राजीव नामदेव "राना लिधौरी" हास्य, व्यंग्यकार, ग़ज़लकार,हाइकुकार, लेखक संपादक "आकांक्षा" पत्रिका अध्यक्ष -मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ अध्यक्ष- वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ पूर्व मंत्री- अ.भा.बुंदेलखंड़ साहित्य एवं संस्कृति परिषद टीकमगढ़ डायरेक्टर "आकांक्षा" पब्लिक स्कूल टीकमगढ़ तीन राज्यपालों द्वारा सम्मानित, शताधिक सम्मान प्राप्त। 6पुस्तकें प्रकाशित,13का, 300कवि सम्मेलन में भागीदारी पता- नई चर्च के पीछे शिवनगर कालोनी टीकमगढ़ (मप्र )भारत मोबाइल +91- 9893520965 Email ranalidhori@gmail.com
Rajeev Namdeo Rana lidhorI
बुधवार, 30 सितंबर 2020
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर विशेष
शब्द चित्र कविता-
जीवनपथ पर,
अमिट छाप सी लगती है।
अनुभव की रेखाएं,
माथे पर दिखती।
दाढ़ी और बत्तीसी भी तो,
अब हिलती सी दिखती है।
दया, ममता, करूणा
और त्याग के सागर में,
वे हिलोर सी लगतीं हैं।
देखा सब कुछ इन आंखों ने
अब थकन सी लगती है।
मुझे तो ये माता मरियम,
मदर टेरेसा लगती है।।
@©-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र) मोबाइल-9893520965
इंटरव्यू बुंदेली झलक मुंबई
#बुंदेली_झलक #मुंबई द्वारा लिया गया मेरा #इंटरव्यू आप भी सुनें
#आभार श्री जी एस #रंजन जी (मुंबई)
कृपया नीचे दी गयी नीले रंग लिंक क्लिक करें और सुने
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मंगलवार, 22 सितंबर 2020
भूमिका- राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
मेरी लिखी भूमिकाएं एवं समीक्षाएं-
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
"बाल गंगा" (बाल कविता संग्रह)
कवि- भारत विजय बगेरिया, टीकमगढ़
प्रकाशन बर्ष-2008-9 मूल्य- 100पेज-
पुस्तक नाम- "भक्ति सागर" (गीत संग्रह)
कवि-सीताराम राय सरल, टीकमगढ़
बर्ष-2017 मूल्य-150रु. पेज-
पुस्तक का नाम-"शगुफ्ता चमन" (ग़ज़ल संग्रह)
ग़ज़लगो- हाजी ज़फ़रउल्ला खां 'ज़फ़र', टीकमगढ़
सन्- मूल्य-150रु. पेज-
पुस्तक का नाम-"तमन्ना" (ग़ज़ल संग्रह)
ग़ज़लगो- हाजी ज़फ़रउल्ला खां 'ज़फ़र', टीकमगढ़
सन्- 2017 मूल्य-151रु. पेज-
पुस्तक का नाम-"आपके शहर में" (कहानी संग्रह)
लेखक- यदुकुल नंदन खरे , बल्देवगढ़
पुस्तक का नाम-"रांग प्वाइंट" (उपन्यास संग्रह)
लेखक- यदुकुल नंदन खरे , बल्देवगढ़
प्रकाशन बर्ष-2019 मूल्य-
पुस्तक का नाम-"दि प्रिजन आफ नेचर" (उपन्यास संग्रह)
लेखक- यदुकुल नंदन खरे , बल्देवगढ़
प्रकाशन बर्ष-2019 मूल्य-
-पोथी-समीक्षा-पोथी- विनिबंध वीथिका
पोथी-समीक्षा-पोथी- विनिबंध वीथिका
लेखक- कपिल देव तैलंग (टीकमगढ़)
प्रकाशन- इंद्रा पब्लिशिंग हाउस, भोपाल
पेज--लगभग-112 मूल्य-150/-रु.
प्रकाशन बर्ष सन्-2019
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
राजगुरु रय पं.कपिलदेव जी तैलंग कौ विगत दिनों निधन हो गव, वे 93बर्ष के हते, हमें उनकौ आशीष हमेशा मिलत रऔ, मप्र लेखक संघ की कवि गोष्ठियों में उनकौ अध्यक्षीय उद्बोधन यादगार एवं अनुकरणीय रत तो ।
हमाई *आकांक्षा* पत्रिका के 2007 अंक में उनकी भगवान कुण्डेश्वर पै लिखी भयी संस्कृत में रचना प्रकाशित है।
ऐसी दिव्य विभूति के चरनन में शत् शत् नमन करत है।
मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ एवं जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ पं. तैलंग जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करत है।
उनकी लिखी एक पुस्तक की संक्षिप्त में समीक्षा लिख रऔ हूं।
*विनिबंध वीथिका* पोथी में 112 पन्नन में 21हिंदी में,2संस्कृत में एवं 1संगीत नाटिका प्रकाशित है। अपनी बुंदेली बानी भाग में उनके दो निबंध 1-बुंदेली भाषा का लालित्य अरु शब्द संपदा एवं 2 बुंदेली संस्कृति के विविध आयाम भौत महत्वपूर्ण निबंध है।
*भाषा वैशिष्ट्य* में उनके 5निबंध हिंदी भाषा पै केंद्रित है इमें उन्ने हिंदी उच्चारण एवं लेखन संबंधी विसंगतियों पै नौनो प्रकाश डारौ है।
*कवि प्रणति* भाग में 7निबंध है जीमें निराला जी,जगनिक, छत्रसाल और बिहारी जी पै केंद्रित उपयोगी विचार लिखे है।
