोद आने से लय अवरुद्ध होती है।अतः रचनाकार का नाम अंत में पर्याप्त है।आप अच्छे रचनाकार और श्रेष्ठ गायक हैं सो लय का ध्यान जरूरी है।भाषा के अन्य अवयवं शानदार।आपका सादर बंदन।
#9#श्रीप्रदीप कुमार खरे मंजुल टीकमगढ़........
आपके तीसरे दोहे के तीसरे चरण में छापा मारें सब लियो करने पर मात्रा भार पूरा होगा।शेष सभी दोहे उत्तम,भाषा शैली सुन्दर।आपका बंदन अभिनंदन।
#10#डा. देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा......
आपके सब दोहन मेंमात्रा भार लय तान भाषा भावं शैली और शिल्प नौने लगे।सूके हाड़ चचोरबें
अपने लंम्बरदार कौ अनूठौ प्रयोग करो गव।महाराज के चरणों में प्रणाम।
#11#बहिन गीतादेवी जू औरैया....
आपके दोहन में ऐसी मारियौ मार की जगह ऐसी मारौ माऋ करें तो ठीक रहेगा।बाकी सभी दोहे उत्तम हैं।भाषा क्षेत्रीय बुन्देली है,भाव ठीक हैं।शैली शिल्प सामान्य हैं।
आपका सादर बंदन।
#12# श्रीपं. परम लाल तिवारी जी खजुराहो.......
आपके सभी दोहे अनुपम,भाषा भाव लय तान शिल्प शैली मजेदार।आपका सादर बंदन।
#13# श्री अमर सिंह राय नौगांव.....
आपके तीसरे दोहा कौचौथौ चरण जैसें धोबि पछाड़,लय अवरोध कर रही है।शेष दोहे लय शैली शिल्प भाव भाषा की नजर से ठीक हैं।आपको सादर बधाई।
#14#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली.......
आपके पहले दोहे में पहला और तीसरा चरण एकसा हैइसे अलग अलग होंना ठीक रहेगा।बाँकी सब दोहे दनादन बढिया।सभी भाषा भाव शिल्प शैली से मजबूत।आपका सादर अभिवादन।
#15#पं. श्री रामानंद पाठट जी नैगुवाँ...........
आपके दोहों में हीन कबहुँ ना दिखाय,को कबहुँ न हीन दिखाय कृने से लय बढेगी।शैष सब दोहे मधुर भावमय,शिल्प शैलघ सुन्दर।आपका सादर बंदन।
#16# श्री पं. अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी........
आपके सब दोहों में लय तान सुर.भाव शैली अनुपम है।मात्रा भार ,सटीक।आपका सादर बंदन अभिनंदन।
#17# बहिन डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपके दोहों में हाडिया रोज मगाने में लय अवरोध है।शेष दोहे बेहतरीन।भाषा भाव शिल्प शैली मजेदार।सादर हार्दिक बंदन।
#18# श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी टीकमगढ़.......
आपके दोहे में रक्त जिगर जम तात की जगह रक्त जिगर जम जात अच्छा रहेगा।शेष बेहतर,भाषायी अवयव ठीक।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#19# श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा........
आपके दोहे में रोजीना की पाड़ की जगह रोकी खुद की बाढ़ करें तो ठीक रहेगा।करि नाऋ संतान में करी कर दें तो ठीक होगा।मैया मोरी ढीले हाड़ में मात्रा भार अधिक है।आप अच्छे रचनाकार हैं सो सुधार कर ही रचना खों अंतिम रूप दिया करें।
आपका बंदन।
#20# श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर........
आपके सभी दोहे लय तान भरे,भाव मधुर भाषा मधुर शिल् आनूठे हैं शैली अनुपम।सभी दोहे यथार्थवादी हैं।आपका सादर आभार।
#21# श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष जी टीकमगढ़.......
आपके दोहे भाव भरे,अनुपम लय लिये हैं।मात्रा भार सटीक है।रचनायें बहुत अच्छी लगीं।
आपका सादर बंदन।
#22# श्री डां. डी. आर. अनजान साहब छतरपुर.....
प्रथम दोहा तब लौ हंसा चलते हैं,यह समाजे नेम में मात्रा भारकम है।फिरता लुटाये हाड़ में मात्रा भार अधिक।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#23#पं. श्री बृज भूषण दुबे जी बृज बक्सवाहा.......।
श्री महाराज जी मरे निशाचर भालू कपि में मात्रा दोष सुधार हो जाय तो ठीक होगा।शेष ठीक है भाषा भाव उत्तम हैं।्
आपक बंदन।
#उपसंहार#
इस तरह हर मनीषी द्वारा अपने अपने बिचार रखे गय।
अगर कोई ,मीक्षा मेऔ शामिल होने में छूट गये हों तो अपना जान माफ कर दे। ,बको फिर राम राम
समीक्षाकार .....
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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317-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-ध्यान-04-01-2022
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एमपी
4 जनवरी 20 22 मंगलवार
हिंदी दोहा दिवस क्रमांक 66 विषय "ध्यान"
समीक्षक प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
,,
माई शारदा शारदे बरसा दे अनुराग
मात चरण वंदन करु प्रबल होय मम राग
जय लंबोदर गज बदन गणनायक गणराज
बनो समीक्षक हे प्रभु स्वयं समारो काज
मात पिता गुरु वंदना मोक्ष मार्ग के द्वार
इनके पद रज से करूं तिलक भाल सौ बार
,,
1 आदरणीय श्री अशोक पटसारिया जी
श्री अशोक पटसारिया कहलाते नादान
हिंदी में दोहा लिखत ब्रह्म जीव कर ध्यान
अविनाशी गुरुदेव का लिखते प्रबल प्रसंग
ध्यान मार्ग से कीजिए सदा भ्रात सत्संग
आदरनिय पटसारिया तुमहि नवाऊं शीश
क्षमा भूल कर दीजिए अग्रज देव अशीष
,,,,,,,
जब जब ध्याता ध्यान कर,
जाय ध्येय की ओर।
तब तब गुरु समरथ सदा,
करें कृपा की कोर।
,,,,,,,,,
2 आदरणीय श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
श्री गोकुल प्रसाद ने परसा ज्ञान प्रसाद
मात पिता गुरु सीखे सदा राखियो याद
ध्यान योग का मूल है करले मानव ध्यान
चित चंचलता बांध ले मिल जाऐं भगवान
शिक्षक हो शिक्षित करो भारत बने महान
क्षमा धर्म अपनाए के करो शब्द अंजान
,,,,,,,,,
ध्यान योग मस्तिष्क पर,छोडे़ अमिट प्रभाव।
ध्यान हटाये हृदय से, चिंता और तनाव।
,,,,,,,,,,
3 आदरणीय श्री देवदत्त द्विवेदी जी
श्री द्विवेदी देव दत्त लिखते ध्यान वृतांत
सृजन शयन भोजन भजन , यह चाहे एकांत
चार वेद छह शास्त्र का, उत्तम ध्यान बखान
मधुर मनोहर लेखनी नमस्कार श्रीमान
,,,,,,,,
ध्यान, धारणा, यम नियम,
आसन प्राणायाम।
प्रत्याहार, समाधि, व्रत,
करते मन निष्काम।
,,,,,,,,,,,,
4 आदरणीय श्री रामेश्वर राय जी
गुरू ऋषि पित ऋण लिखत, श्री रामेश्वर राय
मात-पिता उपकार को कभी न भूला जाय
गुरु कृपा बिन नहीं मिले, ज्ञान मार्ग का पंख
प्रेम प्रमोद अनंत है प्रेमी प्रबल असंख
आप कवि गुणवान हैं मैं प्रमोद अंजान
त्रुटि क्षमा कर दीजिए मत करिएगा ध्यान
,,,,,,,,
ध्यान करो भूलो नहीं
मात पिता उपकार
उनकी कृपा से मिला
ये जीवन संसार
,,,,,,,,,
5 आदरणीय श्री एस आर सरल जी
श्री सरल जी लिख रहे , कठिन तथ्य एकलव्य
धीर रहित वह वीर था , ध्यान मार्ग कर्तव्य
ध्यान रवि मीरा किया तप की दमक दिखाय
उत्तम कविता आपकी जय हो जय कविराय
सर्वोत्तम कविता करत स्वयं सरल कहलाए
भूल क्षमा कर दीजिए कर के सरल सुभाय
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धक धक धड़की धड़कने,
धरें धीर धरि ध्यान।
एकलव्य का द्रोण ज़ब ,
लेत अंगूठा दान।
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6 आदरणीय श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
रण की रणभेरी बजी करूं कलम तलवार
लिख दीजे जो चित कहे श्री अंजनी कुमार
घूंघट खोलें कलम का काय रहे शरमाय
स्वर्ण पटल पर दीजिए हीरा सबहि दिखाय
कविराज का नमन है करे प्रमोद प्रणाम
जो क्षमा कर दीजिए लीजे सीताराम
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वेद ऋचाओं में लिखा,शुभ जीवन का ज्ञान।
मात-पिता गुरु ईश का,रखें सदा ही ध्यान।।
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7 आदरणीय श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी
ध्यान मग्न भगवान सिंह गाथा रहे बखान
तुलसी सूर कबीर ने , किया प्रभु का ध्यान
शबरी मीरा से मिला , भक्ति रस का ग्यान
उत्तम कलम चलाइए , बनी रहे पहचान
क्षमा धर्म का मूल है क्षमा ज्ञान का दान
चूक अगर हो गई हो क्षमा करें श्रीमान
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तुलसी सूर कबीर ने,किया हरि का ध्यान।
शबरी मीरा बाई कि,गाथा बनी महान।।
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8 आदरणीय श्री जय हिंद सिंह जी दाऊ
दाऊ साब जय हिन्द सिंह , कहि गै संत महान
बगुला जैसा ध्यान हो निद्रा स्वान समान
प्रगट होत सुमिरन करें आत्म तत्व के अंग
जीवन होता तरंगित पाकरके सत्संग
आदर से सादर कहूं जय जय सीता राम
दाऊ क्षमा कर दीजिए गलती मेरी आम
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ध्यान धरत जिनका सभी,संत शारदा शैष। सुर नर मुनि सब चराचर,माया संग महेश।।
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9 आदरणीय श्री परम लाल जी तिवारी
परमलाल जी आपको सादर करूं प्रणाम
प्रथम गुरू माता कहत , द्वितीय सुनत तमाम
गुरू शिष्य एकांत में करते नवल व्रतांत
ध्यान मार्ग तन मानवी पाऐ धवल सिद्धान्त
वंदन नमन स्नेह से करत झुका कर भाल
गलती कोई हुई हो क्षमा करें तत्काल
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करे प्रणव का जाप नित, तीन लगा के बंध।
चंचल मन सध जाय तब,छूटे उसके धंध।।
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10 आदरणीय श्री अमर सिंह जी राय
अमर सिंह जी नमस्ते जय जय सीताराम
धैर्यवान धीरज धरे तो पावै आराम
कर्ज फर्ज उर मर्ज में ,भ्रमण करत इंसान
बाल मूंछ अरु नारि का अवस राखियो ध्यान
ध्यान विषय पर आपने उत्तम किया बखान
चित्त चुराया लेख से रहे सदा मुस्कान
आप शब्द सिंगार की माला रहे बनाय
क्षमा मुझे कर दीजिए चूक कोइ हो जाए
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श्वेत वस्त्र धारी सभी, होते नहिं श्रीमान।
कर्म ध्यान से देख लो, हो जाएगा भान।
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11 प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
कैसे करहूं समीक्षा बंदऊ श्री गणेश
उमा रमा के पति सुमर ,लिखत प्रमोद अशेष
न कवि कविता ज्ञान हैं सबै नवाऊ माथ
भूल क्षमा कर दीजियो कहूं जोड़कर हाथ ,,
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ध्येय ध्यान ध्याता सदा,प्रेम प्रमोद प्रसंग
चित्त वृति मकरंद सी,प्रिय लगे रस रंग
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12 आदरणीय श्री शोभाराम जी दांगी
दांगी शोभाराम जी चढ़ा धनुष पर बान
चंचल मन एकाग्र कर करत लक्ष्य का ध्यान
राम नाम के ध्यान में ध्यान योग तप तीन
रिद्धि सिद्धि प्राप्त हो कहते मुनी प्रवीन
एक बार पढ़ लीजिए लिखा आपने लेख
मुझे क्षमा कर दीजिए रूपराम का देख
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अर्जुन का जो ध्यान था ,
सिर्फ लक्ष्य की ओर,
सफल हुए इस भेद में,
" दांगी " कहैं निचोर ।
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13 आदरणीया गीता देवी जी
गीता देवी लिखत हैं मात पिता का ध्यान
सखा सुदामा को मिले ,ध्यान श्री भगवान
दोहा लिखना ध्यान से लय मात्रा के संग
तालमेल उत्तम रहे सार्थक होय प्रसंग
क्षमा ध्यान में लाइए दीजे मुझे गहाए
उत्तम कविता आपकी कैसे सराही जाय
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मनुज ध्यान देना सभी, घूमें बच्चा चोर।
एक बार जो ले गये, मिले किसी ना छोर।
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14 आदरणीय श्री ब्रज भूषण दुबे जी
बृजभूषण जी लीजिए शब्द सुमन का हार
ज्ञान ध्यान जप साधना पूजा-पाठ विचार
सत्य धर्म को त्याग कर पाल रहा अभिमान
करले सुमरन राम का गुरु वचन ले मान
आदरणीय कर जोड़ कर करता तुम्हें प्रणाम
भूल क्षमा कर दीजिए जय जय सीता राम
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राम भक्त हनुमान जी ,
है बल बुद्धि निधान।
हरि चरणों में हमेशा,
रहता बना ध्यान।
15, आदरणीय श्री कल्याण दास साहू पोषक जी
श्री कल्याण दास जी श्रेष्ठ शब्द सिंगार
शब्दों से श्रीमान का करु आदर सत्कार
गागर में सागर भरे करते शब्द पुकार
ध्यान लगाकर लक्ष्य पर लीना बार संभार
लगता बसते हिरदय में शब्द अनंत विचार
क्षमा मुझे कर दीजिए उत्तम शब्द सिंगार
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ध्यान योग संयम नियम,चिन्तन मनन विचार ।
मानव जीवन के लिए , आवश्यक व्यवहार ।
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16 आदरणीय श्री संजय श्रीवास्तव जी
संजय जी श्रीवास्तव रोक रहे भटकाव
अहंकार का त्याग कर सत्य हिरदय उपजाओ
गुरु चरणों का ध्यान कर बन करके नादान
आती-जाती सांस पर कृपा राम की जान
क्षमा कवि कर्तव्य है अक्षर का भंडार
कैसे करूं समीक्षा आप की जय जय कार
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लेखन,अभिनय,नृत्य भी,
एक तरह का ध्यान।
सातों स्वर संगीत के,
है ईश्वर वरदान।
,,,,,,,17 आदरणीया रेनू जी श्रीवास्तव
रेनू जी के ध्यान में केवल गुरु सममान
करो पढ़ाई ध्यान से ध्यान चंद्र गुणवान
स्वारथ के बंदे सभि सीख लेव व्यौहार
ध्यान करो मां बाप का जो युग के करतार
शब्द सुमन का हार तो सरस्वती मां पांयें
उत्तम कविता आपकी क्षमा प्रमोद मंगायें
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ध्यान धैर्य व धारणा,
ध्यान वंत के काम।
इनसे जीवन में मिले,
जीवन में हो नाम।
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18 आदरणीय श्री रामानंद जी पाठक
पाठक रामानंद जी बगुला भकती ध्यान
धीर वीर पाठी सभी लियो बात पहचान
कौवा कैसी चतुरता कुतता जैसी नींद
मित भोजन संयम नियम,कबहूं करें न पींद
नमस्कार स्वीकार हो आदरणीय महाराज
भूल चूक कर दीजिए क्षमा जानकर काज
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ध्यान करौ हदय प्रभू , दुःख हो जावैं दूर।
अंतह कपट निकाल दो,सुख सम्पत भरपूर।
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19 आदरणीय श्री गुलाब सिंह जी भाऊ
भाऊ गुलाब सिंह जी करते हैं फरमान
माता-पिता का किजिए , विधिवत पूरा ध्यान
जिस मां से पैदा हुआ पूज उसे इंसान
जप तप पूजा पाठ से कर ईश्वर का ध्यान
मेरा भूल स्वभाव है आप क्षमा अपनाओ
गलती कोई हुई हो क्षमा करो मुस्काओ
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प्रेम भाव सत भवना
सबसे बड़ा महान
काल चक्र जानो घड़ी
करबै सबको ध्यान
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20आदरणीय श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव
चंद्रमुखी चंचल चपल कहते प्रभु दयाल
जप तप किजिए ध्यान से, कट जाये कलिकाल
भक्ती परमारथ परम , भाव प्रभाव अनंत
ध्यान करो श्री हरि का कहि गय संत महंत
दान क्षमा का दीजिए हे उत्तम कविराज
अटल अनोखी अटपटी कविता लिख दी आज
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ध्यान धारणा यम नियम, आसन प्रत्याहार।
प्राणायाम समाधि ये , आठों योग प्रकार।
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21, आदरणीय श्रीआर बी पटेल जी
अहंकार त्यागो सभी,
सबको दो सनमान ।
यही मानवीय धर्म है,
रखो हमेशा ध्यान ।
,, आदरणीय पटेल जी उत्तम है फरमान
सर्वोत्तम कविता करी माता-पिता महान
,,
,22 आदरणीय श्री प्रदीप खरे मंजूल जी
ध्यान योग करते रहो तन मन करत पवित्र
अंत समय श्री प्रदीप ने छिड़क दिया है इत्र
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ध्यान धरो न धर्म तजो,
जा में है कल्यान।
जो तज देता धर्म को,
तज दे उसे जहान।
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मंजुल जी की मृदुलता कहत शब्द मुस्काए
जीवन का कल्याण हो रहे आप बतलाए
,,23 आदरणीय श्री राजीव जी राना लिधोरी
आज श्री राजीव जी दियो शांति पर ध्यान
सबका ध्यान बटाय के,दिया ध्यान का ग्यान
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ध्यान धरो धीरज धरो,
धरो धरा का ध्यान।
धुन के पक्के धुरंधर,
धोखे जाते प्रान।
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मती अनुसार समीक्षा लिख दी कलम सम्हार
भूल क्षमा कर दीजिए नमस्कार स्वीकार
,,,,,,,, विनय,,
जय जय माता सरस्वती, कवियन हिर्दय विराज
सुमन शब्द अर्पित करू,सदा राखियो लाज
सब कवीयन का सहृदय, करता नमन विशेष
शुभकामना नव वर्ष की, करत प्रमोद अशेष ।।
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आप सभी को सादर यथोचित नमन नमस्कार
भूल के लिए क्षमा प्रार्थी हूं । यद्यपि मुझे समीक्षा का ज्ञान नहीं है प्रयास किया है आदरणीय श्री राजीव जी राना लिधोरी के निर्देशानुसार ।
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
###############################
318-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-06-1-22
🌷जय बुन्देली साहित्य
समूह टीकमगढ़🌷
समीक्षक- द्वारिका प्रसाद शुक्ला,, सरस,,टीकमगढ़
दि.- 06-01-2021
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
बुंदेलखंड अपनों लगै,
प्रेम जगत व्यहार!
जीवन जीवे की है कला,
है बुंदेली कौ सार!!
बुन्देली है बुन्देलखंड की,
बाकी छवि सुख दैेन !
बुंदेलखंड प्यारो लगै, माटी भैै जाकी रैेन !!
नमन ऐसी माटी बुंदेल की, कविवर विवेकी ध्यान!
बुंदेलखंड में बरस रहे, उनके ही गुणगान !!!
आज की पटल पर बुंदेलखंड के पुरोधा कविवर मनिषियों ने अपनी रचनाओं से ओतप्रोत होकर पटल को भव्य एवं बोध मई बनाकर रचना के माध्यम से हो रही विकृतियां पर प्रकाश डालकर हिंदी को राष्ट्रव्यापी बनाने में प्रतिष्ठा कोबढ़ाने में सहयोग प्रदान किया है जो बौद्धिकता का प्रमाण होकर बुंदेलखंड के भविष्य को राष्ट्रीय धरोहर बनाने में चरितार्थ सिद्ध हो रहा है ऐसे मनुष्य विवेकी जन को सादर वंदन अभिनंदन और साधुवाद करता हुआ आज की पटल की उत्कृष्टता का अनुमापन शब्दों के साथ प्रस्तुत कर रहा हूं प्रथम में श्रीगणेश करने वाले महा अनुभवी वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक पटसारिया नादान जुने अपनी रचना में अध्यात्म रूप में ईश्वर को पाने के लिए अंतरात्मा मैं दर्शन करके ही पाया जा सकता है उसे तुम्हारी व्याकुलता का दर्द मालूम है दुनिया भीड़ की तरह चलते हुए कोटि जतन कर भी परेशान है जिस प्रकार से अांख के बीच में अश्रु वृंद समाया हुआ रहता है और मृग की नाभि में कस्तूरी बा दूध में घृत समाया रहता है उसी प्रकार से इस के कण-कण में चेतन श्वास प्राण और जीवन निरंतर संचरित है जैसे फल के अंदर बीज और वृक्ष के अंदर हरियाली है ऐसी ही प्रभु तेरे अंदर तेरा माली है सागर की लहरों में लहर संगीत में स्वर और इंद्रधनुष में शब्द रंग जल में मछली और तालमेल आए उसी प्रकार से भगवान भी मेरे दिल में समाया हुआ है बहुमुखी के प्रतिभावान कविवर नादान जी ने अपनी रचना में सब दूसरों को परहित के साथ जोड़कर संजीवन संगीतमय बनाया है बहुत उत्तम रचना में शरीर को प्रभुमय बनाकर ओतप्रोत कर दिया है ऐसे मनिषि को साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर दो- श्री प्रमोद मिश्रा जीने अपनी चौकड़िया के माध्यम से शबरी के घर आए प्रभु राम आंखों में आंसू लिए अभिराम निर्मल पवित्र मन शबरी के घर आकर भाव तप त्याग जताकर और आनंदमई बगिया में शबरी के फूल खिला कर अपने पुनीत भावों से शबरी को कृतार्थ किया ऐसे प्रभु संसार को आनंद देने वाले सबके हृदय में वास करें श्री प्रमोद मिश्रा जी ने रचना में उत्कृष्ट भावों को भरकर विचार मंथन कर अध्यात्म की ओर आस्था लिए मन को उत्कृष्टता प्रदान की है जो भावों में सर्वोत्तम ऐसे रचनाकार को साधुवाद वंदन अभिनंदन!
नंबर 3 .श्री रामेश्वर राय परदेसी के द्वारा हिंदी मुक्तक विषयांतर्गत जीवन के आधार को त्याग तपस्या की मूरत मानकर जगत जननी भगिनी पत्नी सुधा को रिश्तो का संसार माना है और नारी के कई रूपों में मारुति ममतामई संतान और पति के प्यार की भावों में रखने वाली देवी शुरूप ही संसार एकता की सार्थकता को स्वीकारा है ऐसे परदेसी जी को सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद !
नंबर 4 . श्री सुशील शर्मा जी ने अपने गीत के माध्यम से नव वर्ष के सितम को उजागर किया है जिसमें जो गम भरी जीवन की गति का उल्लेख कर रचना में अपने दर्द को उजागर किया है और बीमारी में लोगों को अस्पताल में भरती और मरते देखा है और लाशों को रख सिसकते देखा है मौत के खौफ से रिश्तो को कटते फटते देखा है ईमान को बिकते देखा है मानवता को खोते देखा है और सिंहासन को रोते देखा है ऑक्सीजन की कमी पराया सा जीवन लेकिन नववर्ष को दिव्य चेतना आशा वाली को नव वर्ष में खुशहाली और शुभ मंगल नूतन नववर्ष के भागों में संजोया है ऐसे श्री शर्मा जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक आभार!
नंबर 5. जय हिंद सिंह जय हिंद जी ने अपने नव वर्ष अभिनंदन के माध्यम से सुख-दुख के ताने-बाने को गुजरते हुए देखा है और अब नए वर्ष में भी कुछ रंग उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं शाल बिदाई लिए नया साल आया और हमारे सुखमय जनों के सुमन खिलते नजर आ रहे हैं सद्भावना के दीवाने नई प्यार भरी चांदनी के छिटकने के दिन उज्जवल भविष्य को सम्हालने की आशा व्यक्त की है श्री जय हिंद सिंह जी को बार-बार नमन सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद !
नंबर 6. श्री राजीव राणा लिधोरी जी ने अपनी ग़ज़ल दोस्त बनकर के माध्यम से दोस्ती को निभाने में बहुत ही रुलाने जैसे गम दिए हैं जो दोस्त बनने के काबिल ना होकर मन को दुखित कर कुछ ऐसे पल देने की चेष्टा करना चाहिए था जो हंसने हंसाने वाले हो हंसने हंसाने वाली दौलत लौटाने वाला ही शतरूप में दोस्त होता है वह मेरे जिंदगी के गम को मिटाने वाला ही ऐसे दंगा फसाद दे कर के खामोश रहना इंसानियत हो नहीं सकती बहुत ही उत्तम गजल के रूप में चेतना देकर आत्मचिंतन करने के लिए मजबूर ग़ज़ल उत्तम चिंतन एवं सचित्र करते हुए सच्चे प्रेम और इंसानियत की दुहाई रचना में प्रस्तुत की है उत्तमता के लिए श्री राणा जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन !
नंबर 7.श्री परमलाल तिवारी जी ने अपनी रचना में भाव भरे हैं जो मस्त जीवन की कविता के स्वर बुझते हुए गीत गजल कविता के भाव में गम एवं हर्ष आती नव रस कविता कविता से धवल वस्त्र वीणापाणि को नमन कर निकले उद्गारों से शब्द को मंचन कर सृजन करने की आज कुमार के घड़े जैसी साहित्य समाज के लिए दर्पण बनकर कविता का सूत्रपात बोध को कराता हूं जो पढ़ने सुनने के लिए उपदेशक बनकर रस धारा केश्वर बनकर मस्ती के स्वर गूंजते स्वरों की रसधार बन जाता हूं ऐसे रचनाकार श्री तिवारी जी को सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद!
number 8 .Dr रेनू श्रीवास्तव जीने अपनी कविता विशाल शीर्षक के माध्यम से इस विशाल भूमंडल के विस्तृत एवं अद्भुत शानदार व्यापक महान शक्तिशाली शब्दों से अलंकृत करके उससे भी बड़े रिश्ते माता पिता के सोहदृ एवं पर हितोपदेश बा सांसारिकता के विशालता को बताया है प्रभु को विशाल प्रकृति का अवसर प्रकृति की और निहारा है जो उत्तम व उत्कृष्ट रचना के लिए साधुवाद हार्दिक बधाई सत्यता का प्रतीक बहुत ही प्रदान किया है भूमि रेणु जी ने अपनत्व भरी हृदय की विशालता की भाव भंगिमा को उकेरा है जो यथोचित सम्मान और सार्थकता को उकेरा है जो जीवन की वास्तविकता का उद्बोधन है ऐसी रचना के लिए डॉक्टर रेनू जी को सादर वंदन अभिनंदन सादर बधाई .!
number 9. श्री मनोज कुमार गोंडा जीने अपनी कविता के माध्यम से उस शाम की चर्चा की है जो तमन्नाओं में खुश और दिल में हलचल पैदा करके सुरमई आंखों मैं गुदगुदी कि वह शाम हंसते हुए नजर आए वह शाम अब कभी नहीं आएगी कोहरे के कोहरे से गुणों के ठंडक में मस्ती लिए खामोश निगाहें प्यार की सांसो में जोश को खोकर नज़दीकियों के साए में सिमिटकर आगोश अंत के मासूमियत को भूलकर वह मस्तानी बहार धड़कनों की आवाजों को तेज करती है शाम अब कभी नहीं आएगी बचपन के उन यादगारों में कोई आशा बंद अब बढ़ते हुए कदम कर्तव्यनिष्ठा की ओर जनता के लिए सांसारिक ता के लिए सहमत हुए हैं अब वह शाम कभी नहीं आएगी ऐसी रचना के लिए मन के विचारों में चिंतन बोध मई रस धारा की जाए यादों के यादों के बीच से शक्ति आज लिए मानवीय चिंतन का सूत्रपात्र करती है उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक अभिनंदन सादर धन्यवाद !
नंबर 10 .श्री अमर सिंह राय जी ने अपनी ओमी क्रोन विषयांतर्गत रचना में भाव भरी है और वेरिएंट के मरते ही नुकसान को भूले नहीं और नई दास्तान अस्त व्यस्त और परेशान कर रही है लाखों नुकसान और अस्त-व्यस्त जीवन का सामान विक्रय विचार तत्व और आख्यान परमपिता परमात्मा तू इन व्याधियों को खत्म कर देश का कल्याण कर जिससे जीवन जीने की सुखद प्राप्ति की ओर चिंतन कर सकें और मानव मात्र जीवन सहित सुखद सार पा सके परोपकार हित में की गई रचना हे तू ईश्वर से विनती की है रचना के लिए श्री राय साहब को सादर वंदन अभिनंदन और साधुवाद!
11. श्री एस.आर. सरल जी ने अपनी रचना बिन मौसम बरसात शिव आरती सर्दी और सूरज दादा आकाश में छुपकर सर्दी की रातें कोहरे से ढके गलियारे और रिमझिम गिरती फुहारे ठंडी हवाएं गरजते बादल घनघोर घटाएं फूली सरसों फुलवारी की महक हरे भरे खेतों की फसलें तब उन्हें फसलों को नया जीवन देने के लिए उत्सुक पंछी उड़ते पंछी कुमलाई छुट्टी सर्दी के मौसम में बेमौसम बरसात सहमें दिन रचना में चार चांद लगाती है वाह उत्तम और उत्कृष्ट रचना के लिए श्री सरल जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई धन्यवाद!
नंबर 12 .श्री किशन तिवारी जी ने अपनी रचना गजल के माध्यम से अंधकार मैं दीपक की कम रोशनी हो जाना और नम आंखों से फिर से एक हो जाना दुख के तूफान करने के बाद फिर से हारे थके और फिर से सत्ता का वही पैगाम सुनाई देना आवाजों के तेज मौसम को तूफान के रूप में खुशियों का सौगात मानकर गूंगे स्वर सुनाई दे रहे हैं आजादी नहीं देती इसलिए तुम नहीं आओ और इंकलाब के नारों का फिर से फरमान होने लगता है अपने को नहीं संभाल सके दूजों को लगे सीख दिलाने बहुत सुंदर तिवारी जी विचारों के बीच रचना में चार चांद लगाए हैं सादर वंदन अभिनंदन धन्यवाद हार्दिक बधाई!
number 13 .श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपनी दक्षिणा में सर्दी को शुभ आगमन मानते हुए पर्यावरण मैं उसके बिखरे मोती और हरे भरे खेत मन को सरसों और मटर चना अलसी को लहराते हुए माउठ गिरने की मेहरबानी को जताया है जिसमें गुनगुनाना बहुत ही प्यारी और आनंद सर्दी जो मन को मोह लेती है और वरिष्ठता को देकर हमारे स्वस्थ जीवन की कामना करती है ऐसी सर्दी को आनंदित मानते हुए श्री पोषक जी ने अपनी रचना में उत्कृष्टता प्रदान की है बे साधुवाद के पात्र हैं और हार्दिक वंदन अभिनंदन!
नंबर 14. श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी ने रचना एक दिवास्वप्न शीर्षक के माध्यम से कैसी मनभावन लगती हो इस लाज के आभूषण में लज्जा की मूर्ति बन कर प्रतिबिंब दर्पण है दर्पण में सुंदरता को रुद्रपुर ओ रही हो और तुम्हारा यह रूप सलोना शरद ऋतु में सुहावना दिखाई दे रहा है और यह सुंदर चेहरा घुंघट में बादलों के बीच छुपा हुआ दिखाई देता है तुम्हारी यह तिरछी चितवन को देखकर मैं मदहोश हो रहा हूं और तुम भी सुध बुध भूल चुकी हो मेरे इस दीवानेपन को देख कर के और नींद जब खुली सपना टूट गया मेरे सामने कुछ नहीं था केवल थी वह जो मेरे मन में तरंग के रूप में बड़े ही थी सुमित सुंदर और सटीक अभिलाषा मेरे मन में उत्कृष्टता लिए सजीव हो रही थी ऐसी रचना के लिए श्री पीयूष जी को सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई धन्यवाद!
नंबर 15. श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ने अपनी रचना भ्रमर दोहे सी शक्ति से शुद्ध करके प्रभु के नामों के विस्तृत सीताराम और राधेश्याम के नाम से हमारे पीड़ा में आराम मिलती है सौतेली मां ने सौतेला व्यवहार किया राजाराम ने सन्यासी संस्कार लिया राधा ने त्यागा पति को मीरा त्यागी लाज नाता जोड़े श्याम से बंसी की आवाज कान्हा की बंसी से गोपी ग्वाल झूम रहे और राधिका नव ताल देकर नाच रही कोरोना के त्रास से टीके ही मात दे सकते हैं जो फौलादी ताकत देकर जीवन पर डाका डालने वाले रोग से निजात मिल सकती है मां के आंसू हमारे जीवन में दुख देकर कंसों से सो वंश उजागर हो सकते हैं हमें मात पिता के उस अंश को भगवान मानकर जीवन जीने का श्रेय प्राप्त करना ही होगा जो स्वर्ग की गति से प्राप्त होता है बहुत ही उत्तम दोहे के लिए श्री यादव जी को बारंबार धन्यवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन और साधुवाद!
नंबर 16 .श्री रामानंद पाठक नंद जी ने अपने घनाक्षरी छंद नव वर्ष के शीर्षक से रचना में पुणे पुराने वर्ष के जाने और नव वर्ष के आने के स्वागत में आशा के उस प्रभु को नमन किया है और आज बस मन में आई है कि हमारा नववर्ष हर्ष लेकर के लक्ष्य ही ना हो शुक्र हमसे हमारे आदर्श का जीवन और दिशाओं में खुलती चलें और जीवन का उत्कर्ष हमारे लिए हर्ष का विषय बने उत्तम परी हितोपदेश देकर श्री नंद जी ने बहुत ही उत्तम दान किया है जो चिंतन के साथ जीवन के रसधार को अग्रणी करने में चेतन का कार्य कर रहा है ऐसी रचना के लिए श्री नंद जी को हार्दिक बधाई सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 17. चौकड़िया श्रीयुत सादर निकली भरण कामनी पानी ले तन मन मुस्कान ई रात्रि में ऐसी कामना की छवि अजब दिखती है और धरती पर पग रखते ही नूपुर केश्वर कानों में सुनाई देते हैं तब ऐसा लगता है कि मानव कोई अंबर से परी उतर कर धरा पर अपनी मनमोहक सुंदरता को उसकी चांद के समान चमकती हुई दिखाई देती है बहुत ही उत्तम रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई नाम के लिए सादर पुनः लेख करने का कष्ट करें !
नंबर 18 .श्री सुरेश कुमार जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से से बताया कि मुझे पराया ना समझें मैं भरोसा दिलाता हूं फिर भी मुझे उस बेवफा ने अपना नहीं माना मैंने उससे बिछड़ने का गम नहीं किया मुझे और भी प्यार ज्यादा हो गया है तेरे रूठने से अब मैं प्यार निभाना मुझे आ गया है चाहतें मेरी कम नहीं हुई है और ही बढ़ती जा रही हैं हमारे दिल में उतर कर देखा जा सकता है बहुत ही शिंगारी रचना के लिए श्री सरस जी आपको सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 19.आज से टूटती दीवार और वह तो खून की बूंद शानो शौकत के महल महलों की दीवार तोड़ देते तोड़कर जज्बातों के महल शानो शौकत में शुरू करो शानो शौकत मे आपसी की टूटी दीवार और छटपटाहट के उड़ते परिंदे को छोड़कर औषधि की दीवारों को तोड़ डाला है और मंसूबे को शाही सोने खंडहर बना दिया है ढलते सूरज ने अपना माना है लेकिन दोस्तों ने जुल्म ना कर भाईचारा पर प्रहार करके खूब की दीवारों मैं सेंध लगाकर छप्पर को तोड़ डाला है सादर वंदन अभिनंदन शिक्षाप्रद एवंउत्कृष्ट शीघ्र रचना के लिए धन्यवाद रचना में नाम लिख करने का कष्ट करें
नंबर 20. श्री अभिनंदन गोयल जी ने अपनी मधुर बढ़ो नवनीत शीर्षक के माध्यम से रचना में भाव भरे हैं और मनोहर ठुमकि ठुमक पग रखकर एक ग्वालन के घर पहुंचे श्याम को देखकर गोपी अपने घर के भीतर छुप गई और कृष्ण ने माखन की मटकी में मथानी डूबी देखकर माधव मनमानी करने लगे और मनोहर माखन को सेट कर मुंह में लगाने लगे ग्वालन प्रभु की लीला देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी आनंदित हो रही थी और कहने लगी कि मेरे सखा आ गए दौड़ के श्याम को उठा लिया और उनके मुंह को चुम लिया बहुत ही सुंदर दर्शन आत्म दर्शन जो प्रभु ने गोपी के घर जा कर दिए ऐसी रचना भावविभोर करती हुई मन को मोह लेती है बहुत ही सुंदर आदरणीय गोयल जी सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद सादर धन्यवाद!
