अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर विशेष
शब्द चित्र कविता-
जीवनपथ पर,
अमिट छाप सी लगती है।
अनुभव की रेखाएं,
माथे पर दिखती।
दाढ़ी और बत्तीसी भी तो,
अब हिलती सी दिखती है।
दया, ममता, करूणा
और त्याग के सागर में,
वे हिलोर सी लगतीं हैं।
देखा सब कुछ इन आंखों ने
अब थकन सी लगती है।
मुझे तो ये माता मरियम,
मदर टेरेसा लगती है।।
@©-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र) मोबाइल-9893520965
1 टिप्पणी:
Jai ho
Good poem
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