Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

आनलाइन कवि सम्मेलन राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़

दिनांक-14-8-2021 लेखक संघ भोपाल 
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दिनांक 18-9-2020 समय-6बजे शाम,सतना
लोकभाषा काव्य संध्या और लोकरंग का आयोजन

बघेली बुंदेली और पचोली बोलियों में पढ़ी गई कविताएं, सम्पन्न हुआ बुंदेली सोहर और बधाई गीतों का गायन

शब्द शिल्पी साहित्योत्सव-2020 पांचवें दिवस का आयोजन

शब्द शिल्पी परिवार सतना के तत्वावधान में आयोजित राजभाषा साहित्योत्सव में आज दिनांक 18 सितंबर को 6 बजे से  शब्द शिल्पी पृष्ठ पर वेबीनार के माध्यम से सजीव प्रसारण मे लोकभाषा काव्य संध्या और लोकरंग का आयोजन किया गया इसमें पूरे अंचल से बघेली बुंदेली और पचोली बोलियों में रचनापाठ और अंत में लोकगीतों की कड़ी में बुंदेली और बघेली सोहर, बधाई गीत और देवी गीतों का गायन किया गया।।
 इस आयोजन में डा प्रतिभा पटेल सतना  ने बघेली में सरस्वती वंदना, राजीव नामदेव राना लिधोरी टीकमगढ़ ने बुंदेली ग़ज़ल और गीत, सतना से सैफुद्दीन सैफू जी के पुत्र जमीलुद्दीन सिद्धिकी खुसरो ने विसंगतियों पर बघेली रचनाएं प्रस्तुत की। अरुण कुमार पयासी रामनगर ने बघेली विदुर नीति और सुंदर कांड का पाठ किया, सतना के जगदीश तिवारी ने बघेली दोहों , समरजीत वर्मा सतना ने बघेली ग़ज़लें प्रस्तुत किया, शहडोल से गोविंद कुमार श्रीवास्तव हंस ने पचोली और बघेली में कर्मागीत प्रस्तुत किए। रामपुर बाघेलान से विष्णुधर भट्ट ने बघेली दोहे और बघेली श्रृंगार गीत पेश किए। अंत में छतरपुर की पुष्पा खरे  ने बुंदेली लोकगीतों में सोहर, बधाई गीत और देवी गीतों के गायन की प्रस्तुति दी।

अनिल अयान
सतना
दिनांक-29-9-2020

#बुंदेली_झलक  मुंबई से  आज मेरा इंटरव्यू सार्थक रहा
आभार
श्री रंजन जी
बुंदेली झलक मुंबई




आरिणी काव्य प्रवाह धारा समिति, भोपाल

दिनांक 2-10-2020


दिनांक-31-10-2020 

काव्य साथी साहित्यिक परिवार
दिनांक 1-11-2020
आरिणी समूह द्वारा आनलाइन 160 लघुकथाकारों का लघुकथा पाठ
संयोजन डॉ मीनू पाण्डेय, भोपाल
दिनांक 15-11-2020 को मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ का 265 वां कवि सम्मेलन
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया
दिनांक 13-12-2020
दिनांक-23-1-2021 काव्य गोष्ठी बिषय- -मेरा वतन,
 भोपाल (मप्र)
दिनांक -21-2-2021भोपाल
बिषय-प्रेम

विश्व पुस्तक दिवस पर आनलाइन गोष्ठी-
दिनांक-23-4-2821 टीकमगढ़ 
आनलाइन परिचर्चा

 आयोजन- 
शासकीय जिला पुस्तकालय,टीकमगढ़ 
संचालन
विजय मेहरा
लाइब्रेरियन टीकमगढ़
प्रतिभागी 
1 श्री राम गोपाल जी रैकवार, (टीकमगढ़)
2-श्री अभिनंदन जी गोइल, (इंदौर)
3- श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)
4- आदरणीया सावित्री जी मोर्य (सागर)
5- श्री नितिन जी बवेले )टीकमगढ़)
6 श्री विजय जी  मेहरा (टीकमगढ़) संचालन व संयोजन
 श्री अभिनंदन गोइल जी इन्दौर ने -
पुस्तक लेखन, प्रकाशन में आने वाली समस्याओं पर विमर्श किया गया तथा समाधान बताया!