नंबर 21 .श्री शोभाराम दांगी नंदनवाराा इस पावन धरा की कुर्बानियां देकर अपने धरा की शान ना जाने पाए हम मरने से नहीं डरते हैं हौसले को रखकर कुर्बानियां देने को तत्पर हैं देश के लिए ही यह जीवन का खून खोलता हुआ वतन के तवा पर धरती के मा लाडले जो वीर पैदा हुए हैं यह जीवन घुमाते आए हैं इतिहासकारों और बालों के पन्ने रंगे पड़े हैं और हिंदुस्तानी इस देश के लिए अपनी जान देने को तत्पर हैं मां पर जान कुर्बान करने वाले वीर जवान हिंदुस्तानी हंसते हंसते तिरंगे की लाज में जान देने को सीमा पर अधिक पहरा दे रहे बहुत ही देश प्रेमी रचना के लिए दांगी जी को सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद हार्दिक बधाई !
नंबर 22 .श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी कुंडलिया किसान के माध्यम से रचना में भाव भरे हैं जाड़े की बरसात में बहुत नुकसान किया है वो किसान जो है चक्कर खाकर गिर गिर पड़ा है वह इस बरसात को सहन नहीं कर सका कहीं ओले गिरे हैं कहीं पानी सबको बहुत ही याद आ गई है अपनी नानी इस देश की पीर खेती खड़े हुए और फसल मिटा दी जाड़े की बहुत ही अंतर और में भेजना लिए किसान खेतों में पड़ा हुआ है और बे मौसम बरसात की अति को देखकर किसानी चौपट होते हुए कहने को तत्पर है लेकिन कह नहीं पा रहा है बहुत ही भंजना भरी रचना सत्ता को प्रकट करती हुई श्री चतुर्वेदी के द्वारा रचना में मार्मिकता का प्रवेश करके उत्कृष्टता को प्रदान किया है ऐसे श्री चतुर्वेदी जी को हार्दिक बधाई सादर वंदन अभिनंदन!
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319-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-लडुआ-10-1-2021
#सोमवारी समीक्षा#
#दिनाँक 10.01.22#
#बिषय...लड़ुवा#
#समीक्षाकार.... जयहिन्द सिह जयहिन्द, पलेरा/टीकमगढ
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आज समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ सरस्वती जी को दंडवत,आप सबखों राम राम।आज भौत लड़ुआ ढड़के,जिनमें बन्न बंन्न की मिठास मिली।आज जो समा बाँथौ गव बौ बिसर नई सकत।
तौ लो अब सबके लड़ुवन की समीक्षा कर रय।
#1#श्री अशोक कुमार पटंसारिया नादान जी लिधौरा.....
आपकी बुन्देली में बुन्देली के परिमार्जित शब्दन कौ उपयोग करो जात जीसें शोभा दूनी हो जात।जैसें तिलकुट, कुरकुरे,मस्काँ,सच्चिदानंद आदि।भाषा की लय बनाबे जैसे..बेसन मगद मलाई के......।आपभाषायी ढड़क बनाबे में सक्षम हैं।आपको
सादर नमन।
#2#श्री शोभाराम दाँगी जी इन्दु.....
आप जमीन सें जुड़ी भाषा और शब्दन खों चपयोग करबे में सक्षम हैं।आप स्वभाव से भी कोमल रचनाकार हैं।आपका सादर बंदन।
#3#डा देवदत्त द्विवेदी जी सरस
बड़ा मलहरा.......
आप बिशुद्ध बुन्देली के दर्शन कराबै मैं भी सक्षम हैं।आपकी भाषा शैली अनुपम रात जैसें
खुरमी लड़ुवा दयीबरा......आप यथार्थ कैबै में झिझकत नैंयाँ।जैसें लड़ुवा लड़ुवा कहे सें मौ मीठौ नई होत।आप भाषायी जादूगृर हैं।आपके चरनन में प्रणाम।
#4#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मेरी भाषा भाव कौ मूल्याँकन तौ आप सब जने़ करौ।मैंतौ आप सब जनन कौ अनचकरण करत रात।सबखों मोरी राम राम।
#5#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी हटा दमोह.......
आपकी भाषा की दौड़ अच्छी है आप भाषा लय के रचनाकार हैं।
दाख चिरोंजी खोपरा......
कनक पिठी तिल राजगिर.......
आदि इसके उदाहरण हैं।भाषा भाव चमक रखते हैं।शैली मनभावन है।आपको सादर प्रणाम।
#6#श्रीएस.आर.सरल जी टीकमगढ़.......
आपकी भाषा में लालित्य पाव जात,हिन्दी खों बुन्दैली शब्द ढूड़कर मनमोहक बनाबे में माहिर हैं।जैसे..तेहार डुपकी,छिटकी ,सुआपी आदि।आप भाषा भाव के जादूगर हैं।
आपका बंदन।
#7#श्री मती आशा रिछारिया जी निवाड़ी.....
आपके शव्द चमत्कार नौने बने हैं,जैसें मिरदंग,जमड़ारन,कठिया गेंऊँ,अदमरे ,दोंदरा आदि।
कंऊं 2बिशुद्ध हिन्दी की झलकजैसे...घृत के दर्शन होत।
बहिन जी का सादर चरण बंदन।
#8#श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्नी टेरी बुड़ेरा......
आप बुन्देलीमें जान डारबे में माहिर हैं।आप धरौवल शब्दन को प्रयोग करकें भाषा खो मिशाल बना देत।आपके दोहन में नई खोज नई सोच मिलत।आप बुन्देली के क्षीर सागर हैं।आपका सादर अभिनंदन।
#9#श्रीसंजय श्रीवास्तव जी मबई हाल दिल्ली.......
आप अपनी भाषा में लय तान और चिकनाई ल्याबे में माहिर हैं।।आपकी भाषा में के संगै यथार्थ के संगै लोक दर्शन की झलक ल्या देत।क्याऊँ बुन्देली के अब्बल शब्द जैसें गिल्ल कौ उपयोग करो गव।बुन्दली के डूबे शब्द उखेरबे की क्षमता आपमें है।आपखों सादर नमन।
#10# श्री रामेश्वर राय परदेशी जी टीकमगढ़.......
आपने हाल कौ बाताबरण बताकें बुड़की कौ न्योतौ करो।कोऊ पोंचे ना पौचै पर हम तौ जरूर जें।पटल पै पतौ जरूर डार देबें।आपके भाषा भाव उत्तम हैं।शिल्प
बढिया है।सादर नमन।
#11#श्री बृजभूषण दुबे जी बृज बक्सवाहा......
आपकी भाषा में छतरपुरी शब्दन कौ संयोजन करो गव।भाषा मनमोहक है। आपका सादर नमन।
#12#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़......
आप बुन्देली के निखालस शब्दन खों सामने ल्याबे में माहिर हैं।जैसें निरांय,पुरी,भीड़भाड़, फुटका दरदृरौ गाद अस्नान आदि।.विशुद्ध बुन्देली के रचनाकार खों नमन।
#13#;श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर........
आपके दोहन की भाषायी चमक दर्शन लायक होत।आपकी अनूठी लेखनी गुरिया पैरा देत।जिसमें लोक संस्कारन सें सामनों होत।
आपकौ सादर बंदन।
#14#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
बहिन जी की भाषा में मालवीय माटी की गंध समानी रात।भाषा सरल और सुन्दर है।आपकौ लेखन भोपाल सें होत पर बुन्देली माटी की गंध जरूर मिलत।आपका सादर चरण बंदन।
#15#डा. आर.बी. पटैल अनजान छतरपुर......
आपके दोहे मनभावन हैं अगर गुड़ की जगह गुर लिखें तौ और मजेदार होजै।आपकी भाषा बुन्देली के गर्भगृह छतृपुरी है।जो मनभावन लगी।
आपका सादर नमन।
#16# श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी.......
आपने दोहा एक डारो पर पटल कौ पूरौ भार आपके ऊपर है।पर अपने दोहा खों मिशाल बनाव।
आदर्णीय का सादर बन्दन।
#17#श्री रामानंद पाठक नंद जी नैगुवाँ.......।
आपने मिठाई कौ नाम लड़ुवा बताव,जबकि सब मिठाइयन में लड़ुवा भी एक मिठाई है।बांकी दोहा साजे और मधुर लगे।जिनमें लोक परंपरा के दर्शन करा दय।
महाराज की जय हो।
#18#श्री लखन लाल ,सोनी लखन छतरपुर.......
आदर्णीय सोंनी जी ने एक दोहा तफरियन डार दव।बैसें आप पटल के योग्य सदस्य होबे के
नातें 5 दोहे डारते तौ आपके अनुभव सबखों मिँलते।आपका सादर अभिनंदन।
#19#श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी नि्वाड़ी.......
आपके दोहे में सिपित नव शब्द उपयोग खरो गव।अगर खइयौ ना गरसेंट के लिखते तो सबकी समझ में आ जातो।बांकी आपकी लेखन क्षमता अनौखी रौचक है।आपका सादर बंदन।
#20#बहिन गीता देवी औरैया......
आपके दोहन में जालौन की स्थानीय बोली के शब्द ख जात पर बोली ठीक और सटीट लगत।
बहिन जी खों सादर बधाई।
#21#श्री राम कुमार शुक्ला जी चंदैरा.........
आपके दोहे लालित्य से भरे हैं।
लड़ुवा फिकबें दुगई सें लपक लपक कें खाँय।लड़ुवा नौनै बे लगें
ढका लगें मुर जाँय।आपकी रचना में भाव कोमलता प्रमुख है। आपका सादर बंदन।
#22#श्री प्रमोद कुमार मिश्रा प्रमोद बल्देवगढ़........
आपके दोहन की लय तान साजी लगी।आपके भाव सुन्दर हैं।उदाहरण भी दय और बन्न बन्न के लड़ुवन कौ बृरनन करो गव।दोहन में समाथ की तस्वीर खेंची गयी।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#23#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो......
आपने मात्र एक दोहा लिखोजिसमें शक्कर की बीमारी सें लडु्आ की ललक कौ पूरौ ना होबौ सताव गव।दोहा साजौ है पर 5 लिखते तौसाजौ लगंतो।
आपका सादर बंदन।
उपसंहार......
आज सब मनीषियन ने अपने 2 भाव बिखेरे जिनमें एक सें एक बिचार नये मिँले।अगर धोके से किसी विद्वान कघ रचना समीक्षा में शामिल न हो पाई हो तौ अपनौ जान कें क्षमा करें।अंत में एक बेऋ फिर सबसें राम राम।
समीक्षाकार......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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320-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-नर्मदा-11-01-2022
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एमपी
मंगलवार 11 जनवरी 2022
हिंदी दोहा दिवस 67 विषय "नर्मदा"
समीक्षक प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
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माता सरस्वती शारदा को प्रणाम कर
गणपति के चरणों में विनय बार-बार है
जयति नर्मदा तेरे हृदय शिव लिंग सुने
करूं मां विनय वंदना नमस्कार है
सारे कवियों के शब्द सुमन कर चढ़ाऊं मां
दया मां कृपा कि लेकर दरकार है
विषय नर्मदा हिंदी दोहा का थाल सजा
चावल चंदन नहीं श्रद्धा शब्द हार है ।।
,,,,
1,, श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
अंजनी कुमार लिखत आई अमरकंटक से
होशंगाबाद धाम चुनरी चढ़ाऊं मां
करूं परिक्रमा तरणी सुमर के तुम्हें
युग युग तक तेरे ही नीर में नहाऊं मां
जग के जंजाल हरे भव से मां पार करें
वेदवती कैसे तेरी महिमा सुनाऊं मां
चरणों में रखूं शीश दे दे दया अशीष
बैठकर बुंदेलखंड बाबा के गीत गाऊं मां
,,
2, श्री अशोक पटसारिया नादान जी
कहते अशोक माता मैकलसुता हो तुम
शिव अंश प्रगटी पावन पुनीत धाम है
माघ शुक्ल जन्मी तम हरती हो दर्शन से
तेरे हृदय का कण-कण शिव शालिकराम है
संतों का वरदान मां रेवा को मिला है आन
नदियों की शान महिमा ललित ललाम है
मां तम की हारी हो शुभ मंगलकारी हो
तेरे श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है
,,
3,, श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी
कहते अनुरागी मगरमच्छ पर सवार माई
मध्य प्रदेश भारत पर तेरा उपकार है
बाल्मीकि मेघदूत नर्मदा पुराणों में
तेरी धवलता का अद्भुत कथा सार है
महिमा ना जानू गरिमा ना जानू मां
वंदना का पुष्प माता तेरे चरण डार है
संगमरमरी भेड़ाघाट अनुपम छटा बिखेर
रागी अनुरागी मां आरती उतार है
,,,,
4,, श्री राजीव नामदेव ,राना,लिधौरी जी
नर्मदा के हृदय पर बने हैं अनेकों बांध
जबलपुर में देखिए आनंदित धुआंधार है
दुख रोग नासनी भारत की निवासनी मां
कहते राजीव नर्मदा को नमस्कार है
,,,
5,, श्री रामेश्वर राय परदेसी जी
कहते रामेश्वर मां नमन तेरे नीर का
अर्पित करूं मैं चीर तेरा ही झमेला है
अविरल बहती हो गंग देती ह्रदय उमंग
बरमान घाट पर मां महिमा का मेला है
,,,,
6, श्री जय हिंद सिंह जी दाऊ
कहते जय हिंद सतपुड़ा गिर विंध्य मां
गुप्त दुग्ध धारा मातु तेरा दरबार है
पश्चिम की गामिनी मैकल सुता हैं तू
ओंकारेश्वर महेश्वर की तट पर जय कार है
मध्य प्रदेश गुजरात तेरी ही संप्रदा है मां
रेवा हे नर्मदा तेरी गरिमा अपार है
कहते जय हिंद इस हिंद की धरा पर मां
शब्दों के पुष्पों से तेरा सत्कार है
,,,,
7, आशा रिछारिया जी
आशा की आराधना में नर्मदा मां रेवा तू
वेदवती वेदों में तेरा अनूप नाम है
चिर कुमारी पुण्य सलिल कण-कण में शिवलिंग
जय हो मां नर्मदा तुम को प्रणाम है
,,,,
8 प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
जय हो मां नर्मदा निर्मल धवल तरंग
शिव की सुता मेरा नमस्कार लीजिए
ब्यास पर प्रसन्न व्यास दंड साथ धाई मां
शब्दों के सुमन मेरे स्वीकार कीजिए
सोनभद्र छोड़ मां शिव की शरण में आई
प्यार की बहार संसार में भर रिझिए
अनुसुइया स्वयं तेरे पति व्रत की प्रशंसा करें
अनुशंसा माता प्रमोदमय कर दीजिए
,,,,,
9 श्री अमर सिंह राय जी
अमर सिंह कहते मां चुनरी चढ़ाई देवो
आचमन कर लेहो मां तेरे पय नीर को
कंटक अमर से मां आई है भेड़ाघाट
आसरो है तोरो मोए हीर और पीर को
देवी जग जाहर तू जीवन की रेखा है
हर हर श्री नर्मदे नमन तेरे तीर को
मिले जो प्रमोद भाल चरणों में सौंप देंहो
नहि डर रहे माई मोहि काल तीर को
,,,,,,,,,,
10, श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
गोकुल प्रसाद कहें पश्चिमोन्मुख धार तेरी
उद्गम मैकल तुंग खंबात में निसार है
उछल कूद करती शिक्षाप्रद प्रवाह तेरा
अविरल बहती पवित्र तेरी धार है
नरबदिया लघु बालिका आदिवासियों की कथा
देश की प्रगति मां तेरा आधार है
ओमकारेश्वर महेश्वर शिव धाम तेरे तीर बसें
सविनय प्रमोद का प्रणाम बार-बार है
,,,,,,,,,
11, श्री एस ,आर, सरल जी
कहते सरल जी मां नर्मदा पुनीत परम
करती सिंचित धरा मां तेरा उपकार है
जीवन की रेखा तू मध्य के प्रदेश की
युग युग तक वंदनीय तेरा परोपकार है
,,,,,,
12 श्री परम लाल तिवारी जी
लिखते हैं परमलाल नर्मदे झुकाऊं भाल
तेरी मां कथा विशाल कहते चिर क्वांरी है
कण-कण में आशुतोष मैकल सुता का घोष
मिटाती है पाप दोष बंदना तिहारी है
,,,,,,
13, श्री शोभाराम दांगी जी
कहते हैं शोभाराम करते मां को प्रणाम
प्यार की बहार में बहार नहीं आई है
जीवन ने मोड़ लिया रिश्ता ही तोड़ लिया
नर्मदा ने धार अपनी उल्टी बहाई है
संतों का वरदान नर्मदा में करो स्नान
काया निरोग पाप देती नसाइ हैं
शिव रूप मान शिव शंकर की कन्याजान
विनय वंदना बिनयवत सुनाई है
,,,,,,,
14,, श्री ब्रज भूषण दुबे जी
कहते बृजभूषण मां नर्मदा का ध्यान करो
सुंदर सुखद महान इसमे नहाईए
उद्गम स्थान अमरकंटक महान बना
करके प्रणाम दर्श पुण्य तो कमाइए
,,,,
15, श्री अवधेश तिवारी जी
कण-कण में जिसके श्री शिव का निवास सुना
ऐसी पुण्य सलिला का दर्शन कर लीजिए
हर हर नर्मदे हर ओंकार ए महेश्वर
उक्त नाम जाप जीवन परिवर्तन कीजिए
,,,,,,
16 डॉ रेणु श्रीवास्तव जी
मैकल की बेटी माई नर्मदा कहलाई सुनो
पावन पुनीत अर्थ नर्मदा का जान लो
सरिता तरंगिणी गंगा जमुना की तरह
कण-कण में शिवजी बिराज रहे मान लो
माघ मास प्रगटी जीवन रेखा सी लगत
बहती है उल्टी कृषकों का वरदान लो
कहती है रेणु सुखमय बजाए वेणु चली
जल में प्रमोद मकर सूर्य का स्नान लो ।
,,,,,,,,
17 श्री राम गोपाल रैकवार जी
नर्मदा का अर्थ आनंद की दाता कहीं
महीं पर महिमा नर्मदा का प्रमान है
चंचला है रेवा सबको जल दान करें
इन्ही की कृपा से उपजता खाद्यान्न है
,,,,,,,,
18, श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ
कहते गुलाब माई नर्मदा से कर जोर
कलिकाल में तेरी महिमा महान है
गंगा से ऊंचो स्थान दियो कविराज
गंगा से मिलती पुराण यह बखान है
,,,,,,,,
19 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष
माघ शुक्ल सप्तमी को अवतरित हुई हो मां
कहते हैं प्रभु विमल तेरी हिलोर है
चुनरी चटक चढ़ाएं परिक्रमा करे जो तेरी
पर्वत की नंदिनी देती कृपा कोर है ।
,,,,,,
20, श्री कल्याण दास साहू पोषक
*पशु पक्षी पादप पथिक पोषक को पाते मां
देश और प्रदेश का मां करती कल्याण है
धन्य धन्य नर्मदा माता गंगा समान लगी
धरा की धरोहर मां जीवों का प्राण हैं ,"
21, श्री रामानंद पाठक जी
""रामानंद कहते मां नर्मदा है रेवा तू
तेरे हिय कण कण में शिव जी का वास है
जहां जहां बहती मां वंदनीय पूजित है
तेरे तटों पर मुझे दिखता कैलाश है
गंगा जमुना सरस्वती सामवेद तुझे कहे
साधन आराधन से बुझाती मां प्यास है
अविरल बहती कल कल करती है मां
तेरी श्री चरणों में मेरा विश्वास है ""
,,,,,,,,,,
जयति जय नर्मदा हर-हर रेवा माई
क्षमा दंभ शब्दों के आकलन की भूल हो
समस्त साहित्यकारों की महिमा महान रहें
उनका इतिहास मां उनके अनुकूल हो
अनुपम अनूठे अद्वितीय शब्दों के हार
तेरी श्री चरणों में माता कबूल हो
कौशल प्रमोद साष्टांग तेरे श्री चरणों में
क्षमा मेरी भूल माता स्वीकार फूल हो ।।
,,,,,,, समस्त समीक्षा शब्द माता श्री नर्मदा के श्री चरणों में अर्पित समर्पित करते हुए समस्त साहित्यकारों से क्षमा प्रार्थी हूं ।
,,,,,,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
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321-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-फुरफुरी-17-1-2021
#सोमवारी समीक्षा# दिनाँकं 18.01.22#फुरफुरी#
#समीक्षक..जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा,जिँला टीकमगढ़, म0प्र0#
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आज की समीक्षा लिखबे सें पैलाँ माँ सरस्वती के चरर्ण़ो में नत मस्तक
बाद में सबखाँ राम राम।आज सबने फुरफुरी बिषय के लानें मानस पटल जोड़ कें भ़ौतयीं नौने बिचार लिखे।
अब सबकौ आकलन अलग अलग कर रय।
#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा.....
आपके दोहे पठनीय सरल सरस जिनमें बुन्देली शिष्टं शब्दन कौ प्रयोग करो गव।भाषाई दोहा दौड़ सुगम औृर मधुर है।बुन्देली के शब्द हीरा हाड़ कड़ुवा ठिठुरन आदि कौ उचित प्रयोगं भव।उर्दू शब्दं गुसलखान कौ चिपका कें उपयोग कर लव।भाषा भाव रस छंद अलंकारन कौ सुन्दर प्रयोग भव।
आपखों सादर नमन।
#2#श्री एस.आर सरल जी टीकमगढ़.......
आपने अपने दोहन मेंशानदार रसदार बुन्देली के शब्दन कौ उपयोग करो।
जैसैं..कौड़ौं सुन्न कुन्नझकझोर टटिया टोर उन्ना अंट मौड़ा जंट छूमंतर आदि हैं।भाषा भाव मधुर लुभावनें,रस छंद की बनावट ठीक करी।आपका सादंर नमन।
#3#श्री रामेश्वर राय परदेसी जी टीकमगढ़.....
आप सरल सरस उत्तम दोहन के रचनाकार हैं।आपके भाषा भाव शिल्प शैली कला पूर्ण है।आप की लेख़नी मे मन मोहक क्षमता है।आपका सादर बंदन
#4#पं.श्री प्रमोद कुमार मिश्रा जी प्रमोद बल्देवगढ़......
आपके पैलै दोहा में नगर निवासी फुरफुरी ,और तीसरे दोहे में काया भरतहि फुरफुरी करने से लय और बढ जायेगी।आपके दोहे मुहावरे प्रधान हैं,जैसे...सूपन ठंड कुड़ेर, ऊ दिन में कंडा ठुकें,होत फुरफुरी घोलना,ठंडी चल रयी लहरिया, और चिलम नाय खाँ बोंड़ आदि कौ उत्तम प्रयोग करो।
लय तान आपकी प्रधानता है।भाषा शैली भाव शिल्प कला पूर्ण मिले।
आपका सादर बंदन।
#5# जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मैने अपनी रचना में धर्म सिंगार,उपमा,अनुप्रास कौ प्रयोग करो।भाषा भाव शिल्प शैली आप सब जनें परखो।सबखों हमाई राम राम।
#6#श्री सरस कुमार दोह......
आप अपने अंतिम दोहा में मोय तापबे की परी,कर देते तौ लय और अच्छी हो जाती।आपके भाव ठीक हैं।आपकी भाषा मनंमोहक और शैली टिकाऊ है।शिल्प की कोशिश सफल है।आपका अभिनंदन।
#7#श्री गोकुल प्रसाद यादव कर्मयोगी जी नन्नी टेरी बुड़ेरा......
आप बुन्देली के जाने पहचाने रचनाकार हैं।आप बुन्देली के शीर्ष शब्दन कौ उपयोग करत।जैसें रोंम होम कोड़ पिछौरा गोंऊँ मुलकन आदि।आपके मुहावृरे मन में लड़ुवा फूट रय,चार दिना की फुरफुरी,फसल..
एक पिछ़ौरा ओड़,आदि मनमोहक लगे।भाषा भाव शिल्प शैली मजेदार।आपका सादर अभिनंदन।
#8#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी हटा दमोह.........
आप भी कुशल रचनाकार हैं।आपकी भाषा में लय चिकनाई सरलता सहजता सहेजी जात।रोप बे अंग्रेजी सें उठा कें गुरिया सौ पैरा दवं गव।आपकी भाषा में अलंकार, मुहावरे टौका,सोऊ डारे जात।आपकौ सादर अभिनंदन।
#9#पं. श्री बृज भूषण जी बृज बक्सवाहा.......
आपकी ्ंतिम पंक्ति में मात्रा भार अधिक होने से लय अवरोध है।बैसे आप सरल सहज सटीक रचनाकार हैं।आप के मधुर शब्द प्रयोग मनमोहक बनत। तकौ हाड़ कप जाँय,को प्रयोगं साजौ लगौ।तीसरे दोहा में यथार्थ कौ दर्शंन करा दव।भाषा भाव नौनौ बनो।शिल्प शैली उम्दा।आपके चरण बंदन।
#10#डा. देवदत्त द्विवेदी सरस जी बड़ा मलहरा........
आपकी रचनायें अंतस छूबे बारीं होतीं।बाबुल ने दयी लाड़ली डोली में बैठार,रोम रोम तर्राय,स्यारी पै सूका परै,मँगरे पै बिजली नचै,आदि कौ उत्तम प्रयोग करो गव।भाषा मधुर लयदार,भाव मनमोहक,शिल्प शानदार शैली मजेदार है।आपके चरण बंदन।
#11#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़..........
आपकी भाषा दमदार, भाव भरी सरल सहज मिठास भरी है।आप संदा दमदार शब्दन कौ प्रयोगं करत।जैसें...
फरिया ओढ़ेनार,पवन पुरवइया चली,शीत लंहर कौ जोर,उड़ उड़ जाबै चुनरीआदि।भाषा भाव दमदार शिल्प शैली मजेदार।आपका सादर बंदन।
#12# श्री अभिनंदन कुमार गोईल इन्दौर.........
आपकी भाषा लयदार, आप बुन्देली के विशुध्द शब्दन कौ प्रयोग करवे में चतुर हैं।हीटर अंग्रेजी शब्द
खों गाने की तरह पैरा दव।
गुच्चबें फरूरी घिनयाव पछाड़ेंआदि शंब्दन कौ प्रयोगं मालवा में रैकैं कर रय।अभिनंदन जी कौ सादर अभिनंदन।
#13#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़.....
आप भी बुन्देली के श्रेष्ठ रचनाकार हैं।आपकी भाषा में खोज जादा मिलत।
मुहावंरे रस छंद अलंकारन कौ प्रयोगं खूबं होत।माउठ के बदरा उठेरुक नईं पा रई कपकपी,तापत आगीबार,कैसौ अत्त मचाँय और आवे बाये बसंत कौ सुन्दर प्रयोग करो।आपका सादर बंदन।
#14#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवई हाल दिल्ली..........
आपके पैलै दोहा में तन की दिखबै फुरफुरी, फुरफुर सी परने लगी,करतूतें गद्दार कीं,करबें सें लय और साजी बन जाती।मात्रा भार सुन्दर,अलंकारन और मुहाँवंरन कौ खूब उपयोग करो।शब्द कोमलता,साजी लगी।भाषा में स्थानीय बोली के शब्दन कौ उपयोग चतुराई सें करो गव।आपकौ सादर अभि्नंदन।
#15# पं. परम लाल तिवारी जी खजुराहो........
आपकी भाषा में यथार्थवाद के दर्शन होत।चिकने शब्द,मुहावरे अलंकारन कौ प्रयोगं करो गव।ऐंड़ाई आबें बहुत
बिना उठें नईं रोय,कौ प्रयोग साजौ लगो।कछू २हिन्दी शब्दन कौ प्रयोग करो गव।आपका सादर बंदन।
#16#श्री कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर........
आप बुन्देली के बिचित्रताओं के कवि हैं।लगै कपकपी आग खों,धरती भई हिमार,दै रई खूब दमार,आदि कौ सुन्दर प्रयोग करो गव।आपकी भाषा में अलंकार,भाव कौशल देखबे मिलत।कभऊँ हास्य की पुट लग जात।आपको सादर नमन।
#17# श्री शोभाराम दाँगी इन्दु जी नंदनवारा........
पैलै दोहा में ई सें कालौ बचे रँय,दूसरे में जानवरन खाँ राखबे,करदो तौलय में मजा आजै।दोहन की भाषा भाव शिल्प शैली मजैदार।आपने स्थानीय बोली कौ प्रयोग खूब करो।आप भावुक कवि हैं।आपका सादर बंदन।
#18#पं. श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी......
आपकी भाषा सरल और प्रभावकारी है।आपकी रचना में मुहावरे अलंकार और यथार्थ का चित्रण होता है।
,सुरई फूट रई ठंड सें,अम्मा खाय पछार,टटा टोर जाड़ौ परो,,पिल्ला परे रजाई में,पिल्लयाऊ पल्लीं मिली,आदि साजे प्रयोग हैं।भाषा भाव शिल्प शैली मजेदार।आपका सादर बंदन।
#19# डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.......
आपके पहले दोहा में बंड़ौ बुरव,पैल मास्टर देत ते,करबे सें लय की सुन्दरता भौत बड़ जै।आपंकी रचनायें यथार्थ परक हैं।ऐसी भावई बीत रई,
देख सास कौ दबदबा.......जब बा हेरै नाँय,ई के अद्भुत उदाहरण हैं।भाषा भावं सटीक शिल्प शैली मजेदार।
आपंके चरण बंदन।
#20#बहिन गीता देवी औरैया...........
आपकी भाषा में उत्तर प्रदेश की बुन्देली के दर्शन होत।आपकी भाषा जालौन जनपद की है।जैसे...सबरे खों सिगरे,आँग खों गात,साफ खों साप,सपनों खाँ सपवा,आदि प्रयोग करो गव।आपकी भाषा भाव सुन्दर,शैली ठीक है।आपके चरण बंदन।
#21# श्री अमर सिंह राय साहब नौगांव..........
आपके पैलै दोहा मेंखड़े ह़ रय रोंगटा,दूसरे में छोड़त नइयाँ फुरफुरी,कर दय सेंभौत आसान हो जै।आपकी भाषा में सत्य और मुहावंरे कौ प्रयोग करो गव।पारौ गिरबै ऐन,धू धू धूनी धंधरा,कानन हवा सकात,परो दोंदरा देय, कौ बेहतरीन प्रयोग करो गव।आपका हार्दिक बंदन।
@#22#श्री रामानंद पाठक नंद जी नैगुवाँ........
आपकी रचना में ककोरी ठंड,चकिया झरै ना गंड,पसरी डरी उसार,आदि बेहतरीन प्रयोग करे गय।आपकी भाषा में मध्य क्षेत्रीय छतरपुरी कौ बखूबी प्रयोग करो गव।भाषा भाव शिल्प सुन्दर।आपको सादर बंदन।
#23# डा. आर.बी.पटैल.अनजान जी छतरपुर......
पैले दोहा में बिच्छू लिखने से भी मात्रा भार नहीं बदलता।आपकी भाषा में बाँदा का प्रभाव दिख़ाई देता है।वीछू,छीयो,नागे की छोड़े की लेह ,
जेह आदि बांदा से प्रभावित हैं।बाँकी भाषा निराले भावं,सुन्दर शिल्प शैली।आपका सादर अभिनंदन।
#24# श्री प्रभु दयाल स्वर्णकार प्रभु जी......
आपका एक दोहा भी नमूना है।जिसमें भावं का चमत्कार पाया गया।आप बिशिष्ट रचनाकार हैं।आपका सादर अभिवादन।
उपसंहार.....
आज सोमवार को सभी ने अपनी क्षमता नुसार बढ़िया लिखने का प्रयास किया ।संभी मनीषी बधाई के पात्र हैं।
आप सभी का हार्दिक बंदन अभिनंदन
राम राम।
समीक्षक.......