*अपनो गांव अपनी बातें* - भाग में 3निबंध है जो कै ओरछा और टीकमगढ़ पै केंद्रित लिखे भये है।
दो हास्य व्यंग्य भी ई पोथी में दय है। *फिसलना एक अदद जुबा का और अथ श्री हेलमेट कथा* दोइ भौत नोने रचे है।
*संस्कृत वल्लरी* भाग में दो निबंध है जीमें पैले में संस्कृत भाषा कौ चमत्कार बताये है अरु दूसरे में बुंदेली लोकगीतन को संस्कृतानुवाल है।
अंत में वृक्षारोपण पै एक *संगीत नाटिका* दयी गयी है।
ई तरां सें ई पोथी में हिंदी, बुंदेली अरु संस्कृत तीनों में लिखे भये निबंध पढ़वे कौ आनंद मिलत है।
भौत नोनी पोथी है।
समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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पुस्तक का नाम-"करम अभागा" (उपन्यास संग्रह)
लेखक- यदुकुल नंदन खरे , बल्देवगढ़ जी
प्रकाशन बर्ष-2020 मूल्य-
हिंदी दोहे राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
*हिंदी दोहे बिषय-अहंकार*
1
जिसने भी छोड़ा नहीं,
अहंकार का भाव।
उसके जीवन में सदा,
रहता है दुर्भाव।।
2
लोभ क्रोध, अरु मोह भी,
अहंकार के साथ।
यदि इनको छोड़ा नहीं,
क्षोभ रहेगा हाथ।।
3
अहंकार ने खा लिया,
राक्षस रावण राज।
अपना करके नम्रता,
मिला बिभीषण ताज।।
*****
दिनांक- 22-9-2020
*@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
सोमवार, 21 सितंबर 2020
बुंदेली दोहा-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
जुंदैया बुंदेली दोहा संग्रह
दोहाकार- राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
पता-नई चर्च के पीछे,शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ (मप्र)
मोबाइल- 9893520965
Email- ranalidhori@gmail.com
प्रकाशन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्रकाशन- 22-6-2020
कवि परिचय
नाम :-राजीव नामदेव ‘‘राना लिधौरी’’
जन्म :-15.06.1972 (लिधौरा)
माता-पिताः- श्रीमती मिथलेश,श्री सी.एल.नामदेव
पत्नी एवं संतानः- श्रीमती रजनी नामदेव ।
कु.आकांक्षा एवं कु. अनुश्रुति
शिक्षा :-बी.एस.सी.(कृषि),एम.ए.(हिन्दी),पी.जी.डी.सी.ए.(कम्प्यूटर)
विधा :-कविता,ग़ज़ल,हायकू ,व्यंग्य, क्षणिका,लघुकथा,कहानी एंवं आलेख आदि।
प्रकाशन:- 1.अर्चना (कविता संग्रह,1997) 2.रजनीगंधा (हायकू संग्रह 2008)
3-नौनी लगे बुदेली’ (विश्व में बुंदेली का पहला हाइकु संग्रह, 2010)
4.राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह 2015द्ध 5.लुक लुक की बीमारी’(बुंदेली व्यंग्य संग्रह 2017
6 सहित्यिक वट वृक्ष’ (ई बुक) (गद्य व्यंग्य संग्रह 2018
7.‘सृजन’(संपादन) 8.आकांक्षा पत्रिका (संपादन 2002 से अब तक)9.‘संगम’ (संपादन) 10.अनुरोध (संपादन)
11.‘नागफनी का शहर (व्यग्ंय संकलन) 12.‘दीपमाला’(उपसंपादन) 13. जज़्बात(उपसंपादन)
14 ‘श्रोता सुमन’ (उपसंपादन)
15 पं. दुर्गाप्रसाद शर्मा अभिनंदन ग्रंथ (सह संपादन-2016)
एवं राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में लगभग दो़ हज़ार रचनाओं का प्रकाशन, कवि-सम्मेलनों एवं मुशायरों में शिर्कत।
अप्रकाशित:- ग्यारह अप्रकाशित संग्रह
संपादक:- ‘आंकाक्षा’ पत्रिका (सन् 2006 से आज तक)
प्रसारण :-ई टी.व्ही.,दूरदर्शन,सहारा म.प्र.,आकाशवाणी छतरपुर,केन्द्र से प्रसारण।
सम्मान :-18 प्रदेशों से 107 साहित्यिक सम्मान प्राप्त। म.प्र. एवं उ.प्र. केे महामहिम तीन राज्यपालों द्वारा सम्मानित।
विशेष :-अब तक 265 साहित्यिक गोष्ठियों/कवि सम्मेलनों का सफल संयोजन/आयोजन।
78 देशों के ब्लाग पाठक
संप्रति :- संपादक- ‘आकांक्षा’ पत्रिका, जिला अध्यक्ष:- म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़ (सन् 2002 से आज तक)
जिला अध्यक्ष:- वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
पूर्व महामंत्री : - अ.भा.बुन्देलखण्ड साहित्य एवं सस्ंकृति परिषद, टीकमगढ़
पता :-नई चर्च के पीछे,शिवनगर कालौनी,कुंवरपुरा रोड,टीकमगढ़ (म.प्र.)पिनः472001
मोेबाइल :- 09893520965
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बुंदेली दोहे- "फ़ूल"
1
बगिया तो महके सदा,
जौ फ़ूलन कौ काम।
मधुप प्रेम करत ऊये,