श्री रामगोपाल रैकवार जी टीकमगढ़ ने बताया कि उन्हें बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक है वे अभी भी रोज पुस्तक पढते हैं।

राजीव नामदेव "राना लिधौरी"टीकमगढ़ ने बताया कि नव लेखकों की प्रथम पुस्तक प्रकाशित करनू के लिए साहित्य अकादमी बीस हजार रुपए अनुदान देती है। इंटरनेट पर भी ई_बुक भी  बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। लेकिन कोई भी शोध आलेख लिखते समय रिफरेन्स हमेशा पुस्तकों का ही दिया जाता है क्योंकि पुस्तकें बहुत विश्वसनीय होती है जबि इंटरनेट सामग्री पर पूर्ण विश्वास नहीं किया जा सकता है।

आदरणीया सावित्री मोर्य जी सागर ने बताया कि आजकल सोशल मीडिया पर हम रचनाएं पोस्ट करके प्रसिद्ध हो सकते है। रिसर्च एवं जनरल में छपने के बहुत अवसर रहते है।

श्री नितिन बवेले जी  टीकमगढ़ ने कहा कि मैंने योग की पुस्तकें बहुत पढ़ी है मेरी रुचि योग पर अधिक है आप भी नियमित योग कीजिए और स्वस्थ्य रहिए।

श्री विजय मेहरा जी लाइब्रेरियन टीकमगढ़ ने बताया कि उन्होंने पुस्तकों का केटलाग बनाते समय अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें पढ़ी हैैं। उनका काम ही पुस्तकें पढ़ना  है।
अंत में सभी आभार श्री विजय कुमार मेहरा जी ने माना।
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रिपोर्टिंग- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
मोबाइल- 9893520965

प्रादेशिक ग़ज़ल गोष्ठी, भोपाल
 रविवार दिनांक 30 मई 2021
~ मध्यप्रदेश लेखक संघ, भोपाल ~~
* ई -3 / 325, अरेरा कालोनी, भोपाल *

÷ आन लाइन प्रादेशिक ग़ज़ल गोष्ठी ÷
 ======== आमंत्रण ========
महोदय/महोदया, 
मध्यप्रदेश लेखक संघ की आन लाइन प्रादेशिक ग़ज़ल गोष्ठी का आयोजन रविवार दिनांक 30 मई 2021 को अपराह्न चार बजे से वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री संतोष जैन, घोड़ा डोंगरी (बैतूल) के मुख्य आतिथ्य, श्री प्रभुदयाल मिश्र के सारस्वत आतिथ्य तथा संघ के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. राम वल्लभ आचार्य की अध्यक्षता में ज़ूम के माध्यम से किया जायेगा । गोष्ठी में निम्न ग़ज़लकार/ शायर रचना पाठ करेंगे :--
१. डाॅ. पुष्पारानी गर्ग, इन्दौर
२. डाॅ. राजश्री रावत, भोपाल
३. श्री रफ़ीक़ नागौरी, उज्जैन
४. श्री हरिवल्लभ शर्मा 'हरि', भोपाल
५. डाॅ. पुष्पा पटेल, खरगोन
६. श्री शफी लोदी रतलामी, भोपाल
७. श्री अरुण 'अपेक्षित', शिवपुरी
८. श्रीमती मधु शुक्ला, भोपाल
९. श्री राजीव नामदेव, टीकमगढ़
१०. श्री नलिन खोईवाल, इन्दौर
इस ग़ज़ल गोष्ठी में प्रदेश के रचनाकारों की बेहतरीन ग़ज़लों के रसास्वादन हेतु आप ज़ूम पर जुड़ने हेतु सादर साग्रह आमंत्रित हैं । 

भवदीय -
कैलाशचन्द्र जायसवाल, प्रादेशिक मंत्री
डाॅ. प्रीति प्रवीण खरे, प्रादेशिक संयुक्त मंत्री 
सुनील चतुर्वेदी, प्रादेशिक कोषाध्यक्ष
दिनांक_३१-५-२०२१ भोपाल ,कला मंदिर 
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अखिलभारतीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था   'कलामंदिर' भोपाल 
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हास्य-व्यंग्य गोष्ठी का आयोजन
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आदरणीय साहित्यप्रेमी जन
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वर्तमान में कोरोनाकाल से उत्पन्न, मन की अवसाद पूर्ण स्थिति को, दूर करने के प्रयास के रूप में दिनाँक 31/05/2021 दिन सोमवार, को समय अपरान्ह 4.00 बजे से, "गूगल मीट" (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म) पर कलामंदिर द्वारा "हास्य-व्यंग्य-गोष्ठी" का आयोजन किया जा रहा  है, जिसमें चुनिंदा कवियों द्वारा रचनाएँ  प्रस्तुत की जाएंगी। कृपया नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर, कॉर्यक्रम  से जुड़ने की कृपा करें।