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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322-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ-पतंग-18-01-2022
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एमपी
मंगलवार 18 जनवरी 2022
हिंदी दोहा दिवस 68 विषय "पतंग"
समीक्षक प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
†**************************
,,
श्री गणेश गणराज को श्रद्धा सुमन चढ़ाय
मातु शारदा सरस्वती कृपा दया मिल जाय
लिखत लेखनि ललित कला,कर दे कृपा कि कोर
चरण शरण मिल जाय मां,झांक ले मेरी ओर ,
,,,,,,,,,,,,,,
,1, श्री अशोक पटसारिया जी नादान
,,
जीवन है पतंग संसारी डोर गुरु ने डारी
दूर गगन तक इठलाती है अरमां प्रेम उकारी
सतरंगी अनजान गगन से सब ईश्वर अनुसारी
कहते हैं नादान सलोनी धरती धरी उतारी
,,
2,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
,,
हनुमत सियाहि प्रसंग सुनाते निसिचर सब पतंग बतलाते
स्वर्गहि गई पतंग राघव की रघुवर मोहि पठाते
सरमा विनय बंदना करती मुझे राम मिल जाते
मकर संक्रांति तज के भ्रांति हमहि पतंग उड़ाते
,,
3, श्री जय हिंद सिंह जी जय हिंद
,,
धीरज धरो सुमर के राम सदा मिले आराम
समय होय विपरीत हृदय में राखो राधेश्याम
ऊंचाई पा जाओ ना समझो खुद को ललित ललाम
दीपशिखा में जलत पतंगा करके खोटे काम
कहते हैं जय हिंद हिंद है दुनिया का सुख धाम
ईश्वर पर विश्वास करो सुख देंगे सीताराम
,,,,
4,, श्री डॉक्टर देवदत्त द्विवेदी जी
,,
उड़ना अंतरिक्ष में जाके गर्व न करना वैभव पाके
मन से मन की दूरी ना हो लाभ हानि समझाके
नकल अगर उत्तम हो कर लो रिश्ते रखो बनाके
सरस दूरियां होंए पतंग सी कटें जुड़ें न आके
उन्नति करो उज्जवल आँगे हरि नाम अपनाके
,,,
5,, श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी
,,
नीले नभ में चढ़ी पतंग भर के हीये उमंग
पीछे डोर बंधी घिरनी में गगन चूमती चंग
मना रहे लोहड़ी बाल सब नवल नवेले रंग
सावधानी से स्वयं ताकना कट नहि जाय पतंग
,,,,,
6,, श्री रामकुमार शुक्ला जी
,,
अखियां दीनानाथ ने खोलीं ताक रही न बोलीं
सदविचार सदभाव भरें जीवन डोरी सें डोलीं
परमेश्वर परहित बिंद्रावन नभ पतंग उड़ि भोलीं
छटा अलौकिक चकाचौंध लै लखती सखियन टोलीं
,,
7,, श्री रामेश्वर राय जी परदेसी
,,,
सखी बन जाओ पिया के देश दियो प्रेम संदेश
प्रिय वियोग अब सहन होत न काटो आन कलेश
कब आओगे सजन सलोने तरसत श्यामल केश
लगत पतंग संग उड़ आऊं साथ पीऊ परदेश
,,,,
8,, श्री भगवान सिंह लोधी जी अनुरागी
,,,
हे हरि मोरे दीनानाथ कीजे सदा सनाथ
मानस चंचल चपल चंग सा रसना जाने गाथ
चौरासी के भ्रमण जाल में कई जन्मों का साथ
हे महाकाल ओरछा स्वामी तुम्हें नवाऊं माथ
अनुरागी पतंग की डोरी राजाराम के हाथ
,,,
9,, श्री परम लाल तिवारी जी
,,
जितनी लंबी डोर पतंग उतनई आवै रंग
छूती गगन चित्त संग लैके मन महि भरें उमंग
अपने करो शौंक सब पूरे और होय न तंग
सम स्थिति जिओ जो जीवन रंग बिरंगी जंग
,,,,
10,, श्री संध्या निगम भूषण जी
,,,
जीवन अपना पतंग समान मिलता भाव प्रधान
लाल हरी बैगनी पतंगे झूम रही आसमान
डोर बंधी जब तक प्रभु कर में समझो परम सुजान
रिश्तो को रिश्तो में बदलो सर में सर लो जान
,,,,,
11, श्री शोभाराम दांगी जी
,,,
पतंग की लिख दी बेपरवाही जैसे देत गवाही
राधा वही झूलती झूला श्याम रंग उत्साही
दल बदलू की कटी पतंगें लूटी वाहावाही
ग्वाल बाल लिखवे खों बैठे हो गई खतम स्याही
,,
12,, श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
,,
आवन साजन की मन भावन सुंदर सुखद सुहावन
सजी धजी लगती पतंग सी पंकज सदृश लुभावन
बदन सुकोमल पुलकित हर अंग कामिनी काम लजावन
प्यार पिया के पगी देहिया सुलझेना सुलझावन
,,
13,, डॉक्टर आर बी पटेल जी अनजान
,,
कर सत चिंतन अरु सत धारण सत का सत्य उदाहरण
यह पतंग जैसा है जीवन बन परमारथ कारण
मन मतंग की डोर थाम ले कटे ना कभी अकारण
मानव सेवा कर ले मन से सेवा कष्ट निवारण
,,,,
14,, श्री संजय श्रीवास्तव जी
,,,
पतंग से नाप लिया आकाश कोरी कोरी आस
यह जीवन पतंग सम सुंदर मानो यह विश्वास
ऊंचाई पर नेक रहे जब तक उड़ती तो खास
आशा आसमान से ऊंची प्रीत मस्त रख पास
,,
15,, श्री जनक कुमारी सिंह बघेल जी
,,
मन बन जाए पतंग की डोर थामें खुद इक छोर
रंग बिरंगी उड़े गगन में कभी संध्या कभी भोर
शरद सुहानी धूप में उड़ती इठलाती चहुं ओर
अनुशासन में रखो बांध के काट ना पाये चोर
,,,,
16,, श्री गणतंत्र जैन ओजस्वी जी
,,,
संभालो डोर यही है मंत्र कहते हैं गणतंत्र
आसमान रोता पतंग लख बना शौंकिया यंत्र
सूर्य बदलता दिशा स्वयं की सुना है ऐसा तंत्र
अपनी खुशी किसी की पीड़ा नहीं हो ऐसा जंत्र
,,
17,, श्री प्रदीप खरे मंजुल जी
,,
पतंगे प्रेम से पेंच लड़ाती लहराके कट जाती
कटी पतंग काया बेरंग भई फटी नही जुड़ पाती
नीली पीली हरी बैगनी सबको खूब लुभाती
मन को भाती तभी पतंगें जब नभ में मड़राती
,,
18,, श्री गीता देवी जी
,,
पतंगे होती रंग बिरंगी भांति भांति से चंगी
संक्रांति पर बाल वृद्ध सब देख रहे सतरंगी
तुम पतंग के संग में रखना ध्यान समझकर अंगी
बेजुबान पक्षी स्वतंत्र हो तब ही सफल पतंगी
,,
19,, श्री गोकुल प्रसाद यादव जी बुडेरा
,,
लख मन मोहन मधुर छवि लिखते कई कवि
उड़ती गई पतंग गगन में छूने चली रवि
तन पतंग की डोर नाथ परमेश्वर चरण दवि
कृषि में पतंग परागण करते उपजत किस्म नवी
,,,
20,, श्री कल्याण दास साहू पोषक जी
,,
सूरज उदित होंय उत्तरायण सुमर सत्य नारायण
जीवन डोर पतंग सी जानो करो सदा पारायण
,,
21, श्री एस आर सरल जी
,,
मन चितचोर पै कर ले काबू अभी समझले बाबू
मनवा बांधे नहीं बंधे गर हो ना जाए बेकाबू
दुनिया बहुत लुभावन बिखरी निखरी रंग बताबू
स्वास डोर के टूटत फिर क्यों व्यर्थ का शोर मचाबू
,,,,
जयति शारदा सार को ग्रहण करें कविराज
इति प्रमोद मय समीक्षा भूल क्षमा हो आज
विनय बंदना गणपती गौरी सुत गणराज
भाल शरण में रख कहूं क्षमा करो महराज
अक्षर अक्षर सम्मिलित बने छंद मकरंद
यद्यपि महिमा आपकी क्या समझे मतिमंद ।।
,,,,,,,,,,,
प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
##################################
323-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-19-1-2022
🌹जय बुन्देली 🌹
साहित्य समूह टीकमगढ़
✒️समीक्षा ✒️
दिन बुधवार 19/1/2022
बुन्देली में स्वात्रंत पद्य लेखन
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
🙏वंदना 🙏
मईया देओ ज्ञान की भिक्षा
लिखबै आज समीक्षा
आन बिराजो कंठ हमारे
करबै आज प्रतिक्षा
अन्धकार को दूर भगा दो
तुम से मागे शिक्षा
ज्ञान की ज्योति जगा दो मन में
भाऊ मगाबै दीक्षा
👏👏👏👏👏👏👏👏👏
1-श्री प्रमोद मिश्रा जू बल्देगढ़
आ•मिश्रा जू अपुन ने आज भौतई बढ़िया बुड़की पै बुन्देली तर्ज में गीत लिखों हैं जू
सपर के आज ऐन हूको रने नईया भूको
लुचई पपरिया और ठढुला खूब चरो न झूको
पंडित जी चरों चरबौ चराबौ तो गाय बैल भैस खो चराव जात है जू
उते अपुन लिख सकत ते
,,पेट भरो न झूको,,
तो भौतई नौनो लगतो जू
अपुन के आगे हम कछु नईया जूअपुन ने भौत बढ़िया बुड़की के नौने नौने पकवानों को बखान करों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत वंदन 👏👏
2-श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्हीं टेहरी बुड़ेरा
आ•यादव जू ने भौतई बढ़िया बुन्देली गजल लिखी हैं जू अपुन ने कमाल करदव है जू पुराने जमाने की नदी दहारे लोरबो कथरी गऊचरे नीम के छायरे जाने का का बखान करों है जू अपुन की कलम को बारम्बार नमन हार्दिक स्वागत वंदन करत है जू 👏👏
3-श्री शोभा राम दांगी नंदनवारा
आ•दांगी जू अपुन ने बुन्देली में गद्य लेखन करों है जू अपन की का काने राम लला जू पुख्न पुख्न अवधपुरी से ओरछा आये हैं जू अपुन लिखों हैं कंचन बरसों भौतई नौनो बखान् करों जू अपुन एक बात और लिख रये हो के राम कंचन घाट पै घिसत रये है तनक गोर करों जू के का घिसत रये है भाड़े बर्तन अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली में भौत कछु सार लिख दव है जू अपुन को हादिक स्वागत वंदन करत है जू 👏👏
4-श्री प्रभु दयाल श्री वास्तव पीयूष जू टीकमगढ़
आ•भाई साव पीयूष जू अपुन बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू
महकत है बेला सी बेला रस मलाई को बेला
अपुन ने उपर की लेन में भौतई बढ़िया लिखों हैं जू नेचै की लान में हमें कछु संसय सो लग रव है जू बेला तेल फूलैल इत्र से बेला सी महकत है जू
रस मलाई तबेला,,
अपुन सोच लो मेला में के बाजार में बेला में रस मलाई का बने दो किलों मेला में तो तबेला में हुइये रस मलाई
और भी संसय है जू अपुन खुद काजर की लान बाच ले एक बेला ने एक काजर की डिबिया भर को काजर लगा लव तो अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
5-श्री रामानंद पाठक नन्द जू नेगुवा जिला निवाडी
आ•पाठक नन्द जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गारी लिखी हैं जू किसान की पीरा भौतई नौनी है जू एक बात पै हमें थोरो भिरम सो होरव है जू
,,फसल सरी आइ धान की,,
और भौतई बढ़िया गारी लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
6-श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जू
हटा जिला दमोह म,प्र,
आ•अनुरागी जू अपुन बुन्देली गारी लिखी हैं जू दूसरें अन्तरा में तनक अपुन गोर करें
,,वाहों पेरें बाजू बंदा
माथे बींच चमक रयो चंदा
डारे जात सबई पै फंदा
जो तो बाजू बंद हमनें सुनों है पै बंदा नइ सुनो
2-माथे बीच चंदा एक शंकर जी के शीश पै है
अपुन लिखरये डारे जात सबई पै फंदा
फंदा एक बचन है अपुन लिखरये फंदा सबई पै फंद लिखो जानें तो अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गारी लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन सादर नमन
👏👏
7-श्री प्रदीप खरे मंजुल जू पत्रकार टीकमगढ़
आ•भाई साव जू अपन ने बुन्देली ख्याल भौतई नौनो बखान करों है पत्नी अपने पति खो समझा रइ के बायरे जिन जाव जाडो परों भीतर रईवो
बुड़की के लडुवा धरें भीतर हो खाव
तनक ख्याल नेचे की लान में रोनो हो गव कव काये ब जनी को मेर नेह तुमपै दिखा रव है तुमाये इते आबो चाऊत है
जे तो हंसी की बातें आये अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली ख्याल लिखों हैं अपुन को बार-बार सादर प्रणाम नमन वंदन
👏👏
8-श्री आर,एस,सरल टीकमगढ़ जू
आ•भाई साव सरल अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं बोल है
,,जाडों भौत कुठंगों पर रव
अंट फुआरो झर रव
अपुन की का कने अपुन तो चौकडिया भौतई प्यारी लिखत हो
केवल एक चौकडिया में एक दो शब्द हिन्दी के मिल जात है
अंट की जागा अपन अंद या दंद फुआरो पर रव नेक फुआरो पर रव
अब नई घाम निकर रव,,
अब नई घाम पसर रव
तो भौतई नोनी चौकडिया लिखी जाती
भाई साव सरल अपुन की चौकडिया में भौत मजा आऊत है अपन खो हार्दिक स्वागत सादर नमन जय राम जी पहुंचे
👏👏
9-श्री बृज भूषण दुबे ब्रज जू
बकस्वाहा
आ•दुबे बृज जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गीत लिखों हैं जू जी मे भोले बाबा को ब्याव को बखान करों है जू अपुन लिख रये हो के भोले बाबा त्रिशूल लये कमण्डल लये बागों बाघाम्बर पेरें है कानन बिच्छू डूडा बैल पै बैठें हैं अपुन ने करिया नाग ओर चंदा तुतईया नइ लिखी हैं जू बरात में शूक शनी को बखान छोड़ दव है जू अपुन भौतई बढ़िया बुन्देली में लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
10-श्री देवदत दुवेदी सरस जू बड़ा मलहरा
आ•दादा सरस जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली गीतिका लिखा है जू जो बुन्देली बौछार को कमाल कर दव है जू बोल हैं
,,तइया की भाजी तरकारी
बिसरत नइयाॅ कभऊ बिसारी
कड़ी खदकबै भारी खीर मऊवन की डुबरी महेरी जाने का का बखान करों है जू अपुन को बार-बार सादर नमन वंदन अभिनंदन करत है जू
👏👏
11-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जू
निवाडी
आ•चतुर्वेदी जू अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली में चौकडिया लिखी हैं जू जिके बोल हैं जू
,,ठंडी परी पूष में भारी कम पर गइ तैयारी
नइ रजाई चूहन ने काँटी
अड़ी अड़ी कर डारी
अड़ी तडी कर डारी तो और नोनी चौकडिया लिखी जाती जू
बिपता घेरे भारी घरबारी के सगे रात में है सारी
रात भर आँख नइ लगीं सारी रात ठंड में कड़ी अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करत है जू 👏👏
🦚🌹🏵️🍇❤️🌲🍫🚩🍀
12-श्री रामेश्वर राय परदेशी जू टीकमगढ़
आ•भाई साव परदेशी जू अपुन ने भौतई नौनी बुन्देली चौकडिया लिखी हैं जू जिमें लिखों हैं
,,बोलीं बुन्देली मतबारी
एकइ सौ पै भारी
अपुन खो इये ऐसो लिखने ती
,,बोलीं बुन्देली मतबारी
सौ पै एकइ भारी
तो भौतई नोनी लगती
अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली बखान करों है
गोट राइ ख्याल लमटेरा कातिक लेद दिबारी नारेसुआ नौरता अक्ती लोरी पाई बिलबारी
ईसरी जगनिक केशव तुलसी भूषण बिन्दु और बिहारी बुन्देली कवि होगये जिनको नाँव आज जग में अमर हो गव है भौतई भौत बढ़िया बुन्देली चौकडिया परदेशी जू अपुन ने लिखीं हैं हार्दिक स्वागत बधाई सादर नमन अभिनंदन है
👏👏
13-श्री कल्याण दास साहू पोषक जू पृथ्वी पुर जिला निवाडी
आ•पोषक जू अपन ने भोतई नौनो चौकडिया तर्ज में बुन्देली गीत चौकडिया लिखी हैं जू जो ठंड के बारें में भौत कछु सार लिख दव है जू
बोल हैं
,,तरवा भौत देर में तप रय
बरफ सरीखे गप रय
अपुन ने ठंड पै भौत कछु अच्छो लिखों हैं जू अपुन खो हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन सादर नमन करत है जू 👏👏
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
आज अपुन सबई जनन ने बुन्देली में भौत बढ़िया लिखों हैं जू चौकडिया,गारी,गीत,
कविता ख्याल लमटेरा अपुन सबई जनन खो हमाई हात जोर जयराम जी पहुंचे जू 👏👏गुलाब भाऊ
✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️
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324-श्री प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ मुखिया-25-01-2022
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एमपी
मंगलवार 25 जनवरी 2022
हिंदी दोहा दिवस 69 विषय "मुखिया"
समीक्षक - प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
,,विधा, चौकड़िया
†**************************
,,,,
मुखिया प्रथम पूज्य लंबोदर,,कार्तिकेय सहोदर
पार्वती सुत तुम्हें मनाऊं पिताश्री भोलेश्वर
हे गणराजा विघ्न विनाशक रिद्धि सिद्धि प्राणेश्वर
हे गज बदन गजानन स्वामी एकदंत सर्वेश्वर
साष्टांग प्रमोद शरण में शब्द सुमन लो ईश्वर
दया कृपा हे मंगल दाता सबहि भांति मंगल कर ।।
,,,,,,,,,
शारदा सरस्वती के चरणों नवाऊँ शीश माता आशीष सहित दया का उपहार दें
हाथ तेरे लाज मां सम्हार मेरे काज मां शरण में प्रमोद दया दृष्टि तनिक डार दें ।।
,,,,,,,,,,,
1,, श्री अमर सिंह राय जी
,,
मुखिया करें कबहूं न भांत,माने न जाति पांत
न्याय करें दुखियन संग रावे ग्राम प्रधान कहांत
घर मकान वाहन हासिल कर कई प्रपंच रचात
करत काम मिल के चलत तुरतई सील लगत
,,,,
2,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
,,,
मुखिया गणपति सती पति, रावण सूर्य कुमार
ब्रह्मा मुखिया जगत में, चला रहे संसार
घर-घर में मुखिया सुने पशु पक्षियों में होत
मुखिया दीप समान ही करें प्रकाशित ज्योत
रघुकुल प्यारे राम श्याम भजते सब दूखिया
वतन के वीर जवान किसान ही अच्छे मुखिया ।।
,,,
3,, श्री अशोक पटसारिया जी नादान
,,,,
लिख रहे श्री अशोक नादान, मुखिया माते प्रधान
मुखिया मुख सा अंग पालता रखत हमेशा ध्यान
साफ सफाई वस्त्र बगबगे मुखिया की पहचान
शुरुआत साइकिल से हो गई बोलोरो लई आन
,,,,,
4, श्री भगवान सिंह लोधी जी अनुरागी
,,,,,
लिखते भगवान सिंह अनुरागी शब्द सुधा रस पागी
चाल मराल चलत बगुला मुखिया दुखिया सहभागी
मुखिया मोदी शिवराज कहे मुखिया अब नहीं त्यागी
पांच के आठ साल हो गय सरपंच कड़े सौभागी
,,,,,,,
5, डॉक्टर श्री देवदत्त द्विवेदी जी सरस
,,,,,
लिखते सरस वोट की चाल मुखिया मालामाल
नेकी नीति मित्र मन बारो त्यागी गुणी विशाल
मुखिया बन सपने भय पूरे कोठी कहती हाल
खाए गरीब भला कैसे अब मिलकर रोटी दाल
,,,,,,
6, श्री प्रदीप खरे जी मंजुल
,,,,
मुखिया मंजुल जी बतलात डाकौ डारें रात
बदली रीत गओ बीत जमानो मुखिया नहीं दिखात
मुखिया माते मौज करत नित इनकी करनी विख्यात
मुखिया अब मनमोहन मेरे राधा वर श्यामल गात
,,,,,,
7,, श्री लखन लाल सोनी जी
,,,,
घर के मुखिया पर सब भार पालत है परिवार
मिला जुलाकें लिख दई हमने शब्द समार
,,,,,,
8,, श्री रामेश्वर राय परदेसी जी
,,,,
मुखिया शिक्षित सफल विद्वान, चाल विरोधी जान
सेवा करे दीन की मुखिया तो बन जाए महान
मुखिया मुखिया सम वन जावे कहलावे भगवान
परदेसी की रायशुमारी लियो सवई पहचान
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9,, श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
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मुखिया होतई बदन समान, करत देह को ध्यान
महिमा मुखिया पोषित अंग अंग तजे मोह अज्ञान
भाव स्वभाव नेक हो जागो ताकू मुखिया मान
समता क्षमता धीरता मुखिया गुण अनुमान
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10, श्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव जी
,,,,
मुखिया का गुण यही विशेष, गांव नगर या देश
पौषे सब को सदा एक सा नेक रहे उद्देश
मुखिया मुख सा तुलसी कहते दे कर के उपदेश
मुखिया है संसार के भगवन श्री शेष महेश
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11, श्री गीता देवी जी
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मुखिया होता कुशल महान, रखे सदा सम्मान
जनता चुनती करें भलाई राखे पद की शान
भारत के मुखिया हैं मोदी भक्त करें गुड़गान
सत्य न्याय का सच्चा मुखिया सुना देत फरमान
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12, श्री एस आर सरल जी
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मुखिया बन बैठे सरदार करके बंटाधार
सांतर हो गए साधकें उल्लू करें नेक व्यवहार
मुखिया हो आदर्श भाव सम नाव का खेवनहार
मुखिया करे विकास ख्याल से व्यक्त करें उद्गगार
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13,,, श्री रामानंद पाठक जी
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मुखिया ममता सबके साथ वही सभी के नाथ
नीत न्याय सद्गुणी विवेकी सदाचार के साथ
करें उत्थान सुरक्षा सबकी चले झुका कर माथ
निर्विवाद निपटाए हुनर से कहे जोड़कर हाथ
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14, श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
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मुखिया बारह गांव के बाप पड़े पाप संताप
मुखिया के दायित्व कठिन है करने पड़ते ताप
मुखिया हो शालीन अमन की बंसी बजती आप
देत दलील वकील लिहाजा विकृत पंचायत खाप
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15,,, श्री बृज भूषण दुबे जी
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मुखिया करें समाज निर्माण जन जन का कल्याण
दक्ष प्रजापति ने मुखिया बन गर्व से भोगा त्राण
मुखिया मुखिया कहावत मुख्य मुख्य प्रमाण
सरल सहज सद्भावना बिन मुखिया पाषाण
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16,, श्री गणतंत्र जैन ओजस्वी
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मुखिया के मुख पर मुस्कान मुखिया उसको मान
चोरी लूट खसोट करत ओछे मुखिया लो मान
जूता से पूजा इन्हें इनका है यही सम्मान
सांची मुखिया है बही करें परोपकार जो सुजान
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17,, श्री जय हिंद सिंह जी जय हिंद
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मुखिया रहे भले खो चेत करे भलाई हेत
मुखिया मुख सो पोषण करवे अंग ऊर्जा देत
मुख मंजन अंजन दातों का नैनों से लख लेत
मुखिया राज करे चतुराई रहे सुहानो खेत
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18,, श्री आर बी पटेल अनजान जी
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मुखिया बिना पटेल बतावें किसको सत्य सुनावें
घर का लड़का अत करे तो फिर मुंह कहां छुपावें
मुखिया निज हित अनदेखी कर अपने परिवार चलावें
पोषण करे समाज को मुखिया मुखिया सफल कहावें
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19,, श्री राजीव नामदेव जी राना लिधौरी
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मुखिया मुख कबहूं न मोड़े नेक कार्य हित दौड़े
सकल समाज समान मानकर दे सम्मान पकोड़े
महंगाई की मार झेलते समय कठिन है थोड़े
मुखिया पौषित करें सभी को नहीं किसी को छोड़ें
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मुखिया भारत को संविधान जय जय हिंदुस्तान
शुभकामना बधाई सभी को है गणतंत्र प्रमान
लहराता ही रहे तिरंगा धरा गगन दरमियान
सदा प्रमोद वतन पर मेरे कृपा करें भगवान
,,,,,,
जय जय हिंदी भारत माता, तुम को शीश झुकाता
बेटी जल है तो ही कल है मां गंगा को ध्याता
गिर उर विटप धरा की शोभा गाय हमारी माता
इति समीक्षा लिखी प्रमोद मय कौशल क्षमा मंगाता
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खुद की खुद ही समीक्षा कीजे कुछ तो नयापन दीजे
नकल में अकल लगाकर अपनी अर्थ ताल लय लीजे
मात्रा की गिनती पर आदरणीय कलम कर रीजे
सबका रहे महत्व यथावत रचना रस शब्द हों भींजे
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आप सभी साहित्यकारों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित बधाई ।
सादर समीक्षा प्रेषित,,
, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,
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325-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-कौल-7-2-2022
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक 07.02.
2022#बुन्देली दोहे#बिषय..कौल#
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समीक्षक ...जयहिन्द सिंह जयहिन्द
आज की समीक्षा लिखबे के पैंलाँ भगवती शारदा खों सादर नत मस्तक।
सबयी जनन खों राम राम।आज कौ शीर्षक कौल /कसम भौतयी नौनौ लगो।सबने अपनी अपनी अकल अनुसार दोहा लिखे जी में अपनी लेखनी कं कमाल पेश करो।
लो अब अलग अलग सबकी समीक्षा
कर रय।
#1# श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी
जी हटा दमोह........
आपके दूसरे दोहा केदूसरे और चौथे चरण में मात्रा भार बड़ौ है जीसें लय में रुकावट होत है।शेष सब दोहा सढिया
भाषा भाव शिल्प से भरपूर हैं।आपकौ सादर नमन।
#2#श्री प्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़..........
आपके दूसरे दोहा के दूसरे चरण में,लय अवरोध लग रव सो सुधारवे की कोशिश करें।चौथे दोहा के पैलै चरण में मात्रा भार एक जादा है।बाँकी सभी कुछ ठीक ठाक है।आपकी भाषा सदा मधुर होत।आपका सादर वंदन।
#3#श्री शोभाराम दाँगी जी इन्दु नदनवारा........
आपके दूसरे दोहा के पैलै और तीसरे चरण में मात्रा भार अधिक है।शेष दोहे अच्छे हैं,भाषा भाव उम्दा हैं।आपका सादर बंदन।
#4#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा...........
आपके तीसरे दोहे में मनके कीजगह मानके होंना था पर वो टंकण त्रुटि है।
आपनें कौल कौ दूसरौ प्रयोग मिस कौल करो जौ भौत साजौ लगो।बाँँकी सभी भाषायी अंग ठीक लगे।
आपखों सादर नमन बन्दन।
#5#पं. श्री प्रमोद कुमार मिश्रा जी प्रमोद बल्देवगढ़..........
आपके सब दोहन में लय मात्रा भार और मधुरता दिखती है।भाषा भाव शैली शिल्प पाव गव।आपकौ सादर
पद बंधन।
#6#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी बुडेरा.......
आपके दोहन में इतिहास के पन्ना लौटे गय।आपके अध्ययन खों नमस्कार।रचना की नजर सें सब दोहा नौनैं लगे।
आपखों सादर नमन।
#7# श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी.........
आपने आज एक दोहा में गागर में सागर भरो।जी में मानस कौ संपुट लगा दव।शानदार बजनदार मजेदार।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#8#श्री भजन लाल लोधी भजन फुटेर........
आपने अपने सबयी दोहन में बन्न बन्न के रँग डारे।सबके प्रस़ंग एक पै एक रय।सब रंग डारकें अंग अंगं रँग डारो।
सब दोहा साजे लगे।आपखों सादर बंदन।
#9#श्री रामेश्वर राय परदेशी जी टीकमगढ़.............
आपने अपने एक दोहा में मजा बाँद दव।रचना की लय तान मजेदार।
आपकौ सादर बंंदन।
#10# श्री बहिन गीता देवी औरैया...........
आपने अपने दोहन में बिविधता भरी।अलग अलग बिचार डारे गय।रचना के हिसाब सें सब दोहा रसदार।आपके चरण बंदन।
#11#श्री लल्लू लाल दर्शन जी.........
आपने चेतना दोहा के द्वारा डारी।दोहा रचना की नजर सें साजो लगो।आपको
सादर अभिवादन।
#12# श्रीअमर सिंह राय साब नौगांव.........
आपने भी अपनी बिबिधता परोसी,नौनी लगी ।मजा सोउ आव,रचना अवयवो के हिसाब सें फिट फाट है।
आपका सादर बंदन।
जयहिन्द
#13#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़.............
आपके सबयी दोहा शिक्षा और चेतना ,से भरे दिखाने।बसंत कैसी बोंड़ीं बसानी।रचना के अंग अंग सटीक लगे।सादर वंदन।
#14#श्रीसंजय श्रीवास्तव जी मवई......हाल दिल्ली.........
आपके सबयी दोहा एक पै एक लगे।पढ कें आनंद बरस गव।चेतना और शिक्षा सब दोहन की मजेदार, शानदार रँगदार,अपरंपार दिखानी।
आपका सादर बंदन।
#15#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा...........
मोरे दोहन कौ मूल्यांकन आप सब जनें जानों।आप सबखाँ मोरी जय जय रामजी।
#16# श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर............
आपने कौल के सबरे उदाहरण धर्म शास्त्रों एवम् इतिहास सें लय।सब दोहे एक पै एक।आपके अध्ययन खों प्रणाम।आपको सादर नमन।
#17# श्री भगवान सिंह लोधी पुनश्च............
आपके दोहे रचना कौशल सें फिट लगे।दरयन शब्द कौ प्रयोग करो जौ शब्द पैलीबेर सुनों।आपके कौशल को प्रणाम।आपका हार्दिक अभिनंदन।
#18#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़..........
आपने अबकी बार अपना फुल स्केल खोलकर मापदंड के अनुसार रचनायें डारीं जो सबसें अलग एक नवीनता लँय मिली।आपके शानदार लेखन सें आनंद की अनुभूति भयी।
आपकौ हार्दिक अभिनंदन।
#19# डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.........
आपकी रचनाऔं में बुन्देली के रहन सहन की शैली और आदतों की साँसी तस्वीर देखवे मिली।एक अलग भाव रखवे बहिन खों बधाई।सादर चरण बंदन।
#20#श्री रामेश्वर गुप्ता इन्दु बड़ागांव...........
आपने गागर में सागर भरते हुये शानदार रचना लिखी।भाषा औऋ भाव मजेदार रहे।आपका हार्दीक वंदन।
#21# श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़.........
आपने अपने दोहन में रिश्ते उकेरते हुये,जीजा साली और सास बहू के संबंधों की साँसी बातें कै दयीं।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
श्री लखन लाल सोनी जी छतरपुर........
आपने आजतक एक दोहा ही पटल पै डारो।आपसें अनुरोध है रचनायें फुल डारें।आपका सादर बंदन।
उपसंहार........
आज सभी ने अपनी मानसिकता पूरी लगा कर डूब कर रचनायें लीखीं।
रचनाओं में निखार आया और बिचारन की नवीनता दिखानीः।
आपसब खों फिर सें राम राम।
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जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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326-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-10-2-22
🌷🌷जय बुंदेली🌷🌷 साहित्य समूह टीकमगढ़
हिंदी पद्य लेखन
दिनांक 10.02 .2022
🌷 दिन गुरुवार 🌷
समीक्षक द्वारिका प्रसाद शुक्ल ,,सरस , ,टीकमगढ़
🌷🌷
बुंदेली बुंदेलखंड की मीठी प्यार भरी है बोली !
रसरंग प्रेम संग रसभरी! जात है जा रस घोली!!
बुंदेलखंड बाँकौ लगै , बाँकौ जा को है नीर! जाकी माटी में बसत, बुंदेली की है पीर!!
बुंदेली में परे चरण,
श्री रामराजा सरकार के! जित बहत ओरछा धाम बेतवा !
जामुनी सी धार के!!
आज पटल पर कविवर महानुभावों ने अपनी रसभरी रचनाओं के माध्यम से एक से एक बढ़कर एक रचनाओं को पटल पर रचना के प्रबल प्रभाव को उकेरा है जिसमें विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से बुंदेलखंड के परिच्रम को लहराया है !बा देशभक्ति की सारस्वत अभिव्यक्ति को अवसर देकर उत्कृष्टता को निखारा है जो रचनाकारों की महानता एवं प्रवीणता का द्योतक है देश हित राष्ट्र हितार्थ रचनाकर देश को गौरवान्वित किया है बे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद
1-प्रदीप गर्ग,, पराग जी ने अपनी रचना में दिए गए विश्वास को संताप मयी धोखा माना है, प्रभू पर विश्वास रखने से ही भला होता आया है आनी जानी खुशी को गमगीन ना मान प्रभू सत्ता पर भरोसा करना ही होगा लैन दैन ही ऐसा व्यापार है जिसे आँख बंद करके नहीं किया जा सकता है ,उत्तम सीख देकर गर्ग जी ने भावों को उकेरा है सुन्दर रचना की श्री गणेश करने वाले सिरमौर प्रथम पटल पर रचना के माध्यम से भाव भरे हैं वे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद 👏
नंबर दो- सुनीता खरे टीकमगढ़ के द्वारा शृंगारिक रचना में बहुआयामी शब्द व्यंजना को उकेरा है मन से चिंतन कर रहे भावों को भरकर शब्द मंचन किया है मन के उद्गारोंं में प्रियतम की अंतरित आत्मा को आत्मसात करने हेतु भावों में आत्म चिंतन को प्रस्तुत कर दिया है उत्प्रेक्षा अलंकार एक रचना का सूत्र बहुत ही उत्तम सरस रचना हेतु विनीता खरे जी को सादर बधाई धन्यवाद!
नंबर 3. श्री अशोक पटसरिया नादान जी ने अपनी रचना के माध्यम से जन-जन को झकझोरा है और आत्म चिंतन करने हेतु मजबूर किया है प्रेरणा स्रोत रचना में सुलझे हुए भी सांसारिकता में उलझ कर रह गए हैं माया रुपी संसार में चेतन रूपी शरीर चला जाना है और सब यही छोड़ जाना है स्वार्थ में अपनों को छोड़ा इस मन को लगाना ही है तो प्रभु के लिए लगा अभी भी समय है शब्द विन्यास के साथ रसों का प्रवाह शीघ्र जीवन उपयोगी है रचना के मंचन के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
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04.श्री मनोज कुमार जीने चिंतन के द्वारा रचना में दर्द की कसक को सजाया है जो यादों के साए मैं मन में कर घर गए हैं छोड़कर दर्द भरी हंसी में कहां मजा रहा जीने में छुपा लेता हूं मैं यूं ही अपने दर्द सीने में को गुमराही राहों में चली गई बिन कहें दर्द भरे भावों में आत्मा की आवाज बनकर मन के उद्गारों को उकेर कर करुण रस की व्यथा को शब्द विन्यास सुंदर प्रतीकात्मकता से प्रस्तुत सुसज्जित रचना हेतु सादर धन्यवाद हार्दिक बधाई!
नंबर 5 .श्री अभिनंदन गोयल जी ने तरुण बसंती की माधुरी की छटा को शब्दों में पिरो कर भावनाओ की सुंदरता बनकर गुंजार रहे आम वृक्ष की मंजरी शांत रस ही विखेर रही सुंदर प्रकृति का वर्णन पलाश की पुष्प लालिमा व्यक्ति का स्वभाव कोयल की कूक मनमोहकता की आवाज बटोही बेसुध हो रहा है भूला सा लग रहा बसंती के रंग में रंगी कविता हेतु श्री गोइल जी को साधुवाद शब्द मंचन स्वागतार्थ उत्सुकता का प्रतीक शब्द विन्यास उत्तम सादर वंदन धन्यवाद !
06.श्री अनवर साहिल जी ने गजल के माध्यम से एक नन्ही परी सी बेटी अपनी मां की गोद की आंचल का सहारा वन उसके अकेलेपन में यादों में मां की खो जाती है और अतीत के आंचल की याद में खो जाती है जो सपनों के सालों में लोरी और किस्से कहानी की याद दिलाती आत्मचिंतन करती गजल सतीत्व गौरवता की मूर्ति मां स्वरूप का आकलन कर आत्म विभोर होकर अपनात्व का परिचय दिया है उत्तम गजल हेतु हार्दिक बधाई धन्यवाद !
7 .श्री रामेश्वर राय परदेसी जी ने अपनी रचना मुक्तक में गुरु को साक्षात ब्रह्म माना है और महिमा के गुणगान कर रचना में श्रद्धा और विश्वास को स्थान दिया है जो मानव मनुस्मृति के लिए साधन बनकर लोक कल्याणकारी भाव से मुक्त होने को सर्वोत्तम है ऐसी सुंदर रचना हेतु परदेसी जी को सादर नमन वंदन अभिनंदन !
नंबर 8. श्री राजीव राणा निधौरी जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से पटल के स्वागत का लक्ष्य साध कर आत्मा रूपी कली साधना बनकर साधक के होठों पर मुस्कान विखेरती रहेगी आस्था के आयामों में ईश्वर वास करता है यदि तुम्हारे अंदर का इंसान जीवित है तो पत्थर में भगवान ही प्रकट होंगे अपने विश्वासके निस्वार्थ ही नजर के पहलू को इंसानियत के चश्मे से देखने पर ही मानव मेहरबानी नजरों में तराशेगा ! तभी हमारा उद्देश्य साकार होगा बहुत उत्तम गजल के लिए आध्यात्मिकता की ओर प्रेरणा स्रोत रचना के लिए साधुवाद हार्दिक बधाई!
नंबर 9. श्री प्रमोद मिश्रा जी ने अपनी रचना वर्णिक छंद में राम के बनाए भूषण पर परम पुनीत सीताराम अंतर और मैं चित्रकूट धाम की छवि निहारते हुए अध्यात्म रूप के दर्शनों को लालायित यह मन चिंतन की ओर चरण वंदन हेतु लालायित है उत्तम दर्शन की रचना हेतु सादर बधाई हार्दिक धन्यवाद!
10. डॉ अनीता जी ने अपनी रचना मेरी कलम मेरे उद्गार शीर्षक से भाव भरे हैं जीवन जीने की सार्थकता के भाव उकेरे हैं जिसमें भूतो ना भविष्यति वर्तमान में जीने की साधना ही मनुष्य की अपार दौलत सुख समृद्धि की सुखद राह प्रशस्त करेगी परिवर्तन ही जीवन जीने की कला बनकर समझदारी के रूप में आत्मसात होगी बहुत ही सारगर्भित सटीक रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद हार्दिक बधाई!
नंबर 11 .श्री कृष्ण तिवारी जी ने ग़ज़ल में भाव भरे हैं जिंदगी जीने में झूठ ही आस्था का कारण बंकर जन-जन को भ्रमित कर भी अपनी गलती को नहीं स्वीकारा है भूल जाने की बात करते हो लेकिन तुम तो मात पिता को ही भूल गए हो और सच से दूर रहकर आत्मीयता को खोया है सारगर्भित एवं सटीक रचना हेतु साधुवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन!
नंबर 12. डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस जी ने हिंदी ग़ज़ल की माध्यम से जिंदगी जीने में भूखे रहकर आंसुओं को पिया है इस संघर्ष में संतानी वजूद को बनाए रखा कष्टों के घूंट को सहनशीलता के दामन में समेट कर रख दिया है लेकिन आज के वक्त ने संतानी सौहार्द को आत्मसात ना कर स्वार्थी जमाने के बहाव में बहकर जमाने को पीछे छोड़ा है सत्यता के उस आयाम को भावों में भरकर श्री द्विवेदी जी ने झकझोरा है मानव मन में जोश भरा है और सीख दी है जो जीवन जीने में सहायक है सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!
नंबर 13. गीता देवी औरैया,,
देवकली में जन्मांतर मेरा घर है,,
धन्यवाद!
रिश्तो की मिठास भरी बोली निरंतर आयामी बनाए रखने में सहभागिता निभा रही हैं अपनत्व ही मिठास जीवन जीने की आस को चरितार्थ करती रचना मन मुद्रा में रहने एकजुटता और स्नेह ही आचरण से आसक्त रिश्तो की मिठास सद मार्ग की ओर ले जाते हैं ऐसे रिश्तों में कभी भी खटास ना आए एसी कामना गीता जी ने की है जो कविता परमार्थी समाजी जीवन को प्रेरणादाई बनकर रिश्तो में सौहार्दपूर्ण प्रेम बांट रही है ऐसी रचना हेतु गीता जी को साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन!
नंबर 14 .श्री शोभाराम दांगी जी ने राधा रानी से प्रार्थना कर जीवन को सफल बनाने में कृपा दृष्टि बनाए रखने हेतु नमन कर समाज को सुखद जीवन जीने की चाह रखी है और जीवन रूपी बगिया को महकाया है पापों स दूर रहनेे व्रत करने की आस रख सत्कर्मों हेतु साधन बनाने की कामना की है श्री दांगी जी ने उत्कर्ष्ट विचारों को रचना में भरकर उतकृष्टता को निहारा है बे साधुवाद के पात्र हैं सादर वंदन अभिनंदन!
15. श्री भजन लाल लोधी जी ने राम के गुणगान की चित्र चरित्र अौर पुनीत पवित्रता और प्राणियों में मित्रता की कामना की है और परमारथ संस्कृति के गौरव रामायण और गीता के ज्ञान की ओर झुकाव होकर भाईचारा मानवता के प्रति मंगल कामना की है जो सद्भावना के प्रति विश्व कल्याण के लिए लाभप्रद है श्री लोधी जी ने अपनी रचना में समाज के हित और लोक कल्याणकारी भावना को निहित रखकर रचना की है जो उत्तम भावना को प्रदर्शित करती है अतः वे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई !
नंबर 16. कविता नेमाजी ने अपनी रचना मैं पूर्णिका के शीर्षक से भाव भरे हैं जिसमें एक लहर प्यार की बसंत की बहार की धूम मची है भंवरे की गुंजन की फिजा बदल गई है सारे संसार की स्वास्थ्य की चमत्कारिक साधना लिए रचना में मुस्कुराते हुए हृदयगम् सितार की भांति तारों की संवेदना लिए रचना को पटल पर प्रस्तुत किया है जिसके लिए वे साधुवाद की पात्र हैं हार्दिक बधाई!
नंबर 17.श्री गोकुल प्रसाद यादवजी ने गीतका के माध्यम से अपनी राय स्वयं बनाना चाहता हूं मुस्कुराकर और धूप और छांव में परंतु की तरह हारे हुए परिंदों के पर लगाना चाहता हूं और पथरीली कटीली तंग गलियों के पार जाना चाहता हूं नदी की लहर बनकर मझधार में हौसले को रख इतिहास बनाना चाहता हूं और हौसले से आजमा कर कर्म योगी बनकर जिंदगी बिताना चाहता हूं मैं यादव जी के हौसले के लिए सादर वंदन अभिनंदन और धन्यवाद देता हूं कि आपके द्वारा हौसला रखने की सीख दी है जो हमारे समाज के लिए गौरवान्वित सिद्ध होगी हार्दिक बधाई!
नंबर 18 .श्री सरलजी श्री एस आर सरल जी ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से साहित्य दर्पण मानकर कलम की पैनी धार से भेदभाव भूलने की पेशकश की है और एकता में जितना भी झंकार धर्म जाति भेद को भुलाने और उत्पात करने वालों को निकाल कर पृथक कर राष्ट्रहित में जोश भरी ललकार देकर क्षमता के भाईचारे को प्रतीकात्मक ता हेतु गांव और जातिवाद को पाखंडवाद को साहित्य से दूरी बनाने एवं ढोंगियों को राष्ट्रवाद की बुनियाद से दूर रखने एवं विश्व भारती की जय कार करते हुए मित्रता एवं सद्भावना वसुधैव कुटुंबकम को ही क्षमता के स्वरूप को अवसर देना चाहिए श्री शरल जी आपके द्वारा जनहित लोक हित और समाज हित में रचना करके उत्तमता को प्रकट किया है आप साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई धन्यवाद !
19.श्री बृज भूषण दुबेजी ब्रिज के द्वारा अपनी रचना मैं झंकार के साथ और उसकी आलसी प्रसिद्ध करवाना अंजना माता की गुणाकर अनुरोध करते हैं कि दीन दुखी और लाचारों चार व्यक्तियों की औकात और वैभव को बढ़ाने के लिए मां से बिनती करते है मन के भय को दूर कर दो दिल के जख्म को दूर कर दया भाव करके ही मां शरण में ले लो बृज तेरा गुणगान करता है मन बाड़ी से मेरी आशाओं की पूर्ति करें बहुत ही अध्यात्म भरी मां के प्रति प्रार्थना कर सामाजिकता को रखा है ऐसे श्री बृज जी को उत्तम रचना हेतु सादर वंदन अभिनंदन और धन्यवाद!
number 19 .श्री कल्याण दास साहू जी ने अपनी रचना में भूलने वालों को नसीहत दी है कि कार्य करने वालों में पीछे रहते हैं और बहाना ढूंढती रहते हैं ऐसे ढोंगी और घमंडी लोगों से बचकर ही हमारा समाज आगे बढ़ सकता है बड़ी हुए तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर हमारी समाज के उत्थान में ऐसी व्यक्तियों की आशा करना उचित नहीं है बहुत ही कम शब्दों में लेखन कर उत्तमता को प्रदर्शित किया है जिससे समाज सीख लेगी हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन !
number 20. श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी ने अपनी रचना में उत्कृष्ट सीख दी है कश्ती चाहे कितने भी मझधार में हो हंसते हुए उन्हें झेलना मानवता का प्रतीक है और हौसला भी, कार्य उतना ही करना चाहिए जितना की मानव में कार्य करने की क्षमता हो नेता यदि ऐसा नहीं है तो उसके भरोसे रह कर आगे बढ़ने की चेष्टा करना मानव की फितरत ही होगी जो विचार करके की जा सकती है चतुर्वेदीजी ने बहुत ही प्रेरकता भरे शब्दों में रचना के माध्यम से सीख दी है बे साधुवाद के पात्र हैं धन्यवाद !
नंबर 21. श्री अमर सिंह राय ने अपनी रचना मुक्तक के माध्यम से शबरी की कुटिया में भावना के वशीभूत होकर राम शबरी के जूठे बेर खाए लखन को रास नहीं आया ऐसी मिलन की आस निष्कपट भाव से पूरी होती है जो श्री राम जी ने शबरी के घर आकर पूर्ण की अध्यात्म भरी रचना के लिए श्री राय साहब को सादर वंदन अभिनंदन और हार्दिक बधाई!
नंबर 22 .संजय श्रीवास्तव वीर गजल के माध्यम से चांद को पाने के लिए खुशियों को नजरअंदाज करते हुए लोग मौत की बस में आने की हसरत को दूर करने का एवं नफरत की राजनीति व अहंकार की छत को गिराने के लिए अपनी रचना में स्थान दिया है चलते हुए उनके कदम चलते-चलते अचानक ऐसी मोड़ पर टकरा गए जहां आंखों में पानी छलक गया और वक्त के जख्म हमें भरने के लिए सम्हलना ही होगा श्री संजय जी आपके द्वारा देशहित लोकहित और जनहित में रचना करके बहुत ही उत्कृष्ट रचना के भावभरे है उत्तम रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक धन्यवाद बधाई।
समीक्षक-डी पी शुक्ला, टीकमगढ़ मप्र
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327-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.17-2-2022
🌷जय बुंदेली साहित्य🌷 समूह टीकमगढ़ 🌷
दिनांक 17.02 .2022
दिन --गुरुवार
समीक्षक -पंडित द्वारिका प्रसाद शुक्ल ,,सरस, टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
प्रथम वंदन मां सरस्वती करूं शीश नवाए !
वर दे वीणावादिनी मेरी बुंदेली की माय !!
दूजे बंदन कविवरन जिन रचा आज का इतिहास! बुन्देलखंड की गरमा का करा रहे जो आभास !!
नमन ऐसे मनीषि, कविवरन ,वरनउँ बुंदेली के सरताज!
जिन रचना बुंदेलखंड के हित करी ,से सुनहिं गावहिं संत समाज !!
आज के पटल पर सभी
कविवरन के द्वारा रचनाओं की उत्कृष्टता लिए भाव भरे हैं ऐसे बौद्धिक क्षमता के धनी मनीषियों को सादर वंदन अभिनंदन साधुवाद करते हुए बुंदेली के भाग्य का परिचय देकर गौरवान्वित करने वाले सरस्वती के वरद पुत्रन को हार्दिक बधाई जिनने एक से बढ़कर एक रचनाओं के माध्यम से बुंदेलखंड की बुंदेली भाषा का परिचम लहराया है जो हिंदी के रूप में भावों में निहित है सदाचार के इस पर्व में सौहार्द प्रेम बांटने वाले रचनाकारों ने मध्य प्रदेश में अपना स्थान बनाने का जो परिचय दिया है वह प्रासंगिक है मैं ऐसे सभी रचनाकारों को आत्मचिंतन के प्रेरणा स्रोत मानकर सर्व हिताय रचना करने का बोधमय विचार प्रस्तुत कर ओतप्रोत कर दिया है सभी धन्यवाद के पात्र हैं मातृशक्ति के बड़े कदम अलौकिक क्षमता के प्रदर्शन में अग्रणी होकर पटल पर प्रदर्शन करती आ रही हैं जो सर्व सुखाय सर्वजन हिताय हेतु रचना लेखन में सामाजिक कल्याण की बाध्यता प्रकट कर रही हैं ऐसी रचनाओं में उत्कृष्टता प्रगट हो रही है ऐसी कामना के साथ काब्य मनीषियों को नमन साधुवाद वंदन अभिनंदन!!
01- प्रथम पूज्य गणपति नमन करूं शरणंगतं के साथ प्रथम पटल पर पधारे श्री गणेश करने वाले बौद्धिक शिरोमणि के चिंतन के पुरोधा श्री शोभाराम दांगी जी ने अपने ग़ज़ल रचना के माध्यम से बिखरते अरमानों की दहलीज़ पर सिमिटते गांव बन गए शहर बदलते जीवन की जंग में जाकर और सिमट कर रह गए हैं आज के दौर में शहरी यह जंग जीतना बढ़ती बेरोजगारी के बीच कठिन सा प्रतीत हो रहा है बढ़ते जोखिमों को उजागर कर श्री दांगी जी ने अतीत के सुखद जीवन की परिकल्पना कर प्रगति पथ पर सूख गए झरने को रचना के माध्यम से सीख दी है प्रेरणा स्रोत बनकर दांगी जी ने भाव भरे हैं वे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई !
नंबर दो --श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु जी ने अपनी संरचना के माध्यम से घटित घटनाओं के माध्यम को जातिगत धर्म भेद में वैमनस्यता की बौछार बुर्खा हिजाब तक जा पहुंची है राजनीतिक का पर्याय बन कर वोट की राजनीति का कारण बनी है राजनीति तो बेटियों की रक्षा कार्य करें और हिजाब वालों से नहीं जंग हिजाब से लड़ें जो समाज को विभाजन करने पर चालबाजी दिखा रहे हैंआज के दौर में शहरी जंग जीतना बढ़ती वेरोजगारी के बीच कठिन सा हो रहा है, बढ़ते जोखिमों को उजागर कर बहुत ही उत्तम रचना समाज हित में रचना के लिए श्री इंदु जी को साधुवाद सादर धन्यवाद बधाई !!
नंबर 3 .श्री अशोक पटसारिया नादान जी ने अपनी रचना स्वर्ग धरा पर आ जाए के माध्यम से मानव धर्म शुद्रण होकर रामराज्य की कामना की है और ज्ञान सूर्य प्रतिष्ठित होकर उजेरा फैले विश्वास प्रेम श्रद्धा भावों में जनमानस के विचार समाहित हो भक्ति भावना में सत्संगति की गंग धारा वहकर भाईचारा शतकर्म लिए एकता की राह प्रशस्त हो कर कोई कमल ना मुर झाएे ऐसी समाज हितार्थ कामना करने वाले श्री नादान जी को बारंबार धन्यवाद देशहित लोकहित की कामना करने के कारण वे साधुवाद के पात्र हैं सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई !!
नंबर 4 .श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने शीर्षक मां से अपनी हाइकु रचना में बोध मई संस्कृति को उकेरा है जिससे जीवन की संगति प्रतिस्थापित धरा का उद्गम महत्व है जो कल्याणकारी होकर प्रेम मई उपकार बहती गंगा धार मां के आंचल में रसधार काव्य रूपी प्रखर ज्योतिर्मय शिखर को छूने का अवसर मिले जिससे जग में उजियारा फैले ऐसी सृजन की माधुर्यता भरे जिससे मेरा देश स्वर्ग बन कर समता की लहर में तेरी आगोश में सरण पा सकूं बाह श्री मंजुल जी समाज हित देशहित और लोकहित में रचना कर के पटल पर उपस्थिति दर्ज कर प्रबलता को छुआ है जो प्रकृति मां जन्म दाई मां और गौ मां के सानिध्य की संस्कृति बनकर भारतीय संस्कारों की उत्कृष्ट रचना के लिए साधुवाद सादर वंदन अभिनंदन !!
नंबर 5 .श्री राजीव राना लिधोरी जी ने अपनी ग़ज़ल जज्बात बैंच बेचकें सीर्षक से समाज को फटकारा है लोग शादी के बहाने पैसा कमा रहे हैं आदर्शबादिता दिखावा होकर रह गई है और कैसा शासन जिसमें गरीब परेशान हैं और दहेज प्रथा का विरोध करने वाला गरीब कहा जाने लगा है जुल्मों सितम ढ़ाने वाले के साथ होकर के लोग हंसी उड़ाने लगे हैं लोग सामाजिक जीवन में दहेजी दानव के प्रवेश से मानवता की टूटती हुई धुरी हेतु समाज हित लोक हितार्थ एवं देश हित में रचना को बल दिया है बे साधुवाद के पात्र हैं उत्तम रचना के लिए राना जी को सादर वंदन अभिनंदन!
07-- श्री प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़ के द्वारा नूतन वर्ष शीर्षक से अपने भाव भरे हैं जिसमें कल के सुहाने दिन की कामना की है कोरोना से मुक्ति पाने एवं शिक्षा को गौरवशाली बनाने किसान की उन्नति में वैज्ञानिकता का समावेश होकर हमारे देश में तिरंगा लहराता दिखाई दे बेटियों का सम्मान हो गाय की रक्षा हो गंगा की सफाई हो और भाईचारा परिलक्षित हो ऐसी कामना श्री मिश्रा जी ने लोक हित जनहित एवं समाज हित में करके बड़ा ही उपकार किया है बे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक धन्यवाद बधाई!!
नंबर 7. श्री देव दत्त द्विवेदी ,,सरस , जी ने अपने मुक्तक छंद के माध्यम से धन काला हो चाहे सफेद हो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन गुर्दा और आंख रकम की जरूरत जरूरत है और यदि जिसके पास रकम है वह गुर्दा तो ठीक तरह से खरीद सकता है और मानव शरीर को ही मानव के हितार्थ ही ले जा सकता है और मानव शरीर के अंग निकालकर बेचकर खुस रह जाता है सिलेंडर की तरह शरीर को भर्ती बताया है अमीर कैसे मरते हैं और गरीबों का मरना रोज हो रहा है बहुत ही उत्तम और सारगर्भित डॉक्टर देवदत्त सरस जी ने अपनी रचना में उत्कृष्टता और सार भौतिकता भरी सीख दी है कि गरीब अमीर का अंग बन कर ही जी रहे हैं जो पेट की भूख मिटाने के लिए अपना जीवन दान दे रहे हैं फिर भी वह आत्मीयता से गरीब क्यों दूर है दयालुता की आवश्यकता है जो समाज में फैली हुई विकर्ति है मिटाने की आवश्यकता आदरणीय शरस जी ने अपनी रचना में बताई है को नमन वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई!!
नंबर 9-- श्री संजय श्रीवास्तव वीर ने गजल के माध्यम से रचना प्रस्तुत की है जिसमें बुलबुले के रूप में पानी की तरह फूट जाना है माना कि दूध से धुले बेदाग शक्स को चेहरे बदलने की क्या जरूरत और जरा सी आग लगने पर पिघलने की भी क्या जरूरत है और फिर ठंडे दिमाग को उबलते हुए मन से बिछुड़ने की क्या जरूरत है और जब चलने की जरूरत थी उसे सो करके गवा दिया है अब नींद में चलने की जरूरत क्या है हमें सजगता से जी कर परमार्थ करने की जरूरत है जो क्षमता को हमारे पटल पर लाने का प्रयास करता है वही परमार्थी कहलाता है देशहित जनहित और समाज हित में की गई रचना वास्तविक रचना कहलाती है जो श्रीवास्तव जी ने प्रस्तुत की है वे साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक नमन वंदन अभिनंदन !!
नंबर10-- श्री कृष्ण तिवारी जी भोपाल के द्वारा जिंदगी जीने के लम्हे बहुत ही जोखम भरे हैं जिसमें हमें चलने की जरूरत है उलझी हुई जिंदगी बिखरी सी महसूस हो रही है और मैं नदी के साथ चल कर किनारे तेरे दर पर आकर टिकी नजर आ रही हूं जो बुझती हुई शाम उबरते हुए अंधेरा के समान है यह जिंदगी जो खून से भरी हुई है हमें सारस्वत राह प्रशस्त करना होगी जिससे जीवन की दास्तां सुकूनी मन को दे सके बहुत ही उत्तम सारस्वत और अंतर मन की बात को पटल पर रखकर समझाइश दी है बहुत ही सुंदर रचना के लिए सादर वंदन अभिनंदन हार्दिक धन्यवाद!!
नंबर11-- श्री अमर सिंह राय जी ने अपनी अंतर्मन की पुकार शीर्षक से चुनाव में भाव भरे है जिसमें ध्रुव जैसी भक्ति के बैराग गौतम बुद्ध जैसी अपार संपत्ति को छोड़ने एवं राम लखन से दो सुंदर सुकुमार अंतर मन की आत्मा को प्रशन्न एवं गदगद करते हैं जो लंका जैसी राक्षसी सूर्प नखा को धराशाई कर अंतर्मन की पुकार सुनने के लिए नंगे पैर गिरधारी ने गज के प्राण बचाए थे और भरी सभा में पांचाली की लाज बचाई थी अंतर उर में गलत कार्य करने से पूर्व अंतर मन की आवाज उठती है जिसे मूर्ख लोग छोड़ कर गलत काम करने पर मजबूर होते हैं बहुत ही उत्तम सुझाव भरी रचना जीवन को सीरस्वत राह प्रशस्त करती है ऐसी रचना के लिए श्री राय साहब को हार्दिक धन्यवाद बधाई नमन!!
नंबर 12-- श्री सरस कुमार जी के द्वारा अपनी रचना में मंन की चाह को दर्पण में देखने के लिए मन रूपी जीवन की जीने की चाह हंसकर ही खुशियों में बांटे हुए पल घर की आपसी विवाद और छोटी-छोटी बातों पर विध्वंस उचित नहीं है आओ मिलकर और खुलकर एक बनकर पीड़ा को बांट लें अनैतिकता ठीक नहीं है और पेड़ों से प्यार जो जीवन हैं हमें सब कुछ दे रहे हैं उनसे भी भेदभाव त्याग कर वतन के खातिर मर जाना और कुर्बान हो जाना चाहिए यही हमारा इस जीवन का लक्ष्य है बहुत ही सुंदर रचना श्री सरस जी ने की है जिसका सार तत्व जीवन के मूल तत्व को प्राप्त करता है बे हार्दिक वंदन अभिनंदन और साधुवाद के पात्र हैं धन्यवाद !!
नंबर 13-- गीता देवी बिधूना जी ने अपनी रचना मित्रता से मन के रिश्ता को दोस्ती के साथ निभाने का वक्त बताया है अच्छे और बुरे वक्त में साथ देने वाला ही सच्चा दोस्त होता है अमीरी और गरीबी ऊंच-नीच में यदि बुराई खोजे तो वह दोस्ती का पर्याय नहीं बन सकता कृष्ण और सुदामा दो अलग अमीरी गरीबी के साधन रहकर भी मित्र बने दोस्त दुराचारी दुर्योधन करण को चमकती दोस्ती मानकर दोस्ती निभाई जो क्रूरता पूर्ण होकर भी कर्ण ने अपने प्राणों के वरदान देकर निभाई, निषाद राज को श्री राम जी के वनवास से लेटने का वचन पूर्ण किया था जैसे रिश्ते बनते और बिगड़ते परिवे्श है लेकिन दोस्ती अलग रहती है जिसका रिश्ता हमेशा चलता रहता है ऐसी दोस्ती ही जीवन के जीवन का पर्याय बन कर हमें सुखद मार्ग प्रशस्त करती है बहन गीता जी ने उत्तम एवं सार्थक रचना के साथ जो उपमा देकर रचना की है रचना में चार चांद लगाए हैं वह सुखद पल जीवन जीने के लिए उत्तम और आवश्यक है गीता देवी बिधूना जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन!!
नंबर 14--श्री अभिनंदन गोयल जी ने बाल कविता में चंदा मामा तुम जल्दी आना दूध मलाई कटोरी चॉकलेट भी लाना फिर जीभर कर घर में दावत होगी पिज्जा खाने आ जाना फिर डांस करेंगे परी ले आना मेरी बहन नहीं है एक परी नन्ही लाना जब मम्मी नौकरी पर आप जाएगी मुझे प्यार दिलाना चंदा मामा तुम जल्दी आना बहुत ही उत्तम एवं मनमोहक बाल कविता श्री गोयल जी ने करके बालकों के जीवन में खुशियां भरी हैं अति उत्तम और सारगर्भित कथा के लिए श्री गोयल जी को हार्दिक धन्यवाद बधाई वंदन अभिनंदन !!
नंबर 15- श्री मनोज कुमार जी गोंडा ने अपनी रचना में मद भरी आंखों में डूबने और चंदन जैसे बदन में छुपकर लिपट जाने के मन को टूटा सा महसूस हो रहा है जो धड़कनों को तेज करते हुए आंखों की मजबूरियों से प्यार की अंश और इंतजार की मुद्रा भरी हुई आंखें मद से उबरने के लिए नजरों के इतिहास से बोझिल होकर गिरने को मन करता है और लगता है तेरी आंखों में खींचने का जो राज छुपा है वह कत्लेआम से कम नहीं है अजनबी आज तक मैं इतना मद द्वारा नशा और तेरी झील सी नीली आंखों में भरी मधुशाला के रंग जैसा आवरण ढका है बहुत ही उत्तम सिंगार रचना के लिए श्री मनोज कुमार जी को बहुत-बहुत धन्यवाद हार्दिक वंदन अभिनंदन!!
16.श्री कल्याण दास साहू पोषक जी ने अपनी रचना में हर एक को ज्ञान के अनुभव की जरूरत बताई है जिगर अनुभव के कला का प्रदर्शन करना जोखिम उठाना है ऐसे में हमें ध्यान मग्न होकर अपने को संयत करके ही योग प्राणायाम करके इस स्वस्थ तन को पाना होगा जो सुख का साधन मात्र नहीं जीवन जीने की कला है जिसे हमें अपने जीवन में उतारकर जीवन जीने योग्य बनाना ही श्रेयस्कर होगा बहुत ही सार तत्व कम शब्दों में रचना के माध्यम से लिखकर उत्तम रचना का प्रदर्शन श्री पोषक की ने किया है वे साधुवाद के पात्र हैं बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद!!
नंबर17.श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी ने अपनी रचना कुंडलिया के माध्यम से रघुकुल नंदन आनंद कंद चंद्र निकंदन के द्वारा शबरी के जूठे बेर स्नेही सभी रिश्ते मैं प्रबल और परम स्नेही होकर शबरी के जूठे बेर खा कर मानवता का प्रदर्शन किया है जो प्रेम परमप्रीत का निर्वाह श्री राम जी ने किया है वह उत्तमता लिए मानव के लिए प्रेरणा स्रोत है ऐसी कविता श्री चतुर्वेदी जी के द्वारा की गई है जो सारगर्भित एवं उत्तम है देखते हुए भी खाए वेर ना लगाई देर! ऐसे ही थे श्री राम श्रोमणि और अहिल्या को तारने वाले श्री राम जी का वंदन ऐसी रचना श्री चतुर्वेदी जी ने मनोभावना में उत्कृष्टता को प्रदर्शित किया है हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन धन्यवाद!!
नंबर 18. श्री s.r. सरल जी ने अपनी रचना चौकड़िया के माध्यम से बासंती के मौसम की चर्चा करके मतवारे भंवरा ने बासंती में पधारे मन को मादकता के रस में भिगोया है जो मन को व्यथित कर रहा है ठीक नहीं है किस्मत हमारी जो पति घर नहीं है घर हमारे कली पर मंडराते भंवरा झूमते हुए कारे कारे नजर आ रहे हैं जियरा मैं हूक सी उठ रही है और हमें ऐसा लगता है कि हमारे जीवन के गली गलियारे सूने से नजर आ रहे हैं बहुत ही उत्तम वासंती श्रृंगार रस भरी रचना के लिए श्री सरल जी को हार्दिक वंदन अभिनंदन और बधाई धन्यवाद!!
समीक्षट- डी पी शुक्ला टीकमगढ़
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328-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-23-2-2022
🍀जय बुन्देली साहित्य 🍀
समूह टीकमगढ़
समीक्षा-बुन्देली
दिन बुधवार 23/2/2022
बुन्देली में स्वतंत्र पध लेखन
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
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मईया सरस्वती श्री के चरनन में नमन करत है अपुन सबई को राम राम पहुंचे जू आज बुन्देली की स्वतंत्र पध लेखन समीक्षा को बखान करत हो जू सबसे पैला
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1-श्री अशोक कुमार पटसरिया नादान लिधौरा जिला टीकमगढ़
आ•नादान जू अपुन ने बुन्देली में गजल लिखी हैं जू
हेंसा बाँट घरन के हो गय का करिये
भैया सब दुश्मन से हो गय का करिये
आज के जमाने के आधार पे भौतई बढ़िया गजल लिखी हैं जू अपुन की कलम को कोटि-कोटि सादर नमन करत है जू 👏🏻👏🏻
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2-श्री भान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह
आ•अनुरागी जू अपुन ने बुन्देली में विरह गीत लिखों है जू
जा आई रितु बसंत आली बिल में पिया विदेश हमारी परी सेज खाली
अपुन ने बुन्देली में भौतई बढ़िया लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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श्री शोभाराम दाँगी नंदनवारा
आ•अपुन ने बुन्देली स्वतंत्र विधा पद लिखों है जू
तुम खा लाख जतन समझारये खतरे में कय जारये
हाल की घटना पे आधारित गीत लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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4-श्री सरस कुमार दोह
खरगापुर जिला टीकमगढ़
आ•सरस जू अपुन ने बुन्देली कविता लिखी है जू
तुम बिन जी नौनो नई राबै
लगत किते भग जाबै
अपुन ने भौतई बढ़िया लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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5-श्री रामानन्द पाठक नंद
ग्रा,नेगुवा निवाडी
आ•नंद जू अपुन ने बुन्देली में चौकडिया लिखी है जू
तुमने गैल गलन में पकरी
जेइ बात मोय अखरी
अपुन ने दो चौकडिया लिखी है जू जो भौतई नौनी है अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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6-श्री भजन लाल राजपूत
फुटेर खरगापुर
आ•दादा जू अपुन ने बुन्देली में संयोग श्रृंगार बिक्रम छंद लिखों है जू
घृघट सम्हार कर चली
सोलह श्रृंगार कर चली
अपुन ने भौतई बढ़िया बुन्देली छंद लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत 👏🏻👏🏻
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7-श्री प्रमोद मिश्रा
बल्देगढ़ जिला टीकमगढ़
आ•मिश्रा जू अपुन स्वर व्यंजन शब्दों में बहुत बढिया गारी लिखीं हैं जू का तक बखान करों जाये जू अपुन क़लम को सादर नमन करत है जू 👏🏻👏🏻
🪕🪕🪕🪕🪕🪕🪕🪕🪕🪕🪕
8-श्री एस,आर,सरल
टीकमगढ़ जू
आ•भाई साव सरल अपुन ने बुन्देली में बसंत पै आला भौतई बढ़िया सार दार रंग दार लिखों है अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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9-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी
गाडरवारा
आ•चतुर्वेदी जू अपुन ने बुन्देली में कुंडलिया होरी पै भौतई बढ़िया लिखीं हैं जू
होली के रंग में रंगे राधा नंद किशोर चली बसंती पवन अब फागुन मारे जोर
अपुन खो ब अपुन कलम को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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10-हमने बुन्देली में दो चौकडिया बसंत पै लिखी हैं जू जो अपुन सब से स्नेह की प्रार्थना करत है जू 👏🏻👏🏻भाऊ
🙏🙏🙏🙏🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🙏🙏
11-श्री आर बी पटेल अनजान जू अध्यक्ष उ,म,शि,संघ छतरपुर
आ•अनजान जू अपुन ने बुन्देली में उमा शि,एक नजर में लिखों है जू
संघ हमाओ जो का जारओ
बन अध्यक्ष मसखरी कर रय
अपुन ने भौतई बढ़िया लिखों है जू हार्दिक स्वागत सादर नमन करत है जू 👏🏻👏🏻
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12-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
आ•दाऊ साब जू अपुन ने बुन्देली में गारी लिखीं हैं जू जो मनरंजन भौरा
चाप लूस चमके दुनियां में शहर होय चय गाँव दुनिया में जाने इनको नाव
अपुन ने भौतई राजनीति नेता गिरि भौत बढ़िया लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत सादर प्रणाम करत है जू 👏🏻👏🏻
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13-श्री प्रदीप खरे मंजुल
पत्रकार टीकमगढ़
आ•मंजुल जू अपुन ने बुन्देली लोक शैली बध्द गीत लिखों है जू
बिन्नू ससुरे में न दवियौ न उठियो भुनसारे से न डरियो घरबारे से भौतई कछु लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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14-श्री संजय श्रीवास्तव
मबई दिल्ली
आ•भाई साव जू अपुन ने बुन्देली में गीत लिखों है जू
काये धना बैठी कौने में हॅस हेरो बुलयालो भौत बढ़िया लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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15-श्री ब्रज भूषण दुबे ब्रज
बकस्वाहा छतरपुर
आ•ब्रज जू अपुन ने बुन्देली में भजन अमृतवानी में लिखों है जू
जगत में राखो सबसे मेल बैर प्रीत दोई भईया भईया नहीं आपसी मेल भौतई बढ़िया लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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16-डाँ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
आ•डाँ बहिन जी अपुन ने बुन्देली में भौत बढ़िया लिखों है
जा रई मईया पूजन गोरी
वे तो चल रई चाल मरोरी
भौतई बढ़िया लिखों है जू अपुन को सादर नमन स्वागत करत है जू 👏🏻👏🏻
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17-श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पियूष टीकमगढ़
आ•पियूष जू अपुन ने बुन्देली में एक चौकडिया लिखी है जू
आगई रित बसंत मतबारी
भर फूलन की थारी
भौतई रंग रंगीले भाव भर के लिखों है जू अपुन को हार्दिक स्वागत सादर नमन करत है जू
👏🏻👏🏻
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18-श्री गोकुल प्रसाद यादव
नन्ही टेहरी बुडेरा
आ•कर्म योगी जू अपुन तो बुन्देली भौतई बढ़िया लिखबै बारे हो जू अपुन की कलम कोटि-कोटि सादर नमन करत है जू
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आदरणीय पटल के समस्त विद्वानों का आभार हार्दिक स्वागत है वंदन अभिनन्दन स्वीकार करे
समीक्षक-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
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329वीं समीक्षा
समीक्षक-गोकुल यादव, बुढेरा
कल दिनाँक 02/03/2022 को स्वत्तंत्र बुन्देली पद्य लेखन में पटल पर रसधार बहाने वाले आदरणीय सभी प्रबुद्ध कविजनों की रचनाएँ पढ़कर हॄदय आनंद से भर गया।बहुत ही कमाल की रचनाएँ प्रेषित कीं सभी ने,जिनमें-
1-श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्द इंदु जी का "शिव महिमा दोहा"
2-श्री अशोक पटसारिया नादान जी का "वामुनवादी गीत"
3-श्री शोभाराम दाँगी जी का मीठा शिव विवाह गीत "ठुमका मारौ रे"
4-श्री भजन लाल जी लोधी का बेहतरीन शिव विवाह गीत "बन आये भोला दूला री"
5-श्री प्रमोद मिश्रा जी का मनहर बसंत गीत "धरती भइ बसंत की बखरी"
6-श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी का माँ को समर्पित गीत "ओइ लाल तोरौ अनुरागी,बृद्धाश्रम कर आबै"
7-श्री डाॅ.देवदत्त द्विवेदी सरल जी की व्यंग्यात्मक बुन्देली ग़ज़ल "अपनौ हिन्दुस्तान कितै है"
8-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी की सुंदर कुण्डलिया "मोद फैलाबै फागुन"
9-श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव प्रभु जी का मनहर बसंत गीत "पनघट पै बतरस के प्यासे,खडे़ छबीले छैला"
10-श्री अमर सिंह जी राय का बुन्देली महिमा गीत "नोंनी लगत बुँदेली बानी"--"नानी चटनी पीसै नानी"
11-श्री रामानंद जी पाठक की बुन्देली चौकडि़याँ "नंद जिंदगी सिकी तबा पै,जैसें सिकत पराँटौ"--"रोजउँ हती दिवारी"
12-श्री गुलाब सिंह जी भाऊ जी की चेतावनी चौकडि़या "भाऊ फूल बगीचा फूले,टोर लेत वनमाली"
13-श्री प्रदीप खरे मंजुल जी का सरस शिव विवाह गीत "ओढे़ं पीरी चुनरिया,किनार धानी"
14-श्री दाऊ 'जयहिन्द' जी का अनुपम शिव विवाह गीत "जयहिंद लगै स्वर्ग सी रात,परें मन शिव की पइंयाँ रे"
15-श्री एस आर सरल जी की सीखभरी व्यंग्यभरी चौकडि़या "पन्ना लगे पलटबे फिर सें,जो कइ साल पुरानें"
16-श्री संजय श्रीवास्तव जी का समसामयिक गीत "इनै चीन कें इनकी हाँजू हाँजू करबौ बंद करौ"
17-श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज जी का सुंदर शिव विवाह गीत "द्वारचार के समय शंभु नें ऐसी कला बताई"
आदि ने पटल की शोभा बढा़ते हुए पाठकों का मन मोह लिया।सभी कवि मित्रों को हार्दिक बधाइयाँ एवं अनंत शुभकामनाएँ।मैं कल अनुपस्थित रहा इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।सादर सुप्रभात।🙏🙏👌👌🌹🌹💐💐🏵🏵🌺🌺🙏🙏
समीक्षक-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
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330वीं समीक्षा दिनांक-4-3-2022
समीक्षा.. गद्य लेखन
*प्रदीप खरे, मंजुल*
*1*श्री प्रमोद मिश्रा* देश परिवेश और हालातों को खुद में समेटे कहानी दोस्तो विचार कीजिये.. विचार करने को मजबूर करती है। हालात और इतिहास से सीखने का संदेश देती कहानी रोचक और सराहनीय है। प्रमोद जी को बहुत बहुत बधाइयां।
*2*आशा रिछारिया जी* आपकी कहानी बचपन एक सहजानंद ने हमारे जीवन के स्वर्णिम काल को समायोजित करने का सुंदर प्रयास किया है। बचपन की उन्मुक्तता, स्वच्छंदता याद आना स्वभाविक है। बहोत खूब, बधाइयां
*3*श्री राजीव नामदेव*
बहुत ही मार्मिक कहानी है राजीव जी! साथ ही आपने यह संकेत दिया है कि ईश्वर एक मौका हर किसी को देता है। वहीं सुनीता के साथ भी किया पर पारिवारिक कष्ट सहते हुए भी उसकी मर्यादा को नजरंदाज नहीं करना चाह रही थी और एक दिन उसके जीवन का चपकता हुआ प्रकाश भी अंधकार में तब्दील हो गया। उसकी जीवन की बहार फिर पतझड़ में तब्दील हो गई। माता पिता की नाकामी का खामियाजा औलाद को भुगतना पड़ता है, यह भी कटु सत्य है। बहुत सही ताना बाना है। प्रसंग और भाव सराहनीय है।
*4 डां रेणु श्रीवास्तव जी* केदारनाथ की यात्रा करता आलेख अद्भुत और आनंदित करने वाला है। भगवान भोलेनाथ के विवाहोत्सव के अवसर पर यह आलेख समसामयिक भी लगा। केदारनाथ के मंदिर और वहां की आलौकिक छटा आंखों के सामने झूलती है। बधाइयां
*5*श्रीमती जी बघेल जी*
वो कौन थी टाइटिल फिल्मी है। यदि शीर्षक में भी नयापन हो जाय, तो शायद और बेहतर होता। भाव और प्रसंग सराहनीय है। कहानी बहुत अच्छी लगी । यह कहानी सभी शिक्षित और सृजन शील महिलाओं को उनके दायित्व का बोध करवा रही है । मर्यादाओं में जकड़ी मानव जीवन की कशमकश को अपने शब्दों में उकेरने का आपका प्रयास सफल है। कहानी अंत तक बांधे रखने में सक्षम है। बेहतरीन कहानी, अन्त में जिज्ञासा बनी रह गई और आगे की कहानी को लेकर कल्पना करने के लिए अपार गुंजाइश है । बधाई ।
*6श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी*
बिल्कुल सही कहा आपने ,लेखक की नजर और कलम ऊपरी सतह को नहीं आन्तरिक भावनाओं को स्पर्श करती नजर आ रही है । आपकी लेखनी को प्रणाम करते हैं। संदेश देती कहानी सराहनीय है। बहुत बहुत बधाइयां, बेहतर लेखन के लिए।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
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331-श्री जय हिन्द सिंह बुंदेली दोहे-जनानी-7-3-2022
#सोमवारी समीक्षा#बुन्देली दोहे लेखन#बिषय.जनानी#दिनाँक07.03.2022#
समीक्षक जयहिन्द सिंह#
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आज पटल पै सबसें नौनौ बिषय जनानी दव गव।आज बिषय पै सबई जनन ने अपने अपने बिचार दय अपनी अपनी बुद्धि अनुसार बिषय ख़ों रोचक बनाबे में कौनछंँ कसर नईं छोड़ी जौ देख कें आनंद सोअऊ आव।
अब हम सबके बबिचारन कौ मंथन कर रय।
#1#डा.देव दत्त द्विवेद्वी जी सरस बड़ा मलहरा........