होत काय बदनाम।।
2
फूल और कांटे सदा,
रय रूख के पास।
फूल फूल सबनें चुने,
कांटे रये उदास।।
----
बिषय -बदरा
3
कारे बदरा छा गये,
बरसा कौ अनुमान।
खूब झमाझम बरसियो,
हो रय खुशी किसान।।
***
4
*बिषय -नीम*
द्वारे की सोभा बड़ी,
हिलें नीम की डार।
दातुन, हवा, दवा मिलै,
झूले झूला नार।।
***
5
बग़ैर लाकडाउन के,
पोजीटिव थे चार।
अब मिलते हैं रोज ही,
सत्रह-चौबिस यार।।
***
आज का बिषय-पंछी
पंछी आकें डार पै,
खाबें गदरा आम।
मिट्ठू बैठे पौर में,
बोलें सीताराम ।।
6
पंछी चहके आंगना,
द्वारे गाय रमाय।
किलकोटी बारे करें,,
वो घर स्वर्ग कहाय।।
###
बिषय - किसान
7
सबखों खाबे देत है,
खुद भूकौ रै जात।
करजा में डूबो सदा,
माल दूसरे खात।।
8
हाड तोड मेनत करै,
तबइ उपज मिल पाय।
करजा कर कारज करे,
बोज तरे दब जाय।।
-9
कारोना की मार है,
सूका सें हैरान।
बैठे हांतन-हांत धर,
का करिए भगवान।।
10
बीज बोय ते मेन्त सें,
कर बरखा की आस।
पानी तौ बरसौ नईं,
होत किसान निराश।।
11
टप-टप अंसुवा गिरत है,
कैसो है जो साल।
साउन सूकौ कड़ गऔ,
है किसान निराश।।
*बिषय- मोर
12
जौ राष्ट्रीय प्रतीक है,
सबकौ प्यारौ मोर।
नचत फिरत है डांग में,
मेह देख घनघोर।।
--13
एक दिया द्वारे धरे,
तब उजियारा होय।
मन में दीप जलाइये,
तन उजला फिर होय।।
-14
बिषय- परिवार
काम सबइ नौने करौ,
सुखी रयै परिवार।
आपुस में हंस बोल लो,
छाबै खुसी अपार।।
15
जै बुन्देली पटल है,
इक सांचौ परवार।
नित्य नियम सें है इतै,
लगबै कवि दरबार।।
* बिषय- श्याम*
16
माधव,कान्हा, श्याम जू,
नटवर नंद किशोर।
राधा के दिल में बसे,
मुरलीधर चितचोर।।
17
जमुना तट पै है रची,
गोप-गोपिका रास।
सुद-बुद अपनी बिसर कें,
श्माम मिलन की आस।।
-
*दोहा बिषय- गनेस जू*
18
पैला पूजा होत है,
जै गनेस माराज।
कष्ट हरत सुख देत हो,
पूरन होवे काज।।
19
लडुवा भाउत है तुमै,
दूबा से खुस होत।
खूब सजौ दरवार है,
जगमग हो रइ जोत ।।
20
खूब जतन करकै थके,
श्री गनेस सें आस।
कोरोना पाछें परो,
कर दौ ई कौ नास।।
*दोहा बिषय- छमा*
21
छमा मांगवे से कभी,
घटत नई सम्मान।
जो जन करवे है छमा,
बेई बनत महान।।
22
छमा लराई रोकती,
गम्म खाय है सार।
विपटा टरत है सभी,
बाकी सब बेकार।।
*बिषय- करम*
*23*
करम करो ऐसे करौ
बन जाबे प्रमान।
यश कीरत अरु धन बढै,
ऐन मिलै सनमान।।
*24*
पुन्न करम हरदम करौ,
जीसें, सब सुग पाय।
सरग नसैनी फिर मिलै,
जीव मुक्त हो जाय।।
बिषय- बलिदान*
*25*
वीरन के बलिदान कौ,
काँ लौं करें बखान।
उनके सत्करमन बनी,
भारत की पैचान।।
*26*
करज चुका कें भूम कौ,
बन गय वीर महान।
कोटिन उनै प्रनाम है,
धन्य धन्य बलिदान।।
बिषय- पुरखन*
*27*
पुरखन के आशीष से,
वंश बेल बढ़ जात।
रहते हम सुख चैंन से,
दुःख विपदा टर जात।।
*28
पितृपक्ष में श्राद्ध करे,
रखते है कागौर।
धरम पुन्न करकै उने,
जल ढारत है भोर।।
बिषय- सिस्य*
*29*
सिस बेइ नोने लगे,
रखत गुरु कौ ध्यान।
तन मन से सेवा करें,
जे धरती भगवान।।
*30*
सिस्य बनो ऐसे बनो,
गुरु कौ बढ़े मान।
उनके ही आशीष सें,
बनती है पैचान।।
बिषय- जिनगानी*
*31*
जिनगानी ऐसे जियो,
बन जाए इतिहास।
यश कीरत अरु धन बढ़े,
कभऊ न रय उदास।।
*32*
जिनगानी है मोम सी,
गल कें रोज नसात।
करम लेख जो पास है,
वे नईं मेटे जात।।
दोहा बिषय- जुंदैया*
*33*
चकवा-चकवी चांद खों,,
तकें जुन्दैया रात।
चंदा लै कें आ गऔ,
तारन की बारात।।
*34*
रात दमकती हीर सी,
होत जुंदैया रात।
गैलारे भटके नईं,
अपने घर खों जात।।
*बुंदेली दोहा बिषय-धरती*
*35*
धरती में बढ़ने लगौ,
ऐनई अत्याचार।
जनी मांस हैरान है,
अब लो प्रभु अवतार।।
*36*
ईसुर ने भी कर दऔ,
धरती में बदलाव।
करनी कौ फल भोगिए,
काय आत है ताव।।
*बिषय- आगी, अग्नि*
*37*
प्रेम अगन न बुझाइयो,
रखियो हिरदय पास।
पूरन हुइयै काऊ दिन,
पीय मिलन की आस।।
*38*
प्रेम अगन को जोत में,
यूं न दिल तुम जलाव।
दोई तरफ समान हो,
तभइ चैंन तुम पाव।।
*39*
प्रेम हृदय प्रतिबिंब है,
मन के भाव जगाय।
आग लगी है भीतरे,
कैसै जे बुझ पाय।।
****
18
बग़ैर लाकडाउन के,
पोजीटिव थे चार।
अब मिलते हैं रोज ही,
सत्रह-चौबिस यार।।
***19
आज का बिषय-पंछी
पंछी आकें डार पै,