अध्यक्षता-डॉ गौरीशंकर शर्मा 'गौरीश'

मुख्य अतिथि- श्री गिरीश पंकज- रायपुर 

विशेष अतिथि- श्री दिनेश रस्तोगी- शाहजहांपुर, उ.प्र. 

संचालन-श्री गोकुल सोनी

सहभागी रचनाकार 
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श्री धूमकेतु- भोपाल
श्री महेंद्र भट्ट-ग्वालियर
श्री राकेश वर्मा हैरत-भोपाल
श्री अशोक धमैनियाँ-भोपाल
श्री राजेश चंचल-भोपाल
श्री राजेद्र गट्टानी-भोपाल
श्री राजीव नामदेव -रानलिधौरी, टीकमगढ़
श्री आनंद कुमार तिवारी-भोपाल
श्री घनश्याम मैथिल अमृत-भोपाल
श्री दीपक दनादन- भोपाल
श्री संतकुमार मालवीय 'संत'-भोपाल

गूगल मीट लिंक
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https://meet.google.com/xym-ggoh-dvk
आप सभी साहित्य प्रेमीजन सादर आमंत्रित हैं।
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डॉ गौरीशंकर शर्मा 'गौरीश'
अध्यक्ष-
कला मंदिर,भोपाल
फ़ोन-9993361729
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गोकुल सोनी
(सचिव) 
कलामंदिर भोपाल
मोबा. 9755331831

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दिनांक-14-6-2021 बडा मलहरा
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दिनांक-23-1-2022
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     *बुंदेली कवि मंच*
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            - *सूचना* -
*जय बुंदेली जय  बुंदेलखंड*,
              *जय भारत*


*बुंदेली कवि मंच नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती एवं गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर विराट भव्य कवि सम्मेलन *गूगल मीट* के माध्यम से  दिनांक 23 जनवरी रविवार सायंकाल 4 बजे से 6 बजे के मध्य आयोजित करने जा रहा है। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं। आयोजन का विवरण निम्नानुसार है।

*अध्यक्षता*
मंच संस्थापक, वरिष्ठ राष्ट्रीय साहित्यकार एवं शिक्षाविद्,दोहा छंद विधा मर्मज्ञ, श्री राजीव नामदेव' राना लिधौरी ' जी टीकमगढ़

*मुख्य अतिथि*
वरिष्ठ साहित्यकार एवं बुंदेली गौरव, बुंदेली भाषा मर्मज्ञ श्री प्रभूदयाल जी, स्वर्णकार।

*वाणी वंदना /एवं संचालन*
समय सायंकाल 5 बजे से आयोजन के अंत तक
वरिष्ठ कवियत्री, स्वर साधिका श्रीमती नम्रता श्रीवास्तव,  (बांदा) 

*संचालन*
समय सायंकाल 4 से 5बजे
वरिष्ठ साहित्यकार,ओज कवि एवं राष्ट्रवादी चिंतक श्री चंदप्रकाश गुप्त "चंद्र"
अहमदाबाद, गुजरात

*विषय*- स्वतंत्र

 *विधा* - स्वतंत्र

*बुंदेली भाषा में प्रस्तुति प्राथमिकता है*

*

1.शैलेन्द्र खरे"सोम" नौगाँव
2.रामानंद पाठक नंद
3.कल्याणदास साहू "पोषक"
4.नवल सिंह चौहान, डबरा, ग्वालियर
5.अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
6.गीता देवी औरैया उत्तर प्रदेश से 
7.संतोष कुमार, प्रबंधक कोऑप्रेटिव बैंक महोबा
8.गुलाब सिंह यादव, लखौरा टीकमगढ़
9.भगवानसिंह‌ लोधी "अनुरागी"
10.विश्वेश्वर शास्त्री 'विशेष'
       राठ हमीरपुर उ.प्र.
11.राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
12.हरप्रसाद चढा़र,नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
13.गोकुल प्रसाद यादव'कर्मयोगी'नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
14.  कुमारी चन्दा देवी  जबलपुर
15.शिव कुमार गुप्त,निवाड़ी
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*विशेष*-
1.संचालक महोदय के आमंत्रण पर सभी सम्माननीय प्रतिभागी रचनाकारों को अपनी प्रतिनिधि स्वरचित रचना जो 3 से 4 मिनट के अंदर ही हो और बुंदेली भाषा में हो तो उत्तम है अन्यथा हिंदी में प्रस्तुत कर सकते हैं।