आपके दोहन की खासियत रातके बे सबसें हटकें अलग पहचान आप जौन बिषय में हात डारत ऊखाँ एक नई पह चान मिल जात।आप हमारी बुन्देली के गौरव और गरिमा हैं।आपके छंद
हमेशा त्रुटि रहित पाय जात।आपके चरणों में सादर बंदन।
#2#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवई हाल नई दिल्ली.........
आपके दोहन में भी अलग बिलक्षणता देखबे मिलत ।पैलौ दोहा ईकौ उदाहरण है।शैली के कु्छ उत्तम नमूने हैं।जैसे...धरती सौ धीरज धरें,रचतीं खुद आकाश।भाषाई छाया की झलक सुन्दर बनाते हैं।बुन्देली में नय नय प्रयोगं करवौ आपकौ शौक है।आपका बार बार बंदन अभिनंदन।
#3#श्री रामेश्वर राय परदेशी जी टीकमगढ़........
आपके दोहन की भाषा खों बारंबार प्रणाम।परदेसी भैया ऐसे छंद सजा कें पेश करत हैं जीमें भाषा भाव चमत्कार अपने आप देखबे मिलत।भैयाजी का सादर बंदन।
#4#श्री पं. प्रमोद कुमार मिश्रा प्रमोद बल्देवगढ़.........
आपके दोहन की 2 बिशेषतायें खास हैं एक तौ अलंकारन कौ भव्य प्रयोग,दूसरौ धार्मिक साहित्य कौ अवतरण।आप हर बिषय पै चुटकी लै लेत।आपने टीकमगढ़ के नारी परिधान साड़ी सेंटर कौ विज्ञापन चुटकी में बन गव।आपकौ सादर बंदन अभिनंदन।
#5#श्री अमर सिंह राय अमर नौगाँव.........
आपने अपने दोहन में भा्व भर केंकैऊ रंग भर दय।आपके लेखन की इन्द्रधनुषी पहचान है।आपकी भाषा सरल सुबोध और सहज है।भाव गंभीरता लिए होते हैं।आपका सादर बंदन।
#6#श्रीभगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह......
आपने अपने दोहन में धार्मिक और
पारिवारिक पक्ष के दर्शन कराय।
सबई दोहा बेमिसाल और शिक्षाप्रद रय।भाषा भाव शैली ठीक लगी।
जहाँ जनानी। पुजत है,देवता करत निवास .....ई बेद की श्रुति खों पलट कें सजाबौ हँसी खेल नईयाँ।आपकौ सादर वंदन।
#7#श्री गोकुल प्रसाद यादव नन्नी टेरी बुड़ेरा.......
आपने जनानी कौ धार्मिक और सामाजिक पक्ष ऐसौ उकेरो के उसके चरित्र खाँ प्रवल कर दव गव।आपने जग्ग की सफलता,बिधवा विवाह, मायके के अपमान कौ सहन ना होवौ,ऊँचाई दैकें आनंद कर दव।
आपका सादर वंदन अभिनंदन।
#8#डा. सुशील शर्मा जी.दतिया.....
आपने अपने दोहन में जनानी के धार्मिक और पारिवारिक पक्ष खों डार कें सबखों चौंका दव।आपने खूबसूरती सें अपने बिषय कौ निवारण करो।मात जनानी रूप,पानी रोटी बंद सब,ऊथौ गोपी संवाद,ईके साजे उदाहरण हैं।आपके चरणों का वंदन।
#9#श्री रामानंद पाठक जी नंद नैगुवाँ......
आपने अपने दोहन में पारिवारिक और
धार्मिक पक्ष डारकें शिव ..भस्मासुर की कथा,महाभारत के शिखंडी कौ वरनन,और अन्य बिषय पै कलम चला कें साजौ सृजन करो।आपके चरण वंदन।
#10# श्री मती आशा रिछारिया जी निवाड़ी......
आपके दोहन में जनानी कौ,पारिवारिक, सामाजिक और फौजी सरूप कौ बरनन करो।आपने बुन्देली के बे शब्द डारे जिनसें अचरज भव।जैसें हमें न जानो छुई मुई,धरती सी गमखोर,नदिया सी गहराई, बेटी बहना बहुरिया, आदि।भाषा प्रवाह मजेदार, भाव रसपूर्ण,गंभीर,भाषा सरल और सहज।
बहिन का सादर चरण वंदन।
#11# श्री शोभाराम दाँगी इन्दु नदनवारा......
आपने जनानी. के सदगुनन ,और धार्मिक बिषयनजो भुलाई ।।।न पै ऐसी चर्चा करी जो भूल नई पा राय।आपकी भाषा में प्रवाह,भावों में जादू,अलंकार और रसों का प्रयोग,मजेदार रचनाऔं को सादर नमन।श्री इन्दु जी का अभिवादन।
#12# जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मैंनैं अपने दोहन में जनानी कौ महत्व,त्याग और धार्मिक पक्ष प्रस्तुत करो,भाषा भाव और साहित्यिक मूल्याँकन आप सब जनें जानों।सबखों राम राम।
#13# श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी........
आपने जनानी का सहनशील होबौ,जनानी के गुनन कौ सुन्दर बखान करो।भाषा भाव की गूँज मीठी लगी।आपका भावपक्ष और कला पक्ष प्रवल है।आपकौ वंदन अभिनंदन।
#14#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी...टीकमगढ़....
आपके दोहन में वृत्यानुप्राश बेमिशाल, भाव सौंन्दर्य बोध और जनानी के चरित्र कौ शानदार बरनन कऱो।आपने अपने दोहन में आध्यात्मिक दर्शन कराय।आपकौ सादर वंदन।
#15# श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी लखौरा......
आपने अपनी रचना में जनानी कौ महत्व,मार मार कें गाल......सुन्दर भाषा जाल,सास्कृतिक रूप के दर्शन,और जनानी के सिंगार बरनन में नईं चूके।आपको सादर बधाई।
#16# श्री एस.आर. सरल जी टीकमगढ़........
आपकी रचना में जनानी के सामाजिक अधिकार,और सदगुनन कौ बरनन करो गव।आपका भाषा लालित्य जोरदार रव।आपकी भाषा,नरम,गरम,और शरम सें भरी रात।आप भावों की जादूगरी में निपुण हैं।आपका सादर वंदन।
#17#श्री प्रदीप खरे मंजुल, जी टीकमगढ़........
आपने अपने दोहन खों कल्याण कारी बनाबे में कौनऊँ कसर नईं राखी।जनानी के ऐसै भाव भरे कि उनके गुनन कौ बरनन अपने आ हो जात।आपने जनानी कौ ब्यवहारिक सरूप उकेरो।आपका सादर बंदन अभिनंदन।
उपसंहार..... आज जनानी पै जो जौ देखो बौ अपने आप में पूरो लगो।समीक्षा समयाभाव में देर सें लिखी सब जनें क्षमा करें।धन्यवाद
आपकौ अपनौ समीक्षक.....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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332-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-चिरैया-21-3-2022
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक 21.3.2022#बुन्देली दोहे लेखन#
#बिषय...चिरैया#
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आज कौ दोहन कौ बिषय भौतई नौनौ धरो गव जीपै सबई जनन ने अपनी कलम के कमाल से कमाल में बदँ डारो।आप सबके मानस मंदिर सें निकरो एक एक शब्द कमाल कौ लगो।एक पै एक दोहे ई बिषय पै रचे जिनमें एक सें एक हीरा से तरासे दोहे सामें आ गय जो हमारी बुन्देली की बगसिया के धरेलू गाने हो गय।
आपने भी कभऊँ ना सोची हुइयै कै ऐसो कमाल हम भी कर सकत।कभऊँ अपनौ लिखौ खुद खाँ ऐसैं लगन लगत जो का हो गव जौ हमाव लिखो आय ,हमें तो बिश्वास नयीं हो रव पै सरसुती मताई खों को रोक सकत वा अपनी कलम खों रात भर में जादू बना देय।तौ लो अब हम सब अलग 2 सबकी बगियन की चिरैयाँ देखन जा रय की कौन ऊँट कौन करोंटाँ बैठौ।
#1#श्री शोभाराम दाँगी जी नँदनवारा.
आपकी बगिया मेंजो चिरैंयाँ मिलीं भाव रस सौंदर्य के दरशन करा दय।भाषा में बुन्देली के धरौवल शब्दन कौ खूब उपयोग करो जो मौका के हिसाब सें ठीक लगो।बैसें कई जाय तौ असल
बुन्देली देहातन में मिलत।जीकौ प्रयोग जी खोलकें करो।सिर्फ पैले दोहा के पैले चरन में एक मात्रा भार जादा लगरव सुदर जाय तौ आनंद दायक और लायक हौजैहै।आपकौ सादर वंदन।
#2#पं. श्री प्रमोद कुमार मिश्रा जी बल्देवगढ़.......
आपकी बगिया में आदे दर्जन चिरैयन के झुण्ड देखबे मिले जो आँखें मिलमिला कें देखत रय।जिनमें चिरैयन कौ निजी जीवन,धार्मिक रूप बरनन,और शोध सामान तन तन डारो जीसें जिज्ञासा कौ टिपारौ भरो रव।रस अलंकारन की डाँग में आँग सुगंध सें भर गव ,दिमाग कौ संताप मर गव,दिमाग चेतना सें भर गव।आपके भाव गुलाब से गमके,दिन से चमके,मेंदरे ,से बमके।पर दिल खुश कर गये।आपके वंदन के वंदनवारे बाँद कें बेर बेर बंदन।
#3#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह........
आपकी बगिया की चिरैंया, जैसे गगन की तरैंयाँ जैसीं तर्र तर्र तरतरात दिखानी।आध्यात्मिक, पारिवारिक रंग में रँगी चिरैयाँ खूब चहकायीं,महकाईं।
भाषा भाव शैली की चितोर सी लिख दयी ।आपकी गाँव की शैली ने दमार सी दयी नौनी झाँकी झाँकत रय।आपखों सादर नमन वंदन।
#4#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नीटेरी बुड़ेरा........
आपकी बगिया में चिरैयन के पाँच झुण्डन की पंच्यात होत मिली।जिनमें गौरैया के गनगान कौ गौरव,चिरैयन कौ मानसिक, सामाजिक, पारिवारिक चिन्तन सें तन मन सरवोर हो गव।
भाषा की तरावट और शैली कौ तड़का ,शिल्प कौ स्वाद भौत नौनौ रव। आपके चिन्तन को बधाई।आपका सादर नमन।
#5#पं. श्री रामानंद पाठक जी नंद नैगुवाँ........
आपकी बगिया में चिरैयन के चित्रन के बंदनवारे,भावन के पनवारे,शेली के फब्बारे उड़त दिखाने।चिरैयन के सुन्दरी करन कौ भाव ,उनकी जीवन शैली कौ स्वभाव, परिवार और समाज पै उतार के दिखा दव ।शैली की सुगंध मंद मंद मानस मतंग खौं खुश कर गयी।आपके सादर चरन वंदन।
#6#श्रीप्रदीप खरे मंजुल जी टीकमगढ़........
आपके साहित्यिक सागर में चिरैयन के जहाज,और उनके राज,घर की चिरैंया की विदाई, शिल्प की गहराई, भाषा कौ कंमाल,भावों का धमाल,
रसधार की मिठास, पाठक की आश,प्रेम का पराग,रचना सुहाग,रचना रजधानी,मौ मैं आय पानी,हल्दी और चंदन,है आपकौ अभिनंदन।
#7#डा.देवदत्त द्विवेदी जी बड़ा मलहरा.........आपके साहित्यिक सागर के तीर,रचना रसखीर,चिरैयन के घोंसला,रचना का होंसला,तीर पै बने,सरलता में सनें,शिल्प में है जान,भावों में भगवान, भाषा गुणगान, शैली महान,रचना अलमस्त,समीक्षक है पस्त,ज्ञान का भंडार, रस की बहार,गंगा की धार,दिल के आर पार,हरदी और चंदन,महाराज का अभिनंदन,आशीष कीहै कामना,यही मनोभावना।सादर प्रणाम,संग राम राम।
#8#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवई हाल दिल्ली........
आपकी साहित्यिक बगिया की चिरैयन की चाल ढाल,हालचाल, बोलचाल, कमाल,कौ प्राकृतिक चित्रण करो गव।
भाषा की लचक ,भावों की कसक,रचना की मसक ,मदमस्त।
कलम सिद्ध हस्त,पाठक हों मस्त,कममाल का कमाल, है रस का धमाल,सबालों का शमन,चिरैयन की रमन,लेखनी है चंदन,है आपका अभिनंदन।
#9#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैने अपनी साहित्यिक सड़क पै चिरैयन के पाँच झुण्ड उड़ाय।जिनमे उनकी आदतें,और राजनैतिक चिरैयन की वार्ता शामिल करी।भाषा भाव शिल्प शैली आप सब जनै जाने,पहचाने,आपकी का काने।आप सब हमें गुरयाने।हमें तौ आपकी कसौटी चानै।सबखों होरी की राम राम।सादर वंदन।
#10#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़...........
आपकी बगिया में 5 झुण्ड चिरैंयाँ मिलीं।तीन झुण्डन में आदतें हिलीं,जो कमल सीं खिलीं।चौथे में परिवार, पाँचय मे राष्ट्रीय धार।भाषा को तरासा,शैली ज्यों बतासा,भाव की गहराई, रचना में ऊँचाई।
हरदी सँग चंदन है आपकौ अभिनंदन।।
#11#श्री अमर सिंह राय नौगाँव......
आपकी साहित्यिक बगिया में 5 झुण्ड चिरैंयाँ मिलीं।जिनमें चिरैयन की कमीऔर उनकी मौत,चिरैयन की जीवंत आदतें बखूबी बरनन करीं।आपकी भाषा की सरलता, सहजता,कोमलता,सराहनीय रही।
भाषा की ऊँचाई, भाव की गहराई, शिल्प की बड़वाई,शैली की चतुराई,का जबाब नहीं।आपका सादर बंदन अभिनंदन नमस्कार।
#12# श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़......
आपकी बगिया में दो झुण्ड चहचहाने।जिनमें चिरैयन की आदत बखाने।
आध्यात्मिक पुट सुट कें मिली।भाषा भाव की,शिल्प के स्वभाव की,चर्चा भी ठिली।अपनी गैल बुहारी,फिर पटल पै डारी।समाधान ठीक है।रचना सटीक है।रोली और रंग है,मन मै उमंग है।सादर नमस्कार, वार वार प्यार।
#13#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.....
आपने अपने साहित्यिक बाग में चार झुण्ड चिरैंयाँ पालीं।जिनमें चिरैयन कौ मानवीयकरण सोऊ करो गव।चिरैयन की आदतें और संबंधन कौ बरनन करत भय,भाषा भाव शिल्प शैली कौ चिन्तन मजदार करो।जो उतरो खरो।
आपको समर्पित है हल्दी और चंदन।
आपका सादर चरण बंदन।
#14#श्री मती आशा रिछारिया जी निवाड़ी.....
आपकी साहित्यिक बगिया में झुण्ड तीन तीन,पर तीनों प्रवीन।गजब की निशानी,सब चिरैंयाँ दिखानी।साहित्यिक दोहे करें सीमा पार।
आर पार हो रई,गजब की बहार।
भाषा और भाव मिले बड़े मजेदार।
शिल्प और शैली में आई बहार।
तिलक हो बहिन का केशर चंदन गार।
संग चरण बंदन और नमस्कार।।
#15#श्री मनोज कुमार सोंनीजी रामटौरिया.........
आपकी बगिया में तीन हैं तुरंग।तीनो के पाये हैं अलग अलग रंग।।
खुश हैं चिरैंया हवा में लहराँय।
भाव सब बुलंद कर तिरंगा फहरांय।।
भाषा और भाव शिल्प शैली महान।
सादर अभिनंदन समीक्षक नादान।।
#16#पं. श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी..........
आपके साहित्यिक बाग में मिले हैं तीन रंग।आदतें बताईं चिरैयन के संग।
भाषा और भावन कौ हो रव बतकाव।
शिल्प और शैली कौ देखौ जमाव।।
रचना और रचनाकार कलम है महान।अभिनंदन बंदन है स्वागत सँग शान।।
#17#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़.............
साहित्यिक बगिया की भारी है शान।चिरैयाँ बनाईं कलम सें महान।।
समाज से सटायी चिरैंयाँ वरदान।अंत में निकारी है उनकी पहचान।
कलम की करामाती, आप हैं महान।
अभिनंदन वंदन सँग साहित्यिक शान।।सादर नमन।
उपसंहार.....
आज के बिषय पै सत्रह सहयात्रियों ने अपने अपने उत्तम उदगार काड़ काड़ धरे,भौत नय बिचार सामने आये,जिससे ज्ञान कोष की उन्नति भई।सब के सहयोग के लाने बधाई और आंत में राम राम।
आपका अपना अभिन्न...।।
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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333-श्री गुलाब सिंह यादव, बुंदेली स्वतंत्र-30-3-2022
जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
🏵️समीक्षा 🏵️
दिन बुधवार 30/3/2022
बुन्देली में स्वतंत्र पध लेखन
समीक्षक गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
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🕉️चरन वंदन🕉️
श्री मईया सरस्वती के चरनो में शीश झुका के बार बार विनय वंदन करके बुन्देली समीक्षा लिखत है
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1-श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी
हटा जिला दमोह
आ•अनुरागी जू आज अपुन ने बुन्देली नौनी गारी लिखी है जू
टेक-ऐसी काय करी नंद लाला
रंगे जाये कुबजा रंग में, दगा करों मोरे संग में
भौतई बढिया है जू अपुन को हार्दिक स्वागत नमन 👏🏻👏🏻
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2-श्री प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
जिला टीकमगढ़
आ•मिश्रा जू आज अपुन ने बुन्देली में नौनी चौकडिया लिखी है जू
उचक उपत के लरत उचक्का
रोक दियो तुम कक्का
भौतई बढिया है जू अपुन की कलम खो नमन वंदन है जू 👏🏻👏🏻
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3-श्री रामानंद पाठक नंद
नेगुवा जिला निवाड़ी
आ•नंद जू अपुन ने बुन्देली चौकडिया लिखी है जू
फैल गव जरिया को जरयानो
कांटन भरो खजानों
किसान ब किसानी पे आज के समय में जैसी किसानी उसई कहानी अपुन की कलम खो बार बार नमन वंदन करत है जू
👏🏻👏🏻
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4-भाऊ आज हमने एक चौकडिया नशा मुक्ति पै लिखी है समीक्षक अपुन सब
👏🏻👏🏻
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5-श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द दाऊ पलेरा जिला टीकमगढ़
आ•दाऊ साब जू आज अपुन ने बुन्देली बधाई गीत भौत नौनो लिखों है जू
कंचन कलशियाँ किते लँय जाँती
राज महल अबध आज हो गय उजयारे
राम लखन भरत शत्रुघन जन्मे वारे
दीप दमदमाने जब टिमक उठी बाती
कंचन कलशियाँ,,,,,,,,,,,,
भौतई बढिया बधाई गीत है जू अपुन को हार्दिक स्वागत नमन वंदन है जू 👏🏻👏🏻
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6-श्री राजीव राना लिधौरी
जिला टीकमगढ़
आ•एडमिन साब जू आज अपुन ने बुन्देली में पिरामिड कविता बुन्देली में लिखी है जो भौतई बढिया है का काने अपुन की अपुन तो कैऊ विधा में लेखन करत हो अपुन की कलम खो बार बार नमन वंदन करत है जू
✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️
7-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी
आ•चतुर्वेदी जू आज अपुन ने बुन्देली में स्वतंत्र रचना लिखी है
शीषॆक- अब पुरखन के गाँव में
चलौ सब जने चल के रैबूँ
अब पुरखन के गाँव में
भौतई बढिया है अमुआँ पीपर पाखर इन बिरछन के छावँ में
अपुन की कलम खो नमन वंदन है जू 👏🏻👏🏻
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आज के बुन्देली स्वतंत्र पध लेखन में केवल सात रचना कारों ने अपनी रचना डारी है बुन्देली हर दिन पैले 24-25 रचनाकार अपनी अपनी रचना डाल ते थे
आप अपुन सब बुन्देली काव्य-संग्रह में भौतई बढिया है रचना है जू अपुन सबई खो राम राम पौचे जू भाऊ लखौरा की
🙏🙏🙏🍎🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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334-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-पसरट-11-3-2022
#सोमवारी समीक्षा#11.04.22#
#बिषय......पसरट#दोहे बुन्देली#
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आज की ,समीक्षा क़ौ बिषय भौतई गजब कौ चुनौ गव।आज सब मनीषियों ने अपने बिचार पसरट पै पसारे।अपने अपने निराले ढंग सें सबने दोहन के माध्यम सें पसरट खों पसारो और बिस्तार सें अपनी समझ में लेंकें बन्न बन्न की बंनक के दोहन कौ बिस्तार कर दव। अव हम अलग अलग सबकी सोच में पर्सरट की दौड़ कघ परख करबे की कोशिश कर रय।
#1#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा....
मेरी पाँच पसरट में,पसरट की कम तौल,पसरट कौ जीवन में संग,पसरट सें गृहस्थी कौ संचालन, जीवनरूपी पसरट,पसरट सें जीवन कौ संचालन
आदि दर्शाव गव।भाषा,भाव शिल्प रचनआदि कद्र मूल्याँकन सब जने जाने।
#2#पं. श्री बृज भूषण दुबे बृज बक्स्वाहा.......
आपकी 3 पसरटों मेंपान की पठौनी,पान के बदलें किसानन द्वारा अनाज दैबौ,पसरट कौ समय सें मिल जाबौ,आदि कौ दोहन में बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव पसरट सें पान कौ जोरबौ क्षेत्रीय हो सकत।शिल्प और रचना ठीक ठाकं रई।आपकौ सादर बंदन।
#3#डा. देवदत्त द्विवेदी जी बड़ामलहरा..........
आपकी 4 तरह की पसरटन मेंबानियाँ की उधारी की बिवसता,पसरट की सौदा में मन कौ भाव,पसरट गप्पें दैकैं लैबौ,समय की कीमत की बेअंदाजी आदि कौ बरनन भव।
आपकी दोहा रचना सटीक भा्वपूर्ण लगी,आप बुन्दली के महारथी पारखी हैं।आपके सादर चरण बन्दन।
#4#श्री अमर सिंह राय साब नौगाँव.....
आपकी पसरट में कोरोना के टेम की परेशानी, पसरट की दुकान सें फुरसत ना रैबौ,गली गली पसरट की दुकानें,पसरट की दुकानन में चिल्लड़ कौ चलन बन्द करबे कौ बरनन करो गव।आपकी भषा भाव शिल्प और शैली शानदार रई।आपको सादर नमन।
#5#श्री राम बिहारी सक्सेना राम खरगापुर हाल छतरपुर...........
आपने 4 पसरटें दिखाई, जिनमें पसरट के पूरी ना होबै,कौ रोना,
पसरट पै आन दाव पै लगाबौ,रोज कौ पसरट मगाबौ,फोन पै र्नसरट कौ आदान प्रदान होबौ,आदि कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा दमदार,रसदार,रचना धर्म कौ निर्वाह ठीक रव।आपको सादर बधाई।
#6# पंं.श्रीप्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ.....
आपके 6 पसरट देखे जिनमें पसरट पर कई सामानों का मिलना,पसरट की सौदा कौ बरनन ऐसें करो गव जैसें खुद दुकानदार ने करो होय। आपंकी
खूबसूरत शैली को नमन,भा"षा भाव जानदार, रचना लचकदार, लयमय मिली।आपका सादर बंदन
#7#श्री शोभाराम दाँगी जी नँदनवारा.........
आपकी 6 पसरटन में पसरट के अनपढ ग्राहक पढे सें जादा हुशयार होत।पसरट बिना मोलभाव चलना।पसरट की दुकान पै गल्ला की आवक,मन के भाव,ग्राहक कौ सस्ता लेकर तेज देना,अंत में पसरट सें जीवन की तुलना करी गयी।भाषा भाव चमत्कारी, शेली रचना अनभव शानदार कहाव।आपका सादर बंदन।
#8#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़......
आपकी 2 पसरटन में पुलिश के साथ फ्री लेने की आदत,आधे ग्राहको की उधारी कौ बरनन करो गव।
आपकी भाषा शैली शिल्प भाव अनुभव पर आधारित है। आपका सादृ र बंंदन।
#9#श्री लखन लाल सोंनी छतरपुर......
आपकी एक मात्र पसरट उधारी में सत्यानाश बताय गय।आप हरवार एक रचना डार कें अलग कर लेत।ऐसौ कय है।अधिक लिखें तो आनंद आय।
आपका सादर बंदन।
#10#श्रीमती आशा रिछारिया जी निवाड़ी........
आपकी 4पसरटन मेंपसरट की मँहगाई, तनखा सें पसरट खरीदवौ,पसरप पै सब सामान मिलबौ,पसरट सें जीवन चलबे कौ बरनन करौ गव।आपकी भाषा शैली शिल्प भाव उत्तम रहे।आपके चरण बंदन।
#11#बहिन गीता देवी औरैया......
आपके 5 पसरटन मेंआपने पसरट की जगह परसट लिखा जो शायद क्षेत्रीय शब्द हो।सभी दोहों में परसट उपयोग किया है।भाषा भाव इससे प्रभावित हुये हैं।आपका सादर बंदन।
#12#श्री प्रदीप ख़रे मंजुल जी टीकमगढ़........
आपके 5 पसरट में पसरट की लूटपाट,पसरट की काम क्रोध लोभ मोह से तुलना,पसरट में दो के चार होंना,पसरट में मिलावट,पसरट बारे कौ जल्दी विकास कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा और भाव मजेदार शिल्पं और शैली मजबूत मिली।आपका सादृ बंदन।
#13#श्रीभगवान सिंह लोधी अनुरागी
हटा दमोह......
आपके 5 पसरट मेंपसरट पै सब मिलबौ,आज नगद कल उधार कौ सूत्र,पसरट की उधारी,पसरट उधारी सें ग्राहट भगवौ,पसरट की दुकान की गली गलीदुकान सें परशानी में कमी ना परबे कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव उःत्तम शिल्प शैली मजेदाऋ रहत है।आपको सादर नमन।
#14#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़........
आपके 5 पसरटों में गाँव गाँव की पसरप की बंजी,पसरट की गली गली दुकानों से परेशानी में कमी,भाव में बढत,मँहगे भाव सें चवराहट,महगाई की मार कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सृल,भाव गहरे,शिँल्प दर्शनीय शैली अनुकरण करने योगय रई।आपका सादर बंदन।
#15#श्री भजन लाल लोधी भजन फुटेर.......
आपने अपने एक मात्र पसरट मेंउधार
लेने पर परेशानी जताई।आपकी शैली सबसे हटकर है।भाव सटीक, शिल्प सुन्दर,भाषा सरँ होती है।आपका सादर बंदन।
#16#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़......
आपकी 5पसरटों में पसरट में डाड़ीमार,पसरट कं मनकौ भाव,पसरट की दुकिन पर चूना लगाना,पसरट में हर समाज की उधारी करबौ,और पसरट बारे सेट की परिभाषा बताई गई।आपकी सरल भाषा में शिल्प की भरमार रहैँती है।भाव और शैली का कमाल आपकी रचना की बिशेषता है।आपका सादर बंदन।
#17# श्री रामेश्वर गुप्त इन्दु बड़ागाँव झाँसी........
आपकी 2 पसरट मेंपसरट द्वारा जनकल्याण,पसरट पर सब समाजों का मिलन,बताव गव।
आपकी भाषा भाव शानदार, शिल्प कला शैलीसुन्दर।आपका बार बार ब०दन।
#18# श्री संजय श्रीवास्तव जी मबई
हाल नई दिल्ली.......
श्री संजय जी ने 4 पसरट दिखाईं।जिनमें बेरोजगारी की पसरट,पसरट का घर में पसरना,पसरट की दुकानौं को जितै चाय उपयोग,पसरट का सर्वब्यापीकरण दिखाव गव।
आपकी भाषा भाव उम्दा,शैली अनूप,शिल्प अनुकरणीय।आपको बारंबार बधाई
#19#पं. श्री अंजनी कुमार चतुर्बेदी जी निवाड़ी.........
आपके 3 पसंरट मेंपसरट की परिभाषा, पसरटिया कौ उधार न दैबौ,पसरटिया के दुकान चलने और ना चलने के परिणाम, बताय गय।आपकी भाषा भाव शिल्प शैली आदि मजबूत और सटीक रचना के रचनखकार माने जाते हैं।
आपका सादर बंदन।
उपसंहार.... आज पसरट बिषय पर एक सें एक दोहा रचे गंय जिनसें लगो कि हमारी बुन्देली निरंतर आगे जा रई।सबखों हात जोर कैं राम राम।
आपकौ अपनौ समीक्षक...
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो0 6260886596
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335-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-दुपाई-02-5-2022
#सोमवारी समीक्षा#दिनाँक2.5.22#
#बुन्देली दोहा लेखन#बिषय..दुपाई#
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आज कौ रोचक बिषय दुपाई भौत नौनौ लगो।अबै दुपाई से सब जनें जूझ रय सो सबने बास्तव में सई सई बरनन कर दव।आज के बिषय पै सबनें नौनी कलम चलाई उनके भाव अलग अलग अपनी अपनी क्षमता राखत।
लो अब कलग अलग सबकी कलम कौ जादू देखौ।
#1#श्रीअमर सिंह राय नौगांव......
आपने अपनी 5 दुपाइयन में जेठ की खरी दुपाई, दुपाई में मजदूरों कौ चैन,गुम्मन की पराई,दुपाई की रीती सड़कें,और दुपाई में पंछियन खों पानी धरबे की बात करी गई।आपने बहुरंगी भाव बिखेरे।भाषा सरल कला पक्ष और शैली ठीक लगी।आपका सादर वन्दन।
#2#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा....
मेंनें 5 दुपाई लिखीं,जिनमें पैली में एडमिन खों आपत्ति भई।जा अपनी अपनी सोच है।दो नायक भी हार के टपरा में बैठकें बात कर सकत पै सोच अधिकतर नायिका पै ही जात।बाँकी दोहन में सिर्फ दुपाई कौ बरनन है।भैया राम गोपाल जू सें निवेदन है कि ऊ दोहा में काऊ की बात हो सकत।नायक नायिका की बातें भी साहित्यिक परिधि में आऊतीं।
उदाहरण.....ईशुरी की चौकडिया....
जब सें रजऊ सें नैन मिलाये,बड़े कसाले खाये।ई में तो पूरौ रस उजागर है।ईसें साहित्य में नायक नायिका के मिलन पै कौनऊँ प्रतिबंध नई होत।बाँकी आप सब जनन ने तौ ऊ दोहा की खूब प्रशंसा करी।
#3#श्री प्रमोद कुमार मिश्रा जू बल्देवगढ़........
आपने 8 दुपाई बरनन करीं,आपके दोहन में धार्मिक पक्ष उजागर करो गव।जा रचनाकार की अपने अध्ययन और प्रमाण की बात रत।जौ जरूरी नईयाँ कै समीक्षक रचनाकार सें बड़ौ जानकार होय।बौ अपने मत और भाव सें देखत।आपके दोहा बास्तविकता खों लैकें चलत।आपकी भाषा सटीक भाव सुन्दरशैली और शिल्प साजे लगे।
आपका सादर वन्दन।
#4#श्रीशोभाराम दाँगी जी नदनवारा.....
आपकी 5 सन्नाटेदार दुपाई डरीं।जिनमेंनिगतन में कर्रयाट,जानवरन की दुपाई, दुपाई कापबे के तरीका,और गैलारन की लूट कौ बरनन करो गव।भाषा भाव ठीक हैं,शिँल्प शैली नौनी लगी।आपको बेर बेर नमस्कार।
#5#श्रीभगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह........
आपकी 5दुपाइयन में दुपाई कौ पसीना, पेड़न तरे की दुपाई, पनिहारी की दुपाई, दुपाई के ंऔजार ,ब्याव की दुपाईयन कौ बरनन करो गव।
अंतिम दोहा में दुपाई की जगह दुपाइऔर क की जगह का कर देते तौमात्रा भार समान हो जातो।
आपके भाषा भाव रसदार,शिँल्प शैली मजेदार रय।आपका सादर वन्दन।
#6#श्री सुभाष सिंघई जू जतारा......
आपकी 5 दुपाइयन मेंदो दो दुमें लगीं पाईं गई।दुमें ना लगतीं तौ भी दोहा रातो पर कथानक की सुन्दरता चली जाती।आपकी भाषा भाव ठीक हैं।शिल्प शैली में नवपन दिखानौ।आपकौ हार्दिक बंदन।
#7#डा. देवदत्त द्विवेदी जू बड़ा मलहरा......
आपकी 4 दुपरियन में जेठ की लाल दुपाई, दुपाई की लपट,सूरज की तेजी,दुपाई में मजदूरों की मजबूरी कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा बोलत है।कलापक्ष मजबूत, शैली सुन्दर,शिल्प कलादार,भाव गहरे और रोचक लगे।आपके सादर चरण बंदन।
#8#श्री अभिनंदन कुमार गोयल जू इन्दौर......
आपकी 5 दुपरियन में मुइयाँ कौ पीरौ परबौ,अःँगरन सी गैल,सन्नाटे की दुपरिया, पतझर,चिरैयन की लुकाछुपी, कौ बरनन.करो गव।भाषा मजेदार, शैली मजबूत, शिल्प और भाव मजेभय रय।आपका बार बार अभिनंदन।
#9#डा. प्रीति परमार जू......
आपकी एक दुपाई के दूसरे और चौथे चरण में मात्रा भार असंतुलित है।या जे टंकण की भूल है।बाँकी दोहा ठीक रव।आपके चरणों में प्रणाम।
#10#श्री राजीव नामदेवजी राना लिधौरी.जू..टीकमगढ़...........
आपने 2 दुपाइयन कौ बरनन करो जिनमें मजदूरन की दुपाई कौ सटीक
जीवन बरनन करो।जिसमें भाषा भाव सरल शिल्प ब शैली खूवसूरत हो।
आपको सादर नमन।
#11#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबई हाल दिल्ली........
आपकी 6दुपरियाँ नवीनता लँय दिखानी।आपके भाव शिल्प सबसें अलग एवम् शैली चिकनी लय युक्त,और कला पक्ष बेहतरीन लगो।
ापने कमाल के दोहा रचे।
आपका बेर बेर बंदन अभि्नंदन।
#12#श्रीपं. अंजनी कुमार चतुर्बेदी जी निवाड़ी.......
आपकी सबई दुपाई ननी रईं।अंतिम दोहा के चौथे चरण में मूंड़न कड़ी दुपाई में मात्रा भार घट जातो।बाँकी दोहा सही दिखानें।भाषा भाव सटीक एवम् सरल लगे।शैली उत्तम भाव रोचक कलापक्ष मजबूत दिखानौ।महाराज की जय हो।
#13#श्री मती आशा रिछारिया जी निवाड़ी........
आपकीं लिखीं दोंनों दुपाई मजबूत लगीं।एक में पनें की माँग,दूसरे में चिल्लाटे कौ घाम दर्शाव गव।भौतयी नौनी बुन्देली प्रयोग करी गई।भाषा भाव उत्तम,शैली शिल्प सराहनीय रहे।
बहिन के सादर चरण बन्दन।
#14#श्रीगोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी बुड़ेरा........
आपकी 5 दुपरियन में दुपाई की आफत,बरातन की दुपाई, दुपाई कौ इलाज,नीम के नैचें दुपाई काटबौ,गैलारन खों पानी देवै कौ सँदेशौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सटीक भाव गहरे,शैली अनुकर्णीय शिल्प सराहनीय लगे।आपका बारंबार बन्दन।
#15#श्री प्रभु दयाल यादव जी पीयूष टीकमगढ़.........
आपकी 5 दुपाइयन में,दुपाई के बगड़ूरे,लपट की लहरियों, दुपाई की सोच ,हरे पेड़न कौ महत्व,मठा सें दुपाई कौ इन्तजाम, बरनन करो गव।आपकी भाषा भाव मूल्यवान, शैली शिल्प अनुशरण योग्य है।आपकौ सादर वंदन।
#16#श्रीएस. आर.सरल जी टीकमगढ़............
आपकी 5 दुपाइयन में छाँव सें तसल्ली,शरीर की जलन सें हुलिया कौ बिगार,दुपाई की तपन सें बन्न परबौ,धरती की तवा सी तपनमजदूर की मजबूरी कौ आसानी सें बरनन करो गव।आपकी भाषा मधुर लययुक्त, भाव सीधे सरल,शैली कलात्मक,शिल्प अद्भुत दिखाने।आपका सादर बन्दन।
#17#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल......
आपकी 3 दुपाइयन में,लोक परंपरा कौ निर्वाह, यमक अलंकार कौ प्रयोग, अलंकारन कौ अद्भुत प्रयोग करो गव।
आपकी भाषा और भा्व सुवोध,लयपूर्ण,शैली अद्भुत शिल्प कलात्मक लगे।आपके सादर चरण बंदन।
#18#श्री पं.रामानंद पाठक नंद नैगुवाँ..........