खाबें गदरा आम।
मिट्ठू बैठे पौर में,
बोलें सीताराम ।।
20
पंछी चहके आंगना,
द्वारे गाय रमाय।
किलकोटी बारे करें,,
वो घर स्वर्ग कहाय।।
###
21
बिषय - किसान
सबखों खाबे देत है,
खुद भूकौ रै जात।
करजा में डूबो सदा,
माल दूसरे खात।।
22
हाड तोड मेनत करै,
तबइ उपज मिल पाय।
करजा कर कारज करे,
बोज तरे दब जाय।।
23
-
कारोना की मार है,
सूका सें हैरान।
बैठे हांतन-हांत धर,
का करिए भगवान।।
24
बीज बोय ते मेन्त सें,
कर बरखा की आस।
पानी तौ बरसौ नईं,
होत किसान निराश।।
25
टप-टप अंसुवा गिरत है,
कैसो है जो साल।
साउन सूकौ कड़ गऔ,
है किसान निराश।।
*************
26
दोहा बिषय- मोर
जौ राष्ट्रीय प्रतीक है,
सबकौ प्यारौ मोर।
नचत फिरत है डांग में,
मेह देख घनघोर।।
--27-7-2020
27
*दोहा बिषय- उजियारा*
एक दिया द्वारे धरे,
तब उजियारा होय।
मन में दीप जलाइये,
तन उजला फिर होय।।
--28-7-2020
28
आज कौ बिषय- परिवार
काम सबइ नौने करौ,
सुखी रयै परिवार।
आपुस में हंस बोल लो,
छाबै खुसी अपार।।
29
जै बुन्देली पटल है,
इक सांचौ परवार।
नित्य नियम सें है इतै,
लगबै कवि दरबार।।
20-8-2020
-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़
30
*दोहा बिषय- श्याम*
माधव,कान्हा, श्याम जू,
नटवर नंद किशोर।
राधा के दिल में बसे,
मुरलीधर चितचोर।।
31
जमुना तट पै है रची,
गोप-गोपिका रास।
सुद-बुद अपनी बिसर कें,
श्माम मिलन की आस।।
--11-8-2020
32
*दोहा बिषय- गनेस जू*
पैला पूजा होत है,
जै गनेस माराज।
कष्ट हरत सुख देत हो,
पूरन होवे काज।।
33
लडुवा भाउत है तुमै,
दूबा से खुस होत।
खूब सजौ दरवार है,
जगमग हो रइ जोत ।।
34
खूब जतन करकै थके,
श्री गनेस सें आस।
कोरोना पाछें परो,
कर दौ ई कौ नास।।
दिनांक-18-8-2020
*दोहा बिषय- छमा*
35
छमा मांगवे से कभी,
घटत नई सम्मान।
जो जन करवे है छमा,
बेई बनत महान।।
36
छमा लराई रोकती,
गम्म खाय है सार।
विपटा टरत है सभी,
बाकी सब बेकार।।
दिनांक-24-8-2020
*दोहा बिषय- करम*
*37
करम करो ऐसे करौ
बन जाबे प्रमान।
यश कीरत अरु धन बढै,
ऐन मिलै सनमान।।
*38*
पुन्न करम हरदम करौ,
जीसें, सब सुग पाय।
सरग नसैनी फिर मिलै,
जीव मुक्त हो जाय।।
दिनांक-25-8-2020
दोहा बिषय- बलिदान*
*39*
वीरन के बलिदान कौ,
काँ लौं करें बखान।
उनके सत्करमन बनी,
भारत की पैचान।।
*40
करज चुका कें भूम कौ,
बन गय वीर महान।
कोटिन उनै प्रनाम है,
धन्य धन्य बलिदान।।
दिनांक-31-8-2020
दोहा बिषय- पुरखन*
*41*
पुरखन के आशीष से,
वंश बेल बढ़ जात।
रहते हम सुख चैंन से,
दुःख विपदा टर जात।।
*42*
पितृपक्ष में श्राद्ध करे,
रखते है कागौर।
धरम पुन्न करकै उने,
जल ढारत है भोर।।
दिनांक-1-9-2020
दोहा बिषय- सिस्य*
*43*
सिस बेइ नोने लगे,
रखत गुरु कौ ध्यान।
तन मन से सेवा करें,
जे धरती भगवान।।
*44
सिस्य बनो ऐसे बनो,
गुरु कौ बढ़े मान।
उनके ही आशीष सें,
बनती है पैचान।।
दोहा बिषय- जिनगानी*
*45*
जिनगानी ऐसे जियो,
बन जाए इतिहास।
यश कीरत अरु धन बढ़े,
कभऊ न रय उदास।।
*46
जिनगानी है मोम सी,
गल कें रोज नसात।
करम लेख जो पास है,
वे नईं मेटे जात।।
*दिनांक-15-9-2020
दोहा बिषय- जुंदैया*
*47
चकवा-चकवी चांद खों,,
तकें जुन्दैया रात।
चंदा लै कें आ गऔ,
तारन की बारात।।
*48*
रात दमकती हीर सी,
होत जुंदैया रात।
गैलारे भटके नईं,
अपने घर खों जात।।
*दिनांक-21-9-2020
दोहा बिषय- सरद रितु*
*49*
सरद रितु के आतइनंइ
छाउन लगौ खुमार।
पटरे कमरा लोइ सें,
होन लगौ है प्यार।।
*50*
हौन लगौ दिन दूबरौ,
मुटा गई है रात।
पानी अब काटन लगो,
सीतल रितु है आत।।
*दिनांक-28-9-2020
दोहा बिषय- धरती*
*51*
धरती में बढ़ने लगौ,
ऐनई अत्याचार।
जनी मांस हैरान है,
अब लो प्रभु अवतार।।
*52*
ईसुर ने भी कर दऔ,
धरती में बदलाव।
करनी कौ फल भोगिए,
काय आत है ताव।।
*दिनांक-5-10-2020
*बिषय- आगी, अग्नि*
*53*
प्रेम अगन न बुझाइयो,
रखियो हिरदय पास।
पूरन हुइयै काऊ दिन,
पीय मिलन की आस।।
*54*
प्रेम अगन को जोत में,
यूं न दिल तुम जलाव।
दोई तरफ समान हो,
तभइ चैंन तुम पाव।।
55
प्रेम हृदय प्रतिबिंब है,
मन के भाव जगाय।
आग लगी है भीतरे,
कैसै जे बुझ पाय।।
*दिनांक-12-10-2020
*56 नवराते*