2. सभी सम्माननीय प्रतिभागी रचनाकारों से आग्रह है नियमों के पालन अवश्य करें। और समय से जुड़ें।

3. *गूगल मीट लिंक* आयोजन की रूपरेखा के साथ आयोजन के पूर्व पटल पर प्रेषित कर दी जाएगी।
4. प्रतिभाग करने वाले सभी रेत सम्माननीय रचनाकारों से विनम्र अनुरोध है कि नाम जोड़ने के साथ अलग से अपना *छाया चित्र* पटल पर प्रेषित करते जायें ताकि समय से सम्मान पत्र प्रदान किये ज सकें।

*निवेदक* -
*भास्कर सिंह जी माणिक*
     *कोंच (जालौन)*
*संरक्षक - बुंदेली कवि मंच*

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दिनांक-३०-१-२०२२ को जयशंकर प्रसाद 
जंयती एवं गांधी जी की पुण्यतिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन झांसी:-

जरा सी जो उनसे बुन्देली बोली,बे कै रहे कि तुमनें तो मिस्री 
सी घोली* : *देवकी नन्दन शांत*

बुन्देलखण्ड साहित्य उन्नयन समिति और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में  वर्चुअल बुन्देली काव्य समागम का आयोजन किया गया।  सर्वप्रथम जयशंकर प्रसाद तथा चित्रकार अमृता शेरगिल  के जन्मदिन और महात्मा गांधी की तथा माखनलाल चतुर्वेदी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी सदस्यों ने इन विभूतियों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
बुन्देली साहित्य को गति देने के पुनीत उद्देश्य से आयोजित इस वर्चुअल संगोष्ठी में  बुन्देली बोली में काव्य प्रस्तुतियों के माध्यम से विभिन्न कवियों ने बुन्देली काव्य रसधारा बहाई।कार्यक्रम की *अध्यक्षता* समिति के अध्यक्ष और हिन्दी विभागाध्यक्ष *डॉ पुनीत बिसारिया* ने की, झांसी मण्डल की संयुक्त विकास आयुक्त *मिथिलेश सचान* ने मुख्य अतिथि के पद को सुशोभित किया और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ राजेश प्रकाश एवं संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा के नामित *डॉ अनिरुद्ध रावत* ने विशिष्ट अतिथि के पद को सुशोभित किया। कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने समसामयिक रचनाओं के माध्यम से  सुन्दर प्रस्तुतियां दीं। सर्वप्रथम लखनऊ से पधारे *डॉ देवकी नन्दन शांत* ने बुन्देली की विशेषता वर्णित करते हुए कहा-
जरा सी जो उनसे बुन्देली बोली,
बे कै रहे कि तुमनें तो मिस्री सी घोली।
हते छत्रसाल से छतरपुर राजा,
भूषण की जिनने उठाई थी डोली।।
लोकभूषण पन्नालाल असर ने अपने शब्दों को कुछ यूं अभिव्यक्ति दी -
दोई कुलन की उजियारी बिटिया है बेटन से प्यारी।
सोन चिरैया सी जे चहके महकत है ज्यों फुलवारी।
*निहाल चन्द्र शिवहरे* ने कोरोना के दौर में पथभ्रष्ट युवाओं को  चेताते हुए कहा-
मौ बाय किते जा रए?
कोरोना में भी गर्रा रए।
का तुमाए मताई बाप,
कछू नई समझा रए।
घर मां नइया खाबे कौ,
फिर भी दारू पी कै
बाप की कमाई उरा रए।
*हरपालपुर की दीपिका गर्ग* ने अपने बुंदेली गीत में सरहद पर गए सैनिक की पत्नी के आंसुओं को उकेरते हुए कहा -
आँखन में आँसू दै गये
सजन परदेश चले गये
जब से हम ब्याह कै आए। 