आपकी 5 दुपाइयन में,ततूरी के फफोला,टीकाटीक दुपरिया कौ बरनन,किसान की दिनचर्या, पशु पंछियन कौ दुख,बिना पनैयाँ कौ चलबौ,बरनन कंरो गंव।भाषा सरल कोंमल,भाव मधुर आनंददायी, शैली सरपट शिल्प कलात्मक लगे।आपके चरणों का बंदन।
#19#श्री मतीप्रीति सिंह परमार...... आपने फिर से एक दोहा डाला जो सुन्दर और सटीक लगा पर पूरे दोहे श्रट जगह ही डलते तो अनुशासन का पात्नन होता।सादर वन्दन।
#20#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी...... आपने एक दोहा पुनश्च डालाजो पटल के अनुशासन की ओर इसारा करता है।दोहा सटीक और सुन्दर है।सादर नमन।
उपसंहार...... इस तरह सभी विद्वानों ने अपनी प्रतिभा के दर्शन पटल पर कराये ।आज के बिषय को भली भाँति निर्वाह कर सभी का शानदार सहयोग रहा जिसके लिये पटल आपकी वन्दना करता है।एक बार सबको सादर नमन करते हुये राम राम।
आपका अपना समीक्षक.....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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336-समीक्षक-गोकुल यादव, बुढेरा, दिनांक-10-5-2022
हिन्दी दोहा लेखन बिषय-मजदूर
🙏माँ शारदे को नमन🙏
मंच को सादर नमन करते हुए आज के अति महत्वपूर्ण विषय शब्द मजदूर पर लिखे गये भावपूर्ण दोहों की समीक्षा से पूर्व इस दुनिया को अपनी श्रम शक्ति से सजाने बाले मेहनतकश मजदूरों से चरणों में सादर नमन करता हूँ।साथ ही मैं हिन्दी साहित्य के जाने माने ललित निबंधकार श्री भगवत शरण उपाध्याय जी के आत्मकथात्मक शैली में लिखे गये विश्व प्रसिद्ध निबंध "मैं मजदूर हूँ" की प्रारंभिक चंद्र पक्तियाँ भी प्रस्तुत करना चाहूँगा।निबंधकार ने निबंध का प्रारंभ इन पक्तियों से किया है-"मैं मजदूर हूँ।जीवनवद्ध श्रमशक्ति की इकाई।मैं मेहनतकश मजदूर हूँ।आदमी के वनैलेपन से लेकर आज की शिष्ट सभ्यता तक की सीढियों पर मेरे हथौडे़ की चोट है।"
कुछ ऐसे ही भाव सभी रचनाकार साथियों ने आज मजदूरों के सम्मान में अपने सुंदर दोहों में भरे हैं।
मैं,आप जैसे प्रबुद्ध रचनाकारों की समीक्षा लिखने की हैसियत नहीं रखता हूँ।मैं तो केवल आदरणीय राना जी के आदेश निर्देश का पालन करने का प्रयास कर रहा हूँ।अतः मैं अपनी अल्पमति अनुसार टूटे फूटे शब्दों में समीक्षा प्रस्तुत कर रहा हूँ।🙏🙏
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(1)श्री अमर सिंह जी राय द्वारा पटल पर पाँच दोहे प्रस्तुत किए है।आपने अपने दोहों में मजदूरों द्वारा अभाव में रहकर भी अनेक समाजोपयोगी निर्माण कार्य करना,धूप शीत बरसात सहन करना,रोजगार के लिए भटकना,झुग्गियों में रहकर समय गुजारना,कठिन परिश्रम करके अपना पेट पालना तथा अभावग्रस्त जिन्दगी में भी मुस्कुराते रहना,आदि का बहुत ही सरल और ओजपूर्ण भाषा में चित्रण किया है।प्रथम दोहे के लिए संशोधन भी प्रस्तुत किया गया है।अतः सभी दोहे निर्दोष हैं।एतदर्थ आदरणीय राय साहब को सादर वधाई।🙏🙏
(2)श्री प्रमोद मिश्रा जी कवि होने के साथ ही प्रसिद्ध कथाकार,कीर्तनकार एवं गायक हैं।आपके दोहों में धार्मिक कथानकों की प्रधानता रहती है।दोहे पढ़कर कथानक जानने की जिज्ञासा भी उत्पन्न होती है।आज के प्रथम और अंतिम दोहे में छिपे कथानक मैंने गूगल पर सर्च कर पढे़ हैं।इससे ज्ञानवृद्धि भी होती है।शेष दोहों में आपने आदिकाल से आज तक मजदूरों द्वारा किए गये अथक परिश्रम से मिले लाभ एवं मजदूरों की पीडा़ का सार्थक दोहों में बखूबी चित्रण किया है।आदरणीय मिश्रा जी को हार्दिक वधाई।🙏🙏
(3)श्री प्रदीप खरे मंजुल जी ने पाँच दोहों में मजदूर की मजबूरी,दीनता,उसके द्वारा पसीना बहाना,सयानी बेटी के विवाह की चिन्ता,मजदूर को सम्मान की हिदायत तथा आखिरी दोहे में अपात्र लोगों द्वारा मजदूर बनकर शासन की योजनाओं का गलत तरीके से लाभ लेने का चित्रण किया गया है।आपकी भाषा सहज सरल एवं पाठक को प्रभावित करने वाली है।आपको सादर वधाई।🙏🙏
(4)श्री सुभाष सिंघई जी ने अपने कुछ कड़वे दोहों में मजदूर की वेशभूषा,उसके पसीने का महत्व,फाँके पड़ना उस पर देश प्रेम की सीख देना,बढ़ती बेरोजगारी तथा मजदूर में भूख सहन करने की क्षमता होने का मार्मिक चित्रण किया है।दोहों का शिल्प उत्तम है।आदरणीय सिंघई जी को बेहतरीन सृजन के लिए सादर वधाई।🙏🙏
(5)श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी वरिष्ठ साहित्यकार हैं।आपने अपने दोहों में प्रतिकूल मौसम में भी मजदूरों द्वारा काम करना,उनकी मजबूरी,कडी़ मेहनत के बाद भी आबाद न होना,देश हित में खून जलाना एवं इतना सब करने के बाद भी समाज द्वारा घृणा करना आदि महत्वपूर्ण तथ्यों का प्रभावी भाषा में चित्रण किया है।उत्कृष्ट दोहा सृजन के लिए आदरणीय को सादर वधाई एवं वंदन अभिनंदन।🙏🙏
(6)गोकुल प्रसाद यादव के पाँच दोहे आप सब की समीक्षार्थ पटल पर प्रस्तुत हैं।🙏🙏
(7)श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'प्रभु' जी द्वारा प्रेषित दोहे हमेशा की तरह उत्कृष्ट हैं।आपने अपने दोहों में मजदूरों की भूख की पीडा़,गाँव में काम न मिलना,काम की तलास में भटकना,पलायन करना,तंबू में रहना तथा मजदूरों की दशा व दुर्भाग्य के लिए हृदय में टीस उठना आदि का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है।आपकी भाषा परिष्कृत एवं ओजपूर्ण ही होती है।आपको सादर वधाई एवं नमन।🙏🙏
(8)श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी ने अपने तीन श्रेष्ठ दोहों में अभाव के कारण विवश होकर व्यक्ति का मजदूर बनना,विकास कार्य के लिए समर्पित रहने के बावजूद सुख सुविधाओं से वंचित रहना तथा बृद्ध मजदूरों को शासन से भत्ता की माँग का सार्थक शब्दों में चित्रण किया है।एतदर्थ श्री अरविन्द जी को वधाई एवं शुभकामनाएँ।🙏🙏
(9)श्री मती आशा रिछारिया जी द्वारा अपने दोहों के माध्यम से संदेश दिया है कि हर कार्य मजदूरी की तरह ही है,हमें मजदूरों पर दयाभाव रखकर उनकी पूरी मजदूरी देना चाहिए,उन्होंने आखिरी दोहे में लिखा है कि बेरोजगारी के कारण अच्छे पढे़लिखे लोग भी विवश होकर मजदूरी करते हैं।आदरणीया ने यथार्थ उजागर किया है।उत्तम दोहा सृजन के लिए आदरणीया बहिन जी को वधाई एवं सादर चरण वंदन।🙏🙏
(10)श्री बृजभूषण दुबे ब्रज जी ने अपने तीन दोहों में मजदूर की महानता,उसकी मजबूरी एवं मजदूरों को सुरक्षा मिले इस मुद्दे को बखूबी उठाया है।आदरणीय को सादर वधाई।🙏🙏
(11)श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी ने बेटी के विवाह जैसे महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्तता के बावजूद पटल पर बहुत ही भावपूर्ण दोहे प्रेषित किये हैं।आपके सभी दोहे बेहतरीन हैं,पर यह दोहा दिल को छू गया-
जिनने गढ़वाये भवन, उनके नाम प्रसिद्ध।
रखी सिला जिन नींव की,वे गुम जैसे गिद्ध।
आदरणीय अनुरागी जी को उत्तम दोहे सृजन के साथ ही बेटी की शादी की हार्दिक वधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ।🙏🙏
(12)श्री शोभाराम दाँगी जी के दोहे हमेशा की तरह भावपूर्ण हैं।आपने अपने दोहों में मजदूरों के हित में शासकीय योजनाएँ,विश्व मजदूर दिवस मनाया जाना,मजदूरों का कर्तव्यनिष्ठ होना आदि का सार्थक चित्रण किया है।आदरणीय को सादर वधाई।🙏🙏
(13)आदरणीय दाऊ साहब श्री जयहिन्द सिंह जी के उत्कृष्ट दोहे बहुत ही सारगर्भित भावपूर्ण एवं अद्भुत हैं।सभी दोहे श्रेष्ठ हैं।परन्तु निम्नांकित आदर्श पंक्तियाँ दृष्टव्य है-
"मेहनती मजदूर के,पाँव चूमती धूल।"
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"मजदूरी मजदूर की,मजबूरी लो जान।"
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"विजय पताका हाथ में,अधरों पर मुस्कान।"
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"रग रग राजत रागनी,बसत बसंत बहार।"
लाजबाब दोहे सृजन हेतु आदरणीय को हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन।🙏🙏
(14)श्री राना जी ने अपने दो दोहों में सचमुच गागर में सागर भर दिया है।संग्रहणीय दोहा देखें-
बे कितने मजबूर हैं, बनते जो मजदूर।
सब कुछ अपना छोड़ के,घर से बेहद दूर।
आदरणीय राना जी को उत्कृष्ट दोहा सृजन के लिए हार्दिक वधाई।🙏🙏
(15)श्री एस आर सरल जी का सृजन हमेशा आधुनिक एवं यथार्थ पर आधारित होता है।आपने अपने दोहों में मजदूरों की अभावपूर्ण जिन्दगी,उनका दुर्जनों द्वारा शोषण,मामा हो रय कंस (बेरोजगारी पर कटाक्ष),मजदूरों के बदतर हालात होना तथा मजदूरों को सम्मान मिले आदि का प्रभावी चित्रण किया है।आपकी भाषा सहज सरल एवं सुबोध रहती है।उत्कृष्ट सृजन हेतु आदरणीय को सादर वधाई।🙏🙏
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सभी रचनाकारों को उत्कृष्ट सृजन के लिए शत शत वधाइयों के साथ सादर प्रणाम।मैंने पहली वार समीक्षा लिखी है इसलिए गल्तियाँ स्वाभाविक हैं,अतः गल्तियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।आदरणीय दाऊ साहब को टाइप करने में परेशानी के कारण यह कार्य मुझे सोंपा गया था।मेरी राय में सबको ही समीक्षा लिखने का मौका दिया जाना चाहिए।सादर🙏🙏
समीक्षक-गोकुल यादव, बुढेरा
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337-श्री गोकुल यादव-गद्य लेखन-13-5-2022
🙏आज के सभी रचनाकारों का वंदन🙏
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साहित्य समाज का दर्पण होता है।दूसरे शब्दों में कहें तो साहित्य समाज का पथप्रदर्शक होता है।यह पथप्रथर्शन तभी हो सकता है जब साहित्यकार वर्तमान लिखें।वर्तमान पर लिखने से ही समाज का भला हो सकता है।आज बहुत खुशी की बात है कि सभी रचनाकारों ने आज वर्तमान लिखा है।हम उम्मीद करते हैं कि आगे भी सभी वर्तमान ही लिखेंगे।अतीत हमने बहुत पढ़ लिया है।अतीत से ही सीख लेकर हम वर्तमान में जीवन जी रहे हैं।वर्तमान काफी बदल चुका है।अतः हमें भी बदलना होगा।आज पटल पर जो बदलाव देखने को मिला वह स्वागत योग्य है।
आदरणीय श्री प्रमोद मिश्रा जी ने अपनी कहानी सत्य कथा के माध्यम से आज समाज में व्याप्त एकतरफा प्यार और उसके दुष्परिणामों को बखूबी उजागर किया है।हम आये दिन ऐसी ही अनेक घटनाएँ सुनते पढ़ते रहते हैं।आदरणीय मिश्रा जी दूषित होते समाज को अपना संदेश देने में पूर्ण सफल रहे हैं। रोचक समाजोपयोगी कहानी के लिए श्री मिश्रा जी वधाई के पात्र हैं।
आदरणीय सुभाष सिंघई जी ने "जिससे मुझे एक सीख मिली"शीर्षक से जो संस्मरण प्रस्तुत किया है वह पटल के लिए तो उपयोगी है ही,साथ ही समाज के लिए भी अत्यधिक उपयोगी है।माफी मागने एवं उचित सलाह मान लेने से समाज से आधे से भी अधिक बुराइयाँ जन्म ही नहीं ले सकेंगीं।शिक्षाप्रद पटल एवं समाजोपयोगी लेख के लिए श्री सिंघई जी को सादर वधाई।
आदरणीय दाँगी जी ने किसानों का जीवंत मुद्दा उठाया है।
देश का लगभग दसवाँ भाग अतिक्रमण की चपेट में है।लेकिन उधर शासन का कम ही ध्यान जाता है।किसान की बाँध आदि में बोयी गयी खडी़ फसल जोतकर नष्ट कर दी जाती है।और यह कार्य जिस कलैक्टर के आदेश पर होता है,उसके घर छापे में कई हजार करोड़ बरामद होते हैं।श्री दाँगी जी ने यथार्थ लिखा है।एतदर्थ आप को सादर वधाई।
इसी प्रकार आदरणीय श्री मोहन सिंह क्षत्रिय का आलख "बे बे (माता),आदरणीय श्री राना जी की बुन्देली कथा "कमरा डार कें सोंजिया भव",आदरणीय श्री अभिनंदन जी गोइल द्वारा प्रेषित आलेख "कविता क्या है",श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी की कहानी "घरई कौ कुरवा फोरै आँख",आदरणीय डाॅ.श्री सुशील शर्मा जी की कहानी "मंदबुद्धि",आदरणीया रेणु श्रीवास्तव जी का आलेख "भावी जीवन के लिए धन संचय कितना जरूरी"एवं आदरणीया डाॅ.प्रीति सिंह परमार जी की कहानी "माँ तो माँ होती है"बेहद समाजोपयोगी रचनाएँ हैं।वर्तमान समाज का आइना बनकर उसी को उपयोगी मार्गदर्शन करने वाली उक्त सभी रचनाओं के रचनाकारों को मेरी ओर से हार्दिक वधाइयाँ एवं अनंत शुभकामनाएँ।
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✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
दिनाँक-13/05/2022
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338- श्री सुभाष सिंघई-बुंदेली दोहा-गुदना-15-5-2022
आज आपके दोहो को आगे बढ़ाकर ही, आपको
भावो की कुंडलिया आपको ही समर्पित कर रहा हूँ
जिसे आप स्वीकार करें , लेखन जल्दी में हुआ है ,
त्रुटि भी हो सकती है , जिसे आप परिमार्जित भाव
से स्वीकार करें 🙏पोस्ट करने के बाद दो तीन मित्रों के
सृजन आए है उन्हें जोड़कर पुन: पोस्ट कर रहा हूँ
आपका साथी
सुभाष सिंघई जतारा
~~~~~~~~~
श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी जी के
दोहे से बनी कुंडलिया
गुदनारी गुदना गुदे, गोरी के ही गाल।
गोला गरे बना रई, गोरी भई गुलाल।
गोरी भई गुलाल , जुरी सब. गोरी गुइयाँ |
गाती जुरकै गीत , करे सब भोरी मुइयाँ ||
यह राना के भाव , गुदी जब गोरी न्यारी ||
देख-देख मुस्कात, वहाँ पै तब गुदनारी ||
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श्री *प्रदीप खरे, मंजुल*जी के दोहो
से बनी कुंडलिया
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गुदना गालन पै गुदे, निरखत मन ललचाय।
छैल छबीली गोपिका, निगतन में बलखाय।।
निगतन में बलखाय , हँसे तब मदन मुरारी |
बिंदी गाल सुहात , राधिका लगती न्यारी ||
है मंजुल के भाव , नहीं कुछ सोचो अदना |
लगता सूरज चाँद , जहाँ पर गोदा गुदना ||
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श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द जी के
दोहो से बनी कुंडलिया
गुदना गोदन खों चले, गिरधारी बन नार।
गुइयाँ गुदना लो गुदा, गाँव आइ गुदनार।
गाँव आइ गुदनार , खोजते राधा प्यारी |
नैना करे तलाश , गूजरी खोजे न्यारी ||
भाव यहाँ जयहिंद , बांधते नोनों बदना |
मनमोहन मन मोह , गोदते उम्दा गुदना ||
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श्री संजय श्रीवास्तव* जी मवई हाल
दिल्ली के दोहो से बनी कुंडलिया
गोरी गोरे बदन पे, गुदना रइं गुदवायँ।
गिरधारी गोदत हँसत, राधा जू मुस्कायँ।।
राधा जू मुस्कायँ , समझती है सब लीला |
प्रेम त्याग विश्वास , पड़े ना कोई. ढीला ||
है संजय के भाव , राधिका बनती भोरी |
गुदवाती जाती गाल , बनी है श्यामा गोरी ||
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श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा जी के
दोहो से बनी कुंडलिया
राजस्थानी लोहिया, में है चलन अटूट |
हांत पांव सबके गुदे, होत न इनमें फूट ||
होत न इनमें फूट , प्यार भी जीसे जादा |
रहती ऊकै साथ , निभाती रहती वादा ||
कहते शोभाराम , सही है हिन्दुस्तानी |
गड़िया कहे लुहार , जिन्हें हम राजस्थानी ||
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श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी हटा
दमोह जी के दोहो से बनी कुंडलिया
नैनन सें असुआ गिरें,ढड़क गाल पै आय।
ननद भोजाइ रो परीं,जब गुदना गुदवाय।।
जब गुदना गुदवाय ,जनम भर चिपको रानै |
लाख जतन से छूट , नहीं अब उनखौ पानैं ||
लोधी जू भगवान , कहै अब तुमसे सैनन |
गुदवाती अब जाव , नहीं टपकाओं नैनन ||
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श्री डा आर बी पटेल "अनजान"जी छतरपुर
जी के दोहे से बनी कुंडलिया
गोरी गुदना गाल पे,रुच रुच रही गुदाय. |
मन मा मनमोहन बसे, मंद मंद मुस्काय।|
मंद मंद मुस्काय , गाँव में है गुदनारी |
नय नय फूला गोद , रहे है अब बनवारी ||
खोजे यहाँ पटेल , कहाँ है राधा गोरी |
गुदनारी है श्याम , बनी ना रहना भोरी ||
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श्री गोकुल प्रसाद यादव जी ,नन्हींटेहरी जी
के दोहे से बनी कुंडलिया
काया कागज पै लिखत, दोइ रखत औचित्य।
अमिट छाप छोड़त सदा, गुदना औ साहित्य।
गुदना औ साहित्य, टेटू अब मिलता है |
है गुदना का रुप , यही अब. खिलता है ||
यह गोकुल के भाव , रहेगी गुदना माया |
रहे बदलते रूप , समय पर आकर काया ||
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श्री बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा जी के दोहो
से बनी कुंडलिया
नटखटिया घनश्याम है, नटखट करत अपार।
गुदनारी बन घूमते, गाँव गली औं हार।।
गाँव गली औ हार, खोजती है बृजनारी |
तनक न करती देर , कहाँ है राधा न्यारी ||
बृजभूषण की खोज, काम है सब चटपटिया |
लीला अपरम्पार , श्याम जू अब नटखटिया ||
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श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी जी
के दोहो से बनी कुंडलिया
गुदनारी खों देख कें, गोपीं रै गइँ दंग।
गुदना छोड़े बीच में, करें कृष्ण खों तंग।।
करे कृष्ण खौ तंग, कहे सब गुदना गोदो |
बना चिरैया मोर , सभी अब तन पर खोदो ||
कहत अंजनी भाव , बनाओं तितली प्यारी |
असबस दिखती आज , गाँव में अब गुदनारी ||
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श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष जी
टीकमगढ़ के दोहो से बनी कुंडलिया
गोरी कौ गुदना गुदो ,गजब गुलाबी गात।
मूरत है मन मोहनी , मन्द मन्द मुसकात।।
मंद मंद मुस्कात , नार. है नई. नबेली |
गुदना गोदत गाँव , घूमती दिखे अकेली |
बरसाने में आन , बने गुदनारी भोरी |
प्रभुदयाल के भाव , श्याम जू जँचते गोरी ||
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श्री राम बिहारी सक्सेना' राम 'जी
खरगापुर हाल छतरपुर के दोहो से बनी
कुंडलिया
कातिक को मेला भरो, बुन्देली त्यौहार।
गुदना गुदवावे चलीं, सुघर सलोनी नार।।
सुघर सलोनी नार , पहन कर बेंदी कगना |
पूछ रही सब नार ,कहाँ खौ जाती बहना ||
कहत बिहारी राम , नजर है मेरी जातिक |
जमता है शृंगार , लगो है मेला कातिक ||
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आर.के.प्रजापति "साथी
जतारा,टीकमगढ़ के दोहो से बनी
कुंडलिया
गोदन बारे से कहें, गुदना गोदो चार।
बाप मताई भाव जू,नाम लिखो भरतार।।
नाम लिखो भरतार , गुदो सब तन पै सौहे |
ऊपर से शृंगार , सभी के मन खौ मौहे ||
कह साथी कविराज, हमारा है उद् बोधन |
शोभा करता चार , सही जब होता गोदन ||
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श्री अमर सिंह जी राय नौगांव के दोहो
से बनी कुंडलिया
छलिया सुंदर रूप धर, बरसाने गय आय।
गुदना गुदवा लेव अँग, गुदनारी गइ आय।।
गुदनारी गइ आय , कहे वह लिख दे श्यामा |
है वह माखन चोर , बसे जो गोकुल धामा ||
कहत अमर कविराय , भगे तब लेकर डलिया |
खुल गइ पूरी पोल , राधिका कहती छलिया ||
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श्री एस आर सरल जी टीकमगढ़ के दोहो
से बनी कुंडलिया
गुच्च गुच्च गुदना गुदे, गोदे गोरे गाल।
मशक हात राधा कबें, का कर रय नदलाल।।
का कर रय नदलाल , गोद. दो अंग हमारे |
चित्तकला से छटा , विखरकर लगे सितारे ||
कहै सरल के भाव , लिखा है सब सच्च सच्च |
गुदे अंग प्रत्यंग , राधिका पै गुच्च गुच्च ||
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श्री भजनलाल लोधी जी फुटेर टीकमगढ़ के दोहो
से बनी कुंडलिया
चीबन होबै जाँग में , गुदना लो गुदवाय |
कजन लाग लग जैय तौ, तुरत दरद मिट जाय ||
तुरत दरद मिट जाय , बात हम कहते सासी |
पति पत्नी भी दोइ , करत रय मिलकै हासी ||
कहत भजन कविराय , करें हम घर में सीबन |
करे दवा का काम , मिटा दे तन की चीबन ||
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विशेष
कुंडलिया छंद - एक दोहा + रोला
दोहा का कल संयोजन तो आप जानते ही है
किसी भी हिंदी छंद में कल संयोजन बहुत ही महत्व पूर्ण माना गया है,इससे छंद में लय बाधा नहीं होती
रोला छंद का कल संयोजन
443, 3244
या
3323, 3424
कुछ लोग विषम चरण में 32332 का प्रयोग करते है , पर इसके अंत में 32 "आपकी " उचित नहीं है , चौकल सही रहता है - जैसे 32 " हमारा " उचित है।
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समीक्षक-श्री सुभाष सिंघई,जतारा
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339-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-सूरज-17-5-2022
🙏मंच को नमन🙏माँ शारदे को नमन🙏
समीक्षा दिनाँक-17/05/2022
समीक्षक-गोकुल प्रसाद यादव
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🙏ॐ सहस्त्रकिरण सूरज देवाय नमः🙏
सूर्य भानु रवि हंस खग,सविता अर्क दिनेश।
कमलबंधु दिनमणि तरणि,सूरज है भुवनेश।
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आज प्रदत्त विषय शब्द 'सूरज' पर जिन प्रबुद्ध रचनाकारों ने अपने-अपने विचारों से ओतप्रोत सुंदर दोहे पटल पर प्रेषित कर मंच की शोभा बढा़ई है,उनका समीक्षात्मक विवरण आज मंच पर ही परस्पर समीक्षात्मक टिप्पणियों द्वारा किया जा चुका है।इसमें विद्वान वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय श्री सुभाष जी सिंघई का सर्वाधिक योगदान रहा है।आपने लगभग सभी रचनाकारों का उचित मार्गदर्शन कर उन्हें निर्दोष साहित्य सृजन के लिए प्रेरित किया है।सभी ने दिए गये सुझाव निर्विवाद रूप से सहर्ष स्वीकार कर अच्छी परिपाटी प्रारंभ की है।यह परिपाटी सभी रचनाकारों को सार्थक,उत्कृष्ट एवं निर्दोष सृजन हेतु लाभदायक सिद्ध होगी।आदरणीय सिंघई जी आगे भी हमें इसी तरह का उचित मार्गदर्शन करते रहेंगे।आदरणीय सिंघई जी के साथ ही मंच पर अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया प्रेषित करने वाले सभी प्रबुद्ध रचनाकारों को हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏🙏🙏
पुनश्च आज के प्रबुद्ध रचनाकार सर्वादरणीय-
श्री भगवान सिंह लोधी 'अनुरागी' जी
श्री अमर सिंह राय जी
श्री सुभाष सिंघई जी
श्री प्रदीप कुमार खरे 'मंजुल' जी
श्री आर के प्रजापति जी
श्री डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी
बहिन डाॅ. प्रीति सिंह परमार जी
श्री राना लिधौरी जी
श्री शोभाराम दाँगी जी
श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी
श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष' जी
श्री जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द' जी
श्री एस आर सरल जी
श्री संजय श्रीवास्तव जी
आप सभी को बेहतरीन उत्कृष्ट काव्य सृजन हेतु हार्दिक वधाइयाँ एवं भावी काव्योत्षर्ग हेतु अनंत हार्दिक शुभकामनाएँ।🙏🙏🙏🙏
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✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
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340-श्री जयहिन्द सिंह बुंदेली दोहे-तातौ-23-5-2022
#सोमवारी समीक्षा#बिषय...तातौ#
#दिनाँक 23.05.2022#जयहिन्द#
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आज का बिषय तातौ एक बिशेषण पर आधारित शब्द है।जिसकी पटल के सभी मनीषियों ने अपने नये अंदाज में दोहों के माध्यम से समीक्षा की है।
आइये उनके अपने अंदाज को पृथक रखकर देख़ते हैं।
#1#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह........
आपके 5 ताते दोहन में ताते खों सिरा कें खाबौ,सबेरे सें तातौ पानी पीबौ,तपे सोनें में बदलाव,तेंदू पत्ता टोरबे में तातौ पानी पीबौ,बरनन करो गव।
आपकी भाषा प्रवाहमयी,भाव गहराई उचित,शिल्प सुन्दर शैली रचनात्मक है।आपका सादर बंदन।
#2#श्री अमर सिंह राय नौगांव.......
आपके 7 ताते दोहन में लू लपट कौ तातौ,अडर चंद्रमा तातौ होतौ तौ रात भी ताती होती,बच्चे के ताते माथे से माँ की चिन्ता, तातौ भोजन भोर सें तातौ पानी पीबौ,खरे जबाब कौ तातौ,
ताते खून कौ बरनन करो गव।भाषा सटीक,भाव उत्तम,शिल्प गठन सुन्दर,
शैली लाजबाब।आपका सादर बन्दन।
#3#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा....
मेरे 5 ताते दोहन में तातौ सिरा कें खाबौ,ताते तेल सें कान कौ इलाज,
करैया में ताते तेल सें पकवान, ताते पानी और हर्र सें इलाज, बराई के ताते रस सें पेट खलबलाबौ,आदि कौ बरनन करो गव।भाषा भाव शिल्प शैली कौ आकलन आप सब जनें करौ।सबखों राम राम।
4-डा0 प्रीति सिंह परमार.टीकमगढ़......
आपके 3 दोहन की तताई में पैले दोहा के पैलै चरन में मात्रा भार कम है बाँकी ठीक है।भाषा भाव शिल्प शैली ठीक है।आपका चिन्तन उत्तम है।
सादर चरण बंदन।
#5#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी बुड़ेरा........
आपके 5 ताते दोहन में गरीब कौ तातौ बासौ खाबौ,ताते पानी के गरारे सें क़ोरोना की हार,ताते पानी की शिक्षा,जेठ की तताई, ताते बासे पै सास बहू की लडाई, बरनन करी गयी।भाषा मजेदार, भाव सुन्दर,रचनात्मक शैलीअनूठे शिल्प,रखे।भाई यादव जी को सादर नमन।
#6# श्री सुभाष सिंघई जतारा......
आपके 5 ताते दोहन में साँसी बात की तताई, खरी बात साँसी बात,शकल की मार की तताई, लबरा लोभी लालची की ताती लार,ताती चाय सें जड़कारे में चैंन, कौ बरनन करो गव।आपकी भाषा सरल,प्रवाहयुक्त, भाव सुन्दर,शैली लुभावनी,शिल्प गठन सुन्दर,हर शब्द मजेदार।आपको सादर नमन।
#7#श्री पं. प्रमोद मिश्रा जी बल्देवगढ..........
आपके 7 ताते दोहन मेंतातन चाय कौ पानी ,तकिया कथरी चादर ताती,ताती रोटी खाव,ताते पानी सें ना सपरौ,तातौ शरीर वैद खां दिखाव,लपट में प्याज कौ प्रयोग,आसुन के ताते सें सावधान रैवै को बरनन करो गव।भाषा भखव शिल्प शैली कौ कमल बिखेरौ गव।
आपकौ सादर बन्दन।
#8#श्री आर.के.प्रजापति साथी जतारा.........
आपके 5 ताते दोहन में चमचा कौ कमाल,ताप कौ तमाचा, भूख की बैचैनी,सिराकें खाबौ,चाय के ताते घूँट सें ब्याकुल होबौ,बरनन करो गव।भाषा अनुकरण योग्य,भाव बेजोड़,शैली चिकनी दौड़युक्त,शिल्प अलंकारिक लगे।
आपको सादर नमन।
#9#श्री मती आशा रिछारिया जी निवाडी......
आपके 4ताते दोहन में ताती रोटी नुनखरी,खाबौ,ताते रोष में चुपचाप बैठबौ,टंकी कौ पानी आग सौ लगबौ,ताती रोटी सें सेहत ठीक रैबौ
बरनन करो गव।आपकी भाषा पैल सें समरी रई।भाव की जादूगर रईं।शैली कौ कमाल और शिल्प कौ धमाल जमौ रव।आप एक शानदार मंच संचालन के लाने बिख्यात रयीं।आपके सादर चरण बंदन।
#10#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़.......
आपके एकल ताते दोहे में तरबूज खाने पर जोर दिया गया है।भाषा सरल सटीक भाव सुन्दर शैली रचनात्मक शिल्प कला मनोहारी है।
आपका ,सादर बंदन।
#11#डा.देवदत्त द्विवेदीजी सरस बड़ा मलहरा.........
आपके 4ताते दोहन में तातौ बासौ खाबौ,मोड़ी मोड़न खों ताते भात सौ दाबबे सें बिगरत सें बचा सकत।ताते भोजन और पानी सें शरीर चंग रैबौआदि कौ बरनन करो गव।आप भाव के जादगर,शिल्प के कमाली, शैली के कारीगर और भाषा के शिल्पी हैं।आपके सादर चरण बंदन।
#12#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा..........
आपके 2 ताते दोहन मेंताते तकुवा सें खता ततारबौ,ताते सें जीवन कौ संचालन बताव गव।आपकी भाषा भाव सुन्दर,शिल्प शैली सरल है।आपका बंदन।
#13#श्री प्रदीप खरे मंजु्ल जी टीकमगढ़............
आपके 5 ताते दोहन मेंताते सें भीतर बाहर हौबौ,तातौ तन हौबौ,तातौ तन ताती धरा पै परबौ,बरसाने की गोरीलपट और काँटौ लगबे कौ उत्तम बरनन करो गव।भाषा उत्तम भाव सुन्दर,शिल्प अनूठे,शैली अद्भुत रोचक
लगी।लाला जी का बार बार बंदन।
#14#पं. बृज भूषण दुबे बृज बक्स्वाहा...........
आपके 4 ताते दोहन में तातौ पानी पीबे में हिचक,भूख में तातौ बासौ ना देखबौ,सूरज कौ तातौऔर तातौ भोजन करबे कौ सँदेशौ दव गव।
भाषा सरल भाव उत्तम शिल्प रचना सुन्दर शैली अनुपम मिली।आपका बंदन अभि्नंदन।
#15#श्री अभिनंदन कुमार गोइल जी इन्दौर...........
आपके 5 ताते दोहन में ताते में प्रेम बुखार,कुढबे जरबे सें तातौ हौबौ,गुस्सा कौ तातौ,ताती नजर,ततूरी कौ नेवतौ आदि कौ बरनन करो गव।भाषा मजेदार, भाव उत्तम,शैली शिल्प सुन्दर दिखानी।आपको सादर नमन।
#16#डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल...........
आपके 3 ताते दोहन मेंताते की ततूरी,सास बहू कौ तातौ बासौ,कोरोना में ताते के डर कौ बरनन करो गव।भाषा भाव उत्तमशिल्प शैली कमाल की।
आपके सादर चरण बंदन।
#17#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़........
आपके 5 ताते दोहन मेंताते सें जीव जरवौ,भोर सें तातौ पानी पीबौ,ततूरी घाम की तकलीफ, गरीब कौ तातौ खाबौ,बऊ कौ तातौ डुकरा कौ बासौ बरनन करो गव।भाषा भाव कौ कमाल,शिँल्प शैली कौ धमाल देखबे मिलो।आपका सादर बंदन।
#18#पं. श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी...........
आपके 5 ताते दोहन मेंभौत तातौ ना खाय सेंबीमारी सें बचबौ ,झाँपड़ा सें कान तातौ हौबौ,लासुन के ताते तेल सें कानन कौ इलाज।ताते काड़े सें सर्दी कौ इलाज।तातौ ताव सिराय के लाभ लिखे गय। आपकी भाषा अलंकार मय शैली सुनदर प्रवाहमयी,शिल्प और भावों में महारत दिखी।आपका सादर बन्दन।
#19# श्रीप्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़.............
आपके 5ताते दोहन में ताते आँग सें इकतरा बुखार की झलक,ओरछा रामराजा मंदिर कौ तातौ चौक,तातौ खाव बासौ छौड़ौ,भुन्सरा ताते पानी सें रोग बचाव और बिटिया खों तातौ भात बताव गव।आपकी शैली मेंईसुरी की झलक झलझलात।भाषा सरल सटीक मनमोहक,भाव मन खों छूबे बारे,शिल्प को सलाम।आपको राम राम।
#20#डा. आर.बी.पटैल अंजान छतरपुर.......