नवराते में कर रये,
पूजा है दिन-रात।
उपास रय सारे दिना,
गरबा खेले रात।।
*बिषय- दसरय*
57
दसरय कि जै राम जी,
बब्बन खौं सम्मान।
मातन खौं परनाम है।।
सखा खौं चले पान।
58
दसरय आज मनाइये,
मन कौ रावन मार।
तन कै बारे का हुऐ,
भीतर नइ बैठार।।
दिनांक 26-10-2020
बिषय-डांग
59
डांग हमाय होत है,
जीवै कौ आधार।
इनसें ही सिंगार है,
धरती मां कौ प्यार।।
60
डांग अब तो बचे नहीं,
कर दय सब बरवाद।
विरछा ऐन लगाइयो,
फिर से हो आबाद।।
दिनांक-9-11-2020
बिषय-गैल
61
सूदी गैल चलो सदा,
मिले भौत सम्मान।
जो तुम टेढे़ होत हो,
परे कष्ट में जान।।
62
गैल-गैल में मच रओ,
होरी कौं हुरदंग।
कोऊ रंग डार रओ,
कोऊ पी रव भंग।।
दिनांक 16-11-2020
बिषय-कतकारी
63
कतकारी ढूंढ़त फिरै,
कितै मिले भगवान।
कान्हा तो भीतर पिंडे,
दिल में बैठे जान।।
64
कतकारी गाती फिरे,
मधुर स्वर में गान।
प्रभु करत लीला भली,
हो रइ वे हेंरान।।
दिनांक-30-11-2020
बिषय- जाडौं
65
जाडें के आतनइं,
छाउन लगौ खुमार।
पल्ली, कमरा, लोइ सें,
होन लगौ है प्यार।।
66
लगतइ नौनो घाम है,
जाड़े के दिन आत।
दिन तनकइ से होत है,
बड्डी होती रात।।
बिषय-हार
67
बहा पसीना हार में,
पानी घाइं किसान।
हीरा से दमकन लगै,
हार खेत खरयान।।
68
मैनत में पाछै नहीं,
रितु कोनउ हो चाय।
सूखा या बरसात भी,
तोउ नईं घबराय।।
*14-12-2020
- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (म.प्र.)
मोबाइल-9893520965
(मौलिक एवं स्वरचित)
शुक्रवार, 18 सितंबर 2020
आनलाइन कवि सम्मेलन राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
दिनांक 18-9-2020 समय-6बजे शाम,सतना
लोकभाषा काव्य संध्या और लोकरंग का आयोजन
बघेली बुंदेली और पचोली बोलियों में पढ़ी गई कविताएं, सम्पन्न हुआ बुंदेली सोहर और बधाई गीतों का गायन
शब्द शिल्पी साहित्योत्सव-2020 पांचवें दिवस का आयोजन
शब्द शिल्पी परिवार सतना के तत्वावधान में आयोजित राजभाषा साहित्योत्सव में आज दिनांक 18 सितंबर को 6 बजे से शब्द शिल्पी पृष्ठ पर वेबीनार के माध्यम से सजीव प्रसारण मे लोकभाषा काव्य संध्या और लोकरंग का आयोजन किया गया इसमें पूरे अंचल से बघेली बुंदेली और पचोली बोलियों में रचनापाठ और अंत में लोकगीतों की कड़ी में बुंदेली और बघेली सोहर, बधाई गीत और देवी गीतों का गायन किया गया।।
इस आयोजन में डा प्रतिभा पटेल सतना ने बघेली में सरस्वती वंदना, राजीव नामदेव राना लिधोरी टीकमगढ़ ने बुंदेली ग़ज़ल और गीत, सतना से सैफुद्दीन सैफू जी के पुत्र जमीलुद्दीन सिद्धिकी खुसरो ने विसंगतियों पर बघेली रचनाएं प्रस्तुत की। अरुण कुमार पयासी रामनगर ने बघेली विदुर नीति और सुंदर कांड का पाठ किया, सतना के जगदीश तिवारी ने बघेली दोहों , समरजीत वर्मा सतना ने बघेली ग़ज़लें प्रस्तुत किया, शहडोल से गोविंद कुमार श्रीवास्तव हंस ने पचोली और बघेली में कर्मागीत प्रस्तुत किए। रामपुर बाघेलान से विष्णुधर भट्ट ने बघेली दोहे और बघेली श्रृंगार गीत पेश किए। अंत में छतरपुर की पुष्पा खरे ने बुंदेली लोकगीतों में सोहर, बधाई गीत और देवी गीतों के गायन की प्रस्तुति दी।
अनिल अयान
दिनांक-29-9-2020
काव्य साथी साहित्यिक परिवार
दिनांक 1-11-2020
आरिणी समूह द्वारा आनलाइन 160 लघुकथाकारों का लघुकथा पाठ
संयोजन डॉ मीनू पाण्डेय, भोपाल
दिनांक 15-11-2020 को मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ का 265 वां कवि सम्मेलन
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया
भोपाल (मप्र)
विश्व पुस्तक दिवस पर आनलाइन गोष्ठी-
दिनांक-23-4-2821 टीकमगढ़
आनलाइन परिचर्चा
आयोजन-
शासकीय जिला पुस्तकालय,टीकमगढ़
संचालन
विजय मेहरा
लाइब्रेरियन टीकमगढ़
प्रतिभागी
1 श्री राम गोपाल जी रैकवार, (टीकमगढ़)
2-श्री अभिनंदन जी गोइल, (इंदौर)
3- श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)
4- आदरणीया सावित्री जी मोर्य (सागर)
5- श्री नितिन जी बवेले )टीकमगढ़)
6 श्री विजय जी मेहरा (टीकमगढ़) संचालन व संयोजन
श्री अभिनंदन गोइल जी इन्दौर ने -
पुस्तक लेखन, प्रकाशन में आने वाली समस्याओं पर विमर्श किया गया तथा समाधान बताया!