आँखन खौं सपने हैं, भाए। 
हरपालपुर की सात वर्षीया कवयित्री नव्या अग्रवाल ने अपनी मां की प्रशंसा करते हुए कहा -
करती प्यार दुलार मम्मी। 
है मेरा संसार मम्मी। 
इस दुनिया से न्यारी मम्मी। 
मुझको सबसे प्यारी मम्मी।
*बाला प्रसाद बाल कवि* ने  चुनावी माहौल को छौंक लगाते हुए नेता को परिभाषित करते हुए कहा -
आता है चुनाव जब नेता जात गांव गांव।
परत है पांव पांव मोए पहचानियो
बैठत है पौर पौर चलत हैं दौर दौर
कहत है न्होर न्होर मोय सुत मानियो।
*कवयित्री सुमन मिश्रा* ने गणतंत्र दिवस को कुछ यूं स्मरण किया -
छब्बीस जनवरी को हम सब, गणतंत्र दिवस मनाते है।
विधि वैध दिवस यह है अपना,हम राष्ट्रध्वजा फहराते है।।
पावन  सरिता रावी  के  तट, हम सबने जश्न मनाया था।
और सभी ने एक साथ मिल,जन गण मन को गाया था।।
संविधान   निर्माताओं  ने , इसको  विस्तृत आकार  दिया।
एक सूत्र में हमे  बाँधकर, निज सपनों  को  साकार किया।।
टीकमगढ़ के *राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़* ने
*जयशंकर प्रसाद जी की जयंती पर कुछ बुंदेली दोहे सुनाये-
प्रसाद जू थे रचे,कैउ ग्रंथ कमाल।
चित्रधार, कामायनी, तितली औ कंकाल।।
आंसू दो बूंदें गिरी, झरना लहर दिखाय।
चन्द्र गुप्त,धुवस्वामिनी,नाटक रहे लिखाय।।
भाषा हिन्दी ब्रज में, था इनकौ अधिकार।
उपन्यास,कथा लिखी, थे कवि नाटककार।        
निवाड़ी के राम निवास तिवारी आशुकवि ने बुन्देली प्रेम को बताया -
तुमखौ देखौ भौत दिनन में हती चाहना मन में
कवै मिलै दीदार आपके लगी हती जा तन में
 इन्तजार में  गये भौत दिन आपई की बातन में
 आशु कवि कहे परस्पर प्रेमी मिले आज महफ़िल में!
संजय राष्ट्रवादी ने चुनाव की चर्चा करते हुए कहा -
लेव आ गओ चुनाव...
लेव आ गओ चुनाव...
यूपी में भैया आ गओ चुनाव ! चुनियो बइए जो करै न भेदभाव...
खुद आगै बढ़ो और सब खौ बढ़ाओ !!
*कवयित्री संध्या निगम* ने गांधी जी को स्मरण करते हुए कहा -
सजन हम चरखा चलेहैं, अब काउसे ना डरहैं।
चाहे सास मारे, ननद गरयावे ।
सूत कातबो नहीं छोरहैं।। 
अब काऊ से ना डर हैं।
*प्रताप नारायण दुबे* ने बुन्देली बानी के विषय में कहा -
बानी मीठी है बुन्देली जैसे गुड़ की ढेली।
रस बरसत बोलन सुन तन में बोली है अलबेली।
वरिष्ठ कवि *साकेत सुमन चतुर्वेदी* ने कहा -
छोर में जौ गांठ नीचट बांध लो
केहिके कहिबे में आके देह न अपनो नसाबो।
का भलो है का बुरो है जीमे पहिलौ बांच लो।
*विवेक बरसैंया* ने ओरछा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा -
महिमा बड़ी ओरछा तोरी, कीरत भौत बटोरी।
राजाराम अवध से आए, बंधे प्रीत की डोरी।
धरमवीर हरदौल इतैं भए, कवि केसव जई खोरी।
बरसैंया खौं जाकी रज है पावन चंदन रोरी।
व्यंग्यकार देवेन्द्र भारद्वाज ने कहा-
शातिर इंसान की किसी से भी तुलना न कीजिए।
यह न देवता है न हैवान और न ही पशु और न ही पत्थर।
*संजय सिंघाल* ने बुन्देलखण्ड की महिमा का वर्णन करते हुए कहा
जय बुन्देलखण्ड जय माटी।

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