आपके 5ताते दोहन मेंतातौ खाव ठंडौ पानी पियौ,सातों दिन के मेहनती कौ तातौ ठंडौ ना देखबौ,बड़े घरन के लोगन खों तातौ जल्दी लगबौ,बताव गव।भाषा सरल सटीक भाव सुन्दरीकरण गहरा।शैली शिल्प मजेदार।डा.साब को सादर नमन।
उपसंहार...... आज की महत्वपूर्ण बात जा रयी कै सुभाष भैया ने कुण्डलियों के माध्यम सें भाव रूपांतरण करकें मजा बाँदो।
मोरी एक विनय जा है कि अपनी सामग्री एक बखर में पूर्ण परीक्षण करकें डारी जाय।कई मनीषियन की सामग्री 3 -3 बार डारकें पटल खों रफ काँपी बनाई गई जो पटल संचालक आपसें कै नईं सकत लेकिन हमने साहस करकें कै दयी।सो हमें क्षमा करत भय पुनरावृत्ति नईं करने।
सुभाष भैया की मेहनत और लगन खों नमन।सब जनन खों राम राम।
आपकौ अपनौ समीक्षक...।।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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341-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-मिर्ची-24-5-2022
🙏माँ शारदे को नमन🙏
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हिन्दी दोहा समीक्षा दिनाँक 24/05/2022
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आज हिन्दी दोहा लेखन दिवस पर विषय शब्द मिर्ची पर आदरणीय सभी प्रबुद्ध रचनाकार साथियों ने बहुत ही चटपटे दोहे प्रेषित कर मंच की कान्ति बढा़ई है।एतदर्थ सभी प्रबुद्ध जनों को हार्दिक वधाइयाँ एवं सभी को मेरा सादर प्रणाम🙏🙏मेरी अल्प मति अनुसार समीक्षात्मक विवरण निम्नवत प्रेषित है-
1-श्री एस आर सरल जी द्वारा आज पाँच दोहे प्रेषित किए गये हैं।आपके सभी दोहे शानदार हैं।आपके तीसरे दोहे में मिर्ची लगना मुहावरे का प्रयोग दृष्टव्य एवं संग्रहणीय है-
मिर्ची लगी पडो़स में,मिली ब्याह में कार।
पैसे वाले लोग हैं, चर्चा है घर बार।
उत्तम सृजन हेतु आपको हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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2-श्री सुभाष सिंघई जी द्वारा प्रेषित पाँचों दोहे उत्कृष्ट हैं।फिर भी प्रथम दोहा अधिक संग्रहणीय है-
मिर्ची लगती है वहाँ,जहाँ सत्य दे ताल।
उखड़ रहा हो झूठ के,पंडो़ं का पंडाल।
अनुपम सृजन के लिए आपको हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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3-श्री आर के प्रजापति 'साथी' जी द्वारा प्रेषित सभी दोहे लाजबाब हैं।फिर भी दो उत्कृष्त दोहे दिल को छू गये हैं-
मिर्ची लगती है उन्हें,जिनको ज्ञान अजीर्ण।
हृदय कुतर्कों से भरा, रहती बुद्ध विदीर्ण।
मिर्ची सी तीखी लगे,जिसको उचित सलाह।
उसे सुलभ होती नहीं, जीवन की शुचि राह।
उत्कृष्ट सृजन हेहु आपको हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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4-श्री प्रदीप खरे 'मंजुल' जी के बुन्देली मिश्रित मधु से मधुर दोहों में एक दोहा अपना अलग स्थान रखता है।आपने मिर्ची के तीखेपन से भी श्रृंगार रस बहा दिया है।संग्रहणीय दोहा देखें-
मिर्ची जैसे तेज हैं, गोरी तोरे बैन।
भुनसारे सें होत है,मोरे घर में ठैन।
आपको शानदार सृजन के लिए हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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5-श्री अमर सिंह राय जी द्वारा बहुत ही ज्ञानवर्धक दोहे प्रेषित किए गये हैं।आपके प्रथम दोहे में मिर्ची लगना मुहावरे का अनौखा प्रयोग दृष्टव्य है,जो सार्थक एवं संग्रहणीय है-
सत्य कहे मिर्ची लगे, हाँ में हाँ से प्यार।
मुँहदेखा व्यवहार नहिं,हमसे बनता यार।
आपको अनुपम सृजन हेतु हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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6- गोकुल प्रसाद यादव,मेरे द्वारा प्रेषित दोहों के लिए पटल पर समीक्षात्मक टिप्पणी कर उत्साहवर्धन करने वाले सभी प्रबुद्ध रचनाकारों को मंगल साधूवाद एवं सादर वंदन।🙏🙏
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7-श्री डाॅ.देवदत्त द्विवेदी जी दोहा सम्राट हैं।आपके उत्कृष्ट दोहे मेरे साथ ही अन्य सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत रहते हैं।
मुझे सभी दोहे साखी से प्रतीत होते हैं।आदरणीय का अंतिम दोहा उद्धृत करना चाहूँगा-
स्वार्थ दोस्ती में छुपा, रिश्तों में व्यापार।
साँची किस किस से कहें,मिर्ची लगती यार।
आदरणीय द्विवेदी जी को उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक वधाई,सादर प्रणाम एवं सादर चरण वंदन।🙏🙏
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8-श्री बृजभूषण दुबे 'ब्रज'जी के तीनों दोहे भावपूर्ण एवं मधुर हैं।आपके प्रथम दोहे में मुहावरों का सार्थक प्रयोग बन पडा़ है।दोहा दृष्टव्य है-
ठकुरसुहाती करत रव, सबके प्यारे रात।
सही सही यदि बोलते,मिर्ची सी लग जात।
आपको बेहतरीन सृजन के लिए हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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9-श्री भजन लाल लोधी जी प्रसिद्ध लोक कवि हैं।आपका सृजन ज्ञानवर्धक एवं आध्यात्म के दर्शन कराता है।आज के दोहों में भी ऐसे ही भाव हैं।अंतिम दोहा वर्तमान समय में हो रहे अनाचार पर प्रतीकात्मक रूप से प्रकाश डालकर उससे मुकावला करने की सीख भी देता हुआ प्रतीत होता है।संग्रहणीय दोहा देखें-
कौआ ने पीछा किया,भई भयाकुल डोंक।
कोयल बोली आँख में, मिर्ची देती झोंक।
जय हो दादा आपकी।आपको हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
**************
10-श्री रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश' जी द्वारा प्रेषित दोहे सकारात्मक सोच वाले एवं उपदेशात्मक हैं।एक उपदेशात्मक संग्रहणीय दोहा दृष्टव्य है-
ऐसा क्यों व्यवहार हो,कान सुनें कटु बोल।
सुनते मिर्ची सी लगे, बोलो सबसे तोल।
बेहतरीन सृजन हेतु आपको हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
**************
11-श्री राना लिधौरी जी द्वारा प्रेषित दोहों में आंतरिक विकल्प भी दिया गया है।यह एक नया प्रयोग है,जो मजेदार भी है।मेरे विचार से प्रथम दोहे का भाव सार्थक है,क्योंकि यह बात सच है कि जब किसी को ज्ञानी होने का अभिमान हो जाता है,तो उसे बात बात पर मिर्ची लगती है।और वह किसी की सुने बिना अपनी ही डींग मारता रहता है।दोहा दृष्टव्य है-
मिर्ची उसको ही लगे,जिसे ज्ञान अभिमान।
समझाइस माने नहीं, खुद का करे बखान।
अनेक पर भारी एक दोहे के लिए आदरणीय राना जी को हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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12-श्री सुशील शर्मा जी वरिष्ठ साहित्यकार हैं।आपके दोहों में आपकी विद्वता झलकती है।मिर्ची किसे लगती है,का अनौखा एवं सार्थक विश्लेषण करते आपके दो संग्रहणीय दोहे दृष्टव्य हैं-
मिर्ची उनको ही लगे,जो मन रखते झूठ।
अपनों से जलते सदा, रहें अकेले ठूँठ।
सत्य बात मिर्ची लगे,जिनके मन में चोर।
अहंकार में चूर हो, स्वयं प्रसंशक घोर।
उत्कृष्ट सृजन हेतु आपको हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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13-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी भी वरिष्ठ रचनाकार हैं।आपके द्वारा प्रेषित सभी दोहे उत्कृष्ट एवं शिक्षाप्रद हैं।आपने भी अपने ढंग से मुहावरे का प्रयोग कर संग्रहणीय दोहे का सृजन किया है।दोहा दृष्टव्य है-
सब हाँ में हाँ मिलाकर, हो जाते हैं संग।
मिर्ची लगती सत्य से,छिड़ जाती है जंग।
उत्कृष्ट दोहे सृजन हेतु आपको हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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14-श्री प्रमोद मिश्रा जी द्वारा सात दोहे प्रेषित किए गये हैं।आपकी शैली अलग ही प्रभाव छोड़ती है।दो दोहों में विदेशी शब्दों के प्रयोग से मात्रा भार में विचलन हो रहा है।पाँच दोहे निर्दोष हैं।आपका प्रथम और अंतिम दोहा विशेष रूप से संग्रहणीय हैं-
वैभव लखत विशेष तब,मिर्ची सी लग जात।
प्रेम जलन हर हृदय में, वास करत उफनात।
मिर्ची खेती के लिए,लाता बीज किसान।
खेत जोत बौनी करे,फसल बढा़ती शान।
आपकी दोहावली में किसान के लिए समर्पित दोहे के लिए आप विशेष वधाई के पात्र हैं।आपका सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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15-श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष'जी वरिष्ठ रचनाकार हैं।हिन्दी और बुन्देली लेखन में आपको महारत हासिल है।आपकी रचनाएँ आज प्रेषित दोहों की तरह ही हमेशा पूर्ण परिष्कृत उत्कृष्ट एवं निर्दोष होती हैं।आपके सभी दोहे संग्रहणीय हैं।यथा-
मिर्ची से भी तेज है, उनकी मुखर जुबान।
मुख तरकस से निकलते,सतत विषैले वान।
उत्कृष्ट सृजन हेतु आदरणीय पीयूष जी को हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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16-श्री दाऊ जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द'जी वरिष्ठ साहित्यकार,गीतकार,समीक्षक एवं मंच के मार्गदर्शक हैं।आपके सैकडो़ं बुन्देली गीत जन मानस की जुबान पर हमेशा रहते हैं।आप सहज और सरल भाषा में गहरी बात हृदय में उतारने में दक्ष हैं।आपके सभी सार्थक भावपूर्ण एवं संग्रहणीय दोहों में से एक वानगी प्रस्तुत है-
चटखारे मिर्ची बिना,ज्यों चूना बिन पान।
गौरी बिन सूने लगें, ज्यों शंकर भगवान।
आदरणीय दाऊ साहब जी को उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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17-श्री संजय श्रीवास्तव जी सफल रचनाकार एवं रंगकर्मी हैं।आप देश विदेश में बुन्देलखण्ड का परचम लहरा रहे हैं।हम बुन्देलखण्ड वासियों को आप पर गर्व है।आपके दोहे हमेशा की तरह ही विशेष भाव प्रकट करते हैं।एक वानगी दृष्टव्य है-
मिर्ची जैसी तेज है, बोले तीखे बोल।
मद में डूबी नकचढी़,करे ढोल में पोल।
आपको उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक वधाई एवं भावी काव्य कला उत्कर्ष हेतु अनंत शुभकामनाएँ।🙏🙏
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18-श्री भगवान सिंह लोधी 'अनुरागी'जी का पटल के प्रति अनुराग व्यस्तता में भी कभी कम नहीं होता है।आपकी सोच की तरह ही आपकी कलम भी परिपक्व है।व्यस्तता में भी आप उत्कृष्ट सृजन करते हैं।आपका हँसमुख रंगी स्वभाव भी रचनाओं में झलकता है।आपका बुन्देली मिश्रित अंतिम दोहा इसी बात की बखूबी गवाही दे रहा है-
दुल्हन ने दूल्हे दिया, मड़वा नीचे ज्वाप।
मिर्ची जीजा को लगी,उचके कक्का बाप।
आप मुक्त दिवस में अपने मधुर गायन से भी मंच को अभिसिंचित करते रहें।आपको हार्दिक वधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ।🙏🙏
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19-श्री गुलाबसिंह यादव 'भाऊ' जी का अलग ही जलबा दिखता है।सरल भाषा मगर बात गहरी,यह आपकी विशेषता है।आपका प्रथम बुन्देली मिश्रित दोहा दृष्टव्य है-
जो जिसकी साँची कहै,मिर्ची सी लग जात।
साँचे को फाँके पडे़ं, लबरा लडु़वा खात।
आदरणीय भाऊ जी को हार्दिक वधाई एवं सादर वंदन अभिनंदन।🙏🙏
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20-बहिन डाॅ.रेणु श्रीवास्तव जी के दोहे बहुत ही सरल भाषा में किन्तु भावपूर्ण व सामाजिक हैं।आपका प्रथम दोहा दृष्टव्य है-
ननद बडी़ ही तेज है,लाल मिर्च सी जान।
सब रिश्तों में अलग है,ननदी की पहचान।
क्या खूब लिखा आदरणीया आपने।आपका सादर चरण वंदन।🙏🙏
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उपसंहार-
आज एक दो रचनाकारों को छोड़कर मिर्ची लगना मुहावरे का प्रयोग लगभग सभी रचनाकारों ने किया है।इससे सिद्ध है कि मिर्ची ने शायद किसी को भी नहीं बख्शा है।समीक्षा की त्रुटियों के लिए क्षमा याचना के साथ सभी को सादर अभिवादन।🙏🙏🙏🙏
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समीक्षक-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
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342-श्री गोकुल यादव-बुंदेली पद्य स्वतंत्र-25-5-2022
सभी प्रबुद्ध रचनाकारों को अनंत वधाइयों
सहित कल दिनाँक- 25/05/2022 को
पटल पर प्रेषित सुंदर बुन्देली रचनाओं पर
आधारित समीक्षात्मक चौकड़िया गीत🙏
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नोंनी हैं नों दस चौकड़ियाँ,
ज्यों होबें फुलझड़ियाँ।
गीत भजन जू कौ बुन्देली,
भौत अनोंखौ बड़ियाँ।
उनने लंका के जलवा दय,
टपरा महल झुपड़ियाँ।
'साथी' 'वीर' ग़ज़ल कीं कै रय,
बेजाँ उमदा लड़ियाँ।
राय साब कै रय टो डारौ,
मँहगाई कीं अड़ियाँ।
ब्रज जू कै रय डाँग बचालो,
जाँसें मिलत लकड़ियाँ।
तारा कौ इतिहास बता रइं,
रैणू जी कीं कड़ियाँ।
राना जू की उनें हिदायत,
जो करतइ गड़बड़ियाँ।
असरदार सबकीं रचनाएँ,
जैसें होंय लुखड़ियाँ।
अब से यार मिले ना पैलाँ,
छानें हार पहड़ियाँ।
अपुन सरीखे यार मिले हैं,
पूजें बारा मड़ियाँ।
गाकें फाग करत हम स्वागत,
बजवा ढुलक नगड़ियाँ।
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✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
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343-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-प्यास-31-5-2022
🙏🌹समीक्षा दि.31/05/2022🌹🙏
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ज्ञान की देवी माँ शारदे एवं मंच को सादर नमन करते हुए आज की संक्षिप्त समीक्षा सादर प्रेषित है🙏🙏
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समीक्षक-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
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यह बात सच है कि कोई भी कविता रचते समय हमें कठिन साधना करनी पड़ती है,और इस साधना में शिल्पगत सृष्टि विशेष महत्व रखती है। इस विशिष्टता में ही रसोद्रेक की शक्ति निहित होती है। जब हम गति लय और शिल्प को ध्यान में रख कर संवेदनात्मक धरातल को आधार मानकर कोई रचना करते हैं तो वह सहज संप्रेषणीय और रस निष्पत्ति की मनोहारी अभिव्यंजना से युक्त हो जाती है।दोहा की रचना तो और भी कठिनाई पैदा करती है,क्योंकि यह बहुत ही छोटा छंद है।फिर भी हमें उसमें उक्त सभी विशिष्टताएँ पिरोनी होतीं हैं।बावजूद इसके आज के विषय शब्द प्यास पर सभी प्रबुद्ध रचनाकारों ने बहुत ही अनुपम सृजन किया है।"प्यास" जो शरीर में पानी की कमी का आभास कराने के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द है,उसका उपयोग तरह-तरह की प्यास के रूप में,साहित्य एवं समाज में बखूबी होता रहा है।आज के भौतिकवादी युग में प्यास का और अधिक विस्तृत होता प्रभाव दोहों में बखूबी निरूपित किया गया है।एतदर्थ सभी रचनाकार साथियों को हार्दिक वधाई।
रचनाकार का दृष्टिकोण उसकी रचना में भलीभाँति परिलक्षित होता रहता है।आज के दोहों को ही देखें तो यह आसानी से समझा जा सकता है।इसीलिए मैं ने आज की समीक्षा में सभी के उत्कृष्ट दोहों में से एक एक दोहा जो औरों से भिन्न है,प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।आज के सभी उन्नीस रचनाकारों के दोहों से उन्नीस प्रकार के भाव देखने व मनन करने योग्य हैं।चलो देखते हैं-
1-श्री जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द' जी,🙏🙏
आपका "भारतीय सामाजिक विश्वास सौहार्द एवं समरसता"दर्शाता संग्रहणीय दोहा-
प्यास लगे पानी मिले, भूख लगे पर अन्न।
उस समाज में जा बसो,रहो न कभी विपन्न।
2-आर के प्रजापति 'साथी' जी,🙏🙏
आपका "मानव के लिए सर्वाधिक उपयोगी ज्ञान की प्यास" दर्शाता संग्राह्य दोहा-
वही अधिक धनवान है,जिसे ज्ञान की प्यास।
जीवन भर पीता रहे, बनता जग में खास।
3-श्री अमर सिंह राय जी,🙏🙏
आपका "तृष्णा रूपी असीम प्यास की सटीक तुलना समुद्र से" करने वाला अर्जनीय दोहा-
प्यास न तृष्णा की बुझे,दिन-दिन बढ़ती जाय।
मन-तृष्णा सागर सदृश,कभी नहीं उफनाय।
4-गोकुल प्रसाद यादव, एक मेरा दोहा-
जिन परखी पुनि तृप्त की,दीन जनों की प्यास।
वही महा-मानव बने, साक्षी है इतिहास।
5-श्री सुभाष सिंघई जी,🙏🙏
आपने "पानी की तुलना श्रेष्ठ संतों से" की है,जो भेदभाव किए बिना ही सबकी ज्ञान की प्यास बुझाते हैं।आपका संग्रहणीय दोहा-
पानी निर्मल संत है, नहीं किसी का दास।
भेदभाव रखता नहीं,सबकी हरता प्यास।
6-श्री बृजभूषण दुबे 'ब्रज' जी,🙏🙏
आपका "अन्नदाता किसान के द्वारा भूख-प्यास सहकर कठिन परिश्रम से सबका पेट भरने तथा इसके बदले जग में नाम होने" का चित्रण करता हुआ निचेय दोहा-
भूख प्यास सहके कृषक,करता रहता काम।
सभी अन्नदाता कहत, रहे जगत में नाम।
7-श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव जी,🙏🙏
आपका प्यास और आस के बीच मानव जीवन के संत्रास का चित्रण करता हुआ अनुपम शिल्पयुक्त संग्राह्य दोहा-
प्यास,आस भी है लिए,आस लिए है प्यास।
प्यास आस के बीच में,जीवन का संत्रास।
8-श्री डाॅ. देवदत्त द्विवेदी जी,🙏🙏
आपके सभी दोहे संग्रहणीय हैं,परन्तु आपका,"तीर्थ यात्रा करने के बाद भी लोभ मोह की पहले से भी अधिक प्यास रखने वाले ढोंगी लालची लोगों को फटकार लगाता" संग्राह्य दोहा-
लोभ मोह मन में लिये, करके तीर्थ प्रवास।
वापस घर को आ गये,और बढा़कर प्यास।
9-श्री प्रमोद मिश्रा जी,🙏🙏
आपके सभी अर्जनीय अनुपम अलंकृत दोहों में से "श्रेष्ठ सात्विक प्रेम का आध्यात्मिक निरूपण"करता अर्जनीय दोहा-
प्यास बुझत नहिं प्रेम की,बुझे दोगुनी होय।
सो 'प्रमोद' संसार में, प्रेम बीज दो बोय।
10-श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष' जी,🙏🙏
आपने,आशाराम राम रहीम आदि संत जो भोले-भाले धर्म-भीरु जन समूह में पुजते रहने के बाद आज जेल की चक्की पीस रहे हैं,का उदाहरण देते हुए ज्वलंत प्रश्न खडा़ करने का सफल प्रयास किया है कि,"क्या रूप राशि रस की प्यास बुझती भी है या नहीं?"आपका आकलनीय दोहा-
रूप राशि रस की कभी,बुझी किसी की प्यास?
आशा राम रहीम का, जग करता उपहास।
11-डाॅ. प्रीति सिंह परमार जी,🙏🙏
आपका "विज्ञान की महत्ता" दर्शाता संग्राह्य दोहा-
ज्ञान-प्यास-विज्ञान की, रोशन करे जहान।
आस भक्त को राम की,दुख का होत निदान।
12-श्री भगवान सिंह लोधी 'अनुरागी' जी,🙏🙏
आपका "विकास के नाम पर प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करने से भविष्य में होने वाली भूख प्यास की असह्य त्रासदी के प्रति चेतावनी" देता संग्रहणीय दोहा-
अनुरागी कलिकाल में,सुनो लगाकर ध्यान।
भूख प्यास से आदमी, बचा न पाहै जान।
13-श्री गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' जी,🙏🙏
आपका "सभी जीवों की प्यास बुझाने वाले पानी की महत्ता प्रतिष्ठित करने वाला" अर्जनीय दोहा"
प्यास लगे हर जीव को,जो जन्मा संसार।
पानी बडा़ अमोल है, यह वेदों का सार।
14-श्री एस आर सरल जी,🙏🙏
आपका "माया रूपी संसार सागर के खारे जल से अपनी प्यास बुझाने की जद्दोजहद में उलझे मानव"का अनुपम चित्रण करता आकलनीय दोहा-
मायावी भव-सिंधु में, सब डूबें उतराँय।
'सरल' राह सूझे नहीं,कैसे प्यास बुझाँय।
15-श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी,🙏🙏
आपका "धन कुबेरों के असंतोष का मार्मिक निरूपण" करता संग्राह्य दोहा-
राना कहता सोचकर,बुझी कहाँ है प्यास।
बैठा दौलत ढेर पर, मानव दिखे उदास।
16-श्री रामगोपाल रैकवार 'कँवल' जी,🙏🙏
आपका "मानव की,भौतिक सुख रूपी प्यास बुझाने की अंधी दौड़ की तुलना मृग मरीचिका से करने वाला"निचेय दोहा-
मरुथल में जल दीखता,जब मृग लगती प्यास।
प्यासे रहते हैं सदा, मृग-तृष्णा के दास।
17-श्री शोभाराम दाँगी जी,🙏🙏
आपका "आत्म संतोष की महत्ता"को प्रतिष्ठित करता आकलनीय दोहा-
मन में गर संतोष है,भूख लगे नहिं प्यास।
जितना अपने पास है, वही लगे है खास।
18-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी,🙏🙏
आपका "आज के भौतिकवादी युग में बढ़ रही अमीर-गरीब की खाई का मार्मिक चित्रण अन्योक्ति (प्यासे को पानी नहीं,पानी वाले को प्यास नहीं)"के माध्यम से करता संग्रहणीय दोहा-
जैसा लिखा नसीब में, आता उसके पास।
प्यासे को पानी नहीं,और किसी को प्यास।
19-श्री रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश' जी,🙏🙏
आपका "जमीन जायजाद हड़पने के लिए सगे भाई के ही खून के प्यासे होते इंसान"का यथार्थ चित्रण करता अर्जनीय दोहा-
मानवता अब मर यही, रिश्ते भरे खटास।
भाई प्यासा खून का,भूमि हड़प की प्यास।
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उपसंहार-मैं ने आप सभी के भावपूर्ण अनुपम अलंकृत दोहों में से मात्र एक-एक चावल का दाना ही परोसा है।देखा जाय तो सभी दोहों में से इससे भी दोगुने अलग-अलग भाव निरूपित किए जा सकते हैं।अर्थात सभी के दोहे विविध रंग दर्शाने वाले सार्थक एवं सारगर्भित हैं।एतदर्थ बहुत ही सुंदर काव्य सृजन के लिए आप सभी को अनंत हार्दिक वधाइयाँ,एवं सभी का सादर वंदन आत्मिक-अभिनंदन।
🌹🌹💐💐🙏🙏🙏🙏
🙏अंत में एक निवेदन🙏🌹कुण्डलिया🌹
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सर्जन हो नित काव्य का,कभी न कम हो प्यास।
समाजोपयोगी लिखें, स्वीकारें अरदास।
स्वीकारें अरदास, ध्यान हो निज गरिमा का।
उन्नत हो शुचि भाल, विश्व में भारत माँ का।
प्यासा बहुत समाज, ज्ञान-जल करके अर्जन।
सतत बुझाँयें प्यास, तभी सार्थक हो सर्जन।
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✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
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344-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-झुनझुना-7-6-2022
दिनाँक 07/05/2022 की संक्षिप्त काव्यमय समीक्षा
सादर प्रेषित है।🙏🙏आल्हा छंद🙏🙏
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मंगलवासरीय दोहों की,
लिखूँ समीक्षा इला मनाय।
झुनझुन करता शब्द झुनझुना,
पाकर सभी लिखा हर्षाय।
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श्री संजय जी कहें झुनझुना,
सस्ता है पर देय हँसाय।
मानव तन भी एक खिलौना,
जब तब टूटे ठोकर खाय।
वोट माँगते जब नेता जी,
कहते देंगे पूरा साथ।
मगर जीतकर पकडा़ देते,
यार झुनझुना सबके हाथ।
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लिखते श्री जयहिन्द सिंह जी,
लालच होती बडी़ बलाय।
एक झुनझुना पाकर मानव,
दूजा पाने को ललचाय।
झुमक झुनझुना झुनझुन बोले,
पलना किलकें नंदकुमार।
मुख मुस्कान बदन चंचलता,
मन मोहनियाँ देते डार।
************
पूज्य द्विवेदी देवदत्त जी,
रचते काव्य सतत उत्कृष्ट।
कत्थ शिल्प लय भाव आपके,
करते हम सबको आकृष्ट।
सत्य झमेले में उलझा है,
खतरे में दिखता ईमान।
लेकर कर में धर्म झुनझुना,
'सरस'खेलता नित इंसान।
************
रचनाकार सुभाष सिंघइ जी,
रचे श्रेष्ठ दोहे दुमदार।
जो पकडा़ते हमें झुनझुना,
उन पर किया करारा वार।
थाम झुनझुना हम खुश रहते,
भूले रहते अपनी पीर।
नेता रक्षक बनकर झूठे,
खाते मेवों वाली खीर।
************
अमर सिंह जी राय बताते,
सरपंची वाला संग्राम।
पर्चे दाखिल हुए तभी से,
मचने लगा विकट कुहराम।
रोजगार का मधुर झुनझुना,
बजता करता खूब कमाल।
वादों की ही बरसातों में,
निकल गये दस पन्द्रह साल।
************
श्री दाँगी जी निज दोहों में,
भर देते हैं मधुरिम भाव।
लिए झुनझुना ललना खेले,
मात पिता मन झलके चाव।
बाँध दिए हैं करधनियाँ में,
चार झुनझुने माँ ने रात।
राजकुँवर खेलें अँगना में,
नाचें ठुमक ठुमक मुस्कात।
************
श्री प्रदीप 'मंजुल' जी रचते,
मंजुल दोहे भाव अनूप।
नेता देकर हमें झुनझुना,
बजवाते अपने अनुरूप।
पर जनता अब समझ चुकी है,
नेताओं के अवगुण खूब।
जालिम नेताओं की अब तो,
नैया खूब रही है डूब।
************
गोकुल यादव ने भी अपना,
प्रकट किया मत मति अनुसार।
निर्देशन पा पहला दोहा,
भेजा कर के पुनः सुधार।
मिलते ही झुनझुना हाथ में,
मतदाता होते संतुष्ट।
सारा माल हजमते नेता,
दिन पर दिन होते हैं पुष्ट।
************
श्री पटेल अनजान रचे हैं,
झुनझुन करते दोहे तीन।
जीवन चकरी बना हुआ है,
रहे झुनझुना में ही लीन।
अध्यापक के हाथ झुनझुना,
शासन ने है दिया थमाय।
नाचत गावन डाक बनावत,
जीवन सारा दिया खपाय।
************
श्री भगवान सिंह अनुरागी,
पूँछ रहे हैं खरा सबाल।
पन्द्रह लाख कहाँ हैं बोलो,
जनता ज्यों की त्यों बेहाल।
हाथ झुनझुना ही आया है,
नेता सारे मालामाल।
एक झुनझुना आरक्षण का,
थोडा़ बजा मिटा तत्काल।
************
श्री एस आर सरल जी कहते,
बैठा दीन लगाये आस।
जुमलेबाजी मची हुई है,
लगता है झुनझुना विकास।
छाछ नहीं मिलता जनता को,
नेता खाते मीठी खीर।
अच्छे दिन का मिला झुनझुना,
बस शौचालय और कुटीर।
************
गजब झुनझुना राना जी के,
पहले में कुर्सी का रोग।
दूजा, चरण चाटकर नेता,
पकडा़ते नहिं समझें लोग।
तीजा लेकर सभी झूमते,
बजा रहे हैं जो दिन रात।
नेता ताक़त सभी झोंकते,
करें तंत्र पर फिर बे चोट।
************
बहिन रेणु जी सरल भाव में,
वरनें मर्यादित संकोच।
पढे़ लिखों के हाथ झुनझुना,
बेरुजगारी रही दबोच।
बनकर नेता जी के चमचे,
फिरते लिये झुनझुना हाथ।
नेता ने मंत्री पद पाया,
चमचे जी हो गये अनाथ।
************
श्री प्रमोद मिश्रा जी रचते,
अनुपम शिल्प अलंकृत छंद।
भक्ति भाव भी खूब झलकता,
झलके श्रृंगारिक आनंद।
झिलमिल झुमके झूम झूम के,
झुमक झुनझुना से मुस्कात।
मधुरिम ध्वनि झुन झुन झुन करती,
झूमत लली चली इठलात।
************
श्री बृजभूषण ब्रज जी वरनें,
बजे झुनझुना दोनों हाथ।
रक्तचाप से बढे़ शिथिलता,
और झुनझुनाहट भी साथ।
नींद झुनझुना बिन नहिं आती,
सुनने को यह जी ललचाय।
बजा बजा कर सतत झुनझुना,
मेरे मन को लिया रिझाय।
************
श्री अंजनी चतुर्वेदी जी,
रचे आध्यात्मिक शुचि छंद।
मानव प्रभु कर रचित झुनझुना,
बजता तप से सुखमय मंद।
बजना बंद उसी दिन होता,
जिस दिन कंकड़ बाहर आय।
मूल्य हीन हो वही झुनझुना,
तुरतहिं माटी में मिल जाय।
************
श्री गुलाब सिंह भाऊ जी ने,
सरपंची पर किया कटाक्ष।
बातों से नहिं बनें बतासा,
सचमुच दिया अनौखा साक्ष।
तरह-तरह के कई झुनझुना,
बजवाते हैं नेता लोग।
भोजन नहीं मिले भूखे को,
उनको मिलते छप्पन भोग।
************
प्रभु दयाल जी छलकाते हैं,
निज रचनाओं में पीयूष।
वादों का झुनझुना बजाकर,
कुछ खुश,ज्यादातर मायूष।
जन गण अति निरीह होता है,
मन की बात समझ नहिं पाय।
पकड़ हाथ में मिला झुनझुना,
खुश हो मंद मंद मुस्काय।
************
बहिन प्रीति सिंह जी ने भेजे,
दो शिक्षा-प्रद दोहे आज।
ज्ञानी बन हक अपना जाने,
सुधरेगा यह तभी समाज।
सरकारी विद्यालय भेजें,
पढ़ने को निज बाल-गुपाल।
निजी लूटते हैं जनता को,
पकडा़ते झुनझुना रसाल।
************
जनक कुमारी सिंह बघेल जी,
रचे सार्थक दोहे पाँच।
बाँट रही सरकार झुनझुना,
आती नहीं साँच पर आँच।
हम भी सबके सब निश्छल हैं,
कर लेते सहर्ष स्वीकार।
रुनझुन ध्वनि सुन रमे हुए हैं,
किये झुनझुना अंगीकार।
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🙏🙏🙏🙏उपसंहार🙏🙏🙏🙏
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होता बहु संवाद परस्पर,
जिससे सबको मिलता लाभ।
हम सब ही हैं एक बराबर,
कोई नहीं यहाँ अमिताभ।
अतः गलतियों के सुधार हित,
देते रहें राय प्रतिराय।
जिससे लेखन भी निखरेगा,
वीणापाणीं करें सहाय।
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जैसा बना रचा यह आल्हा,
मैंने अपनी मति अनुसार।
सबके सुंदर दोहों में से,
किया निरूपित थोडा़ सार।
कथ्य शिल्प लय छंद भाव शुचि,
सबके दोहे अतिशय श्रेष्ठ।
स्वीकारें शत शत वधाइयाँ,
पुनि मुझको दें नेह यथेष्ठ।
👌👌🌹🌹💐💐🙏🙏🙏🙏
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समीक्षक-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
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345-श्री गोकुल यादव-हिंदी दोहा-वट-14-6-2022
चौदह जून वार मंगल को,
मैं था घर से दूर।
जुड़ न सका इसलिए मंच से,
करना माफ हुजूर।
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वट था विषय त्रिदेव रूप जो,
वट का हृदय विशाल।
वैसी ही विशाल अति काया,
फल पत छाँव रसाल।
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नहिं नराक्रमण होता वट पर,
रहता सतत स्वतंत्र।
शाखों पर खगतंत्र फूलता,
छाया में गणतंत्र।
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इसकी छाया में ही ऋषि-मुनि,
रहते अंतर्धान।
इसकी ही छाया में पाया,
ऋषभदेव ने ज्ञान।
************
इसकी शाख जगत में फैली,
बढी़ शाख से शाख।
करें शाख पर ही खग कलरव,
फैलाकर निज पाख।
************
वट ही देता है कानन में,
पशु पक्षी को ठाँव।
गाँव, गाँव सा नहीं लगे है,
जहाँ न वट की छाँव।
************
गूलर पीपल वट,फल-लकडी़,
नहिं नर हित समवेत।
तीनों पेड़ रचे हैं विधि ने,
पशु पक्षी के हेत।
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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
अट्ठारह रचनाकारों ने,
दोहे रचे विशेष।
विविध भाँति वट का वर्णन कर,
किया मंच उन्मेष।
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कवि भगवान सिंह लोधी जी,
अमर सिंह जी राय।
संजय श्रीवास्तव,सुभाष जी,
रहे पटल पर छाय।
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प्रजापती जी,भजन लाल जी,
दाऊ जी जयहिन्द।
कविवर डाॅक्टर देवदत्त जी,
कवि-कुल-सर-अरविन्द।
************
मंच संस्थापक राना जी,
कवि आर बी पटेल।
पूज्य बहिन गीता देवी जी,
दीदी पूज्य बघेल।
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एस आर जी सरल नहीं पर,
'सरल' कहें सब लोग।
बृजभूषण जी दुबे रचें नित,
'बृज' सा योग वियोग।
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कर्वी चित्रकूट वासी श्री,
रामलाल प्राणेश।
कवि प्रमोद मिश्रा जी जो हैं,
संगीतज्ञ स्वरेश।
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दाँगी जी तोपें सीं दागें,
जिनसे बिखरें रंग।
आदरणीय चतुर्वेदी जी,
रचते शुचि सतसंग।
****************************
सुंदर श्रेष्ठ पचासी दोहे,
विविध भाव सम्पन्न।
रचे अनौखे आप सभी ने,
पढ़ मन हुआ प्रसन्न।
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दूँ मैं सतत वधाई सबको,
नमन करूँ शत वार।
काव्य गुलों से गुलशन जैसा,
मंच करें गुलजार।
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वट सा ही समृद्ध मंच हो,
बढे़ जगत में मान।
यही कामना यही भावना,
यही हृदय अरमान।
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अंत में विषय शब्द वट पर दो दोहेः-
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यमुना तट पनघट निकट,
बंशीवट की डाल।
नटवर के नटखट निरख,
गोपी गोप निहाल।
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वट सावित्री पूर्णिमा,
देती शुचि संदेश।
सबला नारी के लिए,
नहिं कुछ भी अंदेश।
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✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
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349-श्री जयहिंंद सिंह 'जयहिंंद'बुंदेली दोहाकुची-11-7-2022
#सोमवारी समीक्षा# बिषय/जरुआ#
#बुन्देली दोहा लेख़न#दि027.06.2022#
आज की समीक्षा कौ बिषय जरुआ सब जनन कौ जानौ बिषय है,जीपै आज सबने लड़ुवन की वर्षा करी।
सबने सरस रस बरसाबे में कोनउ कसर नई छोड़ी।अब हम सबकी साहित्यिक बगिया में घूमरय।तौ लो सबकी रचना की अंतस तक जा रय और आँखों देखौ हाल सुना रय।
#1#श्री भगवान सिंह अनुरागी हटा दमोह......
आपके दोहन में सामाजिक सुन्दरता कौ,आभाष हो रव।सरपंच की चापलूसी, बेटी की पढ़ाई, जरुवन कौ जरवौ,लिखो गव। पैलौ दोहा मजेदार, ग्रामीण किसानी की झलक दिखा दई।भाषा सुन्दर,भाव शिल्प मजेदार, आपका सादर अभि्नंदन।
#2#श्री अमर सिंह राय नौगांव...
आपके दोहन के पैले तीसरे चरण कौ अंत 212 सें रातौ तो और आनंद आउतौ।सबसें साजौ दूसरौ दोहा लगो।भाषा भाव शिल्प शैली सुन्दर।
आपका हार्दिक अभिनंदन।
#3#श्री सुभाष सिंघई जी जतारा......
आपकी भाषा में अपनापन मिलता है।आपकी भाषा की ग्रा्मीण छवि रोचक बन जात,दूसरौ दोहा सबसें साजौ लगौ।आपका हार्दिक अभि्नंदन।
#4#श्री पं. प्रमोद कुमार मिश्रा जी बल्देवगढ.......