श्री रामगोपाल रैकवार जी टीकमगढ़ ने बताया कि उन्हें बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक है वे अभी भी रोज पुस्तक पढते हैं।
राजीव नामदेव "राना लिधौरी"टीकमगढ़ ने बताया कि नव लेखकों की प्रथम पुस्तक प्रकाशित करनू के लिए साहित्य अकादमी बीस हजार रुपए अनुदान देती है। इंटरनेट पर भी ई_बुक भी बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। लेकिन कोई भी शोध आलेख लिखते समय रिफरेन्स हमेशा पुस्तकों का ही दिया जाता है क्योंकि पुस्तकें बहुत विश्वसनीय होती है जबि इंटरनेट सामग्री पर पूर्ण विश्वास नहीं किया जा सकता है।
आदरणीया सावित्री मोर्य जी सागर ने बताया कि आजकल सोशल मीडिया पर हम रचनाएं पोस्ट करके प्रसिद्ध हो सकते है। रिसर्च एवं जनरल में छपने के बहुत अवसर रहते है।
श्री नितिन बवेले जी टीकमगढ़ ने कहा कि मैंने योग की पुस्तकें बहुत पढ़ी है मेरी रुचि योग पर अधिक है आप भी नियमित योग कीजिए और स्वस्थ्य रहिए।
श्री विजय मेहरा जी लाइब्रेरियन टीकमगढ़ ने बताया कि उन्होंने पुस्तकों का केटलाग बनाते समय अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें पढ़ी हैैं। उनका काम ही पुस्तकें पढ़ना है।
अंत में सभी आभार श्री विजय कुमार मेहरा जी ने माना।
***
रिपोर्टिंग- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
मोबाइल- 9893520965
~ मध्यप्रदेश लेखक संघ, भोपाल ~~
* ई -3 / 325, अरेरा कालोनी, भोपाल *
÷ आन लाइन प्रादेशिक ग़ज़ल गोष्ठी ÷
======== आमंत्रण ========
महोदय/महोदया,
मध्यप्रदेश लेखक संघ की आन लाइन प्रादेशिक ग़ज़ल गोष्ठी का आयोजन रविवार दिनांक 30 मई 2021 को अपराह्न चार बजे से वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री संतोष जैन, घोड़ा डोंगरी (बैतूल) के मुख्य आतिथ्य, श्री प्रभुदयाल मिश्र के सारस्वत आतिथ्य तथा संघ के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. राम वल्लभ आचार्य की अध्यक्षता में ज़ूम के माध्यम से किया जायेगा । गोष्ठी में निम्न ग़ज़लकार/ शायर रचना पाठ करेंगे :--
१. डाॅ. पुष्पारानी गर्ग, इन्दौर
२. डाॅ. राजश्री रावत, भोपाल
३. श्री रफ़ीक़ नागौरी, उज्जैन
४. श्री हरिवल्लभ शर्मा 'हरि', भोपाल
५. डाॅ. पुष्पा पटेल, खरगोन
६. श्री शफी लोदी रतलामी, भोपाल
७. श्री अरुण 'अपेक्षित', शिवपुरी
८. श्रीमती मधु शुक्ला, भोपाल
९. श्री राजीव नामदेव, टीकमगढ़
१०. श्री नलिन खोईवाल, इन्दौर
इस ग़ज़ल गोष्ठी में प्रदेश के रचनाकारों की बेहतरीन ग़ज़लों के रसास्वादन हेतु आप ज़ूम पर जुड़ने हेतु सादर साग्रह आमंत्रित हैं ।
भवदीय -
कैलाशचन्द्र जायसवाल, प्रादेशिक मंत्री
डाॅ. प्रीति प्रवीण खरे, प्रादेशिक संयुक्त मंत्री
सुनील चतुर्वेदी, प्रादेशिक कोषाध्यक्ष
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अखिलभारतीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'कलामंदिर' भोपाल
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हास्य-व्यंग्य गोष्ठी का आयोजन
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आदरणीय साहित्यप्रेमी जन
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वर्तमान में कोरोनाकाल से उत्पन्न, मन की अवसाद पूर्ण स्थिति को, दूर करने के प्रयास के रूप में दिनाँक 31/05/2021 दिन सोमवार, को समय अपरान्ह 4.00 बजे से, "गूगल मीट" (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म) पर कलामंदिर द्वारा "हास्य-व्यंग्य-गोष्ठी" का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें चुनिंदा कवियों द्वारा रचनाएँ प्रस्तुत की जाएंगी। कृपया नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर, कॉर्यक्रम से जुड़ने की कृपा करें।
अध्यक्षता-डॉ गौरीशंकर शर्मा 'गौरीश'
मुख्य अतिथि- श्री गिरीश पंकज- रायपुर
विशेष अतिथि- श्री दिनेश रस्तोगी- शाहजहांपुर, उ.प्र.
संचालन-श्री गोकुल सोनी
सहभागी रचनाकार
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श्री धूमकेतु- भोपाल
श्री महेंद्र भट्ट-ग्वालियर
श्री राकेश वर्मा हैरत-भोपाल
श्री अशोक धमैनियाँ-भोपाल
श्री राजेश चंचल-भोपाल
श्री राजेद्र गट्टानी-भोपाल
श्री राजीव नामदेव -रानलिधौरी, टीकमगढ़
श्री आनंद कुमार तिवारी-भोपाल
श्री घनश्याम मैथिल अमृत-भोपाल
श्री दीपक दनादन- भोपाल
श्री संतकुमार मालवीय 'संत'-भोपाल
गूगल मीट लिंक
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https://meet.google.com/xym-ggoh-dvk
आप सभी साहित्य प्रेमीजन सादर आमंत्रित हैं।
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डॉ गौरीशंकर शर्मा 'गौरीश'
अध्यक्ष-
कला मंदिर,भोपाल
फ़ोन-9993361729
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गोकुल सोनी
(सचिव)
कलामंदिर भोपाल
मोबा. 9755331831
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दिनांक-23-1-2022
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*बुंदेली कवि मंच*
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- *सूचना* -
*जय बुंदेली जय बुंदेलखंड*,
*जय भारत*
*बुंदेली कवि मंच नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती एवं गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर विराट भव्य कवि सम्मेलन *गूगल मीट* के माध्यम से दिनांक 23 जनवरी रविवार सायंकाल 4 बजे से 6 बजे के मध्य आयोजित करने जा रहा है। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं। आयोजन का विवरण निम्नानुसार है।
*अध्यक्षता*
मंच संस्थापक, वरिष्ठ राष्ट्रीय साहित्यकार एवं शिक्षाविद्,दोहा छंद विधा मर्मज्ञ, श्री राजीव नामदेव' राना लिधौरी ' जी टीकमगढ़
*मुख्य अतिथि*
वरिष्ठ साहित्यकार एवं बुंदेली गौरव, बुंदेली भाषा मर्मज्ञ श्री प्रभूदयाल जी, स्वर्णकार।
*वाणी वंदना /एवं संचालन*
समय सायंकाल 5 बजे से आयोजन के अंत तक
वरिष्ठ कवियत्री, स्वर साधिका श्रीमती नम्रता श्रीवास्तव, (बांदा)
*संचालन*
समय सायंकाल 4 से 5बजे
वरिष्ठ साहित्यकार,ओज कवि एवं राष्ट्रवादी चिंतक श्री चंदप्रकाश गुप्त "चंद्र"
अहमदाबाद, गुजरात
*विषय*- स्वतंत्र
*विधा* - स्वतंत्र
*बुंदेली भाषा में प्रस्तुति प्राथमिकता है*
*
1.शैलेन्द्र खरे"सोम" नौगाँव
2.रामानंद पाठक नंद
3.कल्याणदास साहू "पोषक"
4.नवल सिंह चौहान, डबरा, ग्वालियर
5.अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
6.गीता देवी औरैया उत्तर प्रदेश से
7.संतोष कुमार, प्रबंधक कोऑप्रेटिव बैंक महोबा
8.गुलाब सिंह यादव, लखौरा टीकमगढ़
9.भगवानसिंह लोधी "अनुरागी"
10.विश्वेश्वर शास्त्री 'विशेष'
राठ हमीरपुर उ.प्र.
11.राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
12.हरप्रसाद चढा़र,नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
13.गोकुल प्रसाद यादव'कर्मयोगी'नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
14. कुमारी चन्दा देवी जबलपुर
15.शिव कुमार गुप्त,निवाड़ी
❌❌❌❌❌❌❌❌❌
*विशेष*-
1.संचालक महोदय के आमंत्रण पर सभी सम्माननीय प्रतिभागी रचनाकारों को अपनी प्रतिनिधि स्वरचित रचना जो 3 से 4 मिनट के अंदर ही हो और बुंदेली भाषा में हो तो उत्तम है अन्यथा हिंदी में प्रस्तुत कर सकते हैं।
2. सभी सम्माननीय प्रतिभागी रचनाकारों से आग्रह है नियमों के पालन अवश्य करें। और समय से जुड़ें।
3. *गूगल मीट लिंक* आयोजन की रूपरेखा के साथ आयोजन के पूर्व पटल पर प्रेषित कर दी जाएगी।
4. प्रतिभाग करने वाले सभी रेत सम्माननीय रचनाकारों से विनम्र अनुरोध है कि नाम जोड़ने के साथ अलग से अपना *छाया चित्र* पटल पर प्रेषित करते जायें ताकि समय से सम्मान पत्र प्रदान किये ज सकें।
*निवेदक* -
*भास्कर सिंह जी माणिक*
*कोंच (जालौन)*
*संरक्षक - बुंदेली कवि मंच*
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जंयती एवं गांधी जी की पुण्यतिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन झांसी:-
जरा सी जो उनसे बुन्देली बोली,बे कै रहे कि तुमनें तो मिस्री
सी घोली* : *देवकी नन्दन शांत*
बुन्देलखण्ड साहित्य उन्नयन समिति और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में वर्चुअल बुन्देली काव्य समागम का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम जयशंकर प्रसाद तथा चित्रकार अमृता शेरगिल के जन्मदिन और महात्मा गांधी की तथा माखनलाल चतुर्वेदी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी सदस्यों ने इन विभूतियों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
बुन्देली साहित्य को गति देने के पुनीत उद्देश्य से आयोजित इस वर्चुअल संगोष्ठी में बुन्देली बोली में काव्य प्रस्तुतियों के माध्यम से विभिन्न कवियों ने बुन्देली काव्य रसधारा बहाई।कार्यक्रम की *अध्यक्षता* समिति के अध्यक्ष और हिन्दी विभागाध्यक्ष *डॉ पुनीत बिसारिया* ने की, झांसी मण्डल की संयुक्त विकास आयुक्त *मिथिलेश सचान* ने मुख्य अतिथि के पद को सुशोभित किया और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ राजेश प्रकाश एवं संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा के नामित *डॉ अनिरुद्ध रावत* ने विशिष्ट अतिथि के पद को सुशोभित किया। कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने समसामयिक रचनाओं के माध्यम से सुन्दर प्रस्तुतियां दीं। सर्वप्रथम लखनऊ से पधारे *डॉ देवकी नन्दन शांत* ने बुन्देली की विशेषता वर्णित करते हुए कहा-
जरा सी जो उनसे बुन्देली बोली,
बे कै रहे कि तुमनें तो मिस्री सी घोली।
हते छत्रसाल से छतरपुर राजा,
भूषण की जिनने उठाई थी डोली।।
लोकभूषण पन्नालाल असर ने अपने शब्दों को कुछ यूं अभिव्यक्ति दी -
दोई कुलन की उजियारी बिटिया है बेटन से प्यारी।
सोन चिरैया सी जे चहके महकत है ज्यों फुलवारी।
*निहाल चन्द्र शिवहरे* ने कोरोना के दौर में पथभ्रष्ट युवाओं को चेताते हुए कहा-
मौ बाय किते जा रए?