आपके सात रंग के इन्द्र धनुष में,भरे दोहा दमदार रंगदार शानदार रय।
पाँचवां ँदोहा भौतई नौनौ लगो।आपकी भाषा सरल सरस,भाव गंभीर ता शिल्प शैली सुन्दर।आपका सादर नमन।
#5#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़........
आपके सब दोहे एक सें बढ़ कें एक,पर दूसृरौ दोहा भौतयी नौनौ लगो।भाषा भाव शिल्प शैली रोचक लगी।आपका हार्दिक अभि्नंदन।
#6#श्रीआशाराम बर्मा नादान पृथ्वी पुर........आपके पाँचों दोहा बेजोड़ लगे चौथे दोहे ने ठाठ बाँद दय।भाषा भाव मनहरन,शिल्प शैली सुन्दर।
आपका सादर अभि्नंदन।
#7#श्री पं. रामानंद पाठक जी नैगुवाँ.........
आपके दोहन में अहाने प्रयोग करे गय ।सभी दोहे भाव भरे भाषा ग्रामीण सरल ,सरस शैलघ शिँल्प मनोहारी है।
कहीं कहीं दोहे के पैलै तीसरे चरण का अंत 212 से करते तो और नौनौ लगतो।आपका सादर बंदन।
#8#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुल जी टीकमगढ़........।
आपके पंचरंगी दोहे सबयी नौनै लगै।चौथौ दोहा शिक्षापृद।आपकी भाषागाँव की परंपराओं की याद ताजा करतीं हैं।भाव गंभीर शैँली शिल्प मनोहारी ।आपका सादर वंदन।
#9#पंं. डा.देवदत्त द्विवेदी जी बड़ा मलहरा.........
आपके सबई दोहा एक पै एक रय।अंतिम दोहा आज के सब दोहन कौ राजा रव जो वृत्यानुप्राश कौ मौर बाँधें दिखानौ।आपने सामाजिक सच्चाई के दर्शन कराय।आपकी भाषा भाव चतुराई लँय रात।शैली शिल्प का गठन मन के अनुकूल।
आपके सादर प्रणाम एवम् चरण वंदन।
#10#श्री अभिनंदन कुमार गोईल जी टीकमगढ़.......
आपके दोहन में जरुवन के सब लक्षणन कौ बरनन करो गव।बरनन में चतुराई की चाल सें अनूठौ वरनन करो।आपकी भाषासरल मनभावनी शैली मनोहारी शिल्प सुन्दर सजाये गय।आपका सादर नमन।
#11#श्री आशाराम वर्मा नादान जी पृथ्वीपुर......
आपके दोहों की काफिया नीति सराहनीय है।आपने भी भाषा में कई सफल प्रयोग करे।जरुआ कौ आलोचनात्मक पक्ष नौनौ लगो।आप का लेखन चतुराई लिये होता है।भाषा भाव शिल्प शैली की रचनख खुद हो जाती है।आपकौ सादर अभिनंदन।
#12#पं.श्री बृजभूषण बृज जू बक्स्वाहा......
आपके दोहे श्रैष्ठ हैं,भाव उत्तम भाषा प्रभावकारी है।दोहौं के प्रथम और तीसरे चरणों में 2 -1-2 के अंत से सुन्दरता में चार चाँद लग जाते।
महारा्ज का सादर वंदन।
#13#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा.......
मैनै अपने दोहों में मुहावरों का प्रयोग किया है सफलता की समीक्षा आप सब जनें करौ।आप सभी का वंदन ंर अभि्नंदन।
#14#श्री मती आशा रिछारिया जी निवाड़ी?.......
आपके दोहे श्रेष्ठ सरल गागर में सागर हैं।आपकी प्रतिभा से मैं चिरकाल से परिचित हूँ।मैनै आपकी कर्म भूमि में काम किया है।आपका स्नेह मुझे सदा मिला।वह स्वभाव से सबकी बहिन हैं।
आपके चरण बंदन।
#15#श्री संजय श्रीवास्तव जी मबई हाल दिल्ली........
आपने अपने दोहों में जरुआ केस्वभाव और उनका आपसी मिलन,और उनकी अंतर्कलह का शानदार चित्रण करो।उनकी आलोचना सटीक करी।आपकी भाषा भाव का चमत्कार आपकी शैली और शिल्प को सुन्दर बनाता है।आपका सादर अभि्नंदन।
#16#श्री चन्द्र प्रकाश शर्मा जी पृथ्वीपुर........
श्री शर्मा जी पृथ्वीपुर की प्रतिभा हैं,मैं उन्हें चिरकाल से जानता हूँ।आप सफल गीतकार हैं।आपने सतयुग,
त्रेता,द्वापर ,कलयुग और आज के जरुआ बखान करे जिनमें क्रमशः
राहु केतु,जयंत,कंश,पठान और आज के जरुवन कौ बरनन करो।उनसें बचबे की सावधानी बताकें भाषा कौ चमत्कार बिखेरौ।शैली उत्तम ,आपको सादर बधाइयां।
#17#श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ जी लखौरा........
आपके दोहा जरुआ की परिभाषा, और गुण दोष बताबे में सफल हैं।भाषा प्रवाह ठीक है।शैली सरल शिल्प और भाव सुन्दर हैं।आपका सादर नमन।
#18#पं श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी.......
आपके दोहों में मुहावरों का सटीक प्रयोग कर अलंकृत किया गया है।
भाषा सरल सहज सटीक भाव सुन्दर,शैली और शिल्प आनंद दायक हैं।आपका सादर वंदन अभि्नंदन।
#19#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी टीकमगढ़.......
आपके दोहों मेंभाषा का प्रभाव मनोहारी और चमत्कार पूर्ण है।
आपने भी कहीं कहीं मुहावरों का सुन्दर प्रयोग कर,दोहों में कमाल की अनुभूति कराई है।भाषा भाव उचित,
शिल्प शैली मनोहारी है।आपका सादर वंदन।
#20#श्री आर.के.प्रजापति साथी जतारा........
आपके दोहों में मुहावरों का प्रयोग चतुराई से किया गया है।जरुआ का सामाजिक कार्य चिन्हित कर उनके
गुणों को प्रस्तुत किया है।भाषा के शब्दों का जमाव मन से किया है।भाषा भाव उचित हैं,शिल्प शैली सुन्दर है।
आपका सादर वंदन।
#21#डा0 रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.........
आपने अपंने दोहौं में जरुआ का सामाजिक और पारिवारिक चित्रण किया है।भाषा भाव सुन्दर शिल्प शैली कलात्मक है।आपका सादर वंदन।
#22#डा. आर.बी. पटैल अनजान छतरपुर........
आपके दोहा क्र.2 मेंटंकण त्रुटि के कारणम को मैं पढ़ने की जरूरत है।
दोहों के भाव सुचारू, भाषा सरल,शैली शिल्प सुन्दर बनें हैं.
आपका हार्दिक अभि्नंदन।
#23#श्री शोभाराम दाँगी नँदनवारा......
आपके दोहे शानदार लिखे गय।जिनमें जरुआ के उत्पात कौ बरनन करो गव।
भाषा और दोहा रचना उत्तम हैं।शैली शिल्प अनौखे भाव सुन्दर बन पड़े हैं।
आपका हार्दिक अभि्नंदन।
उपसंहार........आज कुल 23 सहभागियों ने जरुआ पर अपने उत्तम भाव बिखेरे।सभी ने अपने 2 मानस का सटीक उपयोग कर भाव पटल षर डाले।सभी के भाव सहज सुन्दर उपंयोगी और सार्थक हैं।सभी का हाथ जोड़ पुनः अभि्नंदन।
आपका अपना समीक्षक.....
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
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347-श्री डी.पी.शुक्ला,टीकमगढ़ हिन्दी स्व.-30-6-22
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 💐💐
स्वतंत्र पद्य लेखन
दिन गुरुवार
दिनांक 3۔ 0.06.22
🌷🌷
समीक्षक पं. द्वारिका प्रसाद शुक्ल ،، सरस،، टीकमगढ
🌷🌷
बुंदेलखंड की प्यारी झिरियां !
झिरतीं है दिन रात!!
बुंदेली के पान से,
धरती है मुस्कात !
बुंदेलखंड की प्रेम प्यासी! जा धरा बुंदेली की है शान! बुंदेलखंड के कविवरन ! की है एक निराली पहचान!!
राम राजा की नगरी जहां ! है कंचना घाट!!
वेतवंती सरजू वहै !
दवा किनारे दोउ सपाट!
आज के पटल पर सरस्वती जी के वरद पुत्र मनीषियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से बुंदेली की धरा कौ मान बढ़ाओ है और रचनाओं में गुणवत्ता को लिए सरस मधुर मनोहर छवि के दर्शन कराए हैं प्रेम से ओतप्रोत रचनाकारों को साधुवाद वंदन अभिनंदन सामाजिक रचना ही रचनाकार की लेखनी का प्रमाण होता है जिसे पटल पर उकेरकर परम पवित्र बुंदेली के मान को बढ़ाकर बुंदेलखंड को गौरवान्वित करता यह पटेल प्रशंसनीय है जिसमें सभी कविवरों साहित्यकारों के प्रत्यक्ष दर्शनों का लाभ मिलता है हार्दिक बधाई !
नंबर 1. प्रथम श्री गणेश करने वाले रचनाकार को वंदन अभिनंदन एवं श्री गणेश का सौभाग्य उसे ही प्राप्त होता है जो जागृत है और लक्ष्य के करीब है ऐसे रचनाकार श्री
नम्बर 1- श्री प्रमोद मिश्रा जी ने सत्ता सत्यता के स्वरूप को मन में उतारा है और मां के चरणों का चरण वंदन करके उन्हें ही तीरथ राम क्रष्ण मानकर ब्रह्म के आंचल का आत्म सुख प्राप्त किया है जो सच्चाई का स्वरुप बनकर ममता की छांव में धर्म और संस्कार संस्कृति के लिए मां के उदर से जन्मे राम और श्याम के आत्म दर्शन किए हैं जो मानव के लिए जीवन का संयोग बनकर सतत जीवन का प्रयास संभव है ऐसे श्री मिश्रा जी के द्वारा अपनी रचना में चार चांद लगाए हैं जो जीवन की सत्यता का प्रमाण मैं उन्हें साधुवाद और अलौकिक रचना के लिए वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई देता हूं धन्यवाद!
नंबर दो. नारी शक्ति डॉ प्रीति सिंह परमार के द्वारा रचना वर्षा ऋतु के माध्यम से भाव भरे हैं मौसम ने करवट बदली है और अंगड़ाई लेते हुए पानी की झड़ी लगाकर शीतल हवा के झोंकों से कोयल को बोलने पर मजबूर किया है ऋतुराज के आने की जो खुशियां सोंधी महक के साथ फूलों की झड़ी सुगंधित और प्रसन्न चित्त करने वाली है गर्मी से राहत मिली है जिससे मन और भी कोयल के गानों को सुनने के लिए आतुर है ऐसी कवियत्री आदरणीय परमार जी की रचना रि्तुराज के आगमन पर गहराई को मापने में सफल हुई हैं वास्तविक स्वरूप के दर्शन कराए हैं उत्तम रचना के लिए डॉ प्रीति सिंह परमारजी को सादर हार्दिक बधाई !
नंबर 3۔ श्री एस۔आर ۔،،सरल،، जीने अपनी गजल के माध्यम से दूरियां बनाना नहीं चाहते हम दिल होकर के दिल को दुखाने जैसी कोई बात ना कर रिश्तो को बनाने के लिए जद्दोजहद करती हुई रचना ना भुलाने के लिए बंधनों को रिश्तो में परिवर्तित करते हुए एक होने के लिए भावनाओं में कद्र करते हुए मुश्किल जिंदगी को नफरत की दीवार से दूर कर फूलों से सजाने के लिए रचना में उत्तम भाव भरे हैं ऐसी उत्तम रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई धन्यवाद
नंबर 4 ۔श्री नरेंद्र श्रीवास्तव जीने अपनी रचना देवताओं का बास शीर्षक से आंखों में दया के भाव हाथों में दान देने की शक्ति और जुबान पर मिठास व्यवहार में सोहाद्र और त्याग में मनोबल यही मंदिर और अंतर्मन की आस है देवताओं का होता जहां बास है बहुत ही उत्तम रचना के लिए श्री श्रीवास्तव जी को हार्दिक बधाई धन्यवाद
नंबर 5۔ श्री राजीव राणा लिधौरी जीने अपनी ग़ज़ल दिल की किताब में गुस्ताखी को बारिश की गंदगी मानकर जलती हुई देहिया को जलन में मानवीय आधार खुशबू से रहित गुलाब की पंखुड़ी जीवन रूपी किताब में पढ़कर के तराशा जाता है नेता पुलिस और चोर एक जात होती है जो मानवता के बीच में हड्डी कबाब बन कर चूसते हैं और लोग उसे अपनापन जान करके अपनाते रहते हैं जीवन की चलती धुरी की यही मिसाल है यही जिंदगी और जीवन का हाल है बहुत ही उत्तम गजल के माध्यम से समाज को सीख दी है ऐसे श्री राना लिधोरी जी को साधुवाद हार्दिक धन्यवाद और बधाई
नंबर 6 ۔गणतंत्र जैन ओजस्वी जीने मैं भारत हूं शीर्षक से अपनी रचना में भाव भरे अग्नित घावोंको सहकर मैं अखंड भारत आज खून देकर आफतों से परे रखवाला बनकर हिम्मतवाला बनकर खडा है۔अपनी धरा पर शीश चढ़ाने वाला यह देश भारत मक्कारी की सजा देता आ रहा है अपने आदर्श और सभ्यता संस्कृति की अनोखी मिसाल बन कर विश्व में शिखर ज्योति जलाने में अग्रसर यह अखंड भारत हमारे जीवन की सत्यता का रूप बनकर उभरा है जिसे मैं बार-बार नमन करता हूं ऐसे रचनाकार श्री गणतंत्र जैन ओजस्वी ने अपनी रचना में देश हित राष्ट्र हित में कल्याणकारी रचना करके अपने देश के प्रति जागृति कर समाज हित में रचना की है श्रीजैन साहब धन्यवाद के
पात्र है हार्दिक बधाई
!
नंबर 7۔ श्री अमर सिंह राय जी ने अपने हंसी के दोहेशी्र्षक से भाव भरे हैं हंसना खुशी प्रतीक है छह प्रकार की हंसी प्रस्तुत करके मुस्की इसमें हंसते हुए प्रसन्न मुद्रा बोलते हुए चतुर्थ उपस्थित हंसी स्वास्ति जो मानव के लिए उत्तम और प्रेरणादाई है ऐसी हंसी मानव को जीवन की संगिनी बनकर जीवन जीने सुखद जीवन जीने के लिए मानव को प्रेरणा शो्त बनकर शिक्छाप्रद आवश्यक उत्तम रचना के लिए श्री राय साहब को हार्दिक बधाई सादर धन्यवाद
नंबर 8 श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी ने अपनी रचना मनहरण घनाक्षरी राम रूप में दर्शन करते हुए ऋषि आश्रम में गुरू र्के मान को रखने के लिए हाथ जोड़कर निहारती रही और गुरु जी की वाणी सुनकर अंत में श्री राम जी के आगमन पर अंतर्मन को बुहारती रही राम जी के रूप को भूल गई और नयन बंद करके पुकारती रही है करुणानिधान मेरे मन में समाई ऐसी करती आरती रही बहुत ही मंत्रमुग्ध घनाक्षरी श्री चतुर्वेदी जी ने रचना के माध्यम से प्रस्तुत की है जो मन को भेद देती है ऐसी रचना के लिए साधुवाद के पात्र हैं हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन
नंबर 9 ۔श्री बृज भूषण दुबे ब्रिज के द्वारा अपनी रचना के माध्यम से दोहा प्रस्तुत कर डोली की भव्यता को विदाई स्वरूप निकाला है प्यारी बहना होती आज पराई मात पिता और छोड़ गई भाई ऐसी जुदाई को उकेरा है जो मन को पि्रेरित करती हुई प्रेम के धागे को पिरोती ससुराल जाती बहना और विदाई करते समय हृदय को पीड़ा दायक होता है उत्तम रचना के लिए श्री दुबे जी को हार्दिक बधाई वंदन अभिनंदन सादर धन्यवाद
नंबर 10۔ श्री शोभाराम दांगी जीने अपने गीत के माध्यम से साहित्य साधना ही बड़ा आनंद है और साहित्य सर्जन ही जीवन का रस आनंद है और चिंतन और इतिहास है जो रामायण गीता महाभारत सबके पास है साहित्य सर्जन ही परिवेश है यही हमारा जीवन का उद्देश्य है ईश्वर को पाना जीवन बदलना साहित्य के पन्ने मूल्य स्कंध है साधना जब तक सभ्यता मानव का गाना है जब तक यह रहेगा तब तक ही इस मानव का धरती परठौर ठिकाना है इसलिए हमें अपने मानवीता को नहीं खोना है जिससे अखंड भारत की नींव मजबूत होती है बहुत-बहुत उत्तम रचना के लिए श्री दांगी जी को साधुवाद वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 11 ۔श्री चंद्र प्रकाश शर्मा जी ने अपनी कविता के माध्यम से कहा है कि ऐसी हे प्रभु हमसे कौन सी ऐसी भूल गई है की यह बदरा हमें पानी के लिए तरसा रहे हैं और फूल की तरह मन मुरझा रहे हैं पंखा फेल ऐ ۔सी۔ काम नहीं आ रहे हैं जीव जंतु घबरा रहे हैं मानव जीवन के ऊपर कृपा करके यह ताल तलैया भर दो समय जो मानव को जीवन हर समय सुखी जीवन व्यतीत कर सकें आपने लोकहित और जनहित में जो रचना की है वह मानवीयता को प्रदर्शित करती है ऐसी रचना के लिए श्री शर्मा जी को साधुवाद और हार्दिक बधाई۔
नंबर 12۔ श्री श्री भजन लाल लोदी जीने अपनी रचना के माध्यम से शैर विषयांतर्गत रचना को मूल रूप देकर कहा है कि हे प्राणी तू मानवता में जहर मत घोल अमृत रूपी वाणी से इस दुनिया को सहेज और पानी में जिस तरह से कमल रहकर फूला रहता है उसी तरह से तू भूल कर सभी की जिंदगानी में पानी भरदे जिससे मनुष्य की जिंदगानी सुखी जीवन व्यतीत करने में कोई परेशानी ना हो ऐसी आशा की है जो जनहित एवं कल्याणकारी है जिसके लिए साधुवाद के पात्र हैं वंदन अभिनंदन हार्दिक बधाई
नंबर 12۔ गीता देवी ने अपने गीत के माध्यम से नारी शक्ति के रूप में वर्षा रानी घनाक्षरी रचना के माध्यम से बताया है कि वर्षा रानी आई और ताल तलैया भर गई मन में खुशहाली छाई और प्रसन्नता से बच्चे राहों में छाता लगाकर घूमपक रहे्ष है सुना रहे अपनी तान कृषक रोप रहे हैं धान बुझी धरा की प्यास माटी में उगती घांस इस प्रकार से जिंदगी होती खुशी और जिंदगी को मिलती खुशी की याद बहन गीता देवी के द्वारा अपनी रचना में बोध मई शोध मई और अंतरमन की उत्कृष्ट भावना को उकेरा है इसके लिए साधुवाद की पात्र हैं हार्दिक बधाई
नंबर 14۔ जनक कुमारी सिंह बघेल नारी शक्ति ने पटल पर कदम रख कर अब तो मौसम बदल रहा है शीर्षक से श्रृंगार रस रचना प्रस्तुत की है जिसमें बदलते पावस केम दिनों में मिलन की बेला को साजन और सजनी के बीच सरगम की तान और खिल रहा भंवरों का गान पायलों की रुनझुन आवाजें बाट जोहते मीत सोलह सिंगार करें खड़ी धानी चुनर प्रीति लिए और मन में आल्हादित्त अंतस में बढ़ती हिलोरे दिल की धड़कनों को बढ़ा रही है और झुकी हुई पलकें गिले-शिकवे भूलकर वृष्टि तपस में भूल गई है ऐसी सुंदर सिंगार रचना बहिन बघेल जी ने करके रचना में चार चांद लगाए हैं और सावन की घटा को और गहरा दिया है जिसमें मोर पपीहा अपना गाना सुना कर आमोद प्रमोद भर रहे हैं बहुत ही उत्तम रचना के लिए बहन बघेल जी को साधुवाद और हार्दिक बधाई।
नंबर 15 श्री रामानंद पाठक जी के द्वारा प्राणी मात्र जो मानव मात्र के तन और मन मैं पवित्रता लिए अच्छे मित्र की साधना में समाजी सम्मान और मर्यादा मैं चरित्रता की देन हो ऐसा प्राणी महान बना देता है समाज को गुणवान बना देता है जैसे हमारे संस्कारी आदर्श श्री राम जी कहलाते आए हैं जो चरित्रवान होते हुए इंसान रूप में भगवान बन कर आस्था के दर्शन करा रहे है आस्था के दर्शन करा रहे हैं आदरणीय श्री पाठक जी मुझे खेद है की मेरे द्वारा समीक्षा मैं त्रूटी हुई है जिसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं भविष्य के लिए ध्यान रखूंगा उत्तम रचना के लिए पाठक जी को साधुवाद एवं शिक्षाप्रद एवं आदर्श संस्कारी रचना के लिए हार्दिक बधाई
समीक्षक- डीपी शुक्ला सरस, टीकमगढ़
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348- श्री प्रदीप खरे',टीकमगढ़-गद्य लेखन-8-7-2022
348वीं समीक्षा -गद्य लेखन.. प्रदीप खरे*
दिनांक 408.07.2022
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*1-श्री राजीव नामदेव, राना लिधौरी जी*
कविता को प्रियसी मानकर लिखा गया पत्र रोचक और पठनीय है। पत्र के भाव पक्ष ने आनंदित किया। आपकी लेखनी ने श्रृंगार और विरह के दर्शन बढ़े ही बेहतर तरीके से कराये हैं। बधाई हो
*2-श्री अभिनंदन गोयल जी-*
खंड काव्य निषाद राज और जटायु की समीक्षा की समीक्षा करने का सौभाग्य मिला, गौरवान्वित हूँ। दोनों ही राम भक्तों के प्रसंगों ने भाव विभोर किया है। प्रभु के इस अनुकरणीय और अभिभूत करने वाले चरित्र को समसामयिक मानकर आत्मसात करने की आवश्यकता है। समाज के दबे कुचले और उपेक्षित लोगों की उन्नति और सम्मान की जरूरत है। आपकी समीक्षा का कलात्मक और भावपक्ष सुदृढ़ और आनंदित करने वाला है। धार्मिक और शिक्षाप्रद लेखन के लिए बहुत बहुत बधाइयां।
*3-डाँ प्रीति सिंह परमार जी-*
आपने अपने लेखन में प्रोत्साहन के महत्व को सुंदर तरीक़े से प्रदर्शित किया है। गागर में सागर भरने का प्रयास सराहनीय है। कहानी में अँग्रेजी के स्थान पर हिंदी को महत्व दिया जा सकता था, यह सलाह है। अपनी भाषा और बोली को भी स्थान मिलना चाहिए। प्रोत्साहन किस तरह उन्नति में सहायक है, यह बताने का प्रयास सराहनीय है। आपकी लेखनी को प्रणाम करते हैं। बधाइयां।
***
समीक्षक- *प्रदीप खरे, मंजुल* टीकमगढ़
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349-श्री जयहिंंद सिंह जयहिंंद- दोहा-कुची-11-7-2022
#सोमवारी समीक्षा#दि.11.07.22#
#बुन्देली दोहे लेखन#बिषय/कुची#
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आज कौ शानदार बिषय कुची पै सबयी मनीषियन ने भौतई नौनौ लिखो।भाँत भाँत केबिचार कुची बिषय पर आये पढ़ कें आनंद आ गव।
अब कीनै का लिखो सबकी कुचीं देखवे पै पतौ चलै तो चलौ अलग अलग बरनन पेश कर रय सो आनंद लेव।
#1#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी नन्नी टेरी बुड़ेरा.......
आपने 5 कुचीं दिखाईं,जिनमें ग्रामीण महिला की कुची,तारे की कुची,करम की कुची,अपनी कुची,मास्टर कुची,कौ बरनन करो।पैलो दूसरौ दोहा भौत नौनौ लगो।भाषा भाव साजे,शिल्प और शैली सुन्दर।आपकौ बंदन अभि्नंदन।
#2#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा...
मैनैं 5 कुचियन में मुड़ीछें धरी कुची,कुची बिना चोरी,बदमाशन की कुची,भगवान की कुची,ज्ञान की कुची,कौ बरनन करो।कुची कौ सामाजिक और आध्यात्मिक रूप उजागर करो।बाँकी मूल्याँकन आप सब जनें जानौ।सबखों राम राम।
#3#श्री प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़........
आपकी 5 कुचियन में करम कुची,कान कुची,घर की कुची,तारे की कुची,ज्ञान की कुची कौ बरनन करो।आपने कुची कौ आध्यात्मिक और सामाजिक रूप उजागर करो।भाषा भाव शिल्प शैली सुन्दर लगी।
लाला जी को सादर नमन।
#4#श्री सुभाष सिंघई जी जतारा......
आपकी 5 कुचियन में कुची की बात,करम कुची, प्रेम कुची ,संगठन की कुची,मंत्र कुची कौ बरनन करो।कुची तारे की बातचीत पै सबसें ,
सहज प्रसंग पेश करो गव।आपके ससयी दोहा एक पै एक हैं।भाषा भाव शिल्प शैली टंच है।आपको सादर नमन।
#5#डा.देवदत्त द्विवेदी जी सरस बड़ा मलहरा.......
आपकी कुची 5 नौनी रयीं।ज्ञान की कुची,प्रेम की कुची,जादू की कुची,वोट की कुची,रामनाम की कुचियन कौ वरनन करो गव।सबयी दोहा एक सें बढ़कर एक है।सामाजिक और आध्यात्मिक पक्ष आपने प्रवल करो।
सब दोहा भाव भरे,शैली अनूठे,शिल्प कलात्मक,भाषा रचनात्मक मिली।
आपके सादृ चरण बंदन।
#6#डा.प्रीति सिंह परमार टीकमगढ़.....
आपकी इस चार कुचियन में सेंती कुची,सास की नई कुची,साजन रूपी कुची,और हिरानी कुची कौ बरनन करो गव।कुची कौ आध्यात्मिक, पारिवारिक और यथार्थ चित्रण करो गव।भाषा भाव सहज,शिल्प शैली गठन सरल रव।रसदार रचना हेतु वधाई।सादर वंदन।
#7#पं. रामानंद पाठक जी नंद नैगुवाँ........
आपकी 5 कुचियन में करतार की कुची,मुखिया की कुची,निजी हात की कुची,अक्कल की कुची,टूटे तारे की कुची,कौ बरनन करो गव।आपकी कुची समाज, आध्यात्मिक, रहन सहन की सहजता सें जुरी दिखानी।भाषा भाव सरल,शिल्प शैली मजेदार।आपका सादर वंदन।
#8#श्री पं. बृज भूषण दुबे बृज जू बक्सवाहा........
आपकी 3 कुचियन मेंलुची कुची ,जनता रूपी कुची,पुटयानी कुची,कौ बरनन करो गव।दोहा सरल आध्यात्मिक, और समाज से जोरे भय लगे।भाषा भाव रसदार शिल्प शैलीमजेदार लगी।आपका सादर बंदन।
#9#श्री आशाराम वर्मा नादान पृथ्वीपुर........
आपकी 5 कुचियन में सबई बेजोड़ कुचीं आध्यात्म कौ उजयारौ कर रईं।अंतिम कुची पारिवारिक जान परी।कुचियन कौ शानदार निर्वाह करो गव।
भाषा भाव बेजोड़,शिल्प शैली कौ गठन जोरदार दिखानौ।आपकौ सादर अभिनंदन।
#10#श्री एस.आर. सरल जी टीकमगढ़.......
आपकी 5 कुचियन में कुची तारे की आन,घरवारी कुची,ज्ञान की कुची,और कुची सब कुछ बताई गई।आध्यात्म के संगै पारिवारिक कुची कौ बखूबी बरनन करो गव।भाषा भाव अनूप, शिल्प और शैली रंगदार ।अनुपम रचनायें,सादर नमन।
#11#श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह.......
आपकी 5 कुचियन में कुआ में फेकी कुची,खुटी की कुची,बिटिया जैसी कुची, और कुर्सी की कुची कौ बरनन करो गव।भाषा निर्वाह उत्तम,भाव सटीक, शिल्प शैली रचनात्मक लगी।
आपका सादर बन्दन।
#12# डा. रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल..........
आपकी 4 कुचियन में चारों दोहन के पहले और तीसरे चरण कौ अन्त 212 सें होतो तौ और आनंद आउतो।
आध्यात्मिक कुचियन में दूसरे दोहा में पारिवारिक पक्ष उजागर करो गव।भाषा भाव सुन्दर,शैली शिल्प रचनात्मक लगी।बहिन के सादर चरण बंदन।
#13#श्री सुभाष सिंघई जी जतारा.....
आपकी पाँचों कुचियन में से तीन में कुची तारे कौ मानवीकरण कराके उनकी वार्ता सफल रूप सें करा दयी। बाँकी दो दोहन में आध्यात्मिक दर्शन करा दय गय।भाषा सटीक भाव उत्तम,शिल्प और शैली अभिनंदनीय जान परी।
आपका सादर अभिनंदन।
#14#श्री शोभाराम जी दाँगी नदनवारा........
आपने 7 कुचीं दर्शायीं गयीं जिनमेंकुची को भूलबौ,बिना कुची तारौ न खुलबौ, बांकी दोहन में आध्यात्म के दर्शन भय।कछू सामाजिक चिन्तन भी नजर आव।
दूसरे दोहा में बुन्देली की जगह अंग्रेज़ी शब्द होलसोल उपयोग करो गव।भाषा ठीकठाक, भाव रचनात्मक,शैली और शिल्प अनूठे पाय गय।
आपका सादर अभिनंदन।
#15# श्री पं. अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी निवाड़ी.......
आपकी 5 कुचीं देखबे मिलीं जिनमें पहली और अंतिम धार्मिक आध्यात्म कौ इशारौ करत।बाँकी यथार्थ बादी सामाजिक घटनाओं पै आश्रित रईं।भाषा जोरदार, भाव मजेदार, शिल्पकला सराहनीय और शैली खूबसूरत पाई।
आपकौ सादर वंदन और अभिनंदन।
#16#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवई हाल दिल्ली......
आपकी 5 कुचियन में मन की कुची,मजदूर की कुची,कमर कसी कुची,कुची हिराबौ,और मेहनत की कुची कौ बरनन करो।आपके दोहा आध्यात्म सें सरवोर,यथार्थ वाद लिये है।भाषा सरल भाव आध्यात्मिक, शैली रफ्तार भरी,शिल्प सराहनीय हैं।संजय भैया को सादर साधुवाद।
#17# श्री राजीव नामदेवजी राना लिधौरी टीकमगढ़......
आपकी कुचियन के दो नमूने जिनमें तारे कुची की प्रेम की चर्चा चली।दोहा सटीक, भाव उजागर करे गय।शैली रचनात्मक, शिल्प सुन्दर रय।
आपका सादर मंगलमय अभिनंदन।
#18#श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष टीकमगढ़.............
आपकी 5 कुचियन में जिनमेंसामाजिक भाव आध्यात्म, यथार्थता सरलताऔर सहजता देखबे मिली।दोहन की रचना शानदार, भाव गहरे शैली मजेदार, शिल्प दर्शनीय भाषा चमत्कार अनुकरण योग्य हैं।आप दोहा औ चौकड़ियों ं के कारीगर माने जात हैं।आपका सादर बन्दन।
#19# पं.श्री प्रमोद कुमार मिश्रा जी बल्देवगढ़........
आपने 7 कुचीं परोसी जिनमेंकुची कुचरन,तारे में घुसी कुची, विन कुची तारे का न खुलना,पुरानी कु्ची,लुकाई कुची,ऐंठी कुची,और तारे टूटबे कौ बरनन करो गव।आपने यथार्थ बादी कुची तारे कौ बरनन कर आध्यात्म को निखारा है।कहीं कहीं यथार्थवादी प्रयोगों की झाँकी मिलती है।भाषा भाव उम्दा,शैली दमदार।आफको सादर नमन।
#20# उपसंहार..।।।।
आज हमारे बीच 19 मनीषियन की रचनायैं झूमकें धूम मचाउत रय।कुची बिषय पै अपनों अपनौ सफल दृष्टिकोण सबने दव भौत सी नवीन सामग्री कौ सृजन भव सबई खों खूब आनंद की अनुभूति भई।
चलते 2 एक बार सभी आदरणीयों का सादर बंदन और राम राम।।
आपकौ अपनौ समीक्षक...।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596;#
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350-श्री गोकुल यादव-बुंदेली पद्य स्वतंत्र-20-7-2022
आज बुन्देली स्वतंत्र लेखन दिवस को भले ही मंच पर कम रचनाकार उपस्थित दिखे हों,परन्तु जितनी भी रचनाएँ प्रेषित कीं गयीं,उन्हीं ने मंच को खूबसूरत बना दिया है।आदरणीय सभी रचनाकार विशेष वधाई के अधिकारी हैं।यथा-
1-श्री प्रमोद मिश्रा जी की बेहतरीन कुण्डलिया,
"तींती छिटिया में परे,पटका ओढे़ं श्याम।"जय हो!
2-श्री रामानंद पाठक नंद जी की सामयिक चौकडि़या-
"आसों लै गइ साल करोंटा,दाँत हो गये गोंठा।"
3-श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी की दो यथार्थ चौकडि़याँ-जिसमें दूसरी तो हम बुजुर्गों के सम्मान में ही है😀😀
"अँगना लोटन लगीं चिरैंयाँ,कोयल दुकी चिमानी"
"नंबर बड़न लगो चश्मा कौ,ऊँचौ परत सुनाई।"
4-श्री सुभाष सिंघई जी कीं बुन्देलखण्ड की महिमा दर्शातीं दो अनुपम कुण्डलियाँ-
"बुन्देली हैं हम बसइ,राजा हैं श्री राम।"एवं
"बिटियन के हर ब्याह में,आतइ हैं हरदौल।"
5-श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी की अद्भुत मेघदूत चौकडि़या-
"बदरा देश बलम के जइयौ,हाल हमाव सुनइयौ"
6-श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज जी कीं शिवजी एवं हनुमान जी की महिमामय दो चौकडि़याँ-
"जय हो महादेव अविनाशी,जय जय जय कैलाशी।"
"पोंचे हनूमान बल बंका,समुद लाँग कें लंका।"
7-श्री आशाराम नादान जी की लाजबाब चौकडि़या-
"कयँ 'नादान'प्रेम बस त्यागी,दुर्योधन की थारी"
8-श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी कीं दो+एक=तीन बेहतरीन कुण्डलियाँ-
"रिश्वत कौ धन खाव,फूल कें हो गय कुप्पा"
"पुल पै कभउँ न आँय,कहै रो रो कें भैया"एवं
"बरिया की चूडै़ल,धरी बा पक्की नटनी"जय हो!
9श्री अमर सिंह जी राय कीं दो अनुपम चौकडि़याँ-
"ईसुर गिरै झोर कें पानी,मिट जाबै हैरानी।"
"कामचोर गर्रा बैला सें,मान जात सब हारी"
10-श्री राना लिधौरी जी द्वारा प्रेषित "गुरु महिमा काव्य संकलन ई-बुक"सहित सभी रचनाएँ पढ़कर मन प्रमुदित हो गया है।सभी आदरणीय रचनाकार साथियों को बेहतरीन काव्य सृजन के लिए हार्दिक वधाई एवं वंदन अभिनंदन।
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समीक्षक--
आपका साथी-
गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
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*जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
©कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
प्रकाशन- प्रथम संस्करण- दिनांक 19-8-2020
12 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा प्रयास ।
साधू वाद ।
Nice work
धन्यवाद श्री पाठक जी
धन्यवाद श्री पाठक जी आभार
धन्यवाद श्री पाठक जी आभार
Thanks pathak ji
बढ़िया प्रभावी टिप्पडी
बहुत अच्छा प्रयास रहा आगे बढ़ने का 👌👌👌💐💐💐💐💐👍
उत्तम सराहनीय कार्य साथ ही बुंदेली भाषा के विलुप्त होते शब्दों को संजोए रखने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद
आकांक्षा पत्रिका टीकमगढ़ के सम्पादक श्री राना जू द्वारा हिंदी बुंदेली में सृजित रचनाएं ई पत्रिका में प्रकाशित की जा रही हैं जो बड़ा ही पुनीत कार्य है। तथा हिंदी बुंदेली की पारंपरिक विधाएं लुप्त हो रहे हैं जिसे सजाने संवारने का अनुपम कार्य किया जा रहा है आप धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह मप्र।
आदरणीय श्री गोकुल प्रसाद यादव जी आपके द्वारा सुंदर शब्दों से सुसज्जित की गई समीक्षा सराहनीय एवं अति शोभायमान लगी । आपको हार्दिक शुभकामनाओं सहित बहुत-बहुत साधुवाद ।
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