कोरोना में भी गर्रा रए।
का तुमाए मताई बाप,
कछू नई समझा रए।
घर मां नइया खाबे कौ,
फिर भी दारू पी कै
बाप की कमाई उरा रए।
*हरपालपुर की दीपिका गर्ग* ने अपने बुंदेली गीत में सरहद पर गए सैनिक की पत्नी के आंसुओं को उकेरते हुए कहा -
आँखन में आँसू दै गये
सजन परदेश चले गये
जब से हम ब्याह कै आए।
आँखन खौं सपने हैं, भाए।
हरपालपुर की सात वर्षीया कवयित्री नव्या अग्रवाल ने अपनी मां की प्रशंसा करते हुए कहा -
करती प्यार दुलार मम्मी।
है मेरा संसार मम्मी।
इस दुनिया से न्यारी मम्मी।
मुझको सबसे प्यारी मम्मी।
*बाला प्रसाद बाल कवि* ने चुनावी माहौल को छौंक लगाते हुए नेता को परिभाषित करते हुए कहा -
आता है चुनाव जब नेता जात गांव गांव।
परत है पांव पांव मोए पहचानियो
बैठत है पौर पौर चलत हैं दौर दौर
कहत है न्होर न्होर मोय सुत मानियो।
*कवयित्री सुमन मिश्रा* ने गणतंत्र दिवस को कुछ यूं स्मरण किया -
छब्बीस जनवरी को हम सब, गणतंत्र दिवस मनाते है।
विधि वैध दिवस यह है अपना,हम राष्ट्रध्वजा फहराते है।।
पावन सरिता रावी के तट, हम सबने जश्न मनाया था।
और सभी ने एक साथ मिल,जन गण मन को गाया था।।
संविधान निर्माताओं ने , इसको विस्तृत आकार दिया।
एक सूत्र में हमे बाँधकर, निज सपनों को साकार किया।।
टीकमगढ़ के *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* ने
*जयशंकर प्रसाद जी की जयंती पर कुछ बुंदेली दोहे सुनाये-
प्रसाद जू थे रचे,कैउ ग्रंथ कमाल।
चित्रधार, कामायनी, तितली औ कंकाल।।
आंसू दो बूंदें गिरी, झरना लहर दिखाय।
चन्द्र गुप्त,धुवस्वामिनी,नाटक रहे लिखाय।।
भाषा हिन्दी ब्रज में, था इनकौ अधिकार।
उपन्यास,कथा लिखी, थे कवि नाटककार।
निवाड़ी के राम निवास तिवारी आशुकवि ने बुन्देली प्रेम को बताया -
तुमखौ देखौ भौत दिनन में हती चाहना मन में
कवै मिलै दीदार आपके लगी हती जा तन में
इन्तजार में गये भौत दिन आपई की बातन में
आशु कवि कहे परस्पर प्रेमी मिले आज महफ़िल में!
संजय राष्ट्रवादी ने चुनाव की चर्चा करते हुए कहा -
लेव आ गओ चुनाव...
लेव आ गओ चुनाव...
यूपी में भैया आ गओ चुनाव ! चुनियो बइए जो करै न भेदभाव...
खुद आगै बढ़ो और सब खौ बढ़ाओ !!
*कवयित्री संध्या निगम* ने गांधी जी को स्मरण करते हुए कहा -
सजन हम चरखा चलेहैं, अब काउसे ना डरहैं।
चाहे सास मारे, ननद गरयावे ।
सूत कातबो नहीं छोरहैं।।
अब काऊ से ना डर हैं।
*प्रताप नारायण दुबे* ने बुन्देली बानी के विषय में कहा -
बानी मीठी है बुन्देली जैसे गुड़ की ढेली।
रस बरसत बोलन सुन तन में बोली है अलबेली।
वरिष्ठ कवि *साकेत सुमन चतुर्वेदी* ने कहा -
छोर में जौ गांठ नीचट बांध लो
केहिके कहिबे में आके देह न अपनो नसाबो।
का भलो है का बुरो है जीमे पहिलौ बांच लो।
*विवेक बरसैंया* ने ओरछा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा -
महिमा बड़ी ओरछा तोरी, कीरत भौत बटोरी।
राजाराम अवध से आए, बंधे प्रीत की डोरी।
धरमवीर हरदौल इतैं भए, कवि केसव जई खोरी।
बरसैंया खौं जाकी रज है पावन चंदन रोरी।
व्यंग्यकार देवेन्द्र भारद्वाज ने कहा-
शातिर इंसान की किसी से भी तुलना न कीजिए।
यह न देवता है न हैवान और न ही पशु और न ही पत्थर।
*संजय सिंघाल* ने बुन्देलखण्ड की महिमा का वर्णन करते हुए कहा
जय बुन्देलखण्ड जय माटी।
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